21-03-2022, 05:38 PM
बीवी की सहेली को मेले में चोदा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Adultery बीवी की सहेली को मेले में चोदा
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21-03-2022, 05:38 PM
बीवी की सहेली को मेले में चोदा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 05:38 PM
मेरी बीवी की एक सहेली थी, जिसका नाम अनुराधा था. अनुराधा मुझे जीजा जी कहती थी. उसकी अभी शादी नहीं हुई थी.
उसका बदन गोरा, चेहरा गोल, छाती पर फूले और कसे हुए दो हाहाकारी मम्मे थे. उसके मम्मों का साइज़ बत्तीस इंच का था. अनुराधा की गोरी कमर का साइज़ अट्ठाईस इंच और उभरे हुए मुलायम चूतड़ों का साइज़ चौंतीस इंच था. जब भी मैं उसको देखता था, तो मेरा लंड तनकर खड़ा हो जाता था. शादी के बाद जब भी मैं बीवी के पीहर जाता था, तो वो मुझसे मिलने आ जाया करती थी. फिर कुछ ऐसा हुआ कि मेरी जॉब मेरी ससुराल के गांव में ही लग गई; मैं उधर ही रहने लगा. अब अनुराधा अक्सर मुझसे मिलने आ जाया करती थी. उसकी नशीली नजरें मुझे सदा ही उत्तेजित करती रहती थीं. मैं उसे किसी तरह चोदने के बहाने ढूँढता रहता था लेकिन मैं अभी तक उसे चोद नहीं पाया था. एक बार गांव में सालाना मेला लगा था. मेरी बीवी मुझसे मेले में ले चलने के लिए ज़िद करने लगी. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 05:38 PM
मैं उसे शाम को मेले में ले गया.
वहां पर हम लोग अभी घूम ही रहे थे कि तभी वहां अनुराधा दिख गयी. वो भी अपने छोटे भाई के साथ मेले में आयी थी. उसे देखते ही मेरे बदन में सिहरन सी उठने लगी और मेरे मन में कामवासना की आग धीरे धीरे भड़कने लगी क्योंकि वो उस दिन इतना सज-धज कर आयी थी जैसे वो मुझसे कह रही हो कि अब मैं उसके बदन की प्यास बुझा ही दूं. उसकी चंचल निगाहें मुझे समझ आ रही थीं कि लौंडिया चुदने को मचल रही है. उस दिन उसने सफ़ेद रंग की कसी हुई कुर्ती पहनी थी. उसका गला आगे पीछे दोनों तरफ से गहरा होने के कारण उसकी गोरी पीठ लगभग दिख रही थी और आगे उसकी कसी हुई चूचियों के उभार साफ़ दिख रहे थे. जिससे वो और भी कामुक दिख रही थी. उसने नीचे लाल रंग की कसी हुई लैगी पहनी थी जो बहुत ही चुस्त थी. अपने होंठों पर उसने लाल लिपस्टिक लगायी थी जो कि मेरे औज़ार को बाहर आने पर मजबूर कर रही थी. उसकी गोरी उंगलियों के नाखूनों पर लाल रंग की नेलपॉलिश लगी थी. उसने मेरे करीब आते हुए मुझसे इठला कर कहा- चलिए न जीजा जी, मौत का कुआं देखते हैं. मैंने कहा- हां चलो. मेरी बीवी का भी मौत के कुंए की कलाबाजी देखने का मन था. हम सब मौत के कुएं की तरफ़ चल दिए. वहां पर पहले से ही काफी भीड़ थी. मैंने भीड़ देख कर कहा- रुको, मैं टिकट लेकर आता हूँ. वो सब वहीं रुक गए और मैं टिकट