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Adultery पड़ोसन भाभी की मस्त जवानी
#1
पड़ोसन भाभी की मस्त जवानी

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
मैं उन्नाव का रहनेवाला हूँ | और अब कानपुर में जॉब करता हूँ | मेरा रंग सावला है मेरा कद 5 फुट 8 इंच है | मेरे लंड की लम्बाई 6 इंच है जिसे देख कर अच्छी-अच्छी भाभियों और कन्याओं की चूत गीली हो जाये | तो चलिए ज्यादा बकवास न करते हुए मैं अपनी कहानी पे आता हूँ | desi bhabhi ki chut

बात उन दिनों की है जब मैं कानपूर में नया आया था तो मैंने जहा रूम लिया था वो तीसरी मंज़िल पे था | वही दूसरी मंजिल पे एक किरायेदार रहते थे उनका नाम अनिल था उनकी पत्नी का नाम अर्चना था | क्या कमाल का फिगर था पूरी कोलोनी मैं चर्चे थे अर्चना भाभी के मेरा ईमान उनपे डोल चुका था मैं तो सोते जागते उन्ही के सपने देखता था | पर आज तक कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई |

एक दिन मेरी छुट्टी थी मैं अपने रूम में था | तभी अनिल भैया आये और मुझ से पूछा की रजत आज तुम ऑफिस नहीं गए तो मैंने बताया की आज मेरे ऑफिस में छुट्टी है | उन्होंने कहा की यार रजत तुम्हारी भाभी को कुछ सामान खरीदना है मार्केट से तुम उनके साथ चले जाना मैं किसी काम से दिल्ली जा रहा हूँ तभी मैं तुम्हारी भाभी के साथ जा नहीं सकता | मैं तो ख़ुशी से उछल पड़ा की नेकी और पूछ कर मैंने हाँ कर दी की मैं चला जाऊंगा | थोड़ी देर बाद भैया दिल्ली के लिए निकल गए और मुझे कह गए की आज मैं उनके घर का ख्याल रखूँ | मैं थोड़ी देर बाद तैयार होकर पहुँच गया | भाभी भी तैयार बैठी थी जैसे की मेरा ही इंतज़ार कर रही हो |

हरी साडी मैं क्या गज़ब ढा रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#3
नकी नाभि को देख कर मेरा तो मेरा लंड सलामी देने लगा बड़ी मुस्किल से उसे सम्हाला और हम शोपिंग के लिए मार्केट पहुंचे वहां भाभी ने कुछ समांन खरीदा और घर वापस आ रहे थे मेरी नज़र तो उन पर से हट ही नहीं रही थी | शायद इस बात का पता उनको भी चल गया था उन्होंने मुझ से पूछा रजत तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है | मैंने कहा नहीं भाभी आज तक कोई मिली नहीं | उन्होंने मुझ से पूछा अच्छा तुमको कैसी गर्लफ्रेंड चाहिए मेरे मुह से निकल गया की आप जैसी तो उन्होंने मुस्कुरा कर कहा चलो मेरे जैसी भी मिल जाएगी | तब तक हम घर पहुँच चुके थे |

हम दोनों उनके रूम पर पहुंचे हम दोनों बहुत थक चुके थे | फिर भाभी चाय बनाकर ले आई फिर हम दोनों ने चाय पी उनके मम्मे देख कर मेरा मन तो कह रहा था ककी उन्हें तुरंत चोद दूं | पर दर लग रहा था तो मैंने अपने आप को सम्हाला और कहा की अच्छा भाभी अब मैं चलता हूँ | तो भाभी ने कहा अरे रजत आज शाम का खाना मेरे घर ही खाना पहले मैंने मना किया पर उनके बार-बार कहने पर मैं मान गया मैं तो इसी मौके के इंतज़ार मैं था | शाम को उन्होंने मुझे फ़ोन किया और कहा रजत खाना तैयार है आ जाओ साथ मैं मिलकर खाते है | मैं उनके रूम की घंटी बजाई भाभी ने दरवाज़ा खोला नीले कलर की नाइटी में क्या कमाल लग रही थी उनके मुम्मे बाहर झाँक रहे थे | मैं उनके मम्मो को देख कर देखता ही रह गया शायद उनको पता चल गया था |

