16-08-2022, 02:05 PM
लंड की लालसा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.

लंड की लालसा
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16-08-2022, 02:05 PM
लंड की लालसा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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16-08-2022, 02:07 PM
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अपने परिवार में इकलौती लड़की हूँ और मेरे दो बड़े भाई हैं और उनकी पत्नियाँ यानि मेरी 2 भाभी और मम्मी पापा हैं।मेरी उम्र उस समय 19 साल थी। मैं दिखने में काफी आकर्षक हूँ, और शरीर भी भरा भरा है. मेरा रंग भी बिलकुल साफ और गोरा है। मेरा फ़िगर भरा भरा है, स्तन का साइज़ 38 है और नितंब का साइज़ भी उतना ही है। मेरा परिवार एक रसूकदार परिवार है जिसकी समाज में बहुत इज्ज़त है। पर मेरे घरवाले बहुत सख्त है और मुझ पर काफी बंदिशें थी। मैं ज्यादा कहीं नहीं आ-जा सकती थी बिना इजाजत के! मेरे भाई भी मुझ पर नज़र रखते थे। मेरा भी मन करता था बाकी लड़कियों की तरह कि मेरा भी कोई लड़का दोस्त होता, मैं भी बाहर घूमती फिरती, फिल्म देखने जाती वगैरा वगैरा। पर घर वालों के डर से नहीं कर सकती थी। मेरे भाइयों का रौब इतना ज्यादा था कि लड़के खुद ही मुझसे बच के रहते थे. एक दो बार मेरे भाइयों ने दो लड़कों की पिटाई कर दी थी क्योंकि उन्होंने मुझसे दोस्ती करने की कोशिश की थी। इस कारण मैं खुद भी अपने भाइयों से डरती थी। उनका मेरे प्रति इतना सतर्क होना तो सही है. पर आखिर मैं भी तो इंसान ही हूँ, मेरी भी इच्छायें थी आम लड़कियों की तरह! लेकिन मैं अपने मन को काबू करके और अपनी इच्छाओं को दबा के जी रही थी। मैं अपनी भाभी की बहुत चहेती थी. यूं कहिए कि पक्की सहेली की तरह थी। एक दो बार तो भाभी ने मुझे अपने कम्प्यूटर पर ब्लू फिल्म देखते हुए पकड़ लिया था पर उन्होंने किसी से कुछ नहीं कहा था। आखिर वो भी समझती थी कि मेरे मन में क्या चल रहा होगा। खैर ऐसे ही मेरा टाइम कट रहा था। मैं कॉलेज में तो थी पर सिर्फ सहेली ही बना सकती थी, किसी भी लड़के को दोस्त नहीं बना सकती थी। पर ज़िंदगी के अपने प्लान अलग ही होते हैं, तो कोई कितना भी ज़ोर लगा ले होता वही है जो लिखा होता है। तो आगे की घटना कुछ यूं घटित हुई। मेरी भाभी की एक बहुत अच्छी सहेली की शादी थी कुछ दिनों में … जिसके लिए उन्हें मायके जाना था कुछ दिनों के लिए। और इत्तिफाक़ से मेरे कॉलेज भी कुछ दिनों के लिए बंद थे। पर समस्या यह थी कि भैया को छुट्टी नहीं मिल रही थी काम से! तो भाभी ने कहा- कोई बात नहीं, मैं अकेली ही चली जाऊँगी, आप परेशान मत हो। मैंने सोचा कि मैं खाली हूँ कुछ दिन तो … और भाभी के साथ घूम कर मेरा भी थोड़ा हवा पानी बदल जाएगा. तो मैं जिद करने लगी कि मैं चली जाऊँगी भाभी के साथ। शुरू में तो भाभी ने कहा- अरे तू परेशान मत हो, मैं एडजस्ट कर लूँगी। पर मेरा भी मन था बाहर जाने का तो मैंने घर वालों को मना ही लिया भाभी के साथ जाने के लिए। इसलिए भैया हम दोनों को भाभी के मायके में छोड़ के तुरंत वापस चले गए। भाभी के परिवार में सिर्फ उनके मम्मी, पापा और एक छोटा भाई हैं। शादी में अभी 3-4 दिन थे इसलिए हमने शादी में पहनने के लिए अच्छे से कपड़े ले लिए थे वहीं से। भाभी के यहाँ आकर मुझे भी बहुत खुला खुला सा लग रहा था क्योंकि उनके परिवार की तरफ से कोई रोकटोक नहीं थी। तो शादी का दिन भी आ गया, सिर्फ मैं और भाभी शादी में जा रहे थे. हम दोनों अच्छे से तैयार हो गयी। भाभी ने मेरे लिए शादी में पहनने को एक बहुत ही सेक्सी सा हल्के गुलाबी रंग का लहंगा चुन्नी खरीदा था। हालांकि कपड़े सुंदर तो बहुत थे पर मैंने ऐसे कपड़े कभी नहीं पहने थे। भाभी ने बोला- पहन ले नेहा, यहाँ कोई नहीं देखेगा घर वाला, तू टेंशन मत ले। अब मुझे भी थोड़ी सी हिम्मत आयी तो मैंने भी खुश होकर पहन लिया। उधर भाभी ने भी लाल रंग की साड़ी खरीदी थी और बहुत सेक्सी सा ब्लाउज़ लिया था। वो ब्लाउज़ तो कमर पे सिर्फ दो डोरी से बंधा हुआ था और आगे भी स्तन कुछ हद तक चमक रहे थे। मुझे नहीं पता था कि भाभी ऐसे कपड़े भी पहनती हैं। खैर हम दोनों तैयार हो गयी. हमने बाल भी खोल लिए और स्टाइल से मेकअप भी कर लिया। भाभी मुझसे बोली- ये क्या नेहा, इस लहंगे के साथ चोली इस तरह से नहीं पहनते! थोड़े से स्तन दिखने चाहिए, वरना सेक्सी नहीं लगती लड़की! और तेरे तो स्तन मेरे से भी बड़े हैं. तो थोड़े दिखने भी चाहियें। पहले तो मैंने थोड़ी ना नुकर सी करी, पर बाद में मान ही गयी। भाभी ने मेरी चोली थोड़ा सी नीचे को सेट कर दी, जिससे मेरे गोरे और बड़े बड़े स्तन चोली में से झाँकने लगे और चिकने होने के कारण चमक भी रहे थे। फिर उन्होंने मुझे शीशे की तरफ घूमा दिया और बोली- अब देख। मैं आश्चर्य से अपने आप को देख रही थी। मैं बहुत सुंदर लग रही थी और थोड़ा सा शरमा भी रही थी। जब हम दोनों अच्छे से तैयार हो गयी तो मैं भाभी से बोली- चलें क्या भाभी? भाभी ने बोला- चलते हैं. मेरे दोस्त आ रहे हैं गाड़ी लेकर … उनके साथ ही जाएंगे. और फिर वही लोग हमें यहाँ वापस छोड़ देंगे। दोपहर के लगभग 4 बजे भाभी के 2 दोस्त भी आ गए। वो हम लोगों से अच्छे से मिले और थोड़े चाय नाश्ते के बाद हम लोग शादी के लिए जाने लगे। मुझे थोड़ा अजीब इसलिए लगा की दोनों लड़के ही थे। उनके नाम अजय और कुणाल थे। हम सब गाड़ी के पास आए तो भाभी बोली- अरे नेहा, मैं अपना फोन चार्जिंग पे लगा ही भूल आई, ले आ यार प्लीज। मैंने कहा- कोई नहीं भाभी, मैं ले आती हूँ. और मैं फोन लेने अंदर चली गयी। जब मैं फोन लेकर आई तो भाभी उन दोनों से धीमे स्वर में बात कर रही थी। मुझे कुछ समझ तो नहीं आया पर शायद ये कह रही थी “नेहा को कुछ पता नहीं है।” खैर मैंने सोचा मेरे काम की बात नहीं होगी इसलिए भाभी ने मुझे बताई नहीं होगी। भाभी ने बोला- नेहा तू प्लीज पीछे बैठ जा, मुझे चक्कर आते हैं इसलिए मैं आगे कुणाल के साथ बैठ जाती हूँ। तो मैं और अजय पीछे की सीट पे बैठ गए। हालांकि शुरू में मेरे लिए वो अंजान ही थे, पर धीरे धीरे मैं भी उनके साथ घुलमिल गयी। हम सब थोड़ा हंसी मज़ाक करते हुए अपनी मंज़िल की ओर जा रहे थे। डेढ़ दो घंटे गाड़ी चला के हम सब शादी वाले फार्म हाउस पहुँच गए। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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16-08-2022, 02:07 PM
