04-12-2020, 04:26 PM
(This post was last modified: 06-12-2020, 11:37 AM by odinchacha. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
मैं सुरभि। 22 साल की “एक खूबसूरत महिला” हूँ…
अभी दो साल पहले ही मेरी शादी जयपुर निवासी आलोक से हुई है।
उन दिनों मैं देल्ही के ग्रीन पार्क में रहती थी और मेरी एक ननद रूपाली भी करोल बाघ में रहती है।
उनके पति माधव सिंह का “स्पेयर पार्ट” का बिज़्नेस है।
रूपाली दीदी बहुत ही हँसमुख महिला हैं।
माधव जी मुझे अक्सर “गहरी नज़रों” से घूरते रहते थे, मगर हमेशा मैंने नज़र अंदाज़ किया।
मैं बहुत “सेक्सी लड़की” थी…
मेरे कॉलेज मे काफ़ी चाहने वाले थे, मगर मैंने सिर्फ़ दो लड़कों को ही लिफ्ट दी थी, लेकिन मैंने कभी किसी को अपना बदन छूने नहीं दिया इस वजह से बात नहीं बन पाई।
मैं चाहती थी की “सुहाग रात” को ही मैं अपना बदन अपने पति के हवाले करूँ!!
मगर मुझे क्या पता था की मैं शादी से पहले ही “सामूहिक संभोग” का शिकार हो जाउंगी और वो भी ऐसे आदमी से जो मुझे सारी जिंदगी रौंदता रहेगा… …
शादी की सारी बातचीत रूपाली दीदी ही कर रही थी इसलिए अक्सर उनके घर आना जाना लगा रहता था। कभी कभी मैं सारे दिन वहीं रुक जाती थी…
एक बार तो रात में भी वहीं रुकना पड़ा था…
मेरे घर वालों के लिए भी ये समान्य बात हो गई थी। वो मुझे वहाँ जाने से नहीं रोकते थे।
शादी को अब सिर्फ़ बीस दिन बाकी थे।
इधर मुझे अक्सर रूपाली दीदी के घर आना जाना पड़ता था…
इस बार भी उन्होंने फोन कर के कहा – बन्नो, कल शाम को घर आजा… हम दोनों जेवरातों का ऑर्डर देने चलेंगे और शाम को कहीं खाना वाना खाकर देर रात तक घर लौटेंगे… बता देना अपनी मम्मी से की कल तू हमारे यहीं रात को रुकेगी… सुबह नहा धोकर ही तुझे वापस भेजूँगी…
मैंने कहा – जी, आप ही मम्मी को बता दो ना… और मैंने फोन मम्मी को पकड़ा दिया।
उन्होंने मम्मी को कन्विन्स कर लिया।
अगले दिन शाम को करीब छे बजे को मैं तैयार हो कर अपनी होने वाली ननद के घर को निकली…
मैंने खूब गहरा मेकअप कर रखा था।
सर्दियों के दिन थे, इसलिए अंधेरा छाने लगा था…
मैं करोल बाघ में उनके घर पर पहुँची।
दरवाजा बंद था। मैंने डोर बेल बजाया और काफ़ी देर बाद माधव जी ने दरवाजा खोला…
दीदी हैं… ?? मैंने पूछा…
वो कुछ देर तक मेरे बदन को ऊपर से नीचे तक घूरते रहे पर कुछ बोला नहीं…
मैंने कहा – हटिए, ऐसे क्या देखते रहतें हैं मुझे… बताऊँ क्या दीदी को… मैंने उनसे मज़ाक किया और फिर पूछा – कहाँ हैं दीदी… ??
उन्होंने बेडरूम की तरफ इशारा किया और दरवाजे को बंद कर दिया तब तक भी मुझे कुछ अस्वाभाविक नहीं लगा… …
मगर बेडरूम के दरवाजे पर पहुँचते ही मुझे चक्कर सा आ गया!!!
अंदर दो आदमी बेड पर बैठे हुए थे। उनके बदन पर सिर्फ़ शॉर्ट्स था और ऊपर से वो सभी “निर्वस्त्र” थे।
उनके सभी के हाथों में शराब के ग्लास थे और सामने ट्रे में कुछ स्नैक्स और एक शराब की आधी बॉटल रखी हुई थी… …
अचानक पास में मेरी नज़र गई, उधर टीवी पर कोई “ब्लू फिल्म” की सीडी चल रही थी…
अब मेरा दिमाग़ ठनका और मैंने वहाँ से भाग जाने में ही अपनी भलाई समझी…
वापस जाने के लिए जैसे ही मूडी माधव की “नग्न छाती” से टकरा गई…
वो बड़ी बेशर्मी से बोला – मेरी जान, इतनी जल्दी भी क्या है… कुछ देर हमारी महफ़िल में भी तो बैठो… दीदी तो कुछ देर बाद आ जाएगी… कहकर उसने मुझे ज़ोर से धक्का दिया।
और मैं उन लोगों के बीच जा गिरी… …
फिर उन्होंने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया।
मुझे छोड़ दो, मेरी कुछ ही दिनों में शादी होने वाली है… जीजाजी, आप तो मुझे बचा लो, मैं आपके साले की होने वाली बीवी हूँ… मैंने उनके सामने हाथ जोड़ कर मिन्नतें की।
अब माधव बोला – भाई, मैं भी तो देखूं तू मेरे साले को संतुष्ट कर पाएगी या नहीं…
मैं दरवाजे को ठोकने लगी और – दीदी दीदी, मुझे बचाओ की आवाज़ लगाने लगी… …
वो बोला – मेरी जान, तेरी दीदी तो अचानक अपने मायके जयपुर चली गई… तुम्हारी होने वाली सास की तबीयत अचानक कल रात को खराब हो गई थी… अब तू जितना चाह चिल्ला पर तेरी आवाज़ वहाँ तक नहीं पहुंचेगी… और वो दरवाजे के पास आकर मुझे लगभग घसीटते हुए बेड तक ले गया… … …
फिर मुझे धक्का देते हुए माधव बोला – बेचारी, मुझे तेरा ख्याल रखने को कह गई थी, इसलिए आज सारी रात हम तेरा ख्याल रखेंगे… कहकर उसने मेरे बदन से चुन्नी नोच कर फेंक दी।
मेरे बलात्कार की सेज सज चुकी थी और मेरे पति के लिए अब तक संभाली हुई मेरी “कुंवारी योनि” तार तार होने वाली थी…
वो बोला – मेरी जान, तेरी दीदी तो अचानक अपने मायके जयपुर चली गई… तुम्हारी होने वाली सास की तबीयत अचानक कल रात को खराब हो गई थी… अब तू जितना चाह चिल्ला पर तेरी आवाज़ वहाँ तक नहीं पहुंचेगी… और वो दरवाजे के पास आकर मुझे लगभग घसीटते हुए बेड तक ले गया… … …
फिर मुझे धक्का देते हुए माधव बोला – बेचारी, मुझे तेरा ख्याल रखने को कह गई थी, इसलिए आज सारी रात हम तेरा ख्याल रखेंगे… कहकर उसने मेरे बदन से चुन्नी नोच कर फेंक दी।
अब तीनों के तीनों मुझ पर झपट पड़े और कुछ ही देर में मेरे बदन से सलवार और कुर्ता अलग कर दिए गये!!!
