Thread Rating:
  • 3 Vote(s) - 1.67 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Incest शीघ्रपतन
#1
शीघ्रपतन

























































...............................................................




.................................................................................



जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
" जब मैं कहती थी कि आपकी Bike खटारा है तब तो आप गुस्सा करते थें भैया... अब देखो. ". निधी ने कहा. " अब भी सुधर जाओ भैया... एक नई Bike ले लो ना... या फिर इस बार एक Car ! ".

" बकबक थोड़ा कम किया करो... अब क्या करना है सोचने दो. ". रोहित ने अपनी Bike को देखते हुए कहा.

" Relax Bro ... यहाँ पास में एक Garage है... आप Bike हमें दे दो... हम वहाँ बनने को छोड़ देंगे... कल आप जब निधी को लेने आओगे तो ले जाना. " . पास ही खड़े निधी के दोस्तों के Group में से एक लड़के ने कहा.

अपने भैया को चिढ़ाने के लिए निधी उसके चेहरे के पास जाकर मुस्कुराई और बोली. " मेरे दोस्तों को आप बाद में Thanks बोल देना. अब चलें ? . ".

" और ये बारिश ? ". रोहित ने बाहर हो रही बरसात को देख कर कहा.

" इस मामले में मेरे दोस्त आपकी कोई मदद नहीं कर सकतें ! ". निधी ने हँसते हुए कहा. " Come On भैया... गर्मी कि बारिश है... चलो ना भीग कर चलते हैं. "

निधी ने अपनी किताबों वाली बैग भी अपने दोस्तों को दे दी ताकि बारिश में भीग ना जाये... उन्हें Bye बोला और अपने भैया के साथ कॉलेज से बाहर निकल आई....................

रोहित का ये रोज़ का Routine था. उसे ऑफिस से लौटते वक़्त अपनी छोटी बहन निधी को कॉलेज से Pick करना पड़ता था घर वापसी के लिये. उनके मम्मी पापा थोड़े पुराने खयालात के थें, पर बुरे नहीं थें. उनका मानना था कि भाई अगर अपनी बहन को कॉलेज ले जाना और ले आना करे तो लड़की Safe रहती है. निधी को इसमें कोई परेशानी नहीं थी, बस उसके कॉलेज के दोस्त इस बात पर उसका काफी मज़ाक उड़ाते थें.

रोज़ कि तरह रोहित आज भी अपनी बहन को लेने आया था पर उसकी Bike ख़राब हो गई थी.

कॉलेज से बस स्टॉप सिर्फ 5 मिनट कि दुरी पर था पर बारिश इतनी तेज़ हो रही थी कि रोहित और निधी पूरी तरह से भीग गयें वहाँ तक पहुंचते पहुंचते.

" वो बंदा कौन था जो मुझे Bro बोल रहा था ?. ". बस स्टॉप पे बस का इंतजार करते हुए रोहित ने पूछा.

" भैया Relax... मेरे दोस्त ऐसे ही बात करतें हैं. ".

" गुस्सा क्यूं हो रही हो... बॉयफ्रेंड है क्या ? ". रोहित ने मज़ाक किया.

"Oh Please भैया... ".

" तुम्हारा मम्मी पापा से झगड़ा खत्म हुआ ? ". रोहित ने पूछा.

" कौन वाला भैया ? बहुत सारे हैं तो... ". निधी हँस पड़ी.

" वो Separate Room वाला... ".

निधी को अपने मम्मी पापा के कहे अनुसार अपने भैया का कमरा Share करना पड़ता था. उसका कोई अपना कमरा नहीं था और इसी बात पर निधी रोज़ अपने मम्मी पापा से लड़ती झगड़ती रहती थी.

" अभी कहाँ भैया. अब आप ही बताओ जब ऊपर फ्लोर पे एक कमरा खाली पड़ा है तो मेरा आपके साथ आपके रूम में रहने का क्या मतलब ??? ".

