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Adultery बरसात में भीगीभाभी की चुदाई
#1
बरसात में भीगीभाभी की चुदाई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मैं अपनी कॉलेज की छुट्टियों में अपनी सबसे छोटी भाभी के घर गया हुआ था. मेरे भईया जी आर्मी में थे साल में सिर्फ़ कभी कभार ही घर आया करते थे. उन दिनों में सेकंड इयर के एक्जाम दे चुका था. इसलिए मेरी जवानी अपने सुरूर पर थी.

मेरी भाभी को अभी कोई बच्चा नहीं था, उनकी शादी को अभी दो साल ही हुए थे. लेकिन भईया शादी से पहले ही आर्मी में थे. इसलिए भाभी के साथ ज्यादा टाइम साथ नहीं रह पाए थे. पहले मैंने कभी अपनी भाभी को ग़लत नजर से नहीं देखा था.

लेकिन एक दिन भाभी बाज़ार गई हुई थी कि तभी अचानक बारिश शुरू हो गई. मैं टी वी पर मूवी देख रहा था, मूवी में कुछ सीन थोड़े से सेक्सी थे. जिन्हें देख कर मन के ख्याल बदलना लाजमी था. उस टाइम मेरे मन में बहुत उत्तेजना पैदा हो रही थी. मैं धीरे धीरे अपने लंड को सहलाने लगा.

तभी डोर बेल बजी, मैं अचानक घबरा गया, मुझे लगा जैसे किसी ने मुझे देख लिया हो!

लेकिन मुझे याद आया कि घर में तो कोई है ही नहीं… मैं बेकार में डर रहा था.

मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया.

बाहर भाभी खड़ी थी, उनका बदन पूरी तरह पानी से भीगा हुआ था और वो आज पहले से भी ज्यादा जवान और खूबसूरत लग रही थी. मैंने दरवाजा बंद कर दिया और जैसे ही पीछे मुड़ा तो मेरी नज़र भाभी की कमर पर पड़ी जहा पर उनकी गुलाबी साड़ी के बलाउज से उनकी काले रंग की ब्रा बाहर झांक रही थी.

भाभी ने सामान सोफे पर रखा और मुझसे बोली – सावन, मेरा पूरा बदन भीग चुका है इसलिए तुम मुझे अंदर से एक तौलिया ला दो?

मैं तौलिया ले आया तो भाभी मुस्कुराते हुए बोली – समान हाथों में लटका कर लाने से मेरे हाथ दर्द करने लग गए हैं. इसलिए तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
मैंने पूछा – क्या काम है?

भाभी बोली – जरा मेरे बालों से पानी सुखा दोगे?

मैंने कहा – क्यूँ नहीं!

भाभी सोफे पर बैठ गई. मैंने देखा बालों से पानी निकल कर उनके गोरे गालों पर बह रहा था.

अधिक कहानियाँ: मेरी प्यारी मामी की चुदास

मैं भाभी के पीछे बैठ गया और उनको अपने पैरों के बीच में ले लिया और बालों को सुखाने लगा.

भाभी का गोरा और भीगने के बाद भी गर्म बदन मेरे पैरो में हलचल पैदा कर रहा था. बाल सुखाते हुए मैंने धीरे से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया. भाभी ने कोई आपत्ति नहीं की. धीरे से मैंने उनकी कमर सहलानी शुरू कर दी.

तभी अचानक भाभी कहने लगी – मेरे बाल सूख गए हैं, अब में भीतर जा रही हूँ..

वो कमरे में चली गई पर मेरी साँस रुक गई, मैंने सोचा शायद कि भाभी को मेरे इरादे मालूम हो गए.

कमरे में जाकर भाभी ने अपने कपड़े बदलने शुरू कर दिए. जल्दी में भाभी ने दरवाजा बंद नहीं किया वो ड्रेसिंग मिरर के सामने खड़ी थी उन्होंने अपना एक एक कपड़ा उतार दिया.

