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Adultery बहू की चूत ससुर का लौडा
#1
Heart 
Namaskar
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त  ससुर बहू की मस्त चुदाई की कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तो  ये कहानी कुछ ज़्यादा ही मस्ती भरी है ये मेरा वादा है कि ये कहानी आपको ज़रूर पसंद आएगी . तो दोस्तो चलिए कहानी की तरफ चलते हैं ....राज अपने कमरे में उदास बैठा है, और कमरे की खाली दीवारों को घूर कर अपने दुखी मन को शांत करने की कोशिश कर रहा है। वह 44 साल का एक तंदूरूस्त हट्टा क़ट्टा गोरा व्यक्ति है और उसकी इस २५ लाख की आबादी वाले शहर में कपड़ों की बड़ी दुकान है।

उसने यह काम बड़े ही छोटे लेवल पर चालू किया था पर आज वह एक बहुत ही शानदार शोरूम का मालिक था। पर पिछले एक महीने से वह शोरूम पर नहीं गया था। शोरूम पर उसका जवान बेटा जय ही बैठ रहा था जो कि २५ साल का हो चला था। उसकी एक २४ साल की बेटी भी है जिसकी शादी को तीन साल हो चुके हैं और वह एक दूसरे शहर में रहती है।

राज के दुःख का कारण यह है कि एक महीने पहले उसकी पत्नी का किसी बीमारी से देहांत हो गया। वह अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था और उसे दुःख इस बात का है कि बिना किसी पूर्वाभास के वह बीमार हुई और क़रीब एक महीने में स्वर्गवासी भी हो गयी। सब रिश्तेदार आए थे और अब सब अपने घर वापस चले गए । आख़िर में जाने वाली उसकी बेटी थी । अब सबके जाने के बाद वह फिर अकेला महसूस कर रहा था। बेटे जय ने कहा भी कि काम में मन लगाइए ताकि दुःख कुछ कम हो जाए, पर वह अभी भी सामान्य नहीं हो पाया था।

अपनी सोचो से बाहर आते हुए राज ने टीवी ऑन कर लिया , अचानक टेलीविजन का चैनल बदलते हुए एक फ़िल्म लग गयी जिसमें एक भरे बदन की हीरोईंन बारिश के पानी में भीग रही थी और उसके बहुत ही मादक अंग साड़ी से दिख ज़्यादा रहे थे और छुप कम रहे थे। ये देखकर अचानक उसके लंड ने झटका मारा और उसका हाथ अपने लंड पर चला गया और वह उसे दबाने लगा। उसे अभी अभी महसूस हुआ कि आज पूरे दो महीने के बाद उसके लंड में हरकत हुई है। वरना एक महीने की पायल की बीमारी और एक महीने का शोक – उसका तो लंड- जैसे खड़ा होना ही भूल गया था।

उसे बड़ा अच्छा लगा और वह लंड को सहलाता ही चला गया। फिर उसने उसे अपनी लूँगी और चड्डी से बाहर निकाल लिया और अपने बड़े बड़े बॉल्ज़ को सहलाते हुए उसने मूठ्ठ मारनी शुरू की। उसका क़रीब ८ इंचि मोटा लौड़ा उसकी मूठ्ठी में आधा भी समा नहीं रहा था। क़रीब १० मिनट उसे हिलाते हुए पायल के साथ बिताए हुए मादक लमहों को याद करते हुए वह झड़ने लगा। उसे लगा कि वह पायल के मुँह में झड़ रहा है। और वह पहले की तरह उसका गाढ़ा वीर्य स्वाद लेकर पीते जा रही है। 

पर जब उसने आँख खोली तो अपने को अकेला पा कर उसने आह भरी और पायल को याद करके उसकी आँख भर आइ।

हालाँकि वह पायल को बहुत प्यार करता था पर अनेक सफल मर्दों की तरह वह भी कभी कभी यहाँ वहाँ मुँह मार लिया करता था उसकी कमज़ोरी भरे बदन की कम उम्र की लड़कियाँ थीं। उसने कई लड़कियों से मज़े लिए पर कभी भी किसी से रिश्ता नहीं बनाया। ज़्यादातर लड़कियाँ एक रात की ही मेहमान होती थीं। बस सिर्फ़ तीन लड़कियों से ही उसके सम्बंध अपेक्षाकृत लम्बे चले, यही कोई तीन चार महीने। इसके बारे में आगे कहानी में पता चलेगा, कि किन हालातों में उन तीन लड़कियों से उसका रिश्ता बना।

आज उसने अपना वीर्य साफ़ किया और बाद में सोफ़े पर आकर दुकान का हिसाब देखने की कोशिश किया। दिन के ११ बज गए थे। जय को दुकान गए १ घंटा हो चुका था। तभी कॉल बेल बजी। उसने दरवाज़ा खोला और सामने कांता खड़ी थी। वह घर की नौक रानी थी और पायल की बहुत चहेती थी। उसकी उम्र करींब ३५ साल की थी और वह एक चूसे हुए आम की तरह थी। वह आकर किचन में चली गई। वह घर के सब काम करती थी और अब पायल के जाने के बाद खाना भी बना देती थी।

जय अपने काम में लग गया और तभी कांता वहाँ झाड़ू लगाने लगी। उसके सुखी हुई काया उसके सामने थी और दो महीने का प्यासा राज ये सोचने लगा कि क्या इसे ही चोद लूँ? पर जब साड़ी से उसकी नीचुड़ि हुई चूचियाँ देखा तो उसका लौड़ा शांत हो गया। उसने अपना ध्यान काम में लगाया।

तभी कांता का मोबाइल बज उठा और वह किचन में उसे लेकर बात करने लगी। थोड़ी देर बाद वह बाहर आयी और बोली: साहब, मुझे छुट्टी जाना होगा क्योंकि मेरी बहु को बच्चा होने वाला है। कम से कम तीन महीने लगेंगे।

राज: अरे तो हमारा क्या होगा? तुम किसी को काम पर लगा कर जाओ।

कांता: जी साहब, कल से मेरी भतीजी आएगी , उसका नाम शशी है वही काम करेगी, मेरी अभी उससे बात भी हो गई है।

राज: ओह उसको खाना बनाना आता है ना?

कांता: हाँ आता है वो कई साल एक परिवार में काम की है उसको सब आता है। आजकल ख़ाली है तो आपके यहाँ काम कर लेगी।
राज: क्या शादीशुदा है?

कांता: जी हाँ शादी को ७ साल हो गए हैं। मगर बेचारी को कोई बच्चा नहीं है। इसके कारण दुखी रहती है।

राज: ओह ऐसा क्या? अब ये तो भगवान की मर्ज़ी है ना ?

कांता फिर अपने काम में व्यस्त हो गई और राज भी अपने काम में लग गया। फिर उसने जय को फ़ोन लगाया: बेटा तुम्हारा कल का हिसाब ठीक है , अब तुम बढ़िया काम कर रहे हो। आज मुझे तुमसे एक ज़रूरी बात भी करनी है। रात को मिलते हैं।

रात को जय क़रीब ९ बजे घर पहुँचा और वो दोनों खाना खाए। बाद में राज बोला: बेटा, आज मैं तुमको एक बात कहना चाहता हूँ, मैं पायल के जाने के बाद बहुत अकेला हो गया हूँ, मैं सोच रहा था कि मैं दूसरी शादी कर लूँ। तुम्हारा क्या ख़याल है इस बारे में?

जय चौक कर बोला: क्या पापा, ये क्या बोल रहे हैं आप? कितना अजीब लगेगा प्लीज़ ऐसा मत करिए।

राज: अगर मैं नहीं कर सकता तो तुम कर लो। बेटा, घर में एक औरत होनी ही चाहिए। घर औरत के बिना अधूरा होता है।

जय: ठीक है पापा, अगर आप ऐसा चाहते हो तो यही सही।

राज: अब ये बताओ कि तुम्हारी कोई गर्ल फ़्रेंड है?

जय: पापा आप जानते ही हो कि मेरी किसी लड़की से दोस्ती नहीं है। मुझे तो दुकान से ही फ़ुर्सत नहीं मिलती।

राज: तो फिर मैं तेरे लिए लड़की देखनी शुरू करूँ?

जय: ठीक है पापा आप देखिए । काश मॉ होती तो ये काम वो करतीं? है ना?

राज: हाँ बेटा वो तुम्हारी शादी का बहुत अरमान रखती थी पर बेचारी के अरमान पूरे ही नहीं हो सके।

थोड़ी देर और बातें करके वह दोनों अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
सुबह ५ बजे उठकर राज फ़्रेश होकर एक घंटे की सैर पर गया। वहाँ बग़ीचे में कई लड़कियाँ और औरतें भी ट्रैक सूट में अपने गोल गोल चूतरों को उभारे घूम रही थीं और राज का मन बड़ा बेचेंन हो रहा था। उनकी छातियाँ भी दौड़ने के दौरान ऊपर नीचे होकर उसकी ट्रैक सूट के अंदर उसके हथियार को कड़ा किए जा रहीं थीं। इसी हालत में वह वापस आया और कमरे में बैठ के पसीना सुखाने लगा। तभी काल बेल बजी और उसने दरवाज़ा खोला।

बाहर एक दुबली सी लड़की खड़ी थी। वह समझ गया कि यह शशी ही होगी। उसने पूछा: तुम शशी हो ना?

शशी: जी साहब मैं ही कांता चाची की भतीजी हूँ।

राज: आओ अंदर आओ ।फिर उसने उसे पूरा घर दिखाया और कहा : पहले चाय बना दो। किचन से बाहर आते हुए उसने शशी को भरपूर निगाहों से देखा। वह कोई २०/२१ से बड़ी नहीं दिख रही थी। दुबली पतली , छाती भी छोटी और चूतरों में भी कोई ख़ास उभार नहीं। वह उसकी टाइप की तो लड़की है ही नहीं। उसे तो भरी हुई लड़की अच्छी लगती है।

थोड़ी देर बाद वह चाय लायी । चाय लेते हुए वह बोला: तुम सच में शादी शूदा हो? बहुत छोटी सी दिखती हो ।

शशी: जी साहब मेरी शादी को सात साल हो गए हैं । वैसे मैं ऐसी ही पतली दुबली हूँ शुरू से ।

राज: क्या उम्र है तुम्हारी? दिखती तो २०/२२ की हो।

शशी: जी मैं २७ की हूँ। पतली होने के कारण शायद छोटी लगती हूँ। फिर वह अपने काम में व्यस्त हो गयी। राज सोचने कहा कि साली थोड़ी सी भरे हुए बदन की होती तो कुछ मज़ा ले भी लेता पर ये तो मरी हुई चुहिया जैसी है। क्या मज़ा आएगा इसके साथ।

थोड़ी देर बाद वह उसके कमरे में झाड़ू लगा रही थी तो उसकी क़ुरती ऊपर चढ़ गयी थी और उसके चूतड़ सलवार से दिख रहे थे। राज सोचने लगा कि इतनी भी बुरी नहीं है। मज़ा लिया जा सकता है। जय अभी भी सो रहा था, वह अक्सर ८ बजे से पहले नहीं उठता था।

राज ने बात चलायी: कौन कौन घर में है तुम्हारे?

शशी : मेरा पति और मेरी सास।

राज जानबुझ कर पूछा: और बच्चे?

शशी उदास होकर बोली: जी नहीं हैं।

राज: शादी को सात साल हो गए? डॉक्टर को दिखाया कि नहीं?

शशी: जी दिखाया है वो बोले कि मेरे में कोई कमी नहीं है। और मेरा मर्द तो डॉक्टर के पास जाने को राज़ी ही नहीं है। क्या कर सकती हूँ भला मैं!

राज: ओह तो कमी उसी में होगी । सास कुछ बोलती नहीं तुमको?

शशी: दिन भर ताने सुनाती है और बेटे की दूसरी शादी की भी धमकी देती है।

राज: ओह ये तो बड़ी समस्या है। वैसे एक बात बोलूँ , तुमको अपने शरीर का ख़याल रखना चाहिए। इतनी दुबली हो अगर गर्भ ठहर भी गया तो बच्चा भी तेरे जैसा दुबला ही होगा ।

शशी: साहब ग़रीब लोग हैं हम लोग। आपके जैसा खाने पीने को थोड़े मिलता है।

राज हँसते हुए बोला: चलो अब हमारे घर में रहोगी तो तुम वही खाओगी जो हम खाएँगे। और जल्दी ही तगड़ी हो जाओगी।

शशी उसको अजीब निगाहों से देख रही थी, शायद यह समझने की कोशिश कर रही थी कि यह बुज़ुर्ग उसमें इतनी दिलचस्पी क्यों दिखा रहा है। वैसे उसे यह कुछ बुरा नहीं लगा। ये सच है कि उसे ज़्यादा अटेन्शन नहीं मिलता था। 
इसलिए साहब का उसमें दिलचस्पी लेना उसे अच्छा ही लग रहा था।

राज नहाने चला गया और उसे बग़ीचे की सेक्सी लड़कियाँ याद आ रही थीं और उसका लौड़ा खड़ा हो गया। आऽऽह क्या मस्त दूध थे और क्या उभरी हुई गाँड़ थी। वह अपने लौड़े को दबाए जा रहा था। तभी उसके ध्यान में शशी का बदन और उसके सलवार में चिपके चूतड़ आये और वह मज़े से मुस्कुराया और सोचा कि शायद उसको चोदने में भी बड़ा मज़ा आएगा।

वह नहा कर बाहर आया और टी शर्ट और लोअर पहन कर तैयार हुआ और किचन में जाकर शशी को बोला: दो ग्लास केसर बादाम डाल कर दूध बनाओ। साथ ही २ सेब केले और नाशपाती भी काट के लाओ। शशी ने हाँ में सिर हिलाया और काम में लग गयी।

थोड़ी देर में वह एक ट्रे में दूध का दो गिलास और फल काटकर लायी। और सामने टी टेबल पर रख दिया जो कि सोफ़े के सामने रखा था।

राज ने एक गिलास दूध उठाया और उसके हाथ में दे दिया। शशी ने प्रश्न सूचक नज़रों से देखा और बोली: छोटे सांब उठ गए क्या? उनको देना है? 

राज: अरे वो तो ९ बजे उठेगा। यह तुमको पीना है। मैंने कहा था ना कि तुमको तगड़ी बनाना है। तो चलो पीओ अब।

वह हैरान होकर उसको देखी और राज ने दूसरा गिलास उठाया और पीने लगा। और फिर से उसे पीने का इशारा किया। वह धीरे से पीने लगी। साफ़ लग रहा था कि उसे बहुत अच्छा लग रहा था।

फिर राज ने फल की प्लेट उठायी और पास ही खड़ी शशी को बोला: लो फल भी खाओ।

वह झिझकते हुए बोली: साहब पेट भर गया।

राज ने उसके पेट की तरफ़ इशारा करके कहा: देखो इतना छोटा भी नहीं है तुम्हारा पेट कि इसमे फल की भी जगह नहीं हो। चलो खाओ। फिर उसका हाथ पकड़कर पास में बिठाया और उसके मुँह में सेब का एक टुकड़ा डाल दिया। वो थोड़ी सी परेशान दिख रही थी, पर खाने लगी।

राज: सुबह से कुछ खाया है? उसने नहीं में सिर हिलाया। तब उसने एक टुकड़ा और उसके मुँह में डाल दिया। अब राज भी खाने लगा और उसे। भी खिलाए जा रहा था। शशी को कभी इतना अटेन्शन नहीं मिला था सो वह भी इन पलों का आनंद लेने लगी। फल ख़त्म होने के बाद राज बोला: शाबाश, बहुत बढ़िया। फिर उसके हाथ को पकड़कर बोला: आधे घंटे के बाद मैं पराँठा और ओमलेट खाऊँगा, वो भी मेरे और अपने लिए भी बना लेना। साथ ही खाएँगे। ठीक है?

शशी: जी साहब । फिर वह खड़ी होने लगी तो राज ने उसका हाथ छोड़ दिया। वह किचन में चली गयी। राज भी पेपर पढ़ने लगा। जय अभी भी सो रहा था।

आधे घंटे के बाद वह नाश्ता डाइनिंग टेबल पर लगा दी। उसने राज के लिए एक प्लेट भी लगा दी थी।

राज: तुम्हारी प्लेट कहाँ है? मैंने कहा था ना कि जो मैं खाऊँगा वही तुमको भी खाना है। चलो प्लेट लाओ और बैठो यहाँ।

शशी: साहब मैं खा लूँगी, अभी आप खालो।

राज: पक्का बाद में खा लोगी?

शशी: पक्का खा लूँगी।

राज: अच्छा चलो एक कौर तो मेरे हाथ से खाओ। ये कहकर उसने उसके मुँह में एक कौर डाला और वो उसको खाते हुए किचन में चली गयी। उसने बड़े प्यार से गरम गरम पराँठे खिलाए और राज ने भी उसकी पाक कला की बहुत तारीफ़ की। वो शायद तारीफ़ की भी भूकी थी क्योंकि वह बहुत ख़ुश हो गयी थी। फिर राज ने दो कप चाय माँगी। जब वह चाय लायी तो उसने उसे ज़िद करके अपने बग़ल में बैठाया और चाय पीने को बोला। वह चुपचाप चाय पीने लगी।

राज: तुम्हारा पति तुम्हें प्यार तो करता है ना?

शशी की आँख गीली ही गयी और बोली: जैसे आज आपने इतने प्यार से खिलाया ऐसे भी आजतक उसने मुझे सात साल में कभी नहीं पूछा। वो औरत को बस एक काम के लिए ही समझता है।

राज ने भोलेपन से पूछा: किस काम के लिए?

शशी ने नज़रें झुका लीं और बोली: वही जो मर्द को चाहिए बिस्तर में औरत से।

राज: ओह अब समझा। सच में तुम्हारा मर्द ऐसा है? ये तो बड़ी अजीब बात है।

शशी: साहब हम ग़रीब औरतों का यही हाल है?

राज ने उसकी पतली कलाई पकड़ी और उसको सहलाने लगा और बोला: देखो तुम कितनी दुबली हो? मैं तो तुमको तगड़ी करके ही मानूँगा।

शशी हँसकर बोली: क्या आप मुझे तगड़ी बना कर पहलवानी करवाओगे? इस पर दोनों हँसने लगे।

फिर शशी अपने काम में लग गई, थोड़ी देर बाद जय भी उठकर आया और राज ने उसके लिए भी चाय मँगवाई। शशी चाय लाई और जय को नमस्ते की। राज ने बताया कि यह नई नौकशशी है। जय ने ओह कहकर चाय पी। फिर दोनों बाप बेटा दुकान की बात करने लगे। बाद में जय नहाने चला गया। राज ने शशी को उसके लिए नाश्ता और लंच के लिए डिब्बा भी बनाने को कहा।

जय तैयार होकर नाश्ता करके लंच का डिब्बा लेकर १० बजे दुकान चला गया। अब घर में फिर से दोनों अकेले हो गए। थोड़ी देर बाद राज ने शशी को आवाज़ दी और बोला: मैं ज़रा बाज़ार जा रहा हूँ, तुम्हें कुछ चाहिए? फिर अचानक उसकी निगाहें उसकी बड़ी बड़ी आँख पर पड़ीं और उनमें एक सफ़ेदी सी देखकर वह उसका हाथ पकड़ा और उसकी उँगलियों के नाख़ून को चेक किया और बोला: अरे तुमको तो आयरन की कमी है , ऐसी ही कमी एक बार मेरी बीवी को भी हो गयी थी, तभी तुम इतनी कमज़ोर हो। मैं आज दवाई लाउँगा। ये कहकर उसने उसका हाथ छोड़ा और बाहर निकल गया। 

वो पास के बाज़ार में एक दुकान में गया और वहाँ अपने दोस्त से मिला जिसने उसका बड़े तपाक से स्वागत किया। इधर उधर की बातों के बाद चाय पीकर राज बोला: यार, मैंने जय की शादी करने का फ़ैसला किया है, तेरी निगाह में कोई लड़की है उसके लायक तो बताना।

दोस्त: हाँ यार क्यों नहीं , थोड़ा सोच लेने दे जैसे ही ध्यान में आएगा बताऊँगा।

राज: ठीक है भाई फिर चलता हूँ।

वहाँ से निकल कर वह दवाई की दुकान से मल्टीविटामिन और आयरन टॉनिक ख़रीदा और कुछ ज़रूरी चीज़ें लेकर घर आया।

शशी को उसने पानी और चम्मच लाने को कहा। फिर उसने दो दो चम्मच दोनों दवाइयाँ उसको अपने हाथ से पिलायीं। शशी की आँखों में आँसू छलक आए। आज तक किसी ने भी उसकी इतनी फ़िक्र नहीं की थी। राज ने उसके आँसू पोंछें और झुक कर उसका माथा चूम लिया और बोला: अरे रो क्यों रही हो, अब तो जल्दी ही तुम तगड़ी हो जाओगी और फिर कुश्ती लड़ना। वह भावुक होकर बोली: आप बहुत अच्छे हैं साहब, मैं आपको बाऊजी बोल सकती हूँ क्या?

राज ने उसे खींचकर अपने से लिपटा लिया और बोला: क्यों नहीं ज़रूर बोलो। और उसके गालों पर चिमटी काट दी। वह हँसते हुए भाग गयी। अब जब भी मौक़ा मिलता राज उसके हाथ पकड़ लेता और कभी गाल भी सहला देता।

इस बीच राज ने अपने रिश्तेदारों को भी फ़ोन किया और जय के लिए लड़की ढूँढने को कहा।

इसी तरह पाँच दिन निकल गए और अब भी राज शशी को अपने हाथ से ही फल खिलाता और दवाई भी पिलाता। शशी की झिझक अब काफ़ी कम हो गयी थी। कई बार वह उसे अपने से चिपका लेता और प्यार से उसके गाल भी सहला देता। क़रीब पाँच दिनों में ही दोनों ने एक तरह का बोंड सा हो गया था। राज का अकेलापन दूर हो गया था और शशी भी अटेन्शन की भूकी थी जो उसे भरपूर मिल रहा था। वो सुबह आती फिर २ बजे अपने घर चली जाती और फिर ५ बजे से ८ बजे तक रात का खाना बना कर चली जाती। राज उसके तीनों टाइम के खाने का ध्यान रखता और उसे खिलाकर ही छोड़ता था। इस तरह के अच्छे खाने और ख़ुश रहने के कारण उसके चेहरे में एक चमक सी आने लगी थी और शरीर भी थोड़ा सा गदराने सा लगा था।

क़रीब एक हफ़्ते के बाद एक दिन सुबह जब उसने शशी के लिए दरवाज़ा खोला तो उसकी आँख के नीचे गाल में सूजन थी। वह चौंक कर बोला: शशी क्या हुआ ? ये चोट कैसी?

शशी अंदर आयी और ज़मीन पर बैठ गयी और फफक कर रोने लगी। राज थोड़ा सा परेशान हो कर उसको उठाया और सोफ़े पर बिठा कर उसके बग़ल में बैठ गया और उसको अपने से सटा कर उसकी पीठ पर हाथ फेरा और बोला: अरे क्या हुआ? बताएगी भी? क्या मर्द ने मारा?

शशी उसके कंधे पर सिर रखकर रोते हुए बोली: हाँ बहुत मारा। ये देखिए, कहते हुए उसने अपना गला भी दिखाया जहाँ लाल निशान थे । फिर उसने अपनी सलवार भी पैरों से उठाकर अपनी टांगो को दिखाया जहाँ लाल निशान थे । उसकी बाँह भी लाल हुई जा रही थी। राज उठकर दवाई लाया और उसकी सब जगह दवाई लगाया। वह फिर से रोने लगी और बोली: मैं मर जाऊँगी। मुझे नहीं जीना।

अब राज ने उसे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया और उसके गाल को चूमते हुए बोला: ऐसा नहीं बोलते। मैं हूँ ना अभी । अच्छा अब बताओ क्या हुआ था?

शशी: कल रात को वह देर से आया और उसने शराब पी हुई थी। वह बिस्तर पर आया और मेरी मैक्सी उठाने लगा। मैंने मना किया कि तुम बहुत बास मार रहे हो। वह ग़ुस्सा हो गया और चिल्लाया कि साली बच्चा भी नहीं पैदा कर सकती और मुझे करने भी नहीं देती, मादरचोद , आज तेरी लेकर ही रहूँगा। मैं बहुत चिल्लायी और रोई पर उसने एक नहीं मानी और मेरी मैक्सी उठाने लगा। मेरे विरोध करने पर उसने मुझे बहुत मारा और आख़िर में उसने अपनी मन की कर ही ली।

राज उसकी बाँह सहलाते हुए बोला: ओह तो वो तुमको ज़बरदस्ती चोद लिया? ये तो बलात्कार हुआ।

शशी एक मिनट के लिए राज की भाषा पर चौकी पर उसके घर में तो इस तरह की भाषा का उपयोग होते ही रहता था , सो उसने ध्यान नहीं दिया। शशी बोली: क्या करें बाऊजी हम औरतों का तो यही हाल होता है? साला ख़ुद नामर्द है और मुझे बाँझ कहता है। कमीना कहीं का। ये कहते हुए उसने राज की छाती पर अपना सिर रख दिया। वो अभी भी उसकी गोद में बैठी थी।

अब राज ने उसे प्यार से देखते हुए उसकी बाँह को सहलाते हुए उसके गाल चूमने शुरू किए। फिर वह उसके सब लाल निशान को चूमने लगा। उसकी बाँह गाल और गरदन भी चूमा। फिर उसने अपने से जकड़ कर कहा: इस समस्या का एक ही हल है शशी। 

शशी ने उसकी छाती से अपना सिर उठाया और बोली: क्या हल है बाऊजी?

राज उसकी आँखों में देखते हुए बोला: तुम्हें माँ बनना पड़ेगा। तभी उस कमीने का मुँह बंद होगा।

शशी: पर ये कैसे होगा?

राज झुका और उसके होंठ चूमकर बोला: मैं हूँ ना, इस काम के लिए।

शशी चौक कर बोली: आप ये क्या कह रहे हैं? मैं ऐसी औरत नहीं हूँ।
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#2
राज ने फिर से उसके होंठ चूमे और बोले: मुझे पता है तुम औरत हो ही नहीं। असल में तुम तो अभी छोटी सी लड़की हो जिसे कभी प्यार मिला ही नहीं। और वह प्यार मैं तुमको दूँगा बहुत बहुत प्यार , ढेर सारा प्यार। समझी? उसने अब उसे अपने बदन से भींच लिया और उसकी गरदन चूमने लगा।

शशी भी अब कमज़ोर पड़ने लगी थी। उसे भी अच्छा लगने लगा। वह भी समर्पण के मूड में आने लगी।

राज: एक बात बताओ कि तुम्हारा पति तुम्हें कितने दिन में चोदता है? और कितनी देर चोदता है?

शशी इतने खुले शब्दों से हकला सी गयी: वो वो तीन चार दिन में एक बार। क़रीब ५/६ मिनट ही चो– मतलब करते हैं।

राज: ओह इतनी जल्दी झड़ जाता है? तो तुम तो प्यासी रह जाती होगी?

शशी ने सिर हाँ में हिलाया और शर्माकर उसकी छाती में छिपा लिया। राज ने उसके कान को चूमते हुए कहा: जानती हो मैं कितनी देर चोदता हूँ? कम से कम एक घंटा और आधा घंटा तो मैं धक्के ही मारता रहता हूँ।

शशी की आँख फैल गयी वो बोली: एक घंटा? ओह इतना ज़्यादा ?

राज: अरे एक बार चुदवा के तो देखो मज़े से मस्त हो जाओगी। और मेरा दावा है कि भगवान ने चाहा तो एक महीने में तुमको गर्भवती कर दूँगा। ठीक है मेरी शशी? ये कहकर वो अब उसके होंठ को चूसने लगा।
हल्दी वाला दूध पिलाएँ

फिर होंठ छोड़कर बोला: चलो अब तुमको हल्दी वाला दूध पिलाएँ। इससे तुम्हारा दर्द भी कम होगा और चोट में भी आराम मिलेगा।

वह उसकी गोद से उठी और राज ने खड़े होकर उसको अपनी गोद में उठा लिया और किचन के प्लेटफ़ार्म पर बिठा दिया और उसके लिए दूध तैयार किया और अपने हाथ से पिलाने लगा। शशी को लगा कि वो बहुत भाग्यशाली है जो बाऊजी उसका इतना ध्यान रखते हैं। फिर राज ने उसको गोद में लेकर उतारा और पूछा: अब कैसे लग रहा है?

शशी हँसकर बोली: मुझे क्या हुआ है? ऐसी पिटाई तो मेरे लिए आम बात है । चलिए आप बैठिए मैं आपको बढ़िया चाय पिलाती हूँ। राज उसके गाल चूमकर बाहर आ गया।

थोड़ी देर में वो चाय लायी तो राज ने उसे फिर से अपने पास खींच लिया और बोला: तो फिर माँ बनना हैं ना एक महीने में? अब उसके हाथ उसकी कमर पर था। जिसे सहलाते हुए वह पहली बार उसके चूतड़ पर ले गया और उसको भी हल्के से दबा दिया। शशी भी मस्ती से भरने लगी।

वह बोली: आऽऽह सच में में मॉ बनना चाहती हूँ। आप मुझे एक महीने में मुझे गर्भबती बना देंगे?

वह उसे अपने गोद में बैठाकर बोला: हाँ मेरी शशी पक्का एक महीने में ही तुम गर्भबती हो जाओगी। असल में मैं तुम्हारी जैसी तीन लड़कियों को पहले ही माँ बना चुका हूँ और वो भी एक महीने की चुदाई से ही। भगवान ने मुझे शायद तुम्हारी जैसी लड़कियों को माँ बनाने के लिए ही पैदा किया है। चलो अब जय के दुकान जाने के बाद हम तुमको माँ बनाने की कोशिश में लग जाएँगे। ठीक है ना?

यह कहते हुए उसने शशी के होंठ चूमे और पहली बार उसकी छाती पर हाथ रखा और हल्के से दबाया। आऽऽऽऽहहहह क्या ठस छाती थी एकदम कड़क। शशी भी उसके मर्दाने स्पर्श से मज़े से भर गयी। फिर उसकी गोद से उठते हुए बोली: बाऊजी, बहुत काम है छोड़िए ना।

राज उसे छोड़ते हुए बोला: तो फिर पक्का है ना माँ बनने का प्रोग्राम ?

शशी हँसते हुए धत्त कहकर भाग गयी। उसकी हँसी में हामी भरी हुई थी।
क़रीब १० बजे जय नाश्ता करके अपना टिफ़िन लेकर घर से चला गया। उसके जाने के बाद राज ने सोचा कि वो अपनी ओर से पहल नहीं करेगा, देखते हैं कि शशी को भी कितनी इच्छा है चुदवाने की। वह चुपचाप दुकान का हिसाब देखता रहा। आधा घंटा गुज़र गया और उसने एक बार भी शशी को नहीं पुकारा।

तभी शशी अपना पसीना अपनी चुन्नी से पोंछते हुए आयी और बोली: बाऊजी, चाय बनाऊँ?

राज ने कहा: नहीं रहने दो। फिर काम में लग गया। शशी थोड़ी देर उसको काम करते हुए देखी और बोली: आज बहुत ज़्यादा ही काम हो रहा है? क्या बात है?

राज समझ गया कि वह बात आगे बढ़ाना चाहती है , पर वह बनते हुए बोला: हाँ थोड़ा है तो?

शशी अपना मुँह उतार के बोली: ठीक है तो मैं किचन में जा रही हूँ, कुछ काम हो तो बुला लीजिएगा।

राज: एक काम के लिए तो बोला था पर शायद तुम उसके लिए राज़ी नहीं हो।

शशी: कौन सा काम?

राज: वही तुमको माँ बनाने वाला काम? तुमने तो हाँ कही ही नहीं?

शशी शर्माकर: ओह वो काम? मैंने नहीं भी तो नहीं कहा।

राज: देखो शशी मैं तुम्हारे साथ ज़बरदस्ती नहीं करना चाहता हूँ, तुम्हारे पति की तरह। अगर सच में यह तुम चाहती हो तो चलो आओ और अभी मेरी गोद में बैठ जाओ वरना किचन में चली जाओ। यह कहते हुए उसने अपना काम बंद किया और अपनी टाँगें फैला दी जैसे कह रहा हो आओ शशी यहाँ बैठो।

शशी एक मिनट के लिए झिझकी और दूसरे ही पल जैसे कुछ निर्णय ले लिया हो वह आकर उसकी गोद में बैठ गयी, और अपना मुँह उसकी छाती में छिपा ली। उसके बदन से तेज़ पसीने की गंध आ रही थी जिससे वह मस्त होने लगा।

राज अपनी गोद में बैठी उस लड़की को जकड़ लिया और उसके गाल और होंठ चूम लिया। फिर उसने उसकी गरदन में भी चूमना शुरू किया।
ये कहानी ससुर और बहु पर लिखी गयी है बहुत ही मजेदार कहानी है चुदक्कड बहु की चूत प्यासे ससुर का लौड़ा -1 कहानी मस्ताराम.नेट पर प्रकाशित की जा रही है |

शशी बोली: मुझे बहुत पसीना आया है , मैं मुँह धो लूँ क्या?

राज उसके पसीने को चाटते हुए बोला: आह्ह्ह्ह्ह्ह क्या स्वाद है तुम्हारा पसीना, चाटने में बहुत मज़ा आ रहा है।

शशी: छी इसमे क्या मज़ा आ रहा है?

राज ने उसकी चुन्नी हटा दी और कुर्ते के ऊपर से उसकी कसी हुई चूचियों को पकड़कर दबाते हुए कहा: आऽऽहहह तुम्हारी तो चूचियाँ किसी कमसिंन लौंडिया के जैसी हैं। मस्त सख़्त हैं। क्या गोल गोल हैं शशी। ज़रा इनको दिखाओ ना प्लीज़।

शशी को अपनी गाँड़ के नीचे उसका लौड़ा खड़ा होकर चुभता सा महसूस होने लगा था सो वह भी मस्ती से बोली: आऽऽऽंहहह उतार लीजिए ना क़ुरती हाऽऽऽऽऽय किसने मना किया है। राज के द्वारा किए जा रहे चूचि मर्दन से वह आऽऽऽहहह करे जा रही थी।

राज उसका कुर्ता उतारने लगा और शशी ने अपने हाथ ऊपर कर दिए। कुर्ता निकालने के बाद उसकी ठोस चूचियाँ एक सस्ती सी पुशशी ब्रा में मस्त लग रही थीं। वह उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही चूमने लगा।

शशी को अब उसका लौड़ा बुरी तरह से गड़ रहा था और उसने अपनी गाँड़ हिलायी ताकि उसकी चुभन कम हो जाए। अब राज ने ब्रा का हुक भी खोला और शशी ने हाथ उठाकर उसकी ब्रा निकालने में मदद की। राज की आँखों के सामने बड़े सेब की आकार की दो चूचियाँ आ गयीं जिनके काले लम्बे निपल बिलकुल तने हुए थे जो शशी की उत्तेजना को दिखा रहे थे। राज कुछ देर तक उनको एकटक देखा और फिर उनपर अपने दोनों पंजे रखा और उनकी सख़्ती और कोमलता को महसूस करने लगा। उसने आज तक इतनी ठोस चूचियाँ नहीं दबायीं थीं। वह उनको बहुत देर तक दबाते रहा। फिर उसने उसकी बाहों को उठाया और बालों से भरे बग़ल को देखकर कहा: यहाँ भी जंगल उगा रखा है। फिर अपनी नाक लगाके बालों से भरी बग़ल को सूँघा और फिर जीभ निकालके वहाँ चाटने लगा। फिर वह चूचिया दबाने लगा।

तब शशी बोली: आऽऽऽऽऽह बाऊजी , क्या उखाड़ ही डालोगे इनको?

राज : अरे नहीं, पर क्या करूँ, जी ही नहीं भर रहा है दबाने से । क्या मस्त चूचियाँ है। फिर वह झुककर एक चूचि मुँह में ले लिया और चूसने लगा। उसके बड़े मुँह में उसकी आधी से भी ज़्यादा चूचि चली गयी थी और उसकी जीभ निपल को सहलाए जा रही थी और शशी आऽऽऽऽझ्ह्ह्ह्ह्ह बाउजीइइइइइइइइइइ करके सिसकी भर रही थी। अब राज ने उसकी सलवार का नाड़ा खोला। उसने शशी को उठने का इशारा किया तो शशी खड़ी हुई और उसकी सलवार नीचे गिर गयी। अब उसकी पुशशी सी पैंटी में छुपी बुर का हिस्सा दिख रहा था और सब तरफ़ से घने बाल भी दिख रहे थे । उसने शशी की पैंटी भी एक झटके में उतार दी और उसके सामने काले बालों का एक झुंड था जिसमें से उसकी बुर बहुत थोड़ी सी ही दिख रही थी।

राज उसकी जाँघों को सहलाते हुए बोला: ये क्या इतने बाल उगा रखे हैं, कभी सफ़ाई नहीं करती क्या?

शशी: मैं जब कभी समय मिलता है कैंची से काट लेती हूँ। वैसे भी मेरे पति को तो कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ता, वह तो इसीमे कुछ धक्के मारता है और पाँच मिनट में झड़ जाता है।

राज ने उसे खींच कर अपनी गोद ने बिठा लिया और उसके होंठ चूमते हुए उसकी चूचि और निपल्ज़ दबाकर उसको गरम कर दिया। फिर उसने उसकी बुर को ऊपर से सहलाया और बालों को अलग करके उसने दो ऊँगली अंदर डाली और उसको बिलकुल गीला पाकर वह उँगलियाँ अंदर बाहर करने लगा। उसने सोचा कि आऽऽऽह क्या टाइट बुर है जैसे किसी कुँवारी कन्या की बुर हो। पता नहीं उसका पति उसे चोद भी पाता है या नहीं! वह और ज़ोर से उँगलियाँ हिलाने लगा।

शशी भी जल्दी ही अपने कमर को उछालकर उसकी उँगलियों की चुदाई का मज़ा लेने लगी। फिर उसने उसकी clit को रगड़ते हुए उसकी बुर में ऊँगली डालनी जारी रखी । अब शशी आऽऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह बाउuuuuuuजीइइइइइइ कहकर ज़ोर ज़ोर से कमर उछालकर झड़ने लगी। हाऽऽऽऽऽऽऽयय्यय मजाऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽऽ रहाऽऽऽऽऽ है बाअअअअअउउउउउउउजीइइइइ।

राज की उँगलियाँ पूरी भीग गयी थीं। शशी ने सिसकारियाँ भरते हुए अपना सिर उसकी छाती में छिपा लिया। अब वह गहरी सासें ले रही थी। राज ने उसको हिलाया और उसकी आँखों में देखकर बोला: मज़ा आया शशी? कैसा लगा?

शशी: आऽऽहहहह बाऊजी बहुत अच्छा लगा। आपकी उँगलियों में तो जादू है। मज़ा आ गया।

राज: ऊँगली से इतना मज़ा आया तो सोचो कि मेरे लौड़े से कितना मज़ा आएगा?
नंगी बिस्तर पर

शशी शर्मा गयी और मुस्कुरा दी। राज ने कहा: चलो अब तुम बेड रूम में आओ मेरे साथ। ये कहते हुए उसने उसको एक बच्ची की तरह गोद में उठा लिया और बिस्तर पर लिटा दिया। वह चुपचाप नंगी बिस्तर पर आँख बंद करके लेट गयी।

राज किचन में जाकर आइस क्रीम लाया और अपने हाथ से उसको खिलाने लगा और बोला: तुम अभी झड़ी हो ना तो थक गयी होगी। ये खाओगी तो ताक़त मिलेगी।

शशी इतने प्यार से अंदर तक भीग गयी और वह राज से चिपट गयी। दोनों एक दूसरे को चूमे जा रहे थे।फिर शशी ने कहा: आप मुझे तो नंगी कर चुके हो और ख़ुद कपड़े पहन कर बैठे हो।

राज: तुम्हारे कपड़े मैंने उतारे तो तुम मेरे उतारो।

शशी हँसती हुई बैठ गयी और उसको भी बिठाके उसकी टी शर्ट निकाल दी। उसकी बालों से भरी चौड़ी छाती देखकर वह मस्त हो गयी। फिर उसने लोअर उतारा और उसके सामने चड्डी में बहुत फूला हुआ लौड़ा उसके मज़बूत जाँघों के बीच में जैसे चड्डी फाड़कर निकलने को बेताब था। उसने चड्डी के ऊपर से उसको सहलाया। फिर चड्डी उतारने लगी। उसके नंगे लौड़े को देखकर वह हैरान रह गयी। कितना लम्बा और मोटा था। उसके बॉल्ज़ भी बहुत बड़े थे। वह मंत्र मुग्ध होकर उस शानदार हथियार को देखती रही। उसकी चारों ओर बाल भी बहुत ही कम थे, जैसे हाल ही में शेव किया गया हो।

राज: शशी क्या देख रही हो? पसंद नहीं आया मेरा लौड़ा?

शशी: हाय ये तो बहुत बड़ा है। ये मेरे अंदर कैसे जाएगा। मेरे पति का तो इससे आधा ही लम्बा होगा और बहुत पतला भी है।

राज हँसते हुए: अरे शादी के सात साल बाद एकदम कुँवारी लड़की की तरह बात कर रही हो? ले लोगी आराम से इसको भी और मज़े से चिल्लाओगी और चोदो और चोदो । समझी कुछ? इसको पकड़ो तो सही और थोड़ा सहला कर तो देखो मेरी शशी।

शशी ने अपने हाथ बढ़ाए और उसके लौड़े को अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाने लगी। वह सोची कि बाप रे कितना बड़ा और मोटा है और मस्त गरम है । फिर उसने उसके बॉल्ज़ को सहलाया और बोली: आपके ये आँड भी कितने बड़े हैं?

राज: अरे मेरी जान, इसी में तो तुमको माँ बनाने वाला रस भरा है। इसका रस जब मेरे लौड़े से तेरी बुर में जाएगा, तभी तो तुम माँ बनोगी।

शशी को शायद बॉल्ज़ की महत्ता नहीं पता थी इसलिए वह चुपचाप उसकी बात सुन रही थी और लौड़े को सहलाए जा रही थी।

राज: चलो पहले मैं तुम्हारे बालों की सफ़ाई कर देता हूँ। चलो मैं पुराने न्यूज़ पेपर लेकर आता हूँ।

वह पेपर लाया और बिस्तर पर बिछाया और शशी के चूतरों को उनपर रखा और बाथरूम से शेविंग सेट ले आया। अब उसने उसकी टांगों को मोड़कर फैला दिया और ब्रश में साबुन लगाकर उसकी झाँटों में मलने लगा। फिर रेज़र से उसकी झाँटें काटने लगा। बालों के बड़े बड़े गुच्छे पेपर में जमा होने लगे। उसने बड़े मेहनत से उसकी झाँटे साफ़ की। फिर उसने उसकी कमर को और उठाया और थोड़े से बाल भूरि सी सिकुड़ी हुई मासूम सी गाँड़ में भी दिखाई दिए। उसने वहाँ भी साबुन लगाया और शेविंग की।अब उसने उसकी बुर और गाँड़ पर अपनी उँगलियाँ फिरायी और बोला: वह क्या माखन सी चिकनी हो गयी है तुम्हारे दोनों छेद । वह आऽऽह कर उठी।

राज उसकी गाँड़ में ऊँगली डाला और बोला: अब तो एकदम बच्ची की सी हो गई है तुम्हारी गाँड़ और बुर।

शशी: आआऽऽहहह क्या आप गंदी जगह में ऊँगली डाल रहे हैं? छी मत करिए ना।

राज: तुम्हारी गाँड़ गंदी नहीं मस्त जगह है चुदाई के लिए। देखना तुम्हें दोनों छेदों का मज़ा दूँगा ।

फिर वह बोला: चलो बाथरूम में चलते हैं। वह उसे उठाके बाथरूम में लेज़ाकर उसको टोयलेट की सीट पर बिठा दिया और बोला: चलो मूत लो जल्दी से ।

शशी शर्म से दोहरी हो गयी पर शायद उसको पिशाब आ रही थी सो करने लगी। वहाँ सीइइइइइइइइइ की आवाज़ आने लगी। वह अपने खड़े लौड़े को मसलने लगा। जब शशी का हो गया तो उसने उसको एक ओर खड़ा किया और हैंड शॉवर से उसकी बुर और गाँड़ को धोने लगा। फिर उसने बुर पर साबुन लगाया और उस जगह को अच्छी तरह से साफ़ किया। फिर वह उसके पीछे जाकर उसकी चूतरों को धोया और फिर उसकी गाँड़ की दरार में साबुन लगाके वहाँ भी हाथ डालके अच्छी तरह से सफ़ाई की।
शॉवर के निचे चुदाई

अब उसने शॉवर चालू किया और शशी को अपने से चिपका लिया और वह दोनों एक साथ नहाने लगे । शशी के लिए सब एक नया अनुभव था उसका लौड़ा उसकी नाभि में धँसा जा रहा था । शशी की चूचियाँ, बुर और गाँड़ को भी अच्छी तरह से पोंछा।

फिर वह बिस्तर में जाकर उसके साथ लेटा और दोनों एक दूसरे से चिपक कर चुम्बन की मस्ती में डूब गए। राज के हाथ उसकी पीठ, कमर से होते हुए उसके चूतरों को दबाने लगे और फिर उसकी दरार में जाकर उसकी गाँड़ और बुर के साथ छेड़खानी करने लगे। शशी भी मस्ती में आके उसके लौड़े को मुठियाने लगी।

बदन की गरमी थी कि बढ़ती ही जा रही थी। राज उसके होंठों को चूसे जा रहा था । अब उसके हाथ उसकी चूचियाँ भी दबा रहे थे । जल्दी ही वह चूचियाँ चूसने लगा। शशी भी आऽऽह्ह्ह्ह्ह कहकर अपनी मस्ती का इजहार कर रही थी। अब वह नीचे आकर उसके पेट और नाभि को चूमने लगा और फिर नीचे जाके उसने उसकी चिकनी बुर को देखा और उसमें मुँह डालकर उसको चूमने लगा। शशी चौंक कर बोली: छी आप ये क्या गंदी जगह को मुँह लगा रहे हैं?

राज मुँह उठाकर हँसा और बोला: तुम्हारी सबसे प्यारी जगह को तुम गंदी बोलती हो? अरे मेरी जान मेरा बस चले तो मैं यहाँ से मुँह ही नहीं हटाऊँ। ये कहकर वह उसकी बुर को अब चाटने लगा। शशी आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह कर उठी । अब उसे बहुत मज़ा आने लगा था। वह अपनी कमर उछालकर उसके मुँह में अपनी बुर दबाने लगी थी।

अब उसने उसकी टांगों को और ऊपर उठाया और उसकी गाँड़ चाटने लगा। फिर से शशी चिल्लाई: क्या कर रहे हैं वह तो बिलकुल ही गंदी जगह है हटाइए मुँह वहाँ से ।
राज: अरे मेरी जान कोई भी अंग धुलने के बाद गंदा नहीं रहता । देख क्या मस्त चिकनी गाँड़ है तेरी। यह कहते हुए वह उसकी गाँड़ चाटने लगा और जीभ से उसकी गाँड़ में रगड़ाई करने लगा। शशी अब हाऽऽव्य्य्य्य उईइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ कहते हुए वह अपनी गाँड़ उसके मुँह पर दबाने लगी।
बुर में सुपाड़ा पूरा चला गया

अब उसने फिर से उसकी बुर पर ध्यान दिया और उसे चाटने लगा और clit को जीभ से छेड़ने लगा। उसकी बुर पूरी तरह से पनिया गई थी और वह जानता था कि कुछ मिनटों में ही वह झड़ जाएगी। अब उसने अपना मुँह उठाया और अपने लौड़े में ढेर सारा थूक लगाया और फिर उसकी बुर के ऊपर अपने सुपाडे को रखकर दबाया और उसकी बुर में सुपाड़ा पूरा चला गया। वह चिल्लाई: आऽऽऽहहह आपका बहुत मोटाआऽऽऽ है। हाय्य्य्य्य्य्य।

अब राज उसके ऊपर झुका और और उसकी चूचियाँ दबाकर उसके होंठ चूसते हुए एक करारा धक्का लगाया और अपना लौड़ा आधे से भी ज़्यादा उसकी बुर में उतार दिया। वह ज़ोर ज़ोर से कमर हिलाकर चिल्लाई: आऽऽऽहहह बाउउउउउउउउउउजीइइइइइ निकाऽऽऽऽऽऽऽल लोओओओओओओओ नाआऽऽऽऽ उईइइइइइइइइइइ मरीइइइइइइइइइइइ । छोड़ो आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह।

राज को लगा कि वह कुँवारी बुर को चोद रहा है। आऽऽह क्या टाइट बुर है । उसने उसकी चूचियाँ चूसीं और निपल्ज़ को मसलकर उसको बहुत गरम कर दिया। फिर वह बोला: शशी अब चोदूँ?

शशी: आऽऽऽह जी चोदिए आऽऽऽह बहुत मज़ा आ रहा है। हाऽऽयय्यय ।

अब राज ने आख़री धक्का लगाया और उसका लौड़ा जड़ तक उसकी बुर में समा गया था। शशी को लगा कि उसका लौड़ा उसके बच्चादानी को ठोकर मारने लगा। वह ख़ुशी से भर गयी क्योंकि ऐसी फ़ीलिंग उसे कभी भी नहीं हुई थी। पहली बार उसे चुदाई में इतना मज़ा आ रहा था।

अब शशी भी अपनी कमर हिलाके उसका साथ देने लगी। राज भी मज़े से धक्के लगाने लगा। कमरे में चुदाई का मानो तूफ़ान आया हुआ था। फ़च फ़च की आवाज़ गूँज रही थी। साथ ही शशी की सिसकारियाँ भी आऽऽऽहहह और चोओओओओओओओओओदो बाअअअअअअअअउउउउउजीइइइइइइइइइ । फ़ाड़ दोओओओओओओओओ मेरीइइइइइइइइइइइ फुद्दीइइइइइइइइइ। राज उसके चूतरोंको दबाके उसकी ज़बरदस्त चुदाई कर रहा था और उसकी एक ऊँगली उसकी गाँड़ जे छेद में भी हलचल मचा रही थी।

अब शशी से नहीं रहा गया और वह ज़ोर से चिल्लाई: हाऽऽऽऽऽय्यय मैं गईइइइइइइइइइइइइ आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह्ह कितना अच्छा लग रहा है और ज़ोर से चोदोओओओओओओओप्प बाऊजीइइइइइइइइइइइइ। उइइइइइइइइइ मैं गईइइइइइइइ। ये कहकर उसने अपनी जाँघों को दबाकर उसके लौंडे को जकड़ लिया और अपने ऑर्गैज़म के चरम आनंद में डूबने लगी। राज भी अब मज़े से उसकी बुर में अपना रस गिराने लगा। उसने पूरा लौड़ा दबाकर रस को अंदर तक छोड़ दिया । शशी को महसूस हुआ कि उसकी बच्चादानी के मुँह पर ही उसका वीर्य गिर रहा था।

वह आनंद से भर कर अपनी आँख बंद कर ली और चरम आनंद में डूब गई। अब राज भी बहुत मस्त होकर उसको चूमा और उसके साइड में लेट गया। अब दोनों नंगे अग़ल बग़ल लेटे हुए थे।

राज: मज़ा आया शशी?

शशी उससे लिपट कर बोली: सच बोलूँ ? मुझे तो आज ही पता चला कि असली चुदाई क्या होती है। आह सच में बहुत मज़ा आया बाऊजी । मैं आज बहुत ख़ुश हूँ।

फिर वह उसके लौड़े को पकड़कर प्यार से सहलाते हुए बोली: आज मुझे विश्वास हो गया है कि आप मुझे भी माँ बना ही देंगे जैसे अपने उन तीन लड़कियों को बनाया है। मुझे आप उन लड़कियों की कहानी कब सुनाएँगे?
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#3
राज उसके चूतरों को दबाकर बोला: ज़रूर बताऊँगा पर आज नहीं।

तभी उसका फ़ोन बजा उसने फ़ोन उठाया ।

राज: हेलो , अरे सतीश तुम? बोलो क्या बात है?

सतीश जो उसका दोस्त है: अरे तुमको अपने बेटे की शादी नहीं करनी है क्या?

राज: अरे करनी है ना , कोई है क्या तुम्हारी नज़र में?

सतीश : हाँ एक लड़की है मेरे एक दोस्त की ही बेटी है। अच्छी सुंदर और सुशील है और पढ़ी लिखी भी है।

राज: अरे तो फिर देर किस बात की है। बात आगे बढ़ाओ।

सतीश: ठीक है मैं फिर तुमको बताऊँगा उन लोगों से बात करके । ठीक है ना?

राज : बिलकुल ठीक है। मैं इंतज़ार करूँगा। बाई।

राज को ख़ुश देख कर शशी उसके बॉल्ज़ को सहला कर बोली: आप जय भय्या की शादी तय कर रहे हैं?

राज उसकी चूचि दबाके बोला: हाँ लड़की खोज रहा हूँ। देखो कब मिलती है?

फिर दोनों एक दूसरे से लिपट गए और राज उसको दूसरे राउंड की चुदाई के लिए तैयार करने लगा।
शशी उसके बॉल्ज़ को सहलाते हुए बोली: मुझे तो लगता है कि आपने इतना रस मेरे अंदर छोड़ा है मैं शायद आज ही गर्भ से हो गयी हों गई होऊँगी।

राज हँसते हुए: शायद नहीं ,पक्का गर्भ ठहर ही गया होगा। मेरे लौड़ा तुम्हारी बच्चे दानी के ऊपर ठोकरें मार रहा था। वैसे मुझे एक बार तुमको फिर से चोदना है। सच क्या टाइट बुर है तुम्हारी।

शशी उठकर बैठी और बोली: मुझे ज़रा बाथरूम जाना है।

राज : चलो मुझे भी जाना है।
चूत से निकलती झरने जैसी आवाज

दोनों बाथरूम में जाकर मूते और राज झुककर हैंड शॉवर से उसकी बुर को धोया और फिर शशी ने भी उसके लौड़े को धोया। फिर वो दोनों बाहर आकर बिस्तर पर लेटे और एक दूसरे को चूमने लगे। जल्दी ही दोनों गरम हो गए। राज उसके ऊपर ६९ की पोजीशन में आ गया और उसकी बुर को चूमने और चाटने लगा। उधर उसका लौड़ा शशी के मुँह के सामने था। उसने कभी लौड़ा नहीं चूसा था। मगर उसने कुछ फ़ोटो देखीं थीं उसके सहेलियों की मोबाइल में जिनमे अंग्रेज़ औरतें आदमियों का लौड़ा चूस रहीं थीं। उसकी कुछ सहेलियाँ भी उसको बतायी थी कि वो अपने पति के लौड़े चूसती हैं।

उसने भी हिम्मत की और उसके लौड़ेको सहलाते हुए अपने मुँह के पास लायी और उसके सुपाडे को सूँघा। उसका पूरा शरीर मस्ती से भरने लगा। उधर उसकी बुर पर राज की जीभ तांडव कर रही थी और वह बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी। तभी उसने सुपाडे को चूम लिया और फिर वह जीभ से उसे चाटने लगी। उधर राज ने भी उसके मुँह में लौड़े का दबाव बढ़ाया और शशी के मुँह में उसका लौड़ा जैसे घुसता चला गया। अब राज उसके मुँह की चुदाई करने लगा। साथ ही बुर की रगड़ाई भी जीभ से किए जा रहा था। अब शशी मस्ती से लौड़ा चूसे जा रही थी। फिर राज उठा और उसने शशी को पेट के बल लिटाया और फिर उसको चूतड़ उठाने को बोला। अब उसकी बुर और गाँड़ उसकी आँखों के सामने थे। उसने गाँड़ की सुराख़ पर ऊँगली फेरी और फिर मस्ती से उसकी बुर मसलने लगा और फिर अपने लौड़े को उसकी बुर में लगाकर उसके अंदर अपना लौड़ा ठेल दिया और फिर उसकी नीचे को लटकी हुईं चूचियाँ दबाकर उसकी मस्त चुदाई करने लगा।

वह भी मज़े से अपनी गाँड़ पीछे करके चुदवाने लगी। कमरा एक बार फिर से फ़च फ़च की आवाज़ों से गूँजने लगा। जल्दी ही दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। राज ने उसकी बुर में अपना वीर्य अंदर तक छोड़ दिया।

फिर वो दोनों एक साथ लिपट कर सो गए।

उस दिन भी वो दोनों चुदाई के बाद आराम कर रहे थे शशी उसके लौड़े को हल्के से सहला रही थी। तभी उसके दोस्त सतीश का फ़ोन आया और वह बोला: यार क्या तुम और जय कल यहाँ आ सकते हो? मैं चाहता हूँ कि कल तुम मेरे दोस्त अमित की भतीजी को देख लो। बहुत प्यारी बच्ची है तुम लोगों को ज़रूर पसंद आएगी।

राज ने शशी की गाँड़ सहलाते हुए कहा: अच्छा ये तो बहुत अच्छी बात है। कौन कौन है उसके घर में?

सतीश: यार बेचारी के पिता का तो बचपन में ही देहांत हो गया था वह अपनी माँ के साथ मेरे दोस्त के यहाँ पली है जो कि उसका ताया है । यानी वह अमित की भतीजी है। बी कॉम किया है और दिखने में भी बहुत सुंदर है।

राज: ओह चलो हम कल का प्लान बनाते हैं। तुमको ख़बर कर के कल शाम को आएँगे । तुम्हारा शहर सिर्फ़ दो घण्टे की ही दूर पर तो है। हम वहाँ पाँच बजे तक तो पहुँच ही जाएँगे।

फिर इधर उधर की बात करके उसने फ़ोन रख दिया। फिर राज ने उसकी गाँड़ में एक ऊँगली डाल दी और शशी आऽऽंह कर उठी ।

राज: अरे एक ऊँगली नहीं ले पा रही है तो मेरा लौड़ा कैसे अंदर लेगी?

शशी: मुझे नहीं लेना आपका लौड़ा यहाँ। बुर को जितना चाहिए चोदिए। पर गाँड़ नहीं मरवाऊँगी।

राज: अरे जब तुम गर्भ से हो जाओगी तो गाँड़ से ही काम चलाउंगा ना। डॉक्टर बोल देगी तीन चार महीने बाद कि बुर को चोदना बंद करो।

शशी हँसते हुए बोली: तब की तब देखी जाएगी। अच्छा तो कल आप बहु देखने जा रहे हैं।

राज : हाँ हम जाएँगे। देखें क्या होता है वहाँ?

फिर वह किचन ने चली गयी और वह भी आराम करने लगा।
शशी खाना बना कर चली गयी और जय दुकान बंद कर घर आया तो राज ने उसे अगले दिन लड़की देखने की बात बताई। जय ने ठीक है कहा और दोनों खाना खाते हुए दुकान की बात करने लगे। खाना खाकर थोड़ी देर टेलीविजन देखकर वो सोने चले गए।

रात को सोते हुए राज सोचने लगा कि बहु के आने के बाद उसकी और शशी की चुदाई मुश्किल में पड़ जाएगी। उसे कोई रास्ता निकालना ही होगा ताकि वो शशी को बिना किसी अड़चन के चोद सके। वैसे भी उसकी आँखों में शशी की कुँवारी गाँड़ घूम रही थी और वह यह सोचकर गरम हो गया कि उसकी गाँड़ मारने में क्या मज़ा आएगा। फिर वह अपने खड़े लौड़े को दबाकर सो गया।

अगले दिन जय को जल्दी वापस आने के लिए बोल कर राज ख़ुद भी तैयार होकर बाज़ार गया और वहाँ से मिठाई और फल ख़रीदे। बाज़ार से वापस आकर उसने शशी की एक राउंड चुदाई भी की और फिर शाम को जय और वह पास के शहर में सतीश से मिलने पहुँचे।

सतीश उनको लेकर अपने दोस्त अमित के यहाँ पहुँचा । अमित और उसकी पत्नी ने उनका बहुत स्वागत किया और फिर उनको रश्मि से मिलवाया,जो कि अमित के स्वर्गीय भाई की पत्नी और डॉली की माँ थी। डॉली ही वह लड़की थी जिसे देखने वह दोनों आए थे।

राज ने फल और मिठाई रश्मि को दी। उसने देखा कि रश्मि बला की ख़ूबसूरत महिला थी। बहुत गोरी और अपने उम्र के हिसाब से थोड़ी भरी हुई भी थी। बड़े बड़े दूध और उभरे हुए चूतड़ बहुत ही मादक थे। बहुत दिन बाद राज के लौड़े ने एक नज़र देखकर ही एक औरत के लिए झटका मारा था। राज उसकी गाँड़ के उभार को देखकर मस्ती से भर गया। फिर उसने अपने आप को याद दिलाया कि वह उसकी समधन हो जाएगी अगर ये रिश्ता हो जाता है।

उसने अपने आप को क़ाबू में किया और बोला: भाभी जी आप जब इतनी सुंदर हो तो आपकी बेटी भी यक़ीनन बहुत प्यारी होगी।

रश्मि: अरे आपका बेटा भी तो बहुत प्यारा है। भाई सांब इन दोनों की जोड़ी बहुत जमेगी।

राज हँसते हुए बोला: भाभी जी आपकी बेटी देख तो लें फिर शायद आपको बात से हम भी सहमत हो जाएँगे।

तभी अमित आकर रश्मि को बोला: रश्मि आओ डॉली को ले आते हैं। वो दोनों अंदर चले गए। राज ने नोटिस किया कि अमित अपनी बीवी की तरफ़ ज़्यादा ध्यान नहीं दे रहा था। वैसे उसकी बीवी काफ़ी दुबली पतली थी और बीमार सी दिखती थी।

राज ने एक नौकर से कहा: मुँझे बाथरूम जाना है।

वह उसके साथ बाथरूम की ओर चल पड़ा। नौकर उसको एक कमरे में बाथरूम दिखाकर वापस चला गया। वह बाथरूम जाकर जब बाहर आया तभी उसको कुछ आवाज़ सी आयी। वह कमरे से बाहर आते हुए रुक गया और दरवाज़े के पास आकर थोड़ा सा दरवाज़ा खोलकर झाँका।
वहाँ सामने कोई नहीं था। वह बाहर आया और तभी उसको दबे स्वर में हँसने की आवाज़ आयी और वह पता नहीं क्यों उस कमरे के सामने पहुँचकर चुपचाप बातें सुनने लगा। अंदर आदमी बोल रहा था: अब यह शादी हो जाए तो हम खुलकर मस्ती कर सकेंगे । फिर चुम्बन की आवाज़ आइ । अब धीरे से वह अंदर झाँका। वहाँ का दृश्य बड़े ही हैरान करने वाला था। अमित अपने भाई की बीवी के साथ लिपटा हुआ था और उसे चूमे जा रहा था। वह भी उससे मज़े से चिपकी हुई थी। अमित के हाथ उसके बड़े बड़े चूतरों को दबा रहे थे।
रश्मि: अच्छा अब छोड़िए। डॉली तैयार हो गयी होगी।

अमित: हाँ यार जितनी जल्दी उसकी शादी हो जाए हम मज़े से चुदाई कर सकेंगे।

रश्मि: हाँ जी आपको भाभी तो मज़ा नहीं देती इसलिए मुझे ही रगड़ोगे आप तो। चलो अब जल्दी से वरना कोई देख लेगा। वो दोनों अलग हुए तो वह अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए बोली: देखिए पूरा ब्लाउस छाती के ऊपर कैसा मसल दिया है आपने ।कोई भी समझ लेगा कि क्या हुआ है मेरे साथ।

अमित: अरे तुम्हारी चूचियाँ हैं इतनी मस्त कि साला हाथ अपने आप ही उन पर चला जाता है। वह यह कहते हुए अपने लौड़े को पैंट में अजस्ट करने लगा।

फिर दोनों बाहर आने लगे। राज जल्दी से वहाँ से हट कर छुप गया। उनके जाने के बाद वह वापस बाहर आ गया। जय वहीं बैठकर अमित की बीवी से बातें कर रहा था।

थोड़ी देर बाद वो दोनों आए और साथ में डॉली भी आयी। उसने साड़ी पहनी हुई थी। वह माँ जैसी ही गोरी चिट्टि और थोड़े भरे बदन की नाटे क़द की लड़की थी। जय तो उसे एकटक देखता ही रह गया। डॉली ने भी भरपूर नज़र से जय को देखा और वह भी उसको बहुत पसंद आ गया।

राज ने भी डॉली को देखा और वह सच में अपनी माँ का ही प्रतिरूप थी। भरे बदन के कारण वह बहुत सेक्सी भी दिख रही थी। साड़ी से उसकी चूचियों के उभार बहुत ही ग़ज़ब ढा रहे थे। और जब वह उसको नमस्ते करके उसकी बग़ल से आकर साइड के सोफ़े में बैठी तो उसके चूतरों का उभार उसको मस्त कर गया। तभी उसे याद आया कि वह उसकी होने वाली बहु है। उसे अपने आप पर बहुत शर्म आयी और उसने अपना सिर झटका जैसे वह गंदे ख़याल अपने दिमाग़ से बाहर निकाल रहा हो।

अमित: ये है हमारी बिटिया शशी रश्मि। और रश्मि ये है जय और ये हैं इनके पिता।

रश्मि ने फिर से सबको नमस्ते किया। वह अपना सिर झुका कर बैठी थी। राज ने देखा कि जय उसे देखे ही जा रहा था। वह मन ही मन मुस्कुराया और बोला: जय मैं चाहता हूँ कि तुम और डॉली अकेले में थोड़ी देर बातें कर लो और एक दूसरे को समझ लो। अमित जी आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं?

अमित: अरे नहीं हमें क्यों ऐतराज़ होगा अच्छा ही है वो दोनों एक दूसरे को समझ लें।

रश्मि उठी और डॉली और जय को लेज़ाकर एक कमरे में बिठा आयी।

जब वो वापस आइ तो राज उसको भरपूर नज़रों से देखा, उसको उसकी और अमित की मस्ती याद आ गयी।

रश्मि: भाई सांब लगता है दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं।

राज: हाँ बड़ी ही प्यारी बच्ची है , मुझे भी लगता है कि दोनों एक दूसरे को पसंद आ गए हैं।

उधर डॉली और जय एक दूसरे से बातें किए जा रहे थे। जय उसको अपने बिज़नेस वग़ैरह के बारे ने बताया और डॉली अपनी पढ़ाई और अपने खाना बनाने के शौक़ के बारे में बतायी। जल्दी ही उन दोनों को समझ में आ गया कि वह एक दूसरे को पसंद करने लगे हैं।

थोड़ी देर बाद जय बोला: आप मुझे पसंद हो, अब आप बताओ कि मैं आपको पसंद हूँ या नहीं?

डॉली ने सिर झुका कर कहा: आप भी मुझे पसंद हो।

फिर दोनों उठकर बाहर आए और राज ने पूछा: हाँ अब बताओ कि क्या इरादा है?

जय: पापा मेरी तो हाँ है।

अमित: और बेटी तुम्हारी?

डॉली ने शर्माकर अपना सिर हाँ में हिला दिया।

अब राज ख़ुशी से खड़ा हुआ और अमित भी खड़े होकर उसके गले मिला। और उन्होंने एक दूसरे को बधाइयाँ दी। रश्मि ने भी राज को बधाई दी। फिर जय और डॉली ने सबके पैर छुएँ। अमित ने सबको मिठाई खिलाई।

अब राज भी कार से मिठाई और एक अँगूठी निकाल लाया। रश्मि भी एक अँगूठी लायी। अब जय और डॉली ने एक दूसरे को अँगूठी पहनायी। सबने उनको बधाइयाँ दी।बहुत से फ़ोटो खिंचे गए। फिर सबने नाश्ता किया और बाद में जय और राज वापस अपने घर आ गए।

रास्ते में राज बोला: बेटा पहली बार में ही लड़की पसंद आ गई ?

जय: जी पापा वो बहुत ही समझदार लड़की है और अपनी ज़िम्मेदारी भी समझती है।

राज हँसते हुए बोला :और सुंदर भी है । है ना?
जय: जी पापा सुंदर तो है ही ।

राज: तुम दोनों की जोड़ी ख़ूब जँचेगी। मुझे ख़ुशी है कि पहली बार में ही इतना बढ़िया रिश्ता मिल गया।

रात को सोते हुए राज रश्मि के बारे में सोच कर गरम होने लगा। क्या दूध हैं उसके। फिर अचानक उसको डॉली के भी साड़ी से उभरे हुए दूध याद आ गए और उसका लौड़ा खड़ा हो गया। फिर उसे शर्म आइ और वह अपने आप को कोसा और सोने की कोशिश करने लगा।
सुबह उसने शशी के लिए दरवाज़ा खोला और आकर सोफ़े पर बैठ गया। शशी भी आकर उसकी गोद में बैठ गयी और बोली: तो क्या हुआ कल ? बहू पसंद आयी या नहीं?

राज: बहुत पसंद आयी और हमने तो रोका भी कर दिया। अब सगाई की तारीख़ निकालेंगे।

शशी: कैसी है दिखने में?

राज: बहुत प्यारी और सुंदर। तुमको फ़ोटो दिखाता हूँ। यह कहकर उसने शशी को मोबाइल पर कल की फ़ोटो दिखाई।

शशी: हाँ बहुत सुंदर है। भैया बहुत लकी है। वैसे भरी हुई है जैसी आपको अच्छी लगती हैं वैसे ही है।

राज: बिलकुल खाते पीते घर की है, तुम्हारे जैसी सूखी और सुक़ड़ी सी नहीं है। यह कहते हुए वह हँसा और उसको चूम लिया। फिर उसकी छाती पर हाथ फेरने लगा।

शशी हँसते हुए बोली: आपकी बहू की छाती तो इतनी बड़ी है कि मेरी दोनों छातियाँ उसकी एक के बराबर होंगी।

राज: अरे नहीं इतनी भी बड़ी नहीं हैं पर हाँ तुम्हारी छाती से काफ़ी बड़ी हैं।

शशी हँसते हुए: काफ़ी ध्यान से देखा है बहू की छातियों को? इरादा नेक है ना?

राज: अरे तुम भी क्या फ़ालतू बात कर रही हो। ऐसी कोई बात नहीं है। वैसे इसकी माँ की चूचियाँ तुम्हारी से दुगुनी होंगी, ये देखो । ये कहकर उसने रश्मि की फ़ोटो में उसकी छाती को ज़ूम करके दिखाया।

शशी: हाँ सच में इनकी बहुत बड़ी हैं। ये आपकी होने वाली समधन हैं क्या?

राज: हाँ ये रश्मि है मस्त माल है। और चालू भी है। ये कहते हुए उसका लौड़ा अकड़ने लगा और शशी को गाँड़ में चुभने लगा।

शशी गाँड़ को उचका कर बोली: आह इसे क्यों खड़ा कर लिए? समधन का जादू है क्या? आपने उसे चालू क्यों बोला?

राज ने उसे अमित और रश्मि की मस्ती के बारे में बताया कि कैसे वो एक दूसरे से लिपट कर मज़ा कर रहे थे और डॉली की शादी का इंतज़ार कर रहे थे ताकि खुल कर मज़े ले सकें।

राज: मुझे लगता है कि डॉली के कारण वो ज़्यादा मज़ा नहीं ले पाते होंगे। वैसे भी अमित की बीवी तो बहुत बीमार दिख रही थी। वो क्या इनके मज़े में ख़लल डाल पाएगी?

शशी: तब तो डॉली को भी इसका अंदाज़ा तो होगा ही कि उसकी माँ उसके ताया जी के साथ फँसी हुई है। और वो चुदाई के बारे में सब जानती होगी। वैसे भी उसका भरा हुआ बदन देखकर लगता है कि वो शायद चुदवा चुकी होगी।

राज: क्या फ़ालतू बात कर रही हो? वो एक बच्ची की तरह मासूम है। बहुत नादान है वो बिलकुल एक नगीना यानी कि हीरा है।
शशी हँसते हुए बोली: उस बिचारि नगीना को क्या पता कि उसका ससुर कितना कमीना है?

राज झूठा ग़ुस्सा दिखाकर बोला: मैंने क्या कमीनी हरकत की है?

शशी हँसते हुए बोली: अपनी बहू के दूध देखना और उसको मेरे दूध से तुलना करना क्या कमीनापन नहीं है? अच्छा ये बताइए उसकी गाँड़ कैसी है? आपको तो बड़े चूतड़ अच्छे लगते हैं ना? बहू के कैसे हैं? वैसे इस फ़ोटो में तो बड़े मस्त गोल गोल दिख रहे हैं। !

राज का लौड़ा अब पूरा खड़ा हो कर उसकी गाँड़ में ठोकर मार रहा था। वह बोला: साली कमिनी , ख़ुद मेरी बहू के बारे में गंदी बात कर रही है और मुझे कमीना बोल रही है। चल अभी तेरी गाँड़ मारता हूँ मादरचोद।

ये कहकर वह उसको अपनी गोद में उठाकर बेडरूम में ले जाकर बिस्तर पर पटका और उसकी साड़ी ऊपर करके उसकी बुर में दो ऊँगली डाल दिया। इस अचानक हमले से शशी हाय्य्यय कर उठी पर वह उसकी बुर में उँगलियाँ अंदर बाहर करने लगा । जल्दी ही बुर गीली हो गई और उसने अपना लोअर और चड्डी उतारा और फनफना रहे लौड़े को उसकी बुर में एक झटके में पेल दिया। फिर उसके ऊपर आकर उसके ब्लाउस और ब्रा को ऊपर किया और चूचियाँ मसलते हुए उसकी बेरहमी से चुदाई करने लगा।

शशी भी आऽऽऽहहह हाय्य्य्य्य कहकर मस्ती से कमर उछालने लगी और बोली: सच में बोलो ना बहू भी अपनी माँ की तरह माल है ना?

राज: आऽऽहहह मादरचोओओओओओओओद फिर वही। कहा ना माँ साली रँडीइइइइइइइ है। बहू तो अभी बच्चीइइइइइइइइ है।

शशी: फिर भी उसके चूतड़ और चूची तो मस्त है ना? वैसी है जैसे आपको अच्छी लगती है । है नाआऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽह बोओओओओओओलो ना।

राज ज़ोर ज़ोर से धक्का मारते हुए बोला: आऽऽऽहहह ह्म्म्म्म्म्म हाँआऽऽऽऽ सालीइइइइइइ बहू भी मस्त माआऽऽऽऽऽऽऽल है। डॉली की भी मस्त गोओओओओओओओल गाँड़ है आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं गयाआऽऽऽऽऽऽ । साली क़ुतियाआऽऽऽऽऽऽ लेeeee मेराआऽऽऽऽ माआऽऽऽऽलल्ल अपनी बुर में। ह्म्म्म्म्म्न कहते हुए वह झड़ गया।

फिर जब वो सफ़ाई करके लेटे हुए थे, तब राज बोला: सच में डॉली बहुत मासूम सी बच्ची है। मुझे उसके बारे में ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए।
शशी: पर मुझे तो लगता है कि आप उसकी भी ले लोगे।

राज ग़ुस्से से : क्या बकवास कर रही हो? वो मेरे बेटे की बीवी होगी। उसके बारे में ऐसा कैसे कर सकता हूँ। हाँ उसकी माँ की बुर ज़रूर रगड़ूँगा। साली सिर्फ़ अमित को क्यों मज़ा दे ? हम साले मर गए हैं क्या?

शशी उठती हुई बोली: एक बात बताइए कि हमारा मिलन कैसे होगा बहु के आने के बाद?

राज: ये चिंता तो मुझे भी है देखो कोई रास्ता निकालेंगे। ये कहकर वह फिर से उसको अपनी बाँहों में खींच लिया और बोला: तुम्हारा महवारी याने पिरीयड कब आता है?

शशी: अभी दस दिन हैं। क्यों पूछ रहे हैं आप?

राज: अरे इसीलिए कि इस बार नहीं आएगा। तुमको गर्भ से जो कर चुका हूँ।

शशी: आप इतने यक़ीन से कैसे कह सकते हैं?

राज: मैंने तुमको बताया था ना कि मैं पहले भी तीन लड़कियों को गर्भवती कर चुका हूँ और तीनों एक महीने की ही चुदाई में माँ बनने के रास्ते पर चल पड़ीं थीं।

शशी: मैं तो आपको कितनी ही बार पूछ चुकी हूँ पर आप अभी तक एक के बारे में भी नहीं बतायें हैं।

राज: चलो अभी चाय पिलाओ और बाद में जय के दुकान जाने के बाद मैं तुमको बताऊँगा कि कैसे मैंने बुलबुल को गर्भवती किया। वही पहली लड़की थी जिसे मैंने करीब पाँच साल पहले चोद के माँ बनाया था।

शशी: ठीक है बताइएगा आज बुलबुल के बारे में। ये कहकर वह किचन मे चली गयी।

बाद में जय उठकर आया और चाय पीते हुए बाप बेटा बातें करने लगे।

राज: फिर बरखुरदार, रात को नींद आयी या नहीं? कहीं रात भर शादी के सपने तो नहीं देखते रहे?

जय: क्या पापा आप भी ना ? छेड़ रहे हैं मुझे?

राज हँसते हुए बोला: अरे बहु का सेल नम्बर लिया था कि नहीं?

जय शर्माकर: कहाँ ले पाया? सब कुछ इतनी जल्दी में हो गया।

राज : अच्छा चल मैं ही जुगाड़ करता हूँ तेरे लिए। ये कहकर उसने अमित को फ़ोन लगाया।

उधर से रश्मि ने फ़ोन उठाया और बोली: हेलो कौन बोल रहे हैं?

राज: मैं राज बोल रहा हूँ भाभीजी । आप कैसी हैं?

रश्मि: नमस्ते भाई सांब । मैं ठीक हूँ। आप लोग कल अच्छे से पहुँच गए थे ना?

राज: हाँ जी सब बढ़िया है। मैंने इसलिए फ़ोन किया कि मुझे डॉली का नम्बर चाहिए ,जय माँग रहा है। वो दोनों बातें करेंगे तो एक दूसरे को समझेंगे ना।

रश्मि: जी बिलकुल ठीक कहा आपने। मैं अभी आपको sms करती हूँ। जय है क्या बात करवाइए ना?

जय ने फ़ोन लेकर कहा: नमस्ते मम्मी जी।

रश्मि: नमस्ते बेटा , कैसे हो? डॉली को हम लोग बहुत छेड़ रहे हैं तुम्हारा नाम लेकर।

जय: मम्मी आप लोग भी ना बेचारी को क्यों तंग कर रहे हो?

रश्मि: लो अभी से उसकी तरफ़ से बोलने लगे? वाह जी वाह।

जय: मम्मी मेरी आप खिंचाई तो मत करो।

फिर कुछ देर इधर उधर की बातें करके वह फ़ोन राज को दे दिया।

राज: तो भाभीजी आप हमारे घर कब आ रही हैं? आपने तो हमारा घर भी नहीं देखा है।

रश्मि: भाई सांब जल्दी ही आएँगे। आपने सगाई का कुछ सोचा?

राज: आज पंडित जी से बात करूँगा मुहूर्त के लिए। डॉली की कुंडली भी भेज दीजिएगा। जय की कुंडली से मिलवा लेंगे।
रश्मि: भाई सांब सगाई कहाँ करेंगे?

राज : आप जहाँ बोलेंगी वहाँ करेंगे। अजी हम तो आपके हुक्म के ग़ुलाम हैं।

रश्मि: कैसी बात कर रहे हैं, हम लड़की वाले हैं हम झुक कर रहेंगे।

(तभी जय का फ़ोन बजा और वह अपने बेडरूम में चला गया। )

राज: अरे भाभीजी आप जैसी सुंदर महिला की ग़ुलामी करने का मज़ा ही कुछ और है।

रश्मि: भाई सांब आप भी अब मुझे खींच रहे हैं ।

राज: अरे भाभी जी मेरी क्या औक़ात है आपकी खींचने की? मैं तो ख़ुद ही खिंचा जा रहा हीं आपकी तरफ़।

रश्मि: भाई सांब आपको बातों ने जीतना बहुत मुश्किल है।

राज: भाभीजी बातों में जीत सकती है पर हमें एक बार सेवा का मौक़ा दीजिए। सच कहता हूँ आप भी क्या याद करेंगी।

इस बार राज ने द्वीयर्थी डायलॉग बोल ही दिया।वह अपने लौड़े को हल्के से दबाया जो अपना सिर उठा रहा था।

रश्मि एक मिनट के लिए तो चुप सी हो गयी फिर बोली: चलिए सगाई आपके यहाँ ही रखते हैं , देखते हैं कितनी सेवा करते हैं आप?

राज ख़ुश होकर बोला: ये हुई ना बात ।भाभीजी ऐसी सेवा करूँगा आप भी याद रखोगी। बस एक मौक़ा तो दीजिए। और हाँ अपना नम्बर भी दे दीजिए। अमित के नम्बर पर आपको बार बार फ़ोन नहीं कर सकता।

रश्मि: भाई सांब रखती हूँ । भैया आ रहे हैं। मैं आपको sms करती हूँ अपना और डॉली का नम्बर।

फिर फ़ोन कट गया। राज अभी भी लौड़ा दबाये जा रहा था। तभी शशी आयी और मुस्कुरा कर बोली: क्या हो रहा है? मैं दबा दूँ? समधन को पटा रहे थे? मैं सब सुन रही थी।

राज: जय को दुकान जाने दो फिर जो करना है कर लेना। समधन तो साली रँडी है उसे तो शादी के पहले ही चोद दूँगा।

तभी जय के आने की आवाज़ आइ और शशी वहाँ से बाहर चली गई। तभी रश्मि का sms भी आ गया। उसने डॉली का नम्बर जय को फ़ॉर्वर्ड कर दिया और अपने फ़ोन में भी बहू के नाम से सेव कर लिया। और रश्मि का नम्बर भी सेव कर लिया।

अब जय भी अपने समय पर दुकान को चला गया।

उसके जाने के बाद शशी आकर राज के पास आकर बैठी और राज ने उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसको चूमने लगा। वो रश्मि से बात करके उत्तेजित हो चुका था ।

तभी शशी बोली: आज आप मुझे बुलबुल के माँ बनने की कहानी सुनाएँगे।याद है ना?

राज उसकी बुर को साड़ी के ऊपर से दबाकर बोला: ज़रूर मेरी जान, बिलकुल सुनाएँगे।
शशी की बुर साड़ी के ऊपर से दबाकर वह बोला: चलो चुदाई करते हैं।

शशी: अभी नहीं पहले बुलबुल के बारे में बताइए की उसको कैसे गर्भ वती किया आपने?

राज: अच्छा पीछे पड़ गयी हो , ठीक है सुनो। फिर उसने अपनी बात बोलनी शुरू की——————
तभी काँच का दरवाज़ा खुला और उसमें से एक बहुत ही गोरी सुंदर थोड़ी भारी बदन की क़रीब मेरे ही उम्र की महिला अंदर आइ और साथ ही तेज़ सेंट की ख़ुशबू दुकान में फैल गयी। मेरी नींद उड़ गयी और मैं उठकर उसके पास आया और बोला: आइए मैडम जी, बैठिए।
वो मुस्कुरा कर बोली: मुझे कुछ नई साड़ियाँ दिखाइए।

मैं उसे नई डिजाइन की साड़ियाँ दिखाने लगा। वह हर साड़ी को अपने ऊपर रखती और शीशे में देखती थी। ये करते हुए उसका पल्लू खिसक जाता था और मुझे उसकी बड़ी बड़ी चुचीयो की और उनके बीच की घाटी के दर्शन हो जाते थे। ऐसा करते हुए आख़िर उसने दो साड़ियाँ पसंद कीं। मेरा लौड़ा गरमाने लगा था। वह जब शीशे के सामने खड़ी होती तो उसके मस्त चूतरों के उभार तो जैसे मुझे दीवाना कर रहे थे।

फिर वह बोली: आपके यहाँ कोई सेल्ज़ गर्ल नहीं है क्या?

मैं: है ना मगर सब अभी सामने होटेल में खाना खाने गए हैं क्योंकि उंनमें से एक का आज जन्म दिन है। आपको कुछ चाहिए तो आप मुझे बताइए ना?



उसने हिचकिचाते हुए कहा: मुझे अंडर गारमेंट्स चाहिए।

मैं: आइए इस काउंटर पर आइए मैं निकालता हूँ।

यह कहकर मैं एक काउंटर जे पीछे पहुँचा और वहाँ रखे ब्रा और पैंटी को दिखाकर बोला: बताइए किस पैटर्न में दिखाऊँ?

वह बोली: आप मुझे सभी दिखायीये मैं पसंद कर लूँगी।

मैंने उसको जानबूझकर पैडेड ब्रा के डिब्बे से ब्रा निकाल कर दिखाया।

वह बोली: मुझे बिना पैडेड वाली ब्रा चाहिए।

मैं मुस्कुराकर उसकी छाती को देखकर बोला: आप सही कह रही हैं , आपको भला पैड की क्या ज़रूरत है?

वो मेरी बात का मतलब समझ कर लाल हो गई पर कुछ नहीं बोली।

फिर मैंने जानबुझकर उसको ३६ साइज़ की लेस वाली ब्रा दिखाई। वह उसको देखकर बोली: हाँ ये पैटर्न तो सही है पर मुझे बड़ी चाहिए।
मैंने पूछा: क्या साइज़ है मैडम?

वो थोड़ा सा हिचकिचाके बोली: ४० की चाहिए।

मैंने ख़ुश होकर कहा: आपकी और मेरी बीवी की साइज़ एक ही है। अच्छा ज़रा रुकिए , मैंने अपनी बीवी के लिए कुछ नई नाट्टि ब्रा लाया था। उसमें से कुछ शायद आपको भी पसंद आ जाएँ। यह कहकर मैंने उसे बहुत सेक्सी ब्रा दिखायीं। उंनमें निपल के छेद बने थे और निप्पल की जगह किसी में नेट लगा था।

वह ये देखकर बोली: आप अपनी बीवी के लिए ऐसे ब्रा ख़रीदे है ? छी मुझे तो बहुत शर्म आ रही है।

मैं: मुझे तो वो इसमें बहुत सेक्सी लगती है। आप भी बहुत सेक्सी लगेंगी।

वो बोली: नहीं नहीं मुझे आप ये सादी वाली ही दे दीजिए। और अब पैंटी दिखा दीजिए।

मैं उसके कमर को देख कर बोला: आपको तो xxl ही आती होगी। मेरी बीवी का भी यही साइज़ है। फिर मैंने उसे सेक्सी जाली वाली पैंटी ही दिखाई। वह उसे देखकर बोली: छी ये पहनने या ना पहनने में क्या फ़र्क़ है भला।

मैं: अरे मैडम ये भी बहुत सेक्सी है आप पर बहुत फबेगी।

वो: नहीं नहीं मैं ऐसे कपड़े नहीं पहन सकती। फिर मैंने उसे सादी पैंटी दिखाई तो वह उसने ले ली। मैं समझ गया था कि वह एक शरीफ़ महिला है। पर क्या करता मेरा आवारा लौड़ा कड़ा होकर मुझे बार बार उसकी ओर खींच रहा था।

मैं: मैडम मैं आपको भाभी जी बोल सकता हूँ?

वो: हाँ हाँ क्यों नहीं? भाई सांब आपके कितने बच्चे हैं?

मैं: दो और आपके? आपके पति का बिज़नेस है क्या?

वो: जी हाँ उनका इक्स्पॉर्ट का काम है । मेरे एक ही बेटा है, उसकी शादी हो चुकी है।

मैं: तो आप दादी भी बन गयी क्या?

वो दुखी होकर बोली: नहीं अभी तक तो नहीं बनी हूँ।

फिर मैं बिल बना रहा था तो मैंने उसका नाम पूछा। उसने अपना नाम साधना बताया। मैंने उसका मोबाइल नम्बर और पता भी ले लिया। फिर बिल का पैसा देकर वो जाने लगी तो मैं बोला: भाभी जी आते रहिएगा।

साधना: ठीक है फिर आऊँगी।

अचानक मुझे पता नहीं क्या हुआ कि मैं बोला: भाभी जी , कल शाम को एक कॉफ़ी साथ में पियें क्या?

साधना हैरानी से बोली: जी? क्या मतलब?

