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मेरी भाभी पुष्पा
आपकी प्यारी यस्मिन आप सब दोस्तों की राय के बाद यह कहानी शुरू करेगी क्या आप दोस्त मेरी इस थ्रेड को उतना ही प्यार देंगे जितना कामुक संध्या को दे रहे है
आपके जवाब के इंतजार में
आपकी यासमीन
धन्यवाद मित्रों आपको इस कहानी के सभी अपडेट यहीं पर क्रमश मिलते रहेंगे आप अपना प्यार मुझे और पुष्प को देते रहिये. पुष्पा के सभी राज आपको यहीं पर मिल जायेंगे.
हौसला अफजाई का शुक्रिया दोस्तों
नाम व् जगह के संयोग के लिए लेखक/लेखिका जिम्मेदार नहीं है.
मित्रों इसी पोस्ट को अपडेट किया जायेगा और अगली पोस्ट के लिए अपडेट के बाद इशारा कर दिया जायेगा तब तक आप सब इसी पोस्ट को बार बार पढ़ के नयी नयी पंक्तियों का आनंद ले और अपनी राय देते रहे की कहानी कहाँ ले जाई जाये
कहानी शुरू होती है एक शहर से हमारी कहानी की मुख्य पात्रा पुष्पा, जिसे मैं पुष्प के नाम से ज्यादा पुकारना पसंद करता करूँगा पुष्प मेरे ही मोहल्ले की एक खुबसूरत जवान और कामुक युवती है रंग गोरा ऐसा जैसे दूध में चुटकी भर सिन्दूर मिला दिया गया हो. अंडाकार चेहरा, बायीं भोह के पास एक तिल जो उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगाता है, वो जब हंसती है उसके गालों में पड़ने वाले गढ्ढे उसके आशिकों की जान ले लेते है, सुतवा नाक पर हीरे की लौंग दिल पर क़टार चलाती है, जहाँ पर वो नाक में लौंग पहनती है वहीँ पर एक तिल उसके मदमाते यौवन को दूना खुबसूरत बना देता है, उसका बदन यौवन में कदम रख चूका था जब वो चौदह साल की थी तभी अठारह साल से कम की नहीं लगती थी उसके सीने के उभार उसके कपडे फाड़ने को बेताब रहते थे जब वो टी शर्ट पहनती थी तो उसके निप्पल्स गली के लौंडों को दावत देते थे की आओ उनको चूस के पुष्प का रसपान करो, अब तो वो खुद ही उन्नीस साल की हो चुकी थी अब तो उसका बदन किसी भी तेईस साल की मादक औरत से कम नहीं था, सबसे बड़ी बात अपने इस अनमोल खजाने का पुष्पा हाय मेरी जान पुष्प को खुद भी पता था वो जानती थी की वो जैसे चाहे अपने इस खजाने का उपभोग, उपयोग, खर्च या इसे लुटवा सकती है, आजकल की आधुनिक दुनिया ने अन्य लड़कियों की तरह उसे भी कामशास्त्र की अधकचरी जानकारी दे दी थी और इतना तो समझदार बना दिया था की मर्दों की अपने ऊपर पड़ने वाली कामुक और कुत्सित निगाहों को वो पहचान सके.उसमे शर्माने, लाजाने, नाज़ नखरे , मान मंनौवल की एक अलग ही अदा थी जो उसके आशिकों के साथ साथ मेरी पैंट को तम्बू बना दिया करती थी. इसीलिए जब से पुष्प ने बारहवी की परीक्षा पास की और उसके बाद ही उसके माता पिता को उसके विवाह की फिक्र होने लगी उन्हें ज़माने की नहीं पुष्प की फूटती जवानी की जयादा चिंता थी वो जानते थे की अगर पुष्प ने एक बार गलत कदम उठाये तो वह जवानी की बर्बादी के दलदल में धंस जाएगी काश उनकी सोच के हिसाब से दुनिया चलती पर ऐसा होना नहीं था किसे पता था की पुष्पा का एक राज की जगह पुष्पा के कई राज होंगे .
पुष्पा की शादी मेरे ही जान पहचान में हुई थी उसकी शादी को तय करवाने में मेरा अहम् रोल था इसलिए उसके माता पिता मेरा खास ध्यान रखते थे जब भी उसके घर जाता था मेरी अलग से खातिर होती थी और यह बात पुष्पा भी जानती थी इसलिए उसकी नज़रों में मेरा अलग नजरिया था जबकि मैं अन्य भंवरों की तरह पुष्प के यौवन पर अपनी कामुक निगाहें गडाये बैठा था मेरा बस चलता तो उसकी शादी से पहले ही पुष्प के यौवन की कलि को मसल के फूल बना देता पर मैंने भी कसम ली थी की एक न एक दिन पुष्प को अपने बिस्तर की हमराह बना के ही दम लूँगा साली को नंगी करके चोदुंगा अपनी हर कामेच्छा की पूर्ति करूँगा मेरी दिली तमन्ना थी की मैं पुष्प को रात रात भर क्या पुरे दिन भर अपने सामने नंगी रखूं और उसके चिकने और कामुक जिस्म के हर अंग पर लंड रगडू पुष्प का इसमें पूरा सहयोग हो वो खुद अपनी नरम और गुदाज़ हथेलियों में मेरा लंड पकड़े और मुझे अपना मर्द बोले.
खैर वो जब होगा तब होगा तब तक तो यह हुआ की पुष्प की शादी हो गयी और वो मेरी जान पहचान में चली गयी आब मुझे यह आराम था की मैं गाहे बगाहे उसकी मस्त जवानी को देखने के लिए उसकी ससुराल (जिसे मैं उसका घर कहूँगा) पहुँच जाता था मेरे को दोनों पति पत्नी जानते थे इसलिए उस घर में मेरी दिन के चौबीस घंटे एंट्री मुमकिन थी इसी वजह से मेरे मन में पुष्प को पाने का ख्याल ने दम नहीं तोडा.मैं पुष्प का अंजाना आशिक उसे बड़ी हसरतों से निहारा करता था मुझे पता ही नहीं चला कब पुष्प को मेरे इरादों की भनक लग गयी या फिर उसने अपने स्त्री सुलभ स्वभाव के कारण जान लिया था मैं उसके इस विचारों से अंजान था की वो मेरी निगाहों का उद्देश्य जान चुकी है. खैर जाने दो मैं अपनी दास्ताँ को आगे बढ़ाता हूँ. उस दिन क्या हुआ यह सुनिए आप सभी.