शुरू में हम सब ने हल्का चाय नाश्ता लिया।
वहाँ भाभी के काफी दोस्त इकट्ठे थे. पर मुझे थोड़ा अजीब ये लग रहा था कि भाभी कुणाल के साथ ज्यादा समय बिता रही थी और इस वजह से अजय मेरे साथ ज्यादा था। हम दोनों चाय नाश्ते के बाद सोफ़ों पे बैठ कर ऐसे ही इधर उधर की बातें करने लगे। उसने मुझे बताया कि वो दिल्ली में 1 रेस्तरां चलाता है, घर में कौन कौन है वगैरा वगैरा। मैंने भी उसे अपने बारे में थोड़ा बहुत बता दिया था। ऐसा पहली बार ही था कि मैं एक अंजान से लड़के के साथ थी और कोई रोकने टोकने वाला नहीं था. इसलिए मैं भी भाभी को छोड़ उसके साथ गप्पे मार रही थी। बाद में बारात आयी और शादी की कुछ रस्में हुई। सभी बहुत खुश थे और रात भी हो चली थी। इधर अजय अब भी मेरे साथ ही था और भाभी अपने दोस्तों में! फिलहाल तो मुझे भाभी की कमी भी नहीं खल रही थी क्योंकि अजय मेरे साथ बहुत अच्छे से पेश आ रहा था. और वो रह रह कर मेरी तारीफ भी कर रहा था, इसलिए मैं और खुश हो रही थी। मेरे घर से फोन आया तो मैंने बताया- हाँ हम शादी में हैं और खूब मजे कर रही हैं। फिर मैं फोन काट के अजय के पास आयी तो वो भी किसी से फोन पे बात कर रहा था। वो कह रहा था- तुम टेंशन मत लो, मैं ध्यान रखूँगा. और फिर फोन काट दिया। मैंने पूछा- किसका ध्यान रखने की बात हो रही है? उसके मुंह से एकदम से निकला- तुम्हारा। मैं एकदम से चौंक गयी और बोली- मतलब? फिर अजय बोला- अरे कुछ नहीं … घर वालों का फोन था, वो बोल रहे थे कि रात में गाड़ी ध्यान से चलाना। मैंने कहा- ओह, अच्छा अच्छा! बीच बीच में मैं और अजय छुटपुट मज़ाक भी कर रहे थे. इतना अच्छा समय बीता मेरा कि मैं बहुत खुश थी। मैंने अजय से बोला- मेरे लिये कुछ खाने को ले आओ. वहाँ काउंटर पे भीड़ है काफी। तो वो कुछ खाने को लेने चला गया. और मैं उसका इंतज़ार करते हुए फोन में लग गयी। पर मेरे फोन में बैटरी कम हो गयी तो मैंने सोचा कि चलो फोन चार्जिंग पे लगा देती हूँ. इसलिए मैं लड़कियों के कमरे की तरफ बढ़ गयी क्योंकि हमारा सामान वहीं पे रखा था और चार्जर वहीं पे था। मैं वहाँ कमरे में पहुंची तो वहाँ कोई नहीं था क्योंकि सब लोग नीचे शादी में खाने का मजा ले रहे थे। मैंने बैग से चार्जर निकाल के अपना फोन लगा दिया। तभी मेरा ध्यान कुछ अजीब आवाजों पे गया जो बाथरूम से आ रही थी, जैसे किसी की सांस चढ़ रही हो। मैं उधर जाने लगी, पर इतने में ही बाथरूम से भाभी मुसकुराते हुए बहार आ गयी पर उनके कपड़े और बाल बिखरे हुए से थे। मैंने पूछा- भाभी, आप यहाँ क्या कर रही हो? भाभी ने थोड़ी हड़बड़ाहट में बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया और बोली- कुछ नहीं कुछ काम से आई थी. तू यहाँ क्या कर रही है? मैंने बोला- अरे, मेरे फोन की बैटरी डाउन हो गयी तो चार्जिंग पे लगाने आई थी। भाभी ने बोला- मेरी ब्लाउज़ की डोरी बांध दियो. तो मैंने बांध दी और ये पूछने को हुई कि ये खोली क्यूँ? पर तभी मेरा फोन बज गया. अजय का फोन था, वो बोला- कहाँ हो नेहा जी, मैं आपके लिए खाने को चाट पापड़ी लाया हूँ, जल्दी आओ। मैंने भाभी को बोला- भाभी मेरा फोन देखना, मैं नीचे जा रही हूँ। फिर मैं नीचे आ गयी और चाट खाने में लग गयी। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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16-08-2022, 02:08 PM
(This post was last modified: 26-03-2025, 01:02 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
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![]() तभी अजय के फोन पे कुणाल का फोन आया तो वो भाभी और कुणाल के पास चला गया कुछ बात करने। धीरे धीरे सब घर को जाने लगे थे क्योंकि सफर लंबा था इसलिए रात के 11 बजे हम चारो भी वापस निकल पड़े। मैं और अजय पीछे ही बैठे थे और मेरी आँख लग गयी। कुछ देर बाद भाभी ने मुझे उठाया और बोली- गाड़ी खराब हो गयी है इसलिए आज यहीं रुकना पड़ेगा। मैं नींद सी में ही थी पर गाड़ी से उतरी तो देखा हम एक काफी पुराने खंडर से बंगले के पास रुके हुए है। यह देख मैं थोड़ा डर गयी तो मैंने पूछा- भाभी, ये कौनसी जगह है? भाभी ने बोला- अरे तू डर मत, ये एक पुराना सरकारी बंगला है, ज़्यादातर खाली ही रहता है, चौकीदार से बात हो गयी है, हम कल सुबह तक यहा रुक सकते हैं। सुबह किसी मैकेनिक को ला के गाड़ी ठीक कराएंगे और घर निकल जाएंगे! तब मेरी थोड़ी हिम्मत बंधी. और वैसे भाभी तो मेरे साथ थी ही। हम लोग एक्सट्रा कपड़े लेकर नहीं आए थे क्योंकि हम ऐसा कुछ सोच कर नहीं चले थे घर से! मैं और भाभी ऐसे ही एक कमरे में सोने चले गए, और अजय और कुणाल दूसरे कमरे में। अभी मुझे सोये हुए कुछ देर ही हुई थी कि मेरी नींद दूर एक सियार की आवाज से टूट गयी। मैं एक बार को सहम गयी तो भाभी की तरफ घूम गयी। अगले ही पल मेरी सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी, क्योंकि भाभी तो वहाँ थी ही नहीं। मैं थोड़ा डरी हुई तो थी ही इसलिए धीरे धीरे दबे पाँव बाहर हाल के पास जाने लगी भाभी को ढूंढने। मैंने खिड़की से बाहर देखा तो अजय खड़ा हुआ सिगरेट पी रहा था. मैं उसके पास जाने को हुई पर मुझे भाभी की आवाज सुनाई दी किसी से बात करते हुए। तो मैं दूसरे कमरे की तरफ जाने लगी. अंदर से भाभी और उनके दोस्त कुणाल की बातों की आवाज आ रही थी। मैंने सोचा शायद नींद नहीं आ रही होगी भाभी को इसलिए इधर आई होंगी. तो मैंने बिना सोचे दरवाजा धक्का दे के खोल दिया। दरवाजा थोड़ा अटक के अंदर की तरफ खुल गया। अंदर का सीन देख के तो मेरे होश ही उड़ गए। ![]() N ![]() M ![]() T
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![]() जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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16-08-2022, 02:10 PM
(This post was last modified: 26-03-2025, 12:55 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैंने अपनी भाभी को उनके दोस्त के साथ नंगी चुदाई करते देखा. मैं भी चुदना चाहती थी पर डरती थी.
