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Adultery रश्मि दीदी
#1
मेरा नाम तुषार हे और रश्मि  मेरी बड़ी बहन थी| मेरी और उनकी उम्र में १ साल का फरक था ,में उन्हें कभी दीदी कभी रश्मि दीदी तो कभी रश्मि कहकर भी बुलाया करता था ,मेरे पापा ने उनकी शादी इस डर से की कोई लोंडामेरी दीदी की जवानी का मजा नहीं लुट ले उनकी शादी १८ साल की उम्र में जयपुर निवासी राज से कर दी थी|
दीदी की शादी का सबसे बड़ा नुकसान मुझे भी उठाना पड़ा क्न्योकी में उनकी पेंटी देखकर और सूंघकर,चुदाई में उनकी कल्पना कर मुठ मारा करता था,दीदी की शादी हो जाने के बाद में इस सुख से वंचित हो गया था|
शादी के बाद जब दीदी घर आई तो उनके चेहरे पर वो ख़ुशी नजर नहीं आई जो ताजा ताजा चूत फ़द्वाने के बाद ओरतो में नजरआती हे   ,बाद में मुझे  पता चला की राज जीजा का लोडा दमदार नहीं और वो दीदी की चूत की प्यास बुझा नहीं पाते हे| मुझे अपनी दीदी  कि जो बात सबसे ज्यादा पसंद थी वो था उसका शानदार जिस्म। गोरा बदन,सुंदर चेहरा,बेह्तरीन चिकनी एवं मोटी जांघे,बाहर की तरफ़निकलती हुई गोल गोल मोटी मोटी गांढ़ और मदहोश करने वाली रसीली शानदार उभारों वाली उसकी दोनों छातियां। मैं तो जब भी उसे देखता मेरा लंड़ खड़ा हो जाता और मुझे ऎसी ईच्छा होती कि मै इसे तुरंत नंगी कर ड़ालू और उसकी रसीली छातियों में भरे हुए जवानी के रस को जी भर कर पिऊ। लेकिन ये एक सच्चाई थी कि वो रसीली छातियां और मखमली चूत मेंरी नही थी।
एक बार की बात हे जब में दीदी के ससुराल जयपुर गया जब राज जीजाजी बहार गए हुए थे और घर पर उनकी सास ही मोजूद थी ,दीदी ने मुझे उप्पर वाले कमरे में सोने को कहा,इस कमरे के बहार खुली छत थी,जिसमे १ खिरकी थी जिसमे दीदी के कमरे का कूलररखा हुआ था और जिसकी दरार में से दीदी का बेडरूम भी दीखता था|रात को जब में छत पर टहल रहा था मुझे दीदी के कमरे में खटपट की आवाज आई,मेने कूलर की दरार में से दीदी के बेडरूम में झाँका तो dek
उसने अलमारी से अपना नाइट गाउन बाहर निकाल कर आल्मारी को बंद किया और वो पलंग की तरफ़ गई वहां उसने अपना गाउन रखा और और उसने अपने पल्लु को हटा कर नीचे गिरा दिया अब उसका ब्लाउस साफ़ दिखाइ दे रहा था अब उसने अपने लहंगे में फ़ंसी साड़ी को भी निकाल कर अलग कर दिया । वो अब केवल लहंगे और ब्लाउस में खड़ी थी । तभी अचानक वो चलते हुए कूलर की तरफ़ बढी मैने देखा चलते वक्त उसके वक्ष बेहतरीन अंदाज में हिल रहे थे। कूलर के ठीक नीचे टी.वी. था वो उसके पास आइ और टी.वी. चालू कर दिया। अब वो t.v. देखते हुए ही अपना हाथ अपने ब्लाउस की तरफ़ ले गई और उसने उसका पहला बटन खोल दिया

अगर छत में कूलर न होता तो मेंरे और उसके बीच केवल एक हाथ का ही अंतर था। इतने पास से उसका बदन देखने से मेंरा मुंह सूखने लगा और लंड़ ने अंदर बगावत कर दी अब मुझे उसको संभालना मुश्किल हो रहा था। जैसे ही उसने अपने ब्लाउस का पहला बटन खोला मुझे उसकी क्लीवेज साफ़ दिखाई देने लगी अब लंड़ बुरी तरह से कड़क हो गया था और उसे संभालने में मुझे दिक्कत होने लगी मैने उसे सीधा करने के लिये जैसे ही खड़ा होने की कोशीश की उत्तेजना के कारण मै हल्का सा कूलर से टकरा गया और थोड़ी सी टकराने की अवाज हुइ मैं घबड़ा गया और कूलर के पास से हट गया और अपने लंड़ को सीधा किया। मुझे ऎसा लगा कि मैं वहां से भाग जाऊं लेकिन रश्मी  दीदी का गदराया बदन देखने की चाहत में फ़िर जोखिम उठाते हुए कूलर में आंख गड़ाकर अंदर देखने लगा। t.v. चलने की वजह से उसने उस अवाज को नहीं सुना था , मैने देखा वो उसी जगह खडी थी टी.वी. देखते हुए अब तक उसने अपने ब्लाउस के सभी बटन खोल लिये थे और उसकी ब्लाउस के अंदर से मुझे उसकी गुलाबी ब्रा साफ़ दिखाई दे रही थी। उसकी छातीयां पूरी गोलाईयां लिये थी और वो पूरी तरह से कड़क थी लग्भग ३८ की साईज और पूरी तरह से कड़क स्तन मेंरा लंड़ अपने आप हरकत करने लगा और झटके देने लगा।
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#2
अब उसने अपना ब्लाउस भी नीचे गीरा दिया और वो केवल लहंगे और ब्रा में मेरे ठीक सामने खड़ी थी। मेंरा ऎसा मन हुआ की अभी उसके कमरे में जा कर उसको चोद डालूं। ब्लाउस नीचे गीरा देने के बाद उसने t.v. देखते हुए अपना
हाथ अपने लहंगे के नाडे पर रखा और धीरे से नाड़ा खोल कर उसे छोड़ दिया उसका लहंगा अपने आप नीचे गीर गया । अब एक अनिद्द सुंदरी मेरे सामने केवल पेन्टी और ब्रा में खड़ी थी और मैं उसे देखने के अलावा कुछ भी कर
पाने की स्थीति में नही था। मैंने अपने लंड़ को जोर से दबा लिया । केले के पत्तों की तरह चिकनी जांघ और कमर में फ़ंसी गुलाबी पेन्टी उसकी खुबसूरती को और बढा रहे थे।चूंकी वो खिड़की के काफ़ी करीब खड़ी इसलिये मुझे सब साफ़ साफ़ दिखई दे रहा था। उसकी गुलाबी पेन्टी से उसकी चूत का उभार साफ़ साफ़ दिखई दे रहा था। अब क्लाईमेक्स शुरु होने वाला था, उसने अपने हाथों से अपनी ब्रा की पट्टी को कंधो से नीचे गीरा दिया और इधर मेंरे दिल की धड़्कन तेज होने लगी। अब उसने अपनी ब्रा को हाथों से घुमाते हुए उसके पिछले हिस्से आगे कर लिया याने ब्रा के हुक सामने आ गये इस्के कारण अब वो लगभग नंगी हो चुकी थी उसके विशाल तने हुए स्तन मेंरी नजरों के सामने झूल रहे थे और मेंरी जवानी को ललकार रहे थे। अब उसने अपने ब्रा के हुक को खोला और अपनी छातीयों ब्रा के बंधन से अजाद कर दिया। अब वो मेंरे सामने जवानी के रस से भरपूर अपनी गदराइ हुई छातीयों को खोले हुए नंगी खड़ी थी।
मेंरी रश्मी दीदी मेंरे एक्दम सामने पड़ी थी उसे देखकर मुझे अपने अंदर एक लावा बहता हुआ मह्सूस हुआ। मेंरी नजर उसकी छातीयों पर पड़ी उसने ब्रा नहीं पहना था लेकिन फ़िर भी उसके कसाव में कोई कमी नही आई थी,वो लटके हुए नहीं थे पूरी तरह से तने हुए थे और उसकी सांसो के साथ पूरी तरह से ताल मिलाते हुए बड़े आकर्षक अंदाज में हील रहे थे।मेंरा मन किया कि उसे मसल ड़ालूं और उसका रस चूसने लग जाऊं।लेकिन मैंने सब्र से काम लेना ठीक समझा। अब मैंने उसके लटके हुए हाथ की
कलाईयों को हौले से अपनी उंगलियों की गिरफ़्त में लिया और उसको आहिस्ता से उपर की तरफ़ उठाया। थोड़ा सा उपर उठाने के बाद उसके चेहरे की तरफ़ देखा वो उसी तरह से सोई रही। अब मैने उसके हाथ को छोड़ दिया अब वो झटके से नीचे आ गिरे, ऎसा २-३ बार करने के बाद भी जब वो नहीं हिली तो मैं समझ गया कि वो मुर्दों से शर्त लगा कर सोई है।अब मैं काफ़ी बेखौफ़ हो गया और मैंने दीदी  के पंजो को धीरे से अपने हाथों पकड़ लिया और धीरे धीरे प्यार से उसको सहलाने लगा। कुछ देर तक इसी तरह करने के बाद मैने रश्मीदीदी  को सहलाने का दायरा बढ़ा लिया और अब मैं धीरे धीरे उसके बांए हाथ को कंधे तक सहलाने लगा।

इस तरह उन्मुक्त और बेसुध सोती हुई दीदी  बेहद मादक लग रही थी, उसका अर्धनग्न जवान शरीर किसी भी मर्द को पागल करने के लिये काफ़ी था। अपने सामने उसे पा कर पिछले आठ माह की मेंरी दमित कामवासना जागृत होने लगी थी, मैं अत्यन्त कामुक नजरों से उसके बदन को घूर रहा था और उसके शरीर के स्पर्श का आनंद ले रहा था। इस स्त्री को इस तरह अपने सामने बेसुध पड़ा पाकर मैं तमाम रिश्तों को भूल गया और उस जवान कली के हुस्न को अपने हाथों से मसलने के लिये मैं बेचैन होने लगा।

मैने अपना हाथ अब उसके कंधे पर ही रख दिया और उसे हल्के हल्के मसलने लगा और फ़िर धीरे से मैने अपने हाथॊं की उंगलियां उसके स्तन का उभार जहां से शुरु हो रहा था वहां रख दी। आहहह कितना नर्म था उसका स्तन। अब मैं बेचैन होने लगा और धीरे धीरे मेंरा पूरा पंजा उसके बांए स्तन के उपर रख दिया।पूरा स्तन मेंरे हाथ में आते ही मेंरा लण्ड़ अपने काबू के बाहर हो गया अब वो अंदर मे बुरी तरह से झटके मारने लगा।अब मैं खिसक कर उसके पलंग से एकदम चिपक गया और उसका बांया हाथ अपने घुटनों पर रख लिया, मेंरा एक हाथ उसके बांये स्तन को धीरे धीरे मसल रहा था और अब मैंने अपने दूसरे हाथ से उसके बांए हाथ के पंजो को पकड़ लिया और उसको चूमने लगा। २-३ मीनट तक ऎसे ही मैं उसके स्तन को हौले हौले मसलते रहा और उसके हाथों को चूमते रहा फ़िर मैंने अपने दांये हाथ से उसके स्तन को मसलना छोड़ कर उसको धीरे से उसके गाऊन के बटन के उपर रखा और अपने हाथों की ऊंगलियों से ही एक छोटे से प्रयास से उसका पहला बटन खोल दिया।

पहला बटन खुलते ही मुझे उसका क्लीवेज साफ़ दिखाई देने लगा , कामवासना के अतिरेक के कारण मेंरी आंख लाल सुर्ख हो गई थी और मैं अत्यंत कामुक नजरों से उसके बदन को घूर रहा था और स्पर्श कर रहा था। मैंने अपना हाथ उसके क्लीवेज पर घुमाते हुए धीरे से अपना हाथ उसके गाऊन के अंदर ड़ाल दिया और अब मैं उसके दांए स्तन को मसलने लगा।

