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अजीब दुनिया ।
#1
दोस्तो यह मेरी बनाई हुई नई कहानी आप सबके सामने पेश करने जा रहा हूं  जिसका   वास्तविकता  कोई  लेना देना नहीं । यदि आप लोगो का साथ बना रहे तो यह कहानी अंत तक जरूर पहुंचेगी । यह कहानी का कूल मिलाकर २० एपिसोड होंगे । यह कहानी है एक तलाकशुदा औरत शिल्पा रंजन की । ज़िन्दगी ने ऐसी करवट ली की शहर में रहने वाली यह औरत एक छोटे से कस्बे में आ पहुंची ।
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#2
Bhai update do
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#3
शिल्पा शहर से क़स्बे में कैसे क्या आ गयी? उवदत
अपडेट जल्दी दीजिये।
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#4
कोर्ट कचरी के एक कमरे में वकील अपने कुर्सी पे बैठा था । सामने दो लोग बेठे से । पति और पत्नी । पति सिद्धार्थ रॉय एक बहुत बड़ा और अमीर डॉक्टर तो उसके साथ बैठी थी उसकी पत्नी जो कुछ ही डर में अजनबी बन जाएगी । शिल्पा रंजन एक बैंक सब मैनेजर । दोनों की शादी को सिर्फ ६ साल ही हुए थे लेकिन मतभेद बहुत ज्यादा हो गया था दोनो में । काग़ज़ पे साइन करके तलाक़ की मंजूरी भर दी । अब दोनो एक दूसरे से आजाद हो गए।

सिद्धार्थ और शिल्पा बाहर आए ।

सिद्धार्थ :- अब हमारे रास्ते अलग हो गए है । अब ना तुम मुझे जानती हो ना मैं तुम्हे ।

शिल्पा :- मुझे अच्छा लग रहा है तुमसे अलग होकर । ना कोई लड़ाई झगड़ा और ना कोई तकलीफ ।

दोनों अपने अपने रास्ते चल दिए। जाते जाते सिद्धार्थ को एक औरत का फोन आया जिससे वह i love you and miss you जैसी बाते करने लगा । शिल्पा को सब सुनाई दे रहा था । उस इन सबके बारे में एक साल से पता था।

शिल्पा एक ३२ साल की खूबसूरत और दिलकश औरत है । बहुत ही अच्छा और जान ले लेनेवाला फिगर । किसी भी इंसान के दिल को भा जाए उतनी सुन्दर । बहुत ही गोरा बदन और ऊंचाई में भी अच्छी । एक बार जो देखे वो अपनी नजर ना हटा पाए । अफसोस सिद्धार्थ जैसे बेवकूफ इंसान को कहा से समझ आए


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कोर्ट से सीधा बैंक में शिल्पा पहुंची । बैंक में पहुंचते ही स्टाफ के लोग घूरने लागे । शिल्पा को यकीन था कि जरूर तलाक़ की वजह से लोग उसे अजीब तरह से घूर रहे है ।

लोगो पे ध्यान ना देते हुए वो अपने कामों पे लग गई। काफी देर तक काम करने के बाद भी जब आस पास देखा तो फिर से ये मेहसूस किया की सब अभी भी देखे जा रहे है । शिल्पा से रहा नहीं गया और तुरंत वो अपने बजुवाली स्टाफ को पूछी "तुम लोग मुझे बार बार ऐसे घूर क्यों रहे हो ?"

"तुम्हे नहीं पता कि क्या हुआ ?"

"क्या ?'

"तुम्हारे प्रोमोशन की चर्चा हो रही है ।"

शिल्पा को सच में बहुत अजीब लगा। एक तो वैसे भी तलाक़ का भार और दूसरी तरफ से प्रोमोशन का सुखद झटका । आखिर बात क्या है ? तभी शिल्पा के इंटरकॉम से किसी का फोन आया ।

"Hello कौन ?"

"शिल्पा this is me your boss."

"Oh i am so sorry sir. What happend sir ?"

"Come to my office right now."

अब बिना कुछ और सवाल पूछे शिल्पा ऑफिस में पहुंची । लेना देना बैंक जो कि एक नई बैंक कंपनी है । अभी इस बैंक को चालू हुए ५ साल ही हुए है लेकिन अपने कॉस्टमर की संख्या काफी अच्छी बना ली । वैसे लेना देना बैंक एक प्राइवेट बैंक है। इस बैंक के owner का नाम सुभाष सिन्हा है । ४५ साल का सुभाष सिन्हा वैसे तो अलग अलग बिजनेस भी चलता है लेकिन इस बैंक से उसने बहुत पैसे कमाया है । शिल्पा सुभाष के ऑफिस में आ पहुंची।

"May I come in sir ?" शिल्पा ने दरवाजा खटखटाया ।

"Please come in." सुभाष कंप्यूटर में कुछ काम कर रहा था।

"आप ने बुलाया सर ?"

"बैठो शिल्पा । तुमसे एक जरूरी बात करनी है ।"

शिल्पा बैठ गई । वो आगे जानना चाहती थी कि क्यों उसे बुलाया गया है ।

"तो शिल्पा जैसे तुम्हे पता है कि हमारे Banking service को ५ साल हुए है और इन सब वक़्त में हमने आठ लाख से ज्यादा बैंक अकाउंट लगवाए है जोकि सबसे successful achievement है । और मुंबई में तुमने इस ब्रांच को बहुत आगे पहुंचाया ।"

"Thank you so much sir ."

"हमने तुम्हारे प्रोमोशन के बारे में सोचा है ।"

शिल्पा खुश होते हुए बोल पड़ी "thank you sir."

"लेकिन ऐसे नहीं मिलेगा प्रोमोशन ।"

"मतलब मै कुछ समझी नहीं ।"

"प्रोमोशन मिलेगा लेकिन एक मुश्किल काम करना होगा ।"

"कैसा काम ?"

"हमारी टीम ने छत्तीसगढ़ में एक गांव है जिसका नाम मंदू है । वो एक छोटा सा गांव है । वहा के लोग बैंक और insurance policy के बारे में जानते तो है लेकिन उनके पास कोई बैंक service नहीं है । एक बैंक काम के लिए उन्हें १०० किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता है और उसमें भी काम हो जाने की कोई खास गारंटी नहीं । हमारा मकसद है कि हम गरीब से लेकर चोट शहर तक अपने बैंक को आगे बढ़ाएं । सरकार और मीडिया की नजर में अगर हम आ गए तो फिर सोचो कितने आगे चले जाएंगे हम ।"

शिल्पा गहरी सोच में पड़ गई।

"काम तो मुश्किल है ।"

"लेकिन नामुमकिन नहीं । हमारी टीम को पता है कि तुममें वो काबिलियत है इसीलिए तुमको चुना है । अगर आगे बढ़ना है तो ऐसा मुश्किल काम करना पड़ेगा ।"

"ये गांव का नाम भी कभी नहीं सुना और पता नहीं कैसे रह सकूंगी मैं ।"

"Don't worry. हमने उस गांव में एक घर रखा है । वहा पे कुछ करामचरी भी तैयार कर दिए । बाकी की details file में है । अगर तुम्हारी हां हो तो इसे देख सकती हो ।"

शिल्पा ने सोचा कि यही सही मौका है आगे बढ़ने का नहीं तो प्रोमोशन कब आगे जाके मिले कोई guarantee नहीं ।

"मैं इस काम के लिए तैयार हूं ।"

"So now you will be the manager of Mandu village branch . Wish you all the best."

"Thank you sir."



एक हफ्ते बाद मंदु गांव में शिल्पा पहुंची । जैसे तैसे पहुंची क्योंकि दूर दूर तक कोई अच्छी सड़क नहीं थी । शिल्पा अपनी गाड़ी से पहुंची। गांव में कोई खास विकास नहीं है । एक स्कूल है वो भी बहुत टूटी फूटी हुई । हर जगह हैंडपंप है लेकिन गांव में धूप बहुत ज्यादा । सब लोग गाड़ी को मजे से देख रहे है। नंगे नंगे बच्चे गाड़ी के पीछे दौड़ रहे है । गांव में एक बड़ी सी नदी है जो बहुत सारे पेड़ो के बीच है । गांव लोगो के पहुंच से दूर । ज्यादातर युवा लोग नौकरी के लिए मुंबई और दिल्ली जैसे शहर गए थे । यह बचे बुड्ढे और औरत ज्यादा थे लेकिन जवान आदमी कुछ खास ज्यादा नहीं थे । बड़े शहर जाके पैसा कमाते और घर भेजते जिससे लोगो का गुजरा चलता। कुछ लोग गरीब तो कुछ लोग middle class वाले थे लेकिन अमीर कोई नहीं था । जो लोगो ने ज्यादा पैसा कमाया वो अपने परिवार के साथ गांव को हमेशा छोड़ चले गए। कच्ची सड़क से संघर्ष करते हुए आखिर में शिल्पा बताए हुए पते पे पहुंची । वहा उसके रहने का जगह था।


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घर को बाहर से ही देखकर शिल्पा को अजीब लगा । बहुत ज्यादा पूराना घर लग रहा था और वो भी गांव के किनारे । समझ में नहीं आ रहा था कि कहा पे आके फस गई। गाड़ी की आवाज़ से एक बूढ़ा आदमी दौड़ता हुए बाहर आया । वो आदमी मोटा और बहुत काला था । उमर कुछ ६५ साल की । नाम सरजू है ।



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"नमस्ते मेमसाब मेरा नाम सरजू है और इस घर के नौकर के साथ बैंक का चपरासी भी ।"

"जी सामान को घर में रख दो ।"

सरजू सामान लेकर बोला "मेमसाब आपका रूम दिखा दूं ।"

शिल्पा रूम में जब पहुंची और सामान रखवाया । वैसे घर बहुत पूराना है। करीब ४० साल से भी ज्यादा पूराना और अजीब भी । खंडहर है पूरा । बाथरूम और kitchen ठीकठाक है । एक आंगन और गार्डन भी है। घर इतना पूराना की ऐसा लग रहा था कि अभी गिर जाएगा । सामान रखते हुए सरजू बोला "मेमसाब वैसे मैं भी इस घर में रहूंगा । घर के सारे कामों की जिम्मेदारी मेरी ही है । साहब ने आपके लिए एक फाइल भिजवाई ।"

"वैसे काम कल से शुरू होगा सर्जुजी आप तैयार है ?"

"हा मेमसाब ।"

शिल्पा काफी थक गई थी । फ्रेश होकर शिल्पा दोपहर को अपने रूम में थी । वहा बॉस के भेजे हुए फाइल को देखा । उस फ़ाइल में बैंक के कर्मचारियों की लिस्ट थी । बैंक में सिर्फ चार लोग ही काम करेंगे ।

एक तो सरजू जो चपरासी है, दूसरी वो और तीसरा कर्मचारी का नाम मंजू है जिसकी उम्र ६० साल की है और चोथा है मदारी जिसकी उम्र ६७ साल की । शिल्पा को बहुत ही ज्यादा अजीब लगा । बुड्ढे फौज को लीड करेगी यह जवान औरत । सोचने लगी कि क्या यह तीनों काम कर पाएंगे लेकिन वैसे भी कुछ खास काम नहीं होगा । चार गांव का बैंक ही है । ज्यादा लोग नहीं होंगे । लेकिन फिर भी काम करना है आखिर कैरियर में आगे भी बढ़ना है । बैंक का टाइम है सुबह 9 बजे से दोपहर के 2 बजे तक । यह बात शिल्पा को अच्छी लगी वरना मुंबई में सुबह 10 बजे से शाम के 6 बजे तक ऑफिस टाइम रहता था । वहां 8 घंटे तो इधर सिर्फ 5 घंटे । बैंक और घर के बीच ज्यादा दूरी नहीं है । एक तरफ से देखा जाए तो शिल्पा को काम सही लगा । ज्यादा हिसाब किताब भी नहीं और तो और कम ऑफिस टाइम ।

अगले दिन सुबह 6 बजे शिल्पा उठ गई । गांव में सुबह जल्दी हो जाती है। Exercise करके शिल्पा तैयार हुई । आज बैंक में पहला दिन है । सरजू जल्दी निकल गया क्योंकि दफ्तर की साफ सफाई भी करनी थी । शिल्पा समय पर बैंक पहुंची । शिल्पा को अंदर से पता ही था कि बैंक भी पूरानी खंडरवाली ही होगी और बात भी सही निकली । बैंक बहुत छोटा भी है।





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Sleeveless साड़ी में शिल्पा बैंक आ पहुंची । शिल्पा की सुंदरता का कोई जवाब नहीं।

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शिल्पा सरजू के पास आके बोली "इस गांव में हर चीज़ खंडहर ही क्यों ?'

