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Adultery My best HOT Story's
#1
Heart 
प्यासी कली


मैं समीर गुड़गाँव वाला फ़िर से कच्ची कलियों, गर्म भाभियों, प्यासी आंटियों, और चुदक्कड़ मुण्डों को अपना एक और अनुभव सुनाने जा रहा हूँ।

हाल ही की बात है, मेरे कम्पनी के डायेरेक्टर ने अपने बंगले पर एक शानदार पार्टी दी थी।

बड़ी रौनक थी पार्टी में, एक से बढ़ कर एक बड़े लोग पार्टी में शामिल हो रहे थे। थोड़ी देर मे मेरी नजर एक काफ़ी अमीर आदमी पर पड़ी जो अपनी पत्नी के साथ लोगों से मिल रहा था, वो आदमी 40 से 42 साल का होगा और उसकी बीबी स्वर्गलोक की अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।

वो औरत मेरी तरफ़ काफ़ी ध्यान से देख रही थी, उसकी और मेरी नजर बार बार एक हो रही थी। उसके शरीर की बनावट देख कर लग रहा था कि उसको भगवान ने काफ़ी समय देकर बनाया होगा। उसका कद 5’8″, रंग गोरा और फ़िगर क्या कहूँ, 36-28-37 होगा और उसके चूचे देखते ही मेरे लण्ड मे हलचल सी मचने लगी। उसने काले रंग की पारदर्शी साड़ी पहन रखी थी और वो भी नाभि के काफ़ी नीचे, जो मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है।

मेरी नजर उस पर से हट ही नहीं रही थी, लगातार मैं उसकी ओर ही देखता रहा, और वो भी मुझे देख रही थी। मेरा अब पार्टी में कहीं ध्यान नहीं लग रहा था। मुझे इस तरह देखकर वो औरत मन ही मन मुस्कुराने लगी। मैं देख रहा था कि सब लोग इधर उधर बातें कर रहे थे पर उस औरत की नजर अब भी मेरी ही तरफ़ आ रही थी। यह देखकर मेरा लण्ड ही खड़ा होने लगा।

फ़िर उस औरत ने अपने पति से कुछ कहा, सोफ़े पर बैठ गई और एक शर्बत का गिलास लेकर चुस्कियाँ लेने लगी। मैंने भी एक शर्बत क गिलास लिया और चुस्कियाँ लेने लगा। मैं जहाँ पर खड़ा था वहाँ पर एक वेटर आ रहा था, मैंने उसको देखा नहीं और उसके साथ में मेरा गिलास टकरा गया तो सारा शर्बत मेरी पैंट और शर्ट पर गिर गया। वो वेटर तो सॉरी बोलकर चला गया, पर मेरी पैंट और शर्ट खराब होने के कारण मैं बाथरूम में जाकर अपने कपड़े साफ़ करने लगा।

थोड़ी देर में मैंने देखा कि वो औरत बाथरूम की तरफ़ आ रही थी, बाथरुम में मेरे अलावा और कोई नहीं था।

वो मेरी तरफ़ आई और मुझे देखकर मुस्कुरा कर बोली- “पैंट शर्ट खराब हो गया?

मैंने कहा- हाँ, वो वेटर ने शर्बत गिरा दिया।

तो वो हंसते हुए बोली- थोड़ा ध्यान अपने पर भी रखना चाहिये !

और मुस्कुराने लगी।

मैंने सोचा कि यह मुझे लाइन दे रही है तो मैंने उससे पूछा- पार्टी से बोर हो गई हैं क्या आप?

उसने कहा- हाँ !

और वो मेरे बारे में पूछने लगी, फ़िर मैंने उसके बारे में पूछा तो उसने अपना नाम रूपाली बताया और बताया उसके पति उसको प्यार से कली पुकारते हैं।

तो मैंने कहा- मैं भी आपको कली बुला सकता हूँ?

तो वो खुश हो गई और बोली- जरूर ! तुम मुझे कली ही बुलाओ।

मैं अपने शर्ट पर पानी लगा रहा था तो उसने कहा- शर्ट उतार कर साफ़ कर लो, यहाँ कोई देखने वाला तो है नहीं !

फ़िर मैं अपने शर्ट को उतार कर साफ़ करने लगा, इस दौरान हम बात करते रहे, वो मुझसे काफ़ी खुल गई थी।

शर्ट भीगने के कारण मैं पहन नहीं सकता था तो उसने कहा- सुखा लो।

मैंने कहा- कहाँ सुखाऊँ?

तो उसने मुझे छत की तरफ़ इशारा किया, मैंने कहा- यह आइडिया अच्छा है।

मैंने कहा- आप भी चलो !

उसने कहा- मेरे पति मुझे ढूंढते होंगे, हो सका तो थोड़ी देर में जरूर आऊँगी।

मैं छत पर चला गया। वहाँ कोई नहीं था, बिल्कुल अन्धेरा था।

10 मिनट बाद मुझे किसी के आने की आहट सुनाई दी। मैंने रुपाली को आते देखा।

रुपाली मेरी तरफ़ आ गई, बोली- शर्ट सूखा या नहीं?

मैंने कहा- सूख रहा है।

वो इतनी सेक्सी लग रही थी कि मेरे से अपने ऊपर काबू रखना मुश्किल हो रहा था।

फ़िर हम लोग बातें करने लगे। इतने में मुझसे उसका हाथ छू हो गया तो मैंने सॉरी बोला, तो वो बोली- सॉरी क्यों बोले? इसमें शर्माने की क्या बात है?

मैं तुरन्त ही समझ गया कि उसने हरी झण्डी दिखा दी है, ब्रेक मत लगाओ।

तो मैंने उसके हाथ को पकड़ लिया तो उसने कुछ नहीं कहा। फ़िर तो मैंने उसको अपनी बाहों में खींच लिया तो वो मेरे बाहों में समाने लगी, और उसी ने चुम्बन करना चालू कर दिया।

मैं समझ गया कि यह औरत काफ़ी प्यासी है और गर्म भी हो गई है। तो मैं उसके स्तन दबाने लगा, वो आ आआ अह्ह्ह करने लगी।

मैं उसको अन्धेरे में ही दबोच कर उसके होठों को चूसना चालू कर दिया।

इतने में उसके फोन की घण्टी बजने लगी तो चौंक पड़ी और देखने लगी, बोली- इस गधे को भी इसी वक्त फोन करना था !

वो काफ़ी गुस्से में भर गई और फोन रिसीव करके बोली- आती हूँ।

और मुझे बोली- जाना होगा, मेरे पति जा रहे हैं।

फ़िर उसने मुझे चूमा और मेरा मोबाईल लेकर अपना नम्बर डायल कर दिया और कहा- मैं तुझे कल फोन करुँगी और तुम आ जाना। मैं किसी भी समय कल तुम्हें फोन करुंगी।

फ़िर मैंने उसको एक जोरदार किस मारी और वो बाय बोल कर निकल गई, मैं भी शर्ट पहन कर नीचे आ गया।

फ़िर मैंने पार्टी में खाना खाया और घर आकर सोने की कोशिश करने लगा पर नींद कहां से आने वाली थी, आँखों में वही दिखाई दे रही थी।

फ़िर मैंने उसको याद करके मुठ मार ली और सो गया।

दूसरे दिन मैं ऑफ़िस चला गया था और ऑफ़िस के काम की वजह से टाइम पास हो गया।

तकरीबन दो बजे मेरे मोबाईल पर घण्टी बजी पर नम्बर दूसरा था। मैंने हेल्लो बोला तो सामने से सीधा जवाब आया- हाय ! कैसे हो?

मैंने जवाब दिया- ठीक हूँ !

मैं आवाज पहचान गया था।

उसने पूछा- अभी तुम क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- ऑफ़िस में हूँ।

उसने कहा- क्या तुम मुझे अभी मिल सकते हो?

मैंने कहा- हाँ, क्यों नहीं? कहाँ पर आऊँ?

तो उसने मुझे साउथ दिल्ली का एक पता दिया और बोली- तुम वहाँ पर खड़े रहना, मैं तुम्हें ले लूँगी।

मैंने कहा- ठीक है !

मैंने ऑफ़िस से छुट्टी ली और उस पते पर जाकर उसकी प्रतीक्षा करने लगा।

थोड़ी देर में वो कार में आई उसके पास स्कोडा लारा कार थी। उसने मुझे साइड सीट पर बैठने का इशारा किया, फ़िर वो खुद ड्राईव करके शहर से बाहर एक शान्त जगह ले गई, किसी का फ़ार्म हाउस लग रहा था, बहुत ही शानदार बना हुआ था, पर सुनसान था।

रुपाली ने फ़ार्म हाउस के अन्दर गाड़ी रोक दी, बंगले का गेट खोला और मुझे अन्दर आने के लिये कहा। उसने दरवाजा बन्द कर लिया तो मैंने पूछा- हम कहाँ पर आये हैं?

तो उसने बताया- यह फ़ार्म हाउस मेरी एक सहेली का है और यहाँ पर कोई आता जाता नहीं है।

और बोली- हम लोग अकेले हैं, क्या सोच में पड़ गये?

मैंने कहा- कुछ नहीं !

मैंने उसको अपनी बाहों में खींच लिया और एक फ़्रेन्च किस कर दी और पूछा- क्या सब काम खड़े होकर ही करना है?

तो वो हंस कर बोली- चलो, बेडरुम हमारा इन्तजार कर रहा है।

मैं भी हंसने लगा।

रुपाली ने फ़ार्म हाउस के अन्दर गाड़ी रोक दी, बंगले का गेट खोला और मुझे अन्दर आने के लिये कहा। उसने दरवाजा बन्द कर लिया तो मैंने पूछा- हम कहाँ पर आये हैं?

तो उसने बताया- यह फ़ार्म हाउस मेरी एक सहेली का है और यहाँ पर कोई आता जाता नहीं है।

और बोली- हम लोग अकेले हैं, क्या सोच में पड़ गये?

मैंने कहा- कुछ नहीं !

मैंने उसको अपनी बाहों में खींच लिया और एक फ़्रेन्च किस कर दी और पूछा- क्या सब काम खड़े होकर ही करना है?

तो वो हंस कर बोली- चलो, बेडरुम हमारा इन्तजार कर रहा है।

मैं भी हंसने लगा।

वो बोली- मुझे गोद में लेकर बेडरुम में ले चलो।

मैंने उसे अपने गोद में उठा लिया, उसने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी और गोद में ही मुझे किस करने लगी। मैं भी उसको मसलता हुआ बेडरुम में ले गया और लेजाकर बिस्तर पर लिटा दिया।

फ़िर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके गुलाबी होठों को तबियत से चूसने लगा और धीरे-धीरे ब्लाउज के ऊपर से ही उसके चूचे दबाने लगा, मेरा जोश बढ़ने लगा और जब मैं उसके स्तनों को जोर जोर से दबाने लगा तो वह बोली- जरा धीरे से दबाओ, अब ये तुम्हारी ही हैं, जरा अपनी समझ कर दबाओ !

और वो आह्ह आआ ऊओऊऊच ऊउईइम्म्मां…उम्म्ह्ह्ह करने लगी और उसकी आँखें बन्द होने लगी। वो एकदम अपनी अन्तर्वासना के नशे के वशीभूत हो गई और सिसकारियाँ भरने लगी।

फ़िर मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोलने शुरु किए। उसने लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी वो एकदम कयामत लग रही थी। मुझसे रहा नहीं गया, मैंने देर ना करते हुये उसकी साड़ी उसके कमर तक चढ़ा दी, और पैन्टी के ऊपर से ही एक जोरदार चुम्मा उसकी चूत का ले लिया और उसकी साड़ी और पेटीकोट को उतार फ़ेंका।

मैंने अपना भी पैण्ट शर्ट उतार दिया और सिर्फ़ अण्डरवीयर में रह गया था। मैंने उसकी पिण्डलियों से उसको चूमना शुरु किया और उसकी जान्घों से होता हुआ उसके चूचों को चूसने लगा तो वो एकदम से उछल पड़ी और जोर से मुझसे लिपटने लगी, उसके मुँह से कामुक आवाजें निकल रही थी जैसे वो बरसों से प्यासी हो।

फ़िर मैं उसके सारे शरीर पर चुम्बन करते हुये उसकी नाभि को अपने जीभ से कुरेदने लगा, मुझे वहाँ से एक बहुत अच्छी सी खुश्बू आ रही थी और नाभि कुरेदते हुये ही मैंने उसकी पैंटी अपने उंगलियों से सरका सरका कर निकाल दी।

उसकी चूत देखकर मेरे मुँह से आह निकल गई। एकदम मक्खन की तरह चिकनी चूत थी बिना बाल की पतली लम्बी दरार वाली चूत जो मुझे बहुत पसन्द है।

जब मैंने उसकी दरार पर हाथ फ़ेरा तो वो बहुत गर्मा गई और झट से उसने अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया।

मैंने भी देर ना करते हुए झट से अपना अण्डरवीयर उतार कर उसके हाथ में अपना लण्ड पकड़ा दिया।

वो मेरे लण्ड को गौर से देखने लगी तो मैंने पूछा- क्या हुआ?

उसने कहा- इतना लम्बा और मोटा लण्ड तो मेरे पति का भी नहीं है?

तो मैंने कहा- तब तो तुम्हें पलंगतोड़ मजा आयेगा।

अब मैं उसकी चूत में उंगली डाल कर उसकी गहराई नापने लगा और उसके दाने को सहलाने लगा। वो उछ्ल पड़ी तो मैंने उसकी चूत को एक फ़्रैंच किस कर दिया तो वो तो एकदम से पागल सी हो गई और सिसकारियाँ भरने लगी… उह्ह्ह्ह्ह्हं……आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्…
मैं उसकी चुत की दीवार पर अपने होंठ रगड़ने लगा और जीभ से हल्के हल्के चूत को कुरेदने लगा तो उसके चुत से जूस निकलना शूरु हो गया था मुझे भी मजा आने लगा था तो मैंने अपनी जीभ को और अन्दर तक डाल कर उसकी चूत को टटोलने लगा वो एकदम उछल पड़ी और बोली- आज तक मेरे पति ने कभी अपनी जीभ अन्दर नहीं डाली और मैं ऐसा मजा पहली बार ले रही हूँ, प्लीज पूरी जीभ को अन्दर तक डालो।

मैं धीरे धीरे अपनी जीभ को उसके चूत में अन्दर तक डालने लगा, वो हाय्य्य्य्य्य हूऊऊउम्म्म्मम्म …… आआऊऊउच्च… कर रही थी और अपने हाथों से मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगी।

मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली तो उसने कहा- डालो जीभ को अन्दर जल्दी !

और मैं बड़े प्यार से उसको अपनी जीभ से चोदने लगा था। थोड़ी देर में वो झड़ने लगी, मैंने देखा कि उसकी आँखें खुल नहीं रही थी, और उसकी चूत से बहुत पानी निकल रहा था।

अब वो शांत हो गई थी और मैंने भी अपनी जीभ उसकी चूत से बाहर निकाल ली।

अब उसने मुझे दीवार के सहारे पीठ लगा कर खड़ा कर दिया और खुद नंगी ही उकड़ु बैठ गई जैसे कि पेशाब करने बैठी हो, और उसने मेरे लण्ड को अपने मुँह मे लेकर चूसना शुरु कर दिया।

मुझे तो जन्नत का मजा आने लगा, उसके लण्ड चूसने के इस स्टाइल से मैं काफ़ी उत्तेजित हो गया था। वो मेरे लण्ड को लॉलीपोप की तरह चूस रही थी और कभी कभी तो इस तरह चूसती जैसे कि गन्ने का रस चूस रही हो।

वो दुबारा गर्मा गई थी और मुझसे कहने लगी- अब मेरी चूत तुम्हारा लण्ड चूसना चाहती है।

मैं उसका इशारा समझ गया और उसको गोद में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और अपना लण्ड उसकी चूत की दरार पर रख कर हल्के हल्के रगड़ने लगा तो वो पागल हो गई और मुझसे कहा- जल्दी से पेल दो ! अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है।

मैं उसके शब्दों पर जोश में आ गया और अपने लण्ड के सुपारे को उसकी चूत के मुहाने पे रख कर धक्का मारा तो सुपारा अन्दर चला गया तो वो हल्के से चिल्ला उठी।

मैंने दूसरा धक्का थोड़ा जोर से मारा तो वो मुझे धकेलते हुए बोली- …बाहर निकालो…।

तो मैं रुक गया, मुझे उसके दर्द का अहसास होने लगा, उसके मुंह से आवाज भी बन्द हो गई थी।

मैंने उसको थोड़ी देर आराम करने दिया और पूछा- तुम्हारे बच्चे कितने हैं?

तो उसने कहा- एक लड़का है।

तो यह सुनकर मैं हैरान हो गया और कहा- तुम्हारा एक बच्चा भी है तो चूत का दरवाजा इतना छोटा क्यों है?

तो उसने बताया- डिलिवरी के बाद चूत में टांके लगे थे तो छेद छोटा हो गया था और तेरा लण्ड तो मेरे पति से बड़ा और मोटा भी तो है।

मैं हंसने लगा और बातों ही बातों में अपने लण्ड को उसकी चूत में सरकाता गया और वो आह्ह्ह…आह्हन कर रही थी। मैंने उसे अपनी बातों में लगा कर रखा और एक जोरदार धक्का मारा तो उसकी चीख निकल गई और उसने मुझे दांत काट खाया।

मैं उसके सिर को हाथों में उठा कर उसको प्यार से चूमने लगा तो वो सामान्य हो गई और जोश में आने लगी।

मैंने धक्के लगाने शुरु कर दिये तो उसने कहा- धीरे ररे… से करो … मर गई आ आह्ह्ह्ह…. तो मैं अपने लण्ड को प्यार से अन्दर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद उसको मस्ती आने लगी तो मैंने धक्के तेज कर दिये और वो कमर उठा उठा कर साथ देने लगी। हाययय आऊऊच्…… उइ मां… आहाह्ह…. श्श्श्ष्ह्ह्ह्…वाऊउ… और जोर दे डाल मेरे राजा …

मैंने भी अपनी गति बढ़ा दी और जबरदस्त धक्के मारने लगा…

कभी वो अपना कमर से ऊपर की तरफ़ धक्के मारती तो कभी गोल गोल घुमाती… उसको इतना मजा आ रहा था कि उसकी आँखें नहीं खुल रही थी। वो इतनी मदहोश हो चुकी थी कि उसने अपने टांगें मेरी कमर में लपेट रखी थी।

मेरा लण्ड उसके गर्भाशय से टकराने का मुझे महसूस हो रहा था, उसने मुझे जोर से दबोच लिया और बोली- वाह, तुमने मुझे जन्नत में भेज दिया, अब यह रुपाली सदा के लिये तेरी हो गई, जब जी चाहे बुला लेना, मैंने ऐसा मजा आज तक नहीं लिया… हाय्य्य्य…श्श्श्श्शह्ह्ह्ह्ह्…

और जोर जोर से मुझे चूमने लगी…

मैं भी पूरी गति से चोद रहा था… और वो जोर जोर से चिल्ला रही थी- …और जोर से ! और जोर से… ! ऐसे ही ! मुझे जीभर कर चोदो मेरे राजा…

कमरे में फ़च फ़च की आवाजें गूंज रही थी।

थोड़ी देर में वो बोली- मेरा तो निकलने वाला है !

तो मैंने और गहराई में धक्के मारने शुरु कर दिये… और वो झटके खाने लगी- …मारर डाला…

और मुझे बाहों में बड़े जोर से दबा लिया और शान्त पड़ने लगी…

इधर मेरा भी निकलने वाला था 
तो मैंने उससे कहा तो उसने कहा कि अन्दर ही निकाल दो, कोई टेन्शन नहीं है।

फ़िर मेरा भी पानी छुटने लगा तो उसने बाहों में जोर से दबोच लिया और मैं उसकी चूत में झड़ने लगा और करीब 5 मिनट तक उस पर लेटा रहा।

वो बोली- तुम्हारा बीज तो काफ़ी गर्म है।

मैंने कहा- क्यों नहीं होगा?

तो उसने कहा- थोड़ी देर मेरे ऊपर ऐसे ही लेटे रहो, अच्छा लग रहा है।

तो मैं कुछ देर लेटा रहा, फ़िर उठ कर उसकी चूत देखी तो बिल्कुल लाल थी।

फ़िर मैं बाथरुम गया और बाहर आकर कपड़े पहनने लगा, वो वैसे ही लेटी हुई थी, मैंने पूछा- घर नहीं जाना क्या?

तो उसने कहा- घर जाने का आज मन नहीं है।

और बोली- तुमने प्यास बुझा दी और मुझे थका दिया और तुम नहीं थके?

मैंने कहा- इसी को तो मर्द कहते हैं।

फ़िर उसने मुझे उठकर चूम लिया और साड़ी पहनने लगी और मुझे “आई लव यू” कहा, तो मैंने भी जवाब दिया।

फ़िर उसने कहा- मेरी सहेलियाँ भी तुमसे मिलना चाहेंगी !

तो मैंने कहा- मोस्ट वेल्कम।


फ़िर उसने मुझे मेरे घर के पास में अपनी कार से छोड़ दिया।
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#2
ट्रेन के सफर में मेरे शौहर की कारस्तानी




मेरे शौहर कुछ विचित्र प्रकार की प्रवृति के मालिक हैं. वे बिस्तर पर मुझसे गंदी गंदी बातें करते थे और ऐसा लगता था कि किसी और से सम्बन्ध रखने को उकसाते थे.

मेरा नाम डेजी परवीन है. मेरी शादी कुछ ही महीने पहले हुई है. मेरा रंग सांवला है, बदन भरा हुआ, तीखे नाक नक्श, सुन्दर चेहरा और आकर्षक बदन की मालकिन हूं.
शादी के कुछ ही दिन के बाद मुझे अहसास हो गया कि मेरे शौहर कुछ विचित्र प्रकार की प्रवृति के मालिक हैं. वे बिस्तर पर मुझसे गंदी गंदी बातें करते थे और ऐसा लगता था कि किसी और से सम्बन्ध रखने को उकसाते थे.

पहले तो मैंने कुछ खास प्रतिरोध नहीं किया पर जब एक बार उन्होंने मुझसे सीधे सीधे ये बात कही कि मैं उनके एक दोस्त के साथ एक रात गुजार लूं और वो छुप कर देखेंगे तो मेरा गुस्सा फट पडा़. मैंने चिल्लाकर कहा- आपने मुझे समझ क्या रखा है, मैं मरते मर जाऊंगी पर किसी और को खुद को हाथ लगाने नहीं दूंगी.
उन्होंने मुझे गुस्से से देखा और धीरे से कहा- देखते हैं.

उसके बाद दो महीने तक उन्होंने फिर वो बात दुबारा नहीं की.

हमें एक शादी में जाना था, 18 घण्टे का सफर था. जाना जरूरी था तो मेरे शौहर ने रिजर्वेशन करवा लिया.

मैंने मैरून कलर की साडी़ पहनी और डीप गले का ब्लाऊज, पहली बार अपने शौहर के साथ बाहर जा रही थी तो खूब मेकअप किया. 21 साल की मेरे जवान बदन बहुत फब रहा था. मेरी सास ने मेरी नजर उतारी और मैं अपने शौहर के साथ निकल पडी़.

उन्होंने बताया कि रिजर्वेशन एक साथ एक जगह नहीं मिला है, कुछ कम्पार्मेंट के बाद मेरी सीट है. उन्होंने बताया कि ट्रेन में सीट चेंज करवा लेंगे.

स्टेशन पहुंच कर उन्होंने कहा कि सारे पैसे मैं उन्हें दे दूं, ट्रेन में चोरी हो सकती है.
मैंने भी सोचा कि ठीक ही बोल रहे हैं और सारे पैसे उन्हें दे दिये.

हम ट्रेन में चढ़ गये. वो अपनी सीट पर बैठ गये और मुझे एक सीट पर बैठा गये. कहने लगे- जब टी टी आयेगा तो सीट चेंज करवा लेंगे.
ट्रेन चल पडी़ पर लगभग 6 घन्टे तक टी टी नहीं आया.

6 घन्टे बाद टी टी आया और मुझसे टिकट मांगने लगा. मैंने सीट नम्बर बताया और कहा कि वहां मेरे शौहर बैठे है और टिकट उनके पास है.
वो बिना कुछ बोले बाकियों का टिकट देख कर चल दिया.

लगभग 20 मिनट टी टी बाद वापस आया और मुझे बाहर की तरफ बुलाया. वो गेट के पास जाकर खडा़ हो गया और मैं भी वहीं जाकर खडी़ हो गई.
उसने मेरा नाम पूछा और लिस्ट चेक की. फिर मुझसे कहा- मैडम, आपका नाम लिस्ट में नहीं है और मुझे आपके शौहर कहीं नहीं मिले.
उनका नाम बताया मैंने तो उसने फिर लिस्ट देखा और कहा- इस नाम से भी कोई आदमी नहीं है.

मैंने सीट नम्बर बताया तो उसने एक रेलवे के हवलदार को बुला कर उस आदमी को बुलाने भेजा. मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था. जब उस हवलदार के साथ मेरे शौहर को आते देखी तो जान में जान आई.

उनके आते ही टी टी ने पूछा- ऐ मिस्टर, इनका टिकेट कहां है?
उन्होंने मुझे देखा और कहा- मुझे क्या पता? मैं इनको नहीं जानता.
मुझे तो काटो तो खून नहीं … मैंने हड़बडा़ कर कहा- ये क्या बोल रहे हैं?
टी टी ने बीच में टोका और उनसे पूछा- क्या नाम है आपका?
उन्होंने कहा- विश्वजीत सिंह.

उसने मुझसे कहा- विश्वजीत सिंह और डेजी परवीन, इन्टरकास्ट मैरीज है क्या?
मैंने कहा- ये झूठ बोल रहे हैं.

टी टी ने मुझसे पूछा- आपने कहाँ जाना है?
मैंने शहर का नाम बता दिया. फिर उनसे पूछा तो कोई और नाम बताया.

टी टी ने फिर उनसे पूछा- कोई सबूत है आपके पास?
उन्होंने एक कार्ड निकाल कर टी टी को दिया. टी टी ने पहले खुद देखा और फिर मुझे दिखाया.
सच में तो वोटर आई डी कार्ड था और उनके फोटो के साथ उनका नाम विश्वजीत सिंह लिखा था.

टी टी ने फिर पूछा- मैडम आपके पास कोई सबूत है?
मैंने थोडी़ देर सोचा, पसीने से माथा गीला हो गया था. मैंने धीरे से कहा- मेरा समान इनके बैग में है, मैं बता सकती हूं कि क्या क्या है उसमें.
टी टी ने फिर हवलदार को भेजा और बैग मंगवा लिया.

मैंने अपनी चीजें बताई तो वो अंदर देखने लगा. थोडी़ देर में मैंने कहा कि अब तो यकीन हो गया आपको.
उसने पूरा बैग मेरे सामने पलट दिया.

मेरे तो छक्के छुट गये.
बैग में सिर्फ मर्दाना सामान था और कुछ नहीं.
टी टी ने मुझसे कहा- मैडम आपको फाईन के साथ टिकेट लेना पडे़गा.
मैंने पूछा, कितना. उसने बताया कि 2250.

मैंने अपना पर्स खोला तो याद आया कि पैसे तो पहले ही ले चुके है. मैंने धीरे से झिझकते हुए कहा- पैसे नहीं है मेरे पास.
टी टी ने कहा- ठीक है, फिर अगले स्टेशन पर उतर जाना.

बिना पैसों के एक अनजाने शहर में उतरना भी ठीक नहीं था. ये तो और बुरी स्थिति होती.
मैंने धीरे से कहा- मुझे उतरना नहीं है.
टी टी ने आवाज लगा कर दो और हवलदार को बुला लिया और मुझसे कहा- मैडम आपको उतरना तो पडे़गा ही.

अचानक मेरे शौहर ने टी टी से कहा- एक मिनट साईड आना.
टी टी उनके साथ अलग हो गया.
हवलदार दूर खडे़ थे पर मैं पास थी तो मुझे सुनाई पड़ रहा था उनकी बातें.

वो टी टी से बोले- जहां जाने की बात कर रही है उसमें अभी 12 घण्टे हैं.
टी टी ने कहा- तो?
वो बोले- तो अंधे हैं क्या, दिखता नहीं है?
टी टी बोला- क्या?
वो बोले- ज़वानी नहीं दिखती क्या, क्या रसीली जवानी है, पैसे नहीं है, जाना भी है, उतरना भी नहीं है.

थोड़ी देर तक टी टी देखता रहा तो वो आगे बोले- तो ट्रेन में कोई जगह हो तो ले चलते हैं और 12 घण्टे मजा करते हैं.
टी टी ने मेरे पलट कर गौर से देखा और बोला- ठीक बोल रहे हो, पैसे और फाईन तो आते जाते रहते हैं, ऐसा माल मुश्किल से ही मिलता है. चलो बात कर के देखता हूं.

इतने देर में मुझे ये तो समझ आ गया कि वो मुझसे बदला लेने की कोशिश कर रहे हैं. पर इस स्थिति से निकलने की कोई आस नहीं दिख रही थी.

टी टी वापस आया मुझ तक और कहा- ठीक है मैडम, मैं कुछ एडजेस्मेन्ट करता हूं. आप आइये मेरे साथ.
अब टी टी आगे आगे था और मैं पीछे पीछे चल दी.

दो बोगी के बाद एक डिब्बा आया जिसमे सिर्फ एक कम्पाटमेंट था और बाकी पूरा सामान भरा था.
उसने मुझे वहां रोका और तब तक बाकी लोग भी आ गये.

टी टी ने मुझसे कहा- मैडम, आप यहां रूक सकती हैं. ये हमेशा फ्री रहता है. और चार्ज भी कम है.
मैंने पूछा- कितना चार्ज लगेगा?

टी टी ने मेरे दोनों तरफ से हाथ ला कर मेरे गांड की गोलाइयों को सहलाते हुए कहा- अब आप से पैसे थोडे़ न लेंगे, आप कुछ और दे देना.
मैंने उसका हाथ झटक दिया और कहा- मैं ये नहीं कर सकती.
उसने एक भद्दी सी गाली दी और कहा कि वो अगले स्टेशन पर नीचे फेंक देगा मुझे.

मुझे और कोई रास्ता समझ नहीं आ रहा था तो मैंने धीरे से कहा- नहीं ट्रेन से मत उतारये, आप जो बोलिएगा मैं करूंगी.
टी टी ने मेरी गांड को फिर से पकड़ लिया और कहा- पूरे सफर में तेरी तिक्का बोटी करूंगा और मेरे तीन आदमी भी मेरे साथ रहेंगे और जैसा चाहूंगा वैसा करूंगा.
मैंने सर झुका लिया.

अचानक वो बोल पडे़- और साहब मैं?
टी टी ने उन्हें देखा और पूछा- तुम्हें क्यों?
उन्होंने कहा- क्या साहब, मैंने सुझाव दिया और मुझे ही बाहर कर रहे हैं. अच्छा इसके फाईन का पैसा मैं दे दूँगा आपको.
टी टी ने थोडी़ देर सोचा फिर बोला- अच्छा तू भी आ जा.

उसने मुझे अंदर जाने को कहा तो मैं अंदर चली गई.
वो लोग भी अंदर आ गये और टी टी ने कम्पाटमेंट का गेट बंद कर दिया.

टी टी और एक हवलदार एक सीट पर, मेरे शौहर और एक हवलदार दूसरे सीट पर बैठ गये. मैं दोनों सीट के बीच में खडी़ थी और एक हवलदार मेरे सामने खडा़ था. उसने मेरा पल्लू खींचा और नीचे गिरा दिया. एक बार को मेरा हाथ उठा कि मैं अपने ब्लाऊज को ढक लूं पर फिर मैंने ऐसा नहीं किया.

उस हवलदार ने मेरे ब्लाऊज के उपर से ही मेरे दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और मसलने लगा.
मैंने अपने शौहर के तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रहे थे.

मेरे चेहरे पर दर्द की लकीरें उभरी तो मेरे शौहर बोल पडे़- आराम से भई, इतने उतावले क्यो हो रहे हो?
हवलदार ने गति कम कर दी.
टी टी ने कहा- अबे साले, अकेले ही खेलेगा कि हमें भी माल दिखाएगा!

हवलदार को बात समझ आ गई और उसने जल्दी जल्दी बटन खोलना शुरू किया. जल्दबाजी में मेरे ब्लाऊज के दो बटन टूट गये.
मेरे शौहर फिर बोल पडे़- इसको पहनाने के लिए कुछ नहीं है हमारे पास, कम से कम कपडे़ तो मत फाड़.
हवलदार ने धीरे धीरे ब्लाऊज उतार दिया और मेरे ब्रा के हुक खोल कर मेरी ब्रा भी मेरे बदन से उतार ली.

मेरे स्तन नग्न हो गये पर मैंने उन्हें भी छुपाने की कोशिश नहीं की.

टी टी ने हवलदार को इशारा किया और मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया. टी टी मेरे स्तनों से खेलने लगा और मेरे स्तनों को जोर जोर से मसलने लगा.
मेरे शौहर फिर बोले- आराम से साहब, लौंडिया को हमारे लायक रहने दीजिए.
टी टी ने धीरे धीरे मसलना शुरू किया.

मेरा दिल में तो मेरे शौहर के लिए बहुत गुस्सा आ रहा था, उनको सबक सिखाने का मन तो हो ही रहा था.
मैंने धीरे से टी टी के कान में कहा- आप तो कह रहे थे कि आप अपनी मन की करेंगे. पर यहां हुकुम तो कोई और दे रहा है.

टी टी थोडे़ देर सोचता रहा और उसने मेरे निप्पल को मुंह में ले लिया. थोडे़ देर निप्पल चूसने के बाद उसने धीरे से मेरे स्तनों के उपर काट लिया.
मेरे शौहर फिर बोल पडे़- आराम से साहब, क्या कर रहे हैं?
अचानक टी टी बिफर पडा़- तू सिखाएगा कि क्या करूं और क्या न करूं, बहुत देर से देख रहा हूं कि टांय टांय कर रहा है.

टी टी ने मुझे गोद से उतारा और बगल में बिठा दिया और बोला- तेरे को साथ लेकर गलती की, साले मादरचोद पूरा मजा खराब करेगा उंगली कर करके.
एक हवलदार ने कहा- गलती सुधार देते हैं. रफा दफा करो इसको यहां से.
मेरे शौहर तो बोल ही नहीं पा रहे थे और हवलदार उन्हें धक्के लगा कर बाहर करने लगे.

टी टी भी उनके पीछे चल दिया. उन लोगों ने मेरे शौहर को अगले बोगी में धकेल कर दोनों बोगियों के बीच का दरवाजा बंद कर लिया. बाकी दरवाजे तो पहले से बंद थे.

इतना करके वो लोग कम्पाटमेन्ट की तरफ वापस आ गये और अंदर घुस कर दरवाजा बंद कर दिये.

मैं खडी़ हो गई, मेरा पल्लू निचे पडा़ था, कमर से ऊपर एक भी कपड़ा नहीं था.
टी टी ने कहा- अब हम आराम से तेरी जवानी का मजा लेंगे.

इतना कह कर टी टी ने मेरे कमर के पास मेरी पेटीकोट के अंदर दोनों तरफ से उंगली डाल दी और पेन्टी के अंदर उंगली फंसा कर जोर से नीचे की ओर खींच दिया.
मैंने पेटीकोट को थोडा़ ढीला ही बांधा था तो मेरी साडी़, पेटीकोट और पेन्टी एक इलास्टिक वाले पेन्ट की तरह मेरी कमर से नीचे सरकती चली गई.

मैं हफ्ते में दो बार नीचे के बालो की सफाई करती हूं और आज तो सुबह ही की थी.
अचानक मुझे ख्याल आया जो इतनी अफरा तफरी में ध्यान से उतर गया था. ये लोग चार हैं. और क्या मैं चार लोगों को एक साथ बर्दाशत कर पाऊंगी.
इतना ख्याल आते ही मेरे पसीने छुट गये पर अब क्या हो सकता था, बर्दाशत तो करना ही पडे़गा.

टी टी ने मुझे गद्दे पर लिटा दिया. मेरे लेटते ही सबने अपने अंडरवीयर उतार दिये. उनका लण्ड देख कर मेरी जान ही सूख गई. मेरे शौहर के मुकाबले काफी बडा़ और लम्बा था सबका.

मेरी साफ योनि देख कर वो आहें भरने लगे, कहने लगे- वाह … कितना मजा आने वाला है.
टी टी ने हवलदार से कुछ कहा और वो बाहर चला गया.

टी टी ने मुझे कहा- देखो, हमारे पास कंडोम तो नहीं हैं. और बाहर गिराना हमारी आदत नहीं. तो ये तुम्हें खुद ही देखना पडे़गा.
मैं वैसे भी गर्भनिरोधक गोली खाती थी तो गर्भ ठहरने का कोई दिक्कत तो था नहीं.
फिर भी मैंने कोई जवाब नहीं दिया.

इतने देर में हवलदार वापस आ गया और साथ में एक गद्दा ले आया. उसने दोनों सीटों के बीच गद्दा बिछाया और टी टी ने मुझे खींच कर गद्दे पर पीठ के बल लिटा दिया.

सारे लोग अपने अपने कपडे़ उतारने लगे.
मैं समझ गई कि अब ये लोग मेरा कीमा बनाने वाले हैं.

टी टी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे गद्दे पर पीठ के बल लिटा दिया. वो लोग अभी भी अपने अंडरवीयर पहने हुए थे. मेरे लेटते ही उन लोगों ने अपने अपने अंडरवीयर उतार दिये.
उनका लण्ड देख कर मेरी जान ही सूख गई. मेरे शौहर के मुकाबले काफी बडा़ और लम्बा था सब का.

आम तौर पर सीटों के बीच जितनी जगह होती है, उससे ज्यादा जगह थी यहां.

दो हवलदार मेरे अगल बगल में लेट गये. एक हवलदार मेरे दोनों टांगों के बीच बैठ गया. दोनों हवलदार, जो मेरे आजू बाजू में लेटे थे, ने अपनी एक एक टांग मेरी टांगों पर चढा़ दी और अपने एक एक हाथ मेरे दोनों स्तनों पर रख दिया.

टी टी सीट पर बैठ गया और उसने एक बैग खींच लिया. उस बैग से उसने एक शराब की बोतल निकाली और एक ट्रे में चार गिलास डाल कर उसमें ढालने लगा.
मेरे घर में और ससुराल में शराब तो चलती नहीं है तो मुझे बेचैनी सी होने लगी पर मैं किसी भी प्रकार की बहस करने के स्थिति में नहीं थी.

टी टी ने अपना ग्लास उठाया और पीते हुए बोला- साले देख क्या रहे हो, गर्म करो लौंडिया को.

हवलदारों को शायद इशारे की देर थी, दोनों हवलदारों ने मेरे स्तनों को सहलाना और मसलना शुरू कर दिया, दोनों ने मेरे गले, और गाल को चूमना भी चालू कर दिया.

अचानक जो हवलदार मेरे टांगों के बीच बैठा था उसने मेरे कमर को पकडा़ और मेरे योनि कर अपने होंठ सटा दिये. मुझे तो जैसे 440 वोल्ट का करण्ट लगा हो. वो मेरे योनि की दरार को चाटने लगा. एक कोने से दूसरे कोने तक लगातार चाटने लगा.

कुछ ही पल में मेरी योनि पानी छोड़ने लगी और मेरे बदन में ऐंठन होने लगी. मैं बदन ऐंठने की कोशिश करके लगी पर इतने में दोनों बगल के हवलदारों ने मेरे टांगों पर दबाव बढा़ दिया. दोनों हवलदारों ने मेरे स्तनों को मसलने के बजाय मेरे निप्पल को चूसना शुरू कर दिया.

यूं तो ये सब मेरी मर्जी से नहीं हो रहा था पर मेरे तन में आग लग रही थी. मैंने पता नहीं किस सुध में दोनों हवलदारों के सर पर हाथ रख कर उनके बालों को सहलाने लगी. दोनों हवलदारों में से एक ने मेरे निप्पल को छोडा़ और टी टी से बोला- साहब लौंडिया गर्म हो गई.

टी टी ने अपना ग्लास एक झटके में खत्म किया और बोला- अब तुम लोग हटो, मैं सम्भालता हूं इसको.
सब मुझे छोड़ कर सीट कर चले गये.

टी टी मेरी टांगों के बीच आ गया. मेरे तन में तो आग लगी हुई थी मैंने खुद ही अपनी टांगें दूर तक फैला दी और फुसफुसाते हुए बोल पडी़- साहब, प्लीज जल्दी कीजिए.
वह मुस्कुराया और मेरे योनि के दरार पर अपना लण्ड रख कर एक झटके से अंदर डाल दिया.
मैंने भी अपनी टांगें उसकी कमर के आस पास लपेट ली. टी टी ने मेरे पीठ के इर्द गिर्द से मुझे बांहों में भर लिया और हल्के हल्के झटके लगाने लगा.

थोडे़ देर में वो रुका और उनके अपने होंठ मेरे होंठों से सटा दिये. शराब का भभका मेरे नथुनो में समा गया और शराब का स्वाद मेरे मुंह में भी आने लगा. मैंने चोर नज़रों से हवलदारों की तरफ देखा जो धडा़धड़ ग्लास भर भर कर शराब पी रहे थे और बातें कर रहे थे.

टी टी ने मेरे होंठों को छोड़ा और फिर झटके लगाने लगा. धीरे धीरे झटकों में गति आने लगी और कुछ ही मिनट के बाद वो फिर रूका और मेरे होंठों को चूमने लगा.

मैंने चोर नज़रों से फिर हवलदारों के तरफ देखा पर इस बार मेरे रौंगटे खडे़ हो गये.
सारे हवलदारों में से एक मोबाईल कैमरा से हमारी विडियो ले रहा था.

जैसे ही टी टी ने मेरे होंठों को छोडा़ और झटके लगाने को तैयार हुआ मैंने टी टी से गिड़गिडा़ते हुए कहा- साहब, आप जो चाहते हैं, मैं कर रही हूं, फिर मेरी विडियो क्यो बनवा रहे हैं?
टी टी 90 डिग्री के कोण में उठा और उसका लण्ड अभी भी मेरे योनि में फंसा था और मेरी टांगें उसके कमर के इर्द गिर्द लिपटी थी.

उसने मुझे देखा और खींच कर एक थप्पड़ मारा और बोला- साली रंडी, मुझे मत सिखा कि मुझे क्या करना है. तेरी जैसी रंडी रोज रोज नहीं मिलती, कमाल का बदन है तेरा एकदम तराशा हुआ रसदार. एक तो ये विडियो देख कर कभी कभी मजा लूंगा और बाकियों को विश्वास दिलाने के लिए कि एक जबरदस्त रंडी को हम सब ने भोगा.

उसके बाद मैंने वीडियो के लिए कुछ नहीं कहा और टी टी वापस मेरे ऊपर लेट कर मुझे झटके देने लगा. इस बार उसके झटके ज्यादा लम्बे समय के लिए नहीं चले और वो मेरी योनि को अपने वीर्य से भर दिया.

थोड़ी देर वैसे ही पडा़ रहा और फिर खडा़ हो गया.
उसने बाकी हवलदारों से कहा- अब तुम लोग भी निपट लो.

हवलदारों में से एक हवलदार उठा और मेरी टांगों के बीच आ गया. उनके आव देखा ना ताव … एक झटके से अपना लण्ड मेरी योनि में घुसाने की कोशिश करने लगा.
पर अव्वल तो उसका लण्ड बहुत लम्बा था और बहुत मोटा भी था.

उसने मेरी कमर कस कर थामी और एक जोरदार झटका दिया और उसका लण्ड मेरी योनि को चीरते हुए अंदर समा गया. मेरे मुंह से चीख निकल गई.
हवलदार मुस्कुराया और धीरे धीरे झटके लगाने लगा.
वो भी थोडे़ देर झटके लगाता रहा और रूक कर उसने मेरे होंठों को रस चूसने लगा.

शराब का स्वाद मेरे मुंह में आने लगा. थोडा़ रूक कर उसने फिर झटके लगाना शुरू किया. इस बार जरा भी रूके बगैर उसने अपना वीर्य मेरी योनि में छोड़ कर ही सांस ली और एक झटके से खडा़ हो गया.
मेरी योनि से सारा वीर्य बह कर बाहर आ रहा था.

उसके जाते ही एक और हवलदार ने जगह ले ली और झटके लगाना शुरू किया.
लगातार टांगें फैला कर रखने की वजह से मेरी जांघे दर्द करने लगी थी.
हवलदार ने लगातार झटके लगा कर मेरी योनि में बाढ़ ला दी और उठ गया.

उसके उठते ही अगला हवलदार मेरी टांगों के बीच आ गया.

मैंने हाथ जोड़ कर उससे कहा- लगातार नहीं … थोड़ी देर तो आराम करने दो.
उसने मेरे दोनों हाथों को खोल कर अलग किया और मेरे योनि में अपना लण्ड घुसाता चला गया. मेरे योनि के दिवार जल रहे थे. मेरे मुंह से कराह फूट रही थी, हर झटके से मेरे मुंह से कराह निकल जाती थी.

वो भी लगातार झटके लगाने के बाद अपना वीर्य छोड़ कर खड़ा हो गया.
रिकार्डिंग अभी भी चल रही थी.

टी टी ने कहा- थोडी़ देर आराम कर ले फिर दूसरा राऊंड शुरू करते हैं.

मैंने समय देखा तो पता चला कि इनके साथ मुझे साढे़ चार घण्टे हो चुके हैं और अभी भी सफर का साढे़ सात घण्टे बाकी हैं.
मैं इतना थक चुकी थी कि मैं उसी गद्दे पर सो गई.

जब मेरी दोबारा आंख खुली दो मैंने देखा कि दो हवलदार मेरे स्तनों से खेल रहे है. मैंने समय देखा दो पता चला कि लगभग साढे़ चार घण्टे मैं सो चुकी भी और मेरी मंजिल पहुंचने में और तीन घण्टे बाकी थे.

मेरे उठते ही दोनों हवलदारों ने मुझे छोड़ दिया और टी टी ने मुझे उठा कर सीट पर बैठा दिया.
वो खुद मेरे सामने बैठ गया और मेरे दोनों जाँघों के बीच अपने पैर के तलवे रख दिये और मेरे जाँघों के अंदर की तरफ और योनि को तलवों से सहलाने लगा.

उसने मुझसे पूछा- तेरी चूत तो बहुत जल रही होगी?
मैंने हां कह दिया.

उसने फिर कहा- हमारा लण्ड फिर से खडा़ हो गया है. कभी गांड मरवाई है?
मेरा दिल जोर से धड़कने लगा, मैंने न में सर हिलाया.

उसने एक गिलास शराब डाली और मुझे दिया और कहा- चल जल्दी से इसे गटक जा.
मैंने कहा- मैंने आज तक इसे नहीं पी. और चढ़ गई तो तीन घण्टे में नहीं उतरेगी.
टी टी ने कहा- ट्रेन 6 घण्टे लेट है. उतर जायेगी तब तक. नहीं पियेगी तो बर्दाशत नहीं कर पायेगी.

मैंने ग्लास लिया और एक झटके से पूरा ग्लास पी गई. झम से असर हुआ और पूरा गला जलने लगा. मैं यों ही कुछ देर बैठी रही और नशा चढ़ने लगा. मेरे हाथ पैर कांपने लगे तो टी टी ने मुझे उठा कर वापस गद्दे पर बिठाया और मुझे घोड़ी की तरह दोनों हाथों और घुटनों पर खडा़ कर दिया.
टी टी ने मेरा पर्स खोला और एक क्रीम निकाल कर अपने उंगली में लगाई और मेरी गांड के अंदर लगाने लगा.

जब काफी क्रीम लगा चुका तो उसने कुछ क्रीम अपने लण्ड पर लगाई. दो हवलदार दोनों तरफ से मेरे स्तनों के नीचे लेट गये पीठ के बल और मेरी निप्पल को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगे.

टी टी ने अपना लण्ड मेरी गांड के छेद पर रखा और अंदर धकेलने लगा. मेरी गांड का छेद काफी टाईट था पर क्योंकि क्रीम लगी थी तो लण्ड अन्दर जाने लगा.

जैसे जैसे लण्ड अंदर जा रहा था दर्द बढ़ता जा रहा था. आखिरकार पूरा लण्ड मेरी गांड के अंदर चला गया और टी टी धक्के लगाने लगा.
शायद यह शराब का असर था कि दर्द अपेक्षा से कम महसूस हो रहा था.
वो झटके लगाता रहा और मैं सहती रही.

मैंने पलट कर देखा तो पता चला कि एक हवलदार विडियो बना रहा था.

खैर टी टी ज्यादा देर नहीं टिका और उसने वीर्य बहा दिया.

वो अलग हुआ तो जो हवलदार मेरे निप्पल चूस रहा था वो मेरी गांड का मजा लेने चला गया और जो हवलदार मेरी विडियो बना रहा था वो कैमरा टी टी को पकडा़ कर मेरे निप्पल चूसने के लिए लेट गया.

हवलदार ने अपना लण्ड मेरी गांड में डाल दिया और धक्के लगाने लगा. हवलदार झुक कर मेरी दोनों बगलों से मेरे स्तनों के पकड़ लिया और मसलने लगा.
लगातार धक्कों के बाद वो वीर्य छोड़ कर अलग हुआ और मेरे स्तनों के नीचे लेट गया और निप्पल चूसने लगा. बाकि दोनों हवलदारों ने भी बिना किसी बदलाव के मेरी गांड का मजा लिया.

वो लुंगी पहने हुए था, जैसे ही वो मुझपर लेटने को हुआ मैंने अपने नाईटी के सारे बटन खोल कर दोनों तरफ कर दिया. मेरा पूरा बदन नग्न हो गया और वो मुझ पर लेट गया.

उन सब के अलग होते ही मुझे महसूस हुआ कि गांड का छेद बहुत जल रहा था और चूस चूस कर इन लोगों ने मेरे निप्पलों को सुजा दिया था.

थकान और नशे की वजह से मैं गद्दे पर लेट गई और सो गई.

जब उठी तो भी सारे हरामी वहीं थे. मेरे कपड़े गायब थे.

मेरे कुछ पूछने से पहले वे खुद बोले- कपड़े इस्तरी को गये हैं, आ जाएँगे.
समय देखा तो पता चला कि अभी एक घण्टा बाकी है.

समय देखते टी टी ने देख लिया और कहने लगा- जानेमन अभी एक घण्टा और बाकी है.
वो अपना लण्ड सहला रहा था, मैंने उसके लण्ड की तरफ देखा और फिर उसके चेहरे की तरफ.
उसने कहा- क्या ख्याल है, एक बार फिर हो जाये?
मैंने हाथ जोड़ कर कहा- मेरे दोनों छेद जल रहे हैं.

उसने मेरे हाथ पकड़ कर मुझे अपनी टांगों के बीच में खींचा और मेरे सर को अपने लण्ड की तरफ दबाया.
वो कहने लगा- ठीक है, कोई बात नहीं, चूस तो सकती है.

मैंने जिन्दगी में कभी किसी का लण्ड नहीं चूसा था.
पर मरती क्या न करती, उसका लण्ड मुंह में लेकर चूसने लगी. वो कभी मेरे स्तनों को मसलता, कभी मेरे चूतड़ों पर हाथ फिराता कभी निप्पल उमेठता. लगातार बीस मिनट के बाद वो मेरे मुंह में पिचकारी छोड़ने लगा. कुछ माल मेरे गले के नीचे चला गया, बाकी मैंने उगल दिया.

वो हटा तो तीनों हवलदार सामने आ कर बैठ गये.
मैंने फुसफुसाते हुए कहा- 40 मिनट है स्टेशन के लिए, तीनों का नहीं निकाल सकती.
टी टी ने बीच में पड़ कर कहा- एक का चूस कर निकाल ले, बाकी दोनों का मुठ मार दे, मतलब हाथ से सहला कर निकाल दे.

मैंने सर हिलाया और बीच वाले का लण्ड मुंह में लेकर चूसने लगी और अगल बगल वालों का लण्ड हाथ में लेकर सहलाने लगी. तीनों मेरे चूतड़ों से और मेरे स्तनों से खेल रहे थे और टी टी मेरी विडियो बना रहा था.

लगभग 20 मिनट में तीनों ने लगभग एक साथ पिचकारी छोडी़ और उठ कर कपडे़ पहनने लगे.

टी टी ने मोबाईल बंद कर दिया और मुझे बताया कि एक बाथरूम है बोगी में … वहां जा कर नहा ले, तब तक कपड़े मंगवा दूँगा.
मैंने पर्स से कुछ मेकअप का सामान निकाला और अपना नोकिया एन ९७ का मोबाईल निकाला.

मैंने टी टी से गुजारिश भरे अंदाज से कहा- साहब, जो रिकार्डींग करी है, मुझे भी दे दीजिए.
टी टी ने कहा- क्यों, तू क्या करेगी इसका?
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- मैंने आप जैसा मर्द नहीं देखा है, मुझे भी याद रहेगा.

टी टी ने मेरा मोबाईल ले लिया और रिकार्डिंग कापी करने लगा.

मैं बाथरूम में जा कर नहाने लगी. नहा कर मैंने मेकअप किया और बाल ठीक किया और बिना कपड़ों के वापस आ गई.

जब मैं कम्पार्टमेन्ट में पहुंची तो मेरे कपड़े आ चुके थे और सारे हवलदार जा चुके थे. सिर्फ टी टी बैठा था. मैंने उसके सामने ही कपडे़ पहने और उसने मुझे मोबाईल वापस दिया.
अपना बैग सम्भाला मैंने तो पाया कि उसमें ५००० रूपये पडे़ है.

मैंने टी टी को देखा तो वो मुस्कुराया और बोला- मेरी तरफ से तुच्छ भेंट, रख ले.
मैंने कुछ नहीं कहा और एक बार मोबाईल चेक की. सारे विडियो आ गये थे.

टी टी ने एक थर्मस से कॉफी निकाली और मुझे दो कप लगातार दी.

मेरी सारी थकान कुछ कम हुई. जैसे ही स्टेशन आया टी टी ने दरवाजा खोल कर मुझे उतार दिया और हाथ हिला कर मुझसे विदा ली.

स्टेशन के गेट पर मेरे शौहर खड़े थे टैक्सी के साथ.

जैसे ही मैं बगल से निकली वो बोले- डेजी, टैक्सी में बैठो.
मैंने गुस्से में कहा- याद आ गया हमारा रिश्ता, उस समय तो याद नहीं आ रहा था.
मेरे शौहर ने टैक्सी ड्राईवर की तरफ देखा तो मैं चुपचाप टैक्सी में बैठ गई.

रास्ते में एक रेश्टोरेन्ट में रूके नाश्ता करने को और नाश्ता कैबिन में मंगवा लिया. नाश्ता आने के बाद मेरे शौहर ने मुझसे पूछा- कुछ किये तो नहीं तुम्हारे साथ वो लोग?
मुझे गुस्सा तो था ही बोल पडी़- नही! बडे़ प्यार से मुझे बैठा कर मुझसे कहा कि बहन बहुत दिन बाद मिली है, मुझसे राखी बंधवाई और मेरी आरती उतारने लगे. फिर मुझे मिठाई खिलायी.
मेरे शौहर ने सर झुका कर मुझसे मांफी मांगी और कहा- सोचा कुछ और था हो कुछ और गया.

मैंने मोबाईल निकाल कर उनको दिया और कहा- देख लीजिए कैसी खातिरदारी की है मेरे भाईयों ने मेरी.
वो मोबाईल लेकर विडियो देखने लगे.

मैंने नाश्ता पूरा किया और हम लोग शादी के फंक्शन के लिए चल दिये. फंक्शन तीन दिन का था और फिर ट्रेन से वापसी.

मेरे शौहर को जरा भी अफसोस नहीं था अपने कारस्तानियों पर!
जैसे तैसे कार्यक्रम निपटा और हमने वापसी का प्रोग्राम बनाया.

मैंने दिल ही दिल में सोच लिया था कि वापसी में अपने शौहर को ऐसा मजा चखाऊंगी कि याद रखेंगे.

नियत तारीख को हम ट्रेन में चढ़ गये. क्योंकि ये साधारण ट्रेन थी इसलिए समय ज्यादा लगने वाला था.

एक कम्पार्टमेन्ट में 6 सीट थी. नीचे की दोनों सीट एक वृद्ध कपल का था जिनकी उम्र 70 के आसपास थी. बीच के दोनों सीट हमारी थी और ऊपर के दोनों सीट में से एक आदमी की थी जिसकी उम्र 32-35 के आसपास थी और एक कालेज के लड़के की थी.

जब ट्रेन स्टेशन से निकली तब शाम के सात बज रहे थे. कम्पार्टमेन्ट के दोनों खिड़की पर वृद्धा और वो कालेज का लड़का बैठा था. मैं उसके बगल में बैठ गई और मेरे शौहर मेरे बगल में.
अभी वो आदमी पहुंचा नहीं था.

लगभग आठ बजे स्टेशन पर ट्रेन रूकी और फिर चल पडी़. मेरे शौहर उठे और बाथरूम चले गये. तभी वो आदमी आया और अपना सामान जमा कर मेरे बांए बगल में बैठ गया. आम तौर पर मैं उसे सामने बैठने को कहती पर मैंने कुछ नहीं कहा.
मेरे शौहर वापस आये तो थोडा़ झिझके पर फिर सामने बैठ गये.

धीरे धीरे सब में आपस में बात होने लगी. मैंने बैग खोला और एक नाईटी लेकर बाथरूम में चली गई. मैंने साडी़ ब्लाऊज और पेटीकोट उतार कर नाईटी पहनने लगी, फिर थोडा़ ठिठकी और मैंने अपनी ब्रा और पैन्टी भी उतार दी. मैंने सिर्फ नाईटी पहना और वापस कम्पार्टमेन्ट में आ गई.

थोडी़ देर यों ही बातें होती रही. तब उस आदमी ने जिसका नाम रवि महंत था, ने ताश खेलने का प्रस्ताब रखा.

हालाँकि हमारे घर में ताश नहीं खेलते. पर खेलना दोनों को आता था. तो हम दोनों भी तैयार हो गये और नीरज नाम का वो लड़का भी तैयार हो गया.

अंकल आंटी को हमने खिड़की दे दी. मैं आंटी के बगल में और वो लड़का मेरे सामने बैठ गया. मेरे बगल में रवि और उनके सामने मेरे शौहर बैठ गये.

रवि ने एक कम्बल निकाला और हमने उसे फैला कर कमर तक रख लिया और बीच में पत्ते फेंकने लगे. क्योंकि कम्बल ज्यादा बडा़ नहीं था इसलिए हम सब काफी पास पास बैठे थे. मेरे घुटने रवि के घुटनों से टकरा जा रहे थे.

जैसे जैसे रात गहराने लगी ठंड बढ़ने लगी. रवि पत्ते फेंकने के बाद अपना दांया हाथ कम्बल में घुसा देता था.

ऐसे ही अचानक मुझे महसूस हुआ कि रवि का एक हाथ मेरी जाँघों पर है. मैंने चोर नज़रों से उसे देखा तो वो ऐसे बैठा था कि कुछ पता ही न हो.
मैंने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं कि और उसका हाथ वही रहने दिया.

एक दो चाल के बाद उसका हाथ फिर मेरी जाँघों पर था पर इस बार वो हल्का हल्का मेरी जाँघों को सहला रहा था. मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

जब उसकी चाल आई तो उसने हाथ निकाल लिया और चाल चलने लगा.

मैंने अपना हाथ अंदर डाला और नाईटी को कमर तक चढा़ लिया. मैंने इतने सावधानी से किया था कि किसी को पता न चले.

अगली बार रवि का हाथ जैसे ही जाँघों पर आया तो उसके हाथ मेरी नग्न जाँघों पर पडे़. वो चौंका और चोर नज़रों से मुझे देखा. मैं हल्के से मुस्कुरा दी.
वो मेरी नंगी जाँघों से खेलता रहा और एक दो बार हाथ मेरी योनि तक भी ले गया.

तभी अंकल ने कहा- अगर खेल पूरा हो गया हो तो अब सो लें थोडा़.
मैंने समय देखा, 12 बज रहे थे.

रवि ने अपना हाथ बाहर निकाल दिया और मैंने अपनी नाईटी ठीक कर ली.

हमने खेल बंद किया और सारे सीट खोल कर बैड बना दिये. सब अपने अपने बैड पर चले गये. मेरे शौहर भी अपने सीट कर करवट लेकर लेट गये.
अंकल और आंटी जल्दी ही सो गये.

पर रवि की आँखों में नीन्द नहीं थी, वो बार बार बाथरूम जाता था और जाते और आते समय मेरे स्तनों को सहला देता था.
चौथी बार जब गया तो एक बज रहा था.

जैसे ही वापस आकर मेरे स्तनों को सहलाने को हुआ मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे पास खीच कर फुसफुसाई- नीन्द नहीं आ रही तो मेरे सीट पर आ जाओ.
उसने इधर उधर देखा और धीरे से मेरे सीट पर चढ़ गया.

वो लुंगी पहने हुए था, जैसे ही वो मुझपर लेटने को हुआ मैंने अपने नाईटी के सारे बटन खोल कर दोनों तरफ कर दिया. मेरा पूरा बदन नग्न हो गया और वो मुझ पर लेट गया. वो मेरे स्तनों को अपने दोनों हाथ में लेकर मसलने लगा और मेरे निप्पल को चूसने लगा.

5 मिनट तक यही करता रहा तो मैंने अपने शौहर की तरफ देखा. अब उनका चेहरा हमारी तरफ था. उन्होंने कब करवट ली पता ही नहीं चला, जिससे मेरा शक यकीन में बदल गया कि वो जगे हुए हैं.
और वैसे भी मुझे उन्हें ये सब दिखाना ही था.

मैं रवि के कान में फुसफुसायी- अपने या हॉटल के रूम में नहीं हो जो इतने इत्मिनान से कर रहे हो, कोई उठ गया तो मुसीबत हो जाएगी.
वो बात समझ गया और उसने एक झटके से अपनी लुंगी ऊपर खींच ली. मैंने अपनी टांगें फैला दी और उसने अपना लण्ड मेरी चूत में फंसा दिया.

उसने कहा- मेरे पास कॉन्डम नहीं है.
मैंने कहा- कोई बात नहीं …वीर्य अंदर भी डाल दोगे तो चलेगा.
यह सुनते ही उसने अपना लण्ड एक झटके से अंदर डाल दिया और धीरे धीरे झटके लगाने लगा. वो कोशिश कर रहा था कि कोई आवाज न हो.

जैसे तैसे धक्के लगा लगा कर उसने बीस मिनट में मेरी चूत में पानी छोड़ दिया. थोडी़ देर यों ही मेरे बदन पर पडा़ रहा फिर मेरे होंठों को अच्छे से चूम कर अपने सीट पर चला गया.
मैंने अपनी नाईटी सही की और करवट लेकर सो गई.
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#3
वो मेरे स्तनों को मसलने लगा और बीच बीच में मेरे निप्पल को चूस लेता. वो मेरे होंठों गले गाल को भी चूम रहा था. मैंने चोर नज़र से देखा तो मेरे शौहर पास में छुप कर खडे़ थे.

सुबह ठीक 5 बजे मेरी नींद खुल गई और मैं उठ कर बाथरूम को चल पडी़. बाथरूम में घुसते ही मुझे पता चला कि ये तो वेस्टर्न स्टाईल का है. मुझे पेशाब करना था और इस प्रकार का बाथरूम मैंने पहले कभी यूज नहीं किया था. थोडे़ देर सोचने के बाद मैंने अपनी नाईटी उतार दी और पेशाब कर लिया.

जब वापस नाईटी पहनने को हुई तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया.
मैंने धीरे से पूछा कि कौन है.
बाहर से एक लड़के की आवाज आई और मुझे पता चल गया कि वो नीरज है.
मैंने धीरे से पूछा कि क्या काम है.
तो उसने भी धीरे से कहा- आपने रवि अंकल के साथ जो किया तो उन्हें तो नींद आ गई पर मुझे नींद नहीं आ रही.

मैं मुस्कुराई और दिल ही दिल में बोली- आज कल के बच्चे.
मैंने धीरे से दरवाजा खोला और वो जल्दी से अंदर आ गया. मैंने दरवाजा बंद कर दिया. मुझे देख कर उसकी आँखें फटी रह गई और उसने एक झटके से मेरे दोनों स्तनों को थाम कर सहलाना और मसलना शुरू किया. जब मन भर गया तो एक एक कर के दोनों निप्पल को चूसने लगा.

दो चार मिनट में मैंने उसे अलग किया और कपडे़ उतारने को कहा. वो जल्दी जल्दी कपडे़ उतारने लगा. उसके नग्न होने के बाद मैंने टाईलेट के कमोड को ढक कर उसे उस पर बैठा दिया और अपनी चूत उसके लण्ड में घुसा कर उसके गोद में बैठ गई.

वो वैसे ही बैठा रहा और मैं उछल उछल कर उसका लण्ड अन्दर बाहर करने लगी. उसकी आँखें बंद हो गई जिससे पता चला कि उसे कितना मजा आ रहा था.

अभी दो मिनट भी नहीं हुए थे कि किसी ने दरवाजा खटखटाया.
नीरज हड़बडा़ गया.

बाहर से मेरे शौहर की आवाज आई- डेजी अंदर हो क्या?
मैं दरवाजा खोलने को हुई तो नीरज ने हाथ पकड़ लिया और इशारा करने लगा कि दरवाजा न खोलूं.

मैंने उसे इशारे से कहा कि कुछ नहीं होगा.
तब उसने मेरा हाथ छोडा़.

मैंने अपने शौहर से कहा- मैं अंदर हूं.
उन्होंने पूछा- कितनी देर से अंदर हो; क्या कर रही हो?
मैंने दरवाजा खोल दिया और पल्ले को फैला दिया.

मैं अभी भी नग्न अवस्था में नीरज के गोद में बैठी थी और उसका लण्ड अभी भी मेरी चूत में था.
मैंने झल्लाते हुए कहा- थोडा़ व्यस्त हूं, आप जाकर सो जाईये, मैं थोड़े देर में आती हूं.

मैं बिना दरवाजा बंद किये फिर से उसके लण्ड पर उछलने लगी.

मेरे शौहर ने दरवाजा बंद किया और चले गये.

तभी पता चला कि नीरज झड़ गया है, शायद डर से.

मैं उठी तो वो जल्दी से कपडे़ पहन कर निकल गया.

मैंने खुद को साफ किया और नाईटी पहन कर बाहर आ गई. मैं अपने सीट कर जा कर लेट गई. मेरे शौहर दूसरी तरफ मुंह करके सो रहे थे.
मैं भी सो गई.

सुबह उठ कर मैंने टूथ ब्रश लेकर वासबेसिन की तरफ चली गई. अभी भी मैं नाईटी में थी. वहां मैंने ब्रश किया और जैसे ही मुंह धो रही थी, दो हाथ आ कर मेरे चूतड़ों को सहलाने लगे.
मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की और तौलिये से मुंह पौंछ कर पलटी.

और जैसे ही मैं घूमी, जो मेरे चूतड़ों को सहला रहा था, वो मेरे पीछे चला गया और मेरे चूतड़ों को सहलाता रहा.

एक और लड़का मेरे सामने खडा़ था. उसने कहा- क्या बात है भाभी, रात में बहुत मजे किये?
मैंने मुस्कुरा कर कहा- मेरी तो आदत है.

वो मेरे दोनों स्तनों को नाईटी के ऊपर से पकड़ कर मसलने लगा और मेरे होंठों को चूमने लगा. मैंने कोई विरोध नहीं किया.

अचानक मेरी नजर कोने में गई तो मुझे पता चला कि मेरे शौहर कोने से झांक रहे हैं. मैंने ऐसे व्यक्त करना शुरू किया कि मुझे बहुत मजा आ रहा हो.
तभी मेरे शौहर ने गला खंखारा और दोनों लड़के मुझे छोड़ कर झट से निकल गये.

मेरे शौहर वासबेसिन की तरफ चले गये और मैं अपनी सीट पर चली गई.

मेरे शौहर ने एक शब्द भी नहीं कहा. मैं चाहती थी कि वो कमीना कुछ बोले तो उनकी मिट्टी पलीत करूं. पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा.
वैसे मैंने हार नहीं मानी थी अभी.

रवि, वो दोनों अंकल आंटी और नीरज अपने अपने स्टेशन पर उतर चुके थे. मैं और मेरे शौहर ही कम्पार्टमेंट में बैठे थे.
मैंने अभी भी नाईटी चेन्ज नहीं की थी.

तभी बगल वाले कम्पार्टमेंट से दो लड़के आकर बैठ गये और मेरे शौहर से बात करने लगे. थोडी़ देर बाद दोनों ने ताश खेलने का प्रस्ताव रखा तो हम तैयार हो गये. कम्बल बिछा कर हम खेलने लगे, मेरे शौहर और एक लड़का मेरे सामने बैठे थे और एक लड़का मेरी बगल में.

मैं और मेरे शौहर खिड़की की तरफ बैठे थे. तभी एक लड़का और आ गया और वो मेरे बगल वाले लड़के के बगल में बैठ गया. उसने कहा कि वो खेलेगा और पत्ते उसके हाथ से ले लिया.

मेरे बगल में जो लड़का बैठ था वो बीच में ही बैठा रहा, भले ही खेल नहीं रहा था पर उस लड़के के पत्ते देख रहा था. उसने अपने दोनों हाथ कम्बल में डाल लिये. मुझे अंदाजा हो गया था कि कुछ न कुछ जरूर करेगा इसलिए मैंने अपनी नाईटी ऊपर तक उठा ली.

