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Incest कज़िन सिस्टर सेक्स का मजा
#1
कज़िन सिस्टर सेक्स का मजा

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
1














उस वक्त मेरी उम्र 24 साल की थी. उस वक्त मैं अपने बड़े चाचा के यहां रहने के लिए गया हुआ था. मेरे दो चाचा हैं.

मेरी कॉलेज की पढ़ाई चल रही थी और कॉलेज पास में ही था. मेरे चाचा के घर में उनकी एक बेटी भी थी. उसकी शादी हो चुकी थी लेकिन शादी के तीन-चार साल बाद ही उनका उनके पति के साथ तलाक हो गया था.

उस वक्त मेरी कज़िन सिस्टर की उम्र 30 की थी. देखने में वो काफी सुंदर दिखती थीं. उनका फिगर भी बहुत ही प्यारा सा था. हां वो अलग बात है कि अब वो बढ़ती उम्र के साथ थोड़ी मोटी हो गयी हैं लेकिन उस वक्त गजब की माल थी.

जब मैं चाचा के घर में रहने के लिए गया था तो उनके वहां पर दो ही कमरे थे. मेरे चाचा ज्यादा अमीर नहीं थे इसलिए घर भी छोटा ही था. मैं पहली बार इस तरह से अपने घर से बाहर अपने चाचा के यहां पर रहने के लिए गया था.

मैं वहां नया नया था तो मैंने कज़िन सिस्टर से कहा कि मुझे कहीं घुमा दीजिये.
सिस्टर एक दिन बोली- तुम घूमने के लिए कह रहे थे. मैंने सोचा है कि आज हम मूवी देखने के लिए चलेंगे.
मैं भी झट से तैयार हो गया. मैंने ऑनलाइन मूवी टिकट भी बुक करवा दी.

सिनेमा हॉल में पहुंच कर हम लोग अपनी सीट लेकर बैठ गये. हम लोगों को कॉर्नर की सीट मिली थी. मूवी शुरू हुई और हम मूवी का मजा लेने लगे. मूवी काफी मजेदार थी इसलिए दोनों भाई बहन काफी इंजॉय कर रहे थे.

कुछ ही देर में मैंने नोटिस किया कि सिस्टर की चूचियां मेरी कुहनी के साथ में टच हो रही हैं. जब मेरा ध्यान इस बात पर गया तो मैंने पाया कि दीदी मेरी ओर झुक गयी थीं. ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझसे चिपकने की कोशिश कर रही थी.

चूचियों के स्पर्श से ही मेरे अंदर भी अजीब सी भावना आने लगी. मैंने इससे पहले सिस्टर सेक्स के बारे में कभी सोचा भी नहीं था. मैं भी अपनी कोहनी को जानबूझ कर दीदी की चूचियों के साथ सटाने लगा. उनकी चूचियों पर दबाव बनाने लगा.

शायद दीदी को इस सब में मजा आ रहा था. वो ये भी जान गयी थी कि मैं भी उनके साथ मजा ले रहा हूं. वो कुछ बोल भी नहीं रही थी. मेरी कोहनी का दबाव दीदी की चूची पर बढ़ रहा था. मेरा लंड भी खड़ा हो गया था.

फिर मैंने धीरे से अपना दूसरा हाथ भी दूसरी ओर कर लिया. मैं दीदी की चूचियों पर अपनी उंगलियों से छेड़ने लगा. दीदी ने तब भी कुछ नहीं कहा. अब मेरी हिम्मत भी बढ़ गयी थी.

जब मुझसे रुका न गया तो मैंने दीदी की चूची पर हाथ ही रख दिया. दीदी अब भी सामने स्क्रीन की ओर ही देख रही थी. मैंने धीरे धीरे से दीदी की चूची को अपने हाथ से दबाना शुरू कर दिया.

वो कुछ नहीं बोल रही थी. बस मजा ले रही थी चुपचाप. अब मैं उत्तेजित हो गया था. मेरा लंड मेरी पैंट में पूरा अकड़ गया था. वो बाहर आने के लिए तड़प गया था. इसी उत्तेजना में मैंने दीदी की चूची को जोर से दबाना शुरू कर दिया.