की मैं उनके मम्मो को देख रहा हूँ
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#4
उन्होंने कहा क्या हुआ रजत अन्दर नहीं आओगे | फिर हम दोनों अन्दर गए भाभी ने खाना लगाया पर मेरी नजर उनपर से हट ही नहीं रही थी | उन्होंने कहा की रजत तुम जब से आये हो कहा खोये हो | मैंने कहा भाभी आप मुझे बहुत अच्छी लगती है मैं आप से बहुत प्यार करता हूँ | उन्होंने कहा मुझे पता है की तुम मुझे कितना प्यार करते हो तुम्हारी पैन्ट देख कर पता लग रहा है | मेरा लंड जो की पैन्ट फाड़ कर बाहर आने की कोसिस कर रहा था | भाभी उसे ही देख रही थी | मैं भी समझ गया की आग बराबर दोनों तरफ लगी है |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#5
फिर उन्होंने मुझ से पूछा की रजत क्या तुमने कभी सेक्स किया है | मैंने बताया नहीं भाभी सेक्स तो नहीं किया है पर मूठ मारी है | भाभी ने कहा अरे मेरे राजा मेरे होते हुए तुमको मुट्ठ मारने की क्या जरूरत है आज से तुमको मुठ मारने की जरूरत नहीं है आज मैं तुमको जन्नत की सैर कराउंगी | मैं जान गया आज तो भाभी को चोदने की इच्छा पूरी हो जाएगी | खाना ख़तम होते ही भाभी ने कहा रजत आज तुम यंही रुको हम दोनों रात भर मस्ती करेंगे |

इतना कहते ही मैंने भाभी को अपनी बाँहों में भर लिया भाभी ने कहा की अरे रजत थोडा सब्र करो बेडरूम में चलो मैं अभी आती हूँ | मैं जाकर बेड पर लेट गया भाभी थोड़ी देर में आई और मेरी छाती पर बैठ कर मुझे जोर से किस करने लगी | मैं भी उनका पूरा साथ दे रहा था | फिर थोड़ी देर बाद मैंने झटके से उनको पलट कर मैं ऊपर आ गया और उनकी नाईटी निकाल फैंकी अब वो सिर्फ ब्रा और पैन्टी मेरे सामने थी | काली ब्रा-पैंटी में वो और भी कमाल लग रही थी | मैंने उनको उल्टा किया और उनकी पीठ और गले पर किस करने लगा वो गरम होने लगी | मुझे छुड़ाने की कोसिस करने लगी |

पर मैंने उनके ब्रा के हुक खोले और उनकी ब्रा निकाल कर उनके मम्मो को आजाद कर दिया | और उनको अपने हांथो से मसलने लगा भाभी को भी पूरा मज़ा आ रहा था | वो मदहोश होती जा रही थी | फिर उन्होंने मेरे सारें कपडे निकाल दिया | और मेरे लंड को बाहर निकाला मेरे लंड को देख कर वो डर गयी उन्होंने कहा रजत तुम्हारा हथियार तो बहुत बड़ा है और फिर उसको मुह मैं लेकर जोर से चूसने लगी |

मैं जोर–जोर से उनके मुह को चोद रहा था
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#6
मैंने अपना पूरा लंड उनके मुह में डाल दिया और तेज धक्के लगाने लगा शायद उन्हें सांस लेने मैं तकलीफ होने लगी क्योंकि उनकी आँखों से आंसू आ गए थे | मैंने अपना सारा रस उनके मुह में ही निकाल दिया और वो मेरा सारा माल गटक गयी | उसके बाद मैंने उनकी पैन्टी निकाल दी उनकी गुलाबी चूत पर एक भी बाल नहीं था | शायद आज ही साफ़ किये थे | मैंने अपना मुह उनकी चूत पर रख दिया और उनके चूत के दानो को अपनी जीभ से सहलाने लगा | वो मेरे सर को अपनी चूत में समां लेना चाहती थी |