इधर मैं दोनों हाथों से अपने योवन को छुपाने की असफल कोशिश कर रही थी!!!
तीन जोड़ी हाथ मेरे स्तन को ब्रा के ऊपर से ही बुरी तरह मसल रहे थे और मैं छूटने के लिए हाथ पैर चला रही थी और बार बार उनसे रहम की भीख मांगती जा रही थी…
फिर उनमें से किसी एक ने मेरे स्तनों पर से मेरी ब्रा भी नोच कर अलग कर दी…
अब तीनों ने मेरे स्तनों को मसल मसल कर लाल कर दिए थे।
फिर निप्पल चूसने और काटने का दौर चला… …
मैं दर्द से बुरी तरह चीखे जा रही थी, मगर सुनने वाला कोई नहीं था!!
अब एक ने मेरे मुँह मे कपड़ा ठूंस कर उसे मेरी ही ओढ़नी से बाँध दिया, जिससे मेरे मुँह से आवाज़ ना निकले।
अचानक मुझे महसूस हुआ की दो उंगलियाँ ने मेरी टाँगों की जोड़ पर पहुँच कर मेरी पैंटी की एक तरफ सरका दिया है और लगभग तुरंत ही दोनों उंगलियाँ बड़ी बेदर्दी से मेरी योनि में प्रवेश कर गई…
मेरी “कुँवारी योनि” पर यह पहला हमला था, इसलिए मैं दर्द से चिहुंक उठी…
तभी उन तीनों में से एक बोला – अरे यार माधव, ये तो पूरा सॉलिड माल है… बिल्कुल अनछुआ… …
और उन लोगों की आँखों में भूख कुछ और बढ़ गई!!!
मेरी पैंटी को किसी एक के हाथों ने फाड़ कर चितडे चितडे कर दिया।
अब मैं अब बिल्कुल निर्वस्त्र उन तीन जानवरों के बीच लेटी हुई थी, जिनमें से एक मेरा जीजा था… …
मैंने भी अब अपने हथियार डाल दिए थे!!! !!
अब माधव बोला – देख सुरभि, एक बात समझ ले, हम तुझे चोदेंगें तो ज़रूर… अगर तू भी हमारी मदद करती है तो यह दिन जिंदगी भर याद रखेगी और अगर तू हाथ पैर मारती है, तो हम तीनों तेरे साथ बुरी तरह से बलात्कार करेंगे जिसे तू सारी उम्र नहीं भूलेगी… अब तू सोच ले हमारे खेल में शामिल होगी या नहीं…
मैंने मुँह से कुछ कहा नहीं मगर अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया… इससे उनको पता लग गया की अब मैं उनका विरोध नहीं करूँगी!!
प्लीज़, मैं कुँवारी हूँ और मैं आलोक को यह बता चुकी हूँ… मेरी शादी टूट जाएगी… मैंने एक आखरी कोशिश की।
देख सुरभि, आज कल चोदह-पंद्रह साल के बाद की कोई लड़की कुँवारी नहीं रहती… हर आदमी यह जनता है… बस भोसड़ा मिलता है या योनि ये आदमी की किस्मत पर निर्भर करता है… और तेरी जैसी “कुँवारी योनि” तो हम जैसे हरमियों को ही मिलती है… अब चल उठ… माधव ने कहा
इधर से दूसरा आदमी बोला – तू राज़ी खुशी करवा लेती है तो दर्द कम होगा और अगर कहीं हमें ज़ोर ज़बरदस्ती करनी पड़ी तो नुकसान तेरा ही होगा…
अब मैं रोते हुए उठ कर खड़ी हो गई… …
मैं आलोक को बता चुकी थी की मैं कुँवारी हूँ और मैंने उससे मजाक में और यकीन दिलाने के लिए कहा था – सुहागरात के दिन मेरी कुँवारी योनि तुम्हारे लिंग पर अपना खून लगा कर तिलक करेगी… …
आलोक इस बात से बहुत खुश थे और बहुत गर्व महसूस कर रहे थे की उन्हें “कुँवारी दुल्हन” मिल रही है… …
माधव सिर्फ़ मेरा बलात्कार नहीं कर रहा था, बल्कि मेरी पूरी जिंदगी का सत्यानाश कर रहा था!!
खैर, फिर दूसरा बोला – चलो, अब अच्छी बच्ची की तरह अपने हाथों को अपने सिर पर रखो।
मैंने वैसा ही किया…
अब माधव मुझे माँ की गाली देते हुए बोला – अपनी टाँगों को चौड़ी कर और पीछे घूम जा…
उन्होंने मेरे “नग्न शरीर” को हर तरफ से देखा…
यहाँ तक की मेरे “नितंब के छेद” तक तो नहीं छोड़ा!!!