दीदी ने मेरी ओर देखा और मुस्कराने लगी. मगर कुछ बोली नहीं. मैंने उसी वक्त उनके गाल पर किस कर दिया. अब तो सब कुछ क्लियर हो गया था. मैंने दीदी के कमीज में हाथ डालने की कोशिश की लेकिन दीदी ने मेरे हाथ को पकड़ लिया.

सिनेमा हॉल में हम ऐसे ही मजे लेते रहे. दीदी ने उससे आगे नहीं बढ़ने दिया. मैं सोच रहा था कि दीदी भी मेरे लंड को पकड़ लेगी लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया.

फिर मूवी खत्म हो गयी और हम दोनों घर पर आ गये. रात का खाना होने के बाद हम सोने के लिए चले गये.

लेटने के कुछ देर बाद ही मेरे फोन पर एक मैसेज रिसीव हुआ. वो मैसेज दीदी का ही था. मैसेज में लिखा था- मुझे नींद नहीं आ रही है.
मैंने रिप्लाई किया- मुझे भी नहीं आ रही है.

फिर मैंने उनको सॉरी लिख कर भेजा.
वो पूछने लगी- किसलिये?
मैंने लिखा- सिनेमा हॉल में जो भी हुआ उसके लिए मैं सॉरी कहना चाहता हूं.
उन्होंने लिखा- कोई बात नहीं.

फिर मैंने लिखा- दीदी एक बात कहना चाहता हूं.
उन्होंने लिखा- हां कहो.
मैंने रिप्लाई किया- आपके वो (बूब्स) बहुत ही प्यारे और मस्त हैं.
वो बोलीं- चुप कर!

उसके बाद दीदी ने गुड नाइट का मैसेज भेज दिया और सोने के लिए कहा. मैं भी सो गया. सुबह दीदी ने ही आकर मुझे जगाया. उस वक्त मेरा लंड मेरी पैंट में तना हुआ था. मेरा लंड उस वक्त सुबह के पूरे जोश में था.

सुबह जब मैं उठा तो दीदी का मेरी ओर देखने का नजरिया बदला बदला सा था. मैं उठ कर बाहर गया तो दीदी ने मेरे तने हुए लंड पर भी सरसरी नजर मार ली. मुझे लगा कि मेरी सिस्टर सेक्स मांग रही है.

उसके बाद मैं फ्रेश हुआ और फिर नाश्ता करके कॉलेज में चला गया. रास्ते में जाते हुए मैंने भांग की एक गोली खा ली. मुझे उसका नशा हो गया. मुझे दीदी की चूचियों के खयाल आना शुरू हो गये. कॉलेज में भी मन नहीं लगा.

कुछ देर के बाद दीदी की कॉल भी आ गयी.
वो बोली- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- आपको ही याद कर रहा था. नशा सा हो रहा है.
वो बोली- मुझे क्यों याद कर रहे हो?
मैंने कहा- पहले आप ये बताओ कि आज आपने मुझे इस तरह से कॉल क्यों किया? इससे पहले तो कभी आपका कॉल नहीं आया था कॉलेज में ऐसे।

वो बोली- बस ऐसे ही कर लिया. मैं घर पर अकेली थी और बोर हो रही थी इसलिए तुम्हारे पास फोन कर लिया.
फिर मैं भी कॉलेज से निकल लिया. मैं फोन पर बात करते करते हुए ही चल रहा था.

मैंने रास्ते में आंख साफ करने के लिए आई ड्रॉप ले ली. मेरी आंखें नशे के कारण लाल हो गयी थीं.
दीदी बोली- गर्लफ्रेंड के साथ हो क्या?
मैंने कहा- हां.

वो बोली- मेरी बात भी करवाओ अपनी गर्लफ्रेंड से।
मैंने कहा- उसी से तो बात हो रही है अभी.
वो शरमा गयीं और बोली- चुप रहो.

