21-02-2019, 11:42 PM
तुम्हारी रचना मौसी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
तुम्हारी रचना मौसी
|
21-02-2019, 11:42 PM
तुम्हारी रचना मौसी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-02-2019, 11:43 PM
(This post was last modified: 04-05-2022, 05:59 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मेरा नाम राज है और में अहमदाबाद गुजरात का रहने वाला हूँ और मेरे परिवार में मम्मी, पापा और मेरी एक एक बहन है जिसकी अब शादी हो गयी है और वो अब अपने ससुराल चली गई है। दोस्तों मेरी उम्र 27 है और में अपने पापा के साथ उनके बिजनेस में उनका हाथ बंटाता हूँ। दोस्तों एक दिन में शाम को अपने घर पर आया तो मुझे मेरी मम्मी ने बताया कि तुम्हारी रचना मौसी आई हुई है और वो अब करीब एक तक हमारे घर पर ही रहेगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-02-2019, 11:46 PM
मैंने अपनी मौसी को हैल्लो कहा और फिर हम सबने एक साथ में बैठकर खाना खाया। उनसे बात करने के बाद हमारी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई और वो अब हर रोज़ रात को देर तक टी.वी. देखती और गपशप करती और फिर ऐसे ही करीब बीस दिन निकल गये। दोस्तों मेरी मौसी दिखने में ज़्यादा गोरी नहीं थी, लेकिन उनका बदन बहुत हॉट, फिगर सेक्सी और उसकी हाईट 5.3 और बूब्स थोड़े ठीक ठाक थे और बहुत आकर्षक लगते थे, मौसी की उम्र करीब 31 थी और वो अब तक कुंवारी थी, वो बारिश का मौसम था। एक दिन में शाम को अपने घर पर थोड़ा जल्दी आ गया तो मम्मी ने मुझसे कहा कि में और तुम्हारे पापा किसी जरूरी काम से उनके एक दोस्त के घर पर जा रहे है और हम दोनों रात को थोड़ा देरी से वापस आएँगे और रचना को कुछ शॉपिंग करनी है तो तुम अपनी मौसी के साथ में चले जाओ। फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है मम्मी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-02-2019, 11:47 PM
(This post was last modified: 04-05-2022, 05:41 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैंने अपनी मौसी को हैल्लो कहा और फिर हम सबने एक साथ में बैठकर खाना खाया। उनसे बात करने के बाद हमारी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई और वो अब हर रोज़ रात को देर तक टी.वी. देखती और गपशप करती और फिर ऐसे ही करीब बीस दिन निकल गये। दोस्तों मेरी मौसी दिखने में ज़्यादा गोरी नहीं थी, लेकिन उनका बदन बहुत हॉट, फिगर सेक्सी और उसकी हाईट 5.3 और बूब्स थोड़े ठीक ठाक थे और बहुत आकर्षक लगते थे, मौसी की उम्र करीब 31 थी और वो अब तक कुंवारी थी, वो बारिश का मौसम था। एक दिन में शाम को अपने घर पर थोड़ा जल्दी आ गया तो मम्मी ने मुझसे कहा कि में और तुम्हारे पापा किसी जरूरी काम से उनके एक दोस्त के घर पर जा रहे है और हम दोनों रात को थोड़ा देरी से वापस आएँगे और रचना को कुछ शॉपिंग करनी है तो तुम अपनी मौसी के साथ में चले जाओ। फिर मैंने कहा कि हाँ ठीक है मम्मी।..........................................https://images.nfbusty.com/videos/swipe_...=10069&c=0
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-02-2019, 11:48 PM
(This post was last modified: 04-05-2022, 05:46 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
फिर में और मेरी मौसी बाईक पर शॉपिंग के लिए चले गए, मौसी ने अपनी खरीददारी में थोड़ा समय लगा दिया और जब वो अपने सभी कामों से फ्री हुई तो हम वापस लौटने लगे, लेकिन वापस आते समय ज़ोर से बारिश होने लगी और हमें कहीं भी रुकने के लिए जगह नहीं मिल रही थी, इसलिए हम लगातार चलते रहे और कुछ ही देर बाद हम दोनों पूरी तरह से भीग चुके थे और अब बारिश के साथ हवा भी बहुत ज़ोर से चल रही थी, जिसकी वजह से हम दोनों कांपने लगे थे और पूरे भीगे होने की वजह से हमें अब बहुत सर्दी लगने लगी थी, जिसकी वजह से मौसी की पकड़ अब मुझ पर धीरे धीरे बहुत मजबूत होने लगी थी। फिर कुछ देर बाद मैंने अपनी गाड़ी को थोड़ा साईड में लाकर रोक दिया और फिर मैंने मौसी से पूछा कि क्यों आप ठीक तो हो ना? तो उन्होंने मुझसे कांपते हुए कहा कि मुझे बहुत ठंड लग रही है, यह पानी और हवा दोनों ही बहुत ठंडे है। अब मैंने उनसे कहा कि बस थोड़ी ही देर में हम अपने घर पर पहुंच जाएँगे और मैंने अपनी बाईक को दोबारा स्टार्ट किया, लेकिन बारिश और हवा दोनों ही अचानक से बहुत ज़्यादा तेज हो गई थी। मौसी के एक हाथ में उनका कुछ सामान था और एक हाथ मेरे कंधे पर था। मैंने उनसे कहा कि आप थोड़ा ठीक तरह से मुझे पकड़कर बैठना। दोस्तों वो सर्दी की वजह से बहुत कांप रही थी, इसलिए उन्होंने तुरंत मेरी यह बात सुनकर अपना हाथ मेरे कंधे से हटा लिया और मुझे मेरी कमर से ज़ोर से कसकर पकड़ लिया। वो मुझसे अब पूरी तरह से लिपट गई थी और उनके बूब्स मेरी पीठ को छू रहे थे। में उनके बूब्स की गरमी और आकार को बहुत अच्छी तरह से महसूस कर सकता था और उस वजह से अब मेरे पूरे बदन में जैसे करंट लग गया था और उसकी वजह से मेरा लंड भी अब धीरे धीरे खड़ा हो गया और हम दोनों बस कुछ ही देर बाद अपने घर पर पहुंच गये और अब तक हम दोनों बिल्कुल भीग चुके थे। फिर हम घर के अंदर गये और मैंने लाईट को चालू किया और मैंने जैसे ही मौसी की तरफ देखा तो में उन्हें देखकर बिल्कुल पागल सा हो गया, क्योंकि भीगने की वजह से उनके पीले रंग की ड्रेस में अंदर की तरफ से नीले रंग की ब्रा और पेंटी साफ साफ दिख रही थी और में घूरता हुआ वो सब देखता ही रह गया और मौसी को भी मेरी नजर का पता चल गया कि में उनकी ब्रा, पेंटी को घूर घूरकर देख रहा हूँ और उन्होंने मेरा तनकर खड़ा हुआ लंड भी देख लिया था और वो थोड़ा सा शरमाई और मम्मी के रूम में चली गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-02-2019, 11:51 PM
(This post was last modified: 04-05-2022, 05:48 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
