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Adultery बहन की चुदक्कड़ जेठानी को खूब पेला
#1



































जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
क दिन मेरी बहन मिली.

उसने बताया कि उसकी जेठानी के दो लड़कियां हैं और दोनों सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं.
एक पूना में रहती है, दूसरी दिल्ली में.
उन दोनों को अच्छा खासा पैकेज मिलता है. उन दोनों लड़कियों के लिए उनके समकक्ष लड़के चाहिए.
मेरी नजर में एक लड़का बेंगलोर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर था.
मैंने उसके बारे में बताया.
मेरी बहन ने वापिस अपनी जेठानी को, मुझसे हुई बात बताई.
जेठानी (नंदा) ने तत्काल मुझे फोन लगाया और विस्तृत जानकारी लेकर बोली- मुझे लड़का देखना है.
जब मैंने उसे बताया कि पहले लड़के वालों का मूड भी देखना होगा.
तो वो बोली- आप एक दो दिन में बात करके बताना.
मैंने लड़के के घर वालों से बात की, वो तैयार थे.
उन्होंने बोला कि लड़का अभी ही कम्पनी की छुट्टी मना कर बेंगलोर गया हुआ है. अगर आपको देखना है तो बेंगलोर चले जाइए और देख आइए.
उन्होंने एड्रेस दे दिया.
मैंने नंदा को फोन करके सब वही बात बताई.
नंदा बोली- आप मेरे साथ बेंगलोर चलो. हम लड़का देख आते हैं. लड़का समझ में आ गया तो लड़के के घर वालों से बात कर लेंगे.
अभी तक मैंने नंदा को रूबरू कभी देखा नहीं था.
मैंने नंदा से कहा- ठीक है, समय मिलते ही चलते हैं.
नंदा बोली- इसमें समय का क्या देखना है. मैं फ्लाइट की टिकट बुक करवा कर टिकट की फोटो कॉपी आपके व्हाट्सएप्प पर भेजती हूँ.
कुछ ही देर में टिकट मोबाइल में आ गए.
टिकट कल शाम के छह बजे के थे.
ठीक समय पर अलग अलग एयर पोर्ट पहुंच कर मिले.
नंदा आकर्षक व्यक्तित्व की धनी महिला थी.
उम्र पचास-पचपन के बीच होते हुए भी उसने शरीर को मेन्टेन कर रखा था.
रंग रूप में सांवली सलोनी, आंखों पर चश्मा. विधवा होने के बावजूद मस्तिष्क पर बिंदी लगा रखी थी.
साइज भी कड़क थी. सीना करीब 42 इंच, पेट 40 इंच और नितम्ब 48 इन्च के रहे होंगे.
उसके बूब्स साड़ी में छुपे होने के कारण ज्यादा अंदाज नहीं लगा पाया.
खैर हम दोनों मिले.
लाउंज में जाकर पता किया फ्लाइट दो घंटा लेट थी.
सामान को बोर्डिंग करवा कर लाउंज में बैठ गए.
नंदा दिखने में उम्र अपनी उम्र से दस साल छोटी दिखती थी और बहुत खूबसूरत.
मैं कनखियों से उसे चोदने का विचार करने में लगा हुआ था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
हमारी सीट दो वाली थी, स्टेंडर्ड क्लास में भीड़ भी बहुत कम थी.

