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Adultery मेरी तंग पजामी
#1
मेरी तंग पजामी

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मेरा नाम कोमल प्रीत कौर है मगर प्यार से लोग मुझे कोमल कहते हैं। मेरी उम्र 27 साल है और मैं शादीशुदा हूँ। मेरे पति आर्मी में हैं। मैं अपने सास-ससुर के साथ अपने ससुराल में रहती हूँ। पति आर्मी में हैं तो इस कारण में कई कई महीने लण्ड को तरसती रहती हूँ। वैसे तो मेरे आसपास गली मोहल्ले में बहुत सारे लण्ड रहते हैं पर सास-ससुर के होते ये मेरे किसी काम के नहीं।

मेरी गली के सारे लड़के मुझे पटाने की कोशिश करते रहते हैं। मेरे मम्मे लड़कों की नींद उड़ाने के लिए काफी हैं। मेरी बड़ी सी गाण्ड देख कर लड़कों की हालत खराब हो जाती है और वो खड़े खड़े लण्ड को हाथ में पकड़ लेते हैं। मेरे रेशमी लम्बे बालों में पता नहीं कितने लण्डों के दिल अटके पड़े हैं। मेरी पतली कमर, मेरे गुलाबी गुलाबी होंठ, लड़कों को मेरे घर के सामने खड़े रहने के लिए मजबूर कर देते हैं।

सब मुझे पटाने के हथकंडे आजमाते रहते थे पर मैं किसी से नहीं पट रही थी। कंप्यूटर पर जरूर चैटिंग करके अपनी प्यास हाथ से बुझा लेती। चैटिंग पर मुझे लड़के अक्सर अपना मोबाइल नंबर देने और मिलने को कहते मगर मैं सबको मना कर देती। फिर भी एक-दो ने अपना नम्बर दे दिया था।

इन सब दोस्तों में एक एन.आर.आई बुड्ढा भी था। वो कुछ दिन बाद भारत आने वाला था। उसने मुझे कहा कि वो मुझसे मिलना चाहता है, मगर मैंने मना कर दिया।

कुछ दिन के बाद उसने भारत आने के बाद मुझे अपना फोन नम्बर दिया और अपनी तस्वीर भी भेजी और कहा- मैं अकेला ही इंडिया आया हूँ, बाकी सारी फॅमिली अमेरिका में हैं।

उसने यह भी कहा कि वो सिर्फ मुझे देखना चाहता है बेशक दूर से ही सही।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
अब तो मुझे भी उस पर तरस सा आने लगा था। वो जालंधर का रहने वाला था और मेरा गाँव भी जालंधर के पास ही है।

अगले महीने मेरी सास की बहन के लड़के की शादी आ रही थी जिसके लिए मुझे और मेरी सास ने शॉपिंग के लिए जालंधर जाना था। मगर कुछ दिनों से मेरी सास की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी तो उसने मुझे अकेले ही जालन्धर चली जाने को कहा।

जब मैंने अकेले जालन्धर जाने की बात सुनी तो एकदम से मुझे उस बूढ़े का ख्याल आ गया। मैंने सोचा कि इसी बहाने अपने बूढ़े आशिक को भी मिल आती हूँ।

मैंने नहाते समय अपनी झांटे साफ़ कर ली और पूरी सज-संवर कर बस में बैठ गई और रास्ते में ही उस बूढ़े को फोन कर दिया। उसे मैंने एक जूस-बार में बैठने के लिए कहा और कहा- मैं ही वहाँ आ कर फोन करुँगी।

मैं आपको बूढ़े के बारे में बता दूँ। वो 55-60 साल का लगता था। उसके सर के बाल सफ़ेद हो चुके थे पर उसकी जो फोटो उसने मुझे भेजी थी उसमे उसकी बॉडी और उसका चेहरा मुझे उससे मिलने को मजबूर कर रहा था।

बस से उतरते ही मैं रिक्शा लेकर वहाँ पहुँच गई जहाँ पर वो मेरा इन्तजार कर रहा था। उसने मेरी फोटो नहीं देखी थी इसलिए मैं तो उसे पहचान गई पर वो मुझे नहीं पहचान पाया। मैं उससे थोड़ी दूर बैठ गई।

वो हर औरत को आते हुए गौर से देख रहा था मगर उसका ध्यान बार बार मेरे बड़े बड़े मम्मों और उठी हुई गाण्ड की तरफ आ रहा था। वही क्या वहाँ पर बैठे सभी मर्द मेरी गाण्ड और मम्मों को ही देख रहे थे।
मैं आई भी तो सज-धज कर थी अपने बूढ़े यार से मिलने।

थोड़ी देर के बाद मैं बाहर आ गई और उसे फोन किया कि बाहर आ जाए। मैं थोड़ी छुप कर खड़ी हो गई और वो बाहर आकर इधर उधर देखने लगा।

मैंने उसे कहा- तुम अपनी गाड़ी में बैठ जाओ, मैं आती हूँ।

वो अपनी स्विफ्ट गाड़ी में जाकर बैठ गया, मैंने भी इधर उधर देखा और उसकी तरफ चल पड़ी और झट से जाकर उसके पास वाली सीट पर बैठ गई।

मुझे देख कर वो हैरान रह गया और कहा- तुम ही तो अंदर गई थी, फिर मुझे बुलाया क्यों नहीं?

