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लंड की लालसा
#1
लंड  की लालसा

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
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अपने परिवार में इकलौती लड़की हूँ और मेरे दो बड़े भाई हैं और उनकी पत्नियाँ यानि मेरी 2 भाभी और मम्मी पापा हैं।

मेरी उम्र उस समय 19 साल थी। मैं दिखने में काफी आकर्षक हूँ, और शरीर भी भरा भरा है.
मेरा रंग भी बिलकुल साफ और गोरा है। मेरा फ़िगर भरा भरा है, स्तन का साइज़ 38 है और नितंब का साइज़ भी उतना ही है।
मेरा परिवार एक रसूकदार परिवार है जिसकी समाज में बहुत इज्ज़त है।
पर मेरे घरवाले बहुत सख्त है और मुझ पर काफी बंदिशें थी।
मैं ज्यादा कहीं नहीं आ-जा सकती थी बिना इजाजत के!
मेरे भाई भी मुझ पर नज़र रखते थे।
मेरा भी मन करता था बाकी लड़कियों की तरह कि मेरा भी कोई लड़का दोस्त होता, मैं भी बाहर घूमती फिरती, फिल्म देखने जाती वगैरा वगैरा।
पर घर वालों के डर से नहीं कर सकती थी।
मेरे भाइयों का रौब इतना ज्यादा था कि लड़के खुद ही मुझसे बच के रहते थे.
एक दो बार मेरे भाइयों ने दो लड़कों की पिटाई कर दी थी क्योंकि उन्होंने मुझसे दोस्ती करने की कोशिश की थी।
इस कारण मैं खुद भी अपने भाइयों से डरती थी।
उनका मेरे प्रति इतना सतर्क होना तो सही है.
पर आखिर मैं भी तो इंसान ही हूँ, मेरी भी इच्छायें थी आम लड़कियों की तरह!
लेकिन मैं अपने मन को काबू करके और अपनी इच्छाओं को दबा के जी रही थी।
मैं अपनी भाभी की बहुत चहेती थी. यूं कहिए कि पक्की सहेली की तरह थी।
एक दो बार तो भाभी ने मुझे अपने कम्प्यूटर पर ब्लू फिल्म देखते हुए पकड़ लिया था पर उन्होंने किसी से कुछ नहीं कहा था।
आखिर वो भी समझती थी कि मेरे मन में क्या चल रहा होगा।
खैर ऐसे ही मेरा टाइम कट रहा था।
मैं कॉलेज में तो थी पर सिर्फ सहेली ही बना सकती थी, किसी भी लड़के को दोस्त नहीं बना सकती थी।
पर ज़िंदगी के अपने प्लान अलग ही होते हैं, तो कोई कितना भी ज़ोर लगा ले होता वही है जो लिखा होता है।
तो आगे की घटना कुछ यूं घटित हुई।
मेरी भाभी की एक बहुत अच्छी सहेली की शादी थी कुछ दिनों में … जिसके लिए उन्हें मायके जाना था कुछ दिनों के लिए।
और इत्तिफाक़ से मेरे कॉलेज भी कुछ दिनों के लिए बंद थे।
पर समस्या यह थी कि भैया को छुट्टी नहीं मिल रही थी काम से!
तो भाभी ने कहा- कोई बात नहीं, मैं अकेली ही चली जाऊँगी, आप परेशान मत हो।
मैंने सोचा कि मैं खाली हूँ कुछ दिन तो … और भाभी के साथ घूम कर मेरा भी थोड़ा हवा पानी बदल जाएगा.
तो मैं जिद करने लगी कि मैं चली जाऊँगी भाभी के साथ।
शुरू में तो भाभी ने कहा- अरे तू परेशान मत हो, मैं एडजस्ट कर लूँगी।
पर मेरा भी मन था बाहर जाने का तो मैंने घर वालों को मना ही लिया भाभी के साथ जाने के लिए।
इसलिए भैया हम दोनों को भाभी के मायके में छोड़ के तुरंत वापस चले गए।
भाभी के परिवार में सिर्फ उनके मम्मी, पापा और एक छोटा भाई हैं।
शादी में अभी 3-4 दिन थे इसलिए हमने शादी में पहनने के लिए अच्छे से कपड़े ले लिए थे वहीं से।
भाभी के यहाँ आकर मुझे भी बहुत खुला खुला सा लग रहा था क्योंकि उनके परिवार की तरफ से कोई रोकटोक नहीं थी।
तो शादी का दिन भी आ गया, सिर्फ मैं और भाभी शादी में जा रहे थे.
