08-01-2021, 08:24 PM
मेरा नाम आशीष है. रहने वाला कानपुर से थोड़ा दूर एक गाओं से हूँ. दूसरे स्टोरी टेल्लर्स की तरहा मैं बहुत स्मार्ट या हॅंड सम बंदा नहीं हूँ. 30 साल का एक साधारण सा दुबला पतला आदमी हूँ. कद सिर्फ़ 5’5” और वजन सिर्फ़ 54 केजी!! कॉलेज मे दोस्त मुझे छड़ी या हवा या मच्छर पहलवान कहते थे. लेकिन इतना है कि 12थ के समय से ही यानी पिछले 15 साल से मेरा वजन 53 से 55 के बीच ही रहा.
पढ़ाई लिखाई मे ठीक ठाक रहा. शहर से दूर गाओं मे पला बढ़ा, धूप गर्मी बहुत बर्दास्त किया, खेतों मे भी काम किया, गाओं की पोल्यूशन फ्री वातावरण मे बड़ा हुआ, देसी साग सब्जी खाया तो सेहत अच्छी रही है और इनफॅक्ट अभी भी है. मैने देश के टॉप इंजिनियरिंग कॉलेज से बी.टेक किया है और मैं अभी पुणे की एक कंपनी मे इंजिनियर के तौर पर काम करता हूँ. सॅलरी भी ठीक ठाक है.
शारीरिक रूप से उतना आकर्षक नहीं हूँ फिर भी इतना तो है कि शहर के दूसरे हेल्ती नौजवान लड़कों की तुलना मे मेरा फिज़िकल और मेंटल स्टॅमिना थोड़ा ज़्यादा ही है. तैराकी भी कर सकता हूँ, फुटबॉल का अच्छा खिलाड़ी रहा हू, लोंग डिस्टेन्स रन्नर भी रहा. ऑफीस जो 6थ फ्लोर मे है, उसके लिए कभी लिफ्ट नहीं यूज़ करता, सीढ़ियाँ दौड़ के चढ़ जाता हूँ.
मैं शादी शुदा हूँ. मेरा लंड कोई गधे या घोड़े की तरहा लंबा और मोटा नहीं है, सिर्फ़ 5.5” का ही होता है खड़ा होने पर!! लेकिन सिर्फ़ मेरी बीबी और वो औरतें और लड़कियाँ जानती हैं जो मेरे से चुद चुकी हैं कि मेरा सेक्स पवर अच्छा नहीं तो बुरा भी नहीं है. मैं शीघ्रपतन से कोसों दूर हूँ, हड़बड़ी मे भी चुदाई करूँ तो मेरा लंड महाराज 15 मिनट से पहले नहीं झड्ता, और आराम से चुदाई करूँ तो 30 मिनट से ज़्यादा खींच लेता हूँ, जब तक कि चुदने वाली ना बोले कि अब तो ख़तम करो. शायद ये भी गाओं की ताज़ी हवा का ही असर है. उपर से मैने पॉर्न मूवीस, इंटरनेट से ग्यान प्राप्त कर कलात्मक तरीके से चुदाई करता हूँ.
मैं अपनी बीबी डॉली के साथ पुणे सिटी के बाहर एक फ्लॅट मे रहता हूँ. उसके फाएेदे बहुत हैं, एक तो रेंट कम लगता है, दूसरा शोर शराबा कम और तीसरा प्राइवसी भी अच्छी मेनटेन होती है. हमारी शादी हुवे 4 साल हो गये और हमारी चुदाई लाइफ बहुत अच्छी चल रही है. हम दोनों शादी के 5-6 साल तक कोई बच्चा नहीं चाहते हैं, ताकि हम अपनी चुदाई लाइफ को ज़्यादा दिन तक़ एंजाय करें. और इसके लिए तमाम फंदे हम लगाते हैं .. जैसे कि सेफ पीरियड, झड़ने से पहले लंड चुनमुनियाँ से निकाल लेना और कॉंडम एट्सेटरा. लेकिन हम कॉंट्रॅसेप्टिव पिल्स से दूर भागते हैं, ज़्यादा यूज़ करने से उसके साइड एफेक्ट्स भी होते हैं.
इंजिनियरिंग के दिनों मेरा एक बॅचमेट था मनीष. एक बार लास्ट सम्मर वाकेशन मे उसके घर जो देल्ही मे है, 3 दिन के लिए गया था. वहीं मैने उसकी बहन डॉली को देखा. उसका परिवार काफ़ी अच्छा लगा, सभी डाउन-तो ऐर्थ नेचर वाले. डॉली उस समय 18 यियर्ज़ की थी और वो बी. एस सी. 1स्ट्रीट एअर मे थी. वो बहुत आकर्षक व्यक्तित्व की लगी, दिखने मे सुंदर, गोरी सी, स्लिम सी. रहन सहन एक दम सिंपल, पढ़ने लिखने मे ठीक ताक, सजने सँवरने का ज़्यादा शौक नहीं, सिंपल सी ड्रेस पहना करती थी. घर के काम मे अपनी माताजी की मदद करती थी. बोलचाल भी कंट्रोल्ड वे मे करती थी. उसकी मुस्कुराहट भी बहुत अच्छी लगती थी. वो मुझे मन ही मन भा गयी.
नेक्स्ट एअर हम लोग पास आउट हो गये. मेरा सेलेक्षन कॅंपस के थ्रू पुणे के कंपनी मे और मनीष का जॉब देल्ही मे ही लग गया. उस समय मैं 23 साल का था. उसे ईमेल / फोन पर बातें होती रही. जॉब के 3 साल बाद मेरे माता पिता मेरे लिए लड़की देखने लगे. मेरे दिमाग़ मे तब भी डॉली के ख्याल थे. डॉली तब ग्रेडियुयेशन कंप्लीट कर चुकी थी. मैने मनीष से बात किया, अपनी इच्छा बताई तो वो भी खुश हुआ. बाद मे हमारे पेरेंट्स ने बात की, डॉली से पूछा गया, पता चला वो भी मुझे पसंद करती थी और रिस्ता फिट हो गया. शादी के समय मैं 26 का और डॉली 22 यियर्ज़ की थी.
आज वो 26 की है, शादी के बाद डॉली और भी निखर गयी, जैसा कि हर लड़की निखर जाती है. उसने अपना वजन भी कंट्रोल कर रखा है, ग्रेवी, आयिल, फट कम खाते हैं हम.
डॉली भी चुदाई का आनंद जमके लेती है. हमारे जनरल रुटीन है सोने से पहले और सुबह उठकर एक एक ट्रिप चुदाई के मारते हैं. वीकेंड मे ये चुदाई एक दिन मे 4-5 बार तक़ हो जाती है. हम चुदाई कहीं भी करते हैं बेड रूम, हॉल मे, सोफे मे, बाल्कनी मे और बाथरूम मे भी. और हर पासिबल पोज़ मे. बोले तो हमारा चुदाई लाइफ बिंदास चल रहा है.
पिछले जन्वरी-2010 मे हमारे ही फ्लोर के फ्लॅट मे एक दंपति आए. 2 महीना होते होते उसके हज़्बेंड से जान पहचान हो गयी. हज़्बेंड का नाम ज़य है उमर करीब 36 साल है और वाइफ का नाम ललिता है करीब 34 साल की. दोनों की शादी 10 साल पहले हुई है, रहने वाले अल्लहाबाद के हैं. ज़य एक बॅंक मे मॅनेजर है और ललिता भाभी हाउस वाइफ. ज़य ऐसे तो दिखने मे हेल्ती लगता है, लेकिन थोड़ा तोंद बढ़ा हुआ सा है. शांतचित स्वाभाव का लगता है. भाभिजी भी गदराई हुई जिस्म की मल्लिका है. थोड़ा वजन चढ़ाई हुई है, लेकिन नैन नक्स सुंदर लगते हैं, रंग गोरा है और आकर्षक लगती है. हाइट करीब 5’3” होगा और वजन 65-67 क्ग आस पास होगा.
