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Romance क्या सच्चा था विधि के लिए जौन का प्यार
#1
विधि के लिए जान का प्यार
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
वह आज भी वहीं खड़ी है. जैसे वक्त थम गया है. 10 वर्ष कैसे बीत जाते हैं…? वही गांव, वही शहर, वही लोग…यहां तक कि फूल और पत्तियां तक नहीं बदले. ट्यूलिप्स, सफेद डेजी, जरेनियम, लाल और पीले गुलाब सभी उस की तरफ ठीक वैसे ही देखते हैं जैसे उस की निगाह को पहचानते हों. चौश्चर काउंटी के एक छोटे से गांव नैनटविच तक सिमट कर रह गई उस की जिंदगी. अपनी आरामकुरसी पर बैठ वह उन फूलों का पूरा जीवन अपनी आंखों से जी लेती है. वसंत से पतझड़ तक पूरी यात्रा. हर ऋतु के साथ उस के चेहरे के भाव भी बदल जाते हैं, कभी उदासी, कभी मुसकराहट. उदासी अपने प्यार को खोने की, मुसकराहट उस के साथ समय व्यतीत करने की. उसे पूरी तरह से यकीन हो गया था कि सभी के जीवन का लेखाजोखा प्रकृति के हाथ में ही है. समय के साथसाथ वह सब के जीवन की गुत्थियां सुलझाती जाती है. वह संतुष्ट थी. बेशक, प्रकृति ने उसे, क्वान्टिटी औफ लाइफ न दी हो किंतु क्वालिटी औफ लाइफ तो दी ही थी, जिस के हर लमहे का आनंद वह जीवनभर उठा सकेगी.
यह भी तो संयोग की ही बात थी, तलाक के बाद जब वह बुरे वक्त से निकल रही थी, उस की बड़ी बहन ने उसे छुट्टियों में लंदन बुला लिया था. उस की दुखदाई यादों से दूर नए वातावरण में, जहां उस का मन दूसरी ओर चला जाए. 2 महीने बाद लंदन से वापसी के वक्त हवाईजहाज में उस के साथ वाली कुरसी पर बैठे जौन से उस की मुलाकात हुई. बातोंबातों में जौन ने बताया कि रिटायरमैंट के बाद वे भारत घूमने जा रहे हैं. वहां उन का बचपन गुजरा था. उन के पिता ब्रिटिश आर्मी में थे. 10 वर्ष पहले उन की पत्नी का देहांत हो गया. तीनों बच्चे शादीशुदा हैं. अब उन के पास समय ही समय है. भारत से उन का आत्मीय संबंध है. मरने से पहले वे अपना जन्मस्थान देखना चाहते हैं, यह उन की हार्दिक इच्छा है. उन्होंने फिर उस से पूछा, ‘‘और तुम?’’
‘‘मैं भारत में ही रहती हूं. छुट्टियों में लंदन आई थी.’’
‘‘मैं भारत घूमना चाहता हूं. अगर किसी गाइड का प्रबंध हो जाए तो मैं आप का आभारी रहूंगा,’’ जौन ने निवेदन करते कहा.

‘‘भाइयों से पूछ कर फोन कर दूंगी,’’ विधि ने आश्वासन दिया. बातोंबातों में 8 घंटे का सफर न जाने कैसे बीत गया. एकदूसरे से विदा लेते समय दोनों ने टैलीफोन नंबर का आदानप्रदान किया. दूसरे दिन अचानक जौन सीधे विधि के घर पहुंच गए. 6 फुट लंबी देह, कायदे से पहनी गई विदेशी वेशभूषा, काला ब्लेजर और दर्पण से चमकते जूते पहने अंगरेज को देख कर सभी चकित रह गए. विधि ने भाइयों से उस का परिचय करवाते कहा, ‘‘भैया, ये जौन हैं, जिन्हें भारत में घूमने के लिए गाइड चाहिए.’’
‘‘गाइड? गाइड तो कोई है नहीं ध्यान में.’’
‘‘विधि, तुम क्यों नहीं चल पड़ती?’’ जौन ने सुझाव दिया. प्रश्न बहुत कठिन था. विधि सोच में पड़ गई. इतने में विधि का छोटा भाई सन्नी बोला, ‘‘हांहां, दीदी, हर्ज की क्या बात है.’’
‘‘थैंक्यू सन्नी, वंडरफुल आइडिया. विधि से अधिक बुद्धिमान गाइड कहां मिल सकता है,’’ जौन ने कहा. 2 सप्ताह तक दक्षिण भारत के सभी पर्यटन स्थलों को देखने के बाद दोनों दिल्ली पहुंचे. उस के एक सप्ताह बाद जौन की वापसी थी. जाने से पहले तकरीबन रोज मुलाकात हो जाती. किसी कारणवश जौन की विधि से बात न हो पाती तो वह अधीर हो उठता. उस की बहुमुखी प्रतिभा पर जौन मरमिटा था. वह गुणवान, स्वाभिमानी, साहसी और खरा सोना थी. विधि भी जौन के रंगीले, सजीले, जिंदादिल व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हुई. उस की उम्र के बारे में सोच कर रह जाती. जौन 60 वर्ष पार कर चुका था. विधि ने अभी 35 वर्ष ही पूरे किए थे. लंदन लौटने से 2 दिन पहले, शाम को टहलतेटहलते भरे बाजार में घुटनों के बल बैठ कर जौन ने अपने मन की बात विधि से कह डाली, ‘‘विधि, जब से तुम से मिला हूं, मेरा चैन खो गया है. न जाने तुम में ऐसा कौन सा आकर्षण है कि मैं इस उम्र में भी बरबस तुम्हारी ओर खिंचा आया हूं.’’ इस के बाद जौन ने विधि की ओर अंगूठी बढ़ाते हुए प्रस्ताव रखा, ‘‘विधि, क्या तुम मुझ से शादी करोगी?’’
