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Misc. Erotica All HoT Hindi choti (Hindi Font)
#1
Bug 
वासना अंधी होती है :-------
------------------------








दोस्तो, आज मैं अजित आपको अपनी एक कामुकता कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
दरअसल ये कामुकता कहानी है पुरुष की अंधी वासना की।

अंधी वासना मैं इसे इसलिए कह रहा हूँ, क्योंकि कई बार आपने खुद भी महसूस किया होगा कि कोई लड़की या औरत आपके आस पास ऐसी भी होती है, जो न आपको सुंदर लगती है, न वो हॉट होती है, न सेक्सी होती है।
यानि आपको उसमें कुछ भी पसंद नहीं होता मगर फिर न जाने क्यों आप ऐसी औरत पर आपका दिल आ जाता है, और आप उसे चोदने में कोई समय नहीं गँवाते।

ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ, उसी की कहानी है। लीजिये कामुकता कहानी मुलाहिज़ा फरमाइए।

मेरे पत्नी की एक सहेली है, नाम है उसका सलोनी (परिवर्तित नाम)। दरअसल मेरी पत्नी को बिज़नेस का बहुत शौक था, तो उसने अपनी एक सहेली के साथ रेडीमेड लेडीज सूट, कुर्ती का काम खोला।
अब अगर देखा जाए तो मेरी बीवी और उसकी सहेली सलोनी में ज़मीन आसमान का फर्क है। न रंग में मे रूप मे, न शारीरिक बनावट में वो किसी भी तरह से मेरी बीवी के समांतर नहीं है। इसी लिए मैंने उसे कभी कोई तवज्जो नहीं दी.
हाँ वो हमेशा जीजू जीजू करके आस पास मंडराती थी।

यहाँ तक कि मेरी पत्नी ने भी मुझे कई बार कहा कि सलोनी आप पर पूरी तरह से फिदा है।
मैंने पूछा- क्यों उसका पति नहीं है क्या?

तो मेरी पत्नी से मुझे पता चला के उसके पति की जॉब कुछ खास नहीं है, घर में अक्सर पैसे की तंगी रहती है, जिस वजह से वो भी काम करती है, मगर पति और पत्नी में पैसे की तंगी
को लेकर अक्सर तकरार भी रहती है।

मगर मुझे फिर भी उसमें कोई खास इंटरेस्ट नहीं था। बल्कि एक दो बार सलोनी ने मेरा फोन नंबर भी मांगा, मगर मैंने बहाना लगा दिया और दिया नहीं।
डेढ़ साल तक ऐसे ही मैं उसे इगनोर करता रहा।

मगर इस होली कुछ नया सा हुआ।
हुआ यूं के होली वाले दिन सलोनी अपने बच्चों के साथ हमारे घर आई- जीजू संग होली खेलनी है, जीजू संग होली खेलनी है।

मैं होली नहीं खेलता, मगर फिर भी उसने जानबूझ कर मुझ पर रंग लगा दिया.
फिर अपनी थाली मेरे आगे करके बोली- आप भी रंग लगा लो अपनी साली को!

मैंने उसके हल्का सा रंग लगा दिया पर उसको पसंद नहीं आया।

बाद में जब मेरी बीवी किचन में गई और मैं अपने लैपटाप पर बैठ कर अपनी एक कहानी लिखने लगा.
तो वो मेरे पास आई और मेरे सामने बैठ गई।

मैंने पूछा- जी कहिए?
वो मुंह सा बना कर बोली- क्या जीजू, मैंने तो सोचा था कि जीजू के संग होली खेलूँगी, खूब मस्ती करूंगी। मगर आप ऐसे हैं कि अपनी साली को ठीक से रंग भी नहीं लगाया?
मैंने कहा- अरे यार … मुझे ये रंग वंग से खेलना पसंद नहीं है।

वो बोली- लोग तो कहते हैं कि साली आधी घर वाली होती है. और एक आप हो कि आधी तो क्या एक पेरसेंट भी नहीं मानते।
मैंने कहा- अब जब अपनी घरवाली इतनी मस्त है, तो बाहर देखने की क्या ज़रूरत है?
वो बोली- अजी मानते हैं कि दीदी के सामने मैं कुछ भी नहीं, मगर इतनी बात नहीं के मैं बिल्कुल ही कुछ भी नहीं।

मैंने उसकी और देखा, उसकी आँखों में एक खास चमक थी। 
मैंने पूछा- क्या चाहती हो?
वो बोली- मैं चाहती हूँ कि आप मुझे रंग से सराबोर कर दो।
मैंने कहा- तो थाली लाओ, रंग से भर के तुम्हारे सर पर उलट देता हूँ।

वो फिर तुनक कर बोली- क्या जीजू … ऐसे होली थोड़े ही होती है, रंग तो जहां भी लगाते हैं हाथ से लगते हैं।
मैंने कहा- अरे नहीं, यूं रंग लगाने के नाम पर बदतमीजी करना मुझे पसंद नहीं।
वो बोली- बदतमीजी तब होती है जब कोई सामने वाले की मर्ज़ी के बिना रंग लगाने की कोशिश करे।

मैंने सोचा यार तो साली खुद अपने साथ बदतमीजी करवाना चाहती है। मगर ऐसा कुछ है भी नहीं इसमें कि इसके साथ कुछ ऐसी वैसी हरकत करूँ।
मैंने कहा- ठीक है, लाओ रंग, थोड़ा और लगा देता हूँ।
हालांकि मैं सोच तो चुका था कि चलो देखते हैं कि अगर इसने ऐतराज न किया तो इसके मम्मों को भी रंग दूँगा, न पसंद आया, तो जाने दो।

वो जल्दी से बाहर से रंग वाली थाली में और रंग डाल कर ले आई।
मैंने उठ कर उसकी थाली से रंग की मुट्ठी भरी और उसके माथे पर, चेहरे पर लगा दी। पूरा चेहरे रंग दिया.

मगर मेरे रुकते ही वो बोली- और … मतलब और रंग लगाओ।
मैंने दूसरी मुट्ठी भरी और उसकी गर्दन, कंधों और बाजुओं पर भी रंग लगा दिया।
वो फिर बोली- और!

मैंने उसकी पीठ और पेट पर भी कपड़ों के ऊपर से रंग लगाया।
वो मेरी तरफ देख कर बोली- शर्मा क्यों रहे हो जीजू, जहां मर्ज़ी लगा लो, मैं बुरा नहीं मानूँगी।

अब ये तो बिल्कुल साफ आमंत्रण था। मैंने अपनी दोनों हाथों में रंग भर और उसके दोनों मम्मों पर लगा दिया।
वो बोली- और।
मैंने कहा- अब और कहाँ लगाऊँ?
वो बोली- आपने सिर्फ कपड़ों पर ही रंग लगाया है जीजू।

मैंने कहा- तो अगर कपड़ों के अंदर लगा दूँ, तो बुरा तो नहीं मानोगी?
वो बोली- होली है, बुरा मानने का सवाल  ही नहीं।

मैंने थोड़ा सा रंग लिया और उसकी आँखों में देखते हुये उसकी कमीज़ के गले से अंदर हाथ डाल दिया। पहले ब्रा के ऊपर से रंग लगाया, वो आँखें बंद कर के खड़ी थी कि लगा लो जितना रंग लगाना है।।

फिर मैंने अपना हाथ उसके ब्रा के अंदर डाला और जब उसका मम्मा पकड़ कर दबाया तो मुझे लगा ‘यार … यहाँ कुछ बढ़िया है।’
बढ़िया इसलिए क्योंकि मुझे उसका मम्मा अपनी बीवी से कुछ ज़्यादा सॉलिड लगा, कुछ ज़्यादा चिकना लगा।

मैंने कहा- तुम्हारे मम्में बड़े शानदार हैं साली साहिबा।
वो बोली- क्या करूँ शानदार का … जब कोई देखता ही नहीं।
मैंने कहा- तो क्या तुम्हारा पति नहीं देखता?
वो बोली- अजी कहाँ, वो तो पहली बाल पर आउट होने वाला खिलाड़ी है। कभी ढंग से पिच पर एक ओवर भी नहीं खेल पता।

मैं घूम कर उसके पीछे आ गया और मैंने कहा- तो बैट्समेन बदल कर देख लो.
वो बोली- वही तो सोच रही हूँ. मगर जिस बैट्समेन से मैं खेलना चाहती हूँ, वो मुझसे खेलना ही नहीं चाहता।

मैंने पीछे से जाकर उसे अपनी आगोश में लिया और अपना हाथ फिर से ऊपर से उसकी कमीज के गले से अंदर डाला. और इस बार उसके दोनों मम्मों को बारी बारी से दबा कर देखा।
मम्में मस्त थे साली के।

मैंने कहा- तुम्हारे मम्में तो मेरी बीवी से भी ज़्यादा मस्त हैं।
वो बोली- अब दीदी 6 साल बड़ी भी तो हैं मुझसे।

बस यहीं मुझे लगा के यार अपने से 10 साल छोटी औरत मिल रही है, क्यों न इसके साथ एंजॉय करके देखा जाए। और कुछ नहीं एक नया एडवेंचर ही होगा।
मैंने कहा- सुनो, अगर कोई मौका मिले, तो मिलना चाहोगी मुझसे?
वो बोली- आप मौका तो दो।
मैंने कहा- ठीक है, मैं कोई प्रोग्राम बनाता हूँ, उसके बाद देखते हैं, अगर सेटिंग बैठी, तो ज़रूर मिलेंगे।

उसके बाद मैंने थोड़े से उसके मम्में और दबाये, और थोड़ा सा उसकी गांड पर अपना लंड घिसाया। ये भी साला हरामी पराई औरत की गांड से घिसते ही सर उठाने लगा।

अब तो बात बन ही गई थी। मैंने उसे छोड़ा, उसको अपना फोन नंबर दे कर कहा कि अब फोन पर बात करेंगे, और आगे का प्रोग्राम बनाएँगे।

फिर मैं वापिस अपने लैपटाप पर आकर काम करने लगा और वो मेरे सामने ही कुर्सी पर बैठ कर टीवी देखने लगी।

इतने में मेरी बीवी चाय नाश्ता लेकर आ गई।

फिर हमने चाय नाश्ता और गप्पों के मज़े लिए। करीब 3 बजे वो अपने बच्चों के साथ अपने घर चली गई।

अगले दिन मैंने उसे अपने ऑफिस से फोन किया।

अब क्योंकि मैं जब अपनी किसी महिला पाठक की कामुकता कहानी लिखता हूँ, तो धीरे धीरे मैं उनसे उनकी सभी गुप्त बातें पूछ लेता हूँ. और अक्सर वो अपनी कहानी लिखवाने के लिए अपने अन्तर्मन से ऐसी ऐसी बातें बताती है जो उनके पति को भी नहीं पता होती।

वह लडकी या महिला किसी की बेटी या बहू, किसी की बहन, बीवी, माँ जब मेरे सामने अपने मन की बात करती हैं, तो फिर तो वो ऐसी बातें भी बताती हैं कि ये जान कर बड़ा आश्चर्य होता है कि समाज में परिवार में इस औरत की, इस लड़की की कितनी प्रतिष्ठा होगी। ऊपर से ये कितनी सती सावित्री, शरीफ, सीधी सदी लगती होगी। इसके घर परिवार वाले इसके बारे कितना अच्छा सोचते होंगे, मगर मेरे सामने ये इसका कोई और ही रूप है।

खैर, मैंने करीब आधा घंटा सलोनी से बात की. और इस आधे घंटे में ही मैंने उसके जीवन की सारी किताब पढ़ ली।

बातों बातों में मैंने उस से पूछ लिया कि क्या वो लंड चूसती है, गांड मरवा लेती है। शादी से पहले शादी बाद उसके कितने संबंध रहे हैं।
वो भी शायद सेक्सी बातें करने के मूड में थी, तो उसने भी खूब खुल कर खूब खुश हो हो कर बताया।

जब मैंने अपने मतलब की सब जानकारी हासिल कर ली तो उससे कहा कि अब बस जल्दी ही मैं उससे मिलना चाहता हूँ।
मगर इससे पहले कि मैं उससे किसी होटल के कमरे में मिलता, मैंने उससे एक बार वैसे ही अकेले में मिलने को कहा.
तो वो बोली- मेरे पति सुबह सात बजे चले जाते हैं और शाम को सात बजे वापिस आते हैं। बच्चे सुबह साढ़े आठ बजे तक चले जाते हैं. और घर के बाकी सब काम निपटा कर मैं 10 बजे तक फ्री हो जाती हूँ. शाम के 4 बजे उसके बच्चे वापिस आते हैं. और 11 बजे वो दुकान पर मेरी पत्नी के पास चली जाती है।

मतलब उसने बता दिया कि सुबह 10 से 11 बजे तक तो वो पक्का फ्री है।

तो मेरे पास सुबह 10 से 11 के बीच का समय था। मैंने अगले ही दिन उसके घर जाने का प्रोग्राम बनाया.

अगले दिन ठीक 10 बजे मैं ऑफिस से किसी काम का बहाना करके निकला और उसके घर गया। मैंने घण्टी बजाई तो उसने बड़ी खुशी से मुस्कुरा कर मेरा स्वागत किया।

ड्राइंगरूम में बैठा कर उसने मुझे पानी ला कर दिया।

पानी की गिलास पकड़ते हुये मैंने उसकी कमीज़ के गले से उसके दोनों साँवले मम्मों को देखा।
उसने ताड़ लिया कि मैं उसके मम्में देख रहा हूँ। उसने भी छिपाने की कोई कोशिश नहीं करी।।

पानी पीकर मैं उससे इधर उधर की बातें करने लगा। मगर उसके व्यवहार से लग रहा था, जैसे वो चाहती हो कि ‘यार बातें छोड़ो और मुझे पकड़ लो, साली की चुदाई करने आए हो वो करो।’

थोड़ी देर इधर उधर की बातें करने के बाद उसने चाय पूछी।
मैंने हाँ कही तो वो चाय बनाने किचन में चली गई।

अब मैंने सोचा कि ‘यार मैं खामख्वाह साली की चुदाई में देर कर रहा हूँ, अब मेरे पास सिर्फ यही रास्ता बचा है कि मैं हिम्मत दिखाऊँ और इसे पकड़ लूँ।’
वैसे भी इसके मम्में मैं दबा चुका हूँ तो अगर फिर दबा देता हूँ, तो कौन सा इसने बुरा मानना है।

तो मैं उठ कर किचन में गया। पहले उसके पीछे से गुज़र कर खिड़की तक गया, यूं ही बाहर को देखा और फिर वापिस आया।
और जब वापिस आते हुये मैं उसके पीछे से गुज़रा तो मैंने उसे अपनी आगोश में ले लिया।

उसने सिर्फ ‘अरे’ कहा।
इस ‘अरे’ में भी खुशी और आश्चर्य का मिला जुला प्रतिक्रम था।

मैंने उसको कस के अपने सीने से लगाया तो उसने अपना सर मेरे कंधे पर डाल दिया, गैस को धीमा करके अपनी दोनों बाजुएँ ऊपर हवा में उठाई और पीछे मेरे गले में डाल दी।
मैंने अपने दोनों हाथ उसके कमीज़ के अंदर डाले और ऊपर लेजा कर उसके दोनों मम्में पकड़ लिए।

वो थोड़ शरमाई, मुस्कुराई, हंसी।
मगर ये हंसी, शरारत वाली थी।

मैं अपने दोनों हाथ घुमा कर पीछे लाया और उसकी ब्रा का हुक खोल दिया. फिर अपने हाथ आगे ले कर गया.
और इस बार उसकी ब्रा ऊपर को उठा कर उसके दोनों मम्में ब्रा की कैद से आज़ाद कर दिये और अपने हाथों में पकड़ लिए।

और जब दबाये ‘आह …’ साली पराई औरत के जिस्म में एक अलग ही कशिश होती है।
मैंने उसके दोनों मम्मों को सहलाया तो उसने अपना सर मेरी ओर घुमाया. मैं थोड़ा नीचे को झुका और फिर हमारे होंठ मिले। दोनों के होंठ ऐसे जुड़े के अलग होने का नाम ही नहीं ले रहे थे।

मैं ये देख रहा था कि मुझसे ज़्यादा वो इस चुंबन का आनंद ले रही थी।

मैंने उसके एक मम्मे को छोड़ा और अपने हाथ नीचे ले जाकर उसकी सलवार में डाल दिया। अंदर मैदान बिल्कुल साफ था, चिकनी चूत को छूआ तो वो थोड़ा सा चिहुंकी।
‘आह …’ हल्की सी सिसकारी उसके मुंह से निकली।

मैंने अपने हाथ से उसकी चूत का दना मसला तो उसने अपनी जांघें भींच ली. सिर्फ इतनी सी ही देर में उसकी चूत पानी पानी हो गई।
मेरा भी लंड टनटना गया।

उसने गैस बंद कर दी, बोली- यहाँ मज़ा नहीं आ रहा, चलो बेडरूम में चलते हैं।
मैंने कहा- नहीं यार, अभी नहीं, अभी तुमने 11 बजे दुकान पर जाना है। इतनी जल्दी मुझे मज़ा नहीं आता। मुझे अच्छा लगता है, जब खुला समय हो, और बिल्कुल एकांत हो। ताकि खुल कर प्यार करने, साली की चुदाई का मज़ा आ सके। इस भागदौड़ में साला मज़ा नहीं आता।

वो बोली- तो फिर जल्दी कोई प्रोग्राम बनाओ आप। अब मुझसे सब्र करना मुश्किल हो रहा है।
मैंने कहा- सब्र तो मुझसे भी नहीं हो रहा। खैर देखता हूँ, बनाता हूँ कोई प्रोग्राम। मगर मेरी एक इच्छा है, मैं तुम्हें एक बार बिल्कुल नंगी देखना चाहता हूँ।
वो बोली- अब तो मैं आपकी हो चुकी हूँ, खुद ही देख लो।

मैंने अपने हाथों से उसकी कमीज़, ब्रा सलवार सब उतार कर उसे किचन में ही नंगी कर दिया। बेशक वो देखने में कोई हूर परी नहीं थी, मगर उसे नंगी देख कर मेरा दिल मचल गया। मेरा मन तो कर रहा था कि अभी इसे चोद डालूँ।

मगर अभी वक्त नहीं था तो मैंने सिर्फ उसके नंगे जिस्म को थोड़ा सा सहलाया और फिर वापिस अपने ऑफिस आ गया।

ऑफिस आकर मैंने अपने एक दोस्त से बात करी कि होटल के एक कमरे का इंतजाम करके दे, एक पर्सनल माशूक है, उसको चोदना है।
उसने कहा- कोई दिक्कत नहीं, अपनी माशूक से कहो, जब वो फ्री हो, तब बता दे, होटल का कमरा तो मैं मौके पर ही दिलवा दूँगा।

शाम को घर गया तो बीवी बोली कि उसकी छोटी भाभी के घर बेटा हुआ है, तो उसे अपने मायके जाना है।
मेरे मन में एकदम से विचार आया और मैंने अपनी ऑफिस का ज़रूरी काम बता कर उसको बोला- तुम ही चली जाओ और साथ में बेटे को भी ले जाओ। मैं एक दो दिन बाद आ जाऊंगा।

सुबह 6 बजे पत्नी और बेटे को मैंने दिल्ली की बस बैठा दिया और खुद घर आकर 9 बजने का इंतज़ार करने लगा।
9 बजे पहले मैंने अपने दफ्तर फोन करके बोला- आज मैं नहीं आ सकता.

और फिर सलोनी को फोन लगाया।
उसने फोन उठाते ही पूछा- हां जी, गई दीदी?
मैंने कहा- तुम्हें पता है?
वो बोली- हाँ कल रात बताया दीदी ने!
मैंने पूछा- तो क्या प्रोग्राम है, आज मिलें फिर?

वो बोली- कब और कहाँ?
मैंने कहा- और कहाँ? मेरे घर … तुम दुकान खोलो और 11 बजे मैं तुम्हें पीछे वाली गली में लेने आऊँगा. ठीक है?
वो मान गई।

मैंने नहा धोकर तैयार होकर 11 बजने से 5 मिनट पहले गाड़ी निकाली और सलोनी को लेने चल पड़ा।

मैं सोच रहा था कि जिस औरत को मैंने आज तक भाव नहीं दिया, ढंग से उसकी तरफ कभी देखा भी नहीं, आज मुझे उसकी चूत मारने के लिए चाव चढ़ा हुआ है।।

खैर मैं उसे चुपके से उठा लाया और घर आ कर गाड़ी खड़ी करी. हम दोनों अपने ड्राइंग रूम में गए।
मैं उसके लिए गिलास में कोल्ड ड्रिंक डाल कर लाया।
उसके चेहरे पर, खुशी, घबराहट, जिज्ञासा सब कुछ झलक रहा था।

मैंने उसको कोल्ड ड्रिंक पीते देख कर कहा- यहाँ इतनी दूर क्यों बैठी हो, इधर पास हो कर बैठो।
वो शर्मा गई.
तो मैंने उसकी बाजू पकड़ कर खींची और उसको अपने से सटा लिया।

मैंने कहा- इतनी चुप क्यों हो? पहले तो इतना बोलती हो?
वो बोली- क्या कहूँ?
मैंने कहा- अगर कुछ नहीं कहना तो मेरी गोद में आ जाओ।
वो शरारत से बोली- अच्छा, यूं ही?

मैंने उसकी बाजू पकड़ कर खींची तो वो खुद ही उठ कर मेरी गोद में बैठ गई. मैंने उसे अपनी बाजू का सहारा देकर अपनी गोद में ही लेटा लिया। दोनों के गिलास टेबल पर रख दिये।

मैंने उसके चेहरे को अपने हाथ से पकड़ा और ध्यान से देखा।
सुंदर न होते हुये भी वो मुझे प्यारी लग रही थी।

मैंने उसके माथे, गाल पर उंगली फेरी तो उसने अपनी आँखें बंद कर ली. आँखें मींचे वो मेरी गोद में लेटी थी और मैं उसके चेहरे से होते हुये उसके सारे बदन को छूकर, सहला कर देख रहा था। मुझे
साली की चुदाई की कोई जल्दी नहीं थी मुझे, मैं तो सिर्फ उसके जिस्म ऊंचाइयों, गहराइयों और गोलाइयों को छू कर अपने मन को तसल्ली दे रहा था।
वो भी किसी कमसिन की तरह लरज़ रही थी।

मैंने उसके होंठ को छुआ, और फिर उसके नीचे वाले होंठ को अपने होंठों में ले लिया.
उसकी लिपस्टिक का टेस्ट मेरे मुंह में आया मगर मैं उसके होंठ को चूसने लगा।
वो भी मुझसे लिपट गई।

काफी देर हम दोनों ने एक दूसरे के होंठों को चूसा।
फिर मैंने कहा- सलोनी मेरी जान, मैं तुम्हें बिल्कुल नंगी देखना चाहता हूँ।
वो बोली- उस दिन देख तो लिया था।
मैंने कहा- वो तो तुम्हारे घर में था, यहाँ मेरे घर में मुझे नंगी हो कर दिखाओ।

वो नखरे से बोली- नहीं, मैं नहीं, आप गंदे हो।
मैंने कहा- क्यूँ? मैं क्यूँ गंदा हूँ?
वो बोली- आप गंदी बातें करते हो।

मैंने कहा- नहीं मेरी जान, मैं गंदी बात नहीं करता, प्यार में ये सब करते हैं।
वो बड़े भोलेपन से बोली- अच्छा जी, पर कैसे करते हैं?
मैंने कहा- सब बता दूँगा, मेरी जान अगर तुम मेरी हर बात मानो। मेरा बाबू मेरी बात मानेगा?

उसने किसी बच्चे की तरह से अपना सर हाँ में हिलाया।
तो मैंने उसे उठा कर खड़ा किया और फिर मैंने उसकी कमीज़ को पकड़ कर ऊपर को उठाया, उसने भी मेरा साथ दिया.

पहले कमीज़ उतारी, फिर ब्रा खोल कर उतारी, फिर सलवार का नाड़ा खोला और सलवार उतार कर उसे बिल्कुल नंगी कर दिया।
एक एक करते उसके कपड़े उतारते हुये उसने मेरा पूरा साथ दिया, जैसे उसके अंदर भी यह चाहत हो कि ‘कर दो मुझे नंगी और देखो मेरे सेक्सी जिस्म को।’

उसे नंगी करके मैंने अपनी कपड़े भी उतारे।
उसके सामने जब मैं कपड़े उतार रहा था तो वो भी बड़ी उत्सुकता से मुझे नंगा होते हुए देख रही थी।

टीशर्ट और जीन्स के बाद मैंने जब अपनी चड्डी को उतरना चाहा तो उसने मुझे रोका- सुनिए, थोड़ा रुक जाइए!
मैंने पूछा- क्यों?
“आपने इतने प्यार से मेरे कपड़े उतारे, मुझे भी मौका दीजिये कि मैं भी अपनी मर्ज़ी से कुछ कर सकूँ।”

मैं रुक गया तो वो मेरे पास आई और मेरे सामने बैठ गई।

चड्डी में मेरे तने हुए लंड का पूरा आकार बना हुआ था. उसने पहले चड्डी के ऊपर से ही मेरे लंड को छूकर देखा।
उसके चेहरे पर एक बड़ी आश्चर्य वाली मुस्कान थी क्योंकि उससे प्रेम प्यार करते मेरा लंड भी पूरा अकड़ चुका था।

मेरे तने हुये लंड को देख कर वो बोली- आप तो पूरे तैयार हुए फिरते हो।
मैंने कहा- हाँ तैयार तो रहना पड़ता है.
और उसके बाद उसने अपने हाथों से मेरी चड्डी नीचे को सरका दी और मेरा कड़क लंड झूम कर बाहर निकला।

अपनी चड्डी उतर जाने के बाद मैंने आगे बढ़ कर उसे उठाया और अपने सामने खड़ी करके एकदम से उसे अपने गले से लगाया. और जानबूझ कर अपना कड़क लंड उसके पेट पर ज़ोर से टकराया। वो बिलबिलाई- हाय … कितना सख्त है पत्थर के जैसे! कितनी ज़ोर से मारा, इतना दर्द हुआ।

मैंने अपना लंड उसके हाथ में पकड़ा कर कहा- अब जब ये तेरी भोंसड़ी में घुसेगा, तब देखना!
उसने मेरे सीने पर हल्का सा मुक्का मार कर कहा- छी, गंदे ऐसे नहीं कहते।
मैंने कहा- अब जैसे भी कहते हों! अब कहने सुनने का वक्त गया, अब कुछ करने के वक्त है.

कहते हुये मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया तो उसने भी अपनी बांहें मेरे गले में डाल दी।

गोद में उठा कर मैं उसे अपने बेडरूम में ले गया और लेजा कर बेड पर पटक दिया.

वो मदमस्त मेरे बिस्तर पर बिछ गई।

मैं दूसरी तरफ जाकर बेड पर टेक लगा कर बैठ गया और उसकी बाजू पकड़ कर अपनी ओर खींचा.
एक बदमाश हंसी के साथ वो मेरी जांघ पर सर रख कर लेट गई।
हरी चादर पर साँवले रंग की औरत जैसे जंगल में से मटमैले रंग की भरी हुई बरसाती नदी बह निकली हो।

मैंने उसके सर को अपनी ओर घुमाया और अपने लंड से उसके माथे पर चोट करते हुये पूछा- खाएगी इसे?
वो घूम कर उल्टी लेट गई और मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर देखने लगी।।

पहले चमड़ी पीछे हटा कर गुलाबी टोपा बाहर निकाला और फिर मेरी ओर देखते हुये कई बार मेरे लंड को अपने मुंह पर घुमाती रही. कभी अपने गालों पर माथे पर आँखों पर लगाती रही.
मैं उसे मेरे लंड से खेलते देखता रहा.

फिर कई बार मेरे लंड को इधर उधर से चूमा और फिर चूमते चाटते उसने मेरे टोपे को दाँतों से काटा और फिर चाटा. और चाटते चाटते उसने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया।

मैं अपना एक हाथ उसकी नंगी मांसल पीठ पर रखा और सहलाने लगा। भरी हुई चर्बी वाली पीठ!

लंड चूसते चूसते वो उठी और बिल्कुल मेरे सामने मेरी दोनों टाँगों के बीच आ कर बैठ गई. वो मेरे लंड को जड़ तक अपने मुंह में ले ले कर चूसने लगी।

पीछे उसने अपने दोनों घुटने मोड़ रखे थे तो उसकी गोल गांड हवा में उठी हुई थी जिसकी बड़ी सुंदर शेप बन रही थी।
मैं अपने दोनों पांव से उसके चूतड़ सहला रहा था।

मेरे कहे बिना ही उसने मेरे लंड के साथ साथ मेरे दोनों आँड भी चूसे। उसके चाटने चूसने से मेरे जिस्म की गर्मी बढ़ती ही जा रही थी, तो मैंने उसे उठा कर अपनी गोद में बैठा लिया।
वो भी मेरी कमर के ऊपर एक टांग इधर और दूसरी टांग उधर रख कर अपने घुटने मोड़ कर बैठ गई।

इस तरह से उसकी चूत पूरी तरह से मेरे लंड के ऊपर रखी गई। उसकी गीली चूत के दोनों होंठों के बीच मेरा लंड सेट हो गया था।
मैंने उसको अपनी बांहों में भींच कर कहा- ले इसे, अपने यार को अपनी चूत में ले ले मेरी जानेमन।

वो थोड़ा सा ऊपर को उठी मेरे लंड को अपने हाथ से उठा कर अपनी चूत पर सेट किया और फिर बैठ गई, इस बार मेरे लंड का टोपा ठीक उसकी चूत के नीचे था।
जैसे जैसे वो बैठती गई, मेरा लंड उसकी चूत में अंदर घुसता गया।

दो बार ऊपर नीचे हो कर ही उसने मेरा सारा लंड निगल लिया। पूरा लंड अंदर जाने के बाद वो रुक गई, उसने अपना मम्मा अपने हाथ में पकड़ा और मेरे मुंह से लगाया।
मैंने उसके मम्मा चूसा और फिर उससे पूछा- काट लूँ मम्मे पर तेरे?
वो बोली- हाँ काट लो, बस निप्पल पर मत काटना, यहाँ दर्द ज़्यादा होता है।

मैंने कहा- मगर मैं तो तुम्हें दर्द देने के लिए ही काटना चाहता हूँ।
वो बोली- कोई बात नहीं मेरे सरताज, जितना मर्ज़ी दर्द दे लो।
मैंने कहा- और अगर तुम्हारे पति ने मेरे दाँतों के निशान तुम्हारे बदन पर देख लिए तो?
वो बोली- उसकी चिंता आप मत करो।

मैंने उसके मम्में पर ज़ोर से काटा, तो उसने ज़ोर से ‘आह … ऊई …’ करके सिसकारी भरी।
उसकी सिसकारी मुझे बहुत प्यारी लगी।

मैंने उसके मम्मों पर,कंधों पर गर्दन पर, बाजू पर कई जगह काटा। सच में मुझे उसके जिस्म का मांस चबाने में मज़ा आ रहा था।
उसके जिस्म पर कई जगह निशान बनाने के बाद मैंने उसको ऊपर नीचे होने को कहा.

वो धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी. ऐसा मज़ा आया जैसे वो मेरे लंड को चूस रही हो, अंदर तक खींच कर ले जाती और फिर धीरे धीरे बाहर निकालती।
मैंने कहा- तुम तो लंड को मुंह से ज़्यादा बढ़िया अपनी चूत से चूसती हो।
वो बोली- मैं तो खुद कबसे यही सब करना चाहती थी।

मैंने कहा- क्यों, पति से ये सब नहीं करती?
वो बोली- अरे जीजू आपको बताया न, इतनी देर में तो वो कब का पिचकारी मार चुका होता।

मैंने कहा- जब तुम रात को प्यासी रह जाती हो, तो फिर कैसे अपनी आग ठंडी करती हो?
वो बोली- बस ये मत पूछो।
मैंने कहा- बता न यार?
वो बोली- बस कभी हाथ से कभी मूली गाजर या खीरा।

मैं- और कुछ सोचती भी हो हस्तमैथुन करते हुए?
वो बोली- हाँ सोचने से ही तो खून में जोश आता है, कुछ करने का मज़ा आता है।
मैंने पूछा- क्या सोचती हो? किसके बारे में सोचती हो?
वो बोली- सब कुछ सोचती हूँ जो कुछ भी ब्लू फिल्मों में देखा है वो सब करने का सोचती हूँ. और मैंने अपने जानने वाले हर मर्द के साथ अपने ख्यालों में सेक्स किया है।

मैंने पूछा- मेरे बारे में भी सोचती हो?
वो हंस कर बोली- आपके बारे में? अरे आपको तो मैं इतना प्यार करती हूँ कि अगर आप कहो न कि सलोनी तुझसे मैं शादी तो नहीं कर सकता, पर तुझे एक रखैल बना कर रख सकता हूँ। तो इसके लिए भी मैं अपना पति छोड़ सकती हूँ।

मैंने पूछा- अपने पति से बिल्कुल प्यार नहीं करती।
वो बोली- बिल्कुल भी नहीं, वो मेरी जूती से।
“और मुझसे?” मैंने पूछा।
वो बोली- अगर प्यार न करती जीजू तो अपने पति बच्चों को धोखा दे देकर इस तरह आपकी गोद में न बैठी होती।

मैंने उसे अपने गले से लगा लिया तो वो मुझसे कस कर लिपट गई।
“आई लव यू जीजू!” वो बोली.
तो साला दिल को बड़ा सुकून मिला के इस उम्र में भी हम पर कोई मरती है।।

बेशक वो कोई सुंदर नहीं थी, मगर फिर भी मैं उसके चेहरे को चाट गया, उसका सारा मेकअप खा गया।

मैंने एक बात नोटिस की है। जब एक औरत किसी दूसरी औरत के पति के साथ सेक्स करने जाती है, तो वो सारा ध्यान अपनी लुक्स पर देती है। कपड़े अच्छे हों, मेकअप अच्छा हो, अंडरगार्मेंट्स अच्छे हों, हेअर स्टाइल अच्छा हो।

मगर जब कोई मर्द किसी और की बीवी के साथ सेक्स करने को जाता है, उसका सारा ध्यान सिर्फ अपने लंड पर होता है। मेरा लंड उसके पति के लंड से बड़ा हो, मैं उसके पति से ज़्यादा देर तक उसकी चुदाई करूँ, मैं उसके पति से ज़्यादा जोरदार सेक्स करूँ।

शायद यही वजह थी कि सलोनी के साथ सेक्स का प्रोग्राम बनाने से पहले ही मैंने अपना इंतजाम कर लिया था कि मौके पर मेरा लंड सारा टाइम बिल्कुल कड़क रहे और जितना ज़्यादा देर हो सके तब न झड़े।
जहां सलोनी का पति सिर्फ 3-4 मिनट में ही माल गिरा देता था, वहाँ मैं उसे पिछले 20 मिनट से चोद रहा था। उसकी चूत भी पूरा भर भर के पानी छोड़ रही थी।

मैंने उसके होंठों को अपनी जीभ से चाटते हुए पूछा- सलोनी एक बात बता, जब से तू अपने पति से नाखुश है, तब से लेकर अब तक तूने कितने मर्दों को अपने ऊपर चढ़ाया है?
वो हंस कर बोली- ये सभी मर्दों को इस बात में क्या इंटरेस्ट होता है?
मैंने कहा- बस होता है, बता न?

वो बोली- मेरी शादी को 22 साल हो चुके हैं, 1998 में हुई थी, तब से लेकर अब तक करीब 50 मर्द तो मेरे ऊपर लेट चुके होंगे।
मैंने कहा- अरे क्या बात है, फिर तो तू एक गश्ती ही हुई।
वो बोली- हाँ आप कह सकते हो, मगर मेरा तर्क दूसरा है। मैंने कभी पैसे के लिए किसी से नहीं चुदवाया है। मैंने जब भी किसी मर्द से संबंध बनाए तो सिर्फ अपने तन और मन की संतुष्टि के लिए बनाए।

मैंने पूछा- तो किस किस का लंड ले चुकी हो अब तक?
वो बोली- बहुतों का, अपना कोई जानकार मैंने नहीं छोड़ा, जिसको मैंने लाइन नहीं दी। बहुत से लोग तो मेरी साधारण शक्ल सूरत करके ही आगे नहीं आए, जो आए, वो कोई भी मुझे खुश नहीं कर पाये। बल्कि एक दो तो मेरे नजदीकी रिश्तेदार थे।

मैंने पूछा- कौन?
वो बोली- एक मेरी सगी बुआ का बेटा था, बड़ा दीदी दीदी कर चिपकता था, तो एक दिन मैंने उसे अपने से चिपका ही लिया कि आ जा तेरी आग ठंडी करूँ।
“अपनी सगी बुआ के लड़के से?” मैंने हैरान हो कर पूछा।
वो बोली- जीजू, रिश्ता मर्द औरत में एक ही होता है, ये हमारे समाज के नियम कायदे ऐसे हैं। आप बताओ अगर आपको आपकी कोई रिश्तेदार औरत या लड़की, खुल्ली ऑफर दे सेक्स की, तो क्या आप मना करोगे? चाहे वो कोई भी हो, आपकी बहन, भाभी चाची मासी, भतीजी या भांजी।

मैंने कुछ सोचा और कहा- हाँ बात तो सही है, मैं तो अक्सर कई बार सोचता भी हूँ उनके बारे में कि अगर वो मान जाए तो क्या करूं, और अगर ये मान जाए तो क्या करूँ। किसी के मम्में अच्छे हैं, किसी गांड मस्त है, किसीकी जांघें, किसी के होंठ। हर एक में मुझे कुछ न कुछ अच्छा लग ही जाता है।

वो बोली- तो यही भावना औरतों में भी होती है, और जब कोई औरत बिस्तर पर प्यासी रह जाती है, तो वो भी अपने आस पास के हर मर्द के बारे में ऐसा ही सोचती है। मगर उसके पास चॉइस ज़्यादा नहीं होती। क्योंकि उसे सिर्फ मर्द की शक्ल से प्रेम होता है, और उसके बाद तो उसके नीचे लेट कर ही पता चलता है कि वो किसी काम का है भी या नहीं।

मैंने कहा- तुम तो बड़ी ज्ञानी हो।
वो बोली- जीजाजी, बहुत घिसाई कारवाई है इस ज्ञान को हासिल करने के लिए।
मैंने कहा- तो चल अब नीचे लेट, तुझे तसल्ली से पेल कर देखूँ।

वो चहक कर मेरी गोद से उठी और बिस्तर पर लेट गई, दोनों टाँगे खोल कर अपनी बाहें भी मेरी और फैला दी।
“आओ प्रभु!” वो बोली।
मैंने कहा- प्रभु?
वो बोली- आप से मिल कर मुझे बहुत खुशी हुई, इतनी देर तक कोई मर्द मुझे नहीं भोग पाया। अब तक तो सभी आउट हो चुके होते हैं।

मैं उसके ऊपर लेट गया और उसने मेरे लंड को पकड़ कर पहले उसको हिलाया, थोड़ी सी मुट्ठ मारी और फिर अपनी चूत पर रखा. मैंने धक्का देकर अंदर घुसेड़ दिया।
“ओ मेरी जान!” वो बोली।
मैंने कहा- दर्द हुआ?

