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Incest बहन के जिस्म का
#1
बहन के जिस्म का






“यार तेरा भाई बड़ा डैशिंग है.” आयशा बोली.
मैं- हा हा हा … कॉलेज की बाकी लड़कियां भी यही सोचती हैं, मेरे से उसका नम्बर मांगती हैं.
वो बोली- हां यार … कसम से, तेरे भाई को देख कर तो चूत मचल उठती है.
मैंने कहा- चुप कर! कुछ भी बोलती रहती है.
आयशा- यार काश मेरा भी तेरे जैसा कोई भाई होता!
मैं- तो क्या करती फिर तू? मैंने उसे छेड़ते हुए पूछा.
वो बोली- तो फिर बाहर मुँह मारने की जरूरत ही नहीं पड़ती, घर में ही इतना हॉट लौड़ा मिल जाता.
मैं हैरान होते हुए- चुप कर! ऐसे थोड़ी न होता है?
वो बोली- अरे, होता है मेरी जान. मेरी एक कजिन है. वो भी चुदवाती है रोज अपने भाई से!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
हैरानी से मैंने कहा- चल झूठी, ऐसा केवल कहानियों में होता है.
आयशा- सच में भी होता है डियर, वैसे तुझे भरोसा नहीं तो मैं मिलवा दूंगी, तू खुद पूछ लेना.

मैंने कहा- सच्ची?
वो बोली- और क्या… मैंने तो अपनी मां को भी कई बार अपने मामा के साथ देखा है. वो दोनों कई बार चुदाई करते हैं. कई बार तो मैंने उनको सेक्सी बातें करते हुए भी सुना है.
“धत्त… सही में?” मैंने आश्चर्य से पूछा.

वो बोली- हां सच्ची यार, जब भी मेरे मामा विदेश से आते हैं तो वो दोनों मुझे किसी न किसी बहाने से घर के बाहर भेज देते हैं. पापा तो बचपन में ही गुजर गये थे. इसलिए मां अपने भाई के साथ ही काम चला लेती है.

कुछ देर की चुप्पी के बाद मैंने पूछा- पर यार, सगे भाई के साथ कैसे हो सकता है ये सब?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
मैं इससे आगे कुछ कहती इससे पहले ही वो बोल पड़ी- अरे बहुत फायदे हैं … देख! पहले तो घर मे ही लौड़ा मिल जाएगा. जब मन करे, चुद सकती है. दूसरा फायदा ये कि घर का है तो तू ट्रस्ट कर सकती है. आशू की तरह तुझे धोखा खाने का डर भी नहीं रहेगा. तीसरा फायदा ये कि घर वालों की टेंशन भी वही लेगा. तुझे तो बस चुदाई के मजे लेने हैं.
“हा हा हा … और?” मैंने हंसते हुए आयशा से पूछा.
वो बोली- सेफ सेक्स की गारंटी होती है. जब मन करे चुद लिया कर. अगर मेरा कोई भाई इतना सेक्सी होता तो मैं बॉयफ्रेंड ही नहीं रखती.
आयशा तो चली गयी लेकिन दिन भर ये बात मेरे दिमाग में घूमती रही।
“सेफ सेक्स की गारन्टी” बात तो कुतिया ने सही कही थी। हाँ ये अलग है कि वो मेरे भाई पर लाइन मार रही थी।
आयशा ने उस दिन मुझे मेरी फड़कती चूत का इलाज बता दिया था. मेरे दिमाग में खुराफात का बीज पड़ गया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
एक दिन सुबह-सुबह मैं विशाल के कमरे में गयी तो केवल बॉक्सर में ही था. उसने शायद कुछ देर पहले ही वर्कआउट किया था. उसका कसरती बदन, मस्त डोले, चौड़ी छाती, सिक्स पैक ऐब्स, उसके मस्त कट्स देख कर मैं उसको देखती ही रह गयी. किसी बॉडी बिल्डर से कम नहीं लग रहा था वो। उसको देख कर किसी भी चूत का चुदने को मन कर जाये.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
सोचते हुए आयशा की बात मेरे दिमाग में घूमने लगी ‘सेफ सेक्स की गारंटी!’
उस दिन के बाद से मेरे मन में एक भावना का उदय हो गया था. मेरे भाई का भोला चरित्र मेरे मन को भा गया था. मेरी नजर उसके लिए बदलने लगी थी. अब मैं छिप कर अपने भाई की सेक्सी बॉडी को निहारा करती थी.
घर में विशाल केवल बनियान और शॉर्ट्स में ही घूमा करता था. उसको अपनी बॉडी दिखाने का बहुत शौक था. मेरा भाई मुझे पसंद आने लगा था. वो सच में बहुत सेक्सी था.
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
मैं एक दिन पार्लर गयी और मैंने सिर को छोड़कर शरीर के सारे बाल हटवा लिए. अपनी चूत भी चिकनी करवा ली. मैं अपने ही घर में सेक्सी ड्रेस पहनने लगी. अपना चिकना बदन अपने भाई को दिखाने लगी. हमारी फैमिली वैसे भी काफी खुले विचारों वाली थी इसलिए कोई दिक्कत नहीं थी. सूट सलवार पहनने वाली लड़की अब एक सेक्सी माल बन चुकी थी.
मेरे इस नये अवतार को देक कर भाई भी हैरान था. उसकी नजर अक्सर मेरे बूब्स पर रहती थी. वो मेरे सेक्सी बदन को निहारा करता था. मैंने भी उसको जैसे खुली छूट दे रखी थी. कभी कभी तो मैं नीचे से ब्रा भी नहीं पहनती थी ताकि उसको मेरे कड़क निप्पल्स दिखाई दे जायें.
कई बार मैं विशाल को खुद ही मेरे बदन को छूने का मौका देती थी ताकि वो मुझे पटक कर चोद दे. मगर अभी तक मुझे बिल्कुल अकेले में ऐसा मौका नहीं मिल पाया था. वैसे तो हमारे कमरे भी अलग थे लेकिन मैं अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाह रही थी. यदि मैं ऐसा करती तो उसकी नजरों में गिर जाती.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
एक दिन भगवान ने मेरी तड़पती हुई चूत की पुकार सुन ली और मुझे मौका मिल ही गया. उस दिन मेरे छोटे मामा की शादी थी. मां और पापा पहले ही निकल चुके थे. हम दोनों के एग्जाम्स चल रहे थे. हम शादी के दो दिन पहले ही पहुंचने वाले थे.

