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बरसात में भाई के साथ
#1
बरसात में भाई के साथ
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मेरा नाम रवीना है और मेरी उम्र 22 है। इस साईट पर यह मेरी पहली कहानी है.. लेकिन मैंने इस साईट पर बहुत सी सेक्सी कहानियाँ पढ़ी है। दोस्तों आम तौर पर सब लोग यही मानते है कि सेक्स को लेकर लड़को में बहुत जोश होता है। यह बात एकदम सही है.. लेकिन यह बात भी मान लीजिए कि लडकियों में भी सेक्स को लेकर उतना ही जोश होता है। पर हम लड़को को पता नहीं लगने देते। मेरी सभी दोस्त इस साईट की कहानियों को पढ़कर बहुत मज़े लेती है। आज में आप सभी से जो कहानी शेयर कर रही हूँ.. इससे बस यही साबित होता है कि एक लड़का और एक लड़की के बीच सिर्फ़ एक ही रिश्ता हो सकता है और वो आप सभी जानते होंगे.. लीजिए में अपनी कहानी पर आती हूँ। दोस्तों यह पिछले साल बरसात के दिनों की बात है। हमारे कॉलेज की छुट्टी हुई और अचानक मौसम खराब हो गया और जोरों से बारिश होने लगी। में कुछ देर तो कॉलेज में रुकी और एक घंटे तक में वहाँ पर खड़ी रही.. लेकिन बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी और अब धीरे धीरे रात भी होने को थी.. तो में बारिश में भीगते भीगते अपने घर पर आ गयी।
घर पर पहुंचते पहुंचते मुझे 7 बज गए थे और बहुत अंधेरा भी हो चुका था और उस समय घर पर लाईट भी नहीं आ रही थी। मैंने दरवाजा बजाया तो मेरा छोटा भाई वरुण दरवाजे पर आया और उसने दरवाजा खोला.. वो मुझसे दो साल छोटा था।
वरुण : आप तो बिल्कुल भींग गई हो
में : तो में क्या करती रेनकोट ले जाना भूल गई थी.. क्या तू एक काम करेगा?
वरुण : हाँ दीदी।
में : तू मेरे लिए चाय बना दे.. मुझे बहुत ठंड लग रही है।
वरुण : ठीक है.. में अभी बनाकर लाता हूँ।
फिर में अपने कमरे में चली गई.. बाहर मौसम अब ठीक हो चुका था.. लेकिन हवा तेज़ चल रही थी और में मोमबत्ती जलाकर अपने रूम तक गयी.. लेकिन रूम तक जाते जाते मोमबत्ती बुझ गई और फिर में बाथरूम में कपड़े चेंज करने गई और मैंने एक एक करके अपने सारे कपड़े उतार दिए। तभी मुझे याद आया कि मैंने टावल तो लिया ही नहीं.. तो मैंने बाथरूम के दरवाजे को हल्का सा खोला और देखा कि ज्यादा अंधेरे में बाहर कुछ भी नहीं दिख रहा था। फिर में धीरे धीरे अलमारी की तरफ जाने लगी जो कि दरवाजे के बिल्कुल पास थी और में अलमीरा के पास पहुंच गई थी.. तभी अचानक तेज लाईट के कारण मेरी आखें बंद हो गयी.. लेकिन जब मैंने आंखे खोली तो में सहम गई.. मेरा भाई मेरे सामने खड़ा है एक हाथ में चाय का कप और दूसरे में बुझी हुई मोमबत्ती लेकर। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि में क्या करूं और वो मेरे 34 साईज के बूब्स को तो कभी मेरी नंगी चूत को देख रहा था.. मानो जैसे उसकी लाटरी लग गयी हो। मैंने एक हाथ से चूत और एक हाथ से बूब्स को छुपा लिया और उसे डाटते हुए बोली कि वरुण हट जा और फिर में दौड़ते हुए बाथरूम में चली गई।
वरुण : सॉरी दीदी.. ( वो चाय लाया था ) मुझे माफ़ करना वो मोमबत्ती हवा से बुझ गई और में यह चाय टेबल पर रख देता हूँ और फिर वो चला गया.. लेकिन पता नहीं क्यों मुझे गुस्सा सा आ रहा था? फिर मैंने सोचा कि इसमें उसकी क्या ग़लती थी। में भी तो जवान हूँ बहुत खूबसूरत हूँ भला 34 इंच के बूब्स गोरा रंग 26 इंच की कमर 34 इंच की गांड को देखकर कोई भी पागल हो सकता है। फिर ऐसे ही मैंने अपने आप को कांच में देखा.. में सच में क़यामत लग रही थी तो मैंने चूत के भीगे बालों पर हल्का हल्का हाथ फेरा तो मुझे बहुत मज़ा आने लगा। फिर मैंने सलवार सूट पहन लिया और फिर में किचन में आ गयी.. लेकिन में अपने भाई से आंख भी नहीं मिला पा रही थी और उसे बार बार अनदेखा कर रही थी और वो भी बहुत उत्सुकता महसूस कर रहा था। फिर मैंने ही आगे होकर उससे बात शुरू की..
में : क्या पापा ऑफिस गए है?
वरुण : हाँ उनका नाईट शिफ्ट है और वो कल सुबह आएँगे.. लेकिन सॉरी दीदी वो में आपके कमरे में।
में : कोई बात नहीं.. कभी कभी हो जाता है और उसमें तुम्हारी कोई ग़लती नहीं थी.. लेकिन अब तुम आगे से ध्यान रखना ठीक है और अब भूख लगी है तो चलो किचन में खाना बना लेते है।
वरुण : हाँ ठीक है दीदी।
दोस्तों मेरे परिवार में हम तीन लोग ही रहते थे। इसलिए घर का सभी काम हम लोग मिल बाँटकर करते थे.. फिर हम इधर उधर की बातें करते करते खाना बनाने लगे। तभी अचानक से मेरी गांड वरुण से टकरा गयी और मुझे कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ? तो मैंने पीछे मुड़कर देखा तो उसके पजामे में उसका लंड तंबू बनकर खड़ा हुआ है। लेकिन इस बात से वो बिल्कुल अंजान होने की कोशिश कर रहा था। तो मैंने भी अनदेखा कर दिया.. तो इससे उसकी हिम्मत और बढ़ गई और कुछ देर के बाद उसने फिर से मेरी गांड में अपना लंड सटाया। फिर में कुछ दूर जाकर खड़ी हो गयी.. वो भी मेरे और करीब आ गया। तभी मैंने गौर किया कि वो मेरे बूब्स को अपनी तिरछी तिरछी निगाहों से देख रहा था.. क्योंकि मैंने दुपट्टा हटा रखा था तो मेरे बूब्स का पूरा आकार साफ साफ नज़र आ रहा था। फिर कुछ देर में खाना बनकर तैयार हो गया और फिर हम करीब 9 बजे खाना खाने बैठे.. हम टीवी देखकर खाना खा रहे थे तो अचानक उसने मुझसे पूछा कि..
वरुण : दीदी क्या आपसे एक बात कहूँ?
में : हाँ क्यों नहीं.. बोलो ना।
वरुण : आप बहुत सुंदर हो।
उसकी आवाज़ आज मुझे कुछ अलग सी लग रही थी।
वरुण : वो आज आपको बिना कपड़ो के देखा तो मुझे पता चला कि आप कितनी सुंदर हो?
में : अपनी बकवास बंद कर नहीं तो में एक थप्पड़ लगाऊँगी और चुपचाप खाना खा।
फिर वो कुछ नहीं बोला और हम खाना खाकर टीवी देखने लगे करीब आधे घंटे बाद मैंने उससे चेनल चेंज करने को कहा.. क्योंकि मुझे सीरियल देखना था.. लेकिन उसने साफ साफ मना कर दिया और वो टीवी देखने लगा रिमोट उसके पास में था। तो मैंने झटके से रिमोट उठा लिया और चेनल चेंज कर दिया और रिमोट सोफे पर रखकर उस पर बैठ गयी।
वरुण : रिमोट मुझे देती है या नहीं।
में : नहीं दूँगी।
वरुण : प्लीज़ दो ना मुझे टीवी पर कुछ देखना है।
में : में नहीं दे रही और तुम्हें जो करना है कर लो।
दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
कुछ देर वो चुप बैठा फिर अचानक उसने अपने दोनों हाथ मेरी गांड पर रख दिया और मुझे अपनी तरफ खींच लिया में बहुत हैरान थी और में एक झटके में उसकी गोद में आ गई थी। फिर उसने रिमोट ले लिया.. लेकिन मुझे नहीं छोड़ा में अब भी उसकी गोद में ही थी और में उससे छूटने की कोशिश कर रही थी.. उसने मुझे बहुत मजबूती से पकड़ रखा था।
में : वरुण यह क्या कर रहे हो?
वरुण : अभी आपने ही तो कहा था ना जो करना है करो लो।
में : बेशरम आने दो पापा को में तुम्हारी.. मैंने उसकी नाक पर ज़ोर से मारा तो उसने मुझे छोड़ दिया और में जैसे तैसे सोफे से उठी और दुपट्टा लेकर वहाँ से जाने लगी। तभी उसने मुझे पीछे से मेरी कमर को पकड़ कर सोफे पर पटक दिया। मेरी तो चीख निकल गई और उसने बिना समय गवाएं मेरे मुहं पर रुमाल बाँध दिया और फिर मेरे दुपट्टे से मेरे हाथ बाँध दिए। अब मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि में क्या करूं और वो पूरी तरह से पागल हो गया था। में उससे छुटने की पूरी कोशिश कर रही थी और में अपने पैर से उसे दूर कर रही थी। फिर मेरा एक पैर उसके लंड पर जाकर लगा तो वो दर्द के मारे वहीं पर बैठ गया और मुझे मौका मिला.. में सोफे से उठी.. लेकिन उसने मुझे पकड़ लिया और फिर सोफे पर पटक दिया।
वरुण : साली तू बहुत लात चलाती है रुक जा।
में वरुण के मुहं से यह सब सुनकर बहुत हैरान थी और मुझे अपने कानो पर यकीन नहीं हो रहा था। फिर उसने मेरे दोनों पैरों को पकड़कर फैला दिया और वो खुद मेरे ऊपर लेट गया एक हाथ से उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसे नीचे करने लगा और दूसरे हाथ से वो मेरे बूब्स को मसलने लगा। उसने मेरी सलवार को नीचे किया और अपनी पेंट और अंडरवियर को नीचे करके अपना लंड बाहर निकाला लिया। फिर वो मेरी पेंटी में अपना एक हाथ डालकर मेरी चूत को सहलाने लगा और में उससे छूटने की कोशिश कर रही थी। मेरा सर सोफे से नीचे लटक रहा था और में पूरी ताक़त लगाने के बावजूद भी हिल नहीं पा रही थी। उसने मेरी पेंटी को साईड से हटाकर लंड का टोपा मेरी चूत में रख दिया.. में लाचारी से उसकी तरफ देख रही थी। फिर उसने एक ज़ोर का झटका मारा और उसका आधा लंड मेरी चूत में घुस गया.. मेरी तो जान ही निकल गयी। फिर दूसरा झटका दिया और पूरा का पूरा लंड अंदर। अब में दर्द से मरी जा रही थी और मेरी दोनों आँखों से गरम गरम आंसू निकल रहे थे और वो लंड को ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर कर रहा था और अब मैंने विरोध करना बंद कर दिया। वो भी मुझे चोदने का मज़ा लेने लगा.. मैंने अपनी दोनों आखें बंद कर ली.. लेकिन आंसू नहीं रुके.. इतना दर्द मुझे कभी नहीं हुआ।
फिर उसने मेरा कुर्ता खोलना चाहा.. लेकिन मेरे दोनों हाथ बंधे होने के कारण वो सिर्फ़ कंधे तक ही मेरा कुर्ता खोल पाया। वो मेरी गर्दन, कंधे, गाल और पीठ पर किस करता रहा। में लगभग बेहोश हो चुकी थी.. तभी वो बहुत घबरा गया और उसने मेरा मुहं खोल दिया.. लेकिन मैंने कोई हलचल नहीं की। फिर उसने पानी लाकर मेरे मुहं पर मारा तो मुझे थोड़ा होश आया और मैंने उससे कहा कि प्लीज़ मुझे खोल दो तुम्हें जो करना है कर लो.. लेकिन धीरे धीरे। वो बहुत खुश हो गया और मुझे किस करने लगा। फिर उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और उसका लंड 6 इंच का बिल्कुल तना हुआ था और उस पर मेरी चूत का खून लगा हुआ था। तो उसने रुमाल से खून को साफ किया और लंड को मेरे होठों पर रख दिया। मैंने मुहं हटा लिया.. लेकिन उसने दोनों हाथ से मेरे मुहं को पकड़ लिया और कहा कि प्लीज़ ले लो ना.. नहीं तो मुझे फिर से ज़बरदस्ती करनी पड़ेगी। अब मेरे पास कोई और रास्ता भी नहीं था.. मैंने होंठ को हल्के से खोला और उसके लंड के टोपे को मुहं में लिया और फिर में उसके लंड को धीरे धीरे चूसने लगी और उसे धीरे धीरे सहलाने लगी।
फिर दो तीन बार ऐसा करने के बाद उसने मेरे मुहं में पूरा लंड घुसा दिया और अंदर बाहर करने लगा.. उसे तो मानो जन्नत ही मिल गयी हो और तीन मिनट के बाद उसने मुझे सोफे से उठाया और मेरे हाथ खोल दिए और मेरे कपड़े खोलने लगा और देखते ही देखते में बिल्कुल नंगी हो गई। और उसने मेरी चूत के खून को साफ किया। फिर वो सोफे पर बैठ गया और मुझे अपनी गोद में बैठने को बोला.. लेकिन में वहीं पर खड़ी रही। तो उसने मेरा हाथ खींचकर मुझे अपनी गोद में बैठा लिया और फिर उसने मुझे किस करना चाहा.. लेकिन मैंने दूसरी तरफ अपना मुहं मोड़ लिया। फिर वो मेरे बूब्स को चूसने और सहलाने लगा। मेरे मुँह से आहें निकलने लगी। वो कभी बूब्स पर किस करता.. कभी कमर को सहलाता तो कभी मेरी गांड को सहलाता और में कहे जा रही थी अह्ह्ह प्लीज़ वरुण आआहहा आ प्लीज़ नहीं ऐसा मत करो। फिर उसने मौका देखकर अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा.. लेकिन इस बार मुझे दर्द थोड़ा कम हुआ।
फिर करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद उसने एकदम से अपनी स्पीड बढ़ा दी और मेरी कमर को पकड़ कर धक्के देने लगा। फिर कुछ देर बाद वो बहुत थक गया था और शायद उसका वीर्य निकल चुका था और वो अपनी दोनों आंखे बंद करके बस मेरी कमर को सहला रहा था। मेरी सांसे बहुत तेज चल रही थी और मैंने उसकी तरफ देखा और फिर मैंने उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और में खुद अपनी चूत के झटके उसके लंड पर मारने लगी। तभी वो तो बहुत चकित रह गया और उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और हम एक दूसरे को किस करने लगे। फिर पूरी रात हमने सेक्स किया ।।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
ममेरी बहन की चुदाई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
ये ममेरी बहन की चुदाई कहानी पूरी तरह से काल्पनिक सोच पर आधारित है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#5
मैं गर्मियों की छुट्टियां बिताने के लिए कुछ दिन अपने मामा के घर जाने वाला था. मैं दिल्ली में रहता हूं और मेरे मामा मुंबई में रहते हैं. मैंने अपने मामा के घर मुंबई जाने के लिए दिल्ली से फ्लाईट ली थी. मेरे मामा के घर में सिर्फ तीन लोग ही रहते थे. मेरे मामा, मामी और उनकी बेटी आलिया.

आलिया की उम्र 24 साल थी, यानि वो मुझसे पांच साल बड़ी थी. आलिया दिखने में बहुत सुंदर, हॉट और मॉडर्न ख्यालात वाली लड़की थी.

मैं और आलिया बहुत अच्छे दोस्त थे. मुझे आलिया बहुत ज्यादा पसंद थी. जब भी मुझे छुट्टियों में फ्री रहना का मौका मिलता, तब या तो मैं वहां चला जाता या आलिया दिल्ली आ जाती थी.

उस दिन तकरीबन शाम के सात बजे मैं मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंच गया था. जहां आलिया मेरा इन्तजार कर रही थी.

जैसे ही मेरी नजर आलिया पर पड़ी, मेरे पूरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. सच में आलिया इस समय इतनी हॉट लग रही थी, मानो अभी मैं उसको प्रपोज कर डालूं. लेकिन वो मुझे एक अच्छा दोस्त समझती थी, इसीलिए मैंने कभी प्रयास नहीं किया. आज उसको इस तरह से देख कर मुझसे रहा नहीं जा रहा था. इस बार मैंने ठान ली थी कि आलिया को अपनी गर्लफ्रेंड बनाकर रहूँगा. मेरी नजर उसके हॉट फिगर और तने हुए मम्मों पर ही टिकी थी.

हम दोनों एक-दूसरे को देखकर मुस्कराने लगे और मैं अपने बैग के साथ उसके पास चला गया. वो मेरी तरफ बढ़ी, तो मैंने अपनी बाँहें फैला दीं. हम दोनों गले मिलते हुए एक दूसरे से लिपट गए.

आलिया- कैसे हो मेरे राजा!
मैं- एकदम बढ़िया … आप कैसी हो?
आलिया- फर्स्टक्लास.

आलिया मुझे प्यार से राजा कहकर बुलाती थी और मुझसे आलिया बड़ी होने पर भी मैं उनको प्यार से आलिया कहकर बुलाता था. चूंकि आलिया मेरी बैस्टफ्रेंड भी थी.

फिर मैं कार के डिक्की में बैग रखकर आगे सीट पर बैठ गया. उसने कार को गति दे दी और हम दोनों वहां से निकल गए.

आलिया बड़ी मस्त कार चला रही थी. आलिया के पास ऑडी कार थी. मेरे मामा जी भी काफी बड़ा बिजनेस कर रहे थे.

आलिया- कैसा गया एक्जाम?
मैं- हमेशा की तरह बेहतर … वैसे आज आप बहुत सुंदर लग रही हैं.
आलिया- थैंक्स!

मैं- इन छुट्टियों में क्या प्लान है?
आलिया- मॉम-डेड एक हफ्ते के लिए दुबई जा रहे हैं. वे उधर अपने दोस्त के बेटे की शादी में जा रहे हैं … और कुछ बिजनेस की मीटिंग भी हैं … इसलिए हम मुंबई ही रहेंगे … मॉम-डेड के आने के बाद देखते हैं.

घर में अकेले रहने की बात सुनकर मैं अन्दर से बहुत खुश था, क्योंकि पहली बार मुझे बेहतरीन मौका मिलने वाला था.

फिर हम एक-दूसरे से इधर-उधर की बातें करने लगे. हम दोनों करीबन आधे घंटे बाद घर पहुंच गए थे.

आलिया ने हॉर्न दिया, तो वाचमेन ने गेट खोल दिया और कार फिसलती हुई अन्दर चली गई. वहां एक ऑडी और एक मर्सिडीज पहले से ही खड़ी थीं.

हम दोनों कार से उतर आए, मैंने अपना बैग निकाला और हम दोनों साथ में घर में अन्दर आ गए.

मैं आपको बता दूं कि आलिया का घर कोई साधारण घर नहीं था. मुंबई जैसी जगह में उसकी दो मंजिला कोठी थी. वहां मामा हॉल में सोफे पर बैठ कर टीवी देख रहे थे और मामी किचन में खाना आदि का देख रही थीं. वैसे तो यहां काम करने के लिए एक मेड आती थी, लेकिन वो एक महीने की दो हफ्ते की छुट्टी लेकर अपने गांव गयी थी.

मैंने मामा से नमस्ते की, तभी मामी भी हॉल में आ गईं. मैंने मामी जी को भी नमस्ते बोली और मैं वहीं आलिया के साथ सोफे पर बैठ गया.

मामी- कैसा है?
मामी की बोली में मुम्बई की भाषा का पुट था.
मैं- ठीक हूँ.
मामी- जा तू फ्रेश हो जा … तब तक खाना भी तैयार हो जाएगा.
मैं- ओके..

फिर मैं दूसरी मंजिल पर बने गेस्टरूम में अपना बैग लेकर आ गया. ये कमरा आलिया के रूम से लगा हुआ था. मैं अपने कपड़े लेकर नहाने के लिए बाथरूम चला गया.

बाथरूम के फुहारे के नीचे पानी की ठंडी बूंदों में मैं नंगा खड़ा था. इस वक्त आलिया की चूचियां मेरी आँखों में नाच रही थीं. मैं लंड हिलाता हुआ आलिया को चोदने के सपने देखने लगा.

तभी आलिया की आवाज आई- राजा खाना लग गया है … जल्दी से आ जा.
मेरी तंद्र भंग हो गई और मैं अपने लंड की मुठ मारने से वंचित रह गया.

फिर कुछ मिनट बाद में नहाकर बाहर आ गया. मैं तैयार होकर रूम से बाहर निकल कर आलिया के पास जाकर बैठ गया.
मामा- कैसे गए एक्जाम?
मैं- एकदम मस्त.
मामा- गुड!

तभी मामी की आवाज सुनाई दी- आलिया इधर आना!
“जी … आई मॉम!”

आलिया मॉम के पास चली गई और खाने को लाकर डाइनिंग टेबल पर रखने लगी. हम चारों एक साथ बैठकर खाना खाने लगे. मैं आलिया के पास बैठा था.
हम खाना खाते हुए बात कर रहे थे.

खाना खत्म करके हम सभी सोफे पर बैठ गए. मामी मामा कुछ देर बाद अपने कमरे में चले गए. मामा-मामी को सुबह जल्दी फ्लाईट से जाना था, इसीलिए वो दोनों सो गए.

करीबन दस बजे तक हम दोनों टीवी देखते रहे. फिर आलिया उठी और नहाने चली गई, उसको रात में नहा कर सोने की आदत थी.

मैं टीवी पर मूवी देखते हुए सोच रहा था कि कल से मैं और आलिया अकेले होंगे, क्योंकि कल से घर पर कोई नहीं होगा. ड्राईवर भी छुट्टी पर जा रहा था. चूंकि मामा-मामी दुबई जा रहे थे, इसलिए उसने पहले ही छुट्टी ले ली थी.

घर के बाहर सिर्फ वाचमैन ही रहेगा, जिसकी कोई चिंता नहीं थी. यानि मेरे लिए एक गोल्डन अवसर था. आलिया का कोई ब्वॉयफ्रेंड भी नहीं था और मेरा एक साल पहले अपनी गर्लफ्रेंड के ब्रेकअप हो गया था. वैसे मेरी गर्लफ्रेंड बहुत सुंदर थी, लेकिन उसके पिता को पता चलने पर उन्होंने मेरी गर्लफ्रेंड का कॉलेज ही चेंज करवा दिया था और साथ में मुझसे मिलने के लिए मना कर दिया.

अब आलिया को कैसे पटाऊं, मैं उसके बारे में ही सोच रहा था.

तभी आलिया शॉर्ट्स पहनकर मेरे पास आ गई. आलिया को शॉर्ट्स में देखकर मेरा लंड हल्का सा गुर्राने लगा और खड़ा होने लगा था. आलिया की इस हॉट फिगर को देखकर मुझे ऐसा लग रहा था कि अभी उसके मम्मों को दबा डालूं और उसको अभी चोद डालूं.

आलिया को ऐसे देखकर मेरी नियत बिगड़ रही थी. फिर भी मैं अपने आपको कन्ट्रोल कर रहा था.

करीब बारह बजे तक हम दोनों मूवी देखते हुए बातें करते रहे. फिर हम दोनों सोने के लिए अपने अपने कमरे में चले गए.

मैं कमरे में आकर सीधा बाथरूम में चला गया और आलिया के हॉट फिगर के बारे में सोचकर मुठ मारने लगा.
दस मिनट बाद मैं शांत होकर बिस्तर पर आ गया और सो गया.

सुबह के आठ बजे जब मैं सो रहा था, तब आलिया मुझे उठाने के लिए आई.
आलिया मुझे उठाने के लिए आवाज लगाई- ओ मेरे प्यारे राजा … अब उठ जा … सुबह के आठ बज गए हैं, हमें शॉपिंग करने जाना है.

मैं नींद में था … मुझे होश ही नहीं था. मैंने आंख मलते हुए कहा- हां मेरी प्यारी रानी … अभी उठता हूँ.
मेरी इस बात पर आलिया हंसकर चली गई.

आलिया- चल उठ जा … मैं नाश्ता बनाती हूँ.

मैं उठकर फ्रेश होने के लिए चला गया. करीबन आधे घंटे बाद मैं तैयार होकर बाहर आ गया. मैं डाइनिंग टेबल पर बैठकर इंस्टाग्राम यूज कर रहा था. तभी आलिया नाश्ता लेकर आई.
मैं- गुड मॉर्निंग..
आलिया- गुड मॉर्निंग..

फिर हम दोनों एकसाथ नाश्ता करने लगे. मेरी नजर उसके कातिलाना मम्मों पर ही टिकी थी.

मैं- आज का क्या प्लान है.
आलिया- पहले शॉपिंग करेंगे, फिर घूमेंगे.

कुछ देर बाद आलिया अपना नाश्ता खत्म करके नहाने चली गई और मैं नाश्ता करते हुए इंस्टाग्राम यूज करता रहा. इस समय मैं सोच रहा था कि अभी आलिया के रूम में जाकर उसके बाथरूम में घुस जाऊं और आलिया को चोद डालूं.

सच में आलिया इतनी हॉट थी, जो भी उसको एक बार देख लेगा, वो जरूर सोचेगा कि काश ये लौंडिया मेरी गलफ्रेंड होती.

अब तक मैंने भी नाश्ता खत्म कर लिया था. मैं सोफे पर बैठ कर फोन यूज कर रहा था … तभी आलिया तैयार होकर आ गई, मैं आलिया को देखता ही रह गया.

आलिया- क्या देख रहे हो?
मैंने मुस्कराते हुए कहा- काश आप मेरी गलफ्रेंड होतीं.
आलिया ने मजाक करते हुए कहा- क्या मैं तुमको इतनी पसंद हूँ.
मैं- अपनी जान से भी ज्यादा!
आलिया- हा हा … अब चलें?