जैसा मैंने सोचा था, कुछ ही देर में वो लड़का मेरे घुटनों को सहलाने लगा. मैंने कोई विरोध नहीं किया तो उसने मेरी जाँघों को सहलाना शुरू किया, मैंने कोई विरोध नहीं किया तो उसका हाथ बढ़ते बढ़ते मेरी चूत तक पहुंच गया.
वो मेरी चूत और जाँघों के अंदरूनी हिस्सों से खेलता रहा.

जैसे ही मेरे शौहर मुझे देखते, मैं आँखें बंद कर लेती. एक दो बार के बाद उनको शक हुआ. उन्होंने अपने हाथ से मेरे टांगों को टटोलना शुरू किया तो मैं भी थोडा़ नीचे सरक कर बैठ गई. टटोलते टटोलते हाथ जाँघों तक पहुंचा और फिर मेरी चूत तक.

जैसे ही चूत पर हाथ पहुंचा तो मेरे बगल वाले लड़के और मेरे शौहर दोनों के हाथ आपस में टकरा गये. दोनों को ऐसा गया कि करन्ट लगा हो और दोनों ने अपने अपने हाथ बाहर खींच लिये. मेरे शौहर मुझे घूरने लगे तो मैंने उनकी तरफ देखना बंद कर दिया.

एक दो गेम के बाद उन्होंने लड़कों से कहा कि गेम बंद करें.
और सब अपने सामान लेकर वापस चले गये.
मैंने सोचा अब कुछ बोलेंगे पर कुछ नहीं बोले.

उनके जाने के बाद मैं बाथरूम गई. बाथरूम से जब वापस आ रही थी तभी एक आर पी एफ जवान गेट पर खडा़ दिखा.
मैं उसके बगल से निकल रही थी तभी उसने कमेंट किया- क्या रसदार माल है, कसम से एक बार मिल जाये तो मजा आ जाये.
मैंने उसे पलट कर देखा तो वो हंसने लगा.

मैं उसके पास तक गई और उससे बोली- क्या बोले तुम?
उसने कहा- तुमने सुन तो लिया है.
मैंने कहा- हम ट्रेन में है और मेरे शौहर साथ में है, अगर मेरे शौहर से निपट लेगा तो मुझसे मजा ले लेना और मैं किसी को कम्पलेन भी नहीं करूंगी.

वो मुझे आश्चर्य से देखता रहा तो मैंने उसके पैन्ट के ऊपर से उसके लण्ड को सहला दिया और कहा- अब यकीन है?
उसने कहा कि उसे यकीन है.
तो मैंने कहा कि मेरी एक शर्त है कि मेरे सामने मेरे शौहर की मिट्टी पलीत करना होगा.
वो मुस्कुरा कर बोला- हो जायेगा.

मैं इतना बोल कर वापस आ गई और खिड़की के बगल में बैठ गई.

थोडे़ देर बाद वो आर पी एफ जवान हमारे कम्पार्टमेन्ट में आया और कम्पार्टमेन्ट का दरवाजा बंद कर दिया.

मेरे शौहर उसको देख कर खडे़ हो गये.
उसने पहले ये पूछा कि हम कहां से आ रहे हैं और कहां जा रहे हैं.
मेरे शौहर ने बता दिया.

उसने बताया कि कुछ असामाजिक तत्व के ट्रेन में होने कि सम्भावना है.
फिर उसने हमारा नाम पूछा और जैसे ही हमने नाम बताया उसकी त्यौरियाँ चढ़ गई. उसने कहा कि तलाशी लेगा और हमारे सामान खोल के देखने लगा.

उसके बाद उसने मेरे शौहर को पास बुलाया और उनकी तलाशी लेने लगा. उसके बाद उसने मुझे खडे़ होने को कहा और मेरी तरफ बढ़ा़. मेरे शौहर बोल पडे़- कोई लेडीज कांस्टेबल नहीं है क्या?
उसने एक थप्पड़ मेरे शौहर को मारा और कहा- लवडे़ के बाल, अब लेडिज कांस्टेबल ढूंढने जाऊं और तब तक तुम दोनों फरार.

मेरे शौहर गाल सहलाते हुए बोले- हम कोई गलत काम नहीं कर रहे हैं.
उसने कहा- साले तुम तो होते ही हो पैदाईशी ***. अब मुझे डिस्टर्ब मत कर. वरना अभी थप्पड़ मारा है, फिर सीधे गोली मारूंगा.
मेरे शौहर दुबक कर खड़े हो गये.

उस जवान ने पहले तो मेरे नाईटी के ऊपर ही से मेरे बदन के हर हिस्से पर हाथ फिराया और फिर मेरे नाईटी के लगे से अपना एक हाथ अंदर डाल कर मेरे स्तनों को मसलने लगा.

दो मिनट के बाद उसने मेरे नाईटी को ऊपर सरका के मेरे कमर तक ले गया और मुझे पकड़ने को कहा. मैंने कमर पर नाईटी को पकड़ लिया और वो मेरी जाँघों को सहलाने लगा और मेरी चूत को मसलने लगा. उसके बाद मेरे चूतड़ों को मसलने लगा.

मेरे शौहर ने पूछा- ये किस प्रकार की तलाशी है?
उसने मुझे छोडा़ और घूम कर मेरे शौहर को थप्पड़ और मरा और कहा- बहनचोद मुझे सिखायेगा. कसम से तू ठीक से तलाशी भी नहीं लेने देगा. तू यहीं रूक, मैं इसकी पूरी तलाशी लेकर आता हूं.

उसने मेरे नाईटी को नीचे करवा दिया और मुझे खींचते हुए दो बोगियों के बीच बने टाईलेट के गलियारे में ले गया. वहां उसने मेरे नाईटी के ऊपर के बटन खोले और मेरे स्तनों को नग्न कर लिया. वो मेरे स्तनों को सहलाने मसलने लगा और बीच बीच में मेरे निप्पल को चूस लेता. वो मेरे होंठों गले गाल को भी चूम रहा था.

मैंने चोर नज़रों से देखा तो मेरे शौहर पास में छुप कर खडे़ थे. आखिर उसका मन भर गया तो उसने मेरी नाईटी के सारे बटन खोल दिये और मेरी टांगें फैला दी.
जैसे ही उसने अपना लण्ड निकाल कर मेरी चूत पर रखा मेरे शौहर सामने आ कर बोले- ये किस टाईप की तलाशी ले रहे हो?

उसने गुर्राते हुए कहा- मादरचोर मुझे मत सिखा, मैं ऐसे ही तलाशी लेता हूं, ज्यादा टांय टांय करेगा तो अभी चेन खींच कर सब को बोलूंगा कि टूने मुझ पर हमला किया. उसके बाद तो जेल जा कर तेरी खूब तबीयत से कुटाई होगी और तेरी बीवी की मस्त तलाशी होगी वहां.

मेरे शौहर चुप हो गये और उसने मेरी कमर पकड़ कर एक झटके से अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया. मेरे दोनों स्तनों को पकड़ कर वो धक्के लगाने लगा. मेरे शौहर वहीं कोने में खडे़ होकर तमाशा देख रहे थे.

वो मेरी चूत में धक्के लगा रहा था और साथ ही मेरे स्तनों को खूब मसल भी रहा था. आखिरकार एक चरम पर पहुंच कर उसने मेरी चूत में रस भर दिया और मुझसे अलग हो गया. उसने अपना लण्ड अंदर किया और मुझे कपडे़ ठीक करने को कहा.

मैं जैसे ही कपडे़ ठीक करने लगी मेरे शौहर वापस कम्पार्टमेन्ट में चले गये.

मुझे अपने शौहर को और नीचा दिखाने का मौका बना गया था. उस स्थिति में अगर पूरी ट्रेन के मर्द मेरी चूत से अपनी प्यास बुझा लेते तो भी मुझे अफसोस नहीं होता ।

थोड़ी देर बाद हम दोनों भी कम्पार्टमेन्ट में पहुंचे. जवान ने मेरे शौहर से कहा- हां! अब तसल्ली हो गई, तुम लोग बिल्कुल क्लीन हो. बस एक बार मैं अपने सीनियर से भी कन्फर्म कर लेता हूं.
मेरे शौहर को इशारा करके उसने टिकट मांगा.

मेरे शौहर ने निकाल कर उसे टिकट दे दिया.
उसने कहा कि वो पांच मिनट में टिकट कन्फर्म करके आ रहा है.
मेरे शौहर कुछ नहीं बोले और वो चला गया.

लेकिन जब वो 15 मिनट तक वापस नहीं आया तो मेरे शौहर के चेहरे की रंगत उड़ने लगी.
मुझे तो समझ आ गया था कि वो कोई न कोई चाल चल के गया है. और सच पूछा जाये तो मुझे अपने शौहर को और नीचा दिखाने का मौका बना गया था. उस स्थिति में अगर पूरी ट्रेन के मर्द मेरी चूत से अपनी प्यास बुझा लेते तो भी मुझे अफसोस नहीं होता. बस वो मुझसे अपनी कारस्तानियों की माफी मांगे.

जैसा कि उम्मीद थी, थोड़ी देर में टी टी एक नये आर पी एफ के जवान के साथ आ धमका और मेरे शौहर से टिकट मांगा.
मेरे शौहर ने उन्हें बताया कि टिकट आर पी एफ का एक जवान चेक करवाने गया है.
टी टी ने कहा- इस ट्रेन पर आर पी एफ का कोई भी जवान मौजूद नहीं है.
साफ पता चल रहा था कि टी टी झूठ बोल रहा था.

मेरे शौहर न लाख समझाना चाहा पर वो समझने के लिए तैयार ही नहीं था. आखिर उन्होंने पर्स निकाल कर फाईन के साथ टिकट बनाने को कहा.
टी टी ने कहा कि वो टिकट नहीं बनाएगा और मेरे शौहर को अगले स्टेशन पर अरेस्ट करवायेगा.
मेरे शौहर ने नर्मी से कहा- अरेस्ट मत करवाओ, थोडे़ ज्यादा फाईन ले लेना, खर्चा पानी.

अचानक टी टी के तेवर बदल गये और वो ज्यादा गुस्से में दिखने लगा. वो बोला- तेरे को पता है मैं पैसे नहीं लेता खर्चा पानी अगल टाईप से लेता हूं.
उसने आगे कहा- मैं खर्चा पानी लेकर आता हूं जब तक तू ये तय कर लेना कि फाईन देकर टिकट बनवाना है या जेल जाना है.

टी टी ने मुझे देखा और कहा- चल हमारे साथ.
मैं कुछ बोलूं, उससे पहले मेरे शौहर ने पूछा- कहां?
टी टी ने कहा- खर्चा पानी लेकर आते हैं हम लोग, हम इसी टाईप का खर्चा पानी लेते हैं. वैसे तेरी जोरू का बदन काफी कसा हुआ है, शायद नई नई शादी हुई है तेरी. आज तो बहुत मजा आयेगा. मेरे शौहर बोले- ये तो ज्यादती है.

टी टी ने कहा- एक सरकारी अफसर को घूंस देना का जुर्म भी बनता है तेरे पे.
मेरे शौहर ने फिर कहा- ठीक है फिर मुझे जेल भिजवा दीजिये.
आर पी एफ के जवान ने कहा- इतनी जल्दी नहीं है, तू आराम से सोच ले, जब तब हम आते हैं.
मेरे शौहर ने कहा- मुझे कुछ नहीं सोचना.

तभी आर पी एफ के जवान ने एक थप्पड़ मेरे शौहर को मारा और कहा- अब तू जेल जा या फाईन पटा, खर्चा पानी को हम लेंगे ही. ज्यादा चूं चपड़ करेगा तो खर्चा पानी लेने के बाद दोनों को चलती ट्रेन से फेंक देंगे.
मेरे शौहर कुछ बोलने को हुए तो टी टी ने एक थप्पड़ मारा और कहा- मुंह खोला तो मार मार के मुंह लाल कर देंगे, एकदम मुंह बंद करके बैठ.

अब मेरे शौहर शांत हो गये और टी टी ने मुझसे कहा- अरे छमकछल्लो, न्यौता दें तेरे को … चल जल्दी से कपडे़ उतार.
मैंने अपने शौहर के तरफ देखा जो सर झुका कर बैठे थे.

मैंने एक एक करके नाईटी के बटन खोल दिये और जैसे ही मेरे स्तन दिखे टी टी ने कहा- क्या तने हुए स्तन है. मसलने में मजा आयेगा.
नाईटी के बटन नीचे तक खोल कर मैंने निकाल कर अगल रख दिया. मेरी चूत देखते ही फिर बोला- क्या टाईट चूत है, आज सच में मजा आने वाला है.

आर पी एफ के जवान ने टी टी के कान में कुछ कहा और टी टी मुझसे कहा- चल टाईलेट के गलियारे में चल.
मैंने आश्चर्य से पूछा- ऐसे ही, बिना कपड़ों के?
एक थप्पड़ मुझे पडा़ और टी टी बोला- है तो तू रंडी ही, वैसे इधर अभी कोई है तो नहीं और होता भी तो तुझे दो चार ग्राहक मिल जाते. अब चुप चाप चल.

मैं बाहर निकली और तेज कदमों से गलियारे तक पहुंच गई.

जैसे ही वो दोनों पहुंचे मैंने अपनी पीठ गेट से लगा दी. टी टी मेरे पास आया और मुझे बीच में खींच कर बोला- ऐसे नहीं, अगल टाईप से.
दोनों ने अपनी पेन्ट और अण्डरवियर उतारा और अपना लण्ड निकाल लिया.

टी टी मेरे सामने आ गया और उसने मेरी चूतड़ पकड कर अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया. उसके लण्ड के घुसते ही दूसरे ने मेरी गांड के छेद में अपना लण्ड घुसाने लगा. वैसे भी मेरी गांड का छेद खुल चुका था तो लण्ड थोडी़ परेशानी के बाद घुस गया.

एक पल रुकने के बाद टी टी ने मेरे जाँघों के नीचे से अपने हाथों का सहारा दिया और दूसरे ने अपने दोनों हाथ मेरे दोनों स्तनों पर रख लिया और एक धक्के लगाने लगे. दोनों एक समय पर अपना लण्ड अंदर डालते थे और एक समय कर निकालते थे. बीच बीच में पीछे वाला कस के मेरे स्तनों को मसल देता था और मैं झटके से सर पीछे फेंकती थी.

बस इसी पल टी टी मेरी ठुड्डी को चूम लेता था.

मैंने बीच में चोर नज़रों से देखा तो पता चल गया कि मेरे शौहर हमें छुप कर देख रहे हैं. लगातार धक्के लगाने के बाद उन्होंने मेरी चूत और गांड में पानी छोड़ दिया.

टी टी, जो थोडी़ उमर का था, ने तो अपनी पैंट चढा़ ली पर दूसरे ने अपना लण्ड फिर खडा़ कर लिया था.
उसने मुझे घुटनों के बल बैठाया और अपना लण्ड मेरे मुंह में डाल दिया.

कोई रास्ता तो था नहीं … इसलिए जल्दी जल्दी मैं उसका लण्ड चूसने लगी. ज्यादा टाईम नहीं लगा और उसने अपना लण्ड मेरे मुंह से निकाल कर मेरे स्तनों को अपने पानी से भिगा दिया. मैं पौंछने को हुई तो उसने मना कर दिया और अपनी पैन्ट चढ़ा कर मुझे मेरे कम्पार्टमेन्ट तक छोड़ने आये.

मैं बिना कपड़ों के खिड़की के पास बैठ गई और एक रूमाल से खुद को साफ करके नाईटी पहन कर लेट गई.
मेरे शौहर ने कहा- अब तो टिकट बना दो.
टी टी ने जेब से टिकट निकाल कर उनको दे दिया.
वो हमारा ही टिकट था.

मेरे शौहर ने गुस्से से देखा तो टी टी ने कहा- मेरी तरफ से भेंट.
और दोनों हंसते हुए निकल गये.

टी टी के जाने के बाद मैं आँखें बंद करके लेटी रही. मेरे शौहर ने भी कुछ नहीं कहा और वो भी लेट गये.

गभग एक घंटे बाद वो उठे और टायलेट को चल दिये. उनके जाने के दो मिनट बाद ही वो तीनों लड़के आ गये. वो तीनों मेरे बदन पर हाथ फिराने लगे. मैंने झट आँखें खोल कर कहा- तुम लोग यहां, क्या कर रहे हो, छोडो़ मेरे शौहर आ जाऐंगे.
उनमें से एक ने कहा- भाभी, इतने लोगों को खुश किया है आपने, हम तीनों भी ज्यादा टाईम नहीं लेंगे आपका.

वो लगातार मेरे बदन से खेल रहे थे.
मैंने फुसफुसाते हुए कहा- मगर मेरे शौहर?
उसने फिर कहा- टायलेट का गेट बाहर से बंद करके आये हैं.
मुस्कुराते हुए मैंने कहा- मतलब पूरी तैयारी से आए हो, जब इतनी मेहनत किये हो तो तुम्हें मना कैसे कर सकती हूं. पर जरा जल्दी निपटना. और मेरा एक काम और करना है तुम लोगों को.

मैंने उनके कान में कुछ कुछ समझा दिया और वो मान गये.

तीनों ने जल्दी जल्दी मेरे नाईटी के बटन खोले और मेरे बदन को नग्न कर दिया. तीनों ने अपनी पैन्ट और अंडरवियर उतार दिये. मैं थोडा़ नीचे सरक कर लेट गई और एक मेरे सर को गोद में लेकर बैठ गया और मेरे होंठों को गले गाल को चूमने लगा. कभी चूमता, कभी चूसता, कभी चाटता तो कभी कभी काट भी लेता.

दूसरा अटैची लगा कर मेरी कमर के पास बैठ गया और मेरे दोनों स्तनों को अपने हाथों में ले लिया. वो मेरे स्तनों को मसल रहा था और बीच बीच में मेरे निप्पल को चूसने लगता.

तीसरे ने मेरी टांगें फैलाई और अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया. वो मेरी जाँघों को पकड़ कर धक्के लगाने लगा. वो इस प्रकार से धक्के लगा रहा था कि बाकियों को दिक्कत न हो.
आखिर कालेज का छोकरा था, ज्यादा देर नहीं रोक पाया और चूत भिगा कर बगल वाले सीट पर जाकर बैठ गया.

मेरे सर पर बैठा लड़का आ गया मेरी टांगों के बीच. जैसे थी उसने मेरी चूत में अपना लण्ड घुसाया, मेरी नजर गेट की तरफ गई. वहां मेरे शौहर छुप कर खडे़ थे.
शायद किसी ने टायलेट का दरवाजा खोल दिया होगा.

उस लड़के ने जल्दी से अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाया और धक्के लगाने लगा.
ये भी नौसिखिया था, पांच मिनट भी रोक कर नहीं रख पाया और झड़ गया.

उसके उठते ही अगले ने जगह ले ली. उसने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाया और धक्के लगाने लगा. दो चार धक्के में ही मुझे अहसास हो गया कि ये पहुंचा हुआ खिलाडी़ है.
और वो धक्के लगाता रहा. उसके धक्कों के वेग से मैं ऊपर की तरफ खिसकती जा रही थी. मेरे स्तन पानी भरे गुब्बारों की तरह हिल रहे थे.

जब मुझे लगा कि धक्के मजा कम और सजा ज्यादा दे रहे हैं तो मैंने उसकी कमर के इर्द गिर्द अपनी टांगें लपेट ली. पर उसके धक्कों का वेग कम नहीं हुआ.
उसे देख कर दोनों अपने लण्ड को सहला रहे थे.

मुझे लगा कि अगर इन्होंने दूसरा राऊंड शुरू किया तो मैं तो गई. इसलिए मैंने उसे लण्ड निकालने को कहा. वो लण्ड निकाल कर सीट कर दोनों के बीच बैठ गया. मैं घुटनों के बल बैठ कर उसके लण्ड को मुंह में लेकर चूसने लगी और दोनों अगल बगल वालों के लण्ड का मुठ मारने लगी.

जिसका लण्ड मुंह में था, उसने मेरी दोनों स्तन पकड़ लिए और उन्हें मसलने लगा. और दोनों लड़के मेरे एक एक चूतड़ पकड़ कर दबाने लगे.

लगभग एक ही समय पर तीनों ने एक साथ पानी छोड़ दिया. वो अपनी अपनी पैन्ट पहन कर बैठ गये. मैंने उनके सामने ही खुद को साफ किया और नाईटी पहन ली.

उसके बाद वो निकल गये और मैं खिड़की के पास बैठ गई. मेरे शौहर आये और वो भी सीट पर बैठ गये पर बोले कुछ नहीं.

जब हमारा स्टेशन आने को आधा घण्टा बचा तो मैंने कम्पार्टमेन्ट का गेट बंद किया और साडी़ पहनने लगी. साडी़ पहन कर मैंने हल्का मेकअप किया और फिर बाथरूम की तरफ चल दी.
मुझे मूतना वूतना तो था नहीं तो मैं दो मिनट रूक कर वापस आ गई.

अपने कम्पार्टमेन्ट के गेट से पहले मैंने ब्लाऊज के सारे बटन खोले और ब्रा ऊपर सरका दी. मेरे स्तन नग्न हो गये.

मैंने सामने बैठे लड़कों को इशारा किया और उनमें से दो लड़के मेरे कम्पार्टमेन्ट के गेट के सामने आ गये. वो दो मिनट वहां खडे़ रहे जिससे मेरे शौहर का ध्यान उनकी तरफ हो जाए.
फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे कम्पार्टमेन्ट के गेट के सामने खडा़ कर दिया और मुझसे बोले- क्या गजब के चूचे हैं आपके भाभी. अगर आपको एतराज न हो तो कुछ देर इनसे मजा ले लेते हैं.

मेरे कुछ बोले बगैर ही वो लोग मेरे एक एक स्तन से खेलने लगे और एक एक निप्पल को मुंह में लेकर चूसने लगे. लगभग दस मिनट तक वो दोनों मेरे स्तनों से खेलते रहे और मुझे छोड़कर वापस चले गये.

उनके जाने के बाद मैं कम्पार्टमेन्ट में घुसी और मेरे शौहर के सामने बैठ कर अपने ब्रा ठीक करके ब्लाऊज के बटन लगाने लगी.
फिर मैं चुपचाप बैठ गई.

स्टेशन आया और हम दोनों उतर के बाहर आ गये.

ड्राईवर गाडी़ लेकर आया था पर मेरे शौहर ने उसे पैसे देकर टैक्सी से आने को कहा. हम गाडी़ में बैठ गये और वो कार चलाने लगे.
अचानक बोले- डेजी! अभी कई बार तुम्हारे साथ गलत हुआ. पर कई बार मुझे लगा तुम्हारी भी मर्जी शामिल थी, ठीक बोल रहा हूं न मैं?

मैंने कहा- हां. आप ही तो मुझे किसी पराये मर्द के बांहों में देख कर सुकून पाते हैं. तभी तो जाते समय आपने मुझे चार लोगों के आगोश में झोंक दिया था कि वो लोग मुझे रंडी की तरह इस्तेमाल कर सकें. वहां मैंने सोचा कि जब पूरी जिन्दगी आपके साथ बितानी है तो आपके अनुसार ढल जाऊं. इसलिए तो आते समय आपके मजे का पूरा ख्याल रखा मैंने. आखिर आप यही तो चाहते थे.

उन्होंने धीरे से कहा- मुझे नहीं आया मजा.
मैंने टोन्ट मारने के अंदाज से कहा- शायद आपको विडियो देख कर मजा आता है. आज तो बहुत हो गया, दो दिन आराम कर लेती हूँ फिर निकलूँगी बाहर. थोडे़ से लटके झटके दिखाऊंगी मर्दों को तो चार पांच तो फिसल ही जाएंगे मेरे ऊपर. पांचों के साथ किसी होटल के एक कमरे में जाकर खूब अपना बदन नुचवाऊंगी और सब विडियो ला कर आपको दे दूँगी. आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए.

उन्होंने गुस्से में कहा- मुझसे बहुत बडी़ गलती हो गई! मुझे माफ कर दो, अब कभी ऐसी गलती नहीं होगी. मैं वादा करता हूं.
मैंने कुछ नहीं कहा, बस चुप हो गई.

ऐसा नहीं है कि फिर उसके बाद मैंने कभी और किसी का लण्ड नहीं चखा. चखा … बहुतों का चखा.

अगर इन दोनों आपबीती से आपका लण्ड में कोई हलचल नहीं हुई तो मेरा दावा कि मेरे और आपबीती सुन कर आपका निश्चित ही लण्ड बिना हिलाए झड़ जायेगा.
पर वो फिर कभी.

वैसे भी एक ज्यादा लण्ड एक साथ लेने का मजा कम और नशा ज्यादा होता है.
और मुझे भी आते और जाते समय इसकी आदत पड़ गई थी.

End
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#4
पड़ोसन भाभी को मदमस्त चोदा



मेरा नाम सूरज है. मैं बनारस से हूँ. मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को बहुत पसंद आएगी.

मेरी हाइट 5 फुट 5 इंच है. मैं एक प्राइवेट जॉब करता हूँ. मुझे आंटी और भाभी बहुत मस्त लगती हैं क्योंकि वो जब साड़ी में मेरे सामने होती हैं तो मेरा मन करता है कि उनको अपनी बांहों में भरके उनके होंठों को चूम लूं. उनको पूरा निचोड़ कर उनके हुस्न के रस का एक एक कतरा पी जाऊं.

मेरे घर में सिर्फ मेरी माँ ही मेरे साथ रहती हैं क्योंकि मेरे पिता जी बाहर ड्यूटी करते हैं.

ये कहानी उस समय की है जब मैं ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर में था. उसी दौरान मेरे घर के बगल वाले घर में एक नया परिवार किराये पर रहने के लिए आया.
एक दो दिन बाद पता चला कि उस परिवार में एक भैया हैं, जो कि फील्ड वर्क का काम करते है. उनको अपने काम से कई बार बनारस से बाहर भी जाना होता था.
भैया की अनुपस्थिति में उनके घर में उनकी माता जी और पिता जी और एक छोटी बहन और उनकी बीवी ही रहते थे.

मैं सुबह ही अपने कॉलेज निकल जाता था, फिर सीधे शाम को ही घर आता था. मैं कॉलेज से आने के बाद एक दो ट्यूशन भी पढ़ाता था.

सिर्फ रविवार को ही मेरे बगल के परिवार से मेरी बातचीत होती थी. वो भी सिर्फ अंकल और आंटी जी से बात होती थी. इसी तरह लगभग दो-तीन महीने बीत गए.

एक शाम को माँ ने बोला- बेटा बगल की आंटी आयी थीं, वो तुमको पूछ रही थीं.
मैंने पूछा- क्यों … क्या हुआ माँ? सब ठीक तो है ना?
माँ बोलीं- मुझे पता नहीं, तू जाकर पता कर लेना.

मैं माँ के कहे अनुसार आंटी के घर गया. और उनके घर की घंटी बजाई.
एक-दो बार घंटी बजाने पर भी कोई नहीं निकला. मैं जैसे ही वहां से निकलने के लिए वापस घूमा, तो अन्दर से आवाज आई- रुकिए आती हूँ.

एक पल बाद दरवाजा खुला तो मैंने देखा कि एक बहुत ही सुंदर औरत खड़ी थी.

दोस्तो, क्या बताऊं कि वो कैसी लग रही थी. वो खुले बाल में, लाल रंग की साड़ी में लिपटी हुई मेरे सामने थी. उसका गोरा बदन देख कर मैं हतप्रभ था.

उसकी दशा देखकर लग रहा था मानो उसने जल्दी-जल्दी में साड़ी पहनी हो. उसके बदन से एक-एक करके पानी की बूंदें टपक रही थीं.
कुछ बूंदें उसके चेहरे से होते हुए उसके गालों को चूमते हुए टपक रही थीं. गालों से टपकती बूंदें उसके गले से होते हुए ब्लाउज के अन्दर जा रही थीं. कुछ बूंदें उसके पेट से होते हुए कमर तक … और फिर कमर से होते हुए उसकी कमर से बंधी साड़ी में गायब हो जा रही थीं.

इतना सब देख कर मेरे 6 इंच के खीरे में हरकत होने लगी. आपने एक भरा पूरा खीरा तो देखा ही होगा, जिसकी लंबाई 6 इंच की होगी. ठीक वैसे ही आकार का लम्बा और मस्त मोटा मलंग किस्म का मेरा लंड फुंफकार मारने लगा था. उस समय मेरा अपने आप पर काबू पाना मुश्किल हो रहा था. वो मुझसे उम्र में लगभग बराबर की ही थी. हालांकि वो मेरे पड़ोस वाले भैया की बीवी होने के कारण मेरी भाभी लगती थी.

मैंने किसी तरह अपने ऊपर काबू पाया. मैं जैसे ही कुछ बोलने जा रहा था कि वो सामने से बोल पड़ी- आप सूरज हो ना?
मैंने हां में अपना सर हिलाया.
भाभी बोली- मुझे माफ कर दीजिए, दरवाजा खोलने में थोड़ी देर हो गयी … क्योंकि अभी अभी मैं नहा कर सीधे बाथरूम से आ रही हूँ.

मैंने पूछा- आंटी ने मुझे क्यों बुलाया था?
तो भाभी बोली- आज मेरी ननद का जन्मदिन है … और शाम में एक छोटी सी उत्सव भी है.
मैंने बोला- इसमें मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?
तो भाभी मुस्कुराती हुई बोली- तुम अन्दर भी आओगे या सारी बातें दरवाजे पर ही करोगे.

मैं उसके साथ साथ घर के अन्दर आ गया. मुझे लगा कि घर में मेरे और उसके सिवा और कोई नहीं था.
मैंने पूछा- घर में कोई नहीं है क्या?
उसने बताया- हां मेरे सास ससुर कुछ सामान लाने के लिए बाजार गए हैं और मेरी ननद स्कूल गयी हैं. मेरे पति तो हमेशा की तरह आज भी लखनऊ टूर पर गए हैं.
मेरे मुँह से निकल गया- भाभी, आपको अकेले में डर नहीं लगता?

वो मेरी तरफ एकटक लगातार देखे जा रही थी. मैंने मन ही मन सोचा कि मैंने कुछ गलत तो नहीं बोल दिया ना.
फिर वो बोली- क्या बोला तुमने?
मैंने बात को टालते हुए कहा कि कुछ नहीं … कुछ नहीं.
लेकिन वो फिर से एक बार बोली- क्या बोला था … फिर से बोलो न?

मैंने अपनी बात फिर से दोहराई- भाभी आपको अकेले में डर नहीं लगता क्या?
वो बोली- तुमने मुझे भाभी बोला?
मैं बोला- हां. … आप ही बताओ मैं आपको क्या बोलूं?
तो उसने बोला कि मतलब इस रिश्ते से तुम मेरे देवर हुए.

इतना सुनने के बाद मैं थोड़ा शरारती अंदाज़ में बोला- आप इतनी जवान दिखती हो … मेरी उम्र की ही हो, अब मैं आपको आंटी तो बुला नहीं सकता … तो आप ही बताइए कि मैं आपको क्या बोलूं … आप जो बोलेंगी, मैं आपको वही बुलाऊंगा.

वो हंस दी और चाय बनाने के अन्दर जाते हुए बोली- मैं तुम्हारे लिए चाय लाती हूँ … और हां तुम मुझे भाभी बुलाओगे, तो मैं तुमको देवर जी बुलाऊं क्या?
मैंने बोला- आप मुझे सूरज बुलाइए.
भाभी बोली- तुम भी मुझे रेनू बुलाओ.
मैंने बोला- आप रिश्ते में मुझसे बड़ी हैं … तो मैं आपको रेनू कैसे बुला सकता हूँ.
वो हंसने लगी.

मैंने फिर शरारती अंदाज़ में बोला- मेरे पास एक तरकीब है, जिससे दोनों की समस्या हल हो सकती है.
तो भाभी बोली- जल्दी बताओ यार … मुझे घर में बहुत काम हैं.
मैं बोला- जब हम दोनों घर में अकेले रहेंगे, जैसे अभी हैं … तो आप मुझे सूरज और मैं आपको रेनू बुलाऊंगा … और जब कोई हम दोनों के साथ में हो, तो मैं आपको भाभी और आप मुझे देवर जी बुला लेना … ठीक है ना!
उसने आंख मारते हुए कहा- तुम तो बहुत स्मार्ट हो … लो चाय पियो. फिर तुम घर सजा देना, मैं घर का काम समेट लूंगी.

हम दोनों चाय पीते हुए अपने अपने काम में लग गए.

वो रसोई में चली गयी और मैं घर को सजाने में लग गया.

कुछ देर वो दरवाजे के पास खड़े होकर मुझे देख रही थी. शायद उसको नहीं पता था कि मैं भी उसको ऊपर से छिप कर देख रहा हूँ.

फिर अचानक से भाभी बोली- सूरज बहुत गर्मी है यार … थोड़ा कूलर ऑन करो ना.
मैं बोला- अभी नहीं भाभी जी … सब सामान उड़ जाएगा.
वो फटाक से बोली कि ओ मास्टर … अभी क्या बोले तुम?
मैं बोला- सही तो बोल रहा हूँ.

वो बोली- अभी हम दोनों अकेले हैं न … तुम मुझे रेनू बोलोगे.
मैं बोला- गलती हो गयी रेनू जी.
भाभी बोली- सिर्फ रेनू. और आप वाप नहीं, सिर्फ तुम कहोगे.
मैंने बोला- ठीक है रेनू.
रेनू शब्द सुनते ही वो मेरे पास आकर बोली- हां अब ठीक है.

यह कहते हुए रेनू भाभी ने मेरे पैर पर हल्की सी चिमटी काटी और हंस कर रसोई में चली गयी.

फिर थोड़ी देर बाद अचानक से रसोई से आवाज आयी- सूरज जल्दी इधर आओ.

मैं दौड़ कर गया, तो देखा कि वो रसोई के एक कोने में गिरी पड़ी थी.
मैंने पूछा- अरे रेनू क्या हुआ?
उसने बताया कि यार एक मोटा चूहा मेरे ऊपर कूद गया … तो मैं भागी और दरवाजे से मेरे पैर में चोट लग गयी.
मैं बोला- अरे यार कितनी डरपोक हो … अब तो तुम ठीक हो न?
वो बोली- मुझसे उठा नहीं जा रहा है, प्लीज मेरी हेल्प करो न.

मैं भाभी को हाथ से पकड़ कर उठाने लगा.
वो कराहते हुए बोली- मैं उठ भी नहीं सकती … तो चलने की तो दूर की बात है.

मैं फिर भाभी को अपने कंधे के सहारे उठाने लगा. मैंने इस तरह भाभी को उठाया कि उसका बायां हाथ मेरे गले पर और मेरा बायां हाथ उसके दायें हाथ को पकड़े हुए था. मेरा दायां हाथ उसकी कमर पर था.

क्या मस्त पतली और गोरी कमर थी … यार मन तो किया कि एक बार कसके दबा दूँ, पर उस समय उसकी हालत पर मुझे दया भी आ रही थी.

इसी तरह कुछ कदम चलते ही वो फिर सोफ़े पर बैठ गयी और बोली- अब नहीं चला जा रहा है … और गर्मी भी बहुत लग रही है.

मैं बोला- आप अन्दर रूम में चलिए, मैं कूलर ऑन कर देता हूँ.
भाभी बोली- बहुत दर्द हो रहा है … अब तो थोड़ा भी नहीं चला जाता.
मैंने झट से बोला- तो आपको गोद में उठा लूं?

भाभी भी जैसे इसी बात का इन्तजार कर रही थी, वे झट से बोली- तुम मुझे उठा लोगे?
मैंने बोला- हां क्यों नहीं.
भाभी ने कहा- अगर उठा पाए, तो क्या तुम मुझे मेरे बेड तक ले जा सकोगे … और यदि तुमने मुझे उठा लिया, तो मैं शाम को तुम्हें एक गिफ्ट दूँगी … मगर यह बात तुम भईया को नहीं बताना.
मैंने बात का मर्म समझते हुए कहा- ठीक है … पर आप भी किसी को कुछ नहीं बताना.
भाभी मुस्कुरा कर बोली- मैं किसी को क्यों बताने जाऊंगी.

इतना सुनने के बाद मैंने उन्हें झट से अपनी गोद में कुछ इस तरह उठाया कि मेरा दायां हाथ उसके गोल गोल चूतड़ों के पास और दूसरा हाथ उसकी नर्म मुलायम पीठ के पास आ गया. मेरा मुँह उसके सीने के ठीक सामने लगा था. भाभी भी मुझे एकदम से चिपक गई.

जैसे जैसे मैं उसको लेकर रूम की ओर बढ़ता जा रहा था, वैसे वैसे मेरे हाथ कभी उसके चूतड़ों को दबाते, तो कभी उसकी पीठ को सहलाते. जब मैं अपने दोनों हाथों को कस देता, तो मेरा मुँह भाभी के सीने में दब जाता और भाभी भी मेरा सिर पकड़ कर अपने सीने में दबाने लगती.

भाभी मेरा सर अपने मम्मों में दबाते हुए ये कहती जा रही थी- तुम मुझे गिरा ना दो … इसलिए मैंने तुम्हारे सिर को पकड़ कर रखा है.
यह कहते हुए भाभी मेरे मुँह को अपने सीने पर कसे ब्लाउज़ और साड़ी के आँचल से कसके रगड़ देती थी.

मेरा तो बुरा हाल था. एक जवान खूबसूरत भाभी मेरी गोद में थी. मुझे समझते देर न लगी कि भाभी क्या चाह रही है. फिर भी मैं अपने मुँह से या अपनी तरफ से कैसे पहल करता.

मैंने रुक कर इंतज़ार किया कि आगे देखो ये और क्या क्या करती है.

मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और कूलर ऑन कर दिया. कूलर ऑन करते ही उसने अपने साड़ी के पल्लू को निकाल दिया, जो कि वैसे भी ऊपर से पूरा नीचे आ चुका था. यानि ऊपर अब सिर्फ लाल रंग का ब्लाउज़ ही बचा था.

भाभी के गहरे गले के ब्लाउज के अन्दर से उसके दोनों रसीले आमों के बीच की दरार भी बिल्कुल मेरी आंखों के सामने खुली दिख रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे कि भाभी अपने आमों को मुझे दिखाना चाह रही हो. उसकी मदभरी आंखें इस बात का इशारा कर रही थीं कि आ जाओ राजा तुमको इन्हीं आमों का रस चूसना है.

मैं भी लगातार भाभी के उन रसीले आमों को देखता जा रहा था. वो भी छिपी निगाहों से मुझे देख रही थी कि मैं क्या देख रहा हूँ.

भाभी बोली- सूरज क्या हुआ … मुझे उठा कर थक गए क्या … कुछ पियोगे?

मेरे मन में आया कि बोल दूँ हां आपके आमों का रस थोड़ा सा मिल जाता … तो मेरी थकान दूर हो जाती. लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा.
मैंने उल्टा उसी से पूछा- अब बताओ मेरा गिफ्ट कहां है? मैं आपको अपनी गोद में यहां तक ले आया हूँ.

भाभी हंस कर कहने लगी- शाम को आ जाना … मैं भरपूर इनाम दूँगी.

मेरी समझ में तो आ गया था कि भाभी मुझे क्या इनाम दे सकती है.

मैंने भाभी से पूछा- आपकी चोट कैसी है?
भाभी बोली- हां अभी दर्द है … उस अलमारी में बाम रखी है … थोड़ा ला दो, तो मैं उसे चोट पर लगा लूं.
मैं झट से उठ कर बाम ले आया. उसका ढक्कन खोलते हुए मैं बोला कि भाभी मैं लगा दूँ?
भाभी ने बोला- मैं लगा लूंगी.

भाभी ने मेरे सामने ही अपनी साड़ी को घुटने तक धीरे धीरे करके उठा दिया. मैं भाभी के गोरे गोरे पैरों को देख रहा था … क्या गज़ब की टांगें लग रही थीं.

मैंने उसके पैरों को ध्यान से देखना चालू किया. यार, पैर के लंबे नाखूनों में लाल रंग की नेल पॉलिश लगी थी. थोड़ा ऊपर देखा, तो पैरों की उंगलियों में बिछिया पहने हुए थी. साथ ही पैरों में छम छम करती पायलें संगीत बिखेर रही थीं. ऊपर को नजर दौड़ाई, तो भाभी के गोरे रंग के घुटने थे, उन घुटनों पर भाभी हल्के हल्के से मालिश कर रही थी.

मैं अपनी वासना से डूबी नज़रों से भाभी के नीचे से ऊपर तक की एक एक चीज को देख रहा था. उनके गोरे बदन से क्या क्या चिपका हुआ था.

जब वो बाम लगाने के लिए अपनी साड़ी ऊपर कर रही थी … तो उसने साड़ी के नीचे लाल रंग के पेटीकोट की झलक को भी दिखाया. भाभी की साड़ी ऊपर हुई, तो उसके ऊपर वही पतली गोरी कमर थी, जिस पर कुछ भी नहीं था.

भाभी की कमर जैसे मुझे बुला रही थी कि आओ मुझे सहलाओ और फिर दोनों बांहों में कसके मेरी नाभि की गहराई को चूम लो.

मैं आगे देखने लगा. उसके दोनों आमों की उठान, जो लाल रंग के ब्लाउज़ में कसे हुए थे. अब इस समय ब्लाउज के गहरे गले से मैंने ब्लाउज़ के अन्दर सफ़ेद रंग की ब्रा को भी देखा, जो भाभी के आमों को पूरी ताकत से जकड़े हुए थी.

मैं आगे बढ़ा, तो भाभी की गोरी लंबी गर्दन … फिर उसके ऊपर गुलाबी रंग के ऐसे मस्त होंठ फड़फड़ा रहे थे. मुझे लगा कि जैसे मुझे भाभी के दोनों होंठ बुला रहे हों कि आ जाओ राजा … थोड़ा मेरे रस का भी स्वाद चख लो.

सबसे आखिर में हम दोनों नज़रें … जो मुझे ही काफी देर से मेरे एक एक करके मेरे सभी इशारों को देख कर समझ रही थीं कि मैं उसके एक एक अंग को बड़ी ध्यान से देख रहा हूँ और सोच रहा हूँ कि ये सारे अंग एक बार मिल जाएं, तो एक एक करके सारे अंगों के रस को चूस लूं … भाभी के पूरे अंगों को चाट चाट कर खा जाऊं. मन की पूरी कसक निकाल लूं.

तभी रेनू भाभी मादकता भरी आवाज में बोली- लगता है मेरी कमर में गहरी चोट आयी है … पर मेरा हाथ वहां नहीं पहुंच पा रहा है.
मैंने पूछा- रेनू, मैं लगा दूँ?
भाभी ने बोला- नहीं जाने दो … मैं किसी तरह लगा लूंगी. अगर भईया को पता चला कि मैंने किसी और से अपनी कमर की मालिश कराई है, तो बवाल हो जाएगा.

मैं बोला- भईया को ये कौन बताएगा … मैं तो नहीं बताऊंगा. शायद आप बता दो.
भाभी हंस कर बोली- मैं क्यों बताऊंगी.
मैं बोला- तो लाओ बाम मुझे दो … मैं आपकी कमर पर लगा दूँ.

भाभी मुझे बाम देकर पेट के तरफ लेट गयी और उसने पीठ को मेरी तरफ कर दिया. साथ ही भाभी ने अपने पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया और कहा- मैं जहां बोलूंगी, वहीं लगाना.
मैंने ओके कहा.

भाभी ने अपनी साड़ी और पेटीकोट को थोड़ा सा नीचे सरका दिया और जगह बता कर बोली- यहीं पर लगा दो.
वो जगह क्या थी … जानते हो … जहां से उनके गोल गोल और गोरे गोरे चूतड़ों की गहराई चालू हो रही थी.

मैं तो भाभी की गांड की दरार देख कर धन्य हो गया. मैंने अपने दायें हाथ से उसकी पीठ की मालिश करना शुरू की और बाएं हाथ से अपने लंड को सहलाए जा रहा था, जो कि पैंट में ही खड़ा हो गया था.

बीच बीच में मैं अपने हाथ को उसके गोल गोरे चूतड़ों पर भी फेर देता था.

दो तीन बार ऐसा करने से मेरी हिम्मत बढ़ गयी, तो मैंने भाभी के एक गोल गोरे चूतड़ को दबा दिया. भाभी ने झट से मेरी तरफ सर कर लिया. मैंने भी झट से अपना हाथ अपने पैंट से निकाल लिया.
मगर जहां तक मेरा मानना है कि भाभी ने मुझे ये सब करते देख लिया था. मगर भाभी कुछ बोली नहीं.

फिर मैं भाभी की मालिश पर ध्यान देने लगा. थोड़ी देर बाद वो बोली- अब तुम अपने घर जाओ … बाकी का काम शाम में करेंगे.
मैं समझ गया कि चूतड़ों को कसके दबाने से भाभी जी को कुछ होने लगा था.

मैंने एक तरकीब लगाई और उसको बोला- मैं जा रहा हूँ … आप दरवाजा बंद कर लो.
मैं झट से उठा और दरवाजे की सिटकनी खोल कर फिर उन्हीं के ही घर में सोफ़े और दीवार के कोने में छिप गया.

भाभी को साड़ी सही करने और गेट बंद करने तक मैं उनके ही घर में अच्छे से छिप गया.

भाभी वापस बिस्तर पर जाने की बजाये किचन में चली गयी. मैंने एक बात नोटिस की कि वो अपने आपसे उठी और थोड़ा सा भी नहीं लड़खड़ाई. भाभी एकदम अच्छे से चल-फिर रही थी. मतलब ये सब एक बहाना था.

मेरा मन तो कर रहा था कि भाभी को पकड़ कर वहीं जमीन पर लेटा दूँ और उसकी साड़ी उठाकर अपना लंड पूरा का पूरा उसकी चुत में पेल दूँ. लेकिन मैंने अपने मन को शांत किया.

मैं आगे क्या देखता हूँ कि भाभी ने किचन से एक लंबी सफ़ेद रंग की मूली लाकर टेबल पर रख दी साथ में चाकू भी था.
और फिर भाभी अपने कमरे से एक कंडोम ले आयी.

फिर भाभी ने डीवीडी में एक डिस्क लगाई और आकर सोफ़े पर बैठ गई. इसके बाद टीवी पर फिल्म चालू हो गई. इधर भाभी ने उस मूली को पतली तरफ से चाकू थोड़ा सा काटा, उस सिरे को गोल लिया लंड के टोपे की तरह पर कंडोम को अच्छे से चढ़ा दिया.

तब तक टीवी पर एक ब्लू फिल्म चलने लगी, जिसमें एक लड़का अपने से बड़ी उम्र की औरत की बुर को चाट रहा था.

इधर भाभी भी सोफ़े पर अच्छे से बैठ गई. उसने अपने दोनों गोरे गोरे पैरों को सामने टेबल पर रख कर फैला दिया. फिर उस कंडोम चढ़ी मूली को भाभी अपनी बुर पर रगड़ने लगी.

वो कभी उस मूली को अन्दर डालने की कोशिश भी करती और अपने मुँह से कुछ बड़बड़ाती भी जा रही थी- आह … आ जा … मेरी बुर चाट ले … आंह कसके चाट कर खा जा मेरी बुर को … आंह … साले … आजा.

उसके मुँह से ये सब सुन कर मैं तो हैरान रह गया. मुझे लगा कि वो टीवी में उस लड़के से बात कर रही है.

वो टीवी को देखते हुए आगे बोली- मेरा पति तो साला कई दिनों और रातों तक बाहर रहता है … उस चूतिए को मेरी बिल्कुल परवाह नहीं रहती कि उसकी बीवी की भी कुछ तमन्ना है … उसे भी लंड का प्यार चाहिए. साला कभी कभी आता है और रात में मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी साड़ी उठाकर अपना लंड मेरे बुर में पेल देता है … और मैं कुछ भी नहीं कर पाती. वो ना तो मेरे होंठ चूमता है और ना मेरी चुची दबाता … ना चूसता है. वो मेरी प्यारी सी बुर को भी नहीं चाटता है. बस धक्के पर धक्के मारता है … और जब उसका माल निकल जाता है, तो बगल में घोड़े बेच कर सो जाता है … मैं उसी के बगल में ही मैं अपनी जीभ को अपने होंठों पर फेरती रह जाती हूँ. अपने हाथों से ही अपनी चुची को दबाती और चूसती हूँ … और अपनी बुर को अपनी उंगलियों से खूब रगड़ती हूँ … फिर उसमे मूली डाल कर उसका पानी भी निकालती हूँ. फिर भी मेरी प्यास नहीं बुझती.

भाभी के मुँह से इतनी सारी बातें सुनकर मेरा मन उसको अभी के अभी चोदने को कर रहा था. मेरे शरीर में इतनी ताकत आ गयी थी कि मैं बिना कोई समय गंवाए उसके सामने जाकर खड़ा हो गया.

वो मुझे सामने देख के हक्का बक्का रह गयी और जल्दी जल्दी में, जिस मूली से वो अपना बुर चोद रही थी, उसे जल्दीबाजी में अपनी बुर में ही अन्दर फंसा लिया और साड़ी को नीचे करते हुए खड़ी हो गयी. भाभी मुझे हैरानी भरी निगाहों से देखती रह गयी कि ये कहां से आ गया.

हम दोनों चुपचाप एक दूसरे के सामने खड़े थे और टीवी में से चुदाई की ‘आह आह आह …’ की आवाजें आ रही थीं. उस समय टीवी में वो लड़का उस औरत को बेड पर लेटा कर उसकी बुर में अपना लंड डाल कर ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था. जिससे वो औरत आह आह की आवाज निकाल रही थी.

उस समय हम दोनों के सिवाए, बस वही दोनों आवाज कर रहे थे. हम दोनों चुपचाप उसे देख और सुन रहे थे.

फिर मैंने हिम्मत बांधते हुए रेनू भाभी से कहा- आप ये क्या कर रही हो?
भाभी ने बोला- क्या … कुछ भी तो नहीं कर रही थी.
मैंने बोला- मैंने सोफ़े के पीछे से सारी बातें सुनी और देखी भी हैं.

इतना सुनते ही भाभी रोने लगी कि ये सब बातें बाहर किसी को भी नहीं बताना … नहीं तो मेरी बहुत बदनामी होगी.
मैंने आगे बढ़ कर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- मैं ऐसा क्यों करूंगा … आप तो मेरी भाभी हैं … और कोई देवर अपनी जवान भाभी का बुरा क्यों करेगा.

यह कहते हुए मैंने अपने दोनों हाथों से उनके दोनों कंधे पकड़ कर बैठाया और बोला कि भईया नहीं हैं भाभी … तो क्या हुआ … मैं हूँ ना.
मैं उनके आंसू भी पौंछने लगा.
भाभी बोली- मतलब!

मैं कुछ नहीं बोला और उसकी साड़ी को धीरे धीरे करके ऊपर उठाने लगा.

भाभी धीरे से बोली- तुम ये क्या कर रहे हो?
मैं झट से बोला- रेनू भाभी, मूली अन्दर ही अन्दर सड़ जाएगी.

मेरी इस बात से भाभी हल्के से मुस्कुरा दी और बोली- जाने दो … मैं निकाल लूंगी.
मैं बोला- मैं निकालने में आपकी हेल्प कर देता हूँ … बस आप अपने दोनों पैर ऊपर कर दो.
भाभी शरमाते हुए बोली- तुम मेरी क्या क्या हेल्प करोगे?

मैंने उनकी तरफ देखा और और उनकी बुर की तरफ आंख दिखाते हुए कहा- उसकी मालिश कर दूँगा और जो आप चाहोगी, वो भी कर दूँगा.

अभी इससे पहले कुछ और वो बोलती, मेरा हाथ उसके पैरों से होता हुआ, साड़ी के अन्दर चला गया. मेरे दोनों हाथ उसके घुटनों से होते हुए जांघों पर टिक गए. मैंने अपने दोनों हाथ भाभी की मस्त चिकनी जाँघों पर रख दिए. फिर मैं धीरे धीरे अपने हाथ उनकी बुर की ओर बढ़ाने लगा. मैंने देखा कि आधी मूली उनकी बुर के अन्दर थी … और आधी बाहर निकली हुई थी.

मैंने उस मूली को बाहर की ओर खींचा और बोला- आपकी बुर को मूली नहीं … मेरा लंड चाहिए.
इतना कहते ही मैं भाभी की बुर को अपने हाथ से सहलाने लगा और अपनी दो उंगलियां एक साथ ही चुत के अन्दर डाल दीं.

मेरे इतना करते ही भाभी के मुँह से सिसकारी निकलने लगीं. मैंने उसके पैरों को और चौड़ा करते हुए बुर को फैला दिया. बुर से पानी रिस रहा था.

मैं एक पल की भी ही देर नहीं लगाई और अपनी जीभ से भाभी की चुत चाटने लगा. मेरे जीभ से चूत को छूते ही भाभी एकदम से ऐसे हिल गयी … जैसे उसे करेंट लग गया हो. वो ज़ोर ज़ोर से आह आह आह आह करने लगी.

मैंने भी दिल लगा कर भाभी की बुर को चाटा. चुत को चाट चाट कर पूरा लाल कर दिया.

लगभग पांच मिनट में ही भाभी का शरीर अकड़ने लगा और वो मेरा सिर पकड़ कर अपनी बुर में दबाने लगी.

मैं समझ गया कि अब चुत का माल निकलने को तैयार है. मैंने और ज़ोर से भाभी की बुर को चाटना और काटना शुरू कर दिया. वो एकदम से तड़पने लगी और अपने दोनों पैरों और जांघों से मेरे सिर को जकड़ लिया. तभी एक गर्म धार मेरे मुँह से आ टकराई, जो भाभी ने छोड़ी थी. मैंने भी भाभी की चुत का पूरा का पूरा रस चूस चूस कर निचोड़ डाला. मैंने भाभी की बुर को चाट चाट कर साफ कर दिया.

चुत चुसाई के बाद भाभी ने मुझे गले से लगा लिया और मेरे होंठों को चूमने लगी. मैंने भी उसको अपनी बांहों में भर लिया और एक एक करके उसके सभी अंग सहलाना शुरू कर दिए.

मैंने सबसे पहले भाभी की बड़ी बड़ी चुचियों को दबाया, पीठ को सहलाया. फिर उसके गोल गोल और गोरे गोरे चूतड़ों को सहलाया और दबाया.

तभी भाभी का एक हाथ मेरी पैंट के अन्दर जाने लगा. अगले ही पल भाभी मेरा लंड अपने हाथ में लेकर दबाने लगी.

उसकी यह हरकत देख कर मैं तो पागल सा हो गया. मैंने उसको वहीं सोफ़े पर लेटा दिया और उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया. हम दोनों चूमाचाटी में लग गए.

दस मिनट तक उसके होंठों चूसने के बाद मैंने उसका ब्लाउज़ उतार दिया. फिर साड़ी को भी उससे अलग कर दिया. बाद में उसके पेटीकोट का नाड़ा भी खोल कर उसके पेटीकोट को उतार दिया.

अब इस समय भाभी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी. मैंने भाभी की चूचियों को ब्रा पर से ही रगड़ना और चूसना शुरू कर दिया. कुछ पल बाद मैं भाभी के पेट को चूमता हुआ उसकी नाभि पर आ गया. मैंने भाभी की नाभि में जीभ की नोक डाल कर उसको खूब मज़े से चूमा और चूसा.

आखिर में मैंने फिर से भाभी की चूत को पैंटी के ऊपर से चाटना और काटना शुरू कर दिया.

मेरे ऐसा करने से भाभी की आवाज एकदम से बदल गयी. वो अम्म अम्म अम्म करने लगी. अब मैंने उसकी ब्रा और पैंटी को उसके शरीर से अलग कर दिया.

भाभी ने मेरे कान में सरसराया- मुझे भी चूसना है.
ये सुनते ही मैं भाभी से अलग हुआ और हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.

इस पोजीशन में आकर मैंने उसको बेड पर पीठ के बल लेटा दिया और मैंने अपना मुँह उसकी चूत के तरफ कर लिया.

मैंने अपना लंड भाभी के मुँह की तरफ कर दिया था. भाभी लंड को पकड़ कर सूँघ रही थी. मैं उसकी चूत को बड़े चाव से चाटने लगा. उसी पल भाभी भी मेरे लंड को खूब मज़े से चूसने में लग गई थी.

लंड चुत की मस्त चुसाई चलने लगी. ऐसा करते हुए हम लोगों को दस मिनट से ज्यादा का समय हो गया था.

इसके बाद मैं उठा और भाभी के दोनों पैरों के बीच में आकर बैठ गया. मैं भाभी की चुत निहारने लगा.

भाभी बोली- इतना क्यूँ तड़पा रहे हो मुझे … मेरी चूत में जल्दी से अपना लंड डाल कर इसकी प्यास को शांत करो … अब देर ना करो … जल्दी से अपने लंड से मेरी चूत को फाड़ डालो … इसे चोद चोद कर इसका पानी निकाल दो.

मैंने अपना लंड भाभी की चूत के छेद में सैट किया और एक ज़ोरदार धक्का दे मारा. एक ही झटके में मेरा पूरा लंड भाभी की चूत में समा गया.
उसी समय भाभी के मुँह से ‘ऊई माँ … मर गई..’ निकल गया.
भाभी कराहते हुए बोली- तुम्हारा लंड तो मेरे पति से भी बड़ा है और मोटा भी है.

मैंने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाल कर फिर से धक्का मारा, तो भाभी बोली- थोड़ा धीरे धीरे करो यार … कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.

मैंने भाभी की एक ना सुनी और उसके पैरों को और चौड़ा करके पूरी ताकत से भाभी की चुदाई करने लगा. भाभी भी मस्ती में अपने चूतड़ों को उछाल कर मेरा पूरा लंड अपनी चूत में ले रही थी … साथ ही अपने मुँह से अम्म अम्म की आवाजें भी निकाल रही थी.

भाभी की चुदाई करते हुए मुझे कुछ समय ही हुआ होगा कि उसका बदन फिर से अकड़ने लगा. भाभी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया. फिर भी मैं नहीं रुका … मैं भाभी की चुदाई करता जा रहा था.

अचानक भाभी की चूत से पानी की फुहार निकली और वो बोल पड़ी- आह … कितने दिनों के बाद मेरी ऐसी चुदाई हुई है … आज से मैं तुम्हारी हूँ … और आगे भी तुम्हारी ही रहूँगी मेरे राजा.

इतना सुन कर मुझे रहा नहीं गया और मैंने भी भाभी की चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों को चूसा. मैं अपने लंड को और तेज़ी से उसकी चूत में पेलने लगा.

भाभी बोलती रही- आह … अब बस करो मेरे देवर राजा … मेरी बर्दाश्त के बाहर हो रहा है.
पर मैं कहां सुनने वाला था. मैं लगातार भाभी की चूत को चोदता रहा.
भाभी ने कहा- जल्दी करो … जो करना है … नहीं तो मेरे सास-ससुर आ जाएंगे.

मुझे एकदम से ख्याल आया कि कहीं लफड़ा न हो जाए. अगले ही पल मैंने भाभी को उठाया और उसे अपने लंड के ऊपर बैठा लिया.

मैंने भाभी से कहा- अब आप मेरे लंड को अपनी चूत में डाल कर ऊपर-नीचे करो.

भाभी ने वैसा ही किया. वो मेरे लंड को अपने हाथ से अपनी चूत पर रगड़ने लगी और एक झटके में अपनी चूत में डाल कर अपने चूतड़ों को तेज़ी से ऊपर-नीचे करने लगी. उसके चूतड़ों के साथ साथ उसकी चूचियां भी ऊपर-नीचे हो रही थीं.

मैंने अपने हाथों में भाभी की उछलती चूचियों को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया. मैं चुत चुदाई के साथ भाभी के दूध चूसने का भी मजा लेने लगा. ऐसा करने से भाभी और ज्यादा तड़पने लगी. वो और तेजी से मेरे लंड पर ऊपर-नीचे हो रही थी. जब वो थक गयी, तो मैंने उसे सोफ़े पर ही घोड़ी बनने को कहा.

जब भाभी घोड़ी बनी, तो मैं उसके पीछे आकर उसके चूतड़ों को अपने हाथों से फैलाकर उसकी चूत के छेद में अपना लंड सैट करते हुए एक धक्का दे मारा. मेरा पूरा लंड उसकी चूत के छेद में घुसता चला गया. अब मैंने भाभी के दोनों चूतड़ों को कसके पकड़ कर उसकी चुदाई शुरू कर दी.

दोस्तो, क्या मज़ा आ रहा था इस पोजीशन में. मैं अपना पूरा लंड बाहर निकाल कर फिर से भाभी की चूत में पेल रहा था. वो भी एकदम से मस्त होकर गांड हिला रही थी.

भाभी बोली- आह क्या मस्त चुदाई करते हो तुम … मेरी चूत तो ऐसा लंड पाकर धन्य हो गई.

कोई पांच मिनट बाद मैंने कहा- मेरा छूटने वाला है रेनू … मैं क्या करूं कहा निकालु ?
भाभी बोली- चिंता मत करो मेरे राजा कुछ नही होगा … मेरी चूत में ही अपना गरम वीर्य निकाल दो.

मैंने ज़ोर के धक्कों के साथ अपना माल भाभी की मखमली चूत में भर दिया.

कुछ देर बाद हम दोनों खड़े हुए और कपड़े पहन कर खुद को सही करने में लग गए. मैंने अपने कपड़े पहने और भाभी को भी उनकी ब्रा और पैंटी भी पहनायी.

जब वो पूरे कपड़े पहन कर तैयार हो गई, तो मैंने भाभी को अपनी बांहों में भर लिया और कहा- रेनू भाभी आप ही पहली हो, जिसके साथ मैंने पहली बार चुदाई की है. सच मानो मुझे आपको चोदने में मज़ा आ गया.
भाभी भी बोली- हां मैं भी तुमसे चुद कर बहुत खुश हूँ. अब तुम्हारा जब भी मन करे, तुम मुझे अपनी बांहों में ले सकते हो और जी भरके मुझे चोद सकते हो.

इतना सुन कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. भाभी को भी पता चल गया कि मेरा लंड उसे सलामी दे रहा है, तो उसने कहा- तेरे लंड को अभी भी मेरी चूत चाहिए … देख कैसे इशारे कर रहा है.
मैंने बोला- तो हो जाए फिर से.
भाभी बोली- यार मैं बहुत थक गयी हूँ और मम्मी पापा के आने का टाइम भी हो गया है. फिर किसी दिन पूरा मजा लूंगी. लेकिन अभी तो इसको शांत करने का मेरे पास एक तरीका है.

भाभी ने मेरी पैंट से मेरा लंड निकाला और उसे चूमने लगी. फिर एक ही बार में उसे अपने मुँह में भर कर फिर से चूसने लगी कि जैसे वो मेरे लंड को पूरा का पूरा निगल जाएगी.

दोस्तो, क्या बताऊं … भाभी मेरा लंड ऐसे चूस रही थी कि मैं भी उसके मुँह में ही अपने लंड को आगे पीछे करने लगा. या यूं कहा जाए कि इस वक्त मैंने अपने लंड से भाभी के मुँह को ही चोदना शुरू कर दिया था.

कुछ ही मिनट में मेरा माल निकलने को हो गया था, तो मैंने भाभी को बोला- मैं झड़ने वाला हूँ.

भाभी हाथ का इशारा करती हुई बोली- कोई बात नहीं … तुम मेरे मुँह में ही अपना पूरा माल निकाल दो.

मैंने भाभी के सिर को कसके पकड़ लिया और अपना लंड तेजी से भाभी के मुँह में अन्दर बाहर करने लगा.

फिर एक जोरदार धार के साथ मैंने भाभी के मुँह को भर दिया. भाभी भी मेरा पूरा माल पी गयी और मेरे लंड को चाट चाट कर पूरा साफ कर दिया.

मैंने भाभी को कहा- भाभी आप कमाल की चुसक्कड़ हो.
भाभी बोली- वो कैसे?
मैं बोला- भाभी आपको लंड चूसना और लंड से चुदवाना बहुत अच्छे से आता है.
भाभी हंस दी.

फिर मैं अपने घर को चलने के लिए तैयार हुआ, तो भाभी ने कहा- शाम को पार्टी में आना ना भूलना.
मैंने कहा- अब तो भाभी आना जाना लगा रहेगा.
भाभी ने हंस कर कहा- हां हां क्यों नहीं … मैं तो खुद बेसब्री से तुम्हारा इंतज़ार करूंगी.

इतना कह कर मैं उनके घर के बाहर आ गया और अपने घर आ गया.

फिर जैसे तैसे शाम हुई. मैं भी बन ठन कर भाभी के घर पहुंच गया. सामने ही उनके सास ससुर बैठे थे, तो मैंने उनको नमस्ते किया.
उन्होंने कहा- बेटा तुमने घर को बहुत अच्छा सजाया है.
मैंने कहा- भाभी जी ने भी मेरी बहुत मदद की … तब जाकर हो पाया है.

अंकल खुश हो गए.

मैंने कहा- वैसे भाभी जी है कहां?
भाभी की सास बोलीं- वो रसोई में है.
मैंने उनसे पूछा- मैं अन्दर चला जाऊं … उनसे मिल लूं, उनका कोई और काम तो नहीं बाकी है.
उनकी सास ने बोला- हां देख लो … बेचारी सुबह से अकेले ही परेशान हो रही है. तुम साथ में रहोगे, तो उसकी कुछ मदद हो जाएगी.

इतना सुनते ही मैं रसोई में चला गया. भाभी किचन में कुछ कर रही थी.

भाभी ने उस समय गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी. पीछे से क्या गजब माल लग रही थी. मेरा मन तो कर रहा था कि पीछे से साड़ी उठाकर अपना लंड उसकी चिकनी चूत में पेल दूँ.

लेकिन पार्टी का माहौल था, कोई भी आ सकता था, तो मैंने भाभी को पीछे से आवाज दी- भाभी क्या कर रही हो?
मेरी आवाज सुनते ही भाभी झट से पलट गयी और बोली- तुम कब आए?
मैंने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा- भाभी, तुम तो कमाल की माल लग रही हो.
भाभी हंस कर बोली- सच में!
मैंने बोला- हां भाभी.

लेकिन भाभी ने लिपस्टिक नहीं लगाई थी, तो मैंने बोला- भाभी लिपस्टिक नहीं लगाई आपने?
भाभी बोली कि चलो … तुम ही लगा दो.
मैंने बोला कि नेकी और पूछ पूछ … चलो.
भाभी ने कहा कि तुम बेडरूम में चलो, मैं आती हूँ.
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#5
मैं उसके बेडरूम में चला गया और टीवी देखने लगा. लगभग दस मिनट में भाभी कमरे में आ गयी और दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया.
मैं बोला- ये क्या कर रही हो भाभी?
भाभी ने कुछ नहीं कहा, बस मुझे बेड पर धक्का दे कर मेरे ऊपर चढ़ गयी और मेरे होंठों को चूमने लगी.

मैं भी भाभी के होंठों को कस के चूमने लगा और उसको अपनी बांहों में कस लिया.

कुछ देर बाद हम दोनों उठे.

मैंने बोला- रेनू, आज तो आप कमाल की चहक रही हो.
भाभी ने कहा- सब तुम्हारा कमाल है … कितने दिनों बाद मैं अपने आप को खुश महसूस कर रही हूँ.
हम दोनों एक दूसरे के बांहों में चिपक गए.

मैं बोला- मैं बहुत नसीब वाला हूँ कि आज इतनी खूबसूरत भाभी मेरी बांहों में है.
भाभी ने कहा- मैं भी बहुत खुश हूँ कि तुम जैसा साथी मुझे मिला, जिसने मुझे इतनी खुशी दी है. जो कि मेरा पति मुझे कभी भी नहीं दे पाया. तुमने मुझे संतुष्ट भी किया है.

इतना कह कर हम दोनों ने एक बार फिर एक दूसरे को चूमा, फिर अपने आपको सही किया.

मैंने भाभी से बोला- भाभी मुझे आपके साथ सुहागरात ऐसे मनानी है, जैसे एक पति और पत्नी शादी के बाद मनाते हैं.
भाभी जी ने कहा- ओके मैं कुछ करती हूँ. जब मुझे मौका मिलेगा, तो मैं तुमको बता दूंगी.

ये कह कर भाभी बेडरूम के बाहर निकल गयी.

दोस्तो, मुझे आंटी और भाभी के साथ सुहागरात (हनीमून) मनाना बहुत पसंद है क्योंकि उनकी बड़ी बड़ी चूचियां चूसने में बड़ा मज़ा आता है और उनके मटकते हुए बड़े बड़े चूतड़ों को मसलने में भी बड़ा मजा आता है.

End.






मौसी हो तो ऐसी



मैं राज एक बार फिर अपने जीवन की एक सच्ची घटना को कुछ काल्पनिक पात्रों के साथ आपके सामने ले कर आया हूँ ! काल्पनिक पात्र इसलिए ताकि आप सबका ज्यादा से ज्यादा मनोरंजन हो !