मैं: बस एक कप कॉफ़ी का तो बोला है और क्या? यहाँ पास में एक कॉफ़ी शाप है चौक पर । कल आपका वहाँ शाम को पाँच बजे इंतज़ार करूँग़ा ।

साधना: पाँच बजे नहीं चार बजे। छह बजे मेरे पति और बेटा घर आ जाते हैं।

मैं: ठीक है चार बजे। वह मुस्कुराकर चली गयी।

और मैं अपना लौड़ा मसलते हुए उसके मस्त गदराये बदन का सोचने लगा।

उस रात मैंने सरिता याने अपनी बीवी को जबदरस्त तरीक़े से चोदा। और ये सोचकर चोदा कि साधना को चोद रहा हूँ।
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#4
दूसरे दिन शाम को चार बजे मैं कॉफ़ी शॉप में गया तो साधना वहाँ नहीं थी। थोड़ी देर में वह आयी तो कई मर्दों की निगाहें उस पर थीं। आज उसने सलवार कुर्ता पहना था। वह आइ तो उसकी जानी पहचानी सेंट की ख़ुशबू मेरे नथुनों में घुस गयी और मैं मस्त होने लगा। तभी वह मुस्कुरा कर मेरे सामने आके खड़ी हुई। मैंने उठकर उसकी ओर हाथ बढ़ाया तो उसने मेरे हाथ में अपना हाथ दे दिया और मैंने उसके नरम हाथ को हल्के से दबा दिया।

अब वो मेरे सामने बैठ गई और मेरी आँखें उसकी कुर्ते से बाहर झाँक रही आधी चूचियों पर चली गई। उसने चुन्नी ऊपर रखी थी। आऽऽऽह क्या जलवा था। मेरा लौड़ा झटका मार उठा। उसका हाथ टेबल पर रखा था सो मैंने भी हिम्मत करके उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और हल्के से दबा दिया। वह मेरी आँखों में देखी पर कुछ नहीं बोली। फिर कॉफ़ी आयी और हम कॉफ़ी पीने लगे।

वह धीरे से बोली: आपके परिवार की फ़ोटो दिखायीये ना। मैंने मोबाइल में बीवी बेटे और बेटी और दामाद की फ़ोटो दिखाई। वो बोली: आपकी बीवी तो बहुत सुंदर है और फ़िगर भी अच्छा है।

मैं: आपसे अच्छा नहीं है। आपका ज़्यादा अच्छा है। मैंने उसकी चूचियों को घूरते हुए कहा। वह शर्मा गयी।

वह: आपको पता है कि मेरी उम्र ५४ साल की है और आप मुझसे फ़्लर्ट कर रहे है।

मैं: मैं भी तो ४५ का हूँ। अच्छा आप भी फ़ोटो दिखाइए ना अपने पति की और बच्चों की। फिर उसने भी मोबाइल पर अपने पति बेटे और बहु की फ़ोटो दिखायी।

उसका बेटा और बहु तो सामान्य थे पर उसका पति मोटा और तोंद वाला था और बहुत स्वस्थ भी नहीं दिख रहा था।

मैं: आपके पति तो थोड़े बीमार से दिख रहे हैं।

साधना: जी हाँ उनको २ महीने पहिले हार्ट अटैक आया था।

मैं: ओह तभी इतने कमज़ोर दिख रहे हैं चेहरे से। एक बात बोलूँ बुरा तो नहीं मानेंगी?

साधना: नहीं नहीं बोलिए क्या बोलना है?

मैं: आप इतनी मस्त जवान सी रखीं हैं और कहाँ आपके पति कमज़ोर से , आपको संतुष्ट कर लेते हैं?

साधना का चेहरा लाल हो गया और बोली: आप भी ना? ये कैसा सवाल है?

मैं: मैंने तो कहा था कि आप बुरा नहीं मानोगी।

साधना: बुरा नहीं मान रही हूँ। ये सच है कि अब हमारे बीच में सेक्स दो महीनों से पूरी तरह बंद है। पर अब ५४ की होने के कारण इतनी पागल भी नहीं हो रही हूँ इसके लिए ।

मैंने उसका हाथ दबाया और बोला: देखिए आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं और अगर आप चाहें तो मैं आपसे अपने सबँध को आगे बढ़ाना चाहता हूँ।
साधना ने मेरी आँखों ने झाँका और बोली: मैंने कभी भी अपने पति को धोका नहीं दिया है। और अब इस उम्र में देना भी नहीं चाहती।

मैं: अच्छा आप कितने विश्वास से यही बात अपने पति के लिए भी कह सकती हो?

साधना: मुझे पता है कि उनका कई लड़कियों से चक्कर रह चुका है। मैंने तो उनको रंगे हाथों भी पकड़ा है। पर क्या करूँ हर बार उनको माफ़ कर देती थी।

मैं: जब वो बेवफ़ा है तो आपने क्या वफ़ा का ठेका ले रखा है? चलिए ना थोड़ी सी बेवफ़ाई करते हैं हम दोनों।

वो हँसते हुए बोली: क्या बात कही है। अब मैंने अपना हाथ उसके हाथ से हटाकर उसकी जाँघ पर रख दिया और सहलाने लगा। टेबल के नीचे होने से किसी को नहीं दिख रहा था।

साधना सिहर उठी और बोली: आप मुझे कमज़ोर कर रहे हैं।


मैं: प्लीज़ चलिए ना , वादा करता हूँ कि आपको बहुत ख़ुश करूँगा।

साधना: कहाँ जाएँगे?

मैं उत्साहित होकर: ये मेरे पास एक फ़्लैट की चाबी है , मेरे दोस्त की वह अभी विदेश में है। यहीं पास में है।

साधना: पर अब ६ बज रहे हैं। वो दोनों घर आने वाले होंगे , बाप बेटा मेरा मतलब है।

मैं: अरे उनको फ़ोन कर दो कि किसी सहेली के यहाँ हो थोड़ी देर में आ जाओगी।

साधना :ठीक है आज पहली बार मैं बेवफ़ा बनने जा रही हूँ। फिर उसने अपनी बहू को फ़ोन लगाया और बोली: बुलबुल बेटा अपने पापा को बोलना कि मैं एक सहेली के यहाँ हूँ, एक घंटे में आ जाऊँगी।

फिर वह बोली: एक घंटे में छोड़ दोगे ना?

मैं: ये तो तुम पर सारी आप पर निर्भर करता है कि कितनी ज़्यादा बेवफ़ाई करना चाहती हो?

वो हँसने लगी और बोली: तुम मुझे तुम कह सकते हो। अब हम आख़िर दोस्त तो बनने ही जा रहे हैं ना।

मैं उठते हुए बोला: दोस्त से भी कुछ ज़्यादा । शायद प्रेमी।

हम दोनों हँसते हुए बाहर आए और उसकी कार को वहीं छोड़ कर मेरी कार में हम फ़्लैट की ओर चल पड़े। मेरा हाथ अब उसकी गदराइ जाँघ पर था।
जब हम फ़्लैट में पहुँचे तो मैंने फ्रिज खोलकर एक पानी की बोतल निकाली और ख़ुद पीने के बाद साधना को भी दिया। वो भी ऊपर से पीने लगी पर उसने काफ़ी पानी अपनी छाती पर गिरा लिया । मैंने इसकी छाती पर पानी गिरा देख कर कहा: पानी भी कितना लकी है आपकी छातियों के मज़े ले रहा है।

वो हँसकर बोली: पानी के बाद अब आप भी तो मज़े लोगे। इस बात पर हम दोनों हँसने लगे। फिर मैंने उसे कहा : बेडरूम उधर है।
अब हम दोनों बेडरूम में पहुँचे। मैंने उसकी ओर देखकर बाहें फैलायी और वह मुस्कुराते हुए मेरी बाहों में आ गयी। मैंने इसको अपने से भींचकर उसकी गर्दन चुमी। वह भी मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी। फिर मैंने उसके चूतरों को दबाते हुए कहा: जान, क्या मस्त गोल और स्पंजी चूतड़ हैं तुम्हारे?

वो: आऽऽहहह मेरे पति भी यही कहते हैं। वो तो कई बार इसको तकिया बना कर सो जाते हैं।

हम दोनों हँसने लगे। फिर मैं उसको अलग किया और अपने कपड़े खोलते हुए बोला: तुम भी उतार दो वरना घर जाने में देर हो जाएगी।

वह चुपचाप कुर्ता निकाल दी और ब्रा में उसके कसे हुए उभार देख कर मैं मस्ती में आने लगा। अब तक मैं चड्डी में आ चुका था और मेरा फूला हुआ लौड़ा चड्डी में समा ही नहीं रहा था और साइड से बाहर झाँक रहा था। अपनी सलवार खोलते हुए उसकी नज़र जैसे मेरी चड्डी से जा चिपकी थी और मैं भी पैंटी से उसकी फूलि हुई बुर और उसकी फाँकें देखकर जैसे मंत्रमुग्ध हो गया था।

वह बड़े ही शालीनता से बिस्तर पर पीठ के
बल लेट गयी। मैं भी उसके ऊपर आकर उसके माथे को चूमा । फिर उसकी आँखें, नाक, कान , गाल और आख़िर में उसके होंठ चूमने लगा। थोड़ी देर तो वह चुपचाप होंठ चूसवाती रही। पर जल्दी ही वह गरम होकर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैं उसकी जीभ चूसने लगा। अब मैं उसकी चूची दबाने लगा।वह भी मस्त होकर मेरे पीठ पर हाथ फेरने लगी।

मैंने उसको उठाया और उसकी ब्रा के स्ट्रैप को खोलकर उसकी ब्रा को उतार दिया: गोरे बहुत बड़े नरम से उसके चूचे मेरे सामने थे जिसपर बहुत बड़े काले रंग का निपल पूरा तना हुआ था। मैंने चूचियाँ दबायीं और अपने चड्डी में फँसे लौड़े को उसकी पैंटी पर रगड़ने लगा। वह भी गरम होकर अपनी कमर हिलाकर रगड़ाई का मज़ा लेने लगी।

अब मैं उसकी चूचियाँ चूसने लगा और वह हाय हाय करने लगी। मैं नीचे को खिसक कर उसके गोरे थोड़े मोटे पेट को चूमते हुए उसकी नाभि को चाटते हुए उसकी जाँघों के बीच आया और उसकी पैंटी को नीचे करके उतार दिया । उसने कमर उठाकर मेरी मदद की पैंटी में उतारने में। अब उसकी थोड़े से बालों वाली बुर पूरी फूली हुई मेरे सामने थी। उसकी फाँकें खुली हुई थी और उसकी भारी जाँघों के बीच वह बहुत सुंदर लग रही थी। मैंने उसकी जाँघों को पकड़कर ऊपर उठाया और घुटनो से मोड़कर उसकी छाती पर रख दिया। अब उसकी बुर और उसकी भूरि गाँड़ मेरे सामने थी।

मैंने अपने होंठ उसकी बुर पर रखे और वह हाऽऽऽय्य कर उठी । अब मेरी जीभ उसकी बुर को चोद रही थी और वह अपनी कमर उछाल रही थी। बिलकुल गीली होकर उसकी बुर ने अपनी प्यास दिखाई और मैं अपनी चड्डी उतारकर अपने लौड़े को उसके मुँह के पास लाया और वह बड़े प्यार से उसे चूसने लगी। अब मै भी बहुत गरम हो चुका था । मैंने अपने लौड़े को उसकी बुर में सेट किया और उसकी बुर में पूरा लौड़ा एक झटके में ही पेल दिया। वह आऽऽऽह करके अपनी मस्ती का इजहार करते हुए मेरे चूतरों पर अपनी टाँगे कैंची की तरह रख कर मुझसे चिपक गयी। और किसी रँडी की तरह अपनी गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी।

उसकी बुर से फ़च फ़च की आवाज़ आ रही थी। उसकी बुर मेरी बीवी की बुर से ज़्यादा टाइट थी। वह भी बहुत मज़े ले ले कर चुदवा रही थी। मैंने उसकी चूचियाँ दबाते हुए पूछा: क्यों जान मज़ा आ रहा है?

वो: आऽऽह मत पूछिए कितना अच्छा लग रहा है। बहुत प्यासी हूँ मैं। हाऽऽऽऽऽय्यय और चोओओओओओओओदो ।

मैं: ह्म्म्म्म्म्म मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है जान। हाय क्या टाइट बुर है तुम्हारी। आऽऽहहह क्या मस्त चूचे हैं। यह कहकर मैं चूचियाँ चूसने लगा।

वह: आऽऽहहहह मैं गईइइइइइइइइइइ उइइइइइइइइइ कहकर जल्दी जल्दी कमर उछालने लगी।

मैं भी अब जल्दी जल्दी धक्के मारने लगा और उसकी बुर में अपना वीर्य डालने लगा। वह भी हाय्यय कहकर झड़ गई और हाँफने लगी।

अब हम दोनों अग़ल बग़ल लेट गए। वो बोली: आपको एक बात बोलूँगी कि आज जो मज़ा आपने दिया वो मुझे आजतक कभी नहीं मिला। सच में आप पूरे मर्द हो।

मैं: हमने कोई प्रटेक्शन नहीं उपयोग किया कहीं तुम माँ ना बन जाओ।

वह: हा हा वो फ़िकर तो है ही नहीं क्योंकि मैं दूसरे बच्चे के जन्म के बाद ही अपना ऑपरेशन करवा ली थी।

मैं: चलो ये ठीक है फिर कोई ख़तरा नहीं है।अच्छा ये तो बताओ कि तुम्हारी डिलिव्री नोर्मल थी या सिजेरीयन थी।

वह: दोनों सिजेरीयन थीं।

मैं : तभी तुम्हारी बुर अभी भी मस्त है। सरिता की तो ढीली हो चली है क्योंकि उसकी बुर से ही बच्चे निकले थे।

यह कहते हुए मैंने दिर से उसकी बुर पर हाथ फेरा और बोला: जान सच में तुम इस उम्र में भी मस्त माल हो। फिर मैंने उसको करवट लिटाया और उसके मोटे चूतरों को दबाने लगा और उसकी गाँड़ में एक ऊँगली डाला और बोला: जान अब तो इसमें भी डालने का मन कर रहा है। लगता है कि तुम यहाँ भी चुदवाती हो।

अब तक मेरी दो ऊँगलियाँ आराम से घुस गयीं थीं। वह बोली: आऽऽह हाँ वो पहले तो हमेशा गाँड़ भी मारते थे। पर अब पिछले तीन महीने से ये भी प्यासी है।

मैं ख़ुश होकर बोला: आऽऽह क्या मस्त गाँड़ है अभी डालता हूँ मेरी जान अपना लौड़ा ।

फिर मैंने क्रीम लेकर उसकी गाँड़ और अपने लौड़े पर लगाया और उसकी गाँड़ के पीछे आकार उसके चूतरोंको दबाते हुए फैलाया और उसकी गाँड़ की सुराख़ में अपना लौड़ा धीरे से दबाने लगा।

मूसल उसकी टाइट गाँड़ में धँसता ही चला गया । अब मैंने उसकी गाँड़ की ठुकाई चालू की। वह भी अपनी गाँड़ को मेरे लौड़े पर दबा दबा के चुदवाने लगी। सामने हाथ लाकर मैं उसकी चूचियाँ भी मसल रहा था।

हम दोनों मज़े से भरकर चुदाई के आनंद में डूबे जा रहे थे। फिर मैंने ज़ोरों की चुदाई चालू की और वह भी हाऽऽऽय्य चिल्लाने लगी। अब मैंने उसकी बुर की clit को मसलना शुरू किया और वह उओइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी और मैंने भी अपना गरम माल उसकी गाँड़ में छोड़ दिया।

अब हम दोनों शांत हो चुके थे। फिर हम तैयार हुए और फ़्लैट से बाहर आए और उसकी कार के पास उसको अपनी कार से उतारकर मैं दुकान में वापस आ गया।

रात को जब पायल बाथरूम गयी ,मैंने उसको SMS किया : कैसी हो?
वो: ठीक हूँ, थैंक्स , बहुत मज़ा आया। दोनों शांत हैं।

मैं: दोनों कौन? मैंने तो सिर्फ़ तुमको शांत किया है।

वो: मेरा मतलब है दोनों छेद।

मैं:हा हा ।गुड नाइट।

वो: आज बीवी को करेंगे क्या?

मैं : नहीं। ताक़त ही नहीं है।

वो: अगर वो माँगेगी तो?

मैं: आह फिर तो करना ही पड़ेगा।

वो: बहुत लकी है वो जिसको आपके जैसा मर्द मिला है। चलो गुड नाइट।

मैं: गुड नाइट, कल मिलोगी?

वो: पूरी कोशिश करूँगी। बाई ।

फिर मैं भी सो गया। पायल भी आइ और सो गयी।
मैंने शशी को अपने से चिपटा कर कहा: आगे भी सुनना है क्या?

शशी: हाँ बुलबुल की तो अभी बात ही नहीं हुई।

मैं: हाँ बुलबुल की भी कहानी आगे बताता हूँ, पर कुछ मज़ा तो दे अभी। ये कहते हुए मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसको चूसने का इशारा किया। वह बड़े प्यार से मेरे लौड़े के सुपाडे को चूसने लगी और बोली: अच्छा मैं धीरे धीरे आपका चूसती हूँ आप आगे क्या हुआ बताते जाओ।

मैंने मुस्कुराकर उसकी बात मान ली और बताने लगा: ————
अगले दिन सुबह साधना का गुड मोर्निंग आया हुआ था और वह कई स्माइली भी भेजी थी। मैंने भी उसका जवाब दिया।फिर मैं दुकान चला गया। वहाँ भी उसके SMS आते रहे। जल्दी ही हम सेक्स की बातें करने लगे और दोपहर होते तक वह और मैं बहुत गरम हो गए। अब मैंने उसको लिखा कि चलो आओ ना फ़्लैट में चुदाई के लिए। वह लिखी:: मैं तो अभी आ जाऊँ पर क्या आपको फ़ुर्सत है?

मैं : हाँ आज मेरे बेटे की छुट्टी है तो वो अभी आएगा , तुम बोलो तो हम एक घंटे में मिलते हैं।

वो: ठीक है मैं आती हूँ।

फिर हम दोनों उस दिन भी फ़्लैट में मिले और इस बार तो वह पहले से भी ज़्यादा फ़्री थी। उसने खुलकर मेरा साथ दिया और हमने कई आसनों में चुदाई का मज़ा लिया। अब वह चुदाई में मेरा वैसे ही साथ दे रही थी जैसी मेरी बीवी देती थी।

हमारा ये सिलसिला क़रीब एक महीने तक चला। फिर शायद हम दोनों ही थोड़े एक दूसरे से बोर होने लगे। फिर हमारी मुलाक़ात कम होने लगी , कभी हफ़्ते में एक बार और आख़री में तो एक महीने में एक बार। मुझे भी तबतक एक दूसरी फुलझड़ी मिल चुकी थी। वह २०/२१ साल की एक कॉलेज की लड़की थी और मैंने उसको अपनी दुकान से ही पटाया था और पैसे की ज़रूरत को पूरा करने के लिए वह मुझे मज़ा दे रही थी। उसे कपड़े और cosmetics वग़ैरह ख़रीदने का बहुत शौक़ था और उसका यह शौक़ पूरा करने के लिए वह चुदाई के लिए तैयार थी। मैं भी उसकी यह ज़रूरत पूरी कर रहा था और वह मेरी टाइट बुर की ज़रूरत पूरी कर रही थी। इस आपाधापी में साधना को जैसे भूल ही गया था।

क़रीब एक महीने के बाद वो लड़की मुझे बताई कि उसका महीना नहीं हुआ। मैं थोड़ा परेशान हो गया और उसको उसको अपने एक दोस्त डॉक्टर के पास भेजा। वहाँ पता चला कि वो गर्भ से है। मैंने डॉक्टर को कहकर उसका गर्भपात करा दिया। अब मैंने उस लड़की से भी किनारा कर लिया और क़िस्मत से अगले महीने ही वह लड़की भी अपनी पढ़ाई पूरी करके दूसरे शहर चली गयी । और मैं फिर से अकेला हो गया था। सरिता तो थी पर उसे मैं घर की मुर्ग़ी ही समझता था और उसकी बुर अब ढीली भी हो चुकी थी। इस बीच साधना से एक दो बार मिला उसकी चुदाई की और उसको उस लड़की के गर्भवती और फिर गर्भपात के बारे में भी बताया। इस तरह दिन कट रहे थे।

तभी एक दिन मैं दुकान में आइ हुई एक कमसिंन लड़की की स्कर्ट से झाँकती गदराइहुई जाँघों को देख रहा था और अपना लौड़ा मसल रहा था। जब वह एक नीचे के शेल्फ़ में एक कपड़ा देखने के लिए झुकी तो उसकी गुलाबी पैंटी में फँसी हुई उसकी बुर अचानक मेरी आँखों के सामने थी। क्या मस्त माल है मैंने सोचा कि तभी साधना का फ़ोन आया। मैंने फ़ोन उठाया और हेलो बोला।

साधना: हाय कैसे हो आप?

मैं: मस्त हूँ, तुम सुनाओ क्या हाल है?

साधना की थोड़ी गम्भीर सी आवाज़ आयी, बोली: मिलना है आपसे कब फ़्री हो?

मैं: क्या हुआ आज बहुत दिन बाद खुजली हुई क्या? बहुत दिन बाद मिलने को कह रही हो।

वो: मुझे आपसे कुछ ख़ास बात करनी है। हम कॉफ़ी हाउस में भी मिल सकते हैं।

मैं: नहीं वहाँ नहीं। फ़्लैट ही में मिलते हैं।

फिर हम तय समय पर फ़्लैट में मिले। आज वह सलवार कुर्ते में थी। थोड़ी उदास दिख रही थी।

मैंने उसको अपनी बाहों में लिया और चूमते हुए बोला: क्या बात है कुछ परेशान लग रही हो?

वो: हाँ थोड़ा परेशान हूँ। आप बैठो ना बताती हूँ।
फिर हम सोफ़े पर बैठे और उसने कहना शुरू किया। वो बोली: आपको मैंने बताया था ना की मेरा एक बेटा है और बहु भी है। दरसल कल बहु ने बताया कि मेरे बेटे के स्पर्म में कुछ समस्या है और वह कभी बाप नहीं बन सकता।
लेकिन यह बात वह मेरे बेटे को नहीं बताना चाहती ताकि वह दुखी ना होए।

मैं: अरे इलाज कराओ ना उसका।

वो: डॉक्टर ने कहा है कि ये लाइलाज है। कल बहु रो रही थी और बोली: माँ बताइए ना क्या करूँ? उनको बताती हूँ तो वो दुखी होंगे। मैं उनको बोल दूँगी कि कमी मुझमें है। तब मैं बोली: इतना त्याग मत करो। कुछ और रास्ता खोजते हैं। तब मेरे मन में ये ख़याल आया कि उसको मेरे पति से ही बच्चा करवा दूँ। पर फिर सोचा कि आजकल तो इनका खड़ा ही नहीं होता तो क्या मर्दानगी बची होगी जो कि एक बच्चा ही पैदा कर सकें?

मैं: ओह फिर क्या सोचा?

वो: फिर आपका ख़याल आया। आपने अभी एक लड़की को एक महीने की चुदाई में गर्भवती कर दिया था तो क्यों नहीं आप मेरी बहु को भी माँ बना सकते?

मैं तो जैसे आसमान से गिरा और बोला: क्या कह रही हो? क्या तुम अपनी बहु को मुझसे चुदवाओगी ?

वो : हाँ यही तो आपसे कहने आयी हूँ।

मैं: और तुम्हारी बहु मान जाएगी? मेरा लौड़ा खड़ा होने लगा २३ साल की मस्त जवानी का सोचके। मैं उसको मसल दिया।

वो: हाँ वह तैयार है तभी तो आयी हूँ। देखो आपका तो सुनकर ही खड़ा हो गया । यह कहकर उसने मेरे खड़े लौड़े को पैंट के ऊपर से पकड़ लिया।

मैं: नाम क्या है बहु का? कोई फ़ोटो है?

वो: बुलबुल नाम है और ये उसकी फ़ोटो देखो मेरे मोबाइल में।

मैंने उसकी फ़ोटो देखा और मस्ती से बोला: यार मस्त माल है बुलबुल। बहुत मज़ा आएगा उसे चोदने में। मैंने फ़ोटो के ऊपर ही उसकी उठी और तनी हुई चूचियों को सहलाया और बोला: आह क्या मस्त चूचियाँ हैं। जब वह माँ बनेगी तो इसका दूध पिलाना होगा।

वो: पक्का पिलवाऊँगी। बस उसको माँ बना दो।

मैं: अरे ज़रूर से बना दूँगा। पर अभी तुम ही चुदवा लो उसकी जगह। यह कहकर मैंने उसकी चूचियाँ दबा दीं।

वो हँसते हुए बोली: मैंने कभी मना किया है क्या? फिर वो भी मेरे लौड़े को पैंट से बाहर निकाली और सुपाडे को नंगा किया और थोड़ा सहलाने के बाद मुँह में ले ली। मैंने मज़े से आँखें बन्द कर ली और उसके मुँह को चोदने लगा। और बोला: कब लाओगी बुलबुल को?

वो: कल ही लाऊँगी। फिर मैंने उसकी ज़बरदस्त चुदाई की और वह अगले दिन बुलबुल के साथ आने का कहकर चली गयी।
राज अपनी बात आगे बढ़ाया:—-

उस दिन साधना के जाने के बाद मैं रात को साधना को SMS किया: कैसी हो? क्या कर रही हो?

वह लिखी: ठीक हूँ अभी खाना खाया है। आप क्या कर रहे हो?

मैं:: अरे अपना लौड़ा दबा रहा हूँ बुलबुल की बुर के बारे में सोच कर।

वो : कल दिलवा तो रही हूँ।

मैं: तुम्हारा हबी क्या कर रहा है?

वो: यहाँ नहीं है , एक हफ़्ते के टूर पर हैं दोनों बाप बेटा।

मैं: ओह तो फिर मैं वहीं आ जाता हूँ और अभी चोद देता हूँ तुम दोनों को।

वो: नहीं हमारे साथ नौकर भी है। और हमारी सास भी रहती है। कल ही मिलेंगे।

मैं: अरे तो फ़ोन पर बात तो कर सकते हैं। बुलबुल और तुम्हारे साथ।

वो: नहीं मेरी सास कभी भी आ जाती है। वो ८२ साल की है पर बहुत तेज़ है। फिर आपकी वाइफ़ भी तो होगी वहाँ ना?

मैं: अरे मैं छत पर जाकर बात कर सकता हूँ।

वो: नहीं हम बात नहीं कर पाएँगे। मैं उसको लेकर कल आ तो रही हूँ।

मैं : चलो अब क्या हो सकता है, कल का इंतज़ार करते हैं। बाय । और फ़ोन काट दिया।
दुसरे दिन साधना बुलबुल को अपने साथ लेकर आई मै घर के अन्दर था और साधना ने दरवाजे के बाहर आकर डोरवेल बजायी और मै आकर दरवाजा खोला अब वो दोनों अंदर आयीं। बुलबुल ने मुझे नमस्ते की और साधना को मैंने अपने से लिपटा लिया। साधना मुझे बता चुकी थी कि बुलबुल हमारे रिश्ते के बारे में जानती है। अब मैं सोफ़े पर बैठा और वो भी सामने वाले सोफ़े पर बैठ गयीं।

साधना: तो ये बुलबुल है मेरी बहू। और आपके बारे में मैं इसे बता ही चुकी हूँ। बुलबुल अपना सिर झुकाए बैठी थी।
उसके गाल शर्म से लाल हो रहे लगे।

मैं: अरे बेटी, इतना क्यों शर्मा रही हो। तुम तो पाँच साल से शादीशुदा हो इन सब बातों को समझती हो। है कि नहीं? कोई कुँवारी बच्ची तो हो नहीं? सही कहा ना मैंने?

उसने हाँ में सिर हिलाकर मेरी बात से सहमती व्यक्त की। अब वो सहज होने लगी थी। मैंने साधना को देखा और कहा: आज तो इस रूप में तुम भी ग़ज़ब ढा रही हो।

साधना: अरे ये सब इस लड़की का किया धरा है। मुझे अपने जैसे कपड़े पहना कर लाई है। भला अब मेरी उम्र क्या इस तरह के कपड़े पहनने की है? सब तरफ़ माँस बाहर आ रहा है। वो अपने पेट को देखकर बोली।
मैं: अरे नहीं जान, इस ड्रेस में तो तुम्हारा मस्त बदन और क़यामत बरसा रहा है। सच में आज मैं अपनी क़िस्मत पर फूला नहीं समा रहा कि क्या माल मिले हैं
आज मुझे वो भी दो दो ।

साधना: मैं यहाँ नहीं रुकूँगी, बस अभी चली जाऊँगी। आप बुलबुल के साथ अपना काम कर लो। मैं दो घंटे के बाद उसे लेने आऊँगी।

मैं हँसते हुए बोला: तुम्हारा आना अपनी इच्छा से हुआ पर जाना मेरी इच्छा से होगा। अच्छा आओ बुलबुल बेटा, आओ हमारी गोद में बैठो। चलो तुमसे दोस्ती करते हैं। ये कहते हुए मैंने अपना आधा खड़ा लौड़ा पैंट में अजस्ट किया और बुलबुल को उसपर बैठने का इशारा किया।

बुलबुल झिझक रही थी तो उसकी सास उसे खड़ा की और मेरे पास लाकर मेरी गोद में बैठा दिया। बुलबुल तो मेरे खड़े हो रहे लौड़े पर बैठकर थोड़ा सा चिंहुकी और अपने चूतरों को हिलाकर बैठ गयी। और इधर मैं: अरे नहीं जान, इस ड्रेस में तो तुम्हारा मस्त बदन और क़यामत बरसा रहा है। सच में आज मैं अपनी क़िस्मत पर फूला नहीं समा रहा कि क्या माल मिले हैं आज मुझे वो भी दो दो ।

अब मैंने साधना के पेट को सहलाना शुरू किया और उसकी टॉप को उठा कर उसके नंगे पेट को चूमने लगा। उसकी नाभि भी जीभ से कुरेदने लगा। फिर मैंने हाथ बढ़ाकर बुलबुल की बाँह सहलाते हुए उसकी चूचि पकड़ ली। आऽऽह क्या सख़्त अनार सी चूचि थी। साथ ही मैंने अपना एक पंजा सीधा साधना की बुर के ऊपर उसकी पैंट के ऊपर से रख दिया और उसको मूठ्ठी में लेकर दबाने लगा। एक साथ सास और बहू की आऽऽऽह निकली। दोनों मेरे इस अचानक हमले के लिए तैयार नहीं थीं।

अब मैं बारी बारी से बुलबुल की चूचि दबा रहा था और साधना की बुर भी मसल रहा था। साधना: आऽऽऽह छोड़िए ना। आज नहीं, आज सिर्फ़ बुलबुल से मज़े लो। आऽऽहहहह मुझे जाने दो।

मैं: क्यों मज़ा ख़राब कर रही हो? देखो तुम्हारी बहु कितने मज़े से चूचियाँ दबवा रही है , तुम भी अपनी पैंट खोल दो अभी के अभी। ये कहते मैंने उसकी पैंट की ज़िपर नीचे कर दी और अंदर हाथ डाल दिया। मेरे हाथ उसकी बिलकुल गीली हो चुकी पैंटी पर थे और मैं बोला: देखो तुम्हारी बुर कितना पानी छोड़ रही है। चलो अब खोलो इसे और पहले मैं तुमको चोदूंग़ा और जब बुलबुल की शर्म निकल जाएगी तब उसे भी चोद दूँगा।

अब मैंने बुलबुल का टॉप खोला और वह हाथ उठाकर मुझे टॉप उतारने में मेरी मदद की। अब मैं ब्रा के ऊपर से उसकी बड़े अनारों के चूम रहा था। मैं: आऽऽहब क्या माल है तेरी बहु, आऽऽज बहुत मज़ा आएगा इसे चोदने में।

उधर साधना बोली: तो चोदो ना उसे पर मुझे जाने दो। मुझे बड़ा अजीब लगेगा इसके सामने चुदवाने में।

बुलबुल: माँ आप ये कैसी भाषा बोल रही हो?
मैं: अरे बेटा, चुदाई को तो चुदाई ही बोलेंगे ना? अब करवाएगी या मज़ा लेगी , इसका कुछ और मतलब भी हो सकता है, पर चुदाई का कुछ और मतलब सम्भव ही नहीं है । अब मेरी दो उँगलियाँ पैंटी के साइड से उसकी बुर में घुस गयीं। साधना हाय्य्यय कहकर उछल गयी। फिर मैंने उँगलियाँ निकाली और बुलबुल को दिखाकर बोला: देखो तुम्हारी सासु माँ की बुर कितनी चुदासि हो रही है। ये कहते हुए मैंने वो दोनों उँगलियाँ चाट लीं। बुलबुल की आँखें अब मेरे द्वारा किए जा रहे चूचि मर्दन से और मेरी बातों से लाल होने लगी थी और वह चूतड़ हिलाकर मेरे लौड़े को अपनी गाँड़ पर महसूस करके मस्त हुई जा रही थी।

अब मैंने साधना का पैंट का बेल्ट खोला और वह मेरे हाथ को हटाकर बोली: आप प्लीज़ मुझे जाने दो ना।
मैं: बुलबुल फ़ैसला करेगी कि तुम जाओगी या नहीं। बोलो बुलबुल क्या तुम चाहती हो कि तुम्हारी सासु माँ प्यासी रहे?

बुलबुल: नहीं मैं ऐसा क्यों चाहूँगी? माँ आप रुक जाओ ना।
साधना: तू भी इनकी तरफ़ हो गई? अभी तो चुदीं नहीं है तब ये हाल है, चुदाई के बाद तो मेरा साइड छोड़ ही देगी। अब हम तीनों हँसने लगे। अब साधना ने भी विरोध छोड़ दिया और अपनी पैंट उतार दी। काली पैंटी में उसका गोरा भरा हुआ बदन बहुत कामुक दिख रहा था। मैंने उसकी मोटी जाँघें सहलायीं और फिर पैंटी नीचे कर दिया। उसने पैंटी भी उतार दी। उसकी मोटी फूली हुई बुर मेरी और बुलबुल की आँखों के सामने थी।

बुलबुल भी इसे पहली बार देख रही थी। उसको आँखें वहीं चिपक गयीं थीं। अब मैंने साधना को अपने पास खिंचा और उसकी बुर पर अपना मुँह रख दिया और उसे चूसने और चाटने लगा। जल्दी ही उसकी आऽऽऽहहहह निकल गयी और वह मेरा सिर अपनी बुर पर दबाके अपनी कमर हिलाने लगी।
मेरे मुँह में उसकी दूसरी चूचि

एक हाथ से अभी भी मैं बुलबुल की चूचि दबा रहा था। अब मैंने अपना मुँह उठाया और फिर मैंने बुलबुल की ब्रा का स्ट्रैप खोला और उसकी नंगी चूचियाँ देखकर मैं जैसे अपने होश खो बैठा और उसकी चूचियाँ चूसने लगा ।अब मेरा हाथ साधना के बुर में ऊँगली कर रहा था और दूसरा हाथ उसकी एक चूचि दबा रहा था और मेरे मुँह में उसकी दूसरी चूचि थी।
अब वो दोनों आऽऽऽहहह कर रही थीं और अब बुलबुल खूल्लम ख़ूल्ला मेरे लौड़े पर अपनी बुर पैंट के ऊपर से रगड़ रही थी और उसकी कमर हिले जा रही थी। अब मैं बोला: चलो बिस्तर पर चलते हैं। वो दोनों मुस्करायीं और साधना बोली: चलो आपने मुझे इतना गरम कर दिया है कि अब बिना चुदवाने मुझे चैन नहीं आने वाला।

हम बेडरूम में पहुँचे और वहाँ साधना मेरे कपड़े उतारने लगी और मैंने उसका टॉप उतार दिया। फिर उसके ब्रा को खोलकर उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ नंगी हो गयी। उसने भी मुझे नंगा किया और मेरी चड्डी उतारकर मेरे लौड़े को पकड़कर बुलबुल को दिखाकर बोली: ये है इनका मस्त लौड़ा जो तुमको माँ बनाएगा। देखो इनके बालस कितने बड़े हैं और मस्त मर्दाना स्पर्म से भरे हुए हैं जो तुमको जल्दी ही क्या पता आज ही माँ बना देंगे।

बुलबुल मेरे लौड़े को और बॉल्ज़ को देखती रही।तब तक साधना नीचे बैठ गयी और मेरा लौड़ा चूसने लगी।और फिर वह बुलबुल को दिखाकर मेरे बालस चूसने लगी। अब मैं भी गरम हो गया था और मैंने बुलबुल की पैंट उतारी और उसकी पैंटी को देखकर मस्त हो गया जो की सामने से पूरी गीली थी। मैं समझ गया कि वह बहुत गरम है और बड़े मज़े से चुदवाएगी । उसकी पैंटी नीचे करके मैंने उसकी बुर को देखा और बिना झाँट के बुर को देखकर मेरे लौड़े ने साधना के मुँह में झटका मारा।

वह अब बहुत गरम थी और मैंने साधना को नीचे लिटाया और उसके ऊपर आकर उसे पागलों की तरह चोदने लगा। वह भी कमर उठकर मज़ा देने लगी। मैंने देखा कि बुलबुल भी बग़ल में आकर लेट गयी और अपनी बुर में ऊँगली डाल रही थी और हमारी चुदाई को ध्यान से देख रही थी। कमरा फ़च फ़च की आवाज़ों से गूँज रहा था और वह ध्यान से मेरे धक्कों को देख रही थी मानो वो भी कोई नया अजूबा देख रही हो।

मैं बोला: क्या बात है बुलबुल , क्या देख रही हो? तुम्हारा पति भी तो ऐसे ही चोदता होगा ना तुमको रोज़ ?

बुलबुल: मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते हैं और बड़े आराम से करते हैं। आपके जैसे जंगली की तरह नहीं करते।

तभी साधना हाय्य्य्य्य्य्य्य्य और ज़ोर से चोओओओओओदो चिल्लायी और बुलबुल हैरानी से अपनी सास को देखने लगी। वह अब ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर उछालकर हाय्य्यय आऽऽह करके झड़ने लगी। अब उसके झड़ने के बाद मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और अब बुलबुल के ऊपर आ गया। मेरा लौड़ा अभी भी पूरा खड़ा था और साधना की बुर के रस से गीला होकर चमक रहा था।
अपने लौड़े को बुलबुल की आँखों के सामने लाकर उसको झुलाते हुए मैं बोला: बुलबुल बेटा मर्दाना चुदायी ऐसी होटी है। क्या तुम्हारा पति भी ऐसे ही धमासान चुदाई करता है? देखो तुम्हारी सासु माँ क्या मस्ती से चुदायी।
अभी मैं तुमको ऐसे ही चोदूँगा। तुम कभी नहीं भूलोगी और मेरे पास बार बार आओगी चुदवाने जैसे तुम्हारी सास आती है।

बुलबुल: अंकल आपको पता है कि मैं आपके पास सिर्फ़ इस लिए आयी हूँ कि मुझे माँ बनना है । वैसे आपको बता दूँ कि मेरे पति भी मुझे बहुत अच्छी तरह से संतुष्ट करते है और उनका भी आपके जैसे ही बहुत बड़ा है। बस पता नहीं स्पर्म कैसे कम हो गए । इसीलिए आपके पास आयी हूँ। मैं उनसे बहुत प्यार करती हूँ। पर हाँ वो ऐसे ज़ोर ज़ोर से नहीं करते जैसे आप किए थे अभी माँ को!
मैं: अरे उसी जबदरस्त चुदाई में ही तो मज़ा है बेटा। अभी देखना कैसे तुमको मस्त करता हूँ। बेटी लड़की एक से ज़्यादा मर्द से भी तो प्यार कर सकती है। जैसे तुम्हारी सास अब मुझे भी प्यार करने लगी है। वैसे ही तुम भी बहुत जल्दी मुझे भी प्यार करने लगोगी। मैं भी तो अपनी बीवी से भी प्यार करता हूँ।

बुलबुल: आपकी सोच मेरे से अलग है।

मैं: अब तुम दोनों सुनो मेरी सोच तो यह है कि जब तुम्हारे पति का लौड़ा बहुत मस्त है तो साधना को बाहर आकर मुझसे चुदवाने की क्या ज़रूरत है वो तो अपने बेटे से भी चुदवा सकती है ना।

बुलबुल: क्या बकवास कर रहे हैं आप? भला ऐसा भी कहीं होता है? वो माँ बेटा हैं।
मैं: क्यों साधना, तुम्हारे बेटे का लौड़ा मस्त है और अगर बुलबुल को कोई ऐतराज़ ना हो तो क्या तुम अपने बेटे से चुदवा नहीं सकती?

साधना: छी कैसी बातें कर रहे है आप? छोड़िए ये सब बकवास और बुलबुल को चोदिए अब।

बुलबुल: एक बात पूँछुँ अंकल? आपकी बेटी को भी आप चोदना चाहोगे क्या?

मैं: सच बताऊँ, अगर पायल नहीं होती तो सच में मैं अपनी बेटी को चोद देता। बस उसके डर से नहीं चोदा। वरना जब वह जवान हो रही थी तो कई बार मन में आया कि मेरी जवान बेटी किसी दूसरे से क्यों चुदवाए वो भी मेरे जैसे चुदक्कड के होते हुए।

बुलबुल हैरानी से मुझे देख रही थी और मैंने अब अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर रखे और उसके होंठ चूसने लगा। अब मैं बुलबुल को चोद्ने की तैयारी करने लगा। मैंने देखा कि साधना बाथरूम से वापस आ गयी थी और हमारी टांगों की तरफ़ आकर बैठ गयी थी। अब वह मेरे बॉल्ज़ का मसाज़ करने लगी। मैं अब बहुत मस्त हो कर उसे चोदने की तैयारी करने लगा।
राज रुका और शशी को अपना लौड़ा चूसते देखकर उसकी चूचि दबाकर बोला: मज़ा आ रहा है चूसने में?

शशी: चूसने में तो आ ही रहा है पर आपकी बात में ज़्यादा मज़ा आ रहा है। आगे क्या हुआ ?

राज आगे बोलता चला गया…

अब बुलबुल की बुर में मैंने दो उँगलियाँ डालकर उसकी बुर और clit रगड़ने लगा और एक चूचि मुँह में और एक हाथ में लेकर उसके निप्पल्स को दबाने लगा। साधना मेरे बॉल्ज़ चाटने लगी। फिर मैं नीचे आया और बुलबुल की मस्त पूरी तरह से पनियाई हुई बुर को देखकर मस्ती से उसे चूम उठा। वह बहुत गरम होकर अपनी बुर को मेरे मुँह में अपने कमर उछालकर दबाने लगी।
अब साधना बोली: क्यों तड़पा रहे हो बच्ची को ,

अब डाल भी दो ना। ये कहते हुए वह मेरे अकड़ा हुआ लौड़ा मसल दी। मैंने अब बुलबुल की दोनों टाँगें पूरी तरह से फैलायी और उसके बीच में आकर अपना लौड़ा उसकी बुर के ऊपर सेट करके अपने लौड़े के सुपाडे से उसकी बुर के पूरे छेद और clit को लम्बाई में रगड़ने लगा। वह उइइइइइइइइ माँआऽऽ कर उठी।
मैं: बुलबुल बेटा, बोलो चोदूँ? बोलो ना।

बुलबुल: आऽऽहहह हाँ अंकल हाँ।

मैं : हाँ क्या? बोलो चोदूँ ?

बुलबुल: हाऽऽयय्यय क्यों तड़पा रहे हैं अंकल । चोदिए ना प्लीज़ आऽऽऽऽऽऽऽहहह

मैं: ठीक है तो डाल दूँ ना अब अंदर अपना लौड़ा ?

बुलबुल: हाय्य्य्य्य्य डालिए नाआऽऽऽऽ।

मैं: क्या डालूँ?

बुलबुल: हाऽऽऽऽऽय्यय आऽऽऽऽऽऽपका गरम लौड़ाआऽऽऽऽ आऽऽह और क्या।
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#5
साधना: क्यों तड़पा रहे हो चोदो ना अब उसको। देखो कैसी मरी जा रही है ये चुदवाने के लिए ।
मैंने मुस्कुराते हुए अपना लौड़ा उसकी गीली बुर में पेलना शुरू किया और टाइट जवान बुर मुँह खोलकर मेरा लौड़ा गपकते चली गयी। आऽऽहहह क्या ज़बरदस्त अनुभव था । उसकी बुर पूरे तरह से मेरे लौड़े को अपनी ग्रिप में जकड़ ली और मुझे बरसों के बाद बहुत मज़ा आया। अब मैंने चोदना शुरू किया। पहले धीरे धीरे से उसके होंठ और चूचि चूसते हुए और जल्दी ही ज़ोर से पिलाई करने लगा। वह पागलों की तरह चिल्ला कर आऽऽऽहहह हाय्य्यय और उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ उठाकर चुदवा रही थी।साधना उसके सिर के पास बैठ कर उसकी छाती सहला रही थी।

अचानक मुझे लगा की वह मुझसे बुरी तरह चिपक रही है और चिल्लाई : उओइइइइओओओओ हाऽऽऽऽऽऽय्य। मुझे लगा कि वह झड़ रही है। पर मैं रुका नहीं और चुदाई चालू रखा। अब मैं भी झड़ने वाला था पर मैं रुका और उसके होंठ चूसते हुए उसकी चूतरों को दबाने लगा। और बोला: बुलबुल मज़ा आ रहा है।
बुलबुल: आऽऽऽह बहुत मजाऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहा है। मैं तो एक बार झड़ भी गयी। अब दूसरी बार झड़ूँगी । आऽऽह आप चोदते रहिए। हाय्ययय क्या मस्त चोदते हैं आऽऽप। आऽऽऽहह।

मैं अब ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। मैंने उसकी टाँगें उठाकर उसकी छाती पर रख दी और पूरी ताक़त से धक्के मारने लगा। पूरा पलंग हिल रहा था और फ़च फ़च के साथ ही हाय्य्य्य्यय मरीइइइइइइइइ की आवाज़ें गूँज रही थीं।

साधना: थोड़ा धीरे से चोदो ना । क्या लड़की की फाड़ ही डालोगे।

बुलबुल: आऽऽऽऽऽह माँ चोदने दो ऐसे है , हाय्य्य्य्य क्या मजाऽऽऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाऽऽऽऽऽ है माँआऽऽऽऽऽऽ। सच ऐसे मैं कभी भी नहीं चुदीं। हूँ। उइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ । ये कहकर वो अपनी गाँड़ उठा के मेरे धक्कों का जवाब देने लगी। अब मैंने भी उसके दोनों चूतरों को एक एक हाथ में लिया और ज़बरदस्त धक्के मारने लगा। साधना अब उसके निप्पल्स दबाने लगी

मेरी एक ऊँगली उसकी गाँड़ के छेद को सहलाती हुई कब उसके छेद में घुस गयी मुझे भी पता नहीं चला। वह अब आऽऽऽहहह कर उठी। शायद उसका यह पहला अनुभव था गाँड़ में ऊँगली करवाने का ।

चुदाई अपने पूरे शबाब पर थी और साधना की साँसे फिर से फूलने लगी थी हमारी चुदाई देखकर। वह अब अपनी बुर में दो ऊँगली डालके मज़े ले रही थी। बुलबुल की मस्ती से भरी चीख़ें जैसे रुकने का नाम ही नहीं के रही थी। फिर अचानक वह चिल्लाई: आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं गइइइइइओओइओओओ । अब मैं भी झड़ने लगा। मैंने उसकी बुर के अंदर उसकी बच्चेदानी के मुँह पर ही अपना वीर्य छोड़ना शुरू किया। पता नहीं कितनी देर तक हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए अपने अपने ऑर्गैज़म का आनंद लेते रहे। साधना बोली: अब उठो भी क्या ऐसे ही चिपके पड़े रहोगे?

मैं धीरे से उसके ऊपर से उठा और उसके बग़ल में लेट गया और बोला: आऽऽहहह आज बहुत दिन बाद असली चुदाई का मज़ा आया। साधना , बुलबुल तो बनी ही है चुदवाने के लिए। तुम इसे कहाँ छुपा कर रखी थी।
बुलबुल मेरे नरम लौड़े से खेलते हुए बोली: मुझे क्यों ऐतराज़ होगा। उनका बेटा पहले है , मेरा पति तो बाद में बना है।

साधना उलझन के साथ बोली: बुलबुल क्या तुम भी यही चाहती हो?

बुलबुल: माँ आज की चुदाई के बाद तो मुझे ऐसी चुदाई की ज़रूरत पड़ेगी ही। अब वो आपका बेटा करे तो ठीक नहीं तो अंकल तो हैं ही मेरे लिए। क्यों अंकल आप मुझे ऐसे ही चोदेंगे ना हमेशा? वो मुझसे चिपकते हुए और मेरी छाती को चूमते हुए बोली। उसका हाथ अभी भी मेरे लौड़े को सहला रहा था।

साधना को सोच में देखकर मैं बोला: साधना, ज़्यादा सोचो मत । तुम दोनों उसको अच्छी तरह से सिखा दो और फिर मज़े लो घर के घर में।

साधना: हाँ लगता है आप ठीक ही कह रहे हो। अब बच्चा होने के बाद बुलबुल आपसे हमेशा तो चुदवा नहीं सकती ना।
बुलबुल: अंकल आपका फिर से खड़ा हो रहा है।
मैं: चलो चूसो इसको। साधना तुम भी आओ और दोनों मिलके चूसो। वह दोनों मिलकर मेरे लौड़े और बॉल्ज़ को चूसने लगीं और मैं आनंद से भर उठा। आऽऽह क्या दृश्य था सास और बहू दोनों मेरे को अद्भुत मज़ा दे रहीं थीं। फिर मैंने साधना को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी ज़बरदस्त चुदाई की , उसकी लटकी हुई चूचियाँ अब बुलबुल दबा रही थी। साधना उइइइइइइइइ आऽऽऽऽऽहहह उन्ह्ह्ह्ह्ह करके जल्दी ही झड़ गयी। अब मैंने बुलबुल को घोड़ी बनाया और उसकी भूरि गाँड़ के छेद को देखकर वहाँ जीभ डालके उसे चाटने लगा।वह आऽऽऽह कर उठी। फिर मैंने उसकी बुर में लौड़ा पेला और उसकी गाँड़ में दो ऊँगली डालके उसे ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा। क़रीब २० मिनट की घिसाई के बाद हम दोनों झड़ गए।

बाद में साधना अपने कपड़े पहनते हुए बोली: मुझे तो लागत है कि बुलबुल को आज ही गर्भ ठहर गया होगा। आप ऐसी चुदाई किए हो आज कि मैं भी हिल गयी।
बुलबुल मुझसे लिपट कर बोली: थैंक यू अंकल ।
इतना मज़ा दिया और अगर माँ भी बन गयी तो सोने पे सुहागा हो जाएगा।

मैं: अगर का क्या मतलब बेटा, माँ तो बनोगी ही। देखना भगवान ने चाहा तो इस महीने तुम्हारा पिरीयड आएगा ही नहीं।

साधना मेरे लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाके बोली: सब इसका कमाल है । आह क्या मस्ताना हथियार है आपका।

हम तीनों हँसने लगे। फिर अगले दिन मिलने का कहकर वो चली गयीं।
शशी ने लौंडे को चूसते हुए पूछा : फिर क्या हुआ ?

मैं: बस इसी तरह चूदाई चलती रही और उसका अगले महीने पिरीयड नहीं आया। फिर दो तीन महीने बाद वह चुदवाना बंद कर दी। बाद में साधना बताई कि वह भी अपने बेटे से ही चुदावाने लगी थी, और अब बुलबुल और वह दोनों उससे ही अपनी बुर की प्यास बुझवाते थे। समय पर उसके एक बेटा हुआ और वो मुझे उसे दिखाने मेरी दुकान पर आयीं। बहुत सुंदर और प्यारा लड़का था । बस इसके बाद कभी कभी वो दुकान पर आतीं हैं तो मुलाक़ात हो जाती है ,वरना वह अपने घर ख़ुश और मैं अपने घर ख़ुश ।

यही कहानी है बुलबुल के माँ बनने की, अब तुम्हारी बारी है , तुम भी इसी महीने गर्भ से हो जाओगी, देखना?

फिर मैंने उसका सिर अपने लौंडे से हटाया और उसको लिटाकर उसकी ज़बरदस्त चूदाई की। अपना वीर्य मैंने उसकी बच्चेदानी के मुँह पर ही छोड़ा ताकि वो भी जल्दी से माँ बन जाए।
शशी को चोदने के बाद राज जैसे बाथरूम से बाहर आया उसका फ़ोन बजा। रश्मि थी वो बोली: नमस्ते भाई साब , कैसे हैं?

राज: नमस्ते भाभी जी बढ़िया हूँ। आपको मिस कर रहा हूँ। आप और डॉली बिटिया की बड़ी याद आ रही थी।

रश्मि: मैंने कूरीयर से डॉली की कुंडली भेज दी है। आप पंडित जी से मिलवा लीजिएगा।

राज: अरे अब उन दोनों के दिल मिल गए हैं कुंडली भी मिल ही जाएगी। और शादी के बाद वैसे भी बाक़ी सब का भी मिलन हो ही जाएगा। यह कहते हुए वह कमिनी हँसी हँसा।

रश्मि: भाई सांब आप भी क्या क्या बोलते हैं । सगाई की कोई तारीख़ का सोचा आपने?

राज: अरे आप कल आ जाइए ना फिर हम दोनों पंडित से कुंडली भी मिलवा लेंगे और सगाई की तारीख़ भी तय कर लेंगे। और फिर हम अपनी भी दोस्ती और पक्की कर लेंगे। वह फिर से फूहड़ सी हँसी हँसा। रश्मि को उसके इरादों में गड़बड़ी दिखाई दी पर वह क्या कर सकती थी।
राज भी बाई करके फ़ोन काटा और अपने लौड़े को सहलाते हुए सोचा कि साली क्या माल है, मज़े तो लूँगा ही।

शशी जो उसे ध्यान से देख रही थी बोली: आप समधन को ठोकने का प्लान बना रहे हैं। है ना?

राज: साली मस्त माल है और अपने जेठ से ठुकवा रही है। मैं भी लाइन लगा लिया हूँ। यह कहते हुए वह हँसने लगा।
रात को जय से बात हुई तो वह बोला: आज मेरी डॉली से बात हुई । वह बहुत संस्कारी लड़की है।

राज : हाँ बहुत प्यारी लड़की है। उसकी माँ एक दो दिन में आएगी और हम पंडित से मिलेंगे तुम्हारी सगाई की तारीख़ के लिए।
जय: ठीक है पापा अब मैं सोता हूँ।

राज हँसते हुए: क्या डॉली से रात भर बात करनी है?

जय: नहीं पापा वो ऐसे ही, हाँ उसको गुड नाइट तो करूँगा ही। फिर वह हँसते हुए अपने कमरे में चला गया। उसके जाने के बाद वह भी सो गया । अगले दिन रश्मि का फ़ोन आया : नमस्ते भाई सांब ।

राज: नमस्ते जी। क्या प्लान बनाया है आपने?

रश्मि: जी कल आऊँगी और पंडित जी से सगाई की बात भी कर लेंगे।
राज: कौन कौन आएँगे?

रश्मि: मैं और जेठ जी आएँगे।

राज : चलिए बढ़िया है आइए और कल ही प्लान फ़ाइनल करते हैं। बस एक रिक्वेस्ट है?

रश्मि: कहिए ना , आप आदेश दीजिए। रिक्वेस्ट क्यों कर रहे हैं?

राज: आप गुलाबी साड़ी पहन कर आइएगा। आप पर बहुत जँचेगी।

रश्मि: ओह,आप भी ना, ये कैसी फ़रमाइश है भला? देखती हूँ , मेरे पास है कि नहीं। बाई।

राज भी अपना लौड़ा दबाते हुए सोचा कि क्या मस्त लगेगी वह गुलाबी साड़ी में।

राज सोचने लगा कि ये तो जेठ के साथ आ रही है । उसकी बात कैसे बनेगी? वह बहुत सावधानी से धीरेधीरे आगे बढ़ना चाहता था। उसने सोचा चलो देखा जाएगा।
राज ने जय को बताया कि कल उसकी होने वाली सास आ रही है। जय मुस्कुरा कर दुकान चला गया और शशी राज की खिंचाई करने लगी, रश्मि को लेकर। राज ने उस दिन शशी की ज़बरदस्त चुदाई की उसको रश्मि का सोचकर।
शशी की ज़बरदस्त चुदाई

अगले दिन जय के जाने के बाद अमित और रश्मि आए। राज ने रश्मि को देखा और देखता ही रह गया । वह गुलाबी साड़ी में मस्त क़ातिल माल लग रही थी। अमित भी जींस और शर्ट में काफ़ी स्मार्ट लग रहा था। उसकी और राज की उम्र में कोई ज़्यादा अंतर नहीं था। हाँ रश्मि उनसे छोटी थी करीब ४५ की तो वो भी थी।
साड़ी उसने नाभि दर्शना ही पहनी थी और ब्लाउस भी छोटा सा था और पीछे से पीठ भी करीब पूरी नंगी ही थी। ब्लाउस में से उसके कसे स्तन देखकर राज के लौड़े ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया था। उससे तेज़ सेण्ट की ख़ुशबू भी आ रही थी।

राज: आप लोग कैसे आए?

अमित: बस से आए। अब सब बैठ गए।

राज ने शशी को आवाज़ दी और वह पानी लाई

राज ने देखा कि अमित शशी के ब्लाउस के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा था। वह समझ गया कि ये भी उसके जैसे ही कमीना है। वह मन ही मन मुस्कुराया।

रश्मि: भाई सांब , पंडित जी से बात हुई क्या?

राज: हाँ हुई है ना। अभी चाय पीकर वहाँ जाएँगे।

फिर सब चाय पीने लगे। इधर उधर की बातें भी होने लगी।

अमित: बस से आए। अब सब बैठ गए।

राज ने शशी को आवाज़ दी और वह पानी लाई।

राज ने देखा कि अमित शशी के ब्लाउस के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा था। वह समझ गया कि ये भी उसके जैसे ही कमीना है। वह मन ही मन मुस्कुराया।

रश्मि: भाई सांब , पंडित जी से बात हुई क्या?

राज: हाँ हुई है ना। अभी चाय पीकर वहाँ जाएँगे।

फिर सब चाय पीने लगे। इधर उधर की बातें भी होने लगी।

पंडित को राज ने एक दिन पहले ही सेट किया था। देखना था कि पंडित कितना मेनेज कर पाता है रश्मि को।
कार पंडित के घर के पास रुकी और रश्मि अपना पल्लू ठीक करते हुए कार से उतरी और उसके बड़े दूध राज को मस्त कर गए। पंडित की उम्र क़रीब ६५ साल की थी। उसके घर में बैठने के बाद राज ने कुंडलियाँ देखीं और थोड़ी देर में ही गुँण मिलने की घोषणा कर दिया। अब अमित और राज एक दूसरे को बधाई देने लगे। रश्मि ने भी बधाई दी।

अब राज रश्मि को बोला: भाभी जी , ये बहुत पहुँचे हुए ज्ञानी पंडित जी हैं। आप अपना हाथ इसे दिलाइए। बहुत सटीक भविष्य वाणी करते हैं।

रश्मि बहुत उत्सुकता से अपना हाथ उनको दिखाई।

पंडित ने उसका हाथ देखा और बोला: मैं आपको अकेले में बताऊँगा । आप दोनों थोड़ा बाहर जाइए।
राज और अमित बाहर आ गए।

पंडित उसके मुलायम हाथ को सहला कर बोला: देखो बेटी, मैंने तुम्हारे हाथ को रेखाओं में कुछ अजीब चीज़ देखी है, इसीलिए तुमको बता रहा हूँ।

रश्मि: क्या हुआ पंडितजी ? कुछ गड़बड़ है क्या?

पंडित: अरे नहीं बेटी, अब तुम बिना पति के अपनी बिटिया की शादी करने जा रही हो ना? तो तुम बहुत ख़ुश क़िस्मत हो कि तुमने बहुत अच्छा परिवार मिला है रिश्ते के लिए।

रश्मि ख़ुश होकर: जी पंडित जी , आप सही कह रहे हैं।

पंडित: एक बात और ये रेखा बता रही है कि तुम्हें अब एक नया प्रेमी मिलने वाला है जो तुमको बहुत प्यार करेगा।
रश्मि चौंक कर बोली: छि पंडित जी , ये क्या कह रहे हैं? भला इस उम्र में मुझे ये सब करना शोभा देता है क्या? ये नहीं हो सकता।
पंडित: बेटी, मैं तो वही बताऊँगा जो कि रेखाएँ दर्शा रही है। तुम्हारे जीवन में अब कोई पुरुष आने वाला है जो कि तुम्हें बहुत प्यार करेगा ।

रश्मि: आपने तो मुझे उलझन में डाल दिया। अच्छा सगाई की तारीख़ कब की निकली?
पंडित: अगले महीने की दस को।

रश्मि ने पंडित के पैर छुए और उसे दक्षिणा दी। पंडित मन ही मन मुस्कुराया और सोचा किउसने राज का काम शायद सही तरीक़े से कर दिया है।

रश्मि बाहर आइ और बोली: चलिए सगाई की तारीख़ अगले महीने की १० को निकली है।

अमित: पंडित ने तुमको अकेले में क्या बताया?

राज ने ध्यान से देखा कि उसके गाल शर्म से लाल हो गए थे। वह बोली: बस ऐसे ही कुछ डॉली और जय के बारे में बता रहे थे। कुछ ख़ास बात नहीं है। चलिए अब ।

राज ने देखा किपंडित ने अपना काम ठीक से कर दिया है। अब उसका काम है दाना डालने का। वो कमिनी मुस्कान लाकर सोचा कि अब इसे पटाना है।
मुझे नाम से ही बुलाइए

राज : चलो कहीं कॉफ़ी हाउस में कॉफ़ी पीते हैं।
फिर वो सब एक कॉफ़ी हाउस पहुँचे।
बहुत सही जा रहे हो डिअर…
अपडेट बड़े नहीं ले रहा तो कोई बात नहीं… आप छोटे छोटे अपडेट डालते रहो…’मज़ा आ रहा हँ…
इस वक़्त जब कोई भी लेखक बहे अपडेट नहीं डाल प् रहा होगा तो आपके छोटे छोटे अपडेट सभी पाठकगण
बड़े चाव से पड़ेंगे… यानि मामला टी आर पि का हँ बॉस….
जितने ज्यादा अपडेट उतनी थी ज्यादा व्यूज मिलेगी…
बेस्ट ऑफ़ लक…
कॉफ़ी हाउस में अमित और राज रश्मि के आजु बाजु बैठे। इन्होंने एक कैबिन लिया था ।
राज: भाभी जी क्या लेंगीं?
रश्मि: आप मुझे भाभीजी मत कहिए , मैं तो आपसे छोटी हूँ। आप मुझे नाम से ही बुलाइए।
राज: अच्छा रश्मि क्या लोगी कॉफ़ी के साथ?
रश्मि: मुझे तो सिर्फ़ कॉफ़ी पीनी है।
तभी अमित का फ़ोन बजा और वह बाहर चला गया कहकर कि एक मिनट में आया।
राज : आप कुछ खाती नहीं क्योंकि आपको अपना फिगर बनाए रखना है ना ?
रश्मि: काहे का फ़िगर ? कितनी मोटी तो हूँ मैं?
राज: तुम और मोटी? तुम्हारा फ़िगर तो किसी को भी पागल कर दे रश्मि। सच कहता हूँ कि तुममें जो बात है ना वह मुश्किल से किसी में मिलती है। मैं बताऊँ मुझे तो तुम्हारी जैसी भरी हुई औरतें ही अच्छी लगती हैं । मेरी वाइफ़ का भी फ़िगर बिलकुल तुम्हारे जैसे ही था । मस्त भरा हुआ बदन।
ये सब उसने उसकी चूचि को घूरते हुए कहा।
रश्मि की हालत काफ़ी ख़राब हो रही थी, इस तरह की तारीफ़ सुनकर। आख़िर तो वह भी एक औरत ही थी, जिसे अपने रूप का बखान अच्छा लगता है।

रश्मि: क्या भाई सांब आप तो मेरे पीछे ही पड़ गए।
राज ने हिम्मत की और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला: रश्मि सच में तुम्हें देखकर मुझे अपनी स्वर्गीय बीवी की याद आती है । वह भी बिलकुल तुम्हारी जैसी प्यारी थी।
ये कहते हुए उसने अपने आँसू पोछने की ऐक्टिंग की ।
रश्मि भावुक हो गयी और बोली: आप बहुत अच्छे हैं, भाई सांब । कई लोग तो बीवी के जाते ही नयी शादी कर लेते हैं । आपने ऐसा नहीं किया।

राज: अगर तुम जैसी कोई मिल जाती तो मैं वो भी कर लेता।

रश्मि: क्या भाई सांब आप भी कुछ भी बोल देते हैं?

राज : मैं तो दिल की बात कर रहा हूँ। वैसे एक विचार आया है, क्यों ना हम दोनों भी उसी मंडप में शादी कर लें जिसने जय और डॉली की शादी होगी? क्या कहती हो?

उसने रश्मि का हाथ सहलाते हुए कहा।

रश्मि हंस दी: आप भी ना , कोई ऐसा मज़ाक़ भी करता है?

राज: रश्मि, जब तुम हँसती हो तो और भी सेक्सी लगती हो।

रश्मि: छी ये क्या बोल रहे हैं। राज ने देखा कि वह अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाने का कोई प्रयास नहीं कर रही थी ।
रश्मि सोचने लगी किक्या पंडित जी ने राज के बारे में ही कहा था कि उसके ज़िंदगी में प्यार आएगा।

तभी अमित अंदर आया और अपनी कुर्सी ओर बैठ गया। रश्मि ने अपना हाथ राज के हाथ से छुड़ा लिया था। अमित के बैठने के बाद राज ने रश्मि का हाथ टेबल के नीचे से फिर पकड़ लिया था। रश्मि ने भी मना नहीं किया। अब वह उसकी नरम और गुदाज कलाई को सहलाए जा रहा था। तभी राज की नज़र अमित के पीछे रखे आइने पर पड़ी और वह चौक गया। अमित ने भी उसकी एक कलाई को अपने हाथ में लेकर सहलाना शुरू कर दिया था।

बेचारी रश्मि दो दो मर्दों के हाथों में अपना हाथ दे रखी थी। तभी कोफ़्फ़ी आयी और रश्मि ने बेज़ारगी से राज को देखा और उसने उसका हाथ छोड़ दिया।

राज ने देखा की अमित अब भी उसकी कलाई सहला रहा था ।फिर वो उसकी जाँघ भी सहलाने लगा ।

राज ने भी हिम्मत की और अपना एक हाथ उसके घुटने पर रख दिया। रश्मि चौक कर उसकी ओर देखी। पर कुछ नहीं बोली।

फिर जब अमित का हाथ उसकी जाँघ पर ज़्यादा ही ऊपर की ओर आ गया तब वह अमित से बोली: भाई सांब , आपकी कुर्सी पीछे करिए ना मुझसे टकरा रही है। अमित समझ गया कि वह कुर्सी के बहाने उसे जाँघ से हाथ हटाने को कह रही है। उसने हाथ भी हटा लिया और कुर्सी भी खिसका ली।

राज ने आइने में सब देखा और फिर अपना हाथ धीरे से उसकी जाँघ पर फेरने लगा , रश्मि ने उसकी तरफ़ देखा पर वह चुपचाप उसकी जाँघ सहलाता रहा। अब रश्मि के चुप रहने से उसकी हिम्मत भी बढ़ी और वह जाँघ को हल्के से दबाने भी लगा। रश्मि की बुर में हलचल होने लगी।

अमित तो उसको चोदते ही रहता था पर राज का स्पर्श नया था और पंडित भी बोला था कि नया प्रेमी मिलेगा। तभी राज ने अपना चम्मच नीचे गिरा दिया और उसको उठाने के बहाने रश्मि की साड़ी को भी थोड़ा सा उठा दिया और उसकी पिंडलियां सहलाने लगा। नरम नरम भरी हुई पिंडली और घुटना मस्त लगा उसको।

रश्मि भी उसकी हिम्मत की दाद देने लगी। उसने अपना हाथ राज के हाथ पर रखा और उसे हटाने को इशारा किया। पर राज की तो हिम्मत जैसे और बढ़ गयी। वो उसकी साड़ी को और उठाके उसकी नरम गुदाज जाँघ सहलाने लगा। रश्मि की आह निकल गयी। अमित ने पूछा क्या हुआ?

रश्मि: कुछ नहीं मुँह जल गया थोड़ी ज़्यादा गरम है कोफ़्फ़ी ।

तभी राज का हाथ उसकी जाँघ में और आगे बढ़ता हुआ उसकी पैंटी से थोड़ा ही दूर था । तभी वेटर बिल ले आया और उसने अपना हाथ बाहर निकाल लिया और अपनी उँगलियाँ चाट लिया। रश्मि उसके इशारों को समझ गयी और उसका चेहरा लाल हो चुका था । उसकी बुर पैंटी को गीला करने लगी थी । फिर वो कोफ़्फ़ी हाउस से बाहर आए।
राज बाहर आते हुए बोला: चलिए आपको दुकान दिखाया जाए और जय से भी मिल लेना।
मस्त नरम कमर है तुम्हारी

रश्मि: हाँ हाँ मुझे दामाद से तो मिलना ही है चलिए। कोफ़्फ़ी हाउस बाहर आते आते राज ने उसकी नंगी कमर को हल्के से छुआ और वो सिहर उठी। राज धीरे से उसके पीछे चलते हुए बोला: मस्त नरम कमर है तुम्हारी।
रश्मि: आप अब बच्चों जैसी हरकत बन्द करिए आपको शोभा नहीं देती ।

अमित आगे चल रहा था अब राज ने उसके चूतड़पर भी हल्के से हाथ फेरा। वह मुड़कर उससे बोली: क्या कर रहे हैं। कोई देख लेगा।

राज: सॉरी । और फिर वो कार में बैठकर दुकान की ओर चल पड़े।

दुकान में जय ने उनका स्वागत किया और उसने अमित और रश्मि के पैर छुए। रश्मि ने उसे आशीर्वाद दिया और प्यार से उसका माथा चूमा। ऐसा करते हुए उसकी बड़ी चूचियाँ जय की ठुड्डी को छू गयीं और राज को जय से जलन होने लगी।

जय उन दोनों को बड़े उत्साह से दुकान दिखा रहा था। और राज की नज़र अपनी समधन के बदन से हट ही नहीं रही थी। फिर अमित जय के साथ men सेक्शन में कपड़े देखने लगा और राज रश्मि को बोला: चलो मैं तुम्हें कुछ ख़ास साड़ियाँ दिखाता हूँ। वह उसे लेकर साड़ी के काउंटर में पहुँचा और उसको कई शानदार साड़ियाँ दिखाकर बोला: ये सब तुमको बहुत अच्छी लगेंगी। अपने ऊपर लपेट कर देखो।

रश्मि उदास होकर बोली: भाई सांब, अभी तो मुझे डॉली के लिए कपड़े लेने है और शादी में बहुत ख़र्च होगा इसलिए मैं अपने लिए तो अभी कुछ नहीं खरिदूँगी।

राज: अरे तुमसे पैसे भला कौन माँग रहा है। तुम बस साड़ी पसंद करो मेरी ओर से गिफ़्ट समझना।
रश्मि: नहीं नहीं मैं आपसे कैसे गिफ़्ट ले सकती हूँ? हम तो लड़की वाले हैं।
राज: अगर डॉली के पापा होते तो तुम्हारी बात सही होती पर अभी इसका कोई मतलब नहीं है। ठीक है? मैं चाहता हूँ कि ये गिफ़्ट तुम मेरी प्रेमिका बन कर लो।
रश्मि हैरानी से बोली: ये आप क्या बोल रहे हैं? मैं कैसे आपकी प्रेमिका हो सकती हूँ भला?
राज: क्यों मर्द और औरत ही तो प्रेम करते हैं । तो हम क्यों नहीं कर सकते?
रश्मि उठकर जाने लगी तब राज बोला: तुम्हें मेरी क़सम है अगर तुम बिना साड़ी लिए गई तो ।
रश्मि फिर से बैठ गयी और बोली; सब पूछेंगे तो मैं क्या बोलूँगी कि गिफ़्ट क्यों ली?
राज ने जेब से ५४००/ निकाले और उसको देकर बोला: कहना कि तुमने साड़ी अपने बचाए हुए पैसों से ख़रीदी है।
वो चुपचाप पैसे रख ली और फिर २ साड़ियाँ ली एक अपने लिए और एक डॉली के लिए।
अपनी साड़ी उसने राज की पसंद की ही ली थी। राज ने उसे साड़ी के ऊपर ही साड़ी पहनने में मदद भी की और इस बहाने उसके गुदाज बदन का भी मज़ा लिया। उसके हाथ एक बार उसकी चूचि पर भी पड़े और दोनों सिहर उठे।
काउंटर पर पैसे देने के समय राज बोला: क्यों जय अपनी सास और बीवी की साड़ियों के पैसे लेगा
जय ने पैसे नहीं लिए और साड़ियाँ पैक करके रश्मि को दे दीं।
रश्मि धीरे से बोली: और वो पैसे जो आपने मुझे दिए उनका क्या?
राज: मेरी तरफ़ से कुछ अच्छी सी झूमके ले लेना। तुम पर बहुत सजेंगे।
रश्मि मुस्कुराती हुए बोली: शादी मेरी नहीं मेरी बेटी की हो रही है।

राज अब ख़ुश था उसको पता चल गया था कि उसे पैसों की ज़रूरत है और वह रश्मि को पटाने में क़रीब क़रीब सफल होने जा रहा था।
समधन को कहाँ छोड़ आए

अमित बोला: अब चलते हैं, आप हमें बस स्टॉप पर छोड़ दो।
राज : खाना खा कर जाना अभी इतनी जल्दी क्या है।
रश्मि: नहीं अभी जाना होगा। अब सगाई की तैयारी भी तो करनी है।
राज उनको बस स्टॉप तक ले गया। जब अमित टिकट लेने गया तब राज ने रश्मि का हाथ पकड़ लिया और बोला: रश्मि मुझे तुमसे प्यार हो गया है। तुम चाहो तो मैं तुमसे शादी करने को तैयार हूँ।
रश्मि: काश आप मुझे पहले मिले होते तो मैं आपसे शादी कर लेती पर अब तो बहुत देर हो चुकी है।
राज: तो क्या हमारा प्यार ऐसे ही दम तोड़ देगा। कमसे कम कुछ समय तो हमें एकांत में आपस में बातें करते हुए बिताना चाहिए।
रश्मि: मैं भी आपसे मिलना चाहती हूँ, पर देखिए भाग्य को क्या मंज़ूर है।
राज: हम चाहें तो हम ज़रूर मिल सकते हैं। मैं तुम्हें फ़ोन करूँगा ठीक है?
रश्मि: फ़ोन नहीं SMS करिएगा।

फिर अमित को आते देख राज ने रश्मि के हाथ को एक बार और दबाया और फिर उसका हाथ छोड़ दिया।

अब अमित बस में चढ़ गया पर साड़ी के कारण रश्मि को चढ़ने में थोड़ी दिक़्क़त हो रही थी। राज ने उसकी कमर और चूतरों को दबाकर उसको ऊपर चढ़ा दिया। वो मुस्कुरा कर पलटी और प्यार से थैंक्स बोलकर गाड़ी में बैठ गयी और बस चली गयी।

राज रश्मि के बारे में सोचते हुए अपने घर को वापस आया। घर पर शशी खाना लगा रही थी।

वो आँख मारकर बोली: समधन को कहाँ छोड़ आए?
राज उसको खींचकर अपनी गोद में बिठाया और बोला: समधन को मारो गोली। यहाँ तू तो है ना मेरे लिए । ये बोलते हुए उसकी छातियाँ दबाते हुए उसके होंठ चूसने लग। शशी ने कोई विरोध नहीं किया। वो भी सुबह से चुदासि थी। उसको अपनी गोद से हटाकर राज खड़ा हुआ और अपनी पैंट और चड्डी निकाल दिया। उसका खड़ा लौड़ा बुरी तरह से अकड़ा हुआ था ।
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#6
वह वापस सोफ़े पर बैठा और शशी को ज़मीन में बिठाया और वह उसकी जाँघों के बीच आके उसका मोटा लौड़ा चूसने लगी। थोड़ी देर बाद वह शशी को सोफ़े पर उलटा लिटाया और उसकी साड़ी और पेटिकोट को एक साथ ऊपर चढ़ाया और उसके नंगे चूतरों को दबाकर उसको सोफ़े के किनारे पर लाया और उसकी कमर को पकड़कर उसकी टाँगे फैलाकर उसकी बुर में पीछे से अपना लौड़ा पेल दिया। वो अब उसे चौपाया बनाकर बुरी तरह से चोदने लगा। उसने आँखें बन्द की और रश्मि के चेहरे को याद किया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा।

शशी की चीख़ें निकलने लगी और वह आऽऽऽऽहहह मरीइइइइइइओइ उइइइइइइइ कहकर मज़े से चुदवाने लगी। जल्दी ही शशी झड़ने लगी। अब उसने रस से सना अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसने उसपर थूक लगाया और ऊँगली में ढेर सारा थूक लेकर उसकी गाँड़ में दो ऊँगली डाल कर अंदर बाहर करने लगा। शशी चीख़ी :आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जलन हो रही है।
पर आज तो राज कुछ भी सुनने को जैसे तैयार नहीं था । वह सामने पड़ी क्रीम की शीशी से क्रीम निकाला और शशी की गाँड़ में लगाया और अपने लौड़े पर भी मला और फिर उसकी गाँड़ में अपने लौड़े का सुपाड़ा अंदर करने लगा।
शशी चिल्लाई: आऽऽऽऽंह दर्द हो रहा है।
पर राज आज कुछ अलग ही मूड में था। उसने आधा लौड़ा एक धक्के में ही अंदर कर दिया। और अगले धक्के में पूरा लौड़ा आँड तक पेल दिया।
अब वह शशी की गाँड़ को ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा। कमरा ठप ठप की आवाज़ों से और शशी की हाय्य्यय उइइओओइओओ मरीइइइइइइइ गूँजने लगा।
जल्दी ही शशी भी मज़े में आ गयी और अपने चूतरों को पीछे दबाके पूरा मज़ा लेने लगी। अब राज ने अपनी चुदाई की गति बढ़ाई और वह आऽऽहहहह ह्म्म्म्म्म्म करके झड़ने लगा। उसने नीचे हाथ बढ़ाकर शशी की बुर में भी तीन ऊँगली डाली और उसकी clit को भी रगड़ा। शशी भी उइइइइइइइओ माँआऽऽऽऽऽऽ कहकर झड़ गयी। अब राज उसके अंदर से अपना लौड़ा निकाला और बाथरूम में जाकर सफ़ाई करके बाहर आकर नंगा ही सोफ़े पर बैठा। शशी भी बाथरूम से आयी और उसंके पास बैठ गयी।
इतनी बुरी तरह से चोद रहे थे

शशी: आज आपको क्या हो गया था? इतनी बुरी तरह से चोद रहे थे?

राज: बस ऐसे ही , सुबह से रश्मि ने बहुत गरम कर दिया था। वैसे तुम्हारी गाँड़ बहुत मस्त है। दुःख रही होगी ना?
शशी: नहीं दुखेगी? पूरी फाड़ दी है आपने। ख़ून भी आ गया है।

राज: क्या करूँ? इतनी सुंदर दिख रही थी कि रहा नहीं गया और पेल दिया। पर बहुत मज़ा आया । और हाँ मज़ा तो तुमको भी आया क्योंकि चूतड़ दबाकर पूरा लौड़ा निगल रही थी तुम भी।

शशी: जी मज़ा तो आया पर अब दुःख रही है।

राज उठा और एक मलहम लेकर आया और बोला: चलो साड़ी उठाओ मैं ये मलहम लग देता हूँ। जब मैं पायल याने अपनी बीवी की गाँड़ मारता था तब भी ये क्रीम लगा देता था।

शशी उठी और अपनी साड़ी उठायी और अपने चूतरों को उसके सामने करके आगे को झुकी और अपने चूतरों को फैला दी। उसकी बुरी तरह से लाल गाँड़ का छेद उसके सामने था । उसने छेद को फैलाकर उसकी गाँड़ में उँगली से क्रीम डाली और बाद में उसके छेद के ऊपर भी क्रीम लगा दिया। शशी: आह अब आराम मिल रहा है। ये कहकर उसने अपनी साड़ी नीचे गिरा दी।
अब वह बाथरूम जाकर हाथ धोया और फिर जाकर लेट गया और रश्मि के बदन की ख़ुशबू को याद करते हुए सो गया।
शाम को उसने रश्मि को sms किया: हाई , क्या हो रहा है?

रश्मि का जवाब थोड़ी देर से आया: बस सगाई की प्लानिंग।

राज: हम्म और मुझे मिस कर रही हो?

रश्मि: आप मिस कर रहे हैं क्या?

राज: बहुत ज़्यादा मिस कर रहा हूँ।

रश्मि: मैं भी मिस कर रही हूँ।

राज: अच्छा मैं तुमको कैसा लगता हूँ?

रश्मि: अच्छे लगते हैं।

राज: मेरा क्या अच्छा लगता है?

रश्मि: आपकी बातें और आपका अपनापन दिखाना।

राज: बस और कुछ नहीं?

रश्मि: और अभी देखा ही क्या है अभी तक?

राज: तुम मौक़ा तो दो, और सब भी दिखा देंगे।

रश्मि: छी , कैसी बातें कर रहे हैं? कुछ तो उम्र का लिहाज़ कीजिए।

राज: उम्र का क्या हुआ? ना मैं अभी बूढ़ा हुआ हूँ और तुम तो अभी बिलकुल जवान ही धरी हो।

रश्मि: मेरी बेटी जवान हो गयी है और आपका बेटा भी जवान हो गया है और आप मुझे जवान कह रहे हैं?

राज: ज़रा शीशे में देखो क्या मस्त जवान हो तुम। तुम्हारे सामने तो आज की जवान लड़कियाँ भी पानी भरेंगी।

रश्मि: आप भी मुझे शर्मिंदा करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ते।

राज: मैं सही कह रहा हूँ। तुम्हारे सामने तो अब क्या बोलूँ? तुम बुरा मान जाओगी।

रश्मि: नहीं मानूँगी, बोलिए क्या बोलना है?

राज: तुम डॉली से भी ज़्यादा हसीन हो जानेमन। रश्मि इस सम्बोधन से चौंकी और लिखी: अच्छा अब रखती हूँ।
राज: नाराज़ हो गयी क्या?

रश्मि: अब आप माँ बेटी में तुलना कर रहे हो, तो क्या कहूँ?

राज: अच्छा चलो जाने दो, ये बताओ अब कब मिलना होगा?

रश्मि: अभी तो कुछ पक्का नहीं है। देखिए कब भाग्य मिलाता है हमें।

राज: ठीक है , इंतज़ार रहेगा। बाई ।

रश्मि: बाई।
राज ने सोचा कि गाड़ी सही लाइन पर है।

अगले कुछ दिन राज ने पूरा दिन सगाई की प्लानिंग में लगाया। वह चाहता था कि पूरा फ़ंक्शन बढ़िया से हो। रश्मि से वह sms के द्वारा बात करते रहता था। तभी अमित का एक दिन फ़ोन आया कि वह राज के शहर आ रहा है ताकि सारी बातें सगाई की अच्छी तरह से हो जाएँ। रश्मि नहीं आ रही है ये जान कर वह काफ़ी निराश हुआ।
अगले दिन अमित आया और दिन भर दोनों सगाई की तैयारीयों का जायज़ा लिया और फिर दोपहर को खाना एक रेस्तराँ में खाया। राज ने बीयर ऑर्डर की तो अमित बोला किमैं तो जिन पियूँगा। राज बीयर और अमित जिन पीने लगा। जल्दी ही अमित को चढ़ गयी।

राज ने सोचा कि इससे नशे की हालत में रश्मि की कुछ बातें की जाएँ।

राज: अमित भाई ये तो बताओ कि रश्मि इस उम्र में भी इतनी सुंदर कैसे है?

अमित थोड़े से सरूर में आकर: पता नहीं यार, मगर भगवान उसपर कुछ ज़्यादा ही मेहरबान हैं। देखो ना इस उम्र में भी क्या क़यामत लगती है।

राज: वही तो देखा जाए तो इस उम्र में औरतें मोटी और बेडौल हो जाती हैं, पर वह तो अभी भी मस्त फ़िगर मेंटेंन की है।

अमित: हाँ भाई सच है अभी भी मस्ती से भरी हुई लगती है।

राज: एक बात पूँछुँ बुरा तो नहीं मानोगे?

अमित नशे में : पूछो यार अब तो हम दोस्त हो गए।

राज: वो विधवा है और तुम दोनों एक ही घर में रहते हो। तुम्हारा ईमान नहीं डोलता ?

वह जान बूझकर पूछा हालाँकि उसको तो पता था कि वो रश्मि की चुदाई करता रहता है।

अमित झूमते हुए : अब यार तुमसे क्या छपाऊँ, सच तो ये है जब मेरा भाई इसको ब्याह के लाया था तभी से मैं उसका दीवाना हो गया था।

राज: ओह तो क्या तुम उसकी इसके पति के जीते जी ही पटा चुके थे।

अमित: हाँ यार , मेरी बीवी बीमार रहती थी और जवानी का मज़ा नहीं देती थी। और मेरा छोटा भाई भी इसे ज़्यादा सुख नहीं दे पाता था। सो ये मुझसे जल्दी ही आसानी से पट गयी। सच तो ये है कि डॉली मेरी ही बेटी है।

राज उसका मुँह देखता रह गया।

राज: ओह ये बात है। तो क्या अभी भी तुम उसको चो- मतलब करते हो?
अमित: हाँ यार पर सबसे छुपाकर। मगर मुझे शक है कि घर में सबको पता है और सब चुप रहते हैं। पर हम अभी भी खूल्लम ख़ूल्ला कभी नहीं करते।

राज: यार तुम तो बहुत लकी हो ।

अमित: लगता है कि तुमको भी पसंद है वो। है ना? मैंने तुमको उसे कई बार घूरते देखा है।

राज: हाँ यार सच में बोम्ब है वो, मेरी नींद ही उड़ा दी है उसने।

अमित: तुम चाहो तो उसे पटा सकते हो?

राज: वो कैसे?

अमित: देखो अभी हमें पैसों की बहुत ज़रूरत है अगर तुम इस समय उसकी मदद कर दोगे तो वह तुम्हारे सामने समर्पण कर देगी।

राज: ओह ऐसा क्या?

अमित: वो इस समय ज़ेवरों को लेकर बहुत चिंतित है। तुम इसमे उसकी मदद कर सकते हो।

राज: अरे ये तो बहुत ही सिम्पल सी बात है। मैं अपनी बीवी के ज़ेवर पोलिश करवा के उसे दे दूँगा और वो उसे मेरी बहु को दे देगी। इस तरह घर का माल घर में वापस आ जाएगा। और सबकी इज़्ज़त भी रह जाएगी।

अमित: वाह क्या सुझाव है। वो तो तुम्हारे अहसान तले दब ही जाएगी। तुम उससे मज़े कर लेना।

राज: तुमको बुरा तो नहीं लगेगा।

अमित: यार इसमें बुरा लगने की क्या बात है? यार औरत होती है चुदाई के लिए। तुमसे भी चूद जाएगी तो क्या उसकी बुर घिस जाएगी?

राज: आऽऽह यार तुमने तो मस्त कर दिया। अभी उसे फ़ोन लगाऊँ क्या?

अमित: लगाओ इसमे क्या प्रॉब्लम है।

राज रश्मि को फ़ोन लगाया।

रश्मि: हाय ।

राज: हाय कैसी हो?

रश्मि: ठीक हूँ।

अमित ने इशारा किया कि स्पीकर मोड में डालो और मेरे बारे में यहाँ होने की बात ना करो। ये कहते हुए उसने आँख मारी।

राज: क्या कर रही हो? अमित बोल रहा था कि तुम सगाई की तैयारी में लगी हो।
रश्मि: हाँ बहुत काम है अभी। अमित भाई सांब चले गए क्या वापस?

राज ने आँख मारते हुए कहा: हाँ वो वापस चले गए। वो बता रहे थे कि तुम ज़ेवरों के लिए बहुत परेशान हो?

रश्मि: वो क्या है ना मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि बहुत महँगे ज़ेवर ख़रीद सकूँ तो थोड़ी सी परेशान हूँ।

राज: अरे इसमे परेशानी की क्या बात है। तुम ऐसा करो कि कल यहाँ आ जाओ और मेरी बीवी के ज़ेवर पसंद कर लो। तुम उनको ही अपनी बेटी को दे देना। वह आख़िर मेरे घर में वापस आ जाएँगे। मुझे पैसे का कोई लालच नहीं है। मुझे तो बस अपने बेटे की ख़ुशी के लिए डॉली जैसी प्यारी बहु चाहिए।

रश्मि: ये क्या कह रहे हैं आप । क्या आप सच में ऐसा करेंगे? मेरी तो सारी परेशानी ही दूर हो जाएगी।
राज: अरे मैं यही तो चाहता हूँ कि तुम्हारी सारी परेशानी दूर हो जाए। तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। और तुमको परेशान नहीं देख सकता।

अमित मुस्कुराया और आँख मारी।

रश्मि: तो मैं कब आऊँ?

