आश्रम के गुरुजी - 02
अगले सोमवार की शाम को मैं अपनी सासूजी के साथ गुरुजी के आश्रम पहुँच गयी. मेरा बैग लगभग खाली था क्यूंकी समीर ने कहा था की सब कुछ आश्रम से ही मिलेगा. सिर्फ़ एक एक्सट्रा साड़ी ,ब्लाउज ,पेटीकोट और 3 सेट अंडरगार्मेंट्स के अपने साथ लाई थी. मैंने सोचा इतने से मेरा काम चल जाएगा. इमर्जेन्सी के लिए कुछ रुपये भी रख लिए थे.
आश्रम में समीर ने मुस्कुराकर हमारा स्वागत किया. हम गुरुजी के पास गये , उन्होने हम दोनो को आशीर्वाद दिया . फिर गुरुजी से कुछ बातें करके मेरी सासूजी वापस चली गयीं. अब आश्रम में गुरुजी और उनके शिष्यों के साथ मैं अकेली थी. आज दो और गुरुजी के शिष्य मुझे आश्रम में दिखे. अभी उनसे मेरा परिचय नही हुआ था.
गुरुजी – सावित्री बेटी यहाँ आराम से रहो. कोई दिक्कत नही है. क्या मैं तुम्हें नाम लेकर बुला सकता हूँ ?
“ ज़रूर गुरुजी.”
गुरुजी के अलावा उनके चार शिष्य वहाँ पर थे. उस समय पाँच आदमियों के साथ मैं अकेली औरत थी. वो सभी मुझे ही देख रहे थे तो मुझे थोड़ा असहज महसूस हुआ. लेकिन गुरुजी की शांत आवाज़ सुनकर सुकून मिला.
गुरुजी – ठीक है सावित्री, तुम्हारा परिचय अपने शिष्यों से करा दूं. समीर से तो तुम पहले ही मिल चुकी हो , उसके बगल में कमल , फिर निर्मल और ये विकास है. दीक्षा के लिए समीर बताएगा और उपचार के दौरान बाकी लोग बताएँगे की कैसे कैसे करना है. अब तुम आराम करो और रात 10 बजे दीक्षा के लिए आ जाना. समीर तुम्हें सब बता देगा.
समीर – आइए मैडम.
समीर मुझे एक छोटे से कमरे में ले गया , उसमे एक अटैच्ड बाथरूम भी था . समीर ने बताया की आश्रम में यही मेरा कमरा है. बाथरूम में एक फुल साइज़ मिरर लगा हुआ था, जिसमे सर से पैर तक पूरा दिख रहा था. मुझे थोड़ा अजीब सा लगा की बाथरूम में इतने बड़े मिरर की ज़रूरत क्या है ? बाथरूम में एक वाइट टॉवेल, साबुन, टूथपेस्ट वगैरह ज़रूरत की सभी चीज़ें थी जैसे एक होटेल में होती हैं.
कमरे में एक बेड था और एक ड्रेसिंग टेबल जिसमें कंघी , हेयर क्लिप , सिंदूर , बिंदी वगैरह था. एक कुर्सी और कपड़े रखने के लिए एक कपबोर्ड भी था. मैं सोचने लगी समीर सही कह रहा था की सब कुछ यहीं मिलेगा. ज़रूरत की सभी चीज़ें तो थी वहाँ.
फिर समीर ने मुझे एक ग्लास दूध और कुछ स्नैक्स लाकर दिए.
समीर – मैडम , अब आप आराम कीजिए. वैसे तो सब कुछ यहाँ है लेकिन फिर भी कुछ और चाहिए होगा तो मुझे बता दीजिए. 10 बजे मैं आऊँगा और दीक्षा के लिए आपको ले जाऊँगा. दीक्षा में शरीर और आत्मा का शुद्धिकरण किया जाता है. आपके उपचार का वो स्टार्टिंग पॉइंट है.
मैडम आप अपना बैग मुझे दे दीजिए . मैं इसे चेक करूँगा और आश्रम के नियमों के अनुसार जिसकी अनुमति होगी वही चीज़ें आप अपने पास रख सकती हैं.
समीर की बात से मुझे झटका लगा , ये अब मेरा बैग भी चेक करेगा क्या ?
“लेकिन बैग में तो कुछ भी ऐसा नही है. आपने कहा था की सब कुछ आश्रम से मिलेगा तो मैं कुछ नही लाई.”