"अरे मेमसाब ये हैं बहुत पूराना है और यह के लोग इतने आगे नहीं है । जो आगे चले गए वह परिवार के साथ वापिस आए नहीं वहा शहर में ही बस गए । क्या करे मेमसाब यह बिजली भी कम आती है ।"

"लेकिन कल तो पूरे दिन था ।"

"मेमसाब आप कहा रह रही है वहा आपके आने से पहले मालिक के हुकुम पर इनवर्टर रखवा दिया था ।"

"अच्छा । तो कहा है मदारी और मंजू ?"

सरजू ने पीछे की तरफ देखते हुए कहा "लो आ गए दोनो ।"

शिल्पा ने पीछे मुड़कर देखा तो दोनो दुबले बुड्ढे सफेद बालों में टूटी हुई चप्पलों के साथ मुंह सामने आ खड़े हुए ।"

"नमस्कार मेमसाब ।"

"नमस्कार । चलिए समय पे आ गए आप लोग। चलिए अंदर देखते है कितने लोगो ने खाता खोलने कि अर्जी डाली ।"

चारो लोग अंदर पहुंचे । शिल्पा के लिए एक छोटा सा केबिन है बाकी सामने मंजू और मदारी का टेबल है जिसमें वह लोग हिसाब किताब का काम करेंगे । मदारी फाइल लेकर पहुंचा और उसमे दिखाया कि ४० लोगो की आने से पहले ही अर्जी पास हो गई थी । शिल्पा ने नाम देखा । गांव में कोई कंप्यूटर ना होने से हिसाब सिर्फ फाइल में ही होगा । सिर्फ एक ही कंप्यूटर था जो शिल्पा के लिए है क्योंकि बाकी लोगो को चलना नहीं आता। हिसाब किताब का काम आखिरी काम शिल्पा की जिम्मेदारी पे है । सच में वक़्त के सामने ये गांव ४० साल पीछे है। सभी लोग काम पे लग गए । कुछ ही देर में एक गाड़ी आई जिसमें से कुछ लोग बड़ा सा बॉक्स लिए अंदर आए । बॉक्स में कुछ पैसे नगद थे । शिल्पा ने अलग कमरे में नगद पैसा तिजोरी में डलवाया । पैसा पहुंचने वाले आदमी ने कहा कि पैसों का हिसाब हर २ हफ्तों में करते रहेंगे । धीरे धीरे लोग आते गए बैंक के काम पे और शिल्पा कंप्यूटर से काम करती गई। पहले दिन कुछ खास काम नहीं था । लेकिन शिल्पा ने सोचा कि ऐसा तो नहीं चलेगा। मदारी और मंजू को कंप्यूटर का काम सीखना पड़ेगा नहीं तो काम जल्दी नहीं होगा।

दोपहर ही चुकी थी और अब सब घर जाने को तैयार हुए। मदारी को पान की बड़ी आदत है। वो पूरे दिन में कम से कम 25 पान खा लेता है। शिल्पा ने बड़े हैरानी से देखा कि ताजा पान का बंडल लिए घूमता है अपने झोले में । मंजू को कोई खास आदत नहीं है और सरजू बाहर चौकीदारी में बीड़ी फुकता रहता है । सभी लोग काम ख़तम करके बैंक के बाहर चले आए । सरजू ने ताला मर दिया बैंक के दरवाजे पे । शिल्पा निकलते वक़्त मदारी और मंजू से बोली कि कल से छुट्टी के बाद एक घंटे कंप्यूटर सिखले । दोनों असमंजस में पड़े लेकिन शिल्पा ने कड़क आदेश के साथ अपनी बात कही । अब क्या करे मेमसाब ने जो कहा वो मानना ही पड़ेगा ।

मदारी और मंजू रास्ते पे चल रहे थे एक दूसरे से बाते करते हुए ।

" अरे मंजू मेमसाब क्या सुन्दर लगती है ।"

"लगती तो है । लेकिन बड़ी खतरनाक काम करके गई पहले दिन ।"

"क्या ?"

"कंप्यूटर सिखाएगी हमको । अब हमको ऊ कंप्यूटर को देखकर ही डर लगता है पता नहीं ये अंग्रेजन लोग क्या समझते है खुद को दिमाग से काम नहीं करते और बस कंप्यूटर के सहारे ।"

"इसीलिए तो ये लोग आगे है और हम पीछे रह गए । वक़्त के साथ चलो वरना रह जाओगे । इस बहाने हम कंप्यूटर तो सीखेंगे ही साथ ही साथ लोगो के सामने क्या सीना चौड़ा होगा की देख हमको आता है ये मशीन चलना ।"

"बात तो सच में सही है ।" दोनों हस्ते हुए आगे चल दिए ।


घर पहुंचते ही खाना खाकर सरजू तो चला गया kitchen साफ करके सोने और शिल्पा रूम में। गाना सुन रही थी । नींद कब आ गई पता ही नहीं चला । शाम हो गई और हल्के से शिल्पा कि आंखे खुली तो सरजू बाहर रूम का दरवाजा खटखटा रहा था । शिल्पा ने दरवाजा खोला तो चाय लेकर सरजू सामने खड़ा था ।

"सुनो सरजू चाय बाहर गार्डन टेबल पे रख दो में आ रही हूं ।"

"जी मेमसाब।"

शिल्पा मुंह धोकर change करके बाहर गार्डन में आई। Speeveless t shirt और ट्रैक पेंट में बाहर chair पे बैठी । कप पड़ी चाय की चुस्की ली । बाजू में नीचे बैठा सरजू पूरानी ग्लास में चाय पी रहा था ।

"अच्छा सरजू इस गांव में तुम जन्म से रह रहे हो ?"

"हां मेमसाब ।"

"कोई रहता है तुम्हारे साथ ?"

"नहीं मेमसाब में अकेला रहता हूं ।"

"अच्छा और पहले क्या करते थे ।"

"पहले में स्कूल की सफाई करता था ।"

"ये घर गांव से बाहर ही है ।"

"एक तरह से अच्छा ही है । बैंक से नजदीक रहेगा ।"

"दूर दूर तक कोई नहीं डर लगता है ।"

"इसमें काहे डरना हम है ना ।"

शिल्पा हस्ते हुए चाय पीने लगी ।
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#5
कल दूसरा एपिसोड आएगा । अपना साथ देते रहीए ।
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#6
Bhai mast update
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#7
(21-11-2020, 08:50 PM)Basic Wrote: कल दूसरा एपिसोड आएगा । अपना साथ देते रहीए ।

कहानी अच्छी जान पड़ती है। shilpa की जवानी लूटने वाला हैै या नहीं इस गांव में?
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#8
रात का वक़्त था । शिल्पा रात को अकेले गार्डन में थी । पीछे से सरजू आया और पूछा "मेमसाब क्या कर रही है यहां ?"

"कुछ नहीं बस बैठी हूं ।"

"मेमसाब वैसे रात के वक़्त बहुत ठंडी पड़ती है यहां पे । थोड़ा ध्यान देना अपना ।"

सरजू कहीं जाने की तैयारी कर रहा था । शिल्पा ने पूछा "अभी कहा चाल दिए ?"

"कहीं नहीं मेमसाब बस वो गाय को देखने जा रहा हूं ।"

"अच्छा । कब तक आ रहे हो ?"

"दस मिनट में आया ।"

सरजू वहा से चला गया । सच्ची में रात को ठंडी तो है । ओस बहुत पड़ती है यह पे। ठंड से थोड़ा कम्पन सी आने लगी शरीर में । शिल्पा अंदर चली गई अपने कमरे में । कमरे के अंदर पंखा चालू भी नहीं किया फिर भी ठंडी लग रही है। शिल्पा कम्बल में घुस गई। अब थोड़ी सी शांति मिली । कम्बल से एक उंगली बाहर निकालने की हिम्मत शिल्पा में नहीं थी । हाय री ठंडी । दिन के समय थोड़ी सी गर्मी और रात में कुछ ज्यादा ही ठंडी । काफी देर हो गया लेकिन सरजू आया नहीं । शिल्पा को अजीब लगा लेकिन फिर भी देख लेना सही होगा कि सरजू कर क्या रहा है ? बाहर जाके देखा तो सरजू बीड़ी फूक रहा था । शिल्पा को देखते ही तुरंत खड़ा होकर बोला "आप सोई नहीं मेमसाब ?"

"मुझे लगा कि तुम अबतक आए नहीं इसीलिए बाहर देखने आईं ।"

"नहीं मेमसाब वो फोन पे बात कर रहा था ।"

"किससे ?"

"मेरे बेटे से । वो अभी बनारस में है ना ।"

"वहां क्या कर रहा है ?"

"टीचर है ना । पढ़ता है वहा पे ।"

"अच्छा । चलो आ जाओ अंदर ठंडी बहुत है ।"

"चलिए मेमसाब ।" सरजू उठकर अंदर चला आया।

लाइट बंद करके दोनो अपने अपने कमरे चले गए । बहुत शांत जगह है ये । बाहर के कुत्तों के भोजन की आवाज़ साफ साफ सुनाई देती है । जुगनू की भी आवाज़ साफ सुनाई दे रही थी । कम्बल में खुद को सिकुड़ा रखते हुए शिल्पा को कब नींद आ गई पता ही नहीं चला । काफी गहरी नींद में रात को 10 बजे शिल्पा सो गई । सुबह सुबह जब आंख खुली तो देखा 6 बजे थे लेकिन ठंडी फिर भी नहीं थमी । लेकिन उठना भी जरूरी है। नवंबर का महीना जो इतना ठंडा है तो पता नहीं आनेवाले वक़्त में कितनी ठंडी होगी । Exercise के लिए वो बाहर निकली । जॉगिंग करते करते वो घर से थोड़ा दूर निकली ।

जगह बहुत सुनसान थी और थोड़ा बहुत कोहरा था । जॉगिंग करते करते सामने मदारी दिखाई दिया । मदारी को देखते ही शिल्पा रुक गई। मदारी खेत में दातुन चबा रहा था। खेर वहा टूथब्रश का ज्यादा इस्तमाल नहीं होता । मदारी की नजर शिल्पा पे गई और वो अपने शाल को ठीक करता हुआ शिल्पा के पास आया ।

"मेमसाब आप इतने सुबह यह कैसे ?"

"कुछ नहीं बस कसरत करने और तुम यहां पे ?"

"जी ये मेरा खेत है । अपने खेत का चक्कर लगाने आया हूं। चलिए मेमसाब बैंक में मिलते है ।" वहा से मदारी आगे चला गया ।

शिल्पा वापिस घर लौटी और तैयार होकर बैंक पहुंची । बैंक के बाहर कुछ लोग खड़े थे । दरवाजा खुलते ही अंदर आए और कुछ लोग अपना पैसा जमा करने आए । पैसा जमा करके सब चल दिए। आज वैसे भी बुधवार है और हफ्ते की मजूरी पाए मजदूर कुछ पैसा जमा करने आए थे। मदारी रोज की तरह पान का एक बड़ा टुकड़ा मुंह में डाले कमर सीधी करने बाहर गया । पास के दुकानवाला छोटू आया और चाय देकर चलता बना । वहीं दूसरी तरफ काम ना होने पे मंजू अपने फोन पे बात कर रहा था । वैसे इस गांव के लोग कमाल है । मोबाइल फोन बड़े अच्छे से चला लेते है और इंटरनेट का भी थोड़ा बहुत इस्तमाल कर लेते है लेकिन कंप्यूटर को देखते ही कैसे घबरा जाते है । शिल्पा के पासवाले कुर्सी पे मदारी बैठ गया और पूछा "मेमसाब वैसे कभी छत्तीसगढ़ आती है ?"

