Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery शादी की सालगिरह में पड़ोसी से चुदी
#1
शादी की सालगिरह में पड़ोसी से चुदी

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
मेरी शादी के बाद हम देहरादून शिफ्ट हो गये. यहाँ मैं सेक्सी ड्रेस में बालकनी या टेरिस पर पड़ोसियों को ललचाती थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#3
जब मेरी नई नई शादी हुई थी. चूंकि हम लोग नये कपल थे इसलिए हमेशा चुदास जगी रहती थी. शादी के बाद हम लोग देहरादून में ही शिफ्ट हो गये थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#4
वहां पर हम लोग बिल्कुल नये थे. इसलिए हमें कोई जानता भी नहीं था जो हमारे लिये बहुत अच्छी बात थी. अच्छी इसलिए कह रही हूं क्योंकि जब पास में पड़ोसी जानने वाले हों तो खुलकर कुछ भी नहीं किया जा सकता.

मगर हम दोनों खुल्लम खुल्ला चुदाई किया करते थे. घर का कोई कोना नहीं बचा था जहां पर हमने चुदाई का मजा न लिया हो.
मैरिड कपल की चुदाई का नजारा कौन नहीं लूटना चाहेगा? रात में हम लोग लाइट जलाकर सेक्स किया करते थे. हमारे पड़ोसी भी हमारे लाइव सेक्स का मजा लिया करते थे.

वो तो मुझे बाद में पता चला कि हमारी देसी पोर्न फिल्म को पड़ोसी भी देख रहे होते थे. हम तो बस अपनी चुदाई में ही खोये रहते थे.

हमें कोई डिस्टर्ब करने वाला नहीं था और देहरादून की मीठी मीठी ठंड में लंड का मजा लेकर मैं पूरा दिन गर्म रहती थी. पूरे दो महीने तक हमारी चुदाई का सीन चलता रहा. एक बार तो हमने बालकनी में भी सेक्स किया था.

अमित घर पर न होने का भी मैं खूब फायदा उठाती थी. जब भी अमित बाहर होता था तो मैं सेक्सी ड्रेस पहन कर अपनी बालकनी या अपने घर की टेरिस पर आ जाती थी. अपने जिस्म की गर्मी से मैं देहारदून की ठंड को दूर करने की कोशिश किया करती थी.

मेरी इन हरकतों का परिणाम ये हुआ कि कुछ दिन के अंदर ही मेरी मस्त जवानी के आसपास कई भंवरे घूमने लगे. शायद मैं भी यही चाहती थी कि मर्द मेरी तरफ आकर्षित हों. मुझे अपनी शादीशुदा चूत चुदवाने की प्यास हमेशा लगी रहती थी.

जिस तरह से फूल की खुशबू भंवरे को अपनी ओर खींच लेती है उसी तरह मैं भी नीचे से बिना पैंटी पहने छत पर जाकर अपनी चूत की खुशबू फैलाती थी और पड़ोसी मर्दों को अपनी ओर खींचने की कोशिश किया करती थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#5
इस बात से अमित बिल्कुल अनजान था। उसे इस बात की बिल्कुल भनक भी नहीं थी कि उसके जाने के बाद उसकी सेक्सी बीवी क्या करती है! वो तो बस ऑफिस से आता और फिर हम दोनों के जिस्मों के बीच जबरदस्त जंग होती और दोनों ऐसे ही मस्त जवानी के खेल करते करते सो जाते।

मैं अमित के साथ बहुत खुश थी क्योंकि वो मेरी सारी गर्मी उतार देता था लेकिन मुझे तो लन्ड बदलने की आदत थी। यहाँ मैं किसी को नहीं जानती थी. इसलिए मैं धीरे धीरे आसपास के लोगों से जान-पहचान बनाने लगी.

पड़ोस के सारे मर्द गर्म भाबी की मस्त जवानी को देखकर आहें भरते थे। वो मुझे ऊपर से नीचे तक ऐसे देखते थे जैसे कि मैं तंदूरी मुर्गी हूं और वो मुझे नोंच नोंच कर खा जायेंगे. उनके कमेंट्स से मुझे बहुत खुशी होती थी. मेरा मन खुश होता था जब मर्द मेरे ऊपर कामुक और सेक्स भरे कमेंट किया करते थे.