इंसान को जितना मिलता है उसकी भूख और बढ़ती जाती है,कभी मैं रश्मी के शरीर के स्पर्श मात्र से अभीभूत हो जाता था लेकिन आज उसके दोनों स्तनों पर हाथ फ़ेरने के बाद भी मेंरी अधीरता बढ़ती जा रही थी। मैं हौले हौले उसके दोनों स्तनों को बारी बारी मसलते रहा, अब मैंने अपना हाथ उसके गाऊन से बाहर निकाला और धीरे धीरे उसके गाऊन के बाकी बचे तीनों बटन भी खोल दिये।गाऊन के चारों बटन खोल्ने के बाद मुझे उसकी नाभी तक का शरीर साफ़ दिखने लगा। बटन खोल देने के बाद मैने उसके दोनों स्तनों के उपर से गाऊन को धीरे से हटा दिया,उसके दोनों स्तन मेंरे सामने अपने पूर्ण उभारों के साथ मेंरे सामने नग्न पडे़ थे, और मैं पूरी तरह से स्वतन्त्र था उनके साथ खेलने के लिये। अब मैंने उसके दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और हौले हौले उन्हें मसलने लगा। तभी अचानक उसके नाक से हल्की हल्की अवाज आने लगी याने वो और गहरी नींद मे चली गई।धीरे धीरे उसके नाक की अवाज बढ़ती गई और अब वो खर्राटे लेने लगी।
उसके नाक से निकलने वाली खर्राटों की अवाज ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया अब मैं तनिक और दबाव के साथ उसके स्तनों को दबाने लगा।उसके खर्रटों की ध्वनी और तेज होने लगी। उसकी इस कदर गहरी नींद ने मुझे पूर्णतया बेखौफ़ कर दिया और अब मै उसके स्तनों से खिलवाड़ करने लगा। मैनें उसके स्तनों में हल्की हल्की थपकियां मारी तो वो बड़े ही मादक तरीके से उपर नीचे होने लगे।उसके स्तन क्या थे वो तो पूरे पहाड़ की पूरी तरह से भरपूर गोलाईयां लिये और उचाई लिये उसकी पूरी छाती में फ़ैले हुए थे। उसके स्तनों को देख कर ऎसा लगता था मानों उसकी छातीयों में दो विशाल गुंबद रख दिये हो। अब मैं उसे चूमने के लिये बेताब होने लगा, मेंरी अधीरता बढ़ती जा रही थी। मैंने अपना मुंह धीरे से उसके स्तनों के करीब ले गया और अपनी नाक उस पर रगड़ने लगा , आहहहह क्या मादक
खुशबु थी उसके बदन की, रश्मीदीदी  के तने हुए विशाल स्तनों की मादक खुशबू से मैं मदहोश होने लगा और मेंरी लालसा बढ़ती जा रही थी,अब मैने अपनी जीभ बाहर निकाली और धीरे धीरे उसके स्तनों पर फ़िराने लगा और उसे जीभ से ही धक्के लगाने लगा। जीभ क धक्का लगते ही वो थोड़ा दब जाते और पीछे हो जाते और जैसे ही मैं अपनी जीभ अंदर करता वो पुनः तन जाते और मेंरी नाक से टकराने लगते और अपनी मादक खुशबू से मुझे मदहोश करने लगते।

कुछ देर तक इसी तरह से करने के बाद मैंने अपनी जीभ पूरी तरह बाहर निकाल ली और उसे उसके पूरे स्तन पर घुमाते हुए उसे चाटने लगा, मेंरी गदराई दीदी  के उन्नत जवान स्तन के मीठे मीठे स्वाद ने मेंरे उन्माद को और भी बढ़ा दिया , इस तमाम उन्माद के दौरान भी मैं पूरी तरह से सतर्क था और अपना ध्यान दीदी  के खर्राटों पर लगा कर रखा था, जब तक उसकी नाक बजेगी तब तक मेंरे हाथ उसके जिस्म से खेलते रहेंगे। बहरहाल, उसके स्तनों को चाटने के कारण उसका बांया स्तन पूरी तरह से मेंरे मुंह की लार से गीला हो चुका था और इस दौरान मैंने उसके दाए स्तन को अपने बांए हाथ पकड़ रखा था और उसे मसल रहा था।

उसकी नींद और भी गहरी होते जा रही थी और अब उसके खर्रटों की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी और सांस मुंह से छोड़ने के कारण उसके ऒठ भी फ़ड़क रहे थे। अब मैने उसके दूध के निप्पल को अपने मुंह मे ले लिया और उसे हौले हौले से चूसने लगा और उसके दोनों स्तनों को भी मसने लगा । लगभग पन्द्रह से बीस मीनट तक इसी तरह से उसके स्तनों से उसकी जवानी का रस चूसने के बाद मैंने उसका निप्पल छोड़ा और दोनों हाथों से उसके स्तनों को पकड़े हुए मैंने उन दोनों स्तनों को कई बार चूमा।
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#3
अब अपना मुंह उसके चेहरे के पास ले गया और उसके बांए गाल को चूमने लगा। कुछेक "किस" उसके गालों पर देने के बाद मैने उसे चूमना छोड़ दिया और फ़िर से उसके दोनों स्तनों को पकड़ लिया और एक भरपूर कामुक दृष्टी उसके अर्धनग्न जवान शरीर पर डाली।

दीदी  की जिन उन्नत विशाल छातियों को पिछले आठ माह से देख कर मैं उसमें भरे यौवन के रस को पीने के लिये मचल रहा था और मुठ्ठ मार रहा था उसे छुने और मसलने का कोई क्षण मैं व्यर्थ नहीं करना चाहता था। आज की ये रात मेंरे जीवन में कितनी अनमोल थी इसका बयान करने के लिये मेंरे पास शब्द नही है। दीदी  के जवान नंगे बदन को देखना और फ़िर उसे भोगना ये एक ऎसा सुख था मेंरे लिये जिसे मैं शब्दों के जाल में नहीं बांध सकता था, ये तो गूंगे का गुड़ था जिसे वो खा तो सकता था लेकिन उसका स्वाद नहीं बता सकता था।

खर्राटों की तरफ़ ध्यान रखते हुए अब मैने उसकी चूत की तरफ़ देखा, उसका गाउन मैने पेट के उपर तक उठा दिया था और अब वो लग्भग नंगी ही कही जा सकती थी। मैं अपना मुंह उसकी चूत के पास ले कर गया और अपनी नाक उसकी चूत पर रख दी और उसकी जवान चूत की मदहोश करने वाली खुशबू को सूंघने लगा। उसकी चूत की खुशबू ने मुझे लग्भग पागल बना दिया और अब मै उसकी चूत पर अपना हाथ घुमाने लगा। नरम नरम क्लीनशेव जवान चूत पर मेंरा हाथ असानी से फ़िर रहा था, कुछ देर तक इसी तरह से उसकी चूत पर हाथ फ़ेरने के बाद मैंने अपनी पूरी हथेली उसकी चूत पर रख दी और अब उसकी पूरी चूत मेंरी हथेली में समा गई। और अब मैंने अपनी पहली उंगली उसकी चूत की दरार में हौले से घुसा दी और धीरे धीरे उसे सहलाने लगा।थोडी देर तक इसी तरह से उसकी चूत को सहलाने के बाद मैंने अपने बांए हाथ के अंगूठे और उंगली से उसकी चूत की दोनों फ़ांको को फ़ैलाया, अब मुझे उसकी चूत का गुलाबीपन साफ़ दिखाई देने लगा। अब मैं उसकी जवान बुर का रस पीने के लिये बेचैन होने लगा और मैंने धीरे से अपना मुंह उसकी चूत में लगा दिया और उसकी चूत से जवानी का रस चूसने लगा।
लगभग १० मीनट तक इसी प्रकार से उसकी चूत से खेलता रहा, इस दौरान मैं दीदी की चूत में इतना तल्लीन रहा की मैं अपनी सुध बुध भी भूल गया और मुझे इतना भी याद नहीं रहा कि मैं अपनी ही सोई हुई दीदी  के जिस्म से खेल रहा हूं और उसके खर्राटों पर से भी मेंरा ध्यान हट गया था, अचानक इसका खयाल आते ही मैं चौंका और उसके खर्राटों पर ध्यान दिया, कमरे में गूंजने वाले उसके खर्राटों की अवाज बंद हो चुकी थी और कमरे में सन्नाटा छाया हुआ था, अब मैं बुरी तरह से हड़्बड़ा कर वहां से उठा और दीदी  के चेहरे की तरफ़ देखा वो उसी तरह से सोई पड़ी थी, मैं हिम्मत करके उसके चेहरे के पास अपना मुंह ले जा कर देखा मुझे वो पूर्व की तरह ही गहन नींद में लगी और मुझे उसके नाक से सांसो की सीऽऽऽऽऽसीऽऽऽऽऽ आवाज सुनाई देने लगी।

अब मैंने पुनः राहत की सांस ली और धीरे अपना हाथ उसके उसके बांए स्तन पर रख दिया वो प्रतिक्रिया विहीन निष्चेट पड़ी रही। अब मैंने पुनः उसके स्तनों को धीरे धीरे मसलना चालू कए दिया,दीदी के बदन की मादक खुशबू को सूंधने और उसके स्तनों और चूत का स्वाद चख लेने के बाद मेंरे लिये खुद पर नियंत्रण काफ़ी कठिन हो गया था।दीदी  का गदराया मदमस्त नग्न शरीर मेंरे सामने पड़ा था और मैं उसे देख कर आहें भर रहा था। मुझे ऎसा लग रहा था कि अब मैं इस नग्न सोई हुई इस सुंदरी के शरीर से लिपट जाऊं और अपनी बलिष्ठ भुजाओं मे उसे कैद कर उसे अपनी बाहों मे भर लूं और अपना लंड़ उसकी चूत में ड़ाल दूं , लेकिन ऎसा करने की अभी मुझमें हिम्मत नहीं थी और मेंरा इरादा भी नहीं था।

अपनी बाएं हाथ से उसके स्तनों को बारी बारी से मसलते हुए मैने अब उसके पलंग से बाहर लटके हुए बांए हाथ को अपने हाथ में लिया और उसके मुठ्ठी को धीरे खोला और अपने फ़ौलाद की तरह कड़क हो चुके धधकते हुए लंड़ को उसके हाथों मे पकड़ा दिया और फ़िर से उसकी मुठ्ठी को बंद कर दिया। अब मेंरा लंड़ उसके बांए हाथ में था, आहहहह रोमांच का चरम क्षण था वो मेंरे लिये और अब मेंरा लंड़ अपने आप ही झटके मारने लगा था।

अब मैने अपने हाथों में उसका बांया पंजा पकड़ लिया जिसमें मेंरा लंड़ था और अब मैंने अपनी मुठ्ठी जोर से बंद कर दी इस तरह अब मेंरा लंड़ उसके नरम हाथॊं मे समा गया। उसके हाथों में मेंरा लंड़ समाते ही मैं बेकाबू हो गया और उसके स्तनों को और भी जरा जोरों से मसलने लगा और अपने दांए हाथ से उसके मेंरे लंड़ पकड़े हाथ को हिलाने लगा, इस तरह मेंरी हसीन दीदी  नींद में ही मेंरा मुठ्ठ मारने लगी।

अब उसके स्तनों को मैंने उत्तेजना में बुरी तरह से पकड़ लिया और इधर अपने एक हाथ से उसके अपने लंड़ पकड़े हाथ को जोर जोर से हिलाने लगा, इस तरह करने से उसका शरीर पलंग पर उसी तरह से हिलने लगा जैसे ट्रेन में सोए इंसान का शरीर हिलता है। उसके शरीर के इस प्रकार धीरे धीरे हिलने से उसके उन्नत स्तन भी हौले हौले हिल रहे थे जिसके कारण वातावरण और भी कामुक हो रहा था।

अब उत्तेजना के वशीभूत मैं अपने दांए हाथ को उसके पूरे शरीर पर फ़ेरने लगा तथा और भी तेजी से उसके हाथों को पकड़े हुए मुठ्ठ मारने लगा।

मेंरी उत्तेजना और वासना के अंत का अब समय आ चुका था और मुझे ऎसा लगने लगा कि कीसी भी समय मैं झड़ सकता हूं , अब मैं और तेजी से उसके हाथों को हिलाने लगा और अब मेंरे लंड़ की नसे फ़ड़कने लगी और मेंरी कमर भी हीलने लगी मुझे ऎसा लगा कि मेंरा वीर्य अब लंड़ में पहुंच चुका है तो मैंने तुरंत नींद मे बेखबर रश्मी के हाथ से अपना लंड़ बाहर निकाल लिया और अपना बांया पैर पलंग पर रखा और दांया पांव निचे ही रहने दिया। इस तरह अब मैं सोई हुई रश्मी के नंगे बदन के उपर था और मैंने उसी मुद्रा में खड़े खड़े ही उसके नंगे बदन को घूरते हुए और एक हाथ से उसके स्तनों को पकड़े हुए तेजी से अपना लंड़ हिलाने लगा। मै अपना पूरा वीर्य दीदी  के नंगे जिस्म पर उंड़ेलना चाहता था।

कुछ क्षणों तक इसी तरह से करने के बाद अचानक मेंरे लंड़ ने वीर्य की एक गरम पिचकारी छोड़ी जो सीधे ही नंगी रश्मी दीदी के पेट और स्तन पर गिरी और फ़िर इसी तरह मेंरे लंड़ ने एक के बाद एक पांच बार वीर्य की पिचकारी छोड़ी और वो पूरा का पूरा वीर्य मैने अपनी गदराई मदमस्त हसीना के नंगे शरीर पर उड़ेल दिया और उसका पूरा शरीर वीर्य से भर दिया। उसकी छाती पर पड़े हुए वीर्य की बूंदो को मैंने उसके पूरे स्तनों पर लगाया और कपड़ो पर पड़े हुए वीर्य को हाथ में ले कर उसके चेहरे पर धीरे से मल दिया और हाथों के बचे हुए वीर्य को उसकी चूत पर लगा दिया।
अब अपने लंड़ को दो तीन बार मैंने झटका तो उसमें बची हुई कुछेक बुंदे बाहर आ गई उसे मैंने अपने लंड़ को दबाते हुए झटका और उसकी नंगी चूत पर टपका दिया।

