Thread Rating:
  • 5 Vote(s) - 2.2 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery सगी भाभी का दूध
#1
सगी भाभी का दूध


















fight

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
असल में पुणे के एक गांव का रहने वाला हूँ. मेरे परिवार में मैं, भाई-भाभी और मां-पिताजी हैं.
मेरे भाई की शादी 2 साल पहले हुई थी और वो पुणे में ही एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करते हैं.
भाभी हाउसवाइफ हैं … वो घर में ही रहती हैं.
उन्हें एक बच्चा है जो अभी 9 महीने का हुआ है. भाभी दुधारू हैं और वो अपने बच्चे को दूध पिलाती हैं.
मैं भी डेढ़ साल पहले सरकारी नौकरी में लग गया था इसलिए हमने पुणे में फ्लैट लेने की सोची.
काफी देखने के बाद हम सभी ने एक फ्लैट ले लिया.
मैं, भाई-भाभी और भाई का 9 महीने का बेटा वेदांत पुणे के अपने फ्लैट में रहने चले आए.
यहां शिफ्ट होने के बाद मेरी भाभी की कई सहेलियां बन गई थी जो फ्लैट पर आती जाती रहती थीं.
उनमें से एक बंगालन भाभी थीं, जिनकी हमेशा मुझ पर नजर गड़ी रहती थी.
मेरी दिनचर्या कुछ ऐसी थी. सुबह 4 बजे उठना, फिर सबसे पहले घर पर ही योग करना और दौड़ लगाने निकल जाना.
सुबह की सैर के बाद घर पर 5:30 बजे तक आ जाता हूँ.
फिर बाकी के सारे काम कने के बाद नहाना.
नहाते समय मेरी आदत है, मैं नंगा होकर नहाता हूँ. मतलब चड्डी भी उतार कर कायदे से लंड को मल मल कर साफ़ करके नहाता हूँ.
चूंकि इस नए फ्लैट में मेरा अलग से अपना बाथरूम है तो कोई दिक्कत नहीं रहती.
रात को सोते समय भी कभी कभी मैं नंगा ही सो जाता था.
उधर भाभी सुबह 6:30 बजे उठती हैं और भाई तो आराम से 9 बजे तक उठते हैं. सॉफ्टवेयर इंजीनियर जो ठहरे, तो उन्हें काम भी बहुत ज्यादा रहता है.
आठ बजे तक भाभी मुझे नाश्ता करा देती हैं और मैं 9 बजे काम पर चला जाता हूँ.
भाई अपने ऑफिस 11 बजे तक निकल जाते हैं.
दिन भर भाभी घर पर ही अकेली अपने बच्चे के साथ रहती हैं.
मैं लंच साथ में नहीं ले जाता हूँ इसलिए दोपहर एक बजे खाना खाने सीधे घर पर आ जाता हूँ.
लंच करके मैं 2 बजे वापस अपने ऑफिस चला जाता हूँ. फिर 6 बजे अपने घर वापस आता हूँ.
घर आने के बाद मैं फिर दो घंटे के लिए खेलने चला जाता हूँ और लौटने के बाद एक बार फिर से नंगा होकर नहाता हूँ.
फिर रात का खाना खाकर 9:30 बजे तक सो जाता हूँ. ये मेरा रोज का टाईम टेबल है.
एक बार कंपनी के काम के कारण भैया को पूरे एक महीने के लिए अमेरिका जाना था इसलिए उन्होंने मुझे भाभी का ख्याल रखने को कहा और वो निकल गए.
पहले 5-6 दिन तो ऐसे ही गुजर गए.
एक दिन मैं काम से लौटकर खेलने चला गया.
उस दिन बहुत थक गया था आते ही मैंने नहा लिया और ऐसे ही बिना कपड़ों के बेड पर लेट गया.
मैं पूरा नंगा था और ज्यादा थक जाने के कारण कब मेरी नींद लग गयी, पता ही नहीं चला.
जब खाने का समय हुआ तो मेरे ना आने के कारण भाभी मुझे आवाज लगाती हुई मेरे कमरे में आ गईं.
उन्होंने कमरे में घुसने से पहले शायद नॉक किया होगा लेकिन मेरे गहरी नींद में सो जाने के कारण मुझे पता नहीं चला.
भाभी कमरे में अन्दर आ गईं और उन्होंने मुझे हिलाकर जगाया.
मैं जग तो गया लेकिन आधी नींद में था.
भाभी ने कहा- चलो खाना खाने का टाईम हो गया है.
मैं उठ कर ऐसे ही नंगा चल दिया.
ये देखकर भाभी अपनी हंसी रोक ही नहीं पाईं और जोर जोर हंसने लगीं.
मुझे कुछ समझ नहीं आया कि भाभी क्यों हंस रही हैं. हालांकि अब तक मैं नींद से पूरी तरह बाहर आ गया था.
तब भी मुझे अपने नंगे होने का अहसास नहीं था.
मैंने भाभी से पूछा- क्या हुआ … आप हंस क्यों रही हो?
भाभी ने अपनी हंसी को रोकने की कोशिश करती हुई इशारे से अपनी उंगली मेरे लंड की तरफ की.
जैसे ही मैंने नीचे देखा, मुझे सारा मामला समझ आ गया और मैं अपने हाथों से अपना नंगा लंड ढांपने की कोशिश करने लगा.
ये देख कर हॉट भाभी को और जोर से हंसी आ गयी.
मुझे भी बहुत लज्जा महसूस हुई.
इसके बाद भाभी बोलीं- शर्माओ मत … मैंने तुम्हें ऐसा पहली बार नहीं देखा है, कई बार देखा है. अब चलो खाना खाने, चाहे तो ऐसे ही चलो.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 2 users Like neerathemall's post
Like Reply
#3
उनकी बात सुनकर मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि भाभी ने पहले मुझे कब नंगा देख लिया था.
मैं तो अपने कमरे में कुंडी लगा कर सोता हूँ; आज ही कुंडी नहीं लगा पाई थी.
खैर … मैं वापस कमरे में आया और कपड़े पहनकर खाना खाने आ गया.
भाभी ने मुझे खाना परोसा, पर मैं शर्म के मारे भाभी की तरफ देख ही नहीं पा रहा था.
ऐसे ही मैंने जल्दी जल्दी खाना खा लिया और वापस अपने कमरे में सोने जाने लगा.
तभी भाभी ने मुझे रोक लिया और कहने लगीं- इतना क्यों शर्मा रहे हो?
मैं- भाभी मुझे माफ कर दो, थकने के कारण मैं कब सो गया … मुझे पता ही नहीं चला और आपको मुझे ऐसे जगाना पड़ा!
भाभी- कोई बात नहीं रोहित … इतना मत शर्मिंदा हो … वैसे भी मैंने तुम्हें कई बार ऐसे देखा है.
मैं- पहले कब देख लिया भाभी … मैं तो आज ही …
भाभी मेरी बात को काटती हुई बोलीं- नहीं रोहित आज ही नहीं, तुम रोज ऐसे ही बिना कपड़ों के सो जाते हो. मैं सही बोल रही हूँ ना?
