11-01-2021, 05:43 PM
रिश्तेदार की शादी में बहन की चुदाई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Incest रिश्तेदार की शादी में बहन की चुदाई
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11-01-2021, 05:43 PM
रिश्तेदार की शादी में बहन की चुदाई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-01-2021, 05:45 PM
ह कहानी एक महीने पहले की है, जब हमारा पूरा परिवार गांव में एक शादी में शामिल होने के लिए गया था. वहां पर मेरी खाला (मां की बहन) के परिवार के लोग भी आए हुए थे. उनके साथ में उनकी लड़की जोकि मेरी ही उम्र की है, वो भी आयी थी. उसका नाम शबनम (बदला हुआ) था.
शबनम दिखने में कोई बहुत ज्यादा खूबसूरत तो नहीं थी, पर उसका बदन बड़ा ही खूबसूरत और मादक था. जब मैंने उसे पहली बार देखा, तो मुझे उसके चेहरे को देख कर तो कुछ भी नहीं हुआ. मैं बस यूं ही खाला से बात करने लगा. शबनम पास में ही खड़ी थी. तभी उसका दुपट्टा सरक गया और उसी पल मेरी निगाहें उसके मम्मों पर चली गईं. उसके चूचे वास्तव में बड़े मस्त थे. शबनम ने जो सूट पहना हुआ था, उसकी कुर्ती का गला कुछ ज्यादा ही गहरा था. जिस वजह से मुझे उसके भरे हुए मम्मों की दरार दिख गई. उसने मेरी नजरें अपने मम्मों को देखते हुए देखीं, उसने झट से अपना दुपट्टा सही कर लिया. मैंने भी उनकी चूचियों से निगाहें हटा लीं. हालांकि मैंने तो अब तक ये सोचा ही नहीं था कि इसे चोद पाऊंगा. पर उस दिन मेरी किस्मत में शायद यही लिखा था. उस दिन शबनम ने जो दुपट्टा गिराया था, वो कोई संयोग से गिरा था या उसकी ही मर्जी से दुपट्टा उसके मम्मों से हटा था, ये मैं समझ नहीं पा रहा था. इस घटना के बाद से मैं उसको कुछ ज्यादा ही घूरने लगा था और वो भी मेरे साथ बात करने का एक भी मौक़ा नहीं छोड़ रही थी. शायद उसे मुझसे कुछ मिलने की उम्मीद हो गई थी. शादी में हम सभी ने बहुत मस्ती की. शादी में जब हम लोग डांस कर रहे थे, तब मेरी बहन शबनम, मुझसे बहुत ही चिपक रही थी. मैंने उसे ज्यादा भाव नहीं दिया और शादी में अपनी मस्ती में लगा रहा. देर रात में शादी के बाद दुल्हन को विदा किया गया. विदाई के बाद हम सब घर पर आ गए. रात काफी हो चुकी थी, तो मैं एक कमरे में आया. उधर कोई नहीं था. मैं सीधा बिस्तर पर लेट गया. कुछ ही मिनट हुए होंगे कि उधर मेरी बहन शबनम भी आ गई. मुझे लेटा देख कर वो मेरे बगल में बैठ गई. थोड़ी देर शांत रहने के बाद मैंने ही उससे पूछा- कैसी रही शादी? उसने मेरी तरफ देखा और कहा- क्यों तुम शादी में नहीं थे क्या? जो मुझसे पूछ रहे हो? मैंने कहा- मैं था तो … पर मेरा ध्यान कहीं और था. शबनम- अच्छा … कहां ध्यान था तुम्हारा? कहीं किसी को पटाने के चक्कर में तो नहीं थे न! मैं- नहीं यार … पटाता किसे … तुमसे ज्यादा खूबसूरत कोई लगी ही नहीं. शबनम- अच्छा जी … अब कोई और मिला नहीं क्या … जो मुझ पर डोरे डाल रहे हो? मैं- मिला होता, तो अभी उसके साथ होता … तुम्हारे साथ नहीं. शबनम- अच्छा..! क्या करते उसके साथ रह कर? मैं- वही, जो आज शादी की रात को होने वाला है. दोनों पति पत्नी के बीच में.. शबनम- अच्छा मतलब तुम्हें पता है … क्या होता है शादी की पहली रात को? मैं- हां … क्यों तुम्हें नहीं पता है क्या … कहो तो बता देता हूं. शबनम- अच्छा जी, अब अपनी बहन को ही सिखाओगे. मैं- मैं