मैंने कहा- अंदर बहुत सारे लोग थे, इसलिए!

उसने धीरे धीरे गाड़ी चलानी शुरू कर दी, उसने मुझे पूछा- अब तुम कहाँ जाना चाहोगी?

मैंने कहा- कहीं नहीं, बस तुमने मुझे देख लिया, इतना ही काफी है, अब मुझे शॉपिंग करके वापस जाना है।

उसने कहा- अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं तुम्हें कुछ तोहफ़ा देना चाहता हूँ। क्या तुम मेरे साथ मेरे घर चल सकती हो?

उसका जालन्धर में ही एक शानदार बंगला था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
पहले तो मैंने मना कर दिया पर उसके ज्यादा जोर डालने पर मैं मान गई। फिर हम उसके घर पहुँचे। मुझे एहसास हो चुका था कि अगर मैं इसके घर पहुँच गई हूँ तो आज मैं जरूर चुदने वाली हूँ।

मैं गाड़ी से उतर कर उसके पीछे पीछे चल पड़ी।

अंदर जाकर उसने मुझे पूछा- क्या पियोगी तुम कोमल?
‘कुछ नहीं! बस मुझे थोड़ा जल्दी जाना है!’
वो बोला- नहीं ऐसे नहीं! इतनी जल्दी नहीं.. अभी तो हमने अच्छे से बातें भी नहीं की!

‘अब तो मैंने तुम्हें अपना फोन नम्बर दे दिया है, रात को जब जी चाहे फोन कर लेना.. मैं अकेली ही सोती हूँ।’
‘प्लीज़! थोड़ी देर बैठो तो सही!’
मैंने कुछ नहीं कहा और सोफे पर बैठ गई।

वो जल्दी से कोल्डड्रिंक ले आया और मुझे देते हुए बोला- यह कोल्डड्रिंक ही पी लो फिर चली जाना।
मैंने वो ड्रिंक ले लिया। वो मेरे पास बैठ गया और हम इधर उधर की बातें करने लगे।
बातों ही बातों में वो मेरी तारीफ करने लगा।

वो बोला- कोमल.. जब जूस बार में तुम्हें देख रहा था तो सोच रहा था कि काश कोमल ऐसी हो, मगर मुझे क्या पता था कि कोमल यही है।
रहने दो! झूठी तारीफ करने की जरुरत नहीं है जी! मैंने कहा।
उसने भी मौके के हिसाब से मेरे हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा- सच में कोमल, तुम बहुत खुबसूरत हो।
मेरा हाथ मेरी जांघ पर था और उस पर उसका हाथ!

वो धीरे धीरे मेरा हाथ रगड़ रहा था। कभी कभी उसकी ऊँगलियाँ मेरी जांघ को भी छू जाती जिससे मेरी प्यासी जवानी में एक बिजली सी दौड़ जाती।

अब मैं मदहोश हो रही थी। मगर फिर भी अपने ऊपर काबू रखने का नाटक कर रही थी जिसे वो समझ चुका था।

फिर उसने हाथ ऊपर उठाना शुरू किया और उसका हाथ मेरे बाजू से होता हुआ मेरे बालों में घुस गया, मैं चुपचाप बैठी मदहोश हो रही थी और मेरी साँसें गरम हो रही थी।

उसका एक हाथ मेरी पीठ पर मेरे बालों में चल रहा था और वो मेरी तारीफ किए जा रहा था। फिर दूसरे हाथ से उसने मेरी गाल को पकड़ा और चेहरा अपनी तरफ कर लिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
मैंने भी अपना हाथ अपनी गाल पर उसके हाथ पर रख दिया।
उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और मेरे होंठों का रस चूसना शुरू कर दिया।

मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैं उसका साथ देने लगी। फिर उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मुझे अपनी गोद में बिठा लिया। अब मेरे दोनों चूचे उसकी छाती से दब रहे थे। उसका हाथ अब कभी मेरी गाण्ड पर, कभी बालों में, कभी गालों में, और कभी मेरे मम्मों पर चल रहा था।
मैं भी उसके साथ कस कर चिपक चुकी थी और अपने हाथ उसकी पीठ और बालों में घुमा रही थी।

