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Adultery दोस्त की गदराए बदन वाली पत्नी
#1
दोस्त की गदराए बदन वाली पत्नी

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मैंने अपना काम शुरू करने के लिए बैंक से कुछ पैसे लोन लिए थे लेकिन मेरा काम बिल्कुल ना चल पाने की वजह से वह पैसे खर्च हो गए और मेरे पास बैंक में पैसे चुकाने के लिए कुछ भी नहीं था, मैं दिन-रात इसी बारे में सोचा करता, मेरे चेहरे पर साफ तनाव दिखाई देता मेरी पत्नी हर रोज मुझसे पूछती कि तुम इतने चिंतित क्यों रहते हो? मैंने उसे बताया कि तुम्हें तो पता ही है कि जो पैसे मैंने बैंक से लिए थे वह मैं अभी तक नहीं दे पाया हूं। मैं इतना तनाव में रहने लगा कि मुझे कुछ भी समझ नहीं आता, मैंने यह बात किसी को भी नहीं बताई थी लेकिन मैं अंदर ही अंदर से हर रोज घुटकर जीता, मेरे पास अब कोई भी चारा नहीं था क्योंकि मुझे बैंक से लिया हुआ लोन तो चुकता करना ही था इसलिए मैंने अपना घर बेचने की बात सोची लेकिन मैं अपना घर भी नहीं बेच सकता था, अब मेरे पास कोई भी रास्ता नहीं बचा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
एक दिन मैंने अपने एक दोस्त से यह बात कही कि मुझे कुछ पैसों की आवश्यकता है, तो वह कहने लगा कि तुम एक काम क्यों नहीं कर लेते तुम अपने घर के कागज गिरवी रख दो। मैंने सोचा नहीं था कि मुझे अपने घर के कागज गिरवी रखने पड़ेंगे मेरे दोस्त ने मुझे पैसे दिलवा दिये लेकिन मैं बहुत ज्यादा तकलीफ में था और मेरी तकलीफ का कारण सिर्फ एक ही था कि मुझे बैंक के पैसे जल्दी से जल्दी चुकता करने थे। मुझे पैसे मिल गए थे तो मैंने बैंक के सारे पैसे चुका दिए, मेरे सर से एक टेंशन तो दूर हो चुकी थी लेकिन मेरे ऊपर अभी भी टेंशन थी कि मैं अब घर के कागज कैसे लूंगा मैं अब दोनों तरफ से ही फंस चुका था, मैंने बहुत कोशिश की लेकिन मैने जिससे पैसे लिए थे मैं उनके पैसे नहीं लौटा पाया और इसीलिए मैंने अपने घर को बेचने की सोची। मैंने जब अपना घर बेचने की बात कि तो मुझे उसके सही दाम नहीं मिले, मेरे पास थोड़े बहुत पैसे बचे थे मेरे पास ज्यादा पैसे तो नहीं थे, उस समय मैंने एक छोटी सी दुकान खोली दुकान से मुझे थोड़ा बहुत पैसा तो मिल जाया करता लेकिन वह मेरे लिए पर्याप्त नहीं था क्योंकि मुझे अपने बच्चों की फीस देनी थी मेरी तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए, मेरे भैया ने भी मेरा साथ छोड़ दिया और उन्होंने मुझे कहा कि तुम्हें जो करना है तुम अपने हिसाब से देख लो।