Thread Rating:
  • 16 Vote(s) - 2.19 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery दबंग हरामी देवर ने खूबसूरत भाभी को अपना सेक्स स्लेव बनाया
#1
दबंग हरामी देवर ने खूबसूरत भाभी को अपना सेक्स स्लेव बनाया 
(Incest +BDSM+ Adultery Story based on Forced Sex,Blackmail-Humiliation, Degradation & Sexual Exploitation)
thanks  welcome to my Thread containing Sex stories based on Humiliation, Blackmail & BDSM

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है 

जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा 



[+] 1 user Likes Hot_Guy's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
DISCLAIMER : यह कहानी काल्पनिक पात्रों और घटनाओं पर आधारित है और वास्तविक जीवन के किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति या घटना से इसकी समानता महज़ एक संयोग ही माना जाना चाहिए. कहानी के सभी पात्र 18 साल से अधिक आयु के हैं और यह कहानी भी 18 साल से अधिक आयु के पाठकों के मनोरंजन के लिए है.
thanks  welcome to my Thread containing Sex stories based on Humiliation, Blackmail & BDSM

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है 

जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा 



[+] 1 user Likes Hot_Guy's post
Like Reply
#3
कहानी के पात्रों का परिचय :

[1] विवेक की उम्र 25 साल की है. वह गांव के जमींदार दशरथ सिंह चौहान का बड़ा बेटा है . गोरे रंग का विवेक 5 फिट 7 इंच लम्बा है और आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक है-गाँव में स्कूल में उसने बारहवीं तक की पढाई की है और वह अपने पिता की जमींदारी का कामकाज ही देखता है

[2] विवेक के छोटे भाई गौरव की उम्र 21 साल की है. वह इसी साल शहर से ग्रेजुएशन की पढाई पूरी करके गाँव लौटा है. गौरव की लम्बाई 5 फिट 9 इंच है और वह सांवले रंग का है और देखने में भी औसत लगता है. गौरव का बदन कसरती है और वह काफी हट्टा कट्टा है और उसका व्यक्तित्व काफी रौबीला है

[3] गाँव के जमींदार दशरथ सिंह चौहान की उम्र लगभग 60 साल की है और उनकी पत्नी सुनीता देवी 56 साल की है. गांव में उनकी काफी जायदाद और खेती बाड़ी है और उससे  होने वाली मोटी आमदनी से ही उनका घर बढ़िया तरीके से चल रहा है- इनकी कोई बेटी नहीं है और सिर्फ दो बेटे विवेक और गौरव ही हैं.

[4] एक महीने पहले विवेक की शादी शहर की लड़की शिवानी से हुई है. शिवानी 21 साल की है -अंग्रेजी में ग्रेजुएशन किया है. 5 फिट 4 इंच लम्बी शिवानी बेहद गोरे रंग, तीखे नयन नक्श और आकर्षक फिगर वाली है. शिवानी शहर में एक लोअर मिडल क्लास फैमिली से आती है और उसकी पिताजी एक सरकारी नौकरी से क्लर्क की पोस्ट से रिटायर हुए हैं. शिवानी के कोई भाई नहीं है और उसकी एक छोटी बहन रवीना है जो अभी 12 वीं क्लास में पढ़ रही है. पढ़ी लिखी और बेहद ख़ूबसूरत होने की वजह से शिवानी का रिश्ता जमींदार साहब के घर में विवेक के साथ हो गया था.
thanks  welcome to my Thread containing Sex stories based on Humiliation, Blackmail & BDSM

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है 

जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा 



Like Reply
#4
Update
[+] 1 user Likes joy2008's post
Like Reply
#5
Kab shuru Hogi yah kahani ?
Jaldi karo bhai
Like Reply
#6
Update
Like Reply
#7
(12-03-2022, 08:28 PM)joy2008 Wrote: Update

कहानी कल से शुरू होगी
thanks  welcome to my Thread containing Sex stories based on Humiliation, Blackmail & BDSM

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है 

जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा 



[+] 1 user Likes Hot_Guy's post
Like Reply
#8
PART-1

आगरा के पास एक गाँव लखनपुर के जमींदार दशरथ सिंह चौहान अपनी पत्नी सुनीता और दो बेटों के साथ रहते थे.

बड़ा बेटा विवेक पिता के जमींदारी और खेती बाड़ी के काम काज में अपना हाथ बंटाता था और दूसरा बेटा गौरव अभी अभी आगरा से बी कॉम की पढाई पूरी करके वापस लौटा था. जबसे गौरव अपनी पढाई पूरी करके वापस आया था, जमींदार साहब ने हिसाब किताब का काम गौरव के जिम्मे लगा दिया था और गाँव में बाहर जाकर जमींदारी और खेती बाड़ी के कामकाज के देखभाल की जिम्मेदारी बड़े बेटे विवेक को सौंप दी थी.

कहानी की शुरुआत आगरा के डिग्री कालेज से होती है जहां गौरव अपनी बी कॉम की पढाई कर रहा था और वहीं पर आगरा की ही रहने वाली एक बेहद खूबसूरत लड़की शिवानी अंग्रेजी के बी ए की पढाई कर रही थी.

