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Romance मेरी पहली चुदाई मेरे जीजू ने की
#1
मेरी पहली चुदाई मेरे जीजू ने की

(jija ne sali ki gand mari)


जीजा ने साली की गांड मारी इस कहानी में. मेरी दीदी जीजू हमारे घर आये हुए थे. मैंने उन दोनों को सेक्स करते देख लिया. जीजू मेरा नाम लेकर दीदी की गांड मार रहे थे.


दोस्तो, आप सभी को कजरी का नमस्कार! मैं एक 27 वर्षीया शादीशुदा महिला हूं और मैं पटना, बिहार में रहती हूं।

मैं गदराये बदन की मालकिन हूं। मेरी फिगर 38D-32-40 की है और गोरा रंग है।
मेरी हाईट 5 फुट 9 इंच है, मेरी इस हाईट और फिगर की वजह से बहुत ही सेक्सी लगती हूं।

यह मेरी पहली कहानी है पहली चुदाई की, जिसमें जीजा ने साली की गांड मारी. उम्मीद है कि आप लोगों को पसंद आएगी।

कहानी आज से लगभग 8-9 साल पहले की है, तब मैं गांव में रहती थी।
मेरे परिवार में मेरे मम्मी, पापा, सबसे बड़ी दीदी, भैया और मैं हूं।

उस समय मेरी फिगर 34C-28-32 की थी। मेरे आसपास के लड़के मुझ पर लाइन मारते थे।
मैं भी जवानी में कदम रख रही थी और यह सब अच्छा लगता था।

मेरी दीदी, अर्चना, जिनकी अभी नई नई शादी हुई थी, वो दिखने में मुझसे भी कहीं ज़्यादा खूबसूरत है और उनका रंग बिलकुल दूध सा सफेद है।
उनकी फिगर 30A-24-28 की थी उस समय और उनकी हाईट 5 फुट 6 इंच है।

मेरे जीजू का नाम श्याम है और दिखने में बहुत हट्टे कट्टे हैं, उनकी हाईट 6 फुट 2 इंच है।

शादी के बाद से ही वो मुझसे काफी हंसी मजाक करते थे। कभी कभी वो मुझे इधर उधर हाथ भी लगा देते थे।
मैं भी इस सबका खूब मजा लेती थी।

गर्मी के दिनों में हम सब छत पर सोया करते थे।

इसी तरह एक रात हम सब सो रहे थे कि अचानक से मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि दीदी और जीजू सीढ़ियों से नीचे जा रहे हैं।

मैं समझ गई थी कि इनका चुदाई का प्रोग्राम है। मैं भी चुपके से इनके पीछे उतर गई।

मैंने देखा कि दोनों अपने कमरे में जाकर गेट बंद कर लिया है।
फिर मेरा ध्यान उस रूम के खिड़की पर गया तो मैंने देखा कि वो खुली हुई है। उन दोनों ने शायद जल्दी जल्दी में ध्यान नहीं दिया।

मैं छुप कर वहां से अंदर कमरे में देखने लगी।

मैंने देखा कि दोनों एक दूसरे से चिपके हुए हैं और एक दूसरे को किस कर रहे हैं।

फिर उन दोनों ने अपने अपने कपड़े उतारे.

और फिर मेरी दीदी घुटनों पर बैठ गई और जीजू का लन्ड हाथ में लेकर खेलने लगी।

तब मेरी नजर जीजू के औजार पर गई तो मैं चौंक गई, मेरी आंखें खुली की खुली रहा गयी।
उनका लन्ड बहुत ही लंबा, लगभग 7 इंच का, मोटा और काला था।

दीदी ने जीजू का लंड अपने मुंह में ले लिया और किसी पोर्न स्टार की तरह चूसने लगी।

जीजू ने उनके बाल पकड़ रखे थे और जोर जोर से अपना लन्ड अन्दर बाहर कर रहे थे।

दीदी बड़ी मुश्किल से उनका पूरा लन्ड अपने मुंह में ले पा रही थी और उनके मुंह से झाग भी निकल रहा था।