विधि निशब्द और स्तब्ध सी रह गई. यह तो उस ने कभी नहीं सोचा था. कहते हैं न, जो कभी खयालों में हमें छू कर भी नहीं गुजरता, वो, पल में सामने आ खड़ा होता है. कुछ पल ठहर कर विधि ने एक ही सांस में कह डाला, ‘‘नहींनहीं, यह नहीं हो सकता. हम एकदूसरे के बारे में जानते ही कितना हैं, और तुम जानते भी हो कि तुम क्या कह रहे हो?’’ ‘‘हांहां, भली प्रकार से जानता हूं, क्या कह रहा हूं. तुम बताओ, बात क्या है? मैं तुम्हारे संग जीवन बिताना चाहता हूं.’’ विधि चुप रही.
जौन ने परिस्थिति को भांपते कहा, ‘‘यू टेक योर टाइम, कोई जल्दी नहीं है.’’ 2 दिनों बाद जौन तो चला गया किंतु उस के इस दुर्लभ प्रश्न से विधि दुविधा में थी. मन में उठते तरहतरह के सवालों से जूझती रही, ‘कब तक रहेगी भाईभाभियों की छत्रछाया में? तलाकशुदा की तख्ती के साथ क्या समाज तुझे चैन से जीने देगा? कौन होगा तेरे दुखसुख का साथी? क्या होगा तेरा अस्तित्व? क्या उत्तर देगी जब लोग पूछेंगे इतने बूढ़े से शादी की है? कोई और नहीं मिला क्या?’ इन्हीं उलझनों में समय निकलता गया. समय थोड़े ही ठहर पाया है किसी के लिए. दोनों की कभीकभी फोन पर बात हो जाती थी एक दोस्त की तरह. कालेज में भी खोईखोई रहती. एक दिन उस की सहेली रेणु ने उस से पूछ ही लिया, ‘‘विधि, जौन के जाने के बाद तू तो गुमसुम ही हो गई. बात क्या है?’’
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
‘जाने से पहले जौन ने मेरे सामने विवाह का प्रस्ताव रखा था.’’
‘‘पगली…बात तो गंभीर है पर गौर करने वाली है. भारतीय पुरुषों की मनोवृत्ति तो तू जान ही चुकी है. अगर यहां कोई मिला तो उम्रभर उस के एहसानों के नीचे दबी रहेगी. उस के बच्चे भी तुझे स्वीकार नहीं करेंगे.
जौन की आंखों में मैं ने तेरे लिए प्यार देखा है. तुझे चाहता है. उस ने खुद अपना हाथ आगे बढ़ाया है. अपना ले उसे. हटा दे जीवन से यह तलाक की तख्ती. तू कर सकती है. हम सब जानते हैं कि बड़ी हिम्मत से तू ने समाज की छींटाकशी की परवा न करते हुए अपने पंथ से जरा भी विचलित नहीं हुई. समाज में अपना एक स्थान बनाया है. अब नए रिश्ते को जोड़ने से क्यों हिचकिचा रही है. आगे बढ़. खुशियों ने तुझे आमंत्रण दिया है. ठुकरा मत, औरत को भी हक है अपनी जिंदगी बदलने का. बदल दे अपनी जिंदगी की दिशा और दशा,’’ रेणु ने समझाते हुए कहा. ‘‘क्या करूं, अपनी दुविधाओं के क्रौसरोड पर खड़ी हूं. वैसे भी, मैं ने तो ‘न’ कर दी है,’’ विधि ने कहा. ‘‘न कर दी है, तो हां भी की जा सकती है. तेरा भी कुछ समझ में नहीं आता. एक तरफ कहती है, जौन बड़ा अलग सा है. मेरी बेमानी जरूरतों का भी खयाल रखता है. बड़ी ललक से बात करता है. छोटीछोटी शरारतों से दिल को उमंगों से भर देता है. मुझे चहकती देख कर खुशी से बेहाल हो जाता है. मेरे रंगों को पहचानने लगा है. तो फिर झिझक क्यों रही है?’’
‘‘उम्र देखी है? 60 वर्ष पार कर चुका है. सोच कर डर लगता है, क्या वह वैवाहिक सुख दे पाएगा मुझे?’’ ‘‘आजमा कर देख लेती? मजाक कर रही हूं. यह समय पर छोड़ दे. यह सोच कि तेरी आर्थिक, सामाजिक, शारीरिक सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा. तेरा अपना घर होगा जहां तू राज करेगी. ठंडे दिमाग से सोचना…’’ ‘‘डर लगता है कहीं विदेशी चेहरों की भीड़ में खो तो नहीं जाऊंगी. धर्म, सोच, संस्कृति, सभ्यता, कुछ भी तो नहीं है एकजैसा हमारा. फिर इतनी दूर…’’ ‘‘प्रेम उम्र, धर्म, भाषा, रंग और जाति सभी दीवारों को गिराने की शक्ति रखता है. मेरी प्यारी सखी, प्यार में दूरियां भी नजदीकियां हो जाती हैं. अभी ईमेल कर उसे, वरना मैं कर देती हूं.’’