हम दोनों अच्छे से तैयार हो गयी।
भाभी ने मेरे लिए शादी में पहनने को एक बहुत ही सेक्सी सा हल्के गुलाबी रंग का लहंगा चुन्नी खरीदा था।
हालांकि कपड़े सुंदर तो बहुत थे पर मैंने ऐसे कपड़े कभी नहीं पहने थे।
भाभी ने बोला- पहन ले नेहा, यहाँ कोई नहीं देखेगा घर वाला, तू टेंशन मत ले।
अब मुझे भी थोड़ी सी हिम्मत आयी तो मैंने भी खुश होकर पहन लिया।
उधर भाभी ने भी लाल रंग की साड़ी खरीदी थी और बहुत सेक्सी सा ब्लाउज़ लिया था।
वो ब्लाउज़ तो कमर पे सिर्फ दो डोरी से बंधा हुआ था और आगे भी स्तन कुछ हद तक चमक रहे थे।
मुझे नहीं पता था कि भाभी ऐसे कपड़े भी पहनती हैं।
खैर हम दोनों तैयार हो गयी. हमने बाल भी खोल लिए और स्टाइल से मेकअप भी कर लिया।
भाभी मुझसे बोली- ये क्या नेहा, इस लहंगे के साथ चोली इस तरह से नहीं पहनते! थोड़े से स्तन दिखने चाहिए, वरना सेक्सी नहीं लगती लड़की! और तेरे तो स्तन मेरे से भी बड़े हैं. तो थोड़े दिखने भी चाहियें।
पहले तो मैंने थोड़ी ना नुकर सी करी, पर बाद में मान ही गयी।
भाभी ने मेरी चोली थोड़ा सी नीचे को सेट कर दी, जिससे मेरे गोरे और बड़े बड़े स्तन चोली में से झाँकने लगे और चिकने होने के कारण चमक भी रहे थे।
फिर उन्होंने मुझे शीशे की तरफ घूमा दिया और बोली- अब देख।
मैं आश्चर्य से अपने आप को देख रही थी। मैं बहुत सुंदर लग रही थी और थोड़ा सा शरमा भी रही थी।
जब हम दोनों अच्छे से तैयार हो गयी तो मैं भाभी से बोली- चलें क्या भाभी?
भाभी ने बोला- चलते हैं. मेरे दोस्त आ रहे हैं गाड़ी लेकर … उनके साथ ही जाएंगे. और फिर वही लोग हमें यहाँ वापस छोड़ देंगे।
दोपहर के लगभग 4 बजे भाभी के 2 दोस्त भी आ गए।
वो हम लोगों से अच्छे से मिले और थोड़े चाय नाश्ते के बाद हम लोग शादी के लिए जाने लगे।
मुझे थोड़ा अजीब इसलिए लगा की दोनों लड़के ही थे।
उनके नाम अजय और कुणाल थे।
हम सब गाड़ी के पास आए तो भाभी बोली- अरे नेहा, मैं अपना फोन चार्जिंग पे लगा ही भूल आई, ले आ यार प्लीज।
मैंने कहा- कोई नहीं भाभी, मैं ले आती हूँ.
और मैं फोन लेने अंदर चली गयी।
जब मैं फोन लेकर आई तो भाभी उन दोनों से धीमे स्वर में बात कर रही थी।
मुझे कुछ समझ तो नहीं आया पर शायद ये कह रही थी “नेहा को कुछ पता नहीं है।”
खैर मैंने सोचा मेरे काम की बात नहीं होगी इसलिए भाभी ने मुझे बताई नहीं होगी।
भाभी ने बोला- नेहा तू प्लीज पीछे बैठ जा, मुझे चक्कर आते हैं इसलिए मैं आगे कुणाल के साथ बैठ जाती हूँ।
तो मैं और अजय पीछे की सीट पे बैठ गए।
हालांकि शुरू में मेरे लिए वो अंजान ही थे, पर धीरे धीरे मैं भी उनके साथ घुलमिल गयी।
हम सब थोड़ा हंसी मज़ाक करते हुए अपनी मंज़िल की ओर जा रहे थे।
डेढ़ दो घंटे गाड़ी चला के हम सब शादी वाले फार्म हाउस पहुँच गए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
शुरू में हम सब ने हल्का चाय नाश्ता लिया।

वहाँ भाभी के काफी दोस्त इकट्ठे थे.
