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Adultery नादान देवर का खड़ा लंड
#1
नादान देवर का खड़ा लंड

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मैंने बारहवीं तक की पढ़ाई गांव में रहकर की है. वहां पर मेरे ताऊ के चार लड़के और उनकी दो बहुएं रहती हैं. ये कहानी उनकी बड़ी बहू की है, जिनको मैंने चोदा था. हम सब जॉइंट फैमिली में रहते हैं.

यह बात तब की है, जब मैं पूरा जवान हो गया था और स्कूल में पढ़ता था. मेरी बड़ी भाभी थोड़ी सांवली हैं, लेकिन छोटी भाभी बहुत गोरी हैं. बड़ी भाभी भले ही सांवली हैं, लेकिन वो बहुत सेक्सी हैं. उनका फिगर 34-28-36 का रहा होगा. वो इतनी अधिक चुदक्कड़ हैं कि अगर किसी दिन वो ना चुदें, तो उनको चैन नहीं आता था. मैं अक्सर उनकी चुदाई की सिसकारियां उनके रूम से सुनता था. तब मेरा मन उनकी चुदाई देखने का बहुत करता था. आख़िर भगवान ने एक दिन मेरी सुन ली और मुझे उनकी चुदाई देखने का मौका मिल गया.
उस दिन इंडिया का मैच आ रहा था. मैं उनके रूम में टीवी देख रहा था. लेकिन भाभी को चुदास लगी थी. वो मुझसे बार बार पूछ रही थीं- कब तक देखोगे, टीवी बंद कर दो.
कुछ देर बाद जब मैच ख़त्म हो गया, तो मैं वहां से आ गया. उनके रूम के बाहर ही आंगन में मेरा बिस्तर लगा था, तो मैं वहीं लेट गया.
मेरे लेटते ही भाभी ने भैया को अन्दर ले लिया और गेट लगा लिया. थोड़ी देर बाद उनकी चूड़ियों और पायलों की झनकार मुझे सुनाई देने लगी. मैं समझ गया ज़रूर भाभी अन्दर चुद रही होंगी. मेरी नींद उड़ गई और मेरा लंड खड़ा हो गया. मैं उनकी चुदाई देखने के लिए उनके गेट पर खड़ा हो गया.
मैं गेट की झिरी में से झाँक कर देखा, तो आआआअ हह ओह हाय क्या नज़ारा था अन्दर का … भाभी ज़मीन पर दोनों पैर हवा में उठाए हुए खोल कर चित लेटी थीं और भैया उनके ऊपर चढ़े थे. भैया का लंड भाभी की चूत में था. भाभी की दोनों टांगें हवा में लहरा रहीं थीं. भाभी के दोनों पैर ठीक दरवाजे के सामने थे, जिससे उनकी चूत में लंड साफ़ साफ आता जाता हुआ दिख रहा था. जिंदगी में पहली बार किसी को ऐसे चुदते हुए देखा था, तो दिल जोर जोर से धड़क रहा था. लंड में जोश ही जोश भरा हुआ था.
ऊओह क्या बताऊं दोस्तो … क्या रंगीन नज़ारा था. उस अनुभव को शब्दों में कह पाना मुश्किल था. जैसे ही भैया जोर से कमर से शॉट मारते, लंड घप से भाभी की चूत में घुस जाता और भाभी के मुँह से जोरदार आह निकलती और पायल की आवाज़ आती. उस समय भाभी के चेहरे पर दर्द और मज़े की अलग ही झलक दिखती. हर झटके पर उनका मुँह खुला का खुला रह जाता.
भाभी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ ऐसे चीख रही थीं. उधर भाभी चुद रही थीं, इधर मेरी हालत खराब हो रही थी. जब तक भाभी की चुदाई चली, तब तक मेरा दो बार पानी निकल चुका था. जब भैया का पानी भाभी की चूत में निकल गया, तो भाभी शांत पड़ी रह गईं और भैया उनके ऊपर से हट गए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
भाभी ऐसे ही टांगें फैलाए लेटी थीं. मुझे उनकी चूत साफ़ साफ दिख रही थी. उनकी चूत से भैया का पानी बह रहा था और भाभी की सांसें फूल रही थीं. दिल कर रहा था कि मैं उनके ऊपर चढ़ जाऊं. लेकिन फिर मैंने देखा भाभी उठी ही नहीं, यूं ही चूत पसारे लेटी ही रहीं.