राज : अरे कल ही आ जाओ और ज़ेवर पसंद कर लो तो मैं उनको पोलिश करवा दूँगा।

रश्मि: ठीक है मैं कल अमित भाई सांब के साथ आ जाऊँगी।

राज : अरे वो तो अभी वापस गया है क्या फिर से कल वापस आ पाएगा?

रश्मि: ओह हाँ देखिए मैं उनको बोलूँगी आ सके तो बढ़िया वरना अकेली ही आ जाऊँगी।

राज: तुम मुझे बता देना तो मैं तुमको लेने बस अड्डे आ जाऊँगा। बस एक रिक्वेस्ट है।

रश्मि: बोलिए ना ?

राज: कल आप काली साड़ी और स्लीव्लेस ब्लाउस में आओगी।

रश्मि: आप भी ना , मुझे हमेशा हेरोयन की तरह सजने को कहते रहते हैं।
राज: क्या करूँ? दिल से मजबूर हूँ ना। आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
रश्मि: भाई सांब आप भी ना ।
राज: एक बात बोलूँ अमित बहुत लकी है जो हमेशा तुम्हारे साथ रहता है। मुझे तो उससे जलन हो रही है।
रश्मि हड़बड़ाकर : उन्होंने ऐसा कुछ कहा क्या?
राज: क्या कहा? किस बारे में पूछ रही हो?
रश्मि: वो कुछ नहीं।
अमित मुस्कुराया और फिर आँख मारी।
राज: एक बात पूछूँ ? बुरा ना मानो तो?
रश्मि: पूछिए।
राज: देखो तुम्हारे पति के जाने के बाद अमित तुम्हारा बहुत ख़याल रखता है । वह तुमको बहुत घूरता भी है। तुम दोनों में कुछ चल रहा है क्या?
रश्मि: क्या भाई सांब , आप भी, ऐसा कुछ नहीं है। वो मेरे जेठ जी हैं।
अमित फिर से मुस्कुराया।
राज: अच्छा चलो छोड़ो ये सब ,कल मिलते है। हाँ काली साड़ी याद रखना।
रश्मि हँसते हुए : ठीक है काली साड़ी ही पहनूँगी। बाई।
राज: बाई ड़ीयर । उसने फ़ोन काट दिया।
अमित: अरे अपने मुँह से थोड़े मानेगी। वह बहुत तेज़ औरत है।
राज: चुदाई में मज़ा देती है?
अमित: अरे बहुत मज़ा देती है। वह बहुत प्यासी औरत है। पटा लो और ठोको।
राज: देखो कल क्या होता है? वैसे तुम वापस आओगे क्या उसके साथ?
अमित: अरे नहीं। तुम मज़े लो। मैं आऊँगा तो तुम्हारा काम बिगड़ जाएगा।
राज : थैंक्स यार।
अमित: अब वापस जाता हूँ।
राज: चलो तुमको बस अड्डे छोड़ देता हूँ।
राज उसे छोड़कर घर जाते हुए सोचने लगा कि कल देखो रश्मि का बैंड बजता है कि नहीं।
सुबह शशी के हाथ की चाय पीते हुए राज पूछा: शशी तुम्हारा पिरीयड कब आता है?
शशी: जी अगले चार पाँच दिन में आ जाना चाहिए।
राज मुस्कुराया: इस बार नहीं आएगा। मुझे पक्का विश्वास है कि तुम गर्भ से हो जाओगी।
शशी ख़ुशी से उसकी गोद में बैठ कर उसको चूम ली और बोली: बस राजा आपकी बात सच हो जाए तो मेरा जीवन ही सँवर जाएगा।
राज: उसकी चूचि दबाते हुए बोला: अच्छा अपने पति से भी चुदवाती रहती हो कि नहीं?
शशी मुँह बना कर: हाँ वह भी तीन चार दिन में एक बार कर ही लेता है पर पाँच मिनट में आहह्ह करके साला खलास हो जाता है।
राज: चलो ना मैं तो तुमको एक एक घंटे रगड़ता ही हूँ ना। वो चोदे या ना चोदे क्या फ़र्क़ पड़ता है।
तभी रश्मि का sms आया: अभी बात कर सकती हूँ?
राज ने शशी की बुर को सलवार के ऊपर से दबाकर आँख मारकर कहा: समधन से बात करूँगा।
शशी: हमको भी सुनना है प्लीज़।
राज ने फ़ोन लगाया और स्पीकर मोड में डाल दिया। शशी की सलवार का नाड़ा खोला और उसकी पैंटी में हाथ डालकर उसकी बुर को सहलाते हुए बोला: हाय रश्मि कैसी हो?
रश्मि : मैं ठीक हूँ, आपको ये बताना था कि अमित भाई सांब तो मना कर दिए आने के लिए। अब मैं अकेली ही आऊँगी ।
राज ने शशी की बुर में दो ऊँगली डाली और बोला: कितने बजे तक आ जाओगी?
रश्मि: मैं क़रीब ११ बजे तक तो आ ही जाऊँगी। मैं आपको फ़ोन कर दूँगी बस अड्डे से।
राज: नहीं, तुम मुझे पहले फ़ोन कर देना, ताकि तुम्हें बस अड्डे पर इंतज़ार ना करना पड़े।
फिर राज ने उसके बुर से उँगलियाँ निकाली और उनको चाट लिया। शशी ने उसके हाथ में हाथ मारा और कान में कहा: छी क्या गंदे आदमी हो।

रश्मि: ठीक है भाई सांब।

शशी की चूचि दबाते हुए राज बोला: वो काली साड़ी याद है ना और स्लीव्लेस ब्लाउस भी। तुम्हें इस रूप में देखने की बहुत इच्छा है।

रश्मि: अब मैं आपको क्या बोलूँ, साड़ी तो है पर ब्लाउस चार साल पुराना है छोटा हो गया है। उसमें साँस रुक रही है। समझ नहीं आ रहा है कि क्या करूँ।

राज: अरे ये समस्या तो सरिता को भी आती थी, हर दो साल में उसका बदन भर जाता था और ब्लाउस यहाँ तक की ब्रा भी छोटी हो जाती थी। वो इसका दोष मुझे देती थी हा हा कहती थी कि मैंने दबा दबा कर बड़ा कर दिया, हा हा । बहुत मज़ाक़िया थी वो।

बातों बातों में राज कमीनेपन पर उतर आया था।

रश्मि: क्या भाई सांब कैसी बातें कर रहे हैं वह भी स्वर्गीय भाभी जी के बारे में।

राज: अरे वही तो, फिर वह ब्लाउस की सिलाई खोल लेती थी और फिर से सिल लेती थी ढीला करके। पर ब्रा तो नई लाता था मैं बड़े साइज़ की, हा हा।

शशी उसको देखते हुए फुसफुसाई : बहुत कमीने साहब हो आप।

रश्मि: आप भी ना कुछ भी बोले जा रहे हैं। मैं समझ गयी कि मुझे क्या करना है। अच्छा अब रखती हूँ, बाई।
राज : ठीक है मिलते हैं। बाई।
अब फ़ोन काटकर वह शशी को बोला: आज रश्मि आ रही है क़रीब १२ बजे। मैं चाहता हूँ कि तुम अपना काम करके खाना लगा कर ११:३० बजे तक चले जाना।
शशी: तो आज समधन की चुदाई का प्लान है, है ना?
राज: सही सोचा तुमने, कोशिश तो करूँगा ही। अब चुदाई होगी या नहीं यह तो रश्मि पर निर्भर है।
शशी: ठीक है मैं जल्दी चली जाऊँगी आप मज़े करना। वह यह कहकर उसकी गोद से उठी और किचन में जाने लगी।
राज: शशी आज तुमको नहीं चोदूंग़ा । मैं चाहता हूँ कि अपना माल बचा कर रखूँ रश्मि के लिए।

शशी हंस कर बोली: कहीं उसको भी प्रेगनेंट मत कर देना?
राज: हा हा नहीं अब इस उम्र में क्या होगा उसका?

फिर वह नहाने चला गया। थोड़ी देर बाद जय भी उठकर आया और शशी ने उसे भी चाय दी।
राज: आज तुम्हारी सास आ रही है।

जय: हाँ डॉली का SMS आया है अभी। क्यों आ रहीं हैं?
राज: सगाई के बारे में कुछ बात करनी है उसने।
जय: ओह तो क्या मेरा होना भी ज़रूरी है?
राज: अरे नहीं बेटा तुम उसमें क्या करोगे? वैसे मैं उनको तुमसे मिलवाने दुकान में ले आऊँगा ।
जय: ठीक है पापा अब मैं नहा लेता हूँ।
फिर बाद में दोनों नाश्ता किया और जय दुकान चला गया। शशी भी खाना बनाने लगी।
राज ने अपने बेडरूम का दरवाज़ा बंद किया और तिजोरी से हीरे के तीन सेट निकाले और कुछ सोने के भी निकाले । फिर वह उनको देखकर सोचने लगा कि रश्मि पर कौन सा ear ring अच्छा लगेगा। फिर उसने एक हीरे का कान का झुमका पसंद किया। अब वह तैयार था रश्मि का दिल जीतने के लिए।
राज ने आज एक बढ़िया टी शर्ट और जींस पहनी और सेंट लगाकर स्पोर्ट्स शू पहने। आज वह रश्मि को पटाने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ना चाहता था।

शशी जा चुकी थी और वह अब तैयार था तभी रश्मि का फ़ोन आया : मैं बस अड्डे पहुँचनी वाली हूँ।
राज: बस मैं अभी दस मिनट मे पहुँच रहा हूँ।

राज की कार जब बस अड्डे पहुँची तो बस अभी आइ नहीं थी।

वह इंतज़ार कर रहा था तभी बस आयी और फिर उसमें से रश्मि उतरी काली साड़ी में। आह क्या जँच रही थी। उसका गोरा दूधिया बदन मस्त दिख रहा था काली साड़ी में। कसी साड़ी में छातियों का उभार पहाड़ सा दिख रहा था। जब वह पास आइ तो पारदर्शी साड़ी से उसका गोरा पेट और गहरी नाभि देखकर राज का लौड़ा झटके मार उठा।

तभी एक स्कूटर उसके पास आकर हॉर्न बजाया और वह पलटी उससे दूर होने के लिए और राज की तो जैसे साँस ही रुक गयी। क्या मस्त बड़े बड़े गोल गोल चूतड़ थे। बहुत ही आकर्षक दिख रहे थे।टाइट पहनी साड़ी से पैंटी की लकीरें भी साफ़ दिख रही थीं। अब तो उसको अपना लौड़ा पैंट में अजस्ट करना ही पड़ा।

जब वह पास आइ तो उसने हाथ जोड़कर उसे नमस्ते की और उसने भी उसके हाथ को पकड़कर कहा: नमस्ते। सफ़र में कोई परेशानी तो नहीं हुई?

रश्मि: दो घंटे में क्या परेशानी होगी?

राज: अरे इतनी हॉट दिख रही हो किसी ने रास्ते में तंग तो नहीं किया?

रश्मि: आप भी ना ,मेरे साथ एक महिला ही बैठी थी ।
राज : चलो तब ठीक है, अगर कोई आदमी होता तो तुमको तंग कर डालता।
रश्मि: अब चलिए यहाँ से पता नहीं क्या क्या बोले जा रहे हैं।
राज: चलो,कार वहाँ है।
फिर राज ने कार चालू की और बातें करने लगा।

राज: तो काली साड़ी पहन ही ली। थैंक्स मेरी बात रखने के लिए।

रश्मि: अब आप इतनी बार बोले थे तो आपकी बात तो रखनी ही थी।

राज उसकी ब्लाउस को देखते हुए बोला: पर वो ब्लाउस का हल कैसे निकला?
रश्मि हँसकर: वैसे ही जैसे आपने कहा था। साइड से थोड़ा ढीला करी हूँ।
राज: और ब्रा का ? अब तुम काले ब्लाउस के नीचे सफ़ेद ब्रा तो पहन नहीं सकती ना?
रश्मि शर्माकर: आप भी ना, कोई महिला से ऐसा सवाल करता है भला?
राज: फिर भी बताओ ना ?
रश्मि: डॉली के पास काली ब्रा थी वही पहनी हूँ।
राज चौंक कर: डॉली बेटी की? पर उसके तो तुमसे काफ़ी छोटे हैं ना ? उसकी ब्रा तुमको कैसे आएगी?
रश्मि: वह कोई बच्ची नहीं है २२ साल की लड़की है। मेरा और उसके साइज़ में दो नम्बर का ही अंतर है।इसलिए उसकी मुझे थोड़ी टाइट है पर काम चला ली हूँ। राज बेशर्मी से उसकी छाती को देखकर बोला: तुम्हें तो ४० की आती होगी?
रश्मि: आप भी ना, कोई ४० का साइज़ नहीं है।
राज: तो ३८ तो होगा ही, मेरी बीवी का भी यही साइज़ था।
रश्मि: अब आप सही बोल रहे हैं।
राज : इसका मतलब डॉली का भी ३६ के आसपास होगा। हालाँकि लगता नहीं उसका इतना बड़ा । तो डॉली की ब्रा भी तुमको तंग तो होगी ही ना।
रश्मि: पर मेरी पुशशी ३४ वाली से तो बेटर है।
राज: हाँ वो तो है।
रश्मि: आप डॉली की ब्रा का साइज़ भी भाँप रहे थे क्या? ये तो बड़ी ख़राब बात है।
राज: अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं है। पर तुम्हारे और उसके साइज़ की तुलना की बात कर रहा था।
रश्मि: चलिए अब इस बात को ख़त्म कीजिए।
राज: मैं तुम्हें घर जाकर सरिता की ब्रा दे दूँगा वो तुमको बिलकुल फ़िट आ जाएगी। हाँ कप साइज़ थोड़ा तुम्हारा बड़ा लगता है। चलो अभी के लिए चला लेना।

और सुनाओ सगाई की तैयारियाँ कैसी चल रही है?

रश्मि: ठीक ही चल रही है। बस अमित भाई सांब काफ़ी मदद कर रहे हैं।

राज: अमित भी तुम्हारी बड़ी तारीफ़ कर रहा था।

रश्मि चौंक कर: कैसी तारीफ़?

राज: अरे ऐसे ही जैसे तुम बहुत समझदार और शांत हो वगेरह वगेरह।

रश्मि : ओह , वो भी तो बहुत अच्छे हैं।

राज: वो तो है। पर बिचारा पत्नी के स्वास्थ्य को लेकर बहुत दुखी रहता है। पता नहीं उसका विवाहित जीवन कैसा होगा? उसकी बीवी को देखकर तो लगता है कि वो पता नहीं बिस्तर पर उसका साथ भी दे पाती होगी कि नहीं?
रश्मि थोड़ी सी परेशान हो गयी, वो बोली: चलिए छोड़िए ना कोई और बात करिए ना।

राज: तुम्हें तो ऐसा नहीं कहना चाहिए, क्योंकि हम तीनों की एक जैसी हालत है। तुम्हारे पति नहीं है , मेरी पत्नी नहीं रही और अमित की पत्नी होकर भी ना होने के बराबर है। सही कह रहा हूँ ना?

रश्मि: हाँ ये तो है।

राज: मुझे तो बहुत परेशानी होती है अकेले रहने में। मुझे तो औरत की कमी बहुत खलती है। पता नहीं तुम्हारा और अमित की क्या हालत है।

रश्मि: देखिए सभी को अकेलापन बुरा लगता है, पर किया क्या जाए?

राज: करने को तो बहुत कुछ किया जा सकता है, पर थोड़ी हिम्मत करनी पड़ती है।क्यों ठीक कहा ना?

रश्मि: मैं क्या कह सकती हूँ।

घर पहुँचकर राज उसे सोफ़े पर बिठाकर उसे पानी पिलाता है। फिर रश्मि: आपकी मेड शशी नहीं दिख रही है?
राज: आज उसे कुछ काम था इसलिए वो खाना बनाके जल्दी चली गयी है।

रश्मि: मैं आपके लिए चाय बना दूँ?

राज : अरे आप क्यूँ बनाएँगी? मैं आपके लिए बना देता हूँ।

रश्मि उठी और किचन की ओर जाते हुए बोली: आप बैठिए मैं बनाती हूँ। वह जब उठ कर जाने लगी तो उसकी चौड़ी मटकती गाँड़ देखकर वह पागल सा हो गया और उसके चूतरों में थोड़ी सी साड़ी भी फँस गयी थी। वह अपना लौड़ा मसलने लगा।

तभी किचन से आवाज़ आइ: भाई सांब थोड़ा आइए ना।

राज अपना लौड़ा अजस्ट करते हुए किचन में गया।

रश्मि एक चाय के डिब्बे को निकालने की कोशिश कर रही थी जो की काफ़ी ऊपर रखा था। राज उसके पीछे आकर उसके चूतरों में अपना लौड़ा सटाते हुए उस डिब्बे को निकाला और उसके बदन से आ रही मस्त गंध को सूंघकर जैसे मस्त हो गया। रश्मि ने भी उसके डंडे का अहसास किया और काँप उठी।

फिर वह चाय बना कर लाई। राज कमरे में नहीं था।

तभी वह बेडरूम से बाहर आया और उसके हाथ में एक काली ब्रा थी। वो बोला: देखो, ये ट्राई कर लो , इसमें तुम्हें आराम मिलेगा।

रश्मि लाल होकर: ओह आप भी , मुझे बड़ी शर्म आती है। ठीक है बाद में पहन लूँगी।

राज: अरे जाओ अभी बदल लो। इसने शर्म की क्या बात है।

रश्मि उठी और उसके बेडरूम में जाकर ब्रा बदल कर वापस बाहर आइ तो वह बेशर्मी से उसकी छाती को घूरते हुए बोला: हाँ अभी ठीक है। आराम मिला ना? डॉली के इतने बड़े थोड़ी है, इसी लिए उसमें तुम्हारी साँस रूकती होगी। सरिता और तुम्हारा एक साइज़ है तो आराम मिल रहा होगा। हैं ना?

रश्मि सिर झुका कर: हाँ ये ठीक है।

अब दोनों चाय पीने लगे।
रश्मि जय और उसके बिज़नेस का पूछने लगी। वो बातें करते रहे। राज को नज़र बार बार उसके उभरे हुए पेट और नाभि पर जाती थी।

राज: चलो अब तुम्हें गहने दिखाता हूँ।

वह बेडरूम की ओर चला। रश्मि थोड़ा हिचकते हुए उसके पीछे वहाँ पहुँची।
राज ने उसे बेड पर बैठने का इशारा किया और वह सेफ़ खोला और उसमें से ज़ेवर के डिब्बे निकाल कर लाया। फिर उसने सब डिब्बे खोकर बिस्तर पर फैला दिए । रश्मि की आँखें फट गयीं इतने ज़ेवर देख कर।

रश्मि: भाई सांब ये तो एक से एक बढ़िया हैं।

राज : इनमे से कौन सा डॉली बिटिया पर जँचेगा बोलो।

रश्मि: ये बहुत बढ़िया है। देखिए ।

राज: हाँ सच कह रही हो। और ये वाला तुमपर जचेंगा । ये कहते हुए उसने एक सेट उसको दिखाया।
रश्मि: मुझे कुछ नहीं चाहिए। आप मेरे ऊपर बहुत बड़ा अहसान कर रहे हो डॉली को सेट देकर। अब मैं आपसे ये कैसे ले सकती हूँ।

राज: चलो छोड़ो ये ear rings देखो । ये तुम्हारे कान में बहुत जचेंगा।

रश्मि: मैं नहीं ले सकती।

राज: चलो मैं ही पहना देता हूँ।

यह कहकर वो उसके कान के पास आकर उसे ख़ुद पहनाने लगा। वह अब मना नहीं कर रही थी। उसकी साँसे रश्मि की साँस से टकरा रही थीं। उसकी नज़दीकियाँ उसे गरम कर रही थीं। उसका लौड़ा अब कड़ा होने लगा था। रश्मि भी गरम हो रही थी। उसकी छाती भी अब उठने बैठने लगी थी। राज को उसके बदन की मादक गंध जैसे मदहोश कर रही थी।

राज उसे रिंग्स पहना कर बोला: देखो कितनी सुंदर लग रही है तुमपर।
रश्मि ड्रेसिंग टेबल के शीशे में देखकर बोली: सच ने बहुत सुंदर है।
राज उसके पास आकर उसका हाथ पकड़ा और बोला: पर तुमसे ज़्यादा सुंदर नहीं है। यह मेरे तरफ़ से तुमको सगाई का गिफ़्ट है। मना मत करना।

रश्मि: पर ये तो बहुत महँगा होगा।

राज: अरे तुम्हारे सामने इसकी क्या हैसियत है।

यह कहकर उसने रश्मि को अपनी बाँहों में खिंचा और उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए। रश्मि एक मिनट जे लिए चौकी पर फिर चुपचाप उसके चुम्बन को स्वीकार करने लगी। कमरा गरम हो उठा था।
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#7
राज की बाहों में आकर रश्मि जैसे पिघलने लगी। राज उसके होंठों को चूसे जा रहा था। उनका पहला चुम्बन क़रीब पाँच मिनट तक चला, जिसमें राज की जीभ रश्मि के मुँह के अंदर थी और रश्मि भी उसे चूसे जा रही थी। अब राज ने भी अपना मुँह खोला और अनुभवी रश्मि ने भी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। अब राज उसकी जीभ चूस रहा था। राज के हाथ रश्मि के गालों पर थे और रश्मि के हाथ उसकी पीठ से चिपके हुए थे ।अब राज और रश्मि हाँफते हुए अलग हुए और राज ने अब उसके गरदन और कंधे को चूमना शुरू किया ।जल्दी ही राज गरम हो गया और उसने रश्मि की साड़ी का पल्लू गिरा दिया। अब उसके तने हुए चूचे जो कि मानो ब्लाउस फाड़ने को बेचैन थे, उसके सामने थे।

वह थोड़ी देर उनको देखा और फिर आगे झुक कर चूचियों के ऊपर के नंगे हिस्से को चूमने लगा। गोरे गोरे मोटे दूध को देखकर वह मस्त हो गया। अब वह दोनों हाथों से उसकी चूचियाँ दबाया और बोला: आऽऽऽह जाऽऽंन क्या चूचियाँ है। मस्त नरम और सख़्त भी।

वह अब उनको थोड़ा ज़ोर से दबाने लगा। रश्मि हाऽऽऽय्य कर उठी और बोली: धीरे से दबाओ ना। वह फिर से आऽऽऽऽऽह कर उठी । और अपने नीचे के हिस्से को मस्ती में आकर राज के नीचे के हिस्से से चिपकाने लगी। तभी उसको अपने पेट पर राज के डंडे का अहसास हुआ, वह सिहर उठी।

राज भी अब उसके नंगे पेट को सहलाया और नाभि में ऊँगली डालने लगा।

राज: रश्मि, साड़ी खोल दूँ?
रश्मि मुस्कुराकर बोली: मैं मना करूँगी तो नहीं खोलेंगे?

राज हँसकर उसकी साड़ी को कमर से खोला और एक झटके में साड़ी उसके पैरों पर थी। क्या माल लग रही थी वो ब्लाउस और पेटिकोट में।

राज ने उसको अपने से चिपका लिया और फिर से होंठ चूसने लगा। अब उसके हाथ उसकी पीठ , नंगी कमर और फिर पेटिकोट के ऊपर से उसके मस्त मोटे उठान लिए चूतरों पर पड़े और वह उनको दबाने लगा।
रश्मि की आह निकल गयी।

राज: आऽऽऽऽह जाऽऽऽन क्या मस्त चूतड़ है तुम्हारे।
रश्मि मुस्कुराकर: और क्या क्या मस्त है मेरा?
राज: अरे जाऽऽंन तुम तो ऊपर से नीचे तक मस्ती का पिटारा हो।
रश्मि हंस दी और राज की गरदन चूमने लगी।
राज ने ब्लाउस के हुक खोले और रश्मि ने हाथ उठाकर अपना सहयोग दिया ब्लाउस उतारने में। उसकी चिकनी बग़ल देख कर वह मस्त हुआ और उसके हाथ को उठाकर बग़ल को सूँघने लगा और फिर जीभ से चाटने लगा। दोनों बग़लों को चूमने के बाद वह उसका पेटिकोट का नाड़ा भी खोल दिया और अब रश्मि सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी।
अब वो पीछे हटा और थोड़ी दूर से उसके गोरे बदन को काली ब्रा और काली ही पैंटी में देखकर मस्ती से अपना लौड़ा मसलने लगा। रश्मि की निगाहें भी उसके फूले हुए हथियार पर थी और उसकी पैंटी गीली होने लगी थी।
रश्मि: वाह मेरे कपड़े तो उतारे जा रहे हैं और ख़ुद पूरे कपड़े में खड़े हैं।
राज: लो मैं भी उतार देता हूँ। ये कहते हुए उसने अपनी टी शर्ट उतार दी। उसका चौड़ा सीना रश्मि की बुर को और भी गीला करने लगा।फिर उसने पैंट भी उतारी और अब बालों से भरी पुष्ट जाँघों के बीच फूली हुई चड्डी को देखकर उसकी आँखें चौड़ी हो गयी।
अब रश्मि के पास आकर वह उसको बाहों में ले लिया और उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। उसकी ब्रा निकालकर वह उसकी चूचियों को और उसके खड़े निपल्ज़ को नंगा देख कर वह मस्त हो गया। फिर वह झुक कर घुटने के बल बैठा और उसकी पैंटी भी धीरे से उतार दिया। अब उसके सामने रश्मि की मस्त फूली हुई बुर थी। उसने देखा कि उसके पेड़ू पर बालों को दिल का शेप दिया हुआ था। हालाँकि बुर बिलकुल बाल रहित थी।
राज ने उसके दिल के शेप के बालों को सहलाते हुए बोला: वाह जान क्या शेप बनाई हो? फिर वह आगे होकर उसके उस दिल को चूमने लगा। फिर वह नीचे होकर उसकी बुर को सहलाया और उसे भी चूम लिया। फिर वह उसे घुमाया और और उसके बड़े चूतरों को दबाने लगा और चूमने भी लगा। रश्मि आऽऽहहह कर उठी। फिर वह उठा और उसके दूध दबाकर उनको भी मुँह में लेकर चूसने लगा। उसके निप्पल्स को दबाया और रश्मि हाऽऽऽऽऽय्यय कर उठी। रश्मि भी उससे चिपक रही थी और चड्डी में से उसका लौड़ा उसकी नंगी जाँघों पर रगड़ रहा था। रश्मि ने हाथ बढ़ाकर राज की चड्डी के ऊपर से उसका लौड़ा पकड़ लिया, और बोली: आऽऽऽऽह आपका तो बहुत बड़ा है।
राज उसकी चूचि दबाके बोला: तुम्हारे पति से भी बड़ा है?
रश्मि: आऽऽऽह उनका तो बहुत कमज़ोर था। आऽऽहहह आपके वाले से तो आधा भी नहीं होगा। वह उसके चड्डी में हाथ डालकर उसकी पूरी लम्बाई को फ़ील करते हुए बोली।
राज: तुम्हारे दूध बहुत ही मस्त है। चलो अब बिस्तर में लेटो। राज ने भी चड्डी उतार दी। रश्मि ने उसके लौड़े को देखा और एक बार उसकी लम्बाई और मोटाई को सहला कर और दबाकर बिस्तर पर लेट गयी।
रश्मि के लेटने के बाद राज भी उसकी बग़ल में आकर लेटा और उसको अपनी बाहों में लेकर चूमने लगा। वह भी उससे लिपट कर उसको चूमने लगी।

अब वह उसकी चूचियाँ दबाते हुए चूसने लगा। रश्मि की हाऽऽऽऽऽऽयययय निकलने लगी। अब उसके हाथ उसके पेट से होते हुए उसकी बुर पर घूमने लगे। उसकी दो उँगलियाँ उसकी बुर की गहराई नापने लगी। वह हैरान हो गया कि उसकी उम्र के हिसाब से उसकी बुर भी काफ़ी टाइट थी। फिर वह उठकर उसके ऊपर आया और उसकी टाँगें सहलाकर फैलाया और मस्त गीली बुर देखकर वह झुका और उसको चूमने लगा। जल्दी ही उसकी जीभ उसके बुर के अंदर थी और वहाँ हलचल मचाने लगा। रश्मि चीख़ी: उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽऽ।
राज: जाऽऽऽऽंन मज़ा आऽऽऽया ना?
रश्मि: आऽऽऽह वहाँ जीभ डालोगे तो मज़ा नहीं आऽऽऽऽऽऽयेगाआऽऽऽऽ क्याआऽऽऽऽऽ उइइइइइइइ ।
अब वह उसके चूतरों को दबाते हुए उसकी गाँड़ के छेद को देखकर मस्ती से भर गया और उसकी गाँड़ की पूरी दरार को जीभ से चाटने लगा। उसकी जीभ बुर की clit से होकर उसकी बुर को चाटा और नीचे जाकर गाँड़ के छेद को भी चाटा। रश्मि हाऽऽऽऽय्य्य्य्य्य आऽऽऽऽऽऽज माऽऽऽऽर ड़ालोगेएएएएएए क्याआऽऽऽऽऽऽ।
वह बोला: जाऽऽऽंन क्या माल हो तुम? अब मेरा लौड़ा चूसोगी या अभी चोदूँ पहले।
रश्मि: आऽऽऽह चोद दीजिए आऽऽऽह अब नहीं रुक सकती। बाद में आपका चूस दूँगी। हाऽऽय्यय ड़ालिए नाऽऽऽऽऽऽ ।प्लीज़ आऽऽहहह ।
राज ने अब पोजीशन बनाई और रश्मि भी अपनी टाँगे घुटनो से मोड़कर अपनी छाती पर रखी और पूरा खेत उसे जोतने को ऑफ़र कर दिया। राज ने अपने लौड़े पर ढेर सा थूक लगाकर उसकी बुर के मुँह पर रखा और दबाने लगा। जैसे जैसे सुपाड़ा अपनी जगह बुर के अंदर बनाकर उसमें समाने लगा। रश्मि की आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह निकलने लगी।फिर जब पूरा लौड़ा अंदर समा गया तो वह झुक कर उसके होंठ चुमते हुए उसकी चूचियाँ मसलने लगा और निपल्ज़ को ऐंठने लगा।साथ ही अब उसने धक्के भी लगाने शुरू कर दिए।
रश्मि: हाय्य्य्य्य्य्य। करके अपनी कमर उछालकर मज़े से चुदवाने लगी।
कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ें और पलंग की चूँ चूँ की आवाज़ भी गूँजने लगी।
राज: आऽऽऽहब जाऽऽन क्या टाइट बुर है तुम्हारी?एक बात बताओ दो दो बच्चे पैदा करने के बाद भी बुर इतनी टाइट कैसी है?
रश्मि. आऽऽऽह मेरे दोनों बच्चे सिजेरीयन से हुए है।
राज: आऽऽऽहहह तभी तो, पायल की बुर तो काफ़ी ढीली पड़ गयी थी मेरी बड़ी बेटी के जन्म के बाद। और जय के जन्म के बाद और भी ढीली पड़ गयी। तुम्हारी मस्त है जानू।
ये कहते हुए वह और ज़ोर से रश्मि के चूतरों को दबाकर धुआँ धार चुदाई करने लगा। अब रश्मि भी हाऽऽऽऽय्यय मरीइइइइइइइ उईइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ कहकर नीचे से अपनी गाँड़ उछालकर बड़बड़ाती हुई चुदवाने लगी।
थोड़ी देर बाद रश्मि और राज दोनों आऽऽऽहहह मेरा होने वाला है , कहते हुए झड़ने लगे।
दोनों पस्त होकर अग़ल बग़ल लेट गए। फिर राज बाथरूम से फ़्रेश होकर आया और बाद ने रश्मि भी फ़्रेश होकर आयी और अपने कपड़े की ओर हाथ बढाइ।
राज: अरे जानू अभी कपड़े कैसे पहनोगी? अभी तो एक राउंड और होगा। तुम्हारे जैसे माल से एक बार में दिल कहाँ भरेगा।
रश्मि हँसकर बोली: मैं सोची कि आप शांत हो गए तो अब बस करें।
राज ने हाथ बढ़ाकर उसको अपने ऊपर खींच लिया और उसके होंठ चूसने लगा। उसके हाथ रश्मि की पीठ और गोल गोल चूतरों पर घूम रहे थे।
राज: एक बात बताओ कि डिलीवरी के समय सिजेरीयन करना किसका सुझाव था? तुम्हारा , तुम्हारे पति का या अमित का?
रश्मि: इसमे अमित भाई सांब कहाँ से आए?
राज उसकी गाँड़ में ऊँगली करते हुए बोला: मुझे पता है कि तुम अपने जेठ अमित से शादी के बाद से ही चुदवा रही हो। और उस समय तुम्हारे पति का ऐक्सिडेंट भी नहीं हुआ था।
रश्मि: आऽऽह ऊँगली निकालिए ना, सूखी ही डाल दिए हैं। जलन होती है ना।ये आप क्या कह रहे है, अमित भाई सांब से मेरा कोई चक्कर नहीं है।
राज : जानू झूठ मत बोलो, जब मैं तुम्हारे घर गया था तभी मैंने तुमको और अमित को लिपट कर चूमा चाटी करते देखा था। जब मैंने कल अमित से पूछा तो शराब के नशे में वह सब बक गया और यह भी की डॉली और उसका भाई अमित के ही बच्चें हैं।
रश्मि का चेहरा सफ़ेद पड़ गया। वह गिड़गिड़ाते हुए बोली: आप ये सब किसी को नहीं बताओगे ना। प्लीज़ प्लीज़।
राज ने अपनी ऊँगली ने थूक लगाया और फिर से उसकी गाँड़ में डालकर बोला: नहीं जानू किसी को नहीं बताऊँगा।
रश्मि: आऽऽह मैं आपसे बहुत प्यार करने लगी हूँ, प्लीज़ मेरा ये राजीवराजीवही रहने दीजिएगा। हाय्य्य्य्य्य।
वह अपनी गाँड़ उठाकर उसकी ऊँगली का मज़ा लेने लगी।
राज उसके होंठ चूसते हुए बोला: बिलकुल निश्चिन्त रहो जानू किसिको नहीं बताऊँगा। पर ये तो बताओ कि क्या डॉली बेटी को तुम्हारे अमित से सम्बन्धों के बारे में पता है?

रश्मि; मुझे लगता है कि उसे शक तो है पर पक्का नहीं कह सकती।

राज उसकी चूचि दबाते हुए बोला: आह क्या बड़ी बड़ी चूचियाँ है तुम्हारी। एक बात बताओ अगर डॉली का साइज़ तुमसे दो नम्बर ही छोटा है इसका मतलब वह भी किसी से चु मतलब उसका भी कोई बोय फ़्रेंड तो होगा, जिसने दबा दबा कर उसकी चूचियाँ इतनी बड़ी कर दी होंगी। ये कहते हुए वह अब दो ऊँगली उसकी गाँड़ में डालकर अंदर बाहर करने लगा।

रश्मि आऽऽऽऽऽह करके बोली: आप भी उसके बारे में ऐसा कैसे बोल सकते हैं। उसका कोई बोय फ़्रेंड नहीं है। आह वह बहुत सीधी लड़की है।
राज: ओह पर चूचि तो उसकी काफ़ी बड़ी है, हालाँकि पता नहीं चलता पर अब तुमने ही उसका साइज़ बताया है कि ३४ का है।
फिर वह उसके दिल के आकर की झाँट को सहलाकर पूछा: ये कौन बनाया है इस आकर का? तुम ख़ुद तो ऐसे काट नहीं सकती अपनी झाँट को।
रश्मि शर्मा कर बोली: ये अमित भाई सांब का काम है। उनको मेरी झाँटें बनाने में बहुत मज़ा आता है। ये उन्होंने ही बनाया है।
ओह , कहते हुए वह बोला: चलो मेरा लौड़ा चूसो।
रश्मि : पहले ऊँगली तो निकालो बाहर।
राज ने उँगलियाँ बाहर निकाली और उनको सूँघने लगा। रश्मि चिल्लाई: छी छी क्या करते हो? फिर वह उसके लौंडे को सहलाकर बोली: हाय ये तो खड़ा हो गया। फिर उसने अपनी जीभ निकाली और उसके लौड़े के एक एक हिस्से को चाटा और चूमने लगी। फिर उसके बॉल्ज़ को सहलायी और बोली: बाप रे कितने बड़े है ये। फिर वह उनको भी चाटने लगी। फिर वह पूरा लौड़ा मुँह में लेकर डीप थ्रोट देने लगी। अब राज अपनी कमर उछालकर उसके मुँह को चोदने लगा।
राज ने उसे रोका और पेट के बल लिटाया और उसके मस्त चूतरों को दबाकर चूमने लगा। फिर वह उसे अपने चूतरों को उठाने को बोला: जानू क्या मस्त चूतड़ हैं । फिर वह उसकी गाँड़ का छेद चाटने लगा और बोला: जानू तुम्हारा छेद देख कर लगता है कि अमित तुम्हारी गाँड़ भी मारता होगा। दरसल सरिता की भी मैं गाँड़ मारता था और उसका छेद भी ऐसे ही दिखता था। सही कहा ना? फिर वह उसकी गाँड़ में क्रीम डाला और उँगलियाँ डालकर क्रीम को अच्छी तरह से छेद में लगा दिया।
रश्मि: आऽऽह हाँ अमित को मेरी गाँड़ मारना बहुत पसंद है।
राज: और तुम्हें गाँड़ मरवाने में मज़ा आता है ना?
उसकी गाँड़ में अब वो तीन ऊँगलियाँ डाल कर हिला रहा था।
रश्मि: आऽऽह। हाँ बहुत मज़ा आता है । पर आपका बड़ा ही मोटा और लम्बा है शायद दुखेगा।
राज : अरे नहीं मेरी जान नहीं दुखेगा। मैं बहुत धीरे से करूँगा। तो डालूँ अंदर?
रश्मि: आऽऽऽह डालिए ना अब क्यों तड़पा रहे हैं।
राज मुस्कुराया और अपना क्रीम से चुपड़ा हुआ लौड़ा उसकी गाँड़ में डाला और वह चिल्लाने लगी : आऽऽऽह धीइइइइइइइरे से डालो। राज ने अपना दबाव बढ़ाया और उसका लौड़ा उसकी गाँड़ में घुसता चला गया। अब रश्मि की चीख़ें बढ़ गयीं और वह चिल्लाई: उइइइइइइइइ मरीइइइइइइइइइ । आऽऽऽऽह मेरीइइइइइइइ फटीइइइइइइइइइ ।
अब राज ने उसकी गाँड़ मारनी शुरू की और साथ ही अपना एक हाथ उसकी बुर में लेज़ाकर उसकी clit को रगड़कर उसकी बुर में तीन उँगलियाँ डालकर उसकी बुर को गीली करने लगा।
बुर से पानी निकले ही जा रहा था

अब ठप ठप की आवाज़ के साथ वह पूरे ज़ोरों से गाँड़ मारने लगा। अब रश्मि भी बुर में ऊँगली और गाँड़ में मोटे लौड़े की चुदाई से मस्त हो कर अपनी गाँड़ पीछे दबा दबा कर अपनी मस्ती दिखाई और गाँड़ मरवाने लगी।
जल्दी ही उसकी बुर ने पानी छोड़ना शुरू किया और वह आऽऽऽक़्ह्ह्ह्ह मैं गईइइइइइइइइइइ कहकर गाँड़ हिला हिला कर झड़ने लगी। इधर राज के हाथ में जैसे पानी का सैलाब भरने लगा। उसकी बुर से पानी निकले ही जा रहा था तभी वह भी झड़ने लगा और आऽऽह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म्म कहकर उसकी पीठ पर लेट सा गया।
अब वह अपना वज़न उसके ऊपर से हटाकर उसकी बग़ल ने लेट गया। वह आँखें बंद करके उन लमहों को याद करके मस्त होने लगा जब वह उसकी गाँड़ मार रहा था। आह क्या मस्त टाइट गाँड़ और बुर हैं। बहुत दिन बाद वह इतनी मज़ेदार चुदाई का आनंद लिया था।

उधर रश्मि भी लेटे हुए सोच रही थी कि क्या मस्त मर्द है , कितना मज़ा दिया है इन्होंने। अमित से भी ज़्यादा मज़ा दिया है इन्होंने।

वह पलटी और राज को अपनी ओर देखते हुए देख कर बोली: आज बहुत मज़ा आया सच में आपने जो मज़ा दिया है , मैं तो आपकी ग़ुलाम हो गयी हूँ।
राज: इसका मतलब जब चाहूँ तुमको चोद सकता हूँ।
रश्मि हँसकर: ये भी कोई पूछने की बात है।
ये कहते हुए उसने उसके लटके हुए लौड़े को सहलाया और उसे दबा दिया। फिर बोली: ये जब चाहे मेरे अंदर जाकर मज़ा कर सकता है।
राज मस्ती से उसके होंठों को चूम लिया। और वो दोनों एक दूसरे से चिपक गए और चुम्बन में लीन हो गए।
दोनों दो राउंड की चुदाई के बाद थकान महसूस कर रहे थे। रश्मि उठकर बाथरूम से फ़्रेश होकर आइ और ब्रा और पैंटी पहनकर ब्लाउस और पेटिकोट भी पहन ली। फिर वह किचन में जाकर फ्रिज से जूस निकाल कर लाई तब तक राज भी फ़्रेश होकर आ गया था। वह अभी भी नंगा था और फिर दोनों जूस पीने लगे। राज अभी भी नंगा पड़ा था और उसका लंड साँप की तरह उसकी एक जाँघ पर पड़ा था और उसके बॉल्ज़ लटके से थे।
रश्मि उसकी कमर के पास बैठी और उसकी छाती को सहला कर बोली: यहाँ आइ हूँ तो दामाद से भी मिलवा दीजिए ना।
राज: हाँ हाँ क्यों नहीं? अभी खाना खाकर चलते हैं।
रश्मि अब अपना हाथ उसकी छाती से नीचे लाकर उसके पेट से होते हुए उसके लौड़े के पास लाई। अब वो उसकी छोटी कटी झाँटों से खेलने लगी । फिर उसने लौड़े को दबाया और बॉल्ज़ को भी सहला कर बोली: आपके बॉल्ज़ बहुत बड़े हैं।
राज: अरे इसी बॉल्ज़ की सहायता से मैंने कई लड़कियों को माँ बनाया है।
रश्मि चौंक कर: मतलब? मैं समझी नहीं। वह अभी भी उसके बॉल्ज़ को सहलाए जा रही थी।
राज: लम्बी कहानी है । असल में मैंने तीन लड़कियों को माँ बनाया है उनके अनुरोध पर ही।
रश्मि: उनको कैसे पता चला कि आपसे अनुरोध करना है इसके लिए?
राज: देखो हुआ ये कि एक लड़की को मैंने फँसाया और वह एक महीने में ही प्रेगनेंट हो गयी। उसका तो मैंने गर्भपात करवा दिया। जब मैंने ये बात एक और औरत साधना को बताई जो उन दिनो मेरे से फँसी हुई थी तो वह अपनी बहू बुलबुल को मुझसे चुदवाइ और वो भी एक महीने में ही प्रेगनेंट हो गई।
रश्मि: वो अपनी बहू को आपसे चुदवाइ ? क्यों भला?
राज: क्योंकि उसका बेटा बाप नहीं बन सकता था और वो दोनों नहीं चाहतीं थीं कि ये बात लड़के को पता चले क्योंकि उसके डिप्रेशन में जाने का डर था।
रश्मि: ओह तो आप उस लड़की से बाद में मिले जब वह माँ बन गयी थी?
राज: हाँ सास बहू दोनों उसे लेकर मेरे पास आइ थीं। बहुत ही प्यारा बच्चा था। उस दिन मैंने जिभरके बहू का दूध पिया और उन दोनों को भरपूर चोदा । वो तो मेरी अहसान मंद थीं ना। बस उस दिन के बात कभी नहीं मिला।
रश्मि: आपने तीन लड़कियाँ कहीं, दो और कौन थीं?
राज: असल में साधना जो कि तुम्हारी उम्र की थी अपनी बहू बुलबुल को जब मुझे चुदवा कर माँ बना ली तो ये बात उसने एक औरत को बताई जो कि अपनी बेटी के माँ ना बन पाने के कारण परेशान थी। उस औरत का नाम काजल था और उसकी बेटी का नाम आकाक्षा था।

रश्मि: ओह फिर क्या हुआ? वो अब राज के लौड़े को सहलाने लगी थी। राज ने भी उसके ब्लाउस के ऊपर से उसकी चूचि दबायी और बोला: साधना और काजल एक क्लब की मेमबर थीं। वहाँ काजल ने अपना दुखड़ा सुनाया कि उसके बेटी के ससुराल वाले उसको ताने मारते हैं कि वो बाँझ है और उसकी दूसरी शादी की धमकी देते हैं। जबकि उसकी बेटी में कोई कमी नहीं है। वो लोग उसके पति का चेकअप भी नहीं करवा रहे हैं।

रश्मि: ओह फिर ?
राज: काजल की बात सुनकर साधना उसे मेरे बारे में बतायी और काजल अपनी बेटी से बात की और वह मुझसे चुदवा कर मॉ बनने तो तैयार हो गयी। इसी सिलसिले में साधना काजल को लेकर मेरे पास मेरे दोस्त के ख़ाली फ़्लैट में आयी। वहीं मैं उनका इंतज़ार कर रहा था। साधना और काजल अंदर आइ। साधना ने मुझे पहले फ़ोन पर बता दिया था कि वो काजल को बता दी है कि वो भी मुझसे चुदवाती थी। इसलिए मैंने साधना को अपनी बाहों में लेकर चूम लिया। वह। भी मुझसे चिपक गयी। काजल ये सब देखकर शर्मा रही थी।

रश्मि: आप उस औरत के सामने ही साधना से चिपक गए। ये कहकर वह राज के लौड़े को दबाई और वह अब खड़ा होने लगा था। फिर वो पूछी: फिर क्या हुआ?

राज: फिर मैं साधना से अलग हुआ और वो मेरा परिचय काजल से करवाई। काजल एक गोरी दुबली औरत थी और उसने सलवार कुर्ता पहना था। वह चेहरे से सुंदर थी और उसकी छातियाँ भी उसके दुबले शरीर के लिहाज़ से काफ़ी बड़ी थीं जो डुपट्टे के नीचे से झाँक रही थीं।हम सब बैठे और साधना ने काजल के बारे में बताया कि वो एक आर्मी ऑफ़िसर की बीवी है और उसकी बेटी आकाक्षा शादी के ५ साल भी माँ नहीं बन पा रही है और जैसे आपने मेरी बहू को माँ बनाया है वह भी अपनी बेटी आकाक्षा को मुझसे गर्भवती करवाना चाहती है।
रश्मि: वाह आपके तो मज़े ही मज़े हो गए होंगे?

राज: हाँ , मैंने पूछा कि आकाक्षा की उम्र क्या है? वो बोली कि २६ साल की है। मेरा लौड़ा जींस के अंदर खड़ा होने लगा। और मेरी पैंट के ऊपर से उसको दबाया। मैंने देखा कि काजल और साधना की आँखें मेरे लौड़े पर ही थी।
रश्मि: हाय बड़े बेशर्म हो आप? फिर क्या हुआ?

राज: अब तुम मेरा लौड़ा चूसो और बीच में नहीं बोलना तो मैं पूरी कहानी सुनाऊँगा।

रश्मि ख़ुशी से उसका लौड़ा चूसने और चाटने लगी और राज ने बोलना चालू किया |

मैं: आकाक्षा मान गयी है इसके लिए?
काजल : हाँ वो मान गयी है।
मैं: फिर ठीक है, तो आज ही उसे ले आना था? मैंने अपना लौड़ा मसल कर कहा।
काजल: जी मैं पहले आपसे मिलकर ये देखना चाहती थी कि आप कैसे हैं, वगेरह । आख़िर मेरी बेटी का सवाल है ।
मैं अपना लौड़ा दबाते हुए बोला: आपने मुझे देख लिया अब आपका क्या इरादा है?
काजल: जी मैं कल उसे ले आऊँगी।
मैं मुस्कुराकर: पर आपने मेरी असली काम की चीज़ तो देखी नहीं है, जिसकी मदद से आपकी बेटी माँ बनेगी?
काजल झेपकर: उसकी कोई ज़रूरत नहीं है।
मैं: पर मुझे तो आपको दिखाना ही होगा ताकि बाद में आप कोई शिकायत ना करो। ये कहते हुए मैंने अपनी जीन के बटन खोले और ज़िपर नीचे किया और अपनी जीन बैठे बैठे ही नीचे कर दी।अब मेरी चड्डी में खड़ा हुआ लौड़ा उनके सामने था। काजल उसे ग़ौर से देख रही थी। इसके पहले कि वह कुछ और सोच पाती मैंने अपनी चड्डी भी नीचे कर दी और जींस और चड्डी मेरे पैरों पर आ गयी और मेरे नीचे का पूरा हिस्सा नंगा उन दोनों औरतों के सामने था।
काजल की तो जैसे आँखें ही फट गयीं , वो बोली: इतना बड़ा?
मैंने उसे सहलाया और काजल को दिखाकर बोला: अरे ऐसा कोई बड़ा नहीं है , साधना तो बड़े आराम से ले लेती है। क्यों साधना?
साधना: हाऽऽय सच में बहुत मस्त मज़ा देता है। इसको मैं बहुत मिस करती हूँ।
मैंने देखा की काजल सबकी नज़र बचा कर अपनी सलवार से बुर को खुजा रही थी। मैं मन ही मन मुस्कुराया।
मैं: आओ ना साधना एक बार चुदवा लो इसके बाद काजल को भी मज़ा दे देंगे।
साधना: आह नहीं मुझे यूरीनरी इन्फ़ेक्शन हो गया है, अभी मैं नहीं ले सकती आपको भी इन्फ़ेक्शन हो जाएगा।
मैं: ओह फिर इसका क्या होगा? मैंने लौड़ा दबाकर कहा|
साधना: चूस दूँ क्या?
मैं: अरे इसे मुँह से ज़्यादा बुर की ज़रूरत है। काजल तुम ही अपनी बुर से दो ना।
काजल एकदम से चौक गयी और इस तरह की भाषा से भी वह हड़बड़ा गयी।
वह: नहीं नहीं ये कैसे हो सकता है? मैं शादी शूदा हूँ और मैं तो यहाँ अपनी बेटी की मजबूरी के वजह से ही आयी हूँ।
मैं: अरे तो ये तो देख लो कि मैं तुम्हारी बेटी को कैसे चोदूँगा । तुम पर प्रैक्टिकल कर के बता देता हूँ।
काजल: नहीं नहीं इसकी कोई ज़रूरत नहीं है।

तब मैं खड़ा हो गया और अपने पैरों से पैंट और चड्डी निकालकर सोफ़े पर बैठी काजल के पास आकर उसके मुँह के पास अपना लौड़ा लहराकर उसके होंठों से अपना लौड़ा छुआ दिया।

वह एक मिनट के लिए सिहर गई और अपना मुँह पीछे कर लिया। अब मैं झुका और उसकी छातियों को कुर्ते के ऊपर से दबाने लगा और उसके होंठों पर अपना होंठ रखकर उनको चूसने लगा। वह मुझसे अलग होने के लिए छटपटाने लगी। मैंने अब भी उसकी छाती को दबाना जारी रखा। अब मैंने सलवार के ऊपर से उसकी बुर भी दबाने लगा। मैंने देखा कि उसकी सलवार नीचे से गीली थी।

अब उसका विरोध कम होने लगा था। तभी साधना उठकर आयी और बोली: काजल क्यों मना कर रही है, चुदवा ले ना , मैं ठीक होती तो मैं ही इसका मज़ा ले लेती। साधना मेरे लौड़े को सहलाकर बोली।
अब काजल ने मानो सरेंडर कर दिया। वह मेरा विरोध बंद कर दी। अब मैंने उसको अपनी बाँह में उठा लिया किसी बच्चे की तरह और जाकर बेडरूम में बिस्तर पर लिटा दिया। सबसे पहले मैंने अपनी शर्ट उतारी और पूरा नंगा हो गया। मैंने उसकी आँखों में अपने कसरती बदन के लिए प्रशंसा के भाव देखे। तभी मैंने देखा कि साधना भी वहाँ खड़ी थी।
मैंने साधना से कहा: तुम क़ुरती उतारो मैं सलवार उतारता हूँ। वह मुस्कुरा कर मेरा साथ देने लगी। जल्दी ही वह अब ब्रा और पैंटी में थी। पूरी तरह स्वस्थ बदन कोई चरबी नहीं। मज़ा आ गया देखकर। फिर मैं उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसने लगा और वह भी अपना हाथ मेरी कमर पर ले आयी और मेरी पीठ सहलाने लगी ।
अब मैंने उसकी ब्रा के हुक खोले और उसकी ३४ साइज़ की चूचियाँ दबाने और चूसने लगा। वह मस्ती से आहबह्ह्ह्ह्ह्ह कर उठी। फिर मैंने उसके पेट को चूमते हुए उसकी गीली पैंटी उतारी और उसे सूँघने लगा। वह शर्माकर मेरी हरकत देख रही थी।

मैंने उसकी जाँघों को सहलाया और चूमा और फिर उसकी जाँघें फैलाके उसकी ४७ साल की बुर को देखा। पूरी चिकनी बुर थी और साफ़ दिख रहा था कि अच्छेसे चुदीं हुई बुर है। उसमें से गीला पानी निकल रहा था। मैंने झुक कर उसे चूमा और जीभ से कुरेदने लगा। वह उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कर उठी। मैंने समय ख़राब किए बग़ैर अपना लौड़े का सुपाड़ा उसकी बुर के छेद में रखा और वह कांप उठी और बोली: आऽऽऽऽह धीरे से डालिएगा। आपका बहुत बड़ा है , मैंने इतना बड़ा कभी नहीं लिया है।

मैं: सच क्या तुम्हारे पति का छोटा है?
वो: उनका नोर्मल साइज़ का है पर आपका तो ज़्यादा ही बड़ा है और मोटा भी बहुत है ।
मैं: ठीक है मैं धीरे से शुरू करूँगा।
अब मैं धीरे से सुपाड़ा दबाया और वह उसकी बुर में धँसता चला गया। वह हाऽऽऽऽऽऽऽय्य कर उठी।
मैं : अरे तुम तो इसमे से आकाक्षा को भी बाहर निकाली हो इसलिए कोई समस्या नहीं होगी।
वो: आकाक्षा सिजेरीयन से हुई थी।
साधना: अरे मुझे भी पहली बार इनका लेने में थोड़ी तकलीफ़ हुई थी पर बाद में कोई समस्या नहीं थी और मज़ा ही मज़ा किया।
अब काजल के होंठ चूसते हुए और उसकी चूचियाँ दबाते हुए मैंने अपना लौड़ा अंदर करना शुरू किया। आधा लौड़ा अंदर जा चुका था और तभी मैंने ज़ोर से धक्का मारा और पूरा लौड़ा अंदर जड़ तक समा गया। वह अब हाऽऽऽऽऽय्य्य्य्य मरीइइइइइइइइइइइ कहकर थोड़ी सी छटपटाई और फिर शांत हो गयी। मैं भी रुककर उसके होंठ चूसता रहा और चूचियाँ भी चूसने लगा। निपल्ज़ को दबाने से उसकी मस्ती वापस आने लगी और जल्दी ही वह ख़ुद कमर हिलाकर मुझे इशारा कि चलो अब मुझे चोदो।
पर मैं उसके मुँह से सुनना चाहता था सो बोला: शशी मज़ा आ रहा है कि नहीं।
वो: आऽऽऽह हाँ आ रहा है।
मैं: तो चोदूँ अब?
वो : हाऽऽऽऽक्ययय हाँ।
मैं: हाँ क्या करूँ? साफ़ साफ़ बोलो।
वो: उइइइइइइइओ आऽऽऽऽह चोओओओओओओओओदो मैं मुस्कुराकर अब ज़ोर से चुदाई में लग गया और मेरे धक्कों से पलंग बिचारा भी कराह उठा और चूँ चूँ करने लगा। साधना वहाँ पलंग पर बैठ कर चुदाई का मज़ा ले रही थी, और अपनी बुर सहला रही थी।
अब काजल भी अपनी गाँड़ उछालकर चुदाई में मेरा साथ देने लगी। हम दोनों पसीने से भीग गए थे और तभी वो और मैं दोनों एक साथ चिल्लाए : हाऽऽऽऽऽऽय्य मैं झड़ीइइइइइइइइइइइइ और मैं भी ह्म्म्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। वो चिल्लाई: मेरे अंदर मत गिराना।
मैंने समय रहते उसे निकाला और उसके दूध पर अपना वीर्य गिराने लगा और फिर उसके मुँह की तरफ़ भी अपना लौड़ा किया और उसका मुँह खुला और उसके अंदर मेरे वीर्य की एक पिचकारी चली गयी। वह उसे निगल गयी। अब मैंने अपना लौड़ा उसके मुँह में ठूँस दिया और वह प्यार से उसपर लगा वीर्य चाटने लगी और फिर चूस कर और चाट कर मेरे लौड़े को साफ़ कर दी। उसने अपनी छातियों के ऊपर गिरा वीर्य भी ऊँगली में लिया और चाटने लगी।
साधना: मज़ा आया काजल?

काजल शर्माकर: हाँ बहुत मज़ा आया। सच में आकाक्षा को बहुत मज़ा मिलने वाला है। पहली बार तो उसको लेने में थोड़ा दर्द होगा पर बाद में मज़े करेगी। वैसे इनका जूस भी बहुत गाढ़ा और स्वाद है। वह अपनी ऊँगली चाट कर बोली।
मैं: आकाक्षा के साथ तुम भी आ जाना और मज़े कर लेना माँ बेटी दोनों एक साथ। बिर्य उसके अंदर डालूँगा और चुदाई दोनों की करूँगा। बोलो ठीक है ना ?
काजल: नहीं नहीं आप उसे नहीं बताना कि मैं आपसे करवा चुकी हूँ वरना उसे बुरा लगेगा।
मैं: एक बात बताओ, तुम दोनों क्लब जाती हो माडर्न हो और ज़रूर बाहर भी मुँह मारती होगी।
वो दोनों एक दूसरे के देखने लगीं।
साधना: अब आपसे क्या छिपाना , हाँ हम शादी के बाहर भी मज़े ले रहे हैं। मेरा तो आपको पता ही है।
आजकल घर का घर में ही चल रहा है।मैं और बहू दोनों मेरे बेटे से चुदवा रही हैं। तुम भी बता दो काजल या मैं बोलूँ?इसका पति तो आर्मी में है यहाँ कम ही रहता है।
काजल: मैंने भी घर का घर में ही इंतज़ाम किया हुआ है। मेरा एक २२ साल का नौकर है वही मुझे मज़ा देता है। मैंने उससे बेटी को नहीं चूदवया क्योंकि वह काला है और मुझे गोरा बच्चा चाहिए। साधना मुझे बतायी थी कि आप बहुत गोरे हैं इसीलिए आपके पास आयी हूँ।
मैं: ओह तो तुम दोनों मज़े से चुदवा रही हो। बिलकुल सही है अगर मर्द मज़ा ना दे पाएँ तो क्या किया जाए।
काजल बोली: अब मैं बाथरूम जाती हूँ।
फिर हम सब अपने घर चले गए। आकाक्षा की चुदाई का कार्यक्रम अगले दिन १२ बजे दिन का बना था।
यह कहकर राज बोला: आऽऽऽऽऽऽहहह क्या चूस रही हो। हाऽऽय्य्य्य्य मैं गयाआऽऽऽऽऽऽ । और वह उसके मुँह में झड़ने लगा। रश्मि ने एक बूँद भी बाहर गिरने नहीं दिया और पूरा वीर्य गटक गयी। फिर रश्मि ने उसके लौड़े को बड़े प्यार से चाटकर साफ़ किया।
राज बड़े प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा।
राज: चलो खाना खाते हैं उसके बाद हम दुकान चलते हैं।
रश्मि: नीरू की चुदाई का क़िस्सा नहीं सुनाओगे?
राज: फिर कभी , वैसे उसमें कुछ ख़ास नहीं है ।वह मुझसे चुदीं और एक महीने में माँ बन गयी। प्यारी लड़की थी मज़े से चुदवाती थी।
फिर दोनों खाना खाकर जय से मिलने दुकान की ओर चल पड़े।
उधर जय खाना खाकर डॉली को फ़ोन किया।
जय: डॉली, कैसी हो?
डॉली: ठीक हूँ , आप मम्मी से मिले क्या?
जय: नहीं तो वो यहाँ हैं क्या?
डॉली: हाँ आपके पापा से मिलने गयी हैं।
जय: सिर्फ़ मेरे पापा तुम्हारे नहीं?
डॉली: सॉरी मेर भी पापा हैं।
जय : मैं अभी फ़ोन करके पूछता हूँ कहाँ है दोनों?
तभी उसने देखा कि रश्मि और राज अंदर आ रहे हैं।
वो: अरे वो दोनों आ गए हैं। मैं बाद में फ़ोन करता हूँ।
बाई।
डॉली: बाई।
जय ने देखा कि उसकी सास काली साड़ी में बहुत सुंदर लग रही थी। उसे लगा कि पापा का हाथ शायद उनके हिप्स पर थे, पर वह पक्का नहीं था।
जय आगे बढ़ा और अपनी सास के पैर छूये ।रश्मि ने उसे झुक कर उठाया और अपने गले से लगा ली। रश्मि की साड़ी का पल्लू गिरा और जय के सामने उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ थीं, गोरी और आधी ब्लाउस के बाहर ,मोटे चूचे । उसे अचानक याद आया कि वह उसकी सास है तो वो झेंपकर अपनी आँखें वहाँ से हटाया। सास के गले लगने पर उसके बदन की गंध और उसके बड़े चूचे जो उसकी छाती से थोड़ी देर के लिए ही सटे उसे बेचैन कर दिए।
अब वो सब काउंटर के पीछे बने ऑफ़िस में बैठे और चाय पीने लगे।
जय चाय पीते हुए बोला: मम्मी आप वापस जाओगी क्या आज? या रात रुकोगी?

रश्मि: अरे बेटा बस अभी वापस जाऊँगी। मेरा काम तो हो गया है। मैं तो समधी जी की अहसान मंद हूँ कि उन्होंने मेरी ज़ेवर को लेकर पूरी परेशानी को दूर कर दिया है।

राज: अरे रश्मि जी, सब कुछ इन बच्चों का ही तो है । जय , डॉली और रचना का।

रश्मि: रचना और उसके पति कब तक आएँगे?

जय: पापा, मेरी रचना दीदी से बात हुई है वह अकेली ही आएँगी शादी में । जीजा जी नहीं आ पा रहे हैं।

रश्मि: सगाई में भी वो रहती तो अच्छा होता।

जय: अरे USA से आना कौन सी छोटी बात है।

रश्मि: हाँ ये तो है। वो वहाँ जॉब करती हैं क्या?

राज: हाँ वो और दामाद दोनों बैंक में जॉब करते हैं।
अब दुकान पर आइ हो तो एक साड़ी अपने लिए और एक बहू के लिए पसंद करिए।

रश्मि: नहीं नहीं आप पैसे नहीं लोगे और मुझे बड़ा अजीब लगता है।

जय: मम्मी अपनी ही दुकान है, आप ऐसा मत बोलिए।

फिर जय रश्मि को साड़ी के काउंटर पर ले गया और रश्मि साड़ी का सिलेक्शन करके अपने ऊपर रख कर देखने लगी। जय ने देखा कि इस दौरान उसका पल्लू बार बार गिर जाता था। और जय के सामने उसकी भारी छातियाँ आ जाती थीं। वह थोड़ा बेचेंन होकर दूसरी तरफ़ देखने लगता। तभी रश्मि ने शीशे के सामने एक साड़ी लपेट कर अपने पिछवाड़े को देखा कि कैसी लगती है साड़ी। क्या दृश्य था जय का लौड़ा कड़ा होने लगा। क्या उभार था गाँड़ का आऽऽऽऽह। वो सोचा कि मम्मी इस उम्र में भी मस्त माल है।

फिर वह अपने को कोसने लगा कि छि कितनी गंदी बात है। डॉली को कितना ख़राब लगेगा अगर उसे भनक भी मिल गयी उसके विचारों की।

रश्मि: ठीक है बेटा ये ही रख लूँ ना? तुम्हें कैसी लगी?

जय हकलाकर: जी जी अच्छी है। आप ये भी रख लीजिए। यह कहकर उसने एक पैकेट रश्मि को दिया।

रश्मि: ये क्या है?

जय: डॉली की साड़ी, मैंने पसंद की है।आप उसे दे दीजिएगा।
रश्मि: अभी सगाई भी नहीं हुई और ये सब शुरू हो गया?

जय झेंप कर: क्या मम्मी जी आप भी मेरी टाँग खींच रही हैं।
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#8
उधर अमित का फ़ोन राज को आया।

अमित: क्या हाल है।

राज : बढ़िया।

अमित: दोनों काम हो गए?

राज: हाँ रश्मि ने ज़ेवर पसंद कर लिए हैं। और कौन सा दूसरा काम?

अमित: अरे उसे पटाने का काम और क्या?

राज हँसते हुए: हाँ यार वह भी हो गया। और बहुत अच्छे से हो गया। मैंने उसके तीनों छेदों का मज़ा ले लिया। क्या माल है यार।

अमित: यार बड़े बदमाश हो जो इतनी जल्दी से इतना मज़ा ले लिए।

राज हँसते हुए: अपना काम तो ऐसा ही है।

अमित: अरे भाई अब उसको वापस तो भेजो या वहाँ ही रात भर रख कर ठोकने का इरादा है?

राज कमिनी हँसी हँसकर : यार मन तो यही कर रहा है पर क्या किया जाए। वापस भेजता हूँ उसे । चलो फिर बात करेंगे।

फिर राज जय और रश्मि के पास आया और बोला: चलो सब काम हो गया? अमित का फ़ोन आया था , कह रहा था कि रश्मि जी को जल्दी से भेज दो। सो ,चलो अब मैं आपको बस अड्डे तक छोड़ आता हूँ।

रश्मि ने जय को गले लगाया और उसका माथा चूमा और राज के साथ साड़ियों के पैकेट लेकर कार में बैठी और कर बस अड्डे को चल पड़ी।

रश्मि: अमित भाई सब क्या बोले?

राज: वो पूछ रहा था कि रश्मि की चुदाई कर दी ना?

रश्मि: छी क्या बोल रहे हैं? वो ऐसा कभी नहीं पूछेंगे। आपने क्या बात दिया।

राज: हाँ मैंने बता दिया किहमारे सम्बंध अब बहुत मधुर हो गए हैं। आज मैंने तुम्हारे तीनों छेदों का मज़ा ले लिया है।

रश्मि: ही भगवान । आप कितनी गंदी बातें करते हो। कोई ऐसा भी बोलता है भला? भाई सब क्या बोले?

राज: वो बोला कि प्यासे को पानी देना पुण्य का काम है। हम दोनों प्यासे हैं और अपनी अपनी प्यास बुझा लिए तो उसने बुराई क्या है।

रश्मि उसकी जाँघ पर हाथ रखकर: आप किसी और को तो नहीं बताएँगे ना?

राज उसके हाथ को सहलाया और फिर उसके हाथ को उठाकर अपने लौड़े के ऊपर रखकर बोला: जानू, बस तुम इसकी प्यास बुझाती रहो, बाक़ी जो तुम चाहोगी, सब हो जाएगा।

रश्मि ने प्यार से लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाकर कहा: मैंने कभी मना किया है। आप जब कहेंगे हाज़िर हो जाऊँगी।

राज ने भी हाथ बढ़ाकर उसकी साड़ी के ऊपर से बुर को दबाकर कहा: सच आज का मज़ा हमेशा याद रहेगा। क्या मस्त बुर और गाँड़ है तुम्हारी। चूसती भी बहुत बढ़िया हो। अमित की ट्रेनिंग पक्की है।
रश्मि: चूसना तो मैंने शादी के पहले ही सीख लिया था ।

राज: सच मे ? कौन था?

रश्मि हंस कर : अगली बार मिलूँगी तो बताऊँगी। चलिए आप हाथ हटाइए नहीं तो साड़ी भी गीली हो जाएगी।

राज: क्यों पैंटी तो पहनी हो? पेटिकोट भी है।

रश्मि: आपके छूने से बाढ़ आ जाती है वहाँ। बस अब हाथ हटायिए। यह कहकर वह अपना हाथ भी उसके पैंट से हटा लेती है।

बस अड्डे पहुँचकर राज बोला: अरे पैंट में लौड़ा अजस्ट करना पड़ेगा , ये तो एकदम खड़ा हो गया है।

रश्मि हँसते हुए बाहर आ गयी और राज भी पैंट ठीक करके बाहर आया।

फिर वह उसको बस पर चढ़ाकर वापस घर को चला गया।

शाम को शशी आइ तो वह अभी भी नींद में था। शशी चाय बनाकर लाई । राज फ़्रेश होकर सोफ़े पर बैठा था। उसने शशी को गोद में खींचकर कहा: और पिरीयड तो नहीं आया।

शशी: नहीं अभी तक नहीं आया।

राज : भगवान ने चाहा तो आएगा भी नहीं।

राज उसके पेट को सहलाते हुए उसकी चूचि दबाने लगा।
शशी: आऽऽऽह क्या कर रहे हैं। समधन को नहीं चोद पाए क्या? जो मेरे पीछे पड़े हो।

राज: अरे उसकी तो तीनों छेद का मज़ा के लिया। वो तो ४५ साल की है और तू तो अभी भी जवान है मेरी जान। ये कहते हुए उसने उसकी सलवार के ऊपर से उसकी बुर दबा दी।

शशी: आऽऽह तीन बार झड़ने के बाद अभी भी गरम हो रहे हैं। आप आदमी हो या राक्षश ?

राज: वो मेरी समधन जाते जाते भी मेरा लौड़ा गरम कर गई है , अब तुम ही उसे ठण्डा कर दो।

शशी मुस्कुरा कर बोली: मैं तो इसको शांत करने को हमेशा तैयार हूँ। ये कहते हुए उसने अपनी गाँड़ उठायी और लौड़े को दबा दिया।

राज मुस्कुरा कर उसकी सलवार खोल दिया और उसने पैंटी भी निकाल दी। राज उसको अपने सामने खड़ा करके उसकी बुर को चाटने लगा । वह जल्दी ही गरम होकर हाऽऽऽय्यय करने लगी। अब राज ने बैठे हुए अपनी पैंट और चड्डी उतार करके नीचे खिसका दी। उसने शशी को खींचकर अपने लौड़े को चूसने का इशारा किया। वह अब उसके पैरों के बीच घुटने के बल बैठ कर उसका लौड़ा चूसने लगी। अब राज ने उसको अपनी गोद में खींच कर उसकी टांगों को अपनी गोद के दोनों ओर किया और शशी ने भी अपनी गाँड़ उठाकर अपनी बुर के मुँह में लौड़े को रखा और धीरे से उसपर बैठने लगी। अब वह पूरा नीचे होकर उसका मोटा लौड़ा अपनी बुर में निगल चुकी थी।

राज ने उसके दोनों चूतरों को पकड़ा और उसकी कमर को उछालकर अपने लौड़े पर दबाकर चुदाई करने लगा। शशी भी हाऽऽऽऽय करके अपनी गाँड़ उछालकर उसके लौड़े पर ऊपर नीचे हो रही थी। राज ने अपनी एक ऊँगली में थूक लगाया और उसकी गाँड़ में डाल दिया। वह आऽऽऽऽऽऽह कर उठी और भी ज़ोर ज़ोर से चुदाई करने लगी। उसकी टाइट बुर में उसका मोटा लौड़ा जैसे फँस सा रहा था। राज ने महसूस किया कि जवान बुर आख़िर जवान ही होती है। सच में शशी की बुर रश्मि की बुर से बहुत टाइट थी। वह अब मस्ती से नीचे से धक्के मारने लगा और शशी की सिसकारियाँ निकलने लगीं। वह अब कुर्ते को उठाकर उसकी चूचियाँ भी ब्रा के अंदर हाथ डाल कर मसलने लगा था। उसके निपल्ज़ भी तन गए थे जिसे उसने मसल कर शशी को मस्ती से भर दिया।

वह उइइइइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽऽऽ करके झड़ने लगी।
राज भी अपना लौड़ा उछालकर उसकी बुर में झड़ गया। अब शशी जब उसके लौड़े के ऊपर से उठी तो उसकी जाँघों से उसका और राज का काम रस बह रहा था।

अब दोनों फ़्रेश होकर बैठे तो शशी ने रश्मि की चुदाई की पूरी कहानी सुनी और हँसकर बोली: आप भी एक दिन में बिचारि का कोई छेद नहीं छोड़े। सभी में लौड़ा पेल दिए।

राज भी कमीनी हँसी हँसने लगा। उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ।

रात को राज ने रचना से बात की फ़ोन पर जय के सामने। वह बोली: पापा मैं शादी में पक्का आऊँगी। सगाई में मुझे माफ़ कर दो।

जय: ठीक है दीदी शादी में ख़ूब मस्ती करेंगे। जीजा जी को भी ले आओ ना।

रचना: वो नहीं आ पाएँगे। लो पापा उनसे बात करो।

राजीव( रचना का पति) : नमस्ते पापा जी, सच में मुझे छुट्टी नहीं मिल रही है। पर मैं अभी भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर छुट्टी मिली तो मैं ज़रूर आऊँगा।

राज: ठीक है बेटा कोशिश करना। अच्छा अब रखता हूँ।

जय: पापा लगता है जीजा जी भी आ ही जाएँगे।

राज: उसका पक्का नहीं है।पर हमारी दुलारि बेटी तो आएगी ही।

तभी उसकी निगाह एक ग्रूप फ़ोटो पर पड़ी जिसमें पायल अपने दोनों बच्चों के साथ थी। उस फ़ोटो में जय बहुत शांत दिख रहा था और रचना बहुत चुलबुली दिख रही थी। रचना की बड़ी बड़ी छातियाँ टी शर्ट में जैसे फटी जा रही थी। राज को अपने लौड़े में थोड़ी सी अकड़न महसूस हुई पर उसने अपने सिर को झटका और अपने आप पर कंट्रोल करके सोने चला गया।
अगले कुछ दिनों में सब सगाई की तैयारी में व्यस्त रहे। जय और डॉली प्यारी प्यारी बातें करते रहते। उधर राज रश्मि से गंदी बातें करता रहता। शशी की चुदाई चालू थी और आख़िर एक दिन शशी बोली: साहब , एक महीने से ऊपर हो गया है मेरे पिरीयड को आए हुए।

राज: ओह बढ़िया, चलो मैं अभी मेडिकल स्टोर से प्रेग्नन्सी टेस्टिंग की किट लेकर आता हूँ। यह कहकर वो किट लेने गया और लेकर वापस आया। वो शशी को समझाने की कोशिश किया कि उसको कैसे उपयोग करना है, पर शशी परेशान होकर बोली: मुझे समझ नहीं आ रहा है।

राज: अच्छा चलो बाथरूम में चलते हैं। वहाँ पहुँचकर वह उसको सलवार और पैंटी खोलने को बोला। वह दोनों खोल दी और कमर के नीचे नंगी हो गयी। अब वह उसको नीचे बैठ कर मूतने को बोला और किट की स्ट्रिप हाथ में ले लिया और उसके सामने ख़ुद भी बैठ गया ।वह सी सी की आवाज़ के साथ मूतने लगी और राज ने स्ट्रिप को उसके पिशाब की धार के सामने रखा। अब राज ने देखा कि स्ट्रिप गीली हो गयी है और उसका हाथ भी पेशाब से गीला हो चुका था। उसने खड़ा होकर स्ट्रिप को ध्यान से देखा। थोड़ी ही देर में स्ट्रिप ने रंग बदला और राज मुस्कुरा उठा। अब वह अपना हाथ धोया और कमर से नीचे नंगी खड़ी शशी को गोद में उठाकर चूमने लगा।

फिर वह उसे बिस्तर पर लिटाया और बोला: शशी तू प्रेगनेनेट हो गयी मेरी जान। यह कहकर वह उसे बेतहाशा चूमने लगा।

शशी भी ख़ुशी के मारे उससे लिपट गयी और उसको चूमते हुए बोली: साहब, आपने अपना वादा निभा दिया और मुझे एक महीने ही में गर्भ से कर दिया। मैं ये आपका अहसान कभी नहीं भूल पाऊँगी। अब शशी उठी और उसका पजामा खोल दिया और चड्डी नीचे करके उसके नरम सोए हुए लौड़े पर चुंबनों की बरसात कर दी। फिर नीचे जाकर उसके बड़े बॉल्ज़ को भी चूमे जा रही थी। फिर वह बोली: सच में मेरा तो जीवन ही आपने बचा लिया। अब वह मेरी कुतिया सास मुझे ताना नहीं दे सकेगी। मेरा पति भी बहुत ख़ुश होगा। यह कहकर वह फिर लौड़े और बॉल्ज़ को चूमने लगी।

राज उसे खींच कर अपने गले से लगा लिया और बिस्तर से उठके अपना पजामा पहना और फिर किचन से मिठाई लाया और शशी को अपनी गोद में बिठाकर खिलाया और ख़ुद भी खाया। थोड़ी देर तक उसने शशी को चूमा और प्यार किया । फिर वह उठकर तिजोरी खोला और उसमें से सोने की एक चेन निकाल कर शशी को अपनी गोद में बिठाकर उसके गले में पहना दिया और बोला: शशी, मेरी तरफ़ से गर्भवति होने की बधाई और उपहार।

शशी की आँख में आँसू आ गए , वह बोली: माँ भी बनाया और उपहार भी दे दिया। आप कितने अच्छें हैं।

राज उसकी चूचि दबाकर बोला: देखो वैसे मैं हूँ तो कमीना पर इन बातों में मेरा विश्वास है कि बच्चा तो भगवान की मर्ज़ी से ही होता है। और सच में आज मैं बहुत ख़ुश हूँ।

उस दिन शशी बड़े देर तक चुदवाइ और उसके जाने के बाद राज सोचने लगा कि अभी भी इस उम्र में मर्दानगी है मुझमें। और वो मुस्कुरा उठा और अपने लौड़े पर हाथ फेर कर अपनी ख़ुशी को महसूस करने लगा।

सगाई के एक दिन पहले रश्मि का फ़ोन आया : कैसे है आप?

राज: बस तुम्हारे ख़यालों में गुम हूँ।

रश्मि: यहाँ मेरी जान निकले जा रही है और आप हैं कि बस मस्ती कर रहे हैं।

राज: अरे मुझे बताओ ना क्या समस्या है।

रश्मि: बस सहमी हुई हूँ कि सब कुछ ठीक से हो जाए।

राज: अरे घर की ही बात है, अगर कुछ गड़बड़ हो भी गयी तो तुम सब तो अपने ही हो। चिंता छोड़ो।

रश्मि: यह कह कर आपने मेरा बोझ कम कर दिया ।

राज: तो कल तुम सब कितने बजे आ जाओगे?

रश्मि: हम सब दो कार से करीब ६ बजे शाम को होटेल रॉयल में पहुँचेंगे। आप वहाँ कितने बजे पहूँचोगे?

राज: हम लोग एक घंटे पहले पहुँच कर पूरा इंतज़ाम चेक कर लेंगे। हमारे तरफ़ से हमने क़रीब १० परिवारों को बुलाया है। और तुम लोग भी क़रीब १० लोग होगे तो एक अच्छा सा पारिवारिक महोल में सगाई की रस्म हो जाएगी।

रश्मि: ठीक है बस सब कुछ बढ़िया से हो जाए।

राज: सब बढ़िया ही होगा। मैंने दो कमरे भी होटेल में बुक किए हैं। एक में दारू पार्टी होगी, सगाई के बाद और दूसरा कमरे में मैं और तुम मस्ती करेंगे।

रश्मि: आप भी ना, मस्ती फिर कभी कर लीजिएगा। बस सगाई अच्छी तरह से हो जाए। और हाँ आपने वो सेट जो पोलिश करके भिजवाया था डॉली को बहुत पसंद आया है।

राज: अरे अब सब कुछ तो बच्चों का ही है। चलो कल मिलते है। बहुत दिन हो गए तुमको देखे हुए।

राज ने फ़ोन काटकर अमित को लगाया। वो बोला: हाय अमित क्या हाल है? उसने उसे भाई सांब बोलना बन्द कर दिया था।

अमित: बढ़िया है , बस सगाई की तैयारी में लगे हैं।

राज: यार मैंने कल दारू और रश्मि की चुदाई का भी इंतज़ाम किया है। ठीक है ना?

रश्मि: दारू तो सही है, पर सबकी मौजूदगी में चुदाई कैसे करोगे?

राज: मैंने प्लान बनाया है। मिलने पर बताऊँगा।
अगले दिन सगाई थी। राज ने सारा समान सूट्केस में पैक किया और जय और शशी को लेकर होटेल पहुँचा। वहाँ होटेल वालों ने सभी तैयारियाँ पूरी कर रखीं थीं। वह शशी को सामान का ध्यान रखने को बोलकर बाक़ी का इंतज़ाम चेक करने लगा और पंडित को भी फ़ोन कर दिया।

ठीक समय पर अमित , रश्मि, डॉली , उसका भाई और अमित की बीवी और दो बच्चे जो की नौकरी करते थे वहाँ पहुँच गए। सब एक दूसरे से मिले। फिर जय के दोस्त और उनके पारिवारिक मित्र भी आ गए। राज रश्मि से मिला और उसे बधाई दिया। आज वह गुलाबी रंग की एक बहुत सुंदर साड़ी में थी जो कि उसकी दुकान से ही ली थी। उसने कान में वो ear rings भी पहने थे ज़ो राज ने उसे उपहार में दिए थे। डॉली भी बहुत सुंदर लग रही थी और उसने भी राज के दिए हुए ज़ेवर ही पहने थे और साड़ी भी जय की भेंट की हुई पहनी थी।

राज ने ध्यान दिया कि सच में आज दोनों माँ बेटी बहुत सुंदर लग रहीं थीं।

वो अमित से बोला: यार आज रश्मि तो मस्त दिख रही है।

अमित: सगाई पर ध्यान दो भाई मेरे।

राज: जब इतनी सुंदर चीज़ हो तो साला ध्यान तो भटकेगा ही ना? देखो क्या मस्त पिछवाड़ा है साला मेरा तो खड़ा होने लगा है।

अमित: चलो अभी सगाई पूरी करते हैं। ये सब बाद में देखेंगे।

राज: ठीक है यार यही सही।

सगाई की रीति चालू हुई। पंडित ने मंत्र पढ़े और छोटा सा हवन हुआ। फिर जय और डॉली ने एक दूसरे को अँगूठी पहनाई। सबने तालियाँ बजाईं और अब वो दोनों सबसे आशीर्वाद लेने लगे। राज के जब वो दोनों पैर छुए तो उसने उन दोनों की पीठ पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। तभी राज का हाथ डॉली की ब्रा के स्ट्रैप पर पड़ा और वह सोचा कि ३४ की ब्रा है। फिर जब डॉली उठने लगी तो वह झाँककर अन्दाज़ लगाने की कोशिश किया कि दूध सच में ३४ साइज़ के हैं क्या। और उसको साड़ी के साइड से उसके ब्लाउस में कसे दूध दिखे और वो रश्मि की बात से सहमत हो गया कि साइज़ तो वही है। पर क्या बिना चुदवाए उसके इतने बड़े हो गए हैं? फिर उसने अपने सिर को झटका दिया और सबको बधाइयाँ देने लगा। चाय नाश्ता के बाद सब मेहमान चले गए ख़ाली जय का एक दोस्त और उसकी बहन वहाँ रह गए। राज ने शशी को भी मिठाई और कुछ पैसा दिया और ऑटो से घर जाने को कह दिया।

अब राज ने सबको एक सुईट में आने को बोला। वहाँ होटेल के कमरे में कुर्सियाँ और सोफ़े लगे थे। वहाँ बग़ल के कमरे से खाने और पीने का इंतज़ाम किया हुआ था। सब लोग बैठ गए । अमित और रश्मि का परिवार और राज और जय का दोस्त और उसकी बहन ही थे।

वेटर ने सबको ड्रिंक्स दिया। किसी ने कोल्ड ड्रिंक लिया और किसी ने वाइन और किसी ने विस्की। अमित और राज विस्की लिए । अमित के बेटे और बेटी ने वाइन ली और उन दोनों ने रश्मि को भी वाइन का ग्लास पकड़ा दिया। डॉली और जय ने कोल्ड ड्रिंक लिया। जय के दोस्त और उसकी बहन ने भी कोल्ड ड्रिंक लिया। स्नैक्स सर्व हो रहे थे और हँसी मज़ाक़ चल रहा था। राज की नज़र बार बार जय के दोस्त की बहन पर थी। वह क़रीब १८ साल की थी और उसने मिनी स्कर्ट और टॉप पहना था और बहुत सेक्सी थी।
राज उठकर दूसरे कमरे में गया और वेटर को बोला: वो जो लड़का और लड़की एक साथ बैठे हैं उनकी कोल्ड ड्रिंक में विस्की मिला दो और कम से कम दो गिलास पिला दो।

इधर रश्मि और अमित के बेटा और बेटी वाइन पीकर बहकने लगे थे। और जल्दी ही जय का दोस्त प्रकाश और उसकी बहन पंडित भी नशे में झूमने लगे। अब राज ने जय और डॉली से कहा: बेटा तुम दोनों मेरी कार ले कर जाओ और एक दूसरे को और अच्छी तरह से जानो। वो दोनों ख़ुश होकर चले गए।

अब राज उठकर पंडित के बग़ल में बैठा और उससे सामान्य बातें करने लगा। वह ११ वीं में पढ़ती थी। जल्दी ही वह उसके जाँघ पर हाथ रखा और वह भी नशे के कारण मज़े में थी। राज ने म्यूज़िक बजवाया और सब झूमने लगे। जल्दी ही प्रकाश सोफ़े पर लुढ़क गया। अब राज ने देखा कि रश्मि और अमित भी नाच रहे थे। उधर अमित के बच्चे भी नशे में लुढ़क रहे थे। राज ने अमित और रश्मि को कहा: चलो दूसरे कमरे में चलते हैं। और पंडित को भी क़रीब घसीटते हुए अपना सहारा देकर पास के कमरे में ले गया। अब चारों एक कमरे में थे और राज ने पंडित को बिस्तर पर लिटाया और उसके ऊपर आकर उसे चूमने लगा। बेचारी मासूम लड़की नशे में थी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी उसने उसका टॉप ऊपर किया और ब्रा के अंदर हाथ डालके उसकी छोटी सी चूचियाँ बाहर की और आधे बने छोटे से निपल्ज़ को चूसने और मसलने लगा।

अमित और रश्मि आँखें फाड़े उसकी हरकत देख रहे थे। फिर वह नीचे आकर उसका स्कर्ट ऊपर किया और उसकी गोरी जाँघों को चूमते हुए उसकी पैंटी नीचे कर दिया। अब उसके सामने काले और भूरे रोयों वाली मासूम से बुर थी। वह पागल होकर उसे चूसने लगा। अब पंडित भी हाऽऽयय्यय करने लगी और वह चूसता ही चला गया और पंडित हाय्ह्य्य्य्य्यू कहकर झड़ने लगी। फिर उसने एक उँगली उसकी टाइट बुर में डाली और बोला: आऽऽऽह ये तो कुँवारी है। वह अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और उसको मसलने लगा।

अब रश्मि बोली: आप अभी इसको वापस कमरे में छोड़ कर आओ। बहुत छोटी है यह, आपके ऊपर रेप का केस बनेगा। वह आपका मोटा वाला नहीं ले पाएगी। फट जाएगी उसकी। ये कहते हुए उसने क़रीब ज़बरदस्ती उसका हाथ उसकी बुर से हटाया। फिर वह लड़की को सहारा देकर उठायी और उसके कपड़े ठीक कर के दूसरे कमरे में छोड़ कर वापस आइ।

अब भी राज कमर के नीचे नंगा था और अमित को बोल रहा था: क्या यार इस रश्मि ने सारा मज़ा ख़राब कर दिया। क्या मस्त माल थी चोदने में मज़ा आ जाता।

अमित रश्मि को देखकर: अरे यार रश्मि ने ठीक किया तुमको बचा लिया। वो बहुत ही मासूम सी बच्ची थी, फट जाती उसकी।

राज अपना लौड़ा हिलाकर रश्मि को बोला: चलो अब तुम ही इसका इलाज करो।

रश्मि हड़बड़ाकर अमित को देखी और अमित मुस्कुराया और बोला: अरे इसमें क्या शर्माना चलो शांत कर दो इसके लौड़े को। मैं बाहर जाता हूँ।
राज: अरे तुम क्यों बाहर जाओगे? कभी थ्रीसम नहीं किया क्या?

