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Adultery द जंगल क्वीन – कमसिन जवान लड़की
#1
द जंगल क्वीन – कमसिन जवान लड़की

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
मैं हॉस्पिटल में जॉब करता था. एक लड़की मेरे पास आने लगी. मुझे लगा कि वो मुझ पर डोरे डाल रही थी, मुझसे बहाने से बातें करने की कोशिश में लगी थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
राजगढ़ आये हुए मुझे 3 महीने हो चुके थे। पहली जॉब थी, अनजानी जगह और लोग अनजाने!

धीरे- धीरे मैं अब उस माहौल में रच-बसने को तैयार था।
हॉस्पिटल में जॉब था तो बहुतेरे लोग आते थे। उन्हीं में से एक थी ‘सीमा’।
कुछ दिनों से देख रहा था कि वो मुझ पर डोरे डाल रही थी, जानबूझकर मुझसे बहाने से बातें करने की कोशिश में लगी थी।
आखिर एक दिन मुझसे कॉउंसिल करवाने के नाम पर मेरे ओफिस के रूम में आ गयी।
यहां-वहां की बात करने के बाद वो सेक्स के टॉपिक पे आ गयी। मैंने उसकी काउन्सलिंग की और जो उसकी उलझन थी सुलझा दी।
वो 19 साल की होने को थी और 12वीं में पढ़ रही थी। मुझे पता नहीं था कि मेरे क्वार्टर के पास ही उसका कॉलेज है।
एक दिन जब मैं अपने क्वार्टर लौट रहा था उससे रास्ते में मुलाक़ात हो गयी।
उसने कहा- आप कहाँ रहते हैं?
मैंने कहा- यहीं पर किराये का क्वार्टर लिया है।
उसने कहा- तो न्योता नहीं देंगे जनाब खातिरदारी करवाने का?
मैंने कहा- चलो।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#4
वो साथ आ गयी।

मैंने उसे नाश्ता करवाया और यूँ ही फिर हमारी बातचीत शुरू हो गयी।
एक हफ्ते बाद वो मेरे क्वार्टर में आई।
मैंने कहा- क्यों छुट्टी हो गयी?
उसने कहा- हाँ।
फिर उसने कहा- आपका तो लंच टाइम होगा न?
मैंने कहा- अभी तो फुरसत है, अब शाम को 5 से 6 की ड्यूटी बची है। मतलब पूरे 4 घण्टे हैं। लंच करके रेस्ट करूँगा फिर जाऊंगा।
उसने मौका ताड़ लिया, बोली- अब तो हम खास दोस्त बन गए हैं। एक चीज़ मांगूंगी तो मना तो नहीं करोगे?
मैंने कहा- मेरे बस का हुआ तो ज़रूर करूँगा।
सब अपने मोबाइल पर कुछ टाइप किया और मुझे दिखाया।
मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ।
उसमें लिखा था- किस।
मैंने उसे समझाया- ऐसा करना ठीक नहीं!
उसका ईगो ज़रा हर्ट सा हो गया।
फिर उसका दिल रखने के लिए मैंने उसके दाहिने गाल पे किस दिया।
लेकिन उसने कहा- यह मेरी इंसल्ट है।
मैंने समझाया कि यह सब ठीक नहीं!
पर वो नहीं मानी, बोली- जबसे आपको देखा है आपकी दीवानी हो गयी हूँ और आप मेरे साथ ऐसा कर रहे हो।
10 मिनट की खामोशी के बाद मैंने उसकी बात मान ली।
वो मेरे जीवन का पहला किस था। वो नाज़ुक होंठ और वो पल आज भी भुलाये नहीं भूलता है।
फिर उसने मुझे बांहों में भर लिया। मुझे उसकी बेसब्री महसूस हो रही थी। पर मुझे काबू रखना था खुद पर।
मैंने किस के बाद उसे अपनी गोद पर बिठा लिया और मेरे हाथों से उसका आलिंगन किया। उसके बूब्स मेरे हाथों के नीचे थे। मुझे मन ही मन उन्हें दबाने की इच्छा जागृत होने लगी लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी।
सीमा ने यह भांप लिया और कहने लगी- हां, मैं जानती हूँ, सभी लड़कों को यही पसन्द आते हैं। जाने क्यों सभी इन्हें ही चाहते हैं। हमको तो कोई पसन्द नहीं करता।
मैंने अनजान बनते हुए उसके बूब्स से हाथ फिसलाते हुए नीचे उसकी गोद में हाथ रख दिया।
फिर वो उठकर बाजू में बैठ गयी।
बूब्स दबाने की मेरी इच्छा अधूरी रह गयी। लेकिन जो स्पर्श उसके स्तनों का मिला वो भी अद्भुत था।
उसने कहा- जल्दी क्या है, अगली बार।
फिर उसने किस के लिए थैंक यू कहा और एक किस चुरा कर भाग गयी।
मैं लंच करना भूल ही गया और उसी ख्याल में शाम के 4 बज गए। शाम की चाय बनाई और नाश्ता करके हॉस्पिटल की ओर चल पड़ा।
3 किलोमीटर के रास्ते में वो किस याद करते हुए, मानो खुद को विश्व विजेता की तरह समझ रहा था।
मुझे क्या पता था कि आगे और भी रोमांचक पल आने वाले हैं। और मैं उसे ‘द जंगल क्वीन’ के नाम से याद रखने वाला था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#5
वो पहला किस जब हुआ उसके बाद सीमा हफ्ते भर बाद आई।

