06-07-2022, 03:43 PM
कहानी नंबर १
जीवन एक कड़वा सत्य।
जिंदगी यह शब्द छोटा लेकिन मायने बहुत। कभी खुशी, कभी ग़म, तकलीफ, राहत और न जाने क्या क्या गुण इस छोटे शब्द में छुपे है। हर इंसान को यह देखने को मिलता है।
यह कहानी है एक औरत को जिसका नाम अनन्या है। अनन्या जो ३१ वर्षीय बेहद खूबसूरत और अकेली रहने वाली औरत हैं । अनन्या के जिंदगी में कोई नहीं। मां बाप बचपन में ही चल बसे और रही बात पति की तो वो भी कुछ खास खुशी न दे पाया। एक बीमारी से मारा गया। अनन्या अकेली रहती और नौकरी में एक सरकारी कॉलेज में अकाउंटेंट की नौकरी करती। सुबह ७ बजे से दोपहर १ बजे तक काम और बाकी के दिन कुछ खास नहीं करने को। लेकिन पिछले १ हफ्ते से वो कॉलेज से एक जगह जाने लगी जो उसे जिंदगी के महत्वपूर्ण चरण को अंजाम देता है। उसे चरण का नाम है सहानुभूति।
कॉलेज से छूटकर अनन्या दोपहर की कड़कती धूप में साड़ी पहनी पैदल चल रही थी। एक गली से गुजरते हुए वो एक सुनसान जगह आ पहुंची। वो जगह भूतो का वास लाग रहा था। सालो पुराने इस जगह को लोग छोड़कर चले गए। भूकंप से ग्रसित यह जगह एक वक्त लोगो के रहने की जगह थीं करीब ३० घर इधर थे परंतु अब जैसे टूटा फूटा खंडर। यह घर अंग्रेजो के जमाने से था लेकिन कभी भी यह घर गिर सकता है।
अनन्या एक सड़े हुए मकान में पहुंची। दरवाजा एक २० साल लड़के ने खोला। वो रोते हुए अनन्या को देखा।
"कैसे है वो ?" अनन्या ने पूछा।
"कुछ भी ठीक नहीं।" वो रोते हुए अनन्या से लिपट गया।
अनन्या ने उसे शांत किया और सामने वाले कमरे में आ पहुंची। कमरा बहुत की खराब था। दीवारे टूटी हुई और पंखा भी टूटा हुआ खर खर चल रहा था। सामने एक खटिया में ७८ साल का बूढ़ा इंसान लेता हुआ था। उस बुड्ढे इंसान का नाम चीनू था। चीनू जो कॉलेज में एक जमाने चौकीदार था लेकिन बीमारी की वजह से उसे नौकरी छोड़नी पड़ी। अनन्या का जब कोई नहीं था तब उसने अनन्या को सहारा दिया और दुःख के समय मानसिक तौर से ठीक किया। चीनू एक दुबला पतला और खत्म शरीर इंसान है। अपने पोते के साथ अकेला इस वीरान में रहता है। पैसे नही और पोता चाय की दुकान में काम करता। कुछ पैसे जमा करता लेकिन दादा के इलाज में चला जाता।
चीनू डिप्रेशन में था और उसे एक सहारे की जरूरत थी। अनन्या रोज उसे दोपहर को मिलने जाती। अनन्या को सामने देख चीनू बोला कापते हुए "अनन्या तुम क्यों देर लगा दी आने में जल्दी आओ मेरे पास ।"
अनन्या ने साड़ी का पल्लू हटाया और चीनू के पास आ गई। पीले रंग के ब्लाउज और पेटीकोट में वो चीनू के बगल खटिया पर लेट गई। खटिया पर लेटे चीनू अनन्या से लिपट गया और कपते हुए बोला "अनन्या देर मत करना वरना किसी दिन में मार जाऊंगा।"
अनन्या के सीने पे सर रखकर चीनू लेता हुआ था। अनन्या ने सीने से चीनू को लगाया हुआ था। चीनू के सिर को चूमते हुए कहा "दवाई क्यों नहीं ले रहे तुम ?"
"नही जीना मुझे। मुझे अब मुक्ति चाहिए।" चीनू रोने लगा।
"क्यों चीनू ?"
"सब चले गए, कोई नहीं इस संसार में ।"
"मेरा भी तो कोई नहीं आपके सिवाय।" अनन्या ने चीनू को बाहों में कसके रखा। चीनू अनन्या के गले को चूमते हुए कहा "अनन्या मुझे नींद नहीं आ रही।"
अनन्या ने चीनू को चूमते हुए कहा "कोशिश करो।"
चीनू अनन्या के स्तन को हाथो से मसलने लगा और गालों को चूमने लगा। चीनू को एक प्रेम की आवश्कता थी जो अनन्या उसे देती है। चीनू अनन्या के हॉट को चूमने लगा और बोला "में तुम्हारे बिना नहीं जी सकता अनन्या।" इतना कहकर अनन्या के navel पे kiss किया। अनन्या को कुछ देर तक ऐसे ही हर जगह चूमा और सो गया। अनन्या भी सो गई। कुछ देर बाद चीनू ने अनन्या के बाकी के कपड़े उतार दिया और कमजोर शरीर से अनन्या को चाटने लगा। दिमाग कम काम कर रहा था चीनू का। अनन्या को बोला "अनन्या क्या मैं तुम पर बोझ हूं ?"