वो बोली- अरे नहीं मेरी जान, दर्द नहीं हुआ, ऐसा लगा जैसे कोई पत्थर मेरे अंदर घुस गया हो, क्या खा कर आए हो आप? न झड़ रहे हो, न ढीले पड़ रहे हो।
मैंने कहा- अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं है। बस तुम्हें बहुत देर तक चोदने के लिए खुद पर काबू रख रहा हूँ। कि अगर कहीं जल्दी झड़ गया, तो तुम चली जाओगी, और फिर पता नहीं तुम्हें कब चोद पाऊँगा।

वो बोली- अरे उसकी आप चिंता न करो, कभी कभी मेरे पति को कंपनी के काम से बाहर भी जाना पड़ता है, जब वो बाहर गए होंगे तो आप पीछे से आ जाना, सुबह 9 से 11 बजे तक खुल कर सेक्स करेंगे।
उसकी बात सुन कर मैंने उसे ज़ोर ज़ोर से चोदा।

वो बोली- क्या हुआ, गुस्सा निकाल रहे हो?
मैंने कहा- नहीं तो।
वो बोली- तो पहले की तरह प्यार से करते रहो न, होले होले लंड अंदर बाहर जाता है, तो ज़्यादा मज़ा आता है।

मैंने उसकी चुदाई स्लो स्लो करनी शुरू कर दी. मैं अपना लंड पूरा बाहर निकाल कर अंदर डालता, फिर निकालता, फिर डालता. और जब डालता तो ज़ोर से धक्का मारता के अंदर जाकर मेरे लंड का टोपा उसकी बच्चेदानी पर टकराता।

अब मैंने पूछा- मज़ा आया?
वो बोली- बहुत … तीन बार झड़ चुकी हूँ।
मैंने हैरान होकर कहा- तीन बार, मुझे तो पता ही नहीं चला।
वो बोली- मैं ज़्यादा तड़पती नहीं उछलती नहीं। इसलिए किसी को भी पता नहीं चलता।

मेरी चुदाई धीरे धीरे चलती रही, और फिर मेरा भी मुकाम आया।
मैंने पूछा- मेरा भी होने वाला है।कहा निकालु ????
वो बोली- अंदर मत गिराना, बाकी कहीं भी गिरा दो। भिगो दो मुझे।

मैंने उसकी चूत से अपना लंड निकाला और निकाल कर हिलाने लगा. कुछ ही पलों में मेरे लंड से गाढ़े लेस के फव्वारे छूट पड़े जो उसके पेट सीने और मुंह तक को भिगो गए।
वो मस्त लेटी मेरी और देख कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी।

कुछ देर बार वो उठी और बाथरूम में जाकर नहाने लगी।
मैं भी बाथरूम में घुस गया, पहले तो हम एक साथ नहाये, और नहाते नहाते मेरा लंड फिर से तन गया, मैंने उसे वहीं बाथरूम में ही घोड़ी बना लिया और चलते फव्वारे के नीचे उसे फिर से चोदने लगा।

ये कोई वैसी चुदाई नहीं थी, ये तो बस शुगल था कि नहाते हुये उसे चोद कर देखना है।

मैंने देखा उसके जिस्म पर कई जगह निशान थे, मैंने कहा- ये अपने प्यार की निशानियाँ अपने पति से छुपा कर रखना। वो हंस कर बोली- अगर देख भी लेगा, तो भी क्या है। मैंने तो उस से कह दूँगी, यही हाल अगर तू करदे तो मुझे बाहर जाने की ज़रूरत ही क्या है। मैंने पूछा- तो क्या तेरे पति को पता है सब कुछ?
वो बोली- अंधा थोड़े ही है वो, सब देखता समझता है। पता उसको भी है, इसलिए कभी कुछ नहीं कहता।

मैं उस औरत की बहदुरी का कायल हो गया, कितनी बेबाक, कितनी दिलेर है।

नहा कर हम बाहर आए. उसके बाद हमने अपने अपने कपड़े पहने, उसने फिर से मेकअप किया। और फिर मैं उसे दुकान पर छोड़ने गया।
दुकान पर छोड़ कर मैं वापिस आ गया।

घर आकर मैं सोचने लगा, लोग कहते हैं प्यार अंधा होता है, मैं कहता हूँ, वासना भी अंधी होती है।

जिस औरत को मैंने कभी ढंग से बुलाया नहीं, उसको को तवज्जो नहीं दी, आज उसकी भोंसड़ी मार कर कितना सुकून मिल रहा था मुझे।
जिसको कभी खूबसूरत नहीं समझा, उसके भी होंठ चूस गया। जो कभी हॉट नहीं लगी, उसको चोदने का लालच भी मैं छोड़ नहीं पाया।

सच में वासना भी अंधी होती है।

End
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#2
मैंने देखा पापा चाची की चुदाई कर रहे थे :-------
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हैलो, मेरा नाम नितिन है.. मैं औरंगाबाद का रहने वाला हूँ। आज मैं आपको एक चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ जो मेरी चाची की है।

मेरी फैमिली में मेरे पापा-मम्मी, चाचा-चाची और उनका बेटा गुड्डू रहते हैं।

एक दिन की बात है, मैं पढ़ाई कर रहा था और मेरे पापा बिस्तर पर बैठे कुछ पढ़ रहे थ, तभी चाची आईं और झुक कर झाडू लगाने लगीं। झुक कर झाड़ू लगाने से चाची के गोल-गोल मम्मे दिख रहे थे।

उस दिन मैंने देखा कि पापा चाची को पेपर की आड़ से चुपके से देख रहे हैं। मैंने चाची की तरफ देखा तो चाची अपने काम में व्यस्त दिखीं।

चाची के यौवन की झलक देख कर पापा की लुंगी में उभार दिखने लगा था। तब से मैं पापा और चाची की तरफ नजर रखने लगा।

एक दिन मैंने देखा चाची नहा-धोकर अपने कमरे में गई थीं और पापा उस कमरे में झाँक रहे थे। उस वक्त मम्मी घर पर थीं, इसलिए पापा बहुत सावधान थे।

तभी मैंने देखा पापा घबराकर किचन की तरफ गए, मतलब साफ़ था कि चाची ने उनको देख लिया था।

ऐसे ही कुछ दिन गुजर गए।

एक दिन मैंने देखा चाचा कहीं बाहर जाने के लिए निकल रहे हैं। चाची का चेहरा थोड़ा उदास लग रहा था, पर मेरे पापा बहुत खुश दिख रहे थे।
चाचा ने पापा से कहा- आप सबका ख्याल रखना.. मैं काम निबटा कर आता हूँ।

उसके दो दिन बाद मैं जब स्कूल से लौटा तो पता चला मम्मी अपनी सहेली की शादी के लिए जा रही थीं और दूसरे दिन लौटने वाली थीं।

पापा मम्मी को छोड़ते हुए वहीं से ऑफिस चले गए। शाम को जब पापा आए, तो वे बहुत खुश नजर आ रहे थे। चाची ने सबका खाना लगाया। उस वक्त हम दोनों भाई पढ़ाई कर रहे थे और पापा चाची से बातें कर रहे थे।

आज पापा उनसे बहुत मजाक कर रहे थे और चाची भी हँस-हँस कर मजा ले रही थीं। पापा चाची को पटाने के लिए ये सब कर रहे थे।

रात हो गई.. तो सब लोग सोने की तैयारी करने लगे। उन दिनों गर्मी के दिन थे.. मैं और पापा अपने कमरे में सोने गए और चाची और गुड्डू उनके कमरे में चले गए।

नींद लगी ही थी कि आधा घंटे के बाद लाइट चली गई, बहुत गर्मी के कारण सब कमरों से बाहर आकर बैठ गए।

चाची ने मोमबत्ती जलाई।

मैंने देखा कि चाची की साड़ी का पल्लू कुछ हट सा गया था, तो चाची के चुचे और चाची का सपाट चिकना पेट साफ दिख रहा था। उन्होंने अपने चिकने पेट पर नाभि के काफी नीचे से साड़ी पहनी हुई थी.. इसलिए चाची बहुत ही सेक्सी नजर आ रही थीं।

पापा तो चाची का पेट और चूची को ऐसे देख रहे थे कि खा जाएंगे।

चाची को जैसे ही पता चला, तो चाची ने साड़ी ठीक की, पर उनका चेहरा लाल हो गया था और वे शर्मा रही थीं।
तभी पापा ने कहा- हम सब सोने के लिए ऊपर छत पर चलते हैं।

बाहर अच्छी हवा चल रही थी, पापा की बात सबको ठीक लगी और हम ऊपर सोने के लिए आ गए। मैं और गुड्डू पापा और चाची के बीच में सोए थे, पर पापा के आँखों से तो जैसे नींद चली गई थी।

मैं जानबूझ कर सोया नहीं था, थोड़ी ही देर में मैंने देखा पापा उठकर टहलने लगे थे। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी मैंने नोटिस किया कि चाची भी सोई नहीं हैं, वो अपनी जगह पर ही करवटें बदल रही थीं।

मैं सोने का नाटक कर रहा था, थोड़ी देर बाद पापा जाकर चाची के पास लेट गए। चाची डर गई थीं.. उनकी तेज़ धड़कने मुझे सुनाई दे रही थीं।

क्योंकि मैं चाची के नजदीक था और मेरे बाजू में गुड्डू था। मैंने आँखें खोलीं, तो देखा चाची ने जबरदस्ती आँखें बंद की हुई हैं और उनका चेहरा लाल हो गया है।

तभी मुझे चाची के पेट पर पापा का हाथ दिखाई दिया, मतलब पापा ने पीछे से चाची के ऊपर हाथ रखा था।

पापा हाथ रखने के बाद रुक गए.. शायद देख रहे थे कि चाची क्या कहती हैं। पर चाची ने तो कुछ नहीं कहा, वैसे ही लेटी रहीं।

लेकिन चाची की धड़कनें साफ़ बता रही थीं कि चाची सोई नहीं हैं, ये बात पापा को पता चल रही थी।

अब की बार पापा पीछे से पूरी तरह चाची से चिपक गए और उनका पूरा हाथ चाची के पेट पर से इधर आया था। मैंने देखा चाची ने पापा के हाथ को हटाने की कोशिश की, पर पापा ने जोर से जकड़ लिया और पेट से होते हुए उनकी नाभि में उंगली घुमाने लगे।

चाची का चेहरा एकदम से लाल होकर डरा हुआ दिख रहा था क्योंकि पापा का लंड पीछे से चाची को महसूस हो रहा था।

इधर एक बात तो तय थी कि चाची पापा से चुदना चाहती थीं क्योंकि यदि ऐसा नहीं होता.. तो वो चिल्ला सकती थीं या हम दोनों को आवाज देकर जगा सकती थीं, जिससे पापा उनसे अलग हो जाते।

चाची ने पापा का हाथ हटाने की सिर्फ दो बार कोशिश की और फिर शांत हो गईं, शायद उनको मजा आने लगा था।

पापा ने हाथ से पूरे पेट पर सहलाया। अब चाची भी थोड़ी शांत हो गई थीं। पापा ने साड़ी के पल्लू के नीचे से हाथ डालकर चाची के चूचों के ऊपर रख दिए और दबा दिए।
चाची थोड़ी कसमसाईं और पापा के हाथ के ऊपर हाथ रख दिया, पर हटाया नहीं।

मुझे लाइव ब्लू-फिल्म देखने में मजा आ रहा था। मैं देखना चाहता था कि आगे क्या होगा।।

मैं जरा भी नहीं हिल रहा था, तभी मैंने देखा पापा ने एक पैर भी चाची के ऊपर रखा, मतलब पापा लगभग पीछे से चाची के ऊपर चढ़ गए थे।
पापा की इस स्थिति से मुझे और झटका लगा क्योंकि पापा ने लुंगी निकाल दी थी सिर्फ अंडरवियर में थे.. इससे चाची भी उस वक़्त चौंक सी गई थीं।

पापा ने पीछे से चाची की पीठ पर चुंबन करना शुरू कर दिया। इससे चाची को गुदगुदी हुई और वो थोड़ा सीधे होकर लेट गईं.. लेकिन चाची ने आँखें नहीं खोलीं। सीधा लेटने के बाद पापा का हाथ चूची पर और एक पैर चाची के दोनों पावों पर था। अब पापा चाची को अँधेरे में निहार रहे थे, पर उस वक़्त सब्र किसे होता है। पापा ने अपने होंठों से चाची के गाल पर किस किया और अपने हाथों से चाची की चूची को दबाने लगे। पापा चाची की चूची को बहुत आराम से पकड़ कर छोड़ते हुए मजा ले रहे थे.. और चुम्मी भी लेते जा रहे थे।

अब चाची के चेहरे पर साफ ख़ुशी दिख रही थी.. पर थोड़ी टेंशन भी नजर आ रही थी। वो टेन्शन शायद हम दोनों भाईयों के बगल में सोने के कारण थी।

पापा ने अपने होंठ चाची के होंठ पर लगाने चाहे.. तो चाची ने मुँह फेर लिया शायद चाची अभी पूरी तरह से खुल नहीं पाई थीं। शायद उनकी निगाह में सब गलत हो रहा था और इस वक्त बाजू में हम दोनों भी सोये हुए थे।

चाची के होंठ पर किस ना करने से पापा उनके गले पर किस करने लगे और पूरा गले पर ऐसे चुम्बन किया, जैसे गले में से कोई खास मलाई का स्वाद मिल रहा हो। चूमा-चाटी के कारण चाची बहुत गर्म हो गईं और उन्होंने भी अपना हाथ पापा के सर के बालों पर फेर दिया।

अब पापा ख़ुशी से चाची को देखने लगे, पर चाची ने अब भी आँख नहीं खोलीं।

फिर पापा ने चाची का पल्लू हटा दिया और ब्लाउज के बटन खोलने में लग गए। तभी चाची ने पापा के हाथ को फिर रोकने की कोशिश की, पर पापा ने इस बार थोड़ा जबरदस्ती करते हुए बटन खोल दिए। फिर पापा ने चाची के ब्लाउज को हटा कर ब्रा के ऊपर से चूचियों पर चुम्बन किया और दोनों चूची के बीच में जो जगह होती है.. वहां अपनी जीभ फेरते हुए एकदम से ऐसे चाटने लगे, जैसे खाने को कोई नया पकवान मिल गया हो।

पापा के जबरदस्ती बटन खोलने से चाची ने एकदम से डर कर आँखें खोलीं और गुड्डू और मेरी तरफ देखा कि हम सोये हुए हैं या नहीं।

मैंने हल्की सी आँख खुली रखी थी, इसलिए चाची को अँधेरे में पता नहीं चल सका।

उधर पापा ने पूरा ब्लाउज हाथ तक निकाल कर चाची की बगल भी चूम ली। चाची भी अब मदहोश हो रही थीं, शायद ऐसा कभी चाचा ने नहीं किया था।
अब पापा चाची के ऊपर चढ़ गए और चाची को देखने लगे, चाची ने अपनी आँखें फिर से बंद कर लीं।

पापा ने चाची के कान में कहा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… तुम बहुत खूबसूरत हो और टेस्टी भी..!
चाची ने पापा को ऊपर से हटाने की कोशिश की, क्योंकि चाची हम दोनों भाईयों की मौजूदगी में हद में रहना चाहती थीं।
पर पापा कहाँ मानने वाले थे, पापा ने चाची के चुचे जोर से दबाने शुरू किए.. तो चाची को हल्का सा दर्द हुआ, चूची दबाने की वजह से से चाची ने दबे स्वर में आवाज भी निकाली।

खैर.. चुदास चढ़ चुकी थी, सो चाची पापा का साथ देने लगीं। अब चाची का एक हाथ पापा की पीठ पर फिर रहा था और दूसरा पापा के बालों में था।

पापा मेरी चाची को ऊपर उठा कर.. अपने दोनों हाथों को ब्रा खोलने के लिए उनकी पीठ पर ले गए।
इस समय चाची पूरी मस्ती से पापा की बांहों में जकड़ी हुई थीं, ऐसा साफ़ दिख रहा था। उस वक्त पापा चाची के गले पर किस कर रहे थे।
अब पापा ने ब्रा का हुक खोल दिया.. ये सब एक मिनट में हो गया।

चाची ने सिर्फ हाथ से पापा को ‘नहीं..’ करते हुए इशारा किया, पर आँखें बंद रखीं और मुँह से भी कुछ नहीं कहा।
पापा मुस्कुराए और ब्रा ऊपर करते हुए चाची की एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगे।

चाची फिर पापा को सहलाने लगीं। तभी मैं फिर से चौंक गया क्योंकि चाची ने धीरे से कहा- प्लीज़ यार, मत करो, बाजू में बच्चे है.. अब बस करो!
पापा ने उनके कान में फुसफुसाते हुए कहा- चुप रहो डार्लिंग, कुछ बोलोगी तो उठ जायेंगे.. मजा लो और लेने दो।

अब स्थिति ऐसी थी कि पापा चाची के ऊपर लेटे हुए थे और चाची का ब्लाउज और ब्रा हाथ तक निकला हुआ था। पापा एक चूची चूस रहे थे और दूसरी चूची को हाथ से दबा रहे थे। इसके साथ ही पापा ऊपर-नीचे हिल भी रहे थे।

मैंने ध्यान से देखा कि पापा अपना लंड चाची की चूत पर रगड़ रहे थे, पर बीच में कपड़े थे, लेकिन चाची लंड की रगड़ महसूस कर रही थीं इसलिए वे मदहोश थीं।

पापा अब दोनों चूचियों को ऐसे चूस रहे थे.. जैसे पूरी खा ही जायेंगे।
चाची जोर-जोर से साँस ले रही थीं और पापा के मुँह को अपनी चूची पर दबाते हुए चूची चुसवा रही थीं।

पापा अब धीरे-धीरे नीचे जाने लगे और चाची के पेट पर जीभ घुमाने लगे। चाची ने तकिये के दोनों साइड में अपने हाथ ऊपर को कर दिए, पापा ने अपने दोनों हाथ चाची के दोनों चूची पर रखे और अपनी जीभ से चाची की नाभि पर घुमाने लगे। चाची एकदम जोर से पीठ ऊपर करके ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करने लगीं और हमारी तरफ देखने लगी कि कहीं हम उठ न जाएं।

पापा ने कुछ देर नाभि चूसने के बाद पेट पर चुम्बन करते हुए अपना दायाँ हाथ एक चूची से हटाकर नीचे चाची के पैरों पर पर ले आए। चाची आँख बंद कर हाथ ऊपर किए लेटी रहीं।

अब पापा अपने हाथ से ने धीरे-धीरे साड़ी को ऊपर उठाया और चाची के घुटनों के ऊपर जांघ का मांसल भाग सहलाने लगे, इससे चाची सिहर उठीं।

पापा ने चाची के पेट पर चूमना बंद किया और एकदम से अपने घुटनों पर आधे खड़े होकर अपनी बनियान उतार कर अलग कर दिया.. व फिर से चाची के ऊपर लेट गए।

चाची को जैसे ही चुदाई होने का अहसास हुआ, वे एकदम से ‘नहीं नहीं..’ बोलने लगीं।
पापा ने जोर से चाची को अपने सीने से चिपटाया और उनके ऊपर पोजीशन बना कर लेटने लगे। अब चाची समझ चुकी थीं कि वे पापा को चुदाई करने नहीं रोक पाएंगी, तो चाची कुछ शिथिल पड़ गईं।

चाची का विरोध कम होने पर पापा ने चाची की पूरी साड़ी कमर से ऊपर पेट पर कर दी और पेंटी पर हथेली फैलाते हुए चूत पर हाथ घुमा दिया।
चाची एकदम से सहम गईं और वे पापा के हाथ पर हाथ रख कर रोकने जैसा प्रयास करने लगीं।

इस पर पापा ने फिर अपने होंठ चाची के होंठों पर लगाने चाहे, तो चाची ने मुँह फेर लिया। अब पापा को थोड़ा गुस्सा आया तो उन्होंने चाची की पेंटी के अन्दर हाथ डालकर अपनी एक उंगली जोर से चूत के अन्दर पेल दी।

चाची का मुँह दर्द के कारण खुला का खुला रह गया और तुरंत पापा को आँख खोलकर देखने लगीं। पापा ने हँसकर चाची के गाल पर एक पप्पी धर दी तो चाची ने फिर आँखें बंद कर लीं। पापा उंगली धीरे-धीरे अन्दर-बाहर कर रहे थे और चाची के एक चूचे को चूसे जा रहे थे।

अगले ही पल पापा ने अपना पूरा बदन चाची के थोड़ा ऊपर उठा कर दूसरे हाथ से अपनी अंडरवियर नीचे को सरका दी। पापा की इस हरकत का चाची को पता नहीं चल पाया था। फिर पापा ने उसी हाथ से पेंटी को धीरे-धीरे नीचे खींचना शुरू किया। चाची ने पेंटी पकड़ कर रखी थी। पापा और जोर लगाने लगे चाची अपना मुँह ‘नहीं नहीं’ करने के लिए हिला रही थीं, पर कुछ बोल नहीं रही थीं।

पापा और चाची के जोर लगाने से पेंटी फट गई और पापा के हाथ में आ गई। पापा खुश हो गए और उसे दूर फेंक दिया। चाची का मन तो था.. पर वे हम दोनों के कारण थोड़ा घबरा रही थीं।

तभी पापा ने चूत में फिर से उंगली घुमा दी। अब चाची को बहुत अच्छा लगा और उन्होंने अपने पैर फैलाते हुए पापा को कसके जकड़ लिया।

तभी पापा ने चाची के हाथ को पकड़ कर नीचे लेकर गए और उनके हाथ में लंड पकड़ा दिया। चाची ने लंड पकड़ कर छोड़ दिया, पर थोड़ी देर बाद हाथ में लेकर लंड हिलाने लग गईं।

पापा अब बहुत खुश हुए और चाची के पूरे बदन पर किस करने लगे। लेकिन उसी वक्त गुड्डू ने करवट बदली तो चाची बुरी तरह से डर गई और कपड़े ठीक करने लगीं। पर पापा चाची के ऊपर से नहीं हटे और पापा ने चाची के हाथ पकड़ लिए।
चाची बहुत डर गई थीं, चाची ने कहा- प्लीज जल्दी करो और जाओ यहाँ से.. बच्चे उठ जायेंगे!

पापा खुश हो गए और वे लंड चूत पर रगड़ने लगे, साथ ही चाची के चूचे चूसने लगे।।

पापा ने दो बार जोर लगाया.. पर लंड अन्दर नहीं जा रहा था, तभी चाची ने अपने हाथ से लंड को चूत पर रखा और अन्दर डालने का इशारा करने लगीं।

पापा समझ गए और उन्होंने एक तबियत का जर्क लगा दिया। पापा का लंड शायद चाचा से बड़ा था.. इसलिए चुत में अन्दर जाते ही चाची की आँखें फ़ैल गईं और उनकी जोर से चीख निकल गई- आह्हह्ह.. मर गई..

पापा भी डर गए कि कहीं हम दोनों उठ ना जाएं, पापा ने चाची के होंठ पर होंठ रखे और इस बार दर्द होने के बाद भी चाची ने अपने होंठ पापा के होंठों से जोड़ दिए। पापा को मजा आ गया क्योंकि पहले चाची होंठ नहीं चूसने दे रही थीं।

चाची ने पापा के होंठ जकड़ रखे थे इसलिए पापा होंठ चूसते हुए जोर-जोर से लंड के झटके मारने लगे। चाची होंठ दबे होने के कारण चीख नहीं पा रही थीं.. पर अपने हाथ से पापा की कमर को धीरे-धीरे चुदाई करने के लिए रोक रही थीं।

पापा ने 8-10 धक्के लगाने के बाद चाची के होंठ छोड़ दिए। चाची तुरंत जोर-जोर से हांफने लगी और उन्होंने मस्ती में आकर पापा के गाल पर एक पप्पी जड़ दी। पापा ने जोर-जोर से लंड पेलना शुरू कर दिया।

चाची चुदाई की मस्ती में अब सब भूल गई थीं उन्होंने अपने हाथ से अपनी चूची पापा के मुँह में दे दी। फिर पापा अपने घुटनों के सहारे आधे खड़े से हो गए और चाची की टांगों को उठाकर चोदने लगे। इसके बाद पापा ने चाची को उठाया, चाची के उठते ही पापा ने उनका ब्लाउज और ब्रा निकाल कर अलग कर दिया और चाची को अपने गोद में बिठा लिया।

पापा के लंड पर बैठकर चाची भी पापा के लंड में धक्के देने लगीं। आखिर पापा ने चाची को पूरा चिपका लिया और उन्हें लेकर उठकर खड़े हो गए।
चाची ने मना किया.. पर पापा ने लंड वैसे ही रखकर चाची को उठाया था। चाची के दोनों हाथ पापा के गले में थे.. और पैर पापा की कमर से जकड़े हुए थे।

पापा चाची को एक कोने में लेकर गए और वहाँ नीचे उतारकर चाची को झुकाने लगे। पापा ने वहाँ पर चाची को घोड़ी बना कर पीछे से उनकी चुत में बहुत जोर-जोर से धक्के मारे, चाची को मजा आ रहा था।

चूँकि चाची झड़ चुकी थीं और उनको अब ये सब ख़त्म करना था, तो चाची पापा से छूटने के लिए थोड़ा हट गईं और भाग कर अपनी जगह पर बिस्तर पर आ गईं।

पापा भी लंड हिलाते हुए आए और सीधा चाची के ऊपर चढ़ गए। चाची ने पूरे जोर से पापा को पकड़ लिया और अपने होंठों में उनके होंठ ले लिए।

कुछ ही देर शायद चाची फिर से गरम हो गई थीं। अब वो पापा के कूल्हों को ऐसे खींच रही थीं, जैसे कह रही हों कि थोड़ा भी लंड बाहर नहीं रहना चाहिए।

चाची का ऐसा जोश देख कर पापा बहुत एक्साइट होकर धक्के मारने लगे, छत के सुनसान वातवरण में जोर-जोर से ‘पछक पछाक..’ की आवाजें आने लगीं।

चाची हम दोनों की तरफ देख रही थीं और पापा बहुत जोश में धक्के मार रहे थे।
थोड़ी ही देर में पापा ने चाची से पुछा - कहा निकालु ? अन्दर या बाहर ????
चाची ----- अन्दर ही निकल दो कुछ नही होगा ।

कुछ देर बाद पापा ने पूरा माल चाची की चूत में ही डाल दिया और उनके ऊपर ही ढेर हो गए।

अब दोनों भी शांत हो गए, पापा ने लंड निकाला तो बहुत वीर्य बाहर निकला मतलब चाची भी फिर से झड़ गई थीं।

पापा ने चाची को बहुत प्यार से किस किया और उठकर गुड्डू के बाजू में सो गए।

चाची ने सब कपड़े पहन कर एक जोर से साँस ली और अपने आप मुस्कुरा कर मेरे ऊपर हाथ रखकर सो गईं।

मैंने भी चाची को जोर से हग किया और हम दोनों सो गए।

End
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#3
मेरी मां की समझदारी, मुझे चोदना सिखाया:-------
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मेरा नाम रोहन है। मैं यह स्टोरी सबको बताना चाहता हूं क्योंकि सबको यह समझना चाहिए कि मां कभी अनजान नहीं रहती खास करके अपने बच्चों से।

मेरी मां मृणाली सबसे अच्छी मां है और खूबसूरत भी है, तन से भी और मन से भी!
उन्होंने मुझे समझा, मेरे लिए यही सबसे बड़ी बात है। मेरे पापा जो सब जानकर भी अनजान रहे… उन्होंने मेरी मां को हमेशा यही समझाया कि बच्चों का हमेशा ख्याल रखना, उन्हें जो भी जरूरी हो उस चीज की शिक्षा उन्हें घर पर ही देना।

मेरे घर वाले बहुत ही खुले विचारों वाले हैं और आपस में बहुत फ्रेंडली हैं। मेरे घर में मेरे मम्मी पापा, मैं और मुझसे छोटी बहन है, मैं और मेरी बहन हमेशा साथ-साथ नहाते थे पर मेरे मन में कभी गलत ख्याल नहीं आया।

मैं शुरु से ही मम्मी और बहन के साथ नहाता था, वह भी बिल्कुल नंगा… मेरी मम्मी और मेरी बहन भी नंगी होकर मेरे साथ नहाया करती थी और मेरे सामने ही कपड़े पहना करती थी। कभी-कभी मैं उनकी चूत भी छू लेता था पर वे कुछ नहीं कहती थी बल्कि उसे दिखा कर बताती थी कि यहाँ से पेशाब करते हैं और खोल कर दिखा देती थी।

कभी-कभी उनकी चूत पर हल्के हल्के बाल हुआ करते थे… तो कभी-कभी उनकी चूत एकदम साफ हुआ करती थी ताकि मुझे उनकी चूत आसानी से देखने को मिले।
मम्मी को भी अपनी चूत पर बाल पसंद नहीं थे।

कई बार नहाते वक्त मैंने मम्मी के बूब्स भी छूए और दबाए हैं, मेरी मम्मी के बूब्स एकदम कसे हुए और गोलाकार हैं जब कभी वह घर पर अकेली होती हैं तो गर्मियों में बिना ब्रा के सिफ पैंटी में ही घर के काम करती हैं… उनका उपरी हिस्सा बिल्कुल खुला हुआ होता है।
कभी-कभी यह देख कर मेरा लंड भी खड़ा हो जाता था… पर मम्मी कुछ नहीं कहती थी..
वे कहती थी- यह सब नेचुरल है और अगर सेक्स के बारे में कभी कुछ पूछना हो तो बेहिचक मुझसे पूछ लेना…
पर मैं शरमाता था।

मेरी मम्मी की नजर में मैं कभी गलत नहीं था क्योंकि वे जानती थी कि जिन लड़कों को यह सब छूने या देखने को नहीं मिलती, वे या तो बाहर किसी वेश्या के साथ सेक्स करते हैं या फिर ड्रग्स का सहारा लेते हैं और फिर किसी के साथ देह शोषण कर देते हैं।

यह बात 2 साल पहले की है, एक रात मैं सो रहा था… मेरी आंख खुल गई।
सर्दियों का समय था, मैं हमेशा मम्मी के साथ ही सोता था उनकी रजाई में… उस रात मैंने देखा कि मम्मी सोई हुई थी… तो मैंने अपना हाथ उनके ऊपर रख दिया।

वैसे तो मैंने कई बार अपने मम्मी पापा की चुदाई देखी है और वह सब देख कर मैं इतना तो जान ही गया था कि लंड को चूत में कैसे डालते हैं और कुछ पोजीशंस भी देख ली थी… पर मैंने आज तक कभी मुट्ठ नहीं मारी थी।

मम्मी ने एक ढीला गाउन पहन रखा था… मम्मी सिर्फ रात को ही गाउन पहन कर सोती थी। मेरे मन में ना जाने क्या हुआ, मैंने उनका गाउन ऊपर करना शुरु कर दिया और धीरे-धीरे डरते हुए मैंने उनका गाउन जांघों तक ऊपर कर दिया। मम्मी का गाउन जांघों से ज्यादा ऊपर नहीं हुआ।

मैं बहुत उत्तेजित हो रहा था… मैंने अपना पजामा उतार दिया, पर डर रहा था कि अगर मम्मी उठ गई तो क्या होगा।

पर शायद मम्मी जागी हुई थी, उन्होंने करवट ली तो मैंने पीछे से ही उनका गाउन पेट तक पूरा ऊपर उठा दिया और फिर मैं उनसे लिपट कर सोने का नाटक करने लगा।
मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था, मैं अपने लंड को उनकी गांड पर रगड़ने लगा।

मैं ऐसे ही मजे ले रहा था… मम्मी भी अपनी गांड को पीछे की तरफ मेरे लंड पर दबाने लगी। मैं समझ चुका था कि मम्मी जागी हुई है।

थोड़ी देर बाद मम्मी को भी लगा कि शायद मैं आगे से भी अपना लंड उनकी चूत से लगाना चाहता हूं… तो उन्होंने मेरी तरफ करवट ली। फिर मैं धीरे धीरे उनकी टांगों पर हाथ फेरने लगा तो मम्मी ने अपने पैरों को खोल दिया… मैं एकदम से डर गया।

मैं रजाई उठाकर उन्हें देखने लगा… नाइट लैंप की रोशनी में मम्मी बहुत ही सुंदर दिख रही थी। मैंने धीरे से उनकी पेंटी को उनकी जांघों तक उतार दिया और फिर अपना लंड उनकी चूत पर लगाया और अंदर करने करने लगा। पर मेरा लंड उनकी चूत के अंदर नहीं जा पाया क्योंकि उस पर कोई ऑयल नहीं लगा था और फिर उस रात मैं उसी तरह थक कर सो गया।

सुबह मम्मी उठी पर उन्होंने कुछ नहीं कहा, हम दोनों में रोज की तरह ही बात हुई और मैं स्कूल चला गया। पर सारा दिन मैं रात के बारे में सोचता रहा!
खैर रात हुई और हम लोग खाना खाकर सोने चले गए। मैं भी अपनी मम्मी पापा के साथ सोने लगा पर मुझे नींद नहीं आ रही थी।

रात को पापा उठे, उन्होंने मम्मी को भी उठाया, फिर वे दोनों एक दूसरे को किस करने लगे और फिर धीरे से पापा ने अपना लंड मम्मी की चूत में डाल दिया और फिर पापा धीरे धीरे उन्हें चोदने लगे।

यह सब देख कर मैं बहुत उत्तेजित हो गया था।

मम्मी के मुंह से सिसकारियां निकल रही थी… उम्म्ह… अहह… हय… याह… मम्मी धीरे से पापा के कान में बोली- जरा आराम से करो… वरना बेटा जाग जाएगा! फिर पापा ने मम्मी को घोड़ी बनाया और पीछे से अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद वे दोनों झड़ गए।

थोड़ी देर बाद पापा सो गए तो मम्मी उठी और अपनी चूत साफ करने लगी और फिर उन्होंने मेरी तरफ देखा और हंस पड़ी… वे जानती थी कि मैं जाग रहा हूं।फिर भी मैं आंखें बंद करके सोया रहा।

फिर मैंने धीरे से आंख खोल कर देखा कि मम्मी अपनी चूत पर वैसलीन लगा रही थी, उन्होंने ढेर सारी वैसलीन अपनी चूत पर लगाई और फिर वेसलिन की डिब्बी मेरे पास रख कर बिस्तर पर लेट गई।
मैं समझ गया था कि मम्मी यह सब क्यों कर रही थी।

थोड़ी देर बाद मम्मी भी सो गई… फिर मैं उठा और मम्मी की तरफ देखा, उन्होंने अपना गाउन थोड़ा ऊपर किया हुआ था।
मैंने धीरे से रजाई हटाई और धीरे धीरे उनका गाउन कमर तक ऊपर कर दिया… मैंने अपना पजामा भी उतार दिया, मेरा लंड अच्छा खासा मोटा और लंबा था जिसे मम्मी मुझे नहलाते वक्त देखती थी।

खैर फिर मैंने वैसलीन की डिब्बी उठाकर अपने लंड पर अच्छी तरह से वैसलिन की मालिश की और फिर मम्मी की चूत पर अपना लंड लगा दिया।

मुझे मम्मी की चूत के छेद का पता तो था ही… क्योंकि मैं कई बार उनकी चूत देख चुका था… फिर अपने लंड को धीरे धीरे मम्मी की चूत के अंदर डालने लगा।
मेरा लगभग आधा लंड उनकी चूत के अंदर चला गया।
मैं बहुत उत्तेजित हो चुका था पर मुझे चोदने का भी कोई एक्सपीरियंस नहीं था… फिर भी मैं धीरे-धीरे मम्मी की चूत चोदने लगा।
वैसलीन लगी होने की वजह से मेरा पूरा लंड मम्मी की चूत के अंदर घुस गया। मैंने मम्मी की चूत में जोर से धक्के देना शुरु कर दिया… और फिर मेरे लंड से पेशाब जैसा कुछ बाहर आने लगा जो मैंने मम्मी की चूत के अंदर ही डाल दिया… पर मुझे कोई डर नहीं था क्योंकि जो कुछ भी हो रहा था शायद उसके लिए मम्मी भी तैयार थी।

उस रात मैंने एक और बार मम्मी को चोदा… पर मम्मी ने अपनी आँखें नहीं खोली।

अगले दिन जब मैं सोकर उठा तो मैं डर रहा था कि कल रात जो हुआ उसके लिए मम्मी भी रजामंद थी या यह मेरा सिर्फ एक वहम था। अगर मम्मी ने यह बात किसी को बता दी तो मैं तो मर ही जाऊंगा।
पर ऐसा नहीं हुआ… मम्मी रोज की तरह ही मेरे साथ व्यवहार कर रही थी। अब मुझे पक्का विश्वास हो गया था… कि इस सबमें मम्मी भी आनंद लेती हैं।

फिर तो यह मेरा रोज का नियम बन गया, तकरीबन अगले 10 दिन तक मैं रोज रात को मम्मी को चोदता और फिर अपना पेशाब उनकी चूत में ही भर देता था।

हम लोग फिर भी रोज एक साथ नहाते थे… नहाते वक्त मम्मी जानबूझकर अपनी चूत खोलकर साफ करती थी और जब मैं पीछे खड़ा होता था… तो मेरा लंड हमेशा खड़ा रहता था और पीछे से मम्मी की गांड को टच करता था पर मम्मी ने कभी कुछ नहीं कहा।मम्मी इस सब से बिल्कुल अंजान बन रही थी जैसे कि कुछ हो ही नहीं रहा हो।

रात को पहले पापा मम्मी को चोदते थे और फिर उनके सो जाने के बाद मैं मम्मी को चोदा करता था पर हम दोनों हमेशा इस बात से अनजान बनते रहे।

सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था… पर एक रात मम्मी ने पापा को बोला- आप रोज अपना पानी मेरी चूत में छोड़ देते हो… अगर मैं प्रेगनेंट हो गई तो… अब आप मुझे चोदते समय अपने लंड पर कंडोम चढ़ा लिया करो।
मम्मी कि इस बात पर पापा बोले- ठीक है… वैसे तो मैं हमेशा ही कंडोम लगाता हूं और जब कंडोम नहीं होता तुम्हें तुम्हारे बूब्स पर अपना रस निकाल देता हूं।

तब मम्मी ने कहा- कंडोम कैसे लगाते हैं… एक बार चढ़ा कर दिखाओ ना? और हा.. कंडोम हमेशा बिस्तर के नीचे ही पड़े होते हैं, आप वहीं से उठा लिया करो।
मैं समझ गया कि मम्मी यह सब मुझे कह रही हैं।


मैंने हल्के से आंखें खोलकर देखा कि पापा अपने मोटे लंड पर कंडोम लगा रहे थे पर मुझे पूरी तरह से समझ में नहीं आया।
फिर पापा ने मम्मी की टांगों को फैलाया और टांगों के बीच में आकर अपना लंड उनकी चूत के अंदर डालने लगे और उन्होंने मम्मी की चूत को चोदना शुरू कर दिया।
मम्मी भी पूरे जोश के साथ पापा से चुद रही थी।

थोड़ी देर बाद वे दोनों झड़ कर सो गए… थोड़ी देर बाद मैंने भी उठ कर बिस्तर के नीचे से कंडोम का एक पैकेट निकाल लिया और उसे अपने लंड पर चढ़ाने लगा… पर मैं उसे चढ़ा नहीं पाया और फिर वापस आकर मम्मी से लिपट गया।

मम्मी ने भी नींद में मेरी तरफ करवट ले ली, फिर मैंने उनके गाउन को पूरा खोल दिया। आज मम्मी ने अंदर ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी इसीलिए गाउन खुलते ही वह पूरी नंगी हो गई।

मैंने मम्मी के बड़े-बड़े मम्मों में अपना मुंह छुपा लिया और उन्हें सूंघने लगा… मैं उनको दबाना और चाटना भी चाहता था पर मेरी इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी।
मैंने अपने लंड को उनकी चूत के अंदर डाल दिया।।

मम्मी की चूत अंदर से बहुत गीली थी इसीलिए मेरा लंड आसानी से उनकी चूत के अंदर घुस गया, मैं उनकी चूत में अपने लंड को अंदर करने लगा।

थोड़ी देर की एक तरफा चुदाई के बाद फिर से मैंने अपना पेशाब मम्मी की चूत में लबालब भर दिया। फिर मैंने अपना लंड मम्मी की चूत से बाहर निकाला और वापस उनके गाउन को पहना दिया और फिर मैं भी सो गया।

अगले दिन सुबह उठ कर पापा काम पर चले गए… और छोटी बहन स्कूल चली गई… उस दिन मैं स्कूल नहीं गया था… तो थोड़ी देर बाद मम्मी और मैं साथ में ही नहा लिए।

अब तो रोज नहाते वक्त मम्मी को नंगी देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाया करता था… जिसे मम्मी कभी-कभी अपने हाथ में लेकर साबुन दिया करती थी और मुझे देखकर हँस देती थी।

नहाने के बाद मम्मी और मैं कमरे के अंदर आकर कपड़े पहनने लगे… मम्मी भी पूरी नंगी हो कर मेरे सामने कपड़े पहन रही थी… मुझे मेरी चड्डी नहीं मिल रही थी… तो मैंने मम्मी से पूछा- मेरी चड्डी कहां है?

मम्मी बोली- शायद बिस्तर के नीचे हो… वहां देख ले।
मुझे पता था… कि वहाँ कंडोम के पैकेट भी पड़े हैं और मम्मी जान बूझकर मुझसे यह बोल रही हैं।

मैंने बिस्तर उठा कर देखा… तो वहां बहुत सारे कंडोम के पैकेट पड़े हुए थे, मैंने मम्मी से पूछा – मम्मी यह क्या है… तो मम्मी ने कहा… यह तेरे मतलब की चीज नहीं है.. ये कंडोम हैं।

मैंने मम्मी से कहा- मम्मी.. मैंने इसके बारे में सुना तो बहुत है… पर आज तक कभी समझ नहीं पाया… कि ये होता क्या है?
मेरी इस बात को सुनकर मम्मी बोली- बड़े लोग इसे शादी से पहले या शादी के बाद यूज करते हैं!
तो मैंने मम्मी से पूछा- मम्मी… बड़े लोग इसे कैसे यूज करते हैं, बताओ ना?

मैं पहले भी आपको बता चुका हूं कि मेरी मम्मी मुझसे पहले ही बोल चुकी थी कि अगर सेक्स से संबंधित कोई भी या कुछ भी पूछना हो तो बेशक पूछ लेना.. मैं बता दिया करूंगी।

तो मम्मी बोली- ला, मैं सिखा देती हूं तुझे…

मम्मी अभी भी पूरी नंगी थी और मेरा लंड उनकी चिकनी चूत को देखकर बिल्कुल खड़ा हो चुका था, मम्मी बोली- देखो रोहन… मैं तुम्हें यह सब इसलिए बता रही हूं… ताकि तुम बाहर से यह सब ना सीखो।

फिर मम्मी ने एक कंडोम का पैकेट उठाया और उसे खोल दिया और फिर मुझसे बोली- लो इसे अपनी नूनू पर चढ़ाओ।

मैंने मम्मी से कहा- मम्मी इसे कैसे चढ़ाते हैं?
तो उन्होंने अपने हाथों से मेरे खडे लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया और फिर उस पर कंडोम चढ़ाने लगी।
कंडोम चढ़ाने के बाद मम्मी मुझसे बोली- देख लिया.. कंडोम को ऐसे चढ़ाते हैं!

मैंने उनसे बोला- मम्मी… इसके बाद क्या करते हैं?
तो मम्मी बोली- जो लड़कियों के पास होती है… जहां से वो पेशाब करती हैं… इसे वहां डालते हैं.. और फिर सेक्स करते हैं।

मैंने अनजान बनकर मम्मी की चूत पर हाथ रखकर उनसे पूछा- मम्मी..यहां पर?
तो मम्मी बोली- हाँ यहीं… इसी जगह!

मम्मी की यह बात सुनकर मैं मम्मी से बोला- मम्मी.. मेरी नुनू तो इतनी बड़ी है.. वो इसके अंदर कैसे जा सकती है?
मेरी इस बात पर मम्मी हंसते हुए बोली- हां.. जाता है…
मैंने भी अनजान बनते हुए बोला- कैसे मम्मी.. क्या मैं इसे डाल कर देख सकता हूं… सिर्फ एक बार?