अंदर का सीन देख के तो मेरे होश ही उड़ गए। ![]() ![]() ![]() N ![]() ![]() H ![]() B
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26-03-2025, 01:04 PM
भाभी और कुणाल एकदम नग्न अवस्था में एक दूसरे के जिस्म से चिपके हुए थे।
पहली बार तो मेरी चीख ही निकल गयी- अरे भाभी, ये सब क्या है? ये क्या कर रही हो आप? भाभी एकदम से उठी और कुणाल से अलग होकर खुद को चादर से लपेट लिया। उधर कुणाल ने भी खुद को चादर से लपेट लिया। भाभी मुझे समझाने की कोशिश करते हुए बोलने लगी- देख, जैसा तू सोच रही है वैसा कुछ भी नहीं है, तू मेरी बात सुन। अब तक मेरा पारा सातवें आसमान पर था क्योंकि भाभी का भांडा फूट चुका था। मैं बोली- तो क्या कर रही हो यहाँ नंगी हो के कुणाल के साथ? आप मेरे भैया को धोखा दे के यहाँ मजे कर रही हो। मैं अभी भैया को बताती हूँ सब फोन कर के। मैंने अपना फोन निकाला पर तुरंत ही पीछे से किसी ने मेरा फोन छीन लिया। तो मैंने मुड़ के देखा. अजय मेरा फोन हाथ में ले के खड़ा था। मैंने चिल्ला के कहा- मेरा फोन दो यार अजय प्लीज। अजय बोला- नहीं, पहले तुम इनकी बात सुन लो. वरना फोन नहीं मिलेगा। मुझे अब और ज्यादा गुस्सा आ गया तो मैं पैर पटकते हुए बाहर जाने लगी. जैसे ही मैं बाहर निकली तो और हैरान हो गयी क्योंकि बहार चारों तरफ जंगल था. मैं भाग के वापिस अंदर आ गयी। भाभी, कुणाल और अजय सब हाल में आ चुके थे और उन दोनों ने कपड़े भी पहन लिए थे। अब मेरे पास कोई चारा नहीं था इसलिए मैं भी वहीं बैठ गयी और बोली- बताओ, क्या बताना है? भाभी ने बताया कि भाभी और कुणाल कॉलेज के टाइम से ही गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड थे. पर भाभी के माँ बाप ने उनकी मर्ज़ी के खिलाफ उनकी शादी मेरे भाई से करा दी. भाभी अब भी कुणाल से ही प्यार करती थी। आगे भाभी ने बताया कि वो अपनी सहेली की शादी में अकेले ही आना चाहती थी. पर मैंने ज़िद की साथ चलने की इसलिए मजबूरन मुझे भी लाना पड़ा। फिर मेरे साथ लगाने के लिए अजय को बुलाया ताकि भाभी और कुणाल को अलग टाइम मिल सके और अजय मेरे साथ लगा रहे। भाभी बताती गयी- पर जब तुम अपना फोन चार्जिंग पे लगाने आयी तो मैं बाल बाल बची पकड़े जाने से … क्योंकि कुणाल भी बाथरूम के अंदर ही था। अब मुझे समझ आया कि अंदर से अजीब अजीब आवाजें क्यूँ आ रही थी। आगे भाभी प्रार्थना करते हुए बोली- प्लीज नेहा, अपने भैया को ये सब मत बताना, वरन बहुत गड़बड़ हो जाएगी। मैंने कहा- नहीं भाभी, जो गलत है वो गलत है. मैं भैया से इतनी बड़ी बात नहीं छुपा सकती। भाभी थोड़ा रो सी के बोलने लगी पर मैं अपनी ज़िद पे अड़ी रही। अब भाभी बोली- देख यार नेहा, तू क्यूँ ज़िद कर रही है? चल मैं तुझे आज मौका देती हूँ अपनी दबी इच्छाओं को खुल के जीने का। मैंने थोड़ा शक भरे लहजे में पूछा- कौनसी इच्छा? भाभी बोली- मुझसे कुछ नहीं छुपा है नेहा! मैं जानती हूँ कि तेरा भी बहुत मन करता है कि तेरा भी बॉयफ्रेंड हो, तू भी घूमे फिरे, मस्ती करे, अय्याशी करे। पर अपने भाइयों के डर से नहीं कर पाती है। मैंने अंजान बनने का नाटक करते हुए कहा- नहीं भाभी, ऐसा नहीं है, मुझे ये सब पसंद नहीं है। भाभी बोली- मेरे सामने मत बन! मुझे सब पता है. ये भी पता है कि तू छुप छुप के कभी कभी गंदी फिल्में देखती है. और ऐसे ही चुत को रगड़ के खुद को शांत कर लेती है। आज मौका है, तू भी मजे कर और मैं भी! जी भर के … कोई नहीं है यहाँ, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। अब तक मैं भी भाभी की हालत को समझ पा रही थी इसलिए मेरा गुस्सा कम हो गया था. क्योंकि वो मेरी भाभी होने के साथ ही मेरी बहुत अच्छी दोस्त भी बन गयी थी. और वासना की तड़प को मेरे से ज्यादा कौन जानता होगा, जो इतनी बड़ी होने के बावजूद किसी लड़के ने मेरी जिस्म को नहीं छुआ था। मैंने थोड़ा नर्म आवाज में कहा- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है. मुझे नहीं करना ये सब! आपको करना है तो कर लो, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी। भाभी बोली- देख ले … फिर ऐसा मौका नहीं मिलेगा। मैंने कहा- नहीं, मैं सोने जा रही हूँ. और मैं उठ के चल दी, अपने कमरे में और बेड पे लेट के सोने की कोशिश करने लगी। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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26-03-2025, 01:04 PM
पर मेरा ध्यान बार बार इस बात पे जा रहा था कि भाभी क्या कर रही होगी, कितने मजे ले रही होगी।
जब कुछ देर बाद भी मुझे नींद नहीं आई तो मैं उठ के बैठ गयी और धीरे से दरवाजा खोल के झाँका कि नीचे क्या हो रहा है। नीचे कोई नहीं था, अजय भी अपने कमरे में सोने जा चुका था और कुणाल और भाभी अपने काम में व्यस्त थे। पता नहीं क्यूँ … पर मुझे उन दोनों को सेक्स करते हुए देखने की बहुत इच्छा हो रही थी। मैं दबे पाँव घर से बाहर निकाल के उनके कमरे के पीछे चली आयी। वहाँ काँच की खिड़की लगी हुई थी पर बाहर अंधेरा होने के कारण सिर्फ बाहर से अंदर देखा जा सकता था, अंदर से बाहर नहीं। मैं धीरे से खिड़की से उन दोनों को देखने लगी। अंदर कुणाल और भाभी एक दूसरे के जिस्म का पूरा लुत्फ ले रहे थे, उनकी लाइव चुदाई देख के मेरी हवस के अरमान उमड़ उमड़ के आ रहे थे। मन तो कर रहा था कि अभी भाभी को हटा के उनकी जगह मैं लेट जाऊँ. और मैंने अपना लहंगा ऊपर को उठाया और पैंटी नीचे सरका के धीरे धीरे अपनी चूत को सहलाना भी चालू कर दिया था। मेरे मन में खयाल आ रहे थे कि क्यूँ ना आज मैं अपनी हद से आगे बढ़ जाऊँ। किसी को पता नहीं चलेगा. पर हल्का हल्का डर भी रही थी, पर डर से ज्यादा हवस थी। आज मेरे पास मौका था, जगह थी, जबर्दस्त इच्छा थी, और किस्मत से सेक्स करने के लिए लड़का भी था. मुझे बस थोड़ी से हिम्मत दिखानी थी और सब हो जाता. ऊपर से भाभी की इतनी जबर्दस्त चुदाई देख के मेरा मन और फिसल रहा था. मैं 10-15 मिनट तक ऐसे ही उनकी चुदाई देखते हुए अपनी चूत मसल रही थी। आखिरकार मैंने दुनिया के कायदे कानून भूल कर सिर्फ अपनी दबी हुई इच्छा पूरी करने का फैसला किया। मैंने अपने कपड़े सही किए और अंदर आ गयी। इससे पहले मेरा डर फिर हावी होता और मैं अपना इरादा बदल देती … मैं तुरंत भाभी के कमरे के पास गयी और ज़ोर से खटखटाने लगी। थोड़ी देर में भाभी ने दरवाजा खोला और पूछा- क्या हुआ? पर मैं फिर थोड़ी हिचकिचा गयी और हकला के बोलने लगी- भाभी वो … ये मैं … वो ये कह रही थी कि उम्म … मैं मैं … भी! भाभी ने मुसकुराते हुए मेरी बात पूरी करते हुए कहा- चुदवाना चाहती हूँ। मेरे मुंह से तुरंत निकल गया- हाँ! और फिर अगले ही पल मैं बोलने लगी- नहीं … वो मैं तो! भाभी बोली- बस अब ज्यादा बन मत, मैं भी तेरी उम्र से गुज़र चुकी हूँ, मैं तेरे दिल की बात जान सकती हूँ। मैंने भाभी से पूछा- भाभी, कुछ होगा तो नहीं ना? भाभी ने कहा- अरे कुछ नहीं होगा, मैं सब संभाल लूँगी. तू जी भर के चुदवा आज पूरी रात। मैं थोड़ा शर्मिंदा होते हुए नीचे देख के मुस्कुराने लगी। भाभी बोली- हाँ है ना? मैंने बहुत दबी आवाज में कहा- हाँ! भाभी मुस्कुराई और मेरा हाथ पकड़ के ले जाने लगी। मैंने कहा- कहाँ ले जा रही हो? भाभी बोली- बस चुप रह … जैसा मैं कहती हूँ, करती रह, बहुत मजा आयेगा। और भाभी मुझे अजय के कमरे के पास ले आई और गेट खोल के कहा- अजय ये ले … आखिरकार मान ही गयी नेहा … ये ले सम्भाल ले इसे! उन्होंने मुझे अजय की तरफ हल्का सा धकेल दिया। अजय भी मुस्कुराने लगा और मैं भी हल्का हल्का नीचे देख के मुस्कुरा रही थी। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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26-03-2025, 01:05 PM
भाभी बोली- नेहा, खुल के मजे ले, कुछ नहीं होगा।
और उन्होंने अजय को बोला- कोई कमी नहीं रहनी चाहिए अजय। अजय बोला- अरे आप चिंता मत करो, कल सुबह आप खुद पूछ लेना नेहा से। भाभी ने कहा- ठीक है, मजे करो फिर! और फिर दरवाजा बंद कर के चली गयी। भाभी तो चली गयी पर मैं वही खड़ी रही और नीचे फर्श को देखती रही. मुझे बहुत अजीब लग रहा था और शर्म भी आ रही थी। मुझे लगा था मैं अपना पहला सेक्स अपने पति के साथ ही कर पाऊँगी, पर इतनी जल्दी करने को मिल जाएगा ये कभी नहीं सोचा था। थोड़ी देर तक तो अजय भी ऐसे ही बेड पे बैठा रहा पर फिर बोला- वहीं खड़े रहने का इरादा है क्या मैडम? इधर तो आओ ज़रा, अब क्या शरमाना! मैं भी फिर धीरे धीरे अजय के पास बेड के किनारे बैठ गयी। अजय बोला- हाँ तो नेहा जी, बताओ यहाँ क्यूँ आई हो? मैंने हकलाते हुए कहा- वो … मैं … मेरा वो मन कर रहा है। अजय बोला- ऐसे नहीं नेहा जी, खुल के बोलो. मुझे समझ नहीं आ रहा। मैं फिर बोली- वही जो भाभी कर रही हैं नीचे। अजय बोला- ऐसे नहीं यार, थोड़ा तो खुलो, खुल के बोलो। मैंने बहुत हल्की आवाज में कहा- सेक्स। अजय मुस्कुराने लगा और बोला- तुम रहने दो. जाओ सो जाओ, ऐसे मजा नहीं आ रहा मुझे! मैंने कहा- अरे क्यूँ मजे ले रहे हो, पता तो है तुम्हें कि मुझे क्या करना है। अजय बोला- मजे ले रहा हूँ तो तुम्हें भी तो मजे दूंगा पूरे! चलो फटाफट बोलो क्यूँ आई हो, और वो भी हिन्दी में! मैंने थोड़ा झुँझलाते हुए कहा- अरे यार, बुर चुदवाने आई हूँ तुमसे, बस! अब अजय हंसने लगा और मेरे पास आकर बैठ गया और मुझे देखने लगा। मैं अब नीचे देखने लगी थी फर्श पे! फिर अजय मेरे सामने आ के खड़ा हो गया और उसको देखते हुए मैं भी खड़ी हो गयी। अजय ने मुझे देख के एक शैतानी भरी मुस्कान दी. और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, उसने मेरा सिर पीछे से पकड़ा और मेरे गुलाबी होंठों पे अपने होंठ रख के ज़ोर से दबा दिये। मैं इस पल के लिए जरा भी तैयार नहीं थी। मेरी आँखें आश्चर्य से फैल गयी थी और हमारे होंठ मिले हुए थे। इसके बाद अजय मेरे ऊपर गिरता चला गया और हम दोनों बेड पे गिर गए। अजय मेरे ऊपर था और हमारे होंठ अब भी मिले हुए थे। फिर धीरे धीरे हम एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे। धीरे धीरे हम पूरे होंठ खोल खोल के एक दूसरे को किस यानि चुंबन कर रहे थे। उस वक़्त तो मैं कुछ भी नहीं सोच रही थी और बस उस पल में बह रही थी। लगभग दो मिनट किस कर के अजय मेरे ऊपर से उठ गया और साइड में लेट गया। मैं अचानक से बहुत खुश हो गयी थी। मेरी बरसों की हवस की भूख जो पूरी होती दिख रही थी। अजय बोला- कैसा लगा नेहा? मैंने उत्सुक होते हुए बोला- बहुत मजा आया. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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26-03-2025, 01:08 PM
मेरी शर्म थोड़ी खुल गयी थी तो मैं उसके ऊपर बैठ गयी और उसके होंठ पूरी शिद्दत से चूसने लगी।
मेरे खुले बाल उसके चेहरे पे लटक रहे थे और हम एक दूसरे को चुंबन किए जा रहे थे। मैं अजय की जांघों पे बैठी थी तो मुझे महसूस होने लगा कि उसके लन्ड में हरकत होने लगी थी और धीरे धीरे वो सख्त होने लगा था। ऊपर से वो मेरी चूत के पास था तो मुझे और जोश आने लगा था। अजय ने मेरे बूब्स को दोनों हाथो से पकड़ के दबाना शुरू कर दिया था जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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26-03-2025, 01:08 PM
मैं ऐसे ही कपड़ों में अपनी चूत को उसके लंड पे ऊपर नीचे घिसते हुए उसके होंठों को चूस रही थी।
कमरे में हल्की हल्की साँसों की और चप चप की आवाज आ रही थी। थोड़ी देर में मुझे अहसास हुआ कि मेरी चूत में और पैंटी में हल्की हल्की नमी सी आने लगी है और अजय का लंड पूरा खड़ा हो चुका है। जब उसके होंठों को किस कर के मेरा मन भर गया तो मैं उसके ऊपर से उठ गयी। अब तो मुझसे एक पल भी नहीं रुका जा रहा था, मैंने तुरंत ही अपनी चोली को पीछे हाथ दे कर खोल दिया और आगे को उतार दी और साइड में फेक दी। मेरी सफ़ेद ब्रा में फसे मेरे बूब्स सख्त हो चुके थे और बाहर निकलने को तड़प रहे थे। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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26-03-2025, 01:09 PM
फेक दी।
मेरी सफ़ेद ब्रा में फसे मेरे बूब्स सख्त हो चुके थे और बाहर निकलने को तड़प रहे थे। मैंने भी देर ना करते हुए अपनी ब्रा उतार दी। उधर अजय ने भी अपने कपड़े उतार दिये और सिर्फ कच्छा छोड़ दिया; उसमें उसका लंड पूरा सख्त हो चुका था। यह देख के मैंने भी अपने लहंगे का नाड़ा खोला और उसे भी उतार दिया और पैंटी छोड़ दी। अजय बोला- रुक क्यूँ गयी, ये भी उतारो ना! मैंने कहा- पहले तुम उतारो। अजय बोला- नहीं, पहले तुम दिखाओ चूत। मैंने कहा- पहले तुम दिखाओ अपना लंड। लेकिन ‘एक मिनट’ बोलकर मैंने खुद ही अजय का कच्छा नीचे खींच दिया और हंसने लगी. पर जैसे ही उसका लंड उछल के खड़ा हो गया मेरी हंसी आश्चर्य में बदल गयी। मेरे मुंह से निकला- इतना बड़ा है तुम्हारा! सच में अजय का लंड बड़ा था, लगभग मेरी हथेली के बराबर तो होगा ही। अजय ने उसे लहराते हुए पूछा- क्यूँ पसंद आया ना? मैंने ‘हम्म’ कहा। अजय बोला- फिर सोच क्या रही हो शुरू करो। मैंने कहा- क्या शुरू करूँ? अजय बोला- अरे, मुंह में लेकर चूसो इसे और क्या! मैंने कहा- छी … नहीं! अजय बोला- ऐसे नहीं चलेगा, जैसे मैं कह रहा हूँ, वैसे करो! और फिर अजय खड़ा हो के मेरे पास आया। मैं उसकी आंखों में देख रही थी और फिर अजय ने मेरे दोनों कंधों पे हाथ रखे और हल्के से नीचे दबाने लगा और