उनके अचानक से चले जाने की वजह से मुझे लगा कि मौसी मेरी गंदी खा जाने वाली नजर का बुरा मान जाएगी, लेकिन में क्या करता? में तो बिल्कुल पागल सा हो गया था, मुझसे अपने आप पर बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं हो रहा था और उस समय मम्मी और पापा भी घर पर नहीं थे और उस समय रात के 9:30 का टाईम हुआ था और बाहर बारिश अब भी बहुत ज़ोर से लगातार हो रही थी। फिर में भी अपने रूम में चला गया और अब में अपने कपड़े बदलने लगा और वापस बाहर आकर सोफे पर बैठकर टी.वी. देखने लगा। तभी इतने में मौसी भी वहां पर आ गई, उन्होंने ग्रे कलर की ड्रेस पहनी हुई थी और में वापस उन्हें घूरकर देखता रह गया, क्योंकि उनके उस बिल्कुल टाईट ड्रेस से उनके बूब्स के साथ साथ उनके पूरे गदराए हुए बदन का आकार बाहर से साफ साफ नजर आ रहा था। उस पल को में किसी भी शब्द में आप सभी को नहीं बता सकता कि में उस समय क्या महसूस कर रहा था और मेरे मन में अपनी सेक्सी मौसी के लिए क्या क्या चल रहा था।
फिर उन्होंने मेरी नजर से बचने के लिए मेरा ध्यान अपने सेक्सी जिस्म से हटाने के लिए मुझसे कहा कि हमें बहुत देर हो गई है, में हमारे लिए खाना बना लेती हूँ। अब मैंने उनसे कहा कि आपको इन सभी कामों को करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि मम्मी ने हमारे लिए खाना पहले से ही बनाया हुआ है, हमें तो बस खाना खाकर मज़े करने है। दोस्तों वो मेरी यह बात सुनकर शरारती तरीके से मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी। फिर हमने साथ में बैठकर खाना खाया और फिर से टी.वी. देखने लगे, लेकिन अब हम एक दूसरे से आँख नहीं मिला रहे थे, लेकिन हमारे मन में कुछ और ही था और शायद वो भी अपने सेक्सी जिस्म की आग में तड़प रही थी, लेकिन मुझसे छुपाने की कोशिश कर रही थी। फिर कुछ देर बाद मैंने उनसे कहा कि अब 10:30 बज चुके है और में अब सोने जा रहा हूँ। तभी मौसी ने तुरंत मुझसे कहा कि मुझे यहाँ पर अकेले में बहुत डर लग रहा है, तुम जब तक तुम्हारे मम्मी, पापा वापस नहीं आ जाए तब तक तुम यहीं पर मेरे पास बैठे रहो और मुझसे बातें करो प्लीज। फिर मैंने कहा कि ठीक है, आप कहती है तो में आपके पास बैठ जाता हूँ, लेकिन दोस्तों उसे क्या पता कि मेरे दिल में अब एक शैतान था, जो अपनी नींद से उठ चुका था और उनको अपने सामने देखकर मुझसे अब बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं हो रहा था, मेरा लंड अभी भी तनकर खड़ा था और मेरे धीरे धीरे झटके दे रहा था, जिसकी वजह से मुझे एक बहुत अजीब सा असहनीए दर्द हो रहा था, जिसको में अपने किसी भी शब्दों में नहीं बता सकता कि मुझे वो कैसा दर्द हुआ था? दोस्तों मौसी भी अब बार बार मेरे लंड को देख रही थी। फिर मैंने थोड़ी हिम्मत की और उनसे कहा कि मौसी आप बहुत सुंदर हो और सेक्सी भी, लेकिन मौसी मुझसे कुछ नहीं बोली और वो अपने सर को झुकाकर शरमाने लगी और फिर मुझे पूरा यकीन हो गया कि मौसी भी शायद अब तैयार है, मुझसे अब ज्यादा कंट्रोल नहीं हो रहा था और आख़िर मैंने मौसी को ज़ोर से अपनी बाहों में भर लिया और उनके होंठो पर किस करने लगा। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-02-2019, 11:52 PM
(This post was last modified: 04-05-2022, 05:50 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
फिर मौसी ने मुझे अपने से अलग करने की बहुत बार नाकाम कोशिश की, लेकिन वो जैसा चाहती थी वैसा नहीं कर पाई। मैंने उनको ज़ोर से पकड़ा और होंठो पर किस के साथ साथ उनके सुंदर बूब्स को दबाने लगा और धीरे धीरे सहलाने लगा। मेरे ऐसा करने के कुछ देर बाद उन्होंने विरोध करना बिल्कुल बंद कर दिया, वो अब धीरे धीरे गरम होने लगी थी और अब उनको भी मेरे साथ बहुत मज़ा आ रहा था, लेकिन वो कहने लगी कि यह सब बहुत ग़लत काम है, यह एक पाप है, प्लीज छोड़ दो, मुझे जाने दो प्लीज, लेकिन दोस्तों में तो एकदम पागल सा हो गया था, जिसकी वजह से मुझे कुछ भी नहीं सुनाई दे रहा था, में बस ज़ोर ज़ोर से बूब्स को दबाकर निचोड़ रहा था और उनके मुहं से जोश के साथ आह्ह्ह्ह उफ्फ्फफ्फ्फ़ की आवाज निकल रही थी, लेकिन वो अब भी मुझे अपने आपसे दूर करने की लगातार कोशिश कर रही थी, लेकिन दूर नहीं कर पाई। फिर में तुरंत अपने एक हाथ उनकी सलवार के ऊपर से उनकी चूत को सहलाने लगा और एक हाथ से बूब्स को भी दबाने लगा। अब मैंने अपना एक हाथ उनकी सलवार के नाड़े पर लगा दिया तो उन्होंने झट से मेरा हाथ पकड़कर मुझे रोक दिया और कहने लगी कि में तुम्हें अपने साथ यह सब नहीं करने दूंगी, प्लीज अब छोड़ दो मुझे। फिर मैंने उनके कान में धीरे से उसे समझाते हुए कहा कि प्लीज मुझे आज मत रोको, अगर तुम्हारे साथ ऐसी कुछ भी समस्या हुई तो में तुमसे शादी जरुर करूँगा और वैसे भी तुम मेरी मम्मी की बहुत दूर की बहन हो, हमारी शादी से शा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-02-2019, 11:57 PM
(This post was last modified: 04-05-2022, 05:56 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
शायद किसी को भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। फिर मौसी ने मुझसे कहा कि वो अब तक वर्जिन है और उसने कभी सेक्स नहीं किया, इसलिए यह सब करने से उन्हें बहुत डर लग रहा है। फिर मैंने उनसे कहा कि तुम मुझ पर विश्वास करो, में ऐसा कुछ भी तुम्हें नहीं होने दूंगा, में बहुत धीरे धीरे करूंगा, एक बार थोड़ा दर्द जरुर होगा, लेकिन फिर उतना ही मज़ा भी तुम्हें जरुर आएगा और अब अपने सभी कपड़े उतारो। फिर मौसी ने बहुत डरते हुए एक एक करके अपने सारे कपड़े उतार दिए। दोस्तों में तो उनके झूलते हुए बूब्स और कामुक चूत को अपने सामने देखकर बिल्कुल पागल सा हो गया और अब में उनको गोद में उठाकर अपने रूम में ले गया, उनको मैंने अपने बेड पर लेटा दिया और फिर एक भूखे जानवर की तरह की में उन पर टूट पड़ा। दोस्तों मैंने भी कभी सेक्स नहीं किया था, लेकिन सेक्स वीडियो बहुत बार देखे थे। मैंने उनको अब होंठो पर किस करना शुरू कर दिया और फिर बूब्स पर, गर्दन के नीचे पूरे बदन पर, उनके बूब्स को चूसने लगा, वाह क्या बूब्स थे एकदम मुलायम, लेकिन ज़्यादा मोटे नहीं थे, गोल गोल थे और में उनको देखकर पागल सा हो गया था, उनकी चूत के ऊपर थोड़े बाल थे। मैंने अब उनकी चूत को घिसना और अंदर ऊँगली करना शुरू किया, वो अब भी डर रही थी और आह्ह्ह्ह स्स्सीईईइ भी कर रही थी। फिर मैंने ज्यादा देर ना करते हुए जल्दी से उनके दोनों पैरों को थोड़ा सा फैला दिया और अब में नीचे झुककर उनकी कुंवारी चूत पर किस करने लगा, सूंघने लगा और अब मैंने उनकी चूत को अपने एक हाथ से थोड़ा सा खोल दिया, वो आकार में बहुत छोटी, लेकिन अंदर से बिल्कुल लाल थी और उस चूत के