मैंने उसे कहा- अब?
उसने कहा- आपको किस करना नहीं आता!
मैंने कहा- और कैसे करते हैं किस?
उसने कहा- अंग्रेज़ी फिल्मों में जैसा होता है वैसा।
मैंने कहा- उसे फ्रेंच किस कहते हैं। और जो शर्मीले होते हैं वो होंठों के ऊपर की किस करते हैं।
उसने कहा- मुझे तो फ्रेंच किस चाहिये!
मैंने कहा- अच्छा। फिर वो मेरी गोद में आकर बैठ गयी।
मेरा लन्ड नीचे धीरे-धीरे हिलौरें मार रहा था।
फिर मैंने फ्रेंच किस किया सीमा को और वो काफी जोश से किस करने लगी।
मैंने कहा- आहिस्ते करो।
उसके ऊपर के होंठ के रसपान के बाद नीचे के होंठ को चखा। उसने तो अभी शुरुआत की थी।
फिर वो खुश हो गयी। उसने कहा- आपको मेरे बूब्स में बड़ी दिलचस्पी है।
मैंने कहा- अगर परमिशन है तो?
उसने कहा- हां।
फिर मेरी गोद पे बैठी सीमा के बूब्स दबाने लगा।
5 मिनट में ही मानो मैं जन्नत की सैर कर आया।
फिर उसने कहा- बस करो अब, निचोड़ ही डालोगे क्या? अभी कॉलेज ड्रेस में हूँ, इस्तरी खराब हो गयी तो लोग क्या कहेंगे।
उसने सीने की इस्तरी ठीक की और किस करके जाने को हुई।
मैंने कहा- अंदर से दबाना है।
सीमा- हां जी, आपके ही हैं। लेकिन फिर कभी।
फिर चलती बनी।
कुछ दिनों बाद छुट्टी के दिन आ धमकी।
मैं गाड़ी साफ कर रहा था, मैंने कहा- चाय बना दो।
वो चाय बनाने किचन में चली गयी।
गाड़ी धुल चुकी थी। चाय तैयार थी।
मैं किचन में गया और वो कप में चाय डाल रही थी कि मैंने पीछे से उसे बांहों में भर लिया। उसकी गांड पर मेरा लन्ड सट गया। उसने भी महसूस किया।
वो बोली- चाय पियें या …
मैंने उसे किचन की प्लेटफार्म पर बिठाया और हम चाय का मज़ा लेने लगे।
आधे घण्टे बाद बेड पर आकर बैठ गए। वो हमेशा की तरह मेरी गोद में बैठ गयी। मेरे लन्ड की हरकत भांप गयी। फिर नीचे ज़मीन पर बैठी और मेरे लोअर के ऊपर से लन्ड को पकड़ लिया।
मैं उसकी इस हरकत से हैरान रह गया।
वो बोली- इसने आजकल बड़ा परेशान कर रखा है?
मैंने कहा- तो?!!
सीमा- कुछ तो करना पड़ेगा।
और कहते ही मेरे लोअर के अंदर हाथ डाल दिया और अंडरवियर को खिसका कर मेरे लन्ड को पकड़ लिया।
सीमा- ओहो … तो जनाब आपको क्या सज़ा दें?
मैं- हां, ज़रूर दो सज़ा।
सीमा- अच्छा।
फिर मेरे लन्ड को आगे पीछे करने लगी। मुझे बेड पर लिटा दिया और फिर लोअर नीचे सरका कर मेरे लन्ड को बाहर निकाला, बोली- कितना मासूम है।
और फिर सीधे उसकी चुम्मी ले ली।
मुझे यकीन ही नहीं हुआ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
मेरे लन्ड को हाथ में लेकर उसकी चुम्मी ली और बोली- इस मासूम को तो मैं बहुत प्यार करूँगी।