अमित: नहीं यार नहीं किया।

राज : तो आज कर लो, बहुत मज़ा आएगा। रश्मि , तुमको कोई ऐतराज़ है क्या हम दोनों से एक साथ चुदवाने में?

रश्मि: हे भगवान। ऐसे भी कोई किसी औरत से पूछता है भला?

राज: इसका मतलब नहीं है। अब वह दोनों बिस्तर के पास रखे सोफ़े पर बैठी रश्मि के पास आते हैं। अमित उसकी एक तरफ़ और राज दूसरी तरफ़ बैठ जाते हैं। राज उसके गाल चूमने लगता है। अमित भी उसका दूसरा गाल चूमता है। फिर दोनों उसकी गरदन और बारी बारी से होंठ चूसते हैं।

अब राज उसकी साड़ी का पल्लू गिरा देता है। ब्लाउस में तने उसके विशाल दूध देखकर दोनों उसको दबाने लगते हैं। रश्मि भी अपना हाथ बढ़ाकर राज का नंगा लौड़ा सहलाती है और दूसरे हाथ से अमित के लौड़े को भी पैंट के ऊपर से दबाती है । अमित उसके ब्लाउस के हुक खोलता है और ब्लाउस निकाल देता है। दोनों उसकी एक एक नंगी बग़ल चाटने लगते हैं। फिर उसकी ब्रा भी निकाल कर दोनों एक एक दूध मुँह में लेकर चूसने लगते हैं। रश्मि आऽऽऽऽऽऽहहहह करने लगती है। राज और अमित उसकी साड़ी और पेटिकोट को टांगों से ऊपर उठाकर उसकी जाँघ सहलाते है और पूरे टाइम दूध पीते रहते हैं। राज का पंजा उसकी पैंटी में क़ैद बुर पर पड़ता है और वह उसे दबाकर रश्मि की हाऽऽऽऽऽऽयययय निकाल देता है।

अमित उसकी साड़ी खोलता है और पेटीकोट का नाड़ा खोलता है और रश्मि अपनी गाँड़ उठाकर पेटिकोट और पैंटी भी निकल जाने देती है। अब अमित उसकी चूचि दबाकर चूसता है और राज पूरा नंगा होकर उसके सामने कारपेट पर बैठ कर उसकी टाँगें अपने कंधे पर रखता है और उसकी बुर चूसने लगता है। रश्मि हाय्य्य्य्य्य्य्यू मरीइइइइइइइइइइइइइ चिल्लाकर मज़े से अपनी गाँड़ उछालकर अपनी बुर उसके मुँह में दबाती है। अमित भी खड़ा होकर पूरा नंगा हो जाता है। उसका लौंडा सामान्य ६ इंच का और थोड़ा मोटा था। रश्मि उसका लौड़ा चूसने लगती है। फिर राज अपने मुँह को और नीचे करके उसकी गाँड़ के छेद पर ले जाता है और उसकी गाँड़ को जीभ से चाटने और चोदने लगता है। रश्मि बेहाल होकर गूँ गूँ करती है और तभी राज खड़े होकर रश्मि को बिस्तर पर आने को कहकर ख़ुद बिस्तर पर लेट जाता है। रश्मि राज के ऊपर आकर उसके होंठ चूमने लगती है और राज उसके चूतरों को दबाकर उसको फैलाता है और गाँड़ में एक ऊँगली डालता है। रश्मि उइओइइइइइओ करती है।

राज: मैं बुर में डालता हूँ तुम गाँड़ में थूक लगा कर डालो।

रश्मि: आऽऽऽह नहीं, मेरे पर्स में क्रीम है प्लीज़ उसको लगाइए, सूखे में दर्द होता है।

अब रश्मि राज के लौंडे को चूसकर गीला करती है और उस पर बैठकर अपनी बुर खोलकर लौड़े को अंदर करती हुई उस पर बैठती चली जाती है। तब तक अमित भी क्रीम लेकर अपने लौड़े पर मलता है और फिर दो ऊँगली में क्रीम लेकर उसकी गाँड़ के अंदर भी डाल देता है। फिर वह ऊपर आकर उसकी गाँड़ में अपना लौड़ा डालता है और दबाते हुए पूरा अंदर कर देता है। तभी उसको राज के लौंडे का भी अंदर ही अंदर अहसास होता है। अब रश्मि उछल कर अपनी बुर और गाँड़ चुदवाने लगती है। उसकी वासना अब अपनी चरम सीमा पर थी और वह उइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽ और जोओओओओओओओर से चोओओओओओओओओदो आऽऽऽऽहहहह फ़ाआऽऽऽऽऽऽड़ दो। हाऽऽऽऽयय्यय कितना मज़ाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽऽ है चिल्ला रही थी। पलंग तोड़ चुदाई चालू थी और दोनों मर्द पूरे ज़ोर से उसकी चुदाई में लगे हुए थे। सबकी कमर बुरी तरह से हिल रही थी। कमरे में पलंग भी आवाज़ कर रहा था और वह तीनों भी सिसकारियाँ भर रहे थे। रश्मि की चूचियाँ उछलने से ऊपर नीचे हो रहीं थीं। उनको कभी अमित और कभी राज दबाकर या चूसकर उसकी हालत और ख़राब कर दिए थे। अचानक रश्मि चिल्लाई: उइइइइइइइइ मैं तो गईइइइइइइइइइइ। अब अमित और राज भी अपनी गति बढ़ा दिए और ह्म्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगे। फिर तीनों लेटकर सुस्ताने लगे।

राज रश्मि की चूची दबाते हुए: जान मज़ा आया?

रश्मि: आऽऽऽऽह हाँ बहुत मज़ा आया। सच मुझे पता नहीं था कि थ्रीसम में इतना आनंद आता है।

अमित: सच यार हम दोनों का लौड़ा एक पतली सी दीवार से अलग था और मुझे लग रहा था कि वो आपस में रगड़ भी रहे थे। क्या फ़ीलिंग थी।

रश्मि उठी और उसकी जाँघों में सफ़ेद रस लगा हुआ था। वह फ़्रेश होकर आयी और कपड़े पहनने लगी। अब अमित भी बाथरूम में गया और राज उठकर ब्लाउस और पेटिकोट पहन रही रश्मि के पीछे आया और उसकी चूचियाँ दबाते हुए अपना लौड़ा उसके चूतरों पर रगड़ते हुए बोला: अभी रुको ना एक राउंड और करते हैं।
तभी अमित बाहर आया और बोला: यार देर हो जाएगी वापस भी जाना है। फिर आ जाएँगे हम दोनों।

रश्मि: हाँ इस बार आपके घर आएँगे और फिर हम तीनों दिन भर मस्ती करेंगे। ठीक है?

राज उसके होंठ चूमा और बोला: ठीक है जान जैसे तुम कहो। फिर सबने कपड़े पहने और दूसरे कमरे में पहुँचे और तभी जय और डॉली भी आ गए। फिर सबको उठाया गया और सब झूमते हुए कार में आकर बैठे और रश्मि अपने परिवार के साथ वापस चली गयी और राज पंडित को सहारा देकर कार के पीछे बैठा और राकेश और जय सामने बैठे। जय कार चलाते हुए बातें कर रहा था और राज फिर से अधलेटि पंडित की जाँघ सहलाने लगा और उसकी बुर में पैंटी को साइड करके ऊँगली फेरने लगा। वह फिर से गीली हो गयी और आऽऽझ की आवाज़ निकालने ही वाली थी कि उसके मुँह में हाथ रखकर उसकी आवाज़ को रोकने में सफल हो गया। वह उसकी चूचि दबाकर उसकी बुर में ऊँगली करके उसको दस मिनट में फिर से झाड़ दिया। वह नींद में लग रही थी। अब राज ने अपने जेब से अपना विज़िटिंग कार्ड निकाला और उसके पर्स में डाल दिया।

जब उनका घर आया तो दोनों भाई बहन उतरे तब पंडित मुस्कुरा कर बोली: अंकल थैंक्स । फिर वह गाँड़ मटकाते हुए चली गयी। राज को समझ नहीं आया कि क्या वो होश में थी और मज़े से उसे सब कुछ करने दे रही थी। राज सोचने लगा कि मेरा नम्बर तो मैंने उसे दे ही दिया गई अगर चुदवाना होगा तो साली फ़ोन करेगी। अब वह अपना लौड़ा मसल कर उसकी छोटी मगर टाइट चूचियों का सोचने लगा। तभी घर आ गया।

राज घर में जय से बोला: सगाई ठीक से हो गई ना?

जय: जी पापा, सब बड़े ख़ुश थे। आपने दारू का चक्कर क्यों चलाया?

राज: अरे मेरे इकलौते बेटे की सगाई थी कोई कमी थोड़ी करनी थी। ये बताओ डॉली और तुम्हारे में क्या रहा?

जय: पापा आप भी ना, बस सब नोर्मल था और हम एक दूसरे को समझने की कोशिश कर रहे थे।

राज: शाबाश बेटा जितना एक दूसरे को समझोगे उतनी ही शादी सफल होगी।

जय: जी पापा अब सोया जाए। गुड नाइट कहकर वो चला गया।

राज भी अपना लौड़ा दबाकर पंडित की कुँवारी जवानी का सोचकर सो गया।

पर जय की आँखों में नींद कहाँ थी। आज का दिन उसके लिए बहुत ख़ास था। वह याद करने लगा कि आज क्या क्या हुआ। नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी।
जय को नींद नहीं आ रही थी, उसकी आँखों के सामने डॉली का चेहरा और उसका कसा हुआ बदन आ रहा था । दरअसल में जय एक शरीफ़ लड़का था और उसने कभी भी किसी लड़की के साथ प्यार या सेक्स नहीं किया था। आज जब उसके पापा सगाई के बाद उसे डॉली को घुमाने को बोले, तो वह थोड़ा नर्वस सा हो गया था। पर डॉली के सरल स्वभाव ने उसे जल्दी ही सामान्य कर दिया। वह डॉली को कार से एक पार्क में ले गया , जहाँ उनके जैसे ही और जोड़े भी थे।

पार्क में वो दोनों एक अलग सी बेंच पर बैठे और बातें करने लगे। डॉली उसे अपने भाई अपनी माँ और अपने स्वर्गीय पापा के बारे में बताने लगी। फिर वह अपनी पढ़ाई और अपने दोस्तों के बारे में बताई ।

तभी जय ने उसको टोका: क्या तुम्हारा कोई बॉय फ़्रेंड भी था?

डॉली: नहीं कभी नहीं, इस बारे में शुरू से ही पक्के इरादे की थी कि मैं उसी से प्यार करूँगी जिससे मेरी शादी होगी। आपकी कोई गर्ल फ़्रेंड है?
जय: मैं भी तुम्हारी तरह सोचता हूँ। अब तुम ही मेरी गर्ल फ़्रेंड होगी। इस पर दोनों हँसने लगे। वह बोला: डॉली जब तुम हँसती हो तो बड़ी प्यारी लगती हो।

डॉली: इसका मतलब वैसे प्यारी नहीं लगती?

जय: अरे नहीं, मेरा ये मतलब नहीं था। वो दोनों फिर से हँसने लगे। तभी अचानक थोड़ी हवा चलने लगी और मौसम ख़राब होने लगा। शाम का समय था और पार्क में काफ़ी रौशनी थी। हवा चलने से डॉली का पल्लू उड़ा और नीचे को गिर गया। जय की आँखें उसके कसे हुए ब्लाउस पर गयीं और वह थोड़ा सा उत्तेजित महसूस करने लगा। अब डॉली ने अपना पल्लू ठीक किया। तभी हल्की सी बारिश होने लगी। वो दोनों भाग कर थ्रीडी दूर पर एक पेड़ के नीचे आ गए। अब पार्क ख़ाली सा हो गया था। जय ने डॉली का हाथ पकड़ा और कहा: देखो मौसम भी आशिक़ाना हो रहा है।

डॉली: सर्दी लग गयी तो छींकते रहना। तभी जय ने उसको अपने पास खिंचा और बोला: लगने दो सर्दी, तुम इलाज कर देना। डॉली भी उसकी छाती पर सिर रख कर बोली: अब तो सर्दी लग ही नहीं रही।

जय उसकी पीठ सहलाकर बोला: अब तुम्हारे बदन की गरमी जो महसूस हो रही है।

डॉली हँसकर: धत्त ऐसा क्यों बोले?

इसी तरह वो दोनों छोटी छोटी मीठी सी बातें कर रहे थे तभी उनको कुछ आवाज़ सुनाई पड़ी जो कुछ दूरी पर एक पेड़ के पास से आ रही थी। वो समझ गए की उस पेड़ के पीछे भी उनकी तरह एक जोड़ा है। जिस पेड़ के नीचे ये दोनों खड़े थे उसने एक बड़ी शाखा V के आकर की थी और और उसके पीछे से वो दूसरे पेड़ को देख पा रहे थे। ये कुछ अंधेरे में थे , इसलिए दूसरा जोड़ा इनको अब तक नहीं देख पा रहा था।

अब जय ने उस V के गैप से झाँका और सन्न रह गया। वहाँ एक क़रीब उसकी उम्र का ही एक नौजवान एक जवान लड़की का कुर्ता उठाकर उसकी ब्रा में से उसके गोल गोल संतरों को दबाकर चूस रहा था।
लड़की भी उसके सिर को अपनी छाती पर दबाए जा रही थी।

डॉली : क्या देख रहे हो?

जय ने उसे चुप रहने का इशारा किया और देखने को बोला: अब डॉली भी देखी और बुरी तरह से चौक गयी। उसने जय को देखा जिसकी आँखें वहीं चिपकी हुई थीं। वो भी देखने लगी। अब वह लड़का नीचे बैठा और उसने उसकी सलवार खोल दी। अब वह पैंटी को नीचे किया और उसकी बुर में अपना मुँह घुसेड़ दिया। अब लड़की की हल्की सी सिसकारियाँ सुनाई पड़ने लगी।
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#9
इधर जय का लौड़ा भी तन गया था और उससे सटी डॉली की जाँघ पर रगड़ रहा था। डॉली की भी सांसें फूलने लगी थीं। अब डॉली भी जय से और ज़ोर से चिपक गयी थी। जय के हाथ उसकी पीठ पर घूमते हुए नीचे जाकर उसकी नंगी कमर पर घुमने लगे थे। उधर वो लड़का उसके चूतरों को दबाकर उसकी बुर चाटे जा रहा था। अब वह उठा और उसने अपनी पैंट का ज़िपर खोला और अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया। जय ने देखा कि सामान्य साइज़ का ही था।

अब डॉली ने अपना मुँह घुमा लिया और जय से बोली: चलिए यहाँ से अब । बहुत हो गया।

जय उसको अपने से लपेट कर बोला: फ़्री में ट्रेनिंग मिल रही है , ले लेते हैं ना। मैंने कभी ये सब किया नहीं है। और शायद तुमने भी नहीं किया होगा।

डॉली: शायद का क्या मतलब? मैंने सच में ऐसा कुछ नहीं किया है।

जय : देखो वो क्या कर रही है? अब डॉली ने मुँह घुमाया और देखा कि अब लड़की नीचे बैठी है और उसके लौड़े को प्यार से चूस रही है। फिर उस लड़के ने लड़की को उठाया और पेड़ के सहारे से उलटा होकर झुकने को बोला। फिर वह उसके पीछे से आकर उसकी बुर में अपना लौड़ा डाला और उसकी चूचियों को दबाकर उसे चोदने लगा। वह लड़की अब आऽऽऽह और हाऽऽय्यय करके अपनी गाँड़ पीछे करके चुदवाने लगी । जय और डॉली की आँखें जैसे वहाँ उसके अंदर बाहर हो रहे लौड़े पर ही चिपक गयीं।अब जय का हाथ डॉली के उभरे हुए चूतरों को दबा रहा था और डॉली की बुर भी गीली हुए जा रही थी। अब जय ने उसका हाथ पकड़कर अपने पैंट के ऊपर से लौड़े पर रखा और डॉली भी उत्तेजनावश उसका विरोध ना कर उसे दबाने लगी। जय का एक हाथ ब्लाउस में गया और वह उसकी चूचि को हल्के से दबाने लगा। अब डॉली भी मस्ती में आकर हाऽऽऽय्य कहकर बोली: आऽऽहाह क्या कर रहे हैं? शादी के पहले ये सब ठीक नहीं है।

तभी वहाँ वह जोड़ा फ़च फ़च की आवाज़ के साथ ज़बरदस्त चुदाई किए जा रहा था। और फिर वो लड़की चिल्लाई : उईइइइइइइइइइइइइ मैं गयीइइइइइइइइइ।
उधर लड़का भी ह्म्म्म्म्म्म्म्म आऽऽऽऽऽह करके उसकी बुर में अपना माल गिराने लगा। फिर वह उसकी छोड़कर ज़मीन में बैठ गया और उसका नरम होता लौड़ा अभी भी गीला होकर लटका सा दिख रहा था।
लड़की भी अब अपना रुमाल लेकर अपनी बुर साफ़ की और फिर झुक कर बड़े प्यार से उसका नरम लौड़ा भी साफ़ की। फिर दोनों ने अपने कपड़े पहने और एक दूसरे के होंठों को चूमा और वहाँ से चलने लगे। लड़के ने पूछा: भाभी मज़ा आया?

लड़की: तुम्हारे भय्या जो मज़ा देते हैं उसका डबल मज़ा आया। और फिर दोनों हँसते हुए पानी में भीगते हुए चले गए।

अब जय ने उसके होंठ को चूमा और बोला: डॉली अब तो हम शादी करने वाले हैं तुम क्यों इतना सोचती हो?

डॉली: मैं शादी के पहले इस सबको ग़लत समझती हूँ।यह कहते हुए उसने अपना हाथ उसके लौड़े से हटा लिया। फिर वह बोली: ये दोनों भाभी और देवर थे? है ना?

जय: हाँ उनकी बातों से तो ऐसा ही लगा।

डॉली: चलो अब चलते हैं। थोड़ा भीगेंगे और क्या होगा।

जय उसके क़मर को सहला कर: सच कहूँ मज़ा आ गया उनकी मस्ती देख कर । क्या मज़े से चु- मतलब सेक्स किया उन्होंने। क्या हम भी इतना ही मज़ा लेंगे?

डॉली शर्माकर: आप बहुत बेशर्म हो । मुझे नहीं पता।

जय: अच्छा ये बताओ कि तुम भी उतनी ही गरम ही गयी हो जितना मैं हो गया हूँ?

डॉली: ये सब देखकर तो दिमाग़ ख़राब होता ही है। अब चलिए पानी बंद हो गया है।

जय ने उसके गाल को चूमा और बोला: चलो चलते हैं। अब वो वापस आने लगे, शाम के आठ बज चुके थे और वो रास्ता भूल गए। थोड़ी दूर जाने के बाद जय बोला: लगता है रास्ता भूल गए हैं। पानी रुक गया है , चलो किसी से पूछते हैं कि बाहर जाने का रास्ता किधर है।

डॉली: ये सुनिए उधर से कुछ आवाज़ आ रही है, वहाँ चलते हैं। उनसे पूछते हैं रास्ता।

उस तरफ़ जाते हुए उन्होंने देखा कि उस तरफ थोड़ा अँधेरा सा था। वहीं पहुँच करके उन्होंने देखा कि आवाज़ एक बेंच में बैठे हुए दो लोगों के पास से आ रही थी। अभी वो एक पेड़ के पास ही पहुँचे थे कि उनको आवाज़ अब साफ़ सुनाई पड़ी और जय ने डॉली को रोका और उसे भी पेड़ के पीछे कर लिया ।अब वो दोनों उनकी बातें सुनने लगे।

आदमी: आह बहू आज कितने दिन बाद तू मेरा लौड़ा चूस रही है। मैं तो तरस ही गया था इस सुख के लिए। ये घर में साले इतने मेहमान आ गए हैं की हमारी चुदाई भी नहीं हो पा रही है।

अब जय ने डॉली को दिखाया और कहा: देखो , ऐसा लगता है कि बहू अपने ससुर का लिंग चूस रही है।

डॉली: छी , ऐसा भी होता है क्या? मुझे तो सोच कर भी गन्दा लगता है। ससुर तो पिता समान होते हैं।
तभी वो आदमी बोला: आह चलो अब उठो और चोदने दो।

अब वो लड़की मुँह ऊपर को और उन्होंने देखा कि मस्त गोरी सुंदर जवान लड़की थी। वह अपनी सलवार उतारी और कुर्ता ऊपर करके अपनी बुर अपने ससुर के आगे करके बोली: लीजिए बाबूजी इसे थोड़ा सा प्यार कर दीजिए। अब वह उसकी बुर में अपना मुँह घुसेड़ दिया और उसके चूमने की आवाज़ साफ़ आ रही थी। जय के लौड़े ने फिर से अंगड़ाई लेनी शुरू की और वह डॉली के चूतरों से उसको सटा कर वहाँ रगड़ने लगा। डॉली का ध्यान उधर था और वह देखी कि अब उस आदमी ने उस लड़की को घुमाया और उसके चूतरों को दबाकर चूमने लगा और फिर उसने उसकी चूतरों की दरार में भी मुँह घुसा दिया और गाँड़ को चाटने लगा।
डॉली के मुँह से फिर निकला : छी कितना गन्दा आदमी है, कोई उस जगह को भी चाटता है भला?

जय: हाँ सच में बड़ा अजीब लग रहा है, पर उसे तो बहुत मज़ा आ रहा है। यह कहते हुए जय अपने लौड़े को उसकी गाँड़ पर रगड़ कर अब उसकी चूचि सहलाने लगा। तभी वह आदमी लड़की से बोला: आओ बेटी मेरी गोद में बैठो और चुदवाओ। वह लड़की उसके लौड़े पर अपनी बुर रखकर बैठने लगी और फिर वह उछल उछल कर चुदवाने लगी। वह कुर्ते को उठा कर उसकी चूचियाँ दबाए जा रहा था। फ़च फ़च की आवाज़ें आ रही थीं और लड़की की ऊहन ऊहन उइइइइइइइ की भी आवाज़ निकाल रही थी। फिर वो बोला: आऽऽऽह बेटी क्या बुर है तेरी, चल अब उठ मैं चोदता हूँ। वह खड़ी हुई और बेंच को पकड़कर झुकी और वह पीछे से उसकी बुर में लौड़ा डालकर उसकी ज़बरदस्त चुदाई करने लगा।


जय ने उत्तेजना ने आकर अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसे डॉली की गाँड़ में साड़ी के ऊपर से रगड़ने लगा। लौड़ा उसकी गाँड़ की दरार से होकर उसकी पतली सी पैंटी के अंदर उसकी बुर को छूने लगा था। डॉली की बुर एकदम से पनिया गयी थी। उसकी साँसे भी तेज़ चलने लगी थी।

उधर वह लड़की अब बड़बड़ा रही थी: आऽऽऽऽह और ज़ोर से हाय्य इसी मज़े के लिए मरी जा रही थी हाय्य बाऊजी क्या चोद रहे हैं। और जोओओओओओओओर से आऽऽऽऽऽऽह फ़ाआऽऽऽड़ दोओओओओओओओओ मेरीइइइइइइइइ। अब वह अपनी गाँड़ पीछे करके अपनी ओर से भी धक्का दे रही थी। फिर वो दोनों सिसकियाँ भरते हुए झड़ने लगे। जय भी अपने लौड़े को रगड़ते हुए अपनी मूठ मारने लगा और झड़ने लगा। उसने डॉली की साड़ी ख़राब नहीं होने दी। डॉली आँखें फाड़कर उसके मोटे और लम्बे लौड़े को झटके मारते हुए सफ़ेद वीर्य छोड़ते हुए देखा। डॉली का हाथ भी अपनी बुर पर चला गया और वह वहाँ खुजा बैठी।

उधर से आवाज़ आयी। लड़की: बाऊजी आज तो आपने बहुत मज़ा दिया ,सच में तरस गयी थी ऐसी चुदाई के लिए।

ससुर: मुझे भी बहुत मज़ा आया बेटी, बस ये मेहमान जाएँ तो हमारी रेग्युलर चुदाई फिर से चालू ही जाएगी। और हाँ मेरा दोस्त नज़ीर भी तुझे याद कर रहा था।

लड़की अपने कपड़े पहनती हुई बोली: बाऊजी नज़ीर अंकल तो उस दिन मेरी चूचि दबाए थे और पैंट के ऊपर से अपना लौड़ा भी पकड़ाए थे मुझे।

ससुर: अरे बेटी वो तुमको चोदने को मरा जा रहा है। मेहमानों के जाते ही हम दोनों मिलकर तेरी चुदाई करेंगे।

लड़की: बाऊजी मुझे भी इसी दिन का इंतज़ार है। फिर वो दोनों एक दूसरे से लिपटकर चूमे और जाने लगे।

डॉली: चलिए ये बाहर जा रहें हैं, हम इनके पीछे पीछे बाहर निकल जाएँगे। वो दोनों बाहर आकर कार ने बैठे। डॉली: आज जो देखा, मेरा तो सिर ही घूम गया। क्या ससुर और बहू भी इतनी नीच हरकत कर सकते हैं।

जय: हैरानी तो मुझे भी बहुत हुई और फिर वो कमीना अपने किसी दोस्त से भी उसे चु– मतलब करवाने के लिए बोल रहा था।

डॉली: सच बड़ा ही कमीना आदमी था और लड़की भी उतनी ही रँडी थी, है कि नहीं?

जय : हाँ सच में वो भी ऐसी ही थी। बेकार सी।

डॉली हँसकर बोली:: पर आपका तो उसको देख कर रस ही छोड़ दिया था ।बहुत पसंद आयी थी ना आपको?

जय: अरे नहीं , पर बहुत गरम दृश्य था ना वो। तुम भी तो अपनी वहाँ खुजा रही थी।

डॉली शर्माकर: धत्त गंदे कहीं के । कुछ भी बोलते हैं। और ये बताइए की आपने मेरे यहाँ क्यों हाथ रखा था! वो अपनी छाती की ओर इशारा करके बोली।

जय: सॉरी वो सब देखकर मैं बहुत उत्तेजित हो गया था। मुझे माफ़ कर दो।

डॉली: धत्त सॉरी क्यों बोल रहे हो। आख़िर ये हैं तो तुम्हारे ही ना। तुम इन्हें छू लिए तो क्या हुआ।

जय: सच तुम बहुत प्यारी हो। इसका मतलब ये मेरे हैं, यही ना? और तुमने इनको इतना बड़ा मेरे लिए ही किया है, है ना? यह कहकर उसने हाथ बढ़ाया और उसकी छाती दबा दिया।

डॉली उसके हाथ पर अपना हाथ मारकर बोली: धत्त अभी हटाओ अपना हाथ । मैं शादी के बाद की बात कर रही थी, बदमाश कहीं के। और एक बात आज मैंने आपका वो देखा, बाप रे कितना बड़ा है? उन दोनों आदमियों से भी बड़ा है जिनको आज हमने नंगा देखा है। मुझे तो डर लग रहा है।

शिवस अरे अभी सुहाग रात में बहुत समय है, अभी से क्यों डर रही हो।

फिर दोनों हँसने लगे और तभी होटेल आ गया और वो दोनों सबके पास वापस आ गए थे और बाद में डॉली अपने परिवार के साथ वापस अपने शहर चली गयी थी।
इधर जय अब अपना लौड़ा दबाया और नींद में समा गया।
इधर जय और राज को तो नींद आ गयी थी, पर रश्मि और डॉली की आँखों से नींद अभी भी ग़ायब थी। वो तो अपने घर रात को ११ बजे ही पहुँची थीं।
रश्मि अपने बिस्तर पर करवट बदल रही थी।

वह अभी नायटी पहनी थी। उसकी आँखों में आज की पूरी घटनाएँ घूम रही थी। वो संतुष्ट थी कि सगाई अच्छी तरह से हो गयी थी। सच में राज कितने अच्छें है जिनकी मदद से सब कुछ आराम से निपट गया। और फिर उसे शाम की चुदाई याद आ गयी। बहुत मज़ा आया था। सच में अमित और राज ने क्या मस्त चुदायी की थी। उसका हाथ अपनी नायटी के अंदर से अपने निपल्ज़ पर चला गया और वह राज के मस्त लौड़े को याद करने अपना दूसरा हाथ अपनी पैंटी में डालकर अपनी बुर को सहलाने लगी।

फिर उसे राज की पहली चुदाई की याद आ गयी और वो उन पलों को याद करके अपनी बुर में तीन उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर करने लगी।उसकी ऊँगली clit को भी रगड़ रही थी। अपने निपल को मसलते हुए और अपनी बुर में अंगुलियाँ चलाते हुए वह सीइइइइइइइइ आऽऽऽऽऽहहह करने लगी। फिर उसे वह पल याद आया जब अमित उसकी गाँड़ में और राज उसकी बुर में अपना अपना गरम माल छोड़ रहे थे। वह अब उइइइइइइइइओओ करके अपनी गीली बुर में और ज़ोर से उँगलियाँ चलाने लगी और फिर उइइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी। शांत होकर वह करवट बदली और तकिए से चिपक कर सो गयी।

उधर डॉली का भी यही हाल था। वह आज दिन भर की बातें याद कर रही थी। उसे सगाई की वो रस्म याद आइ जब जय ने उसकी ऊँगली में अँगूठी पहनाई थी। उसने वह अँगूठी चूम ली जैसे वह जय को चूम रही हो। फिर उसे वह दृश्य याद आया जिसमें वो पार्क में बैठे हुए जय से मीठी बातें कर रही थी। फिर उसे अचानक देवर भाभी की चुदाई याद आयी। कैसे वो दोनों एक दूसरेमें समाए जा रहे थे। और कैसे वह लड़की उसका लिंग चूस रही थी। उसे याद आया कि वह लड़की प्यासी थी क्योंकि वह बोली थी कि उसका पति उसे वह सुख नहीं दे पाता जो उसका देवर देता है। फिर उसे अपनी माँ का चक्कर याद आया । उसे पता था कि उसकी माँ के अपने जेठ यानी की ताऊजी से सम्बंध हैं। उसने कई बार दोनों को प्यार करते देखा है। वो उन दोनों को दो बार सेक्स करते भी देख चुकी थी। शायद पापा की कमी वो ताऊजी से पूरा करती हैं। यह सब सोचकर उसकी बुर भी गीली होने लगी। वह अपनी नायटी के ऊपर से अपनी चूचियाँ दबाने लगी। तभी उसको याद आया कि कैसे जय ने भी उसकी चूचियाँ दबायीं थीं। अब वो गरम होने लगी और उसने अपनी नायटी सामने से खोली और अपनी ब्रा के अंदर हाथ डालकर अपनी चूचियाँ दबाने लगी और निपल्ज़ भी मसलने लगी। उसके मुँह से सीइइइइइ और हाऽऽय्य निकल रही थी।

फिर उसको याद आया किकैसे ससुर अपनी बहूके साथ लगा हुआ था। और कितनी गंदी बातें कर रहा था।
उनकी बातों से साफ़ पता चल रहा था कि ससुर और बहू का खेल कई दिनों से चला आ रहा है। और वो बहू को अपने दोस्त के साथ शेयर करने की बात भी किया जो उसको बहुत हैरान कर गयी थी। ऐसा भी कोई अपनी बहू के साथ करता है भला। फिर उस ससुर और बहू का सेक्स आ गया और वह फिर से गरम होने लगी। अब वह अपना हाथ अपनी पेंटी के अंदर लेकर अपनी बुर के साथ खेलने लगी। एक हाथ से वह बारी बारी से अपने निपल मसल रही थी और दूसरे हाथ से वह अपनी बुर में एक ऊँगली डाल कर रगड़ रही थी। उसकी आँखों के सामने बहू का अपने ससुर के लौड़े पर उछलकर चुदवाना और चिल्लाकर और ज़ोर से चोदो बोलना घूम रहा था। वह अब पूरी तरह से गीली हो चुकी बुर की clit भी रगड़ कर मस्ती से भर रही थी। अचानक उसके दिमाग़ में एक विचार आया कि क्या उसके ससुर भी उसके साथ ऐसा करेंगे? नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता। पर फिर उसे याद आया किउसने राज को उसकी छातियों को घूरता पाया था। पर यह सोचकर कि वो उसका वहम होगा , उसने ध्यान नहीं दिया था। पर अब उसे शक सा होने लगा। तभी उसको ध्यान आया कि आज जब वह उनके पैर छू रही थी तो वह उसकी चूचि को घूर रहे थे। उसने सोचा कि ही भगवान क्या ये भी मुझे ऐसी ही नज़र से देखते हैं? कहीं मेरे ससुर भी मेरा वही हाल तो नहीं करेंगे जैसा कि उस आदमी ने अपनी बहू का किया हुआ है।

फिर वह यह सोचकर कि जय के रहते शायद वह ऐसा नहीं कर पाएँगे, वो जय के बारे में सोचने लगी। फिर उसे याद आया कि कैसे उसने उसकी छाती सहलायी थी और उसके पिछवाड़े में अपना लिंग रगड़ा था। अब वह बहुत गरम हो चुकी थी और जय का बड़ा सा लिंग उसकी आँखों के सामने झूलने लगा। वह रोमांच से भरने लगी। उसकी बुर में ऊँगली अब और तेज़ी से हिल रही थी और वह अब उइइइइइइइइ हाऽऽऽय्य कर रही थी। तभी उसे याद आया कि कैसे उसके लिंग ने सफ़ेद पिचकारी छोड़ी थी गाढ़ी सी ।

जिस तरह से उसके लिंग ने झटके मारे थे वो याद करके वह झड़ने लगी। उसकी सिसकियाँ गूँज रही थी और वह अपनी कमर उछालकर अपनी ऊँगली के दबाव को बढ़ाकर मस्ती से झड़ी जा रही थी।
झड़ने के बाद वह भी तकिए से चिपक कर सो गयी।
अगले दिन सुबह शशी आयी और राज को चाय बना कर दी। राज ने शशी को कहा: आज तुम मुझसे पैसे ले लेना और डॉक्टर को दिखा देना । अब तुमको समय समय पर डॉक्टर को दिखाना होगा, समझी?
शशी: जी अच्छा दिखा दूँगी। आप ये तो बताओ कि कल रश्मि को ठोके कि नहीं?

राज हँसते हुए: अरे उसे ठोके बिना मुझे चैन कहाँ। वैसे कल उसकी मैंने और उसके जेठ दोनों ने मिलकर चुदाई की।

शशी: दोनों ने एक साथ ? हे भगवान ! आप भी ना क्या क्या करते रहते हो? वो तैयार हो गई इसके लिए?

राज: अरे वो तो मस्त मज़े से चुदवाई किसी रँडी की तरह। मज़ा आ गया।

शशी: और वो पंडित का क्या चक्कर था, आप उसकी तरफ़ भी बहुत गंदी नज़रों से देख रहे थे ?

राज: अरे कुछ नहीं उसकी बुर चाटी और कुछ ख़ास नहीं।

शशी: एक बात बोलूँ ? नाराज़ मत होना!

राज: बोलो।

शशी: मैंने देखा था कि आप बहु की भी छाती को अजीब नज़रों से देख रहे थे। आपके मन में उसके लिए भी कहीं कुछ तो नहीं चल रहा?

राज: नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है। वह असल में क्या हुआ था कि रश्मि ने उसकी ब्रा का साइज़ ३४ बताया था। मुझे लगा कि वह बढ़ाकर बोल रही है, इसलिए मैं चेक कर रहा था कि क्या वाक़ई उसके इतने बड़े हैं क्या। और कुछ नहीं ।

शशी: वाह जी वाह क्या ससुर हैं जो बहू की ब्रा का नाप चेक कर रहे हैं वो भी सगाई के दिन। तो क्या परिणाम निकला जाँच का?

राज: हाँ उसके बड़े हैं ३४ से कम नहीं होंगे।

शशी: हाथ से पकड़कर देख लेते क्या साइज़ है?

राज झल्लाकर उसके पिछवाड़े पर एक हल्का सा थप्पड़ लगाया और बोला: साली मेरा मज़ाक़ उड़ाती है? चल जा एक कप और चाय ला। शशी हँसती हुई अपने चूतड़ सहलाते हुए भाग गयी।

जय भी उठा और तैयार होकर दुकान चला गया।

राज नहाकर रश्मि को फ़ोन लगाया: हाय मेरी जान कैसी हो?

रश्मि: ठीक हूँ, आपका बहुत धन्यवाद सगाई अच्छी तरह से हो गयी। सब कुछ बहुत बढ़िया रहा।

राज: हाँ सब कुछ बढ़िया था ,तुम्हारी चुदाई भी।

रश्मि: छि आपको तो बस एक ही बात आती है। और कल जो आप उस बच्ची पंडित के साथ करने जा रहे थे ना वो आपको हवालात की सैर करा देती।

राज: अरे जिसे तुम बच्ची कह रही हो वह कार में एक बार फिर से मुझे मज़ा दी। चालू चीज़ है। जल्दी ही चोदूंग़ा उसे। छोड़ो उसे, तुम बताओ तुमको तो मज़ा आया ना डबल धमाके का?

रश्मि हँसते हुए: इसका जवाब तो मैंने कल ही दे दिया था कि मुझे बहुत मज़ा आया।

राज: तो फिर कब इस मज़े को रीपीट करेंगे? एक बार फिर से वही मज़ा अपने घर पर लेंगे, प्रोग्राम बनाओ अमित के साथ?

रश्मि: ठीक है बात करूँगी और बताऊँगी। जय कैसा है?

राज: ठीक है और दुकान चला गया है। डॉली बेटी कैसी है?

रश्मि: वह भी ठीक है किचन में कुछ बना रही है। चलिए मैं रखती हूँ।

राज: अरे मेरी जान एक पप्पी तो दे दो और फिर वह एक चुम्बन की आवाज़ निकाला। उधर से रश्मि ने भी वही पुच्हह मी आवाज़ निकाली और फ़ोन रख दिया।

उधर डॉली किचन में आकर खाना बनाने लगी, तभी उसको याद आया कि उसने अपने ज़ेवरों का डिब्बा तायी जी को दिया था , वो उसे वापस माँ को देना है। वह अमित के कमरे की ओर चल पड़ी। जैसे ही वह उनके कमरे के पास पहुँची उसे माँ की आवाज़ सुनाई दी। वह हंस रही थी और धीमी आवाज़ में बात कर रही थी। उसने खिड़की से देखा कि ताऊजी ने मम्मी को अपनी बाँहों में जकड़ रखा था और उनके हाथ उनकी चूतरों पर घूम रहे थे। बग़ल में बिस्तर पर ताई जो सोई हुई थी या पता नहीं सोने का नाटक कर रहीं थीं। जब ताऊजी की उँगलियाँ उनके पिछवाड़े से होकर नीचे उनकी बुर या गाँड़ में जाने लगी तो डॉली शर्म से वहाँ से हट गई। वह सोच रही थी कि इस उम्र में भी मम्मी को कितनी गरमी चढ़ी हुई है।

ये अच्छा ही हुआ कि डॉली वहाँ से चली आयी वरना वो जो उनकी बातें सुन लेती तो उसका दिमाग़ ही घूम जाता।

रश्मि फुसफुसाकर बोली: राज जी का फ़ोन आया था, वह हम दोनों को फिर से बुला रहे हैं वही थ्रीसम के लिए।

अमित उसकी चूचियाँ दबाते हुए: हाँ यार जल्दी ही प्रोग्राम बनाते है। सच बहुत मज़ा आया था कल। हैं ना?

रश्मि: हाँ आया तो था, पर ऐसे रोज़ रोज़ थोड़े ही जा सकते हैं? अगले हफ़्ते का प्रोग्राम बनाएँगे।

अमित: ठीक है जैसा तुम कहो। तभी अमित का फ़ोन बजा और रश्मि भी बाहर आ गयी और अपने काम में लग गयी।

उधर जय ने दुकान से रश्मि को फ़ोन किया: कैसी हो मेरी जान?

रश्मि: ठीक हूँ मेरे जानू , आप कैसे हैं?
जय: कल की सगाई का नशा अभी भी नहीं उतरा।

रश्मि: अच्छा सगाई का या पार्क का?

जय हँसते हुए: पार्क का भी नहीं उतरा। क्या लोग हैं इस दुनिया में? ससुर बहु से लगा हुआ है और देवर भाभी से।

रश्मि: रिश्तों का तो जैसे महत्व ही नहीं रह गया हो। यह बोलते हुए इसे थोड़ी देर पहले का माँ और ताऊजी का आलिंगन याद आ गया। वह सकपका गयी।

जय: मुझे तो ऐसा लगता है कि वासना इंसान को रिश्तों को भूलने के लिए मज़बूर कर देती है , तुमको क्या लगता है?

रश्मि: सिर्फ़ वासना नहीं कभी कभी मजबूरियाँ भी हो सकती हैं। अब जिसने जो करना है करे , हम कौन होते हैं दूसरों की ज़िंदगी का फ़ैसला करने वाले, है कि नहीं?

जय: सही कहा तुमने। हर कोई फ़्री है अपने जीवन के फ़ैसले लेने के लिए? जिसे जो सही लगे वह वही करेगा। चलो छोड़ो ये सब , पर कल तुम साड़ी में बहुत मस्त लग रही थी। बहुत प्यार आ रहा था तुमपर।

डॉली हँसते हुए: तभी शायद अपने प्यार को मेरे पिछवाड़े से रगड़ रहे थे।

जय झेंपकर बोला: अरे वो तो ऐसे ही पार्क में वो सब देखकर मेरा दिमाग़ ख़राब हो गया था वरना मैं ऐसा करने का सोच भी नहीं सकता ।

डॉली: कोई बात नहीं फिर क्या हुआ? अब तो मैं आपकी ही होने वाली हूँ , थोड़ी बहुत शरारत कर भी ली तो क्या हुआ? वैसे आपने एक बार मेरी छाती ज़रा ज़ोर से ही दबा दी थी, मुझे दुःख गया था।

जय: सॉरी वो पार्क में साला वो सब देखकर मैं ज़्यादा ही उत्तेजित हो गया था। अच्छा एक बात बताओ , मैंने सुना है कि लड़कियाँ एक दूसरे की छातियाँ दबाती है मज़ाक़ मज़ाक़ में ,ये सही है क्या?

डॉली: सब ऐसी नहीं होतीं पर हाँ कुछ को ज़्यादा ही गरमी रहती है। मेरी भी एक दो लड़कियों ने दबाई थीं पर ज़ोर से नहीं।

जय: कई बार बदमाश लड़के भीड़ का फ़ायदा उठाकर दबा देते हैं, ऐसा कभी हुआ तुम्हारे साथ?

डॉली: हाँ हुआ है जब मैं ट्रेन से उतर रही थी तो एक अधेड़ आदमी ने भीड़ का फ़ायदा उठाकर बहुत ज़ोर से दबा दिया। मैं तो मारे दर्द के रोने लगी थी। तब मेरे साथ में ताऊजी भी थे । मम्मी मुझे संभाल रही थी और ताऊजी ने उसकी बहुत पिटायी की थी। आपको बताऊँ लड़कों से ज़्यादा कमीने बड़ी उम्र के आदमी होते हैं। मेरा और मेरी सहेलियों का तो यही अनुभव है।

जय: ओह तुम्हारी सहेलियों के साथ भी ये हुआ है ?

डॉली: हाँ सबके साथ कुछ ना कुछ हुआ ही है। कई सहेलियों को तो घर के आदमी भी ग़लत तरीक़े से छूते हैं।
जैसे पद्मा बता रही थी उसके मामा ही उसकी छाती और नीचे भी सहलाने की कोशिश करते हैं। वो जब छोटी थी तो उनके गोद में बैठती थी पर अब जब वो जवान हो चुकी है तब भी वो उसे अपनी गोद में बैठा लेते हैं और फिर यहाँ वहाँ छूते हैं।

जय: ओह ये तो बड़ी अजीब बात है। चलो दूसरों का छोड़ो और ये बताओ की मैं तुमको कैसा लगा?

डॉली: बहुत अच्छे है आप। सच कह रही हूँ।

जय : और मेरा कैसा है?

डॉली: आपका क्या कैसा है?

जय शरारत से हँसते हुए: हथियार और क्या?

डॉली: छि आप बहुत बिगड़ रहे हैं। मैं आपको शरीफ़ समझती थी। कोई लड़की से ऐसे पूछता है भला?

जय: अरे मैं तो तुम्हारा इम्प्रेशन पूछ रहा हूँ उसके बारे में? और कुछ नहीं।

डॉली: तो सुनिए मुझे तो वह ज़्यादा ही भयानक लगा है। और वो मेरी फाड़ ही देगा। आप ऐसा करना सुहाग रात को एक डॉक्टर बुला कर रखना क्योंकि बाद में सिलाई की ज़रूरत पड़ेगी। यह कहते हुए वह हँसने लगी और जय को भी हँसी आ गयी। फिर डॉली ने आइ लव यू कहकर फ़ोन काट दिया। फिर उसे अहसास हुआ कि जय से बात करते करते उसकी बुर गीली हो गई थी। उधर दुकान में काउंटर के नीचे से जय ने भी अपना खड़ा लौड़ा अजस्ट किया। जय सोच रहा था कि अभी शादी में १५ दिन हैं कैसे कटेंगे ये दिन?

राज आज बहुत ध्यान से काम कर रहा था क्योंकि शादी में बस सिर्फ़ १५ दिन बचे थे। बहुत लिस्ट वो बना चुका था पर जब लड़की और उसके रिश्तेदारों को क्या उपहार देना है सोचा तब उसका दिमाग़ चलना बन्द हो गया। काश आज पायल होती तो कुछ भी परेशानी नहीं होती। तभी उसको अपनी बेटी का ख़याल आया और वह उसी समय उसको फ़ोन लगाया।

राज उसके दामाद ने फ़ोन उठाया: नमस्ते पापा जी।

राज : नमस्ते बेटा, फिर क्या प्रोग्राम बना?

राजीव: पापा मेरा अभी भी डांवाडोल है ओर रचना की बुकिंग हो गयी है।लो रचना से बात करो।

रचना: नमस्ते पापा जी, मैं आऽऽऽऽऽऽ रही हूँ एक हफ़्ते में। ख़ूब मज़ा आएगा जय की शादी में। ख़ूब धमाल करेंगे।

राज: बेटी जल्दी से आओ और सब सम्भालो, तुम्हारी माँ के बिना बड़ी दिक़्क़त हो रही है। वैसे भी अपने परिवार की शायद आख़री शादी है। क्योंकि तुमने तो शायद बच्चे पैदा करने नहीं है और पता नहीं जय भी क्या सोचता है इस बारे में। तो मेरे जीवन में तो पोता पोती की शादी का नसीब होगा ही नहीं।

रचना: क्या पापा आप क्या उलटा पुल्टा सोच रहे हैं। आप नाती पोता की शादी ज़रूर देखेंगे।

राज : हाँ अगर होंगे तो ही ना देखूँगा। तुम लोग अब ये फ़ैमिली प्लानिंग बंद करो मुझे नाती चाहिए समझी?

रचना की आवाज़ इस बार थोड़ी सी उदास होकर आइ: ठीक है पापा। अब रखती हूँ, बाई।

राज ने भी बाई करके फ़ोन काटा और सोचने लगा कि रचना अचानक उदास क्यों हो गयी? फिर वह ख़ुश होकर जय को फ़ोन कर बताया कि रचना अगले हफ़्ते ही आ रही है। जय भी इस समाचार से ख़ुश हो गया।

तभी शशी आइ और बोली: मैंने खाना बना दिया है, आप खा लेना।

राज: बड़ी जल्दी है जाने की। चल जाते जाते अपनी गाँड़ दिखा कर जा।

शशी हँसने लगी और बोली: देखने से क्या होगा?

राज: मैंने कहा ना दिखा। वह हँसते हुए अपनी साड़ी लहंगे के साथ उठा दी और घूम गयी। अब उसकी पैंटी में क़ैद चूतड़ राज के सामने थे। वह अपना लौड़ा मसलते हुए बोला: चल पैंटी नीचे कर ताकि उनको नंगा देख सकूँ।

शशी ने मुस्कुरा कर पैंटी को नीचे किया और उसके गोल गोल चूतड़ उसके सामने थे। शशी का रंग गहुआं था पर चूतड़ काफ़ी गोरे थे।

राज: सामने झुक और चूतरों को फैला।

शशी ने सोफ़े का सहारा लिया और आगे झुकी और फिर हाथ पीछे करके अपने चूतरों को फैलाया। आह क्या दृश्य था उसकी सूजी हुई बुर और टाइट गाँड़ का छेद मस्त लग रहा था। वह अब अपना संयम खो दिया और अपने नीचे का हिस्सा नंगा करके अपने लौड़े को मसल कर झुकी हुई शशी के गाँड़ के सामने घुटने के बल बैठा और अपना मुँह उसकी दरार ने डाल कर उसकी बुर को चूसने लगा और जीभ से चोदने लगा।

शशी उइइइइइइइइइइ कर उठी और फिर वह अपना लौड़ा उसके मुँह के सामने किया और वो उसे भूक़े की तरह चूसने लगी। फिर वह थूक से सने लौड़े को उसकी बुर में फ़िट किया और पीछे से दबाकर उसकी चुदाई में लग गया। अब ठप ठप की आवाज़ के साथ उसकी मज़बूत जाँघें शशी के चूतरों से टकरा रही थीं और फ़च फ़च की आवाज़ भी बुर से आ रही थी।

शशी भी हाय्य्य्य्य और जोओओओओओओओओओर सेएएएएएए चोओओओओओओओदो कहकर चिल्लाई जा रही थी। अब जैसे जैसे वो अपनी चरम सीमा पर पहुँचने लगी वह उन्न्न्न्न्न्न्न्न हुन्न्न्न्न्न्न करने लगी और फिर वह अपनी जाँघों को आपस में भींचकर उसके लौड़े को जकड़ ली और राज भी इतना मज़ा बर्दाश्त नहीं कर पाया और वो दोनों झड़ने लगे।
शशी बाथरूम से बाहर आयी और बोली: अब जाऊँ?

राज ने उसे प्यार से चूमा और कहा: जाओ मेरी जान, पर डॉक्टर को शाम को ज़रूर दिखा देना और ये लो पैसे।

शशी भी उसको चूमकर पैसे लेकर चली गयी।

राज अब आराम करने लगा।
अगले दो दिन कुछ ख़ास नहीं हुआ। शशी डॉक्टर को दिखा आइ थी और टोनिक और दूसरी दवाइयाँ लेने लगी थी । राज दिन में एक बार उसको चोद देता था।
उस दिन राज नाश्ता करके शशी से शादी के कपड़े संभलवा रहा था तभी फ़ोन बजा। उसने हेलो कहा और दूसरी तरफ़ से एक लड़की की पतली सी आवाज़ आयी: हेलो, कौन बोल रहे हैं?

राज: मैं राज बोल रहा हूँ, आप कौन बोल रही हैं?

लड़की: अंकल जी मैं पंडित बोल रही हूँ।

राज हैरानी से फ़ोन को देखा और बोला: अरे पंडित बेटी, कैसी हो? बोलो आज हमारी याद कैसे आ गयी।

पंडित: अंकल वो आपने अपना विज़िटिंग कार्ड रख दिया था ना मेरे पर्स में , वहीं से आपका नम्बर मिला है। इसलिए फ़ोन किया है।

राज का लौड़ा खड़ा होने लगा। वह बोला: हाँ हाँ बेटी क्यों नहीं, बोलो क्या हाल है? आज स्कूल नहीं गयी?

पंडित: जी अंकल आज स्कूल की छुट्टी हो गयी है , हमारे प्रिन्सिपल की माता जी का निधन हो गया है।

राज: बेटी इस समय तुम कहाँ हो?

पंडित: जी स्कूल से बाहर आ रही हूँ।

राज: तो यहाँ आ जाओ हमारे घर , तुम्हें शशी बढ़िया पकोड़े खिलाएगी।

पंडित: जी मैं तो स्कूल बस से आती हूँ, मैं आपके घर कैसे आऊँगी?

राज: अरे बेटी ऑटो कर लो और हमारे घर तक आ जाओ। नीचे शशी खड़ी रहेगी वो पैसे दे देगी। ठीक है ना? उसने अपना लौड़ा मसलते हुए कहा।

पंडित: जी अंकल मैं आती हूँ, पर आप शशी दीदी को तो बाहर भेज दीजिएगा।

राज: हाँ हाँ तुम बिलकुल फ़िकर ना करो वह घर के सामने खड़ी मिलेगी पैसों के साथ। फिर उसने फ़ोन काट दिया।

शशी उसकी बात सुन रही थी , वो बोली: ये क्यों आ रही है यहाँ? पकोड़े खाने, या कुछ और खाने?

राज कुटिल हँसी हंस कर बोला: साली पकोड़े नहीं मेरा लौड़ा खाने आ रही है। और तुम मेरी मदद करोगी उसकी बुर फाड़ने में, समझी?

शशी: वह थोड़ी छोटी नहीं है आपके इस मोटे हथियार के लिए? उसको अपनी उम्र के लौंडों से चुदवाना चाहिए जिनके छोटे और पतले हथियार होते हैं। पता नहीं वो आपका कैसे लेगी?

राज: अरे बहुत प्यार से मस्त गीला करके क्रीम लगाकर लेंगे उसकी। आह देखो मेरा लौड़ा कैसे अकड़ गया है? मैंने तो उसे फ़ोन किया नहीं वो ख़ुद ही चुदवाने आ रही है तो क्या मैं उसे छोड़ दूँ?

शशी ने प्यार से उसके लौड़े को लोअर के ऊपर से सहलाया और बोली: आप ऐसा करो लूँगी पहन लो और चड्डी भी खोल दो ताकि उसको आपके लौड़े का अहसास हो जाए। वो मस्त गरम हो जाएगी।

राज: वाह क्या सुझाव दिया है, बल्कि अब तो मैं लूँगी में हीं रहना शुरू कर देता हूँ। चड्डी भी नहीं पहनूँगा । शाबाश क्या मस्त सेक्सी लड़की हो तुम। सोचकर ही मज़ा आ गया, जाओ लूँगी लाओ।

शशी जब लूँगी लायी तो वह नीचे से पूरा नंगा था और उसका लौड़ा ऊपर नीचे हो रहा था। शशी आकर झुकी और उसके लौड़े के टोप को चूम ली। फिर वह लूँगी डाला और उसका खूँटा लूँगी से अलग से दिख रहा था। शशी इस सेक्सी दृश्य को देखकर मुस्कुराई। तभी पंडित की मिस्ड कोल आयी। उसने जल्दी से शशी को पैसे देकर बाहर पंडित को लाने भेजा।

जब पंडित शशी के साथ अंदर आया, तो वो सोफ़े पर अपनी गोद में एक किताब रख कर बैठा था। पंडित आकर उसे नमस्ते की और सामने वाले सोफ़े पर बैठ गयी। वह स्कर्ट और टॉप की स्कूल यूनीफ़ॉर्म में थी। उसकी गदराइ जाँघें साफ़ दिखाई पड़ रही थीं। टॉप उसकी चूचियो पर कसा हुआ था। क्या ग़ज़ब कि लौड़ियाँ थी, राज के लौड़े ने प्रीकम छोड़ना शुरू कर दिया।

राज: बेटी, बताओ क्या खाओगी? शशी बहुत अच्छे पकोड़े बनाती है।

पंडित: जी अंकल खा लूँगी।

राज ने शशी को पकोड़े बनाने को बोला। फिर वह उससे स्कूल की और उसकी सहेलियों की बातें करने लगा। जब उसकी बातों से वो सहज हो गयी तब वह उससे जय की शादी की बातें करने लगा। उसने देखा कि अब वो पूरी तरह से सहज हो चुकी थी।

तभी शशी पकोड़े की प्लेट लायी और राज पंडित को बोला: आओ बेटी मेरे पास बैठ जाओ, यहाँ से पकोड़े उठाने में मुश्किल नहीं होगी।

अब वह उठकर उसके पास आकर बैठ गयी। राज ने पकोड़े उठाए और उसे दिया। वह उसकी प्लेट से लेकर खाने लगी। तभी शशी चटनी भी लायी और राज एक पकोड़े में चटनी लगाकर अपने हाथ से उसके मुँह में डालने लगा। वह हँसती हुई बोली: अंकल मैं कोई बच्ची थोड़ी हूँ, जो आप मुझे ऐसे खिला रहे हैं!

राज हँसते हुए बोला: ये तो सच है कि तुम अब बच्ची नहीं रही पूरी जवान हो गयी हो। उस दिन होटेल में मैंने ख़ुद सब कुछ जाँच करके देख लिया था। ठीक है ना?

पंडित: अंकल उस दिन पता नहीं मुझे ऐसा लगता है कि कुछ नशा सा हो गया था। मुझे कुछ ठीक से याद नहीं है।

राज: होटेल का याद नहीं है पर कार का याद है क्या?

पंडित अबके शर्मा कर: हाँ वो थोड़ा थोड़ा याद है।
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#10
अब राज ने एक हाथ उसकी नंगी जाँघ पर रखा और उसे सहलाते हुए बोला: सच में बेटी तुम मस्त जवान हो गयी हो और अब तुमको जवानी के मज़े लूटने चाहिए।

तभी शशी चाय लायी। राज: शशी, बोलो तो हमारी पंडित जवान हो गयी है कि नहीं?
शशी हँसकर: हाँ जी पूरी जवान हो गयी है यह तो।

राज: देखो इसकी टॉप के ऊपर से इसके दूध कितने बड़े दिख रहे हैं। यह कहते हुए उसने उसकी छातियों को सहला दिया। पंडित का बदन सिहर उठा। अब वह झुका और उसकी स्कर्ट को थोड़ा सा उठाकर उसकी जाँघ सहलाने लगा। वह फिर से सिहर उठी।

पंडित: आप ये कौन सी किताब पढ़ रहे हैं अंकल जी? वह उसकी गोद में रखी किताब को देखकर बोली जो राज ने अपने लौड़े का कड़ापन छिपाने के लिए रखी हुआ था।

राज: बस बेटी ऐसी ही एक कहानी की किताब है। उसे छोड़ो , लो तुम पकोड़े खाओ। यह कहकर उसके मुँह में चटनी लगा के एक और पकोडा डाला । उसका दूसरा हाथ अब उसकी पैंटी के आसपास आ चुका था। आऽह क्या चिकनी जाँघ है, सोचकर उसके लौड़े ने फिर से एक झटका मारा और किताब भी हिल गयी। अब शशी ने ही उसकी एक चूचि दबाई और बोली: आह सच में ये जवान हो गयी है, तुम यहाँ अंकल से मज़ा लेने आयी जो ना पंडित?

पंडित शर्माकर: मैं तो बस ऐसे ही मिलने आयी हूँ।

शशी: पंडित अगर तुमको मज़ा चाहिए तो अंकल की गोद में बैठ जाओ।

राज: हाँ बेटी आओ मेरी गोद में बैठकर पकोड़े खाओ।

पंडित शर्माकर उसकी गोद में बैठी और फिर उछल गयी और बोली: बाप रे ये क्या चुभा?

राज हँसते हुए: अरे बेटी कुछ नहीं, ये तो मेरा डंडा है जो सब आदमियों के पास होता है। यह कह कर उसने अपने लौंडे को लूँगी के ऊपर से दबाकर उसे उसका अहसास कराया। वह उसे फिर से अपनी गोद में खिंचा और इस बार उसको अपने लौड़े को ऐसे दबाकर रखा ताकि वह उसकी गाँड़ में ना चुभे। बल्कि वह उसकी बुर को लम्बाई में छू जाए।

पंडित अब गरम होने लगी क्योंकि उसकी पैंटी पर उसका लौड़ा लम्बाई में पूरी तरह से रगड़ रहा था और वह अब गीली होने लगी थी। तभी राज ने उसकी दोनों छातियाँ अपने हाथों में ले लिया और उनको दबाकर उसे और मस्ती से भरने लगा। अब पंडित की सिसकारियाँ निकलने लगीं। उसकी कमर अपने आप हिलने लगी और पैंटी के ऊपर से वह अपनी बुर उसके लौड़े पर रगड़ने लगी। राज उसके गालों को चूमते हुए,उसके होंठ भी चूमने लगा।

अब शशी अपनी बुर खुजाते हुए बोली: चलिए ना इसे बिस्तर पर ले चलिए और इसकी जवानी की प्यास बुझा दीजिए। इसीलिए तो यह यहाँ आयी है।

राज ने उसको बच्चे की तरह गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसते हुए उसकी चूचियाँ दबाने लगा। फिर वह बोला: बेटी, तुम्हारा कोई बोय फ़्रेंड है क्या?

पंडित: जी अंकल है।

राज: उसने तुम्हें चोदा है क्या, बेटी?

पंडित शर्माकर: जी हाँ कई बार।

राज: ये बढ़िया है कि तुम कुँवारी नहीं हो? अच्छा जब वह तुमको चोदता है तो मेरे पास क्यों आइ हो चुदवाने?

पंडित: जी उसके साथ मज़ा नहीं आता, और उस दिन आप जो मेरी नीचे वाली चूसे थे और सहलाए थे , मुझे उसमें बहुत मज़ा आया था।

अब राज ने अपने कपड़े उतारे और उसका लौड़ा देखकर उसकी आँखें फैल गयी। वो बोली: बाप रे इतना बड़ा? रितेश का बहुत छोटा और पतला है।

शशी: अरे ये मर्द का लौड़ा है कोई बच्चे की नूनी थोड़े है। वह उसको सहलाकर बोली।

राज अब झुक कर उसकी टॉप को निकाला और उसकी स्कर्ट भी उतार दिया। वाह क्या माल लग रही थी वह ब्रा और पैंटी में। वह पागल सा होकर उसके पेट को चूमने लगा फिर ऊपर जाकर उसकी ब्रा पर से चूचियाँ दबाके उसके होंठ और गाल चूमने लगा। फिर उसने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और पंडित उसे चूसने लगी। अब वो उसकी ब्रा भी निकाला और उसके मस्त संतरों को देखकर वह मज़े से चूसने लगा। अभी अधबने निपल्ज़ को चूसते हुए वह पंडित की बुर को गीला कर दिया। फिर नीचे आकर उसकी जाँघों को चूमा और चाटा। अब पंडित भी मज़े में आकर हाय्य कर उठी। अब वो उसकी पैंटी नीचे किया और उसकी हल्के काले बालों वाली बुर देखा और उसकी चुम्मियाँ लेने लगा। उसकी जीभ उसकी बुर के अंदर जाकर उसे पागल कर रही थी और वह उइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ कर उठी।

अब पंडित बुरी तरह गीली हो चुकी थी और अपनी कमर उछालकर अपनी वासना का प्रदर्शन कर रही थी।

शशी: लीजिए क्रीम लगा लीजिए , बहुत टाइट है , ऐसे नहीं घुसेगा। शशी उसके लौड़े पर क्रीम लगायी और फिर उसने पंडित की बुर में भी दो ऊँगली डालकर क्रीम चुपड़ा। फिर बोली: बहुत टाइट है , आराम से करिएगा।

अब राज ने उसकी गाँड़ के नीचे एक तकिया रखा और फिर उसकी टाँगे घुटनो से मोड़कर उनको फैलाके ऊपर कर दिया। शशी ने उसके दोनों पैर पकड़ लिए ।अब वो अपना लौड़ा हाथ में लेकर दूसरे हाथ से उसकी बुर की पुत्तियों को फैलाया। अब अपना मोटा सुपाड़ा उसकी तंग छेद पर रखा और हल्के से दबाने लगा। मोटा लौड़ा क्रीम के कारण अंदर को जैसे धँसने लगा। फिर उसने एक धक्का मारा और वह चिल्लाई: आऽऽऽऽहहहह मरीiiiiiii। उइइइइइइइइ अंकल जी निकालो नाआऽऽऽऽऽऽ आह्ह्ह्ह्ह्ज।

पंडित के चिल्लाने पर ध्यान ना देकर वह अब आख़री धक्का मारा और पूरा लौड़ा उसकी बुर में पेल दिया। पंडित अब गिड़गिड़ाने लगी: प्लीज़ निकाऽऽऽऽऽऽऽऽल लो बहुत दर्द हो रहा है। आऽऽह्ह्ह्ह्ह्ह प्लीज़ प्लीज़ ।

राज ने आगे होकर उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और वह अब गन्न्न्न्न्न्न करने लगी और फिर वह उसके निपल्ज़ को मसल कर उसकी मस्ती जगाने में लग गया। पंडित भी अब थोड़ा शांत हो गयी थी।

राज: बेटी, दर्द कम हुआ?

पंडित: जी अंकल, पर आपका बहुत बड़ा है ना उफ़्फ़् बहुत दुख रहा था।

राज: बस बेटी अब मज़ा लो , तुम नीचे से धीरे धीरे अपनी कमर हिलाओ और देखो तुमको कैसा लगता है?

पंडित वैसे ही करी और बोली: हाऽऽऽऽऽय अंकल अच्छा लग रहा है।
राज: फिर मैं अब चुदाई शुरू करूँ मेरी गुड़िया?

पंडित: जी अंकल करिए।

राज मुस्कुरा के: क्या शुरू करूँ?

पंडित शर्माकर: : चुदाई ।

अब राज मस्त हो गया और उसने चुदाई चालू की और उसकी कमर अब ऊपर नीचे होकर उसे मस्ती से भर रही थी। वह अब भी उसके होंठ चूस रहा था और उसके निपल्ज़ दबा रहा था। उसका पूरा बदन पंडित के बदन के ऊपर था पर वज़न उसने अपनी कुहनियों और घुटने पर के रखा था। उसके बालों से भरे विशाल चूतड़ ऊपर नीचे होकर पंडित की बुर में मानो आग लगा रहे थे। शशी उसके बड़े बड़े बॉल्ज़ को सहला रही थी जो कि इस चुदाई के प्रत्यक्ष दर्शी थे।

अब वो चिल्लाने लगी: उइइओइइइइइ उम्म्म्म्म्म्म्म हाऽऽऽऽऽय्यय उइइइइइइइइ ओओओओओओओओओ । और वह अब झड़ने लगी और राज भी उसकी टाइट बुर की जकड़न को और बर्दाश्त नहीं कर सका और उसकी बुर में अपना माल गिराने लगा। दोनों एक दूसरे से बुरी तरह से चिपक कर अपने अपने ऑर्गैज़म का आनंद लेने लगे।फिर पूक्क की आवाज़ से उसका लौड़ा बाहर आ गया। पंडित बुरी तरह से थक कर लस्त होकर पड़ी थी। शशी ने उसकी बुर की जाँच की, वहाँ उसे कुछ बूँदें ख़ून की भी वीर्य से सनी हुई दिखी। वह बोली: पंडित , आज तुम्हारी असली चुदाई हुई है , इसके पहले तुम्हारे दोस्त ने बस तुम्हारी बुर का उद्घाटन किया था , चुदाई तो आज ही हुई है।

पंडित उठी और बाथरूम से आकर बोली: आऽऽह मुझे बात दर्द हो रहा है नीचे में। चला भी नहीं जा रहा ।

शशी: पहली चुदाई में ऐसा होता है। आज घर में बहाना बना देना कि स्कूल में गिर गयी तो पैर में मोच आ गयी है, समझी?

पंडित: जी समझी। वह अब कपड़े पहन रही थी।

राज भी बाथरूम से बाहर आया और बोला: बेटी एक बार और हो जाए?

पंडित: नहीं अंकल मैं तो ऐसे ही दर्द के मारे मरी जा रही हूँ, अब और नहीं। फिर राज उसके पास आया और उसके चूतरों को सहलाया और उसकी चुम्मी लेकर बोला: बेटी जब भी चुदाई का मन हो फ़ोन कर देना, मैं सब इंतज़ाम कर दूँगा, ठीक है? और हाँ एंटी प्रेग्नन्सी पिल्ज़ खा लेना। अभी बहुत छोटी हो अभी से माँ तो नहीं बनना है ना?

पंडित: जी अभी कई दिन तक हिम्मत ही नहीं होगी। आपका यह मोटू इतना दुखाया है कि क्या बोलूँ। ये कहते हुए उसने उसके लौड़े को लूँगी के ऊपर से पकड़ कर दबा दिया। फिर बोली:और हाँ , मैं अभी माँ नहीं बनूँगी, मैं वो गोली खा रही हूँ।
राज हँसने लगा।

शशी उसे नीचे जाकर ऑटो में बिठा आयी और उसके पैसे भी दे दिए।

जब शशी वापस आयी तो उसके हाथ में एक बंडल था। वह बोली: लीजिए शादी के कार्ड छप कर आ गए। अब लड़कियों को चोदना छोड़िए और कार्ड बाँटिये वरना कोई भी शादी में नहीं आएगा।

राज: आह रचना की शादी में भी सबसे परेशानी वाला काम यही था और अब जय की शादी में भी यही काम सबसे कष्टप्रद है।

शशी: पर कार्ड तो बाटना ही होगा ना?

राज: हाँ सच है, पर इसमें भी कभी कभी मज़ा मिलता है। कई घरों में अकेली औरतें रहतीं हैं , उनके साथ थोड़ी सी चूहल हो जाती है। और कभी कोई पुराना माल अकेला मिल जाए तो ठुकाई भी हो सकती है।

शशी: हे भगवान, कमसे काम कार्ड तो सही मन से बाट आओ आप। सब जगह बस एक ही जुगाड़ में रहते हैं, चुदाई की।

अब दोनों हँसने लगे।
रश्मि और अमित कार्ड बाँट कर पूरी तरह से थक चुके थे, पिछले तीन दिनों से वो कार्ड ही बाँट रहे थे।

अमित: चलो थोड़ा आराम कर लेते हैं एक एक कॉफ़ी पी लेते हैं इस रेस्तराँ में। वो अंदर जाकर कॉफ़ी ऑर्डर करते हैं।

रश्मि: भाई सांब, चलो कार्ड बाटने का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। अब थोड़ी चैन की साँस के सकते हैं।

अमित: राज का भी फ़ोन आया था । वह भी कार्ड बाट बाट कर पूरी तरह से थक चुका है।

रश्मि: उनके कार्ड बट गए?

अमित: हाँ उनके कल ही पूरे बट गए थे। असल में वो हमको वहाँ बुला रहे हैं कल मज़े लेने के लिए। उसने रश्मि के हाथ को अपने हाथ में लिया और एक ऊँगली से उसकी हथेली से रगड़ कर चुदाई का सिग्नल दिया।

रश्मि लाल होकर : अभी उनको इसकी सूझ रही है? अब शादी को आठ दिन बचे हैं इनको मस्ती सूझ रही है। इनको बोल दो अब शादी के बाद ही प्रोग्राम बनाएँ।

अमित: तुम ही बोल दो ना। मेरी कहाँ मानेंगे।

रश्मि ने राज को फ़ोन किया: हाय नमस्ते कैसे हैं?

राज: पागल हो रहा हूँ तुम्हारी याद में। बस अब आ जाओ अमित के साथ।

रश्मि: क्या भाई सांब ? आप भी क्या बोल रहे हो? शादी को बस आठ दिन बचे हैं। इतना काम पड़ा है और आपको ये सब सूझ रहा है? रचना बेटी कब आ रही है?

राज: वह परसों आ रही है, तभी तो कह रहा हूँ कि कल आ जाओ और इसके बाद और कोई मौक़ा नहीं मिलेगा।

रश्मि: पर यहाँ बहुत काम बचा है। दो दिनो के बाद रिश्तेदार भी आने लगेंगे। शादी के बाद प्रोग्राम जमा लीजिएगा ना प्लीज़।

राज: देखो रश्मि, अब कोई बहाना नहीं, कल आना ही होगा। अगर अमित के पास समय नहीं है तो तुम अकेली आ जाओ।

रश्मि : आप भी बड़े ज़िद्दी हैं। फिर वह अमित को बोली: आप ही समझाइए ना ये तो मान ही नहीं रहे हैं।

अमित फ़ोन लेकर: देखो यार मन तो हमारा भी है पर टाइमिंग सही नहीं है। बहुत काम हैं यहाँ ।

राज: चलो ऐसा करो कल १० बजे आ जाना और खाना खा कर दो बजे वापस चले जाना। आधा दिन तो मिल ही जाएगा। अब कोई बहाना नहीं चलेगा। रश्मि को मनाओ।

अमित: ठीक है भाई कल हम यहाँ से ८ बजे निकलते हैं और दो बजे तुम हमें फ़्री कर देना।

रश्मि: पर कल के काम ?

अमित: चलो अब जैसे भी होगा काम चला लेंगे। ठीक है भाई, कल का पक्का।

राज: एक बार रश्मि से बात करा दो।

रश्मि फ़ोन पर आके: तो आपने अपनी बात मनवा ही ली?

राज: मेरी जान। तुम्हें चोदने को मरा जा रहा हूँ। इतना भी ना तड़पाओ ग़रीब को। आ जाओ कल और मजे से डबल चुदाई का आनंद लो। तुम कहोगी तो शशी को भी इसमे शामिल कर सकते है।

रश्मि: नहीं नहीं, जितने कम लोग जाने इसके बारे ने उतना ही भला है।

राज: ठीक है मेरी जान जैसा तुम चाहोगी वैसा ही सही। अब एक चूम्मा दे दो।
रश्मि: धत्त हम कोफ़ी पी रहे हैं बाहर। आप दे दो ।

राज: मुआ मुआ करके चुम्मी दिया। रश्मि ने कहा मिल गया। अब रखती हूँ।

अमित: बड़ा ही सेक्सी आदमी है यह बंदा। कल लगता है तुम्हारी ज़ोर से चुदाई करेगा।

रश्मि: छी आप लोगों को गंदी बातें करने में मज़ा आता है ना? चलो अब चलें यहाँ से। रश्मि उठने लगी पर वह महसूस कर रही थी कि राज से बात करने के दौरान उसकी बुर पनियाने लगी थी और वह अपनी साड़ी ठीक करने के बहाने अपनी बुर को खुजा बैठी।

अमित उसको बरसों से जानता था वो मुस्कुराया और बोला: लगता है खुजा रही है कल की चुदाई का सोचकर।

रश्मि लाल होकर: चुपचाप चलिए यहाँ से । ख़ुद तो कुछ करते नहीं और मुझे उलटा पुल्टा बोल रहें हैं।

अमित: अरे क्या नहीं करता? अपने घर में मौक़ा ही मुश्किल से मिलता है । आज रात को आ जाना , तुम्हारी भाभी को नींद की गोली खिला दूँगा फिर मस्ती से चोदूँगा तुमको, ठीक है।

रश्मि: रहने दीजिए अब कल का प्रोग्राम तो बन ही गया है , आज आराम से सोते हैं, वैसे भी कार्ड बाट कर बहुत थक गयी हूँ।
अमित: जब मैं प्रोग्राम बनाता हूँ तो तुम पीछे हट जाती हो, और मुझे ही सुनाती हो।

अब रश्मि हंस दी और बोली: सॉरी बाबा, ग़लती से बोल दिया। आप बहुत अच्छे हैं एंड आइ लव यु । यह कहकर उसने उसका हाथ दबा दिया।
अब दोनों घर के लिए निकल पड़े।

राज बहुत ख़ुश था कि सब कार्ड बट ही गए। साथ ही कल रश्मि और अमित आएँगे और बहुत मज़ा लेंगे। वह अपना लौड़ा दबाकर मस्ती से भर उठा।

अगले दिन उसने शशी को बताया कि रश्मि और अमित आ रहे हैं और मस्त चुदाई का प्लान है। इसलिए वह खाना बना कर १० बजे के आसपास चले जाये।

अगले दिन जब रश्मि ने डॉली को बताया कि वो और अमित उसके ससुराल जा रहे हैं तो वो हैरानी से पूछी: ऐसा क्या काम आ गया है?

रश्मि: बस कुछ ज़ेवर फ़ाइनल करने हैं, तेरे ससुर जी थोड़ी मदद कर देंगे । उनकी अच्छी पहचान है वहाँ। हम शाम तक वापस आ जाएँगे।

डॉली: क्या मम्मी, ज़ेवर तो हमारे शहर में भी मिलते हैं। इसके लिए भला वहाँ जाने की क्या ज़रूरत है?

अब रश्मि क्या कहती अपनी बेटी से कि उसके ससुर की ज़िद के आगे उसकी नहीं चली और वह अभी उससे चुदवाने जा रही है। और तो और आज रश्मि ने अपनी झाँटें भी साफ़ की थी क्योंकि वो भी काफ़ी बड़ी हो गयीं थीं। वह बोली: चलो देख आते हैं, पसंद नहीं आएँगे तो नहीं लेंगें। तभी अमित आ गया और उसकी आँखें रश्मि की सुंदरता देख कर चमक उठीं। आज रश्मि ने नाभि दर्शना साड़ी पहनी थी जो कि स्लीव्लेस ब्लाउस और उसकी छाती की गहराइयों को भी काफ़ी कुछ दिखा रहे थे। अमित का लंड सरसरा उठा। उसके चूतरों में भी साड़ी का उठान बहुत ही मादक दिखाई दे रहा था।

जब दोनों बाहर आए और पास के बस स्टैंड के लिए चल पड़े। अमित: आज तो बहुत मस्त माल दिख रही हो? क्या सजी हुई हो? लाल होंठों के लिपस्टिंक को तो देख कर ही मेरे खड़ा हो गया है।

रश्मि: अच्छा फिर शुरू हो गयी गंदी बातें।

अमित: इसमें गन्दा क्या है, तुम दिख ही रही हो इतनी मस्त। देखो वो काली क़मीज़ में बूढ़ा तुमको कैसे देख रहा है जैसे खा ही जाएगा। देखो अब अपना लंड भी खुजाने लगा।

रश्मि उसको देखकर मुस्कुराती हुए बोली: आप बस भी करो ।

अमित: अच्छा छोड़ो ये सब, बताओ झाटें साफ़ की या नहीं? परसों जब चोदा था तो साली गड़ रहीं थीं।

रश्मि आँख मटका कर बोली: हाँ साफ़ कर ली हैं आज सुबह नहाने के पहले।

अमित: चलो, अच्छा किया , राज को चिकनी बुर पसंद है।

रश्मि: और आपको बालों वाली पसंद है क्या? थोड़े से भी बढ़ जाते हैं तो हल्ला मचाने लगते हैं आप।

अमित हँसने लगा। वो बस स्टैंड पहुँच गए थे। एक बस आइ तो उसमें बहुत भीड़ थी। अमित बोला: जाने दो और आएँगी। पर पता नहीं क्या बात थी कि सभी बसें भरी हुई ही आ रही थी। आख़िर में रश्मि बोली: अब जो भी बस आएगी ऊसीमे घुस जाएँगे, वरना देर हो रही है।

अमित : ठीक है अब जो भी आएगी उसमें ही चलते हैं।

तभी एक बस आयी और अमित भाग कर उसमें चढ़ गया और रश्मि भी किसी तरह जगह बना कर अंदर आ गयी। तभी भीड़ आइ और अमित आगे को हो गया। रश्मि के आस पास १८/१९ साल के दो लड़के खड़े थे जो उसे घूरने लगे। रश्मि समझ गयी कि ये लड़के उसको आज छोड़ेंगे नहीं। एक लड़के का हाथ तो उसकी नंगी कमर पर आ भी चुका था,
और दूसरा भी उसके चूतरों को छू लेता था।

तभी रश्मि ने देखा कि अगले स्टॉप पर एक आदमी उतरने के लिए खड़ा हुआ तो वो जल्दी से उसकी सीट पर बैठ गयी। अब उसने देखा कि उसकी बग़ल में एक क़रीब ४० साल का बंदा बैठा था जो कि उसे बड़ी ही गंदी नज़र से देख रहा था। उधर वो दोनों लड़के अब उसके सीट के साथ आ कर खड़े हो गए थे। एक लड़के ने रश्मि के पीठ के पास वाली रोड पकडली और उसका हाथ बार बार उसकी पीठ से टकराने लगा। दूसरा लड़का अपना अगला भाग रश्मि की गरदन से बार बार छुआ रहा था । अब बग़ल में बैठा आदमी भी उसकी तरफ़ सरका और दोनों की जाँघें रगड़ने लगीं।

फिर वह लड़का अपने पैंट के आगे के भाग को उसके कंधे पर चुभाने लगा। दूसरे लड़के ने अब उसकी गरदन और पीठ सहलाना शुरू किया और उसका पड़ोसी अब उसकी जाँघ सहलाने लगा। रश्मि एक मिनट के लिए तो ग़ुस्सा हुई फिर मन ही मन सोची की क्यों ना मज़ा लिया जाए इस परिस्थिति का भी। फिर वह रिलैक्स हो गयी और उसने इन सबको मज़ा सिखाने का सोचा। उसने अपना पल्लू ठीक करने के बहाने उसको नीचे किया और अब उसकी बड़ी बड़ी आधी नंगी छातियाँ उन तीनों के सामने थी। फिर वह पल्लू को वापस इस तरह से रखी कि उसकी एक छाती साड़ी के बाहर थी। अब वह आगे होकर सामने की सीट का रॉड पकड़ ली और अब उसकी नंगी गदराई बाँह के नीचे एक चूचि कसे ब्लाउस में फँसी हुई थी। वो लड़का जो उसके कंधे पर अपना लण्ड रगड़ रहा था , अब उसके ब्लाउस पर लण्ड रगड़ने लगा । रश्मि को अपनी पैंटी गीली होती महसूस हुई।
उधर दूसरा लड़का पीछे से हाथ लगाकर उसकी साड़ी के अंदर हाथ डाला और दूसरी चूचि के नंगे भाग को छुआ। पड़ोसी तो जाँघ सहला ही रहा था। अब रश्मि ने अपना ख़ाली हाथ अपनी छाती के पास मोड और पहले लड़के के लण्ड को पैंट के ऊपर से पकड़ लिया। अब उस लड़के की हालत ख़राब होने लगी। इस बात की उसने कल्पना नहीं की थी जो हो रहा था। अब रश्मि बग़ल वाले का अपनी जाँघ पर रखा हाथ पकड़ी और उसको दबाने लगी। वह भी बुरी तरह से उत्तेजित हो गया। तभी पीछे वाला लड़का उसकी चूचि दबाने लगा। अब रश्मि ने अपने हाथ का लंड ज़ोर ज़ोर से दबाना चालू किया और जल्दी ही वह लड़का अपना पानी छोड़ दिया और उसके पैंट के ऊपर एक धब्बा सा बन गया।

रश्मि मुस्कुराई और उसको पीछे को धक्का दी और फिर मुँह मोड़कर दूसरे लड़के को आगे आने का इशारा की। वह फट से आगे आया और अपना लंड उसके दूध पर दबाने लगा। रश्मि उसके भी पैंट के ऊपर से लंड पकड़ ली और तीन चार बार दबाने से ही वह भी झड़ गया। वह भी अब पीछे हट गया। रश्मि अपनी मस्ती से बहुत ख़ुश थी।

अब उसने अपने बग़ल वाले को देखा और अपनी साड़ी का पल्लू फिर से ठीक करने के बहाने अपनी एक चूची उसके सामने कर दी। वह तो आधी नंगी चूची देखकर ही बुरी तरह से उत्तेजित हो गया। अब रश्मि उससे सट कर बैठी और अपना साड़ी का पल्लू उसकी पैंट के ऊपर गिरा दी। अब वह अपनी साड़ी के पल्लू के नीचे से उसकी पैंट पर हाथ ले गयी और उसका लंड दबाने लगी। वह आदमी तो जैसे मस्ती के मारे उछल ही पड़ा। अब वह भी रश्मि की जाँघ को दबाते हुए उसकी चूचि को घूरते हुए अपनी कमर को हिलाने लगा , मानो उसके हाथ को चोद रहा हो। वह भी अब इस विकट परिस्थिति में झड़ने लगा। पैंट के ऊपर बन गए धब्बे को छुपाने जे लिए वह रुमाल निकाला और धब्बे के ऊपर रख दिया । रश्मि भी टिशू पेपर निकाली और अपना हाथ साफ़ की जिसने तीनों का थोड़ा सा वीर्य लगा था। फिर उसने वह किया जिसकी कल्पना भी उस आदमी ने कभी नहीं की थी। वह अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी बुर को अच्छी तरह से खुजाई और ये करते हुए वह मुस्कुराते हुए उस आदमी की आँखों में देखती रही। उस आदमी के पैंट में फिर से तंबू बनने लगा। अबके रश्मि ने ऐसे मुँह फेर लिया जैसे उस आदमी का अस्तित्व ही इस दुनिया ने नहीं है। अब वह चुप चाप बैठे हुए था। रश्मि अपनी बिजय पर मुस्कुराई।

थोड़ी देर में अमित आया और उतरने को बोला। रश्मि उठी और अपने पिछवाड़े को उस आदमी की तरफ़ करके अपनी साड़ी ठीक करने के बहाने अपनी गाँड़ अच्छी तरह से खुजाई । फिर वह मुड़कर उसे देखी तो हँसने लगी क्योंकि वह फिर से अपना लौड़ा दबाकर झड़ रहा था , उसका चेहरा इस बात की गवाही दे रहा था।

रश्मि और अमित उतरे तो अमित बोला: भीड़ बहुत थी, कोई परेशानी तो नहीं हुई।

रश्मि मन ही मन मुस्कुराकर बोली: नहीं मुझे तो कोई परेशानी नहीं हुई। हाँ तीन लोगों को ज़रूर हुई।

अमित: कौन तीन लोग?

रश्मिटालते हुए बोली: अरे वही जिन्होंने मुझे बैठने के लिए जगह दी।

अमित को कुछ समझ नहीं आया और उसने भी आगे कुछ नहीं पूछा।

फिर अमित बोला: मैंने फ़ोन किया है राज आता ही होगा। तभी उसे वह दिख गया। वह फिर से बोला: देखो तुम्हारा आशिक़ आ गया। क्या जींस और टी शर्ट में अपनी मसल दिखा रहा है, इस उम्र में भी।

रश्मि हँसने लगी और मस्ती से बोली: मसल क्या अभी तो और बहुत कुछ दिखाएगा।

अमित चौक कर उसे देखा और सोचने लगा कि इसे क्या हुआ है, एकदम से मस्ती के मूड में आ गई है। उसे भला क्या पता था कि यह औरत अपनी मस्ती में इसलिए है कि वह अभी तीन तीन लंडों का रस निकाल कर आइ है। और ख़ुद भी अपनी पैंटी गीली कर चुकी है।

तभी राज आया और अमित से गले मिला और रश्मि के पास आकर उसकी कमर सहला कर बोला: क्या हाल है मेरी जान। बहुत ख़ुश दिख रही हो?

रश्मि चहक के बोली: बिलकुल बहुत ख़ुश हूँ आपसे मिलने जो आयी हूँ। इतने दिनों के बाद आपको देखकर अच्छा लग रहा है।

राज: आज तो तुम एकदम चक्कू ( चाक़ू) लग रही हो मेरी जान। पता नहीं किसको किसको कटोगी।

रश्मि: चक्कू तो आपके पास है मेरे जानू, मैं तो बस कटने आइ हूँ।

राज हँसते हुए : एक चक्कू साथ में भी तो लाई हो? उसने रास्ते में काटा तो नहीं?

रश्मि: वह चक्कू तो मेरे पास बैठा ही नहीं था, कैसे काटता ?

