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Incest बेटे की जीवन रक्षा हेतु माँ ने उसके साथ किया सहवास
#1
बेटे की जीवन रक्षा हेतु माँ ने उसके साथ किया सहवास
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मेरी बहन तीस वर्ष की है और मेरे बत्तीस वर्षीय जीजा जी तथा सात वर्षीय बेटे के साथ पिछले दस वर्ष से फ़िनलैंड में रह रही है।
मेरे जीजा जी फ़िनलैंड की एक आई टी कंपनी में कार्य करते है तथा उन्होंने वहाँ के लेप्पावारा शहर में एक फ्लैट खरीद कर उसमें परिवार सहित रहते हैं।

जिस पाँच मंजिला इमारत में उनका फ्लैट है, उसमें कुल पचास फ्लैट हैं और उसकी दूसरी मंजिल पर जीजा जी का फ्लैट है। उस इमारत में तो कई देशों के निवासी रहते हैं लेकिन दूसरी और तीसरी मंजिल में अधिकतर भारतीय मूल के परिवार रहते हैं।

दूसरी मंजिल में रहने वाले उन भारतीय मूल के परिवारों में मेरी बहन की उनके बगल के फ्लैट में रहने वाली श्वेतलाना अहोनेन से प्रगाढ़ मित्रता है।
मेरी बहन और वह अकसर एक दूसरे के घर आती जाती रहती हैं और मेरे वहाँ पहुँचने पर श्वेतलाना ने मेरी बहुत आवभगत की भी और कुछ ही दिनों में मेरे साथ भी गूढ़ मित्रता बना ली।

वह अधिकतर सुबह ग्यारह बजे तक अपने घर का काम समाप्त करके मेरी बहन के घर आ जाती थी और पूरा दिन हमारे साथ ही रहती थी। यदि किसी कारणवश जिस दिन वह हमारे घर नहीं आ पाती थी उस दिन वह मुझे अपने घर बुला लेती थी और मैं अकसर पूरा दिन उसके घर ही रहती थी।

छह माह की अवधि में श्वेतलाना ने मुझे फ़िनलैंड के इतिहास एवम् वहाँ की संस्कृति के बारे में बताया तथा वहाँ रहने वाले नागरिकों के रहन-सहन बारे से भी अवगत कराया।
श्वेतलाना द्वारा बताई गई बातों में से एक रोचक बात जो मुझे तब पता चली थी वह मैं आप सब से साझा करना चाहूंगी।

एक दिन सुबह ग्यारह बजे जब मैं श्वेतलाना के घर गई तब उस समय वह बिल्कुल नंगे शरीर अपने घर का काम कर रही थी।
उसे ऐसी हालत में देख कर मुझे घर के अंदर जाने में थोड़ा संकोच एवम् हिचकिचाहट हुई लेकिन असमंजस तब हुआ जब उसने बिना किसी शर्म अथवा झिझक के हँसते हुए मुझे अपने आलिंगन में लेकर मेरा स्वागत किया था।

मैंने घर के अन्दर जा कर श्वेतलाना से कहा- मुझे लगता है कि जब मैंने घंटी बजाई थी तब शायद आप नहाने जा रही थी। आप जाकर नहा आइये, मैं तब तक बैठक में बैठ कर इंतज़ार करती हूँ।
मेरी बात सुन कर वह हँसते हुए कहा- नहीं मैं नहाने नहीं जा रही थी, बल्कि मैं तो नहा कर बाथरूम में से बाहर निकली ही थी जब घंटी बजी थी। मुझे पता था कि तुम आने वाली हो इसीलिए मैंने अपनी जन्म-पोशाक में ही तुम्हारे स्वागत के लिए दरवाज़ा खोल दिया।

लगभग अगले आधा घंटा वह उसी तरह नंगी मेरे लिए चाय बना कर लाई और फिर मेरे पास बैठ कर बातें करती रही।
जब मैंने उससे पूछा- क्या आप घर पर इसी तरह पूरी नंगी ही रहती हैं?
उसने उत्तर दिया- हाँ, यहाँ पर सभी नहाने के बाद कम से कम आधे घंटे तक ऐसे ही नंगे रहते हैं।

मेरी जिज्ञासा बढ़ गई और मैंने पूछ लिया- अगर घर पर कोई पुरुष हो क्या तब भी ऐसे ही रहती हो?
मेरी बात सुन कर श्वेतलाना बोली- जब पति जीवित थे तब उनके सामने मैं तो ऐसे ही घूमती रहती थी। पुत्र के सामने पहले तो ब्रा और पैंटी पहन कर रहती थी लेकिन पिछले चार वर्ष से ऐसे ही घूमती रहती हूँ।

मैंने पूछा- अगर बाहर का कोई पुरुष घर पर होता है, तब आप क्या पहनती हो?
श्वेतलाना ने उत्तर दिया- जब बाहर का कोई पुरुष घर में होता है तब मैं ब्रा और पैंटी के ऊपर स्नान-गाउन पहन लेती हूँ।

