Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery चूत की प्यास
#1
चूत की प्यास

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
नाम है अक्षिता। मेरा जिस्म एकदम भरा हुआ है. मैं एक गदराये हुए जिस्म की औरत हूं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#3
हमारे पड़ोस में 2 साल पहले एक परिवार रहने के लिए आया था।

वह एक अंकल और आंटी थे. उनका एक 23 साल का लड़का था। जब मैंने उस लड़के को पहली बार देखा तभी से वह मुझे आकर्षक लगने लगा था. उसकी डील डौल और शारीरिक बनावट मुझे उसकी ओर खींचने लगी.

लड़का नया नया जवान था और सेहत का खास ख्याल रखता था. देखने में भी काफी हैंडसम था.
मगर लड़की होने के नाते में ज्यादा कुछ जाहिर नहीं कर पाई और समय ऐसे ही बीतने लगा.

धीरे धीरे पड़ोसी होने के कारण हम लोगों का उनके घर में आना जाना हो गया.
फिर एक दो बार मैं उसको लेकर मार्केट भी गयी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#4
अब मुझे कोई जरूरी काम होता तो उसको ही ले जाने का प्रयास किया करती थी.
वो बाइक पर मुझे ले जाता था और रास्ते में जानबूझकर तेज ब्रेक लगाता था.
मुझे भी पता था कि वो ये सब जानबूझकर कर रहा है मगर मुझे तो इसमें मजा आता था.

मैं उसको अंदर ही अंदर पसंद करने लगी थी. मैं भी उसे अच्छी लगती थी तो वह जानबूझकर बाइक पर ये हरकतें करता था ताकि मेरे बदन का स्पर्श उसको मिल सके.

इस तरह कई बार बाइक पर बैठे हुए मेरे बूब्स उसकी पीठ पर चिपक जाते थे.
मैं भी जानबूझकर आगे हो जाती थी ताकि उसको मेरे बूब्स का पूरा स्पर्श मिल सके. बहुत दिनों तक ऐसा ही चलता रहा.

हम दोनों धीरे धीरे करीब आ रहे थे. उसकी भी उम्र ज्यादा नहीं थी और मेरी भी उम्र खास ज्यादा नहीं थी.

परन्तु अब उसके मां-बाप को उसके और मेरे ऊपर शक होने लगा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#5
फिर उसके मां बाप ने उसको मुझसे दूरियां बनाने को कहा।
मैंने यह बात नोट की और मैंने उससे इसका कारण पूछा ‌तो उसने मुझे सारी बात बता दी.

मैंने उससे कहा- ठीक है अब तुम घर पर मत आना। अगर उनको दिक्कत है तो हम नहीं मिलेंगे.

उसको मना करने के बाद मैंने खुद भी उसको कोई अपना काम नहीं बताया।
मैंने खुद भी उससे दूरियां बना लीं।

इन बातों को सिर्फ 10 दिन ही बीते होंगे और उससे मुझको देखे बिना नहीं रह गया।
वह मुझसे मिलने के लिए घर पर आ गया।
मेरे हस्बैंड जॉब पर गए हुए थे।

मैंने उसे देखते ही कहा- तुम यहां क्या कर रहे हो?
वो बोला- आपको देखने मिलने ही आया हूं. मैं आपको देखे बिना नहीं रह सकता हूं.

मैं उसकी तरफ देखकर मुस्कराने लगी और उससे कहा- अगर कुछ गलत हुआ तो लोग मुझे ही दोषी ठहरायेंगे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#6
वह मेरे पास आया और मुझसे बोला- नहीं, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.
कहते हुए उसने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों में ले लिया और मेरे माथे को चूमने लगा।

वो भावुक होकर बोला- आप चाहे मुझसे कुछ भी ले लो, पर मुझसे दूर मत जाओ. जो मेरा है वो मैं आपको सब देने के लिए तैयार हूं.
मैंने कहा- नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिए।

मैं उसकी आंखों में देख रही थी और वो मेरी आँखों में देख रहा था. हम दोनों जैसे मिलन करना चाह रहे थे लेकिन कोई कुछ पहल नहीं कर पा रहा था.

फिर वह मेरे बाल मेरे कान से हटाकर मेरी गर्दन और मेरे कानों को चूमने लगा। मेरी भी आंखें एकाएक बंद होने लगीं।

उसने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और मेरी बांहें भी उसकी कमर में चली गयीं.