" Don't Worry... अभी तूम 20 कि हो... 22 या 23 साल कि होने तक मम्मी पापा तुम्हारी शादी कर देंगे... फिर जी भर के अपने पति के साथ एक दो जितनी मर्ज़ी उतने कमरों में रह लेना. ". रोहित ने दुबारा अपनी बहन कि टांग खींची.

" भैया Shut Up ! ".

15 मिनट बीत चुके थें पर बस का कोई नमोनिशान नहीं था.

" UBER बुला लूं क्या ? ".

" रहने दो भैया... बेकार में पैसे खर्च होंगे. बस अभी आ जायेगी. " निधी ने कहा. " UBER पे पैसे बर्बाद ना करके उसी पैसों से आप मुझे एक साड़ी खरीद देना. "
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#3
" अच्छा ? दो तीन सौ में कहाँ से आयेगी साड़ी ? ".

" दो तीन सौ में कुछ और पैसे मिला लेना भैया... ". निधी हँसते हुए बोली.

कुछ देर में ही उनकी बस आ गई.

" आजाओ भैया... ".

" इसमें नहीं निधी... बहुत भीड़ है. ".

" भैया... यहाँ कि सारी बसें ऐसे ही भीड़ वाली आती हैं... चलो. ".

रोहित को आराम से Travel करने कि आदत पड़ी थी, बस में अंदर घुसते ही भीड़ देख कर उसका दिमाग़ घुमने लगा. निधी इन सब में Expert थी, उसने अपने भैया का हाथ पकड़ा और भीड़ में जगह बनाती हुई बस के एकदम पीछले हिस्से में चली गई. भीड़ तो वहाँ भी कम नहीं थी पर बस के पिछले हिस्से में कम से कम आने जाने वाले लोगों कि धक्को से बचा जा सकता था. मुश्किल से खड़े होने कि जगह मिली थी उन्हें, दोनों एक दूसरे के अगल बगल खड़े हो गये, बस चल पड़ी.

" अच्छा निधी... जिस दिन मैं तुम्हें कॉलेज से Pick करने नहीं आ पाता उस दिन तूम इसी तरह बस में इतनी भीड़ में जाती हो ? ".

" हाँ भैया... तो ? वैसे आज थोड़ी ज़्यादा ही भीड़ है इस बारिश कि वजह से... रोज़ नहीं होता इतना... पर... ".

" अब से मैं तुम्हें रोज़ लेने आ जाया करूंगा... ". रोहित ने अपनी बहन कि बात काटते हुए कहा........................

" So Sweet भैया... मुझे आपके साथ आने जाने कि आदत पड़ चुकी है और आप जो मेरे साथ Bodyguard कि तरह रहते हो उससे मेरे दोस्त जो मेरा मज़ाक उड़ाते हैं, उसकी भी आदत पड़ चुकी है. ". निधी ने मुँह बनाते हुए कहा........................

निधी जिस जगह खड़ी थी उसके पीछे एक आदमी बड़ा सा बैग लिये खड़ा था. उस बैग कि वजह से निधी ठीक से खड़ी नहीं हो पा रही थी और उसे बार बार ठोकर लग रही थी.

" इधर आ जा निधी. ". रोहित ने जब ये Notice किया तो उसने अपने सामने थोड़ी सी जगह बना ली और निधी वहाँ घुस कर अपने भैया के आगे खड़ी हो गई. अब उसकी पीठ अपने भैया के तरफ थी और उसे धक्के मुक्के से बचाने के लिये उसके भैया उसके पीछे खड़े थें. उसके भैया उसके लिये इतने Protective थें ये देख कर निधी मन ही मन मुस्कुराई पर कुछ बोली नहीं. उसे अपने भैया के साथ नोंक झोंक वाला रिश्ता ही ज़्यादा भाता था, Formality वाला नहीं !

