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Adultery लेडीज़ टेलर
#1
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मेरे औरतों के बदन में अत्यधिक रुचि के कारण मैं लेडीज़ टेलर बन गया और दक्षिण दिल्ली के अमीर रिहाइशी इलाके में अपनी दूकान खोल ली। शुरुआती दिनों में एकदम शरीफ़ों जैसा बर्ताव करता था जिससे जल्दी ही मैने अपने ग्राहकों का विश्वास जीत लिया। एक दिन ज्योति अपना एक नया ब्लाउज़ सिलवाने के लिये मेरी दुकान आयी। वह अकेली थी और गुलाबी साड़ी और गुलाबी ब्लाउज़ में, जो मैने दो महीने पहले ही सिला था, गज़ब की कामोत्तेजक दिख रही थी। इस बार ब्लाउज़ का कपड़ा काला था। मैने उसके उरोजों की ओर देखते हुये बोला मैडम लाइये मैं वही पिछली वाली नाप का ब्लाउज़ सिल देता हूँ। वह बोली “नहीं, आप दुबारा नाप ले लीजिये क्योंकि यह टाइट हो गया है”।
मैंने कहा ठीक है मैडम आप अन्दर आ जाइये। जैसे ही वह अन्दर आयी मैने पर्दा चढ़ा दिया। अन्दर कम जगह और सामान फ़ैला होने की वजह से वो मेरे काफ़ी पास खड़ी थी। उससे आने वाली इत्र की खुशबू से मुझे अपने लंड में तनाव महसूस होने लगा था। मैने कहा “मैडम पल्लू हटाइये”, उफ्फ़ उसका ब्लाउज़ सच में काफ़ी टाइट था और उसके स्तन उससे बाहर आने को बेताब थे और उसके स्तनों के बीच की लकीर भी साफ़ दिखाई दे रही थी। मैने कहा “आपका ब्लाउज़ वाकई काफ़ी टाइट है माफ़ कीजिये मैडम पिछ्ली बार मैने सही नाप का नहीं सिला”।
वो थोड़ा शर्माते हुये बोली “नहीं मास्टर जी इसमें आपकी कोई गलती नहीं है, दो महीने पहले यह सही था”। मैं बोला “ठीक है मैडम अपने हाथ ऊपर कीजिये”। मैं नाप वाले फ़ीते को उसकी पीठ के पीछे से लाने के लिये आगे झुका और पहली बार अपने सीने से अपनी किसी ग्राहिका के उभारों को महसूस किया। मैने पीछे आने पर देखा कि वो कुछ धैर्यहीन होकर ऊपर देख रही है। मुझे डर लग रहा था कि पता नहीं मेरी इस हरकत पर उसकी क्या प्रतिक्रिया होती है। मैने प्यार से फ़ीते को उसके उरोज़ों पर कसा और बोला “मैडम ये अब ३७ इंच हो गया है पहले यह ३६ था”। वो कुछ नहीं बोली, मैं चाहता था कि वो कुछ कहे जिससे मैं उसकी भावनाओं का अनुमान लगा सकूँ।
फ़िर मैने उरोज़ों के नीचे उसके सीने का माप लिया वह चुपचाप खड़ी रही और ऊपर देखती रही। फ़िर मैने पूछा “मैडम बाँह और गला पहले जैसा ही रखना है या फ़िर कुछ अलग”। वो बोली “मास्टर जी आपके हिसाब से क्या अच्छा रहेगा?” मुझे बड़ी राहत मिली कि सबकुछ सामान्य है और खुशी भी हुयी कि वह मेरी राय जानना चाहती है। मैं इस मौके का भरपूर लाभ उठाना चाहता था जिससे कि ज्योति मुझसे थोड़ा खुल जाय। मैने कहा “मैडम, बिना बाँह का और गहरा गला अच्छा लगेगा आपके ऊपर”। उसने पूछा क्यों? मैने बनावटी शर्म के साथ हल्का सा मुस्कुराते हुये कहा “मैडम, आपकी त्वचा गोरी और मखमली है और काले ब्लाउज़ में आपकी पीठ निखर कर दिखेगी”।
मेरे पूर्वानुमान के अनुसार वह झेंप गयी पर बोली “ठीक है पर आगे से गला ऊपर ही रखना”। मैं वार्तालाप जारी रखना चाहता था इसलिये हिम्मत जुटा के बोला “क्यों मैडम, गहरी पीठ के साथ गहरा गला ही अच्छा लगेगा”। वो बोली “नहीं मेरे पति को यह अच्छा नहीं लगेगा” और इतना कहकर उसने अपना पल्लू ठीक किया और पर्दे की ओर आगे बढ़ी। मैने कहा “ठीक है” और पर्दा खोलते समय मेरा लिङ्ग उसके नितम्बों से रगड़ खा गया जिससे उसे मेरी सख़्ती का हल्का सा अहसास हो गया। औरतें इस प्रकार की अनैच्छिक दिखने वाली हरकतों को पसंद करतीं हैं। जब ज्योति बाहर जा रही थी मैने उसकी चाल में असहजता देखी। तभी वह मुड़ी और पूछा “मास्टर जी कब आऊँ लेने के लिये?” मैने कहा कम से कम एक हफ़्ता तो लग जायेगा तैयार होने में। ज्योति बोली “नहीं मास्टरजी मुझे कल ही चाहिये”।
मैं भी उससे जल्दी मिलना चाहता था पर अपनी इच्छा जाहिर न होने देने के लिये बोल दिया “मैडम कल तो बहुत मुश्किल है और इसके लिये मुझे कल किसी और को नाराज़ करना पड़ेगा”। इसबार जब वह मेरी आँखों की तरफ़ देख रही थी तभी मैने उसके उरोजों पर नज़र डाली। मैं चाहता था कि उसे पता चले कि मुझे उसके उरोज पसन्द आ गये हैं और मेरे इस दुःसाहस पर उसकी क्या प्रतिक्रिया होती है यह भी मैं देखना चाहता था। उसे मेरा उसके उरोजों को घूरना तनिक भी बुरा नहीं लगा, वह बोली “प्लीज़ मास्टर जी, मुझे यह कल शाम की पार्टी के लिये चाहिये”। मैने मुस्कुराते हुये उसकी आँखों में देखा और फ़िर उसके उरोजों पर नज़र डालकर बोला “ठीक है मैडम देखता हूँ कि मैं आपके लिये क्या कर सकता हूँ”। वह बोली “धन्यवाद मास्टरजी, प्लीज़ कोशिश कीजियेगा” और एक अद्भुत मुस्कुराहट के साथ मुझे देखा। फ़िर वह मुड़ी और अपनी कमर मटकाते हुये जाने लगी और मै उसे देखने लगा। मैं उसके स्तनों को एक बार फ़िर से देखना चाहता था इसलिये मैने आवाज़ लगाई “मैडम, एक मिनट”; वह पलटी और मेरी ओर वापस आने लगी।
इस बीच मैं उसके चेहरे, स्तनों, कमर और उसके नीचे के भाग को निहारता रहा। वह भी मेरी हरकतों को देख रही थी पर मैने उसके शरीर का नेत्रपान जारी रखा। मैं चाहता था कि उसे पता चल जाय कि मैं क्या कर रहा हूँ और मैं देखना चाहता था कि जब वह मेरे पास आती है उसकी प्रतिक्रिया क्या होती है। जैसे ही वह मेरी दूकान के काउन्टर के पास पहुँची मैने उसकी आँखों, वक्ष और जांघों को निहारते हुये बोला “मैडम, आप अपना फ़ोन नम्बर दे दीजिये जिससे कि मैं कल आपको स्थिति से अवगत करा सकूँ”। मेरे पास उसका नम्बर पहले से ही था पर मैं उसके बदन को एक बार और निहारना चाहता था और देखना चाहता था कि वह मेरे उसे खुल्लमखुल्ला घूरने पर क्या करती है। वह मुस्कुराते हुये बोली “क्या मास्टर जी, मैने पिछली बार दिया तो था आपको अपना नम्बर। मैं बोला “अरे हाँ, मैं अपने रिकार्ड देख लेता हूँ”। वह बोली “कोई बात नहीं फ़िर से ले लीजिये”।
उसने अपना नम्बर दिया और इस पूरे समय मैं उसके रसीले बदन को देखने की हर सम्भव कोशिश करता रहा। मैं सचमुच उत्तेजित होता जा रहा था क्योंकि वह मुझे किसी प्रकार की परेशानी का संकेत नहीं दे रही थी। मैने फ़िर से हिम्मत जुटा कर बोला “मैडम मुझे लगता है कि आपके ऊपर गहरा गला वाकई बहुत जँचेगा”। उसे अचानक मेरी इस बात से आश्चर्य हुआ पर वह मुस्कुराकर बोली “मास्टर जी, मुझे पता है पर मेरे पति को शायद यह अच्छा न लगे”। मैने कहा “मैडम, मैं ऐसे बनाउंगा कि उन्हें कुछ ख़ास पता नहीं चलेगा। आप अगर एक मिनट के लिये अन्दर आयें तो मैं आपको दिखा सकता हूँ कि मैं कितने गहरे गले की बात कर रहा हूँ”। ज्योति भी मेरे प्रति आकर्षित थी पर थोड़ा संकोच कर रही थी। मैं आज ही उसका संशय कुछ हद तक दूर करना चाहता था। मैं चाहता था कि मैं उसके जैसी किसी औरत से अपशब्द भरी भाषा में बात करूँ और उसके साथ सम्भोग करूँ। वो बोली “ठीक है जल्दी से दिखाइये मुझे घर पर काम है”।
मैं जानता था कि ये बुलबुल अब मेरे पिंजड़े मे है। जैसे ही वह अन्दर आयी मैने पर्दा खींचकर बोला “मैडम, अपना पल्लू हटाइये और मुझे देखने दीजिये कि आप अपनी कितनी क्लीवेज दिखा सकती हैं जिसे आपके पति गौर न कर सकें परन्तु और लोग कर लें”। मुझे पता था कि मैं वहाँ जलता हुआ आग का गोला फ़ेंक रहा था क्योंकि यदि सचमुच वह सती सावित्री है तो उसे मेरी यह बात अच्छी नहीं लगेगी और वह यह कहते हुये मेरी दूकान से चली जायेगी कि उसे नहीं बनवाना गहरे गले वाला ब्लाउज़। पर अबतक मुझे थोड़ा आभास हो गया था कि वह ऐसा नहीं करेगी। उसने बिना कुछ बोले हुये अपना पल्लू हटा लिया जिससे मेरे लंड की हिम्मत और तनाव दोनों बढ़ गये। जैसे ही उसने अपना पल्लू हटाया सफ़ेद ब्रा और गुलाबी ब्लाउज़ में लिपटे उसके तरबूजों जैसे स्तन मेरी आँखों के सामने थे।
कुछ देर तक मैं बिना कुछ बोले एकटक उन्हें देखता रहा। वह भी दूकान के सन्नाटे के एहसास से थोड़ी शर्मसार हो रही थी पर मैं बिना किसी चीज़ की परवाह किये उसे देखता रहा। उसके माथे पर पसीने की बूँदें साफ़ झलक रहीं थीं। इसलिये मैने पूछा “मैडम, आप पानी लेंगी”। वो बोली “नहीं मास्टर जी”। अब उसने मेरी आँखों मे देखा तो मैं तुरन्त उसके उरोजों पर ध्यान केन्द्रित करते हुये बोला “मैडम आप अपने ब्लाउज़ का पहला हुक खोलिये मैं देखना चाहता हूँ कि आपकी कितनी क्लीवेज दिखती है”। उसने अपना पहला हुक खोला तो ब्लाउज़ कसा होने के कारण उसके उभार दिखाई देने लगे साथ ही क्लीवेज का भी कुछ भाग दिखाई देने लगा।
उसने शर्माते हुए अपना चेहरा उठाया पर मैने अपने चेहरे पर बिना कोई भाव लाये अपने दोनों हाथ उठाये और उसके ब्लाउज़ के खुले हुये भाग पर ले गया और उसे इस तरह से दूर किया कि मुझे क्लीवेज ठीक से दिखने लगे। इस सब में कई बार मेरी उंगलियाँ उसके स्तनों से छुईं। मैं बोला “देखिये मैडम, अगर हम गले को एक इंच नीचे कर दें तो यह इतनी क्लीवेज दिखाने के लिये काफ़ी होगा”। इतना कहते हुये मैने अपनी एक उंगली उसके क्लीवेज में डाल दी। उसके बदन में एक सिहरन सी दौड़ गयी और उसने हल्की सी आह भरी। मेरे धैर्य के लिये यह बहुत था तुरन्त मैने उसे अपनी बाँहों में ले लिया। उसने भी कोई विरोध नहीं किया और कुछ ही पलों में मेरी बाँहों में ही पिघल गयी।
ज्योति मैडम मेरी बाँहों में थीं, मैं जानता था कि यदि मैं चतुराई से चाल चलूँ तो यह औरत मुझे बहुत सुख देने वाली है। इसलिये मैने निर्णय लिया कि उसके रसीले बदन का भोग सावधानी और धैर्यपूर्वक किया जाय। उसका चेहरा मेरी छाती पर था और बाँहें मुझे घेरे हुये। मैं धीरे धीरे उसकी पीठ की मालिश कर रहा था, उसके ब्रा के पट्टे का अनुभव कर रहा था, उसकी नंगी रेशमी कमर को छू रहा था और फ़िर मेरे दोनों हाथ उसके भरे पूरे नितम्बों पर पहुँचे। मैं दोनों हाथों से कस कर उन्हें मसलने लगा और अपने पूरी तरह से उत्तेजित लंड की ओर ढकेलने लगा।
उसे भी इस सब में आनंद आ रहा था क्योंकि वह भी अपने बदन को मेरे इशारों पर हिला रही थी। मैं चाहता था कि वो मेरी बाँहों में रहते हुये नज़रों से नज़रें मिलाये इसलिये मैंने उससे कहा “मैडम मैं आपके होंठों का रस पीना चाहता हूँ”। वो कुछ नहीं बोली और अपना चेहरा भी ऊपर नहीं किया सिर्फ़ सिर हिला कर मना कर दिया। दरअसल उसे मुझसे नज़रें मिलाने में बहुत शर्म आ रही थी पर निश्चय ही वह अपनी जांघों के बीच मेरे उत्तेजित लंड के स्पर्श का आनन्द उठा रही थी क्योंकि उसके नित्म्बों से मेरे हाथ हटाने के बावजूद भी उसने मुझसे अलग होने का प्रयत्न नहीं किया। मुझे डर था कि कहीं कोई दूकान में आ न जाय और साथ ही मैं उसकी उत्तेजना शान्त किये बिना उसे अधूरा छोड़ना चाहता था ताकि वह घर जा कर मेरे बारे में सोचे इसलिये मैनें कहा “मैडम कोई आ जायेगा”। पर ये सुनने के बाद भी वह मुझसे अलग होने के लिये तैयार नहीं थी, शर्म और आनन्द दोनों ही कारण थे।