खिड़की से टिकट लेने लगा. किसी तरह से टिकट लेने के बाद मैंने कहा- अब चलो चलते हैं. मौत के कुएं में ऊपर जाने के लिए सीढ़ी बनी थी. मेरे आगे आगे अनुराधा और उसके भाई सीढ़ी चढ़ने लगे. मैं और मेरी बीवी उनके पीछे चलने लगे. थोड़ा चढ़ने पर ही हवा से उसकी कुर्ती उड़ने लगी और मेरी नजर उसके हिलते हुए चूतड़ों पर टिक गयी. सच में क्या कामुक नजारा था. अनुराधा की मटकती गांड किसी भी मर्द को वासना से पागल कर देने के लिए काफी थी. यदि अनुराधा इस समय सन्नाटे में होती, तो शायद मैं उसे उधर ही पटक कर चोद देता! उसके हिलते चूतड़ों पर चिपकी हुई कसी लैगी में से उसकी पैंटी की लकीरें साफ़ दिख रही थीं. मुझे देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे उसकी पैंटी अभी फट कर बाहर आ जाएगी. मैं किसी तरह से अपना लंड दबाए ऊपर पहुंच गया. हम सभी के ऊपर आते ही शो शुरू हो गया. सभी लोग शो का मज़ा ले रहे थे लेकिन मैं अपनी सुधबुध खो चुका था; मेरे दिमाग़ में बस उसके कसे हुए चूतड़ ही घूम रहे थे. बीस मिनट बाद शो खत्म हुआ, लेकिन मेरे कामुक मन की कामुकता शांत नहीं हो रही थी. अब लोगों की भीड़ नीचे उतर रही थी. आगे अनुराधा थी, मैं उसके ठीक पीछे था. मैंने ठान लिया था कि आज इसके चूतड़ों को छूना ही है. वो एक जीने पर खड़ी हो गयी क्योंकि आगे बहुत भीड़ थी. लोग धीरे धीरे नीचे उतर रहे थे. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 05:39 PM
भीड़ के कारण लोग एक दूसरे से चिपक कर खड़े थे. मैं भी आगे खड़ी अनुराधा से चिपक गया. मेरा लंड उसके चूतड़ों के बीच की लकीर में चिपक गया.
उसी समय मैंने अपना दायां हाथ उसके दाहिने तरफ़ के चूतड़ पर धीरे से रख दिया. उसके चूतड़ पर हाथ रखते ही मुझे ऐसा लगा मानो मैं किसी मख़मली गाव तकिया को छू रहा हूँ. मेरा लंड मेरी जींस में और भी ज्यादा टाइट होकर अकड़ हो गया. लंड अनुराधा के चूतड़ों के बीच में घुसने की कोशिश करने लगा. मुझे बहुत मज़ा आने लगा. शायद उसे भी लंड के चुभने का अहसास होने लगा था. एक दो मिनट तो उसने कुछ नहीं कहा. फिर उसने मुझे एकदम से पलट कर देखा तो मैं डर गया. उसी समय उसने धीरे से मुझे स्माइल दे दी. उसकी मुस्कान से लगा कि वो भी मेरे लंड का आनन्द लेना चाह रही हो. मैंने अब बिंदास उसकी गांड में अपना लंड सटा दिया. उसने भी मेरे लंड को अपनी गांड हिला कर इशारा दे दिया कि ये छेद तेरे लिए रेडी है. अनुराधा मुझसे सटी हुई नीचे उतरने लगी. मैंने इसी समय उसकी कमर पर हाथ रख कर एक जोरदार ठुमका लगाते हुए उसकी आह निकाल दी. वो धीरे से फुसफुसाई- जीजू मत करो न … मुझे कुछ कुछ हो रहा है. मैंने उसकी गर्दन के पास अपना मुँह ले जाकर कहा- मुझे तो बहुत कुछ हो रहा है. वो कुछ नहीं बोली, बस हंस दी. फिर उतरते हुए ही