तुम्हें क्या सिखा सकता हूँ … तुम्हारी बात से लग रहा है कि तुम सीखी सिखाई हो. शबनम एकदम से मुझे मारने को हुई. मैं हंसता हुआ एक तरफ सरक गया और वो मेरे पहलू में गिर गई. वो आधी उठते हुए बोली- तुम्हें मालूम भी है कि आज क्या होता है? मैं- इसका मतलब तुम्हें पता है कि आज रात में क्या होता है. तुम तो सीखी हो ही ना. शबनम मुस्कुराते हुए बोली- हां मुझे पता तो है … पर सीखी से क्या मतलब है … मैंने कभी कुछ किया ही नहीं है. मैं- तो करना है? यदि करना हो तो बताओ … तुम्हारी वो इच्छा भी पूरी कर सकता हूँ. शबनम ने मेरे पहलू में लेटते हुए कहा- करने का मन तो है … पर मैंने सुना है … उसमें बहुत दर्द होता है. मैंने उसे अपनी तरफ आने की जगह देते हुए कहा- तुम फ़िक्र मत करो, मैं बहुत आराम से करूँगा. शबनम ने मेरे चेहरे पर अपनी एक उंगली फिराते हुए कहा- पर किसी को पता चल गया तो? मैंने भी उसकी बांह को सहलाते हुए कहा- क्यों तुम किसी को बताने वाली हो क्या? शबनम- मेरे चेहरे पर अपनी गरम सांस छोड़ते हुए बोली- ना जी ना … मैं क्यों किसी को बताने जाउंगी … मरना है क्या मुझे. मैंने उसे थामा और कुछ इस तरह से मसला कि उसकी कसक महसूस होने लगी. मैंने कहा- तो फिर बाहर देख कर आओ … सब सो गए क्या … या नहीं … और आते समय कुण्डी लगा कर आना. वो बिना कुछ बोले उठी और सीधा बाहर निकल गई. तकरीबन 5 मिनट में पूरे घर का चक्कर लगा कर वापस आ गई. कमरे में आते ही उसने दरवाजा बंद कर दिया और मेरे साथ बिस्तर पर आ गई. मैं- क्या हुआ? कोई जाग रहा है क्या? शबनम- नहीं शादी में सब काफी थक चुके थे, तो सब सो गए हैं. मैं- तो देर किस बात की है … शुरू करें? मेरे इतना कहते ही शबनम मेरे गले से लग गई और मुझे चूमने लगी. उसके पतले होंठ मुझे बहुत ही मुलायम लग रहे थे. कुछ देर चूमने के बाद मैंने उसकी गांड पर हाथ फिराने लगा. असल में मैंने कभी सेक्स नहीं किया था. उसकी गांड पर हाथ लगाते ही वो मुझसे दूर हो गई और मेरी आंख में देख कर मुस्कुरा दी. मैंने उसे आंख मारी तो वो मुझे फिर से चूमने लगी. मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी. उसने लहंगा चोली पहनी थी. मैंने भी धीरे से उसकी चोली की डोरी खोल दी और उसे अपने नीचे लिटा कर उसका ब्लाउज उतार दिया. चोली हटते ही उसकी ब्रा में कैद उसके दोनों मम्मे मेरी निगाहों से खेलने लगे. मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी. उसके उभरे हुआ स्तनों को देख कर मेरे तो होश उड़ गए. इतने सख्त और गोल थे कि मानो दूध से भरे हुए हों. उसके मम्मों के ऊपर डार्क काले कड़क निप्पल उन पर चार चांद लगा रहे थे. मैंने कड़क निप्पल देखते ही एक को अपने मुँह में भर लिया और दूसरा निप्पल मय चूचे के हाथ से मसलने लगा. मुँह से निप्पल लगाते ही उसके मुँह से एक लंबी ‘अहह’ निकल गई. दो मिनट निप्पल चूसने के बाद मैं उठा और सीधा उसके लहंगे का नाड़ा खोल कर खींचते हुए निकाल दिया. उसकी चिकनी टांगों के बीच में त्रिभुज जैसे छोटी सी पैंटी के अन्दर उसकी फूली सी चुत छिपी थी. मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ लगाया, तो उसने अपनी कमर उठा दी और गर्दन टेड़ी करके एक और आह. … भरी और उसकी सांसें तेज होने लगीं. उसकी ये हालत देख कर में मैंने उसकी बुर से हाथ हटा लिया. चुत से हाथ हटाते