इस पर मम्मी कुछ नहीं बोली और कुछ सोचने लगी।
मैंने मम्मी से कहा- कोई बात नहीं मम्मी… मैं सिर्फ देखना चाहता था कि मेरी नुनू अंदर कैसे जाती है… पर कोई बात नहीं… अगर आपको हर्ट करता हो… तो मैं नहीं करूंगा।

मम्मी बोली- ठीक है… पर सिर्फ आज के लिए और थोड़ा जल्दी करना!
तो मैंने मम्मी से कहा- मैं अगर कभी भूल गया तो?
मम्मी बोली- अगर भूल गया तो कोई बात नहीं… मैं फिर से बता दूंगी।

मैंने वैसे ही खड़े खड़े अपना लंड मम्मी की चूत पर लगाया और फिर धीरे-धीरे अपना पूरा लंड मम्मी की चूत के अंदर डाल दिया.. और फिर वैसे ही खड़ा हो गया।
मम्मी बोली- हां… बस ऐसे ही…

तो मैंने मम्मी से कहा- क्या इसे ही सेक्स कहते हैं।
मम्मी बोली- नहीं… इसके बाद नूनू को अंदर बाहर करते हैं.. और धक्के लगाते हैं।

तो मैंने मम्मी से कहा- क्या मैं भी एक बार धक्के लगा कर… अपनी नूनू अंदर बाहर कर के देख सकता हूं?
मम्मी बोली- ठीक है… बस सिर्फ एक बार कर लो.. फिर बार-बार मत कहना… मैं यह सब तुम्हें सिखाने के लिए कर रही हूं।

मैंने मम्मी से कहा- मैं फिर कभी नहीं करूंगा.. पर अगर भूल गया… तो आप दोबारा सिखाओगी ना?
मम्मी बोली- हां… सिखा दूंगी!
और फिर मैं धीरे धीरे से मम्मी की चूत में लंड डालकर धक्के लगाने लगा, फिर मैंने मम्मी को जोर जोर से चोदना चालू कर दिया और थोड़ी ही देर बाद मेरा पेशाब फिर से निकल गया और मैंने मम्मी को कसकर पकड़ लिया।

मेरा लंड अभी भी मम्मी की चूत के अंदर था… मम्मी बोली- क्या हुआ तुझे?
मैंने कहा- मम्मी.. मेरा पेशाब निकल गया है कंडोम के अंदर… तो मम्मी ने मेरा लंड अपनी चूत से बाहर निकाला और फिर मेरे लंड से कंडोम को उतार दिया।

मेरे लंड से कुछ सफेद जैसा गाढ़ा पानी निकल रहा था… मैंने मम्मी से पूछा- मम्मी यह क्या है… ये पेशाब तो नहीं है।।
मम्मी बोली- नहीं… यह पेशाब नहीं है… यह सफेद सफेद गाढ़ा पानी वीर्य होता है।
और मुझे देखते हुए बोली- जो तू रोज रात को मेरी चूत के अंदर भर देता है।

हम दोनों एक दूसरे को देखने लगे, मैं डर रहा था, मैंने मम्मी से कहा- सॉरी मम्मी!
तो मम्मी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया… हम दोनों के नंगे जिस्म आपस में चिपके हुए थे, मम्मी बोली- कोई बात नहीं!

तो मैंने मम्मी से कहा- मम्मी… रोज रात को जब मैं आपके साथ सेक्स करता था तो आपने मुझे रोका क्यों नहीं.. और मुझसे कुछ कहा क्यों नहीं?
मम्मी बोली- मैंने तुझसे पहले भी कई बार बोला था कि सेक्स के बारे में मुझसे कुछ भी बेहिचक पूछ लेना।

फिर मैंने मम्मी से बोला- मम्मी… सेक्स करने से पहले नुनू पर कंडोम क्यों लगाते हैं?
तो मम्मी बोली- यह एक तरह की सेफ्टी होती है.. जिससे लंड से निकला हुआ पानी चूत के अंदर ना जाए।

तो मैंने मम्मी से पूछा- अगर पानी आपकी चूत के अंदर चला जाएगा तो उससे क्या होगा?
मम्मी बोली- अगर किसी का वीर्य चूत के अंदर स्खलित हो जाता है… तो वह गर्भवती हो जाती है और फिर नौ महीने बाद तुम्हारे जैसे सुंदर बच्चे को जन्म देती है।

मम्मी के इतना बोलते ही मैंने अपनी नंगी मां को फिर से अपने गले से लगा लिया, मैंने मम्मी को थैंक यू बोला तो मम्मी बोली- अब तेरी नूनु… नूनु नहीं रही अब तो ये लंड बन गया है।

फिर मम्मी बोली- मैं ऐसी नहीं हूं कि तुझे कुछ ना सिखाऊं… पर यह बात किसी को मत बताना!
तो मैंने कहा- हां मम्मी… मैं किसी को नहीं बताऊंगा।
मम्मी बोली- लेकिन तुझे भी मेरी एक बात माननी पड़ेगी… मैं तुझे यह सब इसलिए सिखा रही हूं कि कहीं तू बाहर जाकर यह सब ना करने लगे! आजकल की लड़कियाँ पहले तो सेक्स कर लेती है… और फिर बाद में ब्लैकमेल करती हैं… और बाहर सेक्स करने से एड्स का भी खतरा रहता है… तुझे जब भी जरूरत हो… मेरे पास आ जाना।

मैंने मम्मी से वादा किया और बोला- मम्मी, आपके होते हुए मैं कभी बाहर नहीं जाऊंगा!

फिर हम दोनों ने कपड़े पहन लिए और मम्मी घर के काम करने लगी।

उसके बाद जब भी मेरा मन करता… मैं मम्मी के साथ सेक्स कर लेता था और मम्मी भी खुशी खुशी मेरा साथ देती थी।

एक रात पापा मम्मी को चोद रहे थे और मैं हल्की आंखें खोल कर उन्हें देख रहा था।
पापा ने मम्मी को घोड़ी बनाया और पीछे से अपना लंड मम्मी की गांड में डाल दिया। मम्मी के मुंह से एक जोरदार उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह निकल पड़ी… तो पापा ने अपने हाथों से मम्मी का मुंह बंद कर दिया।

मम्मी को चाहे कितना भी दर्द हो पर वो पापा को उनकी इच्छा के लिए कभी मना नहीं करती थी।
फिर पापा ने उनकी गांड मारना शुरू कर दिया और फिर कुछ देर बाद उन्होंने अपना सफेद पानी मम्मी की गांड के अंदर ही छोड़ दिया और फिर मम्मी पापा सो गए।

मैं भी उन दोनों की चुदाई देखकर काफी उत्तेजित हो गया था… मैंने धीरे से मम्मी को जगाया और उनके कान में कहा – क्या आज मैं भी सिर्फ एक बार आपकी गांड में अपना लंड डाल सकता हूं… आज बहुत इच्छा हो रही है।

तो मम्मी बोली- नहीं, अगर तुम्हारे पापा जाग गए तो?
मैंने मम्मी से बोला- पापा को बिल्कुल भी पता नहीं चलेगा… मैं बिल्कुल धीरे धीरे करूंगा।

मम्मी मान गई.. पर वे बोली- तू पहले अपने लंड पर कंडोम लगा ले।
मैंने उठ कर कंडोम निकाला और फिर लेटे लेटे ही अपने लंड पर चढ़ा लिया।

मम्मी मेरी तरफ को पीठ करके लेट गई और अपनी टांगों को खोल दिया, मैंने भी अपने एक हाथ से मम्मी की गांड के छेद को खोला और अपना लंड उनकी गांड पर लगा कर अगले तीन धक्कों में मम्मी की गांड के अंदर घुसा दिया।

मम्मी की गांड बहुत कसी हुई थी… शायद पापा कभी कभी ही उनकी गांड मारा करते थे!

कुछ देर तक मम्मी की गांड मारने के बाद मैं झड़ने लगा और फिर वैसे ही अपना लंड मम्मी की गांड में डाल कर उनसे लिपट गया।
थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा… तो मैंने अपना लंड मम्मी की गांड से निकालकर… लंड से कंडोम उतार दिया और फिर उनकी चूत में डाल दिया।

फिर मैं मम्मी की टांगों को पकड़कर उन्हें चोदने लगा… थोड़ी देर बाद मैं उठकर मम्मी के ऊपर लेट गया और फिर उनके ऊपर लेटे लेटे ही उन्हें चोदने लगा।

कुछ देर की चुदाई के बाद मैं झड़ने लगा, मम्मी भी मेरे साथ झड़ने लगी मैंने अपना सारा का सारा सफेद पानी मम्मी की चूत के अंदर भर दिया।
फिर मैंने अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाला और फिर अपने लंड को साफ करने लगा।
मम्मी की चूत से पानी रिस कर बाहर आ रहा था तो मम्मी ने भी उठ कर अपनी चूत को साफ किया और फिर वापस आकर लेट गई।।

आज भी जब मेरा मन करता है, मैं अपनी मम्मी के साथ सेक्स कर लेता हूं और मम्मी भी मुझसे चुदवा लेती है।
मुझे एक ऐसी मां मिली जिन्होंने मुझे बाहर जाकर सेक्स करने से बचाया और मुझे गलत सोसाइटी में नहीं पड़ने दिया।

थैंक्स टू माय मॉम एंड डैड… आई लव यू मम्मी… जो आप जैसी मम्मी मुझे मिली।

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#4
नन्दोईजी नहीं लण्डोईजी :--------
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मैंने लोगों से सुना था कि किसी लड़की या औरत की खूबसूरती उसके उरोजों और नितम्बों से जानी जा सकती है। पर गुरूजी तो कुछ और ही फरमाते हैं। वो कहते हैं “चूत की सुन्दरता उसकी चौड़ाई से, गांड की सुन्दरता उसकी गहराई से और लंड की सुन्दरता उसकी लम्बाई से जानी जाती है। एक बार मैंने विशेष प्रवचन में गुरूजी से पूछा था कि चूत तो दो अंगुल की सुन्दर मानी जाती है तो फिर चूत की चौड़ाई से क्या अभिप्राय है तो गुरूजी ने डांटते हुए कहा था, “अरे भोले इसके लिए दोनों अंगुलियों को आड़ी नहीं सीधी यानि कि लम्बवत देखा जाता है और ये अंगुलियों जैसी, जितनी लम्बी होगी, उतनी ही सुन्दर होगी। इसीलिए चूत दो अंगुल की सुन्दर मानी जाती है। मैं जिस चौड़ाई की बात कर रहा हूँ वो चूत के नीचे दोनों जाँघों की चौड़ाई की बात है.”।

गुरूजी की बातें सब के समझ में इतनी जल्दी नहीं आती। खैर अगर ऐसी चूत और गांड की बात की जाए तो मधु से भी ज्यादा सुन्दर तो सुधा है। सुधा मेरी सलहज है। अरे भई मेरी पत्नी मधु के भैय्या की प्यारी पत्नी। वो पंजाब से है ना। उन्होंने रमेश से प्रेम विवाह किया है। उम्र ३६ साल, रंग गोरा, ३८-२८-३६ ।

आप सोच रहे होंगे नितम्बों में २” की कंजूसी क्यों? पूरे ३८” क्यों नहीं ? इसका कारण साफ़ है वो बेचारी गांड मरवाने के लिए तरसती रही है। आप तो जानते हैं गांड मरवाने से नितम्बों का आकार और सुन्दरता बढ़ती है। रमेश का जब से एक्सीडेंट हुआ है और सेक्स-क्षमता कुछ कम हुई है, वो बेचारी तो लंड के लिए तरस ही रही थी। वैसे भी रमेश को गांड मारना बिल्कुल पसंद नहीं है।

गुरूजी कहते हैं जिस आदमी ने अपनी खूबसूरत पत्नी की गांड नहीं मारी समझो वो जीया ही नहीं। उसका ये जन्म तो व्यर्थ ही गया। ऐसे ही आदमियों के लिए शायद ये गाली बनी है ‘साला चूतिया !’

सुधा मुझे नन्दोईजी कहकर बुलाती थी। लगता था जैसे उसके मुंह से लन्दोईजी ही निकल रहा हो। पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया पर जब भी मैं अकेला होता तो पता नहीं वो जानबूझ कर ऐसा बोलती थी या उसकी बोली ही ऐसी थी मैंने गौर नहीं किया।

एक बार जब मैं और मधु उनके यहाँ गए हुए थे मैंने बातों ही बातों में उसे मज़ाक में कह दिया,“भाभी आप मुझे नन्दोईजी मत बुलाया करो !”

“क्यों क्या आपको लन्दोईजी कहना अच्छा नहीं लगता ?” उसके चेहरे पर कोई ऐसा भाव नहीं था जिससे मैं समझ सकता कि उसके मन में क्या है। यही तो कुदरत ने इन औरतों को ख़ास अदा दी है।

“नहीं ऐसी बात नहीं है, दरअसल मैं आप से छोटा हूँ और आप मुझे जी लगाकर बुलाती है तो मुझे लगता है कि मैं कोई ६० साल का बूढा हूँ। ” मैंने हंसते हुए कहा कहा।

“तो फिर कैसे … किस नाम से बुलाऊं लन्दोईजी ?”

“आप मुझे प्रेम ही बुला लिया करो !”

“ठीक है प्रेम प्यारे जी !” सुधा ने हंसते हुए कहा।

जिस अंदाज में उसने कहा था उस फिकरे का मतलब तो मैं पिछले चार पांच महीनों से सोचता ही रहा था। अब भी कभी कभी मजाक में वो लंदोईजी कह ही देती है पर सबके सामने नहीं अकेले में.

बात कोई मेरी शादी के डेढ़ दो साल के बाद की है। इतने दिनों तक तो मैं मधु की चूत पर ही मोर (लट्टू) बना रहा पर जब उसकी चूत का छेद कुछ चौड़ा हो गया तो मेरा ध्यान उसकी नाजुक कोरी नरम मुलायम गांड पर गया। वो पट्ठी गांड के नाम से ही बिदक गई। उसने अपनी कॉलेज की किसी सहेली से सुना था कि गांड मरवाने में बहुत दर्द होता है और उसकी सहेली की तो पहली ही रात में उसके पति ने इतनी जोर से गांड मारी थी कि वो खून-ओ-खून हो गई थी और डॉक्टर बुलाने की नौबत आ गई थी।

अब भला वो मुझसे इतनी जल्दी गांड कैसे मरवाती। मुझे उसे गांड मरवाने के लिए तैयार करने में पूरे ३ साल लग गए। खैर ये किस्सा अभी नहीं, बाद में अभी तो सिर्फ सुधा की बात ही करेंगे।

कहते है जहां चाह वहाँ राह। लंड और पानी अपना रास्ता खुद बना लेते हैं। मधु को पहली डिलिवरी होने वाली थी। कभी भी हॉस्पिटल ले जाना पड़ सकता था। डॉक्टरों ने चुदाई के लिए मना कर दिया था और वो गांड तो वैसे भी नहीं मारने देती थी। घर पर देखभाल के लिए सुधा (मेरी सलहज) आई हुई थी।

अक्टूबर का महीना चल रहा था। गुलाबी ठण्ड शुरू हो चुकी थी और मैं अपने लंड को हाथ में लिए मुठ मारने को मजबूर था। हमारे घर में गेस्ट-रूम के साथ लगता एक कोमन बाथरूम है। एक दिन जब मैं उस बाथरूम में मुठ मार रहा था तो मैं जोर जोर से सीत्कार कर रहा था। ‘हाईई… शहद रानीई… तुम ही अपनी चूत दे दो ! क्या अचार डालोगी हाईई … ! चूत नहीं तो गांड ही दे दो …!” अचानक मुझे लगा कि कोई चाबी-छिद्र से देख रहा है। मैं झड़ तो गया पर मैंने सोचा कौन हो सकता है। मधु तो अपने कमरे में है फिर ….। नौकरानी है या कहीं मेरी शहद रानी (सुधा) तो नहीं थी। सुधा शहद की तरह मीठी है मैं उसे शहद रानी ही कह कर बुलाता हूँ।

जब मैं बाहर निकला तो सुधा तो मधु के पास बैठी गप्प लगा रही थी। नौकरानी अभी नहीं आई थी। मैं समझ गया ये जरूर सुधा ही थी। जैसे कि आप तो जानते ही हैं कि मैं एक नंबर का चुद्दकड़ हूँ पर मेरी पत्नी और ससुराल वालों के सामने मेरी छवि एकदम पत्नी भक्त और शरीफ आदमी की है। मधु तो मुझे निरा मिट्ठू ही समझती है। हे भगवान् सुधा ने क्या समझा होगा। उसके बाद तो दिन भर मैं उससे नजरें ही नहीं मिला सका।।

संयोग से दो तीन दिनों बाद ही करवा-चोथ का व्रत था। मधु की हालत ऐसी नहीं थी कि वो व्रत रख सकती थी। मैंने उसकी जगह व्रत रख लिया। सुधा का भी व्रत था। इस व्रत में दिन भर भूखा रहना पड़ता है। चाँद को देखकर ही अपना व्रत तोड़ते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दूँ उत्तरी भारत में इस व्रत का बड़ा महत्व है। ख़ासकर राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में तो औरतें दिन में पानी तक नहीं पीती।

मेरा दोस्त गोटी (गुरमीत सिंह) बताता है कि उसकी पत्नी तो बिना लंड चूसे और चूत चुसवाये अपना व्रत तोड़ती ही नहीं है। ऐसी मान्यता है कि करवा का व्रत रखने से और लंड का पानी पीने से पहला बच्चा लड़का ही पैदा होता है। पता नहीं कहाँ तक सच है पर जिस हिसाब से पंजाब और हरियाणा में लड़के ज्यादा पैदा होते है इस बात में दम जरूर नजर आता है। अगले प्रवचन में गुरूजी से ये बात जरूर पूछूँगा।

एक खास बात तो बताना ही भूल गया। मधु भले ही उन दिनों गांड न मारने देती हो पर लंड चूसने में कोई कोताही नहीं करती थी। और मेरा वीर्य तो जैसे उसके लिए अमृत है। वो कहती है कि पति का वीर्य पीने से उनकी उम्र बढ़ती है और उसे शहद के साथ चाटने या पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है। वैसे तो ये गोली भी उसे मैंने ही पिलाई थी। पर इसी लिए तो मैं उसका मिट्ठू बना हुआ हूँ। करवाचोथ की रात चाँद देखने के बाद वो मेरा लंड चूसती है और पूरा पानी पीकर ही अपना व्रत तोड़ती है। मैं अपना व्रत उसका मधु रस (चूत रस) पीकर तोड़ता हूँ। पर मैं आज सोच रहा था कि आज तो मुझे सादा पानी पीकर और मधु को दवाई लेकर ही अपने व्रत तोड़ने पड़ेंगे।

ये कार्तिक माह का चाँद भी साला (बच्चो का मामा मेरा साला ही तो हुआ ना) रात को देर से ही उगता है बेचारी औरतों को सताने में पता नहीं इसको क्या मजा आता है। यार कम से कम हम जैसों के लिए तो पहले उग जाया करो। खैर कोई रात के ९.३० या १० बजे के आस-पास मैं छत पर चाँद देखने गया। पूर्व दिशा में चाँद ने अपनी लाली कब की बिखेरनी शुरू कर दी थी नीचे पेड़ पोधों और मकानों के कारण पता ही नहीं लगा। मैं जल्दी से सीढ़ियों से नीचे आया। मधु तो ऊपर जा नहीं सकती थी सुधा एक थाली में कुछ फूल, रोली, करवा (मिटटी का बना छोटा सा लोटा), चावल, शहद, गुड़, मिठाई आदि रख कर मेरे साथ ऊपर आ गई। हमारे घर की छत पर एक छोटा सा स्टोर बना है उसके पीछे जाकर चाँद देखा जा सकता था। हम दोनों उसके पीछे चले गए। अगर कोई सीढ़ियों से आ भी जाए तो कुछ दिखाई नहीं पड़ता। सुधा ने छलनी के अन्दर से चाँद को देखकर उसे करवे से पानी अर्पित किया और फिर खड़ी खड़ी अपनी जगह पर दो बार घूम गई। इस दौरान उसका पैर थोड़ा सा डगमगाया और उसके नितम्ब मेरे पाजामे में खड़े ७” के लंड से टकरा गए। मैंने अन्दर चड्डी नहीं पहनी थी। उसने एक बार मेरी ओर देखा पर बोली कुछ नहीं। उसने चाँद के आगे अपनी मन्नत मांगनी शुरू की :

“हे चाँद देवता मेरे पति की उम्र लम्बी हो उनका स्वास्थ्य ठीक रहे…। ”

फिर थोड़ी धीमी आवाज में आगे बोली “और उनका वो सदा खड़ा और रस से भरा रहे !”

‘वो’ का नाम सुनकर मैं चोंका। मैंने जानता था ‘वो’ क्या होता है पर मैंने सुधा से पूछ ही लिया “भाभी ‘वो’ क्या हुआ ?”

“धत् …” वो इतना जोर से शरमाई जैसे १६ साल की नव विवाहिता हो।

“प्लीज बताओ ना भाभी ‘वो’ क्या ?”

“नहीं मुझे शर्म आती है !”

“प्लीज भाभी बताओ ना !”

“क्या मधु ने नहीं बताया ?”

“नहीं तो !” मैं साफ़ झूठ बोल गया।

“इतने भोले तो आप और मधु नहीं लगते ?”

“सच भाभी वो तो वो तो … मेरा मतलब है …” मेरा तो गला ही सूखने लगा और मेरा लंड तो पहले से ही १२० डिग्री पर खड़ा था पत्थर की तरह कड़ा हो गया।

“मैं सब जानती हूँ मेरे लन्दोईजी … मुझे इतनी भोली भी मत समझो !” और उसने मेरे खड़े लंड पर एक प्यारी सी चपत लगा दी। “ हाय राम ये तो बड़ा दुष्ट है !” वो हंसते हुए बोली।

अब बाकी क्या बचा रह गया था। मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। वो भी मुझ से लिपट गई। मैंने अपने जलते हुए होंठ उसके होंठों पर रख दिए। उफ्फ्फ …। गुलाब की पंखुड़ियों जैसे नरम मुलायम होंठ। पता नहीं मैं कितनी देर उनका रस चूसता रहा। सुधा ने पजामे के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ रखा था और धीरे धीरे सहला रही थी। मैंने भी एक हाथ से उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसकी चूत सहलानी शुरू कर दी, शायद उसने भी पेंटी नहीं पहनी थी। उसकी झांटों को मैं अच्छी तरह महसूस कर रहा था।

कोई ५ मिनट के बाद एक झटके के साथ वो अपने घुटनों के बल बैठ गई और मेरे पजामे का नाड़ा खोल कर मेरे पप्पू को बाहर निकाल लिया। मेरा लंड तो पिछले २ महीनों से प्यासा था। उसने बिना कोई देरी किये मेरा लंड एक ही झटके में अपने मुंह में ऐसे ले लिया जैसे कोई बिल्ली किसी मुर्गे की गर्दन पकड़ लेती है। मैं उसका सिर सहला रहा था। पता नहीं वो दिन भर की प्यासी थी या कई बरसों की।।

उसकी चूसने की लज्जत से मैं तो निहाल ही हो गया। क्या कमाल का लंड चूसती है। हालांकि मधु को मैंने लंड चूसने की पूरी ट्रेनिंग दी है पर सुधा जिस तरीके से मेरा लंड चूस रही थी मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि अगर लंड चुसाई का कोई मुकाबला करवा लिया जाए तो सुधा अव्वल नंबर आएगी।

वो कभी मेरे लंड को पूरा मुंह में ले लेती कभी बाहर निकाल कर चाटती कभी सुपाड़े को ही मुंह में लेकर चूसती कभी उस पर अपने दांत से हौले से काट लेती। एक दो बार उसने मेरे दोनों चीकुओं (अण्डों) को भी मुंह में लेकर चूसा।

मैं तो बस आह्ह … ओईई …। ओह्ह … या …। ही करता जा रहा था। कोई ७-८ मिनट हो गए थे। मैंने उसका सिर पकड़ रखा था और उसका मुंह ऐसे चोद रहा था जैसे वो कोई चूत ही हो। वो तो मस्त हुई जोर जोर से चूसे जा रही थी। अब मुझे लगाने लगा कि मैं झड़ने के करीब हूँ तो मैंने उसे इशारा किया मैं जाने वाला हूँ तो उसने भी इशारे से कहा “कोई बात नहीं !”

मैंने उसका सिर जोर से पकड़ लिया और अपने लंड को उसके मुंह में आगे पीछे करने लगा जैसे उसका मुंह न होकर चूत या गांड हो। और फिर एक दो तीन चार पांच ….। कितनी ही पिचकारियाँ मेरे लंड ने दनादन छोड़ दी। सुधा तो जैसे निहाल ही हो गई उस अमृत को पी कर। उसका व्रत टूट गया था। उसने एक चटखारा लेकर कहा “वह मजा आ गया मेरे लन्दोईजी !”

“आपका व्रत तो टूट गया पर मेरा कैसे टूटेगा ?”

“नहीं..। अभी नहीं … बाद में… ”

पर मैं कहाँ मानने वाला था। मैंने एक झटके में उसकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर कर दिया। वाह …। चाँद की दुधिया रोशनी में उसकी काले काले घुंघराले झांटों के झुरमुट से ढकी मखमली चूत देखने लायक थी। हालांकि उसकी चूत पर बहुत सारे झांट थे लम्बे लम्बे पर उसमे छुपी हुई मोटे मोटे होंठों वाली चूत साफ़ देखी जा सकती थी। जैसे किसी गुलदस्ते में सजा हुआ एक खिला गुलाब का फूल हो एकदम सुर्ख लाल। उसकी चूत पर उगे लम्बे लम्बे झांट देख कर मुझे पाकीज़ा फिल्म का वो डायलोग याद आ गया :

“आपकी चूत पर उगी काली लम्बी घनी रेशमी झांटें देखी इन्हें काटियेगा नहीं, चूत बे-परदा हो जायेगी ”

मैंने तड़ से एक चुम्बन उस पर ले लिया और उसके होंठ अपने मुंह में लेकर चूमने लगा। अन्दर वाले होंठ तितली के पंखों की तरह कोई दो ढाई इंच लम्बे तो जरूर होंगे। तोते की चोंच की तरह बने बीच के होंठ बहुत बड़ी चुद्दकड़ औरतों के होते है। मुझे लगा सुधा भी एक नंबर की चुद्दकड़ है। साले रमेश (मेरा साला) ने उसे ढंग से चोदा हो या नहीं पर चूत की फांकों को कमाल का चूसा होगा तभी तो इतनी बड़ी हो गई हैं।

“बस अब चलो बाकी बाद में नहीं तो मधु तुम्हारी जान निकाल देगी मेरे प्यारे नन्दोईजी अ…अरे नहीं लण्डोईजी …!” उसने हंसते हुए कहा। मैं मन मार कर प्यासा ही बिना व्रत तोड़े नीचे आ गया।

नीचे मधु मेरा इंतजार ही कर रही थी। सुधा रसोई में खाना लेने चली गई थी। जानबूझ कर हमें अकेला छोड़ कर। मैं किसी प्यासे भंवरे की तरह मधु से लिपट गया। मुझे पता था वो मुझे चूत तो हरगिज नहीं चूसने देगी। और इस हालत में मेरा लंड वो कैसे चूसती। उसने एक चुम्बन पजामे के ऊपर से जरूर ले लिया। मुझे तो डर लगने लगा कि ऐसी हालत में तो मेरा लंड कुतुबमीनार बन जाता है आज खड़ा नहीं हुआ कहीं मधु को कोई शक तो नहीं हो जाएगा।

पर वो कुछ नहीं बोली केवल मन ही मन चाँद देवता से मन्नत मांग रही थी “मेरे पति की उम्र लम्बी हो। उनका स्वास्थ्य ठीक रहे और उनका ‘वो ’ सदा खड़ा और रस से भरा रहे !”

मैं मुस्कुराए बिना नहीं रह सका मैंने उसके गालों पर एक चुम्बन ले लिया और उसने भी हौले से मुझे चूम लिया। फिर मैंने करवे के पानी में शहद मिलाया और एक घूँट पानी उसे पिलाया और बाकी का मैं पी गया। उसका व्रत टूट गया मेरा तो पहले ही टूट चुका था।

दूसरे दिन मधु को हॉस्पिटल भरती करवाना पड़ ही गया। हॉस्पिटल में पहले से ही सारी बात कर रखी थी। डॉक्टर ने बताया कि आज रात में डिलिवरी हो सकती है। जब मैंने रात में उसके पास रहने की बात कही तो डॉक्टर ने बताया कि रात में किसी के यहाँ रुकने और सोने की कोई जरुरत नहीं है आप चिंता नहीं करें। रात में इनके पास दो नर्सें सारी रात रहेंगी। कोई जरुरत हुई तो हम देख लेंगे। अन्दर से मैं भी तो यही चाहता था।

मैं और सुधा दोनों कार से घर वापस आ गए। जब हम घर पहुंचे तो रात के कोई ११.०० बज चुके थे। रास्ते में सिवा एक चुम्बन के उसने कुछ नहीं करने दिया। इन औरतों को पता नहीं मर्दों को सताने में क्या मजा आता है। बेड रूम के बाहर तो साली पुट्ठे पर हाथ ही नहीं धरने देती। खाना हमने एक होटल में ही खा लिया था वैसे भी इस खाने में हमें कोई ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी। हम तो असली खाना खाने के लिए बेकरार थे। आग दोनों तरफ लगी थी ना।।

घर पहुंचते ही सुधा बाथरूम में घुस गई और मैं बेडरूम में बैठा उसका इंतजार कर रहा था। मैंने अपना पजामा खोल कर नीचे सरका दिया था अपना ७” का लंड हाथ में पकड़े बैठा उसे समझा रहा था। कोई आध-पौन घंटे के बाद एक झीनी सी नाइटी पहने सुधा बाथरूम से निकली। जैसे कोई मॉडल रैंप पर कैट-वाक करती है। कूल्हे मटकती हुए वो मेरे सामने खड़ी हो गई।

उफ़ … क्या क़यामत का बदन था गोरा रंग गीले बाल थरथराते हुए होंठ। मोटे मोटे स्तन, पतली सी कमर और मोटे मोटे गोल नितम्ब। बिलकुल तनुश्री दत्ता जैसे। काली झीनी सी नाइटी में झांकती मखमली जाँघों के बीच फंसी उसकी चूत देख कर मैं तो मंत्रमुग्ध सा उसे देखता ही रह गया। मेरे तो होश-ओ-हवास ही जैसे गुम हो गए।

“कहाँ खो गए मेरे लन्दोईजी ?”

मैंने एक ही झटके में उसे बाहों में भरकर बेड पर पटक दिया और तड़ा तड़ एक साथ कई चुम्बन उसके होंठों और गालों पर ले लिए। वो नीचे पड़ी मेरे होंठों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। मैं नाइटी के ऊपर से ही उसकी चूत के ऊपर हाथ फिराने लगा।

“ओह ! प्रेम थोड़ा ठहरो अपने कपड़े तो उतार लो !” सुधा बोली।

“आँ हाँ !” मैंने अपनी टांगों में फंसे पजामे को दूर फेंक कर कुरता और बनियान भी उतार दी। और सुधा की नाइटी भी एक ही झटके में निकाल बाहर की। अब बेड पर हम दोनों मादरजात नंगे थे। उसका गोरा बदन ट्यूब लाइट की रोशनी में चमक रहा था। मैंने देखा उसकी चूत पर झांटों का नाम-ओ-निशाँ भी नहीं था। अब मैं समझा उसको बाथरूम में इतनी देर क्यों लगी थी। साली झांट काट कर पूरी तैयारी के साथ आई है। झांट काटने के बाद उसकी चूत तो एक दम गोरी चट्ट लग रही थी। हाँ उसकी दरार जरूर काली थी। ज्यादा चूत मरवाने या फिर ज्यादा चुसवाने से ऐसा होता है। और सुधा तो इन दोनों ही बातों में माहिर लगती थी।

ऐसी औरतों की चुदाई से पहले चूत या लंड चुसवाने की कोई जरुरत नहीं होती सीधी किल्ली ठोक देनी चाहिए। मेरा भी पिछले दो महीने से लंड किसी चूत या गांड के लिए तरस रहा था। और जैसा कि मुझे बाद में सुधा ने ही बताया था कि जयपुर से यहाँ आते समय रात को सिर्फ एक बार ही रमेश ने उसे चोदा था और वो भी बस कोई ४-५ मिनट। वो तो जैसे लंड के लिए तरस ही रही थी। ऐसी हालत में कौन चूमा-चाटी में वक्त बर्बाद करना चाहेगा। मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पर रख कर एक जोर का झटका मारा। गच्च की आवाज के साथ मेरा आधा लंड उसकी नरम मक्खन सी चूत में घुस गया। दो तीन धक्कों में ही मेरा पूरा लंड जड़ तक उसकी चूत में समां गया। पूरा लंड अन्दर जाते ही उसने भी नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए जैसे वो भी सदियों की प्यासी हो।

चूत कोई ज्यादा कसी नहीं लग रही थी पर जिस अंदाज में वो अपनी चूत को अन्दर से भींच कर संकोचन कर रही थी मेरा लंड तो निहाल होता जा रहा था , सुधा (शहद) के नाम की तरह उसकी चूत भी बिलकुल शहद की कटोरी ही तो थी। सुधा ने अब मेरी कमर के दोनों ओर अपनी टाँगे कस कर लपेट ली। मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा।

कोई १० मिनट की धमाकेदार चुदाई के बाद मैंने महसूस किया कि उसकी चूत तो बहुत गीली हो गई है और लंड बहुत ही आराम से अन्दर बाहर हो रहा था। फच फच की आवाज आने लगी थी। उसे भी शायद इस बात का अंदाजा था।

मैंने कहा- भाभी क्या आपने कभी डॉग-कैट (कुत्ता-बिल्ली) आसन में चुदवाया है। तो उसने हैरानी से मेरी ओर देखा।

मैंने कहा- चलो इसका मजा लेते हैं।

आप भी सोच रहे होंगे, यह भला कौन सा आसन है। इस आसन में प्रेमिका को पलंग के एक छोर पर घुटनों के बल बैठाया जाता है एड़ियों के ऊपर नितम्ब रखकर। पंजे बेड के किनारे के थोड़े बाहर होते हैं। फिर एक तकिया उसकी गोद में रख कर उसका मुंह घुटनों की ओर नीचे किया जाता है। इस से उसका पेट दब जाता है जिस के कारण पीछे से चूत का मुंह तो खुल जाता है पर अन्दर से टाइट हो जाती है। प्रेमी पीछे फर्श पर खडा होकर कर अपना लंड चूत में डाल कर कमर पकड़ कर धक्का लगता है। यह आसन उन औरतों के लिए बहुत ही अच्छा होता है है जिनकी चूत फुद्दी बन चुकी हो। इस आसन की एक ही कमी है कि आदमी का पानी जल्दी निकल जाता है। मोटी गांड वाली औरतों के लिए ये आसन बहुत बढ़िया है। इस आसन में गांड मरवा कर तो वे मस्त ही हो जाती हैं। गांड मरवाते समय वो हिल नहीं सकती।

वो मेरे बताये अनुसार हो गई और मैंने अपने लंड पट थूक लगाया और पीछे आकर उसकी चूत में अपना लंड डालने लगा। अब तो चूत कमाल की टाइट हो गई थी। मैंने उसकी कमर पकड़ कर धक्के लगाने शुरू कर दिए। सुधा के लिए तो नया तजुर्बा था। वो तो मस्त होकर अपने नितम्ब जोर जोर से ऊपर नीचे करने लगी। उसके फ़ुटबाल जैसे नितम्ब मेरे धक्कों से जोर जोर से हिलने लगे। उसकी गांड का छेद अब साफ़ दिख रहा था। कभी बंद होता कभी खुलता। मैंने अपनी अंगूठे पर थूक लगाया और गच्च से उसकी गांड में ठोक दिया। वो जोर से चिल्लाई “उईई माँ आ … ऑफ प्रेम क्या कर रहे हो? ओह … अभी नहीं अभी तो मुझे चूत में ही मजा आ रहा है।।”

मैंने अपना अंगूठा बाहर निकाल लिया और उसके नितम्ब पर एक जोर की थपकी लगाई। उसके मुंह से अईई निकल गया और उसने भी अपने नितम्बों से पीछे धक्का लगाया। फिर मैंने उसकी कमर पकड़ कर धक्के लगाने शुरू कर दिए। ५ मिनट में ही वो झड़ गई।

अब मैंने उसे फिर चित्त लिटा दिया और उसके नितम्बों के नीचे २ तकिये लगा दिए। उसने भी अपनी टाँगें उठा कर घुटनों को छाती से लगा लिया। अब उसकी चूत तो ऐसे लग रही थी जैसे उसकी दो अंगुलियाँ आपस में जुड़ी हों। अब मुझे गुरूजी की बात समझ लगी कि चूत दो अंगुल की क्यों कही जाती है। बीच की दरार तो एकदम बंद सी हो गई थी। चूत अब टाइट हो गई थी। मैंने अपना लंड फिर उसकी चूत में ठोक दिया और उसकी मोटी मोटी जांघें पकड़ कर धक्के लगाने चालू कर दिए।

५-७ मिनट की चुदाई के बाद उसने जब अपने पैर नीचे किये तो मेरा ध्यान उसके होंठों पर गया। उसके ऊपर वाले होंठ पर दाईं तरफ एक तिल बना हुआ था। ऐसी औरतें बहुत ही कामुक होती है और उन्हें गांड मरवाने का भी बड़ा शौक होता है। मैंने उसके होंठ अपने मुंह में ले लिए और चूसना शुरू कर दिया। वो ओह … आह्ह.। उईई कर रही थी। मैं एक हाथ से उसके गोल गोल संतरों को मसल रहा था और दूसरे हाथ की एक अंगुली से उसकी मस्त गांड का छेद टटोल रहा था। अचानक मेरी अंगुली से उसका छोटा सा नरम गीले छेद टकराया तो मैंने अपनी अंगुली की पोर उसकी गांड में डाल दी। उसने एक जोर की सीत्कार ली और मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। शायद उसका पानी फिर निकल गया था। अब उसकी चूत से फ़च फ़च की आवाज आनी शुरू हो गई थी। “ओईई माँ … मैं तो गई ….” कह कर वो निढाल सी पड़ गई और आँखें बंद कर के सुस्त पड़ गई।

अब मेरा ध्यान उसके मोटे मोटे उरोजों पर गया। कंधारी अनार जैसे मोटे मोटे दो रसकूप मेरे सामने तने खड़े थे। उसका एरोला कोई २ इंच तो जरूर होगा। चमन के अंगूरों जैसे छोटे छोटे चूचुक तो सिंदूरी रंग के गज़ब ही ढ़ा रहे थे। मैंने एक अंगूर मुंह में ले लिया और चूसने लगा। वो फिर सीत्कार करने लगी। उसकी चूत ने एक बार फिर संकोचन किया तो मैंने भी एक जोरदार धक्का लगा दिया। ओईई माँ आ ….। उसके मुंह से निकल पड़ा।

“आह्ह ….। और जोर से चोदो मुझे मैं बरसों की प्यासी हूँ। वो रमेश का बच्चा तो एक दम ढिल्लु प्रसाद है। आह … ऊईई … शाबाश और जोर से प्रेम आह … याया आ….ईई…। मैं तो मर गई …। ओईई …” लगता था वो एक बार फिर झड़ गई।

मैं भी कब तक ठहरता। मुझे भी लगने लगा कि अब रुकना मुश्किल होगा। मैंने कहा- शहद रानी मैं भी झड़ने वाला हूँ, तो वो बोली एक मिनट रुको। उसने मुझे परे धकेला और झट से डॉगी स्टाइल में हो गई और बोली “पीछे से डालो न प्लीज जल्दी करो !”

मैंने उसकी कमर पकड़ी और अपना फनफनाता लंड उसकी चूत में एक ही धक्के में पूरा ठोक दिया। धक्का इतना जोर का था कि उसकी घुटी घुटी सी एक चीख ही निकल गई। उसके गोल गोल उरोज नीचे पके आम की तरह झूलने लगे वो सीत्कार किये जा रहे थी। उसने अपना मुंह तकिये पर रख लिया और मेरे झटकों के साथ ताल मिलाने लगी। उसकी गोरी गोरी गांड का काला छेद खुल और बंद हो रहा था। वो प्यार से मेरे अण्डों को मसलती जा रही थी। मैंने एक अंतिम धक्का और लगाया और उसके साथ ही पिछले २५-३० मिनट से उबलता लावा फूट पड़ा। कोई आधा कटोरी वीर्य तो जरूर निकला होगा। मेरे वीर्य से उसकी चूत लबालब भर गई। अब वो धीरे धीरे पेट के बल लेट गई और मैं भी उसके ऊपर ही पसर गया। उसकी चूत का रस और मेरा वीर्य टपटप निकालता हुआ चद्दर को भिगोता चला गया।

कोई १० मिनट तक हम ऐसे ही पड़े रहे। फिर वो उठाकर बात कमरे में चली गई। मुझे साथ नहीं आने दिया। पता नहीं क्यों। साफ़ सफाई करके वो वापस बेड पर आ गई और मेरी गोद में सिर रखकर लेट गई। मैंने उसके बूब्स को मसलने चालू कर दिया।

मैंने पूछा, “क्यों शहद रानी ! कैसी लगी चुदाई ?”

“आह … बहुत दिनों के बाद ऐसा मज़ा आया है। मधु सच कहती है तुम एक नंबर के चुद्दकड़ हो। सारे कस बल निकाल देते हो। अगर कोई कुँवारी चूत तुम्हें मिल जाए तो तुम तो एक रात में ही उसका कचूमर निकाल दोगे !” और उसने मेरे सोये शेर को चूम लिया।

“क्यों रमेश भैय्या ऐसी चुदाई नहीं करते क्या ?”

“अरे छोड़ो उनकी बात वो तो महीने में एक दो बार भी कर लें तो ही गनीमत समझो !”

“पर आपकी चूत देख कर तो ऐसा लगता है जैसे उन्होंने आप की खूब रगड़ाई की है !”

