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Adultery भाभी को प्यार से चोदा
#1
भाभी को प्यार से चोदा

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
एक बन्दा मेरा बहुत अच्छा दोस्त है, उसका नाम सोनू है. मेरा उसके घर आना जाना इतना अधिक हो गया था, समझो कि मैं उसके घर का ही सदस्य बन गया होऊं.

ऐसे ही एक दिन में सोनू के घर गया था, तो थोड़ी देर बाद हम सब इकट्ठे बैठे हुए थे. गप्प सड़ाका होने लगा. उधर बात होने लगी थी कि एक पार्टी का कार्ड आया है, कौन कौन चलेगा. बातचीत के बाद हम दोनों का पार्टी में जाना पक्का हो गया.

पार्टी वाला दिन आ गया था. उस दिन हम रात के 9 बजे पार्टी में गए.

सोनू मुझसे बोला- यार, यहां तो बहुत सारे माल दिख रहे हैं.
मैंने कहा- इतने सारे माल दिख रहे हैं, तो फिर देर क्यों करता है … पटा ले किसी को.
सोनू बोला- देखता हूँ … पहले कोई पटे तो सही यार.
मैंने कहा- ठीक है तू माल पटा … मैं खाना खाने जा रहा हूँ.
वो बोला- ठीक है तू जा.

उसके इतना बोलते ही मैं खाना खाने चला गया. मैं भी इतनी सारी लड़कियों और भाभियों को देख कर पगला गया था. मेरा भी मन होने लगा कि बहुत दिन से मेरे लंड ने चूत का स्वाद नहीं चखा … साली कोई लंड का शिकार बन जाए, तो मजा आ जाए.

जहां पार्टी का इंतजाम किया था, वहां कई रूम भी थे. मेरी नजरें बहुत सेक्सी सेक्सी लड़कियों को देख रही थीं कि तभी अचानक मेरी नजर एक भाभी पर पड़ी.

उसी समय किसी ने उन्हें उनके नाम से पुकारा, तो मैंने जान लिया कि उन भाभी का नाम स्नेहा है. स्नेहा भाभी दिखने में एकदम सेक्सी, हॉट और गोरी चिट्टी थीं. उस दिन उन्होंने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी. भाभी को देखने से ऐसा लग रहा था कि उनकी शादी हुए अभी ज्यादा टाइम नहीं हुआ था.

स्नेहा भाभी को देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. अब मैं जानबूझ कर उनके पास हो गया. शायद वो अपने पति के साथ आई थीं और उनका पति दारू पीने में कहीं मस्त था.

मैं भाभी के और पास हो गया. उधर जाकर मैंने एक गिलास पेप्सी ले ली और जहां स्नेहा भाभी खड़ी थीं, वहीं खड़ा हो गया. मैंने इधर उधर देखा और किसी को अपनी तरफ न देखते हुए, मैंने अपना गिलास थोड़ा टेढ़ा करते हुए उनके ऊपर गिरा दिया.

वो गुस्से से पीछे को मुड़ीं और मुझे गुस्से से देखने लगीं. जैसे ही वो कुछ बोलतीं, मैंने ‘सॉरी भाभी जी!’ बोल दिया.
सच में यार वो पास से और भी ज़्यादा सेक्सी और हॉट लग रही थीं. भाभी का फिगर यही कोई 34-30-36 का रहा होगा.

मेरे सॉरी बोलने पर वो एक मिनट में ही ठंडी हो गईं और हँस कर बोलीं- कोई बात नहीं.
भाभी मुझे नजर भर कर देखने लगीं.

उनकी नजरों का शिकार बनते ही मैं उनसे थोड़ा दूर होकर खड़ा हो गया. मगर मैं उनको देखे जा रहा था. उधर स्नेहा भाभी भी अपनी नजर घुमाकर मुझे ही बार बार देख रही थीं. शायद उन्हें ये लग रहा था कि मैं उन्हें नहीं देख रहा हूँ.

फिर स्नेहा भाभी पीछे की तरफ मुड़ीं, तो उनके पीछे मुड़ते उनकी अधनंगी दूध सी गोरी पीठ मेरी नजरों में गड़ गई. भाभी ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी. उनका मैचिंग का ब्लाउज भी बैकलैस था. मतलब नीचे सिर्फ एक इंच की पट्टी से सधा हुआ था.

