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दिल की ज़ुबानी
#1
Heart 
तुम सर्वत को पढ़ती हो
कितनी अच्छी लड़की हो

बात नहीं सुनती हो क्यूँ
ग़ज़लें भी तो सुनती हो

क्या रिश्ता है शामों से
सूरज की क्या लगती हो

लोग नहीं डरते रब से
तुम लोगों से डरती हो

मैं तो जीता हूँ तुम में
तुम क्यूँ मुझ पे मरती हो

आदम और सुधर जाए
तुम भी हद ही करती हो

किस ने जींस करी ममनूअ'
पहनो अच्छी लगती हो
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#2
मन जिस का मौला होता है
वो बिल्कुल मुझ सा होता है

आँखें हंस कर पूछ रही हैं
नींद आने से क्या होता है

मिट्टी की इज़्ज़त होती है
पानी का चर्चा होता है

जानता हूँ मंसूर को भी मैं
अपने ही घर का होता है

अच्छी लड़की ज़िद नहीं करते
देखो इश्क़ बुरा होता है

तुम मुझ को अपना कहते हो
कह लेने से क्या होता है
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#3
जागना और जगा के सो जाना
रात को दिन बना के सो जाना

टेक्स्ट करना तमाम रात उसको
उंगलियों को दबा के सो जाना

आज फिर देर से घर आया हूं
आज फिर मुंह बना के सो जाना
Ali Zaryoun
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#4
सब कर लेना लम्हें जाया मत करना
गलत जगह पर जज्बे जाया मत करना

इश्क़ तो नियत की सच्चाई देखता है
दिल ना दुखे तो सजदे जाया मत करना

सादा हूं और ब्रैंड्स पसंद नहीं मुझ को
मुझ पर अपने पैसे जाया मत करना

रोजी-रोटी देश में भी मिल सकती है
दूर भेज के रिश्ते जाया मत करना
Ali Zaryoun
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#5
खयाल में भी उसे बेरिदा नहीं किया है,
ये ज़ुल्म मुझसे नहीं हुआ, नहीं किया है।

में एक शख्स को ईमान जानता हूं तो क्या?
खुदा के नाम पे लोगों ने क्या नहीं किया है।

इसलिए तो मैं रोया नहीं बिछड़ते समय
तुझे रवाना किया है, जुदा नहीं किया है।

अगर ये बत्तमिज तुझसे डर रहे हैं तो फिर,
तुझे बिगाड़ के मैंने बुरा नहीं किया है।
Ali Zaryoun
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#6
जाने शेर में किस दर्द का हवाला था
कि जो भी लफ़्ज़ था वो दिल दुखाने वाला था



सलीम अहमद
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