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एक दिन मेरी सास के मायके में उनके भाई की तबियत खराब थी, तो अचानक से मेरी सास को उनके पास जाना पडा। मेरी सास का मायके का घर और ससुराल एक ही शहर में है।
ससुर जी भी हॉस्पिटल में जाकर अपने साले को देखकर रात को वापस आ गए। मेरी सास वहीं हॉस्पिटल में रुक गई। उस रात मेरे पति भी घर नही आनेवाले थे।
तो मैंने मेरे ससुर के आते ही, उनसे फ्रेश होने के लिए कह दिया। फ्रेश होने के बाद, हम दोनों ने एकसाथ ही खाना खा लिया।
खाना खाकर मेरे ससुर अपने कमरे में चले गए। रात को उन्हें सोने से पहले दूध पीने की आदत है, आज सासु-मां नही थी, तो मैंने सोचा क्यों न आज ससुर के लण्ड से मजा लिया जाए।
तो मैंने जल्दी से अपना सारा काम खत्म कर दिया और फिर जल्दी से नहाकर पूरी तरह तैयार हो गई। मैंने आज अपनी सबसे सेक्सी नाइटी पहनी थी, जिसमें से मेरा पूरा बदन साफ साफ दिख रहा था।
अंदर मैंने ब्रा नही पहनी थी, बस पैंटी थी जो मात्र चुत को ढक रही थी। मेरे दोनों चूतड पीछे से आसानी से देखे जा सकते थे।
नाइटी का गला भी काफी खुला हुआ था, अगर मैं थोडा सा भी झुक जाती, तो सामने वाले को मेरे मुम्मे के दर्शन हो जाते। मैं इस तरह से तैयार होकर अपने ससुर के लिए दूध लेकर उनके कमरे में गई।
जब मैं उनके कमरे में गई, तो वो अपनी लुंगी के ऊपर से अपने लण्ड को मसल रहे थे। मेरे कमरे में जाने के बाद भी उन्होने अपना हाथ वहां से हटाने की कोई जल्दी नही की। मुझे देखकर वो मेरी तरफ देखते ही रह गए।
मैं उनके पास गई और दूध का गिलास उनके सामने कर दिया। दूध का गिलास देते वक्त मैं जान-बूझकर थोडा सा झुक गई, जिस वजह से मेरे ससुर को मेरे मुम्मों के दर्शन हो जाए।
मेरे ससुर तो एकदम आंख फाडे हुए मेरी चुचियों की तरफ ही देखने लग गए। फिर मैं कमरे से निकलने लगी, उन्होंने मुझे दरवाजे तक जाने दिया और जैसे ही मैं कमरे के बाहर अपना पैर रखने वाली थी, आवाज लगा दी।
ससुर ने कहा, “आज तो शाम भी नही आनेवाला, तो थोडी देर बैठ जाओ, बातें करके फिर सोने चली जाना।”
मुझे भी यही चाहिए था। अब दोनों के मन में चुदास थी, लेकिन पहल कोई नही कर रहा था। मैं भी जाकर अपने ससुर के बिस्तर पर उनके बिल्कुल पास होकर बैठ गई।
मेरे ससुर ने बिना कुछ बोले, दूध पीते हुए अपने लण्ड को हल्के से मसलकर थोडा सा लुंगी के बाहर निकाल लिया। अब मैं उनके लण्ड के मोटे टोपे को देख सकती थी, जो पूरी तरह से गुलाबी था।
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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तो मैंने भी उनके सामने ही अपनी दोनों चुचियों को नाइटी के ऊपर से ही पकडकर ऊपर की ओर उठा दिया। अब दोनों को ही एक दूसरे के इरादे साफ होकर नजर आने लगे।
मेरे ससुर ने अगले ही पल एक घूंट में दूध खत्म कर दिया और मेरी ओर आकर मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए। सुसर जी इतनी जल्दी यह सब शुरू करेंगे, ऐसा मुझे नही लगा था।