15-20 मिनट तक उम दोनों ऐसे ही एक दूसरे को चूमते-चाटते रहे।
फिर उसने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और बेडरूम की ओर चल पड़ा। उसने मुझे जोर से बेड पर फेंक दिया और फिर मेरी टाँगें पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। वो मेरी दोनों टांगों के बीच खड़ा था।

फिर वो मेरे ऊपर लेट गया और फिर से मुझे चूमने लगा। इसी बीच उसने मेरे बालों में से हेयर रिंग निकाल दिया जिससे बाल मेरे चेहरे पर बिखर गए।
मुझे यह सब बहुत अच्छा लग रहा था, अब तो मैं भी वासना की आग में डूबे जा रही थी।

फिर उसने मुझे पकड़ कर खड़ा कर दिया और मेरी कमीज़ को ऊपर उठाया और उतार दिया। मेरी ब्रा में से मेरे स्तन जैसे पहले ही आजाद होने को फिर रहे थे। वो ब्रा के ऊपर से ही मेरे स्तन मसल रहा था और चूम रहा था।

फिर उसका हाथ मेरी पजामी तक पहुँच गया। जिसका नाड़ा खींच कर उसने खोल दिया। मेरी पजामी बहुत टाईट थी जिसे उतारने में उसे बहुत मुश्किल हुई। मगर पजामी उतारते ही वो मेरे गोल गोल चूतट देख कर खुश हो गया।

अब मैं उसके सामने ब्रा और पैंटी में थी। उसने मेरी टांगों को चूमा और फिर मेरी गाण्ड तक पहुँच गया। मैं उल्टी होकर लेटी थी और वो मेरे चूतडों को जोर जोर से चाट और मसल रहा था।

अब तक मेरी शर्म और डर दोनों गायब हो चुके थे और फिर जब गैर मर्द के सामने नंगी हो ही गई थी तो फिर चुदाई के पूरे मज़े क्यों नहीं लेती भला।

मैं पीछे मुड़ी और घोड़ी बन कर उसकी पैंट, जहाँ पर लण्ड था, पर अपना चेहरा और गालें रगड़ने लगी। मैंने उसकी शर्ट खोलनी शुरू कर दी थी। जैसे जैसे मैं उसकी शर्ट खोल रही थी उसकी चौड़ी और बालों से भरी छाती सामने आई।

मैं उस पर धीरे धीरे हाथ फेरने लगी और चूमने लगी। धीरे धीरे मैंने उसकी शर्ट खोल कर उतार दी। वो मेरे ऐसा करने से बहुत खुश हो रहा था। मुझे तो अच्छा लग ही रहा था। मैं मस्त होती जा रही थी।

मेरे हाथ अब उसकी पैंट तक पहुँच गए थे। मैंने उसकी पैंट खोली और नीचे सरका दी। उसका लण्ड अंडरवियर में कसा हुआ था। ऐसा लग रहा था कि जैसे अंडरवीयर फाड़ कर बाहर आ जाएगा।
मैंने उसकी पैंट उतार दी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#6
मैंने अपनी एक ऊँगली ऊपर से उसके अंडरवियर में घुसा दी और नीचे को खींचा। इससे उसकी झांटों वाली जगह, जो उसने बिल्कुल साफ़ की हुई थी दिखाई देने लगी। मैंने अपना पुरा हाथ अंदर डाल कर अंडरवियर को नीचे खींचा। उसका 7 इंच का लण्ड मेरी ऊँगलियों को छूते हुए उछल कर बाहर आ गया और सीधा मेरे मुँह के सामने हिलने लगा।

इतना बड़ा लण्ड अचानक मेरे मुँह के सामने ऐसे आया कि मैं एक बार तो डर गई। उसका बड़ा सा और लंबा सा लण्ड मुझे बहुत प्यारा लग रहा था और वो मेरी प्यास भी तो बुझाने वाला था।

मेरे होंठ उसकी तरफ बढ़ने लगे और मैंने उसके सुपारे को चूम लिया। मेरे होंठो पर गर्म-गर्म एहसास हुआ जिसे मैं और ज्यादा महसूस करना चाहती थी।

तभी उस बूढ़े ने भी मेरे बालों को पकड़ लिया और मेरा सर अपने लण्ड की तरफ दबाने लगा।

मैंने मुँह खोला और उसका लण्ड मेरे मुँह में समाने लगा। उसका लण्ड मैं पूरा अपने मुँह में नहीं घुसा सकी मगर जो बाहर था उसको मैंने एक हाथ से पकड़ लिया और मसलने लगी।

बुढा भी मेरे सर को अपने लण्ड पर दबा रहा था और अपनी गाण्ड हिला हिला कर मेरे मुँह में अपना लण्ड घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था।

थोड़ी ही देर के बाद उसके धक्कों ने जोर पकड़ लिया और उसका लण्ड मेरे गले तक उतरने लगा। मेरी तो हालत बहुत बुरी हो रही थी कि अचानक मेरे मुँह में जैसे बाढ़ आ गई हो। मेरे मुँह में एक स्वादिष्ट पदार्थ घुल गया, तब मुझे समझ में आया कि बुड्ढा झड़ गया है।