“आरे बाबा वो शुरू शुरू में था, जब से उनका एक्सीडेंट हुआ है वो तो किसी काम के ही नहीं रहे। मैं तो तड़फती ही रह जाती हूँ। ”

“अब तड़फने की क्या जरुरत है ?”

“हाँ हाँ १५-२० दिन तो मजे ही मजे है। फिर ….” वो उदास सी हो गई।

“आप चिंता मत करें मैं १५-२० दिनों में ही आपकी सारी कमी दूर कर दूंगा और आपकी साइज़ भी ३८-२८-३६ से ३८-२८-३८ या ४० कर दूंगा ” मैंने उसके नितम्बों पर हाथ फेरते हुए कहा तो उसने मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसना चालू कर दिया। मैंने कहा “ऐसे नहीं मैं चित्त लेट जाता हूँ आप मेरे पैरों की ओर मुंह करके अपनी टाँगे मेरे बगल में कर लो !”

अब मैं चित्त लेट गया और सुधा ने अपने पैर मेरे सिर के दोनों ओर करके अपनी चूत ठीक मेरे मुंह से सटा दी। उसकी फूली हुई चूत की दरार कोई ४ इंच से कम तो नहीं थी। उसकी चूत तो किसी बड़े से आम की रस में डूबी हुई गुठली सी लग रही थी। और टींट तो किसमिस के दाने जितना बड़ा बिलकुल सुर्ख लाल अनार के दाने की तरह। बाहरी होंठ संतरे की फांकों की तरह मोटे मोटे। अन्दर के होंठ देसी मुर्गे की लटकती हुई कलगी की तरह कोई २ इंच लम्बे तो जरूर होंगे। साले रमेश ने इनको चूस चूस कर इस चूत का भोसड़ा ही बना कर रख दिया था। और अब किसी लायक नहीं रहा तो मुझे चोदने को मिली है। हाय जब ये कुंवारी थी तो कैसी मस्त होगी साला रमेश तो निहाल ही हो गया होगा।

सच पूछो तो उसकी चुदी हुई चूत चोद कर मुझे कोई ज्यादा मजा नहीं आया था बस पानी निकालने वाली बात थी। पर उसके नितम्बों और गांड के छेद को देखकर तो मैं अपने होश ही खो बैठा। एक चवन्नी के सिक्के से थोड़ा सा बड़ा काला छेद। एक दम टाइट। बाहर कोई काला घेरा नहीं। आप को पता होगा गांड मरवाने वाली औरतों की गांड के छेड़ के चारों ओर एक गोल काला घेरा सा बन जाता है पर शहद रानी की कोरी गांड देखकर मुझे हैरानी हुई। क्या वाकई ये अभी तक कोरी ही है। मैं तो यह सोच कर ही रोमांच से भर गया। वो मेरा लंड चूसे जा रही थी। अचानक उसकी आवाज मेरे कानों में पड़ी,“अरे लण्डोईजी क्या हुआ ! तुम भी तो अपना कल का व्रत तोड़ो ना ?” उसका मतलब चूत की चुसाई से था।

“आन … हाँ “ मैं तो उसकी गांड का कुंवारा छेद देखकर सब कुछ भूल सा गया था। मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ फिराई तो वो सीत्कार करने लगी और मेरा लंड फिर चूसने लगी। मैंने भी उसकी चूत को पहले चाटा फिर अपनी जीभ की नोक उसकी चूत के छेद में डाल दी। वाओ … अन्दर से पके तरबूज की गिरी जैसी सुर्ख लाल चूत का अन्दर का हिस्सा बहुत ही मुलायम और मक्खन सा था। फिर मैंने उसके किसमिस के दाने को चूसा और फिर उसके अन्दर की फांकों को चूसना शुरु कर दिया। अभी मुझे कोई २ मिनट भी नहीं हुए थे कि सुधा एक बार और झड़ गई और कोई २-३ चमच शहद से मेरा मुंह भर गया जिसे मैं गटक गया। उसकी गांड का छेद अब खुल और बंद होने लगा था। उसमे से खुशबूदार क्रीम जैसी महक से मेरा स्नायु तंत्र भर उठा। मैंने अपनी जीभ की नोक उस पर जैसे ही टिकाई उसने एक जोर की किलकारी मारी और धड़ाम से साइड में गिर पड़ी। उसकी आँखें बंद थी। उसकी साँसे तेज चल रही थी।

“क्या हुआ मेरी शहद रानी ?”

वो बिना कुछ बोले उछल कर मेरे ऊपर बैठ गई और अपने होंठ मेरे होंठों पर लगा दिए। उसकी चूत ठीक मेरे लंड के ऊपर थी। मैं अभी अपना लंड उसकी चूत में डालने की सोच ही रहा था कि वो कुछ ऊपर उठी और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गांड के छेद पर लगा दिया और नीचे की ओर सरकने लगी। मुझे लगा कि मेरा लंड थोड़ा सा टेढ़ा हो रहा है। एक बार तो लगा कि वो फिसल ही जाएगा। पर सुधा ने एक हाथ से इसे कस कर पकड़ लिया और नीचे की ओर जोर लगाया। वह जोर लगाते हुए नीचे बैठ गई। मेरा आधा लंड उसकी नरम नाजुक कोरी गांड में धंस गया। उसके मुंह से एक हल्की सी चीख निकल गई। वो थरथर कांपने सी लगी उसकी आँखों से आंसू निकल आये।

मेरा आधा लंड उसकी गांड में फंसा था। २-३ मिनट के बाद जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो उसने अपनी गांड को कुछ सिकोड़ा। मुझे लगा जैसे किसी में मेरे लंड को ऐसे दबोच लिया है जैसे कोई बिल्ली किसी कबूतर की गर्दन पकड़ कर भींच देती है। मुझे लगा जैसे मेरे लंड का सुपाड़ा और लंड के आगे का भाग फूल गया है। मैंने उसे थोड़ा सा बाहर निकलना चाहा पर वो तो जैसे फंस ही गया था।

गांड रानी की यही तो महिमा है। चूत में लंड आसानी से अन्दर बाहर आ जा सकता है पर अगर गांड में लंड एक बार जाने के बाद उसे गांड द्बारा कुतिया की तरह कस लिया जाए तो फिर सुपाड़ा फूल जाता है और फिर जब तक लंड पानी नहीं छोड़ देता वो बाहर नहीं निकल सकता।।
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अब हालत यह थी कि मैं धक्के तो लगा सकता था पर पूरा लंड बाहर नहीं निकाल सकता था। आधे लंड को ही बाहर निकाला जा सकता था। सुधा ने नीचे की ओर एक धक्का और लगाया और मेरा बाकी का लंड भी उसकी गांड में समां गया। वो धीरे धीरे धक्का लगा रही थी और सीत्कार भी कर रही थी। “ओह … उई … अहह। या … ओईईई … माँ ….”

उसकी कोरी नाजुक मखमली गांड का अहसास मुझे मस्त किये जा रहा था। कई दिनों के बाद ऐसी गांड मिली थी। ऐसी गांड तो मुझे कालेज में पढ़ने वाली सिमरन की भी नहीं लगी थी और न ही निशा (मधु की कजिन) की। इतनी मस्त गांड साला रमेश चूतिया कैसे नहीं मारता मुझे ताज्जुब है।

मुझे धक्के लगाने में कुछ परेशानी हो रही थी। मैंने सुधा से कहा “शहद रानी ऐसे मजा नहीं आएगा। तुम डॉगी स्टाइल में हो जाओ तो कुछ बात बने। ”

पर बिना लंड बाहर निकाले यह संभव नहीं था। और लंड तो ऐसे फंसा हुआ था जैसे किसी कुतिया ने लंड अन्दर दबोच रखा था। अगर मैं जोर लगा कर अपने लंड को बाहर निकालने की कोशिश करता तो उसकी गांड की नरम झिल्ली और छल्ला दोनों बाहर आ जाते और हो सकता है वो फट ही जाती।

उसने धीरे से अपनी एक टांग उठाई और मेरे पैरों की ओर घूम गई। अब वो मेरे पैरों के बीच में उकडू होकर बैठी थी। मेरा पूरा लंड उसकी गांड में फंसा था। अब मैंने उसे अपने ऊपर लेटा सा लिया और फिर एक कलाबाजी खाई और वो नीचे और मैं ऊपर आ गया। फिर उसने अपने घुटने मोड़ने शुरू किये और मैं बड़ी मुश्किल से खड़ा हो पाया। अब हम डॉगी स्टाइल में हो गए थे।

अब तो हम दोनों ही सातवें आसमान पर थे। मैंने धीरे धीरे उसकी गांड मारनी चालू कर दी। आह …। असली मजा तो अब आ रहा था। मेरा आधा लंड बाहर निकालता और फिर गच्च से उसकी गांड में चला जाता। मुझे लगा जैसे अन्दर कोई रसदार चिकनाई भरी पड़ी है। जब मैंने उससे पूछा तो उसने बताया कि वो थोड़ी देर पहले जब अपनी चूत साफ़ कर रही थी तभी उसने गांड मरवाने का भी सोच लिया था। और क्रीम की आधी ट्यूब उसने अपनी गांड में निचोड़ ली थी। अब मेरी समझ में आया कि इतनी आसानी से मेरा लंड कैसे उसकी कोरी गांड में घुस गया था। पता नहीं साली ने कहाँ से ट्रेनिंग ली है।

“भाभी यह बाते आप मधु को क्यों नहीं समझाती !”

“मुझे पता है वो तुम्हें गांड नहीं मारने देती और तुम उससे नाराज रहते हो !”

“आपको कैसे पता ?”

“मधु ने मुझे सब बता दिया है। पर तुम फिक्र मत करो। बच्चा होने के बाद जब चूत फुद्दी बन जाती है तब पति को चूत में ज्यादा मजा नहीं आता तब उसकी पड़ोसन ही काम आती है नहीं तो मर्द कहीं और दूसरी जगह मुंह मारना चालू कर देता है। इसी लिए वो गांड नहीं मारने दे रही थी। अब तुम्हारा रास्ता साफ़ हो गया है। बस एक महीने के बाद उसकी कुंवारी गांड के साथ सुहागरात मना लेना !” सुधा हंसते हुए बोली।

“साली मधु की बच्ची !” मेरे मुंह से धीरे से निकला, पता नहीं सुधा ने सुना या नहीं वो तो मेरे धक्कों के साथ ताल मिलाने में ही मस्त थी। उसकी गांड का छेद अब छोटी बच्ची की हाथ की चूड़ी जितना तो हो ही गया था। बिलकुल लाल पतला सा रिंग। जब लंड अन्दर जाता तो वो रिंग भी अन्दर चला जाता और जब मेरा लंड बाहर की ओर आता तो लाल लाल घेरा बाहर साफ़ नजर आता।

मैं तो मस्ती के सागर में गोते ही लगा रहा था। सुधा भी मस्त हिरानी की तरह आह … उछ … उईई …। मा …। किये जा रही थी। उसकी बरसों की प्यास आज बुझी थी। उसने बताया था कि रमेश ने कभी उसकी गांड नहीं मारी अब तक अनछुई और कुंवारी थी। बस कभी कभार अंगुल बाजी वो जरूर कराती रही है। मेरे मुंह से सहसा निकल गया “चूतिया है साला ! इतनी ख़ूबसूरत गांड मेरे लिए छोड़ दी !”

मैंने अपनी एक अंगुली उसकी चूत के छेद में डाल दी। वो तो इस समय रस की कुप्पी बनी हुई थी। मैंने अपनी अंगुली अन्दर बाहर करनी शुरू कर दी। फ़च्छ … फ़च्छ. की आवाज गूंजने लगी। एक हाथ से मैं उसके स्तन भी मसल रहा था। उसको तो तिहरा मज़ा मिल रहा था वो कितनी देर ठहर पाती। ऊईई … माँ आ. करती हुई एक बार झड़ गई और मेरी अंगुली मीठे गरम शहद से भर गई मैंने उसे चाट लिया। सुधा ने एक बार जोर से अपनी गांड सिकोड़ी तो मुझे लगा मेरा भी निकलने वाला है।

मैंने सुधा से कहा- मैं भी जाने वाला हूँ !कहा निकालु?

तो वो बोली “मैं तो रस चूत में नेही लेना चाहती थी पर अब ये बाहर तो निकलेगा नहीं तो अन्दर ही निकाल दो पर ४-५ धक्के जोर से लगाओ !”

मुझे भला क्या ऐतराज हो सकता था। मैंने उसकी कमर कस कर पकड़ी और जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए, “ले मेरी सुधा रानी ले. और ले … और ले …” मुझे लगा कि मेरी पिचकारी छूटने ही वाली है।

वो तो मस्त हुई बस ओह.। आह्ह। उईई। या ….हईई … ओईई … कर रही थी। मेरे चीकू उसकी चूत की फांकों से टकरा रहे थे। उसने एक हाथ से मेरे चीकू (अण्डों) कस कर पकड़ लिए। ये तो कमाल ही हो गया। मुझे लगता था कि मेरा निकलने वाला है पर अब तो मुझे लगा कि जैसे किसी ने उस सैलाब (बाढ़) को थोड़ी देर के लिए जैसे रोक सा दिया है। मैंने फिर धक्के लगाने शुरू कर दिए। १०-१५ धक्कों के बाद उसने जैसे ही मेरे अण्डों को छोड़ा मेरे लंड ने तो जैसे फुहारे ही छोड़ दी। उसकी गांड लबालब मेरे गर्म गाढ़े वीर्य से भर गई। वो धीरे धीरे नीचे होने लगी तो मैं भी उसके ऊपर ही पड़ गया। हम इसी अवस्था में कोई १० मिनट तक लेटे रहे। उसका गुदाज़ बदन तो कमाल का था। फिर मेरा पप्पू धीरे धीरे बाहर निकलने लगा। एक पुच की हलकी सी आवाज के साथ पप्पू पास हो गया। सुधा की गांड का छेद अब भी ५ रुपये के सिक्के जितना खुला रह गया था उसमे से मेरा वीर्य बह कर बाहर आ रहा था। मैंने एक अंगुली उसमें डाली और उस रस में डुबो कर सुधा के मुंह में डाल दी। उसने चटकारा लेकर उसे चाट लिया।

वो जब उठकर बैठी तो मैंने पूछा “भाभी एक बात समझ नहीं आई आप गांड के बजाये चूत में पानी क्यों लेना चाहती थी ?”

“अरे मेरे भोले राजा ! क्या मुझे एक सुन्दर सा बेटा नहीं चाहिए ? मैं रमेश के भरोसे कब तक बैठी रहूंगी” सुधा ने मेरी ओर आँख मारते हुए कहा और जोर से फिर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया।

इतने में मोबाइल पर मैसेज का सिग्नल आया। बधाई हो बेटा हुआ है। मैंने एक बार फिर से सुधा की चुदाई कर दी। मैं तो गांड मारना चाहता था पर सुधा ने कहा- नहीं पहले चूत में अपना डालो तो मुझे चूत मार कर ही संतोष करना पड़ा।

सुबह हॉस्पिटल जाने से पहले एक बार गांड भी मार ही ली, भले ही पानी गांड में नहीं चूत में निकाला था। यह सिलसिला तो अब रोज ही चलने वाला था जब तक उसकी गांड के सुनहरे छेद के चारों ओर गोल कला घेरा नहीं बन जाएगा तब तक।।

End











चौकीदार संग चुत चुदाई :------




सभी पाठकगण को रश्मि की ओर से नमस्कार। आज मै आपके सामने अपनी एक और आपबीती रखने जा रही हूं। आशा करती हूं, की आपको यह कहानी पसंद आएगी मुझे ऑफिस में चौकीदार रमेश ने बहुत बार बॉस के साथ देखा था, और उसे शायद पता भी था हमारे बीच के सेक्स सम्बंधों के बारे में।

लेकिन मैने कभी नही सोचा था कि, उसकी इतनी हिम्मत होगी की वो इस बारे में आकर मुझसे कुछ कहे। रमेश एक हट्टा-कट्टा नौजवान मर्द है, जिसे देखकर मन डोलने लगे। कसरती शरीर, चौडा सीना और उसकी आँखों मे जादू था, जो किसी भी लडकी को उसकी ओर आकर्षित कर सकता था।

काम के सिलसिले में मै बॉस के साथ लखनऊ गई थी।जहां बॉस और मैने काफी मजे किए। लखनऊ से वापस आने के बाद कुछ दिन बॉस ने छुट्टी ले ली। तो एक दिन मै अब अपना काम खत्म करके ऑफिस से निकलने वाली ही थी कि, रमेश अंदर आ पहुंचा। वो रोज इसी समय पर अंदर आता था, तो मैने ज्यादा ध्यान न देते हुए कहा, “बस ५ मिनट और लगेंगे।”
वो फिर मेरे पास आकर रुक गया। मेरा काम खत्म होते ही मै निकलने लगी तो उसने पीछे से मेरे चुतड़ों पर हाथ फेरकर उन्हें दबा दिया। इससे मै गुस्सा हो गई, मैने कभी नही सोचा था की, इसकी इतनी हिम्मत होगी। मैने उसकी तरफ मुडकर उसे एक थप्पड मारने के लिए हाथ उठाया; लेकिन उसने मेरा हाथ पकड लिया। और हाथ पकडकर अपनी तरफ खींच दिया।

उसके ऐसे अचानक खींचने से मै जाकर सीधा उसके शरीर पे गिर गई। रमेश एक भी मौका छोडना नही चाहता था, उसने इसी मौके का फायदा उठाते हुए मुझे जोर से गले लगा लिया और एक हाथ नीचे ले जाकर फिर से मेरे चूतड दबा दिए। अब तो जैसे मेरा गुस्सा सांतवे आसमान पर था, मैने उसे जोर से चिल्लाकर ऊंची आवाज में बात करते हुए कहा, “तुम नही जानते इसका अंजाम क्या होगा?
बॉस को आने दो, फिर तुम्हे पता चलेगा।”

पता नही मै गुस्से में और भी क्या क्या कहने लगी थी। लेकिन वो था कि, मुझे छोडने की बजाय और अपने से चिपकाए जा रहा था। मेरी लाख कोशिशों के बावजूद मै उसकी मजबूत पकड से नही छूट पाई। आखिर में मैने हार मानकर उससे कहा, “तुम मुझसे क्या चाहते हो? क्यूं ऐसा कर रहे हो मेरे साथ?”
तो उसने मुझे छोडते हुए अपना फोन निकाल लिया और उसमें एक वीडियो चला दिया। वो वीडियो मुझे दिखाते हुए कहने लगा, “यही करना चाहता हूं मै भी तुम्हारे साथ।”
उस वीडियो में मै और बॉस थे, और मै मजे से बॉस का लंड चूस रही थी। यह वीडियो देखकर मै एकदम से घबरा गई, मेरी हालत तो भीगी बिल्ली की तरह हो गई थी कि, काटो तो खून नही। एक पल को तो मुझे कुछ समझ नही आ रहा था, मै क्या करूं ? लेकिन अगले ही पल मै रमेश के सामने गिडगिडाने लगी कि, प्लीज इसे डिलीट कर दो। लेकिन वह टस से मस नही हुआ था। फिर उसने कहा, “तुम्हे पहली बार देखते ही मै समझ गया था, तो तबसे तुम पर नजर रखे हूं। आज बहुत मुश्किल से हाथ लगी हो, ऐसे तो छोडने से रहा।”
मैने उसे समझाते हुए कहा, “मै वैसी लडकी नही हूं, ये वीडियो कहीं किसी ने देख लिया, तो मेरी बहुत बदनामी हो जाएगी।”
यह सुनते ही रमेश के चेहरे पे विजयी मुस्कान आ गई। और वो बोलने लगा, “तुम भी अगर मेरा साथ दोगी, तो बाहर किसी को कुछ पता नही चलेगा। बदनामी भी नही होगी और तुम भी मजे करोगी।”
अब मेरे पास दूसरा कोई रास्ता नही था। और अब मै भी समझ चुकी थी, यह मुझे चोदे बिना मानने वाला है नही। तो मै भी अब अपना मन बनाने लगी थी। वैसे मै भी यही चाहती थी, लेकिन बदनामी से डर रही थी। उसकी बात सुनने के बाद मैंने अपनी आंखें नीचे झुका ली और शांत खडी रही।
उसने इसी को मेरी हां मानकर मेरे और पास आ गया। मेरे पास आते ही उसने मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपनी तरफ खींच लिया। और एक हाथ मेरे बालों में घुसाकर मेरे बंधे हुए बालों को खुला कर दिया। फिर मेरे बालों को पकडकर मेरे सर को अपनी तरफ ले लिया और मेरे नाजुक कोमल से होठों पर अपने होंठ रखकर चूमने लगा। वो मेरे होठों को चुम कम चूस और काट ज्यादा रहा था।
किस शुरू करने के बाद वह रुकने का नाम ही नही ले रहा था। पांच-छह मिनट के बाद मैने ही उसे अपने से दूर धकेल कर अलग करते हुए कहा, “रमेश आज मुझे जाने दो, अब बहुत लेट हो गया है। तुम्हे मेरे साथ जो करना है, कल कर लेना।”
लेकिन वह कुछ सुनने के मूड में कहां था। वह तो बस अपने मे ही मस्त लगा था। उसने मुझे फिर से अपने पास खींचते हुए चूमना चालू कर दिया। वह बहुत ही जोर जोर से मेरे होठों को चूस रहा था, जिससे बहुत जल्द ही वह दर्द करने लगे थे। होठों के बाद उसने मेरे चेहरे पे ऐसी एक भी जगह नही छोडी जहां उसने किस ना किया हो। कोई भी जगह नही बची थी, जहां उसने काट खाया न हो। मेरा पूरा चेहरा उसके चूसने और काटने से लाल पड गया था।

चेहरे के बाद फिर उसने पहले तो मुझे घुमा दिया, जिससे मेरी पीठ उसके सामने आ गई। फिर रमेश ने अपने दोनों हाथ मेरे सीने पे रखकर मेरे आमों को मसलना शुरू कर दिया। यह सब वो बहुत जोर जोर से कर रहा था, जिससे मुझे एक अजीब सा दर्द हो रहा था। लेकिन मजा भी बहुत ज्यादा आ रहा था, तो मै भी उसका साथ दे रही थी।

वो मेरे स्तनों को मसलते हुए अपना लंड मेरी गांड की दरार में रगड रहा था और अपने होठों से मेरी गर्दन पर चुम रहा था। चूमते चूमते पता नही उसने न जाने कितनी बार मेरी गर्दन पे काटा, जिससे मेरे मुंह से एक आह निकल जाती थी। उसके इस तरह मुझे छूने से, सहलाने से, मसलने से मुझ पर एक अलग ही नशा सा छाने लगा था। फिर उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरी सलवार के ऊपर से ही मेरी चुत को अपनी हथेली में भींच लिया। उसके मेरी चुत को इस तरह सहलाने से भी मुझे एक अलग ही अहसास की अनुभूती हो रही थी।

फिर उसने मुझे एक झटके से अलग करके टेबल पर बिठा दिया और मेरी कमीज को उतारने के लिए नीचे से उसे उठाने लगा। अब तक तो मै भी मस्त हो चुकी थी, लेकिन थोडा विरोध तो करना ही था। तो मैने उससे कहा, “जो करना है, ऊपर से ही करो। कोई आ गया तो गडबड हो जाएगी।”

उसने कहा, “टेंशन ना ले, आते वक्त मैं गेट को अंदर से लॉक करके आया हूँ। तो अंदर कोई नही आ सकता।”
और इतना कहकर उसने मेरी कमीज कंधो तक उठा दी, जिससे मुझे हाथ उठाकर उसकी सहायता करनी थी। मेरे हाथ उठाते ही उसने कमीज को निकालकर साइड में रख दिया और एक भूखे शेर की तरह मेरे आमों को देखने लगा। उसको ऐसा घूरते हुए देखकर मै बोल पडी, “अब सिर्फ देखते ही रहोगे या कुछ करोगे भी?”
इस पर जैसे उसकी नींद खुली, उसने हंसकर मेरी तरफ देखा और फिर सीधा मेरे स्तनों के ऊपर से ब्रा को भी हटाकर अपना मुंह लगा दिया। रमेश ने ब्रा को निकाला नही था, बस उसके कप को उठाकर स्तनों के ऊपर कर दिया और नीचे से स्तनों को बाहर निकाल दिया। अब रमेश मस्त होकर मेरे स्तनों को चूस रहा था, और तभी उसने थोडी देर बाद अपने हाथ पीछे ले जाकर मेरी ब्रा का हुक भी खोल दिया, जिससे ब्रा नीचे गिरकर हम दोनों के बीच आ गई। रमेश ने ब्रा को भी मेरी कमीज के पास रख दिया और फिर से स्तनों को मसलने लगा।

थोडी देर बाद उसने मुझे टेबल से उठाया और खुद अपनी पैंट निकाल दी। पैंट निकालते ही अंडरवियर के ऊपर से ही उसका लंड का साइज साफ पता चल रहा था। वह अपने पूरे जोश में था। उसने फिर मुझे पकडकर नीचे को बिठाया, जिसका मतलब मै समझ गई। मैने नीचे बैठते हुए पहले अंडरवियर के ऊपर से ही उसके लंड को अच्छे से सहलाते हुए नाप लिया। और फिर उसके अंडरवियर को एक झटके में नीचे खिसकाकर लंड को आजाद कर दिया।

अंडरवियर को नीचे खिसकाते ही रमेश का लंड एक झटके के साथ बाहर निकल आया और हवा में लहराने लगा। उसका लंड बहुत बडा था, बॉस के लंड से लम्बा भी था। फिर मैंने धीरे से पहले उसके लंड को हाथ मे पकडकर सहलाया। उसका लंड करीब ८ इंच का होगा। सहलाते हुए उसके अग्रभाग पर मैने एक चुम्मा दे दिया, जिससे उसका लंड और उछलने लगा।


पहले ही ऑफिस में काफी समय हो चुका था, और जल्दी से घर भी जाना था। तो मैने सोचा, आज के लिए रमेश के लंड को चूसकर माल निकाल दुंगी, और फिर बाकी का बाद में कभी देखा जाएगा। अब रमेश मेरे सामने खडा था, और मै उसके अपने घुटनों के बल बैठकर उसके लंड को थी। मै उसके अपने घुटनों के बल बैठकर उसके लंड को मुंह मे भरने जा रही थी।.

अब तक तो रमेश का लंड भी एकदम तनकर सलाम ठोकने लगा था। तो मैने भी ज्यादा देरी न करते हुए, उसको सहलाते हुए लंड अपने मुंह मे भर लिया। अब अगर जल्द से जल्द घर जाना होगा तो जल्द ही उसका पानी निकालना जरूरी था। जल्दी से मै घर के लिए निकल जाऊं इसलिए मै मस्त होकर उसके लंड को चूस रही थी।

थोडी देर चूसने के बाद ही रमेश ने मेरे सर को पीछे से पकड लिया, और अब मेरे मुंह मे धक्के लगाने लगा। वह मेरे मुंह को चोदे जा रहा था। रमेश का लंड बहुत लंबा होने की वजह से पूरा मेरे मुंह मे नही जा रहा था। जैसे ही वो मेरे सर को पकडकर अपना पूरा लंड मेरे मुंह मे घुसाना चाहता, मुझे एक उबकाई सी आ जाती और फिर वो अपना लंड बाहर निकाल लेता। एक दो बार तो उसने अचानक बहुत जोर से धक्का लगा दिया था, जिस वजह से मेरी सांस ही अटक गई थी।

अब मै उसके लंड को चूसते हुए अपने हाथ से उसके अंडकोषों को भी सहला रही थी। लगभग १५ मिनट तक उसने मुझे अपना लंड चुसवाया, और फिर मेरे मुंह मे ही अपना सारा वीर्य गिरा दिया। रमेश के लंड से निकली हुई पिचकारियां मेरे मुंह मे, चेहरे पर, चूचियों पर सब तरफ बिखर चुकी थी। फिर मै जल्दी से उठकर उसका लंड साफ करने लगी, और साथ ही खुद को भी साफ कर लिया।

वैसे भी अब तक काफी समय हो चुका था, और मुझे लगा, अब रमेश भी मान जाएगा। लेकिन वह मानने के मूड मे था ही नही। उसने मुझसे कहा, “क्या हुआ, इतनी जल्दबाजी क्यूं दिखा रही हो?”

तो मैने रमेश से कहा, “रमेश बात को समझो, अभी बहुत लेट हो गया है और घर पे समय से नही पहुंची तो फिर बवाल हो जाएगा। बाकी फिर कभी करते है, आज मुझे जाने दो प्लीज।”

लेकिन वो माननेवालों में से नही था। उसने कहा, “बहुत दिनों के इंतजार के बाद तू हाथ लगी है। मै तुझे आज चोदे बिना तो छोडूंगा नही।”

यह सुनकर मै उसके सामने गिडगिडाने लगी, लेकिन उस बेरहम पर इसका कोई असर नही हुआ। उसने मुझे फिर से अपने पास खींच लिया, और मेरे स्तनों को मसलते हुए मेरे होठों पर अपने होंठ रखकर उन्हें चूमते हुए चूसने लगा। मै उसका विरोध कर रही थी, उसको अपने से दूर धकेलने की नाकाम कोशिश कर रही थी। मेरी लाख कोशिशों के बावजूद मै खुद को उसकी मजबूत पकड से छुडा नही पाई।

जब मै समझ गई कि, यह आज मुझे चोदे बिना ऑफिस से निकलने नही देगा तो मैने भी अब खुद को उसके हवाले सौंप दिया। मेरी तरफ से विरोध कम होते देखकर उसने अपने हाथ नीचे ले जाकर मेरी सलवार का नाडा खोल दिया। सलवार का नाडा खोलते ही सलवार नीचे गिरकर मेरे पैरों में आ गई, जिसे मैने थोडी ही देर में अपने शरीर से अलग कर दिया। जैसे ही उसने देखा, मै उसकी सहायता कर रही हूं, वह मुझसे अलग होकर अपनी शर्ट निकालने लगा।

अब रमेश मेरे सामने बिल्कुल नंगा खडा था, और मै सिर्फ अपनी पैंटी में थी। मेरी पैंटी मुश्किल से मेरी चुत को ढक पा रही थी। रमेश अपनी शर्ट उतारने के बाद मेरे सामने अपने घुटनों के बल बैठ गया।

रमेश ने मेरे चुतड़ों पे अपनी पकड मजबूत कर ली और पैंटी के ऊपर से ही मेरी चुत को सूंघने लगा। धीरे से अपनी नाक से मेरी चुत को सहलाने लगा। फिर धीरे से अपनी एक उंगली से उसने मेरी पैंटी को साइड कर दिया और चुत के मुंह पे एक चुम्मी दे दी।

अब रमेश मेरी चुत का रसपान करना चाह रहा था लेकिन पैंटी उसके बीच आ रही थी। तो उसने अपनी उंगलियां पैंटी में फंसाकर उसे धीरे से नीचे खिसकाने लगा। और आखिर में अब मै अपने ऑफिस के एक चौकीदार के सामने पूरी नंगी खडी थी।

मुझे थोडी शर्म भी लग रही थी, लेकिन चुदास शर्म पर हावी थी। रमेश ने मेरी पैंटी उतारकर साइड में रख दी। और तुरंत ही मेरी चुत का रसपान करने लगा।

रमेश बहुत ही बुरी तरह से मेरी चुत चाट रहा था। उसको देखकर लग रहा था, वो चुत के रस का बरसों से इंतजार कर रहा था। वह लगभग मेरी चुत को खाने की ही कोशिश कर रहा था। उसके इस तरह से चुत चाटने से जल्द ही मेरा शरीर अकडने लगा। मैने कांपते हुए पैरों के साथ उसके सर को अपनी चुत पे दबाकर अपना फव्वारा छोड दिया। रमेश ने भी तब तक चुत से अपना मुंह नही हटाया जब तक एक एक बूंद उसने साफ ना कर दी हो।

चुत से हटने के बाद रमेश उठा और उसने मुझे टेबल की तरफ मुंह करके टेबल पे हाथ रखकर खडा किया। और फिर मुझे थोडा नीचे झुकाया, और मेरी चुत के द्वार को देखने लगा। उसने अपने दोनों हाथों को मेरे दोनों पैरों के बीच मे घुसाकर मेरे पैरों को फैला दिया। और अपने एक हाथ पे ढेर सारा थूक लेकर मेरी चुत के मुहाने पे लगा दिया। फिर वह मेरे पीछे आया, और मेरे चुतड़ों को फैलाकर उसपे एक थप्पड जड दिया।

रमेश ने फिर अपने हाथों से मेरी कमर को कसकर पकड लिया और दूसरे हाथ से अपने लंड को मेरी चुत के मुहाने पे टिकाकर एक जोर का धक्का लगा दिया। बॉस का लंड लेकर मेरी चुत पहले ही खुल चुकी थी, और बॉस का लंड रमेश से मोटा भी था। तो रमेश का लंड अंदर घुसने में कोई खास परेशानी हुई नही। तो रमेश ने बिना रुके दूसरा धक्का भी मार दिया, जिससे उसका लंड सीधा मेरी बच्चेदानी से जा टकराया। लंड बच्चेदानी से टकराते ही मेरे मुंह से चीख निकल गई, जिसे सुनकर रमेश खुश होने लगा।

अब रमेश ने मेरी कमर छोडकर अपने हाथों में मेरे दोनों स्तन पकड लिए, और उन्हें मसलते हुए धक्के लगाए जा रहा था। उसके हर धक्के के साथ लंड बच्चेदानी से टकरा जाता, जिससे मै उछल पडती। इसी बीच वह कभी मेरे बालों को पकडकर खींचता और मेरे मुंह को चूम लेता, तो कभी मेरे चुतड़ों पे थप्पड लगा देता। उसके चोदने के तरीके में एक अलग ही वहशीपन दिखाई दे रहा था, लेकिन मुझे भी यह अच्छा लगने लगा था और मै भी मजे लेने लगी थी।

थोडी देर बाद उसने अचानक अपना लंड खींचकर मेरी चुत से बाहर निकाल लिया। लंड के अचानक बाहर निकलने से मुझे लगा, मुझसे किसीने मेरी बहुत कीमती चीज छीन ली हो।

मैने पलटकर रमेश की तरफ सवालिया नजर से देखा तो उसने कहा, “अब तुम मेरी तरफ मुंह करके टेबल पर बैठ जाओ।”

तो मै भी तुरंत ही उसके कहे अनुसार टेबल पर बैठ गई, और अपनी बांहे खोलकर उसे अपनी तरफ बुला लिया। रमेश ने मेरा हाथ अपने कंधे पर रखा और आगे आकर लंड को मेरी चुत के द्वार पे रखकर एक धक्का दे दिया। इस बार एक ही झटके में उसका लंड अंदर चला गया और अब वो मेरे होठों का रसपान करते हुए मेरी चुत बजाए जा रहा था।

लंड पूरा अंदर जाते ही मैने भी अपने हाथों के हार को उसके गले में डाल दिया और दोनों पैरों को उसकी कमर के इर्द गिर्द लपेट लिया।

थोडी ही देर में मेरा शरीर अकडने लगा तो मैने अपने पैरों को रमेश की कमर पे और जोर से जकड लिया और झड गई। जैसे ही उसने फिर से देखा कि, मेरी पकड ढीली पड रही है, उसने मुझे उसी पोजिशन में उठा लिया। अब रमेश मुझे अपनी गोदी में उठाकर चोद रहा था।

उसका कसरती और गठीला शरीर अब पसीने से भीग रहा था, जिसकी खुशबू मेरे नथुनों में घुस रही थी। मै भी उसके सीने पे चूमते हुए अपने हाथों की उंगलियों से उसके सीने के बालों के साथ खेलने लगी।

थोडी देर धक्के लगाने के बाद उसने कहा,--- “मै आने वाला हूं, अपना माल कहां गिराऊं?”

मैने उससे कहा,--- “अंदर ही अपना वीर्य गिरा दो, मै अंदर महसूस करना चाहती हु। बाद में मै गर्भनिरोधक पिल ले लुंगी, तो टेंशन मत लेना।”

तो उसने और कुछ तेज झटके मारे और मेरी चुत के अंदर ही झड़ते हुए अपना सारा वीर्य मेरी चुत में भर दिया। उसके झडने के बाद उसने मुझे टेबल पर बिठाया और खुद मेरी कुर्सी पर बैठ गया।

थोडी देर बाद हम दोनों उठे, अपने आप को साफ किया और कपडे पहनकर चुपके से ऑफिस से निकल लिए।

End
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#6
चाची का सैक्स भरा प्यार:---------



मेरा नाम राजवीर है, मैं हरियाणा के जिला रोहतक का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 30 साल है और हाइट लगभग 6 फीट की है।
मैं दिखने में एक आकर्षक युवक हूँ और एक बड़ी आई कंपनी में सीनियर ऑपरेशन एग्ज़िक्यूटिव हूँ।

दोस्तो.. आज मैं आपको अपनी पहली चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ। किसी की भावनाओं को ठेस ना लगे इसलिए मैंने कहानी के पात्रों और जगह के नाम बदल दिए हैं।
यह मेरी अपनी आप बीती हुई सच्ची घटना है।

बात उन दिनों की है.. जब मैं 12वीं क्लास में पढ़ता था और कोई 18 साल का रहा होऊँगा। मैं अपने पापा के बहुत ही खास दोस्त के पास रहता था.. क्योंकि मेरे पापा जी का ट्रान्स्फर ऐसी जगह हो गया था जहाँ पर 10 वीं के बाद स्कूल नहीं था.. इसलिए आगे की पढ़ाई के लिए पापा ने अपने दोस्त से विचार-विमर्श करके उन्हीं के पास एक स्कूल में दाखिला दिला दिया था।
दाखिला होने के बाद.. मैं अपनी पढ़ाई में जुट गया।

मेरे पापा के दोस्त के मकान में दो हिस्से थे.. एक हिस्से में उनका छोटा भाई और दूसरे हिस्से में वो खुद रहते थे। मुझे अपनी पढ़ाई और रहने के लिए आगे की तरफ़ बैठक वाला कमरा दे दिया गया था। मेरे खाने का इंतज़ाम भी पापा के दोस्त.. जिन्हें मैं चाचा जी कहता हूँ.. के पास ही किया था।

रहने और खाने के खर्चे आदि की पापा से उनकी क्या बात हुई.. मुझे नहीं मालूम था और ना ही मैंने ज़्यादा इस बारे में सोचा.. ना ही कभी उनसे पूछा।
वैसे भी मैं शुरू से ही थोड़ा शर्मीले स्वाभाव का था और किसी से जल्दी घुल-मिल नहीं पाता था। मुझे थोड़ा समय लगता था दूसरों के साथ एडजस्ट होने में।

पापा के दोस्त की पत्नी.. जिन्हें मैं चाची जी कहता हूँ और जिनका नाम सुमन है.. वो जानती थीं कि मैं अपने मामी-पापा को याद करके थोड़ा उदास रहता हूँ.. इसलिए वो हर तरह से मुझे खुश रखने का प्रयत्न करती थीं।
वो हमेशा मुझसे हँसी-मज़ाक करती रहती थीं इसलिए मैं थोड़ा उनके साथ खुल के बात कर लेता था.. लेकिन ये सब मर्यादा में होता था।
पापा के दोस्त के छोटे भाई और बीवी थोड़ा गुस्से वाले थे.. इसलिए मेरी उनसे ज्यदा नहीं पटती थी और मैं उनसे दूर ही रहता था।

शुरू के तीन-चार महीने सब अच्छा चलता रहा.. पर उसके बाद मैं ना जाने क्यों धीरे-धीरे सुमन चाची की तरफ़ आकर्षित होने लगा और उनका साथ मुझे अच्छा लगने लगा। मुझ पर भी अब जवानी का नशा चढ़ने लगा था और किसी लड़की का साथ पाने की इच्छा बल पकड़ने लगी थी।

दोस्तो.. यह उम्र ही ऐसी होती है.. फिर सुमन चाची थीं भी तो बला की खूबसूरत.. और उनकी उम्र भी मुश्किल 26-27 साल की ही होगी, बिल्कुल गोरा रंग.. तराशा हुआ हूर सा बदन.. दो बच्चों की माँ होने पर भी उनका शरीर किसी नवयौवना जैसा ही लगता था।
उस समय उनकी बड़ी बेटी की उम्र 6 साल थी और छोटे बेटे की उम्र 4 साल के आसपास थी..

पर मेरी चाची ने अपने शरीर का बहुत ख्याल रखा था.. इसलिए कोई नहीं कह सकता था कि वो दो बच्चों की माँ हैं। कसे हुए और मस्त मम्मे.. मखमली गोरा पेट.. और उस पर उनकी लचकती कमर.. जब वो कूल्हे मटका कर चलती थीं.. तो मेरा दिल मचल जाता था। मेरा दिल करता था कि इनको पकड़ कर अभी चोद दूँ।

दोस्तो.. आप भी सोचेंगे कि अभी मैंने लिखा कि मैं शर्मीला हूँ.. और अभी चुदाई की बात कर रहा हूँ।
तो बात ऐसी है कि स्कूल की पढ़ाई के समय से ही मैंने भी इस विषय पर थोड़ा-थोड़ा जानना और पढ़ना शुरू कर दिया था। सेक्स क्या है और चुदाई कैसे करते हैं.. यह सब छोटी उम्र से ही जान गया था।

मैंने एक-दो बार उन्हें छूने की कोशिश भी की.. पर फिर डर जाता था कि मेरी ऐसी हरकतों से बात बिगड़ सकती है और कहीं नाराज़ होकर उन्होंने चाचा जी को बता दिया तो हो गई पढ़ाई.. और मामी-पापा की डांट अलग पड़ेगी। हो सकता है.. इसके बाद वो मुझे अपने पास बुला लें.. शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी.. वो अलग..