उनका किचन हमारे 3र्ड फ्लोर की सीढ़ी के सामने पड़ता है. सुबह को जब मैं 9 बजे ऑफीस जाता हूँ तो ललिता किचन मे रहती है, और शाम को जब मैं उच्छलते कूदते सीढ़ी चड़ता हूँ तो वो उस समय भी किचन मे रहती है. शुरू मे मैं उसमे कोई ध्यान देता नहीं था, लेकिन एक महीने होते होते मैने नोटीस किया कि वो मुझे देखके मुस्कुराती थी, शायद मेरे बच्चों जैसी हरकतों, सीधी को दौड़ते हुए चढ़ने के अंदाज़ पे हँसती थी.
धीरे धीरे जयजी के साथ हँसना बोलना शुरू हुआ. तब तक ललिता और डॉली की जान पहचान नहीं हुई थी. इसी बीच एक दिन सब्जी मार्केट मे वो दोनों भी मिल गये. तब मैने पहली बार ललिता से 2-4 बात की और डॉली और ललिता का भी इंट्रोडक्षन हुआ. मैने कहा, “भाभी कभी कभी हमारे यहाँ आ जाया कीजिए, भाई साहब भी नहीं रहते हैं दिन को और मैं भी नहीं रहता हूँ. डॉली तो दिन भर सीरियल्स देखते रहती है, उसी बहाने इसका भी टाइम पास हो जाएगा.” ललिता ने कहा, “ठीक है.”
उसके दूसरे दिन से ही वो हमारे यहाँ आने जाने लगी. धीरे धीरे डॉली और ललिता दोनों दोस्त बन गयी, उमर के गॅप के बावजूद. सब्जी मार्केट साथ साथ जाने लगी. पता नहीं क्यूँ मुझे अपने से बड़ी उमर की औरतें जवान लड़कियों से ज़्यादा आकर्षित करती हैं. फिर एक दिन मुझे ध्यान आया कि इतने दिन तक दोनों के यान्हा बच्चा नहीं है, कुच्छ तो गड़बड़ है. क्यूंकी शादी के बाद इंडियन लोग 4-5 साल से ज़्यादा फॅमिली प्लॅनिंग नहीं करते हैं. इसीलिए मैने डॉली से एक दिन बोला की ललिता को पुछे की ललिता और ज़य प्रेग्नेन्सी रोकने का कौन सा तरीका अपनाते हैं जो 10 साल तक बच्चा नहीं हुआ!! क्या ललिता बच्चा नहीं चाहती क्यूंकी वो 34 साल की हो चुकी थी.
डॉली ने एक दिन पूछा तो पहले तो ललिता टाल मटोल करती रही लेकिन बाद मे बताई की ज़य के वीर्य मे कुच्छ कमी है इसीलिए वो बच्चा बनाने के काबिल नहीं है. सेक्स लाइफ भी उनका अच्छा नहीं है. इसके लिए उन्होने ज़य के इलाज़ मे बहुत रुपया खर्च किया है, पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ.
धीरे धीरे मैं ललिता से हल्की फुल्की मज़ाक करने लगा. मेरी बच्चों जैसी हरकतों पर वो खूब मुस्कुराती थी. शुबह शाम किचन मे दिखती है. मैने भी बाद मे उसकी मुस्कान का जवाब मुस्कुरकर देने लगा. फिर उसको चोद्ने की इच्छा भी मेरे दिमाग़ मे पनपने लगी. कभी कभी डॉली को चोदते समय ललिता का ख्याल करके चुदाई करने लगा. सोचता था ललिता भाभी की गोरी चिकनी मांसल जांघे हैं, फूली हुई चुनमुनियाँ है, और बड़े बड़े बूब्स!!
3-4 महीने तक सब कुच्छ ठीक ठाक चलता रहा. एक दिन डॉली और ललिता दोनों ने फिल्म देखने जाने की इच्छा जताई. तो मैने उसके नेक्स्ट सॅटर्डे 10 बजे को 2 बजे के शो के लिए 4 टिकेट लेकर आया. लेकिन 12 बजे ज़य के बॅंक से फोन आया कि कुच्छ अर्जेंट वर्क की वजह से उसको बॅंक जाना है. ज़य ने बोला, “यार आशीष आप लोग फिल्म देख आओ.” मैने पूछा भाभी जी जाएँगी या नहीं, तो उसने कहा कि ललिता को भी लेकर जाना. फिर वो ऑफीस चले गये और मैं, डॉली और ललिता के साथ मूवी देखने चला गया. डॉली और ललिता दोनों ने सारी पहन रखी थी मानो दोनों मे कॉंपिटेशन है कि कौन ज़्यादा सुंदर दिखती है. डॉली तो पिंक सारी मे सुंदर लग ही रही थी, पर ललिता भी प्रिंटेड सारी मे उससे कम सुंदर नहीं लग रही थी.
मूवी हॉल मे मैं दोनों के बीच बैठ गया. ललिता भाभी की बगल वाली सीट खाली रह गयी क्यूंकी वो ज़य के लिए थी. मूवी शुरू हुई. लाइट्स ऑफ. थोड़ी देर हम ने मूवी का मज़ा लिया, मूवी मे कुच्छ डबल मीनिंग जोक भी थे. उन कॉमेडीस पर मैं तो ललिता का लिहाज कर थोड़ा कम हंस रहा था, लेकिन डॉली और ललिता दोनों तो पूरे मूड मे थी. दोनों खूब हंस रही थी, फिल्म के कॉमेडी सीन्स पर. मैने अंधेरे का फायेदा लेते हुए डॉली के जाँघ के उपर हाथ रखा फिर उसके नाभि को सहलाने लगा. उसको शायद मूवी ज़्यादा अच्छा लग रही थी, इसीलिए उसने मेरा हाथ पकड़ कर मेरे जाँघ पर रख दिया. मैं समझ गया कि वो छेड़-छाड़ के मूड मे नहीं है. तो मैने आगे कुच्छ नहीं किया उसे. 10 मिनट तक मैं भी चुप-चाप मूवी देखता रहा. फिर अचानक जस्ट सामने वाली सीट पे देखा तो उसमे 1 लड़का और लड़की फिल्म के साथ एक दूसरे को सहलाकर भी मज़ा ले रहे हैं. इंटर्वल मे लाइट जली तो देखा वो दोनों कोई प्रेमी जोड़ा लग रहे थे.
इंटर्वल के बाद फिर अंधेरे का फ़ायदा उठा कर वो दोनों लड़का लड़की चालू हो गये. मैने ललिता भाभी की ओर देखा तो वो भी मूवी के बदले उनको देख रही है. मैने सोचा, चलो एक चान्स ले लेता हूँ. ललिता भाभी या तो लिफ्ट देगी या तो नहीं. मैने अपना एक हाथ ललिता की जाँघ पर रखा. 3-4 मिनट तक उसने कुछ हरकत नहीं की. मैने उसकी तरफ देखा तो उसने मेरी तरफ देख कर थोड़ा मुस्कुरा दिया. मैने उसकी जाँघ को थोड़ा दबाया, तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. मैं समझ गया कि ये लिफ्ट दे देगी. मैने हाथ को थोड़ा उपर सरकार उसकी खुली नाभि पे हाथ फेरा. शायद उसको अच्छा लग रहा था. थोड़ी देर उसकी गहरी नाभि पे उंगली घुसा कर थोड़ा सहलाया, फिर मैने उसकी ओर देखा, वो भी मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी. फिर मैने सोचा कि यहाँ डॉली देख लेगी तो सारी शरारत निकल जाएगी मेरी, इसलिए मैने अपना हाथ हटा लिया. और मैं भी मूवी देखने लगा. बीच मे 1-2 बार हम दोनों एक दूसरे को देख के मुस्कुराए.
मूवी ख़तम हुई तो हम सब बाहर निकले. डॉली ने ललिता को पूछा कि मूवी कैसी लगी तो वो बोली बहुत अच्छी, कॉमेडी बहुत अच्छी है. उस दिन मुझे पता चल तो गया कि ललिता भाभी मुझे लिफ्ट दे सकती है. उसकी सेक्स की भूक ठीक से नहीं शांत किया जाता ये मुझे मालूम था. मैने इस बात का फ़ायदा उठाने के लिए सोच लिया कि जब भी मौका मिलेगा मैं भाभी को चोद दूँगा. वहाँ से आने के बाद मैने फ्रेश होकर डॉली को बेड मे पटककर जमकर चोदा, ललिता भाभी को याद करके.