उनकी नंगी पीठ से अपने आंखें सेंकने के बाद मेरी नजर नीचे सरकी और भाभी की गांड पर पड़ी. स्नेहा भाभी साड़ी भी टाइट पहने हुई थीं, जिससे उनके चूतड़ों का साइज साफ़ समझ आ रहा था.

भाभी की उठी हुई गांड देखकर मन तो हुआ कि अभी ही भाभी को किसी कमरे में ले जाकर इनकी जोरदार चुदाई कर दूँ. पर ये सब इतनी जल्दी सम्भव नहीं था.

फिर मैंने देखा कि स्नेहा गुलाब जामुन खाने जा रही हैं. मैं भी सोच रहा था कि भाभी से बात कैसे शुरू हो, सो मैं भी वहीं जा कर उनके बाजू में खड़ा हो गया.

मैंने जानबूझ कर स्नेहा भाभी को हैलो बोला.
स्नेहा भाभी ने भी स्माइल करते हुए कहा- हां जी बोलिए … मैं आपको नहीं जानती हूँ … आप कौन हैं?
मैंने कहा- अगेन सॉरी भाभी … वो पेप्सी आपके ऊपर गिर गई थी.
स्नेहा भाभी हंसते हुए बोलीं- कोई बात नहीं … शादी पार्टी में तो ये सब चलता रहता है.

मैंने छूटते ही बोला- वैसे एक बात कहूं?
स्नेहा भाभी बोलीं- हां जी बोलो?
मैंने कहा- वो पेप्सी तो गिरनी ही थी.
तो स्नेहा भाभी चौंकते हुए बोलीं- क्या मतलब?
मैंने कहा- जब आपके जैसी इतनी सुंदर भाभी सामने हो, तो ध्यान तो आप पर ही जाएगा न.
स्नेहा भाभी थोड़ा शर्माते हुए बोलीं- अच्छा जी.

मैंने कहा- हां जी भाभी जी … आपसे इतनी बात हो गई, पर आपने अपना नाम नहीं बताया.
स्नेहा भाभी बोलीं- मेरा नाम स्नेहा है.
मैंने कहा- ये जिनकी पार्टी हो रही है क्या आप उनकी रिश्तेदार हैं क्या?
स्नेहा भाभी बोलीं- नहीं, मैं अपने पति के दोस्त की पार्टी में आई हूँ.

इतने में कोई लड़की आई और वो स्नेहा भाभी से बात करने लगी. पर मैं उनकी नजरों के सामने ही थोड़ा पीछे खड़ा हो गया.

अब सीन ये था कि स्नेहा भाभी बात तो उस लड़की से कर रही थीं, पर उनकी नजरें मेरी नजरों से मिल रही थीं.

पता ही नहीं चला कि कब टाइम निकल गया और मेरा दोस्त मेरे पास आ गया.

अब मैं ये देखना चाहता था कि वो मुझे जाता हुआ देखती हैं या नहीं. मैं जानबूझ कर अपने दोस्त के साथ दूसरी तरफ जाने लगा.

फिर मैंने एकदम से पीछे देखा, तो स्नेहा भाभी की नजरें बस मेरे ऊपर ही थीं. मैं भी समझ गया कि अब इनसे मोबाइल नम्बर लेने का मौका आ गया है.

मैंने अपने दोस्त से कहा कि तू चल … मैं अभी आता हूं.

वो चला गया और मैं वापस स्नेहा भाभी के पास आ गया. स्नेहा भाभी अब भी मुझे ही देख रही थीं.

मैंने भाभी को इशारा करते हुए रूम की तरफ आने का कहा, तो उन्होंने सर हां में हिला दिया. मैं आगे बढ़ा और एक तरफ खड़ा हो गया.

थोड़ी देर में स्नेहा भाभी मेरे पास आईं और बोलीं- क्या हुआ … आपने मुझे क्यों बुलाया?
मैंने कहा- मुझे आपका नम्बर चाहिए.

मैं समझ रहा था कि भाभी कुछ सवाल करेंगी, पर उन्होंने देर ना करते हुए अपना नम्बर मुझे दे दिया. मैंने भी पलट कर अपना नम्बर दे दिया.
भाभी बोली- आप मुझे कॉल मत करना … मैं खुद कॉल करूँगी ओके.
मैं समझ गया कि भाभी की चुत मचल रही है.