फिर कुछ देर बाद भैया ने उनको हाथ पकड़ कर उठाया, तो मैं समझ गया कि भाभी की चूत कुछ ज्यादा ही चुद गई थी, जिससे भाभी चल नहीं पा रही थीं. फिर दोनों बाहर आने के लिए कपड़े पहन कर खड़े हो गए.
मैं जल्दी से अपने बिस्तर पर आकर लेट गया और आंखें बंद कर लीं, जिससे उनको लगे मैं सो रहा हूँ.
ये गर्मी का समय था, इसलिए सब लोग बाहर ही सोते थे. भाभी की चारपाई मेरे बगल में ही बिछी थी. उसके बाद भैया नीचे ज़मीन पर सो गए. हम सब आंगन में ही सोते थे.
चुदी हुई भाभी मेरे बगल में आकर सो गईं, लेकिन मेरी आंखों से नींद कोसों दूर थी.
जब रात के डेढ़ बजे, तो सब लोग गहरी नींद में थे. भाभी भी सो रही थीं. मैंने सोचा भाभी तो चुद कर थक गई हैं, इसलिए मैंने धीरे से भाभी के ऊपर हाथ फेरना चालू किया. जब कुछ हरकत नहीं हुई … तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई. मैंने धीरे धीरे भाभी की साड़ी उनके पैरों से ऊपर खिसकाना चालू की. जब पूरी टांगें नंगी हो गईं, तो मेरे हाथ कांप रहे थे. ये सब मेरी लाइफ में पहली बार हो रहा था. जब उनकी चूत मेरे सामने आई.
ओह हाय क्या बताऊं … क्या नज़ारा था कितनी मुलायम रबड़ी सी चूत भाभी बिल्कुल खुली पड़ी थी. उनकी चूत पर हल्के बाल भी थे. मैंने भाभी की चूत पर हाथ फेरना चालू किया और फिर धीरे से एक उंगली उनकी चूत में सरका दी. बड़ी ही रसीली और चिकनी चूत थी. बड़े आराम से सुप्प से मेरी उंगली उनकी चूत में चली गई.
फिर जब मेरी हिम्मत और बढ़ी, तो मैंने भाभी की चुत में अपनी दो उंगलियां अन्दर कर दीं और उनको अन्दर बाहर करने लगा. मैं बहुत देर तक बड़ी भाभी की चूत में दोनों उंगलियां चलाता रहा और अपना लंड हिलाता रहा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. भाभी के पैर धीरे धीरे खुलते जा रहे थे, उनकी चूत रस से भीग चुकी थी. मेरी दोनों उंगलियां सटासट अन्दर बाहर हो रही थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
लेकिन तभी अचानक से भाभी उठ कर बैठ गईं. मेरी तो हालत खराब हो गयी और मैं जल्दी से अपने बिस्तर में लेट गया. मैं धड़कते दिल से चुपचाप सो गया. सुबह भाभी बहुत गुस्से में थीं. मैं उठ कर सीधा घर से बाहर निकल गया और अपने चाचा के घर चला गया. मैंने खाना भी वहीं खाया, वहीं बना रहा.