अब मैने जबरन अपने दाहिने हाथ से उसका चेहरा ऊपर किया जबकि मेरा बाँया हाथ अभी भी उसके नितम्बों की मालिश में व्यस्त था। उसने अपनी आँखें बन्द कर रखीं थीं। मैनें कहा “ज्योति (पहली बार उसे नाम से बुलाया), अपनी आँखें खोलो”। उसने एक पल के आँखें खोलीं, मुस्कुराई और फ़िर आँखें बन्द कर लीं। मैने अपने बाँयें हाथ की उँगली उसके नितम्बों के बीच की लकीर में डालकर उसके होठों को चूमना शुरु कर दिया। थोड़े से विरोध के बाद उसने अपने होंठ खोल दिये और मुझे अपनी इच्छा से उनका पान करने की छूट दे दी।
मैं सातवें आसमान पर था, उसके उरोज मेरे सीने से भींचे हुये थे, मैं उसके होंठों को चूसचूस कर सुखा रहा था और मेरे दोनों हाथ उसकी शिफ़ान की साड़ी के बीच उसकी पीठ के हर भाग को टटोल रहे थे। इसी बीच मेरे हाथ उसकी पैंटी की सीमाओं को महसूस करने लगे। मैने उसकी पैंटी की इलास्टिक को थोड़ा खींचकर उसे यह संकेत दे दिया कि मैं उसके साथ अभी और भी अन्तरंग सम्बन्ध स्थापित करना चाहता हूँ। अब सावधानी बरतते हुये और भविष्य की सम्भावनाओं को जीवित रखने के लिये मैनें उसे अपने आगोश से अलग लिया और उसका चेहरा ऊपर करके उसकी आँखों में देखकर उससे बोला “ज्योति मैं तुम्हारा ब्लाउज़ कल दे दूँगा अब अपना पल्लू ठीक कर लो”। वह पूरी तरह से भूल गयी थी कि वह मेरे सामने बिना पल्लू के और खुले हुये हुक वाले ब्लाउज़ में खड़ी है। उसने झेंपते हुये अपना पल्लू उठाया और जाने लगी, मैनें कहा “मैडम ब्लाउज़ का हुक लगा लीजिये”।
वह फ़िर से रुकी और मेरी तरफ़ पीठ करके ब्लाउज़ का हुक लगाने लगी। तभी मैने उसे पीछे से अपनी बाँहों में लेकर बोला “मैडम आप बहुत सुन्दर और कामुक हैं” और इतना कहकर मैं उसकी गर्दन को चूमने लगा। अभी भी वह कामुकता की आग में जल रही थी। मेरे दोनो हाथ उसकी नाभि से खेलते हुये उसके स्तनों तक पहुँच गये। फ़िर मैं दोनो हाथों से उसके स्तनों को प्यार से दबाने लगा। उसने हल्की सी आह भरी और उत्तेजित होकर अपना सिर ऊपर उठा लिया। जहाँ मेरा बाँया हाथ अभी भी उसके स्तनों को दबाने में व्यस्त था वहीं मैं अपने दाहिने हाथ को उसकी जांघों के बीच ले गया और बोला “मैडम, मैं आपका गीलापन कपड़ों के ऊपर से ही महसूस कर सकता हूँ”।
उसने फ़िर एक आह भरी और मेरी उंगलियों पर एक धक्का लगाया। मेरा लंड उसके नितम्बों से टकरा रहा था, मेरा बाँया हाथ उसके स्तनों की मसाज़ कर रहा था, मेरे होंठ उसकी गर्दन और गालों को चूम रहे थे और मेरा दूसरा हाथ उसकी योनि की मसाज़ कर रहा था; उसके दोनों हाथ काउन्टर पर टिके थे। मैं उससे अभद्र भाषा में बात करना चाहता था तो मैनें सोचा यही ठीक समय है इसे शुरू करने का। मैं बोला “ज्योति, मस्त जवानी है तेरी”। वह चुप रही और मेरे चुम्बनों और मसाज़ का आनन्द उठाती रही। फ़िर मैनें कहा “आज अपने पति से चुदवाते हुये मेरा ख़्याल करना”। यह सुनते ही वह होश में आयी और झटके से मुझसे अलग हो गयी, अपने कपड़े ठीक किये, पर्दा खोला और जल्दी से बिना कुछ बोले वहाँ से चली गयी।
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मैं उसका ब्लाउज़ सिलते हुये सोच रहा था कि वह सचमुच आज के घटनाक्रम के बाद अपनेआप और मुझ से नाराज़ हो गयी है और पता नहीं इसका परिणाम क्या होगा। करीब रात के आठ बजे होंगे कि अचानक मेरा मोबाइल फ़ोन की घंटी बजी, उसी का फ़ोन था। वो बोली “मास्टर जी, मैं आपसे अपने बर्ताव के लिये शर्मिन्दा हूँ, सबकुछ अचानक से हुआ। मुझे बिना कुछ बोले चले आने के लिये माफ़ कर दीजिये”।
मैं चुपचाप सुन रहा था। वो आगे बोली “मैं धैर्यहीन हो गयी थी और मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ , आयन्दा से ऐसा नहीं होगा”। मैने राहत की साँस ली और बोला “कोई बात नहीं ज्योति जी”। मैने बोला कि मैं अभी उन्हीं का ब्लाउज़ सिल रहा था एक घन्टे मे तैयार हो जायेगा। वह खुश हो गयी और बोली “तुम कितने अच्छे हो, मैं तुमसे…” वह बीच में ही रुक गयी।
मैने उसे बात पूरी करने के लिये बाध्य नहीं किया और पूछा कि वह कल कब आयेंगी ब्लाउज़ लेने के लिये। उसने कहा “क्योंकि कल पार्टी है क्या तुम सुबह मेरे घर पर आकर दे सकते हो। मैने कहा “ठीक है, मैं दूकान खोलने के पहले करीब ११ बजे आऊँगा”।
उसने धन्यवाद बोला। मैने कहा “ज्योति जी, आप मेरी वो वाली बात याद रखियेगा जो मैने आपके जाने से तुरन्त पहले बोली थी”। वो हँसी और बोली “तुम बड़े शरारती हो। ठीक है मैं कोशिश करूँगी”। इतना कहकर उसने फ़ोन काट दिया मैं ख़्यालों के सातवें आसमान पर पहुँच गया।
 
अगली सुबह मैं करीब ११ बजे उसके घर पहुँचा और घन्टी बजाई। एक आदमी ने दरवाज़ा खोला जो सम्भवतः उसका पति था। जब मैने बताया कि मैं दर्जी हूँ तो उसने आवाज़ लगाई ज्योति और मुझको अन्दर आने के लिये बोला। ज्योति आयी और मैने उसे ब्लाउज़ दे दिया। जैसे ही मैं जाने लगा उसके पति ने बोला “ज्योति तुम इसे पहन कर फ़िटिंग देख क्यों नहीं लेतीं, अभी देख लो अगर कुछ कमी हो, नहीं तो पार्टी के लिये बहुत देर हो जायेगी”। वो बोली ठीक है और अन्दर कमरे में चली गयी। उसका पति भी दूसरे कमरे में कुछ काम से चला गया।
मैं वहीं उसके आने का इन्तज़ार करने लगा। कुछ देर बाद वह बाहर आयी बोली “मास्टर जी, यह नीचे से थोड़ा ढीला है”। लेकिन उसने ब्लाउज़ पहन नहीं रखा था इसलिये मैनें पूछा “मैडम, कितना ढीला है?” तभी उसका पति बाहर आया और बोला “ज्योति, तुम इसे ब्लाउज़ पहन कर फ़िटिंग दिखा क्यों नहीं देतीं और हाँ मैं बाहर जा रहा हूँ शाम की पार्टी के लिये कुछ ठंडा लाना है”। उसने जाने से पहले मुझे बाहर ही इन्तज़ार करने को कहा जबकि ज्योति फ़िर से ब्लाउज़ बदलने अन्दर कमरे में चली गयी।
शायद उसे अपनी पत्नी पर कुछ ज़्यादा ही भरोसा था। जब ज्योति ब्लाउज़ पहन कर बाहर आयी तो पहले उसने जाकर बाहर का दरवाज़ा बन्द किया, फ़िर मुड़ी और मुस्कुराकर बोली “देखिये न कितना ढीला है”। वह काली साड़ी और काले ब्लाउज़ में बहुत ही कामुक लग रही थी। मैं उसके पास गया और उसकी नज़रों में नज़रें डाले उसकी साड़ी का पल्लू हटा दिया। वह कुछ नहीं बोली। मेरी आँखों के सामने एक अद्भुत नज़ारा था। उसकी क्लीवेज दिख रही थी और उसके स्तनों के ऊपरी उभार मुझे उकसा रहे थे। दरअसल ब्लाउज़ ज़रा भी ढीला नहीं था एकदम फ़िट था। मैनें ब्लाउज़ के नीचे से अपनी दो उंगलियाँ घुसा दीं और पूछा “ज्योति जी, कहाँ से ढीला है?”
अब तक मेरा दिल अन्दर ही अन्दर खुशी और उत्तेजना से जोरों से धड़कने लगा था। एक खूबसूरत और कामुक घरेलू औरत मेरे सामने बहकने को तैयार खड़ी थी। उसका पति घर से बाहर था और वह मेरे आगोश में आने को बेताब थी। मेरी दोनों उंगलियाँ नीचे से उसके स्तनों को ब्रा सहित स्पर्श कर रही थीं और वह मुझसे नज़रें चुराती हुयी नीचे देख रही थी।
मुझे पता था कि आज समय कम है इसलिये मैं बिना समय गँवाए बहुत कुछ करना चाहता था। मैनें अपनी उंगलियाँ एक एक करके उसके दोनों स्तनों पर फ़िरायीं और बोला “ज्योति जी, ये ब्लाउज़ बस इतना ही ढीला है कि मेरी उंगलियाँ अन्दर जा सकें”। वह थोड़ा मुस्कुराई पर शर्म के मारे नीचे ही देखती रही। अब मैने हिम्मत जुटाके एक और कदम आगे बढ़ाते हुये अपना दूसरा हाथ उसकी जांघों के बीच ले गया और उसकी योनि को साड़ी के ऊपर से ही सहलाते हुये बोला “आपका ब्लाउज़ भी बस इतना ही ढीला है जिसमें मेरी दो उंगलियाँ जा सकें”।
वह मुस्कुराई और शर्माते हुये जल्दी से मुझसे लिपट गयी। मैं एक एक करके उसकी पीठ, नितम्ब और योनि को कपड़ों के ऊपर से ही सहला रहा था। उसके दोनों स्तन मेरी छाती से दबे हुये थे और उसकी साँस भी तेज़ हो गयी थी क्योंकि मेरा लंड उसकी योनि से बार बार रगड़ खा रहा था। ज्योति मुझसे लिपटे हुये अपनी पीठ और कूल्हों पर मेरी मसाज़ का भरपूर आनन्द ले रही थी और मेरे पूर्णतया उत्तेजित लंड को महसूस कर रही थी।
तभी अचानक दरवाजे की घन्टी बजी और हमदोनों जल्दी से अलग हो गये, ज्योति ने अपना पल्लू सही किया और दरवाज़ा खोलने चली गयी। दरवाज़े पर अपनी पड़ोसी सोनिया को देखकर उसने राहत की साँस ली। उन्होनें धीमी आवाज़ में कुछ बात करी और जल्द ही वह वापस लौट गयी। जैसे ही ज्योति ने फ़िर से दरवाज़े का कुण्डा लगाया मैने आँख मारते हुये उससे बोला ” ज्योति जी, अपने पतिदेव को फ़ोन करके कुछ और ज़रूरी सामान लाने के लिये बोल दीजिये ताकि उन्हें बाज़ार से आने में एकाध घन्टा और लग जाय”।
ज्योति भी थोड़ा सा हँसी और फ़िर फ़ोन लगा कर अपने पति से बात करने लगी। जब वह अपने पति से बात कर रही थी मैने पीछे से जाकर उसे अपनी बाँहों मे ले लिया और उसकी नंगी कमर को सहलाने लगा। वह थोड़ा हड़बड़ाई पर फ़िर सामान्य होकर अपने पति से बात करते हुये मेरी हरकतों का आनन्द लेने लगी। मैं उसकी नाभि में उंगली डालकर दूसरे हाथ से उसके स्तनों को दबाते हुये सोच रहा था कि क्या किस्मत पायी है मैनें कि एक औरत मुझसे सम्बन्ध बनाने के लिये अपने पति को बेवकूफ़ बना रही है। यह सोच कर मैं और भी कामोत्तेजित हो गया और उसकी योनि को पीछे से सहलाने लगा।
इस हालत में वह चाहकर भी अपने पति से ठीक से बात नहीं कर पा रही थी इसलिये उसने यह कहते हुये फ़ोन रख दिया कि टेलर ब्लाउज़ देने के लिये उसका इन्तज़ार कर रहा है।मैं अबतक काफ़ी उत्तेजित हो गया था और अब इस बेवफ़ा पत्नी से अशिष्ट भाषा में बात करना चाहता था। मैं बोला “क्यों ज्योति जी, गीली हो गयी है क्या?” वो कुछ नहीं बोली और आँखें बन्द किये हुये अपना चेहरा मेरे सीने पर रखकर मेरे हाथों से आनन्द लेती रही।
मैं चाहता था कि वह मेरी अभद्र बातों का उत्तर दे इसलिये मैनें और जोरों से उसकी योनि और स्तनों को मसलना शुरू कर दिया और बोला “ज्योति जी आप बहुत मस्त हैं, क्या मैं आपको रानी कह सकता हूँ?” उसने सिर हिला कर अपनी सहमति जताई। मैने फ़िर खुशी से देर तक उसके गर्दन और कानों को चूमा और इस बीच अपने हाथों को उसके बदन की मसाज़ में व्यस्त रखा। फ़िर मैने बात शुरू करते हुये पूछा “ज्योति रानी, बताओ ना अब तो, गीली हुयी या नहीं”। उसने अनजान बनते हुये भारी आवाज़ में पूछा “क्या गीली हुयी?”