इतने में भाभी के मोबाइल पर कोई कॉल आ रहा था.
वो मुझे देखते हुए चली गईं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
मैं भाभी का नम्बर सेव करते हुए सोच रहा था कि अभी शुरूआत में दोस्ती के नाम पर भाभी से एक लिपकिस मिल जाता, तो मजा ही आ जाता. पर मैंने जल्दी करना सही नहीं समझा.

मेरे मन में बस अब ये ही लगा था कि कैसे स्नेहा भाभी अकेले में मिलें और मैं उनकी खूब चुदाई करूं.

मेरी निगाहें अब भाभी की तरफ ही लग गई थीं. मैंने देखा कि वो अपने पति के साथ जा रही थीं और उनकी नजरें अभी भी मेरे ऊपर टिकी थीं. उनका पति भी अच्छा खासा स्मार्ट और मुझसे लंबा भी था. मुझे थोड़ी निराशा सी हुई कि शायद भाभी ने मुझे चूतिया न बनाया हो.

फिर कुछ टाइम बाद मैं भी अपने घर चला गया. अब बस मुझे स्नेहा भाभी का सेक्सी फिगर और उनकी टाईट साड़ी ही नजर आ रही थी. जिस लाल रंग की कसी हुई साड़ी में उनके मस्त उठे हुए चूतड़ और तने हुए चुचे मुझे झझकोर रहे थे. मुझे उनकी नंगी पीठ बार बार याद आ रही थी.

फिर मुझसे रहा नहीं गया और उसी टाइम मैंने लगातार 2 बारी मुठ मार कर खुद को शांत किया. मुठ मारने के बाद मैं कब सो गया, मुझे पता ही नहीं चला.

सुबह उठा, तो देखा कि व्हाट्सएप पर भाभी का हैलो का मैसेज आया हुआ था.
मैंने भी उनको रिप्लाई किया- हैलो भाभी जी … कैसी हो आप?
थोड़ी देर बाद भाभी का मैसेज आया- मैं ठीक हूँ … आप बताओ आप कैसे हो?
मैंने कहा- आपकी दुआ से मैं भी अच्छा हूँ.

भाभी ने एक हंसने का स्माइली भेजा.

मैंने पूछा- भाभी अभी आप क्या कर रही हो?
स्नेहा- वही … घर का काम.
मैं- वैसे आपके घर में कौन कौन है?
स्नेहा भाभी- मेरे घर में … मैं, मेरे पति और मेरी एक ननद है.
मैं- अच्छा जी … और सास ससुर या कोई देवर नहीं है आपका?
स्नेहा भाभी- देवर है, पर वो यहां नहीं है. मेरे सास ससुर गांव में रहते हैं.
मैं- आप लोग दिल्ली में कहां रहते हो?

स्नेहा भाभी ने अपना पता बताया कि यहां रहती हूं.

भाभी से उनके घर का पता जाना तो मैं खुश हो गया. स्नेहा भाभी का घर मेरे घर से यही कोई 15 किलोमीटर दूर ही था.

मैं- भाभी जी, आपकी शादी हुए ज्यादा टाइम तो नहीं हुआ होगा.
स्नेहा भाभी- हां मेरी शादी हुए अभी 8 महीने ही हुए हैं.
मैंने ‘हम्म..’ लिखा.

इतने में स्नेहा भाभी बोलीं- आप क्या करते हो?
मैंने कहा- मेरी अभी तो स्टडी चल रही है जी.
स्नेहा भाभी- क्या कर रहे हो स्टडी में?
मैं- बी.ए.

स्नेहा भाभी- तुम्हारी कोई जीएफ तो होगी ही?
मैं- हां भाभी थी, मगर उससे मिले बहुत टाइम हो गया है. वो मुझे पसंद नहीं आई थी.
स्नेहा भाभी बोलीं- आपको कैसी लड़की पसंद है?
मैं- मुझे तो बिल्कुल आपके जैसी चाहिए.
भाभी- हम्म.

मैं मजे लेने के लिए बोला- अगर आपकी शादी नहीं हुई होती, तो पक्का आपके पीछे पड़ जाता.
स्नेहा भाभी- अच्छा जी … वो क्यों?
मैंने कहा- इतनी सुंदर हॉट सेक्सी गर्लफ्रेंड सामने हो, तो कोई पागल ही होगा … जो आपके पीछे ना पड़े.
स्नेहा भाभी- अच्छा जी … मेरे पीछे पड़ कर क्या करोगे?
मैं- जो सब करते हैं.