तभी उसके धक्के भी रुक गए और लण्ड भी ढीला होने लगा और मुँह से बाहर आ गया।

उसका माल इतना ज्यादा था कि मेरे मुँह से निकल कर गर्दन तक बह रहा था। कुछ तो मेरे गले से अंदर चला गया था और बहुत सारा मेरे वक्ष तक बह कर आ गया। मैं बेसुध होकर पीछे की तरफ लेट गई। और वो भी एक तरफ लेट गया। इस बीच हम थोड़ी रोमांटिक बातें करते रहे।

थोड़ी देर के बाड़ वो फिर उठा और मेरे दोनों तरफ हाथ रख कर मेरे ऊपर झुक गया। फिर उसन मुझे अपने ऊपर कर लिया और मेरी ब्रा की हुक खोल दी। मेरे दोनों कबूतर आजाद होते ही उसकी छाती पर जा गिरे। उसने भी बिना देर किये दोनों कबूतर अपने हाथो में थाम लिए और बारी बारी दोनों को मुँह में डाल कर चूसने लगा।

वो मेरे मम्मों को बड़ी बुरी तरह से चूस रहा था। मेरी तो जान निकली जा रही थी। मेरे मम्मों का रसपान करने के बाद वो उठा और मेरी टांगों की ओर बैठ गया। उसने मेरी पैंटी को पकड़ कर नीचे खींच दिया और दोनों हाथों से मेरी टाँगे फ़ैला कर खोल दी।
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#7
वो मेरी जांघों को चूमने लगा और फिर अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी। मेरे बदन में जैसे बिजली दौड़ने लगी। मैंने उसका सर अपनी दोनों जांघों के बीच में दबा लिया और उसके सर को अपने हाथों से पकड़ लिया।उसका लण्ड मेरे पैरों के साथ छू रहा था। मुझे पता चल गया कि उसका लण्ड फिर से तैयार हैं और सख्त हो चुका हैं।
मैंने बूढ़े की बांह पकड़ी और ऊपर की और खींचते हुए कहा- मेरे ऊपर आ जाओ राजा..
वो भी समझ गया कि अब मेरी फुद्दी लण्ड लेना चाहती है।
वो मेरे ऊपर आ गया और अपना लण्ड मेरी चूत पर रख दिया। मैंने हाथ में पकड़ कर उसका लण्ड अपनी चूत के मुँह पर टिकाया और अंदर को खींचा। उसने भी एक धक्का मारा और उसका लण्ड मेरी चूत में घुस गया।
मेरे मुँह से आह निकल गई। मेरी चूत में मीठा सा दर्द होने लगा। अपने पति के इन्तजार में इस दर्द के लिए मैं बहुत तड़पी थी।
उसने मेरे होंठ अपने होंठो में लिए और एक और धक्का मारा। उसका सारा लण्ड मेरी चूत में उतर चुका था। मेरा दर्द बढ़ गया था। मैंने उसकी गाण्ड को जोर से दबा लिया था कि वो अभी और धक्के ना मारे।
जब मेरा दर्द कम हो गया तो मैं अपनी गाण्ड हिलाने लगी।
वो भी लण्ड को धीरे धीरे से अंदर-बाहर करने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#8
कमरे में मेरी और उसकी सीत्कारें और आहों की आवाज़ गूंज रही थी। वो मुझे बेदर्दी से पेल रहा था और मैं भी उसके धक्कों का जवाब अपनी गाण्ड उठा-उठा कर दे रही थी।

फिर उसने मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा।

मैंने घोड़ी बन कर अपना सर नीचे झुका लिया। उसने मेरी चूत में अपना लण्ड डाला। मुझे दर्द हो रहा था मगर मैं सह गई। दर्द कम होते ही फिर से धक्के जोर जोर से चालू हो गए। मैं तो पहले ही झड़ चुकी थी, अब वो भी झड़ने वाला था। उसने धक्के तेज कर दिए।
अब तो मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे यह बुड्ढा आज मेरी चूत फाड़ देगा। फिर एक सैलाब आया और उसका सारा माल मेरी चूत में बह गया।

वो वैसे ही मेरे ऊपर गिर गया। मैं भी नीचे उल्टी ही लेट गई और वो मेरे ऊपर लेट गया।

मेरी चूत में से उसका माल निकल रहा था। फिर उसने मुझे सीधा किया और मेरी चूत चाट चाट कर साफ़ कर दी।

हम दोनों थक चुके थे और भूख भी लग चुकी थी। उसने किसी होटल में फोन किया और खाना घर पर ही मंगवा लिया।

