Thread Rating:
  • 7 Vote(s) - 1.57 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery बंगालन
#1
बंगालन



..




जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
Shy
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#3
(20-05-2022, 05:11 PM)neerathemall Wrote:
बंगालन



..





एक बंगाली कपल मेरे फ्लैट में रूम सेट किराये पर लेने आया
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#4
मैं एक सोसाइटी के 3 बेडरूम फ्लैट के एक कमरे में रहता था. फ्लैट का मालिक विदेश में रहता था और उसने मुझे ही फ्लैट की देख रेख करने और बाकी के दो कमरों और ड्राइंगरूम को किराए पर देने हेतु पावर ऑफ आटोरनी देकर इंचार्ज बना रखा था.

मैं उन दिनों एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर के पद पर काम करता था. जब भी कोई फ्लैट को खाली करता था तो मैं दोबारा उस पर टू-लेट (किराये के लिए खाली) लिख कर लगा देता था. मैं अन्य किसी को भी उस फ्लैट को उस फ्लैट के मालिक द्वारा बताए गए किराये पर चढ़ा देता था.
अभी जो लोग फ्लैट खाली करके गए थे वे दो बुजुर्ग पति पत्नी थे, जो रिटायरमेंट के बाद अपने शहर चले गए थे. किराया हर महीने फ्लैट के मालिक के खाते में जमा करवा देते थे.
दो चार लोग किराये पर लेने आये परंतु वे मुझे जमे नहीं. जिस सोसाइटी में मैं रहता था वह उस शहर की प्राइम सोसाइटी थी और वहाँ पर सभी 3 बीएचके के फ्लैट थे जिनका किराया 18000 से 20000 तक था.
दो कमरे वाला सेट तो कोई था ही नहीं, इसलिए जिसको भी लेना होता था वह तीन कमरों का ही लेता था और 18-20 हज़ार रुपये देता था, चाहे उसे तीन कमरों की जरूरत हो या नहीं.
एक संडे के रोज मैं किसी काम से नीचे गया तो मुझे एक बंगाली सा दिखने वाला कपल दिखाई दिया. आदमी तो बिल्कुल साधारण था लेकिन उसके साथ जो लेडी थी वह बला की सुन्दर, दूध जैसी गौरी, हसीन और गजब की सेक्सी लेडी थी.
उसकी लम्बी सुराहीदार सेक्सी गर्दन, बहुत ही सुन्दर नयन नक्श, बड़े बड़े मम्मे, गदराया शरीर, नशीली आंखें यानि कि हर लिहाज से सुंदरता में लाजवाब थी. उसका साइज 38-34-36 के करीब का रहा होगा.
उसने जबरदस्त अच्छे तरीके से बहुत ही नीची अर्थात् नाभि से काफी नीची साड़ी पहन रखी थी. साड़ी इतनी कसी थी कि उसकी गांड बिल्कुल बाहर निकलने को होकर उठी हुई दिखाई दे रही थी.
साड़ी के ऊपर स्लीवलेस ब्लाउज पहना था जिसमें उसकी 38 के साइज की चूचियाँ ब्लाउज फाड़ कर बाहर निकलने को हो रही थीं. लेडी ने बालों के ऊपर पर बहुत ही सुंदर काला चश्मा लगा रखा था.
आदमी मरियल सा था. उसकी आंखों पर चश्मा, मुँह पिचका हुआ, लगभग 5 फुट 5 इंच का होगा जो उस लेडी के साथ चलता हुआ भी अजीब लग रहा था. मैं मन ही मन सोच रहा था कि फ्लैट को किराए पर कोई इस तरह का कपल लेने आ जाये तो मजा आ जाये लेकिन वे आगे निकल गए.
फिर मैं अपने फ्लैट में अंदर आ गया. करीब आधे घण्टे बाद मेरे कमरे की बैल बजी, मैंने दरवाजा खोला तो देखा वही कपल बाहर खड़ा था. मैं उन्हें देखकर खुश हो गया.
आदमी ने पूछा- आपके पास किराये के लिए फ्लैट खाली है?
मैं- जी हाँ, है.
आदमी- किराये पर दोगे?
मैंने कहा- सर, आप अंदर आ जाएं, आराम से बैठकर बातें करते हैं.
आदमी- नहीं, आप खड़े खड़े ही बताएं, देना है या नहीं?
मैंने फिर कहा- सर आप अंदर तो आइए?
आदमी- नहीं, पहले आप मकान दिखाओ.
लेडी बहुत ही सॉफ्ट आवाज़ में बोली- जब वो कह रहे हैं कि अंदर आओ तो हम बैठ जाते हैं.
आदमी- तुम्हें बीच में बोलने को किसने कहा? जब कुछ नहीं पता हो तो बेवकूफों की तरह नहीं बोलते.
वो लेडी बेचारी चुप रह गई परंतु मुझे यह बहुत बुरा लगा.
मैंने अपने आपको रोकते हुए उनसे कहा- कोई बात नहीं, आप पहले फ्लैट देख लीजिए.
फिर मैंने पूरा फ्लैट खोल कर दिखा दिया. उस फ्लैट में तीन बेडरूम, एक ड्राइंगरूम, एक किचन था. फ्लैट में एंट्री के लिए दो दरवाजे थे. एक तरफ राइट साइड में मेरा रूम था जिसमें अटैच्ड बाथरूम था.
लेफ्ट साइड के गेट में अंदर जाने के बाद ड्राइंगरूम से होते हुए दो बेडरूम थे. उस फ्लैट में दो बड़ी बड़ी बालकॉनी थी. एक बालकॉनी तो ड्राइंगरूम और एक बेड रूम के साथ लगती थी. वह सोसाइटी के अंदर की तरफ थी जिससे दूसरे फ्लैट और ब्लॉक दिखाई देते थे.
एक बालकॉनी पीछे की तरफ थी जो मेरे और बचे पोर्शन के मास्टर बेडरूम के लिए इकट्ठी थी. मैंने बड़े रूखेपन से उनको पूरा फ्लैट दिखा दिया और बोल दिया कि पीछे की बालकॉनी मेरी है, किराएदार का उस पर कोई हक नहीं होगा.
मेरी बालकॉनी से बहुत ही सुन्दर हरा भरा व्यू था. उसके पीछे की ओर गोल्फ रेंज थी. एक ग्रीन पार्क था और दूर पहाड़ियाँ दिखाई देती थीं. मेरी बालकॉनी के सामने पूरा खुला दृश्य होने के कारण पूरी प्राइवेसी भी थी.
फ्लैट उनको बहुत पसंद आया. आदमी ने मुझसे पूछा- इसका किराया कितना है?
मैंने कहा- 10000 रुपये महीना.
दस हज़ार सुनते ही आदमी की बांछें खिल गईं और बोला- हमें ये फ्लैट पसन्द है, आप दे दीजिए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#5
तभी मेरे मोबाइल की रिंग बजी तो मैं उनसे थोड़ा दूर हट कर पिछली बालकॉनी में जा कर मोबाइल सुनने लगा. वे कमरे में खड़े आपस में खुसर फुसर करते रहे. कुछ देर बातें करने के बाद मैंने फोन बंद किया और उनके पास गया.