पर कहते हैं ना.. कि अगर आप दिल से कुछ माँगो.. तो मिल ही जाता है।
हुआ यों कि चाचा जी को अपनी नौकरी के सिलसिले में 6-7 महीने की लिए बिहार जाना पड़ा। बिहार में भी उनका काम घूमने-फिरने का था.. इसलिए वो परिवार को भी साथ नहीं ले जा सकते थे।
दूसरे मेरी भी ज़िम्मेदारी भी पापा जी ने उन्हीं को दे रखी थी इसलिए वो अकेले ही जा रहे थे।

जब वो जाने लगे तो मुझसे बोले- राजवीर.. चाची का और बच्चों का ख्याल रखना.. कोई बाज़ार का.. या फिर छोटा-मोटा काम हो.. तो कर देना।
मैंने कहा- चाचा जी.. आप निश्चिन्त हो कर जाएं.. मैं सब सम्भाल लूँगा।
मेरे ऐसा कहने पर चाचा जी खुश हो कर चले गए।

कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए और मैं फिर से अपनी पुरानी हरकतों पर उतर आया। मैं सुमन चाची के आस-पास रहने की कोशिश करने लगा।
चाचा जी को गए दो महीने होने को आए.. अब चाची थोड़ी उदास सी रहने लगी थीं..
मैंने पूछा भी कि आप उदास क्यों रहती हैं.. तो वो हंस कर टाल देती थीं।

एक दिन.. जब मैं स्कूल से वापिस आया तो देखा कि चाचा जी के छोटे भाई के घर पर ताला लगा है। फिर मैं चाचा जी की तरफ़ गया.. तो उधर भी कोई नहीं था। मैं जैसे ही वापिस जाने लगा.. मुझे बाहर वाले बाथरूम से किसी के नहाने की आवाज़ आई। मैंने आवाज़ लगाई.. तो सुमन चाची बोलीं- मैं नहा रही हूँ.. तुम्हारा खाना रखा है.. खा लो।
मैंने कहा- ठीक है..

पर तभी मेरे दिमाग़ में एक खुराफात आई.. और मैंने सोचा कि चाची को नहाते हुए देखना चाहिए। फिर मैं धीरे-धीरे बाथरूम के दरवाजे के पास गया और कोई छेद ढूँढ़ने लगा। फिर थोड़ी सी कोशिश करने पर एक छोटा सा छेद दिख गया। मैंने जैसे ही छेद पर आँख लगाई.. मेरा दिमाग़ घूम गया। चाची अपने चूत में उंगली कर रही थीं.. ये देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा।

दोस्तो.. मैं दूसरे लोगों की तरह तो नहीं कहता कि मेरा लंड बहुत लंबा व मोटा है.. भगवान जाने वो सच कहते हैं या झूठ.. पर मेरे लंड लगभग 6.7 इंच लंबा और 3.8 इंच गोलाई में मोटा है और खड़ा होने पर एकदम सख्त हो जाता है।

चाची को चूत में उंगली करते देख कर मेरा हाथ अपने लंड पर चला गया और मैं चाची को देख कर मस्त हुआ जा रहा था।
तभी चाची को लगा कि बाहर कोई है.. और उन्होंने ज़ोर से पूछा- कौन है?
मैं डर गया और भाग कर अपने कमरे में चला गया।

कुछ देर बाद सुमन चाची नहा कर आ गईं और मुझे खाने के लिए आवाज़ लगाई।
मैं डरते-डरते उनके पास गया.. तो वो बिल्कुल नॉर्मल सी लगीं.. उन्होंने मेरे लिए खाना लगा दिया।

मैं चुपचाप खाने लगा.. वो मेरे पास ही बैठ गईं और अपने बाल संवारने लगीं।
अचानक उन्होंने पूछा- राजवीर दरवाजे के बाहर तुम ही थे ना?

मुझे काटो तो खून नहीं.. मैंने माफी मांगते हुए ‘हाँ’ कर दी और बोला- दोबारा ऐसा नहीं होगा।
वो हंस कर बोलीं- ऐसा करना ग़लत बात होती है.. वैसे तुम देख क्या रहे थे?
मैंने बोला- कुछ नहीं..

पर तभी वो थोड़ा गुस्से में बोलीं- सच बताओ.. नहीं तो तुम्हारे मामी-पापा को बता दूँगी।
मैं डर गया और उनसे दुबारा माफी मांगने लगा।
वो फिर बोलीं- ठीक है.. मैं किसी को नहीं बताऊँगी.. पर तुम सच बताओ.. क्या देख रहे थे?

मैंने डरते-डरते बोला- मैं आपको ही देख रहा था..
वो बोलीं- क्यों?
मैंने फिर धीरे से कहा- आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं।
वो हंस दीं और बोलीं- और क्या देखा.. साफ-साफ बताओ?

अब मैं थोड़ा नॉर्मल हो चुका था, मैं बोला- आप अपनी चूत में उंगली कर रही थीं..
वो थोड़ी सकपकाईं और बोलीं- ठीक है.. ठीक है.. अब दुबारा ऐसी हरकत मत करना।

बात आई गई हो गई.. पर उस दिन के बाद सुमन चाची का व्यवहार कुछ बदल सा गया था, अब वो भी मुझे किसी ना किसी बहाने छूने लग गई थीं और खुल कर हँसी-मज़ाक करने लग गई थीं।

फिर वो दिन भी आया.. जब मैंने अपनी चाची को जी भर के चोदा..
यह बात सितम्बर की है, मेरे मिड-टर्म एग्जाम चल रहे थे और अगले एग्जाम से पहले 3 दिन की छुट्टी थी इसलिए मैं भी थोड़ा रिलेक्स था। उस दिन मैं 11 बजे पढ़ने बैठा और फिर 4 बजे तक पढ़ता रहा।

फिर हल्का सा नाश्ता करने के बाद मैं सो गया। लगभग 6 बजे आँख खुली.. तो देखा कि चाचा जी के छोटे भाई अपनी फैमिली के साथ कहीं जा रहे थे।
मैंने पूछा तो बोले- हम सब एक दोस्त की शादी में जा रहे हैं दो दिन बाद आएंगे।
मैंने कहा- ठीक है।

मैं भी अपने दोस्तों के साथ घूमने चला गया। लगभग 2 घंटे के बाद वापिस आया.. तो सुमन चाची ने कहा- राजवीर फ्रेश हो जाओ.. खाना तैयार है।
मैंने कहा- ठीक है।
थोड़ी देर बाद मैं फ्रेश हो कर आ गया। इसके बाद सबने मिल कर खाना खाया.. खाना खा कर दोनों बच्चे और मैं टीवी देखने लगे।

टीवी देखते-देखते बच्चे सोने लगे.. तो मैंने चाची को आवाज़ लगाई और वो दोनों बच्चों को सुलाने के लिए अपने कमरे में ले गईं।
मैं अभी कुछ देर और टीवी देखना चाहता था.. इसलिए वहीं बैठा रहा। कुछ देर बाद चाची दो कटोरियों में आइसक्रीम लेकर आईं और बोलीं- लो खा लो।

मैंने आइसक्रीम ले ली और चाची भी वहीं मेरे साथ सट कर बैठ गईं, हम दोनों टीवी देखने लगे।
सुमन चाची की नरम गुंदाज़ जाँघें मेरी जांघों से छूने लगीं.. तो मेरे लंड में सनसनाहट सी होने लगी। टीवी देखते हुए बीच में एक-दो बार मैंने अपना हाथ उनकी जांघों पर छुआ दिया.. पर उनकी तरफ से कोई एतराज़ नहीं हुआ।

दोस्तों मेरी इस सच्ची कहानी के अगले भाग में आपको मालूम हो जाएगा.. कि आगे क्या हुआ क्या चाची ने मुझे कुछ करने दिया या सब कुछ एक सपना ही होकर रह गया।

मैं अभी कुछ देर और टीवी देखना चाहता था.. इसलिए वहीं बैठा रहा। कुछ देर बाद चाची दो कटोरियों में आइसक्रीम ले कर आईं और बोलीं- लो खा लो।

मैंने आइसक्रीम ले ली और चाची भी वहीं मेरे साथ सट कर बैठ गईं। हम दोनों टीवी देखने लगे। सुमन चाची की नरम गुंदाज़ जाँघें मेरी जांघों से छूने लगीं.. तो मेरे लंड में सनसनाहट सी होने लगी। टीवी देखते हुए बीच में एक-दो बार मैंने अपना हाथ उनकी जांघों पर छुआ दिया.. पर उनकी तरफ से कोई एतराज़ नहीं हुआ।
अब आगे..

इसी तरह एक घंटा निकल गया और मेरा लंड बुरी तरह तन गया था। इसलिए मैं उठा और अपना लंड छुपाते हुआ बोला- मुझे नींद आ रही.. मैं सोने जा रहा हूँ।
उन्होंने कुछ नहीं कहा और मैं तेज़ी से अपने कमरे में आ गया। उनके नाम की मुठ्ठ मारी और सो गया।

मुझे एग्जाम के दिनों में सुबह जल्दी उठ कर पढ़ने की आदत है.. इसलिए मैं 3:30 पर उठा और चाय बनाने के लिए रसोई में गया। बाहर हल्की-हल्की बारिश हो रही थी और जब मैं चाय बना रहा था..
तभी सुमन चाची आईं और बोलीं- राजवीर थोड़ी चाय मुझे भी दे देना.. मेरा सर भारी हो रहा है.. इसलिए नींद नहीं आ रही है।
मैंने कहा- ठीक है।

फिर चाय बनाने के बाद एक कप चाय उनको देने के लिए उनके कमरे में गया तो देखा कि चाची बिस्तर पर लेटी हुई हैं और दोनों बच्चे गहरी नींद में सो रहे हैं।
मैंने आवाज़ लगाई- चाची.. चाय ले लो..
वो उठ कर बैठ गईं और चाय लेकर बोलीं- राजवीर कुछ देर यहीं बैठ जाओ.. मुझे नींद नहीं आ रही है।
मैंने कहा- ठीक है.. मैं यहीं अपनी किताब ले आता हूँ।

मैं किताब लेकर आ गया और वहीं चाची के बिस्तर पर पैरों की तरफ बैठ गया..
चाची चाय पीकर लेट गईं और बोलीं- हल्की ठंड है.. तुम चादर ओढ़ लो..
उनके ऐसा कहने पर मैंने चाची के पैरों की तरफ़ पैर अन्दर करके चादर ओढ़ ली। चाची आँखें बंद करके लेटी हुई थीं और उनके पैर मेरे पैरों से छू रहे थे।

कुछ देर तक तो सब ठीक था.. पर फिर मुझे लगा कि सुमन चाची अपने पैरों से मेरे पैर को रगड़ रही हैं। मैंने सोचा कि शायद ये मेरा वहम है और मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।

लेकिन कुछ देर बाद ही चाची की पैर मेरे लंड तक पहुँच गए और उसे हिलाने लगीं। मेरा लंड अब खड़ा होने लगा था.. मैंने नज़र उठा कर चाची को देखा तो अदखुली आँखों से मेरी तरफ़ देख रही थीं.. आज उनकी आँखों में अजीब सी चुदास की खुमारी छाई हुई दिख रही थी। मैंने फिर से आँखें नीचे कर लीं।

अब चाची मेरे लंड को अपने पैरों से पकड़ कर मेरे लोवर के बाहर से ही ऊपर-नीचे करने लगी थीं और मुझे भी अब मज़ा आने लगा था।
कुछ देर ऐसे ही होता रहा.. मैंने फिर उनकी तरफ देखा तो उन्होंने मुझे अपनी तरफ आने का इशारा किया।

मुझे मन ही मन बहुत खुशी हो रही थी कि शायद आज चाची की चूत चोदने को मिल जाए.. इसलिए मैं जल्दी से उठा और उनके सिरहाने की तरफ़ जा कर बैठ गया। अब वो अपने हाथ से मेरे लंड को सहलाने लगी थीं।
फिर मैंने भी थोड़ी हिम्मत करते हुए अपने होंठ चाची के गुलाबी होंठों पर रख दिए।
मेरे ऐसा करते ही चाची तेज़ी से मेरा निचला होंठ अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं। मैंने भी अब उनका साथ देना शुरू कर दिया और धीरे से उनके बगल में लेट गया।

हाय क्या नरम और सेक्सी होंठ थे उनके.. मन कर रहा था कि इन्हें चूसता ही रहूँ। धीरे-धीरे मैंने अपने हाथों को चाची की कसी हुए छाती पर फिराना शुरू कर दिया और मेरे ऐसा करने से वो और ज़्यादा गर्म होने लगीं और मेरे होंठों को और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगीं।

हम दोनों ही पर अब उत्तेजना और मस्ती छाने लगी थी। हम दोनों ही एक हो जाने के लिए आपस में एक-दूसरे से चिपटने लगे थे।
हमें यh भी ध्यान नहीं रहा कि पास में ही दोनों बच्चे सो रहे हैं।

अचानक उनकी बेटी को खाँसी आई और हम दोनों झटके से एक-दूसरे से अलग हुए.. पर शुक्र था कि उनकी बेटी अभी भी नींद में ही थी और उठी नहीं।
दोनों बच्चों को अच्छे से सुलाने के बाद चाची बोलीं- चलो.. तुम्हारे कमरे में चलते हैं।
लगता था कि आज चाची भी चुदने के मूड में थीं।
मैंने बोला- ठीक है।

फिर मैंने वो किया.. जिसकी उन्हें बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। मैंने उन्हें गोद में उठाया और मेरे ऐसा करते ही वो मुस्करा कर मेरे गले से लग गईं।
इसके बाद मैंने उनके कमरे का दरवाजा हल्के से बंद किया और उन्हें अपने कमरे में ले आया।

मेरे कमरे में ज़्यादा सामान नहीं था.. सिर्फ़ एक स्टडी टेबल और एक सिंगल बिस्तर था।
मैंने सुमन चाची को उसी बिस्तर पर हल्के से लिटा दिया और मैं भी उनके बगल में लेट कर उनके होंठ चूसने लगा। हम दोनों 10 मिनट से एक-दूसरे के होंठों को चूस रहे थे.. पर कोई भी थकने का नाम नहीं ले रहा था। लगता था.. चाची कई दिनों की प्यासी थीं।
इसी बीच में मैंने धीरे से उनके कमीज के अन्दर हाथ डाल दिया।

चाची ने आज ब्रा नहीं पहनी थी.. इसलिए सीधे ही उनकी सख्त चूचियां मेरे हाथों में आ गईं और मैं उन्हें धीरे से.. प्यार से सहलाने लगा।.

हम दोनों एक-दूसरे की तरफ़ मुँह करके लेटे हुए थे.. इसलिए उनकी चूचियों पर हाथ फिराने में मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही थी।
चाची मेरी इस तकलीफ़ को समझ गईं और मेरे होंठ छोड़ कर बैठ गईं और बोलीं- ये कपड़े अपने मिलन में अड़चन डाल रहे हैं.. इसलिए इन्हें उतार देते हैं।

ऐसा कहते ही उन्होंने अपना सलवार सूट उतार दिया.. अब वो सिर्फ़ पैन्टी में थीं। मैं तो उनको यूँ नंगा देख कर अपने होश ही खो बैठा।

क्या जिस्म पाया था उन्होंने… दोस्तों, एकदम साँचे में ढला हुआ… भरी हुई मस्त एकदम दूध जैसी सफेद चूचियाँ और उन पर छोटे गुलाबी निप्पल.. नाज़ुक पतली कमर.. गोरा चिकना पेट.. हाँ.. उस पर थोड़े निशान थे जो बच्चे पैदा होने के कारण बन गए थे।

उनके चिकने पेट पर गहरी नाभि को देख कर किसी का भी दिल मचल जाए.. भारी मस्त चूतड़ किसी भी लंड का पानी निकलवा दें। मैं उनको ऐसे देख ही रहा था कि चाची बोलीं- सिर्फ़ देखोगे ही.. या कुछ आगे भी करोगे?
मैं होश में आया और बोला- चाची आप हो ही इतनी मस्त कि आपके बदन से नज़र ही नहीं हट रही है।

वो हंस दीं और बोलीं- मुझे तो नंगा देख लिया.. अब अपना ‘सामान’ भी तो दिखाओ.. एक बात और.. आज रात तुम मुझे चाची नहीं.. सिर्फ़ सुमन कहोगे.. और अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो.. आख़िर मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारे लंड में कितना दम है।

मैंने भी उनकी आज्ञा का पालन किया और फिर अपना लोवर व टी-शर्ट उतार दी।
मैंने तो नीचे अंडरवियर भी नहीं पहना था तो मुझे नंगा देख कर वो हँसते हुए बोलीं- तुम तो जवान हो गए हो.. तुम्हारा लंड भी जबरदस्त लग रहा है। तुम्हारे चाचा जी का लंड भी इतना ही लंबा है.. बस तुमसे जरा पतला है।

अब वो पूरी तरह खुल चुकी थीं और पूरी मस्ती में बातें कर रही थीं।
वो बोलीं- अब तक कितनी लड़कियों को चोद चुके हो?
मैंने शरमाते हुए कहा- चाची मैंने आज तक कभी किसी को नहीं चोदा.. बस कभी-कभी मुठ्ठ मार लेता हूँ।
वो खुश होते हुए बोलीं- ओह.. अगर ये सच है.. तो आज इसका उद्घाटन मुझे ही करना होगा और तुम्हें सीखना भी होगा कि चोदते कैसे हैं।

हालाँकि मुझे चुदाई का ज्ञान पहले से ही है.. पर किसी को अभी तक चोदा नहीं था.. इसलिए मैंने भी अंजान बनते हुए कहा- चाची मैं तो अनाड़ी हूँ.. आज रात आप जो सिखाना चाहें.. सिखा सकती हैं।
वो बोलीं- ठीक है.. पर तुम मुझे चाची कहना बंद करो और मेरा नाम लेकर बुलाओ।
मैंने कहा- ठीक है.. अब नहीं कहूँगा।
वो बोलीं- अब तुम बिस्तर पर लेट जाओ..

उनके कहने पर मैं बिस्तर पर लेट गया। इसके बाद आगे की कमान उन्होंने अपने हाथ में ले ली.. धीरे से मेरा लंड अपने हाथ में लिया और उसे मुँह में ले कर चूसने लगीं।

मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया.. और आनन्द से मेरी आँखें बंद होने लगीं।
उन्हें लंड चूसते हुए अभी 7-8 मिनट ही हुए थे कि मेरे लंड से माल की कई पिचकारियाँ उनके मुँह में छूट गईं।
क्या करता.. एक तो पहली बार एक औरत मेरा लंड चूस रही थी और दूसरा उनकी गुनगुनी गर्म जीभ का स्पर्श.. मुझसे कंट्रोल ही नहीं हुआ।

उनका पूरा मुँह मेरे वीर्य से भर गया.. वो भी मज़े से मेरा सारा वीर्य पी गईं। वीर्य पीने के बाद भी वो लंड को लगातार चूस रही थीं। मेरे लंड में फिर से हल्की-हल्की गुदगुदी होने लगी।
कुछ ही देर और लंड चूसने के बाद वो बोलीं- चलो अब तुम ऊपर आकर मेरी इन चूचियों को प्यार से चूसो।
मुझे तो मेरी मन मांगी मुराद मिल गई.. मैं धीरे से उनके ऊपर आया और उनकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा।

दोस्तो.. मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था। ऐसे ही धीरे-धीरे मैंने उनकी दूसरी चूची को भी चूसना शुरू कर दिया।
मेरा मन नहीं भर रहा था और अब मैं बारी-बारी से कभी एक को चूसता तो कभी दूसरी को चूसने लगता।

मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था और मेरा लंड भी पूरी तरह दुबारा खड़ा हो चुका था। अब मैं पूरी तरह चाची के ऊपर आ गया था.. उनके मखमली बदन का स्पर्श पाकर मेरी उत्तेजना अब बहुत बढ़ गई थी और मेरा लंड तो अब चाची की चूत को पैन्टी समेत फाड़ने तो बेताब हो रहा था।

सुमन चाची भी अब बहुत गर्म हो चुकी थीं और मेरा मुँह अपनी छाती पर ज़ोर-ज़ोर रगड़ रही थीं और मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकल रही थीं।
मैंने कहीं पढ़ा था कि औरत को चूत चटवाने में बहुत मज़ा आता है.. इसलिए मैंने पूछा- सुमन.. क्या मैं तुम्हारी चूत चाट सकता हूँ?
वो मेरी तरफ हैरत से देखने लगीं.. और फिर..

दोस्तो, चाची से जब मैंने उनकी चूत चाटने के लिए कहा तो उनका क्या जबाव था.. क्या वास्तव में आज मेरा सपना पूरा हो जाने वाला था..

दोस्तो.. मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था। ऐसे ही धीरे-धीरे मैंने उनकी दूसरी चूची को भी चूसना शुरू कर दिया।
मेरा मन नहीं भर रहा था और अब मैं बारी-बारी से कभी एक को चूसता तो कभी दूसरी को चूसने लगता।

मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था और मेरा लंड भी पूरी तरह दुबारा खड़ा हो चुका था। अब मैं पूरी तरह चाची के ऊपर आ गया था.. उनके मखमली बदन का स्पर्श पाकर मेरी उत्तेजना अब बहुत बढ़ गई थी और मेरा लंड तो अब चाची की चूत को पैन्टी समेत फाड़ने तो बेताब हो रहा था।
सुमन चाची भी अब बहुत गर्म हो चुकी थीं और मेरा मुँह अपनी छाती पर ज़ोर-ज़ोर रगड़ रही थीं और मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकल रही थीं।
मैंने कहीं पढ़ा था कि औरत को चूत चटवाने में बहुत मज़ा आता है.. इसलिए मैंने पूछा- सुमन.. क्या मैं तुम्हारी चूत चाट सकता हूँ..?
अब आगे..

अबकी बार मैंने उन्हें उनके नाम से पुकारा.. वो धीरे से बोलीं- जो करना है करो.. आज मैं पूरी तरह तुम्हारी हूँ।

मैं झट से उनके पैरों की तरफ़ जाकर उनकी पैन्टी उतारने लगा, उन्होंने अपने कूल्हे थोड़े से ऊपर उठाए ताकि पैन्टी निकालने में मुझे आसानी हो।
पैन्टी उतरते ही उनकी सफाचट चूत मेरे सामने थी, उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.. शायद उन्होंने आज ही झाँटों को शेव किया था।
क्या मस्त चूत थी एकदम साफ़.. गुलाबी.. नर्म और कसी हुई। लगता ही नहीं था कि इसमें से दो बच्चे निकल चुके हैं।
मुझे लगता था कि वो इसका बहुत ख्याल रखती थीं।

मैंने पूछा- सुमन.. तुम्हारी चूत तो बहुत मस्त लग रही है..
वो बोलीं- मैं इसकी रोज मालिश करती हूँ.. इसी लिए मेरी चूत इतनी कसी हुई और मस्त है।

मैं हल्के से नीचे झुका और उनकी चूत को अपने होंठों से चूम लिया। मेरे ऐसा करते ही सुमन चाची का पूरा बदन काँप गया और उन्होंने मेरे सर को अपने हाथों से पकड़ कर ज़ोर से अपनी चूत पर दबा दिया। कुछ देर मैं ऐसे ही उनकी चूत से चिपका रहा और फिर मैंने अपने मुँह से उनकी चूत के हर हिस्से को चूमना शुरू कर दिया।

अब तो चाची का अपने ऊपर कंट्रोल ही नहीं रहा और वो पूरी तरह मस्ती में आ गईं और अपनी चूत को उठा-उठा कर चूसने के लिए कहने लगीं।

मैंने भी देर ना करते हुए उनकी टाँगें तनिक चौड़ी कीं और अपनी जीभ की नोक से उनकी चूत के ऊपर भगनासे को चूसने लगा।
अब चाची अपना आपा खो रही थीं और उत्तेजना के मारे मुँह से मस्ती भरी आवाजें निकालने लगी थीं..
मैंने भी अब अपनी जीभ से उनकी चूत को ऊपर से नीचे तक चाटना शुरू कर दिया और फिर अचानक अपनी जीभ मैंने उनकी चूत में अन्दर घुसेड़ दी।

ऐसा करते ही मारे उत्तेजना के चाची उछल पड़ीं। चाची की चूत से अब नमकीन पानी निकल रहा था।
हाय.. क्या मस्त टेस्ट था उस पानी का.. और उस पानी की महक ने मुझे पागल ही बना दिया था। मैं बहुत तेज़ी से अपनी जीभ चाची की चूत में अन्दर-बाहर करने लगा और फिर अचानक चाची ने एक चीख मारी और मेरे मुँह को अपने पैरों में जकड़ लिया।
मैं अपना मुँह हिला भी नहीं पा रहा था, लग रहा था कि उनका पानी छूट गया था।

कुछ देर बाद उनकी पकड़ ढीली हुई.. तो मैं धीरे-धीरे उन्हें नीचे से ऊपर की तरफ़ चूमते हुए उनके मुँह की तरफ़ आया और उन्हें गर्दन और होंठों पूरी मस्ती से चूमने लगा, चाची ने मुझे अपने बदन से कस कर चिपटा लिया।

चाची फिर गर्म हो गई थीं.. कुछ देर बाद वो बोलीं- राजवीर अब और ज़्यादा देर मत करो.. मेरी चूत में अपना लंड डाल कर चुदाई शुरू करो.. बहुत दिनों की प्यासी है ये चूत.. आज इसकी प्यास अपने लौड़े के पानी से बुझा दो।

अब उत्तेजना के मारे मेरा भी बुरा हाल हो चुका था.. सो मैंने भी ज़्यादा देर ना करते हुए चुदाई शुरू करने की सोची.. पर सोचा थोड़ा चाची को और तड़पाता हूँ।
मैं बोला- सुमन कुछ बताओ तो.. कि चुदाई कैसे करनी है।
वो थोड़ी हैरान हुईं.. पर फिर मुझे अपनी चूत की तरफ जाने का इशारा किया। मैंने वैसा ही किया और उनकी दोनों टाँगों के बीच बैठ गया।

अब मेरा लंड चाची की चूत के बिल्कुल सामने था और मैं मन में सोच रहा था.. ना जाने कब मेरा ये लण्ड इनकी इस मस्त चूत में जाएगा।
तभी चाची ने मेरे लंड को अपने एक हाथ से पकड़ कर उसको अपनी चूत के छेद पर लगा लिया और बोलीं- राजवीर अब धक्का लगाओ।

चाची के यह कहते ही मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा आधा लंड उनकी टाइट और नर्म चूत में घुसता चला गया।
उनके मुँह से एक घुटी सी चीख निकली.. शायद उन्हें थोड़ा दर्द हुआ था.. क्योंकि आज भी उनकी चूत में बहुत कसावट थी।

मेरा लंड उनकी चूत में फँस गया था और उनकी चूत की गर्मी से ऐसा लग रहा था कि जैसे मैंने मेरा लंड किसी गर्म भट्टी में दे दिया हो।

चाची बोलीं- थोड़ा धीरे-धीरे डालो.. बहुत दिनों बाद ये चूत लंड ले रही है।

मैं कुछ देर रूका रहा.. ताकि चाची नॉर्मल हो जाएँ.. और मैंने उनकी एक चूची के निप्पल को अपने मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया।

कुछ देर बाद ही चाची नीचे से कमर हिलाने लगीं.. तो मैं समझ गया कि अब चाची पूरा लंड लेने के लिए तैयार हो चुकी हैं।

मैंने कहा- सुमन… तुम बहुत सेक्सी हो..
यह कहते ही मैंने दूसरा जोरदार धक्का मार दिया और मेरा लंड उनकी चूत को फाड़ता हुआ पूरा अन्दर घुस गया।
चाची इस अचानक लगे धक्के से थोड़ी ज़ोर से चीखीं और बोलीं- आराम से करो राजवीर.. मैं कहीं भागी थोड़े जा रही हूँ।
फिर मैं कुछ देर उनकी चूत में अपना लंड डाले हुए शांति से रुका रहा।

कुछ देर बाद जब चाची ने भी लंड अपनी चूत में एडजस्ट कर लिया और दर्द कम हो गया तो बोलीं- अब चुदाई शुरू करो।
मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को उनकी चूत में आगे-पीछे करना शुरू कर दिया और फिर धीरे-धीरे अपने धक्कों की रफ़्तार और ताक़त बढ़ाने लगा।

अब चाची को पूरा मज़ा आने लगा था.. और वो मस्त हो कर मुँह से अजीब-अजीब आवाजें निकाल रही थीं, वे मस्ती में ज़ोर-ज़ोर से बोल रही थीं- फाड़ दो.. मेरी चूत.. राजवीर.. आह्ह.. निकाल दो इसकी गर्मी.. बहुत दिनों से परेशान कर रही थी यह चूत.. आज इसको सबक सिखा दो..आह्ह..
वे चुदते हुए और भी ना जाने क्या-क्या बके जा रही थीं।

मैं भी अब पूरे जोश से उनको चोदने लगा और वो भी नीचे से कमर हिला-हिला कर मेरा साथ दे रही थीं।
फिर 10 मिनट की धकापेल चुदाई के बाद वो ज़ोर से अकड़ गईं और मुझसे कसके लिपट गईं, उनका पानी निकल गया था.. पर मैं अभी भी लगा हुआ था और उन्हें ज़ोर-ज़ोर से चोदे जा रहा था।

सुमन चाची फिर से मस्त में आ गई थीं और मुझे और ज़ोर से चोदने को कह रही थीं।

हम दोनों पसीने में भीग चुके थे और फिर 5 मिनट की और जबरदस्त चुदाई के बाद मुझे भी लगा कि मेरा वीर्य निकलने वाला है.............
तो मैंने चाची से पूछा- चाची मेरा निकलने वाला है.. क्या करूँ? अन्दर या बाहर निकालु ??????

चाची बोलीं- अन्दर ही निकाल दो.. कुछ नहीं होगा.. अभी 4 दिन पहले ही पीरियड बंद हुए हैं इसलिए बेफिक्र रहो।

मुझे कुछ समझ ही नहीं आया कि चाची क्या कहना चाहती हैं।
अब मैं पूरी ताक़त से उनकी चूत में अपना लंड पेलने लगा और फिर 8-9 जबरदस्त धक्कों के बाद ही चाची ज़ोर से चीखीं और बोलीं- आह्ह.. मैं गई..
तभी 3-4 धक्कों के बाद मेरा भी वीर्य निकल गया, हम दोनों एक ही साथ चरम पर पहुँचे।
हम दोनों एक-दूसरे से ऐसे लिपट गए कि हमारे बीच से हवा भी नहीं गुज़र सकती थी।

हम दोनों बहुत देर तक ऐसे ही लेटे रहे, मेरा लंड भी अब छोटा होकर चाची की चूत से बाहर आ गया था और उनकी चूत से मेरा गाढ़ा सफेद वीर्य निकल रहा था।
मैं अब उनके ऊपर से उतर कर उनकी बगल में उनके कंधे पर सर रख कर लेट गया।
हम दोनों को कब नींद आ गई.. पता ही नहीं चला।

जब सुबह 7 बजे आँख खुली तो देखा कि सुमन चाची बिस्तर पर नहीं थीं और वो मेरे नंगे बदन पर चादर डाल कर चली गई थीं। मैं उठा और फ्रेश होकर जैसे ही कमरे में आया तो देखा की सुमन चाची चाय ले आई थीं और बिस्तर पर बैठे मुस्करा रही थीं..
मैंने आगे बढ़कर उनके कोमल चेहरे को हाथों में लेकर उनके गुलाबी होंठों को हल्के से चूम लिया।
वो हौले से मुस्कराईं और हम दोनों साथ बैठ कर चाय पीने लगे।

इसके बाद जब तक चाचा जी नहीं आए और जब भी मौका मिलता.. हम दोनों जी भर के चुदाई करते। सुमन चाची ने मुझे चोदने के कई तरीके सिखाए और मुझे चुदाई में एकदम खिलाड़ी बना दिया।

चाची की गाण्ड भी बहुत मस्त थी.. पर चाची उसे कभी छूने भी नहीं देती थीं।
एक बार उनकी गाण्ड मारने की कोशिश की.. तो वो सख्ती से बोलीं- दुबारा इसका नाम भी मत लेना।

वो कहने लगीं कि मेरी इस गाण्ड को मैंने अभी तक तुम्हारे चाचा को भी नहीं मारने दिया है। लेकिन मैंने भी हार नहीं मानी और फिर एक दिन मसाज के बहाने उनकी गाण्ड में भी अपना लंड पेल दिया।


End
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#7
आंटी और उनकी बेटी का प्यार और चूत चुदाई :----




प्रणाम दोस्तो.. मैं सैम आपके सामने फिर से एक नई कहानी लेकर आया हूँ। पिछली कहानी मामा की लड़की की चूत चुदाई को बहुतों ने पसंद किया.. आप सभी का शुक्रिया।

मैं एक प्राईवेट कम्पनी में काम करता था.. जिस कारण से मुझे जगह-जगह जाना पड़ता था.. जिसमें कि कभी-कभी बहुत दिन भी लग जाते थे.. और कभी कुछ काम जल्दी भी हो जाते थे।

नवम्बर 2012 की बात है, इस बार मुझे कुछ ज्यादा ही दिन के लिए काम के सिलसिले में दूसरी जगह जो कि एक गांव था.. उसमें जाना पड़ा, जहाँ मुझे एक महीना रुकना पड़ा था।

मैं सुबह बस से वहाँ के लिए निकल गया। मेरी कम्पनी ने मेरे रहने-खाने की व्यवस्था कर दी थी।
मैं उनके घर पहुँचा.. तो उन सबने मेरा स्वागत किया। मुझे भी अच्छा लगा कि कम्पनी ने मेरी अच्छी जगह पर व्यवस्था की है। वहाँ पहुँचने के बाद सबसे मेरा परिचय हुआ..

जिस घर में रहना था.. वहाँ पर 4 सदस्य रहते थे, अंकल राजेश यादव 50 वर्ष.. आंटी रुक्मणी यादव, 42 वर्ष और उनके 2 बच्चे निक्की 20 साल और बंटी 18 साल के थे।

उनका घर बहुत बड़ा हवेली जैसा था, अंकल वहाँ के जमींदार थे, उनका शौक भी नवाबी था.. दारू हुक्का बहुत पीते थे।
बंटी ने मुझे मेरा कमरा दिखाया। फ्रेश हो कर मैं अंकल से मिलने गया और साईट के बारे में पूछा.. तो अंकल ने मुझे साईट के बारे में बताया।

मैं बोला- साईट देखने जाना है।
वो बोले- खाने के बाद जायेंगे.. ठीक है।

इतना बोल कर वे चलने लगे। फिर मैं उनकी हवेली देखने के लिए उनको रोक कर पूछने लगा.. तो उन्होंने बंटी को आवाज लगाई.. पर वो नहीं आया और उसकी जगह निक्की आई।

तो अंकल ने उससे पूछा- बंटी कहाँ है?
निक्की बोली- उसे मम्मी ने सामान लेने शहर भेजा है।
अंकल बोले- सैम को हवेली दिखा दे.. मैं थोड़ा आराम करने जा रहा हूँ।
‘जी ठीक है..’

इतना बोल कर वे चले गए। फिर निक्की मुझे हवेली दिखाने लगी और उसके बारे में बताने लगी। सब जगह एकदम बेहतरीन नजारा लग रहा था।

मैं बोला- तुम्हारा घर बहुत खूबसूरत है.. पर तुम इससे भी ज्यादा खूबसूरत हो।
तो वो गुस्से से मुझे देखने लगी.. तो मैं बोला- कुछ गलत बोला क्या?
तो वो बोली- नहीं.. लेकिन दुबारा मत बोलना.. नहीं तो पापा को बता दूँगी।

मेरी बात करने की शैली मेरे हिसाब से ठीक-ठाक है।
मैं निक्की को बोला- मैं तुम्हारी तारीफ अंकल के सामने कर दूँगा, तुम्हें बताने की तकलीफ नहीं उठानी पड़ेगी।
वो मुझे देखने लगी और हँस के चली गई।

फिर कुछ देर बाद अंकल और मैं साईट पर चले गए। साइट देख कर घर आए और शाम को सब साथ में बैठ कर चाय पीने लगे। अंकल ने पूछा- हवेली देख ली सैम?
मैं अंकल से बोला- आपकी हवेली देखने में बहुत खूबसूरत है और दिखाने वाली भी बहुत खूबसूरत हैं अंकल।
अंकल ने कुछ नहीं कहा।

फिर रात को खाना खाने बैठे.. सब थे पर अंकल नहीं थे.. तो आंटी से पूछा- अंकल कहाँ हैं?
तो आंटी बोली- और कहाँ गए होंगे.. गए हैं अपनी मौज-मस्ती करने.. दारू- सारू पीने के लिए..
वो बोल कर बैठ गईं और बड़बड़ाने लगीं।
वे दु:खी होकर रोते हुए चली गईं।

मैंने बंटी से पूछा- आंटी क्यों चली गईं?
तो वो बोला- पापा नशे में आते हैं और मम्मी को मारते हैं.. जिसके कारण मम्मी परेशान रहती हैं। तुम खाओ इनका रोज का यही हाल है।
फिर मैं बंटी और निक्की खाना खत्म करने के बाद उठ गए।

जाते वक्त मैंने बंटी को बोला- खाना बहुत लज़ीज़ था, किसने बनाया था?
बन्टी बोला- निक्की ने खाना बनाया था।
मैं निक्की से बोला- निक्की जी.. आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं इतना स्वादिष्ट खाना खिलाने के लिए शुक्रिया।
निक्की बोली- आप हमारे मेहमान हैं और मेहमान-नवाजी में हम कोई कमी नहीं करते हैं।

फिर हम लोग सोने चले गए।
देर रात को अंकल जी आए और अंकल-आंटी के बीच में बहुत झगड़ा हुआ। आवाजें सुनाई दे रही थीं.. मुझे अच्छा नहीं लग रहा था तो मैंने बाहर जाकर देखा.. निक्की बन्टी बाहर बैठ कर रो रहे थे।
मुझे बुरा लगा.. मैं उनको साथ लेकर अंकल के कमरे में गया और उनको डांटने लगा और बच्चों को रोते हुए दिखाया। बच्चों को देख आर उनके आँख में आँसू आ गए.. वो सीधे सोने चले गए।

अब आंटी को उन्होंने बहुत मारा था.. जिस कारण से वो ठीक से नहीं चल पा रही थीं। हम तीनों ने आंटी को सहारा देकर कमरे में लेकर आए और उन्हें बिस्तर पर बिठा दिया, निक्की ने उनको पानी दिया।
आंटी पानी पीने के बाद कुछ देर बैठी रहीं.. और बन्टी व निक्की के साथ उनके कमरे में चली गईं।

मुझे भी सोने जाने को बोलीं.. मैं अपने कमरे में चला गया.. और सो गया।

मैं सुबह 6:30 पर उठा.. तो निक्की मेरे कमरे में चाय लेकर आई। मुझे विश किया और चाय देकर चल दी। क्या क़यामत लग रही थी.. मन कर रहा था कि वहीं पकड़ कर चोद दूँ.. उसे देख कर लण्ड खड़ा हो गया था। मैं निक्की की याद में बाथरूम में जाकर मुठ्ठ मारने लगा।
निक्की का फ़िगर 34-30-36 का था। क्या गदराया जिस्म था.. तन-मन में आग लगा दे।
आधा घंटे तक निक्की की याद में 61-62 निक्की-निक्की करते-करते मुठ्ठ मार के फ्रेश होकर आया।

तभी बन्टी नाश्ते के लिए बुलाने आया नाश्ते की टेबल में निक्की से मुलाकात हुई, मैं उसे देख कर मुस्कुरा दिया.. उसने भी मुझे देख़ कर स्माइल दी।
मैं और बन्टी साथ में बैठे थे, आंटी शायद अभी भी सोई हुई थी।
मैंने बन्टी से पूछा.. तो बन्टी ने बताया- मम्मी को बुखार आ रहा है।

‘और अंकल कहाँ हैं?’
बन्टी बोला- वो सुबह-सुबह दूसरे गांव चले गए हैं। वहाँ कोई रिश्तेदार खत्म हो गया है.. इसलिए वो गए हुए हैं। वो 7 दिन के बाद आएंगे।
‘और तुम लोग वहाँ जाओगे या नहीं?
बन्टी बोला- मैं और निक्की कल जायेंगे.. आज हमारा अर्धवार्षिक पेपर खत्म होने वाले हैं।
‘और आंटी कैसे करेंगी?’
बोला- माँ की तबियत ख़राब है.. और पापा और माँ का झगड़ा हुआ है.. तो वो घर पर ही रहेंगी और तुम भी तो हो उनका ख्याल रखने के लिए।
‘हम्म..’
‘अच्छा.. अब हम स्कूल चलते हैं.. पेपर को लेट हो जाएँगे।’

वो दोनों स्कूल चले गए.. रह गए मैं और आंटी।
आंटी सोई हुई थीं.. मैं गया.. उनको बताने के लिए कि मैं साईट पर जा रहा हूँ। पर आंटी बेसुध सोई हुई थीं.. उनका पेटीकोट ऊपर उठा हुआ था। जिसके कारण उनकी पैंटी दिखाई दे रही थी, मेरा लण्ड खड़ा हो गया..
तभी आंटी भी जाग गई थीं.. उन्होंने मेरे लण्ड को उभरे हुए देख लिया और सोने का नाटक करने लगीं.. मैं कमरे में थोड़ा अन्दर जाकर आंटी के बदन को निहार कर देखने लगा। उनका मस्त उभरा हुआ सीना जिस में ब्लाउज़ से ढके हुए उनके मम्मे तने हुए थे।

फिर मैंने बाहर आकर आंटी को आवाज़ दी- आंटी मैं साईट पर जा रहा हूँ।

ऐसा बोल कर मैं साईट पर चला गया और जब वहाँ भी मेरा मन नहीं लगा.. तो जल्दी ही घर वापस आ गया।

घर में आकर देखा तो आंटी इस प्रकार सोई हुई थीं कि मैं उनके पास गया तो एकदम सेक्सी नजारा दिख रहा था।

आंटी बस पेटीकोट और ब्लाउज़ पहने हुई लेटी थीं। मैंने आंटी को कामुक निगाहों से घूर कर देखा.. तो उनके पेटीकोट से सीधे उनकी चूत के दीदार हो रहे थे। मेरा लण्ड फिर से तन कर खड़ा हो गया। गजब का रोएंदार चूत थी।

मैं कमरे से बाहर आ गया और आंटी को आवाज़ देने लगा.. पर आंटी बोलीं- सैम.. मैं नहीं उठ सकती.. मेरा पूरा शरीर दर्द दे रहा है। क्या तुम रसोई से थोड़ा सा सरसों का तेल लाकर मेरी थोड़ी देर मालिश कर दोगे.. अगर तुमको बुरा न लगे तो?