मैंने अचानक देखा कि भाभी बड़ी गौर से अपने बदन को ऊपर से नीचे तक ताक रही थी. मेरा दिल अब और भी पागल हो रहा था और उस पर भी बारिश का मौसम. जैसे बाहर पड़ रही बूँदें मेरे तन बदन में आग लगा रही थी.

अबकी बार भाभी ने मुझे देख कर अनदेखा कर दिया. शायद यह मेरे लिए ग्रीन सिग्नल था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
मैं कमरे में अन्दर चला गया, भाभी बोली – अरे सावन, मैंने अभी कपड़े नहीं पहने, तुम बाहर जाओ.

मैं बोला – भाभी, मैंने तुम्हें कपड़ो में हमेशा देखा लेकिन आज बिन कपड़ो के देखा है, अब तुम्हारी मर्ज़ी है तुम मेरे सामने ऐसे भी रह सकती हो.

और कहते हुए मैंने उनको बाहों में ले लिया.

उन्होंने थोडी सी न नुकर की लेकिन मैंने जयादा सोचने का टाइम नहीं दिया और बिंदास उनको किस करनी शुरू कर दी मैंने देखा की उसने आँखे बंद कर ली. इस में उनकी सहमति छुपी थी. मैं दस मिनट तक उसे किस करता रहा इस बीच गर्म होंट उसके गोरे बदन के ज़र्रे ज़र्रे को चूम गए.

अचानक भाभी ने मुझे जोर से धक्का दिया और में नीचे गिर गया एक बार को में फ़िर डर गया लेकिन अगले ही पल मैंने पाया के भाभी मेरे उपर आकर लेट गई थी और मेरे सारे कपड़े उतार दिए हम दोनों के बीच से कपड़ो की दिवार हट चुकी थी. मेरा लंड पूरी तरह तैनात खड़ा था.

तभी उसने मेरे उपर आकर मेरे लंड को अपने नर्म होंटो से छुआ और अपने मुँह में ले लिया. वो मेरे ऊपर इस तरह बैठी थी की उसकी चूत बिल्कुल मेरे होंठो पर आ टिकी थी मैंने चूत को बिंदास चाटना शुरू कर दिया.

उसके मुँह से मेरा लुंड आजाद हो गया था और आआह्छ…आआ… ऊऊ… ऊओफ्फ्फ्फ़. की आवाज उसके मुह से आने लगी थी और तभी उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. ओर वो मुझ से बोली – ऊह मेरे सेक्सी सावन मेरी चूत तुम्हारे इस सुडोल लंड को लिए बिना नहीं रह सकती प्लीज सावन, अपने इस प्लेयर को मेरी चूत के प्ले ग्राउंड में उतार दो ताकि ये अपना चुदाई गेम खेल सके.


भाभी अब मेरे लंड को लेने के तड़पने लगी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
मैंने भी उसी वक्त भाभी को बाहों में भरा और उठा कर बेड पर लिटा दिया. भाभी की चूत रसीली हो रखी थी. मैं भाभी के ऊपर लेट गया मेरा लंड भाभी के चूत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था. भाभी ने चूत को अपने दोनों हाथो से खोल दिया और मैंने धीरे से भाभी की चूत में अपना लंबा लंड डालना शुरू कर दिया.

काफी दिनों से भाभी की चुदाई नहीं हुयी थी इस लिए भाभी की चूत एक दम टाईट थी. मैंने जोर से झटका लगाया और लंड पूरी तरह चूत की आगोश में समां चुका था. भाभी के मुँह से आआह्ह्छ मार डाला की आवाज़ निकल गई और मुझे थोडी देर हिलने से मना कर दिया कुछ देर बाद वो नीचे से हलके हलके झटके लगाने लगी.

अब मुझे भी चूत का मजा आने लगा और मैंने भाभी की चुदाई शुरू कर दी जितनी में अपनी भाभी की चुदाई करता वो उतनी सेक्सी सेक्सी आवाज़ निकलने लगी- आह्ह… आःछ… ऊऊ… ईशहश… आआ… ऊऊओफ़ फफफ… ऊऊ फफफफ फ… अआआछ ह्ह्ह. धीरे धीरे चूत लूस होने लगी.