मैं चार दिन तक घर ही नहीं आया. मेरी डर के मारे भाभी के सामने आने की हिम्मत नहीं हो रही थी.
जब कुछ समय बीता, तो कुछ सामान्य हुआ. उस दिन मैं जब चाची के यहां नहा रहा था, तो भाभी छत पर आईं.
भाभी मुझसे बोलीं- क्यों … घर क्यों नहीं आ रहे हो?
तो मैंने कुछ नहीं कहा.
भाभी फिर से बोलीं- घर आओ तुमसे बात करनी है.
मैं डरते हुए घर गया. जब भाभी के पास गया तो भाभी बोलीं- इतना क्यों डर रहे हो, मैंने तुमसे कुछ कहा क्या?
तो मुझे थोड़ी राहत की सांस मिली.
फिर मैं घर रहने लगा. लेकिन भाभी को चोदने की तड़प अब और बढ़ गई थी.
आख़िर वो दिन भी आ गया, जब भाभी की चूत से मेरे लंड का मिलन हुआ.
वो एक तूफ़ानी रात थी. मैं उस दिन भाभी के रूम में उनके बेड पे लेटा हुआ टीवी देख रहा था. फिर अचानक मेरी आंख लग गई और टीवी देखते हुए मुझे नींद आ गई. सच में दोस्तो, ये कोई बहाना नहीं था, आज मुझे हक़ीकत में नींद आ गई थी. मेरी किस्मत थी कि मैं भैया के बेड पर ही सो गया. भाभी बगल में चारपाई पर लेट गईं, जिससे भैया बाहर जाकर और लोगों के साथ सो गए. मेरी किस्मत देखो उस दिन भाभी के साथ में उनके ही रूम में सो रहा था. रात को जब बादल गरजे और आंधी सी आई, तो मेरी आंख खुल गई.
मैंने देखा, तो आंधी की वजह से लाइट चली गई थी. रूम में अंधेरा हो गया था. बस बिज़ली की चमक ही अन्दर आ रही थी, जिससे कभी कभी थोड़ी रोशनी हो जाती थी.
मैंने देखा भाभी और मैं एक ही रूम में और अंधेरा भी था. मेरा मन डोल गया. मैंने सोचा आज तो भाभी को चोद ही दूँगा. अगर आज नहीं चोद पाया, तो कभी नहीं चोद सकूंगा.
मैंने धीरे से भाभी के ऊपर हाथ रखा पहले उनके होंठों पर, फिर मम्मों पर हाथ फेरा. फिर मम्मों को खूब मसला. जब भाभी कुछ नहीं बोलीं, तो मैं उनकी चूत को सहलाने लगा. जब वो चूत सहलाने पर भी शांत रहीं, तो मैंने उनकी साड़ी ऊपर कर दी और उनकी चूत को नंगा करके उसमें एक उंगली डाल दी.
उनकी चूत भट्टी सी गर्म थी. मैंने दो उंगलियां डाल दीं. अब भाभी ने भी अपने दोनों पैर खोल दिए और उनकी चूत रस से सराबोर हो गयी.
मैं बहुत देर उनको रगड़ता रहा, कभी चुची … तो कभी चूत.
आख़िर भाभी को बोलना ही पड़ा और वो बोल उठीं- तुम शांत नहीं लेट सकते, रात भर से परेशान कर दिया, ना सो रहे हो ना सोने दे रहे हो. आज तेरे कारण न तेरे भैया ने कुछ किया … और न तू कुछ करता है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#5
बस भाभी ने इतना ही बोला था कि मैं उठ कर उनकी चारपाई पर पहुँच गया और उनके ऊपर चढ़ गया.

मैं बोला- अब बर्दाश्त नहीं हो रहा, एक बार चुदवा ही लो.
तो भाभी हँस कर बोलीं- हट पागल …
उनके ये शब्द मुझको और तड़पा गए. मैंने उनको जोर से दबोच लिया और उनके होंठ अपने होंठों में लेकर कसके चूसने लगा.
फिर भाभी ने मुझे धक्का दिया और बोलीं- छोड़ो मुझे कोई आ जाएगा, तुम्हारे भैया आ जाएंगे.
मैंने कहा- कोई नहीं आएगा भाभी … बस एक बार जल्दी से चुदवा लो.
भाभी मान गईं और बोलीं- ठीक है, चलो पलंग पर चलो.
मैं खुशी खुशी पलंग पर पहुँच गया और भाभी अपनी चारपाई पर उठ कर बैठ गईं. उन्होंने एक बार बाहर देखा कोई है तो नहीं, फिर मेरे पास पलंग पर आ गईं. जैसे ही वो मेरे बगल में लेटीं, मैं उन पर भूखे भेड़िए की तरह टूट पड़ा.
वो बोलीं- करना ही है, तो आराम से करो.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर मैं उनको चूमने लगा, भाभी के दूध मसलने लगा और उनकी साड़ी ऊपर उठा के उनके दोनों पैर खोल दिए. मैं उनकी चूत में लंड डालने लगा. उनकी चूत इतनी गीली थी कि लंड फिसल रहा था.
मैं तो पहली बार कर रहा था. इसलिए अपना लंड भाभी की चूत में डाल ही नहीं पा रहा था.
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#6
तभी भाभी हँसते हुए बोलीं- रूको मेरे अनाड़ी देवर … मैं डालती हूँ.

