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श्रेयसी की मदमस्त यौवन
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श्रयसी की मदमस्त यौवन
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मेरा नाम श्रेयसी पांडे है, मैं बी टेक 3र्ड इयर की स्टूडेंट हूँ. मेरी उमर 24 साल है. भगवान की कृपा से रंग गोरा और दिखने में सुन्दर हूँ या बोलु तो बहुत बहुत सुंदर हु ऐसा मेरी रिस्तेदार और दोस्त बोलती हैं और मुझे भी पता हैं की मै आकर्षक और सुंदर शायद इससे अच्छा आप यह बोल सकते हो कि मैं एक बार्बी डॉल सी क्यूट हूँ और मेरा यौवन गुलाब सा खिला खिला हैं !
मैं हरियाणा के छोटे से जिले यमुनानगर से हूँ और बी टेक करने दिल्ली आई हूँ, मेरा कॉलेज गुरुग्राम में है.

मेरे परिवार में मेरे पिता जी, माँ और एक छोटा भाई है जो मुझसे बहुत प्यार करते हैं और मैं भी अपने परिवार से बहुत प्यार करती हूँ, शायद यही कारण था कि मैं आज तक किसी ग़लत चक्कर में नहीं पड़ी और ना ही कभी बॉयफ्रेंड बनाया.

मेरा फिगर 36-24-36 का है, मैं अपने फिगर को लोगों को आकर्षित करने के लिए नहीं पर अपनी खुशी के लिए मेंटेन रखती हूँ मेरे कॉलेज के सब लड़के मेरे दीवाने हैं. बहुत लड़कों ने मुझे प्रपोज़ किया है और मेरे सारे रिस्तेदार भी मुझे पसंद करते हैं और एक पर एक शादी के लिए रिस्ते लाते हैं लेकिन मै पहले कुछ कर लेना चाहती हू फिर शादी के बारे मे सोचना चाहती हु और इसलिए आज तक मैंने कभी किसी लड़के को कभी हाँ नहीं कहा और ना ही कभी किसी लड़के से कभी दोस्ती की!
कालेज के सारे लड़के मेरे इस मदमस्त रुप को भोगना चाहते थे यहा तक शिक्षक भी मेरे मुझे बड़े हसरतो से देखते थे !काफी बार मैने नोटिस किया था की शिक्षक पढाते समय मेरे बड़े बड़े चुचियो को घुरते रहते थे और मेरे इस कोशिश मे रहते कि कब मेरे समिज इधर - उधर हो की उन्हे मेरे पैर का कटाव या फिर मेरे चुचियो का उभार दिख जाए या बोलु तो मेरे यौवन को देखने के फिराक मे लगे रहते लेकिन आज तक मैने इन सबको संभाल कर रखा था !
हमारे हि कालेज का एक भजनलाल सर थे जिसका उम्र 46 का था और आज तक शादी नही किए थे पता नही क्यो नही किए किए थे रंग से काले और 5 फिट 11 इंच लंबे थे ! वो हमारे कालेज के सबसे पुराने और गोल्ड मेडलीस्ट सर थे !कालेज पढाते और बचे समय मे ट्यसन भी देते थे उनके हि ट्यसन के लड़के हि कालेज और युनीवरसिटी मे टाप करते थे !उनका काम पढाने और लड़को को समझाने के अलावा कभी किसी से मतलब नही रखते थे और ना हि कभी किसी लड़की की तरफ देखते थे सभी उन्हे बड़े इज्जत के साथ देखते थे इसलिए सर का कालेज मे बड़ा मान था ! लेकिन उनमे एक ये भी आदत थी की वो बहुत कम लड़को को हि पढाते थे ! सभी चाहते थे की उनसे ट्यसन पढे लेकिन सबका नशिब इतना अच्छा ना था की वो उनसे ट्यसन पढ सके! इसलिए जब भी वो क्लास लेते सभी छात्र मन लगाकर पढते और ज्यादा से ज्यादा ध्यान देते !
एक दिन वो मशिन के क्लास ले रहे थे और टापिक टाप था इसलिए सभी ध्यान से देख रहे थे चुकी मै मशिन मे कमजोर थी इसलिए मेरा ध्यान आगे की तरफ था पता नही कब हवा की झोक से मेरे समिज मेरे पैड़ो से थोड़ा अलग हो गया और भजनलाल सर की नजर मेरे मोटे मोटे पैड़ो और जांगो तक चला गया ! ना चाहते हुए भी सर मेरे साइड के जांगो से नजर नही हटा पाए ! मेरे लाल लाल चुस्त सलवार मे मेरे पुरे मोटे - मोटे पैर सर को दिख रहे थे वो देख हि रहे थे की मुझे अहसास हुआ और मेरी नजर सर से टकराया की वो अपने नजर निचे कर लिए और अब मुझे भी अहसास हो गया था की सर की नजर मेरे पुरे पैर तक देख लि थी ! ये सोचते हि मै शर्म से लाल हो गई और सोची ये कैसे मुझसे गलती हो गया मुझे हि अच्छे से कपड़े का ध्यान रखने चाहिए था आज तक कभी तो ऐसा नही हुआ ! कभी मेरे कपरे इतने नही गिरे और आज तो पुरे कमर तक मेरी समिज सिकूड़ गई थी तो क्या सर ने मेरी पैर सू उपर तक जांघो तक घुर रहे थे ! छि क्या सोच रही हु सर कभी ऐसा नही सोचे होंगे ! आज तक कभी ऐसा नही हुआ की उनका कंम्पलेन आया हो और ऐसे व्यक्ति के बारे मे ऐसा सोचना पाप हैं !
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