उसके बाद हमारे बीच सब नॉर्मल रहा. इसी बीच पिछले सेप्टेमबेर को डॉली की माता जी की तबीयत ज़्यादा खराब हो गयी. खबर मिलते ही मैं और डॉली मुंबई से फ्लाइट पकड़कर देल्ही चले गये. देल्ही पहुँचा, सासू जी हॉस्पिटल मे थी. 2 दिन बाद उनको हॉस्पिटल से छुट्टी मिली. वो काफ़ी कमजोर हो गयी थी. उन्हें रेस्ट की सलाह दी गयी. उसके दूसरे दिन मैं डॉली को वहीं उसकी मा यानी मेरी सास के पास छोड़ दिया की 1 महीना जैसे वो उसकी मा के साथ रहे, उनकी मा को अच्छा लगेगा. डॉली पहले तो हिचकिचाई की मेरे खाने पीने का क्या होगा. मैने कहा की थोड़ा बहुत तो खाना बनाना आता है, खुद बना लूँगा. टाइम नहीं मिला तो कभी कभी ढाबा या होटेल मे खा लूँगा.
मैं वापस पुणे लौट गया. 3 दिन ताक़ सब ठीक ठाक चलता रहा. डेली 1-2 बार डॉली से फोन पे बात कर लेता. लेकिन 3 दिन बाद मेरी हालत खराब. रोज़ 2 चुदाई करने वाले को 3 दिन तक़ चुदाई ना मिले तो क्या होगा!! दिन तो किसी तरहा गुजर जाता, पर रात को नींद नहीं आती, डॉली की याद आने लगती. फिर मुझे मूठ मारना ही पड़ जाता.
5थ डे की शाम को मैं 04:30 बजे ही ऑफीस से लौटा. सीधी चढ़ते समय देखा, ललिता किचन मे थी. घर आकर मैने नहाया. नहाते समय ललिता भाभी को याद करके मूठ मारा. फ्रेश होकर मैने टी-शर्ट और बरमूडा पहन लिया कि अब कहीं नहीं जाना, मैं अकेला ही हूँ और टीवी देखने लगा. 05:30 बजे करीब डोर बेल बजी तो मैने दरवाजा खोला, आश्चर्या से मेरी आँखें खुली रह गयी, सामने ललिता भाभी थी. उसको मैने अंदर आने को कहा और सोफे पे बैठने को कहा. मैने कहा, “भाभी आप बैठो, मैं चाय बनाकर लता हूँ उसके बाद बात करते हैं.” मैं चाय बनाकर ले आया और पूछा “भाभी कैसे आना हुआ? डॉली तो नहीं है.” वो बोली, “हां, यही पूछने के लिए आई. कल भी मैने ट्राइ किया और आज भी पर घर पे कोई नहीं था यहाँ!! सब ठीक तो है!!” मैने उनको सारी बातें बताई और ये भी बताया कि डॉली तो 1-2 महीने के लिए अपनी मा यानी मेरी सास के पास रहेगी. उसने कहा, “ये आपने बहुत अच्छा किया. लेकिन खाने पीने का दिक्कत तो नहीं?” मैने कहा, “नहीं भाभी, थोड़ा बहुत बना लेता हूँ, अच्छा तो नहीं पर अपने लिए खाने लायक बन जाता है, उसी से काम चल रहा है.” उसने कहा, “चाय तो आपने बहुत अच्छा बनाया है.” मैने उसको पूछा कि ज़य कहाँ गये. उसने बताया, “उनका अभी फोन आया कि वो आज 9 बजे के बाद आएँगे.” मैने कहा, “आप ने अच्छा किया, मैं भी जब से अकेला हूँ, बोर हो रहा हूँ. डॉली होती तो उसके साथ वक़्त गुजर जाता है.” उसने घर देखा, घर थोड़ा गंदा दिख रहा था. चाय ख़तम होने के बाद मेरे मना करने के बावजूद, उसने झाड़ू उठाया और घर को सॉफ कर दिया.
फिर मैने पूछा, “आप भी आज कल अकेली रहती हैं दिन भर, डॉली भी नहीं है, बोर नहीं हो जाती हैं?” उसने तुरंत उत्तर दिया, “बोर तो बहुत हो जाती हूँ, सीरियल भी कितना देखूँगी, सेकेंड हाफ मे तो सोते रहती हूँ, अभी अभी सो कर उठी हूँ. इसीलिए तो आई हूँ यहाँ, कि कुच्छ पता तो चले कि डॉली कहाँ चली गयी.” फिर मैने पूछा, “भाभी, उस दिन मूवी आपको कैसी लगी?” वो बोली, बहुत अच्छा. मैने कहा, “लेकिन भाभी आप तो फिल्म कम और सामने की सीट पर बैठे लड़का-लड़की को ज़्यादा देख रही थीं!!” वो मुस्कुरा दी. वो उस समय ग्रीन कलर की सारी पहन रखी थी जो उस पर बहुत अच्छा लग रहा था. मैने कहा, “भाभी आज कल तो सिनिमा हॉल्स मे ऐसी सीन्स कामन हो गये हैं. आपको क्या लगता है, ये प्रेमी जोड़ा पिक्चर देखने आते हैं? नहीं भाभी, वो तो पिक्चर बनाने आते हैं, देखना तो एक बहाना है.” वो बोली, “हां ये तो है, पर तुम्हारे जयजी तो मेरे साथ पिक्चर जाते ही नहीं!!” मैने कहा, “भाभी, ऐसा नहीं है, उनको टाइम नहीं मिलता होगा, उनका जॉब ही ऐसा है. हम लोग भी तो साल मे 5-6 बार ही जाते हैं. वैसे आप लोग कितनी बार जाते हैं?” उसने कहा, “शादी हुए 10 साल हो गये, अभी तक सिर्फ़ 2 बार गये हैं हम. बच्चे भी नहीं हैं, और मैं बोर होते रहती हूँ.” मैने मज़ाक किया, “बच्चे होते नहीं हैं भाभी, बनाए जाते हैं. और बच्चा बनाने के लिए मेहनत करना पड़ता है, इसके लिए आपको जयजी के साथ पिक्चर देखने की ज़रूरत नहीं, पिक्चर बनाने की ज़रूरत है.” ये सुनकर वो थोड़ी मायूस हो गयी. ये देखकर मैने कहा, “छोड़िए भाभी, इन सब चीज़ों का टेन्षन मत लीजिए, जो भगवान ने दिया उसका आनंद लीजिए. जयजी आपको हर सुख देते हैं, क्या कमी है आपके पास!! अच्छा ख़ासा रहन सहन है.” उसने कहा, “आशिषजी, ये सब ही सब कुच्छ नहीं होता है.”
फिर मैने बोला, “भाभी, उस दिन पिक्चर हॉल मे मैं थोड़ा बहक गया था, माफ़ कर दीजिए.” उसने कहा, “नहीं आशीष, मैं भी तो बहक गयी थी, वैसे बाद मे मैने सोचा तो मुझे अच्छा ही लगा. होता है, अभी आप जवान हो ना. दो खूबसूरत महिलाएँ अगल बगल हों, तो वैसा हो जाना स्वाभाविक है. वैसे आपने कुच्छ किया भी तो नहीं, देवर भाभी मे उतना तो चलना ही चाहिए.” मैने कहा, “वो तो है भाभी, लेकिन आप भी शादी शुदा हैं और मैं भी. एक लिमिट तो रहना ही चाहिए. 5 दिन हो गये, मुझे डॉली की याद बहुत आती है.” वो बोली, “हां, आप उनके बगैर रह नहीं पाते होंगे, रात कैसे काटते होंगे!!” मैने कहा, “भाभी आप भी तो जवान हैं, आप खुद को बूढ़ी ना समझिए, आप बहुत खूबसूरत हैं, अच्छी लगती हैं आप मुझे, आपकी मुस्कुराहट बहुत अच्छी है, मैं चाहता हूँ आप ऐसे ही मुस्कुराती रहें.”