मैं सोफे से खड़ा हो गया. फिर हम दोनों साथ में चल दिए. हम दोनों कार में बैठकर बाहर निकल आए, वाचमैन ने गेट खोल दिया. आलिया ड्राइव कर रही थी. मुझे अभी आलिया को किस करने का मन हो रहा था.

फिर हम दोनों एक मॉल की पाकिॅग में आ गए. उसने कार पार्क कर दी और शॉपिंग के लिए मॉल में घुस गए. हम दोनों की हाइट भी बिल्कुल सेम थी और मैं जिम भी करता था. हम दोनों को एक साथ देखकर कोई भी यही सोचेगा कि ये दोनों ब्वॉयफ्रेंड-गलफ्रेंड हैं, लेकिन फिलहाल तो हम एक अच्छे दोस्त भर थे.

कुछ देर हम दोनों शॉपिंग करते कॉफ़ी शॉप पर रुक गए, वहां कॉफ़ी पीने लगे. शॉपिंग होने के बाद हम कार लेकर वहां से निकल गए. वहां से निकल कर हम मुंबई घूमते रहे और फोन में फोटो लेते रहे.

जब मैं अपने फोन से सेल्फी लेता था, उस दौरान आलिया मेरे बहुत नजदीक आ जाती थी. एक बार वो मेरे इतने करीब आ गई थी कि उसके चूचे मुझे छूने लगे थे. उस वक्त मुझे एक अलग ही फीलिंग होने लगी थी. कुछ ही देर में ऐसा कई बार हो चुका था. आज से पहले में ऐसा कभी नहीं सोचता था. मैंने ठान लिया था कि आज तो मैं आलिया को प्रपोज करके ही रहूँगा.

जब एक जगह हम दोनों साथ साथ हाथों में हाथ डाले घूम रहे थे, तब एक जगह पर फूल वाले की दुकान थी.

मैंने आलिया को पता चले बिना ही, एक गुलाब खरीद लिया और कार में छुपा दिया.

इस मौसम में मुंबई में गर्मी भी बहुत थी.

हम पूरे दिन घूमते रहे, शाम को हमने एक अच्छे से होटल में डिनर किया और घर आने के लिए निकल आए.

आलिया कार चला रही थी, म्यूजिक बज रहा था. मैं मोबाइल का इस्तेमाल करते हुए मुंबई का नजारा देख रहा था. करीबन एक घंटे बाद हम दोनों घर पहुँच गए थे. अभी वहां दूसरा वाचमैन खड़ा था क्योंकि पहले वाले की ड्यूटी खत्म हो गई थी.

हम दोनों कार से उतरे और बैग लेकर अन्दर आ गए.

मैं- आलिया आपके लिऐ एक खास सरप्राइज है, जिसके लिए आपको अपनी आंखें बंद करनी पड़ेंगी.
आलिया- क्या है?
मैं- आप आंखें बंद करें … मैं अभी आया.

आलिया ने अपनी आंखें बंद कर लीं.

मैं कार के पास जाकर उसमें छुपाया गुलाब बाहर निकाल लाया और पीछे करते हुए अन्दर आ गया.

मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था, क्योंकि मैं बहुत बड़ा कदम उठाने जा रहा था. आलिया को अपनी गलफ्रेंड बनाना मुश्किल था. मुझे पता था कि वो मना कर देगी, लेकिन इस बात का विश्वास था कि वो अपने पेरेन्टस को नहीं बताएगी. हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और यही सोच कर मैंने पूरा प्लान बना लिया था.

जब मैं अन्दर आया, तब आलिया आंख बंद करके खड़ी थी. मैं उसके पास जाकर खड़ा हो गया.
मैं- अब तुम अपनी आंखें खोल सकती हो.

आलिया ने अपनी आंखें खोल दीं और मैंने उसी समय गुलाब आगे करके प्रपोज कर दिया.
मैं- आई लव यू.
आलिया ने चौंकते हुए कहा- ये क्या मजाक कर रहे हो?
मैं- आई एम सीरियस.
आलिया- तुम पागल हो गए हो क्या!

मैं- नहीं, मुझे तुम बहुत पसंद हो, मैं तुम्हें अपनी गलफ्रेंड बनाना चाहता हूँ.
आलिया- ये तुम क्या बोल रहे हो, मैंने कभी तुम्हारे बारे में ऐसा कभी नहीं सोचा है.
मैं- क्यों … मैं तुम्हें पसंद नहीं हूँ?
आलिया- राज ऐसी बात नहीं है … मुझे तुम पसंद हो, तुम हैंडसम हो, लेकिन में तुम्हारी गलफ्रेंड नहीं बन सकती.
मैं- क्यों?
आलिया- समझो यार … अगर हमारे पेरेन्टस को पता चल गया, तो ठीक नहीं होगा … फिर मैं तुमसे पांच साल बड़ी भी हूँ.
मैं- जब पता चलेगा, तब देखा जाएगा. वैसे भी प्यार उम्र देखकर थोड़ा होता है.
आलिया- तुम कुछ भी कह लो, लेकिन ये सम्भव नहीं है … सॉरी राज मैं तुम्हारी गलफ्रेंड नहीं बन सकती.

आलिया की बात सुनकर मैं थोड़ा मायूस हो गया और गुस्से में गुलाब फेंककर अपने कमरे में चला गया और मैंने अन्दर से कमरे को बंद कर लिया.

तभी आलिया मेरे दरवाजे पर दस्तक देने लगी- राज … दरवाजा खोल.
मैंने गुस्से में कहा- मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी है.

आलिया फिर से दरवाजे पर दस्तक देने लगी- राज दरवाजा खोल, वरना मैं तुम्हारे पापा को कॉल करती हूँ.
मैंने दरवाजा नहीं खोला.

आलिया चली गई, मुझे यकीन था कि वो कॉल नहीं करेगी. मुझे ये भी पता था कि वो मेरे प्रपोजल को नहीं स्वीकारेगी. इसलिए मैंने उससे रूठने का नाटक किया था. कल जब मैं उससे बात नहीं करूंगा, तब आलिया मुझे मनाने की कोशिश करेगी और आखिरकार मेरी नाराजगी देखकर वो जरूर हां कह देगी.

अब वो दिन दूर नहीं था, जब आलिया को मैं अपनी बांहों में लेकर उसके होंठों पर किस करूंगा.
मैं कुछ देर सोचता हुआ आराम से सो गया और सुबह का इन्तजार करने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#6
2
सुबह के आठ बजे मेरी नींद खुली. मैं ब्रश करके फ्रेश हो गया और रूम से बाहर निकलकर हॉल में जाकर सोफे पर बैठ कर टीवी ऑन करके देखने लगा.

तभी आलिया किचन से बाहर आई और वो मुझे गुड मॉर्निंग बोली लेकिन मैं कुछ नहीं बोला.

वो नाश्ता रखकर मेरे पास आकर बैठ गई- अभी मुझसे नाराज हो?
मैं चुपचाप टीवी देखता रहा, मुझे अपने प्लान के मुताबिक चलना था.

आलिया- अपने बेस्ट-फ्रेंड से नाराज़ रहोगे … चलो नाश्ता कर लेते हैं, वरना ठंडा हो जाएगा.
मैं- ना ही मुझे नाश्ता करना है और ना ही आपसे बात करनी है, आप नाश्ता कर लीजिए.
आलिया- तुम नाश्ता नहीं करोगे, तो मैं भी नहीं करूंगी.
मैं- आपकी मर्जी.

तभी आलिया मेरे कंधे पर हाथ रखकर मेरी ओर देखकर मुझसे बात करने लगी- मेरे प्यारे राजा, कल के लिए सॉरी … अब छोड़ ना ये गुस्सा … तुम्हें मुझसे भी अच्छी गलफ्रेंड मिलेगी.
मैं- मुझे आप चाहिए, मैं आपको अपनी गलफ्रेंड बनाना चाहता हूं.

आलिया मुझको मनाने के लिए गुदगुदी करने लगी लेकिन मैं आलिया को रोक कर खड़ा हो गया और अपने कमरे में चला गया.

कुछ मिनट बाद आलिया ने मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाया- राज चलो कहीं बाहर घूमने चलते हैं.
मैं- मुझे नहीं आना.
आलिया- अब बहुत हुआ यार … ओपन द डोर … वरना मैं तुम्हारी मॉम को सच में कॉल कर दूंगी.
मैं- आप कॉल कर सकती हैं.
आलिया- ठीक है, तुम्हारी मर्जी.

धीमे-धीमे समय बीत रहा था, करीबन दस बजे मुझे भूख लगने लगी थी, लेकिन मैं अपने प्लान में कोई समझौता नहीं करने वाला था. मैं अपने फोन में पब-जी गेम खेलने लगा.

जब दोपहर हुई, तब आलिया ने मुझे खाना खाने के लिए बुलाया- राज तुमने सुबह से कुछ नहीं खाया है, कम से कम खाना तो खा लो.
मैं- मुझे भूख नहीं है.

आलिया ने दो-तीन बार कहा और फिर चली गई. उस समय मुझे बहुत भूख लगी थी … लेकिन मैं पेट दबा कर सो गया और करीबन चार बजे उठकर फ्रेश होकर, वापस पब-जी खेलने लगा.

मैं गेम खेलने में मशगूल था, तभी करीबन छह बजे आलिया ने वापस दरवाजा खटखटाया.

आलिया- राज दरवाजा खोल, मुझे तुमसे बात करनी है.
मैं- मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी है.
आलिया- प्लीज दरवाज़ा खोल … मुझे बहुत जरूरी बात करनी है.

अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने दरवाजा खोल दिया. मेरे सामने आलिया खड़ी थी.

आलिया- कब तक ऐसे नाराज रहेगा?
मैं- जब तक आप मेरी बात मान नहीं जातीं, तब तक.
आलिया- अगर कल जाकर इस बारे में हमारे पेरेन्टस को पता चल गया तो!

मैं- हम दोनों एक अच्छे दोस्त हैं, वो हमारे पेरेन्टस जानते हैं, अगर कल जाकर पता चलेगा भी, तो भी हमें कुछ नहीं बोलेंगे. शायद हमारे पेरेन्टस इस रिलेशनशिप खुश हो जाएं. मैं तुम्हारे साथ जिन्दगी बिताना चाहता हूं. हां मैं तुझे पसंद नहीं हूँ, या मेरे कोई कमी हो तो तुम मुझे बता सकती हो.
आलिया- तुममें कोई कमी नहीं है.

मैं- फिर अगर तुम मुझे अपना दोस्त मानती हो … तो प्लीज मेरे प्रपोजल को स्वीकार लो … प्लीज मान जाओ.
आलिया- मैं तुम्हारे प्रपोजल को स्वीकार लूंगी, लेकिन इस के लिए तुम्हें मेरी कुछ शर्त माननी पड़ेगी.
मैं- मंजूर है.
आलिया- पहले सुन तो लो.
मैं- ठीक है बता दो.

आलिया- पहली शर्त … हमारे इस रिलेशनशिप के बारे में तुम किसी को नहीं कहोगे.
मैं- मंजूर है.
आलिया- दूसरी, मेरी हर बात मानोगे और कभी नाराज नहीं होगे.
मैं- ठीक है.
आलिया- मैं चाहती हूं, जैसे फिल्मों में हीरो प्रपोज करते हैं, वैसे तुम गुलाब से मुझे प्रपोज करो.
मैं- अब गुलाब कहां से निकालूं?
आलिया- वो तुझे देखना है.
मैं- मैं अभी आया.

इतना कहकर मैं कार की चाभी लेकर गुलाब लेने जाने लगा, तभी, आलिया बोली- रहने दे, ऐसे ही चलेगा.
मैं- तुमको अपनी गलफ्रेंड बनाने के लिए आसमान से चांद लेकर भी आ सकता हूं. गुलाब क्या चीज है..

तभी आलिया मेरी और देखकर कातिलाना स्माइल करने लगी और मैं कार लेकर चला गया. मैं कार चलाते हुए बहुत खुश था, क्योंकि आखिरकार मैं अपने प्लान में कामयाब हो गया था.

मैं मुंबई शहर में फूल वाले की दुकान ढूँढने लगा, फिर एक गुलाब लेकर वापस कार में बैठकर घर की ओर रवाना हो गया.

अभी मैं कार में एक प्रेम गीत सुन रहा था. इस वक्त मेरी बेचैनी बढ़ रही थी. मैं जल्दी से घर पहुँचा और गुलाब हाथ में लेकर घर के अन्दर आ गया.

मैं- आलिया!
तभी आलिया किचन से बाहर आई और मेरे सामने खड़ी हो गई. मैं घुटने के बल बैठकर गुलाब उसके सामने एक हाथ से लेकर प्रपोज करने लगा.

मैं- चांद जैसी तेरी खूबसूरती है, तमन्ना भाटिया जैसी तेरी आंखें, कैटरीना कैफ जैसी तेरी अदाएं, सूरज सी तेरी रोशनी है. तेरे प्यार में ये दीवाना पागल है … क्या तुम मेरी सपनों की रानी बनोगी?
आलिया- क्या बात है, शायरी अच्छी बोल लेते हो.

आलिया ने मेरे प्रपोजल को स्वीकार करते हुए गुलाब ले लिया.
आलिया- आई लव यू!
मैं खड़ा होकर बोला- आई लव यू टू.

फिर हम एक-दूसरे तरफ देखने लगे और बिल्कुल नजदीक आ गए.

मैंने आलिया के सर को पकड़कर उसके होंठों पर किस कर दिया, जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था. जैसे ही मैंने आलिया के होंठों पर किस किया, मैंने अपना होश खो दिया.

उधर आलिया भी मेरा साथ देते हुए, मेरी कमर पर हाथ रखकर किस करने लगी. हम दोनों किस करने में मशगूल हो गए थे.

तभी किचन से एक आवाज सुनाई दी जिससे आलिया रूक गई. फिर वो मुझे कातिलाना स्माइल देकर किचन में चली गई … मैं टीवी देखने लगा.

अभी भी मुझे उसके होंठों का स्वाद आ रहा था.

करीबन आधे घंटे बाद खाना तैयार हो गया था, इसलिए आलिया ने मुझे खाना खाने के लिए बुलाया. मैं टीवी ऑफ़ करके खाने के लिए चला गया.

आलिया- आज तुम सुबह से भूखे हो न … इसलिए मैंने तुम्हारे मनपसंद का खाना बनाया है.
मैं- क्या बात है, थैंक्स.

हम दोनों खाना खाने लगे और बात करने लगे.

मैं- आलिया, एक बात पूछूँ?
आलिया- हां पूछ न!
मैं- तुम्हें, मेरी गलफ्रेंड बनकर कैसा लग रहा है?
आलिया- तू बता … तुझे मेरा ब्वॉयफ्रेंड बनकर कैसा लग रहा है?
मैं- एकदम कूल, मानो अप्सरा मिल गयी हो.

आलिया मुस्कराते हुए बोली- वैसे तू कब से मुझे अपनी गलफ्रेंड बनाने के बारे में सोच रहा था?
मैं- जब एक बार आपको बिना कपड़ों के सिर्फ ब्रा और पेन्टी में देखा था, तब से मेरा नजरिया बदल गया था. उस दिन से मैं आपको अपनी गलफ्रेंड बनाने का सोच रहा था, लेकिन कभी मौका मिला नहीं, वैसे भी आप इतनी हॉट और सुंदर हो कि किसी का दिल भी तुम पर आ जाएगा.

आलिया- मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम मुझे प्रपोज करोगे. अगर मैं तुम्हें हां ना बोलती, तो क्या अभी भी तुम मुझसे नाराज रहते?
मैं- मुझे पूरा विश्वास था कि आप जरूर हां बोल दोगी.
आलिया- अब मैं तुम्हारी गलफ्रेंड हूँ, इसलिए आप के बदले तुम कहकर बुला सकते हो.
मैं- ओके मेरी प्यारी आलिया.

आलिया मुस्करा दी और फिर हम दोनों अपना खाना खत्म करने लगे. मैं सोफे पर बैठ कर पब-जी खेलने लगा और कुछ मिनट बाद आलिया मेरे पास आकर मुझे गुदगुदी करने लगी.
मैं- प्लीज रहने दो, मेरा गेम चल रहा है.

लेकिन आलिया फिर से मुझे तंग करने लगी थी, इसलिए मैं दूसरे सोफे पर जाकर बैठ गया. आलिया वहां मेरे पास आकर फिर से गुदगुदी करने लगी, जिससे मैं गेम में मर गया.

मैंने उसकी तरफ गुस्से से देखा. आलिया मुझे देखकर भागने लगी और मैं अपना फोन सोफे पर रखकर उसको पकड़ने के लिए पीछे भागने लगा.

पहले आलिया डाइनिंग टेबल के चक्कर लगाती रही … लेकिन जब वो सोफे तरफ भागी, तब मैंने उसे पकड़ लिया. इस दौरान हम दोनों सोफे पर गिर गए. वो नीचे थी, मैं उसके ऊपर था.

इस दौरान मेरा एक हाथ उसके चूचे पर चले गए थे, लेकिन मैंने तुरंत ही अपना हाथ हटा दिया.

मैं आलिया के दोनों हाथ पकड़कर उसके ऊपर चढ़ गया- अब कहां जाओगी?
आलिया हंसने लगी.

मैं आलिया को गुदगुदी करने लगा. वो मुझसे बचने की कोशिश करने लगी, लेकिन मैं उसके ऊपर था. इसलिए वो अब बच नहीं सकती थी.
आलिया- राज रहने दो, गुदगुदी हो रही है.
मैं- जब तुम मुझे तंग कर रही थी, तब तुम्हें मजा आ रहा था.

तभी आलिया का फोन बज उठा, जो वहीं टेबल पर पड़ा था … इसलिए मैं उस पर से उतर गया और आलिया ने अपना फोन उठा लिया.

मामी का फोन था. आलिया अपनी मॉम से बात कर रही थी और मैं मजाक करता जा रहा था.

आलिया मुझे इशारे से रुकने के लिए कह रही थी. फिर आलिया ने मुझे फोन दे दिया और मैं मामी से बात करने लगा.

अब वो मुझे तंग कर रही थी.

मामी मुझे मजाक मस्ती कम करने को बोल रही थीं, क्योंकि अक्सर हम दोनों ऐसे मजाक करते रहते हैं.

मैंने फोन रखकर आलिया की कमर पर एक हाथ रख दिया और हम दोनों नजदीक आ गए. फिर हम दोनों किस करने लगे, जैसे हॉलीवुड की फिल्मों में हीरो-हिरोइन करते हैं.

करीबन तीन मिनट बाद आलिया मुझे रोकते हुए बोली- मुझे नहाने जाना है.
मैंने रोमांटिक अंदाज में कहा- मैं भी साथ चलूं?

आलिया हंसती हुई बिना कुछ बोले वहां से चली गई.

मैं टीवी ऑन करके मूवी देखने लगा. मैं पूरी फिल्म खत्म करके टीवी को ऑफ़ करके, आलिया के रूम में चला गया.
आलिया बेड पर बैठकर लैपटॉप पर कुछ काम कर रही थी.

मैं- आलिया क्या मैं यहां तुम्हारे साथ सो सकता हूं.
आलिया- अब तो तुम्हारे पास ग्रीन सिग्नल हैं, तुम सो सकते हो.
मैं उसके पास बैठकर बोला- मेरे पास ग्रीन सिग्नल है, इसका मतलब मैं कुछ भी कर सकता हूं.
आलिया- चुपचाप सो जा … इतनी अपेक्षा ठीक नहीं है बच्चू.

मैंने बेड पर लेटकर फोन इंस्टाग्राम ओपन कर लिया. तभी मैंने मजाक करते हुए आलिया को गुदगुदी करना शुरू कर दिया.

आलिया- राज अभी रहने दो … जरूरी काम कर रही हूँ.

मुझे भी नींद आ रही थी, इसलिए मैं सो गया.

जब सुबह मेरी नींद खुली, तब हम दोनों बिल्कुल नजदीक सो रहे थे और मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था. आलिया अभी भी सो रही थी, शायद कल रात को वो देर रात को सोई होगी.

आलिया सो रही थी, तो मैंने सोचा कि मैं ही आज नाश्ता बना लेता हूँ. इसलिए मैं फ्रेश होकर किचन में चला गया और नाश्ता बनाने लगा.

मैं नाश्ता बना ही रहा था कि तभी आलिया वहां पर आ गई- गुड मॉर्निंग.
मैं- गुड मॉर्निंग.
आलिया- क्या बात है, आज तुम नाश्ता बना रहे हो.
मैं- तुम सो रही थीं, मैंने सोचा में ही नाश्ता बना लूं.
आलिया- ठीक है, मैं हॉल में हूँ.

मैं नाश्ता बनाकर डाइनिंग टेबल पर ले आया. तभी आलिया मेरे पास आकर बैठ गई और हम दोनों नाश्ता करने लगे.

मैं- नाश्ता कैसा बना है?
आलिया- कल से तुम्हीं ब्रेकफास्ट बनाना.
मैं- कोई बात नहीं, लेकिन मैं उसका चार्ज लूंगा.
आलिया ने हंस कर कहा- ले लेना.

फिर हम दोनों नाश्ता खत्म करके अपने कमरे में चले गए. फिर कुछ मिनट बाद में नहाकर तैयार हो गया और मैं हॉल में आकर सोफे पर बैठ गया. मैं अपना फोन यूज कर रहा था.

करीबन दस मिनट बाद आलिया तैयार होकर आई. आलिया को देखकर मैं खड़ा हो गया. आलिया ने पीले रंग की टी-शर्ट और ब्लू जींस पहनी हुई थी.

मैं- हाय किसी की नजर ना लग जाए … क्या सुंदर लग रही हो.
आलिया- चुपचाप चल.

मैंने आलिया के कंधे पर हाथ रख कर बाहर आने का कहा. हम दोनों बाहर आ गए.

मैं- मैं कार चला सकता हूं?

तभी आलिया ने मुझे कार की चाभी दे दी और मैंने ड्राइविंग सीट पर बैठ कर कार स्टार्ट कर दी.
मेरे बगल वाली सीट पर आलिया बैठ गई.

मैं कार को ड्राइव करते हुए बोला- कहां जाना है मैडम.
आलिया- चित्रा के घर ले चल.

चित्रा, आलिया की बेस्ट फ्रेंड थी. वो दोनों साथ ही में कॉलेज कर रही थीं. चित्रा अभी मॉडलिंग के लिये ट्राय कर रही थी और आलिया मामा के बिजनेस में मदद करना चालू कर चुकी थी. चित्रा भी आलिया की तरह हॉट और सुंदर है. चित्रा मेरी भी अच्छी फ्रेंड थी.

मैं- आलिया, क्या तुमने चित्रा को हमारे रिलेशनशिप के बारे में बता दिया है?
आलिया- नहीं, जब सही समय आएगा तब बता दूंगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
कार में म्यूजिक बज रहा था, करीबन आधे घंटे बाद हम चित्रा के घर पर पहुंच गए थे. आलिया ने अपने फोन से कॉल करके उसे बाहर बुलाया.

चित्रा अपनी फैमिली के साथ एक हाई-फाई फ्लैट में रह रही थी. वैसे चित्रा के कोई बहन भाई नहीं थे. वो केवल मॉम डैड के साथ ही रहती थी.

तभी चित्रा बिल्डिंग से बाहर निकली और आकर पीछे बैठ गई. मैंने देखा कि उसने ब्लैक टी-शर्ट और ब्लू जींस पहनी थी.

चित्रा- हाय राज … हाऊ आर यू.
मैं- फाइन … थैंक्स फॉर आस्किंग.

फिर मैं कार आगे बढ़ा दी. दोनों आज गजब की हॉट माल लग रही थीं. मेरा लंड परेशान हो गया था.

हम तीनों मुंबई शहर में घूमने निकल गए. फिर एक थियेटर में कंलक फिल्म देखने के लिए 6 से 9 के शो में घुस गए. मेरे पास आलिया बैठी थी, उसके पास चित्रा बैठी थी.

फिल्म शुरू हो गई थी, लेकिन चित्रा और पब्लिक होने से मैं आलिया के साथ कुछ भी नहीं कर पा रहा था.

फिल्म खत्म करके हम रेस्टोरेंट में खाना खाने आ गए. खाना के बाद हम वहां से घर के लिए निकल आए. पहले हम दोनों ने चित्रा को ड्रॉप किया. फिर हम घर पहुंच गए.

अभी कंलक मूवी देखी थी, इसलिए रोमांस करने का मन कर रहा था.

मैंने रूम में म्यूजिक बजाकर, आलिया को अपने साथ डांस करने के लिए कहा. आलिया डांस करने के लिए खड़ी हो गई और हम दोनों डांस करने लगे.

जैसे-जैसे म्यूजिक अपनी मस्ती फैला रहा था, वैसे ही हम दोनों नजदीक आते जा रहे थे.

इसके बाद मैं इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक बजाने लगा और हम दोनों कपल के तरह डांस करने लगे. हम डांस करते हुए एक-दूसरे से किस करने लगे थे. इस दौरान हम इतने मदहोश हो गए थे कि मैं किस करते हुए अपने हाथ से आलिया की पीठ पर हाथ घुमाने लगा. मुझे उसकी ब्रा की स्ट्रिप महसूस हुई.

मैंने अपना हाथ उसकी पीठ से सहलाते हुए नीचे ले आया. मैं उसकी गांड पर हाथ घुमाने लगा. आलिया मेरी इस बात का कोई विरोध नहीं कर रही थी. मुझे समझ आ गया कि आलिया आज मूड में है.

हम दोनों किस करते हुए एक-दूसरे में खो गए थे. मेरा लंड उसकी गांड पर हाथ सहलाने से खड़ा हो गया था और आलिया के पेट को छूने लगा था. लंड के स्पर्श से उसको होश सा आ गया. वो मुझे रोककर अपने कमरे में चली गई.

मैंने भी उसके पीछे कमरे में जाकर उसको पीछे से पकड़ लिया.
आलिया मेरे हाथ पकड़ते हुए बोली- हम लिमिट पार कर रहे हैं.

मैंने आलिया को अपनी ओर घुमाकर उसे देखा.