अनन्या ने कहा "बिलकुल नहीं चिनूजी आप मेरे अपने हो। अपने कहा कोई बोझ होते है ?"
"अनन्या मेरा शरीर काम नहीं करता लेकिन पता नहीं तुम मेरे जैसे बुड्ढे को क्यों रोज मिलती हो और वक्त मेरे साथ गुजारती हो ?"
"आपकी वजह से जिंदगी में मुझे पता चला कि हर दर्द का इलाज है सहानुभूति और प्रेम सत्कार।"
अनन्या और चीनू नग्न अवस्था में थे। चीनू अपना लिंग अनन्या के योनि में डालकर धक्का देता और अनन्या भी पूरा साथ देती। चीनू अनन्या कुछ घंटे ऐसे ही रहते और चीनू थका हरा अनन्या के शरीर पे लेट जाता। अनन्या ऐसे ही रोज दोपहर चीनू से मिलती। वक्त गुजरता गया और चीनू स्वस्थ हो गया। लेकिन डॉक्टर ने अनन्या को साफ साफ बता दिया कि अगर वो उसे छोड़ देगी तो वो फिर से पागल हो जाएगा और फिर मर भी सकता है।
अनन्या के बारे में चीनू का पोता जनता था और उसने अनन्या से गुजारिश की कि वो चीनू से शादी कर ले। ताकि वो स्वस्थ रहें । अनन्या का कोई नहीं है इस दुनिया में। इस स्वार्थ भरी दुनिया में एक चीनू ने ही उसे सहारा दिया और दुनिया के लालच से बचाया। अनन्या ने कोई देरी नहीं को फैसला सुनाने में।
अनन्या ने चीनू से शादी कर ली। दोनो कुश रहने लगे। करीब पांच साल बाद चीनू के पोते की शादी हुई और वो दूसरी जगह चला गया लेकिन फोन द्वारा उनका हाल चाल पूछता । अनन्या और चीनू को दो बच्चो का सुख मिला। अनन्या और चीनू ने एक दूसरे को सहानुभूति के जरिए जीना सिखाया। दोनो अपने बच्चो के साथ उसी खंडर में रहते और खुशी से रहते।
जीवन एक कड़वा सत्य।
जिंदगी यह शब्द छोटा लेकिन मायने बहुत। कभी खुशी, कभी ग़म, तकलीफ, राहत और न जाने क्या क्या गुण इस छोटे शब्द में छुपे है। हर इंसान को यह देखने को मिलता है।
यह कहानी है एक औरत को जिसका नाम अनन्या है। अनन्या जो ३१ वर्षीय बेहद खूबसूरत और अकेली रहने वाली औरत हैं । अनन्या के जिंदगी में कोई नहीं। मां बाप बचपन में ही चल बसे और रही बात पति की तो वो भी कुछ खास खुशी न दे पाया। एक बीमारी से मारा गया। अनन्या अकेली रहती और नौकरी में एक सरकारी कॉलेज में अकाउंटेंट की नौकरी करती। सुबह ७ बजे से दोपहर १ बजे तक काम और बाकी के दिन कुछ खास नहीं करने को। लेकिन पिछले १ हफ्ते से वो कॉलेज से एक जगह जाने लगी जो उसे जिंदगी के महत्वपूर्ण चरण को अंजाम देता है। उसे चरण का नाम है सहानुभूति।
कॉलेज से छूटकर अनन्या दोपहर की कड़कती धूप में साड़ी पहनी पैदल चल रही थी। एक गली से गुजरते हुए वो एक सुनसान जगह आ पहुंची। वो जगह भूतो का वास लाग रहा था। सालो पुराने इस जगह को लोग छोड़कर चले गए। भूकंप से ग्रसित यह जगह एक वक्त लोगो के रहने की जगह थीं करीब ३० घर इधर थे परंतु अब जैसे टूटा फूटा खंडर। यह घर अंग्रेजो के जमाने से था लेकिन कभी भी यह घर गिर सकता है।
अनन्या एक सड़े हुए मकान में पहुंची। दरवाजा एक २० साल लड़के ने खोला। वो रोते हुए अनन्या को देखा।
"कैसे है वो ?" अनन्या ने पूछा।
"कुछ भी ठीक नहीं।" वो रोते हुए अनन्या से लिपट गया।
अनन्या ने उसे शांत किया और सामने वाले कमरे में आ पहुंची। कमरा बहुत की खराब था। दीवारे टूटी हुई और पंखा भी टूटा हुआ खर खर चल रहा था। सामने एक खटिया में ७८ साल का बूढ़ा इंसान लेता हुआ था। उस बुड्ढे इंसान का नाम चीनू था। चीनू जो कॉलेज में एक जमाने चौकीदार था लेकिन बीमारी की वजह से उसे नौकरी छोड़नी पड़ी। अनन्या का जब कोई नहीं था तब उसने अनन्या को सहारा दिया और दुःख के समय मानसिक तौर से ठीक किया। चीनू एक दुबला पतला और खत्म शरीर इंसान है। अपने पोते के साथ अकेला इस वीरान में रहता है। पैसे नही और पोता चाय की दुकान में काम करता। कुछ पैसे जमा करता लेकिन दादा के इलाज में चला जाता।