इतने में ही बात करते हुए मैं घर पर पहुंच गया था. मैंने घर पहुंच कर बेल बजाई और दीदी कॉल पर बात करते हुए ही गेट खोलने के लिए आ गयी. जैसे ही उन्होंने दरवाजे पर मुझे देखा वो मुझे देख कर शरमा गयी.
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#3
फोन को रखते हुए वो बोली- आज इतनी जल्दी घर वापसी क्यों?
मैंने कहा- बस ऐसे ही. अपने हाथ की एक चाय पिला दो दीदी.
वो मुस्करा कर अंदर चली गयी और किचन में जाकर चाय बनाने लगी.

मैंने कपड़े चेंज किये. कपड़े बदलते वक्त मैंने अपनी अंडरवियर उतार दी. घर में केवल दीदी और मैं ही थे. इसलिए मैंने थोड़ा खुलापन महसूस करने के लिए नीचे से नंगा ही रहना ठीक समझा.

अपनी लोअर पहन कर मैं भी किचन में चला गया. दीदी उस वक्त चाय बना रही थी. मैं जाकर दीदी के पीछे खड़ा हो गया. मेरा मन कर रहा था दीदी को पीछे से जाकर दबोच लूं. बहुत ही सेक्सी फीलिंग आ रही थी दीदी के लिए उस समय. मगर मैंने खुद को कंट्रोल में रखा.

दीदी की गांड को देख कर मेरा लंड भी खड़ा हो गया था. मैंने अपने खड़े लंड को दीदी की गांड की दरार में सटा दिया और उसको अंदर धकेल कर दीदी की गांड में फंसाने लगा. दीदी को पता था कि मेरा लंड उनके चूतड़ों पर लगा हुआ है लेकिन वो भी कुछ नहीं बोल रही थी.

मेरी प्यास और हवस दोनों ही बढ़ रही थी. दीदी भी अन्जान बनते हुए चाय बनाने में व्यस्त थी. मेरा लंड पूरा उनके चूतड़ों में घुसने को हो रहा था.

दोस्तो, मैं तो पहले से ही भांग के नशे में था. उस पर दीदी की गांड में लंड लगाने से सेक्स का नशा भी चढ़ गया था. आपको तो पता ही है कि एक बार भांग के नशे में लंड खड़ा हो जाये तो फिर बैठने का नाम नहीं लेता है.

इधर दीदी भी गर्म हो गयी थी. वो भी अपनी गांड को मेरे लंड पर सटा रही थी. अब तक चाय भी बन गयी थी.
वो बोली- तू चल, मैं आती हूं.
मैं बाहर चला गया.

आते वक्त दीदी ने घर के सारे पर्दे लगा दिये. मैं दीदी के मन की बात को समझ गया था लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि मैं शुरूआत कहां से करूं. इतना तो मैं भी जान गया था कि दीदी भी मुझसे कुछ न कुछ चाहती थी.

फिर मैं किचन में जाकर पानी पीने लगा. मैंने खूब सारा पानी पी लिया. मुझे जोर की प्यास लगी थी.
दीदी बोली- क्या बात है, बहुत प्यासे लग रहे हो!

मौका पाकर मैंने भी कह दिया- हां प्यास तो बहुत जोर से लगी है. इतनी जोर से लगी है कि बुझाये नहीं बुझ रही है.
तभी दीदी ने मेरी लोअर की ओर देखा. मेरा लंड मेरी लोअर में अलग से ही खड़ा हुआ दिखाई दे रहा था.

दीदी ने मेरे तने हुए लंड को देख लिया था. उसके बाद हम दोनों साथ में बैठ कर चाय पीने लगे. मैं दीदी की चूचियों को घूर रहा था. उनके होंठों पर लगे चाय के प्याले को देख रहा था. उनके रसीले होंठों को पीने का मन कर रहा था.
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#4
फिर मैंने कहा- दीदी मुझे भी डांस सिखा दो न, आपको तो बहुत अच्छा डांस आता है.
वो बोली- अभी?
मैंने कहा- हां, अभी ही सिखा दो.

