20-04-2022, 09:01 PM
अपडेट -- १
अमीत आज १0 साल का हो गया था। हाथों में एक डंडा लीए खेत की पगडंडीयों पर चला जा रहा था। शायद वो अपने बागों की तरफ जा रहा था।
बाग में पहुंच कर अमीत एक आम के पेंड़ के नीचे ठंढी छांव में बैठ जाता है। तभी उसे कीसी की हल्की-हल्की आवाजें सुनाई पड़ी!
अमीत हैरान रह गया, की इतनी दोपहरी में यहां कौन आया होगा? उसे लगा शायद कोई आम तोड़ने आया होगा गाँव का। अमीत उठते हुए, उस आवाज़ का पीछा करने लगा।
थोड़ी ही देर में वो, उस आवाज़ के करीब पहुंचा तो देखा की, एक औरत एक मर्द के जांघ पर बैठी थी। और वो मर्द उस औरत की छातीयों का मर्दन कर रहा था। वो दोनो एक पेंड़ की आंट में बैठे थे। और अमीत उन दोनो को पीछे वाले पेंड़ की आंट से देख रहा था। इसलीए उसे उन दोनो का चेहरा नही दीखाई पड़ रहा था। तभी वो औरत जोर से सीसकी...
"आआआह...प्रेम! क्या कर रहे हो? उह माँ धीरे-धीरे दबाओ ना?"
ये आवाज सुनकर, अमीत के पैंरो तले ज़मीन ही खीसक गई! क्यूँकी अमीत इस आवाज़ से भली भाँती परीचीत था, और उस नाम से भी; जो नाम उस औरत ने लीया था। तभी...
"क्या करुँ भाभी? तेरा बदन है ही इतना मस्त की, खुद पर काबू ही नही कर पाता हूँ।"
"अच्छा...! तो मेरी ननंद के साथ तुम्हे मज़ा नही आता क्या? जो हरदम मेरे पीछे ही पड़े रहते हो....आइस्स्स्स्स्स मांम्म्म्मा!"
कहते हुए वो औरत सीसक पड़ी...! अमीत ये सब नाज़ारा देखकर, गुस्से में पगला गया। क्यूंकी वो औरत कोई और नही, बल्की उसकी खुद की माँ थी। और वो आदमी उसका फुफा जी थे। अमीत गुस्से में वहां से चला जाता है...
परीचय....
बृजेश ठाकुर (६५ वर्ष)
ये गाँव के धनी और ज़ंमीदार ठाकुर है। इनकी गाँव में बहुत इज्जत है।
राजेश ठाकुर...(४८ वर्ष)
बृजेश ठाकुर के बड़े बेटे! जो शराब के नशे में हमेशा दुत्त रहता है।
वीमला ठाकुर...(४२ वर्ष)
बृजेश ठाकुर की औरत, लंबी-चौंड़ी कद काठी की औरत थी। जो दीखने में अत्यंत कामुक लगती थी।
कीरन (उम्र २२ वर्ष - वीमला की बेटी)
सांवली सी हेल्दी बदन वाली लड़की थी। इसका हर अंग काफी सुड़ौल था।
नीलम (उम्र २0 - वीमला की छोटी बेटी)
गोरा रंग, मासूम चेहरा और एक तेज तर्रार लड़की, २0 साल की उम्र में ही। इसके बदन में ऐसा नीखार आया की। कॉलेज़ और गाँव के लड़के इसके खुबसूरत हुश्न का दीदार करने के लीए घंटो तक खड़े रहते थे।
मीना (उम्र ३९ वर्ष)
हवेली की छोटी बहू, शादी के २ साल बाद ही, इनके पती का दुर्घटना वश अकारण स्वर्गवास हो गया। मीना ने खुद को संभाला और अपनी ज़ींदगी फीर से जीने लगी। मीना एक पढ़ी-लीखी औरत थी। खुबसूरती में तो इस औरत का मुकाबला ८-१0 गाँव की औरते भी ना कर पाती है। ३९ के उम्र में गदराया गोरा जीस्म, जो अत्यंत कटीला और कामुक था। इस औरत के चौंड़े कुल्हे को देखकर गाँव और नौकरों का लंड हर रोज पानी छोड़ता है।
अमीत (उम्र १९ साल)-
अय्यास और आवारा कीस्म का लड़का। जो मीना और हवेली का इकलौता हकदार था। ब्यायाम करना इसे अत्यधीक पसंद था। कॉलेज़ के बहाने मार्केट में और गाँव में आवारा गर्दी करता रहता था। जीसके वज़ह से गाँव वाले इसे पसंद नही करते थे।
प्रेम ठाकुर (उम्र ४0 वर्ष)-
हवेली के दामाद, जो अपनी पत्नी के घर पर ही घर जवांई बन कर रहते है।
उषा (उम्र ३८ वर्ष)
प्रेम ठाकुर की पत्नी, जो शर्मीली और खुबसूरत औरत थी। मध्य वर्ग के अंग भी इसके शर्मीले स्वभाव के वज़ह से कामुक लगता था।
अनुज (उम्र १९ वर्ष)
सीधा सींपल सा लड़का, जो सबकी बात मानता था। और सबका आदर करता था। जीसके वजह से अनुज को हवेली में ज्यादा प्यार और दुलार मीलता था। मीना का चहेता था ये। और कॉलेज़ का भी...
