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Incest स्वाति की शादी : मेरी सुहागरात
#1
स्वाति की शादी : मेरी सुहागरात

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
ये तो असमंजस में आपको डालने वाली बात हुई ना की मेरे पति के चाचा की बेटी की शादी आज है और उसकी शादी के रस्म के वक्त मेरी सुहागरात हो रही थी, आप समझ जाएंगे कि दीपा की सुहागरात किसके साथ और किस परिस्थिति में हुई, आज देर शाम स्वाति के लिए बारात आने वाली है तो पूरे घर को रोशनी से सजाया गया है,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
कई जगह पर जेनरेटर लगा हुआ है जोकि दोपहर से ही काफी शोरगुल कर रही है तो शाम होते ही घर में विवाह गीत संगीत औरतों द्वारा गाया जा रहा था तो मैं अब अपने रूम से निकल वाशरूम गई और फिर फ्रेश होकर स्नान कर ली, जिस घर में मेरे रहने का इंतजाम था वहां थोड़ी चहल पहल कम थी और अधिकतर औरतें ही यहां रुकी हुई थी सो थोड़ी नाफिक्र थी। दीपा स्नान करके बदन को टॉवेल से पोंछ ली फिर पेटीकोट को स्तन के उपर से बांध एक टॉवेल गर्दन से नीचे तक डाल वाशरूम से निकली, वैसे भी मुश्किल से रूम और वाशरूम की दूरी २०-२५ फीट थी लेकिन घर के प्रथम मंजिले पर के बरामदे पर एक दूरी से नजर पड़ सकती थी, सो मैं तेजी से रूम की ओर गई फिर रूम का दरवाजा सटाकर अपने बैग से एक पीले रंग की साड़ी, साथ में पेटीकोट और ब्लाऊज़ निकाली तो ब्रा भी लगाना जरूरी था, अब मैं अपने तन पर से भींगे पेटीकोट को उतार फैंकी और फिर ब्रा लगाई साथ ही पेटीकोट फिर अपने ब्लाऊज और अंत में साड़ी पहन ली। दीपा २६ साल की मचलती जवानी थी तो उसने अपने बिन बाहों वाली बैकलेस ब्लाऊज पहन लोगो को आकर्षित करने का मूड बना रखा था साथ ही अपने बदन पर इत्र लगाकर सुगन्ध दे रही थी तो वक़्त शाम के सात बजे थे और अब मैं बेड पर बैठ सोचने लगी कि मेरी ननद तो आईं है नहीं तो फिर किसके साथ थोड़ा अटखेली करूंगी, और तभी ध्यान में मुझे रिंकी आईं जोकि बेड पर मेरे बगल में सो रही थी। मैं बेड पर लेटी थी कि मेरे पति ने मुझे कॉल किया ” तुम तैयार हो ना
( मैं ) हां तैयार हो रही हूं, क्यों
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
( वो ) ठीक है तुम इस आंगन में थोड़ी देर बाद आ जाना, बारात आधे घंटे में आने वाली है ” फिर मैं अकेले बोर हो रही थी कि रिंकी आईं, मुश्किल से १८ साल की होगी और मुझे देख बोली ” भाभी आप तो गजब की खूबसूरत लग रही हैं
( मै मुंह इठलाते हुए बोली ) रहने दे अब मेरा कोई वैल्यू नहीं है, समझी ” फिर दोनों रूम से निकले और सीढ़ी से उतर बगल के आंगन गए तो वहां आंगन में ही शादी का मंडप बना हुआ था तो घर और बाहर की महिलाएं साथ ही लड़कियां बारात के स्वागत की तैयारी कर रही थी, उनके लिए फूलों का इंतजाम किया गया था जोकि उनके द्वार पर आते ही उन पर बरसाया जाता तो मैं भी अपने उम्र की औरत के साथ हुई फिर बातचीत कर रही थी….. कुछ देर बाद बेंड