मुझे फर्श तक बैठा दिया और बोला- कुछ नहीं होगा, बहुत मजा आयेगा। मैंने उसके काले लंड को देखा और बुरा सा मुंह बनाते हुए हल्के से किस किया. अजय बोला- ऐसे नहीं … मुंह खोलो हल्का सा! मैंने कहा- नहीं। उसने बोला- खोलो तो! मैंने हल्का सा मुंह खोला और फिर अजय ने अपना लंड मेरे होंठों पे रख के दबा दिया। विरोध में मैंने ‘उम्म’ किया पर उसने मेरा सिर पीछे से पकड़ लिया और अपना लंड मेरे मुंह में धकेलने लगा। धीरे धीरे उसका सख्त लंड मेरे मुंह में अंदर तक चला गया और मैं म्म … हम्म … हम्म … कर रही थी क्योंकि मैं उसे निकाल नहीं सकती थी. शुरू में तो मुझे उल्टी सी होने को हुई पर फिर धीरे धीरे मैंने उसे चूसना ही शुरू कर दिया और फिर अजय का साथ देते हुए अंदर बाहर चूसने लगी। अजय भी उम्महह … उम्म … उमह्ह … करके सिसकारियाँ लेता रहा और मैं उसका लंड 2-3 मिनट तक चूसती रही। तभी अजय ज़ोर ज़ोर से आह … आहह … नेहा … आहह … करने लगा. और फिर उसने मेरा सिर अपने लंड पे दबा दिया और उसके लंड से वीर्य छूट गया मेरे मुंह में। मैंने घिन्न में उम्म … उम्म … किया भी पर फिर भी उसने सब नमकीन नमकीन माल मेरे मुंह में ही भर दिया। थोड़ा सा वीर्य लीक होते हुए मुंह से साइड में भी निकलने लगा। खैर जैसे तैसे मेरा लंड चूसना खत्म हुआ और फिर मैं उठ के अलग हो गयी और होंठ साफ करते हुए कहा- अब तो खुश हो? अजय बोला- बहुत … लाओ अब तुम्हें खुश कर देता हूँ। मैंने पूछा- कैसे? उसने बोला- इधर आओ, बताता हूँ। मैं उसके पास गयी तो उसने फट से मेरी पैंटी नीचे सरका दी और मुझे बेड पे सीधा गिरा दिया। मैंने पूछा- क्या कर रहे हो। उसने बोला- अभी बताता हूँ। और अजय ने मेरी टाँगें चौड़ी करी और मेरी चूत को देखने लगा। मैंने उत्सुकतावश पूछा- कैसी लगी? अजय बोला- बहुत सुंदर चूत है तुम्हारी … एकदम सील पैक … और एक बाल नहीं है। मैंने कहाँ- हाँ वो तो है. आज तक किया जो नहीं कभी। अजय बोला- कोई नहीं … आज हो जाएगा. और उसने मेरी चूत को किस किया ज़ोर से! मेरे शरीर में एकदम से सिरहन सी दौड़ गयी आनंद की और मेरे मुंह से हल्की सी ‘आह …’ निकल गयी। अजय बोला- क्या हुआ? मैंने कहा- बहुत मजा सा आया। अजय बोला- मजा आया ना, अभी और आएगा! और उसने मेरी चूत को कुत्ते की तरह जीभ से ऊपर-नीचे चाटना शुरू कर दिया ज़ोर ज़ोर से। मैं अब ऊपर को उचक सी गयी क्योंकि पहली बार मुझे इतना मजा आया था। मेरे मुंह से हल्की हल्की सीईई … सीईईई … सीईईई … निकलने लगी और अजय मेरी चूत के द्वार को जीभ से कुरेद कुरेद के चाटता रहा। मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी और मेरी सांसें भी तेज़ हो गयी थी। मैं हकलाते हुए बोल रही थी- आहह … अजय … आहह … मज्जा आ रहा है … ऐसे ही करते रहो … आहह … स्सस्स … स्स … आह! अजय बड़ी शिद्दत से मेरी चूत को चाट रहा था. और तभी मेरी उत्तेजना इतनी बढ़ गयी कि मेरे पूरे शरीर में आनंद की लहर सी मारने लगी. अगले ही पल मेरी चूत से पानी छूट गया और मेरी सांस फूल गयी। मैं ज़ोर ज़ोर से हाँफते हुए शांत होने लगी और अजय उठ के साइड में बैठ गया था। कुछ देर बाद अजय ने पूछा- अब आया मजा? मैंने कहा- इस बार तो मजा ही आ गया, इतना मजा तो कभी नहीं आया। अजय बोला- अरे जान, देखती जाओ, अभी तो और मजा आयेगा जब तुम चुदवाओगी मेरे लंड से। मैंने कहा- रुक जाओ थोड़ी देर, सांस तो लेने दो। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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26-03-2025, 01:10 PM
अजय बोला- ठीक है, तुम थोड़ा आराम कर लो, मैं एक सिगरेट पी आता हूँ तब तक।
मैंने कहा- ठीक है. और अजय ने एक तौलिया लपेटा और सिगरेट पीने चला गया. मैं वैसे ही नंगी बेड पे टांगें खोल के पड़ी रही और सुस्ताती रही। मैंने सोचा कि अभी तो सेक्स हुआ भी तब इतना मजा आ रहां है, सेक्स में तो पता नहीं कितना मजा आएगा। कुछ देर बाद मैं उठी और बाथरूम में पेशाब करने और अपनी चूत साफ करने चली गयी। वापस आई तो अजय कमरे में आ चुका था। मुझे देखते ही बोला- तो तैयार हो अपनी जबर्दस्त चुदाई करवाने के लिए? मैंने कहा- हम्म बिल्कुल। अजय बोला- तो फिर आओ मेरे पास और खड़ा करो मेरा लंड! अब मुझे पता ही था कि क्या करना है. इसलिए मैं घुटनों के बल अजय के सामने बैठ गयी और उसके मुरझाए हुए लंड को किस करने लगी. और फिर धीरे धीरे होंठों से मुंह में लेते हुए हल्का हल्का चूसने लगी। कुछ ही देर में उसका लंड फिर से बड़ा होने लगा मेरे मुंह में। फिर मैं और अच्छे से अंदर बाहर चूसने लगी और वो अपनी पूरी लंबाई तक बड़ा हो गया 2 मिनट में ही। अजय ने बोला- अब रुक जाओ, अब देर मत करो, चुपचाप बेड पे टांगें खोल के लेट जाओ। मैंने तुरंत वैसे ही किया और सिर के नीचे तकिया लगा के घुटने मोड के बेड पे लेट गयी। अजय फिर मेरी चूत पे आया और जीभ से चाटने लगा। मुझे हल्की हल्की गुदगुदी के साथ मजा आने लगा और उत्तेजना में मेरी चूत गीली सी होने लगी. और मेरे बूब्स भी सख्त होने लगे। मेरे मुंह से हल्की हल्की आहह … आह … उम्महह … उमम्ह … सिसकारियाँ निकल रही थी और पूरा शरीर में करेंट सा दौड़ रहा था। मैंने उसका सिर बालों से पकड़ रखा था और अपनी चूत पे ऊपर नीचे घिस रही थी। आखिर मेरी चूत अब चुदाई के लिए तैयार थी। मैंने उसे रोकते हुए कहा- बस अजय, अब तो लंड डाल ही दो, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा एक पल भी! अजय रुका और घुटनों के बल चल के मेरे ऊपर आ के झुक गया और बोला- तैयार हो, डालूँ फिर? मैंने उसकी आँखों में देखते हुए हाँ में सिर हिलाया। अजय ने अब देर न करते हुए अपने सख्त लंड को मेरी चूत के द्वार पे रखा और दबा के ऊपर नीचे घिसने लगा। मैंने कहा- उम्महह … ये क्या कर रहे हो … आहह … डालो न … प्लीज … यार! अजय बोला- धीरे धीरे डालता हूँ. वरना दर्द होगा तुम्हें जब सील टूटेगी। मैंने कहा- तुम्हें जैसे डालना है डालो, पर डालो। अजय ने अपने लंड की खाल को पीछे खींचा और उसका अंदर वाला चिकना लंड मेरी चूत पे रख के हल्का सा अंदर को दबाने लगा। चूत चिकनी होने से उसका लंड आसानी से अंदर घुसने लगा। पर जैसे ही वो थोड़ा सा और अंदर गया मुझे दर्द की एक लहर सी महसूस हुई और मेरे मुंह से सीईईई … निकल गयी। अजय ने पूछा- क्या हुआ? मैंने कहा- कुछ नहीं … तुम डालो। अजय थोड़ा और अंदर डालने लगा तो और तेज़ दर्द सा हुआ और मेरे मुंह से ऊई … निकल गयी और मैं ऊपर को खिसक गयी जिससे उसका लंड बाहर निकल गया। अजय अब थोड़ा और पास आया और दुबारा लंड डालने लगा. पर मुझे दर्द होने लगा था तो मैं उसे स्सी … स्सी … करते हुए रोकने लगी। अजय बोला- यार, थोड़ा दर्द तो बर्दाश्त करना पड़ेगा, वरना आगे का मजा कैसे आयेगा। मैंने उसकी बात समझते हुए थोड़ा स्थिर रहने का निश्चय किया और कहा- ठीक है, अब नहीं हिलूंगी. पर धीरे धीरे डालना। अब मैंने अपने घुटने मोड़ रखे थे. अजय ने उन्हें हाथ से पकड़ लिया और लंड को मेरी चूत पे सटाया। फिर उसने एक हाथ से हल्का सा अंदर सरकाया और फिर से मेरे घुटनों को पकड़ लिया। अजय जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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26-03-2025, 01:11 PM