कुछ क्षण के लिया चुप रही और फिर मैंने पूछा- पिछले चार वर्ष से अपने पुत्र के सामने भी पूर्ण नंगी रहने से क्या आप को कोई संकोच या लज्जा नहीं आती?
श्वेतलाना ने तुरंत उत्तर दिया- नहीं, मुझे कोई संकोच या लज्जा नहीं आती और इसके पीछे क्या कारण है वह मैं तुम्हें फिर कभी बताऊंगी।

उसकी बात सुन कर मैंने बात बदलते हुए पूछा- आप कह रही हैं कि नहाने के बाद सभी कम से कम आधे घंटे तक ऐसे ही नंगे रहते हैं, ऐसा क्यों? क्या घर के सभी पुरुष भी इस तरह नंगे रहते हैं?
मेरे प्रश्नों के उत्तर में श्वेतलाना ने कहा- फ़िनलैंड का मौसम बहुत ठंडा रहता है जिस कारण हमारा पूरा शरीर दिन रात गर्म कपड़ों में लिपटा रहता है और शरीर को ताज़ी हवा नहीं लगती। अपने शरीर की त्वचा में आई ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए यहाँ के डॉक्टर सभी महिलाओं एवम् पुरुषों को नहाने के बाद आधे घंटे के लिए ताज़ी वायु लगवाने के लिए नंगे रहने की सलाह देते हैं।
श्वेतलाना का तर्क-पूर्ण उत्तर सुन कर मैंने कहा- क्या आप बता सकती हैं कि ऐसा करने से आपके शरीर एवम् त्वचा को क्या लाभ हुआ है?
उत्तर में श्वेतलाना ने खड़ी होकर कहा- क्या तुम मेरे शरीर एवम् त्वचा को ध्यान से देख कर मेरी सही आयु बता सकती हो?
इतना कह कर श्वेतलाना मेरे सामने धीरे से घूम कर मुझे अपना शरीर दिखने लगी तथा मैं गौर से उसके आकर्षक शरीर को ऊपर से नीचे तक निहारती रही।

श्वेतलाना का छरहरा लेकिन स्वस्थ शरीर एकदम श्वेत वर्ण का था, कद लगभग पाँच फुट सात इंच था, चेहरा अंडाकार था, सिर पर घने काले लम्बे बाल थे जो उसके नितम्बों तक पहुँचते थे।
उसका माथा चौड़ा था, आँखें हरे रंग की थी, उन आँखों के ऊपर की भौंह एक हल्की पतली लकीर की तरह थी।
उसके गुलाबी गाल हल्के फूले हुए थे तथा जब वह हंसती थी तो उन गलों में डिंपल पड़ते थे जो उसकी हंसी और सुन्दरता में चार नहीं बल्कि आठ चाँद लगा देते थे।
जब उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ खुलते थे तब उनके अंदर से उसके सफ़ेद मोतियों जैसे दांतों की माला जैसे कमरे में उजाला कर देती थी।
श्वेतलाना की सुराहीदार एवम् लम्बी गर्दन उसके चेहरे के वैभव को दुगना कर रही थी और उसके चौड़े एवम् सुडौल कंधे उसके प्रभावशील व्यक्तित्व को उभारते थे। उसका हृष्ट-पुष्ट वक्ष बाहर को उभरा हुआ था और उसके दृढ़ एवम् ठोस स्तन बहुत नर्म थे जिनका नाप लगभग छतीस इंच होगा तथा उन पर अंगूर जितनी आकार की गहरी भूरी रंग की चूचुक थी।

श्वेतलाना की छब्बीस इंच की बल खाती पतली कमर थी और सपाट पेट के मध्य में छोटी सी नाभि को देखते ही उसके चूमने की इच्छा जागृत होने लगती थी. उस नाभि के ठीक नीचे का जघन-स्थल बिल्कुल बाल रहित था और उसके तल पर डबल रोटी की तरह फूली हुई योनि के बंद होंठों से बनी लकीर बहुत कामुक लग रही थी।
उसकी बलशाली एवम् सुडौल जांघें तथा लम्बी टांगें और उसके छोटे छोटे पाँव उसके एक सफल एथलीट होने की गवाही दे रही थी।

पाँच-छह मिनट तक उसके पूरे शरीर को अच्छे से देखने के बाद मैं बोली- आपके हृष्ट-पुष्ट शरीर एवम् त्वचा को देख कर मैं तो सिर्फ अंदाज़ा लगा सकती हूँ कि आपकी आयु लगभग पैंतीस वर्ष के आस-पास ही होगी।

मेरी बात सुन कर श्वेतलाना बहुत जोर से हंसी और कहा- ऐसे प्रशंसनीय शब्द कहने के लिए बहुत धन्यवाद। लेकिन मेरी आयु के बारे में तुम्हारा अनुमान बिल्कुल गलत है। मैं तुम्हें एक बार फिर सोचने का मौका देती हूँ तथा एक संकेत भी देती हूँ कि अगर मैं पैंतीस वर्ष की हूँ तो क्या मैंने सैम को ग्यारह वर्ष की आयु में जन्म दिया था?