हम दोनों ने कम से कम आधे घंटे तक चुदाई की. आधे घंटे बाद अचानक भाभी मुझसे जोर से लिपट गई और उसकी चूत थोडी देर के लिए टाईट हो गई. कुछ और झटके लगाने के बाद मेरे लंड ने अपना वीर्य चूत में छोड़ दिया ओर भाभी फ़िर से मुझे लिपट गई. में इसी तरह दस मिनट तक भाभी के ऊपर लेता रहा.

उस दिन की बरसात से लेकर और अब तक ये आपका सेक्सी सेक्सी सावन अपनी भाभी के प्यासे बदन पर हर रोज़ बरसता रहा है और इतना ही नहीं उस दिन के बाद मेरी भाभी और ज्यादा सेक्सी और खूबबसूरत लगने लगी है. अब अपनी भाभी के अलावा आपका सेक्सी सावन बहुत सी फिमेल की प्यास मिटा चुका है.
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#6
आज की बारिश की हार्दिक शुभकामनाएं
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#7
(21-07-2022, 06:39 PM)neerathemall Wrote: आज की बारिश की हार्दिक शुभकामनाएं
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
बारिश में बहन की बुर चुदाई की कहानी
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भाई बहन सेक्स की कहानी मेरे और मेरी बहन के बीच तब की है जब बारिश में हम दोनों चुदाई का आनन्द ले रहे थे … या यूं कहें कि बारिश में स्वर्ग का सुख भोग रहे थे.
नमस्कार दोस्तो, मैं मन पांडे.
मेरी पिछली कहानी थी: ईमेल वाली गर्लफ्रेंड की चूत चुदाई
मैं एक बार फिर से अपनी एक नई सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूँ. 
ये भाई बहन सेक्स की कहानी मेरी और मेरी अपनी बहन आर्या की है, मैं उसे प्यार से आरू कहता हूँ … और वो मुझे प्यार से मनु भाई कहती है. हम दोनों बचपन से ही साथ रहे, एक साथ खेले और साथ ही बड़े हुए.
हम दोनों काफी ओपन माइंडेड हैं, एक दूसरे से हर तरह की बात कर लेते हैं. इसीलिए शायद हमें कभी बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड की जरूरत नहीं महसूस हुई.
और जरूरत पड़े भी क्यों … जिसकी बहन इतनी खूबसूरत, मस्त, गदराया हुआ माल हो … वो बाहर मुँह क्यों मारे. 
आइए पहले मैं आपको अपनी बहन के बारे में कुछ बता देता हूँ.
मेरी बहन एक खूबसूरत बदन की मालकिन है. उसकी आंखें एकदम नशीली हैं, जिसे दखकर मैं भी नशे में आ जाता हूँ.
उसके रसभरे होंठ एकदम सुर्ख लाल गुलाब के फूलों से कोमल हैं, जिन्हें देखते ही मन करता है कि अभी चूस लूं.
मेरी बहन के बूब्स 36 इंच के उठे हुए मस्त लगते हैं. देख कर मन करता है कि अभी पकड़ कर दबा दूँ.
उसकी कमर 29 इंच की और गांड 36 की है. उठे हुए मस्त गोल गोल चूतड़ों को देख कर मन करता है कि अभी दांत से काट लूं … पर किसी तरह कंट्रोल कर लेता हूँ. 
कुल मिला कर मेरी बहन पूरी कयामत है, जिसे देख बुड्ढे में जवानी के जोश भरने लगते हैं और उनके लंड खड़े हो जाते होंगे.
मैं अपनी बहन आरू से काफी क्लोज और अट्रैक्ट था … और कहीं न कहीं वो भी मुझे पसन्द करती थी.
पर समाज की लोकधारणाएं, मर्यादाएं हमें कहीं न कहीं मिलने से रोक देती थीं. 
लेकिन ये भी सच है यदि आप किसी को शिद्दत से चाहो … तो जर्रा जर्रा उसे आप से मिलाने की साजिश में लग जाता है. ऐसा ही कुछ हमारे साथ भी हुआ.
एक दिन हम दोनों अपनी छत पर खड़े होकर बातें कर रहे थे.
तभी उसने अचानक मुझसे कहा- मनु भाई आपने गर्लफ्रेंड क्यों नहीं बनाई?
मैं तपाक से बोल पड़ा- तुम्हारी जैसी बहन के होते हुए किसी और के पीछे जाऊं … ये मुझसे नहीं हो सकता है.
वो मेरी इस बात से थोड़ा चौंकी … पर खुश भी थी कि उसका भाई उसी पर मरता है.