ही उसने मेरी तरफ देखा और कहा- मुझे तो नंगी कर दिया … अब अपने भी कपड़े उतारो न. मैंने हंसते हुए उसकी चूची को मसला और कहा- साफ़ क्यों नहीं कहती मेरी जान कि लंड दिखाओ. वो मेरे सीने पर मुक्का मारने लगी और हंसते हुए उसने हामी भर दी. मैंने- हामी भरने से काम नहीं चलेगा. मुँह से कहना पड़ेगा. उसने कहा हां देखना है. मैंने कहा- क्या देखना है. वो मुँह ढकते हुए बोली- लंड देखना है. मैं एकदम से खड़ा हो गया और जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े निकाल कर सिर्फ चड्डी में उसके सामने बैठ गया. उसने कहा- ये क्या? अपनी चड्डी तो उतारो? मैंने कहा- तुम्हीं उतार दो. इतना सुनना था कि उसने मेरी चड्डी पर हाथ रख कर कहा- हाय … आज तो मेरी चूत फटने वाली लगती है. ये कहते हुए उसने मेरी चड्डी उतार दी. मेरा 7 इंच लंबा … और 2 इंच मोटा लंड देख कर बोली- मां कसम … यार इतना बड़ा … मुझे लगा था कि 5 इंच होगा … पर तुम्हारा तो बहुत बड़ा है. मैंने कहा- हां ये मेरा ही लंड है किसी घोड़े का नहीं है. अब जल्दी से चूस कर इसे टाईट कर दो. उसने झट से मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी. लंड चूसने से मैं तो मानो जन्नत में था. मुझे और बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने उससे कहा- अब सीधी लेट जा, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है. मुझे चूत चोदने दे. वो भी गर्म थी … झट से सीधी लेट गई और टांगें चौड़ी करते हुए बोली- प्लीज़ भाई धीरे करना … वरना दर्द बहुत होगा. मैंने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और उसकी पेंटी उतार दी. मैंने जब उसकी चूत देखी, तो वो बहुत ही काली थी और उस पर काफी बाल थे. मैंने इस सबसे दिमाग लगाना छोड़ा और अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगा कर उसकी चूत पर सुपारा रख दिया. उसने सुपारे की गर्मी को महसूस किया, तो एक मादक सिसकारी भरी. मैंने एक पल के लिए उसके चेहरे की ओर देखा, तो वो आंख बंद किए हुए बस लंड का इंतज़ार कर रही थी. मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर एक जोरदार झटका दे मारा. मेरा आधा लंड उसकी चूत में उतरता चला गया. उसकी आंखों में दर्द से आंसू निकल आए, वो चीखना चाहती थी. मगर मैंने होंठ दबा रखे थे, इस वजह से वो चिल्ला ही नहीं पाई. लेकिन उसकी कसमसाहट इतनी अधिक थी कि यदि मैं उसको जकड़े हुए न होता, तो वो मुझसे छूट जाती. मैंने अपना आधा लंड कुछ मिनट तक उसकी चूत में रोके रखा. उसके बाद देखा कि वो कोई तरह की प्रक्रिया नहीं कर रही है … तो मैंने धीरे से अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश की. उसने फिर से एक आह भरी. मैं रुक गया और दुबारा से एक धक्का दे मारा. मेरा 6 इंच लंड उसकी चूत में घुस गया था. उसने गूं गूं करते हुए इशारे से कहा- बस … और इससे ज्यादा नहीं वरना मर जाउंगी. मैंने कुछ नहीं कहा … बस लंड अन्दर बाहर करने लगा. इस बीच मेरे होंठ उसके मुँह से हट गए थे और उसकी दर्द भरी कराहें निकलना शुरू हो गई थीं. वो मुझसे धीरे करने की कहे जा रही थी. मगर मैं अपनी मस्ती में उसकी कुंवारी बुर फाड़ने में लगा हुआ था. पांच मिनट बाद उसने गांड उठाते हुए मेरा साथ देना शुरू कर दिया. अब उसने कहा- आह … थोड़ा जोर से करो. मजा आ रहा है. मैंने