16-08-2022, 05:32 PM
भाभी का देवर नादान
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Adultery भाभी का देवर नादान
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16-08-2022, 05:32 PM
भाभी का देवर नादान
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
16-08-2022, 05:33 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
16-08-2022, 05:34 PM
जब मैंने ये लाइन सुनी, भाभी माँ का देवर नादान तो मुझे एक वाकया याद आ गया, जो मैं आज आपके साथ सांझा करने जा रहा हूँ, तो लीजिये बड़े प्यार से पढ़िये।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
16-08-2022, 05:34 PM
अब मर्दों के लंड तो ये इतना सा पढ़ कर ही खड़े हो गए होंगे, सोचने लगे होंगे कि मेरी भाभी दिखने में कैसी है, कैसे मैंने उसे पटाया और कैसे चोदा।
और भाभियों की चूत में भी सुरसुराहट हुई होगी कि हाय … अपने छोटे देवर से चुदवाती है, कैसा मज़ा आता होगा। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
16-08-2022, 05:37 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
16-08-2022, 05:40 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-08-2022, 06:05 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
18-08-2022, 04:48 PM
बात यूं है कि हमारे घर में हम सिर्फ चार लोग थे, माँ पिताजी और हम दो भाई। मगर हम दोनों भाइयों में उम्र का 12 साल का फर्क था। बड़े भैया से मैं बहुत डरता था। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
18-08-2022, 04:49 PM
मैं बहुत छोटा था, जब मेरे माँ और पिताजी गुज़र गए। उसके बाद मेरे बड़े भैया ने ही मुझे पाल पोस कर बड़ा किया, मुझे पढ़ाया लिखाया भी।
भाई तब 22 साल के थे जब उन्होंने शादी करी। हमारे घर में मुक्ता, उनकी बीवी, मेरी बड़ी भाभी बन कर आई। शुरू से ही भाभी ने मुझे अपने बच्चों की तरह ही प्यार दिया। शादी के पाँच छह साल तक सब ठीक चला, मगर न जाने क्यों भाभी के कभी औलाद नहीं हुई। मतलब वो गर्भवती तो होती थी मगर हर बार उनका गर्भपात हो जाता। वो बहुत रोती बिलखती. मगर भगवान को न जाने क्या मंजूर था। मैं अपने बड़े भैया को बाबूजी और भाभी को भाभी माँ कहता था। दोनों मुझे अपने बेटे की तरह ही प्यार करते थे और मैं भी दोनों को ही अपने माँ बाप की तरह ही सम्मान देता हूँ, आज भी। भाभी माँ का देवर नादान जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
15-01-2024, 05:13 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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