"नहीं कभी नहीं । ये पहली बार आना हुआ ।"

"वैसे आप कहा से है "

"मुंबई से हूं ।"

"क्या बात है मतलब अमिताभ बच्चन का शहर ?"

"हां ।" शिल्पा को हसी आ गई ।

"वैसे हम उनका बहुत बड़ा चाहक हू । सारी पिक्चर देखी है मैंने उसकी । क्या गजब अंदाज़ है उसका । वैसे कभी मिली है आप उनसे ?"

"हा तीन बार मिली हूं ।"

"कसम से ? कैसे मिली ?"

"मेरे पति ने। ......." अचानक से पति के नाम से रुक गई ।

"काहे रुक गई आगे तो बोलिए ।"

"जी कुछ नहीं बस ।" शिल्पा आगे कुछ बोली नहीं ।

"तलाक़ हुए है क्या उनसे ?"

"आपको कैसे पता ?"

"बस पता है । छोड़िए इं बातो को । लेकिन क्या मुझे मिलवा सकती है अमिताभ बच्चन से ?"

शिल्पा फिर से हस पड़ी और बोली "देखते है। लेकिन वो मुझे खास नहीं जानते । वो तो बस मेरे पति से एक दो बार इलाज करवाया था इसीलिए मिलवा दिया पति ने ।"

"बड़ी खुश नसीबी है आपकी अमिताभ ........." इतना कहकर मदारी पान का एक बड़ा टुकड़ा मुंह में दबा लिया ।

"वैसे मेमसाब अभी तो कोई आया नहीं है । चलिए बाहर थोड़ा घूम आते है ।"

"लेकिन अभी तो ......."

"अरे चलिए ना मेमसाब । मेरे साथ चलिए ।" मदारी ने थोड़ा जोर दिया । शिल्पा बात मान गई । मदारी शिल्पा को बाहर ले गया । बैंक के बाहर पीछे के हिस्से में जंगल था । मदारी शिल्पा से वहा चलने को कहा । शिल्पा आगे चल दी ।


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जंगल काफी सुमान था और थोड़ा सा अंधेरा भी क्योंकि आज सुबह से धूप नहीं आई और अब ठंडी रात के हिसाब से थोड़ा बहुत कम हुआ । मदारी पान की पिचकारी मारता हुआ पूछा "कभी जंगल में घूमी है आप ?"

"हा घूमी हूं ना लेकिन ये जंगल बहुत बड़ा लगता है ।"

"हा मेमसाब दरअसल ये जंगल की वजह से बारिश इस गांव में अच्छे से आती है। इससे हमारे खेतों को भी फायदा पहुंचता है ।"

आगे चलते चलते शिल्पा को एक कुत्ता दिखाई दिया जो मुंह खोले गुर्रा रहा था । कुत्ते को देखते ही शिल्पा डर गई । कुत्ते के गुर्राने की आवाज़ बड़ी खतरनाक थी । धीरे धीरे शिल्पा के पास आ पहुंचा ।

"मदारी चलो यहां से । ये हमारे नजदीक आ रहा है। "

"घबराइए मत मेमसाब में हूं ना ।"

कुत्ता जोर से भोका जिसकी वजह से डर के मारे शिल्पा मदारी के हाथ को कसके पकड़ लिया और अपना चेहरा मदारी के कंधे पे रख दिया । मदारी को जैसे कुछ कुछ हुआ । शिल्पा के नंगे और sleevesless कंधे पे हाथ रखते हुए बोला "में हूं ना । घबराइए मत । मदारी ने अपना दूसरा हाथ शिल्पा के दूसरे कंधे पे रखते हुए धीरे से शिल्पा को अलग किया और कुत्ते के पास गया । कुत्ता मदारी को जनता था इसीलिए उसका पैर चाटने लगा । मदारी कुत्ते को छूते हुए कहा "आप भी आइए कुछ नहीं होगा ।"

"पागल हो क्या ? नहीं नहीं ।" शिल्पा ने डरते हुए कहा ।

"अरे ये भी हमारे जैसा ही होते है । अजनबी को देखकर पूछते है कौन हो तुम । बोल तो सकते नहीं बास भोक देते है । आइए ना । एक बार चुएंगी तो फिर दुबारा आपको देखकर नहीं भोकेगा । "

"पता नहीं डर लग रहा है । काट लिया तो ?"

"नहीं कटेगा एक बार चिएंगी तो नहीं कटेगा ।"

शिल्पा थोड़ा नजदीक आयु फिर कुत्ता बौका और शिल्पा डर से पीछे खड़ी हुई ।

"कहा था ना बौकेगा । अभी भी भौक रहा है ।"

मदारी कुत्ते को ठीक से सहलाया जिससे कुत्ता चूप हो गया । मदारी बोला "अब आइए ।"

"नहीं नहीं । "

"अपना हाथ दीजिए । दीजिए ना ।"

शिल्पा ने अपना गोरा हाथ मदारी के काले हाथ से मिलाया । मदारी शिल्पा को करीब लाते हुए बोला "मेरे रहते आपको कुछ नहीं होगा ।"

मदारी की ये बात में जादू लगा और शिल्पा बात मान गई । शिल्पा ने कुत्ते को सहलाया और बाद में कुत्ता चप हो गया और बड़े प्यार से शिल्पा को देखने लगा । शिल्पा के चेहरे पे मुस्कान आईं । मदारी ने शिल्पा का हाथ छोड़ कर थोड़ा पीछे गया । शिल्पा ने दूसरे हाथ से कुत्ते को सहलाया । कुत्ता एक मासूम बच्चे की तरह नीचे लेट गया । शिल्पा बहुत खुश हुई ।

"देखा मेमसाब । कहा ना कुछ नहीं होगा । आपकी खूबसूरती को देखकर कुत्ता भी समझ गया कि यह खूबसूरत बला कुछ गलत नहीं करेगी ।"

"धत् खूबसूरत और मैं ?"

"और नहीं तो क्या बहुत खूबसूरत है आप बिल्कुल हीरोइन जैसी ।"

"बस बस करो अब आगे चलो । बैंक वापिस चलो बहुत घूम लिया ।"

"चलिए मेमसाब ।" शिल्पा और मदारी बैंक वापिस पहुंचे । दोपहर के एक बज गए थे । शिल्पा मदारी मंजू और सरजू के पास कोई काम नहीं था । सरजू अंदर आंखे बैठ गया और सभी लोग आराम से बैठे हुए थे । थोड़ा बहुत गप्पे लड़ान लगे ।

"वैसे मेमसाब यहां कैसा लग रहा है ?" सरजू ने पूछा ।

"बहुत अच्छा लग रहा है । काफी शांत जगह है ये । लोग काम दिखाई देते है यहां पे । "

"वैसे मेमसाब हर मामूली गांव में काम से काम एक हजार लोग रहते है लेकिन इधर सिर्फ 300 लोग रहते है। अपना खेत या फिर कहीं मजदूरी के लिए जाते है । कुछ पैसे भी कम लेते है ।"

"गांव बड़ा लेकिन लोग कम ।" शिल्पा ने कहा ।

"इधर सुविधा नहीं लेकिन शांति बहुत है ।" मदारी ने कहा ।

"क्या बात है , बहुत तारीफ कर रहा है गांव का । पहले तो अच्छा नहीं लगता था तुझे । मंजू ने तंज कसते हुए कहा ।

"ऐसी बात नहीं है गांव अच्छा ही है ।" मदारी ने कहा ।

"मेमसाब पहले बहुत गाली देता था गांव को । कहता था कि यहां कुछ नहीं है बेकार है ये गांव ।" मंजू पानी पीते हुए बोला ।

"तो फिर इतना बदलाव कैसे आया ?" शिल्पा ने पूछा ।

"आपकी वजह से मेमसाब ।" सरजू ने कहा ।

"मेरी वजह से भला कैसे ?"

"जब से आप आईं है ना भाईसाहब बहुत ज्यादा खुश दिखाई दे रहे है । कुछ तो बात है आप में । कल मेरे से आपकी तारीफ किए ही जा रहा था । "

शिल्पा ने देखा कि मदारी थोड़ा समाइल करता हुआ नीचे देखा । मदारी बार बार शिल्पा को देखे जा रहा था । आखिर देखेगा ही इतनी सुन्दर जो है । अपने ज़िन्दगी में नहीं देखी होगी ऐसी ।

दोपहर के 2 बज गए और अपना आखिरी काम पूरा करके सब free हो गए ।

"चलिए मेमसाब जाने का वक़्त हो गया है ।" सरजू ने कहा ।

"नहीं तुम है सरजू । अभी मुझे दोनो को ट्रेनिंग देना है ।"

"ठीक है मेमसाब जब काम हो जाए तो मोबाइल पे कॉल कर देना आ जाऊंगा दफ्तर बंद करने ।"

"उसकी क्या चिंता करता है ? मैं दफ्तर बंद कर दूंगा । तू बस चाबी दे दे मुझे ।"

"ठीक है लेकिन संभलकर रखना ।" सरजू चाबी देकर चला जाता है ।"

जाते जाते दफ्तर की झाली बाहर से बंद कर दिया ताकि लगे की बैंक बंद है । शिल्पा दोनो को अपने केबिन बुलाती है और कॉप्यूटर के बारे में समझती है । केबिन छोटा था इसीलिए जगह भी कम थी । शिल्पा के बगल दोनो बेठे थे । शिल्पा के बिल्कुल बगल में मदारी था । मदारी कंप्यूटर की तरफ देखता है और उसे समझने कि कोशिश करता है। लेकिन मदारी को शिल्पा के नजदीक बैठने की वजह से परफ्यूम की सुगंध ज्यादा आ रही थी । शिल्पा के बदन की खुशबू मदारी अच्छे से मेहसूस कर रहा था। उसमे भी शिल्पा समझते वक़्त खुले बाल को हाथो से आगे कर रही थी। मदारी मंत्रमुग्ध हो गया । Sleeveless साड़ी में शिल्पा की गोरी गोरी हाथो को बड़े प्यार से देख रहा था। लेकिन अभी ज्यादा खो जाने का वक़्त नहीं था , वक़्त था ट्रेनिंग पे ध्यान देना और वो पूरा ध्यान लगाकर सीखना चाहता था । शिल्पा की बातो को ध्यान से सुनता हुए मदारी सीखता गया ।

एक घंटे कब पूरा हो गया पता ही नहीं चला । मंजू के मोबाइल पे उसकी पत्नी का कॉल आया । मंजू बात किया । उसका जाना बहुत जरूरी था।

"मेमसाब वो मेरी पत्नी का फोन आया वो बाजार जाने को के रही है तो ....."

"कोई बात नहीं मंजू तुम जाओ । मेरे खयाल से अभी के लिए इतना ही काफी है ।"

मदारी बीच में बोलता हुआ "नहीं मेमसाब अभी हम ऐसे नहीं रुक सकते । कंप्यूटर को बंद चालू करना कैसे है यह एक बार हम खुद करेंगे ।"

"लेकिन मदारी मुझे ....."