उसने मुझे फ़ोन पर मैसेज किया कि आप टॉयलेट के पास मिलिए, मुझे आपसे अकेले में काम है. मैं समझ गया कि आज काम हो जाएगा. नीचे उतरते ही उसने मेरी बीवी से कहा- अच्छा तुम रुको, मैं ज़रा टॉयलेट से आती हूँ. मेरी बीवी ने कहा- इधर टॉयलेट कहां है? मैंने बताया कि मेला कमेटी ने टॉयलेट बाहर की तरफ बनाए हैं मुझे भी जाना है मैं अनुराधा के साथ चला जाता हूँ. मेरी बात सुनकर मेरी बीवी ने कहा- ओके मैं तब तक कुछ सामान खरीद लेती हूँ. अनुराधा तब तक अपनी गांड मटकाती हुई चली गयी. मेरी बीवी मुझसे सामान ख़रीदने की ज़िद करने लगी. मैंने कहा- ठीक है ये पैसे रख लो, तुम जब तक सामान ख़रीदो, तब तक मैं भी टॉयलेट जा रहा हूँ. इसके बाद मैं टॉयलेट के पास आया. वो बाहर खड़ी थी. ये टॉयलेट सुनसान जगह पर बना था. उसने जल्दी से मेरा हाथ पकड़ा और मुझे एक टॉयलेट में खींच लिया. अन्दर घुसते ही अनुराधा ने दरवाज़ा बंद कर दिया. मुझे यह समझते देर ना लगी कि आज टॉयलेट में मेरी सेक्स की इच्छा पूरी होने वाली है. मैंने उसका इशारा समझ लिया था. उसने कहा- जीजा जी, मेरी प्यास बुझा दीजिए. मैंने उसको अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसके दोनों चूतड़ों को हाथों से दबाने लगा. वो आह आह करके आवाज निकालने लगी और कहने लगी- जीजू, थोड़ा धीरे दबाओ यार … दर्द होता है. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 05:40 PM
मैं उसकी मख़मली गांड को सहलाने लगा और उसके रसीले होंठों को अपने होंठों में भरके चूसने लगा. अनुराधा के होंठों को चूसते चूसते मैं उसकी गर्दन को भी चूमने लगा.
वो मदहोश होने लगी. कुछ पल के बाद मैं अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को दबाने लगा. वो मस्ती से आह आह करके कामुक सिसकारियां भरने लगी. फिर मैंने अपनी बीवी को फोन लगाया कि इधर एक ही टॉयलेट है और लोग ज्यादा हैं, तो हमें कुछ देर लग जाएगी. तुम मेला घूमो … मैं अनुराधा के साथ अभी आता हूँ. मेरी बीवी ने ओके कहा और फोन काट दिया. अब मैं बिंदास हो गया था. अनुराधा मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी और बोली- समझने में बड़ी देर कर दी जीजू. मैंने कहा- अब जो हुआ सो हुआ … अब देर न करो मेरी जान. ये कहते हुए मैंने उसकी कुर्ती उतार दी. उसका संगमरमर जैसा गोरा बदन मेरे सामने था. उसने अपने मम्मों पर सफ़ेद रंग की ब्रा पहनी थी, जो बहुत सेक्सी लग रही थी. मैंने जल्दी से उसकी ब्रा का हुक टटोला और धीरे से खोल कर ब्रा उतार दी. मैं अनुराधा की ब्रा के कप सूंघने लगा, जिसमें से मुझे उसके बदन की कामुक ख़ुशबू आ रही थी. मैं उसकी चूचियों को जीभ से चाटने लगा. उसके भूरे निप्पल खड़े होने लगे. फिर मैंने उसके दोनों निप्पलों को बारी बारी से जीभ से जी भरके