स्नेहा भाभी- अच्छा जी … चलो कभी आपसे भी ठीक से बात होगी … बाय … अभी मुझे कुछ काम है, तो जब मैं मैसेज करूं … तभी आप करना ओके!
इतना बोल कर भाभी ऑफलाइन हो गईं.

ऐसे ही एक महीना बीत गया. अब हम दोनों बड़े अच्छे से खुल गए थे. अब हम दोनों सेक्स की बातें भी कर लेते थे.

एक दिन भाभी ने मुझसे कहा था- यार मेरी तुम्हारी उम्र में कोई ज्यादा फर्क नहीं है … तुम मुझे भाभी मत कहा करो.
मैंने हंस कर पूछा- तो क्या स्नेहा डार्लिंग कहने लगूं?
भाभी बोलीं- अभी स्नेहा तक ही रखो.

मैं समझ गया कि भाभी जब लंड ले लेंगी, तब से डार्लिंग या जानू कहलवाना पसंद करेंगी.

फिर मैंने एक दिन मैंने स्नेहा भाभी से बोला- यार अब कितना इन्तजार करवाओगी?
भाभी बोलीं- किस बात का इन्तजार है.
मैंने कहा- मुझे आम चूसना है … और मुझे आम मिल नहीं रहे हैं.
भाभी ने मैसेज में हंस कर दिखा दिया.

फिर इसी तरह की सेक्स की बातें करने के बाद और मेरे बहुत बार बोलने पर भाभी मुझसे मिलने के लिए तैयार हो गईं.
स्नेहा भाभी बोलीं- मेरे पास एक प्लान है, पर रूम तुमको ही देखना होगा और वो सेफ होना चाहिए ओके.
मैंने कहा- यार कमरे की चिंता तुम छोड़ दो … मैं सब इंतजाम कर लूंगा.

भाभी- और सुनो … मैंने अपने घर पर ये बोला है कि मेरे फ्रेंड की शादी है और मैं रात को वहीं रुकूँगी. अब तुमको देखना है कि रात में कहां चलना है ओके!
मैंने पूछा- क्या वाकयी आपके किसी फ्रेंड की शादी है?
भाभी- हां यार … पहले तो मैं अपनी फ्रेंड की शादी में ही जाऊंगी, फिर वहां से तुम मुझे लेने आ जाना ओके.
मैंने कहा- ठीक है.

शादी वाले दिन का मुझे इन्तजार था. उस दिन रात के 10 बज रहे थे. स्नेहा भाभी का कॉल आया- कहां हो? मुझे लेने आ जाओ.
मैं स्नेहा भाभी को लेने चला गया.
जैसे ही मैं उनकी सहेली के घर पहुंचा, तो मैंने भाभी को कॉल किया.

थोड़ी ही देर में स्नेहा भाभी बाहर आ गईं. आह … क्या लग रही थीं … मानो सामने कोई क़यामत हो. स्नेहा भाभी ने उन दिन नीले रंग का गाउन टाइप सूट पहना हुआ था. मैं तो उनको बस देखता ही रह गया.

इतने में स्नेहा भाभी मेरे करीब आईं और बोलीं- चलो … क्या देख रहे हो?
मैं तो बस उनको ऊपर से नीचे तक देखने में ही लगा हुआ था.
स्नेहा भाभी बोलीं- अब चलोगे भी या यही आँखों से ही अपना इन्तजार पूरा कर लोगे? अब जल्दी से चलो … यहां किसी ने देख लिया, तो प्रॉब्लम हो जाएगी.

मैं बाइक लाया था. वो बाइक पर पीछे बैठ गईं. जैसे ही भाभी मुझसे चिपक कर बैठीं … मेरा लंड सलामी देने लगा. मैंने भी देर ना करते हुए बाइक को स्पीड दे दी.

कुछ ही देर में मैंने रूम के पास बाइक लाकर खड़ी कर दी. ये रूम ऐसी जगह पर था कि कोई पूछने या देखने वाला ही नहीं था. ये मेरे दोस्त का घर था. वहां कोई रहता ही नहीं था. आस पास के घर भी थोड़ी दूर दूर थे, तो किसी बात की दिक्कत नहीं थी.

अब हम दोनों बाइक से उतर गए और मैंने ताला खोल दिया. हम दोनों रूम में आ गए.

मैं बोला- स्नेहा, कुण्डी लगा देना.