हमारे आजू बाजू की सीटें खाली नजर आ रही थीं.
हम बातें करते करते खुल कर बातें करने लगे.
नंदा ने एक पैग वाइन पीने की इच्छा जताई. वाइन वाला बैग हमारे पास ही था.
दो गिलास में वाइन डाल कर बिना पानी के पीने लगे.
नंदा मेरे से चिपक कर बैठी हुई थी.
जब हम एयरपोर्ट पर मिले, उस समय जो झिझक थी, वो इस समय खत्म हो गयी थी.
नंदा का मस्तिष्क अब वाइन के कारण अपने नियंत्रण से बाहर हो चुका था.
मैंने जब उसके हाथ पर हाथ रख कर अपने शरीर का वजन उस पर डाला, तब उसने मुझे स्वीकार करते हुए कहा- आज बहुत सालों बाद किसी मर्द के साथ बैठी हूँ.
बातें करते हुए मैंने पूछा- आपके पतिदेव के इस दुनिया छोड़ने के बाद आपकी रातें कैसे कटती होंगी.
मैं वाइन का नशा होने के कारण पूछ बैठा.
उसने भी उत्तर पूरे विस्तार से दिया:
आपका कहना सही है. उनके जाने के बाद बच्चियों साथ में सोती थी और उन अचानक जाने का गम उनकी नौकरी की जगह मुझे नौकरी मिल गयी. मेरा बॉस दयालु कहूँ या हरामजादा … पहले पहले उसने मेरा खूब ध्यान रखा. मैं ऑफिस कभी देर से पहुंच जाती, तो कुछ नहीं कहता. कई बार जब ऑफिस जाना नहीं होता, तब मेरी गैरहाजिरी को भी नजरअन्दाज कर देता.
जब मैं दूसरे दिन जाती, तो एक साथ लगा देती. मैं उसकी मेहरबानियों से अनजान थी.
एक दिन शाम को उसने काम के बहाने रोक लिया. चपरासी को भी छुट्टी दे दी.
सभी के जाने के बाद मुझे ऑफिस में बुला कर जब उसने मेरे ऊपर की मेहरबानियां बतानी चालू की और अंत में उसने रात साथ बिताने को कहा. साथ में कुछ कागज दिखाते हुए कहा कि ये कागज पढ़ लो.
मैंने वो कागज ले लिए. पढ़ने के बाद मालूम पड़ा कि इन कागजों से मेरी नौकरी जा सकती थी.
मैं बहुत रुआंसी होकर रोने लगी.
तब उसने दूसरे कागज निकाल कर पढ़ने को दिए.
उन्हें पढ़ा तो उन कागजों से मेरा प्रमोशन हो रहा था.
मेरे बॉस ने मुझे कुछ दिन दिए और कहा- दो चार दिन में सोच कर बता देना.
मुझे सोचते हुए चार दिन कब समाप्त हुए, मालूम ही नहीं पड़ा.
एक दिन बॉस ने मुझे अपने चेंबर में बुला कर पूछा, तब मैंने कुछ और वक्त माँगा.
मैंने बॉस को बताया कि मेरी दो लड़कियां हैं, घर पर रात को नहीं जाऊंगी तो वो शक करेंगी.
उसने कुछ दिन और दे दिए.
इस दरम्यान मैंने लड़कियों को बड़े शहर पढ़ने भेज दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
दो महीने तक एक दिन भी अकेले रहने नहीं दिया.

एक दिन अचानक बॉस का ट्रांसफर ऑर्डर आ गया. जाते जाते उसने बैक डेट में मेरा प्रमोशन कर दिया.
अब मैं ऑफिस में सबसे सीनियर हो गयी थी, साथ में सेलरी भी एक लाख से ज्यादा हो गयी थी.
बॉस की जगह एक लेडी आई. अब मैं तन्हा हो गयी.
एक दो माह में लड़कियों को वापिस बुलाया और उन्हें ऑफ़ लाइन पढ़ाई करवाई.
मैं बच्चियों के सामने वाइन पीती थी. बच्चियों को बता रखा था कि तुम्हारे पापा की याद आती है, तो अपना गम भुलाने के लिए पीती हूँ.
दो साल में बच्चियों की नौकरी लग गयी. इस बीच कोरोना के कारण वर्क फ्रॉम होम रहने के कारण मेरा भी समय आसानी से कटने लगा.
अब समय पर बच्चियों की शादी अच्छे लड़कों के साथ हो जाए, तो मेरी ये चिंता भी खत्म हो जाए.



तब मैंने नंदा से कहा- मेरे कंधे पर हाथ रख कर चलो अन्यथा गिर गयी तो तौहीन हो जाएगी.