मैं- हम दोनों को पता है कि हम क्या कर रहे हैं. अब मुझसे कन्ट्रोल नहीं हो रहा है. वैसे भी तुमने ही बोला था कि मेरे पास ग्रीन सिग्नल है, यानि मैं कुछ भी कर सकता हूं.
आलिया- मेरा वो मतलब नहीं था.
मैं आलिया की आंखों में देखकर बोला- प्लीज मान जाओ.
आलिया- लेकिन …

मैं- एक दिन तो हम करेंगे ही, हम कुछ गलत नहीं कर रहे हैं. प्लीज आलिया.
आलिया- ठीक है, लेकिन क्या तुम्हारे पास प्रोटेक्शन है?
मैं- नहीं.
आलिया- क्या? तुम प्रोटेक्शन के बिना सेक्स करोगे?
मैं- अब इस वक़्त कहां से प्रोटेक्शन निकालूं?
आलिया- ओके एक कंन्डीशन पर … तुम अन्दर नहीं झड़ोगे.
मैं- ओके.

आलिया की इतनी बात सुनकर मैं उसे किस करने लगा और वो भी मेरे साथ दे रही थी. मैंने अपना हाथ उसकी गांड पर रख दिया और हम दोनों गर्म होने लगे.

फिर मैंने अपनी टी-शर्ट निकाल दी. अब मेरा लंड फिर से खड़ा होकर आलिया को छू रहा था. मैंने अपना एक हाथ आलिया के कातिलाना मम्मों पर रख दिया और हल्का सा दबा दिया … जिससे वो और ज्यादा मदहोश हो रही थी.

अब मैंने आलिया की टी-शर्ट निकालकर फेंक दी. अन्दर उसकी रेड ब्रा मस्त दिख रही थी. उसकी रेड ब्रा में उसके दूध से मम्मे फंसे देखकर मैं और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया था.

मैंने आलिया को घुमाकर उसकी ब्रा निकाल दी … जिससे उसके कातिलाना चूचे आजाद हो गए. मैं अपने दोनों हाथों से उसके मम्मों को हौले से छूने लगा. मैं जिंदगी में पहली बार किसी लड़की के नंगे मम्मों को छू रहा था.

आलिया के चूचे बड़े ही टाइट थे. मैंने अपने दोनों हाथों को उसकी चूचियों पर जमा दिए और मस्ती से दबाने लगा.

आलिया लगातार अपना होश खो रही थी और अपनी आंखें बंद कर चुकी थी. आलिया ने इसी मदहोशी की हालत में अपने दोनों हाथ मेरे हाथ पर रख दिए थे. मैं उसके मम्मों को दबाते हुए गर्म हो रहा था और आलिया भी गर्म हो रही थी.

उसकी साँसें और दिल की धड़कन बढ़ रही थीं. अभी मुझे ऐसा लग रहा था, मानो मैं जन्नत की सैर कर रहा था.

कुछ मिनट तक मैं आलिया के टाईट मम्मों को दबाता रहा और वो ऐसे ही मदहोशी की हालत में खड़ी रही.

अब मुझसे ज्यादा बर्दाश्त नहीं हो रहा था, इसलिए मैंने आलिया को उठाकर बेड पर पटक दिया. फिर अपनी पेन्ट निकालकर वहां खड़ा हो गया. इस समय मैं सिर्फ निक्कर में खड़ा था.

कुछ पल बाद मैंने बेड की तरफ बढ़ कर आलिया की पेन्ट भी निकाल दी … जिससे वो अब सिर्फ पेन्टी में रह गई थी.

मैं आलिया के ऊपर आकर किस करने लगा. आलिया भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. मुझे किस कर रही थी. मैं भी उसके पूरे बदन को चूमने लगा और उसके मम्मों को भी दबाए जा रहा था.

इस समय आलिया चुत चुदाने के पूरे मूड में आ गई थी. उसकी चुदास देख आकर मैंने आलिया की पेन्टी निकालकर फेंक दी. उसने अपनी टांगें खोल कर मेरे सामने अपनी चूत फैला दी.
Behan Ki Chudai
Behan Ki Chudai

मैंने एक पल के लिए आलिया की चुत को निहारा और वासना से लिप्त हो चुकी अपनी आँखों से उसे घूरने लगा. उसने चुत चाटने का इशार किया. मैं खुद ही उसकी चुत चाटने की मंशा बना चुका था. अगले ही पल मैं आलिया की चूत चाटने लगा.

आलिया अपनी चूत पर मेरी जीभ का स्पर्श पाते ही एकदम से गर्मा गई. वो दोनों हाथ से बेडशीट को पकड़ कर खुद के बदन को ऐंठने लगी.

मुझे चुत चाटने का पूरा अनुभव सेक्स वीडियो देखने से आया हुआ था.

मैं आलिया की चुत चाटने में मशगूल था, तभी आलिया ने अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ लिया और वो अपनी चूत पर मेरा सर दबाने लगी.

अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. वो धीमे-धीमे सीत्कार भी कर रही थी- आह … उंह … अब बस भी कर … मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा.

मैंने उसकी चुत से सर हटाया तो उसने मेरे लंड की तरफ इशारा किया- अब जल्दी पाइप फिट कर दे … लीक होने को है.

मैंने उसकी चुत में अपना लंड सैट किया और एक धक्का लगा दिया. लेकिन लंड फिसल गया.

मैंने दोबारा से चुत पर लंड सैट करके एक जोरदार धक्का मारा, जिससे मेरा आधा लंड उसकी चुत में घुस गया.
आलिया की चुत में लंड घुसते ही, वो जोर से चिल्ला उठी- ओह माँ … मर गई … निकाल, निकाल इसे …

आलिया की चीख सुनकर मैंने लंड बाहर निकाल लिया. आलिया चुत पर हाथ घुमाते हुए कराहने लगी- आह अ … आह … फट गई शायद …
मैं- सॉरी …
वो मुझसे पूछने लगी- तेरा पहली बार था क्या?
मैंने हां में सर हिला दिया.

आलिया ने दर्द भरी मुस्कान फेंकते हुए मुझे अपने ऊपर खींच लिया. मैं फिर से आलिया के मम्मों को दबाते हुए उसे किस करने लगा.

करीबन पांच मिनट बाद वो शांत हो गई थी. मेरा लंड भी चोदने के लिए तैयार था. मैं फिर से आलिया के ऊपर चढ़ गया और चुत पर लंड सैट कर दिया.

आलिया- धीमे डालना, बहुत दर्द होता है.

फिर मैंने धीरे से आलिया की चुत में लंड घुसाया, जिससे आलिया कराह उठी. लेकिन उसने मुझे हटने के लिए नहीं कहा.

मैं लंड चुत में अन्दर-बाहर करने लगा था. अभी मैंने आधा लंड ही आलिया की चुत में घुसेड़ा था. वो जोरों से सीत्कार कर रही थी- आह ओह राज आं … आह ओह..

मैं आलिया की कामुक आवाजों से और भी अधिक उत्तेजित हो गया था. अब मैंने जोर का झटका मारा, जिससे मेरा पूरा लंड आलिया की चुत में घुस गया. आलिया की आवाज चीख में बदल गई. इस बार वो पहले से ज्यादा तेज आवाज में चिल्ला दी थी.

आलिया- आहह ऊँह, धीमे राज … ओह मां … तेरा बहुत मोटा है.

मैं अभी इतना ज्यादा उत्तेजित था कि उसकी बातों को अनसुना करके जोर के झटके लगा रहा था. आलिया दर्द के मारे चिल्ला रही थी.

आलिया- आह … राज निकाल ले, दर्द हो रहा है … आह रहने दे … निकाल राज प्लीज … आह राज ओह माँ … प्लीज …

मेरी बहन दर्द के मारे जोर से चिल्ला रही थी. उसने अपने हाथों से बेड की चादर को एकदम से पकड़ लिया था. आलिया के चिल्लाने से मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया और लगातार बिना रुके आलिया को चोदने लगा.

आलिया अपने मुँह से मेरे हाथ हटाने की कोशिश कर रही थी. लेकिन मेरी पकड़ के वजह से वो कुछ नहीं कर पा रही थी.

दर्द के वजह से आलिया के आंख में आंसू आ गए थे, लेकिन मैं तो आलिया को चोदने में पागल हो गया था.

तभी आलिया ने दोनों हाथ से मेरी पीठ पकड़ लिया. मैं समझ गया कि आलिया की चुत अब राजी हो गई है. मैंने उसके मुँह से हाथ हटा दिया और उसकी चूत में तेजी से धक्के लगाने लगा.

आलिया भी अब जोरों से सीत्कार कर रही थी. इस दौरान आलिया मेरी पीठ पर नाखून मार रही थी. मैं आलिया को चोदने में इतना पागल हो गया था कि मुझे इस बात का अहसास ही नहीं हो रहा था.

मैं आलिया को इस समय एक रांड की तरह चोद रहा था. मैं क्या अगर किसी को भी आलिया जैसी चुत चुदाई को मिल जाए, तो कोई भी ऐसे ही चोदेगा.

आलिया- आह राज … धीमे … बहुत दर्द हो रहा है … आह ओह रहने दे अब … ओह माँ, राज निकाल ले प्लीज … आह यू आर सो हार्ड.

करीबन बीस मिनट तक आलिया को लगादार चोदने के बाद मैं भी थक गया था. मैं झड़ने की कगार पर आ गया था. मैंने आलिया की चूत से लंड खींचा और जल्दी से उससे अलग हो गया. आलिया भी एकदम से पस्त हो गई थी.

मेरा लंड लावा छोड़ने ही वाला था. मैं दौड़ कर बाथरूम में चला गया और मुठ मारने लगा. लंड को आठ दस बार ही हिलाया था कि मैं झड़ गया. मेरे लंड पर खून लगा था, यानि आलिया की सील टूट चुकी थी. हालांकि लंड डालने से पहले मैं समझता था कि आलिया चुदी चुदाई है लेकिन लंड डालते वक्त ही मुझे अहसास हो गया था कि आलिया अभी कुंवारी थी.

मैं लंड साफ़ करके फिर से आलिया के पास आ गया और एसी फुल करके आलिया के पास लेट गया.

आलिया चुत में उंगली घुमाते हुए सीत्कार कर रही थी. आलिया की चुत में खून लगा था और वो दर्द के मारे सीत्कार कर रही थी.

आलिया- इतनी बेरहमी से कोई चोदता है, साले तूने मेरा खून निकाल दिया … आह अह..
मैं- बधाई हो … अब तुम एक औरत बन गई हो.
आलिया- शटअप.

आलिया अपनी चुत में उंगली घुमाते हुए दर्द से तड़फ रही थी.

मैं- सॉरी..
आलिया- अब सॉरी का क्या अचार डालूं, जान निकाल दी तुमने … आह.

मैं आलिया को किस करने लगा और साथ में उसके मम्मों को भी दबाने लगा. इससे आलिया को थोड़ी राहत मिल गई थी.

अब आलिया मुझे रोककर खड़ी हुई और बाथरूम में चली गई. आलिया की चुदाई की वजह से उसकी चाल बदल गई थी.

कुछ मिनट बाद आलिया मेरे पास आकर लेट गई. उसको अभी भी दर्द हो रहा था. लेकिन अब दर्द पहले से कम लग रहा था.

मैं उसके चुत में उंगली घुमाकर बोला- हो जाए और एक राउंड!
आलिया- नो …
मैं- प्लीज़, इस बार धीमे करूंगा.
आलिया- नो मतलब नो … साले तुम जानवर की तरह चोदते हो … अभी भी दर्द हो रहा है.

आलिया अब खुलकर चुदाई के शब्द बोल रही थी. वैसे भी मेरे पास अभी कई दिन थे. मैं आलिया से चिपककर और एक हाथ उसके मम्मों पर रखकर लेट गया.

मैंने मजाक करते हुए कहा- आलिया ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा न!
आलिया- काश तुम मेरी जगह होते, तब तुम्हें पता चलता.

आलिया के गाल पर किस करके मैंने उसे सॉरी बोला … फिर लाइट ऑफ करके मई आलिया से चिपक गया. कुछ ही देर में हम दोनों सो गए. बल्कि यूं कहूँ कि आलिया सो गई थी और मैं अपनी आंखें बंद करके सोच रहा था.

मैं आंखें बंद करके सोच रहा था कि आखिरकार आलिया मेरी गलफ्रेंड बन ही गयी. सच में आलिया की यह चुदाई में जिंदगी भर नहीं भुला पाऊंगा. आलिया के वो रसीले होंठ … कातिलाना चूचे, टाईट चुत, हॉट फिगर … आह आलिया को चोदकर मजा आ गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
मेरी कामवासना और दीदी का प्यार
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#9
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बात उन दिनों की है, जब मैं गर्मी की छुट्टियों में अपने गाँव में था. चूँकि उत्तर भारत में गर्मी की छुट्टियाँ लगभग दो महीने की होती है, तो मैं भी गाँव पर अपने हमउम्र दोस्तों के साथ मस्ती करता रहता था.

हमारा गाँव पूर्वी उत्तर प्रदेश की किसी आम गाँव जैसा ही है. आस पास बसे घर और बस्ती के बाहर लोगों के बाग़ और खेत. ये वो समय होता है जब औरतें अपने बच्चों के साथ अपने मायके भी जाती हैं. हालाँकि कई बार केवल बच्चे ही ननिहाल में रहने जाते हैं.

उस वक़्त हमारी बुआ की बेटी भी हमारे घर आयी हुई थी. चूँकि हमारे बुआ जी की मृत्यु कई साल पहले ही हो गयी थी, तो उनकी बेटियां गर्मियों में अक्सर अपने ननिहाल यानि हमारे घर आती थी.
हमारे घर में आम के बाग़ थे, तो ये मौसम आने के लिए अच्छा रहता था.

थोड़ा पीछे जाते हुए ये बता दूँ कि हमारी बुआ की 3 बेटियां और 1 बेटा है. जो दीदी इस वक़्त हमारे घर आयी हुई थी, वो उनकी बीच वाली बेटी थी. मैं अपने भाई बहनों में सबसे छोटा था और मेरे पिताजी भी बुआजी से छोटे थे, तो मेरे और दीदी की उम्र में काफी अंतर था. उस वक़्त मैं लगभग 21 साल का था और सुनीता दीदी, हाँ! उनका नाम सुनीता था, वो लगभग 35 साल की थी. उनके उस वक़्त 3 बच्चे भी थे लेकिन बच्चे अपने बाबा दादी के साथ उनकी ससुराल में थे.

ये वक़्त लगभग जून के मध्य का था. हमारे घर पर खेती-बाड़ी थोड़ी अधिक थी तो हर वक़्त कुछ ना कुछ अनाज छत पर सूखने के लिए फैला रहता था.

उस दिन मैं अपने द्वार (घर के बाहर की वो जगह जहाँ बाहर के मेहमानों को बैठाया जाता है. जो लोग गाँव के परिदृश्य से परिचित होंगे वो जानते होंगे.) पर अपने कुछ दोस्तों के साथ बैठा दोपहर में ताश खेल रहा था.

मौसम सुबह से ही बारिश का बन रहा था और दोपहर होते होते, बादलों ने पूरे आसमान को ढक लिया. हम बेपरवाह होकर मौसम का आनंद उठाते हुए ताश में ही व्यस्त थे. थोड़ी देर बाद जब मैं उठ कर अपने घर में गया तो देखा कि मेरी माँ, बड़े भाई और वो दीदी छत पर थे. मैं सीढ़ियों से चढ़ता हुआ ऊपर गया तो देखा वो सारे लोग हाथ में बोरी और झाड़ू लिए सरसों जो सूखने के लिए छत पर फैली थी, उसको बटोरने के लिए लगे हुए थे.

मेरी माँ ने थोड़ी नाराज़गी दिखाते हुए कहा- जब तुम देख रहे थे कि बारिश होने को है तो घर नहीं आ सकते थे क्या? छत पर ये सब फैला था.
मैंने भी कहा- तो आपको बुला लेना चाहिए था. यहीं तो था मैं!
माँ ने उसके बाद फिर कुछ नहीं कहा.

मैं सुनीता दीदी को वहां देख कर आश्चर्य में था कि वो कब आ गयीं. जब उन्होंने बताया कि थोड़ी देर पहले … तब मुझे लगा कि मैं ताश खेलने में इतना व्यस्त था कि कब वो हमारी बैठक के सामने से निकल कर घर में आ गयीं, मुझे पता ही नहीं चला.

खैर जो भी थोड़ा बहुत काम बचा था, मैं उसमें हाथ बंटाने लगा. काम लगभग खत्म हो गया था तो मेरे भाई नीचे चले गए.

मम्मी दूसरी तरफ छत साफ़ कर रही थी और सुनीता दीदी एक तरफ. अचानक मेरी नज़र सुनीता दीदी की तरफ गयी तो उनके झुकने की वजह से उनके कुरते का हिस्सा नीचे झूल गया था और उनके क्लीवेज गहराई तक दिख रहे थे.
उनका रंग गेंहुआ था, लेकिन कपड़ों के अन्दर रहने की वजह से वो हिस्सा काफी गोरा था.

हर जवान लड़के की तरह मेरी भी हालत थी और उसी तरह मेरी भी नज़र वहां से हट नहीं रही थी. उस कुरते का शायद गला भी काफी गहरा था, इस वजह से वो और भी ज्यादा दिख रहा था.
अचानक से उनकी नज़र ऊपर उठी तो उन्होंने मुझे वहां देखते हुए पकड़ लिया. हालाँकि मैं कुछ ऐसा नहीं कर रहा था जिसपर वो सबके सामने उंगली उठा सकें, लेकिन शर्म से मेरी ही नज़रें झुक गयीं और मैं दूसरी तरफ देखने लगा.

हालाँकि मन में एक चोर था जो बार बार उसी तरफ देखने के लिए जोर मार रहा था. दीदी ने कुछ ना बोलते हुआ बस अपने कुरते को थोड़ा ऊपर खींच लिया और बाक़ी का काम खत्म कर के नीचे चली गयीं.
मैं भी थोड़ी देर बाद घर से बाहर चला गया.

चूँकि वो गर्मी के दिन थे, और आप सब को पता ही है कि गाँवों में बिजली की क्या हालत रहती है, तो इस वजह से पूरे गाँव की तरह हम लोग भी छत पर सोते थे. हालाँकि पंखा लगा कर सोते थे कि अगर रात में बिजली आये तो कुछ तो हवा का आनंद मिले.

उस रात भी मैं मम्मी और दीदी छत पर ही बिस्तर लगा कर सो रहे थे. मेरे भाई नीचे देर तक टीवी देखते थे तो वो कई बार वहीं पर इन्वर्टर के सहारे चल रहे पंखे में ही सो जाते थे. और इससे पहले आप पूछें तो बता दूँ कि मेरे पिताजी की मृत्यु 3 साल पहले हो चुकी थी. तो घर में हम इतने ही लोग थे.

मैं पहले ही पंखे के साइड जाकर सो गया था तो जब दीदी और मम्मी सोने के आयी, तो दीदी बीच में और मम्मी उनके बगल में जाकर लेट गयी. चूँकि वो मेरी बड़ी बहन थी, तो उम्र में मुझसे काफी बड़ी, तो अगल बगल सोने में किसी को भी कोई दिक्कत नहीं थी.

रात में गर्मी के मारे मेरी नींद खुल गयी. मैंने उठ कर पानी पिया और फिर आकर अपनी जगह लेट गया. कुछ ही मिनट में लाइट आ गयी और पंखे की हवा लगने से मुझे फिर से नींद आनी शुरू हो गयी.
जब पंखे की हवा लगनी शुरू हुई तो दीदी ने भी अपने शरीर को थोड़ा सा खिसका कर पंखे के सामने कर लिया.

उस वक़्त उन्होंने साड़ी पहनी हुई थी, जो उन्होंने शाम को भीगने के बाद कपड़े बदल कर पहनी थी.

मैं आधी नींद में था लेकिन उनको बगल में देख कर और पंखा चलने से गर्मी से ध्यान हटने की वजह से शाम के नज़ारे मुझे याद आने लगे. वो याद आने पर मैं करवट बदल कर उनकी तरफ मुड़ गया. हालाँकि कुछ करने की हिम्मत नहीं थी लेकिन फिर भी जवानी का जोश … मैंने बस अपने हाथ को उठा कर उनके खुले हुए पेट पर रख दिया.

ये सब करते हुए मेरी आँखें बंद थी कि अगर वो जाग भी रही होंगी तो उन्हें यही लगेगा कि मैंने नींद में ऐसा किया है.

थोड़ी देर तक मैंने अपना हाथ उनके पेट पर ऐसे ही रहने दिया. चूँकि मेरी आगे कुछ करने की हिम्मत नहीं थी तो मैं खुद भी नींद में था वो मैंने अपना हाथ नीचे कर लिया और सोने की कोशिश करने लगा.

थोड़ी देर बाद मुझे ऐसा लगा जैसे कि कोई मेरी उँगलियों को छू रहा हो. पहले तो मेरा ध्यान नहीं गया लेकिन थोड़ी देर बाद मेरी आँख हल्की सी खुल गयी तो मैंने देखा की दीदी का हाथ मेरे हाथ के पास था, और उनकी उँगलियाँ मेरी हथेली को छू रही थीं.
मुझे लगा कि शायद नींद में होगा, तो मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

लेकिन थोड़ी देर बाद मेरी नींद खुल गयी. अब उनकी उँगलियाँ एक ही जगह पर थी बिना हिले-डुले. मैंने थोड़ी हिम्मत करते हुए अपनी उँगलियों से उनकी कलाई को छुआ तो उन्होंने अपने हाथ में मेरी उँगलियों को पकड़ लिया.

जब थोड़ी देर बाद उन्होंने उँगलियों को अपनी पकड़ से आजाद किया तो मैंने फिर से हाथ उठा कर उनके खुले पेट पर रख दिया. थोड़ी देर वैसे ही रखने के बाद मैंने उनके पेट को सहलाना शुरू कर दिया. ऐसे करते करते कब मेरी आँख लग गयी मुझे पता ही नहीं चला.
उस वक़्त शायद इससे ज्यादा करने की मेरी हिम्मत भी नहीं थी.

अगले दिन मैं सुबह चाय पीकर दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने चला गया. गर्मियों की छुट्टियों में दिन ऐसे ही बीतता था.

दोपहर में जब मैं वापस आया तो सारे लोग खाना खा चुके थे. गाँव में लोग खाना थोड़ा जल्दी खा लेते हैं. मैंने किचन से खाना लिया और खाने के बाद ऊपर के कमरे में चला गया.

हमारे घर में में गर्मी की दोपहर लोग नीचे के कमरे में ही आराम करते हैं, क्यूंकि वो अपेक्षाकृत ठंडा रहता है. लेकिन नीचे फ़ोन के नेटवर्क की हालत बहुत ख़राब रहती है, इसलिए मैं कई बार ऊपर ही जाकर थोड़ी देर लेटता था.

जब मैं ऊपर गया तो वो दीदी वहां लेटी हुई थी. वो अभी जगी हुई थीं. जब मैंने उन्हें देखा तो मैंने उनसे कहा कि मुझे पता नहीं था वो यहाँ पर हैं, वो आराम करें, मैं नीचे जाकर ही लेट जाता हूँ. उन्होंने मुझे रोकते हुए कहा- नहीं, मैं भी सो नहीं रही थी. और अगर मुझे सोना ना हो, तो बैठ कर मुझसे बात कर सकता है.

मेरी भी आँखों में नींद नहीं थी तो मैं वहीं बैठ कर उनसे बात करने लगा और साथ साथ मोबाइल में सर्फिंग करता रहा. चूँकि हमारी कभी इतनी ज्यादा बात होती नहीं थी, इसलिए मुझे भी नहीं समझ में आ रहा था कि उनसे क्या बात करूँ.
इसलिए मैंने जीजाजी और उनके ससुराल के जितने भी थोड़े बहुत लोगों को जानता था उनके बारे में पूछने लगा.

उन्होंने बताया कि जीजाजी की तबियत बहुत ठीक नहीं रहती है. ऐसी घबराने वाली कोई बात नहीं बस सांस की थोड़ी तकलीफ़ उनको रहती है लगातार, बहुत इलाज कराने के बाद भी.

थोड़ी देर इधर उधर की बात के बाद वो बोली- कल के बारे में कुछ कहना है तुम्हें?
मेरे पैरों के खून सर में आ गया और ऐसे लगा जैसे किसी ने कई मंजिल वाली इमारत से नीचे धकेल दिया हो.

मैंने अनजान बनते हुए कहा- कौन सी बात?
उन्होंने बिना चेहरे पर कोई भाव लाये हुए कहा- इतने मासूम मत बनो. मुझे सब पता है तुम कल शाम को सरसों बटोरते हुए जो देख रहे थे.
मैंने अपनी नज़रें नीचे करते हुए कहा- वो तो गलती से हो गया था.

उन्होंने फिर कहा- वो रात में भी वो गलती से ही हुआ?
मुझे काटो तो खून नहीं … समझ में नहीं आ रहा था क्या कहूँ. मैं उस पल को कोस रहा था जब उनके कहने पर मैं वहां बैठ कर उनसे बात करने लगा था.
मैंने घबराते हुए निगाहें नीचे कर ली और मेरे पैर जैसे काँप रहे थे.

मेरी हालत देख कर वो हँसने लगी. उनको हँसता देख कर मैं आश्चर्य से उनकी तरफ देखने लगा.
वो हँसते हुए ही बोली- घबराओ मत, मैं किसी से शिकायत नहीं करुँगी तुम्हारी.
मैंने उनकी तरफ ख़ुशी ख़ुशी देखा और केवल ये बोल पाया- थैंक यू दीदी. आज के बाद फिर कभी ऐसा नहीं करूँगा मैं!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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री समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर चल क्या रहा है. मैंने उसी अनिश्चितता के भाव से जब उनकी तरफ देखातो उन्होंने मेरे हाथ को और जोर से पकड़ लिया.
उन्होंने कहा- देखो, अगर मैं ये कहूँगी कि रात में जो हुआ वो मुझे अच्छा नहीं लगा तो ये झूठ होगा.

अब मुझे और किसी इशारे की जरुरत नहीं थी. मैंने उनके हाथ को अपने हाथ में लिया और धीरे धीरे सहलाना शुरू कर दिया. उनकी साड़ी का पल्लू उनके कन्धों से नीचे सरक गया था और हम दोनों की सांसें भरी हो रही थी. उनकी निगाहें नीचे थी और केवल हम दोनों के हाथों को देख रही थी.

