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Adultery मैं इधर उधर भी मुंह मार लेती हूं
#1
मैं इधर उधर भी मुंह मार लेती हूं
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
मैं २८ वर्ष की शादीशुदा महिला हूं और मेरा बेटा पांच साल का हो चुका है तो भी उसके पीछे काफी समय देना होता है और पहले की तरह जिंदगी जीना अब संभव ही नहीं की पति के ऑफिस जाते ही शॉपिंग के लिए निकल जाऊं या अपने लवर्स के साथ शारीरिक संबंध बनाऊं फिर भी मौका निकालकर मजे ले लेती हूं लेकिन मेरे हब्बी का मेरे में दिलचस्पी कम हो चुकी है और वो अब महीने में दो तीन बार ही मेरे साथ सेक्स करते हैं लेकिन मैं इधर उधर भी मुंह मार लेती हूं तो बदन की आग शांत रहती है। ये बात कुछ महीने पहले की है जब मुझे पति के साथ ससुराल जाना पड़ा, इटावा शहर में ही मेरे सास और ससुर जी रहते थे तो कभी कभार ही वहां जाना होता था, मैं तो पहले की तरह ना अपने बदन को फिट रख सकी और ना ही गुप्तांग शेप में रहे, संभव था, मेरे बूब्स की साईज बड़ी हो चुकी थी तो उस पर ४० सी साईज की ब्रा लगाकर ही उसे संभालती हूं, बदन थोड़ा मांसल तो चूतड गोल और गुंबदाकार लेकिन करती भी क्या आखिर पिछले ७ साल से शारीरिक संबंध बना रही थी। हम सब इटावा सुबह सुबह पहुंचे फिर घर जाकर फ्रेश हुए और मैं चाय पीकर आराम करने लगी तो घर में एक नौकर दिखा जोकि हाल फिलहाल ही यहां काम करने आया था और उसको देखते ही मैं समझ गई की ये गबरू जवान मुझे खुब मजे देगा, पति तो दो दिन बाद काम पर लौट जाते और मुझे यहां एक सप्ताह रुकना था तो सोचने लगी की नौकर हरीश को ही अपने वश में किया जाए ताकि देहाती लन्ड का स्वाद मिले और मैं दो दिनों तक तो पति, ससुर और सासू मां की सेवा में ही लगी रही फिर पति के जाते ही अब थोड़ी छूट मिल गई और मैं हरीश को एक सुबह बोली ” चाय बन जाए तो लेकर गार्डन में ही आ जाना
( वो मुझे देख बोला ), जी मालकिन ” और मैं गार्डन में कुर्सी पर बैठ गई, नवंबर का महीना था इसलिए धूप की रोशनी अच्छी लग रही थी और मैं हरीश के आते ही जानबूझकर अपने नाईट गाऊन को थोडा ऊपर खिसका ली, घुटनों के ऊपर ड्रेस किए बैठी थी और हरीश टेबल पर प्याला रखा फिर जाने लगा तो मैं बोली ” इधर सुनो हरीश
( वो मुड़ा फिर मेरे पास आया ) जी मालकिन बोलिए
( मैं बोली ) मेरे कमर में हल्का दर्द सा है तुक मार्केट से एक दवाई लेते आओगे
( वो मुझे देख बोला ) जी जरूर लेकिन कमर की दर्द तो मालिश से ठीक हो जाएगी
( मैं बोली ) बिल्कुल सही तो तुमको मालिश करना आता है
( वो मेरी बात सुनकर अचंभित रह गया ) वो मुन्नी है ना उससे करवा लीजिए
( मैं उसे देख मुस्कुराई ) ठीक है अभी तुम जाओ ” फिर हरीश चला गया, लगभग १०:३० बजे मेरी सासू मां, ससुर जी साथ में मेरे बेटे को लेकर मार्केट चले गए तो मैं घर में अकेली थी और फिर सोची की मालिश करवा ही लूं।
हरीश की उम्र ३० साल होगी तो लंबाई ५ फिट १० इंच के आसपास, चौड़ी छाती तो कसरती बदन और उसको देख मैं समझ गई थी की ये मेरे जिस्म की आग बुझा देगा साथ ही मैं तो भोजन बदल बदलकर करने वाली में से हूं ताकि तन की भूख बरकरार रह सके और मुन्नी जब मेरे पास आई ” दीदी अब एक डेढ़ घंटे में आती हूं