समीर – मैडम , फिर भी मुझे चेक तो करना पड़ेगा. आप शरमाइए मत. मैं हूँ ना आपके साथ. जो भी समस्या हो आप बेहिचक मुझसे कह सकती हैं.
फिर बिना मेरे जवाब का इंतज़ार किए समीर ने बैग उठा लिया. बैग में से उसने मेरा पर्स निकाला. फिर मेरी ब्रा निकाली और उन्हे बेड पे रख दिया. फिर उसने बैग से पैंटी निकाली और थोड़ी देर तक पकड़े रहा जैसे सोच रहा हो की मेरे बड़े नितंबों में इतनी छोटी पैंटी कैसे फिट होती है .
मैं शरम से नीचे फर्श को देखने लगी. कोई मर्द मेरे अंडरगार्मेंट्स को छू रहा है. मेरे लिए बड़ी असहज स्थिति थी.
शुक्र है उसने मेरी तरफ नही देखा. फिर उसने कुछ रुमाल निकाले और साड़ी ,ब्लाउज ,पेटीकोट सब बैग से निकालकर बेड में रख दिया. अब बैग में कुछ नही बचा था.
समीर – ठीक है मैडम, जो ये आपकी एक्सट्रा साड़ी ,ब्लाउज ,पेटीकोट है इसे मैं ऑफिस में ले जा रहा हूँ क्यूंकी कपड़े आश्रम से ही मिलेंगे. मैं दीक्षा के समय आश्रम की साड़ी ,ब्लाउज ,पेटीकोट लाकर दूँगा और रात में सोने के लिए नाइट ड्रेस भी मिलेगी. ये आपके अंडरगार्मेंट्स भी मैं ले जा रहा हूँ , स्टरलाइज होने के बाद कल सुबह अंडरगार्मेंट्स आपको मिल जाएँगे.
मैं क्या कहती , सिर्फ़ सर हिलाकर हामी भर दी. उसने बेड से मेरे अंडरगार्मेंट्स उठाये और फिर से कुछ देर तक पैंटी को देखा. मैं तो शरम से पानी पानी हो गयी. आजतक किसी भी पराए मर्द ने मेरी ब्रा पैंटी में हाथ नही लगाया था और यहाँ समीर मेरे ही सामने मेरी पैंटी उठाकर देख रहा था. लेकिन अभी तो बहुत कुछ और भी होना था.
समीर – मैडम, मुझे आपकी ब्रा और पैंटी चाहिए ….वो मेरा मतलब है जो आपने पहनी हुई है , स्टरलाइज करने के लिए.
“लेकिन इनको कैसे दे दूं अभी ? “ हकलाते हुए मैं बोली.
समीर – मैडम देखिए, मुझे जड़ी बूटी डालकर पानी उबालना पड़ेगा , जिसमे ये कपड़े धोए जाएँगे. इसको उबालने में बहुत टाइम लगता है. तब ये कपड़े स्टरलाइज होंगे. इसलिए आप अपने पहने हुए अंडरगार्मेंट्स उतार कर मुझे दे दीजिए , मैं बार बार थोड़ी ना ये काम करूँगा. एक ही साथ सभी अंडरगार्मेंट्स को स्टरलाइज कर दूँगा.
वो ऐसे कह रहा था जैसे ये कोई बड़ी बात नही. पर बिना अंडरगार्मेंट्स के मैं सुबह तक कैसे रहूंगी ? लेकिन मेरे पास कोई चारा नही था, मुझे अंडरगार्मेंट्स उतारकर स्टरलाइज होने के लिए देने ही थे. आश्रम के मर्दों के सामने बिना ब्रा पैंटी के मैं कैसे रहूंगी सुबह तक. मुझे दीक्षा लेने भी जाना था और आश्रम के सभी मर्द जानते होंगे की मेरे अंडरगार्मेंट्स स्टरलाइज होने गये हैं और मैं अंदर से कुछ भी नही पहनी हूँ.
“ठीक है , आप कुछ देर बाद आओ , तब तक मैं उतार के दे दूँगी.”
समीर – आप फिकर मत करो मैडम . मैं यही वेट करता हूँ. इनको उतारने में क्या टाइम लगना है …”
“ठीक है , जैसी आपकी मर्ज़ी….” कहकर मैं बाथरूम में चली गयी. समीर कमरे में ही खड़ा रहा.