श्वेतलाना की बात सुनते ही मुझे अपने उत्तर पर बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई और क्षमा मांगते हुए मैंने कहा- अगर मैं अब गलत नहीं हूँ तो आपकी आयु लगभग पैंतालीस वर्ष की होगी। लेकिन आपके शरीर और त्वचा को देख कर तो मैं आप को पैंतीस का ही मानती हूँ।
उत्तर में श्वेतलाना ने कहा- हाँ, तुमने ठीक कहा की मेरी आयु पैंतालीस वर्ष है। नहाने के बाद आधे घंटे तक नंगी रह कर अपने पूर्ण शरीर एवम् त्वचा को ताज़ी वायु लगवाने से ही मुझे यह लाभ मिला है।
इसी प्रकार श्वेतलाना हर मुलाकात में अपने बारे में तथा अपने जीवन की रहस्यमय घटनाओं से भी अवगत कराया।

श्वेतलाना द्वारा उसके जीवन के बताये गए अनेक रहस्यों में से एक घटना ऐसी है जिसे उसकी सहमति से मैं उसी के शब्दों में अनुवाद कर के आप सब के साथ साझा कर रही हूँ।
***
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#3
पाठकों एवम् पाठिकाओं को श्वेतलाना अहोनेन उर्फ़ श्वेता मल्होत्रा का नमस्कार!
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#4
मेरे पति फ़िनलैंड के नागरिक थे और पच्चीस वर्ष पूर्व एक खेल-कूद प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए भारत आये थे।
उनसे मेरी मुलाकात उसी प्रतियोगिता के दौरान हुई थी और पहली नज़र में हमें आपस में प्यार हो गया था।
प्रतियोगिता समाप्ति के बाद जब वह अपने देश वापिस जाने के दो माह के बाद ही भारत लौट आये तब हम दोनों ने परिवारों की सहमति से उसी वर्ष विवाह भी कर लिया।

हमारी शादी के बाद तीन वर्ष तक हम भारत में रहे और शादी के एक वर्ष बाद ही मैंने सैम को जन्म दिया था। शादी को तीन वर्षों के बाद मेरे पति मुझे और हमारे दो वर्षीय सैम को लेकर फ़िनलैंड आ गए तथा उन्होंने मेरा नामकरण भी श्वेतलाना अहोनेन करके सदा के लिए यही पर बस गए।

क्योंकि मेरे पति फ़िनलैंड के नागरिक थे इसलिए मुझे एवम् हमारे पुत्र को भी यहाँ की नागरिकता मिलने में कोई अड़चन नहीं हुई तथा एक वर्ष के बाद हम दोनों भी फ़िनलैंड के नागरिक बन गए।

भारत में तीन वर्ष और फ़िनलैंड में पन्द्रह वर्ष हम सबने बहुत ही सुखी विवाहित जीवन व्यतीत किया लेकिन शायद नियति को यह मंजूर नहीं था।
फ़िनलैंड में स्थानांतरित होने के बाद मेरे पति और मुझे स्कीइंग का शौक हो गया और हम हर वर्ष सर्दियों में उत्तरी फ़िनलैंड के लैपलैंड प्रदेश की प्रसिद्ध स्कीइंग रिसॉर्ट्स लेवी में जाते थे। तीन चार वर्षों में ही हमने सैम को भी स्कीइंग सिखा दी और फिर हमारा पूरा परिवार हर वर्ष लैपलैंड की विभिन्न स्कीइंग रिसॉर्ट्स में स्कीइंग करने जाने लगे थे।

क्योंकि हम सभी स्कीइंग में निपुण थे इसलिए कई बार तो हम लोग वहाँ के दुर्गम एवम् खतरनाक स्कीइंग रिसॉर्ट्स पर भी स्कीइंग करने के लिए जाने लगे।
सात वर्ष पहले की सर्दियों में लैपलैंड की य्ल्लास स्कीइंग रिसॉर्ट् पर हमने तीन दिन तक वहाँ की अनेक स्कीइंग ट्रैक्स पर स्कीइंग की।

चौथे दिन दोपहर को मेरे पति ने वहाँ की एक खतरनाक स्कीइंग ट्रैक पर स्कीइंग करने का सुझाव दिया जिसे मैंने और सैम ने ठुकरा दिया तब वे अकेले ही स्कीइंग करने चले गए।
जब वह शाम तक वापिस नहीं लौटे तब मैं और सैम ने उस स्कीइंग ट्रैक के सहायता केंद्र से सम्पर्क किया तो पता चला कि उस ट्रैक पर हिम-स्खलन हो गया था तथा वहाँ फंसे लोगों को निकाला जा रहा था।

हम दोनों तुरंत उस सहायता सम्पर्क केंद्र पर पहुंचे और स्कीइंग ट्रैक से निकाले गए लोगों में जब मेरे पति नहीं मिले तब हमने उनकी तलाश शुरू कर दी।
लगभग रात के ग्यारह बजे हमें ट्रैक के किनारे एक टूटी हुई स्की दिखाई दी और उससे कुछ दूर बर्फ में दबे एक मानव शरीर के अंग दिखाई दिए।

सहायता केंद्र के लोगों ने तुरंत कारवाई करी और उस शरीर को जब बर्फ में से निकला गया तब मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई क्योंकि वह शरीर मेरे पति का ही था।
उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया जहाँ डॉक्टरों ने पहली जांच के बाद ही उन्हें मृत घोषित कर दिया और पोस्टमार्टम के बाद बताया कि तीव्र गति से पेड़ से टकराने से उनकी छाती एवम् माथे पर लगी चोट के कारण उनका निधन हुआ था।