मेरे लिए तो सोने पे सुहागा जैसा हो गया, मैं बोला- ठीक है.. आंटी लेकर आ रहा हूँ।
मैं सरसों का तेल लेकर आया और बोला- आंटी ठीक से लेट जाओ।
आंटी बोलीं- जाओ पहले दरवाज़ा बन्द करके आओ।
मैं दरवाज़ा बन्द करके आया.. बोला- आंटी तेल कहाँ लगाना है?
आंटी बोलीं- पूरे बदन में दर्द है।
मैं बोला- ठीक से लेट जाओ और कपड़ों को जरा ऊपर को कर दो।

आंटी ने लेट कर कपड़ों को ऊपर किया, मैंने तेल लगाना चालू किया। पहले मैंने उनके हाथों में लगाया.. फिर उनके पैरों में लगाया।
फिर आंटी को बोला- आंटी कपड़ों को थोड़ा ऊपर को कर दो.. नहीं तो तेल लग जाएगा.. तो कपड़े ख़राब हो जाएंगे।
आंटी बोलीं- तुम ही कर दो।

मैं खुश हो गया और उनके कपड़ों को कूल्हों तक ऊपर कर दिया। अब आंटी का पूरा भोसड़ा दिख रहा था। मैंने मालिश की.. धीरे-धीरे मैं अपने हाथ को उनकी चूत में टच कर देता था.. जिसके कारण आंटी भी उत्तेजित हो रही थीं।

कुछ देर बाद बोलीं- ऊपर भी तेल लगा दे न..
मैं बोला- किधर लगाऊँ.. पीठ में.. कि सीने में?
आंटी बोली- पहले अपने कपड़ा खोल दे.. फिर मेरी पीठ में लगा दे.. बाद में सीने में भी लगा देना।

मैं अपने कपड़े खोल कर तैयार हो गया और उनकी पीठ पर चढ़ गया। उनकी पीठ में तेल लगाने लगा। मेरा लण्ड खड़ा था.. जो कि उनकी गांड की दरार में लग रहा था। मैं अंडरवियर पहने हुआ था.. तो लौड़े का दवाब कम लग रहा था।

आंटी बोलीं- पूरे कपड़े खोल कर बैठ जा.. फिर आराम से मालिश कर।
मैं समझ गया कि अब चूत तैयार हो गई है तो मैं तुरंत चड्डी निकाल कर उनकी चूतड़ों पर बैठ गया।

मैं अपने कपड़े खोल कर तैयार हो गया और उनकी पीठ पर चढ़ गया। उनकी पीठ में तेल लगाने लगा। मेरा लण्ड खड़ा था.. जो कि उनकी गांड की दरार में लग रहा था। मैं अंडरवियर पहने हुआ था.. तो लौड़े का दवाब कम लग रहा था।
आंटी बोलीं- पूरे कपड़े खोल कर बैठ जा.. फिर आराम से मालिश कर।
मैं समझ गया कि अब चूत तैयार हो गई है तो मैं तुरंत चड्डी निकाल कर उनकी चूतड़ों पर बैठ गया।
अब आगे..

अभी पूरा मेरा खड़ा लण्ड आंटी की गांड में लग रहा था, अब वो भी आँख बंद करके लौड़े के मजे ले रही थीं।
फिर मैंने उनसे रात के बारे में पूछा- क्यों लड़ाई कर रहे थे?

तो आंटी ने बताया- तुम्हारे अंकल का गांव की एक औरत के साथ लफड़ा है.. वो हर रात उसी कमीनी औरत के साथ अपनी माँ चुदवाता हैं.. फिर घर आता है और घर आकर साला मुझे मारता है.. 9 महीने हो गए हैं.. मादरचोद मेरा आदमी उस औरत के मायाजाल में फंस गया है, मुझ से रात को सोते समय दूर रहता है।

मैं आंटी के मुँह से गाली और उनका गुस्सा देख कर अवाक रह गया।
मैंने आंटी को बोला- क्या वो औरत आपसे ज्यादा अच्छी दिखती है?
आंटी बोलीं- हाँ.. दिखती है। कमीनी मेरी ही सहेली है.. मादरचोद मेरे घर को डुबा रही है।
फिर आंटी बोलीं- उसको छोड़.. तू मालिश क़र..

मैं आंटी की मालिश करने लगा.. मेरा हाथ उनके बगल से उनके मम्मों में टच हो रहा था।

आंटी पहले से ही उत्तेजित थीं.. अभी और ज्यादा हो रही थी। इधर मेरा उठा हुआ लण्ड उनकी गांड की दरार में बार-बार घुस रहा था.. जिससे कि आंटी और ज्यादा उत्तेजित हो रही थीं।
कुछ ही देर बाद आंटी से रहा ना गया और वो बोलीं- सैम.. अब आगे भी आ जाओ ना..।

मैं साइड में पड़े तौलिया को लपेट कर आंटी को सीधा होने को बोला और वे फट से चित्त हो गईं। मैंने उनके मम्मों में तेल लगाना चालू किया। आंटी अपनी आँखों को बंद करके लगातार सिसकार रही थीं और अंकल को गाली दे रही थीं।
फिर आंटी ने अपनी आँखें खोलीं। अब मेरे तौलिया की तरफ ध्यान से देख रही थीं और तौलिया के अन्दर से मेरा लण्ड पूरे 90 डिग्री में तने हुए टेंट के खम्बे की तरह दिख रहा था।

आंटी मेरे लण्ड को तौलिया की ऊपर से छू कर देखने लगीं, वे आँख मारते हुए बोलीं- पूरा लोहा है सैम..
मैं बोला- आंटी अभी तो बस ट्रेलर देखा है.. फ़िल्म तो अभी बाकी है।
आंटी बोलीं- सैम.. तुम भी तौलिया खोल कर आ जाओ.. मैं भी तुमको तेल लगा देती हूँ।

मैं अपना तौलिया खोल कर जैसे ही आंटी के सामने आया, आंटी मेरे तने हुए लण्ड महाशय को देख कर अवाक रह गईं.. उनका मुँह खुला रह गया।
मैं बोला- क्यों.. आंटी हथियार देख कर डर लग रहा है क्या?
आंटी बोलीं- नहीं.. मुझे तो बहुत ख़ुशी हो रही है कि आज पहली बार मैं अपने पति के अलावा तुम्हारे साथ सेक्स करूँगी.. ख़ुश इसलिए हूँ कि तुम्हारा लण्ड बहुत सख्त और बड़ा है। आज मैं अपने मादरचोद पति से बदला लूँगी.. वो मेरे सहेली के साथ चुदाई करता है ना.. आज मैं तेरे साथ चुद कर उससे बदला लूँगी।
ऐसा बोल कर वो मेरे लण्ड को पकड़ के खेलने लगी।

मैं बोला- आंटी आप बहुत गाली देती हो..
तो आंटी बोलीं- सैम.. आज 21 साल के बाद मुँह खुला है। उसमें भी सीधा तुम्हारा लण्ड मुँह में है..
ऐसा बोल कर वो सीधा मेरे लण्ड को मुँह में लेकर उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं।

बोलीं- सैम तेरा लण्ड बहुत सख्त है रे.. आज ये तो मेरी चूत का भोसड़ा बना देगा। तेरे अंकल का लण्ड 5″ ही लम्बा है और केवल मोमबत्ती के बराबर 1.5 इंच मोटा है.. पर तेरा तो 8″ का है और मोटा भी 3 इंच है.. सैम आ जा.. मेरा दूध पी ले.. बहुत मालिश कर ली सैम.. अब आजा.. मत तड़पा.. मेरे सैम..
मैं आंटी से बोला- आंटी तेरी तो आज मस्त तरीके से चूत मारूँगा.. आज तेरा सब दर्द दूर क़र दूँगा मादरचोदी।

आंटी- ओ तेरी तो.. ले दूध चूस हरामी..
मैंने उसके मम्मों को पीना चालू कर दिया। उसके निप्पलों से खेलते हुए एक हाथ से उसकी चूत की भग को मसलने लगा.. जिससे आंटी और उत्तेजित होने लगीं। वो मेरे लण्ड को जोर-जोर से चूसने लगीं.. लगता था जैसे पूरा लौड़ा कच्चा खा जाने का विचार हो।
बस मेरा लौड़ा उनके मुँह में आधा ही जा पा रहा था।

‘सैम.. आह्ह.. अब और अन्दर नहीं जा रहा है.. अब मत तड़पा.. आजा मेरे चूत का भोसड़ा बना दे.. सैम आ जा..’
‘रुक जा मादरचोद आंटी.. आ रहा हूँ तेरी चूत का भोसड़ा बनाने..’

मैंने आंटी की चूत में अपना लण्ड सैट किया.. थोड़ा सा धक्का दिया.. पर नहीं गया.. क्योंकि बहुत दिनों से नहीं चुदी थी.. तो रास्ता बन्द हो गया था।
मैं पास से क्रीम उठा लाया और लण्ड में और चूत में क्रीम लगा कर आंटी की चूत में लौड़ा सैट करके.. एक जोर का झटका मारा.. आंटी चीखती हुई बोलीं- सैम रुक जा.. सैम बहुत दिनों से नहीं चुदी हूँ.. थोड़ा धीरे कर…
मैं बोला- साली मादरचोदी.. रंडी आंटी.. चूत का भोसड़ा बनाने को बहुत बोल रही थी.. अब क्या हुआ .. फट गई मादरचोद।

मैंने और एक बमपिलाट धक्का फिर से लगा दिया.. इस बार पूरा लण्ड चूत के अन्दर जा चुका था। आंटी के पैर थरथरा रहे थे.. जिस कारण से मुझे कुछ देर रुकना पड़ा।
थोड़ी देर बाद आंटी अपनी गांड ऊपर उठा के हिला रही थीं। मैं भी अब आंटी के निप्पल को चूसते हुए धीरे-धीरे लण्ड को आगे-पीछे करने लगा।

आंटी बोलीं- आह्ह.. चोद.. सैम बना दो इस चूत का भोसड़ा.. भैन की लौड़ी ने बहुत तड़पाया है मुझे.. आज पूरा मिटा दे इसकी प्यास को.. आह्ह.. मेरे सैम.. आज से तू ही है सब कुछ मेरा.. अब तेरे अंकल को बताती हूँ.. चोदो सैम.. चोदो आआ आआअहह.. सैमम्म म्मम.. आईईई ईईईई..

आंटी सिसकारते हुए मेरे पीठ को नाखूनों से खरोंचते हुए बड़बड़ाए जा रही थीं, मुझे 10 मिनट से ज्यादा हो चुका था, आंटी शायद झड़ चुकी थीं.. लेकिन मेरे झड़ने की बारी नहीं आई थी।

थोड़ी देर बाद मैं चिल्ला उठा- आंटी मेरा निकलने वाला है कहा निकालु ?????..

आंटी बोलीं- आ जा.. बहुत दिनों से मेरी चूत प्यासी है.. उसी में डाल दे.. आह्ह!

मैंने कहा - आप पेट से हो गई तो ??????

आंटी बोलीं- घबरा मत.. मेरा नसबंदी का ऑपरेशन हो चुका है.. कोई घबराने की बात नहीं है।

मैं आंटी की चूत में ही झड़ गया। मेरा पूरा माल उसकी बच्चेदानी के अन्दर तक पहुँच गया।

कुछ देर लण्ड को आंटी की चूत के अन्दर ही रख कर हम दोनों वैसे ही लेटे हुए थे।

आंटी बोलीं- सैम, कितने बजे हैं?
मैंने बताया- दो बज चुके हैं।
आंटी बोलीं- निक्की और बन्टी 1 बजे तक आ जाते हैं आज पता नहीं क्या हुआ।

दोनों उठ कर बाहर आए तो बस निक्की आई थी और अपनी कच्छी खोल कर अपनी चूत को हाथ से सहला रही थी। साथ ही वो एक हाथ से अपने चूचे दबा कर सिस्कार रही थी। शायद उसने हमारे चुदाई समारोह को देख लिया था और वो उत्तेजित हो गई थी। वो अपनी आँखों को बन्द करके एक ऊँगली अपनी चूत में डाल रही थी।

मैंने आंटी की तरफ देखा.. तो आंटी बोलीं- लगता है इसको हमारे बारे में पता चल गया है.. अब क्या करें सैम?
मैंने आंटी से कहा- इसे भी अपने ग्रुप में मिला लेते हैं आंटी.. नहीं तो आपकी बदनामी हो जाएगी।
आंटी बोलीं- यह मेरी बेटी है.. उसके साथ मैं कैसे ये सब करवा सकती हूँ।

मैं बोला- थोड़ी देर पहले ये अपनी माँ को किसी और के साथ चुदते देख चुकी है.. और इसका ये हाल है। अगर अभी कुछ नहीं करेंगे.. तो ये अपने पापा को बता भी सकती है.. तब क्या करोगी आंटी?
आंटी मान गईं- पर सैम.. बन्टी कहाँ गया?
‘मैं पता करता हूँ.. तुम कमरे में जाओ पानी लेकर.. मैं आता हूँ।’

मैंने निक्की के पास जाकर उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा- निक्की क्या कर रही हो?
तो निक्की गुस्से से बोली- दूर हो जाओ मेरे पास से.. मैं तुमको चाहने लगी थी.. और तुम मेरी माँ के साथ सोए हो.. आने दो पापा को.. मैं उन्हें सब बताती हूँ।

मैं बोला- थोड़ी देर पहले ये अपनी माँ को किसी और के साथ चुदते देख चुकी है.. और इसका ये हाल है। अगर अभी कुछ नहीं करेंगे.. तो ये अपने पापा को बता भी सकती है.. तब क्या करोगी आंटी?
आंटी मान गईं- पर सैम.. बन्टी कहाँ गया?
‘मैं पता करता हूँ.. तुम कमरे में जाओ पानी लेकर.. मैं आता हूँ।’

मैंने निक्की के पास जाकर उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा- निक्की क्या कर रही हो?
तो निक्की गुस्से से बोली- दूर हो जाओ मेरे पास से.. मैं तुमको चाहने लगी थी.. और तुम मेरी माँ के साथ सोए हो.. आने दो पापा को.. मैं उन्हें सब बताती हूँ।
अब आगे..

मैं निक्की को अपनी बाँहों में उठा कर उसके होंठों को चुम्बन करने लगा, वो अपने मुँह से कुछ भी नहीं बोल पा रही थी, मैं उसे उठा कर आंटी के कमरे में ले गया।
वहाँ आंटी पानी लेकर खड़ी थीं, मैं बेहताशा निक्की को चुम्बन कर रहा था.. निक्की लगातार गर्म हो रही थी, उसका श्वास गति बढ़ रही थी।
वो बोली- सैम आई लव यू.. पर तुमने मुझे धोखा दिया है..
मैंने उसे सब समझाया.. तो वो समझ गई.. और मुझसे लिपट गई।
आंटी भी मुझसे लिपट गईं।

फिर मैंने निक्की.. को नंगी करके उसके बदन को ध्यान से निहारा। उसका मस्त 32-24-34 का फ़िगर.. पतली कमर.. सीना और गांड फूला हुआ.. एकदम कामिनी लग रही थी, उसकी आँखें गोल-गोल.. काला सुरमा लगा कर और भी नशीली लग रही थीं।
वो इस वक्त ऊपर से नीचे तक पूरी कयामत लग रही थी।

मैंने उसे अपनी तरफ खींचते हुए सीधा उसके होंठों को चुम्बन करने लगा। एक हाथ से मैं उसके मम्मों को दबा रहा था और एक हाथ से मैं उसकी भग को छेड़ रहा था। उसकी गुलाबी अनछूई चूत एकदम मस्त लग रही थी।
निक्की से अब रहा नहीं जा रहा था.. पर उसे पूरा गर्म करना जरूरी था।

आंटी नीचे बैठ कर मेरे लण्ड और अन्डकोषों को चूस रही थीं। मेरा लण्ड भी तन गया था..
निक्की सिसकारते हुए बोली- सैम.. मेरी जान और मत तड़पा.. डाल दे तेरे लण्ड को मेरी चूत में.. तोड़ दे सील इसकी..

पर अभी तक निक्की का ध्यान मेरे लण्ड पर नहीं गया था। उसे मैंने बिस्तर पर लिटा कर अपने लण्ड को उसके मम्मों से रगड़ते हुए.. उसके मुँह में डाल दिया। थोड़ी देर बाद हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और निक्की की कुंवारी चूत का स्वाद लेने के लिए उससे उठने वाली महक बहुत मस्त थी। मैं उसे चूसने लगा।

निक्की बोली- सैम.. इतने बड़े लण्ड से मैं तो मर जाऊँगी।
मैं बोला- तेरी माँ तो नहीं मरी मादरचोद.. बड़ी आई तू मरने वाली।

मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ को डाल दिया और निक्की से अब सहन के बाहर हो गया, उसके पैर काँपने लगे, वो मेरे सर को अपनी चूत में दबाने लगी और ‘उईईईई ईईईई..’ चिल्लाते हुए झड़ गई।
थोड़ी देर बाद मैं आंटी के साथ काम-क्रीड़ा करने लगा और इधर निक्की हम दोनों को देख कर फिर से जोश में आ गई।

मैंने आंटी को क्रीम लाने को बोला.. आंटी लेकर आईं और लण्ड और निक्की चूत में ढेर सारी क्रीम लगा दी ताकि लण्ड अच्छी तरह से फिसल कर चूत में सटासट चले..
अब मैंने लण्ड को उसकी कुँवारी चूत में सैट किया और सील तोड़ने को एकदम रेडी हो गया, आंटी भी उसके सर के पास जा कर उसे सहला रही थीं।

अब मैंने एक बार झटका दिया.. नहीं गया.. दुबारा जोर से झटका दिया.. लण्ड चूत को चीरता हुआ 2 इंच अन्दर चला गया। निक्की जोर से चिल्लाई और उसकी आँखों से आँसू निकल आए, उसके पैर अकड़ गए.. वो थरथरा रही थी।
लगभग 5 मिनट रुकने के बाद उसको चुम्बन करते हुए थोड़ी देर निक्की के रिलैक्स होने तक रुक कर मैं कभी आंटी के दूध को दबाता.. तो कभी निक्की के समोसे मसकता।

निक्की के रिलेक्स होने के बाद चुम्बन करते हुए मैं बहुत जोर से झटका मारते हुए लण्ड को अन्दर घुसाने लगा। अबकी बार लण्ड 6 इंच अन्दर चला गया, निक्की का शील भंग करते हुए लण्ड पूरा अन्दर चूत की जड़ तक पहुँच गया था।
निक्की का मुँह मेरे मुँह से दबा था.. उसके चीख़ नहीं निकली.. पर उसका शरीर पूरा कांप रहा था.. निक्की को पानी पिलाने के बाद.. करीब 15 मिनट रुकने के बाद निक्की का दर्द कम हुआ। फिर वो अपनी गांड हिलाने लगी.. तो मैंने भी अब चोदना चालू किया।

पहले एक बार मेरा पानी आंटी की चूत में निकल चुका था.. तो इस बार लण्ड ने पानी निकालने के लिए बहुत समय लिया।
आंटी और निक्की को ऊपर-नीचे लिटाकर बारी-बारी से मैंने लण्ड को दोनों की चूतों की चुदाई में लगा दिया। दोनों को खूब मजा आ रहा था।
आंटी थक गईं तो अपनी गांड हिलाते हुए उठ कर पानी पीने चली गईं।
अब मैंने निक्की से पूछा- बन्टी कहाँ गया?
तो निक्की बोली- वो टीचर के साथ रुक गया है.. शाम को 5 बजे तक आएगा।

‘ओके..’

फिर मैं निक्की को बेफिक्र होकर धकापेल चोदने लगा। निक्की सिसकार रही थी.. उसके मुँह से कामुक शब्द निकल रहे थे ‘सैमम्मम्म लव यू जानू.. चोदो मुझे.. चोदो.. मैं सिर्फ तुम्हारी ही हूँ।’

अब मैंने निक्की को डॉगी स्टाइल में आने को कहा और उसके पीछे से लण्ड डालने लगा।

मेरा पूरा लण्ड अन्दर जा रहा था। निक्की को दर्द अभी भी थोड़ा-थोड़ा हो रहा था। थोड़ी देर बाद मेरा पानी निकलने वाला था।
मैंने निक्की को बोला- कहाँ निकालु ..?
वो बोली-.. अन्दर ही निकाल दो.. पहली बार ही चुदी हूँ.. और चूत को प्यासी नहीं रख सकती।

मैंने अन्दर ही माल डाल दिया। फिर थोड़ी देर बाद आंटी आईं.. निक्की और आंटी दोनों नंगी थीं और मैं भी नंगा था।

मैंने दोनों को अपने अगल-बगल लिटाया और दोनों को सहलाते हुए प्यार करने लगा।

फिर कुछ देर बाद आंटी कुछ खाने को लेकर आईं.. हम सभी ने खाया।
बन्टी के आने के बाद तैयार होकर बाहर घूमने चले गए।

रात को खाना आदि खा कर सब सोने चले गए। रात के 12 बजे निक्की मेरे कमरे में आई और मैंने उसको पकड़ कर चुम्बन करते हुए उसके कपड़े उतार कर उसके दूध पीने लगा। वो मेरे लण्ड को निकाल कर खूब सहला रही थी और चूसने के लिए अपने मुँह के पास ले रही थी.. तो मैं लौड़े को थोड़ा इधर-उधर कर रहा था।

फिर हम लोग 69 की अवस्था में आ गए और एक-दूसरे के अंगों को चूसने लगे।

निक्की और मैं दोनों अब उत्तेजित हो गए थे। निक्की को डॉगी स्टाइल में आने को कह कर मैंने पीछे से लण्ड को उसकी चूत में डालने लगा.. पर जा नहीं रहा था। फिर थोड़ा सा क्रीम लगा कर चूत में लौड़ा डाल ही दिया। अब भी थोड़ा टाइट जा रहा था.. पर कुछ देर में आसानी से चला गया.. थोड़ा सा खून निकल आया।

फिर पीछे से उसके मम्मों को दबाते हुए मैं आधा घंटे तक उसको चोदता रहा। इसके बाद निक्की को सीधा चित्त लिटा कर उसके ऊपर से लण्ड को चूत में डाल कर चुदाई करने लगा।

अबकी बार हम दोनों देर तक चुदाई करते रहे। निक्की इस बीच झड़ चुकी थी और मेरा निकल गया था.. पर जोश के कारण पता नहीं चल रहा था।
थोड़ी देर रुक कर निक्की चली गई। उसके जाने के बाद मैं सो गया और सुबह 10 बजे नींद खुली, देखा कि आंटी मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूस रही थीं।
मैंने बन्टी के बारे में पूछा.. तो आंटी बोलीं- वो स्कूल चला गया।

‘और निक्की?’
आंटी बोलीं- निक्की नहा रही है..
‘ओके.. आंटी.. तो मैं भी थोड़ा फ्रेश हो जाता हूँ।’

मैं आंटी को चुम्बन करके सीधे निक्की के कमरे वाले बाथरूम में गया और दरवाजा खटखटा कर अन्दर घुस गया। मैंने निक्की को चुम्बन करके वहीं पर उसे चोदना चालू कर दिया। थोड़ी देर बाद आंटी भी आ गईं। उन दोनों को शॉवर चालू करके मैंने खूब चोदा.. दोनों को शांत कर दिया।
मुझे भी दोनों ने निचोड़ लिया था।

मैं वहाँ काम के सिलसिले में पूरे 2 महीने रुका था और आंटी और निक्की के साथ पूरी अय्याशी की। आते वक़्त आंटी ने मुझे 15 हजार रूपये दिए और मुझे बीच-बीच में आने को बोला।

मैं अब भी वहाँ जाता हूँ और निक्की की शादी तक उसको चोदता रहा और उसके बाद भी उसको चोदता रहा।

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भाबी की चुदाई: ज़िप में फंसा लंड :-------



भाबी की चुदाई कहनी में पढ़ें कि मैं अपनी ससुराल गया हुआ था. वहां मेरा लंड पैंट की ज़िप में मेरा लंड फंस गया. घर में मेरे साले की पत्नी यानि भाबी थी. उसने मेरी मदद की.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम निखिल चौहान है। मैं दिल्ली में रह रहा हूं और मैं गुड़गांव में एक ऑटोमोबाइल कंपनी में एक मैकेनिकल इंजीनियर के रूप में काम करता हूं. मेरी उम्र 28 वर्ष है रंग साफ सुथरा व हाइट 6 फुट 1 इंच है. मेरा बदन जिम जाने के कारण काफी आकर्षक है।

यह एक बिल्कुल सच्ची घटना है जिसे मैं नहीं चाहते हुए भी लिखने को मजबूर हूँ.
मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और मैं भी अपने उन तमाम यादगार पलों में से एक अनमोल और जीवन की पहली आपबीती आपके सामने लाने को विवश हो गया हूँ।

बात तब की है जब मेरी उम्र 27 वर्ष थी उस समय मेरी शादी को 2 वर्ष हो चुके थे। मेरी ससुराल मेरठ में है. मेरी कंपनी में जनवरी के महीने में 3 दिन की छुट्टी थी तो मैं अपनी बीवी को लेकर छुट्टियां बिताने के लिए अपनी ससुराल चला गया।

मेरी ससुराल वाली फैमिली में मेरे सास-ससुर, बूढ़ी दादी और मेरा इकलौता साला अपनी बीवी के साथ रहता हैं। साले की शादी मेरी शादी से 4 साल पहले हो चुकी थी। उनकी एक छोटी बेटी भी थी 2 साल की।
मेरे साले की उम्र 36 वर्ष है और उसका मेरठ में खुद का एक ट्रांसपोर्ट है। वह दिन भर ट्रांसपोर्ट में ऑफिस में काम करता है और कभी कभी उसको कुछ दिनों के लिए बाहर भी जाना पड़ता है।
वह अक्सर बहुत ज्यादा बिजी रहता है इसके साथ-साथ उसको शराब पीने की बहुत बुरी लत है। वह सुबह उठकर भी शराब पीता है। और रात को भी शराब पीकर ही घर वापस लौटता है।

उसकी इस बुरी आदत से घर में सब लोग परेशान हैं. शराब की वजह से उसका शरीर बहुत कमजोर हो गया है, उसको लीवर की प्रॉब्लम भी है। उसको एक बार पीलिया भी हो चुका है। लेकिन वह शराब पीने से कभी बाज नहीं आता है।

घर में सीमा भाबी भी इसकी वजह से बहुत परेशान रहती थी। अक्सर उन दोनों में बहुत ज्यादा लड़ाई हो जाती है। कभी-कभी मैं यह सोचता था कि भाबी अपने तन की जरूरतें कैसे पूरा करती होगी क्योंकि भैया के शरीर का इतना बुरा हाल था. उनको देखकर लगता था कि अब वे बूढ़े हो गए हैं.

भाबी जी हर वक्त परेशान रहती थी इसकी वजह शायद यह थी कि उनको कभी शारीरिक सुख की संतुष्टि मिली ही नहीं। सीमा भाबी अभी एकदम जवान है। उनकी उम्र 32 साल है। भाबी दिखने में बहुत ज्यादा सुंदर है। उनकी हाइट करीब 5 फुट 7 इंच है। उनका रंग साफ सुथरा गोरा चिट्टा है और उनकी फिगर 38-26-38 है।

भैया के मुकाबले भाबी बहुत ज्यादा सुंदर हैं। भाबी जब कभी भी पटियाला सलवार और टाइट कुर्ता पहनती है तो एकदम गजब माल लगती हैं। भाबी की मेरी बीवी के साथ बहुत अच्छी ट्यूनिंग है, हम दोनों में खूब पटती है. जब भी मेरी ऑफिस की छुट्टी होती है तो भाबी हमेशा फोन करके हमें अपने पास बुला लेती हैं।

उस दिन भी सुबह ही मैं अपनी बीवी को लेकर अपनी गाड़ी से मेरठ के लिए निकल गया। जैसे ही हम घर पहुंचे तो वहां पर एक खुशी का माहौल छा गया।

हम सब लोग बैठ गए और बातें करने लगे। फिर भाबी हमारे लिए गर्मागर्म चाय और पकौड़ी बनाकर लाई। फिर हमने दोपहर का खाना खाया और आराम करने लगे।

मेरे ससुर का मकान काफी अच्छा बना हुआ है। उसमें तीन कमरे नीचे के फ्लोर में है और दो कमरे ऊपर के फ्लोर में है।

मैं बचपन से काफी शर्मीले स्वभाव का हूं इसलिए ससुराल में भी किसी से ज्यादा बातचीत नहीं करता। और मैं ऊपर मेहमान वाले कमरे में जाकर लेट गया।

मैं अक्सर भाबी की सुंदरता के बारे में सोचता रहता था लेकिन मैंने उनको कभी गलत निगाह से नहीं देखा। भाबी भी मुझसे बहुत ज्यादा खुली हुई नहीं थी और वह मुझसे हल्का-फुल्का मजाक कर लेती थी।

शाम के 4:00 बजे थे। उस दिन मेरा साला अपने मामा के यहां जाने वाला था। क्योंकि उसके मामा के लड़के का 2 दिन पहले बाइक से एक्सीडेंट हो गया था। उसको काफी गंभीर चोट आई थी। उसको देखने के लिए मेरे सास-ससुर और साथ में मेरी बीवी भी जाने को तैयार हो गई।

अब घर में केवल मैं, सीमा भाबी, बूढ़ी दादी और भाबी की 2 साल की छोटी बेटी ही बचे। मामा का गांव वहां से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर था। तो वह लोग एक रात वहां पर रुक कर अगले दिन शाम तक वापस आने वाले थे।

कुछ देर बाद वे लोग मामा के गांव के लिए रवाना हो गए। उनके जाने के बाद मैं और भाबी, दादी के साथ टीवी देखने लगे और बातचीत करने लगे।

कुछ देर बाद भाबी उठकर किचन में चली गई और अपना रसोई का काम निपटाने लगी। मैं भी कुछ देर तक टीवी देखता रहा उसके बाद में ऊपर अपने कमरे में चला गया।

मुझे उस वक्त बहुत तेज पेशाब आ रहा था तो मैं पेशाब करने के लिए ऊपर कमरे में अटैच टॉयलेट में पेशाब करने चला गया। मैंने बाथरूम का दरवाज बंद नहीं किया था.

जब मैं पेशाब कर रहा था तो उसी वक्त मुझे सीमा भाबी के पैरों की पायल की आवाज सुनाई दी। शायद सीमा भाबी किसी काम से ऊपर कमरे में आ रही थी।

मैंने जल्दी-जल्दी में पेशाब किया और इस डर की वजह से कि कहीं भाबी कमरे में ना आ जाए क्योंकि बाथरूम का गेट खुला हुआ था तो मैंने जल्दी ही अचानक से जींस की चैन को ऊपर खींच दिया।
इस गलती की वजह से मेरे लंड के निचले हिस्से की खाल चैन में बुरी तरह से फंस गई। क्योंकि जल्दी जल्दी के चक्कर में मैं लंड पैंट के अंदर करना भूल गया था। मैंने चैन को नीचे करना चाहा लेकिन वह खाल में बुरी तरह से अंदर धंसी हुई थी। मुझे बहुत दर्द हो रहा था और थोड़ा खून भी निकल रहा था. मेरे हाथ की उंगली में व जींस पर थोड़ा सा खून लग गया था।।
और उधर भाबी कमरे के अंदर घुस गई थी।

उन्होंने कमरे में अंदर घुसकर मुझे आवाज लगाई। मैं तुरंत बाथरूम के दरवाजे के पीछे हो गया। मैंने भाबी से कहा- कुछ देर रुको, मैं अभी आता हूं।
तो भाबी ने सोचा शायद मैं बाथरूम यूज कर रहा हूं. इसलिए भाबी वहीं बैठ गई और मेरे आने का इंतजार करने लगी।

और इधर में लंड को ज़िप से छुड़ाने की कोशिश करने लगा. लेकिन लंड की खाल चैन से नहीं निकल पा रही थी।

दोस्तो, मेरे लंड की लंबाई और मोटाई गॉड गिफ्ट है, मेरे लंड की लंबाई 8 इंच है और मोटाई साढे़ 5 इंच है। मेरी बीवी हमेशा मेरे लंड की चुदाई की कायल रहती है। मेरी बीवी मेरे मोटे और लंबे लंड से बहुत प्यार करती है वह मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसती भी है और उसकी तेल से मालिश भी करती है। कभी कभी रात को सोते समय हाथ में पकड़ कर भी सोती है और कभी कभी अपने दोनों चूतड़ों के बीच की दरार में घुसा कर सोती है।

मुझे भी अक्सर ऐसे ही सोने में मजा आता है और मैं रात को ज्यादातर अंडरवियर निकाल कर ही सोता हूं। मेरी बीवी ने मुझे कई बार बताया है कि सीमा भाबी हम दोनों की सेक्स लाइफ कैसी चल रही है के बारे में अक्सर पूछती रहती है। और मेरी बीवी हमेशा यही जवाब देती है कि हम दोनों की सेक्स लाइफ बहुत मस्त चल रही है।

खैर, अब आगे … 5 मिनट और लगातार कोशिश करने के बाद भी मेरे लंड से पैंट की चैन अलग नहीं हुई तो फिर से भाबी की आवाज आई- निखिल, क्या हुआ? बहुत टाइम लग रहा है. दरअसल मुझे तुमसे किचन के लिए बाजार से कुछ सामान मंगवाना था अभी और कितना टाइम लगेगा?
मैं बोला- भाबी बस अभी निकल ही रहा हूं।

और इधर मेरी बुरी हालत हो रही थी. मैं नीचे झुक कर देखता तो कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था कि लंड के नीचे खाल किस जगह और कैसे फंसी हुई है.

आखिरकार मैंने यह तय किया कि भाबी को अब सब कुछ बता देता हूं। अब सीमा भाबी ही मुझे इस प्रॉब्लम से बाहर निकाल सकती हैं। लेकिन मुझे उनके सामने जाने में और उनसे कहने में शर्म महसूस हो रही थी.

फिर मैंने हिम्मत करके उनसे आखिरकार बोल ही दिया- भाबी मैं अंदर बाथरूम में एक प्रॉब्लम में फंसा हुआ हूं.
भाबी बोली- क्या हुआ? क्या प्रॉब्लम है?

मैंने बाथरूम के अंदर से ही बताया- भाबी जब आप ऊपर आ रही थी तो मैं बाथरूम का दरवाजा खोल कर पेशाब कर रहा था. जब मुझे आपके आने की आवाज सुनाई दी तो मैं जल्दी में अपनी चैन बंद करने लगा. और मेरा यह हथियार चैन में बुरी तरह से फंस गया, अब निकल भी नहीं रहा है और थोड़ा सा खून भी निकल रहा है।

यह सुनकर भाबी पहले तो थोड़ा सा हंसी और फिर बोली- मैं तुम्हारी कुछ मदद करूं क्या?
मैं बोला- भाबी अब आप ही इस प्रॉब्लम से बाहर निकाल सकती हो!
तो उन्होंने कहा- ठीक है, कोई बात नहीं. अब शर्माओ मत और तुम अंदर कमरे में आ जाओ।

मैं एक हाथ से अपनी पैंट को पकड़कर और एक हाथ से अपना लंड पकड़ कर कमरे में जैसे ही दाखिल हुआ तो भाबी की नजर तुरंत मेरे लंड पर गई वह देखकर एकदम से चौंक गई और बोली- हाय राम … कितना खून निकल रहा है!
मेरी हाथ भी खून से सना हुआ था और मेरी पैंट पर भी खून के धब्बे लगे हुए थे.

मैं उनके पास जाकर खड़ा हो गया. भाबी मेरे लंड के पास आकर नीचे बैठ गई। मैंने अपने दोनों हाथों से अपनी पैंट को पकड़ लिया जिससे पैंट लंड पर नीचे की तरफ जोर ना डाले.

तभी भाबी ने धीरे से मेरा लंड अपने एक हाथ में पकड़ लिया और दूसरे हाथ से देखने लगी कि खाल कहां फंसी हुई है. भाबी मेरे लंड को बहुत गौर से देख रही थी, वह मेरे लंड का मुआयना कुछ इस प्रकार कर रही थी कि जैसे उसने पहली बार जिंदगी में इतना बड़ा लंड देखा हो. उनकी आंखों में एक अजब सी चमक दिखाई दे रही थी. उनकी सांसें पहले से कुछ ज्यादा तेज हो गई थी.

मेरे लंड पर उनके कोमल हाथों का अहसास मेरे दर्द को एक सुकून में तब्दील कर रहा था.

तभी भाबी ने चैन को पकड़कर खाल से अलग करना चाहा तो मुझे एकदम से बहुत तेज दर्द हुआ और मैं बोला- भाबी धीरे करो प्लीज, दर्द हो रहा है.
तो वह मुस्कुरा कर बोली- क्या तुम्हारे जैसे मर्द को भी कभी दर्द होता है?
मैं बोला- भाबी यह बहुत नाजुक जगह है … और काफी देर से मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
तो भाबी बोली- ओके बाबा … डरो मत, मैं आराम से ही करती हूं.।

तो कुछ देर तक भाबी ने कोशिश करी लेकिन लंड की खाल चैन से नहीं छूटी.

तब भाबी बोली- तुम एक काम करो, तुम यहां बेड पर बैठ जाओ और मुझे तुम्हारे लंड पर सरसों का तेल लगाना पड़ेगा. चिकनाई लगने से यह चैन छूट जाएगी.

मैं बेड पर बैठ गया और भाबी तुरंत तेल लेने के लिए नीचे किचन में चली गई और तुरंत ही भाबी एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर झट से ऊपर आ गई.

सीमा भाबी ने मुझे बेड पर सीधा लेटा दिया फिर उन्होंने अपने एक हाथ पर सरसों का तेल ले लिया और दूसरे हाथ से मेरे लंड के चारों तरफ तेल की मालिश करने लगी. कुछ तेल की बूंदें उन्होंने जहां पर खाल फंसी हुई थी, वहां पर डाल दी.

मेरा पूरा लंड तेल में भीग गया था.

तो फिर उन्होंने थोड़ी कोशिश करी और आखिरकार पैंट की चैन मेरे लंड से अलग हो ही गई. मुझे एक राहत की सांस मिली लेकिन मेरे लंड के निचले हिस्से की खाल से अभी भी खून निकल रहा था।
भाबी बोली- तुम्हारी त्वचा से अभी भी खून निकल रहा है. मैं यहां पर अच्छे से तेल लगा देती हूं.

फिर भाबी मेरे लंड पर ऊपर नीचे हर जगह तेल की मालिश करने लगी. उनके हाथों में गजब का मखमली अहसास था जो मुझे पागल बनाए जा रहा था. अब मेरा लंड फुल कर बेलन का आकार ले चुका था, मेरा लंड एकदम कड़क हो चुका था भाबी एकटक मेरे लंड को देखे जा रही थी. 1 सेकंड के लिए भी उनकी नजरें मेरे लंड से नहीं हट रही थी.

भाबी की सांसें और तेज हो रही थी. बीच बीच में वह मेरे लंड को दबा भी रही थी अपने हाथों की मुट्ठी में भर कर वह मेरे लंड को भींच देती थी। लेकिन लंड से अभी भी थोड़ा थोड़ा खून निकल रहा था.
तो भाबी बोली- निखिल, मैं इसके निचले हिस्से पर अभी पट्टी बांध देती हूं जिससे खून रुक जाएगा. रात को सोते समय तुम पट्टी खोल देना.
मैंने कहा- ठीक है भाबी!

तभी भाबी अपने रूम से थोड़ी सी रुई और एक पट्टी लेकर आ गई। उन्होंने मेरे लंड के चारों तरफ रूई लगाकर ऊपर से पट्टी बांधी और बोली- घबराने की कोई बात नहीं, तुम कुछ देर यहीं आराम करो. मैं तब तक खाना बना लेती हूं. कुछ देर बाद तुम खाना खाने नीचे आ जाना. और आज अंडरवियर मत पहनना केवल लोवर ही पहन लेना।

यह कहकर वह नीचे चली गई.

मैं कुछ देर ऐसे ही मदहोशी की हालत में लेटा रहा और भाबी के कोमल हाथों के स्पर्श के बारे में सोचता रहा. मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था. फिर मैंने बिना अंडरवियर के ही लोअर पहन लिया और नीचे जाकर खाना खाया और कुछ देर बाद फिर ऊपर आकर अपने कमरे में लेट गया।

भाबी भी नीचे सारा काम निपटा कर दादी को खाना खिला कर और अपनी छोटी गुड़िया को और अपने आप खाना-वाना खाकर मेरे लिए एक गर्म दूध का गिलास उस में हल्दी डालकर लेकर आई. वे मुझसे बोली- निखिल, यह गर्म दूध पी लो, इसमें हल्दी भी डली हुई है.

और फिर बोली- निखिल, आज मैं भी यही बेड पर सो जाऊंगी क्योंकि तुम्हारी हालत भी ठीक नहीं है. हो सकता है रात को तुम्हें कुछ प्रॉब्लम हो जाए. और वैसे भी मैं अपने कमरे में अकेली ही सोऊंगी। मुझे अकेले नींद भी नहीं आती है, अजीब सा लगता है.
मैं बोला- ठीक है भाबी, जैसी तुम्हारी मर्जी!