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उस दिन मैं शहर से सामान लेकर लौट रहा था की मौसम का मिजाज एकदम से बदल गया मुझे लगा की यदि मैंने अपने घर तक पहुँचने की कोशिश की तो शायद कोई दुर्घटना घट सकती है अनायास ही मुझे अपने भाई समान मित्र श्री की याद आई जो नजदीक में ही रहता था और उसका एक और कारण भी था की वो मेरी पुष्प का पति था और बीते 40-50 दिनों से मैंने भी अपनी मस्त यौवन की मल्लिका पुष्प के हुस्न के दर्शन भी नहीं किये थे. इसलिए मैंने भगवान को धन्यवाद देते हुए अपनी मोटरसाइकिल पुष्प के घर की तरफ मोड़ ली. घर की जैसे ही कालबेल बजाई थोड़ी ही देर में मेरी हसरतों की मालकिन पुष्प ने दरवाजा खोला उसको देखते ही मेरे मन में शांति छा गयी वो साड़ी में बहुत ही खुबसूरत लग रही थी ऐसे मेरी पुष्प का कोई मुकाबला नहीं है परन्तु आज वो साड़ी में खुद ही खुद को मुकाबला दे रही थी. अरे राजू तुम पुष्प के मुंह से अनायास ही निकल पड़ा. हाँ मैं क्या अन्दर आने को नहीं कहोगी भाभिजान मैंने भी भाभी पर कम और जान पर ज्यादा जोर देते हुए कहा पुष्प ने इस बात को नोटिस नहीं किया शायद वो किसी और जगह ध्यान दिए हुई थी. नहीं नहीं अन्दर आओ यह तुम्हारा ही तो घर है जब मर्ज़ी तब आ सकते हो पुष्प ने हडबडाहट से साथ उत्तर दिया. मैंने भी मुस्कुराते हुए घर में कदम रखा अपने कंधे पर लादे सामान को फर्श पर रखते हुए पूछा भाभी श्री कहाँ है दिख नहीं रहा ? राजू भैया वो घर में ही है दुसरे रूम में कंप्यूटर के सामने बैठे कुछ काम कर रहे है जाओ मिल लो-पुष्प ने बोला. हाँ जब आया हूँ तो उस भाईसाहब ओह सॉरी जीजा की चलो छोडो खैर खबर लेके ही जाऊंगा -कहते हुए मैंने कदम श्री के दुसरे कमरे की तरफ बढ़ा दिए.इधर पुष्प के होंठों पर एक मुस्कुराहट तैर गयी क्योंकि मेरे मोहल्ले की होने की वजह से श्री मेरा जीजा हुआ और मेरी जान पहचान पहले से होने की वजह से पुष्प मेरी भाभी हुई. कमरे में पहुँच के देखा मैंने श्री अपने ऑफिस का कुछ काम निपटा रहा था मैंने उसकी पीठ पर धौल मरते हुए कहा - हाय श्री कैसा है क्या उल्टा सीधा कर रहा है बे. क्यों क्या किया मैंने श्री को कुछ समझ नहीं आया. मैंने अपनी एक आँख दबाते हुए कहा- साले यह मौसम देख रहा है इस मौसम में बीवी के सामने होना चाहिए या टीवी के आगे.श्री के होंठो पर एक फीकी मुसकुराहट आई मैं समझ गया कुछ गड़बड़ है.
(क्या गड़बड़ है इसका पता पुष्पा के दुसरे राज में पढिये)
वास्तव में इस कहानी का नाम होना चाहिए पुष्पा के राज न की मेरी भाभी पुष्पा भाई लोगों कहानी का नाम कैसे बदल सकते है कृपया मार्ग दर्शन करे
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दूसरा राज
मैंने पुछा क्यों श्री कुछ बात है जो तू मुझे नहीं बता सकता मैं तेरे बचपन का दोस्त हूँ तेरा हमदम रहा हूँ बता ना साले मैंने माहौल को खुशनुमा बनाने की कोशिश की. इतने देर में मेरी हुस्न परी पुष्प अपनी जवानी के दर्शन कराती हुई पानी के गिलास ले आई. श्री बोल उठा अरे इसे ऐसे टरकाने का इरादा है क्या कोई चाय वाय. क्यों नहीं राजू भैया को ऐसे थोड़े ही जाने दूंगी चाय क्या इनको तो डिनर भी हमारे साथ करना पड़ेगा. अरे भाभी क्यों मेहनत करोगी मैंने भी बोल तो दिया पर सोचा की साली मान गयी तो इसकी जवानी के दर्शन जाने फिर कब हो. पर लगता है कि देव मेरे साथ थे. बाहर बिजली कडकी और इधर पुष्प की कोयल जैसी आवाज मेरे कान में पड़ी. नहीं नहीं मौसम भी ख़राब है और मैं भी आपको ऐसे नहीं जाने दूंगी जाये कुछ भी हो जाये मैं जा रही हूँ चाय लाती हूँ और डिनर बनाती हूँ देखिये मौसम कितना ख़राब हो गया है. थोडा ठीक हो जाये फिर जाना. ठीक बोल रही है पुष्प श्री ने उसका समर्थन किया. मैंने भी सरेंडर करे हुए कहा ठीक है जैसा तुम लोग बोलो अब मैं तो तुम दोनों के रहमोकरम पर हूँ. हमारे रहमोकरम का मतलब पुष्प में अपनी खुबसूरत और मादक आँखें चौड़ी करते हुए पूछा. मेरा मन हुआ आगे बदके साली को दबोच लूँ साली शादी के बाद रोज़ रोज़ पति के नीचे लेट लेट के और भी हसीं और मादक हो गयी थी. अरे जाने दो यह कुछ भी कह देता है तुम जानती ही हो न इसको श्री ने मेरा पक्ष लिया. अच्छा मैं जाती हूँ और चाय लती हूँ कहके पुष्प पीछे पलट गयी और कमरे से बहार जाने लगी. पुष्प के पीछे मुडके जाने पर मैं प्यासे कुत्ते की तरह उसकी गांड का मटकना देखता रहा और यह भी देखा कि मेरी इस हरकत को श्री ने नोटिस नहीं किया. जैसे ही पुष्प मेरी नजरो से ओझल हुई मैंने श्री की ओर मुंह किया और कहा हाँ श्री क्या गड़बड़ है कुछ मेरे लायक हो तो बोल मेरे यार.तेरे लिए जान भी हाज़िर है जान दे भी सकता हूँ और जान ले भी सकता हूँ तू एक बार बोल तो सही मैंने मगर मन ही मन कहा साले तेरी जान (पुष्प) को पूरा का पूरा ले जाने का इरादा है जाने कब मौका मिलेगा हे भगवान मेरी सुन ले. शायद आज मेरी हर इच्छा पूरी होने वाली थी. श्री ने कहा यार फॅमिली प्रोबलेम है पुष्प कहती है कि मैं काम कमाता हूँ और वो हीरे की लौंग और हीरे की अंगूठी के निचे बात नहीं करती है. मैंने मन ही मन सोचा साली कुतिया एक बार मेरे लौड़े के निचे आ जा तेरे को हीरे से लाद दूंगा. तो तूने क्या सोचा कुछ तो तेरे भी दिमाग में आया होगा. क्यों बोलती है ऐसा वो मैंने पूछा . वो बाहर घर से निकल के काम करना चाहती है तुम तो जानते ही हो न कि पुष्प की होटल मैनेजमेंट में इंटरेस्ट है उसके साथ के कई दोस्त पढाई के बाद इस फील्ड में आ गए है और वो उनके संपर्क में है. (मैंने सोचा तो इस परी के पर निकलना चाहते है साली चाहती है की उसके इस हुस्न को सारी दुनिया देखे तो ठीक है ऐसा ही सही.) श्री बोलता रहा मैंने उसे समझाना चाहा पर वो अपनी फॅमिली लाइफ डिस्टर्ब करने को तैयार है मगर अपनी डिमांड काम नहीं करना चाहती है मैंने बोला है की मैं ऑफिस में और ज्यादा काम करूँगा और ज्यादा इनकम की कोशिश करूँगा तो उसने मुझे अल्टीमेटम दे दिया है की एक दो महीने में रिजल्ट नहीं आया तो उसके और मेरे रास्ते बदल सकते है. मैंने कहा हाँ यार यही तरीका है तुम ज्यादा काम करो और अपनी कमाई का जरिया भी बढाओ मैं भी तुम्हारे साथ हूँ. मेरा समर्थन मिलने से श्री उत्साहित नज़र आया. तब तक मेरी मस्त पुष्प अपनी जवानी के खुबसूरत नज़ारे के साथ चाय लेकर आई इस बार मैंने देखा तो देखता ही रह गया वो अपने कपडे बदल के साड़ी की जगह सलवार सूट डाल के आई थी मगर वो अपनी निगोड़ी और कामुक जवानी से लादे हुए शरीर को मेरी कुत्सित निगाहों से कैसे बचाती मैंने अपने एक्सरे की निगाह से ताड लिया की साली ने सब कुछ पहना है मगर पैंटी नहीं डाली है जाने क्या सोच के उसने ऐसा किया मगर मेरी नज़रों की तो ऐश हो गयी मैं पुष्प की चूची के साथ साथ उसकी चूत की दरार का भी ऊपर से नज़ारा कर रहा था. मैंने सोच लिया था की इस राज को मैं जान के रहूँगा की उसने मेरे होते हुए भी सलवार के निचे अपनी कामुक और मस्त चूत को छुपाने के लिए पैंटी क्यों नहीं पहनी.