आदमी बोला- ठीक है, हम तैयार हैं.
अब मेरी बारी थी.
मुझे एक शरारत सूझी और मैंने कहा- देखिये, आपको तो पसन्द है, लेकिन यह फ्लैट तो मैंने किसी और को दे दिया. आपसे पहले वो लोग ये फ्लैट कल देखने आये थे और टोकन के तौर पर कुछ पैसे भी दे गये थे. अभी उन्हीं का कॉल था.
यह सुनकर वे दोनों एकदम परेशान हो गए और आदमी बोला- ये कैसे हो सकता है? अभी तो हमने हाँ की है.
मैंने कहा- देखिये भाई साहब, आप कोई और फ्लैट देख लें. दरअसल मुझे आप कुछ जंचे नहीं.
आदमी- क्या मतलब जंचे नहीं? हमने क्या किया है?
मैंने कहा- भाई साहब, जब आप अपनी बीवी से इतनी बुरी तरह से पेश आ रहे हैं तो आप मेरे साथ भी ऐसा ही बर्ताव करेंगे, इसलिए मेरी ओर से आपके पहले ही सॉरी.
वह सफाई देते हुए आगे बोलने लगा तो मैंने बीच में टोक कर कहा- अब आप प्लीज जाइये।
ऐसा बोलकर मैं अपने कमरे के अंदर चला गया और दरवाजा बंद कर लिया.
उनका मुंह देखने लायक था. वे मायूस हो कर नीचे चले गए. मैंने थोड़ा सा पर्दा हटा कर नीचे देखा तो वे आपस में बहस कर रहे थे. लेडी उस आदमी से झगड़ रही थी.
मैं यह भी नहीं चाहता था कि इतनी शानदार हसीना हाथ से निकल जाए लेकिन उनके लिए उस सोसाइटी में दस हजार में वह सेट बहुत ही ज्यादा सस्ता था. मैंने देखा उन्होंने कुछ बात की और लेडी अकेली ऊपर आने लगी.
कुछ ही देर बाद मेरे रूम की बेल बजी, मैंने दरवाजा खोला.
लेडी कहने लगी- सर, मैं अंदर आ सकती हूँ?
मैंने कहा- आइये.
लेडी अंदर आई और बोली- सर, मुझे ये फ्लैट चाहिए और उसने दोनों हाथ जोड़ दिए. मैं कुछ सोचने का नाटक करने लगा.
वो बोली- सर, भगवान ने मुझे पति तो ढंग का नहीं दिया, क्या मेरी किस्मत में अच्छा पड़ोसी भी नहीं है?
उसने मायूस सा चेहरा बनाया और उसकी आंखें नम हो गईं.
मैंने उठकर उसके नर्म हाथों को अपने हाथों में पकड़ा और उसकी ओर देखते हुए कहा- आप ऐसा न कहें, अब ये फ्लैट आपका हुआ.
उसने पर्स से दस हजार रुपये निकाल कर मेरी ओर बढ़ाये तो मैंने कहा- कोई बात नहीं, आप पहले एक बार अपने हस्बैंड को बुलाओ.
वह खुश हो कर बोली- थैंक्स। मैं अभी बुलाती हूं.
वो बंगालन जल्दी से नीचे जा कर अपने हस्बैंड को बुला लाई. उसका हस्बैंड चुपचाप बैठ गया. लेडी ने मुझे एडवांस दिया. मैंने उन्हें टर्म्स एन्ड कंडीशन्स समझा दीं और दोबारा कहा कि पीछे वाली बालकॉनी पर उनका कोई अधिकार नहीं होगा.
आदमी कहने लगा- ठीक है, जैसा आप कहते हैं वैसा ही होगा. हम अपना पीछे का दरवाजा हमेशा बन्द रखेंगे और यदि मेरी वाइफ उधर आये तो आप मुझसे शिकायत कर देना, मैं इसकी टांगें तोड़ दूंगा.
मैं हंसने लगा और बोला- भाई साहब, अच्छा रहेगा यदि आप कुछ न ही बोलें.
मैंने कहा- आप लोग अपना परिचय देना चाहेंगे?
आदमी अपनी बीवी से कहने लगा- दीपिका आप ही बोलो, क्योंकि मैं बोलूंगा तो हो सकता है सर नाराज हो जाएं।
लेडी बोली- ये मेरे हस्बैंड हैं मि. सुभेन्दु घोष और मैं इनकी बीवी दीपिका घोष. हम कोलकाता से हैं और अभी 10 महीने पहले हमारी शादी हुई है. इस शहर में एक कॉल सेंटर में इन्हें नौकरी मिली है.
उस बंगालन ने बताया कि वह पढ़ी लिखी तो है परंतु हाउस वाइफ ही है, कोई अच्छी जॉब मिली तो कर लेगी.
अपने परिचय में मैंने अपना नाम राजेश्वर शर्मा बताया और संक्षिप्त में अपना परिचय उनको दे दिया.
मैंने कहा- मैं आपके लिए चाय बना देता हूँ.
घोष बाबू मना करने लगे तो दीपिका ने उन्हें इशारे से चुप करवा दिया और कहने लगी- जी सर, हम चाय पीकर ही जाएंगे.
फिर वो कहने लगी- आप मुझे किचन बता दें, मैं खुद बना लूंगी.
मैंने कहा- नहीं दीपिका जी, आज तो आप मेरे मेहमान हैं. चाय तो मैं ही बनाऊंगा, आप बैठें.
मैं डिप डिप वाली तीन चाय बना लाया और कुछ बिस्कुट साथ में रख दिये. हम तीनों चाय पीते हुए बातें करने लगे.
घोष बाबू मुझसे बोले- मि. राज, आपकी उम्र क्या है?
जवाब में मैंने कहा- 30 साल.
घोष कहने लगा- फिर तो मैं आपको छोटा भाई कह सकता हूँ, क्योंकि मैं 35 का हूँ.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#6
[Image: DSC_300x250_2022_13.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#7
घोष- फिर तो दीपिका को आप भाभी बुला सकते हैं. वैसे ये आपसे भी पांच साल छोटी हैं.