मैंने अपने स्तन और चूत को कपड़े से साफ़ किए और अपनी ब्रा और पैंटी पहनने लगी। उसने मुझे रुकने का इशारा किया और एक गिफ्टपैक मेरे हाथ में थमा दिया।

मैंने खोल कर देखा तो उसमें बहुत ही सुन्दर ब्रा और पैंटी थी जो वो मेरे लिए अमेरिका से लाया था। फिर मैंने वही ब्रा और पेंटी पहनी और अपने कपड़े पहन लिए।

तभी बेल बजी, वो बाहर गया और खाना लेकर अंदर आ गया।
हमने साथ बैठ कर खाना खाया।
उसने मुझे कहा- चलो अब तुम्हें शॉपिंग करवाता हूँ।

वो मुझे मार्केट ले गया। पहले तो मैंने शादी के लिए शॉपिंग की, जिसका बिल भी उसी बूढ़े ने दिया। उसने मुझे भी एक बेहद सुन्दर और कीमती साड़ी लेकर दी और बोला- जब अगली बार मिलने आओगी तो यही साड़ी पहन कर आना क्यूंकि उसको तेरी तंग पजामी उतारने में बहुत मुश्किल हुई आज।

फिर वो मुझे बस स्टैंड तक छोड़ गया और मैं बस में बैठ कर वापिस अपने गाँव अपने घर आ गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#9
(17-06-2022, 02:26 PM)neerathemall Wrote:
मेरी तंग पजामी


मेरी बिगड़ी हुई चाल
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
मेरा एन आर आई बुड्ढा आशिक थोड़े दिनों में ही वापिस अमेरिका जाने वाला था इसलिए उसने मुझे फिर आखरी बार मिलने के लिए कहा।
अब तक मुझे भी उसके लौड़े की जरूरत महसूस हो रही थी इसलिए मैं अपने ससुराल में मायके जाने का बहाना बना कर जालन्धर अपने आशिक के पास चली गई।
उसके बाद मुझे अपने मायके भी जाना था जो जालन्धर के पास ही था तो वहाँ से मुझे कोई परेशानी भी नहीं थी जाने की।

मैंने उस दिन उसी की दी हुई साड़ी पहनी थी और खूब सैक्सी लग रही थी।
वो बस स्टैंड पर गाड़ी लेकर आया और घर जाते समय गाड़ी में ही मेरी जांघ पर हाथ घुमाने लगा।
मैं भी मौका देख कर पैन्ट के ऊपर से ही उसके लण्ड को सहलाने लगी।

बंगले में पहुँचते ही उसने मुझे गोद में उठा लिया और अन्दर ले गया। उसने मुझे कोल्ड ड्रिंक दिया और खुद बीयर पीने लगा।

फिर उसने मुझे कहा- कोमल, तुम भी बीयर का स्वाद लेकर देखो, इसमें कोई नशा नहीं है।
पहले तो मैंने मना कर दिया मगर उसके ज्यादा जोर डालने पर मैंने थोड़ी सी बीयर ले ली।

हम दोनों सोफे पर बैठे थे और उसने वहीं पर मेरे होंठों को अपने होंठों में भर लिया। मैं भी उसका साथ देने लगी। उसने फिर एक जाम बनाया और उसमें थोड़ी सी शराब भी मिला दी। मैंने भी सोचा कि थोड़ी सी है, इससे क्या होगा, और मैंने पूरा जाम ख़त्म कर दिया।

हम दोनों आपस में लिपटे हुए थे। वो कभी मेरी चूचियों को मसल रहा था और कभी मेरी गाण्ड पर हाथ फेर रहा था। मेरी साड़ी का पल्लू भी नीचे गिर गया था और मेरे ब्लाउज में से दिख रहे गोल गोल उभारों पर अपनी जीभ रगड़ रगड़ कर चाट रहा था।
मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी।

उसका लण्ड एकदम सख्त हो चुका था।
मैं सोफे पर ही घोड़ी बन गई और उसके लण्ड की तरफ अपना मुँह करके उसकी पैन्ट खोल दी।
उसने भी अपने चूतड़ उठा कर अपनी पैन्ट उतार दी। उसके कच्छे में उसका लण्ड पूरा तना हुआ था।
मैंने उसका लण्ड बाहर निकाला और अपने हाथों में ले लिया।

वो भी मेरे लम्बे बालों में हाथ घुमाने लगा। मैंने उसके लण्ड को चूमा और फिर अपने नर्म-नर्म होंठ उस पर रख दिए। मानो जैसे मैंने किसी गरम लोहे के लठ्ठ को मुँह में ले लिया हो। मैं उसका लण्ड पूरा मुँह में ले रही थी। लप-लप की आवाजें मेरे मुँह से निकल कर से कमरे में गूंज रहीं थी।