"हां जानता हूं कि तुझे बाजार जाना है तो जाना कल कर लेना अभी तो में कर लूं।"

"ठीक है जैसी तेरी मर्ज़ी । ठीक है मेमसाब कल मिलता हूं ।' मंजू वहा से चला गया।

वैसे मदारी काफी खुश हुआ क्योंकि अब वो और शिल्पा ही थे। शिल्पा के साथ अकेले रहने में उसे बहुत अच्छा लगता है । कंप्यूटर को चालू बंद करना अच्छे से सीख लिया । वैसे शुक्र की बात है कि मदारी और मंजू दसवीं तक पड़े है इसीलिए पढ़ना और लिखना आता है । आधे घंटे के बाद शिल्पा ने मदारी को दफ्तर बंद करने को कहा। मदारी ने दफ्तर बंद कर दिया ।

"ठीक है मदारी कल मिलते है ।"

"मैं भी साथ चलता हूं ना । चलिए। "

"नहीं नहीं में चली जाऊंगी ।"

"अरे चलिए ना आपका और मेरा घर एक ही रास्ते से है । मेरा घर पहले आता है ।"

"ठीक है चलिए ।"

दोनों पैदल चल दिए । दोनों का घर एक ही रास्ते से है । मदारी का घर 600 मीटर दूर और शिल्पा का 900 मीटर दूर । शिल्पा देख रही थी कि रास्ते में कितने सारे घर खाली और टूटा फूटा है । कम से कम इस गांव में 60 घर है जिसमें से सिर्फ कुल मिलाके 250 लोग ही रहते है । अजीब बात ये है कि इस बड़े से गांव में बच्चो कि संख्या 50 जितनी है । मतलब जवान लोग इस तंगी ज़िन्दगी में खुद को दांव पे रखकर दूर जाते है पैसा कमाने । वाह यह गरीबी और मजबूरी । अपनों से ही दूर कर देता है ये भूख । पता नहीं ऐसे गांव में विकास आएगा और लोग वापिस अपने घर लौट आए । चलते चलते मदारी का घर आ गया ।

"चलो मैं चलती हूं । कल मिलते है ।"

"अरे अरे रुकिए ना । आप मेरे घर आइए ना ।"

"शाम के चार बज गए है देर हो जाएगी ।"

"आइए ना । मेरे गरीब खाने में । छोटा घर है लेकिन बैठने लायक है ।"

"देखिए वो "

"देखिए वेकिए कुछ नहीं चलिए ना । मैं आपको आपके घर तक चोड दूंगा ।"

"ठीक है ।" शिल्पा को बात माननी ही पड़ी ।

दोनों घर के अंदर पहुंचे । घर के बाहर दो गाय थी और घर बहुत ही छोटा और टूटा हुआ था । अंदर एक छोटा सा आंगन था और हैंडपंप है । Kitchen छोटा सा । खटिया तीन थी।



[Image: pics-yizu01.jpg]
[Image: stock-photo-village-house-with-vintage-w...625401.jpg]


मदारी अंदर पहुंचते ही दरवाजा बंद कर दिया ।

"दरवाजा क्यों बंद किया ?" शिल्पा ने पूछा ।

"वो क्या है कुत्तों का अतांक बहुत है । अंदर आ जाते है । चलिए भीतर । "

दोनों आंगन से भीतर पहुंचे । लाइट ना होने की वजह से थोड़ा अंधेरा जैसा था । शाम हो रही थी और ठंडी भी बढ़ रही थी । खिड़की खुली होने की वजह से ठंडी हवा अंदर आ रही थी । शिल्पा थोड़ा सिकुड़ने लगी ।

"आपको ठंडी लग रही है मेमसाब ?"

"हा थोड़ी बहुत ।"

मदारी ने सारी खिड़की बंद कर दी जिससे अंधेरा थोड़ा और बढ़ गया । शिल्पा को थोड़ा सा अजीब लगा । मदारी पानी लेकर आया और शिल्पा के सामने बैठ गया ।

"वैसे आपके घर कोई नहीं है ।"

"जी मैं अकेला रहता हूं ।"

"खुद खाना बना लेते है और खेत का भी काम कर लेते है ?"

"हो जाता है । वैसे दो आदमी लगे है काम पे और साथ में मंजू का ससुर भी ।"

"मंजू के ससुर भी है ?"

"हा वो अकेले रहते है । मंजू और उसकी पत्नी दूसरे घर में रहते है । मंजू का ससुर बहुत ही उसूलों वाला है । खुद ही रहेगा और खाएगा भी अपने से ।"

"वैसे ठंडी यहां की बहुत ज्यादा है ।"

"अरे आप तो अभी भी काप रही है । रुकिए में आपके लिए शाल लेकर आता हूं।"

"अरे आप तकलीफ मत लीजिए ।"

"अरे रुकिए आता हूं।"

मदारी अंदर गया और शाल लेकर आया । शाल शिल्पा को से दिया । शिल्पा ने शाल ओढ़ लिया । मदारी चाय बनाकर लाया और रूम का दरवाजा बंद कर दिया । मदारी और शिल्पा अकेले रूम में थे और ज्यादा फैसला नहीं था । रूम में थोड़ी सी गर्मी बढ़ी और शिल्पा चाय पीने लगी । मदारी और शिल्पा बात करने लगे ।

"आप वैसे बड़े शहर की है और था कि ठंडी झेलने में थोड़ी की तकलीफ होगी। "

"जी बिल्कुल इसीलिए आपको इतनी तकलीफ लेनी पड़ रही है ।"

"इसमें कौन सी तकलीफ ? बहुत दिनों बाद कोई आया घर में । बड़ा अच्छा लग रहा है ।"

शिल्पा हल्के से मुस्कुराई । दोनों बात करते गए यहां वहा की । अब शिल्पा को काफी हद तक ठीक और गरम मेहसूस हुआ । शाल को बाजू में रखते हुए अब आराम से बैठ गई । मदारी तो बस सुंदरता में ही खोया रहा। अंधेरा भी बढ़ने लगा ।

"अब चलना चाहिए मुझे ।"

"कुछ देर और बैठिए ना ।"

"नहीं नहीं प्लीज़ अब चलना होगा ।"

"ठीक है लेकिन फिर वापिस आइएगा बड़ा मजा आएगा ।"

"ठीक है है ।" शिल्पा उठी लेकिन अंधेरे कि वजह से दिखाई नहीं दिया और डगमगा गई । मदारी जल्दी से शिल्पा को पकड़ लिया । शिल्पा और मदारी आपस में चिपक गए । मदारी शिल्पा को थाम लिया । शिल्पा का गोरा और मुलायम जिस्म मदारी के हाथो में थाम हुए था । मदारी भी संभालने के चक्कर में थोड़ा फिसला और वो तुरंत शिल्पा को खटिया पे बैठा दिया और बाजू में बैठा । झटके से शिल्पा खटिए पे लेट गई और खुद को संभाला । दोनों एक ही खटिया पे थे । शिल्पा मदारी का हाथ पकड़ते हुए पूछी "आप ठीक है ना ?"

मदारी शिल्पा के कंधे को अभी भी थमा हुए था और शिल्पा को ठीक से उठकर बैठते हुए कहा "में ठीक हूं । आप ठीक है ?"

"हा । Thank you आपने बचा लिया ।"

"अरे इसमें क्या ? चलिए बाहर आइए ।"

मदारी शिल्पा को घर तक चोड आया । शिल्पा घर वापिस आई । ऐसे ही रात हो गई । सरजू को थोड़ा काम आ गया इसीलिए वो बाहर चला गया। शिल्पा ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया । दरवाजा बंद करके अपने रूम गई थी कि किसी ने खटखटाया । शिल्पा ने दरवाजा खोला तो सामने हरी साड़ी में एक औरत को सामने देखा ।

"जी आप कौन ?"

"जी मेरा नाम सरला है और में मंजू की पत्नी आपसे मिलने आईं । कहीं मैंने आपको परेशान तो नहीं किया ?" एक मुस्कान से सरला ने शिल्पा से पूछा ।

"नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं । अंदर आइए ना । अच्छा है आप आईं । कुछ देर आप बैठिए ।"

"जी ।" सरला अंदर आईं । शिल्पा और सरला आपस बात चीत हसी मजाक करने लगे।
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#9
Bhai likhte raho mast likh rahe ho
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#10
कुछ रोमांस वगेरा भी चिपकाओ जी। वैसे कहानी अच्छी लगती हैं।
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#11
(23-11-2020, 01:04 AM)bhavna Wrote: कुछ रोमांस वगेरा भी चिपकाओ जी। वैसे कहानी अच्छी लगती हैं।

पक्का ।
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#12
यार ज्यादा रोमांस भी मत डालना ... फेक लगता है ।
गाँव वालो के दिमाग में सिर्फ LUST ही रहेगा एक शहरी बड़े घर क औरत क प्रति...
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#13
दिन बीतते गए और काम भी अच्छे से चलने लगा । सरला के साथ शिल्पा कि दोस्ती अच्छी हो गई । शिल्पा ने मदारी और मंजू को अच्छे से ट्रेनिंग भी दी । सिर्फ एक महीने के अंदर दोनो ने कंप्यूटर पे हिसाब किताब करना सीख लिया । शिल्पा ने बैंक owner से दो कंप्यूटर मांगने की बात कही । दो कंप्यूटर आते ही शिल्पा का काम आसान हो गया। चार गांव के लोग बैंक में रोज अपना हिसाब किताब करते धरते। सरजू के बड़े मजे है। आराम से बैठने का और बाहर बैठकर बीड़ी का मजा लेने का। के काम अच्छे से चलता गया। वैसे शिल्पा को भी यह गांव में काम करना अच्छा लगा क्योंकि ज्यादा काम नहीं करना होता और तो और दफ्तर में सिर्फ 5 घंटे ही काम करना होता है । बाकी के दिन जो करो वो करो ।

आज शनिवार था । मंजू को अपनी पत्नी के साथ बाहर जाना पड़ा । 4 दिन के लिए वो काम पे नहीं आ पाएगा। शिल्पा ने छुट्टी मंज़ूर की। बैंक के काम चालू ही थे । सरजू सफाई करके आराम से बाहर कुर्सी पे बैठता और घंटे में चार बीड़ी फूक देता । ऊब जाने की वजह से अपने मोबाइल में मस्त रहता । गाने सुनता और किसी ना किसी को फोन करता। आज शिल्पा और मदारी ही दफ्तर पे थे। मदारी चोरी चोरी शिल्पा को निहार रहा था । बुड्ढा जरूर है लेकिन जवान और खूबसूरत परी को देखने में मस्त था । दोपहर के 1 बजे थे। मदारी शिल्पा के पास आके कुर्सी पर बैठ गया।

"वैसे मेमसाब ज्यादा काम मत करिए। तबियत खराब हो जाएगी ।"

"कम कम ही है। वैसे भी जब से दोनो से कंप्यूटर चलना सीख लिया तब से काम कम ही है ।"

"तो फिर आज क्यों इतना सुबह से उलझी हुई है ?'

"आज महीने का रिपोर्ट भेज रही हूं ।"

"कब तक काम पूरा होगा ?"

"बस अभी पूरा हुआ । क्यों कही जाना है तुम्हे ?"

"मुझे नहीं हमें ।" मदारी ने कहा बड़े उत्तेजना से ।

"कहा ?'

"चलिए बाहर चलते है । अब काम भी नहीं है और यहां पे ऊब जाएंगे ।"

"बाहर नहीं जाना क्योंकि सुबह से मौसम खराब है और तो और तूफान कभी भी आ सकता है । इसीलिए घर भी आज जल्दी निकलते है ।"

"लेकिन दफ्तर का समय से पहले ? नहीं जी नहीं । कुछ नहीं होगा । चलिए ना ।"

"फिर कभी । था बैठने में क्या हर्ज है तुम्हे ?"

"ठीक है तो था बैठ जाते है ।"

शिल्पा मुस्कुरा दी । मदारी कुर्सी नजदीक करके बैठ गया। शिल्पा अपना बाल बांधने लगी । मदारी बस शिल्पा को ही देख रहा था । दोनों हाथ पीछे की तरफ और सीना तना हुआ । गोरे गोरे बदन में खींचाव और armpit कितने मुलायम और साफ जैसे मदारी तो बस यही देखते देखते खो गया । शिल्पा को भी पता चल था था की मदारी उसपे फिदा है आखिर औरत है सब समझ जाती है । मदारी बोल पड़ा "जरूरी नहीं था बालों को बांध करना ।"

"क्यों ?"