पापा ने हमें बस से आने के लिए कहा. ट्रेन में कोई बुकिंग नहीं मिल रही थी. मुझे बसों में सफर करने में बिल्कुल भी रूचि नहीं थी इसलिए मैंने भाई को पर्सनल सवारी से जाने की इच्छा जताई. बाय रोड 8 या 10 घंटे का सफर था. हम लोग आसानी से कार से जा सकते थे. भाई भी कार से जाने के लिए मान गया और हम निकल पड़े.
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#8
मौसम आज सुबह से ही खराब था। सुबह से ही बारिश हो रही थी। रास्ता लम्बा था। मैं धीरे धीरे कार चला रहा था। ट्रेन और बस के चक्कर में हमने काफी लेट कर दिया था। अन्धेरा होने को आया था.

हम लगभग आधे रास्ते तक ही पहुंचे थे। तभी तेज हवा के साथ बारिश होने लगी.

कुछ दूरी पर जाकर देखा तो हाइवे जाम हो गया था. कुछ लोगों से पूछने पर पता लगा कि तूफान की वजह से आगे रास्ता बंद कर दिया गया है. तूफान के समय में भूस्खलन का डर रहता है. हम भाई-बहन ने किसी होटल में रुकने का प्लान किया. हमें 2 किलोमीटर पैदल चलने के बाद एक होटल मिला.

पैदल चलते हुए हम भीग गये थे. जब होटल में पहुंचे तो होटल मैनेजर ने पहले ही कह दिया कि लाइट बारिश रुकने के बाद ही आयेगी. होटल में बिजली भी नहीं थी. मगर हमें लाइट से क्या करना था. हमें तो रात गुजारने के लिए छत चाहिए थी. चाबी लेकर हम भाई-बहन कमरे में आ गये
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#9
मैं भीगे बदन के कारण ठंड से ठिठुर रही थी।
भाई ने कहा- दीदी, आप भीग चुकी हो. कपड़े बदल लो.
हमने एक्स्ट्रा कपड़े लिए ही नहीं थे। सारे लग्गेज को हमने मां और पापा के साथ ही भेज दिया था.

