Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
हीर(चचेरी बहन)
#1
हीर (चचेरी बहन)

)
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
मैं गांव छोड़कर मुंबई शहर में नौकरी के लिए आया था. मैं यहां ट्रैवलर्स के ऑफिस में नौकरी करने लगा था.

मेरा काम बुकिंग का था. बसों के आने जाने का सब काम भी मुझे ही देखना था.
इसके साथ ही ये भी संभालना होता था कि कहां से कितनी सवारी बैठी हैं और कहां से कितनी सवारी आ रही हैं.
हिसाब किताब से लेकर चैकिंग से लेकर सब कुछ मुझे ही करना होता था और यही मेरी जॉब थी.

मेरा गांव में मैं, मम्मी पापा और बहन थे. मेरे पापा और हम सभी लोग खेती का काम कर रहे थे.
लेकिन बाद में मैं अपनी पढ़ाई खत्म करके मुंबई नौकरी के लिए आ गया था.

इस नौकरी से मैंने काफी अनुभव प्राप्त कर लिया था और 4 साल नौकरी करने के बाद मुझे लगा कि यह धंधा करने के लायक है, लेकिन पैसा नहीं था.

हमारे गांव के अन्दर हाईवे रोड से लग कर हमारी अपनी जमीन थी, इसलिए मैंने बैंक से लोन मांगा और चौड़े रोड पर जमीन होने के कारण बैंक ने मुझे लोन से दिया.

कुछ सरकारी खानापूर्ति के कारण हमारी उस जमीन में से 6 फीट के करीब चली गई.
इसके एवज में भी सरकार ने हमको बहुत सारा पैसा मुआवजे के रूप में दिया.
इस तरह से काफी पैसा इकट्ठा हो गया था.

पापा ने मुझसे कहा- मैं तो खेती कर रहा हूं. मैं बिना कुछ जाने समझे ये बस ट्रैवल का काम नहीं कर सकूँगा. तुमको यदि कुछ करना है तो इसे पैसे से तू धंधा कर सकता है.
मैंने भी सोच लिया कि मैं अब खुद की गाड़ी खरीद लूंगा और खुद ही बस चलवा लूंगा.

मैंने 2016 में दो बस ले लीं और काम शुरू कर दिया.
मेरा व्यापार बहुत अच्छे से चलने लगा था.

मेरी बस मुंबई से मेरे गांव के आगे सिरपुर चोपड़ा से गुजरती थी. इस रूट पर आने-जाने में मेरी दोनों बसें चलने लगी थीं.

कुछ ही दिनों में मैं मुंबई में अच्छी तरह से सैटल हो गया था और मेरा बिजनेस भी सही से चल रहा था.
मेरी शादी भी हो गई.

मैं अपने माता पिता की एकलौता पुत्र होने के कारण गांव में और रिश्तेदारों में भी मेरा बहुत अच्छा सा वर्चस्व हो गया था.
सब लोग मुझे मानने भी लगे थे. छोटी उम्र में इतना सब हैंडल करने के लिए सब सब लोग मुझे एक काबिल इंसान समझने लगे थे.

मेरे गांव में मेरे ही घर के बाजू में एक रिश्ते के चाचा रहते थे.
उन चाचा के चार लड़कियां थीं और एक लड़का था. सब लड़कियां बड़ी थीं और लड़का सबसे छोटा था.

चाचा की लड़कियों में सबसे बड़ी का नाम सपना, दूसरी हीर, तीसरी वैशाली और चौथी का नाम माया था.

एक दिन चाचा का फोन आया- बेटा गांव में कामकाज एकदम बंद पड़ा है खेतीबाड़ी में भी कुछ सही से नहीं चल रहा है. मेरी लड़कियां बड़ी हो रही हैं. तुम चाहो तो अपनी दो बहन को किसी नौकरी पर लगवा दो, तो तेरा मुझ पर बड़ा अहसान रहेगा. मुझे थोड़ी मदद भी हो जाएगी.
मैंने चाचा से कहा- ठीक है चाचा, मैं कुछ सोचता हूँ और कुछ जुगाड़ लगाकर आपको फोन करता हूं.