(This post was last modified: 27-03-2025, 11:21 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
![]() मैंने कहा- तुम्हें जैसे डालना है डालो, पर डालो। अजय ने अपने लंड की खाल को पीछे खींचा और उसका अंदर वाला चिकना लंड मेरी चूत पे रख के हल्का सा अंदर को दबाने लगा। चूत चिकनी होने से उसका लंड आसानी से अंदर घुसने लगा। पर जैसे ही वो थोड़ा सा और अंदर गया मुझे दर्द की एक लहर सी महसूस हुई और मेरे मुंह से सीईईई … निकल गयी। अजय ने पूछा- क्या हुआ? मैंने कहा- कुछ नहीं … तुम डालो। अजय थोड़ा और अंदर डालने लगा तो और तेज़ दर्द सा हुआ और मेरे मुंह से ऊई … निकल गयी और मैं ऊपर को खिसक गयी जिससे उसका लंड बाहर निकल गया। अजय अब थोड़ा और पास आया और दुबारा लंड डालने लगा. पर मुझे दर्द होने लगा था तो मैं उसे स्सी … स्सी … करते हुए रोकने लगी। अजय बोला- यार, थोड़ा दर्द तो बर्दाश्त करना पड़ेगा, वरना आगे का मजा कैसे आयेगा। मैंने उसकी बात समझते हुए थोड़ा स्थिर रहने का निश्चय किया और कहा- ठीक है, अब नहीं हिलूंगी. पर धीरे धीरे डालना। अब मैंने अपने घुटने मोड़ रखे थे. अजय ने उन्हें हाथ से पकड़ लिया और लंड को मेरी चूत पे सटाया। फिर उसने एक हाथ से हल्का सा अंदर सरकाया और फिर से मेरे घुटनों को पकड़ लिया। अजय बोला- तैयार हो? मैंने कहा- हाँ, पर धीरे धीरे! अजय बोला- ठीक है. और बहुत धीरे धीरे लंड को अंदर सरकाने लगा। उसका मोटा लंड मेरी चूत के छोटे से छेद को जबर्दस्ती खोलता हुआ अंदर घुसने लगा। मेरे मुंह से दर्द की हल्की हल्की स्सस्सी … स्सस्सी … स्सस्सी … स्सस्सी … निकल रही थी। जैसे ही अजय ने लंड थोड़ा और अंदर डाला मुझे और तेज़ दर्द होने लगा और मेरी आँखों से आँसू भी आने लगे. पर मैंने उसे नहीं रोका। वो दबाव डालता जा रहा था और मेरी सील टूटती जा रही थी और अचानक से पूरी फट गयी. मेरे पूरे शरीर में दर्द की लहर दौड़ गयी और मेरे मुंह से आहह … ऊई … स्सस्सी … स्सस्सी … निकल गयी। इधर अजय का लंड अभी आधा भी अंदर नहीं गया था और मैं दर्द से तड़प रही थी और ज़ोर ज़ोर से उम्महह … उम्महह सांस ले रही थी। अजय ने अपना लंड अंदर डालना जारी रखा और मैं भी आहह … आहह … स्सस्सी … स्सस्सी … करते हुए उसका साथ दे रही थी। उसका सख्त लंड मेरी छोटी सी गर्म चूत में समाता जा रहा था। आखिरकार थोड़ी देर में उसने पूरा लंड अंदर तक पहुंचा के अटका के ही दम लिया। लंड आखिर तक पहुंचने से मुझे ऊपर को हल्का सा झटका लगा। मैं अब भी उम्महह … उम्महह … कर रही थी और अजय भी उफ़्फ़ … फ्फ़ … कर रहा था. मेरी आँखों से आँसू बह रह थे। कुछ देर तक अजय ऐसे हो रुका रहा और थोड़ी देर में मेरा दर्द भी कम सा होने लगा। अजय ने पूछा- अब ठीक है? मैंने कहा- हाँ, धीरे धीरे कर लो अब। अजय के चेहरे पे मुस्कान आ गयी और फिर उसने धीरे धीरे लंड निकाला और फिर दुबारा डाला। मुझे अब हल्का हल्का दर्द हो रहा था पर मेरी धीरे धीरे चुदाई हो रही थी। मैंने अजय से कहा- अब चोदना तेज़ कर सकते हो। अजय बोला- ठीक है. और उसने चुदाई की गति बढ़ा दी। वो धीरे धीरे आधे से ज्यादा लंड निकालता और फिर झटके से पूरा अंदर तक डाल देता। उसका हर झटका मुझे ऊपर को हिला देता और मेरे मुंह से आहह … अहह … आहह … आई … आई … स्सस्सी … स्सस्सी … स्सस्सी … आहह … अजय निकलने लगी। ऐसे ही वो मुझे 4-5 मिनट तक चोदता रहा और फिर थोड़ी देर बाद रुक गया और हांफते हुए सांस भरने लगा। अब तक मेरा दर्द भी काफी कम हो गया था और हल्का हल्का मजा भी आने लगा था. मैं सीधी लेट कर आराम कर रही थी। कुछ देर सुस्ता के अजय बिल्कुल मेरे ऊपर आ गया और मेरी आँखों में देखते हुए बोला- अब फिर से शुरू करता हूँ। मैंने ‘हम्म’ कहते हुए सिर हिलाया और अजय ने मेरे ऊपर झुके हुए ही अपना लंड मेरी चूत पे लगाया और मेरे ऊपर पूरा लेट गया और उसका आधे से ज्यादा वजन मेरे ऊपर आ गया। फिर उसने लेटे हुए ही मेरे ऊपर सरक के अपना लंड अंदर डाल दिया धीरे धीरे। मेरी आँखें बंद हो गयी और मेरी मुंह से स्सस्सी … स्सस्सी … आहह आह … निकलने लगी। इस बार अजय मुझे ऐसे लेटे लेटे ही ऊपर नीचे सरक के चोदने लगा. पर इस बार मुझे भी मजा आने लगा और मैं सेक्स का आनंद लेते हुए स्सस्सी … स्सस्सी … करते हुए चुदवाने लगी। धीरे धीरे उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी और हमारे बदन एक दूसरे पे रगड़ते रहे और मेरी चुदाई चलती रही। अजय भी हम्म … हम्म … हम्म … करते हुए ऊपर नीचे सरक के मुझे चोद रहा था और 5-6 मिनट तक चोदता ही चला गया। जब वो थक गया तो लंड अंदर ही डाल के रुक गया और मेरे ऊपर लेटा रहा और हम दोनों सुस्ताने लगे। कुछ देर सुस्ता के वो साइड में उतर गया और कुछ वक़्त हम ऐसे ही पड़े रहे। अब मुझे चुदवा के मजा आ रह था तो मैंने ही पहल करते हुए कहा- वाह यार, कमाल का चोदते हो तुम तो! अजय बोला- सालों का अनुभव है नेहा चुदाई में तो, पता नहीं कितनी सील तोड़ी होंगी। मैंने कहा- मुझे क्या पता अनुभव का … शुरू करो दुबारा तभी तो पता चलेगा। C[img=736x736]1000[/img]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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26-03-2025, 01:13 PM
अजय मुस्कुराया और बोला- ठीक है, चलो कुतिया बन जाओ, अब कुतिया की तरह चोदूँगा।