मैं शर्म के मारे में बस चुप ही रहा और सोच रहा था कि भाभी को ये सब कैसे पता चला.
भाभी- क्या सोच रहे हो?
मैं- नहीं भाभी में ऐसे नहीं सोता.
भाभी- पक्का ना!
मैं- हां भाभी.
भाभी- अच्छा ये देखो … मेरे मोबाइल में क्या है!
मैं- हां भाभी देखता हूँ लेकिन आपने मुझे माफ तो किया ना!
भाभी- हां रोहित, माफ किया. अब पहले ये देखो … और वैसे भी बिना कपड़ों के नींद अच्छी आती है.
उनके मुँह से मैं ये सब सुनकर एकदम से सहम सा गया था.
भाभी- अच्छा जाने दो, पहले इसे देखो … फिर तुम भी समझ जाओगे.
फिर जैसे ही मैंने मोबाइल में देखा, मैं तो देखता ही रह गया.
मुझे लगा मानो आज मेरी शामत सी आ गयी हो.
भाभी- अब समझे, तुम रोज नंगे ही सोते हो, अब तो भाभी से झूठ मत बोलो.
मैं- भाभी पर आपने मेरा नंगे सोते हुए की वीडियो क्यों बना ली?
भाभी- ताकि तुम सच बोल सको.
मैं- भाभी मुझे माफ कर दो, मैं फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा.
भाभी- ठीक है शर्माओ मत.
मैं- भाभी एक बात बताओ, आपने वीडियो कैसी निकाली, मैं तो दरवाजा बन्द करके सोता हूँ!
भाभी- तुम्हारे दरवाजे का लॉक खराब है, वो अन्दर से बन्द तो होता है, लेकिन बाहर से धक्का देने पर खुल जाता है.
मैं शर्माकर बोला- भाभी, ये आपने ठीक नहीं किया.
भाभी- क्यों … आप तो मेरे देवर हो, मुझसे क्या शर्माना. भाभी को देवर को सताने का हक होता है मिस्टर.
उसके बाद हम दोनों ने काफी देर तक बातें की. अब मैं अपनी भाभी से बहुत खुल गया था.
मैं- भाभी तो एक बात बताओ … अगर मैं रोज बिना कपड़ों के आपके सामने आऊं तो?
भाभी- तो क्या … मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है, हां बस उस समय आना जब मैं अकेली होऊं. जब मैं किसी और मेरे साथ होऊं और उस समय तुम मेरे सामने नंगे आए … तो नहीं चलेगा.
मैं- ठीक है, क्या आप मेरे सामने बिना कपड़े आओगी!
भाभी- बदमाश कहीं का … मैं तुम्हारी भाभी हूँ, कोई भाभी से ऐसे बात करता है क्या?
मैं- क्यों भाभी देवर का रिश्ता होता ही ऐसा है. अभी आपने ही तो कहा था.
भाभी- अच्छा जी … मेरी जूती मेरे ही सर … हा हा हा …
मैं- ओके भाभी अब मैं सोने जा रहा हूँ.
भाभी- ठीक है जाओ.
मैं- पहले मेरा वीडियो तो डिलीट कर दो.
भाभी- पहले बोलो कि मेरे सब काम करोगे!
मैं- हां भाभी, वादा है मैं आपके सब काम करूंगा.
भाभी- ओके … लो ये तुम्हारा वीडियो डिलीट कर दिया.
मैं- थैंक्स भाभी, अब मैं सोने जा रहा हूँ.
भाभी- ठीक है … और अब बिना कपड़े के सोओगे … तो भी कोई प्रॉब्लम नहीं है. बिंदास नंग-धड़ंग सो जाओ.
मैं- भाभी, क्या मैं आज आपके कमरे में सो जाऊं!
भाभी- ठीक है … आ जाओ. रात में जब वेदांत जाग जाए तो उसे भी सम्भाल लेना.
मैंने हां कह दी और मैं भाभी के कमरे में ही लेट गया.
भाभी अपने काम में लग गईं.
फिर जब भाभी कमरे में आईं तो मैं बेड पर पसर कर लेटा था. मैं अभी जाग रहा था और वेदांत के साथ खेल रहा था.
भाभी ने कमरे में आते ही पूछा- क्यों रोहित … आज बिना कपड़ों के नहीं सोओगे क्या?
मैं हंस कर बोला- क्या भाभी … आप भी सता रही हो.
भाभी- अरे मैं सच में पूछ रही हूँ यार.
मैं- पक्का भाभी … मेरे नंगे सोने से आपको कोई दिक्कत तो नहीं होगी ना!
भाभी- नहीं रे … तू बिंदास नंगा सो जा … मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी.
मैं- ओके भाभी.
फिर मैं अपने सार कपड़े निकालकर सो गया. करीब रात के एक बजे होंगे, मेरी नींद खुल गयी.
मैंने देखा भाभी बेड पर करवटें बदल रही थीं, उन्हें शायद कोई दिक्कत थी.
मैंने पूछा- क्या हुआ भाभी … आप अब तक सोयी नहीं!
भाभी- कुछ नहीं … तुम सो जाओ.
मैं- आपको कोई दिक्कत है भाभी … मुझे बताओ, ताकि मैं आपकी कुछ मदद कर सकूं.
भाभी- अच्छा … सुनो मुझे थोड़ी दिक्कत है और तुम मेरी मदद कर सकते हो.
मैं- हां भाभी बोलो. क्या करना है.
भाभी- बात ऐसी है कि अब वेदांत बाहर का खाना भी खाने लगा है इसलिए वो अब कम दूध पीता है. इसलिए मेरा दूध भरता जा रहा है, इससे मुझे मेरी छाती में दर्द हो रहा है. उसे बाहर निकालना पड़ेगा … तभी मैं सो पाऊंगी.
मैं- तो भाभी … मैं क्या कर सकता हूँ?
भाभी- तुम मेरा दूध पी लो.
मैं- भाभी आप ये क्या बोल रही हो, आप मेरी भाभी हो! मैं आपका दूध कैसे पी सकता हूँ?
भाभी- तुम मेरे देवर हो … इसी लिए तो मैं तुम्हें दूध पिलाने की सोच रही हूँ. तुम प्लीज मेरे दोनों निप्पल चूस कर दूध पी लो … मुझे बहुत दर्द हो रहा है और मैं अपने हाथों से दूध दबा दबा कर थक गयी हूँ.
मैं- सॉरी भाभी … मैं ये नहीं कर सकता. मुझे माफ कर दो.
भाभी- रोहित ऐसा मत करो, प्लीज पी लो ना!
मैं- भाभी ये पाप है, मैं ऐसा नहीं कर सकता हूँ.
भाभी- अरे इसमें कोई पाप नहीं है.
मैं बिना कुछ बोले अपने रूम में चला गया.
भाभी- रोहित सुनो तो … रोहित.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 2 users Like neerathemall's post
Like Reply
#4
मैं अपने कमरे में जाकर सो गया. ऐसे ही सुबह हो गयी और मैं नाश्ता करके अपने ऑफिस निकल गया.
दोपहर एक बजे में फिर से खाना खाने घर चला आया और आकर देखा तो बंगालन भाभी मेरे घर पर आ गयी थीं. वो मेरी भाभी से कुछ बातें कर रही थीं.