उसने मौके पर चौका मारते हुए कहा- ठीक है, यदि तुम मुझे इतना ही चाहते हो … तो मुझे तो बताओ कि तुम अभी मेरे साथ क्या क्या कर सकते हो!
मैंने कहा- सिर्फ बता नहीं सकता हूँ … करके भी दिखा सकता हूँ. 
उसने कहा- अच्छा … ठीक है, करके दिखाओ. लेकिन करते वक्त कॉम्प्लीमेंट भी देना है.
मैंने कहा- ठीक है.
आरू ने ऊपर टॉप और नीचे लैगी पहनी हुई थी. मैं उसके नजदीक गया. उसके दोनों हाथों को पकड़ कर अपने कंधे पर किए और अपने हाथ उसके कमर पर रखते हुए सबसे पहले मैंने उसकी आंखों की तारीफ की. 
मैंने कहा- ये तुम्हारी नशीले आंखें, इनको देखते ही मैं इनमें डूब जाता हूँ.
ऐसा कहकर मैंने उसकी दोनों आंखों को बारी बारी से किस किया.
उसकी सांसें थोड़ी तेज हो गईं. 
फिर मैं उसके एक गाल पर अपने होंठ घुमाते हुए उसके गाल को अपनी जीभ से चाटने लगा.
आरू अपनी आंखें बन्द करके मेरी हरकतों का पूरा मज़ा ले रही थी.
उसके गाल चाटते हुए मैं उसके गालों को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा जिससे आरू की उत्तेजना और बढ़ने लगी, उसकी पकड़ मेरे लिए और तेज हो गयी. 
फिर मैं उसके होंठों की तरफ बढ़ा, जो लाल सुर्ख गुलाबी ऐसे लग रहे थे, जैसे दुनिया के सारे रस आज इसी के होंठों में भरे हुए हैं.
मैं बड़े प्यार से उसके दोनों होंठों को अपने होंठों के बीच में रखकर चूसने लगा.
वो और भी मदमस्त होने लगी और मैं भी. 
मेरे दोनों हाथ उसकी गांड को मसल रहे थे और उसके हाथ मेरे गर्दन और बालों में चल रहे थे.
मैं उसके होंठों को ऐसे चूस रहा था, जैसे कोई रसगुल्ले से रस चूस रहा हो.
कभी मैं उसके होंठों को अपने मुँह में, तो कभी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल कर चूस रहा था. कभी वो ऐसा कर रही थी.
हम दोनों एक दूसरे में सारी दुनिया को भुला बैठे थे.
तभी नीचे से आवाज आयी- आरू, मनु क्या कर रहे हो … नीचे आओ.
हम दोनों का जैसे सपना टूट गया हो हम एक दूसरे से न चाहते हुए भी अलग हुए और अपने को ठीक करते हुए नीचे आ गए. वहां मम्मी पापा हमारा इंतज़ार कर रहे थे. 
हम सभी ने रात को खाना खाया और सोने चले गए.
रात भर किसी को नींद नहीं आयी, न मुझे … न आरू को.
मम्मी पापा के डर से हम दोनों चुपचाप सो गए. 
सुबह जब मैं उठा तो आरू ने बताया कि मनु भाई आज घर में कोई नहीं है. मम्मी पापा किसी काम से बाहर गए हैं. वो शाम तक लौटेंगे. तुम जल्दी से फ्रेश हो जाओ … फिर दोनों दिन भर मस्ती करेंगे. देखिए न आज बादल भी लगे हुए हैं … अगर बारिश हुई तो हम दोनों बारिश का पूरा मज़ा उठाएंगे. 
अपनी बहन की बातें सुनकर मैं भी उत्तेजित हो गया और जल्दी ही फ़्रेश होने के बाद हम नाश्ता करने बैठ गए. 
आज हमारा नाश्ता कुछ अलग होने वाला था. आज मेरी बहन आरू ने मुझे अलग नाश्ता कराया. वो ब्रेड को अपने हाथ से उठाने के बजाए उसे अपने मुँह में दबा कर मेरे मुँह में डाल रही थी. जिससे उसके होंठ मेरे होंठों में लग रहे थे और हम ब्रेड के साथ एक दूसरे के होंठों का रसपान भी कर रहे थे. 
तब तक बारिश भी शुरू हो चुकी थी.
ये देख कर मेरा और आरू की खुशी का ठिकाना न रहा … क्योंकि हम दोनों को बारिश वैसे भी बहुत पसन्द है और साथ में हम दोनों मूड में भी थे. 
आरू ने कहा- भाई चलो बारिश में रोमांस करते हैं … बहुत मज़ा आएगा.
मैंने भी कहा- चलो.
हम दोनों छत पर चले गए.
मैं सिर्फ निक्कर और बनियान में था और आरू टॉप और हाफ लैगी में थी.
छत पर बारिश में भीगते हुए आरू एकदम मस्त लग रही थी. उस वक्त उसे देख कर किसी का भी नियत बिगड़ सकती थी.