[email=https://images.nfbusty.com/videos/swipe_right_with_percy_sires/photos/13.jpg?coupon=10069&c=0]https://images.nfbusty.com/videos/swipe_right_with_percy_sires/photos/13.jpg?coupon=10069&c=0[/email]ऊपर एक सुंदर छोटा सा हल्का गुलाबी रंग का दाना मुझे अपनी तरफ आकर्षित करने लगा और फिर मैंने जल्दी से उसके अंदर अपनी एक उंगली डालकर धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा। दोस्तों मेरे कुछ देर ऐसा करने के बाद वो थोड़ी ही देर में धीरे धीरे गरम होने लगी और अब उनका डर भी दूर हो गया। फिर मैंने दोबारा किस करना शुरू किया, में अपने एक हाथ से चूत में उंगली कर रहा था और एक हाथ से बूब्स को ज़ोर से दबाकर निचोड़ रहा था, लेकिन दोस्तों मैंने ऊँगली को अंदर डालकर महसूस किया कि मौसी की चूत अंदर से ज़्यादा टाईट नहीं थी, शायद वो अपनी चूत में कुछ ज्यादा ही उंगली किया करती थी। फिर मैंने उनसे पूछा कि आप अपनी चूत में कितनी बार उंगली डालती हो? फिर वो बोली कि तुम्हें इस बात का कैसे पता? तो मैंने कहा कि बस मुझे ऐसे ही पता चल गया और अब हम दोनों ने एक दूसरे को ज़ोर से अपनी बाहों में पकड़ लिया और एक दूसरे को लगातार किस करने लगे। तभी मैंने सही मौका देखकर अपना खड़ा हुआ लंड मौसी के हाथ में दे दिया और उनसे कहा कि अब आप मेरे लंड को अपने हाथ से हिलाओ और चूसो। फिर मौसी ने मेरा लंड अपनी मुट्ठी में ले लिया और धीरे से हिलाने लगी और वो थोड़ा सा शरमाई, क्योंकि वो आज पहली बार किसी का लंड अपने हाथ में पकड़कर उसे हिला रही थी, उसे यह सब करना बहुत अलग सा लग रहा था और थोड़ी देर लंड को हिलाने के बाद मैंने उससे कहा कि अब तुम मेरा लंड चूसो। दोस्तों वो मेरे मुहं से यह बात सुनकर थोड़ा सा हिचकिचाई, उसे यह काम करना तो बहुत दूर की बात थी, उसे यह बात सुनना भी बहुत अजीब लग रहा था, लेकिन वो एक बार यह काम भी करके जरुर देखना चाहती थी। फिर उसने अपनी दोनों आखों को बंद किया और मेरे लंड को अपना पूरा मुहं खोलकर धीरे धीरे अंदर लेकर चूसने लगी और लंड के सुपाड़े पर अपनी जीभ को घुमा रही थी, वो कुछ देर चूसने के बाद अब जब उसे जोश के साथ साथ मज़ा आने लगा तो वो लंड को पूरा अंदर बाहर कर रही थी और आईसक्रीम की तरह चूस रही थी। दोस्तों में तो अब बिल्कुल पागल हो गया था, वो जोश में आकर किसी अनुभवी रंडी की तरह मेरे लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़कर चाट रही थी और चूस रही थी और उसके थोड़ी देर लंड चूसने के बाद लंड बहुत कड़क हो गया, जिसकी वजह से मुझसे अब कंट्रोल नहीं हो रहा था। फिर मैंने लंड को तुरंत उसके मुहं से बाहर निकाला और उसके दोनों पैरों को पकड़कर पूरा खोल दिया और फिर अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के छेद के पास लगाया और थोड़ा ज़ोर लगाया। फिर वो थोड़ा सा चूत के अंदर चला गया, लेकिन मौसी के मुहं से आह्ह्हह्ह्ह्ह आईईईई की आवाज निकल गई और थोड़ी सी दर्द की वजह से चीख भी निकल गई। उन्होंने उस दर्द की वजह से मुझे बहुत कसकर पकड़ लिया और अब तक मौसी की चूत ने पानी छोड़ दिया था, जिसकी वजह से चूत बहुत गीली हो गयी थी, इसलिए मैंने सोचा कि लंड एक ज़ोर के झटके में फिसलता हुआ अंदर चला जाएगा। फिर मैंने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाल लिया और अचानक से एक ज़ोर का झटका लगा दिया, जिसकी वजह से मौसी की चीख निकल गई और वो तड़पने लगी, उछलने लगी।
22-02-2019, 12:00 AM
फिर मैंने तुरंत मौसी के दोनों हाथों को ज़ोर से पकड़ लिया। मैंने अब एक और ज़ोर से झटका लगा दिया और मैंने महसूस किया कि अब तक मेरा आधा लंड अंदर चला गया था और मौसी की आँख से आँसू बाहर निकलने लगे थे, लेकिन उन्होंने उस दर्द पर बहुत कंट्रोल किया। फिर मैंने ज़ोर ज़ोर से करीब 6-7 और लगातार धक्के लगाए तो मौसी की बहुत ज़ोर से चीख निकल गई। मैंने मौसी के होंठो पर किस किए और अब धीरे से झटके लगाने लगा और मौसी अब भी बहुत तड़प रही थी, लेकिन मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था। मैंने बस लगातार झटके लगाना शुरू कर दिया था और मेरे धक्को की वजह से ठप ठप की आवाज़ आ रही थी और में उसके बूब्स को ज़ोर से दबा रहा रहा था और कुछ देर बाद उसका दर्द जब थोड़ा कम हुआ तो वो भी आह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह कर रही थी और सिसकियाँ ले रही थी। अब मैंने कुछ देर धक्कों के बाद उनके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रख लिया और उनको मज़े से धक्के देकर चोदने लगा। दोस्तों मेरा लंड अब पूरा अंदर चला गया था और कुछ देर की चुदाई के बाद में अब झड़ने वाला था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
22-02-2019, 12:03 AM