इस प्रकार उसके शरीर को अपने वीर्य से नहलाने के बाद मैने अपना पैर पलंग से निचे रखा और वही निचे बैठ गया और उसकी चूत पर एक "किस" किया फ़िर उसके दोनों स्तनों और चेहरे को प्यार से चूमा और उसकी निचे लटकी टांग को हौले उठाकर पलंग पर रखा और उसके हाथ को भी उसी तरह उठाकर पलंग पर रखा और उसको हौले से दांई करवट सुलाया और एक नजर उसके नंगे बदन पर ड़ालने के बाद मै दरवाजे की तरफ़ बढ़ा वहां से उसे देखा तो वो उसी तरह से सोई पड़ी है और गाउन के कमर के भी उपर होने के कारण उसकी दोनों बड़ी बड़ी गांड़ दिखाई दे रही थी।

उसे देख मैं पुनः उसके पास गया और उसकी दोनों गांड़ो को कई बार चूमा और उठकर उसके कमरे से तेजी से बाहर निकल गया।
वो धीरे धीरे अपनी चूत को सहला रही थी और अंदर तक साबुन लगा कर उसे साफ़ कर रही थी। अब तक उसकी आंखें बंद ही थी क्योंकि साबुन उसके चेहरे पर लगा हुआ था और में  उसी तरह बेखौफ़ रश्मी के नंगे बदन को घुरते रहा । उसने देखा अब रश्मी कुछ ज्यादा ही जोर से अपनी चूत को मसल रही थी शायद उसे ऐसा करने में मजा आ रहा था।

अब उसने अपनी उंगली को हल्का सा साबुन वाला कर के उसे अपनी चूत के अंदर डाल दिया और उसे अंदर तक साफ़ करने लगी और धीरे धीरे उसे अंदर बाहर करने लगी।

स्त्री की योनी की बनावट ही ऎसी होती है कि उसे अपनी योनी की सफ़ाई पर खास ध्यान देना होता है अन्यथा उसके संक्रमित होने का खतरा बना रहता है और उसे यूरिन इन्फ़ेक्शन का खतरा हो सकता है।लेकिन मुझे  को ऐसा लगा कि रश्मी चूत की सफ़ाई के अलावा भी कुछ और कर रही है। बेचारी बिना पति के आखिर करे भी क्या? लेकिन उसका नितांत गोपनीय रहस्य भी अबमेरे  सामने उजागर हो गया।

अंदर तक उंगली ड़ालने के कारण कई बार उसके मुंह से एक हल्की सी आह निकल जाती जिसे उसके एक्दम सामने खड़े मेरे  को साफ़ सुनाई दे रही थी। कभी कभी उसके मुंह से सी सी की अवाज भी निकल जाती थी। में इन बातों क मतलब अच्छी तरह्से समझता था। कुछ देर तक इसी तरह से अपनी चूत की सफ़ाई करने के बाद अब वो शावर चालू करने के लिये उसकी चकरी ढूंढने लगती है । आंखे बंद किये हुए वो दिवाल के पास हाथ को इधर उधर धूमाने लगती है और कुछ ही क्षणों में वो शावर की चकरी को पकड़ कर उसे घुमाने लगती है और शावर चालू हो जाता है और उसका पानी उसके चेहरे में पड़्ने लगता है और वो अपना मुंह से साबुन साफ़ कर लेती है।

मुंह से साबुन निकलते ही रश्मी फ़िर से अपनी आंख खोल देती है और जैसे वो अपनी आंख खोलती है में  तत्काल वहां से हट कर थोड़ा आगे चला जाता हु और बाथरुम की दिवार से सट कर बांए तरफ़ चिपक कर खड़ा हो जाता हु । अब यदी रश्मी बाहर आती तो उसे तुरंतमें  दिखाई नही देता लेकिन कपड़े के पास आते ही उनका सामना होना तय था। अब में  उसके बाहर आने का इंतजार करने लगा।
अब वो रश्मी के बेहद करीब चले जाता है और उसके नंगे बदन से लगभग चिपक जाता है , रश्मी को अपनी लजा बचाने का एक ही उपाय सूझता है कि वो बैठ जाय और वो अपने पैरों को ढीला छोड़ देती है जिसके  लिये उसे खड़ा रखना संभव नहीं रह पाता अब रश्मी जमीन पर बैठ जाती है तोमें भी उसके सामने उकड़ू बैठ जाता है।

में  उसके हाथों को छोड़ देता हु रश्मी दोनों हथों के अजाद होते ही अपने हाथों को अपने सीने से लगा देती है और अपने स्तनों को छुपाने का असफ़ल प्रयास करती है वो अपने दोनों पैरों को सिकोड़ लेती है और अपना सर घुटनों में दबा कर अपना मुंह छुपाने का प्रयास करती है। रश्मी को इस मुद्रा में देख कर मेरे  को करीब करीब ये अंदाज तो हो ही जाता है कि अब इसका समर्पण  लग्भग हो चुका है।

अब में रश्मी के दांए तरफ़ बैठ जाता हु  और उसके दांए पैर को पकड़ कर सीधा कर देताहु और उसके घुटनों पर अपना घुटना रख देता हु  और धीरे धीरे उसकी चिकनी जांघ को सहलाने लगता हु । रश्मी उसी तरह अपना चेहरा घुटनों छुपाए हुएमेरे  से कहती है "आप जो भी कर रहे हैं वो बहुत गलत है दीदी तो मां के समान होती है, प्लीज मुझे छोड़ दिजिये मैं आपके हाथ जोड़ती हूं। अपनी मां समान दीदी को ऐसे बेईज्जत मत किजिये।

में  पूरी तरह वासना की तरंग में झूम रहा था और इस तरह से रश्मी को अनुनय करते देख मेरी उत्तेजना और बढ़ जाती है। अब में  रश्मी के बगल में बैठ जाता हु  और उसको बांए कंधो से पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लेता है और अपनी गोद में उसका सर रख लेता है और उसके दोनों हाथों को पकड़ कर फ़िर से उसके सर के उपर कर लेता है। और उसके विशाल स्तन फ़िर से मेरेसामने झूलने लगते हैं।

इतनी खूबसूरत नंगी लड़्की को अपनी गोद में पाकरमें  तो जैसे पागल हो जाता हु और में पागलों की तरह से उसके चेहरे को चूमने लगताहु और अपने एक हाथ को उसके स्तन पर रख उसे मसलना चालू कर देता है।में  रश्मी के कानों के पास अपना मुंह ले जा कर धीरे से बोलता हु  " तू ठीक बोलती है कि दीदी  मां के समान होती है लेकिन तब जब वो ४५ या फ़िर ५० साल की हो लेकिन जानम तुम तो मेंरे से भी एक साल छोटी हो मैं २४ साल का हूं और तू तो २३ साल की ही है तो फ़िर तू मेंरी मां कैसे हो सकती है? जानेमन तू मेंरे लिये "मां" समान नही बल्कि "माल" के समान है। और में  अपने गोद में निढाल पड़ी रश्मी के स्तनों में हाथ घुमाने लगता हु  फ़िर में अपना हाथ उसके पेट में घुमाते हुए उसकी बिना बालों वाली चिकनी चूत में रख देता हु ।

अपनी नरम चूत पर मेरा  हाथ लगते ही रश्मी चिहुंक उठती हु  और में  हौले हौले उसे सहलाने लगता है, और बड़े ही बेशर्म तरिके से और कामुक अंदाज में उससे कहता है आज इसके अंदर अपना ड़ालूंगा और इसको खूब प्यार करुंगा। आज से ये मेंरी है। बोल जानम देगी न मुझे इसके अंदर अपना लंबा वाला ड़ालने के लिये।

मेरा  कहना जारी रहता है "ऐसा मैंने सुना है कि शर्म किसी भी औरत का आभूषण होता है लेकिन रश्मी मै इसमें आगे और एक बान जोड़्ना चाहता हूं कि नग्नता किसी भी खूबसूरत औरत का सबसे बढिया बस्त्र होता है। और आज तूने अपना सबसे अच्छा बस्त्र पहना है मेंरे सामने। रश्मी तू सदा इसी वस्त्र में आना मेंरे सामने मैं तुझे इसी बस्त्र में देखना चाहता हूं।

अब में  अपनी बातों में भी हल्कापन ले आता हु उससे हल्के स्तर की सेक्सी बातें करने लगता हु । में  कहने लगता हु  तू नंगी बहुत अच्छी लगती है रश्मी, तू सदा मेंरे सामने नंगी ही रहना। तेरे इस खूबसूरत नंगे बदन को देख कर मुझे बड़ा सकून मिल रहा है।
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मेरी  बातों से उसे बड़ी लज्जा आ रही थी उसने मेरी बातों को सुन कर बेचैनी से अपना पहलू बदलने का प्रयास किया और तिरछी नजर सेमेरी  तरफ़ देखा। उसकी नजर मेरे से  मिल गई उसने देखा में  बड़े कामुक अंदाज में उसके शरीर का मुआयना कर रहा हु । मेरे  से नजर मिलते ही में मुस्कुरा दिया और फ़िर से उसे चूमते हुए उससे पूछने लगा "ड़ालने दोगी न?" दर असल अब में  पूरी तरह से रश्मी का मजा ले रहा था और केवल शारीरिक रुप से ही नहीं बल्की मान्सिक रुप से और अपनी बातों से भी वो उसको ये जता देना चाहता था कि तू पूरी तरह से मेंरे जाल मे फ़ंस चुकी है और मुझे तेरी खुशी और रजामंदि की कोई परवाह नहीं है। और ना ही मुझे किसी को पता चल जाने की कोई चिंता है। क्योंकि पता चल जाने पर भी नुकसान तो सबसे ज्यादा तेरा ही होना है।

कुछ देर तक इसी तरह से अपने पैरों पर पड़ी रश्मी के नंगे बदन का मन भर के मुआयना करने और हल्की कामुक बातें करने के बाद अब में  अत्यंत गरम हो चुका था और मेरे सब्र का बांध टूट
चुका था मेरे लिये खुद को रोक पाना संभव नहीं था। लंड़ उसका इतना कड़क हो चुका था कि अब वो दुखने लगा था जिसे बर्दाश्त करना अब मेरे  के बस में नहीं था। और फ़िर अपनी योजना के मुताबिक
में जीजाजी  के आने के पहले रश्मी की चूत में अपना लंड़ डाल कर उसकी सेक्स की भूख को जगा देना चाहता था,ताकि जीजाजी  के वापस जाने के बाद वो उसे अराम से जी-भर के चोद सके और उसके नंगे जिस्म से अपनी मर्जी के मुताबिक खिलवाड़ कर सके।वो उसके अंदर महिनों से दबी पड़ी कामवासना को जगा देना चाहता था। उसे पता था कि उसका बाकि काम उसका निकम्माजीजा उसके लिये आसान बना देगा।

अब मेने  फ़िर से उसके नंगे जिस्म पर हाथ घुमाना चालू कर दिया औरमें  उसके विशाल स्तनों को मसलने लगा। कुछ देर तक उसके दोनों स्तनो को मसलने के बाद में  बेकाबू होने लगा और मेने  एक हाथ से उसके स्तन को मसलना जारी रखा और दूसरा हाथ उसकी चूत पर रख दिया और धीरे धीरे उसे मसलने लगा। रश्मी लाख चाहे कि उसे मेरे  के साथ संबंध नही बनाना है लेकिन एक मर्द के इस तरह उसके नंगे बदन पर बार बार हाथ लगाने और उसके उत्तेजक अंगो को सहलाते रहने के कारण उसका शरीर धीरे धीरे गरम होने लगा। और उसे अपने अंग में अजिब सी सिहरन मह्सूस होने लगी। ना चाहते हुए भी उसे पुरुष के स्पर्श का आनंद तो मिल ही  रहा था। और उसे ड़र था कि कहीं वो बहक ना जाय इसलिये वो छटपटा रही थी कि किसी तरह से वो उसके चंगुल से अजाद हो जाय तो खुद पर काबू कर ले लेकिन मेरी  मजबूत पकड़ से निकलना उसके लिये संभव नहीं था।

ईश्वर ने स्त्री को रुप,यौवन आदि दे कर उसे बड़ा वरदान दिया है जिसके बल पर वो पुरुषों पर बहुत इतराती है लेकिन एक अन्याय भी कर दिया है उसके साथ कि उसे शक्ति नहीं प्रदान की अपने यौवन की रक्षा के लिये और पुरुषों की किस्मत में ना स्त्रीयों की तरह ना रुप ना यौवन लेकिन उसे शक्ति और अधीरता प्रदान कर दी। और वही पुरुष जब अधीर हो कर किसी स्त्री के यौवन को हासिल करने के लिये जब अपनी शक्ति का प्रयोग करता तो स्त्री के लिये अपने यौवन को बचा पाना संभव नहीं होता।शायद ये स्त्री को उसके रुप पर घमंड़ करने की सजा है। रश्मी की हालत भी ऐसी ही थी उसके यौवन में और उसके गदराए बदन में वो ताकत तो थी कि वो मेरे जैसे मर्दों को आकर्षित कर अपने पास बुला ले लेकिन उसे दूर करने की शक्ति उसमें नहीं थी। नतिजा सामने था जिस तरह चंदन के वृक्ष पर सांप लिपटे रहते हैं उसी तरह रश्मी नंगे जिस्म पर में लिपट चुका था।

