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Adultery पड़ोसन की हवस
#1
पड़ोसन की हवस

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
जब शादी के बाद मेरी पोस्टिंग दूसरे शहर में हो गयी. जिस वजह से मैं अपनी नवविवाहिता पत्नी को अपने घर छोड़ कर उस शहर में चला गया.
पहले दिन शहर मेरे लिए नया था. तो मैंने अपने ऑफिस में रह कर सबसे परिचय किया. फिर शाम को मैंने अपने साथी विरेन्द्र को बोला कि मुझे यहाँ आस पास रहने के लिए घर चाहिए. तो उसने मुझे पास की कॉलोनी में घर दिलवा दिया.

घर तो बड़ा था. परंतु उस दिन में सोने के लिए वहाँ कुछ नहीं होने की वजह से मैं शाम की बस से घर वापस निकल गया. फिर दूसरे दिन मैं और मेरी नयी दुल्हन हम दोनों अपना सारा सामान ले कर अपने शहर निकल गये. मैंने उसे हमारा नया घर दिखाया जिसे देख कर वो बहुत ही खुश हुई और उसने मुझे गले लगा लिया. फिर हमने घर का समान सेट किया. शाम को हमने साथ में खाना खाया और रात भर मज़े ले कर सो गये.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
शाम को जब मैं घर आया तो मैंने एक अनजान खूबसूरत भाभी को अपने घर में देखा. इससे पहले कि मैं उनसे कुछ कहता, इतने में मेरी बीवी खुशबू आ गयी. उसने मुझे उनसे मिलवाया और कहा- ये मेरे पति अभय है और ये कविता भाभी हैं.

बाद में मेरी बीवी खुशबू ने मुझे बताया कि कविता की उम्र 29 वर्ष होगी. उनके पति अब इस दुनिया में नहीं हैं और वो हमारे पड़ोस में अकेली रहती हैं.
धीरे धीरे कविता भाभी रोज हमारे घर आने जाने लगी, हम अच्छे से घुल मिल गये थे.
फिर एक दिन प्रेगनेंट होने की वजह से खुश्बू को काम करने में तकलीफ़ होने से मैं उसको उसके मायके में छोड़ आया.
Idea अचानक दरवाजे की घंटी बजी. तो मैंने दरवाजा खोला तो कविता भाभी थी. उन्होंने खुशबू के लिए पूछा तो मैंने कहा- वो अपने मायके गयी है. और मज़ाक में यह भी कह दिया कि वो अब हमारी बेबी को लेकर ही वापस आएगी.
फिर मैंने उनको अंदर आने को कहा, वो आकर सोफे पर बैठ गयी और हम बात करने लगे.
मैंने आज तक उनको वासना भरी नज़र से नहीं देखा था लेकिन उस दिन पहली बार मेरी नज़र उनके बदन पर गयी. क्या शरीर था … 5 फिट 2 या 3 इंच की हाइट, दूध सा गोरा बदन, बड़े बड़े बूब्स … मैं चुपके चुपके उनके बदन को देख रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
फिर हम बात करने लगे, उत्तेजना के वशीभूत हो मैंने पूछा- कविता भाभी, आप अकेले कैसे रह लेती हो? मुझसे तो नहीं रहा जाता.

तो उन्होंने कहा- क्या करूँ, अब आदत सी हो गयी है.
शायद उनको पता चल गया था कि मैं उनके बदन को देख रहा हूँ. परंतु उनके मन में भी कुछ और था.
मैं बोला- भाभी, आप टीवी ऑन कर लो, मैं कॉफ़ी लेकर आता हूँ.
Shy
मैं जब कॉफ़ी ले कर वापस आया तो मैं भी देख कर दंग रह गया कि भाभी पॉर्न देख कर एंजाय कर रही थी और अपने बदन को सहला रही थी. उन्होंने मेरे हाथ से कॉफ़ी लेकर टेबल पर रख दी और मेरा हाथ पकड़ कर अपने पास बैठाया और कहा- अभय, तुम मुझे वो सुख दोगे जो मैं चाहती हूँ.
मैंने कुछ न बोला.
उन्होंने कहा- मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी और तुम जो कहोगे वो करूँगी.
तो मैंने भी उनको आसानी से हां कह दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
मैंने उनको उठाया और कमरे में ले गया वहाँ जाते ही उन्होंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और मेरे कपड़े उतार कर चूमने लगी. वो सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी और मैं अंडरवीयर में था. फिर मैंने उनको बेड पर लिटाया और उन्हें चूमने लगा. उनके बदन के स्पर्श से मेरे अंदर बिजली सी दौड़ गयी और मेरा लंड जो 3 इंच मोटा है पूरा कड़क हो गया और अंडरवीयर से बाहर से दिखाई देने लगा. भाभी ने देखते ही मेरी अंडरवीयर उतार दी और मेरा लंड देख कर खुश हो गयी और चूमने लगी.