आगे अब पढ़िए पुष्पा के तीसरे राज में
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चाय की चुस्की लेते हुए मैं श्री से बातें करता जा रहा था मेरे मन में प्लान आ रहा था की किस तरह श्री के रहते हुए भी मैं पुष्प नाम की मादक कलि का रस पी सकता हूँ मगर कोई सॉलिड सोच सामने नहीं आ रही थी इस लिए मैंने जो हो रहा था वो होने दिया श्री अपनी बातें बताता जा रहा था और मैं चाय के साथ साथ बिस्कुट और नमकीन का आनंद ले रहा था और मेरी सोच में पुष्प की बिना पैंटी की सलवार में छुपी चूत थी. कहाँ खो गए राजू –श्री ने मुझे हिलाते हुए पूछा कहीं नहीं यहीं तो हूँ रे मैंने भी जवाब दिया आखिर क्या बोलता उसकी बीवी को अपने निचे लिटाने के हसीं ख्वाब में था. चल चाय ख़तम कर और मैं तब तक ऑफिस का काम निपटा लूँ तू इसके बाद टीवी रूम में बैठ के अपनी मनपसंद हीरोइन की मूवी देख मुझे पता है तुझे कटरीना पसंद है और उसकी एक मूवी अभी टेलीकास्ट होने वाली है श्री बोला. मैंने भी बोला ठीक है यार और चाय का प्याला मेज पर रखके टीवी रूम की तरफ बड़ा. टीवी रूम को जाते समय किचन को पार करना पड़ा जहाँ मुझे फिर मेरी कलि के दर्शन हो गए. राजू भैया क्या खाओगे पिओगे डिनर में. पुष्प ने कोयल सी मीठी आवाज में पूछा. जो मन हो बना देना भाभी. मैंने सुलभ स्वर में जवाब दिया मगर मन ही मन सोचा साली आज रात तू पूरी नंगी मिल जाये तो तेरी चूचियां काट खाऊ और तेरी चूत का रस पी जाऊ. मैं टीवी रूम में आने की बजाये पुष्प के हुस्न का रस वहीँ खड़े होके पीने लगा. पुष्प बोल पड़ी- अरे राजू तुम यहीं खड़े खड़े थक जाओगे चलो टीवी रूम में बैठो डिनर से वक़्त मैं आवाज दे दूंगी. (मैंने सोचा किसी मर्द का खड़े खड़े नहीं थकता है और साली चूत छिनार आवाज क्यों डिनर के वक़्त अपनी चूत दे देना मज़ा आ जायेगा. मगर )मैंने बोला- ठीक है भाभी. हे राजू तू मुझे भाभी क्यों बोलता है मैं तो तेरे ही मोहल्ले की हूँ रे- पुष्प ने अपनी ओर से बड़ा सटीक सवाल मेरी ओर उछाला. मैं हडबडा गया- वो तुम मेरे दोस्त की बीवी हो न. तो उससे पहले मैं तेरी जानपहचान की नहीं थी क्या. मैं निरुत्तर सा हो गया. पर मैंने फिर मरी मरी आवाज में बोला उस नाते से तू मेरी बहन हुई क्या मेरी बहन बनेगी तू. पुष्प चहक उठी – हाँ बन जा मेरा भाई मेरा कोई भाई नहीं है चल इस साल रक्षा बंधन पर तुझे राखी बांध के भाई बनाऊ’गी. मैंने भी उसे मुह चिढाते हुए कहा – चल बड़ी आई बहन बनेगी कब है राखी कब आऊं तेरे नरम नरम हाथों से कलाई सजवाने. पुष्प बोली – बुध्धू अक्ल नहीं है या कोई समझ नहीं है राखी परसों है और एक बात और जो तू नहीं जानता होगा. क्या- मैंने सर खुजाते हुए पूछा. परसों के अगली रोज़ मेरा बर्थडे भी है. मैं ख़ुशी से उछल पड़ा(मन ही मन सोचा) अब तो साली अपनी उम्र बताएगी ही बताएगी और बोला- कितने साल की हो जाएगी मेरी नयी नवेली बहन (दुल्हन चुदासी चूत). पुष्प अपनी कोयल सी मीठी आवाज में बोली –पुरे इक्कीस साल की. मैं मन ही मन झूम उठा की अगर पुष्प चोदने को मिल जाये तो मेरी जिंदगी की वो पहली चूत होगी और साली हाय बस पूछो मत कितनी मादक और नशीली है की मुर्दे का भी लंड तान दे. उसके होंठ अगर लंड चूस रहे हो तो लंड ज्यादा देर चुपचाप नहीं रह सकता. जिस्म अगर सोते हुए मर्द से टच हो जाये तो वो जग के झपट से उसे दबोच ले. मैं टीवी रूम की ओर यह सोचते हुए बढ़ चला की अगर कभी पुष्प की नथ उतारने का मौका मिला तो वो मुझसे बहन बनके चुदेगी या भाभी या फिर दोनों.
