23-05-2022, 02:46 PM
सायरा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Adultery सायरा
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23-05-2022, 02:46 PM
सायरा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 02:47 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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23-05-2022, 02:49 PM
(This post was last modified: 23-05-2022, 02:52 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मेरा नाम साहिल है और मेरी उम्र करीब 50 पार कर चुकी है। मेरे घर में मेरे बेटे सोनू के अलावा और कोई नहीं है। उसकी मां को गुजरे करीब 8 साल हो चुके हैं और अभी दो साल पहले मेरे माता-पिता का भी देहांत हो चुका था।
अब मेरे घर में मैं और मेरा बेटा सोनू ही है, जिसकी उम्र करीब 26 साल की है। देखने में सोनू ठीक-ठाक है और एक मल्टीनेशनल कम्पनी में कार्यरत है। मैं अपने बेटे की शादी करना चाहता था लेकिन वो शादी करने के लिए मान ही नहीं रहा था. तब भी परिवार के लोगों के दबाव के कारण मुझे सोनू की शादी एक बहुत ही खूबसूरत और घरेलू लड़की से करनी पड़ी. हांलाँकि सोनू शादी के पक्ष में नहीं था। शादी हो गयी, मेहमान भी अपने घर चले गये। एक दिन मेरी बहू सायरा ने मुझसे अपने मायके जाने के लिये अनुमति मांगी। मैंने भी खुशी-खुशी इस शर्त के साथ सायरा को उसके घर भेज दिया कि वो जल्दी वापिस लौटकर आयेगी. पर 10 दिन बीत गये, वो नहीं आयी। मैंने सोनू को उसे लाने के लिये भेजा, पर वो उसके साथ भी नहीं आयी और बहाना बना दिया कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है। इस तरह एक महीना बीत गया। इस बीच मैंने मेरे बेटे को 2-3 बार सायरा को बुलाने के लिये कहा लेकिन जैसे वो आना नहीं चाह रही थी। इधर मेरे दोस्त यार जो मेरे घर अक्सर आ जाया करते थे, बहू के बारे में पूछते थे. लेकिन अब मेरे लिये उन्हें भी टालने मुश्किल होने लगा था। इसके अलावा मुझे भी बात को जानना था कि ऐसा क्या हो गया जिसके वजह से बहू अपने ससुराल में आने के लिये मना कर रही थी और सोनू के सास ससुर भी सायरा को वापस भेजने के लिये तैयार नहीं हो रहे थे। इसलिये हारकर एक दिन मैं सोनू के ससुराल पहुँच गया। मेरी आवभगत तो बहुत अच्छे से हुई और मेरे वहाँ जाने से घर के सभी लोग बहुत खुश थे। बातों बातों में मैं जानना चाह रहा था कि आखिर सायरा क्यों नहीं वापस अपने ससुराल नहीं आना चाह रही है। सोनू के ससुर ने बस इतना ही कहा कि जब भी वो लोग सायरा को बोलते तो सायरा बस इतना कहती कि बस थोड़े दिन वो उन लोगों के साथ रह ले, फिर चली जाऊंगी, क्योंकि मेरे यहां उसे अपने घर दोबारा जल्दी आने का मौका नहीं मिलेगा। मैंने सायरा से भी बात की लेकिन उसने भी मुझे वही रटा रटाया जवाब दिया। अब मेरा अनुभव जो मुझसे कह रहा था कि जरूर मेरे सोनू के नाकाबिलयत के वजह से यह सब हो रहा है। पर तुरन्त ही मैंने अपने कान को पकड़े और बोला- हे प्रभु, ऐसा कुछ भी न हो, जैसा मैं सोच रहा हूं। फिर भी मैं उन बातों को जानना चाह रहा था जिसके कारण सायरा नहीं आ रही थी. और ऐसी बात सायरा से घर पर नहीं हो सकती थी। इसलिये मैंने सायरा से कहा- बेटा, तुम्हारे शहर आया हूं, मुझे अपना शहर