बारिश में भीगते ही उसके जिस्म के सभी उभार दिखने लगे. उसकी तनी हुई चुचियां मानो खुला निमन्त्रण दे रही थीं कि आओ और मुझे मसलकर चूस लो. उसकी उठी हुई गांड … आह क्या मस्त लग रही थी.
आरू को देख कर लग रहा था कि जैसे उसने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी. 
मैंने उसे अपनी ओर खींचते हुए बांहों में भरकर उसके होंठों को चूसते हुए उससे कहा- तुमने अन्दर कुछ पहना नहीं है!
उसने इठला कर कहा- नहीं … कोई जरूरत नहीं थी. 
उसके बाद बारिश में भीगती हुई मैंने अपनी बहन आरू को गोद में उठा लिया और उसने भी मुझे जोर से पकड़ लिया. 
गोद में उठाकर मैं अपनी बहन के भीगे हुए चेहरे को चाटने लगा. मैं कभी उसके गाल काटता, तो कभी उसके होंठ.
उसके बाद मैं धीरे धीरे उसकी गर्दन को चाटने लगा और साथ में उसके टॉप में हाथ डाल कर उसके एक चूचे को भी मसल रहा था.
मेरी बहन आरू भी अपनी पूरी वासना में आ गई थी. 
उसके बाद मैंने उसे भी छत पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर एक हाथ से उसके कपड़े के ऊपर से ही उसके एक चुचे को मसलने लगा और उसके दूसरे मम्मे को मुँह से काटने लगा.
अपने दूसरे हाथ से लैगी के ऊपर से ही उसकी बुर को मसलने लगा.
मेरी ये तीनों हरकतें मेरी बहन आरू के लिए आग में घी का काम कर रही थीं.
वो एक जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी.
अब मैं अपना बनियान और निक्कर निकाल कर पूरा नंगा हो गया और अपनी बहन का भी टॉप और लैगी निकाल कर उसे भी पूरी नंगी कर दिया.
अब हम दोनों के बीच कुछ नहीं बचा.
मैं आरू का मदमस्त गोरा बदन पागल होने लगा और मैं तुरन्त उसके ऊपर चढ़ गया; उसके मम्मों को बुरी तरह मसलने और चूसने लगा.
उसके मम्मों को अपने हाथों में पकड़े हुए मैं नीचे मुँह लाकर उसके नाभि से खेलने लगा, उसमें अपनी जीभ फिराने लगा.
इससे वो और मस्त हो गयी और जोर जोर से सिसकारियां भरने लगी. 
फिर मैं उसकी कमर को अपने हाथ में पकड़ कर उसकी बुर तक आया.
बारिश में भीग रही बुर को देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया और मैंने तपाक से उसकी बुर के दोनों फांकों को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा. 
मेरे इस अचानक हमले से आरू पूरी तरह हिल गयी. वो मेरे सर को अपनी बुर पर दबाने लगी और जोर जोर से सिसकारियां भरने लगी. 
