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Incest मुंबई की बारिश और .......................
#1
मुंबई की बारिश और .................
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2





ये कहानी एक माँ बेटे की कहानी है जिन्हे इस तरह की कहानी पढ़ने में अरुचि होती हो कृपया इस कहानी को ना पढ़े
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#3
रश्मि अपने ऑफीस की बिल्डिंग के बाहर कदम रखते ही गहरी साँस लेते हुए खुद को कोस्ती है. आसमान में काली घटा छाई हुई थी. काले बादलों के कारण सितंबर के महीने की दोपहर भी रात जैसे लग रही थी. आसमान से गिर रही हल्की बूँदों के कारण बिल्डिंग के द्वार पर लगी चम चमाति वाइट टाइल्स दागदार सी हो गयी थी. यह उन पलों में से एक पल था जब रश्मि कामना करती कि वो टेबल के पीछे कुर्सी पर बैठने वाली कोई जॉब करती ना कि दौड़ धूप करते हुए क्लाइंट्स को मिलने वाली यह जॉब जो वो कर रही थी.

एक ठंडी साँस छोड़ते हुए वो फिर से खुद को कोस्ती है कि उसने कुछ रुपये बचाने के लिए अपनी कार को बिल्डिंग से थोड़ी दूर बनी ओपन एर कार पार्किंग में खड़ा किया था जो कि फ्री थी ना कि बेसमेंट में बनी पैड कार पार्किंग में. वो खुद को कोस रही थी मगर उसके कानो में उसके पिता के लफ़्ज गूँज रहे थे जो वो अक्सर दोहराया करते थे "एक रुपया बचाना एक रुपया कमाने के बरोबर होता है" और इसी बात को अपनी धारणा बनाते हुए और उस पर चलते हुए उसने जिंदगी में बहुत कुछ बना लिया था. अपनी उँची पढ़ाई से लेकर अपने बच्चों की बढ़िया परवरिश करने और उन्हे दूसरे सहर में बढ़िया कॉलेजस में पढ़ा रही थी जो कि उसके पति की दो साल पहले हुए अकस्मात इंतकाल के बाद लगभग नामुमकिन ही था.

अपने पति का ध्यान आते ही रश्मि ने अपनी आखों में उमड़ आए आँसुओं को बड़ी मुश्किल से बाहर निकलने से रोका. एक नशे में धुत ड्राइवर ने उसके पति को उससे हमेशा हमेशा के लिए छीन लिया था. उसके पहले और एकलौते प्यार को उससे छीन लिया था, एक तरह से उससे उसकी जिंदगी ही छीन ली थी. मगर फिर भी उसने धैर्य और हिम्मत से काम लेते हुए अपने बच्चों के सहारे अपनी जिंदगी की एक नयी शुरुआत की थी. उसने लाइफ इन्स्योरेन्स और म्यूचुयल फंड्स का काम करना सुरू कर दिया था और इससे उसे आमदनी भी अच्छी हो रही थी हालाँकि काम काफ़ी कठिन था. मगर इससे एक अच्छी बात यह थी कि वो अब काफ़ी वयस्त रहती थी और उसका ध्यान अपनी सूनी जिंदगी के एकाकीपन से हट जाता था और इस नौकरी से घर भी अच्छे तरीके से चल रहा था.

बादलों की जोरदार गड़गड़ाहट के कारण रश्मि अतीत से निकलकर फिर से वर्तमान में आती है. वो अपना ब्रीफकेस अपने सिर के उपर रखकर वो आगे कदम बढ़ाती है. तेज़ तेज़ चलने के कारण उसकी हाइ हील के सॅंडल उँची तीखी आवाज़ पैदा करते हैं. हवा बहुत तेज़ चल रही थी जिस कारण उसे अपने एक हाथ से अपनी ड्रेस को दबाकर रखना पड़ रहा था उसे उपर की ओर से उड़ने से बचाने के लिए. उसकी चलने की रफ़्तार तेज़ हो गयी थी क्योंकि बारिश की बूंदे भारी हो गयी थी.

"उफ़फ्फ़! इसको भी अभी आना था" भूनभुनाते हुए वो अपना ब्रीफकेस अपने सिर से हटाकर उसे अपनी छाती से लगा लेती है. बारिश अब काफ़ी तेज़ हो गयी थी और रश्मि फिर से खुद को कोस्ती है जब उसे महसूस होता है कि उसके बाल गीले होकर उसके गर्दन से चिपक रहे थे. वो मुश्किल से अपनी कार से पचास मीटर की दूरी पर थी जब बादल एक दम ज़ोर से गरजे और फिर अगले ही पल एक प्रचंड वेग से मुसलाधार बारिश होने लगी और वो सिर से पावं तक बुरी तरह से भीग गयी.

हल्का हल्का काँपते हुए रश्मि ने बाकी की दूरी दौड़ते हुए पार की और तेज़ी से कार का दरवाजा खोल कर अपना ब्रीफकेस अंदर फेंका और फिर ड्राइविंग सीट पर बैठ गयी. उसके बदन की गर्मी और बाहर के तापमान से फरक होने के कारण कार के सीसे धुंधला गये थे. रश्मि ने एर कंडीशन चालू किया और विंड्स्क्रीन के शीशे पर से धुन्दलका हटने लगा. जूतों में पानी भरा होने के कारण उसे थोड़ी बैचैनि सी महसूस होती है और वो उन्हे उतार देती है. वो शुक्र मनाती है कि उसके पास ऑटोमेटिक कार थी. हल्का हल्का काँपते हुए वो गाड़ी को गियर में डालती है और उसे रोड पर लाते हुए चलाने लगती है.

भारी मुसलाधार बारिश कार की छत को ड्रम की तरह पीट कर शोर उत्पन्न कर रही थी. बारिश की पूरी लहर सी विंड्स्क्रीन पर गिर रही थी और उसे रोड देखने में बहुत दिक्कत हो रही थी. वो अपनी घड़ी पर नज़र दौड़ाती है और महसूस करती है कि उसे अपनी अपायंटमेंट कॅन्सल करनी पड़ेगी क्योंकि ना सिर्फ़ वो लेट थी बल्कि जिस अवस्था में वो थी उस अवस्था में क्लाइंट्स से मिलना नामुमकिन था.

उसने मोबाइल उठाकर अपनी अपायिटमेंट मंडे के लिए फिक्स कर दी क्योंकि आज शनिवार था और सनडे वो काम करती नही थी. रश्मि थोड़ी राहत महसूस करती है यह देखकर कि रोड पर ट्रॅफिक काफ़ी कम हो गया था. वो सावधानी से गाड़ी चलाते हुए घर पहुँच जाती है और गाड़ी को मेन डोर के सामने खड़ा कर देती है. वो घूमते हुए बॅक सीट पर अपनी छतरी को ढूँढती है जिसे वो अक्सर गाड़ी में साथ रखती है. मगर वो मिलती नही और उसे याद आता है कि उसने उसे कल ही एस्तेमाल किया था और फिर वापिस रखना भूल गयी थी.