उसने मुझे ठंड से ठिठुरती देख कर अपनी जैकेट ऑफ़र की। लेकिन मैं पूरी तरह भीगी हुई थी। उसके कपड़े उसके लैदर जैकेट की वजह से काफी हद तक बचे हुए थे।
कुछ देर बाद वो बोला- दीदी अगर आप बुरा न मानो तो आप मेरे कपड़े पहन सकती हो.
“और तू क्या पहनेगा फिर?” मैंने पूछा.

वो बोला- “मेरे पास है न. वैसे भी मैं भीगा नहीं हूं, मुझे जरूरत नहीं है”

चूंकि छोटे कपड़े तो मैं घर में भी पहनती थी। वैसे भी नंगी तो वो मुझे देख ही चुका था। उसे रिझाने का ये मौका मैं कैसे गंवा देती।

मैं कपड़े बदलने गयी तब तक उसने होटल वालों से कह कर अलाव का इंतजाम करवा लिया था। कुछ देर आग के सामने बैठे हुए हम बातें करते रहे। आग की गर्मी से हमें कुछ राहत मिली.

आज सुबह से ही मेरी चूत फड़क रही थी। मुझे अहसास हो रहा था कि आज कुछ होने वाला है लेकिन मुझे इसकी उमीद नहीं थी कि मैं भाई के साथ घर से इतनी दूर इस होटल में अकेले एक कमरे में होंगी।

पिछले कई महीनों से मैं एक किसी ऐसे ही अवसर की तलाश में थी. उस रात भाई को देख कर मेरे मन में एक ही तमन्ना बार बार उठ रही थी कि वो अपनी मजबूत बांहों में भर कर मुझे पूरी रात प्यार करे.

मैं उसके सेक्सी बदन को भोगना चाह रही थी. मगर अभी भी हमारे बीच में बहन-भाई के रिश्ते की दीवार सी खड़ी थी. उस दीवार को लांघने की हिम्मत भी नहीं हो पा रही थी मुझसे.
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#10
तभी विशाल बोला- दीदी, आप बेड पर सो जाओ.
“और तू?” मैंने पूछा.
“मैं मम्मी-पापा को कॉल करने की कोशिश करता हूं.” वो बोला.
मैं बेड पर लेट गई. वो खिड़की पर बैठ कर फोन में कुछ कर रहा था। मैं जानती थी कि वो जानबूझकर बहाने बना रहा है। असल में वो मुझसे शरमा रहा था। क्योंकि कमरे में सिर्फ एक ही बेड था। उसका यही भोलापन तो मेरे दिल में घर कर गया था.
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#11
विशाल ने चोर नजरों से दीदी को देखा। क्या मस्त लग रही थी वो। उन्होंने ऊपर विशालकी शर्ट पहन रखी थी। जिसमें उनकी ब्लैक कलर की ब्रा की झलकी साफ नजर आ रही थी।

नीचे शर्ट उनकी आधी जांघों को ही ढक पा रही थी। उनकी गोरी चिकनी टांगें बिल्कुल नग्न थीं। ठंड से ठिठुर कर वो पैर मोड़ कर सोई थी।
 विशाल, क्या कर रहा है, आ यहीं सो लेंगे, एक ही रात की तो बात है.
ये सुन कर विशाल धड़कनें बढ़ गयीं। आज उनके इस अवतार को देख कर विशाल को दीदी के करीब जाने में भय सा लग रहा था. किंतु विशाल उनकी बात को भी नहीं टाल सकता था.
विशाल दीदी की बगल में ही सो गया। वे दोनों एक दूसरे के विपरीत करवट लेकर लेटे हुए थे। फिर वे एक दूसरे के आमने सामने थे। विशालने दीदी के प्यारे से चेहरे को फिर से देखा। उनके वो गुलाबी होंठ, काली-काली आंखें, गोरे मुखड़े पर कहर बरपा रही थीं।
भीगे बालों में मेरी बहन अप्सरा लग रही थी। पारदर्शी सफ़ेद शर्ट में झलकता उनका गोरा मखमली बदन मुझे पागल बना रहा था। कसम से आज वो कमाल की सेक्सी लग रही थी।
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#12
आह! जिस पल का मुझे महीनों से इन्तजार था। वो आ गया था। शायद भाई मुझे देख रहा था. मगर इस बार बहन की तरह नहीं। उसे मेरी मदमस्त जवानी दिख रही थी। ये सब किसी फिल्म की तरह था लेकिन रोमांचक था।

मैं उसकी फौलादी बांहों में कस जाना चाहती थी। हाँ मेरी जवानी खुद ही उससे लुटने को फड़फड़ा रही थी. लेकिन मैं तो एक लड़की थी. लड़की कभी पहल नहीं करती.