खैर मैं भी पूरी तरह से तैयार हो कर आई थी मैंने भी बिना उनका विरोध किए, उनके चुम्बन का साथ दे रही थी। फिर ससुर जी ने मुझे चूमते हुए ही, मेरी कमर के पीछे अपना हाथ ले जाकर मुझे बिस्तर के बीच में लाकर बिठा दिया।
ससुर जी दो पल के लिए मुझसे अलग हुए और उन्होंने खुद ही अपनी गंजी उतारकर फेंक दी। उन्होंने अब अपने हाथ मेरी नाइटी के ऊपर से ही मेरे मुम्मों पर रख दिए और उन्हें जोर जोर से मसलते हुए मेरे गले पर चूमने लगे।
अब मैं भी अपने हाथों को उनके बदन पर घुमाने लगी थी। ससुर जी ने मुझे लिटाते हुए मेरी नाइटी को नीचे से ऊपर की ओर उठाने लगे।
उन्होंने मेरी नाइटी को मेरे चुचियों के ऊपर, मेरे गले तक लाकर रख दिया। अब उनके सामने मेरी नंगी मस्त मोटी मोटी चुचियां थी, जिसे वो खा जाना चाहते थे।
उन्होंने अपना मुंह मेरी चुचियों पर रख दिया और मैंने फिर खुद ही अपनी नाइटी को निकालकर अलग कर दिया। ससुरजी मेरी चूची चुसाई करते हुए अपने हाथ को मेरी चुत के आसपास घुमा रहे थे।
कुछ ही देर में उनका हाथ मेरी चुत को छूते हुए, उनकी मोटी उंगलियां मेरी चुत के भीतर थी। अब मैं और बर्दाश्त नही कर सकती थी, ऊपर से ससुर जी अपनी उंगलियों को मेरी चुत में अंदर बाहर कर रहे थे।
// सुनील पंडित //
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इसी बीच मैं एक बार झड चुकी थी, तो मेरी चुत काफी गीली हो चुकी थी। अब मैंने भी अपना हाथ उनके लण्ड के पास ले जाकर उनकी लुंगी को हटा दिया।
उनका लण्ड मेरे पति के लण्ड से काफी मोटा और लम्बा था, इसका मतलब आज मेरी चुत फिर से फटनेवाली थी। उनका लण्ड देखने के बाद, मुझे लण्ड चुसाई करने का मन होने लगा।
हम 69 की पोजिशन में आकर कुछ देर तक एक-दूसरे को अपने मुंह से खुश करने लगे। फिर ससुर जी ने मेरी टांगो को फैलाकर उन्हें अपने कंधों पर ले लिया और अपने मोटे लण्ड को मेरी चुत पर फिराने लगे।
मैं उनके नीचे पडी हुई लण्ड लेने के लिए तडप रही थी। फिर उन्होंने मेरे होठों पर अपने होंठ रखते हुए नीचे से लण्ड को मेरी चुत में घुसा दिया।
पहले झटके में तो सिर्फ उनका टोपा ही मेरी चुत में गया था, लेकिन मुझे बहुत तेज दर्द होने लगा। इससे पहले मैं बस अपने पति के लण्ड से चुदी थी, जो मोटाई में इनके लण्ड से आधा ही था।
थोडी ही देर में दर्द चला गया तो एक और धक्के में उन्होंने अपना पूरा लण्ड मेरी चुत में उतार दिया। इस धक्के के बाद, अब मैं बेहोश होने को थी। मुझे मेरे आसपास क्या हो रहा है, कुछ समझ नही आ रहा था।
ससुर जी अब बिना रुके मेरी चुत में अपना हल्लबी गधे जैसा लम्बा मोटा लण्ड अंदर बाहर कर रहे थे। उसके बाद मुझे कुछ याद नही है, जब मेरी आंख खुली तो ससुर जी एक टॉवल लेकर मेरे बदन को गर्म पानी से साफ कर रहे थे।
उठने के बाद, मैं उनसे अपनी आंखें नही मिला पा रही थी। उन्होंने मुझे एक पेनकिलर दी, जो मैंने चुपचाप खा ली। उसके बाद, तो हमें जब भी मौका मिलता हम चुदाई कर लेते।
आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बताइए। धन्यवाद।
// सुनील पंडित //
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