‘आह … उम्मह … कम ऑन फ़क मी मनु भाई और जोर से .. आई.’
उसकी ये आवाजें मुझे और उत्तेजित कर रही थीं. 
तभी आरू बोली- भाई आप अपना लंड मेरे मुँह में दे दो … मैं आपका लंड चूसती हूँ … और आप मेरी बुर चूसो. 
हम दोनों फट से 69 की स्थिति में आ गए.
अब मेरा लंड मेरी बहन में मुँह में था. वह उसे एक दम लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी और मैं उसकी बुर को रसगुल्ले की तरह चचोर रहा था. 
थोड़ी देर बाद आरू बोली- भाई अब रहा नहीं जा रहा है … पेल दो अपना लंड … अपनी बहन की बुर में. 
मैं सीधा हुआ और अपनी आरू की टांगों के बीच में बैठ कर उसकी टांगें अपने कमर पर रख दीं.
फिर अपना लंड उसकी बुर पर रखकर एक ही झटके में पिला दिया. मैंने एक ही शॉट में अपना पूरा लंड उसकी बुर में घुसा दिया था.
वो जोर से चिल्लाई- आह मर गई मम्मी रे … बुर फाड़ दोगे क्या साले बहनचोद.
मैं उसके मुँह से गाली सुन थोड़ा शॉक था, पर वो सही बोली थी कि किसी की बुर में ऐसे ही लंड पेल दोगे, तो वो गाली तो देगा ही. 
लेकिन धीरे धीरे मैं उसकी बुर में लंड अन्दर बाहर कर उसे चोदने लगा.
वो भी गांड उठा उठा कर बुर चुदवाने लगी.
थोड़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद मैंने उससे कहा- आरू, अब तुम कुतिया बन जाओ … मैं तुम्हें पीछे से चोदूँगा. 
वो तो मानो इसके लिए तैयार बैठी थी, वो फटाक से कुतिया बन गयी.
और मैं पीछे से लंड डालकर पूरी स्पीड में उसकी बुर चोदने लगा.
वो भी कामुक सिसकारियों के साथ चुदने लगी. 
थोड़ी देर धकापेल चुदाई के बाद मैंने कहा- आरू मेरा निकलने वाला है.
उसने कहा- भाई मेरा भी … थोड़ा और तेज़ करो.
मैंने स्पीड और बढ़ा दी.
जोर जोर से ठप ठप की आवाज आ रही थी.
थोड़ी देर में हम एक दूसरे में पूरी तरह समा गए.
मेरी स्पीड भी रुक गयी, मैं आरू की चूचियां पकड़ कर उसके ऊपर वैसे ही लेट गया.
थोड़ी देर बाद वो उठी और मेरे ऊपर आकर मुझे अपनी बांहों में कस लिया.
वो मुझे किस करती हुई बोली- थैंक्यू भाई … बहुत मज़ा आया. 
हम एक दूसरे को पकड़े हुए वहीं बारिश में लेटे रहे.
फिर थोड़ी देर बाद हम नीचे गए … कपड़े बदले, खाना खाया और एक ही रूम में एक दूसरे को पकड़ कर किस करते हुए सोने लगे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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