धक्के तेज कर दिए. अगले आठ दस मिनट तक उसकी टाइट चूट मारते मारते मैंने उससे कहा- अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ. उसने अपना सर हां में हिला दिया. मैंने बिना लंड निकाले, उसे अपने ऊपर लिया और अब वो मेरे ऊपर आ गई थी. वो मेरे लंड पर उछल उछल कर चुदने लगी. मैं उसके दूध चूसता हुआ अपनी गांड उठा उठा कर उसकी बुर को भोसड़ा बनाने में लगा हुआ था. ऐसे ही हम लोगों में कोई बीस मिनट तक चुदाई चलती रही. मैं जब झड़ने को हुआ, तो मैंने उससे बोला- मेरा निकलने वाला है. उसने कहा- मेरे अन्दर ही निकाल दो. इतना सुनते ही मेरा रस निकल गया और वो भी साथ ही में झड़ गई. चुदाई के बाद 10 मिनट तक हम लोग शांत रहे और चिपक कर लेटे रहे. मैंने उससे पूछा- मैंने तुम्हारे अन्दर अपना रस गिरा दिया है, कहीं तुम पेट से हो गई तो? उसने कहा कि तुम फ़िक्र मत करो … मैं आईपिल ले लूंगी. मैंने उससे पूछा- तुमने तो कभी सेक्स किया नहीं था … फिर तुम्हें ये सब कैसे पता? उसने कहा कि मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सारी हिंदी सेक्स कहानी पढ़ी हैं और पोर्न भी देखी है … तो मुझे पता है. मैंने कुछ नहीं कहा. दस मिनट बाद हमने फिर से एक बार सेक्स किया और सो गए. (11-01-2021, 05:43 PM)neerathemall Wrote: जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-01-2021, 05:45 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-01-2021, 05:45 PM
शादी में मौसी की लड़की की चूत चुदाई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-01-2021, 05:46 PM
यह घटना आज से करीब दो साल पहले हुई थी. उस वक्त मैं एक शादी में गया था जहां पर मैं अपनी मौसी की लड़की से मिला.
इस हिन्दी सेक्स स्टोरी को आगे बढ़ाने से पहले में आपको अपने बारे में कुछ बताना चाहता हूं. मेरा नाम शरद है और मैं बिलासपुर, छत्तीसगढ़ का रहने वाला हूं. मेरी हाइट 5 फीट 5 इंच है. रंग गेहुंआ है और शरीर सामान्य है. मेरी रीयल सेक्स स्टोरी उस वक्त घटित हुई जब मैं एक दूर के रिश्तेदार की शादी में गया हुआ था. उस वक्त मैं कॉलेज में अपने द्वितीय वर्ष के एग्जाम देकर शादी में गया था. शादी में मेरी मौसी की लड़की भी आई हुई थी जिसका नाम था श्वेता. श्वेता अपने कॉलेज के फर्स्ट इयर में पढ़ रही थी. उसकी उम्र 20 के करीब थी और उसकी हाइट लगभग 5’ 2″ रही होगी. मैंने उसके बदन को देखा तो वो काफी हॉट लग रही थी. उसका साइज 34-26-36 का था. शरीर का रंग गेहुंआ था मगर देखने में सेक्सी लग रही थी. शादी वाले दिन की बात है. आपको तो पता ही है कि शादी में बहुत सारे रिश्तेदार इकट्ठा हो जाते हैं और सबको कहीं न कहीं एडजस्ट करना होता है. सब लोग रात को सोने के लिए जगह देख रहे थे. मैंने अपनी जगह छत पर देख ली थी. गर्मियों के दिन थे और मौसम सुहावना था. मैं छत पर जाकर लेट गया. छत पर काफी रोशनी थी. कुछ देर के बाद श्वेता ऊपर आई. उसको भी कहीं पर सोने के लिए जगह नहीं मिल रही थी. वो मुझसे आकर कहने लगी- शरद, मैं तुम्हारे पास ही सो रही हूं. मुझे कहीं और जगह नहीं दिखाई दे रही है. मैंने कहा- ठीक है. सो जाओ. उसके पास आते ही मेरा पप्पू राजा मेरी पैंट में मुंह उठाने लगा था. श्वेता ने अपनी नाइट ड्रेस पहन रखी थी जो उसके बदन से बिल्कुल चिपकी हुई थी. वैसे तो हम दोनों