मैं इसी मौके की तलाश में था, मैने उसकी योनि को थपथपाते हुये कहा “आपकी चूत, ये जिसकी मैं इतनी देर से मालिश कर रहा हूँ”। वह चूत का मतलब जानती थी इसीलिये बस सिर हिला कर हाँ बोल दिया और आँखें बन्द किये हुये आनन्द उठाती रही। मैनें उसके शरीर के कामोत्तेजक भागों को छेड़ना जारी रखा जबकि मेरा पूरी तरह से खड़ा हुआ लंड उसके शरीर से टकराता रहा। उसकी साँस बड़ी तेजी से चल रही थी, उसके दोनों हाथ मेरे कंधों पर थे और वह कामोत्तेजना की वज़ह से अपने होठों को चबा रही थी। मेरी मसाज़ के साथ अपने नितम्बों को हिलाते हुये आखिरकार वह बोल पड़ी “ओह मास्टर जी, आप ये क्या कर रहे हैं, आपने मुझे कामवासना में पागल कर दिया है, प्लीज़्… वो अभी आते ही होंगे”।
पर जिस तरह से वह शरीर हिला हिला कर मेरा साथ दे रही थी मैं जानता था कि वह चाहती है कि मैं यह सब जारी रखूँ। फ़िर मैनें अपना एक हाथ उसके ब्लाउज़ और ब्रा के अन्दर डाल दिया। पहली बार उसके नंगे मखमली स्तनों के स्पर्श से मैं और उत्तेजित हो गया और उसके निप्पलों को चुटकी में दबाते हुये बोला “रानी, ये तो बस शुरुआत है किसी और दिन दिखाऊँगा कि मैं तुम्हारे इस सुन्दर बदन के साथ क्या क्या कर सकता हूँ”।
वह आहें भरते हुये मेरी मसाज़ के साथ हिलहिलकर मेरे करामाती हाथों को अपने स्तन और निप्पल पर महसूस करती रही। वह सच में एकदम गीली हो चुकी थी और कामोन्माद की चरम सीमा पर पहुँचने वाली थी। वो बोली “मास्टर जी प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिये वरना हम दोनों पकड़े जायेंगे”। पर उसने अलग होने के लिये कोई शारीरिक प्रयत्न नहीं किया।
मैं जानता था कि वह आनन्द की चरम सीमा के नज़दीक है इसलिये मैने उसकी योनि और स्तनों को रगड़ने की गति और तेज़ कर दी। मैं चाहता था कि अपने पति के आने से पहले वह कामोन्माद की चरम सीमा पर पहुँच कर शांत हो जाये अतः मैनें अपना काम जारी रखा। उसकी साँसें और तेज हो गयीं और उसने एक सिहरन के साथ मुझे जकड़ लिया। उसके स्तन मेरी सीने पर बहुत अच्छा अनुभव दे रहे थे उसके कोमल नितम्बों के स्पर्श से मेरा लंड भी बेकाबू हुआ जा रहा था। जब मैनें देखा कि वह मुझसे स्वयं अलग नहीं हो रही है तो मैं उसकी पीठ और नितम्बों को सहलाते हुये बोला “ज्योति जी आप ठीक तो हैं न, आपके पति कभी भी आ सकते हैं उसके पहले आप सामान्य हो जाइये”। मुझे छोड़ने के बजाय उअसने मुझे और कसकर जकड़ लिया और बोली “नहीं”।
मैं मुस्कुराता हुआ बोला “ज्योति जी मैं जानता हूँ कि अभी आपकी योनि में रसवर्षा हो रही है। इससे पहले कि आपके पति आपकी पैंटी देखें या फ़िर उन्हें इसकी महक आये आप जाकर इसे धो लीजिये”। मेरी इस बात का उस पर कुछ असर हुआ और वह मुझसे अलग होकर अपने आपको सम्हालते हुये अपना पल्लू उठाकर बाथरूम की तरफ़ भाग गयी। मैनें मुस्कुराते हुये बोला “मैडम, मैं आपके ब्लाउज़ का इन्तज़ार कर रहा हूँ”।
ज्योति अभी बाथरूम के अन्दर थी, क्योंकि उसका पति अभी तक नहीं आया था मैने मुख्य दरवाज़े का कुण्डा खोल दिया ताकि उसे किसी प्रकार का शक न हो। थोड़ी देर में उसका पति आया और मुझे देख्कर थोड़ा मुस्कुराया फ़िर ज्योति को आवाज़ लगाई। ज्योति बाथरूम से बाहर निकलकर मुझे ब्लाउज़ देते हुये बोली “मास्टर जी क्या आप आज शाम ५ बजे से पहले इसे ठीक करके दे देंगे”। मैनें कहा “ठीक है मैडम, मुझे मालूम है कि आपको यह पार्टी में पहनना है”।
यह कहते हुये मैनें उसे आँख मारी, उसका पति यह सब नहीं देख पाया क्योंकि वह मेज़ पर रखे सामान को व्यवस्थित करने में व्यस्त था। ज्योति ने बड़ी सहजता से मेरी इस हरकत को नज़र अंदाज़ कर दिया। मैनें अपना सामान उठाया और बाहर जाने लगा। दरवाजा बन्द करने आती ज्योति को मैने फ़िर से शरारती ढंग से आँख मारी जिसे देखकर वह भी हल्का सा मुस्कुरा दी।
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वह अभी भी अन्दर से काफ़ी गीला महसूस कर रही थी और अपनी पैंटी बदल चुकी थी जो फ़िर से गीली होने लगी थी। उसने अपनी काम रस में भीगी पैंटी पानी में भिगा दी थी ताकि उसके पति को इसकी कोई भनक या महक न लगे। उसे अभी भी यह यकीन नहीं हो रहा था कि अपनी शादी के सिर्फ़ छः महीने बाद ही उसका एक नौजवान दर्जी से विवाहेत्तर सम्बन्ध स्थापित होने जा रहा है। इन छः महीनों में उसके पति ने उसके शरीर का भरपूर भोग किया था और उसकी हर कामाग्नि को बुझाया था।
शायद इस अन्तराल में एक भी दिन ऐसा नहीं बीता था जब दोनों ने सम्भोग न किया हो। दरअसल उसके मेरे प्रति आकर्षण के पीछे उसका दिनभर घर पर अकेले रहना एक बड़ा कारण था। उसके मन में मेरे लिये प्यार जैसी भावनाएँ पनपने लगीं थी। इसके साथ ही उसके मन में कहीं न कहीं अपने इस कुकृत्य के लिये आत्मग्लानि की भावना भी आ रही थी और वह अपने शरीर को अपने पति को समर्पित करके इसका आंशिक पश्चाताप करना चाहती थी। अतः उसने अपने पति के साथ कामक्रीड़ा करने का निर्णय लिया और सोचा कि इससे उसकी पहले से ही गरम और गीली योनि को भी तृप्ति मिल जायेगी। इसलिये उसने जाकर अपने पति को पीछे से पकड़ लिया और आहें भरते हुये सहलाने लगी। उसके स्तन उसके पति के शरीर से स्पर्श कर रहे थे।
उसके पति को उसकी इस पहल से सुखद आनन्द की प्राप्ति हुयी साथ ही आश्चर्य भी हुआ पर वह अपने काम में मशगूल रहा यद्यपि अबतक उसका लंड में तनाव महसूस होने लगा था। ज्योति उसके सीनों का मसाज़ करते हुये धीरे धीरे अपना हाथ नीचे ले गयी और उसके लंड में आये तनाव का अनुभव किया। उसने अपनी आँखें बन्द कर रखीं थीं पर वह अपने ख्यालों से मुझे नही निकाल पा रही थी और अपने पति को अपनी बाहों में लेकर भी मेरे बारे में ही सोच रही थी। उसे अपनी योनि में फ़िर से सरसराहट महसूस होने लगी थी इस लिये वह अपने पति के पिछवाड़ों पर अपनी योनि को रखकर दबाते हुये हिलाने लगी।
उसके ख्यालों मे तभी दखल पड़ा जब उसके पति ने पीछे मुड़कर अपनी बाहों में ले लिया और उसके होठों को चूसने लगा। ज्योति ने भी अपनी आँखें बन्द करके अपना शरीर अपने पति के हाथों में ढीला छोड़ दिया। राम (उसका पति) उसके नितम्बों को दोनों हाथों से दबाने लगा और उसका लंड ज्योति की मेरे द्वारा उत्तेजित की गयी योनि से टकरा रहा था। ज्योति बुरी तरह से चाहती थी कि उसकी योनि में कोई प्रवेश करे इसलिये वो बोली “राम, ऊ… ऊ… ओह, मैं अब और इन्तज़ार नहीं कर सकती, प्लीज़… तुम मेरी योनि की आग बुझाओ”।
राम को उसकी बात सुन कर आश्चर्य हुआ क्योंकि सामान्यतया ज्योति प्रणय निवेदन की पहल नहीं करती थी, पर क्योंकि उसे यह अच्छा लगा इसलिये उसने इसका कोई और मतलब निकालने की कोशिश नहीं की।
उसने ज्योति को अपने से अलग करके उसका पल्लू हटाया और काले ब्लाउज़ में लिपटे हुये उसके भरेपूरे स्तनों को निहारने लगा। ज्योति भी लज्जा वश सिर झुका कर अपने वक्षों को देखने लगी जोकि उसकी गहरी साँसों की वजह से तेजी से ऊपर नीचे हो रहे थे। राम दोनों हाथों से उसके स्तनों को दबाने लगा। ज्योति ने कामोत्तेजित होकर अपने होंठों को काटा और आँखें बन्द करके फ़िर से मेरे बारे सोचने लगी।
कामोत्तेजना में उसकी हालत बुरी थी और उसकी योनि से कामरस लगभग बरस रहा था। राम ने उसके ब्लाउज़ का हुक खोलना शुरू किया और हर एक हुक खोलने के साथ ही वह अपनी उँगलियों को उसकी क्लीवेज में डालने लगा और उसके स्तनों हल्का सा दबाते हुये अगले हुक पर बढ़ने लगा। अब उसके ब्लाउज़ के सारे हुक खुल चुके थे और सफ़ेद ब्रा में लिपटे उसके स्तन राम पर गज़ब ढा रहे थे।
ज्योति ने अपनी आँखें अभी भी बन्द की हुयी थीं। राम ब्रा के ऊपर से ही उसके स्तनों को दबाता हुआ बोला “ज्योति तुम्हारी क्लीविज इतनी कामुक और आमन्त्रित करने वाली है इसीलिये मैं चाहता हूँ कि तुम कभी गहरे गले का ब्लाउज़ पहन कर इसे सबको न दिखाओ”। ज्योति हर पल का आनन्द उठा रही थी पर साथ ही चिन्तित भी हो रही थी क्योंकि उसका मेरे द्वारा सिला हुआ नया ब्लाउज़ उसकी क्लीवेज दिखाता था। पर फ़िलहाल वह इस बात को नज़रअंदाज़ करके राम के साथ (ख्यालों में मेरे साथ) रति क्रीड़ा का आनन्द उठाने लगी।
क्योंकि राम की बातें उसे मेरे बारे मे सोचने से विचलित कर रही थीं इसलिये उसने शरारती मुसकान के साथ राम से बोला “मेरे प्यारे राम, काम ज़्यादा करो और बातें कम” और आँखें बन्द करके फ़िर से पैंट के ऊपर से उसके लंड को महसूस करने लगी। राम उसकी इस साहसिक बात से पुनः आश्चर्यचकित हुआ पर वह इससे इतना कामोत्तेजित हो रहा था कि उसने इसका कोई और मतलब निकालने की जहमत नहीं उठाई। वास्तव में अपनी पत्नी में आये इस नये बदलाव से वह काफ़ी प्रसन्न और उत्साहित था। अब उसने उसके स्तनों को दबाते हुये उसकी साड़ी उतारनी शुरू की। जैसे ही पूरी साड़ी जमीन पर गिरी उसने ज्योति के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया।
अब उसके सामने ज्योति बड़ी ही कामुक दशा में खुले ब्लाउज़, ब्रा और पैंटी में खड़ी थी। उसकी योनि का उभार उसकी पैंटी के ऊपर भी साफ़ दिख रहा था। राम ने उसकी योनि पर जैसे ही हाथ रखा वह जोरों से साँस लेते हुये कँपकँपी के साथ उससे चिपक गयी।
उसने देखा कि सिर्फ़ स्तन और नितम्ब को दबाने भर से ही उसकी योनि से एक बार कामरस विसर्जित हो चुका है उसे काफ़ी हैरत हुयी यह देखकर कि बस इतने से ही वह एक बार (दरअसल दूसरी बार, पहली बार १५ मिनट पूर्व मैने उसे कामोन्माद का अनुभव दिया था) स्खलित हो चुकी थी। पर उसे लगा कि यह सब उसके कामोत्तेजक स्पर्श की वजह से सम्भव हुआ और इसमे गौरवान्वित महसूस करने लगा।
बेचारा राम! वह उसके नितम्बों और पैंटी में लिपटी बहती योनि की मसाज़ करता रहा। ज्योति बिना राम के लंड के प्रवेश के ही अपने दूसरे स्खलन का आनन्द उठा रही थी। अब राम भी पूरी तरह उत्तेजित हो गया था और उसका लंड पत्थर की भाँति कड़ा हो गया था। वह भी अपने लंड को ज्योति की योनि पर कपड़ों के ऊपर से ही रगड़ कर चरम सीमा पर पहुँचने हि वाला था कि दरवाजे पर घंटी बजी।
शाम की पार्टी में शामिल होने राम की बहन अल्पना अपने परिवार के साथ आयी थी। दोनों को अपनी अधूरी कामक्रीड़ा को मजबूरन भूलना पड़ा। ज्योति को अभी भी अपनी योनि के पास चिपचिपाहट महसूस हो रही थी और वह मेरे और मेरे स्पर्श के बारे में सोच रही थी। उसकी पैंटी उसकी योनि से चिपकने की वजह से वह थोड़ा अजीब से चल रही थी। इसे देखकर अल्पना ने मुस्कुराते हुये बोला “ज्योति, लगता है भैया की रात की हरकतों की वजह से तुम्हें वहाँ पर दुःख रहा है”।
ज्योति ने झेंपते हुये बोला “नहीं ऐसी कोई बात नहीं है” और सम्भल कर चलने लगी। अल्पना का पति आनन्द भी ज्योति का बहुत बड़ा दीवाना था और मौका पाकर चोरी छिपे उसे निहारता रहता था। ज्योति को भी आनन्द की ये हरकतें अच्छी लगती थीं।
शाम ठीक पाँच बजे मैं ज्योति के घर उसका ब्लाउज़ देने पहुँच गया। वह मेरा ही इन्तज़ार कर रही थी। उसने कसी हुयी जीन्स और टीशर्ट पहन रखी थी जिसकी वजह से उसके बदन के सभी उभार बहुत खूबसूरती के साथ उजागर हो रहे थे। सभी लोग अन्दर बैठे थे, ज्योति दरवाज़ा खोलने के लिये आयी। वह जैसे जैसे आगे बढ़ रही थी उसकी योनि में कुलबुली हो रही थी। जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला मैने मुस्कुराते हुये उसे आँख मारी। फ़िर कसे हुये कपड़ों में लिपटे उसके बदन को ऊपर से नीचे तक निहारने लगा। वह शर्माते हुये नीचे देख रही थी परन्तु अन्दर ही अन्दर उसे मज़ा आ रहा था और वह उत्तेजित हो रही थी।
फ़िर उसने चुप्पी तोड़ते हुये बोला “मास्टर जी अन्दर आ जाइये, मैं ब्लाउज़ पहन के देख लेती हूँ कि और तो कोई कमी नहीं है दूर करने के लिये”। मैनें उससे इशारों में पूछा कि घार के बाकी लोग कहाँ हैं, उसने भी इशारों में बताया कि सभी अन्दर कमरे में हैं। जब वह अन्दर जाने के लिये पीछे मुड़ी तो मैं भी उसके पीछे हो लिया और एक बर पीछे से उसके नितम्बों पर हाथ फ़ेर दिया। वह थोड़ा सहम गयी और दौड़ कर ब्लाउज़ पहनने अन्दर कमरे में चली गयी। मैं उसके कमरे के बाहर ही खड़ा रहा।