‘‘नहींनहीं, मैं खुद ही कर लूंगी,’’ विधि ने मुसकराते हुए कहा.
‘‘डियर जौन,
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#4
मैं ने आप के प्रस्ताव पर विचार किया. कोई भी नया रिश्ता जोड़ने से पहले एकदूसरे के बीते जीवन के बारे में जानना बहुत जरूरी है. ऐसी मेरी सोच है. 10 वर्ष पहले मेरा विवाह एक बहुत रईस घर में संपन्न हुआ. मेरी ससुराल का मेरे रहनसहन, सोचविचार और संस्कारों से कोई मेल नहीं था. वहां के तौरतरीकों के बारे में मैं सोच भी नहीं सकती थी. वहां मुझे लगा कि मैं चूहेदानी में फंस गई हूं. मेरे पति शराब और ऐयाशी में डूबे रहते थे. शराब पी कर वे बेलगाम घुड़साल के घोड़े की तरह हो जाते थे, जिस का मकसद सवार को चोट पहुंचाना था. ऐसा हर रोज का सिलसिला था. हर रात अलगअलग औरतों से रंगरेलियां मनाते थे.

धीरेधीरे बात यहां तक पहुंच गई कि वे ग्रुपसैक्स की क्रियाओं में भाग लेने लगे. जबरदस्ती मुझ से भी औरों के साथ हमबिस्तर होने की अपेक्षा करने लगे. उन के अनुकूल उन की बात मानते जाओ तो ठीक था वरना कहते, ‘हम मर्द अच्छी तरह जानते हैं कि कैसे औरतों को अपने हिसाब से रखा जाए.’ ‘‘एक साधारण सी लड़की के लिए कितना कठिन था यह. एक दिन जब मैं ने किसी और के साथ हमबिस्तर होने से इनकार किया तो मुझे घसीट कर सामने बिठा कर सबकुछ देखने को मजबूर कर दिया. उस दिन मैं ने बरदाश्त की सभी सीमाएं लांघ कर उन के मुंह पर एक तमाचा जड़ दिया और सामान उठा कर भाई के घर चली आई. पैसे और मनगढ़ंत कहानियों के बल पर मेरा बेटा उन्होंने अपने पास रख लिया. उस दिन के बाद आज तक मैं अपने बेटे को देख नहीं पाई. अब सबकुछ जानते हुए भी आप तैयार हैं तो आप मेरे बड़े भाईसाहब अजय से बात करें.’’
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#5
‘‘आप की विधि’’
विधि का ईमेल पढ़ कर जौन नाचने लगा. तुरंत ही उस ने उत्तर दिया,
‘‘मेरी प्यारी विधि,
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#6
बस, इतनी सी बात से परेशान हो. जीवन में हादसे सभी के साथ होते हैं. मैं ने तो तुम से पूछा तक नहीं. तुम ने बता दिया तो मेरे मन में तुम्हारे लिए इज्जत और बढ़ गई. मेरी जान, मैं ने तुम्हें चाहा है. मैं स्त्री और पुरुष की समानता में विश्वास रखता हूं. तुम मेरी जीवनसाथी ही नहीं, पगसाथी भी होगी. जिन खुशियों से तुम वंचित रही हो, मैं उन की भरपाई की पूरी कोशिश करूंगा. मैं अगली फ्लाइट से दिल्ली पहुंच रहा हूं.
‘‘प्यार सहित
‘‘तुम्हारा जौन.’’
वह दिल्ली आ पहुंचा. होटल में विधि के बड़े भाईसाहब को बुला कर ईमेल दिखाते हुए उन से विधि का हाथ मांगा. भाईसाहब ने कहा, ‘‘शाम को तुम घर आ जाना.’’ पूरा परिवार बैठक में उस की प्रतीक्षा कर रहा था. जौन का प्रस्ताव सामने रखा गया. सभी हैरान थे. सन्नी तैश में आ कर बोला, ‘‘इतने बूढ़े से…? दिमाग खराब हो गया है क्या. जाहिर है विधि की उम्र के उस के बच्चे होंगे. अंगरेजों का कोई भरोसा नहीं.’’ बाकी बहनभाई भी सन्नी की बात से सहमत थे.
‘‘तुम ने क्या सोचा?’’ बड़े भाई अजय ने विधि से पूछा.
‘‘मुझे कोई एतराज नहीं,’’ उस ने कहा.