स्नेहा ने जैसे ही लॉक लगाया, मैंने उनको पीछे से ही पकड़ लिया. अगले ही पल मेरे दोनों हाथ उसके चूचों पर टिक गए थे और मैं भाभी की गर्दन को पागलों की तरह चूमने लगा.

स्नेहा कसमसाते हुए बोली- उन्हह … इतनी भी जल्दी क्या है … आराम से कर लेना.
मैंने कहा- जान मुझे कब से इस पल का इन्तजार रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
मैं स्नेहा भाभी को चूमने लगा. भाभी ने भी मुझे नहीं रोका और वो भी मेरे हाथों के स्पर्श का मजा लेने लगीं. भाभी से बात करते हुए मैं एक हाथ उनके चूतड़ों पर फेरते हुए भाभी की गांड को सहलाने लगा. पर स्नेहा का मुँह अभी भी दरवाजे की तरफ ओर था और उनकी पीठ मेरी तरफ थी.

मैंने दूसरे हाथ से भाभी के कुरते को कंधे से नीचे की तरफ सरका दिया, जिससे स्नेहा भाभी की गोरी पीठ दिखने लगी. उसी के साथ में मैं अपने लंड को भाभी की गांड से बाहर से ही रगड़ रहा था.

स्नेहा भाभी भी मस्त होना चालू हो गई थीं. मैं उनको चूमता ही जा रहा था. कभी मैं उनकी पीठ को चूमता, तो कभी उनकी गर्दन को.
भाभी सेक्स से भरी आहें भरते हुए बोलीं- गर्दन पर आराम से करो … निशान पड़ जाएगा.

पर मैं कहां सुनने वाला था. मुझे तो ऐसा लग रहा था … जैसे आज मुझे पहली बार कोई भाभी चोदने के लिए मिली हो. मैं बस भाभी से लगा हुआ था.

फिर मैंने स्नेहा भाभी को हल्का सा आगे की तरफ झुका दिया, जिससे उनकी गांड पीछे से ऊपर हो गई और मैंने पीछे से उनका सूट उठा दिया. भाभी की पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूसने ओर चाटने लगा.

ये सब करना स्नेहा भाभी को भी और मस्त कर रहा था. इधर मैं भी भाभी की चूत को पहली बार देखने के लिए बेताब था. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने भाभी की सलवार नीचे को सरका दिया. भाभी ने अन्दर नीले रंग की ही पैंटी पहनी हुई थी.

पहले तो मैंने भाभी की पैंटी में ही हाथ डाल कर उनकी चूत के दाने को मसला. दाने पर मेरी उंगलियों की हरकत महसूस करते ही स्नेहा भाभी ने मस्ती भरी आवाजें निकालना शुरू कर दी थीं. भाभी खड़ी थीं, तो मैं उनके लम्बे कुरते के अन्दर हाथ डाल कर चुत का मजा ले रहा था.

भाभी की गर्म सिसकारियों की आवाज से मुझसे रहा नहीं गया. मैंने भी देर न करते हुए उनकी पैंटी को बाहर निकाल दिया. आह भाभी की चूत एकदम साफ और गुलाबी रंगत लिए हुए थी. भाभी की चुत देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे अभी तक भाभी की चुत ने लंड का स्वाद ही नहीं चखा हो.

मैं देर न करते हुए जल्दी से नीचे हो गया और भाभी की चूत पर अपना मुँह रख कर जोर जोर से चुत चूसने और चाटने लगा. इससे स्नेहा भाभी की आवाज और भी ज्यादा तेज निकलने लगी थी. वो अब थोड़ी जोर से सिसकारियां भर रही थीं.

चूंकि भाभी की चुत भी गर्म हो चली थी, इसलिए मुझे उनकी चुत के टपकते पानी का स्वाद मिलने लगा था. भाभी की चूत से नमकीन पानी निकल रहा था. मैं बस आंखें बंद किए भाभी की चुत चाटने में लगा रहा.

कुछ देर ऐसे ही मैं कभी भाभी की चूत के दाने को चूसता, तो कभी चूत के अन्दर जीभ डाल कर चूसता. भाभी भी मस्ती भरी आहें भर रही थीं. उनकी सांसें अब कुछ ज्यादा ही भारी होने लगी थीं.

फिर मैंने उनको पकड़ कर घुमा दिया. भाभी का मुखड़ा अब मेरे मुँह के सामने था. हम दोनों एक दूसरे की आंखों में वासना से देख रहे थे.