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चौथा राज
मैं पुष्प की हसीं जवानी के बारे में सोचते हुए टीवी रूम की ओर बड़ा टीवी पर कटरीना की एक मूवी आ रही थी मैं उसी को देखने लगा मेरी आँखों के आगे मेरी अपनी कैट यानि पुष्प नाच रही थी और टीवी पर असली वाली. पता नहीं कब समय गुजर गया ओर मेरे कानो में फिर पुष्प की मधुर आवाज गूंजी. आओ राजू भैया डिनर तैयार है चलो जल्दी से मुंह हाथ धोकर डिनर टेबल पर आ जाओ हम दोनों तुम्हारा इंतजार कर रहे है. डिनर टेबल तक मैं पहुंचा तो मेरे मुंह में पानी आ गया टेबल के दूसरी ओर पुष्प अब नाईटी में बैठी थी मुझे उसकी नाईटी के खुले गले से उसके मादक उभार नज़र आ रहे थे और उधर पुष्प इन सब बातों से अंजान की मैं उसके मस्त यौवन का रसिया हूँ वो मेरे इंतजार में ही थी. कहाँ खो गए थे राजू भैया बड़ी देर लगा दी टीवी रूम में .पुष्प ने मुस्कुराते हुए पूछा(श्री से ज्यादा वो मुखिर होके मुझसे बाते कर रही थी और उसकी मादक जवानी का रसपान करते हुए मैं भी ख़ुशी ख़ुशी हर जवाब दे रहा था शायद उसे भी पता था की मैं उसके अनमोल यौवन का दीवाना हूँ और वो खुद ब खुद आगे बढकर अपने यौवन का नज़ारा भी करवा रही थी और मस्ती भी लूट रही थी मैंने हालाँकि कोई गलत जवाब नहीं दिए थे पर मुझे लगा की वो मेरे किसी भी जवाब का बुरा नहीं मानेगी. मेरे दिमाग में श्री की बात गूंज गयी की पुष्प बाहर काम करना चाहती है शायद इस काम में वो श्री से मेरी सिफारिश करवाना चाहती है और उसको यकीं है की श्री मेरी बात टालेगा नहीं.) अरे कहीं नहीं मैंने भी उसे मस्का मारते हुए कहा जब तुम्हारे जैसी भाभी कम बहन हो तो कोई किसी की याद में क्यों खोएगा. श्री बोल पड़ा यह भाभी या फिर बहन कोई एक तो ठीक है पर भाभी कम बहन. हाँ यार मैंने भी मुस्कुराते हुए श्री को जवाब दिया. तू नहीं समझेगा यह मेरा और पुष्पा के बीच की बात है. श्री ने भी कंधे उचकाते हुए कहा चलो जाने दो तुम जानो तुम्हारी भाभी कम बहन जाने मुझे क्या. पुष्प जैसे उसकी नाराजगी दूर करना चाहती हो इस अंदाज में उसने मेरे ही सामने श्री की जांघ पर हाथ फिराते हुए कहा अरे जानू कुछ तो मेरा राज भी रहने दो या सब कुछ खोल दोगे. श्री ने इस संवाद को द्विअर्थी मोड़ देते हुए उसके कान में धीरे से कहा जानेमन तेरा हर छेद खोल दूंगा आज आ तो रात को मेरे निचे. हालाँकि काफी धीमे कहने के बावजूद कुच्छ शब्द मेरे कानो में पड़े और कुछ मैंने गेस किये क्योंकि पुष्प में उसके पैंट के उभार को मुठी में मसलते हुए कहा आज सारा बुखार उतार दूंगी इसका.मैं उन दोनों के सामने बैठ गया और डिनर का लुत्फ़ लेने लगा. डिनर सर्व करने में जब भी पुष्प मेरे आगे रोटी ,सब्जी, दाल देने के लिए झुकती मैं उसकी ब्रा विहीन छाती की ओर छुपी नज़र से देख देख के उसके अनमोल खजाने का पूरा आन्नद ले रहा था. मुझे पूरा यकीं था की इस वक्त मेरी पुष्प में निचे न ब्रा पहनी है और न ही पैंटी. मेरे मन में यह सवाल कौंध रहा था की श्री और पुष्प जब दोनों को पता है की उनके घर में एक गैर मर्द है फिर वो दोनों इस तरह बेबाक कैसे रह सकते है या फिर दोनों मुझे गैर नही मानते है खैर मैनें भी सोचा जो होगा देखा जायेगा तब तक पुष्प की अनमोल जवानी का रसपान अपनी प्यासी निगाहों से करता रहूँ. डिनर करने के बाद मैं हाथ धोने के लिए जैसे ही वॉशबेसिन के पास पहुंचा तो वो हो गया जिसकी शायद किसी को भी उम्मीद नहीं थी. वाशबेसिन के पास शायद पुष्प ने शाम को ही सफाई की थी और गलती से साबुन का पानी फैला रह गया था और मेरा पैर उस पानी पर पड़ा और में फिसल गया मेरे हाथों ने दिवार का सहारा लेना चाहा पर मैं सफल नहीं हो पाया मेरे मुंह से आह की आवाज निकली और मैं वहीँ पर गिर पड़ा मेरी आँखों के सामने अँधेरा छा गया.
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आगे क्या हुआ कोई खबर नहीं जब आंख दोबारा खुली तो मैं श्री के घर में गेस्ट रूम के गद्देदार बिस्तर पर लेता हुआ था और एक चंचल शोख हसीना सफ़ेद ड्रेस में मेरे ऊपर झुकी थी उसके दोनो तनी हुई छाती मेरे सीने को टच कर रही थी मुझे लगा की यह मुझे होश में लेन का कम बेहोश करने का ज्यादा इरादा लिए हुई थी. सर देखिये इनको होश आ गया उस हसीना ने किसी को पुकारा मैंने उसकी नज़रो का पीछा किया तो पाया एक बुजुर्ग से सज्जन थे. हटो सिस्टर ममता अब मेरा काम शुरू होता है. तुम एक इंजेक्शन बना के ले आओ जो इसके दर्द को कम करे. ओह्ह तो यह जनाब डॉक्टर है और यह हसीना नर्स है मैंने ममता की तरफ गौर किया तो पाया वो सिस्टर सिर्फ काम के लिहाज से थी वैसे वो खुद एक बम से काम नहीं थी भरी भरी छातीयाँ मस्त गोल गोल चुतड जी कर रहा था की कोई नहीं हो तो ममता को ही दबोच के अपनी जवानी का उबल उसकी मांसल चूत में उड़ेल दूँ. मगर डॉक्टर ने दर्द के बारे में क्यों बोला मुझे कैसा दर्द . आआआआह्ह्ह मेरे दिमाग ने अब जाके दर्द का अहसास दिया मेरे दोनों हाथों में कलाई के मोड़ों पर दर्द का समंदर लहरे मार रहा था. मैंने देखा मेरी दोनों कलाइयों पर पट्टी बंधी थी और कुछ इस तरह की मैं चाह के भी अपनी उंगलियाँ भी नहीं हिला सकता था. मैंने उठने का प्रयास किया.लेते रहिये जनाब. डॉक्टर ने कहा आप उपरवाले का शुक्र मानिए की सिर्फ हाथ पर ही गुजरी है वर्ना जिस प्रकार आप गिरे थे ब्रेन भी जा सकता था. मैंने देखा पास में खड़ी पुष्प आँखों ही आँखों में शर्मिंदगी महसूस कर रही थी. मै उसकी ओर देख के मुस्कुराया और बोला कोई बात नहीं डॉक्टर साहेब ऐसा नहीं होता हो आप जैसे इन्सान से मुलाकात कैसे होती. तो आप मेरी मानो और आपको अब अगले हफ्ते तक पूरा आराम करना होगा डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए कहा. पर ऐसा कैसे हो सकता है मैंने विरोध दर्ज कराया. नहीं भैया आपको डॉक्टर साहेब की बात माननी पड़ेगी आपको मेरी कसम. जैसे कमरे में कोई कोयल कूकी हो ऐसी आवाज थी मेरी पुष्प की. मैं उसके आगे कुछ बोलना चाह रहा था परन्तु श्री बोल पड़ा रहने दे दोस्त भी कहता है और हमारी मानता भी नहीं है तेरा सारा ख्याल मैं और पुष्पि रखेंगे. वो प्यार से पुष्पा को पुष्पि और मैं उसे पुष्प कहता था. तभी नर्स ने मेरी बाजु में एक इंजेक्शन लगा दिया और मैं गहरी नींद में जाने लगा. नींद में जाते जाते डॉक्टर की आवाज सुनाइ पड़ी अब यह आराम से रात भर सोयेगा दर्द कम होने लगेगा कल क्लिनिक में ले आना आगे का कोर्स बता दूंगा. ठीक है श्री बोला और आगे उसने क्या कहा मैं सुन नहीं पाया और नींद में डूब गया. मुझे सिर्फ इतना ध्यान था की उस समय भी पुष्प ने सिर्फ नाईट गाउन सा डाला हुआ था और उसकी जवानी एक कहर ढा रही थी मुझे नींद में जाते जाते भी एक ही अहसास था की काश मुझे पुष्प नाम की कलि मसलने को मिल जाये अगर कोई मेरी अंतिम इच्छा पुछता तो मैं उसे पुष्प को चोदने की ही बात बताता.मैं दवा के नशे में डूब गया. रात के कोई पांच या साढ़े पांच हुए होगे की दर्द के हलके हलके असर से आँख खुली थी मैं दर्द से कराहने वाला ही था की मेरे कानो में मेरे रूम का दरवाजा बहार से बंद होने की आवाज आई. ऐसा कौन कर रहा था मैंने सस्पेंस में कुछ बोला नहीं और आगे की सिचुएशन जानने की कोशिश करने लगा. मेरे कानों में श्री की आवाज पड़ी. लो बंद कर दिया दरवाजा आओ पुष्पि अब अपना नाईट गाउन उतार फेंको और मेरे लंड को चूस के मुझे रोज की तरह अपनी मादक कामुक और चिकनी जवानी का रस पिलाओ. कहीं राजू भैया उठ गए तो. पुष्प का डर मुझे सुनाइ दिया. श्री ने झुन्झालते हुए कहा डॉक्टर ने बोला तो था की वो सुबह नौ बजे से पहले नहीं उठेगा. और मैंने दरवाजा भी बंद कर दिया है अब देर न कर मुझे ऑफिस के काम से दो दिन के किये बाहर जाना है और तेरा बर्थडे है आज आजा मेरी चिकनी और कामुक परी पूरी तरह नंगी होके अपना बर्थडे कैंडल चूस. अपने कमरे में चले.पुष्प ने आखिरी कोशिश सी की. क्या पुष्पि मेरी जान मेरी चुदासी चूत हर बार बर्थडे पर तुझे इसी रूम में नंगी करके पेलता हूँ क्यों इस टशन को खराब कर रही है चल नाईट गाउन उतार और आजा मैदान में एक रंडी की तरह और मेरे लंड का सुपाडा चूस मेरी कुतिया और मैं इस बारे में कुछ भी सुनना नहीं चाहता हूँ. ठीक है जो तुम चाहोगे वोही होगा लो मैं उतारती हूँ नाईट गाउन. पुष्प ने सरेंडर कर दिया. मेरी बड़ी तमन्ना हुई की पुष्प के नंगे हुस्न के दीदार किसी तरह कर सकूँ पर ऐसा हो नहीं पाया.