शिवानी हालांकि एक बेहद मामूली मध्यम वर्ग परिवार से आती थी लेकिन वह गज़ब की खूबसूरत थी और पूरे कालेज के लड़के उसके दीवाने हुए रहते थे. लेकिन वह किसी को भी भाव नहीं देती थी. उसका इरादा किसी तरह अपनी पढाई पूरी करके किसी सरकारी नौकरी को ज्वाइन करना था ताकि वह अपने परिवार की चिंता को कुछ कम कर सके. उसकी एक छोटी बहन रवीना भी थी जो इस समय 12 वीं क्लास में पढ़ रही थी.

गौरव रोजाना अपने गान से कालेज तक अपनी बाइक से आता जाता था क्योंकि उसके गाँव से कालेज महज़ 15 किलोमीटर की दूरी पर था.

गौरव पढाई लिखे में कोई बहुत बढ़िया नहीं था और बड़ी मुश्किल से जैसे तैसे करके पास हुआ था. उसे कोई नौकरी चाकरी तो करनी नहीं थी बस पिताजी की जमींदारी के कामकाज को ही आगे बढ़ाना था लिहाज़ा उसका ध्यान पढाई लिखाई में काम और कालेज की लड़कियों पर ज्यादा लगा रहता था.

गौरव के साथ उसके 4 दोस्त भी हर समय उसके साथ ही उसकी चापलूसी में लगे रहते थे क्योंकि गौरव जमींदार साहब का बेटा था और वह उन दोस्तों को खिलाता पिलाता रहता था -इसके बदले में वे चारों दोस्त अमित, मोहित, रोहित और पुनीत हर समय उसकी चापलूसी में लगे रहकर कालेज में आती जाती लड़कियों को यह कहकर तंग करते रहते थे कि गौरव जमींदार साहब का बेटा है- जो लड़की उससे दोस्ती करके उसकी बात मान लेगी उसकी लाइफ बन जाएगी.

कालेज में ज्यादातर लडकियां आगरा शहर की ही थीं और इसलिए वह गाँव के गौरव और उसके दोस्तों को ज्यादा भाव नहीं देती थीं.

एक दिन गौरव ने शिवानी को कालेज की कैंटीन से बहार आते हुए देखकर अपने दोस्तों से कहा : यह लड़की बहुत सेक्सी माल है और इसे मैं किसी न किसी तरह अपने चक्कर में फंसाकर ही मानूंगा

उसके चापलूस दोस्तों ने फौरन उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए , अपनी तरफ से गुजरती हुई शिवानी का रास्ता रोककर उससे कहा : कहाँ जा रही है मेरी जान. देख नहीं रही कि जमींदार साहब के बेटे गौरव जी को तेरी खूबसूरती भा गयी है -तू जल्दी से मान जा और उनसे दोस्ती कर ले-तेरी तो लाइफ सेट हो जाएगी

शिवानी उन लोगों की बातों को अनसुना करती हुई जैसे ही आगे बढ़ने लगी, गौरव ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींचते हुए बोला : आजा मेरी जान चल तुझे सिनेमा दिखाने ले चलता हूँ -हाल में ही फिल्म देखते हुए हम दोनों मस्ती भी कर लेंगे.

शिवानी ने गुस्से से अपना हाथ छुड़ाया और एक थप्पड़ गौरव के गाल पर रसीद करते हुए बोली : तुम जैसे आवारा लोफर लोगों के मैं मुंह नहीं लगना चाहती-तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई कि मुझे इसे तरह से अपनी तरफ खींचकर इतनी बेहूदगी भरी बातें करो.

गौरव के गाल पर जैसे ही शिवानी ने थपप्ड़ लगाया, वह एकदम सकते में आ गया. बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद गौरव अपनी हेकड़ी में रहता था लेकिन उसे एक मामूली मिडिल क्लास फ़ैमिली की लड़की ने चार दोस्तों के सामने थपप्ड़ लगा दिया -इससे पहले कि वह इस थप्पड़ का कोई जबाब दे पाता, उसने देखा कि सामने से कालेज के प्रिंसिपल कुछ प्रोफेसरों के साथ उस तरफ ही आ रहे थे. उन सबको देखकर गौरव और उसके चारों दोस्त वहां से फटाफट रवाना हो गए और शिवानी भी वहां से चली गयी.

उस दिन के बाद से गौरव ने मन ही मन यह तय कर लिया कि किसी न किसी तरह इस घमंडी लड़की को वह अपने जाल में जरूर फँसायेगा और अपनी इस बेइज़्ज़ती का बदला लेगा.

वार्षिक परीक्षाओं के बाद कालेज की छुट्टियां हो गयीं थीं. छुट्टियों के बीच ही शिवानी और गौरव दोनों का रिजल्ट भी आ गया था और वे दोनों ही अपनी अपनी फाइनल ईयर की परीक्षा में पास हो गए थे.