पर मुझे थोड़ा अजीब ये लग रहा था कि भाभी कुणाल के साथ ज्यादा समय बिता रही थी और इस वजह से अजय मेरे साथ ज्यादा था।
हम दोनों चाय नाश्ते के बाद सोफ़ों पे बैठ कर ऐसे ही इधर उधर की बातें करने लगे।
उसने मुझे बताया कि वो दिल्ली में 1 रेस्तरां चलाता है, घर में कौन कौन है वगैरा वगैरा।
मैंने भी उसे अपने बारे में थोड़ा बहुत बता दिया था।
ऐसा पहली बार ही था कि मैं एक अंजान से लड़के के साथ थी और कोई रोकने टोकने वाला नहीं था.
इसलिए मैं भी भाभी को छोड़ उसके साथ गप्पे मार रही थी।
बाद में बारात आयी और शादी की कुछ रस्में हुई।
सभी बहुत खुश थे और रात भी हो चली थी।
इधर अजय अब भी मेरे साथ ही था और भाभी अपने दोस्तों में!
फिलहाल तो मुझे भाभी की कमी भी नहीं खल रही थी क्योंकि अजय मेरे साथ बहुत अच्छे से पेश आ रहा था. और वो रह रह कर मेरी तारीफ भी कर रहा था, इसलिए मैं और खुश हो रही थी।
मेरे घर से फोन आया तो मैंने बताया- हाँ हम शादी में हैं और खूब मजे कर रही हैं।
फिर मैं फोन काट के अजय के पास आयी तो वो भी किसी से फोन पे बात कर रहा था।
वो कह रहा था- तुम टेंशन मत लो, मैं ध्यान रखूँगा.
और फिर फोन काट दिया।
मैंने पूछा- किसका ध्यान रखने की बात हो रही है?
उसके मुंह से एकदम से निकला- तुम्हारा।
मैं एकदम से चौंक गयी और बोली- मतलब?
फिर अजय बोला- अरे कुछ नहीं … घर वालों का फोन था, वो बोल रहे थे कि रात में गाड़ी ध्यान से चलाना।
मैंने कहा- ओह, अच्छा अच्छा!
बीच बीच में मैं और अजय छुटपुट मज़ाक भी कर रहे थे.
इतना अच्छा समय बीता मेरा कि मैं बहुत खुश थी।
मैंने अजय से बोला- मेरे लिये कुछ खाने को ले आओ. वहाँ काउंटर पे भीड़ है काफी।
तो वो कुछ खाने को लेने चला गया.
और मैं उसका इंतज़ार करते हुए फोन में लग गयी।
पर मेरे फोन में बैटरी कम हो गयी तो मैंने सोचा कि चलो फोन चार्जिंग पे लगा देती हूँ.
इसलिए मैं लड़कियों के कमरे की तरफ बढ़ गयी क्योंकि हमारा सामान वहीं पे रखा था और चार्जर वहीं पे था।
मैं वहाँ कमरे में पहुंची तो वहाँ कोई नहीं था क्योंकि सब लोग नीचे शादी में खाने का मजा ले रहे थे।
मैंने बैग से चार्जर निकाल के अपना फोन लगा दिया।
तभी मेरा ध्यान कुछ अजीब आवाजों पे गया जो बाथरूम से आ रही थी,
जैसे किसी की सांस चढ़ रही हो।
मैं उधर जाने लगी, पर इतने में ही बाथरूम से भाभी मुसकुराते हुए बहार आ गयी पर उनके कपड़े और बाल बिखरे हुए से थे।
मैंने पूछा- भाभी, आप यहाँ क्या कर रही हो?