वैसे तो मुझे काम करने वाले एक आदमी की जरूरत थी लेकिन लड़की के बारे में कभी सोचा नहीं था.
चाचा की बात सुनकर मुझे लगा कि चलो मेरी ही बहन है और ऑफिस में घर का आदमी होना अच्छी बात है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#3
मैंने चाचा से कहा कि बहन को मैं अपने ही ऑफिस में रख लेता हूँ. इसमें मुझे भी फायदा है कि घर की लड़की ऑफिस में होगी, तो किसी बात की टेंशन नहीं रहेगी.
चाचा ने भी कहा- ये तो अच्छी बात है, जवान लड़की को कहीं बाहर नौकरी करवाने से अच्छा है, वो तुम्हारे पास काम करे.

दो दिन बाद चाचा का फोन आया- किसको भेज दूँ?
मैंने कहा- हीर को ही भेजो.

क्योंकि हीर मुझे ज्यादा पसंद है और मेरी बीवी से भी हीर के साथ अच्छी बनती है.
चाचा ने कहा- ठीक है मैं तरी बहन को कल बस में बिठा दूंगा.
मैंने ओके कहा.

दूसरे दिन चाचा का फोन आया- कितने बजे की बस है?
मैंने कहा- शाम सात बजे ऑफिस पर पहुंच जाना.
चाचा ने कहा- ठीक है.

चाचा ने शाम सात बजे बहन को बस में बिठा दिया और हमारी बात हो गई.

मुंबई से जो बस निकली, मैं उस बस में सामने से आने वाली बस के लिए निकल गया और एक बजे के आस पास दोनों बस आमने सामने मिल गईं.

बस बदल कर मैं मुंबई आने वाली बस में बैठ गया.
मैं बहन से मिलने गया.

मेरी बहन सो रही थी, तो मैंने उसे उठाया- कैसी हो हीर?
हीर- ठीक हूँ भैया.

मैं- गांव में सब कैसे हैं?
हीर- सब ठीक हैं भैया.
मैं- और चाचा चाची कैसे हैं?
हीर- सब लोग ठीक हैं.

मैं- चलो कोई बात नहीं, तुमको नींद आ रही होगी, तुम सो जाओ.
हीर- नहीं, भैया नींद तो हो गई. आप बात करो न … कोई बात नहीं.

मैं- तो फिर केबिन के अन्दर आकर बात करते हैं.
हीर- हां भैया आ जाओ, वैसे भी डबल की सीट है.

मैंने ड्राइवर से कह दिया था कि मेरी बहन को डबल वाली सीट देना क्योंकि उसमें आराम मिलता है.

फिर हम दोनों गांव की इधर उधर की बातें कर रहे थे.
तभी बस होटल पर रुक गई.

मैंने हीर से कहा- चलो होटल आ गया है, कुछ खा लेते हैं.
हीर ने कहा- भाई, मैं तो खाना खाकर आई हूँ.

मैंने कहा- ऐसे थोड़ी चलेगा, कुछ तो खाना ही पड़ेगा.
मेरे जोर देने पर वो बस से नीचे आ गई और हम दोनों स्टाफ रूम में जाकर खाना खाने बैठ गए.

वेटर हर रोज की तरह बस के स्टाफ के लिए कुछ न कुछ लाता था.
आज उसे मेरे होने की खबर लगी तो वो 3 चिल्ड बियर लेकर आ गया.

पर मैंने मना कर दिया- मैं बियर नहीं पीता.
मैंने उसे इशारे से बहन की तरफ बताया तो वो समझ गया.

वेटर- सॉरी सेठ जी, गलती हो गई.
वो बियर लेकर जाने लगा.

तभी बहन बोली- भैया रहने दो न!
मैंने उसकी तरफ देखा.

तो हीर ने भी मेरी तरफ देखकर कहा- भैया आप ले लो, मुझे कोई प्राब्लम नहीं है. बल्कि मुझे पता है कि आप बियर पीते हैं.
मैंने कहा- मैं नहीं पीता!

हीर ने मुस्कुरा कर कहा- मुझे मालूम है भैया … आप भी पीते हैं और भाभी भी पीती हैं. मैं किसी से नहीं कहूंगी.
मैंने भी ज्यादा कुछ न कहते हुए बियर ले ली और पीनी चालू की. साथ में नमकीन भी मंगवा लिया.