मेरी नज़र उनके चेहरे पर थी. उनके हाथ को सहलाते सहलाते मैं अपने हाथों को उनके कन्धों तक ले गया और वहां से उनकी गर्दन तक. उनकी गर्दन पर हाथ रखते ही उन्होंने सर को एक तरफ झुका कर मेरे हाथ को अपने सर और कंधे के बीच बड़ा दिया.
उनकी त्वचा गर्मी की वजह से थोड़ी सी गीली हो रही थी लेकिन उनके शरीर का तापमान बढ़ा हुआ था और सांसें तेज़ चलने की वजह से उनका सीना ऊपर नीचे हो रहा था.

हम दोनों थोड़ी देर उसी हालत में बैठे रहे.

थोड़ी देर बाद जब उन्होंने सर ऊपर उठा कर मेरे हाथ को आजाद किया तो उनकी निगाहें मेरे चेहरे पर थी और होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान तैर रही थी. हम दोनों को पता था कि आगे क्या करना है, बस पहल कौन करेगा जंग किसकी थी.
हम दोनों भाई बहन अपने आप को रोक रहे थे … कुछ शर्म और कुछ घबराहट के कारण.

अंततः मैंने आगे झुक कर उनके माथे पर अपने होंठों को रख दिया. उनकी आँखें बंद हो गयीं थी. मैंने अपने होंठों को थोड़ी देर वहीं छोड़ दिया.
हम दोनों के हाथ अभी भी आपस में जुड़े हुए थे. अब केवल हाथ नहीं बल्कि उँगलियाँ आपस में उलझ गयी थी.

मैंने अपने होंठों को उनके माथे से हटाते हुए उनकी आँखों पर रख दिया. उनकी पलकें हल्की हल्की काँप रही थी जिन्हें मैं अपने होंठों से महसूस कर सकता था. अब मैं आँखों से हट कर उनके गालों को चूमता हुआ उनके होंठों तक आ गया.

पहले मैंने उनके ऊपर से ही किस किया. उन्होंने अपने होंठों को बंद ही रखा. फिर मैंने अपने होंठों से ही उनको खोलने की कोशिश करी. उनकी सांसें तो भरी हो रही थी लेकिन होंठ अभी भी बंद थे. मैंने उनका हाथ छोड़ कर अपने हाथ को उनकी कमर पर रख दिया और हल्के हल्के सहलाने लगा.

उनके मुंह से एक सिसकी निकली और मैंने उसी दौरान उनके निचले होंठ को अपने होंठों के बीच दबा लिया.
उन्होंने कोई विरोध नहीं किया.

मैं धीरे धीरे उनके होंठों को चूसता रहा. थोड़ी देर बाद जब उनकी झिझक थोड़ी खत्म हुई तो उन्होंने भी साथ देना शुरू कर दिया. अब मेरा एक हाथ उनकी कमर पर था और दूसरा उनके घुटनों पर. मैं एक हाथ से उनकी कमर और एक हाथ से कपड़ों के ऊपर से ही घुटनों के आस पास सहला रहा था.

थोड़ी देर बाद उन्होंने खुद ही अपने आप को हल्का सा पीछे किया और दीवार का सहारा लेते हुई अधलेटी स्थिति में आ गयी. मैंने भी उसी हिसाब से खुद को एडजस्ट किया और दुबारा से अपने चेहरे को उनके चेहरे के पास ले गया.

इस बार पहल उन्होंने करी और मेरे निचले होंठ को अपने होंठों के बीच ले लिया. थोड़ी देर ऐसे ही करते हुए उन्होंने अपनी जुबान मेरे मुंह के अन्दर धकेलने के कोशिश करी. मैंने अपने मुंह को थोड़ा खोलते हुए उनकी जबान को अन्दर लिया और उसे चूसने लगा.

थोड़ी देर बाद जब उन्होंने सांस लेने लिए होंठों को अलग किया तो उनके चेहरे पर जैसे एक अजीब सी चमक थी. मैंने उनकी कमर पर हाथ रखते हुए, उनके गले को चूमा. उन्होंने अपनी उँगलियों को मेरे बाल में फंसा दिया.

अब जैसे जैसे मैं उनके गले को चूमता जा रहा था, उनकी उँगलियाँ मेरे बालों को सहलाती जा रही थी. उन्होंने अपने सर को पीछे धकेल कर मेरे चूमने के लिए जैसे और जगह बना दी हो. उनके होंठों से हल्की हल्की सिसकारी निकल रही थी.

मैंने चूमना छोड़ कर अब उनके गले की त्वचा को हल्का हल्का चूसने शुरू कर दिया था. हालाँकि मैं ज्यादा देर तक ऐसा नहीं कर रहा था क्यूंकि मैं नहीं चाहता था कि ये निशान कोई देखे और वो परेशानी में पड़ जाएँ.

उनका पल्लू अब पूरी तरह से उनकी गोद में पड़ा था और छातियाँ गहरी सांस से ऊपर नीचे हो रही थी. मैं धीरे धीरे उनकी गर्दन से नीचे उतार रहा था. मेरे होंठ अब अब उनके ब्लाउज के गले पर था. उनका ब्लाउज थोड़ा डीप कट था तो जितना भी हिस्सा दिख रहा था मैं उसको लगातार चूम रहा था और अपनी जीभ से गीला कर रहा था.

गर्मी की वजह से उनकी त्वचा हल्का सा नमकीन लग रही थी लेकिन उस वक़्त मेरे दिमाग में और कुछ भी नहीं था.

मेरे हाथ अब उनकी कमर से ऊपर उनके ब्लाउज से ढके हुए हिस्से को सहला रहे थे. उन्होंने अपने शरीर को थोड़ा और नीचे कर लिया मेरी सहूलियत के लिए.

मेरे होंठ अब उनके ब्लाउज के ऊपर से उनके स्तनों के स्वाद ले रहे थे. मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उनके कड़े निप्पल को महसूस कर सकता था और चूसने की कोशिश कर रहा था.

मेरा हाथ अब उनकी कमर और पेट के बजाये उनकी टांगों पर था और उनके घुटनों के ऊपर की त्वचा को सहला रहा था. मेरा मुंह उनके एक निप्पल और और हाथ दूसरे स्तन पर था. मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उनकी निप्पल को चूस रहा था और दूसरे निप्पल को चुटकी काट रहा था और सहला रहा था.

उन्होंने अपना एक हाथ नीचे किया और मेरे शॉर्ट्स के ऊपर से ही मेरे लिंग को पकड़ लिया. थोड़ी देर उसको सहलाने के बाद उन्होंने उसको बाहर निकालने के लिए मेरे शॉर्ट्स की इलास्टिक को नीचे खिसकाने लगीं.
मैं इतनी जल्दी ये सब खत्म नहीं करना चाहता था. इसलिए मैंने अपने शरीर को थोड़ा और नीचे खिसका लिया. उन्होंने निराशा में मुझे ऊपर खींचने की कोशिश करी लेकिन फिर जब मैंने उनको मौका नहीं दिया तो उन्होंने अपने शरीर को ऊपर खिसका कर मेरे होंठों को अपने स्तनों से अलग कर दिया.

जब मैंने नज़र उठा कर ऊपर देखा तो उन्होंने मुस्कराते हुए अपने हाथों को अपने स्तनों पर रखा और एक एक करके ब्लाउज के हुक खोलने लगी.

मैंने भी देरी ना करते हुए बचे हुए दोनों हुक खोले और इससे पहले कि वो हाथ पीछे करके ब्लाउज को शरीर से अलग करतीं, उनके ब्रा से बाहर निकले हुए स्तनों के हिस्से पर भूखे भेड़िये जैसा टूट पड़ा. मैंने इतने बड़े स्तन पहले कभी नंगे नहीं देखे थे.

मेरे दिमाग में कल शाम की सारी तस्वीरें आ गयीं जब उनका क्लीवेज मुझे दिखा था. मैं उनके स्तनों को हल्का हल्का दांतों से काटने लगा और उनके मुंह से हल्की सी चीख निकल गयी. उन्होंने अपने हाथों को पीछे ले जाकर अपने ब्रा का हुक खोल दिया जिससे उनकी ब्रा थोड़ी सी ढीली होकर सरक गयी.

मैंने ब्रा को पूरा निकलने के बजाये कप्स को ऊपर खिसका दिया और उनके स्तनों को कपड़ों से आजाद कर दिया. मेरी बेसब्री देख कर वो हंस दी और खुद ही ब्रा को अलग कर के बेड पर रख दिया.

पहले तो मैंने उनके दोनों स्तनों को अपने हाथों में पकड़ा और फिर एक एक कर के दोनों को एक बच्चे जैसे चूसने में जुट गया. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ये सच में हो रहा है.

जब मेरे होंठ एक निप्पल पर होते थे तो हाथ दूसरे पर … दीदी के मुंह से लगातार सिसकी निकले जा रही थी.

मैंने अब निप्पल को छोड़कर उनके स्तन के नीचे के हिस्से को ऊपर उठाया और उसके नीचे की त्वचा को चाटने लगा. वो अपनी दोनों टांगों को आपस में रगड़ रही थी. मेरा हाथ भी अब उनकी जाँघों पर था और मैं लगातार उनके जाँघों के मांस को अपने हाथ से दबा और सहला रहा था.

मेरे लिए जैसे उनके स्तन ज़न्नत जैसे थे. मैं उन्हें छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं था. कभी एक तो कभी दूसरे तरीके से मेरा ध्यान उन्हीं पर था. कभी एक निप्पल, कभी दूसरे. निप्पल को छोड़ता तो उनके स्तन के बाकी के हिस्सों को चूसता रहता. उनके पूरे स्तन पर चूस चूस कर मैंने लाल निशान बना दिए थे.

उसके बाद मैंने उनके दोनों स्तनों को एक साथ पकड़ा और दोनों निप्पलों को एक साथ चूसने की कोशिश करने लगा. मेरे ऐसा करने की वजह से दोनों निप्पलों पर मेरा आधा मुंह पहुँच रहा था क्यूंकि उनके स्तन बहुत बड़े थे. लेकिन मुझे ऐसा करने में बहुत मजा आ रहा था.

मैंने फिर उनके दोनों स्तनों को छोड़ा और स्तनों के बीच की जगह को जबान निकल कर चाटने लगा.

दीदी मेरी हरकतों से पागल हुई जा रही थी. उन्होंने मेरे सर को जोर से अपने स्तनों पर दबाया हुआ था और उनकी सिसकारियां बढ़ती ही जा रही थी. उन्होंने अपने शरीर को इस तरह से खिसकाया की मेरा शरीर उनकी टांगों के बीच आ गया.

उन्होंने बिस्तर पर अपनी टांगों को और फैला दिया और लगभग अपनी पीठ के बल लेट गयी. अब मैं उनकी टांगों के बीच उनके शरीर के ऊपर था. उन्होंने अपना हाथ मेरी कमर पर रख कर मेरे शरीर के निचले हिस्से को अपने शरीर के और पास खींच लिया और अपने शरीर को इस तरह से रगड़ने लगी कि मेरा लंड उनकी टांगों के बीच आगे पीछे होने लगा.

हम दोनों के लिए स्थिति काबू से बाहर होती जा रही थी.

थोड़ी देर अपने शरीर को उसी तरह रगड़ने और दीदी के स्तनों को चूसने और काटने के बाद मैंने अपने हाथों से उनकी साड़ी को कमर के ऊपर उठा दिया. गाँव की बाकी औरतों जैसे दीदी भी साड़ी के अन्दर केवल पेटीकोट पहनती थी.

दीदी की नंगी चूत अब मेरे सामने थे. उस पर बहुत हल्के हल्के बाल थे जैसे ट्रिम करने के 2-3 दिन बाद होते हैं. मैं पहले कुछ देर उनकी नंगी चूत को अपने शॉर्ट्स से ढके हुए लंड से रगड़ता रहा. दीदी के धक्के नीचे से तेज़ होते जा रहे थे. उनकी चूत का गीलापन नीचे चादर और ऊपर मेरे शॉर्ट्स को भिगो रहा था.

थोड़ी देर उसी तरह रगड़ने के बाद मैंने अपने शरीर को नीचे किया और अपना मुंह दीदी की टांगों के बीच लेकर चला गया. जब दीदी को अहसास हुआ कि मैं क्या कर रहा हूँ तो उन्होंने मुझे खींच कर ऊपर करने की कोशिश करी. मुझे नहीं पता था कि उनके साथ पहले ऐसा किसी ने किया नहीं था … इस वजह से वो मुझे वो करने से रोक रही थी या अभी भी उनको शर्म आ रही थी.

हम दोनों में से कोई भी कुछ नहीं बोल रहा था.

हालाँकि उनके खींचने से पहले मैंने उनकी टांगों के बीच कुछ चुम्बन दे दिए थे और उनकी सिसकारियां गवाह थी कि वो उन्हें बुरा तो नहीं ही लगा था. हालाँकि जब उन्होंने मुझे खींच कर ऊपर किया तो मैंने सोचा की अब उनसे बात करनी ही चाहिए. वरना सब कुछ बहुत ही ठंडे तरीके से होगा.

मैंने ऊपर जाकर पहले उनके होंठों को किस किया और उनके चेहरे पर आ गए बालों को कान के पीछे ले गया.
वो मुस्करा कर मेरी ओर देखने लगी.
मैं नहीं चाहता था कि मैं केवल उनके शरीर को सुख दूँ. मैं चाहता था कि वो मुझे अपना माने और उनके दिल में मेरे लिए थोड़ा प्यार रहे … इससे शारीरिक सुख कई गुना बढ़ जायेगा.

मैंने उनसे कहा- आपने मुझे रोका क्यूँ?
पहले तो कई सेकंड्स उन्होंने जवाब नहीं दिया.
मैंने जब फिर से पूछा- बोलिए ना?

तब उन्होंने कहा- आज तक तुम्हारे जीजा ने ये नहीं किया तो मुझे बड़ा अजीब लगा. और ये गन्दा भी तो है!
मैंने कहा- बिल्कुल नहीं … और आप जीजा के नहीं मेरे साथ हैं.
मेरे कहने से उनके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी.

दीदी ने कहा- तुम्हारा जो मन हो वो करो. मैं नहीं रोकूंगी.

उनके इतना कहने की देर थी, मैंने उनके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और एक लम्बी किस देने के बाद धीरे धीरे उनके सारे अंगों को चूमता चाटता नीचे की तरफ बढ़ने लगा. उनके मुंह से लगातार सिसकारियां निकल रही थी और उनकी उँगलियाँ मेरे बालों से खेल रही थी.

दीदी की छाती, पेट से होता हुआ मैं उनकी टांगों के बीच पहुँच गया. हालाँकि मैंने वो हिस्सा छोड़ कर पहले उनकी जाँघों को चूमना शुरू कर दिया. उन्होंने उत्तेजना के मारे अपनी टांगों को चौड़ा कर लिया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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दीदी ने कहा- तुम्हारा जो मन हो वो करो. मैं नहीं रोकूंगी.

उनके इतना कहने की देर थी, मैंने उनके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और एक लम्बी किस देने के बाद धीरे धीरे उनके सारे अंगों को चूमता चाटता नीचे की तरफ बढ़ने लगा. उनके मुंह से लगातार सिसकारियां निकल रही थी और उनकी उँगलियाँ मेरे बालों से खेल रही थी.

दीदी की छाती, पेट से होता हुआ मैं उनकी टांगों के बीच पहुँच गया. हालाँकि मैंने वो हिस्सा छोड़ कर पहले उनकी जाँघों को चूमना शुरू कर दिया. उन्होंने उत्तेजना के मारे अपनी टांगों को चौड़ा कर लिया था.

मैं लगातार उनकी जाँघों को चूम और चाट रहा था. ऐसा करते करते मैंने अपनी उंगली से उनकी चूत की दरार को हल्का हल्का सहलाना शुरू कर दिया.

उनकी सिसकारियां अब आवाज़ में बदल गयी थी. उनके हाथ मेरे बालों को सहला रहे थे और मेरे हाथ उनकी चूत की दरार को. मेरे होंठ उनकी जाँघों को चाटते-चाटते आगे बढ़ रहे थे.

मैं अपनी जबान निकाल कर दीदी की जाँघों के जोड़ पर फेरने लगा. उत्तेजना में उन्होंने अपनी टांगें फैला दी और मेरे बालों को पकड़ कर खींचने लगी. मैंने अगर बगल से ध्यान हटा कर अपना मुंह सीधे उनकी चूत पर रख दिया. उसको चूमने के बाद मैंने जबान निकल कर पूरी चूत को एक बार में चाट लिया.

दीदी के मुंह से ना चाहते हुए भी आह की आवाज़ निकल गयी. मैंने अपनी उँगलियों से उनकी चूत की दरार को खोला और अन्दर के गीले हिस्से को चाटने लगा. उनकी सिसकारियां एक बार आह में बदल गयी तो वो वहीं ठहरी रहीं.

मेरी जुबान उनकी क्लिट को लगातार रगड़ रही थी. दीदी की समझ में नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है. उनके साथ आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था.

मैंने ऐसे ही उनकी चूत चाटते-चाटते धीरे से अपनी दो उँगलियाँ नीचे रखी और सहलाते सहलाते उनको दीदी की गीली चूत के अन्दर डाल दिया.
उनके मुंह से एक चीख निकल गयी लेकिन उन्होंने अपने नितम्बों को उछाल कर उनका स्वागत किया.

अब मेरी जबान और उँगलियाँ एक साथ काम कर रही थी. जबान ऊपर नीचे और उँगलियाँ अन्दर बाहर. मैंने अपने अंगूठे को उनके पीछे के छेद पर रख दिया था और उसको मसल रहा था.

दीदी के लिए तीन मोर्चों पर हमला बहुत ज्यादा हो गया था और वो संभल नहीं पा रही थी. अचानक से उन्होंने एक तेज़ आवाज़ निकली और अपने हाथों से मेरे मुंह को अपनी चूत पर दबा दिया. मैं समझ गया कि वो झड़ गयी हैं.

थोड़ी देर बार उनकी पकड़ ढीली हुई तो वो निढाल पड़ गयी.

मैंने अपने सर को उठा कर ऊपर किया तो उनकी आँखें आधी खुली थी और उनके चेहरे पर मुस्कराहट थी. उन्होंने खींच कर मुझे ऊपर किया और मेरे होंठों को अपने मुंह में कैद कर लिया.

उस दिन दीदी के अंदर आग तो बहुत थी लेकिन इतने दिन बाद इस तरह का सुख पाने के बाद उनके शरीर मे हिम्मत नहीं बची थी कि वो कुछ और कर सकें। वो बस मुझे अपने शरीर से चिपका कर मेरे बालों में उंगलियां फेर रहीं थी और लगातार चूमे जा रही थीं।

थोड़ी देर बार हमें महसूस हुआ कि काफी देर हो चुकी है और शाम की चाय का वक़्त हो गया है। इस वजह से घर के बाकी लोग उठने वाले होंगे।
हमने अपने कपड़े पहने और कमरे से बाहर निकलने लगे।

वो मेरे आगे थीं। मेरा मन नहीं माना और मैंने उनको पीछे से पकड़ कर दीवार की तरफ धक्का देकर पीछे से उनसे चिपक गया। वो मेरे इस कदम से एकदम हक्की-बक्की रह गयी।
मैंने बिना वक़्त लिए अपने शरीर को पूरी तरह से उनके शरीर से चिपका लिया।

मेरा हाथ उनकी कमर पर था और मेरे होंठ उनकी गर्दन से चिपके थे। मेरे नीचे का हिस्सा उनके पिछवाड़े से जुड़ा हुआ था। मैंने कमर के नीचे के हिस्से को उनकी तरफ धकेला तो जवाब में उन्होंने भी पीछे की तरफ धक्का दे दिया।

दीदी का मन भी उतना ही बेचैन था जितना मेरा। मैंने अपनी जबान के आगे के हिस्से को हल्का सा मुँह से निकाला और दीदी की गर्दन पर आई पसीने की हल्की बूंदों को चांट लिया।

दीदी के मुंह से सिसकारी निकल गयी और उन्होंने अपने सर को एक तरफ करके गर्दन को मेरे लिए खोल दिया। इसके साथ ही उन्होंने अपने कमर के नीचे के हिस्से को धीरे धीरे मेरे लिंग पर रगड़ना शुरू कर दिया।

मैंने अपनी पकड़ उनकी कमर पर मजबूत कर ली और उनके धक्कों का साथ देने लगा। उनके होंठ हल्के से खुले थे और उनके मुंह से हल्की हल्की सिसकारी निकल रही थी। मेरे होंठ उनकी गर्दन का रसास्वादन कर रहे थे और हाथ उनके खुले पेट पर लगातार घूम रहे थे।

दीदी ने दीवार का सहारा ले लिया और अपने नितम्बों को पूरी तरह से मेरी तरफ धकेल दिया।
मैंने भी उनको निराश ना करते हुए उनकी कमर को थोड़ा आगे से पकड़ा और अपने सख्त लिंग को उनके नितम्बों की दरार में फँसाने की कोशिश करने लगा।

हम दोनों पूरी तरह से होश खो चुके थे।

अचानक से नीचे से मेरी माँ ने चाय के लिए आवाज़ दी। हम जैसे किसी और ही दुनिया मे थे और वहां से वापस आ गए हो। हमने अपने आपको संभाला और नीचे जाने लगे।

दीदी ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरे होंठों को चूमते हुए अपनी जुबान मेरे मुंह मे धकेल दी। साथ ही मेरे लिंग पर हाथ रगड़ते हुए अपनी मुट्ठी में उसे भींचने लगी। कुछ सेकंड ऐसा करने के बाद उन्होंने मुझे वहीं छोड़ दिया और एक सेक्सी सी मुस्कान देकर वो आगे चल दी।

मैंने किसी तरह खुद को संभाला और फिर मैं भी नीचे आ गया।

उस दिन हम लोगों को और अकेले बिल्कुल वक़्त नहीं मिला। बस एक दूसरे को हम चोरी-छुपे प्यासी निगाहों से देखते रहे।

दीदी को अगले दिन वापस उनके घर जाना था। मुझे लगा शायद ये अरमान अधूरा ही रह जायेगा। लेकिन दीदी ने शायद सब कुछ पहले से ही सोच रखा था। उन्होंने सबके सामने मुझे कहा- अभी तो तुम्हारी छुट्टी बाक़ी है, तुम मेरे साथ क्यों नहीं चल लेते कुछ दिन?
आमतौर पर तो मैं ऐसे किसी के यहां जाता नहीं … लेकिन यहां तो मकसद कुछ और ही था। मैं थोड़ी ना-नुकुर के बाद तैयार हो गया। अगर मैं ऐसे ही तैयार हो जाता तो पता नहीं लोगों को क्या लगता।

आमतौर पर उनको ड्राइवर छोड़ने जाता … लेकिन चूंकि मैं जा रहा था इसलिए उसकी जरूरत नहीं थी। उनका सारा सामान और आम वगैरह कार में लदवाने के बाद हम दोनों लोग शाम के वक़्त घर से निकले।

उनका घर हमारे घर से लगभग 50-60 किलोमीटर की दूरी पर था। सड़क चूंकि बहुत अच्छी नहीं थी और बीच में थोड़ा इलाका जंगल का था इसलिए डेढ़ से दो घंटे लग जाते थे।

हम अपने गांव से थोड़ी दूर ही बाहर आये थे, कि दीदी ने अपना हाथ उठाकर मेरी जाँघ पर रख दिया। वो धीरे धीरे उसको सहलाने लगी। मैं ड्राइविंग पर ध्यान देना चाहता था जबकि वो चाहती थी कि मैं कहीं और ध्यान दूँ।

उनका हाथ मेरी जाँघ और उसके आस पास ही घूम रहा था। उनके स्पर्श का असर दिखना शुरू हो गया था। मेरा लिंग सख्त होने लगा था।

उनको ये महसूस हुआ और उनके चेहरे पर एक मुस्कराहट आ गयी। उन्होंने हाथ को जाँघ से हटा कर सीधे लिंग पर रख दिया। वो वहीं पर धीरे धीरे अपना हाथ सहलाने लगी। उनके हाथ लगाते ही जैसे किसी ने जादू कर दिया हो।

मेरे लिए खुद को काबू में रखना बहुत मुश्किल हो रहा था लेकिन मैं कुछ कर भी नहीं सकता था। वो इस स्तिथि का भरपूर मजा ले रही थी। लेकिन उनकी भी बैचैनी बढ़ती जा रही थी। इसी तरह आधा रास्ता लगभग खत्म हो गया।

बीच में जो 15-20 मिनट का रास्ता जंगल का था वो शुरू हो गया था। जंगल मे लगभग 5 किलोमीटर अंदर चलने के बाद मुझे दिखा कि एक कच्चा रास्ता अंदर की तरफ का रहा था।
मैंने गाड़ी उसी तरफ मोड़ दी।

दीदी ने कहा- अरे वो गलत रास्ता है।
मैंने कहा- कई बार गलत चीजें सही चीजों से ज्यादा सही होती हैं।
वो शायद मेरा मतलब समझ गयीं थी। उन्होंने फिर कुछ नहीं बोला।

लगभग 2 किलोमीटर अंदर चलने के बाद मैंने गाड़ी एक किनारे जगह देखकर रोक दी। गाड़ी का हैंडब्रेक लगाने के तुरंत बाद मैंने उनकी तरफ देखा और उनको बिना वक़्त गवाएं अपनी तरफ खींच लिया।

वो जैसे खुद ही तैयार बैठी थी। उन्होंने खुद को मेरी बाहों में ढीला छोड़ दिया। मैंने सीधे उनके अंगारों जैसे जलते होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और अपना हाथ उनकी कमर पर रख कर उनको अपनी तरफ खींच लिया। उनके निचले होंठों को अपने होंठों के बीच दबा कर मैं धीरे- धीरे चूसने लगा।

दीदी भी बदहोश होकर मेरा साथ दे रही थी।

हम दोनों के पास ज्यादा वक्त नहीं था। उसी मदहोशी में दीदी का हाथ उनके ब्लाउज के हुक खोलने लगा। मैंने भी उनका साथ देते हुए बचे हुए हुक खोले और दीदी ने तुरंत उसको निकाल कर पीछे की सीट पर फेंक दिया।