मैंने दीपिका की ओर हसरत भरी निगाह से देखा और बोल दिया- यदि दीपिका जी को कोई एतराज़ न हो तो मैं इन्हें भाभी जी बुलाऊंगा.
दीपिका ने मेरी आँखों में देखते हुए अपनी दोनों आंखें बंद करके सहमति दे दी.
जब हम चाय पी रहे थे तो मैंने देखा घोष बाबू की टांगें और कमर बिल्कुल पतली सी लकड़ी जैसी लग रही थीं.
मैंने लोअर और बहुत ही सुंदर टी शर्ट पहन रखी थी. जैसा कि मैं हर बार बताता हूँ कि घर पर मैं कपड़ों के नीचे बनियान और अंडरवियर नहीं पहनता हूँ जिससे हर वक्त मेरा लण्ड कुछ उभरा हुआ दिखाई देता रहता है.
दीपिका कभी मेरे शरीर और सुडौल पटों को निहारती तो कभी घोष की टाँगों को देखती. मैं भाभी की कामुक निगाहों को पहचान गया था. दीपिका के हाथों और पैरों की उंगलियां बहुत ही नाजुक, गोरी और गुदाज थी.
नाखूनों पर दीपिका ने बहुत सुंदर नेल पॉलिश लगा रखी थी. बैठे हुए दीपिका की साड़ी में से उसके सुडौल पट और भरी हुई जाँघें और उसका सुन्दर चिकना, सेक्सी पेट दिखाई दे रहा था.
कुछ देर बाद बैठे हुए दीपिका ने अपनी एक टांग को दूसरी पर चढ़ा लिया जिससे उसकी ऊपर और नीचे वाली टांगों से साड़ी पीछे खिसक गई और उसकी मोटी, सुंदर, गुदाज़, गोरी पिंडली देखकर मेरे लण्ड में कसाव आना शुरू हो गया था.
मैं सोच रहा था कि जिसकी पिंडलियाँ इतनी सुंदर हैं तो पट और जाँघें कितनी सेक्सी होंगी? मेरा ध्यान दीपिका के सेक्सी शरीर की जांच करने में लगा हुआ था जिसे दीपिका अच्छी प्रकार से समझ रही थी.
तभी घोष बाबू कहने लगे- मुझे बाथरूम जाना है.
मैंने उन्हें उनके पोर्शन की चाबी दे दी और कहा- आज से घर आपका है, जो मर्जी करो.
घोष उठकर चला गया.
मैं जब चाय के कपों की ट्रे उठाने लगा तो दीपिका ने मेरे हाथ से ट्रे छीन ली. ट्रे लेते समय मेरे हाथ दीपिका के नर्म हाथों से अच्छी तरह से टच हो गए और हम दोनों के शरीर झनझना उठे.
दीपिका को किचन दिखाने के बहाने मैं उठकर अपनी किचन में जाने लगा तो दीपिका मेरे पीछे आ गई और जब उसने पीछे की बालकॉनी देखी तो बोली- सर, ये तो बहुत ही शानदार बालकॉनी है. मन मोह लिया इस नजारे ने मेरा।
मगर जल्दी ही उसका चेहरा मायूस सा हो गया और वो बोली- लेकिन हम लोग तो यहां पर ये नजारा देखने के लिए आ भी नहीं सकते हैं. आपने सख्त मना किया है हमारे लिये।
मैंने धीरे से कहा- दीपिका जी, आपके लिए कोई भी मनाही नहीं है, आप जहां चाहें वहाँ बैठ सकती हैं, घूम सकती हैं, बालकॉनी तो क्या आप मेरे कमरे को भी अपना ही समझें, लेकिन घोष बाबू?
इतने में ही वो हंसने लगी और बोली- थैंक्स, मुझे आप बहुत अच्छे लगे.
मैंने कहा- लेकिन ये बात आप घोष बाबू को मत बताना.
दीपिका ने मेरी ओर शोखी से देखा और धीरे से बोली- ठीक है, हम दोनों की बात हम तक ही रहेगी.
दीपिका मेरी बालकॉनी के एक कॉर्नर में बने छोटे से किचन में चली गई और मैं बाहर दरवाजे पर खड़ा हो गया.
जैसे ही मैं कुछ बोलने लगा तभी दीपिका धीरे से बोली- वो आ रहे हैं.
फिर मैं बोलते बोलते मैं चुप हो गया.
दीपिका की इतनी सी बात ने मुझे अन्दर तक रोमांचित कर दिया क्योंकि इसी इशारे से हमारे आगे के संबंधों की नींव रखी जा चुकी थी.
उसके बाद हम तीनों मेरे कमरे में आ गए.
दीपिका मुझसे पूछने लगी- हम कब शिफ्ट कर सकते हैं?
मैंने कहा- आज से मकान आपका है, चाहें तो आज ही आ जाएं, मुझे कोई ऐतराज नहीं है।
घोष बाबू बोले- लेकिन आज तो 22 तारीख है, किराया तो पहली तारीख से चालू होगा न?
मैंने कहा- घोष बाबू, किराया पहली से ही चालू होगा, मगर आप जब मर्जी चाहो शिफ्ट कर लो.
मैंने देखा कि मेरी इस बात से दीपिका खुश हो गई. उसने धीरे से कहा- थैंक्स, सर.
मैंने कहा- भाभी जी, आप मुझे सर की बजाए ‘राज’ कह सकती हैं.
दीपिका मुस्करा दी और बोली- ठीक है, आज से राज जी बोलूंगी.
घोष बाबू ने एक बार फिर बात छेड़ दी और बोले- अरे भई, शिफ्ट करना भी तो पूरी मुसीबत है, कौन सा आसान काम है? पूरा एक महीना लग जाता है सैटिंग करने में। कभी प्लम्बर, कभी इलेक्ट्रिशियन और न जाने क्या क्या चाहिये होगा.
दीपिका- वो तो सब कुछ मुझे ही करना है, आप तो चले जाएंगे ऑफिस में.
मैंने कहा- एक बार आप लोग अपना सामान यहाँ ले आइये, फिर मैं हेल्प कर दूँगा.
घोष बाबू ने मुझसे मेरा फोन नम्बर लिया और अपने फोन में सेव कर लिया.
जाते हुए बोले- ठीक है राज जी, हमने जब शिफ्ट करना होगा तब बता देंगे.
मैंने कहा- ठीक है.
वे जाने के लिए मुड़ गए. दीपिका ने दो तीन बार मुझे मुड़ कर देखा. मैंने हल्की सी स्माइल दी तो उसने भी हसरत भरी स्माइल देकर अपनी हथेली और उंगलियों को धीरे से नीचे करके बॉय कर दिया और वे लोग चले गए.
उसके चुपके से ये सब करने से या यूं कहें कि चोरी से बॉय करने के तरीके से मैं रोमांचित हो उठा और मेरे दिल में दीपिका को चोदने की इच्छा एकदम चार गुणा हो गई.
जब वो नीचे गए तो मैंने खिड़की से थोड़ा पर्दा हटा कर देखा तो दीपिका नजरें चुरा कर ऊपर की ओर ही देख रही थी. शायद मेरी आखिरी झलक पाने की इच्छा उसके मन में थी.
दीपिका की चूची और उसकी मोटी गुदाज जांघों के बारे में सोच सोच कर ही मेरे लंड से कुछ कामरस निकल आया था जिसने मेरी लोअर को अंदर से हल्का सा गीला कर दिया था. मेरा मन उसकी चूत मारने को कर गया लेकिन अभी तो हाथ का ही सहारा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 3 users Like neerathemall's post
Like Reply
#8
Nice update. Waiting for more
Like Reply
#9
(24-05-2022, 04:07 PM)Lodabetweenboob Wrote: Nice update. Waiting for more