जैसा कि मैंने आपको बताया की घटना बिलकुल सच्ची है ! मेरी उम्र 22 साल की हो गई थी और घर वाले मेरी शादी के लिए लड़की देखने लगे थे ! मेरी माँ चाहती थी कि जल्दी से उसके घर बहू आ जाये ! दिल से तो मैं भी यही चाहता था पर अभी आगे पढ़ना भी चाहता था। पिताजी के पास आये दिन कोई ना कोई आ जाता था रिश्ता ले कर ! इसके दो कारण थे पहला तो यह कि मेरे पिताजी की इलाके में पूरी धाक थी हर कोई उनसे रिश्ता जोड़ना चाहता था दूसरे मैं भी तो एकदम बांका जवान था ! पूरे गाँव में मुझसे ज्यादा खूबसूरत और भरे-पूरे शरीर वाला कोई जवान लड़का नहीं था। गाँव की हर लड़की मरती थी मुझ पर, चाहे मेरा उससे कुछ भी रिश्ता हो ! अगर साफ़ शब्दों में लिखूँ तो मेरे ताऊ-चाचा की लड़कियाँ भी मुझ पर मरती थी। मेरी खुद की बुआ तो लट्टू थी मेरे ऊपर ! हमेशा मेरी माँ से कहती थी कि मेरे लिए राज जैसा ही लड़का देखना, नहीं तो मैं शादी नहीं करवाऊंगी।

घटना की शुरुआत तब हुई जब तीन साल पहले मेरे छोटे चाचा राजकिशोर की शादी थी। जैसा कि आप समझ ही गए होंगे कि मेरा और मेरे चाचा का नाम मिलता-जुलता था। घर में सब मुझे राज कहते थे और चाचा को किशोर ! पर चाचा का असल नाम राज किशोर ही था।

शादी की धूमधाम चारों तरफ थी। आखिर गाँव के मुखिया और इलाके के एक बड़े जमींदार के बेटे की शादी थी। मैं अपने दादा जी की बात कर रहा हूँ ! दूर से आने वाले रिश्तेदार घर पहुँचने लगे थे। मेरी मौसी जो मेरी माँ से सात साल छोटी थी, अपनी बड़ी बेटी पदमा के साथ आ चुकी थी। मुझे पता था कि मेरी मौसी मेरे पिताजी पर बहुत मरती थी क्योंकि मौसा जी एकदम दुबले-पतले थे और कमाई भी कम थी मौसा की, जिस कारण मौसी का हाथ हमेशा तंग रहता था। पिता जी आये दिन मौसी की जरूरत पूरी करते रहते थे। मेरी माँ को भी यह सब पता था। मौसी और मेरे पिताजी के बीच किसी तरह का कोई दूसरा सम्बन्ध था या नहीं, मुझे तब तक नहीं पता था जब तक मैंने खुद अपनी आँखों से मौसी को पिताजी गोदी में नंगी बैठे नहीं देख लिया था।

उस दिन मौसी हमारे घर आई हुई थी पर मेरी माँ अपने मायके गई हुई थी। तब रात को जब मैं पेशाब करने के लिए उठा तो पिताजी के कमरे की लाइट जल रही थी और कुछ हल्की-हल्की आवाजें भी आ रही थी। मैंने जब दरवाजे से झांक कर देखा तो मेरा कुँवारा लंड एकदम से मेरे कच्छे को फाड़ कर बाहर आने को उतावला हो गया था ! मौसी पिता जी की गोद में बैठी हुई पिताजी का लंड जोकि लगभग दस इंच का था हाथ में पकड़ कर हिला रही थी ! हिलाते हिलाते मौसी उठी और उसने पिता जी का लंड मुँह में ले लिया !

पिता जी आहें भरने लगे और बोले- जानकी तू लंड बहुत अच्छा चूसती है, तभी तो मैं तुम पर मरता हूँ ! तेरा प्यार करने का तरीका तेरी बहन से लाख गुणा अच्छा है ! तू मस्त कर देती है और खुद भी मस्त हो कर चुदवाती है !

पांच मिनट लंड चूसने के बाद मौसी उठी और पिता जी लंड को अपनी चूत पर सेट करके उस पर बैठ गई और पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया। उसके बाद तो कभी मौसी ऊपर कभी पिता जी ऊपर ! पूरा आधा घंटा चुदाई चली फिर दोनों पस्त हो कर लेट गए। तब तक तो मैं भी पस्त हो चुका था यानि मेरा लंड भी असली ब्लू फिल्म देख कर पानी छोड़ चुका था ! मेरा अंडरवियर खराब हो चुका था !

पेशाब लगी थी, मैंने पेशाब किया और जाकर अपने बिस्तर पर सोने की कोशिश करने लगा पर नींद तो आँखों से कोसों दूर थी।

उस दिन से मेरी नजर मेरी मौसी के लिए बिल्कुल बदल गई थी। जब मौसी शादी में आई तो मेरी आँखों के सामने वही दृश्य घूम गया। मुझे मौसी की मस्त चूचियाँ नजर आने लगी जिन्हें मेरे पिताजी यानि मौसी के जीजाजी मसल रहे थे। मुझे मौसी के मस्त कूल्हे नजर आने लगे जिन्हें दबा दबा कर मेरे पिता जी यानि मौसी के जीजाजी चोद रहे थे।

इन्हीं सोच के बीच खड़ा मैं मौसी के मस्त शरीर को निहार रहा था कि मौसी पदमा के साथ मेरे पास आई और मुझे गले से लगाते हुए मेरे माथे को चूम लिया। मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया !

तभी मेरी नजर पदमा पर पड़ी ! मैं पदमा को करीबन पाँच-छह साल के बाद देख रहा था तब वो ग्यारह साल की एक छोटी बच्ची थी, फ्रॉक पहनती थी ! पर आज पदमा मस्त जवान लड़की बन चुकी थी ! मस्त माँ की मस्त बेटी ! अपनी माँ की तरह बड़ी-बड़ी चूचियाँ ! मस्त गोल गोल कूल्हे ! सुन्दर हसीन चेहरा ! हाय मैं तो लुट गया था इस हसीना पर ! पर फिर ध्यान भंग हुआ जब माँ ने आकर कहा- बेटा अपनी बहन को कमरा दिखा आओ !

माँ ने बहन शब्द पर कुछ ज्यादा ही जोर दिया था। शायद वो मेरे दिल की आवाज पहचान गई थी। मैं भी एकदम सपने से जगा, याद आया कि वो मेरी बहन है मौसेरी !

मौसी पिताजी से चुदवाती है क्योंकि वो जीजा-साली है, पर पदमा तो मेरी बहन है और जानकी मौसी यानि माँ जैसी ! मैंने पदमा को ऊपर मेरे साथ वाला कमरा दे दिया और जाकर नीचे काम करने लगा। काम काज में समय का पता ही नहीं चला। रात होने को आई थी, सब लोग खाना खाने के लिए हाल में इक्कठे हुए। चांस की बात थी कि पदमा की कुर्सी मेरी कुर्सी के साथ थी। हमारे घर में अकसर मेज़ के तरफ मर्द और दूसरी तरफ औरतें बैठती थी पर शायद पदमा को यह बात मालूम नहीं थी तभी तो वो मेरे पास आकर बैठ गई।

पदमा ने लम्बी स्कर्ट पहन रखी थी, ऊपर पीले रंग का टॉप था, कयामत लग रही थी यार ! पर तभी मुझे माँ की दिन वाली बात याद आई- पदमा तुम्हारी बहन है।

मैंने ध्यान पदमा पर से हटा लिया और खाना खाने लगा। खाना खाते खाते मेरी और पदमा की टाँगें कई बार आपस में टकराई ! हर बार मेरा दिल डोल गया ! पदमा का शरीर आग उगलता महसूस हो रहा था। मैं बेचैन हो रहा था। मैंने नजर उठा कर पदमा को देखा तो उसके चेहरे पर एक कातिल मुस्कान खेल रही थी। मैंने पदमा को थोड़ा गौर से देखा ! अभी तक मैंने पदमा की चूचियों और कूल्हों को ही ध्यान से देखा था पर अब मैंने पदमा के खूबसूरत चेहरे पर भी नजर मारी तो मालूम हुआ यार क्या गजब माल थी पदमा ! रंग गोरा दूध जैसा, सुन्दर नाक, गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ गुलाबी गुलाबी !

मैं तो फ़िदा हो गया अपनी इस मस्त सेक्सी मौसेरी बहन पर !

अब मैंने जानबूझ कर अपनी टाँगें पदमा की टांगों से छूनी शुरू कर दी ! पदमा को भी इसका एहसास हो गया कि मैं जानबूझ कर ऐसा कर रहा हूँ पर माँ का क्या करूँ, वो तो हर बात पर कह देती- बेटा, अपनी बहन को सब्जी दो, अपनी बहन को चावल दो, खीर दो !

मैं झुंझला जाता माँ की आवाज सुन कर ! क्या कर सकता था !

खाना खाकर हम लोग गप्पे मारने बैठ गए ! मौसी मेरे बिल्कुल पास बैठी थी मौसी से आगे माँ बैठी थी, आगे बुआ और मेरे बिल्कुल सामने पदमा !

मैंने पदमा को कई बार कहा अपने पास बैठने के लिए पर वो मुस्कुराती रही और गर्दन हिलाकर ना करती रही !

पर ये क्या-

अचानक मुझे एक झटका सा लगा जब मैंने मौसी का हाथ कम्बल के नीचे अपने लंड पर महसूस किया। मैं सिहर उठा ! क्योकि मुझे इसका अंदाजा भी नहीं था कि मौसी ऐसा कर सकती है ! वो तो मेरे बाप से चुदती थी ना, फिर वो मेरा लंड क्यों सहला रही थी !

मैंने उस समय नाईट सूट का खुला सा पजामा पहन रखा था और नीचे कच्छा भी नहीं पहना था ! मौसी के हाथ लगाते ही लंड खड़ा होना शुरू हो गया वैसे आधा तो वो पहले ही पदमा की मस्त जवानी देख कर खड़ा हो गया था ! मौसी पजामे के ऊपर से ही लंड को सहला रही थी।

क्योंकि रिश्ते में मौसी यानि माँ जैसी थी इसलिए कोई शक भी नहीं कर रहा था और ना ही कर सकता था ! मौसी हँसी-मजाक की बातें कर रही थी और सब हँस रहे थे। तभी लाईट चली गई ! गाँव में यह आम बात थी। लाईट जाते ही सब तरफ अफरा-तफरी सी मच गई। कोई मोमबती तलाश रहा था तो कोई लालटेन ! पर मौसी तो कुछ और ही तलाश रही थी ! मौसी ने कम्बल में मुँह देकर लंड को पजामे के ऊपर से ही मुँह में ले लिया, मेरी सिसकारी निकल गई ! तभी मौसी ने पजामा थोड़ा नीचे कर के लंड बाहर निकाल लिया और लंड मुँह में लेकर चूसने लगी !

मेरा बुरा हाल हो रहा था ! उत्तेजना इतनी ज्यादा हो गई कि मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ दी मौसी की मुँह में ! मौसी ने लंड पूरा चूस लिया !

तभी पिताजी की आवाज आई, वो मुझे आवाज दे रहे थे। मैं जल्दी से पजामा ऊपर करके पिताजी के पास भागा। मौसी मुझे पकड़ती रह गई !

लाईट काफी देर नहीं आई तो सब अपने अपने कमरे में सोने के लिए जाने लगे ! मेरा ध्यान अब पदमा से ज्यादा मौसी पर केन्द्रित हो गया था। मैं मौसी के साथ सेक्स नहीं करना चाहता था पर मौसी ने लंड चूस कर मेरे अंदर आग सी लगा दी थी। मेरी हालत अब ऐसी थी कि अगर कोई कुतिया भी सामने आ जाती तो मैं उसे भी चोद देता !

सब अपने कमरे में जा चुके थे, मैं भी अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। मौसी भी मेरे कमरे की तरफ आ रही थी कि माँ ने मौसी को आवाज दी और कहा कि वो माँ के कमरे में सो जाये !

सुन कर हैरानी भी हुई क्योंकि पिताजी भी तो उसी कमरे में सो रहे थे ! तो क्या माँ को पिताजी और मौसी के बारे में पता है?

मैं हैरान था !

मौसी माँ से कुछ बात करती रही पर माँ ने जब थोड़ा जोर से कहा- नहीं ! तू मेरे कमरे में ही सो जा !

तो मौसी बच्चे की तरह पाँव पटकती हुई माँ के कमरे में चली गई। माँ ने मेरे कमरे की तरफ देखा और फिर अपने कमरे के अंदर चली गई और दरवाजा बंद कर लिया।

सब अपने कमरे में जा चुके थे, मैं भी अपने कमरे की तरफ चल पड़ा।

मौसी भी मेरे कमरे की तरफ आ रही थी कि माँ ने मौसी को आवाज दी और कहा कि वो माँ के कमरे में सो जाये !

सुन कर हैरानी भी हुई क्योंकि पिताजी भी तो उसी कमरे में सो रहे थे ! तो क्या माँ को पिताजी और मौसी के बारे में पता है?

मैं हैरान था !

मौसी माँ से कुछ बात करती रही पर माँ ने जब थोड़ा जोर से कहा- नहीं ! तू मेरे कमरे में ही सो जा !

तो मौसी बच्चे की तरह पाँव पटकती हुई माँ के कमरे में चली गई।

माँ ने मेरे कमरे की तरफ देखा और फिर अपने कमरे के अंदर चली गई और दरवाजा बंद कर लिया

पदमा के कमरे का और मेरे कमरे का बाथरूम एक ही था जो दोनों कमरों में खुलता था।

मैं भी अंदर गया कुछ देर के बाद ही मुझे बाथरूम में से कुछ गुनगुनाने के आवाज आई। यह पदमा की आवाज थी।

मैं बाथरूम के पास गया और दरवाजा खोलने लगा पर दरवाजा अंदर से बंद था। मैंने दरवाजा खटखटाया तो पदमा की आवाज आई- क्या है?

मैंने कहा- दरवाजा खोलो ! मुझे जोर से पेशाब लगी है ! जल्दी करो, मैं रोक नहीं सकता !

एक मिनट कोई आवाज नहीं हुई, फिर दरवाजा खुलने की आवाज आई !

पदमा ने जैसे ही दरवाजा खोला मैं उसे धकेलते हुए अंदर घुसा और लंड निकाल कर पेशाब करने लगा।

मैं यह भी भूल गया कि पदमा अभी भी वहीं थी !

मुझे लंड निकालते देख वो चिल्लाई- भाई, यह क्या कर रहे हो ? कुछ तो शर्म कर !

मेरे मुँह से निकल गया- अरे पेशाब करने में शर्म कैसी ?

पदमा बोली- डियर ब्रदर ! बहन के सामने पेशाब करना शर्म की बात है, समझे !

पदमा मुझे उपदेश दे रही थी पर बाहर भी नहीं जा रही थी और मैं अपना सात आठ इंच का लंड हाथ में पकड़े पेशाब कर रहा था, लंड पेशाब के जोर से तन कर खड़ा था।

पदमा की नजर लंड पर तो नहीं थी वो मेरे चेहरे की तरफ देख रही थी जो पेशाब निकलने के कारण हल्का महसूस कर रहा था। मेरी आँखें लगभग बंद थी।

पेशाब करने के बाद मैंने पदमा से पूछा- क्यों, अच्छा लगा ?

पदमा बोली- क्या अच्छा लगा?

मैंने नीचे की तरफ इशारा किया !

तब पदमा ने नीचे की तरफ देखा और चोंकते हुए बोली- हाय राम इतना लम्बा !

मैं अपने लंड की तारीफ सुनकर खुश हो गया। तभी पदमा बोली- राज भाई, अपनी बहन को लंड दिखा रहे हो, कुछ तो शर्म करो !

पदमा के मुँह से लंड शब्द सुन लंड फुफ़कारने लगा था, मेरे भी मुँह से निकल गया- अगर बहन इतनी सुंदर और सेक्सी हो तो हर भाई लंड निकल कर उसके सामने खड़ा हो जाये।

पदमा हँस पड़ी मेरी बात सुन कर !

हँसी तो फंसी ! की कहावत बहुत मशहूर है, आप सब जानते ही होंगे।

मैंने आगे बढ़ कर पदमा के कंधों को पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींचा। लंड अभी भी बाहर ही था।

पदमा की हँसी एकदम से रुक गई और बोली- भाई क्या कर रहे हो?

मैं कुछ नहीं बोला और मैंने अपने होंठ पदमा के गुलाबी होंठों पर रख दिए।

पदमा एक बार तो कसमसाई पर फिर शांत हो कर खड़ी हो गई !

मैं लगातार पदमा के होंठ चूस रहा था। पदमा के हाथ मेरी पीठ पर आ चुके थे। अब पदमा भी चूमने में मेरा पूरा साथ दे रही थी।

मस्ती बढ़ती जा रही थी। मैंने पदमा का एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया पदमा ने मस्ती में उसे पकड़ कर मसल दिया।

जैसे ही मैंने पदमा के होंठ छोड़े, पदमा बोली- भाई, तुम्हारा तो एक दम लोहे की रॉड के तरह से है और गरम भी बहुत ज्यादा है।

मेरे मुँह से निकला- पदमा, मेरी जान, यह सब तुम्हारे कारण है ! तुम हो ही इतनी सेक्सी मेरी जान !

पदमा मेरा लंड मसल रही थी मेरे मुँह से मस्ती भरी आहें निकल रही थी- आआअह्ह ह्ह्ह आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह और जोर से मसल मेरी जान !

पदमा भी गर्म होने लगी थी, अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई।

एक बार तो मैं घबराया, फिर पदमा को उसके कमरे में भेज कर मैंने दरवाजा खोला। दरवाजे पर मेरी अपनी माँ खड़ी थी।

मैंने पूछा- क्या बात है माँ?

तो माँ बोली- बस बेटा, मैं तो देखने आई थी कि तुम सो गए हो या नहीं।

माँ बस सो ही रहा था, मैंने कहा और कहा- अब तुम भी सो जाओ।

माँ ने एक बार कमरे में झांक कर देखा।

मैं समझ गया कि माँ क्या देखना चाहती है।

खैर माँ चली गई।

मैं लगभग दौड़ता हुआ बाथरूम की तरफ गया पर पदमा ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था।

मैंने दरवाजा खटखटाया भी, पर पदमा ने दरवाजा नहीं खोला। शायद वो थोड़ा डर गई थी। मुझे मेरी माँ पर बहुत गुस्सा आ रहा था।

मेरे तो खड़े लंड पर धोखा हो गया था।

अब मेरे पास मुठ मरने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था।

मौसी को पिताजी ने पकड़ लिया था और पदमा माँ के कारण हाथ से निकल गई थी।

लंड को सहलाते-सहलाते ना जाने कब नींद आ गई।

जब आँख खुली तो एहसास हुआ कि कोई मेरे लंड से खेल रहा है। इन होंठो के स्पर्श को मैं पहचानता था।

यह मौसी ही थी, वो मजे से मेरा लंड सहला रही थी और बीच बीच में चूम भी रही थी। लाईट आ चुकी थी। कमरे में पूरा उजाला था।

मैंने देखा- मौसी ने अपने ब्लाउज के हुक खोल रखे थे और उनकी बड़ी बड़ी चूचियाँ झूल रही थी।

तभी मौसी ने अपने मुँह में मेरा पूरा लंड ले लिया और मेरे मुँह से आह निकल गई। मेरी आह से मौसी को पता चल गया कि मैं जाग चुका हूँ।

मौसी बोली- बेटा राज, अगर उठ ही चुके हो तो सही से मजे लो ना।

मैं कुछ नहीं बोला पर अब मौसी ने खुल कर लंड चूसना शुरू कर दिया। पहले वो थोड़ा डर कर चूस रही थी।

लंड मौसी के होंठों की गर्मी से पूरा तन कर लोहे की रॉड की तरह हो चुका था। मौसी ने लंड मुँह में से निकाल दिया और ऊपर आ कर अपनी एक चूची मेरे मुँह पर रगड़ने लगी

मैं भी अब पूरा गर्म था, मैंने तुरंत मौसी की चूची मुँह में ले ली और जोर जोर से चूसने लगा।

मौसी की हालत खराब होने लगी।

मौसी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थी और ये सिसकारियाँ धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी।

अब मैं मौसी की चूचियाँ बदल बदल कर चूस रहा था। मौसी मस्त हो कर चूचियाँ चुसवा रही थी और एक हाथ से मेरे तने हुए लंड को सहला रही थी।

कुछ देर बाद मौसी बोली- राज बेटा, अब बर्दाश्त नहीं होता ! जल्दी से अपना यह खम्बा मेरी चूत में घुसेड़ दे, पूरे बदन में आग लगी हुई है।

मैंने पूछा- ऐसी क्या बात हो गई?

तो मौसी बोली- तेरे बाप ने गर्म तो कर दी पर आग नहीं बुझाई।

मैंने पूछा- क्यों ?

तो बोली- तेरी माँ ने आज मुझे चुदने ही नहीं दिया। दो बार लंड को तैयार किया पर दोनों बार तेरी माँ ने पहले अपनी चूत में फिर अपनी गांड में डलवा कर तेरे बाप का लंड झाड़ दिया और मैं प्यासी रह गई क्योंकि दो बार चोदने के बाद तेरा बाप थक गया और मेरी चूत की आग बुझाये बिना ही सो गया।

मैं बोला- तुम चिंता मत करो मौसी, तेरी चूत की सारी आग मैं अभी ठंडी कर दूँगा ! पहले अपने कपड़े तो उतार।

मौसी उठी और उसने अपने शरीर पर से सारे कपड़े उतार फेंके।

मौसी बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी थी।

मैंने मौसी के अंग-अंग को ध्यान से देखा।

मौसी अब भी मस्त लग रही थी, बड़ी बड़ी चूचियाँ अब भी तन कर खड़ी थी, पेट की नाभि देख कर ही लंड खड़ा हो जाये ऐसी थी मौसी की नाभि।

जब चूत पर नजर गई तो लंड फटने को हो गया।

चूत पर एक भी बाल नहीं था। चिकनी चूत बिल्कुल फूली-फूली सी जैसे लंड को खाने के लिए मुँह खोले खड़ी थी।

लंड फुंफ़कारने लगा था। मौसी ने आगे बढ़ कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और जोर जोर से चूसने लगी। एक हाथ से मौसी मेरा लंड मसल रही थी।

मेरा एक हाथ मौसी की चूची को मसल रहा था तो दूसरा हाथ मौसी की चूत की पुतियाँ मसल रहा था जिस कारण मौसी की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी।

मौसी बोली- अब देर मत कर !

मैं भी जैसे इन्तजार ही कर रहा था। मैंने मौसी को बिस्तर पर पैर ऊपर करके लिटा दिया और अपना लंड मौसी की चूत के मुँह पर रगड़ने लगा।

मौसी गिड़गिड़ाने लगी थी- अब डाल भी दे बेटा ! मत तरसा ! तेरे बाप ने तो प्यासी छोड़ दी, तू तो मत तड़पा। डाल दे बेटा।

मैं जानबूझ कर देर कर रहा था। मौसी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी। मौसी पूरी खेली खाई थी। उसे पता था कि उसे क्या करना है।

मौसी ने अपनी टांगों में जकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींचा तो मौसी की गीली चूत में मेरा आठ इंच का लंड एकदम घुसता चला गया और आधे से ज्यादा लंड मौसी की चूत में समां गया।

मौसी चिहुंक उठी थी, बोली- बेटा कितना गर्म लंड है तेरा। लग रहा है जैसे कोई गर्म लोहे का डण्डा घुसेड़ दिया हो चूत में। अब धक्के मार बेटा और फाड़ दे अपनी मौसी की चूत ! भोसड़ा बना दे इस चूत का। फाड़ दे बेटा !

मैंने जोरदार धक्के लगाने शुरू कर दिए। लंड जड़ तक मौसी की चूत में जा रहा था। मेरे टट्टे मौसी की गांड पर थाप दे रहे थे।

मैं जवान लड़का था यानि पिता जी से ज्यादा फुर्तीला।

मेरे धक्कों की गति भी पिताजी के धक्कों से ज्यादा तेज थी।

तभी तो मौसी अपने आप को रोक नहीं पाई और दो मिनट में ही झड कर निढाल हो गई। ढेर सारा पानी छोड़ दिया था मौसी की चूत ने !

पर मैं तो अभी शुरू ही हुआ था, मैं लगातार धक्के लगता रहा।

दस मिनट की चुदाई में मौसी तीन बार झड़ गई और बोली- बस बेटा ! मैं अब तुमसे और नहीं चुदवा सकती।

मौसी क्या कह रही हो? मेरा तो अभी हुआ ही नहीं।

मौसी बोली- मैं अपने आप कुछ करके झाड़ दूंगी पर बेटा अब मेरी चूत तेरा लंड नहीं सह पायेगी।

मैं भी जिद करते हुए बोला- नहीं मौसी, मुझे तो चूत में ही लंड झडना है।

तभी मौसी ने कहा- तुम कुछ देर मेरी गांड मार लो।

तो मैंने लंड चूत से निकाल कर गांड के मुँह पर रखा और धक्का लगा दिया।

मौसी चिल्लाई पर पूरा लंड अपने गांड में ले गई।

मौसी की गांड भी अच्छे से चुदी हुई थी। लंड अब मौसी की चिकनी गांड में अंदर-बाहर हो रहा था।

मौसी मस्ती में आहें भर रही थी, मौसी की सिसकारियाँ कमरे के माहौल को महका रही थी। लंड की थप-थप एक सुरीला संगीत बजा रही थी।

मौसी मस्त होकर गांड मरवा रही थी।

पूरे बीस मिनट मैंने मौसी की गांड मारी। मौसी गांड मरवाते मरवाते भी झड़ गई थी यानि मौसी की चूत ने पानी छोड़ दिया था।

मौसी की बस हो गई थी।

मैं शर्म की मारे कुछ बोल नहीं रहा था।

पर मन ही मन मैं मौसी को गालियाँ दे रहा था : साली भोसड़ी की ! जब गांड और चूत में दम ही नहीं था तो क्यूँ चुदवाने के लिए मरी जा रही थी।

अगर नहीं झेल सकती थी तो अपनी बेटी क्यों नहीं चुदवा ली मुझ से ? वो तो जवान थी पूरी मस्त हो कर चुदवाती !

पर मन में एक खुशी भी थी कि मैंने मौसी को चोद दिया था।

मैंने लंड गांड में से निकाल कर एक बार फिर मौसी की चूत में डाल दिया और चोदने लगा। अब मौसी सुस्त सी पड़ी धक्के खा रही थी और मेरी तारीफ़ करे जा रही थी।

चोदते-चोदते मैं भी अब झड़ने के कगार पर पहुँच गया था।

मैंने मौसी को कहा- मौसी, अब मैं झड़ने वाला हूँ ! बोल कहाँ निकालूँ मैं अपना माल अन्दर या वाहर?

तो मौसी बोली- मेरे चूत मे मत झड़ना वाच्चा ठहर जायेगा , मेरे मुँह में ही झड़ जा बेटा !

मैंने लंड मौसी की चूत से निकाला और मौसी के मुँह में ठूस दिया।

मौसी अपनी चूत के पानी को चटखारे लेकर चाटने लगी तभी मेरे लंड ने भी पिचकारियाँ मारनी शुरू कर दी।

मौसी मेरे लंड से निकले वीर्य की एक एक बूंद चाट गई।

पूरा लंड चाट चाट कर साफ़ करने के बाद ही मौसी ने लंड छोड़ा और बोली- वाह बेटा राज, इतना ज्यादा और मजेदार रस था तेरे लंड का, मजा आ गया ! सच कहती हूँ अगर चूत में डाल देता तो मैं तो सच में गर्भवती हो जाती। क्या मस्त गरम माल निकला रे तेरे लंड से। मजा आ गया।

कह कर मौसी निढाल हो कर मेरे बिस्तर पर लेट गई और वहीं सो गई।

पर मेरी तो नींद उड़ चुकी थी अपनी मौसी को चोद कर।

वैसे मैं भी थक चुका था, पूरे चालीस मिनट तक चोदा था मौसी को।

काफी देर तक देखता रहा मौसी की खूबसूरत और सेक्सी बदन को। फिर न जाने कब नींद आ गई।

End
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#6
भाभी देवर के बीच की सेक्स कहानी



मेरे कमरे के पास एक बहुत सुंदर भाभी रहती थी. देखते ही लंड हरकत में आ जाता था. मैंने भाभी की चुदाई के उद्देश्य से उनसे दोस्ती बनानी शुरू की. मेरी कोशिश कितनी सफल हुई?

आगे बढ़ने से पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूँ. मेरा नाम करण है, मैं अभी तेईस साल का हूँ. मैं पोस्ट-ग्रॅजुयेट हूँ और जॉब ढूंढ रहा हूँ. मेरी हाइट पांच फिट सात इंच है. बॉडी एक सामान्य लड़के की जैसी है. मेरा लंड छह इंच लम्बा और तीन इंच मोटा है.

यह कहानी मेरी और मेरी प्यारी भाभी दीपा की है. यह घटना करीबन दो साल पहले की है, तब मैं इक्कीस साल का था.

उस वक्त मैं नासिक, महाराष्ट्र में पढ़ने के लिए आया था. नासिक में पहचान होने के कारण मुझे जल्दी ही रूम मिल गया. ये रूम एक बिल्डिंग में था. उसी बिल्डिंग में सेकेंड फ्लोर पर दीपा भाभी रहती थीं. मैं थर्ड फ्लोर यानि आखिरी फ्लोर पर रहता था.

दीपा भाभी की उम्र करीब सत्ताईस साल की रही होगी. उनका मदमस्त फिगर था. भाभी दिखने में ऐसी थीं मानो वे कोई स्वर्ग की अप्सरा हों. उनका गोरा बदन, तीखे नैन-नक्श, सुडौल स्तन और चूतड़ थोड़े उठे हुए थे और वे इतनी कशिश पैदा कर देते थे कि देखने वाले के लंड में झुरझुरी आए बिना ही रह पाए.
ऊपर से भाभी का नेचर भी काफ़ी फ्रेंक था. उनके पति एक बड़ी कंपनी में काम करते थे. इसलिए वो ज़्यादातर घर से बाहर ही रहते थे. उनका दो साल का एक लड़का भी था. मगर भाभी की तरफ देखकर ऐसा बिल्कुल नहीं लगता था कि उनकी कोई औलाद होगी.

मैं उनको देखने की भरपूर कोशिश करता था. मेरी इच्छा उनसे मिल कर बात करने की भी थी, लेकिन मुम्बई के उपनगर जैसे हो चुके नासिक शहर में कोई किसी से फ़ालतू बात करना पसंद नहीं करता है. मैं भी भाभी से बातचीत करने का बहाना ढूँढ रहा था. मगर उनसे बात करने का कोई मौक़ा मिल ही नहीं रहा था.

एक दिन मेरे कुछ कपड़े ऊपर से उनकी गैलरी में गिर गए. मैं अपने कपड़े लेने के लिए उनके घर गया … तब मैंने पहली बार उन्हें देखा था. मैंने जैसे ही भाभी को देखा, तो बस उन्हें देखता ही रह गया. उस वक्त भाभी नहा कर निकली थीं और वो गीले बालों में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही थीं.

उन्होंने मुझे यूं अपलक घूरते हुए देखा तो चुटकी बजाते हुए मुझसे पूछा- ओ हैलो … क्या काम है? कौन हो तुम?
मैं हिचकिचाते हुए बोला- मैम, मैं ऊपर वाले माले पर रहता हूँ, वो मेरे कुछ कपड़े आपकी गैलरी में गिर गए हैं … मैं वही लेने आया था.
दीपा भाभी मेरी तरफ देखते हुए बोलीं- तुम ऊपर वाली फ्लोर पर रहते हो?
मैंने हामी भरी तो बोलीं- ठीक है … यहीं रूको … मैं लेकर आती हूँ.

मैं वहीं उनका इंतज़ार करने लगा. वो थोड़ी ही देर में आ गईं और मुझे कपड़े देते हुए बोलीं- तुम शायद यहां नये आए हो … तुम्हारा नाम क्या है?
मैं- मेरा नाम करण है … और मैं अभी कुछ दिन पहले ही यहां पढ़ाई के लिए आया हूँ.
भाभी- ठीक है.

मैंने हिम्मत की और उनसे बात करने की कोशिश की- आपका नाम क्या है और आप क्या करती हो?
भाभी बोलीं- मेरे नाम से तुमको क्या लेना देना है … बस भाभी कह कर काम चला लेना.

मैं उनकी इस बिंदास बात से एक बार को झेंप गया और ओके कहते हुए बोला- वो तो मैंने यूं ही आपसे औपचारिक बातचीत के चलते पूछा था. आपको भाभी कहने में मुझे कोई दिक्कत नहीं है मेम.
भाभी हंसने लगीं और बोलीं- अरे वो तो मैं यूं ही मजाक कर रही थी. मेरा नाम दीपा है और मैं हाउसवाइफ हूँ. मगर तुम मेम-वेम नहीं, मुझे भाभी बुला सकते हो … आओ बैठो.

मुझे भाभी जरा बातचीत के मूड में दिखीं. मगर मुझे कुछ काम था.
मैं- नहीं मैं यहीं ठीक हूँ भाभी, बाद में मिलते हैं … अभी मुझे थोड़ा काम हैं.

इतना कह कर मैं वहां से अपने रूम में चला आया. लेकिन मेरी आंखों के सामने से उनकी तस्वीर जाने का नाम ही नहीं ले रही थी. उस दिन रात को मैंने भाभी के नाम की मुठ मारी, तभी जा कर मुझे नींद आई.

एक दो दिन ऐसे ही बीत गए, फिर एक दिन मैं सुबह अपनी गैलरी में खड़ा कॉफी पी रहा था. तब मैंने देखा वो अपनी गैलरी में कपड़े सुखा रही थीं. उनकी साड़ी उनकी कमर पर लिपटी हुई थी और उनके गहरे गले के ब्लाउज से उनके दोनों मम्मों के बीच की दरार साफ दिखाई दे रही थी. भाभी के ब्लाउज का एक बटन भी शायद खुला हुआ था इसलिए उनके मम्मों के भरपूर दीदार हो रहे थे. वे कुछ काम कर रही थीं, जिससे उनके मम्मे हिल भी रहे थे, जो और भी गर्म सीन पेश कर रहे थे.

इतना गर्म सीन देख कर मेरा लंड उसी वक्त एकदम से खड़ा हो गया और मेरा हाथ खुद ब खुद अपनी चड्डी में चला गया. मैं मुठ मारने लगा. मगर मुठ मारते वक़्त हिलने की वजह से थोड़ी कॉफी नीचे गिर गयी और उन्होंने मुझे देख लिया. मुझे देख कर वो थोड़ी सकपका गईं. उनको भी शायद इस बात का एहसास हो गया था कि मैं क्या देख रहा हूँ. भाभी ने जल्दी से अपनी साड़ी ठीक की और अन्दर चली गईं.

उसी दिन मैं यह सोचने लगा कि दीपा भाभी माल तो एकदम मस्त हैं … इनको कैसे चोदा जाए.

मैं भाभी की चुदाई के चक्कर में रोज ही उनके नाम की मुठ मारने लगा. मेरे मन में भाभी की चुदाई की कामना बलवती होती जा रही थी.

कुछ दिन बाद मेरी दोस्ती एक लड़के से हुई, वो हमारे ही बिल्डिंग में रहता था. उससे मुझे मालूम हुआ कि दीपा भाभी के पति ज़्यादातर घर में नहीं रहते हैं.

फिर अगले ही दिन भाभी और मेरी मुलाक़ात बिल्डिंग की छत पर हो गई. वो अपने सूखे हुए पापड़ लेने के लिए आई थीं. भाभी अपने पापड़ लेकर जाने लगीं, तभी उनका पैर साड़ी में अटक गया और वो गिर गईं.

मैंने उनको उठाने की नाकाम कोशिश की, क्योंकि वो उठ नहीं पा रही थी. तभी मैंने ज़बरदस्ती उनके मना करने के बावजूद, उनको अपनी गोद में उठा लिया.

उनको छूने के एहसास से ही मेरा लंड खड़ा हो गया था. वो मेरे गोद में ऐसे थीं कि मेरा खड़ा लंड उनके एक चूतड़ के बाजू वाले हिस्से से टकरा रहा था और इसी के साथ मेरा एक हाथ साइड से उनके उसी तरफ वाले स्तन को दबा रहा था.

इस वजह से शायद उन्होंने अपनी आंखें बंद कर ली थीं. मैं उनको छोड़ना नहीं चाहता था … मगर उनके घर में आते ही मुझे भाभी को बेड पर लिटाना पड़ा.

उनको बिस्तर पर लिटाने के बाद मैंने उनकी तरफ देखा और उनसे पूछा- भाभी, आपको ज्यादा चोट तो नहीं आई है?
उन्होंने कहा कि मेरे पैर में और कमर में काफ़ी दर्द हो रहा है.

मैंने उनके पैर के पंजे की उंगलियों को ऊपर नीचे करके देखीं, तो उन्हें कोई ख़ास दर्द नहीं हुआ.

भाभी मेरी तरफ देखने लगीं और बोलीं- ऐसे करके देखने से क्या होता है?
मैंने कहा- इससे मैं चैक कर रहा था कि कोई फ्रेक्चर आदि तो नहीं है.

भाभी मेरी तरफ देखने लगीं.
मैंने कहा- यदि आपको दर्द होता, तो शायद ऐसी स्थिति हो सकती थी. मगर मुझे लगता है कि फ्रेक्चर नहीं है.

इतना कह कर मैं उनकी तरफ देखने लगा.

तो भाभी बोलीं- मगर मुझे बेहद दर्द हो रहा है उसका क्या करूं डॉक्टर साब?
मेरी हंसी छूट गई और मैंने कहा- भाभी मैं कोई डॉक्टर नहीं हूँ, बस यूं ही चैक कर रहा था.

भाभी के चेहरे पर हल्की सी दर्द मिश्रित मुस्कान आ गई.

मैंने उनसे पूछा- आपके पास बाम या आयोडेक्स है?
भाभी ने कहा- हां बाजू वाले ड्रॉवर में है.

मैंने तुरंत एक्शन लिया और भाभी के बताने पर बाजू वाले ड्रॉवर से आयोडेक्स निकाला. फिर बिना उनसे पूछे मैंने भाभी की साड़ी घुटने तक ऊपर कर दी और आयोडेक्स लगाने लगा.

बाद में मैंने भाभी को उल्टा लेटने के लिए कहा और उनकी कमर पर आयोडेक्स लगाने लगा. बीच-बीच में मेरी उंगलियां साड़ी के अन्दर तक जाकर भाभी के चूतड़ों की दरार में चली जातीं और भाभी चिहुंक जातीं.

उस वक़्त भाभी थोड़ी शर्मा रही थीं और उनके शरीर में अजब सी कंपकंपाहट महसूस हो रही थी. शायद आज तक उन्हें किसी पराए मर्द ने नहीं छुआ था.

कुछ देर बाद मैं उधर ही बैठ रहा. मुझे लगा कि मुझे कुछ देर भाभी के पास रहना चाहिए. भाभी का दर्द कम नहीं हो रहा था.

उन्होंने मुझसे कहा कि मेरा दर्द कम नहीं हो रहा है … कोई और दिक्कत न हो जाए. मुझे डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए.

फिर मैं उनके लिए डॉक्टर को बुला कर लाया. डॉक्टर ने कोई बड़ी दिक्कत की मना करते हुए दवा दे दी और आराम करने का कहा.

मैं ही उनके लिए शाम का खाना बना कर ले गया. मैंने उनसे पूछा भी कि भाभी आपको उठने में कोई दिक्कत हो तो मैं आपके पास ही रह जाऊं.
उन्होंने कहा- नहीं … बस एक बार मुझे टॉयलेट तक ले चलो … फिर मुझे रात को कोई दिक्कत नहीं होगी.

मैंने उनको सहारा दिया. भाभी अब तक कुछ सहारा लेकर चलने लगी थीं. उन्होंने टॉयलेट में जाकर खुद को कमोड पर बैठ कर हल्का किया. तब तक मैं बाहर खड़ा रहा.

इस बीच मैंने उनके कमरे में एक पाइप ढूँढ लिया था. जैसे ही भाभी बाहर निकलीं, मैंने उनको वो पाइप पकड़ा दिया और कहा कि अब आप इस पाइप के सहारे चल कर देखिए, हो सकता है कि आपको रात को जरूरत पड़े.
भाभी पाइप देख कर हंसने लगीं और बोलीं- तुम तो मुझे बुड्डी बनाने के मूड में हो.

मैं हंस दिया. भाभी की हंसी ने मुझे अन्दर तक घायल कर दिया था.
मैंने धीमे स्वर में कहा- आप जैसी सुन्दरी के लिए तो मैं जीवन में कभी भी बूढ़े होने की कल्पना न करूं.

शायद भाभी ने ये सुन लिया था. वो हल्के से मुस्कुरा दीं और मुझे धन्यवाद कहने लगीं.

मैंने भाभी से लेटने के लिए कहा, तो भाभी मुझसे बोलीं- मेरे घर के बाहर का दरवाजा लॉक कर जाना … मैं उठ नहीं सकूंगी. एक चाभी मेरे पास है और एक तुम ले जाना.

मैंने वैसा ही किया और अपने रूम में चला गया.

सुबह मैं जल्दी उठा और चाय बना कर भाभी के कमरे में चला गया. भाभी जाग चुकी थीं. मैंने उनको चाय पिलाई और उनसे टॉयलेट जाने के लिए पूछा.

तो भाभी बोलीं- मैं अब जा सकती हूँ. रात को मैंने पाइप के सहारे एक बार टॉयलेट जाकर देखा था.

भाभी ठीक होने लगी थीं. इस तरह करीब दो दिन तक मैंने उनकी सेवा की. लेकिन इस बीच जब भी मैं उनके सामने होता, तो मेरा मेरे लंड के ऊपर कंट्रोल नहीं रहता. मेरे मन में तो सिर्फ़ उनको चोदने का ख्याल आता था.

शायद भाभी भी अब ये बात जान चुकी थीं. इसलिए वो भी अब तिरछी नज़र से मेरे पैंट में बने लंड के उभार को देखा करती थीं. भाभी की हरकतें अब मेरे प्रति बदल चुकी थीं … इसलिए अब मुझे लगने लगा था कि दोनों ही तरफ आग बराबर लगी थी.

आख़िरकार वो दिन आ ही गया, जिस दिन का मुझे इंतज़ार था.

भाभी की सेवा करने के बाद वो मुझसे काफी खुल गई थीं और मुझे भी उनके घर में जाने की बेरोक-टोक परमीशन मिल गई थी. भैया को भी जब इस घटना की जानकारी हुई, तो उन्होंने भी मुझे अपने काफी करीब कर लिया था. शायद उनको भी भाभी के अकेले रहने की स्थिति में मेरे जैसे एक भाई की जरूरत थी.

मैं और भैया भी काफी देर देर तक बातें करने लगे थे. हालांकि भैया का रहना, तो वैसे भी घर पर कम ही होता था, मगर अब तो शायद भैया भी मेरे रहने के चलते भाभी की चिंता कम करने लगे थे. वो अब अपने लम्बे लम्बे टूर बनाने लगे थे.

जब भैया घर पर नहीं रहते, तो भाभी मुझसे घर पर खाना खाने की कहने लगी थीं. मैं भाभी के बेटे के साथ भी खेलता रहता था, जिससे भाभी को भी उससे रिलेक्स मिल जाता था.

मगर मेरी निगाहें तो भाभी के हुस्न पर थीं. मैं उनको छिपी नजरों से देखता रहता था. अनेकों बार मेरी भूखी आंखों को भाभी ने पढ़ भी लिया था और शायद वे भी मेरी नजरों की वासना को समझने लगी थीं. तब भी उनका मेरे प्रति व्यवहार में कोई फर्क नहीं आया था. इससे मुझे उनको चोद लेने की उम्मीद बढ़ती जा रही थी.

आख़िरकार वो दिन आ ही गया, जिस दिन का मुझे इंतज़ार था.

उस दिन 31 दिसम्बर था. हम सब बिल्डिंग वालों ने मिलकर एक पार्टी प्लान की थी. उसमें भाभी भी आने वाली थीं. मैं जब भाभी को पार्टी का टाइमिंग बताने गया.
तब भाभी बोलीं- आज की पार्टी में तेरे भैया नहीं आ पाएंगे, क्योंकि उन्हें उनकी कंपनी के पार्टी में जाना है.
मैं- ठीक हैं भाभी. मगर आप तो आने वाली हो ना?
भाभी ने मुस्कुरा कर कहा- हां, मैं तो आने वाली हूँ … और ख़ासकर तुझे आज नए साल का एक तोहफा भी देने वाली हूँ.
मैंने खुश होकर कहा- क्या तोहफा है भाभी … अभी बता दो न?
भाभी- अभी नहीं बता सकती, वो सरप्राइज है.
मैं- ठीक है भाभी नहीं बताना है, तो मत बताओ.

इतना कह कर मैं वहां से निकल गया.

रात को करीब साढ़े नौ बजे पार्टी शुरू हुई. भाभी भी आ गईं.

सच में भाभी की सुन्दरता देखते ही बन रही थी. वो एकदम पटाखा माल लग रही थीं. भाभी ने लाल रंग की नेट की साड़ी पहनी हुई थी. उसी की मैचिंग का फुल आस्तीन का बैकलैस ब्लाउज उनकी सेक्सी फिगर को बड़ा ही दिलकश बना रहा था. साड़ी भी एकदम टाईट बंधी थी, जिससे उनकी गांड एकदम तोप की मानिंद उठी हुई मर्दों के लंड खड़े कर रही थी.

ऊपर से भाभी ने हाई हील के सैंडल पहने थे, जिससे उनकी गांड और भी ज्यादा कामुक लग रही थी. उनकी पीठ पर ब्लाउज की एक इंच चौड़ी पट्टी ही दिख रही थी. उनकी इस एक इंच की पट्टी में बड़े ही सलीके से ब्रा की स्ट्रिप को सैट किया गया था. मगर उनकी थिरकती गांड के कारण ब्रा की स्ट्रिप को बड़े ही मुश्किल से छिप पा रही थी.

पार्टी में सब लोग उन्हें ही देख रहे थे और अपने लंड सहला रहे थे. औरतों में भी उनको लेकर बड़ी जलन साफ़ दिख रही थी.

थोड़ी देर बाद नाचना-गाना शुरू हुआ. सब लोग भाभी के साथ नाचना चाह रहे थे, पर भाभी ने मना कर दिया. जब मैंने भाभी को डांस के लिए पूछा, तो भाभी एक पल में ऐसे मान गईं, जैसे वो मेरे लिए इतना सज-धज कर पार्टी में आई थीं. उनकी हामी मिलते ही मुझे बड़ी ख़ुशी हुई और हम दोनों नाचने लगे.

मैं खुद को रोक ही नहीं पा रहा था. उनके साथ नाचते हुए मैं भाभी की पीठ सहला रहा था. डांस में जब कभी भाभी उल्टा हो जातीं, तो मेरा लंड खड़ा होने के कारण भाभी के चूतड़ों से बार-बार टकरा रहा था.

भाभी भी यह बात जान चुकी थीं कि मेरे मन में क्या चल रहा है और उन्हें भी यह सब अच्छा लग रहा था. इसलिए वो मुझे कुछ नहीं बोल रही थीं.

नाचते वक़्त ही मैंने थोड़ा सा डरते हुए और हिम्मत करके उनके कान में ‘आई लव यू भाभी..’ कह दिया.
भाभी ने भी मेरे कान में कहा- बुद्धू … इतनी सी बात कहने में तुमने तीन महीने लगा दिए … मेरी जान आई लव यू टू!

यह बात सुनते ही मेरे मन में बड़े बड़े लड्डू फूटने लगे. मैं अब तो बस पार्टी खत्म होने का इंतज़ार कर रहा था. अब मैं भाभी को बेख़ौफ़ अपनी बांहों में लेकर नाच रहा था और उनके मादक जिस्म की महक का मजा ले रहा था.

भाभी खुद मुझे अपनी चूचियों से सटाते हुए डांस कर रही थीं. अब तो वे बार बार पलट कर डांस करने लगतीं और मेरे खड़े लंड को और भी खड़ा करते हुए उसे अपनी गांड की दरार में घिस कर मजा ले रही थीं. जब भाभी मेरे सीने से अपनी पीठ को लगातीं, तो मैं लोगों की नजरें बचा कर उनकी कमर से अपने हाथ ऊपर करते हुए उनकी चूचियों पर भी हाथ फेर देता था.

हालांकि भाभी मेरे हाथ को अगले ही पल हटा कर मुझे सबके सामने ऐसा करने से रोक रही थीं. मगर ये साफ़ हो चुका था कि भाभी मेरे लंड को लेने के लिए राजी हो गई थीं.

ऐसे ही नाचते-गाते रात के बारह बज गए. सबने एक दूसरे को नए साल की बधाई दी और सबने मिल कर एक साथ केक काटा और खाना भी खाया. उसके बाद करीब रात को एक बजे सब घर जाने लगे.

मैंने भाभी से अपने तोहफे के बारे में पूछा- भाभी मेरा तोहफा कहां है?
भाभी- मेरे साथ मेरे घर पर चल, तेरा तोहफा मैं वहीं देती हूँ.
ये कहते हुए भाभी ने मेरे गाल पर हाथ फेर दिया.

मैं भाभी के साथ चल दिया. भाभी मेरे आगे आगे चल रही थीं और मैं उनके पीछे-पीछे उनके मटकते हुए चूतड़ों को देखते हुए चलने लगा. उनके घर के अन्दर पहुंचते ही उन्होंने मुझे अपने गले से लगा दिया. उनकी गर्म सांसें मैं अपने जिस्म पर महसूस कर रहा था. उनके चूचे मेरे सीने पर चुभ रहे थे.

उतने में मैंने उनसे पूछा- भाभी यदि भैया आ गए तो?
भाभ- उनका फोन आया था कि वो सुबह ही आएंगे.
मैं- ठीक है, पर छोटू का क्या?
मैं उनके लड़के को छोटू कहता था.

भाभी- वो तो पार्टी के वक़्त ही सो गया था. वो बेडरूम में सो रहा है. अब अपने बीच में पूरी रात कोई नहीं आएगा.

इतना सुनने की ही देर थी कि मैंने उनका चेहरा पकड़ लिया और उनके होंठों का रसपान करने लगा. भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं. मैं तो पागलों की तरह उनके होंठों को चूस रहा था.

भाभी ने तभी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मुझे मानो आग सी लग गई. मैंने भाभी को अपनी बांहों में जोर से जकड़ा और उनकी जीभ का रसपान करने लगा. कभी मेरी जीभ भाभी के मुँह में जाती, तो भाभी अपने होंठों से मेरी जीभ को दाब कर चूसने का मजा लेने लगतीं और जब भाभी की जीभ मेरे मुँह में आती, तो मैं उनकी जीभ को चचोरने लगता.

हम दोनों को इस खेल में इतना मजा आ रहा था कि कुछ ही देर में हम दोनों की लार हमारे मुँह से निकल कर बाहर बहने लगी … लेकिन हम दोनों की ही आंखें बंद थीं और जन्नत के इस सुख का मजा लेने में कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता था.

कोई दस मिनट बाद भाभी ने अपने होंठ हटाए और मुझे देखने लगीं. मैं उनकी नशीली और वासना से तप्त लाल आंखों को देख रहा था. मेरी आंखों में भी वासना का सागर भरा हुआ था.

एक पल यूं ही एक दूसरे को देखने के बाद मैंने थोड़ा आगे बढ़ते हुए अपने हाथ भाभी के मम्मों पर रख दिए और मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा. भाभी ने मेरे सामने अपनी चूचियों को और भी ज्यादा उभार दिया था. भाभी की चुचियों का मजा लेने के साथ मैं उनके गले पर और पूरे चेहरे पर भी जमकर चुम्मा-चाटी करने लगा था.

इस दरमियान जब मैं उनके कान के पास किस करता, तो वो चिहुंक उठतीं.

एक मिनट बाद मैंने उनका पल्लू हटा दिया और उनका ब्लाउज भी निकाल फेंका. मैंने उनको उल्टा किया और उनकी पूरी पीठ को चूमने व चाटने लगा. अब हम दोनों के ऊपर सेक्स हावी होता जा रहा था. भाभी अजीब तरीके की आवाजें निकाल रही थीं. उनकी पीठ पर कुछ पल ही चूमा होगा कि उतने में उन्होंने घूमकर मेरी टी-शर्ट निकाल फेंकी.

मैंने भी उनकी साड़ी खींच कर निकाल फेंकी.
अब मेरे सामने भाभी सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थीं. उनकी मदमस्त जवानी को देख कर मुझे रहा ही न गया और अगले ही पल मैंने भी अपनी पैंट उतार दी. मैं भी उनके सामने सिर्फ़ अंडरवियर में था.

मैंने उनको अपनी तरफ खींचा और उनकी ब्रा के ऊपर से ही दीपा भाभी के मम्मों को चूसने लगा.
भाभी- आह … उई मां … निचोड़ डाल मेरे राजा … आज इनको … उम्म्म … आह.

खुद ही अपने हाथ पीछे ले जाते हुए भाभी ने अपनी ब्रा का हुक खोल दिया … और कबूतर के तरह उनके चूचे उछल कर बाहर आ गए.

उनके मम्मों को चूसते ही मैंने उनको गोद में उठा लिया और उसी बेडरूम की ओर चल दिया, जहां उनका बेटा सो रहा था.

भाभी ने सरगोशी से कहा- जानू इस कमरे में नहीं … दूसरे कमरे में चलो. हमारी आवाज़ से छोटू जाग जाएगा.
मैं- नहीं भाभी आज तो मैं आपको आपके बेटे के सामने ही चोदूंगा … उसे भी तो मालूम पड़े कि उसकी मां कितनी बड़ी चुदक्कड़ है.

भाभी मुझे मना करती रहीं, पर मैं नहीं माना. उनके बेटे के बाजू में ही मैंने उनको लेटा दिया और उनके पेट पर चूमते हुए उनकी चूत पर आ गया. मैं पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत चाट रहा था. मैंने अब उनकी पैंटी भी उतार दी.

तभी भाभी बोलीं- कम से कम छोटू को बाजूवाले छोटे सोफे पर ही लिटा दो.
मैंने कहा- ठीक है … यह बात सही है अपने को भी मस्ती करने के लिए ज़्यादा जगह मिल जाएगी.

मैं छोटू को सोफे पर लिटा कर सीधे उनकी चूत के ऊपर टूट पड़ा और भाभी की चूत को बेतहाशा चूसने लगा. भाभी की चूत की खुशबू मुझे मदहोश किए जा रही थी. बीच-बीच में मैं भाभी की चूत में अपनी दो उंगलियां भी घुसा देता. जब मैं जैसे ही उनके दाने को मुँह में लेता, तो उनकी वासना से भरी सिसकारियां तेज हो जाती थीं.

भाभी सिर्फ़ ‘आ … उह … ओह गॉड … उम्ह … आह. … फक मी..’ और पता नहीं क्या-क्या बोले जा रही थीं.

करीब दस मिनट की चुसाई में ही भाभी झड़ गईं और मैं उनकी चुत का सारा पानी पी गया.

भाभी बिस्तर पर एकदम नग्न पड़ी हुई ‘आ … उह … ओह गॉड … उम्ह … आह … फक मी..’ और पता नहीं क्या-क्या बोले जा रही थीं.

करीब दस मिनट की चुत चुसाई में ही वो झड़ गईं और मैं उनकी चुत का सारा पानी पी गया.

चुत का पानी निकल जाने के बाद भाभी निढाल हो गई थीं. वो शिथिल स्वर में बोलीं- करण तुमने तो आज मुझे जन्नत का मजा दे दिया है. इससे पहले मैंने अपने पति का भी कभी मुँह में लिया नहीं है … पर आज मैं तुम्हारा लेना चाहती हूँ.

मैंने भाभी को छेड़ा- भाभी आप मेरा क्या लेना चाहती हैं और किधर लेना चाहती हैं … जरा खुल कर कहो न.
भाभी हंसने लगीं और बोली- साले कमीने … इतना भी नहीं समझता क्या?

मैंने भी लंड हिलाते हुए कहा- भाभी मैं सब समझता हूँ … पर आपके मुँह से सुनने में मुझे अच्छा लगेगा. प्लीज़ बताओ न आप मेरा क्या लेना चाहती हैं और किधर लेना चाहती हैं.
भाभी ने अपनी चुत की फांकों में उंगली फेरी और बिंदास होते हुए बोलीं- मेरी जान, आज मैं तुम्हारा लंड अपने मुँह में लेकर चूसना चाहती हूँ.

मैं कहा- वाह भाभी … नेकी और पूछ-पूछ … मैं तो आपसे अपने लंड को चुसवाने के लिए कब से तैयार हूँ. बस मुझे यह नहीं पता था कि आपको मुँह में लंड लेना पसंद है या नहीं.
भाभी मुझसे भी एक कदम आगे निकलीं और बोलीं- तो क्या मुँह में लंड देने का ही मन है? और कहीं के लिए तुम्हारे लंड की इच्छा नहीं है?

मैंने भाभी के करीब आते हुए लंड लहराया और कहा- मेरी जान अभी मुँह में लंड तो लो … फिर मैं आपकी चुत में लंड पेलूंगा. इसके बाद भी मंजिलें हैं … एक तीसरा छेद भी मेरे लंड के लिए उपलब्ध है, उधर भी मजा लेना है.

भाभी ने आंख मारते हुए मेरा लंड पकड़ा और कहा- मुंगेरी लाल के हसीन सपने मत देखो. उधर की कहानी तो भूल ही जाओ … वर्ना ये दोनों छेद भी नहीं मिलेंगे.
मैं हंस दिया और बोला- भाभी आपकी जैसी मर्जी. मैं आपकी गांड नहीं मारूंगा … मगर आपकी चुत और मुँह तो अब मेरे लंड को लिए बिना रह ही नहीं सकेगा.

भाभी भी हंसने लगीं और उन्होंने अपनी जीभ निकाल कर मेरे लंड के सुपारे पर जीभ फेर दी.

मेरी एक मस्त आह निकल गई. मेरी आह क्या निकली कि भाभी और भी जालिम हो गईं और उन्होंने मेरा पूरा लंड झट से मुँह में ले लिया.

मैं कुछ बताने की स्थिति में नहीं हूँ कि भाभी के मुँह में लंड देकर मुझे कैसा लग रहा था. बस यूं समझ लीजिएगा कि लंड को जन्नत में सा महसूस कर रहा था. भाभी मेरे लंड को एक लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं … साथ में मेरी गोटियों को भी हाथ से सहला रही थीं.

उन्होंने कहा तो ये था कि वो पहली बार किसी का लंड चूस रही हैं … लेकिन उनकी अदा बता रही थी कि वो लंड चूसने की कला में महारत हासिल किये हुए हैं. हालांकि मेरा ये भ्रम ही था. क्योंकि कुछ ही देर में मैंने महसूस किया कि भाभी से लंड ठीक से नहीं चूसा जा पा रहा था.

मैंने भाभी से कहा- भाभी क्या आपको लंड चूसने में मजा नहीं आ रहा है?
तो भाभी ने एक बार मेरे लंड को मुँह से निकाला और बोलीं- मैंने मोबाइल में ब्लू फिल्म में जितना लंड चूसना देखा था, उतना ही कर पा रही हूँ. क्या तुमको मजा नहीं आ रहा है.
मैंने भाभी से कहा- मजा तो इतना अधिक आ रहा है कि क्या बताऊं. अब आप एक काम करो मेरी गोटियों को भी जरा चूसो.

भाभी मेरी एक गोटी को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं. उनका हाथ मेरे लंड को ऊपर किये हुए मुठिया रहा था. मुझे एकदम से सनसनी होने लगी.
कुछ ही देर बाद भाभी ने मेरे लंड को फिर से मुँह में भर लिया और चूसने लगीं.

करीब आठ दस मिनट में मेरे लंड ने हिम्मत छोड़ दी और वो झड़ने को हो गया. मैं मस्ती में आंखें बंद किये हुए लंड चुसाई का मजा लेता रहा और उनके मुँह में ही छूट गया. उन्होंने भी मेरा सारा वीर्य मुँह में ले लिया और बाजू में फेंक दिया. शायद उनको वीर्य का स्वाद पसंद नहीं आया था या उनका ये पहली बार था.

वो बोलीं- तुझे बोलना तो था कि निकल रहा है.
मैं- मुझे लगा कि आप पी दही जाओगी.
भाभी हंस दीं- क्या ये दही था?
मैंने कहा- था तो वीर्य लेकिन दही जैसा दिखता है न. माफ़ करना भाभी, मैं आपको बता नहीं पाया.

भाभी ने जीभ से बचा हुआ वीर्य अपने हाथ से साफ़ किया और मेरी तरफ देख कर कहा- कोई बात नहीं … वो अचानक से हुआ इसलिए मुझे थोड़ा अजीब लगा.
मैं- ठीक है भाभी … आप फिर से मेरा लंड मुँह में लेकर खड़ा करो ना.

भाभी ने मेरा लंड फिर से मुँह में ले लिया और चूसने लगीं. कोई पांच मिनट में ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

मैंने भाभी से कहा- भाभी, क्या आप अपनी चूत पर मेरे लंड के नाम की मुहर लगवाने के लिए तैयार हो?
भाभी ने नशीली आँखों से मुझे देखा और कहा- हां मेरे राजा, मैं तो कब से चुदने के लिए तैयार हूँ. पेल दो अपना मूसल और लगा दो मुहर मेरी चुत पर … और बना ले मुझे अपनी रखैल … बना ले मुझे अपनी रंडी.

मैंने भी भाभी के दूध दबाते हुए कहा- ठीक है मेरी जान … भाभी आज से आप मेरी रांड हो गईं.
भाभी- मैं भी कैसी पतिव्रता औरत हूँ जो अपने पति के ही बिस्तर पर गैर मर्द से चुदवा रही हूँ.
मैं- इसमें कोई बात नहीं है भाभी. आप तो सिर्फ़ अपने शरीर की ज़रूरतें और हसरतें पूरी कर रही हो. यह तो आपका हक है.

मेरे इतना कहते ही भाभी ने अपनी टांगें खोल दीं और चुत उठाते हुए कहने लगीं-मेरे राजा … अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है. जल्दी से चोद डालो मुझे … बुझा दो आज मेरी चूत की आग … आह साली बहुत तड़पाती है … निगोड़ी कहीं की.

मैंने अपना लंड उनकी चूत के ऊपर सैट कर लिया और उनके दोनों मम्मे पकड़ कर एक ज़ोर का झटका लगा दिया. मेरा आधा लंड उनकी चूत में धंसता चला गया. भाभी की चीख निकलने से पहले ही मैंने उनके होंठों के ऊपर अपने होंठ जमा दिए. उनकी चीख अन्दर ही दब गयी.

अब मैं भाभी के मम्मों को दबा रहा था और साथ में उनको चूम रहा था. थोड़ी देर बाद जब भाभी नॉर्मल हुईं … तो मैंने लंड थोड़ा सा बाहर निकाल कर एक और झटका मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उनकी चुत में घुसता चला गया.

इस बार भाभी को दर्द थोड़ा कम महसूस हुआ. हालांकि उनके हाथों ने मेरी छाती को रोकते हुए मुझे ठहरने का संकेत दिया. मैंने पूरा लंड उनकी चुत में घुसा रहने दिया और उसी स्थिति में भाभी के एक दूध का निप्पल अपने होंठों में दबाते हुए चूसना शुरू कर दिया. निप्पल चूसे जाने से भाभी को राहत मिलने लगी.

फिर जब एक मिनट बाद उन्होंने अपने चूतड़ ऊपर उठाने शुरू किए, तो मैंने भी अपने धक्के लगाने चालू कर दिए.

भाभी सिर्फ़ ‘आह. … उउह … चोद डालो मुझे … आह भोसड़ा बना दो आज मेरी चूत का … फक मी … फक मी हार्ड…’ इतना ही कह रही थीं.

भाभी मस्त होकर चुदवा रही थीं. फिर मैंने भाभी को एक झटके से अपने ऊपर कर लिया. अब भाभी मेरा लंड अपने चूत में लेकर मेरे ऊपर उछल रही थीं और मैं जन्नत की सैर कर रहा था. तेज तेज उछलने से भाभी के चूतड़ मेरी जांघों से टकरा रहे थे. इस वजह से पूरे कमरे में ठप-ठप की आवाज़ और भाभी की सिसकारियों की मस्त आवाजें गूंज रही थीं.

थोड़ी देर के चुदाई के बाद मुझे भाभी की चूत और टाइट महसूस होने लगी. मैं समझ गया कि भाभी का पानी निकलने वाला है. मैं भी थोड़ा ऊपर की तरफ उठ गया और भाभी को पीछे से पकड़ लिया.

तभी भाभी का रस निकल गया और वो निढाल हो गईं.

भाभी झड़ चुकी थीं उनके रस निकलने तक मैं भी रुक गया और उनकी चुत से निकलने वाली गर्म धार को अपने लंड पर महसूस करने लगा. मेरा लंड अभी एकदम कड़क खड़ा था और उसका वीर्य निकलना अभी बाकी था.

कुछ पल रुकने के बाद मैंने भाभी को अपने नीचे किया और धीरे-धीरे झटके लगाना चालू किया. मेरे झटकों से सारे कमरे में फच-फच की आवाज़ गूंजने लगी थीं.

करीब पचास धक्कों के बाद जैसे ही भाभी फिर अपने चूतड़ों को उठाने लगीं, तो मैंने भाभी के दोनों पैर अपने कंधों के ऊपर ले लिए और जोर से उनकी चुत में लंड के झटके लगाना चालू कर दिए.

करीब बीस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मैं भी झड़ने को हो गया था. मैंने भाभी से कहा- भाभी मेरा निकलने वाला है. आप कहां लेना चाहोगी?
भाभी- आह … मुझे तेरा माल अपनी कोख में चाहिए. मेरी कोख भर दे … अपना सारा का सारा माल मेरी चूत में ही डाल दे.
मैं- ठीक है भाभी … जैसा आप चाहो.

मैंने दस बारह तेज झटके मारे और भाभी की चुत में ही झड़ गया. भाभी भी मेरे साथ एक बार फिर से झड़ गईं. झड़ कर मैं भाभी के ऊपर ही लेट गया. भाभी और मैं ज़ोर-ज़ोर से हांफ रहे थे.

करीब एक मिनट बाद मेरा लंड भाभी की चूत में से अपने-आप निकल आया. मैंने उठ कर देखा, तो मेरा और भाभी का वीर्य एक साथ भाभी के चूत से बह रहा था.

थोड़ी देर बाद भाभी बोलीं- आज तूने जो सुख मुझे दिया है, वह आज तक मेरे पति से मुझको नहीं मिल पाया था. आज से मैं तुम्हारी हूँ … तुम जब चाहो मुझे चोद सकते हो.
मैं- ठीक है भाभी … पर आपको भी मेरी सब बातें माननी होंगी.
भाभी- जैसा तुम कहो, मैं सब मानूँगी. आज से मेरी चूत तुम्हारे लंड की गुलाम है.

फिर हम दोनों एक साथ बाथरूम गए और हमने एक दूसरे को साफ किया. तब रात के करीब तीन बज रहे थे. फिर हम एक-दूसरे की बांहों में नंगे ही सो गए.

मैं सुबह करीब सात बज़े उठा, तो भाभी कमरे में नहीं थीं. मैं किचन में गया, तो भाभी नंगी ही चाय बना रही थीं. मैंने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और भाभी के मम्मों को मसलने लगा. साथ में उनके कान के नीचे भी चूमने लगा.

भाभी अपने ऊपर काबू करते हुए बोलीं- अब तुम्हें यहां से जाना चाहिए … तुम्हारे भैया कभी भी आ सकते हैं. उनका अभी फोन आया था.

मैंने भी अपने ऊपर काबू किया और कपड़े पहन लिए. फिर मैं चाय पीकर अपने कमरे में लौट आया.

इस घटना के बाद मानो मेरी ज़िंदगी ही बदल गयी. जब भी कभी भैया घर पर नहीं होते, तो मैं भाभी का सैयां बनकर उनकी जमकर चूत चुदाई करता था.

End
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#7
आंटी की प्यासी चूत ने मेरे लंड का वीर्य पिया


मैं दक्षेश शाह गुजरात के आयरन सिटी राजकोट से आप को अपनी एक हाउसवाइफ को चोदने की सेक्स स्टोरी ले के आया हूँ. वैसे बात सच्ची घटना के ऊपर आधारित हे. लेकिन ऑथर लिबर्टी लेते हुए मैंने थोडा सा मसाला जरुर एड किया हे आप लोगों के लिए. बात आज से कुछ 7 माह पहले की हे. मेरा सर्टिफिकेट कोर्ष खत्म हुआ और पापा की पहचान के चलते मुझे यही पर जॉब भी मिल गई. फिर कुछ दिनों के बाद कंपनी वालो ने राजकोट सिटी के बहार एक्सपांड करने को सोचा. और मुझे टीम लीड के रूप में बरोडा के पास के एक टाउन पोर में भेज दिया जो बरोडा सुरत हाइवे के ऊपर हे. मैं कम्पनी में ही काम करनेवाले एक अंकल जी के घर में अपने 2 कलिग के साथ पीजी रहता था. अंकल आंटी का एक बेटा भी था जो अभी करीब 3-4 साल का ही होगा. उन्हें बहुत सालों के बाद औलाद हुई थी. मकानमालिकिन का नाम पूजा पटेल था जो की एक सेक्सी हाउसवाइफ थी.

अब किस लगती थी वो आप को बताऊंगा तो आप का लंड भी खड़ा हो जाएगा दोस्तों. उसकी लम्बाई करीब साड़े पांच फिट की थी. 36 इंच के बूब्स थे जो ब्लाउज के अन्दर फिट नहीं बैठते थे और बहार आने को फडफडाते थे. कमर पतली थी चुचियों के मुकाबले में करीब 30 की. और पीछे इस हाउसवाइफ की गांड भी 36 की ही थी. पहले पहले जब मैं नया रहने आया तो कम ही बातचीत होती थी हमारी. मेरे कलिग मेरे से पहले यहाँ रहते थे और वो आंटी से अच्छी बातचीत और मस्ती मजाक करते थे. फिर कुछ दिन मुझे बीतें पूजा आंटी के घर में तो हमारी भी बातचीत अब होने लगी थी. अक्सर ये हाउसवाइफ गाउन पहन के अपने घर में घुमती थी. और अंदर वो ब्रा नहीं पहनती थी. ऐसे में उसकी क्लीवेज को देखना एक स्वर्गीय अनुभव होता था. ऊपर से जब उसका गाउन पीछे गांड में फंसता था तो उसे देख के भी लंड खड़ा हो जाता था मेरा तो. मन ही मन में मैं पूजा आंटी की बॉडी को देख के उसे चोदने की कल्पना करता था. पर तब तक कुछ हुआ नहीं था हम दोनों के बीच में.