अगले दिन वहाँ के पारिवारिक रीति रिवाजों के अनुसार अपने पति के पार्थिव शरीर को य्ल्लास के कब्रिस्तान में ही दफना कर वापिस घर आये और तब से मैं एक विधवा की तरह जीवन व्यतीत कर रही हूँ।
मुझे और मेरे पुत्र सैम को फ़िनलैंड सरकार की ओर से देश के कानून एवम् नियमों अनुसार जीवन बसर के लिए सभी सहायता एवम् सुविधाएं प्रदान की गई हैं जो भारत में स्वप्न में भी प्राप्त नहीं हो सकती।

हमें रहने के लिए यहाँ की सरकार से एक घर मिला है और सैम को कॉलेज तक की पढ़ाई के लिए सौ प्रतिशत छात्रवृति तथा मुझे व्यक्तिगत एवम् घर खर्च आदि के लिए हर माह दो हज़ार यूरो का अनुदान मिलता है।

दो वर्ष पहले सैम ने बाईस वर्ष की आयु में ही अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी कर ली है। फ़िनलैंड में अधिकतर युवक अठारह वर्ष की आयु के होते ही अपने माता पिता का घर छोड़ कर अलग रहने लगते हैं लेकिन सैम ने ऐसा नहीं किया।
उसकी परवरिश पश्चिमी संस्कारों में होने के बावजूद भी वह मेरे से मिले भारतीय संस्कारों के कारण पिछले सात वर्षों से मेरे साथ ही रह रहा है।

मैं और सैम पिछले सात वर्षों से पति की मृत्यु की पुण्य तिथि के दिन य्ल्लास जाते हैं और उनकी कब्र पर फूल चढ़ाते एवम् मोमबत्ती जलाते हैं तथा दुर्घटना स्थल पर उन्हें मौन श्रधांजलि देते आ रहे हैं।

पति की तीसरी पुण्य तिथि पर भी हम उनकी कब्र पर उन्हें श्रधांजलि देने के बाद सदा की तरह उस स्थान की ओर चल पड़े जहाँ उनकी दुर्घटना हुई थी।
लगभग पैंतालीस मिनट की स्कीइंग के बाद हम वहाँ पहुंचे जहाँ से मेरे पति का शरीर मिला था और हमने कुछ समय के लिए उस स्थान पर मौन रह कर प्रार्थना करी।
उसके बाद हमने कुछ देर के लिए वहाँ एक पेड़ के नीचे बैठ कर उनकी पुरानी बातों को याद किया और फिर वापिस चल पड़े।

क्योंकि हम जंगल के रास्ते से पेड़ों के बीच में पैदल चल रहे थे इसलिए घने पेड़ों की छाया में हमें पता ही नहीं चला कब आसमान पर बादल छा गए और अचानक बर्फ गिरने लगी। बर्फ के गिरने तथा तेज़ी से अँधेरा होते देख कर हम फिर से स्कीइंग ट्रैक पर आकर तेज़ी से चलने लगे।

तभी अकस्मात् सामने पहाड़ी की ओर में हिम-स्खलन हुआ और स्कीइंग ट्रैक की ढलान पर बर्फ का एक बहुत बड़ा गोला हमारी ओर तीव्र गति से बढ़ने लगा था।
जब तक की हम उस हिम-स्खलन से बचने के लिए पेड़ों की ओट लेते तब तक उसने हम दोनों को अपने आगोश में ले कर नीचे की ओर लुढ़कने लगा।
उस बर्फ गोले के अंदर लिपटे हम दोनों लगभग आधा किलोमीटर तक लुडकते हुए उस ढलान के अंत के करीब पहुँचने वाले थे तभी वह टूट कर दो हिस्सों में बंट गया।
एक हिस्सा जिसमें मैं थी वह कुछ दूर आगे जा कर दो पेड़ों से टकरा कर बिखर गया और दूसरा हिस्सा जिस में सैम था ढलान के अंत में एक तालाब में जा गिरा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#5
टूट कर बिखरे हुए बर्फ के गोले में से आज़ाद होते ही मैंने भाग कर तालाब की ओर गई तो देखा कि वह बर्फ का टुकड़ा तालाब के पानी पर तैर रहा था और सैम उसमें फंसा हुआ था।
मैं झट से तालाब में कूद गई और तैरते हुए उस बर्फ के गोले के पास पहुंच कर उसे धकेलते हुए किनारे की ओर ले आई।
किनारे के पास पहुँचते ही वहाँ पड़ी एक लकड़ी की मदद से मेरे द्वारा उस बर्फ के गोले को तोड़ते ही सैम उसमें से बाहर निकल कर पानी में गिर गया।
कठोर मेहनत के बाद हम दोनों को उस तालाब के बर्फीले ठन्डे पानी में से तैर कर बाहर निकलने में नौ से दस मिनट लग गए।
तालाब में से बाहर निकलने के बाद हम दोनों ठंड के मारे कांप रहे थी जब मैंने देख की सैम के होंठ, गाल और हाथ उस बर्फीली ठंड के कारण नीले पड़ने लगे थे।