वह भी मेरे सर को ऊपर से दबा दबा कर और अपनी गाण्ड उठा उठा कर अपना लण्ड मेरे मुँह में ठूँस रहा था। उसके मुँह से भी आह आह की आवाजें निकल रही थी।

वो बोला- चूस ले रानी! और चूस! बहुत मज़ा आ रहा है।
मैंने कहा- क्यों नहीं राजा! आज मैं रस पीने और पिलाने ही तो आई हूँ।

फिर उसने मेरे बालों को मेरे चेहरे पर बिखेर दिया और मुझे बाहर कुछ भी नहीं दिख रहा था। सिर्फ मेरे सामने उसका लण्ड था।
एक तरफ उसका पेट और दूसरी तरफ मेरे काले घने बाल थे। मैं उसका लण्ड लगातार चूसे जा रही थी।

फिर उसने मेरी पीठ पर से मेरा ब्लाउज खोल दिया और दूर फेंक दिया। फिर मेरी ब्रा का हुक भी खोल दिया, जिसके खुलते ही मेरे दो बड़े बड़े कबूतर उसकी टांग पर जा गिरे और उसने भी अपना हाथ मेरे दोनों कबूतरों पर रख दिए।
वो मेरी और सीधा हो कर बैठ गया और मेरे चूचों को जोर जोर से मसलना चालू कर दिया।

उसका हाथ कभी मेरे स्तनों पर, कभी मेरी पीठ पर और कभी मेरी गाण्ड पर चल रहा था।
फिर उसने मेरी साड़ी उतार कर मेरा पेटीकोट खोल दिया।

मैंने भी एक हाथ से उसको निकाल दिया और एक तरफ फ़ेंक दिया। अब मेरे बदन पर एक पेंटी ही बची थी उसने उसको भी उतार दिया। मगर मेरी पेंटी उतारते समय वो जरा सा भी आगे नहीं हुआ। मैं हैरान थी कि उसने मेरी पेंटी मेरी गाण्ड से बिना हिले कैसे नीचे कर दी।

अभी मैं सोच ही रही थी की मेरी पेंटी जो अभी जांघों पर थी, में दो ऊँगलियाँ घुसी और मेरी पेंटी और नीचे जाने लगी और मेरे घुटनों पर आकर रुक गई। मुझे लगा कि जैसे किसी और ने मेरी पेंटी उतारी हो।

मैंने झटके से सर को उठाया और पीछे मूड़ कर देखा तो मैं हैरान रह गई। वहाँ पर एक और बुड्ढा कच्छे और बनियान में खड़ा था।

मैंने फिर अपने आशिक की तरफ देखा तो वो बोला- जाने मन… सॉरी, मैंने तुम्हें अपने इस दोस्त के बारे में बताया नहीं। दरअसल यह कल से मेरे घर में है और आज जब सुबह तूने मुझे बताया कि तुम मुझसे मिलने आ रही हो तो मैंने इसे भेजने की कोशिश की मगर शायद इसने हमारी बातें सुन ली थी इसलिए यह मुझसे बोला कि एक बार इसे भी चूत दिला दूँ, काफी अरसे से चूत नहीं मारी।

मुझे इस पर तरस आ गया।

उसने कहा- जान, मैं तुम्हें रास्ते में ही इसके बारे में बताने वाला था मगर डर गया कि कहीं तुम रूठ कर वापिस न चली जाओ, इसलिए घर आकर सोचा कि पहले मैं तुमसे मज़े कर लूँ फिर इसके बारे में बताऊँगा, मगर यह साला अभी आ गया।

मैं अभी कुछ बोली नहीं थी कि वो दूसरा बुड्ढा बोल पड़ा- यार क्या करता? इसकी मस्त गाण्ड देख कर मुझसे रहा नहीं गया।

वो दोनों अब मेरे मुँह की तरफ देख रहे थे कि मैं क्या जवाब देती हूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#11
मगर मैंने जो शराब पी थी उसका नशा मुझ पर चढ़ने लगा था और फिर अगर मैं उस वक्त मना भी करती तो फिर भी वो दोनों मुझे नहीं छोड़ते और मुझे जबरदस्ती ही चोद लेते।

मैंने उस दूसरे बूढ़े की ओर देखा। उसकी सेहत भी कोई खास नहीं लग रही थी। मैंने सोचा कि इसका लण्ड या तो खड़ा ही नहीं होगा या फिर दो मिनट से ज्यादा नहीं टिकेगा।

इसलिए मैंने कहा- कोई बात नहीं, मुझे तुम दोनों इकट्ठे ही मजा दो। मैं तुम दोनों को आज खुश कर दूंगी।

वैसे भी अगर मैं उनकी बात नहीं मानती तो मेरी चूत भी प्यासी रह जाती जो मुझे कभी गंवारा नहीं था।