कहानी....१० साल पूर्व)--
उस दीन तो अमीत गुस्से से बाग में से लौट आया था। और अपने कमरे में गुस्से में बैठा था। बार-बार उसकी नज़रो के सामने वो बाग वाला दृश्य आता और कानो में उसकी माँ की सीसकने की आवाज...
अमीत खुद के गुस्से को शांत करने की कोशिश करते हुए बेड पर लेट गया। और उसकी आँख लग गयी।
कीसी की आवाज़ और झींझड़ने की वज़ह से अमीत की नींद खुली...
आँखे खोलते हुए अमीत ने देखा की, ये कोई और नही उसकी माँ मीना थी। अपनी माँ का चेहरा देख, उसके जहन में फीर से बाग वाला दृश्य घुमने लगा। और पल भर में ही उसका पारा चढ़ गया...
मीना-- उठ जा ना मेरे लाल! चल नाश्ता कर ले। फ्रेश होकर जल्दी से आजा, सब नाश्ता कर रहे हैं ।
और ये कहते हुए मीना कमरे से बाहर चली जाती है। और डाईनीगं टेबल पर बैठते हुए-
मीना-- य क्या अनुज बेटा, बस इतना सा ही खायेगा? चल और पराठे खा...।
और फीर मीना पराठों में देसी घी अपने हांथो से लगाते हुए, अनुज के प्लेट में रख देती है। ये देख कर उषा...
उषा-- अरे भाभी...खाली इसे ही खीलाती रहोगी या, अमीत को भी खीलाओगी। कहां है वो?
उषा-- अरे तू भी ना! उसे खीलाने की ज़रुरत पड़ती है क्या? वो तो खाने पर पहले ही टुटता है। आज पता नही क्यूँ सो रहा था? अभी उठा कर आयी हूँ, फ्रेश हो रहा है। आता होगा...तुम सब नाश्ता करो।
उसके बाद सब नाश्ता करने लगते है। टाईम बीत रहा था, पर अमीत अभी तक कमरे से बाहर नही नीकला था। सब लोग नाश्ता करके अपने-अपने कमरे में चले गये। पर मीना अभी भी अमीत का नाश्ता लीए टेबल पर बैठी, अमीत के दरवाज़े की तरफ ही देख रही थी।
कुछ देर देखने के बाद जब अमीत नही नीकला तो, मीना नाश्ता लेकर अमीत के कमरे में जाती है। और देखती है की अमीत बेड पर चादर ओढ़े लेटा था। मीना नाश्ते को साईड में रखते हुए-
मीना -- हे भगवान, क्या करूँ मैं इस लड़के का? अभी नाश्ते के लीए उठा कर गई थी पर ये लड़का फीर से सो गया...! बेटा...ए बेटा! उठ जा मेरे लाल, कीतना सोयेगा देख नाश्ता लाई हूँ उठ नाश्ता कर!
बेड पर बैठते हुए, मीना अमीत को झींझोड़ कर उठाते हुए बोली थी।
झींझोड़ने और आवाज़ की वज़ह से, अमीत ने अपना चादर हटाते हुए मुह घूमा कर अपनी माँ की तरफ देखते हुए बोला-
अमीत -- सोने दे माँ! तू जा यहां से मुझे भूंख नही।
कहते हुए अमीत का चेहरा उतरा हुआ था। जीसे देखकर मीना घबराते हुए,
मीना -- क्या हुआ बेटा? तबीयत ठीक नही है क्या?