अमित: चलो अभी घर चलो , वहाँ चक्कू और ख़रबूज़ा की बातें कर लेना।

तीनों हँसते हुए कार में बैठे और घर की तरफ़ चल पड़े। रश्मि की बुर बहुत गरम थी और वह घर पहुँचने का इंतज़ार कर रही थी। वह अकेली पीछे बैठ कर अपनी बुर को खुजा कर थोड़ी शांत हुई।
घर पहुँचकर राज सबको कोल्ड ड्रिंक दिया। फिर शादी की बातें होने लगीं। तभी रश्मि ने सबको हैरान कर दिया। वो बोली: आपने ये सब बातें करने को बुलाया था मुझे? ये सब बातें तो फ़ोन पर भी हो जातीं।

अमित हैरान होकर: रश्मि तुम्हें क्या हो गया है? चुदाई के लिए ऐसा उतावलापन तो मैंने कभी तुममें देखा ही नहीं। उसे क्या पता था कि बस में तीन लोगों को झाड़ कर वो ख़ुद भी बहुत गरम हो चुकी थी।

राज: अरे सही है यार , बुलाया तो चुदाई के लिए है और फ़ालतू की बातें कर रहें हैं हम लोग। ये कहते हुए वह उठकर रश्मि के पास आकर बैठ गया और उसकी साड़ी का पल्लू गिरा दिया । अब ब्लाउस में से उसकी बड़ी सी अधनंगी चूचियाँ उन दोनों के सामने थीं। राज झुका और उसकी चूचियों के नंगे हिस्से को चूमने लगा। अमित भी अपने जूते उतारा और अपनी क़मीज़ उतारने लगा। अब वह पैंट उतार कर सिर्फ़ चड्डी में था और उसका फूला हुआ लौड़ा उसमें से साफ़ दिखाई पड़ रहा था।
राज भी खड़ा हुआ और अपनी चड्डी में आ गया। अब दोनों अपने अपने लौड़े को उसके सामने रख कर खड़े थे।
चड्डी के सामने हिस्से में उनका प्रीकम साफ़ दिख रहा था। रश्मि ने हाथ बढ़ाकर दोनों के लौड़े पकड़े और फिर आगे झुक कर उसने उनके प्रीकम को बारी बारी से चड्डी पर जीभ लगकर चाटी। अब वह बारी बारी से उनकी चड्डी उतारी और उनके खड़े हुए लौड़ों को सहलाने लगी। फिर वह झुकी और राज के लौड़े को चाटने लगी। सुपाडे से लेकर नीचे बॉल्ज़ तक चाटी और फिर अमित के लौड़े के साथ भी वही की। फिर दोनों बारी बारी से उसके मुँह को चोदने लगे। वह भी अब उनको डीप थ्रोट देने लगी। उनके हाथ उसकी चूचियों को ब्लाउस के ऊपर से दबा रहे थे।

अब राज और अमित ने मिलकर उसका ब्लाउस और ब्रा उतार दी। अब वो उसकी चूचियाँ मसलने लगे। फिर अमित बोला: चलो यार बिस्तर पर अब रहा नहीं जा रहा है।

राज ने कहा: हाँ रश्मि चलो अब सच में मस्त चुदाई करेंगे। फिर तीनों बेडरूम में पहुँचे और वहाँ रश्मि के पेटिकोट का नाड़ा अमित ने खोला और राज उसकी पैंटी निकाल दिया। अब वह पूरी नंगी खड़ी थी और उसकी बुर में मानो आग सी लगी हुई थी। राज ने उसे बिस्तर पर लिटाया और अमित और राज साइड में लेटकर उसकी एक एक चूचि चूसने लगे। राज का हाथ अब उसकी जाँघों और उसके बीच बुर में चला गया। अमित भी उसके पेट को सहला रहा था। रश्मि उनके लौड़े को अपने हाथ में लेकर दबा रही थी। अब राज नीचे जाकर उसकी बुर को चाटने लगा। रश्मि की उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कहकर चीख़ निकल गई। अमित उसकी चूचि चूस भी रहा था और दबा भी रहा था।
राज: अमित, बुर चोदोगे या गाँड़ मारोगे?

अमित: आप जो चाहोगे वैसा ही करेंगे।

राज : मैं तो बुर चोदूंग़ा। बाद में गाँड़ भी मारूँगा। चलो अब सैंडविच चुदाई करते हैं। मैं और अमित ब्रेड की तरह बाहर रहेंगे , तुम बीच में सब्ज़ी की तरह अंदर रहना। सब हंस पड़े।
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#11
अब राज ने उसे अपने बग़ल में लिटा लिया और रश्मि ने अपनी एक टाँगउठा दी। राज ने अपना लौड़ा उसकी बुर के छेद में डाला और फिर एक झटके में पूरा लौड़ा अंदर कर दिया । रश्मि आऽऽऽँहह कर उठी। फिर उसकी दूसरी तरफ़ से अमित भी अपने लौड़े पर क्रीम लगाया। उसने उसकी गाँड़ के अंदर २ ऊँगली डाली क्रीम लगाकर और फिर अपना लौड़ा उसकी गाँड में अंदर करने लगा। जल्दी ही दोनों के लौड़े उसकी दोनों छेदों में घुस चुके थे। अब भरपूर चुदाई शुरू हुई।अब रश्मि भी उई उई ऊँननन उन्न्न्न्न्न और हाऽऽऽयययय फ़ाआऽऽऽड़ो आऽऽऽऽऽहहहह आऽऽऽऽऽऽऽ मरीइइइइइइइ चोओओओओओओओदो चिल्लाए जा रही थी। उसकी कमर आगे पीछे हुई जा रही थी। फिर वह उन्न्न्न्न्न्न्न्न्न कहकर झड़ने लगी। राज और अमित भी अपना अपना वीर्य उसके अंदर डालकर शांत हो गए।

बाद में फ़्रेश होकर रश्मि आइ और कपड़े की तरफ़ हाथ बधाई।, राज ने उसका हाथ पकड़कर उसे नंगी ही बिस्तर पर गिरा गया और और बोला: मेरी जान अभी तो और राउंड करेंगे अभी से कपड़ा कैसे पहनोगी? फिर वह उसे अपने बग़ल में लिटाकर उसके होंठ चूसने लगा। अमित भी उसके शरीर पर हाथ फेरने लगा।

राज: रश्मि, तुम बता रही थीं कि तुम शादी के पहले चुदवा चुकी हो, बताओ ना किसने तुम्हें चोदा था? और कैसे हुआ ये सब?

रश्मि: बहुत पुशशी बात है, छोड़िए ना ये सब । ये कहते हुए वह एक हाथ से राज का और दूसरे हाथ से अमित का लौड़ा सहलाने लगी।

अमित: हाँ जानू सुनाओ ना, कैसे चुदीं तुम पहली बार? बताओ ना प्लीज़।

रश्मि: अच्छा चलिए बतातीं हूँ।
मैं एक किसान परिवार से हूँ और एक गाँव में ही पली बड़ी हूँ। मेरे घर में बाबा और माँ के अलावा मेरा एक छोटा भाई भी था। जीवन आराम से कट रहा था। पास के गाँव में एक स्कूल में हम पढ़ते थे। जब मेरे शरीर में जवानी के लक्षण उभरने लगे तो माँ ने सब कुछ बताया और पिरीयड्ज़ का भी बताया। गाँव में अब आदमियों की नज़र मुझे बदली हुई सी लगने लगीं। लड़कों ने तो मेरे साथ छेड़ छाड़ भी शुरू कर दी थी। हमारे गाँव के पास एक नदी बहती थी। एक बार शाम को मैं और मेरा भाई पास के गाँव में सगाई के कार्यक्रम के लिए गए । वापसी में हमें देर हो गयी। जब हम नदी के पास पहुँचे तो उस समय क़रीब शाम के ८ बजे थे।

हम वहाँ खड़े होकर नदी का बहाव देख रहे थे। तभी वहाँ जंगल से कुछ आवाज़ें आयीं। हम भाई बहन डर गए। तभी किसी के हँसने की आवाज़ आयी। हे भगवान! ये तो काली की आवाज़ है। काली मेरे से २ साल बड़ी थी और ११ वीं में पढ़तीं थीं। तभी वो भागते हुए सामने आयी और उसके पीछे दो लड़के भागते आए और उसको पकड़ लिए और उसे चूमने लगे।मुझे याद आया कि मेरा छोटा भाई भी ये सब देख रहा है। तभी वो हमको देख लिए। काली मेरे पास आइ और बोली: अरे तुम यहाँ क्या कर रही हो?
मैं: बग़ल के गाँव में सगाई थी वहीं से आ रही हूँ।

काली: अपने भाई को भेज दो घर , हम दोनों थोड़ी देर में आ जाएँगी। फिर मेरे भाई से बोली: तुम जाओ , हम अभी आते हैं।

भाई के जाने के बाद काली उन लड़कों से बोली: अब हम भी दो हैं। अब मुझे अकेली को तंग नहीं कर सकते? वो हँसने लगे। मैं उन दोनों को जानती थी । वो दोनों पढ़ाई छोड़ कर खेतों में काम करते थे और हमसे काफ़ी बड़े थे। वो दोनों कई बार मुझे छेड़ चुके थे। अब एक लड़का कबीर मेरे पास आया और मुझे बोला: तुम तो अब मस्त जवान हो गयी हो, मज़ा लिया की नहीं अपनी जवानी का? वो मेरे संतरों को घूरते हुए बोला।

काली: अरे एकदम भोली है मेरी सहेली। अभी कहाँ लिया है मज़ा । तभी दूसरे लड़के मोहन ने काली को पीछे से पकड़ा और उसके गाल चूमते हुए उसकी बड़ी बड़ी छातियों को दबाने लगा। वह घाघरा चोली में थी। और आऽऽऽह करने लगी। तभी कबीर ने मुझे पकड़कर अपनी बाहों में ले लिया और मुझे चूमने लगा। मुझे झटका लगा। तभी काली बोली: देख कबीर आराम से करना वो ये सब अभी तक करी नहीं है।

तभी मोहन ने काली की चोली उठा दी और उसकी बड़ी छातियाँ ब्रा से दिख रहीं थीं। वह अब उनकी काफ़ी बेहरमी से दबा रहा था। वह अब सीइइइइइइ कर उठी। मेरी आँखें भी भारी होने लगी थी ये सब देखकर। तभी कबीर के हाथ भी मेरी छातियों पर आ गए थे। अब मुझे भी अच्छा लग रहा था। फिर वह मुझे भी चूमने लगा। मैं भी काली की तरफ़ देख रही थी। तभी मोहन ने अपनी धोती निकाल दी और उसकी नाड़े वाली चड्डी के एक साइड से उसका बड़ा सा लिंग निकला हुआ दिख रहा था। तभी काली ने उसके लिंग को पकड़ लिया और दबाने लगी। मेरी अब सांसें फूलने लगी थीं। तभी कबीर मेरी फ़्रोक़ उठा कर मेरी चूचियाँ दबाने लगा। अब मैं भी मज़े से भरने लगी। अचानक मोहन ने काली की चूचिया ब्रा से निकाली और उनको चूसने लगा। तभी कबीर ने भी अपनी लूँगी और चड्डी खोल दी और उसका बड़ा सा लिंग मेरी आँखों के सामने थी। उसने मेरे हाथ को खींचकर अपना लिंग मेरे हाथ में दे दिया। उसका गरम और कड़ा लिंग मुझे बेक़रार कर दिया। तभी मैंने देखा कि मोहन ने काली को पेड़ के सहारे झुका दिया और उसके घाघरे को उठाकर उसकी चड्डी नीचे किया और अपना कड़ा लिंग उसकी बुर में डालकर मज़े से चोदने लगा। मेरी आँखें फैल गयीं थीं। मैं पहली बार किसी की चुदाई देख रही थी। मेरी बुर भी गीली हो चुकी थी।

तभी कबीर ने मेरी चड्डी में हाथ डालकर मेरी बुर को पकड़ लिया और दबाने लगा। मेरी तो मस्ती से हालत ख़राब हो रही थी। तभी मुझे समझ में आ गया कि मैं अब चुदने वाली हूँ। मैंने अपना हाथ छुड़ाया और वहाँ से दौड़कर भाग गयी। उस रात भर मुझे काली की चुदाई याद आती रही। और कबीर और मोहन के लिंग मेरी आँखों के सामने झूलते रहे।

अमित: अरे तो उस दिन तुम्हारी बुर का उद्घाटन नहीं हुआ? वो अब रश्मि की चूचि दबा रहा था।

राज ने भी उसकी चूचि चूसते हुए कहा: फिर तुमको पहली बार किसने चोदा?

रश्मि आगे बताने लगी…. अब मैं अक्सर चुदाई के बारे में सोचती रहती थी। एक दिन माँ ने कहा कि जाओ मंदिर में पुजारी के पास जाओ और उनको ये लड्डू दे दो भगवान को चढ़ाने को। मैं जब मंदिर पहुँची तो पुजारी वहाँ नहीं थे और मंदिर बंद था। वहीं एक औरत मंदिर की सफ़ाई कर रही थी।

मैं: पुजारी जी कहाँ हैं ?

औरत: वह उधर अपने घर ने हैं । अभी मंदिर खुलने में समय है।

मैं उनके घर की तरफ़ गयी, पुजारी जी की पत्नी को मैं अच्छी तरह से जानती थी, वो मेरे माँ की अच्छी सहेली भी थी।

मैं उनके घर पहुँचकर दरवाज़ा खटखटाई और बोली: मौसी , मैं रश्मि हूँ ज़रा दरवाज़ा खोलिए। तभी मैंने दरवाजे को धक्का दिया और मेरे सामने पुजारी जी थे जो सिर्फ़ चड्डी पहने आँगन में नहा रहे थे। मैं उनका बालों से भरा सीना और पुष्ट शरीर देखकर थोड़ा सा सकपका गयी। तभी वो खड़े हुए और उनकी गीली चड्डी में से लम्बा लिंग साफ़ दिखाई दे रहा था। मैं शर्म से दोहरीहो गयी। वो बोले: बेटी , आ जाओ अंदर,तुम कैसी हो?

मैं: जी ठीक हूँ। फिर मैं मौसी से मिलने अंदर चली गयी। वहाँ कोई नहीं था। तभी पुजारी जी बदन पोछते हुए आए। अब वह एक तौलिए में थे। उनका लिंग तौलिए से साफ़ उभरा हुआ दिख रहा था।

मैं: मौसी कहाँ हैं?

पुजारी: वो तो मायक़े गयी है। बैठो ना बेटी , बोलो कैसे आना हुआ?

मैं: वो लड्डू लायी थी चढ़ावे के लिए। माँ ने भेजा है। मेरी नज़र बार बार तौलिए के उभार पर जा रही थी।
पुजारी जी फ़्रोक़ में से मेरे संतरों को घूरे और बोले: बेटी ठीक है अभी चलते हैं। आज मैंने पहली बार तुम्हें ध्यान से देखा है, बेटी तुम अब मस्त जवान हो गयी हो और बहुत सुंदर भी। वो अभी भी मेरे संतरों को घूरे जा रहे थे। मैंने देखा कि अब उनका तौलिया ऊपर की ओर उठने लगा , मैं समझ गयी कि उनका लिंग वैसे ही खड़ा हो रहा है जैसे उस दिन मोहन और कबीर का खड़ा था। मेरी बुर गीली होने लगी।

तभी पुजारी मेरे पास आए और मेरे कंधों पर हाथ रखकर बोले: बेटी क्या खाओगी? चलो तुमको मिठाई खिलाते हैं। फिर वो मुझे मिठाई दिए और मेरे कंधों और हाथों को सहलाने लगा। फिर वो वहाँ रखे एक कुर्सी पर बैठे और मुझे बोले: बेटी आओ मेरी गोद में बैठो । आज तुम पर बहुत प्यार आ रहा है।

मैं: नहीं पुजारी जी मुझे जाना है।

वो: बेटी क्यों घबरा रही हो? अब तुम बच्ची नहीं हो मस्त जवान हो गयी ही। डरो मत मज़ा लो अपनी जवानी का। ये कहते हुए उसने मुझे अपनी गोद में खिंचा और मेरे चूतड़ उसके लौड़े पर टिक गए ।मैं उई करके उठी और उसने मेरी फ़्रोक़ ऊपर करके मुझे फिर से अपनी गोद में बिठा लिया। अब मेरी चड्डी में उनके खड़े लिंग का अहसास मुझे हो रहा था। अब वो मुझे चूमने लगे। मैं भी मज़े से आँख बंद कर ली। फिर जब उन्होंने मेरे संतरों को दबाया तो बस मैं बहक गयी। नीचे से लौड़े की चुभन और ऊपर से उनके हाथ मेरे निप्पल को दबाकर मुझे मस्ती से भर दिए थे। अब वो मुझे चूमे जा रहे थे।

फिर वो मेरी फ़्रोक़ को निकालकर मेरी ब्रा में क़ैद संतरों को चूमने लगे और मसलने लगे। फिर उन्होंने मेरी ब्रा भी खोल दी और मेरे संतरों को निचोड़ना शुरू किया। मेरी हाऽऽऽय्य निकल गयी। तभी उनका एक हाथ मेरे पेट को सहलाते हुए मेरी चड्डी पर घूमने लगा। मेरी गीली चड्डी देखकर बोले: बेटी, पिशाब कर दिया क्या? चड्डी गीली हो गई है?

मैं शर्माकर: नहीं, पर पता नहीं कैसे गीली हो गयी।

वो: बेटी, देखूँ अंदर सब ठीक है ना? ये कहकर उन्होंने अपने हाथ मेरी चड्डी में डाला और मेरी बुर और उसके आसपास के रोये जैसे नरम बालों को सहलाने लगे। मेरी अब सिस्कारी निकल गयी।

वो बोले: बेटी अच्छा लग रहा है ना?

मैं: जी बहुत अच्छा लग रहा है। वो मेरी बुर में ऊँगली डालकर उसे छेड़ने लगे और बोले: बेटी कभी किसी से चुदवाई है क्या?

मैं: : जी नहीं कभी नहीं किया।

वो :बेटी तभी तुम्हारी बुर बड़ी टाइट है , मैं तुम्हारी सील तोड़ूँगा। तुमको पहले थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त करना होगा। फिर उसके बाद मज़े ही मज़े। ठीक है ना?

मैं: जी ठीक है। मेरी बुर पनिया चुकी थी और अब मैं चुदवाने को मरी जा रही थी।

वो: ठीक है बेटी फिर उठो और नीचे ज़मीन पर बने बिस्तर को दिखा कर बोले: चलो यहाँ लेट जाओ।

मैं वहीं लेट गयी । अभी मैंने सिर्फ़ चड्डी पहनी थी। उन्होंने भी अपना तौलिया खोलकर निकाला और उनका लौड़ा देखकर मेरे प्राण निकल गए कि इतना बड़ा मूसल मेरे अंदर जाएगा कैसे?( उनका आपके जितना ही बड़ा था, वो अमित से बोली। )

तभी उन्होंने किचन से तेल लाकर मेरी बुर में डाला और ऊँगली से मेरी बुर को फैलाकर उसमें दो उँगलियाँ डाली और फिर अपने लौड़े पर भी तेल मला। फिर मेरी टाँगे घुटनों से मोड़कर पूरा फैलाया और बीच में बैठकर अपना लौड़ा मेरी बुर के मुँहाने में लगाया और धीरे धीरे से दबाने लगा। मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी। मुझे लगा कि मेरे अंदर जैसे कोई कील गड़े रहा है। मैंने उनसे अलग होने की कोशिश की जो नाकयाब साबित हुई। अब मेरे रोने का उनपर कोई असर नहीं हो रहा था। वो अपना पूरा लौड़ा अंदर करके मेरे होंठ और मेरी चूचि चूसने लगे। जल्द ही मेरा दर्द कम होने लगा। फिर वो पूछे: बेटी अब दर्द कम हुआ?

मैं: जी दर्द अब कम हुआ है।

वो: तो फिर चुदाई शुरू करूँ?

मैं शर्माकर बोली: जी करिए।

वो मुस्कुराकर मेरे संतरों को दबाकर चूसे और फिर अपनी क़मर हिलाकर मेरी चुदाई शुरू किए। मेरी टाइट बुर में उनका लौड़ा फँस कर अंदर बाहर हो रहा था । अब मुझे फिर से दर्द भी हो रहा थ और मज़ा भी आ रहा था। मैं उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ करके चिल्ला रही थी। पर अब वो पूरी तरह से चुदाई में लग गए थे और मेरी बुर की धज्जियाँ उड़ रही थी। आधा घंटा चुदाई के बाद वो झड़कर मेरे ऊपर से उठे। मैं भी दो बार झड़ी थी। मैं चुदाई के बाद एक लाश की तरह चुपचाप पड़ी थी। मेरी बुर में बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था। वो उठकर एक गीला तौलिया लाए और बड़े प्यार से मेरी बुर को साफ़ किए और बोले: देखो बेटी, कितना ख़ून निकला है , पहली बार ऐसा होता है। अब तुम्हारी बुर मस्त खुल गयी है , अब आराम से चुदवा सकती हो। ठीक है ना? आज तुमको चलने में थोड़ी तकलीफ़ होगी, घर में बोल देना की पैर में मोच आ गयी है। ठीक है ना बेटी?

मैं: जी पुजारी जी।

जब मैं वापस आने लगी तो वो प्यार करते हुए बोले: बेटी जब चुदवाने की मर्ज़ी हो तो आ जाना। ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरे संतरे दबा दिए और मेरे चूतरों पर हाथ भी फेर दिया।
मैं कई बार उनसे चुदवाई थी शादी के पहले। मेरे पति चुदाई के मामले में ज़्यादा मज़ा नहीं दिए पर मैं उनके साथ गुज़रा करती रही। बाद में उनकी मृत्यु के बाद अमित जी ने मुझे संतुष्ट किया। और अब आप दोनों मुझे सुख दे रहे हो। यही मेरी कहानी है।

रश्मि की कहानी सुनकर दोनों गरम हो चुके थे । राज तो उसकी बुर में मुँह घुसाकर उसकी बुर चाटने लगा था। अब अमित नीचे लेटा और रश्मि अपनी बुर में उसका लौड़ा घुसेड़ ली। फिर पीछे से राज ने उसकी गाँड़ में क्रीम लगाकर उसकी गाँड़ में अपना लौड़ा पेल दिया। अब रश्मि की फिर से डबल चुदाई चालू हुई। रश्मि चिल्लाने लगी। उन्न्न्न्न्न्न्न्न उइइइइइइ और फ़च फ़च और ठप्प ठप्प की आवाज़ें कमरे में भर गयीं थीं।

राज उसकी चूचियाँ भी मसल रहा था और रश्मि के कान में बोला: आऽऽऽह क्या मस्त गाँड़ है तुम्हारी । क्या टाइट है जानू। फिर वो उसके चूतरों को दबाकर उसपर थप्पड़ मारने लगा। वह चिल्ला कर अपनी गरमी को व्यक्त कर रही थी। अब चुदाई पूरी जवानी पर थी। पलंग भी चूँ चूँ कर रहा था। तभी रश्मि जो अमित के लौड़े पर उछल उछल के चुदवा रही थी, बड़बड़ाने लगी : आऽऽऽह मज़ाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है। मैं गईइइइइइइइइ कहते हुए झड़ने लगी। उधर अमित और राज भी झड़ गए। सब अग़ल बग़ल लेटकर सब एक दूसरे का बदन सहलाने लगे। राज रश्मि के भरे हुए बदन पर हाथ फेरते हुए बोला: बहुत मज़ा आया जानू , क्या भरा बदन है तुम्हारा। एकदम मख़मल सा बदन है । वह उसके बड़े चूतरों को सहलाते हुए बोला: म्म्न्म्म्म मज़ा आ जाता है इनपर हाथ फेरने में। फिर उसके पेट से लेकर उसकी छाती सहलाकर बोला: ये दूध कितने रसभरे हैं। रश्मि हँसने लगी।
उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ। रश्मि और अमित वापस अपने शहर आ गए।

अगले दिन शादी को सिर्फ़ सात दिन रहे थे। दोनों बाप बेटा बड़े ख़ुश थे क्योंकि आज रचना अमेरिका से आने वाली थी। जय को दीदी और राज की इकलौती लाड़ली बेटी। जय और राज एयरपोर्ट पहुँचे उसे लेने के लिए।
रचना जब एयरपोर्ट से बाहर आइ तो जय की आँखें ख़ुशी से चमक उठी। उसकी प्यारी दीदी जो आयी थी वो भी काफ़ी दिनों के बाद। वो उससे जाकर लिपट गया और वह भी उसे गले लगाकर प्यार करने लगी। राज भी बहुत ख़ुश हुआ इतने दिनों कि बाद अपनी बेटी को देखकर। पर उसकी आँखें उसकी टॉप पर भी थी जिसमें से उसकी मस्त गदराइ हुई छातियाँ बिलकुल मादक लग रही थी। उसकी टॉप से झाँकती हुई अधनग्न छातियाँ उसे और भी सेक्सी बना रही थी। उसकी हिप हगिंग जींस भी बहुत कामुक दृश्य प्रस्तुत कर रही थी। उसके चुतरों के उभार और भी सेक्सी लग रहे थे । जब वह जय से लिपटी और उसके बाद वह अपना समान लेने के लिए झुकी , उसकी जींस नीचे खिसकी और उसकी गाँड़ की दरार सबके सामने थी। आते जाते लोग भी उसकी मस्त गोरी गाँड़ की दरार देख रहे थे और अपना लौंडा अपने पैंट में अजस्ट कर रहे थे। उसे अपने लौंडे में भी हरकत सी महसूस हुई। अब वो आकर पापाआऽऽऽऽ कहकर राज से लिपट गई। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ राज के चौड़े सीने से टकरा कर राज के पैंट में और ज़ोर से हलचल मचा दीं।उसका हाथ रचना की कमर पर पड़ा और वहाँ के चिकनी त्वचा को सहला कर राज के लौंडे को पूरा खड़ा कर बैठा। रश्मि अब राज के गाल को चूम रही थी और बोली: पापा कैसे हैं आप?

राज के हाथ उसकी कमर से खिसक कर उसकी चुतरों पर पहुँच गया, क्योंकि वह उछल कर उसकी गर्दन से चिपक गयी थी। राज अपने हाथ को उसके चुतरों से हटा कर बोला: बेटी मैं बिलकुल मज़े में हूँ। हम सब तुमको बहुत मिस करते हैं।वह उसके गाल चूमते हुए बोला और उसके बालों पर भी प्यार से हाथ फेरा। इसके साथ ही वह ख़ुद अपना निचला हिस्सा पीछे किया ताकि रचना को उसके लौंडे की हालत का पता नहीं चले।

फिर रचना अलग होकर अपना समान उठाने लगी और फिर से उसकी आधी छातियाँ उसके सामने झूल गयी थीं साथ ही उसकी गाँड़ की दरार भी फिर से उसकी आँखों के सामने थी। इस बार तो जय की भी आँखें उसके जवान बदन पर थीं।

फिर सब बाहर आए और जय ने कार में सामान डाला और कार चलाकर घर की ओर चल पड़ा। राज और रचना पीछे की सीट पर बैठे थे। रचना ने राज का हाथ अपने हाथ ने ले लिया और बोली: पापा। आप माँ को बहुत मिस करते होगे ना?

राज की आँखों के आगे रश्मि और शशी का नंगा बदन आ गया। वो सोचने लगा कि मेरे जैसा कमीना उसको क्या मिस करेगा? पर वह बोला: हाँ बहुत याद आती है उसकी। एकदम से मुझे अकेला छोड़ गयी वह।

रचना: पापा , मुझे भी मॉ की बहुत याद आती है। ये कहते हुए उसकी आँख भर आइ और वो अपना सिर राज के कंधे पर रखी । अब उसकी एक छाती राज की बाँह से सट गयी थी। राज के बदन में उसकी मस्त और नरम छाती का अहसास उसे फ़िर से उत्तेजित करने लगा। रचना के बदन से आती गन्ध भी उसे पागल करने लगी। उसने देखा कि रचना की आँखें बन्द थीं और राज ने उसका फ़ायदा उठाते हुए अपनी पैंट में लौंडे को ऐडजस्ट किया। अब वह अपनी बाँह उसके कंधे पर ले गया और उसे शान्त करने लगा। उसका हाथ उसकी छाती के बहुत क़रीब था। तभी वह अपनी आँख खोली और जय को बोली: और मेरे भय्या का क्या हाल है। शादी के लिए रेडी हो गए हो ना? ये कहते हुए वह आगे को झुकी और राज का हाथ उसकी छाती से टकराया। राज ने अपना हाथ नहीं हटाया और रचना ने भी ऐसा दिखाया जैसे उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।
थोड़ी देर तक वो जय और राज से अब तक की तैयारियों का अपडेट ली और बोली: बाप रे, अभी बहुत काम बाक़ी है। चलो अब मैं आ गयी हूँ , अब सब ठीक कर दूँगी। कहते हुए वह राज का हाथ जो उसकी छाती को छू रहा था , उसे अपने हाथ में लेकर वह उसे चूम ली और बोली: पापा आइ लव यू।

राज ने भी उसे अपने से सटाकर कहा: बेबी आइ लव यू टू।

जय: दीदी मेरा क्या? मुझसे कोई प्यार नहीं करता क्या?

दोनों हँसने लगे और बोले: वी लव यू टू ।

तभी वह सब घर पहुँच गए।

घर पहुँचने पर शशी ने सबको नाश्ता कराया और सब चाय पीते हुए बातें करने लगे। शादी की तैयारियाँ बहुत डिटेल में डिस्कस हुई। फिर रचना बोली: मैं अभी सोऊँगी बहुत थक गयीं हूँ। शाम को हम होटेल जाकर मिनु फ़ाइनल करेंगे।

जय: और खाना भी वहीं खा लेंगे। ठीक है ना पापा?

राज: बिलकुल ठीक है, रचना के आने का सेलब्रेशन भी हो जाएगा।

रचना: पापा मेरा कमरा ठीक है ना?

शशी: जी आपका कमरा बिलकुल साफ़ और तैयार है।

फिर रचना उठी और एक बार उसकी गाँड़ की दरार राज और जय की आँखों के सामने थीं। इस बार राज से रहा नहीं गया और वह बोला: बेटी, इस तरह की पैंट क्यों पहनती हो? पीछे से पूरी नंगी हो रही हो।

वो हँसकर बोली: पापा आपने तो मुझे पूरा नंगा देखा है, आपको क्या फ़र्क़ पड़ता है। पर अब मैं इंडिया में ऐसे कपड़े नहीं पहनूँगी। ठीक है ना?

राज ने उसकी कमर सहला कर कहा: ठीक है बेटी, जाओ अब आराम कर लो। वह शशी के साथ चली गयी।

थोड़ी देर में जय भी दुकान चला गया। क़रीब आधे घंटे के बाद शशी राज के कमरे में आइ और मुस्कुरा कर बोली: आपको शर्म नहीं आती , अपनी बेटी की गाँड़ को घूरते हुए।

राज बेशर्मी से बोला: वह भी तो अपनी गाँड़ दिखाए जा रही थी। मेरी क्या ग़लती है? उसने अपना लौंडा दबाकर बोला: देखो इस बेचारे की क्या हालत ही गयी है ?

शशी हँसती हुई बोली: ये और बेचारा? इसका बस चले तो यह रचना की गाँड़ में भी समा जाता।

राज ने अपनी पैंट उतारी और चड्डी भी उतारा और शशी को लौड़ा चूसने का इशारा किया। शशी उसके लौंडे को सहलाकर बोली: आपको पता है रचना ने अपनी पैंट और टॉप उतार दिया है और सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में सो रही है। देखना है क्या?

राज के लौंडे ने ये सुनकर झटका मारा और राज बोला: सच में ? मगर उसने चद्दर ओढ़ी होगी ना? दिखेगा थोड़ी?

शशी उसके लौंडेको चूसते हुए बोली: उसे बहुत गरमी लगती है इसलिए उसने कुछ भी नहीं ओढ़ा है।

राज उठते हुए बोला: चलो वहीं चलते हैं, उसे देखते हैं की जवान होकर वह अब कैसी दिखती है?

वो दोनों उसके कमरे की खिड़की के पास आकर पर्दा हटाकर झाँके और आऽऽऽह सामने रचना ब्रा और पैंटी में करवट लेकर सोयी हुई थी। ब्रा से उसकी बड़ी छातियाँ आधी बाहर दिखाई दे रही थीं। उसका नंगा गोरा पेट और उसकी गदराइ जाँघें भी बहुत मादक दिख रही थीं। उसका मुँह खिड़की की तरफ़ था। शशी धीरे से बोली: मज़ा आ रहा है ना? राज ने उसकी गर्दन पकड़ी और उसको अपने घुटनों पर झुका दिया और वह उसके लौंडे को चूसने लगी। राज रचना को देखते हुए शशी के मुँह को चोदने लगा। उसकी कमर हिले जा रही थी और अब शशी ने भी डीप थ्रोट से चूसना शुरू कर दिया था। वह अपनी जीभ से उसके मोटे सुपाडे को भी रगड़ रही थी। उसके बॉल्ज़ को भी चाटे जा रही थी।

तभी अचानक राज की नज़र ड्रेसिंग टेबल के शीशे पर पड़ी और वहाँ उसे शीशे में रचना की मोटी मोटी गाँड़ दिखाई दे गयी। आऽऽऽऽऽऽह क्या मस्त गदराइ हुई गाँड़ थीं। दोनों चूतड़ मस्त गोरे और नरम से दिख रहे थे और उनके बीच में एक छोटी सी पट्टी नुमा रस्सी थी जो गाँड़ की दरार में गुम सी हो गयी थी। क्या दृश्य था और राज अब ह्म्म्म्म्म्म करके शशी के मुँह में झड़ने लगा। शशी ने उसका पूरा रस पी लिया।

अब राज वहाँ से हटा और अपने कमरे में आ गया। अब जब उसकी वासना का ज्वार शान्त हो चला था तो उसे अपने आप पर शर्म आयी और वह सोचने कहा कि कितनी गंदी बात है, वो अपनी प्यारी सी शादीशुदा बेटी के बारे में कितना गंदा सोच रहा है। उसने अपने सिर को झटका और फ़ैसला किया कि ऐसे गंदे विचार अब अपने दिमाग़ में नहीं आने देगा आख़िर वो उसकी इकलौती बेटी है। अब उसे थोड़ा अच्छा महसूस हुआ और वो शादी के बजट वग़ैरह की योजना बनाने में लग गया। तभी शशी आइ और बोली: तो कब चोदोगे अपनी बेटी को?

राज: देखो शशी, आज जो हुआ सो हुआ । अब हम इसकी बात भी नहीं करेंगे। वो मेरी बेटी है और मैं उसे कैसे चोद सकता हूँ? ठीक है ?

शशी हैरान होकर: ठीक है साहब जैसा आप चाहें।
अब राज अपने काम में लग गया।
जय ने दुकान से डॉली को फ़ोन किया: कैसी हो मेरी जान।

डॉली: ठीक हूँ। आज बड़े सबेरे फ़ोन किया सब ख़ैरियत?

जय: सब बढ़िया है। आज दीदी भी आ गयीं हैं। अब शादी की रौनक़ लगेगी घर पर। और तुम्हारे यहाँ क्या चल रहा है?

डॉली: सब ठीक है, मम्मी और ताऊजी टेन्शन में हैं शादी की।

जय: अरे सब बढ़िया होगा। मैं मम्मी को फ़ोन कर देता हूँ कि टेन्शन ना लें।

डॉली: प्लीज़ कर देना उनको अच्छा लगेगा। अरे हाँ मेरी सहेलियाँ पूछ रहीं थीं कि हनीमून पर कहाँ जा रही हूँ? क्या बोलूँ?

जय: बोलो कहाँ जाना है?

डॉली: आप बताओ मुझे क्या पता?

जय : मुझे तो शिमला जाने का मन है या फिर गोवा चलते हैं। तुम बताओ कहाँ जाना है?

डॉली: गोवा चलते हैं। वैसे मेरी एक सहेली बोली की कहीं भी जाओ , एक ही चीज़ देखोगी और कुछ देखने को तो मिलेगा नहीं। मैंने पूछा कि क्या देखने को मिलेगा? तो वो जानते हो क्या बोली?

जय: क्या बोली?

डॉली: वो बोली कि होटेल के कमरे का पंखा देखोगी और कुछ नहीं।

जय हैरानी से: क्या मतलब ? होटल का पंखा?

डॉली हँसने लगी और बोली: आप भी बहुत भोले हैं जी। मतलब मैं बिस्तर में पड़ी रहूँगी और आप मेरे ऊपर रहोगे और मैं सिर्फ़ पंखा ही देखूँगी।

अब बात जय को समझ में आइ और वो हँसने लगा और बोला: हा हा , क्या सोचा है। कोई इतना भी तो नहीं लगा रहता है दिन रात इस काम में। हा हा गुड जोक।
वैसे मुझे भी लगता है कि शायद तुम पंखा ही देखोगी। ठीक है ना?

डॉली हंस कर: मैं तो जाऊँगी ही नहीं अगर सिर्फ़ पंखा ही दिखाना है। वैसे भी पार्क में जो उस दिन आपका बड़ा सा देखा था, वह अभी भी सपने में आता है और मेरी नींद खुल जाती है उस दर्द का सोचकर जो आप मुझे सुहाग रात में देने वाले हो।

जय हँसकर: मैं कोई दर्द नहीं देने वाला हूँ। तुम भी बेकार में ही डरी जा रही हो। वैसे हम सुहाग रात में करेंगे क्या? मुझे तो कोई अनुभव ही नहीं है। चलो कुछ दोस्तों से पूछता हूँ कि कैसे और क्या करना होगा?
डॉली: हाँ ये भी पूछ लेना कि बिना दर्द के ये काम कैसे होता है।

जय: क्या तुम भी ? बस एक दर्द का ही क़िस्सा लेकर बैठी हो। एक बात बोलूँ, दीदी से पूछ लूँ क्या?

डॉली: छी वो तो एक लड़की हैं , उनसे कैसे पूछोगे? वैसे आपने बताया था कि आपने ब्लू फ़िल्मे देखीं हैं तो वहीं से सीख लो ना।

जय: अरे उसमें तो सब उलटा सीधा दिखाते हैं, एक बात बोलूँ मैं दीदी से बात करता हूँ और तुमको भी फ़ोन पर ले लेता हूँ। चलेगा?

डॉली: छी कुछ भी बोलते हो? बिलकुल नहीं, मैं तो मारे शर्म के मर ही जाऊँगी। आप अपने दोस्तों से ही पूछ लो।

जय: चलो दोस्तों से ही पूछता हूँ। तो फिर गोवा पक्का ना, बुकिंग करा लूँ।

डॉली: हाँ करवा लीजिए। पर कमरे में पंखा नहीं होना चाहिए सिर्फ़ एसी होना चाहिए। हा हा ।
दोनों हँसे और फ़ोन रख दिया।
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#12
जय ने सुहाग रात की डिटेल जानने के लिए अपने दोस्त मंगेश को फ़ोन किया। उसकी पास ही अनाज की दुकान थी और उसकी शादी को १ साल हो चुका था।

मंगेश: वाह आज इतने दिन बाद कैसे याद आइ?

जय: बस ऐसे ही , अगर बहुत व्यस्त ना हो तो चलो कॉफ़ी पीते हैं।

फिर वो और मंगेश कॉफ़ी हाउस में मिले और कुछ इधर उधर की बातें करने के बाद जय बोला: यार अगले हफ़्ते मेरी शादी है, और मुझे सच में सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं आता। थोड़े टिप्स दे देना यार।

मंगेश हँसते हुए: तू भी इतना बड़ा हो गया है और बच्चों के जैसी बातें करता है।अरे ब्लू फ़िल्म तो देखा होगा ना अगर चुदाई नहीं की है तो। देख भाई मैंने तो शादी के पहले ही तीन लड़कियाँ चोद रखीं थीं सो मुझे कोई परेशानी नहीं हुई। तू भी किसी को चोद ले आजकल में और फिर मना सुहागरत मज़े से ।

जय : नहीं ये मैं कभी भी नहीं करूँगा। यार तू बता ना कि कैसे शुरू करते हैं ?

मंगेश: मैं तो प्रेक्टिकल करके बता सकता हूँ अगर तू चाहे तो। मेरी एक गर्ल फ़्रेंड है उसे बोल दूँगा वो रोल प्ले कर देगी मेरी दुल्हन का। बोल इंतज़ाम करूँ?

जय: पर मैं कैसे देखूँगा? मतलब तुम दोनों को शर्म नहीं आएगी? और फिर तुम अपनी पत्नी को धोका भी तो दोगे?

मंगेश: बाप रे इतने सवाल !! तुम उसी कमरे में कुर्सी में बैठ कर देखोगे। हमको कोई शर्म नहीं आएगी। और हाँ शादी के बाद थोड़ा बहुत ये सब चलता है। ये लड़की नर्गिस मुझसे हफ़्ते में एक बार तो चुदवाती ही है।

जय हैरान होकर: उसी कमरे में ? क्या यार मुझे शर्म आएगी।

मंगेश: मैं शर्त लगाता हूँ कि तुम भी मज़े में आकर मेरे सामने उसे चोदोगे। तो बताओ कब का प्रोग्राम रखें?

जय: कल दोपहर का रख लो।

मंगेश: चलो उसको पूछता हूँ, वो भी फ़्री होनी चाहिए। उसने नर्गिस को फ़ोन लगाया और स्पीकर मोड में डाल दिया। मंगेश: कैसी हो मेरी जान?

नर्गिस: बस ठीक हूँ , आज कैसे मेरी याद आइ?

मंगेश: यार तुमको मेरे एक दोस्त की मदद करनी है। वो शादी कर रहा है। तुम्हें उसके सामने मेरी बीवी बनकर मेरे साथ सुहाग रात मनानी होगी। बोलो ये रोल प्ले करोगी?

नर्गिस: याने कि वह ये सब देखेगा?

मंगेश: और क्या ? उसके लिए ही तो कर रहे हैं।

नर्गिस: फिर तो उसे मुझे कोई महँगी गिफ़्ट देनी पड़ेगी।

मंगेश: कैसी गिफ़्ट?

नर्गिस: उसको फ़ैसला करने दो ओर मेरा दिल Apple के फ़ोन पर आया हुआ है।

मंगेश ने प्रश्न सूचक निगाहों से जय को देखा तो वो हाँ में सिर हिला दिया। मंगेश: ठीक है ले लेना। तो फिर कल १२ बजे मिलें तुम्हारे घर पर?

नर्गिस: ठीक है आ जाओ। यह कहकर उसने फ़ोन काट दिया।

फिर वो दोनों कल मिलने का तय करके वापस अपने दुकान आ गए।

जय ने डॉली को फ़ोन किया: देखो तुम्हारे साथ सुहाग रात कितनी महोंगी पड़ी अभी से । वो लड़की जो सुहागरत में दुल्हन की ऐक्टिंग करेगी मेरे दोस्त के साथ उसे एक स्मार्ट फ़ोन ख़रीद कर देना पड़ेगा।

डॉली: ओह तो आपने इंतज़ाम कर ही लिया? मुझे तो लगता है कि कल आपका भी उस लड़की के साथ सब कुछ हो ही जाएगा।

जय: सवाल ही नहीं पैदा होता। मैंने अपने कुँवारेपन को तुम्हारे लिए बचा के रखा है मेरी जान। सुहागरात में हम दोनों कुँवारे ही होंगे। ठीक है?

डॉली: देखते है कल के बाद आप कुँवारे रहते भी हो या नहीं।

जय: देख लेना। फिर दोनों ने फ़ोन रख दिया।

शाम को जय ज़रा जल्दी घर आ गया और फिर रचना और राज के साथ सब उस होटेल गए जहाँ शादी होनी थी। रचना ने मिनु फ़ाइनल किया और सजावट की भी बातें मैनेजर को समझाईं। फिर वो सब वहाँ डिनर किए। सबने ख़ूब बातें की और राज ने पारिवारिक सुख का बहुत दिन बाद आनंद लिया। रचना भी सलवार कुर्ते में बहुत प्यारी लग रही थी। जय भी काफ़ी हैंडसम था और राज को अपने बच्चों के ऊपर घमंड सा हो आया। जय रचना को जिजु की बातें करके छेड़ रहा था। सब हंस रहे थे और मज़े से खाना खा रहे थे। घर आकर सब सोने चले गए।

अगले दिन दोपहर को मंगेश का फ़ोन आया और उसने जय को एक पते पर आने को कहा। जब वो उस फ़्लैट में पहुँचा तो मंगेश और नर्गिस वहाँ पहले से पहुँचे हुए थे। नर्गिस ने लाल साड़ी पहनी थी वो क़रीब २६/२७ साल की लड़की थी और शरीर से थोड़ी मोटी थी। पता नहीं मंगेश ने उसमें क्या देखा जो अपनी बीवी छोड़कर इसके पीछे फ़िदा है- जय ने सोचा। यह तो उस बाद में पता चलने वाला था कि नर्गिस में क्या ख़ास है। जय ने नर्गिस को हेलो कहा और उसका गिफ़्ट स्मार्ट फ़ोन उसे दे दिया। वह ख़ुश होकर जय के गाल चूम ली। जय शर्मा गया।

मंगेश बोला: चल नर्गिस ज़्यादा समय नहीं है, हमें दुकान वापस भी जाना है। चल सुहागरत का डेमो दे देते हैं इसको। वह हँसने लगी और सब बेडरूम में चले गए। जय वहाँ बेड के पास रखी एक कुर्सी पर बैठ गया। नर्गिस अपना घूँघट निकालकर बिस्तर पर बैठ गयी। मंगेश बाहर से अंदर आने का अभिनय किया और आकर बिस्तर के पास आकर उसके पास बैठ गया। फिर उसने जय की गिफ़्ट को नर्गिस के हाथ में देकर कहा: जानेमन, ये लो मेरी ओर से सुहाग रात की गिफ़्ट। फिर उसने उसका घूँघट उठाया और उसके हुस्न की तारीफ़ करने लगा। वह अब उसके पास आके उसके हाथ को चूमा और फिर उसके हाथ को चूमते हुए उसकी गरदन के पास जाकर उसके गाल चूमा। नर्गिस शर्मायी सी बैठी थी। फिर वह उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिया और उसे चूमने लगा। फिर उसने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली और उसके निचले होंठ को चूसने लगा। जय ग़ौर से ये सब देख रहा था और उसके लौड़े ने अँगडाइयाँ लेनी शुरू कर दी थी।

अब मंगेश ने उसकी साड़ी का पल्लू नीचे किया और नर्गिस की भारी छातियाँ ब्लाउस से बाहर झाँकने लगीं। अब उसने ब्लाउस के ऊपर से उसके दूध को दबाया और नर्गिस ने झूठ मूठ में हाऽऽऽय करके अपना भोलापन दिखाया। अब नर्गिस की भी सांसें तेज़ चलने लगीं थीं। फिर मंगेश ने अपनी क़मीज़ उतार दी और अब नर्गिस को बिस्तर पर लिटा दिया और उससे चिपक कर उसके होंठ चूसते हुए उसके बदन पर हाथ फिराने लगा। फिर बड़ी देर तक चुम्बन लेने के बाद वह उसके ब्लाउस के हुक खोला और उसको उतार दिया । अब ब्रा में क़ैद उसके मोटे मम्मों को दबाकर उसने नर्गिस की हाऽऽऽय निकाल दी। फिर उसने साड़ी उतारी और पेटिकोट का नाड़ा भी खोला और नर्गिस अब सिर्फ़ ब्रा और पैंटी ने थी। उसका थोड़ा मोटापा लिया हुआ बदन सेक्सी लग रहा था। बस पेट और जाँघों पर एक्स्ट्रा चरबी थी। मंगेश अब उसके बदन को सहलाने लगा। नर्गिस शर्माने की ऐक्टिंग कर रही थी। फिर मंगेश ने अपने पूरे कपड़े खोले और उसका सामान्य साइज़ का लौड़ा जय के सामने था। उसने नर्गिस के हाथ में लौड़ा देने की कोशिश की पर नर्गिस थोड़ी देर बाद उसे छोड़ दी। अब मंगेश ने ब्रा का हुक खोला और उसकी मोटी छातियाँ मंगेश और जय के सामने थीं। नर्गिस उनको अपने हाथ से छुपाने की ऐक्टिंग कर रही थी। अब मंगेश ने उसका हाथ हटाया और उसकी छातियाँ दबाने लगा और फिर मुँह में लेकर चूसने भी लगा।
अब नर्गिस की हाऽऽऽऽऽऽऽयह उइइइइइइइइइ निकलने लगी।

अब जय का लौड़ा बहुत टाइट हो गया था और वह उसे सहलाने लगा। उधर मंगेश नीचे आकर उसकी पैंटी निकाला और उसकी जाँघें फैलाकर उसने ऊँगली डालकर हिलाने लगा। अब नर्गिस उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्ग कर उठी। फिर उसने नर्गिस की गाँड़ के नीचे तकिया रखा और उसकी टाँगें मोड़कर अपना लौड़ा उसके छेद में लगाकर धक्का दिया और लौड़ा उसकी बुर में घुस गया। फिर वह उसके ऊपर आकर उसकी चुदाई करने लगा। जय को लगा कि ये सब देखना बेकार ही हो गया क्योंकि सभी ब्लू फ़िल्म में भी कुछ ऐसा ही होता है। अब वह अपने लौड़े को मसल रहा था।

थोड़ी देर बाद दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। जय ये सब देख कर बहुत उत्तेजित हो चुका था। अब मंगेश नर्गिस के ऊपर से हटकर बग़ल में लेट गया। नर्गिस की फैली जाँघों के बीच में सफ़ेद वीर्य चमक रहा था। उसने एक कपड़े से अपनी बुर को पोंछा। फिर जय के पैंट के उभार को देख कर बोली: कुछ सीखा आपने? ऐसे होती है चुदाई। आओ अपना भी डाल दो मेरी बुर में। एकदम रेडी है चुदवाने के लिए। ये कहकर उसने अपनी बुर में दो उँगलियाँ डाली और जय को आँख मारी।
मंगेश भी हँसकर बोला: हाँ यार आज तू भी प्रैक्टिकल कर ले। वह भी अपना सुकडा हुआ लौड़ा कपड़े से पोंछने लगा।

जय: नहीं मुझे नहीं करना। मैंने जो देखना था देख लिया है। अब मैं चलता हूँ।

मंगेश: अरे यार अभी तूने नर्गिस का नक़ली रूप देखा है, अब तू इसका असली रूप देख ले फिर चले जाना। फिर वह नर्गिस से बोला: चल अब अपना असली रूप दिखा जिसने मुझे दीवाना बना दिया है।

नर्गिस हँसकर उठी और बोली: देखो राजा , मज़ा कैसे लेते हैं चुदाई का।

फिर नर्गिस ने मंगेश का लौड़ा ऊपर से नीचे तक चाटा और फिर उसे चूसने लगी। अब उसका लौड़ा उसके मुँह में बड़ा होता चला गया। फिर उसने क़रीब १५ मिनट उसे चूसा और चाटा। फिर वह आकर उसके लौड़े पर बैठी और उसे अपनी बुर में अंदर करके उछल कर चुदवाने लगी। फ़च फ़च और ठप्प ठप्प की आवाज़ के साथ पलंग भी चूँ चूँ कर उठा। फिर वह ६९ की पोजीशन में आकर अपनी बुर चटवाते हुए उसका लौड़ा चूसने लगी। फिर मंगेश ने उसे पलटा और वह उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा। वह भी अपनी गाँड़ उठाकर उसका साथ देनी लगी। फिर आख़िर में उसने उसको कुतिया बनाकर पीछे से चोदा और उसके अंदर झड़ गया।

हाँफते हुए उसके बग़ल ने लेटकर मंगेश बोला: देखा साली कैसी रँडी के माफ़िक़ चुदवाती है? मेरी बीवी को साली अभी तक मुझसे शर्म आती है। ना वो कमर उछालती है और ना ही मुँह में लेती है। इस तरह मेरे ऊपर आकर चोदना तो बहुत दूर की बात है। समझा, मैं क्यों इसके पास आता हूँ? जो बीवी से नहीं मिलता वो ये देती है।

जय अपना लौड़ा पैंट में ऐडजस्ट किया और बोला: मैं समझ गया। अब चलता हूँ। ये कहकर वो बाहर आया और सोचने लगा कि अगर मंगेश की बीवी उसका ठीक तरह से साथ देती तो शायद वो नर्गिस के चक्कर में नहीं पड़ता।

दुकान में आकर वह बाथरूम में गया और मूठ्ठ मारा और अपने काम में लग गया। शाम को डॉली का फ़ोन आया: कैसे हो?

जय: मज़े में हूँ।

डॉली: वो तो होंगे ही, मज़ा जो करके आ रहे है । कैसा रहा प्रैक्टिकल अनुभव ?

जय: सिर्फ़ देखा, किया कुछ नहीं।

डॉली: क्या पता ? वैसे हुआ क्या ये तो बताइए ?

जय: मेरा दोस्त अपनी गर्ल फ़्रेंड के पास ले गया था। वहीं पर उन्होंने मुझे सेक्स करके दिखाया और क्या?

डॉली: फिर आपका मन नहीं किया?

जय: मेरा मन तो सिर्फ़ तुम्हारे साथ करने का है। वो बोली थी पर मैंने मना कर दिया।

डॉली: आप सच में बहुत अच्छे हो। बहुत प्यारे। ये कहते हुए उसने पहली बार उसे फ़ोन पर किस्स किया मुआआऽऽऽऽ बोलके।

जय: ओह थैंक्स ड़ीयर । मुआआऽऽऽऽ ।

डॉली: चलो अब रखती हूँ। उसने फ़ोन काट दिया।
रात को सब एक साथ खाना खा रहे थे और हँसी मज़ाक़ चल रहा था। राज सोच रहा था कि रचना के आने से घर में कितनी चहल पहल हो गयी थी। अभी वह नायटी में थी और जब वो हँसती थी तो उसके बड़े बड़े दूध ब्रा में उछलते थे जो जय और राज की आँखों को अपनी ओर आकर्षित कर ही लेते थे। फिर वह दोनों वहाँ से आँखें हटा लेते थे और मन में ग्लानि के भाव से भर उठते थे।
राज खाने के बाद थोड़ी देर बाद सोने चला गया। जय और रचना अमेरिका की बातें करने लगे।

अचानक जय बोला: दीदी एक बात बोलूँ, आप नाराज़ मत होना।

रचना: अरे बोल ना? क्या बात है?

जय: वो क्या है ना दीदी , मैंने कभी सेक्स किया नहीं है और मुझे सुहाग रात का सोचकर थोड़ा नरवसनेस हो रही है। पता नहीं कैसे होगा?

रचना हँसते हुए: अरे मेरे बुध्धू भाई , इसमे नर्वस होने वाली क्या बात है।

जय: फिर भी दीदी , पता नहीं क्यों मैं बहुत सहज नहीं हो पा रहा हूँ।

रचना: अच्छा चल पूछ क्या जानना है?

जय: यही कि शुरुआत कैसे करेंगे? मतलब अब आपसे कैसे कहूँ ?

रचना: ओह बस इतनी सी बात है, चल अभी समझा देती हूँ, टेन्शन मत ले। सुन, सुहागरत में जितना तू डरा होगा उससे ज़्यादा तो डॉली डरी होगी। तुझे सबसे पहले उसे सहज करना होगा। अंदर जाकर तुझे उसे सबसे पहले गिफ़्ट देनी होगी। फिर घूँघट हटा कर उसकी सुंदरता की बहुत तारीफ़ करनी होगी। समझा कि नहीं?

जय: जी दीदी समझ रहा हूँ, फिर?

रचना: फिर उससे ख़ूब सारी बातें करना और फिर ख़ुद लेट जाना और उसे भी लेटने को बोलना। अब दोनों लेट कर बातें करना और अपना हाथ उसके हाथ में लेकर उसे चूमना और फिर उसके गाल वगेरह को चूम कर अपना प्यार प्रदर्शित करना। फिर उसके लिप्स को भी चूमना। जब वो नोर्मल हो जाए तो फिर उसके बदन पर हाथ फिराना। किसी भी लड़की के होंठ और उसके बूब्ज़ उसके शरीर के ऐसे अंग हैं जिनको छूने , चूमने और चूसने से वो गरम हो जाती है। तुम्हें यही करना होगा। प्यार से उसके ब्लाउस को और बाद में ब्रा भी निकालना होगा और होंठ और बूब्ज़ को चूस कर उसे गरम करना होगा। नीचे का हिस्सा आख़िर में नंगा करना होगा। फिर उसकी पुसी में ऊँगली से उसे और भी गरम करना होगा। जब वह वहाँ पर गीली हो जाए तब उसको सेक्स की अवस्था में लाकर उसकी पुसी में अपना हथियार डालना होगा।

एक बात बता दूँ, ये काम बहुत धीरे से और धैर्य से करना होगा। जब उसे दर्द हो तब रुकना भी होगा। और फिर से अंदर डालना होगा। फिर उसके साथ सेक्स करना। हमेशा याद करते हुए की तुम उसे सुख दे रहे हो। सिर्फ़ अपने मज़े के लिए मत करना। कोशिश हो कि वह पहले शांत हो और तुम उसके बाद ।

हाँ एक बात और सेक्स के बाद जो लोग मुँह फेर के सो जाते हैं, लड़की उनको पसंद नहीं करती। वह सेक्स के बाद ख़ूब सारा प्यार और दुलार चाहती है। बहुत सारी बातें करो और उसे बताओ के तुम्हें क्या अच्छा लगा और उससे पूछो कि उसे क्या अच्छा या बुरा लगा। बस इतना ही मैं बता सकती हूँ।

जय: ओह दीदी , आपने बहुत अच्छी तरह से समझा दिया, थैंक्स । बस एक बात और ओरल सेक्स के बारे में बताओ प्लीज़।

रचना: देखो यह सेक्स लड़के और लड़की की मर्ज़ी पर निर्भर करता है। तुम इसके लिए किसी पर दबाव नहीं डाल सकते। और इसके लिए दोनों के अंगों का साफ़ होना बहुत ज़रूरी है। ये तो धीरे धीरे सेक्स करते हुए अपने आप अच्छा या बुरा लगने लगता है।
जय: और दीदी वो जो कई आसन होते है ? उनका क्या?

रचना हंस कर: अरे जैसे जैसे समय बीतेगा, तुम दोनों सब सीख जाओगे।

जय भी हँसने लगा। फिर दोनों गुड नाइट करके सोने के लिए अपने अपने कमरे में चले गए।

जय सोने के समय सोचने कहा कि दीदी ने कितने अच्छी तरह से समझाया और एक बार भी उसका लौंडा खड़ा नहीं हुआ। सच में दीदी कितनी परिपक्व है। फिर उसके आँखों के सामने दीदी के दूध आए,जो कि उसके हँसने से उछल रहे थे । अब उसके लौड़े में हरकत हुई और वह शर्मिंदा होकर अपना सिर झटक कर सो गया।
जब जय दीदी से सुहागरत की ट्रेनिंग ले रहा था तभी डॉली किचन में पानी पीकर किचन बंद करके सोने के लिए जाने लगी। तभी उसको एक कमरे के सामने से फुसफुसहाट सुनाई दी। वह रुक कर सुनने की कोशिश की। अमित: अरे जान आज बहुत इच्छा हो रही है, रात को साथ सोते हैं। मैं उसको नींद की दवाई खिला देता हूँ और फिर रात को मज़े करते हैं। ठीक है?

रश्मि: आऽऽह धीरे से दबाओ ना। अच्छा चलो एक घंटे में आती हूँ। तब तक भाभी सो जाएगी ना?

अमित: बिलकुल मेरी जान। आ जाना।

रश्मि: हाऽऽऽऽय क्या कर रहे हो अभी, उसी समय कर लेना ना ये सब । आऽऽऽह छोड़ो।

डॉली ने धीरे से झाँक कर देखा । रश्मि को अमित पीछे से पकड़ा हुआ था और उसके दोनों बूब्ज़ उसके पंजों में थे और शायद वह उनको ज़ोर से दबा रहा था तभी रश्मि की आऽऽऽह निकल रही थी। जब अमित ने रश्मि को छोड़ा तो उसके लूँगी का तंबू साफ़ दिख रहा था। वह शायद उसे रश्मि के चूतरों पर रगड़ रहा था। अब रश्मि ने बड़ी बेशर्मी से उस तंबू को दबाकर कहा: थोड़ी देर और धीरज रखो फिर शांत हो जाओगे। और यह कहकर हँसती हुई वहाँ से अपने कमरे में चली गयी। अमित के जाने के बाद डॉली भी चली आयी।

डॉली को नींद नहीं आ रही थी। बार बार उसके कान में ये बात गूँज रही थी कि माँ अभी थोड़ी देर में अमित ताऊजी से चुदेगी। आज तक जब भी वह उनको साथ देखी थी तब जल्दी से शर्माकर हट जाती थी। आज उसका मन कर रहा था कि पूरा खेल देखे। ये सोचकर वह उठी और माँ जे कमरे में झाँकी। मम्मी वहाँ नहीं थीं। वो अब अमित के कमरे की ओर गयी। खिड़की के परदे को हटाया और अंदर का दृश्य उसकी आँखों के सामने था।

ताई सोयी हुई थी। और ताऊ जी बिस्तर पर बैठे थे और मम्मी नीचे में ज़मीन पर गद्दा बिछा रही थी। फिर वह वहीं लेट गयीं। नायटी में उनकी विशाल छातियाँ ऊपर नीचे हो रही थीं। अब वह अमित को देख कर मुस्कुराई। अमित आकर उसके साथ लेट गया। अब रश्मि ने अपनीं बाहें उसकी गरदन में डाली और उससे लिपट गयी। वह। ही उसको अपने आप से चिपका लिया। अब उनके होंठ एक दूसरे से मानो चिपक से गए थे। अमित की जीभ रश्मि के मुँह में थी और अमित के हाथ उसकी पीठ और कमर सहला रहे थे।

अमित के हाथ इसकी नायटी को उठाए जा रहे थे और जल्दी ही रश्मि नीचे से नंगी हो गयी। उसके बड़े चूतरों को वो दबाने लगा। और उसकी दरार में हाथ डालकर वह उसकी बुर और गाँड़ सहलाने लगा। रश्मि भी उसकी लूँगी निकाल दी और उसके लौड़े को मसलने लगी। ताऊजी का लौड़ा उसे जय के लौड़े से थोड़ा छोटा ही लगा। अब रश्मि उठी और अपनी नायटी उतार दी। वह नीचे पैंटी और ब्रा नहीं पहनी थी। ताऊजी भी चड्डी नहीं पहने थे। शायद ये उनका पहले से तय रहता है कि चुदाई के समय ये सब नहीं पहनेंगे।

डॉली की हालत ख़राब होने लगी और उसका हाथ अपनी चूचियों पर चला गया और वह उनको दबाने लगी। तभी रश्मि नीचे को झुकी और अपनी चूचि अपने हाथ में लेकर अमित के मुँह में डाल दी। वह उसको चूसने लगा और दूसरी चूचि को दबाने लगा। अब रश्मि आऽऽहहह कर उठी। फिर रश्मि उसके लौड़े को सहलाने लगी। फिर वह झुकी और उसके लौंडे को चाटी जीभ फिराके, और फिर उसे चूसने लगी। अमित भी मज़े से उसके मुँह को चोदे जा रहा था। फिर रश्मि उसके ऊपर आ गयी और अपनी बुर को उसके मुँह पर रखी और अब ६९ की चुसाइ चालू हो गयी।

डॉली की आँखें वहाँ जैसे चिपक सी गयी थीं। अब वह अपनी नायटी उठाकर पैंटी के अंदर उँगली डालकर अपनी बुर सहलाने लगी।
उसकी बुर पूरी गीली हो गयी थी।

अब रश्मि उठी और उसके लौड़े पर बैठी और उसे अंदर लेकर चुदाई में लग गयी। अमित उसके लटके हुए आमों को दबा और चूस रहा था। वह भी नीचे से धक्का मार रहा था। डॉली को उसका लौड़ा मम्मी की बुर में अंदर बाहर होते हुए साफ़ दिख रहा था । फिर रश्मि उसको कुछ बोली। वह उसको अपने से चिपकाए हुए ही पलट गया और अब ऊपर आकर उसकी मम्मी को ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा। रश्मि अब उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽऽऽहहह और जोओओओओओओओओओर से चोओओओओओओओदो चिल्ला रही थी। अब रश्मि के चूतड़ भी नीचे से ज़ोर ज़ोर से उछल रहे थे। दोनों पसीने पसीने हो चुके थे । फिर वह दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। ऊपर ताई जी इन सबसे बेख़बर सोई हुई थी। फिर दोनों चिपक बातें करने लगे । रश्मि अब उसके सुकड़े पड़े लौड़े को सहलाने लगी थी और वह भी फिर से चूची चूसने लगा था। डॉली समझ गयी कि अगले राउंड की तैयरियाँ करने लगे हैं। अब उसकी बुर पूरी तरह गीली हो चुकी थी। वह कमरे में आयी और नायटी उठाकर अपनी बुर में ऊँगली करने लगी। और फिर clit को सहलाकर झड़ने लगी। वह अब शांत हो चुकी थी, पर उसे बड़ी शर्म आइ कि वह अपनी मम्मी और ताऊ की चुदाई देखी। फिर वह सो गयी।
अगले दिन सुबह शशी आइ , हमेशा की तरह दरवाज़ा राज ने खोला और फिर वह किचन में जाकर चाय बनाई। राज फ़्रेश होकर बिस्तर पर बैठा था, तभी वह चाय लेकर आयी। राज ने उससे चाय ली और बग़ल के टेबल पर रख दी और उसको अपनी गोद में खींच लिया और उसको चूमने लगा। वह भी उससे लिपट गयी और उसको चूमने लगी। अब वह चाय पीते हुए उसकी चूचि दबाकर बोला: डॉक्टर के पास जाती रहती हो ना?

शशी: जी हाँ, बराबर जा रही हूँ । वो बोली कि सब ठीक ठाक है।

राज उसकी जाँघ सहलाकर बोला: लड़का होगा देखना?

शशी: जो भी हो मुझे तो बस एक बच्चा चाहिए बस।

राज उसकी जाँघ से हाथ ले जाकर उसकी बुर सहलाकर बोला: हाँ जान बच्चा तो निकलेगा ही यहाँ से ।

शशी: आज सुबह सुबह गरम हो रहें हैं, क्या बात है? वह उसके लौड़े को लूँगी के ऊपर से सहला कर बोली।

राज: अरे तुम माल ही इतना बढ़िया हो जो लौड़े को खड़ा कर दे। चलो आज सुबह सुबह ही चुदाई कर लेते हैं। बाद में बच्चे उठ जाएँगे फिर मौक़ा नहीं मिलेगा।

शशी हँसती हुई खड़ी हुई तो उसने उसके चूतरों को दबोच लिया और ज़ोर से दबाने लगा। वह भी मस्ती में आकर चुपचाप खड़ी रही और मज़े लेती रही।

फिर दोनों बेडरूम की ओर चल दिए।

लगभग इसी समय रचना की नींद खुली , उसे ज़ोर की पेशाब लगी थी। वह बाथरूम से निपटकर बाहर आइ और फिर उसे प्यास लगी तो वह किचन में जाकर पानी पीकर अपने कमरे में जाने लगी तब अचानक उसे एक औरत के हँसने की आवाज़ आइ । वह रुकी और पलट कर वापस अपने पापा के कमरे की ओर गयी । तभी उसे अंदर से उइइइइइइइ की आवाज़ आयी तो वह हैरान होकर खिड़की से अंदर झाँकी। उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। अंदर उनकी नौकशशी शशी पूरी नंगी बिस्तर पर घोड़ी बनी हुई थी और उसके पीछे उसके पापा ज़मीन में खड़े होकर उसकी बुर में अपना मोटा और लम्बा लौड़ा डालकर उसे बुरी तरह से चोद रहे थे और उसकी लटकी हुई चूचियाँ मसल रहे थे।

रचना की आँखें पापा के लौड़े से, जो कि शशी की बुर के अंदर बाहर हो रहा था, हट ही नहीं पा रही थी। पापा का लंड पूरा गीला सा होकर चमक रहा था। शशी की घुटी हुई चीख़ें गूँज
रही थीं। उइइइइइइइ आऽऽऽऽह और जोओओओओओओओर से चोओओओओओओओओदो । मैं गईइइइइइइइइइइ। ।अब राज भी ह्म्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा और जब वह अपना लौड़ा वहाँ से निकाला तो रचना की जैसे साँस ही रुक गयी। क्या मस्त लौड़ा था और पूरा काम रस से भीगा हुआ और अभी भी पूरी तरह खड़ा था। मोटे सुपाडे पर अभी भी गीली बूँदें चमक रही थीं। तभी शशी उठी और उसके लौड़े को चाटकर साफ़ करने लगी। जैसे आख़िरी बूँद भी निचोड़ कर पी जाएगी।
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#13
रचना की बुर पूरी गीली हो चुकी थी और उसका हाथ अपने आप ही अपनी बुर को दबाने लगा। जब शशी ने मुँह हटाया तो उसके पापा का लौड़ा अब मुरझाने लगा था। इस अवस्था में भी बहुत सेक्सी लग रहा था। कितना मोटा और लम्बा सा लटका हुआ और नीचे बड़े बड़े बॉल्ज़ भी बहुत ही कामुक लग रहे थे। रचना की आँखें अपने पापा के लौड़े से जैसे हटने का नाम ही नहीं ले रही थी। अब अचानक राज की नज़र खिड़की पर पड़ी और उसकी आँखें रचना की आँखों से टकरा गयीं। रचना को तो काटो ख़ून नहीं, वह वहाँ से भागकर अपने कमरे में आ गयी। उसकी छाती ऊपर नीचे हो रही थीं। उसकी बुर में भी जैसे आग लगी हुई थी। उसकी आँख के सामने बार बार पापा का मदमस्त लौड़ा आ रहा था और फिर उसे अपने पापा की आँखें याद आयीं जिन्होंने उसको झाँकते हुए देख लिया था। वह अपनी बुर में ऊँगली करने लगी।

उधर राज भी रचना को उनकी चुदाई देखते हुए देखकर हड़बड़ा गया। उसे बड़ी शर्म आयी कि रचना ने उसे शशी के साथ इस अवस्था में देख लिया। पर उसे एक बात की हैरानी थी कि वह उसके लौड़े को इतनी प्यासी निगाहों से क्यों देख रही थी। आख़िर वो शादी शुदा थी और उसके पति का लौड़ा उसे मज़ा देता ही होगा। वो थोड़ी सी उलझन में पड़ गया था। पता नहीं अपनी बेटी से नज़रें कैसे मिलूँगा, वह सोचा। शशी भी थोड़ी परेशान थी। राज ने कहा: शशी मैं सम्भाल लूँगा , तुम परेशान मत हो।

शशी सिर हिलाकर किचन में जाकर अपने काम में लग गयी।क़रीब एक घंटे के बाद राज ड्रॉइंग रूम में सोफ़े पर बैठा और चाय माँगा। तभी जय बाहर आया और चाय माँगा। दोनो बाप बेटे चाय पी रहे थे। जय: पापा , दीदी अभी तक नहीं उठी? मैं उसे उठाता हूँ।
राज: ठीक है जाओ उठा दो।

जय रचना के कमरे में जाकर सोई हुई दीदी को उठाने अंदर पहुँचा। रचना अपनी बुर झाड़कर फिर से सो गयी थी। वो करवट में सो रही थी और उसकी बड़ी सी गाँड़ देखकर जय के लौड़े में हलचल होने लगी। वह सामने से आकर बोला: दीदी, उठो ना सुबह हो गयी है। रचना ने एक क़ातिल अंगड़ाई ली और उसके बड़े बड़े बूब्ज़ जैसे नायटी से बाहर आने को मचल से गए। अब उसके आधे नंगे बूब्ज़ नायटी से बाहर आकर राज को पागल कर दिए। उसका लौड़ा पूरा खड़ा हो गया। वह अपने लौड़े को छुपाकर बोला: चलिए अब उठिए, पापा इंतज़ार कर रहे हैं।

रचना: आऽऽऽऽह अच्छा आती हूँ। तू चल।

जय अपने लौड़े को छुपाकर जैसे तैसे बाहर आया और सोफ़े में बैठकर चाय पीने लगा। उसे अपने आप पर ग्लानि हो रही थी कि वह अपनी दीदी के बदन को ऐसी नज़र से देखा । तभी रचना आयी और शशी उसे भी चाय दे गयी। शशी रचना से आँखें नहीं मिला पा रही थी। राज ने भी रचना को देखा और बोला: (झेंप कर) गुड मॉर्निंग बेटा ।

रचना ने ऐसा दिखाया जैसे कुछ हुआ ही नहीं, और बोली: गुड मोर्निंग पापा।

फिर सब चाय पीने लगे और शादी की डिटेल्ज़ डिस्कस करने लगे। फिर जय तैयार होकर दुकान चला गया। शशी भी खाना बना कर चली गयी।

राज: बेटी, ज़ेवरों को आज सुनार के यहाँ पोलिश करने देना है। चलो ज़ेवर पसंद कर लो, जो तुम पहनोगी।

रचना पापा के साथ उनके कमरे में पहुँची और राज ने तिजोरी खोलकर गहने निकाले और रचना उनमें से कुछ पसंद की और अपनी मम्मी को याद करके रोने लगी। राज ने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे चुप कराने लगा।

रचना: पापा इन गहनों को देखकर मम्मी की याद आ गयी। पापा, आपको उनकी याद नहीं आती?

राज: ऐसा क्यों बोल रही हो बेटी, उसकी याद तो हमेशा आती है।

रचना: इसलिए आज आप शशी के साथ वो सब कर रहे थे?

राज थोड़ा परेशान होकर बोला: बेटी, तुम्हारी मम्मी को याद करता हूँ, मिस भी करता हूँ। पर बेटी, ये शरीर भी तो बहुत कुछ माँगता है , उसका क्या करूँ ?

रचना: पर पापा, वो एक नौकशशी है, आपको बीमारी दे सकती है, पता नहीं किस किस के साथ करवाती होगी?

राज: नहीं बेटी, शशी बहुत अच्छी लड़की है, वो मेरे सिवाय सिर अपने पति से ही चुद– मतलब करवाती है। इस शरीर की प्यास बुझाने के लिए मैं रँडी के पास तो नहीं गया।

रचना: आपको कैसे पता? हो सकता है वो झूठ बोल रही हो।

राज: बेटी, अब तुमसे क्या छुपाना? दरअसल उसका पति उसको माँ नहीं बना पा रहा था तो मैंने उसे वादा किया कि मैं उसे एक महीने में ही गारण्टी से मॉ बना दूँगा। इसीलिए वो मेरे साथ करवाने के लिए राज़ी हुई।

रचना: ओह, तो क्या वो प्रेगनेंट हो गयी?

राज: हाँ बेटी, वादे के अनुसार एक महीने में ही वो प्रेगनेंट हो गयी। वो अब जल्दी ही माँ बनेगी।
रचना की आँखों के सामने पापा का बड़ा सा लौड़ा और बड़े बड़े बॉल्ज़ घूम गए। वह सोचने लगी कि इतना मर्दाना हथियार और ऐसे बड़े बॉल्ज़ की चुदाई से बच्चा तो होगा ही।
रचना: ओह, पर उसके मर्द को तो शक नहीं होगा ना?

राज : उसे कैसे शक होगा क्योंकि वह तो उसको हफ़्ते में एक दो बार चो- मतलब कर ही रहा था ना। वो तो यही सोचेगा ना कि उसकी चुदा- मतलब उसका ही बच्चा है वो।

रचना देख रही थी कि पापा चुदायी और चोदने जैसे शब्द का उपयोग करने की कोशिश कर रहे थे। वह अब उत्तेजित होने लगी थी।

तभी राज ने एक अजीब बात बोली: एक बात और शशी के पति का हथियार बहुत छोटा और कमज़ोर है और वह उसे बिस्तर पर संतुष्ट भी नहीं कर पाता।

रचना की बुर अब गीली होने लगी थी। बातें अब अश्लीलता की हद पार कर रहीं थीं। वह बोली: ओह । और शर्म से लाल हो गयी। उसकी आँख अब अचानक पापा की लूँगी पर गयी तो वहाँ एक तंबू देखकर वह बहुत हैरान रह गयी। वह समझ गयी कि पापा भी उत्तेजित हो चले हैं। उसे बड़ा अजीब लग रहा था कि बाप बेटी की बातें अब इतनी बेशर्म हो गयीं थीं कि वह दोनों उत्तेजित हो चुके थे।

रचना ने बात बदलने का सोचा और बोली: ओह अच्छा चलिए मैं ये ज़ेवर पहनूँगी , इसे ही पोलिश करवा लेती हूँ।

राज : ठीक है बेटी। पर तुम मुझसे नाराज़ तो नहीं हो? मेरे और शशी के बारे में जान कर।

रचना : पापा आप बड़े हैं और अपना अच्छा बुरा समझ सकते हैं। इसलिए आपको जो सही लगता है वह करो। पर एक बात है डॉली के इस घर में आने के बाद यह सब कैसे करेंगे शशी के साथ?

राज : बेटी सब मैनिज हो जाएगा। तब की तब देखेंगे।

तभी कॉल बेल बजी। रचना ने दरवाज़ा खोला । सामने शशी खड़ी थी।

रचना: अरे तुम वापस आ गयी? क्या हुआ?

शशी: दीदी मेरा मोबाइल यहीं रह गया है।

रचना: ओह ठीक है ले लो। वह अब सोफ़े पर बैठ गयी।

शशी किचन में जाकर मोबाइल खोजी पर उसे नहीं मिला। उसने रचना से कहा: दीदी आप मिस्ड कॉल दो ना । फिर उसने नम्बर बोला।

रचना ने कॉल किया और घंटी पापा के कमरे में बजी। शशी थोड़ा सा डरकर राज के कमरे में पहुँची।

रचना दौड़कर दरवाज़े के पीछे खड़ी होकर उनकी बातें सुनने लगी।

राज: अरे शशी क्या हुआ? तुम्हारे फ़ोन की घंटी यहाँ बजी अभी।

शशी: मेरा फ़ोन यहाँ आपके कमरे में ही गिर गया है। फिर वह बिस्तर में खोजी तो उसे तकिए के नीचे मिल गया।

शशी: दीदी ने कुछ कहा क्या आपसे हमारी चुदाई के बारे में? और ये आपका फिर से खड़ा क्यों है? वह लूँगी के तंबू को देखकर बोली।

राज अपने लौड़े को मसल कर बोला: वो रचना से तुम्हारी चुदाई की बातें कर रहा था तो खड़ा हो गया।

शशी: अपनी बेटी से हमारी चुदाई की बातें कर रहे थे? हे भगवान, कितने कमीने आदमी हो आप?

राज: अरे वो भी तो बड़े मज़े से सब पूछ रही थी।

शशी: तो अब क्या हमारी चुदाई बंद?

राज: अरे नहीं मेरी जान, उसे कोई इतराजीवनहीं है। चल अब तू आइ है तो मेरा लौड़ा चूस दे अभी।

शशी हँसती हुई नीचे बैठी और उसकी लूँगी हटाई और उसके मोटे लौड़े पर नाक लगाकर सूंघी और बोली: आऽऽह क्या मस्त गंध है आपकी। फिर वह अपनी जीभ से उसके सुपाडे को चाटने लगी और बोली: म्म्म्म्म्म्म क्या स्वाद है। म्म्म्म्म।

अब रचना से रहा नहीं गया और वह फिर से खिड़की से झाँकने लगी। अंदर का दृश्य देखकर उसकी बुर गीली होने लगी। शशी की जीभ अभी भी उसके सुपाडे पर थी। फिर वह उसके बॉल्ज़ को सूँघने लगी और फिर चाटी। रचना को लगा कि वह अभी झड़ जाएगी। फिर शशी ने ज़ोर ज़ोर से उसके लौड़े को चूसना शुरू किया। रचना ने देखा कि वह डीप थ्रोट दे रही थी। लगता है पापा ने उसे मस्त ट्रेन कर दिया है। क़रीब दस मिनट की चुसाई के बाद वह उसके मुँह में झड़ने लगा। उसके मुँह के साइड से गाढ़ा सा सफ़ेद रस गिर रहा था। रचना की ऊँगली अपने बुर पर चली गयी और वह अपने पापा के लौड़े को एकटक देखती रही जो अब उसके मुँह से बाहर आ कर अभी भी हवा में झूल रहा था।

अब रचना अपने कमरे में आकर अपनी नायटी उठायी और तीन ऊँगली डालकर अपनी बुर को रगड़ने लगी और जल्दी ही उओओइइइइइइइ कहकर झड़ गयी।

शशी के जाने के बाद राज तैयार होकर रचना से बोला: बेटी, चलो सुनार के यहाँ चलते हैं और एक बार होटेल का चक्कर भी मार लेते हैं। देखें मैनेजर को अभी भी कुछ समझना तो नहीं है।
रचना: ठीक है पापा , मैं अभी तैयार होकर आती हूँ।

रचना ने सोचा कि उसके सेक्सी पापा को आज अपना सेक्सी रूप दिखा ही देती हूँ। वह जब तैयार होकर आयी तो राज की आँखें जैसे फटी सी ही रह गयीं। रचना ने एक छोटा सा पारदर्शी टॉप पहना था जिसमें से उसकी ब्रा भी नज़र आ रही थी। उसके आधे बूब्ज़ नंगे ही थे। उसके पेट और कमर का हिस्सा बहुत गोरा और चिकना सा नज़र आ रहा था। नीचे उसने एक मिनी स्कर्ट पहनी थी जिसमें से उसकी गदराई हुई गोल गोल चिकनी जाँघें घुटनो से भी काफ़ी ऊपर तक नज़र आ रही थीं।

राज: बेटी, आज लगता है अमेरिकन कपड़े पहन ली हो।

रचना: जी पापा, सोचा आज कुछ नया पहनूँ। कैसी लग रही हूँ?

राज को अपना गला सूखता सा महसूस हुआ। वह बोला: बहुत प्यारी लग रही हो।

रचना हँसते हुए: सिर्फ़ प्यारी सेक्सी नहीं?

राज: अरे हाँ सेक्सी भी लग रही हो। अब चलें।

रचना: चलिए । कहकर आगे चलने लगी। पीछे से राज उसके उभारों को देखकर अपने खड़े होते लौड़े को ऐडजस्ट करते हुए चल पड़ा।
राज कार लेकर गरॉज़ से बाहर लाया और जब रचना उसकी बग़ल की सीट में बैठने के लिए अपना एक पैर उठाकर अंदर की तब राज को अपनी प्यारी बेटी की गुलाबी क़च्छी नज़र आ गयी। उसकी छोटी सी क़च्छी बस उसकी बुर को ही ढाँक रही थी। अब तो उसका लौड़ा जैसे क़ाबू के बाहर ही होने लगा। उसकी क़च्छी से उसकी बुर की फाँकें भी साफ़ दिखाई दी। अपने लौड़े को दबाके वह कार आगे बढ़ाया। रचना भी अपने पापा के पैंट के उभार को देखकर बिलकुल मस्त होकर सोची कि पापा को आख़िर उसने अपने जाल में फँसाने की तैयारी शुरू कर ही दी। वह सफल भी हो रही थी। वैसे उसकी भी पैंटी थोड़ी गीली हो चली थी, पापा का तंबू देखकर।

सुनार के यहाँ काम ख़त्म करके वो दोनों होटेल में पहुँचे जहाँ शादी की पूरी फ़ंक्शन होने वाली थी। होटेल में सब लोग ख़ूबसूरत औरत को देखे जा रहे थे। राज ने ध्यान से देखा कि क्या जवान क्या अधेड़ सभी उसको वासना भरी निगाहों से देखे जा रहे थे। अब वो दोनों रेस्तराँ के एक कोने में बैठे और मैनेजर को बुलाया । अब वो सब फ़ाइनल तैयारियों के बारे में डिस्कस करने लगे। राज ने देखा कि मैनेजर भी रचना की छातियों को घूरे जा रहा था। राज को अचानक जलन सी होने लगी। फिर राज का हाथ मोबाइल से टकराया और वह नीचे गिर गया। वह झुक कर उसे उठाने लगा तभी उसकी नज़र टेबल के नीचे से रचना की फैली हुई जाँघों पर पड़ीं। वहाँ उसे उसकी क़च्छी दिखाई दी जो कि एक तरफ़ खिसक गयी थी और उसकी बुर एक साइड से दिख रही थी। बुर की एक फाँक दिख रही थी। वहाँ थोड़े से काले बाल भी दिखाई दे रहे थे। उसकी इच्छा हुई कि उस सुंदर सी बुर की पप्पी ले ले। पर अपने को संभाल कर वो उठा।

रचना ने शैतानी मुस्कुराहट से पूछा: पापा कुछ दिखा?

राज सकपका कर बोला: हाँ मोबाइल मिल गया। वो गिर गया था ना।

रचना मुस्कुराई: अच्छा दिख गया ना ? फिर वह उठी और बोली: चलो पापा चलते हैं।

अब वो दोनों घर की ओर चले गए।

रचना मन ही मन मुस्कुरा रही थी। राज की आँखों के सामने रचना की बुर की एक फाँक आ रही थी।
दोनों अपने अपने ख़यालों में गुम से थे।
शादी में अब ३ दिन बचे थे। रिश्तेदार भी आने शुरू हो गए थे। दूर और पास के भाई चचेरा, ममेरा और मौसी और ना जाने कौन कौन आए थे। अब तो किसी को भी फ़ुर्सत नहीं थी। जय, रचना, शशी और राज सभी बहुत व्यस्त हो गए थे ।किसी को चुदाई की याद भी नहीं आ रही थी। शाम तक सभी बहुत थक जाते थे और सो जाते थे। यही हाल रश्मि , अमित और डॉली का भी था। घर मेहमानो से पट गया था।

ख़ैर शादी का दिन भी आ ही गया। रश्मि अपने परिवार के साथ होटेल में शिफ़्ट हो चुकी थी। वह सब तैयार होकर दूल्हे और बारात के आने का इंतज़ार करने लगे। डॉली भी आज बहुत सुंदर लग रही थी,शादी के लाल जोड़े में।

उधर बारात नाचते हुए होटेल के पास आइ और जय के दोस्त और रिश्तेदार भी बहुत ज़ोर से नाचने लगे। जय फूलों से लदी कार में बैठा था । उसके सामने सभी नाच रहे थे। राज सिक्के बरसा रहा था। रचना भी भारी साड़ी में मस्ती से नाच रही थी। उसकी चिकनी बग़लें मर्दों को बहुत आकर्षित कर रही थीं। बार बार उसका पल्लू खिसक जाती थी और उसकी भारी छातियाँ देखकर मर्द लौड़े मसल रहे थे। कई लोग नाचने के बहाने उसकी गाँड़ पर हाथ भी फेर चुके थे।

जब बारात बिलकुल होटेल के सामने पहुँची तो सब ज़ोर से नाचने लगे। अब राज भी नाचने लगा क्योंकि रचना उसको खींच लायी थी । रचना पसीने से भीगी हुई थी। उसकी बग़ल की ख़ुशबू राज के नथुनों में घुसी और साथ ही उसके बड़े दूध जो नाचने से हिल रहे थे , उसे मस्त कर गए थे। फिर उसे याद आया कि उसे और भी काम हैं, तो वह आगे बढ़कर दुल्हन के परिवार से मिला। उसने रश्मि को देखा तो देखता ही रह गया। क्या जँच रही थी वह आज। फिर शादी हो गयी और रात भर चली । सुबह के ५ बजे फेरे ख़त्म हुए। और जय रोती हुई दुल्हन लेकर अपने घर आ गया।

कई मेहमान तो उसी दिन चले गए। दिन भर रचना ने डॉली का बहुत ख़याल रखा और डॉली ने दिन में रचना के कमरे में ही आराम किया। शाम तक सभी मेहमान चले गए थे। राज और रचना ने चैन की साँस ली। जय और डॉली दोपहर में आराम किए थे सो फ़्रेश थे।

रचना ने एक फ़ोन लगाया और होटेल से एक आदमी आया और जय के कमरे को फूलों और मोमबतीयों से सजाया । सुहाग की सेज तैयार थी और रचना ने ख़ुद उसे सजवाया था अपने भाई और भाभी के लिए। रात को खाना खाकर राज ने जय को एक हीरे की अँगूठी दी और बोला: बेटा , ये अँगूठी बहू को मुँह दिखाई में दे देना। फिर वह अपने कमरे में चले गया। रचना डॉली को लेकर जय के कमरे में ले गयी और डॉली ये सजावट देखकर बहुत शर्मा गयी । रचना: चलो भाभी अब मेरे भाई के साथ सुहाग रात मनाओ। ख़ूब मज़े करो। मैं चलती हूँ, ये दूध रखा है पी लेना दोनों। ठीक है ना?

डॉली ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली: दीदी रुकिए ना, मुझे डर लग रहा है।

रचना: अरे पगली , इसमें काहे का डरना। आज की रात तो मज़े की रात है। आज तुम दोनों एक हो जाओगे। ख़ूब प्यार करो एक दूसरे को। अब जाऊँ?

डॉली शर्माकर हाँ में सिर हिला दी। अब रचना बाहर आइ और जय को बोली: जाओ अपनी दुल्हन से मिलो और दोनों एक दूसरे के हो जाओ। बेस्ट ओफ़ लक। मेरी बात याद है कि नहीं?