एक दिन शिवानी अपने घर में बैठी हुई थी . अचानक उसने देखा कि उसके घर के आगे कोई बड़ी सी गाड़ी आकर रुकी है. शिवानी के पापा कुछ समझ पाते कि कौन आया है, उससे पहले कार में से लखनपुर के जमींदार दशरथ सिंह चौहान और उनकी पत्नी सुनीता उतरकर शिवानी के घर में आ गए.

शिवानी के पापा ने उनका स्वागत करते हुए कुछ पूछने की कोशिश की तो उन्होंने खुद ही अपना परिचय देना शुरू कर दिया : मैं पास के गांव लखनपुर का जमींदार दशरथ सिंह चौहान और यह मेरी धर्मपत्नी सुनीता हैं. आपकी बेटी और मेरा बेटा गौरव  एक ही कालेज में पढ़ते थे. बेटे ने आपकी बेटी की काफी तारीफ की है. मैं अपने बड़े बेटे विवेक के लिए आपकी  सुपुत्री का हाथ मांगने आया हूँ.

शिवानी के मम्मी पापा को मानो फूले नहीं समा रहे थे. जमींदार साहब खुद उनकी लड़की का हाथ अपने बड़े बेटे के लिए मांगने आये थे. चाय नाश्ता आदि करने के बाद शिवानी की शादी की बात उसी समय तय कर दी गयी और अगले एक हफ्ते बाद का शादी का मुहूर्त भी निकालकर चट मँगनी पट ब्याह कर दिया गया और शिवानी अपने शहर से गाँव की हवेली में नयी दुल्हन बनकर आ गयी. शादी के दौरान ही उसे यह मालूम पड़ा कि जिस गौरव को उसने कालेज में थप्पड़ लगाया था, वह उसके पति विवेक का छोटा भाई और शिवानी का देवर है.

हवेली में दो मंजिलें थीं और निचली मंज़िल पर एक बड़ा सा ड्राइंग रूम और चार कमरे थे. पहली मंज़िल पर भी पांच कमरे थे.

जमींदार साहब और उनकी पत्नी निचली मंज़िल पर ही रहते थे और उनके दोनों बेटे पहली मंज़िल के एक एक कमरे में रहते थे. बाकी के कमरे आम तौर पर बंद रहते थे और किसी मेहमान के आने पर उन्हें खोला जाता था.

शिवानी और विवेक पहली मंज़िल के एक बड़े कमरे के आ गए थे. उनके कमरे से साथ वाले कमरे में गौरव रहता था.

शिवानी और विवेक की शादी हुए लगभग एक महीना हो चुका था. गौरव ने एक साज़िश के तहत शिवानी की शादी अपने बड़े भाई से करवाने के लिए अपने मम्मी पापा और बड़े भाई पर यह कहकर दबाब बनाया था कि घर में पढ़ी लिखी सुशील बहू आ जाने से घर में रौनक बढ़ जाएगी और क्योंकि शिवानी लोअर मिडिल क्लास फ़ैमिली से है, वह ज्यादा नखरे किये बिना घर के नियम कायदों को स्वीकार भी कर लेगी. सबको गौरव की यह बात जँच गयी थी और इस तरह यह शादी हो गयी थी.

शिवानी ने यहां आने के बाद यह नोटिस किया था कि जहां उसका पति विवेक काफी सौम्य और सीधा सादा है, उसका देवर गौरव उसके उलट एकदम दबंग, रौबीला और कड़क है

एक दिन जब विवेक और उसके मम्मी पापा  किसी काम से घर से बाहर गए हुए थे  और हवेली में सिर्फ गौरव और शिवानी ही अकेले थे ,गौरव ने शिवानी को आवाज़ देकर अपने कमरे में बुलाया : इधर आओ शिवानी. ( गौरव हुए शिवानी लगभग एक ही आयु के थे और एक साथ कालेज में पढ़ भी चुके थे इसलिए गौरव उसे भाभी न कहकर उसके नाम से ही बुलाता था.)

शिवानी उसकी रौबीली कड़क आवाज़ को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकी और उसके कमरे में पहुँच गयी

शिवानी को देखकर गौरव कड़क आवाज़ में उससे बोला : जाओ मेरे लिए एक ग्लास पानी लेकर आओ

शेष अगले भाग में .............
thanks  welcome to my Thread containing Sex stories based on Humiliation, Blackmail & BDSM

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है 

जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा 



[+] 3 users Like Hot_Guy's post
Like Reply
#9
Great story
[+] 1 user Likes joy2008's post
Like Reply
#10
Hope this will have force blackmail humiliation
[+] 1 user Likes joy2008's post
Like Reply
#11
(13-03-2022, 06:17 PM)joy2008 Wrote: Hope this will have force blackmail humiliation

This will have everything
thanks  welcome to my Thread containing Sex stories based on Humiliation, Blackmail & BDSM

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है 

जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा 



[+] 1 user Likes Hot_Guy's post
Like Reply
#12
Please Write in hinglish
Like Reply
#13
Very interesting plot. Please ensure
[+] 1 user Likes joy2008's post
Like Reply
#14
Please update
[+] 1 user Likes joy2008's post
Like Reply
#15
(13-03-2022, 04:44 PM)Hot_Guy Wrote: PART-1

आगरा के पास एक गाँव लखनपुर के जमींदार दशरथ सिंह चौहान अपनी पत्नी सुनीता और दो बेटों के साथ रहते थे.