Namaskar Namaskar Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#10
रात भर मैं दीपिका और उसकी गदराई जवानी और लाजवाब हुस्न के बारे में सोचता रहा और उसे हासिल करने का तानाबाना बुनता रहा. उस रात बहुत ही मुश्किल से नींद आई. अंत में सोचते सोचते मेरा लौड़ा अकड़ गया और मुझे मुठ मार कर उसको शांत करना पड़ा.

अगले रोज़ सुबह 8.30 बजे मेरे फोन की घंटी बजी.
मैंने हेलो बोला तो उधर से बहुत ही रसीली मधुर आवाज आई- राज जी, नमस्कार, मैं दीपिका बोल रही हूँ.
मैं- नमस्कार भाभी जी, कहिये कैसी हैं आप?
दीपिका- राज जी, आपसे कुछ पूछना था, वो कामवाली बाई मिल जाएगी क्या?
मैंने कहा- जी, जो कामवाली बाई मेरे यहाँ काम करती है उसी को बोल दूंगा.
उसने पूछा- वो कितने पैसे लेगी? यहाँ तो हम 5000 रुपये महीना देते हैं.
मैंने कहा- मैं उससे कम में ही करवा दूँगा.
दीपिका कहने लगी- आप तो सब कुछ बहुत ही सस्ते में करवा रहे हो.
वो फिर बोली- राज जी, कामवाली बाई से बोलकर मकान साफ करवा दें तो अच्छा होगा, क्योंकि मैं चाहती हूँ कल सांय तक शिफ्ट कर लें.
मैंने कहा- दोपहर तक साफ सफाई हो जायेगी, आप आ जाएं.
दीपिका कहने लगी- एक बात और पूछनी थी?
मैं- जी हाँ पूछिये.
दीपिका- आप उस दिन इतने नाराज क्यों हुए थे?
मैंने कहा- दीपिका जी, मैं लेडीज की इज्जत करता हूँ और आपके हस्बैंड आपसे बद्तमीज़ी से पेश आ रहे थे जो मैं सहन नहीं कर पाया था.
दीपिका- राज जी, आप बहुत अच्छे इंसान हैं, सबको अपना बना लेते हो.
मैं- मैंने किसको अपना बनाया है?
दीपिका इस बात पर कुछ देर चुप रही.
मैंने फिर कहा- आपने बताया नहीं दीपिका जी?
दीपिका धीरे से बोली- मुझे नहीं पता, अब फोन पर कैसे बताऊं?
मैं- चलो, आ कर बता देना. वैसे आपके हस्बैंड घोष बाबू कहाँ हैं?
दीपिका- वो तो 8.00 बजे ऑफिस पहुंच जाते हैं. राज जी, आप जल्दी में तो नहीं हो?
मैं- बस ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था.
दीपिका- वापस कब तक आते हैं?
मैं- 6.00 बजे तक.
दीपिका- ठीक है, सांय को मिलते हैं.
मैं- ओके, बॉय.
दीपिका के उसी दिन शिफ्ट करने की बात सुनकर मैं खुशी से झूम उठा और रह रह कर मैं उन बातों को याद करता रहा जो बातें मेरे और दीपिका के बीच हुई थी.
सायं को जब मैं सोसाइटी में पहुंचा तो उनका सामान ट्रक से उतर चुका था.
मैंने कहा- आप रात को सोने का कुछ सामान ठीक से सेट कर लीजिये, बाकी सुबह देख लेंगें.
उसी समय मैंने सोसाइटी के सुपरवाइजर को तीन चार मजदूर टाइप के लड़कों को लेकर आने को कहा.
और उसको कहा कि आज और कल में जितना सामान सेट हो सकता है कर दें और ध्यान रखें कि मैडम को ज्यादा काम न करना पड़े.
उन्होंने दो-तीन घंटे में सारा घर सेट कर दिया.
इस बीच मैं भी दीपिका की हेल्प करवाता रहा.
हेल्प करते हुए हमारे हाथ और बदन कई बार आपस में टकराते रहे और हम एक दूसरे का साथ पाकर रोमांचित होते रहे.
दीपिका ने एक लूज़ पाजामा तथा टीशर्ट पहन रखी थी जिसमें से उसके थरथराते चूतड़ और हिलती हुई बड़ी चूचियाँ मेरे लण्ड को भड़काने के लिए काफी थीं.
खाना हमने उस सांय होटल से मंगवा कर मेरे कमरे में बैठ कर खा लिया.