जय: जी दीदी याद है। कोशिश करूँगा कि नर्वस ना होऊँ। थोड़ा अजीब तो लग रहा है।

रचना ने उसकी पीठ पर एक धौल मारी और बोली: अरे सब बढ़िया होगा, भाई मेरे,अब जाओ। और हँसती हुई अपने कमरे में चली गयी।

जय अब अपने कमरे में गया और वहाँ की सजावट देखकर वह भी दंग रह गया। बहुत ही रोमांटिक माहोल बना रखा था दीदी ने । उसने देखा कि डॉली बिस्तर पर बैठी उसका इंतज़ार कर रही थी। उसने साड़ी के पल्लू से घूँघट सा भी बना रखा था। बिलकुल फ़िल्मी अन्दाज़ में ।

वह बिस्तर पर बैठा और जेब से वो हीरे की अँगूठी निकाली और फिर प्यार से बोला: डॉली, मेरी जान मुखड़ा तो दिखाओ। ये कहते हुए उसने घूँघट उठा दिया और उसके सामने डॉली का गोरा चाँद सा मुखड़ा था। वो उसे मंत्रमुग्ध सा देखता रह गया और फिर उसने उसे अँगूठी पहनाई। वह बहुत ख़ुश हुई और थैंक्स बोली।

जय: अब तुम बताओ तुम मुझे क्या गिफ़्ट दोगी ?

डॉली: मैंने आपका घूँघट थोड़े उठाया है जो मैं आपको गिफ़्ट दूँ। यह कहकर वह मुस्कुराई । जय भी हँसने लगा।
अब जय उसे देखते हुए बोला: डॉली, वैसे एक गिफ़्ट तो दे ही सकती हो?

डॉली: वो क्या?

जय ने अपने होंठों पर ऊँगली रखी और बोला: एक पप्पी अपने कोमल होठों की।

डॉली शरारत से मुस्कुराकर बोली: पहली बात कि आपको कैसे पता कि मेरे होंठ कोमल हैं? और फिर क्या सिर्फ़ एक पप्पी लेंगे? वो भी सुहाग रात में?

दोनों ज़ोर से हँसने लगे। अब जय ने डॉली को पकड़ा और ख़ुद बिस्तर पर लुढ़क गया और साथ में उसे भी अपने ऊपर लिटा लिया। अब दोनों के होंठ आमने सामने थे।
अब जय ने डॉली के होंठ का एक हल्के से चुम्बन लिया। डॉली हँसकर बोली: चलो हो गया आज का कोटा और मेरी रिटर्न गिफ़्ट भी आपको मिल गयी। यह कहकर वह पलटी और उसके बग़ल में लेट गयी। अब जय ने उसको अपनी बाहों में भरा और उसको अपने से चिपका लिया।

फिर दोनों ने ख़ूब सारी बातें की। स्कूल , कॉलेज , दोस्तों और रिश्तेदारों के बारे में भी एक दूसरे से बहुत कुछ शेयर किया। इस बीच में दोनों एक दूसरे के बदन पर हाथ भी फेर रहे थे। जय के हाथ उसकी नरम कलाइयों और पीठ पर थे। डॉली के हाथ जय की बाहों की मछलियों पर और उसकी छाती पर थे।

बातें करते हुए ११ बज गए और डॉली ने एक उबासी ली। जय: नींद आ रही है जानू?

डॉली: आ रही है तो क्या सोने दोगे?

जय: सोना चाहोगी तो ज़रूर सोने दूँगा।

डॉली: और सुबह सब पूछेंगे कि सुहागरत कैसी रही तो क्या बोलेंगे?

जय : कह देंगे मस्त रही और क्या?
डॉली: याने कि झूठ बोलेंगे?

जय: इसमें झूठ क्या है। मुझे तो तुमसे बात करके बहुत मज़ा आया। तुम्हारी तुम जानो।

डॉली: मुझे भी बहुत अच्छा लगा। फिर वह आँखें मटका कर के बोली: वैसे अभी नींद नहीं आ रही है। आप चाहो तो कल आपको झूठ नहीं बोलना पड़ेगा।

जय हंस पड़ा और उसको अपनी बाहों में भर कर उसके गाल चूम लिया। वह भी अब मज़े के मूड में आ चुकी थी सो उसने भी उसके गाल चूम लिए। अब जय उसके गाल, आँखें, और नाक भी चूमा। फिर उसने अपने होंठ उसके होंठ पर रखे और चूमने लगा। जल्दी ही दोनों गरम होने लगे। अब उसने डॉली की गरदन भी चुमी और नीचे आकर उसके पल्लू को हटाया और ब्लाउस में कसे उसके कबूतरों के बाहर निकले हुए हिस्से को चूमने लगा।

डॉली भी मस्ती से उसके गरदन को चूम रही थी। अब उसे अपनी जाँघ पर उसका डंडा गड़ रहा था। उसकी बुर गीली होने लगी और ब्रा के अंदर उसके निपल तन कर खड़े हो गए। वह अब उससे ज़ोर से चिपकने लगी। अब जय बोला: जानू, ब्लाउस उतार दूँ।

डॉली हँसकर: अगर नहीं कहूँगी तो नहीं उतारेंगे?

जय हँसते हुए उसके ब्लाउस का हुक खोला। और अब ब्रा में कसे हुए दूध उसके सामने थे । वह उनको चूमता चला गया। उधर डॉली उसकी क़मीज़ के बटन खोल रही थी। अब उसके हाथ उसकी बालों से भारी मर्दानी छाती को सहला रहे थे। जय उठा और अपनी क़मीज़ उतार दिया। फिर वह उसकी साड़ी को पेट के पास से ढीला किया और डॉली ने अपनी कमर उठाकर उसको साड़ी निकालने में मदद की। अब वह सिर्फ़ पेटिकोट और ब्रा में थी। उसका दूधिया गोरा जवान बदन हल्की रौशनी में चमक रहा था। अब जय उसके पेट को चूमने हुए उसकी कमर तक आया और फिर उसने उसके पेटिकोट का भी नाड़ा खोल दिया।अब फिर से डॉली ने अपनी कमर उठाई और पेटिकोट भी उतर गया। अब डॉली की गोरी गदराई हुई मस्त गोल भरी हुई जाँघें उसकी आँखों के सामने थे। उफ़ क्या चिकनी जाँघें थीं। उनके बीच में पतली सी गुलाबी पैंटी जैसे ग़ज़ब ढा रही थी। पैंटी में से उसकी फूली हुई बुर बहुत मस्त नज़र आ रही थी। अब जय बिस्तर से उठकर नीचे आया और अपनी पैंट भी उतार दिया। चड्डी में उसका फूला हुआ लौड़ा बहुत ही बड़ा और एक तरफ़ को डंडे की तरह अकड़ा हुआ दिख रहा था। डॉली अब उसे देखकर डर भी गयी थी और उत्तेजित भी हो रही थी।

जय अब फिर से उसके ऊपर आया और उसके होंठ चूमने लगा। तभी उसे याद आया कि मंगेश कैसे नर्गिस के मुँह में अपनी जीभ डाल रहा था। उसने भी अपनी जीभ डॉली के मुँह में डाली और डॉली को भी अपनी मम्मी की याद आयी कि कैसे वो ताऊजी की जीभ चूस रही थीं। वह भी वैसे ही जय की जीभ चूसने लगी। अब जय ने अपना मुँह खोला। डॉली समझ गई कि वह उसकी जीभ माँग रहा है। उसने थोड़ा सा झिझकते हुए अपनी जीभ उसके मुँह में दे दी और जय उसकी जीभ चूसने लगा। उफफफफ क्या फ़ीलिंग़स थी। डॉली पूरी गीली हो चुकी थी।

अब जय ने उसकी ब्रा खोलने की कोशिश की, पर खोल नहीं पाया। वह बोला: ये कैसे खुलता है? मुझसे तो खुल ही नहीं रहा है।

डॉली मुस्कुराती हुई बोली: सीख जाएँगे आप जल्दी ही। चलिए मैं खोल देती हूँ। फिर वह अपना हाथ पीछे लेज़ाकर ब्रा खोली और लेट गयी। अभी भी ब्रा उसकी छातियों पर ही थीं। जय बे ब्रा हटाया और उसकी चूचियों की सुंदरता देखकर जैसे मुग्ध सा रह गया। आऽऽऽहहह क्या चूचियाँ थीं। बिलकुल बड़े अनारों की तरह सख़्त और नरम भी। निपल्ज़ एकदम तने हुए। एकदम गोरे बड़े बड़े तने हुए दूध उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़।

जय उनको पंजों में दबाकर बोला: उफफफफ जानू क्या मस्त चूचियाँ हैं। आऽऽऽह क्या बड़ी बड़ी हैं।

डॉली हँसकर बोली: आऽऽऽह बस आपके लिए ही इतने दिन सम्भाल के रखे हैं और इतने बड़े किए हैं।

जय मुस्कुराकर: थैंक्स जानू, आह क्या मस्त चूचियाँ हैं। मज़ा आ रहा है दबाने में। अब चूसने का मन कर रहा है।

डॉली: आऽऽऽह चूसिए ना , आपका माल है, जो करना है करिए। हाऽऽय्यय मस्त लग रहा है जी।

अब जय एक चूची दबा रहा था और एक मुँह में लेकर चूस रहा था। डॉली अब खुलकर आऽऽह चिल्ला रही थी।
जय भी मस्ती से बारी बारी से चूचि चूसे जा रहा था। अब वो अपना लौड़ा चड्डी के ऊपर से उसकी जाँघ से रगड़ रहा था। डॉली के हाथ उसकी पीठ पर थे। अब जय उसके पेट को चूमते हुए उसकी गहरी नाभि में जीभ घुमाने लगा। फिर नीचे जाकर उसकी पैंटी को धीरे से नीचे खिसकाने लगा। डॉली की चिकनी फूली हुई बुर उसके सामने थी और अब डॉली ने भी अपनी कमर उठाकर जय को पैंटी निकालने में सहायता की। जय बुर को पास से देखते हुए वहाँ हथेली रखकर सहलाने लगा। बुर पनियायी हुई थी। यह उसकी ज़िन्दगी की पहली बुर थी जिसे वो सहला रहा था।

जय ने उसकी फाँकों को अलग किया और अंदर की गुलाबी बुर देखकर मस्त हो गया और बोला : आऽऽह क्या मस्त बुर है जानू तुम्हारी। फिर वह झुककर एक पप्पी ले लिया उसके बुर की। डॉली सिहर उठी।वह नीचे झुक कर जय को देखी जो उसकी बुर को चूम रहा था। अब जय ने उसकी बुर में ऊँगली डाली और डॉली का पूरा बदन सिहर उठा। वह उइइइइइइ कर उठी। अब जय उठा और अपनी चड्डी भी उतारकर अपना लौड़ा सहलाया। डॉली की आँखें उसको देखकर फट सी गयीं थीं। बाप रे कितना मोटा और लम्बा है -वो सोची। अब जय ने उसका हाथ पकड़ा और अपना लौड़ा उसके हाथ में दे दिया। डॉली चुपचाप उसको पकड़कर सहलाने लगी। उफफफ कितना गरम और कड़ा था वो- उसने सोचा। डॉली ने अपनी ज़िन्दगी में पहली बार लौड़ा पकड़ा था। उसे बहुत अच्छा लगा। जय भी अब उसे लिटा कर उसकी जाँघें फैलाकर उनके बीच में आकर बैठा और अपना लौड़ा उसकी बुर में दबाने लगा। वह उइइइइइइ माँआऽऽऽ कह उठी। वह लौड़े को हाथ में लेकर उसकी बुर के ऊपर रगड़ने लगा। वह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी। अब जय ने उसकी फाँकों को फैलाया और उसने अपना मोटा सुपाड़ा फंसा दिया और अब हल्के से एक धक्का मारा। लौड़ा उसकी बुर की झिल्ली फाड़ता हुआ अंदर धँस गया।
डॉली चीख़ उठी: हाय्य्य्य्य मरीइइइइइइइ।

जय ने फिर से धक्का मारा और अबके आधे से भी ज़्यादा लौड़ा अंदर चला गया। अब डॉली चिल्लाई: हाऽऽऽऽऽय निकाआऽऽऽऽऽऽलो प्लीज़ निकाऽऽऽऽऽऽलो।

जय उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसने लगा और उसकी चूचियाँ भी दबाने लगा। अभी वो रुका हुआ था और उसका थोड़ा सा ही लौड़ा बाहर था बाक़ी अंदर जा चुका था। जब डॉली थोड़ा शांत हुई और मज़े में आने लगी। तब जय ने आख़री धक्के से अपना पूरा लौड़ा पेल दिया। डॉली फिर से चिहूंक उठी: उइइइइइइइइ आऽऽहहह।
जय अब हल्के हल्के धक्के मारने लगा जैसा उसने मंगेश को करते हुए देखा था नर्गिस के साथ। जल्दी ही डॉली भी मस्ती में आ गयी और उन्न्न्न्न्न्न्न उन्न्न्न्न करके अपनी ख़ुशी का इजहार करने लगी। जय अभी भी उसके निपल और दूध को प्यार किए जा रहा था।

अब डॉली भी अपनी टाँगे उठाकर जय के चूतरों के ऊपर रख दी और पूरे मज़े से चुदाई का आनंद लेने लगी। क़रीब आधे घंटे की चुदाई के बाद डॉली चिल्लाई: उइइइइइइइ मैं तोओओओओओओओओ गयीइइइइइइइइइ। अब जय भी ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। दोनों अब भी एक दूसरे से चिपके हुए थे। जय अभी भी डॉली को चूमे जा रहा था। वह भी उसके चुम्बन का बराबरी से जवाब दे रही थी। फिर डॉली उठी और अपनी बुर को ध्यान से देखकर बोली: देखिए फाड़ ही दी आपने मेरी।

जय उठकर उसकी बुर का मुआयना किया और बोला: मेरी जान, थोड़ा सा ही ख़ून निकला है। अभी ठीक हो जाएगा। चलो बाथरूम में ,में साफ़ कर देता हूँ।

डॉली: वाह पहले फाड़ेंगे, फिर इलाज करेंगे। मैं ख़ुद साफ़ कर लूँगी। यह कह कर वो बाथरूम गयी और सफ़ाई करके वापस आ गयी। फिर जय भी फ़्रेश होकर आया और डॉली ने उसके लटके हुए लौड़े को पकड़कर कहा: बाप रे कितना बड़ा है। पूरी फाड़ दी इसने तो मेरी।

जय: बेचारे ने तुम्हारी इतनी सेवा की और तुम इसे प्यार ही नहीं कर रही हो।

डॉली को याद आया कि उसकी मम्मी कैसे ताऊजी का लौड़ा चूस रही थीं। वो जय के लौड़े को देखी और झुककर उसकी एक पप्पी ले ली। फिर उसने उसके सुपाडे को भी चूम लिया। जय का पूरा बदन जैसे सिहर उठा। आह क्या मस्त लगा था। उसे दीदी की कही हुई बात याद आ गयी कि ओरल सेक्स तो लड़का और लड़की की मर्ज़ी पर निर्भर करता है। यहाँ तो लगता है कि इसमें कोई दिक़्क़त नहीं होगी। थोड़ी देर आराम करने के बाद वो दोनों एक दूसरे से नंगे ही चिपके रहे। डॉली ने शर्म के मारे चद्दर ढाक ली थी। जय के हाथ अब उसके चूतरों पर फिर रहे थे।
वह बोला: आह कितने मस्त चिकने चूतड़ हैं तुम्हारे? दबाने में बहुत मज़ा आ रहा है।

डॉली: आप उनको दबा रहे हो या आटा गूंद रहे हो? वो हँसने लगी।

जय: आह कितने बड़े हैं और मस्त चिकने हैं। उसकी उँगलियाँ अब चूतरों के दरार में जाने लगीं। अब जय उसकी गाँड़ और बुर के छेद को सहलाए जा रहा था। वह भी आऽऽहहह कहे जा रही थी । अब वह भी उसका लौड़ा सहलाने लगी। उसका लौड़ा उसके हाथ में बड़ा ही हुए जा रहा था। अब वह अपने अंगूठे से उसके चिकने सुपाडे को सहला कर मस्ती से भर उठी। जय का मुँह अब उसकी चूचियों को चूसने में व्यस्त थे। शीघ्र ही वह फिर से उसके ऊपर आकर उसके बुर में अपना लौड़ा डालकर उसकी चुदाई करने लगा। अब डॉली की भी शर्म थोड़ी सी कम हो गयी थी। वह भी अब मज़े से उउउउउम्मम उम्म्म्म्म्म करके चुदवाने लगी।

जय: जानू, फ़िल्मों में लड़कियाँ अपनी कमर उठाकर चुदवाती है। तुम भी नीचे से उठाकर धक्का मारो ना।

डॉली मस्त होकर अपनी गाँड़ उचकाइ और बोली: ऐसे?

जय: हाँ जानू ऐसे ही। लगातार उछालो ना।

डॉली ने अब अपनी कमर उछाल कर चुदवाना शुरू किया। जय: मज़ा आ रहा है जानू?

डॉली: हाँ जी बहुत मज़ा आ रहा है। और ज़ोर से करिए।

जय: क्या करूँ? बोलो ना?

डॉली हँसकर: वही जो कर रहे हो।

जय: बोलो ना ज़ोर से चोदो।

डॉली: मुझसे गंदी बात क्यों बुलवा रहे हैं आप?

जय: इसमें गंदा क्या है? चुदाई को चुदाई ही तो कहेंगे ना?

डॉली: ठीक है आप चाहते हो तो यही सही। अब वह अपनी गाँड़ और ज़ोर से उछालके चुदवाने लगी और बड़बड़ाने लगी: आऽऽऽऽऽहहह और ज़ोर से चोदिए ।हाय्य्य्य्य्य कितना अच्छा लग रहा है उइओइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ । अब वह ज़ोर ज़ोर से बड़बड़ाने लगी: उम्म्म्म्म्म्म मैं गईइइइइइइइ। अब जय भी ह्न्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा।

जब दोनों फ़्रेश होकर लेटे थे तब जय बोला: जानू तुम्हें प्रेगनैन्सी का तो डर नहीं है? वरना पिल्ज़ वगेरह लेना पड़ेगा।

डॉली: मुझे बच्चे बहुत पसंद हैं , भगवान अगर देंगे तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी। आपका क्या ख़याल है?

जय: जानू जो तुमको पसंद है वो मुझे भी पसंद है। फिर वह उसे चूम लिया।

डॉली: अब मैं कपड़े पहन लूँ? नींद आ रही है।

जय: एक राउंड और नहीं करोगी?

डॉली: जी नीचे बहुत दुःख रहा है। आज अब रहने दीजिए।

जय: मैं दवाई लगा दूँ वहाँ नीचे। वैसे उस जगह को बुर बोलते हैं। और इसे लौड़ा कहते हैं। उसने अपना लौड़ा दिखाकर कहा।

डॉली: आपका ये बहुत बड़ा है ना, इसीलिए इतना दुखा है मुझे। चलिए अभी सो जाते हैं।

दिर दोनों ने कपड़े पहने और एक दूसरे को किस करके सो गए।

अगले दिन सुबह रचना उठी और शशी के लिए दरवाज़ा खोली। शशी रचना के लिए चाय बनाकर लाई और रचना चाय पीने लगी। फिर शशी चाय लेकर राज के कमरे में गयी। पता नहीं रचना को क्या सूझा कि वह खिड़की के पास आकर परदे के पीछे से झाँकने लगी। उसने देखा कि शशी राज को उठा रही थी। राज करवट लेकर सोया हुआ था। तभी वह सीधा लेटा पीठ के बल और उसका मोर्निंग इरेक्शन शशी और रचना के सामने था। उसकी लूँगी का टेण्ट साफ़ दिखाई दे रहा था। अब शशी हँसी और उसके टेण्ट को मूठ्ठी में पकड़ ली और बोली: सपने में किसे चोद रहे थे? जो इतना बड़ा हो गया है यह ?

राज: अरे तुम्हारे सिवाय और किसकी बुर का सोचूँगा। तुम्हें सपने में चोद रहा था।

शशी: चलो झूठ मत बोलो। आपको तो सपने में रश्मि दिखी होंगी और क्या पता रचना दीदी को ही चोद रहे होगे।
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#14
रचना रश्मि का नाम सुन कर चौकी और फिर अपना नाम सुनकर तो उछल ही पड़ी। उसने नोटिस किया कि पापा ने शशी को उसका नाम लेने पर ग़ुस्सा नहीं किया। तो क्या शशी और पापा अक्सर उसके बारे में ऐसी बातें करते रहते हैं? और क्या पाप रश्मि आंटी को भी कर चुके हैं? और क्या पापा उसको अपनी सगी बेटी को भी चोदना चाहते हैं? हे भगवान ! वो तो पापा से थोड़ा सा फ़्लर्ट की थी और पापा उसे चोदने का प्लान बना रहे हैं?
तभी उसकी नज़र शशी पर पड़ी। वह अब लूँगी उठाकर उसके लौड़े को नंगा कर दी थी और उसे मूठिया रही थी और फिर अपना सिर झुकाकर उसे चूसने लगी। राज बैठे हुए चाय पी रहा था और वह उसके लौड़े को बड़े प्यार से चूस रही थी। रचना सोची- उफफफफ क्या पापा भी , सुबह सुबह नौकशशी से लौड़ा चूसवा रहे है । और हे भगवान! कितना मोटा और बड़ा लौड़ा है! उसी समय राज ने उसको हटाया और बोला: अभी नहीं बाद में चूस लेना। चलो मैं बाथरूम से फ़्रेश होकर आता हूँ। शशी ने थोड़ी अनिच्छा से लौड़े को मुँह से निकाला और चाय का ख़ाली कप लेकर किचन में चली गयी। रचना उसके आने के पहले ही वहाँ से हट गयी। रचना को अपनी गीली बुर में खुजली सी महसूस हुई। वैसे भी उसे अपने पति से अलग हुए बहुत दिन हो गए थे और घर के वातावरण में चुदाई का महोल था ही। जय भी अपनी बीवी को चोद चुका होगा रात में।

तभी राज ड्रॉइंग रूम में आया और रचना को नायटी में देखकर प्यार से गुड मोर्निंग बोला: बेटी, नींद आयी? मुझे तो बड़ी अच्छी आइ।

महक़ : जी पापा आइ । अच्छी तरह से सो ली।

राज मुस्कुरा कर: जय और बहु नहीं उठे अभी?

रचना: अभी कहाँ उठे है । और वो हँसने लगी।

राज: हाँ भाई सुहागरत के बाद थक गए होंगे। वह भी हँसने लगा।

तभी राज का फ़ोन बजा। राज: हेलो , अरे सूबेदार तुम? कहाँ हो भाई, कल शादी में भी नहीं आए? मैं तुमसे नाराज़ हूँ। कैसे दोस्त हो?

सूबेदार: अरे यार KLPD हो गई। हम शादी के लिए ही निकले थे,पर हम नहीं पहुँच पाए। अभी होटेल में चेक इन किए हैं। और अभी सोएँगे। बहुत परेशान हुए हैं। आठ घंटे का सफ़र २४ घंटे में बदल गया क्योंकि नैनीताल के पास पहाड़ियों में रोड पर पहाड़ टूट कर गिर गए थे।

राज: ओह, ये तो बहुत बुरा हुआ यार। तुम अकेले हो या बहु भी है?

सूबेदार: मैं अमिता के बिना कहीं नहीं जाता। वो भी है साथ में।

राज: तो चलो आराम करो। दोपहर को आना और साथ में खाना खाएँगे, और नवविवाहितों को आशीर्वाद दे देना। क्योंकि वो दोनो रात को ही गोवा जा रहे हैं।

सूबेदार: हाँ यार ज़रूर आऊँगा। चल बाई।

रचना: पापा ये आपके वही बचपन के दोस्त हैं जो आरमी से रेटायअर हुए हैं।

सूबेदार: हाँ बेटी, वही है और जिसने अपना जवान बेटा एक ऐक्सिडेंट में खोया है। अब उसकी बहु ही उसका ध्यान रखती है।
रचना: वो आपके दोस्त हैं तो यहाँ क्यूँ नहीं आए?

राज: बेटा, वो अपने हिसाब से रहता है। वो आया शादी में मेरे लिए यही बड़ी बात है।

तभी जय बाहर आया और अपने पापा से गले मिला और आशीर्वाद लिया और रचना से भी गले मिला। तभी डॉली भी बाहर आइ । उसने साड़ी पहनी थी। वह आकर अपने ससुर और अपनी ननद के पर छुए और उनसे आशीर्वाद लिया। फिर डॉली किचन में चली गयी।

रचना: अरे डॉली, किचन में क्यों जा रही हो?

डॉली: दीदी आज नाश्ता मैं बनाऊँगी। वो भी अपनी मर्ज़ी से , देखती हूँ आपको पसंद आता है या नहीं?

क़रीब एक घंटे के बाद शशी ने नाश्ते की टेबल सजायी और डॉली ने उन सबको छोले पूरी और दही और हलवा खिलाया। सब उँगलियाँ चाटते रह गए।

राज ने खाने के बाद उसको एक सुंदर सा हार दिया और बोला: बेटी, बहुत स्वाद खाना बनाया तुमने। ये रखो। एक बात और बेटी, मेरा दोस्त और उसकी बहु खाने पर आएँगे आज। तुम और शशी कुछ अच्छा सा बना लेना।

डॉली: जी पापा जी , हो जाएगा।

रचना ने भी उसे एक अँगूठी दी और उसके खाने की बहुत तारीफ़ की।

जब रचना और जय अकेले बैठे थे तो रचना बोली: फिर सब ठीक से हो गया ना? मिस्टर नर्वस मैन ।

जय: दीदी आपकी ट्रेनिंग काम आइ और सब बढ़िया से हो गया।

रचना: उसको बहुत तंग तो नहीं किया?

जय शर्माकर: नहीं दीदी, आप भी ना, मैं ऐसा हूँ क्या?

रचना: अरे मैं तो तुझे छेड़ रही थी।

फिर सब अपने कमरे में आराम किए। डॉली ने शशी को सब्ज़ी वगेरह काटने को बोला। जय और वो गोवा जाने की पैकिंग भी करने लगे।

दोपहर को १ बजे सूबेदार और उसकी बहु आए जिनको राज अंदर लाया। सूबेदार की बहु अमिता बहुत सुंदर और सेक्सी लग रही थी। उसने टॉप और स्कर्ट पहना था और सूबेदार टी शर्ट और जींस में था। सूबेदार आगे था उसके पीछे अमिता उसकी बहु और पीछे राज चलकर ड्रॉइंग रूम में आए। राज तो उसकी पतली कमर और उठी हुई गाँड़ देखकर ही मस्त होने लगा था

उनको मिलने रचना भी बाहर आयी। वह अभी जींस और टॉप में थी। सूबेदार उससे गले मिला और बोला: अरे तुम तो बहुत बड़ी हो गयी हो बेटी। तुम्हारी शादी के बाद पहली बार देखा है तुमको। वह उसकी छातियों को घूरते हुए बोला। जब रचना अमिता से गले मिल रही थी तो सूबेदार की आँखें रचना की मस्त गोल गोल जींस में फँसी हुई गाँड़ पर ही थीं। फिर वह चारों बातें करने लगे।

तभी जय और डॉली भी आए और दोनों ने सूबेदार के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। सूबेदार ने अमिता से एक लिफ़ाफ़ा लिया और उनको उपहार दिया। डॉली ने सलवार कुर्ता पहना था और उसका बदन पूरा ढका हुआ था अमिता की जाँघें नंगी थी और राज की आँखें बार बार वहीं पर जा रहीं थीं। सब खाना खाने बैठे और सबने डॉली के बनाए भोजन की तारीफ़ की।

फिर अमिता रचना के कमरे में चली गयी और राज सूबेदार को अपने कमरे में ले गया और जय और डॉली अपने कमरे में चले गए। नयी नयी शादी थी तो वह जल्दी ही चूम्मा चाटी करके चुदाई में लग गए। चुदाई उसी तरह से हुई जैसे रात को हुई थी।

रचना और अमिता अपनी अपनी शादी की बातें कर रहीं थी। अमिता ने अपने पति के ऐक्सिडेंट का क़िस्सा भी सुनाया।

उधर सूबेदार और राज भी बातें कर रहे थे।

राज: यार तेरे साथ बहुत बुरा हुआ जो जवान लड़का चल बसा। मैंने सोचा था कि अमिता विधवा होकर अपने मॉ बाप के पास चली जाएगी। पर उसने तेरे पास ही रहना पसंद किया। ये बहुत बड़ी बात है।

सूबेदार: असल में बेटे की मौत के ग़म ने मुझे बिलकुल तोड़ दिया था। अमिता भी भारी सदमे में थी। तो हम दोनों एक दूसरे का सहारा बने। बाद में जब उसके माँ और बाप ने उसे अपने साथ चलने को कहा तो इसने मना कर दिया। जानते हो क्यों?

राज: क्यों मना कर दिया?

सूबेदार: वो इसलिए, कि उसके पापा की आर्थिक स्तिथि अच्छी नहीं थी। अमिता को रईसी से जीने की आदत पड़ गयी थी। अच्छा खाना, महँगे कपड़े , पार्टी ,घूमना फिरना और बड़ी कारों का शौक़ था, जोकि उसके मायक़े में था ही नहीं।

राज: ओह ये बात है। तो क्या तुम उसकी शादी करने की सोच रहे हो?

सूबेदार कुटीलता से मुस्कुराया: देखो यार, जब तक मेरा बेटा ज़िंदा था तबतक वो उसकी बीवी थी। अब उसकी मौत के बाद मैंने देखा किपार्टी में लोग उसको खा जाने की कोशिश करते है। और फिर एक दिन मैंने उसको अपनी बुर में मोमबत्ती डालकर हिलाते देखा।बस तभी मैंने उसको समझाया कि घर के बाहर चुदवा कर मेरी बदनामी करवाने से अच्छा है कि वो मेरी ही बीवी की तरह रहे। मेरी बीवी को मरे तो एक अरसा हो गया था। उसकी प्यास भी बुझ जाएगी और मेरा रँडीयों पर होने वाला ख़र्च भी बच जाएगा। उसको समझ में आ गया कि अगर अमीरी की ज़िंदगी जीनी है तो उसे मेरी बीवी बनकर रहना ही होगा। वो मान गयी, और अब हम पति पत्नी की तरह रहते हैं। और सिर्फ़ दुनिया के सामने वो मुझे पापा कहती है। ये है हमारी कहानी।

राज: ओह, मतलब तुम उस हसीन कमसिंन लौंडिया से पूरे मज़े कर रहे हो। यार बड़े क़िस्मत वाले हो।

सूबेदार: अरे यार क्या तुम्हारा भी मन है उसे चोदने का? ऐसा है तो बोलो, वो भी हो जाएगा। तुमको समीर याद है?

राज: हाँ वो जो अहमदाबाद ने बड़ा व्यापारी है अपना दोस्त था।

सूबेदार: वह ३ महीने पहिले नैनिताल आया था हमारे यहाँ। वह भी इस पर लट्टू हो गया। मैंने अमिता को समझाया कि जवानी चार दिन की है, मज़े करो। वो मान गयी और हम लोग पूरे हफ़्ते सामूहिक चुदाई का मज़ा लिए।

राज का मुँह खुला रह गया: ओह, तो तुमने और समीर ने मिलकर उसे चोदा, wow।

सूबेदार: अरे इसके बाद मेरा एक मिलिटेरी का दोस्त अपने बेटे और बहू को मेरे घर भेजा था छुट्टियाँ मनाने। उन दिनो बहुत बर्फ़ पड़ रही थी। बाहर जा ही नहीं पा रहे थे। मुझे वह चिकना लड़का और उसकी बहू बहुत पसंद आ गए थे। वो लड़का भी बाईसेक्शूअल था मेरे जैसा। मैंने पहले चिकने को पटाया और उसकी ले ली। फिर उसको अपनी बीवी देने के लिए पटाया और तुम विश्वास नहीं करोगे अगले दिन ही हम चारों बिस्तर पर नंगे होकर चुदाई कर रहे थे। उस लड़के ने भी अमिता को चोदा।

राज: यार, तुम तो उसको रँडी बना दिए हो। यह कहते हुए वह अपना खड़ा लौड़ा मसलने लगा।

सूबेदार: लगता है तुझे भी इसकी बुर चोदने की बहुत हवस हो रही है? वैसे उसकी बुर और गाँड़ दोनों मस्त है। देखोगे?

राज: दिखाओ ना फ़ोटो है क्या?

सूबेदार: हा हा फ़ोटो क्या देखना है, जब वो ही यहाँ है अपना ख़ज़ाना दिखाने के लिए। पर उसके पहले एक बात बोलूँ, बुरा तो नहीं मानोगे?
राज: बोलो ना यार , तुम्हारी बात का क्या बुरा मानूँगा।

सूबेदार: मेरा रचना पर दिल आ गया है। तुमने उसे चोदा है क्या?

राज : अरे नहीं , वो मेरी बेटी है । मैं ऐसा कुछ नहीं किया।

रचना भी हैरान रह गयी कि वो दोनों उसकी बात कर रहे हैं। वह सूबेदार की सोच पर हैरान रह गयी।

सूबेदार: क्या मस्त माल है यार तुम्हारी बेटी, एक बार बस मिल जाए तो। ये कहते हुए वह अपना लौड़ा मसलने लगा।
राज ना हाँ कर पाया और ना ही ना।

सूबेदार बोलता चला गया: यार, अगर तुमको ऐतराज़ ना हो तो आज रात ही रचना को भी बिस्तर पर खींच लाएँगे। फिर चारों मज़े से सामूहिक चुदाई करेंगे। क्या कहते हो?

राज: मुझे समझ नहीं आ रहा है कुछ भी। वो अमिता की बुर और गाँड़ की फ़ोटो दिखाओ ना।

सूबेदार: कहा ना फ़ोटो क्या दिखाना है, अभी उसे बुलाता हूँ और जो देखना होगा सब देख लेना साली का।

यह कहकर उसने बाहर आकर अमिता को आवाज़ दी। राज ने देखा कि सूबेदार की पैंट में भी तंबू बना हुआ है।

अमिता रचना से बोली: मैं अभी आइ, पापा बुला रहे हैं।

वह उठकर राज के कमरे में आइ और दरवाज़े के पीछे खड़े सूबेदार ने दरवाज़ा बंद कर दिया। अब सूबेदार आकर राज के साथ बिस्तर पर बैठ गया। अमिता सामने खड़ी हो गयी थी।

उधर रचना सोची कि ऐसी क्या बात है जिसके लिए अमिता को बुलाया है। वो जाकर खिड़की से परदा हटाकर झाँकी और उसका मुँह खुला रह गया।

अंदर सूबेदार अमिता के गाल सहलाकर बोला: अमिता, राज का तुम पर दिल आ गया है। वो तुम्हारी बुर और गाँड़ देखना चाहता है। दिखा दो ज़रा। अपनी पैंटी नीचे करो।

अमिता शर्मा कर बोली: क्या पापा छी मुझे शर्म आ रही है।

सूबेदार: अरे मेरी रँडी बेटी, जैसा कह रहा हूँ करो, पैंटी नीचे करो।

अमिता ने चुपचाप पैंटी घुटनो तक नीचे कर दी। अब सूबेदार ने उसकी स्कर्ट ऊपर कर दी और रचना के आँखों के सामने उसके मोटे गोल चूतड़ थे। राज की आँखें उसकी बुर पर टिकी थी।

सूबेदार: बोलो मस्त फूलि हुई है ना इसकी बुर ?

राज: हाँ यार बहुत सुंदर है। फिर वह हाथ बढ़ाकर उसकी बुर को सहलाने लगा। अनिता हाऽऽऽय्य कर उठी।

राज: सच में यार मस्त चिकनी बुर है चोदने में बहुत मज़ा आएगा। फिर वह उसको सहलाया और दो ऊँगली अंदर डालकर बोला: आह मस्त टाइट बुर है। अब वो उँगलियाँ निकाल कर चाटने लगा।

सूबेदार: चल साली रँडी अब पलट कर अपनी गाँड़ दिखा।

अमिता चुपचाप पलट गयी। अब रचना के सामने उसकी नंगी बुर थी। उधर राज उसके मस्त गोल गोल चूतरों को सहला रहा था। तभी सूबेदार बोला: अमिता अपनी गाँड़ दिखाओ अंकल को , वो बहुत मस्ती से तुम्हारी गाँड़ मार कर तुमको मज़ा देंगे।

यह सुनकर अमिता ने अपने दोनो चूतरों को फ़ैलाया और राज उसकी गाँड़ के खुले छेद को देखकर समझ गया कि वह अक्सर गाँड़ मरवाती है। अब राज ने उसकी गाँड़ सहलायी और उसमें एक ऊँगली डाला और अंदर बाहर किया। तभी सूबेदार ने उसकी बुर को दबाना शुरू किया। अब अमिता आऽऽऽऽहहह करने लगी। फिर बोली: अभी छोड़िए ना, रचना, जय और डॉली घर में हैं। बाद में रात को कर लीजिएगा।

अब दोनों ने उसे छोड़ दिया पर सूबेदार बोला: बस एक बार आगे झुक कर अपनी बुर और गाँड़ की छवि तो दिखा दो अंकल को।

वह मुस्कुरा कर आगे झुकी और दोनों अधेड़ मर्द उसकी नंगी जवानी जा हुस्न देखकर मस्ती से अपने लौड़े मसलने लगे। फिर वह उठकर अपनी पैंटी ऊपर की और स्कर्ट नीचे करके कमरे से बाहर आने के पहले अपना हाथ बढ़ाकर एक एक हाथ में दोनों के लौड़ों को पैंट के ऊपर से दबा दी और बोली: रात को मज़ा करेंगे।

रचना भी भागकर अपने कमरे में आयी और बाथरूम में घुस गयी। पिशाब करके उसने अपनी वासना को क़ाबू में किया और वापस कमरे में आयी तो अनिता वहाँ बैठकर टी वी देख रही थी जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। रचना के दिमाग़ में एक बात ही चल रही थी कि उसके पापा ने सूबेदार की रचना के बारे में की गई गंदी बातों का कोई जवाब नहीं दिया और ना ही उसे ऐसी बात करने से टोका। इसका मतलब वो भी यही चाहते हैं कि मैं उनके दोस्त से चुदवाऊँ!! हे भगवान , ये सब क्या हो रहा है? वो आज तक अपने पति के अलावा किसी और से नहीं चुदी थी। यहाँ उसके पापा के दोस्त और क्या पता पापा भी उसको चोदने के चक्कर में है।

रचना का सिर घूमने लगा कि ये उसकी ज़िंदगी में कैसा मोड आने वाला है। क्या वो इसके लिए तैयार है ? पता नहीं आज की रात कैसे बीतेगी और उसकी ज़िंदगी में कैसा तूफ़ान आएगा?
शाम के नाश्ते के बाद जय और डॉली एयरपोर्ट के लिए चले गए। राज ने शशी को छुट्टी दे दी और डिनर बाहर एक रेस्तराँ में करने का प्लान बनाया। सब तैयार होकर एक रेस्तराँ के लिए निकले। रचना भी अब अमिता की तरह स्कर्ट और टॉप में ही थी। दोनों की मस्त गोरी जाँघें बहुत मादक दिख रही थीं। कार में दोनों मर्द आगे बैठे और लड़कियाँ पीछे बैठीं।

रेस्तराँ में राज और अमिता अग़ल बग़ल एक सोफ़े पर बैठे और रचना के साथ सूबेदार बैठ गया। हल्का अँधेरा सा था हॉल में और सॉफ़्ट म्यूज़िक भी बज रहा था। कुछ जोड़े डान्स फ़्लोर पर नाच भी रहे थे। राज ने अपने लिए और सूबेदार के लिए विस्की ऑर्डर की और लड़कियों को पूछा किक्या लेंगी।

सूबेदार: वाइन लेंगी और क्या लेंगी? ठीक है ना रचना?

रचना मुस्कुरा दी: ठीक है अंकल ले लूँगी। अमिता क्या लेगी?

सूबेदार: अरे वो तो विस्की भी ले लेती है पर अभी वाइन से ही शुरुआत करेगी।

फिर जैसे जैसे शराब अंदर जाने लगी, माहोल रोमांटिक होने लगा। राज का हाथ अमिता की नंगी जाँघों पर था और वह उसकी स्कर्ट को ऊपर करके सहलाए जा रहा था। अब सूबेदार रचना को बोला: बेटी, अब तुम बड़ी हो गयी हो, विस्की का भी मज़ा लो।

रचना भी सुरुर में आ गई थी: ठीक है अंकल दीजिए , मुझे सब चलता है।

जब सूबेदार ने देखा कि रचना थोड़ी सी टुन्न हो रही है तो वह उसको बोला: क्या मैं अपनी प्यारी सी बेटी को डान्स फ़्लोर में चलने को कह सकता हूँ?

रचना: ज़रूर अंकल चलिए ना डान्स करते हैं।
अमेरिकन सभ्यता का असर भी तो था।

अब वो दोनों डान्स करने लगे। अब सूबेदार ने उसकी कमर में हाथ डालके उसको अपने से चिपका लिया। उसके बड़े बड़े बूब्ज़ सूबेदार की छाती से टकरा रहे थे और वह उसके नंगी कमर को सहलाए जा रहा था। थोड़ी देर बाद सूबेदार ने उसके निचले हिस्से को भी अपने निचले हिस्से से चिपका लिया और रचना को उसके खड़े लौड़े का अहसास अपने पेट के निचले हिस्से पर होने लगा। वो अब ख़ुद भी उसकी मर्दानी गंध से जैसे मदहोश सी होने लगी। तभी सूबेदार ने उसकी बाँह उठाकर नाचते हुए उसकी बग़ल में नाक घुसेड़ दी और उसकी गंध से मस्त होकर बोला: बेटी, तुम्हारे बदन की ख़ुशबू बहुत मादक है।

रचना शर्मा कर: अंकल क्या कर रहे हैं? कोई देख लेगा?

सूबेदार: बेटी, सब अपनी मस्ती में खोए हुए हैं, किसी को दूसरे की कोई फ़िक्र ही नहीं है। यह कहते हुए उसने रचना को अपने से और ज़ोर से चिपका लिया। फिर वह बोला: बेटी, मुझे तुम्हारे पति से जलन हो रही है।

रचना: वो क्यों?

सूबेदार: क्या क़िस्मत पायी है जो उसे तुम्हारे जैसे बीवी मिली है। क्या मस्त बदन है तुम्हारा। वो तो तुमको छोड़ता ही नहीं होगा ना? दिन रात तुमसे लगा रहता होगा?

रचना मुस्कुरा कर: अंकल शुरू शुरू में तो ऐसा ही था, पर अब हमारी शादी को छे साल हो गए हैं , अब वो बात कहाँ?

सूबेदार: बेटी, तुम्हारी जवानी तो अब निखार पर आइ है। फिर वो उसकी कमर से हाथ ले जाकर उसके चूतड़ को हल्के से सहलाया और बोला: देखो क्या मस्त बदन है अब तुम्हारा । हर जगह के उभार कितने मस्त हैं। और फिर वह उसके चूतड़ दबा दिया।

रचना जानती थी कि अगर उसने अभी सूबेदार को नहीं रोका तो बाद में उसे रोकना नामुमकिन हो जाएगा। पर तभी सूबेदार ने झुक कर उसकी टॉप से बाहर झाँक रही चूचियों पर चुम्बन ले लिया और रचना का रहा सहा विरोध भी ख़त्म हो गया। उसकी बुर गीली होकर चुदाई की डिमांड करने लगी। वैसे भी उसे काफ़ी दिन हो गए थे चुदवाए हुए।
रचना: चलिए अब वापस टेबल पर चलते हैं।

उधर राज और अमिता उनको देखे जा रहे थे। जैसे ही वो दोनों डान्स फ़्लोर पर गए अमिता बोली: अंकल सूबेदार साहब आज आपकी बेटी को पटा के ही छोड़ेंगे।

राज ने उसकी जाँघ सहलाते हुए कहा: अच्छा है ना, अगर उसे सूबेदार पसंद है, तो वह उससे चुदवा ले। इसमें बुराई क्या है?

फिर वह अमिता को बोला: बेटी, तुम बाथरूम जाकर पैंटी उतार कर अपने पर्स में डाल लो। मुझे तुम्हारी बुर में ऊँगली करनी है।
अमिता: अंकल पैंटी को एक तरफ़ कर देती हूँ, आप ऊँगली डाल लीजिए। यह कहकर वो थोड़ी सी उठी और शायद उसने पैंटी को एक तरफ़ को कर दिया। अब राज ने उसकी जाँघों के बीच उँगलिया डाली और वो सीधे बुर के अंदर चली गयीं। अमिता की आऽऽऽह निकल गयी। राज की उँगलियाँ जल्दी ही गीली हो गयीं। वह उनको चाटने लगा। तभी अमिता बोली: देखिए अंकल, सूबेदार के हाथ अब रचना के चूतड़ दबा रहे हैं। और आऽऽऽहहह देखिए वो अब उसकी चूचियाँ चूम रहे हैं।

राज का लौड़ा अब पूरा कड़क हो चुका था और अपनी बेटी को अपने दोस्त के साथ मस्ती करते देख वह बहुत उत्तेजित हो रहा था। फिर जब वो दोनों वापस आए टेबल पर तो सूबेदार के पैंट का टेंट साफ़ दिखाई दे रहा था। टेबल पर बैठ कर वो फिर से पीने लगे। इस बार सूबेदार भी बेशर्म होकर अपने हाथ को उसकी नंगी जाँघों पर फेरने लगा। रचना ने भी बेशर्मी से अपनी जाँघें फैला दी और अब उसकी उँगलियाँ उसकी बुर को पैंटी के ऊपर से छूने लगी। सूबेदार धीरे से रचना के कान में बोला: बेटी, तुम्हारी पैंटी तो गीली हो रही है । सब ठीक है ना?

वो हँसकर बोली: अंकल सब आपका किया धरा है।

सूबेदार ने अब हिम्मत की और उसका हाथ पकड़कर अपने पैंट के ऊपर से अपने लौड़े पर रखा और बोला: देखो मेरा भी बुरा हाल है। ये तो तुम्हारा ही किया धरा है।

रचना भी बेशर्मी से उसके लौड़े को सहलायी और उसकी लम्बाई और मोटाई का अहसास करके बोली: आऽऽह आपका तो बहुत बड़ा है अंकल।

सूबेदार: क्यों तुम्हारे पति का छोटा है क्या?

रचना: उनका सामान्य साइज़ का है, पर आपका तो बहुत बड़ा है।

ये कहते हुए वह उसका लौड़ा सहलाए जा रही थी। तभी रचना का फ़ोन बजा। उसके पति का फ़ोन था। रचना: हाय कैसे हो?

वो: ठीक हूँ, तुम्हारी याद आ रही है, अब तो शादी भी हो गयी , अब वापस आ जाओ ना।

रचना नशे में थी और उसके आँखों के सामने उसका सामान्य लौड़ा आ गया। अभी भी उसका एक हाथ सूबेदार के लौड़े पर था। ओह भगवान मैं क्या करूँ? एक तरफ़ इतना मस्त लौड़ा है और दूसरी तरफ़ पति का सामान्य सा लौड़ा। वो सोचने लगी कि अंकल की चुदाई भी मस्त होगी। उसकी बुर अब पूरी तरह से पनिया गयी थी। वो बोली: बस अभी पापा अकेले हैं, जैसे ही जय और डॉली होनिमून से वापस आएँगे मैं भी आ जाऊँगी।

राज का लंड अभी अमिता के हाथ में था और वह यह सुनकर बुरी तरह से मचल गया कि अभी रचना बहुत दिन यहाँ रहेगी। वो मस्ती से अपनी उँगलियाँ अमिता की बुर में भी डाला और हिलाने लगा। तभी रचना ने मोबाइल बंद किया और टेबल पर रखने लगी तभी वह नीचे गिर गया। वह उठाने के लिए झुकी और उसकी आँखों के सामने उसके पापा की उँगलियाँ अमिता की बुर में हिल रही थीं और उधर अमिता के हाथ उसके पापा के लौड़े पर चल रहे थे। वह ये देखकर बहुत उत्तेजित हो गयी।
फिर मोबाइल उठाकर वह और ज़ोर से उसका लौड़ा दबाने लगी। उधर सूबेदार भी उसकी बुर को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा। फिर सूबेदार ने जो अंधेरे में बैठा था अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया था। अब अमिता उसके नंगे लौंडे को मसल कर मस्ती से भर उठी थी। उफफफ कितना मोटा कड़ा और गरम लौड़ा है। वो सोची और मज़े से भर उठी।

अब सभी बहुत उत्तेजित हो चुके थे। तभी सूबेदार ने एक एस॰एम॰एस॰ लिखा और राज को भेजा। राज ने एस॰एम॰एस॰ पढ़ा। उसमें लिखा था नीचे झुक कर अपनी बेटी की हरकत देखो।
राज ने अपना रुमाल गिराया और उठाने के बहाने नीचे झुका और देखा कि रचना की बुर में सूबेदार की उँगलियाँ चल रही है और वह सूबेदार का लौड़ा मसल रही है, जिसे सूबेदार ने पैंट से बाहर निकाल रखा था। राज तो जैसे पागल ही हो गया था अपनी बेटी की इस हरकत से।

राज: चलो सबका खाना हो गया क्या ? अब घर चलें? दस बज गए हैं।
फिर उसने बिल पटाया और वो चारों अपने कपड़े ठीक करके बाहर आ गए। कार में अमिता राज के साथ बैठी और पीछे सूबेदार और रचना बैठीं। कार के चलते ही सूबेदार ने रचना का टॉप उठाकर उसकी ब्रा से उसकी एक चूचि बाहर निकाल ली और उसको पहले दबाया और फिर मुँह में लेकर चूसने लगा।

राज ने चूसने की आवाज़ सुनी तो पीछे रीयर व्यू मिरर में देखा और रचना के बड़े दूध सूबेदार के मुँह में देखकर वह बहुत उत्तेजित हो गया। उसने हाथ बढ़ाकर अमिता के दूध दबाने शुरू किए। पर कोई रीऐक्शन ना देखकर वह उसे देखा तो पाया कि वह लुढ़क गयी है।

राज: अरे अमिता तो सो गयी।

सूबेदार: अरे वह दारू नहीं पचा पाती । अब वो सुबह तक बेहोश रहेगी। अब हमारे पास बस एक यही रचना बची है मज़े लेने के लिए।

राज ने शीशे में देखा और पाया कि अब सूबेदार का लौड़ा फिर से पैंट से बाहर था और रचना अब उसे चूस रही थी। राज को लगा कि उसकी पैंट फट जाएगी , उसका लौड़ा इतना कड़क हो चुका था।

घर पहुँचने के पहले सूबेदार और रचना ने अपने कपड़े ठीक कर लिए थे। अब सूबेदार ने अमिता को गोद में उठाया और लेज़ाकर उसको रचना के बिस्तर पर सुला दिया। फिर वह बाहर आया और ड्रॉइंग रूम में सोफ़े पर बैठा और रचना भी अपना पर्स वगेरह रख कर बाथरूम से वापस आकर सोफ़े में बैठी। तभी राज भी आया और सोफ़े पर बैठ गया। एक अजीब सी ख़ामोशी थी कमरे में।

सूबेदार ने ख़ामोशी तोड़ी और बोला: यार साली अमिता तो टुन्न हो गयी अब रचना का हो सहारा है । क्या बोलते हो?

राज : रचना ने ही फ़ैसला करना है कि वह क्या चाहती है?

रचना: अंकल आप इतनी देर से मुझे तंग कर रहे हो और अब क्या ऐसी ही प्यासी छोड़ दोगे?

सूबेदार: बेटी, मैं तेरे पापा की बात कर रहा हूँ। क्या तुम उससे भी चुदवाओगी?

रचना: पापा तो मरे जा रहे हैं मुझे चोदने को, मुझे सब पता है। मैंने आजतक अपने पति के अलावा किसी से भी किया नहीं है। पर आज बड़ा मन है आप दोनों से करवाने का। कहते हुए वह मुस्कुराते हुए एक ज़बरदस्त अंगड़ाई ली। उसके बड़े कबूतर टॉप में फड़फड़ा उठे।

सूबेदार हँसते हुए बोला: वाह बेटी तुमने तो समस्या ही हल कर दी। और वह उठकर उसके पास आया और उसको अपनी गोद में खींचकर उसके होंठ चूसने लगा। फिर वह राज को बोला: आजा यार अब तेरी बेटी का मज़ा लेते हैं। ये कहते हुए उसने रचना का टॉप उतार दिया और ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। तभी उसने अगला ऐक्शन किया और ब्रा भी निकाल दी। अब उसकी बड़ी चूचियाँ दोनों के सामने थीं। वह एक चूचि चूसते हुए बोला: आजा यार अब चूस अपनी बेटी की चूचि , देख क्या मस्त मलाई है । अब राज नहीं रुक पाया और आकर रचना के बग़ल में बैठा और हाथ बढ़ाकर उसकी चूचि सहलाया और फिर वह भी एक चूचि चूसने लगा। रचना ने नीचे देखा कि कैसे उसके पापा और अंकल उसकी एक एक चूचि चूस रहे थे। वह दोनों के सिर में हाथ फेरने लगी।

दोनों मर्द अब उसकी निपल को अपने होंठों में लेकर हल्के से दाँत से काट भी रहे थे। रचना मज़े से आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह करने लगी। उधर दोनों के हाथ उसके पेट से होकर उसकी जाँघ पर घूम रहे थे। वह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करने लगी। दोनों की उँगलियाँ उसकी बुर के आसपास घूम रही थीं। वह अब अपनी गीली बुर की असहनीय खुजली को महसूस कर रही थी। तभी राज नीचे आकर उसकी स्कर्ट उतार दिया और अब पैंटी का गीलापन देखकर दोनों मर्द मुस्कुरा उठे। फिर राज ने उसकी पैंटी भी उतार दी ।

अब उसकी जाँघों को अलग करके उसकी बुर को देखा और मस्ती से उसको चूमने लगा। फिर वह उसे जीभ से चाटने लगे। फिर उसने उसकी कमर को और ऊपर उठाया और अब उसकी सिकुड़ी हुई गाँड़ भी उसके सामने थी । वह उसे भी चूमा और फिर से जीभ से चाटने लगा। रचना पागल सी हो गयी थी। सूबेदार उसकी चूचियों पर हमला किए था और पापा उसकी बुर और गाँड़ पर। वह उइइइइइइइइइ हाऽऽऽयय्य चिल्ला रही थी।
अब सूबेदार खड़े हुआ और पूरा नंगा हो गया।

उसका लौड़ा बहुत कड़ा होकर ऊपर नीचे हो रहा था। वह लौड़ा रचना के मुख के पास लाया और रचना ने बिना देर किए उसे चूसना शुरू कर दिया। तभी राज भी खड़ा हुआ और नंगा होकर अपना लौड़ा रचना के मुँह के पास लाया। वह अब उसका भी लौड़ा चूसने लगी। अब वह बारी बारी से दोनों का लौड़ा चूस रही थी।

सूबेदार: चलो बेटी, बिस्तर पर चलो और डबल चुदाई का मज़ा लो। अमिता तो कई बार इसका मज़ा ले चुकी है।

अब तीनो नंगे ही बिस्तर पर आकर लेटे। रचना पीठ के बल लेटीं थी और दोनों मर्द उसकी चूचि पी रहे थे। उनके हाथ उसकी बुर और जाँघ पर थे। उधर रचना ने भी उनका लौड़ा एक एक हाथ में लेकर सहलाना शुरू किया था। उग्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त मोटे और बड़े लौड़े थे। वह सोची कि आज की चुदाई उसे हमेशा याद रहेगी।

अब राज बोला: बेटी, पिल्ज़ ले रही हो ना? कहीं प्रेग्नन्सी ना हो जाए।

रचना: पापा आज आपको एक बात बतानी है। हमने चार साल फ़ैमिली प्लानिंग की थी। पर पिछल दो साल से हम बच्चे की कोशिश कर रहे हैं, पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है। मैंने अपना चेकअप करवाया है, सब ठीक है। आपका दामाद अपनी जाँच के लिए तैयार नहीं है।

राज: ओह तुमने यह तो कभी बताया नहीं बेटी। उसकी बुर सहलाते हुए वह बोला।

अब सूबेदार और राज अग़ल बग़ल लेट गए और वह उठकर दोनों के लौड़े चूसने लगी। फिर वह उनके बॉल्ज़ को सहलाते हुए और चाटते हुए बोली: आपके इतने बड़े बड़े बॉल्ज़ में बहुत रस होगा । आप दोनों आज ही मुझे प्रेगनेंट कर दोगे , वैसे भी मेरा अन्सेफ़ पिरीयड चल रहा है।

राज: आऽऽह बेटी, ज़रूर आज तुम प्रेगनेंट हो ही जाओगी। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या चूसती हो ह्म्म्म्म्म्म्म।

सूबेदार उठा और नीचे जाकर उसकी बुर और गाँड़ चाटा और बोला: यार तू क्या चोदेगा? बुर या गाँड़?

राज: पहले बुर फिर गाँड़।

सूबेदार: तो फिर चल तू लेट जा और रचना तुम उसके ऊपर आकर लौड़े को अपनी बुर में ले लो। मैं पीछे से गाँड़ मारूँगा। यह कह कर वह ड्रेसिंग टेबल से क्रीम उठाकर लाया और अपने लौड़े पर मलने लगा।

राज के लौड़े पर अपना बुर रखकर रचना बैठी और उसका लौड़ा अपनी बुर में धीरे धीरे अंदर करने लगी। अब वो आऽऽऽऽहहह कहती हुई पूरा लौड़ा अंदर कर ली। अब राज उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ दबाने लगा।सूबेदार ने उसकी गाँड़ में क्रीम लगाकर अपना लौड़ा वहाँ सेट किया और धीरे से पेलने लगा। रचना चिल्लाई: आऽऽऽहहहह दुःख रहा है, अंकल आपका बहुत मोटा है।

सूबेदार: बस बेटी बस, देखो पूरा चला गया तुम्हारी टाइट गाँड़ में। आऽऽहाह मज़ा आ गया। फिर वह धक्के मारने लगा। राज भी नीचे से कमर उठाकर उसकी बुर फाड़ने लगा । रचना इस डबल चुदाई से अब मस्त होने लगी। उसके निपल भी मसलकर लाल कर दिए थे दोनों ने।

अब रचना भी अपनी गाँड़ उछालकर आऽऽऽऽऽहहह और चोओओओओओओदो आऽऽहहहह फ़ाआऽऽऽऽड़ दोओओओओओओओ चिल्लाने लगी।
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#15
दोनों मर्द अब मज़े से चोदने में लग गए। पलंग ज़ोर ज़ोर से हिले जा रहा था और फ़चफ़च और ठप्प ठप्प की आवाज़ भी गूँज रही थी।

अचानक रचना बोली: अंकल आप अपना रस मेरी गाँड़ में नहीं मेरी बुर में ही छोड़ना, मैं आज ही गर्भवती होना चाहती हूँ। आऽऽऽह। हाऽऽऽऽऽय्य।

सूबेदार: ठीक है बेटी, जैसा तुम कहो। और वो और ज़ोर से गाँड़ मारने लगा।

अब राज चिल्लाया: आऽऽऽऽऽऽह बेटी मैं गया। और वो झड़ने लगा। रचना भी पाऽऽऽऽऽपा मैं भी गईइइइइइइइइ। कहकर झड़ गयी। सूबेदार ने अपना लौड़ा बाहर निकाला और चादर से पोंछा और रचना के राज के ऊपर से हटने का इंतज़ार करने लगा। जब रचना उठकर लेटी तो वह उसकी टाँगें उठाकर उसकी बुर में अपना लौड़ा डाल दिया। उसकी बुर राज के वीर्य से भरी हुई थी। अब वह भी दस बारह धक्के लगाकर झड़ने लगा। उसका वीर्य भी रचना की बुर में सामने लगा।

रचना आऽऽहहहह करके लेटी रही और बोली: आऽऽऽहब आप दोनों का कितना रस मेरे अंदर भर गया है। आज तो मैं ज़रूर से प्रेगनेंट हो ही जाऊँगी।

फिर सब फ़्रेश होकर लेट कर चूमा चाटी करने लगे। क़रीब एक घंटे के बाद फिर से चुदाई शुरू हुई, बस इतना फ़र्क़ था कि उसकी गाँड़ में इस बार पापा का और बुर में अंकल का लौड़ा था। लेकिन उनका वीर्य इस बार भी उसकी बुर को ही मिला। बाद में सब नंगे ही लिपट कर सो गए।
अगली सुबह शशी आइ तो तीनों नंगे ही सो रहे थे। रचना ने गाउन पहना और दरवाज़ा खोला। उसके निपल्ज़ गाउन में से झाँक रहे थे क्योंकि उसने ब्रा नहीं पहनी थी। शशी मुस्कुरा कर बोली: रात में हंगामा हुआ क्या?

रचना: हाँ बहुत हुआ और अभी भी दोनों मर्द नंगे सोए पड़े हैं।

शशी हँसकर किचन में चली गयी और चाय बनाने लगी। रचना कमरे में आकर बोली: आप लोग उठो, शशी चाय लाएगी। कुछ पहन लो।

राज: अरे उससे क्या पर्दा? वो सब जानती है। फिर वह उठकर बाथरूम में घुसा। तभी सूबेदार भी उठ गया। फ़्रेश होकर सब सोफ़े में बैठे चाय पी रहे थे तभी अमिता भी उठ कर आइ और बोली: मुझे क्या हो गया था? मुझे कुछ याद नहीं है।

सब हँसने लगे। राज: तुम तो बेहोश हो गयी इसलिए बिचारि रचना हम दोनों को रात भर झेलती रही।

अमिता: वाह, तब तो रचना को मज़ा ही आ गया होगा।

रचना: मेरी गाँड़ बहुत दुःख रही है। मैंने इतने मोटे कभी नहीं लिए।और इन दोनों के तो साँड़ के जैसे मोटे है!

राज रचना को गोद में खींच कर उसकी गाँड़ को सहला कर बोला: बेटी, दवाई लगा दूँ क्या?

रचना: रहने दीजिए, पहले फाड़ दी और अब दवाई लगाएँगे ?

सूबेदार: अरे बेटी बहुत टाइट गाँड़ थी, लगता था कि उद्घाटन ही कर रहे हैं। लगता है दामाद बाबू का पतला सा हथियार है।

रचना: अंकल आपके सामने तो उनका बहुत पतला है। और सच में मेरी ऐसी ठुकाई कभी नहीं हुई।

राज: मतलब मज़ा आया ना हमारी बेटी को? यह कहते हुए उसने उसकी चूचि दबा दी।

रचना: जी पापा, मज़ा तो बहुत आया।

सूबेदार: यार, तूने अमिता को तो ठोका ही नहीं। दोपहर तक जो करना है कर ले, हम लोग आज वापस जाएँगे।

राज: अरे ऐसी भी क्या जल्दी है। कुछ दिन रुको ना।

सूबेदार: नहीं यार जाना ही होगा। कुछ ज़रूरी काम है।

फिर शशी ने सबको नाश्ता कराया और सूबेदार ने शशी की गाँड़ पर हाथ फेरा और बोला: यार मस्त माल है, पर इसका पेट देखकर लगता है की गर्भ से है।

रचना: पापा ने ही इसको गर्भ दिया है, इसका पति तो किसी काम का है ही नहीं।

सूबेदार: वह भाई ये तो बढ़िया है। रचना, तुम भी रात को ही प्रेगनेंट हो ही गयी होगी। अगर नहीं भी हुई होगी तो अगले ४/५ दिन में तुम्हारे पापा कर ही देंगे।
रचना: भगवान करे ऐसा ही हो।

नाश्ता करने के बाद चारों कमरे में घुस गए और इस बार अमिता को राज ने और रचना को सूबेदार ने चोदा। रचना के कहने पर राज ने भी अपना रस रचना की ही बुर में छोड़ा।
दोपहर का खाना खा कर सूबेदार और अमिता चले गए। अब राज और रचना ही थे घर पर। शशी भी चली गयी थी।

अकेले में रचना ने अपने कपड़े उतारे और नंगी होकर बिस्तर पर लेट गयी। राज हैरान हुआ, पर वह भी नंगा होकर उसके बग़ल में लेट गया। अब रचना राज से लिपट गयी और बोली: पापा, मैं माँ बन जाऊँगी ना?

राज उसे चूमते हुए बोला: हाँ बेटी, ज़रूर बनोगी। पर तुमको जल्दी से जल्दी दामाद बाबू से चुदवाना होगा वरना वह शक करेगा और बच्चे को नहीं अपनाएगा।

रचना: पापा, जय और डॉली ४/५ दिन में आ जाएँगे। तब मैं चली जाऊँगी अमेरिका और उससे चुदवा लूँगी । बस आप मुझे रोज़ २/३ बार चोद दीजिए ताकि मेरे गर्भ ठहरने में कोई शक ना रहे। मुझे बच्चा चाहिए हर हाल में।

राज उसके कमर को सहला कर बोला: बेटी, तुम्हारी इच्छा भगवान और मैं मिलकर ज़रूर पूरी करेंगे। फिर वह उसकी बुर सहलाने लगा। जल्दी ही वो उसकी चूची चूसने लगा और फिर उसके ऊपर चढ़ कर मज़े से उसे चोदने लगा। वह भी अपनी टाँगें उठाकर उसका लौड़ा अंदर तक महसूस करने लगी। लम्बी चुदाई के बाद वह उसकी बुर में गहराई तक झड़ने लगा। रचना भी अपनी बुर और बच्चेदानी में उसके वीर्य के अहसास से जैसे भर गयी थी।

अब यह रोज़ का काम था । शशी के सामने भी चुदाई होती और वह भी मज़े से उनकी चुदाई देखती। शशी लौड़ा चूसकर ही ख़ुश रहती थी। इसी तरह दिन बीते और जय और डॉली भी आ गए। रचना सबसे मिलकर अमेरिका के लिए चली गयी।

आज घर में सिर्फ़ राज, जय और डॉली ही रह गए। शशी का पेट काफ़ी फूल गया था। वह अपने समय से काम पर आती थी।

अगले दिन सुबह राज उठकर सैर पर गया और जब वापस आया तो शशी आ चुकी थी। वह चाय माँगा और तभी वह चौंक गया। डॉली ने आकर उसके पैर छुए और गुड मॉर्निंग बोली और चाय की प्याली राज को दी। राज ने देखा कि वह नहा चुकी थी और साड़ी में पूरी तरह से ढकी हुई थी। उसने उसे आशीर्वाद दिया। चाय पीते हुए वो सोचने लगा कि डॉली के रहते उसे शशी के साथ मज़ा करने में थोड़ी दिक़्क़त तो होगी। वैसे भी वह आजकल सिर्फ़ लौड़ा चूसती थी, चुदाई बंद की हुई थी, डॉक्टर के कहे अनुसार। पता नहीं उसका क्या होने वाला है।

वह जब नहा कर आया तो जय भी उठकर तैयार हो चुका था। डॉली ने नाश्ता लगाया और सबने नाश्ता किया। शशी ने डॉली की मदद की। थोड़ी देर में जय अपने कमरे में गया और डॉली भी उसके पीछे पीछे गयी। फिर वह डॉली को अपनी बाहों में लेकर चूमने लगा और वह भी उससे लिपट गयी।

डॉली: खाना खाने आओगे ना?

जय: अभी तक तो कभी नहीं आया। पापा से पूछ लूँ?

डॉली: नहीं नहीं, रहने दो। मैं खाना भिजवा दूँगी, आप नौकर भेज दीजिएगा।
जय उसको बहुत प्यार किया और फिर बाई कहकर चला गया।

डॉली ने घर की सफ़ाई शुरू की और शशी से सब समझने लगी। इस चक्कर में शशी भी राज से मिल नहीं पा रही थी ।
तभी राज ने आवाज़ लगायी अपने कमरे से : शशी आओ और यहाँ को सफ़ाई कर दो।

शशी : जी आती हूँ। ये कहकर वह झाड़ू ले जाकर उसके कमरे ने चली गयी।

राज ने उसको पकड़ लिया और उसको चूमते हुए बोला: बहुत तरसा रही हो। फिर उसकी चूचि दबाते हुए बोला : अब तो तेरी चूचियाँ बड़ी हो रही हैं। अब इनमे दूध आएगा ना बच्चा होने के बाद। मुझे भी पिलाओगी ना दूध?

शशी हँसकर बोली: अरे आपको तो पिलाऊँगी ही। आपका ही तो बेटा होगा ना।

अब राज बिस्तर पर लेटा और बोला: चलो अब चूसो मेरा लौड़ा।

शशी ने उसकी लूँगी खोली और चड्डी नीचे करके लौड़ा चूसना शुरू किया। क़रीब २० मिनट चूसने के बाद वह उसके मुँह में ही झड़ गया।

डॉली शशी का इंतज़ार करते हुए टी वी देखने लगी। शशी जब राज के कमरे से बाहर आयी तो उसका चेहरा लाल हो रहा था। डॉली को थोड़ी हैरानी हुई कि ऐसा क्या हुआ कि उसका चेहरा थोड़ा उत्तेजित सा दिख रहा था। फिर वह शशी के साथ खाना बनाने लगी।
राज के लिए डॉली की दिन भर की उपस्थिति का पहला दिन था। उसे बड़ा अजीब लग रहा था कि शायद वह अब शशी के साथ जब चाहे तब पुराने तरह से मज़े नहीं कर पाएगा।

डॉली भी दिन भर ससुर को घर में देखकर सहज नहीं हो पा रही थी। उसके साथ बात करने को एक शशी ही थी।

शशी जल्दी ही डॉली से घुल मिल गयी और पूछी: भाभी जी हनीमून कैसा रहा? भय्या ने ज़्यादा तंग तो नहीं किया? ये कहकर वो खी खी करके हँसने लगी।

तभी राज पानी लेने आया और उनकी बात सुनकर ठिठक गया और छुपकर उनकी बातें सुनने लगा।

डॉली शर्मा कर: नहीं, वो तो बहुत अच्छें हैं, मेरा पूरा ख़याल रखते हैं, वो मुझे क्यों तंग करेंगे?

शशी: मेरा मतलब बहुत ज़्यादा दर्द तो नहीं दिया आपको ?ये कहते हुए उसने आँख मार दी।

डॉली शर्मा कर बोली: धत्त , कुछ भी बोलती हो। वो मुझे बहुत प्यार करते हैं , वो मुझे तकलीफ़ में नहीं देख सकते।

शशी: तो क्या आप अभी तक कुँवारी हो? उन्होंने आपको चो– मतलब किया नहीं क्या?

डॉली: धत्त , कुछ भी बोलती हो, सब हुआ हमारे बीच, पर उन्होंने बड़े आराम से किया और थोड़ा सा ही दर्द हुआ।

शशी: ओह फिर ठीक है। मैं जब पहली बार चु- मतलब करवाई थी ना तब बहुत दुखा था। उन्होंने बड़ी बेरहमी से किया था।

डॉली: इसका मतलब आपके पति आपको प्यार नहीं करते तभी तो इतना दुःख दिया था आपको।

शशी: अरे भाभी, मेरा पति क्या दुखाएगा? उसका हथियार है ही पतला सा । मेरी सील तो जब मैं दसवीं में थी तभी स्कूल के एक टीचर ने मुझे फँसाकर तोड़ दी थी। मैं तो दो दिन तक चल भी नहीं पा रही थी।

डॉली: ओह ये तो बहुत ख़राब बात है। आपने उसकी पुलिस में नहीं पकड़वा दिया?

शशी: अरे मैं तो अपनी मर्ज़ी से ही चु- मतलब करवाई थी तो पुलिस को क्यों बुलाती।

डॉली: ओह अब मैं क्या बोलूँ इस बारे में। तो फिर आप उनसे एक बार ही करवाई थी या बाद में भी करवाई थी?

शशी: आठ दस बार तो करवाई ही होंगी। बाद में बहुत मज़ा आता था उनसे करवाने में।

डॉली: ओह, ऐसा क्या?

शशी: उनके हथियार की याद आती है तो मेरी बुर खुजाने लगती है। ये कहते हुए उसने अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी बुर खुजा दी।

डॉली हैरानी से देखने लगी कि वो क्या कर रही है।

डॉली के लिए ये सब नया और अजीब सा था।
फिर वह बोली: अच्छा चलो ,अब खाना बन गया ना, मैं अपने कमरे में जाती हूँ।

राज उनकी सेक्सी बातें सुनकर अपने खड़े लौड़े को दबाकर मस्ती से भर उठा। और इसके पहले कि डॉली बाहर आती वह वहाँ से निकल गया।

डॉली अपने कमरे में आकर सोचने लगी कि शशी के साथ उसने क्यों इतनी सेक्सी बातें कीं । वह इस तरह की बातें कभी भी वह किसी से नहीं करती थी। तभी जय का फ़ोन आया: कैसी हो मेरी जान? बहुत याद आ रही है तुम्हारी?

डॉली: ठीक हूँ मुझे भी आपकी याद आ रही है। आ जाओ ना अभी घर। डॉली का हाथ अपनी बुर पर चला गया और वह भी शशी की तरह अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से खुजाने लगी।

जय: जान, बहुत ग्राहक हैं आज , शायद ही समय मिले आने के लिए। जानती हो ऐसा मन कर रहा है कितुमको अपने से चिपका लूँ और सब कुछ कर लूँ। वह अपना मोटा लौड़ा दबाकर बोला।

डॉली: मुझे भी आपसे चिपटने की इच्छा हो रही है। चलिए कोई बात नहीं आप अपना काम करिए । बाई ।

फिर वह टी वी देखने लगी।

उधर शशी घर जाने के पहले राज के कमरे में गयी तो वह उसे पकड़कर चूमा और बोला: क्या बातें कर रही थीं बहू के साथ?

शशी हँसकर बोली: बस मस्ती कर रही थी। पर सच में बहुत सीधी लड़की है आपकी बहू । आपको उसको छोड़ देना चाहिए।

राज: मैंने उसको कहाँ पकड़ा है जो छोड़ूँगा ?

शशी: मेरा मतलब है कि इस प्यारी सी लड़की पर आप बुरी नज़र मत डालो।

राज: अरे मैंने कहाँ बुरी नज़र डाली है। बहुत फ़ालतू बातें कर रही हो। ख़ुद उससे गंदी बातें कर रही थी और अपनी बुर खुजा रही थी, मैंने सब देखा है।

शशी हँसकर: मैं तो उसे टटोल रही थी कि कैसी लड़की है। सच में बहुत सीधी लड़की है।

राज: अच्छा चल अब मेरा लौड़ा चूस दे घर जाने के पहले। ये कहकर वह अपनी लूँगी उतार दिया और बिस्तर पर पलंग के सहारे बैठ गया। उसका लौड़ा अभी आधा ही खड़ा था। शशी मुस्कुराकर झुकी और लौड़े को ऊपर से नीचे तक चाटी और फिर उसको जैसे जैसे चूसने लगी वह पूरा खड़ा हो गया और वह मज़े से उसे चूसने लगी। क़रीब १५ मिनट के बाद राज ह्म्म्म्म्म कहकर उसके मुँह में झड़ गया और शशी उसका पूरा रस पी गयी। बाद में उसने लौड़े को जीभ से चाट कर साफ़ कर दिया। फिर थोड़ा सा और चूमा चाटी के बाद वह अपने घर चली गयी।

दोपहर को क़रीब एक बजे डॉली ने राज का दरवाज़ा खड़खड़ाया और बोली: पापा जी खाना लगाऊँ क्या?

राज अंदर से ही बोला: हाँ बेटी लगा दो।

डॉली ने खाना लगा दिया तभी राज लूँगी और बनियान में बाहर आया। डॉली पूरी तरह से साड़ी से ढकी हुई थी। दोनों आमने सामने बैठे और खाना खाने लगे। राज उससे इधर उधर की बातें करने लगा और शीघ्र ही वह सहज हो गयी।

राज ने खाने की भी तारीफ़ की और फिर दोनों अपने अपने कमरे ने चले गए। इसी तरह शाम की भी चाय साथ ही में पीकर दोनों थोड़ी सी बातें किए। शशी शाम को आकर चाय और डिनर बना कर चली गयी। जय दुकान बंद करके आया और डॉली की आँखें चमक उठीं। जय अपने पापा से थोड़ी सी बात किया और अपने कमरे में चला गया। डॉली भी अंदर पहुँची तब वह बाथरूम में था। जब वह बाथरूम से बाहर आया तो वह पूरा नंगा था उसका लौड़ा पूरा खड़ा होकर उसके पेट को छूने की कोशिश कर रहा था। डॉली की बुर उसे देखकर रस छोड़ने लगी । वह शर्माकर बोली: ये क्या हो रहा है? ये इतना तना हुआ और ग़ुस्से में क्यों है?

जय आकर उसको अपनी बाहों में भर लिया और होंठ चूसते हुए बोला: जान आज तो पागल हो गया हूँ , बस अभी इसे शांत कर दो प्लीज़।
डॉली: हटिए अभी कोई टाइम है क्या? डिनर कर लीजिए फिर रात को कर लीजिएगा।

जय ने उसका हाथ अपने लौड़े पर रख दिया और डॉली सिहर उठी और उसे मस्ती से सहलाने लगी। उसका रहा सहा विरोध भी समाप्त हो गया। जय ने उसके ब्लाउस के हुक खोले और उसके ब्रा में कसे आमों को दबाने लगा। डॉली आऽऽऽऽह कर उठी। फिर उसने उसकी ब्रा का हुक भी खोला और उसके कप्स को ऊपर करके उसकी नंगी चूचियों पर टूट पड़ा। उनको दबाने के बाद वह उनको खड़े खड़े ही चूसने लगा। डॉली उइइइइइइइ कर उठी।


अब उसने डॉली को बिस्तर पर लिटाया और उसकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर करके उसकी पैंटी के ऊपर से बुर को दबाने लगा। डॉली हाऽऽऽय्यय करके अपनी कमर ऊपर उठायी। फिर उसने उसकी पैंटी उतार दी और उसकी बुर में अपना मुँह घुसेड़ दिया । अब तो डॉली की घुटी हुई सिसकियाँ निकलने लगीं। उसकी लम्बी जीभ उसकी बुर को मस्ती से भर रही थी। फिर उसने अपना लौड़ा उसकी बुर के छेद पर रखा और एक धक्के में आधा लौड़ा पेल दिया। वह चिल्ला उठी आऽऽऽऽऽह जीइइइइइइ । फिर वह उसके दूध दबाकर उसके होंठ चूसते हुए एक और धक्का मारा और पूरा लौड़ा उसकी बुर में समा गया। अब वह अपनी कमर दबाकर उसकी चुदाई करने लगा। डॉली भी अपनी गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी। कमरे में जैसे तूफ़ान सा आ गया। दो प्यासे अपनी अपनी प्यास बुझाने में लगे थे। पलंग चूँ चूँ करने लगा। कमरा आऽऽऽऽहहह उइइइइइइ हम्म और उन्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ों से भरने लगा। क़रीब दस मिनट की चुदाई के बाद दोनों झड़ने लगे और एक दूसरे से बुरी तरह चिपट गए।

थोड़ी देर चिपके रहने के बाद वो अलग हुए और डॉली जय को चूमते हुए बोली: थैंक्स , सच मुझे इसकी बहुत ज़रूरत थी।

जय शरारत से : किसकी ज़रूरत थी?

डॉली शर्मा कर उसके गीले लौड़े को दबाकर बोली: इसकी ।

जय: इसका कोई नाम है?

डॉली पास आकर उसके कान में फुसफ़सायी: आपके लौड़े की। ओ के ?

जय हँसकर: हाँ अब ठीक है। फिर उसकी बुर को सहला कर बोला: मुझे भी तुम्हारी बुर की बड़ी याद आ रही थी। दोनों फिर से लिपट गए। डॉली बोली: चलो अब डिनर करते हैं। पापा सोच रहे होंगे कि ये दोनों क्या कर रहे है अंदर कमरे में?

जय हँसक : पापा को पता है कि नई शादी का जोड़ा कमरे में क्या करता है। हा हा ।

फिर दोनों फ़्रेश होकर बाहर आए। डिनर सामान्य था। बाद में राज सोने चला गया और ये जोड़ा रात में दो बार और चुदाई करके सो गया । आज डॉली ने भी जी भर के उसका लौड़ा चूसा और उन्होंने बहुत देर तक ६९ भी किया । पूरी तरह तृप्त होकर दोनों गहरी नींद सो गए।

दिन इसी तरह गुज़रते गए। राज दिन में एक बार शशी से मज़ा ले लेता था और जय और डॉली की चुदाई रात में ही हो पाती थी। सिवाय इतवार के, जब वो दिन में भी मज़े कर लेते थे। अब डॉली की भी शर्म कम होने लगी थी। अब वह घर में सुबह गाउन पहनकर भी रहती थी और राज पूरी कोशिश करता कि वह उसके मस्त उभारो को वासना की दृष्टि से ना देखे। वह जब फ्रिज से सामान निकालने के लिए झुकती तो उसकी मस्त गाँड़ राज के लौड़े को हिला देती। पर फिर भी वह पूरी कोशिश कर रहा था कि किसी तरह वह इस सबसे बच सके और अपने कमीनेपन को क़ाबू में रख सके। और अब तक वो इसमे कामयाब भी था।

एक दिन उसने डॉली की माँ रश्मि को अमित के साथ बुलाया और एक होटेल के कमरे में उसकी ज़बरदस्त चुदाई की। शाम को अमित और रश्मि डॉली से मिलने आए। डॉली बहुत ख़ुश थी। राज ने ऐसा दिखाया जैसे वह भी अभी उनसे मिल रह रहा हो। जबकि वो सब होटेल में दिन भर साथ साथ थे।

फिर वो दोनों वापस चले गए। रात को जय , डॉली और राज डिनर करते हुए रश्मि की बातें किए और जय को अच्छा लगा की डॉली अपनी माँ से मिलकर बहुत ख़ुश थी।

दिन इसी तरह बीतते गए। सब ठीक चल रहा था कि डॉली के शांत जीवन में एक तूफ़ान आ गया।
उस दिन रोज़ की तरह जब सुबह ७ बजे डॉली उठी और किचन में गयी तो शशी चाय बना रही थी । डॉली को देख कर शशी मुस्कुराती हुई बोली : भाभी नींद आयी या भय्या ने आज भी सोने नहीं दिया ?

डॉली: आप भी बस रोज़ एक ही सवाल पूछतीं हो। सब ठीक है हम दोनों के बीच। हम मज़े भी करते हैं और आराम भी। कहते हुए वह हँसने लगी।

शशी भी मुस्कुराकर चाय का कप लेकर राज के कमरे में गयी। राज मोर्निंग वॉक से आकर अपने लोअर को उतार रहा था और फिर वह जैसे ही चड्डी निकाला वैसे ही शशी अंदर आयी और मुस्कुराकर बोली: वाह साहब , लटका हुआ भी कितना प्यारा लगता है आपका हथियार। वह चाय रखी और झुक कर उसके लौड़े को चूम लिया। राज ने उसको अपने से लिपटा लिया और उसके होंठ चूस लिए। फिर वह लूँगी पहनकर बैठ गया और चाय पीने लगा। उसकी लूँगी में एक छोटा सा तंबू तो बन ही गया था।

शशी: आजकल आप घर में चड्डी क्यों नहीं पहनते?

राज : अब घर में चड्डी पहनने की क्या ज़रूरत है। नीचे फंसा सा लगता है। ऐसे लूँगी में फ़्री सा लगता है।

शशी: अगर बहू का पिछवाड़ा देख कर आपका खड़ा हो गया तो बिना चड्डी के तो वो साफ़ ही दिख जाएगा।

राज: जान बस करो क्यों मेरी प्यारी सी बहू के बारे में गंदी बातें करती हो? तुम्हारे रहते मेरे लौड़े को किसी और की ज़रूरत है ही नहीं। ये कहते ही उसने उसकी चूतरों को मसल दिया । शशी आऽऽह करके वहाँ से भाग गयी।

डॉली ने चाय पीकर जय को उठाया और वह भी नहाकर नाश्ता करके दुकान चला गया। उसके जाने के बाद डॉली भी नहाने चली गयी। शशी भी राज के कमरे की सफ़ाई के बहाने उसके कमरे में गयी जहाँ दोनों मज़े में लग गए ।
डॉली नहा कर आइ और तैयार होकर वह किचन में गयी। वहाँ उसे सब्ज़ी काटने का चाक़ू नहीं मिला। उसने बहुत खोजा पर उसे जब नहीं मिला तो उसने सोचा कि ससुर के कमरे से शशी को बुलाकर पूछ लेती हूँ। वह ससुर के कमरे के पास जाकर आवाज़ लगाने ही वाली थी कि उसे कुछ अजीब सी आवाज़ें सुनाई पड़ी। वह रुक गयी और पास ही आधी खुली खिड़की के पास आकर सुनने की कोशिश की। अंदर से उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ गन्न्न्न्न्न्न्न ह्म्म्म्म्म की आवाज़ आ रही थी। वह धीरे से कांपते हुए हाथ से परदे को हटा कर अंदर को झाँकी। अंदर का दृश्य देखकर वह जैसे पथ्थर ही हो गयी। शशी बिस्तर पर घोड़ी बनी हुई थी और उसकी साड़ी ऊपर तक उठी हुई थी। पीछे उसका ससुर कमर के नीचे पूरा नंगा था और उसकी चुदाई कर रहा था। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ये क्या हो रहा है। क्या कोई अपनी नौकशशी से भी ऐसा करता है भला! इसके पहले कि वह वहाँ से हट पाती राज चिल्लाकर ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। जब उसने अपना लौड़ा बाहर निकाला तो उसका मोटा गीला लौड़ा देखकर उसका मुँह खुला रह गया। उसे अपनी बुर में हल्का सा गीलापन सा लगा। वह उसको खुजा कर वहाँ से चुपचाप हट गयी।

अपने कमरे में आकर वह लेट गयी और उसकी आँखों के सामने बार बार शशी की चुदाई का दृश्य और पापा का मोटा लौड़ा आ रहा था। वह सोची कि बाप बेटे के लौड़े एकदम एक जैसे हैं, मोटे और लम्बे। पर जय का लौड़ा थोड़ा ज़्यादा गोरा है पापा के लौड़े से। उसे अपने आप पर शर्म आयी कि छि वो पापा के लौड़े के बारे में सोच ही क्यों रही है !!

फिर उसका ध्यान शशी पर गया और वह ग़ुस्से से भर गयी। ज़रूर उसने पापा के अकेलेपन का फ़ायदा उठाया होगा और उनको अपने जाल में फँसा लिया होगा। पापा कितने सीधे हैं, वो इस कमीनी के चक्कर में फँस गए बेचारे, वो सोचने लगी।

भला उसको क्या पता था कि हक़ीक़त इसके बिपरीत थी और असल में राज ने ही शशी को फ़ांसा थ।

वह सोची कि क्या जय को फ़ोन करके बता दूँ । फिर सोची कि नहीं वह अपने पापा को बहुत प्यार करते हैं और उनके बारे में ये जानकार वह दुःखी होगा। उसे अभी नहीं बताना चाहिए, हाँ समय आने पर वह उसे बता देगी। क़रीब आधे घंटे तक सोचने के बाद वह इस निश्चय पर पहुँची कि शशी को काम से निकालना ही इस समस्या का हल है। वो बाहर आइ तो देखा कि राज बाहर जाने के लिए तैयार था। ना चाहते हुए भी उसकी आँख राज के पैंट के अगले भाग पर चली गयी। पैंट के ऊपर से भी वहाँ एक उभार सा था। जैसे पैंट उसके बड़े से हथियार को छुपा ना पा रही हो। वह अपने पे ग़ुस्सा हुई और बोली: पापा जी कहीं जा रहे हैं क्या?