चाटा. वो कहने लगी- जीजू अब देर मत करो … पहले मुझे ठंडी कर दो … जल्दी से मुझे एक बार चोद दो. वह मेरे लंड को हाथ से पकड़ने लगी. मैंने अपनी जींस उतार दी और चड्डी में से अपना छह इंच लम्बा लंड उसके हाथ में दे दिया. वो मेरे लंड के नीचे हाथ चलाते हुए लंड की गोलियों को सहलाने लगी. अगले ही पल वो घुटनों के बल बैठ गई और मेरे खड़े लंड के सुपाड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी. अब मेरी आहें निकलना शुरू हो गई थीं. अनुराधा ने जी भरके लंड चूसा और इसके बाद वो मेरी तरफ़ अपनी गोरी पीठ करके खड़ी हो गयी. मैंने झट से उसकी लैगी नीचे सरका दी. उसने अन्दर गुलाबी पैंटी पहन रखी थी. मैंने उसकी पैंटी नीचे को कर दी. उसकी पैंटी हल्की गीली हो गई थी. वो अपनी लैगी और पैंटी को पूरी उतारने लगी. मैंने उसके हाथ से उसकी पैंटी ले ली और उसे सूंघा. उसमें से उसकी चूत के रस की कामुक ख़ुशबू आ रही थी. मैंने उसकी पैंटी में लगे थोड़े से रस को जीभ से चाटा, तो बहुत ही नमकीन स्वाद आ रहा था. अब मुझसे रहा ना गया. मैंने झट से उसे घोड़ी के पोज में झुकाया और उसकी कसी चूत में अपनी जीभ घुसा कर चाटने लगा. उसकी चुत अब तक फटी नहीं थी, एक सील पैक चुत थी. उसकी सील पैक चुत में से मस्त महक आ रही थी. मैं उसकी कुंवारी चुत से निकलते हुए माल को चाटने लगा. चुत की मलाई चाट लेने के बाद मैंने तुरंत अपने लंड पर थूक लगा कर उसे चिकना किया और एकदम से उसकी चूत में घुसा दिया. वो अपनी चुत में लंड लेते ही चीख पड़ी- आह्ह ऊई मां … मर गयी. मैं उसकी चुत में धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. मैंने देखा उसकी चूत से कुछ बूंदें खून की भी गिर गई थीं. कुछ देर के दर्द के बाद मेरे धीरे धीरे धक्के मारने से उसे मज़ा आने लगा. वो कहने लगी- आह जीजू और ज़ोर से चोद दे मुझे … आह मादरचोद जीजू साले फाड़ दे मेरी चूत को. अपने इस गर्म लंड से इसका भोसड़ा बना दे … आह और ज़ोर ज़ोर से चोद हरामी ठरकी जीजू साले चोद दे. मैं उसकी इस भाषा से और भी गर्मा गया और तेज तेज धक्के लगाने लगा. धक्के लगाने से लंड की गोटियां अनुराधा के चूतड़ों के टकराने लगीं. इससे पक पक की आवाज़ आने लगी. मुझे और उसे दोनों को ही अब चुदाई का आनन्द आने लगा था. जल्दी ही वो चुदाई के चरम सुख पर पहुंच गयी थी. उसकी रस भरी चूत से अब पानी आने लगा था. मैं और ज़ोर से झटके देने लगा और तभी मेरा गर्म माल उसकी चूत में छूट गया. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
22-03-2022, 07:57 AM
(21-03-2022, 05:40 PM)neerathemall Wrote: मैं उसकी मख़मली गांड को सहलाने लगा और उसके रसीले होंठों को अपने होंठों में भरके चूसने लगा. अनुराधा के होंठों को चूसते चूसते मैं उसकी गर्दन को भी चूमने लगा.