अगले रोज मुझे सुबह ही दो दिन के टूर पर जाना था. जब मैंने दीपिका को टूर पर जाने की बात बताई तो वह बोली- आपके कारण दो दिन का काम कल दो घंटों में हो गया, अब ये तो ऑफिस जा रहे हैं और आप टूर पर?
मैंने कहा- आपको जो भी दिक्कत हो आप मुझे फोन पर बताती रहना, मैं सब कुछ कर दूंगा.
दीपिका उदास हो गई.
मैंने कहा- क्या बात है दीपिका जी, मुझ पर विश्वास नहीं है क्या?
दीपिका बोली- वो बात नहीं है, चलो आप जाइये. आपका टूर पर जाना भी जरूरी है.
मैं टूर पर चला गया.
दीपिका मुझे हर घंटे दो घंटे बाद अपनी प्लम्बर, इलेक्ट्रिशियन आदि की दिक्कतें बताती रही और मैं उसकी दिक्कतें दूर करता रहा.
दो दिन में सारा घर सेट हो गया.
तीसरे दिन सांय 7 बजे मैं टूर से अपने कमरे पर पहुंच गया और होटल से खाना मंगवा कर और खाकर सो गया.
अगले रोज दोपहर को दीपिका का फोन आया- राज जी, आप आज दफ़्तर से जल्दी आ जाना, शाम को आपको डिनर पर बुलाने घोष बाबू को भेजूंगी, मना मत कीजिएगा.
मैंने कहा- ठीक है, मैं आ जाऊँगा.
मैं 4 बजे ही आ गया.
4.30 पर घोष बाबू मेरे कमरे में आये और बोले- दादा, आपको आज रात डिनर हमारे साथ करना है, हमने मेरे कोलकाता के एक फ्रेंड बनर्जी और उसकी वाइफ संजना को भी बुलाया है, आप आएंगे न?
मैंने पूछा- कोई खास बात है क्या?
घोष- नहीं बस मिलकर बैठेंगे, खाना पीना हो जाएगा, आप ड्रिंक्स वैगरह ले लेते हैं या नहीं?
मैंने कहा- दादा, थोड़ी बहुत कभी-कभार ले लेता हूँ, लेकिन आप लोगों के बीच में मैं बैठकर क्या करूँगा, आप एन्जॉय करिये, थैंक्स.
वो बोले- इसका मतलब है कि आप हमें अपना नहीं समझते और अभी तक मुझसे नाराज हैं. ठीक है, कोई बात नहीं, मैं दीपिका को बोल देता हूँ. ये डिनर हमने आपको थैंक्स करने के लिए ही अरेंज किया था, आप नहीं आएंगे तो मैं बनर्जी और संजना को भी मना कर देता हूँ.
मैंने कहा- ठीक है, बताइये कितने बजे आना है?
घोष- बस आप 6.00 बजे तक आ जाएं, वे लोग तो पहुंचने वाले ही हैं.
मैंने कहा- ठीक है, मैं आ जाऊंगा.
घोष चला गया.
मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि चलो आज संजना से भी मुलाकात हो जाएगी. मैंने चाय पी और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया.
नहाने के बाद मैंने बॉडी पर अच्छे से एक खुशबूदार लोशन लगाया, जीन्स और एक बहुत ही सेक्सी, सामने से डीप कट की टीशर्ट पहनी जिसमें मेरे छाती के बाल दिखते थे. मैंने जान बूझकर नीचे अंडरवेयर और बनियान नहीं पहनी.
अंडरवीयर पहनने से मेरा लण्ड मुड़ जाता है और ज्यादा दिखाई नहीं देता लेकिन न पहनने से लण्ड पट की ओर सीधा हो कर अपना साइज ठीक रखता है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 3 users Like neerathemall's post
Like Reply
#11
मैंने एक इम्पोर्टेड मस्क
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#12
एकदम मस्त कहानी लगती है। वैसे भी बंगालन लेडीज बहुत सुंदर होती है।
Like Reply
#13
nice start
Like Reply
#14
(24-05-2022, 04:07 PM)Lodabetweenboob Wrote: Nice update. Waiting for more