बिना देर किये हुए उन्होंने अपने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा के हुक्स खोले और उसे भी उतार कर पीछे फेंक दिया।

मेरा हाथ अब कमर से होते हुए उनके वक्ष पर आ गया। उनके निप्पल पत्थर जैसे सख्त हो चुके थे। मैंने उनकी सीट का लिवर खींच कर सीट को एकदम पीछे कर दिया। वो सीट पर पीछे की तरफ चली गयीं।

मैं उनके होंठों को छोड़ कर उनकी गर्दन को चूमते और काटते हुए उनके क्लीवेज की तरफ बढ़ने लगा। उनके स्तन हवा में उठे हुए थे। मैंने उनके एक निप्पल को मुंह में रखा और भूखे बच्चे जैसा उसको चूसने लगा।
दीदी के मुंह से एक लंबी सी आह निकल गयी।

मैं अभी ढंग से अपना पूरा ध्यान दे भी नहीं पाया था कि दीदी का हाथ मेरे बेल्ट पर चला गया। उन्होंने उसी पोजीशन में बेल्ट का हुक खोला और पैंट के बटन खोलने लगी।
मैंने अपना मुंह उठाते हुए उनसे पूछा- इतनी जल्दी क्या है?
उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचते हुए कहा- इतने सालों से तो भूखी हूँ, अब और इंतज़ार नहीं होता। और पिछले दो दिनों में तुमने मेरी हालत और खराब कर रखी है। बाकी हमें घर भी पहुँचना है। वहां जो मर्ज़ी जितना मर्ज़ी उतना कर लेना।

मैंने अपना हाथ दीदी की साड़ी के अंदर डाल कर उनकी पैंटी को छुआ तो देखा कि वो उनके रस से सराबोर थी। मैं उनकी बेचैनी को समझ रहा था।

उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरी पैंट के बटन को खोल कर उसको नीचे खिसका दिया। मेरी अंडरवियर के ऊपर से वो अपना हाथ रगड़ने लगी। मैंने उनकी साड़ी को उनकी कमर तक ऊपर किया और एक ही झटके मे उनकी पैंटी को उनके पैरों तक नीचे खिसका दिया।

दीदी ने अपनी पैंटी को निकाल दिया और अपने पैरों को और चौड़ा कर के मुझे आगे की तरफ खींच लिया।

मैंने पहले अपने लिंग के अगले हिस्से को उनकी दरार पर थोड़ी देर रगड़ा। दीदी से कंट्रोल नहीं हुआ, फिर उन्होंने खुद ही पकड़ कर धीरे से उसको अंदर कर लिया। मैंने उसी फ्लो में आगे की तरफ झटका दिया तो दीदी के पानी की वजह से पूरा का पूरा अंदर चला गया।

दीदी के मुंह से एकदम से सिसकारी निकली उम्म्ह… अहह… हय… याह… और एक लंबी आह भी। उनका हाथ मेरे पिछवाड़े पर चला गया और दीदी ने मेरी कमर को अपनी ओर खींच लिया।

मैंने अपना मुंह दीदी कर वक्ष पर रख और वहां जगह जगह चाटने और चूसने लगा। नीचे से दीदी ने धक्के लगाने शुरू कर दिए थे और उसके जवाब में ऊपर से मैंने भी।

पूरी कार में केवल दीदी की आह और सिसकारियां गूंज रही थी। उसके अलावा दीदी के पानी की वजह से जब लिंग उनके अंदर बाहर हो रहा था तो वो आवाज हम दोनों के सुख को दिखा रही थी।
मैं लगातार दीदी के निप्पल को चूस और काट रहा था। हम दोनों पूरी तरह से एक दूसरे में डूब चुके थे। बाहर की दुनिया से हमारा कोई लेना देना नहीं था इस वक़्त।

अचानक दीदी ने कहा- आह! थोड़ा तेज करना भैया!
मैंने अपनी गति और धक्कों की तीव्रता दोनों बढ़ा दी थी।
दीदी के मुंह से आह और ओह्ह के अलावा बस ये निकल रहा था- रुकना मत … ऐसे ही करते रहना।

काफी देर बाद दीदी ने अपनी टांगों से मेरी कमर को जकड़ लिया और चिल्लाई- बस बस बस!
मुझे लग गया कि दीदी बस अपने चरम पर पहुँचने पर वाली हैं। मैंने भी खुद को इतने दिन से रोक रखा था। मुझे भी नहीं लगा कि मैं अब ज्यादा देर इंतज़ार कर पाऊंगा।

दीदी ने कहा- तुम अंदर ही अपना निकाल देना।
कुछ और धक्कों के बाद दीदी के मुंह से एक लंबी चीख निकली और वो थोड़ा ढीली हो गयी।

दो तीन तेज़ धक्कों के बाद मैंने दीदी को ज़ोर से पकड़ा और अपने वीर्य की धार उनकी योनि की गहराई मैं अपना सब कुछ निकाल दिया।

हम दोनों थोड़ी देर ऐसे ही एक दूसरे से चिपके लेटे रहे।
फिर दीदी ने ही कहा- अब चलें? घर पहुंच कर बचा हुआ काम खत्म कर लेना।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#12
म दोनों ने अपने कपड़े पहने और अपनी अपनी सीटों पर बैठ गए.
अब हमारी मंजिल दीदी की ससुराल थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#13
मौसी की बेटी ने चुदाई का मजा दिया
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#14
सबसे बड़ी मौसी की लड़की की शादी छः साल पहले हो चुकी है. मेरी सात में से चार मौसी एक ही गांव में रहती हैं. मेरा और मेरी मौसेरी बहन का बहुत ही नज़दीकी रिश्ता है. हम आपस में सारी बातें शेयर करते हैं, चाहे वो घर की हो या सेक्स की … हम एक दूसरे से कुछ नहीं छुपाते.

एक बार मैं गर्मियों के दिनों में छोटी मौसी के यहां दस दिनों के लिए गया था और मेरी बहन भी उन दिनों वहीं पर थी. जब उसे पता चला कि मैं छोटी मौसी के यहां रहने वाला हूँ, तो वो भी मेरे साथ रहने वहीं आ गई. मैं जिस दिन अपनी मौसी के घर आया, उसी दिन शाम को मेरी बहन भी वहां आ गई. हम सबने मिल कर खूब बातें की, फिर सभी ने खाना आदि खाया और सोने की तैयारी होने लगी. मेरी मौसी और मौसा जी अपने कमरे में सोने चले गए.

मेरी इन मौसी को कोई बच्चे नहीं हैं. इस वजह से हम दोनों दूसरे कमरे में जाकर सो गए.

मैं और मेरी बहन ने रात भर बातें की कुछ अपनी, अपने घर की और कुछ सेक्स संबंधी. हम दोनों ने रात में अन्तर्वासना की कुछ कहानियां भी पढ़ीं और बातें करते करते सो गए.

सुबह जब हम उठे तो देखा कि मौसी और मौसाजी दोनों तनाव में थे और फोन पर बातें कर रहे थे.

हम दोनों ने उठकर मौसी से पूछा, तो हमें पता चला कि हमारी नानी को दिल का दौरा आया है और उन्हें तुरंत पास के एक हॉस्पिटल में दाखिल करना पड़ा है. इसी वजह से मौसी और मौसा जी का तुरंत ही वहां जाना ज़रूरी था.

मौसी ने मुझे और मेरी बहन से कहा- तुम दोनों यहीं पर रहो, हम जाकर आते हैं.
हमने भी हां कर दी और मौसी और मौसाजी दोनों रवाना हो गए.

हम दोनों दिन भर का काम समेट कर टी.वी. देखने लगे.
तभी मैंने दीदी से कहा- चलो पॉर्न वीडियो देखते हैं.
दीदी बोली- ओके.

मैंने बताया कि मेरे लैपटॉप में बहुत सारे पॉर्न वीडियो हैं. आप टीवी बंद कर दो.
दीदी ने हां कहकर टी.वी. बंद कर दिया. हम वीडियो देखने अपने रूम में चले गए.

तभी मेरा फोन बजा … मैंने मोबाइल उठा कर देखा कि मौसी का फोन था.
मैंने झट से फोन उठा कर बात की, तो मौसी बोलीं- नानी की तबीयत बहुत खराब है … तो मैं और तुम्हारे मौसाजी परसों सुबह तक घर आ पाएंगे.
मेरी बात पूरी होने पर मैंने दीदी को बोला, तो दीदी ने सर हिलाकर इशारा किया.

हम दोनों पॉर्न देखने बैठ गए. पॉर्न देखते देखते मेरे लंड ने खड़े होकर मेरी पैंट को तंबू बना दिया था. जब मेरी दीदी का ध्यान उस पर गया, तो वो हंसने लगी.
दीदी मुझसे बड़े ही प्यार से बोली- जा तू जाकर मुठ मारकर आ!

इतना कह कर वो दुबारा हंसने लगी. मैं उठकर मुठ मारने बाथरूम में गया और हाथ धोकर रूम में आने ही वाला था. तब मैंने देखा कि दीदी अपनी चूत को ऊपर से हाथों से सहला रही थी. ये नजारा मैं भी कमरे की दहलीज से देख रहा था. दीदी काफ़ी गर्म हो चुकी थी.

जैसे ही मैं कमरे में गया तो दीदी ने झट से हाथ हटा दिया और वीडियो देखने लगी.
थोड़ी देर बाद मैंने दीदी के कंधे पर हाथ रख दिया, तो दीदी कुछ नहीं बोली. वो तो पॉर्न देखने में व्यस्त थी.

मैंने थोड़ी हिम्मत करके दीदी के कंधे पर से दूसरी तरफ के स्तन को स्पर्श किया.
अब दीदी ने कहा- ये क्या कर रहे हो? मैं तुम्हारी बहन हूँ और बहन के साथ ऐसा कोई करता है क्या?

मैं घबरा गया और झट से हाथ हटा दिया. मेरे हाव-भाव देख दीदी ज़ोर से हंस पड़ी और उसने खुद से मेरा हाथ अपने कंधे से लेकर अपने स्तन पर रख दिया.

फिर दीदी ने नशीली आवाज में कहा- चलो धीरे धीरे से सहलाओ.
मैं जैसे जैसे दीदी के स्तन को सहलाए जा रहा था, वैसे वैसे दीदी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां ले रही थीं. दीदी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… हय..’ कर रही थीं.

मैंने लैपटॉप को एक टेबल पर रख दिया और दीदी को चूमना शुरू कर दिया. पहले तो उसने इंकार कर दिया, पर मेरा थोड़ा ज़ोर देने पर वो मान गई. हम दोनों एक दूसरे को पांच मिनट तक चूमते रहे. वो भी मेरा उतना ही साथ दे रही थी. मैं दीदी को चूमने के साथ उसके स्तन को मसल भी रहा था. स्तन मसलना और उनके होंठों को चूमना एक साथ हो रहा था. जिसमें दीदी मुझे पूरा सहयोग दे रही थी.

फिर मैंने दीदी को बेड पर लेटा दिया और उसकी कुर्ती को उतार कर फेंक दिया. मेरी दीदी वैसे तो गोरी है और उसकी उम्र लगभग अट्ठाईस साल की है. उनका फिगर 36-38-40 का है, वो दिखने में भी सुंदर है. दीदी की हाइट पांच फुट एक इंच की रही होगी.

जैसे ही मैंने दीदी की कुर्ती उतारी, मेरी आंखों के सामने मानो एक बिजली सी चमक उठी. मुझे लगा जैसे एक अप्सरा का बदन सामने दिखने लगा था. एकदम दूध सा गोरा बदन और उसके बड़े बड़े स्तन क्या मस्त दिख रहे थे. अपनी दूधिया चूचियों पर दीदी ने नीले रंग की ब्रा पहन रखी थी, जिससे उसके दूधिया स्तन और भी उठ कर दिख रहे थे.

हम थोड़ी देर और चुंबन और मसाज़ का खेल खेलते रहे. फिर मैं दीदी के पज़ामे के नाड़े को खोल ही रहा था कि दीदी ने मना कर दिया.

मैंने दीदी से कहा- मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ और बस एक बार आपको को चोदना चाहता हूँ, प्लीज़ मेरी ये एक तमन्ना पूरी कर दो प्लीज़.
दीदी ने ना कहकर टाल दिया लेकिन मैं मानने वालों में से नहीं था. मैंने ज़बरदस्ती दीदी के पज़ामे का नाड़ा खोल दिया और अन्दर हाथ डाल कर उनकी चूत को सहलाने लगा.

दीदी के काफ़ी प्रयासों के बाद भी वो मुझे रोक नहीं पाईं और थोड़ी देर में उनको भी मज़ा आने लगा. वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां भर रही थीं. मैंने देखते देखते दीदी का पज़ामा भी उतार दिया. अब दीदी मेरे सामने बस नीले रंग के ब्रा और पैंटी में थीं. कसम से दोस्तों उस दिन मेरी बहन क्या और लाजवाब मस्त दिख रही थी.

मैं अपने पास अक्सर एक कंडोम का पैकेट रखता ही हूँ, क्या पता कब कौन की चूत चोदने को कहां पर मिल जाए.

मैं दीदी को थोड़ी देर और चूमता रहा. मैं एक हाथ से उसके स्तन को मसल रहा था और एक हाथ से उसकी चूत को सहला रहा था.
कुछ देर में दीदी की पैंटी गीली हो गई थी. शायद दीदी की चूत ने पानी छोड़ दिया था.

दीदी अब काफ़ी गर्म हो गई थी, मैंने आराम से दीदी की ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी चड्डी भी उतार दी. अब दीदी मेरे सामने नग्न अवस्था में थी. वो भी खुद को रोक नहीं पा रही थी. उसने झट से मेरी टी-शर्ट को उतार दिया और मेरे शॉर्ट्स को भी उतारने के लिए उसे नीचे की तरफ खींच रही थी. मैंने उसकी मदद की और अपने आपको उसके सामने नंगा कर दिया. हम दोनों एक दूसरे के कामुक बदन पर टूट पड़े.

दीदी मेरे लंड को सहलाने लगी. मैंने उसकी चूत में उंगली फेरना शुरू कर दी. मैंने उसकी तरफ देख कर ओरल करने का इशारा करते हुए उसकी चूत के रस से भीगी उंगली को निकाल कर अपने मुँह में ले कर चूस ली.

दीदी ने भी सहमति देते हुए खुद को चित लिटा दिया अपनी टांगें फैला कर चूत खोल दी. मैं 69 की पोज़िशन में आ गया और उसकी चूत को चाटने लगा. वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूस रही थी.

हम एक दूसरे को लगभग दस मिनट तक चूसते रहे. दीदी ने इस चुसाई से एक बार पानी छोड़ दिया. ओरल सेक्स में मैंने भी अपना पानी उसके मुँह में छोड़ दिया. दीदी ने झट से पूरा पानी अपने मुँह के बाहर थूक दिया, लेकिन मैंने दीदी का पूरा पानी पी लिया.
क्या मस्त महक आ रही थी और उसका पानी बड़ा ही स्वादिष्ट मलाई जैसा था. मुझे मज़ा आ गया.

अब दीदी मुझे बोलने लगी- रॉकी प्लीज़ अब सहा नहीं जा रहा है … जल्दी से अपनी दीदी की चूत को अपने लंड से भर दो और अपनी दीदी की चूत को चोद दो.
मैंने जल्दी से कंडोम पहना और दीदी की चूत पर रगड़ने लगा. मैंने एक ही झटके में अपने लंड ज़ोर से अन्दर की ओर धकेल दिया.

दीदी बहुत ज़ोर से चिल्ला पड़ी और बोलने लगी- हरामखोर जल्दी बाहर निकाल. … बहुत दर्द कर रहा है … इतना मोटा लंड मेरे पति का भी नहीं है, जल्दी हट.
मैंने दीदी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और जो मेरा लंड आधा ही अन्दर गया था, उसको एक और ज़ोर के झटके के साथ पूरा का पूरा अन्दर डाल दिया.

पूरा लंड अन्दर घुस जाने से दीदी की आंखों से पानी आने लगा था. मेरे होंठ दीदी के होंठों पर रहने के कारण वो कुछ बोल भी नहीं पा रही थी. थोड़ी देर मैंने बिना कुछ करे दीदी पर लेटा रहा और फिर धीरे धीरे अपने झटके शुरू किए.

एक मिनट बाद दीदी को भी मज़ा आने लगा. उसका भी दर्द कम हो रहा था. अब वो भी झटके ज़ोर से मारने को कह रही थी.
फिर मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और दीदी को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा. दीदी भी टांगें उठा कर पूरी मस्ती से चुदवा रही थी. मैंने उसके ऊपर झुकते हुए उसके एक दूध के निप्पल को अपने होंठों के बीच दबाया और पूरे लंड से दीदी की चुदाई चालू कर दी.

दस बारह मिनट की चुदाई में दीदी दो बार झड़ चुकी थी और अब मैं भी झड़ने वाला ही था. इसीलिए मैंने अपने धक्के तेज़ कर दिए. अगले दो मिनट में मैं भी झड़ गया और निढाल होकर दीदी पर ही सो गया.

शाम को लगभग आठ बजे तक हम एक दूसरे से चिपके हुए सो रहे थे. फिर मेरा मोबाइल बजा, इससे दीदी की नींद खुल गई. दीदी ने टेबल से मोबाइल लिया और देखा, तो मौसी का फोन था.

उसने फोन उठाया और मौसी से बात करके फोन रख दिया. थोड़ी देर वैसे ही सोने के बाद दीदी ने मुझे उठाया और हम दोनों बाथरूम में नहाने चले गए. हम दोनों ने साथ में शावर लिया और मैंने दीदी से कहा- हम कल तक हम घर में नग्न अवस्था में ही रहेंगे.
दीदी हां कह कर शावर से बाहर आ गई.

उस रात का खाना उसने नग्न अवस्था में ही बनाया.
दोबारा हमने किचन में और सोते वक़्त और दूसरे दिन नहाते वक़्त भी सेक्स किया. दीदी को मेरे लंड से चुदवाना पसंद आ गया था. वो खुद ही मेरे लंड को बार बार अपने मुँह में लेकर चूस लेती थी. उसको जीजा के लंड से कहीं अधिक मजा मेरे लंड से चुदने में आया था.

दीदी ने मुझसे खाना खाते हुए कहा कि तेरे जैसा लंड मैंने आज तक नहीं लिया.

उसकी इस बात से मैंने उससे पूछा कि क्या आपने जीजा जी के अलावा और भी लंड लिए हैं.
इस पर दीदी ने हंस दिया. वो बोली- चल पहले खाना खा ले, फिर बिस्तर में सब बताऊंगी.

ये Sick
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#15
मेरी मौसी की लड़की शादीशुदा थी और हम दोनों ही अपनी तीसरी मौसी के घर पर आए हुए थे. जब हम दोनों वहां पहुंचे, तो उसी दौरान मेरे मौसा और मौसी को नाना के घर जाना पड़ा. जिस वजह से हम दोनों उनके घर में मौज मस्ती कर रहे थे. हमारी एक चुदाई हो चुकी थी और आज दूसरे दिन का खेल शुरू होने वाला था.

अब आगे मजा लीजिएगा:

उस दिन जब हम खाना खाकर उठे, तो मैंने दीदी से पूछा- क्या आपने कभी जीजू के अलावा किसी और को अपनी चूत के मजे दिए हैं?
दीदी बोलीं- अगर तुझे ये जानना ही है कि मैंने जीजू के अलावा किसी और का लंड ठंडा किया है या नहीं … तो आज तू मुझे ऐसे चोद कर दिखा कि आज मैं जन्नत के भी ऊपर चली जाऊं.

मैं दीदी की चुदाई की कहानी को जानने के लिए बहुत ही उत्सुक था. उनकी बात सुनकर मैंने झट से सब कुछ समेट लिया और तैयार होकर मेडिकल शॉप के लिए निकल गया. ये दुकान मौसी के घर से थोड़ी ही दूरी पर है, वहां जाकर मैं कंडोम के पैकेट लेकर आ गया. मुझे आज दीदी की वो चुदाई करनी थी, जिससे वो पागल होकर मुझे अपनी जिन्दगी के मजेदार चुदाई के किस्से सुना दें.

कंडोम के पैकेट मैंने जेब में रखे हुए थे. मैं मस्त और कामुक सोच में डूबा हुआ मौसी के घर में अन्दर आ गया. मैंने घर के सारे दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दिए और झट से बेडरूम में आ गया. उधर दीदी थीं. मैंने दीदी को अपने बाहुपाश में भर लिया और उनके होंठों पर ज़ोर से चुंबन धर दिया.

दीदी समझ गईं कि चुदाई का खेल शुरू होने वाला है. वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दीं.

मैंने दीदी से कहा- चलो आज हम मौसी के कमरे में जाकर सेक्स करेंगे.
जैसा कि मैंने आपको पिछली कहानी में बताया था कि मेरी इन मौसी के कोई बच्चे नहीं थे. जिस वजह से मुझे विश्वास था कि वो पक्का सेक्स के खूब मज़े लेती होंगी.

हम दोनों मौसी के कमरे में जाने के लिए उठ गए. मैंने दीदी को गोद में उठा लिया और बेड की तरफ जाकर उससे बेड पर पटक दिया. दीदी को बिस्तर पर लिटाने के बाद मैंने मौसी के कमरे में बनी अलमारी की तलाशी लेना शुरू कर दिया.

मुझे उस अलमारी में से एक बिकनी मिली, जो काफ़ी सेक्सी दिख रही थी. मैंने बिकनी हाथ में झुलाते हुए दीदी को दिखाई और आंख दबा दी.
दीदी भी हंस दीं.

मैंने दीदी को वो बिकनी पहनने को कहा. दीदी ने मेरे हाथ से बिकनी ली और बाथरूम की तरफ बढ़ गईं.
मैंने कहा- अब मुझसे क्या पर्दा है, यहीं पहन लो ना.
दीदी बोलीं- फिर बिकनी ही क्यों पहना रहे हो? सीधे नंगी ही होने को बोल दो ना … अरे बिकनी का ग्लैमर देखना है, तो जरा सब्र करो.

मैं मान गया और दीदी बाथरूम में चली गईं. उनको बाहर आने में कुछ समय लगा. मैं बाथरूम के दरवाजे पर दस्तक देने लगा.

मैं- क्या हुआ … बिकनी पहनने में देर क्यों लग रही है?
दीदी ने सिर्फ हंस कर कहा- जरा सब्र रखो यार … पूरा मजा लेना है या आधा?
मैंने कहा- पूरा मजा लेना भी है और देना भी है दीदी. आप बस जल्दी से बाहर आ जाओ.

लेकिन दीदी ने अपना पूरा टाइम लिया और करीब दस मिनट बाद दीदी बाथरूम से बाहर आ गईं.

मेरी दीदी ने बिकनी पहनी हुई थी … वो एकदम अप्सरा सी लग रही थीं. उनके मम्मे उस बिकनी से पूरी तरह से ढक ही नहीं पा रहे थे. आप यूं समझो कि उनके दो तिहाई दूध साफ़ साफ़ नजर आ रहे थे. एक पतली सी डोरी से बिकनी उनके कंधों पर टिकी हुई थी. बिकनी ने दीदी की कमर का हिस्सा पूरा खुला छोड़ा हुआ था.

नीचे चूत के पास एक त्रिभुज जैसा कपड़ा दीदी की चूत को ढके हुए था. और चूत के निचले हिस्से से एक पतली पट्टी उनकी गांड के छेद को ढके हुए पीछे पीठ से ऊपर चली गई थी. ऊपर जाकर ये डोर कंधों के पास दो हिस्सों में बंट कर उनकी चूचियों की तरफ से आती हुई डोरियों से से सम्बद्ध हो गई थी. मतलब पीठ और दीदी के दोनों चूतड़ एकदम अनावृत थे.

चिकनी देह वाली दीदी इस वक्त एक बहुत ही मादक कामुक दिखने वाली पोर्न एक्ट्रेस लग रही थीं.
मैं बस मन्त्रमुग्ध सा दीदी को देखता ही रह गया और मेरे मुँह से सिर्फ ‘वाओ … क्या माल लग रही हो..’ निकल सका.

दीदी ने मुझे एक आंख मारी, तो मुझे मानो जैसे कोई झटका सा लगा हो. उसी समय दीदी ने हंसी बिखेरी, तो मैं दीदी पर झपट पड़ा.

दीदी पीछे हटते हुए बोलीं- अरे क्या खा जाने का विचार है … आज तो तुम बड़े ही फॉर्म में दिख रहे हो … क्या बात है मेरे छोटे शेर?
मैंने कहा- दीदी, आज आपको जन्नत से भी ऊपर का मजा दिलाना है … तो फॉर्म में होना ज़रूरी है.

इतना बोल कर मैंने दीदी को दबोच लिया और उनके होंठों को बेतहाशा चूमने लगा.

दीदी ने हंस कर मेरे होंठों को ज़ोर से जकड़ लिया और मुझे किस करने में पूरा सहयोग करने लगीं. मैंने दीदी को बिस्तर पर धक्का दे दिया और दीदी पर चढ़ गया. दीदी ने अपनी बाँहें फैला कर मुझे अपने आगोश में भर लिया और मेरे प्यार को अपने प्यार से रंगने लगीं.

मैंने दीदी को चूमते हुए कहा- अगर आप जन्नत के उस पार जाना चाहती हो, तो आज हम ब्लाइंड सेक्स करेंगे.
दीदी बोलीं- ब्लाइंड सेक्स? ये क्या होता है?
मैंने कहा- ब्लाइंड सेक्स मतलब हम दोनों एक दूसरे की आंखों पर पट्टी बाँध कर सेक्स का मज़ा लेंगे.

दीदी को यह वाला स्टाइल कुछ अलग लगा, तो उन्होंने झट से हां करके अपना सिर हिला दिया. उन्होंने मेरे लंड को सहलाते हुए कहा- ठीक है … आज हम अँधा प्यार करेंगे.