नंदा ने एक हाथ में गले में डाल दिया.
मैंने नंदा से कहा- लंगड़ाते हुए चलने की कोशिश करो ताकि किसी को शक ना हो.
उसने अपने शरीर का पूरा भार मेरे ऊपर डाल दिया.
मैंने उसकी कमर को कस कर पकड़ लिया ताकि ऐसा ही लगे कि पैर में चोट होने की वजह से ऐसे चल रही है.
किसी तरह एयरपोर्ट के बाहर आकर टैक्सी पकड़ी, सामान रख कर किसी अच्छे होटल चलने को बोला.
टैक्सी वाले ने एक फाइव स्टार होटल में पहुंचा दिया.
होटल में कमरा लेकर कमरे में पहुंचे, नंदा कमरे में जाते ही बिस्तर पर गिर गयी.
साड़ी, ब्लाउज के ऊपर से हटी हुई थी. अब उसके बड़े बड़े बूब्स होने का अहसास हुआ.
दरवाजा बंद कर नंदा से पास लेटते हुए मैंने उसे अपनी ओर खींचा, तो नंदा ने कोई प्रतिकार नहीं किया.
मैं हिम्मत करके ब्लाउज पर हाथ फिराने लगा.
नंदा भी कई दिनों की प्यासी थी, वो जवाब में मेरे होंठ चूसने लगी.
मैंने ब्लाउज के एक हिस्से को ऊंचा करके एक दूध को बाहर निकाला और उसको अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
नंदा ने अपने शरीर को ढीला छोड़ कर आंखें बंद कर लीं और बूब्स से मिलने वाले आनन्द में खो गयी.
इस तरह उसके मम्मों को चूमता हुआ मैं दांतों से हल्के हल्के काटने लगा.
मैं उसके चूचे की बिटनिया को जब भी काटता, तब वो मेरे सर को पकड़ कर अपने दूध पर टिकाए रखती.
कुछ ही देर बाद नंदा ने दूसरा बूब्स बाहर निकाल दिया.
उसे भी इसी तरह चूमा और काटा.
अब दोनों बूब्स से मजा ले रहा था.
एक को चूमते हुए दूसरे को हाथ से मसलते हुए बड़ा ही अच्छा लग रहा था.
अचानक से नंदा का बांया हाथ मेरी पैंट पर आ गया और वो सहलाने लगी.
मेरा लंड पहले से तैयार था.
नंदा पैंट के बटन खोलने लगी.
जब बटन खुल गया तो नंदा ने एक पैर को ऊंचा किया और मेरी पैंट को नीचे कर दिया. उसने कुछ ही देर में मेरी पैंट को दोनों टांगों से आजाद कर दिया.
अभी भी मैंने अंडरवियर पहना हुआ था.
उसने दोनों हाथ से सरका कर अपने पैरों की सहायता से मुझे एकदम नंगा कर दिया.
लंड तन कर खड़ा था, उसने लंड को हाथ में ले लिया.
मेरा बड़ा और खड़ा लंड उसके हाथ में समा नहीं रहा था.
उसने लंड की लम्बाई नापने की कोशिश की, पर असफलता मिली.
अब नंदा ने खुद पलंग से उठ कर देखा और बैठ कर लंड का मुआयना किया.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- क्या इतना बड़ा और लम्बा भी आदमी का होता है?
मैंने फिर से पूछा- क्या कभी इस तरह के लंड को देखा नहीं?
वो बोली- अगर देखा होता तो उठती ही क्यों?
मैं चुप रहा.
नंदा आगे बोली- क्या ये मुझे परेशान करेगा?
जब मैंने उससे कहा- नहीं करेगा, आज से पहले जिनका तुमने लिया है, ये उनसे ज्यादा मजा देगा.
वो लंड सहलाती हुई बोली- फिर तो इसका मजा तो लेना ही होगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
आकर देखा तो नंदा के नंगा शरीर को देखकर मुग्ध हो गया.

उसने एकदम सुगठित बॉडी बना रखी थी. जितनी कपड़ों में खूबसूरत नहीं लग रही थी, उस से ज्यादा अब लग रही थी.
नंदा ने नीचे के बाल आजकल में ही साफ किए हुए लग रहे थे, इसका मतलब शायद ये था कि उसने मुझे बिना देखे ही चुदने का मन पहले से बना रखा था.
मैं नंदा के समीप बैठ गया.

नंदा का एकदम से मुझे तुम कहना, जरा अजीब सा लगा. अभी तक वो आप आप बोल रही थी.

मैंने भी बोतल को मुँह से लगा कर दो पैग जितनी पी और बोतल एक तरफ रख दी.
नंदा बोली- चलो पहले साथ में मिल कर नहाते हैं.
मैंने हामी भर दी.
हम दोनों बाथरूम में आ गए. शॉवर को चालू करके मैंने उसके साथ मस्ती करनी चाही.
वो बोली- हम यहां नहाने आए हैं, साबुन से शरीर की बदबू को दूर करके फिर बाहर बेड पर वो सब करेंगे.
अंतिम शब्द बोलते समय उसने आंख मार दी.
हम दोनों स्नान करने के पश्चात बेडरूम में आ गए.
नंदा को मैंने बेड पर गिरा दिया और पैरों से चुंबन देना शुरू किया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
मैं नीचे चूमते हुए से ऊपर तक आ गया. ऊपर आने के बाद नंदा को पीठ के बल लेटने को बोला.

फिर मैंने उस पर चुंबनों की झड़ी लगा दी. कभी कभी जिस चुंबन से नंदा आह करती थी, वहां दांतों से काट देता था.
इससे उसे मस्ती आ गयी थी.
वो मुझे खींचती हुई अपने सीने पर लाकर बोली- अभी बहुत हो गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
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[Image: Saree-hot-and-sexy-photoshoot-Anushka-Sh...0393-1.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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