कहते हुए मीना अमीत के माथे और हांथ को चेक करने लगती है...
मीना -- बुखार तो नही है। बॉडी में दर्द है क्या?
मीना की बातों से अमीत को चीड़चीड़ापन होने लगा, वो एक बार फीर कहता है...
अमीत -- माँ परेशान मत कर, जा यहां से मुझे भूंख नही है।
ऐसा पहली बार था, जब अमीत अपनी माँ की बातो को टाल रहा था।
मीना -- परेशान मैं कर रही हूँ की तू कर रहा है। मैं तो सीर्फ नाश्ते के लीए कह रही हूँ।
अमीत उठ कर बेड पर बैठ जाता है। और बीना कुछ बोले पास में रखे प्लेट को उठा कर चुप-चाप नाश्ता करने लगता है।
मीना को आज अमीत का बर्ताव अजीब लग रहा था। वो अमीत को यूँ चुप-च5प नाश्ता करते देख बोल पड़ी-
मीना -- क्या हुआ बेटा कुछ परेशानी है?
अमीत नाश्ता करते हुए...
अमीत -- हाँ...हैं।
ये सुनकर मीना घबरा जाती है। और अमीत से बोली-
मीना -- क्या परेशानी है बेटा, तू मुझे बता।
अमीत -- मुझे थोड़ी शांती चाहिए! तो प्लीज़ ये लो प्लेट पकड़ो, और जाओ य हां से।
मीना को आज झटके लग रहे थे, अमीत के बर्ताव और शब्दो से। वो कुछ समझ नही पाती है की अमीत आखीर ऐसा क्यूँ कर रहा है? वो उस समय तो कुछ नही बोलती और उठते हुए प्लेट उठा कर कमरे से बाहर चली जाती है।
दोस्तो ये कहानी का पहला अपडेट था। नया राईटर हूँ गलतीयों को माफ करे और अपनी राय से जरुर दें। अगला अपडेट जल्द ही...
अमीत आज १0 साल का हो गया था। हाथों में एक डंडा लीए खेत की पगडंडीयों पर चला जा रहा था। शायद वो अपने बागों की तरफ जा रहा था।
बाग में पहुंच कर अमीत एक आम के पेंड़ के नीचे ठंढी छांव में बैठ जाता है। तभी उसे कीसी की हल्की-हल्की आवाजें सुनाई पड़ी!
अमीत हैरान रह गया, की इतनी दोपहरी में यहां कौन आया होगा? उसे लगा शायद कोई आम तोड़ने आया होगा गाँव का। अमीत उठते हुए, उस आवाज़ का पीछा करने लगा।
थोड़ी ही देर में वो, उस आवाज़ के करीब पहुंचा तो देखा की, एक औरत एक मर्द के जांघ पर बैठी थी। और वो मर्द उस औरत की छातीयों का मर्दन कर रहा था। वो दोनो एक पेंड़ की आंट में बैठे थे। और अमीत उन दोनो को पीछे वाले पेंड़ की आंट से देख रहा था। इसलीए उसे उन दोनो का चेहरा नही दीखाई पड़ रहा था। तभी वो औरत जोर से सीसकी...
"आआआह...प्रेम! क्या कर रहे हो? उह माँ धीरे-धीरे दबाओ ना?"
ये आवाज सुनकर, अमीत के पैंरो तले ज़मीन ही खीसक गई! क्यूँकी अमीत इस आवाज़ से भली भाँती परीचीत था, और उस नाम से भी; जो नाम उस औरत ने लीया था। तभी...
"क्या करुँ भाभी? तेरा बदन है ही इतना मस्त की, खुद पर काबू ही नही कर पाता हूँ।"
"अच्छा...! तो मेरी ननंद के साथ तुम्हे मज़ा नही आता क्या? जो हरदम मेरे पीछे ही पड़े रहते हो....आइस्स्स्स्स्स मांम्म्म्मा!"
