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Adultery सर्दी में जंगल में
#1
सर्दी में जंगल में
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
एक 28 साल का युवक हूँ और मेरे लंड की साइज़ भी इतनी मस्त है कि ये किसी भी लड़की या भाबी को चुदाई का पूरा मज़ा दे सके.

हालांकि मुझे लड़कियों से भाबियों की चुदाई करना ज्यादा पसंद है.
मैं अपनी कहानी पर आने से पहले ही कह दूँ कि कोई भी पाठक मुझसे किसी भाबी का नंबर या आइडी ना मांगे.
किसी भी लड़की या भाबी के लिए उसकी प्राइवेसी और गोपनीयता बनाए रखना बहुत ज़रूरी होता है.
इसलिए ये देखते हुए मैंने कहानी में नाम बदल दिए हैं.
इस घटना में मैंने कोई गद्दारी नहीं की. जो भी हुआ, मर्ज़ी से एक बार ही हुआ.

यह कहानी मेरे दोस्त की वाइफ की चुदाई की है.
हम तीनों साथ में ही काम करते हैं.

पहले मैं आपको दोस्त की वाइफ के बारे में बता देता हूँ.
वो एकदम सिंपल लड़की है. उसका फिगर बड़ा ही खास है. उसका पिछवाड़ा देखकर बड़े बड़े चुदक्कड़ों के लंड खड़े हो जाते थे.
उसकी गांड में ऐसा जादू था कि मरीज सिर्फ़ उसकी गांड देखने के लिए बार बार आते थे.

वो साड़ी पहनती थी. उसकी आंखें भूरी और गाल एकदम गुलाबी थे. उसके बूब्स और गांड भी मस्त बाहर निकलती हुई थी.

हम लोगों को एक मेडिकल कैंप के लिए नासिक जाना था.
हम लोग लगभग पन्द्रह लोग थे.

पल्लवी भाबी और मेरा दोस्त सागर भी साथ में थे.
सागर, मैं और भाबी हमेशा साथ में घूमते थे, ड्रिंक करते थे.

मैं उनके घर पर बहुत बार रहा हूँ.

जब हम लोग नासिक आए तो वहां पर हमें जंगल में रहना था.
मतलब टेंट लगा दिए थे, पर दोनों तरफ़ से कोई भी झांक सकता था.
जहां हम गए थे, वहां पर ज्यादातर ग्रामीण लोग ही रहते थे.

दो दिन के बाद सागर के पैर में मोच आने के कारण सागर वापिस आ गया.
उसने कैंप और भाबी की ज़िम्मेदारी मुझे सौंप दी.

सागर के जाने के बाद पल्लवी भाबी ने मुझे बुलाया और कहा कि आज रात को ही अपना कल का प्लान डिसकस कर लेते है.

हमारा काम होने के बाद मैं फ्रेश होकर उनके टेंट में गया.
भाबी अन्दर कपड़े चेंज कर रही थीं. एक पर्दा पड़ा था लेकिन मुझे सब दिख रहा था.

भाबी ने ब्लाउज और ब्रा निकली और टी-शर्ट पहन ली.
उन्होंने नीचे कुछ नहीं पहना था. भाबी ने अपनी पैंटी भी निकाल दी, सिर्फ़ नाइट पैंट पहन ली.

उनके बूब्स और गांड को देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया.
मेरा मन किया कि अभी जाकर उनकी गांड में लंड पेल दूँ और भाबी को घोड़ी बनाकर शॉट लगाने लगूं, बाद में अपना लंड उनके मुँह में डाल दूँ.

मैंने आवाज़ दी तो पल्लवी भाबी ने अन्दर आने को कहा.
मैं पहले से ही अन्दर था. मैं आ गया तो भाबी को देखता रहा.

भाबी बहुत हॉट माल लग रही थीं.

मैंने ऊपर से नीचे तक भाबी को घूरना शुरू कर दिया. पल्लवी भाबी के कपड़े बहुत टाइट थे, उनके चूचे और चूत का आकार एकदम साफ़ झलक रहा था.

वो मुझसे बात कर रही थीं और मेरी नज़रें उनकी फूली हुई गांड पर थी.
ऐसा पहली बार हुआ था, जब मैंने भाबी के बारे में ग़लत सोचा था.

तभी बाकी लोग आ गए.
हम सब लोगों ने कल का प्लान डिसकस किया.