काफ़ी देर मेरे जिस्म को घूरने के बाद फिर तीनों उठकर मेरे बदन से जोंक की तरह चिपक गये… मेरे “कोमल अंगों” को तरह तरह से मसलने लगे…
फिर एक ने मुझे खींच कर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी टाँगों को चौड़ा कर के दूसरा ने तो मेरी योनि से अपने होंठ चिपका दिए…
इधर माधव मेरे स्तनों को बुरी तरह से चूस रहा था और मसल रहा था… …
अब मेरे “कुंवारे बदन” में आनंद पूर्ण सिरहन दौड़ने लगी!!!
अब तक मेरा विरोध पूरी तरह समाप्त हो चुका था –
काफ़ी देर मेरे जिस्म को घूरने के बाद फिर तीनों उठकर मेरे बदन से जोंक की तरह चिपक गये… मेरे “कोमल अंगों” को तरह तरह से मसलने लगे…
फिर एक ने मुझे खींच कर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी टाँगों को चौड़ा कर के दूसरा ने तो मेरी योनि से अपने होंठ चिपका दिए…
इधर माधव मेरे स्तनों को बुरी तरह से चूस रहा था और मसल रहा था… …
अब मेरे “कुंवारे बदन” में आनंद पूर्ण सिरहन दौड़ने लगी!!!
अब तक मेरा विरोध पूरी तरह समाप्त हो चुका था और मैं अब सिसकारियाँ भरने लगी!!! !!
ना जाने मुझे क्या हो रहा था की मेरी कमर अपने आप उसके जीभ को अधिक से अधिक अंदर लेने के लिए ऊपर उठने लगी…
तीन लोग मिलकर मेरा “सामूहिक बलात्कार” कर रहे थे और मैं आनंद की अनुभूति कर रही थी!!!
यही नहीं, मैं अपने हाथों से दूसरे आदमी के मुँह को अपने स्तनों पर दबाने लगी… …
अचानक मेरे बदन मे एक अजीब से थरथराहट हुई और मेरी योनि में से कुछ बहता हुआ मैंने महसूस किया… …
ये था मेरा “पहला वीर्यापत” जो बिना किसे के लिंग अंदर गये ही हो गया था… …
मैं निढाल हो गई!!! !!
मगर किसी वैश्या की तरह कुछ ही देर में वापस गरम होने लगी…
इधर, तब तक माधव अपने कपड़े खोल कर पूरी तरह नग्न हो गया था!!
जैसे ही मेरी नज़र उस पर पड़ी, मैं एकटक उसके तने हुए लिंग को देखने लगी…
ये मेरा पहली बार था, जब मैंने लिंग को देखा था!!
उसने मेरे सिर को हाथों से थमा और अपना लिंग मेरे होंठों से सटा दिया।
मुझे फिर से गंदी गली देते हुए माधव बोला – मुँह खोल…
मुँह को ज़ोर से बंद किए हुए मैंने इनकार मे सिर हिलाया – अबे, ये साली मुँह नहीं खोल रही है… इसका इलाज कर…
माधव ने मेरी योनि से सटे हुए आदमी से कहा।
उसने ने मेरी “योनि के दाने” को दाँतों के बीच दबा कर काट दिया…
मैं आहाआआह… करके चीख उठी और उसका “मोटा तगड़ा लिंग” मेरे मुँह में सामता चला गया।
इधर मेरे मुँह से गुन गूओं जैसी आवाज़ें निकल रही थी!!!
उसके लिंग से अजीब तरह की स्मेल आ रही थी…
मुझे उबकाई जैसी आई और मैं उसके लिंग को अपने मुँह से निकाल देना चाहती थी, मगर माधव मेरे सिर को सख्ती से अपने लिंग पर दबाए हुए था… …
जब मैं थोड़ी शांत हुई तो उसका लिंग मेरे मुँह के अंदर बाहर होने लगा!!!
वो आधा लिंग बाहर निकाल कर फिर से तेज़ी से अंदर कर देता था… लिंग गले तक पहुँच जाता था…
इसी तरह कुछ देर तक मेरे मुँह को चोदता रहा, तब तक बाकी दोनों भी नग्न हो चुके थे!! !!!
फिर माधव ने अपना लिंग मुँह से निकाल लिया।
उसकी जगह दूसरे एक ने अपना लिंग मेरे मुँह में डाल दिया।
माधव मेरी टाँगों की तरफ चला गया।
उसने मेरे दोनों टाँगों को फैला दिया और अपना लिंग मेरी योनि से छुयाया… …
मैं उसके लिंग के प्रवेश का इंतेज़ार करने लगी!! !!!
उसने अपनी दो उंगलियों से मेरी “योनि की फांकों” को एक दूसरे से अलग किया और दोनों के बीच अपने लिंग को रखा।
फिर एक ज़ोर के झटके के साथ उसका लिंग मेरी योनि के दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ, कुछ अंदर चला गया।
सामने प्रवेश द्वार बंद था। अब अगले झटके के साथ उसने उस द्वार को पार कर लिया।
तेज झटके के कारण मेरी आँखें छलक आई…
ऐसा लगा मानो को “लोहे का सरिया” मेरे आर पार कर दिया हो… …
मेरी टाँगें दर्द से छटपटाने लगी, मगर मैं चीख नहीं पा रही थी क्योकि एक मोटे लिंग ने मेरे मुँह को पूरी तरह से बेध रखा था।
माधव अपने लिंग को पूरा अंदर डाल कर कुछ देर तक रुका… !!
मेरा दर्द धीरे धीरे कम होने लगा तो उसने भी अपने लिंग को हरकत दे दी और वो तेज़ी से अंदर बाहर होने लगा।
मेरी योनि से रिस रिस कर खून की बूँदें चादर पर गिरने लगीं।
ये वही खून की बूंदें थी जो आलोक के लिंग पर तिलक करने वालीं थीं…
वही बूंदें जो जिंदगी भर मेरे पति की नज़रों में बहुत ऊँचा उठा सकती थी!!