उसके बाद हम दोनों थोड़ी देर चुपचाप रहे. फिर भाभी बोली, “आशीष, मैं मोटी हो गयी हूँ, कहाँ से खूबसूरत लगूंगी!!” मैने कहा, “तो क्या हुआ, आप फिर भी बहुत सुंदर दिखती हैं, आपको देखकर कोई लड़का या मर्द आपको प्यार करना चाहेगा.” वो बोली, “लेकिन आप तो नहीं प्यार करोगे.!!” मैं बोला, “यदि शादी शुदा ना होता तो आप को ज़रूर प्यार करता, लाइन मारता. आप मोटी नहीं, हेल्ती हैं.” उसने कहा, “बहुत डरते हो आप!! डरपोक मर्द हो!!” मैं बोला, “भाभी आप मेरे अंदर के शैतान को मत जगइए, वरना गड़बड़ हो जाएगा.”
वो चुपचाप रही. मैने सोचा, “यार आशीष, क्या सोचते हो? सामने से भाभी चॅलेंज कर रही है, आक्सेप्ट करो!” फिर मैने उसकी ठोडी पकड़कर उपर उठाया और उसकी आँखों मे देखने लगा. सचमुच वो गजब की सुंदर लग रही थी. इधर उनको छूते ही मेरे पॅंट के अंदर का शैतान जागने लगा. उसकी आँखों मे प्यार और सेक्स की भूक नज़र आने लगी. और मेरे बदन मे भी सिहरन दौड़ने लगी. हालाँकि डॉली के साथ हज़ारों बार सेक्स कर चुका हूँ पिच्छले 4 साल मे, ऐसा सिहरन सिर्फ़ शुरुआती दिनों मे होता था.
मैने हिम्मत करके अपने होंठ को उसके होंठ पर रख कर एक हल्का सा चुंबन दिया. उसने आँखें बंद कर ली. लेकिन वो भी शायद डर रही थी, उसने कहा, “आशीष ये ग़लत हो रहा है.” मैने उसको छोड़ दिया और कहा, “भाभी, आप ही तो कह रही थीं, कि मैं डरपोक हूँ, और जब अब मैं हिम्मत कर रहा हू तो आप डर रही है!!” वो चुप रही. उसकी आवाज़ से मैं समझ गया कि वो खुद को मेरे हवाले भी करना चाहती है और डर भी रही है. मैने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “भाभी यदि जो मेरी हालत है वही आपकी भी है तो हो जाने दीजिए, मैं भी जानता हूँ ये ग़लत है, पर पिछले 5 दिन से डॉली के बगैर हूँ तो मेरी इच्छा बहक चुकी है. आप चाहें तो घर जा सकती हैं.” और मैने उसका हाथ छोड़ दिया. वो कुच्छ सोचती रही. शायद किसी कसम्कस मे थी. मैने ठोडी को उपर उठाकर उसके होंठ को फिर से किस किया, उसने आँख बंद कर लिया. फिर मैने उसके माथे को चूमा. उसने भी मेरा दूसरा हाथ पकड़ लिया. इसी तरहा मैने उसके चेहरे को 2-3 मिनट हौले किस किया. समझ गया कि ललिता समर्पण कर चुकी है.
मैने पूछा, “भाभी, बेड रूम चलें क्या?” उसने कोई जवाब नहीं दिया. तो मैने उसका हाथ पकड़कर उठाया और उसकी कमर मे हाथ डालकर उसको अपने बेड रूम मे ले आया और उसको मैने बेड पे बैठाया और उसकी बगल मे बैठ कर उसकी होंठ पे अपना होंठ रख दिया. इस बार उसने भी जवाब दिया, एक हल्का किस के साथ. फिर मैने उसको धीरे से बेड पर लिटाया. फिर उसके माथे को किस किया, फिर आँखों को, कान को, उसके झुमके को, उसके गालों को फिर वापस होंठों को किस किया. मैने कहा, “आप बहुत खूबसूरत लग रहीं हैं इस सारी में.” वो आँखें बंद की हुई थी. फिर मैं उसके बालों को सहलाने लगा. उसको शायद बहुत अच्छा लग रहा था. उसके चेहरे और होंठों को किस करता रहा 5-6 मिनट तक़. फिर एक हाथ से उसके आँचल को उसकी छाती से हटा दिया तो उसकी मॅचिंग कलर की ग्रीन ब्लौज के अंदर उसके हेल्ती उभार देखकर मेरी आँखें फटी रह गयी. उसके बूब्स गोल और सुडौल लग रहे थे. उमर 34 है लेकिन कोई बच्चा नहीं है, शायद इसीलिए बदन पे कसाव अभी भी है. मैने ब्लौज के बटन खोल कर उसके ब्लौज को हटाया और फिर उसकी सफेद ब्रा भी हटा दिया. और धीरे धीरे उसके उभारों से खेलने लगा, संहलाने लगा. उसकी चूचियों को बीच बीच मे किस करने लगा. निपल्स को चूसने लगा. धीरे धीरे मैं नीचे आया, उसकी नाभि को छूने लगा, सहलाने लगा. उसकी नाभि के चारों ओर जीव को हल्का हल्का फिराया तो वो सी-सी-सी की आवाज़ करने लगी.
फिर उसको पलट दिया और पेट के बल लिटा दिया और मैं उसके पीठ को सहलाने लगा. पीठ के हर हिस्से को चूमने लगा. पीठ के चारों ओर जीव फिराया. उसकी कांख को भी चूमा. वो निढाल होते जा रही थी. फिर वही हुआ जो मैं चाहता था, वो उठकर बैठ गयी और बाहें फैलाकर मुझे अपने आगोश मे आने का इशारा किया. मैं उसके पास जाकर बैठ गया. उसने भी मेरे चेहरे को अपने पास खींच कर मेरे लिप्स मे एक हल्का सा किस किया, फिर उसने भी मेरे चेहरे पे हल्के किस बरसाने लगी. उसका ये मूव मुझे बहुत अच्छा लगा. उसने फिर मेरा टी-शर्ट भी उतार दिया और फिर मुझे बेड पे लिटा कर वही करने लगी जो मैने उसके किया था. मेरे पूरे शरीर को सहलाने लगी, चूमने लगी. शरीर के हर हिस्से पे जीव चलाने लगी. मेरे बदन पे सनसनी सी दौड़ रही थी. सचमुच, दूसरों की बीबी का प्यार बहुत अच्छा लगता है.
फिर मैने उसको बेड मे वापस लिटा दिया. और पैरों के पास आकर उसके पैरों को चूमा और एक हाथ से उसकी सारी को ऊपर को ओर सरकते हुए किस करता गया. जब सारी जांघों तक उठी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. शायद वासना और शर्म था उसका. मैं वहीं रुका. उसकी जांघों को देखा, एकदम चिकनी, गोरी और मांसल जंघें किसी कमजोर मर्द के लंड से तो रस टपक जाता. मैने उसकी जांघों को सहलाया और जीव से हौले हौले गुदगुदी किया.
इसी बीच उसके हाथ हरकत मे आए और उसने मेरे बरमूडा को नीचे खिसका कर हटा दिया. तब तक वो सारी मे ही थी. मैने उठकर उसको अपने बाहों मे भर लिया और दोनों के होंठ फिर सिल गये. एक हाथ से उसके सिर को पकड़ कर रखा, उसके लिप्स को किस करता रहा और दूसरे हाथ से मैने उसके सारी का आँचल खींच कर सारी खोल दिया फिर मैने उसके पेटिकोट का नारा भी खोलकर नीचे गिरा दिया. उसने हल्की डिज़ाइन की पैंटी पहन रखी थी. फिर मैने उसके गोलाकार चूतड़ को हौले हौले सहलाने लगा. उसको अपने शरीर से चिप्टा के रखा रहा. उसकी गांद सहलाते सहलाते मैने उसकी पैंटी भी नीचे खिसका दी. मैने देखा कि उसकी चड्डी गीली हो चुकी थी. इसी बीच उसने भी मेरी नकल करते हुए मेरा चड्डी नीचे खिसका दिया और मेरा 5.5” लंबा लंड तन्कर उसकी चुनमुनियाँ को सलाम करने लगा. इसके पहले कि मैं कुच्छ सोचता उसने मेरा लंड पकड़ लिया. ऊफ्फ, दूसरे की बीबी के हाथ से अपना लंड पकड़वाना कितना अच्छा लगा ये मैं बयान नहीं कर सकता. मैने ललिता से पूछा, “भाभी, ऐसे मत नापीए साइज़ ज़्यादा बड़ा नहीं है.” उसने हंसकर कहा, “मेरे लिए ये साइज़ काफ़ी है, ठीक है.”