सभी को सोने की जल्दी थी, बहुत सारी नर्स गांड मरवाने को बेकरार थीं और उन सबने अपना अपना लंड को सिलेक्ट कर लिया था.

थोड़ी देर बाद सब लोग निकल गए, भाबी ने मुझे रुकने को कहा.

भाबी ने कहा कि हमने जिन गामीणों को दवाई दी है. उन लोगों ने उनका पारंपरिक डांस देखने को बुलाया है. बाकी सब नहीं आ रहे हैं. हम लोगों को उधर जरूर जाना चाहिए.
हम लोग उनके यहां जाने के लिए निकल गए. वो लोग पहाड़ों के बीच अपनी कुछ पूजा आदि कर रहे थे.

कुछ देर बाद उनका डांस शुरू हुआ.
बहुत मज़ा आ रहा था.
उन लोगों ने हमें भी नचाया.

फिर बाद में एक बंदे ने मुझे एक ग्लास लाकर दिया जिसमें कुछ पीने का शर्बत जैसा था.

उसे पीने के बाद पता चला वो शराब जैसा कुछ था.
वो लोग बहुत सिंपल थे और उनके यहाँ उस शरबत की बड़ी मान्यता थी.

मैंने और भाबी ने शर्बत पिया और मज़ा लेते रहे.

वो लोग हमें मियां बीवी समझ रहे थे.
उनके डांस के दौरान हम दोनों भी डांस कर रहे थे.
भाबी मेरे आगे नाच रही थीं. मेरा लंड भाबी की मक्खन जैसी गांड में घुस रहा था, पर हम लोग नशे में थे.

काफी देर की मस्ती के बाद उनको बोलकर हम दोनों वहां से अपने टेंट आने के लिए निकल आए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
हम रास्ता भटक गए और कुछ समझ में नहीं आ रहा था.
मोबाइल में नेटवर्क नहीं था.

हम लोग दो घंटे से भटक रहे थे.
भाबी थक गईं और बोलीं- कहीं पर बैठ जाते हैं और फिर सोचते हैं.

ठंड बहुत ज्यादा थी. हम दोनों ने नॉर्मल कपड़े पहने हुए थे.

उतने में भाबी को सामने एक खाली खंडहर दिखा.
हम दोनों डरते डरते वहां पर गए.

अन्दर खाली कमरे थे.
हमने सोचा कि यहीं पर कुछ देर रुकते हैं.

मैं दूसरे रूम में गया, तभी भाबी के चिल्लाने की आवाज़ आई. मैंने देखा तो भाबी वहां पर टंकी जैसा कुछ था, उसमें गिर गयी थीं.

मैं पानी के अन्दर गया और उनको निकाला. हम दोनों भीग गए थे. एक तो पहले से ही ठंड बहुत लग रही थी और अब पानी से भीगने से और ज्यादा सर्दी लगने लगी थी.

फिर मुझे वहां पर कुछ सूखी घास दिखी.

हम दोनों ठंड के मारे कंप रहे थे. तभी भाबी ने जो कहा, वो सुनकर मैं हैरान हो गया.
भाबी ने कहा- हम दोनों को गीले कपड़े उतार कर बैठना पड़ेगा, नहीं तो हम ऐसे ही मर जाएंगे.

मैंने उनकी तरफ देखा, तो भाबी ने कहा- हम डॉक्टर हैं यार, थोड़ा दिमाग़ से सोचो.

फिर अंधेरे में हम दोनों ने अपने अपने गीले कपड़े उतार दिए और एक दूसरे की तरफ पीठ करके बैठ गए. लेकिन कब तक ऐसे ही रहते. ठंड तो अभी भी थी.

हम दोनों लोग घास बिछा कर उसी पर सो गए. थोड़ी सी घास मैंने हम दोनों के ऊपर से डाल ली.

भाबी का स्पर्श बराबर मिल रहा था, जिससे मेरा लंड खड़ा हो चुका था.

हमारा शरीर एक दूसरे को टच हो रहा था. भाबी थोड़ा पीछे हो गईं. मेरे शरीर की गर्मी की वजह से उनकी सर्दी कम हो गयी.
भाबी ने मुझसे कहा- कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है. एक दूसरे को लिपट कर सोना पड़ेगा.

अब मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ. मैंने उनकी उनकी गोल और नर्म गांड को अपने हाथों से दबाना शुरू कर दिया.
उनकी गांड काफी बड़ी थी और एकदम मक्खन की तरह थी.