मैं अक्सर आंटी के नाम की ही मुठ मारता था और लंड के ऊपर बाथरूम में साबुन लगाता था और पूजा आंटी के चूत को याद कर के हिला लेता था. पानी तो निकल जाता था लेकिन हवस के मिटने का कोई नामोनिशान नहीं था.पूजा आंटी भी अक्सर बात बात में कहती थी और हिंट देती थी. उसकी बातों से तो लगता था की वो अपनी सेक्स लाइफ में उतनी हेप्पी नहीं थी. कभी कभी अंकल आंटी के झगड़े भी हम लोग सुनते थे. एक बार आंटी ने मुझे बोला की यार दक्षेश देखो न मेरे कमरे में जो पीसी हे वो ख़राब हुआ हे. तुम्हारे अंकल को बोल बोल के थक गई पर वो रिपेर नहीं करवाते हे. मैंने कहा आंटी मैं चेक कर दूँ? वो बोली तुझे आती हे रिपेरिंग? मैंने कहा देख लूँ मेरे से हुआ तो कर दूंगा. वो बोली ठीक हे. मैं आंटी के कमरे में उसके पीसी को चेक करने लगा. आंटी ने उस वक्त एक सेक्सी नाइटी पहन रखी थी लाल रंग की. और उस नाइटी के अन्दर वो एकदम सेक्सी लग रही थी.मैं पीसी देख रहा था तब वो मेरे लिए चाय बनाने के लिए चली गई.

जब वो वापस आई तब तक मैंने उसके पीसी को ओन कर दिया था. मैंने पूछा तो पता चला की बार बार हेंग होता हे. मैंने चेक किया तो उसके अंदर जंक भरा हुआ था. मैंने टेम्प फाइल्स डिलीट की. और क्लीनर इंस्टाल कर के और भी सब फाइल्स को डिलीट किया. फिर रिस्टार्ट किया तो वो ठीक चल रहा था. आंटी की बनाई हुई चाय मैंने ये काम करते हुए पी ली थी. आंटी ने खाली कप उठाये और मैंने कहा, अब आप के पीसी में कुछ भी प्रॉब्लम हो तू मुझे बुला लेना. मेरी नजर उसके ऊपर पड़ी वो झुकी हुई थी और उसके बूब्स के बिच की खाई दिख रही थी. मेरे मुहं में पानी आ गया और मैं अपनी नजर वहां से हटा नहीं सका. उसने भी देखा की मेरी नजर कहा थी! वो कप ले के चली गई और मैं उसकी गांड को मटकते हुए देखने लगा. लंड ने जोर जोर से धडकना चालू कर दिया था!

वो वापस आके मेरे पास बैठी. और मुझे कहा तुम राजकोट के हो?

मैं कहा हां आंटी, मेरे पापा का वहां फेक्ट्री हे चिप्स के मशीन का.

वो बोली, तो वहां कोई गर्लफ्रेंड वगेरह हे की नहीं?

आंटी को मेरे पापा की फेक्ट्री में नहीं मेरे लंड में ही इंटरेस्ट था!

मैंने कहा आंटी अब लडको के पास टाइम ही कहा की गर्लफ्रेंड रख सके. पहले पढाई और अब जॉब. आप देखती ही हो न की संडे के सिवा फुर्सत ही नहीं होती हे मुझे. मैंने मन ही मन खुद को कह रहा था की दक्षेश आज आंटी को लंड देने का सही मौका हे इसे अपने हाथ से जाने मत देना. आंटी ने हंस के कहा, इसका मतलब अभी तक कोरे ही हो तुम!

मैंने कहा, हाँ आंटी अब क्या करूँ कोई मिले तो सब कमी को पूरा कर लूँ अपनी लाइफ की!

आंटी ने मेरे और करीब होते हुए कहा, तो तुम्हे कोई पसंद वसंद तो होगी ही ना! मतलब यहाँ या फिर वहाँ!

मैंने मौका संभालते हुए कहा, यहाँ तो मैं आप को ही पसंद करता हूँ आंटी!

वो जोर से हंस पड़ी और बोली, भाई मेरी तो शादी को बरसो हो गए, मेरे से क्या मिलेगा तुम को?

मैंने कहा, जो आप के पास हे वो अच्छी अच्छी लड़कियों में भी नहीं हे.

वो समझ गई थी की मैं उसके सेक्सी फिगर की बात कर रहा था. वो कुछ नहीं बोली और मैंने अपने हाथ को डरते हुए उसकी कमर के ऊपर रख दिया. वो निचे देख के हंस रही थी. मैंने उसे अपनी तरफ पुल किया और उसके होंठो के ऊपर अपने होंठो को दबा के एक छोटी सी लिप किस कर ली. आंटी एकदम से मेरे से हट गई और बोली, अरे लड़के पहले दरवाजे को तो देख ले, मरवाएगा मुझे तू!

वाऊ, आंटी को ये टेंशन नहीं थी की मैंने उसकी चुम्मी ली थी पर उसे दरवाजे की टेंशन थी. मैं भाग के दरवाजे को बंद कर के वापस उसके पास आ गया. और अपने होंठो को लगा के चूसने लगा उसके लिप्स को. आंटी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. मैंने पूछा, अंकल बड़े लकी हे आप लोगों की सेक्स लाइफ कैसी हे?आंटी बोली, पूछो ही मत, लंड देखे सदियाँ हो गई हे तुम्हारे अंकल का! वो चोदते भी हे तो पच पच पानी निकाल के पेंट पहन लेते हे! अब उनमे वो बात कहा! मैंने कहा, फिर आज मैं अपने लोडे से आप की प्यासी वजाइना की आग को शांत कर देता हूँ.

ये सुनते ही इस सेक्सी हाउसवाइफ ने अपने दोनों हाथ मेरे गले में डाल के मुझे खिंच लिया अपनी आगोश के अदर. मैंने आंटी को एक और किस दिया और फिर उसकी नाईटी को उतार फेंका. आंटी बड़ी ही सेक्सी लग रही थी. अन्दर उसने ब्रा नहीं पहनी थी, निचे सिर्फ एक पेंटी थी. उसके बड़े बूब्स बिखरे पड़े थे और जैसे मुझे कह रहे थे की आजा चूस ले हमें!

मैं आंटी के बूब्स को मसलते हुए उसके होंठो को चूस रहा था. आंटी ने अपने हाथ मेरे लंड पर रख के दबाया. और फिर उसने मेरी पेंट, शर्ट, चड्डी एक ही मिनिट में उतार डाली. मेरे लंड को देख के वो बोली, गर्लफ्रेंड होती तो खूब मजे करती! मैंने आंटी की पेंटी में हाथ डाला और उसकी पहले से गीली चूत को टच कर लिया. आंटी सिहर उठी और बोली, उतार दे ना! मैंने एक झटके में उसकी पेंटी खोली. आंटी की चूत का दाना एकदम बड़ा था मैंने उसे ऊँगली से हिलाया और फिर उसे ऊपर की और उठा के चूत की फांको को खोला और उसके ऊपर दांतों को लगा के काट लिया. आंटी के बदन में तो जैसे की आग लग गई!!! फिर मैं अपनी जबान को आंटी की चूत के अन्दर घुसा के चाटने लगा. आंटी तो सातवें आसामान के ऊपर चली गई थी!

फिर आंटी को मैंने अपना लंड मुहं में दिया और हम दोनों ने 69 पोजीशन बना ली. मैं इस सेक्सी हाउसवाइफ की चूत को चाट रहा था जिसमे से भीनी भीनी खुसबू सी आ रही थी. और वो ग्गग्ग्ग ग्ग्ग्ग ग्ग्ग्ग कर के मेरे लोडे को सक कर रही थी. पांच मिनिट के अन्दर आंटी ने मेरे लंड का पानी अपने मुहं में ही छुडवा दिया. और वो सब स्पर्मस खा गई और बोली, अह्ह्ह बड़ा मजा आया बहुत दिनो के बाद! मैंने आंटी की चूत में डीप तक जबान को डाला और चूसने लगा. आंटी का बदन अकड गया और उसने भी अपना पानी छोड़ दिया. मैं आंटी के चूत के नमकीन पानी को साफ़ कर गया अपनी जबान से!

फिर मैं इस सेक्सी हाउसवाइफ के बूब्स चूसने लगा. आंटी ने मेरे लंड को हाथ में पकड़ के हिलाना चालू कर दिया. दो मिनिट के अन्दर आंटी ने लंड को फिर से रेडी कर दिया. वो लंड को मुठ्ठी में बंद कर के दबाती थी और फिर उसके ऊपर ग्रिप को ढीली कर के हिलाती थी. अब मैंने पूजा आंटी को बिस्तर पर लिटा दिया. उसने अपनी मोटी जांघे खोल दी. मैंने आंटी की चूत के ऊपर एक प्यार भरी चुम्मी दे दी और फिर अपने लंड को रख दिया. एक ही धक्का दिया था और मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया! आंटी के मुहं से अह्ह्ह्ह अह्ह्ह निकल गया और उसने अपनी जांघो को और खोला, लंड आराम से घुस तो गया था लेकिन वो चूत उतनी ढीली नहीं थी जैसे की मैं सोच रहा था. आंटी को धक्के से लंड देने से उसकी चूत दर्द देने लगी थी.

मैंने आंटी के बूब्स को पकड लिए और उन्हें दबाने लगा. मैं आंटी के बूब्स बहुत पसंद करता था और जब भी मुठ मारता था तो बूब्स याद करता ही था. और आज जब चूसने को मिले तो मैंने उसके ऊपर ढेर सारे लव बाईटस बना दिए और उन्हें पुरे लाल कर दिए थे. मैं आंटी की चूत के अन्दर धक्को पर धक्के लगाता जा रहा था. आंटी के मुहं से आह्ह्ह्हा ह्ह्ह ईईई अह्ह्ह्हह मर गैईईईइ अह्ह्ह्हह बाप रे ह्ह्ह्हह्ह ईईइ की सिसकियाँ निकल रही थी. और साथ में वो मुझे जोर जोर से चोदने के लिए प्रोत्साहित भी कर रही थी. आंटी ने अपने दोनों हाथ को मेरे कूल्हों पर रख दिया था. और वो मुझे अपनी तरफ खिंच सा रही थी जिस से मेरा लंड उसकी चूत में अन्दर तक घुसे!

अब मैंने अपने चोदने की स्पीड को एकदम से तेज कर दी थी. आंटी भी अह्ह्ह अह्ह्ह कर के अपनी कमर हिला के लंड को भोग रही थी. कमरे के अंदर पच पच के साउंड गूंज रहे थे, मेरा कसा हुआ लंड आंटी की गीली चूत में घुस के बहार आता था. और फिर एक धक्के में वापस अन्दर चला जाता था. वो एकदम मस्तिया गई थी और मुझे अपनी चूत की सालों की प्यास को बुझाने के लिए कह रही थी.

कुछ देर ऐसे मिशनरी पोज में मेरा लंड लेने के बाद आंटी ने कहा मुझे तेरे लंड पर चढ़ना हे दक्षेश!

मैंने कहा आ जाओ फिर.

मैंने बिस्तर में लेट गया. आंटी मेरे लंड के ऊपर चढ़ के जैसे घुड़सवारी करने लगी. उसने पीछे हाथ कर के मेरे घुटनों के ऊपर रखे हुए थे. और अपनी छाती को बहार की तरफ कर के अपनी चूत को वो मेरे लंड के ऊपर मार रही थी. और उछल उछल के मेरा लंड ले रही थी अपनी चूत के अंदर!

इस पोस में आंटी की चूत से दो बार पानी झड़ गया था. और वो थक भी गई थी. तभी मुझे लगा की मेरा पानी निकलने को हे.

मैंने कहा आंटी मेरे स्पर्मस निकलेंगे कहा निकालु? .
तो उसने कहा मेरे अन्दर ही निकाल दे मेरे राजा मेरा सेफ पीरियड हे कुछ नही होगा !
आंटी की ये बात सुनते ही मैं और भी तनतना उठा और कस कस के उसको चोदने लगा. मैं लगातार दो मिनिट तक अपने लंड के फवारे को आंटी की चूत में मारता रहा. बहुत सारा गरम गरम वीर्य मैंने आंटी की चूत में ही छोड़ दिया था. आंटी कि चुत मे माल गिराया तो मुझे वहुत मजा आया ।

फिर आंटी मेरा हाथ पकड़ के मुझे अपने हाथ बाथरूम में ले गई. वहाँ पर भी मैंने उसे चोदा नहाते हुए. बस फिर तो इस सेक्सी हाउसवाइफ को मेरा लंड लेने की लत ही लग गई. जब भी अंकल ना हो और मौका हो तो वो मेरा लंड लेने के लिए आ जाती थी या बुला लेती थी. दो महीने पहले तक मैं पोर में ही आंटी को चोद रहा था. लेकिन फिर मेरा वापस राजकोट में ट्रांसफर हो गया और आंटी की चूत मेरे हाथ से निकल गई. उसने कहा हे की मेरी एक बहन राजकोट के पास रहती हे. और उसने कहा हे की मैं राजकोट के पास आई तो बताउंगी. वो राजकोट के 100 किलोमिटर के व्यास में आई तो मैं उसे चोदने के लिए जरुर जाऊंगा!

End
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#8
चटोरी मौसी



मेरा नाम राजा ठाकुर है, आगरा का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 20 वर्ष, मेरी लम्बाई 5 फुट 9 इन्च है, बाल तथा आँखें काली हैं। रंग गोरा है तथा मेरा शरीर हष्ट-पुष्ट है।

मैं रोजाना जिम जाता हूँ इससे मेरा शरीर एकदम तंदरुस्त तथा सेक्सी है।


मेरी आस-पड़ोस की लड़कियाँ तथा भाभियाँ मुझे देखकर ‘आहें’ भरती हैं।

यह मेरी वास्तविक कहानी है तथा मैं अब अपनी कहानी पर आता हूँ।

मेरे नाना की 4 संताने हैं, उनमें एक पुत्र तथा तीन पुत्रियाँ हैं, मेरी माँ सबसे बड़ी हैं, उसके बाद मामा, फिर बड़ी मौसी तथा उसके बाद छोटी मौसी।

मेरी छोटी मौसी की उम्र 26 वर्ष है, रंग गोरा व नैन-नक्श तथा फिगर आकर्षक है। एकदम जवान मदमस्त लौंडिया लगती हैं।

जो भी उन्हें देखता है बस ‘आहें’ भरता है। उनकी चूची एकदम अनार की तरह है, गाल सेब की तरह लाल है, कमर पतली व आकर्षक है।

छोटी मौसी की शादी को हुए अभी पाँच वर्ष हुए हैं, उनके एक बेटी है। मेरे मौसा जी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं।

शादी के दो वर्ष बाद वे अमेरिका चले गए तथा कभी-कभी आते हैं। इस कारण मौसी के पास पैसों की बरसात हो रही है। उनके पास दो-दो बंगले तथा तीन गाड़ियाँ हैं, उनको अपने पैसों का बहुत अहंकार है।

एक तो वो बला की खूबसूरत हैं, किसी हिरोइन से कम नहीं लगती और दूसरा धन का घमंड और जिसके पास दोनों हों, वो तो अपने घमंड के नशे में चूर हो ही जाता है।

ऐसा ही मेरी मौसी जी के साथ था, वो अपने सामने सबको तुच्छ समझती थीं।

मेरी गर्मियों की छुट्टी हो चुकी थीं। मैं घूमने का प्लान बना रहा था।

इसके लिए मैंने अपनी माँ से विचार-विमर्श करना जरूरी समझा, मैंने माँ से बात की, तो मेरी माँ बोलीं- बेटा, तुम ऐसा करो, अपनी मौसी के घर चले जाओ, वो अकेली हैं। उनका मन भी लग जायेगा तथा तुम्हारा घूमना हो जायेगा।

मैं माँ की बात मानकर मौसी के पास दिल्ली पहुँच गया और मेरी प्यारी मौसी बहुत खुश हुईं तथा उन्होंने मेरा जोरदार स्वागत किया।

मैं मौसी को देखकर दंग रह गया।

क्या मस्त फिगर था उनका !

परन्तु मेरा अभी उनके प्रति कोई गलत इरादा नहीं था।

मौसी मेरी खूब खातिरदारी कर रही थीं और मुझे उनकी खातिरदारी खूब पसंद भी आ रही थी।

मेरे चार-छ: दिन तो बहुत अच्छे कट गए, फिर मन उचटने लगा।

उधर मौसी को अपने देवर के साथ सेक्स की याद आने लगी और वो चुपचाप मौका देखकर दिन में या रात में जब समय मिलता वो अपनी प्यास बुझा लेती थीं, परन्तु मुझे शक तो पहले ही था कि दाल में कुछ काला है, परन्तु यहाँ तो पूरी दाल ही काली थी।

हुआ यों कि एक दिन मैं अकेला दिल्ली घूमने चला गया, परन्तु गर्मी अधिक होने की वजह से वापस आ गया।

दरवाजे पर आकर देखा तो दरवाजा बंद था।

मैंने सोचा मौसी सो रही होंगी इसलिए दीवाल के ऊपर से कूदकर अन्दर आ गया।

जब मैं मौसी के रूम के पास से होकर जा रहा था तो मैंने देखा मौसी के कमरे की लाइट जल रही थी तथा अन्दर से आवाज आ रही थीं “आह… आऊ… ऊई… सी… सीउफ़… उफ़…

मैं खिड़की के पास गया और थोड़ी सी खिड़की खोलकर देखा, बेड के ऊपर मौसी और उनके देवर बिल्कुल नंगे होकर काम-क्रीड़ा में लिप्त हैं।

मौसी के देवर मौसी के ऊपर थे। मैं यह देखकर चौंक गया और तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया कि क्यों न इनकी पिक्चर बना लूँ और मैंने अपना मोबाइल निकालकर वीडियो रिकार्डिंग शुरू कर दी।

मौसी तथा उनका देवर 69 की पोजीशन में थे।

वे एक दूसरे को चाटने में मशगूल थे। मौसी के देवर उनकी जांघों को जीभ से चाट रहे थे और मौसी ‘आई… ऊ… सी… सी उफ़… उफ़ आऊ…’ कर रही थीं।

वे दोनों एक-दूसरे को बड़ी तल्लीनता से चाट रहे थे। मौसी अपने देवर के लंड के रस को लॉलीपॉप की तरह चाट रही थी, कभी-कभी वो देवर के लंड को अपने मुँह में पूरा घुसा लेती थीं।



उधर उनका देवर मौसी चूत को बड़ी सफाई से चाट रहा था। वह अपनी जीभ को मौसी चूत की टीट पर फिरा-फिरा के चाट रहा था।

बहुत ही आकर्षक और प्यारा नजारा था।

इस चुदाई के नज़ारे को देखकर मेरा लंड एकदम पैंट में ही 9″ का हो गया।

अब मौसी की चूत से पानी आना शुरू हो गया था और वे अपनी चूत को देवर के मुँह पर जोर-जोर से रगड़ रही थीं तथा ‘आह… उफ़… आ… ऊ… उफ़…’ की आवाज कर रही थीं।

थोड़ी देर में देवर का भी स्खलन होने वाला था तो वो अपने लंड को मौसी के मुँह में चूत समझकर जोर-जोर से आगे-पीछे कर रहे थे।

उधर मौसी ‘गों.. गों..’ की आवाज कर रही थीं। उन्हें अब परेशानी हो रही थी।

उनके देवर बोले- भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ, बताओ कहाँ पर अपना वीर्य छोड़ूँ आज?

मौसी बोलीं- अपना माल मेरे मुँह में ही छोड़ दो।

और उन्होंने अपना माल मौसी के मुँह में ही छोड़ दिया और मौसी पूरा माल रसमलाई की तरह पी गईं तथा देवर के लंड को चाट-चाट कर साफ़ कर दिया।


दोनों का पहला राउंड ख़त्म हो चुका था। वे दोनों पलंग पर पसर गए।

मौसी ने फिर से देवर के लंड को चूसना शुरु कर दिया और थोड़ी देर में देवर का लंड खड़ा हो गया।

अब मौसी बोलीं- मेरे प्यारे देवर जी, मेरी चूत की गर्मी को जल्दी शांत कर दो। कहीं ऐसा न हो कि राजा आ जाए और मैं प्यासी रह जाऊँ। मेरी जान, जल्दी करो।

तब देवर उनके ऊपर आ गया और अपना लंड मौसी चूत पर रखकर जोरदार किक मार दी और पूरा लंड उनकी चूत में ‘फक’ की आवाज करते हुए घुस गया और शुरू हो गया ‘आँहों और कराहों’ का दौर, जोश के कारण भीतर से “आऽऽअ.. अऽ..अ..आअ उफ़ उफ़ उफ़ उफ़ अहः श्श्श्श्श म्म्म्म्म ऊऊ सी सी सी की आवाजें गूंजने लगीं।

मौसी का देवर जोर-जोर से मौसी चूत में झटके दे रहा था। मौसी नीचे से चूतड़ उठा-उठा कर जोर-जोर से चुदवा रही थीं।

अन्दर ऐसी मस्त चुदाई चल रही थी। मुझसे रुका नहीं जा रहा था मेरा लण्ड तनकर सलामी दे रहा था।

करीबन 8-10 मिनट के बाद मौसी बोलीं- मेरा छूटने वाला है मेरे यार, जरा जोर से चोदो। फाड़ दो मेरी चूत को, इसे भोसड़ा बना दो।

मौसी जोश में ‘आऽऽऽअ..अऽ..अ..आअ अहः श्श्श्श्श् म्म्म्म्म आऊ उफ़ आ ऊ उफ़ ऊह’ करने लगीं।

मौसी थोड़ी देर में शांत हो गईं। उधर उनके देवर भी 10-12 झटके मारकर मौसी से बोले- भाभी रानी, मैं झड़ने वाला हूँ अब बताओ कहाँ पर निकालूँ अपना माल?

मौसी बोलीं- डार्लिंग, डाल दो मेरी चूत में ही कुछ नही होगा ।

देवर ने 5-6 झटके देकर मौसी की चूत में अपना पूरा माल उड़ेल दिया तथा उनके ऊपर ही ढेर हो गए।

थोड़ी देर इसी तरह पड़े रहने के बाद दोनों ने कपड़े पहन लिए और मैं अपना मोबाईल लेकर अपने रूम में आ गया।

मौसी की चुदाई देखकर मेरा लंड भी फटा जा रहा था, सो मैं उसको शान्त करने बाथरूम में घुस गया और अपने हाथ का कमाल दिखाया और शान्त हो गया।


अब मैं मौसी को पटाने की सोचने लगा।

एक दिन मौसी नहा रही थीं और एक गाना गुनगुना रही थीं।

उनकी कोयल जैसी आवाज को सुनकर मैं बाथरूम के पास पहुँच गया।

मैंने धीरे से दरवाजे को धक्का दिया, परन्तु वो अन्दर से बंद था।

बाथरूम के छेद में अपनी आँख को भिड़ाया और देखा मौसी एकदम नंगी होकर नहा रही थीं।

मौसी आपने गोरे-गोरे स्तनों पर रगड़-रगड़ कर साबुन लगा रही थीं।

काश मौसी के बदन पर मुझे साबुन लगाने का मौका मिल जाता तो मजा आ जाता। मौसी धीरे-धीरे साबुन अपने पूरे बदन पर लगा रही थीं, तभी उन्होंने साबुन अपनी जाँघों पर लगाना शुरू किया।

ओह पूछो मत ! क्या मस्त सीन चल रहा था !

यह देखकर मेरा लण्ड तनतना कर खड़ा हो गया।

मौसी इस बात से बेखबर होकर अपनी चूत पर साबुन लगाने लगीं। वे बड़े आराम-आराम से अपनी मखमली चूत पर बड़े प्यार से मालिश कर रही थीं।

फिर मौसी ने शावर ऑन किया और अपने मखमली शरीर को नहलाने लगीं।

मेरे पूरे शरीर में आग लग रही थी। मौसी बड़े प्यार चूचियों को धोने-सहलाने लगीं। वे चूचियों की किशमिश को मसलने लगीं।

वो बाथरूम में लगे आईने में देख-देखकर अपने पूरे शरीर को मलने लगीं। उन्होंने टॉवेल लेकर अपने मखमली शरीर को पोंछने लगीं।

अब वो कपड़े पहनकर बाहर आने को थीं, तो में वहाँ से हट गया, परन्तु इस समय मेरा लण्ड फुफकार रहा था।

मन तो ऐसा कर रहा था कि अभी मौसी को पटककर चोद दूँ, परन्तु में सही वक्त के इन्तजार में था।

मैंने अपने लंड को हाथ से मुठिया कर शान्त किया। शाम के वक्त मौसी नहाकर अपने कपड़े बदल रही थीं।

मैं चुपके से यह देख रहा था मौसी केवल तौलिया लपेटे थीं। वो एकदम मस्त हुस्न की मलिका लग रही थीं।

उन्होंने अपने आप को ड्रेसिंग टेबल में लगे शीशे में देखा और तौलिया हटाकर पैंटी पहनने लगीं। यही मौका मुझे सही लगा और मैं मौसी के कमरे में घुस गया।

मुझे देखकर मौसी सकपका गई और बोलीं- राजा बाहर जाओ, देख नहीं रहे, मैंने कपड़े नहीं पहन रखे हैं।

मैंने मौसी को अपनी बांहों में लेकर कहा- मौसी, मैं तो बहुत दिनों से इसी फिराक में था कि मुझे कब आपको चोदने का मौका मिले।

वो गुस्साने लगी- मैं तेरी मौसी हूँ, तुझे ये सब शोभा नहीं देता है !

मैंने कहा- मौसी लंड और चूत के बीच केवल एक ही रिश्ता होता है, केवल चुदाई का।

जब मौसी ने देखा कि मुझ पर कोई असर नहीं हो रहा है तो बोलीं- मैं यह सब दीदी से कह दूँगी।

तो मैंने कहा- मौसी मैं तुम्हारी यह वीडियो फिल्म मौसा को दिखा दूँगा…

और अपना मोबाइल निकाल कर उनके सामने रख दिया और वीडियो क्लिप चालू कर दी।

मौसी यह देखकर हैरान रह गईं।

जब मौसी ने देखा कि मुझ पर कोई असर नहीं हो रहा है तो बोलीं- मैं ये सब दीदी से कह दूँगी।

तो मैंने कहा- मौसी मैं तुम्हारी ये वीडियो फिल्म मौसा को दिखा दूँगा और अपना मोबाइल निकाल कर उनके सामने रख दिया और वीडियो क्लिप चालू कर दी।


मौसी ये सब देखकर हैरान रह गईं कि मैंने ये सब कब कर दिया, तो मैंने बताया कि मैं जिस दिन घूमने गया था, उस दिन रास्ते में से ही वापस आ गया था और आपकी और आपके देवर की वीडियो बना ली थी।

मौसी- तुम बहुत ही बदमाश हो।

“आई लव यू मौसी ! तुम मेरे लिए एक फिल्म की हेरोइन की तरह हो।”

अब मौसी भी धीरे-धीरे हट छोड़ रही थीं।

मैंने मौसी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगा। उनके होंठ ऐसे लग रहे थे, जैसे मैं कोई आइसक्रीम खा रहा होऊँ।

अब मौसी भी धीरे-धीरे मेरा साथ देने लगीं। मैं उनके होंठ चाटने के साथ मम्मे भी दबाने लगा। मौसी अब गनगनाने लगीं। अब उन्हें भी मजा आने लगा था। वो भी मेरे होंठ चूसने के साथ मेरी पैन्ट से मेरे मेरे लंड को निकाल कर सहलाने लगीं। जैसे कोई बच्चे को दुलारता है।

मेरा लिंग देखकर वो हैरान रह गईं और उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं तथा बोलीं- बेटा, तुम्हारा लंड तो करीब 9″ का है और तुम्हारे मौसा का तो केवल 5″ का ही है।

वो वासना में सिस्कारने लगीं- आह… आह… ऊऊआ… आ… सी… सी… आह… ईईए… ऊऊओ… सी…

मैं उन्हें बेड पर ले गया और उन्हें लिटा दिया। थोड़ी देर उनके मम्मे चाटने के बाद मैं 69 की पोजीशन में आ गया और मैं उनकी चूत को चाटने लगा और वो मेरे लंड को चूसने लगीं। जिस तरह कोई आइसक्रीम को चाटते है, उसी तरह मौसी मेरे लंड को चाट रही थीं। वो मेरे लंड के सुपारे पर जीभ फिरा रही थीं, जैसे कोई जादूगरनी अपना जादू कर रही हो।

मैं तो उनका दीवाना हो चुका था। मुझे वो दुनिया की सबसे सुन्दर व सेक्सी औरत लग रही थीं। मैं भी उनकी चूत को बड़े प्यार से चाट रहा था। मैं अपनी पूरी मस्ती में था और अपना लंड मस्ती में उनके मुँह में जोर-जोर से धकिया रहा था।

मौसी का भी बुरा हाल था, 10-12 मिनट बाद मौसी ने अपनी चूत को भींचना शुरू कर दिया और बोलीं- राजा, मैं जाने वाली हूँ।

मैंने कहा- मौसी आने दो, मैं आपका रस पीना चाहता हूँ।

और मौसी ने अपना रस मेरे मुँह में गिराना शुरू कर दिया। उनका रस नमकीन था, परन्तु था बहुत स्वादिष्ट। मैं उनका पूरा रस पी गया।

करीबन 15 मिनट के बाद मैं बोला- मौसी मैं भी झड़ने वाला हूँ, बताओ मैं अपना माल किधर छोडूँ?

मौसी बोलीं- छोड़ दो मेरे मुँह में !

और मैंने 4-5 धक्कों के साथ अपना पूरा माल मौसी के मुँह में गिरा दिया और मौसी पूरा वीर्य पी गयी और मेरा लंड चाट-चाट कर साफ़ कर दिया जैसे कोई लॉलीपॉप चाटता हो। मौसी की चूत में तो खुजली हो रही थी। वो मेरा लंड मांग रही थी।

मौसी ने चूस-चूस कर मेरा लंड फिर खड़ा कर दिया तथा बोलीं- मेरी जान, आ जाओ मैदान में।

और मैं उनके ऊपर आ गया। मैंने अपना लंड को उनकी चूत के मुहाने पर रखकर घिसने लगा तो मौसी सातवें आसमान पर थीं, वो ‘आह… आ… सी-सी… आह… आह… उई… ई… ईओ… ओ… ओ…’ करने लगीं और बोलीं- मेरे राजा अब मत तड़पाओ… प्लीज मेरी चूत में अपना लंड डाल दो और मुझे निहाल कर दो।

मौसी की इस तड़प में मुझे आनन्द मिल रहा था।

मौसी गुस्से में बोलीं- भोसड़ी के घुसा जल्दी… नहीं, तो मेरी चूत फट जाएगी।

और मुझे गुस्सा आया… मैंने अपना लंड मौसी चूत पर रखकर जोरदार किक लगा दी और लंड चूत में आधा घुस गया.. फक्क की जोरदार आवाज आई और मौसी चिल्ला उठीं… ऊओह्ह्ह मर गई निकाल राजा ..तेरा बहुत मोटा है तेरा मैं मर जाऊँगीईई…

मगर मैंने नहीं निकाला… धक्के मारता गया, वे कुतिया सी मरी आवाज में बोलीं- धीरे से मेरे राजा, तेरा लंड ज्यादा बड़ा है… तेरे मौसा का तो 5″ का ही है और तेरा तो मुझे 9″ से ज्यादा बड़ा और 3″ मोटा लग रहा है।

मैंने धीरे-धीरे अपना लंड मौसी की चूत में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। कुछ देर में मौसी का दर्द गायब हो गया, तो मैंने अपना पूरा लंड मौसी की चूत में जोरदार झटके से पेल दिया। इस बार मौसी ऐंठ गईं… उन्हें जोर से दर्द हो रहा था। मैंने उनके मम्मे अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया, तब जाकर उन्हें थोड़ा आराम मिला।

मौसी अब धीरे-धीरे अपने चूतड़ उचकाने लगीं- आह्ह… आआह्ह्ह्ह… सीसी… ऊउम्मम्म… आह… आह… हई… हई…

मैं समझ गया कि वो अब मस्ती में है और मैं भी मस्ती में आकर चोदने लगा। उनके मुँह से मस्ती के स्वर फूटने लगे वो, ‘आह… सी… उई… उई… उफ़… उफ़…’ कर रही थीं।

मस्ती का आलम यह था कि अब वे कहने लगीं- राजा जोर से चोदो और फाड़ दो मेरी चूत, मेरी चूत को भोसड़ा बना दो। मुझे ऐसा पता होता कि तुम्हारा लंड इतना बड़ा है तो मैं तुमसे बहुत पहले ही चुदवा लेती।

मौसी कामुक अदा में लगातार सीत्कार करने लगीं और बोलीं- मेरे बालम… मेरे साजन… फाड़ दो मेरी चूत.. मेरी प्यासी की प्यास बुझा दो।

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर-जोर से झटके मारने लगा। थोड़ी देर बाद वो झड़ने लगीं और बोलीं- मेरे साजन, मैं तो झड़ने वाली हूँ।

और वो नीचे से अपनी कमर को उठा कर झटके देने लगीं, 8-10 धक्कों के बाद वो झड़ गईं परन्तु मेरी स्पीड और बढ़ गई। मैंने उन्हें करीबन आधा घंटे तक चोदा। इस दौरान वो तीन बार झड़ चुकी थीं।

मैं मौसी से बोला- जानू, मेरा होने वाला है किधर निकालूँ अपना माल चुत मे या बाहर ..?

मौसी बोलीं- राजा, मेरी चूत में ही गिरा दो अपना माल।

दस-बारह जोरदार धक्कों के बाद मैंने अपना माल मौसी की चूत में छोड़ दिया और मौसी के ऊपर ही लेट गया।

मौसी बोलीं- वाह राजा, मजा आ गया आज की चुदाई में आज पहली बार किसी मर्द से पाला पड़ा है। अब तो मैं तुमसे हमेशा चुदवाया करुँगी।

इस प्रकार हमारा पहला राउंड ख़त्म हो गया। हमने रात को खाना खाया और दूसरे राउंड के तैयारी करने लगे। मौसी अपनी बच्ची को सुलाने के बाद मेरे कमरे में आ गईं और हमारा दूसरा दौर शुरू होने जा रहा था।

मैं मौसी से चिपक गया तथा उनके होंठ चूसने लगा तथा एक हाथ से उनके स्तन दबाने लगा। थोड़ी देर में मौसी गरम होने लगीं और वो घूम गईं तथा मेरे सारे कपड़े एक-एक करके उतारने शुरू कर दिए, तो मैंने भी मौसी के सारे कपड़े उनके शरीर से अलग करने शुरू कर दिए।

पहले मैंने उनकी साड़ी उनके मखमली शरीर से अलग की, फिर उनका ब्लाउज उनके शरीर से अलग कर दिया, फिर उनका पेटीकोट उतार दिया। अब उनकी दूध जैसी सफेद टाँगें चमकने लगीं।

मैं उन्हें चूसने लगा बड़ा आनंद आ रहा था। मैं उनकी टाँगों के बीच खो गया तो मौसी ‘आऊउफ़… उफ़… सी… सी…’ करने लगीं।

मैंने उनकी ब्रा को उनकी चूचियों से अलग कर दिया। मौसी की चूचियों से महक आ रही थी। मैं उन्हें चूसने लगा। मौसी की चूचियों की घुन्डियाँ कड़ी हो गईं। मैं जीभ से उन्हें चुभलाने लगा और मौसी मस्ती में झूमने लगीं। इसके बाद मैंने उनकी पैंटी को उनके शरीर से अलग कर दिया।

मैंने उनकी चूत पर अपनी जीभ चलानी शुरू कर दी। उधर मौसी मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं इस समय आसमान में उड़ रहा था।

उधर मौसी मेरे लंड को पूरे जोश से चूस रही थी, मैं अपना आपा खो रहा था, मुझे इतना आनन्द आ रहा था कि मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता हूँ। मैं जोश में कभी-कभी मौसी के मुँह में झटके लगा देता था। ‘गूं..गूं’ की आवाज मौसी के मुँह से निकल रही थी।


15-20 मिनट के बाद मैं भी झड़ने के कगार पर था तो मौसी से बोला- मौसी मैं झड़ने वाला हूँ।

तो वो बोलीं- मेरे मुँह में ही डाल दो अपना माल… मैं तुम्हारे स्वादिष्ट माल को पीना चाहती हूँ।

मैंने कुछ दमदार धक्कों के बाद अपना वीर्य मौसी के मुँह मे निकाल दिया और वो मेरा वीर्य रस मलाई की तरह पी गईं तथा मेरा पूरा लंड उन्होंने जीभ से चाट-चाट कर साफ़ कर दिया।

थोड़ी देर में मौसी ने फिर से मेरे लंड को चूस चूस कर खड़ा कर दिया। अब मैंने मौसी को घोड़ी बनाया और उनके पीछे आ गया। मैंने अपना लंड मौसी की चूत पर घिसना शुरू कर दिया। मौसी अब तड़पने लगी मुझे और मौसी को इसमें आनन्द आ रहा था।

मौसी बोलीं- राजा जरा धीरे से घुसाना, ऐसा न हो की मेरी चूत पूरी फट जाए ! तुम्हारा लंड वैसे भी बहुत मोटा और लम्बा है।

मैंने एक धक्का दिया, लंड सीधा मौसी चूत को चीरता हुआ घुस गया।

मौसी चिल्लाई, ‘मर गई…. राजा निकाल मेरी तो फट गई आ… आ… ऊऊ… सीसी…’ करने लगीं।

उन्होंने अपने हाथ से देखा क़ि मेरा लंड अभी केवल आधा ही अन्दर गया है तो वो रुआंसी सूरत करके बोलीं- आज मार ही डालोगे क्या ! मैं उन्हें तड़फाने के लिए बोला- निकाल लूँ अपना लंड !

तो वो बोलीं- इतना अंदर जाने के बाद क्यों निकाल रहे हो… अब तो डाल दो पूरा अन्दर जो होगा देखा जायेगा।

मैंने कहा- मौसी यह हुई न शेरनी वाली बात..! और मैंने दो-तीन धक्कों में अपना पूरा लंड उनकी चूत में ठूँस दिया।

मौसी, “आ उफ़ उफ़ आ आ उफ़ उफ़…।” करने लगीं। मैंने उनकी चूची को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया, तो उनका दर्द कम हुआ और वो अपने चूतड़ों को आगे-पीछे करने लगीं। अब उनका दर्द कम हो चुका था, वो मस्ती में आती जा रही थीं। मैं भी मस्ती में धक्के लगा रहा था।

आहा.. क्या चुदाई चल रही थी हम दोनों तो जैसे खुले आसमान में उड़ रहे थे। फचा-फच की आवाज हो रही थी… मौसी के मुँह से आऽऽऽअ..अऽ. ..अ उफ़ उफ़ उफ़ उफ़ अहहहहः म्म्म्म्म् ऊऊऊऊ की मादक आवाजें गूँज रही थीं।

मैं भी पूरे जोश के साथ आनन्दित होकर मौसी को चोद रहा था।

“मेरे राजा तुमने मुझे चोदकर मेरा जीवन धन्य कर दिया। इससे पहले तो पता ही नहीं चला कि चुदाई किसे कहते हैं। मैं तुम्हारी जिन्दगी भर अहसान मंद रहूँगी।
मेरी चूत मारते रहो राजा… अब तो मैं तुमसे रोज चुदूँगी।” मौसी बड़बड़ा रही थीं, “राजा फाड़ दे मेरी चूत को जोर से राजा जोर से मेरी चूत को भोसड़ा बना दे आ आ सी सी ऊऊ आ आ सी ऊ आह्ह हह ईई,” कर रही थीं।

मैं भी धकापेल चुदाई में लगा था, 10-15 मिनट के बाद मौसी बोलीं- मेरे राजा ओ मेरे साजन, मैं झड़ने वाली हूँ..

तथा वो 5-6 धक्कों के बाद अपनी चूत को सिकोड़ने लगीं तो मेरी समझ में आ गया कि वो झड़ रही हैं। वो अपना नमकीन पानी मेरे लंड के ऊपर छोड़ रही थीं और मुझे इतना सुख मिल रहा था कि मैं आपको शब्दों में बता नहीं सकता। मैंने अपनी स्पीड को बनाए रखा, कु्छ देर के बाद मैं भी झड़ने वाला था, तब तक मौसी तीन बार झड़ चुकी थीं।

मैं मौसी से बोला- मेरी जान मैं भी झड़ने वाला हूँ अपना माल किधर डालूँ अन्दर या वाहर…!

तो बोली- अबे भोसड़ी के एक बार तो तुम मेरी चूत में गिरा चुके हो तो दुबारा भी मेरी चूत में ही गिरा दो कुछ नही होगा मे रोज पिल लेती हु।

मैंने 10-12 धक्कों के बाद मौसी की चूत में ही झड़ गया, कुछ देर बाद मौसी पलटीं और मेरा लंड लेकर चूसने लगीं तथा पूरे लंड का वीर्य चाट-चाट कर साफ़ कर दिया।

मैं बोला- मौसी तुम तो कह रही थीं कि मेरी चूत में डाल दो तो फिर मुँह में क्यों?


“अरे मेरे राजा… मुझे वीर्य चखना भि बहुत अच्छा लगता है इसलिए।”

और फिर हम एक-दूसरे से चिपक कर सो गए।


End
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#9
Bahut vachhi kahani
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#10
मैं बच्चे के लिये अपने ननदोई से चुदी



मेरी ननदोई के साथ सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि शादी के बाद जब मेरे पति मुझे सेक्स का पूरा मजा नहीं दे पाए और मुझे कोई बच्चा नहीं दे पाए तो मैंने कैसे अपने ननदोई पटाने का सोचा. मैं उनसे कैसे चुदी और मुझे सन्तान का सुख मिला.

कैसे हो मेरे प्यारे दोस्तो? मेरा नाम दिशा (बदला हुआ) नाम है. मैं एक शादीशुदा लड़की हूँ. मेरी उम्र 24 साल फिगर 34-32-36, चूची खड़ी हुई, रंग गोरा, मैं गदराये हुए बदन और गदराई चूत की मालकिन हूँ. ए मेरी जिन्दगी में घटित हुई ये एक सच्ची चुदाई की घटना है.

मेरी स्टोरी शुरू करने से पहले मैं आप लोगों को अपने परिवार से परिचित करवा देती हूं.

मेरी शादी गांव में हुई है. ससुराल वाले घर में मेरे सास ससुर, मेरे पति और मैं ही हूँ. मेरे पति की छोटी बहन यानि मेरी ननद की शादी पहले ही हो चुकी थी।

हमारे घर में सब सुख शांति से चल रहा था और मेरी ससुराल में कोई कमी नहीं थी. अगर कोई कमी थी तो वो थी सिर्फ मेरी चूत की चुदाई की। मुझे मेरे पति अच्छे से नहीं चोद पाते थे, मेरी अन्तर्वासना अतृप्त रह जाती थी.

मैं आपको बताना चाहती हूँ कि शादी से पहले मेरा चुदने का बहुत मन होता था लेकिन मैं कभी किसी से चुदी नहीं. क्योंकि मुझे माता पिता व भाइयों की इज्जत का ख्याल था.

मुझे मेरे कॉलेज के और मोहल्ले के बहुत से लड़के चोदना चाहते थे. दो लड़के तो मुझे प्रोपोज़ भी कर चुके थे. कहते थे कि वे मुझे दिल से चाहते हैं. लेकिन मुझे आजकल के लड़कों का पता है … साले सारे के सारे लड़की की जांघों के बीच में घुसना चाहते हैं.

मुझे पता था कि सेक्स में बहुत मजा अता है क्योंकि मेरी कुछ सहेलियों ने अपने चोदू यार पाल रखे थे और वे उनसे अक्सर अपनी चूत चुदवाती रहती थी. मेरी सहेलियां अक्सर मुझे अपनी चुदाई की कहानियाँ सुना कर बेचैन कर देती थी.
लेकिन मैंने सोचा हुआ था कि मैं अपनी शादी के बाद ही अपनी चूत को अपने पति से ही खूब चुदवाऊँगी और सेक्स का मजा लूंगी.

मेरे एक चचेरे भाई ने मुझे सोती हुई को किस किया और मेरे बूब्ज़ भी दबाये थे. इससे मेरी नींद खुल गयी और मुझे अपने भाई की इस गन्दी हरकत का पता चला तो मुझे बहुत बुरा लगा, मुझे बहुत गुस्सा आया. मैंने उसे खूब झिड़का, खूब डांट पिलाई.
वो तो मेरे पैरों पड़ गया और माफी मांगने लगा नहीं तो मैंने पूरे कुनबे में उसकी बेइज्जती करवाने की सोच ली थी.

खैर मैंने उसे माफ़ कर दिया था. उसके बाद से वो मेरा गुलाम हो गया था. मेरे सारे काम वो अर्दली की तरह कर देता था.

हाँ तो अब असली मुद्दे पर आती हूँ.

शादी के बाद जब मैं अपनी ससुराल पहुँची तो मुझे सुहागरात में घनघोर चुदाई का इंतजार था. मैं अपनी कुंवारी चूत को खूब साफ़ करके संवार के चिकनी बना के ससुराल गयी थी. मुझे लगता था कि मेरे पति के लिए मेरी कुंवारी चूत से बढ़ कर कोई और तोहफा नहीं हो सकता.

लेकिन पहली रात में जब वो मेरे पास में पहुँचे और जब मैंने उनका लंड देखा तो बिल्कुल छोटा था. मुझे लंड के बारे में ज्यादा तो नहीं पता था पर मुझे अंदाजा था कि मेरे पति का लंड सामान्य से छोटा है.

खैर मेरे पति ने बिना किसी भूमिका के मुझे नंगी किया और मेरी कुंवारी गर्म चूत में अपना नन्हा सा लंड डाल कर थोड़ी देर गुच गुच करी और कुछ ही देर में झड़ गए. उनका लन्ड तो छोटे बच्चे की तरह था, वे कुछ नहीं कर पाए, मैं प्यासी रह गई.
मेरी तो किस्मत ही फूट गयी।

मैंने पति को कुछ नहीं कहा. पर मैंने खुद से कहा कि लगता है अब पूरी उम्र बिना चुदे ही रहना पड़ेगा.

लेकिन करूं तो करूं क्या … दो महीने बाद मेरा फिसड्डी पति विदेश की नौकरी पर 7 महीने के लिए चला गया. मैं बेचारी बिना चुदे ही रह गयी. बस जैसे तैसे अपनी चूत में उंगली करके अपनी कामवासना शांत करती थी.

जैसे तैसे मैंने 7 महीने काटे और सोचती रही कि जब दोबारा आएंगे तो मेरी चुदाई करेंगे।
लेकिन जब वो वापस आये तो मेरी बिल्कुल चुदाई नहीं हो पाई. अब तो उनका लन्ड खड़ा ही नहीं होता था।

अब तो मैं सोच रही थी कि कैसे भी करके मेरे एक बच्चा हो जाये बस।
मैं सोचने लगी कि क्या करूं … किससे कहूँ।

अब मैं आपको बता दूं कि मेरे पति के विदेश जाने के बाद मैंने अपनी ननद के यहाँ गई थी।
मैं अपने ननदोई के बारे में बता दूँ कि वो लखनऊ में जॉब करते थे, वहीं पर कमरा लेकर रहते थे. उनका एक 03 साल का लड़का था.

उनके बच्चे के जन्मदिन पर मैं अपनी शादी के बाद पहली बार उनके यहां पहुँची थी. मेरे पहुँचते ही मेरे ननदोई व ननद ने मेरा स्वागत किया.
जन्मदिन के बाद मेरी ननद ने कहा- भाभी, भैया तो विदेश चले गए हैं, भाभी आप यहीं कुछ दिन के लिए रुक जाओ.
तो मैं रुक गई।

मैं अपनी ननद के साथ लेटती थी व ननदोई अलग लेटते थे।
एक दिन रात में मेरी नींद खुली तो देखा कि दीदी मेरे साथ नहीं थी और ननदोई की चारपाई से कुछ आवाज आ रही थी।
मैं चुपचाप आँखें बन्द करके लेटी रही. अब नींद कहा आने वाली थी जब एक ही रूम में मेरे ननदोई और ननद चुदाई का प्रोग्राम बना रहे होम. नींद का बहाना बनाकर मैं उनकी तरफ देखती रही।
मेरी ननद के होंठों को ननदोई जी चूस रहे थे. यह देख कर मेरी चूत में पानी आने लगा. मैं धीरे धीरे अपनी चूत में उँगली करने लगी.

ननदोई जी मेरी ननद के चूचों को दबाते हुए निप्पल भी छेड़ रहे थे. अब वो गर्म होने लगी थी. कुछ देर तक उनके निप्पलों को छेड़ने के बाद ननदोई जी ने ननद के लोअर में हाथ डाल दिया.
वो पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को सहलाने लगे।

अब वो गर्म हो गई और मुंह से हल्की सी आह्ह निकल गई. वो उनकी चूत को अब जोर से सहलाने लगे. उसके बाद ननद उनके लंड को अपने हाथ से टटोलते हुए उनके लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया।

मेरी चूत बह रही थी।

उन्होंने ननद के लोअर को नीचे कर निकाल कर दिया. अब दीदी की चूत पर केवल पैंटी रह गई थी. फिर ननदोई ने पैंटी को भी निकालकर पूरी नंगी कर दिया.

दीदी उनके सामने पूरी की पूरी नंगी लेटी हुई थी और उनके लंड को अपने हाथ में पकड़ कर जोर से सहलाते हुए मजा ले रही थी.

उनकी पैंटी को निकालने के बाद दीदी की चूत को अपने हाथ रगड़ना शुरू कर दिया. ननद ने उनके कच्छे में हाथ डालकर लंड को सहलाया फिर उनके अंडरवियर को उतार दिया.

ननदोई जी का लंड पूरा का पूरा तना हुआ था. ननद ने गर्म लंड को अपने हाथ में भर लिया. उसके बाद वो ननद की चूत को सहलाने लगे और वो उसके लंड को पकड़ कर सहलाने लगी.

अब उनके मुंह से कामुक सिसकारियां भी निकलने लगी थीं.

ननदोई जी का लंड बहुत लंबा था. ननदोई ने मेरी ननद को लंड मुंह में लेने को बोला तो दीदी ने मना कर दिया. शायद दीदी को अच्छा नहीं लगता होगा।
वो उनकी चूत में उंगली कर रहे थे। फिर वो उनकी चूत को चाटने लगे.

उसके बाद कुछ देर तक उनकी चूत को चाटा और फिर उनकी टांगों को फैला दिया.

मैं उनकी हर एक हरकत को देख रही थी.

ननदोई ने दीदी की चूत पर लंड को रख दिया और चूत पर लंड को रखकर रगड़ने लगे. मेरी ननद गर्म ही चुकी थी। ननदोई ने अपने लंड उनकी चूत के ऊपर सेट कर दिया और धक्का देने लगे तो उनकी चीख निकल गई ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’

लेकिन साथ ही ननदोई उनके मुंह पर हाथ रख दिया और चुदाई की गति को तेज करने लगे. ननदोई जी का मोटा लंड उनकी चूत में फंसा था।

उसके बाद तेजी के साथ धक्के लगाने शुरू कर दिये. अब उनको काफी मजा आने लगा और वो मजा लेते हुए चुदने लगी.

कुछ देर के बाद ननद अपनी चूत में उनके लंड को और अंदर लेने के लिए अपनी टांगों को उसकी कमर पर लपेट लिया. उनका लंड चूत की गहराई में पूरा जाने लगा. अब उनको बहुत ज्यादा मजा आने लगा.

मेरी ननद की चुदाई हो रही थी और मुझे लग रहा था कि अभी मैं ननद को हटाकर मैं अपनी चूत चूत में लंड को लेकर चुदती रहूँ।

वो उनकी चूत की चुदाई तीस मिनट तक करते रहे. तब मुझे पता चला कि इतनी देर चुदाई होती है। दोनो लोगों ने एक दूसरे को बांहों में कस लिया ननद धीरे-धीरे शांत होने लगी.

उसके बाद ननदोई की स्पीड के कारण उनकी चूत से पच-पच आवाज होने लगी. उनकी गति पहले से भी और ज्यादा तेज होती जा रही थी.

अब दीदी की चूत में शायद दर्द होने लगा था. वो उनको हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो नहीं रुक रहे थे.

फिर दो मिनट के बाद उसकी गति धीमी पड़ने लगी. ननदोई जी ने अपना लंड दीदी की चूत से बाहर निकाल लिया और अपना वीर्य एक कपड़े पर छोड़ दिया. वो भी शांत हो गये.
शायद वीर्य बाहर इसलिए निकाला कि वो लोग अब दूसरा बच्चा अभी नहीं चाह रहे थे।

उसके साथ ही मेरी भी पैंटी पूरी गीली हो गई मेरी चूत से लगातार बह रहे कामरस से!

दीदी उठकर बाथरूम चली गई और मेरे साथ सो गई आकर!

लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी।

फिर कुछ दिन और रुकने के बाद मैं अपनी ससुराल चली गई. मुझे चुदाई के लिए ननदोई जी के लन्ड की याद आती रही।

मुझे लगा कि मेरा माँ बनना जरूरी है. इससे मेरे सास ससुर, सगे संबंधी भी शांत रहेंगे. मैंने निर्णय किया कि मैं अपने ननदोई से अपनी चूत कर एक बच्चा पैदा करूंगी। मैं उसके बाद वापस अपनी ससुराल आ गयी थी.

तब मैंने नोटिस किया था कि मेरे ननदोई जी का लंड बहुत बड़ा है और वो मुझको चोदने भरी नजरों से देखा करते थे.

उस से प्रेरित होकर मैंने सोचा था कि काश यही लण्ड मुझे मिल जाये तो मैं खूब उछल उछल के चुद जाऊँ और अपनी बरसों की प्यास बुझा लूँ।
लेकिन मैंने वासना पूर्ति के लिए ऐसा नहीं किया। मुझे लगा कि यह हमारे संस्कारों के विरुद्ध होगा.

लेकिन बाद में मेरे दिमाग एक बात आई कि अगर जल्दी मेरी कोई औलाद ना हुई तो मेरे सास ससुर मुझे ताने मारने लगेंगे. पड़ोसी भी पूछने लगेंगे कि बहू में कोई कमी है क्या. मेरे अपने माँ बाप भी नाना नानी बनने के सपने देख रहे होंगे. मेरा भाई भी मामा कहलवाने को उत्सुक होगा.

मुझे लगा कि मेरा माँ बनना जरूरी है. इससे समाज भी शांत रहेगा और मेरे सगे संबंधी भी. मुझे भी एक खिलौना मिल जाएगा, मैं अपनी वासना को भुला कर अपना शेष जीवन अपने बच्चे के पालन पोषण में लगा दूंगी. अपने बच्चे को ही जीवन का उद्देश्य बना लूंगी.

यह सब विचार कर मैंने निर्णय किया कि क्यों न अपने ननदोई से अपनी चूत चुदा ली जाये और एक बच्चा कर लिया जाए।

जब मेरे पति विदेश से आ गए तो 2-3 हफ्ते उनके साथ बिताने के बाद मैंने अपने पति से कहा- मैं कुछ दिन के लिए दीदी के यहाँ जा रही हूँ.
मेरे सास ससुर ने भी मना नहीं किया और मैं अपनी ननद के यहां चली गई।

ननदोई जी मुझे स्टेशन से लेने आये.
तो मैंने देखा कि उनका लन्ड तो पैन्ट के ऊपर से भी दिख रहा था।

उन्होंने मेरा हाल पूछा- भाभी जी, कैसी हो आप?
तो मेरी आँखों से आंसू निकल आये.
ननदोई जी ने मुझे अपने सीने से लगाकर चुप कराया और कहा- मैं आपका दर्द समझता हूँ.
और वे मुझे अपने बाइक पर बैठा कर घर पर ले जाने लगे.

तो अब मैंने उनको पटाने की शुरुआत की अपनी चूचियां उनकी पीठ पर रगड़ने लगीं. ननदोई जी के बदना की सिहरन से मैं समझ गयी कि ये उत्तेजित होने लगे हैं और इनका लण्ड खड़ा होने लगा है।
ये सब जान कर मेरी चूत से पानी बहने लगा जब तक घर पहुँची।

अब मुझे जब भी मौका मिलता तो मैं उनके सामने अपनी गांड हिलाकर चलती. कभी अपने मम्मे कुरते के ऊपर से दिखा देती।
अब तो वो भी समझ गये थे कि मैं उनसे चुदने को बेताब हूँ।

अगले ही दिन मेरी ननद बाथरूम में नहा रही थी और मेरे ननदोई सो रहे थे. उनका लन्ड कच्छे में तम्बू बनाये हुए था.
मैंने उनको एक गाल पर किस करते हुए कहा- आज तो अलग ही मूड है क्या?
मैं उनके लन्ड को सहलाने लगी.

तो उन्होंने मुझे अपनी बांहों में लपेट लिया और मेरे होंठों से अपने होंठ जोड़ कर मेरे होंठ चूसने लगे. मैं भी ननदोई जी का साथ देने लगी और वे मेरे मम्मे दबाने लगे।
वो सलवार के ऊपर से ही मेरी चूत दबाने लगे और मैंने उनका लण्ड पकड़ा हुआ था.

तभी मेरी ननद के बाथरूम से बाहर आने की आवाज आई और हम लोग अलग हो गए।

तब से हम लोग मौका देखने लगे.

एक दिन की बात है मेरी ननद सुबह टहलने के लिए गई हुई थी. मेरे ननदोई सोये हुए थे। मैं उनके लन्ड को सहलाने लगी। मैं उनको किस करने लगी, उनके होंठों को चूसने लगी और वो मेरा साथ देने लगे, कहने लगे- भाभी, जब से मैंने आपको देखा है तब से आप मुझे अच्छी लगती हो. तभी से आपको चोदने की सोच रहा हूँ. मैंने आपकी सुहागरात के बाद ही समझ लिया था कि भैया आपको नहीं चोद पाये।
मैंने कहा- जीजा जी, चुप रहो और मेरी प्यास बुझाओ।

उनका लंड भी काफी लम्बा और मोटा महसूस हो रहा था. मुझे उलके लंड को पकड़ने में मजा आ रहा था.

हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे के बदन को चूमते रहे. उन्होंने मुझे किस करने के बाद मेरी मैक्सी को निकाल दिया और मैं ब्रा और पेंटी में हो गयी. उन्होंने मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूची को बहुत देर तक मसला.
उसके बाद वो मेरी पेंटी को चाटने लगे. मेरी चूत से पानी निकल रहा था जिससे मेरी पेंटी भीग गयी थी.

उसके बाद उन्होंने मेरी ब्रा और पेंटी निकाल दिया. अब मैं उनके सामने नंगी हो गयी थी. मेरे छोटी छोटी चूचियों को देख कर वो एकदम से मचल गये. वो मेरी एक चूची को चूसने लगे और दूसरी को मसलने लगे. उसके बाद वो मेरी दूसरी चूची को चूसने लगे और पहली को मसलने लगे.

इसके बाद वो नीचे को हुए और मेरी चूत को चाटने लगे.

मैं मादक सिसकारियां ले रही थी. मैं एकदम से चुदाई के लिए बेचैन हो गयी थी.

ननदोई जी मेरी चूत चाटने के बाद मेरी चूत में उंगली करने लगे. मेरी चूत पर एक भी बाल नहीं था, जिससे उन्हें मजा आ रहा था. हम दोनों लोग एक दूसरे का साथ अच्छे से दे रहे थे.

वो मेरी चूत में उंगली करने के बाद मुझे अपना लंड चूसने के लिए बोलने लगे. लेकिन मैंने उसको लंड चूसने के लिए मना कर दिया. क्योंकि ऐसा मैंने किया नहीं था। वो मन मार कर मान गये. उसके बाद वो मेरी चूत में दुबारा उंगली करने लगे.

मेरी चूत से पानी निकलने लगा था. मैं उत्तेजित होकर उसको अपनी चूत में और अन्दर तक उंगली करने के लिए बोल रही थी. वो जोर जोर से मेरी चूत में उंगली करने लगे थे. मैं भी जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी थी.

उसके बाद तो हम दोनों चुदाई करने लिए एकदम रेडी हो गए.
मैंने उनसे कहा- अब देर न करो, पहले मेरी प्यास बुझा दो, मैं अभी कुँवारी हूँ, बाद में में मेरे जिस्म से खेल लेना.

वो मान गये और ननदोई जी ने मुझे चित लिटा दिया और मेरी बुर के आगे अपना खड़ा लंड लेकर मेरी चुदाई के लिए तैयार हो गये.

मैंने चूत खोल दी थी तो उन्होंने मेरी बुर की फांकों पर अपना लौड़ा टिका दिया. उनके लंड के स्पर्श से मेरी बुर एकदम से चुदने के लिए मचल उठी.

कुछ देर ननदोई जी मेरी चूत पर अपना लंड रख कर रगड़ते रहे. उसके बाद मैंने अपनी आंखों से मेरी बुर चुदाई करने का इशारा किया तो वे अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे. लेकिन उनका लन्ड मेरी बुर के अंदर जा ही नहीं रहा था क्योंकि मेरा बेकार पति मेरी बुर की सील नहीं तोड़ पाया था.

ननदोई जी ने अपने लन्ड को दोबारा मेरी बुर के छेद पर सेट किया और एक धक्का मारा तो उनका आधा लन्ड मेरी बुर में चला गया मुझे दर्द होने लगा. मैं चीख पड़ी.
ननदोई जी रुक गए.
मैंने कहा- जीजू, मैं दर्द को सह लूँगी, आप बस मेरी चुदाई करो!

इस बात पर उन्होंने दूसरा धक्का मारा तो पूरा लन्ड मेरी बुर में समा गया, जीजू के मोटे लंड के मेरी बेचारी बुर में जाते ही मेरी दर्द भरी सिसकारी निकल गई ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’ लेकिन मेरी औलाद पाने की चाहत ने जल्द ही उनके लंड को सहन कर लिया.

उसके बाद वो मेरी चूत में अपना पूरा लंड डाल कर मेरी चूत को चोदने लगे. हम दोनों लोग चुदाई करने लगे.

थोड़ी देर के बाद ननदोई जी ने मेरी चिकनी गोरी टांगों को अपने मजबूत कंधों पर रख लिया और मेरी बुर में अपना लंड पूरा अन्दर घुसा कर मेरी बुर को चोदने लगे.

हम दोनों ननदोई सलहज मस्ती से चुदाई कर रहे थे और साथ में एक दूसरे को किस कर रहे थे. चुदाई करते करते ननदोई जी मेरी चूचियों को खूब मसल रहे थे … कभी मेरे उरोजों के चूचुकों को अपने लबों में दबा दबाकर चूस रहे थे.

धकाधक चुदाई हो रही थी मेरी बुर की. गर्मी का समय था, और रूम में ac भी चल रही थी लेकिन हम दोनों सलहज ननदोई चोदन करते हुए पसीने से तर हो गए थे. मुझे बहुत पसीना आ रहा था. मुझसे ज्यादा तो उनको पसीना आ रहा था.

चुदाई के पहले ही मेरी बुर काफी गर्म हो गयी थी और उनका लंड मेरी चूत में अन्दर बाहर हो रहा था, जिससे मेरी चूत में अजीब सा अच्छा मजा आ रहा था.

मुझे जीवन में पहली बार एक दमदार लंड से चुदने के लिए मौका मिला. शायद ननदोई जी को भी बहुत दिनों बाद एक टाईट चूत मिली थी तो वो बहुत जोर लगाकर मुझे चोद रहे थे. जिससे हम दोनों को ही बहुत अच्छा लग रहा था.

ननदोई जी के लंड से मेरी चूत की प्यास बुझ रही थी … उनका मोटा लंड मेरी चूत को पूरा मजा देकर अंदर तक चोद रहा था.

मैंने तो उनसे चुदते वक्त ही सोच लिया था कि अब मेरे पति तो मुझे नहीं चोदेंगे, तो मैं इनके यहाँ आकर ननदोई जी से चुदती रहूंगी. मुझे इतना मजा आ रहा था कि मेरी वासना ने मेरे संस्कारों पर विजय प्राप्त कर ली थी.

वो अपना पूरा लंड अन्दर डाल कर मेरी चूत को चोद रहे थे, जिससे मुझे और भी मजा आ रहा था और साथ में मुझे शांति भी मिल रही थी. मैं गांड उठा उठा कर उनसे चुदवा रही थी.

करीब तीस मिनट तक वो मेरी चुदाई करते रहे इस बीच मेरा दो बार पानी निकल चुका था लेकिन उनका निकलने का नाम नहीं ले रहा था मैं सोच रही थी कि काश मेरे पति भी ऐसी चुदाई करने लगे तो मैं रोज ऐसे ही चुदूँ.

उन्होंने ने कहा- मेरा आने वाला है वीर्य कहां निकालूँ?
मैंने कहा- जीजा जी, मेरे अंदर ही निकालो. मुझे एक बच्चे की माँ बनना है. आपके साले में तो दम है नहीं कि मुझे माँ बना सके.

हालांकि वो इस वक्त चरम पर आने को थे लेकिन तब भी वो मुझे पूरा जोर लगा कर चोद रहे थे. मेरी सिसकारियां भी तेज होने लगी थीं.

तभी ननदोई जी मेरी चुदाई करते हुए झड़ने लगे. उन्होंने अपना सारा वीर्य मेरी चूत में भर दिया। हम दोनों ने बहुत देर तक सेक्स किया था. इसके बाद दोनों ने एक साथ अपना पानी छोड़ दिया … जिससे हम दोनों को ही बहुत मजा आया.

थक कर मैं कुछ देर के लिए जीजू के साथ ही लेट गई. हम दोनों की सांसें काफी तेज चल रही थीं. हम दोनों चुदाई के बाद पूरे नंगे ही पड़े थे.

ठोडी देर के बाद मैं उठ गयी और मैंने अपनी चड्डी और ब्रा पहन ली. फिर मैं अपना गाउन पहन कर बाथरूम में जाने लगी तो ननदोई जी ने मुझे रोका और कहा- थोड़ी देर चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर लेटी रहो जिससे मेरा वीर्य बाहर न निकले.

मैं लेटी रही. ठोडी देर बाद मेन गेट के खुलने की आवाज से हमने पता चल गया कि दीदी भी टहल के आ गई हैं तो मैं फटाफट से उठ कर बाथरूम में चली गयी.

फिर मैं अपनी ननद के यहाँ करीब एक महीने रुकी. इस बीच मैंने लगभग रोज ननदोई जी से चुदाई करवायी क्योंकि ननद रोज टहलने जाया करतीं थीं. ननदोई जी ने बहुत सारी पोजिशन में मेरी चुदाई की और पूरी कोशसिह की कि उनका वीर्य मेरी चूत के अंदर टिका रहे.

कुछ दिन बाद मेरी माहवारी के समय पर माहवारी नहीं हुई तो मैं बहुत खुश हो गयी. मैंने ननदोई जी को यह खुशखबरी दी तो वे भी बहुत खुश हुए कि मेरे पेट में बच्चा ठहर गया है.

फिर मैं अपनी ससुराल वापस चली गई. मैंने अपने पति और सास-ससुर को बताया तो सभी लोग काफी खुश हुए. मेरे पति या किसी और को कोई शक भी नहीं हुआ क्योंकि जब मैं ननद के घर गयी थी तो अपने पति का नाम करने के लिए उस्ससे बहुत बार चुदकर आई थी. लेकिन उनको कहाँ पता कि उनकी नाम की चुदाई से बच्चे पैदा नहीं होते.

फिर नौ माह बाद मेरे एक लड़का पैदा हुआ.

अब सभी लोग काफी ख़ुश हैं. फिर जब मौका मिला मैं ननदोई से चुदती रही. वैसे तो किसी दूसरे मर्द से चुदना अच्छा नहीं होता. लेकिन क्या करें … लोग मजबूरी में ये सब करते हैं.