(06-06-2022, 10:08 PM)bhavna Wrote: एकदम मस्त कहानी लगती है। वैसे भी बंगालन लेडीज बहुत सुंदर होती है।

Namaskar Namaskar Namaskar Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#15
Pls update
Like Reply
#16
(06-06-2022, 10:08 PM)bhavna Wrote: एकदम मस्त कहानी लगती है। वैसे भी बंगालन लेडीज बहुत सुंदर होती है।

(24-06-2022, 06:20 AM)babababa009 Wrote: Pls update
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#17
Shy Shy Shy Smile
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#18
मैंने एक इम्पोर्टेड मस्क डीओ लगाया जिसमें आदमी की बॉडी की स्मेल बहुत सेक्सी हो जाती है.

6.30 पर घोष बाबू फिर आये और बोले- आ जाओ दादा, हम सब आपका इंतजार कर रहे हैं.
मैं घोष बाबू के साथ हो लिया.
जब मैं उनके ड्राइंगरूम में पहुँचा तो सभी ने खड़े हो कर मेरा स्वागत किया.
घोष ने उन दोनों से मेरा परिचय करवाते हुए कहा- ये मेरे फ्रेंड बनर्जी और ये इनकी वाइफ संजना.
मैंने संजना को देखा तो मेरी धड़कन तेज हो गई.
गजब की सेक्सी लेडी थी. 38-34-36 का साइज, एकदम दूध जैसा गोरा रंग, बहुत ही सुंदर नयन नक्श.
संजना ने बहुत ही छोटा सा स्लीवलेस बिना बाजू का ब्लॉउज पहन रखा था और नीचे उसका आधा सुन्दर, नर्म, गुदाज पेट और सुन्दर गोल अंदर धंसी हुई नाभि दिखाई दे रही थी. संजना ने नीचे बहुत ही सुंदर और बहुत ही टाइट साड़ी पहन रखी थी.
कुछ ही देर में मुझे दीपिका दिखाई दी.
दीपिका ने बहुत सुन्दर स्लीवलेस टॉप पहना था जिसमें से उसकी आधी सुडौल चूचियाँ बाहर निकल रही थीं और चूचियों ने टॉप को छतरी की तरह से उठा रखा था.
नीचे उसने बहुत ही टाइट कैपरी पैंट पहनी थी.
अंदर कैपरी में से उसकी सुडौल जांघों के बीच उसकी चूत के दोनों बाहरी मोटे मोटे भगोष्ठ अलग से दिखाई दे रहे थे. पैंट की बीच की सिलाई उसकी चूत की दोनों फांकों के बीच में घुसी हुई थी.
कैपरी के नीचे उसकी नंगी, मोटी, गोरी और सुडौल पिंडलियाँ दिखाई दे रहीं थीं.
दीपिका के चूचों, चूत के डिज़ाइन और उसके हुस्न को देखते ही मेरे लौड़े में कसाव आना शुरू हो गया, जिसे दीपिका देखने लगी थी.
हम बैठ गए. बनर्जी से कुछ औपचारिक बातें हुईं.
बनर्जी सन्यासी टाइप का आदमी लगा जिसे दीन दुनिया की कोई खास नॉलेज नहीं थी.
दीपिका मेरे सामने वाले सोफे पर ही बैठी थी और उसकी नजरें मुझ पर जमीं थीं. उसके और मेरे बीच बस एक सेंटर टेबल थी.
कुछ ही देर बाद बियर के गिलास रखे गए और हम तीनों के गिलासों में बियर डाली गई और दो गिलासों में कोल्डड्रिंक डाली गई.
दीपिका उठ कर स्नैक्स ले आई.
हम लोग ड्रिंक पीने लगे और हल्की फुल्की बातें करने लगे.
दोनों लेडीज़ ने सॉफ्ट ड्रिंक ले लिए.
दीपिका की नज़र तो मुझ पर से हट ही नहीं रही थी.
दरअसल पिछले एक हफ्ते भर से मैंने दीपिका की बहुत मदद की थी. उसको घर दिलवाया, घर सेट करवाया और उसके आराम का भी ख्याल रखा था. इसलिए दीपिका मुझ पर पूरी तरह से आसक्त हो चुकी थी.
दूसरी तरफ़ मैं उसे चोदना तो चाहता था लेकिन जल्दबाजी करके हल्का पड़ना नहीं चाहता था.
मेरी नजरें उसकी पैंट में से दिखती चूत पर थीं जो उसकी मोटी सुडौल जांघों के बीच से पकौड़ा सी बनी दिखाई दे रही थी. उससे मेरे लण्ड में तनाव बढ़ता जा रहा था.