बड़ा बेटा विवेक पिता के जमींदारी और खेती बाड़ी के काम काज में अपना हाथ बंटाता था और दूसरा बेटा गौरव अभी अभी आगरा से बी कॉम की पढाई पूरी करके वापस लौटा था. जबसे गौरव अपनी पढाई पूरी करके वापस आया था, जमींदार साहब ने हिसाब किताब का काम गौरव के जिम्मे लगा दिया था और गाँव में बाहर जाकर जमींदारी और खेती बाड़ी के कामकाज के देखभाल की जिम्मेदारी बड़े बेटे विवेक को सौंप दी थी.

कहानी की शुरुआत आगरा के डिग्री कालेज से होती है जहां गौरव अपनी बी कॉम की पढाई कर रहा था और वहीं पर आगरा की ही रहने वाली एक बेहद खूबसूरत लड़की शिवानी अंग्रेजी के बी ए की पढाई कर रही थी.

शिवानी हालांकि एक बेहद मामूली मध्यम वर्ग परिवार से आती थी लेकिन वह गज़ब की खूबसूरत थी और पूरे कालेज के लड़के उसके दीवाने हुए रहते थे. लेकिन वह किसी को भी भाव नहीं देती थी. उसका इरादा किसी तरह अपनी पढाई पूरी करके किसी सरकारी नौकरी को ज्वाइन करना था ताकि वह अपने परिवार की चिंता को कुछ कम कर सके. उसकी एक छोटी बहन रवीना भी थी जो इस समय 12 वीं क्लास में पढ़ रही थी.

गौरव रोजाना अपने गान से कालेज तक अपनी बाइक से आता जाता था क्योंकि उसके गाँव से कालेज महज़ 15 किलोमीटर की दूरी पर था.

गौरव पढाई लिखे में कोई बहुत बढ़िया नहीं था और बड़ी मुश्किल से जैसे तैसे करके पास हुआ था. उसे कोई नौकरी चाकरी तो करनी नहीं थी बस पिताजी की जमींदारी के कामकाज को ही आगे बढ़ाना था लिहाज़ा उसका ध्यान पढाई लिखाई में काम और कालेज की लड़कियों पर ज्यादा लगा रहता था.

गौरव के साथ उसके 4 दोस्त भी हर समय उसके साथ ही उसकी चापलूसी में लगे रहते थे क्योंकि गौरव जमींदार साहब का बेटा था और वह उन दोस्तों को खिलाता पिलाता रहता था -इसके बदले में वे चारों दोस्त अमित, मोहित, रोहित और पुनीत हर समय उसकी चापलूसी में लगे रहकर कालेज में आती जाती लड़कियों को यह कहकर तंग करते रहते थे कि गौरव जमींदार साहब का बेटा है- जो लड़की उससे दोस्ती करके उसकी बात मान लेगी उसकी लाइफ बन जाएगी.

कालेज में ज्यादातर लडकियां आगरा शहर की ही थीं और इसलिए वह गाँव के गौरव और उसके दोस्तों को ज्यादा भाव नहीं देती थीं.

एक दिन गौरव ने शिवानी को कालेज की कैंटीन से बहार आते हुए देखकर अपने दोस्तों से कहा : यह लड़की बहुत सेक्सी माल है और इसे मैं किसी न किसी तरह अपने चक्कर में फंसाकर ही मानूंगा

उसके चापलूस दोस्तों ने फौरन उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए , अपनी तरफ से गुजरती हुई शिवानी का रास्ता रोककर उससे कहा : कहाँ जा रही है मेरी जान. देख नहीं रही कि जमींदार साहब के बेटे गौरव जी को तेरी खूबसूरती भा गयी है -तू जल्दी से मान जा और उनसे दोस्ती कर ले-तेरी तो लाइफ सेट हो जाएगी

शिवानी उन लोगों की बातों को अनसुना करती हुई जैसे ही आगे बढ़ने लगी, गौरव ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींचते हुए बोला : आजा मेरी जान चल तुझे सिनेमा दिखाने ले चलता हूँ -हाल में ही फिल्म देखते हुए हम दोनों मस्ती भी कर लेंगे.

शिवानी ने गुस्से से अपना हाथ छुड़ाया और एक थप्पड़ गौरव के गाल पर रसीद करते हुए बोली : तुम जैसे आवारा लोफर लोगों के मैं मुंह नहीं लगना चाहती-तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई कि मुझे इसे तरह से अपनी तरफ खींचकर इतनी बेहूदगी भरी बातें करो.