बाथरूम का दरवाज़ा ऊपर से खुला था , मतलब छत और दरवाज़े के बीच कुछ गैप था. मैं सोचने लगी अब ये क्या मामला है ? मुझे कपड़े लटकाने के लिए बाथरूम में एक भी हुक नही दिखा तब मुझे समझ में आया की कपड़े दरवाज़े के ऊपर डालने पड़ेंगे इसीलिए ये गैप छोड़ा गया है. लेकिन कमरे में तो समीर खड़ा था , जो भी कपड़े मैं दरवाज़े के ऊपर डालती सब उसको दिख जाते . इससे उसको पता चलते रहता की क्या क्या कपड़े मैंने उतार दिए हैं और किस हद तक मैं नंगी हो गयी हूँ. इस ख्याल से मुझे पसीना आ गया. फिर मुझे लगा की मैं कुछ ज़्यादा ही सोच रही हूँ , ये लोग तो गुरुजी के शिष्य हैं सांसारिक मोहमाया से तो ऊपर होंगे.
अब मैंने दरवाज़े की तरफ मुँह किया और अपनी साड़ी उतार दी और दरवाज़े के ऊपर डाल दी. फिर मैं अपने पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगी. पेटीकोट उतारकर मैंने साड़ी के ऊपर लटका दिया. बाथरूम के बड़े से मिरर पर मेरी नज़र पड़ी , मैंने दिखा छोटी सी पैंटी में मेरे बड़े बड़े नितंब ढक कम रहे थे और दिख ज़्यादा रहे थे. असल में पैंटी नितंबों के बीच की दरार की तरफ सिकुड जाती थी इसलिए नितंब खुले खुले से दिखते थे. उस बड़े से मिरर में अपने को सिर्फ़ ब्लाउज और पैंटी में देखकर मुझे खुद ही शरम आई. फिर मैंने पैंटी उतार दी और उसे दरवाज़े के ऊपर रखने लगी तभी मुझे ध्यान आया , कमरे में तो समीर खड़ा है. अगर वो मेरी पैंटी देखेगा तो समझ जाएगा मैं नंगी हो गयी हूँ. मैंने पैंटी को फर्श में एक सूखी जगह पर रख दिया.
फिर मैंने अपने ब्लाउज के बटन खोलने शुरू किए. और फिर ब्रा उतार दी . समीर दरवाज़े से कुछ ही फीट की दूरी पर खड़ा था और मैं अंदर बिल्कुल नंगी थी. मैं शरम से लाल हो गयी और मेरी चूत गीली हो गयी. मेरे हाथ में ब्लाउज और ब्रा थी , मैंने देखा ब्लाउज का कांख वाला हिस्सा पसीने से भीगा हुआ है . ब्रा के कप भी पसीने से गीले थे. फिर मैंने दरवाज़े के ऊपर ब्लाउज डाल दिया. फर्श से पैंटी उठाकर देखी तो उसमें भी कुछ गीले धब्बे थे. मैं सोचने लगी ऐसे कैसे दे दूं ब्रा पैंटी समीर को , वो क्या सोचेगा . पहले धो देती हूँ.
तभी कमरे से समीर की आवाज़ आई ,”मैडम , ये आपके उतारे हुए कपड़े मैं धोने ले जाऊँ? आप नये वाले पहन लेना. पसीने से आपके कपड़े गीले हो गये होंगे.”
वो आवाज़ इतनी नज़दीक से आई थी की जैसे मेरे पीछे खड़ा हो. घबराकर मैंने जल्दी से टॉवेल लपेटकर अपने नंगे बदन को ढक लिया. वो दरवाज़े के बिल्कुल पास खड़ा होगा और दरवाज़े के ऊपर डाले हुए मेरे कपड़ों को देख रहा होगा. दरवाज़ा बंद होने से मैं सेफ थी लेकिन फिर भी मुझे घबराहट महसूस हो रही थी.
“नही नही, ये ठीक हैं.” मैंने कमज़ोर सी आवाज़ में जवाब दिया.
समीर – अरे क्या ठीक हैं मैडम. नये कपड़ों में आप फ्रेश महसूस करोगी. और हाँ मैडम , आप अभी मत नहाना , क्यूंकी दीक्षा के समय आपको नहाना पड़ेगा.