मैं- भाभी मुझे भूख लगी है … प्लीज मुझे खाना दे दो.
बंगालन भाभी- कितने स्वार्थी हो तुम रोहित!

मैं- क्या हुआ भाभी … मैंने क्या किया!
बंगालन भाभी- तुम्हें जरा भी शर्म नहीं आती … जब भूख लगी तो भाभी याद आ गयी और जब तेरी भाभी दिक्कत में है, तो तू उसकी मदद करने के बजाए उसे छोड़कर चला गया. ऐसा क्या गलत कह दिया था तेरी भाभी ने … यही ना कि उनका दूध पी ले!

मैं- भाभी, पर ये पाप है.
बंगालन भाभी- कैसा पाप, हमारे यहां जब बच्चा होने के बाद दूध जल्दी नहीं निकलता है … तब देवर को बुलाकर भाभी के दूध चूसने को बोला जाता है, ये कोई पाप नहीं है.

उनकी बात सुनकर मैं सोचने लगा कि क्या बंगालन भाभी सही कह रही हैं. मुझे न जाने क्यों ऐसा लग रहा था कि अपनी सगी भाभी के साथ ऐसा करना एक पाप होगा. मैं अपने भाई के साथ दगा करूंगा.

मुझे सोचते देख कर बंगालन भाभी मेरे करीब आ गईं और मेरे गाल पर चूमती हुई बोलीं- क्या सोच रहे हो मेरे भोले देवर जी!

बंगालन भाभी ने जैसे ही मेरे गाल पर चुम्मी ली, मैं एकदम से हड़बड़ा गया.

फिर बंगालन भाभी से दूर होकर मैंने कहा- भाभी, आप ये क्या कर रही हैं?
बंगालन भाभी ने इठला कर कहा- अभी तो सिर्फ चुम्मी ली है रोहित … यदि मेरा बस चले … तो मैं तुझे कच्चा ही खा जाऊं.

मैं बंगालन भाभी की इस अदा को देख कर एकदम से गर्मा गया.
मेरा मन तो हुआ कि उन्हें पकड़ कर अभी के अभी चोद दूं … पर वो मुझे मेरे लिए एक आसान शिकार लगीं … तो मैं चुप रह गया.

अब बंगालन भाभी ने फिर से कहा- रोहित तुम अपनी भाभी को दर्द से निजात दिलाओगे, तो ये एक पुण्य का काम होगा. मैं सच कह रही हूँ, ये कोई पाप नहीं होगा … बल्कि तुम्हारा धर्म होगा.

मैंने कहा- क्या ये सच है भाभी!
बंगालन भाभी- हां बिल्कुल सच है. मेरी बात को गम्भीरता से लो और अपनी भाभी की सेवा करो.

मैंने बंगालन भाभी से पूरी संजीदगी से कहा- सॉरी भाभी, आज से मैं अपनी भाभी को नाराज नहीं करूंगा.
बंगालन भाभी- तो अब ये पक्का रहा न कि तू अपनी भाभी का दूध पियेगा!

मैं- हां भाभी मैं अपनी भाभी की पूरी सेवा करूंगा.
मेरे ऐसा बोलते ही मेरी भाभी सामने आ गईं और बोलीं- लो … तो अभी पी लो … मुझे बहुत दर्द हो रहा है.

मैं- हां भाभी … पर आपको कोई दिक्कत तो नहीं है ना!
भाभी- नहीं … अब जल्दी से पी लो.
मैं- अच्छा ठीक है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 2 users Like neerathemall's post
Like Reply
#5
फिर मैंने बंगालन भाभी की तरफ देखा, तो वो मुस्कुराकर चली गईं … पर जाते जाते मेरी भाभी को आंख मार कर गईं.
मेरी भाभी ने भी उन्हें मुस्कुरा कर देखा और आंख दबा कर उनका शुक्रिया अदा किया.

मैंने उन दोनों की इस कारगुजारी को अनदेखा करते हुए अपनी भाभी से कहा- भाभी मुझे माफ कर दो, अब मैं आपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगा.
भाभी- ठीक है … वो सब छोड़ … पहले दूध तो पी.

ऐसा बोलकर उन्होंने अपना टॉप निकाला और ऊपर से पूरी नंगी हो गईं, यहां तक कि भाभी ने अपनी ब्रा भी निकाल दी.
भाभी के भरे हुए मम्मे देख कर मेरा तो लंड एकदम से खड़ा हो गया.
मेरा खड़ा लंड भाभी ने भी देख लिया.

भाभी नशीली आंखों से मुझे देखती हुई बोलीं- आ जा रोहित … पी ले मेरा दूध.

ऐसा बोलकर वो बेड पर बैठ गईं और मेरा सर अपनी जांघ पर रख कर अपना एक चुचा मेरे मुँह में दे दिया.
जैसे ही मैंने भाभी की चूची को चूसा … उसमें से दूध की धार निकलकर मेरे मुँह में आने लगी.

ओह माय गॉड … भाभी का दूध बहुत मीठा था. मैं अपने आपको रोक नहीं पा रहा था और मैंने जोर जोर से भाभी के निप्पल को अपने होंठों में दबा कर चूसना चालू कर दिया.

ये देख कर भाभी को बड़ा आराम पड़ गया और वो अपने उस चुचे को दबाती हुई मुझे दूध पिलाने लगे.

कोई दो मिनट बाद मैंने भाभी का मम्मा अपने हाथ से पकड़ा और दबा दबा आकर दूध चूसने लगा.

भाभी मेरे सर पर हाथ फेरती हुई बोलीं- क्यों देवर जी … अब क्या हुआ … अब तो मेरे मम्मे को छोड़ नहीं रहे हो.
मैं- भाभी अगर मुझे पहले पता होता कि आपका दूध इतना मीठा है … तो रोज ही आपका दूध पी लेता.

भाभी- हां रोज पी लेना मेरा दूध … मैं कहां भागी जा रही हूँ.
मैं- हां भाभी मुझे आपका दूध अब रोज पीना है.

मैंने दूसरे हाथ से भाभी का दूसरा चूचा दबाना चालू कर दिया. उसमें से दूध की धार निकल कर कपड़ों पर गिरने लगी.

भाभी- अरे ये क्या कर रहे हो देवर जी! दूध से मेरी लैगी खराब हो रही है.
मैंने दूध मसलते हुए कहा- भाभी अब आप कुछ नहीं बोलोगी, मुझे मेरे मन की कर लेने दो.
भाभी- ठीक है, जल्दी से दोनों का दूध पी लो.

मैं मस्ती से अपनी भाभी की चूचियों का दूध पीने लगा. साथ ही मस्ती से उनकी दोनों चूचियों को मसल भी रहा था.

भाभी की चूचियों का दूध पीते पीते अब अब मेरा लंड इतना तन गया था कि मानो कोई बड़ा लोहे का औजार हो.

भाभी ने मेरे लंड को देखा और बोलीं- देवर जी आपका तो लंड बड़ा हो गया है … अब इसका क्या करोगे!
मैं- भाभी सब आपके दूध चूसने का नतीजा है. आपके दूध में बहुत ताकत है. अब आपको ही इसे शान्त करना होगा.

भाभी- ठीक है … पर किसी को बताना मत!
मैं- ठीक है भाभी … अब आपका एक का दूध निकलना बंद हो गया है.

भाभी- ओके अब दूसरा भी खाली कर दो.
मैं- ठीक है … अब तो मैं रोज यही खाना खाऊंगा.
भाभी हंस कर बोलीं- ठीक है … दूध पी कर ही भूख मिटा लेना.

करीब 15 मिनट में मैं भाभी के दोनों मम्मों का सारा दूध पी गया.