मैंने ब्लू फिल्मों में बहुत देखा था तो समझ गयी अब डोग्गी स्टाइल की बारी है। मैं उठ के बेड पे कुतिया बन गयी और मजाक में बोली- ले कुत्ते चोद अपनी कुतिया को! अजय बोला- अभी चोदता हूँ कुतिया रंडी तुझे! और घुटनों के बल मेरे पीछे आ गया और मेरे चूतड़ो को पकड़ लिया। मैंने पीछे देखा और बोला- तो डाल ना कुत्ते! अजय ने चूत पे लंड लगाया और मेरे चूतड़ो को कस के पकड़ लिया ताकि मैं आगे ना हो जाऊँ। मेरे चेहरे पे भी मुस्कान थी और मैंने पीछे सिर घूमा के अजय को देखना चाहा तो उसने तुरंत एक झटके में पूरा लंड अंदर तक घुसा दिया। साथ ही मेरे मुंह से जोर की आहह … की चीख निकल गयी और मैं आगे से नीचे को झुक गयी। मेरी आँखों से हल्के से आँसू भी आ गयी। अजय बोला- आया मजा मेरी कुतिया? मैंने कहा- आह … हम्म … आया … आह। अजय बोला- तो ये ले! फिर और ज़ोर ज़ोर से पट्ट पट्ट उसने धक्के मारना शुरू कर दिया और मैं उसके धक्को से आगे पीछे हिलने लगी। उधर अजय उम्महह … उमम्ह … उमम्ह … करते हुए मुझे पूरी ताकत से चोद रहा था और इधर मेरा पूरा शारीर उसके धक्कों से आगे पीछे हिलते हुए थरथरा रहा था। मेरे बाल, बूब्स सब आगे पीछे हिल रहे थे और मेरे मुंह से हल्के दर्द और बहुत से मजे की आहह … आहहह … आऊउच … आहह … हम्म … स्सस्सी … स्सस्सी … आहह … की सिसकारियाँ निकल रही थी। अजय ने इस बार पूरी ताकत झोंक दी थी और किसी कुत्ते की तरह पूरी स्पीड से मुझ कुतिया को चोदे जा रहा था। मेरी चूत में खलबली मची हुई थी उसके लंड के घर्षण से। मेरे शरीर में आनंद भर गया था और इतना मजा मुझे कभी नहीं आया था। धीरे धीरे मेरे शरीर में असीमित आनंद भर गया, मेरी चूत में जबर्दस्त मजा आने लगा और वो फूल के अजय के लंड को जकड़ने लगी। मुझे ऐसा लगने लगा कि मेरे अंदर एक धमाका हो जायेगा। फिर तो बस मेरा शरीर अकड़ने सी लगा और मेरी सांस बुरी तरह फूल गयी। कुछ ही पलों में मेरी ज़ोर की आहह … निकली और मेरी चूत झड़ने लगी। कमरे में फच्च्ह … फच्छ … की आवाज आने लगी और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। अब मैं ढीली पड़ने लगी पर अजय ढीला नहीं पड़ा था, उसने लबालब भरी चूत में ही चोदना जारी रखा 2 मिनट तक! और फिर वो भी रुक रुक के धक्के मारने लगा। मैं समझ गयी कि ये भी झड़ने वाला है। इसके साथ ही एक ज़ोर ही आहह … के साथ अजय बोला- आहह … नेहा … आहह … आई … और फिर वो रुक गया और उसके लंड ने मेरी चूत में अपना गर्म गर्म वीर्य भर दिया जो मुझे भी महसूस हुआ। फिर भी अजय धीरे धीरे लंड डालने की कोशिश कर रहा था और निकाल रहा था. उसका लंड और वीर्य मेरी चूत में भरता जा रहा था। जब वो भी पूरा खाली हो गया तो मेरे पीछे से मेरे ऊपर गिर गया और मैं भी नीचे गिर गयी। हम दोनों ज़ोर ज़ोर से हाँफ रहे थे और सुस्ता रहे थे. मैंने उसे इस रात के लिए धन्यवाद किया। फिर ऐसे ही पड़े पड़े थकान में हम दोनों की आँख लग गयी सुस्ताते सुस्ताते! मेरी पहली जबर्दस्त चुदाई खत्म हो चुकी थी। आधी रात के बाद मेरी आँख खुली तो मैं उसी हालत में अजय के साथ पड़ी हुई थी। मैं फिर धीरे से उठी और बाथरूम करने चली गयी। इसके बाद मैंने अपने शरीर को साफ किया और मुंह धोया। मेरी नींद टूट गयी थी तो अब मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैंने अपनी ब्रा पैंटी पहनी और ऊपर अजय की शर्ट डाल के रसोई में चली गयी पानी पीने! मैं चुदवा के बहुत खुश थी और हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी। पानी पी के मैं हाल में आ के बैठ गयी और अपना फोन चलाने लगी ऐसे ही। मैंने ध्यान दिया कि बाहर कोई टहल रहा है। दरवाजे से बाहर झांक के मैंने देखा तो कुणाल था, वो सिगरेट पी रहा था। उसने भी मुझे देख लिया और मुस्कुरा दिया। मैं भी बाहर आ गयी अब! बाहर बहुत अच्छी हवा चल रही थी। फिलहाल मुझे बहुत अजीब लग रहा था उससे बात करते हुए क्योंकि उसे भी पता था कि मैं क्या कर के आई हूँ। मैंने ऐसे ही पूछा- भाभी सो गयी क्या? कुणाल बोला- हाँ, वो थक गयी थी इसलिए सो गयी। ये सोच के मेरी हंसी छूट गयी कि क्यूँ थकी होगी भाभी। कुणाल ने पूछा- तो कैसा रहा? मैंने पूछा- क्या कैसा रहा? कुणाल बोला- मेरे दोस्त की सर्विस कैसी लगी? मैंने भी थोड़ा शर्माते हुए बोला- अच्छी सर्विस थी, मजा आ गया। कुणाल बोला- मुझे नहीं लगता. अगर इतनी अच्छी होती तो तुम भी अपनी भाभी की तरह थक के सो रही होती। मैंने कहा- अरे नहीं, वो मैं सो गयी थी बस फिर नींद टूट गयी तो टहलने आ गयी। कुणाल बोला- हम्म, टहलने में कोई दिक्कत तो नहीं हो रही होगी? मैं समझ गयी कि वो क्या बोल रहा है, मैंने कहा- नहीं ऐसी कोई खास दिक्कत नहीं हो रही। फिर हम ऐसे ही बात करते रहे थोड़ी बहुत। मैंने पूछा- कल कितने बजे तक गाड़ी ठीक हो जाएगी? कुणाल बोला- ये तो मैकेनिक ही बता पाएगा। तुम उसकी टेंशन क्यू ले रही हो. तुम्हारे घर पे एक अच्छी सी कहानी बता रखी है, किसी को नहीं पता कि तुम क्या कर रही हो। जी भर के मजे लो, अगर 2-3 दिन भी यहा रुकना पड़े तो किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। मैंने कहा- हम्म मजे तो ले ही लिए। कुणाल बोला- और ले लो मजे, एक बार और! मैंने कहा- नहीं, अजय सो रहा है। कुणाल बोला- तो उसमें क्या है, मेरे से ले लो मजे, मैं दे देता हूँ। और इतना कह के वो मेरी तरफ बढ़ने लगा। मैं थोड़ा घबरा सी गयी तो पीछे हट गयी। मैंने कहा- अरे अरे रुको, ये क्या कर रहे हो? कुणाल बोला- मजे दे रहा हूँ। मैंने कहा- नहीं, अजय से ही ले लूँगी मजे, आप अपने को काबू करो, भाभी को पता लगा तो लड़ाई हो जाएगी। कुणाल बोला- कैसे पता लगेगा भाभी को, मैं तो नहीं बताऊंगा। मैंने कहा- तुम्हारे इरादे ठीक नहीं लग रहे। कुणाल बोला- ये गलत इरादों का ही टाइम है, आओ ना! वो फिर मेरी ओर बढ़ा और मैं फिर पीछे सी को हट गयी। कुणाल बोला- अरे डरो मत, किसी को कुछ नहीं पता लगेगा, मैं नहीं बताऊंगा, तुम भी मत बताना। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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26-03-2025, 01:14 PM
मैंने कहा- नहीं कुणाल, पर मैं ये कह रही हूँ …
इतने कहते के साथ ही कुणाल ने मुझे अपनी बांहों में दबोच लिया और मेरे होंठों को अपने होंठों से सील कर दिया। मैंने थोड़ा सा विरोध किया और उसे पीछे धकेलने की कोशिश करने लगी। पर कुणाल ने अपनी पकड़ और मजबूत कर दी और मेरे जिस्म से अपना जिस्म रगड़ने लगा। मेरे दिमाग ने तो काम करना ही बंद कर दिया था, मुझे सही गलत कुछ समझ नहीं आ रहा था। अब मेरे दो मन हो रहे थे, या तो इसे थप्पड़ मार के अंदर चली जाऊँ या उसे जो करना है करने दूँ। पर कुणाल मुझे छोड़ने को तैयार नहीं था. अब तो उसका लंड भी मुझपे रगड़ मार रहा था। मेरे मन में ख्याल आ रहा था कि ये चोद के ही मानेगा. क्या करूँ … इससे भी चुदवा लूँ क्या … किसी को क्या पता चलेगा। और इसके साथ ही मैंने विरोध एकदम से बंद कर दिया और खुद को ढीला कर के उसके हवाले कर दिया। विरोध रुका देख कुणाल एकदम रुका और मुस्कुराया। मैंने कुछ नहीं कहा और वैसे ही खड़ी रही। अब कुणाल ने मेरे होंठों को पागलों की तरह चूसना शुरू कर दिया. और धीरे धीरे मैं भी उसका साथ देने लगी। मैं मन ही मन सोच रही थी, मुझे क्या हो गया है, अभी कुछ समय पहले अजय से चुदवा के आई हूँ, अब कुणाल से भी चुदवाऊंगी। किस करने के साथ ही कुणाल ने मेरे बूब्स को भी मसलना शुरू कर दिया जोर ज़ोर से! मेरी उम्महह… उम्महह … की सिसकारियाँ निकलने लगी। हम दोनों अब भी अंधेरी रात में खुले आसमान के नीचे ही थे. हालांकि बंगले की लाईट्स की वजह से पूरा बगीचा