अब तो मुझे यह भी भरोसा नहीं था की शादी हो भी पायेगी या नहीं।
एक गलत पल ने मुझे उत्तर से दक्षिण में ला कर पटक दिया था… …
माधव अपने लिंग को पूरा अंदर डाल कर कुछ देर तक रुका… !!
मेरा दर्द धीरे धीरे कम होने लगा तो उसने भी अपने लिंग को हरकत दे दी और वो तेज़ी से अंदर बाहर होने लगा।
मेरी योनि से रिस रिस कर खून की बूँदें चादर पर गिरने लगीं।
इधर तीसरा मेरे स्तनों को मसल रहा था… मेरे बदन में अब दर्द की जगह मज़े ने ले ली…
माधव मुझे ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था!!
उसका लिंग काफ़ी अंदर तक मुझे चोट कर रहा था।
जो आदमी मेरा “मुख-मैथुन” कर रहा था वो ज़्यादा देर नहीं रुक पाया और मेरे मुँह मे अपने लिंग को पूरा अंदर कर “वीर्य की पिचकारी” छोड़ दी।
यह पहला वाक़या था, जब मैंने किसी का वीर्य चखा था!! मुझे बहुत बुरा लगा…
फिर उसने अपने टपकते हुए लिंग को बाहर निकाला।
वीर्य की कुछ बूँदें मेरे गले और होंठों पर गिरी।
होंठों से लिंग तक वीर्य का एक महीन तार सा जुड़ा हुआ था, तभी माधव ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगा…
हर धक्के के साथ हंग-हंग की आवाज़ निकल रही थी।
मेरे शरीर में अब वापस ऐंठन होने लगी और मेरे योनि से पानी छूट गया।
वो तब भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था, कोई आधे घंटे तक लगातार धक्के मारने के बाद वो धीमा हुआ…
उसका लिंग झटके लेने लगा। मैं समझ गई अब उसका वीर्य-पात होने वाला है…
मैं चिल्लाई – प्लीज़, अंदर मत डालो… मैं गर्भवती (प्रेग्नेंट) नहीं होना चाहती…
मैंने गिड़गिदाते हुए कहा।
मगर मेरी मिन्नते सुनने वाला, कौन था वहाँ… …
उसने ढेर सारा वीर्य मेरी योनि में डाल दिया।
उसके लिंग के बाहर निकलते ही जो आदमी मेरे स्तनों को मसल रहा था, वो कूद कर मेरे जांघों के बीच पहुँचा और एक झटके में अपना लिंग अंदर कर दिया…
उसका उतावलापन देख कर ऐसा लग रहा था मानो कितने ही दिन से भूखा हो!!
कुछ देर तक ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने के बाद, वो भी मेरे ऊपर ढेर हो गया…
कुछ देर सुस्ता लेने के कारण जिस आदमी ने मेरे साथ मुख मैथुन किया था उसका लिंग वापस खड़ा होने लगा।
उसने मुझे घोड़ी बना कर मेरे पीछे से योनि में अपना लिंग प्रवेश करा दिया!!
वो पीछे से धक्के मार रहा था, जिसके कारण मेरे बड़े बड़े स्तन किसी पेड़ के फलों की तरह हिल रहे थे…
ले इसे चूस कर खड़ा कर… – कह कर माधव ने अपने ढीले पड़े लिंग को मेरे मुँह मे ठूंस दिया।
उसमें से अब हम दोनों के वीर्य के अलावा मेरे खून का भी स्वाद आ रहा था… उसे मैं चूसने लगी!!
धीरे धीरे उसका लिंग वापस तन गया और वो तेज तेज मेरा मुख मैथुन करने लगा… …
एक बार झड़ जाने के कारण इस बार दोनों मुझे आगे पीछे से घंटे भर ठोकते रहे।
फिर मेरे ऊपर नीचे के छेदों को वीर्य से भरने के बाद दोनों बिस्तर पर लुढ़क गये।
मैं बुरी तरह थक चुकी थी…
मैं धीरे धीरे उनका सहारा लेकर उठी और बाथरूम में जाकर अपनी योनि को साफ किया।
वापस आकर देखा की चादर में ढेर सारा खून लगा हुआ है। मैं वापस बिस्तर पर ढेर हो गई… …
खाने पीने का दौर ख़त्म होने के बाद वापस हम बेडरूम में आ गये…
उनमें से एक आदमी ने मुझे वापस कुछ देर रगड़ा और हम नग्न एक दूसरे से लिपट कर सो गये।
सुबह एक दौर और चला। फिर मैं अपने कपड़े पहन कर घर चली आई।
कपड़ों को पहनने में ही मेरी जान निकल गई।
स्तनों पर काले नीले जख्म हो रहे थे… …
कई जगह दाँतों से मेरी चमड़ी कट गई थी।
ब्रा पहनते हुए काफ़ी दर्द हुआ… …
जांघों के बीच भी सूजन हो गई थी!!!
माधव ने यह बात किसी को भी नहीं कहने का आश्वासन दिया था… पता चलने पर शादी टूटने की संभावना थी…
उसने कहा एक बार शादी हो गयी फिर कुछ नहीं होगा… इसलिए मैंने भी अपनी ज़ुबान बंद रखी!!
सुहाग रात को मेरे पति देव ने लिंग योनि में डालते ही मेरी असलियत को ताड़ लिया…
अब मैं कुँवारी नहीं थी और कुछ ही दिन पहले ये घटना होने से योनि में बिल्कुल भी कसाब नहीं आया था…
कहाँ तो मेरी योनि उनके लिंग पर खून का तिलक लगाने वाली थी, कहाँ उनका पूरे का पूरा लिंग सरसरता हुआ अंदर घुस गया था… …
खैर, समाज और परिवार की इज़्ज़त के चलते उन्होने मुझे छोड़ा तो नहीं पर पर अब वो मेरी किसी बात पर यकीन नहीं करते।
माधव का कहना है, धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा!!!