कहते हुए वो औरत सीसक पड़ी...! अमीत ये सब नाज़ारा देखकर, गुस्से में पगला गया। क्यूंकी वो औरत कोई और नही, बल्की उसकी खुद की माँ थी। और वो आदमी उसका फुफा जी थे। अमीत गुस्से में वहां से चला जाता है...
परीचय....
बृजेश ठाकुर (६५ वर्ष)
ये गाँव के धनी और ज़ंमीदार ठाकुर है। इनकी गाँव में बहुत इज्जत है।
राजेश ठाकुर...(४८ वर्ष)
बृजेश ठाकुर के बड़े बेटे! जो शराब के नशे में हमेशा दुत्त रहता है।
वीमला ठाकुर...(४२ वर्ष)
बृजेश ठाकुर की औरत, लंबी-चौंड़ी कद काठी की औरत थी। जो दीखने में अत्यंत कामुक लगती थी।
कीरन (उम्र २२ वर्ष - वीमला की बेटी)
सांवली सी हेल्दी बदन वाली लड़की थी। इसका हर अंग काफी सुड़ौल था।
नीलम (उम्र २0 - वीमला की छोटी बेटी)
गोरा रंग, मासूम चेहरा और एक तेज तर्रार लड़की, २0 साल की उम्र में ही। इसके बदन में ऐसा नीखार आया की। कॉलेज़ और गाँव के लड़के इसके खुबसूरत हुश्न का दीदार करने के लीए घंटो तक खड़े रहते थे।
मीना (उम्र ३९ वर्ष)
हवेली की छोटी बहू, शादी के २ साल बाद ही, इनके पती का दुर्घटना वश अकारण स्वर्गवास हो गया। मीना ने खुद को संभाला और अपनी ज़ींदगी फीर से जीने लगी। मीना एक पढ़ी-लीखी औरत थी। खुबसूरती में तो इस औरत का मुकाबला ८-१0 गाँव की औरते भी ना कर पाती है। ३९ के उम्र में गदराया गोरा जीस्म, जो अत्यंत कटीला और कामुक था। इस औरत के चौंड़े कुल्हे को देखकर गाँव और नौकरों का लंड हर रोज पानी छोड़ता है।
अमीत (उम्र १९ साल)-
अय्यास और आवारा कीस्म का लड़का। जो मीना और हवेली का इकलौता हकदार था। ब्यायाम करना इसे अत्यधीक पसंद था। कॉलेज़ के बहाने मार्केट में और गाँव में आवारा गर्दी करता रहता था। जीसके वज़ह से गाँव वाले इसे पसंद नही करते थे।
प्रेम ठाकुर (उम्र ४0 वर्ष)-
हवेली के दामाद, जो अपनी पत्नी के घर पर ही घर जवांई बन कर रहते है।
उषा (उम्र ३८ वर्ष)
प्रेम ठाकुर की पत्नी, जो शर्मीली और खुबसूरत औरत थी। मध्य वर्ग के अंग भी इसके शर्मीले स्वभाव के वज़ह से कामुक लगता था।
अनुज (उम्र १९ वर्ष)
सीधा सींपल सा लड़का, जो सबकी बात मानता था। और सबका आदर करता था। जीसके वजह से अनुज को हवेली में ज्यादा प्यार और दुलार मीलता था। मीना का चहेता था ये। और कॉलेज़ का भी...
कहानी....१० साल पूर्व)--
उस दीन तो अमीत गुस्से से बाग में से लौट आया था। और अपने कमरे में गुस्से में बैठा था। बार-बार उसकी नज़रो के सामने वो बाग वाला दृश्य आता और कानो में उसकी माँ की सीसकने की आवाज...
अमीत खुद के गुस्से को शांत करने की कोशिश करते हुए बेड पर लेट गया। और उसकी आँख लग गयी।
कीसी की आवाज़ और झींझड़ने की वज़ह से अमीत की नींद खुली...
आँखे खोलते हुए अमीत ने देखा की, ये कोई और नही उसकी माँ मीना थी। अपनी माँ का चेहरा देख, उसके जहन में फीर से बाग वाला दृश्य घुमने लगा। और पल भर में ही उसका पारा चढ़ गया...