रोशन था पर बिल्कुल सन्नाटा था. हम दोनों की मादक सिसकारियों की आवाज आ रही थी। जब किस हो गयी तो मैंने कहा- अंदर चलते है ना! कुणाल बोला- नहीं, अंदर नहीं जा सकते, तुम्हारी भाभी को पता चल जाएगा। मैंने कहा- तो फिर? कुणाल बोला- यहीं कर लेते है, किसी को पता नहीं चलेगा। मैंने कहा- यहाँ खुले में? नहीं नहीं। कुणाल बोला- यहाँ कोई नहीं है देखने वाला, हम शहर से बहुत दूर है, और जंगल में हैं, कुछ नहीं होगा. आओ ना जल्दी! उसकी बात सही थी पर फिर भी … सेक्स इन गार्डन … मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था। कुणाल बोला- चलो उस पेड़ के पीछे चलते हैं। मैं चुपचाप उसके साथ चल दी। पेड़ के पीछे जाते जाते उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिया और मुझे भी बोलने लगा- तुम कपड़े उतारो फटाफट। मैंने इधर उधर देखा और अपनी शर्ट उतार दी। क्योंकि मैंने पैंट तो पहनी ही नहीं थी अब सिर्फ ब्रा पैंटी में ही बची थी। कुणाल ने कच्छा उतारते हुए बोला- इन्हें भी उतारो फटाफट! मैंने वो भी उतार दी और अब मैं बिल्कुल नंगी हो चुकी थी उसके सामने! उसका लंड भी पूरे उफान पे था। मैंने उसको हाथ से छूना शुरू कर दिया और हल्के हाथ से ऊपर नीचे करने लगी। कुणाल बोला- ऐसे नहीं, जल्दी से चूसो, मजा आएगा। मैंने कुछ नहीं कहा और चुपचाप घुटनों के बल घास में बैठ गयी और धीरे धीरे चूसना शुरू कर दिया। कुणाल ने मेरे सिर पे हाथ रखा था और मैं आगे पीछे गुप्प.. गुप्प … गुप्प … कर के उसका लंड चूस रही थी। फिर कुणाल ने मेरे मुंह से अपना लंड निकाल लिया और मैं खड़ी हो गयी। कुणाल बोला- वाह लंड तो बहुत अच्छा चूसती हो तुम! मैंने कहा- आज ही सीखा है। कुणाल बोला- अच्छा है. और वो घुटनों के बल मेरे आगे बैठ गया और मेरी एक टांग उठा के अपने एक कंधे पे रख ली। फिर उसने सीधा मेरी चूत को सूंघा और अपनी जीभ से नीचे से ऊपर तक फिरा के चाटी। मेरे मुंह से एकदम से आहह … निकल गयी। फिर तो वो बुड़क भर भर के मेरी चूत चाटने लगा और अपने थूक से गीली कर दी। मैं भी पेड़ से टेक लगाए ऊपर नीचे हो रही थी। ऐसे ही वो 4-5 मिनट तक चूत चाटता रहा और मेरी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी, लंड लेने को उतावली हुई जा रही थी. मैंने कहा- बस अब और नहीं, अब चोद डालो मुझे। कुणाल खड़ा हुआ और बोला- ठीक है जान अभी लो! वो मेरे से सट के खड़ा हो गया आर मेरी एक टांग जांघ से उठाई और अपना लंड मेरी चूत पे सटाया और गुप्प … कर के एक बार में ही घुसा दिया। मेरी चूत गीली होने के कारण उसका लंड फिसलता हुआ अंदर चला गया और अटक गया जिससे मुझे ऊपर को एक झटका लगा और आउच… निकल गयी और मैंने उसको बांहों में भर लिया। अब कुणाल ने धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करना शुरु कर दिया और पट्ट पट्ट मेरी चुदाई होने लगी। कुणाल के मुंह से हम्म … हम्मम्म … हम्म म्मम … की आवाजें निकल रही थी और मेरे मुंह से भी आहह … आहह … आई … कुणाल … स्सी … स्सी … निकल रही थी। धीरे धीरे कुणाल ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और खुद को मुझ पे पटक पटक के चोदने लगा। अब तो हमारे जिस्म टकराने की पट्ट पट्ट की आवाज भी आने लगी थी। मेरे मुंह से हल्की हल्की दर्द भरी सिसकरियां भी निकल रही थी और हल्की मुस्कुराहट भी थी चुदवाने की। ऐसे ही उसने मुझे 5-6 मिनट तक चोदा और जब उसकी सांस फूल गयी तो रुक गया और साइड में खड़ा होके हाँफने लगा। मैं भी लम्बी लम्बी सांस लेती हुई हाँफ रही थी और मुस्कुरा भी रही थी। कुणाल बोला- मजा आ रहा है ना? मैंने कहा- हाँ बहुत मजा आ रहा है। जब हमने आराम कर लिया और तो कुणाल बोला- चलो फिर से करते हैं. वो मेरे पास आया और मुझे घुमा दिया, अब मेरी पीठ उसकी तरफ थी। उसने मुझे हल्का सा आगे को झुकाया और पीछे से चूत में लंड डाल के अंदर घुसा दिया। मेरी हल्की सी स्सी … निकली. कुणाल ने मेरे कंधों को पीछे से पकड़ लिया और खुद आगे पीछे धक्के मारते हुए पट्ट पट्ट चोदने लगा। इस बार तो उसने शायद अपनी पूरी ताकत से चोदना शुरू कर दिया और मुझे पूरी हिला के रख दिया। वो बार बार अपना आधे से ज्यादा लंड निकालता और फिर पूरा अंदर तक डाल देता। मैं ज़ोर ज़ोर से आहह … आहह … आहह … कर रही थी आगे पीछे हिलते हुए। मेरी चूत ने फूल के उसके लंड को जकड़ रखा था और उसके लंड की रगड़ से मुझे बहुत मजा आ रहा था। मुझे लगने लगा था की अब मेरा पानी झड़ने वाला है। मैंने ज़ोर ज़ोर से आह … आह … करते हुए कहा- और ज़ोर ज़ोर से … चोदो, मैं झड़ने वाली हूँ। इतना सुनते ही कुणाल ने अपनी पूरी स्पीड कर दी अब सिर्फ पट्ट… पट्ट … पट्ट… की आवाज के साथ मेरी और उसकी ज़ोर ज़ोर की साँसों की आवाज आ रही थी। अगले कुछ पलों में ही कुणाल ने कहा- आहह … नेहा … आ… आ … आ … नेहा … और मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया और फ़च फ़च की आवाज आई. तो वो समझ गया कि मैं झड़ने लगी हूँ। उसके झटके भी रुक गए और वो पूरा लंड अंदर डाल के निकाल के मेरी चूत में ही झड गया। फिर हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गए और हाँफने लगे। मेरी चूत से उसका वीर्य बह के मेरी जांघ से नीचे गिरने लगा। जब सांस में सांस आई तो मैंने कहा- अब अंदर चलना चाहिए. और हम दोनों ने अपने कपड़े समेटे और नंगे ही दबे पाँव अंदर चले गए और अपने कमरो में चले गए। मैं सीधा बाथरूम गयी और खुद को साफ किया। फिर मैं अजय के पास आ के सो गयी नंगी ही … ताकि उसको ये ना लगे कि मैं दुबारा चुदवा के आई हूँ। हम सब अगले दिन सुबह उठे और चाय नाश्ता किया। तब कुणाल ने बताया कि गाड़ी तो खराब हुई ही नहीं थी। उन्होंने जानबूझ कर बहाना बनाया था यहाँ आने के लिए … सब कुछ पहले से तय था ताकि कुणाल और भाभी मजे कर सकें। पर क्योंकि अब तो मैं भी दोनों से चुदवा चुकी थी और खूब मजे लिए थे इसलिए मुझे कोई शिकायत नहीं थी बल्कि खुश ही थी। उसके बाद हम सब वहाँ से निकल गए और फिर भाभी के मायके में आ गए। हम दोनों कुछ दिन और वहाँ रही और फिर वापस अपने घर आ गयी। यहाँ आकर फिर मेरी वही जिन्दगी शुरू हो गयी। पर अब मैं सब भाभी को बता सकती थी और अगर मन होता तो भाभी मेरे लिए लंड का जुगाड़ कर देती थी। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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26-03-2025, 01:14 PM
(This post was last modified: 27-03-2025, 11:10 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
Samapt
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भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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