तभी मेरे धक्को की स्पीड अचानक ही कुछ ज़्यादा हो गई और करीब ज़ोर के दो तीन धक्को के बाद में झड़ गया। मैंने अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया और में मौसी के ऊपर ही लेट गया, लेकिन थोड़ी देर बाद मुझे जब होश आया तो मुझे मन ही मन उस चुदाई का बहुत अफ़सोस हुआ कि यह मैंने क्या किया? मैंने देखा कि मौसी रो रही थी और मौसी की चूत से खून और मेरा वीर्य बाहर निकल रहा था और उस समय 11:30 का टाईम हुआ था। फिर मैंने मौसी के गाल पर, आँख पर, सर पर किस किया और मैंने उनसे कहा कि में तुम्हें कभी भी धोखा नहीं दूँगा। मैंने मौसी को टाईट हग किया तो मौसी अब थोड़ा मुस्कुराई और मैंने कहा कि में एक बार और तुम्हें चोदना चाहता हूँ, तो मौसी ने कहा कि नहीं मुझे बहुत दर्द होता है। फिर मैंने उनसे कहा कि क्या तुम मेरे लिए यह हल्का सा दर्द नहीं सहन कर सकती हो? वो शरमाई और फिर हम दोनों उठकर एक साथ बाथरूम में चले गये। वहां पर उसने अपनी चूत और मेरे लंड को पानी डालकर अच्छी तरह से साफ किया, लेकिन तब तक मेरा लंड उनके छूने की वजह से वापस खड़ा हो चुका था और मैंने फिर से उन्हें किस करना शुरू किया और उनके लटकते हुए बूब्स को दबाने लगा। फिर मैंने उन्हें इशारा किया कि तुम मेरा लंड चूसो। फिर वो तुरंत मेरा लंड चूसने लगी और थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा कि तुम अब दीवार की तरफ झुक जाओ और अपने दोनों हाथ दीवार पर लगाओ और उसने ठीक वैसा ही किया। मैंने पीछे से उसकी कमर को पकड़ा और घोड़े की स्टाईल में अपना कड़क लंड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और धीरे धीरे धक्के लगाने लगा और में उसके बूब्स को भी दबाने लगा, वो अब सिसकियाँ लेने लगी और उसको अब बहुत मज़ा आ रहा था, लेकिन कुछ देर बाद में ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगा और करीब दस मिनट बाद में दोबारा से उनकी चूत में झड़ गया ।।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 03:36 PM
मेरी मौसी का नाम अरुणिमा है. वो देखने में एकदम पटाखा लगती हैं.
उनको देखकर किसी की भी नीयत फिर सकती है. मौसी का फिगर 36-30-38 का है. वो एकदम रूप की रानी हैं. उनकी चूचियां इतनी बड़ी बड़ी हैं कि किसी का भी लंड उनके आमों को देखकर ही खड़ा हो जाएगा. फिर उनकी मटकती गांड का तो पूछो ही मत. मौसी के दो बच्चे हैं. वो अभी छोटे हैं. मेरे मौसा जी मुंबई में काम करते हैं और जल्दी घर नहीं आते हैं क्योंकि उनका उधर खुद का बिजनेस है. मैं अपने सेकेंड सेम का एग्जाम देकर घर आ रहा था. घर पर आ जाने के बाद मैं दोस्तों के साथ में इधर उधर घूमता रहता था. मेरा समय नहीं कट रहा था. एक दिन मौसी का फोन आया कि अजय अभी तुम्हारे एग्जाम भी ख़त्म हो गए हैं. मेरे घर आ जाओ ना. मैंने कहा- ओके मौसी, मैं अगले हफ्ते आपके घर आ जाऊंगा. जब मैं उनके घर पहुंचा तो उनके दोनों बच्चे घर पर नहीं थे. वो कहीं दोस्तों के साथ में खेलने गए थे. मौसी मुझे देखकर बहुत ही ख़ुश हुईं. मैं तो मौसी को देखकर पागल ही हो गया. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 03:36 PM
आपने देखा होगा कि औरत की उम्र बढ़ने के साथ उसकी इच्छाएं धीरे धीरे ख़त्म होने लगती हैं, चाहे वो सेक्स की हों या फैशन करने की हों.
मगर मेरी मौसी के अन्दर ये एक भी कमी नहीं थी. मुझे लगता था कि जैसे जैसे उनकी उम्र बढ़ रही है, वैसे ही उनकी सुन्दरता भी बढ़ रही है. मौसी मुझे बिठा कर अन्दर गईं और पानी लाईं. जब मौसी मुझे पानी देने के लिए झुकीं तो मुझे उनकी दोनों चूचियों के दर्शन हो गए. मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया. मैं एकदम से अवाक सा रह गया. मुझे देखकर मौसी ने कहा- क्या हुआ? मैंने कहा- मौसी आप अब भी कितनी अच्छी लगती हो. आपके सामने तो फिल्म की हीरोइन भी फेल हैं. मौसी ने हंसकर कहा- चल, मौसी को मक्खन मत लगा. मैं अकेले बोर हो जाती हूँ. मेरे दोनों लड़के हमेशा अपने दोस्तों के साथ खेलते रहते हैं. मेरी तो कोई बात ही नहीं सुनता है. तुम्हारे मौसा जी की तो पूछो ही मत, पता नहीं उन्हें क्या हो गया है. वो तो घर आने का नाम ही नहीं लेते हैं. मैं उनकी यह बात सुनकर बोल पड़ा- मौसी, हो सकता है मौसा अपने काम में ज्यादा बिज़ी हों. मौसी बोलीं- काम के साथ साथ घरवाली का भी ध्यान रखना जरूरी है. हम दोनों ऐसे ही कुछ समय बातें करते रहे. शाम हो गई थी. मौसी मेरे लिए नाश्ता बनाकर ले आईं और बोलीं- अजय लो नाश्ता कर ले, मैं खाना बनाने जा रही हूँ. मैं नाश्ता करने के बाद बाथरूम में गया. उधर मौसी की ब्रा पड़ी थी. मैंने मौसी की ब्रा को सूंघकर गहरी सांस ली. मेरा लंड हिलाने का मन करने लगा. मैं मौसी की ब्रा को लेकर अपने लंड पर लपेटकर लंड हिलाने लगा. आह इतना मजा आ रहा था कि पूछो ही मत. कुछ समय बाद मैंने अपना माल उसी ब्रा पर छोड़ दिया और बाहर आ गया. शाम को हम सभी जब खाना खाने के लिए बैठे, तो मेरा ध्यान तो मौसी के मम्मों पर ही था. मैं क्या बताऊं दोस्तो, मेरे तो लंड में खुजली होने लगी कि मैं कैसे भी करके अपनी मौसी की चुदाई करके ही रहूँगा. खाना खाने के बाद में मैं गेस्टरूम में जाकर सोने लगा. तभी मेरी मौसी मेरे पास आकर बोलीं- क्यों अजय क्या हुआ … बड़ी जल्दी सो रहा है? मैंने कहा- नहीं मौसी, अभी तो मैं जाग ही रहा हूँ. मौसी ने एक ऐसा कदम उठाया कि मेरे लंड में आग लग गई. मौसी मेरी रज़ाई में टांग डालकर बैठ गईं और कहने लगीं- और बता … घर का हाल चाल है. मैंने कहा- सब सही है मौसी. मेरी मौसी बहुत सारी इधर उधर की बातें बताने लगीं. सुनते सुनते मुझे और मौसी को कब नींद आ गई, कुछ पता ही नहीं चला. जब मेरी नींद रात को करीब एक बजे खुली, तो मुझे लगा मानो मेरे ऊपर कोई चीज से दबाव डाला जा रहा हो. मैंने अपनी आंखें खोलीं तो देखा मौसी की चूचियां मेरे सीने को एक बाजू से दबा रही थीं. मौसी की चूचियों को देखकर लगा कि मौसी की दोनों मुसम्मियों को निचोड़ लूं. पर मेरी हिम्मत नहीं हुई और मैं अपना लंड हाथ से हिलाने लगा. मुझे नहीं पता था कि मेरी मौसी की चूत बगल में ही चुदने पड़ी थी. बस मैं लंड हिलाने लगा और मौसी के मम्मों को देख देख कर अपनी वासना भड़काने लगा. मैं लंड जोर जोर से हिलाने लगा. मेरे लंड हिलाने से मैं भी हिल रहा था इसी वजह से मेरी मौसी की नींद टूट गई और वो जाग गईं. मैं धीरे से बिना हिले ऐसे ही अपने लंड को छोड़कर सोने का नाटक करने लगा. जब मौसी ने देखा कि मैं सो रहा हूँ, तो वो भी मेरे से चिपक कर सोने लगीं. जब मौसी ने मेरे कंबल को अपनी तरफ खींचा और अन्दर से पकड़कर सही करने लगीं. तभी मेरा खड़ा लंड उनके हाथ में आ गया. वो लंड छूकर डर गईं और देखने लगीं कि यह क्या है. उस समय मुझे अपनी मौसी को चोदने का भूत सवार था इसलिए मैंने सोने का नाटक जारी रखा, पर लंड में कहां दिमाग होता है. वो अकड़ा रहा. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 03:37 PM
मौसी ने जब मोबाइल की टॉर्च को लेकर कम्बल के अन्दर देखा, तो वो देखती ही रह गईं.
