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Adultery भाभी के बड़े दूध
#1
भाभी के बड़े दूध



[Image: girl.png]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
Shy 12 Shy

बात उस समय की है जब मैं बारहवीं कक्षा में पढ़ता था और मेरी उम्र करीब 18 साल थी।
मैंने अपनी जवानी में कदम रखा ही था।
मेरे बोर्ड के एग्जाम थे तो मैं मेरे घर से दूर हमारे प्लाट में रहता था, उस प्लाट में सिर्फ किरायेदार ही रहते थे।
मेरा पूरा परिवार हमारा जो घर है वहाँ रहता था। मैं सिर्फ पढ़ाई और एग्जाम की वजह से प्लाट पर अकेला रहता था।
चूँकि हमारा प्लाट घर से करीब 2 या 3 किलोमीटर दूर ही था इसलिए fuk me कोई परेशानी नहीं थी।

मैं रोज घर आया-जाया करता था, सिर्फ रात को प्लाट पर ही रुकता था।
एक दिन सन्डे था, रोज़ की तरह मैं प्लाट पर ही था। उस समय हमारे प्लाट में सिर्फ एक ही किरायेदार था और तीन कमरे खाली पड़े थे। जिनमे से एक में मैं पढ़ाई करता था और दो कमरे खाली थे।
उस दिन वो हमारे प्लाट पर कमरा देखने आये।
उनका पति, दो बच्चे और खुद भाभी आईं। उन्होंने कमरा देखा और रहने के लिए हाँ कर दी।
भाभी का पति करीब 30 साल का था और भाभी करीब 27 की होगी, उनका एक लड़का करीब छे साल का था और एक लड़की करीब चार साल की होगी।

1@
........................
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
Smile @1 Shy @2 Shy123 Angry Namaskar




fight [Image: IMG_20200809_132721_copy_320x400.jpg] fight


fight

@ 
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
Aage likho bhai
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#5
(21-03-2022, 02:35 PM)ghost19 Wrote: Aage likho bhai

धन्यवाद ,आप का जवाब नहीं ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
(21-03-2022, 02:35 PM)ghost19 Wrote: Aage likho bhai

धन्यवाद आप का
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
Smile Smile Smile Smile Smile
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#9
(16-03-2022, 01:30 PM)neerathemall Wrote: Smile @1 Shy @2 Shy123 Angry Namaskar




fight [Image: IMG_20200809_132721_copy_320x400.jpg] fight


fight

@ 
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#11
Smile

cool2 cool2 cool2
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#12
clps

Shy Shy Shy
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#13
Angel Angel Angel
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#14
2



क्या बताऊँ यारों, भाभी तो बहुत ही सुन्दर थी। उनको देखकर मेरा क्या किसी का मन भी उनको चोदने का ही करेगा।
उनका फिगर 36-32-38 का तो होगा। मैं तो बस उन्हें देखते ही रह गया।
खैर, उनके पति से मैंने किराये की बात की और वो लोग उसी दिन हमारे प्लाट पर शिफ्ट हो गए।
थोड़े ही दिन में मेरी उनके पति से अच्छी पहचान हो गई।
 