में काफी खुले तौर पर बात हो रही थी लेकिन अभी तक इतने भी नहीं खुले थे कि बात सेक्स तक पहुंच जाये. इससे पहले जब मैं और वो मिले थे तो मुझे मौसी की लड़की की तरफ इतना आकर्षण नहीं हुआ था. मगर आज तो मेरा मूड ऐसा कर रहा था कि उसकी चूचियों को मसल ही दूं. मेरा लंड मेरी पैंट को फाड़ने के लिए उतारू था. एक कारण यह भी था कि इससे पहले श्वेता कभी मेरे इतने करीब नहीं आई थी. वो मेरे पास ही आकर लेट गई. कुछ देर तक हम दोनों में इधर-उधर की बातें होती रहीं. उसने बताया कि उसके कॉलेज के एग्जाम महीने भर बाद शुरू होने वाले हैं. मैंने उससे पूछा कि तुम यहां पर क्यों सो रही हो. उसने बताया कि नीचे सब जगह हाउस फुल हो गया. यही सवाल उसने मुझसे किया तो मैंने भी कह दिया कि जिस तरह तुम्हें जगह नहीं मिली, उसी तरह मुझे भी नीचे सोने की नहीं मिली. वो बोली- तो एक बार दोबारा से ट्राई करते हैं. क्या पता नीचे सोने की जगह मिल जाये! यहां पर बहुत मच्छर हैं. रात को नींद नहीं आयेगी. उसकी बात मुझे सही लगी. मैं भी उसके साथ चलने के लिए तैयार हो गया. हम नीचे दूसरे कमरे में गये, जहां सामान भरा हुआ था. उस कमरे में थोड़ी सी जगह दिख रही थी कि एक व्यक्ति लेट सके. वहां पर कुछ फालतू गद्दे चादर वगैरा भी पड़े थे. मैंने उससे कहा कि तुम्हारे लिये तो जगह मिल गई है. तुम तो यहाँ जमीन पर बिस्तर बिछा कर सो जाओ. इतना बोल कर मैं जाने लगा तो वो बोली- फिर तुम कहां पर जा रहे हो? मैंने कहा- मैं वापस छत पर चला जाता हूं. यहां पर एक ही के सोने की जगह दिखाई दे रही है. वो बोली- अरे अब रात के 1 बज गये हैं. थोड़ी ही देर की तो बात है. मेरे साथ ही लेट जाओ. हम दोनों यहीं पर एडजस्ट कर लेंगे. उसकी बात सुन कर मेरे मन में भी हवस सी जाग गई. सोचने लगा कि शायद किस्मत भी यही चाहती है. इसलिए मैं उसकी बात पर सहमत हो गया. जगह बहुत कम थी और हम दोनों का चेहरा आमने-सामने था. उसको सहज नहीं लगा तो वो बोली कि शरद तुम जरा ये लाइट बंद कर दो. मैं भी यही चाह रहा था. मैंने फटाक से उठ कर लाइट ऑफ कर दी. अभी मैं किसी तरह की पहल करने से डर रहा था क्योंकि मुझे भरोसा नहीं था कि श्वेता का रिएक्शन क्या होगा. सोचते सोचते मुझे नींद आ गयी. रात को 3 बजे के करीब अचानक से मेरी आंख खुल गई. मैंने देखा कि श्वेता ने अपने पैरों को मेरे पैरों के ऊपर रखा हुआ था. उसकी नाइट ड्रेस जोकि एक गाउन जैसी थी, नीचे से उठ कर उसकी जांघों तक आ गयी थी. उसकी कोमल जांघें देख कर मेरा खुद पर कंट्रोल करना भारी हो गया. धीरे से मैंने अपने हाथ को उसकी कोमल जांघों पर रख दिया. जगह कम होने के कारण हम दोनों लगभग एक दूसरे के साथ सटे हुए थे. कुछ देर तक मैंने अपने हाथ को उसकी कोमल जांघ पर ऐसे ही रखा. मेरे लंड का तन कर बुरा हाल होने लगा. अब मैंने उसके गाऊन को धीरे से ऊपर खिसका लिया. उसकी कमर तक ले गया मैं उसके गाऊन को. उसकी कमर पर हाथ ले जाकर मैंने हाथ को वहीं पर रख दिया. मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि मैं अपनी कोशिश में कामयाब हो रहा हूं. साथ ही इस बात की खुशी भी थी कि उसकी तरफ से कोई विरोध नहीं हो रहा था. श्वेता अब धीरे से मेरे बदन के और करीब आ गयी और मेरे बदन के साथ चिपकने लगी. हम दोनों इतने पास आ गये कि उसका चेहरा मेरे चेहरे के करीब आ गया. मुझे उसकी सांसें