"लानत है! में भी कितनी बेवकूफ़ हूँ. अब फिर से भीगना पड़ेगा" रश्मि खुद पर झल्ला उठती है.

वो बारिश के थोड़ा सा कम होने की प्रतीक्षा करती है और झट से कार का दरवाजा खोलकर भागती हुई मेन डोर पर पहुँचती है. चाबियों से थोड़ा उलझते हुए उसे थोड़ा वक़्त लगता है मेन डोर खोलने में मगर उतने टाइम में वो फिर से पानी से सारॉबार हो चुकी थी. अंदर दाखिल होते ही वो मैन डोर बंद कर देती है उसके बदन और कपड़ों से बह रहे पानी के कारण फर्श पर पानी का तालाब सा बन जाता है.

"उम्म्म......हाई मोम!"
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#4
रश्मि आवाज़ सुन कर घूम जाती है और सामने अपने बेटे रवि को तीन और लड़कों और दो लड़कियों के साथ बैठा हुआ देखती है. उनके सामने टेबल पर बहुत सारी किताएँ बिखरी पड़ी थीं.

"माँ तुम तो...बिल्कुल..भीग गयी हो..." रवि अपनी माँ से कहता है जबकि उसके दोस्त नज़रें फाडे उसकी माँ को घूर रहे थे. "अच्छा है तुम जल्दी से चेंज कर लो"

"हाँ! हाँ! मैं बस अभी चेंज करने ही जा रही हूँ" रश्मि धीरे से उत्तर देती है जब उसे एहसास होता है कि सब आँखे उसे ही घूर रही हैं. जल्दी से घूमते हुए उपर की सीढ़ियों पर चढ़ने लगती है.

"ओह माइ गॉड! तूने हमे आज तक नही बताया तेरी मोम इतनी सेक्सी है"

" तुम लोगों ने देखा उसके गोल मटोल मम्मे कितने मोटे और तने हुए थे"

"और उसकी गान्ड ....वाआह! उसकी गान्ड तो शिखा देखने में तुमसे भी टाइट लग रही थी"

"बकवास बंद करो राजन में कहे देता हूँ...."

"और उसकी टांगे देखी तुम लोगों ने? क्या जबरदस्त माल है तेरी मम्मी"

"अब बस भी करो! भगवान के लिए..वो मेरी मम्मी है"

रश्मि सीढ़ियो के बिल्कुल ऊपर खड़ी यह सब बातें सुन रही थी. उसे बेहद ताज्जुब हो रहा था यह सब सुन कर. उसे इस बात से ख़ुसी हुई कि उसका बेटा उसके लिए अपने दोस्तों पर गुस्सा होने लगा है मगर इस बात से हल्की सी निराशा भी कि अब उसने उसकी प्रशंसा भी बंद करवा दी थी चाहे वो अश्लील भाषा में ही हो रही थी. उसे लगता था अब उसमे पहले वाली वो बात नही रही मगर आज जब उसने बहुत समय बाद अपने लिए ऐसे शब्द सुने तो उसे एक अलग रोमांच का एहसास हुआ एक सुखद और मन को आनदित कर देने वाला एहसास था. वो अपने बेडरूम की ओर बढ़ जाती है और एक टवल उठाकर अपने लंबे काले बालों को पोंछने लगती है.

नीचे अभी भी रश्मि के खूबसूरत और कामुकता से लबरेज बदन पर कयि टिप्पणियाँ हो रही थीं मगर अब वो उन्हे स्पष्ट तौर पर सुन नही पा रही थी. उसे ज़ोर से हँसने और फिर किसी के उँचा चिल्लाने की आवाज़ें सुनाई दी. उसने अपने अंदर एक रोमांच, एक थरथराहट सी महसूस की--उसे समझ नही आया कि यह बारिश में भीगने के कारण लगने वाली सर्दी के कारण है या फिर उसे नीचे हो रही अपनी अश्लील तारीफ उसे इतनी अच्छी लगी थी. चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए उसने अपना टवल फेंका और दर्पण के सामने खड़ी हो गयी.

अपना अक्श शीसे में देखते ही उसके चेहरे से मुस्कान गायब हो गयी. हल्के आसमानी रंग की उसकी गर्मियों में पहनने की ड्रेस बारिश में गीली होकर बुरी तरह उसके बदन से चिपकी हुई थी. उसकी ड्रेस लगभग पूरी तरह से पारदर्शी हो गयी थी और उसकी लंबी टाँगो, पतली सी कमर और भारी स्तनों को पूरी तरह से रेखांकित कर रही थी. उसकी नीले रंग की कच्छि और ब्रा आसानी से देखे जा सकते थे और गीली ड्रेस ने उपर से उसके मम्मों का उपरी हिस्सा नंगा कर दिया था. ध्यान से देखने पर वो अपने निपल अपनी ड्रेस के उपर उभरे हुए देख सकती थी.

"ओओह माइ गॉड!" अपनी हालत आईने में देख कर वो चकित रह जाती है और उसका हाथ उसके मुँह पर चला जाता है. "में तो वास्तव में नंगी ही दिख रही हूँ"

"हाँ मम्मी ......तुम लगभग नंगी ही हो और.....उन सब ने तुम्हे इस रूप में देख लिया."

आवाज़ सुन कर रश्मि एक दम से पलटी और अपने बेटे को दरवाजे की चौखट से टेक लगा कर खड़े हुए देखा. जलते हुए अंगारो जैसी उसकी आँखे उसे घूर रही थी, उसकी लगभग नंगी काया में गढ़ी जा रही थी. रश्मि की आँखे अबचेतन मन से नीचे की ओर जाती हैं जहाँ वो अपने बेटे की कमर पर एक बड़ा सा टेंट बना हुआ देखती है. प्रतिक्रिया में उसके हाथ उसके स्तन और जाँघो के जोड़ को ढकने के लिए उठ जाते हैं.

"तुम...तुम्हारे दोस्त कहाँ हैं?" वो सामान्य दिखने की कोशिश करते हुए उससे पूछती है.

"वो तो चले गये"

"मगर बाहर तो अभी भी बहुत जोरदार बारिश हो रही है.....एसी बारिश में वो कैसे....?" रश्मि ने आश्चर्य से पूछा.

"मैने उन्हे जाने को कहा था." रवि चेहरे पर एक अजीब सी भावना लिए हुए था. वो कुछ परेशान सा दिखाई देने के साथ साथ कुछ निडर सा भी दिखाई दे रहा था.