पढ़ाई लिखाई मे ठीक ठाक रहा. शहर से दूर गाओं मे पला बढ़ा, धूप गर्मी बहुत बर्दास्त किया, खेतों मे भी काम किया, गाओं की पोल्यूशन फ्री वातावरण मे बड़ा हुआ, देसी साग सब्जी खाया तो सेहत अच्छी रही है और इनफॅक्ट अभी भी है. मैने देश के टॉप इंजिनियरिंग कॉलेज से बी.टेक किया है और मैं अभी पुणे की एक कंपनी मे इंजिनियर के तौर पर काम करता हूँ. सॅलरी भी ठीक ठाक है.
शारीरिक रूप से उतना आकर्षक नहीं हूँ फिर भी इतना तो है कि शहर के दूसरे हेल्ती नौजवान लड़कों की तुलना मे मेरा फिज़िकल और मेंटल स्टॅमिना थोड़ा ज़्यादा ही है. तैराकी भी कर सकता हूँ, फुटबॉल का अच्छा खिलाड़ी रहा हू, लोंग डिस्टेन्स रन्नर भी रहा. ऑफीस जो 6थ फ्लोर मे है, उसके लिए कभी लिफ्ट नहीं यूज़ करता, सीढ़ियाँ दौड़ के चढ़ जाता हूँ.
मैं शादी शुदा हूँ. मेरा लंड कोई गधे या घोड़े की तरहा लंबा और मोटा नहीं है, सिर्फ़ 5.5” का ही होता है खड़ा होने पर!! लेकिन सिर्फ़ मेरी बीबी और वो औरतें और लड़कियाँ जानती हैं जो मेरे से चुद चुकी हैं कि मेरा सेक्स पवर अच्छा नहीं तो बुरा भी नहीं है. मैं शीघ्रपतन से कोसों दूर हूँ, हड़बड़ी मे भी चुदाई करूँ तो मेरा लंड महाराज 15 मिनट से पहले नहीं झड्ता, और आराम से चुदाई करूँ तो 30 मिनट से ज़्यादा खींच लेता हूँ, जब तक कि चुदने वाली ना बोले कि अब तो ख़तम करो. शायद ये भी गाओं की ताज़ी हवा का ही असर है. उपर से मैने पॉर्न मूवीस, इंटरनेट से ग्यान प्राप्त कर कलात्मक तरीके से चुदाई करता हूँ.
मैं अपनी बीबी डॉली के साथ पुणे सिटी के बाहर एक फ्लॅट मे रहता हूँ. उसके फाएेदे बहुत हैं, एक तो रेंट कम लगता है, दूसरा शोर शराबा कम और तीसरा प्राइवसी भी अच्छी मेनटेन होती है. हमारी शादी हुवे 4 साल हो गये और हमारी चुदाई लाइफ बहुत अच्छी चल रही है. हम दोनों शादी के 5-6 साल तक कोई बच्चा नहीं चाहते हैं, ताकि हम अपनी चुदाई लाइफ को ज़्यादा दिन तक़ एंजाय करें. और इसके लिए तमाम फंदे हम लगाते हैं .. जैसे कि सेफ पीरियड, झड़ने से पहले लंड चुनमुनियाँ से निकाल लेना और कॉंडम एट्सेटरा. लेकिन हम कॉंट्रॅसेप्टिव पिल्स से दूर भागते हैं, ज़्यादा यूज़ करने से उसके साइड एफेक्ट्स भी होते हैं.
इंजिनियरिंग के दिनों मेरा एक बॅचमेट था मनीष. एक बार लास्ट सम्मर वाकेशन मे उसके घर जो देल्ही मे है, 3 दिन के लिए गया था. वहीं मैने उसकी बहन डॉली को देखा. उसका परिवार काफ़ी अच्छा लगा, सभी डाउन-तो ऐर्थ नेचर वाले. डॉली उस समय 18 यियर्ज़ की थी और वो बी. एस सी. 1स्ट्रीट एअर मे थी. वो बहुत आकर्षक व्यक्तित्व की लगी, दिखने मे सुंदर, गोरी सी, स्लिम सी. रहन सहन एक दम सिंपल, पढ़ने लिखने मे ठीक ताक, सजने सँवरने का ज़्यादा शौक नहीं, सिंपल सी ड्रेस पहना करती थी. घर के काम मे अपनी माताजी की मदद करती थी. बोलचाल भी कंट्रोल्ड वे मे करती थी. उसकी मुस्कुराहट भी बहुत अच्छी लगती थी. वो मुझे मन ही मन भा गयी.
नेक्स्ट एअर हम लोग पास आउट हो गये. मेरा सेलेक्षन कॅंपस के थ्रू पुणे के कंपनी मे और मनीष का जॉब देल्ही मे ही लग गया. उस समय मैं 23 साल का था. उसे ईमेल / फोन पर बातें होती रही. जॉब के 3 साल बाद मेरे माता पिता मेरे लिए लड़की देखने लगे. मेरे दिमाग़ मे तब भी डॉली के ख्याल थे. डॉली तब ग्रेडियुयेशन कंप्लीट कर चुकी थी. मैने मनीष से बात किया, अपनी इच्छा बताई तो वो भी खुश हुआ. बाद मे हमारे पेरेंट्स ने बात की, डॉली से पूछा गया, पता चला वो भी मुझे पसंद करती थी और रिस्ता फिट हो गया. शादी के समय मैं 26 का और डॉली 22 यियर्ज़ की थी.
आज वो 26 की है, शादी के बाद डॉली और भी निखर गयी, जैसा कि हर लड़की निखर जाती है. उसने अपना वजन भी कंट्रोल कर रखा है, ग्रेवी, आयिल, फट कम खाते हैं हम.
डॉली भी चुदाई का आनंद जमके लेती है. हमारे जनरल रुटीन है सोने से पहले और सुबह उठकर एक एक ट्रिप चुदाई के मारते हैं. वीकेंड मे ये चुदाई एक दिन मे 4-5 बार तक़ हो जाती है. हम चुदाई कहीं भी करते हैं बेड रूम, हॉल मे, सोफे मे, बाल्कनी मे और बाथरूम मे भी. और हर पासिबल पोज़ मे. बोले तो हमारा चुदाई लाइफ बिंदास चल रहा है.
पिछले जन्वरी-2010 मे हमारे ही फ्लोर के फ्लॅट मे एक दंपति आए. 2 महीना होते होते उसके हज़्बेंड से जान पहचान हो गयी. हज़्बेंड का नाम ज़य है उमर करीब 36 साल है और वाइफ का नाम ललिता है करीब 34 साल की. दोनों की शादी 10 साल पहले हुई है, रहने वाले अल्लहाबाद के हैं. ज़य एक बॅंक मे मॅनेजर है और ललिता भाभी हाउस वाइफ. ज़य ऐसे तो दिखने मे हेल्ती लगता है, लेकिन थोड़ा तोंद बढ़ा हुआ सा है. शांतचित स्वाभाव का लगता है. भाभिजी भी गदराई हुई जिस्म की मल्लिका है. थोड़ा वजन चढ़ाई हुई है, लेकिन नैन नक्स सुंदर लगते हैं, रंग गोरा है और आकर्षक लगती है. हाइट करीब 5’3” होगा और वजन 65-67 क्ग आस पास होगा.
उनका किचन हमारे 3र्ड फ्लोर की सीढ़ी के सामने पड़ता है. सुबह को जब मैं 9 बजे ऑफीस जाता हूँ तो ललिता किचन मे रहती है, और शाम को जब मैं उच्छलते कूदते सीढ़ी चड़ता हूँ तो वो उस समय भी किचन मे रहती है. शुरू मे मैं उसमे कोई ध्यान देता नहीं था, लेकिन एक महीने होते होते मैने नोटीस किया कि वो मुझे देखके मुस्कुराती थी, शायद मेरे बच्चों जैसी हरकतों, सीधी को दौड़ते हुए चढ़ने के अंदाज़ पे हँसती थी.