मैं- भाभी, इतना दूध तो मैंने अपनी मां का भी नहीं पिया होगा. सच में आपका दूध बहुत मीठा है. मैं रोज पियूंगा.
भाभी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा- हां पी लेना … आज तुमने मेरा दूध पीकर मुझे काफी राहत दिला दी है.

मैं- भाभी, मुझे आपके साथ सेक्स भी करना है.
भाभी- क्या, अपनी भाभी को चोदोगे?

मैं- हां भाभी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो, मुझे आपसे प्यार है.
भाभी- अच्छा देवर जी … अब ये पाप नहीं है क्या!

मैं- नहीं भाभी, बस अब मैं आपको चोदना चाहता हूँ.
भाभी- ठीक है … पर जब मैं कहूँ तब तुम्हें मेरा दूध पीना होगा.

मैं- वो तो मैं पी ही लूंगा, पर मुझे अभी आपकी चुत का पानी पीना है.
भाभी- वो सब अभी नहीं, रात को कर लेना, अब तुम ऑफिस जाओ.
मैं- ओके भाभी … आज रात को आप रेडी रहना मैं आपको चोदूंगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 2 users Like neerathemall's post
Like Reply
#6
फिर मैंने बंगालन भाभी की तरफ देखा, तो वो मुस्कुराकर चली गईं … पर जाते जाते मेरी भाभी को आंख मार कर गईं.
मेरी भाभी ने भी उन्हें मुस्कुरा कर देखा और आंख दबा कर उनका शुक्रिया अदा किया.

मैंने उन दोनों की इस कारगुजारी को अनदेखा करते हुए अपनी भाभी से कहा- भाभी मुझे माफ कर दो, अब मैं आपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगा.
भाभी- ठीक है … वो सब छोड़ … पहले दूध तो पी.

ऐसा बोलकर उन्होंने अपना टॉप निकाला और ऊपर से पूरी नंगी हो गईं, यहां तक कि भाभी ने अपनी ब्रा भी निकाल दी.
भाभी के भरे हुए मम्मे देख कर मेरा तो लंड एकदम से खड़ा हो गया.
मेरा खड़ा लंड भाभी ने भी देख लिया.

भाभी नशीली आंखों से मुझे देखती हुई बोलीं- आ जा रोहित … पी ले मेरा दूध.

ऐसा बोलकर वो बेड पर बैठ गईं और मेरा सर अपनी जांघ पर रख कर अपना एक चुचा मेरे मुँह में दे दिया.
जैसे ही मैंने भाभी की चूची को चूसा … उसमें से दूध की धार निकलकर मेरे मुँह में आने लगी.

ओह माय गॉड … भाभी का दूध बहुत मीठा था. मैं अपने आपको रोक नहीं पा रहा था और मैंने जोर जोर से भाभी के निप्पल को अपने होंठों में दबा कर चूसना चालू कर दिया.

ये देख कर भाभी को बड़ा आराम पड़ गया और वो अपने उस चुचे को दबाती हुई मुझे दूध पिलाने लगे.

कोई दो मिनट बाद मैंने भाभी का मम्मा अपने हाथ से पकड़ा और दबा दबा आकर दूध चूसने लगा.

भाभी मेरे सर पर हाथ फेरती हुई बोलीं- क्यों देवर जी … अब क्या हुआ … अब तो मेरे मम्मे को छोड़ नहीं रहे हो.
मैं- भाभी अगर मुझे पहले पता होता कि आपका दूध इतना मीठा है … तो रोज ही आपका दूध पी लेता.

भाभी- हां रोज पी लेना मेरा दूध … मैं कहां भागी जा रही हूँ.
मैं- हां भाभी मुझे आपका दूध अब रोज पीना है.

मैंने दूसरे हाथ से भाभी का दूसरा चूचा दबाना चालू कर दिया. उसमें से दूध की धार निकल कर कपड़ों पर गिरने लगी.

भाभी- अरे ये क्या कर रहे हो देवर जी! दूध से मेरी लैगी खराब हो रही है.
मैंने दूध मसलते हुए कहा- भाभी अब आप कुछ नहीं बोलोगी, मुझे मेरे मन की कर लेने दो.
भाभी- ठीक है, जल्दी से दोनों का दूध पी लो.

मैं मस्ती से अपनी भाभी की चूचियों का दूध पीने लगा. साथ ही मस्ती से उनकी दोनों चूचियों को मसल भी रहा था.

भाभी की चूचियों का दूध पीते पीते अब अब मेरा लंड इतना तन गया था कि मानो कोई बड़ा लोहे का औजार हो.

भाभी ने मेरे लंड को देखा और बोलीं- देवर जी आपका तो लंड बड़ा हो गया है … अब इसका क्या करोगे!
मैं- भाभी सब आपके दूध चूसने का नतीजा है. आपके दूध में बहुत ताकत है. अब आपको ही इसे शान्त करना होगा.

भाभी- ठीक है … पर किसी को बताना मत!
मैं- ठीक है भाभी … अब आपका एक का दूध निकलना बंद हो गया है.

भाभी- ओके अब दूसरा भी खाली कर दो.
मैं- ठीक है … अब तो मैं रोज यही खाना खाऊंगा.
भाभी हंस कर बोलीं- ठीक है … दूध पी कर ही भूख मिटा लेना.

करीब 15 मिनट में मैं भाभी के दोनों मम्मों का सारा दूध पी गया.

मैं- भाभी, इतना दूध तो मैंने अपनी मां का भी नहीं पिया होगा. सच में आपका दूध बहुत मीठा है. मैं रोज पियूंगा.
भाभी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा- हां पी लेना … आज तुमने मेरा दूध पीकर मुझे काफी राहत दिला दी है.

मैं- भाभी, मुझे आपके साथ सेक्स भी करना है.
भाभी- क्या, अपनी भाभी को चोदोगे?

मैं- हां भाभी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो, मुझे आपसे प्यार है.
भाभी- अच्छा देवर जी … अब ये पाप नहीं है क्या!

मैं- नहीं भाभी, बस अब मैं आपको चोदना चाहता हूँ.
भाभी- ठीक है … पर जब मैं कहूँ तब तुम्हें मेरा दूध पीना होगा.

मैं- वो तो मैं पी ही लूंगा, पर मुझे अभी आपकी चुत का पानी पीना है.
भाभी- वो सब अभी नहीं, रात को कर लेना, अब तुम ऑफिस जाओ.
मैं- ओके भाभी … आज रात को आप रेडी रहना मैं आपको चोदूंगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#7
इतना कहकर मैं चला गया.

शाम को मैं ऑफिस से 5 बजे ही घर को गया.

मैं- भाभी, कहां हो!
भाभी- क्या हुआ रोहित … आज बहुत जल्दी आ गए!

मैं- क्या करूं भाभी … आपका दूध पीने का जी किया … तो आ गया.
भाभी- अरे वाह मेरा प्यारा देवर, भाभी का कितना ख्याल रखता है.

मैं- भाभी पर अभी मेरी एक शर्त है.
भाभी बोलीं- क्या?

मैं- आप पहले पूरी नंगी हो जाओ फिर मुझे दूध पिलाओ.
भाभी मुस्कुरा कर बोलीं- ठीक है.

उसी पल भाभी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और मादरजात नंगी हो गईं.

मैं भाभी की सफाचट चुत देखकर पागल हो गया. मेरा लंड खड़ा होकर चुत को सलामी देने लगा.

मैंने भी फिर अपने सारे कपड़े उतार फेंके और भाभी को किस करने लगा.

भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.

करीब दस मिनट किस करने के बाद भाभी के स्तनों से अपने आप दूध बहने लगा और मैं भाभी का एक निप्पल अपने होंठों में लेकर दूध पीने लगा.

कुछ ही मिनट में मैंने भाभी के दोनों मम्मों का सारा दूध पी लिया. फिर जैसे ही दूध पीकर अलग हुआ, तो मेरा लंड टनटनाने लगा.

भाभी- सच में मेरे दूध से तेरा लंड बहुत सख्त हो जाता है.
ये कह कर भाभी हंसने लगीं.

मैं भाभी के सामने खड़ा होकर लंड हिलाने लगा.
भाभी की चुत लंड देख कर पूरी गीली हो चुकी थी. भाभी ने मेरे लंड की तरफ देखा और चित लेट गईं.

मैंने भाभी की चुत पर मुँह लगा दिया और चुत चाटकर एकदम साफ कर दी.

अब भाभी गर्म आहें भरने लगी थीं- ओह्ह्ह रोहित … ऊओह्ह अब मत तड़पाओ … आह जल्दी से मुझे चोद दे … ओह्ह्ह यस … चोद रोहित चोद अपनी भाभी को चोद दे … ओह्ह्ह मैं बड़े दिनों बाद चुद रही हूँ.

मैंने भी भाभी के मुँह से ये सुनकर अपना लंड भाभी की चुत पर रख दिया और जोर का झटका दे मारा.

भाभी- उयी मां … चुद गयी आज तो … धीरे रोहित … मैं मर गई. तेरा लंड तेरे भैया से काफी मोटा और लम्बा है.

पर मैं अब भाभी की किसी भी बात को कहां सुन रहा था. मैंने जोर जोर से धक्के देने चालू कर दिए थे.
भाभी को लंड से मजा आने लगा था. वो भी अपनी गांड उठाने लगी थीं.

कुछ मिनट बाद मैं भाभी की चुत में ही झड़ गया. अब तक भाभी भी झड़ गयी थीं.

चुदाई के बाद हम दोनों लम्बी लम्बी सांसें भर रहे थे.
भाभी मुस्करा रही थीं.

मैंने पूछा- क्या हुआ भाभी, मुस्कुरा क्यों रही हो?
भाभी बोलीं- आज बहुत दिनों के बाद मेरी चुत भर गयी रोहित … आई लव यू.

मैं- आई लव यू टू भाभी … अब तो मैं रोज ही आपको चोदूंगा.
भाभी- हां मेरे देवर और मैं तुम्हें अपना सारा दूध भी पिलाऊंगी.

उसके बाद मैं और भाभी दोनों ही चुदाई के पार्टनर बन गए थे.
जब भी हम दोनों का मन होता, हम दोनों खुल कर चुदाई का मजा ले लेते थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#8
रोज दोपहर और रात को सोने से पहले में भाभी का दूध पी लेता था और भाभी को चोद भी लेता था.

उनका और मेरा बहुत अच्छा रिश्ता हो चला था. मैं अब रोज रात को भाभी के कमरे में ही बिना कपड़ों के नंगा सोने लगा था.
भाभी का दूध पीने से मुझे नींद भी बहुत अच्छी आने लगी थी.

एक रात ऐसे ही मैं खेल कर आने के बाद भाभी के कमरे में कपड़े निकालकर लेट गया था और थकान के चलते मुझे नींद आ गयी थी.

पता नहीं कब पड़ोस की बंगालिन भाभी आ गईं और मेरी भाभी से बातें करने लगीं.

उनकी बातों से मेरी नींद खुल गयी थी लेकिन जैसे ही मैंने बंगालन भाभी की आवाज सुनी तो मेरे लंड में सनसनी होने लगी और मैं सोने का नाटक करता हुआ यूं ही लंड खोले लेटा रह कर सोने का नाटक करता रहा.

उनकी रसीली बातें सुनकर मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे.

कुछ ही देर में वो भाभी के साथ कमरे में आ गईं … उधर मैं बेड पर ऐसे ही नंगा पड़ा था.

जैसे ही बंगालिन भाभी ने मुझे भाभी के कमरे में नंगा लेटा देखा, वो भाभी से बोलीं- ये तुम्हारे कमरे में इस तरह नंगा क्यों पड़ा है?

भाभी ने सारी बातें बंगालिन भाभी को बता दीं.
मैं सब सुन रहा था, इसी कारण मेरा लंड और ज्यादा तन कर खड़ा हो गया.

बंगालिन भाभी- अरे इसका लंड तो बहुत बड़ा है!
भाभी- हां काफी मोटा भी है … अब मैं तो रोज इसी के लंड से चुदती हूँ. मेरा देवर मुझे बड़ा मजा देता है. मेरे पति से ज्यादा तो ये मुझे चुदाई के मजे देता है. इसके लिए मैं तेरी शुक्रगुजार हूँ. तेरे ही कारण मेरा देवर मेरा दूध पीने लगा था और तब से ये मुझे चोदता भी है.

बंगालिन भाभी मेरे लंड को हसरत भरी नजरों से देखती हुई बोलीं- काश … ये मेरा देवर होता. क्या यह मेरा दूध भी पिएगा?
भाभी- हां … इसे मेरा दूध तो बहुत पसंद है, तेरा भी पी लेगा. पर इसके लंड से चुदवाने के बारे में मत सोचना, वो मेरा देवर है और बस मुझे ही चोदेगा. तुम चाहो तो इसे अपना दूध बस पिला सकती हो.

बंगालिन भाभी- ठीक है, पर इसे कैसे तैयार करूं! अच्छा होगा कि तू ही अपने देवर को मेरा दूध पीने को तैयार कर दे ना!
भाभी- ओके भाभी … मैं कोशिश करूंगी.

मैं अपनी भाभी की बात सुनकर बड़ा खुश था.

आपको तो शायद पिछली सेक्स कहानी में मैंने बताया ही था कि अपनी भाभी की चुत चोदकर अब मेरा लंड पूरा शैतान हो गया था.

मेरी भाभी की बात सुनकर बंगालन भाभी बड़ी खुश हुई और मेरे लंड को लहराते हुए देख कर बंगालिन भाभी बुदबुदाती हुई बोलीं- अरे मेरे देवर राजा … काश में तेरी सगी भाभी होती. तू बड़ी किस्मत वाली है, जो तुझे ऐसे लंड वाला देवर मिला.

भाभी- देख मैं इसे तेरा दूध पिलाने तैयार करूंगी … लेकिन तुझे मेरे सामने ही इसे दूध पिलाना होगा … मंजूर हो तो बोलो?

बंगालिन भाभी- ठीक है जैसे भी हो मेरा दूध बस निकल जाए, बड़ा दर्द रहता है. अच्छा अब मैं चलती हूँ, जब तुम्हारा देवर मेरे चूचे चूसने को तैयार हो जाए, तब बता देना … मैं आ जाऊंगी.
भाभी- ठीक है, अब आप जाओ भाभी, मेरे देवर का खाने का टाईम हो गया है. मैं इसे जगा देती हूँ.

बंगालिन भाभी के चले जाने के बाद भाभी ने मुझे जगा दिया. अब भी मेरा लंड खड़ा था.

भाभी- उठो लाल अब आंखें खोलो … मेरी चूचियां खुली हैं … दूध पी लो.