22-03-2022, 03:00 PM
good!!!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
07-04-2022, 10:03 AM
Nice story
25-04-2022, 07:03 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
19-05-2022, 04:48 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
19-05-2022, 04:49 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
19-05-2022, 04:50 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
19-05-2022, 04:51 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
19-05-2022, 04:52 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
19-05-2022, 04:52 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
19-05-2022, 04:54 PM
(19-05-2022, 04:52 PM)neerathemall Wrote: मेरी बीवी और उसकी सहेली दोनों एक साथ एक ऑफिस में काम करती हैं। बीवी की सहेली मेरे पड़ोस में रहती है और उसका नाम रुखसाना है। रुखसाना एक शादीशुदा औरत है और उसको एक बच्चा भी है। रुखसाना एक हसीन औरत है। उसका रंग गोरा है और वोह लंबे-लंबे बाल और बहुत ही सैक्सी शरीर वाली है। हमेशा बहुत ही अच्छे ढंग से फैशनेबल कपड़े सैंडल और एक्सेसरीज़ पहनती है। मैं उस औरत को “नमकीन” कहता हूँ। मैं जब भी रुखसाना को देखता हूँ, मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है और मैंने कितनी ही बार उसके नाम पर मुठ मारी है। उसकी सबसे खास बात उसकी गहरी आँखें हैं। जब भी वो हमारे घर मेरी बीवी से मिलने आती आती है तो मुझसे काफी शर्म करती है लेकिन उसकी आँखों में मुझे हमेशा एक प्यास नज़र आयी। एक दिन मेरी बीवी ने मुझको कहा कि, “रुखसाना के लैपटॉप में कुछ खराबी आ गयी है... क्या तुम कुछ कर सकते हो? प्लीज़ उसकी मदद कर दो ना।” मैं भी ऐसे ही मौके की तलाश में था और मैंने फ़ौरन बीवी से कहा, “रुखसाना से कहो कि अपना लैपटॉप हमारे घर पर ले आये... मैं लैपटॉप ठीक कर दुँगा।” एक शाम को रुखसाना अपना लैपटॉप मेरे घर पर ले आयी। मैंने उसको जाँच कर पाया कि उसके कम्प्यूटर में कुछ “बैड सैक्टर” और वायरस आ गये हैं। मैंने रुखसाना को यह बात बता दी और कहा कि लैपटॉप को फोरमैट करना पड़ेगा। रुखसाना ने अपना लैपटॉप फोरमैट करने की सहमती दे दी। मैंने फिर उससे पूछा, “कोई जरूरी फाइल तो नहीं है जिसका बैक-अप लेना है।” रुखसाना बोली कि, “कुछ वर्ड फाइल ‘मॉय डॉक्यूमेंट’ फोल्डर में है। हो सके तो उनका बैक-अप ले लीजियेगा।” फिर वो टी.वी वाले कमरे में मेरी बीवी के साथ जा कर बातें करने लगी। सबसे पहले मैंने उसके लैपटॉप में एक पेन-ड्राईव लगाकर और उसके ‘मॉय डॉक्यूमेंट’ में से सारी फाइल उसमें ट्राँसफर कर दीं। फिर मैंने अपनी उत्सुक्ता से उसके लैपटॉप में कोई सैक्सी फाइल ढूँढने लगा और मुझको उसके लैपटॉप में छुपी फाइलों में कुछ नंगी तसवीरें और क्लिप मिली और साथ में एक फोलडर में करीब चालीस-पचास सैक्सी कहानियाँ भी थीं। कहानियाँ इंगलिश, हिंदी और उर्दू तीनों भाषाओं में थीं। मैंने उन फाइलों को भी अपने कम्प्यूटर में कॉपी कर लिया| उसकी इंटरनेट हिस्ट्री में कईं पोर्न वेबसाईट भी मिलीं। और फिर उसके लैपटॉप को फोरमैट कर दिया। फिर मैंने विंडो कॉपी कर दी। उसके बाद मैंने उसकी सब फाइलें पेन-ड्राईव से उसके लैपटॉप पर कॉपी कर दी और साथ में अपने लैपटॉप से भी कुछ नंगी क्लिप और तसवीरों की फाइलें और कहानी की फाइलें भी कॉपी कर दी। इन सब काम में मुझको करीब दो घंटे लग गये और इस दौरान रुखसाना मेरे बीवी से बातें करती रही। मैंने