अब धीरे धीरेमें ने उसकी चूत की दरार में अपनी उंगली ड़ाल दि औरमें उसकी चूत के अंदर हिलाने लगा। रश्मी बुरी तरफ़ तडफ़ उठी ।मेने  उसकी चूत में उंगली रगड़ने की गती जरा तेज कर दी । अब तो रश्मी के लिये खुद पर काबू रखना काफ़ी मुश्किल हो रहा था।
में  रश्मी की चूत में उंगली अब कुछ ज्यादा ही तेजी से रगड़ने लगा, रश्मी भी अब अपने आपे से बाहर होते जा रही थी। तभी मेने रश्मी की चूत के दरारों पर उंगली रगड़्ना बंद कर दिया और धीरे से वो उसकी चूत का वो हसीन छेद तलाशने लगा जिसे पाना और उसका भोग करना हर कामुक मर्द की हसरत होती है। आखिर में ने रश्मी की चूत के छेद पर उंगली रख दी और फ़िर हौले से उसे धक्का लगाते हुए उसने अपनी उंगली एक पोर उसमें ड़ाल दिया और धीरे धीरे उसे अंदर बाहर करने लगा।

रश्मी के लिये ये एक विचित्र अनुभव था हालांकि शादि के बाद राज जीजाजी के साथ उसके कुछेक बार शारीरिक संबंध बने जरुर थे लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया उसके था। उसने कभी रश्मी को उत्तेजित करने की जरुरत नहीं समझी थी या शायद उसे ये पता ही नहीं था कि सेक्स केवल खुद के मजा लेने का नाम नहीं है बल्कि अपने साथी को भी चरम सुख तक पहुंचाने का नाम है। वही सेक्स सच्चा सेक्स होता है जिसमें दोनों परमसुख की प्राप्ति कर सके। अगर एक भी पक्ष नासमझ हो खासकर पुरुष तो फ़िर वो सेक्स ना हो कर केवल एक नीरस शारीरिक क्रिया मात्र रह जाती है। राज इस मामले में फ़िसड्डी साबित हुआ था।

इस तरह उंगली के अंदर बाहर होने से ना चाहते हुए भी रश्मी की चूत गीली होने लगी और उसमें से एक चिकना पदार्थ बाहर आने लगा जिससे में और भी असानी से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा। तभी अचानक रश्मी की कमर ने एक हल्का सा झटका लगाया। ये रश्मी ने नहीं लगाया था लेकिन काम की अधिकता से अपने आप ही हो गया था जो अत्यंत स्वाभाविक था।मेने भी इसे साफ़ महसूस किया और समझ गया कि अब मेंरी रानी वासना के समुंदर मे गोते लगाने के लिये तैयार हो चुकी है। उसने उसी तरह बैठे हुए पूछा " मजा आ रहा है जान, पूरी उंगली ड़ाल दूं क्या तेरी चूत में? अबमेने  रश्मी से सभ्य भाषा में बात करना छोड़ ही दिया था और वो उससे अश्लील भाषा का ही प्रयोग करने लगा था। ऐसा करने से उसे रश्मी की नंगी जवानी पर पूर्ण विजय और अधिकार का अहसास जो होता था।

अब मेने उसकी चूत में अपनी उंगली और गहराई तक घुसा दी और उसे और भी तेजी से अंदर बाहर करने लगा । अब तो रश्मी का अपने शरीर से नियंत्रण खतम होने लगा और उसकी कमर उसकी इच्छा के विरुद्द झटके देने लगी। वो बड़ी लज्जित थी और शर्म के मारे उसने अपनी आंखे बंद कर ली थी। वो शुरु सेमेरे  से हर क्षेत्र में लगातार हार ही रही थी और आज भी उसके सामने पूरी तरह से बेनकाब हो गई और अपनी इसी झेंप को मिटाने के लिये वो आंखे बंद किये हुए अपना सर दांए बांए घुमा रही थी और बड़बड़ाते जा रही थी " नहीं प्लीज छोड़ दो मुझे , बस अब नहीं आह मैं मर जाउंगी मेंरा सर चकरा रहा है मुझे छोड़ दो। रश्मी बोले जारही थी लेकिन मेरे  के उपर इसका कोई असर नहीं हो रहा था बल्कि में  तो और भी उत्तेजित हो रहा था।
अब मेने  उसकी पीठ से अपना हाथ घुमाते हुए उसके सीर पर ले गया और उस पर उसके सर और बालों से खेलने लगा ।में उसके सर पर उसी अंदाज में हाथ घुमा रहा था जिस अंदाज मे एक कुत्ते का मालिक अपने कुत्ते के उपर घुमाता है। ऐसा कर के वो अपने कुत्ते से प्यार तो जताता ही है लेकिन अप्रत्यक्ष रुप से उसे ये भी बता देता है कि तू मेंरा पालतू है और मैं तेरा मालिक तुझे अंतत: मेरे ही इशारों पर नाचना है। में भी रश्मी के सर पर हाथ फ़ेर कर प्यार तो कर ही रहा था लेकिन साथ ही साथ ये भी जता रहा था कि अब मैं ही तेरे इस खूबसूरत नंगे जिस्म का मालिक हूं और तेरी मर्जी मेंरे लिये कोई अहमियत नहीं रखती।

में  अब अपना होंठ उसके गालों पर ले जाता है और उसे चूमने लगता है, रश्मी अपना मुंह शर्म के मारे नीचे करने की कोशीश करती है लेकिन में र उसकी ठोड़ी को पकड़ कर उसका चेहरा उपर उठाता है और उसके होठों से अपना होंठ लगा देता है और उसके मीठे मीठे, नरम और रसीले होठों को चूसना शुरु कर देता है। रश्मी के लिये ये सब नितांत नये अनुभव थे और वो धीरे धीरे वासना के नशें ड़ूबती जा रही थी। उसका मन कह रहा था कि ड़ूब जा इस नशें में लेकिन दिमाग इंकार कर रहा था। लेकिन ऐसा लग रहा था कि रश्मी मन जीत रहा था और दिमाग हार रहा था। उसके मन से दिमाग का नियंत्रण खतम होते जा रहा था।

लगभग ३-४ मीनट तक अपनी दीदी  के होठों चूसने के बाद में धीरे से उसको उठाकर अपनी गोद में बिठा लेता हु और अपना दांया पांव उपर उठा लेता हु और उसका तकिया बना कर रश्मी का सर उसमें रख देता हु । अब रश्मी का सर पीछे की तरफ़ लटक जाता है और उसके दोनों विशाल स्तन आगे की ओर उभर जाते हैं, में  हौले हौले उसके स्तनों को मसलना चालू कर देता हु । रश्मी के मुंह से एक हल्की सी अवाज निकलती है आआआहहहहह , में  उसके स्तनों को मसलाना जारी रखता हु । स्तनों को मसलते हुए में  अब उसकी नरम चूंचियों को भी मसलने लगता हु । चूंचियों को मसलने से उसकी चूंची कुछ ही क्षणों में कड़क हो जाती है। में  समझ जाता हु  कि ये गदराई हसीना भी अब जवानी के मजे लूटने लगी है।अन्जाने ही सही या अनचाहे ही सही लेकिन स्त्री और पुरुष के शरीर के मिलने पर काम का सुख तो दोनों को ही मिलता है, और रश्मी के साथ भी यही हो रहा था।अब तुषारमें  बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और मेने उसके दूध को मसलना छोड़ कर अब उसके निप्पल पर अपना मुंह लगा दिया । अब रश्मी का बांया स्तन और उसकी निप्पल मेरे मुंह मे था और में उसे जोर जोर से चूस रहा था और मेरा  दूसरा हाथ उसके दायें स्तन को बुरी तरह से मसल रहे थे। में ने पागलों की तरह उसके एक स्तन पर अपना मुंह लगा रखा था और उसे चूस रहा था और इधर रश्मी की सांसे तेज होती जा रही थी और उसका पेट भी बुरी तरह से हिल रहा था। रश्मी ने अपने दोनो पैर जमीन पर फ़ैला दिये और उत्तेजना के मारे वो उसे इधर उधर फ़ेंकने लगी। अब उसका खुद से नियंत्रण समाप्त हो रहा था और उसके मुंह से अवाज निकलने लगी थी आह आह अह्ह आह उईमां ओफ़ ओफ़ आई आह।

अब में ने उसके दांए स्तन को मसलना बंद किया और अपना बांया उसके शरीर पर घुमाते हुए उसकी चूत पर रख दिया और वो उस्का छेद तलाशने लगा। कुछ ही क्षणों मे ने अपनी उंगली उसकी चूत के छेद पर रख दी और उसे मसलने लगा । रश्मी को मानो करंट लग गया और बुरी तरह से छट्पटाने लगी। महीनों से उसके अंदर दबी पड़ी कामवासना अब जागने लगी थी। थोड़ी देर में मेने अपना मुंह रश्मी के कान के पास ले गया और धीरे से उसके कान में कहता हु "तेरे इसी छेद में मैं अभी अपना ड़ालूंगा और जीवनभर इसको अपनी बना कर रखूंगा। मैं पिछले कई महिनों से तरस रहा था दीदी तेरी इस चूत को पाने के लिये। आआआह्ह्ह्ह्ह कितनी नरम है रानी तेरी ये चूत, मैं तो धन्य हो गया दीदी तुझे नंगी पा कर। कितनी खूबसूरत नंगी है तू रश्मी आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कैसा गदराया बदन है तेरा मेंरी जान।

आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ला अब तेरी इस रसीली चूत को चूम लूं।
अब में रस्मी को पीछे की तरफ़ घुमा देता हु और उसकी गांड़  मेरी तरफ़ हो जाती है , में उत्तेजना के मारे पागल हो रहा था । पिछले कई महीनों से जिस हसीना को चोदने के लिये वो तरह तरह
की योजना बना रहा था उसकी वही गदराई हसीना आज मेरे सामने पूरी तरह से नतमस्तक खड़ी थी में उसके तमाम अंगो से खिलवाड़ कर रहा था और अब उसे रोकने वाला कोई नहीं था। रश्मी पूरी
तरह से मेरे कब्जे में थी। में निचे   बैठ जाता हु और उसकी गांड़ो को चूमने लगता हु , रश्मी की नरम नरम उत्तेजक गांड़ को चूमने से मेरी उत्तेजना नई उचांईयो में पहुंच जाती है। रश्मी की गांड़ो को मेने पिछले दिनो कई बार छुआ था और उसके स्पर्श का आनंद लिया था लेकिन उसकी मादकता का अहसास मुझे आज पहली बार हो रहा था।

में रश्मी की गांड को चूमते जा रहा था और बीच बीच में उत्तेजना के कारण उसे अपने दांतो से काट भी लेता था। अब में ने उसकी गांड को चूमना छोड़ कर पूरी तरह से अपना मुंह नीचे फ़र्श तक ले जाता हु और उसको नीचे चूमना शुरु करता हु पहले नंगी खड़ी रश्मी की ऐड़ी फ़िर टखने उसके बाद उसकी पीड़्ली फ़िर जांघ ,कमर और पीठ और आखिरी में गर्दन में अब पूरी तरह से नंगी खड़ी रश्मी के पिछे खड़ा हो जाता हु और उसे पिछे से दबोच लेता हु अब मेरा लंड़ उसकी गाम्ड़ से चिपक जाता है और में अपने दोनों हाथ आगे की तरफ़ ले जा कर उसके दोनो विशाल स्तनों को पकड़ लेता हु ।

अपना मुंह उसके गालों से लगा कर में उसके गालों को चूमने लगता हु । अब में उसको कहता हु " रानी अभी पता है तुमको कितने बजे है? " रश्मी कोई उत्तर नहीं देती है तो में कहता हु " साढे़ आठ बजे है अभी और तुमको ११:३० तक नीचे जाना है यानी अभी हमारे पास तीन घंटे है, रश्मी मेंरी जान इन तीन घंटो में मै कम से कम दो बार तेरी चूत में अपना ड़ालुंगा। ऐसा बोलते हुए में अपना एक हाथ उसकी चूत के उपर ले आताहु और उसको मसलने लगता है दूसरे हाथ सेमें उसका स्तन बुरी तरह से मसल रहा था और अपना लंड़ मेने बड़ी जोर से उसकी गांड़ मे दबा कर रखा हुआ था।