अगले सोमवार की शाम को मैं अपनी सासूजी के साथ गुरुजी के आश्रम पहुँच गयी. मेरा बैग लगभग खाली था क्यूंकी समीर ने कहा था की सब कुछ आश्रम से ही मिलेगा. सिर्फ़ एक एक्सट्रा साड़ी ,ब्लाउज ,पेटीकोट और 3 सेट अंडरगार्मेंट्स के अपने साथ लाई थी. मैंने सोचा इतने से मेरा काम चल जाएगा. इमर्जेन्सी के लिए कुछ रुपये भी रख लिए थे. आश्रम में समीर ने मुस्कुराकर हमारा स्वागत किया. हम गुरुजी के पास गये , उन्होने हम दोनो को आशीर्वाद दिया . फिर गुरुजी से कुछ बातें करके मेरी सासूजी वापस चली गयीं. अब आश्रम में गुरुजी और उनके शिष्यों के साथ मैं अकेली थी. आज दो और गुरुजी के शिष्य मुझे आश्रम में दिखे. अभी उनसे मेरा परिचय नही हुआ था.
गुरुजी – सावित्री बेटी यहाँ आराम से रहो. कोई दिक्कत नही है. क्या मैं तुम्हें नाम लेकर बुला सकता हूँ ?
“ ज़रूर गुरुजी.”
गुरुजी के अलावा उनके चार शिष्य वहाँ पर थे. उस समय पाँच आदमियों के साथ मैं अकेली औरत थी. वो सभी मुझे ही देख रहे थे तो मुझे थोड़ा असहज महसूस हुआ. लेकिन गुरुजी की शांत आवाज़ सुनकर सुकून मिला.
गुरुजी – ठीक है सावित्री, तुम्हारा परिचय अपने शिष्यों से करा दूं. समीर से तो तुम पहले ही मिल चुकी हो , उसके बगल में कमल , फिर निर्मल और ये विकास है. दीक्षा के लिए समीर बताएगा और उपचार के दौरान बाकी लोग बताएँगे की कैसे कैसे करना है. अब तुम आराम करो और रात 10 बजे दीक्षा के लिए आ जाना. समीर तुम्हें सब बता देगा.
समीर – आइए मैडम.
समीर मुझे एक छोटे से कमरे में ले गया , उसमे एक अटैच्ड बाथरूम भी था . समीर ने बताया की आश्रम में यही मेरा कमरा है. बाथरूम में एक फुल साइज़ मिरर लगा हुआ था, जिसमे सर से पैर तक पूरा दिख रहा था. मुझे थोड़ा अजीब सा लगा की बाथरूम में इतने बड़े मिरर की ज़रूरत क्या है ? बाथरूम में एक वाइट टॉवेल, साबुन, टूथपेस्ट वगैरह ज़रूरत की सभी चीज़ें थी जैसे एक होटेल में होती हैं.
कमरे में एक बेड था और एक ड्रेसिंग टेबल जिसमें कंघी , हेयर क्लिप , सिंदूर , बिंदी वगैरह था. एक कुर्सी और कपड़े रखने के लिए एक कपबोर्ड भी था. मैं सोचने लगी समीर सही कह रहा था की सब कुछ यहीं मिलेगा. ज़रूरत की सभी चीज़ें तो थी वहाँ.
फिर समीर ने मुझे एक ग्लास दूध और कुछ स्नैक्स लाकर दिए.
समीर – मैडम , अब आप आराम कीजिए. वैसे तो सब कुछ यहाँ है लेकिन फिर भी कुछ और चाहिए होगा तो मुझे बता दीजिए. 10 बजे मैं आऊँगा और दीक्षा के लिए आपको ले जाऊँगा. दीक्षा में शरीर और आत्मा का शुद्धिकरण किया जाता है. आपके उपचार का वो स्टार्टिंग पॉइंट है.
मैडम आप अपना बैग मुझे दे दीजिए . मैं इसे चेक करूँगा और आश्रम के नियमों के अनुसार जिसकी अनुमति होगी वही चीज़ें आप अपने पास रख सकती हैं.
समीर की बात से मुझे झटका लगा , ये अब मेरा बैग भी चेक करेगा क्या ?
“लेकिन बैग में तो कुछ भी ऐसा नही है. आपने कहा था की सब कुछ आश्रम से मिलेगा तो मैं कुछ नही लाई.”