उनकी गांड के दोनों फलकों को हाथों से दबाने और मसलने में काफी ज्यादा मजा आ रहा था.

धीरे धीरे भाबी भी जोश में आने लगी थीं- आ हूँ दबाओ ज़ोर से … कुछ तो करो यार बड़ी सर्दी लग रही है.
ऐसा बोल कर वो अपने दूध मेरे सीने से रगड़ने लगी थीं.

दो मिनट के बाद भाबी बोलने लगीं- यार, ये सही नहीं है.
मगर अब तक मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था.

मैंने भाबी को समझाया- हमें ये करना ही होगा भाबी, वरना हम दोनों इस जाड़े से मर जाएंगे.
भाबी ने मुझसे प्रॉमिस लिया कि ये एक ही बार होगा और किसी को पता नहीं चलना चाहिए.

मैंने भाबी को प्रॉमिस किया और किस करना शुरू कर दिया.

मैं पीछे से उनकी गांड और चूचों पर हाथ फेर रहा था और मस्ती से दबा रहा था.
सच में कितनी मुलायम और नर्म चूचियां थीं. मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था.

भाबी भी इतने में काफी गर्म हो गयी थी उनके मुँह से ‘आह … आह …’ की कामुक आवाज निकल रही थी.

कुछ देर बाद भाबी ने मुझसे कहा- मुझे आज अपनी चूत चटवानी है. सागर ने कभी ऐसा नहीं किया है. प्लीज़ चाटो ना!
मैं नीचे आ गया.

मैं 69 पोजीशन में आकर भाबी की चूत के पास पहुंच गया और उनकी चूत जीभ से चाटने लगा.

भाबी को मैं पूरा मजा दे रहा था. मेरी पूरी जीभ चूत के अन्दर थी.
मैं भाबी की चूत में पूरी जीभ डालकर आइसक्रीम की तरह चूत चाट रहा था.
भाबी की चूत का खट्टा पानी मुझे बड़ा मस्त लग रहा था.

फिर भाबी ने मेरा लंड हाथ में ले लिया. वो अपने हाथ से मेरे लंड को हिलाने लगीं.

अब मेरी भी आहें निकलने लगीं. मेरी हालत खराब हो रही थी.

तभी भाबी ने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगीं.
उन्होंने मेरे लंड को अपने मुँह में गले तक ले लिया और बड़ी मस्ती से अन्दर बाहर किए जा रही थीं.
इधर मेरी जीभ उनकी चूत के साथ साथ झांटों के बाल भी खींच रही थी.

इससे उनकी आंह आंह उन्ह उन्ह निकल रही थी.
मैंने पूछा- भाबी, लंड चूसने में मजा आ रहा है?

भाबी ने कहा- हां यार, मुझे लंड चूसना बहुत पसंद है. लेकिन सागर कभी लंड चुसवाता ही नहीं है और न ही मेरी चूत चाटता है.

मैंने कहा- भाबी, मेरा माल निकल सकता है.
वो बोलीं- परवाह मत करो यार … तुम मेरे मुँह में ही वीर्य निकाल दो. मुझे तुम्हारे लंड के माल को पीना है.

भाबी ने मेरे लौड़े को चूस चूस कर और बड़ा कर दिया था और कह रही थीं- यार, बड़ा मस्त लंड है तुम्हारा. मुझे बड़ा ही पसंद आया है.

मैं भी काफ़ी जोश में आ गया था. मैं भाबी का सर दबा रहा था और लंड पूरा अन्दर तक जा रहा था.

भाबी हाथों से मुठ मार मार कर चूस रही थीं और मेरे टट्टे सहला रही थीं.

मेरा लौड़ा एकदम गर्म हो गया था और कुछ ही पलों में मैंने सारा माल निकाल दिया. मेरे लंड का रस भाबी के मुँह में गिर गया.

भाबी ने मेरा सारा माल पी लिया और लंड चाट कर सारा माल साफ कर दिया.

कुछ देर बाद भाबी गर्मा गई और बदहवास होती हुई बोलीं- अब तुम मुझे अपने लंड से चोदो. बस माल अन्दर मत गिराना. मुझे आज तुम हर स्टाइल में चोदो, अब मुझसे रहा नहीं जाता, जल्दी करो चोद दो मुझे. चोदो मेरी चूत फाड़ कर रख दो.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#4
मैंने अपने होंठों से उनके होंठों को चूमना चाटना शुरू कर दिया.
मैं बहुत बेताबी से भाबी को किस कर रहा था और साथ में उनके मम्मों को मसल भी रहा था.