वो बोली- कौन सा डांस सीखना चाहते हो?
मैंने कहा- सालसा.
वो बोली- ठीक है.

चाय के खाली कप रखने के बाद हम दोनों खड़े हो गये.
वो बोली- सबसे पहले अपने पार्टनर की कमर में एक हाथ रखो और दूसरे हाथ से उसके हाथ को पकड़ लो.
मैंने बिल्कुल वैसे ही दीदी को पकड़ लिया.

हम दोनों एक दूसरे की बांहों में थे. हम दोनों की सांसें आपस में टकरा रही थीं. मेरी छाती दीदी की छाती से सटी हुई थी. उनकी चूचियां मेरी छाती पर आकर सट गयी थीं.

मेरा खड़ा लंड उनकी जांघों के बीच में और उनकी चूचियां मेरे सीने में घुसने को बेताब थीं. दीदी की तनी हुई सी चूचियां बता रही थीं कि वो भी गर्म हो रही हैं.

उनकी चूचियों में जो तनाव मैं इस वक्त महसूस कर रहा था वो मैंने सिनेमा हॉल में दीदी के साथ मूवी देखने के टाइम पर नहीं किया था. फिर हम दोनों डांस करने लगे. डांस करते हुए मैं दीदी पर पूरा ही झुक गया. मैं उनके कंधे पर चूमने लगा.

दीदी की पकड़ भी मेरी कमर पर मजबूत होती जा रही थी. मैं नशे में था और वो जोश में थी. हम दोनों एक दूसरे से जैसे चिपकने ही वाले थे. मैं दीदी के गले लग गया था. मन कर रहा था दीदी को चोद ही दूं.

फिर मैं उनसे अलग होने लगा. जब मैं अलग हुआ तो दीदी की आंखें मस्ती में बंद हो गयी थीं. मैंने उनके होंठों को देखा. उनके होंठ मुझे ऐसा इशारा कर रहे थे कि जैसे कह रहे हों कि आकर मेरे रस को पी लो.

मैंने हिम्मत करके दीदी के होंठों से अपने होंठों को सटा दिया. मैंने दीदी के होंठों को हल्के हल्के से चूमना शुरू कर दिया. वो भी आश्चर्यजनक रूप से मेरा साथ देने लगी. मुझे उम्मीद नहीं थी कि दीदी इतनी जल्दी पट जायेगी.

अब मेरे हाथ दीदी की चूचियों की ओर बढ़ गये. मैंने दीदी की चूचियों को भी दबाना शुरू कर दिया. दीदी थोड़ी शर्मा भी रही थी. हम दोनों ही थोड़े थोड़े शरमा रहे थे और साथ ही साथ प्यार में भी थे.

धीरे धीरे जैसे सब कुछ अपने आप ही होता जा रहा था. मुझे दीदी की चूचियों को दबाने में बहुत मजा आ रहा था और दीदी भी मेरी हरकतों को पूरा मजा लेकर इंजॉय कर रही थी. तलाक होने के बाद शायद उन्होंने किसी के साथ सेक्स नहीं किया था.
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#5
मैंने पूछा- दीदी आपका साइज क्या है?
वो बोली- तुम खुद ही पता क्यों नहीं कर लेते हो!
फिर मैंने दीदी को बेड पर लिटा दिया. उनके सूट को ऊपर करके जोर से उनके पेट को चूमने लगा.

दीदी एकदम से मछली के जैसे फड़फड़ाने लगी. इससे पहले कि वो संभल पाती मैंने उनको पेट के बल लिटा दिया और उनकी गर्दन और पीठ को चूमने लगा.

उनकी ब्रा तक मैंने उनके कमीज को ऊपर उठा कर रखा हुआ था. मैं दीदी की गर्दन तो कभी उनकी ब्रा के आसपास चूम रहा था. दीदी अपनी गांड उठाने लगी थी. अब दीदी को नंगी करने का समय आ गया था.
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#6
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#7
जब दीदी डांस सिखा रही थी तो मेरा लंड उनकी जांघों में टच होने लगा. दीदी भी अपनी चूचियों को मेरी छाती पर दबा रही थी. उसके बाद मैंने हिम्मत करके दीदी के होंठों को चूम लिया और हम दोनों गर्म हो गये.