बीच बीच में जीजू उन्हें थप्पड़ भी मार रहे थे और गाली दे रहे थे- चूस, साली रण्डी।

मैं भी यह सब देख कर काफी उत्तेजित हो गई थी और मैं अपनी चूत को सहलाने लगी।

कुछ मिनटों के बाद जीजू ने दीदी को गोद में उठाया और बेड पर पटक दिया।
दीदी उनके शरीर के सामने एक नन्ही गुड़िया जैसी ही लग रही थी।

फिर जीजू ने उन्हें कुतिया बनने को कहा।
मैं सोचने लगी कि बेचारी दीदी इतने बड़े लन्ड को अपने चूत में कैसे ले पाएगी।

तभी मैंने देखा की उन्होंने अपना पूरा लन्ड एक ही बार में दीदी की गान्ड के छेद में डाल दिया।
दीदी दर्द से चिल्ला उठी।

जीजू ने इस पर बोला- साली, इतनी बार तेरी गान्ड मार चुका हूं फिर भी नाटक करती है। चुप हो जा वरना कोई जाग जाएगा।
दीदी ने अपना मुंह तकिए में दबा लिया।

जीजू घपाघप दीदी की गान्ड में अपने लन्ड से प्रहार कर रहे थे। वो कभी दीदी का बाल पकड़ कर खींच रहे थे तो कभी कभी चूतड़ों पर थप्पड़ लगा देते।

अब दीदी भी गान्ड उछाल उछाल कर अपनी गांड मरवा रही थी।

जीजू उन्हें कई सारी गंदी गालियां देकर चोद रहे थे और दीदी बोलती- हां मेरे स्वामी, आज अपनी इस रांड की गान्ड फाड़ दो।

मैं यह सब देखकर बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी। मैं भाग कर रसोई में गई और एक बैगन लेकर आ गई।

अब मैंने देखा कि जीजू ने दीदी को गोद में उठा लिया है और हवा में ही उनकी गांड मार रहे हैं।

मैंने भी अपनी पैंटी उतार दी और अपनी चूत में बैगन को अंदर बाहर करने लगी।
मैं खुद को दीदी की जगह सोच रही थी कि काश ऐसी ही दमदार चुदाई मेरी होती। मैं यह सब सोच कर बैगन से अपनी चूत की चुदाई कर रही थी.

और अब मैं झड़ने ही वाली थी कि मैंने सुना- कजरी, आज मैं तेरी गान्ड फाड़ दूंगा।

यह सुनते ही मेरा दिमाग ठनका कि जीजू मेरे बारे में सोच कर दीदी की गान्ड मार रहे हैं।
इससे मैं और ज्यादा उत्तेजित हो गई और बड़े ही जोर से झड़ गई।

अब दीदी और जीजू भी झड़ चुके थे और दीदी की गान्ड में जीजू का माल पूरा भर गया था।

मैंने अपनी पैंटी ली और भाग कर छत पर आ गई। मैंने बैगन को छत से घर के पीछे की तरफ फेंक दिया और सोने चली गई।

अगले दिन जब मुझे दीदी अकेले मिली तो मैं उनसे कहने लगी कि मैंने कल रात सब देख लिया।
मेरी दीदी यह सुनकर चौंक गई।

मैंने आगे बोला- मैंने देखा कि कैसे जीजू मेरा नाम लेकर तुम्हें चोद रहे थे, मैं उनकी यह ख्वाहिश पूरी करना चाहती हूं।
दीदी ने मुझसे कहा- ठीक है, तेरे जीजू तो कबसे मुझे तुझसे ये बात करने के लिए बोल रहे हैं. लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई।

मुझे बहुत अजीब लगा कि दीदी ने मुझे डांटा क्यों नहीं और इतनी आसानी से वो अपने पति से अपनी बहन को चुदवाने के लिए कैसे राज़ी हो गई।
फिर मैंने सोचा- जाने दो, मुझे तो बस लन्ड से मतलब है।