बाहर बारिश होने कि वजह से दिन के वक़्त भी अच्छा खासा अंधेरा छा गया था, बस कि सारी खिड़कीयां बंद थी तो अंदर बस में भी अंधकार ही था, जो जहाँ था वहीं चुपचाप खड़ा था, हिलने डूलने कि तो जगह ही नहीं थी. कुछ देर कि यात्रा के बाद रोहित और निधी अब Relax हो गयें थें...........................

रोहित ने अपनी बहन को अपने सामने खड़े होने कि जगह तो दे दी थी पर वो Comfortable नहीं हो पा रहा था, निधी का तो उसे पता नहीं.

दरअसल, उसकी बहन का बदन उसके जिस्म से एकदम चिपक गया था, उसपे उसकी बहन का सलवार कमीज़ और खुद उसका Trouser और शर्ट पानी में भीग कर तर बतर हो चुका था.

शुरू में काफी देर तक उसने कोशिश कि, की उसका शरीर अपनी बहन के बदन से ना सटे, पर पीछे से पड़ रहे लोगों की भीड़ के दबाव को वो ज़्यादा देर तक रोक नहीं पाया. मुसीबत तब हुई जब आखिरकार उसके कमर का नीचला हिस्सा उसकी बहन के नितंब में जा सटा.

इतना तो फिर भी ठीक था पर सबसे Embarrassing Situation तब आई जब रोहित की टांगों के बीच वाला हिस्सा उसकी बहन की कमीज़ और सलवार में लिपटी पानी से गीली हुई चूतड़ों के मध्य की पतली दरार के बीचो बीच फंस गया ! रोहित बस यही सोच रहा था की उसकी बहन पता नहीं क्या सोच रही होगी, शायद उसे कुछ महसूस ही ना हो रहा हो, ना ही हो तो बेहतर है !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#4
[Image: tits_small.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#5
[Image: tits_big.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#6
[Image: tits_huge.jpg]

[Image: curvy_girls.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#7
रोहित की कमर और दोनों जांघो वाला हिस्सा अब निधी के गांड़ की दोनों गोल उभारों में सट गया था जबकि उसका लण्ड वाला हिस्सा उन दो गोल गुंबदो के बीच घुस गया था !

Feeling तो आखिर Feeling ही होती है जो इंसान महसूस करता है और जिसका Logic हर वक़्त ना खोजना संभव है और ना समझना. रोहित को भी जब किसी नरम मुलायम गद्दे जैसी अपनी बहन के गांड़ का उभार Feel हुआ तो ना चाहते हुए भी, या फिर यूँ कहें, की उसकी इच्छा के विरुद्ध, उसका लण्ड उसकी पैंट में फूलने लगा !!!

पानी में पूरी तरह से भीगे होने के कारण उसके Trouser के अंदर उसका अंडरवीयर भी ढीला और लचीला हो गया था, जिसकी वजह से उसका अंडरवीयर ज़्यादा देर उसके लण्ड के बढ़ते उभार और आकार को दबा नहीं पाया. उसका लण्ड उसके जांघिये में नीचे की ओर मुड़े हुए ही खड़ा होने लगा !

निधी की ओर से अभी तक कोई भी प्रतिक्रिया नहीं हुई थी. Situation हाथ से बाहर जाता देख रोहित ने धीरे से अपनी कमर पीछे खिसका कर अपने लण्ड को अपनी बहन की गांड़ की दरारों से बाहर निकाला, और थोड़ा Side होने की कोशिश की ताकि वो उसकी गांड़ से ना सटे. पर इस प्रयास में चूंकि पीछे से भीड़ का काफी दबाव था, उसका लण्ड बाहर तो निकला पर इस बार वापस जाकर निधी की बाई गांड़ के गुंबद पे टिक गया. और ये निधी ने बहुत ही अच्छे से बिना किसी गलतफहमी के महसूस भी किया !!!

" Are You Okay भैया ? मैं थोड़ा हटूं क्या ? ". निधी ने अपनी गर्दन पीछे की ओर बस इतना सा घुमा कर पूछा की उसकी आँख भैया के आँख से ना मिले.