फिर मैंने भाभी की ब्रा के हुक खोल कर उनके मम्मों को आज़ाद कर दिया. भाभी के स्तन एकदम कड़क हो गये थे और उनकी भूरे रंग की निप्पल भी कड़क हो गयी थी. मैं उनको हाथ में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूमने लगा और दाँत लगाने लगा और वो ज़ोर ज़ोर से ‘आहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उऊँ आहह उईए …’ की आवाजें निकालने लगी और उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी पेंटी में डाल दिया, मेरे स्पर्श से उनकी आवाजें और बढ़ गयी और कहने लगी- दूर कर दो इसको मेरे बदन से!
मैंने एक ही पल में भाभी की पेंटी को उतार फेंका और नीचे आकर उनकी चूत को देखा. एकदम गोरी और गुलाब की पंखुड़ी की तरह थी जिसमें से एक नशीली सी महक आ रही थी. उनकी चुत एकदम साफ थी.
उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और कहा- मुझे और मत तड़पाओ मेरे राजा … डाल दो इसे मेरी कोमल चूत में!
मैंने कहा- मेरी जान कविता रानी … यह इतनी आसानी से तुम्हारी चूत में नहीं जाएगा, पहले इसे चूस और मुझे तेरी जवानी का रसपान तो करने दे!
वो बोली- जैसा आप कहो मेरी जान!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
उन्होंने कहा- मैं तो पहले दिन ही … जब तुमने यहाँ घर लिया था तब ही तुम पर फिदा हो गयी थी, रोज तुम्हारा नाम लेकर नंगी होकर इसमें उंगलिया करती रहती थी. मैं तो तुम्हारे साथ सेक्स करना चाह रही थी. आज तुमने मुझे ब्लू फिल्म दिखा कर गर्म कर दिया तो मैं खुद को रोक ही नहीं सकी.

मैंने कहा- भाभी, आपके आने से पहले मैं ब्लू फिल्म देख जरूर रहा था लेकिन मैंने जानबूझ कर आपको ये नंगी फिल्म नहीं दिखायी थी.
मैंने उनको 69 की पोज़िशन में लिया और मैंने अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया और उनकी चूत को अपनी ज़ुबान से नहलाने लगा. मुँह में मेरा लंड होने के बाद भी भाभी की नशीली आवाज़ हमम्म्म ममम ह्म्‍म्म्मम कर के आ रही थी. मेरा लंड भाभी के गले तक चला गया था और उनकी चुत को मैं दाँत से काटता तो कभी अपनी जीभ उनकी गहराई में ले जाता
कुछ देर बाद वो झड़ गयी और उन्होंने अपना नमकीन रस छोड़ दिया, मैंने उसे पी लिया.
अब मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने अपना लंड उनके मुँह से बाहर निकाल लिया. उन्होंने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- ये रस तुम्हारे चूत के लिए है रानी!
वो खुश होकऱ कहने लगी- सच मेरे राजा … बहुत दिन हो गये इसको किसी मर्द का रस पिए! इतना बड़ा तो मेरे पति का भी नहीं था. खुशबू कैसे लेती होगी इसको अपने अंदर?
मैंने भाभी को सीधे लेटाया और उनकी टांगें फैला दी और उनके ऊपर चढ़ गया. उन्होंने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर सेट किया. उनकी चूत झड़ने की वजह से गीली हो चुकी थी. मैंने अपने लंड को उस पर थोड़ा सहलाया वो तड़पने लगी और कहने लगी- डाल भी दो न जान! नहीं तो मेरी चूत रो देगी!
“डालने तो दे जान … तेरी चूत क्या … तू रोएगी. अभी और एक ज़ोर का झटका मारा उनकी ज़ोर की चीख निकल गयी- बाहर निकालो इसे … अया आहह मैं मर गयी आहह!
मेरा लंड आधा अंदर जा चुका था, मैं उनके होंटों पर अपने होंट रख कर चूमने लगा उनके मम्मों को दबाने लगा. वो नॉर्मल होने लगी. मैंने लंड को थोड़ा बाहर निकाल कर एक और जोरदार झटका मार दिया जिससे लंड पूरा उनकी चूत में गहराई तक समा गया. उनकी आँखों में आँसू थे पर होंठ मेरे होंठों की वजह से बंद थे.
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#7
मैंने धीरे धीरे झटके देना शुरू कर दिया. धीरे धीरे वो भी अपनी कमर उठा कर अब मेरा साथ देने लगी थी और कामुक आवाजें निकाल रही थी- और ज़ोर से मेरे राजा … चोदो चोदो मेरे राजा … फाड़ दो आज इसे! आज से मेरा सब कुछ तुम्हारा … आज मैं अपने अभय की रखैल हूँ.

करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने कहा- जानेमन आ जाऊँ अंदर ही?
वो बोली- आ जाओ मेरे राजा, मैं भी तुम्हारे साथ आ रही हूँ.
मैंने 5-6 पिचकारी भाभी की चूत में मारी और इनके ऊपर लेट गया.
कुछ दसर में मेरा लंड मुरझा गया था मैंने उसे बाहर निकाला. उनकी चूत से हमारे मिलन का रस बाहर आ रहा था. भाभी फिर से मेरा लंड सहलाने लगी और कह रही थी- असली सुहागरात तो मेरी आज हुई है जान!
मैंने कहा- कविता, जब तक खुशबू ना आ जाए तब तक हर रात तुम मेरे साथ बिताओगी, मैं तुम्हारी रातें और भी रंगीन कर दूँगा.
उनका सिर हाँ में हिल रहा था पर वो मुँह से ना बोल रही थी. उन्हें डर था कि कॉलोनी में किसी को पता चल गया तो हम बदनाम हो जायेंगे.
मैंने उन्हें कहा- हम रात में 11 बजे के बाद, जब तक कॉलोनी में कोई बाहर नहीं रहता, उसके बाद मिलेंगे.
तो उन्होंने हाँ कह दिया और मुझे गले से लगा लिया.
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#8
मैंने उनको घुटनों के बल लेटने को कहा तो उन्होंने कहा- यहाँ नहीं, बाथरूम में नहाते हुए!

मैं बाथरूम में पानी में उनकी चूत चोदने लगा और उनके मम्मों को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. वो सिसकारियाँ भरने लगी- आहहा आआह हाआह ह!
फिर मैंने लंड निकाल लिया तो वो बोली- क्या हुआ जान?
मैं बोला- यहाँ नहीं रानी, बिस्तर पर ही मज़ा आएगा.
मैं उनको अपने लंड पर बैठा कर बिस्तर पर ले आया, उन्हें जम कर चोदने लगा.
अचानक उन्होंने कहा- इसे बाहर निकालो जान, मुझे बाथरूम आ रहा है.
मैंने कहा- जो करना है, यहीं कर लो, ये तो अब इसकी मर्ज़ी से ही बाहर आएगा.
कुछ पल बाद मैंने अपने पेट पर गर्म पानी जैसा महसूस किया थोड़ा उठ कर देखा तो वो उनकी चूत के ऊपर वाले छेद से पेशाब निकल रहा था.
मुझे देखते हुए देख कर भाभी बोली- ऐसे क्या देख रहे हो राजा?
मैंने खा- भाभी की चूत का मूत देख रहा हूँ.
फिर मैंने उनको घुटनों के बल लेटने को कहा और उनके पीछे वाले छेद पऱ लंड रखा तो वो ना कहने लगी- नहीं राजा, पीछे नहीं बहुत दर्द होगा!
मैंने एक ना सुनी और लंड को और उनके छेद को थोड़ा गीला करके एक झटका दिया, मेरा आधा लंड अंदर जा चुका था.
वो रोते हुए कहने लगी- इसको बाहर निकालो, बहुत दर्द हो रहा है … जान मान जाओ!
फिर ज़बरदस्ती मैंने एक और धक्का मार दिया तो वो दर्द से चिल्ला उठी- भाई साब, फाड़ दी आपने मेरी गांड!
और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी.
अब मैंने अपना लंड भाभी की गांड से बाहर निकाला और उन्हें चुप किया उनके होंठ चूमते हुए! फिर मैंने अपना लंड धीरे धीरे चूत में अंदर बाहर किया. वो गर्म होने लगी. फिर हम दोनों एक साथ झड़ गये. फिर मैंने उन्हें गर्भ निरोधक गोलिया लाकर दी.
और फिर शाम को मैं एक बोतल व्हिस्की लेकर आया और हमने साथ साथ पी, रात भर मज़े किए.
मेरी पत्नी खुशबू के आने तक मैंने कविता भाभी को बहुत चोदा, करीब करीब रोज ही!
फिर मेरा ट्रान्सफर दूसरे शहर में हो गया और हम यहाँ आ गये. अब मैं महीने में एक दो बार काम का बहाना करके जयपुर जाकर अपनी कविता रानी से मिल लेता हूँ.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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