नहीं घुमाओगी? सायरा खुशी-खुशी तैयार हो गयी। मैं सायरा के मम्मी पापा से इजाजत लेकर सायरा के साथ घूमने के बहाने घर आ गया। सायरा अपनी स्कूटी में मुझे बैठाकर मेरे साथ चल दी। थोड़ी देर तक मैं उसके साथ इधर-उधर की बातें करते हुए घूमता रहा। फिर मैंने सायरा को ऐसी जगह पर ले चलने के लिये कहा, जहाँ पर मैं उससे अकेले में बातें कर सकूं। पहले तो सायरा ने मुझे टालने की कोशिश की लेकिन मेरी जिद के कारण वो मुझे एक रेस्टोरेंट में ले आयी। रेस्टोरेंट में भीड़ बहुत थी तो हम लोग वहां से वापिस चलने को हुए. तो मैनेजर ने रोककर जाने का कारण पूछा. मेरे द्वारा कारण बताने पर वो मुझे एक केबिन की तरफ इशारा करते हुए बोला- सर, इस समय वो केबिन खाली है, अगर आप लोग चाहें तो उसमें बैठ जायें। मुझे भी यही चाहिये था कि मुझे और सायरा को कोई डिस्टर्ब नहीं करे. तो मैंने मैनेजर को कुछ सनैक वगैरह भिजवाने को कहा और मैं सायरा के साथ उस केबिन के अन्दर आ गया। कुर्सी पर बैठते ही मैंने सायरा पर पहला वही सवाल दागा कि वो वापस क्यों नहीं जाना चाहती. पर उसने भी वही रटा रटाया जवाब दिया। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 02:50 PM
तभी मैंने सायरा के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए कहा- देखो बेटी, मैं ही सोनू की माँ और बाप हूं। अब अगर सोनू की माँ होती तो वो तुमसे पूछ कर समस्या का समाधान निकालती।
फिर मैंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- देखो बेटा, मैं जानता हूं कि जरूर ऐसी कोई बात तुम दोनों के बीच हुयी है जो मुझे बताने के काबिल तो नहीं है और जिसके वजह से तुम वापस भी नहीं आ रही हो। लेकिन सायरा ने मेरी बात को काटते हुए कहा- नहीं पापा, ऐसी कोई बात नहीं है। “नहीं बेटा, बात तो कुछ न कुछ जरूर है। नहीं तो मुझे बताओ, नयी ब्याही लड़की भला अपने ससुराल से दूर रह सकती है?” इतना कहकर एक बार फिर मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में लिया और बोला- देखो सायरा, चाहे तुम मुझे अपनी सास समझो, या ससुर समझो, या दोस्त, जो कुछ भी समझना है समझो, लेकिन आज अपनी समस्या मुझसे शेयर करो। क्योंकि मैं अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को तुम्हारे न आने का कारण नहीं बता पा रहा हूं। इतना कहते हुए मैं उसकी तरफ देखने लगा और सायरा भी मुझे टकटकी लगाकर देखने लगी। उसकी आंखों के कोने से आंसू की एक बूंद मुझे दिख गयी। मैंने उसके आंसू को अपनी उंगली में लेते हुए कहा- सायरा, देखो ये तुम्हारे आंसू के बूंद बता रहे हैं कि कुछ न कुछ ऐसा जरूर हुआ है कि तुम सोनू से दूर हो गयी हो। अभी भी बिना बोले सायरा मुझे टकटकी लगाकर देखती रही। मैंने फिर उसके हाथ को सहलाते हुए कहा- सायरा, तुम बस इतना मान लो कि तुम अपनी सहेली से बात कर रही हो. और जो कुछ भी तुम्हारे अंदर है उसको मुझे बताओ ताकि मैं उस समस्या को दूर कर संकू। “मुझे तलाक चाहिये।” उसने इस शब्द को अपने रूँधे हुए गले से कहा। मैं एकदम धक से रह गया- तलाक!!! यह क्या कह रही हो? मेरा अनुमान सही दिशा में जाने लगा लेकिन मैं सायरा के मुंह से सुनना चाहता था। “हाँ पापा, मुझे तलाक चाहिये।” “बेटा तलाक? लेकिन क्यों?” “पापा, मैं कारण नहीं बता सकती, लेकिन मैं सोनू