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Incest पापा ने दीदी को मेरे सामने चोदा
#1
पापा ने दीदी को मेरे सामने चोदा

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
हुआ कुछ यूं कि दीदी बहुत गुस्सा करती थीं, इसके लिए उनको एक पंडित के पास ले जाकर पूजा करवानी थी.

मम्मी को कुछ काम था इसलिए मम्मी उनके साथ बाराबंकी नहीं जा सकती थीं.
इसलिए ये तय हुआ कि मैं, दीदी और पापा जाएंगे.

अब आप लोगों को ये बता दूं कि मम्मी का मुझे भेजने के पीछे केवल एक कारण था कि पापा दीदी के साथ कुछ ऐसा वैसा न करें.
क्योंकि मम्मी पापा की हरकतों से वाकिफ़ हैं.

हमारे पापा सौतेले हैं. हमारे सगे पापा के असमय देहावसान के बाद मम्मी की दूसरी शादी पापा के एक चचेरे भाई से हो गयी थी जो बिगड़े हुए थे.

लेकिन मम्मी को ये नहीं पता कि मैं कुछ उनको बताऊंगा ही नहीं.

मम्मी को मुझ पर बहुत विश्वास था. मैं छोटा था, लेकिन पापा मुझे पैसे दे देते और बोलते कि मम्मी को मत बताना.

पैसे पाने और घूमने की वजह से मैं मम्मी को कुछ नहीं बताता था लेकिन देखता सब था … और मुझे पता भी था कि क्या हो रहा है.

इससे पहले दीदी को गर्म करके हम लोग (मैं और छोटा भाई) चोद देते थे.
दीदी नानुकुर करतीं तब भी हम दोनों उन्हें चूत में दो मिनट उंगली कर देते और चूत जब गीली हो जाती, तो समझो काम हो गया.
इसके बाद दीदी खुद लंड के ऊपर चढ़ कर हम लोगों के लंड को बारी बारी से चूत के अन्दर ले लेती थीं और चुदाई शुरू हो जाती.

इसलिए मैं कह रहा हूँ कि मेरी दीदी बहुत बड़ी चुदक्कड़ हैं, उनको चोदना बहुत आसान है.

तो कहानी कुछ ऐसी है कि हम लोगों को एक पूजा करवानी थी और उधर ही रुकना भी था.
पापा के एक दोस्त के यहां रुकना तय हुआ था.

हम लोग सब तय करके अपनी कार से बाराबंकी के लिए निकल गए.
एक घंटे में बाराबंकी पहुंच गए.

पापा ने उधर दोस्त के घर न रुक कर एक होटल में दो सिंगल बेड वाला रूम ले लिया और हम लोगों से बोले- मुझे कुछ काम है. मैं अभी आऊंगा, तब चलेंगे. तुम दोनों को जो खाना हो, मंगवा कर खा लेना.

पापा चले गए.
उन्हें आते आते रात हो गयी.

जब वो आए, तब मुझे बाहर ले कर गए और बोले- रात में उठना मत. ये लो सौ रुपए रख लो.

उन्होंने मुझे सौ रूपए दे दिए.

फिर सब लोग नीचे रेस्तरां में गए.
उधर चिली पनीर और नॉन आदि खाया और रूम में चले आए.

उसके बाद पापा बोले- आज पंडित जी हैं नहीं … इसलिए पूजा कल होगी.

उस टाइम घर पर केवल एक ही फ़ोन था, वो पापा के पास था. उसी से बात की जा सकती थी. मम्मी से बात घर जाकर ही हो सकती थी.

मैं और पापा एक बेड पर और दीदी अलग बेड पर थीं. कमरे की लाइट जल रही थी और सब सोने लगे.

पापा को तो आज दीदी की चुदाई करनी थी, वो भी ढंग से … इसी लिए होटल में रुके थे, जिससे कोई डर न रहे.

मुझे तो पापा झांट बराबर भी नहीं समझते थे. वो जानते थे कि मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा इसलिए मुझे ही सब जगह दीदी के साथ ले जाते थे.

अब आधे घंटे बाद पापा उठे और दीदी के बेड पर चले गए और उनके बगल में लेट गए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
पापा दीदी का पेट सहलाने लगे.
ददी अभी सोई तो नहीं थीं लेकिन उन्होंने नाटक भी नहीं किया और पापा का साथ देने लगीं.
वो भी सेक्स का मजा लेने लगीं. वो पहले भी पापा से अपना जिस्म सहलवा चुकी थीं मगर उनकी पापा से चुदाई हुई थी या नहीं, मुझे ये नहीं मालूम था.