मेरी बात सुनते ही वो दोनों फिर से मुझ पर टूट पड़े। एक ने मेरे वक्ष को और दूसरा मेरी पेंटी उतार कर (जो अभी तक घुटनों पर ही थी) मेरी गाण्ड को सहलाने लगा।

मैं भी अपना काम चालू रखते हुए फिर से लण्ड को सहलाने लगी। हमारी बातचीत में लण्ड थोड़ा ढीला हो गया था जो फिर से जोश में आ रहा था।

थोड़ी ही देर में मुझे दोनों लण्ड पूरे तने हुए महसूस होने लगे। एक मेरी जांघों पर और दूसरा मेरे मुँह में था।

अब मुझे दूसरे बूढ़े का लण्ड देखने की इच्छा होने लगी। जिसे मैंने सोचा था कि खड़ा ही नहीं होगा। तभी पहले वाले लण्ड में हलचल होने लगी और वो बुड्ढा जल्दी जल्दी मेरे मुँह को चोदने लगा।

मैं भी जोर जोर से उसके लण्ड को अपने हाथों और मुँह में लेने लगी। फिर उसका भरपूर माल मेरे मुँह में था। मैं उसको चाट गई।

उधर दूसरा बुड्ढा जो मेरी चूत और गाण्ड को चाट रहा था, ने भी अपनी जुबान का कमाल दिखाया और मेरी चूत में से पानी निकल गया। मेरी चूत में से निकल रहे पानी को वो चाट रहा था।
इससे मुझे कुछ थकावट महसूस हुई और मैं सोफे पर ठीक से बैठ गई।

एक लण्ड तो ढीला हो गया था मगर दूसरे में अभी दम था। वो बुड्ढा अपना नंगा लण्ड मेरे मुँह के सामने ले कर खड़ा हो गया। उसका लण्ड मैं सोच रही थी कि ज्यादा बड़ा नहीं होगा मगर सात इन्च का लण्ड देख कर मैं हैरान रह गई। बूढ़े की सेहत कमजोर थी मगर उसके लण्ड की नहीं।

मैंने अभी उसका लण्ड हाथ में पकड़ा ही था कि मेरे सामने एक और जाम लेकर वो पहले वाला बुड्ढा खड़ा था।

मैंने भी बिना सोचे समझे जाम हाथ में ले लिया। मैं जानती थी कि इसमें भी शराब है। मगर पता नहीं मुझे नशा हो रहा था।

मैंने उस बूढ़े का लण्ड जाम में डुबो दिया और फिर बाहर निकाल कर उसे चाटने लगी। मैं बार बार ऐसे कर रही थी और बूढ़े का लण्ड और भी बड़ा होता लग रहा था। फिर मैंने एक ही घूंट में पूरा जाम ख़त्म कर दिया।

बूढ़े ने मुझे अपनी गोद में उठाना चाहा, वो शायद मुझे बेडरूम में उठा कर ले जाना चाहता था। उसने मुझे अपनी बाँहों में उठा तो लिया मगर उसे चलने में परेशानी हो रही थी। तभी पहले वाला बुड्ढा भी आ गया और बोला- यार, संभल के! बहुत कोमल माल है, कहीं गिर ना जाए।

फिर उन दोनों ने मिलकर मुझे अपनी बाँहों में उठा लिया, बेडरूम में ले गये और मुझे बैड पर लिटा दिया।

मैंने दोनों लण्डों की तरफ देखा। एक लण्ड अभी भी ढीला था और दूसरा अभी पूरा कड़क।

दूसरे बूढ़े ने मेरा सर पकड़ा और अपनी तरफ कर लिया। मेरा पूरा बदन बेड पर था मगर मेरा सर बैड से नीचे गिर रहा था मगर मेरा मुँह ऊपर की तरफ था। मेरे मुँह के ऊपर बूढ़े का लण्ड तना हुआ था।

मुझे पता था कि अब क्या करना है।

बूढ़े ने अपना लण्ड मेरे चेहरे पर घुमाते हुए मेरे होंठों पर रख दिया। मैं भी अपने होंठों से उसको चूमने लगी और अपने होंठ खोल दिया। बुड्ढा भी समझदार था।

उसने एक हाथ से मेरे सर को सहारा दिया और अपना लण्ड मेरे होंठों में ऐसे घुसा दिया और फिर अन्दर-बाहर करने लगा जैसे किसी गोल खुली हुई चूत में लण्ड घुसाते हैं।