‘‘दीदी, होश में तो हो, क्या सचमुच सठियाए से शादी…?’’ विधि के हां करते ही अजय ने जौन को बुला कर कहा, ‘‘शादी तय करने से पहले हमारी कुछ शर्तें हैं. शादी * रीतिरिवाजों से होगी. उस के लिए तुम्हें * बनना होगा. * नाम रखना होगा. विवाह के बाद विधि को लंदन ले जाना होगा.’’ जौन को सब शर्तें मंजूर थीं. वह उत्तेजना से ‘आई विल, आई विल’ कहता नाचने लगा. पुरुष चहेती स्त्री को पाने का हर संभव प्रयास करता है. उस में साम, दाम, दंड, भेद सभी भाव जायज हैं. अच्छा सा मुहूर्त देख कर उन का विवाह संपन्न हआ. जौन लंदन से इमीग्रेशन के लिए जरूरी कागजात ले कर आया था. विधि का पासपोर्ट तैयार ही हो रहा था कि अचानक जौन के बेटे मार्क का ऐक्सिडैंट होने के कारण, जौन को विधि के बिना ही लंदन जाना पड़ा. जौन तो चला गया. विधि का मन बेईमान होने लगा. उसे घबराहट होने लगी. मन में अनेक प्रश्न उठने लगे. किसी से शिकायत भी तो नहीं कर सकती थी. 6 महीने से ऊपर हो गए. उधर जौन बहुत बेचैन था, चिंतित था. वह बारबार रेणु को ईमेल कर के पूछता. एक दिन हार कर रेणु विधि के घर आ ही पहुंची और उसे बहुत डांटा, ‘‘विधि, क्या मजाक बना रखा है, क्यों उस बेचारे को परेशान कर रही हो? तुम्हें पता भी है कितनी मेल डाल चुका है. कहतेकहते थक गया है कि आप विधि को समझाएं और कहें ‘डर की कोई बात नहीं है. मैं उसे पलकों पर बिठा कर रखूंगा.’ ‘‘अब गुमसुम क्यों बैठी हो. कुछ तो बोलो. यह तुम्हारा ही फैसला था. अब तुम्हीं बताओ, क्या जवाब दूं उसे?’’
‘‘मैं बहुत उलझन में हूं. परेशान हूं. खानापीना, उठनाबैठना बिलकुल अलग होगा. फिर उस के बच्चे…? क्या वे स्वीकार करेंगे मुझे…?’’
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#7
‘‘विधि, तुम बेकार में भावनाओं के द्वंद्व में डूबतीउतरती रहती हो. यह तो तुम्हें वहीं जा कर पता लगेगा. हम सब जानते हैं, तुम हर स्थिति को आसानी से हैंडल कर सकती हो. ऐसा भी होता है  कभीकभी सबकुछ सही होते हुए भी, लगता है कुछ गलत है. तू बिना कोशिश किए पीछे नहीं मुड़ सकती. चिंता मत कर. अभी जौन को मेल करती हूं कि तुझे आ कर ले जाए.’’ जौन को मेल करते ही एक हफ्ते में वह दिल्ली आ पहुंचा. 2 हफ्ते में विधि को लंदन भी ले गया. लंदन में घर पहुंचते ही जौन ने अंगरेजी रिवाजों के अनुसार विधि को गोद में उठा कर घर की दहलीज पार की. अंदर पहुंचते ही वह हतप्रभ रह गई. अकेले होते हुए भी जौन ने घर बहुत तरतीब और सलीके से रखा था. सुरुचिपूर्ण सजाया था. घर में सभी सुविधाएं थीं, जैसे कपड़े धोने की मशीन, ड्रायर, स्टोव, डिशवाशर और औवन…काटेज के पीछे एक छोटा सा गार्डन था जो जौन का प्राइड ऐंड जौय था. पहली ही रात को जौन ने विधि को एक अनमोल उपहार देते हुए कहा, ‘‘विधि, मैं तुम्हें क्रूर संसार की कोलाहल से दूर, दुनिया के कटाक्षों से हटा कर अपने हृदय में रखने के लिए लाया हूं. तुम से मिलने के बाद तुम्हारी मुसकान और चिरपरिचित अदा ही तो मुझे चुंबक की तरह बारबार खींचती रही है और मरते दम तक खींचती रहेगी. मैं तुम्हें इतना प्यार दूंगा कि तुम अपने अतीत को भूल जाओगी. मैं तुम्हारा तुम्हारे घर में स्वागत करता हूं.’’ इतना कह कर जौन ने उसे सीने से लगा लिया और यह सब सुन कर विधि की आंखों में खुशी के आंसू छलकने लगे.

ऐसे प्रेम का एहसास उसे पहली बार हुआ था. धीरेधीरे वह जान पाई कि जौन केवल गोराचिट्टा, ऊंचे कद का ही नहीं, वह रोमांटिक, सलोना, जिंदादिल, शरारती और मस्त इंसान है जो बातबात में किसी को भी अपना बनाने का हुनर जानता है. उस का हृदय जीवन की आकांक्षाओं से धड़क उठा. जौन ने उसे इतना प्यार दिया कि जल्दी ही उस की सब शंकाएं दूर हो गईं. विधि उसे मन से चाहने लगी थी. दोनों बेहद खुश थे. वीकेंड में जौन के तीनों बच्चों ने खुली बांहों से विधि का स्वागत किया और अपने पिता के विवाह पर एक भव्य पार्टी दी. विधि अपने फैसले पर प्रसन्न थी. अब उस का अपना घर था. अलग परिवार था. असीम प्यार देने वाला पति. जौन ने घर की बागडोर उसी के हाथ में थमा दी थी. उसे प्यार करना सिखाया, उस का आत्मविश्वास जगाया यहां तक कि उसे पोस्टग्रेजुएशन भी करवा दिया. क्योंकि भीतर से वह जानता था कि उस के जाने के बाद विधि अपने समय का सदुपयोग कर सकेगी.