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छठा राज
मेरे कानों में श्री की आवाज पड़ी. लो बंद कर दिया दरवाजा आओ पुष्पि अब अपना नाईट गाउन उतार फेंको और मेरे लंड को चूस के मुझे रोज की तरह अपनी मादक कामुक और चिकनी जवानी का रस पिलाओ. कहीं राजू भैया उठ गए तो. पुष्प का डर मुझे सुनाइ दिया. श्री ने झुन्झालते हुए कहा डॉक्टर ने बोला तो था की वो सुबह नौ बजे से पहले नहीं उठेगा. और मैंने दरवाजा भी बंद कर दिया है अब देर न कर मुझे ऑफिस के काम से दो दिन के किये बाहर जाना है और तेरा बर्थडे है कल आजा मेरी चिकनी और कामुक परी पूरी तरह नंगी होके अपना बर्थडे कैंडल चूस मैं तेरा बर्थडे आज मना के जाना चाहता हूँ.जाना बहुत जरुरी है क्या पुष्प ने पूछा. मेरी चिकनी रानी हो सकता है इस प्रोजेक्ट को करने पर मुझे प्रमोशन मिल जाये सोचो ज्यादा कमी तो तेरी जवानी की ज्यादा ऐश. फिर भी अपने कमरे में चले.पुष्प ने आखिरी कोशिश सी की. क्या पुष्पि मेरी जान मेरी चुदासी चूत हर बार बर्थडे पर तुझे इसी रूम में नंगी करके पेलता हूँ पिछले तीन सालो से याद है न पूरी पूरी रात मस्त नंगी होकर अपने मर्द के लौड़े से खेलती है और अपना प्यारा बर्थडे कैंडल चूसती है. क्यों इस टशन को खराब कर रही है चल नाईट गाउन उतार और आजा मैदान में एक रंडी की तरह और मेरे लंड का सुपाडा चूस मेरी कुतिया और मैं इस बारे में कुछ भी सुनना नहीं चाहता हूँ. ठीक है जो तुम चाहोगे आज भी वोही होगा लो मैं उतारती हूँ नाईट गाउन. पुष्प ने सरेंडर कर दिया. मेरी बड़ी तमन्ना हुई की पुष्प के नंगे हुस्न के दीदार किसी तरह कर सकूँ पर ऐसा हो नहीं पाया. मेरे कानो में श्री और पुष्प के कामुक मिलन की हरेक आवाजें आ रही थी और मैं अपनी उत्तेजना के चरम शिखर पर पहुँच रहा था. श्री की आवाज सुनाइ पड़ी आओ न जानेमन, मेरी हरामजादी चूत, उतार दो यह आखिरी कपडे का टुकड़ा और मेरे लंड को चूस के अपना बर्थडे की बधाई लो. पुष्प के जिस्म से कपडे के खिसकने की बारीक़ सी आवाज भी उस समय मेरे बैचैन कानो को सुने दे गयी. पुष्प की कुक सुनाइ पड़ी हाँ राजा आओ अपनी चिकनी और कामुक पुष्पि के बर्थडे पर उसकी इक्कीस साल की गर्म और जवान चूत चोद डालो मुझे अनचुदी बुर समझ के मेरी नथ उतारो मेरे राजा .मैंने सोचा अरे बाप रे इतना मीठा बोलने वाली पुष्प रातों को इतनी गन्दी बातें कर सकती है मुझे विस्वास ही नहीं हुआ और दुसरी तरफ मेरा लंड तन के टाइट हो गया यह सोच के की जब पुष्प मेरे लंड के निचे आएगी तो साली से ऐसे ही बुलवाऊंगा और इसके साथ हर एक मस्ती लूँगा. श्री बोला सुन कुतिया की तरह चल के आ और मेरा लौड़ा पकड़ के उसका सुपाडा चाट. करती हूँ मेरे राजा.पुष्पि ने मस्ती भरी आवाज में कहा. मैं बिस्तर में पड़ा हुआ कुछ कर नहीं पा रहा था क्योंकि मैं हिलडुल भी नहीं पा रहा था और रूम की खिड़की बंद थी साथ ही दरवाजा वो दोनों चूत और लंड के आशिक बंद कर गए थे. श्री बोला आओ मेरी कामुक रानी अपने मर्द के जिस्म को सहलाओ और उसे अपनी गीली चूत को चोदने केलिए तैयार करो और अपने मर्द से चुद के अपनी चूत को धन्य करो. पुष्प ने बोला. मेरे मर्द तेरे सामने तेरी पुष्पि पूरी नंगी और गर्म होके खड़ी है आओ उसके सीने के सफ़ेद कबूतरो को मुठी में भर लो इनकी चोंच सहलाओ और मेरी चूत में पानी भर जाये तो उसका रसपान करके अपनी जवान चूत को लौड़े का गुलाम बनाओ मेरी चूची को दबोच लो मेरे मर्द, निचोड़ दो मेरी जवान छाती को, मेरे सीने के अंगूरों को चुसो राजा अपनी पुष्पि को अपनी रंडी बना दो . श्री बोला आजा साली कुतिया तुझे क्या तेरे साथ जो वो आज नर्स आई थी न उसे भी चोद डालूँगा, क्या नाम था उस कामुक कुतिया का. पुष्पि बोली हाय राजा बड़ा तना हुआ है लौड़ा तेरा क्या मेरे साथ साथ आज मेरे बर्थडे पर उस अपनी सिस्टर या नर्स ममता को शेयर करोगे. साली सिस्टर होगी तेरी मादरचोद की पतली दरार सी चूत में लौड़ा उतारूंगा और देखना तू खुद उसकी चूत पे मेरा मस्त लंड रख के बोलेगी की राजा चोदो अपनी साली को उसे साली बनाऊगा अपनी और तुम दोनों को एक ही बिस्तर पर कुतीया की तरह न चोदा तो मेरा नाम बदल देना तू.