बाजा और पटाखे की आवाज सुनाई दी तो सभी महिलाएं आंगन के द्वार तक फूलों कि थाल लिए जाने लगी, साथ में मैं और रिंकी भी थे तो द्वार पर रुक गए तो दूसरी ओर घर के मर्द लोग उनके स्वागत के लिए खड़े थे फिर दूल्हे का गाड़ी आया तो पहले कई बाराती थे जोकि शायद नशे में मस्त होकर बेंड बाजा पर डांस कर रहे थे फिर हम लोग उन सबों पर फूल बरसाने लगे तो दूल्हे का कार रुका और अब बाराती से घर के लोग गले मिलने लगे, अंत में गाड़ी से दूल्हे को गोद में लेकर लड़की का भाई आंगन घुसा फिर हम सब आंगन में तो बारातियों के लिए द्वार के पास ही नाश्ता और खाने का इंतजाम था, अब दूल्हे को गोद से उतार मंडप पर बिठाया गया तो शादी के ड्रेस में स्वाति बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। दीपा मंडप के एक किनारे नीचे बिछे गद्दे पर बैठी और फिर थोड़ी देर में शादी का रस्म शुरू हुआ तो कुछ बाराती भी मंडप के दूसरे किनारे लगे कुर्सी पर बैठकर शादी की रस्म देखते हुए कॉफी और नाश्ता कर रहे थे, इतने में मुझे अपने मोबाइल पर रिंग सुनाई दिया और मैं उस शोरगुल से थोड़ी दूर होकर कॉल रिसीव की ” हेल्लो कौन
( वो हंसने लगा ) भाभी जी आवाज तो पहचानिए फिर दिखेंगी तो पहचान ही लेंगी ” तो मैं कॉल डिस्कनेक्ट कर वापस मंडप की ओर जाने लगीं तो दुबारा रिंग होने लगा और मैं गुस्से में कॉल रिसीव कर बोली ” कौन है बदतमीज क्यों मुझे परेशान कर रहे हो
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#5
( वो ) आपका देवर और आशिक भी क्यों भाभी गुस्से में तो आपकी गाल सेव की तरह लाल लग रही है ” वो कुछ दूरी पर ही खड़ा था तो मेरी नजर उसपर गई और मैं उसके ओर गई तो भाभी और देवर के बीच बातचीत कोई भला क्या शक करेगा, तभी वक़्त रात के ०८:३० हो रहे थे तो मै विवेक के साथ ही आंगन से निकल पड़ी और संयोग अच्छा था कि मेरे पति ना तो आंगन में थे और ना ही बाहर बारातियों के साथ तो मुझे मालूम नहीं था कि मेरा देवर विवेक मुझे किधर ले जा रहा था। दीपा अब शादी के घर से ५०-६० मीटर की दूरी पर रुकी ” विवेक किधर जाना है
( वो ) यहीं पर अपनी गाड़ी लगी है उसमें बैठकर दोनों बातचीत करेंगे ” तो कुछ दूरी पर कई कार और गाड़ी लगी हुई थी, निश्चित रूप से बाराती इससे आए होंगे तभी विवेक एक बड़ी कार का गेट खोला तो वहां कोई नहीं था और दोनों कार के पिछले सीट पर बैठे तो विवेक गेट बंद कर ए सी चालू किया फिर दोनों एक दूसरे से लिपटकर एक दूसरे को चूमने लगे, उसकी बाहों में आकर मैं मस्त थी तो उसके गोद में अपनी गोल गद्देदार चूतड रख उसके गर्दन में हाथ डाल ओंठ चूमने लगे और विवेक मेरी पीठ सहलाते हुए ओंठ को मुंह में लिए चूसने लगा तो दीपा उसका साथ देने लगी, एक ओर स्वाति की शादी हो रही थी तो दूसरी ओर दीपा अपने दूसरे पति यानी देवर के साथ सुहागरात मनाने को तैयार थी
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#6