मैंने अपने आपको थोड़ा हिलाते हुए अपने लण्ड को नीचे से निकाल कर अपने पट के साथ लगा लिया जिससे लण्ड अपने पूरे आकार में मेरे घुटने की तरफ उभर कर आ गया. दीपिका कभी मेरी ओर देखती तो कभी मेरे उभरे लण्ड की ओर देखती.
दीपिका ने अचानक से अपने एक पांव को दूसरे पर रखा और अपनी जांघों को भींच लिया.
मैंने और संजना ने उसका जांघों को भींचना साफ नोटिस कर लिया था.
उसकी साँसें उखड़ने लगी थीं. दरअसल, जांघों को भींच कर वह अपनी चूत को भींच रही थी.
मैंने मेरे लण्ड के ऊपर अपना हैंकी डाल लिया जिसे दीपिका और संजना ने देख लिया.
दीपिका की हालत देख संजना बोली- अरे राज जी, कुछ लो न, आप तो कुछ खा ही नहीं रहे हो?
फिर वो दीपिका की ओर देखकर बोली- दीपिका, सर्व करो न!
दीपिका उठी और टेबल के ऊपर से मेरी ओर झुककर मुझे खाने को देने लगी तो ऐसा लगा जैसे उसके मम्मे मेरे ऊपर ही गिर जाएंगे.
मैंने उसकी आंखों में आंखें डालकर स्नैक्स उठा लिया.
स्नैक्स लेते समय मैंने धीरे से उसकी उंगली को टच कर दिया और उसकी चूत को देखने लगा.
मेरा ध्यान उसकी चूत के नीचे वाली जगह गया तो देखा कि वहाँ एक गीला निशान बन गया था.
उस निशान को संजना ने भी देख लिया था.
संजना बोली- अच्छा, दीपिका तुम बैठो, मैं ही देती हूँ.
संजना ने दीपिका को वापस से बैठा दिया.
तभी घोष बाबू कहने लगे- राज जी, बनर्जी और संजना हमारे खास दोस्त हैं. आप इन्हें भी इसी सोसाइटी में फ्लैट दिलवा दो, क्या आप ये सामने वाला ट्राई नहीं कर सकते?
मैंने कहा- इसका मालिक तो विदेश में रहता है.
तभी संजना बोली- राज जी, यदि आप चाहो तो सब कुछ हो सकता है. अब हमें पक्का विश्वास हो गया है कि आप सब कुछ कर सकते हैं. प्लीज, कुछ करो, मैं और दीपिका बहुत अच्छी सहेलियाँ हैं.
उनको भरोसा दिलाते हुए मैंने कहा- ठीक है, मैं कुछ करता हूँ.
दीपिका बड़ी सेक्सी अदा से बोली- कुछ नहीं, सब कुछ करना है राज जी.
मैंने कहा- ठीक है, हो जाएगा.
बनर्जी और घोष एकदम बोले- इसी बात पर एक एक जाम हो जाये?
हमने ड्रिंक शुरू की और कुछ देर बाद खाना खा लिया. इस बीच दीपिका का बुरा हाल हो चुका था. वह सभी के बीच में बैठी बैठी अपनी जांघों को भींचती रही और उसकी चूत पानी छोड़ती रही.
उसे देख देखकर मेरा भी बुरा हाल हो चुका था.
संजना बहुत कुछ देख समझ चुकी थी.
दरअसल पैंट और टॉप में दीपिका का रूप अलग ही लग रहा था. दीपिका गजब की हॉट लग रही थी और बिल्कुल चुदासी हो चुकी थी.
खाना खा कर बनर्जी और संजना चले गए और मैं अपने कमरे में आ गया.
मैं और दीपिका एक ही फ्लैट में रहते हुए भी मिल नहीं पा रहे थे क्योंकि जब मैं ऑफिस से आता तो घोष बाबू भी आ चुके होते थे.
तीन रोज बाद जब मैं ऑफिस से 8.00 बजे आया तो कमरा खोल कर मैंने चाय पी.
उसके बाद नहाया.
फिर मैंने कपड़े डाल कर जगजीत सिंह की गजलें लगा लीं और बालकॉनी में ड्रिंक करने के लिए बैठ गया.
मैंने आधा पेग ही लगाया था कि दीपिका के बेडरूम का लकड़ी का दरवाजा खुला. (बालकॉनी की साइड से वे लोग दरवाजा बन्द रखते थे) जाली के दरवाजे पर दीपिका ने नॉक किया तो मैंने मुड़कर देखा.
अंदर से दीपिका की आवाज आई- क्या मैं आपको डिस्टर्ब कर सकती हूँ?
मैंने कहा- हाँ भाभी जी, बताइये?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#19
दीपिका- जनाब, मैं बालकॉनी में आने की इजाज़त मांग रही हूँ?