उन्होंने धीरे से मेरी तरफ देखा और जब मैंने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं की, तो वो धीरे से मेरा लंड पकड़कर सहलाने लगीं. मैं तो मन ही मन बहुत खुश हो गया था कि जो मैंने सोचा था, मेरा वो ही काम हो रहा है. मौसी मेरे खड़े हुए लंड को जोर जोर से हिलाने लगीं और जब मेरा लंड पूरे जोश में आ गया, तो भला मैं कैसे रुक सकता था. मैंने भी धीरे से करवट ली और जागने की एक्टिंग करने लगा. जब मैंने आंख खोली तो मौसी को देखकर कहा- मौसी, आप अभी जाग रही हो? मेरी मौसी बोलीं- अबे साले, तू भी तो कब से जाग रहा है. अपनी मौसी को पेलने के लिए लंड को बाहर निकाल रखा है. मैं हंस दिया. वो बोलीं- मैंने शाम को ही देख लिया था, जब तू मेरी ब्रा पर मुठ मार रहा था. उसी के बाद से मुझे तुझसे चुदने की खुजली होने लगी थी. इसलिए आज मैं तेरे साथ गेस्ट रूम सोने चली आई हूँ. यह बात सुनकर मैं बोला- मौसी, कसम से आपकी चूत मारकर मैं तो धनी हो जाऊंगा. वो बोलीं- अब मौसी की चूत की खुजली भी मिटाएगा या फिर ऐसे ही टाइम निकाल देगा! दोस्तो उनके मुँह से यह बात सुनकर मैं तो सातवें आसमान पर पहुंच गया और मौसी की चूचियों पर टूट पड़ा. मौसी ने रुका- कपड़े तो खोल लेने दे. मगर मेरे ऊपर तो चुदाई का भूत सवार था. मैंने उनकी ब्रा उतार डाली और उनकी चूचियों को पीने लगा. अपने दोनों हाथों से जितना हो सकता था, उतना दबाना शुरू कर दिया. मौसी जोर जोर से बोल रही थीं- आराम से … दर्द हो रहा है. मैंने कहा- मौसी, इस दर्द का भी अपना ही मजा है. उनकी बातों पर मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और लगातार कुछ मिनट तक उनका रस पीने के बाद मुझे उनकी चूत चोदने का मन करने लगा. मैंने मौसी से कहा- मौसी, आज मैं आपको जन्नत की सैर कराऊंगा. वो बोलीं- पहले अपने रॉकेट को तो इंजन में लगा. मैं मौसी की चूत में लंड लगा कर जोर जोर से पेलने लगा. मौसी मस्ती से चिल्ला रही थीं- आंह … मार दिया साले ने … अपनी मौसी की चूत का भोसड़ा बना दिया … आह. उनकी बातों को सुनकर मेरा लंड कामुकता से भरपूर हो रहा था. धकापेल चुदाई चलने लगी थी. आज मेरा लंड भी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था. करीब 15 मिनट की चूत की शहनाई बजाने के बाद मेरा लंड अपनी औकात भूल गया और रोने लगा. मैं मौसी के ऊपर ही गिर पड़ा. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 03:38 PM
मौसी ने कहा- बस हो गया … इतना ही दम था … इसी दम पर अपनी मौसी की चुदाई करना चाह रहा था. अभी तो मैं गांड नहीं मरवाई और तुम्हारा ये हाल हो गया है.