समीर – मैडम , फिर भी मुझे चेक तो करना पड़ेगा. आप शरमाइए मत. मैं हूँ ना आपके साथ. जो भी समस्या हो आप बेहिचक मुझसे कह सकती हैं.
फिर बिना मेरे जवाब का इंतज़ार किए समीर ने बैग उठा लिया. बैग में से उसने मेरा पर्स निकाला. फिर मेरी ब्रा निकाली और उन्हे बेड पे रख दिया. फिर उसने बैग से पैंटी निकाली और थोड़ी देर तक पकड़े रहा जैसे सोच रहा हो की मेरे बड़े नितंबों में इतनी छोटी पैंटी कैसे फिट होती है .
मैं शरम से नीचे फर्श को देखने लगी. कोई मर्द मेरे अंडरगार्मेंट्स को छू रहा है. मेरे लिए बड़ी असहज स्थिति थी.
शुक्र है उसने मेरी तरफ नही देखा. फिर उसने कुछ रुमाल निकाले और साड़ी ,ब्लाउज ,पेटीकोट सब बैग से निकालकर बेड में रख दिया. अब बैग में कुछ नही बचा था.
समीर – ठीक है मैडम, जो ये आपकी एक्सट्रा साड़ी ,ब्लाउज ,पेटीकोट है इसे मैं ऑफिस में ले जा रहा हूँ क्यूंकी कपड़े आश्रम से ही मिलेंगे. मैं दीक्षा के समय आश्रम की साड़ी ,ब्लाउज ,पेटीकोट लाकर दूँगा और रात में सोने के लिए नाइट ड्रेस भी मिलेगी. ये आपके अंडरगार्मेंट्स भी मैं ले जा रहा हूँ , स्टरलाइज होने के बाद कल सुबह अंडरगार्मेंट्स आपको मिल जाएँगे.
मैं क्या कहती , सिर्फ़ सर हिलाकर हामी भर दी. उसने बेड से मेरे अंडरगार्मेंट्स उठाये और फिर से कुछ देर तक पैंटी को देखा. मैं तो शरम से पानी पानी हो गयी. आजतक किसी भी पराए मर्द ने मेरी ब्रा पैंटी में हाथ नही लगाया था और यहाँ समीर मेरे ही सामने मेरी पैंटी उठाकर देख रहा था. लेकिन अभी तो बहुत कुछ और भी होना था.
समीर – मैडम, मुझे आपकी ब्रा और पैंटी चाहिए ….वो मेरा मतलब है जो आपने पहनी हुई है , स्टरलाइज करने के लिए.
“लेकिन इनको कैसे दे दूं अभी ? “ हकलाते हुए मैं बोली.
समीर – मैडम देखिए, मुझे जड़ी बूटी डालकर पानी उबालना पड़ेगा , जिसमे ये कपड़े धोए जाएँगे. इसको उबालने में बहुत टाइम लगता है. तब ये कपड़े स्टरलाइज होंगे. इसलिए आप अपने पहने हुए अंडरगार्मेंट्स उतार कर मुझे दे दीजिए , मैं बार बार थोड़ी ना ये काम करूँगा. एक ही साथ सभी अंडरगार्मेंट्स को स्टरलाइज कर दूँगा.
वो ऐसे कह रहा था जैसे ये कोई बड़ी बात नही. पर बिना अंडरगार्मेंट्स के मैं सुबह तक कैसे रहूंगी ? लेकिन मेरे पास कोई चारा नही था, मुझे अंडरगार्मेंट्स उतारकर स्टरलाइज होने के लिए देने ही थे. आश्रम के मर्दों के सामने बिना ब्रा पैंटी के मैं कैसे रहूंगी सुबह तक. मुझे दीक्षा लेने भी जाना था और आश्रम के सभी मर्द जानते होंगे की मेरे अंडरगार्मेंट्स स्टरलाइज होने गये हैं और मैं अंदर से कुछ भी नही पहनी हूँ.
“ठीक है , आप कुछ देर बाद आओ , तब तक मैं उतार के दे दूँगी.”
समीर – आप फिकर मत करो मैडम . मैं यही वेट करता हूँ. इनको उतारने में क्या टाइम लगना है …”
“ठीक है , जैसी आपकी मर्ज़ी….” कहकर मैं बाथरूम में चली गयी. समीर कमरे में ही खड़ा रहा.