" हाँ Yes... Sorry... I Told You ना UBER से चलते हैं... बेकार हो गया ! ". रोहित ने जितना हो सका अपनी आवाज को स्वाभाविक बना कर कहा, जैसे की कुछ हुआ ही ना हो.

निधी ने अपने भैया का लण्ड साफ अपनी गांड़ पर महसूस कर लिया था, उसे थोड़ा अजीब लगा पर वो जानती थी की ये Intentional नहीं था. निधी ने अपनी गांड़ थोड़ी सी हिला कर Adjust करनी चाहि पर उससे मामला और बिगड़ गया !

निधी की इस हरकत से रोहित का लण्ड घिसट कर वापस उसकी गांड़ की दरार में फिट हो गया और इस बार रोहित का नीचे मुड़ा हुआ लण्ड जांघिये में थोड़ी सी जगह पाकर सीधे ऊपर की ओर उठ गया !!!

रोहित और निधी इतने सालों से एक साथ एक ही कमरे में रह रहें थें, रोहित ने कभी भी ऐसा महसूस नहीं किया था जैसा वो अब कर रहा था. ऐसी बात नहीं है की वो कभी अपनी बहन के इतना करीब ना गया हो, दोनों एक ही बिस्तर पर सोते थें, इससे ज़्यादा करीबी और क्या हो सकती है.

पर हमेशा से एक Normal भाई बहन रहे इन दोनों के बीच अभी जो भी हो रहा था, ऐसा क्यूं हो रहा था अगर मुझे पता होता तो मैं ज़रूर लिखता यहाँ !!!

दोनों भाई बहन सामने ऊपर की तरफ बस का Rod पकड़े खड़े थें. रोहित का मुँह अपनी बहन के भीगे खुले बालों के ठीक पीछे था... उसके बालों से आ रही बारिश के पानी और शैम्पू की घुली मिली महक ने मानो बहन और एक लड़की के बीच का संकरा फासला कम कर दिया था.

अभी तक तो रोहित असमंजस में था की क्या हो रहा है और वो क्या करे और क्या ना करे, पर अब जब उसका लण्ड पूरी तरह से टाईट ठनक कर खड़ा हो गया तो उसने समझ लिया की वो अपनी ही सगी बहन के बदन से सट कर कामोत्तेजित हो रहा था !!!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#8
[Image: 30124791_011_0461.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#9
(28-07-2022, 02:14 PM)neerathemall Wrote:
शीघ्रपतन

















































[Image: c74c8593d8ed56ea39c28a112f913643.gif]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#10


जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#11
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#12
[Image: 6WmDjVm]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#13
अब रोहित के पास बस एक ही रास्ता था... ये टेस्ट करना की उसकी छोटी बहन क्या चाहती है, अगर वो तिनका भर भी आपत्ती दिखायेगी तो उसे तुरंत खुद को रोक लेना होगा.

रोहित ने अपनी कमर हल्के से सामने की ओर बढ़ाई तो निधी की गांड़ के बीच रगड़ खा कर उसके लण्ड का चमड़ा पीछे खिसक कर खुल गया और उसका मोटा सुपाड़ा बाहर निकल आया. अब रोहित अपने भीगे Trouser में अपने खड़े लौड़े का सुपाड़ा खोले अपनी बहन की गोल गदराई चूतड़ से टिका खड़ा था !!!

निधी का रहा सहा शक भी अब जाता रहा की जो कुछ भी हो रहा था वो अनजाने में हो रहा था. वो समझ गई की उसके भैया बेचारे Situation के सताये कामोन्मादित हो रहें थें. Situation के सताये और मारे ही कहेंगे ना... क्यूंकि निधी समझ रही थी आज तक उसके भैया ने ना जाने कितनी बार उसे नाईटी में, Hot Pants में, Skirt में और पजामे में देखा था, पर कभी भी उसपे गंदी नज़र नहीं डाली थी. आज का दिन मगर कुछ और ही था... मन ही मन निधी थोड़ा मुस्कुराई, पर कुछ ना बोली, चुप रही.