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था मेरे पास कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जिससे कि मैं मदद ले सकता मेरे लिए सारे दरवाजे बंद हो चुके थे तब मुझे मेरा एक पुराना दोस्त मिला, जब मुझे वह मिला तो मैं उससे मिलकर बहुत खुश हुआ उसने मेरे अंदर जैसे दोबारा से एक अलग ही जोश पैदा कर दिया था और उसके कहने पर मैंने उसके साथ मिलकर काम शुरू कर दिया, उसके साथ काम करना मेरे लिए बहुत अच्छा था क्योंकि मुझे उसके साथ काम करके पैसे भी मिल जाया करते थे लेकिन वह मुझे कहने लगा देखो रोहन तुम्हें मेरा एक काम करना होगा, मैंने उसे कहा कि बोलो तुम्हारा क्या काम करना है तुम तो घर से भी संपन्न हो और तुम्हें किसी चीज की भी कमी नहीं है, वह मुझे कहने लगा लेकिन मैं अपनी पत्नी से बहुत ज्यादा दुखी हूं और मेरी पत्नी की वजह से मैं इतना ज्यादा परेशान हो चुका हूं कि मुझे कुछ समझ ही नहीं आता, मैंने उससे कहा तुम मुझसे खुलकर बात क्यों नहीं कहते तुम जब तक मुझे बताओगे नहीं की तुम्हें किस चीज की परेशानी है तो मैं भला तुम्हारी मदद कैसे कर पाऊंगा, वह मुझे कहने लगा हम लोग एक काम करते हैं आज शाम के वक्त हम दोनों कहीं अकेले में जाकर बैठते हैं, मैंने उससे कहा ठीक है शाम के वक्त आज हम लोग कहीं बैठते हैं वैसे भी काफी दिन हो चुके हैं मैंने शराब नहीं पी। हम दोनों एक बार में चले गए हम दोनों वहां पर बैठ कर बात करने लगे मुझे नहीं पता था कि मेरा दोस्त अंदर से इतना तकलीफ में है वह मुझे कहने लगा तुम्हारी और मेरी जिंदगी बिल्कुल एक जैसी है तुम्हें बिजनेस में लॉस हुआ तो तुमने अपना घर बेच दिया लेकिन मेरी पत्नी की वजह से मैं बहुत ज्यादा परेशान हूं मेरी पत्नी का चरित्र बिल्कुल भी ठीक नहीं है लेकिन मेरी कभी हिम्मत ही नहीं हुई कि मैं उसकी बारे में कोई जांच-पड़ताल करूं लेकिन मैं तुमसे मदद चाहता हूं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
मुझे तुमसे मदद चाहिए कि तुम मेरी पत्नी के बारे में पता कर पाओ की आखिरकार उसका किसके साथ चक्कर चल रहा है, मैंने अपने दोस्त से कहा क्या तुम्हारा दिमाग सही है तुम अपनी पत्नी पर शक कर रहे हो, वह कहने लगा मैं उस पर शक नहीं कर रहा मुझे इस बात का तो पता है की उसका किसी अन्य पुरुष के साथ संबंध है लेकिन मैं आज तक इस बात का पता नहीं लगा पाया क्योंकि मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं है परंतु मैं तुमसे मदद चाहता हूं कि तुम मेरी मदद करो।