मैंने आंखें खोलीं और अंगड़ाई लेते हुए भाभी को देखने लगा.

भाभी- सपने में किसकी चुत मार रहे थे मेरी जान … जो मेरे देवर का लंड इतना कड़क खड़ा हुआ है.
मैं- भाभी मैं तो सपने में आपकी ही चुत चाट रहा था.
भाभी मुस्कुराकर बोलीं- अच्छा … मेरी चुत चाट रहे थे और मुझे अहसास भी नहीं हुआ. उठो … चलो खाना खाने चलो … फिर मेरी चुत चाट लेना.

मैं उठा और ऐसे ही बिना कपड़े खाने आ गया. मैंने भाभी को भी नंगी होने को बोला, तो वो भी झट से नंगी हो गईं.

मैंने भाभी को अपनी गोद में बिठाया और हम दोनों ने एक दूसरे को खाना खिलाया. खाने में ही हम दोनों की उत्तेजना काफी बढ़ गई थी, तो जल्दी जल्दी में खाना खत्म किया और उठ कर अलग हुए. मैंने भाभी से जल्दी कमरे में आने को बोला.

थोड़ी देर बाद भाभी भी कमरे में आ गईं. वो नंगी तो पहले से ही थीं. अब रोज की तरह मैं भाभी की गोद में सर रखकर उनके दूध पीने ही वाला था, तभी भाभी ने मुझे रोक दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#9
मैं- क्या हुआ भाभी!
भाभी- अरे, आज मेरे स्तनों में दूध नहीं है. आज वेदांत सारा दूध पी गया और बाकी दूध की मैंने खीर बनायी, जो अभी तुमने खायी है.

मैं आश्चर्य से बोला- वो खीर आपके दूध की थी भाभी?
भाभी- हां देवर जी.

मैं- तभी मैं सोचूं कि इतनी मीठी खीर कैसे बनी, पर भाभी आज तो मुझे नींद ही नहीं आएगी. मेरी आदत बिना आपका दूध पिए सोने की नहीं है.
भाभी- तो अब मैं क्या कर सकती हूँ. अच्छा होता कि तुम्हें एक और भाभी मिल जाती … तो मैं तुम्हें उनका दूध पिला देती.

भाभी की चालाकी मैं समझ चुका था. वो मुझे बंगालिन भाभी का दूध पीने के लिए तैयार कर रही थीं.

मैं- भाभी, अगर मुझे दूसरी भाभी भी होती ना … तो भी मैं सिर्फ आपका दूध पी लेता और बस आपको हो चोदता.
भाभी मुस्कुराकर बोलीं- अच्छा देवर जी … इतना प्यार करते हो मुझे!
मैं- हां भाभी … मैं भैया से भी ज्यादा आपको प्यार करता हूँ.

यह सुनकर भाभी ने मुझे गले से लगा लिया और मुझे 5 मिनट तक लम्बा किस किया.

फिर भाभी बोलीं- अगर तू मुझे इतना प्यार करता है … तो तू मेरी बात मानेगा!
मैं- मैंने कभी आपकी बात टाली है … जो अब टालूंगा … आप बस बोल दो, मैं कर दूंगा.

भाभी- तो सुन मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ और मैं तुम्हें दूध के लिए ऐसा तरसते हुई नहीं देख सकती. आज मेरे स्तन में दूध नहीं है … पर मैं अपने देवर को ऐसे बिना दूध पिए नहीं सोने दूँगी.
मैं- पर भाभी दूध कहां से लाओगी आप! मुझे तो स्तनों को चूस कर ताजा दूध पीना पसंद है.

भाभी- तुम चिंता मत करो … मैं तुम्हें दूध दिला कर रहूंगी.
मैं- वो कैसे भाभी?

भाभी- मेरी तरह ही मेरी सहेली को भी अब ज्यादा दूध के कारण दर्द हो रहा है. तुम आज उसका दूध पी लेना.
मैं- नहीं भाभी, मुझे आपका ही दूध पसंद है. मैं किसी और का दूध नहीं पिऊंगा … फिर दूध पीने के बाद मेरा लंड बेकाबू हो जाता है. मैं नहीं चाहता कि मैं अपनी प्यारी भाभी के अलावा किसी और को चोदूं … प्लीज भाभी.

भाभी- ठीक है. तू सिर्फ उसका दूध पी लेना और मुझे उसके सामने ही चोद देना.
मैं- पर भाभी!

भाभी- अब मैं और कुछ नहीं सुनना चाहती … तू वही करेगा, जो मैं कह रही हूँ.
मैं- ठीक है भाभी … अगर आप यही चाहती हैं तो यही सही.
भाभी- चल अब मुझे किस कर.

कुछ पल किस करने के बाद मैं भाभी की चुत चाटने की कोशिश करने ही जा रहा था कि तभी भाभी ने रोक लिया.

मैंने उनकी आंखों में देखा तो भाभी ने कहा- पहले दूध तो पी ले मेरी सहेली का …. फिर उसी के सामने मुझे चोद लेना.

मैं लंड हिलाता हुआ बोला- तो जल्दी बुलाओ भाभी उस दुधारू को … मुझे आपको जल्दी चोदना है.
भाभी मुस्कुराकर बोलीं- चोदू कहीं का … मेरा देवर कितना उतावला हो गया है.

फिर भाभी ने किसी को कॉल किया और कहा- आ जाओ, मेरा देवर तैयार है. और हां याद रखना तुम्हें उसे बस दूध पिलाना है, चुत चुदवाने के बारे में सोचना भी मत!

उधर से शायद हामी भरी गई और फोन कट गया.

मैं- वाह भाभी आप मेरा कितना ख्याल रखती हो … आई लव यू भाभी.
भाभी- अब मेरी सहेली आती ही होगी … तुम तैयार रहना.

मैं- ठीक है आने दो … साली का दूध निचोड़ कर पिऊंगा
भाभी हंसने लगीं और बोलीं- अरे मेरे देवर … आप तो बड़े चुदक्कड़ हो.

तभी दरवाजे की घंटी बजी और मैंने बंगालिन भाभी को सामने देखा.
मैं नंगा ही था और लंड सहला रहा था.

बंगालिन भाभी- अरे वाह भाभी के देवर … आज अपनी इस भाभी को भी ऐसे ही मजे देना.
मैं- नहीं भाभी, मैं सिर्फ आपका दूध पिऊंगा … वो भी इसलिए क्योंकि मेरी भाभी ने कहा है.

बंगालिन भाभी- काश मुझे ऐसा देवर मिलता.
भाभी- चलो रोहित अब जल्दी से शुरू हो जाओ.

ऐसा कहकर भाभी सामने वाली चेयर पर बैठ गईं और हम दोनों को निहारने लगीं.

मैं बंगालिन भाभी से बोला- भाभी, अपने बूब्स बाहर निकालो.

ऐसा सुनने के बाद बंगालिन भाभी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए. अब हम तीनों ही नंगे थे. मैंने बंगालिन भाभी के मम्मों को दबाना शुरू किया और अपने होंठों में एक निप्पल दबा लिया.

कुछ देर बाद उनकी चुचि से दूध की धार मेरे मुँह पर आ गयी. बंगालिन भाभी के मुँह से सीत्कार निकलने लगी और वो मेरे सर पर हाथ फेरती हुई मुझे अपना दूध पिलाने लगीं.