उसके बाद वह फिर नीचे चली गई और मैं दूध पीकर लेट गया.

रात को 10:00 बजे सीमा भाबी नीचे का सारा काम निपटा कर छोटी गुड़िया को लेकर ऊपर मेरे कमरे में आ गई. गुड़िया सो रही थी, उन्होंने गुड़िया को दीवार के किनारे वाली साइड की ओर लेटा दिया और बीच में अपने आप आ गई।

उस समय रात को भाबी काले रंग की मुलायम और चमकदार नाइटी पहन कर आई। उस नाइटी को देख कर लग रहा था कि शायद भाबी नाइटी के अंदर ब्रा और पैंटी नहीं पहन रखी थी।
भाबी के दोनों बूब्स और निप्पल नाइटी में दूर से ही साफ नजर आ रहे थे; उनके 38 साइज के गोल गोल हिप्स भी अलग ही दिखाई दे रहे थे.

भाबी कमाल की सेक्सी औरत लग रही थी। उनको देखकर मन कर रहा था की बस उन्हें देखता ही रहूं।

थोड़ी देर मैं और भाबी इधर उधर की बातें करते रहे. फिर भाबी बोली- अब तुम्हारे लंड महाराज कैसे हैं, जरा दिखाओ?
भाबी के मुंह से लंड शब्द सुनते ही मेरे लंड में एक अजीब सी सिरहन दौड़ गई और लंड तुरंत खड़ा होकर एकदम सख्त हो गया।

मैंने लोवर नीचे किया और लंड भाबी को दिखा दिया. भाबी ने धीरे से पट्टी खोल दी और बोली- अब रात में लोवर उतार दो और इसको ऐसे ही खुला छोड़ दो. ऐसे खुला रखने से जख्म जल्दी भरेगा.
मैंने भी तुरंत ही लोवर निकाल दिया।

भाबी ने एक रजाई मुझे दे दी और दूसरी रजाई में खुद और अपनी बिटिया के साथ लेट गई।

सोने से पहले भाबी ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया था और नाइट बल्ब जला दिया था जिससे कमरे में अंधेरा था और बहुत हल्का सा आस पास दिखाई दे रहा था.

सोते समय सीमा भाबी बोली- निखिल अगर रात में कोई प्रॉब्लम हो या किसी चीज की जरूरत पड़े तो मुझे उठा देना.
और गुड नाईट कह कर सो गई।

थोड़ी देर बाद मुझे भी नींद आ गई और मैं भी भाबी के मखमली जिस्म के बारे में सोचते हुए और उनकी ओर करवट लेकर सो गया।

>भाबी ने एक रजाई मुझे दे दी और दूसरी रजाई में खुद और अपनी बिटिया के साथ लेट गई।

सोने से पहले भाबी ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया था और नाइट बल्ब जला दिया था जिससे कमरे में अंधेरा था और बहुत हल्का सा आस पास दिखाई दे रहा था.

सोते समय सीमा भाबी बोली- निखिल अगर रात में कोई प्रॉब्लम हो या किसी चीज की जरूरत पड़े तो मुझे उठा देना.
और गुड नाईट कह कर सो गई।

थोड़ी देर बाद मुझे भी नींद आ गई और मैं भी भाबी के मखमली जिस्म के बारे में सोचते हुए और उनकी ओर करवट लेकर सो गया।< अब आगे की भाबी सेक्स स्टोरी: रात को करीब 2 घंटे बाद मुझे अपनी नंगी जांघों पर कुछ गर्म गर्म सा महसूस हुआ. असल में जब मैं नींद से जगा तो मैंने पाया कि भाबी अपनी रजाई से निकल कर मेरी रजाई में आ गई है. उन्होंने मेरी तरफ अपनी पीठ घुमा रखी थी और उनके दोनों बड़े बड़े चूतड़ मेरी जांघों और मेरे लंड से पूरी तरह से सटे हुए थे. मैंने महसूस किया कि भाबी ने अपनी नाईटी ऊपर उठा रखी थी जिससे उनके चूतड़ एकदम नंगे थे और मेरा लंड तो पहले से ही एकदम नंगा था.

उनकी गांड का मुलायम स्पर्श मिलते ही मेरा लंड फन फना कर लोहे की रोड की तरह सख्त हो कर बुरी तरह से अकड़ चुका था. कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था मुझे कि यह क्या हो रहा है. मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा था कि मैं सीमा भाबी के साथ कभी इस हालात में भी लेटूँगा। मैं यह नहीं सोच पा रहा था कि अब क्या करूं ... या क्या ना करूं. मुझे लगा कि शायद सीमा भाबी गलती से मेरी रजाई में आ गई हो इसलिए मैं थोड़ी देर ऐसे ही चुपचाप लेटा रहा. लेकिन मेरा लंड वह बेताब था वह मेरे बस में नहीं था और सीमा भाबी के कोमल और मुलायम स्पर्श को पाकर मेरा लंड उनकी चूत में घुसने को बेताब था.

उसी टाइम अचानक सीमा भाबी ने अपनी कमर थोड़ी सी हिलाई और मेरा लंड उनकी गांड की दरार में घुसने लगा. फिर थोड़ी देर बाद सीमा भाबी ने अपनी गांड थोड़े पीछे को सरका दी जिससे मेरा लंड और आगे तक उनकी गांड की दरार में सरक गया. मुझे महसूस हुआ कि शायद सीमा भाबी जग रही है और वह जानबूझकर मेरा लंड अपनी चूत में लेना चाहती है. मैंने धीरे से अपना एक हाथ उनके एक कूल्हे पर रख दिया. भाबी थोड़ी देर के लिए रुक गई, उन्हें लगा कि मैं नींद में हूं. तभी मैंने महसूस किया कि भाबी ने मेरा हाथ उठा कर अपने एक स्तन पर रख दिया.

उनके बूब्स एकदम नंगे थे क्योंकि उन्होंने अपनी नाइटी के सामने वाले बटन खोल रखे थे. उनके बूब्स का स्पर्श पाकर मानो मेरे लंड में आग लग गई. तभी मैंने महसूस किया कि भाबी ने चूची पर रखे हुए मेरे हाथ को दबाया और अपनी टांग उठा कर मेरे लंड को दरार में घुसने के लिए जगह बना दी। इस आज़ादी के मिलने से मेरा लंड फनफनाने लगा और भाबी की जाँघों के अंदर की ओर सरकने लगा। तभी मैंने एक और चीज़ महसूस की कि मेरा नंगा लण्ड भाबी की नंगी जांघों के बीच की जगह में घुस रहा था और मैं अपने लंड को रोकने पर भी नहीं रोक पा रहा था।

मैंने, जो हो रहा था, उसे रोकने की कोशिश छोड़ दी और इंतज़ार करने लगा कि आगे क्या होता है। लेकिन मुझे यकीन हो गया था कि आज भाबी सेक्स स्टोरी बन कर रहेगी. कुछ देर के बाद मैंने महसूस किया कि मेरा लंड भाबी की टांगों के बीच में चूत की फांकों के मुँह के पास पहुँच कर रुक गया था। तभी भाबी की टांग हिली और मैंने पाया कि मेरा लंड झट से भाबी की चूत के होटों से चिपक गया था।

मेरे पसीने छुटने लगे थे। उस स्थिति में मैं क्या करूँ, मुझे समझ नहीं आ रहा था इसलिए मैं इंतज़ार करने लगा। कहते हैं कि इंतज़ार का फल मीठा होता है और मुझे जल्द ही महसूस होने लगा कि भाबी भी गर्म हो चुकी थी क्योंकि उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था, जिसकी वजह से मेरा लंड भी गीला होने लगा था। तभी भाबी ने एक और हरकत की और अपने हाथ से मेरे लंड का सुपारा अपनी चूत के मुँह के आगे करके थोड़ा नीचे सरक गई।

बस फिर क्या था, मेरा गर्म लंड भाबी की चूत के अंदर जाने को लपक पड़ा और देखते ही देखते मेरा लंड भाबी की चूत में दो इन्च तक अंदर घुस गया था। तभी भाबी का हाथ मेरे कूल्हे पर पड़ा और उन्होंने मुझे आगे सरकने के लिए दबा कर इशारा किया। फिर क्या था, मुझे तो खुली इजाजत मिल गई थी और मेरा सारा डर भाग गया था। मैं आहिस्ते से हिला और आगे की ओर सरका, जिससे मेरा लंड भी भाबी की चूत में और आगे घुसने लगा था।

कुछ ही देर में मेरे कुछ धक्कों की वजह से मेरा लंड पूरा का पूरा भाबी की चूत के अंदर घुस गया था। भाबी शायद इतना लंबा और मोटा लंड लेने के लिए बैचन थी इसलिए उसके मुख से जोर से हाएईईई ... निकल गई। मैंने भाबी से आखिरकार बोल ही दिया- कैसा लग रहा है भाबी जान?
भाबी बोली- हाय मेरे राजा ... मेरी चुदाई चालू रखो और तेज धक्के मारो मेरी चूत में।

फिर क्या था, भाबी के मुख से ये शब्द सुनते ही मैं पूरे जोश से चुदाई में पिल गया और तेज तेज धक्के मारने लगा। चूत गीली होने के कारण फच फच की आवाज आ रही थी भाबी की चूत भी गर्म होने लगी थी और उसकी पकड़ लंड पर मज़बूत होती जा रही थी जिससे मेरे लंड को रगड़ भी ज्यादा लग रही थी। भाबी की उम्म्ह ... अहह ... हय ... ओह ... और उंहह्ह ... उंहह ह्ह्ह ... की आवाजें भी तेज होने लगी थी लेकिन मैंने इसकी परवाह किये बिना उनकी चुदाई चालू रखी।

एक समय आया जब भाबी कि चूत एकदम चिकनी हो गई और मुझे लंड अंदर बाहर करने में बहुत मजा आने लगा। तभी भाबी एकदम अकड़ गई और उन्होंने अपनी दोनों टांगें सिकोड़ ली तथा जोर से चिल्ला भी पड़ी- आईईई ... ईईईईए ... मैं समझ गया कि भाबी का पानी छूट गया था।

मैंने उनकी चुदाई थोड़ी और तेज कर दी और तब भाबी ने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया तथा अपने शरीर को मेरे धक्कों के साथ साथ हिलाने लगी। वह जोर जोर से आह्ह ... अह्ह ... उंहह्ह ह्ह्ह ... उम्हह्ह... की आवाजें भी निकालने लगी। अब चुदाई का आनन्द चार गुना हो गया था और मैं इस इंतज़ार में था कि कब मेरा छूटता है।

अगले 5 मिनट तक मैं भाबी को उसी तरह चोदता रहा मुझे अक्सर झड़ने में 30 मिनट लगते हैं.

तभी भाबी बोली- अब तुम नीचे आ जाओ और मैं तुम्हारे लंड पर बैठकर अब तुम्हारी चुदाई करूंगी.
मैंने लंड बाहर निकाला और सीधा लेट गया. भाबी उठकर मेरे लंड पर बैठ गई और अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में डालने लगी. उसके बाद भाबी ने अपनी गांड उठा उठा कर जोर जोर से धक्के मारना चालू कर दिया. वह अपनी गांड बहुत जोर जोर से ऊपर नीचे हिला रही थी. पूरा कमरा फच फच की आवाज से गूंज रहा था.

भाबी धीरे से मेरे कान के पास आकर बोली- मुझे चुदाई करवाए हुए एक अरसा हो गया था. तुम्हारे भैया का तो अब सब कुछ खत्म है. वह तो अब दारू पीने के अलावा और कुछ काम कर ही नहीं सकते. वह तो मुझे ठीक से चोद भी नहीं पाते! मैं हमेशा से ही तुम्हारे बारे में सोचती रहती थी कि पता नहीं कब तुम्हारे लंड से अपनी चूत की प्यास बुझा पाऊंगी. और फिर जब आज मैंने देखा कि तुम्हारा लंड तो मेरे पति के लंड से कहीं ज्यादा लंबा और मोटा और ताकतवर है. तो मैं अपने होश खो बैठी. निखिल प्लीज मुझसे एक वादा करो कि तुम हमेशा मुझे बीच बीच में टाइम निकालकर ऐसे ही चोदने आते रहोगे. अगर मुझे तुम्हारा लंड नहीं मिला तो मैं मर जाऊंगी.
अब मैं तुम्हारे लंड के बिना नहीं रह सकती. तुमने आज मेरे सारे सपने पूरे कर दिए हैं.

इसी बीच वो कहने लगी- अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ! मैं उनके ऊपर आकर उनकी चूत मारने लगा और मैं भी बोला- भाबी, मुझे भी तुम शुरू से ही बहुत ज्यादा पसंद थी. लेकिन मैं कभी तुमसे कुछ बोल नहीं पाता था. मुझे भी तुम्हारी चूत मार कर आज बहुत ज्यादा मजा आया है. एक परम आनंद की अनुभूति हुई है. मैं भी तुम्हें हमेशा चोदता रहूंगा.

उन्होंने अपना एक स्तन पकड़कर उसका चूचुक मेरे मुंह में डाल दिया. फिर कुछ देर चूची चुस्वाने के बाद उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी. उनकी चूत में मेरे लंड की स्पीड और तेज हो गई. इतना मजा आ रहा था कि बयां करना मुश्किल है.
भाबी बोली- निखिल, तुम्हारे मोटे और लंबे लंड की कीमत एक औरत ही जानती है.

जब मुझे लगा कि मेरा भी वीर्य छूटने वाला था,
तब मैंने भाबी से पूछा--- भाबी क्या मैं अपना वीर्य चूत के अंदर छोड़ूँ या बाहर निकालूँ?

भाबी ने जवाब दिया- यार, अंदर ही छोड़ दो डरो मत कुछ नही होगा ।
बस फिर क्या था, मैंने भी भाबी की चुदाई फुल स्पीड से करनी शुरू कर दी और जैसे ही भाबी अकड़ कर आईईई ... ईईईईए ... आईईईए ... करती हुई छूटी, मैंने भी भाबी की प्यारी सी चूत के अंदर अपनी पिचकारी चला दी।
वह पिचकारी इतनी चली और चलती ही गई कि मैं खुद हैरान हो गया था कि मेरे अंदर इंतना रस कहाँ से आ गया था जो मैं आज तक भी समझ न पाया। हम दोनों के छूटने का समय ने बहुत ही मेल खाया था और उस समय मैंने अपने जीवन का सबसे बड़ा आनन्द महसूस किया था। मैं इस आनन्द की अनुभूति भाबी के मुख पर भी देख रहा था.

मैंने भाबी को चूमते हुए धीरे से कहा- आपने मुझे आज वो प्यार दिया है जो मुझे पहले कभी नहीं मिला.
भाबी बोली- निखिल, यह प्यार में तुम्हें हमेशा ऐसे ही देती रहूंगी. बस तुम हमेशा मुझे ऐसे ही चोदते रहो.


उसके बाद हमने एक घंटा रेस्ट किया और मैंने फिर भाबी की चूत मारी. फिर हम लोग सो गए. सुबह 5:00 बजे भाबी की आंख खुली. भाबी नहाने के लिए बाथरूम में घुसी तो उनके पीछे पीछे मैं भी बाथरूम में चला गया. मैंने भाबी के बूब्स चूसने शुरू कर दिया. भाबी मेरा लंड हाथ में पकड़ कर हिलाने लगी. मेरा लंड खड़ा होकर चूत में घुसने को बेकरार था. फिर भाबी ने नीचे बैठकर मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और उसको जोर जोर से चूसने लगी. फिर मैंने भाबी को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और पीछे से उनकी चूत नीचे बैठकर चाटने लगा. मुझे बड़ा मजा आ रहा था. भाबी के मुंह से उम्म्ह ... अहह ... हय ... ओह ... की सिसकारियां निकल रही थी.

उसके बाद मैंने भाबी की चूत में खड़े खड़े ही पीछे से लंड पेल दिया. मैं खूब जोर जोर से भाबी की चूत में धक्के लगा रहा था. भाबी भी मेरे कूल्हे पकड़ कर अपनी गांड आगे पीछे कर रही थी मानो मुझसे कह रही थी कि बस उसे ऐसे ही चोदते जाओ. और फिर दोबारा मैंने भाबी की चूत में वीर्य गिरा दिया. फिर भाबी और मैं नहा कर नीचे चले गए. शाम को घर के सब लोग भी वापस आने वाले थे इसलिए उनके आने से पहले हमने एक बार और ऊपर कमरे में आकर चुदाई कर ली। भाबी अब बहुत खुश नजर आ रही थी. मैं भी भाबी की चुदाई करके मन ही मन बहुत खुश था. मुझे अब जब भी टाइम मिलता है, मैं भाबी की चुदाई करने पहुंच जाता हूं.

End
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#9
महिला अधिकारी और उसकी शादीशुदा सहेली :----


कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपना परिचय दे दूँ। मैं एक 28 साल का कुवांरा बंदा हूँ, नाम लव है। पेशे से मैं सरकारी नौकरी में मैनेजर के पद पर कार्य कर रहा हूँ। दिखने में, ऐसा कहते हैं कि, मैं आज भी 20 साल के कॉलेज गोइंग स्टुडेंट की तरह नजर आता हूँ।मेरी हाईट 6 फ़ुट है, एक दिन जिज्ञासावश मैंने अपना लंड नापा तो वो 18 सेमी का था।

मुझे निरीक्षण के सिलसिले में एक तालुका में जाना पड़ा। वहाँ उस अवसर पर बहुत से बड़े अधिकारियों का आगमन हुआ।

जब हमें समझाने के लिए वहाँ की अधीक्षक आई तो मैं देख कर दंग रह गया, उसकी उम्र करीब 40 साल की रही होगी, उसने मस्त सा टॉप तथा स्किन टच सलेक्स पहने हुए थे। मैं उसके सलेक्स को देखते ही उसकी जांघों में खो गया।

भाई एक बात तो है, अगर जांघें मस्त हों तो आप उसमें छुपी हुई चूत का अंदाज़ लगा सकते हैं कि वो कितनी जबरदस्त होगी।

बात करने पर पता चला कि वो शादीशुदा नहीं थी। हम मीटिंग्स ख़त्म करने के बाद लंच के लिए साथ बैठे तो वो बोली कि वो मेरे विचारो से बहुत प्रभावित हुई है और मुझसे कभी अकेले में समय लेकर तालुका स्तर पर सुविधाएँ बढ़ाने के लिए विस्तृत चर्चा करना चाहेगी।

थोड़े समय बाद ही वो मेरे कमरे में दो और महिलाओं के साथ आई और मेरा परिचय करवाया। वो दोनों महिलायें भी उस तालुका में ही अधिकारी थी। उनमें से एक को देखते ही लंड महाराज ने अपनी निद्रा तोड़ ली। उसकी जांघें पहली वाली से भी क़यामत थी, उम्र भी करीब 35-40 के बीच होगी।

मेरा मानना है कि सेक्स का असली मजा इन उम्र वाली महिलाओं के साथ ही आता है क्योंकि इनका अनुभव और मांसल बदन सेक्स का मजा दोगुना कर देता है या यूँ कहें कि आग में पेट्रोल का काम करता है। इन मैडम की एक ख़ास बात और थी वो यह कि यह करीब 5 फ़ुट की हाईट की थी, वहीं पहले वाली मैडम की हाईट लगभग साढ़े पाँच फ़ुट के करीब होगी। छोटी हाईट की महिलाओं के साथ जब आप सेक्स करते हैं तो जो उनके दोनों पैर आपके कमर पर लिपटने के बाद जो उनके पैरों से धक्के लगते हैं उसका मजा इतना होता है कि आप सोचेंगे की उम्र बस इस चूत में ही गुजर जाये।

खैर मैंने उन्हें अपना फ़ोन नंबर दिया और वापस आ गया।

दो दिन बाद ही अधीक्षक मैडम का फ़ोन आया, बोली कि उन्हें कुछ तकनीकी मुद्दों पर चर्चा करनी है और पार्टी भी देनी है तो मुझे रविवार को बुला लिया।

मैं वहाँ पहुँचा तो देखा ऑफिस तो बंद है और मोबाइल भी बंद है। थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद मुझे मैडम की वही मस्त वाली दोस्त नजर आई। मैं सोच में पड़ गया और सच बोलूँ तो मुझे अंदाज़ा भी नहीं था कि जिसके साथ सेक्स करने को सोच कर मैं कितनी बार हस्त मैथुन कर चुका हूँ वो खुद इस मंसूबे से ही मेरे पास होगी।

मैंने उन्हें नमस्ते की और बोला- मैडम, आपकी सखी ने मुझे मार्गदर्शन के लिए बुलाया है।

तो वो बोली- आज सन्डे है और मैडम आज अपने फ्लैट पर ही हैं और तुम्हें लेने मुझे भेजा है।

मैंने उनका नाम पूछा तो उन्होंने हेतल बताया (काल्पनिक नाम)। रास्ते में वो मुझे अपने बारे में बताती रही और मैं अपने बारे में उन्हें बताता रहा।

बातों ही बातों में पता चला कि उनके पति को इरेक्टाइल डिसफंक्शन नामक बीमारी है। मैं इस बीमारी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जनता था मगर यह जानता था कि यह मर्दों की बीमारी है। फिर मैंने मैडम के बारे में पूछा तो हेतल ने बताया कि मैडम का नाम अनुभूति देसाई है।

मैंने पूछा- अनुभूति जी के पति क्या करते हैं?
तो वो बोली- उनकी शादी नहीं हुई।

कारण पूछने पर पता चला कि उनके कुंडली में दोष होने के कारण उन्हें शुरुआत मैं कोई लड़का नहीं मिला फिर 35 साल निकल जाने के बाद उन्होंने शादी नहीं करने का फैसला किया। मैं सोच में पड़ गया तो मेरा ध्यान तोड़ते हुई हेतल बोली- तुम्हारी शादी नहीं हुई क्या?

मैंने कहा- मुझे अब तक कोई मिली नहीं और मैं जीवन को अपने तरीके से जीना चाहता हूँ।
वो बोली- मतलब?

मैंने खुले विचारों को दर्शाते हुए कहा- मैं जिन्दगी को एक यात्रा समझता हूँ और यात्रा का मतलब है चलते जाना न कि किसी को साथ में रख लेना। इसलिए मैं हर जगह को एन्जॉय करना चाहता हूँ और हर किसी से वही रिलेशन बनाना चाहता हूँ जो वो मुझसे बनाना चाहती हो।
हेतल अचानक बोली- तो तुम मेरी हेल्प करोगे?
मैंने कहा- जी जरूर! इतनी दूर तुम्हारी हेल्प करने ही तो आया हूँ!
वो बोली- ऐसा नहीं है, मैंने तुम्हें अपने पति की बीमारी के बारे में बताया, तुम मेरी मदद करोगे या नहीं?

मैं तब तक कुछ नहीं समझा था और बोल दिया- मैं आपसे वादा करता हूँ कि जो कुछ मैं कर सकता हूँ आपके लिए जरूर करूँगा।

वो बोली- तो ठीक है, अनुभूति से बाद में मिल लेंगे, अभी मेरे फ्लैट पर चलते हैं, आप फ्रेश हो जाना, फिर अगर चाहेंगे तो अनु को यहीं मेरे फ्लैट पर बुला लेंगे, सन्डे को मेरे पति एक आश्रम में जाते हैं और वहाँ से देर रात तक आते हैं तो डिस्कशन भी हो जायेगा, अनुभूति को मैं कॉल भी कर दूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।

उनके फ्लैट पर पहुँचने के बाद वो मुझे कमरे में छोड़ कर दूसरे कमरे में चली गई। मैं समझ नहीं पा रहा था, फिर बाथरूम जाकर फ्रेश होकर बेडरूम में टीवी देखने लग गया। तभी मुझे दूसरे कमरे से आवाज आई- आप यहीं आ जाइए, उस कमरे में एयर कंडिशनर नहीं है।

मैं दूसरे कमरे में गया तो वो गुलाबी साड़ी में बैठी थी, मैंने कहा- आपने कपड़े चेंज कर लिए?
तो बोली- हाँ!
और जाकर कमरे का दरवाज़ा लोक कर दिया।

मैंने कहा- क्या हुआ?
तो बोली- एयर कंडिशनर चालू है ना, इसलिए।
मैंने पूछा- अनुभूति को कॉल किया?

तो वो बोली- अनुभूति के पापा बाहर जा रहे हैं, वो उन्हें सी ऑफ करने गई है, इसलिए मैं आपको लेने आई थी और वो 3-4 घंटे बाद ही आ पाएंगी। आपको बुरा न लगे इसलिए मैं आपको यहाँ ले आई, आप यहाँ आराम कर लीजिये।

ऐसा बोल कर वो सोफे पर लेट गई और मैं बेड पर।

हम बातें करने लगे तो बातों ही बातों में हेतल ने कहा- इरेक्टाइल डिसफंक्शन का मतलब होता है कि उनका प्राइवेट अंग उत्तेजना के समय खड़ा नहीं हो पाता है।

मैं बोला- इसमें मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?
तो वो बोली- आपको क्या लगता है? मैं कितने दिनों से परेशान हूँ।
मैं बोला- बताओ कब से?
वो बोली- पिछले दो सालो से मैंने उनके साथ कुछ नहीं किया है।

ऐसा बोल कर वो रुआंसी सी होकर जाने लगी तो मैं बोला- हेतल, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं तुम्हारी मदद कैसे करूँ?
इतने में वो मेरे बेड के पास आकर बोली- क्या आप मेरे साथ…?
मैं अधूरे में ही समझ गया और बोला- मुझे कोई दिक्कत नहीं है, मगर क्या यह सच में मदद है?
तो वो मेरे सीने पर अपना सर रख कर बोली- चुप हो जाओ, बस मुझे संतुष्ट कर दो।

मैं आगे बढ़ता, इससे पहले उसने मेरी पेंट की जिप खोल कर मेरा लंड निकाल लिया।
मैं अपना आपा खो चुका था और तुरंत ही उसका ब्लाऊज खोल दिया, उसने ब्रा नहीं पहनी थी।
वो मेरा लंड मुँह में लेकर चूसती गई और मुझे लगने लगा कि मैं वाकई जन्नत में हूँ।

मैं आपको बता दूँ कि जब मैंने पहले बार उसको मीटिंग में देखा था तब हेतल की जांघें देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया था और अब वो मेरा लण्ड चूस रही थी।
मैंने तुरंत उससे कहा- साड़ी उतारो!
तो उसने साड़ी अलग कर दी, फिर मैंने उसका पेटेकोट का नाड़ा भी खोल दिया और अपना एक हाथ धीरे-धीरे उसके पेट से फिराते हुए उसके पेटीकोट के अंदर डाल दिया और उसकी जांघों को सहलाने लगा, फिर उसका पेटीकोट उतार दिया, पेंटी भी उसने नहीं पहनी थी।

उसका पेटीकोट खोलते ही मुझे जन्नत के दर्शन हो गए, उसकी चूत पर कोई बाल नहीं था, गोरी गोरी जांघों के बीच कॉफ़ी कलर की चूत देखते ही लगा मानो सारी तमन्नाएँ पूरी हो गई हों और मन ही मन मैं लंड से बोला- बेटा आज तो तू गया।

मैंने हेतल से कहा- एक मिनट रुको।और अपने आपको पूरा नंगा करके उसे पलंग पर लिटा दिया और सीधा अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया। जैसे जैसे मेरी जीभ उसकी चूत के छल्लों को चाटते हुए चूत के अन्दर गुलाबी वाले हिस्से में गई, हेतल के मुँह से सिसकारियों का सैलाब आ गया- उह्ह आह आःह्ह ऊई उई ईई हुम्म्म अह्ह्ह्ह बस बस प्लीज़ ओह ह ह्ह्ह्हह! डाल दो न प्लीज़ लव! मर जाऊँगी ईई ईई म्म्म्मआःह्ह्ह ह्हआः ह्हआःह्ह जल्दी करो।

मगर मैं तो उसकी चूत से निकलने वाले रस को पीने में मस्त था, उसकी चूत से इतना रस निकला कि पूरा गद्दा चूत के नीचे से भीग गया था।

यह आलम तो तब था जब मैं उसका पानी चाट चाट के पी रहा था।

फ़िर मैंने अपना लंड जो उसकी लार से गीला था, उसकी चूत पर रगड़ा और हल्का सा सेट सा किया कि गपप्पप की आवाज़ के साथ पूरा अन्दर घुस गया।

कमाल की बात यह है कि अब तक मैंने उसके होठों को छुआ भी नहीं था और अब होंठों को चूसने का काम शुरू हुआ भी तो लंड के चूत-ए-जन्नत में जाने के बाद!

थोड़ी देर तक मैं लंड अन्दर डाल कर उसकी चूत की गर्मी का एहसास करता रहा और उसे मेरे लंड का एहसास करवाता रहा। लंड को अन्दर रखते हुए मैं उसके चुचूकों के चारों तरफ ऊँगलियाँ गोल गोल घुमाता रहा और वो पागलों की तरह मस्त होकर बोलने लगी- अब और मत तड़पाओ, फाड़ दो इसे! इस लायक भी मत छोड़ो कि तुम्हारे सिवा किसी का लंड ले पाए! चोद चोद के सूजा दो इसे।

दोस्तो, सच कह रहा हूँ कि चुदाई का मजा जो सूकून से करने में है वो दुनिया की कोई चीज़ में नहीं।मैं धीरे धीरे लंड बाहर निकलता फिर चूत पर रगड़ता हुआ अन्दर तक पेल देता।

कोई कहता है कि बड़े लंड से औरत की फट जाती है! यारों जब मजे का दर्द हो तो मजा और ही होता है यहाँ तो मेरा मजा दोगुना हो गया जब वो बोलने लगी कि तुम्हारा वाकई बहुत बड़ा है और उस वक़्त लगता है कि लंड कितना ही बड़ा क्यों न हो मजा सिर्फ सुकून से चुदाई में है।

फिर जब मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है तो मैंने लंड बाहर निकाल लिया और धीरे से चूत पर लंड टिकाते हुए बोला- अन्दर निकालूँ या बाहर?

वो बोली- आज तो इस पानी का मजा चूत को भी जी भर के लेने दो, मैं पिल खा लूँगी।

सुनते ही मैंने उसकी कमर के नीचे दो तकिये लगाये और झटके से लंड चूत में पेल कर धक्के लगाने लगा। उसकी नाभि के पास बार बार बल पड़ रहे थे और साथ ही वो आगे की तरफ धक्के मार कर यह बताना चाह रही थी कि बस एक इंच भी बाहर मत रखो, पूरा अन्दर डाल दो।

खैर तेज़ झटकों के साथ मैंने पूरे का पूरा पानी उसकी चूत में डाल दिया, फिर उसके ऊपर यूँ ही पसर गया।

मैंने पूछा- तुम संतुष्ट हो ना?
तो वो बोली- मैं दो बार फ्री हुई हूँ।

मैंने उसे बोला- तुम बाथरूम जाकर साफ कर आओ, फिर से एक राऊँड लगायेंगे।

सच बोलूँ तो सबसे लम्बा राऊँड दूसरा राऊँड ही होता है लेकिन अगर सुकून से करो तो पहला राऊँड भी काफी लम्बा हो जाता है, हम अक्सर जल्दबाज़ी के चक्कर में मजा खो देते हैं और अगर सुकून से करो तो फटी हुई चूत भी आपको जन्नत का मजा दे सकती है।
फिर वो बाथरूम जाकर वापस आई तो बोली- थोड़ी देर आराम करते हैं, फिर अनुभूति के आने से पहले एक राऊँड और लगा देना प्लीज़।

खैर तेज़ झटकों के साथ मैंने पूरे का पूरा पानी उसकी चूत में डाल दिया, फिर उसके ऊपर यूँ ही पसर गया।
मैंने पूछा- तुम संतुष्ट हो ना?
तो वो बोली- मैं दो बार फ्री हुई हूँ।

मैंने उसे बोला- तुम बाथरूम जाकर साफ कर आओ, फिर से एक राऊँड लगायेंगे।

सच बोलूँ तो सबसे लम्बा राऊँड दूसरा राऊँड ही होता है लेकिन अगर सुकून से करो तो पहला राऊँड भी काफी लम्बा हो जाता है, हम अक्सर जल्दबाज़ी के चक्कर में मजा खो देते हैं और अगर सुकून से करो तो फटी हुई चूत भी आपको जन्नत का मजा दे सकती है।

फिर वो बाथरूम जाकर वापस आई तो बोली- थोड़ी देर आराम करते हैं, फिर अनुभूति के आने से पहले एक राऊँड और लगा देना प्लीज़।

मैंने उसे कहा- जब तुम्हारी दो साल में इतनी चुदासी सी हालत हो गई है तो बिना चुदे अनुभूति की क्या हालत होगी।

तो हेतल बोली- तुम अनुभूति के साथ भी कुछ पल बिता सकते हो, ठीक ऐसे अन्तरंग पल जैसे मेरे साथ बिताये हैं। हम दोनों एक दूसरे की प्यास आपस में ही मिटाती हैं। पहले हम दोनों अहमदाबाद में रहती थी तो एक लड़का था जिसे हम कुछ पैसे दिया करते थे, वह आकर हर एक दिन हम दोनों को संतुष्ट कर जाता था पर पिछले एक साल से हम अहमदाबाद से 500 किमी दूर हैं और यहाँ किसी पर भरोसा नहीं कर सकते। आपको देख कर लगा कि बस अब तड़पना काम हो जायेगा।

मैं सुनता रहा फ़िर पूछा- अनुभूति की शादी नहीं हुई और वो खेली खायी लगती है?

तो वो बोली- करना पड़ता है लव, 4 दिन नहीं करोगे, 5 दिन नहीं करोगे, आखिर इच्छा तो होती ही है और उम्र भी इतनी है कि बस नैतिकता जैसी बातें बेकार सी लगती हैं।

मैंने कहा- ठीक है, मैं उन्हें भी चोदूँगा, उनके घर आज रात मेरे रुकने का बंदोबस्त कर दो, शाम तक तुम्हें चोदता हूँ, रात को उन्हें चोद लूँगा। क्या करें साहब, लंड है कि मानता नहीं।

ऐसा सुन कर वो कमरे से बाहर गई और दस मिनट बाद लौटी, कहने लगी- अनुभूति से बात हो गई है, उनके पापा भी आज बाहर गए हैं तो रात आप उनके फ्लैट पर ही रुक जाना!

मैं अनकही बात को समझने लगा था, मैंने कहा- ठीक है, अब मेरा लंड फिर से तैयार हो गया है, चलो आ जाओ।

अबकी बार मैंने उससे पूछा- तुम्हारे फ्रिज में कुछ ठंडा सा है?
तो वो बोली- तुम ही देख लो।

मैं हेतल को जन्नत दिखाने का वादा करते हुए खड़ा हुआ और फ्रिज से दही, कुल्फी, जैम और चोकलेट सीरप ले आया।

हेतल बोली- क्या मूड है लव?
मैंने अपने अंदाज़ में कहा- डोंट वरी, किचन नहीं खोलनी तुम्हारी चूत में मुझे। जन्नत में जाने का प्रबंध करने गया था।
फिर उसे बोला- कुछ मत बोलना बस अब महसूस करो।

और उनकी गांड के नीचे दो तकिये लगा कर दोनों टांगें अपने कन्धों पर लेते हुए दो उँगलियों को दही से भर के चूत मैं तब तक दही भरता रहा जब तक कि कॉफ़ी कलर की चूत सफ़ेद न दिखने लगी।

सच बता रहा हूँ ऐसे मूड में जब गोरी गोरी जांघें और उसके बीच भूरी चूत पर लगा सफ़ेद दही ऐसा लग रहा था मानो कोई पेंटर जीवंत पेंटिंग करना चाहता हो।

बहरहाल बकचोदी छोड़ के मुद्दे पर आते हैं, मैंने अपनी जीभ हेतल की चूत पर रख के चाटना शुरू किया। धीरे धीरे जीभ को उसकी चूत और उसके दाने पर रगड़ते हुए मैंने अपनी जीभ हेतल की चूत पर रख के चाटना शुरू किया। धीरे धीरे जीभ को उसकी चूत और उसके दाने पर रगड़ते हुए दही को अपनी जुबान से चाटने लगा, सच बता रहा हूँ आपको, दही का स्वाद मानो हज़ार गुना बढ़ गया हो और थोड़ी देर बाद जब उसकी सिसकारियों के साथ चूत से जो पानी का रिसाव चालू हुआ तो अनुभव आप सोच नहीं सकते कि कैसा रहा होगा। जब उसके पानी का रिसाव दही मैं मिक्स हो रहा था और मैं और ज्यादा मजे से चाटने लगा तो वो स्वाद मैं आपको बयाँ नहीं कर सकता। बस ऐसा लग रहा था कि दही में कोई नमकीन शरबत घोल कर चाटने को दे रहा हो।

वो इस दही की चटाई में ही दो बार झड़ चुकी थी और मैं था कि उस एहसास का अनुभव करना चाहता था जब औरत की चूत का सारा दम निकल जाये और हमारा सब्र तब भी जिन्दा हो ताकि सुकून से चुदाई का मजा लिया जा सके।

फिर मैंने जैम को उसकी चूत पर अच्छे लगा कर कुल्फी जो फ्रिज से हाल ही में निकाल के लाया था उसकी चूत में घुसाने लगा, चूत की गर्मी को कुल्फी की ठंडक से शांत करने के लिए 30 सेकिंड कुल्फी चूत में डालता और जब ठंडी ठंडी कुल्फी गरम गरम चूत में जाकर पिघलती तो उसे जीभ से अन्दर तक डाल कर चाटने लगता। पूरी कुल्फी और जैम मैंने चाट चाट के समाप्त कर दिए और हेतल की हालत ऐसी हो गई कि किसी ने चूत की गहराई में छिपा हुआ पानी का एक-एक कतरा निकाल लिया हो। वो मुझ से चुदाई की भीख मांगती रही- जान निकल जायेगी मेरी, प्लीज़ लंड डाल दो अब।

उसकी कमर के झटके पिछले 30 मिनट से लगातार चल रहे थे। फिर मैंने चूतनगरी छोड़ कर बोबों पर निगाहे डाली। बोबों पर चोकलेट सीरप डाल के उन्हें 5 मिनट तक चाटता रहा।

फिर वो बोली- अब मुझमें जान नहीं बची है, जो करना है जल्दी कर लो!

तो मैंने अपना लंड जो इतना भीग चुका था कि किसी लुब्रिकेंट की जरूरत नहीं थी, को चूत पर रखा और चूत जो चाटने की वजह से नर्म होकर गीली हो चुकी थी वो तुरंत ही गप के साथ लंड को पूरा अपने में समां ले गई।

चुदाई के धक्के फिर से लगने लगे। क्योंकि मेरा यह दूसरा राउण्ड था तो मैं लगभग 20 मिनट फिर से सुकून से चुदाई करता रहा और जब पानी निकलने लगा तो उसके मुँह में निकाल दिया। वो भी पानी को इतना ही स्वाद लेकर पी गई जितना स्वाद लेकर मैं उसकी फ़ुद्दी चाट रहा था।

हम दोनों अलग हुए और थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे।

मैं सोच रहा था कि अभी तो दूसरी मैडम की पूरी रात चुदाई करनी है, यह सोच कर ताकत के लिए थोड़ा जूस मंगवाया और पीकर तैयार हो गया।

हेतल भी खिली खली नजर आ रही थी मानो असली चुदाई के बाद खिल गई हो।

सच कहते हैं कि चुदाई के बाद दिल और दिमाग भी एकदम टेंशन फ्री हो जाते हैं। ऐसा ही मुझे लग रहा था।

फिर हेतल से मैंने अनुभूति के बारे में पूछा कि वो फ्री हुई या नहीं?

उसने मुझे अनुभूति के फ्लैट पर छोड़ आने की बात कह कर कार निकाली और हम चल दिए अनुभूति के घर की तरफ…

शाम के 7 बजे थे, हेतल मुझे अनुभूति के घर छोड़ के मुझसे मेरा नंबर लेकर चली गई और जाते जाते यह वादा लेकर गई कि जब भी वो बुलाएगी मैं जरूर आऊँगा।

मैंने भी व्यंगात्मक स्वर में कह दिया- हेतल, इस शानदार चुदाई की अबकी बार फीस लगेगी।

वो मुस्कुरा कर यह बोलती हुई चल दी- आज जैसी शानदार सुकून वाली चुदाई के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ।

खैर मैंने अनुभूति के दरवाज़े की घण्टी बजाई और मैडम वही स्किन टच सलेक्स पहने हुए डार्क लिपस्टिक लगाए हुए थी, मैं देखता रह गया।

वो बोली- सर अन्दर तो आइये, देख बाद में लेना।

मैं अन्दर आया, उसने दरवाज़ा अन्दर से लॉक कर दिया और बोली- मैं चेंज करके आती हूँ, आप बैठिये।

मैं बोला- आप सुबह से कहाँ थी, मैं कब से आप का वेट कर रहा था, हेतल जी के घर पर बैठा के बोर हो गया था।

मैंने वैसे ही अंजान बनते हुए कहा।
तो वो बोली- मैं दिन भर पापा के साथ थी, अभी वो जामनगर गए हैं तो मैं अब बिल्कुल फ्री हूँ।
और मुझसे बोलने लगी- आपको देख कर लगता तो नहीं कि हेतल ने आपको बोर किया होगा।

उसकी इस व्यंगात्मक बात में शरारत सी नजर आई मुझे। तो जैसे कि मुझे हेतल ने बताया था कि उसने सारी बात अनुभूति से कर दी है, रात भर अनुभूति की चुदाई का जश्न मनाना है, इस बात को ध्यान में रख कर मैंने शरारती बनते हुए अनु से पूछा- आप चेंज क्यों करना चाहती हैं? अच्छी तो लग रही हैं इन स्किन टच सलेक्स में!