धीरे धीरे जयजी के साथ हँसना बोलना शुरू हुआ. तब तक ललिता और डॉली की जान पहचान नहीं हुई थी. इसी बीच एक दिन सब्जी मार्केट मे वो दोनों भी मिल गये. तब मैने पहली बार ललिता से 2-4 बात की और डॉली और ललिता का भी इंट्रोडक्षन हुआ. मैने कहा, “भाभी कभी कभी हमारे यहाँ आ जाया कीजिए, भाई साहब भी नहीं रहते हैं दिन को और मैं भी नहीं रहता हूँ. डॉली तो दिन भर सीरियल्स देखते रहती है, उसी बहाने इसका भी टाइम पास हो जाएगा.” ललिता ने कहा, “ठीक है.”
उसके दूसरे दिन से ही वो हमारे यहाँ आने जाने लगी. धीरे धीरे डॉली और ललिता दोनों दोस्त बन गयी, उमर के गॅप के बावजूद. सब्जी मार्केट साथ साथ जाने लगी. पता नहीं क्यूँ मुझे अपने से बड़ी उमर की औरतें जवान लड़कियों से ज़्यादा आकर्षित करती हैं. फिर एक दिन मुझे ध्यान आया कि इतने दिन तक दोनों के यान्हा बच्चा नहीं है, कुच्छ तो गड़बड़ है. क्यूंकी शादी के बाद इंडियन लोग 4-5 साल से ज़्यादा फॅमिली प्लॅनिंग नहीं करते हैं. इसीलिए मैने डॉली से एक दिन बोला की ललिता को पुछे की ललिता और ज़य प्रेग्नेन्सी रोकने का कौन सा तरीका अपनाते हैं जो 10 साल तक बच्चा नहीं हुआ!! क्या ललिता बच्चा नहीं चाहती क्यूंकी वो 34 साल की हो चुकी थी.
डॉली ने एक दिन पूछा तो पहले तो ललिता टाल मटोल करती रही लेकिन बाद मे बताई की ज़य के वीर्य मे कुच्छ कमी है इसीलिए वो बच्चा बनाने के काबिल नहीं है. सेक्स लाइफ भी उनका अच्छा नहीं है. इसके लिए उन्होने ज़य के इलाज़ मे बहुत रुपया खर्च किया है, पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ.
धीरे धीरे मैं ललिता से हल्की फुल्की मज़ाक करने लगा. मेरी बच्चों जैसी हरकतों पर वो खूब मुस्कुराती थी. शुबह शाम किचन मे दिखती है. मैने भी बाद मे उसकी मुस्कान का जवाब मुस्कुरकर देने लगा. फिर उसको चोद्ने की इच्छा भी मेरे दिमाग़ मे पनपने लगी. कभी कभी डॉली को चोदते समय ललिता का ख्याल करके चुदाई करने लगा. सोचता था ललिता भाभी की गोरी चिकनी मांसल जांघे हैं, फूली हुई चुनमुनियाँ है, और बड़े बड़े बूब्स!!
3-4 महीने तक सब कुच्छ ठीक ठाक चलता रहा. एक दिन डॉली और ललिता दोनों ने फिल्म देखने जाने की इच्छा जताई. तो मैने उसके नेक्स्ट सॅटर्डे 10 बजे को 2 बजे के शो के लिए 4 टिकेट लेकर आया. लेकिन 12 बजे ज़य के बॅंक से फोन आया कि कुच्छ अर्जेंट वर्क की वजह से उसको बॅंक जाना है. ज़य ने बोला, “यार आशीष आप लोग फिल्म देख आओ.” मैने पूछा भाभी जी जाएँगी या नहीं, तो उसने कहा कि ललिता को भी लेकर जाना. फिर वो ऑफीस चले गये और मैं, डॉली और ललिता के साथ मूवी देखने चला गया. डॉली और ललिता दोनों ने सारी पहन रखी थी मानो दोनों मे कॉंपिटेशन है कि कौन ज़्यादा सुंदर दिखती है. डॉली तो पिंक सारी मे सुंदर लग ही रही थी, पर ललिता भी प्रिंटेड सारी मे उससे कम सुंदर नहीं लग रही थी.
मूवी हॉल मे मैं दोनों के बीच बैठ गया. ललिता भाभी की बगल वाली सीट खाली रह गयी क्यूंकी वो ज़य के लिए थी. मूवी शुरू हुई. लाइट्स ऑफ. थोड़ी देर हम ने मूवी का मज़ा लिया, मूवी मे कुच्छ डबल मीनिंग जोक भी थे. उन कॉमेडीस पर मैं तो ललिता का लिहाज कर थोड़ा कम हंस रहा था, लेकिन डॉली और ललिता दोनों तो पूरे मूड मे थी. दोनों खूब हंस रही थी, फिल्म के कॉमेडी सीन्स पर. मैने अंधेरे का फायेदा लेते हुए डॉली के जाँघ के उपर हाथ रखा फिर उसके नाभि को सहलाने लगा. उसको शायद मूवी ज़्यादा अच्छा लग रही थी, इसीलिए उसने मेरा हाथ पकड़ कर मेरे जाँघ पर रख दिया. मैं समझ गया कि वो छेड़-छाड़ के मूड मे नहीं है. तो मैने आगे कुच्छ नहीं किया उसे. 10 मिनट तक मैं भी चुप-चाप मूवी देखता रहा. फिर अचानक जस्ट सामने वाली सीट पे देखा तो उसमे 1 लड़का और लड़की फिल्म के साथ एक दूसरे को सहलाकर भी मज़ा ले रहे हैं. इंटर्वल मे लाइट जली तो देखा वो दोनों कोई प्रेमी जोड़ा लग रहे थे.
इंटर्वल के बाद फिर अंधेरे का फ़ायदा उठा कर वो दोनों लड़का लड़की चालू हो गये. मैने ललिता भाभी की ओर देखा तो वो भी मूवी के बदले उनको देख रही है. मैने सोचा, चलो एक चान्स ले लेता हूँ. ललिता भाभी या तो लिफ्ट देगी या तो नहीं. मैने अपना एक हाथ ललिता की जाँघ पर रखा. 3-4 मिनट तक उसने कुछ हरकत नहीं की. मैने उसकी तरफ देखा तो उसने मेरी तरफ देख कर थोड़ा मुस्कुरा दिया. मैने उसकी जाँघ को थोड़ा दबाया, तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. मैं समझ गया कि ये लिफ्ट दे देगी. मैने हाथ को थोड़ा उपर सरकार उसकी खुली नाभि पे हाथ फेरा. शायद उसको अच्छा लग रहा था. थोड़ी देर उसकी गहरी नाभि पे उंगली घुसा कर थोड़ा सहलाया, फिर मैने उसकी ओर देखा, वो भी मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी. फिर मैने सोचा कि यहाँ डॉली देख लेगी तो सारी शरारत निकल जाएगी मेरी, इसलिए मैने अपना हाथ हटा लिया. और मैं भी मूवी देखने लगा. बीच मे 1-2 बार हम दोनों एक दूसरे को देख के मुस्कुराए.
मूवी ख़तम हुई तो हम सब बाहर निकले. डॉली ने ललिता को पूछा कि मूवी कैसी लगी तो वो बोली बहुत अच्छी, कॉमेडी बहुत अच्छी है. उस दिन मुझे पता चल तो गया कि ललिता भाभी मुझे लिफ्ट दे सकती है. उसकी सेक्स की भूक ठीक से नहीं शांत किया जाता ये मुझे मालूम था. मैने इस बात का फ़ायदा उठाने के लिए सोच लिया कि जब भी मौका मिलेगा मैं भाभी को चोद दूँगा. वहाँ से आने के बाद मैने फ्रेश होकर डॉली को बेड मे पटककर जमकर चोदा, ललिता भाभी को याद करके.