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आहहह राजा अपनी पुष्पि को चोदो देखो न मैं कितनी मस्त गीली हो चुकी हूँ मेरी चूत में अपनी उंगली डाल के मस्त घमासान मचाओ फिर अपने लौड़े से मेरा बर्थडे सेलिब्रेट करो. मेरे बर्थडे पर क्या गिफ्ट लाओगे. बोल क्या चाहती है श्री ने उसकी चूत में उंगली डालते हुए पूछा. हाय मेरे मर्द और डाल अन्दर तक उंगली बच्चेदानी को सहला दे इस मस्त मोटी उंगली से. मेरे राजा लौटते समय इस उंगली और अपने लौड़े दोनों को सलामत ले आना यही मेरा गिफ्ट होगा. हाय पेलो न अपना लौड़ा मेरी चूत में. पुष्प अपनी मीठी सुरीली आवाज में बोली. मैंने सोचा साली कुतिया जब बोलती इतना मस्त है तो वाकई रोज़ चुदती भी कमाल होगी हे भगवान पुष्प की कामुक और मादक चुदासी जवानी का किसी भी तरह दीदार करा दे. श्री की आवाज आई पता है न जानू मैं तुम्हारे बर्थडे अपने बर्थडे और मैरिज एनिवर्सरी को स्पेशली सेक्स के लिए तुम्हे तैयार करता हूँ. हाँ पुष्प बोली क्योंकि सिर्फ इन्ही तीन रातों को मैं तुम्हारा वीर्य पीती हूँ और तुम्हे अपना वीर्य मेरी छाती पर गिराना और चटवाना अच्छा लगता है. तो तैयार हो जा मेरी कामुक कुतिया अपने कुत्ते का वीर्य पिने को मैं झड़ने वाला हूँ. इतनी जल्दी मेरे मर्द अभी तो मैं ठंडी भी नहीं हुई. पुष्प निराशा के स्वर में बोली. श्री बोला साली मुझे जाना नहीं होता तो दिन के नौ बजे तक तेरी चूत का बुखार उतारता जल्दी कर मुझे फ्लाइट पकड़नी है और टाइम पर एअरपोर्ट पहुंचना है फ्लाइट मिस हो गयी तो समझ लेतेरे इस चोदु की नौकरी गयी. ऐसा नहीं होने दूंगी जल्दी करो और जाओ अपनी नौकरी पर मैं तुम्हारा इंतजार करुँगी मेरे मस्त मर्द. लौट के आओग तो नंगी होकर फिर अपना बर्थडे एक बार और मनाउंगी जल्दी आना मेरी चूत के रसिया. श्री ने पुष्पि को छाती को दबोचते हुए कहा जाना नहीं होता तो आज ही तेरी बच्चेदानी में लौड़े का वीर्य उतार देता. हाय राजा यह सब चुदासी कामुकता लौट के दिखाना पहले अपनी उस मादरचोद बॉस किरण की इच्छा पूरी करो और जल्दी एअरपोर्ट जाओ. ठीक है श्री बोला मैं जल्दी आऊँगा फिर तेरी चिकनी जवानी की मस्ती लुटूगा कोई नहीं दो दिन तू नहीं तो तेरी चूत की यादे ही सही देखना तेरे साथ फ़ोन पर न चुदाई की तो मेरा नाम पुष्पि को कलि से फूल बनाने वाला नहीं. पुष्प खिलखिलाई और बोली ठीक है मेरे अपने पर्सनल मर्द मेरे लौड़े के राजा मेरे चोदनहार ध्यान से जाना और आते वक़्त मेरी चूत के लिए मस्त डिलडो लेके आना तूम नहीं होते हो तो बेचारी चूत प्यासी रह जाती है. श्री बोला ठीक है इस बार तेरे लिए नौ इंच का मस्त नकली लंड लाउंगा उससे अपनी चूत की सेवा करना. चलता हूँ बाय मेरी जान मेरी कामुक कलि मेरी अधखिली फूल मेरे लौड़े के इंतजार में प्यासी चूत. अब जाओ भी बाय मेरे मर्द कहके पुष्प ने घर का मुख्य दरवाजा बंद कर दिया और अपनी ओर देखा हाय रे अभी वो पूरी तरह मादरजात नंगी थी और घर में बाप रे एक मर्द मौजूद था. खैर उस मर्द से क्या डर जो अपने बिस्तर से हिलडुल भी नहीं सकता और मोहताज हो हर काम के लिए. पर उसका दरवाजा तो खोल दूँ. पुष्प ने नाईटी भी नहीं डाली और मेरे रूम की कुण्डी खोलने आ गयी. दरवाजे की कुण्डी खोल के उत्सुकता वश उसने दरवाजे की झिर्री बनाइ और उसमे से अन्दर झाँका. इधर मैंने अपनी पलके मुंद रखी थी और उनकी झिर्री से मैंने दरवाजे की ओर देखा. एक अप्सरा साक्षात नंगी पूरी तरह जवान जिस्म चुदाई के हर रंग देख चूका यौवन मेरी आँखों के आगे था. मैंने पलक मुंद ली काश यह दृश्य हमेशा के लिए मेरे आगे रहे मैं पूरी जिंदगी पुष्प के नंगे जिस्म का भोग लगत रहू. पर ऐसा नहीं हुआ अपने मादक जिस्म की झलक दिखा के वो हुस्न परी दरवाजा लुढका के चली गयी उसके होंठ कोई नया रोमाटिक गाना गा रहे थे आखिर वो अभी अभी अपने पति से भरपूर चुदाई करके जो हटी थी. वो फ्रेश होने के लिए बाथरूम की ओर चली गयी.