वो हरामी भी कब से मुझे घूर रहा था लेकिन कोई पहल नहीं कर रहा था. मेरी चूत में हलचल होने लगी थी. न चाहते हुए भी मुझे ही पहल करनी पड़ी और बोली- क्या देख रहा है?
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#13
विशाल अप्ने मन मे सोच रहा था ...................."दीदी की रसीली मदमस्त जवानी में खोया हुआ था।
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#14
(09-03-2022, 03:29 PM)neerathemall Wrote: विशाल अप्ने मन मे सोच रहा था ...................."दीदी की रसीली मदमस्त जवानी में खोया हुआ था।


दीदी की रसीली मदमस्त जवानी में खोया हुआ था।

“क्या देख रहा है?” उन्होंने आंखें बंद किये हुए पूछा।
मुझे जवाब नहीं सूझा और मैं हड़बड़ा गया।
हड़बड़ाहट में बोला- क … कक … कुछ भी तो नहीं दीदी.
दीदी ने आंखें खोल दीं. वो आश्चर्य की निगाहों से मेरी ओर देख रही थी. उन्होंने मेरी ओर कातिल मुस्कान से देखा और फिर दोबारा से अपनी आंखें बंद करके सोने का नाटक करने लगी.
उनके हुस्न के जादू से मेरे लौड़े का बुरा हाल हो रहा था. मेरा लौड़ा मेरी पैंट को फाड़ कर बाहर आने के लिए तैयार था. उसे बस इस हुस्न की परी की उस रसीली मुनिया (चूत) के हां कहने की जरूरत थी. बहुत ही कातिल दृश्य था मेरी आंखों के सामने.
“दीदी आप बहुत ही सुंदर हो.” मेरे मुख से निकल ही गया। हालांकि उस टाइम पर ये मैंने बड़ी ही हिम्मत से कहा था।
“अच्छा जी … वो कैसे?” दीदी ने फिर से कटीली मुस्कान के साथ पूछा।
इसका जबाब मेरे पास नहीं था। क्या बोलता कि ‘दीदी आपकी गोल चूचियां मुझे पागल कर रही हैं!’
नहीं … ये जवाब सही नहीं था. मुझे काफी संभल कर जवाब देना था.
कुछ देर तक हम दोनों फिर से चुप करके लेटे रहे.
फिर मैंने कहा- दीदी आप सच में कयामत हो.
वो बोली- कैसे?
मैंने कहा- आपकी ये आंखें किसी को भी घायल कर सकती हैं।
वो बोली- अच्छा … और?
मैंने कहा- आपकी घुंघराली काली जुल्फें, जो सावन की घटा की तरह हैं, कोई भी इनका दीवाना हो जाये.
“और?”
“आपके ये रसीले सुर्ख होंठ, जो प्यासे समंदर की तरह हैं, आपके गोरे चेहरे पर आकर्षण का केंद्र हैं. आपके गुलाबी गाल … जब आप हँसती हो तो गुलाब से खिल उठते हैं।”
इतना कहकर मैं रुक गया। हम दोनों ने असहज महसूस किया। मैं कुछ ज्यादा बोल गया था। मैं माफी मांग कर अपनी गलती जाहिर नहीं करना चाहता था।
दीदी बोली- मेरी आज तक किसी ने ऐसे तारीफ नहीं की, आशू ने भी नहीं.
मैं बोला- शायद किसी ने आपको तबियत से देखा ही नहीं.
मैं आवेग में कह गया।
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#15
मैं अपने भाई की आंखों में देख रही थी। मैं सच में उसकी ओर बहती जा रही थी। ऐसी तारीफ मेरी किसी ने नहीं की। उसके द्वारा मेरे होंठों की तारीफ़ ने तो मेरे अंदर हलचल पैदा कर दी थी। मैं उसकी आंखों में अपने लिए चाहत देख पा रही थी। जी हाँ … जिस्मानी चाहत।

मगर विशाल की बातें उससे थोड़ी अलग थीं. मेरी अन्तर्वासना कह रही थी कि आगे बढ़ कर अपने भाई के होंठों पर होंठों को रख दूं.
मगर मैंने खुद को रोके रखा और उसकी आंखों में देखते हुए पूछा- और … और क्या पसंद है तुझे मेरे अंदर?