भाभी ने थोड़ी हड़बड़ाहट में बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया और बोली- कुछ नहीं कुछ काम से आई थी. तू यहाँ क्या कर रही है?
मैंने बोला- अरे, मेरे फोन की बैटरी डाउन हो गयी तो चार्जिंग पे लगाने आई थी।
भाभी ने बोला- मेरी ब्लाउज़ की डोरी बांध दियो.
तो मैंने बांध दी और ये पूछने को हुई कि ये खोली क्यूँ?
पर तभी मेरा फोन बज गया.
अजय का फोन था, वो बोला- कहाँ हो नेहा जी, मैं आपके लिए खाने को चाट पापड़ी लाया हूँ, जल्दी आओ।
मैंने भाभी को बोला- भाभी मेरा फोन देखना, मैं नीचे जा रही हूँ।
फिर मैं नीचे आ गयी और चाट खाने में लग गयी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
खा पी कर मैं और अजय बात करने लगे।

तभी अजय के फोन पे कुणाल का फोन आया तो वो भाभी और कुणाल के पास चला गया कुछ बात करने।
धीरे धीरे सब घर को जाने लगे थे क्योंकि सफर लंबा था इसलिए रात के 11 बजे हम चारो भी वापस निकल पड़े।
मैं और अजय पीछे ही बैठे थे और मेरी आँख लग गयी।
कुछ देर बाद भाभी ने मुझे उठाया और बोली- गाड़ी खराब हो गयी है इसलिए आज यहीं रुकना पड़ेगा।
मैं नींद सी में ही थी पर गाड़ी से उतरी तो देखा हम एक काफी पुराने खंडर से बंगले के पास रुके हुए है।
यह देख मैं थोड़ा डर गयी तो मैंने पूछा- भाभी, ये कौनसी जगह है?
भाभी ने बोला- अरे तू डर मत, ये एक पुराना सरकारी बंगला है, ज़्यादातर खाली ही रहता है, चौकीदार से बात हो गयी है, हम कल सुबह तक यहा रुक सकते हैं। सुबह किसी मैकेनिक को ला के गाड़ी ठीक कराएंगे और घर निकल जाएंगे!
तब मेरी थोड़ी हिम्मत बंधी.
और वैसे भाभी तो मेरे साथ थी ही।
हम लोग एक्सट्रा कपड़े लेकर नहीं आए थे क्योंकि हम ऐसा कुछ सोच कर नहीं चले थे घर से!
मैं और भाभी ऐसे ही एक कमरे में सोने चले गए, और अजय और कुणाल दूसरे कमरे में।
अभी मुझे सोये हुए कुछ देर ही हुई थी कि मेरी नींद दूर एक सियार की आवाज से टूट गयी।
मैं एक बार को सहम गयी तो भाभी की तरफ घूम गयी।
अगले ही पल मेरी सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी, क्योंकि भाभी तो वहाँ थी ही नहीं।
मैं थोड़ा डरी हुई तो थी ही इसलिए धीरे धीरे दबे पाँव बाहर हाल के पास जाने लगी भाभी को ढूंढने।
मैंने खिड़की से बाहर देखा तो अजय खड़ा हुआ सिगरेट पी रहा था.
मैं उसके पास जाने को हुई पर मुझे भाभी की आवाज सुनाई दी किसी से बात करते हुए।
तो मैं दूसरे कमरे की तरफ जाने लगी.
अंदर से भाभी और उनके दोस्त कुणाल की बातों की आवाज आ रही थी।
मैंने सोचा शायद नींद नहीं आ रही होगी भाभी को इसलिए इधर आई होंगी.
तो मैंने बिना सोचे दरवाजा धक्का दे के खोल दिया।
दरवाजा थोड़ा अटक के अंदर की तरफ खुल गया।
अंदर का सीन देख के तो मेरे होश ही उड़ गए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
मैंने अपनी भाभी को उनके दोस्त के साथ नंगी चुदाई करते देखा. मैं भी चुदना चाहती थी पर डरती थी.

अंदर का सीन देख के तो मेरे होश ही उड़ गए।





जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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