थोड़ी देर सहलाने के बाद दीदी गर्म हो गईं और मज़े लेने लगीं.

पापा ने दीदी की सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार नीचे सरका दी.
उसके बाद कमीज भी निकाल दिया.
अब दीदी केवल ब्रा और पैंटी में थीं जो मैं अपनी थोड़ी सी आंख खोल कर देख रहा था.

पापा ने दीदी की ब्रा पैंटी को भी निकाल दिया.
खुद तो केवल चड्डी बंडी में थे लेकिन दीदी को पूरी नंगी कर दिया जिससे उनकी चुचियां और बुर दिखाई देने लगी थीं.

पापा उनकी चुचियां पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगे.
दीदी को मीठा दर्द हो रहा था पर वो कुछ बोल नहीं रही थीं.

दीदी की चूचियां अभी बहुत बड़ी नहीं थीं … बस 28 इंच की रही होंगी.
उनकी बुर भी छोटी सी ही थी, उस पर काले काले छोटे छोटे बाल थे, जो उनकी गुलाबी चूत की शोभा बढ़ाते थे.

पापा ने थोड़ी देर चूचियों से खेला और उनको दबा दबा कर एकदम लाल कर दिया.
दीदी को मीठा दर्द हो रहा था जिसकी वजह से वो मादक सिसकारियां ले रही थीं- आह आह … उह पापा … बहुत दर्द हो रहा … प्लीज मत दबाओ.

पापा बोले- दबाएंगे नहीं, तो बढ़ेंगे कैसे मेरी रानी.

दीदी बहुत गोरी हैं, इसलिए उनकी चुचियों से ऐसा लग रहा था कि खून आ जाएगा.
दर्द के कारण उनकी आंखों में पानी आ गया और वो मादकता से सिसकने लगी थीं.

फिर पापा दीदी की चुचियों को छोड़ कर चूत के ऊपर आ गए और एक उंगली डाल कर आगे पीछे करने लगे.

चुत में मुँह लगा कर जीभ भी अन्दर डाल कर चाटने लगे जिससे दीदी को मज़ा आने लगा.
वो पापा के सर को पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगीं और गर्म सिसकारियां भरने लगीं- आह पापा उई … करते रहिए आह उई.

पापा की उंगली का मज़ा दीदी अपनी गांड उठा कर ले रही थीं और चूत चुसवा रही थीं.

फिर पापा ने दीदी की गांड के नीचे दो तकिया लगा कर दीदी को सैट कर दिया, जिससे दीदी की चूत ऊपर आ गयी और चूत के फांकें खुल गईं.

अब चुसाई और जोर से होने लगी.
दीदी तो ऐसे तड़प रही थीं, जैसे बिना पानी के मछली तड़फ रही हो.

उसके बाद पापा ने चूत से मुँह हटाया और लंड पर थोड़ी क्रीम और थूक लगाया और चूत पर सैट कर कर धीरे धीरे दबाने लगे.
पापा का लंड दीदी की चुत में नहीं जा रहा था.
तब पापा ने तकिया सही किया और उनके पैरों को और फैला दिया.

पापा फिर से अपने लंड को चूत पर दबाने लगे.

जैसे ही थोड़ा लंड अन्दर गया दीदी की जोर से चीख निकली- आंह पापा … बहुत दर्द हो रहा है.

पापा दीदी के दोनों हाथों को जोर से पकड़ कर मुँह में मुँह डाल कर फ्रेंच किस करने लगे जिससे आवाज़ बाहर न जाए पाए.

अब पापा अपने लंड को धीरे धीरे दबाने लगे.
दीदी छटपटाती हुई चिल्लाने की कोशिश कर रही थीं, दर्द से छटपटा रही थीं.
पर पापा को कोई फर्क नहीं पड़ा, वो धीरे धीरे लंड पेलते गए.

उनका लंबा और मोटा पूरा लंड चुत में चला गया.
अब पापा धीरे धीरे लंड आगे पीछे करने लगे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
अब दीदी के सहने की सीमा पार हो गयी थी, वो जोर जोर से चिल्लाने लगीं- पापा, प्लीज धीरे करो. जलन हो रही है … चूत में ऐसे लग रहा है कि नीचे से आग निकल रही हो .. पापा दर्द हो रहा है, प्लीज धीरे धीरे करो आह.