मैं बहुत मॉडर्न टाइप का लड़का हूँ इसलिए उनके पति से मेरीअच्छी पहचान हो गई। धीरे-धीरे उनकी पत्नी यानी भाभी से भी अच्छी जान-पहचान हो गई।
उनके पति को जब पता चला कि मैं थोड़ा पढ़ने में तेज हूँ तो उन्होंने मुझे कहा कि करण, मेरे बच्चों को भी पढ़ा दिया करो।
मैंने तुरंत हाँ कर दी, अब जब भी मैं शाम को पढ़ने बैठता तो उनके बच्चों को भी थोड़ा-बहुत पढ़ा दिया करता था।
लेकिन मेरे मन में हमेशा भाभी के बारे में ही विचार चलते रहते थे।
उनके वो मोटे-मोटे चूतड़ देखकर मेरा तो हमेशा दिमाग ही ख़राब हो जाता था। मैं अक्सर उनके चुचों को देखा करता था।
एक दिन जब वो बाथरूम में कपड़े धो रही थीं तो उन्होंने उनकी साड़ी कमर पर बांध ली, मैं स्कूल से जब प्लाट पर आया तो सीधे ही मेरी नजर उनके चुचों पर गई।
उन्होंने जैसे ही मुझे देखा वो बोलीं तुम आ गए करण, तुम चलो  में तुम्हें खाना दे देती हूँ।
.
अब तक हमारी अच्छी जान-पहचान हो गई थी और मेरे परिवार वाले भी उन्हें अच्छे से जानने-पहचाने लगे थे।
इसलिए एक दिन ऐसे ही भाभी ने मेरी मम्मी से कहा दिया था कि वो मेरा खाना भी बना दिया करेंगी।
 
 
 
 
 
 
मेरी मम्मी ने भी उनका अपनापन देखकर हाँ कर दी थी। तब से दोपहर का खाना मै उनके पास ही खाया करता था।
खैर, मैंने अपने कमरे में आकर तब तक कपड़े उतारकर टीशर्ट और पजामा पहन लिया था तभी भाभी उसी हालत में जैसे वो कपड़े धो रहीं थीं, मेरे कमरे में खाना लेकर आई तो उनके बड़े-बड़े स्तन मुझे साफ दिखाई दे रहे थे।
क्या करूँ मुझसे रहा नहीं गया और मैं उन्हें बड़े ध्यान भाभी के स्तन गौर से देखने लगा। तभी भाभी ने कहा क्या देख रहे हो?
 
मै एक्दम से चौंक गया और मैंने घबरा कर कहा कुछ नहीं?
लेकिन वो सब समझ चुकीं थीं, उन्होंने बिना कुछ कहे, मुझे खाना दिया और वापस जाकर बाथरूम में कपड़े धोने लगीं।
खाना खाने का होश अब मुझे कहाँ था, मेरा लण्ड तो फुफ्कार रहा था तो मैंने तभी मेरे कमरे में ही हस्तमैथुन किया और फिर खाना खाकर सो गया।
शाम को भाभी ने मुझे उठाया और चाए पीने के लिये दी  और फिर मैं और उनके बच्चों को पढ़ाने लगा।
मैं आपको बता दूँ कि उनके पति एक निजी कंपनी में काम करते थे और इस कारण वो महीने में 15 दिन  बाद  ही घर आ पाते थें  और बाकी दिन बाहर ही रहते थे।
जब रात को उनके पति आए तो मैं पढ़ रहा था तो उन्होंने पूछा पढ़ाई कैसी चल रही है?
मैंने कहा बस भैया, ठीक ही चल रही है, और वो अंदर चले गए।
फिर खाना लाकर मेरे पास बैठकर खाने लगे, थोड़ी देर बाद मैं, भैया और  तीनों छत पर चले गये।
करीब 11 बजे तक हम वहाँ बैठकर बातें करते रहे, फिर सोने के लिए नीचे आ गए।
मैं बैठकर पढ़ने लगा और वो दोनों अपने कमरे में चले गये।
 
करीब 11:30 बजे जब मैं पढ़ रहा था तो मैंने कुछ हल्की सी आवाज़ महसूस की।
वो आवाज़ भैया-भाभी के कमरे से आ रही रही थी क्योंकि उनका कमरा मेरे बगल में ही है तो मैंने जाकर दरवाजे के छेद से देखा,
 तो भैया उनकी भाभी चुदाई कर रहे थे।
मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया, मैं फिर ..................।