आज भी जब मेरी ननद जयपुर आती है, अपने मायके… माधव उनके साथ ज़रूर आता है और मौका ताड़ कर मेरे साथ एक आध बार ज़रूर संभोग करता है… …
मैं भी किसी वैश्या की तरह उसके नीचे लेट जाती हूँ… …
The end
अभी दो साल पहले ही मेरी शादी जयपुर निवासी आलोक से हुई है।
उन दिनों मैं देल्ही के ग्रीन पार्क में रहती थी और मेरी एक ननद रूपाली भी करोल बाघ में रहती है।
उनके पति माधव सिंह का “स्पेयर पार्ट” का बिज़्नेस है।
रूपाली दीदी बहुत ही हँसमुख महिला हैं।
माधव जी मुझे अक्सर “गहरी नज़रों” से घूरते रहते थे, मगर हमेशा मैंने नज़र अंदाज़ किया।
मैं बहुत “सेक्सी लड़की” थी…
मेरे कॉलेज मे काफ़ी चाहने वाले थे, मगर मैंने सिर्फ़ दो लड़कों को ही लिफ्ट दी थी, लेकिन मैंने कभी किसी को अपना बदन छूने नहीं दिया इस वजह से बात नहीं बन पाई।
मैं चाहती थी की “सुहाग रात” को ही मैं अपना बदन अपने पति के हवाले करूँ!!
मगर मुझे क्या पता था की मैं शादी से पहले ही “सामूहिक संभोग” का शिकार हो जाउंगी और वो भी ऐसे आदमी से जो मुझे सारी जिंदगी रौंदता रहेगा… …
शादी की सारी बातचीत रूपाली दीदी ही कर रही थी इसलिए अक्सर उनके घर आना जाना लगा रहता था। कभी कभी मैं सारे दिन वहीं रुक जाती थी…
एक बार तो रात में भी वहीं रुकना पड़ा था…
मेरे घर वालों के लिए भी ये समान्य बात हो गई थी। वो मुझे वहाँ जाने से नहीं रोकते थे।
शादी को अब सिर्फ़ बीस दिन बाकी थे।
इधर मुझे अक्सर रूपाली दीदी के घर आना जाना पड़ता था…
इस बार भी उन्होंने फोन कर के कहा – बन्नो, कल शाम को घर आजा… हम दोनों जेवरातों का ऑर्डर देने चलेंगे और शाम को कहीं खाना वाना खाकर देर रात तक घर लौटेंगे… बता देना अपनी मम्मी से की कल तू हमारे यहीं रात को रुकेगी… सुबह नहा धोकर ही तुझे वापस भेजूँगी…
मैंने कहा – जी, आप ही मम्मी को बता दो ना… और मैंने फोन मम्मी को पकड़ा दिया।
उन्होंने मम्मी को कन्विन्स कर लिया।
अगले दिन शाम को करीब छे बजे को मैं तैयार हो कर अपनी होने वाली ननद के घर को निकली…
मैंने खूब गहरा मेकअप कर रखा था।
सर्दियों के दिन थे, इसलिए अंधेरा छाने लगा था…
मैं करोल बाघ में उनके घर पर पहुँची।
दरवाजा बंद था। मैंने डोर बेल बजाया और काफ़ी देर बाद माधव जी ने दरवाजा खोला…
दीदी हैं… ?? मैंने पूछा…
वो कुछ देर तक मेरे बदन को ऊपर से नीचे तक घूरते रहे पर कुछ बोला नहीं…
मैंने कहा – हटिए, ऐसे क्या देखते रहतें हैं मुझे… बताऊँ क्या दीदी को… मैंने उनसे मज़ाक किया और फिर पूछा – कहाँ हैं दीदी… ??
उन्होंने बेडरूम की तरफ इशारा किया और दरवाजे को बंद कर दिया तब तक भी मुझे कुछ अस्वाभाविक नहीं लगा… …
मगर बेडरूम के दरवाजे पर पहुँचते ही मुझे चक्कर सा आ गया!!!
अंदर दो आदमी बेड पर बैठे हुए थे। उनके बदन पर सिर्फ़ शॉर्ट्स था और ऊपर से वो सभी “निर्वस्त्र” थे।
उनके सभी के हाथों में शराब के ग्लास थे और सामने ट्रे में कुछ स्नैक्स और एक शराब की आधी बॉटल रखी हुई थी… …
अचानक पास में मेरी नज़र गई, उधर टीवी पर कोई “ब्लू फिल्म” की सीडी चल रही थी…
अब मेरा दिमाग़ ठनका और मैंने वहाँ से भाग जाने में ही अपनी भलाई समझी…
वापस जाने के लिए जैसे ही मूडी माधव की “नग्न छाती” से टकरा गई…
वो बड़ी बेशर्मी से बोला – मेरी जान, इतनी जल्दी भी क्या है… कुछ देर हमारी महफ़िल में भी तो बैठो… दीदी तो कुछ देर बाद आ जाएगी… कहकर उसने मुझे ज़ोर से धक्का दिया।
और मैं उन लोगों के बीच जा गिरी… …
फिर उन्होंने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया।
मुझे छोड़ दो, मेरी कुछ ही दिनों में शादी होने वाली है… जीजाजी, आप तो मुझे बचा लो, मैं आपके साले की होने वाली बीवी हूँ… मैंने उनके सामने हाथ जोड़ कर मिन्नतें की।
अब माधव बोला – भाई, मैं भी तो देखूं तू मेरे साले को संतुष्ट कर पाएगी या नहीं…
मैं दरवाजे को ठोकने लगी और – दीदी दीदी, मुझे बचाओ की आवाज़ लगाने लगी… …
वो बोला – मेरी जान, तेरी दीदी तो अचानक अपने मायके जयपुर चली गई… तुम्हारी होने वाली सास की तबीयत अचानक कल रात को खराब हो गई थी… अब तू जितना चाह चिल्ला पर तेरी आवाज़ वहाँ तक नहीं पहुंचेगी… और वो दरवाजे के पास आकर मुझे लगभग घसीटते हुए बेड तक ले गया… … …
फिर मुझे धक्का देते हुए माधव बोला – बेचारी, मुझे तेरा ख्याल रखने को कह गई थी, इसलिए आज सारी रात हम तेरा ख्याल रखेंगे… कहकर उसने मेरे बदन से चुन्नी नोच कर फेंक दी।
मेरे बलात्कार की सेज सज चुकी थी और मेरे पति के लिए अब तक संभाली हुई मेरी “कुंवारी योनि” तार तार होने वाली थी…
वो बोला – मेरी जान, तेरी दीदी तो अचानक अपने मायके जयपुर चली गई… तुम्हारी होने वाली सास की तबीयत अचानक कल रात को खराब हो गई थी… अब तू जितना चाह चिल्ला पर तेरी आवाज़ वहाँ तक नहीं पहुंचेगी… और वो दरवाजे के पास आकर मुझे लगभग घसीटते हुए बेड तक ले गया… … …
फिर मुझे धक्का देते हुए माधव बोला – बेचारी, मुझे तेरा ख्याल रखने को कह गई थी, इसलिए आज सारी रात हम तेरा ख्याल रखेंगे… कहकर उसने मेरे बदन से चुन्नी नोच कर फेंक दी।
अब तीनों के तीनों मुझ पर झपट पड़े और कुछ ही देर में मेरे बदन से सलवार और कुर्ता अलग कर दिए गये!!!