"बड़े अच्छे है औलंबे बाल है आपके ।"

शिल्पा को हसी आईं और बोली "क्यों ऐसा क्या अलग लगता है दोनो में ?"


[Image: Katrina-Kaif-HD-wallpapers.jpg]


" आपके रेशम और मुलायम बाल जब आपके गोरे गोरे कंधो पे पड़ती है और आप जब उसे पीछे कि तरफ बार बार करती है तो अच्छा लगता है ।" मदारी को खुद को भी नहीं पता था कि वो क्या बोले जा रहा था ।

"अच्छा वैसे आप जहा रहते है वहा डर नहीं लगता ?"

"डर कैसा डर ?"

"आप जहां रहते वहा खंडहर सा दस घर है दिखने में ही बड़ी डरावनी लगती है ।"

"नहीं मेमसाब । वो तो आदत है इसीलिए डर नहीं लगता ।"

"मुझे तो बहुत डर लगता है ऐसे घर को रात में देखकर ।"

"आपको इसकी आदत डलवा दूंगा ।"

"यह रहकर आदत कई चिजो की पड़ गई ।"

"कैसी आदत ?"

"ठंडी की और भूत गांव में रहने की ।"

"जानता हूं यह गांव भूत जैसा ही है । हर जगह सूनसान और खंडर जबकि आस पास के गांव छोटे लेकिन रहने वाले बहुत ही ज्यादा ।"

"इस गांव में कल ही देखा कि दो परिवार शहर चला गया । कम से कम दस लोग चले गए । अब तो और दो घर खाली । देखा जाए बैंक में कुल 700 account हैै लेकिन इस गांव से सिर्फ 50 खाते ।"

"इस गांव में बैंक लगने से दूर दूर से लोगो को फायदा हुआ है । कम से कम शहर तो जाना नहीं पड़ेगा ।"

"यह लेकिन विकास कि कमी है ।"

"ज्यादातर गांव का बीच वाला हिस्सा भीड़ भाड से भरा हुआ होता है लेकिन इधर तो सब खाली । चलिए आपको दिखता हूं।"

"लेकिन मौसम ....."

"अरे कुछ नहीं होगा । चलिए अब तो बैंक के बंद होने का वर भी हो रहा है ।"

"अरे हा चलिए ।"

बैंक बंद करके दोनो चले गए गांव देखने। सरजू गया घर । शिल्पा देख रही थी कि गांव कितना खाली है । हर चार घर के बाद एक परिवार वाला घर था । दोपहर के ठंडी में दोनो आगे चल दिए ।

"आइए आपको गांव के सबसे बड़े घर को दिखता हूं। ये भी सालो से खाली है ।"

शिल्पा ने देखा कि घर के बाहरी दीवाले टूटी हुई थी और बहुत ज्यादा अंधेरे से भरा हुआ था । रास्ते में कितने सारे पत्थर और पेड़ के गिरे हुए पत्ते । दोनों घर के अंदर पहुंचे । भूतो का अड्डा लग रहा था । शिल्पा थोड़ा सा डरने लगी ।

[Image: The-Origins.jpg]
[Image: unnamed-1.jpg]


"संभलकर सीढ़ी चड़िए मैं पीछे ही हूं ।"

शिल्पा को संभालते हुए मदारी उसके पीछे चल दिया । शिल्पा को पीछे से देखते देखते मदारी भी चल दिया । शिल्पा की कमर को देखकर मदारी जैसे बेजान से हो गया । नंगी पीठ और आकर्षित शरीर को बड़े अच्छे निहार रहा था । ज़िन्दगी में पहली बार ऐसी अप्सरा के साथ रहा । शिल्पा के नंगे और गोरे बाहें को देखा । अचानक ऊपर की दीवाल से गिरी मिट्टी को शिल्पा के कंधे पे देखते ही मदारी ने उसे साफ करने के लिए छुआ । शिल्पा को जैसे अजीब सा करेंट लगा ।

"क्या हुआ मदारी ?"

"कुछ नहीं मेमसाब वो धूल आपके कंधे पे थी इसीलिए साफ किया ।"

दोनों ऊपर के मंजिल पहुंचे । मदारी शिल्पा को इशारा करते हुए सबसे पहले कमरे में आने को कहा । कमरे से वो गांव दिखा रहा था । आस पास के सभी घर टूट हुए और खराब परिस्थिति में थे।

"कितना खाली है ये गांव। कैसे कोई रह सकता है यहां पे ?"

"लेकिन रह रहे है जैसे तैसे ।"

"सूरज ना निकालने पे अंधेरा इस घर में बहुत है ।"

"हा वो भी है ।"

"किसका घर है ये ?"

"ये यहां के सरपंच का घर था । दरअसल उनका परिवार विदेश चला गया उनके मारने के बाद । 45 साल से ये घर खाली है ।"

"कोई इधर रहने नहीं आया ?"

"नहीं । वैसे जिस घर में आप है ना वो घर भी उनका था लेकिन फिर बेच दिया लेकिन ये ना बेच सके ।"

मदारी शिल्पा को आगे ले चलता है और बाकी का घर दिखता है । सब चीजों में से अजीब था एक बड़ा सा कमरा। वो कमरा कई तालो से बंद है । बहुत बड़े बड़े ताले लगे हुए थे । शिल्पा आगे जाए और देखे की तभी जोर से बादल गरजने लगा ।

"लगा है बारिश आनेवाली है । जल्दी से जल्दी हमें यहां से निकालना होगा ।" मदारी शिल्पा को लेकर बाहर निकाला । ठंडी के मौसम में बारिश अक्सर इस गांव में होती है । बाहर हवा तेजी से बहने लगा जैसे तूफान पहले आनेवाली हो । दोनों का घर थोड़ा सा दूर था । दोनों तेजी से चलते हुए आगे बड़े । बादल लगातार गरजने की आवाज़ करता रहा । नजदीक में मंजू का घर था लेकिन आज वो नहीं था अपने घर । दोनों जैसे तैसे हवाओं से संघर्ष करते हुए आगे बढ़े । अब बारिश से पहले तूफान ने दस्तक दी । तूफान से चलने में मुश्किल होने लगी । मदारी का घर आ गया ।

"मदारी तुम जाओ सोमवार को मिलते है ।"

"मेमसाब बहुत बुरा मौसम है आपका घर अभी भी दूर है नहीं पहुंच पाएगी । मेरे घर आ जाइए ।"

हवा जोर जोर से बहने लगी और अब शिल्पा ठीक से आगे कदम नहीं बढ़ा पा रही थी । शिल्पा को मदारी की बात माननी ही पड़ी । दोनों घर में पहुंचे । मदारी ने दरवाजा बंद किया और जल्द से जल्द दो गायों को अंदर ला दिया । शिल्पा आगे बढ़ने ही वाली थी कि दरवाजा ठीक से ना बांध हो पाने की वजह से दरवाजा अचानक से खुल गया । शिल्पा का पल्लू पूरी तरह से हवा की वजह से नीचे फिर गया और वो ऊपर से ब्लाउज़ में ही थी । शिल्पा को ज्यादा हवा की वजह से समझ में नहीं आया कि पल्लू उसका गिर गया है । वो जल्दी से दरवाजा बंद करने की कोशिश की लेकिन दरवाजा बंद नहीं ही पा रहा था । मदारी दौड़ता हुआ आया और दरवाजा बंद किया । मदारी ने जब शिल्पा को देखा तो वो बिना पल्लू के थी । शिल्पा को फिर याद आया कि वो बिना पल्लू के है और वो एक ही झटके से खुद को ठीक की । अब आंगन में बारिश की बूंदे पड़ी और शिल्पा दौड़ते हुए कमरे में गई पीछे पीछे मदारी भी अंदर गया और दरवाजा अंदर से बंद किया । सारी खिड़की भी बंद कर दिया ।
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#14
कहानी अच्छी लग रही है......................

सिर्फ चुदाई तक ही सीमित मत रखना............ कुछ घटनाएँ, दुर्घटनाएँ,

अजीब दुनिया नाम है कहानी का कुछ अजीब भी दिखना चाहिए


अगले अपडेट की प्रतीक्षा रहेगी
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#15
तूफान थमने का नाम नहीं ले रही थी । जिस चलते कमरे में मदारी और शिल्पा थे उस कमरे के दरवाजे खटखत किए जा रहे थे इतनी जोर की हवा चल रही थी । शिल्पा के फोन पर सरजू का कॉल आया । 

"Hello मेमसाब सरजू बोल रहा हूं।  माफ़ करिएगा आज अपने घर गया था किसी काम से लेकिन तूफान कि वजह से नहीं आ सकुंगा । फस गया हूं ।"

"कोई बात नहीं । मैं भी ..........." फोन कट गया।  शिल्पा ने देखा तो बैटरी low था।  

शिल्पा मदारी की तरफ देखते हुए "आपके पास्फोन है तो दीजिए ना ।"

मदारी जेब में हाथ रखा लेकिन फोन नहीं मिला । "अरे मेमसाब फोन दफ्तर में ही भूल गया ।"

"Oh God अब क्या करे ?"

"देखिए मेमसाब अब कोई चारा नहीं बचा । सरजू क्या कर रहा होगा ?"

"वो अपने घर फस गया । "

"फिर तो आप था है रह जाइए । क्योंकि यह तूफान ऐसे नहीं थमने वाला ।"

शिल्पा के पास वैसे भी कोई चारा नहीं बचा । वो आखिर करे तो करे क्या ? मान गई । मदारी ने सबसे पहले कमरे कि सफाई की । दोनों अंदर ही बेठे थे । शिल्पा खटिया पे बैठी थी । मदारी साफ सफाई करके सामनेवाले खटिए पे बैठा । 

"वो घर देखने के चक्कर में फस गए ।" मदारी ने कहा 

"अरे नहीं ऐसा नहीं है । मौसम का भी तो ठीक से पता नहीं चला ।"

"वैसे आप फिर एक और बात हमारे घर आ ही गई ।" मदारी हस्ते हुए बोला । 

"इस बार तूफान है । ठंडी हर बार की तरह ।"

"रुकिए में आपको रजाई देता हूं ।"

     मदारी अपने खटिए पे पड़ा रजाई शिल्पा को दे दिया। शिल्पा ने रजाई ओढ़ लिया । दरअसल शिल्पा का शाल हवा में ही उड़ गया था जिसकी वजह से उसके पास कुछ रहा नहीं । रही बात बगल के कमरे की तो उसके लिए तूफान से गुजरना पड़ेगा । दो कमरों में थोड़ा फैसला भी है । अब सिर्फ एक रजाई ही बची थी । 

"मेमसाब आपके लिए टीवी चालू कर दूं ?"

"नहीं अभी तो बिजली चली गई है । भूल गए क्या ?"

"अरे हा वो तो है ।"

"वैसे एक बात पूछनी थी । वो को दरवाजा था बड़े बड़े तालों से लगा हुआ उसमे था क्या ?"

"पता नहीं मेमसाब कुछ लोग कहते है कि उसने बहुत सारे महंगे कपड़े पड़े हुए है घरवालों के लिए ।"

"फिर किसी ने कोशिश क्यों नहीं की लेने की ?"

"उसमे अलग सा जादू है ।'

"कैसा जादू ?"

"ऐसा है मेमसाब उसमे की उसे छूने से खुलता है । कहते है जो अच्छा आदमी हो और किसी दो की ज़िन्दगी को बचाए वोही उस दरवाजे को खोल सकता है । लेकिन उस दरवाजे के अंदर पड़ा खजाना किसी अच्छे काम के लिए इस्तमाल वो करे वरना अगली सुबह खजाना हमेशा के लिए गायब।"

"बाप रें । तुमने किसी की ज़िन्दगी बचाई ?"