बेड पर ले जा कर मैंने दीदी के शर्ट को उठा दिया और उनकी पीठ को चूमने लगा. दीदी मछली के जैसे तड़पने लगी. दीदी की ब्रा बीच में आ रही थी, इसलिए अब दीदी को मैं नंगी करना चाह रहा था.

मैंने उनकी ब्रा के हुक को खोल दिया. दीदी की कोमल सी गोरी पीठ एकदम से नंगी हो गयी. मैंने दीदी की पीठ पर चूम लिया. मेरे गर्म गर्म होंठों के चुम्बन से दीदी को मजा आने लगा. इसी बीच मैं दीदी की गांड को दबाने लगा. दीदी भी मस्ती में मदहोश होने लगी.

मैंने दीदी के शर्ट को निकालने की कोशिश की लेकिन वो लेटी होने के कारण शर्ट नीचे दबा हुआ था. मैंने उनको उठाया और शर्ट को ऊपर करके उनकी गर्दन से निकालने लगा. वो शरमा रही थी. दीदी की चूचियों में टंगी हुई ब्रा अब नीचे गिर गयी. उनकी मोटी मोटी चूचियां एकदम से नंगी हो गयी और उभर कर मेरी आंखों के सामने आ गयी.

दीदी की नंगी चूची देख कर मुझसे रहा न गया और मैंने उनकी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में भर लिया. मेरे हाथ में दीदी की मोटी मोटी बॉल्स थीं जो बहुत मुलायम थीं. ऐसा लग रहा था जैसे मैंने रूई के गोले अपने हाथ में ले रखे हों.

तभी मैंने दीदी के होंठों को चूम लिया. दीदी मेरे होंठों को चूमते हुए मेरे सिर को पकड़ कर मेरे बालों को सहलाने लगी. मेरा एक हाथ दीदी की जांघों के बीच में उनकी पजामी पर पहुंच गया था.

एक हाथ से मैं दीदी के बूब्स को सहला रहा था और दूसरे हाथ से दीदी की चूत को छेड़ रहा था. मुझे कपड़े के ऊपर से ही दीदी की फूली हुई चूत महसूस हो रही थी. दीदी की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.

फिर मैंने दीदी के बूब्स को चूसना शुरू किया. पहले एक चूची को मुंह में भरा और फिर दूसरी चूची को हाथ से मसलने लगा. दीदी भी अपने चूचों को चुसवाने का मजा लेने लगी.

एक चूची को पांच मिनट तक चूसने के बाद मैंने अपनी बहन की दूसरी चूची को मुंह में भर लिया. पहली चूची पर मेरे मुंह की लार लगी हुई थी इसलिए पहली चूची का निप्पल एकदम से चिकना हो गया था.

मैं दूसरी चूची को मुंह में लेकर पीने लगा और पहली चूची को हाथ में लेकर दबाने और मसलने लगा. दीदी अब और ज्यादा गर्म हो गयी थी. दीदी के हाथ मेरी पीठ को सहला रहे थे. बीच बीच में दीदी मेरे लंड को पकड़ने की कोशिश भी करने लगी थी लेकिन उनका हाथ मेरे लंड तक नहीं पहुंच पा रहा था.

मेरे लंड में तनाव के कारण दर्द होने लगा था. दीदी की रसीली चूचियां पीते हुए मुझे बहुत मजा आ रहा था. दीदी भी आह्ह … ओह्ह करते हुए कामुक आवाजें निकालने लगी थी.

अब मैंने दीदी के पेट को चूमा और चूमते हुए उनकी नाभि को चूसा. वो सिसकारते हुए मस्ती में इधर उधर गर्दन हिलाने लगी. मैंने दीदी की नाभि को चूस चूस कर उनको पूरी गर्म कर दिया.