मैं भी एक छोटे बच्चे की तरह धीरे धीरे उनके आम चुसकने लगा. वो अब मस्त सिस्करियां ले रही थीं.

ये सब देख कर मेरी भाभी बोलीं- क्यों कैसा लगा मेरा देवर!
बंगालिन भाभी- मर जाऊं ऐसे देवर पर … बड़ा मजा दे रहा है.

कुछ ही देर में मैंने बंगालिन भाभी का एक स्तन पूरा निचोड़ लिया. अब दूसरा दूध अपने मुँह में दबा लिया. करीब दस मिनट के बाद मैंने बंगालिन भाभी के दोनों दूध पूरे पी लिए.

इसी दौरान उनकी चुत गीली हो गयी थी … तो मैंने उंगली डाल कर चुत का सारा पानी भी निकाल दिया था. अब वो पूरी तरह से ढीली हो गयी थीं, थक गयी थीं.

अब वो सिर्फ मेरी और मेरे भाभी की चुदाई देखना चाहती थीं.

इधर मेरी सगी भाभी भी बेड पर आ गयी थीं; हमारे दृश्य देखकर भाभी की चुत भी गीली हो गयी थी.

मैंने पहले अपनी भाभी की चुत में ही जीभ डाल दी और उनकी चुत में अन्दर तक फिराता रहा. भाभी की चुत का रस में लगातार चूस रहा था.

करीब दस मिनट के बाद भाभी झड़ गईं. पर मेरा लंड अभी भी खड़ा था.

भाभी अब मुझे अपने एक मम्मे को मेरे मुँह में डाल दिया और चूची चुसवाने लगीं. मैंने भाभी के दोनों आम चूसे … तो उसमें फिर से दूध आ गया था.

मैंने पूरी मस्ती से अपनी भाभी के मम्मे करीब 15 मिनट तक चूसे और भाभी का दूध पी लिया.

फिर मैंने भाभी को लिटा आकार उनकी चुत में लंड पेला और धकापेल चुदाई करना चालू कर दी.

ये देख कर बंगालिन भाभी अपने दूध मसलती हुई बोलीं- काश मेरा कोई देवर होता तो मैं भी इतनी मस्त चुदाई का मजा ले लेती. रोहित तुम बहुत मस्त चोदू इन्सान हो. तुम मुझे अगली बार चोद देना.

बंगालिन भाभी के जाने के बाद मैंने उस रात अपनी सगी भाभी से 3 बार चुदाई का मजा लिया.

हर बार मेरी सगी भाभी ने मेरा वीर्य अपनी चुत में ही ले लिया और बोलीं- मुझे तेरे जैसा बेटा चाहिए, इतना ही ताकतवर … तेरे भाई में इतना दम नहीं है. रोहित आज से तुम मेरे दूसरे पति हो.

हम दोनों चुदाई के बाद ऐसे ही नंगे सो गए. मैं भाभी की चुत में लंड डालकर सो गया था. ऐसे सोने में अपना ही मजा है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 2 users Like neerathemall's post
Like Reply
#10
(17-06-2022, 05:02 PM)neerathemall Wrote:
सगी भाभी का दूध


















fight

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#11
वाह बहोत ही बढ़िया कहानी
काश ये कुछ और लम्बी होती मेरे भी बूब्स की निपल टाईट हो गए और निचे की तो पूछो ही मत
बढ़िया निराजी ऐसे ही लिखते रहे
[+] 2 users Like maitripatel's post
Like Reply
#12
(12-08-2022, 06:12 PM)maitripatel Wrote: वाह बहोत ही बढ़िया कहानी
काश ये कुछ और लम्बी होती मेरे भी बूब्स की निपल टाईट हो गए और निचे की तो पूछो ही मत
बढ़ि Namaskar या निराजी ऐसे ही लिखते रहे

Namaskar Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#13
शादीशुदा दीदी का दूध पिया

 

मेरा नाम राजू है मैं मुंबई का रहने वाला हूँ . दोस्तो आज में अपनी एक सच्ची कहानी आप लोगो को बताने जा रहा हूँ. जब में 20 साल का था. मेरे परिवार में सिर्फ चार लोग थे मै मेरी बड़ी बहन ओर मम्मी पापा. बड़ी बहन जो मुझ से 5 साल बड़ी थी. एक साल पहले उस की शादी हो गई.

ओर शादी के 5 महीने बाद दीदी की अपने पति से अनबन हो गई इस लिए वो रूठ कर वापस हमारे घर आ गयी. मेरी दीदी दिखने में बहुत ही खूबसूरत थी. उसका बदन 34-30-36 था. जो भी उसे देख लेता था वो उसे एक बार पलट कर ज़रूर देखता था. उसका रंग एकदम सफेद था ओर उसकी हाइट 5.4 फिट थी. वो बिल्कुल मेडम जैसी दिखती थी. उसका कोमल बदन शादी के बाद ओर निखर गया था. उनकी मदमस्त जवानी देख कर ना जाने कितने लंड मुठ मारा करते थे.एक दिन उन्होंने मम्मी को बताया की वो 5 महीने की गर्भवती है. उनकी गर्भवती होने की बात सुनकर मम्मी पापा बहुत परेशान रहने लगे. ओर दीदी भी हमेशा खामोश रहने लगी.

में उनको चुप देख कर उनके साथ अच्छा व्यहवार करता था. करीब पाँच महीने बाद दीदी ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया. हम लोग इस बात से बहुत खुश थे. करीब दो महीने बाद चार बजे दरवाजे की घंटी बजी उस दिन घर मे मम्मी ओर दीदी दोनों ही अकेले थे. पापा ऑफीस गये थे ओर में भी घर पर नही था. दीदी ने दरवाजा खोला तो देखा सामने जीजाजी खड़े थे. जीजाजी बहुत गुस्से मे थे. वो अपने कुछ दोस्तो के साथ आए थे ओर ज़बरदस्ती बेबी को दीदी से ले कर जाने लगे दीदी ने काफ़ी शोर किया लेकिन वो ज़बरदस्ती बेबी को अपने साथ ले कर अपनी कार मे बैठ कर चले गये.मम्मी ने पापा को फ़ोन कर दिया. एक घंटे बाद पापा आ गये. हम लोगो ने जीजा जी से बात करने की कोशिश की लेकिन वो हम लोगो का फोने नही उठा रहे थे. मम्मी पापा दीदी के ससुराल बेंगलोर जाने का प्रोग्राम बनाने लगे. में भी उन लोगो के साथ जाना चाह रहा था. लेकिन मम्मी पापा ने मुझे मना कर दिया. और मम्मी पापा दीदी के ससुराल चले गये. हमारे घर में तीन कमरे है. एक मम्मी पापा का दूसरा मेरा ओर एक मेरी दीदी का था.

शाम को जब टीवी देख रही थी तो पता चला की हमारे शहर मे दंगे शुरु हो गये हैं. हम ओर भी परेशन होने लगे. दीदी बोली राजू मेरे रूम मे आ जाओ इधर ही सो जाना. मैने कहा ठीक है ओर में दीदी के कमरे में ही सोने आ गया. हम पहले ही परेशन थे उपर से दंगो की बाते सुन कर ओर टेंशन हो गयी.रात के करीब बारह बजे होंगे की दीदी की उहह उफ़फ्फ़ की आवाज़ सुन कर मेरी आँख खुल गयी. लाइट पहले से ही चालू थी. मैने करवट बदल कर देखा तो दीदी के चेहरा से साफ ज़ाहिर हो रहा था की दीदी किसी तकलीफ़ में है. मैने पूछा दीदी क्या बात है?