"मौका नहीं मिला ेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेे लेकिन ऊपरवाले ने चाहा तो मौका मिल जाएगा ।"

"लेकिन इसे लूटने की कई लोगो ने कोशिश की होगी ।"

"कई लोगो ने कि लेकिन कुछ नहीं मिला।  इसे पाने की शर्तें बहुत ही अजीब है । एक तो किसी को मौटसे बचाओ और उसकी ज़िन्दगी को बदलो ।"

"क्या पता तुम्हे मिल जाए कोई मदद करने के लिए ।"

"अगर मिल जाए तो भी क्या ? अब इस बुढ़ापे की उम्र में कर भी क्या लूंगा ।"

      मदारी के रूम में लालटेन था । मदारी लालटेन जलता है और ऊपर रख देता है । धीरे धीरे कमरे में ठंड बढ़ने लगी । मदारी है तो बुड्ढा और ऊपर से टकला भी।  ठंडी तो बहुत लगने लगी उसे।  थोड़ा सा कापने लगा । शिल्पा को मदारी के लिए बुरा लगा।  इतनी ठंडी में जाप रहा है । खुद को भिबुटनी ही ठंडी लगी हुई है । 

"आपको ठंडी लग रही है ।"

"नहीं मेमसाब कोई ठंडी नहीं लग रही हमें ।"

"ठंड से शरीर कापा रहा है आपका ।"

"मैं कुछ कर लूंगा ।"

"आ जाइए रजाई में ।"

"हमारे पास एक ही है और आप उसे इस्तमाल करे ।"

"आ जाइए रजाई में कुछ नहीं होगा ।"

"लेकिन कब तक एक में रहेंगे ?"

"आ जाओ वरना तबियत खराब हो जाएगी ।"

     मदारी और शिल्पा अब एक ही खटिए में आ गए एक ही रजाई में । रजाई एक और अंदर दोनो । मदारी कप्ता हुआ रजाई में घुसा । रजाई में घुसते ही शिल्पा के शरीर से उसका शरीर लगने लगा । शिल्पा भी ठंड से सिकुड़ी हुई थी । मदारी के शरीर से बार बार टकराने की वजह से शिल्पा में करंट सा दौड़ ने लगा । मदारी उत्तेजित होता जा रहा था । अब अंदर प्रेम की ज्वालामुखी फटने लगी । 

"क्या मै अपना सिर ढाक सकता हूं ? बहुत ठंड लग रही है ।"

शिल्पा ने कहा "हां डाल दो सिर अंदर पूछो मत ।"

      शिल्पा ने मदारी को रजाई के बिल्कुल अंदर रख दिया । मदारी की आंखे चमक गई । रजाई के अंदर वो शिल्पा के शरीर को निहार सकता था । शिल्पा की गोरी गोरी कमर को देखकर जैसे जान ही जाने लगी । शिल्पा थोड़ा सा लेट गई । खटिया थोड़ा बड़ा था । शिल्पा अपने पैरों को सीधा करके थोड़ा सा लेट गई । मदारी भी लेट गया । शिल्पा के शरीर को और ठीक से देख सके इसीलिए वो रजाई के बिल्कुल अंदर आ गया।  अब वो ज्यादा करीब आ गया।  उसकी गरम गरम सांसें शिल्पा के जिस्म में लग रहा था । शिल्पा भी गरम होने लगी । अपने सिर को ऊपर करते हुए मदारी अंदर से गोरे गोरे बहे को देखकर प्यार की ज्वालामुखी को बढ़ाए जा रहा था । 

"सुनो दरवाजा ठीक से बांध तो है ना क्योंकि बारिश बहुत तेजी से आ रही है ।" शिल्पा ने पूछा ।

"सब बंद है । लेकिन ठंडी क्यों जा नहीं रही ?" इतना कहकर मदारी का चेहरा शिल्पा के कंधे पे लग गया । 
 
      शिल्पा ने एक करवट की और इस बार पूरा शरीर आगे का मदारी के सामने आ गया । मदारी ठंड भी मेहसूस करने लगा । दोनों अब अंदर आ गए । दोनों के बीच एक उंगली का भी फासला नहीं रहा । मदारी अब बिना डरे शिल्पा के हाथ को छुआ।  

"यहां ठंडी बहुत है ।" मदारी बोला।  

"सही कहा तुम बहुत काप रहे हो।  एक काम करो हाथ पकड़ लो ।" ये इसीलिए कहा क्योंकि शिल्पा भी अंदर से गरम हो रही थी । बिना देर लगाए शिल्पा का हाथ मदारी ने पकड़ लिया।  

"वैसे मेमसाब बहुत मुलायम हाथ है आपका ।"

"अच्छा ?"

"अब आप भी पूरी तरह से रजाई में आ जाओ मेरे साथ ।"

    शिल्पा मान गई । दोनों पूरी तरह से मोटी रजाई में आ गए । दोनों की आंख एक दूसरे से मिल रही थी । मदारी के शरीर से हल्की की अजीब बदबू थी और शिल्पा के शरीर से खुशबू की धार । मदारी बोला "वैसे आप बहुत खूबसूरत लगती है ।"

"शुक्रिया ।"

"बूरी ना मानो एक बात कहूं ?"

"क्या ?"

"आपको जकड़ने का मन कर रहा है ।"

"छे पागल ।"

     मदारी अब बिना सारे शिल्पा से चिपक गया । अपने सिर को शिल्पा के कंधे पे रख दिया । शिल्पा ने कोई जवाब नहीं दिया । मदारी की हिम्मत बढ़ी । शिल्पा के मुलायम पेट पे हाथ रख दिया । शिल्पा ने मदारी के हाथ पे अपना हाथ रख दिया।  मदारी ने शिल्पा के कंधे को चूम लिया।  शिल्पा ने अपना दूसरा हाथ मदारी के चेहरे पे रख दिया।  मदारी शिल्पा के गले को चूमने लगा।  

"बहुत ठंडी लग रही है शिल्पा ।"

मेमसाब से सीधा शिल्पा । शिल्पा भी बोल पड़ी "मुझे भी बहुत ठंडी लग रही है ।"

"मैं चिपक जाऊं ? गर्मी लग सकती है ।"

"उम् चिपक जाओ ।"

     मदारी शिल्पा के सीने पे सिर रखके खुरदुरा चेहरा घिसने लगा । बहुत ही भद्दा और खराब चेहरा था । शिल्पा ने मदारी के सिर पें हाथ रख दिया ।

"शिल्पा मुझे ऊपर चढ़ने दो."

"आ जाओ ।" शिल्पा अपने उत्तेजना को दिखाते हुए बोली । 

     मदारी पूरी तरह से शिल्पा के ऊपर चढ गया । मदारी की भारी चुंबन शिल्पा के होठं पे पड़ी । शिल्पा ने भी इस बार साथ दिया । मदारी नीचे सरकता हुए शिल्पा के पेट को चूमा । शिल्पा की हल्की से सिसकारी निकली । शिल्पा की सांसें ऊपर नीचे होने लगी । खुद को रोकना अब उसके लिए आसान ना था । मदारी ने पल्लू को नीचे कर लिया जिससे शिल्पा के स्तन दिखाई दिए । अब मदारी ने उसके दोनो स्तन के बीच अपना मुंह रख दिया । मदारी की भारी चुम्बन में लार गिरने लगी । शिल्पा को ये बिल्कुल गरम किए जा रहा था । 

"शिल्पा अब गर्मी लगी ?"

"हां ।"

"क्या हमे कपड़े उतार देना चाहिए ?"

      शिल्पा एक झटके में उठी और अपना पल्लू गिर दिया । मदारी भी उठकर अपना कपड़ा उतरकर फेक दिया । मदारी के शरीर में सफेद बालक का गुच्छा था । काली शरीर में सफेद बाल । शिल्पा के स्तन को दोनो हाथो से दबाते हुए कहा "यह मुझे पसंद है । क्या इसे एक बार चूम लूं ?"

"पूछो मत कर लो ।"

    मदारी ने जुबान बाहर निकली और उस स्तन का रसपान करने लगा । बादल ने जोर से गरज लगाई । मदारी उस बादल की तरह गरज और शिल्पा को लेता दिया । अब रजाई को दूर रख दिया । शिल्पा के पेटीकोट को हल्के से उतारकर रख दिया । शिल्पा जैसे अब शर्म से पानी पानी होने लगी । शिल्पा को यकीन नहीं हुआ को कैसे वह एक अधेड़ उम्र के आदमी की बाहों में है । लेकिन जब दो मन का मिलन हो तो ये सब बाते सोचने का वक़्त ज्यादा नहीं होता । शिल्पा के गुलाबी होठ ने अपना द्वार खोल दिया किससे मदारी के होठ ने प्रवेश किया । मदारी का चुम्बन बहुत तेज था । अपनी जुबान से शिल्पा कि जुबान का मिलन करवाया और मीठे स्वाद का आनंद लेने लगा । शिल्पा के शरीर को पूरे जोर से दबा लिया । गोरे बदन पे काले हाथो का दबाव बढ़ गया । शिल्पा ने पैरो से मदारी को दबा लिया । मदारी का मुंह अब शिल्पा के कंधो पे अटका और इस बार दांतो से कंधो पे वार किया । 

"हाय रै उम्म ।' शिल्पा दर्द से चिल्ला पड़ी । 

"शिल्पा तुम इस घर की हो जाओ । मेरा मतलब यह इस दुनिया में आ जाओ ।"

"अलग है मेरी दुनिया ।"

"अब से यही है दुनिया । शिल्पा मुझे अब सिर्फ तुम चाहिए ।"

       अपने लिंग को हाथो में लिए मदारी ने शिल्पा कि योनि में घुसाया । शिल्पा ने मदारी के नितम्ब को छुआ । मदारी ने प्रेम का वार योनि पे किया । शिल्पा जैसे ध्वस्त होने लगी । अब मदारी का ये प्रहार उसके मनोस्थिति को काबू में लिए का रहा था । शिल्पा तीव्रता से मदारी के होठो को चूम ली । मदारी प्रहार तेजी से करता गया । शिल्पा की योनि में मदारी का लिंग अपने तेज प्रहार से शिल्पा के बरसो की प्यास को पानी देने का काम कर था था । मदारी जैसे स्वर्ग का आनन्द लेने में लीन था । शिल्पा और मदारी एक दूसरे की आंखों में देखने लगे । 

"क्या देख रहे हो तुम आई आह ।"

"शिल्पा क्या तुम मेरे ऊपर आ सकती हो ?"

     शिल्पा में गई और मदारी के ऊपर बैठकर अपनी योनि में लिंग का प्रहार मेहसूस करने लगी । अपने दोनो हाथो को स्तन पे रखते हुए आंखे बंद करके ऊपर नीचे होती जा रही थी । मदारी ने स्तन पर से शिल्पा का हाथ हटाया और अपना हाथ रखकर जोर से मसलना शुरू किया । शिल्पा नीचे झुकी और मदारी के गाल को चूमा । मदारी के गले लगते हुए शिल्पा ने मदारी के होठ को ज़ीभ से चाटा । मदारी ने तुरंत अपना जुबान बाहर निकालकर उसके जुबान की मिलाया । शिल्पा के कंधो पे नाखून गड़ाते हुए मदारी ने शिल्पा को मीठा दर्द का अनुभव दिया । मदारी अब चरमसुख के अंत तक पहुंचा और लिंग को बाहर निकलते हुए शिल्पा को लिटा दिया।  सफेद वीर्य की धार शिल्पा के पेट पे गिरा दिया । शिल्पा ने गरम वीर्य को मेहसूस किया। मदारी शिल्पा को उल्टा करते हुए लिंग से शिल्पा के नितंब में प्रवेश किया । शिल्पा की नितम्ब (ass) में लिंग का खेल चला । 

"शिल्पा तुम जवानी का सही उदाहरण हो । क्या इस जवानी को सुख देने का कर्तव्य नहीं बनता मेरा ?"