इसलिए मैं भी जान बूझकर और इठला कर चलने लगती थी। अमित मेरी रोज चुदाई करता था जिससे मैं खुश रहने लगी थी. मगर मेरी यह खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं रही।

एक दिन अमित ऑफिस से आते ही मुझे अपनी बांहों में भरते हुए बोला- मधु मेरी जान, मुझे ऑफिस के काम से अमेरिका जाना पड़ेगा और तुम भी साथ चल रही हो। पूरे 40 दिन का ट्रिप है।

यह सुनते ही मैं खुशी से उछल पड़ी और अमित को जोरदार किस की और बोली- वाऊ … यह तो वाकई बहुत खुशी की बात है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#6
मैं आप लोगों को बता दूं कि 11वें दिन हमारी शादी की पहली सालगिरह थी। हम दोनों खुश थे कि ऑफिस के काम के साथ हमारा हनीमून भी हो जाएगा. मैंने सोच लिया था कि अमेरिका में तो सेक्स मामूली बात है।

मन ही मन मैं इस बात को लेकर बहुत एक्साइटेड हो रही थी कि अमेरिका जाकर खूब खुलकर चुदूंगी. अगर मौका मिला तो किसी गोरे का लंड भी ले लूंगी. अगले दिन अमित हम दोनों का पासपोर्ट लेकर वीजा लगवाने के लिए गया.

मेरी बदकिस्मती थी कि मेरा वीजा नहीं लगा. मैं बहुत दुखी हो गयी थी. मेरे सारे सपने चूर चूर हो गये. मुझसे भी ज्यादा तो अमित दुखी था. उसे भी समझ नहीं आ रहा था कि वो जाये या न जाये.

अगर वो मेरे बिना जाता तो मैं अकेली हो जाती और अगर वो नहीं जाता तो ऑफिस वाले लोग नाराज हो जाते. फिर मैंने अमित को समझाया और उसको जाने के लिए तैयार किया. वो थोड़ा मन मारकर मेरी बात मान गया.

फिर वो दिन भी आ गया जब अमित अमेरिका के लिए निकल गया. जाते हुए कह गया कि कोई परेशानी आये तो पड़ोसियों की मदद ले लेना.
मैं भी मन ही मन सोच रही थी कि तुम्हारे जाने के बाद तो अपनी चूत की गर्मी शांत करवाने के लिए पड़ोसियों की ही मदद लेनी पड़ेगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#7
अमित जाते हुए बोल गया था कि दो दिन के अंदर ही रॉकी आ जायेगा. फिर कोई दिक्कत नहीं होगी.

अब आप सोच रहे होंगे कि रॉकी कौन है?
कहानी जैसे जैसे आगे बढ़ेगी आपको रॉकी के बारे में भी पता चल जायेगा.

मेरे पति के जाने की बात मेरे पड़ोसियों को भी पता चल गयी थी. इसलिए वो मेरे आसपास मंडराने लगे थे. अब मैं भी बहुत सेक्सी ड्रेस पहन कर छत पर जाती थी. मेरी इन हरकतों से पड़ोस की औरतें मुझे नापसंद करने लगी थी.

मगर उन औरतों के पति तो जैसे मुझसे बात करने के लिए मरे ही जा रहे थे. धीरे धीरे कुछ लोगों ने मुझसे बात करना शुरू कर दिया था. 4-5 लोग तो बहुत फ्रेंक हो गये थे. इनमें से एक था रॉकी.

रॉकी ने मुझ पर सबसे पहले लाइन मारना शुरू किया था. वो पहले दिन से मेरी चुदाई प्लानिंग कर रहा था. उसने मेरी चूत चोदने के लिए मेरे पति से दोस्ती भी कर ली थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#8
वो मेरे लिए बिल्कुल पागल था। उसका बस चलता तो वो मुझ गर्म भाबी को टेरिस पर ही पटक कर चोद देता. ये बात मैं अच्छी तरह से जानती थी. मैं बस जानबूझकर उसको इग्नोर कर दिया करती थी. मगर चुदना तो मैं भी चाहती थी.

पड़ोस के मर्द मेरी मस्त जवानी देखकर पागल हो चुके थे. अमित को गये 3 दिन हो गये थे और मेरी चूत से अब ज्वाला निकलने लगी थी जो किसी लंड को भस्म करके ही थमने वाली थी.

फिर हमारी शादी की सालगिरह आ गयी. मैं उस दिन बहुत दुखी थी. फोन पर पति से बात हुई. अमित भी बहुत दुखी था. रोज की तरह उस शाम को भी मैं टेरिस पर घूम रही थी और अपने जिस्म की नुमाइश अगल बगल वालों को करवा रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#9
काफी देर टहलने के बाद मैं नीचे अपने रूम में आ गयी. रात के 8 बज गये थे. मेरा मूड बहुत खराब था. मैंने अपनी टीशर्ट और लोअर निकाल दी और पूरी नंगी हो गयी. फिर मैं टीवी देखने लगी.