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#8
गरमी का मौसम था. चारों ओर सतरंगी फूल लहलहा रहे थे. दोपहर के खाने के बाद दोनों कुरसियां डाल कर गार्डन में धूप सेंकने लगे. बाहर बच्चे खेल रहे थे. बच्चों को देखते विधि की ममता उमड़ने लगी. जौन की पैनी नजरों से यह बात छिपी नहीं. जौन ने पूछ ही लिया, ‘‘विधि, हमारा बच्चा चाहिए...? हो सकता है. मैं ने पता कर लिया है. पूरे 9 महीने डाक्टर की निगरानी में रह कर. मैं तैयार हूं.’’
‘‘नहींनहीं, हमारे हैं तो सही, वो 3, और उन के बच्चे. मैं ने तो जीवन के सभी अनुभवों को भोगा है. मां बन कर भी, अब नानीदादी का सुख भोग रही हूं,’’ विधि ने हंसतेहंसते कहा. ‘‘मैं तो समझा था कि तुम्हें मेरी निशानी चाहिए?’’ जौन ने विधि को छेड़ते हुए कहा, ‘‘ठीक है, अगर बच्चा नहीं तो एक सुझाव देता हूं. बच्चों से कहेंगे मेरे नाम का एक (लाल गुलाब) इंग्लिश रोज और तुम्हारे नाम का (पीला गुलाब) इंडियन समर हमारे गार्डन में साथसाथ लगा दें. फिर हम दोनों सदा एकदूसरे को प्यार से देखते रहेंगे.’’ इतना कह कर जौन ने प्यार से उस के गाल पर चुंबन दे दिया.
विधि भी होंठों पर मुसकान, आंखों में मोती जैसे खुशी के आंसू, और प्यार की पूरी कशिश लिए जौन के आगोश में आ गई. जौन विधि की छोटी से छोटी जरूरतों का ध्यान रखता. धीरेधीरे विधि के पूरे जीवन को उस ने अपने प्यार के आंचल से ढक लिया. सामाजिक बैठकों में उसे अदब और शिष्टाचार से संबोधित करता. उसे जीजी करते उस की जबान न थकती. कुछ ही वर्षों में जौन ने उसे आधी दुनिया की सैर करा दी थी. अब विधि के जीवन में सुख ही सुख थे. हंसीखुशी 10 साल बीत गए. इधर, कई महीनों से जौन सुस्त था. विधि को भीतर ही भीतर चिंता होने लगी, सोचने लगी, ‘कहां गई इस की चंचलता, चपलता, यह कभी टिक कर न बैठने वाला, यहांवहां चुपचाप क्यों बैठा रहता है? डाक्टर के पास जाने को कहो तो टालते हुए कहता है, ‘‘मेरा शरीर है, मैं जानता हूं क्या करना है.’’ भीतर से वह खुद भी चिंतित था. एक दिन बिना बताए ही वह डाक्टर के पास गया. कई टैस्ट हुए. डाक्टर ने जो बताया, उसे उस का मन मानने को तैयार नहीं था. वह जीना चाहता था. उस ने डाक्टर से कहा, ‘‘वह नहीं चाहता कि उस की यह बीमारी उस के और उस की पत्नी की खुशी में आड़े आए. समय कम है, मैं अब अपनी पत्नी के लिए वह सबकुछ करना चाहता हूं, जो अभी तक नहीं कर पाया. मैं नहीं चाहता मेरे परिवार को मेरी बीमारी का पता चले. समय आने पर मैं खुद ही उन्हें बता दूंगा.’’
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#9
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(05-01-2022, 03:44 PM)neerathemall Wrote:
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#11
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#12
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#13
मेरा नाम कमलेश है और में 30 साल का हूँ और मेरे साथ जो लड़की इस कहानी में है उसका नाम दीपिका है और उसकी उम्र 32 है और वो मेरे बड़े साले की पत्नी है. यह कहानी करीब एक साल पहले की है. में बंगाल का रहने वाला हूँ और में एक बंगाली हूँ. मेरी शादी को अभी दो साल से भी ज़्यादा टाइम हो गया है, लेकिन यह घटना जब हुई थी तब मेरी शादी को एक साल हुआ था. मेरी सगाई होने के बाद में अक्सर मेरे ससुराल जाया करता थाज मेरे ससुर के तीन लड़के और तीन लड़कियां है. और इसमें दीपिका मेरे दूसरे नंबर के साले की पत्नी है और बाकी के दो साले शहर से बाहर रहते है. तो इसलिए जब भी में मेरे ससुर के घर जाता था तो में मेरे साले की पत्नी के साथ बहुत हंसी मज़ाक करता रहता था.
और वो भी मुझसे और मेरी पत्नी को मिलने के लिए मुझे अपने ससुराल बुलाती थी, लेकिन उस टाइम मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था कि में इसके साथ इस तरह तक सेक्स में आगे बढूंगा? तो सगाई के एक साल बाद मेरी शादी हो गई और मेरी पत्नी भी मुझे बहुत अच्छा सेक्स में साथ देती थी.
लेकिन हुआ यह कि शादी के बाद जब में पहली बार मेरे ससुर के घर गया तो में दामाद था और अपने ससुर के घर पर मेरी बहुत अच्छी तरह स्वागत हुआ और दीपिका मेरा बहुत अच्छा ख्याल रखती थी. फिर उसके बाद जब मेरा साला और उसकी पत्नी (दीपिका) जब पहली बार मेरे घर पर आए तो में उसे बहुत जगह पर घुमाने लेकर गया.