"आइ आम सॉरी बेटा, मुझे मालूम नही था घर पर कोई है, तुम भी अक्सर इस समय घर से बाहर होते हो." रश्मि धीरे से बोलती है "इसमे मेरा दोष नही है कि बारिश के कारण मैं भीग गयी"

"नही वो बात नही है मम्मी...." रवि धीरे से फुसफुसाता है "बात तो बस यह है..... क्या आपने सुना था वो आपके बारे में क्या बोल रहे थे?"

"पूरा नही, कुछ-कुछ, जो वो पहले पहल बोल रहे थे." रश्मि मुस्कराती है. "असल में मुझे काफ़ी ताज्जुब हुआ वो सब सुन कर"

"और फिर वो इससे भी बदतर बोलने लगे"

"क्या कह रहे थे वो?" रश्मि उत्सुकता में पूछती है.
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#5
"वो...वो...बोल रहे थे...कि...नही मम्मी में नही बता पाऊँगा. वो बहुत भद्दे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे"

"एसा क्या कह रहे थे वो? मुझे ठीक ठीक बताओ क्या बोल रहे थे वो?" रश्मि धृड़ता से और ज़ोर देते हुए पूछती है.

"वो ...वो कह रहे थे...कैसे मैं आपके साथ इस घर में रह सकता हूँ बिना.. बिना...?"

"मुझे तुम्हारी बात की कोई समझ नही आ रही है. बिना क्या?" रश्मि पूछती है

"बिना आपको चोदे!!!! उन्होने कहा आप देखने में इतनी गर्म और कामुक दिखती हैं तो मैं आपके साथ एक ही घर में बिना आपको चोदे कैसे रह रहा हूँ? रवि ने तपाक से बोल दिया . "उनके इतना कहते ही मैने उन्हे घर से चले जाने को कह दिया. और तब.. तब...."

रश्मि को एक झटका सा लगा था ये सब जानकर मगर साथ ही उसमे कौतूहल भी जगा था अपने बेटे के दोस्तों के द्वारा हुई उन भड़कीली अश्लील टिप्पणियों को सुन कर.

"और फिर वो सब मुझ पर हँसने लगे और मुझसे बोले कि मैं मन ही मन आपको चोदने की इच्छा रखता हूँ इसलिए सच सुन कर मैं इतना घबरा रहा हूँ और मुझे इतना गुस्सा आ रहा है"

रश्मि की आँखे फिर से नीचे जाते हुए रवि के लौडे पर ठहर जाती है. पूरे दो साल हो गये थे उसे लौडा देखे हुए, चूत में लेने की बात तो अलग रही. वो अपनी नज़रें तेज़ी से उपर उठाती है जब उसे एहसास होता है कि वो अपने सगे बेटे के लौडे को घूर रही है. रश्मि का दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था.

"और...क्या तुमने वाकई में...वाकई में कभी एसा सोचा है?" रश्मि लगभग ना सुन सकने स्वर में बोलती है. "क्या तुम वाकई में मुझे चोदना चाहते हो?"

"माँ....आप....आप मुझे एसा कैसे पूछ सकती हो?" रवि धीरे से बिना साँस लिए फुसफुसाता है.

"बताओ मुझे! मैं जानना चाहती हूँ! क्या तुम वाकई मे मुझे चोदना चाहते हो?" रश्मि किसी अग्यात भावना के तहत अति कौतूहल से और बैचैनि से अपने बेटे के जवाब का इंतजार कर रही थी.

"हां...हां! मैं चाहता हूँ." आख़िर में रवि जवाब देता है, उसकी आँखे नीचे फर्श पर टिकी हुई थी. "तुम इतनी सुंदर हो माँ....और तुम्हारे बदन की मादकता मुझे इतनी उत्तेजित कर देती है कि बस मैं खुद पर नियंत्रण नही रख पाता और मैं आप के बारे में वो सब सोचने लग जाता हूँ जो मुझे कतयि भी नही सोचना चाहिए"
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#6
रश्मि को अपने बेटे की आवाज़ में एक अजब सी प्यास एक अजब सा दर्द महसूस होता है. वो अपने बेटे को कड़ाई से घूरती है. वो दरवाजे से टेक लगाए नीचे देख रहा था. वो उसे उसके पति राजिंदर की याद दिलाता था. असलियत में वो बिल्कुल वैसा ही था जैसा उसका बाप 18 वर्ष की आयु में था. अपने बेटे में अपने पति का अक्श देखकर उसके मन में एक बिजली सी कौंध जाती है. उसे वो समय याद आता है जब राजिंदर उसे पूरी रात चोदा करता था और उसे उत्तेजना और आनद के मारे सिसकियाँ भरने पर मजबूर कर देता था. वो अपने जिस्म में एक दर्द की लहर सी दौड़ती हुई महसूस करती है जो उसकी चूत तक पहुँचकर उसमे आग लगा रही थी.

रश्मि धीरे से अपने बेटे की आँखो में देखते हुए अपने हाथ अपने मम्मों और जाँघो पर से हटा लेती है और गीले और बदन से चिपके वस्त्रो में क़ैद अपनी लगभग नंगी काया अपने बेटे की आँखो के सामने कर देती है.

"क्या तुम्हे...क्या तुम्हे अच्छा लग रहा है जो तुम इस समय देख रहे हो?" वो धीरे से फुसफुसाती है

"माँ...आप..आप अंदाज़ा भी नही लगा सकती!" रवि धीरे से उखड़ते स्वर में जवाब देता है.

"क्या तुमने कभी चोरी छिपे मुझे देखने की भी कोशिश की है?"

"हां ...कुछ एक बार मेने झाँका है" रवि बुदबुदाता है. "केयी बार जब आप नीचे बैठती हैं और आपकी स्कर्ट उपर हो जाती है तो मेने आपकी कच्छि देखी है और कयि बार आपके सूट्स में जब आप नीचे झुकती हैं तो आपके गले में झाँका है"

इसके अलावा और क्या क्या किया है तुमने? बताओ मुझे?" कुतूहलवश और उत्तेजना में वो अपने बेटे के हर राज़ को जानना चाहती थी.

"उम्म...मम्मी... वो मेने आपकी कच्छि के साथ कयि बार.......उनको सूँघा है ...और उनमे अपना....अपना माल गिराया है. में यह सब जान बूझकर नही करता बस अपने आप हो जाता है, मुझसे कंट्रोल नही होता" रवि की आवाज़ अभी भी लड़खड़ा रही थी.

अपने बेटे की मुख से पाप स्वीकृति ने रश्मि के बदन की मादक तपिश को और भी भड़का दिया था. यह जानकर कि उसका सगा बेटा उसे चोदने के सपने देखता है और अपनी सग़ी माँ की कच्छि अपने लौडे पर लपेटकर मूठ मारता है और उसमे अपना माल गिराता है, उसे अपना जिस्म उत्तेजना से काँपता हुआ महसूस हो रहा था. उसके निपल बढ़ कर कड़े हो गये थे और गीली ब्रा में से उभरे हुए नज़र आ रहे थे. उसके मन पर जैसे किसी और का अधिकार हो गया हो और जो भी वो इस वक़्त कर रही थी उसमे उसे कोई शर्म या संकोच महसूस नही हो रहा था. उसे इसमे कुछ भी ग़लत नही लग रहा था बल्कि उसे एसा लग रहा था जैसे वो अपने जिस्म की एक मूल माँग पूरी कर रही थी जिसका कि उसे पूर्णतया अधिकार था.