End
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#11
फूफा जी ने मेरी माँ चोद दी-

मेरा नाम मोनू है। मैं 26 साल का लड़का हूँ। मैं सीकर का रहने वाला हूँ। मैं आज आपको मेरी मम्मी और मेरे फूफा जी के बारे में बताता हूँ। बात शायद 15-16 साल पुरानी है, मेरी मम्मी बड़ी ही सुंदर और गोरी हैं, देखने में बहुत ही मस्त लगती हैं। मुझे यह कहने में ही शर्म आ रही है, मगर क्या करूँ, मेरी मम्मी ने काम ही कुछ ऐसा किया था।

मेरी मम्मी बहुत ही लड़ाकू किस्म की महिला हैं। वो मेरे पापा और दादा-दादी से लड़ती रहती थीं। ऐसे ही एक बार मेरी मम्मी सब से लड़ कर मेरे नाना-नानी के घर पर आ गई थीं। हम लोग नाना-नानी के घर पर एक महीने से ज़्यादा समय से रह रहे थे।

एक दिन मेरे फूफा जी जो कि जयपुर में रहते हैं, हमारे घर आए। वो वहाँ पर किसी काम से आए थे और उन्हें 3-4 दिन वहीं पर ही रुकना था। उन्होंने खुद के लिए एक होटल में कमरा किराए पर ले रखा था। एक दिन वो हमारे घर आए। मेरे फूफा जी हमें बहुत अच्छे लगते हैं क्योंकि वो हमेशा हमारे लिए बहुत सा सामान लाते थे। मेरे फूफा जी 6 फुट लंबे गोरे और स्मार्ट हैं। उस समय उनकी उम्र 28 साल के लगभग रही होगी।

किस्मत से जिस दिन वो आए थे, उसी दिन मेरे नाना-नानी को बाहर काम से जाना था। जब फूफा जी हमारे घर आए तो वो हमारे लिए काफ़ी सामान लाए थे। आने के बाद वो नाना-नानी के साथ हॉल में बैठ कर बातें कर रहे थे। सारी बातों का केंद्र मेरे पापा और दादा-दादी थे। फूफा जी मेरे मम्मी को वापस चलने के लिए मना रहे थे।।

शाम को नाना-नानी फूफा जी को घर पर तीन दिन रुकने के लिए कह कर काम से चले गए थे। मैं, मेरी बहन और मेरी मम्मी फूफा जी के साथ हॉल में बैठे थे और बातें कर रहे थे। किसी बात पर मम्मी रोने जैसी हो गई थी और फूफा जी उन्हें समझा रहे थे।

तभी फूफा जी ने हमें यह कह कर बाहर खेलने भेज दिया कि बच्चों को ऐसी बातें नहीं बतानी चाहिए, इससे उनके मन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, पर मेरा मन तो मम्मी पर ही था। मैं वहाँ पर रुकना चाहता था और उनकी बातें सुनना चाहता था, पर मम्मी ने मुझे बाहर भेज दिया।

मैं और मेरी बहन घर के सामने पार्क में खेलने चले आए। पर मुझे उनकी बातें सुननी थीं तो मैं वापस घर आ गया और अंदर ना जाकर बाहर गेट के पास खड़ा हो कर उनकी बातें सुनने लगा।

मेरे फूफा जी कह रहे थे कि यह सब तो घर में चलता रहता है। इस पर घर छोड़ कर नहीं आते।

मम्मी- पर वो लोग मुझे पसंद नहीं करते हैं, मुझे परेशान करते हैं।
फूफा जी- भैया तो पसंद करते हैं ना ! आपको तो उनके साथ रहना है।

मम्मी- उनको मेरे साथ रहना होता तो मुझे लेने नहीं आते क्या?
फूफा जी- उन्होंने ही मुझे भेजा है।
ुमम्मी- नहीं, मुझे वहाँ नहीं जाना है। मैं वहाँ नहीं रह सकती!

और यह कह कर मम्मी रोने लगीं, फूफा जी उनको चुप कराने लगे, कभी उनके आँसू पोंछते कभी कुछ।

तभी मम्मी उनके गले से लग कर रोने लगीं। फूफा जी उनके सर पर हाथ फेर रहे थे। थोड़ी देर बाद मम्मी का रोना बंद हो गया पर मम्मी फूफा जी से चिपक कर ही खड़ी रहीं।

मम्मी और फूफा जी के हाथ दोनों की कमर पर फिर रहे थे। थोड़ी देर बाद फूफा जी मम्मी के होंठों को चूमने लगे। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है। उस उम्र में मुझे सेक्स के बारे मे कुछ भी पता नहीं था।

फूफा जी ने मम्मी को सोफे पर पटक दिया और उनका ब्लाउज खोल कर उनके स्तनों को चूसने लगे। उसके बाद उन्होंने अपने पैंट और अंडरवियर भी नीचे सरका दी। मम्मी का घाघरा ऊपर करके उनकी पैंटी उतार दी। उन्होंने मम्मी को ऊपर-नीचे किया और अपना लंड मम्मी की चूत में डाल दिया।

मम्मी तो सोफे पर बस अपनी आँखे बंद कर के लेटी हुई थीं। मम्मी के हाथ फूफा जी की कमर पर थे। थोड़ी देर बाद ही मम्मी ने अपनी दोनों टाँगें फूफा जी की कमर से जकड़ दीं। अब फूफा जी मम्मी को हचक कर चोद रहे थे। मम्मी भी पूरी तरह से उनका साथ दे रही थीं।

करीब 10 मिनट के बाद फूफा जी ने मम्मी को औंधा करके कुतिया जैसा बना दिया और अब मम्मी के स्तन सोफे की तरफ झूल रहे थे और मम्मी की चूत फूफा जी की तरफ थी। फूफा जी ने मम्मी की चूत में लौड़ा डाल दिया। अब मम्मी घोड़ी बन कर चुदा रही थीं।

कुछ देर बाद फूफा जी ने मम्मी को फिर सीधा किया और उन पर चढ़ गए और तेज धक्के मारने चालू कर दिए।

मम्मी की मुँह से लगातार चीखें निकल रही थीं। थोड़ी देर बाद फूफा जी मम्मी की चूत में अपना लौड़ा घुसेड़ कर एकदम से अकड़ गए और फिर निढाल हो कर लेट गए।

मम्मी उठीं और अपनी पैंटी पहन कर कपड़े ठीक करके बोलीं- आज जाने कितने दिनों बाद चुदाई की है। मैं तो लाख कोशिश करने के बाद भी रुक नहीं पाई।

फूफा जी- मैं तो कबसे तुम्हें चोदने की सोच रहा था, पर आज मौका मिला है। रात को और मज़े से करेंगे।
रात को खाना खाने के बाद हम लोग टीवी देख रहे थे। मम्मी और फूफा जी पास-पास ही बैठे थे। फूफा जी के हाथ मम्मी की कमर पर थे और मम्मी बार बार हटा रही थीं और धीरे से कह रही थीं- बच्चे देख लेंगे।

मम्मी ने हमे सोने के लिए कहा, पर हम लोग टीवी देखने के लिए कह रहे थे। शायद दोनों से इंतजार नहीं हो पा रहा था।

तो मम्मी ने फूफा जी की तरफ देखते हुए हंस कर कहा- मैं रसोई में जाकर बर्तन साफ कर लेती हूँ। तुम टीवी देख कर सोने चले जाना।

और मम्मी रसोई मे चली गई। थोड़ी देर बाद फूफा जी भी उठे और कहा- मोनू, मैं तो सोने जा रहा हूँ।

फूफा जी को कमरा रसोई के पास वाला ही मिला था। थोड़ी देर बाद जब मैं चुपचाप रसोई की तरफ गया तो कुछ आवाजें आ रही थीं। मैंने देखने की सोची और मैं रसोई की खिड़की में से देखने लगा। मैंने देखा कि मम्मी किचन की स्लैब पर हाथ टिका कर खड़ी हैं और पीछे से फूफा जी उनका गाउन ऊपर कर के उनकी चूत में लंड डालने की कोशिश कर रहे थे।

कुछ देर बाद मम्मी ने कहा- हम लोग कमरे में चलते हैं।

फूफा जी ने कहा- अगर वो दोनों आ गए तो !

मम्मी- वो दोनों तो टीवी में बिज़ी हैं, नहीं आयेंगे, अब छोड़ो यार, एक राउंड तो कर लेते हैं, ऐसे छुप-छुप कर ही तो मज़ा आता है।

फूफा जी ने कहा- चलो !

और दोनों कमरे में चले गए। अंदर जाते ही दोनों ने दरवाजे की कुण्डी लगा दी कि कहीं हम ना आ जाएँ।

मैंने की-होल के छेद में से देखा तो फूफा जी मम्मी को अपना लंड चुसवा रहे थे और मम्मी चूस रही थीं। यह देख कर मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।

थोड़ी देर बाद मम्मी पलंग पर अपनी टाँगें फैला कर लेट गईं और बोलीं- जल्दी से चोद लो मेरे राजा।

फिर फूफा जी ने लंड तुरंत मम्मी की चूत में डाल कर चुदाई चालू कर दी। फूफा जी जबरदस्त झटके मार रहे थे। मम्मी के मुँह से सीत्कारें निकल रही थीं। कमरे में से उन दोनों की धकापेल चुदाई की मादक ‘आहें’ और ‘फूउक्छ फॅक’ की आवाजें भी आ रही थीं।

मम्मी फूफा जी को धीरे करने के लिए कह रही थी कि कहीं हम ना सुन लें। मगर फूफा जी पर इसका कोई असर नहीं हो रहा था। वो तो बस अपनी छिनाल सलहज को चोदने में लगे रहे और बाद में मम्मी भी उनका साथ देने लगीं।

करीब आधे घंटे के बाद फूफा जी मम्मी के ऊपर ढेर हो गए और ज़ोर से झटके मार कर झड़ने लगे। उसके बाद मम्मी उठी और गाउन ठीक करती हुई बोलीं- उन दोनों को सुला कर रात को आऊँगी।

मम्मी को बाहर आता देख मैं भी जल्दी से टीवी के पास जाकर बैठ गया। किस्मत से मेरी बहन टीवी देखते-देखते ही सो गई थी।

बाद में मम्मी ने मुझे और मेरी बहन को कमरे में ले जाकर सुला दिया और खुद फूफा जी के कमरे में चुदवाने चली गईं।

उसके बाद तो फूफा जी और मम्मी को जब भी मौका मिला उनने खूब चुदाई की। उन्होंने तो बाथरूम, किचन, हॉल, स्टोर, छत, हर जगह धकापेल चुदन-चुदाई की और हमारे घर पर लाते समय कार में भी मम्मी को लंड चुसवाते और चोदते हुए लाए।

जयपुर आने के कई दिनों बाद तक फूफा जी हमारे घर नहीं आए थे।

मुझे नहीं पता कि किस कारण से नहीं आए थे, पर एक बार जब मेरे पापा, दादा, दादी को गाँव जाना था, वहाँ मेरे दादा जी की बहन बीमार थी और उनसे मिलने जाना था।

मैंने मम्मी को फ़ोन पर किसी से बात करते सुना कि वो सब तो गाँव चले जायेंगे, तुम आ जाना.. फिर हम अपना काम करेंगे… काफी दिन हो गए हैं।

मैं सोच में पड़ गया कि मम्मी किस से बात कर रही हैं, पर दोपहर को मेरा ये शक भी दूर हो गया।

पापा और दादा, दादी के जाने से कुछ वक्त पहले ही फूफा जी और बुआ अपने बेटे के साथ हमारे घर मिलने आ गए।
बुआ कह रही थीं- आप लोगों से मिले हुए काफी वक्त हो गया था, सो मिलने चली आई हूँ और इनको भी ले आई हूँ।

बुआ को देख कर हम सब लोग खुश हुए और उन्हें बताया कि हम सब बुआ जी से मिलने गाँव जा रहे हैं।

बुआ- पापा फिर तो आपके साथ हम लोग भी चलेंगे।

दादा- हाँ क्यों नहीं.. मैं भी सोच रहा था पर लगा कि तुम लोग व्यस्त होगे.. इस लिए नहीं कहा।

बुआ- कार में तो जगह है या हम हमारी कर ले कर चलें?

पापा- अरे नहीं हम तो तीन लोग ही जा रहे हैं.. तेरी भाभी नहीं जा रही और बच्चे हैं, तुम लोग भी बैठ जाओ।

बुआ ने फूफा जी से कहा- चलो.. हम भी चलते हैं।

तब फूफा जी ने कहा- मैं बहुत थक गया हूँ.. पिछले हफ्ते मैं बहुत व्यस्त रहा हूँ, तो मैं तो घर जाकर सोना चाहता हूँ और अगर तुम जाना चाहो तो चली जाओ..

तब बुआ बोली- चलो मैं चली जाती हूँ, आप घर जाकर सो जाना।

इस पर पापा दादा और दादी बोलीं- यह क्या घर नहीं है.. यहीं पर ही सो जाना.. इससे सीमा (मेरी मम्मी) को भी डर नहीं लगेगा और हम लोग भी चिंता नहीं करेंगे।

तब तक मैं समझ चुका था कि यह मम्मी और फूफा जी का प्लान है और इसमें सबसे ज्यादा चिंता है फूफा जी और मम्मी हमारे जाने के बाद कुछ तो करेंगे और मैं ये सब देखना चाहता था इसलिए मैंने भी जाने से मना कर दिया, यह कह कर कि मैं भी फूफा जी के पास ही रुकूँगा।

सबने इसे मेरा फूफा जी से लगाव माना और राजी हो गए।

इससे मम्मी और फूफा जी थोड़े अपसेट हो गए, पर कुछ नहीं बोले।

मेरे मना करते ही बुआ बोलीं- मेरी बहन और उनके बेटे को भी छोड़ जाते हैं, क्योंकि धूप भी है और गाँव में ये लोग बीमार हो जायेंगे।

यहाँ तो ये सब खेल ही लेंगे और और फूफा जी और मम्मी हमारा ध्यान भी रख लेंगे।

इस पर सब लोग राजी हो गए और पापा बुआ और दादा जी चले गए।

घर पर हम बच्चे और फूफाजी और मम्मी रह गए।

मेरा मन उदास था कि अब ये दोनों कुछ नहीं कर पायेंगे और मेरा रुकना बेकार ही गया।

फूफा जी और मम्मी भी अपसेट लग रहे थे, पर जाहिर नहीं कर रहे थे।

हम सब हॉल में बैठे टीवी पर कार्टून देख थे और फूफा जी अपना हाथ बार-बार खुद के लंड पर फेर रहे थे और मम्मी मुस्कुरा रही थीं।

तभी मम्मी फूफा जी के पास आकर बैठ गईं और और दोनों धीरे-धीरे बात करने लगे..

मैं उनकी बात तो सुन नहीं पाया, मगर ये जरूर समझ गया कि दोनों कुछ प्लानिंग कर रहे थे।

तभी फूफा जी ने कहा- चलो, हम कंप्यूटर पर गेम खेलते हैं।

हम लोग हमारी कंप्यूटर की लैब में आ गए।

मेरे पापा का कंप्यूटर इंस्टिट्यूट है और वो नीचे है।

फूफा जी ने तीन कंप्यूटर चालू कर दिए और उन पर गेम चला दिए।

हम तीनों खुश हो गए, इतने में मम्मी भी वहाँ पर आ गईं और पीछे से देखने लगीं।

हम कंप्यूटर पर गेम खेल रहे थे और फूफा जी मेरी मम्मी के कूल्हों और कमर पर हाथ फेर कर अपना गेम खेल रहे थे।

थोड़ी देर बाद मम्मी चली गईं और फूफा जी भी सोने की कह कर चले गए।

जाते-जाते कहा- बाहर मत निकलना.. बस गेम खेलना और कंप्यूटर बंद करके बाद में ऊपर आना।

फूफा जी के जाते ही मैं टॉयलेट का बहाना करके ऊपर आ गया और हमारे कमरे की ओर जाने लगा, तो हॉल में से आवाजें सुनाई दीं।

खिड़की से देखने पर मैंने देखा कि फूफा जी मम्मी को पीछे से पकड़े हुए हैं और उनके दोनों हाथ मम्मी के मम्मों पर हैं।

वो मम्मी की गर्दन पर चूम रहे थे और मम्मी आँखें बंद करके मजे ले रही थीं।

उसके बाद फूफा जी ने एक हाथ मम्मी के पेटीकोट में डाल दिया।

इससे मम्मी को झटका लगा और वो पीछे की ओर हटीं, तो उनकी गाण्ड फूफा जी के लंड से टकरा गई..

मम्मी- कहीं बच्चे आ गए तो?

फूफा जी- नहीं आयेंगे.. वो तो गेम में व्यस्त हैं… एक घंटे से पहले नहीं उठने वाले..

मम्मी- अगर आ गए तो… फिर हम फंस जायेंगे।

फूफा जी- नहीं आयेंगे.. मैं कह रहा हूँ न.. तुम मूड ख़राब मत करो जान.. इतने दिनों बाद तो मौका लगा है… आज तो जम कर मजे लूँगा..

मम्मी- तो लो न.. किसने मना किया है।

इस पर फूफा जी ने मम्मी की साड़ी हटा दी।

तो मम्मी बोलीं- कपड़े मत उतारो.. कोई आ गया तो मुश्किल हो जाएगी।


फूफा जी- अरे कोई नहीं आएगा.. मैं दरवाजे पर मैं ताला लगा कर आया हूँ… कोई नहीं आएगा.. और बिना कपड़ों के तुम कैसी दिखती हो.. ये भी तो देखें… और जब बिना कपड़ों के ही अंग से अंग मिलेंगे तब इससे दुगना मजा आएगा…

इतना कहते-कहते मम्मी के जिस्म से ब्लाउज और पेटीकोट भी उतार फेंके।

अब मम्मी सिर्फ पैन्टी और ब्रा में ही थीं।

फूफा जी ने अपने भी सारे कपड़े खुद ही उतार दिए और मम्मी को हॉल के तख्त पर ले जाकर लिटा दिया।

फूफा जी मम्मी के होंठों को चूस रहे थे और अपने हाथ लगातार मम्मी के बोबे, पैंटी और जिस्म पर फ़िर रहे थे।

इसके बाद फूफा जी ने मम्मी की ब्रा हटा कर उनके बोबे चूसने चालू कर दिए।

इससे मम्मी और मस्त हो गईं।

कुछ देर बाद फूफा जी ने उनकी पैन्टी भी उतार फेंकी।

अब मम्मी पूरी नंगी थीं और फूफा जी उनकी चूत में बार-बार ऊँगली कर रहे थे इससे मम्मी और मस्त हो गईं और अपने पाँव इधर-उधर करने लगीं।

मम्मी फूफा जी के लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही मसल रही थीं तो फूफा जी ने अंपने लंड को बाहर निकाल लिया।

फूफा जी ने अपना लंड मम्मी के मुँह पर लगाया तो मम्मी ने मुँह फेर लिया।

तब फूफा जी ने कहा- बड़ा मजा आएगा मुँह में.. लो तो सही…

मम्मी ने कहा- मैंने कभी नहीं लिया.. मुझे अच्छा नहीं लगता।

तब फूफा जी ने कहा- मानो तो मेरी बात.. तुम्हें बहुत मजा आएगा।

यह कह कर उन्होंने जबरदस्ती मम्मी के मुँह में लंड डाल दिया।

इस पर मम्मी थोड़ा झिझकीं.. मगर थोड़ी देर में पूरा लंड मुँह में ले कर मजे से चाटने लगीं।

फूफा जी मम्मी की चूत में ऊँगली कर रहे थे।

थोड़ी देर में मम्मी फूफा जी से बोलीं- अब बस चूत की गर्मी शांत करो.. मुझसे रुका नहीं जा रहा…

यह सुन कर फूफा जी लेट गए और मम्मी को ऊपर आकर लंड पर बैठने को कहा।

तब मम्मी फूफा जी के लंड को पकड़ कर अपनी चूत में डाल कर सीधी फूफा जी के ऊपर बैठ गईं और आगे-पीछे होने लगीं।

मम्मी आँखें बन्द करके तेजी से आगे-पीछे हो रही थीं।

उनके और फूफा जी के मुँह से लगातार सिसकारियाँ और आवाजें निकल रही थीं।

दो मिनट के बाद मम्मी फूफा जी के ऊपर पसर कर लेट गईं जैसे उनमें जान ही नहीं बची हो।

तब फूफा जी ने मम्मी को नीचे किया और उनकी टाँगें अपने कन्धों पर रखीं और मम्मी को झटके मारने चालू कर दिए।

उनके हर झटके पर मम्मी बिस्तर पर ही आगे-पीछे हो रही थीं, उनके बोबे जबरदस्त तरीके से हिल रहे थे.. बड़ा ही ‘चुदासी भरा मंजर’ था।

मम्मी बुरी तरह से सिसकारियाँ ले रही थीं।
फूफा जी की गति लगातार ही बढ़ रही थी।

करीब बीस मिनट तक ऐसे चोदते-चोदते फूफा जी और मम्मी पसीने से लथपथ हो गए थे।

तब फूफा जी बोले- मेरा निकलने वाला है क्या करूँ कहा निकालु ?

मम्मी ने कहा- अन्दर ही गिरा दो ..वाच्चा नहीं होगा।

इतने में ही फूफा जी मम्मी के ऊपर पूरा फ़ैल गए और मम्मी को कस कर पकड़ लिया।

फूफा जी लम्बे-लम्बे झटके मारने लगे और ऐसा लगा जैसे चूत के रास्ते लंड को ज्यादा अन्दर डाल रहे हों।

फूफा जी अपना सारा माल मम्मी की चूत में डाल कर मम्मी के ऊपर निढाल पड़ गए।

दोनों की साँसें बड़ी तेज चल रही थीं।

थोड़ी देर बाद फूफा जी मम्मी से अलग हुए और लेटे रहे।

मम्मी ने कहा- आज तो मजा आ गया.. कई दिनों बाद नीचे की खुजली शांत हुई है। अब कपड़े पहन लेते हैं बच्चे कभी भी ऊपर आ सकते हैं और मुश्किल हो जाएगी।

मम्मी उठीं और अपनी ब्रा का हुक लगाने लगीं।

तो फूफा जी ने हाथ पकड़ लिया और कहा- अभी तो और करेंगे।

पर मम्मी मान नहीं रही थीं।

इतने में मैंने देखा कि फूफा जी का लंड दुबारा खड़ा हो गया है।

मम्मी डर के मारे मान ही नहीं रही थीं और खड़ी हो गईं।

इस पर फूफा जी ने उन्हें पीछे से पकड़ कर जबरदस्ती नीचे झुका कर घोड़ी बना कर उनकी चूत में लंड डाल कर चुदाई चालू कर दी।
अब मम्मी कुछ नहीं बोलीं और आराम से लौड़ा डलवा कर चुदाई के मजे लेने लगीं।

फूफा जी मम्मी के बोबे मसल रहे थे।

मम्मी दर्द और चुदाई के मिले-जुले अहसास से सिसक रही थीं।

कुछ देर बाद फूफा जी ने अपना लंड निकाल कर मम्मी के गाण्ड के छेद पर लगा दिया और आगे की तरफ किया।

इससे मम्मी झटके के साथ आगे हुईं और फूफा जी को गाण्ड में डालने से मना करने लगीं, पर फूफा जी कहाँ मानने वाले थे।

उन्होंने आखिरकार जबरदस्ती गाण्ड में लंड डाल ही दिया।

मम्मी की तो जोरदार चीख ही निकल गई.. वो तो उन्होंने अपने मुँह तकिये में दबा लिया।
मम्मी की आँखों में से तो आंसू ही निकल आए।

पहले फूफा जी धीरे-धीरे कर रहे थे.. बाद में तो उन्होंने रफ्तार बढ़ा दी।

शायद अब मम्मी का दर्द कम हो गया था, अब वो भी मजे से गाण्ड मरवा रही थीं।

थोड़ी देर बाद फूफा जी ने मम्मी को बिस्तर पर पूरा लिटा दिया और वो खुद उनके ऊपर लेट गए।

फूफा जी ने मम्मी के बोबे पीछे से पकड़ कर दबाना चालू कर दिए और मम्मी की गर्दन और पीठ की चूमा-चाटी चालू कर दी।

इससे मम्मी को और मजा आने लगा।

थोड़ी देर बाद फिर फूफा जी लंबे लम्बे झटके मारने लगे और मम्मी की गाण्ड को वीर्य से भर कर बिस्तर पसर गए।

करीब पांच मिनट बाद मम्मी उठीं और सबसे पहले कपड़े पहने..

इस बार मम्मी ने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी और फूफा जी से कहने लगीं- आज तो बड़ा मजा आया.. और मौका मिला तो आज एक बार फिर करेंगे।

इसके बाद तो मैं फटाफट नीचे आ गया।

थोड़ी देर में मम्मी भी नीचे आ गईं उनके चेहरे से चुदाई से हुआ संतोष और थकान साफ दिख रही थी।

End
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#12
मामीजी को खेत में चोदा-


मामा के घर में एक दिन मैंने नहाती हुई मामी को अधनंगी देख लिया. यह देख मेरे तन बदन में आग लग गई। मेरा लन्ड मामी की चूत चुदाई के लिए बेकरार हो गया।

सभी चूत की महारानियों और लंड के महाराजाओं को मेरा प्रणाम। मेरा नाम रोहित है। मैं 22 साल का हूं। मेरा लन्ड 7 इंच का है जो किसी भी भाभी, आंटी, चाची, मामी, कुंवारी लड़की की चूत की बखिया उधेड़ सकता है। अगर कोई भी चूत एक बार मेरे लन्ड से चुद जाए तो फिर वो चूत मेरा लंड खाए बिना नहीं रह सकती है।

अब मैं आप सभी चूत और लंड को ज्यादा बोर नहीं करते हुए सीधा अपनी फैमिली सेक्स कहानी पर आता हूं।

यह कहानी दो साल पहले की है। उस समय मैं कॉलेज में था। मेरा ध्यान सिर्फ पढ़ाई करने पर ही ज्यादा रहता था इसलिए मैंने किसी भी चूत की और ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

उन दिनों सर्दियों का मौसम चल रहा था। मैं घर पर बोर हो रहा था मैंने मामाजी के यहां जाने का प्लान बनाया। मेरे मामाजी गांव में रहते हैं । मैं दो दिन बाद मेरे मामाजी के यहां पहुंच गया।

घर पहुंचते ही मामा और मामी जी ने मेरा हालचाल पूछा और फिर हमने साथ में खाना खाया।

मेरे चार मामा हैं। उस दिन मैं मेरे दूसरे मामाजी के घर पर रुका। मामा जी के घर में मामा, मामी और उनके दो बच्चे हैं। बाकी मामाजी गांव में दूसरी और रहते हैं। मेरी मामी जी लगभग 36 साल की हैं। मामी कोई ज्यादा सुन्दर नहीं है पर मामी एकदम अमरूद की तरह गदरायी हुई है। मामी की साइज 34, 30, 36 की है। मामी के बोबे बड़े बड़े हैं। मामी की गांड भी बहुत ज्यादा मोटी है।
मैंने मामी पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया था। मेरा इरादा मामी की चूत चोदने का नहीं था। मैं मामाजी के यहां अच्छे से रह रहा था।

लेकिन कहते हैं ना अगर कोई चीज मिलनी ही है तो वो चीज मिल ही जाती है।

एक दिन की बात है, दोनों बच्चे स्कूल गए हुए थे और मामाजी खेत पर गए हुए थे। मामाजी के यहां बाथरूम बना हुआ नहीं है। घर के बाहर आस पास तिरपाल लगाकर बाथरूम बना रखा है।
मामीजी बाहर बने हुए बाथरूम में नहा रही थी। मामी नहाने का साबुन भूल गई थी इसलिए मामी ने मुझे नहाने का साबुन लाने के लिए कहा।
मैं नहाने का साबुन लेकर मामी के पास गया।

जब मैंने मामी को देखा तो मैं तो एकदम से चौंक गया। मामी ऊपर से बिल्कुल नंगी थी। मामी के दोनों बोबे लटक रहे थे। मामी के दोनों बोबे बड़े बड़े थे। मामी बदन को पानी से भिगो चुकी थी। मामी का पूरा बदन गीला था। इसलिए मामी का पेटीकोट भी पूरा गीला हो चुका था।

यह नजारा देख कर मेरे तन बदन में आग लग गई। मेरा लंड एकदम से तन गया। थोड़ी देर तो मैं मामी को ऐसे ही देखता रहा।
फिर मामी बोली- क्या हुआ?
तब मैं होश में आया, मैंने कहा- कुछ नहीं!
और मैंने मामी को साबुन दिया।

थोड़ी देर में मेरे लन्ड से पानी निकल गया।

अब मेरा लन्ड मामी की चूत चोदने के लिए बेकरार होने लग गया। लेकिन मेरे मन में मामीजी के लिए बहुत सम्मान था। मैंने पहले कभी भी मामीजी को चोदने के बारे में नहीं सोचा था। इसलिए मैंने मामीजी को चोदने का इरादा छोड़ दिया।

अगले दिन मामीजी ने कहा रोहित- आज तेरे मामाजी खेत पर नहीं है इसलिए अगर तू फ्री हो तो मेरे साथ खेत पर चल। भैंस को भी साथ में लेकर चलेंगे। आज भैंस को हरी कराना है।
मैंने मामी से पूछा- मामी ये हरी कराना क्या होता है?
मामी ने कहा- बुद्दू, तू इतना भी नहीं जानता है क्या?
मैंने कहा- नहीं मामी, मैं तो नहीं जानता।
तो मामी ने कहा- खेत पर चलकर देख लेना।
मैंने कहा- ठीक है।

और मैं मामी के साथ खेत पर चलने के लिए तैयार हो गया।

हम भैंस को लेकर खेत पर चले गए। मामाजी के खेत में गेहूं और सब्जियां थी। वहाँ पर एक पाड़ा पहले से ही बंधा हुआ था। हमने पाड़े के पास ही भैंस को बांध दिया और पाड़े को खुला छोड़ दिया।

अब मामी और मैं पास ही ही बैठ गए।

मामी ने कहा- अब देखना हरी केसे करते हैं।
मैंने कहा- ठीक है मामी, देखते हैं।

अब पाड़ा पीछे से भैंस को सूंघने लगा और धीरे धीरे पाड़ा का लन्ड बाहर निकलने लग गया। अब पाड़ा भैंस पर चढ़ गया और ताबड़तोड़ भैंस को चोदने लगा।
मामी और मैं बैठे बैठे यह सब देख रहे थे। यह सब देखकर मेरा लन्ड तो तूफान मचाने लग गया। मेरे लन्ड को सामने दूसरी भैंस दिखाई दे रही थी। मैंने लंड को बहुत समझाने की कोशिश की कि ये भैंस चूत नहीं देगी पर लंड नहीं माना।

अब मैं मामी से चूत मांगने को विवश हो गया।

इस बीच अचानक भैंस रस्सी को तोड़कर भाग गई। तब मामी और मैं भैंस को पकड़ने के लिए भागे। मामी आगे आगे और मैं पीछे पीछे!
तभी अचानक से मामी खेत की मेड़ पर फिसल गई और अचानक से मैं भी फिसल कर मामी के ऊपर ही गिर पड़ा।

मैं तो पहले से ही मामी को चोदने के लिए बेकरार था। थोड़ी देर तो हम ऐसे ही पड़े रहे। तभी मेरे होंठ सीधे मामी के होंठों से जा चिपके और मैं मामी को किस करने लग गया।
थोड़ी देर के लिए तो मामी भी मदहोश हो गई थी। फिर थोड़ी देर बाद मामी होश में आई और मुझे हटाते हुए उठ गई।

मामी ने मुझे बहुत डांटा और मैंने मामी से माफी मांगी। पर मेरा लन्ड अभी भी फन फैलाए खड़ा था और चूत सामने खड़ी थी।

तभी मामी ने कहा- चलो भैंस को पकड़कर लाते हैं।
फिर हम भैंस को पकड़कर लाए और उसे फिर से खूँटे से बांध दिया। अब पाड़ा फिर से भैंस को सूंघने लग गया पर भैंस उसे कोई भाव नहीं दे रही थी। उधर मैं भी मामी को मनाने में लगा हुआ था पर मामी मान ही नहीं रही थीं।

तभी पाड़े ने एक ज़ोरदार धक्का मारा और पूरा का पूरा लन्ड भैंस की चूत में पेल दिया। अब भैंस चुपचाप चुदवा रही थी।

अब मुझे सब्र नहीं हो रहा था, मैं ललचाती निगाहों से मामी को देख रहा था। शायद मामी भी मेरी भावना को जान गई थी। मामी चुपचाप खड़े खड़े भैंस और पाड़े की चुदाई देख रही थी। और मैं मामी को देख रहा था।

अब मैंने सोच लिया था अगर मामी जी से चूत लेनी है तो यही सही मौका है। लौहा गरम है हथौड़ा मार देते हैं।

मैंने हिम्मत करके मामी जी को पीछे से पकड़ लिया और मामी की गांड में मेरा लन्ड सटा दिया. मामी जी के दोनों बोबों को पकड़कर ज़ोर से मसल दिया।
मामी जी ना नुकर करने लगी और मुझे दूर हटाने की कोशिश करने लगी- मैं तेरी मामी हूं और हम दोनों के बीच ऎसा नहीं हो सकता है।
मैंने मामी जी कहा- मामी जी, आप सबसे पहले एक चूत हो और मैं एक लंड। इसलिए यहां पर सबसे पहले हम दोनों में चूत लंड का रिश्ता है।

मामी जी मेरा इरादा साफ साफ जान चुकी थी। मामी कहने लगी- किसी को पता चल जाएगा तो मेरी बदनामी होगी।
मैंने कहा- मामी जी, किसी को कोई पता नहीं चलेगा। यहां पर सिर्फ मैं और आप ही हो। जो कुछ भी होगा वो सिर्फ आप को पता होगा और मुझे।

अब मामी धीरे धीरे शांत हो रही थी। मामी जी ने कहा- ठीक है, जो करना है वो कर ले लेकिन किसी को कुछ पता नहीं चलना चाहिए।
मैंने कहा- मामी, ठीक है किसी को कुछ पता नहीं चलेगा।
दोस्तो मुझे तो जैसे जन्नत ही मिलने वाली थी। मुझे बहुत ज्यादा खुशी हो रही थी।

तभी मामी ने कहा- अभी थोड़ी देर रुक जा, भैंस को हरी हो जाने दे।
थोड़ी देर बाद पाड़ा भैंस को चोद चुका था।
मामी जी ने कहा – अब तो देख लिया ना भैंस हरी कैसे होती है।
मैंने कहा- हां मामी जी, देख लिया बस अब तो आपको देखना बाकी है।

अब मैंने मामी जी कहा- मामी जी, अब सब्र नहीं हो रहा है। जल्दी करो आप।

तभी मैंने मामीजी को पकड़कर मामी जी के पेटीकोट में हाथ डाल दिया। और मेरा हाथ सीधे मामी जी की चूत पर जा पहुंचा।
मामीजी एकदम से चौंक गई और मामीजी ने मेरा हाथ हटा दिया।

अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था। मेरा लन्ड मेरे पजामे के अन्दर तूफान मचा रहा था।
तभी मामी जी ने कहा- यहां आसपास कोई देख लेगा इसलिए यहां कुछ नहीं कर सकते!
तो मैंने कहा- तो फिर आप ही बताओ कहाँ करें?
मामी जी ने कहा- सरसों के खेत में चलते हैं। वहाँ किसी को हम दोनों दिखाई भी नहीं देंगे।
मैंने कहा ठीक है मामी जी।

अब मामी जी आगे आगे गांड मटकाती हुई चल रही थी और मैं उनके पीछे पीछे।
उस दिन मामी जी ने हरे रंग की साड़ी पहनी हुई थी। हरे रंग की साड़ी में मामी जी कमाल की लग रही थी।

अब हम सरसों के खेत में घुस गए। वहाँ आप पास कोई नहीं था। उस समय सरसों के फूल आ चुके थे।

अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था। मैंने तुरंत मामी जी को पकड़ लिया, उन्हें खेत में गिरा दिया और मामी जी को ताबड़तोड़ किस करने लग गया।

मामी जी कुछ कहने वाली थी पर मैंने मैंने मामी जी के होंठों को बुरी तरह से भींच लिया था इसलिए मामी जी सिर्फ आ यू आ उ ही कर रही थी।

मामी जी के होंठ पंखुड़ियों के जैसे रसीले होंठ थे। मैं लगातार मामी जी के रसीले होंठों को चूस रहा था। बहुत देर तक हम दोनों होंठों को चूस रहे थे।
फिर मामी जी ने कहा- जो भी करना है, जल्दी कर लेना ज्यादा टाइम मत लगाना।
मैंने कहा- अब चुदना ही है तो मामी जी अच्छे से चुदो ना।
मामी जी ने कहा- कोई आ जाएगा तो?
मैंने कहा- यहां कोई नहीं आएगा।

अब मैं मामी जी के गले पर किस करने लगा। मुझे गले पर किस करने में बहुत मज़ा आ रहा था। मामी जी चेहरे को इधर उधर करने लगी।

थोड़ी देर बाद मैं मामी जी के बोबों पर टूट पड़ा। अब मैं मामी जी के रसदार सुडौल बोबों पर किस करने लगा। मामी जी के बोबे ब्लाउज में से इधर उधर हिल रहे थे। अब मेरे दोनों हाथ मामी जी के बोबों पर पहुंच गए। मैंने मामी जी के बोबों को पकड़कर ज़ोर से मसल दिया। मामी जी की एकदम से चीख निकल गई। मामी जी मेरे हाथों को बोबों पर से हटाने लगी पर मैं लगातार मामी जी के बोबे को मसल रहा था।

मामी जी के बोबे एकदम मस्त थे। उनमें बहुत सारा रस भरा हुआ था। मैं मेरी मदमस्त मामी जी की जवानी का मज़ा ले रहा था। मैं मामी जी के बोबों को लगातार मसल रहा था। मैंने दोनो बोबों को बहुत अच्छी तरह से मसल दिया।

अब मैं थोड़ा नीचे सरका और मामी जी के सेक्सी मलाईदार पेट को चूमने लगा। मेरी मामी जी का पेट एकदम गोरा चिकना था। मुझे मामी जी के पेट को चूमने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
मामी जी अब तेज तेज सांसें भर रही थी, वे अब उह आह आह उह ओ कर रही थी।

पेट को चूमने के बाद अब मैं वापस मामी जी के ऊपर चढ़ गया और बूबों को किस करते हुए सीधे मामी जी के रसीले होंठों को चूसने लग गया। मामी जी अब मदहोश हो रही थी। अब मामी जी ने प्यार से मुझे बांहों में भर लिया।

पेट को चूमने के बाद अब मैं वापस मामी जी के ऊपर चढ़ गया और बूबों को किस करते हुए सीधे मामी जी के रसीले होंठों को चूसने लग गया। मामी जी अब मदहोश हो रही थी। अब मामी जी ने प्यार से मुझे बांहों में भर लिया।

मैं लगातार मामी जी के होंठों को चूस रहा था। जैसे मेरी तो लॉटरी ही लग गई थी। आज मैं एक शानदार, जानदार, मदमस्त चूत का मज़ा ले रहा था।

अब मेरे पैर हरकत करने लगे। अब मैंने मामी जी की टांगों को मेरी टांगों में फंसा लिया। मैं मामी जी की टांगों को रगड़ रहा था। मेरा लन्ड बहुत ज्यादा टाइट हो चुका था और मामी जी की चूत के ठीक ऊपर था।
मेरा लन्ड मामी जी की रसीली चूत में घुसने की कोशिश करने लगा पर मेरे लन्ड को कोई रास्ता नहीं मिल रहा था। मैं लगातार मामी जी के रसीले होंठों को चूस रहा था।

थोड़ी देर बाद मैंने मामी जी को पलट दिया। अब मामी जी का मुंह और चूत ज़मीन पर थे और गांड ऊपर हो गई थी। आस पास सरसों के बहुत सारे पत्ते और पौधे ज़मीन से चिपककर बिस्तर बन गए थे। कुछ पत्ते मामी जी के बदन और गांड में भी चिपक गए थे।

अब मैं सीधा मामी जी की गांड पर आ गया और साड़ी के ऊपर से ही गांड को मसलने लगा। मामी जी की गांड बहुत ज्यादा बड़ी थी इसलिए मुझे गांड को मसलने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मामी जी की साड़ी गांड के बीच की दरार में फंस रही थी।

मैं मामी जी गांड को साड़ी के ऊपर से ही चाटने लगा। मुझे मामी जी की गांड को चाटने और मसलने में बहुत मज़ा आ रहा था। थोड़ी देर बाद मैं पूरी तरह से मामी जी के ऊपर चढ़ गया अब मेरा लन्ड मामी जी की गांड में दबाव बनाने लगा।

अब मैं मामी जी की गर्दन पर किस कर रहा था। मुझे मामी जी की पीठ और गर्दन पर किस करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मैंने जी भर कर मामी जी को चूमा और चाटा।

मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा था। मेरा लन्ड बहुत ज्यादा तन चुका था। मेरा लंड मामी जी की चूत में जाने के लिए बेकरार हो रहा था। मैंने तुरन्त मेरे पूरे कपड़े खोल दिए। अब मैं मामी जी के सामने सिर्फ अंडरवियर में ही था। अंडरवियर में मेरा लन्ड तनकर तूफान बन चुका था।

मैंने मामी जी को पलटकर सीधा कर दिया। मामी की नजर मेरे लंड पर टिक गई। मैंने मामी जी के पेटीकोट में उलझे हुए साड़ी का पल्लू खोल दिया। साड़ी का पल्लू खोलते ही पूरी साड़ी ढीली हो गई। अब मैंने मामी जी की साड़ी खोलना शुरू कर दी लेकिन अभी भी साड़ी मामी जी की गांड में अटकी हुई थी।

अब मैंने मामी जी की गांड को थोड़ा सा ऊपर उठाया और पूरी साड़ी को खोल दिया। मेरी प्यारी मामी जी अब मेरे सामने पेटीकोट और ब्लाउज में थी। अब मैंने मामी जी के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और पेटीकोट को खोलकर रख दिया।

मामी जी अब नीचे केवल एक छोटी सी पैंटी ही पहनी हुई थी। मामी जी की पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी। अब मैं मामी जी के ब्लाउज पर टूट पड़ा। मैंने तुरंत ब्लाउज के हुक खोल दिए और जैसे ही मैंने ब्लाउज खोला तो मामी जी के बड़े बड़े रसीले बोबे बाहर आ गए। मामी जी के बोबे बहुत गोरे गोरे और मुलायम थे।
ब्लाउज को खोलकर एक तरफ रख दिया। अब मामी जी शरमाने लगी।

गजब का का नज़ारा था! जिस मामी जी की मैं इतनी इज्जत करता था, आज उन्हीं प्यारी मामी जी की चूत चोदने वाला हूं। जिन बोबों का दूध कभी बचपन में मामी जी ने मुझे पिलाया था, आज उन्हीं बोबों का दूध पिऊँगा। मैं मामी जी की चूत के ऊपर बैठा था। हमारे आस पास हम दोनों के सारे कपड़े तितर बितर पड़े थे। अब मामी जी का नंगा जिस्म सरसों के पत्तों पर था।

अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैं नीचे आया, मैंने मामी की एक टांग को ऊपर उठाया और टांग को चूमने लगा। मामी की टांगें संगमरमर जैसी चमक रही थी। टांग को चूमते चूमते मैं मामी जी की चूत तक पहुंच गया।

मैं अब पैंटी के ऊपर से ही मामी जी की चूत को चाटने लगा। पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। मैं पैंटी के ऊपर से ही चूत पर मुंह मारने लगा।

मामी जी की चूत पानी छोड़ रही थी। वो अब सिसकारियां भरने लगी। अब मैंने मामी जी की दूसरी टांग को ऊपर उठाया और टांग को चूमता हुआ मामी जी की चूत तक पहुंच गया। मामी जी की चूत की महक अब मुझे पागल कर रही थी।

अब मैंने तुरंत ही मेरी अंडरवियर खोल दी। मेरा मूसल जैसा लंड मामी जी के सामने आ चुका था। मामी जी मेरे लन्ड को निहार रही थी।

मैंने तुरंत ही मामी जी की पैंटी को खिसकाया और उतार कर फेंक दी। अब मेरी प्यारी मामी जी की चूत मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी। मामी जी की चूत को देखकर में तो पागल हो गया। आज मैंने पहली बार मेरी प्यारी मामी जी की चूत देखी थी। मामी जी की चूत की फांकें बड़ी बड़ी थी। चूत के आस पास झांटों का छोटा सा जंगल भी था। मामी जी की चूत बहुत ज्यादा गीली थी।

मैंने मेरी उंगली मामी जी की चूत में घुसा दी। मामी जी की एकदम से आह निकल गई। मामी जी छटपटाने लगी। अब मैं उंगली को चूत में अन्दर बाहर करने लगा। मुझे मामी जी की चूत में उंगली अंदर बाहर करने में बहुत मज़ा आ रहा था। मामी जी की चूत अंदर से भट्टी की तरह गरम हो रही थी।

मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने तुरंत मेरा मुंह मामी जी की चूत पर रख दिया। मैं मामी जी की चूत को चाटने लगा।
दोस्तो, क्या बताऊं आपको … मैं तो खुशी से पागल हो रहा था। मुझे मामी जी की चूत चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था।

मामी जी धीरे धीरे सिसकारियां भर रही थी। वे मेरे बालों में हाथ फेरने लगी। मैं लगातार मामी जी की चूत का रस पी रहा था।

चूत को चाटने के बाद अब मैं फिर से मेरी उंगली मामी जी की चूत में घुसाने लगा। जैसे ही मेरी उंगली चूत में घुसी मामी जी फिर से एकदम से चौंक गई। मामी जी करहाने लगी। अब मैं मामी जी की चूत में उंगली को अंदर बाहर करने लगा। मुझे मामी जी की चूत में उंगली करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

मामी जी पागल सी हो रही थी, वे आह, उह, ओह, ओ करने लगी। अब मैं मामी जी के ऊपर चढ़ गया। शायद अब मामी जी को सरसों के पत्ते चुभने लगे थे। मेरा लन्ड तनकर मूसल बन चुका था।

मैं एक बार फिर मामी जी के बोबों पर टूट पड़ा और दोनों हाथों से बोबों को मसलने लगा। मामी जी एकदम से चीख पड़ी लेकिन मैंने मामी जी की और कोई ध्यान नहीं दिया और ज़ोर ज़ोर से बोबों को मसलता रहा।

मैंने बोबों के निप्पल को मुंह में ले लिया और चूसने लगा। मामी जी के बोबे रस से भरे हुए थे। मुझे बोबों को चूसने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मैंने बहुत देर तक बोबों को चूसा। आज तो मामी जी के बोबे लाल हो चुके थे।

अब मैंने मामी जी के होंठों पर फिर से एक बार जोरदार वार किया और मामी जी के रसीले होठों को चूस गया।

मेरा लन्ड मामी जी की चूत में घुसने के लिए बेकरार हो रहा था। मैं मामी जी की टांगों पर आ गया। मैंने मामी जी की दोनो टांगों को उठाकर मेरे कंधे पर रख लिया। मामी जी की चूत अब मेरे लन्ड के सामने थी। मामी जी की चूत एकदम गीली थी। मैंने चूत पर लंड सेट कर दिया। चूत में लन्ड डालने से पहले मैंने एक बार चूत को मेरी उंगलियों से फैलाया। चूत अंदर से गीली और गुलाबी रंग की थी।

मैंने मेरा लंड चूत पर लगा दिया और एक जोरदार धक्का लगाया तो मेरा आधा लंड मामी जी की चूत में समा गया। मामी जी दर्द से करहाने लगी। मामी जी हाथों और टांगों को इधर उधर पटकने लगी।
मामी जी मुझसे लंड बाहर निकालने के लिए कहने लगी।

पर मैंने मामी जी की कोई बात नहीं सुनी। अब मैंने एक जोर से धक्का और मारा। अब मेरा पूरा लौड़ा मामी जी की चूत को चीरता हुआ चूत की जड़ तक जा पहुंचा था। मामी जी दर्द से चीख रही थी शायद मामी जी की चूत बड़े दिनों बाद आज चुदी थी।

मैंने मामी जी के होंठों को मेरे होंठों से बंद कर दिया। अब मैं मामी जी की चूत में लंड पेलने लगा। मैं लगातार लंड को चूत में अंदर बाहर कर रहा था।

लगातार चूत पर प्रहार से मामी जी अब शांत हो रही थी। मामी जी को भी अब चूत चुदवाने में मज़ा आ रहा था। अब मामी जी ने दोनों टांगों को बीच मुझे फंसा लिया था। मैं लगातार मामी जी की चूत में लंड पेल रहा था।

अजब नज़ारा था … सरसों के खेत के बीचोबीच आज मैं मेरी प्यारी मामी जी को चोद रहा था। चारों ओर शांति थी। सिर्फ चूत में लंड अंदर बाहर जाने की आवाज़ आ रही थी।

मामीजी की चूत ने पानी छोड़ दिया। मेरा लन्ड मामी जी की चूत को चोदने में मशगूल था। चूत गीली होने की वजह से अब दच दच फच फच की की आवाज़ गूंज रही थी। मैं लगातार मामी जी को चोद रहा था। मामी जी भी चूत चुदवाने में पूरा साथ दे रही थी।

मेरा लन्ड पानी छोड़ने वाला था तो मैंने मामी जी से पूछा-
मामी जी, मेरा निकलने वाला है. बताओ वीर्य कहाँ डालूं?
मामी जी ने कहा- अंदर ही डाल दे।
मैंने कहा मामी जी आपका वाच्चा ठहर गया तो ?
मामी कहा डर मत मेरा अपारेशन हो गया है वाच्चा नही होगा ।

कुछ देर बाद मेरे लंड ने गरम वीर्य चुत के अन्दर हि छोड़ दिया। थोड़ी ही देर में मामी जी की चूत मेरे लन्ड के रस से पूरी भर गई।

मैं निढाल हो गया। मामी जी की चूत आज चुदकर भोसड़ा बन चुकी थी। मामी की चूत में से पानी बाहर निकल रहा था। अब शाम का समय भी हो चुका था। मैंने एक बार फिर मामी जी के रसीले बोबों को अच्छी तरह से चूसा और बोबों का रस पिया। अब हम दोनों ने अपने कपड़े पहने।

आज मैं मेरी प्यारी मामी जी की चूत चोदकर बहुत खुश था। मामी जी भी आज बहुत खुश लग रही थी। बहुत दिनों के बाद आज मामी जी की चूत ने लंड का स्वाद चखा था। अब मामी जी आगे आगे गांड मटकाती हुई चल रही थी और मैं मामी जी की गांड को निहार रहा था।
बहुत सेक्सी गांड थी मामी जी की।

अब हम भैंस को लेकर घर पहुंच गए।
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#13
कामवाली ने मुझे लंड हिलाते हुए देखा


मेरा नाम राहुल हे और मेरी उम्र 18 साल की हे. मैं हैदराबाद से हूँ और आज अपना सेक्स अनुभव शेयर करने के लिए आया हूँ, ये अनुभव मुझे अपनी हॉट कामवाली के साथ हुआ था. पहले मैं अपने बारे में आप लोगों को बता दूँ. मेरी हाईट 6 फिट से दो इंच कम हे और कलर में साफ हूँ मैं. मेरी बॉडी एवरेज हे और मेरे लंड की लम्बाई 6 इंच हे. मेरा सेक्स स्टेमिना एकदम ज्यादा हे. कभी कभी लंड को हिलाने में मुझे आधा घंटा लग जाता हे. मेरी कामवाली का नाम नीता हे और उसकी उम्र 35 साल हे. वो 5 फिट 8 इंच लम्बी हे और उसके बूब्स और गांड दोनों एकदम बड़े हे. उसके दो बच्चे हे लेकिन अब उसका शराबी पति उसके पास नहीं रहता हे. उसने किसी रंडी के साथ अपना अलग घर बसा लिया हे. नीता मम्मी से बातें करती हे तब मैं सब सुनता हूँ. मम्मी ने उसे कहा की दूसरी शादी कर लो तो नीता ने कहा वो भी शराबी निकला तो मैं वही की वही रह जाउंगी.
जब भी नीता फ्लोर की क्लीनिंग करती और मुझे मौका मिलता तो मैं उसके बूब्स की गली को और हिलती हुई गांड को देखता था. अक्सर मैंने उसके हॉट बदन की कल्पना कर के मुठ भी मारी हे. एक दीन मेरे घर में सिर्फ मैं था. मम्मी पापा किसी काम से दो दिन के लिए गए थे. मेरी एग्जाम थी इसलिए मैं नहीं गया था.
सुबह 9 बजे घंटी बजी. दरवाजा खोला तो नीता सामने थी. उसने डार्क ब्लू साड़ी पहनी हुई थी जिसमे वो माल लग रही थी. उसके बूब्स साडी के अन्दर से जैसे बहार आने को अड़े हुए थे. उसके ऐसे रूप को देख के मेरे अन्दर का आदमी लंड को हिला रहा था. मैंने उसको कहा की मम्मी पापा बहार गए हे दो दिन के लिए. उसने कहा ठीक हे. और फिर वो अपने काम में लग गई. वो किचन में बेसिन के पास बर्तन मांजने लगी. और मैं पीछे से उसकी गांड देख रहा था. मेरे से रहा नहीं गया और मैं कमरे में लंड हिलान एके लिए चला गया.


लंड को हिलाने की जल्दबाजी में मैंने दरवाजे को लोक नहीं किया. मुझे पता नहीं था की नीता इतनी जल्दी बर्तन खत्म कर लेगी. वो जब कमरे में आई तो उसने मेरे हाथ में लंड देखा और उसने मुझे मेरे नाम से आवाज दी. बाप रे. मैं डर गया एकदम से और मैंने अपने लंड को फट से पेंट में डाला और उसके सामने देखा.
नीता: क्या कर रहे थे?
मैं: कुछ भी तो नहीं.
नीता: मैंने देखा.
मैं: वो मेरे निचे फुंसी हुई हे इसलिए खुजा रहा था.
नीता: बहुत खुजली होती हे क्या?
मैं: हां.
वो मेरे करीब आई और एकदम नोटी आवाज में बोली: लाओ मुझे दिखाओ कहा पर फुंसी हुई हे.
और मैं कुछ कहूँ उसके पहले उसने ही मेरी जिप को खोल के लंड को बहार निकाला. मेरा लंड सो गया था थोडा और उतना कडक नहीं था. नीता के हाथ लगने से उसके अन्दर वापस थोड़ी थोड़ी जान आ रही थी. उसने लंड को पकड़ा और बोली, कहा हे फुंसी?
मैं चुप ही रहा. नीता ने निचे मेरे बाल्स को एक हाथ से पकडे और उसे दबाया. मेरे मुहं से आह निकल गई. फिर उसने लंड को सब तरफ से चेक किया और बोली, फुंसी नहीं हे कही भी.
फिर वो मेरे लोडे को मर्दन देने लगी और बोली, लंड तो काफी बड़ा कर लिया हे हिला हिला के.
अब मैं समझ गया की वो फुंसी देखने नहीं लंड पकड़ने के लिए ही बेताब थी. मैंने कहा: बड़ा हे तो ले लो और मजे करो!
वो हंस पड़ी और बोली: पहले भी देखा हे मैंने तुम्हे इसको हिलाते हुए और मैं तो कब से लेना चाहती थी लेकिन मेडम घर पर ही होती हे इसलिए कभी मौका नहीं मिला.
बाप रे आज तो मेरी कामवाली को चोदने की फेंटसी पूरी होने को थी. और ये सोच के ही मेरे पेट में पतंगे उड़ने लगे थे. मैंने नीता के मुहं को लंड की तरफ धक्का दे दिया. नीता ने मुहं खोल के लंड को गुलाबजामुन के जैसे पूरा मुहं में ले लिया. वाऊ, क्या मजे से उसने लंड को मुहं में भरा था. मेरी आह सी निकल पड़ी. नीता ने बाल्स को एक हाथ से दबाये और वो लंड को मजे से चूसने लगी.

मेरे हाथ फ्री थे तो मैंने उन्हें आगे बढ़ा के उसके बूब्स को साडी में ही दबा दिये. नीता के बूब्स एकदम कडक थे और उसकी निपल्स भी अकड़ी हुई थी. मेरे लंड को पूरा मुहं में भर के उसने ऐसे कस कस के चूसा की लंड का पानी आगे तक आ गया. मैंने उसको कहा: निकालो बहार वरना पानी छुट जाएगा.
वो लंड निकाल के बोली: पानी पी लेती हूँ पहले एक बार, फिर चोदना कुछ देर में. घर में हम दोनों ही हे फिर मैं तुम्हारी ही हूँ आज के दिन.
ये कह के उसने अब और भी सेक्सी ढंग से कोक सकिंग दिया मेरे को. वो पुरे लंड को मुहं में ले के फिर उसेक ऊपर अपनी जबान से प्यार दे रही थी. फिर बाल्स को मसल देती थी और लंड के सुपाडे पर चुम्मे भी देती थी. लंड में बाढ़ आ गई और नीता का मुहं पूरा मेरे वीर्य से भर गया. उसने सब पानी पी लिया.
मेरा बदन एकदम से हल्का हुआ. मैंने लंड को उसके मुह से निकाला तो वो पूरा के पूरा लाल था. नीता ने लंड को एकदम से प्यार दे के अपना बना लिया था.
नीता अब खड़ी हुई और वो अपने बालों को हाथो से सीधे करने लगी. तब उसकी बगल में हुए पसीने को मैंने देखा. मैंने उसके ब्लाउज के ऊपर से ही बूब्स को किस किया. वो बोली, बहार निकाल के चुसो ना.

मैंने उसके साडी के पल्लू को हटा के उसके ब्लाउज के बटन को खोले. उसके बूब्स एकदम बहार आ निकले सस्ती सी ब्रा में से. मैंने ब्रा को फाड़ दिया और उसकी चुन्चियों के ऊपर भूखे शेर के जैसे टूट पड़ा. नीता के बूब्स चूसने के साथ ही मैंने उसके आर्मपिट्स पर भी किस किया. उसके पसीने की खुसबू से मुझे अलग ही उत्तेजना हो रही थी जैसे. वो भी एकदम चुदासी हो गई और बोली, तुम तो बड़े सेक्सी हो.
मैंने कहा: हां मेरी जान और आज मैं तेरी चूत का भोसड़ा बनाऊंगा!
नीता के बाकी के कपडे खोल के मैंने उसे दिवार के साथ खड़ा कर दिया. उसके बूब्स से स्टार्ट कर के मैंने उसके पेट को, नाभि को, जांघो को और उसकी बाल वाली चूत को किस किया. फिर उसे पीछे घुमा के उसके बम्स पर भी होंठो से चुम्बन दिए. वो एकदम सेक्सी फिल कर रही थी मेरे इस रोमांटिक अंदाज से.
उसने मुझे बताया की वो इतनी होर्नी अपनी लाइफ में पहले कभी भी नहीं हुई थी. और उसने मुझे मिन्नत सी की और कहा की जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो अब मेरे से रहा नहीं जा रहा हे. मैंने नीता को बिस्तर में डाला और मैं उसके ऊपर आ गया.
वो मेरे लंड को पकड़ के सहला रही थी. लंड फिर से तान में आ चूका था. नीता ने दोनों टांगो को पूरा खोला. मैंने लंड को सही जगह लगाया. उसकी झांटदार चूत एकदम गरम थी. मैंने लंड का एक धक्का मारा और चूत में घुसा दिया. नीता के मुहं से आह निकल गया. मैंने उसे बाहों में जकड़ लिया और पुरे लंड को उसकी चूत में पेल दिया. उसकी साँसे तेज हो गई और वो मुझे लिपट के बोली: आह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह!
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मैंने उसके होंठो के ऊपर किस किया और उसके कंधे जकड़ के चुदाई चालू कर दी. मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस के बहार आ रहा था. उसकी चूत के अन्दर पहले से ही कुछ सफ़ेद सफ़ेद दही के जैसा निकल रहा था. मैंने कहा तो वो बोली की कुछ लेडिज को ऐसे होता हे चूत के अन्दर जिसे बदन का धोना कहते हे.

मैंने कहा कोई प्रॉब्लम तो नहीं हे ना ऐसे विना कॉन्डोम में सेक्स करने में. वो बोली घबराओ मत मेरी ओपरेशन हो गई हे इसलिए अन्दर गिराने से बच्चा नहीं होगा.
ये सुन के मैं और भी खुल गया. मैंने उसके बूब्स को चूसते हुए उसको जोर जोर से पेला. नीता भी फुल सपोर्ट कर रही थी मेरा. वो मुझे अपनी तरफ खिंच के और मेरे चुदाई की तारीफ़ कर के.

कुछ देर ऐसे मिशनरी में चोदने के बाद मैं अब नीता को घोड़ी बना दिया. उसने अपने कुल्हे पुरे खोले. मुझे पीछे से चूत का ढीला छेद साफ़ दिख रहा था. मैंने वहाँ पर लंड लगा के चुदाई चालु कर दी. अब की तो लंड जैसे और अन्दर तक घुस रहा था. नीता भी गांड हिला हिला के खूब चुद रही थी. मेरा लंड पूरी 20 मिनिट तक उसकी चूत को टटोलता रहा. और फिर मेरे लंड में से खूब सारा वीर्य निकल गया उसकी चूत के अंदर ही. वो भी तृप्त हो चुकी थी और मैं भी.
हम दोनों बिस्तर के ऊपर लुढक पड़े. मैंने उसे कहा, मम्मी पापा परसों आने वाले हे. तब तक तुम यही रुक जाओ, सेक्स की पिक्चर देख के चोदेंगे.

वो बोली, हां लेकिन मुझे बच्चो का खाना बनाने के लिए घर जाना पड़ेगा.
मैंने कहा यही खाना बना लेना सब का और उन्हें पहुंचा देना.
वो मान गई.
पुरे दो दिन तक मैंने नीता को खूब चोदा. कभी किचन में तो कभी बाथरूम में. लेपटोप के ऊपर पोर्न की क्लिप्स दिखा के मैं उसके पास अलग अलग पोज़ भी करवा रहा था. उसको भी दो दिन चुदने में बड़ा आनंद आया.
तीसरे दिन मम्मी पापा के आने से पहले मैंने उसे 2000 रूपये दिए अपनी पॉकेट मनी से और नीता ने मुझे वादा किया की आगे भी वो मेरी मदद करेंगी लंड के पानी निकालने में ताकि मुझे हिलाना ना पड़े.
मैंने कहा देखो चुदाई का मौका ना मिले तो कम से कम अपने हाथ से मेरा लंड हिला देना!!!

End
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#14
रुबीना आंटी की मिस कॉल


हेलो दोस्तो आज मे अपनी एक रियल स्टोरी बताने जा रहा हूँ. जो की इसी 1 महीने के दोरान पेश हुई है. रुबीना आंटी ने मुझे मिस कॉल किया तो मेने रुबीना आंटी को तुरन्त फ़ोन किया तो पहली ही घन्टी पर आंटी ने फोन उठाया ओर कहा की कहाँ हो इतने दिनो से तुम ओर मैने जवाब मे कहा की आंटी रोज ही तो आप के सामने से
ही गुज़रता हूँ गली मे से तो आंटी ने कहा की मे दूसरी बात कर रही हूँ क्या मूड हे तुम्हारा आज? मे समझ गया की आंटी की चूत मे आज खुजली हो रही है इसीलिये कॉल की है मैने तुरन्त हाँ कर दी की ठीक हे अगर कहो तो मे आ जाता हूँ. आंटी ने कहा ओके तुम आराम से अंदर आ जाना 10 मिनिट के बाद दरवाज़ा खुला होगा मेरे घर का मैने पूछा की घर वाले कहाँ हैं आंटी ने कहा की मेरे पति की तबियत आज ठीक नही है तो नींद की दवाई लेकर सोये हुये है मोका अच्छा है ओर बच्चे आज उपर वाले रूम मे सो रहे हैं आ जाओ. मैने जल्दी से हाँ कर दी. तब मे बड़े आराम से अपने बेड से उठा ओर आराम से ड्रॉयिंग रूम से जा कर दरवाज़ा खोला जो की बाहर गली की तरफ खुलता है ओर आराम से बाहर गली मे जा कर देखा तो गली मे बिल्कुल अंधेरा था क्योकी आजकल बहुत ज्यादा लाइट जाती है इसलिये. मे बड़े आराम से दबे पावं चलता हुआ आंटी के घर के आगे पहुंचा तो देखा की दरवाज़ा थोड़ा सा खुला है मैने आराम से दरवाज़ा खोला तो अंदर जाते ही देखा की आंटी सर्दी से कांप रही थी ओर चादर ओड़ के खडी थी.मैने उसके कान मे पूछा की कौन से रूम मे जाना है उसने इशारा किया की संनी वाले रूम मे चलो मे आ रही हूँ. मे आराम से चलता गया ओर रूम मे चला गया. आंटी 5 मिनिट के बाद आई ओर चादर उतारी जो उसने अपने उपर ओडे हुई थी तो देखा की आंटी कमीज उतार के ब्रा ओर सलवार मे ही थी. मैने जल्दी से आंटी को एक लंबी किस की ओर ज़ोर से पकड़ कर दबा दिया आंटी ने कहा बहुत टाइम हे हमारे पास दिल खोल के आज तुम्हारी खिदमत करुँगी ओर साथ में वो हँसने लगी आंटी उठी ओर रूम के दरवाजे को अन्दर से बंद कर दिया और मेरे साथ सिंगल बेड पर आ कर लेट गई जहाँ उसने मेरे आने से पहले ही हीटर लगा के रूम को काफ़ी गर्म किया हुआ था. हम दोनो 1 ही कंबल मे घुस के चिपक के लेटे थे. थोड़ी देर बाद आहिस्ता आहिस्ता मैने आंटी का सलवार ओर ब्रा उतार दी. ओर चूत मे उंगली डाल कर किसिंग शुरु की आंटी ने भी मेरी पेन्ट मे हाथ डाल कर लंड पकड के हिलाना शुरु कर दिया. ओर आंटी ने आहिस्ता आहिस्ता मेरी पेन्ट उतार दी. और चूत मे उंगली डाल कर मे तेज तेज अन्दर बाहर कर रहा था आंटी इस दोरान 1 बार झड़ चुकी थी. कुछ देर बाद मैने अपनी शर्ट उतार दी अब हम दोनो पूरे नंगे हो गये थे. और सेक्स मे मग्न थे.

इतने मे किसी ने दरवाजे की घन्टी बजाई तो मेरे तो होश ही उड़ गये मे घबरा कर उठ के खडा हो गया आंटी ने कहा कुछ नही हुआ घबरा क्यो रहे हो आंटी उठी ओर दरवाजा खोलने लगी मैने आंटी से कहा पागल हो क्या दरवाजा क्यो खोल रही हो तो उसने कहा आराम से बेठो ओके कुछ नही होगा. जब आंटी ने दरवाजा खोला तो 1 ओर आंटी की उम्र की ओरत अंदर आ गई मे घबरा गया की यह कोंन हे जब देखा तो वो आंटी की छोटी बहन थी जो की हमारे ही मोहल्ले मे रहती हे. वो अब अंदर आ गई. वो मूझे देख कर कहने लगी क्या हाल हे ठीक हो मे समझ गया की जब यह मेरे साथ इस तरह बात कर रही है तो रात के इस टाइम इस को लगता हे आंटी ने खुद बता कर बुलाया हे शायद इसी काम के लिये. जब मैने पूछा तो पता चला की आंटी का पति घर मे नही हे ओर बच्चे भी अपनी नानी के घर गये हैं आंटी ने कहा की मे अगर तुम्हे पहले बता देती की मेरी बहन चुदवाना चाहती हे तुम से तो शायद तुम आते ना.

मैने आगे से कहा की यह कोन सी बुरा मानने वाली बात हे बल्की मे तो लकी हूँ जो 2-2 चूत एक साथ मारूँगा ओर साथ ही दरवाज़ा खुला तो देखा की आंटी की दोस्त जिसका नाम नसरीन हे वो अब आ गई मे इस बार घबरा गया की 1 या 2 तो ठीक हैं अब यह कोंन हे? आंटी ने कहा की फिक्र ना करो बस आज तुम्हारी खेर नही ओर मे इस बार सच मे घबरा गया की मे केसे इन तीनो को चोदूंगा? खेर मेरा लंड तो एकदम जेसे घबरा कर सो ही गया था खेर आंटी रुबीना की बहन जिसकी गांड का मे पहले से ही दीवाना था क्योकी जब वो हिलती थी तो उसकी गांड में ऐसी हलचल मचती थी की मेरा लंड बेकाबु हो जाता था उसकी गांड देख के ओर आंटी की दोस्त नसरीन उसके बूब्स इतने बड़े थे की शायद ही मेरे दोनों हाथो मे 1 बूब्स आया उसका. खेर अब वो दोनो भी आहिस्ता आहिस्ता नंगी होना शुरु हों गईं. खेर अब आंटी ने कहा की दुसरे रूम मे चलते हैं जहाँ डबल बेड हे मे तो अब तक घबरा रहा था की होगा क्या आज मेरा. दोस्तो यकीन करो उस टाइम मेरी क्या हालत होगी आप अंदाज़ा लगा सकते हो यार…
खेर रूम मे जाते ही आंटी रुबीना ने कहा की पहले किसे करवाना हे काम अपना आंटी की बहन बोली की मे तो तीसरे नंबर पर करुँगी कम से कम थोड़ा टाइम तो लगता हे तीसरे नम्बर पर ओर साथ में वो हंस दी….खेर आंटी रुबीना ने कहा चलो नसरीन साहिबा जाओ करो जो करना हे.

अब नसरीन आती हे मेरा लंड पकड़ के मुझे चुटकी काट के कहने लगी बड़े लंड के लिये फिरती रहती हूँ और देखती हूँ की कितना दम हे तुम मे ओर तुम्हारे लंड मे ओर हंस दी. खेर मेरा तो लंड ही खड़ा नही हो रहा था दोस्तो घबराहट की वजह से खेर आंटी रुबीना ओर उसकी बहन पास बेठ कर हमें देखने लगी ओर नसरीन साहिबा ने मेरा लंड हाथ मे पकड़ के हिलाना शुरु किया ओर मुहँ मे डाल लिया ओर ऐसे चुसने लगी जेसे पागल हो गई हे. खेर 5 मिनिट के बाद मेरा जिस्म फिर से गर्म हुआ ओर लंड मे कुछ जान आई ओर कुछ वो खड़ा हुआ खेर मुझे अब मज़ा आ रहा था खेर मैने सोचा की आंटी रुबीना को तो मे कम से कम 2 या 3 बार चोदता हूँ चलो इस बार 3 चूत हैं 3 बार चुदाई तो करनी हे इसलिये रिलेक्स हो जाओं खेर अब मे आंटी के बोबे पकड़ के दबा रहा था साथ में उसकी खुली चूत मे तेज तेज उंगली कर रहा था.