भाबी के गालों पर, गले पर, चूत, गांड, दूध हर जगह मैं भाबी को चूमा चाटा. फिर नीचे से हाथ डाल कर उनकी चूत को सहलाने लगा; चूत के अन्दर उंगली डालने लगा.

मैं भाबी के बड़े और सख्त मम्मों को पिए जा रहा था. उन्हें मसलने में अपनी पूरी ताकत लगा रहा था और मम्मों को जोर जोर से भंभोड़ने लगा था.
भाबी आंह आंह कर रही थीं.

मैंने उनके एक निप्पल को अपने मुँह में लेकर दबाते हुए खींचा.
अब वो जोर जोर से सिसकने लगीं- उह उह आह विकास … आज मुझे पूरी तरह से चुदाई का मज़ा दे दो. मुझे तेरा लंड अन्दर चाहिए प्लीज़ चूत में पेल दो. चाहो तो माल अन्दर ही डाल दो लेकिन अब सब्र नहीं होता.

मैंने भाबी को सीधा किया और उनके ऊपर चढ़ गया, अपना लंड उनकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा.

भाबी की चूत पूरी गीली हो गयी थी.
उनकी टाईट चूत को चोदने के लिए मैंने पहला झटका ही जोर से दिया पर गीली चूत की वजह से लंड फिसल रहा था.

फिर भाबी ने एक हाथ से लंड पकड़ कर चूत के छेद में सैट किया. मैंने एक मम्मे को मुँह में लिया और एक ज़ोर का शॉट लगा दिया.

भाबी ज़ोर से चिल्लाईं- ओह मर गई … साले कितना बड़ा है तेरा … मुझे दर्द हो रहा है.
मेरा आधा लंड भाबी की चूत में घुस गया था.

मैंने भाबी की बात को अनसुना करते हुए एक शॉट और दे मारा.
भाबी की चूत काफ़ी टाईट थी.

फिर भाबी ने गांड ऊपर की और बोलीं- अब लगाओ शॉट.
मैंने एक बार फिर से जोर के झटके से पेला और अपना पूरा लंड उनकी चूत में घुसेड़ दिया.

भाबी बोल रही थीं- आह धीरे धीरे करो … मुझे मज़ा तो लेने दो. चूत से चप चप की आवाज़ आनी चाहिए.

भाबी मेरी पीठ में नाख़ून के निशान छोड़ रही थीं.

मैं उनके मम्मों को डबाते हुए धीरे धीरे अपने लंड को आगे पीछे कर रहा था.
साथ में मैं बीच बीच में ज़ोर ज़ोर से शॉट लगा रहा था.

कुछ देर बाद भाबी का दर्द भी कम हो गया और वो भी चुदाई का मज़ा लेने लगीं.

अब वो कामुक आवाजें निकालने लगीं- ओह ह्म्म … आह और जोर से चोद साले और ज़ोर से पेलो, मुझे तुम्हें अन्दर तक लेना है. आंह मर्द की तरह चोदो. आह विकास प्लीज़ अपनी स्पीड बढ़ाओ, मैं आने वाली हूँ.

मैंने अपने झटकों की रफ्तार बढ़ाई और पॉवर भी.

मैं भाबी को और जोर से उसे चोदने लगा.
मैंने भाबी के पैर अपने गले में ले लिए और चुदाई का आसन बदल दिया.

अब मेरा लंड चूत की जड़ में जाकर चोट मार रहा था और चूत की मलाई के कारण फच फच की आवाज़ से सारा माहौल गर्मा गया था.

थोड़ी देर बाद भाबी झड़ गईं, फिर भी गांड उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थीं.
उनकी चूत का रस टपकने लगा था.
मुझे उसकी खुशबू आ रही थी.

मुझे और भाबी को चुदाई में काफ़ी मज़ा आ रहा था.

फ़च फ़च की आवाज़ और भी ज्यादा मजा दे रही थी.

थोड़ी देर बाद मुझे लगने लगा कि मैं भी आने वाला हूँ.
मैंने लंड निकाला और उन्हें उल्टा कर दिया.

भाबी को कुतिया बना कर पीछे से उनकी चूत में अपना लंड घुसा कर शॉट लगाना चालू कर दिया.

मैं पीछे से जोर जोर से धक्के लगा रहा था और भाबी गांड पीछे करके मेरा लंड अन्दर ले रही थीं.

