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रात के नौ बज चुके थे। मैं धड़क ते दिल से मेरे पति के इंतज़ार में बैठि थी। हाँ सही सुना आपने, धड़कते दिल से ही। क्यों की आज मेरा सुहागरात है। पूरा कमरा और बेड फूलो सजा हुआ था। कमरे में पूलों के मनमोहक महक के साथ साथ अगरबत्तियों का भी महक वातावरण को मदहोश बना रहे थे। सुहाग रात के सारा वास्तु कमरे में थे जैसा की एक टेबल पर तीन चार किस्म के फल, कुछ मिठाईयां, और एक थरमास मे गर्म दूध यह सब तो हिंदुस्तानी सुहाग रात के दिन आम बातें है।
जैसे की मैं बोली थी की में मेरे पति के आगमन के लिये उत्सुक हूँ। 'क्या करेंगे? और कैसे करेंगे? उनका कितना बड़ा और मोटा होगा...' यह सब बातें मेरे मस्तिष्क में घूम रहे है। वैसे इस से पहले मैं दो दो मर्दों से चुदवा चुकी हूँ फिर भी सुआगरात की उत्सुकता अलग ही है। पाठकों को मालूम है की मैं अपने कजिन, शशांक भैय्या और एक दूर के रिश्तेदार से चुदवा चुकी हूँ। फिर भी आज की रात की टेंशन मेरे ऊपर हावी थी।
आखिर मेरा इंतजार ख़त्म हुआ और मेरे पति कमरे में आकर अंदर से संकल लगाए। मेरी दिल की धड़कन और तेज हो गयी। आँखों की कनकियों से मैं उन्हें देखि।
वेह मेरे से कोई पांच या छः इंच लम्बे जोंगे। मैं 5 फ़ीट 5 इंच की हूँ। हट्टा कट्टा तो नहीं थे पर अच्छे तंदरुस्त वाले आदमी है। सफ़ेद कुरता और पजामा पहने थे और होंठो पर हलकी सी मुस्कान थी। वे आकर मेरे बगल में बैठते ही मेरी टैंशन और बढी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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टैंशन मत लो, सहज रहो..." बोलते हुए मेरे कंधे पर हाथ रख कर हल्कासा दबाव डाले। मैं उन्हें देख कर हलकी सी मुस्कुरा दी।
"शभाष..ऐसे ही हमेशा मुस्कुराते रहना.." बोले और आगे झुक कर मेरे गाल को चूमे। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे सारे शरीर में हज़ारों चीटिया रेंग रहे हो। सारा शरीर एक बार सिहर उठा।
"क्या नाम है आपका...?" वह पूछे। यह सब नयी नवेली दुल्हन से बाते करने का एक तरीखा है सो मैंने धीरे से बोली "हेमा..."
"बहुत अच्छा नाम है... हेमा का मतलब जानती हो क्या...?" अब उनका हाथ मेरे कमर के गिर्द लिपट गयी। उनकी गर्म और नरम उँगलियाँ मेरे कमर पर गुद गुदी कर रहे है।
"वो तो सिर्फ नाम है.. इसका मतलब क्या हो सकता है..?" मैं धीरे से बोली।
"हर नाम का एक मीनिंग होती है.. जैसे तुम्हारी नाम का भी है.."
"अच्छा.. क्या मीनिंग है.. बतईये.. मुझे यह बात नहीं मालूम.." मैं बोली हालांकि मेरा नाम का मतलब मैं जानती हूँ लेकिन मैं उनके सामने अल्हड़ और भोली होने का नाटक कर रही हूँ।
"हेमा का मतलब है 'सोना' यानि की 'गोल्ड मेरे जीवन मे तुम गोल्ड बनके रहोगी.. रहोगी ना..?" इस बार मेरे दुसरे गाल को चूमते बोले।
"जी ... जैसा आप बोले मैं वैसे ही रहने की कोशिश करूंगी" मैं मेरे कमर पर घूमते उनके हाथ को पकड़ कर बोली।
"गुड मैं यही चाहता हूँ.. मेरा नाम नहीं पूछेंगी आप..?"
"मुझे आप मत बोलो.. में आपकी पत्नी हूँ तुम बोला करो.." में बोली।
"ठीक है जैसा तुम बोलो.."
"अब बोलिए आपका नाम क्या है..?" में पूछी।
"मोहन...."
"क्या आपका नाम का भी मीनिंग है क्या..?"
"हाँ! है न... मोहन का मतलब है मोहने वाला यानि की दिल चुराने वाला..."
"बापरे फिर तो मुझे आपसे संभल के रहना होगा" मैं ढरने का अभिनय करती बोली।
"वो क्यों..?"
"कहीं आप मेरा दिल चुरा लिये तो...."
वह खिल खिलाकर हांसे.. तुम अच्छी मज़ाक करलेती हो.. बस मुझे ऐसी ही पत्नी चाहिए थी, वैसे तुम्हे मालूम है की तुम कितनी सुन्दर हो.."
"क्या मैं सच मे मैं उतनी सुन्दर हूँ; सुना है आप ने मेरे लिए डेड साल से ढूंढ रहे है...ऐसा क्या देखा अपने मुझमे...?" में पूछी।
"हाँ सच है, कोई डेड साल पहले मैं तुम्हे एक शादी में देखा था तो मेरी दिल तो तुम ने तभी चुराली और तब मैं निर्णय लिया कि शादी करूंगा तो तुम्ही से... नहीं तो नहीं..
"ऐसे क्या देखे आपने मुझमें...? मैं उन्हें देखती पूछी।
"तुहारी हर चीज़ मुझे भा गयी। तुम्हारी अदा, मुस्कान, पतले होंठ, गुलाबी गाल, हंसमुख चेहरा... सबसे ज्यादा तो तम्हारी कमर की लचक और ऊके नीचे....." वह रक गए।
"छी .. आप कितने गंदे है...किसी अनजान लड़की को कोई ऐसा देखता है क्या भला...?" में अपनी गोल आंखे घुमाती बोली।
"यही तो अदा मुझे पसंद है.. उस शादी में भी मैं तुम्हे किसी से ऐसे ही अदा से बात करते देखा था..." अब उनके हाथ मेरे उन्नत वक्ष पर आये और धीरेसे प्रेस करनेलगे।
कुछ देर हम दोनों मे ख़ामोशी रही। फिर उन्होंने बोले "हेमा..."
"वूं...."
"एक बात पूछूं..."
"जी पूछिए..."
"तुम इतनी सुन्दर हो.. क्या तुम्हारे कॉलेज में कोई बॉय फ्रेंड था...?"
"छी... मैं वैसी लड़की नहीं हूँ..." मैं उनके हाथों को मेरे ऊपर से निकलते बोली और दूर हटी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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