मैंने मौसी से कहा- मौसी अब नहीं … मेरा लंड खड़ा होगा, तब मैं आपकी गांड भी मारूंगा. यह सुनकर मेरी मौसी बोलीं- जो लंड मेरी चूचियों को देखकर खड़ा हो जाता है, उसे मुझे खड़ा करने में ज़्यादा दिक्कत नहीं होगी. मैं लेट गया. तभी मौसी मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं. उनके होंठ पड़ते ही मेरे लंड में पता नहीं कौन सा करंट आ गया. मौसी ने कहा- देखा, चल अब मेरी गांड मार ले, पता नहीं अब दोबारा कब मौका आएगा. यह सुनकर एक बार फिर से मैं जोश में आ गया और अपनी मौसी को झुकाकर उनकी गांड में अपना लंड पेल दिया. लंड घुसते ही मौसी चिल्ला पड़ीं- आह आराम से कर … पूरी रात है. इतनी जल्दी में हो, क्या कहीं जाना हैं? मैंने कहा- मौसी, आपकी गांड को देखकर मेरा लंड मेरे बस में नहीं है. मौसी ने हंसते हुए कहा- अच्छा अब तेरा लंड तेरे बस में नहीं है, ये क्यों नहीं कहता कि मौसी की गांड फाड़ना चाहता है. मैं लगातार उनकी गांड में लंड पेलते हुए उनके मम्मों को दबा रहा था. मेरा मन तो भर ही नहीं रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं अपनी मौसी के साथ में ही रहने लगूँ और जब मेरा मन करे, तब उनकी चूत में अपना लंड डालकर अपने मन को तृप्त करता रहूँ. एक घंटे मौसी की चुदाई करने के बाद मुझे नींद आने लगी और मैं अपना लंड मौसी की चूत में डालकर उनके मम्मों को मुँह में लेकर सो गया. सुबह जब मेरी नींद खुली तो देखा मौसी नाश्ता बना रही थीं और उनके बेटे कोचिंग चले गए थे. मेरे दिमाग़ से कल का सीन ही नहीं हट रहा था. मौसी को किचन में देखकर मेरा लंड फिर से तन गया. मैं धीरे से मौसी के पीछे गया और कसके पकड़ लिया. मौसी बोलीं- क्या हुआ … कल का भूत अभी भी नहीं उतरा है क्या? तो मैंने हंसकर कहा- मौसी, आपके इन मम्मों को जब भी देखता हूँ ना तो मेरे लंड में सुरसुरी होने लगती है. मौसी ने हंसकर कहा- यही बात है तो आ जाओ और अपने लंड को एक बार और तृप्त कर लो. मैंने कहा- आपके दोनों बालक किधर गए हैं? मौसी ने कहा- घर पर कोई नहीं है, कल का जो बाकी हिसाब रह गया था, आज वो पूरा चुकता कर लो. मैं अपनी मौसी की चूचियों को फिर से मुँह में डालकर पीने लगा. मेरी मौसी फिर से गर्म होने लगीं और उनके मुँह से मादकता भरी सिसकारियां निकलने लगीं. मैंने उन्हें किचन की पट्टी पर लेटाकर उनकी चूत में अपनी उंगली डाल दी और उन्हें फिर से उत्तेजित करने लगा. मौसी चिल्लाकर कह रही थीं- अजय बेटा, अपनी मौसी की चूत जल्दी से मार दे, मुझे इतना परेशान ना कर. मैंने उनसे कहा- मौसी, मैं आपकी चुदाई कितनी भी करूं, लेकिन मेरा मन ही नहीं भरता है. मौसी बोलीं- कुछ दिन और रुक जा, मैं तेरा मन भर दूँगी. मैं मान गया और Xxx मौसी चुदाई धकापेल करने लगा. फिर शाम को खाना खाने के बाद मौसी करीब 11 बजे रात में मेरे पास दुल्हन की तरह सज कर आईं और बोलीं- आज मेरी सुहागरात का दिन है, मगर मेरा पति मेरे पास नहीं है. मैंने बोला- अगर बीवी आप जैसी हो तो मैं आपका पति बनने को तैयार हूँ. वो बोलीं- बन जा. फिर मैंने मौसी को बेड पर लेटाया और कहा- ओके मेरी जान, आज हमारी सुहागरात है, आप ऐसा समझो. मौसी ने कहा- हां आज तुम्हारे साथ पहली बार ही है. आज से तुम ही मेरे पति रहोगे. जो पति अपनी पत्नी की जरूरतों को पूरा ना करे वो किस काम का पति? फिर मैंने मौसी की घूँघट उठाया और उनके होंठों पर किस करने लगा. मैं उनकी जवानी से फिर से खेलने लगा. कुछ समय होने बाद मैंने उनकी साड़ी को उतारना शुरू कर दिया. उनकी पूरी साड़ी और बाकी कपड़े उतारने के बाद वो मेरे सामने पूरी नंगी हो गई थीं. मैं अपना लंड उनकी चूत में डालकर पेलने लगा और उनके होंठों पर किस करते हुए मैंने उन्हें रात भर में 4 बार चोदा. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 04:59 PM
मेरी हमउम्र मौसी और मैं
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 05:00 PM
वम्बर 2016 से जब मैं ताजा ताजा गबरू हुआ था, मैं 12 वीं में था। सेक्स का पूरा ज्ञान जो इंटरनेट से बटोरा गया था,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 05:00 PM
मौसी मुझसे 3 साल बड़ी थी, बचपन में हम साथ ही खेला करते थे। उसका तो पता नहीं … पर सिम्मी का साथ मुझे बहुत पसंद था. मैं शायद चाहता था उसे।
गाँव गया तो प्लान बना मामाजी के घर घूमने का … तो मैं पापा की बाइक लेकर जा पहुंचा मेरे ननिहाल। जहाँ इंतज़ार कर रही थी एक कहानी अन्तर्वासना के एक पाठक को अन्तर्वासना लेखक बनाने का। जैसा कि होता है यहाँ मेरा जोरदार स्वागत हुआ… मामा-मामी और सब बड़ी खुशी से मिले. पर मेरी नजरें तो मेरी हिरोइन को ढूंढ रही थीं। लेकिन पता चला मोहतरमा अभी कॉलेज से ही नहीं लौटी। गलत समझे आप … मौसी पढ़ती नहीं, एक निजी कॉलेज में छोटे बच्चों को पढ़ाती थी। गांव की लड़कियों की ये बहुत बड़ी परेशानी है, 12वीं के बाद वो तो पढ़ना चाहती थी लेकिन पास में कोई कॉलेज नहीं था। पढ़ाई के लिये बाहर जाना पड़ता, जिसकी इजाजत लड़कियों को और वो भी पंजाबी परिवार में, सम्भव ही नहीं जी! खैर दोपहर तक सिम्मी घर आई और आते ही उफ्फ! सारे जिस्म के रक्त को महज 7 इंच के एक अंग में भर देने वाली वो जफ्फी (झप्पी)। कसम से मुझे और मेरे उस्ताद दोनों को ताउम्र याद रहेगा वो लम्हा। “शोना कहाँ था साले इतने दिन?” बचपन से ही सब मुझे प्यार से शोना बुलाते हैं। और फिर ये-वो, ऐसा-वैसा तमाम बेमतलब बातें और इन सब से परे मेरा दिल और दिमाग फिर उसी साजिश में को बनाने में जुटे थे जिसे पहले भी कई बार बनाया गया पर अंजाम देने की बारी आते ही हिम्मत जवाब देने लगती थी। कैसे? कैसे सामने बैठी इस कन्या के गुलाबी अधरों का रसपान कर पाऊंगा मैं? 34″ साइज़ के वो मम्मे कब मसल पाऊंगा जो आतुर हैं पीले पंजाबी सूट के नीचे पहनी हुई सफेद ब्रा से बाहर आने को? उसके 36 के प्योर पंजाबी स्टाइल चूतड़ों पर चपत लगाने का ख्याल ही … “शोना!!! कहाँ खोये हो? गर्लफ्रैंड की याद आ रही है?” “गर्लफ्रैंड? मौसी वो क्या होता है” मैंने आँख मारते हुए कहा। “वैसे कितनी हैं तेरी?” सवाल से भी अजीब जवाब, वो भी सवाल के रूप में। मैं इनसे बातों में न तो जीत पाया था न ही जीत पाऊंगा। “एक थी मौसी … छोड़ के चली गयी.” “अब?” “नहीं है।” “झूठ?” “झूठ मतलब?” “मतलब तू शहर में रहता है फिर भी और सिंगल?” “यार बताया ना … अभी ब्रेकअप हुआ है और शहर में क्या लड़कियां पेड़ों पे लगती हैं। गए तोड़ी और कहा कि आजा मेरी सेटिंग बन जा!!” सेटिंग शब्द अधिक दबाव के साथ और सिम्मी की तरफ इशारा। दूसरी ओर उनकी मुस्कान जैसे मेरा ये वाक्य कोई पारदर्शी माध्यम हो और उस पार मेरे इरादे। सिम्मी के साथ मैं पहले भी फ़्लर्ट करता रहता था. वो सिर्फ स्माइल करती और इससे आगे बढ़ने की मेरी हिम्मत नहीं थी। आंखें तो शायद उसकी भी कुछ कहना चाहती थीं आज। “सिम्मी, शोना चाय पी लो.” यह आवाज रसोई से थी. हम बरामदे में पहुंचे, देखा मामी रसोई से चाय-नाश्ता लिये चली आ रही थी। दिखने में मामी भी कुछ कम नहीं थी; 26 की थी और 2 साल पहले ही शादी हुई उनकी । भरा हुआ शरीर 36″ 30″ 36″। शादी के बाद और भी क़यामत लगने लगी थी। हिरनी जैसी चाल … ऊपर से बिल्लौरी आंखें … ओ एम जी … खैर इनकी कहानी बाद में। चाय पीते पीते मेरे दिमाग मे एक आईडिया आया- “मौसी खेत घूमने चलें? “चल, मैं भी बहुत दिनों से गयी नहीं हूं।” प्रति उत्तर जिसकी मुझे आशा थी। शाम 4 बजे मैं और मौसी दोनों ट्यूबवेल पे थे। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 05:00 PM
“मौसी चलो नहाते हैं.”