अब मेरा लौड़ा रुकने वाला नहीं था, मैंने भाबी से कहा- मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है, मेरा होने वाला है. मैं चूत में निकल रहा हूँ.
उन्होंने कहा- ठीक है निकाल दो, मैं गोली ले लूंगी.

मैं पूरी ताकत से भाबी की टाईट चूत में झटके लगा रहा था … वो भी बेहाल हो गई थीं.
मेरा लंड मानने को तैयार ही नहीं था फिर भाबी ने हाथ पीछे करके मेरे लंड की गोटियां सहलाईं और कुछ तेज झटकों के साथ मैंने अपना पूरा माल भाबी की चूत में डाल दिया.

हम दोनों नंगे ही वहां पर पड़े थे.

हमें अब ठंडी नहीं लग रही थी. पूरा जिस्म पसीना पसीना हो गया था.
भाबी ने मुझे थैंक्स कहा और मेरे लंड को चाट कर साफ करने लगीं.

दस मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
इस बार भाबी ने कहा- चूत में दर्द हो रहा है. कुछ देर बाद में करते हैं.

भाबी मेरी तरफ गांड करके एकदम चिपक कर सो गईं.
मैं सुबह जागा तो मेरा लंड खड़ा था.

मैंने भाबी की गांड में लंड डालने की कोशिश की.
भाबी ने पहले भी अपनी गांड मरवाई थी.

कुछ देर में भाबी मस्त हो गईं और बोलीं- आखिरी टाइम करने दे रही हूँ.

मैं किसी तरह भाबी की गांड में लग गया.
धकापेल चुदाई होने लगी.

फिर भाबी ने कहा- इस बार मुझे मुँह में लेना था पर गांड से निकला लंड मैं नहीं लूंगी.

मैं उनके दोनों चूचों को पकड़ कर भाबी की गांड मारने लगा.

कुछ पल बाद मैंने सारा माल भाबी की गांड में निकाल दिया.
भाबी ने मुझको किस किया.

अब हम दोनों ने अपने कपड़े पहने.

भाबी ने कहा- ये बात कभी किसी को पता नहीं चलनी चाहिए.
मैंने उन्हें हग किया और प्रॉमिस किया कि कभी किसी को पता नहीं चलेगा और ये दुबारा भी नहीं होगा.

हमने एक दूसरे को हग किया और एक लंबा किस किया.
भाबी ने मेरे लंड की तरफ़ देखा, वो अभी भी खड़ा था.

भाबी ने कहा- हाथ से हिलाओ या कोई और ढूंढ लो.
मैं हंस दिया.

हम लोग दिन के उजाले में रास्ता पूछ कर अपने टेंट में चले आए.
आज भी हम लोग दोस्त हैं और मस्त जी रहे हैं.

कभी कभी भाबी को देखकर मूड होता है. मैं उनको बोलता भी हूँ लेकिन फिर हम लोग कंट्रोल कर लेते हैं.

इस कंट्रोल की वजह मेरा दोस्त और उनका पति सागर है.

दोस्तो, ये मेरी फ्रेंड वाइफ सेक्स कहानी थी जो मैंने एक पाठिका मेघना की इच्छा पर लिखी है.
उससे मैंने एक डॉक्टर भाबी के साथ की चुदाई की बात कही थी. जिसे सुनकर वो मुझसे बार बार जिद करने लगी थी कि इस गर्म सेक्स कहानी को सबके सामने आना चाहिए.

जाते जाते एक ही बात कहूँगा कि औरतों कि इज्जत कीजिए, उनको प्यार और सम्मान दीजिए. उनकी प्राइवेसी का पूरा ख्याल रखें.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
Big Grin Big Grin Big Grin
(14-06-2022, 06:20 PM)neerathemall Wrote:
सर्दी में जंगल में
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
झील के पास चुदाई





!!!!!!!
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#7
(18-03-2024, 01:24 PM)neerathemall Wrote:
झील के पास चुदाई





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fight fight fight
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#8
(18-03-2024, 01:24 PM)neerathemall Wrote:
झील के पास चुदाई