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#15
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उफ़क्या बताऊँ दोस्तो, भाभी बिल्कुल नंगी होकर भैया से चुदाई के मज़े ले रहीं थीं।
बिना कपड़ो के  तो वो बिल्कुल परी जैसी लग रही थी, उनका गोरा बदन एकदम दूध जैसा सफेद था और चमक रहा था।
उनके बड़े-बड़े दूध देखकर मैं तो जैसे पागल हुआ जा रहा था। करीब दस मिनिट के बाद भैया ने एक जोरदार पिचकारी मारी, जो भाभी के बड़े-बड़े दूध पर जाकर गिरी।
मैं भी अपनी चरम सीमा पर था लेकिन उसी वक्त भाभी दरवाजे की तरफ बढ़ीं।
तो दोस्तो, क्या आप जानना नहीं चाहेंगें कि फिर क्या हुआ?
क्या भाभी ने मुझे हस्तमैथुन करते रंगे हाथों पकड़ लिया या मैंने भागने में कामयाब रहा
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#16
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मैं जल्दी से बाथरूम में घुस गया जल्दीबाज़ी में मैंने  दरवाजा भी बंद नहीं किया और वहाँ जाकर फिर हस्तमैथुन करने लगा, तभी भाभी बाथरूम में आ गईं, तब तक मे झड़ चुका था।
एकदम से भाभी को देखकर मैं चौंक गया।
तभी भाभी बोलीं अभी सोए नहीं करण?
मैंने कहा नहीं, बस पढ़ाई कर रहा था, अब सोने ही जा रहा हूँ, और मैं वहाँ से चला गया।
लेकिन ना जाने क्यूँ मुझे लगा कि शायद भाभी ने मुझे देख लिया है।
सुबह जब मैं उठा तो मुझे भैया ने कहा कि करण, मैं करीब दस दिन के लिए कंपनी के काम से दिल्ली जा रहा हूँ, तुम बच्चों को भी पढ़ा देना और तुम्हारी भाभी के कमरे में ही सो जाना।
मैंने तुरंत हाँ कर दी, फिर मैंने उनसे पूछा कि कब जाना है, आपको।
उन्होंने बताया कि रात 11 बजे की ट्रेन है।
मैंने कहा ठीक है, मैं आपको छोड़ दूँगा तो उन्होंने भी कहा ठीक है, और मैं रात को उन्हें दस बजे छोड़कर वापस घर आते हुए कुछ मिठाई ले आया ताकि मुझे भाभी के साथ बैठने का थोड़ा मौका मिल सके।
जब में घर आया तो भाभी ने दरवाजा खोला और मैं अंदर उनके कमरे में आ गया और फिर हम बैठकर बातें करने लगे और साथ में मेरी लाई हुई मिठाई खाने लगे।
थोड़ी देर बाद मैं पढ़ने लगा तो भाभी ने कहा सो जाओ करण, तो मैंने कहा आप सो जाओ, मैं थोड़ी देर में सो जाऊँगा।
 
उन्होंने अपने पास जगह छोड़ दी और कहा कि तुम मेरे पास ही सो जाना।
मैंने कहा ठीक है।
तब तक उनके बच्चे सो चुके थे,
भाभी अपनी नाइट ड्रेस में सो रहीं थीं जो काफ़ी ढीली थी, उनके  बड़े-बड़े मम्मे उसमें से बाहर आने को तरस रहे थे।
थोड़ी देर बाद भाभी को नींद आ गई और मेरा मन भी पढ़ाई में नहीं लग रहा था तो मैंने अपने मोबाइल में सेक्सी वीडियो चालू कर लिया और उन्हें देखने लगा। मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
 
 
मैंने हस्तमैथुन चालू कर दिया, और सारा माल वहीं छोड़ दिया और फिर मैं भाभी के बगल में जाकर लेट गया।