इधर रोहित का मन बढ़ गया जब उसकी बहन की ओर से ऐसा कोई इशारा नहीं हुआ जिसके द्वारा वो अपनी असहमति दिखाए. फिर क्या था, उसने एकदम धीरे धीरे निधी की नरम गांड़ में अपना लण्ड ठेलना शुरू किया. उसके खड़े लण्ड का सुपाड़ा तो पहले ही खुल चुका था, सो अपने पानी में गीले भीगे अंडरवीयर के अंदर अपना लौड़ा घिसने में उसे ऐसी आनंद की अनुभूति होने लगी की वो बयां नहीं कर सकता था !

अभी उसने तीन चार बार ही अपना लण्ड रगड़ा होगा की बस रुक गई... कोई Stopage आया था. वो थोड़ा संभल कर खड़ा हो गया पर उसने देखा की जितने लोग बस से उतरे नहीं उससे ज़्यादा लोग चढ़ गयें, भीड़ और बढ़ गई थी. बस फिर से चल पड़ी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#14
अभी दूर है क्या निधी ? ". रोहित ने अपनी बहन के मूड का जायजा लेने के मकसद से पूछा.

" हाँ भैया... ये बस दूसरे Route से जाती है ना. आपकी Bike में तो ज़ल्दी हो जाता है वो IBM Office के रास्ते से जाने पर. ". निधी ने तुरंत जवाब दिया, पर अभी भी पीछे नहीं मुड़ी.

" हाँ... I See... ".

रोहित ने इधर उधर आस पास के लोगों को देखा पर सभी अपने में मगन और परेशान खड़े थें... बस में दो अच्छे घराने के भाई बहन क्या कर रहें थें इसमें शायद ही किसी को रूचि हो !!!

रोहित अपना दाया हाथ नीचे सरका के अपने Trouser तक ले गया और पैंट की Zip यानि चैन खोल दी. निधी पीछे देख तो नहीं पा रही थो पर वो समझ गई की उसके भैया अब कोई और नई शैतानी करने वाले हैं. उसका दिल ज़ोरों से धड़कने लगा...

अपने Trouser के अंदर हाथ डाल कर रोहित ने अपना खड़ा लण्ड अपने जांघिये से बाहर निकाल लिया और फिर पैंट कि Zip वापस लगा ली. अब उसका लण्ड अंडरवीयर से बाहर लेकिन Trouser के अंदर था. उसने ऐसा इसलिये किया था ताकि उसके लण्ड को अपनी बहन के चूतड़ का ज़्यादा से ज़्यादा स्पर्श मिल सके. अब उसने अपनी बहन कि गीली कमीज़ उठा कर सीधे उसके सलवार में लिपटी गांड़ में अपना लण्ड सटा दिया और उसकी कमीज़ से वो हिस्सा ढक दिया, जिससे अगर कोई देखे तो सिर्फ ये समझे कि दोनों बस ऐसे ही बाकि यात्रियों कि तरह खड़े हैं !

निधी कि तो जैसे साँस ही रुक गई Public में अपने भैया कि इस Daring और कुछ कुछ Funny हरकत को देख कर !

निधी ने अपने भीगे बालों और गर्दन पर अपने भैया कि गरम साँसे महसूस कि... रोहित अब इसके ऊपर झुका पहले से और ज़्यादा सट कर खड़ा हो गया था. कमीज़ के अंदर ढकी उसकी गांड़ में रोहित अब खुल कर लण्ड घिसने रगड़ने लगा. निधी कि मांसल पुष्ट गांड़ कि गोलाईयां उसके लण्ड को इतना सुकून और आनंद देंगी, ये उसे अभी अभी पता चला था !

अपने पूरी तरह से उत्तेजित हो चुके लण्ड से रोहित ने ठेल ठेल कर अपनी बहन कि सलवार और उसके अंदर पहनी पैंटी को उसकी चूतड़ कि फांक में घुसा दिया था. निधी को तो मन ही मन हँसी आने लगी अपने भैया कि बेचैनी देख कर.