अपने चेहरे पर महसूस होने लगीं. हमारे होंठ एक दूसरे के नजदीक थे. मगर अचानक ही उसकी नींद खुली और उसने मेरे हाथों को अपने बदन से अलग कर दिया. वो उठ गयी और बाथरूम की तरफ जाने लगी. मैं सोने का नाटक करने लगा. कुछ देर के बाद वो आयी और दोबारा से मेरे पास आकर लेट गयी. मैं अभी भी आंखें बंद करके लेटा हुआ था. मेरी गांड फट रही थी कि कहीं इसको मेरी हरकत का बुरा न लग गया हो. मैं ऐसे ही लेटा रहा. फिर कुछ देर के बाद उसका हाथ मेरे सीने पर आ गया. अब मेरी जान में जान आयी. मैंने सोचा कि वो सो रही है. दोबारा से कोशिश करते हुए मैंने उसके गाऊन में हाथ डाला और अपने हाथों को उसके बूब्स तक ले गया. मेरे हाथ उसके बूब्स को छूने लगे. मेरा लंड एकदम से उछलने लगा. उसकी टाइट चूचियों को छूने से ही मेरा 6 इंच का लंड फनफना उठा. मेरी वासना बढ़ रही थी और साथ ही हिम्मत भी. मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी चूत पर रख कर देखा. अब तो मुझसे किसी हाल में भी रहा न गया. मैंने उसकी चूत पर हाथ रख कर उसकी चूत को धीरे से सहलाना चालू कर दिया. वैसे सभी लोग सो रहे थे, फिर भी मुझे थोड़ा सा डर लग रहा था कि किसी ने देख लिया तो मुसीबत हो जायेगी. फिर भी वासना के वश होकर मैं उसकी चूत को सहलाता रहा. कुछ देर के बाद मुझे उसकी चूत में कुछ गीला सा लगने लगा. मौसी की लड़की की चूत से पानी बहना शुरू हो गया था. उसकी चूत चिकनी हो चली थी. नंगी चूत पर हाथ फिराते हुए मुझे इतना मजा आ रहा था कि मेरे लिए अब यहीं पर ही रुक जाना संभव नहीं था. जब मुझसे बर्दाश्त न हुआ तो मैंने सोचा कि जो होगा देखा जायेगा. मैंने उसको अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों को चूसने लगा. मगर हैरानी की बात थी कि वो मेरा साथ देने लगी. जिस तरह से मैं उसके होंठों के लिए प्यासा था वो भी मेरे होंठों को वैसे ही चूस रही थी. कुछ देर तक हम एक दूसरे के होंठों का रस पीते रहे. फिर उसने खुद ही मेरी पैंट की तरफ हाथ बढ़ा दिया. मेरी चेन को खोल कर हाथ को अंदर डाल दिया. उसका हाथ सीधा मेरे लंड पर जा लगा. उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको दबाने लगी. मैं पागल सा हो उठा. उसके होंठों को काटने लगा. उसकी चूचियों को जोर से दबाने लगा. श्वेता ने मेरे अंडरवियर में हाथ डाल कर मेरे लंड को अपने हाथ में भर लिया. वो मेरे लंड को अपने हाथ से आगे पीछे करने लगी. मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी और वो मेरे होंठों जोर से काटने लगी. जब उससे भी रहा न गया तो वो धीरे से मेरे कान में सिसकारते हुए बोली- बस शरद, अब मेरी चूत में अपना हथियार डाल दो! मैंने अपनी पैंट को खोल कर थोड़ा नीचे किया और अपने लंड को अंडरवियर के ऊपर से बाहर कर लिया. मैंने अंडरवियर को हल्का सा नीचे किया और श्वेता की चूत पर लंड को लगा दिया. मैं उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा. अब मैं भी उसकी चूत को चोदने के लिए मरा जा रहा था. मैंने उसकी चूत में लंड को रखा और एक ही धक्के में पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया. वो दबी आवाज में कराहने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आराम से यार … दर्द हो रहा है. उसकी चूत के दर्द को ध्यान में रखते हुए मैं वहीं पर रुका रहा. तब