आंटी रुबीना की बहन ओर उसकी दोस्त भी शादीशुदा थी. खेर मे साथ साथ नसरीन की गांड मे अब कभी कभी उंगली डाल देता खेर तकरीबन 10 मिनिट के बाद नसरीन ने मेरा लंड चूस के छोड़ा ओर कहा की आ जाओ जानी मारो अब चूत ओर खेर मे अब फुल जोश मे था इतने मे आंटी रुबीना उठ के मेरे पास आ गई ओर मेरा लंड हाथ मे पकड़ कर हिलाने लगी ओर मेरे कान मे प्यार से कहा मेरी कसम मूझे शर्मिंदा ना करवाना इसकी चूत ऐसे मारो जेसे मेरी मारते हो. मे समझ गया की आंटी अपनी ओर मेरी स्टोरी सुना चुकी ही इनको. खेर मैने नसरीन की गांड के नीचे तकिया लगा दिया ओर अब उसकी चूत उभर के मेरे लंड के सामने थी मैने उसकी टाँगें उठा कर हवा मे सीधी उपर की तरफ करके खोल कर पकड लीं ओर लंड को उसके हाथ मे पकड़ा कर कहा रखो अपनी गर्म चूत पर अब मे बताता हूँ तुम्हारी बारी आई चूत मरवाने की खेर उसने मेरा 6.5 इंच लंबा लंड को थूक लगा कर चूत के छेद पर रखा ओर मैने साथ ही जोर से डाल दिया अपना लंड उसकी चूत मे मेरा आधा लंड उसकी चूत मे था. जब मैने आंटी रुबीना ओर उसकी बहन को देखा तो वो दोनो एक दुसरे की चूत मे उंगली डाल रही थी. यह देख कर मे ओर भी गर्म हो गया ओर उधर तेज तेज नसरीन की चूत मे लंड आर पार करने लगा ओर नीचे से वो भी साथ दे रही थी.

मे कभी कभी पूरा लंड बाहर निकाल कर एकदम से लंड फिर अंदर डाल देता जिससे नसरीन हिल जाती थी. खेर मेरा लंड उसकी चूत की चुदाई कर रहा था. और नसरीन के बोबो को मुँह मे डाल कर साथ में चूस रहा था जिससे वो ओर भी गर्म हो चुकी थी ओर गांड उठा उठा कर मरवा रही थी. खेर तकरीबन 8 मिनिट तक मैने उसकी ऐसी चूत मारी उसके बाद मैने उसे उल्टा होने को कहा ओर वो घोड़ी बन गई ओर मैने पीछे से उसकी टांगे पकड़ कर ओर खोल दी ताकि उसकी चूत बिल्कुल साफ मेरे लंड के सामने खुल के नज़र आये.खेर मैने एक उंगली उसकी गांड मे डाल दी ओर लंड डाल दिया उसकी चूत मे अब मे नीचे से उसकी चूत मे लंड तेज तेज अंदर बाहर कर रहा था ओर साथ में उसके बोबे पकड कर तेज तेज फुल जोश मे दबा रहा था ओर वो बार बार कह रही थी आहिस्ता दबाओ प्लीज लेकिन मे उससे कह रहा था बहुत शोक था चुदवाने का तो अब आराम से चुदवाओ ओके. रूम मे पचक पचक की आवाज़ें आ रही थी. उधर अब तक कई बार आंटी रुबीना ओर उसकी बहन एक दुसरे की चूत चूस चूस कर झड़ चुकी थी.

मेरा लंड अभी तक फुल जोश मे था ओर नसरीन 2 बार झड़ चुकी थी अब उसकी चूत की यह हालत थी की वो थोड़ी गीली हो कर मेरे लंड को दबा रही थी अंदर से खेर. इससे मूझे ओर भी जोश आ रहा था. साथ साथ मे नसरीन से सेक्सी ओर गंदी गंदी बातें पूछ रहा था खेर नसरीन ने बताया की उसके पति का लंड भी मेरी साइज़ का ही लेकिन उसका मोटा नही हे इतना इसलिये तुम्हारा लंड डलवा कर मज़ा आ रहा हे बहुत रुबीना सही कहती थी की तुम से चुदवाऊ किसी दिन अब तो तुम्ही से बोलती रहूँगी आ जाओंगे ना मैने कहा यह भी पूछने की बात हे जनाब जब कहो मे हाज़िर हो जाऊँगा. इतने मे रुबीना ने अंदर से पूरी ताक़त से लंड को ओर ज़ोर से दबा लिया ओर मे एकदम ढीला पड़ गया मूझे बहुत मज़ा आ रहा था उसने अपनी चूत को टाइट कर शायद कुछ सेकेंड ऐसे ही रखी फिर दोबारा उसकी चूत ढीली पड़ी तो मैने अपनी चुदाई फुल तेज कर दी अब मे भी झड़ने वाला था. मे अब पूरी तेज स्पीड से उसकी गीली चूत मार रहा था ओर वो सच मे अब दर्द फील कर रही थी कुछ देर बाद मैने उसके बोबे ज़ोर से पकड़ कर लंड पूरा बाहर निकाल कर अंदर डालना चालु किया जिससे वो ओर भी चीखने लगी खेर तकरीबन 1 मिनिट बाद मे झड़ने वाला था ओर मैने कहा माल निकाल दूँ क्या चूत मे ?
उसने कहा की नही प्लीज अन्दर मत गिराना बाहर निकालो ।
मेने जल्दी से लंड बाहर निकाला ओर उसने लंड मुँह मे ले कर चूसना शुरु किया.

दोस्तो यकीन करो नसरीन पूरा खा गई मेरे लंड को ओर मे एकदम ढीला पड़ कर उसके उपर ही गिर गया ओर मेरी उस टाइम यह हालत थी की मूझे इतनी सर्दी के मोसम मे गर्मी फील हो रही थी. खेर नसरीन से आंटी रुबीना ने मज़ाक से पंजाबी मे पूछा सुनो आराम आया ..हाहहहाः ओर नसरीन ने आगे से कहा ज़लील कमिनी मेरी चूत दी चटनी बन गई व सत्या नाश हो गया वे मेरी चूत दा ओर साथ मे उसने कहा की वेसे लंड ही कमाल दा…खेर इतने मे नसरीन उठी ओर बाथरूम मे जाने के लिये कपड़े पहनने लगी ओर मे अभी तक नंगा लेटा हुआ था इस टाइम रात के 12:45 का टाइम हो रहा था. कुछ देर बाद आंटी रुबीना उठी ओर मेरे लिये गर्म गर्म दूध का ग्लास ले कर आई ओर साथ 1 सेब भी. ओर साथ में वो हंस के बोली की अभी एक शान्त हुई हे 2 बाकी हैं. ओर हंस दी. मैने कहा की रुबीना जानू वेसे जो तेरा मज़ा हे ना कसम से नसरीन का नही आया रुबीना आंटी ने कहा चल कोई बात नही मे तो यहाँ ही हूँ तुम्हारे पास लेकिन आज इनको शान्त प्लीज़ कर दो बस बेशक अगर मेरी आज चूत ना भी ली गई तुम से तो कोई बात नही बस अब मेरी बहन को शान्त कर देना.

फिर इस बार मैने आगे से कहा की मूझे उसकी गांड बड़ी पसंद हे यार सच्ची तो इस पर आंटी ने मूझे गाल पर आहिस्ता से मज़ाक से थप्पड़ मारते हुये कहा बकवास ना कर उस को मना लेना ओर फिर बेशक चूत के साथ 10 बार गांड मार लेना उसकी. कुछ देर बाद दोस्तो आंटी रुबीना की बहन अब मेरे पास आ कर लेट गई ओर मेरा लंड आहिस्ता आहिस्ता हिलाने लगी अब उसने मेरा लंड भी मुँह मे लेकर खड़ा करना स्टार्ट कर दिया ।

ओर मे साथ साथ उसकी नरम नरम बड़ी साइज़ की गांड के साथ खेल रहा था. हाथ लगाने से उसकी गांड
ऐसे हिलती थी जेसे ज़लज़ला आ जाता हे. खेर दोस्तों हुआ यूँ की आंटी रुबीना की बहन से मैने सेक्स के साथ साथ उसके पति के साथ उसके सेक्स के रीलेशन के बारे में पूछा उसने बताया की मेरा पति भी फिट हे और बड़ी अच्छी तरह से चूत मारता हे मेरी ओर हम तकरीबन अभी भी हफ्ते मे 3 बार कम से कम चूत लंड का खेल खेलते हैं. खेर मैने उससे पूछा की फिर तुम्हे क्या जरूरत पड़ी की मुझ से चुदवाने की तो कहने लगी की रुबीना ने बताया था की जनाब काफ़ी अच्छी चुदाई करते हैं तो पहले तो मे चुप रही फिर सोचा की चलो क्यो ना तुम्हे आज़माया जाये इसीलिये मे आज आ गई और साथ साथ मे उसकी चूत मे उंगलियाँ दे रहा था ओर कभी कभी बोबो को मुँह मे डाल कर चूसता रहा ओर वो बातें बताती रही.तब मैने उसी से पूछा की तुम्हे पता हे की अक्सर जब तुम गली मे से गुज़रती हो तो मे तुम्हे बड़ी प्यारी नज़रों से देखता था तो वो कहने लगी नही मेने कभी फील नही किया खेर चलो आज बुझा लो प्यास अपनी ओर वो हंस दी. मैने उससे कहा की सब से प्यारी चीज़ तुम मे तुम्हारी गांड हे जब तुम चलती हो तो मेरा लंड झुक कर तुम्हारी गांड को सलाम करता. इस पर कहने लगी की क्या गांड मारने का इरादा तो नही मेने कहा की चूत तो तुम्हे अपनी इच्छा से मरवानी हे ओर गांड मेरी इच्छा से तुम मूझे दोगी खेर पहले तो वो नही मानी लेकिन मैने उसे मना लिया. अब मैने उससे कहा की लंड चूसो जितना चूस सकती हो मेरा अब वो मेरा लंड चूस चूस कर फुल खड़ा कर चुकी थी इस बार मेरा लंड पहले से भी ज्यादा टाइट था उधर दूसरी तरफ नसरीन बाथरूम से नहा कर आ चुकी थी ओर हीटर के आगे बेठ गई वो सर्दी से कांप रही थी हाहहः.
खेर अब मैने कुछ देर बाद शाज़िया की टाँगें अपने कन्धों पर उठा कर रखीं दोस्तो याद रहे की शाज़िया आंटी रुबीना की बहन का नाम हे. शाज़िया की टांगे उठा कर मैने अपने कंधों पर सेट की ओर नीचे से एक तकिया उसकी गांड के नीचे रख दिया ताकि चूत खुल कर उपर की तरफ साफ तरह से नज़र आये ओर लंड फिट हो कर चूत मे चला जाये. खेर अब मैने अपनी हाथो से ज़ोर से दबा कर उसके 38 साइज़ के बोबे पकड़ लिये ओर नीचे से लंड को चूत पर रगड़ने लगा चूत का पानी निकल रहा था ओर मे अपना लंड अच्छी तरह से चूत के पानी से गीला कर के उसकी चूत में डाल रहा था ओर बातों बातों मे एकदम झटका दिया ओर लंड चूत मे घुस गया जिससे की शाज़िया की सच मे चीख निकल गई ओर मेरे कन्धों को उसने ज़ोर से दबा लिया.

शाज़िया की चूत दोस्तो सच पूछो तो आंटी रुबीना से भी ज्यादा मजे की थी क्योकी उसकी चूत अभी भी थोड़ी टाइट थी. उसके 2 बच्चे भी थे लेकिन फिर भी चूत कमाल की थी खेर अब मे थोड़ी देर नीचे झुक कर उसके होठ मुँह मे ले कर किस करने लगा फिर शाज़िया भी नीचे से गांड उठा उठा कर हिलने लगी मैने तकरीबन 6 मिनिट तक इस स्टाइल से उसकी चूत मारी.

फिर जब मैने महसूस किया की वो कम से कम 2 बार झड़ गई हे मैने सोचा की अब मोका अच्छा हे उसकी गांड मारने का तो मैने बड़े प्यार से उससे कहा की उल्टे हो जाओ पीछे से मारनी हे तुम्हारी चूत. उसे क्या पता था की अब मे उसे चूत की कह कर गांड मारने लगा. खेर वो मान गई पहले तो मैने उसकी चूत मे ही लंड डाला ओर 2 मिनिट के लिये तकरीबन चूत की खिदमत मे लंड पेश किया खेर अब तक उसकी चूत भी गीली हो कर सुकुड़ना शुरु हो चुकी थी जिसकी वजह से मेरा लंड दबा रही थी खेर मैने कुछ देर चूत मारने के बाद जब देखा की शाज़िया थक चुकी हे अब तब मैने आराम से लंड निकाला और गांड पर रगडना शुरु किया उसे क्या पता था की गांड मे डालेगा ओर मैने बातो बातों मे लंड गांड पर रखा और हल्के से पूछा क्या लंड गांड मे घुस गया वो एकदम आगे को हिली लेकिन मैने उसे पकड़ रखा था ज़ोर से उसके बोबो के वहा से इसलिये वो हिल ना सकी खेर उसकी गांड नरम होने की वजह से लंड कुछ आसानी से गांड मे चला गया. यकीन मानो दोस्तो क्या मजे की गांड थी इतनी भरपूर गांड ओर टाइट छेद. क्या मज़ा था लंड को पता चलता था की फँस कर गांड मे जा रहा हे खेर शाज़िया दर्द से काफ़ी कराह रही थी लेकिन मैने उसकी एक ना सुनी ओर आराम आराम से उसकी गांड मारता रहा खेर कुछ देर बाद जब उसने अपनी गांड ढीली छोड़ी तो मे थोड़ा तेज हुआ ओर तेज तेज लंड अंदर बाहर करने लगा अब उसको भी मज़ा आ रहा था ओर वो भी कह रही थी तेज मारो झटके मैने उससे पूछा की पति ने गांड मारी तुम्हारी या नही तो कहने लगी नही बस वो उल्टी कर के चूत बहुत मारते हे.

अब मे भी झड़ने वाला था ओर मैने कुछ ही देर मे उसकी गांड मे तेज धार छोड़ कर वीर्य निकाल दिया शाज़िया ने मूझे गोर से देखते हुये कहा की बड़ा गर्म हे वीर्य तुम्हारा हहहहा. खेर दोस्तो शाज़िया ने बड़ी ज़ोर से मेरे लंड को अपनी गांड मे दबा कर सारा वीर्य चूस लिया गांड में एक साथ. खेर उस के बाद हम कुछ देर लेटे रहे ओर फिर वो उठी ओर बाथरूम मे चली गई अब बारी आंटी रुबीना की थी इसलिये मैने बाकी सब को कहा की प्लीज अब मूझे और मेरी जान को एक साथ अकेला छोड़ दो इस पर आंटी बहुत खुश हुई ओर नसरीन ओर शाज़िया आंटी रोबना को मज़ाक मे ओय होय वा जी वा कह कर दुसरे रूम मे चली गई लेकिन जाते जाते शाज़िया मेरे पास से गुज़रते हुये मेरे लंड को शरारत से पकड़ कर कहने लगी की वेसे काफ़ी शान्त कर देतो हो तुम जनाब चूत को ओर गांड को भी इस पर मैने कहा की अब कब का प्रोग्राम हे तो उसने कहा की अभी इस बार की जो चूत पिलवाई हे उसकी जलन तो दूर हो जाये आगे की भी जल्दी बताऊँगी 2 ,3 दिन मे ही ओके.

यह कह कर वो भी चली गई दुसरे रूम मे अब मे ओर मेरी जानू आंटी रुबीना अकेले रूम मे चिपक कर लेट गये अब रुबीना ने प्यार से मूझसे पूछा की सच बताओ थक गये हो ना मैने कहा हाँ थक तो गया हूँ लेकिन तुम्हारी चूत ना लूँ यह हो नही सकता जानू आइ लव यू सो मच खेर इस पर वो खुश हो गई ओर कहने लगी कुछ देर आराम कर लो अभी तो रात के सिर्फ़ 4 बजे हैं 30 मिनिट आराम कर लो बाद मे फिर जनाब जेसा कहो जो कर लेना मैने कहा ओके ओर वो मेरी लिये गर्म गर्म गाजर का हलवा ले कर आई जो की मैने ओर उसने मिल कर खाया उसके बाद हमने अपना सेक्स केसे चालू किया।


तो दोस्तो हुआ यूँ की अब क्योकी यह तीसरा टाइम था 1 ही रात मे 3 चूत मारना कोई आसान काम तो नही हे ना खेर मे लेट कर आंटी रुबीना की चूत के साथ खेल रहा था. ओर साथ साथ उसके बोबो को भी कभी कभी चूस लेता अब तक वो शायद मेरे साथ 3 बार झड़ चुकी थी ओर आंटी रुबीना भी मेरे लंड के साथ 30 मिनिट से खेल रही थी. अब मे भी कुछ गर्मी महसूस कर रहा था सेक्स की जिसकी वजह से दोबारा मेरा लंड खड़ा होना शुरु हो चुका था आंटी कभी कभी मेरे लंड के साथ लंड के बॉल भी मुँह मे डाल कर थूक लगा लगा कर गीले कर रही थी ओर उधर मे भी पागल हो रहा था इसलिये मे साथ साथ उसकी चूत मे उंगली डाल के तेज तेज अन्दर बाहर कर रहा था ओर जिसकी वजह से अब उसकी चूत गर्म हो कर लाल होना शुरु हो चुकी थी.
ओर कुछ कुछ गीली भी.आंटी मेरा लंड पागलों के जेसे चूस रही थी। ओर सच पूछो तो आंटी रुबीना ने मूझे सही तरह जोश दिला था अब तक. ओर मेंरी हालत यह हो चुकी थी की मे भी पागलों के जेसे उस के साथ 69 की पोज़िशन मे हो कर उसकी चूत चुसने लगा ओर वो मेरा लंड हम दोनो को दुसरे रूम से नसरीन ओर शाज़िया इस हालत मे खिड़की से देख रही थी हमे तब पता चला जब उन्होने हमे आवाज़ दी की ओय पागलो कहीं तुम उसकी चूत ओर वो तुम्हारा लंड ही ना खा जाना जीतने तुम पागल होये हो सेक्स मे हाहहहहा. खेर इतने मे आंटी रुबीना की चूत से तेज धार पानी की निकाल गई जो की मेरे मुँह मे जा कर गीरी ओर मे वो पानी पी गया खेर कुछ देर बाद आंटी ने मूझे कहा की बस करो प्लीज अब मारो चूत मेरे से ओर नही रहा जाता.

मैने आंटी को बेड से उठने को कहा हम दोनो खड़े हो गये ओर मैने आंटी से कहा की टेबल पर जा कर बेठो आंटी ने वेसा ही किया ओर टेबल पर बेठ गई मेने आंटी के करीब जा कर आंटी की टाँगें उपर उठा कर अपने कन्धों पर रख ली ओर खुद मे ज़मीन पर खड़ा था ओर आंटी की चूत बिल्कुल मेरे लंड के सामने थी आंटी की चूत मेरे लंड से टच होती तो आंटी ओर पागल हो जाती मैने लंड को चूत के छेद पर सेट किया ओर आंटी को कन्धों से पकड कर अपनी तरफ खींचा ओर खुद भी झटका दे कर लंड को अंदर किया जिससे एक ही झटके मे चूत को चीरता हुआ मेरा लंड अंदर घुस गया आंटी एक दम से हिली शायद दर्द की वजह से आंटी रुबीना की चूत की गर्मी मूझे सच मे महसुस हो रही थी मुझे महसुस हो रहा था की सच मे चूत की गर्मी कितनी होती हे.

मे अभी आंटी रुबीना की चूत मार ही रहा था की पीछे से शाज़िया ओर नसरीन दोनो रूम मे आ गईं ओर उन्होने कपड़े उतार दिये ओर मेरे पीछे से आ कर एक ने मूझे अपनी बाहों में भर लिया ओर दुसरी नीचे झुक कर मेरे लंड के बॉल को चुसने लगी ओर मे साथ साथ आंटी रुबीना की चूत का गुलाम बन कर उसकी सेवा कर रहा था. नसरीन जो की नीचे बेठ कर मेरे बॉल चूस रही थी वो कभी कभी मेरा लंड हाथ से चूत से बाहर निकाल कर अपने मुँह मे डाल कर चुसती ओर फिर रुबीना आंटी की चूत मे अपने हाथ से डाल देती इस टाइम हम सब पागलों की तरह कमरे मे आवाज़े निकाल रहे थे लेकिन जो हालत आंटी रुबीना की थी वो पूछो मत उसकी चूत इतना पानी छोड़ चुकी थी की मेरा लंड पूरा गीला हो गया था. ओर अब तक वो पानी छोड़ छोड़ कर खुद भी कमजोरी महसुस कर रही थी. खेर 10 मिनिट ऐसे ही चूत मारने के बाद भी मेरा वीर्य निकलने का नाम नही ले रहा था क्योकी तीसरा टाइम था इसलिये टाइम ज्यादा लगता हे वीर्य निकलने मे. खेर इतने मे रुबीना आंटी ने कहा प्लीज 5 मिनिट रुक जाओ थोड़ा सब्र करके फिर मार लेना चूत मूझे जलन हो रही हे ओर मेने आंटी को छोड़ दिया वो जा कर बेड पर उल्टी लेट गई इतने मे शाज़िया ओर नसरीन दोबारा मेरे साथ चिपक गई.

मैने शाज़िया से कहा की अगर तुम्हारी इच्छा हे तो बताओ मे गांड मारुगा वरना नही. इस पर वो मान गई ओर मेने उसको पकड़ कर उल्टा करके नीचे से रुबीना की चूत के पानी से भरा हुआ लंड सीधा शाज़िया की गांड मे डाल दिया वो एक दम चीख मारती मारती रुक गई ओर नसरीन आगे से आ कर उसके बोबे दबाने लगी ओर शाज़िया साथ साथ उसकी चूत को सहलाने लगी खेर 5 मिनिट के बाद रुबीना ने मुड़ कर देखा ओर कहा की इंसानो की तरह अपने रूम मे जाओ तुम दोनो बस अब यह बारी मेरी थी तुम दोनो क्यो आ गई हो. मैने जब देखा की रुबीना आंटी नाराज़ हो रही ही तो मैने उन्हे छोड़ कर कहा की जाओ तुम दोनो बस अब. इतने मे दोबारा मे आंटी के पास जा कर लेट गया. अब तक आंटी कुछ ठीक हो चुकी थी मैने आंटी से पूछा की क्या हुआ तो उसने बताया की उसे बेबी ट्यूब तक जलन हो रही ही अभी भी शायद पानी ज्यादा निकलने की वजह से खेर.

मैने पूछा तो अब क्या मूड हे उसने कहा की मूड क्या होना हे मज़ा दो मूझे बस जो दिल चाहे करो मैने सुनते ही उससे कहा की अब तुम मेरी गोद मे आ कर बेठो मेरी तरफ मुँह करके नीचे से लंड डलवा कर चूत मे आंटी ने वेसा ही किया ओर अब मे उसकी चूत मे लंड डाल कर साथ साथ उसके बोबे मसल कर चूस रहा था ओर साथ साथ उसकी गांड को नीचे से उठा उठा कर चूत मे लंड डाल रहा था.

यह सिलसिला 5 से 7 मिनिट चला अब फिर आंटी पानी छोड़ चुकी थी ओर कुछ कुछ मे भी अब वीर्य छोड़ने के करीब था. खेर मेने अपना स्टाइल बदल दिया ओर लंड चूत मे डालते हुये ही आंटी को उल्टा कर उसकी टांगे अपनी कमर से जकड़ा दी ओर अब मेरी रफ़्तार ओर भी तेज हो चुकी थी। कमरे में पचक पचक पूच पूच की आवाज़ें आ रही थी ओर साथ मे हम दोनो की सेक्स की आवाज़ें मुँह से निकल रही थी. रुबीना इतनी गर्म हो चुकी थी की अब तक मेरी कमर पर उसने अपने नाख़ून मार मार कर कितने जख्म कर दिये थे लेकिन उस टाइम मूझे भी महसुस नही हो रहा था ओर मे भी उसकी चूत पागलों की तरह मारे जा रहा था मैने रुबीना के बोबो को काट काट कर लाल कर दिया था ओर दाये बोबे पर काटने से जख्म भी आ चुका था लेकिन उसे भी उस टाइम दर्द महसुस नही हो रहा था शायद सेक्स की वजह से.

खेर रुबीना के कान मे मैने पूछा की वीर्य निकालने का दिल करता हे चूत मे निकाल दूँ
उसने मना कर दिया लेकिन मेरे प्यार से कहने पर वो मान गई ओर कहा की अगर गर्भवती होने का चान्स हुआ तो…… मैने कहा की लेडी डॉक्टर कोन सी खत्म हो चुकी हैं दुनिया मे। करवा लें ना कुछ ना कुछ। खेर इतने मे साथ साथ चूत मे पहले तो मेरे लंड ने पानी छोड़ा ओर मे समझ गया की मे बस झड़ने वाला हूँ इस लिये मे ओर तेज झटके मारने लगा ओर साथ ही 10 सेकेंड तक मैने इतनी तेज वीर्य की धार चूत मे छोड़ दी जिससे रुबीना ने मूझे ज़ोर से अपने हाथ गले में डाल कर चिपका कर अपनी बाहो मे दबा लिया ओर मूझे किस करने लगी ओर साथ साथ नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर ज़ोर ज़ोर से मेरा लंड चूत के साथ दबाने लगी मे भी आराम से उसके उपर लेटा रहा जब तक वो खुद ढीली ना पड़ गई.

अभी भी मेरा लंड उसकी चूत मे ही था जो की आहिस्ता आहिस्ता ढीला होने की वजह से खुद बाहर निकल आया था. इस टाइम सुबह के 5 बज रहे थे. तब मैने आंटी से कहा की अब मूझे जाना चाहिये यह सुन कर उसने मूझे आज पहली बार कहा की आइ लव यू प्लीज़ कल फिर आ जाओ ना मे कल भी अकेली हूँ ओर कल सिर्फ़ मे होंगी ओर पूरी रात बस तुम मूझ से प्यार करना मैने उसकी आँखो मे अजीब सा प्यार देखा ओर मूझे उस पर बहुत प्यार आया जिससे मैने एकदम उसे अपनी बाँहो मे ले लिया ओर लंबी किस की ओर कहा की आइ लव यू टू जान आऊँगा जब भी तुम बुलाओंगी मे आ जाऊँगा. यह सुन कर वो खुश हो गयी ओर मेरी शर्ट अपने हाथ से मूझे पहनाई ओर फिर मेने अपने कपड़े पहने ओर अब उसे अपने हाथो से ब्रा पहनाई ओर शलवार ओर कमीज़ भी फिर वो बाहर दरवाजे तक मेरे साथ आई ओर उसने देखा की बाहर गली मे कोई हे तो नही ना ओर तब मे बड़े आराम से बाहर निकल कर अपने घर मे घुस गया ड्रॉयिग रूम के दरवाजे से. खेर पूरी रात सच मे मैने इतना इन्जॉय किया जिसका अंदाज़ा आप लगा चुके होंगे.

अगले दिन मे दोबारा आंटी के घर किसी बहाने से गया तो देखा की आंटी मेरी चाची के पास बेठी थी ओर बातें कर रही थी ओर मैने बड़े अंदाज़ मे कहा की आंटी क्या बात हे लगता हे आप की तबियत ठीक नही हे आँखे भी लाल हैं आंटी ने मेरी तरफ देखते हुये कहा हाँ वो रात को तबियत ठीक नही थी जिस वजह से सारी रात सो नही सकी आँखें भी लाल हैं. ओर मे साइड की तरफ मुँह करके हंस दिया की आंटी रुबीना केसे बात बदल रही हैं मेरी चाची के सामने अहहहाहहः. खेर उस शाम दोबारा आंटी ने मूझे 7:30 बजे कॉल करके कहा की आज रात दोबारा आ जाना 12 बजे तक ओर मैने हाँ कर दी ……….


End
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#15
बीमारी ने दिलायी प्यासी भाभी की चूत- ( Big story)


दोस्तो, यह कहानी करीब तीन साल पहले की बात है, मैं काम के सिलसिले में हैदराबाद गया था. वहां एक रात अचानक मेरी तबीयत खराब हो गयी. मैंने होटल के रिसेप्शन पर फोन किया और पूछा कि अगर आस पास कोई क्लिनिक हो तो बताइए.
उन्होंने बोला कि पास में तो नहीं है, कुछ 4-5 किलोमीटर पर एक क्लिनिक है लेकिन अभी उधर के लिए कोई साधन नहीं मिल सकता है.
यह सुनने के बाद मैं मजबूर होकर सोने की कोशिश करने लगा लेकिन नींद नहीं आ रही थी.

मैंने सोचा कि चलो जा कर देखते है शायद कोई दवाई की दुकान खुली मिल जाए तो उसी से पूछ कर कोई दवा ले लूँगा.

इसके बाद मैं दुकान खोजने बाहर निकला पर काफी देर बाद भी जब कोई दुकान खुली नहीं मिली, तो थकान के कारण मैं एक जगह पर बैठ गया. अभी मुझे बैठे हुए दो मिनट ही हुए थे कि वहां एक स्कूटर आ कर रुका. मैंने देखा कि वो स्कूटर सवार एक महिला थी. उसने मुझसे पूछा कि इतनी रात में यहां क्या कर रहे हो?
मैंने उसे बताया कि मुझे दवाई चाहिये, पर कोई दुकान नहीं खुली हुई है.
उसने मुझे घूरते हुए पूछा- क्या हुआ?
तो मैंने बताया कि बुखार है.
वो बोली कि तुम कहां रहते हो?
मैंने बताया कि पास में एक होटल (नाम बताया) में रह रहा हूँ.
वो बोली- मेरा घर पास में ही है, आप होटल में जाओ, मैं दवाई लेकर आती हूँ.

मैं जाकर होटल के रिसेप्शन पर उसके आने का इन्तज़ार करने लगा. कुछ दसेक मिनट में वो वहां आ गयी. मैंने उससे दवाई ले कर तुरन्त खा ली. उसने मुझे और एक गोली दी और कहा कि सुबह नाश्ते के बाद खा लेना.
मैं उसे धन्यवाद बोल कर सोने चला गया.

सुबह जब उठा तो काफ़ी ठीक लग रहा था. मैं नीचे नाश्ता करने गया. तो नीचे जा कर मैंने देखा कि रिसेप्शन पर वही रात वाली लड़की खड़ी है, मैं वहां गया और उससे पूछा कि मुझे रात में एक महिला दवा दे कर गयी थी, आपको पता है कि वो कौन थी और कहां रहती है.

उसने बताया कि उसकी दवाइयों की दुकान है, पर वो दुकान बहुत दूर है.
मैं बोला- मैंने तो उसे ठीक से धन्यवाद भी नहीं किया था. क्या तुम मुझे उसका फोन नम्बर दे सकती हो.

इससे पहले कि वो कुछ बोलती, एक आवाज़ आयी- फोन नम्बर का क्या करोगे?
मैंने देखा कि वही महिला मेरे पीछे खड़ी है.
मैंने उससे माफी माँगी और रात की दवाई के लिए उसे धन्यवाद कहा.

मैंने पूछा कि दवाई के कितने पैसे हुए?
वो बोली- अब तबियत कैसी है?
मैंने कहा- बहुत अच्छी है.
वो मुस्कुरा कर बोली- तो ठीक है, आज रात को मुझे डिनर करवा देना.
मैंने कहा- जरूर … आप जहां बोलो.

वो हंसी और चली गयी, उसने न समय बोला. न जगह बताई.

खैर … मैं अपने काम पर चला गया. दोपहर को मुझे एक अनजान नम्बर से फोन आया. वो कोई महिला बोल रही थी. उसने मेरा हाल पूछा, फिर बोली- कभी मिलो.
मैं चौंक गया कि कौन है.
मैं चुप हो गया तो वो हंसने लगी और बोली- अरे तुम तो डर गए? मैं वही दवाई वाली बोल रही हूँ.
मैं बोला- ओह … आपको मेरा नम्बर कहां से मिला?
वो बोली- यदि चाहो … तो सब मिल जाता है.

मैंने कहा- बढ़िया … फिर बताओ कब और कहां मिल रही हो?
वो बोली- अरे वाह … तुम तो सीधे मिलने पर आ गए?
उसने मुझसे तुम कह कर बात की तो मैंने भी कहा- तुमने ही तो बोला है कि चाहो तो सब मिल जाता है. बस मैंने थोड़ा शब्द आगे पीछे कर दिए.
वो हंसी और बोली- तुम आदमी दिलचस्प हो! चलो शाम को 6 बजे, जहां तुम कल रात मिले थे, वहीं मिलते हैं.

फिर हम दोनों ने बाय बाय कर के फोन काट दिया.

शाम को 6 बजे जब मैं उस जगह पर पहुंचा, वो वहां पर पहले से ही खड़ी थी. मुझे देखते ही वो मुस्करायी और बोली- चलें?
मैंने कहा- जी बिल्कुल … बन्दा आपकी सेवा में हाज़िर है.
उसने कहा- तुम चलाओगे ये? या मैं चलाऊं?
मैं कुछ नहीं बोला, बस चाबी ली और स्कूटर चालू कर दिया. वो भी मेरे पीछे बैठ गयी और मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे कस कर पकड़ लिया.

मैं बोला- रास्ता बताओ.
फिर वो बताती गयी और मैं चलाता गया. पांच मिनट में उसने मुझे एक घर के सामने रुकने को कहा. वो एक मंजिला बड़ा सा घर था, मतलब अकेला घर, उसके चारों तरफ दीवार थीं. उसने उतर कर गेट खोला और मैं स्कूटर लेकर गेट के अन्दर चला गया. उसने गेट बन्द किया और पीछे हो गयी. आगे जाकर मैंने स्कूटर खड़ा किया और उसने घर का दरवाज़ा खोला. वो अन्दर घुसी, तो मैं उसके पीछे पीछे घर के अन्दर चला गया.

घर बहुत ही तरीके से सजाया हुआ था. उसने मुझे सोफे पर बैठने को कहा और वो अन्दर चली गयी. मैं उसके घर को घूम कर देख ही रहा था कि वो पानी ले कर आयी. पानी लेते हुए मैंने उससे पूछा- घर के बाकी लोग कहां हैं?
वो बोली- मैं अकेली रहती हूँ. मेरे पति का दवाई का काम है. वो अलग अलग शहर में दवाईयां देने जाते हैं और 15 दिन में 2-3 दिन के लिए ही घर पर आते हैं. अभी दो दिन पहले ही वो चेन्नई गए हैं.

कुछ देर बातें करने के बाद वो बोली- क्या खिलाओगे?
मैं हंसा और बोला- जो तुम बोलो?
वो बोली- मुझे कुछ अलग खाना खाना है.
तो मैं बोला- चलो मैं बना कर खिलाता हूँ.
वो बोली- तुम खाना बनाना जानते हो?
मैंने कहा- खा कर बताना.

फिर हमने मिल कर खाना बनाया. सब्जी एवं दाल मैंने बनायी और उसने चावल बनाये. हमारा रोटी का कोई इरादा नहीं था.
वो बोली- क्या पियोगे?
मैं बोला- दूध.
वो बोली- उसके पहले?
मैं बोला- मैं व्हिस्की पीता हूँ.

तो वो एकदम खुश हो कर मेरे से लिपट गयी और बोली- वाह, आज तो मज़े आ गए … मैं भी व्हिस्की ही पसन्द करती हूँ.
मैंने कहा- चलो लेकर आते हैं.
तो वो बोली- चलो!
और मेरा हाथ पकड़ कर दूसरे कमरे में जाने लगी.
मैंने कहा- अन्दर किधर जा रही हो?
वो बोली- आओ तो सही.

वो मुझे दूसरे कमरे में एक अलमारी के सामने ले जा कर बोली- इसे खोलो.
जब मैंने अलमारी खोली, तो देखा उसमें अलग अलग तरह की बोतलें रखी थीं.
मैंने कहा- लगता है कि तुम्हारे पति को काफ़ी शौक है.
वो बोली- नहीं, वो केवल बियर पीते हैं, ये सब मेरे लिए है. केवल जब मैं उन्हें दूध नहीं पिलाती, तब वो मेरे लिए मेरे साथ पीते है. अगर तुम बोलते कि बियर पीनी है, तो तुम्हें भी दूध नहीं मिलता.

यह कह कर वो हंसने लगी.

फिर हमने एक बोतल निकाली और सोडा और पानी लेकर बाहर हॉल में बैठ गए.

उसने कहा- पहली बार तुम बनाओ ताकि मुझे समझ आ जाए कि तुम्हें कैसे लेना पसन्द है.
मैंने दोनों गिलास में दारू डाली और अपने गिलास में थोड़ा सा सोडा और थोड़ा पानी डाला. फिर मैंने उससे पूछा कि उसे कैसे लेना पसन्द है?
तो वो बोली- मुझे बहुत अच्छा लगा कि तुमने मेरी पसन्द पूछी क्योंकि उसके पति तो बस अपने हिसाब से पैग बना देते हैं और बहुत सारा पानी मिला देते हैं. जबकि मुझे पहला पैग बिल्कुल सादा लेना पसन्द है.

मैं समझ गया कि उसे केवल दारू पीनी है. मैंने और कुछ नहीं पूछा और उसका आधा गिलास केवल नीट दारू से भर दिया. फिर हमने गिलास टकराये और पीने लगे.

लेकिन इससे पहले कि मैं अपना एक घूंट भर कर गिलास नीचे रखता, उसने पूरा गिलास खाली कर दिया और आँखें मींच कर आह करके आवाज़ निकाली.
मैं तो उसे देखता ही रह गया और उसने फिर से अपना गिलास पूरा का पूरा केवल दारू से भर लिया. अब तक हम आमने सामने बैठे थे. गिलास भर कर वो उठी और मेरे पास आ कर बैठ गयी और बोली- तुम चिन्ता मत करो.. मैं तुम्हें जोर नहीं दूँगी, तुम अपने हिसाब से पीना.

मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने उसे बांहों में भर कर उसके गाल पर चुम्मी कर ली.
वो तो जैसे इस शुरूआत के इन्तज़ार में बैठी थी. मेरी पकड़ ढीली होते ही उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और सीधा मेरे होंठों को चूसने लगी. वो बोली- मैं पिछले 3 घन्टे से इसका इन्तज़ार कर रही थी.. पर तुम हो कि पास ही नहीं आ रहे थे.
मैंने कहा- पहली मुलाकात है और मैं तुम्हारे जैसे अच्छे दोस्त को खोना नहीं चाहता हूँ.
वो बोली- तुम बहुत अच्छे इन्सान हो. नहीं तो अगर किसी आदमी को कोई लड़की ऐसे अपने घर में लाये, तो वो तो बस आते ही उसे नोंचने लग जाए.

इसके बाद हम दोनों थोड़ी देर एक दूसरे की बांहों में बैठे रहे और बस एक दूसरे को धीरे धीरे चूमते रहे.

फिर वो बोली- बहुत समय हो गया है, तुम्हें भूख लग रही होगी, चलो अपना गिलास खाली करते हैं और खाना खा लेते हैं. उसके बाद फिर महफिल जमाते हैं.

अब तक मैं भी जोश में आ चुका था, तो मैंने एक ही झटके में गिलास खाली कर दिया और उसने भी मुझे देख कर अपना पूरा भरा दूसरा गिलास भी खाली कर दिया. मुझे लगा ये तो बहुत ज्यादा पीने वाली लगती है.
लेकिन जल्द ही मेरी ये धारणा दूर हो गयी, जब हम उठने लगे तो वो पूरी लहरा गयी.

मैंने उसे सम्भाला और बोला- तुम बैठो, मैं खाना यहीं ले कर आता हूँ और हम यहीं साथ में बैठ कर खाएंगे.
वो बस मुझे देखती रही और वहीं सोफे पर बैठ गयी. फिर हमने खाना खाया, खाना खाने के बाद वो थोड़ी सही हो गयी थी.
वो मुझसे माफी मांगने लगी कि उसे एकदम से इतनी नहीं पीनी चाहिये थी.

मैंने कहा कि ये तो मेरी किस्मत है कि मुझे तुम्हारी सेवा का मौका मिला. अब ये बताओ कि क्या चाहती हो, ये सेवक आपकी कैसे सेवा कर सकता है.
वो बोली- सेवक हमें हमारे कमरे में ले कर चलो … हमें कपड़े बदलने हैं.
हम दोनों अभी तक अपने बाहर वाले कपड़ों में ही थे. मैंने कहा- जो हुकुम मेरे आका.

तो वो जोर से हंस पड़ी और बोली- मैंने तुम्हें दिन में ही कहा था कि तुम बहुत दिलचस्प आदमी हो.
वो मेरी तरफ़ बांहें फैला कर खड़ी हो गयी. मैंने उसे गले से लगाया और उसकी कमर को पकड़ कर उसे ऊपर उठा लिया. उसने भी अपने पैर मेरी कमर पर लपेट लिए और मेरे गाल पर एक पप्पी कर दी.

फिर वो मुझे अपने कमरे में ले गयी और बोली- सेवक अब हमारे कपड़े बदलो.
मैंने भी झुक कर सलाम किया और उसकी कमीज़ के बटन खोलने लगा. वो मेरे बालों में अपनी उंगलियां घुमाने लगी.

मैंने बटन खोल कर अपने हाथ अन्दर डाल कर पीछे ले जा कर उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया. अब मैंने उसकी कमर पर दोनों तरफ़ हाथ रखे और ऊपर करते हुए कमीज़ और ब्रा दोनों एक साथ निकाल दिए. लेकिन वो मुझसे तेज़ थी, जब हाथ ऊपर कर रही थी तो उसने नीचे से मेरी टी शर्ट पकड़ ली.
मतलब जैसे ही मैंने उसे ऊपर से नंगा किया, उसी समय उसने मुझे भी ऊपर से नंगा कर दिया.

जब हमने हाथ नीचे किये तो वो मेरे गले में बाहें डाल कर मुझसे चिपक गयी और फिर एक लम्बा किस चला. अब की बार मैंने हाथ नीचे किये और उसे नीचे से पकड़ कर उचका दिया. मैंने सोचा था कि वो किस तोड़ देगी, लेकिन हुआ उल्टा, वो पूरी तरह से मेरे गले में लटक गयी और और जोर से किस करने लगी.

फिर किस छोड़ कर वो मेरे कान को चूसने लगी तो मैंने उसके कान में कहा कि क्या आगे पार्टी नहीं करनी. उसने कान चूसते हुए गर्दन हिला कर हां कहा और नशीली आंखें ले कर अपनी गर्दन आगे कर दी. मेरे होंठों पर एक पप्पी की और बोली- अब पार्टी के लिए मुझे उतारो तो सही.
मैंने उसे धीरे से नीचे उतारा और गले से लगा लिया.
वो बोली- मैं फिर चढ़ जाउंगी.
हम दोनों हंस दिए.

फिर मैंने उसे घुमाया और हाथ आगे करके उसके 36″ के चुचे धीरे से दबा दिए और हाथ उसके मम्मों पर ही रखे रहा. उसने मेरे दोनों हाथों पर अपने हाथ रखे और अपने मम्मों को कस कर दबा दिया.. साथ ही उसने अपने चेहरे को ऊपर उठा दिया. मैंने उसकी आंखों को चूम लिया और धीरे से नीचे करते हुए उसकी पेंट का बटन खोल दिया और अपने हाथ अन्दर डालते हुए उसकी जींस को नीचे कर दिया. लेकिन मैंने ध्यान रखा कि उसकी पेंटी ना उतरे.

उसने भी मेरा साथ दिया और जींस को पूरा निकाल दिया. फिर वो घूम कर बोली- कपड़े उतार तो दिए.. अब कुछ पहनाओगे नहीं.
मैंने कहा- नहीं.
तो वो बच्चों की तरह रोनी सूरत बना कर खड़ी हो गयी.
मैंने कहा- मुझे पता नहीं ना है कि बच्ची को क्या पहनना है … तो कैसे और क्या पहनाऊं.
वो इठलाते हुए बोली- मुझे नहीं पता … तुम अपनी मर्ज़ी के कपड़े पहनाओ.

मैंने उसकी अलमारी खोली और उसमें से एक गाऊन निकाल कर उसे पहना दिया. वो बहुत ही मुलायम गाऊन था और मुझे प्यार के समय मुलायम चीज़ पसन्द है. उसके बाद वो बोली कि तुम क्या लुंगी पहनते हो?
मैंने हां कहा, तो उसने एक सेम कपड़े की लुंगी मुझे दे दी. मैं जब अपना निक्कर निकालने लगा, तो बोली- सेवक, यह हमारा काम है.

वो मेरे सामने घुटनों पर बैठ गयी और धीरे से मेरा निक्कर उतारने लगी. उसी के साथ उसने मेरी चड्डी भी साथ में निकाल दी. जैसे ही मेरी चड्डी नीचे हुई उसने मेरे पप्पू को मुँह में ले लिया और चूसने लगी. दो मिनट बाद उसने पप्पू को छोड़ा और बोली- वाह, मज़ा आ गया! मस्त लंड है.
फिर मुझे लुंगी दी और कहा- लो पहन लो … नहीं तो अभी तुम्हारा चोदन कर दूँगी.
मैंने बिना कुछ बोले लुंगी पहन ली और हम वापस से हॉल में आ गए.

हमने अपनी अपनी तरह का एक एक पैग और लगाया और फिर वो बोली कि चलो छत पर चलते हैं.
रात के 10 बज चुके थे और आस पास के मकान भी इतनी पास नहीं थे, तो मैंने भी हां कर दी. हम अपनी बोतल और गिलास ले कर छत पर पहुंच गए. छत पर बीच में एक पत्थर की मेज़ और उसके दो तरफ़ बैठने के लिए बेंच बनी थीं. हम वहां पर बैठ गए और फिर से एक एक पैग बना लिया.

तभी मैंने देखा कि उसका गाऊन कुछ फ़ूल रहा था. मैंने पूछा, तो बोली कि जब मैंने तुम्हारा निक्कर उतारा था, तो देखा कि उसमें सिगरेट है.. और दारू के बाद ये तो तुम्हें चाहिये ही होगी. इसलिए छुपा कर ले आयी.
मैंने कहा- वाह क्या बात है बहुत मस्त सोचा है. चलो एक एक सिगरेट हो जाए.

उसने बिना कोई देर किये दो सिगरेट निकालीं और जला दीं. एक मुझे दी और एक खुद पीने लगी. एक एक कश लगाने के बाद हम दोनों एक एक घूंट दारू पीने लगे. पैग खत्म होते होते उसे नशा चढ़ने लगा था और मुझे भी थोड़ा सा सुरूर हो गया था.

मैंने उसे इशारा किया. उसे अपने सामने मेज़ पर बैठा लिया और गाउन के ऊपर से उसकी जांघें सहलाने लगा. धीरे धीरे मैंने उसका गाऊन ऊपर कर दिया और उसकी नंगी टांगों को चाटने लगा. टांगें चाटते हुए जब मैं ऊपर पहुँचा, तो देखा कि उसकी चड्डी पूरी गीली हो चुकी थी.

मैंने पूछा तो बोली- ये तो तब से गीली है, जब तुमने पहली पप्पी ली थी. असल में मेरे पीरियड चल रहे थे और 2 दिन पहले जब खत्म हुए तो उसी दिन ये बाहर चले गए और मैं पीरियड के बाद बहुत चुदासी हो जाती हूँ. इसलिए जब तुम्हें कल रात को देखा था तो रुक गयी थी कि शायद काम बन जाए. पर तुम्हारी तबियत देख कर कुछ नहीं बोली. फिर आज सुबह जब मैं तुम्हारी तबियत का पता करने होटल गयी, तो तुम्हें मेरे बारे में बात करते देखा और मेरा धन्यवाद करने के लिए पता करते देखा, तो मैं समझ गयी कि तुम अच्छे आदमी हो और इसलिए मैंने तुम्हें बुला लिया.
मैंने कहा- तो बोला क्यों नहीं … पहले मैं तुम्हारी इच्छा पूरी करता, फिर खाने पीने का काम करते.
वो बोली- नहीं मैं जल्दबाज़ी में नहीं करना चाहती थी, मुझे पूरे प्यार और टाइम के साथ करना अच्छा लगता है.. और तुम जितने प्यार से मेरे साथ पिछले 4 घन्टे से हो, तो मुझे ये लगा ही नहीं कि मैं तुम्हें केवल सेक्स के लिए लाई हूँ.

यह बात करते करते मैंने उसकी पेन्टी भी निकाल दी और फिर मैंने उसे वहीं मेज़ पर लिटाया और उसकी सफाचट चूत को चाटने लगा. वो उम्म्ह… अहह… हय… याह… करने लगी, कुछ देर बाद मैंने उसे उठाया और उसका गाऊन निकाल दिया. छत पर कोई रोशनी नहीं थी. तो हमें किसी के देखने का कोई डर नहीं था.

मैंने उसे उसी मेज़ पर उसे लिटा दिया और उसके पूरे बदन को नीचे से ऊपर तक चाटने लगा. वो वासना से तड़पने लगी. मेरे दोनों हाथ मेज़ पर थे और मैं उसे बिना छुए ही चाट रहा था. फिर धीरे से मैंने उसकी आंखों में देखते हुए उसके निप्पल को चूसने लगा. उसकी 36” के चुची पूरी टाईट हो गयी थी और निप्पल खड़े हो गए थे.

उसने भी अभी तक अपने हाथों को मेज़ पर रखा हुआ था. जैसे ही मैंने उसके एक निप्पल के साथ उसकी चुची को भी जोर से चूसा.. तो उसकी चूची करीब 3-4″ वो मेरे मुँह में चली गयी.
बस दो मिनट में ही वो जोर से चिल्लाते हुए बोली कि ये क्या किया यार.. मैं तो बिना कुछ किये ही झड़ गयी.
मैंने कुछ नहीं कहा और बस उसे उसी तरह प्यार करता रहा. बस अब फ़र्क इतना था कि मैं उसके होंठ चूस रहा था और एक हाथ से उसकी चुची को सहला रहा था.

जब वो थोड़ी नार्मल हुई तो मैंने उससे कहा- सब यहीं करना है या बिस्तर पर चलें?
वो मुस्कराई और बोली- अब क्या करना है … मेरा तो हो गया.
मैं बोला- तो ठीक है, फिर मैं जाता हूँ.
तो वो बोली- अगर आज जाने का बोला तो कच्चा चबा जाऊंगी. कुछ देर तो रुको इतना तो मैं कभी पूरे सेक्स के बाद नहीं झड़ी, जितना तुमने बिना हाथ लगाये झाड़ दिया. चलो पहले एक एक पैग हो जाए और एक सिगरेट खींचते हैं.

हमने एक एक पैग और सिगरेट पी और फिर उसने मुझे मेज़ पर लिटा दिया बोली- आज पूरा बदला ले कर रहूँगी.

मैं भी एकदम सीधा लेट गया. वो मेरे ऊपर झुकी और मेरे होंठ चूसने लगी. मैंने कोई हरकत नहीं की तो वो बोली- बहुत अच्छे.. ऐसे ही शान्त लेते रहना कोई गड़बड़ ना करना … अब मेरी बारी है.
मैंने केवल गर्दन हिला कर हां कर दिया.

उसके बाद वो अपने 36″ के चुचे मेरे मुँह पर रगड़ने लगी. आप सोच सकते हो कि दो भरे हुए खरबूज़ आदमी के मुँह के सामने हों और वो कुछ ना कर सकता हो, तो उसकी क्या हालत होगी. मेरा पप्पू एकदम से तन कर खड़ा हो गया. उसके बाद वो नीचे होते हुए अपने चुचे मेरे पूरे बदन पर रगड़ने लगी. फिर एक निप्पल मेरी नाभि में डाल कर हिलाने लगी. ये मेरे लिए एकदम नया एहसास था. इससे पहले कभी किसी ने ऐसा नहीं किया था. इसके साथ साथ वो मेरे निप्पल चूसने लगी.

अब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं पेट पर होने वाले मज़े को महसूस करूँ या निप्पल चूसने वाले मज़े को. अभी मैं सोच ही रहा था कि अगला हमला हो गया. उसने एक हाथ नीचे किया और मेरी लुंगी खोल दी और मुझे भी पूरा नंगा कर दिया.
मुझे लगा अब वो मुझे यहीं टेबल पर चोदने वाली है. लेकिन नहीं जी, वो तो पूरा बदला ले रही थी.

उसने मुझे नंगा करने के बाद मेरी टांगों पर हाथ फ़ेरना शुरू कर दिया. फ़िर धीरे धीरे मेरे निप्पल को चाटते हुए नीचे आते हुए पूरे बदन को चाटने लगी. बस वो मेरे लंड को छोड़ कर सब जगह हाथ फ़ेर रही थी.
फ़िर वो मेरे पेट से नीचे की तरफ़ बढ़ी और उसका गाल मेरे लंड पर छुलने लगा. वो केवल गाल को मेरे लंड पर छुलाती रही और टांगों पर हाथ फ़ेरती रही.

फिर उसने अपनी जीभ से मेरे लंड के चारों तरफ़ चाटना शुरू कर दिया. लेकिन साली ने अब भी मेरे लंड को नहीं चाटा और मेरी हालत खराब कर दी. फ़िर हाथ फ़ेरते फ़ेरते उसने मेरे आंड को मसलना शुरू कर दिया और लंड के आस पास चाटती रही और साथ में दूसरे हाथ से मेरे निप्पल को मसलने लगी. लेकिन साली ने अब भी मेरे लंड को नहीं छुआ.

करीब दस मिनट तक मुझे इसी तरह तड़पाने के बाद वो मेरी तरफ़ अपनी गांड करके मेरे ऊपर झुक गयी. मेरे हाथ अपने पैरों के नीचे दबा लिए और अपनी चुचियों को मेरे लंड पर रगड़ने लगी. मेरे लंड को चुचियों के बीच में ले कर ऊपर नीचे होने लगी लेकिन मेरे लंड पर हाथ अब भी नहीं लगाया जिस कारण से लंड उसकी चुचियों के बीच में ठीक से दब भी नहीं रहा था और मेरी हालत बहुत खराब हो रही थी.

अब मैंने कोशिश की कि अपनी गांड उठा कर लंड को चुचियों के बीच में दबा दूं. इससे पहले कि लंड चुचियों के बीच में जाता, उसने अपनी चुचियां ऊपर कर लीं और अपने दोनों हाथों से मेरी जांघें नीचे दबा कर बोली- बदमाशी नहीं और चीटिंग भी नहीं.
मैं उसे मनाने लगा कि यार मेरे लंड में बहुत दर्द हो रहा है … इसका कुछ तो करो.

वो हंसते हुए थोड़ा पीछे को खिसकी और मेरे मुँह पर अपनी चुत रख कर दबाते हुए बोली कि चुपचाप लेटे रहो, कुछ मत बोलो.
लेकिन मेरे लिए ये एक फ़ायदे वाला काम हो गया और मैं उसकी चुत को अपने मुँह में भरकर जोर से चूसने लगा.

अब बारी उसके तड़पने की थी. उसे जो मज़ा मिला, वो उसे खोना नहीं चाह रही थी इसलिए वो जोर जोर से अपनी चुत मेरे मुँह पर रगड़ने लगी. अब मेरा ध्यान उसकी चुत पर था, तो मेरे लंड की तड़प कुछ कम हो गयी. एक मिनट में ही वो बहुत गर्म हो गयी और उसने मेरे लंड को पकड़ कर जोर से दबा दिया और फ़िर झुक कर उसे चूसने लगी. मुझे लज्जत मिल गई.

दो मिनट के बाद वो एकदम से फ़िर होश में आयी, उठी और बोली- कर दी ना बदमाशी, अब मैं तुम्हें बताती हूँ और मज़ा चखाती हूँ.
वो घूम कर मेरे लंड के ऊपर बैठ गयी और जोर जोर से ऊपर नीचे होने लगी. लेकिन वो इतनी जोश में आ गयी थी कि दो मिनट में ही फिर झड़ गयी और मेरे ऊपर लेट कर हांफ़ने लगी.

वो बोली- सारा पानी यहीं निकलवा दोगे तो फिर नीचे क्या करोगे? क्या मुठ मारोगे?
वो यह कह कर हंसने लगी.
मैंने कहा- चलो नीचे चल कर देख लो कि क्या करता हूँ.
वो बोली- जल्दी चलो … दारू पीने के बाद मैं बहुत गर्म हो जाती हूँ और मुझे बहुत जोर की चुदाई चाहिये.

मैं उसे अपने से लिपटा कर उठा क्योंकि वो मेरे ऊपर लेटी थी. मैं उसे बांहों में भर कर किस करने लगा. वो एक बार फ़िर से मेरे से लिपट गयी और किस में पूरा साथ देने लगी.
मेरा खड़ा लंड अभी भी उसकी चुत में ही था तो मैं हिल कर उसे अन्दर बाहर करने लगा.
वो बोली- प्लीज नीचे चलो ना और मुझे जोर से चोदो.

मैंने उसकी चुची दबाते हुए अपने पैर मेज़ पर से नीचे किये और उसे गोद में ले लिया. आप सोच सकते हो कि जिसकी 36″ की चुचियां हों.. वो खुद कैसी होगी. वो मेरी कमर पर पैर लपेट कर और मेरे गले में बांहों को कस कर लिपट गयी.
मैं उससे बोला- चलें नीचे?
तो वो बोली- हां चलो.
मैंने कहा- अगर ऐसे गए तो सीढ़ियों में ही काम हो जाएगा.
वो बोली- लेकिन मज़ा आ रहा है, तुम्हें छोड़ने का दिल नहीं कर रहा.

मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड में डाल दी और वो एकदम से उछल कर उतर गयी. वो फ़िर वही बच्चों वाली सूरत बना कर बोली- हूँह … गन्दे कहीं के … चलो जहां चलना है.
मैंने उसे फ़िर बांहों में लिया और किस किया तो वो फिर से चिपक गयी.
वो आदेश देते हुए बोली- चलो सेवक.
हम दोनों हंस दिए और दारू का सामान ले कर नीचे आ गए.

हमें भूख भी लग रही थी, तो हमने पहले खाने पर धावा बोला और खाना खाकर दारू उतर गयी. तो फिर से एक एक पैग बना कर हम कमरे में आकर पलंग पर बैठ गए.

पैग पीने के बाद हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और मुस्करा दिए. हम दोनों ने एक साथ गिलास नीचे रखा और एक दूसरे के ऊपर कूद गए. अब तो यह होड़ लगी थी कि कौन जोर से किस करता है और साथ में ही एक दूसरे के बदन से खेलने लगे. खेलते खेलते मैंने उसे लिटाया और उसके ऊपर छा गया. मैं उसकी चुचियों को जोर जोर से दबाने लगा. हमारे होंठ तो अलग ही नहीं हो रहे थे. हम नंगे तो थे ही, तो जब मैंने उसके ऊपर लेट कर नीचे से थोड़ा हिल कर जोर लगाया तो मेरा लंड उसकी चुत में घुस गया.

एक तेज ‘आआह …’ के साथ उसकी पकड़ थोड़ी ढीली हुई और हमारे होंठ भी अलग हो गए. मैंने समय ना गंवाते हुए उसकी चुची मुँह में भर ली और जोर जोर से चूसने लगा और दूसरी को मसलने लगा.

मुझे चूत चोदते समय चुचियों से खेलना और चूकना बहुत पसन्द है. मैं नीचे से धीरे धीरे हिल रहा था और चुचियों को गूंथते हुए चूस रहा था तो वो बोली- यार काट कर चूसो न!
मैंने कहा- दर्द होगा.
वो बोली- नहीं … जोर से काटो.

मैंने जैसे ही जोर से काट कर चूचे को चूसा, उसने ‘आआआह …’ भरी और अपनी चुत एकदम टाइट कर ली जैसे वो मेरे लंड को निचोड़ ही लेगी. वो मेरे सर को अपनी चुची पर दबाने लगी और बोली- हां बिल्कुल ऐसे ही और जोर से!
मैंने भी उसकी बात रखते हुए जोर जोर से चूची चूसना शुरू कर दिया और पूरे जोर से दूसरी चुची को दबा रहा था जैसे उसे उखाड़ ही लूँगा.

उसे ये अच्छा लग रहा था. मैं जैसे ही थोड़ा हाथ ढीला करता, वो अपने हाथ से जोर से दबा देती और जैसे ही मैं थोड़ा धीरे से चूसता, वो मेरे बाल खींच कर चुची पर मेरा मुँह दबा देती, जैसे पूरी चुची को मेरे मुँह में ही डाल देगी.

मुझे समझ में आ गया था कि उसे रफ़ सेक्स पसन्द है. बस फ़िर क्या था. मैंने पूरे जोर से उसे चोदना चालू कर दिया. मेरे हर धक्के पर वो अपनी गांड उठा कर मेरा पूरा साथ दे रही थी.
मैं उससे बोला- पूरे मज़े लेने हैं तो मुझे ऊपर से थोड़ा उठने दो.
वो बोली- नहीं अभी नहीं … अभी और मेरी चुचियों का हलवा बनाओ, जब ये दुखने लगेंगी, तब तुम नहीं, मैं जोरदार धक्के लगाउंगी और तुम मज़े लेना. अभी तो तुम जितना मेरी चुचियों को रगड़, मसल सकते हो उतना रगड़ो और मसलो.

मुझे भी चुचियों के साथ खेलना बहुत अच्छा लगता है और जब औरत साथ दे और कहे कि और जोर से मसलो … तो फ़िर क्या बात.
बस मैं शुरू हो गया और जोर जोर से एक चुची को चूसता तो दूसरी को मसलता. दूसरी को चूसता, तो पहली को मसलता.
वो दो मिनट में ही फ़िर से झड़ गयी.

मतलब उसे चुचियों के साथ खेलने में ही ज्यदा मज़ा आता है. पहली बार भी जब मैंने चुची जोर से चूसी थी तो वो झड़ गयी थी. लेकिन इस बार झड़ने के बाद वो और गर्म हो गयी और नीचे से अपने चूतड़ उठाने लगी. फ़िर एकदम से उसने मेरी कमर पर से टांगें नीचे कर के मेरे पैरों में फंसा लीं. इसके बाद उसने मुझे कस कर पकड़ कर एक पलटी मारी और मेरे ऊपर आ गयी.

उसके बाद उसने जो जोरदार धक्के लगाने शुरू किये, वो मज़े मैं बता नहीं सकता. बस आज भी ये याद आते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है. वो हर सेकंड में 3 धक्के तो लगा ही रही होगी. मैंने आज तक किसी औरत को इतनी तेज़ धक्के लगाते नहीं देखा है. वो करीब 5 मिनट तक बिना रुके धक्के लगाती रही और मैं केवल लेट कर उसकी हिलती चुचियों से खेलता रहा.

वो फ़िर से एक बार वो झड़ गयी, यानि वास्तव में उसे बहुत सेक्स की भूख लगी थी. लेकिन इस बार मैंने उसके रुकते ही वापस से पलटी मारी और उसके ऊपर आ गया. अब मैंने उसकी टांगें कंधों पर रख कर धक्के मारने शुरू कर दिए.
वो ‘हां हां हां यस यस यस …’ बोल कर अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देती रही.

करीब 5 मिनट और धक्के मारने के बाद उसकी टांगें कन्धे पर रखे रखे, मैं उसके ऊपर झुक गया और उसके होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगा. इस स्थिति में उसकी पूरी गठरी बन गयी थी, लेकिन तब भी उसने मेरा पूरा साथ दिया.

उसके कुछ देर बाद मेरा भी पानी निकलने वाला था तो मैंने उससे बोला कि मेरा होने वाला है तो वो बोली- मेरी टांगें दोनों तरफ़ करके मेरी चुत का तबला बजाते हुए धक्के लगाओ.
मैंने कहा- मतलब?
तो बोली- हर धक्के पर जोर से पट पट की आवाज़ आनी चाहिये.

बस मैं भी चालू हो गया और उसने अपनी टांगें खुद पकड़ कर फ़ैला दीं. अब मैंने उसे पलंग के किनारे पर करके उसकी चुचियों को पकड़ कर धक्के लगाने शुरू कर दिए. फ़िर वही हुआ, चुचियों को पकड़ते ही वो गरमा गई और बोली- जल्दी जल्दी चोदो … मेरा भी हो गया … बस बाहर मत निकालना … मुझे वीर्य अन्दर ही महसूस करना है.

फ़िर हम दोनों खाली हो गए. खाली होने के बाद मैं उसकी चुचियों के ऊपर मुँह रख कर लेट गया. धीरे से उसे भी पूरा पलंग पर कर लिया.
उसके बाद हम कब सो गए, पता नहीं चला.. कब लंड बाहर निकला, कुछ पता नहीं.

सुबह 7 बजे जब आँख खुली तो देखा हम दोनों पूरे नंगे एक दूसरे से लिपटे सो रहे थे, मैंने उसे हिलाया और उसके होंठों को चूमते हुए कहा कि सुबह हो गयी.
तो वो ‘ऊऊऊ..’ करके मुझसे लिपट गयी और बोली- इतनी जल्दी सुबह क्यों हो गयी.
5 मिनट बाद हम एक दूसरे को पप्पी कर के उठ गए और नहा कर फ़्रेश हो कर अपने काम पर जाने के लिए तैयार हो गए.

मुझे अभी होटल जा कर कपड़े बदलने थे इसलिए मैंने उससे बोला कि मैं चलता हूँ.
तो वो बोली- रुको, मैं भी चलती हूँ.
मैंने कहा- क्या मेरे साथ मेरे काम पर जाना है? तुम्हारी दुकान खोलने में तो समय है?
तो वो बोली- नहीं, तुम तैयार हो कर काम पर चले जाना और मैं तुम्हारा सामान ले कर घर आ जाऊँगी. मतलब अब तुम यहीं मेरे साथ मेरे घर पर ही रहोगे.

मुझे भी केवल 2-3 दिन का काम बाकी था तो मैंने कहा- ठीक है, तुम परेशान मत हो, मैं शाम को आ जाऊंगा.
लेकिन वो नहीं मानी और मेरे साथ जा कर मेरा सामान ले कर आ गयी.

शाम को काम के बाद जब मैं 6 बजे घर पहुंचने वाला था. तो मैंने उसे फोन किया कि वो कहां है और कितने बजे तक घर आएगी. उसी समय मैं भी वापस आ जाऊंगा.. तब तक मैं किसी बार में बैठता हूँ.
वो बोली- तुम मेरी चिन्ता मत करो, मैंने इन्तजाम कर दिया है. तुम कभी भी घर पहुंचो, तुमको घर खुला मिलेगा.
मेरे पूछने पर वो बोली- मैंने अपनी काम वाली को बोल दिया है और वो शाम 4 बजे से 8 बजे मेरे आने तक तुम्हारा ख्याल रखेगी.
मैंने सोचा कि चलो कोई बात नहीं केवल दो घन्टे की तो बात है, काट लेंगे.

जब मैं घर पहुँचा तो घर का दरवाज़ा खुला था लेकिन फिर भी मैंने घन्टी बजायी. तो एक 22-24 साल की लड़की बाहर आयी और उसने मेरे बारे में पूछा.
मैं बोला- मेमसाब ने बताया होगा कि मैं आने वाला हूँ.
तो वो बोली- ओके ओके … वो आप हैं उनके दोस्त. आइये आइये मैं आपका ही इन्तज़ार कर रही थी.

मैं चौंक गया और मैंने पूछा- मेरा इन्तज़ार क्यों?
तो वो अचकचा कर बोली- व्वो … मेरी चाय पीने की बहुत इच्छा हो रही थी और मैं अभी सोच ही रही थी कि आप आ गए, सच में बहुत सही समय पर आए हो.

खैर मैं उसे बोल कर कि ‘चाय बना लो’ अन्दर फ़्रेश होने चला गया. लेकिन होटल की आदत बहुत खराब होती है, मतलब मैं बिना तौलिए के ही चला गया. नहाने के बाद जब मैंने तौलिया खोजा, तो याद आया कि ये तो किसी का घर है और खुद अपना तौलिया लाना था.

पहले सोचा कि उसे आवाज़ लगा कर उससे मंगा लूँ, लेकिन फिर सोचा कि छोड़ो, वो तो किचन में है, मैं जल्दी से बाहर जा कर ले लेता हूँ.
बाथरूम तो उसी कमरे में था, जिसमें मेरा सामान रखा था. तो मैं थोड़ा पानी झाड़ कर बाहर निकला और तौलिया खोजने लगा, लेकिन किस्मत मेरी कि उस कमरे में कोई तौलिया ही नहीं था.

अब मैं जब तक वापस गुसलखाने में जाता, वो कामवाली लौंडिया कमरे आ गयी और मुझे नंगा देख कर हंसने लगी.
मैंने कहा- अन्दर तौलिया नहीं था तो ऐसे आना पड़ा.
वो बोली- मैंने बाहर सुखाये हैं, मुझे आवाज़ लगा देते, मैं दे देती.

मैंने देखा कि जब वो नहीं शर्मा रही तो मैं क्यों शर्माऊं … और वो डबल मीनिंग वाली बात बोल रही है.
मैं उससे बोला- तो अब दे दे.
वो आँख मटका कर बोली- क्या?
मैंने कहा- जो तू देने की कह रही थी.
वो बोली- मैं तो चाय की बात कह रही थी.

मैंने भी सोचा कि कहां इसके चक्कर में पड़ना. मैं उससे बोला- जा और जा कर तौलिया ले आ.
वो बोली- तौलिये तो अभी सूखे नहीं हैं.
यह कहते हुए उसने चाय के कप मेज़ पर रख दिए और झुक कर अपनी गांड हिलाने लगी.

मैं समझ गया कि इसके मन में कुछ तो चल रहा है. तो मैं उसके पीछे गया और उससे चिपक कर अपना शरीर उसके लहंगे से पौंछने लगा. जब मेरी टांगें पुंछ गईं, तब तक तो कोई बात नहीं थी, लेकिन जब मैं उसका लहंगा उठा कर ऊपर का शरीर पौंछने लगा तो मेरा लंड उसकी गांड से टच कर गया.