"हां बनता है ।"

"तो क्या मेरे घर में एक अधेड़ उमर के बुजुर्ग से प्रेम वासना का खेल अच्छा लगा ?"

"हा बहुत अच्छा लगा ।"

"शिल्पा मुझे तुमसे प्यार हो गया । ये हवस नहीं है मेरा प्यार है ।"

     शिल्पा कुछ ना बोली।  मदारी ने नितम्ब में अपना वीर्य गिरा दिया । थकान में मारे मदारी खटिया पे लेट गया । शिल्पा मदारी के ऊपर लेट गई । मदारी के सीने पे अपना सिर रखते हुए शिल्पा ने दोनो को रजाई में समा लिया । मदारी शिल्पा के नितम्ब पे हाथ रखता हुआ अपनी आंखे बंद कर लिया । शिल्पा भी मदारी के साथ प्रेमी को तरह सो गई । 

    तूफानी रात शांत हो गई । रात के ३ बजे मदारी की आंख खुल गई । शिल्पा को अपने करीब पाकर वो थोड़ा चिंतित हो गया । 

मदारी मन में बोला "ये क्या कर दिया मैंने ? अपनी बेटी कि उमर की औरत के साथ ? नहीं नहीं । ये मेरी मालकिन है नहीं ये पाप है । मुझे ये नहीं करना चाहिए ।"

     मदारी आहिस्ते से उठकर सोई हुई शिल्पा कअपार रजाई रखकर धीमे और दबे पैरो से कमरे के बाहर निकला और अगले कमरे में चला गया । अपने कमरे पे पड़े शीशे में खुद को देखते हुए कोसने लगा । घुस्से में खुद को दो थप्पड़ भी मार दिया । मदारी की आंखो में आंसू आ गए । शरम और लाज से खुद को अंधेरे से भरे कमरे में कैद कर लिया । 

       सुबह के 6 बजे । पक्षियों की चेहेक से शिल्पा कि नींद उड़ी । शिल्पा को याद आया कल रात की घमासान सेक्स की । शिल्पा शर्मा गई । बड़ी मुश्किल से बिस्तर से उठकर खड़ी हुई । चलने में थोड़ी सी दिक्कत ही रही थी । रजाई को नंगे जिस्म से लपेटकर कमरे से बाहर निकली । बाजू के कमरे में वो आ गई जहा मदारी था । मदारी खटिया पे बैठा था । शिल्पा पीछे से आही और मदारी से लिपट गई । मदारी चौक गया । शिल्पा ने मदारी को खटिया पे लेटाया और उसपर लेट गई । मदारी के होठं को चूम लिया । मदारी एक ही झटके में अलग हुआ । 

"माफ़ करिए मेमसाब । हमसे गलती हो गई ।"

"कैसी गलती ?" शिल्पा ने हैरानी से पूछा । 

"आप हमारी मेमसाब है । कल रात जो हुआ उसमे मेरी गलती थी । बहुत बड़ा पाप हुए है मुझसे ।'

"मदारी मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा है ।" 

"मुझे आपके साथ सोना नहीं चाहिए था ।"

"मदारी तुम शरमाने लगे हो लड़की कि तरह ।" शिल्पा ने मदारी का हाथ पकड़ा और अपने नंगे बूब्स पे रखा । मदारी ने हाथ पीछे कर लिया । 

"कल रात को बोले थे कि तुम मुझसे प्यार करते हो ।"

"कहा तो था लेकिन हम बहक गए थे । भूल गए थे कि हम तो पाप करने जा रहे है ।"

"मुझे तुम्हारे प्यार करने से कोई ऐतराज़ नहीं है । तुम मुझे जब चाहो प्यार कर सकते हो ।" 

"हूं। आपके पैर पड़ते है । दुबारा ऐसी गलती नहीं करेंगे । हम माफ़ी मांगते है ।" मदारी जोर जोर से रोने लगा । मदारी की बातो से शिल्पा को एक बड़ा झटका लगा । शिल्पा जैसे टूट सी गई । बहुत दिनों बाद किसी ने उसे जिस्म का सुख दिया था लेकिन अब वो भाग रहा है उससे । शिल्पा को बहुत दुख हुआ ।

"तुम नीच हो । एक रात की गर्मी उतर गई क्या ? एक रात के लिए मेरे जिस्म से तुमने खेला तुम बेकार और नीच इंसान ।" घुस्से से शिल्पा बाहर निकालकर साड़ी पहनी और अपने घर चली गई । मदारी अभी भी जोर जोर से रोने लगा।  प्यार के जोश में गलती कर बैठा मदारी । घुस्से से तिलमिलाई शिल्पा अपने घर पहुंची । सरजू घर में ही था । बिना कुछ बोले शिल्पा अपने कमरे में चली गई ।
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#16
बेहद दिलचस्प कहानी!
आप रुक क्यों गए? उम्मीद है जल्दी ही अगला अपडेट देंगे।
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#17
शिल्पा का दिल जैसे टूट गया । उस रात में को हुए उसे वो एक बहुत प्यारा अनुभव समझी थी लेकिन अब उसके लिए वो टूटा हुए सपना से कम नहीं था। पूरा दिन गुमसुम में चला गया। शिल्पा पूरे दिन रोइ और दुखी रही । अगली सुबह बैंक में पहुंची तो मदारी को सामने पाया । मदारी की आंखे नीची थी । शिल्पा का जी किया कि मदारी के होठ को चूम ले लेकिन मदारी का नाकाम प्यार उसके दिमाग में ज्वालामुखी का काम कर गया। शिल्पा अंदर चली गई । मदारी और शिल्पा के बीच अब वो बात नहीं रही । शिल्पा और मदारी ही आज दफ्तर में थे क्योंकि मंजू अभी भी छुट्टी पे था ।

शिल्पा अपने काम में बिजी थी। मदारी भी काम करने लगा । शिल्पा का ज्यादा मन नहीं लगा इसीलिए वो समय से पहले ही दफ्तर से निकल गई। घर पहुंचते ही शिल्पा ला मन अभी भी दुखी था । शिल्पा घर से बाहर थोड़े दूर एक खुले मैदान में आ पहुंची । वहा के कुदरती नज़ारे देखने लगी । चलते चलते शिल्पा नदी के पास आ पहुंची । नदी के आस पास कोई नहीं था सिवाय एक बुजुर्ग आदमी के । वो बुजुर्ग आदमी नदी पे जाल फेकता हुआ मछली पकड़ने को कोशिश कर रहा था । गंजा सफेद बाल और काला शरीर उमर करीब 80 साल की । वजन में थोड़ा भारी । ठंडी की मौसम में ठंडे पानी से मछली निकाल रहा था। नदी के किनारे उसका रेडियो चल रहा था। पुराने जमाने के गाने और खुद हड़बड करता हुआ मस्त मनमौजी की तरह काम किए का रहा था । कुछ देर मछली निकालने के बाद वो बाहर आया और शिल्पा को देखा । शिल्पा जो एक जवान और बेहद आकर्षित महिला है जिसे देखने वाला खुद को देखने से रोक ना सके । उस बुड्ढे की भी यही हालत थी । शिल्पा से अपनी नज़रे हता नहीं पा रहा था । बाहर निकलकर शिल्पा के पास पहुंचा ।


[Image: Bruno-Iwoha.jpg]


"अरे गोरी तुम तो दफ्तर मालकिन हो ना ?"

"जी आप कौन ?"

"मै। उसी दफ्तर में काम करनेवाला मंजू का ससुर हूं । यह इसी गांव में रहता हूं। आज पहली बार देख रहा हूं। ।"

"हा बस थोड़ा घूमने आई थी ।"

"अरे गोरी परदेसी तुझे मछली चाहिए ?"

"नहीं इसकी मुझे जरूरत नहीं ।"

"था कि नदी बड़ी है और मछली बिल्कुल ताज़ा और स्वादिष्ट ले को परदेसी ।"

"नहीं मैं नहीं लेना चाहती ।"

"ठीक है गोरी परदेसी चलता हूं। " वो बुजुर्ग वहा से चला गया ।


शिल्पा अपने घर की तरफ पहुंची । दोपहर के 2 बजे । सरजू घर वापिस आया। शिल्पा को को बगीचे में देख पूछा "सब ठीक तो है ना मेमसाब ? आप जल्दी घर आ गई ।"

"हा वो बस मन नहीं लग रहा था । वैसे कल छुट्टी है । तुम्हे पता है ना ?"

"हा पता है कल रविवार की छुट्टी थी और आनेवाले कल वैसे ही छुट्टी । मजे ही मजे मेमसाब ।" सरजू खुश होता हुआ अंदर गया ।

शिल्पा ने खाना खाया। खाना खाने वो अपने कमरे गई थी कि मंजू की पत्नी सरला का कॉल आया ।

"हेल्लो सरला ।"

"नमस्ते मेमसाब । कैसी है आप ?"

"ठीक हूं । आप बताइए ।"

"बस अभी शहर से आईं । वैसे मेमसाब शाम को क्या कर रही है आप ?"

"कुछ नहीं । क्यों क्या हुआ ?"

"चलिए मेमसाब मिलते है । आप मेरे घर आइए ना । बातचीत करेंगे थोड़ा मिल भी लेंगे ।"

"ठीक है पक्का । आज मैं आ रही हू ।"

सरजू बाहर गार्डन में बैठा । सरजू सब्जी काट रहा था । सरजू शिल्पा की ओर देखते हुए कहा "आपको पता है मेमसाब यहां एक बड़ा त्योहार आनेवाला है ।"

"कोन सा त्योहार मुझे नहीं पता ।"

"इस गांव का त्योहार है । एक वक़्त था जब गांव में बहुत बड़ा भूकंप आया था । करीब 60 लोग घायल हो गए थे । उनकी परिस्थिति बहुत नाज़ुक हो हुई थी। मौत का बुलावा कभी भी आ सकता था। ऐसे वक़्त में किसी के पास पैसे नहीं थे अपना इलाज करवाने का और तो और अपने घर की मरम्मत करवाने का । तो था के ठाकुर साहब ने अपना घर जिधर अभी हम रह रहे है उसे अंग्रेजो के हवाले कर दिया। अंग्रेजो से ये घर और तीन बड़े घर की खरीद लिया । उन पैसों ने ठाकुर ने सबकी जान बचाई और तो और सबका घर वापिस बनवाया । आज उनका खनादन विदेश में रहता है लेकिन उनकी याद में ये त्योहार मनाया जाता है ।"

"इस त्योहार में होता क्या है ?"

"इस त्योहार में अपने परिवार के साथ ठाकुर की हवेली जो अब खंडर हो चुकी है उसकी पूजा करके गांव के जंगल में पूजा के समान को रख देते है । इस त्योहार में ये खास बात है कि इस दिन जो जिसकी जान बचाता है समझो उसका संबंध बहुत मजबूत है । मतलब अगर आप किसी अंजान कि भी जान बचा ले तो समझो आपका और उसका रिश्ता बन गया ।"

"ये क्या बकवास है ?"

"सच्ची । इसका फायदा ये हुआ कि उसे ठाकुर की गांव के किनारे पड़ी दूरी हवेली मिल जाएगी जिसकी कीमत बहुत अच्छी है और तो और तो अच्छे कामों में एक अच्छा काम हो जाएगा । मदारी ने बताया ही होगा कि अगर अच्छे काम किया और कैसी की ज़िन्दगी बदली तो हवेली का रहस्यमय खजाना उस आदमी का ।"

"वैसे तुमने कोशिश की ?"