हम दोनों ने एक दूसरे को जोर से हग किया और फिर एक दूसरे से लिपट गये.
मैं बोली- रुको, मैं दरवाजा अंदर से बंद करके आती हूं. कोई आ गया तो मुसीबत हो जायेगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#7
फिर मैं गयी और दरवाजा अंदर से बंद करके आ गयी.
आते ही उसने मुझे फिर से अपनी बांहों में जकड़ लिया. मैं भी उससे लिपट गयी.
मेरी चूचियां उसके सीने से सट गयीं. हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर भींच लिया.

अब प्यार और वासना दोनों मिल गये थे. वो मेरी गर्दन को चूमने लगा और मैं उसके होंठों के नर्म चुम्बनों से मदहोश सी होने लगी.
वो बहुत ही प्यार से मुझे चूम रहा था. उसके बाल मेरे गालों पर लग रहे थे और मुझे बहुत ही तेज उत्तेजना महसूस हो रही थी.

फिर हम बेड पर आ गए और उसने मुझे नीचे लिटा लिया. फिर एक दूसरे की बगल में होकर हम लिपट गये और हमारे होंठ आपस में मिल गये.
वो मेरे होंठों पर होंठों को रखकर उनको चूसने लगा और मैं भी उसके होंठों को पीने लगी.

वो जवान लड़का था और उसकी जवानी पूरे जोश में थी. धीरे धीरे करते करते उसका जोश बढ़ने लगा और वो मेरे होंठों को काटने लगा.
मुझे और ज्यादा मजा आने लगा.

मैं भी उसका साथ देने की पूरी कोशिश कर रही थी.

दोनों खूब एक दूसरे को चूमने चाटने लगे। नीचे उसका लौड़ा मस्त हो चुका था जो मुझे उसकी पैंट में से अपनी जांघ पर चुभने लगा था.
उसका लंड उसकी पैंट में खड़ा होकर फुंफकारें मारने लगा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#8
इतने जवान लंड का स्पर्श मैंने पहली बार महसूस किया था।
पैंट में से देखने पर लंड काफी मोटा भी लग रहा था.

फिर उसने मेरा कुर्ता पूरा ऊपर उठा दिया और मेरी ब्रा में मुंह देकर मेरी चूचियों को सूंघने लगा.
मैंने उसके सिर को अपनी छाती में दबा लिया.

वो अपनी नाक को बार बार मेरी चूचियों की घाटी में रगड़ रहा था और मुझे इसमें बहुत मजा आ रहा था. फिर उसने नीचे से पजामे को खोलकर नीचे को सरका दिया।

अब मैं नीचे से नंगी हो गई थी। मेरे जिस्म में चुदाई का नशा चढ़ने लगा। मुझे अपने नंगेपन का अहसास हो रहा था।

वो मेरी ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाने लगा.

अब उसका एक हाथ बीच बीच में मेरी पैंटी पर भी जा रहा था जो मेरी चूत को छूकर और सहलाकर फिर से मेरे बूब्स पर आ जाता था.
फिर बीच बीच में मर्दन करते हुए उसने अपनी पैंट भी खोल ली थी और सरका कर नीचे कर दी थी.

उसकी चड्डी में उसका लौड़ा पूरा गर्म होकर रॉड के जैसा सख्त हो चला था.
मेरी नंगी जांघों पर उसके लौड़े के टोपे से कामरस लगने लगा था।
मुझे इससे बहुत अधिक उत्तेजना हो रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#9
मैं चाह रही थी कि उसके गर्म लंड को हाथ में पकड़ कर देखूं मगर फिर मैंने सोचा कि ये अब दो मिनट बाद खुद ही पूरा नंगा हो जायेगा.
फिर उसने अपनी शर्ट भी निकाल दी.

उसको मैंने नीचे लिटाया और उसके जिस्म को चूमने लगी.
मैं उसकी छाती के ऊपर थी और इतने में उसने मेरी ब्रा के हुक खोल दिये.
उसने मेरी ब्रा को अलग कर दिया और मेरी चूचियां नंगी होकर उसकी छाती पर चिपक गयीं.