"अब तक सिर्फ़ काल्पनिक मज़ा ही लिए हो?" रश्मि अपने बेटे की आँखो की गहराई में देखते हुए बोलती है उसके चेहरे पर एक कुटिल और रहस्यमयी मुस्कान थी जैसे उसके दिमाग़ में कोई साज़िश चल रही थी. और तब उसने वो लफ़्ज कहे जिनकी रवि ने कभी अपने सपने में भी आशा नही की थी.
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#7
"उम्म्म..म्मथम्म....अगर में तुम्हे एक मौका दे दूं जिसका तुमने आज तक सिर्फ़ सपना ही देखा है.....अगर तुम्हे वाकई में अपनी मम्मी चोदने को मिल जाए तो......" रश्मि बड़े ललचाने वाले अंदाज़ में अपने होन्ट चाटते हुए पूछती है.

"माँ....माँ...आप..सच में...मगर"

रवि की ज़ुबान लड़खड़ा रही थी, उसे यकीन नही हो पा रहा था मगर उस समय उसकी आँखे अविश्वास से फैल जाती हैं जब वो माँ को अपनी ड्रेस की ज़िप खोलते हुए देखता है. ज़िप खुलते ही ड्रेस नीचे फर्श पर गिर जाती है. उसकी मम्मी उसके सामने सिर्फ़ ब्रा और कच्छि पहने खड़ी थी. रश्मि की त्वचा गीली होने के कारण चमक रही थी. वो अपने बेटे की ओर बढ़ती है और उसका हाथ अपने हाथों में लेकर बेड पर जाती है.

रश्मि बेड पर बैठ कर रवि की शर्ट उतारती है और अपने बेटे की मर्दाना छाती पर हाथ फेरते हुए उसकी तारीफ करती है. वो अपनी उंगलियाँ उसके पेट पर नाज़ुकता से घुमाती है और उसके बदन को कसते हुए महसूस करती है जब वो उसे सहलाती है. रवि एक गहरी साँस लेता है जब रश्मि उसकी पेंट की हुक खोल कर उसे नीचे खींचते हुए पैरों से बाहर निकाल देती है. उसका लंड अंडरवेर में एक लोहे की रोड की तरह सख़्त होकर झटके मार रहा था जैसे बहुत गुस्से में हो.

रश्मि अपने बेटे के लंड से निकलने वाले प्रेकुं की मस्की स्मेल को सूंघति है तो उसकी चूत में करेंट दौड़ जाता है. वो अपनी उंगलियाँ उसके अंडरवेर में फँसा कर उसे नीचे खींचते हुए बाहर निकाल फेंकती है. अपने बेटे के उस तगड़े लौडे पर पहली नज़र पड़ते ही उसके मुँह खुला का खुला रह जाता है. रवि का लंड काफ़ी लंबा होने के साथ साथ बहुत मोटा भी था और बुरी तेरह से झटके मार रहा था. उसका लॉडा उसके बाप के लौडे से बड़ा और मोटा था.

रश्मि अपने बेटे के टट्टों को बड़ी नाज़ुकता से सहलाती है और अपना मुँह उसके फूले हुए लंड के बिल्कुल सामने लाती है. वो गहरे लाल सुपाडे को चूमती है और फिर उसका मुँह अपने बेटे के लौडे के अग्रभाग पर कस जाता है. वो धीरे धीरे अपने होंठो को उसके लंड पर पीछे की ओर ले जाती है और साथ ही सुपाडे की चमड़ी को खींच कर पूरी तरह से नंगा कर देती है.
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#8
अपनी सग़ी मम्मी द्वारा अपना लंड चूसे जाने पर रवि कराहने लगता है. उसकी माँ! उसकी अपनी सग़ी माँ! उसने आज तक किसी सपने में भी नही सोचा था कि एसा मुमकिन हो सकता है मगर यह हो रहा था. उसकी अति सुंदर अति मोहक माँ जिसके बदन के अंग अंग से मादकता टपकती है आज उसके लंड को चूस रही थी. वहाँ हो रहे उस अनुचित कार्य ने उसकी काम पिपासा को कयि गुना बढ़ा दिया और उसका लंड अपनी माँ के मुँह में झटके मारने लगा. उसके हाथ रश्मि की पीठ पर पहुँचते है और उसकी ब्रा की हुक खोल कर उसके उन संदर मम्मों को क़ैद से आज़ाद कर देती हैं.

रवि अपनी मम्मी के मम्मो को हाथों में भरते हुए कस कर मसलता है और हल्के से उसके निप्प्लो को मरोडता है तो रश्मि के मुँह से सिसकियाँ फूटने लगती हैं. उसके निप्प्लो से कामुकता की तरंगे निकल कर उसकी चूत तक फैल जाती हैं और वो अपनी टाँगे कस कर बंद करते हुए अपनी चूत के होंठो को आपस में रगड़ती है.

"आअहह...उफ़फ्फ़...बहुत मज़ा आ रहा है मम्मी. चूसो मेरा लंड.....ज़ोर से चूसो मम्मी!" रवि कराहते हुए बोलता है.

रश्मि अपने हाथ पीछे ले जाकर रवि के चुतड़ों को कस कर पकड़ती है और फिर उसे आगे अपनी ओर खींचती है और अपना मुँह तेज़ी से उसके लौडे पर चलती है. बेटे के लौडे का स्वाद रश्मि को इतना टेस्टी लगा था कि वो लगभग तीन चौथाई लंड मुँह में लेकर चूस रही थी, शायद वो पूरा लंड मूँह में ले लेती अगर यह मुमकिन होता, मगर इतना लंबा मोटा लंड पूरा मुँह में लेकर चूसना उसके बस के बाहर की बात थी. दो साल से भी ज़यादा समय बाद आज वो एक लंड चूस रही थी वो भी आने बेटे का. लंड की रब्बर जैसी त्वचा और उसके मुख से निकलने वाले हल्के हल्के नमकीन रस का वो भरपूर मज़ा ले रही थी.

अपनी माँ द्वारा अपना लंड पूरी कठोरता से चूसे जाने पर रवि संतुष्टि भरी गहरी साँसे लेता है. वो उसके बाल पकड़ कर अपना लंड धीरे धीरे उसके मुँह में आगे पीछे करते हुए अपनी माँ का मुँह चोदने लगता है.