मैंने अलमारी से दो कपड़े निकाले और पहले दीदी की आंख पर पट्टी बाँध दी.
उसके बाद दीदी ने कहा- मुझे कैसे मालूम पड़ेगा कि तुमने पट्टी बाँधी है या नहीं.
मैंने कहा- तुम टटोल कर देख लेना.
दीदी हंस दीं और बोलीं- हाँ अब सब कुछ टटोल कर ही करना पड़ेगा, तुम्हारा लंड भी सिर्फ टटोल कर ही घुसवाना पड़ेगा.

मैंने भी हंसते हुए अपनी आंख पर पट्टी बाँध ली.
हम दोनों की आंखों पर पट्टी बंध चुकी थी और मैंने दीदी से बेड से हिलने के लिए मना किया था.
दीदी ने हाँ बोल कर सहमति दे दी थी.

फिर मैंने दीदी के पैरों से शुरू होते हुए अपनी जीभ उनके पैरों से रगड़ते हुए ऊपर की बढ़ना शुरू किया. मुझे सिर्फ अहसास मात्र से ही रोमांच हो रहा था और कमोवेश यही स्थिति दीदी की भी थी.

मेरे इस तरह से चुबंन करने की वजह से दीदी को मानो करेंट लग रहा था. वो आज अलग ही आवाज़ में सिसकारियां भर रही थीं.

मैं दीदी के पैरों से ऊपर जाते वक़्त उनकी चूत के रास्ते से होकर गया, जिस वजह से दीदी और भी गर्म हो गई थीं. मैंने दीदी चूत पर एक मिनट का विश्राम लिया और दाने को छेड़ता हुआ ऊपर बढ़ गया. मैं ऊपर नाभि पर पहुंचा, फिर पेट को चूमा, जिससे दीदी को एक बड़ी थरथराहट सी हुई, जो मुझे साफ़ समझ आ रही थी.

जब मैंने उनके स्तनों के नीचे के हिस्से पर जीभ की नोक को घुमाया, तो दीदी एकदम से मचल उठीं.

मैं धीरे धीरे दोनों स्तनों के निचले हिस्से को जीभ से चाटता रहा. दीदी का हाथ मेरे सर पर आ गया था और उनके हाथ में एक दबाव सा था, जो मुझे उनकी चूचियों पर लाने के लिए महसूस हो रहा था. मैं ऊपर चल दिया. अब दीदी के मम्मे मेरी मंजिल थे. अपनी मंजिल के रास्ते पर जीभ को ले गया. जैसे ही मैं दीदी के एक स्तन के निप्पल के करीब आया.

दीदी ने मेरा सर खींचते हुए मुझे अपने निप्पल पर रख दिया. मैंने दीदी के निप्पल को अपने होंठों के बीच में दबा लिया और प्यार से चुसकने लगा. मैंने जी भरके अपनी प्यास बुझाई. दीदी के मम्मों से थोड़ा सा जो दूध निकल रहा था. वो मैंने पी लिया और मेरी सवारी आगे निकल पड़ी. अब दीदी के होंठों के पास मेरा गंतव्य था. जहां हम दोनों ने काफ़ी मज़े किए.

दीदी ने ऐसा पहले कभी नहीं किया था. इस वजह से आज दीदी काफ़ी गर्म हो गई थीं. हम दोनों काफ़ी देर एक दूसरे को चूमते रहे. दीदी का अपने आप पर से काबू छूट रहा था. उन्होंने मेरा लंड ज़ोर से अपने हाथों में पकड़ कर अपनी चूत की तरफ मोड़ लिया. लेकिन मैं आज कुछ अलग मूड में था.

मैंने दीदी से कहा- आज मैं आपको बिना कंडोम के चोदूंगा.
उन्होंने मचलते हुए कहा- साले हरामी … आज तुझे जो करना है, वो कर … लेकिन जल्दी चोद … कंडोम पहना है, तो पहन या ना पहन … पर मेरी खुजली मिटा दे.

अब मैं दीदी की चूत पर लंड रख कर रगड़ रहा था. उनकी चूत एकदम रबड़ी सी लिसलिसी हो रही थी. चूत का चिकनापन देख कर मैं समझ गया कि दीदी को बाथरूम में देर क्यों लगी थी.

मैंने पूछा- अच्छा … झांटें साफ़ करने में देर लग रही थी.
दीदी हंसते हुए बोलीं- हां … बिकनी के बगल से झांटें दिखतीं, तो क्या मजा आता.

अब मैंने भी सोचा कि क्यों ना आज अपनी इस हॉट दीदी को इससे भी ज्यादा तड़पाया जाए. मैंने लंड हटा दिया और उनकी चिकनी चूत पर अपनी जीभ रख दी.
दीदी को मजा आने लगा और वो पैर पसार कर चूत उठा कर मुझसे चटवाने का मजा लेने लगीं.

मैंने 69 की पोजीशन में आकर अपना लंड दीदी के मुँह में ठूंस दिया … जिससे वो बहुत गर्म हो गई थीं. दीदी की चुदास इतनी अधिक बढ़ गई थी कि कुछ ही देर में उनको जीभ की जगह लंड की दरकार होने लगी. मैंने उनकी चूत को जीभ से चाटना जारी रखा. इससे दीदी एकदम से भड़क गईं और उन्होंने लंड चूसते चूसते मुझे काट लिया, जिससे मेरी चीख निकल गई.

कुछ देर उसी पोजीशन में रहने के बाद मैंने दीदी को कुतिया बना दिया और पीछे से अपना लंड दीदी की फुद्दी पर घुमाने लगा.

दीदी बेहद मचल रही थीं और अपनी गांड को मेरे लंड पर मार रही थीं. मैंने एक ज़ोर का झटका दे दिया, जिस वजह से एक ही झटके में मेरा पूरा का पूरा लंड दीदी की चूत की गहराई तक चला गया.

दीदी की आह निकल गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
धकापेल चुदाई का मंजर सिर्फ अहसास के जरिये महसूस होने लगा.

मैंने कुछ देर तक दीदी के दूध दबाते हुए उनकी जबरदस्त चुदाई की. फिर आसन बदला.

हमने उस दिन कई सेक्स पोजीशनों में चुदाई की. जिसमें कुछ का नाम लिख रहा हूँ … आप इन सेक्स पोजीशनों के बारे में मेल करके डिटेल ले सकते हैं.

१) फोल्डेड डेक सेक्स पोजीशन
२) डॉगी सेक्स पोजीशन
३) लव फ्रॉम बैक साइड
४) 69 पोजीशन
५) मिशनरी पोजीशन
६) दीवार के अगेंस्ट

ये सारी पोज़िशनें हमने ट्राई कीं. जिसमें दीदी काफ़ी बार झड़ गई थीं. मैं भी दो बार दीदी के अन्दर ही झड़ गया था.

दीदी ने मुझे चौथे राउंड में मुझे बताया कि मैंने तेरे जीजू के अलावा अब तक तीन लंड लिए हैं, जिसमें मुझे तुझसे चुदने में बहुत मजा आया है.

मैंने कारण पूछा, तो दीदी ने कहा- तेरे लंड में जान है और दूसरी बात मैं तुझसे एकदम से खुली हुई हूँ. बाकी के जो दो और मुझे चोद कर गए हैं, उनसे मेरा कोई बहुत अधिक परिचय नहीं था. जिस वजह से सिर्फ चुदाई हुई और मैं झड़ कर शांत हो गई थी.

मैं उनकी इस बात से पूरी तरह से सहमत था कि चुदाई सिर्फ लंड चूत की नहीं होती हैं. दो दिलों का मिलन भी चुदाई के रस को बढ़ाता है.

हमने सुबह चार बजे तक चार बार सेक्स किया. उसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहन लिए और हम दोनों मौसी के कमरे से निकल कर अपने कमरे में जाकर सो गए.

सुबह मौसी आईं … तब तक हम दोनों उठ गए थे. अब रोज सोते वक़्त हम दोनों सेक्स करने लगे थे. आज भी जब मैं उससे राखी बंधवाने जाता हूँ, तो हम दोनों सेक्स ज़रूर करते हैं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#16
छोटी बहन ने मस्तराम कहानी पढ़ते पकड़ लिया-
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#17
मेरी उम्र उस समय कम ही होगी। तभी एक ऐसी घटना घटी कि हमारी जिंदगी उलट-पुलट हो गयी। बीमारी के चलते पिताजी की नौकरी लगभग खत्म हो गयी थी और दादा के पेंशन के थोड़े पैसे से ही हमारे घर का खर्चा बड़ी मुश्किल से चल पाता था।

घर के हालात का पता चलने के बाद मेरे मामा आये और पता नहीं घर में सबके बीच में क्या बातें हुईं कि मेरे मामा मुझे अपने साथ ले गये। मेरी पढ़ाई लिखाई, सब वहीं उनके घर में होने लगी। शुरू-शुरू में मुझे काफी तकलीफ हुई क्योंकि एकदम से अपना घर छोड़कर दूसरे घर में रहना मुश्किल लगा लेकिन फिर आहिस्ता-आहिस्ता सब सामान्य होता जा रहा था.

बस एक बात जो उनके घर में छ: साल बीतने के बाद भी संभव नहीं हो पाई थी, वो मेरे और मेरी ममेरी बहन शुभ्रा के बीच के संबंध की मधुरता थी. वो किसी न किसी बहाने मुझसे लड़ती ही रहती थी।

हलाँकि मेरे मामा और मामी बहुत अच्छे थे और शुभ्रा की बातों में आकर मुझे डाँटते नहीं थे, शायद इसी बात से वो और ज्यादा चिढ़ती थी। मैं भी उन्नीस साल का हो गया था और वो भी अठारह पार कर चुकी थी। वो मुझसे कुछ महीने छोटी थी.

कहते हैं कि उम्र के इस पड़ाव में आने के बाद अक्सर भाई-बहन एक-दूसरे के राज़दार हो जाते हैं।

हम दोनों कुछ दिन पहले तक दिनभर एक-दूसरे से लड़ते और झगड़ते रहते थे, किंतु अब हम साथ बैठकर बातें करते थे, पढ़ाई करते थे और कभी-कभी पढ़ते-पढ़ते रात को साथ सो भी जाते थे।

अब ये दोस्ती हुई कैसे? ये भी जान लें.

मेरी छोटी बहन शुभ्रा को सजना संवरना अच्छा लगता था और मुझे छिप-छिप कर दोस्तों द्वारा दी गई मस्त राम की कहानियां पढ़ने में बड़ा मजा आता था। कहानी इतनी ज्यादा उत्तेजित होती थी कि हाथ कब लंड पर चला जाये पता ही नहीं चलता था और चैन तब तक नहीं आता था जब तक लंड को दबा-दबा कर उसका माल न निकाल लूं.

उस पर लड़कियों की नंगी तस्वीरों वाली छोटी मैगजीन भी साथ में देखने को मिल जाती थी।

बस एक दिन ऐसा ही हो गया. मैं किताब के बीच छिपाकर मस्तराम की कहानी पढ़ रहा था और पढ़ने में इतना मग्न था कि कब मेरी छोटी बहन मेरे पीछे आकर खड़ी हो गयी मुझे पता ही नहीं चला। पता तब चला, जब एक तेज थपकी मेरी पीठ पर पड़ी.

अपने सामने शुभ्रा को देखकर मैं तो थर-थर काँपने लगा। इस बीच शुभ्रा ने मुझसे वो किताबें छीन लीं और उलट पलट कर देखने के बाद बोली- तो महाराज ये सब पढ़ते हैं … और मम्मी-पापा समझ रहें है कि उनका भान्जा बहुत पढ़ाकू है। अब मैं जाकर उनको तुम्हारी हरकत दिखाकर बताती हूं कि वो दोनों क्या सोचते हैं और तुम क्या हो?

इतना कहकर वो दरवाजे की तरफ बढ़ी ही थी कि मैंने उसकी जांघ को पीछे से पकड़ लिया और बोला- शुभ्रा सॉरी, यार सॉरी, अब मैं नहीं पढ़ूंगा। पर इस बात के बारे में मामा-मामी से न कहना।

वो बोली- क्यों न कहूं मैं? मुझे इसमें क्या फायदा है?
मैं हताश होते हुए बोला- तुम जो कुछ भी कहोगी, मैं सब कुछ करूँगा।
मुझे उठाते हुए वो बोली- चल देखते हैं, तू कर पायेगा कि नहीं।

मैं- बोलो, मैं सब कुछ करने के लिए तैयार हूं।
शुभ्रा- ठीक है सोचती हूं कि तुझसे क्या काम करवाना है, लेकिन पहले मैं देखूँ तो, तू देख क्या रहा था?

कहते हुए वो पलंग के सिरहाने पर बैठ गयी और कहानी की किताब का एक-एक पेज पलट कर देखने लगी. मैं आश्चर्य से शुभ्रा को देख रहा था, लेकिन उसके चेहरे पर कोई हाव भाव नजर नहीं आ रहे थे जबकि मेरे लिये वो कहानी इतनी उत्तेजित करने वाली थी कि अगर शुभ्रा मुझे नहीं टोकती तो दो पल बाद मेरा लंड पानी छोड़ ही चुका था।

कहानी की किताब देखने के बाद शुभ्रा नंगी लड़कियों वाली मैगजीन देखने लगी।
फिर मुझे हड़काकर बोली- चल यहाँ (उसके बगल में) आकर बैठ.
मैं बैठ गया. मुझे वो मैगजीन दिखाते हुए बोली- तू ये सब गंदी किताबें कब से पढ़ रहा है?

मैं- बहुत दिन हो गये.
मैंने सीधा जवाब देने में ही अपनी भलाई समझी.

मुझ पर अपनी नजर गड़ाते हुए बोली- पागल है तू? जो मैगजीन में लड़कियों को नंगी देख रहा है और बुर-चूत की कहानी पढ़कर मुठ मार रहा है? जबकि तेरे ऊपर तो कितनी ही लड़कियां पागल हैं. एक बार इशारा कर, तेरे लिये वो खुद तेरे सामने नंगी होने के लिये तैयार हैं।

मैं उसे देखता ही रह गया लेकिन कुछ बोला नहीं। फिर कुछ देर तक वो अपनी नजर मुझ पर गड़ाये रही. मुझे उसका इस तरह से मुझे घूर कर देखना बड़ा ही अजीब सा लग रहा था.

मैंने कहा- क्या हुआ?
मेरी छोटी बहन बोली- तू पापा की बोतल से शराब भी चुरा कर पीता है ना?
उसकी ये बात सुन कर मेरी तो और गांड फट गयी. मतलब बन्दी मेरे बारे में सब जानती है!

दोस्तो, जब कभी भी चिकन या मटन बनता था तो मैं मामा की बोतल से एक पैग निकाल लेता था और सबकी नज़र बचाकर जल्दी से खाना खाने से पहले पी लेता था।
मैं शुभ्रा की तरफ देखता ही रहा. फिर भी मैंने कहा- नहीं, तुझे गलतफहमी हो रही है.

वो बोली- देख तू मुझसे तो झूठ मत ही बोल, मुझे सब पता है। अब सुन, तुझे मेरा एक काम करना है।
मैं- हाँ-हाँ बोलो, मैं सब कुछ करने को तैयार हूं।

शुभ्रा- आज जब तू अपने लिये पैग निकाले ना तो मेरे लिये भी निकाल लेना।
मैं हैरानी से- तुम भी??
वो बोली- ज्यादा उछल मत, जो कहती हूं वो कर। नहीं तो मैं पापा से कह दूंगी.

कहकर मुझे वो किताब दिखाने लगी। फिर अगले ही पल मेरे गाल को प्यार से सहलाते हुए बोली- डर मत, अब हम दोस्त हैं अगर तू मेरा कहा मानेगा, तो मजे में रहेगा।

मैं अब कर भी क्या सकता था, क्योंकि वो किताब भी साथ में लेकर चली गयी थी।

मामा के कुछ दोस्तों के लिये पार्टी रखी थी इसलिये आज घर में मटन बना था और मुझे पीना ही था.

वैसे तो मैं एक पैग में मैनेज कर लेता था, मगर आज शुभ्रा ने भी डिमांड रख दी, सो शुभ्रा के जाने के बाद मैंने अपनी पॉकेट चेक की तो पाया कि एक क्वार्टर के लिये पैसे हैं। मैं चुपचाप बहाना बनाकर घर से निकला और एक क्वार्टर खरीद कर ले आया।

मामा अपने दोस्तों के साथ बिजी थे, इसलिये उनकी तरफ से कोई दिक्कत होने वाली नहीं थी. लेकिन मामी के सामने पीना काफी रिस्की हो सकता था। मामा के दोस्त खाना खाकर चले गये और मामा भी खाना खाने के बाद रूटीन के तहत टहलने के लिये चले गये।

इधर मामी अभी भी रसोई में थी.
तभी शुभ्रा धीरे से बोली- भोसड़ी के! जो कहा था वो किया कि नहीं?
मैंने हाथ से इशारा करके बताया इंतजाम हो गया है और शीशी भी दिखा दी।

शीशी देखकर शुभ्रा बोली- मैं मम्मी के सामने कैसे लूंगी?

मैंने प्लान बताते हुए उसे स्टील का गिलास लाने को बोला.

शुभ्रा जल्दी से गिलास ले आयी और मैंने जल्दी-जल्दी अपने लिये और शुभ्रा के लिये पैग बना लिया और हम दोनों ने एक ही सांस में अपने अपने गिलास खाली कर दिये.

मेरे कहने पर खाली गिलास वापस रसोई में रख दिये उसने। उसके बाद मामी और शुभ्रा ने खाना सर्व कर दिया. फिर हम तीनों खाना खाने लगे.

प्लान के अनुसार मैं खाना खाने के बीच में उठा और रसोई में जाकर पैग बनाया और पीकर खाली गिलास लेकर चला आया.

मैं अपनी कुर्सी पर बैठा ही था कि शुभ्रा मुझ पर चिल्लाते हुए बोली- अपने लिये पानी ला सकता था तो मेरे लिये क्यों नहीं?
मामी बीच में ही बोल उठी- क्यों चिल्ला रही हो? मैं जाकर तेरे लिये पानी ला देती हूं.

बस फिर क्या था, शुभ्रा मामी से बोली- नहीं मम्मी, आप बैठो, मैं ले लेती हूं.
कहकर वो मुझे घूरते हुए रसोई में चली गयी, इधर मामी बड़बड़ाते हुए बोली- ये लड़की नहीं सुधरेगी।

शुभ्रा गिलास लिये हुए वापिस आकर खाना खाने लगी और हल्के से अपना हाथ उसने मेरी जांघ पर फेर दिया. हम लोगों का खाना खत्म होते होते मामा भी बाहर से आ गये और सीधा अपने कमरे में चले गये।

सब कुछ समेटने के बाद मामी भी कमरे की तरफ जाते हुए बोली- देखो अब चुपचाप जाकर अपनी पढ़ाई कर लो, आपस में लड़ना मत, हम लोग मामी की बात सुनकर अपने-अपने कमरे में चले गये।

करीब आधे घंटे के बाद जब मामा-मामी के कमरे की लाईट बन्द हो गयी तो शुभ्रा मेरे कमरे में आ गयी और बोली- आओ तुम्हें एक नजारा दिखाती हूं.
कहकर उसने मेरा हाथ पकड़ा और मामा के कमरे की तरफ मुझे लेकर चल दी और झरोखे से झांककर अन्दर का नजारा देखने लगी और फिर मुझसे इशारा करके देखने के लिये बोली।

अन्दर का सीन देखकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गयीं. जीरो वॉट के लाल बल्ब की रौशनी में मामा और मामी अन्दर एक दूसरे के जिस्म से चिपके हुए थे और दोनों पूर्ण नंगे थे। मामी मेरे मामा के ऊपर लेटी हुई थी और मामा मेरी मामी की गांड को भींच रहे थे।

मैं उन दोनों की इस पोजीशन को देखकर मस्त हो रहा था और इधर मेरा लंड भी मस्त होकर लोवर के अन्दर तनने लगा था. तभी शुभ्रा ने मुझे पीछे खींचा और खुद झरोखे से चिपक गयी और मैं शुभ्रा से चिपकते हुए अन्दर की तरफ झांकने की कोशिश करने लगा.

मेरा तना हुआ लंड शुभ्रा की गांड से टच करने लगा. एक-दो बार मैंने अपने आपको पीछे भी किया लेकिन अंदर का सीन देखने का जुनून सवार जो सवार हुआ था उसने मुझे बाकी सभी ख्यालात से बाहर कर दिया.

मैं शुभ्रा से चिपक गया और उचक-उचक कर देखने के चक्कर में लंड उसकी गांड से बार-बार टकरा रहा था. यह उत्तेजना सिर्फ मुझे ही नहीं हो रही थी. शुभ्रा भी उसी नाव में सवार थी. अगर मैं उसकी गांड पर लंड रगड़ने में थोड़ा सा भी शिथिल पड़ता तो शुभ्रा अपनी गांड हिला-हिलाकर मेरे लंड से रगड़ने लगती.

अब मेरा मन अन्दर का सीन देखने में कम लग रहा था और शुभ्रा की गांड में लंड गड़ाने में ज्यादा आनन्द आ रहा था। अब लंड मे तनाव और ज्यादा होने लगा था, साथ ही लग रहा था कि मुझे पेशाब बहुत तेज लगी है और अगर मैं पेशाब करने नहीं गया तो लंड पैन्ट फाड़कर बाहर आ जायेगा.

मैं मामा मामी की चुदाई वाला सीन और शुभ्रा को वहीं छोड़कर जल्दी से अपने रूम में भागा और बाथरूम में घुसकर पैन्ट की जिप खोलकर लंड बाहर निकाला और हिलाने लगा. आंखें बन्द करके मैं मूत निकलने का इंतजार करने लगा और जैसे-जैसे लंड ने पेशाब की धार छोड़नी शुरू की वैसे-वैसे मुझे बड़ी राहत मिलने लगी.

मेरी पलकें अपने आप एक-दूसरे से अलग होने लगीं। मूतने के बाद लंड को अन्दर करके बाहर की तरफ निकलने लगा तो बाथरूम के दरवाजे पर शुभ्रा खड़ी थी.

ओह शिट! जल्दबाजी में मैंने बाथरूम का दरवाजा बन्द नहीं किया था और पता नहीं शुभ्रा कब से वहां खड़ी होकर मुझे मूतता हुआ देख रही थी। उसके चेहरे पर गुस्सा साफ दिखाई पड़ रहा था.

मेरे लंड को अपने हाथ में दबोचते हुए बोली- बहनचोद साले, इतना मजा आ रहा था मम्मी पापा की चुदाई और मेरी गांड में तेरा लंड रगड़ने में … लेकिन तू बहनचोद बीच में छोड़कर मूतने चला आया?

मैं लंड छुड़ाते हुए बोला- पेशाब बहुत तेज आ रही थी इसलिये चला आया। और ये बता साली रंडी तू कब मेरे पीछे-पीछे चली आयी?
उसको दीवार से टिकाकर उसके कपड़े के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाते हुए मैंने पूछा.

वो बोली- जैसे ही तू मेरे पीछे से हटा और दौड़कर कमरे की तरफ आया, मैं भी तेरे पीछे-पीछे आ गयी.
कहकर मुझे धकेलते हुए बोली- अच्छा हट, मैं भी अब मूत लूं.
कहकर उसने अपनी सलवार का नाड़ा खोला और कुर्ती को ऊपर करते हुए अपनी पैन्टी नीचे करके मूतने के लिये बैठ गयी।

इतने में ही मेरी नजर उसकी गोल-गोल चिकनी सेक्सी गांड पर पड़ गयी।

मूतने के बाद वो उठी और अपने कपड़े को सही करते हुए बोली- ओए बहन चोद.. तू क्या देख रहा था?
मैं- बहन की लौड़ी, जो तू मुझे करते हुए देख रही थी. मैं भी वही देख रहा था.
मैंने उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचते हुए कहा.

मुझसे चिपकते हुए मेरी छोटी बहन बोली- शर्म करो, मैं तेरी बहन हूं.
मैं- तो आज से तू मेरी माल बन जा.
कहते हुए उसके चूचों पर मैंने अपने हाथ रख दिये और दबाने लगा।

कमरे में खामोशी सी छा गयी थी और हम दोनों के होंठ आपस में मिल गये थे। थोड़ी देर तक हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूसते रहे.

फिर शुभ्रा मुझसे अलग हो गयी. मैंने तुरन्त उसको अपनी गोद में उठाया और पलंग पर पटक दिया और उसके बगल में लेट कर उसके मम्में दबाने लगा.

कहानी पढ़ने से थोड़ा बहुत मुझे समझ में आ गया था कि लड़की को कैसे उत्तेजित किया जाता है. मैं उसके मम्मे दबाने के साथ ही उसके कानों पर होंठों पर अपने दांत गड़ा देता था. फिर उसकी कुर्ती को पेट की तरफ उठाते हुए मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया.

नाड़ा खोलकर सलवार को कमर से थोड़ा नीचे करके उसकी नाभि पर अपने होंठ फिराने लगा। मेरी इस हरकत पर सिसयाते हुए वो बोली- मैंने कहा था न कि मेरे से दोस्ती करेगा तो तुझे ज्यादा मजा आयेगा और तू है जो किताब पढ़कर अपने लौड़े को मरोड़ रहा था!

मेरे मन में अब तक की जो शुभ्रा थी, वो कहीं खो चुकी थी. अब एक सेक्सी, दोस्त, बोल्ड, चुदासी लड़की … क्या-क्या नाम दूं मैं उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, ने उसकी जगह ले ली थी.

मैं अभी भी उसकी नाभि और घुमटी को चूस-चूस कर अपने दिमाग में एक नयी शुभ्रा को पैदा कर रहा था, जो मेरी चुदासी गर्लफ्रेंड हो चुकी थी. ये शुभ्रा मुझसे झगड़ा करने वाली मेरी ममेरी बहन से बिल्कुल उलट थी.

मैं कुछ ज्यादा ही सोच रहा था कि तभी शुभ्रा की आह-ओह, सी सीईई ईई की आवाज़ से मेरी तंद्रा भंग हुई तो मैंने देखा कि शुभ्रा भी आंखें बन्द किये हुए मेरी जीभ का मजा ले रही थी, जबकि उसकी सलवार और पैन्टी अभी भी कमर के नीचे थी.

अपनी उंगली को मैंने उसकी पैन्टी में फंसाया और झटके में उसके दोनों कपड़ों को नीचे कर दिया और हल्के से उस प्रारम्भिक जगह को चूमा जहां से शुभ्रा की चूत शुरू होती थी.