उसके बाद हमारे बीच सब नॉर्मल रहा. इसी बीच पिछले सेप्टेमबेर को डॉली की माता जी की तबीयत ज़्यादा खराब हो गयी. खबर मिलते ही मैं और डॉली मुंबई से फ्लाइट पकड़कर देल्ही चले गये. देल्ही पहुँचा, सासू जी हॉस्पिटल मे थी. 2 दिन बाद उनको हॉस्पिटल से छुट्टी मिली. वो काफ़ी कमजोर हो गयी थी. उन्हें रेस्ट की सलाह दी गयी. उसके दूसरे दिन मैं डॉली को वहीं उसकी मा यानी मेरी सास के पास छोड़ दिया की 1 महीना जैसे वो उसकी मा के साथ रहे, उनकी मा को अच्छा लगेगा. डॉली पहले तो हिचकिचाई की मेरे खाने पीने का क्या होगा. मैने कहा की थोड़ा बहुत तो खाना बनाना आता है, खुद बना लूँगा. टाइम नहीं मिला तो कभी कभी ढाबा या होटेल मे खा लूँगा.
मैं वापस पुणे लौट गया. 3 दिन ताक़ सब ठीक ठाक चलता रहा. डेली 1-2 बार डॉली से फोन पे बात कर लेता. लेकिन 3 दिन बाद मेरी हालत खराब. रोज़ 2 चुदाई करने वाले को 3 दिन तक़ चुदाई ना मिले तो क्या होगा!! दिन तो किसी तरहा गुजर जाता, पर रात को नींद नहीं आती, डॉली की याद आने लगती. फिर मुझे मूठ मारना ही पड़ जाता.
5थ डे की शाम को मैं 04:30 बजे ही ऑफीस से लौटा. सीधी चढ़ते समय देखा, ललिता किचन मे थी. घर आकर मैने नहाया. नहाते समय ललिता भाभी को याद करके मूठ मारा. फ्रेश होकर मैने टी-शर्ट और बरमूडा पहन लिया कि अब कहीं नहीं जाना, मैं अकेला ही हूँ और टीवी देखने लगा. 05:30 बजे करीब डोर बेल बजी तो मैने दरवाजा खोला, आश्चर्या से मेरी आँखें खुली रह गयी, सामने ललिता भाभी थी. उसको मैने अंदर आने को कहा और सोफे पे बैठने को कहा. मैने कहा, “भाभी आप बैठो, मैं चाय बनाकर लता हूँ उसके बाद बात करते हैं.” मैं चाय बनाकर ले आया और पूछा “भाभी कैसे आना हुआ? डॉली तो नहीं है.” वो बोली, “हां, यही पूछने के लिए आई. कल भी मैने ट्राइ किया और आज भी पर घर पे कोई नहीं था यहाँ!! सब ठीक तो है!!” मैने उनको सारी बातें बताई और ये भी बताया कि डॉली तो 1-2 महीने के लिए अपनी मा यानी मेरी सास के पास रहेगी. उसने कहा, “ये आपने बहुत अच्छा किया. लेकिन खाने पीने का दिक्कत तो नहीं?” मैने कहा, “नहीं भाभी, थोड़ा बहुत बना लेता हूँ, अच्छा तो नहीं पर अपने लिए खाने लायक बन जाता है, उसी से काम चल रहा है.” उसने कहा, “चाय तो आपने बहुत अच्छा बनाया है.” मैने उसको पूछा कि ज़य कहाँ गये. उसने बताया, “उनका अभी फोन आया कि वो आज 9 बजे के बाद आएँगे.” मैने कहा, “आप ने अच्छा किया, मैं भी जब से अकेला हूँ, बोर हो रहा हूँ. डॉली होती तो उसके साथ वक़्त गुजर जाता है.” उसने घर देखा, घर थोड़ा गंदा दिख रहा था. चाय ख़तम होने के बाद मेरे मना करने के बावजूद, उसने झाड़ू उठाया और घर को सॉफ कर दिया.
फिर मैने पूछा, “आप भी आज कल अकेली रहती हैं दिन भर, डॉली भी नहीं है, बोर नहीं हो जाती हैं?” उसने तुरंत उत्तर दिया, “बोर तो बहुत हो जाती हूँ, सीरियल भी कितना देखूँगी, सेकेंड हाफ मे तो सोते रहती हूँ, अभी अभी सो कर उठी हूँ. इसीलिए तो आई हूँ यहाँ, कि कुच्छ पता तो चले कि डॉली कहाँ चली गयी.” फिर मैने पूछा, “भाभी, उस दिन मूवी आपको कैसी लगी?” वो बोली, बहुत अच्छा. मैने कहा, “लेकिन भाभी आप तो फिल्म कम और सामने की सीट पर बैठे लड़का-लड़की को ज़्यादा देख रही थीं!!” वो मुस्कुरा दी. वो उस समय ग्रीन कलर की सारी पहन रखी थी जो उस पर बहुत अच्छा लग रहा था. मैने कहा, “भाभी आज कल तो सिनिमा हॉल्स मे ऐसी सीन्स कामन हो गये हैं. आपको क्या लगता है, ये प्रेमी जोड़ा पिक्चर देखने आते हैं? नहीं भाभी, वो तो पिक्चर बनाने आते हैं, देखना तो एक बहाना है.” वो बोली, “हां ये तो है, पर तुम्हारे जयजी तो मेरे साथ पिक्चर जाते ही नहीं!!” मैने कहा, “भाभी, ऐसा नहीं है, उनको टाइम नहीं मिलता होगा, उनका जॉब ही ऐसा है. हम लोग भी तो साल मे 5-6 बार ही जाते हैं. वैसे आप लोग कितनी बार जाते हैं?” उसने कहा, “शादी हुए 10 साल हो गये, अभी तक सिर्फ़ 2 बार गये हैं हम. बच्चे भी नहीं हैं, और मैं बोर होते रहती हूँ.” मैने मज़ाक किया, “बच्चे होते नहीं हैं भाभी, बनाए जाते हैं. और बच्चा बनाने के लिए मेहनत करना पड़ता है, इसके लिए आपको जयजी के साथ पिक्चर देखने की ज़रूरत नहीं, पिक्चर बनाने की ज़रूरत है.” ये सुनकर वो थोड़ी मायूस हो गयी. ये देखकर मैने कहा, “छोड़िए भाभी, इन सब चीज़ों का टेन्षन मत लीजिए, जो भगवान ने दिया उसका आनंद लीजिए. जयजी आपको हर सुख देते हैं, क्या कमी है आपके पास!! अच्छा ख़ासा रहन सहन है.” उसने कहा, “आशिषजी, ये सब ही सब कुच्छ नहीं होता है.”
फिर मैने बोला, “भाभी, उस दिन पिक्चर हॉल मे मैं थोड़ा बहक गया था, माफ़ कर दीजिए.” उसने कहा, “नहीं आशीष, मैं भी तो बहक गयी थी, वैसे बाद मे मैने सोचा तो मुझे अच्छा ही लगा. होता है, अभी आप जवान हो ना. दो खूबसूरत महिलाएँ अगल बगल हों, तो वैसा हो जाना स्वाभाविक है. वैसे आपने कुच्छ किया भी तो नहीं, देवर भाभी मे उतना तो चलना ही चाहिए.” मैने कहा, “वो तो है भाभी, लेकिन आप भी शादी शुदा हैं और मैं भी. एक लिमिट तो रहना ही चाहिए. 5 दिन हो गये, मुझे डॉली की याद बहुत आती है.” वो बोली, “हां, आप उनके बगैर रह नहीं पाते होंगे, रात कैसे काटते होंगे!!” मैने कहा, “भाभी आप भी तो जवान हैं, आप खुद को बूढ़ी ना समझिए, आप बहुत खूबसूरत हैं, अच्छी लगती हैं आप मुझे, आपकी मुस्कुराहट बहुत अच्छी है, मैं चाहता हूँ आप ऐसे ही मुस्कुराती रहें.”
उसके बाद हम दोनों थोड़ी देर चुपचाप रहे. फिर भाभी बोली, “आशीष, मैं मोटी हो गयी हूँ, कहाँ से खूबसूरत लगूंगी!!” मैने कहा, “तो क्या हुआ, आप फिर भी बहुत सुंदर दिखती हैं, आपको देखकर कोई लड़का या मर्द आपको प्यार करना चाहेगा.” वो बोली, “लेकिन आप तो नहीं प्यार करोगे.!!” मैं बोला, “यदि शादी शुदा ना होता तो आप को ज़रूर प्यार करता, लाइन मारता. आप मोटी नहीं, हेल्ती हैं.” उसने कहा, “बहुत डरते हो आप!! डरपोक मर्द हो!!” मैं बोला, “भाभी आप मेरे अंदर के शैतान को मत जगइए, वरना गड़बड़ हो जाएगा.”