फिर उसने मेरे सर को छोड़ कर मेरे दोनों स्तनों को अपने हाथों में भर लिया। मेरा सर लटक रहा था और उस पर बूढ़े के लण्ड के धक्के, उसके दोनों हाथ मेरे उरोजों को मसल रहे थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#12
ब दूसरा बुड्ढा भी बैड पर आ गया और मेरी टाँगे खोल कर मेरी चूत पर अपना मुँह रख दिया। वो मेरी चूत के ऊपर बीयर डाल रहा था और फिर उसे चाट रहा था। कभी कभी वो मेरे पेट पर मेरी नाभि में भी बीयर डाल कर उसे चाटता।
उसकी जुबान जब मेरी चूत के अन्दर जाती तो मचल कर मैं अपनी गाण्ड ऊपर को उठाती मगर ऐसा करने से मेरे मुँह में घुस रहा लण्ड और आगे मेरे गले तक उतर जाता।
फिर उन दोनों ने मुझे पकड़ कर बैड पर ठीक तरह से लिटा दिया। अब दूसरा लण्ड भी कड़क हो चुका था और पहले वाला तो पहले से ही कड़क था।
अब मेरी चूत की बारी थी चुदने की। मैं बैड पर अभी ठीक से बैठ ही रही थी कि वो सेहत से कमजोर बुड्ढा मुझ पर टूट पड़ा और मुझे नीचे लिटा कर खुद मेरे ऊपर आ गया।
मेरी चूत तो पहले से लण्ड के लिए बेकरार हो रही थी। इस लिए मैंने भी अपनी टाँगें ऊपर उठाई और उसने अपना लण्ड मेरी चूत के मुँह पर रख कर धक्का मारा। उसका लण्ड मेरी चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा घुस गया।
मैं इस धक्के से थोड़ी घबरा गई और अपने आप को सँभालने लगी। मगर फिर दूसरा धक्का में पूरा लण्ड मेरी चूत के बीचोंबीच सुरंग बनाता हुआ अन्दर तक घुस गया।
मुझे लगा जैसे मेरी चूत फट जायेगी। मेरे मुँह से निकला- अबे साले, मेरी फाड़ डालेगा क्या… आराम से डाल! मैं कहीं भाग तो नहीं रही!
वो बोला- अरे रानी… तेरी जैसी मस्त भोसड़ी देख कर सब्र नहीं होता… दिल करता है कि सारा दिन तुझे चोदता रहूँ।
मैं बोली- क्या लण्ड में इतना दम है कि सारा दिन मुझे चोद सके?
इस बात से वो गुस्से में बोला- वो तो साली अभी पता चल जाएगा तुझे!
और मुझे और जोर से चोदने लगा।
मुझमें भी आग थी। मैं भी उसका साथ कमर हिला-हिला कर दे रही थी। आखिर मेरा माल छुटने लगा और मैं उसके सामने निढाल हो कर पड़ गई मगर वो अभी भी मुझे रोंदे जा रहा था, मेरी चूत से फच-फच की आवाजें तेज हो गई थी। मैं उसके नीचे मरे जा रही थी।
तभी दूसरा बुड्ढा आया और उसको बोला- चल, अब मुझे भी कुछ करने दे।
मैं भी बोली- अरे अब बस कर! तू तो सच में मुझे मार डालेगा… पता नहीं तेरा लण्ड है या डंडा?
वो बोला- साली, अभी तो तुझे मैं और चोदूँगा… तुझे बताऊँगा कि मुझमें कितना दम है।
फिर दूसरा बुड्ढा बिस्तर पर लेट गया और बोला-चल, मेरे लण्ड पर बैठ जा!
मैंने वैसे ही किया। उसका लण्ड पूरा डंडे जैसा खड़ा था। मैं उस पर बैठ गई और उसका लण्ड मेरी गीली चूत में आराम से घुस गया। मैं उसका लण्ड मजे से ऊपर नीचे होकर अन्दर बाहर कर रही थी।
वो मेरे नीचे बोला- आह… आह रानी… बहुत मजा आ रहा है… प्यार से मुझसे चुदती जा… मैं भी तुझे प्यार से चोदूँगा।
वो मेरी छाती पर हाथ घुमाता हुआ बोला- ये अपने मम्मे मेरे मुँह में डाल दे रानी।

फिर जब उसका भी छूटने लगा तो उसने अपना लण्ड बाहर निकाल कर मेरे वक्ष पर वीर्य की बौछार कर दी।
मैं भी उसका लण्ड जीभ से चाटने लगी।
शाम तक मैं वहाँ पर चुदती रही और फिर वो दोनों मुझे गाड़ी में बिठा कर मेरे मायके गाँव छोड़ने आये। उन्होंने मुझे गाँव से पीछे ही उतार दिया और वहाँ से मैं पैदल अपने घर चली गई। मगर मुझसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था।
मेरी गाण्ड और चूत का बुरा हाल हो रहा था, मेरी बिगड़ी हुई चाल देख कर मुझे मेरी भाभी ने पूछा भी था- क्या बात है?
तो मैंने कहा- बस से उतरते समय पैर में मोच आ गई थी।
फिर मैं चुपचाप बिस्तर पर लेट गई। तब जाकर कहीं मेरी चूत और गाण्ड को कुछ राहत मिलने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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