रश्मि अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी चूत को कच्छि के उपर से सहलाती है जिससे उसकी कामुकता और उत्तेजना और भी बढ़ जाती है. कच्छि के अंदर हाथ डालकर वो एक उंगली चूत के होंठो पर फेरती है और फिर अंदर डालकर दाने को मसलती है. रवि अपनी मम्मी को अपनी चूत में उंगली करते हुए देख कर आनंदित होता है और उसका चेहरा और भी जोरों से चोदने लग जाता है, उसे अपने टट्टों में अपना वीर्य उबलता हुआ महसूस होता है.

रवि रश्मि के सिर को पकड़े हुए तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगता है. उसका लॉडा उसकी मम्मी के मुँह में झटके मारते हुए ऐंठने लगा था. रश्मि भी बेटे के लंड पर तेज़ी से जीभ चलाते हुए ज़ोरों से सुपर्र सुपर्र कर चूस रही थी. रवि का बदन अकड़ जाता है और फिर एक उँची कराह भरते हुए उसका लंड अपना रस उगलने लगता है.

रश्मि को अपने बेटे के लंड में ऐंठन महसूस होती है और वो खुद को तैय्यार करती है. अपने गालों को फुलाते हुए वो उसके लौडे को ज़ोर से चूस्ति है जब उसका लंड फूलता है और फिर गर्म और गाढ़े रस की पिचकारियाँ उसके मुँह में छूटने लगती हैं. एक के बाद एक गर्म रस की धारा उसके मुँह में फूटती है और वो हर्षौल्लासित होकर अपने बेटे के नमकीन रस का आनंद उठाती है. जब उसे यकीन हो जाता है कि उसके लंड से पूरा रस निकल चुका है तो वो धीरे से अपना मुँह उसके लंड से हटा लेती है.
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#9
रवि आँखे फाडे अपनी माँ को अपने लंड से मुँह हटाते हुए देखता है. वो आँखे उठाकर उसे देखती है और अपना मुँह खोलती है और अपने मुँह में भरा वीर्य उसको दिखाती है. और उसी तरह मुँह खुला रखकर वो सिर थोड़ा पीछे की ओर झुकाती है और उसका सारा वीर्य निगल जाती है.

रश्मि द्वारा लंड की जबरदस्त चुसाइ के पश्चाताप रवि अपना रस अपनी मम्मी के मुँह में छोड़ देता है

"एम्म्म....बहुत ही स्वादिष्ट था" रश्मि अपने बेटे की आँखों में बेलगाम कामवासना देखते हुए उत्तेजक स्वर में बोलती है. राजिंदर के मरने के बाद आज उसने पहली बार वीर्य का स्वाद चखा था और राजिंदर के अलावा यह एकमात्र लंड था जिसे उसने देखा था, छुआ था, अपने मुँह में लेकर उसे चूसा और चाटा तभी था.

"ओह मम्मी! आप तो कमाल का लॉडा चुस्ती हो. आज तक किसी ने भी मेरा लॉडा इतने जबरदस्त तरीके से नही चूसा था. मुझे इतना मज़ा आया कि मैं बता नही सकता. आप तो लाजवाब हो!" रवि अत्यधिक उत्तेजित स्वार में बोलता है. यह जानकर के उसके बेटे का लंड किसी ने पहले भी चूसा है, रश्मि का दिल जल उठता है. मगर वो उसकी ओर देखकर मुस्कराती है.

"तो अब तैयार हो मेरी चूत मारने के लिए. अपनी सग़ी माँ की चूत में अपना लंड डालकर उसे ठोकने के लिए" रश्मि बड़े ही नखरीले अंदाज़ में रवि से पूछती है. रवि का लंड झड़ने के बाद कुछ छोटा ज़रूर हो गया था मगर अभी भी पूरी तरह से कठोर था. उसे सेक्स करते हुए गंदे लफ़्ज बोलने में बहुत मज़ा आता था और यह राजिंदर को भी बहुत पसंद था. बेड पर चुदाई के समय वो बहुत सेक्सी अश्लील बातें बोलती थी जिससे चुदाई का मज़ा और भी बढ़ जाता था. वो जानने को उत्सक थी कि क्या उसका बेटा भी अपने बाप की तेरह उसकी इन अश्लील गंदी बातों से उत्तेजित होता है?

रश्मि अपनी टांगे उँची उठाती है और रवि के सामने पूरा नज़ारा पेश करती है अपनी कच्छि उतारने का. वो कच्छि को धीरे धीरे अपनी गान्ड से नीचे खिसकाती है और फिर अपनी गान्ड उपर उठाकर धीरे धीरे टाँगो से नीचे करती जाती है. अब उसकी कच्छि उसके पावं के अंगूठे में झूल रही थी. रवि आगे झुकते हुए उसकी कच्छि उसके पावं से खींच लेता है और उसे अपनी नाक से लगा कर गहरी साँस लेते हुए उसकी खुसबु सूँघता है. अपने बेटे द्वारा अपनी गंदी कच्छि को सूँघते हुए देखकर रश्मि के अंदर का कामवासना का तूफान और भी तेज़ हो जाता है.

"उन्हे फेंक दो रवि और इधर आकर इसे चखो और बताओ इसका स्वाद कैसा है" रश्मि सीसियाते हुए बोलती है.

रवि उसकी टाँगो के बीच में देखता है . उसकी माँ की चूत पर गहरे काले रंग के छोटे छोटे बाल थे. उसकी चूत के होंठ मोटे और सूजे हुए नज़र आ रहे थे और रवि अब और इंतज़ार नही कर सकता था. उसका लॉडा अब बुरी तरह से झटके मार रहा था और अब वो बस उसकी गीली चूत में अपना लॉडा घुसेड देना चाहता था.

अपनी माँ की फैली टाँगो को पकड़ कर वो उसे बेड के किनारे की ओर खींचता है और फिर उन्हे पूरी तरह से फैला देता है. अब रवि अपनी माँ की चूत के अंदर का गुलाबीपन देख रहा था, उसकी चूत बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी. वो अपना लॉडा चूत के मुहाने पर टिकाटा है और उसे अंदर की ओर घुसेड़ता है. उसकी चूत काफ़ी संकरी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
अपने बेटे का मोटा लॉडा चूत में अंदर जाते ही रश्मि को ऐसे महसूस होता है जैसे कोई भाला उसकी चूत को छेद रहा हो. वो अपने बदन को ढीला छोड़ने की कोशिस करती है. गुज़रे दो सालों में आज पहली बार उसकी चूत में उसकी उंगलियों के अलावा कुछ और घुसा था और उसकी चूत वाकई में काफ़ी टाइट हो गयी थी. रश्मि बेसब्री से अपनी चूत अपने बेटे के लंड पर धकेलती है क्योंकि वो जानती थी जितनी जल्दी रवि का लौडा उसकी चूत में घुस कर उसे खोलेगा उतना ही ज़यादा उन दोनो को मज़ा आएगा.