से तलाक चाहती हूं।” “बेटा, न्यायालय में भी तलाक का कारण तो बताना पड़ेगा. और इससे मुझे और तुम्हारे पापा दोनों को ही शर्मिन्दगी उठानी पड़ेगी। इतनी देर में मैं यह समझ गया हूं कि तुम्हारे और सोनू के बीच जो समस्या है उसको अभी तक तुमने अपने मम्मी और पापा को नहीं बताया है।” मेरी बात सुनकर सायरा ने अपनी नजरें झुका ली और हम दोनों के बीच एक अजीब सी शान्ति छा गयी। थोड़ी देर बाद मैंने बात आगे बढ़ाई और सायरा से बोला- देखो बेटा, मैंने बड़ी उम्मीद से सोनू की शादी करवायी थी कि मेरे यहां औरत नाम पर कोई नहीं है और तुम्हारे आने से यह कमी पूरी हो जायेगी। लेकिन तुम बिना कोई वजह बताये तलाक की बात कर रही हो। थोड़ा देर के लिये सोचो, मैं लोगों से क्या बताऊंगा कि मेरे बेटे और बहू के बीच ऐसा क्या हुआ कि इतनी जल्दी तलाक की नौबत आ गयी। “तो पापा, मैं क्या करूँ इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है।” “रास्ता नहीं है! रास्ता नहीं है! कह रही हो लेकिन समस्या नहीं बता रही हो?” इस समय मैं भी थोड़ा झल्ला कर सायरा से बोल बैठा। सायरा ने मेरी तरफ देखा, उसकी पलकें भीगी हुयी थी, रूँधे हुए आवाज के साथ बोली- पापा, सोनू से शादी करने से अच्छा था कि आप जैसे किसी अधेड़ से मैं शादी कर लेती। अपनी बहू सायरा की इस बात से मैं बिल्कुल समझ गया कि सोनू ने मेरे नाम को मिट्टी में मिला दिया। अब मैं चाह कर भी सायरा से बाते आगे नहीं बढ़ा सकता। तभी सायरा बोली- पापा जी, एक बात आपसे पूछनी है। “हाँ हाँ पूछो बेटा?” “चलिये मैं अपने पापा और आपकी इज्जत के खातिर अपने अन्दर के औरत को भूल जाऊँ. लेकिन जो गलती सोनू की है, उसका इल्जाम मैं अपने ऊपर क्यों लूँ?” “मैं समझा नहीं?” “मैं क्षमा चाहते हुए बोल रही हूं, आप बुरा मत मानियेगा।” “नहीं बेटा, मैं बुरा नहीं मानूंगा।” “पापाजी, मैं अपनी जिस्मानी भावना को अगर मार भी दूं पर कल को हमारा बच्चा नहीं हुआ तो आपके और हमारे दोस्त और रिश्तेदार ही मुझे बांझ बोलेंगे. जबकि मेरी गलती भी नहीं होगी और अपराधी भी मैं हूंगी।” “हाँ यह बात तो है सायरा! पर एक रास्ता यह भी तो है कि तुम दोनों एक बेबी को एडाप्ट कर लो तो जमाने वाले नहीं कहेंगे।” “तब मैं अपने मां-बाप को क्या जवाब दूंगी। वो अगर पूछें कि तुमने बच्चा गोद क्यों लिया?” अगर मैंने सारा किस्सा बताया तो बोलेंगे कि मैंने उन्हें पहले क्यों नहीं बताया. और नहीं बताती तो फिर सोनू की गलती और सजा मुझे?” “हम्म!” मैं कहकर चुप हो गया। तभी सायरा ने मेरे हाथों को अपने हाथों में ले लिया और सहलाने लगी। “सायरा, मैं कल सुबह वापस जा रहा हूं। अगर तुमको मुझ पर विश्वास हो तो तुम मां भी बनोगी और और जब तक मैं इस दुनिया में जीवित हूं तुम्हें औरत होने का अहसास भी मिलेगा. और किसी को कुछ भी कहने का मौका भी नहीं मिलेगा।” सायरा मेरी तरफ टकटकी लगाकर देखने लगी, शायद इस समय मैं कुछ जरूरत से ज्यादा स्वार्थी हो गया था, मैं सायरा से नजर नहीं मिला पा रहा था. काफी देर तक हम दोनों के बीच खामोशी छायी रही और सायरा की तरफ से कोई उत्तर न आने पर मुझे अपने ही ऊपर गुस्सा आने लगा। जब बातों का सिलसिला दोबारा शुरू नहीं हुआ तो मैं और सायरा वापिस चल दिये। रास्ते में मैंने उसे उसकी पसंद के कुछ कपड़े खरीद कर