( मैं बोली ) ठीक है ” मैं तो घर में अकेली थी और फिर हरीश को देखने के लिए गार्डन की ओर गई तो वो पौधों में पानी दे रहा था, मुझे देखा और फिर मैं बोली ” मेन गेट लॉक करके अंदर आओ ” मैं बेडरूम गई तो साथ में तेल की शीशी भी थी और थोड़ी देर बाद हरीश अंदर आया तो उसकी आहट सुनाई दी ” रूम में आ जाओ ” वो लुंगी और फूल साईज का बनियान पहन रखा था, रूम में आया तो मैं बेड पर बैठी हुई थी ” जरा मेरी कमर मालिश कर दो फिर स्नान करके नाश्ता कर लूंगी ” वो दुविधा में था और मैं नाईट गाउन पहने पैर सीधा किए बैठी हुई थी तो हरीश मेरे पैर के पास बैठ गया और मैं करवट लेकर लेट गई फिर अपनी नाईट गाउन के डोरी को खोल दी, उसकी ओर देखी तो वो मेरे पैर से लेकर मोटे चिकने जांघो को देख रहा था ” क्या हरीश तुझे देखने से मेरी दर्द कम नही हो जाएगी, तेल की शीशी लो और मालिश करो
( वो मेरे पैर से लेकर घुटनों तक तेल गिराया तो मैं चित लेटी हुई थी और हलके हाथों से मालिश करने लगा ) तुम अच्छे से मालिश करो
( हरीश के हाथ का स्पर्श मुझे मजा देने लगा ) लेकिन मालकिन कमर की मालिश के लिए तो कपड़ा उतारना होगा
( मैं नाईट गाऊन कमर तक उठा दी ) फिलहाल तो ठीक है इतने की तो मालिश करो ” और मेरे नग्न जांघो सहित पेंटी पर उसकी नजर थी, भले ही नजर झुकाए वो मेरे पैर से जांघ तक तेल की मालिश कर रहा था लेकिन मुझे तो यकीन था कि हरीश मेरे बदन को छूकर मेरे पर लट्टू हो जायेगा फिर क्या था, ओखली में मूसल का धक्का पड़ेगा और मैं देख रही थी की हरिश का हाथ मेरे जांघो पर है तो उसका चेहरे देखने लायक था। हरीश अब मेरे जांघ के ऊपरी हिस्से को सहलाने लगा तो उसका हाथ मेरी पैंटी पार जा रही थी और मैं करवट होकर बोली ” अब जांघों के पिछले भाग का मालिश कर दे
( वो मेरे मोटे जांघो के ऊपर तेल लगाकर मालिश करने लगा तो मेरे बदन में अब सुरसुरी होने लगी ) आह उह बहुत अच्छे और ऊपर
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
( वो मेरे चूतड पर हाथ फेरने लगा ) और ऊपर तो पेंटी है मैडम
( मैं उसकी ओर देखी ) तो क्या हुआ, उतारना नही आता ” और मैं उसके हाथ की मालिश का आनंद चूतड पर ले रही थी, अब दीपा खुद ही पेंटी की हुक खोल उसे बाहर की फिर चित हो गई तो हरीश मेरी बुर को गिद्ध दृष्टि से देखने लगा और मैं बेशरम की तरह बेड पर उठकर बैठी फिर उसके लन्ड को लुंगी पर से पकड़ दबाने लगी ” मुझे भी दिखा हरीश तेरा औजार तो सिर्फ देखकर ही टाईट हो गया ” और मैं उसके कमर में हाथ लगाए लुंगी खोल उसके लन्ड को पकड़ ली तो वो मेरी हरकत से अचंभित था, उसके हाथ पकड़ अपने बूब्स पर लगाई और उसके गाल चूम ली ” अब तुझे क्या हर कुछ सिखाना होगा
( हरीश मेरे गाल चूमने लगा साथ ही बूब्स को मसल रहा था ) नही सब जानता हूं लेकिन आप ऐसी मालिश कराएंगी नही पता था ” और वो मेरे तन से नाईट गाऊन उतार मुझे नंगा कर दिया तो मैं जांघ को जांघ पर रख बुर को छुपा रखी थी, मैं हरीश के चेहरे को चूमने लगी तो वो भी मेरे गाल चूमता हुआ चूची दबाए जा रहा था और फिर क्या था, मुझे बेड पर लिटाकर मेरे चेहरे पर चुम्बन देने लगा तो मुझे लगा की इसे सेक्स की पूरी छूट दी जाए। मेरे नंगे बदन पर लेटा हुआ नौकर हरीश मेरे गाल चूमते हुए बूब्स दबाने में लगा था और फिर वो मेरे ओंठ पर ओंठ रख चुम्बन देने लगा तो मुझे लगा की इसके साथ फ्रेंच किस्स का मजा नही लिया जाए और हरीश को तो मानो उसकी मुराद पूरी हो चुकी है और वो मेरे गर्दन से लेकर छाती तक को चूमने लगा और मैं हाथ बढ़ाए उसके मुसल लन्ड को पकड़ हिलाने लगी ” उई आह हरीश अब मेरी चूची चूस ना