मेरी अगली चाल। मैं ये सब कर तो रहा था पर अंदर से फटी पड़ी थी। अगर मौसी को अच्छा न लगा तो? मेरी हरकत के बारे में अगर उन्होंने घर पे बता दिया तो? “‘छपाक!!’ तब तक मौसी टंकी में कूद चुकी थी। हमारे गाँव से में पानी को सहेजने के लिए ट्यूबवेल-पाइप के मुहाने के नीचे सीमेंट की टंकियां बनाई जाती हैं। “शोना तू भी आ जा। ” “यार आप दो कदम आगे हो, मैंने यूं ही पूछा था, ठंड लग जायेगी आपको।” “ओ मतलबी कहीं के … तेरे लिए ही घुसी हूं पानी में। तू आ रहा है या बाहर आऊँ?” “नहीं मैं…” और फिर 5 मिनट बेमतलब बहस। मैं सिर्फ दिखावे के लिए मना कर रहा था; अंदर से तो मैं कब का टंकी में कूद चुका था। भीगी हुई मौसी का वो शरीर से चिपका हुआ सूट पानी और लंड दोनों में आग लगाने के लिये काफी था। आख़िरकार मैदान में उतरना ही पड़ा। टीशर्ट मैंने उतार दी थी सिर्फ जीन्स पहने हुए था। पानी से खेलते खेलते मुझे शैतानी सूझी और मैंने मौसी पे पानी उछालना शुरू कर दिया। जिसकी उम्मीद थी … बदले में मौसी भी मुझपे पानी उछालने लगी। मैंने एक बार दूर तक नज़र घुमाई … आसपास कोई नहीं था। ट्यूबवेल के पास एक कोठरी भी बनी हुई थी जो शायद मामू ने ही बनवाई थी ट्यूबवेल से संबंधित औजार रखने के लिये। अब मुझे काम बनता नजर आया। पता नहीं कहाँ से मुझमे हिम्मत आ गयी और मौसी की 26″ की कमर को दोनों हाथों से जकड़कर मैंने पानी में डुबकी लगा दी। ये सब पलक झपकते ही हो गया; सिम्मी को संभलने का मौका ही नहीं मिल पाया। अब स्थिति यह थी कि मैं पानी के अन्दर मौसी से सटा हुआ था और उनके जिस्म से निकलती वो प्राकृतिक महक … ओह्ह! और मौसी गुस्से में मुझे घूर रही थी। जैसे-तैसे उन्होंने खुद को मुझसे छुड़ाया और लगी मुझे गालियां देने- साले मेरे सारे बाल भीग गए! तू … इससे आगे वो कुछ कह पाती कि पता नहीं मुझमें कहाँ से इतनी हिम्मत आ गयी, मैंने सिम्मी को दोबारा दबोचा और इस बार सीधे होंठों पे हमला कर दिया। छूटने की तमाम बेकार-नाकाम कोशिशें! सिम्मी मौसी के गुलाबी अधरों का रसपान करने में मैं पूरी शिद्दत के साथ लगा हुआ था। लगभग 5 मिनट स्मूच के बाद मैंने उसके होंठों को आजाद किया। सिम्मी मेरे इस दुस्साहस से हक्की-बक्की थी- तेरी हिम्मत कैसे हुई? तू घर चल … भैया को तेरी करतूत बताऊँगी साले! मासी माँ समान होती है. तुझे शर्म नहीं आई मेरे साथ ऐसा करते हुए? और फिर चटाक!!! मेरे मुँह पे सिम्मी के नाज़ुक हाथों से एक तमाचा रसीद हुआ। मैं भी ठहरा एक नम्बर का ड्रामेबाज! आंखों से झर-झर बहते आंसू और सॉरी … सॉरी … सॉरी के सटीक समागम ने 5 मिनट लगाए मौसी को पिघलाने में। “अच्छा ठीक है, तू रो मत, नहीं बोलूंगी।” “थैंक यू मौसी … थैंक यू सो मच।” “अब ज्यादा बन मत, ये बता तेरी इतनी हिम्मत कैसे हो गयी? सबके सामने तू बड़ा शरीफ़ बनता है।” “वो मौसी मैं …” “वो मौसी तू क्या?” “यार … प्यार करता हूं आपसे!” “क्या… रियली? तो बताया क्यों नहीं अब तक?” जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 05:01 PM
“हां … जैसे आज तो आपने हां कर दी हो!”