तभी मुझे वहाँ से लगभग पचास मीटर दूर पेड़ों के झुण्ड में स्कीइंग रिसॉर्ट्स द्वारा बनाई गई एक पुरानी सी लकड़ी के लठ्ठों से बनी झोंपड़ी दिखाई दी जिसे वहाँ के लोग टिम्बर शैक कहते हैं।

सैम के नीले पड़ते शरीर को देखते ही मैंने तुरंत उसे बाजू से पकड़ा और उसे घसीटते हुए भाग कर उस टिम्बर शैक की ओर ले गई।
टिम्बर शैक पर पहुँचते ही मैंने दरवाज़े को धक्का दे कर खोला और शैक के अंदर जा कर उसे बंद कर किया तब जा कर हमें बर्फ तथा बर्फीली ठंडी हवा से राहत मिली।
हमने अन्दर जा कर देखा की उस टिम्बर शैक में स्कीइंग रिसॉर्ट्स की ओर से स्कीइंग करने वालों के आराम के लिए सभी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करा रखी थीं।
उस टिम्बर शैक में एक बैड रखा था जिस पर एक गद्दा था तथा उसके ऊपर एक कम्बल बिछा हुआ था और बिस्तर के एक ओर दो कम्बल एवम् दो तकिये भी रखे हुए थे।

क्योंकि हम दोनों बुरी तरह गीले थे इसलिए मैंने सैम के सभी कपड़े उतारने में मदद करी और उसे एक कम्बल लपेट कर बैड पर लिटा दिया।
उसके बाद मैंने भी सभी कपड़े उतार दिए कर अपने शरीर को दूसरे कम्बल में लपेट लिया और हमारे उतारे हुए गीले कपड़े सूखने के लिए वहाँ रखी दो कुर्सियों पर फैला दिए।

कुछ देर के बाद जब टिम्बर शैक में अँधेरा होने लगा तब मैंने कोने में बनी एक छोटी सी शैल्फ पर पड़ी मोमबत्तियों में से एक मोमबत्ती जला कर रोशनी करी।
टिम्बर शैक के अंदर मोमबत्ती की रोशनी होते ही मेरी नज़र सैम पर पड़ी तो मैं बेचैन हो उठी क्योंकि वह कम्बल में भी ठंड के मारे बहुत बुरी तरह कांप रहा था।

क्योंकि तीन वर्ष पहले हिम-स्खलन के हादसे में मैं अपने पति को सदा के लिए खो चुकी थी इसलिए उसके नीले पड़ते हुए कांपते शरीर को देख कर मेरे मन में एक भय उजागर हो गया।
मैं अब किसी भी परिस्थिति में उसी प्रकार के हादसे में अपने बेटे को भी खोने के भय से विचलित हो उठी। मेरे अंदर की माँ ने पुत्र मोह के कारण बदहवास हालत में तुरंत अपने शरीर पर लिपटे हुए कम्बल को उतार कर उसके ऊपर डाल दिया।

जब दूसरा कम्बल ओढ़ाने के बाद भी मुझे सैम की हालत में कोई सुधार नहीं दिखाई दिया तब मैं उसके पास बैठ कर मेरे हाथों और पांव को अपने हाथों से रगड़ कर गर्म करने लगी।
क्योंकि मैं बहुत देर से बिना वस्त्रों के बैठी थी इसलिए अपने शरीर में निरंतर हो रही कंपकंपी की लहरें को महसूस किया।
तभी मेरे मस्तिष्क में विचार आया कि अगर मैं सैम के साथ उसके कम्बल में लेट जाऊं तो संभवतः हम दोनों की शारीरिक ऊष्मा मिल कर उसे कुछ आराम दे दे।

तब मेरे अन्दर ममता जाग उठी और खुद का शरीर ठंडा होने के बावजूद मैं अपने अंश के शरीर को गर्मी देने की चेष्टा में मैं सैम के कम्बल में घुस कर उसके शरीर के साथ लिपट गई।

रात के सात बज चुके थे और पन्द्रह मिनट तक साथ लेटे रहने के बावजूद भी दो कम्बलों एवम् हम दोनों की शारीरिक गर्मी से भी उसकी कंपकंपी तथा ठंड लगनी बंद नहीं हुई।
अचेत सैम के ठंडे एवम् कांपते शरीर को गर्म करने के लिए उसे अपने बाहुपाश में ले कर कस कर चिपक गई।
लगभग पन्द्रह मिनट तक चिपक कर लेटे रहने ले बावजूद भी जब सैम की हालत में सुधार नजर नहीं आया और उसके अंग नीले पड़ने लगे तब मैं बहुत डर गई।

उस भयग्रस्त अवस्था में मैं मातृत्व के आवेग में आ कर मैंने सैम को सीधा किया और उसके ऊपर चढ़ कर लेट गई।
मैंने अपने दोनों स्तन सैम के चौड़े सीने में गड़ा दिए और अपना पेट एवम् जाँघों उसके पेट एवम् जाँघों के साथ चिपका दिये थे तथा मैं अपनी गर्म साँसे उसके चेहरे पर छोड़ने लगी।
ऐसा करने पश्चात मैं अपने हाथों से सैम के शरीर के विभिन्न अंगों को रगड़ कर गर्म करने की चेष्टा कर रही थी तभी अकस्मात मेरी उँगलियाँ उसके लिंग को छू गई।