उस दिन मेरे दोस्त ने मुझे अपनी मदद के लिए मना लिया मैंने भी अगले दिन से उसका पीछा करना शुरू कर दिया मुझे जो भी पता लगता मैं अपने दोस्त को बता देता, मुझे यह बात तो पता लग चुकी थी की उसकी पत्नी का चरित्र बिल्कुल भी ठीक नहीं है और उसका किसी अन्य पुरुष के साथ संबंध है, यह मेरा दोस्त बर्दाश्त नहीं कर पाता इसलिए पहले मैं उसे कुछ बताना नहीं चाहता था लेकिन जब उसने मुझसे जिद की तो मुझे उसे बताना पड़ा, मैंने उसे सब कुछ बता दिया जब मैंने उसे सब कुछ बता दिया तो वह कहने लगा मुझे तो पहले से ही अपनी पत्नी पर शक था अब मैं उसे तलाक दे सकता हूं, मैंने उसे कहा तुम इस बारे में अपनी पत्नी से बात कर सकते हो, वह कहने लगा मुझे अपनी पत्नी से बात करने में अब कोई रुचि नहीं है, मैंने उसे समझाया कि तुम्हें ठंडे दिमाग से सोचना चाहिए तुम गुस्से में यह कदम उठा रहे हो।



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#6
वह कहने लगा मैं गुस्से में यह कदम नहीं उठा रहा तुम्हें नहीं पता कि मेरे ऊपर क्या बीत रही है, मैंने अपने दोस्त को समझाया और कहा कि देखो तुम शांति से काम लो और कुछ समय तुम अपनी पत्नी के साथ बिताओ यदि तुम से यह सब नहीं हो सकता तो मैं तुम्हारी इसमें मदद कर सकता हूं, वह कहने लगा ठीक है मैं तुम्हें कुछ समय का मौका देता हूं यदि तुम मेरी पत्नी के व्यवहार में बदलाव ला पाए तो मैं उसे तलाक नहीं लूंगा, मैंने अपने दोस्त से कहा कि मैं जरूर उसे बदल दूंगा तुम मुझ पर भरोसा रखो।



अब मेरा उसके घर पर अक्सर आना-जाना होने लगा मेरी और उसकी पत्नी की अच्छी दोस्ती होने लगी, एक दिन मैंने उससे इस बारे में बात की तो उस दिन मुझे पता चला कि इसमें मेरे दोस्त की भी गलती है क्योंकि वह उसे कभी समय ही नहीं दे पाया इसीलिए शायद उसे किसी अन्य पुरुष के साथ संबंध रखना पड़ा लेकिन जब मैं बात की गहराई में गया तो मुझे मालूम पड़ा कि उसकी पत्नी तो पहले से ही उस पुरुष को जानती है। मेरे लिए तो यह बहुत ही अलग प्रकार का अनुभव था मेरे दोस्त की पत्नी एक जुगाड थी। कविता मेरे साथ भी रिलेशन में आ गई लेकिन मैं यह बात किसी को नहीं बताना चाहता था और ना ही मैं अपने दोस्त को इस बारे में बताना चाहता था क्योंकि हम दोनों के बीच में किस भी हो चुका था कविता को मुझे चोदना ही बाकी था लेकिन उसे चोदने का मौका भी मुझे जल्दी मिल गया।


एक दिन मैं कविता को रेस्टोरेंट में ले गया वहां पर हम दोनों में काफी अच्छा समय बिताया उसके बाद हम दोनों घर लौट आए। मैंने जब कविता के बदन से सारे कपड़े उताराने शुरू किए तो वह बड़े जोश में आ गई और मुझे कहने लगी तुम मुझे अपना लंड तो दिखाओ।
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#7
मैंने उसे अपने लंड को दिखाया वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेने लगी जब वह मेरे लंड को सकिंग करने लगी तो मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर संकिग कर रही थी जैसे ही मेरे लंड से मेरा वीर्य बाहर आ गया तो उसने मेरे वीर्य को अपने अंदर ही ले लिया। जब मैंने उसे घोडी बनाया तो मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया उसकी चूत मारने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था और काफी देर तक मैंने उसकी चूत मारी। मैने उसकी चूत का पूरी तरीके से भोसड़ा बना दिया मैंने काफी देर तक उसके साथ सेक्स के मजे लिए लेकिन जब तक मैं उसकी चूत मारता रहा तब तक तो मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था


मैं खुश हो गया मैंने उसके साथ काफी देर तक समय बिताया। कविता और मैं एक साथ काफी देर तक बात करते रहे। यह बात मैंने कभी भी अपने दोस्त को पता नहीं चलने दी अब उन दोनों के बीच बड़ा ही अच्छा रिलेशन है वह दोनों साथ में बहुत खुश हैं यह सब मेरी वजह से ही संभव हो पाया, मेरा दोस्त मेरे बहुत ही एहसान मानता है वह मुझे हमेशा कहता है तुम्हारी वजह से ही मेरा मेरी पत्नी पर भरोसा दोबारा से बढ पाया और दोबारा से हम दोनों के बीच पहले जैसा प्यार हो गया है यह सब तुम्हारी वजह से ही संभव हो पाया। मैंने अपने दोस्त से कहा मैंने तुमसे दोस्ती की है तो भला तुम्हारी मदद में कैसे ना करता।
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