दीदी बोली बस तुम सो जाओ कोई बात नही. मेरी आँख खुल चुकी थी. मैने ज़िद की तो दीदी ने मुझ से एक पेपर ओर एक पेन लाने को कहा. में जल्दी से ले आया दीदी ने इंग्लीश मे कुछ लिखा जो मे नही पड़ सका. दीदी मुझसे बोली मार्केट जाओ ओर मेडिकल स्टोर से ये ले आओ. मैने कहा ठीक है ओर मैं चला गया. जब मैं मार्केट के लिए निकला तो देखा दंगे के कारण मार्केट बंद हो चुका था. ओर वहाँ पर सभी तरफ पुलिस ही पुलिस थी. उन्होने मुझे घर वापस भेज दिया. घर पहुच कर मैने सारी बात दीदी को बताई तो वो बोली कोई बात नही. सब ठीक हो जाएगा अब तुम सो जाओ.रात के करीब चार बजे दीदी ने मुझे जगाया ओर बोली राजू मेरी मदद करो. मेरी बात ध्यान से सुनो. मेरी बेबी को तुम्हारे जीजा जी ले गये हैं. वो मेरा दूध पीती थी. लेकिन उसके ना रहने से मेरे दूध ज़्यादा हो गया है. उसने अपने एक बूब्स की तरफ इशारा किया. मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था. दीदी बोली अगर मेडिकल स्टोर से वो मिल्क सकर मिल जाता तो मैं तुमसे यह सब नही कहती. मेरे मन में बहुत सारे लड्डू फुट रहे थे. दिल मे घंटिया बज रही थी. लेकिन में मासूम बना रहा ओर बोला जैसे बच्चे दूध पीते हैं वैसे क्या? दीदी बोली हाँ वैसे ही. मैं पागल हो रहा था मैने मन ही मन अपने जीजा जी को धन्यावाद किया जिसे में थोड़ी देर पहले तक गालियाँ दे रहा था.

दीदी बेड पर जैसे अपने बच्चे को दूध पिलाती है. उसी पोज़िशन मे बैठ गयी. दीदी एक काली साडी पहने हुए थी जिसमे वो बहुत ही सेक्सी दिख रही थी. मैं उसके सामने बैठ गया फिर दीदी ने अपनी साडी को अपने ब्लाउज से नीचे गिराया. मेरी पैंट भी अब टाइट हो चुकी थी. मैं क्या बताऊ दोस्तो में तो जैसे कोई सपना देख रहा था. मैने आज अपनी दीदी को चोदने का पूरा मूड बना लिया था.दीदी का ब्लाउज सामने से गीला था. जिससे उसके निप्पल को मैं साफ महसूस कर पा रहा था. साड़ी अलग करने के बाद दीदी ने अपने ब्लाउज को उतारा. दोस्तो आप तो समझ ही रहे होंगे की मेरी नज़रे कहाँ पर ठहरी थी. ये तो मुझे आपको बताने की ज़रूरत नही होंगी. उसके बाद दीदी ने अपनी ब्रा को पीछे से खोल दिया दोस्तो मैं ठंडी साँसे लेता हुआ पागल हुआ जा रहा था. ओर उसके बूब्स को अपने हाथो से दबाने के लिए मचल रहा था. दीदी ने अपनी ब्रा खोल कर मुझे लेट जाने का इशारा किया. मैं तो जैसे इस इशारे का ही इंतजार कर रहा था.

समय ना खराब करते हुए में जल्दी से लेट गया. दीदी ने अपने ब्रा को अपने दूध से हटाया ओर मैने उनके बड़े बड़े बूब्स के दर्शन किये. में अपने आप को बड़ा खुशकिस्मत समझ रहा था. ओर अपने प्यारे जीजा जी ओर भगवान को धन्यवाद कह कर रहा था. उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े थे ओर बहुत ही अच्छे सुडोल आकार मे थे. गोरे गोरे बूब्स देख कर मेरे तो होश ही उड़ गये थे.

मैने दीदी की गोद मे अपना सिर रख दिया. दीदी ने अपनी ब्रा थोड़ी उपर की ओर एक बड़ा बूब्स निकाला ओर मुझे पीने को कहा जब मैने अपने होंठ बूब्स के पास किए तो मुझे दूध की स्मेल आई ओर जब निप्पल को अपने होंठो से छुआ तो बहुत ही मज़ा ही आ गया. जब मैने चूसना शुरू किया तो मुझे एक अजीब सा अहसास हुआ. मुझे दूध बड़ा ही स्वादिष्ट लग रहा था. मेरी सगी बहन मुझे दूध पिला रही थी. मैने तेज़ी से दूध पीना शुरू कर दिया. करीब 6 या 7 मिनिट बाद जब मैने एक बूब्स खाली कर लिया तो दीदी ने अपना दूसरा बूब्स भी मेरे होंठो के सामने कर दिया.

अब तक दीदी ने अपनी ब्रा को पूरी तरह से उतार दिया था. ओर वो ऊपर से बिल्कुल नंगी हो गयी थी. मेरा लंड एकदम टाइट हो गया था ओर अंडरवेर से बाहर आने लगा था. मेरे दिल की धडकन तेज़ हो गयी ओर मुझे पसीना आने लगा. दीदी के नरम नरम दूसरे बूब्स को अब मैने अपने मुहं मे भर लिया था. मैं उसके बूब्स को बड़े प्यार से सहलाता भी जा रहा था जिसके कारण दीदी भी कामुक हो रही थी. उसने भी अपने हाथ अब मेरी शर्ट के अंदर डाल दिए थे ओर अपने हाथो को उपर नीचे कर रही थी. अब हम दोनो एकदम पुरे खुल चुके थे. भाई बहिन वाली कोई फीलिंग अब हमारे अंदर नही थी. मैं भी बड़े मज़े से उसके बूब्स को सहला रहा था. उसकी निप्पल को किस करता तो वो ठंडी ठंडी साँसे भर रही थी. उसे ये सब बहुत अछा लग रहा था. अब मेरा एक हाथ उसके बूब्स पर था ओर उसने भी मुझे बहुत अच्छे से पकड़ रखा था. मेरी आह निकल गयी. दीदी ने आँखें खोल दी ओर मुझसे पूछा क्या हुआ. पसीना क्यों आ गया?मैने कहा की दीदी गर्मी की वजह से मुझे पसीना आ गया था. और फिर दीदी ने अपनी साड़ी उपर की ओर बोला की राजू तुम थक गये होना. लेकिन एक बात याद रखना तुमने मेरी मदद की और मे तुम्हारी बहन हूँ. ओर तुम मेरे प्यारे छोटे भाई हो ये बात किसी को ना बताना प्लीज़. मैने दीदी को कहा की में आपकी मदद कर के खुश हूँ ये मेरा फ़र्ज़ है.

सुबह उठ कर हम लोगो ने साथ में बैठकर नाश्ता किया फिर दीदी नहाने चली गयी में अभी भी रात के ख़यालो में ही खोया हुआ था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#14
Superb Story.... Please make Next Partd
Like Reply
#15
भक्तों की इच्छा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#16
7DEC and reading the 8
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#17
thanks sir
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#18
Good story
Like Reply




Users browsing this thread: 1 Guest(s)