फिर उसने वहीं से मेरी चूचियों को मुंह में भर लिया और मैं उसके ऊपर लेटी हुई उसको अपनी चूचियां पिलाने लगी.
मेरी पैंटी के ऊपर से उसके हाथ मेरी गांड को दबा कर सहला रहे थे.

उसका लंड मुझे मेरी पैंटी पर महसूस हो रहा था. मेरी चूत उसके लंड का स्पर्श महसूस कर पा रही थी लेकिन अंडरगार्मेंट्स की दीवार अभी बीच में थी.

फिर उसने मेरी पैंटी को निकाल कर नीचे सरका दिया.
अब मेरी गांड नंगी थी और चूत भी नंगी होकर उसके लंड से जा सटी.

उसके लंड का गीलापन मुझे मेरी चूत और उसके आसपास महसूस हो रहा था.

अब उसने भी अपनी चड्डी नीचे की और उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया। अपना गर्म लौड़ा उसने मेरी चूत से सटा दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#10
लंड का सीधा स्पर्श पाते ही मेरी चूत फड़क उठी; मेरा मन कर रहा था कि वह अपना लंड मेरी चूत में घुसा दे।

फिर उसने मुझे नीचे लिटाया और मेरी चूचियों को जोर जोर से दबाते हुए पीने लगा.
मेरे मुंह से सिसकारियां निकल पड़ीं- आह्ह … आह् … आराम से … ओह्ह … आह्ह … इस्स … ओह्ह … धीरे … उम्म … ओह्ह … पूरी पी जाओ.

फिर वो मेरी चूत पर आ गया और गर्म जीभ को उसने मेरी चूत पर रख दिया और उसको चाटने लगा.
मेरी चूत पहले से ही गीली हो रही थी. मैं तड़प उठी और उसकी जीभ को चूत के अंदर तक रास्ता देने लगी.

अब मेरा मन लंड लेने का कर रहा था.

वो भी मेरी चुदास को देख पा रहा था. उसने मेरे चूतड़ों पर हाथ लगाया और मुझे अपनी ओर खींचा।

मेरी चूत लार और कामरस से एकदम गीली और चिकनी हो रही थी।
उसने अपने लंड को मेरी चूत पर सटा दिया. फिर उसने आगे धक्का देने की बजाय मुझे ही एक झटका अपने लंड की तरफ दिया.

उसका गर्म लंड एकदम से पूरा मेरे जिस्म के अंदर चला गया।

वो अब मेरे बूब्स को चूसने और चाटने लगा। मेरे शरीर में गुदगुदी सी भरने लगी।
मैंने भी प्रत्युत्तर में अपनी छातियों को उसके हाथों से दबवा दिया.

फिर मैंने उसके चूतड़ों को दबाकर सहलाना आरंभ कर दिया.

उसका लंड और ज्यादा कठोर होता हुआ मुझे अपनी चूत में महसूस हो रहा था.

वो मेरी चूत में अब धक्के लगाने और मुझे मजा आने लगा. उसका सख्त लंड मेरी चूत में पूरा भर गया था और चूत की दीवारों से रगड़ खाते हुए मुझे अत्यंत आनंद दे रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#11
चोदते हुए वह मुझे प्यार से देख रहा था। हम दो जिस्म एक जान होने की जी तोड़ कोशिश कर रहे थे।
जबरदस्त धक्के दोनों तरफ से लग रहे थे। मेरी चूत उसके लंड को पूरा निगलना चाहती थी।

जवान लंड की चुदाई से मैं बहुत अधिक आनंदित हो रही थी. मेरे बदन का रोम रोम खिल रहा था.

फिर चुदते हुए मैं अपनी उत्तेजना के चरम पर आ गयी और एकदम से चीखती हुई झड़ने लगी.

मेरा सारा रस निकलने लगा. तभी उसने भी ऐडी तक का जोर लगाकर धक्के देना शुरू किया और उसका लंड अब पत्थर जैसा सख्त महसूस होने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#12
कुछ पलों के बाद उसकी गति धीमी पड़ने लगी और मुझे मेरी गर्म चूत में गर्म गर्म तरल महसूस हुआ.