चूमते हुए ज्यों ही मैं चूत के मध्य में पहुंचा और अपने होंठ उसके ऊपर रखने ही जा रहा था कि शुभ्रा ने अपनी हथेली को मेरे मुंह और अपनी चूत के बीच में रख दिया. मेरे होंठ उसके हाथ पर जाकर रुक गये.

मैंने उसकी तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा तो उसने मेरे गाल को पकड़ा और अपने मुंह की तरफ लाकर बोली- गोलू (मेरा घर का नाम) … मेरी चूत से कुछ निकल रहा है, वहां पर अपनी जीभ मत चला.
मैं बोला- तो क्या हुआ, कहानी में तो हीरो-हीरोइन गीला भी चाटते हैं।

शुभ्रा- नहीं, मुझे अच्छा नहीं लग रहा है, प्लीज मान जाओ.
मैं- ठीक है।
कहते हुए मैं चूत को सहलाने लगा, मगर जैसे ही मैं उसकी पुतिया को (कली को) भींचने चला.

उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैंने कहा- अब क्या हुआ?
वो बोली- मुझे पेशाब बहुत तेज आयी है. मैं पेशाब कर लूं, तब तुम जो चाहो कर लेना.

उसके बहाने को मैं समझ गया. मैं समझ गया कि वो अपनी गीली चूत को साफ करने का बहाना बना रही है.
मैं बोला- ठीक है, जाओ जल्दी से पेशाब करके आओ.

वो उठी और अपनी सलवार पहनने लगी. मैने तुरन्त ही खींचकर उसकी सलवार के साथ-साथ पैंटी भी उतार दी और कुर्ता, ब्रा सब उतारकर उसको बिल्कुल नंगी करके बोला- अब जाओ पेशाब करने।

शुभ्रा ने भी ज्यादा इसका विरोध नहीं किया और नंगी ही बाथरूम में घुस गयी. मैं पीछे-पीछे हो लिया. बाथरूम के अन्दर वो पेशाब करने बैठ गयी. उसके बाद उसने तौलिये को गीला किया और अपनी टांगें फैलाकर चूत अच्छे से साफ की.

फिर तौलिये को धोकर दरवाजे में फैला कर मेरी तरफ देखने लगी.
मैं उससे बोला- अब ठीक है?
उसने भी हाँ में सिर हिलाया।
मैंने मेरी छोटी बहन को एक बार फिर गोद में उठाया और बिस्तर पर ले आया और अपनी बांहों में लेकर उसके निप्पल को दबाते हुए कहा- अचानक तुम शर्मा क्यों गयी?

वो बोली- पता नहीं क्यों मुझे अचानक घिन्न आ गयी।
मैं- इसमें घिन्न आने वाली क्या बात है? मैंने जितनी कहानी पढ़ी हैं, उसमें हर मर्द ही औरत की चूत चाटता है और औरत भी आदमी का लौड़ा चूसती है, और तो और अभी तुम्हारे मम्मी पापा भी तो यही कर रहे थे।

शुभ्रा- हाँ ठीक है, मगर मुझे लगा कि इसी चूत से पेशाब करती हूं और फिर यही चूत चटवाऊं तो अच्छा नहीं लगेगा.
मैं बोला- बस? लेकिन मजा तो इसी में है ना।

वो बोली- अगर मजा इसी में है तो फिर लोग पेशाब नाली में क्यों करते हैं? फिर तो मुंह में ही कर देना चाहिए?
वो मुझसे बहस करने लगी।

मैं झल्लाते हुए- अरे यार, ये सब मुझे नहीं मालूम, मगर जो मालूम है उसमें चूत चटाई और लंड चुसाई होती है. तुम चाहो तो अपनी सहेली से पूछ सकती हो और मुझे तो पूरा मजा चाहिये। मुझे तो तुम्हारी गांड भी चाटने का मन कर रहा है।

शुभ्रा- छी:
मैं- इसमें छी: क्या है? और अगर सेक्स का खेल खेलना है तो पूरा खेलना होगा, नहीं तो …
शुभ्रा- नहीं तो क्या?

मैं- नहीं तो … ये लो।
कहते हुए मैं तेज-तेज मुठ मारने लगा और शुभ्रा से बोला- मैं भी अपना माल निकाल लेता हूं और फिर बाथरूम में जाकर अपने लंड को धो लेता हूं। उसके बाद मैं भी सो जाता हूं और तुम भी सो जाओ.

कहते हुए मैं और तेज-तेज मुठ मारने लगा।

तभी मेरी छोटी बहन ने मेरा हाथ पकड़ लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#18
मगर जवानी की दहलीज पार होने के बाद मस्तराम की कहानियां मेरी दिनचर्या का हिस्सा हो गयी थीं. एक दिन मेरी ममेरी बहन शुभ्रा ने भी वो कहानियों की किताबें मेरे हाथ में देख लीं और उस दिन के बाद से हम दोनों एक दूसरे के राजदार हो गये.

एक रात को मामा और मामी की चुदाई देखते हुए मैंने शुभ्रा की गांड में लंड लगा दिया और उसको अपने रूम में नंगी कर लिया.
मैं बहन की चूत को चाटने लगा तो उसने मना कर दिया.

गुस्से में आकर मैं मुठ मारने लगा और बोला- मैं भी सो जाता हूं और तू भी सो जा.
मेरे चेहरे का रोष देखकर शुभ्रा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- मैं तुम्हें प्यार में मायूस नहीं करना चाहती. लेकिन …

मैं- लेकिन-वेकिन कुछ नहीं! अगर खेलना है तो पूरा खेलो, नहीं तो रहने दो. मैं तुम्हारे जिस्म के एक-एक हिस्से को अपनी जुबान में, अपने दिल में और अपने दिमाग में महसूस करना चाहता हूँ.

कहते हुए एक बार फिर मैं मुठ मारने लगा।
शुभ्रा- ओके बाबा, अब तुम जैसा चाहो, वादा … मैं मना नहीं करूंगी.
मैं- पक्का अब नहीं रोकोगी?
शुभ्रा- नहीं रोकूंगी मेरे गोलू राजा.

कहते हुए उसने मेरे गाल को खूब जोर जोर से खींचा। मैं भी मौके का फायदा उठाते हुए तुरन्त ही उसकी जांघों के बीच में आ गया और अपनी उंगली उसकी चूत की फांकों के बीच चलाने लगा और उसकी पुतिया से खेलने लगा।

पुतिया से खेलते-खेलते मैं शुभ्रा की तरफ देख रहा था, अब शुभ्रा सिसकार रही थी, अपने होंठों को चबाये जा रही थी, चूची को दबाने लगी थी, जांघें उसकी फैल चुकी थीं. उन्माद में अब उसकी आँखें भी धीरे-धीरे बन्द होने लगी थी.

बस अब यही पल था कि मैंने शुभ्रा की पुतिया पर अपनी जीभ फिराना शुरू कर दिया था। हम्म! जैसे ही जीभ उसकी पुतिया में टच हुई कि एक कसैला सा स्वाद मेरी जीभ को लगा. तुरन्त ही जीभ दूर हट गयी. तुरन्त ही शुभ्रा की भी आंखें खुल गयी.

अपनी पुतिया को मसलते हुए मेरी तरफ उसने ऐसे देखा मानो पूछ रही हो कि क्या हुआ? क्यों अपनी जीभ हटा ली? मेरी पुतिया को अच्छा लग रहा है, चाटो, मेरी चूत को चाटो, वो अपनी चूत के दाने को रगड़ रही थी।

मैंने उसके हाथ को हटाते हुए फांकों के बीच अपनी जीभ चलानी शुरू कर दी। मैं उसकी फांकों के किनारे-किनारे चाटता, बुर के ऊपर से चाटता, पुतिया को दांतों के बीच लेकर हौले से रगड़ता और जीभ उसकी चूत के अन्दर तक पेल देता।

शुभ्रा भी मेरी इन सभी हरकतों का जवाब सिसकारते हुए दे रही थी लेकिन मेरा लंड बिस्तर से रगड़ खा रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे लिये चादर ही किसी बुर से कम नहीं है और मैं शुभ्रा की चूत चाटने के साथ-साथ अपनी कमर उठा-उठाकर लंड को सेट कर रहा था.

मुझे लगने लगा कि मेरा लंड अगर ज्यादा देर तक चादर से रगड़ खाता रहा तो माल कभी भी निकल सकता है। मैं सीधा होकर शुभ्रा के बगल में बैठ गया.
शुभ्रा ने पूछ-क्या हुआ?
मैं बोला- अब तुम भी मेरा लंड चूसो.

वो बिना कुछ बोले मेरी जांघों के बीच बैठ गयी और लंड के सुपारे पर जैसे ही उसने अपनी जीभ चलायी, एक बुरा सा मुंह बनाते हुए अपने हाथ से होंठों को पोंछते हुए बोली- छी: मुझे अच्छा नहीं लगा, कैसा नमकीन, खारा सा लग रहा है। मैं नहीं चाट सकती इसको।

मैंने शुभ्रा को अपनी जांघ के उपर बैठाया और उसके होंठों को चूमते हुए बोला- देखो, शुरू में ऐसा लगता है. लेकिन यह भी एक नशा सा है. एक बार लगा कि बिना चूसे तुम्हें चुदवाने का मजा नहीं आयेगा। मैं बार-बार शुभ्रा के गालों को, होंठों को चूमते हुए लंड चूसने के लिये प्रेरित कर रहा था.

साथ ही शुभ्रा की चूत से निकलती हुई गर्माहट जो मेरी जांघों पर पड़ रही थी, उसका मजा ले रहा था और लगे हाथ शुभ्रा के कूल्हे को सहलाते हुए उसकी गांड को कोद भी रहा था. खैर बड़ा समझाने के बाद शुभ्रा तैयार हुई और लंड को मुंह मे लेकर चूसने लगी.

लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी क्योंकि मेरे लंड के बर्दाश्त करने की सीमा खत्म हो चुकी थी। दो-चार बार उसने लंड पर अपने होंठों को फेरा ही होगा कि लंड के अन्दर भरा हुआ वो ज्वालामुखी फटकर शुभ्रा के मुंह के अन्दर गिरने लगा.

न तो मुझे समझ में आ रहा था और न ही शुभ्रा को समझ में आ रहा था. हाँ जब तक हम दोनों कुछ समझते और संभलते तब तक लंड का पूरा माल शुभ्रा के मुंह के अन्दर, उसके पूरे चेहरे पर, उसकी चूचियों पर हर जगह मेरा सफेद लसलसेदार तरल पदार्थ (वीर्य) लग चुका था।

संभलने के बाद पहला शब्द ‘मादरचोद’ कहते हुए वो उठी और तेजी से बाथरूम की तरफ भागी और वाश बेसिन पर खड़े होकर उल्टी करने की कोशिश करने लगी. मैं भी उसके पीछे पीछे बाथरूम में हो लिया।

शुभ्रा वॉश बेसिन में झुकी हुई थी और मेरी बहन की गोल-गोल गांड का उभार मेरी तरफ था और उसकी गांड मुझे आकर्षित कर रही थी। मेरे हाथ बिना किसी देरी के शुभ्रा के कूल्हों को मसलने लगे. कूल्हों को दबाने और भीचने के कारण उसकी गांड की दरार खुल बन्द हो रही थी और उसकी हल्की ब्राउनिश कलर की गांड देखकर मेरी जीभ लपलपा रही थी.

फिर भी कंट्रोल करते हुए मैंने अपने अंगूठे को बहन की गांड के अन्दर डालते हुए कूल्हे पर दांत गड़ाना शुरू कर दिया। पर वो ब्राउनिश छेद मुझे बेचैन किये जा रहा था। शुभ्रा अब अपना सब दुख दर्द भूलकर उसी पोजिशन में खड़ी रही और स्स.. हम्म… आह… ऐसे शब्द बोलते हुए सिसकारती रही।

तभी मैंने अपनी जीभ को उस खुले छेद में लगाकर चलाना शुरू ही किया था कि वो अपनी गांड को हिलाने डुलाने लगी, मेरी जीभ की नोंक उसकी गांड के अन्दर थी.

वो सिसकारते हुए बोली- आह्ह … हरामी ऐसा करेगा तो मेरी जान न निकल जाये।
मैं- बहन की लौड़ी, मजा आ रहा है कि नहीं?
वो बोली- आह-आह, हाँ बहुत मजा आ रहा है, अजीब सी गुदगुदी हो रही है, ऐसा लग रहा है कि हजारों चींटियां रेंग रहीं हों। हम्म-हम्म … आह्ह … और करो।

फिर मैं उसकी पीठ से चिपक गया और उसकी चूची को भींचते हुए उसके कान को काट रहा था. गर्दन पर जीभ चला रहा था. जबकि शुभ्रा मेरे लंड को पकड़कर अपने चूतड़ों से रगड़ रही थी।

अगले ही पल मैंने शुभ्रा को पलटा और अपनी जीभ निकाल दी, शुभ्रा ने भी अपनी जीभ निकाल ली और मेरी जीभ से लड़ाने लगी।

जीभ लड़ाते हुए शुभ्रा बोली- तुम इतना सब कहां से सीखे?
मैं-बस सीख लिया, तुम बताओ कि तुमको मजा आया कि नहीं?
वो बोली- बहुत!

मैंने जीभ लड़ाना चालू रखा और साथ ही बहन की चूची को भी दबा रहा था। बहुत मजा आ रहा था।
तभी मैंने उसकी चूत को भींचते हुए कहा- अपनी चूत में मेरा लंड लोगी तो और मजा आयेगा।

वो बोली- तो मेरे राजा, देर किस बात की है? डाल दो अपना लंड मेरी चूत में।
मैं- तो उससे पहले उसी तरह का मजा तुम भी मुझे दो।

मेरे इतना कहने भर से ही शुभ्रा ने अपनी बांहें मेरी पीठ में फंसा दी और मेरे निप्पल पर बारी-बारी से अपनी जीभ चलाने लगी. वो बारी बारी से जीभ चलाती या फिर दांत से काट लेती। ऐसा करते-करते वो मेरे सीने, पेट और नाभि को चाटते-चाटते मेरे खड़े लंड पर अपनी जीभ फेरने लगी.

अब सिसकारने की बारी मेरी थी। शुभ्रा भी अब बिना किसी झिझक के मेरे लंड को अपने मुंह में भर रही थी और सुपारे को लॉलीपॉप समझ कर चूस रही थी। वो यहीं नहीं रुकी. मेरी जांघ को चाटते हुए मेरे आड़ू को भी मुंह के अन्दर भर लेती थी।

मुझे भी बहुत मजा आ रहा था। इतना करते करते मुझसे बोली- लाला, जरा घूम तो सही, मैं भी तो देखूं कि गांड में कैसा मजा होता है.
मैं घूम गया.
मेरे कूल्हे को जोर से काटते हुए बोली- मजा तो बहुत है।
तो मैं बोला- हाँ बहन की लौड़ी, अगली बार मैं तुझे बताऊंगा कि कितना मजा है। साली इतनी जोर से कहीं काटते हैं क्या?

शुभ्रा- सॉरी यार!
कहते हुए उसने मेरे कूल्हे को फैलाया और जैसे ही उसकी गीली जीभ मेरी गीली गांड से लगी तो मुंह से निकला- उफ्फ…
क्या बताऊं दोस्तो, पूरे जिस्म में जैसे 11000 किलोवॉट का करंट दौड़ने लगा.

खैर थोड़ी देर तक वो मेरी गांड को चाटने के बाद खड़ी हुई और बोली- अब ये चाटम चटाई बहुत हुई. अब चल, मेरी चूत में खुजली बहुत हो रही है।
मैं- हाँ यार, लंड मेरा भी बार-बार उछाले मार रहा है।

कहते हुए मैंने उसे गोद में उठाया और पलंग पर लेटाकर उसकी कमर के नीचे दो तकिया लगा दी. बहन की चिकनी चूत पाव रोटी की तरह उभर कर मेरे सामने आ गयी। कहानी में पढ़ा था कि चुदाई के समय क्या होता है और कितनी मस्ती आती है, लेकिन जब हकीकत सामने आयी तो पता चला कि चोदन कार्य जितना सरल दिखता है उतना ही कठिन होता है.

खैर मैंने शुभ्रा की टांगें पकड़ीं और लंड को बहन की चूत के मुहाने से लगाकर अन्दर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा। तभी दो बातें एक साथ हुईं. एक तो मुझे लगा कि बहन की चूत, चूत नहीं बल्कि एक सुलगती अंगीठी है.
और दूसरा कई बार कोशिश की लेकिन चूत में लंड अन्दर नहीं जा रहा था।

मैं और शुभ्रा दोनों झल्लाने लगे थे और इसी झल्लाट में मैंने एक हाथ से अपना लंड पकड़ा और दूसरे हाथ से बहन की चूत के मुहाने पर उंगली फंसाकर थोड़ा सा खोल दिया और लंड को थोड़ी सी ताकत के साथ अन्दर की तरफ धकेल दिया।

लंड के आगे का भाग अन्दर घुसा ही था कि शुभ्रा चीख पड़ी, मैंने तुरन्त उसके मुंह पर अपनी हथेली रखकर उसके मुंह को पकड़ लिया और बोला- चिल्लाओ मत, नहीं तो मामा-मामी आ जायेंगे। घों-घों … गूं-गूं की आवाज के साथ वो मुझे पीछे की तरफ धकेल रही थी.

तभी शुभ्रा ने मेरे हाथ में जोर से चुटकी काट ली जिससे मेरा हाथ स्वत: ही उसके मुंह से हट गया। जैसे ही मैं उसके चुटकी काटने से बिलबिलाया और मेरा शरीर ढीला पड़ा तो शुभ्रा ने मुझे पीछे धकेल दिया। मैं लगभग गिरते पड़ते जमीन की तरफ लुढ़क गया।

वो तो अच्छा रहा कि मैंने अन्तिम समय पर अपने आपको संभाल लिया नहीं तो पास पड़ी टेबल से मेरा सर लड़ जाता. शुभ्रा भी मुझे इस तरह से गिरता हुए देखकर अपनी तरफ से मुझे सम्भालने की कोशिश करने लगी।

मैं वापस पलंग पर आ गया और शुभ्रा के बगल में लेटते हुए बोला- यार, मूवी में तो लंड बुर के अन्दर बड़ी आसानी से चला जाता है और यहां पर तो बार-बार लंड फिसल जा रहा है। चल कोई बात नहीं, हम लोग पहली बार कर रहे हैं शायद इसीलिए नहीं जा रहा.

शुभ्रा बोली- हम्म, चल एक बार फिर करते हैं.
कहते हुए उसने अपनी टांगें फैला लीं और अपनी बुर का मुंह को खोल दिया। मैं जांघों के बीच आकर उसकी लाल-लाल बुर पर एक बार फिर जीभ फेरने लगा.

वो बोली- भोसड़ी के! सारी रात बुर ही चाटेगा कि लंड भी चूत में डालेगा?
मैं- जानेमन बस तेरी चूत को तैयार कर रहा हूं.
शुभ्रा- चल अब, मेरी चूत तैयार है, आ अब।

घुटने के बल आकर मैंने लंड को मुहाने में लगाया और शुभ्रा से बोला- यार इस बार न तो चिल्लाना और न ही मुझे चिकोटी काटना।
शुभ्रा- चूतिये, डाल तो ले पहले अन्दर! फिर देखूंगी कि क्या करना है!

मैंने लंड को चूत पर फंसा दिया और एक जोर का झटका दिया. लंड कितना अंदर गया ये तो नहीं कह सकता लेकिन शुभ्रा ने कस कर पलंग के सिरहाने को पकड़ लिया. साथ ही अपने दांत भी पीसने लगी. उसका बदन पसीने से लथपथ होने लगा.

झुक कर मैंने उसके निप्पलों को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया. बीच बीच में मैं उसकी ओर देख भी रहा था. जैसे ही मैंने उसके चेहरे को नॉर्मल देखा तो मैंने एक कस कर झटका दिया. इस बार मेरा अंडा उसकी चूत से टकरा गया.

लंड पर लसलसेपन का अहसास होने लगा.
इधर शुभ्रा के मुंह से निकला- मादरचोद!
कहते हुए एक बार फिर उसने अपने दांतों को भींचना शुरू किया और एक बार मैंने फिर से उसके निप्पल को मुंह में लेकर चूसना चालू किया. इस बार उसकी पसीने से भीगी कांख को सूघने के साथ ही मैं अपनी जीभ भी चला रहा था।

इसी बीच शुभ्रा अपनी कमर को हिलाने लगी। मैं समझा नहीं, लेकिन मैंने अपने लंड को हल्का सा बाहर निकाला और फिर तेज धक्के के साथ लंड को अन्दर कर दिया। इस बार उसके गले से हम्म.. की आवाज निकली लेकिन उसने दांत नहीं भींचे।

मैं इस बार फिर रुक गया और उसकी चूची को मुंह में भरने लगा.
तभी वो बोली- लाला, लंड को अन्दर बाहर करो।

बस फिर क्या था, धीरे-धीरे लंड अन्दर बाहर होने लगा और फिर अपने ही आप अन्दर बाहर होने में स्पीड आ गयी। बहन की चूत और मेरे लंड के मिलन से पैदा होने वाली मधुर आवाज- फच-फच छप की ध्वनि आना शुरू हो गयी.

शुभ्रा सिसकारने लगी- और जोर से … और जोर से … करो आह्ह … कर गोलू।

मेरा हौसला भी बढ़ता जा रहा था। फिर अचानक मुझे लगा कि मेरा जिस्म अकड़ने लगा और लंड में एक तेज खुजली सी महसूस होने लगी. तभी लंड से पिचकारी छूटी और फुहार सा कुछ छूटने लगा. मैं निढाल होकर शुभ्रा के ऊपर ही आ गया।
ऐसे एक भाई ने बहन को चोदा पहली बार!

कुछ एक या दो मिनट ही बीते थे कि मेरा लंड जो अभी तक तना हुआ था वो शिथिल होकर चूत से बाहर आ चुका था. मैं शुभ्रा के ऊपर से उठा और लंड की तरफ देखा तो लंड मे खून लगा था. बस इतना देखते ही मैं कब बेहोश हो गया पता ही नहीं चला.

थोड़ी देर बाद मुझे होश आया और पाया कि शुभ्रा मेरे ऊपर पानी के छींटे मार रही है।
वो मुझसे पूछने लगी- क्या हुआ?
मैं क्या बोलता? पर जब शुभ्रा पीछे ही पड़ गयी तो झूठ बोल दिया कि अचानक चक्कर आ गया था।

फिर शुभ्रा ने मुझे सहारा देकर अच्छे से लिटाया और फिर गीले कपड़े से मेरे लंड को साफ किया और फिर मेरे बगल में बैठकर वो मेरे बालों को सहला रही थी।

हम दोनो अभी भी नंगे ही थे। थोड़ी देर बाद शुभ्रा भी मेरे बगल में आकर मुझसे चिपक गयी और फिर हम दोनों ही एक-दूसरे के आगोश में सो गये। करीब सुबह के चार बजे शुभ्रा ने मुझे जगा कर मुझे मेरे कमरे में जाने के लिये कहा.

मैं उठा, अपने कपड़े लिये और कमरे में आ गया क्योंकि अब मामा-मामी के भी जागने का टाईम हो रहा था। सुबह जब मैं सोकर उठा तो पता चला कि शुभ्रा की तबियत ठीक नहीं है इसलिये वो पढ़ने भी नहीं जा रही. मैं उसके कमरे मे गया जहां पर शुभ्रा अकेली आंख बन्द किये हुए लेटी थी.

धीरे से मैंने शुभ्रा के माथे को सहलाया, उसने आंखें खोलीं तो मैंने पूछा- क्या बात है, सब ठीक तो है?
मुझे घूर कर देखते हुए बोली- मेरी बुर चोदने का मजा तुम्हें मिला और सजा मुझे मिल रही है.

मैं- क्यों क्या हुआ? मजा तो तुमको भी आ रहा था।
शुभ्रा- हाँ तब आ रहा था लेकिन पूरी रात मेरी चूत में जलन होती रही और पेशाब करने जब मैं उठी तो लंगड़ा रही थी तो डर के मारे मैं लेटी रही कि कहीं मम्मी ने पूछ लिया तो मैं क्या जवाब दूंगी, इसलिये तबियत खराब होने का बहाना बना दिया।
मेरी मानो तो तुम भी ऐसा ही करो. आज पढ़ने मत जाओ. कुछ देर के बाद पापा ऑफिस चले जायेंगे. मम्मी मौसी के यहां जाने वाली है, तो फिर मैं और तुम एक बार फिर मजा लेंगे।

मैं- साली, अभी बोल रही थी कि तेरी चूत में जलन हो रही है और उसके बाद तुझे मेरा लौड़ा भी अपनी चूत में चाहिए?
मैंने थोड़ा बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा।

शुभ्रा तो मुझसे एक कदम और आगे निकलते हुए बोली- बहनचोद, जब तुमने अपनी बहन को चोद ही लिया है तो अब नखरे क्यों मारता है?
फिर थोड़ा मुस्कुराते हुए बोली- यार चूत के अन्दर जलन नहीं, मीठी-मीठी जलन हो रही है और तुम्हारा ये लंड ही तेरी बहन की चूत की जलन को मिटा सकता है।

मैं- ठीक है। मैं भी कुछ बहाना बना कर बोल देता हूं लेकिन मैं तुझे अभी नंगी देखना चाहता हूं।
वो बोली- ठीक है। मगर ध्यान रखना मम्मी इधर न आ रही हों।

कहकर वो उठी और मैक्सी को अपने जिस्म से अलग कर दिया। नीचे उसने कुछ भी नहीं पहना था। मैं जल्दी से उसके पास पहुंचा और उसके दोनों निप्पलों को एक-एक करके चूसा, चूत और गांड को चूमा और फिर जल्दी से अलग हो गया।

शुभ्रा ने भी जल्दी से मैक्सी को पहन लिया और पलंग पर लेटते हुए बोली- अब तुम्हारी बारी।

मैं खिड़की की तरफ झांकते हुए शुभ्रा के पलंग की तरफ आया, लोअर को नीचे किया और लंड को शुभ्रा के पास ले गया। शुभ्रा ने भी अपनी लपलपाती हुई जीभ से मेरे लंड और गांड दोनों को चूमा.