कार में विवेक के गोद में बैठ दीपा उसके मुंह में जीभ घुसाई तो देवर जी मेरे जीभ को चूसने लगे साथ ही मेरे बैकलेस ब्लाऊज की डोरी खोल चुके थे तो ब्लाऊज आगे की ओर लटक चुका था लेकिन फिलहाल तो उसके छाती से मेरी बाईं चूची ही दब रही थी और उसके मुंह में जीभ डाल ऐसा लगा मानो वो ड्रिंक्स किए हो फिर भी पल भर तक फ्रेंच किस्स का मजा ली फिर उसके गोद से उतर अपनी बलाऊज को बाहों से निकाल दी तो विवेक मेरे साड़ी को सीने से नीचे कर चूचियों के नग्न हिस्से को चूमने लगा साथ ही मेरे नग्न पीठ सहला रहा था, मेरा हाथ उसके पैंट के बटन पर था तो मेरी चूचियों को चूमता हुआ वो मेरी सपाट पेट तक को चूमने लगा और मेरी चूत में अब खुजली होने लगी तो विवेक झट से अपना पैंट खोल चढ्ढी उतार दिया और कार के अंदर बाहर से ही थोड़ी बहुत रोशनी आ रही थी, उसका गोरा लम्बा लंड पकड़ सहलाने लगी तो वो मेरी ब्रा की हूक खोल चूचियों को नंगा कर दिया। विवेक मुझसे उम्र में दो साल छोटा होगा तो उसके गोरे बदन और स्मार्ट फिगर ने मुझे उसकी ओर आकर्षित कर रखा था साथ ही दोनों के बीच कई बार संभोग क्रिया भी पहले हो चुका था, फिलहाल विवेक अपना चेहरा चूची पर लगाया और मुंह खोल मेरी चूची को अंदर लिए चूसने लगा तो उसके लंड को पकड़ मैं हिलाने लगी, दोनों सेक्स की दुनिया में खो चुके थे। दीपा के खूबसूरत जिस्म का उपरी हिस्सा नग्न था तो वो मेरी चूची चूसते हुए मेरे पीठ को सहला रहा था और अब कामुकता वश मैं उसके चेहरे को पीछे की फिर चूची मुंह से बाहर कर विवेक मेरे दूसरे स्तन को मुंह में लिए चूसने लगा ” ओह उह विवेक प्लीज़ चोद ना क्या चूची चूसने में लगे हुए हो, कितने दिनो के बाद तो तेरी बाहों में हूं ” लेकिन देवर मेरी चूची चूसता रहा और उसका लंड अब टाईट हो चुका था, बड़ी कार थी तो पिछले सीट पर आराम से टांग फैलाए चुदवा सकती थी और जैसे ही उसने मेरी चूची को छोड़ा, मैं उसके गोद से उतर गई और अपने कमर से लिपटे साड़ी को खोल अब पेटीकोट खोलने लगी तो विवेक अपना शर्ट उतार नंगा हो गया और सारा कपड़ा अगले सीट पर रख अब मैं कार के खिड़की से सर लगाए सीट पर लेटी तो विवेक मेरी जांघों के बीच चेहरा किए बुर को चूमने लगा और मैं उसके ओंठ का प्यार चूत पर पाते ही आहें भरने लगी ” ओह उह उई मां कितनी गुदगुदी बुर के अंदर हो रही है ” तो मेरी फांकों के बीच जीभ रगड़ता हुआ विवेक मेरी चूत चाटने लगा और मैं मस्ती में लेटे हुए सिसक रही थी ” उई सी इस आह ओह तुम तो बुर से पानी निकाल कर ही रहोगे ” तो भी कुत्ते की तरह विवेक मेरी चूत को चाटता रहा, हर लड़की और औरत चाहती है कि उसके योनि को मर्द चूमे / चाटे तो अब विवेक जीभ निकाल मेरी चूत में दो उंगली एक साथ घुसाए रगड़ने लगा साथ ही मेरे गोल मुलायम चूची को पकड़ मसल रहा था और मैं ” ओह उह आह अब नहीं मेरा रस निकलेगा आह चाट साले रण्डी की औलाद ” तो विवेक मुस्कुराता हुआ ” तेरी सासू मां तेरे तरह दस घाट का पानी नहीं पी रही है