देखते देखते सोचने लगी कि काश मैं इस वक्त अमेरिका में होती तो किसी गोरे के लंड से चुदवा रही होती. ये सोचकर मेरी चूत में खुजली होने लगी.

मैं चूत को सहलाने लगी कि तभी डोरबेल बजी.

आवाज लगाते हुए मैं उठी और कपड़े पहनते हुए बोली- आ रही हूं.
मैं पूरी नंगी थी. मैंने जल्दी से अपने जिस्म पर गाउन डाला और दरवाजा खोलने के लिये चली.

दरवाजा खोला तो मेरे चेहरे पर खुशी तैर गयी. सामने रॉकी खड़ा था. मैं उसे खुशी से देख रही थी लेकिन वो तो मेरी चूचियों के साइज को मुंह फाड़कर देख रहा था. वो जैसे मेरी चूचियों के उभारों में ही खो गया था.

मैंने उसके चेहरे के सामने हाथ हिलाकर पूछा- क्या हुआ? कुछ काम है क्या? ऐसे कहां खोये हुए हो?
वो सपने से जागा और बोला- हां, आपसे मिलने ही आया था.
मैंने उसे अंदर बुला लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#10
उसने अपना एक हाथ पीछे रखा हुआ था. गर्म भाबी के गदराये जिस्म से उसकी नजर हट ही नहीं रही थी.
मैं उसके लिये पानी का गिलास लेकर आयी.

इससे पहले मैं कुछ और पूछती उसने पीछे वाले हाथ को आगे किया और एक खूबसूरत फूलों का गुलदस्ता मेरे सामने करते हुए कहा- हैप्पी मैरिज एनिवर्सरी भाभी जान!

मैंने बिल्कुल नहीं सोचा था कि रॉकी मुझे इस तरह से सरप्राइज़ करेगा. शायद अमित ने ही बताया होगा.

मैं थोड़ी देर चुप सी हो गयी थी.
वो बोला- क्या हुआ भाभी? पसंद नहीं आया क्या?
मैंने उसके हाथों से गुलदस्ता लेकर उसका थैंक्स कहा.

वो बोला- थैंक्स से काम नहीं चलेगा.
इतना कहते हुए वो आगे बढ़ा और मुझे गले लगाकर बोला- कम से कम गले तो मिल लो भाभी!
उसने मुझे अपनी गिरफ्त में ले लिया था और मेरी पीठ को सहला रहा था. मुझे भी अच्छा लग रहा था. मगर मैंने उसको फिर अपने से अलग कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#11
वो बोला- भाभी, आपके लिये एक और तोहफा है.
मैंने कहा- अब क्या रह गया?
रॉकी बाहर गया और दरवाजे की बगल से एक बड़ा सा केक का डिब्बा उठा लाया और बोला- सालगिरह है तो केक भी कटेगा भाभी.

मैं थोड़ी सी उदास होते हुए बोली- तुम्हारे भैया के बिना मैं केक नहीं काटूंगी.
उसने कहा- भैया नहीं है तो क्या हुआ, मैं तो हूं उनकी जगह.
मैं बोली- अच्छा! ठीक है तो फिर मैं चेंज करके आती हूं.

वो बोला- चेंज करने की जरूरत नहीं है. पटाखा लग रही हो.
मैंने कहा- तुम कुछ ज्यादा ही बोल रहे हो.
उसने कहा- नहीं, मैं तो ये कह रहा हूं कि इसमें बहुत सुंदर लग रही हो, बल्कि इसे भी उतार दो तो और ज्यादा मजा आयेगा.

मैंने उसके कान खींचते हुए कहा- तुम्हारे भैया नहीं हैं तो कुछ ज्यादा बोल रहे हो तुम.
वो बोला- नहीं भाभी, आज आपकी एनिवर्सरी है. मैं बहुत दिनों से ये मौका चाहता था, आज मिला है. मैं इसको खोना नहीं चाहता. मैं आपकी इस सालगिरह को यादगार बना दूंगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#12
मैं बोली- ठीक है तो, चलो केक काटते हैं.
मैं केक काटने लगी और रॉकी को मैंने अपने साथ आने के लिए इशारा किया.
उसने मेरे साथ केक काटा और फिर मुझे एक बाइट खिला दी.