मैं पूरा दिन अब यही सोच कर खुश हो रही थी कि रात में जमकर मेरी चुदाई होगी.
और मेरी चूत गीली हो रही थी।

मैं जब नहाने गई तो अपनी चूत में उंगली करके खुद को ठंडा किया और अपनी चूत के सारे बाल साफ करके एकदम चिकनी कर लिया।
अब मैं रात का इंतजार करने लगी।

शायद दीदी ने भी अब तक जीजू को सब बता दिया था क्यूंकि वो मुझे बहुत ही वासना भरी नजरों से देख रहे थे।

फिर रात हुई और सब सोने के लिए छत पर आ गए।

कुछ देर के बाद जब सब सो गए तो जीजू मेरे पास आकर मुझे नीचे चलने के लिए बोले.
मैं भी उनके पीछे चल दी।

नीचे कमरे में जाते ही वो मुझसे चिपक गए और मुझे बेइंतहा चूमने लगे।
मैंने बोला- गेट और खिड़की बंद कर लेते हैं पहले!

फिर मैंने सब बंद कर दिया और अब मैं भी उनसे चिपक कर पागलों की तरह उनके होठों को चूमने लगी।
तभी उन्होंने मेरी नाइटी उतार दी और मैं पूरी नंगी हो गई क्यूंकि मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था।

जीजू मेरी चूचियों को देख कर पागल हो गए और उन्हें अपने मुंह में लेकर चूसने लगे।

मैं मदहोश हो रही थी और हल्की सिसकारियां भरने लगी।
मैंने उनके सर को पकड़ कर अपनी चूचियों पर दबा दिया।

कुछ देर तक मेरी चूचियों को चूसने और दबाने के बाद वो अलग हुए और अपने सारे कपड़े उतार दिए।
मैंने उनके लौड़े को अपने हाथ में लिया और उसे अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।

उन्होंने मुझसे कहा- वाह, तू तो बिल्कुल खेली खिलाई लगती है।
मैंने कहा- नहीं, वो मैंने ब्लू फिल्मों में देखा है और कल दीदी को भी तो करते देखा था।

इस पर वो हंसने लगे और मेरे बालों को पकड़ कर अपने लन्ड को मेरे मुंह में अंदर बाहर करने लगे।
मैं हांफ रही थी।

फिर उन्होंने अपना सारा माल मेरे मुंह में निकाल दिया, मुझे बहुत अजीब लगा।
लेकिन उन्होंने कहा- पी जा साली!
और मैंने उनका सारा माल पी लिया।

फिर उन्होंने मुझे बेड पर लेटने को कहा, मैं लेट गई।
उन्होंने फिर अपना लन्ड मेरे गान्ड की छेद पर लगाया तो मैं सहम गई और बोली- गान्ड नहीं, पहले चूत में डालिए।

इस पर वो हंसने लगे और कहा- मैं चूत नहीं मारता, सिर्फ गान्ड मारता हूं। आज तक तुम्हारी दीदी की चूत भी कुंवारी ही है।

मैं बहुत डर गई कि पहली बार इतना बड़ा लौड़ा ले रही हूं और वो भी सीधा गान्ड में।
फिर उन्होंने धक्का लगाया और थोड़ा सा लन्ड मेरी गान्ड में घुस गया.

मुझे तो ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरी गान्ड फाड़ दी हो।
मैं चीखी लेकिन फिर अपने हाथों से मुंह को दबा लिया की कोई कहीं उठ न जाए।

वो धीरे धीरे करके अपना लन्ड मेरी गान्ड में डाल रहे थे क्योंकि मेरी छेद बहुत टाईट थी।

मुझे बहुत दर्द हो रहा था और आंखों से आंसू गिर रहे थे। लेकिन मैं उन्हे रुकने के लिए नहीं बोल सकती थी क्यूंकि वो मेरी नहीं सुनते।

अब उनका पूरा लन्ड अन्दर तक जा चुका था, मुझे तो ऐसा महसूस हो रहा था जैसे किसी ने एक डंडा मेरी गान्ड में डाल कर छोड़ दिया हो।
वो धीरे धीरे झटके लगाने लगे और मेरी चूचिया को चूसने लगे। बीच बीच में वो दांत से काट भी लेते थे।