मैंने हीर से भी पूछा कि तुम पियोगी?
उसने मना कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#4
मैंने बियर पी लीं और नाश्ता करके बस में बैठ गया.

तभी ड्राइवर ने मुझसे कहा- सेठ जी, आप ऑफिस पर उतरोगे कि घर पर?
मैंने कहा- घर पर!

मैं एक कम्बल और तकिया लेकर सोने लगा.
हीर बैठी थी.
वहां से मुंबई का 6 घंटे का रास्ता था तो मुझे सुबह ऑफिस में बहुत काम रहता था.

मैंने हीर को अपने सोने का कहा और सोने लगा.

थोड़ी देर के बाद मेरी आंख लगने वाली थी कि मेरी नजर हीर पर पड़ी.
मुझे मालूम पड़ गया कि हीर को ठंड लग रही है.

मैंने हीर से कहा- तू ये कम्बल ले ले, मुझे इतनी ठंड नहीं लग रही है.
हीर मना करने लगी.

मेरे जोर देने पर उसने कम्बल ले लिया और सोने लगी.

थोड़ी देर के बाद उसको समझ आ गया कि अब मुझे ठंड लग रही है तो उसने मुझसे कहा- भैया आप भी आ जाओ इसी कम्बल में.
मैंने मना किया और कहा- मुझे इतनी ठंड नहीं लग रही, मैंने बियर पी हुई है न.

उसने हंस कर कहा- तीन बियर में ये ठंड नहीं जाएगी, मुझे मालूम है.
मैंने कहा- तुझे कैसे मालूम कि इतनी बियर में ये ठंड नहीं जाएगी?

हीर हंसने लगी.
तभी मैं समझ गया कि हीर भी बियर पीती है.

अब हम लेटे हुए ही बातें करने लगे. मैंने उससे जोर देते हुए पूछा- तू झूठ बोल रही है, तू बियर पीती है, लेकिन बता नहीं रही.
उसने कहा कि आप किसी को कहोगे तो नहीं … तो मैं कहूं.

मैंने कहा- किसी को नहीं कहूंगा, सच बताओ.
उसने कहा कि जब आप गांव आते हैं, तब मैं और भाभी पीते हैं. उसके सिवा किसी के साथ कभी हाथ भी नहीं लगाया.

मैं भी चौंक गया. उसकी बात तो सही थी, लेकिन कभी मेरी बीवी ने मुझे बताया नहीं.

मैं तुरंत खड़ा हुआ बाहर गया और ड्राइवर को कहा कि आगे कोई भी होटल से मेरे लिए बीयर ले लेना.
ड्राइवर ने ओके कहा और होटल से उसने बियर लेकर मेरे केबिन में आकर मुझे दे दीं.
साथ में नमकीन भी लाकर दिया था.

मैंने और हीर ने पीना चालू कर दिया.
दोनों कुछ देर तक तक बीयर पीते रहे.
फिर मैंने उससे कहा- चलो अब सोते हैं.

इस वक्त तक मेरे लिए हीर की तरफ से कोई बुरा ख्याल नहीं था.
हम दोनों एक ही कम्बल में सोने लगे. एक दूसरे का मुँह सामने नहीं था, पीठ के बल सोए हुए थे.

कम्बल में एक दूसरे के पास होने की वजह से एक दूसरे की बॉडी टच हो रही थी. हम दोनों एक दूसरे का मुँह बिना देखे ही बातें भी कर रहे थे.
मैंने उससे सोने का कह दिया, लेकिन हम दोनों का दिल कुछ कुछ धड़कने लगा था.

मेरे दिमाग में अन्तर्वासना जागने लगी थी.
गाड़ी के हिलने की वजह से हमारे पिछवाड़े ज्यादा हिल और रगड़ रहे थे.

छोटे से गड्डे में भी बस गिरती तो ज्यादा हलचल हो रही थी.
मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं कुछ आगे बढूँ, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सका.

आधे घंटे के बाद मुझे लगा कि हीर सो गई है. मैंने करवट ली और मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर पर डाल दिया.

मैंने अपना हाथ यह सोचकर डाला था कि वो यदि नहीं सोई होगी तो कुछ बोलेगी. मैं बोल दूंगा कि मैं नींद में तुझे तेरी भाभी समझ रहा था … सॉरी.