"हां की लेकिन कोई ऐसा मिला नहीं जिसकी मदद या फिर ज़िन्दगी बचा सकुं ।"

"सब लोग मौका ढूंढ़ रहे है । लेकिन किसी के हाथ कुछ नहीं लगा ।" शिल्पा ने हस्ते हुए कहा ।

"इस गांव में एक आदमी है जिसने एक अच्छा काम किया है वो है एक कि ज़िन्दगी बदलके ।"

"कौन है वो और क्या किया उसने ?"

"उसका नाम नटवर है । अरे वो मंजू का ससुर । उस आदमी ने एक गरीब लड़की जिसका कोई नहीं था उसके लिए अपना एक हिस्से का ज़मीन बेचकर उसे पाला पोसा और यहां ही उसकी शादी करवाई । तुम जानती हो ? मंजू की पत्नी उसकी असल बेटी नहीं है । नटवर ने उसे अपने घर पनाह दी और रोज दिन रात उसे किसी चीज की कमी नहीं होने दी । नटवर की पत्नी दरअसल बांज थी और बच्चे पैदा नहीं कर सकती थी । नटवर ने अपनी पत्नी का दिल रखने के लिए सरला भाभी को गोद लिया। धीरे धीरे सलिला भाभी और नटवर के रिश्ते अच्छे होते गए। नटवर ने उसे अपनी बेटी मान लिया। एक दिन सरला के असली घरवाले आए और नटवर को पता चला कि वो उसे बेचकर आए थे कोठे पर। नटवर ने साफ साफ मना कर दिया कि सरला उसके साथ रहेगी । पंचायत बैठी और पंचायत में नटवर ने ज़मीन का बड़ा bissade दिया सरला के घरवाले को ।"

"कैसे लोग है अपनी बेटी को बेचा ?"

"सही कहा मेमसाब बड़े बेकार लोग थे वो । नटवर जानता था कि अगर सरला को उसके घरवाले को दिया तो ज़िन्दगी सरला की बर्बाद । सरला के लिए खुद गरीब बन जाने को तैयार था लेकिन नटवर सरला को नरक नहीं भेजना चाहता था । इसीलिए ।"

"कितने दयालु और दिल के साफ इंसान है नटवर ।" शिल्पा के मन में नटवर के लिए इज्जत बढ़ गई ।

"नटवर की पत्नी तो 30 साल पहले मर गई । सरला की शादी मंजू से इसी गांव में करवाई ।मंजू वैसे खुद गरीब था। सरला से शादी करवाके दोनो की ज़िन्दगी बदल दी । बस नटवर ने एक को मारने से नहीं बचाया यही काम बाकी है उसके बाद पूरा खजाना उसका लेकिन अब इस बुढ़ापे ने वो किसको बचाएगा ।"

शाम का वक्त था और शिल्पा सरला के घर गई । दोनों में खूब बातचीत हुई ।

"वैसे सरला अकेले ऊब नहीं जाती हो ?"

"अब क्या करे मेमसाब । वैसे भी ज़िन्दगी है जीना तो पड़ेगा ही ।"

"वैसे कितने बच्चे है तुम्हारे ?"

"दो बच्चे है । एक बेटा और बेटी । बेटी की तो शादी हो गई और बेटा भी शादी करके दिल्ली में सरकारी दफ्तर ने चपरासी है । अपनी पत्नी और बच्चे से साथ रहता है ।"

"आप दिल्ली गई थी क्या ?"

"हा वहा ही गई थी अपने पोतो को देख मन खुश हो गया ।"

तभी नटवर आया । नटवर के आते ही सरला ने उसके हाथ से सामान लिया और रसोई में रखके पानी पिलाया । नटवर शिल्पा को देखते ही बोला "नमस्कार मेमसाब । कैसी है आप ?"

शिल्पा मुस्कुराते हुए बोली "जी बिल्कुल ठीक हूं ।"

सरला पूछी "आप जानते है इनको बाबूजी ?"

"अरे हां आज ही मिले थे । हमको तो लगा कि कौन बम्बई से हीरोइन आईं है ?"

शिल्पा मुस्कुरा दी । अपनी तारीफ सबके थोड़ा शरमाई ।

"शिल्पा मेमसाब बुरा मत मानना । वैसे बाबूजी थोड़ा खुलकर बोलने वालो में से है ।"

"देखो शिल्पा मुझे को लगा मैंने कह दिया । अब खूबसूरत को ख़ूबसूरत नहीं कहूं तो क्या कहूं ?"

"शुक्रिया ।" शिल्पा बोली ।

"वैसे शिल्पा इस बेजान जिंदगी में तुमने जान डाल दी । अब तुमको देखकर मरने से कोई डर नहीं । क्या सुन्दर हो तुम ।"

नटवर के दिल में शिल्पा की खूबसूरती का नशा छा गया । बुड्ढा भले ही है लेकिन दिलेर है। दिल की बात बता ही देता है ।

"बाबूजी आपसे एक बात कहनी है ।"

पानी पीते हुए बोला "हां बोलो ।"

"अपना पैसा बैंक में रख दो ना ।"

"नहीं मुझे भरोसा नहीं बैंक पे । वैसे भी पैसे सुरक्षित है । ज्यादा पैसे थोड़ी ना मेरे पास बस 60000 ही तो है ।"

"कोई चोरी कर सकता है ।'

"देखो सरला ......"

शिल्पा ने बीच में बोली "देखिए नटवर जी बैंक में अगर आप पैसा डालेंगे तो पैसे सुरक्षित तो रहेंगे ही साथ ही साथ ब्याज भी आपको अलग से मिलता रहेगा ।"

"ब्याज मुझे मिलेगा ? ये कैसा हो सकता है ।"

"बैंक साल का 6 टका ब्याज देगा । मतलब पैसे भी सुरक्षित और बैंक में होने से बढ़ेंगे भी ।"

"बात तो तेरी सही लग रही है लेकिन चल अगर तेरी बात सही भी hhibto कैसे बैंक में खाता लगाऊं मैं ?"

"मैं मदद करूंगी ।"

"तुम मदद करोगी ?"

"हां ।"

"तो ठीक है मैं इस बात को सही मान लेटा हूं ।"

सरला थोड़ा हैरान होकर पूछी "क्या बात है बाबूजी मेरी बात नहीं लेकिन एक बार में ही शिल्पा मेमसाब की बात मान गए ?"

"अरे खूबसूरत परी है । अगर कह से की आग निगल जाओ तो वो भी निगल जाऊ ।" नटवर खुलकर शिल्पा को लाइन मार रहा था ।

"बाबूजी मै अभी आती हूं ।" सरला कुछ सामान लेने चली गई । नटवर शिल्पा को देखते हुए बोला "वैसे शिल्पा मेरी बात का बुरा मत मानना ।"

"किस बात का बुरा मुझे लगा ?"

"नहीं वो बातो बातो में तुम्हारी तारीफ करना खुलकर अगर बुरा लगा हो तो माफ़ कर देना ।"

शिल्पा हस्ते हुए बोली "मुझे किसी भी बात का बुरा नहीं लगा ।"

"तो फिर ठीक है क्योंकि तुम हो ही इतनी खूबसूरत की मुझसे रहा नहीं जाता। आखिर इस बुढ़ापे कि उमर तक कोई दिल्ली नहीं ऐसी मुझे । मुझे तो सच में तुम्हारी खूबसूरती पसंद आ गई ।"

ना जाने क्यों नटवर जैसे बुड्ढे के मुंह से तारीफ सुनकर शिल्पा उत्तेजित होने लगी। पहली बार कोई इतना सटीग बोलने वाला आदमी मिला उसे।

"सिर्फ खूबसूरती ही ना ? उम्मीद है और कुछ नहीं ।" अब शिल्पा खुलकर नटवर से बात करने लगी ।

"मुझे तो तुम भी पसंद आ गई ।"

"आप भी ना मजाक करते है ।" शिल्पा अपने बाल के लट को ठीक करते हुए ।

"वैसे सच कहूं तो तुम वैसे मुझसे बहुत ज्यादा छोटी हो उमर में यूं कहो तो बेटी के उमर की । अपने से छोटों को बेटा बेटी मानता हूं लेकिन कसम से तुमको बेटी नहीं बुला सकता मै । तुम शिल्पा हो मेरे लिए । तुमको देखकर आशिक़ मिजाज जाग जाता है ।"

सरला वापिस आती है और नटवर दूसरे कमरे में जाता है । नटवर की सारी बाते शिल्पा को अंदर से गरम किए जा रही थी । नटवर छुपकर शिल्पा को बिहार रहा था। उसकी नजर शिल्पा के कितने पेट और स्तन पे गड़े हुए थे । शिल्पा की कमर को देख नटवर अपनी मुट्ठी बंद करते हुए दांत पीसने लगा । शिल्पा की कातिल जवानी उसे मारे जा रही थी ।


[Image: Katrina-Kaif-promoting-Bharat-in-2019.jpg]
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नटवर को 40 साल बाद किसी ने इस क़दर पागल किया । नटवर और मदारी में एक फर्क है । मदारी अभी भी सही या गलत का चुनाव नहीं कर सकता और नटवर का दिल जो करे बस वहीं करता है । नटवर के दिल ने कहा कि शिल्पा को अपने दिल की बात बता दे । इन सभी कश्मकश में वक़्त गुजार गया । शिल्पा को भी घर जाना चाहिए ऐसा उसे लग रहा था ।

"चलिए सरला जी मुझे अब चलना चाहिए । तीन घंटे कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला।"

"सही कहा मेमसाब मुझे कितना मज़ा आया बात करके इसका अंदाज़ा आपको नहीं । चलिए मेमसाब आपको घर तक छोड़ देती हूं ।"

नटवर तुरंत आ पहुंचा और बोला "मैं हूं ना । शिल्पा को घर तक पहुंचा दूंगा । सरला तुम्हे घर का काम करना चाहिए ।" नटवर ने सरला को इशारा करते हुए कहा।

सरला समझ गई कि बाबूजी शिल्पा के साथ कुछ बात करना चाहते है इसीलिए मान गई । शिल्पा और नटवर घर से बाहर निकले।

"वैसे वो बैंक वाली बात मुझे अब सही लग रही है ।"

"अच्छा ? तो कब अपना खाता खुलवाएंगे ?"

"कल ही कर देता हूं ।"

"कल बैंक बंद है । एक काम करिए आप मंगलवार को आ जाइए ।"

"अरे कमाल करती हो शिल्पा। तुम बैंक को चलती को बैंक तुमको नहीं । कल करने ने जाता क्या है ? काग़ज़ तुम्हारे पास ही होगा ना ?"

"हा लेकिन ।"

"अब जितनी जल्दी ये काम और झंझट पूरा हो उतना अच्छा है ।"

"अच्छा ठीक है तो कल मै आपका फॉर्म भरवा दूंगी । कब भरवाना है ?"

"कल दोपहर कोमेरे घर ।"

"आपके घर ?"

"क्यों कोई समस्या है क्या ?"

"नहीं लेकिन दोपहर ?"

"अरे दोपहर को मैं खेत के काम को निपटाकर आ जाऊंगा ।"

"ठीक है लेकिन आपका घर कहा है ?"

"वो नदी के पास वाला छोटा सा घर है ना ? उधर। "

"ठीक है कल मैं ना आ पाई तो मंजू को भिजवा दूंगी ।"

"नहीं सिर्फ तुम आओगी । बात मैंने तुम्हारी मनी है तो तुम ही आओगी ।"

"लेकिन......."

"लेकिन कुछ नहीं । सिर्फ तुम ही आना । तुम्हारी राह देखूंगा ।" नटवर शिल्पा को देखते हुए कहा।

शिल्पा भी बात मान गई और घर भी आ गया । शिल्पा और नटवर अलग हुए । नटवर कल दोपहर का बेसब्री से इंतज़ार करने लगा । शिल्पा के साथ अकेले और सुनसान जगह वक़्त बिताने को जो मिलेगा ।
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#18
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#19
[Image: 2-50138315.jpg]
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#20
आज दोपहर को अपडेट आनेवाला है जो कहानी का रुख मोड़ देगा ।
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