गौरव के गाल पर जैसे ही शिवानी ने थपप्ड़ लगाया, वह एकदम सकते में आ गया. बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद गौरव अपनी हेकड़ी में रहता था लेकिन उसे एक मामूली मिडिल क्लास फ़ैमिली की लड़की ने चार दोस्तों के सामने थपप्ड़ लगा दिया -इससे पहले कि वह इस थप्पड़ का कोई जबाब दे पाता, उसने देखा कि सामने से कालेज के प्रिंसिपल कुछ प्रोफेसरों के साथ उस तरफ ही आ रहे थे. उन सबको देखकर गौरव और उसके चारों दोस्त वहां से फटाफट रवाना हो गए और शिवानी भी वहां से चली गयी.

उस दिन के बाद से गौरव ने मन ही मन यह तय कर लिया कि किसी न किसी तरह इस घमंडी लड़की को वह अपने जाल में जरूर फँसायेगा और अपनी इस बेइज़्ज़ती का बदला लेगा.

वार्षिक परीक्षाओं के बाद कालेज की छुट्टियां हो गयीं थीं. छुट्टियों के बीच ही शिवानी और गौरव दोनों का रिजल्ट भी आ गया था और वे दोनों ही अपनी अपनी फाइनल ईयर की परीक्षा में पास हो गए थे.

एक दिन शिवानी अपने घर में बैठी हुई थी . अचानक उसने देखा कि उसके घर के आगे कोई बड़ी सी गाड़ी आकर रुकी है. शिवानी के पापा कुछ समझ पाते कि कौन आया है, उससे पहले कार में से लखनपुर के जमींदार दशरथ सिंह चौहान और उनकी पत्नी सुनीता उतरकर शिवानी के घर में आ गए.

शिवानी के पापा ने उनका स्वागत करते हुए कुछ पूछने की कोशिश की तो उन्होंने खुद ही अपना परिचय देना शुरू कर दिया : मैं पास के गांव लखनपुर का जमींदार दशरथ सिंह चौहान और यह मेरी धर्मपत्नी सुनीता हैं. आपकी बेटी और मेरा बेटा गौरव  एक ही कालेज में पढ़ते थे. बेटे ने आपकी बेटी की काफी तारीफ की है. मैं अपने बड़े बेटे विवेक के लिए आपकी  सुपुत्री का हाथ मांगने आया हूँ.

शिवानी के मम्मी पापा को मानो फूले नहीं समा रहे थे. जमींदार साहब खुद उनकी लड़की का हाथ अपने बड़े बेटे के लिए मांगने आये थे. चाय नाश्ता आदि करने के बाद शिवानी की शादी की बात उसी समय तय कर दी गयी और अगले एक हफ्ते बाद का शादी का मुहूर्त भी निकालकर चट मँगनी पट ब्याह कर दिया गया और शिवानी अपने शहर से गाँव की हवेली में नयी दुल्हन बनकर आ गयी. शादी के दौरान ही उसे यह मालूम पड़ा कि जिस गौरव को उसने कालेज में थप्पड़ लगाया था, वह उसके पति विवेक का छोटा भाई और शिवानी का देवर है.

हवेली में दो मंजिलें थीं और निचली मंज़िल पर एक बड़ा सा ड्राइंग रूम और चार कमरे थे. पहली मंज़िल पर भी पांच कमरे थे.

जमींदार साहब और उनकी पत्नी निचली मंज़िल पर ही रहते थे और उनके दोनों बेटे पहली मंज़िल के एक एक कमरे में रहते थे. बाकी के कमरे आम तौर पर बंद रहते थे और किसी मेहमान के आने पर उन्हें खोला जाता था.

शिवानी और विवेक पहली मंज़िल के एक बड़े कमरे के आ गए थे. उनके कमरे से साथ वाले कमरे में गौरव रहता था.

शिवानी और विवेक की शादी हुए लगभग एक महीना हो चुका था. गौरव ने एक साज़िश के तहत शिवानी की शादी अपने बड़े भाई से करवाने के लिए अपने मम्मी पापा और बड़े भाई पर यह कहकर दबाब बनाया था कि घर में पढ़ी लिखी सुशील बहू आ जाने से घर में रौनक बढ़ जाएगी और क्योंकि शिवानी लोअर मिडिल क्लास फ़ैमिली से है, वह ज्यादा नखरे किये बिना घर के नियम कायदों को स्वीकार भी कर लेगी. सबको गौरव की यह बात जँच गयी थी और इस तरह यह शादी हो गयी थी.

शिवानी ने यहां आने के बाद यह नोटिस किया था कि जहां उसका पति विवेक काफी सौम्य और सीधा सादा है, उसका देवर गौरव उसके उलट एकदम दबंग, रौबीला और कड़क है

एक दिन जब विवेक और उसके मम्मी पापा  किसी काम से घर से बाहर गए हुए थे  और हवेली में सिर्फ गौरव और शिवानी ही अकेले थे ,गौरव ने शिवानी को आवाज़ देकर अपने कमरे में बुलाया : इधर आओ शिवानी. ( गौरव हुए शिवानी लगभग एक ही आयु के थे और एक साथ कालेज में पढ़ भी चुके थे इसलिए गौरव उसे भाभी न कहकर उसके नाम से ही बुलाता था.)

शिवानी उसकी रौबीली कड़क आवाज़ को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकी और उसके कमरे में पहुँच गयी

शिवानी को देखकर गौरव कड़क आवाज़ में उससे बोला : जाओ मेरे लिए एक ग्लास पानी लेकर आओ

शेष अगले भाग में .............