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एक बार की बात है कि मेरे ग्रुप के सभी लड़के-लड़कियों का झील पर पिकनिक मनाने का प्रोग्राम बना। मेरा भी उनके साथ जाने को बहुत मन था, सो मैं भी उनके साथ चली गई। झील पर जाकर सब ग्रुप में नहाने लगे। मैं भी अपनी सहेलियों के साथ थीं। झील के चारों ओर घना जंगल था। सब एक-दूसरे से छेड़खानी और बहुत मजा कर रहे थे।
पहले तो लड़के लड़कियाँ अलग-अलग ग्रुप में थे पर जल्दी ही हम लोग आपस में मजे करने लगे थे। मेरी सहेलियों के साथी भी उन्हें आकर छेड़ने लगे थे।
छेड़छाड़ धीरे-धीरे बढ़ रही थी और कपड़ों के उतरने तक पहुँचने लगी थी। लड़के मेरी सहेलियों की चुचियाँ दबाने लगे थे और लड़कियाँ उनके लन्ड दबाकर मजे ले रही थीं। धीरे-धीरे वे अपने-अपने जोड़े बनाकर जंगल में जाने लगे। और मैं शायद अकेली रह गई थी। लेकिन सबको देखकर मेरी जवानी में भी आग लग रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#9
तभी अचानक मेरे टाँगों पर मैंने किसी की पकड़ महसूस की। मेरी साँस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गई। अचानक नीचे ही नीचे उस अजनबी हाथ की उँगलियाँ मेरी पैंटी को हटाकर मेरी चूत में तेजी से घुस गई थीं। ऐसा लगा जैसे मेरी चूत में किसी ने कोई चाकू डाल दिया हो। तभी वह अजनबी साया खड़ा हुआ। उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरी चुचियाँ दबाने लगा। मैने देखा तो मेरी ही क्लास का एक लड़का था। मैं विरोध करने की स्थिति में नहीं रह गई थी। मेरे सांसे भारी होती जा रहीं थीं। तभी उस लड़के की पूर्णतः नंगी गर्ल फ्रैण्ड़ वहां पर आ गई और उसे आवाज देकर कहने लगी कि अगर मुझे चोदना छोड़कर यहीं रहना हो तो मैं जा रही हूँ। तुम इसी के साथ रहो, यह सुनकर वह लड़का मुझे छोड़कर तुरन्त चला गया जैसे मेरी कोई अहमियत ही न हो।
मैं अपनी प्यासी जवानी के साथ फिर अकेली खड़ी रह गई। पर तब मुझे महसूस हुआ कि मेरी चूत में दर्द हो रहा है। मैने नीचे देखा तो हल्का सा खून दिखाई दिया। मैं डर कर सोच ही रही थी कि क्या किया जाये। कि तभी एक अजनबी आवाज ने मेरा ध्यान भंग कर दिया। मैने देखा कि एक छः फुट के लगभग एक जवान मेरे सामने खड़ा है। यद्यपि वो मेरे साथ बड़े अदब से बात कर रहा था। लेकिन मुझे एक तो उस लड़के और दूसरे अपनी कुंवारी चूत से होते दर्द के कारण बहुत गुस्सा आ रहा था सो मैं उस लड़के से बहुत बेरूखी से पेश आई।
तो वह बोला कि उसका पास ही में एक काटेज है और वो वहीं से मेरे साथ हुये एक-एक वाकये को देख रहा था। और जब उसने उस लड़के के जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर की तो मुझे वो भी उस समय अपना दोस्त ही लगने लगा। उसने मुझसे कहा कि आपके निचले हिस्से से खून ज्यादा ही बह रहा है, आइये मेरे काटेज पर कुछ दवा लगा लीजिये, जब तक बाकी लोग फ्री हों आप आराम कर लीजियेगा।
मैं कुछ भी सोच नहीं पा रही थी सो वहीं खड़ी रह गई। उसने शायद मेरी स्थिति जान ली और अपने आप ही पानी में आकर मुझे अपनी गोदी में उठा लिया। कोई और मौका होता तो इस हरकत के लिये मैं उसे दो-चार तमाचे मार ही देती पर मेरी हालत आप समझ सकते हैं। जब वो मुझे कसकर पकड़कर अपने काटेज की ओर ले जा रहा था तो मेरी चुचियाँ उसके सीने पर और उसके हाथ मेरे चूतड़ों के नीचे थे।