( मैं गुस्से में ) सो क्या तुमसे इजाजत लेकर चुद्वाएंगी ” और मेरी चूत से रस निकलने लगा तो देवर जी जीभ बुर में डाल चाटने लगे और दीपा चुदाई को तड़प रही थी, अब मेरे बदन में मानो आग लगी हुई थी तो विवेक बुर चाट चेहरा उपर किया ” भाभी जान मेरा लंड मुंह में या फिर चूत में डालूं
( मैं झेंप के चेहरा को हथेली से ढक ली ) आपकी भाभी अपना तन आपको सौंप चुकी है, जिधर डालना हो डालिए ”
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#7
विवेक बिना देर किए मेरी चूत में लंड घुसाने लगा तो मेरी रसीली चूत जब ससुर के मोटे लंड को निगलकर दो दो बार चुदवा ली तो फिर विवेक का तो उससे काफी पतला और छोटा था, पूरा लंड घुसाने के बाद विवेक मुझे चोदने लगा तो मैं अपने दोनों पैर हवा में किए चूतड को थोड़ा ऊपर उचकाए चुदाने लगी, लंड का सुपाड़ा मेरी चूत की गहराई तक घुस रहा था तो विवेक मेरे पैर कंधे पर रख दे दनादन चोदता हुआ बूब्स पकड़ा फिर जोर जोर से मसलने लगा और मेरी चूत अब चुदाई का आनंद लेते हुए ओर्गास्म की ओर जा रही थी, वैसे मेरी चुदासी चूत को तृप्त करना सब मर्दों के वश का नहीं था ” ओह चोद साले शादी करेगा नहीं और इधर उधर मुंह मारेगा, मेरी ननद दीपाली को चोदता है कि नहीं
( विवेक मुस्कुराने लगा ) बहन है मेरी और उसकी ओर तो आंख उठाकर भी देखना पाप है ” इधर मेरी चूत में लंड का गपागप घुसना उसके रस को उड़ा चुका था तो बुर की गर्मी से परेशान दीपा अब चीखने लगी ” चोद चोद और तेज ओह इतनी मस्ती दस दिन के बाद ही मिल रही है उह मेरी बुर की गर्मी ” और देवर जी चोदते हुए हांफने लगे साथ ही मेरे ऊपर अब सवार होकर चोद रहे थे तो मैं भी अपने चूतड उछालते हुए उसके लंड का धक्का सहने लगी। कार में पिछले सीट पर नंगी लेटी हुई दीपा के बदन पर उसका देवर लेटकर चोदे जा रहा था तो उसका लंड राजधानी एक्सप्रेस से भी तेज गति में अंदर और बाहर हो रहा था और मै अपने गोल गद्देदार चूतड उछाल उछालकर हांफने लगी लेकिन विवेक रुकने और झडने का नाम ही नहीं ले रहा था, दोनों वातानुकूलित कार में पसीना पसीना हो चुके थे तो अब मैं चूतड स्थिर की फिर विवेक १०-१२ जोर का धक्का दिया और उसका लंड वीर्य की पिचकारी छोड़ मेरी चूत को ठंडा कर दिया, बुर वीर्य से लबालब था तो चिपचिपा भी फिर वो मेरे पर से उठा तो मै अपने पेटीकोट से चूत साफ की फिर कपड़ा पहन शादी की मंडप की ओर गई, देर रात तक शादी के रस्म देख खाना खाई और फिर से सुहाग्सेज पर जाकर लेट गई…
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#8
bhai pics ke saath karo upload yaar
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#9
ok sir please ask someone from
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thanks
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#10
...
......
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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thanks
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