 Bade bhai

Kahani badi interesting.   Hai

Bahut sundar likha hai aapne

Agle update ki jald aasha me
Like Reply
#16
(13-03-2022, 10:54 PM)Johnnn63 Wrote: Please Write in hinglish

This story will be in Hindi and not in Hinglish as few readers have already requested me that they find it very difficult and irritating to read HINGLISH
thanks  welcome to my Thread containing Sex stories based on Humiliation, Blackmail & BDSM

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है 

जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा 



[+] 1 user Likes Hot_Guy's post
Like Reply
#17
(14-03-2022, 10:04 AM)Hot_Guy Wrote: This story will be in Hindi and not in Hinglish as few readers have already requested me that they find it very difficult and irritating to read HINGLISH

Bade bhai

Jaisa aapka man kare waisa likhe

Aapki kahani bahut sundar hai

Jald update ki aasha me
Like Reply
#18
PART-2

शिवानी जल्द ही पानी का गिलास लेकर गौरव के कमरे में पहुँच गयी

शिवानी ने इस समय हलके नीले रंग की साड़ी पहने हुई थी

गौरव टी शर्ट और जींस पहने हुए सोफे पर एक पैर दूसरे पैर पर रखा बैठा हुआ था

उसने शिवानी के हाथ से गिलास ले लिया और पानी पीने लगा

शिवानी पानी देकर वापस जाने लगी तो गौरव कड़क आवाज़ में बोला : यहीं खड़ी रहो. लगता है तुम्हे इस घर में रहने के तौर-तरीके मुझे ही समझाने पड़ेंगे

शिवानी उसकी रौबीली आवाज़ सुनकर एकदम रुक गयी और बोली : कैसे तौर तरीके ?

गौरव अब हल्के हल्के  मुस्कराते हुए बोला : पहले तो यह समझ लो कि इस घर में मर्दों की बात फाइनल होती है और घर की औरतों को वही सब कुछ करना होता है जो उनसे करने के लिए कहा जाए जब मेरे पास पानी लेकर आयी हो तो यहां तब तक खड़ी रहो जब तक मैं तुमसे जाने के लिए न कहूँ -समझी कि नहीं ?

शिवानी हालांकि गौरव की इस दबंगई से काफी सहम गयी थी लेकिन फिर भी उसने इसका विरोध करते हुए कहा : मुझे क्या तुम लोगों ने अनपढ़ गंवार औरत समझा हुआ है जो मैं तुम्हारे इशारों पर नाचूंगी-आगे से मुझसे इस तरह से बात करने की जरूरत नहीं है- जिस तरह इशारों पर नाचने वाली औरत तुम्हे चाहिए तो तुम खुद अपनी शादी किसी ऐसी लड़की से कर लो जो तुम्हारे इशारों पर नाचती रहे.

गौरव : तेरी जुबान ज्यादा चलने लगी है -हमारे घर में औरतों को मर्दों से ऊंची आवाज़ में बात करने की इज़ाज़त नहीं है -रही बात तुझे इशारों पर नचाने की तो यह समझ ले कि तुझे न सिर्फ इशारों पर नाचना होगा बल्कि मैं जब चाहूँ और जैसे चाहूँ वैसे मुजरा भी करना होगा

इससे पहले शिवानी कुछ और बोल पाती, दरवाज़े पर घंटी बजने लगी और गौरव उससे बोला : चल अब जाकर  दरवाज़ा खोल-लगता है भैया और मम्मी-पापा वापस आ गए हैं-तेरी खबर अब मैं बाद में लूँगा

शिवानी वहां से दरवाज़ा खोलने आ गयी और उसके बाद अपने पति विवेक को लेकर अपने कमरे में आ गयी -उसके मन में लगातार गौरव की कही हुए बातें चल रही थीं और वह इस उधेड़बुन में थी कि वह गौरव की उन बदतमीजियों को विवेक को बताये कि न बताये.

दोपहर को खाने के वक्त सब लोग एक साथ टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे. किचिन में खाना बनाने का काम हालांकि मेड करती थी लेकिन खाना परोसने का काम  सुनीता देवी और अब  शिवानी के जिम्मे आ गया था

शिवानी ने सुनीता देवी से कहा : मम्मी आप भी टेबल पर आकर खाना खाओ. खाना परोसने के काम मैं अकेले ही कर लूंगी

इसके बाद सुनीता देवी भी गौरव,विवेक और अपने पति के साथ खाना खाने बैठ गयीं

गौरव ने खाना खाते खाते अचानक यह नोटिस किया कि टेबल पर पानी नहीं रखा है. उसने तुरंत शिवानी को आवाज़ लगाते हुए कहा : भाभी, पानी देना -बहुत मिर्च लगी है

कुछ देर बाद शिवानी पानी लेकर आ गयी

गौरव ने शिवानी के हाथ से गिलास पकड़ते हुए उसे जमीन पर गिरा दिया और गुस्से में बोला : तुमसे कोई भी काम ढंग से नहीं होता है-जाओ अब पोछा लेकर आओ और फर्श पर पोछा लगाओ