इधर मैं दोनों हाथों से अपने योवन को छुपाने की असफल कोशिश कर रही थी!!!
तीन जोड़ी हाथ मेरे स्तन को ब्रा के ऊपर से ही बुरी तरह मसल रहे थे और मैं छूटने के लिए हाथ पैर चला रही थी और बार बार उनसे रहम की भीख मांगती जा रही थी…
फिर उनमें से किसी एक ने मेरे स्तनों पर से मेरी ब्रा भी नोच कर अलग कर दी…
अब तीनों ने मेरे स्तनों को मसल मसल कर लाल कर दिए थे।
फिर निप्पल चूसने और काटने का दौर चला… …
मैं दर्द से बुरी तरह चीखे जा रही थी, मगर सुनने वाला कोई नहीं था!!
अब एक ने मेरे मुँह मे कपड़ा ठूंस कर उसे मेरी ही ओढ़नी से बाँध दिया, जिससे मेरे मुँह से आवाज़ ना निकले।
अचानक मुझे महसूस हुआ की दो उंगलियाँ ने मेरी टाँगों की जोड़ पर पहुँच कर मेरी पैंटी की एक तरफ सरका दिया है और लगभग तुरंत ही दोनों उंगलियाँ बड़ी बेदर्दी से मेरी योनि में प्रवेश कर गई…
मेरी “कुँवारी योनि” पर यह पहला हमला था, इसलिए मैं दर्द से चिहुंक उठी…
तभी उन तीनों में से एक बोला – अरे यार माधव, ये तो पूरा सॉलिड माल है… बिल्कुल अनछुआ… …
और उन लोगों की आँखों में भूख कुछ और बढ़ गई!!!
मेरी पैंटी को किसी एक के हाथों ने फाड़ कर चितडे चितडे कर दिया।
अब मैं अब बिल्कुल निर्वस्त्र उन तीन जानवरों के बीच लेटी हुई थी, जिनमें से एक मेरा जीजा था… …
मैंने भी अब अपने हथियार डाल दिए थे!!! !!
अब माधव बोला – देख सुरभि, एक बात समझ ले, हम तुझे चोदेंगें तो ज़रूर… अगर तू भी हमारी मदद करती है तो यह दिन जिंदगी भर याद रखेगी और अगर तू हाथ पैर मारती है, तो हम तीनों तेरे साथ बुरी तरह से बलात्कार करेंगे जिसे तू सारी उम्र नहीं भूलेगी… अब तू सोच ले हमारे खेल में शामिल होगी या नहीं…
मैंने मुँह से कुछ कहा नहीं मगर अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया… इससे उनको पता लग गया की अब मैं उनका विरोध नहीं करूँगी!!
प्लीज़, मैं कुँवारी हूँ और मैं आलोक को यह बता चुकी हूँ… मेरी शादी टूट जाएगी… मैंने एक आखरी कोशिश की।
देख सुरभि, आज कल चोदह-पंद्रह साल के बाद की कोई लड़की कुँवारी नहीं रहती… हर आदमी यह जनता है… बस भोसड़ा मिलता है या योनि ये आदमी की किस्मत पर निर्भर करता है… और तेरी जैसी “कुँवारी योनि” तो हम जैसे हरमियों को ही मिलती है… अब चल उठ… माधव ने कहा
इधर से दूसरा आदमी बोला – तू राज़ी खुशी करवा लेती है तो दर्द कम होगा और अगर कहीं हमें ज़ोर ज़बरदस्ती करनी पड़ी तो नुकसान तेरा ही होगा…
अब मैं रोते हुए उठ कर खड़ी हो गई… …
मैं आलोक को बता चुकी थी की मैं कुँवारी हूँ और मैंने उससे मजाक में और यकीन दिलाने के लिए कहा था – सुहागरात के दिन मेरी कुँवारी योनि तुम्हारे लिंग पर अपना खून लगा कर तिलक करेगी… …
आलोक इस बात से बहुत खुश थे और बहुत गर्व महसूस कर रहे थे की उन्हें “कुँवारी दुल्हन” मिल रही है… …
माधव सिर्फ़ मेरा बलात्कार नहीं कर रहा था, बल्कि मेरी पूरी जिंदगी का सत्यानाश कर रहा था!!
खैर, फिर दूसरा बोला – चलो, अब अच्छी बच्ची की तरह अपने हाथों को अपने सिर पर रखो।
मैंने वैसा ही किया…
अब माधव मुझे माँ की गाली देते हुए बोला – अपनी टाँगों को चौड़ी कर और पीछे घूम जा…
उन्होंने मेरे “नग्न शरीर” को हर तरफ से देखा…
यहाँ तक की मेरे “नितंब के छेद” तक तो नहीं छोड़ा!!!