खैर उसने रास्ते भर कोई गलत हरकत नहीं की। और गीले बदन ही मुझे काटेज में लेकर आ गया। जब उसने मुझे सोफे पर धीरे से लिटाया तो एक बुजुर्गवार से बोला कि बाबा, मेमसाहब कुछ देर आराम करेंगी, आप बाहर देखभाल करो कि कोई डिस्टर्ब न करे ! और अपना काम ध्यान से करना। वो बूढ़ा व्यक्ति तुरन्त ही वहाँ से चला गया। तभी उसने ध्यान दिलाया तो मैंने देखा कि चूत से खून कुछ ज्यादा ही तेजी से निकल रहा है। उसने तुरन्त पानी गर्म किया और मेरा नेकर और चड्डी उतारने लगा तो मैंने आपत्ति की पर वह बोला- मुझे डॉक्टर समझो और करने दो जो मैं कर रहा हूँ।
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#10
मैं चुप हो गई। उसने रूई के गरम फोहे से धीरे धीरे सारा खून साफ कर दिया पर मेरी आग को बहुत भड़का दिया। अब मेरी चूत चुदास की आग से जल रही थी। मुझे अन्दर से लग रहा था कि उस लड़के से आज पहली बार जी भर चुदवाना चाहिये। लेकिन मेरी हिचक अभी भी बाकी थी। वह शायद मेरी स्थिति भांप गया था, बोला- डरो नहीं इसे अपना ही घर समझो।
यह कहकर वह पीछे कुर्सी पर बैठ गया, लेकिन कभी मेरी चूचियों और कभी मेरी चूत को देखने लगा।
इतने में उसने उठकर टीवी और डीवीडी प्लेयर ऑन कर दिया। उस पर एक इंग्लिश ब्लू फिल्म चल रही थी। हम उस पिक्चर को देखने लगे। वह साथ में कोई इंग्लिश मैग्जीन भी पढ़ रहा था। उसके कवर पेज पर भी लड़कियों के नंगे चित्र छपे थे। एक कोने पर तो एक लड़की एक लड़के का लण्ड चूस रही थी तो दूसरे कोने पर चुदने-चोदने का सीन था। कुछ ऐसे ही सीन टी.वी. पर भी लगातार जारी थे।
ऐसे में मुझसे खुद पर काबू रखना असम्भव हो गया। मैं उठकर खुद ही उसके पास जाकर उसकी गोदी में बैठ गई। नीचे से तो मैं नंगी थी ही, बैठते ही चूत और गाँड के छेदों के बीच में कुछ सख्त डण्डा सा चुभता हुआ महसूस हुआ। मैं समझ गई कि यह उसका वही मस्ताना लण्ड है जो मेरी चूत का पहली बार उदघाटन करने वाला है। वह भी उत्तेजित हो चुका था। उसने मेरे होठों को अपने होठों से दबा लिया और लम्बा सा किस करने के साथ ही मेरे होठों को चूसने लगा।
साथ ही मैने महसूस किया कि उसका हाथ मेरी चुचियों की तरफ बढ़ रहा था, वो भी उपर से नहीं, पठ्ठा सीधा अन्दर ही चला आ रहा था। मुझे वैसे तो गुदगुदी ही लगी लेकिन जैसे ही उसने तेजी से दबाना शुरू किया तो ऐसा लगा जैसे मेरी दोनो चुचियों में जबरदस्त दर्द हो रहा हो। मैं उससे और जोर जोर से दबाने को कहने लगी। पता नहीं क्यों मेरी सांसे भारी होती जा रही थीं। ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत की सैर कर रही हूँ।
तभी उसने अपना हाथ बाहर निकाला और मुझे पूरा नंगा करने लगा। बदले में मैने भी उत्तेजना में उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिये। उसने मेरे कपड़े उतारने के बाद अपने कपड़े उतारने में भी मेरी मदद ही की। अब हम दोनों पूर्णतया नंगे थे। अब उसने मुझे नीचे लिटाकर मेरी चुचियों को चूसना शुरू कर दिया। मेरी लिये तो ये एक बहुत बैचेनी भरा अनुभव था। जब वो एक चूसता तो लगता कि दूसरी चूसे और जब दूसरी चूसता तो लगता कि पहली वाली को और जोर से चूसना शुरू कर दे।
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#11
मैं चुप हो गई। उसने रूई के गरम फोहे से धीरे धीरे सारा खून साफ कर दिया पर मेरी आग को बहुत भड़का दिया। अब मेरी चूत चुदास की आग से जल रही थी। मुझे अन्दर से लग रहा था कि उस लड़के से आज पहली बार जी भर चुदवाना चाहिये। लेकिन मेरी हिचक अभी भी बाकी थी। वह शायद मेरी स्थिति भांप गया था, बोला- डरो नहीं इसे अपना ही घर समझो।