करीब दो मिनट बाद उसने दरवाज़ा खोला पर अन्दर ही रही। जीन्स और काले ब्लाउज़ मे वह गजब की कामुक लग रही थी। काले ब्लाउज़ में लिपटे उसके उरोज़ और उसमें से दिख रही उसकी क्लीवेज बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे। उसे देखकर मैं बेहोशी में उसके कमरे की तरफ़ बढ़ने लगा पर झट से उसने दरवाज़ा बन्द कर लिया। फ़िर अपने साधारण कपड़े (जीन्स और टीशर्ट) पहन कर वह बाहर आयी शर्मा कर नीचे देखते हुये बोली “मास्टर जी ब्लाउज़ ठीक है”।
मैं बड़े की कामुक अन्दाज़ में उसके पूरे बदन को घूर रहा था और अभी तुरन्त उसे अपनी बाहों मे लेकर उसके साथ संभोग करना चाहता था पर मुझे पता था कि यह सम्भव नहीं है। मैं कामाग्नि में जल रहा था और ज्योति इसका आनन्द लेते हुये मुझे छेड़ने के उद्देश्य से बोली “मास्टर जी क्या आपको प्यास लग रही है, आप कुछ पीना पसन्द करेंगे?” मैने अपने होंठों को चाटते हुये उसके स्तनों को देखा और बोला “हाँ, ताज़ा दूध मिलेगा क्या?” वह झेंप गयी पर सम्भलते हुये बोली “ठीक है मैं आपके लिये पानी लेकर आती हूँ”। वह मेरी आँखों में उसके प्रति वासना को देखकर खुश हो रही थी।
उसे लग रहा था कि अब दिन के समय में उसकी शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति के लिये अच्छा इन्तजाम हो गया है। वह ये सब इतनी चतुरता से करना जानती थी कि उसके पति को इसकी भनक न लगे।
वह अपने हाथ में पानी का गिलास ले कर लौटी और मुझे देने के लिये मेरे पास आयी। गिलास लेते समय मैने उसके हाथों को प्यार से सहला दिया। मैं उसके बदन को बड़ी कामुकता से निहारते हुये धीरे धीरे पानी पीने लगा। वह मुस्कुराते हुये इसका आनन्द उठा रही थी और इस बार बिना शर्माये हुये मेरी आँखों को उसके उरोजों और जांघों को निहारते हुये देख रही थी। जब मेरे और ज्योति के बीच यह सब चल रहा था
तभी अचानक अल्पना कमरे में आ गयी। उसे देखकर हम दोनों सामान्य हो गये। अल्पना को देखकर मैं उसके प्रति सम्मोहित होने लगा। वह भी ज्योति के समान ही सुन्दर और कामुक थी पर उसका रंग थोड़ा साँवला था। तभी ज्योति ने बोला “दीदी ये मेरा दर्जी है, बाबू”। अल्पना मुझे देखकर थोड़ा मुस्कुराई और मैं नादान बनने की कोशिश करता हुआ वापस मुस्कुराते हुये नीचे देखने लगा।
अल्पना बोली “ज्योति मैं पहले तुम्हारे कपड़े देखूँगी कि इसने कैसे सिले हैं अगर मुझे पसंद आते हैं तो मैं भी अपने ब्लाउज़ और सूट इसी से सिलवाउंगी”। यह सुनकर मेरी तो बाँछें खिल गयीं पर अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखते हुये मैने एकदम सामान्य दिखने का प्रयास किया और वहाँ से लौट आया।
पार्टी के दौरान सभी पुरुषों की नज़र ज्योति पर थी, वह काले कपड़ों में सभी पर कहर ढा रही थी। झीनी शिफ़ान की साड़ी से उसका गोरा बदन दिख रहा था। उसमे से उसकी क्लीवेज भी दिख रही थी। जब भी उसका पति राम उसे देखता था तो वह सावधानी पूर्वक उसे छुपाने की कोशिश करती थी पर उसे पूरा यकीन नहीं था कि वह राम की नज़रों से बच पायेगी। खासकर आनन्द ज्योति के आसपास ही रहने की कोशिश कर रहा था और मौका मिलते ही उसके बदन को यहाँ वहाँ छू लेता था।
वह मेरे द्वारा किये गये उसके शरीर के नेत्रपान और मर्दन के बारे में सोचते हुये उसका आनन्द उठा रही थी। जब तक पार्टी समाप्त हुई सभी लोग थक चुके थे और राम ज्योति के बदन की आग को बिना बुझाये ही सो गया। राम खर्राटे मार कर सो रहा था जबकि ज्योति अभी भी अपने पार्टी के कपड़ों में ही थी। तभी मैने उसे एक एस एम एस भेजा “थिंक आफ़ मी व्हाइल गिविंग इट तो योअर हसबैंड (उसको अपनी देते समय मेरे बारे मे सोचना)”।
उसका तुरन्त जवाब आया “वो तो पहले ही सो गये हैं, जितनी जल्दी हो सके मुझसे फ़ोन पर बात करो”। फ़िर उसने दूसरे कमरे में जाकर उसे अन्दर से बन्द कर लिया और बिस्तर पर लेटकर मेरे फ़ोन का इन्तजार करने लगी। जैसे ही फ़ोन बजा वह उसे तुरन्त उठाकर बोली “हाय बाबू”। मैने कहा “रानी, मेरी बहुत याद आ रही है क्या?” उसने केवल “हूम” बोला और अपनी योनि पर हाथ रख कर घर्षण करने लगी। मैने कहा “ठीक है मैं तुम्हें स्खलित होने में मदद करता हूँ”।
मुझसे बातें करते हुये उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये। अब वह पूरी तरह से नंगी अपने बिस्तर पर लेटी हुयी थी। उसके एक हाथ में उसका फ़ोन था तो दूसरे हाथ में उसका स्त्रीत्व। उसने अपनी योनि को मसलना जारी रखा और मैं उसे अपने बारे मे याद दिलाकर उसे शीघ्र ही स्खलित होने में मदद करने लगा।
उसके हस्तमैथुन के बाद जैसे ही योनि रस बाहर निकला वह भारी साँसों के साथ बोली “बाबू, मै तुमसे कल मिलती हूँ”। मुझे पता था कि ये कामुक गुड़िया मेरी कामुक रखैल बनने को तैयार है। मैं भी हस्तमैथुन से खुद को स्खलित करके सो गया।
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ज्योति सुबह उठकर अपने पति को ऑफिस भेजकर नहाने चली गयी। और इधर अपनी दुकान खोलने जाते समय मैं सोच रहा था कि ज्योति को कैसे अपने नीचे लाया जाय और उसके बदन को अच्छी तरह से भोगा जाय।
मुझे पता था कि दुकान मे यह मुश्किल होगा इसलिये मैने सीधे उसके घर जाने का ख़तरा उठाने की ठान ली। मैने सोचा कि अबतक उसका पति ऑफिस चला गया होगा और अगर नहीं भी गया होगा तो बोल दूँगा कि ब्लाउज़ के पैसे लेने आया था। मैनें उसके घर के दरवाजे पर पहुँच कर घंटी बजायी पर ज्योति अभी भी नहा रही थी और काम वाली भी जा चुकी थी। उसने सोचा कि अभी कौन आ सकता है? और जल्दी से अपने भीगे बदन पर बस गाउन पहन कर बाथरूम से निकली और हल्का सा दरवाज़ा खोल कर देखा।
अपना सिर बाहर निकाल कर वह देखती है कि मैं खड़ा हूँ। उसके गीले बाल और जिस तरह से उसने सिर्फ़ अपना सिर बाहर निकाला था मैं समझ गया कि वह बीच में ही अपना स्नान रोककर आयी है। उसने दरवाज़ा पूरा खोलकर मुझे अन्दर आने दिया और फ़िर दरवाज़ा बन्द कर दिया। कुण्डा लगा कर जैसे ही वह मुड़ने लगी मैने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा। ज्योति बोली “ओह! बाबू, क्या कर रहे हो, मेरा पूरा बदन भीगा हुआ है और ठंड लग रही है, प्लीज़… मुझे नहा कर आने दो”।
मैं गाउन के ऊपर से उसकी नाभि को टटोलते हुये बोला “आओ मैं तुम्हें गर्मी देता हूँ” और उसके स्तनों को ऊपर से ही दबाने लगा। यह पहली बार था जब मैं उसके स्तनों को बिना ब्रा के छू रहा था। मेरे दोनों हाथों में उसके स्तनों और निप्पल के स्पर्श से मेरे लंड मे तनाव आने लगा और वह उसके नितम्बों से टकराने लगा। अपने स्तनों और निप्पल की मसाज़ से वह जो थोड़ा बहुत विरोध दिखा रही थी उसे छोड़ कर उत्तेजना में हिलहिलकर आहें भरने लगी। इससे पहले कि बहुत देर हो जाय उसने अपने पति के प्रति वफ़ादारी दिखाते हुये बोला “बाबू यह गलत है, प्लीज़ मुझे जाने दो”।
पर उसके बदन की हरकतें और तेज़ साँसें उसके इस निवेदन को झुठला रहे थे। मुझे पता था कि वह भी मुझे चाहती है इसलिये मैने उससे कहा “रानी, मैने कभी भी तुम्हें अपने पति से संभोग करने से मना थोड़े ही किया है बल्कि तुम्हारे इस कामुक बदन कम से कम दो आदमियों की ज़रूरत है”।
इस बीच मेरी मसाज़ से उसके निप्पल खड़े हो गये थे और उसे अपनी टांगों के बीच कमज़ोरी महसूस होने लगी थी। मुझे लग रहा था कि उसनी योनि से भी स्राव शुरू कर हो गया है।
उत्तेजना में उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं थीं और उसके नितम्बों को मेरे लंड का कड़ा पन महसूस हो रहा था। उसे और विश्वास दिलाने के लिये मैने उससे कहा “मेरी पत्नी भी बहुत खूबसूरत और कामुक है और मुझे पता है कि जब मैं दुकान में नहीं होता हूँ तब वह मेरे दोस्तों के साथ छेड़छाड़ करती रहती है।” मैं झूठ बोल रहा था और उसे भी मेरी बात का यकीन नहीं था पर अब वह जान गयी थी कि मैं भी विवाहित हूँ और यह बात राज ही रहेगी जोकि वह चाहती थी।
उसने अब मेरी बाहों में और खुल कर हिलना और आहें भरना शुरू कर दिया और मुझे आगे बढ़ने का संकेत दिया। मैं अपना एक हाथ उसकी योनि के ऊपर ले गया और गाउन के ऊपर से ही रगड़ने लगा। वह थोड़ा सा कँपकँपी के साथ कपड़े के ऊपर से अपने इस कामुक अंग की मालिश का मजा लेने लगी।
मैं संभोग के पहले उस काम की देवी को पूरी तरह से नग्न अवस्था मे देखना चाहता था इसलिये मैने उसका गाउन उठाना शुरू किया। उसने थोड़ा विरोध दिखाया पर जब मैने उसके स्तनों और निप्पलों को मसला उसने विरोध छोड़ दिया और आनन्द लेने लगी। मैने उसके गाउन को कमर तक उठाया और उसे अपने और उसके बदन के बीच दबा कर उसकी योनि मुख को सीधे बिना किसी पर्दे के मसलने लगा।
वह पूरी तरह से अपना नियंत्रण खो चुकी थी और चाहती थी कि मैं भी वहशी दरिंदे की भाँति उसके बदन को भोगना शुरू कर दूँ। वह बहुत ही कामुक अन्दाज़ में आहें भरते हुये आवाज़ निकालने लगी “ऊ…ऊ…ऊ…उह आ…आ…आ…आह बाबू…ऊ…ऊ…ऊ…”।
मैं बोला “हाँ रानी, मज़ा आ रहा है? तुम्हें मैं अच्छा लगता हूँ?” वह बोली “हाँ…आ…आ… बाबू, आई लव यू”। यह सुनकर मैं और उत्तेजित होगया और एक उंगली उसकी गीली योनि के अन्दर घुसा दी। वह चाहती थी कि मैं अपनी उंगली अन्दर बाहर करूँ इसलिये उसने अपने शरीर का निचला हिस्सा हिलाकर मुझे इस बात का संकेत दिया।
अब मुझे पता चल गया था कि वह संभोग के दौरान शान्त रह कर उसका आनन्द उठाने वालों में से है। उसकी योनि में उंगली डालकर हिलाते हुये मै अपना मुँह उसके कानों के पास ले गया और हल्की सी फ़ूँक मार कर उसे और उत्तेजित करता हुआ बोला “रानी क्या मैं तुम्हारे बदन को बिना कपड़ों के देख सकता हूँ”।
वह कुछ बोली नहीं बस अपने दोनों हाथ हवा में ऊपर उठा दिये जो मेरे लिये उसकी सहमति जानने के लिये काफ़ी था। उसका गाउन उतारने में मैने तनिक देर नहीं लगाई। मैं जानता था कि आज उसके साथ मैं जो चाहूँ कर सकता हूँ। वह चाहती थी कि मैं उसकी योनि की सेवा जारी रखूँ पर उसके नंगे बदन को निहारने के लिये मैं उससे दो हाथ दूर पीछे खड़ा हो गया। उसने लगा कि जरूर मैं उसके नंगे बदन घूर रहा हूँ तो शर्माते हुये उसने अपनी टांगें भींच लीं और अपने हाथों से अपना चेहरा छुपाने लगी।
मैं इस कामुक देवी को इस तरह से देखकर अपने कपड़े उतारने लगा पर अपनी निगाहें उसी के बदन पर गड़ाई रखीं। उसके दोनों चूतड़ एकदम गोरे और चिकने थे साथ ही उनपर एक भी दाग नहीं था। जैसे ही मैने अपना जांघिया उतारा मेरा १० इंच लम्बा लंड मेरे शरीर से लम्बवत् खड़ा हो गया। मैने अपने खड़े लंड को एकबार सहलाया और उसकी तरफ़ बढ़ा जैसे ही मेरा लंड उसके नितम्बों से छुआ वह पलटी और घबड़ाहट और उत्तेजना में मुझसे चिपक गयी। उसकी साँसें तेज़ हो गयी थी।
उसके सुडौल और पुष्ट स्तन मेरे सीनों से छू रहे थे और मेरा लंड उसकी नाभि के नीचे छू रहा था। मेरे लंड को देखकर वो बहुत उत्तेजित हो गयी थी और साथ ही भयभीत भी क्योंकि उसके पति का लंड मुझसे काफ़ी छोटा था। पर अबतक काफ़ी देर हो चुकी थी क्योंकि वह जानती थी कि यदि वह अब पीछे हटती भी है तब भी मैं उसे बचकर जाने नहीं दूँगा। इसलिये वह सबकुछ नियति पर छोड़कर उस पल का आनन्द उठाने लगी।
उसकी तरफ़ से कोई भी हरकत न होती हुयी देख मैने उसे अपने से अलग करने की कोशिश की पर शर्म की वजह से वह मुझसे अलग होना नहीं चाहती थी। मैने भी कोई जबरदस्ती न करते हुये उसी अवस्था में उसके बदन को महसूस करना शुरू कर दिया। मैने उसके दोनों नितम्बों को अपने हाथों में लेकर दबाना शुरू किया और उसकी कोमल त्वचा का सुखद अनुभव करने लगा। फ़िर मैने अपनी उंगलियों को उसके नितम्बों के बीच की लकीर पर फ़िराना शुरू किया और अन्त में गुदा द्वर पर दस्तक दे दी।
मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वह भी गीला हो रहा था। उसकी गुदा मे प्रवेश किये बिना ही मैं उसकी मसाज़ करता रहा। अब धीरे धीरे मैने उसे अलग किया, इसबार वर मुझसे अलग तो हो गयी पर उसने अपने हाथों से अपने चेहरे और कोहनियों से अपने स्तनों को छुपाने की कोशिश जारी रखी।