भाभी से भी रहा नहीं गया. उन्होंने अपने होंठों को मेरे होंठों के हवाले कर दिया. मैं उनके होंठों का रसीला रसपान करने लगा. मुझे बहुत ही मजा आ रहा था. मैंने भाभी के होंठों को कभी काट लेता, तो कभी जोर जोर से चूसने लगता.

स्नेहा भाभी भी मेरा पूरा साथ दिए जा रही थीं. कम से कम वो लिपकिस हमने 5 से 7 मिनट तक किया होगा. जब मुझसे रहा नहीं जाता, तो मैं भाभी के होंठों को काट लेता.

कुछ ही देर में भाभी भी पूरी गर्म हो गई थीं और खुल कर मेरा साथ दे रही थीं. मैंने एक हाथ को स्नेहा भाभी के चूचों पर रखा और दूसरे हाथ से उनकी कमर को प्यार से सहलाने लगा. मैं भाभी के कुरते के अन्दर से ही हाथ डाला और उनके पेट को सहलाने लगा.

मैंने जैसे ही स्नेहा भाभी के कुरते को निकाला, तो देखा कि स्नेहा ने नीले रंग की ही ब्रा पहन रखी थी.

स्नेहा भाभी ने भी थोड़ी मस्त हो कर मेरी शर्ट भी उतार दी और जीन्स को भी निकाल दिया. अब बस मैं अंडरवियर में रहा गया था. स्नेहा भाभी नीचे बैठ कर मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थीं. मैं भी स्नेहा भाभी के चूचों से मजे लिए जा रहा था.

फिर मैंने स्नेहा भाभी को गोद में उठाया और बेड पर लेटा दिया. मैंने भाभी की ब्रा खोल दी और उनके चूचों को सहलाने लगा. मैं भाभी के एक दूध को होंठों से दबा कर चूसने लगा. दूध चुसवाते ही भाभी की कामुक सिसकारियाँ शुरू हो गईं. मैं थोड़ी जोर तक भाभी के एक चुचे को दबाता रहा … और दूसरे आम को मुँह में लेकर चूसता रहा.

इस दौरान स्नेहा भाभी की मदमस्त आवाजें मेरे कान में गूंजती रही थी- आऊऊ … ओह्ह्ह … उम्मम्म … यस यश बेबी … आह ऐसे ही चूसो … आआहह.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
फिर मैं स्नेहा भाभी की कमर में किस करने लगा और हाथ को प्यार से उनकी कमर पर सहलाने लगा, जिससे स्नेहा भाभी को और भी मजा आने लगा था.

इसके बाद मैं थोड़ा नीचे को सरका और भाभी की नाभि पर किस करने लगा. भाभी मस्ती से आवाजें निकल रही थीं वो भी मेरे ऊपर ही झुक गई थीं.

तभी स्नेहा भाभी ने हाथ बढ़ा कर मेरे लंड को पकड़ा और मुझे लेटने पर मजबूर कर दिया. भाभी लंड जोर जोर से चूसने लगीं.

तब हम दोनों ने 69 का पोज़ किया. स्नेहा भाभी मेरे ऊपर लेट गईं … और वो मेरे लंड को चूस रही थीं. मैं भाभी की चूत को चाट रहा था, चूस रहा था. इस पोज़ में दोनों को बहुत मजा आया. हम दोनों ही एक दूसरे को प्यार कर रहे थे.

जब मैं स्नेहा भाभी की चूत चाट रहा था, तो उनकी मादक आवाजें उनके मुँह में ही रह जाती थीं … क्योंकि मैं भाभी की चूत को बड़ी तन्मयता से चाट रहा था. वो भी मेरे लंड को चूसे जा रही थीं. मेरा पूरा लंड भाभी के मुँह में ही था, तो आवाज उनके मुँह में ही दब कर रह जाती थीं.

इसी बीच मैंने स्नेहा भाभी की चूत में एक उंगली कर दी और अन्दर बाहर करने लगा. उधर स्नेहा भाभी ने मुँह में से लंड निकाल लिया था, तो अब उनकी मीठी सिसकारियां सुनाई देने लगी थीं. मैं भाभी की कराहें सुनता, तो और जोर-जोर से उंगली को चूत के अन्दर बाहर करने लगता. जिससे स्नेहा भाभी को और भी ज्यादा मजा आ रहा था.

भाभी की चूत काफी गीली भी हो गई थी और मेरा लंड भी तैयार हो चुका था. पर मैंने सोचा क्यों न भाभी को थोड़ा और तड़पाया जाए. जबकि स्नेहा भाभी की चूत बहुत गीली हो चुकी थी.