मेरा साला बहुत बार अपने दूसरे रिश्तेदार के घर पर जाता तो में, मेरी पत्नी और दीपिका साथ में शॉपिंग के लिए भी जाते और उसको में बहुत बार शॉपिंग करवाता था. और हम जब भी में उसके साथ जाता तो में सब चीज़ उसको पहनकर देखकर लाने को कहता था और पहनाकर भी देखता था.
और उस टाईम पहली बार हुआ कि मेरी पत्नी घूमते समय मुझसे अलग हो गई और मेरे साले की पत्नी एक फिटिंग वाली ड्रेस पहनकर देखने के लिए ट्रायल रूम में गई थी तो वो जब वापस बाहर आई तो दिखाने के लिए तब कोई नहीं था. उसने मुझे कॉल किया तो में आ गया क्योंकि मेरी पत्नी का मोबाईल कार में पड़ा हुआ था, उसने मुझसे पूछा कि मेरी पत्नी कहाँ है?
तो मैंने उससे कहा कि में भी उसे बहुत देर से ढूँढ रहा हूँ, लेकिन वो ना जाने कहाँ चली गई है? तब उसने मुझसे बोला कि अब इस ड्रेस का क्या करें? तो मैंने उसे बताया कि इस ड्रेस में आप बहुत अच्छी लग रही हो और इसकी फिटिंग भी बहुत अच्छी आ रही है.
उसने अब उस ड्रेस को रख लिया और बाद में ट्रायल रूम से बाहर आकर उसने बोला कि मुझे तो और भी शॉपिंग करनी है, लेकिन सबसे पहले उसे ढूँढते है तो मैंने उससे कहा कि तुम टेंशन मत लो, थोड़ी देर में वो मिल जाएगी और आपको जो भी शॉपिंग करनी है में करवाता हूँ और अब उसे में अच्छी अच्छी ड्रेस दिखाने लगा और हर बार ट्रायल करवाने लगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उसने बहुत सारी शॉपिंग की और वो मेरी पसंद से भी खुश हो गई और मॉल से जाते हुये वो अंडरगार्मेंट्स के पास जाकर रुक गई और अब वो सोचने लगी कि अब क्या करें? लेकिन उसे पहले से ही पता था कि में बहुत खुले दिमाग का हूँ तो मैंने उससे पूछा कि लेना है? “
तो वो थोड़ा सा शरमा गई, लेकिन जब मैंने बोला तो वो अपनी साइज़ देखने लगी और थोड़ी देर के बाद में भी उसे मदद करने लगा और कहा कि इसमे ब्रांडेड ही पहनना चाहिए जिससे कि अपनी साईज़ अच्छी रहती है. उस टाईम मुझे पता चला कि वो 32 साईज की ब्रा पहनती है, तो मैंने उसे मज़ाक मज़ाक में बोला कि क्यों इसको ट्राई नहीं करना है? तो उसने भी जवाब दिया कि बाद में दिखाउंगी किसको?
मैंने कहा कि लेकिन में अभी तैयार हूँ, तो वो मुस्कुराकर पैसे वाले काउंटर पर चली गई और वहां पर मैंने सब बिल दे दिया और फिर मेरी पत्नी भी मिल गई. उसके बाद हमने बाहर खाना खाया और घर पर आए तो वो मेरे सामने देख ही नहीं रही थी और उसके दूसरे दिन हम सब लोगों को बाहर एक रिश्तेदार कर यहाँ पर खाना खाने जाना था.
और मेरा साला पहले से वहां पर था और मेरी पत्नी और में सुबह से वहां पर चले गये, लेकिन दस बजे मेरी पत्नी ने मुझसे बोला कि आप दीपिका को लेकर आ जाओ. फिर में कार लेकर उसे लेने के लिए चला गया और जब में घर गया तो वो मेरा इंतजार कर रही थी. मैंने उसे कार में बैठने को कहा तो वो मुस्कुराकर बैठ गई.
फिर मैंने उससे बोला कि क्या हुआ आप क्यों इतने शरमाते हो? तो उसने बताया कि आप बहुत शरारती हो और हम बात करने लगे, लेकिन मैंने बातों ही बातों में बोल दिया कि वाह नई ब्रा का अच्छा अहसास आया है. तो वो मेरे मुहं से यह बात सुनकर एकदम से चकित हो गई और उसने मुझसे पूछा कि आपको कैसे पता चला कि मैंने वही ब्रा का सेट पहना है? “
तो मैंने उसे बताया कि जब आप कार में बैठने के लिए थोड़ा झुकी तो वो मुझे दिखाई दिया और अब उसने मुझे मेरे हाथ पर हाथ मारकर बोला कि आप बहुत शरारती हो. फिर मैंने कहा कि वैसे आप इस साड़ी में बहुत सेक्सी लग रही हो, उसने मुझे धन्यवाद बोला.
लेकिन तभी मैंने बोला कि मुझे अफ़सोस है कि मैंने सारी चीज़ पसंद करवाई और आपने मुझे सबकी फिटिंग दिखाई, लेकिन मुझे अब तक इसकी फिटिंग देखने को नहीं मिली. मेरी यह बात सुनकर एकदम से शरमा गई और तब तक हम वहां पर पहुंच गये थे और उसके एक दिन बाद वो अपने घर यानि कि मेरे ससुर के घर चले गये.