शिवानी हालांकि यह समझ गयी थी कि गौरव ने जान बूझकर पानी का गिलास नीचे गिराया है लेकिन वह कुछ बोले बिना अपने पति विवेक की तरफ देखती हुई किचिन में चली गयी

इतनी देर में विवेक और उसके मम्मी पापा खाना खाकर टेबल से उठ चुके थे लेकिन गौरव अभी भी टेबल पर ही बैठा हुआ था

शिवानी पोछा लेकर वापस आयी और फर्श पर नीचे बैठकर पोछा लगाने लगी. घर में पोछा लगाने का काम वैसे तो सुबह सुबह मेड करती है लेकिन इस समय तो मेड जा चुकी थी

पोछा लगाते लगाते बार बार शिवानी की साड़ी का पल्लू नीचे गिर रहा था और गौरव को शिवानी के डीप कट ब्लाउज में से उसके मस्त मस्त मम्मे साफ़ नज़र आ रहे थे

शिवानी पोछा लगाकर उठने लगी तो गौरव ने उसे रोक दिया : उठो मत-मेरे पैरों पर भी पानी गिरा है-उन्हें भी साफ़ करो

शिवानी ने आस पास देखा कि वहां कोई और तो नहीं है और अपने हाथ में लिए पोछे से वह गौरव के पैरों को भी साफ़ करने लगी

गौरव ने शिवानी की तरफ हँसते हुए देखा और बोला : तुम्हारी असली जगह यहीं पर है-मेरे पैरों में. जितनी जल्दी तुम्हे यह बात समझ आ जाएगी उतना ही तुम्हारे लिए बेहतर होगा. चलो अब उठ जाओ और खाना खा लो

यह कहकर गौरव अपने कमरे की तरफ चला गया

खाना खाते खाते शिवानी के मन में तरह तरह के विचार आ रहे थे और जिस तरह से उसके साथ घटनाएं हो रही थीं, उसे गौरव की कही गयी बातें ध्यान आ रही थीं कि इस घर में सिर्फ मर्दों की चलती है और औरतों को सिर्फ उनका कहा मानना होता है. उसे ध्यान आने लगा कि जब से वह इस घर में आयी है, उसे सबसे ज्यादा डर गौरव से ही लगता है क्योंकि वह हमेशा ही उसे ज़लील करने की कोशिश में लगा रहता है-आज उसने सोचा कि वह इस बारे से खुलकर अपने पति विवेक से बात करेगी ताकि रोज रोज का यह झगड़ा हमेशा के लिए बंद हो सके.

शेष अगले भाग में ............
thanks  welcome to my Thread containing Sex stories based on Humiliation, Blackmail & BDSM

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है 

जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा 



[+] 4 users Like Hot_Guy's post
Like Reply
#19
kahani ki bahut shandaar shuruaat

lagta hai kahani me age bahut maza aane waalaa hai

waiting for update
[+] 1 user Likes PATRIOT's post
Like Reply
#20
(14-03-2022, 11:10 AM)Hot_Guy Wrote: PART-2

शिवानी जल्द ही पानी का गिलास लेकर गौरव के कमरे में पहुँच गयी

शिवानी ने इस समय हलके नीले रंग की साड़ी पहने हुई थी

गौरव टी शर्ट और जींस पहने हुए सोफे पर एक पैर दूसरे पैर पर रखा बैठा हुआ था

उसने शिवानी के हाथ से गिलास ले लिया और पानी पीने लगा

शिवानी पानी देकर वापस जाने लगी तो गौरव कड़क आवाज़ में बोला : यहीं खड़ी रहो. लगता है तुम्हे इस घर में रहने के तौर-तरीके मुझे ही समझाने पड़ेंगे

शिवानी उसकी रौबीली आवाज़ सुनकर एकदम रुक गयी और बोली : कैसे तौर तरीके ?

गौरव अब हल्के हल्के  मुस्कराते हुए बोला : पहले तो यह समझ लो कि इस घर में मर्दों की बात फाइनल होती है और घर की औरतों को वही सब कुछ करना होता है जो उनसे करने के लिए कहा जाए जब मेरे पास पानी लेकर आयी हो तो यहां तब तक खड़ी रहो जब तक मैं तुमसे जाने के लिए न कहूँ -समझी कि नहीं ?

शिवानी हालांकि गौरव की इस दबंगई से काफी सहम गयी थी लेकिन फिर भी उसने इसका विरोध करते हुए कहा : मुझे क्या तुम लोगों ने अनपढ़ गंवार औरत समझा हुआ है जो मैं तुम्हारे इशारों पर नाचूंगी-आगे से मुझसे इस तरह से बात करने की जरूरत नहीं है- जिस तरह इशारों पर नाचने वाली औरत तुम्हे चाहिए तो तुम खुद अपनी शादी किसी ऐसी लड़की से कर लो जो तुम्हारे इशारों पर नाचती रहे.