मैं जैसे ही फिर से भाभी की चूत को सहलाने लगा, तो स्नेहा भाभी की चुदासी सिसकारियां और तेजी से निकलने लगी ‘आआहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… अब मत सताओ.’

मगर मैंने भाभी की बात को अनसुना कर दिया और उनकी चूत के दाने को मींजने लगा. इससे भाभी को और मजा आने लगा था और भाभी ने अपनी दोनों टांगें पूरी तरह से फैला कर मेरे मुँह पर लगा दी थीं. भाभी के मुँह से लगातार ‘आआह … उम्…’ की आवाजें निकल रही थीं.

इतना सब करने से मेरी भी हालत खराब हो रही थी. मेरा लंड भी कब से स्नेहा भाभी की चूत में जाने को बेकरार हो रहा था.

फिर मैंने स्नेहा भाभी की चूत में 2 उंगलियां डालीं.
भाभी- आआह्हह … मत सताओ राजा.
मैं अब भी जंगलियों की तरह भाभी की चूत में उंगली अन्दर बाहर कर रहा था.

कुछ पल बाद मैंने स्नेहा भाभी को पीठ के बल लेटा दिया और उनकी दोनों टांगों के बीच में आ गया. भाभी और मैं बहुत गर्म हो गए थे. मैं अपना लंड भाभी की चूत पर रगड़ने लगा. लंड के गर्म सुपारे के अहसास से भाभी को बहुत मजा आ रहा था.

वो लंड के टच से और भी पागल सी हो रही थीं और बार बार बोले जा रही थीं- आह मत सताओ … प्लीज़ अब डाल भी दो अपना लंड.
मैंने भाभी की चूत पर लंड को रखा और हल्के से धक्का दे दिया. स्नेहा ‘आआह्ह …’ की आवाज ने मेरे जोश को बल दे दिया.

मुझे लंड पेलते हुए ही समझ आ गया था कि स्नेहा भाभी की चूत अब भी बहुत टाइट है.
मैंने पूछा- जान, कितने दिनों से चुदाई नहीं हुई तुम्हारी?
स्नेहा भाभी बोलीं- क्यों क्या हुआ है … एक हफ्ता तो हुआ है.
मैं समझ गया कि भाभी की चुत तभी टाइट है. मैंने कहा- कोई गल नहीं जान … मैं तुम्हारी चूत को अभी ढीली और खुली कर दूंगा.

मैंने भाभी की चूत पर थूक लगाया और फिर से चूत में अपना लंड रखकर धक्का दे दिया.
भाभी ‘आआह्ह … ऊऊह..’ करते हुए गांड हिलाने लगीं.

सच में अभी भी भाभी की चूत टाइट थी. मैंने स्नेहा भाभी को जोर से पकड़ा और फिर से धक्का दे दिया. इस बार मेरा आधा लंड भाभी की चूत में चला गया.

स्नेहा भाभी हिलने लगी थीं. वो दर्द से हिल रही थीं. मैंने जल्द ही थोड़ी जोर से धक्का दिया जिससे स्नेहा भाभी की चीख निकल गई- आआहह … मर गई … बहुत मोटा है.
भाभी को मेरे मोटे लंड से दर्द हो रहा था इसलिए वो कसमसा रही थीं.

मैंने उन्हें जोर से पकड़े रखा और उनके चूचों को दबाने लगा. मैं एक हाथ से भाभी की पीठ सहलाने लगा. कुछ ही देर में स्नेहा भाभी अब अपनी गांड को पीछे करने लगीं. मैं समझ गया कि अब ये ठीक हो गई हैं. अब मैंने भी धीरे धीरे से धक्का देना शुरू कर दिया.

कुछ ही देर ऐसे ही करते हुए मैंने अपनी स्पीड थोड़ी तेज कर दी. इससे स्नेहा भाभी की सिसकारियां निकलने लगीं- ओओह … ह्ह्ह्ह्हा …

क्या बताऊँ दोस्तो, मैं इस बार इतनी सेक्सी भाभी की चुदाई कर रहा था कि लंड को तृप्ति मिल गई थी.

कुछ ही धक्कों के बाद स्नेहा भाभी भी जोर जोर से अपनी गांड को पीछे करने लगी थीं.