वो ईईइश्श्श्स्श … करते हुए बोली- साब क्या कर रहे हो.. नीचे कुछ चुभ रहा है.
मैं बोला- एक तो तौलिया नहीं दिया और फिर झुक कर गांड हिलाती है. जब पहले लहंगा उठा कर टांगें पौंछी, तब कुछ नहीं बोली, तो अब क्यों बोल रही है?
वो बोली- मेमसाब आने वाली होंगी.
मैंने कहा- ओह तो ये बात है मेमसाब का डर लग रहा है. वो तो अभी और 1 घन्टे नहीं आने वाली.
वो बोली- अगर पानी पौंछ लिया हो तो मैं अपनी चाय पी आऊं.
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#16
मैं चौंक गया कि ये क्या चीज़ है … पल पल में रंग बदल रही है. मैंने एक हल्का सा नीचे से धक्का मारा और कहा- जा अपनी चाय यहीं ले आ.
वो बोली- क्यों?
मैंने कहा- चाय में दूध कम है … ताज़ा दूध डाल कर पीने में मज़ा आएगा.
वो बोली- अभी ताज़ा दूध नहीं आता.
मतलब वो भी पूरी गुरु थी.

मैंने कहा- फिर कब आता है?
तो बोली- अभी आने में बहुत टाइम है.
मैंने भी कहा- कभी कोशिश करी?
तो बोली- बहुत बार.
अब मैं समझ गया था कि ये अपने दूध के बारे में ही बोल रही है.
तो मैंने कहा- मैं भी आज कोशिश कर के देख लेता हूँ.

वो हंसने लगी और बोली- फिर थक जाओगे और फिर रात को कुछ खा नहीं पाओगे.
मैंने कहा- तू पहले चाय तो ले आ.

अब तक मैं कपड़े पहन चुका था तो वो जोर से सांस लेते हुए बोली- लोग केवल बोलते रहते हैं और कपड़े पहन कर कमरे में बैठे रहते हैं.
यह बोल कर हंसती हुई भाग गयी.
मैंने कोई जल्दबाज़ी नहीं की और आराम से चाय पी और फिर वहीं पलंग पर लेट गया.

थोड़ी देर में वो आयी और बोली- क्या हुआ .. दूध नहीं निकालना?
मैंने कहा- अभी थोड़ा थका हुआ हूँ. कुछ देर आराम कर लूँ, फिर देखते हैं.
वो बोली- फिर तो मेमसाब आ जाएंगी फिर मेरी तरफ़ थोड़ा देखोगे?
मतलब उसे भी नीचे आग लगी हुई थी.

मैंने कहा- फिर पहले मेरी थोड़ी मालिश कर दे.
वो बोली- ठीक है.
वो भाग कर तेल ले कर आ गयी. मैंने निक्कर और टी-शर्ट पहनी थी.
वो बोली- इनको उतार दो … नहीं तो तेल लग जाएगा.
मैंने कहा- खुद उतार दे.

उसने एक झटके में मेरा निक्कर निकाल दिया और दूसरे झटके में टी-शर्ट उतार दी.
मैंने कहा- बहुत जल्दी है?
तो बोली- हां है तो.
मैंने कहा- अपने कपड़े निकाल दे … नहीं तो ये तेल में खराब हो जाएंगे.
वो बोली- मेरे कपड़ों की इतनी चिन्ता है तो खुद निकाल दो न.
मैंने कहा- मुझे क्यों चिन्ता होती, मत उतार.
मैं लेट गया.

वो बोली- बहुत गन्दे आदमी हो … पता नहीं मेमसाब ने क्या देखा और घर ले आयीं.
फिर उसने अपना लहंगा निकाल कर मेरे सामने ही एक पतली सी चुन्नी बाँध ली और मुझसे थोड़ा गुस्से में बोली- पीठ ऊपर कर के लेट जाओ.
मैं कन्धे और घुटनों पर हो गया तो वो जोर से हंसी और बोली- ये मेरी पोजीशन है … मुझे आती है, तुम आदमी की तरह लेट जाओ.
मैंने कहा- बहुत मज़ाक हो गया.

मैं एकदम से पलटा और उसे बांहों में लेकर अपने नीचे लिटा लिया. अब मैं बोला- बहुत देर हो गयी दोअर्थी बात करते हुए … अब बता कौन सी पोजीशन पसन्द है.
वो बोली- छोड़ो मुझे … वरना मैं चिल्ला दूँगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं … लोगों को देखने दे कि तू इतनी पतली चुन्नी बाँध कर मेरे कमरे में क्या करने आयी थी.
वो खुल कर बोली- गांड मराने आयी थी … पर बोल दूंगी कि इनका खड़ा ही नहीं होता है.
मैंने कहा- साली, एक बार नीचे हाथ कर के देख ले, कहीं तेरी बात झूठी न हो जाए.
उसने हाथ नीचे किया और बोली- अरे बाप रे … इत्ता बड़ा!

उसने दूसरे हाथ से मेरी गर्दन पकड़ कर होंठों से होंठ चिपका दिए. वो एक तरफ़ ज़ोर से होंठ चूस रही थी और दूसरी तरफ़ मेरे लंड को पकड़ कर दबा रही थी.
मैं भी कहां पीछे रहने वाला था, मैं उसके कुर्ते के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चुच्ची जोर के मसलने लगा. चुच्ची मसलते ही उसने होंठ छोड़े बिना अपनी कमर का धनुषबाण बना दिया. मैं तो नंगा था ही.. और उसकी चुन्नी बहुत छोटी और हल्की सी थी. मैंने एक हाथ से उसे खोल कर निकाल दिया. उसके कुर्ते को खोलने के लिए पीछे से चैन थी, वो भी मैंने खींच कर खोल दी.

लेकिन उसने मेरे होंठ और लंड को नहीं छोड़ा. चैन खुलने के बाद मैंने उसका कुर्ता ऊपर कर दिया और दोनों चुच्चियों को कस कस कर दबाने लगा.

वो अब मेरे लंड को अपनी चूत पर घिसने लगी. फिर उसने सांस लेने के लिए मेरे होंठ छोड़े, तो मैंने फौरन उसकी एक चूची को चूसना शुरू कर दिया.
वो बोली- और जोर से चूसो और काटो मेरे निप्पल को.
उसने मेरे सर को अपनी चुच्चियों पर जोर से दबा दिया. उसकी चुचियां ज्यादा बड़ी तो नहीं थीं, पर छोटी भी नहीं थीं. शायद 32C की रही होंगी.. लेकिन एकदम मुलायम रुई जैसी और एकदम खड़ी हुई चूचियां थीं.

मैंने जोर जोर से चूसना और निप्पल को काटना शुरू कर दिया. वो जोर जोर से यस यस यस.. करने लगी और मेरे लंड को अपनी चुत पर और तेज़ी से रगड़ने लगी.

कोई 5-6 मिनट के इस खेल के बाद मैंने उसे अपने ऊपर ले लिया. उसकी चुत अपने मुँह पर रख ली और जोर से चूसने लगा. मैंने देखा कि उसका दाना करीब एक इन्च का था. मुझे बड़े दाने को चूसने में बहुत मज़ा आता है. उसका बड़ा सा दाना मैंने मुँह में लिया और जोर से खींचते हुए चूसना शुरू कर दिया. मैं दोनों हाथों से उसकी चुचियां भी दबा रहा था. उसे तो उसे … मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था.

फिर मैंने उसकी चुत में अपनी ज़ीभ डाल दी और नाक से उसका दाना रगड़ते हुए उसकी चुत को ज़ीभ से चोदने लगा. वो आह आह आह आह करने लगी. फ़िर वो एकदम से पलटी और मेरे ऊपर उल्टी हो कर 69 में लेट गयी. अब वो अपनी चुत मेरे मुँह पर ऐसे मारने लगी, जैसे वो मेरे मुँह को चोद रही हो.



दूसरी तरफ़ वो मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी. वो पूरा लौड़ा मुँह में गले तक लेती और धक्के मारती हुई अन्दर तक लंड ले लेती. आज तक मुझे कोई मुँह से झड़ा नहीं सका है.. लेकिन मुझे लगा आज ये तो मेरा पानी मुँह से निकाल ही देगी.

फ़िर मैंने उस तरफ़ ध्यान न देते हुए उसकी चुत पर ध्यान लगाया और मैं भी और जोर से चूसने और उसके दाने को काटने लगा. मेरी उम्मीद के उलट, जब मैं उसके दाने को काटता, वो लंड को छोड़ कर चिल्लाने की जगह और अन्दर लेने की कोशिश करती, जैसे मेरे टट्टों को भी खा जाएगी.

खैर कुछ 3-4 मिनट के बाद वो उठी और बोली- अब मैं अपनी पोजीशन में आती हूँ.
मैंने भी कहा- ठीक है आजा.

मैंने उसे पलंग के किनारे पर कंधों और घुटनों पर कर दिया और मैं नीचे खड़ा हो कर उसकी चुदाई करने लगा. वो भी जबरदस्त स्टेमिना वाली थी, अभी तक झड़ी नहीं थी और मेरे हर धक्के पर अपनी गांड पीछे करके मेरा पूरा साथ दे रही थी.

इतने में उसके मोबाइल पर अलार्म बजा या घन्टी.. पता नहीं क्या था. वो बोली जल्दी जल्दी करो.. अपने पास अब ज्यादा समय नहीं है.
मैं कुछ समझा नहीं, पर मैंने अपनी गति बढ़ा दी और उसकी दोनों चुचियों को पकड़ कर पीछे से जोरदार धक्के मारने लगा.
एक मिनट बाद मैंने उससे बोला- मेरा होने वाला है.
वो बोली- अन्दर ही गिरा दो … मैं भी होने वाली हूँ.
मैंने कहा- बच्चा रुक गया तो?
वो बोली- बच्चा नहीं रुकेगा … मैं गर्भनिरोधक गोली ले लूंगी.

बस फ़िर क्या था, मैंने और 10-15 धक्के मारे और उसके अन्दर ही पानी छोड़ दिया. मेरे साथ साथ उसने भी पानी छोड़ दिया. झड़ने के बाद जैसे जैसे वो आगे पलंग पर लेटती गयी, मैं उसके ऊपर लेट गया और फ़िर साइड में लुढ़क गया.

वो घूमी और मेरे सीने में सर छुपा कर मुझसे लिपट गयी और मेरे सीने पर पप्पियां करने लगी. मैंने भी उसके सर पर पप्पी करते हुए उसे अपने से चिपका लिया.
कुछ 5 मिनट बाद वो बोली- चलो उठो … मेमसाब आने वाली हैं.
मैंने कहा- तुझे कैसे पता?

तो उसने जो बोला … मैं सुनकर हैरान हो गया.
वो बोली- वो घन्टी मेमसाब के फोन की थी कि वो 15 मिनट में पहुँच जाएंगी.
मैंने कहा- मतलब?
तो वो बोली- मेमसाब ने बोला था कि मेरे आने तक साब की अच्छी से सेवा करना … उन्हें मेरी कमी नहीं महसूस होनी चाहिये.
मेरे ‘मतलब …?’ पूछने पर मेमसाब बोलीं- इतनी बड़ी हो गयी शादी हो गयी तेरी … तुझे पता नहीं कि मर्द को कैसे खुश रखते हैं.

तो मैंने पूछा- तूने ऐतराज़ नहीं किया?
वो बोली- मेरा शादी से पहले ऐसे घर से बाहर किसी से चुदवाने का बहुत मन था पर कभी मौका नहीं मिला, आज मिला तो क्यों छोड़ती और एक तुम हो कि कुछ कर ही नहीं रहे थे. तौलिया मैंने छुपाया था. मेमसाब तो गुसलखाने में रख कर गयी थीं.

मैं उसको देखे जा रहा था.
वो बोली- मैं तो सुबह से प्लान कर रही थीं, जब से मेमसाब का फोन आया था.
मैं दंग था.
फ़िर वो बोली- अभी तो आपके लिए और भी सरप्राइज़ है … देखते रहो.

मैंने उससे पूछा पर वो इठलाती हुई वहां से अपने कपड़े ले कर दूसरे कमरे में भाग गयी. उसने दरवाज़ा अन्दर से बन्द कर लिया. मैंने भी सोचा चलो छोड़ो, अभी थोड़ी देर में पता चल जाएगा. तब तक मैं भी फ़िर से फ़्रेश हो कर तैयार हो जाता हूँ.

जब मैं तैयार होकर हॉल में पहुँचा तो देखा कि वाणी (मेरी मित्र) और वो कामवाली सोफ़े पर बैठ कर हंस कर बातें कर रही थीं. मुझे कुछ अज़ीब सा लगा, लेकिन मैंने कुछ नहीं बोला और वाणी की तरफ़ बढ़ा, तो वो एकदम से खड़ी हो गयी और मेरे से गले मिली. उसने मेरे होंठों पर पप्पी की.

मैं दुबारा चौंक गया कि ऐसे कैसे वो किसी के सामने मुझे चुम्मी कर सकती है.
खैर मैंने भी उसे किस किया और उसके हाल-चाल पूछे.
वो बोली- बहुत अच्छे … और तुम्हारे भी अच्छे हैं, ये मुझे गीता (कामवाली) ने बता दिया है.
वो दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कराने लगीं.

फिर हम तीनों दिन भर की बातें करने लगे.
मैं बोला- चलो एक एक काफ़ी हो जाये.
गीता बोली- ठीक है, मैं बना कर लाती हूँ.
लेकिन मैंने उसे रोक कर कहा- तुम बैठो, मैं बना कर लाता हूँ. तुम्हारे हाथ की तो मैंने पी ली, अब तुम मेरे हाथ की पी कर देखो.
तो वाणी बोली- वाह क्या बात है … इस पर इतनी जल्दी इतना प्यार आ रहा है.
मैंने तुक्का मारते हुए बोला- इस प्यार के बारे में तो इसने बता ही दिया होगा.

मैं मुस्कराते हुए रसोई में चला गया. रसोई हॉल के साथ ही थी, तो जो बातें वो दोनों करतीं, वे मुझे सुनाई दे रही थीं. लेकिन मुझे कन्नड़ नहीं आती थी और वो दोनों कन्नड़ में बातें करने में लगी थीं. लेकिन मैं इतना तो समझ गया कि वो मेरे प्यार वाली बात के बारे में ही बातें कर रही थीं.

कुछ देर में मैं काफ़ी बना कर ले आया और हम तीनों काफ़ी पीने लगे. हम सब चुपचाप काफ़ी पी रहे थे, तो मैं बोला- क्या हुआ … अच्छी नहीं बनी क्या? कोई कुछ बोल नहीं रहा है.
वे दोनों एक साथ बोल पड़ीं- नहीं बहुत अच्छी है … मैं कुछ सोच रही थी.
मैंने कहा- क्या बात है … दोनों ने पूरी बात एक एक शब्द सेम टू सेम बोला. क्या कोई स्क्रिप्ट पढ़ रही हो.
तो दोनों एक दूसरे को देख कर हंसने लगीं और बोलीं- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है.

फ़िर मैंने बात बदलते हुए कहा- अच्छा अब सच कौन बताएगा?
तो फ़िर से दोनों ने साथ में बोला- कौन सा?
मैंने कहा कि आप दोनों का क्या प्लान है?
और वाणी से बोला कि गीता कौन है.
पहले दोनों मुस्कराई, फिर वाणी बोली- बताया तो था कि मेरी कामवाली है.

मैंने उसे टोकते हुए बोला- यार अब मैं सच की बात कर रहा हूँ और तुम वही पुरानी बात बता रही हो. कुछ नया बताओ. देखो ये तो मैं पक्का हूँ कि ये कामवाली से बढ़ कर है.
फ़िर वाणी ने भी बात ना खींचते हुए बताया- तुम सही बोल रहे हो, यह मेरी सहेली है और इसके और मेरे पति दोनों साथ में काम करते हैं इस वक्त दोनों साथ में टूर पर गये हैं. अकसर दोनों में से एक ही जाता है. और फ़िर हम तीनों साथ में रहते हैं और मज़े करते हैं. लेकिन इस बार वो दोनों एक साथ चले गये हैं. लेकिन फ़िर भी हम तीनों साथ में हैं.
मैंने कहा- तीनों कौन?
वो बोली- हम दोनों और तुम.
फ़िर हम तीनों हंस पड़े.

मैंने कहा- ओह … तो यह सरप्राइज़ है शाम का!
गीता बोली- नहीं … वो तो अभी बाकी है.
मैंने कहा- अब शाम तो हो गयी; कब बताओगी सरप्राइज़?
तो फ़िर से दोनों बोली- पहले काफ़ी तो पी लें.

खैर काफ़ी खत्म करके वाणी बोली- चलो मैं तो नहाने जा रही हूँ … तुम दोनों का क्या प्लान है देख लो.
मैंने कहा- कहो तो मैं नहला दूं?
तो वाणी बोली- नेकी और पूछ पूछ … चलो.
गीता बोली- नहाना तो मुझे भी है और तुम तो नहा लिये हो. क्यों तौलिया नहीं याद है.
मैंने कहा- रुक साली माँ की लौड़ी … तुझे तो मैं बताता हूँ.

मैं उसे पकड़ने के लिये उसकी तरफ़ बढ़ा तो वाणी बोली- रुको, इसने तुम्हें नहाने के बाद नंगा घुमाया था ना … तुम भी ऐसा ही करना, मत देना इसे तौलिया.
मैंने एकदम से कहा- मतलब ये सब तुम दोनों का मिला-जुला प्लान था. चलो अब तुम दोनों नहाने जाओ और मैं तुम्हें तुम्हारे कपड़े देता हूँ.
इस पर गीता बोली- अरे वाह … जब वाणी जा रही थी तो उसे नहलाने जा रहे थे. अब मैं भी नहाने जा रही हूँ, तो तुम आना ही नहीं चाहते. मुझमें क्या कांटे लगे हैं?
मैंने कहा- तुम चलो तो सही, मैं तुम दोनों के लिये कपड़े निकाल कर आता हूँ.
वाणी बोली- जल्दी आना … नहीं तो सरप्राइज़ मिस कर दोगे.

मैं सोचने लगा कि यह सरप्राइज़ की क्या कहानी है, अब तो और भी जल्द पता लग जाएगी. मैं उनके गुसलखाने में घुसते ही अपने कपड़े उतार कर भी अन्दर घुस गया.
तो वो दोनों बोलीं- इतनी जल्दी कपड़े निकाल लाये?
मैंने भी कहा- हां.

उन दोनों ने भी कपड़े उतारे और कहने लगीं- अगर सरप्राइज़ चाहिये तो एक बार आंखें बन्द करो … और जब हम बोलें तभी खोलना.

अपनी आंखें मैंने बन्द कर लीं, एक मिनट के बाद मुझे शॉवर चलने की आवाज़ आयी और तभी उन दोनों ने बोला- अब खोल लो आखें!
मैंने आंखें खोली तो देखा दोनों एक दूसरी के ऊपर 69 की पोजीशन में थीं और एक दूसरी की चुत चूस रही थीं.
तब मैंने कहा- वाह … तो मेरी तो यहां जरूरत ही नहीं है.

तो गीता बोली- तुम्हें क्या कोई छेद खाली नहीं दिख रहा है?

मैं चौंक गया … मतलब वो खुले शब्दों में मुझे अपनी गांड मारने का बोल रही थी. लेकिन मैंने भी सीधे गांड में लंड ना डाल कर उस पर पहले शैम्पू डाला और उसकी पीठ पर मालिश करने लगा. मालिश करते करते मैं बीच में उसकी गांड में उंगली कर देता, तो वो अपनी चुत वाणी के मुँह पर दबा देती.

इसी समय वाणी ने खेल खेल दिया. जैसे ही वो गांड नीचे करके चुत उसके मुँह पर दबाती, वो उसकी चुत पर जोर से काट लेती और जैसे ही गीता वापस गांड ऊपर करती, मेरी उंगली और अन्दर हो जाती.

खैर उस पोजीशन में गांड मारना तो आसान नहीं था, तो मैंने ऐसे ही उंगली से ही उसे मज़ा दिया. करीब 5 मिनट बाद दोनों का जब पानी निकल गया, तो वो दोनों उठ गईं और मेरे आगे पीछे चिपक गईं. गीता पीछे आयी और वाणी आगे.

अब हम तीनों एक दूसरे के अंगों को मसलने लगे. इतने में गीता ने शैम्पू की बोतल खोली और हम दोनों के ऊपर बहुत सारा शैम्पू डाल दिया. इससे एक फ़ायदा हुआ, अब हमें अंग मसलने में ज्यादा मज़ा आ रहा था. मैं जैसे ही वाणी की चुचियां दबाता, वो फ़िसल कर बाहर निकलने की कोशिश करतीं और जैसे ही हम एक दूसरे को कस कर गले लगाते और दबाते, तो पुच पुच की आवाज़ आती.

फ़िर मैंने वाणी के कान में कहा कि इस गीता को बीच में लेकर कसके मसलते हैं.
वो फ़ौरन मान गयी और वो मेरी तरफ़ पीठ करके घुम गयी. उसने गीता को खींच कर अपने सामने से चिपका लिया. और एक दूसरे को लिप किस करने लगीं. मेरे हाथ दोनों के बीच में थे. अब मैंने एक हाथ से वाणी की एक चुची पकड़ ली और दूसरे से गीता की. गीता की चुचियां बहुत मस्त थीं और अब तक के खेल में उसकी निप्पल भी टाइट हो गये थे.

मैं घूम कर गीता के पीछे आ गया और उसकी दोनों चुचियां दबाते हुए उसकी गर्दन पर किस करने लगा. वो कुछ तो पहले ही गरम थी, फिर गर्दन पर किस करने से और गरम हो गयी और मेरा लंड पकड़ कर अपने चूतड़ों में घिसने लगी.
वाणी को यह समझ आ गया क्योंकि उन दोनों की चुम्मी टूट गयी थी. तो वो नीचे बैठ गयी और गीता की चुत में उंगली करने लगी. अब तो गीता और ज्यादा बिफ़रने लगी और अपनी गांड आगे पीछे करने लगी.

मैंने भी सही समय देखते हुए अपना लंड उसकी गांड में डाल दिया. जैसे ही लंड अन्दर गया, उसने उम्म्ह… अहह… हय… याह… करते हुए एक लम्बी सांस ली और बोली- यस यस चोदो मुझे… आह दोनों मिल कर चोदो.

उसके इतना कहते ही वाणी उठी और वहीं लगी अलमारी में से एक डिल्डो वाली बेल्ट निकाल कर पहन ली. उस बेल्ट में दोनों तरफ़ से डिल्डो था. एक सिरा उसने अपनी चुत में डाल लिया और दूसरा सामने आकर गीता की चुत में डाल दिया.
गीता की आंखें अभी तक बन्द थीं और वो गांड मराने के मज़े ले रही थी. अचानक से चिल्लाई और बोली- साली कुतिया बोल कर नहीं डाल सकती थी. मैंने आज तक आगे पीछे एक साथ नहीं लिया. हाय मम्मी मैं मर गयी … इस कुतिया ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा.

लेकिन ना तो वाणी ने धक्के मारने बन्द किये, ना मैंने. दो मिनट में ही गीता को मज़ा आने लगा. वो बोली- चोद कुतिया जोर से चोद … तेरे खसम ने चोदना नहीं सिखाया क्या.. साली चोद नहीं तो मैं तेरी गांड में दोनों तरफ़ का डिल्डो डाल दूँगी.

गीता जोर जोर से खुद आगे पीछे होने लगी और चिल्लाने लगी- आह आह हा हा हा इस्स्स्स माँ बचा ले … मुझे इन चोदुओं से.
बस 2-3 मिनट में ‘मैं गयी गयी.. जोर से चोदओ.. ओ.. हाय हाय..’ करते हुए वो थम गयी और वाणी से लिपट गयी.
गीता बोली- मेरी जान.. कुतिया तूने मेरा बैन्ड बजा दिया… लेकिन मज़ा बहुत आया.. चल अब तेरी बारी है.

डिल्डो अभी भी उसकी चुत में था और मेरा लंड गांड में फंसा था. मैं बोला- देर किस बात की है.. चोद साली को.
मुझे तो मज़ा इस बात में आ रहा था कि मुझे केवल खड़े रहना था, बाकी का काम तो वो दोनों ही कर रही थीं.
यह बात गीता भी समझ गयी कि मैं उसे चोदने के लिये क्यों बोल रहा हूँ.
वो बोली- हां तुम तो बारात में आये हो … भैन्चोद खड़े खड़े मज़े ले लो.

मैंने उसकी गर्दन को पकड़ा. उसे पीछे खींच कर उसके होंठों को चूसने लगा और बोला कि चल अब तेरी बारात निकालता हूँ साली.
मैंने उसके चुचे पकड़ कर उसे वाणी से अलग किया. उसे दीवार के साथ झुका दिया और उसकी गांड मारने लगा और उसके चुचों का हलवा बनाने लगा.
बस दो मिनट में वाणी बोली- मेरे बारे में भी सोचो … इस कुतिया को तो ऐसे ही मज़ा आता है इसलिये ये हमारे मर्दों को उकसाती है और हर बार मैं ही सूखी रह जाती हूँ.
मैंने कहा- तुम चिन्ता मत करो, तुम दुखी नहीं रहोगी.. तुम बस इसकी चुत में उंगली करो और इसके दाने को दबाओ.

वाणी ने ऐसा ही किया और 2 मिनट में गीता फ़िर झड़ने को आ गयी और उसकी टांगें हिलने लगीं तो मैंने एकदम से लंड बाहर निकाल लिया और वाणी को बोला- चलो अब तुम्हारी बारी.
गीता चिल्लाती रही- नहीं … मैं आने वाली हूँ प्लीज ऐसा मत करो, चोदो मुझे.
वाणी तो जैसे तैयार ही बैठी थी, फ़ौरन से उठी और उसके बराबर में घोड़ी बन गयी. वो यह भूल गयी कि डिल्डो अभी भी उसकी चुत में है.

मैंने जब ये देखा तो मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी और ये गीता ने देख लिया. उसने अपनी अधूरी चुदाई भुल कर मज़ा लेने की सोची और वो वाणी के नीचे बैठ गयी. गीता ने वाणी के कन्धे के ऊपर से उसे पकड़ लिया ताकि वो सीधी ना हो पाये.
फिर गीता बोली- चल मेरी जान, तेरे लिये तो मैं अधूरी भी रह लूंगी. तू पहले अपना पानी निकलवा ले.

इसके बाद गीता ने मुझे इशारा किया- क्या गान्डू की तरह खड़े हो … चोदो बेचारी को; कब से तरस रही है. प्लीज इसकी भी गांड मार दो ना प्लीज.
वाणी भी बोली- प्लीज जल्दी करो ना … आग लगी है.

मैंने भी थोड़ा सा थूक लगाया अपने लौड़े पर और उसकी गांड पर सुपारा रख कर एक बारी में ही पूरा अन्दर कर दिया.
अब चीखने की बारी वाणी की थी ‘आह मर गयी … ये इतना टाइट क्यों जा रहा है?’
तो गीता ने कुछ बोलने की जगह डिल्डो खींचा और छोड़ दिया. अब बेल्ट तो वाणी की कमर पर थी, तो डिल्डो वापस से खिंचता हुआ वाणी के अन्दर घुस गया.
वाणी चिल्लाई- कमिनी कुतिया तो तुझे पता था?
गीता हंस कर बोली- साली मुझे भी ऐसे ही दर्द हुआ था. अब पता चला?

इसके बाद वो उस डिल्डो को खींच खींच कर अन्दर बाहर करने लगी और अब वाणी आगे पीछे होने लगी और मैं फ़िर से आराम से खड़ा होकर मज़े लेने लगा.

गीता मुझसे बोली- भैन्चोद क्या गान्डू की तरह मज़े ले रहा है. गांड मार साले इसकी और अब इसकी बारात निकाल.
मैं भी बहुत देर से भरा खड़ा था, तो मैंने भी सोचा चलो एक बार पानी निकाल ही लेता हूँ. बस मैंने धक्के लगाने चालू कर दिये. अब क्योंकि मैं झड़ने के मूड में आ गया था.
कुछ ही देर में मेरे धक्कों की रफ़्तार बढ़ गयी. गीता चिल्लाने लगी- साले अगली बार मेरी भी ऐसी तूफ़ानी चुदाई करना.
साथ ही उसने भी अपनी गति बढ़ा दी और मेरी ताल के साथ ताल मिलाते हुए वाणी की सामने से चुदाई करने लगी.

उसी के साथ में वाणी ने गीता का मुँह पकड़ा और अपनी चुची उसके मुँह में घुसा कर बोली- साली, इन्हें चूसने के लिये क्या तेरे बाप को बुलाऊं. चूस काट साली इनको. मेरा होने वाला है.
मैंने सोचा थोड़ा और मज़ा लिया जाये; तो मैंने एकदम से पीछे ले लंड डाले हुए ही वाणी को कमर पकड़ कर उठाया और कमरे में ले जाने लगा.

गीता बोली- क्या इरादा है?
तो मैंने कहा- इसने तुझे चोदा था ना … अब तू इसे बिस्तर पर पूरे जोर से चोद.
गीता भी मान गयी और मैं वाणी को अपने ऊपर लेकर लेट गया और गीता को बोला- चल शुरू हो जा.

जल्दी से गीता ने बेल्ट खोली और पहन कर वाणी के ऊपर चढ़ गयी और इतनी तूफ़ानी रफ्तार से धक्के लगाने लगी कि मेरी तो जान ही बाहर निकलने को हो गयी. क्योंकि वाणी तो अपना पूरा वज़न मेरे ऊपर डाल कर लेट ही गयी थी.
ऊपर से गीता भी उसके ऊपर लेट कर मुझे किस करने की कोशिश करते हुए तूफ़ानी धक्के लगा रही थी.

मेरी तो एक मिनट में हवा टाइट हो गयी मैंने एकदम से पल्टी खायी और अब हम तीनों बिस्तर पर आ गये. वाणी को आगे पीछे से उसे चोदने लगे. कमरे में हाय हाय उफ़ उफ़ यस यस और पट पट की आवाज़ गूंज रही थी.

फ़िर एकदम से गीता ने वाणी की एक चुची को मुँह में ले लिया और चूसने लगी. मैंने दूसरी रसभरी चूची को मसलना चालू कर दिया. फ़िर जल्द ही पहले तो वाणी के चिल्लाने की आवाज़ आयी- हाय हाय.. उई माँ.. आह.. मैं गयी.
वो बहुत जोर से चिल्लाते हुए झड़ने लगी. झड़ते हुए उसने गीता को कस कर सीने से चिपका लिया और एक टांग उसके ऊपर रख कर उसे नीचे से भी दबा लिया. लेकिन वाणी इतनी जोर की झड़ रही थी कि उसका पूरा शरीर कांप रहा था. इस चक्कर में गीता का दाना डिल्डो से रगड़ा जा रहा था, तो वो भी झड़ने को आ गयी और वो दोनों गुत्मगुत्था हो गईं.

फ़िर मैं भी धक्के मारते हुए वाणी की गांड में ही झड़ गया. झड़ते समय पता नहीं क्या हुआ … मैंने वाणी की चुची छोड़ कर गीता की चुची जोर से दबा डाली तो वो भी एकदम से झड़ गयी.
इसके बाद हम में से किसी के भी उठने की हिम्मत नहीं थी, तो हम करीब आधा घन्टा ऐसे ही लेटे रहे.

फ़िर सबसे पहले मैं उठा और मूतने गया. मूतकर आने के बाद मैंने नीचे हाथ डाल कर दोनों की चुत में से डिल्डो खींचा और गीता की कमर से बेल्ट खोल कर उसको अलग किया.

वो दोनों तो अभी भी बेसुध सो रही थीं. मैं बाहर हॉल में गया और अपनी सिगरेट लगा कर कश लेने लगा.
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#17
मैंने मूतने के बाद वापस आ कर दोनों की चुत में से डिल्डो खींचा और गीता की कमर से बेल्ट खोल कर अलग किया. वो दोनों तो अभी भी बेसुध सो रही थीं. मैं बाहर हॉल में आ गया और अपनी सिगरेट जला कर कश लेने लगा.

ज़ब मैं कश लगा रहा था, तो मैं सोच रहा था कि वो सरप्राईज़ वाली बात तो रह ही गयी. फिर मैं थोड़ी देर वहीं सोफ़े पर सो गया. करीब 11 बजे मेरी आंख खुली, तो देखा कि वो दोनों अभी तक सो रही थीं. मुझे अब भूख लग रही थी, तो मैंने किचन में जा कर देखा कि कुछ खाने को मिल जाए. वहां तो पूरी तैयारी थी. खाने का पैकेट रखा था, जो कि बाज़ार से पैक करवा कर लाया गया था. मतलब उन दोनों ने पूरा प्लान कर के रखा था. लेकिन जब मैं पहले काफ़ी बनाने आया था, तब मैंने ये पैकेट नहीं देखा था. खैर मैंने खाना निकाल कर गर्म किया और बाहर मेज़ पर लगा कर उन दोनों को उठाया और कहा- चलो खाना खा लो.

वे दोनों एक साथ बोलीं- चलो अरे हम भूल गए थे, माफ़ करना. अभी बना लेते हैं
मैंने कहा- अब बनो मत, मैंने सब खाना वगैरह के पैकेट खोल कर गर्म कर खाना लगा दिया है. अब तुम दोनों आ कर खा लो.
वाणी बोली- बड़े स्मार्ट हो यार … गर्म भी कर लिया और लगा भी दिया … काश हमारे पति भी ऐसे होते.

फ़िर हम सब ने एक एक पैग बनाया और पैग लगाते हुए खाना खाया. हम सब अभी भी नंगे ही बैठे थे.

खाने के बाद वो दोनों बोलीं- चलो अब सरप्राईज़ की तैयारी करते हैं.
मैं बोला- ये सरप्राईज़ क्या है?
तो वो बोली- बस थोड़ी देर और … चलो पहले बियर पीते हैं.

उन दोनों ने गाउन पहना और जा कर बड़े फ़्रिज़र से कई सारी बियर निकाल कर ले आईं. मैं हैरान था और सोच रहा था कि इनका क्या प्लान है. फ़िर सोचा कि सोचने से कोई फ़ायदा नहीं है, इनके मौसम के साथ चलते चलो.

फ़िर बियर पीने का दौर चालू हो गया, पहली बियर तो आराम से मज़े से शाम के बारे में बात करते हुए पी. उसके बाद सुरूर चढ़ने लगा और वो दोनों एक दूसरे की खिंचाई करने लगीं कि कैसे कुतिया की तरह चुदवा रही थी और कैसे उन दोनों ने एक दूसरे की चुदाई का मज़ा लिया. कैसे एक दूसरे की उन दोनों ने चुदाई करी.

इन सब सेक्सी बातों से माहौल गर्म होने लगा और दूसरी बियर आधी खत्म होते तक तो दोनों पूरे रंग में आ गईं और एक दूसरे का गाउन खींच खींच कर उतार दिया. दोनों एक दूसरी से कुश्ती सी लड़ने लगीं और एक दूसरे की पीठ को जमीन पर लगाने की कोशिश करने लगीं. मैं तो अभी पहली बियर ही पी रहा था और उनकी कुश्ती के मज़े ले रहा था. जो ऊपर आती उसको और उकसा रहा था. फ़िर वो दोनों एक पल के लिए रुकीं और अपनी बियर की बोतल एक झटके में खाली कर दी. इसके बाद फ़िर से मस्ती चालू कर दी.

अब मैं कुछ बोर होने लगा था. मैंने उनसे बोला कि ये क्या यार … केवल ऊपर ऊपर ज़ोर लगा रही हो, नीचे भी तो उंगली करो.
गीता बोली- नहीं फ़िर सरप्राईज़ बेकार हो जाएगा.

अब मेरा दिमाग खराब हो गया कि ये क्या सरप्राईज़ का नाटक लगा रखा है. मैं बोला कि मुझे नींद आ रही है. मैं सोने जा रहा हूँ. जब सरप्राईज़ तैयार हो जाए तो उठा देना.
यह सुनते ही वे दोनों एकदम से उठीं और मेरे ऊपर टूट पड़ीं, बोलीं- अब सुलाते है तुम्हें.

उन दोनों ने मुझे वहीं ज़मीन पर लेटा कर एक ने नयी बियर की बोतल खोली और मेरे शरीर पर डालने लगीं. दूसरी ने वो बियर चाटनी शुरू कर दी. ठन्डी बियर ने मेरी नींद तो उड़ा दी और मेरी ठन्ड के कारण हालत खराब कर दी. लेकिन वो दोनों रुकने का नाम नहीं ले रही थीं और एक के बाद एक कर के चार बियर मेरे ऊपर डाल डाल कर पी गईं.

फ़िर एक बोली कि चलो अपनी अपनी बियर लो और छत पर चलो. हम तीनों नंगे ही छत पर चले गए और फ़िर चियर्स कर के हम सबने दो तीन घूँट में ही बियर खत्म कर दी.
अब वाणी बोली- मैं तो तैयार हूँ, तू तैयार है क्या?
गीता भी बोली- हां, मैं भी तैयार हूँ.

उन दोनों ने मुझे छत के बीच में खड़ा किया और दोनों अलग अलग दिशा में चार चार कदम नाप कर खड़ी हो गईं.

बोलीं कि अब तुम्ह़ारा सरप्राईज़ का टाईम आ गया है.

मैंने दोनों को घूर कर देखा कि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा. तभी दोनों धनुष जैसे आसन में हो गईं और तेज़ धार से पेशाब करने लगीं. इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, दोनों की धार मेरे शरीर से टकराई. मैं हैरान सा देख रहा था … कभी एक को कभी दूसरी को. दोनों में से कोई भी रुकने को तैयार नहीं थी और ज़ोर ज़ोर से हंसे जा रही थीं. मैं भी नशे के सुरूर में था और कुछ हैरानी में था. बस खड़ा खड़ा भीग रहा था.

दोनों का एक साथ जोश खत्म हुआ और वे आ कर मुझ से लिपटते हुए बोलीं- सॉरी लेकिन हमारी ये करने की बहुत इच्छा थी और हमारे पति मानते नहीं थे कि किसी औरत की पेशाब इतनी दूर जा सकती है. इसलिये हमने तुम्हें सरप्राईज़ देने के नाम पर ये किया. हमें माफ़ कर दो.
मैंने दोनों को अपने से चिपका लिया और कहा- यह मेरे लिये एक सरप्राईज़ ही था कि औरत इतनी लम्बी धार मार सकती है. मुझे औरत की इच्छा पूरी करने में बहुत सुकून मिलता है.

दोनों ने मुझे कर कर झप्पी मारी और जोर जोर से चूमने लगीं. फ़िर हम सब नीचे आये और अच्छे बच्चों की तरह नहा कर सो गए.

शायद आप लोग बोर हो गए, लेकिन क्या करूँ असली कहानी है, तो जैसा हुआ वैसा ही लिख रहा हूँ. आप लोगों को पढ़ कर शायद मज़ा नहीं आया होगा, लेकिन सोच कर देखो असलियत में कितना मज़ा आया होगा.

अगले दिन शाम तक कुछ नहीं हुआ. शाम को घर आ कर वाणी के आने से पहले मुझे फ़िर गीता मिली और आज तो कोई शर्म की बात थी नहीं, तो आते ही गेट पर ही उसने मुझे गले लगाया और चूम लिया. मैंने भी बदले में उसे कस कर चिपकाते हुए उसकी गांड दबाते हुए चूम लिया.
मैंने कहा- मैं नहाने जा रहा हूँ … तौलिया तैयार रखना.

मेरी बात पर वो हंसते हुए बोली- तुम चलो … मैं दरवाज़ा बन्द कर के तौलिया ले कर आती हूँ.

मैं अपने कपड़े उतार कर अन्दर नहाने चला गया और अभी मैंने शॉवर चालू ही किया था कि गीता मेरे पीछे आ कर मुझसे चिपक गयी. मैंने मुड़ कर देखा कि वो बिलकुल नंगी थी और उसके हाथ में बियर की दो बोतलें थीं.
मैंने कहा- ये क्या है, नहाना है या पीना है?
तो वो बोली- पीते पीते नहाना है.

मैंने मुस्करा कर उसका मान रखते हुए घूम कर उसे गले लगा लिया और उसके हाथों से बियर की बोतलें ले कर खोल दीं. एक उसे दी और एक मैंने ली और चियर्स करते हुए हम दोनों ने एक लम्बा घूंट ले लिया. ऊपर से शॉवर से पानी गिर रहा था और हम दोनों चिपके हुए बियर पी रहे थे.
मैंने उससे पूछा- ये क्या स्टाइल है?
तो वो बोली- मैं टाइम खराब नहीं करना चाहती क्योंकि मुझे आज घर जाना है, मेरे घर पर कुछ मेहमान आ रहे हैं. फ़िर उसके बाद कब तुमसे मुलाकात हो पता नहीं, इसलिये मैं जल्दी से मूड बनाना चाहती हूँ.
मैं बोला- ऐसा क्या … लो अभी तुम्हारा मूड बना देते हैं.

मैंने एक बड़ा घूंट भरा और उसे किस करने लगा और साथ में अपने मुँह से उसे बियर पिलाने लगा और दूसरे हाथ से उसके चूचे दबाने लगा. उसे भी मज़ा आया और अबकी बार उसने घूंट भरा और मुझे अपने मुँह से पिलाने लगी. साथ ही वे नीचे हाथ करके से मेरे लंड को हिलाने लगी.

अब की बार मैंने बियर उसके चुचे पर डाली और उसे चाटने लगा और उसकी चुची चुसने लगा. दूसरे हाथ से नीचे उसकी चुत में उंगली करने लगा. ठन्डी बियर के कारण उसकी घुन्डियां एकदम टाइट हो गयी थीं, तो मैंने ज़ोर से चूसते हुए उसे हल्का सा काट लिया.
वो एक सीत्कार के साथ मेरे सर को और जोर से दबाने लगी और बोली- हां ऐसे ही जोर से चूसो और काटो … अच्छा लग रहा है.

अब मैं तो ठहरा चुचियों का दीवाना, सो बस शुरू हो गया. एक के बाद दूसरी चूची बदल बदल कर बियर डाल डाल कर चूसने लगा और साथ में नीचे से उंगली करता रहा. गीता आह आह करती रही और बियर पीती रही. एक पल ऐसा आया कि उसका बांध टूट गया और चूत से झरना बह निकला. उसके साथ ही उसकी और मेरी दोनों की बियर भी खत्म हो गयी. उसने मेरा सिर खींच करके अपने सीने से दबा लिया. कुछ दो मिनट के बाद जब उसका झरना रुका, तो उसने मुझे ऊपर कर के मेरे होंठों पर एक जोरदार किस किया.

वो बोली- मज़ा आ गया. मैंने एक बात नोट की है कि एक बार जब औरत अपना पानी छोड़ देती है, उसके बाद उसे सेक्स का असली मज़ा आता है.
मैंने भी उसकी चूची को दबाते हुए उसकी बात का समर्थन किया.

गीता बहुत खुश थी और फ़िर उसने दोनों खाली बोतल एक तरफ़ रख कर वापस शॉवर के नीचे मुझसे आ कर लिपट गयी. हम दोनों की चुम्मा चाटी फिर से शुरू हो गयी.
अब वो नीचे झुकी और मेरे लंड को मुँह में ले कर चूसने लगी. मेरा लंड तो पहले ही खड़ा था, तो उसने 1-2 मिनट उसे चूसा. फिर अपनी एक टांग उठा कर उसने खुद ही मेरा लंड अपनी चुत में घुसा लिया और धक्के मारने लगी.

लेकिन ये आसन औरत के लिये धक्के मारने के लिये आसान नहीं होता. तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी टांग के नीचे किया और बोली- तुम करो ना प्लीज़!

उसके बोलने के अन्दाज़ पर मुझे बहुत प्यार आया और मैंने उसे किस करके उसकी टांग पकड़ कर चूत में लंड सैट किया. फिर दूसरे हाथ से उसकी गांड को पकड़ कर धक्के लगाने शुरू कर दिये.

अब वो पूरे ज़ोश में आकर मेरे से लिपट गयी और पूरा साथ देने लगी. फ़िर एकदम से उसने मेरी गर्दन जोर से पकड़ी और दूसरी टांग भी उठा कर मेरी कमर पर लपेट कर मुझे यहां वहां चूमने लगी.

लेकिन अब धक्के ठीक से नहीं लग पा रहे थे … तो मैंने उसकी दूसरी टांग के नीचे से हाथ डाला और दोनों हाथों से उसको गांड से पकड़ कर उसे उठा लिया. उसने भी मुझे सही से पकड़ते हुए पोजीशन सही की और फ़िर हम दोनों ने पूरे ज़ोश से धक्के मारने शुरू कर दिये.

कुछ देर बाद उसने इशारा किया और मैं वही पर टायलेट कमोड सीट पर बैठ गया और उसके बाद उसने जो उछल उछल कर मुझे चोदा कि बस मैं बता नहीं सकता.

फ़िर एक ज़ोरदार चीख के साथ वो झड़ गयी और जब वो झड़ी, तो उसने अपनी चुत को कस लिया और अन्दर ही अन्दर मेरे लंड को मसलने लगी. ये मेरे लिये एक अदभुत अहसास था और मैं भी पिघल गया. उसकी चूत के अन्दर ही मेरा पानी भी निकल गया. जब मेरा पानी निकला तो उसे महसूस करते हुए वो शायद एक बार फ़िर झड़ गयी.

हमारी सांसें ठीक होने के बाद हम उठे और नहाये. फ़िर बाहर आ कर कपड़े पहने और काफ़ी बनाने लगे.

तभी वाणी भी आ गयी और बोली- अरे इतनी देर से आये क्या … अभी तक काफ़ी भी नहीं पी?
हम दोनों मुस्करा दिये और बोले- समय नहीं मिला बनाने का.
वो भी समझ गयी और बोली- ऊ ऊउ हुँ कोई नहीं … गीता जल्दी से काफ़ी पी लो बाहर गाड़ी तुम्हारा इन्तज़ार कर रही है.

फ़िर काफ़ी पीकर गीता जाने लगी और जाते जाते मुझे किस करते हुए बोली- आपसे मिल कर बहुत अच्छा लगा. फ़िर कभी मौका मिला, तो फ़िर जरूर मिलना चाहूँगी.

मैंने भी उसे किस करते हुए बोला- मुझे भी बहुत अच्छा लगा और किस्मत ने मिलाया, तो जरूर मिलेंगे.
उसके जाने के बाद मैं और वाणी बैठ कर उस शाम के बारे में बात करने लगे.

शाम के बारे में बातें करते करते वाणी गरम होने लगी और बोली- इससे पहले कि मैं तुम्हारा जबर चोदन कर दूं, चलो जल्दी से हम कुछ खा कर कुछ पी लें.
मुझे भी उसकी बात सही लगी, वैसे भी इतनी मेहनत करने के बाद मुझे दूसरे दौर के लिए ताकत की जरूरत थी.

खाना गीता बना गयी थी तो हमने थोड़ा सा खाना खाया, फ़िर वाणी दारू की बोतल निकाल लायी और दो पैग बना कर मेरे सामने बैठ गयी. आज उसने साड़ी पहनी हुई थी और अभी कपड़े नहीं बदले थे. हम दोनों नीचे एक दूसरे के सामने बैठे थे.

पहले पैग के खत्म होने तक तो हम आराम से बैठे थे. जब दूसरा पैग शुरू हुआ, तो थोड़ा सुरूर भी होने लगा. मैंने अपना पैर सीधा करके उसकी साड़ी में डाल दिया और पैर के अंगूठे से उसकी चुत को छेड़ने लगा. वाणी भी मस्ती में आने लगी और अपना पैर सीधा करके मेरे लंड पर रख दिया और मेरे लंड को छेड़ने लगी.

एक बात है कि जितना मज़ा पूरे कपड़ों के साथ आता है, उतना मज़ा नंगे हो कर नहीं आता है.

मैंने दूसरे पैर से उसके चुचे दबाने शुरू कर दिये. चुचे से खेलते ही वो एकदम से गरम हो गयी और अपने हाथ से मेरे पैर को पकड़ कर अपने चुचे पर दबाने लगी. मैंने मौके की नज़ाकत को समझते हुए उसे अपनी ओर खींच कर अपनी टांगों के बीच में बैठा लिया. अब उसकी पीठ मेरे सीने से लगी थी और मैं दोनों हाथों से उसके चुचे दबाने लगा.
वाणी सिसकारते हुए कहने लगी- आह … और ज़ोर से दबाओ … आज इनको उखाड़ ही दो.

मैंने अपना एक हाथ उसके ब्लाउज़ में डाला और दूसरा साड़ी के अन्दर डाला और एक साथ चुचे की घुंडी और चुत का दाना मसल दिया. वाणी ज़ोर से ‘आह्हहह..’ करते हुए अपने हाथ पीछे करके मुझे अपनी ओर खींचने लगी. मैंने अपना मुँह नीचे किया और उसके होंठों से लगा दिया.

कुछ देर ऐसे ही मस्ती करने के बाद हम दोनों बहुत गर्म हो गए थे, तो मैंने उसे घुमाया और अपने से चिपका लिया.

मैंने इलास्टिक वाला निक्कर पहना था, वाणी ने निक्कर को पकड़ कर खींच कर उतार दिया. मैंने उसकी साड़ी ऊपर को खिसका दी और वाणी ने और आगे खिसक कर लंड को अपनी चुत में घुसा लिया. मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और बिना ब्लाउज़ उतारे उसकी ब्रा निकाल दी.

सच बताऊं दोस्तो … मुझे ऐसे कपड़े पहने हुए और ब्लाउज़ में बिना ब्रा की चुचियों से खेलते हुए सेक्स करने में बहुत मज़ा आता है. मैंने वाणी को थोड़ा पीछे झुकाते हुए एक हाथ उसकी पीठ के पीछे रख दिया, फिर दूसरे हाथ से ब्लाउज़ के ऊपर से ही उसकी चुची को दबाते हुए उसके एक निप्पल को चूसना शुरू कर दिया. मेरे ऐसा करते ही वाणी खुद नीचे से अपनी कमर उठाते हुए लंड पर धक्के मारने लगी और मैं उसकी चुची को चूसता रहा.

वानी अपनी गांड को लंड पर दबाते हुए बोली- आह.. हां ऐसे ही चूसो, खा जाओ.
मैं- हां मेरी जान, आज तो मैं तुम्हारे इन संतरों को खाकर ही दम लूँगा.
वाणी- ज़ोर से चूसो, काटो मेरे निप्पल को.

मैंने जोर से चुची दबाई और निप्पल को और खड़ा करके उसे दांतों से खींचने लगा.
वाणी- आह्हअहह … ऊऊउफ़्फ़ यार … बहुत मज़ा आ रहा है, दूसरी चुची को भी चूसो न.. दबाओ.. आह.. काटो.

मैंने दूसरी चुची को चूसना चालू किया और पहली को दबाता रहा और उसके कड़क हो चुके निप्पल को मसलता भी रहा.
वाणी- आह्ह.. आहहह्ह हाय.. कितना मजा आ रहा हाउ..
वो मस्त होती जा रही थी. लेकिन हम दोनों इस पोजीशन में ज्यादा देर तक चुदाई नहीं कर सकते थे, तो मैंने वाणी को ऊपर खींचा और अपनी गोद में बैठा लिया.

अब इस पोजीशन में वो मेरी गर्दन से लिपट गयी और धक्के मारने लगी. मैंने पीछे रखे सोफ़े का सहारा ले कर अपनी पीठ सोफे पर टिका दी. इस बार मेरे दोनों हाथ खाली थे. मैंने वाणी की दोनों चुचियां पकड़ीं और जोर से दबाने लगा. वाणी और जोर से मेरे लंड पर कूदने लगी.

मैंने उसके ब्लाउज़ के ऊपर के तीन हुक खोले और दोनों चुचियां ऊपर से बाहर निकाल लीं. अब उसके दोनों निप्पल एकदम पास पास थे. मैंने दोनों निप्पलों को एक साथ मुँह में ले लिया और चूसने लगा और काटने लगा.
मेरे इस हमले से वाणी ने जवाब दे दिया और वो मेरे मुँह को कस कर अपनी चुचियों पर दबाते हुए पूरी तेज़ी के साथ धक्के मारने लगी और जल्द ही झड़ गयी.

वाणी- उफ़ यार … आज तो मज़ा आ गया. ये तरीका तो मस्त है. अगर कोई आ जाए, तो बस खड़े हो जाओ और पल्ला ऊपर कर लो, किसी को पता ही नहीं चलेगा और चुदने के मज़ा भी ज्यादा आ जाएगा.
मैं- तुम्हें तो मज़ा आ गया, लेकिन मैं तो अभी बाकी हूँ.
वाणी- तो रोका किसने है, शुरू हो जाओ. ये वाणी की चुत है, कभी थकती नहीं है.
मैंने उससे कहा- चलो और मज़े करते हैं.

उसे उठा कर मैं खिड़की के पास ले गया. खिड़की खोल कर उसे उस पर झुका दिया और पीछे से उसकी साड़ी उठा कर अपना लंड उसकी चुत में घुसा दिया. खिड़की के बाहर लोग आ जा रहे थे, लेकिन हमारी पोजीशन ऐसी थी कि उन्हें केवल वाणी दिख रही थी और फिलहाल उसने अपना पल्ला भी सही कर लिया था.

इस वक्त मैं आराम से उसकी चुत चोद रहा था और वो बाहर का मज़ा ले रही थी. इतने में उसने मुझे पीछे हाथ करके रुकने के लिए बोला, मुझे समझ नहीं आया, पर मैं रुक गया. तभी किसी के बात करने की आवाज़ आने लगी, जिसने मुझे और गर्म कर दिया. मैंने धीरे से हाथ नीचे ले जा कर उसके ब्लाउज़ के सारे हुक खोल दिये और उसकी चुचियो को मसलते हुए उसके निप्पलों को खींचने लगा.

वाणी की आवाज़ लड़खड़ाने लगी, सामने वाले के पूछने पर वो बोली- बस आज थोड़ी तबियत ठीक नहीं है.

मैंने अब अपना लंड उसकी चुत में से निकाला और उसकी गांड में डाल दिया. वाणी एक बार को थोड़ी ऊंची हुई, लेकिन उसे जल्द अन्दाज़ा हो गया कि अगर और ऊंची हुई, तो उसकी चुची के दर्शन सामने वाले को हो जाएंगे. इसलिए वो वापस से झुक गयी.

अब मैंने उसकी दोनों चुचियां पकड़ीं और धक्के मारने लगा. मैं महसूस कर रहा था कि उसे बहुत मज़ा आ रहा है, क्योंकि वो मुझे रोकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी. मैंने महसूस किया कि ऐसे डर के साथ चुदाई करने में जल्द पानी नहीं निकलता.

कुछ 5 मिनट के बाद वो मेहमान जो खिड़की पर आया था, चला गया. उसके जाते ही वाणी की वाणी मचलने लगी- भैनचोद … इतना गरम कर दिया है कि अब रहा ही नहीं जा रहा है.
बस उसने मुझे वहीं नीचे लिटा दिया और चुदासी सी मेरे ऊपर चढ़ गयी. अब वो तूफ़ानी रफ़्तार से धक्के लगाने लगी.
वाणी- चूस भोसड़ी के चूस.. मेरी चुची, दबा इन्हें … काट मादरचोद … नहीं तो मैं तुझे कच्चा खा जाउंगी.

मैंने भी उसके कहे अनुसार उसकी चुचियों का हलवा बनाना शुरू कर दिया और फ़िर से दोनों निप्पल एक साथ मुँह में ले कर जोर से चूसने लगा.
वाणी- चूस इनको काट ले जोर से आह्हहहह्ह..

वो कुछ देर में ही फ़िर से चरम पर पहुंचने वाली थी, लेकिन इस बार उसने चुत टाइट करके ऐसे धक्के मारे कि मैं भी उसके साथ ही पानी छोड़ने पर मज़बूर हो गया. जब हम दोनों एक साथ झड़े तो बहुत अच्छा लगा और वो वहीं मेरे ऊपर ही ढेर हो गयी.

सांसें थमने के बाद हम दोनों उठे और नहा कर आ गए. नहाने के दौरान भी वहां हमारी चुम्मा चाटी चली, एक दूसरे के अंगों को मसलने का कार्यक्रम चला. फ़िर बाहर आ कर हमने फ़िर थोड़ा खाना खाया और बिस्तर पर लेट कर पैग लगाने लगे.

एक पैग लगाने के बाद मियां बीबी की तरह व़ाला, एक बार फ़िर से सेक्स किया और सो गए.

इस शहर में मेरा काम खत्म हो चुका था तो अगले दिन सुबह मैंने वाणी को बोला कि आज मैं वापस जा रहा हूँ.
यह सुनकर वो बहुत उदास हो गयी.
लेकिन यही जिन्दगी है.

फ़िर हम भरे मन से एक दूसरे से गले मिले और दुबारा मिलने का वायदा करके मैं वापस अपने घर के लिए निकल पड़ा.


EnD
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#18
मेरी मॉम है या रांड


आप सभी  पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार. मेरा नाम सोनू है. मैं कानपुर का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 22 साल की है.

चूंकि मेरे पापा हार्ट के मरीज़ थे और एक बार छोटा सा अटैक आ भी चुका था.. इसलिए मुझे एक साल पहले ही अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ कर कानपुर आना पड़ा ताकि मैं पापा का बिजनेस सीख सकूँ. पापा का रियल एस्टेट का बिजनेस है.

अभी 6 महीने पहले पापा को दूसरा अटैक आया, जिसमें उनकी डेथ हो गई. तब से मैं यहाँ कानपुर में ही पापा का बिजनेस संभालता हूँ. अब मेरे घर में सिर्फ मैं, मेरी मॉम और बड़ी बहन रहती हैं.

मेरी मॉम का नाम रुचिका है. वो एक कॉलेज में प्रिंसिपल हैं. उनकी उम्र 44 साल है. चूंकि उनकी शादी कम उम्र में ही हो गई थी. इसी लिए मॉम आज भी एकदम जवान दिखती हैं. ना चेहरे पे झुर्रियां.. ना लटका हुआ बदन.. वे अब भी हसीन तरीन दिखती हैं. मॉम शुरू से ही फिटनेस कॉन्शियस भी रही हैं. वे सुबह सुबह योग करती हैं खाना पीना भी प्रॉपर फ़ूड डाइट ही लेना उनकी आदत में है. मॉम को बन संवर कर रहना भी बहुत पसंद है.

मॉम वैसी दिखती हैं, जैसे बिल्कुल मेरी दीदी हैं. दीदी भी मॉम का जीरोक्स कॉपी हैं. वही नाक नक्शा.. वही कद काठी.. पर दीदी की दो चीज़ें मॉम से अलग हैं. दीदी मॉम से काफी लम्बी हैं और उनके चूचे और चूतड़ मॉम से काफी बड़े हैं. जिसकी वजह से दीदी मॉम से ज्यादा आकर्षक दिखती हैं. मेरी दीदी का नाम रागिनी है, उनकी उम्र 26 साल है. दीदी भी उसी कॉलेज में टीचर हैं, जहाँ मॉम प्रिंसिपल हैं. दीदी की शादी हो चुकी थी लेकिन तीन साल पहले उनका डाइवोर्स हो गया था, तब से वो भी यहीं कानपुर में ही हमारे साथ रहती हैं.

बात एक साल पहले की है.. तब मेरे पापा जीवित थे. जब मैं अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ कर मुंबई से वापस कानपुर आ रहा था. उस वक़्त मुझे भी इस बात का पता नहीं था कि यही मेरा पढ़ाई का आखरी साल है. मैं अब दोबारा कॉलेज नहीं आ सकूंगा. सेकंड ईयर की छुट्टियों में मैं घर वापस जाने के लिए बहुत खुश था.. क्योंकि मैंने अपनी पढ़ाई घर से हमेशा दूर रह कर की है.. तो घर की सुख सुविधाओं से वंचित रहा हूँ. इसी वजह से मैं फैमिली के साथ रहने की सोच कर घर वापसी के वक्त ज्यादा खुश था.

मैंने अपने सेकंड ईयर का लास्ट पेपर दिया और दूसरे दिन ट्रेन पकड़ कर दूसरे दिन कानपुर स्टेशन पहुँच गया. मैंने घर में किसी को अपने आने की खबर नहीं दी थी. मैं सबको सरप्राइज देना चाहता था. मैंने स्टेशन से टैक्सी पिक की और सीधा अपने घर की ओर चल पड़ा. जैसे जैसे घर करीब आ रहा था, मेरी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी.. क्योंकि मैं पूरे 2 साल बाद घर जा रहा था.

पूरे रास्ते मैं यही सोचता रहा कि मॉम को कैसे सरप्राइज दूंगा, दीदी को कैसे सरप्राइज दूंगा.. वगैरह वगैरह.

करीब पन्द्रह मिनट में टैक्सी मेरे घर के सामने पहुंच गई. घर के आस पास का वातावरण बहुत शांत था. अभी सुबह के साढ़े सात हो रहे थे. मैं घर के मेन गेट से होता हुआ घर में अन्दर की ओर बढ़ने लगा. तभी अचानक मुझे ख्याल आया कि मेन डोर से जाऊंगा तो मॉम को पता चल जाएगा और सारा सरप्राइज बेकार हो जाएगा.. सो मैं पीछे के दरवाज़े से सीधा मॉम के कमरे में ही जाके मॉम को सरप्राइज देता हूँ. यही सोच कर मैंने अपना रास्ता पिछले दरवाज़े की ओर बदल दिया और मैं दबे पांव पिछले दरवाज़े की ओर बढ़ने लगा. किचन के पीछे का दरवाज़ा जो बैकयार्ड में खुलता है, अक्सर खुला रहता है. मैं उस दरवाज़े से होते हुए किचन में दाखिल हो गया. किचन में नाश्ते की अच्छी सुगंध आ रही थी, जैसे कि अभी अभी नाश्ता बना हो. भूख तो मुझे तेज़ लग रही थी, पर पहले मैं मॉम से मिलना चाह रहा था.

मैं सीधा दबे पांव लिविंग रूम की तरफ बढ़ने लगा. किचन का डोर डायनिंग में खुलता है, डायनिंग ओर लिविंग अटैच है. जैसे जैसे मैं डाइनिंग रूम के करीब होने लगा, मुझे कुछ अजीब सी आवाज़ें सुनाई देने लगीं. आवाज़ कुछ साफ नहीं थी तो मैं समझ नहीं पा रहा था.

आवाज़ डाइनिंग रूम की तरफ से आ रही थी. मैं समझ गया कि डाइनिंग में कोई है. मैं सतर्क हो गया कि कोई मुझे देख ना ले. अब मैं बहुत ख़ामोशी के साथ किचन के दरवाज़े के पास पहुंचा और बाहर डाइनिंग में कौन है, ये देखने के लिए मैं दरवाज़े की दरार से डाइनिंग रूम में झाँकने लगा. जैसे ही मैंने अपनी आँख दरवाज़े की दरार से लगाई, डाइनिंग रूम का नज़ारा देख कर मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए. मुझे ऐसा लगा मेरे नीचे से किसी ने धरती छीन ली हो.. मेरा दिमाग एकदम सुन्न हो गया था. न मैं कुछ सोच पा रहा था, न समझ पा रहा था. मैं कुछ देर इसी अवस्था में खड़ा रहा.

मैंने जैसे तैसे अपने आप को संभाला और दोबारा अपनी आंख किवाड़ की दरार से लगा कर अन्दर का नज़ारा देखने लगा. लिविंग रूम के अन्दर वो घिनौना खेल चल रहा था, जिसकी कल्पना मैंने कभी सपने में भी नहीं की थी.

अन्दर मेरी मॉम बिल्कुल सजी धजी थीं. जैसा कि वो हमेशा कॉलेज जाने के लिए तैयार होती हैं. चेहरे पे मेकअप.. अपना नंबर वाला चश्मा लगाए हुए.. खुले हुए बाल.. हल्के नीले रंग की साड़ी पहने हुए.. डाइनिंग टेबल के करीब खड़े होकर किसी मर्द से ऐसे लिपटी हुई थीं, जैसे दो सांप आपस में लिपटे रहते हैं. वो आदमी एक हाथ से मॉम का सर पकड़ कर मॉम के होंठों को अपने मुँह में भर कर चूस रहा था.. और दूसरे हाथ से मॉम के चूतड़ मसल रहा था. मॉम भी पूरी तरह से उस आदमी का साथ दे रही थीं. वो कभी उस आदमी के बालों को कस के पकड़ लेतीं, तो कभी उसकी कमीज के अन्दर हाथ डाल कर उसकी पीठ को किसी बिल्ली की तरह नोंच रही थीं.

मुझे अभी भी अपनी आँखों पे यकीन नहीं हो रहा था कि ये सब वास्तव में मेरी आँखों के सामने हो रहा है. मैं उस आदमी को पहचान नहीं पा रहा था क्योंकि उसकी पीठ किचन के दरवाज़े की ओर थी.. यानि मेरी तरफ जहाँ खड़ा होकर अपनी मॉम और उस आदमी का ये वासना भरा खेल देख रहा था. उसके कद काठी से वो पापा तो नहीं लग रहे थे और दूसरा कोई मर्द हमारे घर में था नहीं. तो मुझे उस आदमी को पहचानने में बहुत दिक्कत हो रही थी.

मैं उस आदमी के बारे में सोचना चाह रहा था, पर सोच नहीं पा रहा था. कोई चेहरा मेरे सामने नहीं आ पा रहा था. मैं उसे पहचानने की कोशिश में ही लगा हुआ था तभी मेरे कानों में मेरी मॉम की आह सुनाई दी और मैंने दोबारा लिविंग की तरफ अपना ध्यान एकत्रित कर दिया. अभी भी वो आदमी मॉम को किस कर रहा था और मॉम भी उसे किस कर रही थीं. पर अब उस आदमी का हाथ मॉम की गांड पर नहीं था बल्कि उसने अपने हाथ से मॉम के बड़े बड़े चुचों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबोच रखा था.

तभी मॉम की चीख निकली- आआह.. धीरे.. दर्द होता है..!

तब उस आदमी ने अपनी पकड़ को थोड़ा ढीली कर दी और आराम आराम से मॉम के चुचों को मसलने लगा. अपने चुचों के मसलने से मॉम एकदम मस्ती से भर उठीं और ज़ोर ज़ोर से सीत्कारने लगीं- आाह.. आाह.. ओह.. हाँ ऐसे ही.. थोड़ा ओर ज़ोर से.. ओह.. निचोड़ डाल मेरे चुचों को नवीन.. ऊऊह..

ये सुन कर मेरे होश उड़ गए.. वो आदमी पापा तो बिल्कुल नहीं था.. बल्कि कोई और नहीं हमारे पुराने नौकर रामू काका का बेटा नवीन था.

रामू काका की उम्र ज्यादा हो गई है.. अब वो काम नहीं कर सकते हैं. तो मॉम ने उनके बेटे को नौकरी पर रख लिया था. मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था कि मेरी मॉम अपने घर के नौकर के साथ ऐसा घिनौना काम करती हैं. मैं यहाँ इस सोच में डूबा हुआ था, वहां नवीन मॉम को चूसने चाटने में व्यस्त था.

मैं चुपचाप खड़ा ये सब देखता रहा. अब नवीन मॉम के ब्लाउज़ का हुक खोलने की कोशिश कर रहा था. तभी मॉम ने नवीन का हाथ पकड़ लिया.

मॉम- नहीं नवीन ब्लाऊज़ मत निकाल.. स्कूल के लिए लेट हो जाएगा. अभी ऊपर से ही कर ले.
नवीन ने एक आज्ञाकारी नौकर की तरह हाँ में सर हिला कर कहा- जी मालकिन.

ये कह कर वो मॉम के चुचों को ब्लाउज़ के ऊपर से ही मसलने लगा. मॉम मस्ती से बिल्कुल भर उठी थीं. मॉम के मुँह से निकल रहा था- ओह नवीन.. ओह..
वो सीत्कारने के साथ ही पैंट के ऊपर से ही नवीन के लंड को मसल रही थीं.

तभी मॉम ने कहा- रुको नवीन.
मॉम ने अपने हाथ से अपने ब्लाउज़ का नीचे का हिस्सा ब्रा के साथ पकड़ कर ब्लाउज़ को आगे की तरफ से ऊपर उठा दिया.. जिससे मॉम के बड़े बड़े चुचे टपक करके नीचे से दिखने लगे.

मॉम- ये ले नवीन चूस ले.. जितना चूसना है.
यह कहकर मॉम ने अपना एक दूध का थन पकड़ कर और एक हाथ से नवीन का सर पकड़ कर अपना चूचा उसके मुँह में ठूंस दिया और जैसे ही नवीन ने मॉम का निप्पल चूसना शुरू किया, मॉम “आह..” करके सीत्कारने लगीं.

नवीन भी मॉम के निप्पल को मुँह में भर के कस कस कर चूसने लगा. मॉम मस्ती से एकदम सिहर उठीं. मॉम का ये रूप मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. उनकी मदमस्त जवानी को देखकर एक पल के लिए तो मैं भी भूल गया था कि ये मेरी मॉम हैं.. क्या चूचे थे यार..

मैंने मॉम के चूचे पहली बार देखे थे. बड़े बड़े.. एकदम दूध से सफ़ेद सफ़ेद.. और उन सफ़ेद रंग के चुचों पर लाल रंग के कड़क निप्पल.. उफ्फफ्फ्फ़.. मेरा लंड मेरी पैंट में ही खड़ा हो गया था.

मैं वहीं खड़ा खड़ा अपने लंड को सहलाने लगा. मुझे नवीन की किस्मत से जलन होने लगी थी कि इतनी मस्त परी जैसी जवानी को एक देहाती नौकर चूस रहा है. यहाँ मैं खड़ा खड़ा अपने लंड को हिला रहा था, वहां नवीन मेरी मॉम के चुचों को बकरी के बच्चे की तरह खींच खींच कर चूस रहा था.

मॉम भी मदमस्त होकर नवीन का सर पकड़े हुए अपने चुचे नवीन के मुँह में ठूँसे जा रही थीं.

नवीन मेरी मॉम का कभी एक चूचा मसलता तो दूसरा चूसता.. तो कभी दूसरा मसलता तो पहला चूसता और मॉम आँखें मूंदें चूची चुसाई का मज़ा ले रही थीं.