तक मैं उसके होंठों को पीता रहा. कुछ देर के बाद फिर मैंने लंड की हरकत उसकी चूत में करनी शुरू कर दी. अब मैंने लंड को थोड़ा बाहर खींचा. शिश्न को उसकी चूत के अंदर ही रख कर एक धक्का फिर से मारा. लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में घुसा दिया और उसके होंठों को चूसने लगा. अब मैंने लंड को उसकी चूत में आगे पीछे करना शुरू कर दिया. दो मिनट के बाद उसकी चूत खुद ब खुद मेरे लंड की तरफ उठ कर आने लगी. उसको मजा आने लगा था. मैंने उसकी चूत की चुदाई चालू रखी और वो भी मेरे लंड को चूत में लेकर मजे लेती रही. 15 मिनट तक मैंने उसकी चूत को चोदा और जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने पूरा जोर लगा कर उसकी चूत में लंड को घुसेड़ते हुए धक्के लगाना शुरू कर दिया. वो झड़ने लगी और उसके कुछ अन्तराल पर ही मेरे लंड से भी वीर्य निकल पड़ा. मैंने पूरा का पूरा वीर्य उसकी चूत में झाड़ दिया. अब हम दोनों की आंखों में नींद नहीं थी. हम एक दूसरे के होंठों को पीते रहे. मैं उसकी चूचियों को दबाता रहा. उनसे खेलता रहा. एक घंटे के बाद दोनों ही चुदाई के मूड में आ गये. उस रात को हमने चुदाई का दूसरा राउंड भी किया जिसमें मैंने 20 मिनट तक अपनी मौसी की लड़की की चूत को चोदा. फिर सुबह हो गई और कुछ आहट सी होने लगी तो हम लोग अलग होकर विपरीत दिशा में मुंह करके लेट गये. मौसी की लड़की की चूत मुझे इस तरह से अचानक ही मिलेगी मुझे इसका यकीन नहीं हो रहा था. शादी के दौरान मैंने उसको अपना लंड भी चुसवाया. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-01-2021, 05:48 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-01-2021, 05:53 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-01-2021, 05:57 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-01-2021, 06:02 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-01-2021, 06:02 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-01-2021, 06:02 PM
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भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-01-2021, 06:02 PM
https://..'s/1453886
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-01-2021, 06:03 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-01-2021, 06:03 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-01-2021, 06:03 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-01-2021, 06:03 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
24-03-2021, 12:11 AM
Very nice story
26-03-2021, 11:21 AM
this is common now
09-04-2021, 03:29 PM
(11-01-2021, 05:46 PM)neerathemall Wrote: मौसी की लड़की की चूत मुझे इस तरह से अचानक ही मिलेगी मुझे इसका यकीन नहीं हो रहा था. शादी के दौरान मैंने उसको अपना लंड भी चुसवाया. (24-03-2021, 12:11 AM)Rahulk11 Wrote: Very nice story (26-03-2021, 11:21 AM)Shuklashweta816 Wrote: this is common now जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-04-2021, 03:30 PM
छोटी मौसी को देर रात चोदा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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