( हरीश मेरे छाती के उपर मुंह लगाए पूछा ) मैडम सब कुछ दीजिएगा ना ” मैं मुस्कुरा कर हामी भरी फिर वो मेरे चूची को मुंह में लिए चूसने लगा, चूची इतनी बड़ी हो चुकी थी कि पूरी तरह से किसी के मुंह में नहीं समाता और हरीश चूची चूसता हुआ दुसरे स्तन को दबाए जा रहा था और मेरे पूरे बदन में आग लगी हुई थी, उसके बाल सहलाते हुए सिसकियां भर रही थी ” आह आआआह बुर में इतनी खुजली हरीश तू तो मालिश के बहाने मुझे नंगा कर क्या करने लगे
( वो डरकर मेरे चूची मुंह से निकाल पूछा ) मैडम तो मैं जाऊं
( मैं उटकर बैठी और उसके लन्ड पकड़ सहलाने लगी ) अबे साले मेरे बदन में जो आग लगा दिया तेरा बाप बुझाएगा, जाकर लौड़ा धो कर आ ” और उसका लन्ड सही में सबसे अधिक लंबा और मोटा था, मैं तो दर्जनों के लन्ड को चख चुकी थी लेकिन इस देहाती का लन्ड मुझे बेहद मजा देने वाला था।
हरीश नंगे आया तो मैं उसे बेड पर लेटने बोली फिर उसके लन्ड पकड़ चूमना शुरु की तो वो हाथ बढ़ाकर मेरी चूची दबाने लगा ” तेरी शादी हो गई है हरीश
( वो बोला ) जी मैडम
( मैं बोली ) दीपा बोल, क्या मैडम और मालकिन बोले जा रहा है ” और फिर उसके सुपाड़ा को मुंह में ली फिर पूरी तरह से मुंह खोल उसके आधे लन्ड को अंदर लेकर चूसने लगी तो मैं उससे नजरें मिला रही थी और हरीश बेचारा मेरे चूची दबाता हुआ ” आह उह पहली बार मेरा लन्ड किसी औरत की मुंह में है
( मैं लन्ड निकाल बोली ) तो मेरा ये भी ( बुर की ओर इशारा की ) चाटना होगा
( वो बोला ) जरूर दीपा ” और मैं उसके लन्ड मुंह में लिए चूसने लगी लेकिन अबकी बार मुंह का झटका देते हुए मुखमैथुन कर रही थी विवेक हो या उनके दोस्त, सरदार जी का लन्ड ली थी या किसी और का लेकिन हरीश का लन्ड काफी कड़ा था जिसे चूसते हुए मैं अब गर्म हो चुकी थी और मेरी बुर से रस निकलने लगा तो मैं उसके लन्ड मुंह से निकाल वाशरूम गई फिर मुत्कर फ्रेश हुई और वापस बेड पर आकर लेट गई। हरिश मेरे नग्न जिस्म देख मस्त था फिर मैं जांघो को फैलाई तो वो बुर सहलाने लगा और बुर चाटने के लिए पहले तो एक तकिया लिया तो मैं चूतड ऊपर उठाई और वो तकिया गांड़ के नीचे डालकर अब बुर पर ओंठ लगाए चूमने लगा, मैं तो कामुक हो चुकी थी और हरीश के ओंठ का प्यार बुर को मिल रहा था तभी मैं उसकी ओंठ का एहसास बुर के ऊपरी हिस्से में पाने लगी तो उसकी उंगली बुर में थी ” आह उह उई हरीश चूत में जीभ घुसाओ ना चाटो बहुत मजा आएगा ” तो भी वो बुर को उंगली से कुरेदता रहा और जांघो को चूम रहा था फिर उंगली निकाल बुर में जीभ घुसाए चाटने लगा तो मैं अब चुदवाने को तड़प रही थी ” आह उह कुत्ते की तरह बुर चाट ना डियर ” और वो कुछ देर में ही बुर से जीभ निकाल दिया, मुझे देखता हुआ पूछा ” आप क्या वो रखी हैं
( मैं हंस दी ) वो क्या हरीश