चीनू डिप्रेशन में था और उसे एक सहारे की जरूरत थी। अनन्या रोज उसे दोपहर को मिलने जाती। अनन्या को सामने देख चीनू बोला कापते हुए "अनन्या तुम क्यों देर लगा दी आने में जल्दी आओ मेरे पास ।"
अनन्या ने साड़ी का पल्लू हटाया और चीनू के पास आ गई। पीले रंग के ब्लाउज और पेटीकोट में वो चीनू के बगल खटिया पर लेट गई। खटिया पर लेटे चीनू अनन्या से लिपट गया और कपते हुए बोला "अनन्या देर मत करना वरना किसी दिन में मार जाऊंगा।"
अनन्या के सीने पे सर रखकर चीनू लेता हुआ था। अनन्या ने सीने से चीनू को लगाया हुआ था। चीनू के सिर को चूमते हुए कहा "दवाई क्यों नहीं ले रहे तुम ?"
"नही जीना मुझे। मुझे अब मुक्ति चाहिए।" चीनू रोने लगा।
"क्यों चीनू ?"
"सब चले गए, कोई नहीं इस संसार में ।"
"मेरा भी तो कोई नहीं आपके सिवाय।" अनन्या ने चीनू को बाहों में कसके रखा। चीनू अनन्या के गले को चूमते हुए कहा "अनन्या मुझे नींद नहीं आ रही।"
अनन्या ने चीनू को चूमते हुए कहा "कोशिश करो।"
चीनू अनन्या के स्तन को हाथो से मसलने लगा और गालों को चूमने लगा। चीनू को एक प्रेम की आवश्कता थी जो अनन्या उसे देती है। चीनू अनन्या के हॉट को चूमने लगा और बोला "में तुम्हारे बिना नहीं जी सकता अनन्या।" इतना कहकर अनन्या के navel पे kiss किया। अनन्या को कुछ देर तक ऐसे ही हर जगह चूमा और सो गया। अनन्या भी सो गई। कुछ देर बाद चीनू ने अनन्या के बाकी के कपड़े उतार दिया और कमजोर शरीर से अनन्या को चाटने लगा। दिमाग कम काम कर रहा था चीनू का। अनन्या को बोला "अनन्या क्या मैं तुम पर बोझ हूं ?"
अनन्या ने कहा "बिलकुल नहीं चिनूजी आप मेरे अपने हो। अपने कहा कोई बोझ होते है ?"
"अनन्या मेरा शरीर काम नहीं करता लेकिन पता नहीं तुम मेरे जैसे बुड्ढे को क्यों रोज मिलती हो और वक्त मेरे साथ गुजारती हो ?"
"आपकी वजह से जिंदगी में मुझे पता चला कि हर दर्द का इलाज है सहानुभूति और प्रेम सत्कार।"
अनन्या और चीनू नग्न अवस्था में थे। चीनू अपना लिंग अनन्या के योनि में डालकर धक्का देता और अनन्या भी पूरा साथ देती। चीनू अनन्या कुछ घंटे ऐसे ही रहते और चीनू थका हरा अनन्या के शरीर पे लेट जाता। अनन्या ऐसे ही रोज दोपहर चीनू से मिलती। वक्त गुजरता गया और चीनू स्वस्थ हो गया। लेकिन डॉक्टर ने अनन्या को साफ साफ बता दिया कि अगर वो उसे छोड़ देगी तो वो फिर से पागल हो जाएगा और फिर मर भी सकता है।
अनन्या के बारे में चीनू का पोता जनता था और उसने अनन्या से गुजारिश की कि वो चीनू से शादी कर ले। ताकि वो स्वस्थ रहें । अनन्या का कोई नहीं है इस दुनिया में। इस स्वार्थ भरी दुनिया में एक चीनू ने ही उसे सहारा दिया और दुनिया के लालच से बचाया। अनन्या ने कोई देरी नहीं को फैसला सुनाने में।
अनन्या ने चीनू से शादी कर ली। दोनो कुश रहने लगे। करीब पांच साल बाद चीनू के पोते की शादी हुई और वो दूसरी जगह चला गया लेकिन फोन द्वारा उनका हाल चाल पूछता । अनन्या और चीनू को दो बच्चो का सुख मिला। अनन्या और चीनू ने एक दूसरे को सहानुभूति के जरिए जीना सिखाया। दोनो अपने बच्चो के साथ उसी खंडर में रहते और खुशी से रहते।