यह कहकर वह पीछे कुर्सी पर बैठ गया, लेकिन कभी मेरी चूचियों और कभी मेरी चूत को देखने लगा।

इतने में उसने उठकर टीवी और डीवीडी प्लेयर ऑन कर दिया। उस पर एक इंग्लिश ब्लू फिल्म चल रही थी। हम उस पिक्चर को देखने लगे। वह साथ में कोई इंग्लिश मैग्जीन भी पढ़ रहा था। उसके कवर पेज पर भी लड़कियों के नंगे चित्र छपे थे। एक कोने पर तो एक लड़की एक लड़के का लण्ड चूस रही थी तो दूसरे कोने पर चुदने-चोदने का सीन था। कुछ ऐसे ही सीन टी.वी. पर भी लगातार जारी थे।

ऐसे में मुझसे खुद पर काबू रखना असम्भव हो गया। मैं उठकर खुद ही उसके पास जाकर उसकी गोदी में बैठ गई। नीचे से तो मैं नंगी थी ही, बैठते ही चूत और गाँड के छेदों के बीच में कुछ सख्त डण्डा सा चुभता हुआ महसूस हुआ। मैं समझ गई कि यह उसका वही मस्ताना लण्ड है जो मेरी चूत का पहली बार उदघाटन करने वाला है। वह भी उत्तेजित हो चुका था। उसने मेरे होठों को अपने होठों से दबा लिया और लम्बा सा किस करने के साथ ही मेरे होठों को चूसने लगा।

साथ ही मैने महसूस किया कि उसका हाथ मेरी चुचियों की तरफ बढ़ रहा था, वो भी उपर से नहीं, पठ्ठा सीधा अन्दर ही चला आ रहा था। मुझे वैसे तो गुदगुदी ही लगी लेकिन जैसे ही उसने तेजी से दबाना शुरू किया तो ऐसा लगा जैसे मेरी दोनो चुचियों में जबरदस्त दर्द हो रहा हो। मैं उससे और जोर जोर से दबाने को कहने लगी। पता नहीं क्यों मेरी सांसे भारी होती जा रही थीं। ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत की सैर कर रही हूँ।

तभी उसने अपना हाथ बाहर निकाला और मुझे पूरा नंगा करने लगा। बदले में मैने भी उत्तेजना में उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिये। उसने मेरे कपड़े उतारने के बाद अपने कपड़े उतारने में भी मेरी मदद ही की। अब हम दोनों पूर्णतया नंगे थे। अब उसने मुझे नीचे लिटाकर मेरी चुचियों को चूसना शुरू कर दिया। मेरी लिये तो ये एक बहुत बैचेनी भरा अनुभव था। जब वो एक चूसता तो लगता कि दूसरी चूसे और जब दूसरी चूसता तो लगता कि पहली वाली को और जोर से चूसना शुरू कर दे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#12
मैं अभी पहले झटके से ही नहीं उबरी थी कि उसने मेरी कमर पकड़कर मुझे उठाया और दूसरा करारा झटका दे दिया। इस बार उसका पूरा का पूरा लण्ड मेरी चूत में उतर गया। मेरे चूतड़ उसकी जांघो से जा टकराये। अब तो दर्द बिल्कुल ही बर्दाश्त के बाहर हो गया। अब उसने पहली बार प्यार से मुझे पुचकारा और मेरी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया और उसकी इस चूचियों को जोर से दबाने और कमर चाटने की हरकत ने मेरा दर्द आश्चर्यजनक रूप से कम करना शुरू कर दिया।

उसका लण्ड यद्यपि मेरी चूत के अन्दर ही था पर अब उतना दर्द महसूस नहीं हो रहा था। अब उसने धीरे-धीरे अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में मुझे भी तीखे दर्द के बावजूद मजा सा आने लगा। अब मैं उसे तेजी से धक्के लगाने को कहने लगी। उसने मेरा ध्यान रखते हुये धक्के तेजी से लगाने शुरू कर दिये। करीब १५-२० मिनट तक उसने अलग-अलग कोणों से मुझे चोदा और मुझे बहुत मजा दिया। तभी मुझे लगा जैसे मेरी चूत में से कुछ निकल रहा है। मैं डिस्चार्ज हो रही थी। कुछ धक्के लगाने के बाद वो भी डिस्चार्ज हो गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#13
Nice story
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