रश्मी को इस तरह अपने बदन को मसले जाने से उत्तेजना होने लगी थी लेकिन में आखिर उसका पति तो था नहीं औरमें जो भी कर रहा था वो बलात ही कर रहा था इसलिये रश्मी की आंखो में आंसू भी भरे हुए थे। वो कभी रो पड़्ती थी और कभी उसके मुंह से सिसकियां निकल पड़ती थी आह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह बस करो भाई  मुझे जाने दो।

सेक्स के दौरान स्त्री के आंसू,सिसकियां और इंकार से शायद ही किसी पुरुष का मन पिघला हो बल्कि ये तो पुरुष की उत्तेजना को और भी बढाने का काम करते है। और रश्मी की सिस्कियां और आंसू भीमेरी  वासना की भूख को और भी बढा रहे थे। और में पागलों की तरह से उसके पूरे बदन को बेदर्दी से मसलने लगता हु ।

अब में रश्मी को ढीला छोड़ देता है और बाथरुम से बाहर आ जाता हु  , बाहर आ कर में  रश्मी को भी उसका हाथ पकड़ कर बाहर खींच लेता हु \ नग्न रश्मी बाथरुम से बाहर आती है औरमें  फ़िर से उसे अपने सीने से लगा लेता हु  और उसके बदन को मसलना चालू कर देता हु । कुछ देर तक उसे इसी तरह से मसलने के बाद में उसे अलग करता हु  उसका चेहरा शर्म से झुका हुआ था और आंखे बंद थी ।में  उसकी ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा उपर उठाता हु  और उसके होठों को चूम लेता हु । अब मेरे लिये बर्दाश्त करना काफ़ी कठीन हो जाता है और में अपने कपड़े उतारने लगता हु । पहले शर्ट फ़िर बनियान फ़िर अपनी पेन्ट को में  उतार के फ़ेंक देता हु  ।
में ने अब अपना अंतिम वस्त्र भी उतार कर फ़ेंक दिया और अब में  भी रस्मी के सामने उसी की तरह नंगा हो जाता हु ।मेरा  लंड़ उत्तेजना के मारे झटके मार रहा था। रश्मी में इतना साहस नहीं था कि वो मेरे  नंगे बदन को देख सके इसलिये वो आंखे बंद किये खड़ी थी। नंगे खडे में ने रश्मी को फ़िर से अपने पास खिंचा और उसके बदन से चिपक गया। रश्मी ने पहली बार मेरे  बदन की गर्मी को मह्सूस किया। पहली बार  हम दोनो पूरी तरह से नग्न हो कर आलिंगनबद्द थे। रश्मी ने साफ़ मह्सूस किया कि में  इस वक्त काम के नशे में इस कदर डूबा हुआ हु  किमेरा पूरा बदन किसी भट्टी की तरह गरम हो चुका है।

कुछ देर तक रश्मी को अपने नंगे बदन से चिपका कर रखने और उसकी नंगी काया की गर्मी का सुख लेने के बाद में उससे अलग होता हु  और उसे खीच कर पलंग के पास लाता हु  और एक हल्का सा धक्का दे कर उसे पलंग पर बैठा देता हु ,  अब रश्मी के दोनों पैर पलंग पर लटक रहे थे और वो पलंग पर बठी थी। उसके पास खड़े होकर में  ने अब उसका एक हाथ उठाया और उसकी हथेली पर अपना लंड़ रख दिया और उसकी मुठ्ठी को बंद कर दिया।मेरा  लंड़ अब रश्मी के मुठ्ठी में था और में  उसके हाथों को पकड़ अपनी मुठ्ठ मरवाने लगा। दीदी  के लिये एक नितांत नवीन अनुभव था उसने पहली बार किसी मर्द का लंड़ अपने हाथों मे पकड़ा था, उसने मह्सूस किया किमेरा लंड़ फ़ौलाद की तरह कड़क और किसी भट्टी में तपाये लोहे की तरह गरम है। हालंकि शादी के बाद जीजाजी  ने उसे चार,पांच बार चोदा था लेकिन उन्होंने  कभी भी रश्मी को अपना लंड़ नहीं पकड़ाया था।उन्हें  तो उसकी चूत के अंदर अपना लंड़ ड़ाल कर अपना माल उसमें टपकाने की जल्दी रहती थी।
रश्मी के नरम नरम हाथ जब मेरे  लंड़ पर आगे पिछे सरक रहे थे तो मुझे  एक अजीब आनंद का अनुभव हो रहा था।मुझे  कभी गुमान भी न था कि रश्मी के हाथों में ऐसा जादू छिपा है।मेरा लंड़ अब बुरी तरह से कड़्क हो गया था और उसे निचे करना संभव नहीं था इसलिये रश्मी अब मेरे लंड़ को उपर से नीचे की तरफ़ सहला रही थी।में अब बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और लंड में अत्यधिक तनाव के कारण अब वो दुखने लगा था। तनाव और उत्तेजना के कारणमुझे  अब ऐसा लगने लगा था कि यदि इसे जल्द ही इसकी चूत में ना ड़ाला तो ये अब फ़ट जायेगा।

मेने रश्मी के हाथों को अपने लंड़ से अजाद किया और में रश्मी के और भी सामने आ कर खड़ा हो गया, अबमेरा   लंड़ रश्मी के एकदम मुंह के सामने था । मेने अपना लंड़ रश्मी के गालों में लगाया और वहां उसे रगड़ने लगा। में  रश्मी दीदी  के पूरे जिस्म में अपना लंड़ रगड़ना चाहता था, अब मेने  अपना लंड़ उसके गालों से हटा कर उसके पूरे चेहरे में घुमाने लगा। रश्मी बेहद शर्मसार थी और आंखे बंद किये हुएअपने नंगे जिस्म के साथ खिलवाड़ को महसूस कर रही थी।

में अब अपने लंड़ को उसके होठों पर घुमाने लगा मानो में अपने लंड़ से उसके होठों लिपिस्टिक लगा रहा हु । रश्मी ने अपने मुंह को को जोर से भीच लिया और अपने होठोंं को भी जोर से बंद कर लिया कहीं गलती से मेरा  लंड़ उसके मुंह मे ना घुस जाय। किसी मर्द के लंड़ का अपने मुंह से खिलवाड़ उसके साथ पहली बार हो रहा था , उसे ऐसा लग रहा था कि अभी उसे उबकाई आ जायेगी और वो उल्टी कर देगी। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं और कुछ ही क्षणों में वो उसके लंड़ की की अभ्यस्त हो गई।
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#5
में  ने अपने बांये हाथ से रश्मी के जबड़ो को पकड़ा और उसे तनिक दबाया तो रश्मी का मुंह थोड़ा सा खुल गया और अबमेने उसके खुले मुंह में अपना लंड़ डालने की कोशीश करने लगा।लेकिन रश्मी ने पूरी तरह से अपना मुंह नहीं खोला था इस्लिये मुझे अपना लंड़ उसके मुंह मे डालने में परेशानी हो रही थी। मेने  थोड़ा और उसके मुंह को दबाया तो तो उसका मुंह पूरी तरह से खुल गया अबमेने अपना लंड़ उसके मुंह में हौले से ड़ाल दिया और धीरे धीरे उसे काफ़ी गहराई तक उसके मुंह में घुसेड़ दिया । अब रश्मी गॊं गॊं की अवाजे अपने मुंह से निकालने लगी , वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि मेरा  मोटा लंड़ उसके मुंह में था।
में  ने अब उसके सर को पिछे से पकड़ा और धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगा और अपना लंड़ उसके मुंह में अंदर बाहर करने लगा, रश्मी की आंखे फ़टने लगी क्योंकीमेरे  धक्कों से उसका लंड़ रश्मी के गले तक चला जा रहा था। रश्मी के लिये ये एक बिल्कुल नया और विचित्र अनुभव था , आज से पहले उसने कभी भी किसी पुरुष के लंड़ का स्वाद नहीं चखा था।कुछ देर तक इसी तरह से अपनी कमर हिला हिला कर अपना लंड़ रस्मी के मुंह में ड़ालने के बादमेने अपनी कमर हिलाना बंद किया और उसने उसके सर के बालों को पिछे से पकड़ लिया और धीरे धीरे उसका सर आगे पिछे करने लगा ।

रश्मी के लिये हालांकि ये बिल्कुल नया खेल था जो उसने आज से पहले कभी नही खेला था इसीलिये पुरुष के लंड़ के बारे में उसके मन में काफ़ी भ्रांतियां थी लेकिन आज में  ने जबरन ही सही लेकिन जब उसके मुंह मे अपना लंड़ ड़ाल ही दिया तो शुरुआत में थोड़ी हिचकिचाहट के बाद अब उसे भी मेरे लंड़ का स्वाद अच्छा लगने लगा था और उसे भी इस खेल में मजा आने लगा था। और
अब अनजाने में ही कब उसका मुंह थोड़ा और खुल गया और उसने मेरे लंड़ के लिये अपने मुंह में
और जगह कर दी ताकी वो असानी से उसे अपने मुंह में ले सके उसे खुद को पता नहीं चल पाया। लेकिन में ने इसको तुरंत महसूस कर लिया और उसने अप उसके सर को पिछे से हिलाना बंद कर दिया लेकिन रश्मी का सर आगे पिछे हिलना बंद नहीं हुआ वो उसी तरह अपने सर को आंखे बंद किये हिलाते रही और उसके लंड़ को चूसते रही।

रश्मी की आंखे बंद थी और उसने अब इतनी जोर से उसके लंड़ को चूसना शुरु कर दिया कि उसके मुंह पच पच की अवाजे भी आने लगी इतनी जोर से लंड़ को अपने मुंह में भीच लेने के कारण उसके दोनों गालों मे गड्ढे पड़ने लगे थे। पच पच की अवाज के बीच में उसके मुंह से उं उं आह आह की अवाजे निकल रही थी और इधर में  आंखे बंद किये अपनी गदराई हसीना के मुख मैथुन का आनंद ले
रहा था उसके मुंह से सी सी की अवाजे निकल रही थी में प्यार से रश्मी के बालों और पीठ में हाथ फ़ेरने लगा और अत्यन्त कामोत्तेजना में आह आह वाह दीदी  सक इट बेबी बडबड़ाने लगा ।

नंगी रश्मी ड़ागी स्टाइल में पलंग मे थी और में  पलंग के नीचे खड़ा था रश्मी के दोनों विशाल स्तन झूल रहे थेमें  बीच बीच में अपने हाथों से उसकी पीठ को सहलाते हुए उसकी गांड़ो को सहलाने लगा और अपनी एक उंगली को उसकी गांड़ और उसकी चूत के छेद मे मसलने लगा इससे रश्मी की उत्तेजना और बढ़ गई और वो और भी जोरों से मेरे लंड़ को चूसने लगी और अब वातावरण में दोनॊं जवान
जिस्मॊ के मुंह से निकलने वाली सिसकियां गुंजने लगी । अ़चानक रश्मी को होश आया कि में  ने उसका सर कभी का छोड़ दिया है और वो खुद ही उसका लंड़ चूसे जा रही है वो हड़्बड़ा कर उसका लंड़ चूसना छोड़ देती है लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी और मेरे  सामने उसकी हकीकत जाहिर हो चुकी थी । उसने मारे शर्म के अपनी आंखे बंद कर ली और पलंग पर ही बैठी रही।
में ने अब उसकी तरफ़ गौर करने बजाय उसे हौले से धक्का दिया और उसे पलंग पर धकेल दिया दीदी अब पलंग पर पीठ के बल पड़ी थी उसका सर एक तरफ़ झुका हुआ था और दाहिना हाथ उपर की तरफ़ उठते हुए उसके सर के पास पड़ा था और दूसरा हाथ उसके स्तन के ठीक नीचे और पेट के ठोड़ा उपर पड़ा था , उसकी आंखे बंद थी और उसके विशाल स्तन उत्तेजना के मारे जोर जोर से हील रहे थे ।
किसी कामतुर मर्द के सामने ऐसी समर्पित बेबाक नग्न सुंदरी पड़ी हो तो उसका उत्तेजना के मारे पागल होना लाजिमी है। में भी रश्मी को इस तरह पड़े देख पागल हो जाता हु  और वहीं पलंग के पास नीचे बैठ जाताहु  , में उसकी दोनों टांगो को फ़ैलाता हु  और अपना मुंह उसकी चूत में लगा देता है।अबमें  रश्मी  दीदी चूत को चूसना शुरु कर देता हु  मेरे  मुंह से चप चप चपड चपड की अवाज आने लगती है । रश्मी के मुंह से उत्तेजना के मारे आह निकलने लगती है और वो अपना सर पलंग में इधर उधर घुमाने लगती है अपने दोनों हाथों को उपर कर के वो तकिये के कोनों को जोर से पकड़ लेती है और उसे मसलने लगती है।

में  अपने दोनों हाथों को उसकी गांड़ो के नीचे ले जा कर उसे थोड़ा जोर लगा कर उपर उठा देता है अब उसकी चूत और भी असानी से मेरे  मुंह मे आ जाती है में अपने मुंह में ढेर सारा थूक भर कर रश्मी चूत में उंड़ेल देता हु इससे उसकी चूत और भी चिकनी हो जाती है |