यह कहकर दिये- बेटा, यह छोटा सा गिफ्ट तुम्हारे पापा की तरफ से है। जब तक घर नहीं आ गया, मैं रास्ते भर यही सोचता रहा कि सायरा मेरी बातों को किस अर्थ में लेगी। घर पहुँचने के बाद मेरा और सायरा से कोई आमना-सामना नहीं हुआ और मैं भी इसी उधेड़बुन में रहा कि सायरा मेरी बातों को बुरा मान गयी है। रात के खाने के समय भी सायरा मेरे सामने नहीं आयी। खाना खाते वक्त ही मैंने सायरा के मम्मी-पापा को सुबह होते ही जाने के लिये बोल दिया। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
23-05-2022, 02:51 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
27-05-2022, 06:13 PM
तभी मैंने सायरा के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए कहा- देखो बेटी, मैं ही सोनू की माँ और बाप हूं। अब अगर सोनू की माँ होती तो वो तुमसे पूछ कर समस्या का समाधान निकालती।
फिर मैंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- देखो बेटा, मैं जानता हूं कि जरूर ऐसी कोई बात तुम दोनों के बीच हुयी है जो मुझे बताने के काबिल तो नहीं है और जिसके वजह से तुम वापस भी नहीं आ रही हो। लेकिन सायरा ने मेरी बात को काटते हुए कहा- नहीं पापा, ऐसी कोई बात नहीं है। “नहीं बेटा, बात तो कुछ न कुछ जरूर है। नहीं तो मुझे बताओ, नयी ब्याही लड़की भला अपने ससुराल से दूर रह सकती है?” इतना कहकर एक बार फिर मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में लिया और बोला- देखो सायरा, चाहे तुम मुझे अपनी सास समझो, या ससुर समझो, या दोस्त, जो कुछ भी समझना है समझो, लेकिन आज अपनी समस्या मुझसे शेयर करो। क्योंकि मैं अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को तुम्हारे न आने का कारण नहीं बता पा रहा हूं। इतना कहते हुए मैं उसकी तरफ देखने लगा और सायरा भी मुझे टकटकी लगाकर देखने लगी। उसकी आंखों के कोने से आंसू की एक बूंद मुझे दिख गयी। मैंने उसके आंसू को अपनी उंगली में लेते हुए कहा- सायरा, देखो ये तुम्हारे आंसू के बूंद बता रहे हैं कि कुछ न कुछ ऐसा जरूर हुआ है कि तुम सोनू से दूर हो गयी हो। अभी भी बिना बोले सायरा मुझे टकटकी लगाकर देखती रही। मैंने फिर उसके हाथ को सहलाते हुए कहा- सायरा, तुम बस इतना मान लो कि तुम अपनी सहेली से बात कर रही हो. और जो कुछ भी तुम्हारे अंदर है उसको मुझे बताओ ताकि मैं उस समस्या को दूर कर संकू। “मुझे तलाक चाहिये।” उसने इस शब्द को अपने रूँधे हुए गले से कहा। मैं एकदम धक से रह गया- तलाक!!! यह क्या कह रही हो? मेरा अनुमान सही दिशा में जाने लगा लेकिन मैं सायरा के मुंह से सुनना चाहता था। “हाँ पापा, मुझे तलाक चाहिये।” “बेटा तलाक? लेकिन क्यों?” “पापा, मैं कारण नहीं बता सकती, लेकिन मैं सोनू से तलाक चाहती हूं।” “बेटा, न्यायालय में भी तलाक का कारण तो बताना पड़ेगा. और इससे मुझे और तुम्हारे पापा दोनों को ही शर्मिन्दगी उठानी पड़ेगी। इतनी देर में मैं यह समझ गया हूं कि तुम्हारे और सोनू के बीच जो समस्या है उसको अभी तक तुमने अपने मम्मी और पापा को नहीं बताया है।” मेरी बात सुनकर सायरा ने अपनी नजरें झुका ली और हम दोनों के बीच एक अजीब सी शान्ति छा गयी। थोड़ी देर बाद मैंने बात आगे बढ़ाई और सायरा से बोला- देखो बेटा, मैंने बड़ी उम्मीद से