उन्होंने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रख दिया.
जैसे ही मैंने धक्का दिया तो मेरा लंड सट से चूत के अन्दर सरक गया और चूत से फ़च की आवाज़ आई. भाभी का पूरा शरीर कांप गया और मेरा भी.
लंड अन्दर जाते ही भाभी के मुँह से एक जोरदार सिसकारी निकली- हायए ओह मर गई … बहुत कड़क लंड है तुम्हारा देवर जी … उम्म्ह… अहह… हय… याह…
क्या बताऊं दोस्तो, भाभी की चूत अन्दर से इतनी गर्म थी कि मुझे लगा जैसे मेरा लंड जल जाएगा. मुझे बहुत मस्त लग रहा था. ऐसा लग रहा था, जैसे कोई मेरे लंड की सिकाई कर रहा है. भाभी की चूत भी अन्दर से बहुत फुदक रही थी. उनकी चूत का छेद बार बार खुल और बंद हो रहा था. उनकी चूत बार बार मेरे लंड पर कस जाती थी, जैसे चूत लंड को निचोड़ रही हो.
भाभी के मुँह से जोरदार सिसकारी निकल रही थी- सी सी आहह आहह हाय ओह.
फिर भाभी ने अपने दोनों पैर फैला कर अपने पैर मेरे पैरों में फंसा लिए, कैंची सी डाल दी, जिससे मेरा लंड भाभी की चूत की गहराइयों में फंस सा गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
भाभी ने टाईट होकर अपनी चुचियां मेरे सीने में गड़ा दीं और मुझे कसके जकड़ लिया. मेरी पीठ पर नाख़ून गड़ा दिए. उनके कुछ नाख़ून मेरी पीठ में गड़ गए. लेकिन इतने जोश के मारे मुझे भी कुछ नहीं दिख रहा था.

मैंने भाभी को हाहाकारी धक्के लगाते हुए चोदना चालू किया. मैं शॉट पर शॉट मारे जा रहा था. मेरे हर झटके से पलंग हिलता और भाभी की चीख निकल जाती. मैं बस भाभी को चोदने में मस्त था.
इधर मैं भाभी की चूत चोद रहा था, उधर जोर जोर से बिजली चमक रही थी और बादल गरज रहे थे. बिल्कुल फिल्म जैसा सीन हो रहा था. उधर आसमान से बिजली चमकती और इधर भाभी की चूत से झटका लगता. उनके मुँह से मस्त आह निकलती.
क्या यादगार चुदाई थी … आज मुझे असली स्वर्ग का मज़ा मिल गया था.
भाभी नीचे से अपनी गांड को हिचकोले ले ले कर मुझसे चुदवा रही थीं और मैं जोर जोर से उनकी गर्म चूत को चोद रहा था.
मैंने लगभग आधे घंटे तक भाभी को चोदा. मेरा उनके ऊपर से हटने का मन नहीं हो रहा था. फिर मैंने भाभी की चूत में ही अपना पानी निकाल दिया और कस के भाभी से चिपक गया. अभी मेरा पानी निकल ही पाया था कि मुझे एक झटका सा लगा.
कमरे का दरवाजा खुला और अचानक से भैया रूम में आ गए … शायद बाहर पानी बरसने लगा था और इधर भाभी की चूत में भी बरसात हो चुकी थी. भाभी एकदम से उठ कर अपनी चारपाई पर पहुँच गईं.
अंधेरे की वजह से भैया हम दोनों को नहीं देख पाए. लेकिन हम दोनों जवानी के मज़े लूट चुके थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#8
(06-06-2022, 05:26 PM)neerathemall Wrote:
नादान देवर का खड़ा लंड


Angel Angel Angel Angel
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#9
बहुत-बहुत बधाई स्वीकार करें आदरणीय निशा जी सादर नमस्कार
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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