अब में  उसकी चिकनी चूत की फ़ांको पर अपनी जीभ रगड़ने लगता हु  और उसके चूत के अंदर के गुलाबी भाग को अपनी जीभ से सहलाने लगता हु  । रश्मी मारे उत्तेजना के पागल हो जाती है और अपनी चूत जोर जोर से हिलाने लगती है। अब मेरे  लिये उसकी चूत मे मुंह लगाये रखना कठिन हो जाता है तो में  और भी ताकत से अपना मुंह उसकी चूत में लगा देता हु और अपनी जीभ उसकी जवान चूत के छेद में ड़ाल कर उसे अंदर बाहर करने लगता हु ।

इस तरह जीभ के अंदर बाहर होने से रश्मी थरथराने लगती और वो बुरी तरह से उत्तेजित हो जाती है। वो आंखे बंद किये अपना सर तेजी से इधर उधर पटकने लगती है, उसकी बदहवासी नेमेरे  को और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया तथा में और भी अधिक जोश से दीदी  की चूत को चूसने लगता हु ।
चूत के के इस बुरी तरह से चूसे जाने के कारण रश्मी का खुद से नियंत्रण पूरी तरह से खतम हो गया था और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे चिकना पानी निकलने लगता है, उसके चूत के मादक पानी ने मेरी   उत्तेजना को और भी अधिक बढा दिया । मेरे लिये अब अपना लंड़ रश्मी की चूत से बाहर रखना संभव नहीं हो पा रहा था वो अब बुरी तरह से झटके मार रहा था और बुरी तरह से दुखने लगा था,मेरे  को ऐसा लगने लगा था कि यदि इसे जल्दी से रश्मी दीदी की चूत में ना ड़ाला तो ये फट जायेगा।

में , रश्मी की जवान बुर के रस का अभी और मजा लेना चाहता था , मेरा  मन अभी उसकी चूत से भरा नहीं था में उसे और भी कुछ देर तक चूसना चाहता था लेकिन में  भी अपने लंड़ की बगावत के आगे मजबूर हो जाता हु  और ना चाहते हुए भी अपना मुंह रश्मी की रसीली चूत से अलग करताहु  ।में  पलंग पर चढ़ जाता हु  और लाल सुर्ख आंखों से अपने
रश्मी की शर्म भले ही ना खतम हुई हो लेकिन लगातार कई देर से तुषार के सामने नंगी पड़ी रहने से उसकी झीझक खतम हो चुकी थी और अपनी चूत के झटको से बचने के लिये व्प अब अपने दोनों पैर बिस्तर पर इधर उधर बार बार फ़ैला रही थी इससे उसके नग्न शरीर की मादकता और भी बढ़ रही थी जो तुषार को और भी उत्तेजित कर रही थी ।

अब तुषार ने रश्मी के बिस्तर पर फ़ैले दोनो पैरों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसे उसे दांए बांए फ़ैला दिया अब उसे रश्मी की चूत साफ़ दिखाई देने लगी , वो अपनी कमर को रश्मी की जांघो के बीच में ले जाता है और अपना लंड़ उसकी चूत पर रगड़्ने लगता है। तुषार का गरम लंड़ अपनी चूत से टकराते ही रश्मी के दिल की धड़्कन तेज हो जाती है, आखिर कई महीनों के बाद उसे किसी मर्द के लंड़ का स्वाद जो मिलने वाला था।
अपना लंड़ रश्मी की चूत में ड़ालने से पहले वो अपना मुंह रश्मी के गालों के पास ले जाता है और उसे बेतहाशा चूमने लगता है, और फ़िर काम की उत्तेजना में उससे कहता है " रश्मी जान आज से तुम सदा सदा के लिये मेंरी हो जाओगी, आज मैं तुम्हें वो सुख दूंगा और ऐसी दुनिया की सैर कराउंगा जिसे पाने के लिये तुम बार बार मेरे पास आओगी। तेरे इस खूबसुरत जिस्म की जरुरत "राज" जैसा इंसान कभी नहीं समझ सकता ।

तुम्हे आज इस बात का अफ़सोस होगा कि तुम इतए महीनों तक इस सुख से वंचित क्यों रही? (अब वो उसे राज के खिलाफ़ भड़्काने से नहीं चूकता था, क्योंकि उसे रश्मी का जिस्म एक दो दिनों के लिये नहीं बल्की जीवन भर के लिये हासिल करना था।) वो आगे बोलना जारी रखता है " कल "राज" आ रहा है न रश्मी तो देख लेना तुम अपने प्रति उसका रवैया ।

रश्मी के गालों को चूमने और उसे "राज" के प्रति भड़्काने के बाद वो वाहां से उठता है और फ़िर से अपना लंड़ उसकी चूत में रगड़्ने लगता है। उसका एक हाथ रश्मी की जांघो और उसकी गांड़ो को सहला रहे थे और दूसरे हाथ से वो रश्मी की छातियों को मसल रहा था । अब तुषार के सहन शक्ति जवाब दे जाती है और वो अपना लंड़ रश्मी की चूत में लगा देता है।

लंड़ के चूत में लगते ही रश्मी सतर्क हो जाती है और आगे होने वाली घटना का अनुभव करते हुए अपनी आंख और होठों को बुरी तरह से भींच लेती है। इधर तुषार भी बेहद उत्तेजित और खुश था आखिर पिछले कई महिनों की उसकी हसरत अब पूरी जो होने वाली थी। वो अपने लंड़ में थोड़ा सा दबाव ड़ालता है और हल्का सा धक्का देता है और अपने लंड़ का सुपाड़ा उसकी चूत में घुसेड़ देता है। कई महीनों के बाद रश्मी की चूत में लंड़ घुसा था सो य्सकी चूत अंदर से सकरी हो गई थी, लंड़ के अंदर जाते ही उसके अंदर एक खलबली मच जाती है और दर्द से उसके मुंह से एक आह निकल जाती है।

कुछ क्षणों तक इसी तरह रश्मी को दर्द से कराहते देख तुषार उसका मजा लेता है फ़िर थोड़ा और धक्का वो अपने लंड़ मे लगाता है तो वो लगभग आधा उसकी चूत में चला जाता है। लंड़ के आधा अंदर जाते ही रश्मी दर्द से बिलबिलाने लग जाती है और कराहने लगती है आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उईईईईई मां , मर गई मै तो , मांऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ, बस करो तुषार सहन नहीं हो रहा है, प्लीज छोड़ दो मुझे , निकलो न उसे बाहर , । उसे इस तरफ़ फ़ड़्फ़ड़ाते हुए देख तुशार को मजा आने लगता है , वो कुछ क्षणों तक उसे इस तरह देखने के बाद अचानक एक जोर का धक्का लगाता है और उसका पूरा का पूरा मोटा लंड़ उसकी चूत में समा जाता है और रश्मी के मुंह से एक चीख निकल जाती है आईईईईईईईईई मांऽऽऽऽऽऽऽऽऽ बचाओ मुझे , उसकी आंखो में दर्द के मारे आंसू आ जाते है लेकिन इन आंसूओं का मर्दों पर कोई कभी असर नहीं पड़्ता।

लंड़ को पूरी तरह से रश्मी की चूत मे उतार देने के बाद तुषार रश्मी के नंगे जिस्म पर लुड़क जाता है और उसे अपनी बाहों मे जकड़ लेता है और अपना मुंह रश्मी के होठों पर लगा देता है , अब वो अपनी कमर को हौले हौले हिलाने लगता जिससे उसका लंड़ रश्मी की चूत में अंदर बाहर होने लगता है।
रश्मी के बेपनाह खूबसूरत नंगे लाचार जिस्म के अपने अधिकार में होने की कल्पना से तुषार की उत्तेजना और भी बढ़ जाती है और उसका लंण्ड़ लोहे के समान कड़्क हो जाता है। अपने ल्ण्ड़ के और भी कड़क हो जाने से वो और भी उत्तेजित हो जात है और रश्मी को बुरी तरह से अपनी बाहों में भीच लेता है और जोर जोर से अपनी कम्रर को हिलाने लगता है।

वो अपना ल्ण्ड़ इतनी जोर जोर से उसकी चूत में ड़ाल रहा था कि चूत और लण्ड़ की इस टक्कर में फ़च फ़च बद बद की आवजे कमरे में गूंजने लगती है और हर झटके के साथ रश्मी के मुंह के एक आह निकल जाती थी । आहह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह उइईईईई मांम्म्म्मां बस्स्स्स्स्स ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ रश्मी के मुंह के से निकलने वाली कराहों से तुषार और भी ज्यादा उत्तेजित हो रहा था और वो पूरी मस्ती में झूम झूम कर रश्मी को चोदने लगता है।

दोनों की आखें बंद थी और दोनो एक दूसरे से बुरी तरह से लिपटे हुए थे , दोनों के मुह से थोड़ी थोडी देर में उह्ह आह्ह ओफ़्फ़ की हल्की से आवाजे निकल रही थी और कमरे के वतावरण को कामुक बना रही थी। रश्मी का हाथ अब तुषार के पीठ पर था और वो आहिस्ता आहिस्ता उसकी पीठ पर अपना हाथ घुमाने लगी थी।

तभी तुशार हौले से अपना सर उपर उठाता है और धीरे से अपनी आंख खोल कर रश्मी की तरफ़ देखता है, उसकी आंखे काम की उत्तेजना के कारण लाल सुर्ख थी । वो देखता है कि रश्मी हौले हौले अपना सर कभी दाएं तो कभी बांए घुमा रही थी वो बार बार अपने होठों को अपने दातों से दबा लेती थी। उसके ऐसा करने का मतलब साफ़ था कि वो भी चुदाई के खेल का भरपूर मजा ले रही थी।

रश्मी को इस तरह करते हुए देख तुषार उत्तेजना के आवेग में दो तीन जोर का झटका उसकी चूत में लगा देता है तो रश्मी के मुंह से जोर से चीख निकल जाती है आह्ह्ह्ह तो तुषार उसे जोर भीच कर ताबड़्तोड़ उसके गालों को चूमना शुरु कर देता है। इस तरह चूमने से रश्मी भी उत्तेजित हो जाती है और वो उसे जोर से भींच लेती है और वो और भी तेजी से उसकी पीठ पर हाथ घ्माने लगती है।

कुछ देर तक इसी तरह से रश्मी भाभी को चोदने के बाद तुशार थोडा उपर उठता है और अपना बांया हाथ पलंग पर रख कर उसी के सहारे थोडा उंचा हो जाता है अब वो रश्मी को असानी से हरकते करते हुए देख सकता था । वो उसी अवस्था में अपनी कमर लगातार हिला रहा था और अपना लंड रश्मी की चूत में अंदर बाहर कर रहा था। अब वो अपना एक हाथ रश्मी के नंगे जिस्म पर घुमाने लगता है ।
उसके हाथ अब रश्मी के चेहरे पर घुम रहे थे कभी वो अपना हाथ उसके गालों पर घुमाता तो कभी उसके होठों पर तो कभी वो उसके बालों में अपना हाथ घुमाता इसी तरहअपने हाथों को घुमाते हुए अब वो अपना हाथ धीरे से उसकी जवानी के रस से भरी हुई उसकी छातियों पर रख देता है और उसके दोनों स्तनो को बारी बारी से मसलने लगता है।
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#6
में  ने अपने बांये हाथ से रश्मी के जबड़ो को पकड़ा और उसे तनिक दबाया तो रश्मी का मुंह थोड़ा सा खुल गया और अबमेने उसके खुले मुंह में अपना लंड़ डालने की कोशीश करने लगा।लेकिन रश्मी ने पूरी तरह से अपना मुंह नहीं खोला था इस्लिये मुझे अपना लंड़ उसके मुंह मे डालने में परेशानी हो रही थी। मेने  थोड़ा और उसके मुंह को दबाया तो तो उसका मुंह पूरी तरह से खुल गया अबमेने अपना लंड़ उसके मुंह में हौले से ड़ाल दिया और धीरे धीरे उसे काफ़ी गहराई तक उसके मुंह में घुसेड़ दिया । अब रश्मी गॊं गॊं की अवाजे अपने मुंह से निकालने लगी , वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि मेरा  मोटा लंड़ उसके मुंह में था।
में  ने अब उसके सर को पिछे से पकड़ा और धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगा और अपना लंड़ उसके मुंह में अंदर बाहर करने लगा, रश्मी की आंखे फ़टने लगी क्योंकीमेरे  धक्कों से उसका लंड़ रश्मी के गले तक चला जा रहा था। रश्मी के लिये ये एक बिल्कुल नया और विचित्र अनुभव था , आज से पहले उसने कभी भी किसी पुरुष के लंड़ का स्वाद नहीं चखा था।कुछ देर तक इसी तरह से अपनी कमर हिला हिला कर अपना लंड़ रस्मी के मुंह में ड़ालने के बादमेने अपनी कमर हिलाना बंद किया और उसने उसके सर के बालों को पिछे से पकड़ लिया और धीरे धीरे उसका सर आगे पिछे करने लगा ।