उसके बाद मैंने दीदी की पजामी को निकाल दिया. दीदी की गोरी जांघें नंगी हो गयीं. मैंने दीदी की जांघों को चूमा. उनकी पैंटी पर गीला धब्बा सा बन गया था. दीदी की चूत से कामरस बाहर आ रहा था.

मैंने उनकी पैंटी के गीले धब्बे को चाट लिया. दीदी की चूत से निकले हुए कामरस की खुशबू मुझे बहुत अच्छी लगी. दीदी ने भी काफी दिनों से लंड चूत में नहीं लिया था इसलिए उनकी चूत कुछ ज्यादा ही गर्म हो गयी थी और काफी सारा पानी निकल रहा था दीदी की चूत से.

फिर मैंने दीदी की पैंटी को उतार दिया. उनकी पैंटी को उतार कर मैंने दीदी की चूत को देखा. उनकी चूत ज्यादा कसी हुई तो नहीं थी लेकिन फिर भी टाइट सी लग रही थी. सांवली सी चूत पर बाल भी थे.

दीदी ने अपनी चूत को शायद कई दिनों से शेव नहीं किया था. दीदी की चूत बीच में से गुलाबी दिखाई पड़ रही थी. बालों के बीच में गुलाबी सी चूत देख कर मेरे लंड का तनाव और ज्यादा हो गया.

मैंने अपनी बहन की चूत को जोर जोर से चाटना शुरू कर दिया. उसकी चूत का रस चाटने में बहुत अच्छा लग रहा था. मैंने जोर जोर से जीभ अंदर बाहर करते हुए उसकी चूत को जीभ से ही चोदना शुरू कर दिया.

जब उससे बर्दाश्त नहीं हो पाया तो वो एकदम से उठी और मुझे नीचे बेड पर अपने नीचे पटक लिया. उसने मेरी लोअर को उतार दिया और मेरे लंड को बिना पल भर की देरी के अपने मुंह में भर लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#8
दीदी मेरे लंड को जोर जोर से चूसने लगी और मजे में मेरी आंखें बंद होने लगीं. वो इतनी जोर से लंड को चूस रही थी कि मैं जैसे पागल सा होने लगा. मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था.

उसको लंड चूसने का काफी ज्ञान था. मैंने कभी अपने लंड में इतनी उत्तेजना और आनंद महसूस नहीं किया था. कभी वो मेरे लंड के टोपे पर जीभ को अंदर अंदर फिरा रही थी और कभी पूरे लंड को मुंह में पूरा गले तक उतार कर चूसने लग जाती.

ऐसा लग रहा था जैसे वो बहुत दिनों से लंड की प्यासी हो. अपनी शादी खत्म होने के बाद से दीदी को शायद इस तरह से सेक्स करने का मौका नहीं मिला था. तलाक के बाद से ही वो सेक्स का मजा नहीं ले पा रही थी.

कुछ ही देर में दीदी ने मेरे होश उड़ा दिये और मैं दीदी के मुंह में ही झड़ गया. दीदी मेरे लंड से निकले हुए माल को अंदर ही गटक गयी. मैं शांत पड़ गया. मगर बहन की चूत में अभी आग लगी हुई थी.

वो बोली- तू तो खल्लास हो गया, अब मेरा क्या?
मैंने हांफते हुए कहा- कुछ देर रुको यार, मुझे थोड़ा टाइम दो.
फिर वो मेरी बगल में लेट गयी. हम दोनों नंगे ही पड़े हुए थे.

दीदी के चूचों को छेड़ते हुए मैंने पूछा- आपको जीजा के साथ भी इतना मजा आता था क्या?
वो बोली- तेरे जीजा का लंड तो नाम का ही लंड था. उसमें दम नहीं था. अगर उनका लंड तेरे लंड की तरह इतना दमदार होता तो आज तू मामा बन गया होता.
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#9
मैंने कहा- तो फिर उनका खड़ा नहीं होता था क्या?
वो बोली- होता था लेकिन दो धक्कों में ही ढेर हो जाते थे. मैंने बहुत कोशिश की खुद को समझाने की लेकिन मैं तीन साल तक प्यासी ही रही. हम दोनों के बीच में शादी के 6 महीने के बाद ही मन-मुटाव होना शुरू हो गया था लेकिन घर की इज्जत की वजह से मैंने शादी को खींचे रखा. मगर जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो फिर तलाक ले लिया.