"ओह मम्मी! तुम्हारी चूत तो किसी कुवारि लड़की की तरह टाइट है.....उफफफ्फ़.....कितनी गरम है" रवि कराहता है.

"असल में ...काफ़ी समय हो गया है...तुम्हारे पिताजी के बाद आज पहली बार चुद रही हूँ में....थोड़ा धीरे बेटा!" रश्मि रवि को समझाती है.

रवि असचर्यचकित होकर थोड़ी देर के लिए रुक जाता है, उसके चेहरे पर अविस्वास के भाव थे.

"तुम...तुम सच बोल रही हो मम्मी....क्या वाकई में आप पिताजी की मौत के बाद..."

"हां मेरे लाल में बिल्कुल सच बोल रही हूँ. अपने पिता के बाद तुम पहले और एकलौते सख्श हो मुझे चोदने वाले" रश्मि उसे बीच में टोकते हुए बोलती है "अब रूको मत. प्लीज़ बेटा, अब जल्दी से अपना लॉडा अपनी मम्मी की चूत में घुसा दे. मुझसे अब और इंतज़ार नही होता."

रवि अपना लॉडा फिर से अपनी माँ की चूत के अंदर ठेलना चालू कर देता है. चूत की गरम दीवारे उसके लंड के चारों तरफ कस गयी थी. वो अपना लौडा धीरे धीरे उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगता है, हर धक्के के साथ गहरा होते हुए उसका लौडा आख़िर में पूरी तरह चूत में घुस जाता है.

रश्मि महसूस करती है कि उसकी चूत उसके बेटे के लौडे की लंबाई, मोटाई के हिसाब से फैल चुकी थी और उसके टट्टों को अपनी चूत के होंटो पर महसूस करके वो राहत की साँस लेती है. शैतानी से वो अपनी चूत की दीवारों को कस्ति है तो रवि के मुख से आह निकल जाती है और वो शैतान माँ अपने बेटे की हालत पर मुस्करा पड़ती है.

"सबाश मेरे लाल! तेरा पूरा लॉडा मेरी चूत घुस गया है. अब मार अपनी माँ की चूत. चोद अपनी माँ को. पूरा ज़ोर लगा कर चोद!" रश्मि कामोउन्माद में सिसियाती है.

रवि को अब किसी और प्रोत्साहन की ज़रूरत नही थी. वो उसकी टांगे पकड़ कर और भी चौड़ी कर देता है और सुपाडे को छोड़ कर वो अपना पूरा लंड बाहर खींच लेता है. उसे उपर की ओर उठाते हुए वो अपना लौडा वापिस उसकी चूत में ठोकता है. रश्मि के मुख से जोरदार सिसकी निकलती है. रवि पूरी ताक़त लगाते हुए अपनी माँ की खौलती हुई चूत अपने लौडे से ठोकने लगता है.

"हां...हां...बस ऐसे ही! ऐसे ही...मेरे लाल. सबाश....चोद मुझे!"

"ठोक मेरी चूत अपने इस मोटे और कड़े लंड से!"

"और ज़ोर से...और ज़ोर से! हां बेटा..ऐसे ही...बस ऐसे ही चोद मुझे!"

रवि को तो जैसे रश्मि की अश्लील भाषा प्रेरणा दे रही थी. वो पूरी कठोरता से अपनी माँ को ठोकता हुए उसकी चूत में गाढ़े गर्म रस को उबलता हुआ महसूस करता है. उसका लॉडा अपनी माँ की चूत में तेज़ी से अंदर होते हुए फॅक फॅक का उँचा शोर पैदा करता है. रवि अपनी माँ को चोदते हुए उसके चेहरे को देख रहा था.

वो वाकई में एक खूबसूरत नज़ारा था. उसका मुँह ऐसे खुला हुआ था जैसे एक मछली पानी के लिए तरस रही हो. उसका चेहरा काम उन्माद और वासना के कारण तमतमाया हुआ था. रवि को लगता है जैसे वो किसी अश्लील फिल्म की शूटिंग कर रहा हो जिसका नायक वो खुद था.

"रुकना मत..उफफफ्फ़...उफफफफफ्फ़......और अंदर तक...और ज़ोर से..."

"ठोक मेरी चूत....ठोक अपनी माँ की चूत.....हे भगवान....हाए...हाए.......उफफफ्फ़....चोद अपनी माँ को.......चोद डाल"

रश्मि का जिस्म अकड़ जाता है और वो बुरी तरह से काँपने लग जाती है. वो झड रही थी और उसकी चूत कसते हुए रवि के लंड को निचोड़ रही थी. उसका बदन आनंद के चरम पर पहुँच कर झटके खा रहा था.

जब रवि अपनी माँ की चूत द्वारा अपने लंड को भींचते और कसते हुए महसूस करता है तो वो घस्से लगाना बंद कर देता है. वो अचंभित सा अपनी माँ को झड़ते हुए देखता है और इसमे एक जबरदस्त रोमांच का अनुभव करता है. जब रश्मि का झड़ना कुछ कम हो जाता है तो वो पूरी निर्दयता से अपना लंड उसकी चूत में दुबारा से घुसेड देता है और उसको बुरी तरह से चोदने लगता है.

"ओह.........ओह माँ.......ओह माँ! हॅयान्म चोद मुझे...... चोद अपनी मम्मी को...... ऐसे ही मेरे लाल.... चोद चोद कर फाड़ डाल मेरी चूत!"

"और ज़ोर से...और ज़ोर से....चोद अपनी माँ को जिसे चोदने के तू बरसों से सपने देखा करता था. ....हाए में मरी....उफफफ्फ़.....कितना मोटा लॉडा है मेरे लाल का....लगा दे पूरा ज़ोर.....मेरे बेटे...ऐसे ही चोद....उफ़फ्फ़ में फिर से झड़ने वाली हूँ....में फिर से झड़ने वाली हूँ...."

"देख कैसे तेरे मोटे लौडे ने मेरी चूत फैला दी है. तूने अपनी माँ की चूत का क्या हाल कर दिया है बेटा........हाए मेरी चूत...उफफफफ्फ़....हे मेरे भगवान .....आज तो लगता है में मज़े से मर ही जाऊंगी....मेरे लाल में तो तुझे बता भी नही सकती कि तू मुझे चोद कर कितना मज़ा दे रहा है. ....उफ़फ्फ़...कितना मज़ा है अपने बेटे से चूत मरवाने में ....अहह....हाँ और गहराई तक ठोक अपनी माँ की चूत......जड तक घुसेड अपना लॉडा......उफफफफफ्फ़
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#11
"अहह...आह. चोद डाल.....चोद डाल माँ को........हे भगवान मेरा निकलने वाला है....में झड रही हूँ....मेरे साथ साथ तुम भी बेटा....गिरा दो अपना माल मेरी चूत में.....भर दे अपनी मम्मी की चूत अपने गरम रस से..."