अब धीरे धीरे मेरा दर्द कम होने लगा और मुझे मजा आने लगा।
मैं भी अपनी गान्ड उछाल कर उनसे चुदाने लगा।

उन्होंने भी अपने धक्कों की स्पीड तेज कर दी और बीच बीच में मेरी चूचिया पर चपत भी लगा देते थे।
मेरी चूचियां लाल हो गई थी, मुझे बड़ा मजा आ रहा था।

वो बोल रहे थे- मेरी रानी, कब से तुझे चोदने का सोच रहा था मैं, आज जाके हाथ आया है। जम के चोदूंगा आज तो। कितनी टाईट है तेरी गान्ड।
मैंने भी कहा- हां अकंल, आपका  आज से आधी घरवाली के जगह पूरी घरवाली बन गया है। फाड़ दो मेरी गान्ड।

कुछ देर बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बनने को कहा, तो मैं घुटनों के बल होके लेट गया और अपनी गान्ड को थोड़ा ऊपर उठा लिया।
अकंल ने फिर मेरी गान्ड में अपना लन्ड डालकर डॉगी स्टाइल में चोदने लगे।

मैं भी गान्ड उछाल उछाल कर के उनसे चुदवाने लगा, मुझे बहुत मजा आ रहा था।
वो मेरी गान्ड पर थप्पड़ भी लगा रहे थे और बोल रहे थे- साला क्या मस्त है तेरी गान्ड, जी करता है जिंदगी भर इसे चोदता रहूं। कितनी मखमली है, जबसे तुम्हें शादी में देखा था तब से ही तेरी गान्ड मारने की सोच रहा था।

मैंने भी बोला- तो अच्छे से चोद ना बहनचोद, दम नहीं है क्या तेरे लौड़े में?
यह सुनकर वो गुस्सा हो गए.

मैं तो यही चाहता था।
उन्होंने मेरे बालों को पकड़ कर खींच लिया और गान्ड पर भी बहुत जोर से थप्पड़ लगाने लगे।

कुछ देर तक उन्होंने जम कर धक्के लगाए और अपनी पिचकारी मेरी गान्ड के अंदर ही छोड़ दी।


उन्होंने अपना लन्ड मेरी गान्ड से निकाला तो मुझे वहां बहुत ही खाली सा महसूस हुआ।
इस तरह से अकंल ने मन्दीप की गांड मारी.

अकंल ने अपने कपड़े पहने और छत पर चले गए।
उनका वीर्य मेरी गान्ड के छेद से रिस कर निकल रहा था।

मेरी अब ऐसी हालत नहीं लग रहा था कि मैं वापस छत पर जा सकूं। मैंने वहीं पर एक चादर ओढ़ी और सो गया।

अगली सुबह मुझे मनेस उठाने आया.
उन्होंने मेरी हालत देखी तो थोड़ी सहम गया।

मनेस ने मुझे एक क्रोसिन की गोली दी, मैंने खा ली।
उन्होंने वही पड़ी मेरी नाइटी को देखा तो उसे उठा कर मुझे पहनाया।

फिर उन्होंने मुझे सोने को बोल दिया और गेट लगाकर बाहर चला गया।

 शायद छत पर सोने की वजह से ऐसा हुआ है तो अभी उसे आराम करने दो।

मैं भी फिर सो गया और दोपहर को जाकर मेरी नींद खुली।
दवा के वजह से मेरा दर्द काफी कम हो गई थी और मैं चल भी पा रहा था
फिर मुझे मनेस से पता चला कि अकंल अपने घर चले गए हैं।
तो कैसी लगी आपको अकंल ने मन्दीप की गांड मारी कहानी? अपने सुझाव मुझे जरूर मेल करें।
मैं अपनी आगे की कहानियां भी आपके सामने लाता रहूंगा तब तक के लिए मुझे अपने सुझाव जरूर लिखें।
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