मेरे हाथ डालने पर उसका कोई विरोध नहीं हुआ.
इससे मेरी हिम्मत थोड़ी और बड़ी और मैंने उसके बूब्स पर अपना हाथ डाल दिया.
एक दो पल रुकने के बाद मैं आहिस्ता आहिस्ता थोड़ा दबाने लगा.

अब भी उसकी कुछ प्रतिक्रिया नहीं आई तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
मैंने उसकी कुर्ती के अन्दर 4 उंगली डाल दीं.
एक मिनट ऐसे ही हाथ डाले रखा, जब

उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैंने अपना हाथ और ज्यादा अन्दर जाने दिया.
उसका कोई विरोध ना होने के कारण मेरा साहस बढ़ता जा रहा था.

फिर मैं अपने दोनों हाथ अलग अलग करके उसके मम्मों पर लगाने लगा और दबाने लगा.
कमाल की बात थी कि उसका कोई विरोध नहीं हो रहा था.

मैं उसके पास एकदम सट कर सो गया और उसके गाल के पास मेरा मुँह लेकर आ गया.
उसका चेहरा एकदम ऊपर था. मैंने अपने होंठ उसके गाल के ऊपर लगा दी.
अब उसने अपना सर हल्के से घुमाया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

यह सब देख कर मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये मुझे रेड सिगनल है या ग्रीन सिगनल है.
लेकिन बियर के नशे की वजह से और ठंड की वजह से मैं अपना आपा खोता जा रहा था.
मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं कुछ गलत तो नहीं हो रहा है.

फिर मैंने अपने होंठ यूं ही उसके होंठों के पास बनाए रखे. उसके होंठ मेरे होंठों से छू रहे थे.
तभी मुझे लगा ये अब उठ गई है. यह काफी कितने परसेंट मेरे फेवर में है, ये जानने के लिए उसके होंठों के पास मेरी जीभ निकाल कर होंठ पर लगा दी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#5
उसने तुरंत मेरी जीभ को अपने मुँह में भर लिया और मुझे पूरा ग्रीन सिग्नल मिल गया.
मैं समझ गया था कि इसकी चूत में भी खुजली है. बस शुरूआत मुझे ही करनी पड़ेगी.

मैंने तुरंत उसको अपने कब्जे में ले लिया और उसे मजे से मसलने लगा, पीछे की चैन खोलने के लिए उसको थोड़ा घुमा दिया.
वह अपने आप पूरी घूम गई और मैंने चैन खोल दी.

मैंने उसकी सलवार को थोड़ा सा सरकाया, तो आंखें नहीं खुल रही थीं.
बिल्कुल लाश सी पड़ी रही.

हालांकि वो मेरी किसी भी बात का विरोध नहीं कर रही थी. मैंने उसके आधे दूध बाहर निकाल लिए थे और मजा ले रहा था.
मैंने उसके सलवार का नाड़ा खोला. वो कुछ नहीं बोली. सलवार के अन्दर हाथ डाल दिया, तब भी उसने कोई विरोध नहीं किया.

फिर जैसे ही मैंने उसकी चूत के ऊपर हाथ रखा, मैं चौंक गया. उसकी चड्डी एकदम गीली थी.
मैं समझ गया कि ये तो पूरी तैयार पड़ी है.

मैंने उसका हाथ लेकर मेरे लोअर के अन्दर दे दिया, मेरा लौड़ा उसके हाथ में दे दिया.
उसने आंख बंद रख हुए ही मेरा लौड़ा हाथ में ले लिया और हिलाने लगी.

मैंने उसके कान में कहा- इतने में हो जाएगा कि और बियर चाहिए.
उसने कुछ जवाब नहीं दिया.

मैंने फिर से पूछा- बीयर मंगवाऊं?
उसने कहा- अभी नहीं एक घंटे के बाद.

मैंने उससे पूछा- मैं तो पूरा रेडी हूँ, तुम्हारा क्या इरादा है?
उसने कहा- मेरा भी पूरा इरादा है.

मैंने उससे कहा- यहां पर अपने अपने कपड़े अपने आप ही उतारने पड़ेंगे. जगह की दिक्कत की वजह से पूरा मजा नहीं आएगा.
उसने कहा- मेरे बैग के अन्दर मेरे कपड़े हैं. मैं पहन लूंगी.