रवि आँखे बंद किए और दाँत भिंचे पूरे ज़ोर से अपनी माँ को चोदे जा रहा था. वो अपने टट्टों में वीर्य उबलता हुआ महसूस करता है और फिर हलाल होने वाले बकरे की तरह एक उँची कराह भरते हुए एक आखरी धक्का लगा कर अपना लॉडा अपनी माँ की चूत की जड तक पहुँचा देता है.

रश्मि अपनी चूत में जबरदस्त ऐंठन महसूस करती है और फिर उसकी चूत में गर्म वीर्य की बरसात सी होने लगती है. उसका मुँह एक घुटि चीख के रूप में खुल जाता है और कामोउन्माद के शिखर पर उसे उस वो आनंद प्राप्त होता है जिसके लिए वो पिछले दो सालों से तरस रही थी. उसकी चूत अति संकुचित होकर रवि के लौडे को निचोड़ रही थी. आनंद की चर्म अवस्था में वो अपना बदन झटक रही थी और उसके मुख से अनियंत्रित सिसकारियाँ फुट रही थी. धीरे धीरे उसका बदन शांत होने लगा और वो नज़र उठाकर अपने बेटे को देखती है जो अभी भी उसकी चूत में गहराई तक लंड घुसेडे हुए था.

"ओह बेटा..."वो सिसकती है. "तुमने तो कमाल कर दिया. एसा मज़ा जिंदगी में पहली बार मिला है."

"सच कहूँ मम्मी.....यह तो मेरी कल्पना से भी कही ज़यादा मज़ेदार था. उफ़फ्फ़ आपकी चूत....आपकी चूत का तो कोई जवाब नही...में हमेशा सोचा करता था कि कैसे लगेगा आपको चोद कर, अपनी मम्मी को चोद कर! मगर आज जब मेने आपको चोदा तो जाना ऐसे मज़े के बारे में तो कल्पना भी नही की जा सकती."

"मेरे ख़याल से मुझे चोदते वक़्त तुम्हे मुझे मम्मी कह कर नही पुकारना चाहिए" रश्मि हंसते हुए बोलती है.

"अच्छा! तो फिर में आपको क्या कह कर पुकारूँ?"

"मुझे नही मालूम" रश्मि हंसते हुए जवाब देती है"कुछ भी कह कर बुला सकते हो-गश्ती, रांड़, भोसड़ी की...कुछ भी...और चाहो तो मुझे सिर्फ़ रश्मि कह कर भी पुकार सकते हो."

"ओके! में आपको रांड़ नही मेरी रांड़ ...उम्म्म्म या फिर मेरी रंडी माँ. या फिर साली कुतिया.....उम्म्म सोचना पड़ेगा! मगर आपको चोदने के समय मम्मी कह कर पुकारने में भी अलग ही मज़ा है. यह एहसास कि में अपनी सग़ी माँ को चोद रहा हूँ अलग ही मज़ा देता है....मगर सोचना पड़ेगा...'

"हाँ वाकई में जब तुम अपना लॉडा मेरी चूत में फँसाए मुझे मम्मी मम्मी कहोगे तो मज़ा दुगना हो जाएगा. मगर ध्यान रहे तुम सिर्फ़ मुझे चोदने के वक़्त ही ऐसे नामों से या गालियाँ देकर पुकार सकते हो मगर बाकी पूरे समय में तुम्हारी माँ ही रहूंगी. और इस बात को कभी भूलना नही"