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थोड़ी देर बाद उन्होंने करवट ली तो उनका हाथ मेरे सीने पर आ गया और उनके मम्मे मेरे हाथ से टकराने लगे तो मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा।
मैंने धीरे से अपना हाथ भी भाभी के ऊपर रख लिया, उन्हें शायद पता नहीं चला क्योंकि वो नींद में थी।
मेरा होसला थोड़ा और बढ़ गया, उनकी नाइट ड्रेस मैंने अपने पैर सेजांगों तक खिसका दी जिससे मुझे उनके गोरे-गोरे पैर साफ दिखाई दे रहे थे।
फिर मैंने देर ना करते हुए अपना एक हाथ उनके बड़े मम्मे पर रख दिया और उसे धीरे-धीरे सहलाने लगा, उनकी कोई प्रतिक्रिया न देखकर मेरा होसला थोड़ा और बढ़ गया।
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#18
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अब मैं उनके चुचे थोड़े ज़ोर से दबाने लगा और मैंने अपना एक हाथ उनके चूतड़पर रख दिया और उसे सहलाने लगा।
अब तक वो शायद जाग चुकी थीं और इसका मज़ा भी ले रहीं थीं, पर जब उन्होंने आँखें खोलीं तो मुझसे बोली ये क्या कर रहे हो करण, तो मैं बहुत डर गया।
 
मैंने कहा भाभी, मुझे माफ़ कर दो।
पर मेरी उम्मीद के विपरीत जब उन्होंने मेरे गाल पर एक लंबा सा चुंबन दिया तो मैं खुश हो गया और उन्हें अपनी बाहों में भर लिया।
अब भाभी ने मुझसे कहा मैं जब से तुम्हारे घर आई हूँ तब से देख रही हूँ तुम हमेशा मेरे चूतड़ और मम्मे देखते रहते हो, कल रात तो मेरी और तुम्हारे भैया की चुदाई देख कर हस्तमैथुन भी कर रहे थे।
मैंने कहा ये सब आपको कैसे पता?
उन्होंने कहा कल मैंने तुम्हे बाथरूम में देखा था, तुम्हारा लण्ड काफ़ी बड़ा है और तो और तुम तो अभी भी हस्तमैथुन कर रहे थे, है ना?
मैंने कहा मुझे लगा आप सो रहीं है, आप सो नहीं रहीं थीं क्या?
उन्होंने कहा मैं यही देख रही थी कि तुम क्या कर रहे हो?
भाभी से ऐसी बातें सुन कर मैंने भी आपी सारी शरम बगल में रख दी और बिना हिचके उनसे कहा आप भी तो कल भैया से मज़े ले लेकर चुदवा रही थीं।
 
मैंने फिर कहा कल रात को जब आप दोनों चुदाई मे मस्त थे तो मैंने दरवाजे के छेद से आप लोगों को देखा था।
 