मैं दो कदम की दूरी पर खड़े होकर बड़े ही कामुक अन्दाज़ में खड़ी ज्योति के बदन को निहारने लगा। उसके हाथों से ढका उसका चेहरा, कोहनियों से ढकी छाती और उसकी उभरी हुयी योनि को छुपाने की कोशिश करते उसकी लम्बी व कोमल टाँगें, सब कुछ इतना सुहाना लग रहा था कि मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पा रहा था और एक हाथ से अपने तने हुये लंड को सहला रहा था। फ़िर मैने अपने सूखे गले को थोड़ा तर करके उससे कहा “ज्योति जी, अब आप मुझे अपने शरीर की नाप लेने दीजिये, प्लीज़ अपने हाथ ऊपर कीजिये”।
उसने मना कर दिया और वैसे ही खड़ी रही। फ़िर मैने अपना फ़ीता लिया और पेशेवर अंदाज़ में कहा “मैडम, प्लीज़ अपने हाथ ऊपर कीजिये” और जबरदस्ती उसके हाथ पकड़कर उसके सिर के पीछे ले गया। मेरी आँखें एक अद्भुत नज़ारा देख रहीं थीं जिसकी वजह से मेरे लंड की स्पंदन क्रिया बढ़ गयी थी। मैने कहा “मैडम अपका बदन बहुत ही सुन्दर और सुडौल है, लाइये मैं इसकी पूरी माप ले लेता हूँ जिससे कि भविष्य में आपके सारे कपड़े एकदम फ़िट आयें”।
ज्योति को इस सम्बन्ध से होने वाले इस अतिरिक्त लाभ के बारे में सोचकर सुखद आनन्द की प्राप्ति हो रही थी। मैने फ़ीते को उसके सीने पर लपेटा और उसके निप्पलों के ऊपर से ले जाते हुये थोड़ा कसकर पूछा “मैडम इतना कसा हुआ ठीक है आपके लिये?” निप्पल पर फ़ीते के शीतल स्पर्श से उसके बदन मे एक सिहरन सी दौड़ गयी और योनि में गुदगुदी सी हुयी। वह बोली “हाँ ठीक है”। मैने कहा “मैडम अपकी छाती की नाप है ३७ इंच”। इस बीच मेरा लंड उसकी नाभि के जरा सा नीचे स्पर्श कर रहा था।
मैं फ़िर फ़ीता हटा कर उसके स्तनों को घूरने लगा। मैं उन्हें पकड़ कर मसल देना चाहता था पर बजाय इसके मैने बिना हाथ लगाये उसके निप्पलों को चूसना बेहतर समझा। मैने उसके दाहिने स्तन के निप्पल को अपने मुँह मे लेकर धीरे धीरे चाटना और चूसना शुरू कर दिया। इससे उसके पूरे शरीर में गुदगुदी की एक कामुक लहर दौड़ गयी पर वह जैसे तैसे सीधे खड़ी रही। वह संभोग से पहले और इस प्रकार की काम क्रियाएं चाहती थी।
अभी उसकी शादी को छः महीने ही हुये थे और उसके पति द्वारा भरपूर प्यार और काम इच्छाओं की पूर्ति के बावजूद वह मेरे सामने रति क्रीड़ा के लिये तैयार खड़ी थी। वह ये सब सोचकर वह अपने कामोन्माद की चरम सीमा पर पहुचने के समय को बढ़ा रही थी पर साथ ही उसके मन में कहीं न कहीं दोष भावना भी आ रही थी। पर अब तक बहुत देर हो चुकी थी। मैने अपने सामने निर्वस्त्र खड़ी प्यार की इस देवी का स्तनपान जारी रखा और अपने लंड से उसके गर्भाशय को छूता रहा। अब मैने स्तनपान बन्द करके उसके दोनो स्तनों को अन्ने हाथों मे लिया और धीरे धीरे दबाता हुआ बोला “मैडम, सिर्फ़ दो महीनों में ही इनका आकार एक इंच बढ़ गया है, लगता है कि आपके पति इनकी खूब सेवा कर रहे हैं”।
उसने मेरी मसाज़ और बातों का भरपूर आनन्द उठाते हुये सिर हिलाकर हाँ में जवाब दिया। अब मैने उसके निप्पलों को अपनी चुटकी में दबा कर पूरा खींचा। उसके पूरे शरीर में सिहरन दौड़ गयी और उसे लगा कि उसकी योनि ने और पानी छोड़ दिया है। अब वह चाहती थी कि मैं अपने लंड को उसकी योनि में प्रवेश कराऊँ इसलिये उसने अपनी आँखें खोलकर मेरे लंड की तरफ़ देखा। यह देखकर मैने अपने लंड को अपने हाथ में लेकर उसे हिलाते हुये उससे पूछा “रानी, तुम्हें ये अच्छा लगता है… हाँ… बोलो तुम्हें अच्छा लगता है”। मैं भी इतना उत्तेजित हो गया था कि मेरी आवाज़ लड़खड़ाने लगी थी।
उसने हाँ बोलकर अपनी आँखें फ़िर से बन्द कर लीं और अपने स्तनों की मसाज़ का आनन्द उठाने लगी। अब मैने अपना हाथ अपने लंड से हटाकर उसके योनिमुख पर ले गया और दूसरे हाथ से उसके स्तनों की मसाज़ जारी रखी। उसे जन्नत का आनन्द आ रहा था, वह जानती थी कि उसकी काम इच्छाओं की पूर्ति के लिये मैं ही उपयुक्त आदमी हूँ।
तभी अचानक ज्योति का मोबाइल बजा और जिससे दोनों लोग घबड़ा गये। ज्योति ने सम्हलते हुये फ़ोन उठाया और नम्बर देखा। वह मुझसे बोली “वो हैं” और फ़िर राम से बात करने लगी। तब तक मैने उसके पीछे से आकर अपनी बाहों में ले लिया और उसके स्तनों को दबाते हुये उसकी गर्दन को चूमने लगा। वह बोली “राम मैं बस नहाने जाने ही वाली थी कि तुम्हारा फ़ोन आ गया मैने अभी कपड़े नहीं पहने हैं इसलिये ठंड लग रही है, जल्दी बताओ क्या बात है?” यह सुनकर राम भी उत्तेजित हो गया और बोला “ज्योति, आज ऑफ़िस में कोई काम नहीं है मैं सोच रहा था कि घर आ जाऊँ”।
ज्योति थोड़ा घबड़ाई पर सामान्य दिखते हुये उसने बोला “राम इतनी शरारती न बनो, मन लगा कर ऑफ़िस में काम करो और अपने निश्चित समह पर ही घर आना। वैसे भी मैं कल की थकी हुयी हूँ और नहाकर सोने जा रही हूँ”। मुझे उनकी सारी बातें सुनाई दे रही थीं। ज्योति का चतुरता पूर्ण उत्तर सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और मैने उसके गले पर एक जोरदार चुम्बन लेते हुये उसकी योनि पर भी एक चिंगोटी काट ली। ज्योति अपने आपपर नियंत्रण नहीं रख सकी और उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी। राम को दोनों आवाजें फ़ोन पर सुनाई दे गयीं, उसने पूछा “क्या हुआ ज्योति?” वह घबड़ा गयी और जल्दी से कोई बहाना सोचने लगी। वह बोली मैं नीचे वहाँ पर पर मरहम लगा रही थी परसों रात की तुम्हारी हरकतों की वजह से मुझे अभी भी वहाँ दर्द हो रहा है”। यह सुनकर राम ने कहा “ज्योति, तुमने मुझे पहले क्यों नही बताया मैं अभी वापस आ रहा हूँ”।
चाल उल्टी पड़ती देख वह तुरंत बोली “नहीं राम, अब ठीक है कोई खास दर्द नहीं है अब, तुम प्लीज़ ऑफ़िस में काम पर ध्यान दो और मुझे नहाने जाने दो, बाय, लव यू”। इतना कह कर उसने फ़ोन काट दिया और राहत की साँस ली। फ़िर से वह विवाहेतर सम्बन्ध में लीन होकर आनन्द लेने लगी। उधर राम यह सोचने लगा कि ज्योति अपना दर्द इसलिये छुपा रही थी ताकि उसका ऑफ़िस न छूटे। अतः उसने वापस घर जाने का निर्णय लिया।
ज्योति मेरी बाँहों में पिघल रही थी और सए इस बात की भनक भी नही थी कि उसका पति वापस घर आ रहा है। पर मुझे मेरा अनुभव बता रहा था कि शायद राम वापस आ जाय इसलिये मैने उससे कहा “ज्योति रानी हो सकता कि तुम्हारे पति को तुन्हारी चिन्ता हो रही हो और इसलिये वह वापस आ रहा हो”। अभी भी मैं उसके स्तनों के साथ खेल रहा था और मेरा तना हुआ लंड उसके रसीले नितम्बों से छू रहा था। वह अपने होश खो चुकी थी और आँखें बन्द करके मेरे लंड को अपने नितम्बों पर महसूस करते हुये अपने स्तनों की मसाज़ का मज़ा लेती रही। उसकी तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया न देख मैने उसके कान को धीरे से काटा और बोला “रानी, लगता है कि तुम अपने पति की आँखों के सामने मुझसे संभोग करना चाहती हो”।
यह सुनते ही वह होश में आयी और अपनी आँखें खोलकर बोली “बाबू प्लीज़ मुझे जाने दो” पर उसने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया जिससे यह प्रतीत हो कि वह वास्तव में यही चाहती थी।
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मैं लम्बे समय तक उस खूबसूरत हुस्न की परी का आनन्द उठाना चाहता था इसलिये सोचा कि उसे कपड़े पहन लेने देता हूँ पर मैनें उससे कहा “रानी, तुमने मुझे पूरी तरह से अपना दीवाना बना लिया है, ये देखो”। इतना कहते हुये मैनें उसका चेहरा अपने लंड की तरफ़ किया और अपने एक हाथ की मुट्ठी में उसे लेकर हिलाने लगा। वह मेरे सामने नंगी खड़ी थी और तेज साँसों की वजह से उसके स्तन तेजी से ऊपर नीचे हो रहे थे। उसके निप्पल उत्तेजना के कारण सख्त होकर बाहर की तरफ निकले हुये थे। वह अपने हाथों से अपनी योनि को ठके हुयी थी। मैनें अपने लंड को हिलाते हुये दूसरे हाथ से उसके स्तनों को दबाते हुये उसके निप्पल पर चिंगोटी काटी और बोला “प्लीज़ अपने पति के आने से पहले मेरे इस छोटे राजा की थोड़ी सहायता कीजिये”। उसने शर्माते हुये अपना हाथ मेरे लंड तक लाकर पूरे लंड पर फ़िराया और फ़िर अचानक तेजी से हिलाने लगी। मैने भी उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया जबकि उसने मेरे लंड की सेवा जारी रखी। मैनें तेजी से साँसें लेते हुये बोला “ओह ज्योति, मैं वास्तव में किसी दिन तुम्हें ये सुख देकर तुम्हारा ॠण चुकाऊँगा, तुम सचमुच बहुत प्यारी और कामुक हो”। यह सुनकर उसने अपनी गति और तेज कर दी और अपने दूसरे हाथ से मेरी गोलियों से खेलने लगी। उसके स्तनों पर से पसीना बह रहा था और उसका पूरा शरीर चमक रहा था। मैं उसी समय उसके साथ संभोग करना चाहता था पर जल्दबाजी न दिखाते इस समय केवल हस्तमैथुन का ही आनन्द उचित समझा। जल्द ही मैं कामोन्माद की चरमसीमा पर पहुँचने वाला था। मैनें उससे जमीन पर लेटने को कहा और अपना लंड पर अपने हाथ से जोरों से धक्के मारने लगा और स्खलित होते समय अपने वीर्य की धार को इस प्रकार से दिशा दी कि एक एक बूँद उसके स्तनों और पेट पर गिरे। पूरे एक मिनट तक मेरे लंड से द्रव बाहर आता रहा और फ़िर मैनें उस वीर्य को उसके स्तनों और पेट पर फ़ैला कर मसाज करने लगा। वह आँखें बन्द करके मसाज का आनन्द उठाती रही।
राम लौटते हुये आधे रास्ते में अपनी पत्नी की चोट के बारे में सोच रहा था और इधर उसकी पत्नी मेरे सामने नंगी लेटे हुये मेरी मसाज़ का आनन्द ले रही थी। मैं उठा और फ़र्श पर नंगी लेटी हुयी उस प्यारी घरेलू औरत को निहारता हुआ बोला “ज्योति रानी, प्लीज़ अब उठो और कपड़े पहन लो वरना तुम्हारे पति को पता चल जायेगा कि तुमने अपने इस दर्जी के साथ क्या गुल खिलाये हैं। मैं उसके दिमाग में उसके पति के भय को जिन्दा रख कर उसे अधिक सतर्क बनाना चाहता था जिससे कि मैं लम्बे समय तक उसका भोग कर सकूँ। यह सुनकर ज्योति उठी और अपने कपड़े लेकर जाने लगी तभी मैनें उसे पीछे से पकड़ लिया और उसकी योनि और स्तनों की मसाज करने लगा। वह अभी तक गर्म थी और स्खलित नहीं हुयी थी इसलिये फ़िर से मेरी इस मसाज़ का आनन्द लेने लगी। मैनें सोचा यह औरत वाकई में बहुत निडर है और अपने पति के आने की चिन्ता किये बगैर मुझसे संभोग के लिये तैयार है। मैने उससे कहा “ज्योति रानी, ऐसा लगता है कि तुम चाहती हो कि मैं अभी तुम्हें चोदूँ और मैं वादा करता हूँ मैं ऐसे चोदूँगा कि तुम याद रखोगी”। तभी दरवाजे की घंटी बजी और हम दोनों डर गये। वह दौड़ कर अपने कमरे में चली गयी और दरवाज़ा अन्दर से बन्द कर लिया मैने भी जल्दी से कपड़े पहने और जाकर दरवाज़ा खोला। मेरे अनुमान सच निकला, उसका पति राम वापस लौट आया था। मुझे देखकर वह चकित हो गया और इससे पहले कि वह कुछ बोले मैं ही अपनी सफ़ाई में बोल पड़ा “मैडम ने मुझे अपने ब्लाउज़ की नाप देखने के लिये बुलाया था और वो अन्दर अपना नया ब्लाउज़ पहन कर देख रहीं हैं”। मैने यह तेज आवाज़ में बोला ताकि ज्योति यह सुन ले। वह बाहर आकर बोली “मास्टर जी, ब्लाउज़ ठीक है, धन्यवाद”। और भोली बनते हुये राम को देखकर बोली “ओह, तुम आ गये, मैनें कहा था ना कि मैं ठीक हूँ”। मैने भी अनजान बनते हुये उन्हें नमस्ते किया और अपनी दूकान पर आने के लिये वहाँ से चल पड़ा।