“वो अलग मैटर है। और वैसे भी तेरी गर्लफ्रैंड है ना?” “है नहीं … थी!” “हां तो?” “तो आप बन जाओ!” “जूते मारने तेरे सिर पे मैंने … बेशरम” “हद है यार … पहले बोलती हो बोला नहीं, अब बोल दिया है तो मान नहीं रही हो।” “किस अच्छा करना आता है तेरे को, कहाँ से सीखा?” “सीखा तो बहुत कुछ है, आप मौका तो दो।” “चपेड़ न दूँ बुत्थे पे तेरे?” (चपेड़= थप्पड़, बुत्थे= चेहरा) अब मुझे एहसास होने लगा था कि हो न हो ये लौंडिया आज ठुक के ही मानेगी. और इसके साथ ही दौड़ना शुरू किया, राइट आर्म, ओवर द विकेट, अंपायर को पार करते हुए … निर्वस्त्र का ये लाजवाब यॉर्कर और सिम्मी क्लीन बोल्ड!!! “ठीक है, मारो चपेड़! मैं आपसे बात ही नहीं करूंगा। घर जा रहा हूं … बाय।” इतना बोलकर पलटा ही था मैं … कि मौसी ने पीछे से हाथ पकड़कर मुझे खींचकर अपनी ओर घुमाया … और चटाक!!! एक और थप्पड़ … दूसरा थप्पड़! इससे पहले मैं सम्भलता, तीसरा थप्पड़ … थप्पड़ों के बाद ताबड़तोड़ चुम्बनों की बरसात और उसके बाद हमारे होंठ ऐसे मिले जैसे कभी किसी समय इनके बीच कोई जगह रही होगी. ये सोचना भी जैसे मुमकिन न हो। 10 मिनट का वो दीर्घकालीन चुम्बन दो जवान जिस्मों की अन्तर्वासना जगाने के लिए काफी था। अब हमने कोठरी की ओर रुख किया। कोठरी में काफी पुआल (धान का कचरा) रखी हुई थी। झटपट उसी का गद्दा बना लिया गया। एक अजीब विचार मेरे मन में आया कि मामा ने अपना सामान सुरक्षित रखने के लिए ये कोठरी बनवायी होगी. और अब इसी कोठरी में उनकी बहन चुदने वाली है। कोठरी में सिम्मी तो साहब … टूट पड़ी मुझ पे! टीशर्ट मैं उतार चुका था, मेरे नंगे जिस्म के अनगिनत चुम्बन लेती जा रही सिम्मी को मैं सिर्फ देख रहा था। देख रहा था कामुकता की मूरत बनी अपनी उस मौसी को … जिसे पाने की लालसा आज पूरी होने जा रही थी। अब बारी मेरी थी, सबसे पहले मैंने सिम्मी के कमीज को उतार दिया। सफेद ब्रा उसके गोरे जिस्म पे खूब जच रही थी। और मौसी के सफेद चिट्टे मम्मों की तो कुछ बात ही अलग थी। माथे पर एक चुम्मी के साथ शुरुआत करने के बाद मैं धीरे-धीरे नीचे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगा। मेरे दोनों हाथ अपना काम बखूबी कर रहे थे। इनके द्वारा मौसी की कमर और नितंबों का जायजा लिया जा रहा था। मौसी भी अब कामुक आहें भरने लगीं थी- आह … शोना रुक जाओ … मत करो … मुझे कुछ हो रहा है … रुको आहह। मैं अपने काम में पूरी शिद्दत के साथ जुटा हुआ था। किस करते हुए जैसे ही मैंने मौसी की ब्रा को खोला, 36″ आकार के कबूतर बाहर आकर मुझे काम-आमंत्रण देने लगे। उसपे गुलाबी रंग के निप्पल और भी सेक्सी लग रहे थे। मैं अपने हाथों को रोक न सका और सिम्मी के बूब्स को पकड़कर जोर से दबा दिया। उम्म्ह… अहह… हय… याह… सिम्मी कराह उठी- धीरे करो, लग रही है. मौसी की बात को अनसुना कर मैं अपने काम में जुटा रहा। अब मैं एक हाथ से मौसी के बूब्स दबा रहा था, वहीं दूसरे सलवार के ऊपर से मौसी के जांघों के उस संधिस्थल को तलाश रहा था जो अब तक लीटर भर पानी फेंक कर लगभग आधी पुआल को नहला चुका था। अब मौसी का एक मम्मा मेरे मुंह में था और दूसरा हाथ में। दूसरे हाथ से मैं मौसी की सलवार का नाड़ा खोलने में कामयाब हो चुका था। अब तक मौसी मुझपे सवार थी लेकिन अब ऊपर आके बागडोर मैंने संभाल ली थी। मौसी के जिस्म का को चाटने चूसने के उपरांत मैंने मौसी की सलवार उतार दी, जिसे उतारने में मौसी ने मेरी पूरी मदद की। चिकनी गोरी जांघों पर हल्के हल्के रोयें। दूसरी लड़कियों से कुछ अलग ज़िस्म था मौसी का। मौसी की कच्छी भीगकर पारदर्शी हो चुकी थी। कोई ड्रामा नहीं … कोई ना-नुकुर नहीं … सिर्फ मेरे बालों को सहलाती जा रही मौसी मेरा पूरा साथ देने के साथ लगातार आहें भर रही थी। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 05:01 PM
अब मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे। मेरा 7″ का लंड देखकर मौसी कोई खास हैरान नहीं हुई बल्कि मेरे लिंग को हाथ में पकड़कर हिलाने लगी।
मौसी को इस तरह देखकर मुझे कुछ अजीब लग रहा था। तभी मौसी ने बिना कुछ कहे मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया। यह और भी चौंकाने वाला था। अब सिसियाने की बारी मेरी थी। यह खेल खेलते खेलते हमें 45 मिनट से ज्यादा का समय हो चुका था। इधर मेरे लंड में दर्द हो रहा था, उधर मौसी की चूत झरना बनी हुई थी। मैंने अब ज्यादा देर करना उचित नहीं समझा; मैंने मौसी को लेटने का इशारा किया। लेटने के बाद सिम्मी की गीली हो चुकी पैंटी मैंने उतार दी। क्या चूत थी यार सिम्मी की … कुछ पल के लिए मैं उसे निहारता ही रह गया। सिम्मी की गोरी, अंदरूनी हिस्से के आस पास लालिमा लिए हुए, हल्के रोयें युक्त उस चूत को चाटने का मौका निर्वस्त्र कभी नहीं छोड़ सकता। और वही किया मैंने। वाह…! लाजवाब, लजीज… एक भीनी यौन दुर्गन्ध जो मुझे उस समय दुनिया के सारे पुष्पों को मिलाकर बनाये गए इत्र से अधिक मनभावन लग रही थी। एक ही बार में सिम्मी की चूत के ऊपर … और अंदर मौजूद रस को गटक गया मैं। अब खेल समाप्ति की ओर जा रहा था … चूत को चाटना छोड़कर मौसी को आंख मारकर मैंने उनकी दोनों हवा में उठा ली; तेजी से खींचकर मौसी को अपने करीब लाने के बाद मैंने उनकी योनि पर अपना लिंग रख दिया … और वो अहसास शायद मैं कभी नहीं लिख पाऊंगा। मैंने मौसी से कहा- मौसी थोड़ा दर्द होगा, पहली बार में सबको होता है। सह लोगी? बदले में सिम्मी सिर्फ मुस्कुरा दी। जैसे मैंने वो सवाल पूछ लिया हो जिसका उत्तर वो पहले से जानती है। लन्ड को सेट करने के बाद, मैंने उत्तेजना और एक ही बार में लक्ष्य को बेधने की धुन में एक जोरदार शॉट मारा। पर ये क्या बिना किसी बाधा के मेरा लन्ड चूत की जड़ तक पहुंच चुका था। और मौसी रोना तो दूर की बात … चिल्लाई तक नहीं। सिर्फ एक लंबी आहह हहह के साथ मेरा पूरा लौड़ा लील लिया था सिम्मी ने। मेरा माथा ठनका … मौसी के चेहरे को देखा, आँसुओं का नाम-ओ-निशान नहीं, बल्कि वो अब भी हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी। बोली- क्या हुआ बेटा? तुझे क्या लगा सिर्फ तू ही गर्लफ्रैंड-बॉयफ्रेंड खेलना जानता है? ख्वाब था मेरा कि सिम्मी की सील मैं ही तोडूंगा लेकिन इसकी माँ की चूत … मेरा दिमाग खराब हो चुका था। मन ही मन मैं उसे हजारों गालियां दे रहा था। मेरा लन्ड अब भी उसकी चूत में जड़ तक समाया हुआ था। उधर सिम्मी ने मुझे शांत देखकर नीचे से खुद झटके मारने शुरु कर दिए। मैंने भी सोचा ‘अब जो हुआ सो हुआ’ और पिस्टन की सी गति से सिम्मी की चूत का भुर्ता बनाना शुरू कर दिया। “आहह हह … उफ़्फ़ … कम ऑन बेटू … चोद दे मुझे … चोद कुत्ते … तेज आहह हहहह …” सिम्मी वासना के वशीभूत होकर लगातार सिस्कार रही थी और मैं इन सब बातों को बेमतलब समझकर सारा गुस्सा सिम्मी की नाजुक चूत पर निकलने में लगा हुआ था। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
|
« Next Oldest | Next Newest »
|