और दूसरे दिन मैंने उसे कॉल किया कि आप अच्छी तरह से पहुंच तो गये ना? और में उसके बाद में उससे फोन पर अक्सर बात करने लगा. वो भी मुझे खुद ही कॉल करती थी और में उससे बहुत देर तक बात करता और एक दिन बातों ही बातों में उसने मुझसे कहा कि क्यों आपको अपने ससुराल आना नहीं है?
तो मैंने बोला कि क्या करेंगे वहां पर आकर? तो वो बोली कि यहाँ पर बहुत कुछ करने का मौका मिल सकता है. फिर मैंने कहा कि लेकिन फिटिंग तो देखने को नहीं मिलेगी ना? तो उसने कहा कि आप एक बार आओ तो सही और फिर मैंने कहा कि ठीक है.
फिर एक महीने के बाद मुझे मेरे गावं जाना था तो मैंने सोचा कि ससुराल भी जाकर आता हूँ तो में मेरे ससुराल गया, लेकिन मैंने मेरे ससुर के घर पर किसी को नहीं बताया था कि में आने वाला हूँ. लेकिन हुआ यह कि में जब वहां पर गया तो सब लोग मेरी साली के लिए लड़का देखने के लिए गये हुए थे.
लेकिन सिर्फ़ मेरे साले की पत्नी दीपिका घर पर थी और वो मुझे देखकर एकदम से चकित हो गई और बहुत खुश भी हुई उसने मुझे बताया कि सब लोग बाहर लड़का देखने गये है और उसने उस दिन गुजराती स्टाईल की साड़ी पहनी हुई थी और उसमे वो बहुत सेक्सी लग रही थी और वो उस समय घर का कम कर रही थी.
फिर उसने मुझे पीने को पानी दिया और मेरे लिए चाय बनाकर ले आई और थोड़ी उसके लिए भी लेकर आई और फिर हम बात करने लगे और चाय पीने लगे. तभी उसने मुझसे पूछा कि क्या खाना खाओगे? तो मैंने कहा कि तुम्हे जो भी अच्छा लगे बना लो और हम इस बात पर मस्ती, मजाक करने लगे कि तुम बताओ और वो बोल रही थी कि तुम बताओ?
और मस्ती मस्ती में मैंने कब उसका हाथ पकड़ लिया मुझे पता ही नहीं चला और उसको अपनी तरफ खींच लिया और हम मस्ती करने लगे, और इस बीच अचानक से मैंने मेरे होंठ उसके होंठो पर रख दिए कि उसे पता भी नहीं चलने दिया और करीब हमारी वो पहली किस पांच मिनट तक चली और फिर कुछ देर के बाद में वो मुझसे छूटकर बोली कि में खाना बनाने जा रही हूँ.
यह बोलकर वो किचन में चली गई और अब वो खाना बनाने लगी. फिर करीब तीस मिनट बाद जब में किचन में गया तो मैंने देखा कि वो भजिया बना रही थी. और फिर मैंने उसे पीछे से जकड़कर पकड़ लिया और अब में उसके बालों को एक साइड करके उस जगह पर किस करने लगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कुछ देर बाद के में गैस बंद करके उसको मैंने मेरी गोद में उठाकर सीधा रूम में लेकर आ गया. और मैंने उसे हाथ भी साफ करने नहीं दिये क्योंकि उस दिन वो गुजराती स्टाइल साड़ी में इतनी सेक्सी लग रही थी कि मुझसे रहा नहीं गया और फिर में उसे किस करने लगा और साथ में उसके ब्लाउज पर हाथ घुमाने लगा.
और अब धीरे धीरे करके मैंने उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल दिये, लेकिन मैंने जब बटन खोला तो मुझे पता चला कि उसने आज भी वही ब्रा, पेंटी पहनी हुई थी. कुछ देर के बाद में मैंने उसकी साड़ी को भी उतार दिया और वो अब सिर्फ़ चोली और ब्रा में थी.
मैंने मेरी शर्ट को भी उतार दिया और अब तो वो भी मुझे हर जगह पर किस किए जा रही थी और मैंने उसकी ब्रा को भी उतार दिया. जब मैंने उसकी ब्रा को उतारा तो में उसके बूब्स को देखकर एकदम से चकित हो गया, क्योंकि इतने सेक्सी बड़े बड़े एकदम गोल बूब्स मैंने कभी नहीं देखे थे.
अब में तो बस उसको मुहं मे लेकर चूसने लगा और करीब में उसके बूब्स को बीस मिनट तक चूसता रहा और किस करता रहा. उसके बाद मैंने उसकी चोली का नाड़ा खोल दिया और पेंटी को भी उतार दिया. में उसे बस किस करते करते उसकी चूत तक पहुंच गया और उसकी चूत को में बहुत अच्छी तरह से चूसने लगा.
वो पागल होती जा रही थी और बार बार मुहं में से आआहह उूउऊहहह्ह्ह्हह उफफ्फ्फ्फ़ माँ मरी जैसी आवाज़ निकाल रही थी. और करीब दस मिनट के बाद उसने मेरे मुहं को ज़ोर से पकड़कर अपनी चूत के मुहं पर दबा दिया, शायद वो अब झड़ गई थी उसके बाद हम दोनों एक दूसरे के पास में सो गये.