अन्दर ही अन्दर वह काँप रही थी परन्तु बाहर से सामान्य दिखाते हुये वह राम के पास गयी और उसे गले लगाकर बोली “तुम बहुत अच्छे हो, मेरा कितना ख़्याल रखते हो। मुझे पता था कि मेरे मना करने के बावजूद तुम लौट आओगे मेरे लिये”। राम को अभी भी मेरे वहाँ होने और मुख्य द्वार अन्दर से बन्द होने की वजह से थोड़ा शक हो रहा था। बहरहाल अपनी पत्नी पर उसे विश्वास था इसलिये बोला “प्रिये, जब तुम घर पर अकेली हो तो इस दर्जी को अन्दर मत आने दिया करो”। ज्योति ने नाराज़ होने का नाटक करते हुये कहा “तुम्हारा मतलब क्या है राम? वह कितना भला है, मेरा ब्लाउज़ देने के लिये घर पर आया और तुम उसेए पर शक कर रहे हो”। राम ने रक्षात्मक होते हुये कहा “नहीं प्रिये, मैं तो बस चाहता हूँ कि तुम थोड़ा सतर्क रहा करो बस”। राम को सहज होता देख वह बोली “ठीक है जानू, आगे से मैं ध्यान रखूँगी। तुम हाथ मुँह धोकर तैयार हो जाओ, मैं तुम्हारे लिये चाय बनाती हूँ”। राम बाथरूम गया और ज्योति ने सब कुछ ठीकठाक निपटने के लिये भगवान को धन्यवाद दिया और फ़िर से मेरे साथ लिये आनन्द के बारे में सोचने लगी। वह अभी भी अन्दर गीलेपन का अनुभव कर रही थी और शीघ्र ही कुछ अन्दर डालना चाहती थी। इसलिये उसने सोचा अभी राम के लंड से ही काम चलाया जाय इससे वह भी खुश हो जायेगा। जैसे ही राम बाथरूम से निकला वह उससे जाकर चिपक गयी और अपने स्तनों और गर्भाशय वाले भाग से उसके शरीर पर दबाव डालते हुये बोली “राम, प्लीज़ मुझसे धीरे-धीरे और नरमी से प्यार करो, परसों रात तुम बहुत निर्दयतापूर्वक मुझे भोग रहे थे”। उसके नितम्बों को मसलते हुये राम ने पूछा “प्रिये, क्या तुम पक्का चाहती हो कि मैं तुम्हारे साथ सम्भोग करूँ क्योंकि कुछ घंटे पहले ही तुम्हें अपनी योनि में काफ़ी पीड़ा हो रही थी”। वह बोली “हाँ पर अब मैं ठीक हूँ” और पैंट के ऊपर से ही उसके आधे खड़े लंड को सहलाने लगी। ज्योति अपने स्तनों और योनि से राम के शरीर को रगड़ रही थी और वह उसके नितम्बों को मसल रहा था। मेरे द्वारा थोड़ी ही देर पहले की गयी रति क्रीड़ा की वजह से वह पहले से ही गर्म और गीली थी और राम की मसाज उस पर और रंग ला रही थी। वह राम के लंड को पकड़ कर बोली “राम मुझे ये अभी चाहिये”। यह सुनकर राम उत्तेजित हो गया पर साथ ही वह आश्चर्यचकित था क्योंकि ज्योति पहले सामान्यतया मूक प्रेमी ही थी। उसने उसे अपनी बाहों में उठाया और बिस्तर पर ले गया। फ़िर उसने उसकी साड़ी खींचकर उतार दी, अब ज्योति बिस्तर पर पेटीकोट और ब्लाउज़ में लेटी थी। ब्लाउज़ में उसके स्तनों के उभार बहुत ही सुन्दर दिख रहे थे और साथ ही उसकी क्लीवेज भी दिख रही थी। यह वही ब्लाउज़ था जो मैनें कल उसे सिलकर दिया था।
राम ने ब्लाउज़ के ऊपर से ही उसके स्तनों को दबाना शुरू किया और वह अपनी आँखें बन्द किये पुनः मेरे बारे में सोचने लगी। अब उसने धीरे-धीरे उसके ब्लाउज़ के हुक खोलने शुरू किये और ज्योति को इसका आनन्द उठाते हुये देख बोला “ज्योति, तुम इस ब्लाउज़ और पेटीकोट में बहुत ही कामुक लग रही हो”। अब उसका ब्लाउज़ पूरा खुला था और उसके भरे पूरे स्तन आज़ाद हो गये थे। राम को यह देखकर हैरानी हुयी कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी। दरअसल राम के अचानक आ जाने पर जल्दी जल्दी में उसे ब्रा पहनने का समय ही नहीं मिला था। वह बोला “ज्योति, यह पहली बार है जब मैने तुम्हारा ब्लाउज़ खोला और तुमने ब्रा नहीं पहनी हुयी थी”। इतना कहकर उसने जोर से उसके स्तनों को दबाया और निप्पलों पर चिंगोटी काटी। उसने इस मीठे दर्द से आह भरी और निडर हो कर बोली “प्रिये, जब मैं अन्दर ब्लाउज़ पहन रही थी तो मैं तुम्हारी आवाज सुनकर उत्तेजित हो गयी और तुमसे मिलने की जल्दी में मैने ब्रा पहनना छोड़ दिया। जल्दी ही तुम्हें पता चल जायेगा कि मैनें कुछ और भी नहीं पहना है”। अब उसने उसके निप्पलों को चूसना और दबाकर खींचना शुरू कर दिया। ज्योति के अन्तिम वाक्य को सुनकर राम ने अनुमान लगाया कि उसने पैंटी भी नहीं पहनी है और जल्दी से अपना हाथ उसके पेटीकोट के अन्दर ले गया जोकि सीधा उसकी गीली और गर्म योनि पर पड़ा। वह फ़िर बोला “प्रिये, मैनें पहले तुम्हें इतनी जल्दी कभी गीला होते नहीं देखा” और इतना कहकर उसने अपनी उंगली बलपूर्वक उसकी रसभरी योनि में डाल दी। उसे पता था कि उसका पति अपने शक की ओर इशारा कर रहा है पर इस समय वह मेरे ख़्यालों में कामोत्तेजना से ग्रसित थी इसलिये उसने अपने पति द्वारा स्तनमर्दन और हस्तमैथुन का आनन्द उठाते हुये बोला “प्रिये, दिन पर दिन तुम अपने काम में पारंगत होते जा रहे हो मैं भी और अधिक कामोत्तेजक हो रही हूँ”। राम को अपनी शर्मीले स्वभाव की ज्योति में निश्चय ही परिवर्तन दिखाई दे रहा था पर उसकी इन कामुक बातों से वह उत्तेजित भी हो रहा था। उसे अपनी पत्नी से सीधे शब्दों में बोलने से डर लग रहा था पर उसे पता था कि इस सबका उस दर्जी से (यानि कि मुझसे) कुछ सम्बन्ध है। अपनी पत्नी की बेवफ़ाई की बातें मन में आने की वजह से उसने बुरी तरह से ज्योति को मसलना शुरू कर दिया और उसके निप्पल को काटा। वह दर्द से चिल्लाई और बोली “ओह राम, इतनी ज़ोर से मत काटो, दुःखता है”। इतना कहकर वह राम के पैंट की चेन खोलने लगी। राम ने भी कपड़े उतारने में उसकी मदद की। उसका पूरी तरह तना हुआ लंड एक फ़नफ़नाते हुये साँप की भाँति उसकी रसीली योनि में प्रवेश करने को बेताब था।
ज्योति राम के लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर बलपूर्वक उसे अपने ऊपर ले आयी और अपनी टांगें फ़ैलाकर उसके लंड को अपने योनि मुख पर रगड़कर उसे अन्दर का रास्ता दिखाया। इस सब के बीच वह लगातार मेरे बारे में सोच रही थी और सम्भवतः राम को भी इस बात का अंदेशा था इसीलिये उसने जोर से धक्का लगा कर अपना लंड उसकी योनि डाला और निर्दयतापूर्वक अन्दर बाहर करने लगा। वह ऐसा जानबूझकर कर रहा था जिससे कि इस बात का पता चल जाय कि उसे वाकई में दर्द हो रहा था या फ़िर उसने झूठ बोला था। कामोत्तेजना और मेरे ख़्यालों की गर्मी में ज्योति भूल ही गयी कि उसने अपनी योनि में चोट के बारे में राम से झूठ बोला था और राम के इन जोरदार धक्कों का आनन्द उठाने लगी। उसके दोनों स्तन भी आपस में जोरजोर से टकराते हुये हिलते जा रहे थे। इन्हें देख राम उत्तेजित तो हो ही रहा था पर साथ ही साथ उसे यह सोचकर गुस्सा भी आ रहा था कि इन्हे वह दर्जी भी दबा चुका है। ज्योति की आँखें बन्द देखकर उसने यह भी सोचा कि वह मेरे बारे सोच रही है, और वह वास्तव में सही सोच रहा था। उसे इस बात से आश्चर्य था कि ज्योति इन जबरदस्त धक्कों की वजह से अपनी योनि में दर्द की तनिक भी शिकायत नहीं कर रही थी और अब उसे विश्वास हो गया था कि उसने अपने दर्द के बारे में उससे झूठ बोला था इसलिये राम ने उसी संभोग सत्र में उसे दण्डित करने का निर्णय लिया। तभी उसने धक्के मारना बन्द करके अपना लंड उसकी योनि से बाहर निकाल लिया और पुनः उसकी मांग का इन्तजार करने लगा। उसके अनुमान के अनुसार ज्योति ने आँखें खोलकर उससे पूछा “तुम रुक क्यों गये, जल्दी डालकर करो ना”। जैसे ही राम ने यह सुना अपना पूरा बल एकत्रित करके उसने एक जोरदार धक्का लगाया और वह दर्द से चिल्लाई “आ…आ…आ… उ…उ…उ…छ…”पर उसने उसकी एक न सुनी और दूसरा धक्का और भी जोर से मारा। क्योंकि ज्योति चरम सीमा के निकट थी इसलिये वह इन घातक और जोरदार धक्कों का आनन्द उठाती रही। अपने पति को पहली बार वह इतने आक्रामक अंदाज में चुदाई करते हुये देख रही थी। उसे भी अब यह लगने लगा था कि राम उस पर नाराज़ है पर इसके बारे में अधिक न सोचते हुये वह मजे लेती रही। वह मेरी हवस में इतना डूब चुकी थी कि उसने राम के गुस्से के बारे में अधिक ध्यान नहीं दिया पर यह निश्चय किया कि आगे से वह मेरे साथ सम्बन्ध बनाते समय अधिक सतर्क रहेगी और अच्छे बहाने तैयार रखेगी। राम बीच बीच में रुक कर अपने बल को पुनः संगठित करके उसे जबरदस्त धक्के दे रहा था। ज्योति इसका भरपूर आनन्द ले रही थी पर शायद उसे इस बात का अंदेशा नहीं था कि इस सब के बाद जब वह सामान्य होगी तब यह बहुत दर्द करेगा।
राम ने अब सोचा कि उसकी योनि में पीछे से कुतिया की तरह प्रवेश किया जाय। इस समय वो ज्योति को हर मायने में एक कुतिया ही समझ रहा था। न चाहते हुये भी वह अपने दोनों पैरों और हाथों के सहारे अपने नितम्बों को हवा में ऊपर करके लेट गयी। उसके नितम्ब लटक रहे थे और दबाये जाने के लिये बेताब थे। सामान्यतया उसे इस आसन में दर्द की वजह से चुदवाना पसंद नहीं था पर राम ने अभी उसे सजा देने की सोच रखी थी इसलिये उसे इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ा। वह अपनी चरित्रहीन पत्नी को घसीट कर बिस्तर के किनारे पर लाया और स्वयं नीचे खड़े हो गया। ज्योति पीछे मुड़कर राम के चेहरे पर ये वहशत और गुस्सा देख रही थी। उसने उसके नितम्बों को पहले मसला और फ़िर गुस्से से चटाचट कई चपत लगा दिये जिससे उसके नितम्ब लाल हो गये, उनके ऊपर उसकी उंगलियों के निशान साफ़ चमक रहे थे। हर चपत के साथ ज्योति एक मीठे दर्द से चिल्लाती “आ…आ…आ… ह…ह…ह…”। फ़िर उसने अपने लंड को पकड़ कर उसकी योनि का रास्ता दिखाया और जोरों से धक्के मारने लगा। वह बार बार कह रही थी “आ…आ…आ…ह ओ…ओ…ओ…ह राम, धीरे डालो दुःख रहा है”। वह उसने जरा भी नरमी नही दिखायी और उसे कुतिया की तरह चोदता रहा और उसके स्तनों को भी बुरी तरह से मसलता रहा। जल्दी उसे इसकी योनि और स्तनों को इस निर्दयता की आदत पड़ गयी और वह एक और कामोन्माद के लिये तैयार होने लगी। वह आँखें बन्द करके एक बार फ़िर सोचने लगी कि यह सब उसके साथ मैं कर रहा हूँ। राम भी अब चरम सीमा के निकट था पर अभी वह स्खलित नहीं चाहता था क्योंकि अभी उसे अपनी पत्नी को और दण्डित करना था। तभी अचानक कँपकपी के साथ ज्योति स्खलित होने लगी जिसे देख उसने अपना लंड तुरन्त बाहर खींच लिया और अपनी दो उंगलियों से उसकी योनि को रगड़ने लगा। राम की इस बात से वह आश्चर्यचकित रह गयी पर अपने कामोन्माद का आनन्द उठाती रही। इस बीच राम उसके स्तनों और निप्पलों को दूसरे हाथ से बुरी तरह से मसलता जा रहा था। शीघ्र ही उसने महसूस किया की कामोन्माद की चरम सीमा पर पहुँचने के बाद अब वह सामान्य हो गयी है पर राम अभी तक स्खलित नहीं हुआ था उसने अपने तने हुये लंड को पुनः उसकी योनि में डाल दिया। ज्योति यह नहीं चाहती थी पर राम के सामने वह लाचार थी। उसके हर धक्के पर उसे असह्य पीड़ा हो रही थी। राम भी स्खलित होने की कगार पर था उसने अपना लंड बाहर निकाल कर ज्योति को सीधा किया और फ़िर अपने वीर्य का पूरा कोष उसके चेहरे और स्तनों पर खाली कर दिया। राम की इस हरकत पर भी ज्योति चकित रह गयी क्योंकि पहली बार राम ने अपना वीर्य उसकी योनि के बाहर निकाला था। उसे पता था कि राम उससे नाराज़ है और उसकी योनि में दर्द भी अब उभरने लगा था पर तब भी इस सम्भोग सत्र का उसने सर्वाधिकार आनन्द उठाया था।
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उसके बाद जल्द ही राम सोने चला गया और ज्योति भी अपने बदन को अपने पेटीकोट से पोछकर नहाने के लिये चली गयी। वह बाथरूम में फव्वारे के नीचे खड़ी होकर अपने स्तनों और योनि को साफ़ करते अपने साथ दिन भर हुये घटना क्रम को सोच रही थी और फ़िर से उत्तेजित होने लगी थी। उसे पता था कि वह हमेशा से ही इस प्रकार के कठोर और निर्दयतापूर्ण संभोग की इच्छा रखती थी पर वह राम से यह कह नहीं पा रही थी।
और अब जब राम ने अंततः उसे यह सुख दिया तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी क्योंकि वह मुझे अपना शरीर समर्पित कर चुकी थी। अब उसके मन में दोनों की चाह और बढ़ गयी थी इसलिये उसने निर्णय लिया कि इन परिस्थितियों का चतुरता पूर्वक उपयोग करके दोनों का उपभोग किया जाय। वह जानती थी कि आज बिस्तर पर राम के बर्ताव के पीछे उसके अनैतिक सम्बन्ध का शक ही है और किसी न किसी रूप में राम भी उसके मेरे साथ सम्बंध को लेकर उत्तेजना महसूस कर रहा था। ज्योति अपने सभी कुकृत्यों को येनकेनप्रकारेण न्यायसंगत बनाने की कोशिश कर रही थी क्योंकि कभी भी उसने अपने आप को एक चरित्रहीन कामुक कुतिया के रूप में नहीं सोचा था। जबकि सच्चाई इसके विपरीत थी, वह एक कामुक कुतिया से किसी भी मायने में कम नहीं थी।
उसने अपना बदन पोछा फ़िर ब्रा और पैंटी के ऊपर गाउन पहन कर बाहर आ गयी। राम अभी भी अपने झड़े हुये और वीर्य से लिपे-पुते लंड के साथ अधनंगी अवस्था में सो रहा था। ज्योति ने उसके ऊपर एक चादर डाली और दूसरे कमरे मे चली आयी जहाँ वह अपना मोबाइल भूल गयी थी। उसने मोबाइल पर मेरा एक संदेश देखा, जिसमे लिखा था “उम्मीद है कि सब शान्तिपूर्वक और ठीकठाक निपट गया”। वह पढ़कर थोड़ा मुस्कुराई और मुझे छेड़ने के अन्दाज़ में उत्तर दिया “हाँ सब ठीक है, अभी अभी एक मस्त सत्र ख़त्म हुआ है”। तुरन्त मेरा प्रश्न आया “कौन सा सत्र? प्लीज़ बताओ…”।