मैंने कहा- अभी तो निकालने की बात है बहना. पहन तो तुम सुबह लेना.
वो मस्ती से हंसने लगी.

फिर उसने अपने कपड़े उतार दिए और मैंने भी कपड़े उतार दिए.

मुझसे उसकी चूत में उंगली करते हुए कहा- तुम तो एकदम रसीली हो गई हो.
उसने हंस कर कहा- हां ऐसे माहौल में मैं कैसे सूखी रह सकती थी भैया. मैं तो आपके होंठों के चुम्बन से पहले ही गर्म थी. आप कुछ कर ही नहीं रहे थे. मैं कैसे शुरू कर सकती थी. मेरा इरादा तो तभी से खराब था जब आपके साथ बियर पी थी. मैं सोच कर बैठी थी कि आज आपके साथ मजा लेना ही है. फिर जैसे ही आपकी हरकत होना शुरू हुई तो बस कमाल हो गया. उसके ऊपर से बियर की मस्ती से मुझसे बर्दाश्त ही नहीं हो रहा था.

मैंने उससे कहा- हीर, मुझे अभी और बीयर पीनी पड़ेगी क्योंकि इतना जो हुआ इसमें मेरी मस्ती खत्म हो गई है … और अब जो करूंगा, उसमें मुझे बहुत हिम्मत चाहिए.
उसने कहा- हां भैया, लेकिन इस बार इस बार आप बेईमानी नहीं करना, जो भी ब्रांड मंगवाना, दोनों की एक ही जैसी मंगवाना. हम दोनों के लिए एक एक नहीं, दो दो मंगाओ.

मैंने कहा- ओके.
मैंने ड्राइवर को फोन किया कि मेरे लिए चार हार्ड वाली चार बियर ले लेना.

मैंने जब उसे फोन किया था, तो आगे एक होटल आने वाला था.
उसने तुरंत ही बियर लेकर मुझ तक पहुंचवा दीं.

लेकिन अब तक हमारा मूत का दबाव बन गया तो हम दोनों बस से उतर कर होटल के टॉयलेट में मूतने गए.

वापिस आकर हम दोनों बीयर पीने लगे.
दोनों ने एक एक बियर पी. एक बीयर पीने के बाद हम दोनों 69 में आ गए और मजा लेने लगे.

मैंने फर्स्ट टाइम अपनी बहन की चूत देखी थी. मैं इतना खुश था कि कैसे बताऊं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#6
हम दोनों ने करीब दस मिनट तक एक दूसरे का सामान चाट चूस कर रस निकलवा दिया और फोरप्ले का मजा लिया.
इसके बाद मैं उसके ऊपर चढ़ गया.

मैंने उसको पूछा- क्या तुम्हारा फर्स्ट टाइम है हीर या पहले किसी के साथ सेक्स कर चुकी हो?
उसने कहा- नहीं भैया, ये मेरे साथ पहली बार है. मैंने अब तक मोबाइल में बहुत सारी ब्लू फिल्म देखी हैं. अपनी चूत में मैं हर रोज उंगली करती हूं, लेकिन आज तक किसी का लंड नहीं लिया है.

उसके मुँह से लंड चूत शब्द सुनते ही मेरे लंड में करंट सा दौर गया और झड़ा हुआ लंड फिर से खड़ा हो गया.

मैंने उससे कहा- पहली बार में थोड़ा बहुत दर्द तो होगा, झेल लेगी?
उसने कहा- आज तो मेरी जान भी निकल जाए, तब भी कोई बात नहीं. आज आप मुझे पूरा संतुष्ट कर देना.

मैंने उससे कहा- मेरी बहना, सिर्फ आज ही नहीं बल्कि अब तो मैं तुमको घर पर भी हर रोज चोद कर संतुष्ट कर दूंगा.
इतना कहकर मैंने उसके ऊपर चुदाई की पोजीशन सैट की लंड चूत के मुँह पर टिका दिया.

मैंने अपनी बहन की चूत के अन्दर लंड डालना चालू किया.
मुझे मालूम था कि ये इसका पहली बार है, इसे दर्द तो पक्का होगा इसलिए मैं धीरे-धीरे उसकी चूत के अन्दर लंड डाल रहा था.
उसको थोड़ा दर्द हुआ भी लेकिन बियर की मस्ती में वो लंड झेल गई.