एक पल के लिये भी मैंने नजरें नहीं हटाईं क्योंकि मुझे अब कोई डर नहीं था। उसकी चाहत मुझ पर हावी थी और मुझे उसके ख्यालों का पता लग चुका था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#16
दीदी मेरी आंखों में देख रही थी। ये खुली छूट थी। उन्हें मेरी बातों का बुरा नहीं लगा था। उनके इस बर्ताव से मेरी वासना को चिंगारी मिल गयी। उनकी आँखों में जिस्मानी प्यास देख कर मैं मदहोश हो उठा। मैंने नियंत्रण खो दिया।

मर्दाना बात बताऊं तो जब एक मस्त हॉट माल अधनंगी हालत में तुम्हारे सामने हो तो आपको कंट्रोल करना कठिन ही नहीं नामुमकिन हो जाता है। मेरा हाल भी वैसा ही था.
मैंने आगे बढ़ कर उनके होंठों को चूम लिया। उनका विरोध ना पाकर उनके होंठों को अपने होंठों तले दबा कर चूसने लगा। उफ्फ … वो रसीले होंठ। आज भी मुझे उत्तेजित कर जाते हैं. दीदी भी उतनी ही प्यासी थी। शायद मुझसे कहीं ज्यादा। वो भी मेरा साथ देने लगी। उस आनंद में मैं इतना खो गया कि मुझे होश ही नहीं रहा कि हम दोनों भाई-बहन हैं.
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#17
मेरा भाई मदहोश होकर मेरे होंठों का रस-पान कर रहा था। वो मेरे बदन पर हाथ फेरते हुए किस कर रहा था। मैं भी उसका भरपूर साथ दे रही थी। धीरे धीरे उसने उसने दोनों हाथ मेरे शर्ट के नीचे डाल दिए और उसके हाथ मेरी नंगी पीठ को सहलाने लगा।

मैं उसकी मजबूत बांहों में जकड़ती जा रही थी। उसके हाथ मेरी ब्रा तक पहुंच चुके थे। वो ब्रा खोलने की कोशिश करने लगा मगर ब्रा उससे खुली नहीं. मैंने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा को खोलने में उसकी मदद की.

मेरे मम्मे अब आजाद थे। मेरी नंगी पीठ पर हाथ फिराते हुए वो मेरे होंठों को हब्शी की तरह चूस रहा था. मैं पूरी तरह चुदने के लिए तैयार थी। तभी वो एक झटके में मुझसे अलग हो गया.
“नहीँ ये सब गलत है दीदी!” कहकर वो झटके से अलग हुआ और बेड से उठ गया। मुझे बहुत गुस्सा आया। मैं खुल कर उससे चुदने को भी नहीं कह सकी थी.
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#18
मुझे पता था ये गांडू कुछ न कुछ गड़बड़ करेगा। मुझे अधनंगी करके मुझे गर्म करके छोड़ गया। पहली बार उसके भोलेपन पर मुझे प्यार नहीं बल्कि गुस्सा आ रहा था। यहाँ एक हॉट लड़की चूत खोले अपनी जवानी परोस रही है और इसे फालतू चीजों की पड़ी है।

मुझे बड़ा ही अपमान महसूस हुआ। शायद मुझमें ही कुछ कमी है. ऐसे हीन भाव आने लगे मेरे मन में। मैं मन मारकर सो गई।

सुबह मैं उठी तो मेरे बगल में मेरे सूखे हुए कपड़े रखे हुए थे। भाई कमरे में नहीं था। मैं तैयार होकर बाहर आई. बाहर गाड़ी खड़ी थी। भाई काउंटर के पास मेरा इन्तजार कर रहा था। हमने चेक आउट किया। फिर से गाड़ी में हम नाना के घर के लिए निकल गए।

गाड़ी में सब शांत था. दोनों में से कोई किसी से बात नहीं कर रहा था। एक दो बार उसने बात करने की कोशिश की लेकिन मैंने कुछ रेस्पोन्स नहीं दिया.