राज: हाँ बहू , बैंक जा रहा हूँ। और भी कुछ काम है १ घंटा लग जाएगा। वो कहकर चला गया।

अब डॉली ने गहरी साँस ली और शशी को आवाज़ दी। शशी आइ तो थोड़ी थकी हुई दिख रही थी।

डॉली: देखो शशी आज तुमने मुझे बहुत दुःखी किया है।

शशी: जी, मैंने आपको दुःखी किया है? मैं समझी नहीं।

डॉली: आज मैंने तुमको पापा के साथ देख लिया है। आजतक मैं सोचती थी कि तुम इतनी देर पापा के कमरे में क्या करती हो? आज मुझे इसका जवाब मिल गया है। छि तुम अपने पति को धोका कैसे दे सकती हो। पापा को फँसा कर तुमने उनका भी उपयोग किया है। अब तुम्हारे लिए इस घर में कोई ज़रूरत नहीं है। तुम्हारा मैंने हिसाब कर दिया है। लो अपने पैसे और दूसरा घर ढूँढ लो।
शशी रोने लगी और बोली: एक बार माफ़ कर दो भाभी।

डॉली: देखो ये नहीं हो सकता। अब तुम जाओ और अब काम पर नहीं आना।

ये कहकर वो वहाँ से हट गयी। शशी रोती हुई बाहर चली गयी।

राज वापस आया तो थोड़ा सा परेशान था। वो बोला: बहू , शशी का फ़ोन आया था कि तुमने उसे निकाल दिया काम से?
डॉली: जी पापा जी, वो काम अच्छा नहीं करती थी इसलिए निकाल दिया। मैंने अभी अपने पड़ोसन से बात कर ली है कल से दूसरी कामवाली बाई आ जाएगी।

राज को शशी ने सब बता दिया था कि वह क्यों निकाली गयी है, पर बहू उसके सम्मान की रक्षा कर रही थी। जहाँ उसे एक ओर खीझ सी हुई कि उसकी प्यास अब कैसे बुझेगी? वहीं उसको ये संतोष था कि उसकी बहू उसका अपमान नहीं कर रही थी। वह चुपचाप अपने कमरे में चला गया। पर उसकी खीझ अभी भी अपनी जगह थी।

उस दिन शाम की चाय और डिनर भी डॉली ने ही बनाया था। राज डॉली से आँखें नहीं मिला पा रहा था। डिनर के बाद सब अपने कमरों में चले गए। डॉली ने जय को बताया कि शशी को काम से निकाल दिया है। जय ने कहा ठीक है दूसरी रख लो। उसने कोई इंट्रेस्ट नहीं दिखाया और उसकी चूची दबाकर उसे गरम करने लगा।डॉली ने भी उसका लौड़ा पकड़ा और उसको दबाकर पापा के लौड़े से तुलना करने लगी। शायद दोनों बाप बेटे का एक सा ही था ।जल्दी ही जय चुदाई के मूड में आ गया और उसे चोदने लगा। डॉली ने भी सोचा कि इनको क्यों बताऊँ फ़ालतू में दुःखी होंगे, अपने पापा की करतूत जानकार।

चुदाई के बाद दोनों लिपट कर सो गए। पर डॉली की आँखों में अभी भी पापा का मस्त लौड़ा घूम रहा था और वह भी सो गयी।
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#16
उधर राज की आँखों से नींद ग़ायब थीं । वह सोचने लगा कि कहीं बहू ने सब बातें जय को बता दी होगी। फिर सोचा नहीं वह नहीं बताएगी। वह चाहेगी कि बाप बेटे में कोई दूरी ना हो। यह सब सोचते हुए वह सो गया।
अगले दिन डॉली सुबह उठकर चाय बनाई और राज के कमरे का दरवाज़ा खटखटाई और बोली: पापा जी चाय लाऊँ?

राज देर तक सोने के कारण आज वॉक पर भी नहीं गया था । वह उठा और उसकी लूँगी में मॉर्निंग इरेक्शन का तंबू बना हुआ था। वह बोला: मैं अभी बाहर आता हूँ वहीं पी लूँगा।

डॉली ने चाय डाइनिंग टेबल पर रखी और ख़ुद चाय पीने लगी। थोड़ी देर बाद राज बाहर आया तो हमेशा की तरह डॉली ने उसके पैर छुए और गुड मोर्निंग किया। राज ने उसे आशीर्वाद दिया और चाय पीने लगा। उसने देखा कि आज भी वह गाउन पहनी थी पर वह अब उसे वह टाइट हो रही थी क्योंकि वह अच्छा खाने और शायद बढ़िया चुदाई के चलते थोड़ी भर रही थी। उसकी चूचियाँ गाउन को दबा रही थी और उसके चूतरों के उभार भी गाउन से मस्त दिखने लग रहे थे।हालाँकि उसने कपड़े सही पहने थे और उसमें से कोई अंग प्रदर्शन नहीं हो रहा था। पर गाउन से भी वह बहुत मादक लग रही थी। राज की लूँगी में हलचल शुरू हो गयी। इसलिए वह उठकर वहाँ से चला गया।

राज अपने कमरे में आकर डॉली की जवानी का सोचकर गरम होने लगा । फिर वह सोचा कि उसे अपना ध्यान बटाना होगा ।ये सोचकर वह तैयार होकर बाहर चला आया और नाश्ता करके घर से बाहर जाने लगा। डॉली और जय अभी नाश्ता कर रहे थे।

डॉली: पापा जी आज मैं आपके साथ सब्ज़ी वग़ैरह लेने जाना चाहती हूँ , आप ले जाएँगे क्या? वो क्या है ना, मुझे यहाँ का कुछ पता नहीं है ना, इसीलिए आपकी मदद चाहिए। पड़ोसन कह रही थी कि जयजी चौक का सब्ज़ी बाज़ार सबसे अच्छा है।

राज: हाँ हाँ बेटी क्यों नहीं , मैं थोड़ी देर में आता हूँ तब चलेंगे। पर जयजी चौक में तो बेटी बहुत भीड़ होती है।

यह कहकर राज अपने एक दोस्त से मिलने निकल गया। उसकी पास ही में एक दुकान थी चश्मों की जिसमें उसका एक पुराना दोस्त पटेल बैठा था। पटेल उसे देखकर बहुत ख़ुश हुआ और बोला: अरे यार आज रास्ता कैसे भूल गए? आओ बैठो।

राज उसके पास बैठा और दोनों पुराने दिनों की बातें करने लगे। तभी बातें राज की बीवी की मौत की ओर चली गयीं। पटेल बोला: यार , भाभी जी ने तुझे धोका दे दिया। एकदम से चली गयी।

राज : हाँ यार एकदम से अकेला हो गया हूँ।

पटेल: यार सच में बहुत मुश्किल है बिना बीवी के रहना। हालाँकि इस उम्र में रोज़ मज़े नहीं करना होता है पर हफ़्ते में एक दो दिन तो मज़े का मूड बन ही जाता है। उसपर बीवी का ना होना सच में मुश्किल होता होगा।

राज: क्या तू सच में अभी भी भाभीजी के भरोसे ही है क्या? यहाँ वहाँ मुँह भी तो मारता होगा?

पटेल: अरे अब तुमसे क्या पर्दा भला। तुम्हारी भाभी के साथ तो हफ़्ते में एक बार हो ही जाता है। और मैं सामान लेने हर महीने मुंबई जाता हूँ और कम से कम दो रात वहाँ होटेल में गुज़ारता हूँ। वहाँ मेरी सेटिंग है रात में २०/२२ साल की एक लौड़िया आ जाती है पूरी रात साली के साथ चिपका रहता हूँ। पूरे पैसे वसूल करता हूँ।

राज: वाह भाई , तुम तो छिपे रूसतम निकले। वैसे यहाँ भी तो होटलों में लौंडियाँ मिलती होंगी।

पटेल: यहाँ कोई भी जान पहचान का मिल सकता है, वहाँ कौन अपने को जानता है भला?

राज: हाँ ये तो रिस्क है यहाँ करने में ।

पटेल: यार तू दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेता।

राज: अरे अभी तो मेरे बेटे की शादी हुई है अब इस उम्र में मैं क्या शादी करूँगा यार।

पटेल: अरे अपने गाँव साइड में तो हमारी उम्र के बूढ़ों को भी मस्त जवान लौड़िया मिल जाती हैं शादी के लिए बस कुछ पैसा फेंकना पड़ता है और तूने पैसा तो बहुत कमाया है यार।

राज : चल छोड़ ये सब बातें। फिर वह वहाँ से वापस आ गया।

जब वह घर पहुँचा तो जय दुकान जा चुका था और डॉली एक नई नौकशशी से काम करवा रही थी। वह कोई ४० के आसपास की काली सी औरत थी और राज ने अपनी क़िस्मत को कोसा कि इस बार बहु ने ऐसी औरत चुनी है जिसे देखकर खड़ा लौड़ा भी मुरझा जाए।पर वह बोला: अरे बहु तुम तैयार नहीं हुई बाज़ार जाना था ना?

डॉली: बस पापा अभी ५ मिनट में तैयार होकर आती हूँ। ये नई बाई है कमला। इसे काम समझा रही थी। ये कहकर वह अपने कमरे में चली गयी और १० मिनट में तैयार होकर आइ। राज उसका इंतज़ार सोफ़े में बैठा टी वी देखकर कर रहा था। डॉली: पापा चलें ?

राज ने आँखें उठाईं और डॉली को देखता ही रह गया। गुलाबी सलवार सूट में वो बहुत प्यारी लग रही थी। ये कपड़े भी अब उसे थोड़े टाइट हो चले थे। पर उसने चुन्नी इस तरह से ली थी जिसमें उसकी छातियाँ पूरी ढकीं हुई थी।
सच में उसकी बहु नगीना याने हीरा थी ,वह सोचा।

फिर दोनों बाहर आए और कार में बैठकर सब्ज़ी बाज़ार की तरफ़ चल पड़े। रास्ते में राज उसे शहर के ख़ास बाज़ार और मुहल्लों के बारे में बताने लगा। वह बड़े ध्यान से सुन रही थी। तभी सब्ज़ी मार्केट आ गयी ।दोनों कार से उतरे और डॉली हाथ में थैला पकड़कर चल पड़ी। राज उसके पिच्छे चलने लगा। उसने ऊँची एड़ी का सेंडल पहनी थी और उसके चूतड़ सलवार में मस्त मटक रहे थे। राज का लौड़ा अकडने लगा। तभी वह एक सब्ज़ी वाले के यहाँ रुकी और झुक कर टमाटर पसंद करने लगी। अब उसकी चुन्नी ढलक गयी थी और उसकी मस्त छातियाँ सामने तनी हुए दिखाई दे रहीं थे। उसके चूतड़ भी पीछे से मस्त कशिश पैदा कर रहे थे। उफ़्फ़्फ़्ग्ग क्या मस्ती है इस लौड़िया में। तभी एक आदमी वहीं से गुज़रा और उसने झुकी हुई डॉली की गाँड़ पर हाथ फेरा और चला गया।

राज को ग़ुस्सा आया पर वह आदमी ग़ायब हो चुका था। डॉली एकदम से पलट कर देखी तब तक वह आदमी जा चुका था। राज उसके पीछे आकर खड़ा हुआ और बोला: बेटी, अब मैं यहाँ खड़ा हूँ तुम आराम से सब्ज़ी पसंद करो।

डॉली: ठीक है पापा जी। वह अब अपने काम में लग गयी।
राज अब अच्छी तरह से उसकी गाँड़ का जायज़ा ले रहा था और अपने लौड़े को adjust कर रहा था। तभी राज को एक साँड़ आता दिखा और वह राज के बिलकुल बग़ल में आ गया और उसे रास्ता देने के लिए उसे आगे को होना पड़ा तभी उसका पैंट के अंदर से उसका लौड़ा उसकी चूतरों पर टकराने लगा। डॉली सकपका कर उठने की कोशिश की और तभी वह साँड़ राज से टकराने लगा और राज आगे को हुआ और फिर डॉली उसकी ठोकर से आगे को गिरने लगी। तभी राज ने उसके कमर पर हाथ डाला और उसे अपने क़रीब खींच लिया और वह नीचे गिरने से बच गयी । राज का अगला हिस्सा अब डॉली के पिछवाड़े से पूरी तरह चिपक गया था। डॉली को भी उसके कड़े लौड़े का अहसास अपनी गाँड़ पर होने लगा था। राज का हाथ उसकी कमर पर चिपका हुआ था। डॉली पीछे को मुड़ी और उसने साँड़ को वहाँ से जाते देखा । वह समझ गयी कि क्या हुआ है। वह बोली: पापा जी साँड़ चला गया, अब मुझे छोड़ दीजिए।

राज झेंप कर पीछे को हुआ और अपने पैंट को अजस्ट करने लगा। डॉली की आँखें उसकी पैंट पर पड़ी और वह शर्म से दोहरी हो गयी। वो सोची – हे भगवान ! ये पापा को क्या हो गया? वो इतने उत्तेजित मुझे छू कर हो गए क्या? फिर उसने अपनी आँखें वहाँ से हटाई और पैसे देने लगी।

राज: बेटी, मैंने बोला था ना कि यहाँ बहुत भीड़ रहती है। चलो तुम्हारी सब्ज़ी हो गयी या अभी और लेना है।

डॉली: पापा जी अभी और लेनी है, चलिए उधर भीड़ नहीं है वहाँ से लेते हैं।

दिर उन्होंने सब्ज़ी ख़रीदी और वापस घर आए। डॉली थोड़ी सी हिल सी गयी थी कि पापा उसे छू कर इतने उत्तेजित क्यों हो गए। क्या वो उसे ग़लत निगाह से देखते है। उसे थोड़ा ध्यान से रहना होगा अगर पापा जी उसके बारे में कुछ ऐसा वैसा सोचते हैं तो । फिर उसने अपने आप को कोसा और सोची कि छि पापा के बारे में वो ऐसा कैसे सोच सकती है। अब वह आराम करने लगी।
राज अपने कमरे में आकर डॉली के स्पर्श को याद करके बुरी तरह उत्तेजित हो उठा और अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाने लगा। उफफफफ क्या मस्त लगा था जब उसका लौड़ा उसके चूतरों में रगड़ खा रहा था। वह उसकी अपनी बहू थी ये उसे और भी मस्त कर रहा था।
तभी बाहर से डॉली की आवाज़ आइ: पापा जी खाना लगाऊँ क्या?

राज: हाँ लगाओ मैं आता हूँ। फिर दोनों खाना खाए। डॉली ने नोटिस किया कि आज राज की आँखें बार बार उसकी छाती पर जा रही हैं। जब वह पानी डालने को उठी तब वह उसके पिछवाड़े को ताड़ रहा था , यह उसने कनख़ियों से साफ़ साफ़ देखा। वह मन ही मन थोड़ी परेशान होने लगी थी। फिर जब वह बर्तन उठाकर किचन में रख रही थी तब भी वह उसे ताड़ें जा रहा था। और डॉली ने देखा कि वह अपनी लूँगी में अपना लौड़ा भी ऐडजस्ट किया। उसने सोचा की हे भगवान, ये पापा जी को आख़िर एकदम से क्या हो गया।

बाद में अपने कमरे ने आकर वह सोची कि क्या जय को सब बता देना चाहिए? मन ने कहा कि वह बेकार में परेशान होगा और वैसे भी उसके पास इस बात का कोई सबूत भी तो नहीं है।

उधर जैसे जैसे समय बीत रहा था राज की दीवानगी अपनी बहू के लिए बढ़ती ही जा रही थी। इसी तरह दिन बीत रहे थे। अब राज में एक परिवर्तन आ गया था कि वह अब खूल्लम ख़ूल्ला बहू को घूरता था और अपने लूँगी पर हाथ रख कर अपने लौड़े को मसल देता था। वह इस बात की भी परवाह नहीं करता था कि डॉली देख रही है या नहीं। डॉली की परेशानी का कोई अंत ही नहीं था। वह सब समझ रही थी , पर अनजान बनने का नाटक कर रही थी । शायद इसके अलावा उसके पास कोई उपाय भी नहीं था। वह जय से भी कुछ नहीं कह पा रही थी।
इधर जय की भूक़ भी सेक्स के लिए बढ़ती जा रही थी। वह घर आते ही डॉली को अपने कमरे में ले जाता और फिर उसको बिस्तर पर पटक देता था और पागलों की तरह उसका बदन चूमने लगता था। फिर वह उसकी चूचियों को दबाकर और चूस चूस कर लाल कर देता था । उसके निप्पल को रगड़कर डॉली को मस्त करना उसने सीख लिया था। फिर वह उसकी बुर में मुँह डालकर कम से कम १० मिनट चूसता था और फिर उसे कभी नीचे लिटा कर या कभी घोड़ी बनाकर या कभी उसको बग़ल में लिटा कर साइड के करवट से चोदता था। आधे घंटे की चुदाई में डॉली की चूत के साथ साथ आत्मा भी तृप्त हो जाती थी। बाद में डिनर के बाद तो वह जो उसके कपड़े उतारता था तो वह दोनों रात भर नंगे ही रहते थे। इस वक़्त डॉली और वो ६९ करते थे। डॉली ने भी लौड़ा चूसना सीख लिया था। उसे बड़ा अजीब लगता जब जय उसकी बुर चाटते हुए उसकी गाँड़ के छेद को भी चाट लेता। इस बार की चुदाई में डॉली को ऊपर रहना अच्छा लगता था। इस तरह से वो अपने मज़े को चरम सीमा में पहुँचाने की कला भी सीख ली थी। जय के हाथ उसकी हिलती चूचियों और चूतरों पर रहते थे और बीच बीच में वह उसकी गाँड़ में ऊँगली भी करता था। चरमसीमा पर पहुँच कर अब डॉली खुल कर चीख़ने भी लगी थी। जय उसको गंदी बातें बोलने के लिए उकसाता और वह भी मस्ती में गंदी बातें बोलने लगी थीं।

जैसे उस रात जब वो उसकी बुर चाट रहा था तो डॉली चिल्ला रही थी: आऽऽऽऽऽह उइइइइइ

जय: जान , मज़ा आ रहा है?

डॉली: आऽऽऽऽँहह बहुत ।

जय: कहाँ मज़ा आ रहा है?
डॉली: हाऽऽऽऽऽय्य मेरीइइइइइइ बुर मेंएएएएएएए।

जय: अब क्या करूँ ?

डॉली: चोओओओओओओओओदो नाआऽऽऽऽऽ प्लीज़। उग्फ़्फ़्ग्ग्ग्ग ।
इस तरह अब डॉली भी उसके रंग में रंग गयी थी।

उनकी रात की आख़री चुदाई रात के ११ बजे होती थी जो साइड के पोज़ में होती थी और जय के हाथ उसकी कमर, चूतरों और गाँड़ के छेद में होते थे। जय उसको मानसिक रूप से गाँड़ मरवाने के लिए भी तैयार कर रहा था ।वो क़रीब आख़री चुदाई के बाद १२ बजे सोते थे। डॉली अनुभव कर रही थी कि जय चुदाई में वेरायटि खोजता रहता है। वैसे दोनों अब अनुभवी चुदक्कड बन चुके थे। और अब वो गंदी और अश्लील बातें भी करने लगे थे।

जीवन इसी तरह बीत रहा था। डॉली पूरी तरह से एक तृप्त नारी थी और उधर उसका ससुर पूरी तरह से अतृप्त पुरुष !!!

इसी तरह कई दिन बीत गए। उस दिन क़रीब दोपहर के १ बजे थे। राज अपने कमरे ने टीवी देख रहा था और वह सोफ़े पर बैठी अपनी माँ से फ़ोन पर बातें कर रहीं थी। कमला काम करके जा चुकी थी। तभी घंटी बजी और वह उठी और दरवाजे के पास आकर बोली: कौन है?

बाहर से आवाज़ आइ: कूरीयर है मैडम।

डॉली ने दरवाज़ा खोला और बाहर दो आदमी खड़े थे । वो अंदर को झाँके और किसी को ना देखकर एक बोला: लगता है आप अकेली है अभी?

दूसरे ने पूछा: आपके पति तो काम पर गए हैं ना? कूरीयर में कौन साइन करेगा?

डॉली: हाँ वह दुकान में हैं , लायिए मैं साइन कर देता हूँ।

उन दोनों को यक़ीन हो गया कि वह शायद अकेली है घर पर । तभी वो दोनों एक झटके से अंदर आए और एक ने उसके मुँह पर अपना हाथ दबा दिया और दूसरे ने एक छुरी निकाल ली और उसे धमकाते हुए बोला: ख़बरदार आवाज़ निकाली तो काट दूँगा। डॉली घबरा गयी और बोलने की कोशिश की : आपको क्या चाहिए?

एक आदमी हँसते हुए उसकी चूचि दबा दिया और बोला: तू चाहिए और साथ में सोना रुपया जो भी मिल जाए। तभी दूसरे आदमी ने भी उसकी दूसरी चूचि दबा दी और बोला: साली मस्त माल है, चोदने में मज़ा आएगा। चल अंदर और तिजोरी खोल और माल निकाल। फिर तेरे से मज़ा करेंगे। ये कहते हुए उसकी चूचि ज़ोर से दबा दिया।

अब डॉली डर से काँपने लगी और अचानक ना जाने कहाँ से उसमें इतनी ताक़त आ गयी कि वह अपने मुँह में रखे हाथ को पूरी ताक़त से दाँत से काट दी और जैसे उसके मुँह से उस आदमी का हाथ हटा, वह ज़ोर से चिल्लाई: पापा जीइइइइइइइइ बचाओओओओओओओओ।

राज की टी वी देखते हुए शायद आँख लग गई थी और टी वी अभी भी चल रहा था, शायद इसलिए वह पहले की बातें नहीं सुन पाया था। पर डॉली की चीख़ उसने साफ़ साफ़ सुनी और वह बाहर की ओर आया। अब उसने डॉली को एक साथ दो आदमी के पकड़ से निकलने की कोशिश करते देखा तो वह समझ गया कि उसे क्या करना है। वह पीछे से तेज़ी से लपका और एक आदमी के पीठ में एक ज़ोरदार मुक्का मारा। वह आदमी दूसरे आदमी से टकराया और दोनों नीचे गिर गए। अब उसने दोनों की ज़बरदस्त धुनाई शुरू कर दी। राज एक बलिष्ठ पुरुष था और जल्दी ही वो दोनों उठ कर भागने में सफल हो गए।
राज उनके पीछे दौड़ा पर वो भाग गए।

जब वो वापस आया तब डॉली जो अब भी डर से काँप रही थी उससे पपाऽऽऽऽऽऽऽऽ कहकर लिपट गयी और रोने लगी। राज उसकी पीठ सहलाते हुए बोला: अरे बहू, वो चले गए। अब क्यों रो रही हो?

डॉली के आँसू थम ही नहीं रहे थे और वह उससे और ज़ोर से चिपट गयी और वह रोए जा रही थी।
राज ने भी उसे अब अपनी बाहों में भींच लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरकर बोला: बस बेटी अब चुप हो जाओ। सब ठीक हो गया ना अब तो? अब वह उसकी बाँह भी सहलाने लगा और फिर उसके गाल से आँसू भी पोछा । अब जब वो थोड़ी सामान्य हुई तो वह उसे सहारा देकर सोफ़े पर बैठा दिया और पानी लेकर आया। उसके बग़ल में बैठकर वह उसे पानी पिलाने लगा। डॉली की अभी भी हिचकियाँ बंधी हुई थीं। पाने पीने के बाद वो थोड़ा शांत हुई। अब राज ने उसके गाल से उसके आँसू पोंछे और बोला: बस बेटी, अब चुप हो जाओ। देखो सब ठीक है।

तभी फिर से घंटी बजी और डॉली एकदम से डर गयी और राज की गोद में बैठ गयी और अपना सिर उसके सीने में छुपा ली और बोली: पापा वो फिर आ गए। अब राज ने उसकी बाँह सहलाई और ज़ोर से पूछा: कौन है?

कोई बोला: साहब डोमिनो से आया हूँ पिज़्ज़ा लाया हूँ।

राज चिल्ला कर बोला: हमने नहीं मँगाया है। ग़लत ऐड्रेस होगा । अभी जाओ ।

उधर डॉली उसकी गोद में बैठी थर थर काँप रही थी। अब राज ने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और बड़े प्यार से उसके गालों को चूमा और बोला: बेटी, पिज़्ज़ा बोय था, बेकार में मत डरो।

डॉली अभी भी उसकी गोद में बैठी थी और उसकी छाती राज की छाती से सटी हुई थी। राज को भी अब अपनी जवान बहू के कोमल स्पर्श का अहसास हुआ और उसका लौड़ा लूँगी में अपना सिर उठाने लगा। अब वह झुककर उसके गाल को चूमा और उसकी बाँह सहलाते हुए बोला: वैसे बेटी ग़लती तो तुम्हारी है ही। तुमको दरवाज़ा खोलने के पहले डोर लैच लगाना चाहिए था। तुमने जाकर एकदम से दरवाज़ा खोल दिया। सोचो मैं ना होता घर पर तो क्या होता?

डॉली का बदन एक बार फिर डर से काँप उठा वह बोली: पापा जी वो तो मेरे साथ गंदे काम करने की बात कर रहे थे। सोना और पैसा भी माँग रहे थे।

राज ने अब उसके नंगे कंधे को सहलाया और बोला: बेटी उन्होंने तुम्हारे साथ कोई ग़लत हरकत तो नहीं किया?

डॉली थोड़ी सी शर्माकर: पापा जी वी बड़े कमीने थे उन्होंने मेरी छाती दबाई थी।

राज उसके ब्लाउस को छाती की जगह पर देखकर बोला: तभी यहाँ का कपड़ा बहुत मुड़ा सा दिख रहा है। क्या ज़ोर से दबाया था बेटी उन कमीनों ने?

डॉली: जी पापा जी बहुत दुखा था। वो रोने लगी।

अब राज ने उसके गाल चूमते हुए कहा : बेटी, अब चुप हो जाओ। तुम चाहो तो मैं वहाँ दवा लगा दूँ।

डॉली: नहीं पापा जी अब वहाँ ठीक है। पापा जी आज आप नहीं होते तो पता नहीं मेरा क्या होता। वो कमीने मेरा क्या हाल करते पता नहीं।

राज अपनी गोद में बैठी बहु को चूमा और बोला: बेटी, मेरे रहते तुमको कुछ नहीं हो सकता। पर आगे से दरवाज़ा ऐसे कभी नहीं खोलना ठीक है?

डॉली: जी पापा जी आगे से कभी ग़लती नहीं होगी।

तभी उसका मोबाइल बजा। डॉली: हाय जी।

जय: जान कैसी हो?

डॉली रोने लगी और बोली: आज तो पापा जी ने बचा लिया वरना मैं तो गयी थी काम से।

जय: क्या हुआ?

राज ने उसके हाथ से फ़ोन लिया और जय को पूरी बात बताई। वह उसको कहानी बताते हुए अपनी बहु के गाल और हाथ और गरदन सहला रहा था। अब उसका लौड़ा पूरा खड़ा हो चुका था। अचानक डॉली को अपनी गाँड़ में उसके लौड़ा चुभते हुए महसूस किया। वह चौकी और एकदम से खड़ी हुई और उसके गोद से उठकर वह बोली: पापा मैं बाथरूम से मुँह धोकर आती हूँ।

जय: पापा मैं अभी आता हूँ ! ये कहकर वह फ़ोन काट दिया।

उसके जाने के बाद राज उन लमहों के बारे में सोचता रहा जब वह उसकी गोद में बैठी थी। फिर अपना लौड़ा दबाकर अपने कमरे में चला गया।
इधर डॉली सोच रही थी कि आज पापा के कारण वह भारी मुसीबत से बच गयी। पापा कितने अच्छें है और कितने तगड़े हैं दो दो गुंडों से अकेले ही निपट लिए। जब वो रो रही थी तब भी कितने प्यार से उसे सहारा दिए। कैसे उसका हौंसला बढ़ाते रहे। वह पापा के लिए प्यार और आदर के भाव से भर उठी। पर तभी उसको याद आया कि उनका लौड़ा उसकी गाँड़ में कैसे चुभने लगा था? इसका मतलब तो ये हुआ कि वो उसको वासना की दृष्टि से भी देखते हैं।

फिर वह सोचने लगी कि शायद उसने जो शशी को काम से निकाल दिया था वो ग़लत हो गया । वो पापा की भूक़ शांत तो कर देती थी जो अब नहीं हो पा रही है। इसलिए शायद पापा उसके स्पर्श से गरम हो जाते होंगे। वो उलझने लगी कि इस समस्या का आख़िर हल क्या होगा? हे भगवान मुझे रास्ता दिखाइए ।

तभी फिर से घंटी बजी और वह फिर से डर गयी। वो बाहर आयी तो देखा कि पापा दरवाज़ा खोलने के पहले पूछे : कौन है?

जय की आवाज़ आइ: पापा मैं हूँ।

जैसे ही जय अंदर आया , डॉली उससे दौड़ कर लिपट गयी। राज के सामने वह पहली बार ऐसा कर रही थी। जय उससे प्यार करने लगा। वह फिर से रो पड़ी।

जय: पापा आज तो हम लोग लुट जाते। आप तो सूपरमैन निकले।

अब सब हँसने लगे।

जय और डॉली कमरे में चले गए। जय ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और प्यार करने लगा।

जय: उन लोगों ने तुमसे कोई बदमत्तिजी तो नहीं की?

डॉली: बहुत कमीने थे उन्होंने मेरी छाती बहुत ज़ोर से दबाई अभी तक दुःख रही है।

जय: ओह दिखाओ , कुछ क्रीम लगा देता हूँ। ये कहकर उसने ब्लाउस खोला और फिर ब्रा का स्ट्रैप भी निकाला और अब डॉली के बड़े दूध उसकी आँखों के सामने थे और उनके लाल लाल निशान थे उँगलियों के। वह निशान पर हाथ फेरकर बोला: ओह कमीनों ने बड़ी बेरहमी से मसला है। फिर वह पास से एक कोल्ड क्रीम की डिब्बी से क्रीम निकालकर उसकी छातियों में मलने लगा। उसकी मालिश से डॉली के बदन में तरंगें उठने लगीं और वह मस्ती से भरने लगी। अब जय का लौड़ा भी उसके नरम चूचियों के स्पर्श से खड़ा होने लगा। और जल्द ही डॉली की गाँड़ में चुभने लगा।

डॉली सिहर उठी और सोची कि यही हाल पापा जी का भी था कुछ देर पहले। बाप बेटा दोनों ही बहुत हॉर्नी मर्द हैं। अब वह भी गरम हो चुकी थी सो बोली: आऽऽऽऽहहह जी चूसिए ना इनको।बहुत मन कर रहा है चूसवाने को। जय ख़ुश होकर उसकी चूचियाँ चूसने लगा और अब डॉली की आऽऽऽह निकलने लगी।

उधर राज की हालत ख़राब थी , उसके विचारों से उसकी गोद में बैठी बहू के बदन का अहसास निकल ही नहीं रहा था और उसका लौड़ा अभी भी अकड़ा हुआ था। अब वह किचन में पानी पीने गया और उसे डॉली की आहें सुनाई दी धीरे से। वह रुका और दरवाज़े के पास आकर सुनने की कोशिश किया कि क्या डॉली अभी भी रो रही है?

पर जल्दी ही डॉली की सिसकियों की आवाज़ से वह समझ गया कि ये तो मस्ती की सिसकियाँ है। वह अब थोड़ा उत्तेजित हो गया और धीरे से खिड़की के पास आकर आधी खुली खिड़की से पर्दा हटाया । कमरे में काफ़ी रोशनी थी क्योंकि अभी दोपहर के २ बजे थे।

कमरे का दृश्य उसे एकदम से पागल कर दिया। जय बिस्तर पर लेता था और उसकी प्यारी सीधी साधी बहू पूरी नंगी उस के लौड़े पर बैठी थी और ऊपर नीचे होकर चुदाई में मस्त थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या दृश्य था। उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ बुरी तरह से हिल रही थीं जिसे जय दबाकर चूस रहा था। उसकी मोटी गाँड़ भी मस्त लग रही थी जो बुरी तरह से ऊपर नीचे हो रही थी और डॉली की आऽऽऽह और उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ हाऽऽऽऽयय्यय जीइइइइइइ बड़ा मज़ाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ रहाऽऽऽऽऽऽ है। उन्न्न्न्न्न्न्न्न की आवाज़ें राज को अपनी लूँगी खोलने को मज़बूर कर दिया और वह अपना लौड़ा मूठियाने लगा।

जय भी ह्म्म्म्म्म्म कहकर नीचे से धक्का मार रहा था। जल्दी ही दोनों ह्म्म्म्म्म्म्म उन्न्न्न्न्न्न करके झड़ने लगे और इधर राज ने भी अपना पानी अपनी लूँगी में छोड़ दिया। वो सोचने लगा कि साली बहू कितनी सीधी दिखती है पर चुदवाती किसी रँडी को तरह है। आऽऽऽऽऽह क्या मज़ा आएगा इसे चोदने में। वह वहाँ से अपने कमरे में आकर बहू के सपने में खो गया।

उधर डॉली उठी और बाथरूम से आकर कपड़े पहनी और बोली: चलो तैयार हो जाओ मैं खाना लगाती हूँ । आज देर हो गयी है। पापा जी क्या सोचेंगे।

वह खाना लगाकर राज को आवाज़ दी: पापा जी आ जायीये खाना लग गया है।

फिर तीनों ने खाना खाया और जय दुकान वापस चला गया। राज और डॉली अपने अपने कमरे में आराम करने लगे।
अगले कुछ दिन राज बहुत बेचैन सा रहा। उसकी आँखों के सामने बहु का मादक नग्न बदन जो कि जय के ऊपर उछल रहा था, बार बार आ जाता था और उसको अंदर तक पागल कर देता था। घर में भी उसकी निगाहें डॉली की जवानी को घूरती रहती थी। कभी उसे उसकी मस्त चूचियों का उभार घायल कर जाता था तो कभी उसके गोरे पेट और गहरी नाभि का दर्शन और उसके पिछवाड़े का आकर्षण तो जैसे उसे दीवाना ही बना चुका था।

वह अपनी परेशानी मिटाने के लिए बाज़ार गया। उसके एक दोस्त की पास ही में गिफ़्ट शॉप थी। उसका दोस्त सतीश उसे बड़े तपाक से मिला: दोनों पुशशी बातें करने लगे। फिर बातें करते हुए राज के अकेलेपन पर बात आ गयी।
सतीश: यार तू दूसरी शादी कर ले। अभी तो तू हट्टा कट्टा है। किसी भी लौंडिया को मज़े से संतुष्ट कर सकता है।

राज: यार अभी तो जय की शादी की है। अब अपनी भी शादी करता हूँ तो क्या अच्छा लगेगा? नहीं यार ये नहीं हो सकता।

सतीश: सब हो सकता है। यह कहकर वह एक फ़ोन मिलाया और बोला: पंडित जी नमस्कार। कैसे हैं। अच्छा एक मेरा दोस्त है क़रीब ४५ साल का है उसकी बीवी का निधन हो गया है। दो शादीशुदा बच्चें भी हैं । उसके लिए कोई लड़की चाहिए। हो पाएगा? मैं आपको स्पीकर मोड में डाला हूँ ताकि मेरा दोस्त भी सुन सके।

राज धीरे से बोला: अबे मैं ५४ का हूँ।

सतीश ने आँख मारी : अबे सब चलता है।

पंडित: हाँ हाँ क्यों नहीं हो पाएगा। यहाँ तो बहुत ग़रीब लड़कियाँ है हमारे गाँव में , कितनी उम्र की चाहिए?

सतीश: अरे बस यही कोई २२/२५ की और क्या? अब शादी करेगा और इतना ख़र्चा करेगा तो भाई को मज़ा भी तो मिलना चाहिए ना?

पंडित खी खी कर हँसा और बोला: आप ठीक कहते हो। मैं आज से ही इस काम में जुट जाता हूँ और आपको ३/४ दिन में बताऊँगा। बस मेरा ख़याल रखिएगा।

सतीश: मैं तुम्हारा नम्बर राज को दे रहा हूँ । अब आगे की बात आप दोनों आपस में ही करना। आपको भी राज का नम्बर भेज रहा हूँ। चलो रखता हूँ।
राज: अबे, मेरी शादी ज़बरदस्ती करा देगा क्या? यार मैं ये नहीं कर सकता इस उम्र में। अच्छा चल छोड़ ये सब, अब चलता हूँ।

उधर डॉली भी बड़ी ऊहापोह में थी कि पापा जी का घूरना बढ़ता ही जा रहा था और लूँगी में अपना लौड़ा सहलाना भी बड़ी बेशर्मी से जारी था। वह अभी भी फ़ैसला नहीं कर पा रही थी कि इसका ज़िक्र वो माँ से करे या जय से करे? या फिर रचना दीदी से बात करे?

तभी राज घर आया और सोफ़े पर बैठी डॉली से पानी माँगा। उसकी आँखें अब उसके जवान और भरे हुए बदन पर थीं और वह फिर से उत्तेजित होने लगा आज उसने साड़ी पहनी थी। उफफफफ क्या माल थी उसकी बहू । वह अपने पैंट को दबाया। पानी पीकर वह अपने कमरे में गया और आज बहुत गम्भीरता से डॉली को पाने के बारे में सोचने लगा। तभी उसके फ़ोन की घंटी बजी और वो चौंक गया क्योंकि रचना का फ़ोन था। वह सोचा कि इस वक़्त तो वहाँ रात होगी। इस वक़्त कैसे फ़ोन आया होगा।

राज: हेलो बेटी कैसी हो?

रचना: पापा मैं बहुत अच्छीं हूँ। आप लोग सब ठीक हो?

राज: हाँ बेटी यहाँ भी सब ठीक है। तुम्हारी प्रेग्नन्सी का क्या हुआ? तुमने तो बताया ही नहीं।

रचना: बधाई हो पापा , आप बहुत जल्दी पापा और नाना दोनों बनने वाले हैं। अब मुझे पता नहीं कि बच्चा आपका है या सूबेदार अंकल का। यह कहकर वह हँसने लगी।

राज ख़ुश होकर: बहुत बधाई बेटी तुमको। क्या फ़र्क़ पड़ता है पापा कोई भी हो, मा तो तुम ही होगी ना? इतने दिनो बाद क्यों बता रही हो?

रचना: पापा मैं पक्का कर ली हूँ और अब तो मैं ३ महीने से परेगननट हूँ। तभी बताने का सोची। राजीवभी बहुत ख़ुश है ।

राज: ला उसे भी फ़ोन दे दे बधाई दे दूँ। आख़िर पापा तो वही कहलाएगा, भले वो पापा हो चाहे ना हो।

रचना: पापा वो टूर पर गए हैं तभी तो फ़ोन कर रही हूँ।

राज: ओह तो अकेली है मेरी तरह। ज़रा वीडीयो काल में आना। मुझे तुम्हें देखे कितने महीने हो गए। मैं फ़ेस टाइम भेज रहा हूँ।

रचना: ठीक है पापा भेजिए रिक्वेस्ट । जल्दी ही दोनों विडीओ कॉल में कनेक्ट हो गए।

राज: बेटी बहुत प्यारी लग रही हो। गाल और भर गए हैं।

रचना हँसकर : पापा गाल ही नहीं सब कुछ भर गए हैं।

राज: अच्छा और क्या क्या भर गया है, ज़रा दिखाओ ना।

रचना हँसकर: देखिए। अब वो अपना पेट दिखाई जहाँ थोड़ा सा साइज़ बढ़ा हुआ लगा। फिर वह अपनी छाती दिखाई और बोली: पापा ये भी अब ४० के हो गए हैं। वो एक नायटी पहनी थी।

राज के लौड़े ने लूँगी में झटका मारा। और वह उसे दबाने लगा और बोला: बेटी सच इतने बड़े हो गए? ज़रा दिखा दो ना मुझे भी।

रचना हँसती हुई बोली: पापा आप मेरे साथ सेक्स चैट करोगे क्या? शायद ही कोई बाप बेटी ऐसा किए होंगे अब तक?

राज: प्लीज़ दिखाओ ना? देखो मेरे अब खड़ा हो गया है। यह कह कर उसने अपना लौड़ा लूँगी से बाहर निकाला और उसको केमरे से दिखाने लगा। रचना पूरे फ़ोन पर उसके खड़े लौड़े का विडीओ देखकर गरम हो गयी और अब अपनी नायटी उतार दी। अब वह सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी।

राज: आऽऽऽऽऽह बेटी, क्या मस्त माल हो तुम। सच ब्रा में से भी तुम्हारी चूचियाँ कितनी बड़ी दिख रही हैं। आऽऽऽऽहहह वह मूठ्ठ मारते हुए बोला: अब ब्रा भी निकाल दो मेरी प्यारी बच्ची। आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह।

रचना ने ही मुस्कुरा कर अपनी ब्रा निकाल दी और उसकी बड़ी चूचियाँ देखकर वह मस्ती से लौंडे को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा। अब रचना अपनी चूचियाँ दबाने लगी और निपल को भी मसलने लगी। उसकी आँखें उसके लौड़े पर थी।

राज: आऽऽऽहहह बेटी, अब पैंटी भी निकला दो और अपनी मस्त चूत और गाँड़ दिखाओ ताकि मैं झड़ सकूँ। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़।

रचना ने पैंटी धीरे धीरे किसी रँडी की तरह निकाली और अपने पापा को एक स्ट्रिप शो दे दिया । अब वह रँडी की तरह गाँड़ मटका रही थी। और फिर उसने कैमरा अपनी बुर के सामने रखा और उसको फैलाकर अपनी बुर की गुलाबी हिस्सा दिखाई और फिर उसने तीन उँगलियाँ डालकर हस्त मैथुन करने लगी।

राज अब पूरी तरह उत्तेजित होकर आऽऽऽऽऽहहहह क्या चूउउइउउउउउउत है बेटीइइइइइइइइ मैं तोओओओओओओओओ गयाआऽऽऽऽऽऽ। कहकर झड़ने लगा। उसकी वीर्य की धार उसके पेट पर गिरे जा रही थी। उधर वह भी पाआऽऽऽऽऽऽपा कहकर झड़ने लगी।

जब दोनों शांत हो गए तो रचना बोली: पापा शशी से चुदाई चल रही है ना? आप इतने प्यासे क्यों लग रहे हो?

राज: अरे बेटी, इस बहू ने सब काम ख़राब कर दिया । एक दिन उसने मुझे शशी को चोदते हुए देख लिया और उसको नौकरी से ही निकाल दिया। अब मेरी प्यास बुझाने वाली कोई है ही नहीं। बहु की माँ को एक बार होटेल में बुला कर चोदा हूँ। पर बार बार होटेल का रिस्क नहीं ले सकता।

रचना: ओह ये तो बड़ी गड़बड़ हो गयी। शशी कम से कम आपको शांत तो कर देती थी। अब क्या करेंगे?

राज : पता नहीं बेटी, तुम्हारे और राजीवके मज़े तो ठीक चल रहे हैं ना?

रचना: पापा आपसे चूदने के बाद अब तो इनके पतले हथियार से मज़ा ही नहीं आता। इसलिए यहाँ भी मैंने अपने लिए एक अमेरिकन पापा ढूँढ लिया है।

राज: मतलब? मैं समझा नहीं।

रचना: पापा, मेरे ऑफ़िस में आपकी उम्र का ही एक आदमी है जॉन । वो तलाक़ शुदा है। वह मुझे घूरता रहता था। आपसे मिलकर जब वापस आइ तो बुर बहुत खुजाती थी मोटे लौड़े के लिए। आपकी आदत जो पड़ गयी थी। तब मैंने इसे लिफ़्ट दी और अब वह मुझे मज़े से चोदता है। मैं उसे पापा कहती हूँ अकेले में और चुदवाते समय भी। वह भी मुझे डॉटर की तरह ट्रीट करता है अकेले में। उसका लौड़ा भी आपकी तरह मस्त मोटा और बड़ा है। वो भी मस्ती से चोदता है बिलकुल आपकी तरह।

राज: वाह बेटी तुमने वहाँ भी एक पापा ढूँढ लिया है, पर मुझे तो यहाँ एक बेटी नहीं मिली।

रचना हँसकर बोली: पापा घर में बहू तो है ,बेटी ना सही , उसी से काम चला लो। वैसे उसका व्यवहार कैसा है?

राज: व्यवहार तो बहुत अच्छा है उसका, पर साली बहुत सेक्सी है । मैंने उसकी और जय की चुदाई ग़लती से देखी है, आऽऽऽऽह क्या मस्त बदन है और क्या रँडी की तरह मज़ा देती है। आऽऽऽऽहहह देखो उसके नाम से मेरा फिर से खड़ा हो गया।

रचना: पापा आपकी बातों से मैं भी गीली हो गयी। चलो एक राउंड और करते हैं । यह कहकर वो अपनी जाँघें फैलायी और वहाँ रखे एक डिल्डो ( नक़ली लौड़ा) से अपनी बुर को चोदने लगी।

राज भी अपना लौड़ा रगड़ने लगा और बोला: बेटी घोड़ी बन जाओ ना, तुम्हारी गाँड़, चूत और चूतड़ सभी दिखेंगे। ज़्यादा मज़ा आएगा।
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#17
रचना उलटी हुई और गाँड़ उठा ली और अपने पापा को अच्छे से दर्शन कराया। फिर पीछे से हाथ लाकर वो डिल्डो अपनी बुर में डालकर मज़े लेने लगी। राज को उसकी गुलाबी बुर में वह मोटा सा नक़ली लौड़ा अंदर बाहर होते हुए दिख रहा था और वह भी बुरी तरह से मूठ्ठ मार रहा था। दस मिनट में दोनों झड़ गए।

क्योंकि दोनों थक गए थे इसलिए और ज़्यादा बात नहीं हुई और दोनों आराम करने लगे फ़ोन बंद हो चुका था।

उधर डॉली भी अपने कमरे में बैठी थी। उसके पिछले दो दिन से पिरीयड्ज़ आए हुए थे। जय भी रात को चुदाई के लिए तड़प रहा था। उसने एक बार मुँह से संतुष्ट किया था। दूसरी बार वह उसके बूब्ज़ पर लौड़ा रगड़ कर शांत हुआ था। उसने गाँड़ में डालने की कोशिश की थी पर डॉली के आँसू देखकर वह अंदर नहीं डाला। वह मुस्कुराई और सोची: कितना प्यार करते है, मुझे ज़रा सा भी कष्ट ने नहीं देख सकते। तभी जय का फ़ोन आया: जान खाना खा लिया ?
डॉली: हाँ जी। आप खा लिए?

जय: हाँ खा लिया। अब तुमको खाने की इच्छा है।

डॉली: एक दो दिन सबर करिए फिर मुझे भी खा लीजिएगा।

जय: अरे जान सबर ही तो नहीं होता । पता नहीं तुम्हारा रेड सिग्नल कब ग्रीन होगा। और तुम्हारी सड़क पर मेरी फटफटि फिर से दौड़ेगी ।

डॉली हँसने लगी: आप भी मेरी उसको सड़क बना दिए।

जय: किसको, नाम लो ना जान। वो अपने चेम्बर में अकेला था सो उसने अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाया।

डॉली फुसफुसाकर: मेरी बुर को।

जय: आऽऽऽह शशी वीडीयो कॉल करूँ क्या? एक बार अपनी चूचियाँ दिखा दो तो मैं मूठ्ठ मार लेता हूँ।

डॉली: आप भी ना। आप रात को आइए मैं मार दूँगी और चूस भी दूँगी।

जय: प्लीज़ प्लीज़ जान ,अभी बहुत मूड है।

डॉली: दुकान में कोई आ गया तो?

जय: अभी लंच ब्रेक है, कोई मेरे कैबिन में नहीं आएगा। लो मैं अंदर से बंद कर लिया प्लीज़ कॉल करूँ विडीओ में?

डॉली: हे भगवान, आप भी ना, अच्छा चलिए करिए।

जल्दी ही वो विडीओ कॉल से कनेक्ट हो गए। जय ने उसे कई बार चुम्मा दिया। फिर अपना लौड़ा दिखाकर बोला: देखो मेरी जान कैसे तड़प रहा है ये तुम्हारे लिए?

डॉली आँखें चौड़ी करके बोली: हे राम, आप तो पूरा तैयार हैं। अब उसके निपल्ज़ भी तन गए।

जय: जान, प्लीज़ चूचि दिखाओ ना।

डॉली ने ब्लाउस खोला और फिर वहाँ कैमरा लगाकर उसको ब्रा में क़ैद चूचियाँ दिखाईं। उसने कहा: आऽऽऽऽह प्लीज़ ब्रा भी खोलो।

वह ब्रा निकाल कर नंगी चूचियाँ दिखाने लगी। अब जय के हाथ अपने लौंडे पर तेज़ तेज़ चलने लगे। वह बोला: आऽऽऽऽऽह जाऽऽऽऽऽऽन अब पिछवाड़ा भी दिखा दो प्लीज़ । आऽऽऽऽहहह तुम्हारे चूतड़ देखने है आऽऽऽहहह।

डॉली ने साड़ी और पेटिकोट उठाया और कैमरा में अपने पैंटी में फँसे चूतरों को दिखाने लगी। फिर उसने पैंटी भी नीचे की और जय बोला: आऽऽऽहब्ब चूतरों को फैलाओ और गाँड़ का छेद दिखाओ। हाऽऽऽऽय्य्य्य्य उसका हाथ अब और ज़ोर से चल रहा था। डॉली ने अपने चूतरों को फैलाया और मस्त भूरि चिकनी गाँड़ उसे दिखाई । फिर ना जाने उसे क्या हुआ कि जैसे जय उसकी गाँड़ में ऊँगली करता था, आज वैसे ही करने की इच्छा उसे भी हुई। और वह अपनी एक ऊँगली में थूक लगायी और अपनी गाँड़ में डालकर हिलाने लगी। जय के लिए दृश्य इतना सेक्सी था कि वह आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह उग्ग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्ग्ग कहकर वीर्य की धार छोड़ने लगा। डॉली भी वासना से भरी हुई उसके वीर्य को देखते रही और अपने होंठों पर जीभ फेरती रही। उसकी बुर भी पानी छोड़ रही थी। हालाँकि उसके पिरीयड्ज़ आए हुए थे। फिर उसने अपनी गाँड़ से ऊँगली निकाली और बोली: हो गया? अब सफ़ाई कर लूँ? आप भी क्लीन हो जाओ।

यह कह कर वो बाथरूम में चली गयी। जय ने भी अपने कैबिन से सटे बाथरूम में सफ़ाई की।

बाहर आकर वह फिर फ़ोन किया और डॉली से बोला: आऽऽह जान , आज तुमने अपनी गाँड़ में ऊँगली कैसे डाल ली? उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मैं तो जैसे पागल ही हो गया अपनी संस्कारी बीवी को ये करते देख कर?

डॉली हँसकर : बस इच्छा हुई और डाल ली। आप भी तो रोज़ ही डालते हैं मेरे वहाँ ऊँगली। आज मैंने ख़ुद डाल ली।

जय: जान मज़ा आया ना? आज के प्रोग्राम में।

डॉली: हाँ आया तो पर अब ये रोज़ का काम नहीं बना लीजिएगा

जय: अरे नहीं रोज़ नहीं, पर कभी कभी तो कर सकते है ना?

डॉली हंस दी और बोली: चलिए अब काम करिए और मैं आराम करती हूँ। बाई। और उसने फ़ोन काट दिया।

डॉली सोचने लगी कि आज का उसका व्यवहार काफ़ी बोल्ड था। उसे अपने आप पर हैरानी हुई कि वो ऐसा कैसे कर सकी। फिर सोची कि शायद वह अब बड़ी हो रही है। वो मन ही मन मुस्कुरायी। वो जानती थी कि आज का शो जय को ज़िंदगी भर याद रहेगा। वह सोचते हुए सो गयी।
इसी तरह दिन बीत रहे थे । राज की प्यास बहू को पाने की अब अपनी चरम सीमा पर थी। पर बहू की तरफ़ से कोई भी पहल होने का प्रश्न ही नहीं था। वह भी ऐसा कोई काम नहीं करना चाहता था जिससे उसे जय के सामने शर्मिंदा होना पड़े। वह अब यह चाहने लगा था कि दिन में डॉली उसकी प्यास बुझाए और जय के आने के बाद वह उसके साथ रहे और मज़े करे। ये उसके हिसाब से बहुत सीधा और सरल उपाय था, पर बात आगे बढ़ ही नहीं पा रही थी। उसके हिसाब से यह बहुत ही सिम्पल सा ऐडजस्टमेंट था जो डॉली को करना चाहिए और इस तरह वह भी दुगुना मज़ा पा सकती है, और जय और वो भी ख़ुश रहेंगे। ।वह बहुत सारी योजना बनाता था डॉली को पटाने का ,पर कोई भी प्रैक्टिकल नहीं थी। सच ये है कि डॉली को इस तरह के रिश्ते की कोई ज़रूरत ही नहीं थी क्योंकि वह अपने पति से पूरी तरह संतुष्ट थी। दिक़्क़त तो राज की ही थी। इसी तरह समय व्यतीत होते रहा।

फिर एक दिन राज नाश्ता करके अपने कमरे में बैठा था तभी पंडित का फ़ोन आया।
पंडित: जज़मान, मुझे सतीश जी ने आपका नम्बर दिया है। वो कह रहे थे कि आपके लिए लड़कियाँ पसंद करूँ।

राज: ओह फिर ?

पंडित: दो लड़कियाँ है शादी में लायक। एक की उम्र २२ साल है और दूसरी २५ की है।
दोनों सुंदर हैं और उनका परिवार इसके लिए तैयार है।

तभी राज के कमीने दिमाग़ में अचानक ही एक ख़तरनाक योजना ने जन्म लिया और वह सोचने लगा कि अगर उसकी यह योजना सफल हो गयी तो शायद डॉली उसके पहलू में होगी।

वह एक कुटिल मुस्कुराहट के साथ पंडित को अपनी योजना समझाया और बोला : जैसे मैंने कहा है वैसे करोगे तो तुमको मैं दस हज़ार रुपए दूँगा।

पंडित: ज़रूर जज़मान, जैसे आपने कहा है मैं वैसे ही बात करूँगा। आप जब भी फ़ोन करोगे। और आपके मिस्ड कॉल आने पर मैं आपको फ़ोन करूँगा। पर जज़मान, पैसे की बात याद रखना।

राज: अरे पंडित , तुम्हारा पैसा तुमको मिलेगा ही मिलेगा।

पंडित ने ख़ुशी दिखाकर फ़ोन बंद किया।

राज ने अपनी योजना पर और विचार किया और अब अपने आप पर ही मुस्कुरा पड़ा और सोचा कि सच में मेरा दिमाग़ भी मेरे जैसा ही कमीना है। क्या ज़बरदस्त आइडिया आया है।

उसने सोचा कि शुभ काम में देरी क्यों। वह लूँगी और बनियान में बाहर आया। डॉली कमला से काम करवा रही थी। वह न्यूज़ पेपर पढ़ते हुए कमला के जाने का इंतज़ार करने लगा ।

थोड़ी देर में कमला चली गई और डॉली भी अपना पसीना पोंछते हुए बाहर आयी किचन से बोली: पापा जी चाय बनाऊँ?

राज मुस्कुराकर: हाँ बहू बनाओ।

थोड़ी देर में दोनों चाय पी रहे थे , तब डॉली उससे जय की दुकान के बारे में बात करने लगी।

डॉली: पापा जी। ये बोल रहे थे कि दुकान में एक सेक्शन और खोलने से आमदनी बढ़ जाएगी। पर क़रीब ३ लाख और लगाने पड़ेंगे।

राज: बेटी, मैं तो अभी पैसा नहीं लगाउँगा। जय के पास कुछ इकट्ठा हुआ है क्या? वो लगा ले।

डॉली: पापा जी, वो तो सारा पैसा आपको ही दे देते हैं, उनके पास कुछ नहीं है।

राज: ओह, अभी तो एक और ख़र्चा आ सकता है।

डॉली: कैसा ख़र्चा ,पापा जी?

राज: बेटी, मेरे कई दोस्त बोल रहे हैं कि मैं शादी कर लूँ। मैं कई दिन से इसके बारे में सोचा और आख़िर में मुझे लगा कि इस बात में दम है।

डॉली हतप्रभ होकर: पापा जी , आपकी शादी? इस उम्र में? ओह !!!!

राज: बेटी, अजीब तो मुझे भी लग रहा है, पर किया क्या जाए? बहुत अकेला पड़ गया हूँ। पायल ने तो बीच राह में साथ छोड़ दिया।

डॉली: ओह, पापा जी पर लोग क्या कहेंगे? और आपके दोनों बच्चे क्या सोचेंगे? मेरी रिक्वेस्ट है कि इस पर फिर से विचार कर लीजिए। यह बड़ी अजीब बात होगी।

राज: ठीक है बेटी। और सोच लेता हूँ, पर मेरे दोस्त पीछे पड़े हैं। एक दोस्त ने तो गाँव के पंडित को काम पर भी लगा दिया है।वह मेरे लिए गाँव में लड़की देख रहा है।

डॉली अब शॉक में आकर बोली: लड़की देखनी भी शुरू कर दिए? आपको जय और रचना दीदी से बात तो करनी चाहिए थी। पता नहीं वो दोनों पर क्या बीतेगी?

राज: अरे कुछ नहीं होगा , कुछ दिनों में सब समान्य हो जाएगा।

मालनी: तो सच में आप शादी करने को तैयार हैं? लड़की की उम्र क्या होगी?

राज: समस्या यहीं है, जो लड़कियाँ मिल रहीं हैं , वो तुमसे भी उम्र में छोटी हैं। पता नहीं तुम अपनी से भी छोटी लड़की को कैसे मम्मी कहकर बुला पाओगी?

अब डॉली का मुँह खुला का खुला रह गया, बोली: मेरे से भी छोटी ? ये क्या कह रहें हैं आप? हे भगवान! उसके माँ बाप शादी के लिए राज़ी हो गए?

राज: बेटी, पैसे का लालच बहुत बड़ा होता है। मुझे काफ़ी पैसे ख़र्च करने पड़ेंगे। इसी लिए तो बोला कि आगे आगे ख़र्चे और बढ़ेंगे, तो जय की दुकान ने कैसे पैसा लगा पाउँगा?

डॉली: ओह , बड़ी मुश्किल हो जाएगी।

राज: बेटी, फिर शादी के बाद मेरा परिवार भी तो बढ़ेगा, जय का भाई या बहन होगी और ख़र्चा तो बढ़ेगा ही ना?

डॉली का तो जैसे दिमाग़ ही घूम गया अपने ससुर की बातें सुनकर। वह चुपचाप उठी और अपने कमरे में चली गयी। वो सोचने लगी कि इस उम्र में इनको ये क्या सूझी है शादी और बच्चा पैदा करने की । कितनी जग हँसाई होगी? और हमारे बच्चे का क्या ? उसे सबकुछ गड़बड़ लगा, वह बहुत परेशान हो गयी थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। पता नहीं जय इसे कैसे लेगा? पता भी उस पर क्या बीतेगी? वह तो अपने पापा से पैसे की आस लगाए बैठा है।

इसी तरह की सोच में वो खोई हुई थी ।

राज आज बहुत ख़ुश था, क्योंकि उसका तीर एकदम निशाने पर लगा था। वह जानता था की अब आगे आगे वो डॉली को मजबूर करेगा कि वह उसकी बात मान ले। वह अपना लंड दबाया और बोला: बस अब कुछ दिनों की ही बात है, तू जल्द ही बहू की बुर के मज़े लेगा। वह कमीनी मुस्कुराहट के साथ मोबाइल पर सेक्स विडीओ देखने लगा।

लंच के बाद सोफ़े पर बैठकर डॉली ने फिर से वही टॉपिक उठाया और बोली: पापा जी। मैं आपसे फिर से कहती हूँ कि प्लीज़ इस पर विचार कीजिए, ये सही नहीं है। आपको इस उम्र में २० साल की लड़की से शादी शोभा नहीं देती।

राज कुटीलता से बोला: बहू , इस सबके लिए कुछ हद तक तो तुम ही ज़िम्मेदार हो?

डॉली हैरानी से : में ? वो कैसे ?

राज: अच्छा भला मेरा काम चल रहा था, शशी के साथ। तुमने उसे भी निकाल दिया। अब बताओ मैं क्या करूँ? कैसे अपना काम चलाऊँ? यह कहकर वह बेशर्मी से अपने लूँगी के ऊपर से अपने लण्ड को दबाने लगा। राज घर में चड्डी भी नहीं पहनता था।
डॉली के गाल लाल हो गए। वो पापाजी की इस हरकत से स्तब्ध रह गयी।

वह लूँगी के ऊपर से उनके आधे खड़े लौड़े को देखकर हकला कर बोली: पापाजी, ये आप कैसी बातें कर रहे हैं? शशी एक ग़लत लड़की थी और आपको उससे कभी भी कोई बीमारी भी लग सकती थी। वो आपके लायक नहीं थी।

राज: मैं नहीं मानता। वो सिर्फ़ अपने पति और मुझसे ही चु- मतलब रिश्ता रखती थी। वो एक अच्छी लड़की थी। तुमने उसको नाहक ही निकाल दिया।

डॉली परेशान होकर उठ बैठी और बोली: पापा जी मैंने तो अपनी ओर से आपके स्वास्थ्य के हित के लिए किया था और आप मुझे ही दोष दे रहे हैं।
वह परेशानी की हालत में अपने कमरे में आ गयी।

राज उसकी परेशानी का मज़े से आनंद ले रहा था।

रात को जब जय आया तो डॉली से बात बात में पूछा: पापा से पैसे की बात हो पाई क्या?

डॉली: नहीं हो पाई।

जय: अच्छा आज डिनर पर मैं ही बात करता हूँ।

डॉली: नहीं नहीं, आज मत करिए, फिर किसी दिन मौक़ा देख कर करेंगे।

जय: क्यों आज क्या हुआ?

डॉली: आज उनका मूड ठीक नहीं है।

जय: जान, कल तुम बात ज़रूर करना , तुमको पता है कि मेरे लिए ये पैसे कितने ज़रूरी हैं । प्लीज़ जल्दी बात करना। तुम्हारी बात वो नहीं टालेंगे। अपनी बहू को बहुत प्यार करते हैं वो।

डॉली: अच्छा करूँगी जल्दी ही बात।

वह मन ही मन में सोचने लगी कि अगर मैं जय को बता दूँ कि पापा जी के मन में क्या चल रहा है तो वह सकते में आ जाएँगे। और अभी तो पापा जी का पैसा देने का कोई मूड ही नहीं है।

रात को जय सोने के पहले उसकी ज़बरदस्त चुदाई किया और वो भी मज़े से चुदवाई। पर बार बार उसके कानों में पापा जी की बात गूँजती थी कि तुम ही हो इस सबकी ज़िम्मेदार , शशी को क्यों भगाया? वो सोची की पापा को तो बिलकुल ही अपने किए पर पश्चत्ताप नहीं है। उलटा मुझे दोष दे रहे हैं। तो क्या शशी को वापस बुला लूँ? नहीं नहीं ये नहीं कर सकती तो क्या करूँ। उफफफफ वो जय से भी कुछ शेयर नहीं कर पा रही थी। वो ये सोचती हुई सो गयी।
अगले दिन डॉली जय के जाने के बाद कमला से काम करवाई और उसके भी जाने के बाद अपनी योजना के हिसाब से राज बाहर आया। डॉली उसको देखके पूछी: पापा चाय बनाऊँ क्या?

राज: नहीं रहने दो। पानी पिला दो।

जैसे ही वह पानी लेने गयी , उसने पंडित को मिस्ड कॉल दी। डॉली के आते ही राज के फ़ोन की घंटी बजी। डॉली के हाथ से पानी लेकर वह बोला: हेलो, अरे पंडित जी आप?

डॉली पंडित के नाम से चौंकी और ध्यान से सुनने लगी।

राज ने पानी पीते हुए फ़ोन को स्पीकर मोड में डाला।

पंडित: जज़मान, आपके लिए दो लड़कियाँ देख लीं हैं , एक २० साल की है और दूसरी २२ की। दोनों बहुत ही मासूम और सुंदर लड़कियाँ हैं।

डॉली हैरान रह गयी, कि ये सब क्या हो रहा है। ये पापा जी तो बड़ी तेज़ी से शादी का चक्कर चला रहे हैं।

राज: अरे यार थोड़ी बड़ी उम्र की लड़की नहीं मिली क्या? ये तो मेरी बहु से भी छोटी हो जाएँगी ।

पंडित: अरे जज़मान, मज़े करो, ऐसी लड़कियाँ दिला रहा हूँ कि आप फिर से जवान हो जाओगे। तो बोलो क्या कहते हो?

राज: ख़र्चा कितना आएगा?

पंडित: ३/४ लाख तो लगेंगे ही। आख़िर शादी का सवाल है ।

डॉली सोची ३/४ लाख, इतना ही तो जय को चाहिए। और पापा इसे शादी में बर्बाद कर रहे हैं।

राज: पंडित जी , थोड़ा सा मोल भाव करों भाई। देखो और कम हो सकता है क्या?

पंडित: चलिए मैं कोशिश करता हूँ, पर आप लड़कियाँ देखने कल आएँगे ना।

डॉली का तो जैसे कलेजा मुँह में आ गया, कल ही? हे प्रभु, क्या करूँ? कैसे रोकूँ इनको?

राज: अरे पंडित जी, कल का मत रखो , मुझे पैसे का भी इंतज़ाम करना होगा। आप ३ दिन बाद का कर लो। ठीक है?

पंडित: ठीक है तो तीन दिन बाद ही सही। और कुछ?

राज: देखो, पंडित , कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं होनी चाहिए लड़कियों पर । वह अपनी मर्ज़ी से शादी करेंगी। ठीक है?

पंडित: बिलकुल ठीक है। ठीक है फिर रखता हूँ।

राज ने फ़ोन रखा और डॉली को देखा जो बहुत परेशान दिख रही थी। राज मन ही मन ख़ुश हो रहा था कि तीर निशाने पर लगा है।

डॉली: पापा जी, कोई तरीक़ा नहीं है इस शादी को टालने का?
आप चाहो तो मैं शशी को वापस बुला लेती हूँ। उसने अपने हथियार डालते हुए कहा।

राज: क्या फ़ायदा अब? उसके गर्भ को काफ़ी समय हो गया है। अब वो चु- मतलब करवाने के लायक होगी भी नहीं। अक्सर डॉक्टर ऐसे समय में चु- मतलब सेक्स करने को मना करते हैं।

डॉली: ओह, फिर क्या करें? यह शशी वाला आप्शन भी गया।

राज: देखो, मेरी हालत तो तुमने बिगाड़ ही दी है। शशी को निकाल दिया और ऊपर से तुम्हारा ये क़ातिलाना सौंदर्य मैं तो पगला ही गया हूँ।

डॉली बुरी तरह से चौकी: मेरा सौंदर्य? मतलब? मैंने क्या किया? आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं?

राज: और क्या बोलूँ? कभी अपना रूप देखा है आइने में। इतनी सुंदर और सेक्सी हो तुम। दिन भर तुम्हारे इस रूप और इस सेक्सी बदन को देखकर मेरा क्या हाल होता है , जैसे तुमको मालूम ही नहीं? यह कहकर वह फिर से अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से दबाया।

डॉली को तो जैसे काटों ख़ून नहीं!!! हे ईश्वर, ये मैं क्या सुन रही हूँ। पापा जी खूल्लम ख़ूल्ला बोल रहे हैं कि वह उसे वासना की नज़र से देखते है। अब तो वह कांप उठी। पता नहीं भविष्य में उसके लिए क्या लिखा है?

वह बोली: पापा जी। ये कैसी बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बहू हूँ ,बेटी के जैसे हूँ। रचना दीदी के जैसे हूँ। आप मेरे बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं?

राज: देखो, पिछले दिनो में मेरी भावनाएँ तुम्हारे लिए बहुत बदल गयी है। अब मैं तुमको एक जवान लड़की की तरह देख रहा हूँ और तुम्हारा भरा हुआ बदन मुझे पागल कर रहा है। पर मैंने कभी कोई ग़लत हरकत नहीं की है तुम्हारे साथ। मैं हमेशा लड़की को उसकी रज़ामंदी से पाना चाहता हूँ। आज मैंने तुमको बता दिया कि ये शादी अब सिर्फ़ तुम ही रोक सकती हो। वो भी मेरी बन कर।
डॉली: पापा जी, पर मैं तो आपके बेटे की बीवी हूँ। आपकी कैसे बन सकती हूँ?

राज: देखो बहू , तुम दिन में मेरी बन कर रहो और जय के आने के बाद उसकी बन कर रहो। इस तरह हम दोनों तुमसे ख़ुश रहेंगे। इसमे क्या समस्या है?

डॉली: पापा जी, आप क्या उलटा पुल्टा बोल रहे है? मैं जय से बहुत प्यार करती हूँ, उनको धोका नहीं दे सकती हूँ। आप अपनी सोच बदल लीजिए। आप नहीं जानते मुझे आपकी बात ने कितना दुखी किया है। और वह रोने लगी।

राज: देखो बहू, रोना इस समस्या का हल नहीं है। तुमको या तो मेरी बात माननी होगी या मेरी शादी होते देख लो। अब जो भी करना है, तुमको ही करना है।

डॉली वहाँ से रोते हुए भाग कर अपने कमरे में आ गयी।

डॉली के आँसू जब थमें वह बाथरूम में जाकर मुँह धोयी और बाहर कर बिस्तर पर बैठ गयी और पूरे घटनाक्रम के बारे में फिर से सोचने लगी। यह तो समझ आ गया था कि पापा की आँखों पर हवस का पर्दा पड़ा है और वो उसे पाने के लिए पागल हो रहे हैं। अगर वह उनको नहीं मिली तो वह शादी करके एक दूसरी लड़की की ज़िन्दगी बरबाद करेंगे। हे भगवान, मैं क्या करूँ।? पापा की शादी से और क्या क्या नुक़सान हो सकते है ? वो इसपर भी विचार करने लगी। एक बात तो पक्का है कि पैसे का तो काफ़ी नुक़सान होगा ही। और क्या पता कैसी लड़की आए घर में। हो सकता है वह इस घर की शांति ही भंग कर देगी। उफ़ वो क्या करे ? किसकी मदद ले? जय, रचना या मम्मी की। उसने सोचा कि उसके पास ३ दिन है । देखें क्या रास्ता निकलता है इस उलझन का?

पापा के साथ लंच करने की इच्छा ही नहीं हुई। उसने उनको खाना खिलाया।

राज: तुम नहीं खा रही हो?

डॉली: आपने मेरी भूक़ प्यास सब मार दी है। आपने तो मुझे पागल ही कर दिया है।

राज: बहू, मैंने नहीं , तुम्हारी जवानी ने मुझे पागल कर दिया है। बस तुम एक बार मेरी बात मान जाओ , सब ठीक हो जाएगा। दिन में तुम मेरी जान और रात में जय की जान। आख़िर इसमें इतना ग़लत क्या है? घर की बात घर में ही रहेगी। और समय आने पर जय को भी बता देंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि वह इसे सामान्य रूप से ही लेगा।

डॉली: आप ऐसा कैसे कह सकते हैं। छि, ये सब कितना ग़लत है। जय को धोका देना मेरे लिए असम्भव सा है। प्लीज़ मुझे बक्श दीजिए। प्लीज़ शादी मत करिए।

राज खाना खाकर वापस सोफ़े में बैठ चुका था। वो बोला: देखो बहु, अगर मैं तुम्हारी बात मान लूँ तो मेरे इसका क्या होगा? इस बार वो अपनी लूँगी के ऊपर से लौड़ा दबाकर बोला। उसकी इस कमीनी हरकत से एक बार डॉली फिर से सकते में आ गयी।

राज अपने लौड़े को मसलते हुए बोला: देखो बहु, मैं कैसे मरे जा रहा हूँ तुम्हें पाने के लिए। अब उसका लौड़ा पूरा खड़ा था लूँगी में और वह चड्डी भी नहीं पहनता था। डॉली ने अपना मुँह घुमा लिया,और सोची कि इनका पागलपन तो बढ़ता ही जा रहा है। उफ़्फ़ इस सब का क्या हल निकल सकता है?

वह फिर से उठकर अपने कमरे में चली गयी। रात को ८ बजे जय आया और डॉली सोचती रही कि इनको बताऊँ क्या कि पापा मुझसे क्या चाहते हैं। फिर वह सोची कि घर में कितना बड़ा घमासान हो सकता है बाप बेटे के बीच में। वह अभी चुप ही रहना चाहती थी।

उसने सोचा कि कल रचना या माँ से बात करूँगी, शायद वो कुछ मदद कर सकें।

अगले दिन जय और कमला के जाने के बाद डॉली सोफ़े पर बैठी सोच रही थी कि मम्मी से सलाह ले लेती हूँ। तभी राज अपने कमरे से बाहर आया और आकर डॉली के सामने वाले सोफ़े पर बैठ गया।

डॉली: पापा जी चाय लेंगे?

राज: ले आओ। ले लेंगे। वैसे लेना तो कुछ और भी है तुम्हारा,पर तुम तो सिर्फ़ चाय पिलाती हो। वह अब बेशर्मी पर उतर आया था। अब उसे अश्लील भाषा का भी लिहाज़ नहीं रहा था।

डॉली उसकी इस तरह के लहजे से हैरान हो गयी और बोली: पापा जी आप किस तरह की बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बहू हूँ आख़िर। छी कोई अपनी बहू से भी ऐसी बातें करता है भला।

राज: देखो बहु, मैंने तो कल ही साफ़ साफ़ कह चुका हूँ कि मैं तुम्हारा दीवाना हो चुका हूँ। अब इसी बात को दुहरा ही तो रहा हूँ, कि मुझे तुम और तुम्हारी चाहिए।

डॉली: पापा जी आपके कोई संस्कार हैं या नहीं? अच्छे परिवार के लोग ऐसी बातें थोड़े ही करते हैं।

राज: संस्कार? हा हा हममें से किसी में भी संस्कार नहीं है। ना हमारे परिवार में और ना तुम्हारे परिवार में। बड़ी आयी संस्कार की बातें करने वाली।

डॉली: पापा जी आपके परिवार का तो पता नहीं पर मेरे परिवार में संस्कार का बहुत महत्व है।

राज कुटिल मुस्कुराहट के साथ बोला: अच्छा , और अगर मैं ये साबित कर दूँ कि तुम्हारा परिवार संस्कारी नहीं है तो तुम मुझे वो दे दोगी जो मुझे चाहिए?
डॉली: छी फिर वही गंदी बातें कर रहे हैं। और जहाँ तक मेरे परिवार का प्रश्न है वह पूरी तरह से संस्कारी है।

राज हँसते हुए: तुम बोलो तो अभी तुम्हारे संस्कारी परिवार का भांडा फोड़ दूँ।

डॉली: क्या मतलब है आपका?

राज: वही जो कहा? तुम्हें अपने संस्कारी परिवार पर बहुत घमंड है ना? उसकी सच्चाई दिखाऊँ?

डॉली: मुझे समझ नहीं आ रहा है आप क्या बोले जा रहे हो? किस सच्चाई की बात कर रहे हैं आप?

राज :चलो अब तुम्हें दिखा ही देते हैं कि कितना संस्कारी है तुम्हारा परिवार?

राज ने डॉली की माँ रश्मि को फ़ोन लगाया। स्पीकर मोड में फ़ोन रखकर वह डॉली को चुप रहने का इशारा किया।

राज: हेलो , कैसी हो?

रश्मि: ठीक हूँ आप कैसे हैं? आज मेरी याद कैसे आ गयी।

राज: अरे मेरी जान तुमको तो मैं हमेशा याद करता हूँ। बस आजकल फ़ुर्सत ही नहीं मिलती।

डॉली का मुँह खुल गया वह सोची कि पापा जी माँ को जान क्यों बोल रहे हैं।

रश्मि: जाइए झूठ मत बोलिए। आपको तो शशी के रहते किसी और की क्या ज़रूरत है।

राज: अरे शशी को तो तुम्हारी बेटी ने कब का निकाल दिया।

रश्मि: ओह क्यों निकाल दिया? वो तो आपका बहुत ख़याल रखती थी और पूरा मज़ा भी देती थी।

राज: अरे तुम्हारी बेटी ने मुझे उसे चोदते हुए देख लिया। बस उसके पीछे पड़ गयी और निकाल कर ही दम लिया। अब मैं अपना लौड़ा लेकर कहाँ जाऊँ? फिर तुम्हारी याद आयी और सोचा कि तुमसे बात कर लूँ तो अच्छा लगेगा।
डॉली राज के मुँह से ऐसी गंदी बातें सुनकर वह हैरान थी।

रश्मि हँसकर: मैं आ जाती हूँ और आपके हथियार को शांत कर देती हूँ।
अब डॉली को समझ में आ गया कि पापा और उसकी माँ का चक्कर पुराना है। वह सकते में आ गयी।
राज उसके चेहरे के बदलते भावों को बड़े ध्यान से देख रहा था और अपनी योजना की सफलता पर ख़ुश हो रहा था ।

वह बोला: अरे तुमने यहाँ एक मेरे ऊपर थानेदारनी बहु जो बिठा रखी है, वह संस्कार की दुहाई दे कर तुमको भी चुदवाने नहीं देगी।

डॉली बिलकुल इस तरह की भाषा के लिए तैयार नहीं थी।

रश्मि: अरे उसे कहाँ पता चलेगा। मैं आ जाती हूँ, दिन भर डॉली के साथ रहूँगी और रात को आपके पास आ जाऊँगी।

अब तो डॉली के चेहरे का रंग पूरी तरह उड़ गया।

राज: अमित को भी लाओगी ना साथ में? हम दोनों तुम्हारी वैसे ही चुदाई करेंगे जैसे उस दिन होटेल में की थी। बहुत मज़ा आया था, है ना

रश्मि: हाँ जी, उस दिन का मज़ा सच में नहीं भूल पाऊँगी। मैंने अमित से कहा है कि बुर चूसने में आपका कोई जवाब ही नहीं है। मैं आजकल अमित को सिखा रही हूँ बुर चूसना। सच उस दिन आपको पता है मैं चार बार झड़ी थी।

राज: उस दिन की बात सुनकर देखो मेरा खड़ा हो गया। और ये कहकर डॉली को दिखाकर लूँगी के ऊपर से उसने अपना लौड़ा मसल दिया।

अब डॉली की आँखों में शर्म और दुःख के आँसू आ गए थे। उसे अपनी माँ से ऐसी उम्मीद नहीं थी। वह जानती थी कि अमित के साथ उनका रिश्ता है। पर वह उसे स्वीकार कर चुकी थी। पर ये बातें जो उसने अभी सुनी , उफफफ ये तो बहुत ही घटिया हरकत है पापा , अमित ताऊ और माँ की। छी कोई ऐसा भी करता है क्या? वह रोते हुए अपने कमरे में आकर बिस्तर पर गिर गयी और तकिए में मुँह छिपाकर रोने लगी।

अब राज ने रश्मि से कुछ और बातें की , फिर फ़ोन काट दिया। अब वह उठकर डॉली के कमरे में आया और वहाँ डॉली को पेट के बल लेटके रोते देखा। उसकी बड़ी सी गाँड़ रोने से हिल रही थी, उसकी इच्छा हुई कि उन मोटे उभारों को मसल दे । पर उसने अपने आप पर क़ाबू किया और जाकर उसके पास बिस्तर पर बैठ गया। उसने डॉली की पीठ पर हाथ फेरा और बोला:बहु रो क्यों रही हो? जब तुम्हारी माँ को मुझसे चुदवाने में मज़ा आ रहा है और वो ख़ुश है तो तुम क्यों दुखी हो रही हो?
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#18
डॉली: पापा जी मुझे माँ से इस तरह की उम्मीद नहीं थी।

राज: अरे वाह पहले भी तो तुम्हारे ताऊ से चुदवा ही रही थी? तुमको पता तो होगा ही?

डॉली रोते हुए बोली: वो दूसरी बात है और उसे मैंने स्वीकार कर लिया था क्योंकि ताई जी बीमार रहती हैं और मेरे पापा नहीं है। पर आपके साथ करने की क्या ज़रूरत थी?

राज: बहु तुम उसे एक माँ की नज़र से ही देखती हो। उसे एक औरत की नज़र से देखो। उसकी बुर मज़ा चाहती थी। जो मैंने उसे दिया। हर बुर को एक लौड़ा चाहिए। और हर लौड़े को एक बुर। यही दुनिया की रीत है। सभी संस्कार धरे रह जाते है, जब औरत की बुर में आग लगती है या आदमी के लौड़े में तनाव आता है। यह कहते उसने उसकी पीठ सहलाते हुए उसका नंगा कंधा भी सहलाया । उसकी चिकने बदन का स्पर्श उसे दीवाना कर रहा था। अब वह उसके आँसू पोछने के बहाने उसके चिकने गाल को भी सहलाने लगा।

डॉली: पर पापा जी आपको तो उनको समझाना चाहिए था ना? आपने भी उनका साथ दिया।

राज उसकी पीठ सहलाते हुए अब उसकी चिकनी कमर जो ब्लाउस के नीचे का हिस्सा था सहलाने लगा और बोला:बहु,अमित के साथ वह बहुत दिन से मज़ा कर रही थी और वो ख़ुश थी। पर जब वो मुझसे चुदी तो उसने जाना कि असली चुदाई का सुख क्या होता है। इसीलिए हमारा रिश्ता गहरा हो गया और बाद में अमित भी इसमे शामिल हो गया। फिर हम तीनों मज़े लेने लगे।

डॉली आँसू पोछते हुई उठी और और बैठ कर बोली: पापा जी मुझे अकेला छोड़ दीजिए । मैं बहुत परेशान हूँ। मेरी सोचने समझने की शक्ति चली गयी है।

राज उसके हाथ सहलाता हुआ बोला: बहु मैं तो सिर्फ़ तुम्हारे संस्कारी परिवार के बारे में बता रहा था । समझ गयी ना कि कैसा परिवार है तुम्हारा? अब भी मेरी बात मान लो। एक बार हाँ कर दो, शशी बन कर रहोगी। दिन में मेरी और रात में जय की। दुनिया की हर ख़ुशी तुम्हारी झोली में डाल दूँगा। और डबल मज़ा मिलेगा वह अलग । ये कहते हुए वह खड़ा हुआ और उसकी लूँगी से उसका उभरा हुआ खड़ा लौड़ा अलग से डॉली की आँखों के सामने था। उफफफफ पापा जी भी ना, वह सोची कि क्या हो गया है इनको?

उनके जाने के बाद वह स्तब्ध सी बैठी अब तक की घटनाक्रम के बारे में सोचने लगी। पापा तो हाथ धो कर पीछे पड़ गए हैं, वो बार बार उसे अपनी बनाने की बात करते हैं। आख़िर वो ऐसा कैसे कर सकती है ? वह जय को धोका कैसे दे सकती है? इसी ऊहापोह में वह सो गयी।

जय शाम को आया और आते ही डॉली की चुदाई में लग गया। जब वह शांत हुआ तो डॉली बोली: आपका दिन कैसा रहा?
वो: ठीक था, पर तुम पापा से पैसों की बात करी या नहीं?

डॉली: नहीं कर पाई। अवसर ही नहीं मिला।

जय: चलो मैं ही बात कर लेता हूँ।

डॉली; नहीं नहीं। आप अभी रहने दो, मैं ही कर लूँगी।
डॉली को डर था कि कही पापा जय को पैसे के लिए मना करके अपनी शादी की बात ना बता दें। जय को बड़ा धक्का लगेगा।

जय: ठीक है, तुम ही बात कर लेना। अच्छा एक बात बताऊँ? आज असलम आया था। मेरे कॉलेज का दोस्त। शादी के बाद वह पहली बार मिला है। हमारी शादी भी अटेंड नहीं कर पाया क्योंकि वह विदेश में था। उसका इक्स्पॉर्ट का बिज़नेस है।

डॉली: अच्छा क्या बोल रहा था?

जय: अरे वो जो बोल रहा था , सुनोगी तो चक्कर आ जाएगा।

डॉली: ओह ऐसा क्या बोल दिया उसने।

जय: वो बोल रहा था कि वो जब भी बाहर जाता है अपनी बीवी को भी ले जाता है। और वह वहाँ जाकर वाइफ़ सवेप्पिंग यानी बीवियों की अदला बदली का खेल खेलता है।

डॉली: हे राम, ये क्या कह रहे हैं आप? छि कोई ऐसा भी करता है क्या?

जय: अरे बड़ी सोसायटी में सब चलता है । वह कह रहा था कि अब अपने शहर में भी ये सब शुरू हो गया है। वह यहाँ भी अपने दो दोस्तों की बीवियों को चोद चुका है और बदले में उसकी बीवी भी उसके दोनों दोस्तों से चुद चुकी है।
डॉली: ओह ये तो बड़ी गंदी बात है।

जय: मैं भी मज़ाक़ में बोला कि मुझसे भी चुदवा दे भाभी को। जानती हो वो क्या बोला?

डॉली: क्या बोला?

जय: वह बोला कि अरे भाई चल अभी चोद ले उसको, पर अपनी वाली कब दिलवाएगा। ? मैं बोला साले मैं मज़ाक़ कर रहा था। मेरी बीवी इसके लिए कभी तैयार नहीं होगी। वो बहुत संस्कारी परिवार से है।

डॉली संस्कारी शब्द से चौकी। और सोची काहे का संस्कारी परिवार ? सत्यानाश हो रखा है संस्कारों का। अपनी माँ और ससुर के सम्बन्धों का जान कर तो वो शर्म से गड़ गयी है।
वह बोली: चलिए हमें क्या करना है इन फ़ालतू बातों से । आप फ़्रेश हो लीजिए मैं खाना लगाती हूँ।

सबने खाना खाया और जय ने रात को दो राउंड और चुदाई की।
अगले दिन सुबह डॉली उठी और चाय बनाकर राज के कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी, आइए चाय बन गयी।

राज लूँगी और बनयान में बाहर आया और टेबल पर बैठकर चाय पीने लगा और बोला: बहु गुड मॉर्निंग।

डॉली ने झुककर उसके पैर छुए और गुड मोर्निंग पापा जी कहा। वह भी चाय पीने लगी।

राज: बहु , रात को जय ने मज़ा दिया?

डॉली चौक कर और शर्म से लाल होकर: छी पापा जी , ये कैसा प्रश्न है?

राज: अच्छा प्रश्न है कि रात को मज़ा किया या नहीं? ये तो सामान्य सा प्रश्न है?

डॉली: मुझे इसका जवाब नहीं देना है। वह चाय पीते हुए बोली।

राज: अगर तुमने मज़ा किया तो यह सामान्य बात है। और अब दिन में उसके जाने के बाद तुम मुझसे मज़ा लो तो भी वह समान्य बात हो सकती है। है ना?

डॉली: बिलकुल नहीं। वो मेरे पति हैं आप नहीं। फिर वह उठी और चाय के ख़ाली प्यालियाँ उठा कर किचन में ले गयी। राज उसके पीछे किचन में गया और बोला: जानती हो जब तुम चलती हो तो तुम्हारा पिछवाड़ा बहुत सेक्सी दिखता है।

डॉली पीछे को मुड़ी और बोली: पापा जी प्लीज़ ऐसी बातें मत करिए । मुझे बहुत दुःख होता है।

अब राज उसकी छातियों को घूरते हुए बोला: और तुम्हारी इन मस्त छातियों ने तो मेरी नींद ही उड़ा दी है।

डॉली अब लाल होकर चुपचाप वहाँ से बाहर निकलने लगी। तभी राज ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:मान जाओ ना मेरी बात, क्यों मुझे मजबूर कर रही हो कि मैं इस घर में एक और जवान लड़की लाऊँ और घर की शांति भंग करूँ।

डॉली दुखी मन से अपना हाथ छुड़ाया और बोली: पापा जी ये बिलकुल ग़लत है । ये कैसे हो सकता है?

यह कहकर वह वहाँ से चली गयी। राज भी अपनी लूँगी के ऊपर से अपना लौड़ा मसलते हुए चला गया अपने कमरे में।

डॉली ने जय को उठाया और उसे भी चाय पिलाई। जय फ़्रेश होकर डॉली को बिस्तर पर पटक दिया और बोला: क्या बात है थोड़ी उदास दिख रही हो? वह उसके होंठ चूसते हुए बोला।

डॉली क्या बोलती कि पापा ने अभी कितनी गंदी बात की है? वह सोची कि जय को बतायी तो उसे बहुत ग़ुस्सा आ जाएगा और परिवार बिखर जाएगा । वह उससे चिपट गयी और दोनों प्यार के संसार में खो गए। जय उत्तेजित होता चला गया और उसने डॉली की जम कर चुदाई कर दी।

चुदाई के बाद थोड़ा आराम कर डॉली बाहर आइ और नाश्ता बनाने लगी । नाश्ते के टेबल पर राज बिलकुल सामान्य लग रहा था और उससे बड़ी अच्छी तरह से बातें कर रहा था जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। उधर डॉली को उसके लिए सामान्य होने में बड़ी दिक़्क़त हो रही थी । जय अपने पापा से बहुत सी बातें किया। डॉली सोच रही थी कि पापा कितने बड़े गिरगिट हैं । अभी ऐसा लग ही नहीं रहा है जैसे उन्होंने उससे कुछ गंदी बात की ही ना हो। उफ़्फ़्फ़ वह कैसे इस सिचूएशन को हैंडल करे।

जय के जाने के बाद वह नहाने चली गयी।बाथरूम में शीशे में अपनी जवानी देखकर वह सोची कि शायद पापा की इसमें कोई ग़लती नहीं है। सच में शादी के बाद उसका बदन बहुत ही मस्त हो गया है। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ एकदम गोल गोल और पूरी तरह टाइट थे। बड़े बड़े काले निपल बहुत मस्त लग रहे थे। नीचे उसका सपाट पेट और गहरी नाभि और पतली कमर बहुत ही ग़ज़ब ढा रही थी। उसके नीचे मस्त भरी हुई जाँघें और उसके बीच में फूली हुई बुर का नज़ारा उसे ख़ुद ही मस्त कर दिया था। तभी उसके कान में पापा के शब्द सुनाई दिए कि क्या मस्त पिछवाड़ा है । वह अब मुड़ी और उसके सामने उसके सेक्सी चूतड़ थे। उफफफफ सच पापा जी का कोई दोष नहीं है। कितने आकर्षक हो गए हैं उसके चूतड़ । वह ख़ुद ही अपनी चूतरों पर मुग्ध हो गयी और उनपर हाथ फिराकर उनके चिकनेपन से वह मस्त हो गयी। फिर उसने अपना सिर झटका और सोची कि वो पापा की बातों के बारे में क्यों सोच रही है। अब वो नहाने लगी।
नहाकर तैयार होकर साड़ी में वह बाहर आइ और बाई से काम करवाने लगी। फिर वह आकर सोफ़े पर बैठी और पेपर पढ़ने लगी। राज भी थोड़ी देर में नहाकर बाहर आया और पंडित को मिस्ड काल किया। जल्दी ही पंडित का फ़ोन आ गया।
राज: नमस्ते पंडित जी। कैसे याद किया? फिर उसने फ़ोन स्पीकर मोड में डाल दिया ताकि सामने बैठी डॉली सब सुन ले।

पंडित: जज़मान, आज एक लड़की वाले के यहाँ गया था। वो बोल रहे थे कि अगर शादी हो गयी और उस लड़की के बच्चा हुआ तो आपके बड़े बेटे और इस नए बच्चे में सम्पत्ति बराबर से बाटनी होगी। मैंने कह दिया कि ये तो होगा ही। पर वो स्टैम्प पेपर में अग्रीमेंट चाहते हैं। वो बोल रहे हैं की आप तो उससे क़रीब ३० साल बड़े है। आपके बाद उस लड़की और उसके बच्चे का भविष्य कैसे सुरक्षित रहेगा। आप बताओ क्या बोलना है?