सब काम खतम करने के बाद रुखसाना को बुलाया और अपने लैपटॉप को चैक करने के लिये कहा। वो मेरे कमरे में मेरी बीवी के साथ आयी और बोली, “अगर आप को तसल्ली है तो ठीक ही होगा।” मैंने कहा, “हाँ मेरे ख्याल से आपका लैपटॉप अब बिल्कुल ठीक है और फिर आपको दिक्कत नहीं देगा।” फिर मैंने अपनी बीवी से लैपटॉप से धूल साफ़ करने के लिये एयर स्प्रे का कैन लाने को कहा। जैसे ही मेरी बीवी कमरे के बाहर गयी, मैंने रुखसाना से कहा, “आपकी वर्ड फाइलें सब उसी फोल्डर में हैं और आपके लैपटॉप में कुछ क्लिप और तसवीरें भी थीं... मैंने उनको भी आपके लैपटॉप में फिर से कॉपी कर दिया है।” फिर मैंने उसके लैपटॉप पर वो तसवीरों की फाइल खोल दी। वो उन तसवीरों को देख कर बहुत हैरान हो गयी और तब मैंने उससे कहा, “आपका संग्रह बहुत ही अच्छा है... खास कर कहानियों का संग्रह। मैंने आपके लैपटॉप से आपका संग्रह अपने लैपटॉप पर कॉपी कर लिया है। आशा है की आप बुरा नहीं मानेंगी।” मेरी इन सब बातों को सुन कर वो बहुत ही शर्मा गयी और मेरे से नज़रें चुराने लगी और अपनी नज़र को झुकाते हुए बोली, “प्लीज़ यह बात आप किसी से भी नहीं कहियेगा।” उसकी ज़ुबान कुछ लड़खड़ा रही थी। मैंने उससे कहा, “आप बिल्कुल मत घबराइये। मेरे पास ऐसी बहुत सी क्लिप, तसवीरें और कहानियाँ हैं और उनमें से मैंने कुछ आपके लैपटॉप में कॉपी कर दी हैं।” फिर मैंने उसको अपने लैपटॉप स्क्रीन पर देखने को कहा। तब रुखसाना बोली, “प्लीज़ वो (मेरी बीवी) आ रही है, लैपटॉप को बंद कर दीजिये।” मैंने उसकी लैपटॉप की धूल एयर स्प्रे से साफ़ कर दी और वो अपना लैपटॉप लेके चली गयी। लेकिन उसके जाने से पहले मैंने उसको धीरे से कहा कि, “क्या हम लोग अपने संग्रह की अदला-बदली कर सकते हैं? मुझको कहानियाँ चाहिये और मैं आपको क्लिप और तसवीरें दुँगा।” वो कुछ बोली नहीं और चली गयी। उसके बाद हमारे घर पर करीब एक हफ़्ते तक नहीं आयी। एक हफ़्ते के बाद वो हमारे घर पर आयी। मैंने दरवाजा खोला, लेकिन वो मुझसे बिना नज़रें मिलाय अंदर चली गयी और मेरी बीवी के पास बैठ कर उससे बातें करने लगी। कुछ देर के बाद मेरी बीवी मेरे कमरे में आयी और बोली, “रुखसाना कह रही है कि उसको वी-जी-ए ड्राईवर की फाइल चाहिये और उसने अपनी एक पेन-ड्राईव दी है फाइल कॉपी कर के देने के लिये!” मेरी बीवी ने मुझे एक पेन-ड्राईव दी। मैं फौरन बात समझ गया और बोला, “उसको रुकने के लिये बोलो और मैं अभी फाइल कॉपी कर देता हूँ।” जैसे ही मेरी बीवी बाहर गयी, मैंने पेन-ड्राईव को अपने कम्प्यूटर से खोला और पाया की उसमें कुछ देसी वेबसाइट्स की कहानियाँ हैं। मैंने उन कहानियों को अपने कम्प्यूटर पर कॉपी कर लिया और अपने कम्प्यूटर से कुछ क्लिप और तसवीरों की फाइल रुखसाना की पेन-ड्राईव पर भी कॉपी कर दी। उसके बाद मैंने एक टेक्स्ट फाइल उसकी पेन-ड्राईव में बना कर लिखा, “धन्यवाद, मैंने आपकी कहानियाँ पढ़ीं। कहानियाँ बहुत ही अच्छी और सैक्सी थी। आपको क्लिप कैसी लगीं?” जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
19-05-2022, 04:56 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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19-05-2022, 05:02 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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19-05-2022, 05:03 PM
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20-05-2022, 03:23 PM
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