दीदी की चूत को सहलाते हुए मैंने पूछा- तो फिर आपने इससे पहले मुझसे इस बारे में बात क्यों नहीं की?
वो बोली- मैं ताऊ जी से डरती थी और ताई जी को अगर पता लग जाता तो तेरी भी शामत आ जाती. मैं नहीं जानती थी कि तू मर्द बन गया है. जब मैंने तेरे लंड को लोअर में तना हुआ देखा तो तब मुझे भी चुदने का मन किया और मैंने आगे कदम बढ़ाया.

मैंने कहा- तो आपको मेरा लंड इतना पसंद आ गया क्या?
वो बोली- हां, तुम्हारा लंड तो बहुत मस्त है. तेरे जीजा का तो इसका आधा भी नहीं था. तुम्हारा लंड तो हाथ में लेकर और मुंह में लेकर बहुत मजा आता है.
मैंने कहा- तो फिर एक बार फिर से ले लो.

मेरी ओर देख कर दीदी मुस्कराई और मेरे लंड को उसने मुंह में ले लिया. मेरे लंड में अभी तक तनाव नहीं आया था. दीदी मेरे लंड को चूसने लगी. मुझे मजा भी आ रहा था और कुछ अजीब सी गुदगुदी भी हो रही थी.

कुछ ही देर में दीदी ने मेरे लंड को फिर से चूस चूस कर खड़ा कर दिया. अब मैंने दीदी के सिर को पकड़ लिया और उसके मुंह को लंड पर दबाने लगा.
मेरे मुंह से कामुक सिसकारियां निकल रही थीं- आह्ह … ओह्ह … दीदी और जोर से… याह … हम्म … ओह्ह … मजा आ रहा है. चूसो दीदी.

पांच-सात मिनट तक मैंने दीदी को लंड चुसवाया तो दीदी की सांस फूलने लगी.
वो बोली- बस कर कमीने, अब मेरी चूत की ओर भी कुछ ध्यान दे. इसने बहुत दिनों से लंड नहीं लिया है.

मैंने कहा- ठीक है दीदी तो फिर तैयार हो जाओ.
मैंने दीदी को बेड पर लिटा लिया. उनकी गांड के नीचे तकिया लगा दिया और उनकी टांगों को चौड़ी करके अपने हाथों में थाम लिया.
मैंने दीदी की चूत पर अपना लंड लगाया और धीरे धीरे अंदर धकेलने लगा.

जैसे ही लंड का सुपारा दीदी की चूत में घुसने लगा तो वो कराहने लगी.
मैंने कहा- क्या हुआ, दर्द हो रहा है क्या?
वो बोली- हां, बहुत दिनों के बाद चूत में लंड जा रहा है इसलिए दर्द तो होगा ही लेकिन तू रुक मत.

मैं भी नहीं रुका और मैंने दीदी की चूत में एक झटका दिया और आधा लंड उसकी चूत में घुसा दिया. दीदी ने मेरे कंधों को पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी.

उनको वापस बेड पर लिटा कर मैंने फिर जोर लगाया. एक जोर का धक्का दिया और पूरा लंड बहन की चूत में घुसा दिया. मुझे चूत चुदाई का ज्यादा एक्सपीरियंस नहीं था. इसलिए दो धक्कों में ही पूरा लंड उनकी चूत में घुसा दिया.

दीदी ने मुझे जोर से पकड़ लिया और मेरी पीठ पर नोंच लिया. वो मेरी गर्दन को चूमने लगी.
मैंने पूछा- सब ठीक है ना?
वो बोली- हां, एक मिनट ऐसे ही रह, उसके बाद कुछ करना.

मैं रुका रहा. अपनी चचेरी बहन की चूत में लंड अंदर डाल कर मुझे बहुत मजा आ रहा था. ऐसा लग रहा था कि चूत चुदाई के समान दुनिया में दूसरा कोई और आनंद नहीं है.