उसका वीर्य मेरी चूत में निकल चुका था. हम दोनों तरावट में डूब गए और दोनों के रसों का मिश्रण चूत में इकट्ठा हो गया. दोनों का मिलाजुला रस मेरी चुदी हुई चूत से बाहर निकलने लगा।
आधी खुली आंखों से हम एक दूसरे को देखने लगे।

कुछ देर बाद उसका लंड फिर से टाइट हो गया और हम फिर से एक दूसरे में खोने के लिए तैयार हो गए।
उसने फिर से मुझे चूमना चाटना शुरू किया और जल्दी ही अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया।

मेरा शरीर उसके नीचे दबा हुआ था।
बहुत देर तक वो मुझे अपने नीचे दबाकर चोदता रहा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#13
फिर मैं उसके ऊपर आ गई। उसके ऊपर जोर जोर से उछलने लगी। नीचे से वह मेरे बूब्स को चूसने लगा। नीचे से मेरी चूत की दरारों में उसके लंड का अहसास मुझे अलग ही मालूम हो रहा था।

फिर उसने मुझे कुतिया की तरह से कर लिया।

एक पल के लिए मुझे लगा कि अब वह मेरी गांड मारेगा.
लेकिन नहीं … पीछे से भी उसने लंड मेरी चूत में ही डाला और मेरे शरीर को अपने दोनों हाथों से दबाकर मुझे चोदने लगा।

उसने मेरा बदन अपने बदन के नीचे दबा रखा था.
सच मानो दोस्तो, ऐसी चुदाई बहुत दिनों बाद हुई थी।

मेरी चूत काफी गीली हो चुकी थी और लंड भी मोटा होने से चूत में टाइट चल रहा था।

चूत चुदाई में अब फच … फच … की आवाज आ रही थी. मैं आनंद से सराबोर हो रही थी।
लग रहा था कि जैसे मेरा पानी निकलने वाला है। मैं निहाल हो रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#14
फिर मुझे लगा जैसे कि अब खुद को झड़ने से रोक पाना मेरे वश में नहीं है.
मैंने उससे कहा- मुझे अपने आगोश में दबा लो … मैं हो गई हूं … मेरा निकल रहा है … मुझे अपनी बना लो।

मैं रोक नहीं पाई और झड़ने लगी.

उसके धक्के धीरे धीरे कम होते गए जिससे मैं आराम से झड़ गई। मुझे असीम संतुष्टि मिल रही थी।

मेरे झड़ने के बाद भी उसके धक्के रुक नहीं हो रहे थे. अब उसके धक्के मेरे लिए झेल पाना असंभव होता जा रहा था।
मुझे दर्द होने लगा था लेकिन वह अभी नहीं झड़ा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#15
वह मेरी कमर को अपने दांतों से काट रहा था।
मैंने उससे कहा- प्लीज अब रुक जाओ!
मेरे कहने पर वो रुक गया और उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया।

मैंने देखा कि उसका लंड मेरी चूत के पानी से एकदम सना हुआ था।
अब मैंने उसका लंड अपने दोनों हाथों में भर लिया और उसको अपने मुंह में ले लिया और उसे मुंह से मजा दिलाने लगी।
मुंह में जीभ से फिराते हुए मैं उसका लंड चूसने लगी।

थोड़ी ही देर में उसने अपना सारा पानी मेरे मुंह में निकाल दिया और भाभी-भाभी करके मुझसे चिपक गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#16
फिर उसने मुझसे कहा- मेरी छोटी सी उम्र में मुझे आपने कितना कुछ दे दिया। मैं तो आपका दीवाना हो गया. मुझे जवानी में कदम रखते ही चूत का ऐसा सुख मिलेगा, मैंने सोचा भी नहीं था.

मैंने उससे कहा- नहीं, ऐसी बात नहीं है. यहां लड़के और लफंडर तो बहुत घूमते हैं। तुम अच्छे इंसान लगे मुझे. तुम्हारी बातों से कभी नहीं लगा कि तुम एक बुरे लड़के हो। इसलिए मैं भी तुम्हारी ओर खिंची चली गई।

तो दोस्तो … यह थी मेरी और उस नौजवान लड़के की एक घटना। जवान लड़के से चूत चुदवाकर मैं भी वाकई बहुत आनंदित हो गयी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#17
उसके बाद उसके और मेरे बीच में कई बार सेक्स हुआ.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply




Users browsing this thread: 1 Guest(s)