"नही भूलूंगा. वैसे भी आज आप को चोदकर मैं भी मादरचोद बन गया हूँ"[img]वह रात देर तक पढ़ाई करती, सुबह देर से उठती। उसका नाश्ता अक्सर मुझे कमरे में लाकर रखना पड़ता। कभी कभी मैं भी अपना नाश्ता साथ ले आती। उस दिन जरूर संभावना रहती कि वह नाश्ते के फलों को दिखाकर कुछ बोलेगी। जैसे, ‘असली’ केला खाकर देखो, बड़ा मजा आएगा।’ वैसे तो खीरे, ककड़ियों के टुकड़ों पर भी चुटकी लेती, ‘खीरा भी बुरा नहीं है, मगर वह शुरू करने के लिए थोड़ा सख्त है।’ केले को दिखाकर कहती, “इससे शुरूआत करो, इसकी साइज, लम्बाई मोटाई चिकनाई सब ‘उससे’ मिलते है, यह ‘इसके’ (उंगली से योनिस्थल की ओर इशारा) के सबसे ज्यादा अनुकूल है। एक बार उसने कहा, “छिलके को पहले मत उतारो, इन्फेक्शन का डर रहेगा। बस एक तरफ से थोड़ा-सा छिलका हटाओ और गूदे को उसके मुँह पर लगाओ, फिर धीरे धीरे ठेलो। छिलका उतरता जाएगा और एकदम फ्रेश चीज अंदर जाती जाएगी। नो इन्फेक्शकन।” मुझे हँसी आ रही थी। वह कूदकर मेरे बिस्तर पर आ गई और बोली, “बाई गॉड, एक बार करके तो देखो, बहुत मजा आएगा।” एक-दो सेकंड तक इंतजार करने के बाद बोली,”बोलो तो मैं मदद करूँ? अभी ! तुम्हें खा तो नहीं जाऊँगी।” “क्या पता खा भी जाओ, तुम्हारा कोई भरोसा नहीं।” मैं बात को मजाक में रखना चाह रही थी। “हुम्म….” कुछ हँसती, कुछ दाँत पीसती हुई-सी बोली,”तो जानेमन, सावधान रहना, तुम जैसी परी को अकेले नहीं खाऊँगी, सबको खिलाऊँगी।” “सबको खिलाने से क्या मतलब है?” मुझे उसकी हँसी के बावजूद डर लगा। उस दिन कोई व्रत का दिन था। वह सुबह-सुबह नहाकर मंदिर गई थी। लौटने में देर होनी थी इसलिए मैंने उसका नाश्ता लाकर रख दिया था। आज हमें बस फलाहार करना था। अकेले कमरे में प्लेट में रखे केले को देखकर उसकी बात याद आ रही थी,”इसका आकार, लम्बाई मोटाई चिकनाई सब ‘उससे’ मिलते हैं।” मैं केले को उठाकर देखने लगी, पीला, मोटा और लम्बा। हल्का-सा टेढ़ा मानो इतरा रहा हो और मेरी हँसी उड़ाती नजर का बुरा मान रहा हो। असली लिंग को तो देखा नहीं था, मगर हीना ने कहा था शुरू में वह भी मुँह में केले जैसा ही लगता है। मैंने कौतूहल से उसके मुँह पर से छिलके को थोड़ा अलगाया और उसे होठों पर छुलाया। नरम-सी मिठास, साथ में हल्के कसैलेपन का एहसास भी। क्या ‘वह’ भी ऐसा ही लगता है? मैं कुछ देर उसे होंठों और जीभ पर फिराती रही फिर अलग कर लिया। थूक का एक महीन तार उसके साथ खिंचकर चला आया। लगा, जैसे योनि के रस से गीला होकर लिंग निकला हो ! (एक ब्लू फिल्म का दृश्*य)। धत्त ! मुझे शर्म आई, मैंने केले को मेज पर रख दिया। मुझे लगा, मेरी योनि में भी गीलापन आने लगा है। साढ़े आठ बज रहे थे। हीना अब आती ही होगी। क्लास के लिए तैयार होने के लिए काफी समय था। केला मेज पर रखा था। उसे खाऊँ या रहने दूँ। मैंने उसे फिर उठाकर देखा। सिरे पर अलगाए छिलके के भीतर से गूदे का गोल मुँह झाँक रहा था। मैंने शरारत से ही उसके मुँह पर नाखून से एक चीरे का पिहून बना दिया। अब वह और वास्तविक लिंग-जैसा लगने लगा। मन में एक खयाल गुजर गया- जरा इसको अपनी ‘उस’ में भी लगाकर देखूँ? पर इस खयाल को दिमाग से झटक दिया। लेकिन केला सामने रखा था। छिलके के नीचे से झाँकते उसके नाखून से खुदे मुँह पर बार-बार नजर जाती थी। मुझे अजीब लग रहा था, हँसी भी आ रही थी और कौतुहल भी। एकांत छोटी भावनाओं को भी जैसे बड़ा कर देता है। सोचा, कौन देखेगा, जरा करके देखते हैं। हीना डींग मारती है कि सच बोलती है पता तो चलेगा। मैंने उठकर दरवाजा लगा दिया। हीना का खयाल कहीं दूर से आता लगा। जैसे वह मुझ पर हँस रही हो। मध्यम आकार का केला। ज्यादा लम्बा नहीं। अभी थोड़ा अधपका। मोटा और स्वस्थ। मैं बिस्तर पर बैठ गई और नाइटी को उठा लिया। कभी अपने नंगेपन को चाहकर नहीं देखा था। इस बार मैंने सिर झुकाकर देखा। बालों के झुरमुट के अंदर गुलाबी गहराई। मैंने हाथ से महसूस किया- चिकना, गीला, गरम… मैंने खुद पर हँसते हुए ही केले को अपने मुँह से लगाकर गीला किया और उसके लार से चमक गए मुँह को देखकर चुटकी ली, ‘जरूर खुश होओ बेटा, ऐसी जबरदस्त किस्मत दोबारा नहीं होगी।’ योनि के होठों को उंगलियों से फैलाया और अंदर की फाँक में केले को लगा दिया। कुछ खास तो नहीं महसूस हुआ, पर हाँ, छुआते समय एक हल्की सिहरन सी जरूर आई। उस कोमल जगह में जरा सा भी स्पर्श ज्यादा महसूस होता है। मैंने केले को हल्के से दबाया लेकिन योनि का मुँह बिस्तर में दबा था। मैं पीछे लेट गई। सिर के नीचे अपने तकिए के ऊपर हीना का भी तकिया खींचकर लगा लिया। पैरों को मोड़कर घुटने फैला लिये। मुँह खुलते ही केले ने दरार के अंदर बैठने की जगह पाई। योनि के छेद पर उसका मुँह टिक गया, पर अंदर ठेलने की हिम्मत नहीं हुई। उसे कटाव के अंदर ही रगड़ते हुए ऊपर ले आई। भगनासा की घुण्डी से नीचे ही, क्योंकि वहाँ मैं बहुत संवेदनशील हूँ। नीचे गुदा की छेद और ऊपर भगनासा से बचाते हुए मैंने उसकी ऊपर नीचे कई बार सैर कराई। जब कभी वह होठों के बीच से अलग होता, एक गीली ‘चट’ की आवाज होती। मैंने कौतुकवश ही उसे उठा-उठाकर ‘चट’ ‘चट’ की आवाज को मजे लेने के लिए सुना। हँसी और कौतुक के बीच उत्तेजना का मीठा संगीत भी शरीर में बजने लगा था। केला जैसे अधीर हो रहा था भगनासा का शिवलिंग-स्पर्श करने को। ‘कर लो भक्त !’ मैंने केले को बोलकर कहा और उसे भगनासा की घुण्डी के ऊपर दबा दिया। दबाव के नीचे वह लचीली कली बिछली और रोमांचित होकर खिंच गई। उसके खिंचे मुँह पर केले को फिराते और रगड़ते मेरे मुँह से पहली ‘आह’ निकली। मैंने हीना को मन ही मन गाली दी- साली ! बगल के कमरे से कुछ आवाज सी आई। हाथ तत्क्षण रुक गया। नजर अपने आप किवाड़ की कुण्डी पर उठ गई। कुण्डी चढ़ी हुई थी। फिर भी गौर से देखकर तसल्ली की। रोंगटे खड़े हो गए। कोई देख ले तो ! नाइटी पेट से ऊपर, पाँव फैले हुए, उनके बीच होंठों को फैलाए बायाँ हाथ, दाहिने हाथ में केला। कितनी अश्लील मुद्रा में थी मैं !![/img]

"एक बहुत ही बढ़िया और जानदार मादरचोद." रश्मि हँसती है और महसूस करती है रवि ने उसकी चूत से अपना लॉडा निकाल लिया था. "तुम्हारा बाप इस चूत को चोदते हुए कभी थकता नही था अब देखना है तुममे कितना दमखम है"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#12
(26-07-2022, 04:16 PM)neerathemall Wrote:
मुंबई की बारिश और .................
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#13
कामुक कहानी।
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#14
Bohot hi hot story he bro....par is me bete ke dosto ko bhi samil karo maza aayega
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#15
(27-07-2022, 01:25 AM)bhavna Wrote: कामुक कहानी।

(27-07-2022, 06:54 AM)Shabaz123 Wrote: Bohot hi hot story he bro....par is me bete ke dosto ko bhi samil karo maza aayega

Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#16
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#17
(26-07-2022, 04:17 PM)neerathemall Wrote:





ये कहानी एक माँ बेटे की कहानी है जिन्हे इस तरह की कहानी पढ़ने में अरुचि होती हो कृपया इस कहानी को ना पढ़े
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thanks
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#18
(04-08-2022, 05:11 PM)o2158 neerathemall Wrote:
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#19
????????????
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#20
(27-07-2022, 01:25 AM)bhavna Wrote: कामुक कहानी।

(27-07-2022, 06:54 AM)Shabaz123 Wrote: Bohot hi hot story he bro....par is me bete ke dosto ko bhi samil karo maza aayega
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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