चूत में लंड देकर मैंने दीदी के चूचों को पीना शुरू कर दिया. कभी उनकी गर्दन को चूमता तो कभी उनके होंठों को चूस लेता. दीदी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. जब वो नॉर्मल हो गयी तो बोली- हां, अब शुरू कर।
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#10
मैंने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. मेरा लंड दीदी की चिकनी चूत में अंदर बाहर होने लगा और दोनों को चुदाई का मजा आने लगा. अपने चचेरी बहन की चूत चोदने में इतना मजा आयेगा मैंने कभी सोचा भी नहीं था.

उधर दीदी को भी घर में ही लंड मिल गया था. वो भी मस्ती में अपनी चूत को चुदवाने लगी. कभी मेरे गालों को काटने लगती तो कभी मेरी गर्दन पर किस कर रही थी.

मैंने जोर जोर से दीदी की चूत में लंड के धक्के लगाना शुरू कर दिये. दीदी भी गांड उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी. ऐसा लग रहा था कि जैसे दीदी को मैं चोद रहा हूं और प्रत्युत्तर में दीदी मुझे चोद रही थी.

चचेरी बहन की चूत चुदाई करने में मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैं बीच बीच में दीदी के बूब्स को भी भींच रहा था. दीदी एकदम से मस्त हो गयी थी. दस मिनट के अंदर ही दीदी की चूत ने पानी छोड़ दिया.

जैसे ही चूत से पानी निकला तो फिर पच-पच की आवाज आने लगी. इस आवाज ने मेरे जोश को और ज्यादा बढ़ा दिया. मैं अब दोगुनी तेजी के साथ अपनी चचेरी बहन की चूत को चोदने लगा. फिर मैंने दीदी की टांगों को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया.

ये पोजीशन में पोर्न वीडियो में देखी हुई थी. मैंने दीदी की चूत में लंड पेल दिया. एक हाथ से मैंने दीदी की टांगों को उठाया हुआ था और नीचे से मैं दीदी की चूत में लंड को पेल रहा था.

दीदी की आंखें बंद होने लगी थीं. वो चुदाई में एकदम से मस्त होकर मदहोश हो गयी थी. लगभग पंद्रह मिनट तक मैंने दीदी की चूत को पेला और फिर मैं भी एक बार फिर से झड़ने के करीब पहुंच गया.

मैंने जोर जोर से धक्के लगाते हुए दीदी की चूत में अपना माल गिरा दिया. मैं हांफता हुआ दीदी के ऊपर ही लेट गया. दीदी मेरी पीठ को प्यार से सहलाने लगी.

फिर उन्होंने मुझे एक तरफ लिटाया और मेरे होंठों को चूसने लगी.
वो बोली- तुम्हारे साथ मुझे सेक्स का असली सुख मिला है मुझे. तुम मुझसे दूर कभी नहीं जाना.
मैंने कहा- हां दीदी, मैं भी आपको बहुत पसंद करने लगा हूं. मैं आपके साथ ही रहना चाहता हूं. मैं अपनी कज़िन सिस्टर को सेक्स की कमी नहीं होने दूंगा.

उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर पड़े रहे. पहली चुदाई के बाद मैंने दीदी की चूत दो बार और चोदी. मैं पूरी तरह से थक गया और फिर सो गया.

जब मेरी नींद खुली तो दीदी मेरे पास नहीं थी. शाम हो चुकी थी. हम दोनों अब भाई-बहन से ज्यादा बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड की तरह रहने लगे थे. जब भी हमें अकेले में मौका मिलता, मैं कज़िन सिस्टर के साथ सेक्स का मजा लेता. दीदी भी काफी खुश रहने लगी थी.
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#11
[Image: 31e78a83-8d57-4842-ba50-5289e59a87b4_768...-webp.webp]
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#12
(04-07-2022, 01:11 PM)neerathemall Wrote: cool2 Angry Shy
कज़िन सिस्टर सेक्स का मजा

cool2
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#13
Nice story
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