अति कामोत्तेजना में रोहित को पता ही नहीं चला कि कब रुकना है और उसने अपना लण्ड अपनी बहन कि टाईट गांड़ में कुछ ज़्यादा ही घिस दिया था, इस वजह से वो स्खलित होने के करीब पहुंच गया. उसने तुरंत अपना लण्ड निधी कि गांड़ से हटा लिया और साँस रोक कर अपना माल गिरने से रोकने कि कोशिश करने लगा. इस कोशिश में उसके पेट मे बल पड़ गया, मगर अब काफी देर हो चुकी थी, उसका लण्ड उसके पैंट में एकदम से बड़ा होकर फूल गया और उसका वीर्य निकल आया !!!

जब रोहित ने देखा कि अब कोई फायदा नहीं तो उसने वापस अपना लण्ड अपनी बहन कि सलवार में घुसा दिया और झड़ने लगा. उसका गाढ़ा वीर्य Trouser के कपड़े से बाहर रिस रिस कर बहने लगा. निधी ने जब अपनी सलवार में गांड़ और जांघो पर गरम गरम मलाई जैसी चिकनी रस के एक के बाद दूसरी धार को गिरता हुआ महसूस किया तो वो समझ गई कि उसके भैया का काम तमाम हो चुका है !!!

20 सेकंड के अंदर ही रोहित कि पिचकारी पूरी खाली हो गई. उसके पैर अचानक से हुए इस शीघ्रपतन से काँप रहें थें और उसने बड़ी मुश्किल से खुद को अपनी बहन के ऊपर गिरने से रोका था. निधी ने अपने हाथ से अपनी गांड़ में घुस चुकी पैंटी और सलवार को निकाला और अपने कपड़े ठीक करने लगी. पर रोहित का काम अभी ख़त्म नहीं हुआ था !

अभी अभी थोड़ी सी Relax हुई निधी ने अचानक अपने भैया का दाया हाथ सीधे अपनी चूत पे रेंगता हुआ महसूस किया. रोहित उसकी चूत सलवार के ऊपर से ही सहलाने लगा ! भैया अचानक से इतने बेशरम कैसे हो गयें ???... निधी बेचारी ये सोच ही रही थी कि रोहित ने उसकी सलवार के नाड़े में अपनी ऊँगलीयां फंसा दी... हाय !... भैया पागल हो गयें थें क्या... इतने लोगों के बीच भरी बस में अपनी सगी बहन को नंगा करना चाहते थें क्या ??? घबरा कर निधी ने तुरंत अपने भैया का हाथ पकड़ कर उन्हें रोक लिया. रोहित रुक तो गया... उसने अपनी बहन कि सलवार का नाड़ा नहीं खोला मगर अब अपना हाथ उसकी सलवार के अंदर ही डाल दिया. लेकिन निधी ने सलवार इतनी टाईट बाँध रखी थी कि मुश्किल से भैया का हाथ अंदर घुस पाया और भैया बेचारे सिर्फ उसकी पैंटी का ऊपरी हिस्से वाला Elastic ही छू पायें थें !!!

अब ये तो कुछ ज़्यादा ही हो रहा था... निधी एकाएक अपने भैया के तरफ मुड़ कर खड़ी हो गई. रोहित को ये अंदेशा नहीं था कि उसकी बहन अचानक Face To Face हो जायेगी. उसने झट से अपनी नज़र घुमा ली.

" भैया ! मम्मी को फोन किया कि हम लेट हो जायेंगे ? ". निधी ने पूछा.

रोहित समझ गया कि निधी जानबूझ कर ज़ोर से बोल रही थी और " भैया " शब्द पर ज़्यादा दबाव डाल रही थी ताकि आस पास खड़े लोगों को उनकी हरकतों पे कोई शक ना हो.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply




Users browsing this thread: 1 Guest(s)