अब हम 69 की पोजीशन मैं थे | वो मेरे लंड को बराबर चूस रही थी और अह्ह्ह आह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उम्ह्हह्ह यीएस्स्स्स ओह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह्ह उम्ह्ह्ह आह्ह्ह अह्ह्ह आह्ह्ह्ह की आवाज़े निकाल रही थी | अब वो बहुत गरम हो चुकी थी वो कहने लगी प्लीज अब मुझे मत तडपाओ डाल दो अपना लंड मेरी चूत मैं फाड़ दो इसे चोद कर भोसड़ा बना दो |

मैंने कहा रानी अभी इतनी भी क्या जल्दी है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत मैं डाल दी और उसे चोदने लगा फिर मैंने अपने लंड के सुपाडे पर थोडा थूक लगाया और एक झटके से मेरा आधा लंड उसकी चूत मैं उतार दिया और धीरे-धीरे झटके लगाने लगा उसके मुह से आह्ह्ह उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओह आह्ह्ह आह अहह आःह आह्ह ओह्ह आह्ह उम्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह येस्स्स्स ओह्ह्ह मेरे राजा और चोदो जोर से आह्ह ओह्ह अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह येस्स उम्ह्ह्ह आह्ह्ह ओह्ह्ह्ह आह्ह्ह की आवाज़े निकल रही थी इतनी मादक आवाज़े सुन के मेरा लंड और भी कड़ा हो गया मैंने धक्के और तेज़ कर दिए वो भी अपनी गांड उठा–उठा कर मेरा साथ दे रही थी |

मैंने उसके मम्मो को मसल कर लाल कर दिया था | और उसके होंठों को चूमे जा रहा था थोड़ी देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा वो झड़ने वाली थी | मैंने धक्के और तेज कर दिए और आह आह्ह्ह ओह्ह्ह आह्ह्ह ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओह्ह उम्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह उम्ह्ह ओह्ह्ह येस्स ओह्ह्ह आह्ह्ह ओह्ह उम्ह्ह्ह ओह्ह्ह यीएस्स्स्स करके झड गयी पर मेरा अभी बाकी था | मैंने अपना लंड उसकी चूत में से निकाल दिया और उसके दोनों मम्मो को चोदने लगा और उसके मम्मो पर ही अपना सारा माल निकाल दिया
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
ड़ी देर हम दोनों एक दूसरे के ऊपर पडे रहे फिर भाभी बाथरूम मैं चली गयी | मैं वही लेटा रहा मेरे दिमाग मैं बात आई की चलो बाथरूम सेक्स करते है मैं भी बाथरूम मैं घुस गया भाभी अपने स्तनों को मसल-मसल कर साफ़ कर रही थी | और अपनी चूत में ऊँगली डाले हुई थी | मैंने कहा भाबी मेरे होते हुए आप ऊँगली से काम चला रही है कितने शर्म की बात है | भाभी ने कहा अरे मेरे राजा बहुत देर कर दी न तुमने आने में इसी लिए मैं ऊँगली डालकर काम चला रही हूँ |

मेरा उस्ताद तो पहले से ही तैयार था
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#9
मैंने भाभी को एक तरफ दीवाल पर चिपका दिया और उनके गले से लेकर उनके मम्मो तक किस करने लगा वो फिर से गरम होंने लगी उसने मेरा लंड अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी मेरा लंड लोहे की राड की तरह सख्त हो चुका था | मैं धक्के लगाने लगा मैं उसके मुह को चोद रहा था पूरे बाथरूम में फ़च्छ फच की आवाज़ से गूँज रहा था|

मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया और उसकी चूत को चूसने लगा वो मदहोश हो चुकी थी चुदने के लिए एक दम तैयार थी मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा एक जोर के झटके से मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और धक्के लगाने लगा 20 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों अलग हुए
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
(30-09-2022, 05:48 PM)neerathemall Wrote:
पड़ोसन भाभी की मस्त जवानी


Shy Shy Shy
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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