रश्मी के लिये हालांकि ये बिल्कुल नया खेल था जो उसने आज से पहले कभी नही खेला था इसीलिये पुरुष के लंड़ के बारे में उसके मन में काफ़ी भ्रांतियां थी लेकिन आज में  ने जबरन ही सही लेकिन जब उसके मुंह मे अपना लंड़ ड़ाल ही दिया तो शुरुआत में थोड़ी हिचकिचाहट के बाद अब उसे भी मेरे लंड़ का स्वाद अच्छा लगने लगा था और उसे भी इस खेल में मजा आने लगा था। और
अब अनजाने में ही कब उसका मुंह थोड़ा और खुल गया और उसने मेरे लंड़ के लिये अपने मुंह में
और जगह कर दी ताकी वो असानी से उसे अपने मुंह में ले सके उसे खुद को पता नहीं चल पाया। लेकिन में ने इसको तुरंत महसूस कर लिया और उसने अप उसके सर को पिछे से हिलाना बंद कर दिया लेकिन रश्मी का सर आगे पिछे हिलना बंद नहीं हुआ वो उसी तरह अपने सर को आंखे बंद किये हिलाते रही और उसके लंड़ को चूसते रही।

रश्मी की आंखे बंद थी और उसने अब इतनी जोर से उसके लंड़ को चूसना शुरु कर दिया कि उसके मुंह पच पच की अवाजे भी आने लगी इतनी जोर से लंड़ को अपने मुंह में भीच लेने के कारण उसके दोनों गालों मे गड्ढे पड़ने लगे थे। पच पच की अवाज के बीच में उसके मुंह से उं उं आह आह की अवाजे निकल रही थी और इधर में  आंखे बंद किये अपनी गदराई हसीना के मुख मैथुन का आनंद ले
रहा था उसके मुंह से सी सी की अवाजे निकल रही थी में प्यार से रश्मी के बालों और पीठ में हाथ फ़ेरने लगा और अत्यन्त कामोत्तेजना में आह आह वाह दीदी  सक इट बेबी बडबड़ाने लगा ।

नंगी रश्मी ड़ागी स्टाइल में पलंग मे थी और में  पलंग के नीचे खड़ा था रश्मी के दोनों विशाल स्तन झूल रहे थेमें  बीच बीच में अपने हाथों से उसकी पीठ को सहलाते हुए उसकी गांड़ो को सहलाने लगा और अपनी एक उंगली को उसकी गांड़ और उसकी चूत के छेद मे मसलने लगा इससे रश्मी की उत्तेजना और बढ़ गई और वो और भी जोरों से मेरे लंड़ को चूसने लगी और अब वातावरण में दोनॊं जवान
जिस्मॊ के मुंह से निकलने वाली सिसकियां गुंजने लगी । अ़चानक रश्मी को होश आया कि में  ने उसका सर कभी का छोड़ दिया है और वो खुद ही उसका लंड़ चूसे जा रही है वो हड़्बड़ा कर उसका लंड़ चूसना छोड़ देती है लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी और मेरे  सामने उसकी हकीकत जाहिर हो चुकी थी । उसने मारे शर्म के अपनी आंखे बंद कर ली और पलंग पर ही बैठी रही।
में ने अब उसकी तरफ़ गौर करने बजाय उसे हौले से धक्का दिया और उसे पलंग पर धकेल दिया दीदी अब पलंग पर पीठ के बल पड़ी थी उसका सर एक तरफ़ झुका हुआ था और दाहिना हाथ उपर की तरफ़ उठते हुए उसके सर के पास पड़ा था और दूसरा हाथ उसके स्तन के ठीक नीचे और पेट के ठोड़ा उपर पड़ा था , उसकी आंखे बंद थी और उसके विशाल स्तन उत्तेजना के मारे जोर जोर से हील रहे थे ।
किसी कामतुर मर्द के सामने ऐसी समर्पित बेबाक नग्न सुंदरी पड़ी हो तो उसका उत्तेजना के मारे पागल होना लाजिमी है। में भी रश्मी को इस तरह पड़े देख पागल हो जाता हु  और वहीं पलंग के पास नीचे बैठ जाताहु  , में उसकी दोनों टांगो को फ़ैलाता हु  और अपना मुंह उसकी चूत में लगा देता है।अबमें  रश्मी  दीदी चूत को चूसना शुरु कर देता हु  मेरे  मुंह से चप चप चपड चपड की अवाज आने लगती है । रश्मी के मुंह से उत्तेजना के मारे आह निकलने लगती है और वो अपना सर पलंग में इधर उधर घुमाने लगती है अपने दोनों हाथों को उपर कर के वो तकिये के कोनों को जोर से पकड़ लेती है और उसे मसलने लगती है।

में  अपने दोनों हाथों को उसकी गांड़ो के नीचे ले जा कर उसे थोड़ा जोर लगा कर उपर उठा देता है अब उसकी चूत और भी असानी से मेरे  मुंह मे आ जाती है में अपने मुंह में ढेर सारा थूक भर कर रश्मी चूत में उंड़ेल देता हु इससे उसकी चूत और भी चिकनी हो जाती है |

अब में  उसकी चिकनी चूत की फ़ांको पर अपनी जीभ रगड़ने लगता हु  और उसके चूत के अंदर के गुलाबी भाग को अपनी जीभ से सहलाने लगता हु  । रश्मी मारे उत्तेजना के पागल हो जाती है और अपनी चूत जोर जोर से हिलाने लगती है। अब मेरे  लिये उसकी चूत मे मुंह लगाये रखना कठिन हो जाता है तो में  और भी ताकत से अपना मुंह उसकी चूत में लगा देता हु और अपनी जीभ उसकी जवान चूत के छेद में ड़ाल कर उसे अंदर बाहर करने लगता हु ।

इस तरह जीभ के अंदर बाहर होने से रश्मी थरथराने लगती और वो बुरी तरह से उत्तेजित हो जाती है। वो आंखे बंद किये अपना सर तेजी से इधर उधर पटकने लगती है, उसकी बदहवासी नेमेरे  को और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया तथा में और भी अधिक जोश से दीदी  की चूत को चूसने लगता हु ।
चूत के के इस बुरी तरह से चूसे जाने के कारण रश्मी का खुद से नियंत्रण पूरी तरह से खतम हो गया था और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे चिकना पानी निकलने लगता है, उसके चूत के मादक पानी ने मेरी   उत्तेजना को और भी अधिक बढा दिया । मेरे लिये अब अपना लंड़ रश्मी की चूत से बाहर रखना संभव नहीं हो पा रहा था वो अब बुरी तरह से झटके मार रहा था और बुरी तरह से दुखने लगा था,मेरे  को ऐसा लगने लगा था कि यदि इसे जल्दी से रश्मी दीदी की चूत में ना ड़ाला तो ये फट जायेगा।

में , रश्मी की जवान बुर के रस का अभी और मजा लेना चाहता था , मेरा  मन अभी उसकी चूत से भरा नहीं था में उसे और भी कुछ देर तक चूसना चाहता था लेकिन में  भी अपने लंड़ की बगावत के आगे मजबूर हो जाता हु  और ना चाहते हुए भी अपना मुंह रश्मी की रसीली चूत से अलग करताहु  ।में  पलंग पर चढ़ जाता हु  और लाल सुर्ख आंखों से अपने
रश्मी की शर्म भले ही ना खतम हुई हो लेकिन लगातार कई देर से तुषार के सामने नंगी पड़ी रहने से उसकी झीझक खतम हो चुकी थी और अपनी चूत के झटको से बचने के लिये व्प अब अपने दोनों पैर बिस्तर पर इधर उधर बार बार फ़ैला रही थी इससे उसके नग्न शरीर की मादकता और भी बढ़ रही थी जो तुषार को और भी उत्तेजित कर रही थी ।

अब तुषार ने रश्मी के बिस्तर पर फ़ैले दोनो पैरों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसे उसे दांए बांए फ़ैला दिया अब उसे रश्मी की चूत साफ़ दिखाई देने लगी , वो अपनी कमर को रश्मी की जांघो के बीच में ले जाता है और अपना लंड़ उसकी चूत पर रगड़्ने लगता है। तुषार का गरम लंड़ अपनी चूत से टकराते ही रश्मी के दिल की धड़्कन तेज हो जाती है, आखिर कई महीनों के बाद उसे किसी मर्द के लंड़ का स्वाद जो मिलने वाला था।
अपना लंड़ रश्मी की चूत में ड़ालने से पहले वो अपना मुंह रश्मी के गालों के पास ले जाता है और उसे बेतहाशा चूमने लगता है, और फ़िर काम की उत्तेजना में उससे कहता है " रश्मी जान आज से तुम सदा सदा के लिये मेंरी हो जाओगी, आज मैं तुम्हें वो सुख दूंगा और ऐसी दुनिया की सैर कराउंगा जिसे पाने के लिये तुम बार बार मेरे पास आओगी। तेरे इस खूबसुरत जिस्म की जरुरत "राज" जैसा इंसान कभी नहीं समझ सकता ।

तुम्हे आज इस बात का अफ़सोस होगा कि तुम इतए महीनों तक इस सुख से वंचित क्यों रही? (अब वो उसे राज के खिलाफ़ भड़्काने से नहीं चूकता था, क्योंकि उसे रश्मी का जिस्म एक दो दिनों के लिये नहीं बल्की जीवन भर के लिये हासिल करना था।) वो आगे बोलना जारी रखता है " कल "राज" आ रहा है न रश्मी तो देख लेना तुम अपने प्रति उसका रवैया ।

रश्मी के गालों को चूमने और उसे "राज" के प्रति भड़्काने के बाद वो वाहां से उठता है और फ़िर से अपना लंड़ उसकी चूत में रगड़्ने लगता है। उसका एक हाथ रश्मी की जांघो और उसकी गांड़ो को सहला रहे थे और दूसरे हाथ से वो रश्मी की छातियों को मसल रहा था । अब तुषार के सहन शक्ति जवाब दे जाती है और वो अपना लंड़ रश्मी की चूत में लगा देता है।

लंड़ के चूत में लगते ही रश्मी सतर्क हो जाती है और आगे होने वाली घटना का अनुभव करते हुए अपनी आंख और होठों को बुरी तरह से भींच लेती है। इधर तुषार भी बेहद उत्तेजित और खुश था आखिर पिछले कई महिनों की उसकी हसरत अब पूरी जो होने वाली थी। वो अपने लंड़ में थोड़ा सा दबाव ड़ालता है और हल्का सा धक्का देता है और अपने लंड़ का सुपाड़ा उसकी चूत में घुसेड़ देता है। कई महीनों के बाद रश्मी की चूत में लंड़ घुसा था सो य्सकी चूत अंदर से सकरी हो गई थी, लंड़ के अंदर जाते ही उसके अंदर एक खलबली मच जाती है और दर्द से उसके मुंह से एक आह निकल जाती है।

कुछ क्षणों तक इसी तरह रश्मी को दर्द से कराहते देख तुषार उसका मजा लेता है फ़िर थोड़ा और धक्का वो अपने लंड़ मे लगाता है तो वो लगभग आधा उसकी चूत में चला जाता है। लंड़ के आधा अंदर जाते ही रश्मी दर्द से बिलबिलाने लग जाती है और कराहने लगती है आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उईईईईई मां , मर गई मै तो , मांऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ, बस करो तुषार सहन नहीं हो रहा है, प्लीज छोड़ दो मुझे , निकलो न उसे बाहर , । उसे इस तरफ़ फ़ड़्फ़ड़ाते हुए देख तुशार को मजा आने लगता है , वो कुछ क्षणों तक उसे इस तरह देखने के बाद अचानक एक जोर का धक्का लगाता है और उसका पूरा का पूरा मोटा लंड़ उसकी चूत में समा जाता है और रश्मी के मुंह से एक चीख निकल जाती है आईईईईईईईईई मांऽऽऽऽऽऽऽऽऽ बचाओ मुझे , उसकी आंखो में दर्द के मारे आंसू आ जाते है लेकिन इन आंसूओं का मर्दों पर कोई कभी असर नहीं पड़्ता।

लंड़ को पूरी तरह से रश्मी की चूत मे उतार देने के बाद तुषार रश्मी के नंगे जिस्म पर लुड़क जाता है और उसे अपनी बाहों मे जकड़ लेता है और अपना मुंह रश्मी के होठों पर लगा देता है , अब वो अपनी कमर को हौले हौले हिलाने लगता जिससे उसका लंड़ रश्मी की चूत में अंदर बाहर होने लगता है।
रश्मी के बेपनाह खूबसूरत नंगे लाचार जिस्म के अपने अधिकार में होने की कल्पना से तुषार की उत्तेजना और भी बढ़ जाती है और उसका लंण्ड़ लोहे के समान कड़्क हो जाता है। अपने ल्ण्ड़ के और भी कड़क हो जाने से वो और भी उत्तेजित हो जात है और रश्मी को बुरी तरह से अपनी बाहों में भीच लेता है और जोर जोर से अपनी कम्रर को हिलाने लगता है।