उसने फ़िर छेड़ते हुये उत्तर दिया “वही उनके साथ लेन देन का सत्र”। मैनें पूछा “मेरे बारे में सोचा?” उसने कहा “नहीं”। पर जैसा कि जानते हैं कि पूरे सत्र के दौरान वह मेरे बारे में ही सोच रही थी। मैनें कहा “ये अच्छी बात नहीं है, रानी। अगली बार अपने पति से संभोग के समय मेरे बारे में जरूर सोचना, तुम्हें और अधिक आनन्द आयेगा जैसा कि आनन्द मुझे आता है जब मैं अपनी पत्नी की लेते हुये तुम्हारे बारे में सोचता हूँ”। यह संदेश पढ़कर ज्योति उत्तेजित हो गयी और पुनः उसकी योनि में खुजली होने लगी। उसे इस बात की अत्यधिक प्रसन्नता हो रही थी कि किस प्रकार से मेरे आने के बाद से उसका यौन जीवन बदल गया था।
वास्तव में वह हमेशा से ही अन्दर से एक कामुक स्त्री थी पर कभी खुल न पायी और उसके जीवन में मेरे जैसे ही एक यौनाकर्षक व्यक्ति की आवश्यकता थी जोकि खुलने में सहयता करे।
उसने मुझे और छेड़ते हुये कहा “नहीं, मुझे तुम्हारे बारे में सोचने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि मैं अपने पति से संतुष्ट हूँ और तुम भी अपनी पत्नी से सन्तुष्ट रहो”। दरअसल उसे मेरी पत्नी की योनि का जिक्र अच्छा नहीं लगा। यह प्यार में डूबी सभी औरतों की फ़ितरत है कि वह चाहतीं हैं कि उनका प्रेमी उनके सिवा किसी और से यौन सम्बन्ध न रखे। मैनें अपने अनुभव से जान लिया कि उसे मेरी यह बात पसन्द नहीं आयी, इसलिये मैनें जवाब लिखा “रानी, आज मैनें तुम्हारे साथ जो अनुभव किया वह पहले जीवन में कभी नहीं किया। तुम्हारा सुन्दर और कोमल शरीर मेरी बाहों में एकदम फ़िट होता है्।
इतने दिनों से अपनी पत्नी के साथ तो मैं सिर्फ़ एक रस्म अदायगी ही कर रहा था और जैसे मेरे लंड को तुम्हारा प्यार मिलेगा मैं अपनी पत्नी की योनि की तरफ़ देखना भी बन्द कर दूँगा”। मैनें जानबूझ कर ऐसी भाषा का प्रयोग किया क्योंकि उसकी सारी शर्म ख़त्म करके उसे पूरी तरह से खोलना चाहता था। उसे मेरे ये शब्द थोड़े अजीब से लगे पर इन्हें मजे में लेते हुये वह बोली “नहीं तुम्हें मेरी तभी मिलेगी जब तुम उसकी लेना बन्द कर दोगे। तब तक मुझे दोबारा छूना भी नहीं”। वह झूठ बोल रही थी और उसी समय मेरी बाहों में आने को बेताब थी पर वह मुझे जताना चाहती थी कि वह मुझसे सच्चा प्यार करने लगी है और उसे मेरे अपनी पत्नी के साथ यौन सम्बन्धों से ईर्ष्या हो रही है।
मैनें भी एक सच्चे प्रेमी का नाटक करते हुये कहा “ठीक है, अब जब तक तुम मुझे नहीं कहोगी मैं अपनी पत्नी की नहीं लूँगा। अब प्लीज़ मुझे बताओ कि हम फ़िर से कब मिल सकते हैं।” वह मेरे झूठे उत्तर को पाकर खुश हो गयी और लिखा “मैं कल तुम्हारी दूकान पर आऊँगी १२ बजे के आसपास।” मैने सोचा कि दुकान मे तो उसकी लेना मुश्किल होगा इसलिये मैने लिखा “क्या मैं तुम्हारे घर आ जाऊँ १२ बजे?” उसने तुरन्त उत्तर दिया “नहीं, मैं ही आऊँगी क्योंकि हो सकता है कि वो कल घर पर ही रहें या फ़िर ऑफ़िस से जल्दी लौट आयें”।
इसबीच मैं अपनी पैंट के ऊपर से ही अपने लंड को रगड़ रहा था जोकि ज्योति की योनि की चाहत में तना जा रहा था। ज्योति भी एस एम एस करते हुये अपनी योनि को रगड़ना चाह रही थी। वह शीशे के सामने खड़े होकर मेक-अप कर रही थी और एक दम मौसमी चटर्जी जैसी दिख रही थी। वह जान गयी थी वह अपने कामुक शरीर और मादक अदाओं से किसी भी मर्द को अपना दीवाना बना सकती है। और अब जबकि वह खुल गयी थी उसके लिये मर्दों की कोई कमी नहीं थी बस वह चाहती थी कि सब कुछ सुरक्षित तरह से किया जाय जिससे कि उसके वैवाहिक जीवन बरबाद होने से बच जाय।
तभी उसके दरवाजे की घंटी बजी और वह अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आयी। उसने दरवाजा खोला तो देखा कि दूधिया है। वह मेक-अप के साथ अपने गाउन में बहुत ही कामुक लग रही थी। दूधवाला एक गुज्जर था, लम्बा चौड़ा डीलडौल और बड़ी-बड़ी मूँछें। उसने पूछा “भैया, आज इतना देर क्यों कर दी?” और दूध का बर्तन लाने के लिये मुड़ी। गुज्जर हमेशा से ही उसे देखा करता था पर आज पहली बार वह उसे बिना बाँह के गाउन में देख रहा था।
उसकी आँखों में चमक आ गयी और उसने ज्योति के पूरे शरीर को झीने गाउन में देखने की कोशिश की। उसे देख उसके मुँह में पानी आ गया और उसने अपने होठों पर जीभ फ़िराते हुये बोला “मेमसाहब, मेरी पत्नी की तबियत ठीक नहीं थी इसीलिये देर हो गयी”। वह झूठ बोल रहा था क्योंकि वह ज्योति से देर तक बात करते हुये उसे निहारना चाहता था। ज्योति बर्तन लेकर लौटी और दूध लेने के लिये झुकी (क्योंकि वह नीचे बैठा था) और पूछा “क्या हुआ तुम्हारी पत्नी को?”
झुकने से पहले उसने अपने गाउन को समेट कर अपने दोनों पैरों के बीच दबा लिया था और झुकने की वजह से उसके क्लीवेज साफ़ नज़र आ रही थी और गहरे गले के ब्लाउज़ मे से ब्रा मे लिपटे दोनों स्तनों के उभार दिख रहे थे। वह दूध डालते हुये उसके उरोजों को निहार रहा था और थोड़ा शर्माते हुये बोला “मेमसाहब, उसे माहवारी में कुछ दिक्कत है”। गुज्जर के इस सीधे जवाब को सुनकर ज्योति का चेहरा लाल हो गया और उसने उसकी आँखों की तरफ़ देखा जो कि उसके गाउन के अन्दर झाँक रहीं थीं।
वह और झेंप गयी और बोली “भैया, उसका ध्यान रखा करो और जल्दी करो साहब अन्दर इन्तजार कर रहे हैं”। उसने तुरन्त अपनी आँखें हटाकर उसकी आँखों में देखते हुये कहा “मेमसाहब, जब पत्नी की तबियत खराब हो तो घर पर आदमी को बड़ी परेशानी झेलनी पड़ती है” और उठकर जाने लगा। ज्योति अपने बदन पर गुज्जर की नज़र देखकर उत्तेजित हो गयी और उसने सोचा कि कभी कभी उसे अपना थोड़ा बदन दिखाकर उसमें उसकी रुचि को जीवित रखना चाहिये। तबतक मेरा एस एम एस आ गया कि “कल समय से आ जाना और वही गहरे गले वाला पार्टी ब्लाउज़ पहन कर आना”।
उसने उत्तर दिया “ठीक है” और मन ही मन में मुस्कुराई और शीशे मे खुद को देखते हुये अपने स्तनों को थोड़ा सा दबाया। उसे पता था कि कल उसके स्तनों और पूरे बदन की ढंग से मालिश होने वाली है और वह भी एकदम मुफ़्त। वह अन्दर से काफ़ी खुले ख़्यालों वाली औरत बन रही थी पर अपने पति, प्रेमी और अन्य सभी लोगों के लिये वह शर्मीली, पुराने ख़यालात वाली भारतीय नारी ही बनी रहना चाहती थी।
रात तक ज्योति की योनि में असह्य पीड़ा होने लगी थी जिसकी वजह से वह ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। उसे देख राम ने पूछा “क्या हुआ?” ज्योति ने गुस्सा जताते हुये कहा “मैनें तुम्हें पहले ही बोला था कि आराम से करो और तुम तो आज एक जंगली जानवर की तरह मुझ पर टूट पड़े थे, अब मुझे और दर्द होने लगा है”। राम ने कहा “लेकिन जब मैं कर रहा था उस समय तो तुमने कुछ बोला नहीं, मैनें सोचा तुम ठीक हो”।
ज्योति ने कहा “तुम एकदम बेवकूफ़ हो। क्या उस समय मेरे लिये तुम्हें रोक पाना सम्भव था? मैं पूरे माहौल को बरबाद नहीं करना चाहती थी और उस समय कामोत्तेजना में मुझे दर्द का पता भी नहीं चल रहा था। अब राम को लगने लगा कि शायद वह अपनी पत्नी के बारे में गलत सोच रहा था और बेवजह ही उसे दण्डित कर दिया। परन्तु अन्दर से अभी भी उसे पूरे सत्र का रोमांच महसूस हो रहा था जिसमें उसने अपने पूरे यौन जीवन का सर्वाधिक आनन्द उठाया था। उसने पीछे से आकर ज्योति की कमर में हाथ डालकर उसकी गर्दन का चुम्बन लिया बोला “प्रिये मुझे माफ़ कर दो, तुमने आज मुझे पागल कर दिया था और उत्तेजना में मुझे तुम्हारी चोट के बारे में ध्यान ही नही रहा। क्या तुम्हें आज मज़ा आया?”
उसे अन्दर ही अन्दर बहुत सुकून मिला कि उसने राम को सामान्य कर लिया है, वह बोली “हाँ, उस समय तो बहुत मज़ा आया था पर अब बहुत दर्द हो रहा है”। राम ने फ़िर उसे चूमते हुये गाउन के ऊपर से उसके पेट और योनि की मसाज शुरू कर दी और बोला “ठीक है प्रिये आज मैं तुम्हें ठीक होने में मदद करता हूँ और धीरे धीरे तुम्हें मेरे वहशीपने की आदत पड़ जायेगी”। यह सुनकर दोनो हँस पड़े और एक दूसरे की बाँहों में आ गये। ज्योति को लगा जैसे उसने पुनः अपने पति का विश्वास पा लिया है और आगे से उसने मेरे या किसी और से सम्बंध बनाते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने की ठान ली।
जबकि राम को अभी भी ज्योति के स्वभाव में परिवर्तन की वजह समझ नहीं आ रही थी क्योंकि बिस्तर पर हमेशा चुप रहने वाली ज्योति अब संभोग के समय बोलने लगी थी और उसकी मांग करने लगी थी। उसने सोचा कि शायद शादी के कुछ समय बाद औरतों में यह परिवर्तन स्वाभाविक है।
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#7
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अगले दिन ज्योति ठीक बारह बजे मेरी दुकान पर आ गयी। उस समय एक और औरत मेरी दुकान पर मुझसे बात कर रही थी। वह भी बहुत सुन्दर थी मैं उसमें भी उतनी ही दिलचस्पी ले रहा था पर उससे अधिक समय तक बात करके मैं अपने प्राथमिक शिकार यानि ज्योति को नाराज़ नहीं करना चाहता था। शीघ्र ही वह औरत चली गयी और मैने ज्योति से कहा “हेलो मेरी प्यारी ज्योति रानी, इन कपड़ों में बहुत ही खूबसूरत लग रही हो” और फ़िर उसके खुले हुये पेट और पल्लू के पीछे छिपे स्तनों को घूरने लगा।
ज्योति एक और ब्लाउज़ का कपड़ा लायी थी जिससे कि उसके पति या किसी और के सामने उसका मेरी दुकान में आना न्यायसंगत लगे। अभी भी उसने भोलेपन का नटक करते हुये बोला “मास्टर जी ये मेरा ब्लाउज़ सिलना है आप मेरी नाप दोबारा ले लीजिये क्योंकि पिछला ब्लाउज़ जोकि मैंने अभी पहना है कसा हो गया है”। मैंने उसे आँख मारते हुये बोला “मैडम, आप अन्दर आ जाइये ताकि मैं आप की ले सकूँ” और थोड़ा रुककर बोला “नाप”।
ज्योति भी थोड़ा मुस्कुराई और अन्दर आने के लिये बढ़ी। वह ये सोचकर उत्तेजित हो रही थी कि अन्दर उसके साथ क्या होगा। उसने मौके का भरपूर लाभ उठाने के लिये भीतर ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनी थी।
जैसे ही वह दुकान के अन्दर आयी मैने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमता हुआ उसकी कमर दबाने लगा। उसने धीरे से कहा “ओह बाबू, थोड़ा सब्र करो, कोई आ सकता है”। अब तक मेरा हाथ उसके स्तनों पर पहुँच चुका था। ब्लाउज़ के ऊपर से मैं जान गया कि उसने ब्रा नहीं पहन रखी है जिससे और उत्तेजित होकर बोला “मेरी रानी, तुमने ब्रा भी नहीं पहनी है और मुझे सब्र करने को बोल रही हो, आज तो मैं तुम्हें पूरा खा जाऊँगा”।
इतना कहकर मैं उसके उरोजों को और जोर से दबाने लगा और ब्लाउज़ के ऊपर से ही उसके निप्पलों को भींचने लगा। मदहोशी में डूबने से पहले वह जगह को सुरक्षित बनाना चाहती थी जिससे कि कोई गलती से भी दुकान में घुसकर उन्हें रंगे हाथों न पकड़ सके। इसलिये उसने मुझसे कहा “बाबू, अपनी दुकान पर एक सूचक लगा दो कि एक से दो बजे तक खाने का समय है और फ़िर अन्दर से दरवाज़ा बन्द कर लो”। मैने सोचा कि ये औरत तो वाकई डरपोक है पर साथ में चालाक भी, आज इसका भरपूर मज़ा लिया जाय। इसलिये मैने वैसा ही किया और अब हम दोनों कुछ भी करने के लिये आज़ाद थे।
मैं उसका पल्लू हटा कर उसके ब्लाउज और उसमें लिपटे स्तनों को निहारने लगा। फ़िर उसके दोनो स्तनों को पकड़ कर दबाने लगा और उसे आँख मारते हुये उसके निप्पलों को मसलने लगा। उसने शर्माकर अपना सिर झुका लिया। मैने उसका चेहरा पकड़कर ऊपर किया पर उअसने अपनी आँखें बन्द कर लीं। अब मैने उसे बाँहों में लिया और पीछे उसके नितम्बों को सहलाने लगा और उसके होंठों को चाटने लगा। उसने भी इसके उत्तर में अपना मुँह खोलकर मेरी जीभ को अन्दर जाने का रास्ता दिया।