सैम के लिंग का स्पर्श होते ही मेरे मस्तिष्क में एक असंगत एवम् अनैतिक विचार आया कि अगर मैं उसके लिंग को सहलाना एवम् मसलना शुरू कर दूँ तो शायद उसके शरीर में गर्मी आने लगे।
मेरे मातृ-बोध ने मुझे अपने बेटे को अकाल मृत्यु से बचाने की अभिलाषा के लिए उस असंगत एवम् अनैतिक विचार को कार्यान्वित करने के लिए प्रोत्साहित किया।

मैंने तुरंत हम दोनों के शरीर के बीच में अपने हाथ डाल कर उस समय दोनों की जाँघों के बीच में स्थित सैम के लिंग पर रख दिया।
सैम के लिंग पर हाथ रखने के कुछ क्षणों बाद मेरा हाथ स्वाभाविक रूप से उसे सहलाने लगा और देखते ही देखते मैं उसे पकड़ कर हिलाने भी लगी।

मेरी धारणा थी कि यौन क्रिया में पूर्व संसर्ग करने से जब लिंग और योनि को उत्तेजित करते है तब स्त्री एवम् पुरुष की रक्त धमनियों में प्रवाह बढ़ जाता है जिस कारण शरीर में ऊष्मा भी उत्पन्न होती है।
पाँच मिनट तक लिंग को हिलाने के बाद जब वह अचेत ही रहा तब मैं बहुत अधीर हो उठी और बिना समय गवाएं पलटी हो कर सैम पर लेट गई।
फिर मैंने सैम के मुख पर अपनी योनि रख कर उसे गर्मी देने के लिए रगड़ने लगी और उसके अचेत लिंग को अपने मुंह में डाल कर चूसने लगी।

मेरी धारणा के अनुसार शीघ्र ही सैम के लिंग में चेतना के लक्षण महसूस होने लगे क्योंकि मेरे मुंह में उसके आकार में वृद्धि होने लगी थी। पिछले डेढ़ घंटे के तनाव के बाद यह सकारात्मक लक्षण महसूस करके मैं हर्ष से उत्साहित हो कर अधिक तीव्रता से सैम के लिंग का चूषण करने लगी।

मेरे इस तीव्र लिंग चूसन क्रिया से दो-तीन मिनटों में ही सैम का लिंग कठोर होने लगा था जिस कारण वह मेरे मुंह में नहीं समा रहा था।
कुछ ही क्षणों बाद मुझे सैम के सिर को हिलते हुए महसूस किया जिसका कारण शायद मेरे जघन-स्थल के बालों का उसके नाक में घुस जाना होगा।

सैम की चेतना को लौटते देख कर मैं तुरंत सीधी हो कर उसके ऊपर लेट गई और उसके आठ इंच लम्बे तथा ढाई इंच मोटे कठोर लिंग को अपनी जाँघों के बीच में दबा लिया। मैंने अपने होंठ में सैम के होंठों को दबा कर उन्हें चूसने लगी तथा अपने कूल्हों को ऊपर नीचे हिला कर उसके लिंग को अपनी योनि के होंठों के पास रगड़ने लगी।
मेरे मस्तिष्क में घूम रहे विचारों तथा मेरी इस क्रिया के कारण मेरे शरीर में रक्त प्रवाह तेज़ होने लगा और उत्तेजना की लहरें उठने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
तभी सैम ने आँखें खोली लेकिन उसके होंठ मेरे होंठों में होने के कारण बोल नहीं सका और मुझे प्रश्न-भरी दृष्टि से देखने लगा था।

क्योंकि सैम कर शरीर अभी भी ठंडा था इसलिए मैंने उस क्रिया को आगे बढ़ाते हुए अपने हाथ से उसके लिंग को अपनी योनि के मुख पर रख कर धक्का लगा दिया।
धक्का लगते ही उसका आधा लोहे जैसा कठोर लिंग मेरी योनि में बहुत तेज़ रगड़ लगाता हुआ अंदर घुस गया।

क्योंकि तीन वर्षों के बाद किसी पुरुष का लिंग मेरी योनि में जा रहा था इसलिए उस तेज़ रगड़ से मुझे बहुत तीव्र पीड़ा हुई। मैंने उस पीड़ा की कोई परवाह नहीं करी और एक तेज़ धक्का लगा कर सैम का बाकी का पूरा लिंग अपनी योनि के अंदर ले लिया।

सैम के पूर्ण लिंग के मेरी योनि में प्रवेश करते ही मेरे मुंह से एक चीख और सैम के मुख से एक आह.. निकल गई।
शायद मेरे साथ सैम को भी लिंग पर तेज़ रगड़ लगने से कुछ असुविधा और पीड़ा हुई होगी जिस कारण हम दोनों के मुंह से चीख तथा आह.. निकली थी।