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सातवा राज
मेरे दिमाग में अभी तक पुष्प का वो नंगा बदन घूम रहा था और सोच रहा था की फिर ऐसा कैसे हो सकता है मैं पुष्प के उस नायाब हुस्न का दीदार कैसे करूँ. तभी बड़े जोर से मेरे पेट में मरोड़ सी उठी और दिमाग की बत्ती जल गयी. मैंने पुष्प को आवाज दी भाभी जरा सुनना. उधर पुष्प अपने यौवन को बाथरूम में संवार के एक मस्त फ्रॉक टाइप इनर वियर में ढकके अपने रूम में बेड पर लेते हुए श्री और अपनी उस आधी अधूरी चुदाई के बारे में सोच के गीली हो रही थी.उसके कानो में राजू की आवाज पड़ी.उसने घड़ी की ओर देखा अरे अभी तो साढ़े सात ही बजे है अभी से राजू भैया उठ गए और मुझे क्यों पुकार रहे है चल के देखती हूँ. पुष्प राजू के कमरे की ओर आई और दरवाजा खोल के बोली क्या बात है भैया. मैंने मन ही मन सोचा साली कुतिया कितना मीठा बोल रही है लगता ही नहीं की रात में रंडी का रोल प्ले कर रही थी. वो वो .... क्या हुआ अब बोलोगे भी या फिर वो वो ही करते रहोगे. पुष्प खिलखिला दी. उसके हँसते ही कमरे में एक रौनक छा गई.मैंने बोला रक्षाबंधन मुबारक हो मेरी नयी नवेली बहना. पुष्प संजीदा होक मेरे पास आई और मेरे माथे को चूम के बोली तुम्हे भी मेरे भाई. मैंने बोला पुष्प एक प्रॉब्लम है. वो बोली क्या. मैंने बोला मुझे फ्रेश होना है और ममता आई क्या. पुष्प के माथे पे एक पल को शिकन आई फिर वो वैसे ही पुष्प सुलभ मुस्कराहट के साथ बोली वो नहीं आई तो क्या मैं हूँ न तेरी बहन चलो मैं तुम्हे सहारा देती हूँ. पुष्प ने आगे बढ़कर अपने कंधे का सहारा देने का प्रयास किया और मैंने अपने कमीनेपन का साथ लेते हुए उसके मस्त चिकने और नरम गोस्त को अपने से सटाने का. पुष्प को ख्याल ही नहीं था की मैं उसके जवान बदन का उपभोग कर रहा हूँ वो भी उसको अपनी बहन बनाने के बाद यह सब तो एक चाल थी उसकी नरम और गरम जवानी को नोंचने की. मेरे दिमाग ने एक मस्त प्लान दे दिया था अगर सब कुछ ठीक चलता तो थोड़ी देर बाद ही पुष्प मेरे लंड के आस पास नाचती नज़र आती. मैं पुष्प के हसीं बदन के सहारे से खड़ा हो गया और बोला मैं चल लूँगा पैर थोड़े ही जख्मी है. पुष्प अब बोली सॉरी राजू भैया मेरी वजह से आपको इतनी चोट लगी. मैंने कहा कोई बात नहीं पुष्प सब चलता है तुम इसे दिमाग में मत लाओ. मैं बाथ रूम तक आ गया मैंने वहां आके आवाज लगाई पुष्प इशार आना जरा. आई भैया. पुष्प मेरे पास आ गयी क्या हुआ. अरे पगली अब तेरा काम है मेरे हाथों में चोट की वजह से अपना लोअर भी नहीं हटा पाउँगा इसे हटा दो. मैं मन ही मन बोला साली एक बार मेरे लौड़े का साइज़ देख ले श्री की छुनिया भूल जाएगी. पुष्प ने एक सेकंड भी नहीं सोचा और मेरा लोअर निचे खिंच दिया और उसके दिमाग को झटका लगा उसने क्या कर दिया एक गैर मर्द का लोअर उतारने के समय उसे पता नहीं था की मैंने निचे कच्छा नहीं डाला है मेरा लंड उसकी आँखों के आगे आ गया इतना बड़ा लंड उसने कल्पना भी नहीं की होगी वो मुझे वाश रूम के आगे छोड़ के चली गई. मुझे पूरा यकीं था की उसके दिमाग में मेरे लौड़े की तस्वीर होगी वो अपने कमरे में जाके भी मेरे बारे में ही सोचती होगी. मैंने पेशाब किया और फिर उसे आवाज देदी. पुष्प इधर आना. मैंने देखा इस बार उसका नजरिया ही बदला हुआ था आते ही बोली क्या हुआ क्यों बुलाया मैंने बोला इसे ऊपर कर मैं मूत चूका हूँ. इस बार पुष्प ने लोअर ऊपर करते समय मेरे लौड़े को छुआ और उससे मेरे लोअर में घुसेड दिया. उसका नरम हाथ लगते ही मेरा लंड सर उठाने लगा. पुष्प ने यह सनसनाहट महसूस कर ली उसकी आँखें चौड़ी होने लगी. उसने आगे बढ़के मेरा लोअर फिर निचे खिंच दिया. मैंने पूछा यह क्या किया पुष्प. वो बोली मेरे भैया आज ऐसे ही रहो अभी टॉयलेट के लिए बुलाओगे फिर नहाने को कितनी बार आके तेरा लोअर उतारूंगी. तो एक बार में ही थक जाती हो ऐसे कैसे भाई की सेवा करोगी. पुष्प मेरे नजदीक आ गई मैं उसकी सांसों में भारीपन महसूस करने लगा हमारे संवाद द्विअर्थी हो गए थे. एक बार में तो मैं कभी नहीं थकती चाहो तुम भी आजमा लो. मैंने भी उसके चेहरे के पास चेहरा ले जाके कहा आजमाऊंगा जरुर और देखा जल्दी ही. मैं उसके नजदीक था और मेरा लौड़ा उसकी फ्रॉक के निचे उसकी नंगी टांगों को टच कर रहा था. मैंने देखा की पुष्प गर्म हो रही थी. मैंने अपने लंड को हल्का हल्का हिलाना शुरू किया उसकी गरम रगर से पुष्प की आँखें मुंदने लगी और उसका सीना फूलने लगा मैंने पूरी तरह गर्म होकर कहा पुष्प मेरी बहन अभी अजमाना है क्या. पुष्प ने कुछ नहीं कहा और अपनी टांगों का जोर मेरे लौड़े पर बड़ा दिया. मैंने भी बोल ही दिया पुष्प अगर तुझे अपने भाई का जोर देखना है तो बोल अपने मुंह से बोल मेरी बहना तभी कुछ करूँगा मैं. पुष्प शरमाते हुए बोली मैं इतनी बेशर्म कैसे बन सकती हूँ. मैंने सोचा साली रात का भेद खोलूं क्या. फिर मैंने अभी पहल न करते हुए कहा फिर जाने दे मुझे टॉयलेट करना है जाओ पुष्प मेरे लिए नास्ता बनाओ क्या बनाओगी. पुष्प ने जैस इक झटका खाया वो सपनो की दुनिया से बाहर आ गयी बोली तुम तैयारी’ करो टॉयलेट की मैं तुम्हारी पेटपूजा का इंतजाम करती हूँ. श्री कहाँ है मैंने बोला. वो बाहर गया है दो दिन के लिए. पुष्प ने जवाब दिया जो मुझे पता था फिर भी मैंने पूछा अरे इसका मतलब तुम्हारा बर्थडे. उसे याद है हम लोग लौट के एक दिन बाद इसको सेलिब्रेट करेंगे. ओके कहके मैं टॉयलेट में घुस गया और आगे की प्लानिंग सोचने लगा.