मैं खड़ा हो गया और अपना गिलास छुपा कर बोला- आइये.
दीपिका बाहर बालकॉनी में आ गई.
यहां मैं बता दूं कि मैंने बालकॉनी की लाइट नहीं जला रखी थी और मैं अंदर कमरे में से जो खिड़की और दरवाजों से हल्की सी लाइट आती थी, उसी में बैठता था.
दीपिका आई और बोली- बैठ सकती हूँ?
मैंने कहा- हाँ, भाभी बैठिये.
दो बिना आर्म की इजी चेयर और एक छोटी सेन्टर टेबल बालकॉनी में हमेशा बाहर ही रहती थी.
वो साथ में रखी एक चेयर पर बैठ गई और बोली- आप अपना ड्रिंक जारी रखें, मुझे कोई ऐतराज नहीं है.
मैंने उनसे पूछा- घोष बाबू अभी तक नहीं आये क्या?
दीपिका बोली- अभी गए हैं, आज से उनकी नाईट शिफ्ट है. उनकी 15 दिन सुबह 8 बजे से सांय 8 बजे तक ड्यूटी होती है और 15 दिन रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक होती है, अतः आज से नाईट शिफ्ट शुरू हुई है और वे 7.30 पर यहाँ से चले गए थे.
वो बोली- मैं तो समझी थी कि आप अभी तक आये ही नहीं हो लेकिन फिर ये गजलों की आवाज सुनी तो खिड़की का पर्दा हटा कर देखा तो आप आये हुए हैं. फिर मैंने सोचा कि बहुत दिनों से आपसे न बात हुई है और न मुलाक़ात ही हुई, तो आपसे मिल लूँ.
फिर वो हक सा जताते हुए बोली- राज जी, ज़रा बता दिया करो कि आप आ गये हो. हम आपका यहाँ इंतजार कर रहे थे और आप हैं कि अपने ही घर में चुपके से आ गए. एक बात और कहनी थी राज जी, आप अकेले में मुझे दीपिका कह सकते हैं.
दीपिका ने उस समय घुटनों तक की स्कर्ट और ऊपर बिना ब्रा के स्लीवलेस टॉप पहन रखा था. टॉप दीपिका की बड़ी बड़ी चूचियों के ऊपर टंगा हुआ था. स्कर्ट में से दीपिका के चौड़े और सेक्सी घुटने दिखाई दे रहे थे. बैठने से स्कर्ट थोड़ी घुटनों से सरक कर दीपिका के पटों तक आ गई थी.
उसकी की इतनी सारी बातें सुनकर मैं हैरान और रोमांचित हो उठा और कुछ भी नहीं बोल सका, बस अंदर ही अंदर गर्म होने लग गया.
दीपिका फिर बोली- कुछ खाने के लिए लाऊं?
मैंने कहा- नहीं, ये सलाद का कचूमर और चिप्स हैं, थोड़ा पनीर है. मैंने आपसे तो पूछा ही नहीं. रुकिये, मैं आपके लिए कोल्ड ड्रिंक लाता हूँ.
यह कह कर मैं अंदर मेरे छोटे फ़्रिज़ में से दीपिका के लिए एक शीतल पेय ले आया और उसे गिलास में डालकर उन्हें दे दिया.
फिर मैंने पूछा- भाभी, घोष भैया को पता लगेगा तो वे नाराज़ नहीं होंगे?
दीपिका मुस्कराकर अदा से बोली- उनको कौन बताएगा? क्या आप बताओगे?
मैंने मुस्करा कर कहा- नहीं, मैं क्यों बताऊंगा.
दीपिका- अच्छा ये बताइये, क्या आप हर रोज ड्रिंक करते हैं?
मैं- नहीं, कभी कभी. महीने में दो तीन बार. बस छोटे छोटे दो पेग.
दीपिका- इसको पीने से ऐसा क्या होता है?
मस्त होकर मैंने कहा- इससे थोड़ा माहौल और मूड बदल जाता है. आदमी की थकान उतर जाती है और थोड़ा रोमांटिक हो जाता है. कुछ समय के लिए आदमी बेकार की बातों को भूलकर सुरूर में आ जाता है.
दीपिका कुछ सोचने लगी.
मैंने पूछा- लेने का मूड है क्या?
दीपिका- कुछ होगा तो नहीं ना? मैंने तो आज तक कभी इसे चखा भी नहीं है, लेकिन आज मैं भी कुछ भूलना चाहती हूँ.
मैंने दीपिका से उसका कोल्डड्रिंक का गिलास लिया और उसमें आधा पेग 30 एम.एल. विहस्की डाल दी और उससे कहा- आप चेयर पर पीछे सिर लगा कर बैठ जाओ और आँखें बंद करके इसे बिल्कुल धीरे धीरे सिप करो.
दीपिका ने एक हल्का सा सिप किया और चेयर पर पीछे सिर टिका लिया.
कुछ देर बाद दूसरा और फिर तीसरा सिप लिया.
मैंने कहा- साथ कुछ खाती भी रहो.
जैसे ही दीपिका कुछ लेने के लिए सीधी हुई उसे हल्का सरूर लगा और बैठते ही बोली- ओह्ह, मुझे कुछ लग रहा है।
मैंने कहा- क्या लग रहा है?
दीपिका- अच्छा लग रहा है.
यह कहते हुए दीपिका ने वह ड्रिंक जल्दी ही खत्म कर लिया और बोली- ओह माई गॉड, वंडरफुल … अच्छा लगा.
दीपिका की जांघों और उसके स्तनों को टॉप में उठा देख कर मेरा हथियार मेरी लोअर में उभार ले चुका था.
कम रोशनी में भी मुझे दीपिका के 38 साइज़ के भारी भारी मम्में और उन मम्मों पर तने हुए तीखे निप्पल साफ साफ दिखाई दे रहे थे.
मेरे लौड़े ने मेरी लोअर से बाहर आने की बगावत शुरू कर दी थी।

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#20
..........................................................................................................................................3
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply




Users browsing this thread: 1 Guest(s)