गौरव : तेरी जुबान ज्यादा चलने लगी है -हमारे घर में औरतों को मर्दों से ऊंची आवाज़ में बात करने की इज़ाज़त नहीं है -रही बात तुझे इशारों पर नचाने की तो यह समझ ले कि तुझे न सिर्फ इशारों पर नाचना होगा बल्कि मैं जब चाहूँ और जैसे चाहूँ वैसे मुजरा भी करना होगा

इससे पहले शिवानी कुछ और बोल पाती, दरवाज़े पर घंटी बजने लगी और गौरव उससे बोला : चल अब जाकर  दरवाज़ा खोल-लगता है भैया और मम्मी-पापा वापस आ गए हैं-तेरी खबर अब मैं बाद में लूँगा

शिवानी वहां से दरवाज़ा खोलने आ गयी और उसके बाद अपने पति विवेक को लेकर अपने कमरे में आ गयी -उसके मन में लगातार गौरव की कही हुए बातें चल रही थीं और वह इस उधेड़बुन में थी कि वह गौरव की उन बदतमीजियों को विवेक को बताये कि न बताये.

दोपहर को खाने के वक्त सब लोग एक साथ टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे. किचिन में खाना बनाने का काम हालांकि मेड करती थी लेकिन खाना परोसने का काम  सुनीता देवी और अब  शिवानी के जिम्मे आ गया था

शिवानी ने सुनीता देवी से कहा : मम्मी आप भी टेबल पर आकर खाना खाओ. खाना परोसने के काम मैं अकेले ही कर लूंगी

इसके बाद सुनीता देवी भी गौरव,विवेक और अपने पति के साथ खाना खाने बैठ गयीं

गौरव ने खाना खाते खाते अचानक यह नोटिस किया कि टेबल पर पानी नहीं रखा है. उसने तुरंत शिवानी को आवाज़ लगाते हुए कहा : भाभी, पानी देना -बहुत मिर्च लगी है

कुछ देर बाद शिवानी पानी लेकर आ गयी

गौरव ने शिवानी के हाथ से गिलास पकड़ते हुए उसे जमीन पर गिरा दिया और गुस्से में बोला : तुमसे कोई भी काम ढंग से नहीं होता है-जाओ अब पोछा लेकर आओ और फर्श पर पोछा लगाओ

शिवानी हालांकि यह समझ गयी थी कि गौरव ने जान बूझकर पानी का गिलास नीचे गिराया है लेकिन वह कुछ बोले बिना अपने पति विवेक की तरफ देखती हुई किचिन में चली गयी

इतनी देर में विवेक और उसके मम्मी पापा खाना खाकर टेबल से उठ चुके थे लेकिन गौरव अभी भी टेबल पर ही बैठा हुआ था

शिवानी पोछा लेकर वापस आयी और फर्श पर नीचे बैठकर पोछा लगाने लगी. घर में पोछा लगाने का काम वैसे तो सुबह सुबह मेड करती है लेकिन इस समय तो मेड जा चुकी थी

पोछा लगाते लगाते बार बार शिवानी की साड़ी का पल्लू नीचे गिर रहा था और गौरव को शिवानी के डीप कट ब्लाउज में से उसके मस्त मस्त मम्मे साफ़ नज़र आ रहे थे

शिवानी पोछा लगाकर उठने लगी तो गौरव ने उसे रोक दिया : उठो मत-मेरे पैरों पर भी पानी गिरा है-उन्हें भी साफ़ करो

शिवानी ने आस पास देखा कि वहां कोई और तो नहीं है और अपने हाथ में लिए पोछे से वह गौरव के पैरों को भी साफ़ करने लगी

गौरव ने शिवानी की तरफ हँसते हुए देखा और बोला : तुम्हारी असली जगह यहीं पर है-मेरे पैरों में. जितनी जल्दी तुम्हे यह बात समझ आ जाएगी उतना ही तुम्हारे लिए बेहतर होगा. चलो अब उठ जाओ और खाना खा लो

यह कहकर गौरव अपने कमरे की तरफ चला गया

खाना खाते खाते शिवानी के मन में तरह तरह के विचार आ रहे थे और जिस तरह से उसके साथ घटनाएं हो रही थीं, उसे गौरव की कही गयी बातें ध्यान आ रही थीं कि इस घर में सिर्फ मर्दों की चलती है और औरतों को सिर्फ उनका कहा मानना होता है. उसे ध्यान आने लगा कि जब से वह इस घर में आयी है, उसे सबसे ज्यादा डर गौरव से ही लगता है क्योंकि वह हमेशा ही उसे ज़लील करने की कोशिश में लगा रहता है-आज उसने सोचा कि वह इस बारे से खुलकर अपने पति विवेक से बात करेगी ताकि रोज रोज का यह झगड़ा हमेशा के लिए बंद हो सके.

शेष अगले भाग में ............

Kya Sundar update diya hai aapne

Bahut achcha update tha

Aise hee update dete raho bhai

Dhanyvaad itni achhi Sundar kahani likhne ke liye aur bahut jaldi update Dene ke liye

Agle update ki jald aasha me
Like Reply




Users browsing this thread: 1 Guest(s)