उसके बाद मैं लोअर को उपर करके बाहर निकल कर आया और मामी के पास रसोई में जाकर कॉलेज न जाने के लिये बोल दिया और मामी ने भी अपनी सहमति जता दी. वो बोली कि वो मौसी के पास जा रही है और मुझे उनको छोड़ने जाना है।

मैंने यह बात शुभ्रा को बताई तो बोली- चल कोई बात नहीं, अभी मम्मी नहाने जायेगी और फिर तैयार होगी तो कम से कम 30-40 मिनट तो लग ही जायेंगे, तब तक हम लोगों के पास मौका है।
तभी मामी की आवाज आयी- लल्ला, मैं नहाने जा रही हूं. तू भी तब तक तैयार हो जा।

बस इतना सुनना था कि शुभ्रा झट से उठी और उसने मेरे होंठों से होंठ चिपका लिये और मेरे होंठों को कस-कस कर चूसने लगी और साथ ही मेरे लंड को अपनी हथेली के बीच फंसाकर भींचने लगी. तभी मेरे हाथ भी स्वतः ही उसकी चूची को भींचने लगे।

थोड़ी देर तक वो ऐसा ही करती रही। जब शुभ्रा का मन रसपान करने से भर गया तो उसने जल्दी से अपनी मैक्सी को उतारा. मेरे सर को पकड़ा और अपने संतरे जैसी चूची पर ले जाकर टिका दिया। चिरौंजी जैसे निप्पल के दाने पर मैं अपनी जीभ चलाने लगा और अपने होंठों के बीच फंसाकर उसको पीने लगा.

शुभ्रा अपनी चूत के साथ खेलने में मग्न हो गयी। बीच में मौका पाकर मैंने भी अपने कपड़े उतार लिये और फिर घुटने के बल बैठ कर शुभ्रा की आग उगलती चूत पर अपनी गीली जीभ लगा दी।

उसके मुंह से शाआआ आआ … की एक आवाज आयी। चूत की फांकों के बीच मेरी जीभ चलने लगी और एक कसैला सा स्वाद मेरी जीभ को मिलने लगा। मैं उसकी पुतिया पर भी जीभ चला रहा था और साथ ही उसको दांतों से हल्का-हल्का सा काट रहा था।

तभी शुभ्रा ने मुझे हल्का सा धक्का दिया और मैं जमीन पर लेट गया और वो मेरे पैरों के बीच बैठकर मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. पता नहीं कब मेरे हाथों ने उसके सिर को पकड़ लिया और उसके मुंह को लंड पर दबाने लगे. मैं नीचे से धक्का लगाने लगा.

शुभा गूं-गूं की आवाज करने लगी. मगर उसने मेरी पकड़ से छूटने की कोशिश भी नहीं की. थोड़ी देर इस तरह करने के बाद मैं और शुभ्रा एक-दूसरे से अलग हुए और फिर पलंग पर शुभ्रा लेट गयी और अपनी टांगों को चौड़ा कर लिया. मैंने उसकी टांगों के बीच में पहुंचकर लंड को हाथ में लेकर बहन की चूत के मुहाने में टिका दिया और हल्का सा धक्का लगाया.

इस बार लंड बिना किसी आनाकानी के अन्दर चला गया। मेरा उत्साह और बढ़ गया और मैं लंड को बहन की चूत के अन्दर और धकेलने लगा. चूत लसलसा रही थी और मेरे लंड में खुजली हो रही थी. इधर शुभ्रा भी अपनी कमर को उचका कर लंड को चूत में मजे से अन्दर ले रही थी।

कुछ समय बाद ही धक्कों की गति में तेजी आ गयी। बीच-बीच में रुक-रुक कर फिर से चुदाई शुरू हो जाती थी और फिर अन्त में जो होना था वो होने लगा. मेरा शरीर अकड़ने लगा और लंड ने एक बार फिर धार को मेरी बहन की चूत में छोड़ दिया और मैं निढाल होकर शुभ्रा के ऊपर आ गया।
इस तरह एक भाई ने बहन को चोदा दूसरी बार!

तभी मामी की आवाज आयी- लल्ला तैयार हुआ कि नहीं?
मैं जल्दी से शुभ्रा के ऊपर से हटा और अपने कमरे में भागा और 10 मिनट में नहा धोकर बाहर आया।

शुभ्रा मुझे दरवाजे पर ही मुस्कुराते हुए मिली। फिर मैं मामी के साथ शुभ्रा की मौसी के यहां चला आया। उसके बाद जब भी मौका लगता या जब भी हमें एक दूसरे की जरूरत होती तो हम लोग खूब जम कर चुदम-चुदाई करते।


fight
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#19
छत पर भैया ने चोदा रात भर, मैं भी दे बैठी चूत और चूचियां पूरी रात


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 मेरी उम्र 19 साल है मैं जवान लड़की हूं देखने में बहुत खूबसूरत हूं और तुम मेरी हॉबी है मैं इंटरनेट चलाती हूं एडल्ट मूवी देखती हूं  टिक टॉक पर सेक्सी मूवी बनाती हूं।  मेरे दीवाने ऑल ऑफ इंडिया क्योंकि मैं हमेशा  टिक टॉक पर सिर्फ मेरी दिखाई देती है इसलिए आज तक कोई मुझे पहचानता नहीं  है। 



 आज मैं आपको कहानी सुनाने जा रही हूं या यूं कहिए कि  लिखने जा रही हूं वह मेरे और मेरे भाई के बीच संबंध का है।  दोस्तों कई बार ऐसी जिंदगी में बातें हो जाती है जो सबसे तो नहीं शेयर की जा सकती है आप तो सबको यह बता नहीं सकती पर हां कहीं ऐसे जगह शेयर करने के लिए है।  जहां पर आप अपना मन को हल्का कर सकती है क्योंकि गलतियां तो गलतियां होती है इसको मैं गलतियां भी नहीं मानती जब मन किया तो मैंने कर लिया कोई बात नहीं है। 
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कहानी पर आती हूं।  कल रात की ही बात है मेरे यहां शादी थी लोग शादी में बिजी थे रात काफी हो गई थी सोने का जगह नहीं था सब लोग अपना-अपना सोने का इंतजाम कर चुके थे पर मैं सोने का इंतजाम नहीं कर पाई थी जब छत पर चढ़ी तो जगह नहीं था।  छत की  मोंटी पर जगह था जहां पर मेरा भाई जो मेरे से मात्र 1 साल बड़ा है उतना बिछावन लगा रखा था उसने बोला राधिका ऊपर ही आजा आज नहीं सो जा मुझे भी लगा सो जाना चाहिए मैं तुरंत ऊपर चढ़ा लकड़ी का सीढ़ी था ऊपर पहुंच गई। 





 हवा अच्छी चल रही थी।  हम दोनों भाई बहन पास पास ही सो गए थे बीच में मात्र 2 फीट का जगह छूटा हुआ होगा।  धीरे चलने लगी मैं पूछ बैठी भैया क्या आपकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।  उसने बोला हां है पर वैसी वाली नहीं है मैं आगे रिश्ते की बात करो बस वह खेलने खाने की चीज है।  तो मैं पूछिए खेलने खेलने क्या होता है।  तब बस आजकल गर्लफ्रैंड क्यों बनाते हैं गर्लफ्रेंड सिर्फ लोग।  मजे लेने के लिए बनाते हैं मैं भी वही किया हूं मजे लेता हूं बात खत्म।  तो मैं  क्या आप उसके साथ सेक्स करते हो।  उसने हां में सर हिला दिया। अब मैं और भी पूछने लगी कहां जाकर क्या करते हो कहां करते हो कोई देखता नहीं है उस लड़की के घर वाले ख्याल नहीं रखते हैं ऐसे कई सारे प्रश्न वह भी सब को जवाब देने लगा ऐसे वह जवाब दे रहा था जैसे कि मैं उसके दोस्त हूँ। 



 फिर मैंने एक बात पूछूं एक बात बताओ बुरा तो नहीं मानोगे तू नहीं किसी को बोलोगे तो नहीं तो उसने बोला हां हां कोई बात नहीं बोलो बोलो मैं क्यों बताऊंगा।  मैं पूछी भैया आजकल जो कहानियां करती हूं। भाई के रिश्ते के बारे में भी कहानियां होती है घर वाले के बारे में भी कहानियां होती है क्या कि सही क्या कोई अपनी  बहन के साथ सेक्स संबंध बना सकता है। 



 तो उसने कहा हां क्यों नहीं आजकल तो यह चल ही रहा है।   मेरे चार दोस्त हैं चारों दोस्त में से दो ने अपने बहन के साथ ही सेक्स संबंध बनाया।  फिर मैं पूछे और दो क्यों नहीं बनाया उसने बोला दो कि बहन ही नहीं है।  और  वह हंसने लगा।  तो मैं पूछी क्यों तुम्हें कभी ऐसा नहीं लगा कि तुम भी अपने बहन के साथ रिश्ता बनाओ।  तो वह बोला कभी मौका ही नहीं मिला। 



 तो मैं बस तुम्हें मौका तो क्या तुम मेरे सेक्स कर सकते  हो।  मेरी तरफ देखने लगा देखते देखते वह मेरे करीब आ गया मैं उसके करीब आ गई उसने मेरे पर हाथ रखा मैं भी उसके होंठ कब मिल गए दोस्तों  पता नहीं और बात बढ़ गई हम दोनों का लिप  लॉक हो चुका था। शरीर को सहलाने लगा था मैं भी उसके शरीर को सहलाने लगी थी धीरे-धीरे वह  मेरी बूब को पकड़ लिया।  दबाने लगा अब मेरे अंदर करंट दौड़ने लगी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा दल


उसने अपना लौड़ा मुझे पकड़ा दिया जैसे ही उसके लौड़े को मैं सहलाने लगी। मेरी चूत से अपनी निकलने लगी तभी उसने मेरी पेंटी में हाथ घुसा दिया। जैसे ही उसका हाथ  चूत तक पहुंचा वैसा ही उसके मुँह से वाओ की आवाज आई। उसके बोला बहन तेरी चूत तो काफी गरम हो चुकी है। गीली  भी हो गई है। तो मैं बोली हां लंड की चाह में गीली हो गई है। तो उसने कहा फिर देर किस बात की। रात काफी हो गई है सब लोग सो भी गए है और जहा हम दोनों सोये है वह कोई देख भी नहीं सकता इसलिए कोई डर भी नहीं है। 
धीरे धीरे उसने भी अपने कपड़े उतार लिए और मैं भी अपने कपडे खोल दी। वो मेरे ऊपर चढ़ गया। हलकी हलकी हवा आ रही थी। चारों और सन्नाटा था। आसमान में तारे टिमटिमा रहे थे। क्यों की मैं सब देख पा रही थी मैं निचे थे। पैर अपना फैला दी। वो मेरे ऊपर चढ़ गया मेरे होठ को चूसने लगा। मेरी बड़ी बड़ी चूचियां मसलने लगा। मैं आह आह आह करने लगी। मेरे पुरे शरीर में करंट दौड़ रहा था। होठ बार बार सुख रहे थे। चूत मेरी गीली हो रही थी। 
उसने अपना लौड़ा मेरी चूत पर लगाया और जोर से घुसा दिया। गीली होने की वजह से लौड़ा तुरंत हि अंदर चला गया। दर्द हो रहा था पर ज्यादा नहीं। पहली बार चुद रही थी। पर पहले भी बैगन डालती थी इसलिए ज्यादा कुछ लगा भी नहीं। दर्द भी नहीं हो रहा था। वो अंदर बाहर करने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था मैं जन्नत में पहुंच गई हूँ। मैं अब गांड गोल गोल घुमाने लगी और निचे से हौले हौले धक्के देती। 

[url=https://www.nonvegstory.com/bhai-bahan-ki-chudai-ki-mast-sex-kahani/]
तो वो जोर जोर से धक्के देता। ज्यादा शोर नहीं कर सकती थी क्यों की निचे कई लोग सोये थे। तो मुँह बंद कर के ही मजे ले रही थी। ऐसा लग रहा था जोर जोर से अपनी बात कह सकूं चुदवा सकूँ पर ये सब संभव नहीं था। फिर भी जोर जोर से वो ले रहा था और मैं भी पुरे ताकत से अंदर घुसा रही थी उसका लंड। वो मेरी चूचियां मसल रहा था। 
दोस्तों करीब आधे घंटे तक वो मुझे चोदता रहा और मैं मजे लेती रही। फिर वो झड़ गया अपना सारा माल निचे गिरा दिया। क्यों की वो कंडोम भी नहीं पहना था। उसके बाद हम दोनों ने अपने अपने कपडे पहन लिए और फिर से वो मुझे चूमने लगा। रात कैसे कट गई पता ही नहीं चला। पूरी रात जागती रही। अपने जिस्म को उसके हवाले कर दी थी और उसने अपना जिस्म मेरे हवाले। दोनों मजे ले रहे थे। पूरी रात में हमने दो बार चुदाई की थी और बाकी के समय सहला रहे थे और जी भर के दोनों एक दूसरे को चुम रहे थे और एक दूसरे की जिस्म का नाप ले रहे थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#20
छोटे भाई से चुदवाकर अपनी वासना शांत करती बड़ी बहन
2023 [color=var(--accent)]Story[/color]



Chhota Bhai aur Badi Bahan Sex Story : हेलो दोस्तों, तो लो आज मैं अपनी कहानी आप लोगो को शेयर कर रही हु, क्यों की मैं भी आप लोगो की कहानियों को पढ़कर खूब मजे लिए, तो आज मेरी बारी है की मेरी कहानी का भी आपलोग मजा ले, मैं भी आपकी तरह ही रोज नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम के रेगुलर पाठक हु, ऐसा एक दिन भी नहीं जाता की मैं इस वेबसाइट को ओपन किये बिना सो जाती हु, मैं तो आजकल रजाई के अंदर ही मजे से मोबाइल पे कहानी पढ़ लेती हु, सिर्फ     पर आप लोगो की कहानी पढ़कर मजे लेते रहती हु।



मेरी उम्र 28 साल है, पढ़ी लिखी हु, सुन्दर हूँ और बैंक में जॉब करती हु, बहुत ही हॉट हु, 36 साइज की ब्रा पहनती हु, गोरा बदन है, मखमली शरीर, पर बहुत ही शर्मीली हु, मैंने आजतक किसी को भी बॉय फ्रेंड नहीं बनाई, क्यों की मुझे समाज का बहुत ही डर था, और पापा मम्मी की इज्जत का सवाल भी था, लड़के छेड़ते भी नहीं थे, क्यों क मेरे पापा पुलिस अफसर है, इस वजह से कोई ज्यादा तंग भी नहीं किया, पर जवानी एक ऐसी आंधी है जिसमे अच्छे अच्छे उड़ जाते है। मैं अब अपनी कहानी पे आती हु,



मैं जब २२ साल की हुई तब से मुझे सेक्स करने की काफी इच्छा होने लगी, पर मैं इस चीज को पूरा नहीं कर सकती क्यों की मेरी शादी नहीं हुई थी और मेरा कोई ऐसा फ्रेंड्स भी नहीं था जिससे मैं सेक्स कर सकती थी, मैं सिर्फ इंटरनेट पे कहानी पढ़कर, क्लिप देखकर ही काम चलाती थी, पर जब मेरे शरीर की वासना भड़क रही थी तब मैं लाचार हो जाती थी और तकिये को अपने चूत के पास लगा के सो जाती थी, करती भी क्या कोई चारा भी नहीं था, अपनी भावनाओ को दबाते रही यही सिलसिला बरसो तक चलता रहा, अब मेरे लिए लड़का ढूंढने के लिए माँ पापा अकसर जाया करते थे, क्यों की मैं अठाईस साल की हो भी गई हु, शादी बहुत ही जरूरी काम उन दोनों के लिए हो गया है।
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मेरे से एक छोटा भाई है जो की २१ साल का है, हम दोनों में काफी अच्छी बनती है, अपनी बात एक दूसरे को शेयर करते है, एक दिन की बात है पापा और मम्मी दोनों बाहर गए थे दो दिन के लिए, हम घर तो दोनों भाई बहन ही थे, उस दिन मैंने एक ऐसी ही कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ ली जो मेरे बर्दास्त के बाहर हो गया और मैं सोच ली की जब शादी होगी सो होगी आज मैं एक प्लान बनाती हु जिससे की मेरा छोटा भाई ही मेरे साथ सेक्स सम्बन्ध बना ले, मेरी जवानी भरपूर थी, चूचियाँ तनी हुई रहती थी, मेरा चूतड़ गोल गोल मटकते रहता था, मैं प्लान किया शाम को की कैसे आज मैं अपने भाई को सेक्स के लिए मजबूर करूँ।।



मेरा भाई शाम को जिम चला गया और मैं खुले छत पे टहलने लगी और आईडिया की तलास करने लगी की क्या करूँ क्या करूँ, मेरे दिमाग में एक आईडिया आया, तभी बेल बजी मेरा भाई जिम से वापस आ गया था, वो तौलिया ले के नहाने चला गया, और मैं खाना बनाने चली गई, रात को नौ बन गए थे, मैं और मेरा भाई दोनों खाना खाए तभी माँ पापा का फ़ोन आ गया और बात चित होने लगी, हम दोनों ने कह दिया की कोई दिक्कत नहीं है खाना हम दोनों खा रहे है, फिर पापा बोले की हम दोनों परसो आयेगे और गुड नाईट बोल के फ़ोन काट दिया।




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हम दोनों टीवी देखने लगे, बिग बॉस, पर मेरी धड़कन तेज हो रही थी सोच रही थी की क्या होगा, अगर ये बात माँ पापा को पता चल गया तो या तो मेरा भाई मुझे चोदने से मना कर दिया तो क्या करुँगी? यही सब सोच रही थी कभी तो लग रहा था ठीक है कभी लग रहा था जिसको मैं राखी बांधती हु और उसके साथ सेक्स सम्बन्ध अच्छा नहीं होगा, पर ये सब सोच सोच कर डर के साथ साथ मेरी वासना भी भड़क उठी, मेरी चूत गीली हो गई थी और साँसे तेज हो गई थी, मैंने सोच लिया चुदुंगी आज चाहे जो हो जाये,



मैंने नाटक किया, भाई मेरा मन ठीक नहीं लग रहा था, भाई मैं अच्छी महसूस नहीं कर रही हु, बहुत घबराहट हो रही है, अचानक मैं ये सब बात बोलने लगी और कहने लगी मेरे सीने में दर्द होने लगा है, आअह आअह, मेरा छोटा भाई घबरा गया, बोला दीदी चलो हॉस्पिटल चलो, पर आप को भी पता है मुझे क्या हुआ था, मैंने कहा नहीं नहीं मैं जा नहीं पाऊँगी, आह आअह आअह और मैं बैडरूम में चली गई वो भागता हुआ आया और मेरे पास बैठ गया, और हाथ पकड़ लिया और पूछने लगा दीदी बताओ कैसा लग रहा है, मैंने कहने लगी सांस लेने में दिक्कत हो रही है, मैंने उसको इसारे से कहा मेरी छाती को दबाओ,



वो मेरी छाती को दबाने लगा, मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ को दबाने लगा, मैंने कहा हां ठीक लग रहा है वो मेरी छाती को दबा रहा था, मैं नाईटी पहनी थी ब्रा पहले ही खोल चुकी थी, मेरी चूची को वो दबा रहा था, और कह रहा था बोलो दीदी कैसा लग रहा है, मैं कह रही थी ठीक लग रहा है, दबाते रहो, वो दबाता रहा, फिर मैंने कहा दिपु ऐसे नहीं होगा बाम ले आओ आलमारी से, वो दौड़कर गया और बाॅम लेके आ गया, मैंने कहा देख भाई तू ही घर में है, मम्मी रहती तो वो मालिश कर देती, पर मैं तुम्हारी बहन हु, क्या तुम बाम मेरे सीने पे लगा दोगे, तो वो बोला दीदी अगर आपको बुरा नहीं लगे तो मैं बिलकुल लगा दूंगा, इस वक्त कर भी क्या सकते है।
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वो बाम हाथ में लेके नीति के गले से ही हाथ अंदर डाल के मेरे छाती पे या तो यूं कहिये की वो मेरी चुचिओं पे बाम लगाने लगा पर वो पुरे छाती पे कैसे लगाता हाथ सही से घुस नहीं रहा था अंदर उसके बाद मैंने कहा कोई बात नहीं दिपु, मैं नीति खोल देती हु, और मैंने नाईटी खोल दी बस पेंटी में थी, मेरा गदराया हुआ बदन देखकर वो ऊपर से निचे तक मेरे शरीर को देखने लगा, और मैंने कहा लगा दे बाम ऑव वो बाम लगाने लगा, मैं उससे देख रही थी और वो मुझे देख रहा था, धीरे धीरे मैं नार्मल हो गई, मेरी चूत तो पानी पानी हो गया था, जब मैं अपने भाई के पेंट के तरफ देखि तो उसका लैंड खड़ा हो रहा था पर वो छुपाने की कोशिश कर रहा था, मैं समझ गई, मैंने अपना पैर अलग अलग कर दिया, वो मेरे पेंटी के तरफ देखा और फिर मुझे देखा, मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा भाई शर्म मत कर, आज तो तूने मेरा सब कुछ देख लिया, और मैं ये भी देख रही हु तेरा प्राइवेट पार्ट कैसे खड़ा हो गया है, अगर तुझे प्यार करना है तो कर ले आज मैं कुछ भी नहीं बोलूंगी। तो दिपु ने कहा नहीं दीदी अगर ये बात माँ पापा को पता चल गया था वो हम दोनों को गोली मार देंगे।






मैंने कहा आज मौक़ा है यहाँ है नहीं और उनको कहेगा कौन, रात को बारह बज रहे है, और मैंने उसको खीच लिया उसकी गरम गरम साँसे मेरे होठ के पास चलने लगा, मैंने उसके होठ को निहार रही थी, वो भी मेरे होठ को निहार रहा था और धीरे धीरे एक दूसरे के होठ चिपक गए, हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे, वो मेरी चूचियों को सहलाने लगा, मैंने अपना पैर एक दूसरे पैर से रगड़ने लगी, मेरी साँसे तेज तेज चलने लगी, मैंने अपने भाई का पेंट खोल दिया और उसका लंड हाथ में पकड़ ली, मोटा लंड, लंबा काला सा, ओह्ह्ह क्या बताऊँ क्या एहसास था, मैंने कहा दिपु तुम तो जवान हो गया है, कितना मोटा लंड और काले काले झांट है तेरे, वो फिर मेरे पेंटी में हाथ डाल दिया और बोला दीदी आपके भी झांट तो बड़े बड़े हो रहे है और ये क्या आपकी चूत तो पूरी गीली हो चुकी है,
और मेरे दोनों हाथ को ऊपर कर दिया, और कहा दीदी मुझे काँख का बाल चाटने में बहुत अच्छा लगता है, मेरी एक गर्ल फ्रेंड है उसका मैं चोदने के पहले मैं कांख के बाल को चाटता हु, तो मैंने कहा मैं कहा मना कर रही हु मेरे राजा आज तुम्हे जो करना है कर लो आज तू आजाद बही आज मैं नहीं रोक रही हु, तुम्हे जो करना है कर ले, आज तू मुझे बहन नहीं मान आज तू मुझे अपनी गर्ल फ्रेंड या तो अपनी बीवी या तो अपनी रखैल समझ ले, और कर दे जो करना है तुम्हे, और वो मेरी पेंटी उतार के मेरे दोनों पैरो के बीच बैठ गया, और मेरी चूत को दोनों ऊँगली से अलग कर के अंदर देखने लगा, और बोला दीदी आप तो वर्जिन हो, आप तो आज तक चुदी नहीं हो, तो मैंने कहा हां दिपु आज तक मैं चुदी नहीं हु पर अब बर्दास्त के बाहर हो रहा है, मेरी जवानी अब चुदाई चाहती है, मैं चुदना चाहती हु, आज तो मुझे खूब चोद,








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वो अपना मोटा लंड मेरे चूत के छेद के बीचो बीच रखा और घुसाने लगा मुझे दर्द होने लगा पर अंदर अजब की एहसास थी और गुदगुदी भी थी, मैंने उसके छाती के बाल को सहला रही थी तभी वो जोर से एक झटका दे दिया, और उसका आठ इंच का लंड आधा मेरे चूत में चला गया, मेरे मुह से आह की आवाज निकल पड़ी और आँशु भी वो थोड़ा रुका मेरे चूच को सहलाया और फिर एक झटका दो इंच फिर गया मुइझे तेज का दर्द होने लगा, पर मैं सहती रही और एक झटका फिर दिया और लंड पूरा मेरे चूत में डाल दिया, फिर वो धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा,
क्या बताऊँ दोस्तों दर्द कहा गया पता ही नहीं चला अब तो मेरी चूत इतनी फिसलन हो गई की उसका लंड आ जा रहा है और मैं गांड उठा उठा के बस फ़क मी फ़क मी और जोर से और जोर से, आआअह आआह उफ्फ्फ्फ्फ़ आआह हाय हाय हाय उफ्फ्फ उफ्फ्फ आउच आउच की आवाज निकाल रही थी और वो भी बोल रहा था तू बहन नहीं रंडी है, आअह आआह आआह आआअह उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ्फ़ वो मेरी चूचियों को मसल रहा था, और चोद रहा था, जोर जोर से झटके दे रहा था, मैं दो बार झड़ चुकी थी मेरे चूत से सफ़ेद सफ़ेद कुछ क्रीम सा निकलने लगा, और फिर थोड़े देर बाद मेरा भाई भी एक लम्बी सांस लेके झड़ गया,
दोनों फिर एक दूसरे को पकड़ के सो गए, थोड़ी देर बाद वो फिर अंगूर लेके आया और मेरे शरीर के हरेक जगह एक एक अंगूर रखता और वह किश कर के खाता फिर वो चॉकलेट लगा दिया मेरे चूत पे और चूची पे फिर वो चाटा, इस तरह से एक एक घंटे के अंतराल में रात भर हम दोनों एक दूसरे को संतुष्ट करते रहे, अब मेरी शादी अगले महीने है, पर ये मजा लेने से नहीं चुकती हु, रोज रोज हम दोनों एक दूसरे की वासना की आग को शांत कर रहे है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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