फिर जैसे ही मैंने तेज शॉट मारा तो दर्द के मारे मेरी वर्जिन सिस्टर कराह उठी.
उसने तड़फ कर कहा- आंह भैया, धीरे धीरे डालो …

उसकी आंख से आंसू निकल रहे थे लेकिन वो लंड पेलने से मना नहीं कर रही थी.

मैंने पूछा कि क्या बहुत दर्द हो रहा है?
उसने कहा- हां … पर आप करो.

मैंने कहा- कुछ रेस्ट करना है?
उसने कहा- आज पूरी रात रुकना नहीं भैया … सिर्फ चुदाई करना हो. चाहे मेरी फूल जाए या फट जाए, लेकिन मुझे आपसे पूरी रात चुदना है. आप और अन्दर डालो.

मैंने उसके मुँह पर मुँह रखा और चूत के चिथड़े उड़ाने लगा. वो दर्द के मारे छटपटाती रही मगर मैं अपने लंड को उसकी चूत की गहराई तक पेल कर सैट कर दिया.

उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया, जिस कारण से चिकनाई हो गई और उसकी चूत ने मेरे लंड को जज्ब कर लिया.

अब हम दोनों मस्ती से चूत चुदाई का मजा लेने लगे थे. हम दोनों ने पहला दौर जल्दी ही खत्म कर लिया.

फिर दूसरी बियर पीकर अगले दौर में काफी देर तक चुदाई का मजा लिया. उसके मम्मे बड़े ही मस्त थे.

मैं लंड चूत में पेल कर उसके दूध खूब चूसे.
उसको भी अपने भाई से अपने आम चुसवा कर मजा आ रहा था.

एक घंटे तक हम दोनों चुदाई की मस्ती करते रहे. फिर थोड़ी देर आराम करने लगे.

थकान ज्यादा हो गई थी तो कब हम दोनों की आंख लग गई, पता ही नहीं चला.
सुबह जब हमारी नींद खुली तो फिर से एक बार चुदाई का मजा लिया और कपड़े पहन कर बैठ गए.

कुछ ही देर बाद एक होटल पर बस रुकी तो मैंने अपनी बहन को सहारा देकर बस के नीचे उतारा.
वो होटल में फ्रेश हुई और वापस बस में बैठ कर मुंबई आ गए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#7
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#8
[Image: 38463078_080_6822.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#9
[Image: 38463078_098_46ca.jpg]

[Image: 98196924_009_cde0.jpg]
[Image: 98196924_008_f3c9.jpg]
[Image: 98196924_015_9e18.jpg]
[Image: 98196924_018_f5a4.jpg]
[Image: 98196924_005_18ed.jpg]
[Image: 38463078_090_9f3c.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#10
[Image: 53558047_010_617a.jpg]
[Image: 53558047_028_ecf5.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#11
[Image: 53558047_050_f82b.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#12
[Image: 53558047_047_d9a5.jpg]

[Image: 53558047_094_f95d.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#13
[Image: 53558047_101_5441.jpg]

[Image: 53558047_113_84f6.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#14
[Image: 53967329_016_281a.jpg]



[Image: 53967329_039_2099.jpg]


[Image: 53967329_043_84fb.jpg]
[Image: 53967329_051_e25a.jpg]
[Image: 53967329_072_239d.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#15
[Image: 29479716_003_b9bc.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#16
[Image: 29479716_006_7959.jpg]
[Image: 29479716_005_81c8.jpg]
[Image: 29479716_004_81c8.jpg]
[Image: 29479716_009_ca76.jpg]
[Image: 29479716_014_9ca9.jpg]
[Image: 29479716_014_9ca9.jpg]
[Image: 29479716_013_5df1.jpg]
[Image: 29479716_016_24e9.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#17
[Image: 29479716_016_24e9.jpg]

[Image: 29479716_015_83f9.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#18
[Image: 29479716_001_5fe4.jpg]

[Image: 53967329_105_187f.jpg]
[Image: 53967329_090_3317.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#19
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#20
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply




Users browsing this thread: 3 Guest(s)