पापा का पूरा वजन उन पर था और वो अपने दोनों हाथों से दीदी की कमर को पकड़े हुए थे, जिसके कारण वो जोर नहीं लगा पा रही थीं.

दीदी पापा को गालियां देने लगीं- मादरचोद … भड़वे … साले … मैं रंडी नहीं हूं भोसड़ी के … मां चोद रहे हो अपनी भोसड़ी के … धीरे धीरे कर लो … समझ ही नहीं रहा है कुत्ता … तुमको तो अपनी बहन चुदवानी है भोसड़ी के … जो तेज़ पेल रहा है कमीने … रुक जा हरामी … अभी मेरी बुर बहुत छोटी है … आराम से चोद … आंह.

पापा पर कुछ असर नहीं हो रहा था. उन्होंने गोली ली हुई थी. ये उसी का कमाल था कि वो सांड की तरह अपने बेटी को चोद रहे थे.

दीदी तो इतनी देर में तीन बार झड़ चुकी थीं लेकिन पापा अभी लगे हुए थे.

कुछ देर बाद उन्होंने दीदी को पलट कर सीधा किया, तकिया हटाया और चूत पर लंड रख कर झटके से घुसा दिया.
फिर अपने पुराने अवतार में चुदाई शुरू कर दी.

दीदी चिल्ला रही थीं- साले धीरे चोद मादरचोद … मेरी चूत का भुर्ता बना देगा क्या आज … आंह आई उइ उइ मम्मी रे मर गई. आंह मम्मी कैसे झेलती हो इस सांड को … आंह.

करीब 15 मिनट पापा ने दीदी को और चोदा और उनकी चुत में ही डिस्चार्ज हो गए.
पापा झड़ कर लेट गए और सो गए.

इस तरह से बाप बेटी चुदाई हुई.

सुबह जब मैं उठा तो दीदी उठ चुकी थीं और फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चली गयी थीं.

लेकिन बाथरूम में कुंडी नहीं थी जिसके कारण पापा भी अन्दर घुस गए और चोदम चोदी हुई.
दीदी की कुछ आवाज नहीं आ रही थी और कुछ दिखायी भी नहीं दे रहा था.
सिर्फ ये पता है कि चुदाई हुई.

उसके बाद पापा दीदी के साथ नहा कर निकले और तैयार होकर कहीं चले गए.
जाते समय बोले- शाम को जब आएंगे … तब घर चलेंगे.

दीदी सही से नहीं चल पा रही थीं, वो लंगड़ा कर चल रही थीं.

मैंने पूछा- लंगड़ा क्यों रही हो?
दीदी बोलीं- रात में बाथरूम में गिर गयी थी.

मैं बोला- और जो चुदाई हुई रात में, जिसमें आप इतनी जोर जोर से चिल्ला रही थीं, वो क्या था?
दीदी का चेहरे पर मुस्कान आ गई.
वो बोलीं- तू तो सब जानता है. तुझे मेरी चुदाई का सब पता है, तुझसे क्या छुपाना. चल तू भी आ जा.

ये बोल कर दीदी ने अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया.
उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी.

दीदी की चूत एकदम गोरी और लाल थी और फुलके की तरह फूल कर सूज गयी थी.
एकदम पाव रोटी सी लग रही थी.

मैंने भी दीदी की चुत में मुँह लगा दिया और थोड़ी देर चूस कर मजा लिया.

उसके बाद दीदी ने मुझे लिटा दिया और मेरे लंड पर चूत रगड़ने लगीं.
मेरे लंड ने दीदी की चुत में घुस कर मुआयना किया.

थोड़ी देर में मेरा पानी निकल गया और दीदी का भी.
उसके बाद हमने खाना मंगवाया और बातें करने लगे.

दीदी बोलीं- मम्मी को मत बताना.
मैंने कहा- आज तक कभी बताया है … अगर तुम्हारी चुदाई की कहानी मम्मी को बताऊं, तो पूरी एक किताब छप जाएगी.

दीदी हंसने लगीं और मुझे अपनी बांहों में लेकर बिस्तर पर लेट गईं.
मैं फिर से अपनी दीदी की चुत चुदाई में लग गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
(20-06-2022, 11:59 AM)neerathemall Wrote:
पापा ने दीदी को मेरे सामने चोदा

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
Ok cool
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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