फिर उसने लन्ड को ऊपर नीचे किया और फिर उसे चूसने लगी।
मानो मैं तो सातवें आसमान में पहुंच गया।
फिर वो मुझे किस करके बोली- आप जब तक राजगढ़ में हो, आपको खुश रखूंगी।
और मुझे गले लगाकर अपने घर चली गयी।
सिलसिला आगे बढ़ने को था। सीमा जब भी आती सीधे मेरी गोद में बैठ जाती थी। जिससे लन्ड गर्म हो जाता था और धीरे धीरे हिलोरे मारता था।
बातों ही बातों में सीमा हाथ पीछे करके लोअर के अंदर हाथ घुसा देती और मेरे लन्ड को पकड़ कर आगे पीछे करती।
मुझे बिस्तर पे लिटाकर धीरे से लोअर सरकाती और लंड को बाहर निकालकर उसे चूसती। मैं तो सातवें आसमान की सैर कर आता। उसके बूब्स को दबाता और निप्पल्स को चूसता और होंठों से दबाता।
इसी क्रम में मेरा छूटने को होता तो अपनी ब्रा पर मेरा वीर्य लेकर बड़ी खुश हो जाती थी सीमा।
एक दिन मैं सब्जी बना रहा था और टमाटर काट ही रहां था कि चाकू फिसला और मेरी उंगली ही कट गई।
लो हो गया कल्याण!
दोपहर में सीमा आयी, उसने सब्जी बनाई फिर हमने लंच किया।
उसके बाद उसने कहा- मुझे कुछ चाहिए।
मैंने कहा- उंगली ठीक हो जाने दो. फिर …
फिर वो मेरा लंड चूसकर घर चली गयी।
अगले महीने … एक दिन सीमा बोली- अब तो मेरी इच्छा पूरी कर दो। तुम नामर्द हो क्या? जो एक लड़की आगे से तुमको चोदने के लिए कह रही है और तुम कुछ करते ही नहीं।
मुझे बड़ा गुस्सा आया। फिर उसे मैंने घर से निकाल दिया।
आगे कैसे उसने रात के 4 बजे मेरी नींद उड़ाई? यह तो मैं सोच भी नहीं सकता था.
रात के 4 बजे अनजाने नम्बर से कॉल आया. मैंने नहीं उठाया. फिर रिंग बजी तो मैंने रिसीव किया।
मैं- हेलो?
कॉलर- हेलो मेरी जान।
मैं- कौन है भाई?!!
कॉलर- दरवाजा तो खोलो.
मैंने गेट खोला- सामने सीमा थी.
हे भगवान! सुबह के 4 बजे यह लड़की … यहां … मैंने अंदर बुलाया, गेट बंद किया।
सीमा- क्यों जनाब कैसा लगा सरप्राइज?
मैं- तुम पागल तो नहीं हो? इतनी रात में क्या कर रही हो?
सीमा- आपसे मिलने आयी हूँ। लाइट ऑफ करो..
उसने मुझे कस गले लगाया और लोअर के ऊपर से ही मेरा लन्ड दबाने लगी।
फिर बिस्तर पे हम मस्ती करने लगे।
उसने अपनी टॉप उतार दिया और मेरी टीशर्ट, फिर अपनी समीज और मेरा बनियान.
फिर मेरा लोअर खींचने लगी, मैंने उसकी ब्रा को अनहुक कर दिया।
मेरा लन्ड तो तनकर क़ुतुब मीनार हक गया था। उसने अपनी लेग्गिंस भी उतार दी, और मैं भी अपने शॉर्ट्स में था।
हम दोनों गुत्थम गुत्थी होने लगे। उसने बड़े ज़ोरों से किस करना शुरू कर दिया। मैंने भी फ्रेंच किस की। फिर उसके बूब्स को दबाने लगा और निप्पल को काटने और चूसने लगा। उसने मेरा अंडरवियर उतार दिया और मेरे नीचे आकर लन्ड चूसने लगी, मेरी गोटियों के साथ खेलने लगी। उन्हें भी मुंह में भर भर के चूस लेती।
फिर मैंने उसकी पैंटी उतार दी और उसके गुलाबी चुत से खेलने लगा। उंगली डालकर उसे टीज़ करने लगा।
वो गर्म होने लगी, मेरे कान को काटने लगी, बालो को सहलाने लगी. मेरे पूरे बदन को चूमने लगी।
मैं उसको भी पूरे बदन पर किस करने लगा।
उसने कहा- अब मुझे चाहिए.
मैंने कंडोम का पैक खोला और उसे दिया. उसने मेरे लन्ड पर कंडोम लगाया। फिर मेरे लन्ड को अपनी चुत के द्वार पर सेट कर दिया।
और उसके बाद हम लोग सुख के सागर में डूब गए।
20-25 मिनट की चुदाई के बाद हम लोग कॉफ़ी पीने लगे।
मेरी गोद से उठकर वो डॉगी पोजीशन में आ गयी और बोली- अब डोगी स्टाइल में चुदायी करेंगे।
मैंने चुत में लुंड सेट करके उसकी धमाकेदार चुदायी की। वो 2 बार झड़ गयी और हम सो गए।
सुबह 11 बजे नींद खुली। तो उसका वो गेरुआ रंग मानो खिल सा गया था।
मुझे किस करके वो नंगे बदन ही बाथरूम में शावर लेने चली गयी। पीछे पीछे मैं भी गया।
और नहाते नहाते एक बार फिर चुदायी का खेल शुरु हो गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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