काफ़ी देर मेरे जिस्म को घूरने के बाद फिर तीनों उठकर मेरे बदन से जोंक की तरह चिपक गये… मेरे “कोमल अंगों” को तरह तरह से मसलने लगे…
फिर एक ने मुझे खींच कर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी टाँगों को चौड़ा कर के दूसरा ने तो मेरी योनि से अपने होंठ चिपका दिए…
इधर माधव मेरे स्तनों को बुरी तरह से चूस रहा था और मसल रहा था… …
अब मेरे “कुंवारे बदन” में आनंद पूर्ण सिरहन दौड़ने लगी!!!
अब तक मेरा विरोध पूरी तरह समाप्त हो चुका था –
काफ़ी देर मेरे जिस्म को घूरने के बाद फिर तीनों उठकर मेरे बदन से जोंक की तरह चिपक गये… मेरे “कोमल अंगों” को तरह तरह से मसलने लगे…
फिर एक ने मुझे खींच कर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी टाँगों को चौड़ा कर के दूसरा ने तो मेरी योनि से अपने होंठ चिपका दिए…
इधर माधव मेरे स्तनों को बुरी तरह से चूस रहा था और मसल रहा था… …
अब मेरे “कुंवारे बदन” में आनंद पूर्ण सिरहन दौड़ने लगी!!!
अब तक मेरा विरोध पूरी तरह समाप्त हो चुका था और मैं अब सिसकारियाँ भरने लगी!!! !!
ना जाने मुझे क्या हो रहा था की मेरी कमर अपने आप उसके जीभ को अधिक से अधिक अंदर लेने के लिए ऊपर उठने लगी…
तीन लोग मिलकर मेरा “सामूहिक बलात्कार” कर रहे थे और मैं आनंद की अनुभूति कर रही थी!!!
यही नहीं, मैं अपने हाथों से दूसरे आदमी के मुँह को अपने स्तनों पर दबाने लगी… …
अचानक मेरे बदन मे एक अजीब से थरथराहट हुई और मेरी योनि में से कुछ बहता हुआ मैंने महसूस किया… …
ये था मेरा “पहला वीर्यापत” जो बिना किसे के लिंग अंदर गये ही हो गया था… …
मैं निढाल हो गई!!! !!
मगर किसी वैश्या की तरह कुछ ही देर में वापस गरम होने लगी…
इधर, तब तक माधव अपने कपड़े खोल कर पूरी तरह नग्न हो गया था!!
जैसे ही मेरी नज़र उस पर पड़ी, मैं एकटक उसके तने हुए लिंग को देखने लगी…
ये मेरा पहली बार था, जब मैंने लिंग को देखा था!!
उसने मेरे सिर को हाथों से थमा और अपना लिंग मेरे होंठों से सटा दिया।
मुझे फिर से गंदी गली देते हुए माधव बोला – मुँह खोल…
मुँह को ज़ोर से बंद किए हुए मैंने इनकार मे सिर हिलाया – अबे, ये साली मुँह नहीं खोल रही है… इसका इलाज कर…
माधव ने मेरी योनि से सटे हुए आदमी से कहा।
उसने ने मेरी “योनि के दाने” को दाँतों के बीच दबा कर काट दिया…
मैं आहाआआह… करके चीख उठी और उसका “मोटा तगड़ा लिंग” मेरे मुँह में सामता चला गया।
इधर मेरे मुँह से गुन गूओं जैसी आवाज़ें निकल रही थी!!!
उसके लिंग से अजीब तरह की स्मेल आ रही थी…
मुझे उबकाई जैसी आई और मैं उसके लिंग को अपने मुँह से निकाल देना चाहती थी, मगर माधव मेरे सिर को सख्ती से अपने लिंग पर दबाए हुए था… …
जब मैं थोड़ी शांत हुई तो उसका लिंग मेरे मुँह के अंदर बाहर होने लगा!!!
वो आधा लिंग बाहर निकाल कर फिर से तेज़ी से अंदर कर देता था… लिंग गले तक पहुँच जाता था…
इसी तरह कुछ देर तक मेरे मुँह को चोदता रहा, तब तक बाकी दोनों भी नग्न हो चुके थे!! !!!
फिर माधव ने अपना लिंग मुँह से निकाल लिया।
उसकी जगह दूसरे एक ने अपना लिंग मेरे मुँह में डाल दिया।
माधव मेरी टाँगों की तरफ चला गया।
उसने मेरे दोनों टाँगों को फैला दिया और अपना लिंग मेरी योनि से छुयाया… …
मैं उसके लिंग के प्रवेश का इंतेज़ार करने लगी!! !!!
उसने अपनी दो उंगलियों से मेरी “योनि की फांकों” को एक दूसरे से अलग किया और दोनों के बीच अपने लिंग को रखा।
फिर एक ज़ोर के झटके के साथ उसका लिंग मेरी योनि के दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ, कुछ अंदर चला गया।
सामने प्रवेश द्वार बंद था। अब अगले झटके के साथ उसने उस द्वार को पार कर लिया।
तेज झटके के कारण मेरी आँखें छलक आई…
ऐसा लगा मानो को “लोहे का सरिया” मेरे आर पार कर दिया हो… …
मेरी टाँगें दर्द से छटपटाने लगी, मगर मैं चीख नहीं पा रही थी क्योकि एक मोटे लिंग ने मेरे मुँह को पूरी तरह से बेध रखा था।
माधव अपने लिंग को पूरा अंदर डाल कर कुछ देर तक रुका… !!
मेरा दर्द धीरे धीरे कम होने लगा तो उसने भी अपने लिंग को हरकत दे दी और वो तेज़ी से अंदर बाहर होने लगा।
मेरी योनि से रिस रिस कर खून की बूँदें चादर पर गिरने लगीं।
ये वही खून की बूंदें थी जो आलोक के लिंग पर तिलक करने वालीं थीं…
वही बूंदें जो जिंदगी भर मेरे पति की नज़रों में बहुत ऊँचा उठा सकती थी!!
अब तो मुझे यह भी भरोसा नहीं था की शादी हो भी पायेगी या नहीं।
एक गलत पल ने मुझे उत्तर से दक्षिण में ला कर पटक दिया था… …
माधव अपने लिंग को पूरा अंदर डाल कर कुछ देर तक रुका… !!