राज: अरे साले मेरे मरने का अभी से इंतज़ार कर रहे हैं क्या? वैसे उनकी बात में दम है, अगर मैं १५/२० साल में मर गया तो वह लड़की तो उस समय सिर्फ़ ३५/४० की होगी। उसका और उसके बच्चे का भविष्य सच में ख़तरे में होगा मतलब मुझे अभी से जायदाद का बँटवारा करना होगा। ताकि बाद में उसके साथ अन्याय ना हो।

यह कहते हुए वह डॉली की ओर देखा जिसके मुँह का रंग उड़ गया था। वह सोच रही थी कि जय के हिस्से में आधी प्रॉपर्टी ही आएगी। वह कितना दुखी होगा। पापा को इस शादी से रोकना ही होगा। उफफफफ वह क्या करे? शादी रोकने की शर्त तो बड़ी घटिया है। उसे पापा जी से चुदवाना होगा। वो सिहर उठी ये सोचकर।

राज मन ही मन मुस्कुराया डॉली की परेशानी देखकर और बोला: ठीक है पंडित जी मैं परसों आ ही रहा हूँ। एक अग्रीमेंट बना कर ले आऊँगा। चलो अभी रखता हूँ।

डॉली: पापा जी आप अपने बेटे जय के साथ इस तरह का अन्याय कैसे कर सकते हैं? वह बहुत दुखी होंगे और टूट जाएँगे।

राज: बहु इसके लिए तुम ही ज़िम्मेदार हो। अगर तुम मेरी बात मान लो तो कोई शादी का झमेला ही नहीं होगा। और हम तीनों एक परिवार की तरह आराम से रहेंगे। कोई बँटवारा नहीं होगा। पर तुम तो अपनी बात पर अड़ी हुई हो। मैं भी क्या करूँ?

डॉली: पापा जी फिर वही बात?

राज: चलो तुम चाहती हो तो यही सही। अब तो जय की दुकान, ये घर और सोना रुपया भी बराबर से बँटेगा। मैं भी मजबूर हूँ।

डॉली की आँखें मजबूरी से गीली हो गयीं और वह वहाँ से उठकर अपने कमरे में आके रोने लगी।

उस दिन और कुछ नहीं हुआ । डॉली ने सोचा कि अब उसकी आख़री आस रचना दीदी थी। अभी तो अमेरिका में वो सो रही होगी। वह शाम को उससे बात करेगी ताकि वह पापा जी को समझाए। वह थोड़ी संतुष्ट होकर लेट गयी।

तभी उसे जय की कही बात याद आइ जो वह अपने दोस्त असलम के बारे में बता रहा था कि वो बीवियों की अदला बदली में मज़ा लेता है। वह थोड़ी सी बेचैन हुई कि क्या यह सब आजकल समान्य सी बात हो गयी है। क्या पति से वफ़ादारी और रिश्तों की पवित्रता अब बाक़ी नहीं रह गयी है। और क्या जय सच में असलम से जो बोला कि वह उसकी बीवी को करना चाहता है यह मज़ाक़ ही था या कुछ और? क्या जय उसे भी अपने दोस्त से चुदवाना चाहता है? पता नहीं क्या क्या चल रहा है किसके मन में यहाँ? हे भगवान मैं क्या करूँ? फिर वह सोची कि शाम को रचना दीदी से बात करूँगी तभी कुछ शायद मदद होगी। ये सोचते हुए उसकी आँख लग गयी ।

शाम को उसने देखा कि पापा टी वी देख रहे हैं। वह अपने कमरे में आयी और रचना को लैंडलाइन से फ़ोन लगायी। रचना ने फ़ोन उठाया और बोली: हाय पापा जी क्या हाल है?

डॉली: दीदी नमस्ते , मैं डॉली बोल रही हूँ।

रचना: ओह, मैं सोची पापा होंगे। बोलो क्या हाल है भाभी जी?

डॉली: कुछ ठीक नहीं है, इसीलिए आपको फ़ोन किया है, शायद आप कोई मदद कर सको।

रचना: हाँ हाँ बोलो ना क्या समस्या है?

डॉली: समस्या तो बड़ी गम्भीर है दीदी। और वो पापा के बारे में है।

रचना: ओह, हेलो हेलो आवाज़ नहीं आ रही है। मैं लगाती हूँ फिर से फ़ोन। यह कहकर रचना ने फ़ोन काट दिया।

फिर रचना अपने मोबाइल से राज को फ़ोन लगायी और बोली: पापा डॉली मुझसे आपके बारे में बात करना चाहती है। ज़रूर आपकी शिकायत करेगी। अगर सुनना चाहते हैं तो मैं लैंड लाइन पर लगाती हूँ आप पैरलेल फ़ोन उठा कर अपने बेडरूम से सुन लेना। पर बोलना कुछ नहीं।

राज: ठीक है बेटी लगाओ फ़ोन।

अब रचना ने फ़ोन लगाया और डॉली ने उठाया और साथ ही राज ने भी अपने कमरे में उठा लिया।

रचना: अरे भाभी आपका फ़ोन कट गया था, इसलिए मैंने फिर से लगाया है।

डॉली: ओह ठीक है दीदी, मैं आपसे पापा जी के बारे में बात करना चाहती हूँ, उनको शादी करने का भूत सवार है और वह भी मुझसे भी छोटी लड़की से।
रचना: ओह क्या कह रही हो? ये तो बड़ी बेकार बात है।

डॉली: वही तो, अब आप ही उनको समझाइए। वो तो कल गाँव जा रहे हैं लड़की पसंद करने। और ये भी बोल रहे हैं कि जय को प्रॉपर्टी का आधा हिस्सा ही मिलेगा। आधा हिस्सा वो उस लड़की को दे देंगे।

राज सुनकर कुटीलता से मुस्कुराया और सोचा कि ये बेवक़ूफ़ किससे मदद माँग रही है, हा हा ।

रचना: ओह तो तुमने उनको समझाया नहीं?

डॉली: क्या समझाऊँ? वो तो मेरे को ही दोष दे रहें हैं इस सबके लिए।

रचना: तुमको ? वो क्यों?

डॉली: अब कैसे कहूँ आपको ये सब? मैंने तो अभी तक ये सब जय को भी नहीं बताया है।

रचना: अरे तुम बताओगी नहीं तो मैं तुम्हारी मदद कैसे करूँगी?

डॉली: आप इसे अन्यथा ना लेना, असल में वो शशी थी ना हमारे घर की नौकशशी? पापा के उसके साथ सम्बंध थे। एक दिन मैंने दोनों को साथ देख लिया और उसे नौकरी से निकाल दिया। बस तब से मेरे पीछे पड़े हैं कि अब मेरी प्यास कैसे बुझेगी? और भी ना जाने क्या क्या।

रचना: ओह, तुमने उसे निकाल क्यों दिया? अरे माँ के जाने बाद अगर वह अपनी प्यास उससे बुझा रहे थे तो तुमको क्या समस्या थी? घर की बात घर में ही थी। किसी रँडी को तो नहीं चो- मतलब लगा रहे थे ना?

डॉली उसकी बात सुनकर हैरानी से बोली: दीदी वो नौकशशी थी और पापा जी को उससे कोई बीमारी भी हो सकती थी। मैंने तो पापा के स्वास्थ्य के लिए ही ऐसा किया। अब आप भी उनका ही पक्ष ले रही हो।

रचना: अरे भाभी, पापा बच्चे थोड़े हैं। अपना भला बुरा समझते हैं। तुमको उनके व्यक्तिगत जीवन में दख़ल नहीं देना चाहिए था।

डॉली: ओह दीदी अब तो जो हुआ सो हुआ। आगे जो बताऊँगी आपको सुनकर और भी अजीब लगेगा।

रचना: अच्छा बताओ।

डॉली: उसके बाद वो शादी की बातें करने लगे। जब मैंने मना किया तो वो बोले कि मैं बहुत सुंदर और मादक हो गयी हूँ। और मुझे दिन भर देख देख कर वह वासना से भर जाते हैं और मुझे दिन में उनकी प्यास बुझानी चाहिए। और रात को जय की बीवी बनकर रहना चाहिए। छी दीदी, मुझे तो बोलते हुए भी ख़राब लग रहा है। आप ही बोलो कोई ससुर अपनी बहु से ऐसा भी भला बोलता है?

राज यह सुनकर मुस्कुरा कर अपना खड़ा होता हुआ लौड़ा दबाने लगा।

रचना: ओह, क्या सच में तुम इतनी मादक हो गयी हो? जब मैंने तुमको देखा था तो तुम सामान्य सी लड़की थी।

डॉली: ओह दीदी आप भी ना? शादी के बाद लड़की के बदन में परिवर्तन तो आता ही है। मैं भी थोड़ी भर गयी हूँ।

रचना हँसकर: क्या ब्रा का साइज़ भी बढ़ गया है? और पिछवाड़ा भी भारी हो गया है?

डॉली: छी दीदी आप भी मज़ाक़ करती हो। वैसे ब्रा का साइज़ दो नम्बर बढ़ा है और हाँ पापा जी कह रहे थे की मेरी छातियाँ और पिछवाड़ा उनको बहुत मादक लगता है।

अब राज ने यह सुनकर लूँगी से अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और उसको मुठियाने लगा।

रचना: तो ऐसे बोल ना कि तुम माल बन गयी हो, तभी तो पापा पागल हो रहे हैं। अब देख ना, एक तो वैसे ही शशी को तुमने भगा दिया और अब उनके सामने दिन भर अपनी चूचियाँ और गाँड़ मटकाओगी तो बेचारे उन पर क्या गुज़रेगी?
उनका बदन तो फड़फड़ायेगा ना तुमको पाने के लिए।

डॉली उसकी भाषा और उसके विचारों से सकते में आ गयी और बोली: आप भी क्या क्या बोल रही हो? छी आप अपने पापा के बारे में ऐसा कैसे बोल सकती हो? फिर मैं उनकी बहु हूँ, कोई आम लड़की नहीं हूँ।

रचना: अरे तुम अपने ही घर की हो तभी तो उन्होंने अपने दिल की बात तुमसे कह दी और कोई बाहर वाले से ऐसा थोड़े ही बोल सकते थे।

डॉली: मतलब? मैं समझी नहीं।

रचना: देखो भाभी, उनको तुम अच्छी लगी तो उन्होंने अपने दिल की बात तुमसे कह दी। वो तुमको जय को छोड़ने को तो नहीं कह रहे, बस उनकी भी बन जाने को कह रहे है। मुझे तो लगता है कि इसमे कोई बुराई नहीं है। घर की बात घर में ही रहेगी और प्रॉपर्टी का भी बँटवारा नहीं होगा। बाद में जय को भी बता देना कि उसका आधा हिस्सा बचाने के लिए तुम पापा से चुद– मतलब करवाई थी।

राज अब ज़ोर ज़ोर से अपना लौड़ा हिलाने लगा। अपनी बेटी और बहु की कामुक बातें उसे पागल बना रही थी ।

डॉली: उफफफ दीदी आपकी सोच से तो भगवान ही बचाए। आप साफ़ साफ़ कह रही हो कि पापा के सामने मुझे संपरण कर देना चाहिए? पता नहीं मैं क्या करूँगी?

रचना: अपने घर को दो टुकड़ों में बटने से बचाने के लिए ये त्याग तुमको करना ही पड़ेगा। अगर पापा जी ने शादी कर ली, तो घर की शांति हमेशा के लिए खतम समझो।

डॉली: यही चिंता तो मुझे खाए जा रही है। समझ में नहीं आ रहा है कि जय को कैसे धोका दूँ। वो मुझे बहुत प्यार करते है।

अब राज कॉर्ड्लेस फ़ोन को लेकर डॉली के कमरे के सामने आया और खुली खिड़की से अंदर झाँका, वहाँ डॉली फ़ोन से रचना से बातें कर रही थी। उसकी छाती साँसों के तेज़ चलने की वजह से हिल रही थी।

रचना: अरे ये सब तुम जय के हक़ के लिए ही तो कर रही हो और साथ ही इस घर को भी बहुत बड़ी मुसीबत से बचा रही हो। दिन में पापा का प्यार लेना और रात में जय का। काश मेरे ससुर होते तो मैं तो ऐसे ही मज़ा करती। बहुत ख़ुशक़िस्मत लड़की हो तुम जिसकी जवानी की प्यास दो दो मर्द बुझाएँगे। मुझे तो सोचकर ही नीचे खुजली होने लगी।

डॉली: उफफफ दीदी कैसी बातें कर रही हो? ये कहते हुए उसने भी अपनी बुर खुजा दी। और सोची कि छी मुझे वहाँ क्यों खुजली हुई? क्या मैं भी अब ये चाहने लगी हूँ जो दीदी बोल रही है।

जैसे ही राज ने देखा कि डॉली रचना की बुर की खुजली की बात सुनकर अपनी भी बुर खुजा रही है, उसके लौड़े ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया जिसे वह लूँगी में सुखाने लगा।

डॉली ने ठीक है दीदी रखती हूँ कहकर फ़ोन बंद कर दिया। अब वह सोचने लगी कि उसके सामने क्या रास्ता बचा है? क्या जय को सब बता दे और घर में क्लेश मचने दे या दीदी की बात मान ले।
वह अपना सिर पकड़कर रह गयी।
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#19
राज ने रचना को फ़ोन किया और बोला: थैंक्स बेटी, तुमने बहुत साथ दिया। अब वो ज़रूर कुछ सोचेगी मेरी शादी को रोकने के लिए।

रचना: अच्छा पापा मेरे को तो बताओ कि क्या आप सच में आप शादी करोगे ?

राज: अरे नहीं बेटी, इस उम्र में में कैसे शादी कर सकता हूँ। किसी लड़की की ज़िन्दगी नहीं खराब करूँगा।

रचना: फिर ठीक है, ये आप डॉली को पटाने के लिए कर रहे हो। है ना?

राज: बिलकुल बेटी यही सच है। अब तुम मेरे पास होती तो हम मज़े कर लेते। पर तुम तो जॉन से मज़े कर रही हूँ। यहाँ मैं अपना डंडा दबा दबा कर परेशान हो रहा हूँ। क्या बताऊँ तुम्हें कि ये डॉली इतनी ग़दरा गयी है कि इसको देखकर ही मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है। साली की गाँड़ मस्त मोटी हो गयी है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या बताऊँ तुम्हें।

रचना हँसती हुई बोली: बस बस पापा बस करिए। समझ में आ गया कि आपकी बहू मस्त माल हो गयी है। और अब बहुत जल्दी ही वो आपके आग़ोश में होगी। चलिए रखती हूँ। बाई ।

राज का लौड़ा रचना से बात करते हुए खड़ा हो गया था। इसने उसको दबाया और लम्बी साँस ली और सोचा कि चलो कल देखते हैं क्या होता है।

जय घर आया तो उदास डॉली को देखकर पूछा: क्या हुआ जान , उदास दिख रही हो ।

डॉली: अरे कुछ नहीं, बस थोड़ी सुस्ती लग रही थी। चलो आप फ़्रेश हो मैं खाना लगती हूँ।

जय: अरे पहले तुम्हें तो खा लूँ फिर खाना खाऊँगा। यह कहते हुए उसने डॉली को बिस्तर पर गिरा दिया और उसके ऊपर आकर उसके गाल और होंठ चूसने लगा।

डॉली उसको धक्का दी और बोली: चलो अभी छोड़ो और खाना खाते हैं।
जय थोड़ा हैरानी से : क्या हुआ जान? सब ठीक है ना?

डॉली: सब ठीक है, अभी मूड नहीं है।

जय उसे छोड़कर बिस्तर से उठा और बोला: अच्छा आज भी बात हुई पापा जी से पैसे के बारे में?

डॉली झल्ला कर बोली: नहीं हुई और आप भी मत करना । कोई ज़रूरत नहीं है।

जय उसको पकड़कर बोला: बताओ ना क्या बात हुई है? तुम्हारा मूड इतना ख़राब मैंने कभी नहीं देखा।

डॉली: कुछ नहीं हुआ है बस सर दर्द कर रहा है। इसलिए आराम करना चाहती हूँ।

फिर वह किचन में चली गयी। खाना लगाते हुए उसे अपने व्यवहार पर काफ़ी बुरा लगा और वह वापस अपने कमरे में आयी और जय से लिपट गयी और बोली: रात को कर लेना । मना नहीं करूँगी और ये कहते हुए उसने लोअर के ऊपर से उसका लौड़ा दबा दिया। जय भी मस्ती में आकर उसकी कमर सहलाने लगा। फिर उसका हाथ उसके चूतरों पर आ गया और उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी पैंटी पर हाथ फिराकर बोला: जान, घर में पैंटी मत पहना करो। बाहर जाओ तो पहन लिया करो। ऐसे हाथ फिरा रहा हूँ तो पैंटी के कारण तुम्हारे चूतरों का मज़ा भी नहीं मिल पा रहा है।

डॉली: आपका बस चले तो मुझे नंगी ही रखोगे क्या पता?

जय उसके चूतरों के ऊपर से पैंटी को टटोलते हुए बोला: देखो ये पैंटी मेरे हाथ को तुम्हारी मस्तानी गाँड़ को महसूस ही करने नहीं दे रहा है।

डॉली हँसकर बोली: अच्छा नहीं पहनूँगी पैंटी बस । चलो अब खाना खा लो।

वो दोनों बाहर आए और जय ने राज को आवाज़ दी और सब खाना खाए। राज ने कुछ भी ऐसा शो नहीं किया जैसे कि कोई बात है। डॉली सोचने लगी कि कितना बड़ा नाटककार है ये पापा जी , ऐसे बर्ताव कर रहे है जैसे कुछ हुआ ही नहीं। कल शादी करने के लिए लड़की देखने जा रहे हैं और बेटे को इसकी भनक भी नहीं लगने दे रहे हैं और मेरे पीछे भी पड़े हैं कि मैं अपनी जवानी इनको सौंप दूँ। उफफफफ क्या करूँ।

खाना खाते हुए बाप बेटा व्यापार की बातें करते रहे। फिर वो अपने अपने कमरे में चले गए।

रात को जय ने डॉली की दो बार चुदाई की और फिर वो सो गए।

अगले दिन जय के जाने के बाद कमला किचन में आयी और डॉली को बोली: बड़े साहब कहीं बाहर जा रहें हैं क्या?

डॉली : क्यों क्या हुआ?

कमला: वो साहब सूटकेस पैक कर रहे हैं ना इसलिए पूछी।

डॉली बहुत परेशान हो गयी । उफफफफ पापा जी को भी चैन नहीं है । लगता है आज जा रहें हैं लड़की देखने। वह सोची कि क्या करूँ कैसे रोकूँ उनको।

तभी राज ने चाय माँगी। डॉली बोली: अभी लाती हूँ।

कमला अपना काम कर चली गयी। डॉली चाय लेकर सोफ़े पर बैठे राज को दी।

राज चाय पीते हुए बोला: बहु आज मैं गाँव जा रहा हूँ। रात तक वापस आ जाऊँगा।

डॉली: मैं जय को क्या बोलूँ?

राज: जो तुम्हें सही लगे बोल देना। वैसे भी उसे बताना तो होगा ही कि उसकी नयी माँ आने वाली है।

डॉली रुआंसी होकर बोली: जानते हैं उनको कितना बुरा लगेगा। पता नहीं वो टूट ना जाए।

राज: मैं क्या कर सकता हूँ अगर तुम मेरी बात मान जाओ तो मुझे ये सब कुछ नहीं करना पड़ेगा।

डॉली: पापा जी आप समझते क्यों नहीं कि मैं जय से आपके बेटे से बहुत प्यार करती हूँ और उनको धोका कैसे दे सकती हूँ।

राज: वही रट लगा रखी हो । कहा ना हम दोनों की बनकर रहो। पता नहीं क्यों तुम्हें समझ नहीं आ रहा है। तुम मुझे मजबूर कर रही हो कि मैं शादी करूँ और इस घर का बँटवारा करूँ।

डॉली रोने लगी और बोली: पापा जी क्यों मेरी ज़िंदगी तबाह करने पर तुले हैं। मैं बरबाद हो जाऊँगी।

राज: रोने से इस समस्या का हल नहीं होगा बहु। तुमको फ़ैसला करना ही होगा।

यह कहकर वह उठा और अपने कमरे में चला गया। वह दरवाज़ा खुला छोड़कर अपना सूट्केस पैक करने लगा। डॉली सोफ़े पर बैठी हुई राज को पैकिंग करते हुए देख रही थी और उसका कलेजा मुँह को आ रहा था । उसे लगा कि ये पापाजी सूट्केस नहीं बल्कि इस घर की ख़ुशियाँ पैक करके बाहर ले जा रहे हैं। तभी उसने फ़ैसला लिया कि ये नहीं हो सकता और वह ये नहीं होने देगी चाहे इसके लिए उसे कितना बड़ा भी त्याग ना करना पड़े।

वह उठी और राज के कमरे में पहुँची और बोली: ठीक है पापाजी मुझे आपकी शर्त मंज़ूर है , आप गाँव नहीं जाएँगे।

राज बहुत ख़ुश हो कर बोला: सच में बहु! अगर तुम मान गयी हो तो मुझे क्या ज़रूरत है जाने की।

यह कहकर वह आगे बढ़ा और डॉली को अपनी बाहों में जकड़ लिया। डॉली ने छूटने का कोई प्रयास नहीं किया और ना ही कोई उत्साह दिखाया। राज उसके गाल चूमा पर डॉली को जैसे कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ा। वह बुत की तरह खड़ी रही।
राज थोड़ा परेशान होकर बोला: क्या हुआ बहु ? क्या बात है?

डॉली: पापा जी , आपको मैं अपना शरीर दे दी हूँ। आप जो चाहे कर लीजिए मेरे साथ। पर मेरा दिल आपको अभी भी अपना नहीं मान रहा है। जय ने मेरे तन और मन दोनों जीता है। पर आपको मेरा सिर्फ़ तन ही मिलेगा, मन नहीं। उसने राज को देखते हुए कहा।

राज उसे छोड़ कर बोला: बहु , मैंने आजतक किसी भी लड़की से कभी भी ज़बरदस्ती नहीं की। मैंने कई लड़कियों से मज़ा लिया है पर कभी भी उनकी मर्ज़ी के बिना नहीं किया। और सुन लो तुमसे भी कोई ज़बरदस्ती नहीं करूँगा।

डॉली: मैंने तो आपको अपना बदन सौंप ही दिया है जो करना है कर लीजिए मेरे साथ। ज़बरदस्ती का सवाल ही नहीं है। यह कहते हुए उसने अपनी साड़ी का पल्लू गिरा दिया। उसकी ब्लाउस में भरी हुई बड़ी बड़ी छातियाँ राज के सामने थी। वो बोली: पापा जी, जो करना है कर लीजिए। आप साड़ी उतारेंगे या मैं ही उतार दूँ।
राज ने देखा कि उसका चेहरा बिलकुल ही भावहीन था। वह सकते में आ गया इस लड़की के व्यवहार से । वह चुपचाप खड़ा रहा , फिर वह पास आकर उसकी साड़ी का पल्लू उठाकर वापस उसके कंधे पर रखा। फिर बोला: बहु ,मुझे लाश से प्यार नहीं करना है। अब मैं भी पहले तुम्हारा मन जीतूँगा और फिर तन से मज़े लूँगा। बोलो मेरा चैलेंज स्वीकार है ?

डॉली: मतलब आप मेरा पहले मन जीतेंगे और फिर मेरे साथ यह सब करेंगे?
राज: बिलकुल सही कहा तुमने।
डॉली: फिर आप गाँव जाएँगे क्या?
राज: गाँव जा कर क्या करूँगा। अब तो तुमको जीतना है और तुम्हारा मन भी जीतना है। वो गाँव जाकर नहीं होगा बल्कि यहाँ रहकर ही होगा।
यह कहकर वो हँसने लगा। डॉली को भी अजीब सी फ़ीलिंग हो रही थी। अब राज डॉली के पास आकर उसको अपनी बाँह में लेकर उसके गाल को चूमा और बोला: बहुत जल्दी तुम्हारा मन भी जीतूँगा और ये भी । यह कहते हुए उसने साड़ी के ऊपर से उसकी बुर को दबा दिया और फिर उसको छोड़कर हँसते हुए कमरे से बाहर निकल गया। डॉली उसकी इस हरकत से भौंचक्की रह गयी।
वह भी चुप चाप अपने कमरे में चली गयी । परिस्थितियाँ इतनी जल्दी से बदली थीं कि वह भी हैरान थी।

राज अपने कमरे में आकर सूट्केस का सामान निकाला और मन ही मन ख़ुश होकर सोचा कि आज एक जीत तो हो गयी है।डॉली ने उसके सामने सरेंडर तो कर ही दिया है। उसको पता था कि उसका मर्दाना चार्म इस बला की मादक लड़की को जल्दी ही उसकी गोद में ले आएगा। उसने थोड़ी देर सोचा फिर एक sms किया रश्मि को याने डॉली की मॉ को। उसने उसे आधे घंटे के बाद फ़ोन करने को कहा और उसे अमित के साथ आने का और रात रुकने का न्योता भी दिया। उसने यह भी कहा कि इस sms का ज़िक्र वो अमित से भी ना करे।
उधर डॉली ससुर की हरकत से अभी भी सकते में थी। कितनी बेशर्मी से उसने उसकी साड़ी में ऊपर से उसकी बुर को दबा दिया था। वह बहुत शर्मिंदा थी कि जिस चीज़ पर सिर्फ़ उसके पति का हक़ है उसे कैसे वह इस तरह से दबा सकता है। उसकी आँखें शर्मिंदगी से गीली हो गयीं। वह बाथरूम गयी और मुँह धोकर बाहर आयी।
वह सोफ़े पर बैठ कर टी वी देख रही थी तभी राज अपनी योजना के अनुसार बाहर आया और उसके साथ उसी सोफ़े पर बैठा और डॉली को एक लिफ़ाफ़ा दिया और बोला: लो बहु , इसको संभाल लो।
डॉली: पापा जी ये क्या है?
राज: ये दो लाख रुपए का चेक है, जो तुमने माँगे थे ,जय के बिज़नेस के लिए। अब क्योंकि शादी कैन्सल हो गयी है तो पैसे बच गए ना फ़ालतू ख़र्चे से । इसलिए तुमको दे दिए।
डॉली बहुत ही हल्का महसूस की क्योंकि इसको लेकर जय बहुत तनाव में था। अब ज़रूर वह ख़ुश होगा।वह बोली: थैंक्स पापा जी। इनको पा कर जय को बहुत ख़ुशी होगी।
राज हँसकर: तुम्हें सिर्फ़ जय की ख़ुशी की चिंता है, कुछ ख़ुशी मुझे भी तो दो।
डॉली: आपको क्या ख़ुशी चाहिए।
राज ने उसका हाथ पकड़ा और उसको चूमते हुए बोला: मुझे तो बस एक चुम्बन ही दे दो। यह कहके वह साइड में झुका और उसका एक गाल चूम लिया।
डॉली एक पल के लिए हड़बड़ा गयी। तभी राज के फ़ोन की घंटी बजी। फ़ोन अमित ने किया था। वह मन ही मन मुस्कुराया क्योंकि ये फ़ोन उसकी योजना के अनुसार ही आया था। वह मोबाइल डॉली को दिखाकर बोला: तुम्हारे ताऊजी का फ़ोन है।
डॉली थोड़ी परेशान होकर बोली: ओह, भगवान करे वहाँ सब ठीक हो। ताऊजी ने आपको क्यों फ़ोन किया है?
राज फ़ोन को स्पीकर मोड में रखा और बोला: लो तुम भी सुन लो , जो भी बात होगी।
डॉली ध्यान से सुनने लगी।
अमित:नमस्कार भाई साब कैसे हैं ?
राज: सब बढ़िया है आप सुनाओ।
अमित: अरे भाई साब , मैंने फ़ोन स्पीकर मोड में रखा है और साथ ही रश्मि भी है।
रश्मि: नमस्ते भाई साब , आप कैसे हैं?
राज ने डॉली को आँख मारी और चुप रहने का इशारा किया और बोला: अरे जान, आज बहुत दिन बाद हमारी याद आइ। हम तो धन्य हो गए।
रश्मि: हमारी शशी बेटी कैसी है? ख़ुश तो है ना?
राज डॉली को आँख मारते हुए: अरे बहुत ख़ुश है और बहुत मस्त हो गयी है। उसका बदन मस्त ग़दरा गया है। देखते ही बनती है।
रश्मि: छी अपनी बहू के बारे में कुछ भी बोलते हो। कहीं उस पर भी बुरी नज़र तो नहीं डाल रहे हो?
डॉली अपनी माँ की इस बात से बुरी तरह से चौकी। पर राज को मानो कुछ फ़र्क़ ही नहीं पड़ा और वह बोला: अरे नहीं नहीं, वो तो मेरी प्यारी बेटी है। उसपर कैसे बुरी नज़र डालूँगा। ये कहते हुए उसने डॉली की एक जाँघ दबा दी।
डॉली ने उसका हाथ वहाँ से हटा दिया।
अमित: अच्छा हम दोनों कल आपके घर आने का प्रोग्राम बना रहे हैं। रश्मि का बहुत मन है डॉली से मिलने का।
राज: सिर्फ़ उसी से मिलने का? और मुझसे मिलने का मन नहीं है?
रश्मि: अरे आपसे भी मिलने का मन है। असल में मैं अमित जी से बोली हूँ कि हम कल शाम को आएँगे और बेटी और दामाद से मिल लेंगे, फिर रात में रुक जाते हैं। आप कोई ना कोई जुगाड़ तो बना ही लोगे रात में मज़ा करने का। ठीक बोली ना मैं?
डॉली का चेहरा सफ़ेद पड़ गया और वह वहाँ से जाने के लिए उठने लगी। पर राज ने उसके हाथ को पकड़कर उसे ज़बरदस्ती वहाँ बिठा दिया और उसके हाथ को पकड़े ही रखा।
राज: अरे क्यों नहीं मेरी जान, रात को तो चुदाई का मस्त जुगाड़ हो जाएगा। जय और बहु भी रात को १० बजे अपने कमरे में जाकर चुदाई में लग जाते हैं। हम तीनों भी मस्त चुदाई करेंगे रात भर।
रश्मि: छी अपने बेटे और बहु के बारे में ऐसी बात क्यों कर रहे हो। क्या उनको देखते रहते हो कि वो कमरे में क्या कर रहे हैं।
राज: अरे जवान जोड़ा अपने कमरे में और क्या करेगा। ये कहते हुए वह डॉली को देखा और हंस दिया। अभी भी वो उसकी बाँह पकड़ा हुआ था और उसे सहला रहा था। डॉली भी चुपचाप मजबूरी में अपनी माँ , ताऊजी और राज की बातें सुन रही थी। पर उसे एक अजीब सी उत्तेजना होने लगी थी और उसके निपल्ज़ कड़े हो गए थे ब्रा के अंदर।
अमित: चलो फिर पक्का हुआ ना कल शाम को हम आ रहे हैं।
राज: पक्का हुआ और मेरी जान कल कुछ सेक्सी पहनना ।
रश्मि: अरे मैं बेटी और दामाद के घर सेक्सी कपड़े पहन कर आऊँगी क्या?
राज: अरे उनके सामने तो साड़ी ही पहन कर आना, पर रात को एक मस्त सेक्सी नायटी में अपना मस्त बदन दिखाना। और हाँ घर से पैंटी पहन कर मत आना।
अमित: अरे भाई , अब इसने पैंटी पहनना बंद कर दिया है। मैंने आपकी इच्छा के मुताबिक़ इसकी पैंटी छुड़वा दी है। हा हा।
डॉली सोचने लगी कि कितना खुलके ये सब गंदी बातें कर रहे है और अचानक ही उसे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस हुई। उसे अपने आप पर खीज हुई कि वो इन बातों से गरम कैसे हो रही है!! छि ।
रश्मि: और अब ये जब चाहे साड़ी उठाकर सीधे टार्गट तक पहुँच जाते हैं। कहते हुए वह हँसने लगी और दोनों मर्द भी हंस पड़े।
अमित: फिर भाई साब फ़ोन रखूँ?
राज: अरे यार इतनी जल्दी क्या है, इतने दिनों बाद तो फ़ोन किया है। आप दोनों लास्ट कब चुदाई किए?
रश्मि: अरे भाई साब , आजकल तो इनको रोज़ चाहिए। कल भी किए थे। आपने इनको बिगाड़ दिया है।
राज: हा हा अरे इसमें अमित की कोई ग़लती नहीं है। तुम हो ही इतनी क़ातिल चीज़ जो देखकर ही लौड़ा हिलने लगता है। मेरा भी खड़ा हो गया है, तुमसे बात करके ही।
यह कहते हुए राज ने हद कर दी। उसने अपनी लूँगी एक साइड में की और चड्डी तो वो पहनता ही नहीं है घर में, इसलिए उसका लम्बा मोटा साँवला सा लौड़ा बाहर आ गया और वो उसे बेशर्मी से सहलाने लगा। डॉली को बहुत ज़बरदस्त शॉक लगा और वह भौंचाक्की सी उसके लौड़े को देखती रह गयी। उसका साइज़ भी जय जैसा ही था और सुपाड़ा जय से भी ज़्यादा ही बहुत मोटा था। राज ने उसको अपने लौड़े को एकटक देखते हुए पाया और फ़ोन के स्पीकर पर हाथ रख के बोला: बहु पसंद आया हमारा? जय का भी ऐसा ही होगा। हमारा बेटा जो है। सही कहा ना?
डॉली की तो जैसे साँस ही रुक गयी। पर उसकी बुर अब पानी छोड़ने लगी।
तभी रश्मि बोली: क्या हुआ भाई साब हिला रहे हैं क्या? जो अपनी आवाज़ आनी बंद हो गयी। और रश्मि और अमित के हँसने की आवाज़ आने लगी।
डॉली के कान में माँ की अश्लील बातें गूँज रही थी।और आँखों के सामने ससुर का नंगा लौड़ा था जिसे वो हिला रहे थे। उसकी तो जैसे बोलती ही बंद हो गयी थी।
राज अपना लौड़ा हिलाते हुए बोला: अरे हिलाते हुए भी तो बात कर सकता हूँ। मेरे मुँह में कौन से तुम्हारी चूचि घुसी हुई है जो बात नहीं कर पाउँगा। हा हा ।
रश्मि: कल आऊँगी तो कल वो भी आपके मुँह में घुसेड़ दूँगी।फिर देखती हूँ आपकी बोलती कैसे बन्द नहीं होती।
राज: सच जान, बहुत दिन हो गए तुम्हारी चूचि चूसे हुए। कल तो रात भर चूसूँगा।
रश्मि हँसते हुए: रात को मुँह में लेकर सो जाईएगा।
डॉली की हालत अब ख़राब होने लगी थी।उसकी माँ ने इतनी अश्लील बातें करके उसे दुखी कर दिया था।
अमित: कल रात तो मैं भी मुँह में लेकर सो गया था। हा हा ।
रश्मि: अरे तो क्या हुआ, मेरे पास दो दो हैं, एक एक आप दोनों मुँह में लेकर सो जाईएगा।
डॉली अपनी माँ की इतनी अश्लील बातों से एकदम सन्न रह गयी थी और ऊपर से पापा जी अपना लौड़ा हिलाए जा रहे थे। राज ये सोचकर कि वो बहु की माँ से अश्लील बातें कर रहा है और बहु उसे सुन भी रही है और उसके लौड़े को भी देख रही है , वह बहुत उत्तेजित हो गया। फिर अचानक वह आऽऽऽऽहहह कहकर झड़ने लगा। उसका पानी दूर तक ज़मीन में गिरे जा रहा था और वह ह्म्म्म्म्म्म आऽऽऽऽह कहकर मज़े से डॉली को देख रहा था, जिसकी आँखें उसके लौड़े और उसमें से गिर रहे सफ़ेद गाढ़े वीर्य पर थीं।
राज ने फ़ोन पर हाँफते हुए कहा: आऽऽऽह मैं झड़ गया। अच्छा अब रखता हूँ।
रश्मि की भी हाऽऽय्यय की आवाज़ें आ रही थीं। वह बोली: ठीक है ये भी गरम हो गए हैं, मेरी साड़ी उठाकर अपना डालने जा रहे हैं। आऽऽऽऽऽह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ । रखती हूँ बाअअअअअअअइइइइ ।
डॉली समझ गयी कि ताऊजी ने माँ को चोदना शुरू कर दिया है। अब तक राज भी अपनी पीठ टिकाकर सोफ़े पर झड़ा हुआ बैठा था। उसका लम्बा मोटा लौड़ा अभी भी आधा खड़ा हुआ था। अब उसने उसका हाथ छोड़ दिया था। डॉली उठी और उसने महसूस किया कि उसके पैर काँप रहे हैं। वह ज़मीन पर गिरे हुए वीर्य से अपने पैरों को बचाते हुए अपने कमरे में पहुँची और बिस्तर पर गिर गयी। उसकी बुर पूरी गीली हो चुकी थी। उसने साड़ी और पेटिकोट उठाया और पैंटी में दो उँगलियाँ डालकर अपनी बुर को रगड़ने लगी। बुर के दाने को भी वो मसल देती थी ।बार बार उसकी आँखों के सामने पापा का लौड़ा आ जाता था। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कितने बड़े बॉल्ज़ थे पापा के। आऽऽह्ह्ह्ह्ह ।और क़रीब १० मिनट में वो बहुत ज़ोर से ऊँगली चलाते हुए झड़ने लगी।

थोड़ी देर बाद वह फ़्रेश होकर बाहर आइ और देखा कि राज वहाँ नहीं है। वह भी अपने कमरे में जा चुका था। उसकी नज़र ज़मीन पर पड़े हुए सूखे हुए वीर्य पर पड़ी। वह नहीं चाहती थी की नौकशशी उसे देखे , इसलिए वो एक पोछा लायी और ज़मीन पर बैठकर उसे साफ़ करने लगी। अचानक पता नहीं उसके मन में क्या आया कि उसने एक धब्बे को अपनी एक ऊँगली से पोंछा और उसे नाक के पास लाकर सूँघने लगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त मादक ख़ुशबू थी। उसकी बुर फिर से गीली होने लगी। तभी उसे ख़याल आया कि वह ये क्या कर रही है, वो अपने आप से शर्मिंदा होने लगी और सफ़ाई करके अच्छी तरह से हाथ धोकर वापस खाना लगाने लगी। फिर उसने राज को आवाज़ लगाई: पापा जी खाना लगा दिया है। आ जाइए।
राज के कमरे का दरवाज़ा खुला और वह बाहर आया।
राज और डॉली चुपचाप खाना खा रहे थे। राज ने ख़ामोशी तोड़ी और बोला: तुमने देखा कि आदमी और औरत के बीच में सेक्स का रिश्ता ही सबसे बड़ा रिश्ता है। तुम्हारी मॉ मेरी समधन है पर उससे बड़ा रिश्ता है हमारे बीच सेक्स के रिश्ते का। वैसे ही तुम्हारे ताऊ जी रश्मि के जेठ हैं पर उनके बीच भी चुदाई का ही रिश्ता सबसे बड़ा है। इसी तरह हम दोनों में भी ससुर बहु का रिश्ता है पर मैं चाहता हूँ की हमारे बीच भी मर्द और औरत का यानी चुदाई का रिश्ता भी हो जाए। बस इतनी सी बात है बहु शशी।

डॉली: पापा जी, मैं नहीं जानती कि सच क्या है और क्या ग़लत , पर सच में मम्मी ने मुझे बहुत ठेस पहुँचाई है। मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि वह इस तरह का व्यवहार या बातें कर सकती हैं। और ताऊजी भी ऐसे कर सकते हैं।

राज: बहु , जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे वैसे सेक्स की इच्छा भी बढ़ती है। यही हाल हम तीनों का है। अब कल हम दोनों तुम्हारी मम्मी को बहुत मज़ा देंगे। और वह भी हमें बहुत मज़ा देगी। इसी का नाम जीवन है बहु शशी। अब वह सोफ़े पर आकर बैठ गया। डॉली टेबल से बर्तन हटा रही थी। जैसे ही वह उसके सामने से गुज़री , राज ने उसके हाथ को पकड़ा और बोला: जानती हो तुम्हारा सबसे सेक्सी अंग क्या है?

डॉली चुपचाप खड़ी रही और उसकी ओर देखती रही। वह उसके मस्त चूतरों पर हाथ फेरकर बोला: ये है तुम्हारे बदन का सबसे हॉट हिस्सा। पर बहु तुम भी अपनी मम्मी की तरह पैंटी पहनना बन्द कर दो। तभी इसको छूने से मस्त माँस का अहसास होगा। यह कहके उसने एक बार फिर से उसके चूतरों को दबाया और फिर उसे जाने दिया।

डॉली सिहर कर किचन में चली गयी। उसने सोचा कि आज एक दिन में ही बाप और बेटे ने उसे पैंटी ना पहनने को कहा। सुबह जय भी तो यही बोला था। उफफफफ कितनी समानता है दोनों में और दोनों के हथियारों में भी। वह मुस्कुराती हुई सोची कि पता नहीं कब तक वो बच पाएगी इस शिकारी से । फिर वह आकर सोफ़े पर बैठी और टी वी देखने लगी।

राज: कल तुम अपनी मम्मी से लड़ाई तो नहीं करोगी कि वह क्यों मुझसे चुदवाती है।ऐसा करोगी तो बेकार में माहोल ख़राब होगा।

डॉली: नहीं मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगी। अगर मम्मी को यह सब अच्छा लगता है तो मैं क्यों उनको इससे दूर रखूँ।

राज: शाबाश ये हुई ना समझदारी वाली बात। इस बात पर मैं तुम्हें एक गिफ़्ट देना चाहता हूँ। अभी लाया। यह कहकर वह उठकर अपने कमरे में चला गया। थोड़ी देर में वह वापस आया और उसके हाथ में एक छोटी सी डिब्बी थी। वह आकर उसे खोला और डॉली ने देखा कि उसने एक सोने की चेन थी। वह हैरानी से उसे देखी तो वो मुस्कुराया और उस चेन को लेकर उसके पास आया और वह चेन उसने डॉली के गले में डाल दी और पीछे जाकर उसका हुक लगाया । फिर आगे आकर उसकी उभरी हुई छातियों पर रखी चेन को ठीक किया। और यह करते हुए उसने उसकी छातियों को छू भी लिया। उसकी ब्लाउस में कसी हुई छातियाँ और उस पर रखी वो चेन बहुत सुंदर लग रही थी। डॉली ने अपना मुँह नीचे किया और अपनी छाती में रखी चेन को देखा। फिर बोली: ये क्या है पापा जी, मुझे क्यों दे रहे हैं?

राज: बहु, ये मैं इसलिए दे रहा हूँ क्योंकि तुमने अभी कहा कि तुम अपनी मम्मी को कल मुझसे चुदवाने से मना नहीं करोगी। मेरे लिए ये बहुत बड़ी बात है। और देखो तुम्हारी छाती पर ये चेन कितनी सुंदर दिख रही है। जैसी मस्त छातियाँ वैसी ही मस्त चेन । उसने उसकी छातियों को घूरते हुए कहा।

डॉली उसकी बात सुनकर लाल हो गयी और उठते हुए बोली: पाप जी थैंक्स, पर जय को मैं क्या बोलूँगी?

राज: तुम उसे कुछ नहीं बोलना, जो बोलना होगा, मैं ही बोलूँगा। ठीक है?
डॉली जाते हुए बोली: ठीक है आप जानो।

अपने कमरे में आकर वह शीशे के सामने खड़ी हुई और अपनी छातियों पर रखी इस सुंदर चेन को देखकर वह ख़ुश हो गयी। उसने चेक देखा और ख़ुश हो गयी कि जय इसको देख कर बहुत ख़ुश हो जाएगा। फिर उसे याद आया कि पापा जी कैसे उसकी छाती को घूर रहे थे। पता नहीं आज उसे कुछ ख़ास बुरा नहीं लगा। आज जब वह उसे चेन पहना रहे थे तब भी उनकी आँखों में उसे ढेर सारा प्यार दिखाई दिया था। फिर वह सोची कि पापा जी उतने भी बुरे नहीं है शायद जितना मैं समझ रही हूँ। शीशे में अपने आप को देखते हुए उसने अपनी गोलाइयों को सहलाया और सोची कि आख़िर ये हैं ही इतने सुंदर , अब बेचारे पापा जी भी क्या करें! आख़िर उनका भी दिल आ ही गया है इस सुंदरता पर। वह शीशे में अपने सुंदर रूप को देखकर मुस्करायी। फिर वह पीछे को मुड़ी और अपने पिछवाड़े को देखी और वहाँ हाथ फेरी और सोची कि सच में ये हिस्सा उसका अब बहुत ही मादक हो गया है। पतली कमर पर ये उभार सच में बहुत कामुक लगते होंगे पापा जी को। फिर उसका हाथ पैंटी के किनारों पर पड़ा और उसे याद आया कि आज तो दोनों बाप बेटे उससे अनुरोध कर चुके हैं कि पैंटी मत पहना करो। वह मुस्करायी और शरारत से अपनी साड़ी और पेटिकोट उठायी और पैंटी निकाल दी ।अब उसने अपने पिछवाड़े को देखा और वो समझ गयी कि इससे क्या फ़र्क़ पड़ा है। अब उसके चूतड़ खुल कर इधर उधर डोलने को स्वतंत्र थे। साथ ही अब उसे पैंटी के किनारे की लकीरें भी नहीं दिखाई दे रही थी। वह अब सोची कि देखें कौन पहले नोटिस करता है बाप या बेटा कि उसने पैंटी नहीं पहनी है। और मज़े की बात ये है कि वो दोनों सोचेंगे कि यह मैंने उनके कहने पर ही किया है। वह सोची कि यह उसे क्या हो रहा है? वो इस तरह के विचारों से ख़ुश क्यों हो रही है? इतना बड़ा परिवर्तन? ऐसा क्यों भला हो रहा है? वह फिर से उलझन में पड़ गयी। इसी उधेड़बन में वह सो गयी।

राज अपने कमरे में आकर अब तक की घटनाओं का सोचा और मन ही मन में मुस्कुराया। वो जानता था कि बहु का विरोध अब कम हो रहा है। और आज की सेक्स चैट जो उसने अमित और रश्मि से की थी। उसका असर बहु पर ज़रूर पड़ेगा। ऊपर से उसने चेक और चेन देकर उसे काफ़ी ख़ुश कर दिया है। वह सोचने लगा कि कल जब रात को रश्मि से सेक्स होगा तो कोई तरीक़े से बहु को अपनी चुदाई दिखा दे। फिर वह सोचा कि ये तो बिलकुल सीधे बात करके भी किया जा सकता है। वह फिर से मुस्कुरा उठा। फिर वह भी सो गया।

शाम को जब डॉली कमला से काम करवा रही थी तो उसने महसूस किया कि बिना पैंटी के उसे थोड़ा सा अजीब सा लग रहा था । पर वो सहज भाव से अपना काम की और फिर राज को चाय के लिए आवाज़ दी। राज बाहर आया और दोनों चाय पीने लगे। कमला किचन में काम कर रही थी ।

राज: नींद आइ या उलटा पुल्टा ही सोचती रही?

डॉली: मैं सो गयी थी। कुछ नहीं सोची।

राज: बढ़िया । मैं सोचा कि कहीं मम्मी का सोचकर परेशान तो नहीं हो रही थी?

डॉली: उन्होंने मुझे दुखी तो किया ही है, पर क्या किया जा सकता है? आख़िर वो अपनी ज़िंदगी अपनी इच्छा से जीने का हक़ तो रखतीं है।

राज ख़ुश होकर: वह बहु , तुम तो एकदम परिपक्व व्यक्ति के जैसे बात करने लगी। मुझे ये सुनकर बड़ी ख़ुशी हुई।

डॉली उठी और चाय के कप लेकर जाने के लिए मुड़ी और तभी एक चम्मच नीचे गिर गया। जैसे ही वह उसे उठाने को झुकी , इसकी बड़ी गाँड़ साड़ी में लिपटी राज के सामने थी और उसने नोटिस कर ही लिया कि वह पैंटी नहीं पहनी है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या उसने उसके अनुरोध को इतनी जल्दी स्वीकार कर लिया? उसका लौड़ा खड़ा होने लगा। अब वह चम्मच उठाकर किचन में चली गयी और काम में लग गयी

राज वहाँ बैठा कमला के जाने का इंतज़ार करने लगा। और जब वह चली गयी तो वह किचन में गया और जाकर सब्ज़ी बना रही डॉली के पीछे आकर खड़ा हो गया। इसके पहले कि डॉली पलट पाती उसने उसके चूतरों पर दोनों हाथ रख दिए और वहाँ सहलाते हुए बोला: थैंक्स जान , तुमने पैंटी उतार दी। सच में अभी तुम्हारी गाँड़ मस्त मटक रही है।

डॉली थोड़ी सी परेशान होकर बोली: पापा जी , प्लीज़ छोड़ दीजिए ना। क्या कर रहे हैं?

राज: अरे क्या कर रहा हूँ, बस पैंटी के बिना तुम्हारे बदन का अहसास कर रहा हूँ। अब वह और ज़ोर से उसकी गाँड़ दबा कर बोला।

डॉली: आऽऽंह पापा जी दुखता है ना? प्लीज़ हटिए यहाँ से।

राज हँसकर वहाँ से बाहर आते हुए बोला: बहु आज तुमने पैंटी उतार कर सच में मेरा मन ख़ुशियों से भर दिया।

उसके बाहर जाने के बाद डॉली ने सोचा कि इनको तो पता चल ही गया कि वो पैंटी नहीं पहनी है। इसका मतलब है कि पापा का ध्यान हर समय उसके पिछवाड़े पर ही रहता है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या अजीब सी स्तिथि बनती जा रही है।

रात को जय आया और डॉली ने दरवाज़ा खोला और वह उसके पीछे पीछे घर जे अंदर आया। उसने भी नोटिस किया कि डॉली के चूतड़ आज ज़्यादा ही हिल रहे हैं। जैसे ही वह कमरे में पहुँचा , उसने दरवाज़ा बंद किया और डॉली को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूमते हुए उसकी कमर सहलाने लगा और फिर जब वह उसके चूतरों को सहलाने लगा तभी उसे भी पैंटी ना होने का अहसास हो गया। वह ख़ुश होकर पूरी तरह से उसके कोमल और गोल चूतरों को दबा कर मस्ती से भर कर बोला: आऽऽऽऽऽह जाऽऽऽन तुमने मेरी बात मान ली और पैंटी उतार दी, थैंक्स बेबी। सच में मस्त लग रहा है तुम्हारे चूतरों को दबाना।

डॉली मन ही मन मुस्करायी कि जैसा बाप वैसा ही बेटा। दोनों का ध्यान उसके पिछवाड़े पर ही रहता है। आज डॉली भी गरम थी तो जल्दी ही दोनों मस्त हो गए और जय ने उसकी साड़ी और पेटिकोट उठाकर उसकी बुर में अपना मुँह घुसेड़ दिया और उसको चूसने लगा। डॉली उइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽ करके उसके सिर को अपनी जाँघों के बीच दबाने लगी । जल्दी ही जय ने उसकी बुर में अपना लौड़ा पेला और चोदने लगा। डॉली भी गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी। क़रीब बीस मिनट की ज़बरदस्त चुदाई के बाद दोनों लस्त होकर पड़ गए। फिर डॉली ने जय को वह चेक दिया और जय ख़ुशी से भर गया। उसने डॉली को चूमा। फिर डॉली उठकर वह चेन लाई और बोली: पापा जी ने ये चेन आज मुझे उपहार में दी है।

जय: ये सच में बहुत सुंदर है। किस ख़ुशी में उन्होंने तुमको उपहार दिया उन्होंने?

डॉली: वो बोले तुम बहुत अच्छा खाना बनाती हो। इसलिए यह उपहार दिया है।

जय: वो तो सच में बनाती हो, काश मैं भी तुमको कोई महँगा उपहार दे पाता।

डॉली उससे लिपट गयी और बोली: आपका प्यार ही मेरे लिए सबसे बड़ा उपहार है। और फिर उसके लौड़े को दबाकर बोली: और ये भी तो है ना मेरा असली उपहार जो मुझे बहुत ख़ुशी देता है।

जय और डॉली दोनों हँसने लगे। दिर वो बोली: चलो डिनर करते हैं। आप भी पापा जी को चेक देने के लिए थैंक्स कर दो।
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#20
डिनर करते हुए जय ने कहा: पापा जी थैंक्स, चेक के लिए । अब मुझे दुकान की शॉपिंग के लिए मुंबई जाना होगा। दो दिन तो लग ही जाएँगे। मैं लिस्ट बनाता हूँ और फिर कुछ दिनों में होकर आता हूँ।

राज : हाँ क्यों नहीं, इतना एडवाँस दोगे तो वो ५/६ लाख का तो सामान दे ही देंगे। ठीक है प्लान कर लेना। वैसे कल बहु की माँ और ताऊजी भी आ रहे हैं। कल शाम को ज़रा जल्दी आ जाना। उनके साथ बाहर खाना खा लेंगे। रात को वह लोग यहीं रुकेंगे।

जय: वाह ये तो बड़ी अच्छी बात है, डॉली तो बहुत ख़ुश होगी। है ना डॉली?

डॉली: हाँ ख़ुश तो हूँ, पर मेरे से ज़्यादा तो पापा जी ख़ुश हैं । है ना पापा जी? उसने कटाक्ष किया ।

राज भी तो चिकना घड़ा था उसे कौन सा कोई फ़र्क़ पड़ता है। वह बोला: अरे मेरी ख़ुशी तो बहु की ख़ुशी में है। यह कहकर उसने जय की आँख बचाकर बहु को आँख मार दी। डॉली ने चुपचाप सिर झुका लिया।

जय: पापाजी आपने बहुत सुंदर चेन दी है डॉली को। सच में वह खाना बहुत अच्छा बनाती है।

राज समझ गया कि बहु ने ये कारण बताया है जय को चेन देने का। वह मुस्कुराकर बोला: हाँ सच में बहुत स्वाद है वो मतलब उसका बनाया खाना।
उसने फिर से बहु को आँख मार दी।

खाने के बाद राज उठते हुए बोला: बहु , मुझे एक ग्लास गरम दूध देती जाना।

डॉली: जी पापा जी अभी गरम करके देती हूँ।

जय अपने कमरे में चला गया और डॉली दूध गरम करते हुए सोची कि पापा को दूध की क्या सूझी? ज़रूर कोई शरारत करेंगे अपने कमरे में एकांत में। वह ग्लास लेकर राज के कमरे में पहुँची और दरवाज़ा खटखटाया।

राज: आओ बहु अंदर आ जाओ। जैसे ही वह अंदर पहुँची वह बोला: मेरे कमरे में आने के लिए दरवाज़ा खटखटाने की ज़रूरत नहीं है। और वैसे भी मैंने तुमको अपना सब कुछ तो दिखा ही दिया है। वह अपने लौड़े को मसल कर आँख मारते हुए बोला।

डॉली कुछ नहीं बोली और ग्लास को साइड टेबल पर रखने लगी। जब वह पलटी तो उसके सामने राज खड़ा था। वह इसके पहले कुछ समझ पाती उसने उसे अपनी बाहों में दबोच लिया और उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए। वह उसे चूमे जा रहा था और डॉली चुपचाप खड़ी उसको देख रही थी और अपनी तरफ़ से कोई सहयोग नहीं कर रही थी।

जैसे ही उसने उसका मुँह छोड़ा वह बोली: पापा जी प्लीज़ मुझे जाने दीजिए।

राज उसे अपने से चिपकाए हुए था। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ उसकी चौड़ी छाती में जैसे चिपक सी गयीं थीं। वह अपने हाथ अब उसके चूतरों पर फिराया और बोला: बहु पैंटी ना पहनकर तुमने मुझे बहुत ख़ुश किया है। अब एक ख़ुशी और दे दो।

डॉली : क्या पापा जी?

राज: जब तुम सुबह नायटी में आती हो तो तुम एक पेटिकोट भी नीचे से पहनती हो। आख़िर क्यों? पायल भी नायटी पहनती थी पर उसने कभी नीचे पेटिकोट नहीं पहना। उसकी मस्तानी गाँड़ जब मटकती थी तो मैं तो जैसे दीवाना हो जाता था। और यहाँ तुम पेटिकोट पहनकर अपने पिछवाड़े का पूरा सौंदर्य ही समाप्त कर देती हो। जय कुछ नहीं कहता तुमको?

डॉली: वह तो सोते रहते हैं , उनको क्या पता मैं पहनती हूँ या नहीं।

राज: अरे रात को तो तुम नायटी पहनती होगी उसके सामने।

डॉली का चेहरा लाल हो गया और वह बोली: रात को तो वो मुझे कुछ नहीं मतलब बिलकुल बिना कपड़े मतलब – चलिए अब जाने दीजिए ना प्लीज़।

राज: अरे मतलब तुमको पूरी नंगी रखता है। वह ये तो मुझसे भी बड़ा बदमाश है। हा हा ।

डॉली: प्लीज़ पापा जी , अब जाने दीजिए ना।

राज: अभी चली जाओ, बस कल नीचे पेटिकोट मत पहनना। ठीक है?

डॉली: देखूँगी पर अभी जाने दीजिए। वह सोचेंगे कि मैं इतनी देर क्यों लगा रही हूँ।

राज ने उसको छोड़ दिया और वह जब जाने लगी तो वह पीछे से बोला: बहु पेटिकोट नहीं प्लीज़ । ओके ?

डॉली बाहर जाते हुए पीछे मुड़कर बोली: पापा जी गुड नाइट ।

राज: गुड नाइट बेबी।

पता नहीं क्यों राज को ऐसा लगा कि बहु की आँखों में एक शरारत भरी मुस्कान थी, हालाँकि वह पक्की तरह से नहीं कह सकता।

डॉली जब अपने कमरे में पहुँची तो जय बाथरूम से बाहर आया और वह नंगा ही बिस्तर पर लेट गया। उसका लौड़ा अभी आधा खड़ा था। डॉली मुस्कुरा कर उसके पास आयी और एकदम से उसके लौड़े को अपने मुँह में लेकर पागलों की तरह चूसने लगी। जय हैरानी से उसे देख रहा था। उसे क्या पता था कि आज दिन भर जो घटनाएँ हुईं हैं उन्होंने उसको बहुत गरम कर दिया है । थोड़ी देर चूसने के बाद वह उठी और एक झटके में पूरी नंगी हो गयी और उसके लौड़े पर सवार होकर उसे अंदर अपनी बुर में डाल ली और फिर ज़ोरों से ऊपर नीचे करके अपनी गाँड़ उछालने लगी।

जय के लिए डॉली का यह रूप नया रूप बढ़िया था। वह उसकी चूचियाँ दबाते हुए उनको चूस भी रहा था। वह भी नीचे से धक्के मारने लगा। चुदाई बहुत तूफ़ानी हो चली थी। पलंग बुरी तरह हिले जा रहा था। झड़ने के बाद जय बोला: जान क्या हो गया है आज बहुत गरम हो गयी थी?

डॉली : पता नहीं मुझे क्या हो गया था। सॉरी अगर आपको तंग किया तो।

राज: अरे नहीं जान, आज तो चुदाई का बहुत मज़ा आया। काश तुम रोज़ ही इतनी गरम हो तो और भी मज़ा आएगा।

डॉली हँसने लगी और बोली: चलो कुछ भी बोल रहे हैं आप।

थोड़ी देर बाद दोनों फिर से गरम हो गए और एक राउंड की और चुदाई शुरू की। आधे घंटे की चुदाई के बाद दोनों थक कर नंगे ही लिपट कर सो गए।

सोने के पहले डॉली को याद आया कि कैसे बातों बातों में वो पापा को बता बैठी थी कि वो अक्सर नंगी ही सोती है रात को। वह मुस्कुराई और सो गयी।

अगले दिन वो फ़्रेश हुई और अपनी ब्रा पहनी और नायटी डाली और सोची कि आज ताऊजी और मम्मी आएँगे। । इसके बाद वह आदतन पेटिकोट पहनने लगी, तभी उसे पापा की बात याद आइ । वह मुस्कुराई और सोए हुए जय को देखी जो कि नंगा ही पड़ा था और उसका लम्बा हथियार उसकी जाँघ के साथ एक तरफ़ को साँप जैसे पड़ा था।और पता नहीं क्यों वह पेटिकोट पहनते हुए रुक गयी और उसने उसे नहीं पहना। पैंटी तो वो पहन ही नहीं रही थी। वह शीशे के सामने ख़ुद को नायटी में देखा और फिर मुड़कर अपने पिछवाड़ा को देखा और सच में वह ख़ुद पर ही मुग्ध हो गयी। उफफफ क्या मादक थे उसके चूतड़ । वह थोड़ा मटक कर चली, उफफफफ क्या कामुक तरीक़े से हिल रही थे उसके गोल गोल चूतड़। बेचारे पापा का क्या हाल होगा आज? वह यही सोचते हुए मुस्करायी और बाहर आयी और किचन में चली गयी।

राज सुबह मॉर्निंग वॉक से वापस आया और अपना ट्रैक सूट खोलकर बनियान में आ गया। फिर उसने अपनी चड्डी भी उतारी और लूँगी पहनने लगा। तभी डॉली की आवाज़ आइ: पापा जी चाय बन गयी है। आ जाइए।

राज अपनी लूँगी पहनते हुए बोला: आ रहा हूँ बहु।

राज बाहर आया तो डॉली टेबल पर बैठ कर चाय रख कर बैठी थी। वो दोनों चाय पीने लगे।

राज: रात कैसे बीती? कल तो दिन भर की घटनाओं से तुम बहुत गरम हो गयी थी, जय से मज़े करी होगी ख़ूब सारा?

डॉली: आपको अपनी बहू से ऐसी बातें करते शर्म नहीं आती? मुझे आपसे बात ही नहीं करनी ।

राज: अरे बहू ग़ुस्सा क्यों कर रही हो। मैं तो मज़ाक़ कर रहा था। चलो ग़ुस्सा थूक दो । अच्छा अपनी मम्मी और ताऊजी को क्या खिलाना है? डिनर तो हम बाहर ही करेंगे। शाम के लिए कुछ मँगाना हो तो मुझे बता देना।

डॉली: ठीक है शाम को समोसा और जलेबी ला दीजिएगा।
राज: ज़रूर बहू। यह ठीक रहेगा।

चाय पीने के बाद डॉली उठी और कप लेकर किचन में जाने के लिए मुड़ी और राज के लौड़े ने झटका मारा। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मटक रही है आज बहू की गाँड़ । एक गोलाई इधर जा रही है तो दूसरी उधर। आऽऽहहह उसने अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से दबा दिया । फिर वह खड़ा हुआ और किचन में जाकर डॉली को देखने लगा। वह स्टोव में कुछ पका रही थी। राज दबे पाँव उसके पीछे आके उसकी नायटी को पास से देखा। नायटी का कपड़ा उसके चूतरों की गोलाइयों पर कुछ इस तरह से सटा था कि वह पक्की तरह से कह सकता था कि उसने पेटिकोट नहीं पहना हुआ था। उसका लौड़ा लूँगी के अंदर पूरा खड़ा था।

अब राज उसके पास आया और डॉली को अहसास हुआ कि कोई पीछे खड़ा है, वो पलटने लगी, पर राज ने उसके कंधे पकड़ कर उसे घूमने नहीं दिया और अब वह उसकी कमर में हाथ रखकर उसने अपने दोनों हाथ उसने पेट पर रख दिए और उसे ज़ोर से जकड़ लिया। अब वह पीछे से उसके पिछवाड़े से सट गया ।उसका खड़ा लौड़ा अब उसकी गाँड़ से टकरा रहा था। डॉली हल्की आवाज़ में चिल्लाई: पापा जी मुझे छोड़ दीजिए। प्लीज़ हटिए।

राज ने बेशर्मी से अपने लौड़े को उसके चूतरों पर रगड़कर मस्त होकर बोला: आऽऽऽह बहु , तुम्हें कैसे धन्यवाद दूँ कि तुमने मेरी बात मान ली और पेटिकोट नहीं पहना।

अब वह पीछे को हुआ और फिर डॉली के चूतरों को दोनों हाथों से दबोच लिया और उनको दबाने लगा। वह बोला: उफफफफ क्या मक्खन जैसा माल है जान। सच में ऐसी गाँड़ आज तक नहीं सहलाई। ह्म्म्म्म्म्म।

डॉली: उइइइइइ माँआऽऽऽ पापा जी छोड़िए ना। हाय्ययय दर्द हो रहा है ना।

राज ने उसे छोड़ दिया। डॉली बोली: पापा जी आपको इस तरह की हरकत नहीं करनी चाहिए। आपने कहा था कि आप मेरे साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं करेंगे। फिर ये सब क्या है?

राज: बहु , असल में मैं ख़ुशी में अपना आपा खो बैठा था, क्योंकि मेरे कहने पर कल तुमने पैंटी नहीं पहनी और आज मेरे कहने पर पेटकोट भी नहीं पहनी ।मैंने सोचा कि शायद तुम मेरे रंग में रंगने को तैयार हो। चलो कोई बात नहीं , हम और कोशिश करेंगे तुम्हें जीतने की।

डॉली: आप बाहर जाइए और मुझे अपना काम करने दें।

राज मुस्कुराया और बोला: ठीक है बहु चला जाता हूँ , बस एक बार तुम्हारी मीठी सो पप्पी ले लेता हूँ। यह कह कर उसने डॉली को बाहों में ले लिया और उसके होंठ चूमने लगा। और उसके हाथ उसके मस्त चूतरों पर घूमने लगे। डॉली ने उसे धक्का दिया और बोली: आपको क्या हो गया है? आप समझते क्यों नहीं,कि यह सही नहीं है।

राज बेशर्मी से मुस्कुराया और बोला: ठीक है बहु , मैं और इंतज़ार करने को तैयार हूँ।पर एक बात कहूँगा कि तुम्हारी गाँड़ मस्त मुलायम है जान।

इसके बाद राज अपने कमरे में चला गया। डॉली ने आकर जय को उठाया और उसको चाय दी। चाय पीने के बाद जय फ़्रेश होकर बाहर आकर सोफ़े पर बैठकर पेपर पढ़ने लगा। डॉली को किचन में जाते देखकर वह उसे बुलाया और बोला: अरे आज तुम्हारे चूतड़ बहुत मटक रहे हैं , क्या बात है? यह कहकर वह उसकी गाँड़ पर हाथ फेरा और मस्ती से बोला: आऽऽह पेटिकोट नहीं पहना है, इसलिए बिचारे उछल रहे हैं। ये सही किया तुमने जो की पेटिकोट और पैंटी नहीं पहनी हो। सच में मस्त इधर से उधर हो रहे हैं जैसे मचल रहे हों यह कहने के लिए कि आओ मुझे मसलो और दबाओ।

डॉली: छोड़ो मुझे गंदे कहीं के। कुछ भी बोले जा रहे हैं आप।

जय: एक बात बोलूँ , सच में तुम बहुत ही सेक्सी स्त्री हो।मैं बहुत क़िस्मत वाला हूँ जो तुम मेरी बीवी हो।

डॉली हँसकर बोली: अच्छा जी, मैंने आज पेटिकोट नहीं पहना तो मैं सेक्सी हो गयी। वाह जी । और आपके साथ तो मैं रात भर नंगी भी पड़ी रहती हूँ, उसका क्या?

जय: वो दृश्य भी मस्त मज़ा देता है और ये दृश्य भी मस्त मज़ा देरहा है । ये कहकर उसने एक बार फिर उसकी गाँड़ दबा दी और उठा और नहाने के लिए जाने लगा। और जाते जाते बोला: चलो ना आज साथ में नहाते हैं। कई दिन हो गए साथ में नहाए हुए। चलो ना जानू।

डॉली मुस्कुरा कर बोली: अच्छा चलो आज आपको नहला देती हूँ। पर आप कोई शरारत नहीं करना। ठीक है?

जय: अरे बिलकुल नहीं करूँगा। वैसे भी मुझसे शरीफ़ आदमी दुनिया में कोई और है ही नहीं है।

डॉली: हाँ जी पता है मुझे कि आप कितने शरीफ़ हो। अब चलो और नहा लो।

जय अपने कमरे में जाकर अपने कपड़े उतारा और नंगा ही बाथरूम में दाख़िल हुआ। डॉली भी अपने कपड़े उतारी और बिलकुल नंगी होकर बाथरूम में घुस गयी। वहाँ जय उसको अपनी बाहों में भींच लिया और चूमने लगा।

डॉली: आपको नहाना है या ये सब करना है।

जय: ये सब भी करना है और नहाना भी है। वह उसके होंठ चूसते हुए बोला।

डॉली ने शॉवर चालू किया और दोनों एक दूसरे से चिपके हुए पानी में गीले होने लगे। फिर डॉली ने साबुन लिया और जय की छाती में लगाना चालू किया। वह चुपचाप साबुन लगवा रहा था। डॉली ने छाती के बाद उसके पेट में साबुन लगाया। फिर वह उसकी बाहों में साबुन लगायी। फिर वह उसकी गरदन और पीठ में भी साबुन लगायी। वो नीचे बैठ कर उसके पैरों और जाँघों में भी साबुन लगाई। अब वह उसके सख़्त चूतरों पर भी साबुन लगायी। फिर वह अपने हाथ को उसकी गाँड़ के छेद और चूतरों की दरार में डालकर वह साबुन लगायी। और जय का लौड़ा पूरा खड़ा हो गया। फिर जय को घुमाई और उसके बॉल्ज़ और लौड़े में भी साबुन लगायी। उसने उसके सुपाडे का चमड़ा पीछे किया और उसको भी अच्छी तरह से साफ़ किया। फिर वह उठी और शॉवर चालू किया। उसने जय के बदन से साबुन धोना शुरू किया। जल्दी ही वह पूरी तरह से नहा लिया था। उसने उसके लौड़े और बॉल्ज़ के साथ ही उसकी गाँड़ में भी हाथ डालकर सफ़ाई कर दी थी। जय का लौंडा उत्तेजना से ऊपर नीचे हो रहा था।

जय: चलो अब मैं तुमको नहा देता हूँ।

डॉली: नहीं बाबा, मैं ख़ुद ही नहा लूँगी। चलो आप बाहर जाओ मैं अभी नहा कर आती हूँ।

जय हँसते हुए अपना लौड़ा सहला कर बोला: अरे इसका क्या होगा? इसका भी तो इलाज करो ना।

वह हँसकर बोली: यहाँ ही इलाज करूँ या बिस्तर पर चलें?

जय: अरे यहीं करो ना। यह कहते हुए उसने डॉली को कंधे से पकड़कर नीचे बैठाया। वह नीचे बैठी और उसके लौड़े को मुँह के पास लाकर उसे जीभ से चाटी और फिर चूसने लगी। दस मिनट चूसकर वह उठी और जय ने उसे दीवार के सहारे आगे को झुकाया और पीछे से उसकी मस्तानी गाँड़ को दबाते हुए उसकी बुर में ऊँगली की और फिर वहाँ अपने लौंडे को सेट किया और धीरे से लौड़ा अंदर डाल दिया और डॉली की उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ निकल गयी। फिर वह उसकी नीचे को झुकी चूचियों को दबाकर उसकी चुदाई में लग गया। फ़च फ़च की आवाज़ों से बाथरूम गूँजने लगा। साथ ही ठप्प ठप्प की आवाज़ भी आने लगी जो कि जय की जाँघें और डॉली के मोटे चूतरों से टकराने से निकल रही थी। उधर डॉली भी मज़े से आऽऽऽऽहहहह जीइइइइइइइइ बहुत मज़ाआऽऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है। हाय्य्य्य्य्यू मैं गयीइइइइइइइइइइइ । जय भी ह्म्म्म्म्म्म मैं भी झड़ गयाआऽऽऽऽऽऽऽ । फिर डॉली टोयलेट की सीट पर बैठी और पेशाब करने लगी। जय उसके उठने के बाद ख़ुद भी पेशाब करने लगा। फिर वह शॉवर लिया और बाहर आकर तैयार होने लगा। तब तक डॉली भी नहा करके बाहर आयी और तैयार होकर किचन में गयी।
थोड़ी देर बाद सब नाश्ता करने लगे।

राज: बेटा शाम को जल्दी आना , तेरी सास और उसके ज़ेठ आने वाले हैं। रात को हम डिनर भी बाहर करेंगे।

जय: ठीक है पापा जी। मैं आ जाऊँगा।
फिर वह दुकान चला गया।

राज उसके जाते ही बोला: बहु ,तुम आज बड़ी जल्दी नहा ली। मैं तो तुमने नायटी में देखकर ही मस्त हो रहा था और तुम साड़ी में आ गयी। लगता है दोनों साथ में ही नहाए हो? कभी हमारे साथ भी नहाओ।बड़ा मज़ा आएगा।

डॉली कुछ नहीं बोली और उठकर जाने लगी।

राज: बहु मेरा तो आज जैसे समय ही नहीं कट रहा है । पता नहीं कब शाम होगी और तुम्हारी सेक्सी मम्मी आएगी और आऽऽऽऽह मेरी रात रंगीन करेगी। यह कहकर उसने बड़ी बेशर्मी से अपना लौड़ा दबा दिया। तभी डॉली का फ़ोन बजा और उसने देखा कि उसकी मम्मी का फ़ोन था।

डॉली: हाय मम्मी ।

रश्मि: हाय , कैसी हो बेटी?

डॉली: मम्मी मैं ठीक हूँ। आप कब निकलोगी?

रश्मि: हम पाँच बजे तक आएँगे बेटी। तुम्हारे लिए क्या लाएँ?

डॉली: मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस आप लोगों से मिलना हो जाएगा।

राज ने डॉली से फ़ोन माँगा और बोला: अरे भाभी जी हमसे भी बात कर लीजिए। सिर्फ़ बेटी ही आपकी रिश्तेदार है क्या? हम तो भी आपके समधी हैं।

रश्मि सकपका कर: अरे मुझे क्या पता था कि आप भी उसके साथ बैठे हो। कैसे हैं आप?

राज: मस्त हैं और आपको याद कर रहे हैं। इंतज़ार है शाम का जब आप आएँगी और हम आपसे मिलकर मस्त हो जाएँगे।

रश्मि: कैसी बातें कर रहे है? डॉली भी तो होगी वहाँ?

राज ने डॉली को आँख मारी और कहा: अरे वो तो अपने कमरे में चली गयी है शायद बाथरूम आयी होगी।

डॉली उसकी मंशा समझकर उठने लगी, पर राज ने उसे पकड़कर अपनी बग़ल में बिठा लिया और फ़ोन को स्पीकर मोड में डाल दिया। अब बहु के कंधे को सहलाता हुआ फिर बोला: जान, रात में तुमको बहुत याद किया और मूठ्ठ भी मारी। तुम तो मुझे याद ही नहीं करती होगी।

डॉली हैरत से ससुर को देखी कि कितनी अश्लील बात कितने आराम से कह दिए।

रश्मि: अरे आपने मूठ्ठ क्यों मारी? मैं आ तो रही हूँ आज आपके पास। वैसे रात मुझे भी बड़ी मुश्किल से नींद आयी। एक बात बोलूँ?

हतप्रभ डॉली के कंधे सहलाता हुआ राज बोला: हाँ हाँ बोलो ना?

रश्मि: आप जैसी मेरी नीचे वाली चूसते हो ना , आज तक किसी ने भी वैसी नहीं चूसी। उफफफफ मस्त कर देते हो आप।

राज अब उत्तेजित होकर अपना लंड दबाया और डॉली को उसका आकार लूँगी से साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था। उसने फ़ोन अपनी एक जाँघ पर रखा था। जोश में उसने डॉली के कंधे को ज़ोर से दबा दिया। डॉली की सिसकी निकल गयी। पर उसने अपने मुँह पर हाथ रख कर उसे दबा दिया।

राज: अरे क्या नीचे वाली लगा रखा है। उसका नाम बोलो मेरी जान।

रश्मि हँसकर: आप भी ना,मैं बुर की बात कर रही हूँ।

राज डॉली को आँख मारा और बोला: और क्या मैं तुम्हारी चूचियाँ अच्छी तरह से नहीं चूसता?

डॉली साँस रोक के सुन रही थी कि उसकी मम्मी कितनी अश्लील बात कर रही थी। वह फिर से उठकर जाने की कोशिश की पर राज की पकड़ मज़बूत थी, वह हिल भी नहीं पाई। रश्मि: अरे वो तो आप मस्त चूसते हैं। सच आपके साथ जो मज़ा आता है, किसी और के साथ आ ही नहीं सकता। इसीलिए तो बार बार आ जाती हूँ आपसे करवाने के लिए?

अब डॉली को भी अपनी बुर में गीलापन सा लगा। और राज ने भी कल जैसे ही आज भी अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया था और उसे मसल रहा था। डॉली की उत्तेजना भी बढ़ रही थी, उसके निपल्ज़ एकदम कड़े हो गए थे।

राज उसके कंधे से हाथ नीचे लेजाकर उसके ब्लाउस तक पहुँचा और उसकी बाँह सहलाते हुए उसकी एक चूची को साइड से छूने लगा।

राज: क्या करवाने आती हो, जानू साफ़ साफ़ बोलो ना।

रश्मि: आऽऽऽह आप भी ना, चुदाई करवाने आती हूँ और क्या? आऽऽऽह अब मैं भी गरम हो गयी हूँ आपकी बातों से । अब बंद करूँगी फ़ोन, नहीं तो मुझे भी बुर में ऊँगली करनी पड़ेगी।

डॉली का मुँह खुला का खुला रह गया। उफफफफ मम्मी को क्या हो गया है। कितनी गंदी बातें कर रही हैं। उसकी आँख राज के मोटे लौड़े पर गयी।

राज: आऽऽऽऽह मेरा भी खड़ा है। चलो फ़ोन बंद करता हूँ। ये कहते हुए उसने फ़ोन काटा। और फिर जो हरकत राज ने की, उसके लिए डॉली बिलकुल तैयार नहीं थी। राज ने डॉली का एक हाथ पकड़कर अपने लौड़े पर रखा और उसे दबाने लगा। दूसरे हाथ से वह उसकी ब्लाउस के ऊपर से एक चूची दबाने लगा। और अपना मुँह उसके मुँह पर रख कर उसके होंठ चूमने लगा। डॉली इस अचानक से हुए तीन तरफ़ा हमले से हक्की बक्की रह गई और उसके मुँह से गन्न्न्न्न्न्न की आवाज़ निकलने लगी।

राज अपने हाथ से उसके हाथ को दबाकर अपना लौड़ा दबवा रहा था। और चूची भी दबाए जा रहा था। डॉली ने अपने बदन को ज़ोर से झटका दिया और अपने होंठों से उसके होंठों को हटाने की कोशिश की और कुछ बोलने को मुँह खोला। राज ने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और अब डॉली और ज़ोर से फड़फड़ाई और अपने को छुड़ाने के लिए ज़ोर लगाई। राज को आँखें डॉली की आखों से टकराई। डॉली की आँखों में आँसू आ गए थे। राज ने आँसू देखे और एकदम से पीछे हटकर बैठ गया। उसने दोनों हाथ भी हटा लिए।

राज का लौड़ा अभी भी उत्तेजना से ऊपर नीचे हो रहा था। डॉली उठी और क़रीब भागती हुई अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गयी और इस सदमे से बाहर आने की कोशिश करने लगी। वह करवट लेती हुई लम्बी साँसें ले रही थी। उसके बदन में एक अजीब सी सिहरन दौड़ रही थी। उसकी बुर गीली थी और एक चूची जो राज दबाया था ,वहाँ उसे कड़ेपन का अहसास हो रहा था। तभी इसे अहसास हुआ कि वो अकेली नहीं है। वो जैसे ही घूमी और पीठ के बल हुई, राज उसे बिस्तर पर बैठे नज़र आया। वो सहम गयी। पर राज मुस्कुराते हुए बोला: बहु, मैं अपना अधूरा काम पूरा करने आया हूँ।
डॉली: कौन सा अधूरा काम?

राज ने उसकी दूसरी चूची पकड़ ली और दबाते हुए बोला: मैंने एक ही चूची दबाई थी, अब दूसरी भी दबा देता हूँ।

डॉली उसके हाथ को पकड़ती हुई बोली: पापा जी आज आपको क्या हो गया है? क्या मेरा रेप करेंगे? हाथ हटाइए।

राज: नहीं बहु, मैं कभी रेप कर ही नहीं सकता वो अभी अपनी लाड़ली बहु का? ये कहते हुए उसने उसकी चूचि छोड़ दी। और बोला: लो बहु अब बराबर हो गया। दोनों चूचियाँ बराबर से दबा दीं।

डॉली हैरानी से उसे देखती हुई बोली: पापा जी आप जाइए यहाँ से । आज तो आप सारी लिमिट पार कर गए हैं।

राज हँसकर: अरे बहु, अभी कहाँ लिमिट पार की है। आख़री लिमिट तो तुमने साड़ी में यहाँ छुपा कर रखी है जिसे पार भी करना है और प्यार भी करना है। ये कहते हुए उसने साड़ी के ऊपर से उसकी बुर को मूठ्ठी में लेकर दबा दिया।

डॉली उछल पड़ी और बोली: आऽऽह पापा जी ये क्या कर रहे है? छोड़िए ना प्लीज़। उइइइइइइ माँआऽऽऽऽ हाथ हटाइए।

राज हँसता हुआ उठा और बोला: बहू , अभी तो कई लिमिट पार करनी है। चलो अब आराम करो मेरी नन्ही सी जान। यह कहकर वो अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से मसलकर बाहर चला गया। डॉली सन्न होकर लेटी रही। वह सोचने लगी कि आज पापा जी को क्या हो गया था जो वो इस हद तक उतर आए।

तभी जय का फ़ोन आया और वो अपनी बुर के ऊपर से साड़ी ठीक करके बोली: हाँ जी कैसे हैं?

जय: बस तुम्हारी याद आ रही थी, आज सुबह की चुदाई में तुम्हारी गाँड़ पीछे से बहुत मस्त लग रही थी। वही याद कर रहा था।

डॉली सोची कि बाप बेटा दोनों एक से हैं। वह बोली: छी, फ़ोन पर भी आप यही बात करते हैं। काम कैसा चल रहा है?

जय: बहुत बढ़िया। अच्छा, आज असलम का फ़ोन आया था, कह रहा था कि खाने पर आओ।

डॉली: कौन असलम? वही बीवी बदलने वाला?

जय हँसकर: हाँ वही असलम। अरे भाई उसे और भी काम है बीवी बदलने के अलावा।

डॉली: मुझे नहीं जाना उसके घर खाना खाने को। क्या पता उसकी बीवी पर आपका दिल आ जाए और फिर आप मेरे पीछे पड़ जाओगे कि जानू चलो बीवियाँ बदल लेते हैं। मुझे नहीं जाना।

जय हँसकर: वाह क्या कल्पना की है? लगता है तुम भी यही चाहती हो।

डॉली: आओ घर वापस, बताती हूँ कि मैं क्या चाहती हूँ।

जय हँसते हुए: अरे जान, ग़ुस्सा मत करो, मैं मना कर देता हूँ । कह दूँगा फिर देखेंगे कभी और दिन। अब तो ठीक है?

डॉली: हाँ ठीक है। आपने खाना खा लिया?

जय: बस खाने जा रहा हूँ।

डॉली: चलो अब मैं भी खाना लगाती हूँ। चलो बाई।

जय: हाँ पापा जी को भी भूक़ लगी होगी।बाई।

डॉली सोची कि पापा जी को तो बस एक ही चीज़ की भूक़ है उसकी इस जगह की। उसने अपनी बुर को सहलाकर सोची।उसकी बुर का गीलापन बढ़ने लगा था। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ यह कैसी फ़ीलिंग़स है कि एक तरफ़ तो उसे लगता है कि यह सब ग़लत है। पर दूसरी तरफ़ यह शरीर ग़लत सिग्नल भी दे देता है।जैसे अब भी उसकी चूचियों में मीठा सा दर्द हो रहा था मसले जाने का। और यह कमीनी बुर तो बस पनियाना ही जानती है। अब आज शाम को मम्मी और ताऊजी के आने के बाद भगवान ही जानता है कि क्या होने वाला है इस घर में? वह सोची और उठकर खाना लगाने किचन में चली गयी।
उस दिन शाम को रश्मि और अमित को लेने राज बस अड्डा गया। रश्मि बस से उतरी तो वह उसे देखता ही रह गया । काली साड़ी में उसका गोरा बदन क़हर ढा रहा था। छोटा सा ब्लाउस आधी चूचियाँ दिखा रहा था और उसकी गहरी नाभि उस पारदर्शी साड़ी में बहुत आकर्षक लग रही थी। वह अपना सामान उठाने झुकी तो उसकी सामने की क्लिवेज़ देखते ही बनती थी। दोनों गोलायीयाँ जैसे अलग अलग से मचल रही थीं बाहर आने के लिए।

अमित भी आकर राज से गले मिला और रश्मि भी उसके पास आकर नमस्ते की। राज ने उसका हाथ पकड़कर दबाया और बोला: आऽऽऽंह जानू क्या क़ातिल लग रही हो?

रश्मि: हा हा आपका चक्कर चालू हो गया। आप भी बहुत स्मार्ट लग रहे हो।

राज अमित से बात करता हुआ रश्मि के पीछे चलने लगा। उफफफ क्या मस्त चूतड़ हैं। कैसे मटक रहे हैं। कार में बैठने लगे तो रश्मि को आगे बैठने को कहा। अमित पीछे बैठा। कार चला कर वह रश्मि को बोला: आज तो काली साड़ी में तुम्हारा गोरा बदन बहुत चमक रहा है। उसने रश्मि की जाँघ दबाकर कहा।

रश्मि: आप ही तो बोले थे की सेक्सी साड़ी पहनना , तो मैं ये पहन ली। आपको अच्छी लगी चलिए ठीक है।

वह राज के हाथ के ऊपर अपना हाथ रखी और दबाने लगी।

राज : और अमित भाई क्या हाल है? हमारी जान का ख़याल रखते हैं ना?

अमित: हाँ जी रखते हैं। पर ये तो आपको बहुत याद करती रहती है।

राज: सच मेरी जान? ये कहते हुए उसने रश्मि की बुर को साड़ी के ऊपर से दबा दिया।

रश्मि मज़े से टाँगें फैला दी ताकि वह मज़े से उसको सहला सके। वह बोली: अरे घर जाकर ये सब कर लीजिएगा । अभी कार चलाने पर ध्यान दीजिए।

राज: क्या करें सबर ही नहीं हो रहा है। देखो कैसे खड़ा है तुम्हारे लिए? राज ने अपना लौड़ा पैंट के ऊपर से दबाकर कहा। रश्मि भी आगे आकर उसके पैंट के ऊपर से लौड़े को दबाकर मस्ती से भर उठी। फिर बोली: आऽऽह सच में बहुत जोश में है ये तो। फिर वह उसे एक बार और दबाकर अपनी जगह पर आके बैठी और बोली: आज तो ये मेरी हालत बुरी करने वाला है। सब हँसने लगे।

घर पहुँच कर रश्मि डॉली से लिपट गयी और प्यार करने लगी। डॉली भी सब कुछ भूलकर उससे लिपट गयी। फिर डॉली अमित से मिली और अमित ने भी उसे प्यार किया।
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