वह अपने गर्भाशय पर मेरे तने हुये लंड को महसूस कर रही थी और उसकी योनि भी अब मदन रस का स्राव करने लगी थी। उसके नितम्बों की मसाज़ करते हुये मुझे पता चला कि उसने पैंटी भी नहीं पहनी है तो मैने उसके होंठ काटते हुये कहा “ओहो! मेरी कामुक रानी ने आज पैंटी भी नहीं पहनी है” यह कहकर मैने पहले तो अपनी उँगली उसकी दरार पर फेरी और फ़िर उसके गुदा द्वार पर रुककर ऊपर से ही दबाव डाला।
उसने कामोत्तेजना में एक हल्की सी आह भरी और फ़िर जोर से मेरे होंठों को चूसने लगी। वह मेरे बालों में अपनी उँगलियॉ को डाले हुये आँखें बन्द करके मुझे चूम रही थी और अपने शरीर की मसाज़ का आनन्द उठा रही थी। मैं आज उसे हर हालत में नंगा करना चाहता था इसलिये मैने उसके कपड़े उतारने का काम शुरू किया। थोड़ी कोशिश से मैने उसे अपने से अलग किया और फ़िर उसके बदन को घूरने लगा। वह बिना कुछ हिले डुले मेरी आँखों मे आँखें डाले मुझे देख रही थी। फ़िर मैं अपना दाहिना हाथ उसकी योनि पर ले गया और सहलाने लगा। उसने कोई विरोध नहीं किया पर शर्म से आँखें बन्द कर लीं।
अपने दूसरे हाथ से उसके निप्पल को मसलते हुये मैने उससे कहा “रानी, अपने ब्लाउज़ के बटन खोलो मैं देखना चाहता हूँ कि तुम्हारे ये दोनों तरबूज कैसे बाहर निकल कर आते हैं”। उसके ब्लाउज़ के हर खुलते बटन के साथ मुझे उसकी क्लीवेज़ और उभार दिखाई देते जा रहे थे। मैने बायें हाथ से उन्हें टटोलना शुरू कर दिया और दाहिने हाथ से साड़ी के ऊपर से उसकी भगनासा की मालिश जारी रखी। उसकी योनि के गीलेपन को कहसूस करके मैने उससे कहा “रानी, आज मैं तुम्हारी ले कर तुम्हें अपना बना लूँगा”।
अब तक उसके स्तन पूरी तरह से बाहर आ चुके थे और मैं उनसे खेल रहा था जबकि वह अपने हाथ सीधे करके ब्लाउज़ को पूरी तरह से उतार रही थी। वो बिना ब्लाउज़ और ब्रा के साड़ी के पल्लू में गज़ब की कामुक लग रही थी। मैनें झुककर उसके निप्पलों को चूसना शुरू कर दिया और अपने दोनों हाथों से उसके नितम्बों को मसलना जारी रखा। वह अपने बालों में उंगलियाँ फ़िराते हुये ऊपर की तरफ़ देखने लगी और अपने स्तनों और नितम्बों के और अधिक मर्दन का संकेत दिया।
मै उस कामुक देवी की प्रतिक्रियाओं से पागल हुआ जा रहा था। वह भी काफ़ी उत्तेजित हो गयी थी और अपने मुहँ से मादक आवाजें “उ…उ…उ… …ह…ह… श…श…श…” निकाल रही थी। तभी अचानक से उठकर मैं अपने होंठ काटते हुये बोला “रानी, अब प्लीज़ अपनी साड़ी उतार दो और मुझे देखने दो कि तुम सिर्फ़ पेटीकोट में कैसी लगती हो”। वह मेरी आँखों में कामुकता देख रही थी और आनंदित होकर मेरे साथ कामसुख में लीन हो रही थी।
उसने अपनी साड़ी उतार दी और मेरे सामने अर्धनग्न अवस्था में केवल पेटीकोट पहने सीधे खड़ी हो गयी। मैं अभी भी उसके स्तनों को मसल रहा था और उसकी आँखों में आँखें डाले उसे घूर रहा था। उसने मेरी तरफ़ देखते हुये बोला “बाबू, प्लीज़ मुझे ऐसे मत देखो” और थोड़ा मुस्कुराकर नीचे देखने लगी कि मैं कैसे उसके स्तनों का मर्दन कर रहा हूँ।
मैं अपना एक हाथ उसके पेटीकोट पर लगे योनि रस के दाग़ के पास ले गया और पेटीकोट के ऊपर से ही उसकी योनि को रगड़ने लगा जिससे उसका पेटीकोट और भी अधिक भीग गया। उसके पेटीकोट में साधारण कपड़े के नाड़े की जगह इलास्टिक लगा था यानि कि वह समय बचाने की हर तैयारी के साथ आयी थी। मैंने फ़िर उसके निप्पलों को चूसते हुये कहा “रानी, अब अपना पेटीकोट भी उतार दो और अपने पूर्णतया नग्न देह के मुझे दर्शन कराओ”।
वह भी योनि घर्षण से भीषण वासना की आग में जल रही थी इसलिये वह अपने नितम्बों को हिला हिला कर अपना पेटीकोट नीचे सरकाने लगी। एक बेवफ़ा घरेलू औरत को इस प्रकार से अपने सामने नंगा होते हुये देखना मेरे लिये सबसे कामोत्तेजक दृश्य था। जेसे ही पेटीकोट पूरी तरह से उतरा उसने हाथों से अपना चेहरा ढक लिया और मैं उसकी योनि की तरफ़ देखने लगा जोकि पूरी तरह से साफ़ व चिकनी थी। मैने उसकी योनिपर एक हाथ ले जाकर उसे प्यार से सहलाते हुये उससे कहा “रानी, लगता है तुमने सिर्फ़ मेरे लिये ही इसे साफ़ किया है”। उसने अपना चेहरा ढके हुये ही हाँ में सर हिलाया।
मैं एक ठंडी साँस लेते हुये बोला “वाह… मेरी जान” और उसके योनि मुख को फैलाकर अपनी उंगली के रास्ता बनाया। वह भी उत्तेजित होकर बोली “आह्… बाबू…”। अपनी उंगली उसकी योनि के अन्दर बाहर करते हुये मैने उससे पूछा “रानी, क्या तुम देखना चाहती हो कि मेरा लंड तुम्हारी योनि के लिये कैसे तैयार हो रहा है। उसने तुरन्त बोला हाँ और मैंने उसका एक हाथ उसके चेहरे हटाकर अपने लंड पर रख दिया और पैंट के ऊपर से ही उसे महसूस करने को बोला।
वह मेरे सामने नंगी खड़ी होकर मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहला रही थी। उसके मन में विचार आया कि कैसे पिछले कुछ दिनों में वह एक वेश्या की तरह हो गयी है पर कामोत्तेजना में उसने इस प्रकार के किसी भी आत्मग्लानि के बोध को मन से शीघ्र ही निकाल दिया। मैंने उसके निप्पल पर चिंगोटी काटकर आँख मारते हुये पूछा “तो, मेरी ज्योति रानी, क्या अब तुम मुझे भी नंगा देखना चाहती हो?” वह केवल मुस्कुराई और फिर अपना चेहरा छिपा लिया।
मैंने उसकी योनि पर हाथ रखकर कहा “रानी, तुम्हें मुझे कपड़े उतारते हुये देखना होगा, वरना मैं तुम्हें अपने लंड के दर्शन नहीं कराऊँगा”। मुझे पता था कि जिस तरह से उसकी योनि रस स्राव कर रही है वह मेरे निर्देश पर आज कुछ भी करने को तैयार हो जायेगी। वैसा ही हुआ, वह अपने चेहरे से हाथ हटा कर मेरे पैंट की तरफ़ देखने लगी।
मैं चेन खोलते हुये अपनी पैंट से बाहर आ गया। वह मेरे जांघिये में हुये उभार को देख रही थी। शीघ्र ही मैंने अपना जांघिया भी उतार दिया। मेरा नौ इंच का मोटे केले की तरह पूरी तरह से खड़ा लंड एक फ़नफ़नाते सांप की भाँति उसे घूर रहा था। वह मेरे विशालकाय लंड से चकित थी क्योंकि उसके पति का लंड इससे काफ़ी छोटा व पतला था। वह अन्दर से कामोत्तेजना में पागल हुई जा रही थी पर शर्म का नाटक करते हुये उसने पुनः अपना चेहरा छुपा लिया।
मैं उसके पास जकर चिपक कर खड़ा हो गया जिससे मेरा लंड उसके पेट से छूने लगा। मैंने उससे कहा “रानी, मेरे लंड को प्यार करो और इसे अपनी प्यारी योनि में प्रवेश के लिये तैयार करो”। यह सुनकर ज्योति ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया। मैंने आनंदित स्वर में कहा “आ…ह्… ज्योति, तुम्हारा स्पर्श गजब का है, काश कि मैं तुमसे पहले मिला होता”।
उसे मेरी इस बात से प्रोत्साहन मिला और वह धीरे धीरे मेरे लंड को हिलाने लगी। वह जल्दी से जल्दी इसे अपनी योनि में लेना चाहती थी क्योंकि पिछ्ले आधे घंटे से मेरी काम क्रियाओं से उसकी योनि पानी पानी हो रही थी। मेरे लंड को पकड़े हुये वह जमीन पर लेट गयी और मुझे अपने ऊपर ठीक जगह पर ले लिया। मैंने भी उसे चूमना शुरू कर दिया पहले चेहरा, होंठ, गला और फिर निप्पल को धीरे से काट लिया। उसने मेरे लंड को अपनी योनि पर थोड़ा रगड़ कर उसे अन्दर का मार्ग दिखाया और मुझसे कहा “बाबू प्लीज़ धीरे से डालना क्योंकि अन्दर दर्द हो रहा है”।
मैंने उसकी बात मानते हुये धीरे धीरे दबाव डालना शुरु किया। एक इंच प्रवेश के बाद मैंने देखा कि वह भी इस मीठे दर्द का मजा ले रही है, मैंने पूछा “रानी, मुझे तो बड़ा मजा आ रहा है, क्या तुम भी उतने ही मजे लूट रही हो?” उसने हाँ का इशारा करते हुये मेरा सिर अपने स्तनों पर दबाया और उन्हें चूसने का संकेत दिया। मैं सातवें आसमान पर था। यह बेवफ़ा औरत मुझसे मेरी पत्नी और माँ के रूप में एक साथ प्यार कर रही थी। मैंने अपनी पत्नी के साथ संभोग में कभी इस प्रकार की उत्कंठा का अनुभव नहीं किया था।
उसके बाद एक जोरदार धक्के के साथ मैं उसमें पूरा समा गया और कुछ समय बिना हिले डुले उसके स्तनों को चूसता रहा। वह नितम्बों को हिला हिला कर मेरे लंड को अपनी योनि के अन्दर हर एक भाग में महसूस करना चाहती थी।
अब उसने अपने हाथ मेरी कमर पर ले जाकर मुझे धक्के मारने का संकेत किया। तीन चार धक्कों में ही वह अपने पहले चरमानन्द पर पहुँच गयी और मुझे अपने से चिपकाकर अपने नितम्बों को मटकाकर मेरे लंड को अपने भीतर गहराई तक महसूस करने लगी। वह अपने इस चरमानन्द के अनुभव से सातवें आसमान पर पहुँच चुकी थी। वह इस पूरी क्रिया में मुख्य भूमिका निभा रही थी और मुझसे वह सब कुछ करवा रही थी जिसमें उसे अधिक आनन्द आ रहा था। पर शायद उसे पता नहीं था कि ये विनम्र दिखने वाला टेलर शीघ्र ही उसकी कुँवारी अक्षत गुदा का भोग करने वाला है।
पहले चरमानन्द के प्रभाव से नीचे उतरने के बाद उसने पुनः मुझे धक्के मारने का इशारा किया। इस बार मैंने थोड़ा कठोरता से उसकी योनि में अपने लंड को डाला और वह इस मीठे दर्द से कराहते हुये बोली “आआआ…ह ओओओ…ह बाबू! प्लीज़ धीरे करो” पर वास्तव में वह मुझे वैसे ही कठोरता से कामानन्द लेते देना चाहती थी। बीच बीच में उसे एक दुकान की फ़र्श पर अपने दर्ज़ी से एक वेश्या की भाँति यौन सुख लेता सोच कर अजीब सा लग रहा था परन्तु इसमें उसे आरामदायक कमरे में अपने पति से होने वाली प्रेम क्रीड़ा से अधिक आनन्द आ रहा था।
जल्दी ही वह अपने दूसरे चरमानन्द में प्रवेश करने लगी और एक कँपकँपी के साथ उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया। मैं भी बस स्खलित होने वाला था क्योंकि उसके साथ मेरा यह प्रथम अनुभव था और इस कारण अपनी उत्तेजना पर नियंत्रण कम था। इसलिये मैं जबरन उसके ऊपर आकर जोर जोर से उसे धक्के देने लगा। उसे भी पता था कि मैं शीघ्र ही स्खलित होने वाला हूँ इसलिये उसने भी मेरा पूरा साथ दिया।
शीघ्र ही एक जोर की “आआआ…ह” के साथ ही मैंने अपने वीर्य की एक एक बूँद उसकी योनि में उतार दी। अन्त में मैं जोर जोर की साँसे लेता हुआ उसके ऊपर ही ढेर हो गया। उसने भी मेरे लंड को अपनी योनि से निकालने का कोई यत्न नहीं किया और अपनी योनि को मेरे लंड की अन्तिम बूँद तक शोषित करने का समय दिया। वह अपनी पूरी संतुष्टता दिखाते हुये मेरे बालों में हाथ फेरते हुये मेरे गालों पर चुम्बन ले रही थी।
अगले पन्द्रह मिनट तक उसने यह सुनिश्चित किया कि मैं उसकी नग्न काया की मालिश करता रहूँ। मैं उसके स्तनों को दबाता रहा और वह मेरे भीगे लंड और वृषणों से खेलती रही। इस पूरे समय हम दोनों ख़ामोश अपने ख़्यालों में डूबे रहे। वह सोच रही थी कि कैसे वह इस पारवैवाहिक यौन सम्बन्ध में लिप्त हो गयी है और इसका उसके यौन जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। अब वह अपने पति राम और मुझे दोनों को धोखा देकर कठोर और निर्मम दिखने वाले अपने दूधिये (गुज्जर) से भी सम्बन्ध स्थापित करने को तैयार थी।
मैं भी अपने इस नये शिकार के बाद स्वयं बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा था और सोच रहा था कि कैसे वह अपनी नन्द और पड़ोसी को जिनसे मैं उसके घर पर मिला था मेरे पास लायेगी। वह दोनों ही मुझे पहली नज़र में ही भा गयीं थीं। अब मैं जबकि पूरी तरह सन्तुष्ट हो चुका था और इसका अपने दैनिक जीवन पर कोई दुष्प्रभाव नहीं चाहता था, मैंने उससे कहा इससे पहले कि कोई आकर दुकान पर दरवाजा खटखटाये हमें अपने अपने काम पर चलना चाहिये। वह तुरन्त उठी और कपड़े पहनने लगी।
मैं तब तक उसे निहारता रहा जब तक कि उसने अपना ब्लाउज़, पेटीकोट और साड़ी पहन नहीं ली। जाते जाते उसने मुझे पकड़ कर मेरे होठों पर एक जोरदार चुम्बन लिया, जिससे कि मैं चकित हो गया क्योंकि यह पहला अवसर था जब उसने आलंड न और चुम्बन की पहल की हो। अब मुझे पूरा विश्वास हो गया था कि ये औरत पूरी तरह से मेरे कब्जे में है। मैने बदले में उसके नितम्बों को दबाया और जाते जाते उसके नितम्बों पर हल्का सा चपत लगाया। वह मेरी ओर मुड़ी, मैने उसे आँख मारी और वह शर्माते हुये दुकान से बाहर चली गयी।
~~~ समाप्त ~~~
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#8
Bro iska part 2 bhi dalo aur tailor kaa naam aur age bhi batao
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#9
bahut badhia, iska part 2 ho jaye
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