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मैं पुष्प के बेडरूम की ओर बढ़ा और सोचने लगा की इस मादरचोद कुतिया की सेक्सी औलाद ने यह क्यों बोला की इस कॉलोनी के सभी मर्द पनाह मांगते है क्या यह रंडी की तरह सब मर्दों के निचे बिछ चुकी है या उनके आगे नंगी होकर सभी मर्दों को अपने हुस्न का जलवा दिखा चुकी है चलो जैसा होगा बताएगी अभी थोड़ी देर में और जैसे ही मैं पुष्प के बेडरूम तक पहुंचा मैंने देखा की उसने अपने चिकने जिस्म से आखरी आवरण भी हटा दिया था. पुष्प नितांत नंगी होके मेरे सामने ख़ड़ी थी मैं उसके सामने एक टी शर्ट में था मैंने बोला यह गलत बात है मेरी कामूक बहना मेरी टी शर्ट उतारो और मुझे अपने जैसा पूरा नंगा करो. पुष्प आगे बढ़ी और मेरी टी शर्ट उतारने लगी इस की वजह से उसके दोनों भरे और मस्त गर्म उरोज मेरे सीने से सट गए और मेरा लौड़ा इस बार उसकी चूत के मुंह पे दस्तक दे रहा था. पुष्प बोली पुरे हरामी हो राजू भैया.मैंने बोला क्यों तो पुष्प हंस के बोली जो मदद कर रहा है उसी की चुत मारने की सोच रहे हो. मैंने बोला पुष्प मेरी जान मेरी बहन मेरी भाभी तुझे क्या बोलू तू बता. वो अपनी दोनों सफ़ेद मस्त छातियाँ मेरे चौड़े सीने पर रगड़ने लगी. इससे मेरे लंड में और उठान आने लगा. मैंने बोला पुष्प तू काम ही ऐसा कर रही है एक नंगे जवान मर्द की छाती पर दो गर्म और नरम गोल गोल चूचियां रगड़ेगी तो वो तेरी चूत मारने की ही सोचेगा.पुष्प हंसी और इस बार उसने अपनी चिकनी जांघें थोड़ी खोल सी दी और मेरे लंड को खुल के चूत से सटने का मौका दिया. मैंने भी अपने लौड़े को हल्का हल्का सा हिला के उसकी चूत के गीलेपन का अहसास किया.पुष्प की आँखों के मुंदने से उसके गर्म होने का पता चल रहा था मैं चाहता तो था ही पुष्प की चूत मार ली जाये पर इतनी जल्दी उसे अपने लौड़े का स्वाद नहीं देना चाहता था इसलिए मैंने अपने लंड को उसकी जांघों से हटाया और पूछा वो ममता आएगी या नहीं. पुष्प भी कामुकता की दुनिया से बाहर आई और बोली राजू भैया मैंने डॉक्टर से कहा तो था की तुम्ह़ारे जागने से पहले उसे भेज दे ताकि तुम्हारे सारे दैनिक कार्य वो करवा सके. फिर पुष्प ने हंस के कहा उसे क्या पता की तू दिन और रात के सारे काम अपनी बहन को चोद के पूरा करेगा .मैंने बोला तो क्या चाहती है तू तेरे रहते हुए मैं ममता की चूत मरुँ तेरे सामने और तुझे प्यासा छोड़ दूँ. सोच वो आके इस लौड़े को पकड़ के मुतवाति और कामुक होके चुदने को तैयार होती तो तू क्या सोचती की तेरे मस्त चोदु भाई ने तुझसे पहले ममता को चोद दिया और पुष्प को प्यासा रहने दिया. बुला उसे मेरी गर्म बहन आज तुम दोनों को एक साथ चोदने का मूड है. पुष्प बोली राजू भैया अभी फिर कॉल करती हूँ उस कॉल गर्ल को . मैंने बोला कॉल गर्ल तो पुष्प फिर खिलखिला दी और कमरे में रौनक आ गयी. हाँ राजू भैया जो साली कुतिया चुदने के लिए भी कॉल करने पर आये तो कॉल गर्ल हुई न. मैं भी उसके साथ हंसा और उसकी चूची को चूमने लगा. हाय पुष्प क्या गज़ब का सीना है तेरा मन करता है सारे सारे दिन इन सफ़ेद गोल कबूतरों की नोंक को चुसता रहूँ. पुष्प बोली राजू भैया बहुत गीला कर दिया है तूने मेरी चूत को. मैं बोला पुष्प रुक जा अभी ममता के आने के बाद तेरी चूत में लौड़ा पेलूँगा वो हम दोनों का सपोर्ट करेगी तो देखना बड़ा मज़ा आएगा. पर पुष्प एक बात बता तो मेरी जान. पुष्प बोली बोलो राजू भैया क्या बताऊँ मैंने कहा तू ममता को कैसे राजी करेगी क्या वो साली मादरचोद मानेगी मुझसे चुदने को.पुष्प ने मेरे होंठ को चूम के कहा राजू भैया वो साली मेरी कजिन है देखना एक बार बोलते ही तेरा लौड़ा लेने को राजी हो जाएगी. मैंने पुष्प की चुची की नोंक को दान्त चुभलाते हुए कहा वाह ऐसा हो जाये पुष्प मेरी जान तो आज रात तेरे साथ स्पेशल सुहागरात मनाऊगा देखना आज रात तू मेरे लंड की सैर करेगी और तेरी चूत के साथ साथ तेरे गले में अपना वीर्य डालूँगा और अपनी सारी फंतासी पूरी करूँगा. हाय राजू भैया पुष्प अपनी चूचियां मेरे सीने पर रगड़ रही थी और मेरा लंड ताण्डव कर रहा था मैं अपने लंड को उसकी चूत की गहराइयों में उतारने की कोशिश में था पुष्प ने अपने गुदाज हाथ से उसे पकड़ा और उमेठने लगी. पुष्प के गुदाज हाथ में लंड को ऐसा फील हो रहा था जैसे की उसकी चूत में घुसा हुआ हो. मेरे कान के पास मुंह ले जाके पुष्प बोली राजू भैया अपनी फंतासी बताओ सब पूरी कर दूंगी आज बताओ राजू भैया आज तुम्हारी पुष्प पुरे मूड में है जो भी अनैतिक,अप्राकृतिक फंतासी भी हो तो बोल दो आज हिचको मत मेरे मस्त लौड़े. मेरे लंड में इतना तनाव था की मैंने आव न सोचा ताव उसके नर्म होंठ पर होंठ रख दिए और उसे चूसने लगा. आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह मस्त हो तुम राजू भैया. बोलो न अपनी भाभी को क्या है तुम्हारी सबसे कामुक सोच अपनी पुष्प के बारे में. मैंने पुष्प नाक को चूमना शुरू किया मैंने कहा मेरी रानी मेरी तेरे बार में कामुक सोच है की मैं तुझे पूरी नंगी देखूं मुझे पता था की पुष्प की नाक को चूमो तो उसकी चूत पानी में भर जाती है मैंने पुष्प की नाक के तिल को जीभ से चाटा और बोला यह मेरी एक फंतासी थी की तेरी नाक के इस कामुक तिल को चूस सकू. पुष्प मेरे से सट गयी और कामुकता में डूब के बोली राजू भैया अपनी पुष्प भाभी के अंग अंग को चूस लो चाट लो आज कोई रोक नहीं है पूरी नंगी खड़ी हूँ तेरे सामने मेरे राजू भैया.
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मैंने कहा मेरी इच्छा है तू मुझे अपना मर्द बोले. आआआआआआह्ह्ह्ह राजू भैया आओ अपनी पुष्प की चूत चोदने के लिए जब उसकी चूत पर लौड़ा रखोगे तुम्हारी यह चिकनी और चुदासी पुष्प तुम्हे अपना मर्द बोलेगी और तुमसे मस्त चुदेगी. आआआह राजू भैया अपनी पुष्प भाभी के बारे में और कोई कामुक इच्छा हो तो बोलो. मैंने कहा पुष्प वो मादरचोद तेरी बहन ममता कहाँ मर गयी न आती है न फ़ोन करके बोलती है की नहीं आयेगी ताकि तुझे चोदने के मूड में आऊ. पुष्प बोली वो कुतिया आये न आये मेंरी चूत का दरवाजा तेरे किये आज और कल दोनों दिन के लिए खुला है मेरे राजू भैया.ओह्ह मेरी मादरचोद बहन मैं आज तुम दोनों को एक ही बिस्तर पर रंडी की तरह चोदना चाहता हूँ. कुछ मामला सेट कर मेरी मस्त चोदु पुष्प. पुष्प बोली ठीक है राजू भैया एक बार और देखती हूँ. पुष्प के इतना बोलने के साथ ही कॉल बेल बज उठी.पुष्प चहकी देखा मेरी मादक बहन ममता ही होगी और उसने अपना फ़ोन उठा के उसे कॉल दी. फ़ोन की रिंग बाहर सुने देते ही पुष्प ने फ़ोन काट दिया और नंगी ही ममता को अन्दर लेन चल दी मैं भी जब तक वो दोनों आती तब तक उसके रूम में पड़े सोफे पर नंगा ही बैठ गया और मेरा लंड अपनी पूरी मादरचोदी के साथ तना हुआ खड़ा था मैंने अपने लंड को हाथ में पकद के सहलाया और कहा रुक जा साले आज दोनों की चुत मिलेगी थोडा इत्मिनान रख. लौड़े ने भी एक बूंद रस टपका के हामी भरी.
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(22-12-2021, 05:23 PM)aamirhydkhan1 Wrote: nice story
but no likes etc ....
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