वो चुपचाप रही. मैने सोचा, “यार आशीष, क्या सोचते हो? सामने से भाभी चॅलेंज कर रही है, आक्सेप्ट करो!” फिर मैने उसकी ठोडी पकड़कर उपर उठाया और उसकी आँखों मे देखने लगा. सचमुच वो गजब की सुंदर लग रही थी. इधर उनको छूते ही मेरे पॅंट के अंदर का शैतान जागने लगा. उसकी आँखों मे प्यार और सेक्स की भूक नज़र आने लगी. और मेरे बदन मे भी सिहरन दौड़ने लगी. हालाँकि डॉली के साथ हज़ारों बार सेक्स कर चुका हूँ पिच्छले 4 साल मे, ऐसा सिहरन सिर्फ़ शुरुआती दिनों मे होता था.
मैने हिम्मत करके अपने होंठ को उसके होंठ पर रख कर एक हल्का सा चुंबन दिया. उसने आँखें बंद कर ली. लेकिन वो भी शायद डर रही थी, उसने कहा, “आशीष ये ग़लत हो रहा है.” मैने उसको छोड़ दिया और कहा, “भाभी, आप ही तो कह रही थीं, कि मैं डरपोक हूँ, और जब अब मैं हिम्मत कर रहा हू तो आप डर रही है!!” वो चुप रही. उसकी आवाज़ से मैं समझ गया कि वो खुद को मेरे हवाले भी करना चाहती है और डर भी रही है. मैने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “भाभी यदि जो मेरी हालत है वही आपकी भी है तो हो जाने दीजिए, मैं भी जानता हूँ ये ग़लत है, पर पिछले 5 दिन से डॉली के बगैर हूँ तो मेरी इच्छा बहक चुकी है. आप चाहें तो घर जा सकती हैं.” और मैने उसका हाथ छोड़ दिया. वो कुच्छ सोचती रही. शायद किसी कसम्कस मे थी. मैने ठोडी को उपर उठाकर उसके होंठ को फिर से किस किया, उसने आँख बंद कर लिया. फिर मैने उसके माथे को चूमा. उसने भी मेरा दूसरा हाथ पकड़ लिया. इसी तरहा मैने उसके चेहरे को 2-3 मिनट हौले किस किया. समझ गया कि ललिता समर्पण कर चुकी है.
मैने पूछा, “भाभी, बेड रूम चलें क्या?” उसने कोई जवाब नहीं दिया. तो मैने उसका हाथ पकड़कर उठाया और उसकी कमर मे हाथ डालकर उसको अपने बेड रूम मे ले आया और उसको मैने बेड पे बैठाया और उसकी बगल मे बैठ कर उसकी होंठ पे अपना होंठ रख दिया. इस बार उसने भी जवाब दिया, एक हल्का किस के साथ. फिर मैने उसको धीरे से बेड पर लिटाया. फिर उसके माथे को किस किया, फिर आँखों को, कान को, उसके झुमके को, उसके गालों को फिर वापस होंठों को किस किया. मैने कहा, “आप बहुत खूबसूरत लग रहीं हैं इस सारी में.” वो आँखें बंद की हुई थी. फिर मैं उसके बालों को सहलाने लगा. उसको शायद बहुत अच्छा लग रहा था. उसके चेहरे और होंठों को किस करता रहा 5-6 मिनट तक़. फिर एक हाथ से उसके आँचल को उसकी छाती से हटा दिया तो उसकी मॅचिंग कलर की ग्रीन ब्लौज के अंदर उसके हेल्ती उभार देखकर मेरी आँखें फटी रह गयी. उसके बूब्स गोल और सुडौल लग रहे थे. उमर 34 है लेकिन कोई बच्चा नहीं है, शायद इसीलिए बदन पे कसाव अभी भी है. मैने ब्लौज के बटन खोल कर उसके ब्लौज को हटाया और फिर उसकी सफेद ब्रा भी हटा दिया. और धीरे धीरे उसके उभारों से खेलने लगा, संहलाने लगा. उसकी चूचियों को बीच बीच मे किस करने लगा. निपल्स को चूसने लगा. धीरे धीरे मैं नीचे आया, उसकी नाभि को छूने लगा, सहलाने लगा. उसकी नाभि के चारों ओर जीव को हल्का हल्का फिराया तो वो सी-सी-सी की आवाज़ करने लगी.
फिर उसको पलट दिया और पेट के बल लिटा दिया और मैं उसके पीठ को सहलाने लगा. पीठ के हर हिस्से को चूमने लगा. पीठ के चारों ओर जीव फिराया. उसकी कांख को भी चूमा. वो निढाल होते जा रही थी. फिर वही हुआ जो मैं चाहता था, वो उठकर बैठ गयी और बाहें फैलाकर मुझे अपने आगोश मे आने का इशारा किया. मैं उसके पास जाकर बैठ गया. उसने भी मेरे चेहरे को अपने पास खींच कर मेरे लिप्स मे एक हल्का सा किस किया, फिर उसने भी मेरे चेहरे पे हल्के किस बरसाने लगी. उसका ये मूव मुझे बहुत अच्छा लगा. उसने फिर मेरा टी-शर्ट भी उतार दिया और फिर मुझे बेड पे लिटा कर वही करने लगी जो मैने उसके किया था. मेरे पूरे शरीर को सहलाने लगी, चूमने लगी. शरीर के हर हिस्से पे जीव चलाने लगी. मेरे बदन पे सनसनी सी दौड़ रही थी. सचमुच, दूसरों की बीबी का प्यार बहुत अच्छा लगता है.
फिर मैने उसको बेड मे वापस लिटा दिया. और पैरों के पास आकर उसके पैरों को चूमा और एक हाथ से उसकी सारी को ऊपर को ओर सरकते हुए किस करता गया. जब सारी जांघों तक उठी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. शायद वासना और शर्म था उसका. मैं वहीं रुका. उसकी जांघों को देखा, एकदम चिकनी, गोरी और मांसल जंघें किसी कमजोर मर्द के लंड से तो रस टपक जाता. मैने उसकी जांघों को सहलाया और जीव से हौले हौले गुदगुदी किया.
इसी बीच उसके हाथ हरकत मे आए और उसने मेरे बरमूडा को नीचे खिसका कर हटा दिया. तब तक वो सारी मे ही थी. मैने उठकर उसको अपने बाहों मे भर लिया और दोनों के होंठ फिर सिल गये. एक हाथ से उसके सिर को पकड़ कर रखा, उसके लिप्स को किस करता रहा और दूसरे हाथ से मैने उसके सारी का आँचल खींच कर सारी खोल दिया फिर मैने उसके पेटिकोट का नारा भी खोलकर नीचे गिरा दिया. उसने हल्की डिज़ाइन की पैंटी पहन रखी थी. फिर मैने उसके गोलाकार चूतड़ को हौले हौले सहलाने लगा. उसको अपने शरीर से चिप्टा के रखा रहा. उसकी गांद सहलाते सहलाते मैने उसकी पैंटी भी नीचे खिसका दी. मैने देखा कि उसकी चड्डी गीली हो चुकी थी. इसी बीच उसने भी मेरी नकल करते हुए मेरा चड्डी नीचे खिसका दिया और मेरा 5.5” लंबा लंड तन्कर उसकी चुनमुनियाँ को सलाम करने लगा. इसके पहले कि मैं कुच्छ सोचता उसने मेरा लंड पकड़ लिया. ऊफ्फ, दूसरे की बीबी के हाथ से अपना लंड पकड़वाना कितना अच्छा लगा ये मैं बयान नहीं कर सकता. मैने ललिता से पूछा, “भाभी, ऐसे मत नापीए साइज़ ज़्यादा बड़ा नहीं है.” उसने हंसकर कहा, “मेरे लिए ये साइज़ काफ़ी है, ठीक है.”