सोनू की शादी करवायी थी कि मेरे यहां औरत नाम पर कोई नहीं है और तुम्हारे आने से यह कमी पूरी हो जायेगी। लेकिन तुम बिना कोई वजह बताये तलाक की बात कर रही हो। थोड़ा देर के लिये सोचो, मैं लोगों से क्या बताऊंगा कि मेरे बेटे और बहू के बीच ऐसा क्या हुआ कि इतनी जल्दी तलाक की नौबत आ गयी। “तो पापा, मैं क्या करूँ इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है।” “रास्ता नहीं है! रास्ता नहीं है! कह रही हो लेकिन समस्या नहीं बता रही हो?” इस समय मैं भी थोड़ा झल्ला कर सायरा से बोल बैठा। सायरा ने मेरी तरफ देखा, उसकी पलकें भीगी हुयी थी, रूँधे हुए आवाज के साथ बोली- पापा, सोनू से शादी करने से अच्छा था कि आप जैसे किसी अधेड़ से मैं शादी कर लेती। अपनी बहू सायरा की इस बात से मैं बिल्कुल समझ गया कि सोनू ने मेरे नाम को मिट्टी में मिला दिया। अब मैं चाह कर भी सायरा से बाते आगे नहीं बढ़ा सकता। तभी सायरा बोली- पापा जी, एक बात आपसे पूछनी है। “हाँ हाँ पूछो बेटा?” “चलिये मैं अपने पापा और आपकी इज्जत के खातिर अपने अन्दर के औरत को भूल जाऊँ. लेकिन जो गलती सोनू की है, उसका इल्जाम मैं अपने ऊपर क्यों लूँ?” “मैं समझा नहीं?” “मैं क्षमा चाहते हुए बोल रही हूं, आप बुरा मत मानियेगा।” “नहीं बेटा, मैं बुरा नहीं मानूंगा।” “पापाजी, मैं अपनी जिस्मानी भावना को अगर मार भी दूं पर कल को हमारा बच्चा नहीं हुआ तो आपके और हमारे दोस्त और रिश्तेदार ही मुझे बांझ बोलेंगे. जबकि मेरी गलती भी नहीं होगी और अपराधी भी मैं हूंगी।” “हाँ यह बात तो है सायरा! पर एक रास्ता यह भी तो है कि तुम दोनों एक बेबी को एडाप्ट कर लो तो जमाने वाले नहीं कहेंगे।” “तब मैं अपने मां-बाप को क्या जवाब दूंगी। वो अगर पूछें कि तुमने बच्चा गोद क्यों लिया?” अगर मैंने सारा किस्सा बताया तो बोलेंगे कि मैंने उन्हें पहले क्यों नहीं बताया. और नहीं बताती तो फिर सोनू की गलती और सजा मुझे?” “हम्म!” मैं कहकर चुप हो गया। तभी सायरा ने मेरे हाथों को अपने हाथों में ले लिया और सहलाने लगी। “सायरा, मैं कल सुबह वापस जा रहा हूं। अगर तुमको मुझ पर विश्वास हो तो तुम मां भी बनोगी और और जब तक मैं इस दुनिया में जीवित हूं तुम्हें औरत होने का अहसास भी मिलेगा. और किसी को कुछ भी कहने का मौका भी नहीं मिलेगा।” सायरा मेरी तरफ टकटकी लगाकर देखने लगी, शायद इस समय मैं कुछ जरूरत से ज्यादा स्वार्थी हो गया था, मैं सायरा से नजर नहीं मिला पा रहा था. काफी देर तक हम दोनों के बीच खामोशी छायी रही और सायरा की तरफ से कोई उत्तर न आने पर मुझे अपने ही ऊपर गुस्सा आने लगा। जब बातों का सिलसिला दोबारा शुरू नहीं हुआ तो मैं और सायरा वापिस चल दिये। रास्ते में मैंने उसे उसकी पसंद के कुछ कपड़े खरीद कर यह कहकर दिये- बेटा, यह छोटा सा गिफ्ट तुम्हारे पापा की तरफ से है। जब तक घर नहीं आ गया, मैं रास्ते भर यही सोचता रहा कि सायरा मेरी बातों को किस अर्थ में लेगी। घर पहुँचने के बाद मेरा और सायरा से कोई आमना-सामना नहीं हुआ और मैं भी इसी उधेड़बुन में रहा कि सायरा मेरी बातों को बुरा मान गयी है। रात के खाने के समय भी सायरा मेरे सामने नहीं आयी। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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