बाथरूम का दरवाज़ा ऊपर से खुला था , मतलब छत और दरवाज़े के बीच कुछ गैप था. मैं सोचने लगी अब ये क्या मामला है ? मुझे कपड़े लटकाने के लिए बाथरूम में एक भी हुक नही दिखा तब मुझे समझ में आया की कपड़े दरवाज़े के ऊपर डालने पड़ेंगे इसीलिए ये गैप छोड़ा गया है. लेकिन कमरे में तो समीर खड़ा था , जो भी कपड़े मैं दरवाज़े के ऊपर डालती सब उसको दिख जाते . इससे उसको पता चलते रहता की क्या क्या कपड़े मैंने उतार दिए हैं और किस हद तक मैं नंगी हो गयी हूँ. इस ख्याल से मुझे पसीना आ गया. फिर मुझे लगा की मैं कुछ ज़्यादा ही सोच रही हूँ , ये लोग तो गुरुजी के शिष्य हैं सांसारिक मोहमाया से तो ऊपर होंगे.
अब मैंने दरवाज़े की तरफ मुँह किया और अपनी साड़ी उतार दी और दरवाज़े के ऊपर डाल दी. फिर मैं अपने पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगी. पेटीकोट उतारकर मैंने साड़ी के ऊपर लटका दिया. बाथरूम के बड़े से मिरर पर मेरी नज़र पड़ी , मैंने दिखा छोटी सी पैंटी में मेरे बड़े बड़े नितंब ढक कम रहे थे और दिख ज़्यादा रहे थे. असल में पैंटी नितंबों के बीच की दरार की तरफ सिकुड जाती थी इसलिए नितंब खुले खुले से दिखते थे. उस बड़े से मिरर में अपने को सिर्फ़ ब्लाउज और पैंटी में देखकर मुझे खुद ही शरम आई. फिर मैंने पैंटी उतार दी और उसे दरवाज़े के ऊपर रखने लगी तभी मुझे ध्यान आया , कमरे में तो समीर खड़ा है. अगर वो मेरी पैंटी देखेगा तो समझ जाएगा मैं नंगी हो गयी हूँ. मैंने पैंटी को फर्श में एक सूखी जगह पर रख दिया.
फिर मैंने अपने ब्लाउज के बटन खोलने शुरू किए. और फिर ब्रा उतार दी . समीर दरवाज़े से कुछ ही फीट की दूरी पर खड़ा था और मैं अंदर बिल्कुल नंगी थी. मैं शरम से लाल हो गयी और मेरी चूत गीली हो गयी. मेरे हाथ में ब्लाउज और ब्रा थी , मैंने देखा ब्लाउज का कांख वाला हिस्सा पसीने से भीगा हुआ है . ब्रा के कप भी पसीने से गीले थे. फिर मैंने दरवाज़े के ऊपर ब्लाउज डाल दिया. फर्श से पैंटी उठाकर देखी तो उसमें भी कुछ गीले धब्बे थे. मैं सोचने लगी ऐसे कैसे दे दूं ब्रा पैंटी समीर को , वो क्या सोचेगा . पहले धो देती हूँ.
तभी कमरे से समीर की आवाज़ आई ,”मैडम , ये आपके उतारे हुए कपड़े मैं धोने ले जाऊँ? आप नये वाले पहन लेना. पसीने से आपके कपड़े गीले हो गये होंगे.”
वो आवाज़ इतनी नज़दीक से आई थी की जैसे मेरे पीछे खड़ा हो. घबराकर मैंने जल्दी से टॉवेल लपेटकर अपने नंगे बदन को ढक लिया. वो दरवाज़े के बिल्कुल पास खड़ा होगा और दरवाज़े के ऊपर डाले हुए मेरे कपड़ों को देख रहा होगा. दरवाज़ा बंद होने से मैं सेफ थी लेकिन फिर भी मुझे घबराहट महसूस हो रही थी.
“नही नही, ये ठीक हैं.” मैंने कमज़ोर सी आवाज़ में जवाब दिया.
समीर – अरे क्या ठीक हैं मैडम. नये कपड़ों में आप फ्रेश महसूस करोगी. और हाँ मैडम , आप अभी मत नहाना , क्यूंकी दीक्षा के समय आपको नहाना पड़ेगा.


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