मैंने लगभग तीन-चार मिनट तक उस पीड़ा के कम होने की प्रतीक्षा करी और जैसे ही अपने को थोड़ा सहज महसूस किया तब मैं उचक उचक कर सैम के लिंग को अपनी योनि के अंदर बाहर करने लगी।
मेरे ऐसा करने से सैम के शरीर का रक्त प्रवाह भी बढ़ गया तथा उसकी उत्तेजना में भी बढ़ोतरी हो गई और मैंने उसके लिंग-मुंड की मोटाई में वृद्धि भी महसूस की।

हमें यौन संसर्ग करते हुए दस मिनट ही हुए थे जा मेरी योनि में हल्की सी सिकुड़न हुई और उसके साथ ही उसमें से एक छोटी किश्त योनि रस की निकली।
उस योनि रस के कारण मेरी योनि में हुए स्नेहन से सैम का लिंग बहुत ही आराम से उसके अंदर बाहर होने लगा था।

तभी सैम ने मुझे अपनी बांहों में जकड़ कर करवट ली और मुझे नीचे लिटा कर खुद मेरे ऊपर चढ़ कर अपने लिंग को मेरी योनि के अंदर बाहर करने लगा।
यह सब इतना अचानक हुआ कि मुझे पता भी नहीं चला कि सैम का शरीर पूर्ण गर्म हो गया था और वह बहुत उत्तेजित भी हो चुका था।

मेरी उत्तेजना में भी बहुत वृद्धि हो चुकी थी इसलिए मैंने भी उस क्रिया पर रोक नहीं लगाई अथवा उसका आनन्द लेने लगी।

सैम ने बीस मिनट तक मेरे साथ पहले तो धीमी, फिर तीव्र और अंत में बहुत तीव्र गति से संसर्ग किया जिस कारण मेरी योनि में से तीन बार रस का स्खलन हुआ।
तीन वर्षों के बाद किए जाने वाले इस संभोग का परमानन्द लेने के लिए मैंने सैम के हर धक्के का स्वागत अपने कूल्हे उठा कर किया।

जब भी सैम का लिंग मेरी योनि के अंदर गर्भाशय की दीवार से टकराता तब मेरे रोम रोम में खलबली मच जाती और मेरी योनि संकुचित हो कर उसके लिंग को जकड़ लेती।
उस समय मुझे सैम का शरीर बहुत गर्म लग रहा था और मैं बिल्कुल आश्वस्त थी की मैंने उसे मौत के मुंह से बाहर निकाल लिया था।

लगभग दस मिनट तक हम दोनों ने अत्यंत तीव्र संसर्ग किया और जब सैम का लिंग-मुंड फूलने लगा तब उसने पूछा- मम्मी, मेरा वीर्य रस निकलने वाला है। क्या मैं इसे बाहर निकाल लूं या फिर आप के अंदर ही स्खलित कर दूँ?

क्योंकि मैं एक बार फिर से अपनी योनि में गर्म वीर्य की बौछार से मिलने वाले आनंद एवम् संतुष्टि को अनुभव करना चाहती थी इसलिए मैंने कहा- सैम, तुम अपना वीर्य रस मेरी योनि के अंदर ही स्खलित करना ताकि मुझे तीन वर्षों की अवधि के बाद एक बार फिर से उस आनन्द, सुख एवम् संतुष्टि की अनुभूति हो।

मेरा कहा सुन कर सैम ने अत्यंत तीव्रता से सात-आठ धक्के लगाए जिससे मेरी उत्तेजना चरमसीमा पर पहुँच गई और मेरी टांगें अकड़ गई, शरीर ऐंठ गया तथा योनि में अत्यंत तीव्र संकुचन हुआ।
उस संकुचन के कारण सैम के लिंग पर प्रगाढ़ रगड़ लगी और उसका लिंग-मुंड मेरी योनि में ही फूल गया तभी मेरे मुख से बहुत ऊँचे स्वर में सिसकारी एवम् सैम के मुख से चिंघाड़ निकली।
उस सिसकारी एवम् चिंघाड़ के साथ मेरी योनि ने गर्म रस का फव्वारा चला दिया और सैम के लिंग ने उस फव्वारे पर अपने वीर्य रस की बौछार कर दी।
तीस से चालीस सेकंड के बाद जब दोनों के गर्म रस का फव्वारा तथा बौछार बंद हुआ तब मैंने अपनी योनि के अंदर पैदा हुई ऊष्मा को अनुभव किया।

उस अनुभव से मुझे वही यौन सुख, आनंद एवम् संतुष्टि प्राप्त हुई जो मैंने अपने विवाहित जीवन के अठारह वर्ष तक अपने पति से प्राप्त करी थी।

उसके बाद सैम निढाल हो कर मेरे ऊपर लेट गया और मैं उसे अपने आगोश में ले कर चूमने लगी।
लगभग पाँच मिनट तक वैसे ही लेटे रहने के बाद जब सैम मेरे ऊपर से हटा तब मैंने उसे अपने बगल में लिटा कर अपने साथ चिपका लिया।

कुछ देर बाद एक दूसरे के होंठों को चूमते चूसते हुए हम दोनों की शारीरिक ऊष्मा ने हमें नींद के आगोश में धकेल दिया।