मीना-- उठ जा ना मेरे लाल! चल नाश्ता कर ले। फ्रेश होकर जल्दी से आजा, सब नाश्ता कर रहे हैं ।
और ये कहते हुए मीना कमरे से बाहर चली जाती है। और डाईनीगं टेबल पर बैठते हुए-
मीना-- य क्या अनुज बेटा, बस इतना सा ही खायेगा? चल और पराठे खा...।
और फीर मीना पराठों में देसी घी अपने हांथो से लगाते हुए, अनुज के प्लेट में रख देती है। ये देख कर उषा...
उषा-- अरे भाभी...खाली इसे ही खीलाती रहोगी या, अमीत को भी खीलाओगी। कहां है वो?
उषा-- अरे तू भी ना! उसे खीलाने की ज़रुरत पड़ती है क्या? वो तो खाने पर पहले ही टुटता है। आज पता नही क्यूँ सो रहा था? अभी उठा कर आयी हूँ, फ्रेश हो रहा है। आता होगा...तुम सब नाश्ता करो।
उसके बाद सब नाश्ता करने लगते है। टाईम बीत रहा था, पर अमीत अभी तक कमरे से बाहर नही नीकला था। सब लोग नाश्ता करके अपने-अपने कमरे में चले गये। पर मीना अभी भी अमीत का नाश्ता लीए टेबल पर बैठी, अमीत के दरवाज़े की तरफ ही देख रही थी।
कुछ देर देखने के बाद जब अमीत नही नीकला तो, मीना नाश्ता लेकर अमीत के कमरे में जाती है। और देखती है की अमीत बेड पर चादर ओढ़े लेटा था। मीना नाश्ते को साईड में रखते हुए-
मीना -- हे भगवान, क्या करूँ मैं इस लड़के का? अभी नाश्ते के लीए उठा कर गई थी पर ये लड़का फीर से सो गया...! बेटा...ए बेटा! उठ जा मेरे लाल, कीतना सोयेगा देख नाश्ता लाई हूँ उठ नाश्ता कर!
बेड पर बैठते हुए, मीना अमीत को झींझोड़ कर उठाते हुए बोली थी।
झींझोड़ने और आवाज़ की वज़ह से, अमीत ने अपना चादर हटाते हुए मुह घूमा कर अपनी माँ की तरफ देखते हुए बोला-
अमीत -- सोने दे माँ! तू जा यहां से मुझे भूंख नही।
कहते हुए अमीत का चेहरा उतरा हुआ था। जीसे देखकर मीना घबराते हुए,
मीना -- क्या हुआ बेटा? तबीयत ठीक नही है क्या?
कहते हुए मीना अमीत के माथे और हांथ को चेक करने लगती है...
मीना -- बुखार तो नही है। बॉडी में दर्द है क्या?
मीना की बातों से अमीत को चीड़चीड़ापन होने लगा, वो एक बार फीर कहता है...
अमीत -- माँ परेशान मत कर, जा यहां से मुझे भूंख नही है।
ऐसा पहली बार था, जब अमीत अपनी माँ की बातो को टाल रहा था।
मीना -- परेशान मैं कर रही हूँ की तू कर रहा है। मैं तो सीर्फ नाश्ते के लीए कह रही हूँ।
अमीत उठ कर बेड पर बैठ जाता है। और बीना कुछ बोले पास में रखे प्लेट को उठा कर चुप-चाप नाश्ता करने लगता है।
मीना को आज अमीत का बर्ताव अजीब लग रहा था। वो अमीत को यूँ चुप-च5प नाश्ता करते देख बोल पड़ी-
मीना -- क्या हुआ बेटा कुछ परेशानी है?
अमीत नाश्ता करते हुए...
अमीत -- हाँ...हैं।
ये सुनकर मीना घबरा जाती है। और अमीत से बोली-
मीना -- क्या परेशानी है बेटा, तू मुझे बता।
अमीत -- मुझे थोड़ी शांती चाहिए! तो प्लीज़ ये लो प्लेट पकड़ो, और जाओ य हां से।
मीना को आज झटके लग रहे थे, अमीत के बर्ताव और शब्दो से। वो कुछ समझ नही पाती है की अमीत आखीर ऐसा क्यूँ कर रहा है? वो उस समय तो कुछ नही बोलती और उठते हुए प्लेट उठा कर कमरे से बाहर चली जाती है।
दोस्तो ये कहानी का पहला अपडेट था। नया राईटर हूँ गलतीयों को माफ करे और अपनी राय से जरुर दें। अगला अपडेट जल्द ही...