यह सुनते ही वो मुस्कुराई तो मैंने दूसरा तीर छोड़ दिया, मैंने कहा- अनु जी, यहाँ बैठिये, मेरे पास ज्यादा वक़्त नहीं है, मुझे वापस शहर जाना है, जल्दी से बात कर लेते हैं।

तो वो बात रिकवर करते हुए बोली- हेतल ने तो बताया था कि आप आज रात यहाँ रुकने वाले हैं, और इस कारण से मैंने सारे इंतजामात कर रखे हैं।

मैं बोला- ठीक है जी, मैं रुक जाता हूँ।

वो बोली- हेतल बता रही थी कि आपकी प्लानिंग बहुत अच्छी होती है, आज आप रात भर मुझे प्लानिंग करना बताएँगे।

मैंने कहा- वो सब तो ठीक है, पहले डिनर हो जाये?

अनू बोली- हम्म चलिए, आपके पास ज्यादा टाइम नहीं है, आप नहा लीजिये, मैं तब तक खाना लगा देती हूँ, फिर हम अपना सेशन शुरु करेंगे।

मैंने हलकी सी मुस्कराहट दी और नहाने चला गया।

मैं सोच रहा था कि चुदाई तो शायद एक घंटे बाद शुरू करेंगे, तब तक गर्म पानी से शावर ले लूँ। यही सोच कर मैं शावर लेने लग गया।

अनु थोड़ी देर बाद आई और मुझसे बोली- शम्पू चाहिए क्या?
मैंने कहा- दे दो।

मैंने जैसे ही बाथरूम का दरवाज़ा खोला, अनु को देखता ही रह गया और पप्पू अपनी नींद तोड़ कर खड़ा हो गया।

मैंने फ्रेंच चड्डी पहनी हुई थी और अनु ने वही स्किन टच सलेक्स पहनी हुई थी मगर ऊपर सिर्फ ब्रा थी, टॉप वो निकाल चुकी थी।

आप जानते हैं कि जब लंड बड़ा हो तो चड्डी उसे संभाल नहीं पाती है और वो बाहर निकल आता है, ठीक ऐसा ही मेरा साथ हुआ, मेरा लंड देखते ही उसकी नजर मेरी चड्डी पर रुक गयी और मेरी उसकी सलेक्स पर।

मैं हिम्मत करके बोला- अन्दर आ जाओ अनु।

तो वो मुस्कुराते हुए अन्दर आ गई, मैंने अन्दर से दरवाज़ा बंद कर दिया और झट से अपनी फ्रेंच चड्डी निकाल दी और नीचे झुक कर उसकी सलेक्स को चाटने लगा, कभी जांघों पर, कभी चूत के पास, कभी पिंडलियों पर!

थोड़ी देर बाद उसने अपने आप ही सलेक्स निकाल दी और मैंने उनकी चड्डी निकाल फेंकने में टाइम नहीं लगाया। सीधे मेरी नजर उसकी चूत पर गई, चूत आज भी ऐसी ही थी जैसी नई या कम चुदी चूत होती है। साथ ही जहाँ मैंने हेतल की बाल रहित चूत का मजा लिया था तो यहाँ हल्के-हल्के बाल उसकी चूत की शोभा बढ़ा रहे थे।

वैसे तो दोस्तो, चूत किसी भी स्थिति में हो, अच्छी ही लगती है, हर चूत की झांकी की अपनी एक बात है और झांट के बाल चूत का श्रृंगार हैं।

उसकी चूत भी एकदम मस्त लग रही थी, मैंने उससे कहा- आपको पता है, हेतल और मैंने।।।

इतने में वो बोली- मुझे सब पता है, और मैं भी वैसे ही चुदना चाहती हूँ मगर सुकून से, पूरी रात है हमारे पास।

मैंने कहा- फिर एक बार सीधे चुदाई कर लेते हैं बाकी काम बाद में खाने के बाद कर लेंगे।
वो बोली- ठीक है।

और मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ लगाया। चूत पूरी गीली हो चुकी थी ऊपर से शावर का गरम गरम पानी!
उसने कहा- मेरी एक शर्त है!
मैंने कहा- क्या?
तो वो बोली- तुम्हें मेरा मूत पीना पड़ेगा, वो भी चाट चाट कर!
मैंने कहा- ठीक है!

और मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ लगाया। चूत पूरी गीली हो चुकी थी ऊपर से शावर का गरम गरम पानी!
उसने कहा- मेरी एक शर्त है!
मैंने कहा- क्या?
तो वो बोली- तुम्हें मेरा मूत पीना पड़ेगा, वो भी चाट चाट कर!
मैंने कहा- ठीक है!

मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर लगाई और धीरे धीरे जीभ को अन्दर बाहर करने लगा और वो धीरे धीरे थोड़ा-थोड़ा पेशाब मेरी जीभ पर छोड़ती गई।

सही बता रहा हूँ कि मजा आ गया! जो टेस्ट आ रहा था उससे मेरी कामोत्तेज़ना और बढ़ गई। उसने सिसकारियाँ लेनी चालू कर दी थी- आःह्ह ऊई उई ईई हुम अह्ह्हह!

और चूत से चिकना चिकना पानी पेशाब और मेरी जीभ तीनों एकजुट हो चुके थे। मैं सब कुछ पी गया और चिकनी चूत पर लंड टिका के धीरे धीरे अन्दर डालने लगा।
अकसर हम कहानियों में पढ़ते हैं कि उसने एक झटके से लंड डाल दिया।
लड़की हो या औरत, एक झटके में डालने से उसे थोड़ा दर्द होता ही है।और वो साथ देने लगी, जब पूरा अन्दर दाल दिया तब मुझसे बोली- आपने कंडोम नहीं लगाया?
मैंने कहा- मैं लाया नहीं हूँ।

फिर वो बोली- होने को तो मेरे पास पड़े हैं कंडोम, मगर अब मजा आ रहा है, छोड़ कर नहीं जा सकती, तुम अन्दर ही निकाल देना, मैं पिल खा लूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर बोली- रात भर जब भी करो अन्दर ही निकालना!
मैंने कहा- ओके!

और धीरे धीरे झटके देता रहा। उसकी आवाज़ बढती जा रही थी अह अहह उई ईईई हुम्म्म उई हुम्म्म ईई हम्म तेज्ज करो नाआ आ!

साथ ही लंड की चिकनी चूत में जाने की गप्प गप्प की आवाज़ आ रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी कमर पकड़ कर पूरा लौड़ा अन्दर घुसा कर तेज़ झटके दिए और सारा माल उसकी चूत के अंतिम गहराई में डाल दिया।

वो भी शांत हुई और हम दोनों शावर में नहा कर एक दूसरे के अंगों को सहलाते रहे, फिर दोनों एक ही तौलिये में लिपट कर बाहर निकले और मैं जैसे ही कपड़े पहनने जाने लगा, वो बोली- रहने दो ना! आज रात कोई जरूरत नहीं है इस दायरे की।

हम दोनों नंगे ही बैठ कर खाना खाने लगे।
खाना खाकर मैं बिस्तर पर लेट गया, वो बोली- मैं नीचे के साफ़ बाल करके आती हूँ, रात को तकलीफ नहीं होगी।

अनु बाथरूम में चली गई, थोड़ी देर बाद जब वो बाहर आई तो उसके गोरे बदन पर काली चूत की कालिमा जा चुकी थी और उसकी जगह भूरे रंग के छोटा सा दाना लिए हुए शानदार चूत थी।

चूत तो वाकई शानदार और डबल रोटी की तरह फूली हुई लग रही थी, मैं देर न करते हुए तुरंत ही उसकी चूत को किस करने के लिए आगे बढ़ गया। उसकी चूत को देखते ही फिर से चूत में रसोई खोलने का विचार बन गया।
अपना क्या था, उससे बोला- घर में शहद और रूहअफजा है?
वो बोली- हाँ है।

मैंने तुरंत उससे दोनों चीजें मंगवा ली, मैंने उससे पूछा- क्या पसंद है?
वो बोली- मैं रूहअफजा के साथ तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ।

मैंने तुरंत लंड को रूहअफजा में नहलाया और उसकी चूत में अन्दर तक शहद और रूहअफजा को उंगली से तर किया और 69 की स्थिति में लेट गए, दोनों ने चुसाई चालू की।

मेरे लंड का पानी और रूहअफजा का स्वाद उसे जन्नत का एहसास करवा रहा था और मैं चूत को पूरा स्वाद लेकर चाट रहा था।

थोड़ी देर बाद मैंने कहा- मैं अब चुदाई का इच्छुक हूँ।

तो जैसे कि वो तड़प रही थी और पानी का आलम इस तरह बहा चुकी थी कि बेडशीट पर लग रहा था कि किसी ने चाशनी गिरा रखी हो।

मैंने तुरंत ही भीगा हुआ लंड उसकी साफ़ चिकनी भीगी हुई चूत पर रखा तो लंड ने अपना रास्ता खुद ही ढूंढ लिया और गप्प की आवाज के साथ अन्दर घुस गया।

हमारे झटके पुरजोर चलते रहे, वो नीचे से खुद भी झटके देकर बराबर का साथ दे रही थी और भांति भांति की कामुक आवाज निकाल रही थी।

अंततः उसने मुझे कमर से जोर से पकड़ा और मेरे लंड के ऊपर इस तरह जोर लगाने लगी कि मुझे लगा कि आज तो मेरे आण्ड भी चूत की सैर कर लेंगे।

और चूत से कुछ रिसाव जैसा महसूस हुआ जो गर्म था।

मैंने, जैसे कि मैं चूत चाटने का शौकीन हूँ, तुरंत ही लंड निकाल कर मुँह में पूरे रस को चाट लिया और फिर से अपना लौड़ा उसकी चूत पर रगड़ दिया, पूरा माहौल मस्त था, फिर लंड को उस अद्भुत पानी में और नहलाया और पेल दिया चूत में!

तेज़ झटके के साथ मैं भी झड़ गया। पूरी रात ऐसा ही चटाई-चुदाई का माहौल बनता रहा। तीन ट्रिप के बाद मैं थक गया और सुबह जल्दी उठ कर उसे एक ट्रिप का आनन्द देकर मैं वहाँ से चला आया।

वो आज भी मुझे कॉल करती है मगर अब मन करता है की किसी ऐसी महिला की प्यास बुझाऊ जो वाकई जरूरतमंद हो।

End
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#10
जवान पंजाबन को चोद कर औलाद दी :--------



पड़ोस वाली आंटी ने मुझे काम से अपनी बेटी के घर भेजा. उससे मेरी दोस्ती भी थी. मुझे अपने घर देख कर वो बहुत खुश हुई. मैंने पड़ोसन की बेटी को चोदा उसी के घर में! कैसे?

दोस्तो, मैं इस साइट का बड़ा प्रशसंक हूँ. ये मेरी पहली कहानी है. इस कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी पड़ोसन की बेटी को चोदा उसकी ससुराल में!

मेरा नाम मोंटू है. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 27 साल है और मैं शादीशुदा हूँ.

मेरी शादी पांच साल पहले हुई थी और अब दो बच्चे भी हैं. मैं एक कंपनी में कार्यरत हूँ. इस कंपनी के कई शहरों में दफ्तर हैं. और मेरी बदली होती रहती है.

चूंकि मेरे बच्चे अभी स्कूल नहीं जाते तो बीवी बच्चों के साथ मैं कई शहरों में घूमता रहता हूँ. आजकल बंगलौर में मेरी पोस्टिंग है. मेरा खुद का घर दिल्ली में ही है.

कुछ समय पहले मैं ऑफिस के किसी काम से दिल्ली आया हुआ था, तो जाहिर तौर पर अपने घर पर ही ठहरा था.

मेरे बगल वाले घर में एक पंजाबी परिवार रहता है. उनके घर में अंकल आंटी रहते थे. मगर अंकल का कोई 15 साल पहले बीमारी से स्वर्गवास हो चुका है.

आंटी के दो बच्चे हैं. बड़ी लड़की का नाम प्रीति है ( ये नाम बदला हुआ है) प्रीति मुझसे पांच साल छोटी है. और छोटा बेटा बबलू (बदला हुआ नाम) है, जो प्रीति से 2 साल छोटा है. प्रीति की शादी हो चुकी है और मेरे दफ्तर के पास ही उसका घर (ससुराल) है. प्रीति की शादी हुए लगभग तीन साल हो चुके थे.

प्रीति शादी से पहले नौकरी करती थी, जो मैंने ही लगवाई थी. उसकी शादी अच्छे घर में हुई थी तो उसने शादी के बाद नौकरी छोड़ दी. प्रीति के ससुर का भी स्वर्गवास हो चुका था.

जब बबलू ने भी ग्रेजुएशन पूरी कर ली तो उसकी नौकरी भी मैंने अपने परिचित के यहां लगने में उसकी मदद कर दी. बबलू की नौकरी सेल्स विभाग में थी इसलिए वह टूर के लिए बाहर जाता रहता था और कई बार काफी दिन बाहर रहता था.

चूंकि मेरा भी तबादला होता रहता था, इसलिए उनसे मिलना कम ही हो पाता था. जब मैं दिल्ली आता था, तभी आंटी से मिलना हो पाता था.
आंटी मेरा बहुत मान करती थीं और हर छोटे बड़े काम के लिए मुझ पर ही निर्भर रहती थीं.

मेरी भी प्रीति से बचपन की दोस्ती थी. दोनों एक दूसरे के बेस्ट फ्रेंड्स थे और इससे ज्यादा कभी मैंने प्रीति के बारे में कभी कुछ नहीं सोचा था. हम दोनों एक दूसरे से खुल कर सब बातें कर लेते थे.

करवाचौथ से लगभग तीन दिन पहले शुक्रवार को जब मैं शाम को घर आ रहा था, तो आंटी घर के गेट पर ही मिल गईं.

आंटी बोलीं- मोंटू मुझे तुझसे कुछ जरूरी काम है. जरा मेरे साथ घर चल.
मैं बिना कुछ ज्यादा पूछे, उनके घर चला गया.

आंटी ने अन्दर आकर बोला- तुम बैठो, मैं चाय लेकर आती हूँ.
मैंने पूछा- आंटी, प्रीति बबलू कैसे हैं?
आंटी बोलीं- दोनों ठीक है.

फिर वो चाय ले कर आईं और हम दोनों चाय पीते हुए बातें करने लगे.

आंटी बोलीं- मोंटू इस बार तुम दिल्ली कितने दिन रुकोगे?
मैंने कहा- बस आंटी एक दो दिन और हूँ. वैसे तो ऑफिस वाले कुछ और दिन का काम बता रहे हैं, पर वो करवाचौथ आ रही है तो मुझे आपकी बहू के पास जाना पड़ेगा. नहीं तो बेकार हल्ला करेगी. इसलिए करवा चौथ वाले दिन सोच रहा हूँ एक चक्कर बंगलौर लगा कर एक दो दिन में वापिस आ जाऊंगा.

तो आंटी बोलीं- बबलू कुछ दिन के लिए ऑफिस के काम से टूर पर गया हुआ है. कल वो फोन पर बोल रहा था कि अभी उसे वापिस आने में पांच छह दिन और लगेंगे. तुम्हें तो मालूम ही है करवाचौथ आ रहा है. तो मुझे रस्म अनुसार प्रीति को कुछ सामान भेजना है. मुझे मालूम है, तू बहुत बिजी रहता है, लेकिन बेटा मना मत करना. वो तुम्हारे ऑफिस के पास ही रहती है, तो तुम कल ये सामान प्रीति के घर देते हुए अपने ऑफिस चले जाना.

मैंने कहा- ठीक है आंटी … मैं सुबह आ कर सामान ले लूँगा और प्रीति को दे आऊंगा. बहुत दिनों से उससे मिला भी नहीं हूँ तो इसी बहाने उससे मिल भी लूँगा. कल मेरी भी मीटिंग दोपहर के बाद की है. कोई दिक्कत नहीं आंटी, आप चिंता मत करो, ये काम कल ही कर दूंगा.

अगले दिन ऑफिस में मेरी मीटिंग का नंबर दोपहर के बाद ही था, तो मैंने ऑफिस फ़ोन किया कि शायद मुझे देर हो सकती है. कुछ काम आ गया है तो मेरी मीटिंग का समय शाम चार बजे का हो गया.

कुछ देर आंटी के घर रुकने के बाद मैं अपने घर आ गया.

अगले दिन सुबह सामान लेकर दस बजे के आसपास मैं प्रीति के घर आ गया. मैंने घंटी बजाई, तो कुछ देर बाद प्रीति ने दरवाजा खोला. मुझे उसे देख कर लगा कि जैसे वह अभी नहा कर निकली हो. उसके बाल गीले थे. उसने गाउन पहन रखा था और बड़ी सेक्सी लग रही थी.

अब यहां प्रीति के बारे में बता देना ठीक होगा. उसकी उम्र 22 साल, गोरा रंग, पूरे साढ़े पांच फिट हाईट की पंजाबन कुड़ी. और 36-28-38 का मादक फिगर. सुन्दर नैन नक्श और मीठी सी सुरीली आवाज.

वो मुझे देख कर मानो खिल गई. किलक कर मेरे गले से लग गई और बोली- आज तुम मेरे घर का रास्ता कैसे भूल गए?

मैंने उसे अपनी बांहों में कसते हुए कहा- अरे यार, तुम्हारा भाई बबलू बाहर गया हुआ है. मैं दिल्ली आया हुआ था तो आंटी ने कूरियर ब्वॉय की मेरी ड्यूटी लगा दी है. मैं तेरी करवा चौथ की सरगी लाया हूँ. ऑफिस की मीटिंग दोपहर के बाद थी, तो मैंने सोचा इसी बहाने तुमसे भी मिलना हो जाएगा. जबसे तुम्हारी शादी हुई है, तुमसे मिलना ही नहीं हुआ. क्योंकि मैं भी दिल्ली में नहीं था और तुम बताओ कैसी हो?

वह मुझसे अलग होकर बोली- बहुत जल्दी में हो क्या? बाहर से ही भागना है क्या? अन्दर आओ, इतने दिनों बाद मिले हो. आराम से ढेर सारी बातें होंगी.
फिर वह बोली- तुम बैठो, मैं आती हूँ.

मुझे बिठा कर वह कुछ देर बाद चाय नाश्ता ले आयी. उसने मेरे बीवी बच्चों सोनू मोनू का हाल चाल पूछा.

सब कुशल मंगल के बाद मैंने कहा- और सुना तेरा मियां कहां है, कैसा है?
तो वह बोली- मियां जी ठीक हैं. अभी दो दिन के टूर पर गए हैं. सासू माँ मुझे जली कटी सुना कर अपने भाई के घर गयी हैं. अब कल शाम को ही दोनों वापिस आएंगे. मैं सोच रही थी मां के पास चली जाऊं, पर घर भी तो अकेला नहीं छोड़ सकती.

तभी उसकी मेड आ गयी. तो उसने मेड को बताया कि मैं उसके मायके से उसके लिए करवाचौथ की सरगी ले कर आया हूँ.

फिर वो मुझसे बोली- मैं अभी इसे काम बता कर आती हूँ. कई सालों बाद मिले हो, बहुत सारी बातें होंगी.

हम दोनों बहुत फ्रैंक थे और सब बातें कर लेते थे. वो मेड को काम समझा कर आयी, तो इधर उधर की बातें होती रहीं. कब आये थे, कब तक रहोगे इत्यादि.

कुछ देर में नौकरानी काम करके बोली- मेम साहब मैं जा रही हूँ और कल नहीं आऊंगी.

वो दरवाजा बंद करके मेरे सामने बैठ गयी और बोली- इन कामवाली बाइयों ने बहुत तंग कर रखा है. इनको रोज किसी न किसी बहाने से छुट्टी चाहिए होती है और हमारा इनके बिना काम भी तो नहीं चलता.

तो मैंने पूछा- तेरी सास को क्या हुआ? क्यों जली कटी सुना रही थी तुझको?

इस पर प्रीति चुप हो गई.. फिर आंखों में आंसू भर कर बोली- कुछ नहीं मोंटू. वही पोता पोती का चक्कर है. कहती है तीन साल हो गए तेरी शादी को. अब तक बच्चा नहीं हुआ है. जरूर तुझमें ही कोई कमी है. अगर ऐसे ही चला, तो अपने बेटे की दूसरी शादी करवानी पड़ेगी मुझको.
मैंने पूछा- टेस्ट करवाए या नहीं?
वह बोली- सब करवाए हैं. सब ठीक है. अब भगवान् की मर्जी के आगे हमारा क्या बस है!

मैं उसके पास जा कर बैठ गया और उसके आंसू पौंछ कर बोला- रो मत पगली, मैं तेरे को रुलाना नहीं चाहता. एक दो डॉक्टर हैं मेरी पहचान के. मैं कुछ मदद करूं?
वो बोली- नहीं, शहर के सभी डॉक्टर को दिखा चुके हैं. सब डॉक्टर कहते हैं दोनों बिल्कुल ठीक हो. अब भगवान् के ऊपर है.
मैंने- फिर तेरा मियां, तुझसे खुश नहीं है क्या? तू है तो सुन्दर सेक्सी भी है, मेहनत नहीं करता क्या तेरे साथ?
वो हंस कर बोली- क्यों नहीं करता अभी कल रात ही तो …

फिर शर्मा कर बोलते बोलते वो रुक गयी.

तो मैंने कहा- अच्छा, बुरा न मानो तो एक बात पूछूं?
वह बोली- पूछ!
तो मैंने कहा- कब मेहनत करती हो?
वह बोली- शुरू शुरू में तो हमने बच्चा जल्दी न हो, इसलिए कंडोम इस्तेमाल किया था. पर अब तो हर हफ्ते में शुक्रवार शनिवार दो दिन तो हो ही जाता है.

मैंने कहा- तुम्हें पता है गर्भधान का सबसे अच्छा समय होता है चौदहवां दिन! उस दिन गर्भ धारण की संभावना सबसे ज्यादा होती है.
वो मेरी तरफ देखते हुए बोली- अच्छा. इसका भी हिसाब रखना होता है.

फिर वह कुछ हिसाब लगाने लगी और चुप हो गयी. उसके होंठ हिले, वो मन में कुछ बड़बड़ाई.

मुझे लगा कि ये अपने मन में बोली है कि आज तो चौदहवां दिन ही है. आज कैसे होगा. मियां जी तो बाहर गए हुए हैं.

तभी उसका फ़ोन बजा.

उसने फोन उठाया और बोली- हां मम्मी, मोंटू को आए लगभग एक घंटा हो गया है.
फिर वह फोन पर बात करते करते दूसरी तरफ चली गयी.

करीब पंद्रह मिनट के बाद वापिस आयी तो बोली- मोंटू, मेरा एक काम कर दो. मम्मी ने मुझे एक आईडिया दिया है.

मैंने कहा- बता क्या काम है.
वह बोली- देख मना मत करना. तेरी दोस्त पर तेरा बड़ा एहसान होगा. मुझे इन रोज रोज के तानों से मुक्ति भी मिल जाएगी.
मैंने कहा- बिंदास बोल न, क्या भूमिका बांध रही है.

फिर वह थोड़ा शर्मायी और बोली- तू पता मुझे गलत मत समझियो, पर इन रोज रोज के सास के तानों से मैं तंग आ गयी हूँ. तू मुझे एक बच्चा दे दे.
मैंने एक पल रुक कर उसे देखा और कहा- प्रीति मुझे तो कोई दिक्कत नहीं है. पर मेरी बीवी नहीं मानेगी.

प्रीति ने मुझे मुक्का मारते हुआ कहा- बुद्धू तेरे सोनू मोनू नहीं, तेरे साथ क्यों न एक बच्चा बना लूं. तेरे में कोई कमी भी नहीं है क्योंकि तूने पहले ही दो कलेण्डर सोनू मोनू छाप रखे हैं. तू मुझे एक बच्चा दे दे.

अब मैं चौक कर उसे देखने लगा, तो वह मेरे पास आयी और मेरे होंठों से अपने होंठ लगा दिए.

मैंने खुद को प्रीति से दूर किया और बोला- ये क्या कर रही है. मैंने कभी तुझ इस नज़र से नहीं देखा.

उसने अपना गाउन खोल दिया और बोली- तो अब देख ले. और बता कैसी लगी मैं तुझे?
फिर घूम कर वो मुझे अपनी अदाएं दिखा कर बोली- क्यों मोंटू हूँ न मैं मस्त माल!

उसने नीचे सेक्सी ब्रा और पैंटी के सिवा कुछ नहीं पहन रखा था.

फिर वो बोली- चल अब ज्यादा सोच मत. देख तूने अभी थोड़ी देर पहले ही कहा था कि बता तेरी क्या मदद करूं.

ये कहते हुए उसने होंठों से अपने होंठ जोड़ दिए.

चूमते चूमते प्रीति ने मेरे कंधों को सहलाना शुरू कर दिया. प्रीति के नरम हाथों का स्पर्श मुझे पसंद सा आने लगा. वो धीरे धीरे मेरे पूरे जिस्म पर हाथ फिराने लगी. जल्दी ही मेरे मन में वासना के भाव पैदा होने लगे. प्रीति के हाथ मेरे पूरे जिस्म पर फिर रहे थे.

उसके बाद प्रीति ने अपना गाउन नीचे गिरा दिया और मेरे हाथ पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिए.

फिर बोली- मुझे तुम से तुम्हारा और मेरा बच्चा चाहिए.
मैं चुप था.

वो बोली- आज मेरा चौदहवां दिन है. आज मेरा पति यहां नहीं है. उसके करने से तो आज तक कुछ नहीं हुआ. अब तुमने रास्ता दिखाया है, तो तुम ही मेरे साथ एक सन्तान पैदा करो. सास के तानों से मुक्ति के लिए मुझे संतान चाहिये.

मैं अब भी पशोपेश में था.

वह आगे बोली- तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो. तुम से मैं हर बात बेझिझक कर लेती हूँ. तुम से अच्छा साथी मुझे नहीं मिलेगा. ये सब राज ही रहेगा और किसी के साथ करूंगी, तो रिस्क हमेशा बना रहेगा.

इतने में मेरा फ़ोन बजा और ऑफिस से मैसेज आया कि आज की मीटिंग किसी वजह से कैंसिल हो गयी है, अब चार दिन बाद होगी.

उसने पूछा- क्या हुआ?
मैंने बोला- आज मीटिंग के लिए आया था. पर अब मीटिंग कैंसिल हो गयी है. अब चार दिन बाद होगी.
वो बोली- देख ऊपर वाला भी यही चाहता है.

फिर वो मेरे लंड पर पैंट के ऊपर से हाथ फेरते हुए बोली- सोचो, अगर कल को मेरी सास ने मेरे पति की दूसरी शादी कर दी, तो फिर मुझे इस घर से निकलना होगा. फिर मेरा क्या होगा? इसलिए बेहतर है कि तुम मेरा साथ दो और मेरी गोद में सारी खुशियां डाल दो. कुदरत ने हमें ऐसा मौका दिया है. कुदरत भी चाहती है कि तुम मुझे बच्चा दो. मेरा पति बाहर गया हुआ है और सास भी अपने भाई के घर गयी हुई है. उसने मुझे आज ताने दिए और फिर तुम आ गए. दोनों कल ही वापिस आएंगे. नौकरानी भी कल की छुट्टी बोल कर गयी है तुम्हारी भी छुट्टी है. तब तक तुम मेरी जी भर के चुदाई करो. अब ऊपर वाले के रास्ते में रुकावट मत बनो.

ये सब सुनकर मेरा लंड भी अंगड़ाई लेने लगा. इतनी सुन्दर पंजाबन को देख लंड जोश खा गया और मैं उसे पकड़ कर चूमने लगा.

मेरा जोश देख कर वो भी शिद्दत के साथ मुझे चूमने लगी.

प्रीति ने मुझे अपने तर्कों से चुप करवा दिया था. अब मेरे हाथ उसके वक्षों को ब्रा के ऊपर से सहला रहे थे. मुझे भी अच्छा लगने लगा था.

मैंने कहा- ठीक है. तू ऐसा चाहती है तो मैं तुम्हारी मदद कर देता हूँ.
वो खुश हो गई और मुझे चूमने लगी.

मैंने कहा- ठीक है प्रीति. ये बात तेरी मां को भी पता नहीं चलनी चाहिए. मैं उन्हें फ़ोन कर बोल देता हूँ मैंने सामान दे दिया है, अब मैं जा रहा हूँ.
इस पर प्रीति बोली- हां ये ठीक रहेगा. ये बात हम दोनों में ही रहनी चाहिए.

मैंने प्रीति की मम्मी को फ़ोन कर बोला- आंटी, मैंने सामान प्रीति को मिल कर दे दिया है. ऑफिस स फ़ोन आया था इसलिए निकल रहा हूँ.
उसकी कुछ देर बाद प्रीति ने भी मम्मी को फ़ोन कर बता दिया कि मैं चला गया हूँ. उसका ऑफिस से फ़ोन आ गया था और वो अचानक चला गया और कुछ भी नहीं हुआ.

फोन बंद करके प्रीति मुझे किस करने लगी और मेरे हाथ पकड़ कर अपने चुचों पर रख दिए. मैंने प्रीति की चूचियों को दबा कर देखा. उसकी चूचियां बिल्कुल गोल और सुडौल थीं. मेरे छूने से उसके निप्पल कड़े होने लगे. अब मेरे अन्दर भी सेक्स भरने लगा था और हमारी चुम्मियां भी गहरी होती चली गईं.

मैंने प्रीति के स्तनों को जोर से दबाना शुरू कर दिया और उसके मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … उह.

मैंने प्रीति को सोफे पर लिटा दिया और मैं उसके ऊपर आ गया. मैं उसके बदन को चूमने लगा. वो भी मदहोश सी होने लगी और मेरे शरीर की सहलाने लगी. उसका स्पर्श मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. वो अपने होंठों से कभी मेरे गालों पर चुम्बन कर रही थी, तो मैं भी कभी उसकी गर्दन पर, कभी चूचियों को चूम रहा था, तो कभी उसके पेट पर चूमने लगता था.

प्रीति मदहोश होती जा रही थी. फिर मैं प्रीति के बदन पर लेट गया और उसके होंठों को चूसने लगा और वह भी मुझे बहुत प्यार से चूमने लगी. मैं प्रीति के होंठों में जैसे खो गया था. हम दोनों एक दूसरे के होंठों को पीने लगे.

उसके बाद मैंने प्रीति के शरीर के हर एक अंग को चूमने लगा. प्रीति मेरे चुम्बनों से और ज्यादा मदहोश होती जा रही थी.

मैंने प्रीति को अपने आगोश में ले लिया और एक बार फिर से उसके होंठों का रस पीने लगा. वो भी मेरे होंठों को पीने लगी. मेरी जीभ उसके मुँह में चली गयी और उसने मेरी जीभ चूसी, तो फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी और मैंने उसकी जीभ चूसी.

फिर मैंने उसकी चूचियों पर मुँह रख दिया. मैं उसकी चूचियों की घाटी को चाटने लगा. वो मेरी गर्म जीभ से और ज्यादा मादक अनुभव लेने लगी.

उसके बाद मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया और उसकी चूचियां नंगी हो गयीं. मैं उसके दूधों को अपने मुँह में लेकर पीने लगा.

उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया और अपनी चूचियों को बारी बारी से पिलाने लगी. वो पूरी मस्त हो गयी थी.

पांच सात मिनट तक मैंने चूचियों को पिया और उनको चूस चूस कर लाल कर दिया. चूची चूसने से उसके निप्पल तन गए थे, तो मैंने दांतो के निप्पलों को धीरे धीरे से कुतरा.

वह सीत्कार भरते हुए बोली- प्लीज काटना मत … निशान पड़ जाएंगे, बेकार की मुश्किल होगी.

उसके बाद उसके पेट को चूमते हुए नाभि से होकर उसकी चूत की ओर बढ़ा उसकी पैंटी को आहिस्ता से उतार दिया और चूत को नग्न कर दिया.

उसकी चूत एकदम गर्म और चिकनी थी. चूत पर झांटों का नामोनिशां नहीं था और उसकी चूत गीली हो चुकी थी. पहले मैंने चूत को उंगली से छेड़ा. उंगली उसके दाने के पास पहुंची, तो उसको भी छेड़ा और फिर मैं चूत में जीभ देकर चाटने लगा. बस वो पागल होने लगी और मेरे सर पर हाथ रख कर मेरे मुँह को अपनी चूत की ओर धकेलने लगी. मेरी जीभ उसे पागल किए जा रही थी.

कुछ देर तक मेरी चूत को चाटने के बाद प्रीति में मुझे ऊपर खींचा और किस करने लगी. वो बोली- तुम भी तो अपने कपड़े निकालो.
तो मैंने कहा- ये शुभ काम भी तुम अपने हाथों से ही करो.

उसने मेरी कमीज में हाथ डाल कर मेरी छाती पर हाथ फेरा और मेरी कमीज को उतार डाला. फिर मेरी पैंट को भी अंडरवियर समेत उतार कर मुझे पूरा नंगा कर डाला.

मेरा लंड पूरे नब्बे डिग्री पर फन उठाये फुंफकार रहा था.

मेरा लंड पकड़ कर वो बोली- तुम्हारा लंड तो मेरे मियां से काफी मोटा और लम्बा तगड़ा है.
फिर उंगली से नाप कर बोली- सात आठ इंच तो होगा.
मैंने कहा- हां, साढ़े सात इंच का है.
फिर वो बोली- इसका सुपारा भी एकदम से गुलाबी है. तुम्हारी बीवी की तो मौज रहती होगी. मेरे मियां का तो इसके मुक़ाबले आधा ही होगा.

प्रीति ने मेरे लंड को अपनी चूत पर रख कर उसको चूत पर रगड़ा. एक दो बार मैंने भी उसकी चूत को अपने लंड से सहलाया, तो वो अपनी चूत में लंड लेने के लिए मचल उठी. फिर अपने लंड के सुपारे को उसकी चिकनी चूत में धकेल दिया.

हालाँकि वो तीन साल से शादीशुदा थी और अपने पति से खूब चुदती भी थी. फिर भी उसकी चूत में मेरा मोटा लंड आसानी से नहीं गया.
तो मैंने उंगलियों से चूत की फांकों को अलग किया और छेद पर लग कर धक्का दिया.

इस बार में उसकी चूत में लंड आधा घुस गया. मुझे मजा सा आया क्योंकि उसकी चूत टाइट सी लगी.
लेकिन प्रीति को दर्द होने लगा.
वो चिल्ला उठी- आआआह ओह्ह्ह्ह मार डाल.. फाड़ दी मेरी चूत.

मैं रुक कर उसे चूमने लगा.

दो पल बाद वो बोली- मेरे पति के लंड में मुझे वो मजा कभी नहीं मिला. जो आज मैं अपनी चूत में तुम्हारे लंड से महसूस कर रही हूँ. इतना दर्द तो मुझे सुहागरात को भी नहीं हुआ था. आज तो ऐसा लग रहा है मेरी सील आज ही टूटी है.

मैंने दूसरा धक्का दिया और चूत को चीरते हुए मेरा लंड प्रीति की चूत की जड़ में उतर गया और चूत के अन्दर उसकी बच्चेदानी की चुम्मी लेने लगा.

वह दर्द से कराहते हुए बोली- प्लीज इसे बाहर निकालो. बहुत मोटा है तुम्हारा. एकदम गर्म लोहे की रॉड है. तुम्हारे लंड से तो ऐसा लगता है कि मेरी चूत फट गयी है.
मैंने कहा- तुमने ही ये रास्ता चुना है. अब मैं रुक नहीं सकता.

वो बोली- मुझे रोकना भी नहीं है. बस अभी कुछ देर हिलना मत. जब मैं चूतड़ उछाल कर इशारा करूं, तब धीरे धीरे करना.
मैंने कहा- अभी कह रही हो आहिस्ता करना. कुछ देर बाद मजे ले ले कर बोलोगी कि और जोर से … और जोर से.

तो उसने मेरे चूतड़ों पर एक चपत मारी और बोली- तुम इतने बदमाश हो मुझे नहीं पता था. अगर पता होता तुम्हारा इतना तगड़ा लंड है, तो तुमसे ही चक्कर चला कर शादी कर लेती. अब तक तुम्हारे साथ क्रिकेट की आधी टीम तो बना ही चुकी होती.

हम दोनों हंस दिए.

उसके बाद दोनों लिप करने लग गए और मेरे हाथ उसके स्तनों को सहलाने दबाने और निप्पलों को मसलने लग गए.

कुछ देर लंड को चूत में उतार कर मैं उसके ऊपर लेटा रहा और दोनों लिप किस करते रहे. उसके हाथ मेरी पीठ और मेरे चूतड़ों को दबाते सहलाते रहे. कुछ देर बाद उसका दर्द उड़ गया और तब तक लंड चूत में एडजस्ट हो गया. अब उसकी चूत ने मेरे लंड से दोस्ती कर ली थी.

उसने मेरे नितम्बों को नीचे की ओर दबाया और अपने चूतड़ों को ऊपर उठा कर इशारा किया, तो मैंने अपने नितम्बों को उसकी चूत पर धीरे धीरे से पहले और दबाया. लंड पूरा अन्दर जाकर अपनी हाज़िरी लगा आया. फिर चूत में लंड अन्दर बाहर धीरे धीरे करना शुरू कर दिया.

मेरा लंड चूत की दीवारों को रगड़ता हुआ चूत में घर्षण करने लगा. प्रीति को बहुत मजा आने लगा. कुछ ही देर में मुझे भी चुदाई का नशा सा होने लगा.

वो खुद ही अपनी चूत को मेरी ओर धकेलते हुए मेरा लंड अन्दर लेने लगी. मैं भी पूरे जोश में चोदने लगा. जब मैं लंड बाहर निकालता, तो वह भी चूतड़ पीछे कर लेती. फिर जब मैं धक्का देता, तो वह भी अपने चूतड़ मेरी और धकेल देती. जब मेरे अंडकोष उसकी चूत से टकराते थे, तो फट फट की आवाज़ आने लगती. उसके मुँह से आह ओह निकलने लगी थी.

फिर कुछ देर बाद उसने मेरे चूतड़ों पर हाथ रख कर कहा- आंह और जोर से और जोर से!
तो मैं उसे चूम कर बोला- मजा आ रहा है?
वह बोली- हां बहुत मजा आ रहा है बस लगे रहो … रुकना मत.

दस मिनट के चोदन के बाद ही प्रीति का स्खलन हो गया. वो झड़ गयी, मगर अभी भी मेरा नहीं हुआ था और मैं उसकी चूत में लंड पेल रहा था.

पांच सात मिनट के बाद मैं पूरे जोर से धक्के देने लगा और लंड वीर्य की गर्म पिचकारी उसकी चूत में बह गयी. मैंने उसकी पूरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया और उसके ऊपर गिर गया. हम दोनों एक दूसरे को चूमने सहलाने लगे.

प्रीति बोली- मजा आ गया.

कुछ देर में प्रीति दुबारा गर्म हो गयी और बोली- चलो बेड पर चलते हैं.

वो मेरे लंड को पकड़ कर मुझे बेड पर ले गयी और मुझे चित लिटा कर मेरे ऊपर आ गयी. अब उसने अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ना शुरू कर दिया.

मैंने उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया और दस मिनट तक उसके स्तनों को पीता रहा. इस दौरान मेरे लंड में फिर से तनाव आने लगा. मैंने उठ कर उसके मुँह में अपना लंड दे दिया.

मेरे वीर्य और उसके चुतरस में सना लंड वो अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

फिर अपनी चूत में घुसा कर बोली- तुम्हारा वीर्य काफी गाढ़ा है. तुम्हें कितने दिन हो गए अपनी बीवी को चोदे हुए?
तो मैंने कहा- अभी हफ्ते से टूर पर ही हूँ और उससे पहले मानसून (बीवी को माहवारी) आया हुआ था, इसलिए लगभग 20 दिन हो गए.
वो बोली- अच्छा है. मेरे चांस बढ़ गए.

दो मिनट में ही मेरा लंड एक बार फिर से सख्त हो गया. उसके बाद मैंने फिर से प्रीति को घोड़ी बना कर पीछे से डाला डाला और धड़ाधड़ उसकी चूत को चोदने लग गया. फिर 20 मिनट तक की चुदाई में प्रीति दो बार झड़ गयी और उसके बाद उसकी चूत में अपना सारा वीर्य एक बार फिर से छोड़ दिया.

इसके बाद प्रीति बोली- अब थोड़ा आराम कर लो. रात को भी तुम्हें यही रहना है. घर में कोई भी नहीं है, हम दोनों ही हैं. खूब मजे करेंगे.

मैंने घर में फ़ोन कर बता दिया कि मीटिंग कैंसिल हो गयी है. मैं अपने दोस्त के घर जा रहा हूँ और फिर कल वहीं से वापिस बंगलौर चला जाऊंगा.

उसके बाद रात भर मैं प्रीति के पास रहा और दिन दोपहर, पूरी रात उसको चार बार कस-कस कर, आसन बदल बदल कर उसे चोदा. कभी मैं ऊपर, कभी वह ऊपर, कभी घोड़ी, कभी खड़ी करके चोदा और मैंने उसकी चूत का भोसड़ा बना दिया.

अगले दिन दोपहर तक मैं उसके साथ रहा, नहाया नहलाया और बाथरूम में, किचन में, सब जगह उसको चोद कर उसकी चूत को हर बार अपने वीर्य से पूरा भर दिया.

अगले दिन जाने से पहले मैंने प्रीति को कहा- आज अपने पति से जरूर चुद लेना ताकि उसे लगे बच्चा उसका ही है.
वह भी बोली- तुमने वैसे तो पूरी तसल्ली करवा दी है. मेरी हिम्मत तो नहीं है, फिर भी पति से जरूर चुदूँगी.

अगली रात उसने अपनी चूत में पति का लंड भी लिया.

फिर अगले महीने उसने फ़ोन पर मुझे खुशखबरी दी. बताया कि वो, उसकी सास, पति और मां बहुत खुश हैं.
मैं भी खुश हो गया.

End
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