जब सुबह छह बजे मेरी नींद खुली और मैंने अपने को सैम के बाहुपाश में पाया तथा उसका पूर्ण नग्न शरीर मेरे पूर्ण नग्न शरीर से चिपका हुआ था।
मुझे रात में इतनी गहरी निद्रा आई थी की जागने के उपरान्त कुछ देर के लिए मैं विस्मय से इधर उधर देखती रही।

तभी मुझे बारह घंटे पहले की घटना का स्मरण हो आया और वह सभी दृश्य एक चलचित्र की तरह मेरी आँखों के सामने से गुजर गए।
जीवित सैम को अपने आगोश में सोते हुए देख कर मैंने ममता वश उसे चूमते हुए अपनी बाजुओं में कस कर भींच लिया।
मेरे ऐसा करने से सैम की निद्रा भंग हो गई और उसने मुझे कस कर अपने बाहुपाश में ले कर मेरे गलों को चूमने के बाद उठ कर बैठ गया।

सैम के बैठते ही मेरे नग्न शरीर के ऊपर से कम्बल हट गया जिसे देखते ही उसने हड़बड़ा कर कम्बल मेरे ऊपर डाल कर बैड से नीचे उतर गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
जैसे ही वह उठ कर खड़ा हुआ तब उसे अपनी नग्नता का एहसास हुआ और अपने तने हुए कठोर लिंग को देख कर शरमाते हुए उसे अपने हाथों से ढक लिया।

इसके बाद मैंने कम्बल से बाहर आते हुए कहा- हमें अब जल्दी से तैयार हो कर य्ल्लास के लिए चलना चाहिए। अगर देर हो गई तो हमारी वापसी फ्लाइट छूट जाएगी।”

रात की क्रिया के बाद सैम के सामने नग्न खड़े होने में मुझे कुछ संकोच होने तो निरर्थक था इसलिए मैं बिस्तर से निकल कर उसके सामने ही कुर्सी पर रखे कपड़ों को पहनने लगी।

मेरे देखा देखी सैम ने भी दूसरी कुर्सी पर रखे अपने कपड़े पहनते हुए बोला- मम्मी, मुझे बचाने के लिए आपने रात को जो भी किया उसके लिए मैं जीवन भर आपका कृतज्ञ रहूँगा। कल रात आपने मुझे पुनर्जन्म दिया है।
मैंने उसकी ओर देखते हुए कहा- बेटा, ऐसा नहीं कहते। माँ और बेटे के बीच में कोई किसी का कृतज्ञ नहीं होता। एक माँ को अगर अपनी संतान की रक्षा के लिए काल का भी सामना करना पड़े तो वह उसमे भी पीछे नहीं हटेगी। मैंने भी अपनी संतान की रक्षा के लिए सिर्फ एक माँ का कर्तव्य निभा कर तुम्हें जीवित रखा है। तुम इसे पुनर्जन्म कहना चाहो तो तुम्हारी इच्छा है।

कुछ ही मिनटों में दोनों तैयार हो कर टिम्बर शैक से बाहर निकले तो तूफ़ान एवम् बर्फ़बारी बंद हो चुकी थी और आकाश में माध्यम उजाला भी दिखने लगा था।
हम तेज़ी से पेड़ों के बीच में डेढ़ घंटे तक पैदल चलते हुए य्ल्लास पहुंचे और वहाँ से अपनी वापसी फ्लाइट ले कर शाम तक घर पहुँच गए।

अन्तर्वासना के पाठको एवम् पाठिकाओ… मुझे विश्वास है कि आपको उस प्रश्न का उत्तर भी मिल गया होगा जिसे आपकी प्रिये लेखिका श्रीमती तृष्णा लूथरा ने मुझसे पूछा था और तब मैंने कहा था कि मैं उस प्रश्न का उत्तर फिर कभी बताऊंगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
zxcv
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#9
Update bro.... A different concept story.... Pls update this story soon# waiting
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#10
(15-06-2022, 08:42 PM)Fing fing Wrote: Update bro.... A different concept story.... Pls update this story soon# waiting

Namaskar Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#11
As per my opinion no need to continue this story kyoki bahut saari stories Bina kahe bhi bahut kuchh kah jaati ha it's ok good skill
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#12
goodbye
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#13
Next update
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#14
(15-06-2022, 08:42 PM)Fing fing Wrote: Update bro.... A different concept story.... Pls update this story soon# waiting

(16-06-2022, 06:15 PM)Paul5 Wrote: As per my opinion no need to continue this story kyoki bahut saari stories Bina kahe bhi bahut kuchh kah jaati ha it's ok good skill
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#15
New taste nice
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#16
clps Namaskar




(18-06-2022, 09:00 PM)Manu gupta Wrote: New taste nice

Namaskar
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#17
(15-06-2022, 06:00 PM)neerathemall Wrote:
बेटे की जीवन रक्षा हेतु माँ ने उसके साथ किया सहवास
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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thanks
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#18
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#19
(15-06-2022, 06:00 PM)neerathemall Wrote:
बेटे की जीवन रक्षा हेतु माँ ने उसके साथ किया सहवास

Namaskar Namaskar Namaskar Namaskar
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#20
(15-06-2022, 06:00 PM)neerathemall Wrote:
बेटे की जीवन रक्षा हेतु माँ ने उसके साथ किया सहवास
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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