लेकिन मुझे उससे कुछ कहना नहीं पड़ा और अब उसने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और वो मेरा लंड देखकर चकित हो गई और उसे अपने एक हाथ से सहलाने और हिलाने लगी. लेकिन बीच में उसने मुझसे पूछा कि चूत चूसने में कैसे लगा? मैंने कहा कि मुझे बहुत मज़ा आया तो उसने बोला कि मुझे भी बहुत मज़ा आया, लेकिन में बहुत सोच में हूँ कि में आपका यह मुहं में लूँ या नहीं? और यह कैसे लगेगा?
तो मैंने कहा कि तुम एक बार कोशिश करो, अगर तुम्हे अच्छा नहीं लगे तो बाहर निकाल देना. फिर वो उसे अब सहलाते सहलाते हुये धीरे धीरे करके मुहं में लेने लगी और फिर थोड़ी देर में क्या हुआ? कि वो पागल की तरह मेरा लंड चूसने लगी जैसे कि उसको पहली बार लोलीपोप मिला हो और अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. करीब 15 मिनट के बाद में भी उसके मुहं में झड़ गया, लेकिन उसने बाथरूम में जाकर अपने मुहं से सारा वीर्य बाहर निकालकर साफ करके चली आई और उसके बाद उसने खाना बनाया और हमने खाना खाया. फिर हमने जो मॉल से खरीदी हुई फिटिंग वाली ड्रेस और ब्रा का दूसरा सेट था वो उसे पहनकर तैयार हो गई.
लेकिन मैंने इस बार कुछ नहीं देखा, क्योंकि में सेक्स करने के लिए बहुत उतावला हो रहा था. बस मैंने जल्दी से उसके और मेरे सारे कपड़े उतार दिए और उसको किस करने लगा और बूब्स चूसने लगा. उसने मेरे लंड को हिलाकर एकदम टाईट कर दिया.
फिर मैंने उसके दोनों पैरों को पकड़ कर चौड़ा किया और मेरा लंड उसकी चूत पर रखकर एक ज़ोर का झटका दिया. जिससे मेरा लंड थोड़ा सा अंदर चल गया और फिर चार पांच झटको में मैंने मेरा पूरा लंड लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसको धक्के देकर चोदने लगा और वो भी मेरे साथ साथ अपनी चुदाई के मज़े लेने लगी. और एक बार झड़ जाने के बाद मेरा दूसरा चुदाई का दौर बहुत लंबा चलता रहा.
फिर हमने डॉगी स्टाईल में भी सेक्स किया. पहले तो वो मुझसे डॉगी स्टाइल में चुदाई करने से मना कर रही थी. लेकिन मेरे समझाने के बाद में वो ठीक तरह से कुतिया की तरह मेरा साथ देने लगी थी और में बस उसको ज़ोर ज़ोर से झटके दिए जा रहा था.
 
लेकिन अब वो डॉगी स्टाइल में बहुत देर चुदने की वजह से बहुत थक गई थी, लेकिन में अब भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था, लेकिन में भी तो अभी तक नहीं झड़ा था. फिर कुछ देर के बाद में मैंने मेरे शॉट के साथ उसे मेरे ऊपर आने को कहा और वो मेरे ऊपर आ गई.
मैंने मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में एक ही झटके के साथ डाल दिया और वो एकदम से बहुत ज़ोर से चिल्ला उठी ऊऊईईईईईईईईई माँ मममाआआआआअ मर गई में उह्ह्ह्ह प्लीज धीरे करो ओह्ह्ह्हह्ह थोड़ा धीरे आईईइईईईइ माँ प्लीज मुझ पर थोड़ा रहम करो.
दोस्तों इस बार वो पहली बार इतनी ज़ोर से चीखी थी. तब मुझे पता चला कि वो चुदाई करवाने में कितनी ताकतवर है और बस उसके बाद तो में उसको ऊपर से हिलाने लगा. इस चुदाई में उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था.
क्योंकि ऐसे ऊपर वो पहली बार आई थी और हम दोनों के चिल्लाने की आवाज पूरे रूम को फेलने लगी. और फिर वो तो बस आह्ह्ह्हहअहह ऊह्हहह आआआआआआअहह बस और ज़ोर से चोदो मुझे हाँ और ज़ोर से कर रही थी, लेकिन में अब भी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था क्योंकि मुझे दूसरी बार झड़ने में बहुत समय लगता है और फिर उसके बाद मैंने उसे वापस नीचे किया और में उसके ऊपर आकर इस बार बहुत ज़ोर से धक्के देने लगा और वो भी बहुत अच्छी तरह से मेरा साथ दे रही थी.
अब मेरी और उसकी साँसे तेज हो गई थी और पूरा रूम हमारी आवाज़ से गूँज रहा था. बस उसके बाद करीब 20 या 25 मिनट के बाद में झड़ गया और तब तक वो दो बार झड़ चुकी थी. मैंने मेरा सारा पानी उसकी चूत में निकाल दिया और बस हम ऐसे ही करीब एक घंटे तक लेटे रहे. फिर करीब एक घंटे के बाद हम साथ में नहाए और बहुत मज़े किए. फिर उसके थोड़ी देर बाद सारे घरवाले भी आ गये. दोस्तों में आज भी उसको चोदता हूँ
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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