( वो नजर फेरते हुए बोला ) कंडोम ” मैं बोली ” कंडोम की जरूरत नहीं बस डाल दो और खुजली मिटा दो ” तो हरीश मुझे चोदा लेकिन उस दास्तान को जानने के लिए इंतजार कीजिए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
मैं इसकी फिक्र नहीं करती की लोग जानेंगे तो क्या सोचेंगे आखिर नौकर हो या मालिक मैं तो बिस्तर पर उनके परफॉर्मेंस को देखती हूं और हरीश मेरे पैर से लेकर जांघो तक की मालिश तेल से कर दिया फिर वो मेरे कहने पर ही मुझे नंगा किया और फिर मैं उसके लन्ड चूसकर अपने मुंह की प्यास बुझाई तो वो मेरी बुर को चाटा साथ ही चूची को चूसकर मस्त हो गया। मैं फ्रेश होकर बेड पर आई तो हरीश नंगे बैठा हुआ था और उसका लम्बा, मोटा लन्ड देख सांसे थम सी गई, बुर तो आखिर लन्ड के हिसाब से एडजस्ट कर लेता है लेकिन उसका लन्ड ज्यादा ही मोटा लग रहा था और मैं बिस्तर पर लेटकर जांघें फैलाई ” देखो हरीश अपनी मर्दानगी दिखाने के चक्कर में जल्दी खल्लास मत हो जाना
( वो मेरे जांघो के बीच लन्ड पकड़े बैठा ) क्या मतलब दीपा
( मैं बोली ) आराम से करना ताकि तेरा औजार देर तक टिके और मुझे संतुष्टि मिले ” वो मुझे देख हंस दिया फिर लन्ड को बुर में घुसाने लगा, लन्ड बुर में घुस रहा था तो लग रहा था मानो कोई खंजर चुभ रहा है फिर भी मैं उसके लन्ड को बुर में बर्दास्त कर रही थी और अचानक से वो जोर का धक्का दे मारा तो मेरी बुर में असहनीय दर्द होने लगा और मैं चिन्ख पड़ी ” आह ओह फाड़ दिया निकाल ले मेरी बुर का कचूमर निकल गया ” लेकिन हरीश चोदने में लीन था और मुझे लग रहा था मानो मैं कच्ची कली हूं और आज़ ही बुर की सील तुड़वा रही हूं, हरिश का लन्ड बुर में पूरी तरह घुस भी नही रहा था और उसकी मोटाई के कारण मैं असहज महसूस कर रही थी। हरिश चोदता हुआ मेरे एक बूब्स पकड़े दबाने लगा और मैं ” आह उह इस उई जरा धीरे ” सिसकते रही लेकिन दो तीन मिनट तक चुदाई थी की बुर में लन्ड आराम से दौड़ने लगा और मैं अब एंजॉय करने लगी, उसको देख इशारे से तन पर लेटने बोली और वो मेरे ऊपर सवार हुए धकाधक चुदाई करने लगा तो मैं उसके गाल चूमते हुए मस्त थी, दो जिस्म का आपस में घर्षण मजेदार होता है तो हरीश का लन्ड मुझे मजा दे रहा था और मैं उसके कमर में हाथ लगाए गाल चूम ली फिर चूतड उछालना शुरू की तो वो मेरे ऊपर सवार हुए चोदने में मस्त था ” मैडम कब तक यहां रुकिएगा
( मैं चूतड उछाल उछाल कर चुदाने में लीन थी ) क्या मैडम मैडम लगा रखे हो, सप्ताह भर रूकने का प्लान है बाकी प्लान एक्सटेंड कर लूंगी अब उतरो ” मैं चूतड कुछ पल उछाली की बुर रसीली हो गई और मैं दुबारा रस छोड़कर थकान महसूस करने लगी, बेड पर से उठकर वाशरूम गई फिर फ्रेश होकर आई तो वो बेड पर बैठा था और मैं बोली ” उठो हरीश अब खड़े खड़े ” , मैं दीवार की ओर चेहरा की फिर दोनों हाथ दीवार पर रख घोड़ी की तरह हो गई।
दीपा अपने पैर के बल पर जांघो को फैलाकर खड़ी थी तो हरीश मेरे चूतड को सहलाने लगा और फिर झुककर चूतड चूमना शुरू किया तो मैं पीछे मुड़कर बोली ” अभी जल्दी में डाल दे फिर रात को आराम से करना
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