 
अब वो मुझसे चिपक गईं और मेरे शरीर में एक अजीब सा करंट लगा।
मैंने भी उन्हें कसकर पकड़ लिया और उन्हें चूमना चालू कर दिया। थोड़ी ही देर में हम दोनों नंगे एक-दूसरे की बाहों मे समाने की कोशिश करने लगे।
अब मैंने अपने होंठ उनके होंठों से चिपका दिए और उन्हें पागलों की तरह चूमने लगा।
उन्होंने मुझे रोका और कहा आराम से करो राजा, मैं कहीं भाग कर नहीं जा रही।
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पर क्या करूँ दोस्तो, मैं अपने ऊपर काबू नहीं रख पा रहा था। लेकिन थोड़ी ही देर में भाभी मेरा साथ देने लगी।
अब मैं उनके चुचों को अपने दोनों हाथों से बेतहाशा दबाए जा रहा था और वो मुझे चुंबन पर चुंबन दिए जा रहीं थीं।
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मैंने थोड़ी ही देर में उनकी पैंटी भी खोल दी और उनकी चूत में अपनी  एक उंगली घुसा दी और उसे अंदर-बाहर करने लगा, जिससे उन्हें और भी मज़ा आने लगा।
थोड़ी देर ऐसे ही उंगली करने के बाद मैं उनकी चूत चाटने लगा तो उसमे से नमकीन पानी जैसा स्वाद आने लगा।
उनकी आवाज़ कमरे मे गूँज रही थी और मैं उनकी चूत चाटने मे मस्त था।
अब वो बोलीं चोद भी दो अब, सहन नहीं हो रहा है।
ये सुनते ही मैंने उन्हें अपना लण्ड चूसने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया।
हालाकी मेरे थोड़ा ज़ोर देने पर वो मान भी गईं और मेरा लण्डअपने मुँह मे लेकर अंदर-बाहर करने लगीं।
मुझे तो मानो जन्नत ही मिल गई, जब मैं झड़ने वाला था तो मैंने उन्हें नहीं बताया और अपना सारा माल उनके मुँह में ही छोड़ दिया।
मुझे तो झटका ही लग गया जब उन्होंने कुछ माल पी लिया पर कुछ बाहर भी निकाल दिया।
अब हम दोनों एक-दूसरे को चुंबन करने लगे और मैं अब उनके ऊपर आ गया।
उनकी दोनो टाँगें मैंने उठाई और अपने लण्ड को उनकी चूत से रगड़ने लगा तो वो बोलीं अब डाल भी दे अंदर, करण, मत परेशन कर अब, बन जा जल्दी से भाभी-चोद।
अब मैंने अपना लण्ड उनकी चूत पर रखा और एक धक्का लगाया लेकिन मेरा लण्ड फिसलकर नीचे की तरफ चला गया।
जब मैंने दुबारा धक्का लगाया तो मेरा लण्ड थोड़ा सा अंदर चला गया। फिर मैंने एक ज़ोर का झटका मारा तो मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत मे समा गया।
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मेरा लण्ड बड़ा होने के कारण उन्हें शायद थोड़ा दर्द भी हुआ लेकिन मैंने अपने होंठ उनके होंठों से चिपका रखे थे जिससे उनकी आवाज़ दब कर रह गई।
 
फिर थोड़ी देर रुकने के बाद मैं अपने लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा। अब तो उन्हें भी मज़ा आने लगा और वो अपने चूतड़ उठा-उठा कर मुझसे चुदने लगी।
उनकी सिसकारियों से कमरा गूँज उठा, वो अब तक दो बार झड़ चुकीं थीं लेकिन मेरा आने का नाम ही नहीं ले रहा था।
कुछ ही देर में मैं अपनी चरम सीमा पर था तो मैंने कहा कि मेरा आने वाला है, कहाँ  निकालूँ तो उन्होंने कहा अंदर ही निकाल लो, मुझे कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि मैंने ऑपरेशन करवा रखा है।
फिर क्या था मैंने अपना सारा माल उनकी चूत की जड़ में ही छोड़ दिया।
लेकिन अब तक मैं पूरी तरह थक चुका था, और उनके ऊपर ही लेट गया।
वो बड़े प्यार से मुझे सहला रहीं थीं।
जवानी के ज़ोर से थोड़ी ही देर में मेरा लण्ड वापस खड़ा होने लगा तो मैंने फिर से भाभी को चूमना चालू कर दिया।
वो भी कुछ ही देर बाद वापस से गरम हो गईं तो मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा और उनके मोटे-मोटे चूतड़ों में अपना लण्ड दबाने लगा और फिर एक झटके में पूरा लण्ड उनकी चूत में डाल दिया और जोर-जोर के झटके मारने लगा।
भाभी दो बार झड़ चुकीं थीं और मैं भी अपनी चरम सीमा पर था इसलिए मैंने उन्हें जोर-जोर से चोदना चालू रखा।
थोड़ी देर बाद मेरा गरमा-गरम माल उनकी चूत में भर गया, रात के 3 बज चुके थे।
फिर हम दोनों बुरी तरह थक कर सो गए और भैया के आने तक चुदाई का ये नंगा नाच रोज़ चलता रहा, हमें जब भी मौका मिलता हम अपनी चुदाई में मस्त हो जाते थे चाहें फिर दिन हो या रात।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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