मेरा दर्द धीरे धीरे कम होने लगा तो उसने भी अपने लिंग को हरकत दे दी और वो तेज़ी से अंदर बाहर होने लगा।
मेरी योनि से रिस रिस कर खून की बूँदें चादर पर गिरने लगीं।
इधर तीसरा मेरे स्तनों को मसल रहा था… मेरे बदन में अब दर्द की जगह मज़े ने ले ली…
माधव मुझे ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था!!
उसका लिंग काफ़ी अंदर तक मुझे चोट कर रहा था।
जो आदमी मेरा “मुख-मैथुन” कर रहा था वो ज़्यादा देर नहीं रुक पाया और मेरे मुँह मे अपने लिंग को पूरा अंदर कर “वीर्य की पिचकारी” छोड़ दी।
यह पहला वाक़या था, जब मैंने किसी का वीर्य चखा था!! मुझे बहुत बुरा लगा…
फिर उसने अपने टपकते हुए लिंग को बाहर निकाला।
वीर्य की कुछ बूँदें मेरे गले और होंठों पर गिरी।
होंठों से लिंग तक वीर्य का एक महीन तार सा जुड़ा हुआ था, तभी माधव ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगा…
हर धक्के के साथ हंग-हंग की आवाज़ निकल रही थी।
मेरे शरीर में अब वापस ऐंठन होने लगी और मेरे योनि से पानी छूट गया।
वो तब भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था, कोई आधे घंटे तक लगातार धक्के मारने के बाद वो धीमा हुआ…
उसका लिंग झटके लेने लगा। मैं समझ गई अब उसका वीर्य-पात होने वाला है…
मैं चिल्लाई – प्लीज़, अंदर मत डालो… मैं गर्भवती (प्रेग्नेंट) नहीं होना चाहती…
मैंने गिड़गिदाते हुए कहा।
मगर मेरी मिन्नते सुनने वाला, कौन था वहाँ… …
उसने ढेर सारा वीर्य मेरी योनि में डाल दिया।
उसके लिंग के बाहर निकलते ही जो आदमी मेरे स्तनों को मसल रहा था, वो कूद कर मेरे जांघों के बीच पहुँचा और एक झटके में अपना लिंग अंदर कर दिया…
उसका उतावलापन देख कर ऐसा लग रहा था मानो कितने ही दिन से भूखा हो!!
कुछ देर तक ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने के बाद, वो भी मेरे ऊपर ढेर हो गया…
कुछ देर सुस्ता लेने के कारण जिस आदमी ने मेरे साथ मुख मैथुन किया था उसका लिंग वापस खड़ा होने लगा।
उसने मुझे घोड़ी बना कर मेरे पीछे से योनि में अपना लिंग प्रवेश करा दिया!!
वो पीछे से धक्के मार रहा था, जिसके कारण मेरे बड़े बड़े स्तन किसी पेड़ के फलों की तरह हिल रहे थे…
ले इसे चूस कर खड़ा कर… – कह कर माधव ने अपने ढीले पड़े लिंग को मेरे मुँह मे ठूंस दिया।
उसमें से अब हम दोनों के वीर्य के अलावा मेरे खून का भी स्वाद आ रहा था… उसे मैं चूसने लगी!!
धीरे धीरे उसका लिंग वापस तन गया और वो तेज तेज मेरा मुख मैथुन करने लगा… …
एक बार झड़ जाने के कारण इस बार दोनों मुझे आगे पीछे से घंटे भर ठोकते रहे।
फिर मेरे ऊपर नीचे के छेदों को वीर्य से भरने के बाद दोनों बिस्तर पर लुढ़क गये।
मैं बुरी तरह थक चुकी थी…
मैं धीरे धीरे उनका सहारा लेकर उठी और बाथरूम में जाकर अपनी योनि को साफ किया।
वापस आकर देखा की चादर में ढेर सारा खून लगा हुआ है। मैं वापस बिस्तर पर ढेर हो गई… …
खाने पीने का दौर ख़त्म होने के बाद वापस हम बेडरूम में आ गये…
उनमें से एक आदमी ने मुझे वापस कुछ देर रगड़ा और हम नग्न एक दूसरे से लिपट कर सो गये।
सुबह एक दौर और चला। फिर मैं अपने कपड़े पहन कर घर चली आई।
कपड़ों को पहनने में ही मेरी जान निकल गई।
स्तनों पर काले नीले जख्म हो रहे थे… …
कई जगह दाँतों से मेरी चमड़ी कट गई थी।
ब्रा पहनते हुए काफ़ी दर्द हुआ… …
जांघों के बीच भी सूजन हो गई थी!!!
माधव ने यह बात किसी को भी नहीं कहने का आश्वासन दिया था… पता चलने पर शादी टूटने की संभावना थी…
उसने कहा एक बार शादी हो गयी फिर कुछ नहीं होगा… इसलिए मैंने भी अपनी ज़ुबान बंद रखी!!
सुहाग रात को मेरे पति देव ने लिंग योनि में डालते ही मेरी असलियत को ताड़ लिया…
अब मैं कुँवारी नहीं थी और कुछ ही दिन पहले ये घटना होने से योनि में बिल्कुल भी कसाब नहीं आया था…
कहाँ तो मेरी योनि उनके लिंग पर खून का तिलक लगाने वाली थी, कहाँ उनका पूरे का पूरा लिंग सरसरता हुआ अंदर घुस गया था… …
खैर, समाज और परिवार की इज़्ज़त के चलते उन्होने मुझे छोड़ा तो नहीं पर पर अब वो मेरी किसी बात पर यकीन नहीं करते।
माधव का कहना है, धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा!!!
आज भी जब मेरी ननद जयपुर आती है, अपने मायके… माधव उनके साथ ज़रूर आता है और मौका ताड़ कर मेरे साथ एक आध बार ज़रूर संभोग करता है… …
मैं भी किसी वैश्या की तरह उसके नीचे लेट जाती हूँ… …
The end