फिर मैंने भी अपनी झूठी बाइट की हुई केक उसके मुंह में खिला दी. फिर उसने केक का एक और टुकड़ा उठाया और मेरे गाल पर लगाने के लिए हाथ बढ़ाया। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।

वो जबरदस्ती करने लगा। मैं उसका हाथ हटाते हुए वहाँ से भाग गई। वो भी मेरे पीछे दौड़ा। मैं भागते भागते किचन में चली गई।
अब वो भी मेरे पीछे आ गया और बोला- अब कहाँ जाओगी भाभीजी?

मैं बोली- छोड़ दो, ये सब क्या कर रहे हो?
वो बोला- आज तो लगाकर ही रहूंगा भाभीजी।
वह मेरे पास आने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#13
मेरे मन में एक शरारत सूझी। अपने गाउन से मैंने अपनी एक टांग को बाहर कर लिया. मेरी गोरी गदराई जांघ को देखकर उसके होश उड़ गये. वो उसको घूरने लगा. इतने में ही मैं उसको धोखा देकर भाग गयी.

वो भी कहाँ पीछे रहने वाला था। मेरी जाँघ को देखकर तो वो और जोश में आ गया। वो मेरे पीछे भगा। मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था। फिर मैं हॉल में आ गयी. वो मुझे दोनों हाथों को फैलाकर घेर रहा था। मैं भी इधर उधर भाग रही थी।

इस बार वो केक लगाने के लिए मेरी ओर दौड़ा और थोड़ा कामयाब भी हुआ। थोड़ी सा केक मेरे बायें गाल पर लगा दिया। लेकिन मैं फिर भी भागी और तभी उसने पीछे से मेरा गाउन पकड़ लिया।

मैंने कहा- छोड़ो.
वो बोला- इतनी मुश्किल से पकड़ में आई हो. ऐसे कैसे छोड़ दूं?
वो गाउन खींचने लगा तो मैंने कहा- फट जायेगा ये.
उसने बेशर्मी से कहा- फिर तो ब्रा और पैंटी में आपको देखकर और मजा आयेगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#14
उसे क्या पता था कि मैंने नीचे से ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी. वो खींच रहा था लेकिन मैंने गाउन को बेल्ट से बांधा हुआ था इसलिए खुल नहीं रहा था. फिर मैंने बातों में उलझाकर धीरे से अपने गाउन की बेल्ट खोल दी.

अबकी बार जैसे ही उसने खींचा तो मेरा गाउन खुल गया और मैंने एकदम से चिल्लाकर कहा- हाय!! ये क्या हो गया!
इतना बोलकर मैंने अपनी नंगी चूचियों पर अपने दोनों हाथ रख लिये.

मेरी गांड उसी की तरफ थी. वो बची हुई केक को मेरी गांड पर लगाने लगा.
मेरी गांड पर केक मलते हुए वो कहने लगा- ओह्ह … क्या गांड है भाभी आपकी! एकदम रशीयन लड़की जैसी गांड है. मैं तो धन्य हो गया इसको छूकर!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#15
banghead banghead banghead banghead 2
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#16
Angry Angry Angry
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#17
किस तरह मैंने अपनी सालगिरह पर रॉकी से जबरदस्त ढंग से चुदकर अपनी सालगिरह मनाई; अपनी चूत की गर्मी शांत की।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#18
किस तरह मैंने अपनी सालगिरह पर रॉकी से जबरदस्त ढंग से चुदकर अपनी सालगिरह मनाई; अपनी चूत की गर्मी शांत की।किस तरह मैंने अपनी सालगिरह पर रॉकी से जबरदस्त ढंग से चुदकर अपनी सालगिरह मनाई; अपनी चूत की गर्मी शांत की।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#19
किस तरह मैंने अपनी सालगिरह पर रॉकी से जबरदस्त ढंग से चुदकर अपनी सालगिरह मनाई; अपनी चूत की गर्मी शांत की।किस तरह मैंने अपनी सालगिरह पर रॉकी से जबरदस्त ढंग से चुदकर अपनी सालगिरह मनाई; अपनी चूत की गर्मी शांत की।x
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#20
किस तरह मैंने अपनी सालगिरह पर रॉकी से जबरदस्त ढंग से चुदकर अपनी सालगिरह मनाई; अपनी चूत की गर्मी शांत की।zxx
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply




Users browsing this thread: 1 Guest(s)