अब मैंने उनके दोनों हाथों को पकड़ा और अपनी स्पीड बढ़ा दी. भाभी की चूत पूरी तरह से पानी पानी हो गई थी. इससे मुझे भाभी की चुदाई करने में और भी ज्यादा मजा आ रहा था. मैं और जोर जोर से स्नेहा की चुदाई करने लगा.

पूरे रूम में बस भाभी की सेक्सी सिसकारियां ही गूंज रही थीं- आह … ऊऊओहह … यश … ऊऊह्ह … जान … और जोर से … ऊऊह्ह् चोदो मुझे … ऊऊओह … मजा आ गया.
मैं भी रुका नहीं … और जल्दी ही जोर जोर से भाभी की चूत की चुदाई करने लगा. भाभी तो जैसे पागल ही रही थीं और जोर जोर से सिसकारियां ले रही थीं.

करीब 5 मिनट ऐसे ही चोदने के बाद मैं पीठ के बल लेट गया और भाभी मेरे लंड के ऊपर बैठने लगीं. उन्होंने अपनी दोनों टांगों को फैला लिया और मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में फंसा लिया. लंड लेने के बाद भाभी ऊपर नीचे होने लगीं.

इस पोज में मुझे भी थोड़ा आराम मिल रहा था और भाभी भी कुछ ही देर में जोर जोर से ऊपर नीचे होने लगीं. स्नेहा भाभी पूरे जोश में चीखते चिल्लाते हुए लंड पर ऊपर नीचे हो रही थीं. जब भाभी उछलतीं, तो उनके चुचे जोर जोर से हिलते थे.

मैंने ये देख कर भाभी को अपनी तरफ झुका लिया और उनकी गांड को हाथ से ऊपर करके भाभी की चूत को चोदने लगा. इसी के साथ भाभी के मम्मे मेरे मुँह पर हमला करने लगे थे. मैं बार बार भाभी के चूचों के निप्पल दबा कर चूसता और हर बार भाभी का दूध मेरी पकड़ से छूट जाता.

भाभी- आउह्ह … यश … स्सस्स … पूरा लंड अन्दर तक जा रहा है.

इस बीच मैं भी उनकी चूची को जोर से दबा कर चूसने लगा था.

कुछ देर बाद मैं रुका और मैंने भाभी को घोड़ी बना कर पीछे से उनकी कमर पकड़ कर खड़ा हो गया. मुझे भाभी की गांड इतनी मस्त लग रही थी कि बस पूछो मत. मुझे भाभी की गोरी गोरी गांड को देख कर और भी जोश आ रहा था.

मैंने फिर से भाभी की चूत पर लंड रखा और एक जोर के धक्के में आधे से ज्यादा लंड चूत में पेल दिया. भाभी चीखीं पर अगले ही पल उन्होंने लंड लील लिया था. मैं भी लंड को अन्दर बाहर करने लगा और भाभी की चुदाई जोर जोर से करने लगा.

स्नेहा भाभी की आवाज पूरे रूम में गूंज रही थी- ऊऊहह … उम् … ऊओह्ह … आह चोदो और जोर जोर से!

कुछ ही देर ऐसे चुदाई करने के बाद मैंने भाभी को बेड पर वापस पेट के बल लेटा दिया और मैं भी पेट के बल ही भाभी के ऊपर चढ़ गया. मैंने भाभी की चूत में फिर से लंड को डाला और जोर जोर से चुदाई करने लगा.

स्नेहा भाभी और मेरी, हम दोनों की आवाजों से रूम में मदहोश कर देने वाली आवाजें गूंज रही थीं.

मैंने काफी देर तक भाभी की चुदाई करना जारी रखा.

कुछ देर में स्नेहा भाभी बोलीं- आह यश … मेरा होने वाला है.
मैंने कहा- हां जान … मेरा भी बस आने वाला है, किधर लोगी … अन्दर या बाहर?
स्नेहा भाभी बोलीं- तेरी मर्जी है.

मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी और पूरी जोर से स्नेहा भाभी की चुदाई करने लगा.

इतने में स्नेहा भाभी ने ‘आआह्हह्ह … मैं गई..’ कहते हुए अपना पानी निकाल दिया. मैं अभी भी जोर जोर से स्नेहा की चुदाई कर रहा था. अगले कुछ ही पल में मेरा भी पानी निकल गया और मैंने सारा माल भाभी की गांड पर बाहर निकाल दिया.

मैं झड़ कर भाभी के साथ ही लेट गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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