तभी नवीन ने अपने एक हाथ से मॉम की साड़ी आगे से पकड़ ली.. और आहिस्ता आहिस्ता मॉम की साड़ी को ऊपर की ओर उठाने लगा.. उसने अपना हाथ साड़ी के अन्दर डाल कर मॉम की चूत पे रख दिया. जैसे ही नवीन ने मॉम की चूत को हाथ लगाया, मॉम जैसे पागल सी हो गईं और उन्होंने नवीन के बालों को मुठ्ठी में कस कर पकड़ लिया.

“ओह.. नवीन… उफ़.. उफ़.. खा जा नवीन अपनी मालकिन के चुचों को काट के.. आह.. क्या मस्त मजा आ रहा है.”
ये कह कर मॉम नवीन के होंठों को किस करने लगीं. बीच बीच मैं मॉम नवीन के होंठों को दांत से पकड़ कर खींच लेती थीं.

नवीन साड़ी के अन्दर हाथ डाले हुए मॉम की चुत को मसल रहा था.
तभी अचानक मॉम चिल्ला उठीं- आह.. आउच.. साले क्या कर रहा है?
मॉम ने नवीन को मुस्कुरा के हल्का सा एक थप्पड़ मारा.

मैं कुछ समझ नहीं सका कि क्या हुआ.. पर मुझे लगा कि नवीन ने साड़ी के अन्दर ही कुछ किया है.

तभी नवीन बोला- माफ़ करना मालकिन आपकी चुत बहुत पानी छोड़ रही है, इसी लिए हल्का सा दबाने से दो उंगलियां अन्दर घुस गईं.
ये सुन कर मॉम मुस्कुराने लगीं.
मॉम- कोई बात नहीं.. तू जितनी चाहे उतनी घुसा दे.. आह.. आह..

ये सुन कर नवीन अपनी उंगली से मॉम की चुत चोदने लगा. वो अपनी उंगलियों को तेज़ तेज़ मॉम की चुत में अन्दर बाहर कर रहा था… और मॉम नवीन का सर पकड़े हुए “आह.. ऊह..” करके चिल्ला रही थीं. पूरे रूम में मॉम के सीत्कारियों की आवाज़ गूंज रही थी.

ये सब कुछ देर इसी तरह चलता रहा.

तभी मॉम बोलीं- चल नवीन फटाफट लग जा काम पर देर न कर.

नवीन मॉम की बात सुन के फटाफट अपने पजामे का नाड़ा खोलने लगा. तभी मॉम हंसने लगीं और नवीन के लंड को पाजामे के ऊपर से ही पकड़ कर बोलीं- तुम देहात वालों को सिर्फ अन्दर डालना ही आता है क्या.. पहले थोड़ा चाट तो ले.

नवीन खिसिया गया और दांत दिखाता हुआ बोला- वो क्या है न मालकिन.. हमारे यहाँ तो ऐसे ही होता है ना.. हमारी लुगाई साड़ी खोल कर लेट जाती है और हम अपना लंड झट से पेल के शुरू हो जाते हैं. ई चुत को चाटा चूटी का विदेशी खेल तो हम आपसे सीखे हैं.

यह सुन कर मॉम हंसने लगीं और पास में पड़ी कुर्सी पर अपना एक पैर उठा कर रख दिया, जिससे मॉम के दोनों पैरों में गैप हो गया ताकि चुत आराम से चाटी जा सके. नवीन झट से नीचे बैठ गया. मॉम की साड़ी थोड़ा सा ऊपर उठाकर मॉम की साड़ी के अन्दर ही घुस गया और मॉम की चुत चाटने लगा.

जैसे ही नवीन ने मॉम की चुत पे जीभ लगाई, मॉम एकदम से सिहर उठीं.. मानो मॉम के शरीर में बिजली दौड़ गई हो- आह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह.. नवीन.. क्या अन्दर ही घुस जाएगा मेरी चुत में.. ओह.. हाँ ऐसे ही ओह.. चाट ले साले मेरी चुत का पूरा पानी नवीन.. आह आह..

अब मुझे नवीन नज़र नहीं आ रहा था क्योंकि वो मॉम की साड़ी के अन्दर घुस गया था. वहीं अन्दर बैठ कर वो मॉम की चुत चाट रहा था. मॉम उसका सर साड़ी के ऊपर से ही पकड़े हुए सीत्कार रही थीं.

करीब दस मिनट चुत चटाई के बाद मॉम ने नवीन का सर कस कर पकड़ लिया और “तेज़ तेज़.. चूस..” चिल्लाने लगीं

“ओह नवीन.. मैं गईइ इ..इइ.. मैं छूटने वाली हूँ.. नवीन.. आह.. आआआआह मैं गईईईईई..”

चिल्लाते हुए मॉम ने कुर्सी का बैक अपने हाथों से कस के पकड़ लिया और कांपने लगीं. थोड़ी देर में मॉम ढीली पड़ गईं और दोनों हाथों से कुर्सी पकड़ कर खड़ी हो गईं. रूम का माहौल शांत हो गया था, पर नवीन अभी भी साड़ी के अन्दर बैठा मॉम की चुत चाट रहा था.
मॉम अब “उउउह उउउह..” कर रही थीं.

इधर मैं सोच रहा था कि नवीन साला कितना बड़ा मादरचोद है.. भैन का लौड़ा अभी भी मॉम की चुत चाट रहा है.

अब मॉम उसके सर को साड़ी के ऊपर से सहला रही थीं. तभी अचानक मॉम की नज़र घड़ी पर पड़ी- ओह फ़क… ओ माय गॉड.. नवीन जल्दी कर आठ बज गए हैं.. कॉलेज की गाड़ी आती हो होगी. चल बस कर नवीन…

मॉम की बात सुन कर नवीन साड़ी से बाहर अपना मुँह पौंछता हुआ निकला. नवीन का मुँह बिल्कुल गीला था. मॉम की चुत का पानी उसके मुँह पर लगा हुआ साफ दिखाई दे रहा था.

“मालकिन आपकी चुत है या हमारे गांव की नदी का बांध है.. जब इसका पानी छूटता है तो एकदम से बाढ़ सी आ जाती है.. सारा पानी हम गटक गए मालकिन.. आपकी चुत का पानी इतना स्वादिष्ट है.. तो आपका मूत भी उतना ही स्वादिष्ट होगा.. एकाध बार कभी वो भी चखा दीजिये.
मॉम ने शोखी दिखाते हुए कहा- चल पागल कहीं का..
“प्लीज़ मालकिन मुझे बड़ी इच्छा है.”
मॉम अपनी चुत की तारीफ सुन कर इठलाते हुए बोलीं- चल आ जा..

इतना कह कर मॉम पास में रखे डाइनिंग टेबल पर हाथ रख कर झुक गईं. मॉम के दोनों चुचे डाइनिंग टेबल पे पपीते की तरह लटकने लगे.

नवीन अपना पजामा उतारते हुए बोला- मालकिन आज आप लंड नहीं चूसेंगी?
मॉम- नहीं नवीन स्कूल के लिए लेट हो जाएगा.. फिर कभी लंड चूस लूँगी.. चल अब आ जा जल्दी से पेल दे.. देर मत कर जल्दी से चोद मुझे.. वरना लेट हो जाऊंगी.

नवीन ने जैसे ही अपना पजामा उतारा, उसका सात इंच लम्बा बिल्कुल काला लंड नाग की तरह फनफना रहा था. नवीन आगे बढ़ा और मॉम की साड़ी को पीछे से उठा कर उनकी कमर पे रख दिया, जिससे मॉम की गांड बिल्कुल नंगी हो गई.

वाओ क्या गांड थी मॉम की.. जितनी गोरी मॉम की गांड उतना ही काला नवीन का लंड था. गांड बड़ी होने की वजह से चुत नज़र नहीं आ रही थी. नवीन मॉम की गांड के बिल्कुल करीब पहुँचा और हाथ से मॉम की चुत टटोलने लगा.

नवीन- मालकिन.. आपकी चुत दिख नहीं रही है.. थोड़ा सा चुत बाहर निकालिए न..
मॉम ने अपनी कमर को थोड़ा नीचे झुका के अपनी गांड को थोड़ा पीछे की और धकेला, जिससे मॉम की चुत की फांकें हल्की हल्की नज़र आने लगीं.

नवीन ने फ़ौरन अपने लंड पे थोड़ा सा थूक लगाया और अपने लंड का सुपारा मॉम की चुत पे टिका कर मॉम की गांड पकड़ कर हल्का सा दबाव डाला. उसका लंड फिसल कर नीचे चला गया.

मॉम एकदम से तिलमिला उठीं- उफ्फ्फ क्या कर रहा है नवीन.. डाल ना जल्दी.. और मत तड़पा यार.. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. डाल दे जल्दी से..
नवीन- क्या करें मालकिन, आपकी गांड इतनी बड़ी है कि चुत एकदम कसी रहती है.

मॉम ने कहा- रुक…
इतना कह कर मॉम ने अपना एक पैर उठाकर डाइनिंग टेबल के ऊपर रख दिया और खुद टेबल पर टेबल क्लॉथ की तरह बिछ गईं.. जिससे मॉम की चुत एकदम से खुल गई.

अब मॉम की चुत साफ साफ़ दिखाई दे रही थी. मॉम की चुत पे एक भी बाल नहीं था. लग रहा था कि मॉम ने आज ही झांटों को साफ किया था. मॉम की चुत पावरोटी की तरह फूली हुई थी और चुत की अन्दर की दोनों पंखियां चुत से बाहर झांक रही थीं. मॉम ने पैर टेबल पर रख कर अपने मुँह से थोड़ा सा थूक निकाल कर अपनी चुत पे लगाया.

अब मॉम ने नवीन से कहा- ले नवीन अब डाल..

नवीन ने अपने लंड को मसलते हुए मॉम की चुत पर रख दिया.. और मॉम की कमर पकड़ कर थोड़ा सा दबाव दिया. इस बार लंड का सुपारा गप की आवाज़ के साथ सीधा अन्दर घुस गया. मॉम की आँखें बड़ी हो गईं और आह की आवाज़ के साथ मॉम का मुँह खुला का खुला रह गया- ओह.. उ उ उ उ.. कितना बड़ा है साला अन्दर जाते ही मजा आ जाता है.. आह..

नवीन ने बिना वक़्त गंवाए फ़ौरन थोड़ा सा सुपारा बाहर को निकाला. दोनों हाथों से मॉम की गांड को कसके दबोचा और एक ज़ोरदार झटका मार दिया. इस बार नवीन का पूरा लंड मॉम की चुत में सरसराता हुए घुस गया.

मॉम दर्द के मारे चिल्ला उठीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गई.. उउउउ उउह.. कमीने इतना कस के डालते हैं क्या..

मॉम कराहने लगीं. नवीन अब अपना लंड मॉम की चुत में आहिस्ता आहिस्ता अन्दर बाहर कर रहा था. थोड़ी देर में मॉम का कराहना कम हो गया. अब मॉम को मज़ा आने लगा था. मॉम की ‘आह उउउउह’ की आवाज़ धीमी हो गई थी. जैसे जैसे मॉम की आवाज़ धीमी हो रही थी. नवीन अपने चोदने की स्पीड बढ़ा रहा था.

अब मॉम मस्त होकर हल्के हल्के गांड हिला रही थीं- ओह नवीन चोद मुझे.. कस के चोद दे.. और तेज चोद.. और कसके चोद.. आह…

नवीन ने भी अपनी स्पीड बढ़ा ली थी और मॉम की कमर पकड़ कर इतनी कस कस कर चोद रहा था कि मॉम की गांड से लंड के टकराने की वजह से थप थप थप थप की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी.

जब नवीन धक्का लगाता तो धक्के के साथ मॉम डाइनिंग टेबल पे आगे सरक जातीं. मॉम ने डाइनिंग टेबल के किनारों को कस के पकड़ रखा था. करीब दस पन्द्रह ज़ोरदार धक्कों के बाद मॉम का बदन एक बार फिर अकड़ने लगा था. ऐसा लग रहा था. मॉम फिर से झड़ रही थीं.

वहां नवीन बिना मॉम की परवाह किए मॉम की कमर पकड़ कर मॉम को कुतिया की तरह चोदे जा रहा था.

थप.. थप.. फच.. फच.. आह.. उह.. यस.. फ़क मी.. की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी.

मॉम कराहते हुए अपने नौकर से अपनी चुत चुदवा रही थीं. तभी अचानक बाहर से गाड़ी के हॉर्न की आवाज़ ने पूरे माहौल में डिस्टर्बेंस डाल दिया. हॉर्न की आवाज़ सुनते ही मॉम चौंक गईं.

मॉम- ओ माय गॉड.. नवीन, कॉलेज की गाड़ी आ गई… ओह फक.. नवीन जल्दी कर.. गाड़ी आ गई.
नवीन- जी मालकिन..

ये कह कर वो मॉम के ऊपर झुक गया और मॉम के मम्मों को अपने मुठ्ठी में पकड़ कर मॉम को किसी कुतिया की तरह चोदने लगा. मॉम ने भी नवीन की तरफ तरफ मुड़कर नवीन के गले में बंधा हुआ गमछा पकड़ लिया और नवीन की आँखों में ऑंखें डाल कर कहने लगीं- नवीन फ़क मी फ़ास्ट… फ़क मी..

मॉम बड़बड़ाए जा रही थीं. अब नवीन की स्पीड और भी तेज़ हो गई थी.. मॉम के चिल्लाने की आवाज़ भी बढ़ गई थी. मॉम “आह.. आह..” करके नवीन की ओर देख कर चिल्ला रही थीं- जल्दी जल्दी चोद न कमीने… दम नहीं बची है क्या भोसड़ी के तेरे अन्दर हरामी मादरचोद.. चोद साले.

गालियां सुनकर नवीन पागलों की तरह मॉम को चोदने लगा.

नवीन- ये ले साली रांड ये ले लंड बहन की लौड़ी.. तुझे कितना बड़ा लंड चाहिए.. छिनाल कहीं की.. मादरचोद.. कितनी आग है तेरे भोसड़े में.. रंडी.. कितना चुदवाएगी कुतिया..

नवीन को गालियाँ बकता देख मॉम ने नवीन को आँख दिखाई. नवीन को लगा मॉम को गुस्सा आ गया और नवीन थोड़ा सहम सा गया.. लेकिन वो अभी भी मॉम को चोदे जा रहा था.

करीब पांच मिनट की ज़ोरदार चुदाई के बाद मॉम चिल्लाने लगीं- ओह माय गॉड.. ओह फक.. ओह.. ओह.. मैं गई.. उई.. आह..
नवीन- हम भी छूटने वाले हैं मालकिन.. ओहह्ह्ह कहा निकालु ?..

ये कह कर नवीन का बदन कांपने लगा. नवीन फ़ौरन अपना लंड मॉम की चुत से बाहर निकालने के लिए पीछे की ओर हटने लगा.
तभी मॉम ने झट से नवीन के चूतड़ पकड़ कर उसको अपनी चुत की तरफ दबाया ओर बोलीं- बाहर नहीं गिराना नवीन, मेरी चुत में ही गिराओ..

तब नवीन ने अपना लंड कसके मॉम की चुत में धकेला और मॉम के चुचों के कसके दबोच कर मॉम की चुत में ही अपने लंड का माल गिराने लगा.

नवीन- आह मालकिन अन्दर गिराया कहीं बच्चा ठहर गया तो?
मॉम मुस्कुराते हुए बोलीं- तू उसकी चिंता मत कर नवीन तु वस मजा ले..

मॉम लम्बी लम्बी आहें भरते हुए नवीन का वीर्य  अपनी चुत में डलवा रही थीं मानो मॉम को अनंत सुख मिल रहा हो. करीब दो मिनट तक नवीन कराह कराह कर अपना पानी मॉम की चुत में गिराता रहा. अपने लंड के पानी से मॉम की चुत को लबालब भर दिया. मॉम भी कराहते हुए झड़ रही थीं. मॉम के पैर भी कांपने लगे थे.

थोड़ी देर झड़ने के बाद मॉम और नवीन दोनों सुस्त पड़ गए. मॉम वहीं टेबल पे निढाल हो गई और नवीन उनके ऊपर ही पड़ा रहा. नवीन का लंड अभी भी मॉम की चुत में ही पड़ा हुआ था.. तभी मॉम की फोन की रिंग बजी.. जोकि चुदाई करने से पहले मॉम ने टेबल पर रख दिया था. मॉम ने इसी हालत में फोन उठाया.

मॉम- हलो.. हाँ संदीप.. हाँ.. बस दो मिनट में आ रही हूँ.. ओके..

संदीप मॉम की कॉलेज की गाड़ी का ड्राइवर था, जो कि बाहर गाड़ी लेके खड़ा था. अब नवीन का लंड सिकुड़ कर मॉम की चुत से बाहर निकल कर लटकने लगा था.. और मॉम की चुत से नवीन के लंड का पानी निकल कर मॉम की जांघों पर बह रहा था. मॉम उठीं और साड़ी को नीचे करके अपने चुचों को सही करके ब्लाउज के अन्दर डालने लगीं.

तभी नवीन कपड़ा लेकर आया- मालकिन आपके पैरों से वीर्य  पोंछ दूँ?
मॉम ने मुस्कुराते हुए कहा- रहने दे नवीन अच्छा लग रहा है.

ये कहकर मॉम ने नवीन को आंख मारी. अपना ब्लाउज सही किया और फौरन पर्स लेकर उसी तरह नवीन के वीर्य में लथपथ मेनडोर की ओर जाने लगीं.

नवीन भी उसी तरह नंगा लंड लटकते हुए मॉम के पीछे जाने लगा. मॉम नवीन को कुछ और घर के काम समझा कर बाहर चली गईं. नवीन वापस अपने कपड़े पहनने में व्यस्त हो गया.

मैं भी दबे पांव अपना बैग उठाके पीछे के दरवाज़े से बाहर निकल गया. मैं सोच रहा था कि अगर नवीन ने मुझे देख लिया तो सब गड़बड़ हो जाएगी. मैं पीछे के दरवाज़े से होता हुआ वापस बाहर आ गया. मॉम की गाड़ी भी जा चुकी थी. अब मैं थोड़ा रुक कर मेन डोर पर पहुँचा और डोरबेल बजाई.

थोड़ी देर में नवीन ने दरवाज़ा खोला. दरवाजे पे मुझे देख कर नवीन थोड़ा चौंक गया और ऐसा लग रहा था कि अभी कुछ हुआ ही नहीं.

नवीन- अरे… छोटे मालिक आप.. आपने तो अपने आने की कोई खबर ही नहीं दी?

उसने एक वफादार नौकर की तरह मेरा सामान मेरे हाथों से ले लिया और मुझे अन्दर ले गया. मुझे ये सोच सोच कर नवीन से बात करते हुए बड़ा अजीब लग रहा था कि अभी कुछ मिनट पहले यही आदमी मेरी मॉम को कुतिया की तरह चोद रहा था.

खैर मैंने अपने आपको सामान्य करते हुए पूछा- मॉम कहाँ हैं ?
वो लड़खड़ाती आवाज़ में बोला- बड़ी मालकिन अभी ही तो कॉलेज के लिए निकल गई हैं.
मैं- और दीदी कहाँ हैं?
नवीन- छोटी मालकिन तीन महीने के लिए अपने स्कूल की ट्रेनिंग पे गई हैं.. जल्द ही लौटेंगी.. बड़े मालिक भी काम से बाहर गए हैं.

मैंने उससे और कोई बात नहीं की और अपने कमरे में जाके फ्रेश होने चला गया.. मैंने बाथ लिया वहीं बाथरूम में ही सारी चीज़ें सोच सोच कर मुठ मारी और थकान के मारे सो गया ।
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#19
क्यूंकि मुझे सफर की थकान थी तो मैं भी फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चला गया और मॉम की चुदाई को सोच सोच कर मुठ मारी और जैसे ही बिस्तर पर गिरा, बेखबर होकर सो गया. मैं अभी सो ही रहा था कि अचानक मैंने मेरे सर पर किसी का हाथ महसूस किया. नींद के मारे मेरी आँखें खोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी. जैसे तैसे मैंने अपनी आँखें खोलीं, तो देखा कि मॉम मेरे बेड पे बैठी हैं और मुस्कुराते हुए मेरे सर पे अपना हाथ फेर रही हैं. मॉम को देखते ही सुबह की सारी घटना मेरी नजरों के सामने घूमने लगी. मॉम की वो बोल्डनेस.. वो होंठ भींच भींच कर चुदाई करवाना वगैरह वगैरह.. मेरे दिमाग में ये सब घूमने लगा.

मॉम- अरे सोनू उठ गया बेटा.. तू कब आया, तूने आने की कोई खबर भी नहीं दी.
मैं अभी भी सुबह की घटनाओं में ही डूबा हुआ था और मॉम मुझसे सवाल पूछ रही थीं.

तभी मॉम ने मुझे हिलाया- क्या हुआ सोनू कहाँ खोया है? मैं तुझसे ही बात कर रही हूँ.
मॉम मुस्कुरा कर मेरी तरफ देख रही थीं. मैंने घड़ी की तरफ देखा. दोपहर के 2.30 बज चुके थे. मैं उठ कर बैठ गया- अरे मॉम, आप आ गईं कॉलेज से.
यह कहकर मैंने मॉम को हग किया.
मॉम- हाँ मैं तो आ गई, पर तूने आने की कोई खबर क्यों नहीं दी?
मैं- मॉम मैं आप लोग को सरप्राइज देना चाहता था.
मॉम को क्या पता था कि मुझे कितना बड़ा सरप्राइज़ मिल गया. मैं कहकर बेड से उठ गया.

मॉम ने कहा- चल फ्रेश हो जा मैंने खाना लगवा दिया है. जल्दी से फ्रेश होकर नीचे आ जा.

अब मेरा मॉम को देखने का नजरिया ही बदल गया था. कभी उनका कराहता हुआ, चिल्लाता हुआ चेहरा मुझे याद आता. कभी उनकी ज़ुबान से निकले हुए ‘फ़क मी.. फ़क मी..’ की आवाज़ कान में गूंजती. कभी मैं मॉम के मम्मों को निहारता, तो कभी मॉम की गांड को देखता. मेरे लिए सब कुछ बदल गया था.

खैर.. ये सब उधेड़बुन मेरे दिमाग में चलती रही और मैं फ्रेश होकर नीचे खाने के लिए चला गया.

नीचे डाइनिंग टेबल पर मॉम और नवीन खाना लगा रहे थे. सब कुछ इतना सामान्य लग रहा था, जैसे कि सुबह इन दोनों के बीच कुछ हुआ ही न हो. नवीन एक आज्ञाकारी नौकर की तरह सर झुका सब काम कर रहा था. नवीन को देख कर ऐसा लग ही नहीं रहा था कि सुबह यही आदमी उसी के सामने खड़ी मेरी मॉम को कुतिया की तरह गलियां दे दे के चोद रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे आज ही मेरा जन्म हुआ हो और मैं इस घर की अन्दर की दुनिया को समझने की कोशिश कर रहा हूँ. बहरहाल मैं भी सामान्य बर्ताव करने लगा. मैंने और मॉम ने खाना खाया और बहुत सारी बातें की.

इसके बाद दिन सामान्य दिनों की तरह गुजरने लगे. मैं मॉम और नवीन पर कड़ी नज़र रखने लगा था. उसी बीच पापा भी वापस आ गए. पापा के आने के दो दिन बाद ही दीदी भी अपनी कॉलेज की ट्रेनिंग से वापस आ गईं. दीदी को देख कर तो मेरी आँख फटी की फटी रह गईं.

ओ माय गॉड.. बला का फिगर हो गया है दीदी का. जिस दिन दीदी आईं, उसने जीन्स और टी-शर्ट पहनी हुई थी. दीदी के चूचे टी-शर्ट की वजह से और भी ज्यादा उभर कर दिख रहे थे. उनके चूचे पहले से भी बड़े लग रहे थे. पहले दीदी की ब्रा का साइज 40 डी था, मुझे लगता है, अब बढ़ गया होगा क्यूंकि दीदी पैडेड ब्रा पहनती हैं, इसलिए उनके चूचे और भी ज्यादा राउंड मेलॉन्स की तरह दिखते हैं. दीदी की गांड तो दीदी की बॉडी से बहुत बाहर निकली हुई थी, ऐसा लग रहा था, जैसे पीछे से अलग से एक्स्ट्रा चूतड़ लगवाए हों.

खैर अब सब लोग घर पर ही थे. दीदी की भी अभी कुछ दिन छुट्टियां थीं. अब नवीन और मॉम को मिलने का मौका भी नहीं मिलता था.

फिर एक दिन जब हम सब डिनर कर रहे थे. तभी नवीन किचन से आया और पापा के पास आकर बोला- मालिक हमारे घर से फोन आवा रहा. हमारी लुगाई की तबियत ठीक नहीं है, ऊ हमको बुलाये हैं.

ये सुनते ही मॉम तेज़ आवाज़ से बोल पड़ीं- क्या??
हम सब मॉम की तरफ देखने लगे. जैसे कि इतनी जोर से बोलने जैसा क्या हो गया. तभी मॉम ने लड़खडाते शब्दों में कहा- मम..मेरा मतलब है तुम अचानक चले जाओगे तो घर में कामकाज की दिक्कत हो जाएगी.
यह कहकर मॉम खामोश हो गईं और सब लोग सामान्य होकर अपना अपना खाना खाने खाने लगे.

थोड़ी देर कुछ सोचने के बाद पापा ने कहा- ठीक है दो दिन बाद चले जाना.

यह सुन कर नवीन ख़ुशी ख़ुशी वापस किचन में चला गया. मॉम के चेहरे का रंग फीका पड़ गया था.

मैं मन ही मन सोच रहा था कि मॉम नवीन के जाने की खबर सुन कर शॉक हो गई हैं. मैं ये भी सोच रहा था कि नवीन के जाने से पहले मॉम उससे ज़रूर मिलेंगी. अब मैं उन पर और कड़ी नज़र रखने लगा.

दिन में तो घर पर ही होता था तो सब पता रहता था. रात में जागना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था. तभी मेरे शैतानी दिमाग ने करवट बदली. मैं मार्किट गया और वहां से एक स्पाई कैमरा खरीद कर ले आया. जिसके साथ ऑडियो भी रिकॉर्ड हो जाता था. अब मेरी रात की प्रॉब्लम भी हल हो गई थी.

मैंने उसको किचन में ऐसी जगह छुपा कर फिट कर दिया, जहाँ से किचन का पूरा नज़ारा दिखाई दे सके. क्यूंकि नवीन किचन में ही सोता था.. तो मुझे यकीन था कि मॉम नवीन से किचन में ही मिलने आएंगी.. क्यूंकि घर में उनके मिलने की और दूसरी कोई जगह मुनासिब नहीं थी.

बहरहाल दो दिन बीत गए. आज नवीन के जाने का दिन था. आज उसकी कानपुर स्टेशन से दस बजे की गाड़ी थी. मैं भी आज जल्दी उठ गया था. दीदी के अलावा घर के और लोग भी जाग रहे थे जबकि दीदी सो रही थीं. पापा ऑफिस के लिए तैयार हो रहे थे और मॉम कॉलेज के लिए तैयार हो रही थीं.

पापा ने मुझसे कहा कि मैं नवीन को स्टेशन छोड़ दूँ और उसके टिकट की व्यवस्था कर दूँ.
मैंने पापा को हाँ बोल दिया.

पर मेरा पूरा ध्यान कैमरे की तरफ था. क्यूंकि मॉम डैड जग रहे थे तो मैं कैमरा नहीं निकाल सका. देखते ही देखते आठ बज गए. मॉम डैड अपने अपने काम पे निकल गए और मैं भी नवीन को लेकर स्टेशन निकल गया. मैं नवीन को स्टेशन छोड़ कर वापस आया इस सब में करीब दो घंटे लग गए.

घर आते ही मैं पहले सीधा किचन में गया.. कैमरा जहाँ लगाया हुआ था, वहीं लगा था.. किसी ने उसे नहीं देखा था. मैंने कैमरा निकाला और फोरन अपने रूम में आ गया. अपना लैपटॉप निकाल कर कैमरा अटैच किया और वीडियो सर्च करने लगा. सारी रिकॉर्डिंग फ़ास्ट फॉरवर्ड करके देखने लगा. आखिर मुझे वो मिल ही गया, जिसके लिए मैंने इतना सब जतन किया था. मेरी मेहनत रंग लाई.. वीडियो मिल गया. मैंने वीडियो प्ले किया.

रात के करीब डेढ़ बज रहे थे, नवीन किचन में ज़मीन पर लुंगी और कुर्ते में सो रहा था. पूरे कमरे में सन्नाटा था. आउटडोर लाइट्स जल रही थीं, जिससे किचन के अन्दर का सारा नज़ारा साफ साफ दिखाई दे रहा था. करीब दस मिनट बाद कमरे की ख़ामोशी को भंग करते हुए किचन के दरवाज़े की खुलने की आवाज़ आई. कैमरे के एंगल में डोर भी दिखाई दे रहा था.
वो मॉम ही थीं. मॉम ने सफ़ेद रंग का स्लीपिंग गाउन पहना हुआ था. होटों पर रेड लिस्टिक थी, जोकि मॉम हमेशा लगाए रहती हैं.. और बालों को पोनी टेल बनाया हुआ था.

मॉम ने आहिस्ते से किचन का दरवाज़ा वापस बंद कर दिया और अन्दर से कुण्डी लगा दी ताकि कोई अचानक से आ न जाए. मॉम दबे पांव चलते हुए नवीन की तरफ बढ़ने लगीं, नवीन बिलकुल बेखबर खर्राटे लेता हुआ सो रहा था.

मॉम चलते हुए नवीन के पैरों के पास पहुंच गईं. नवीन अभी भी बेखबर सो रहा था. मॉम नवीन को देख कर मुस्कुराने लगीं और अपने गाउन की डोरी को खोल कर उसे ढीला कर दिया. अब मॉम का गाउन बीच से खुल गया था और गाउन के अन्दर तक दिखाई देने लगा. जिसे देख कर मेरा लंड झटके से खड़ा हो गया.

ओ माय गॉड.. मॉम ने ब्लैक कलर की जाली दार ब्रा, ब्लैक पेंटी एंड उसके ऊपर सनी लियोनी जैसे पेंटीहोज पहनी हुई थी. मॉम के चुचे काली जालीदार ब्रा में एकम कसे हुए थे. उन जालियों से मॉम के गोरे गोरे चुचे झलक रहे थे.. और पैंटीहोज़ में तो मॉम क़यामत लग रही थीं. कॉलेज की एक सीधी साधी सी दिखने वाली प्रिंसिपल के पीछे इतनी सेक्सी औरत छुपी है, मुझे पता नहीं था.

मॉम ज़मीन पर बैठ अपने पैर के दोनों पजों के बल बैठ गईं, जिससे मॉम की चुत फ़ैल गईं जोकि पेंटी के ऊपर से भी साफ दिखाई दे रही थी. मॉम नवीन के पैर को हिला कर जगाने लगीं. नवीन खर्राटे लेकर सो रहा था. मॉम के दो तीन बार हिलाने पर भी नवीन नहीं उठा. तो मॉम अपने घुटनों को ज़मीन पर रखकर नवीन के ऊपर झुक गईं और अपने दोनों हाथों से नवीन की लुंगी.. जो कि बीच से सिली हुई नहीं थी, खोल दी.

अब नवीन के नीचे का बदन नंगा हो गया था. नवीन अब भी बेखबर सो रहा था. उसका मुरझाया हुआ लंड भी उसी की तरह सो रहा था. मॉम अपने दोनों हाथ ज़मीन पर रख कर नवीन के ऊपर घोड़ी की तरह झुक गईं, जिससे नवीन का लंड बिलकुल मॉम के मुँह के सामने आ गया था. मॉम अपना मुँह लंड के करीब ले गईं और उसी अवस्था में नवीन के मुरझाये हुए लंड को जीभ निकाल निकल कर चाटने लगीं.

नवीन अभी भी बेखबर सोया हुआ था. मॉम ने चाट चाट कर नवीन का लंड पूरा गीला कर दिया था. फिर मॉम ने अपना मुँह नवीन के लंड की नोक पर लगाया और एक सिप खींचा. नवीन का दो इंच का मुरझाया हूँ लंड सुप.. की आवाज़ के साथ मॉम के मुँह में घुस कर गायब हो गया.

मॉम उसके मुरझाये हुए लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं. अब नवीन का लंड आहिस्ता आहिस्ता टाइट होने लगा था. नवीन भी नींद से जग गया था; उसने सर उठा के देखा तो मॉम उसका लंड चूस रही थीं.

मॉम भी आँख उठा कर नवीन की ओर देख कर मुस्कुराने लगीं. नवीन ने आह की आवाज़ के साथ दोबारा अपना सर तकिये पर रख दिया. लंड अब पूरी तरह से फूल कर तन चुका था और मॉम सप सप करके लंड को चूसे जा रही थीं; नवीन भी ‘आह आह..’ कर रहा था. फिर नवीन ने अपने हाथ से मॉम का सर पकड़ लिया और अपने लंड पे ऊपर नीचे करने लगा.

करीब सात आठ मिनट लंड चूसने के बाद मॉम लंड को मुँह से बाहर निकल कर घुटने के बल खड़ी हो गईं और उसी तरह से चल कर नवीन के लंड के ऊपर आ गईं. लंड के सामने आकर मॉम ने अपने दोनों घुटने भी हवा में उठा लिए और पैर के पंजों के बल बैठ गईं.

अब मॉम की चुत बिलकुल नवीन के लंड के सीध में थी और इस तरह बैठने से मॉम की चुत ने अपना मुँह भी खोल दिया था. मॉम ने झट से अपने एक हाथ से अपनी पैंटी चुत से एक साइड खिसका दी और एक हाथ से थोड़ा सा थूक अपने मुँह से निकाल कर अपनी चुत के अन्दर लगा दिया. फिर नवीन का लंड पकड़ कर अपनी चुत के छेद पर सैट कर दिया. मॉम ने जैसे ही नवीन के लंड पे थोड़ा सा दबाव दिया. लंड गप की आवाज़ के साथ सीधा मॉम की चुत में घुस गया. मॉम और नवीन दोनों की आह निकल गई.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… दोनों ही कराहने लगे. मॉम ने अपने दोनों हाथों से अपने चुचे दबोच लिए.

थोड़ी देर में मॉम अपनी चुत को लंड पर आहिस्ता आहिस्ता ऊपर नीचे करने लगीं. मॉम जब ऊपर उठतीं तो नवीन का लंड पूरा दिखने लगता. मॉम जब बैठतीं तो नवीन का लंड चुत में समां कर गायब हो जाता. कुछ देर इसी तरह ऊपर नीचे करने के बाद.. मॉम ने अपनी गति को तेज़ कर दिया और तेज़ तेज़ नवीन के लंड पर उछलने लगीं.

इसी बीच नवीन ने अपने हाथ बढ़ा कर मॉम के चूचों को पकड़ने की कोशिश कर रहा था. तभी मॉम ने अपने हाथ से अपने मम्मों को ब्रा के बाहर निकाल दिए. नवीन बीच बीच मॉम के मम्मों को पकड़ लेता तो मम्मे मचलने बंद हो जाते और नवीन के हाथों में पिसने लगते. जब नवीन मॉम के मम्मों को नहीं पकड़ता तो मॉम के चुचे मॉम के साथ साथ उछलने लगते.

मॉम तेज़ तेज़ सीत्कारें लेते हुए अपने आप को खुद ही चोद रही थीं ‘आह आह आह.. उह उह.. ओ माय गॉड.. ओह्ह..’
मॉम अपनी कामुक आवाजों में नवीन को बड़बड़ाए जा रही थीं ‘घर क्यों जा रहा है कमीने.. आह.. आह. मेरी चुत में मज़ा नहीं आ रहा है, जो अपनी औरत को चोदने जा रहा है हरामी..’

नवीन कराहते हुए- आह… नहीं मालकिन. आपको चोदना तो किसी अप्सरा को चोदने से कम नहीं. मैं तो सपने में भी कभी आप जैसी औरत नहीं चोद सकता था. वो असल में हमारी लुगाई को बच्चा होने वाला है. इसी लिए जाना पड़ेगा.
मॉम- कमीने गाँव में अपनी बीवी को चोदता है. यहाँ मुझे चोदता है.. हरामी कहीं के.. ले चोद.. ले चोद.. आह आह.. मैं गई..

ऊई ओह.. कहकर मॉम नवीन के लंड पे एकदम से बैठ गईं और अपनी चुत को नवीन का लंड डाले हुए ही आगे पीछे होकर चूत को लंड पर घिसने लगीं.
नवीन भी कराहने लगा- आह.. हम भी गए मालकिन.. आह आह.. हमारा भी छूटने वाला है.. ओह ओह.. आह..
कहकर नवीन झटके लेने लगा.

मॉम ने भी नवीन की कमीज को मुठ्ठी से पकड़ लिया. दोनों एक साथ ही झड़ने लगे. करीब दो मिनट तक नवीन मॉम की चुत में अपना माल गिराता रहा. थोड़ी देर मॉम ऐसे ही नवीन के लंड पे बैठी रहीं.

फिर मॉम ने अपने घुटने हवा में उठा लिए और अपने पैर के पंजों के बल बैठ के अपनी चुत को देखने लगीं. नवीन भी मॉम की चुत की तरफ देखने लगा. मॉम आहिस्ता आहिस्ता ऊपर उठने लगीं. थोड़ा ऊपर उठते ही नवीन का लंड पुक करके चुत से बाहर निकल गया. साथ ही नवीन के लंड का पानी भी चुत से निकल कर नवीन के लंड पर गिर गया. मॉम वहीं साइड में ज़मीन पे लुढ़क कर लेट गईं और हांफने लगीं. नवीन और मॉम दोनों हांफ रहे थे.

किचन में ख़ामोशी फ़ैल गई. कुछ देर तक दोनों खामोश ज़मीन पर पड़े रहे. थोड़ी देर में मॉम नवीन की तरफ मुड़ीं.

मॉम- गांव जाने के लिए बहुत खुश है तू??
नवीन- नहीं ऐसी बात नहीं है मालकिन.. लेकिन हमारा वहां रहना ज़रूरी है.
मॉम धीमे स्वर में ‘हम्म..’ बोल कर चुप हो गईं

नवीन- मालकिन, आप इतना बिंदास वीर्य चुत के अन्दर करवाती हैं, कभी आप को बच्चा हो गया तो?
मॉम सुन कर हंसने लगीं और बोलीं- सुन अभी चार महीने पहले मैं तेरे लंड से प्रेग्नेंट हो गई थी. पर वक़्त से पहले ही मैंने सही करा लिया.
ये सुन कर नवीन की आंखें फटी की फटी रह गईं.

मॉम- मुझे अपनी चुत में अन्दर ही गरम वीर्य गिरवाना अच्छा लगता है.
नवीन कुछ नहीं बोला.

फिर अचानक से मॉम गुस्से के स्वर में बोलीं- वैसे तू आज कल बहुत बढ़ गया है.. उस दिन मुझे गालियां क्यों बक रहा था?
नवीन- हम आपको गालियां नहीं देना चाहते थे. वो बस अनजाने में निकल गईं. वो असल में मैं अपनी लुगाई को ऐसे ही गन्दी गन्दी गलियां दे दे के चोदता हूँ.. तो बस उसी मस्ती में आपके लिए भी गालियां निकल गईं.. हमें माफ़ कर दीजिये.

मॉम हंसने लगीं- अच्छा तो तू अपनी औरत को गालियां देकर चोदता है.. और क्या करता है?
नवीन- और कुछ नहीं मालकिन. वहां कुछ काम तो होता नहीं है, तो दिन भर बस जब टाइम मिलता है उसी को चोदते रहते हैं. पर उसकी बुर आपकी तरह सुन्दर नहीं है.
मॉम ने इतराते हुए कहा- बस कर बस कर..

इतना कहकर मॉम नवीन के पास सरक कर आ गईं. मॉम नवीन का लंड हाथ से पकड़ कर हिलाने लगीं और बोलीं- उस दिन तू मुझे गलियां दे रहा था, मुझे बहुत मज़ा आया. चल दिखा ज़रा तू अपनी जोरू को कैसे चोदता है.

ये कह कर मॉम नवीन को किस करने लगीं और दूसरी तरफ नवीन के लंड को हिला हिला कर खड़ा कर रही थीं. तभी नवीन ने अपने हाथ से मॉम के चुचे पकड़ लिए और मसलने लगा.
उसके चूचे मसलने से मॉम कराहने लगीं और बोलीं- आह धीरे धीरे नवीन.
तभी नवीन थोड़ा तेज़ स्वर में बोला- चुप साली.. मुँह बंद कर..

ये कह कर नवीन झट से मॉम के चुचों को मुँह में भर के दशहरी आम की तरह चूसने लगा.
मॉम ज़ोर ज़ोर से सीत्कारने लगीं- आह ओह.. उफ़ उफ़.. खा जाएगा क्या कमीने..

इसी तरह करीब दस मिनट चूची चुसाई का खेल चलता रहा. फिर नवीन ने मॉम की पोनी टेल को मुठ्ठी में पकड़ लिया और उठ कर खड़ा हो गया. वो बोला- चल रंडी कहीं की.. साली आज तुझे रंडी की तरह चोद कर दिखाते हैं.
यह कहकर नवीन ने मॉम को खड़ा कर दिया. उसने अगले ही पल मॉम की पैंटी खींच कर निकाल दी और मॉम को उठा कर किचन के काउंटर पे बिठा कर चुचों को दोबारा चूसने लगा.

अब नवीन अपना एक हाथ मॉम की चुत पर ले जाकर मॉम की चुत को मसलने लगा. थोड़ी देर आराम आराम से मॉम की चुत मसलने के बाद नवीन ने अपनी तीन उंगलियां एक साथ मॉम की चुत में घुसा दीं.. जिससे मॉम एकदम से थर्रा उठीं.. और एक ज़ोर की आह की आवाज़ उसके मुँह से निकली.

नवीन मॉम के चुचों को बहुत कस कस कर चूस रहा था. थोड़ी ही देर में मॉम की चुत भी पानी पानी हो गई थी. नवीन अपनी उंगलियों से मॉम को चोदे जा रहा था. जैसे जैसे नवीन उंगलियां चोद रहा था. वैसे वैसे मॉम को गालियां भी बक रहा था.

नवीन- साली छिनाल कहीं की.. रंडी.. बहुत खुजलाती है तेरी बुर.. मादरचोदी आज दिखाता हूँ तुझे.. साली बहन की लौड़ी.
यह कहते हुए नवीन तेज़ तेज़ अपनी उंगलिया मॉम की चुत में पेलने लगा. मॉम की चुत इतना पानी छोड़ चुकी थी कि फच फच की आवाज़ आने लगी थी. वहां मॉम अपना मुँह खोले ‘आह आह..’ चिल्ला रही थीं.

तभी अचानक ही मॉम ने नवीन का सर पकड़ लिया और नवीन का सर ले जाकर अपनी चुत पर रख दिया और उम्म्ह… अहह… हय… याह… करके चिल्लाने लगीं.

मैंने देखा कि मॉम नवीन के मुँह में मूत रही थीं. मॉम की चुत से गोल्डन फव्वारा निकल कर नवीन के मुँह में जा रहा था. नवीन भी गट गट करके मॉम का मूत पिए जा रहा था.
मॉम नवीन के बालों को मुठ्ठी में पकड़ कर ‘आह आह.. किए जा रही थीं.

जब मॉम की मूत की धार थोड़ी कम हुई तो मॉम ने नवीन का सर अपनी चुत पर दबा लिया. जिससे मॉम का मूत सीधा नवीन के मुँह में जा रहा था. नवीन मॉम का पूरा मूत पी गया.

नवीन चटखारे लेता हुआ बोला- मज़ा आ गया मालकिन.. आपके मूत का स्वाद अद्भुत है.
मॉम- हम्म.. मैंने सोचा जाते जाते इनाम दे देती हूँ.
यह कह कर मॉम हंसने लगीं.

‘हाँ…’ में सर हिलाकर नवीन मॉम की चुत चाटने लगा.

मॉम के मुँह से ज़ोर का ‘ओह..’ निकला और मॉम ने अपने पैर हवा में फैलाकर अपनी आँखें बंद कर लीं और ‘ऊह आह..’ करके कामुक सिसकारियां लेने लगीं. मॉम के दोनों हाथ नवीन के सर पर थे. मॉम अपनी उंगलियों को नवीन के बालों में घुमा रही थीं. कभी कभी उसके बालों को मुठ्ठी में पकड़ कर अपनी चुत पे दबा देती थीं.

कुछ देर तक चुत चटवाने के बाद मॉम कराहते हुए बोलीं- आह.. छोड़ दे न.. अब चुत ही चाटता रहेगा या कुछ और भी करेगा.. ओह ओह..
यह सुन कर नवीन खड़ा हुआ और उसने अपनी लुंगी निकाल कर फेंक दी. नवीन का लंड एकदम से खड़ा था और मॉम की चुत भी पूरी गीली हुई पड़ी थी. तभी नवीन ने अपने हाथ से अपना लंड पकड़ कर मॉम की चुत पर टिकाया और एक ही झटके में पूरा लंड मॉम की चुत में घुसा दिया. मॉम एकदम से दबी आवाज में चिल्ला उठीं.
तभी नवीन ने अपना एक हाथ मॉम के मुँह पर रख कर मुँह बंद कर दिया- चुप छिनाल.. जगाएगी क्या कुतिया सबको..

दर्द से मॉम की आंखें बड़ी हो गई थीं. नवीन ने मुँह पे से हाथ हटाया और मॉम की गर्दन दोनों हाथों से पकड़ कर मॉम को चोदने लगा. मॉम उत्तेजना से चिल्लाये जा रही थीं- ओह ओह आह आह.. हाँ हाँ.. चोद चोद.. दिखा कितना दम है तेरे लंड में हरामी..

मॉम के उकसाने पर नवीन और तेज़ तेज़ चोदने लगा था और गालियां बके जा रहा था- चुप रंडी कहीं की.. भैन की लौड़ी.. चुदवा चुदवा कर भोसड़ा बना लिया है. अभी भी तेरी आग नहीं बुझ रही.. कितना और चुदवायेगी तू?
मॉम- हाँ कमीने.. जा तेरे बाप से पूछ.. दिखा तेरे अन्दर कितना दम है, अगर तू अपने बाप की औलाद है तो अपना दम दिखा.

यह सुन कर नवीन पे मानो शैतान सवार हो गया और एकदम से कस कस कर मॉम को चोदने लगा. मॉम ने भी एकदम से पैरों को हवा में ही मोड़ लिया, जिससे मॉम की चुत एकदम बाहर निकल आई.

मॉम मस्ती में कराह रही थीं- आह आह आह.. फ़क मी बास्टर्ड.. फ़क मी हार्ड.. ये कहकर मॉम अपने दोनों हाथ से नवीन की गांड पकड़ कर तेज़ तेज़ उसे अपनी तरफ धकेल रही थी- यस फ़ास्ट फ़ास्ट फ़ास्ट.. आह.. ओ माय गॉड.. आह..

क़रीब बीस मिनट घमासान चुदाई के बाद मॉम का बदन अकड़ने लगा.. और मॉम के कंठ से झड़ते वक्त जैसी आवाजें आने लगीं- आह.. मैं गई.. आई ओह ओह आह..
ये कहते हुए मॉम झड़ने लगीं.

नवीन अपनी चोदने की स्पीड और तेज़ करते हुए मॉम को चोदे जा रहा था. तभी नवीन का बदन भी अकड़ने लगा- ओह ओह.. मालकिन हम भी झड़ने वाले हैं.. ओह आह..
यह कहते हुए नवीन ने मॉम के चुचों को कस कर पकड़ लिया और तेज़ तेज़ झड़ने लगा.

मॉम ने नवीन की गांड पकड़ कर अपनी चुत पे कसके दबा लिया. जिससे नवीन का लंड मॉम की चुत में एकदम अन्दर तक पानी छोड़ रहा था.

मॉम कराह रही थीं और चिल्लाये जा रही थीं- हाँ हाँ और अन्दर डाल हाँ.. भर दे मेरी चुत को.. हाँ हाँ हाँ और अन्दर तक आह..

ये कहते हुए मॉम और नवीन तेज़ी के साथ झड़ने लगे. करीब दो मिनट तक झड़ने के बाद दोनों सुस्त पड़ गए और इसी अवस्था में दोनों स्थिर पड़े रहे. नवीन इसी तरह अपना लंड मॉम की चुत में घुसाए हुए मॉम के चुचों को चूसने लगा और मॉम आंखें मूंदे हुए उसके बालों में उंगलियां घुमाने लगीं.

थोड़ी देर इसी अवस्था में पड़े रहने के बाद नवीन ने अपना लंड मॉम की चुत से बाहर निकाला.. तो साथ ही में मॉम की चुत से नवीन के लंड का ढेर सारा पानी भी बहने लगा.

लंड बाहर निकाल कर नवीन टॉयलेट की ओर चला गया और मॉम वहीं किचन काउंटर पर ही लेट गईं. नवीन लौट कर आया तो मॉम नीचे उतर चुकी थीं और अपनी ब्रा ठीक करके अपना गाउन पहन रही थीं.

तभी नवीन की आवाज़ आई- मालकिन एक बात पूछें?
मॉम- क्या पूछो??
नवीन- आप पिताजी का नाम क्यों ले रही थीं?
मॉम लड़खड़ाते स्वर में बोलीं- क.क..कुछ नहीं.. बस ऐसे ही निकल गया होगा. तू ज्यादा दिमाग मत चलाया कर.
यह कहते हुए मॉम ने अपने गाउन की डोरी बांधी और दरवाज़े की तरफ जाने लगीं. तभी नवीन ने पीछे से आवाज़ दी

नवीन- मालकिन आपकी चड्डी रह गई.
मॉम- तू रख ले.. ले जाकर अपनी बीवी को दे देना.
नवीन- खाली चड्डी ले जाकर क्या करेंगे मालकिन.

यह सुन कर मॉम हंसने लगीं. मॉम ने अपना गाउन नीचे उठाया अपना हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोला और गाउन के अन्दर से अपनी ब्रा बाहर निकाल कर नवीन की ओर उछाल दिया.
मॉम- ले.. ये भी ले जाके दे देना साथ में…
मॉम हंसने लगीं और दरवाज़ा खोलकर बाहर चली गईं.

नवीन भी अपने कपड़े सही करके अपनी तैयारी में जुट गया.

अब तक मैं भी बेड पे बैठा बैठा मुठ मार चुका था. मैं भी लैपटॉप वगैरह बंद करने लगा और बाकी की ब्लेंक रिकॉर्डिंग फ़ास्ट फॉरवर्ड करने लगा. उसी ब्लेंक रिकॉर्डिंग के बीच कुछ और भी रिकॉर्ड हो गया था. जिसको देख कर मेरे होश उड़ गए और मैं दोबारा मुठ मारने पर मजबूर हो गया.

End
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#20
दादी को फिर से जवान बनाया




मैं अपनी दादी का बहुत लाडला था. मैं भी दादी को बचपन से ही बहुत चाहता था. फिर हम शहर आ गए और दादी से हमारा मिलना ओम हो गया. एक बार दादी एक हफ्ते के लिए हमारे घर आईं. तब मैंने कैसे उनके साथ मज़ा किया ये आपको इस कहानी में जानने को मिलेगा…
हेलो दोस्तों, मेरा नाम मिहिर शर्मा है और मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूं. आज मैं भी आप लोगों को अपनी एक बेहद यादगार और प्यारी सी कहानी बताने जा रहा हूं. उम्मीद है आप लोगों को पसंद आएगी.
दोस्तों, मैं अपने मम्मी – पापा के साथ गुजरात में रहता हूं. मेरे पापा एक कंपनी में बड़ी पोस्ट पर हैं और मम्मी स्कूल में पार्ट टाइम टीचर हैं. कहानी में आगे बढ़ने से पहले मैं आपको अपने बारे में बता देना चाहता हूं. मेरी हाइट 5 फीट 8 इंच है और रंग गोरा है. मेरे लंड की साइज़ तकरीबन 5.5 इंच के आसपास होगी. मुझे बड़ी उम्र वाली औरतें बहुत पसंद हैं और मेरी यह पसंद इस कहानी से शुरू हुई.

जब यह घटना घटित हुई तब मैं 20 साल का था. मैं बचपन से ही अपनी दादी के बहुत करीब रहा हूं और वो भी मुझे बहुत प्यार देती हैं क्योंकि मैं उनका लाडला जो हूं. लेकिन पिछले 2 वर्ष से मैं दादी से मिल नहीं सका था क्योंकि हम शहर में रहने आ गए और मेरे दादा – दादी गांव में ही रख कर खेत का काम संभालते थे.
एक दिन मैं सुबह उठा और तैयार होकर हॉल में बैठा था. तभी अचानक दरवाजे की घंटी बजी. मैंने दरवाजा खोला तो दादी बाहर खड़ी थीं. उन्हें देख कर मैं बहुत खुश हुआ. फिर झट से मैंने उनके पैर छू लिए क्योंकि अभी तक मेरे दिमाग में उनके लिए कोई बुरा विचार नहीं था. फिर मैंने उनके हाथ का समान ले लिया और हम घर के अंदर आ गए.
इसके बाद दादी ने सब के साथ मेल – मिलाप किया और फिर हॉल में मेरे पास आकर बैठ गईं. अब हमने बहुत सारी बातें की जैसे कि मैं उन्हें बहुत याद करता था. उन्होंने भी मेरी स्टडी और तबियत के बारे में पूछा. हमने सारा दिन साथ में गुजारा. दोस्तों, वो 1 हफ्ता हमारे घर ही रुकने वाली थीं और उनके यहां रुकने से सबसे ज्यादा खुश मैं था क्योंकि दादी के साथ टाइम बिताना मुझे बहुत अच्छा लगता था.

रात को हम सब ने एक साथ डिनर किया और सोने का इंतज़ाम करने लगे क्योंकि हमारे घर में अभी 2 ही कमरे पूरी तरह कंप्लीट थे और 1 कमरे में फर्नीचर का काम चल रहा था. उसमें से 1 मम्मी – पापा का और 1 मेरा कमरा था.
पापा ने मुझसे कहा, “मिहिर बेटा, तुम बाहर हॉल में सो जाना, दादी तुम्हारे कमरे में सो जाएंगी”. तभी दादी बोलीं, “मिहिर अभी बच्चा ही तो है, मैं उसके साथ उसके कमरे में सो जाउंगी और फिर मेरे पास यहां 1 हफ्ते का ही तो समय है, इसमें मैं अपने लाडले से दूर नहीं होना चाहती हूं.” दादी की बात पापा मान गए.
इसके बाद हम सब अपने कमरे में चले गए और सोने की तैयारी करने लगे. हमने भी रूम में आकर दरवाजा बंद कर लिया. दोस्तों, उस दिन मैंने रेड टी-शर्ट और येलो प्रिंटेड बॉक्सर पहना हुआ था. फिर मैं और दादी दोनों एक ही बेड पर लेट गए.
थोड़ी देर बाद दादी सो गई थीं या सोने की एक्टिंग करने लगीं थीं, उनका पता नहीं लेकिन मैं सो नहीं पा रहा था क्योंकि मेरे छोटू राजकुमार का मुठ मारने का टाइम हो गया था. फिर मैंने चुपके से मोबाइल निकाला और उसे साइलेंट में लगा कर पॉर्न देखने लगा. उसके साथ ही मैं अपने लन्ड को सहलाने भी लगा.
माफ करना दोस्तों, मैं तो आप लोगों को अपनी दादी के बारे में बताना ही भूल गया. दादी की उम्र 54-55 साल थी लेकिन खेतों में काम करने के वजह से वे अभी भी मैच्योर वुमन की तरह लग रही थीं. उनका बदन कसा था. उनके मम्मे और चूतड़ काफी बड़े थे. उनका फिगर तकरीबन 36-34-38 का होगा और वो हमेशा साड़ी ही पहनती हैं. रात को भी वो साड़ी ही पहने रखती थीं. हालांकि, पता नहीं ये उनकी बढ़ती उम्र का तकाज़ा था या कोई और वजह वो पत्नीत्व धर्म का कोई चिन्ह नहीं पहनती थीं.
पॉर्न देखते – देखते मैं बहुत ज्यादा उतेजित हो गया था. दोस्तों, आप तो जनते ही हैं कि जब वासना सवार होती है तो हमें सिर्फ औरत की चूत ही नज़र आती है, भले ही वो कोई भी क्यों न हो. मैंने एक पल के लिए सोचा कि क्यों न दादी के साथ सेक्स का मजा लिया जाए, मैं तो उनका लाडला हूं इसलिए शायद मना भी नहीं करेंगी.
यह सोचते ही मैंने मुठ मारना बीच में ही बंद कर दिया और मोबाइल साइड में रख के लेट गया और सोने का नाटक करने लगा. फिर थोड़ी देर बाद मैंने हिम्मत करके दादी की तरफ करवट बदली और अपना बायां हाथ उसके मम्मे पर रख दिया.
लेकिन ये क्या! उन्होंने बहुत तेजी से मेरा हाथ झटक दिया और उठ कर बेड पर बैठ गईं. यह देख कर मैं घबरा गया और मैं भी उठ बैठा. दोस्तों, एक बात तो मैं आप लोगों को बताना ही भूल गया वो ये कि मेरी दादी बहुत गुस्से वाली थीं. अब मेरी फट के हाथ में आ गई,
मैंने सोचा कि आज तो मैं गया. फिर मैं डरते हुए दादी से कहने लगा, “गलती से मैंने आपको छू लिया था मुझे माफ़ कर दीजिए. अब ऐसा नहीं होगा. मैं नीचे सो जाऊंगा”.
“दोबारा भी ऐसा ही होगा, मुझे पता है” उन्होंने कहा और इतना कह कर थोड़ी सी मुस्कुराईं. फिर भी मेरे चहरे के रिएक्शन वैसे ही बने रहे क्योंकि मेरी गांड डर के मारे पूरी फट चुकी थी.
फिर उन्होंने अपना एक हाथ मेरी तरफ बढ़ाया. उनका हाथ अपनी तरफ बढ़ते देख मैं घबरा गया कि कहीं वो मुझे चांटा न मार दें. इसलिए लगभग गिड़गिड़ाते हुए मैंने उनसे कहा, “मुझे माफ़ कर दीजिए, अब ऐसा नहीं होगा”. लेकिन उनका हाथ आगे बढ़ता ही गया.डर के मारे मैंने अपनी आंख बंद कर ली.
लेकिन ये क्या! उसने मेरे हाथ को पकड़ा और उसे ले जाकर अपने मम्मे पर रख दिया. फिर वे मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगीं और बोलीं कि मैं तो बस तुम्हारी प्रतिक्रिया देखना चाहती थी. अब मैंने भी अपनी आंखें ख़ोला दी थीं. वो फिर बोलीं, “मैं कब से तुम्हारी सारी हरकतें देख रही थी. और आखिरकार मुझे भी पता है कि मेरे लाडले को इस उम्र में क्या चाहिए!” इतना कह कर वो फिर से मुस्कुराने लगीं.

इस पर मैंने मन ही मन सोचा कि मैं दादी के साथ सेक्स का प्लान बना रहा था लेकिन ये तो उल्टा हो गया. वैसे कोई ना मजा तो मुझे भी आने वाला है ना उसमें. आखिरकार मेरी पहली चुदाई जो है. फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा कि तू सिर्फ सोचेगा ही या कुछ करेगा भी. इस पर मैंने भी मुस्कुरा दिया.
फिर मैंने दादी को अपने पास खींच लिया और उसके रसीले होंठ चूमने लगा. आह, क्या रसीले होंठ थे उनके. मैंने देखा कि मेरे ऐसा करने से दादी भी बहुत खुश नजर आ रही हैं. फिर मैंने दादी को लेट जाने को कहा. वो झट से लेट गईं. इसके बाद मैं भी उनके बगल में लेट गया.

फिर मैंने अपना एक हाथ उनके मम्मों पर रखा और धीरे – धीरे दबाने लगा. उनके मम्मों को दबाने के साथ – साथ मैं उनके होंठों पर लगातार चुंबनों की बौछार भी कर रहा था. उसके मम्मे बड़े थे लेकिन ऐज फैक्टर की वजह से थोड़े ढीले और लटके हुए थे. फिर थोड़ी देर बाद मैंने उनका ब्लाउज खोल कर उनके मम्मों को आजाद कर दिया.
दोस्तों, दादी ब्रा नहीं पहनती थीं, इसलिए ब्लाउज खुलते ही उनके मम्मे उछल कर बाहर आ गए. अब मैंने उनके एक मम्मे को अपने मुंह में दबाया और चूसने लगा. साथ ही दूसरे मम्मे को मसलने लगा. मेरे ऐसा करने से वो ‘उम्म उम्म’ की मादक आवाजें निकालने लगी थीं. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
अब धीरे – धीरे मैं चूमता हुआ उनके पेट की ओर बढ़ता गया और फिर उनकी साड़ी को निकाल दिया. इसके बाद फिर मैंने दांतों के बीच उनके पेटिकोट का नाडा पकड़ा और उसे खींच कर ख़ोला दिया. मेरे ऐसा करने से उनकी बॉडी में एक हल्की सी कंपन हुई और वह मचल गईं. दोस्तों, वो पैंटी भी नहीं पहनती थीं, इसलिए पेटिकोट खुलते ही पूरी नंगी हो गईं.

फिर मैं उठा और मैंने अपने भी सारे कपड़े निकाल दिए. वो मेरे लन्ड को देखती रह गईं. थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरे लन्ड को अपने हाथों से पकड़ लिया और धीरे – धीरे सहलाने लगीं. मैं कंट्रोल नहीं कर पाया और थोड़ी देर में ही झड़ गया. यह देख दादी ने कहा, “इतनी जल्दी!” तब मैंने कहा कि पहली बार किसी ने मेरे लन्ड को थमा है न इसलिए. अब जिंदगी भर इस मत छोड़ना दादी”. यह सुन कर वो फिर से मुस्कुरा उठीं.
फिर मैं उल्टा हुआ और उनकी चूत को चाटने लगा. क्या मस्त टेस्ट था उसका. उनकी चूत अब तक पूरी गीली हो चुकी थी. तभी दादी ने कहा, “बेटे, आज मेरी इस सूखी पड़ी चूत की तमन्ना पूरी कर दे, बुझा दे मेरी प्यास”. इस पर मैंने भी कहा, “बिल्कुल मेरी जान”. इतना बोल के मैं फिर से उनकी चूत का आंनद लेने लगा. अब मेरा लन्ड भी फिर से खड़ा होने लगा था, जिसे दादी ने अपने मुंह में ले लिया. क्या अद्भुत एहसास था वो!
फिर मैंने उन्हें सीधे लेट जाने को कहा और खुद चूत के पास घुटनों के बल बैठ गया. दोस्तों, मैं मन ही मन यह सोच कर खुश था कि आज पहली बार मुझे किसी की चूत में अपना लन्ड डालने का मौका मिला है और वो भी मेरी दादी की है. फिर धीरे से मैंने अपना लन्ड उनकी चूत पर सेट किया और एक धक्का मारा लेकिन लन्ड अंदर नहीं घुसा.
फिर दादी ने लन्ड को अपने छेद पर रख कर और पकड़े रखा. मैंने फिर से धक्का लगाया तो थोड़ा सा लन्ड अन्दर चला गया. लेकिन लन्ड अंदर जाने से मुझे भी थोड़ा सा दर्द हुआ. तब उन्होंने कहा, “बेटा, जैसा आजकल पॉर्न मूवी में दिखाते हैं न उस तरह लन्ड आसानी से अंदर नहीं जाता.”
यह सुन कर मैंने मुस्कुरा दिया और दूसरा धक्का मारते हुए पूरा लन्ड उनकी चूत में अंदर तक घुसा दिया. पूरा लन्ड अंदर जाते ही उनके मुंह से एक आह सी निकल गई. उन्होंने कहा, “अब तो ये तुम्हारी ही है, थोड़ा धीरे करो, दर्द होता है”. इस पर मैंने भी पूछ लिया कि दादा अब नहीं करते क्या? तो उन्होंने कहा कि कई सालों से उनका खड़ा ही नहीं होता, लेकिन अब मुझे परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है, मेरे पास एक गर्म और जवान लन्ड जो है. इतना बोलते हुए वह मुस्कुराने लगीं.
अब मैं और तेजी से धक्के मारने लगा. फिर थोड़ी देर बाद वो भी अपनी गांड उठा – उठा के मेरा साथ देने लगीं. चुदाई के दौरान मैंने कई आसन बदले और लगातार स्पीड बढ़ाता रहा. वो भी “ऊंह…आह…आह…” की आवाजें निकाल रही थीं.
थोड़ी देर बाद मैंने उनसे कहा कि मैं झड़ने वाला हूं कहा निकालु अन्दर या वाहर ?????

तो दादी ने कहा कि मेरे चूत में ही निकाल दे, अब तो मेरे महीने भी बंद हो गए हैं.पेट मे वाच्चा ठहरने का कोई दिक्कत नेहि हे।

यह सुन कर मैं और तेजी से उन्हें चोदने लगा. थोड़ी देर में ही मेरा सारा गर्म लावा उनकी चूत में निकल गया. अभी भी मेरा लन्ड उसकी चूत में था.
फिर थोड़ी देर तक हम ऐसे ही लेटे रहे. मैं उन्हें किस कर रहा था और साथ में मम्मे की निप्पल को भी छेद रहा था. वो भी जोर – जोर से सांसें ले रही थीं. ऐसा लग रहा था जैसे वो हांफ रही हों.

थोड़ी देर बाद मेरा लन्ड दोबारा खड़ा हो गया और मैं फिर से चुदाई की तैयरी करने लगा तो उन्होंने दूसरी बार के लिए मना कर दिया. उन्होंने कहा कि मैं पूरी तरह थक चुकी हूं. मैंने भी दादी की उम्र देखते हुए उन्हें फोर्स नहीं किया और अपना लन्ड चूत से निकाल लिया. इसके बाद हम एक – दूसरे को अपनी बाहों में लेकर लेट कर बात करते रहे.
उन्होंने कहा – बहुत मजा आया.
मैं बोला – हां, लव यू दादी.
दादी बोलीं – दादी?
मैंने कहा – तो फिर क्या कहूं? वो कुछ बोलतीं इससे पहले ही थोड़ा सोचने के बाद मैंने कहा – आज से तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो.
दादी बोलीं – नहीं, गर्ल फ्रेंड तो बदलती रहती है, मैं तो तुम्हारी बीवी बनना चाहती हूं. इतना कह कर वो हंसने लगीं. साथ में मैं भी हंसने लगा.
इस पर मैंने कहा – अच्छा ठीक है, आज से तुम मेरी बीवी हो.
दादी बोलीं – ऐसे नहीं.
मैंने कहा – तो फिर कैसे?
दादी ने कहा – पूरे विधि – विधान से जैसे कल मैं बोलूंगी वैसा ही करना, ठीक है?
मैंने कहा – ठीक है.
इतना बोल के मैं फिर उनको चूमने लगा. बाद में हम दोनों ऐसे ही एक – दूसरे की बाहों में लिपट कर सो गए. सुबह 6 बजे उन्होंने मुझे उठाया और तैयार होने के लिए बोला. मैं उठा और फिर हम दोनों एक साथ नहाने चले गए. वहां भी मैंने दादी से बहुत सारी शरारतें कीं और फिर बाद में हम बाहर आ गए.
बाहर मेरे कमरे में आकर उन्होंने पिंक ब्रा – पैंटी और उसके ऊपर रेड कलर की साड़ी और थोड़ी सी ज्वेलरी पहन ली. फिर उन्होंने सिंदूर लिया और मेरी ओर इशारा किया कि उसको मेरी मांग में भर दो. मैंने भी वैसा ही किया.

सिंदूर लगाने के बाद उन्होंने अपने माथे पर पल्लू रखा और मेरे पैर छूने के लिए नीचे झुकीं. यह देख कर मैं पीछे खिसक गया. तब उन्होंने कहा कि मैं आपकी बीवी हूं ना इसलिए अपने पतिदेव के पैर छू रही हूं.
इस पर मैंने कहा, “क्या तुम भी”. तब उन्होंने कहा कि जब मैं यहां आई थी, तब तुमने मेरे पैर छुए थे और आज मैं तुम्हारी बीवी बन कर तुम्हारे पैर छू रही हूं. फिर हम दोनों हंसने लगे और उन्होंने मुझे हग कर लिया.

थोड़ी देर बाद फिर हम दोनों एक साथ मेरे कमरे से बाहर आए. दादी को इस रूप में देख के मेरी मां चौंक गईं और उन्होंने दादी से पूछा, “ये सब क्या है मम्मी जी? आप तो कभी मांग भरती ही नहीं थीं और ब्रा भी नहीं पहनती थीं. ब्रा के लिए मां ने इसलिए पूछा क्योंकि दादी की स्ट्रिप दिख रही थी.
इस पर दादी (मेरी बीवी) ने कहा कि मुझे शहर आ के यहां की बू लग गई और इतना बोल कर वो मुस्कुराने लगीं. फिर हम सब लोग भी मुस्कुराने लगे. बाद में मम्मी – पापा अपनी जॉब पर चले गए. फिर पूरे दिन हमने अकेले में बहुत एन्जॉय किया और रात को तो हमारी सुहाग रात थी. रात में मैंने फिर से मेरी तृप्ति देवी (दादी) को बहुत चोदा और उनकी गांड भी मारी.

फिर उस पूरे हफ्ते हम दिन में साथ रहते और अकेलेपन का फायदा उठाते थे. कभी – कभी मैं उन्हें बाहर घुमाने भी ले जाता था और रात का मैंने नियम बना दिया था कि रूम के अंदर नो कपड़े. रात को हम बहुत मजे करते थे. मैं उन्हें अलग – अलग तरीके से चोदता था. फिर एक हफ्ते बाद वो वापस चली गईं.

End
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