( वो मेरी बुर में लन्ड घुसाने लगा ) जब तक हूं हर रात बारह बजे दरवाजा खोल दूंगी फिर दो घंटे मजे देकर चले जाना ” और हरीश का मुसल लन्ड मेरी बुर में गपागप अंदर बाहर होने लगा तो मैं चूतड हिलाना शुरू की, जानती थी की इस देहाती का लन्ड इतनी जल्दी बुर में रस नही झाड़ेगा इसलिए तेजी से चूतड हिलाते हुए चुदाने लगी और हरीश पूरे गति से बुर चोदने में मस्त था ” उह उई आह आह ओह और तेज चोद चोद मुझे मैं तो साली रण्डी बन गई ” और हरीश का लौड़ा तो मेरे कोमल जननांग को धक्का दे देकर मस्त कर रहा था, मैं अपनी बुर की चिकनाहट से खुश थी कारण की साले का गधा सा लन्ड तेजी से बुर में दौड़ रहा था और वो मेरे सीने से लगे बूब्स को पकड़ दबाए जा रहा था तो मैं चूतड हिला हिलाकर अब थकान महसूस करने लगी ” हरिश अब जरा रुको ” वो लन्ड बुर से निकाल लिया तो मैं अब बेड पर लेट गई और हरीश मेरे जांघो को फैलाकर लन्ड बुर में घुसाने लगा, बुर तो फैल चुकीं थीं लेकिन इसका ९ इंच लंबा लन्ड बुर में पूरी तरह समा नहीं रहा था फिर भी चूतड ऊपर नीचे कर चुदाने लगी और हरीश अब मेरे ऊपर लेटकर गाल चूम लिया ” आप बहुत्त सेक्सी हैं
( मैं उसके कमर पर हाथ रख चूतड उछालने लगी ) फिर भी मेरे पति मुझ पर ध्यान नहीं देते ” और बुर की गर्मी के कारण उसका लन्ड चुभने लगा तो पिछले ८-९ मिनट से चुदाई जारी थी तो उसको अपने ऊपर लिटाकर चूतड उछाल उछाल कर चुदाने में मस्त थी और मेरी मुंह से सेक्सी आवाजें ” आह उह उई और तेज बस करो झड़ जाओ ना मेरी बुर को शांत कर दो
( हरीश मेरे गाल चूम लिया ) जरूर दीपा रानी मेरा लन्ड भी अब सुस्त पड़ने वाला है ” और मैं चूतड स्थिर कर चुदाने लगी तो उसके छाती से मेरी कोमल बूब्स रगड़ खा रही थी, उसका लन्ड पूरी तरह से टाईट और गर्म था, पता नही इस साले का लौड़ा कब झड़ेगा और हरिश अब चोदता हुआ हांफने लगा ” दीपा चूतड उछाल ना मेरा रस निकलने पर है ” और मैं चूतड उछालने लगी, उसके लन्ड से वीर्य का फव्वारा निकल पड़ा तो मेरी बुर वीर्य से लबालब भर गई, कुछ देर वो मेरे ऊपर लेटा रहा तो मैं उसके गाल चूम ली ” अब रात को लेकिन कंडोम खरीद लेना ” फिर वो उठा और लुंगी पहन कमरे से चला गया तो मैं वाशरूम घुसी फिर अपने बुर को साफ की और स्नान कर साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट पहन लेट गई, कुछ देर बाद सासू मां ससुर जी और बेटा वापस आया फिर दिन सबके साथ बातें करने में गुजर गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
(16-08-2022, 03:04 PM)neerathemall Wrote:
मैं इधर उधर भी मुंह मार लेती हूं

[Image: 04a68e97e8538a722d9e815f05d40b44.gif]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#7
(16-08-2022, 03:04 PM)neerathemall Wrote:
मैं इधर उधर भी मुंह मार लेती हूं

[Image: 04a68e97e8538a722d9e815f05d40b44.gif]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
(16-08-2022, 03:04 PM)neerathemall Wrote:
मैं इधर उधर भी मुंह मार लेती हूं

[Image: 81528913_249_79a9.jpg]
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#9
[Image: 81528913_228_44ab.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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