वो अपना ल्ण्ड़ इतनी जोर जोर से उसकी चूत में ड़ाल रहा था कि चूत और लण्ड़ की इस टक्कर में फ़च फ़च बद बद की आवजे कमरे में गूंजने लगती है और हर झटके के साथ रश्मी के मुंह के एक आह निकल जाती थी । आहह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह उइईईईई मांम्म्म्मां बस्स्स्स्स्स ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ रश्मी के मुंह के से निकलने वाली कराहों से तुषार और भी ज्यादा उत्तेजित हो रहा था और वो पूरी मस्ती में झूम झूम कर रश्मी को चोदने लगता है।

दोनों की आखें बंद थी और दोनो एक दूसरे से बुरी तरह से लिपटे हुए थे , दोनों के मुह से थोड़ी थोडी देर में उह्ह आह्ह ओफ़्फ़ की हल्की से आवाजे निकल रही थी और कमरे के वतावरण को कामुक बना रही थी। रश्मी का हाथ अब तुषार के पीठ पर था और वो आहिस्ता आहिस्ता उसकी पीठ पर अपना हाथ घुमाने लगी थी।

तभी तुशार हौले से अपना सर उपर उठाता है और धीरे से अपनी आंख खोल कर रश्मी की तरफ़ देखता है, उसकी आंखे काम की उत्तेजना के कारण लाल सुर्ख थी । वो देखता है कि रश्मी हौले हौले अपना सर कभी दाएं तो कभी बांए घुमा रही थी वो बार बार अपने होठों को अपने दातों से दबा लेती थी। उसके ऐसा करने का मतलब साफ़ था कि वो भी चुदाई के खेल का भरपूर मजा ले रही थी।

रश्मी को इस तरह करते हुए देख तुषार उत्तेजना के आवेग में दो तीन जोर का झटका उसकी चूत में लगा देता है तो रश्मी के मुंह से जोर से चीख निकल जाती है आह्ह्ह्ह तो तुषार उसे जोर भीच कर ताबड़्तोड़ उसके गालों को चूमना शुरु कर देता है। इस तरह चूमने से रश्मी भी उत्तेजित हो जाती है और वो उसे जोर से भींच लेती है और वो और भी तेजी से उसकी पीठ पर हाथ घ्माने लगती है।

कुछ देर तक इसी तरह से रश्मी  को चोदने के बाद तुशार थोडा उपर उठता है और अपना बांया हाथ पलंग पर रख कर उसी के सहारे थोडा उंचा हो जाता है अब वो रश्मी को असानी से हरकते करते हुए देख सकता था । वो उसी अवस्था में अपनी कमर लगातार हिला रहा था और अपना लंड रश्मी की चूत में अंदर बाहर कर रहा था। अब वो अपना एक हाथ रश्मी के नंगे जिस्म पर घुमाने लगता है ।
उसके हाथ अब रश्मी के चेहरे पर घुम रहे थे कभी वो अपना हाथ उसके गालों पर घुमाता तो कभी उसके होठों पर तो कभी वो उसके बालों में अपना हाथ घुमाता इसी तरहअपने हाथों को घुमाते हुए अब वो अपना हाथ धीरे से उसकी जवानी के रस से भरी हुई उसकी छातियों पर रख देता है और उसके दोनों स्तनो को बारी बारी से मसलने लगता है।
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#7
उफ़, औरत की ये छातियां हमेंशा ही मर्दों के आकर्षण का केन्द्र रही है , इन्हें पाने और भोगने के लिये ये मर्द हमेंशा ही बड़ा से बड़ा कुकर्म करने के लिये तैयार रहते हैं। कभी तुशार भी रश्मी की छाती के क्लिवेज देखने के लिये तरसता था और उसे देखने के लिये उसके आगे पिछे घुमता रहता था आज उसी रशमी की गदराई छातियां उसके सामने एकदम नंगी खुली पड़ी थी और वो उसे जोर जोर से मसले जा रहा था।

अत्यधिक मसले जाने के कारण रश्मी की छातिय़ां लाल हो गई थी और उसमे तुषार की उंगलियों के लाल निशान साफ़ तौर पर दिख रहे थे। अब तुषार नें थोडा निचे झुकते हुए उसके बाएं बूब्स के निप्पल को अपने मुंह में ले लिया और उसे जोर जोर से चूमने लगा और अपने दूसरे हाथ से उसका दायां दूध मसलने लगा और निचे अपने लंड़ के धक्के उसने रश्मी की चूत में लगाने जारी रखे ।

इस तरह बूब्स को दबाने और चूसने और अपनी चूत में लगातार लंड़ के झटके पड़ने से रश्मी भी काम उत्तेजना में झूम जाती है और अपनी कमर को हौले हौले झटके देने लगती है एक दूसरे की बाहों में नग्न रश्मी और तुषार लगातार अपनी कमर को झटके दे कर चुदाई में इतने तल्लीन हो चुके थे कि कि वो दोनों ही अपनी सुध बुध खो चुके थे उन्हें खुद का भी खयाल नहीं था वे तो बस एक दूसरे में इतने तल्लीन हो चुके थे मानों संभोग करते हुए उन्हें समाधी लग गई हो।

कुछ देर तक इसी तरह अपनी सुध बुध खो देने वाली चुदाई के बाद तुषार तनिक उपर उठता है और उसका बूब्स चूसना छोड़ कर अब वो रश्मी के उपर उकडू बैठ जाता है उसका लन्*ड़ अभी भी रश्मी की चूत में था , अब वो उसके दोनों बूब्स को फ़िर अपने दोनों हाथों ले लेता है और उसे बुरि तरह्से मसलने लगता है और अपने लंड़ को और भी जोर जोर से उसकी चूत में पेलना शुरु कर देता है तो रश्मी का चेहरा आनंद से खिल उठता है तुषार की इस हरकत से उसे इतना आनंद मिलता है कि उसके मुंह से आहह्ह्ह्ह आहह्ह्ह्ह आहह्ह्ह्ह आउच्च्च्च्च्च्च्च ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ की अवाज निकलने लगती है और वो वासना के समुन्दर में गोते लगाने लगती है।

रश्मी को इतनी मजबूती से राज ने कभी नहीं चोदा था इसीलिये तुषार द्वारा उसकी ऐसी चुदाई करने से वो अपना सुध बुध को बैठी और अपने और तुषार के बीच के रिश्ते को भी भूल बैठी,पिछले कई महिनों से उसकी दमित वासना को तुषार ने न केवल भड़काया था बल्कि उसे उतनी ही खूबसरती से शांत भी कर रहा था। रश्मी आज काफ़ी हल्का महसूस कर रही थी और वो अब तक की अपनी सारी हिचक और शरम को छोड़ उन्मुक्त भाव से तुषार का साथ दे रही थी और अपनी हवस शांत करने के लिये अपना नंगा शरीर उसे सौंप चुकी थी। अपना शरीर पूरी तरह से निढाल कर दिया था कहीं से कोई प्रतिरोध नहीं था और अपने सम्पूर्ण शरीर को ढीला छोड़ के तुषार के हवाले कर दिया था और उसे अपने नंगे जिस्म के साथ मनमानी करने और उससे खिलवाड़ करने की पूरी छूट दे दी थी।

रश्मी के इस उन्मुक्त समर्पण ने तुशार को और भी हब्शी बना दिया वो और भी कमातुर हो कर रश्मी को चोदने लगा , वो और जोरों से उसकी चूत में झटके मारने लगा रश्मी के पहाड़ के जैसे विशाल स्तनों को उसने और भी जोरों पकड़ लिया और उसे इस तरह से मसलने लगा मानों वो उसे उसकी छातीयों से उखाड़ कर निकालना चाहता था।
रश्मी अपना सर बड़ी ही तेजी से इधर उधर घुमा रही थी अपनी ऐसी चुदाई से अब वो हांफ़ने लगी थी और अब वो लंबी लंबी सांसे ले रही थी। तुषार उसकी इस अवस्था को देख उत्तेजना के सागर में डूबता चला जाता है और उसके दोनों विशाल स्तनों को छोड़कर अब अपने दोनों हाथ उसकी पीठ के नीचे ले जाता है और उसे आहिस्ता से उठा कर अपनी गोद में बिठा लेता है फुरी तरह से निढाल रश्मी के दोनों हाथ दाएं बाएं झूल जाते है और वो एक झटके में उसकी गोद में समा जाती है। तुषार का लंड़ रश्मी की चूत में था और नंगी रश्मी तुषार की गोद में उसके दोनों हाथ झूल रहे थे और गर्दन पिछे की तरफ़ झुकी हुई थी। चूंकी वो उसकी गोद में बैठी थी इसलिये उसके दोनों विशाल स्तन उसके मुंह के पास झूल रहे थे , तुषार ने मारे उत्तेजना के उसके विशाल स्तन को अपने मुंह से लगा लिया और उसमें भरे जवानी के रस को पीने लगा।

तुषार ने अब अपना एक हाथ उसकी पीठ से हटा कर उसकी चिकनी गांड़ पर रखा और उसे हल्के हल्के से उपर उठाने और छोड़्ने लेगा रश्मी अब उसकी गोद में उपर निचे होने लगी और तुषार की गोद में बैठे हुए ही उससे चुदने लगी। किसी मर्द की गोद में बैठ कर चुदने का रश्मी का ये पहला अनुभव था उसे ये अभास भी नही था कि मर्द की गोद में बैठ कर भी उसका लंड अपनी चूत में लिया जा सकता है, ये नया अनुभव उसके लिये काफ़ी रोमांचक था और वो इस रोमांच का भरपूर मजा ले रही थी उसने अपने दोनों लटके हुए हाथ अब तुषार के कंधो पर रख लिये और वो खुद भी अपने पैरों के पंजो के सहारे थोड़ा थोड़ा उपर नीचे होने लगी इससे तुषार को काफ़ी रोमांच होने लगा और उसका हाथ थोड़ी देर के लिये खाली हो गया ।
अब वो रश्मी को उपर नीचे करना छोड़ कर उसकी गांड़ को सहलाने लगा क्योंकि रश्मी खुद ही उसकी गोद में बैठ कर उसके लंड़ पर उपर नीचे हो रही थी और झटके मार रही थी। अपने हाथों से वो रश्मी की चिकनी गांड़ो को सहलाते हुए उसकी गांड़ का छेद तलाशने लगता है और अपना हाथ उसकी गांड़ के छेद पर रख देता है।

अपनी गांड़ के छेद पर तुषार का हाथ लगते ही रश्मी के शरीर में एक सनसनी दौड़ जाती है और वो तनिक जोर से उसके कंधो को पकड़ लेती है। इधर तुषार अब हौले हौले उसकी गांड़ के छेद को अपनी उंगली से रहड़ने लगता है। अपने शरीर के दोनों छेदों पर एक साथ घर्षण से रश्मी थरथरा जाती है।उसके जिस्म में ऐसी उत्तेजना होने लगती है जिसे सहन करना अब उसके बस में नहीं था।

रश्मी की गांड़ मारने की तुषार की बहुत इच्छा थी लेकिन इससे पहले वो उसे अपने मोटे लंड़ के लिये तैयार करना चाहता था। कुछ देर तक उसकी गांड़ के छेद में अपनी उंगली रगड़्ने के बाद वो हौले से अपनी पहली उंगली को थोड़ा सा धक्का देते हुए उसकी गांड़ मे घुसा देता है और धीरे धीरे अन्*दर बाहर करने लगता है।

गांड़ में तुषार की उंगली और चूत में उसका लंड़ अपने दोनों छेदों की इस तरह से एक साथ चुदाई से रश्मी इससे एकदम बदहवास हो जाती है और वो तुषार को जोर से भींच लेती है और उसे ताबड़ तोड़ चूमने लगती है। उसे ऐसा लगा कि अब वो झड़ जायेगी। तुशार तेजी से उसकी गांड़ में उंगली से अंदर बाहर करने लगता है।थोडी देर तक इसी तरह अपनी उंगली अन्*दर बाहर करने के बाद वो अपनी उंगली को थोडा और अंदर धक्का देता है, और अपनी आधी उंगली उसकी गांड़ में घुसा देता है।और गांड़ में ही
उसे हिलाने लगता है। कुछ देर तक अपनी आधी उंगली उसकी गांड़ मे रखने के बाद वो एक और धक्का देता है और अब उसकी पूरी उंगली ही उसकी गांड़ मे समा जाती है।

अब तुषार अपनी पूरी की पूरी उंगली ही उसकी गांड़ मे अंदर बाहर करने लगता है, रश्मी जैसे अपना आपा खो बैठती है और अपनी कमर को जोर जोर से हीलाने लगती है और वो तुशार को बुरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ लेती है।आज तो तुशार जैसे जन्नत की सैर कर रहा था । रश्मी की चूत में उसका लन्*ड़ उसकी छाती तुषार के मुंह में और रश्मी की गांड़ मे तुषार की उंगली उसकी तो जैसे पांचो उंगलियां घी में थी।
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#8
gooooooòd
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#9
yourocko yourock
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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