हम नानी के घर पहुँच गए. गाड़ी से उतरते समय भी उसने मुझे बात करना चाहा लेकिन मैंने उसे अनदेखा कर दिया और वहाँ भीड़ के साथ हो लिये हम दोनों.

अगले दो दिनों तक मैं खूब मस्त रही, उसे इग्नोर करती रही। इस बीच उसने कई बार मुझसे बात करना चाही लेकिन मैं जान बूझकर मौका नहीं दे रही थी।

शादी का दिन आ गया। दुल्हन भी सजी, मैं भी सज गयी। मैंने एक मॉडर्न लहंगा पहना था. नेट वाली स्लीव लेस चोली था। वन साइडेड दुपट्टा था जिसमें मेरी नंगी पीठ और पेट साफ नजर आ रहे थे। मेरी पतली कमर, फूले हुए स्तन अलग से चमक रहे थे। ऐसा लग रहा था कि मैं लड़कों के आकर्षण का केंद्र बन गयी थी.

मैं खुद सोच में पड़ गयी थी कि एक पढा़ई करने वाली लड़की पटाखा कैसे बन गयी. मेरी मां ने मुझे दूल्हे यानि कि मेरे मामा का कमरा सजाने के लिए काम दे दिया था.

कमरे को सजाने के काम में मैं लग गयी. तभी विशाल कमरे में आया और दरवाजा बंद करने लगा.
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#19
मैंने कहा- “तू? तू यहाँ क्या कर रहा है?”
वो दरवाजा बंद करके मेरी तरफ बढ़ा।

मैं बाहर की ओर जाने लगी. उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया और मुझे अपनी ओर खींचते हुए बोला- दीदी सुन तो सही.
मैंने हाथ झटकते हुए कहा- मुझे तेरी कोई बात नहीं सुननी है.

उसने मुझे दीवार के सहारे अपनी मजबूत बांहों के नीचे दबा लिया. मेरे होंठों के पास अपने होंठ लाकर बोला- दीदी, आपको मेरी बात सुननी ही होगी.
मैंने कहा- मुझे तुझसे कोई बात नहीं करनी. तूने मुझे अधनंगी छोड़ दिया. गलती मेरी ही थी. तू भी अश्विन के जैसा ही निकला. तूने मेरी इन्सल्ट की है.

ये कहते हुए मेरी आंखों में आंसू आ गये.
वो मेरे गालों से अपने गाल सटाते हुए बोला- नहीं दीदी, आप गलत सोच रही हो. मैं घबरा गया था. ऐसा कुछ नहीं है जैसा आप सोच रही हो. एक बार मेरी बात तो सुन लो.

मैंने छुड़ाने की कोशिश की लेकिन उसकी पकड़ मजबूत थी. इसलिए मैं छुड़ा नहीं पायी.
उसने बोलना शुरू किया- दीदी मैं स्कूल के दिनों से ही आपको पसंद करने लगा था. आपके पीछे बैठ कर आपको देखता रहता था. आपके सेक्सी जिस्म के बारे में सोच कर न जाने कितनी बार मैंने … (मुठ मारी हुई है)

वो कहते हुए ही रुक गया.
फिर बोला- आज तक मैंने सिर्फ आपको सपने में ही देखा है. उस दिन के लिए मैं दिल से सॉरी कह रहा हूं. आई लव यू दीदी.
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#20
मेरी बातों को दीदी हैरानी से सुन रही थी. जब मेरी बात खत्म हो गयी तो मुझे लगा कि दीदी मान गयी और उसने मुझे हटा दिया.

मगर अगले ही पल उसने मेरे गाल पर जोर का तमाचा दे मारा.
मैंने कहा- क्या हुआ दीदी?
वो बोली- कमीने, ये सब तू उस रात को नहीं बोल सकता था.
मैंने कहा- सॉरी दीदी.
अगले ही पल दीदी ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और मुझे प्यार करने लगी. मैं भी दीदी के होंठों को चूसने लगा.
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